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SC ने अपने ऐतिहासिक फैसले मे कहा कि हर महिला को सुरक्षित व वैध गर्भपात का हक है ,

चाहे उसकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो। अदालत ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP)
एक्ट के प्रावधनों की व्याख्या करते हुए यह फैसला दिया।
विश्व सुरक्षित गर्भपात दिवस के दिन 29 सितंबर को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक ऐतिहासिक
फैसले में न्यायमर्ति ू ने कहा है कि - अविवाहित और एकल महिलाएं जिनका गर्भ 20 से 24
ू डी वाई चंद्रचड़
सप्ताह के बीच है , उन्हें भी विवाहित महिलाओं की तरह गर्भपात का अधिकार होगा।

यह कहते हुए कि राज्य के हस्तक्षेप के बिना प्रजनन विकल्प हर महिला का अधिकार है ।

हाइलाइट्स
 महिलाओं को गर्भपात के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
 अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ्तों तक अबॉर्शन करा सकती है
 महिला की वैवाहिक स्थिति उसे गर्भपात के हक से वंचित करने का अधिकार नहीं है
 सभी महिलाओं को सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का अधिकार है -SC

नई दिल्ली- याचिकाकर्ता एक 25 वर्षीय भारतीय महिला थी, जो सहमति से संबंध में थी और अपने साथी द्वारा
शादी करने से इनकार करने के बाद गर्भपात कराना चाहती थी।

याचिकाकर्ता मणिपरु की रहने वाली थी, लेकिन वर्तमान में नई दिल्ली में रह रही थी।

1. उसके द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की 23 सप्ताह और पांच दिनों के गर्भ को समाप्त करने
की मांग करते हुए कहा की उसकी गर्भावस्था एक सहमति से उत्पन्न हुई थी परन्तु वह बच्चे को जन्म
नहीं दे सकती है ।

-क्योंकि वह एक अविवाहित महिला हैं और उसके साथी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया है ।

- अ़विवाहित महिलाएं जिनकी गर्भावस्था एक सहमति से उत्पन्न हुई थी। गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति नियम
2003 के तहत किसी भी खंड में शामिल नहीं है परन्तु एमटीपी एक्ट के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाएं
जिनकी गर्भावस्था एक सहमति से उत्पन्न हुई है उन्हें 20 सप्ताह तक गर्भ खत्म करने की अनुमति है ।

दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि एमटीपी एक्ट के तहत अविवाहित महिलाओं को गर्भपात
करवाने की अनम ु ति नहीं है इसलिए समाप्ति के आदे श की अनम
ु ति नहीं दी जा सकती। उन्होंने सझ
ु ाव दिया कि
उसे गर्भावस्था जारी रखनी चाहिए और बाद में बच्चे को गोद लेने के लिए छोड़ सकती है राज्य द्वारा खर्च वहन
किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमित मिश्रा द्वारा याचिकाकर्ता की सहमति से एक एसएलपी ‘‘स्पेशल लीव पिटिशन’’
ु छे द 142 के तहत इसे असाधारण शक्ति प्राप्त है ।
दायर की क्योंकि संविधान के अनच्

क्योंकि यह भेदभाव और अनुच्छे द 14 और 21 के उल्लंघन का स्पष्ट मामला था। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट इस पर
विचार जरूर करे गा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकते हैं। अविवाहित
महिलाओं को भी 20-24 सप्ताह के गर्भ का गर्भपात कराने का अधिकार है ‘’सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी
गर्भपात की हकदार है ।

-कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में 2021 का (संशोधित) विवाहित और अविवाहित
महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है । अविवाहिता महिला जिसका गर्भ सहमति संबंध से उत्पन्न होता है , उसे
टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नें सी एक्ट के नियम 3 बी से बाहर रखा जाना वैध है ।

-नियम 3 बी में उन महिलाओं की श्रेणियों का उल्लेख है जिसकी 20-24 सप्ताह की गर्भ समाप्त की जा सकती
है ।

कोर्ट ने कहा –

यदि नियम 3 बी को केवल विवाहित महिलाओं के लिए समझा जाता है , तो यह इस रूढ़िवादिता को कायम रखेगा
कि केवल विवाहित महिलाएं ही योन गतिविधियाँ यह संवैधानिक रूप से सही नहीं है।

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