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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


लक्ष्मी सूक्त ॐ

ॐ पद्मानने पद्मद्मनन पद्मपत्रे पद्मनिये पद्मदलायताद्मि । ॐ

निश्वनिये निश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मनय सनिधत्स्व ॥


ॐ ॐ
पद्मानने पद्मऊरु पद्माश्री पद्मसम्भिे ।
ॐ ॐ
तन्मे भजद्मसं पद्माद्मि येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥

ॐ अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने । ॐ

धनं मे जुषतां दे नि सिवकामांश्च दे नह मे ॥


ॐ ॐ

पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वानदगिेरथम् ।


ॐ ॐ
िजानां भिद्मस माता आयुष्मन्तं करोतु मे ॥

ॐ धनमनिधवनं िायुधवनं सूयोधनं िसुुः । ॐ

धननमन्द्रो बृहस्पनतिवरुणो धनमस्तु मे ॥


ॐ ॐ

िैनतेय सोमं नपब सोमं नपबतु िृत्रहा ।


ॐ ॐ
सोमं धनस्य सोनमनो मह्यं ददातु सोनमनुः ॥

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतुः ।

ॐ भिन्तन्त कृ तपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जानपनाम् ॥ ॐ

सरद्मसजननलये सरोजहस्ते धिलतरांशुक गन्धमाल्यशशोभे । ॐ


भगिनत हररिल्लभे मनोज्ञे नत्रभुिनभूनतकरर िसीद मह्यम् ॥


ॐ ॐ
श्रीिवचवस्वमायुष्यमारोग्यमानिधाच्छोभमानं महीयते ।

ॐ धान्य धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसं ित्सरं दीर्वमायुुः ॥ ॐ

ॐ महादे व्यै च निद्महे निष्णुपत्न्यै च धीमनह ।


ॐ ॐ

तिो लक्ष्ीुः िचोदयात् ॥


ॐ ॐ
ॐ महालक्ष्म्यै च निद्महे महद्मश्रयै च धीमनह ।

ॐ तिुः श्रीुः िचोदयात् ॥ ॐ

ॐ निष्णुपत्ीं िमां दे िीं माधिीं माधिनियाम् । ॐ

लक्ष्ीं नियसखीं दे िीं नमाम्यच्युतिल्लभाम् ॥


ॐ ॐ
चन्द्रिभां लक्ष्ीमैशानीं सूयावभांलक्ष्ीमैश्वरीम् ।
ॐ ॐ
चन्द्र सूयावनिसङ्काशां द्मश्रयं दे िीमुपास्महे ॥

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


लक्ष्मी सूक्त हिन्दी नुवाद सहि ॐ

ॐ ॐ
पद्मानने पद्मद्मनन पद्मपत्रे पद्मनिये पद्मदलायताद्मि ।
निश्वनिये निश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मनय सनिधत्स्व ॥
ॐ ॐ

अथव :- हे लक्ष्ी दे िी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर निराजमान, कमल- ॐ



दल के समान नेत्रों िाली, कमल पुष्पों को पसं द करने िाली हैं। सृनि के

ॐ सभी जीि आपकी कृ पा की कामना करते हैं। आप सबको मनोनुकूल फल ॐ


दे ने िाली हैं। हे दे िी! आपके चरण-कमल सदै ि मेरे हृदय में न्तित हों।
ॐ ॐ
पद्मानने पद्मऊरू पद्मािी पद्मसम्भिे।

ॐ तन्मे भजद्मसं पद्माद्मि येन सौख्यं लभाम्यहम््‌॥ ॐ

ॐ अथव :- हे लक्ष्ी दे िी! आपका श्रीमुख, ऊरु भाग, नेत्र आनद कमल के ॐ
समान हैं। आपकी उत्पनि कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका
ॐ ॐ
स्मरण करता हूँ, आप मुझ पर कृ पा करें।

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।


धनं मे जुष तां दे नि सिांकामांश्च दे नह मे॥ ॐ

अथव :- हे दे िी! अश्व, गौ, धन आनद दे ने में आप समथव हैं। आप मुझे धन


ॐ ॐ
िदान करें। हे माता! मेरी सभी कामनाओं को आप पूणव करें।

ॐ ॐ
पुत्र्‌पौत्र्‌धनं धान्यं हस्त्यश्वानदगिेरथम््‌।

ॐ िजानां भिसी माता्‌आयुष्मंतं करोतु मे॥ ॐ

अथव :- हे दे िी! आप सृनि के समस्त जीिों की माता हैं। आप मुझे पुत्र-


ॐ पौत्र, धन-धान्य, हाथी-र्ोड़े, गौ, बैल, रथ आनद िदान करें। आप मुझे ॐ

दीर्व-आयुष्य बनाएूँ ।
ॐ ॐ

धनमानि धनं िायुधवनं सूयो धनं िसु।


ॐ ॐ
धन्‌नमंद्रो बृहस्पनतिवरुणां धनमस्तु मे॥

ॐ अथव :- हे लक्ष्ी! आप मुझे अनि, धन, िायु, सूय,व जल, बृहस्पनत, िरुण ॐ
आनद की कृ पा द्वारा धन की िानि कराएूँ ।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
िैनतेय सोमं नपि सोमं नपितु िृत्रहा।


सोमं धनस्य सोनमनो मह्यं ददातु सोनमनुः ॥ ॐ

अथव :- हे िैनतेय पुत्र गरुड़! िृत्रासुर के िधकताव, इं द्र, आनद समस्त दे ि जो


ॐ ॐ
अमृत पीने िाले हैं, मुझे अमृतयुक्त धन िदान करें।

ॐ ॐ
न्‌क्रोधो न्‌च्‌मात्सयं न्‌लोभो नाशुभामनतुः ।

ॐ भिन्तन्त कृ तपुण्यानां भक्तानां सूक्त्‌जानपनाम््‌॥ ॐ

अथव :- इस सूक्त का पाठ करने िाले की क्रोध, मत्सर, लोभ ि अन्य अशुभ
ॐ कमों में िृनि नहीं रहती, िे सत्कमव की ओर िेररत होते हैं। ॐ

ॐ ॐ

सरद्मसजननलये सरोजहस्ते धिलतरांशुक गं धमाल्यशशोभे।


ॐ ॐ
भगिनत हररिल्लभे मनोज्ञे नत्रभुिनभूनतकरी िसीद मह्यम््‌॥

ॐ अथव :- हे नत्रभुिनेश्वरी! हे कमलननिाद्मसनी! आप हाथ में कमल धारण नकए ॐ


रहती हैं। श्वेत, स्वच्छ िस्त्र, चं दन ि माला से युक्त हे निष्णुनिया दे िी! आप
ॐ ॐ
सबके मन की जानने िाली हैं। आप मुझ दीन पर कृ पा करें।

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ निष्णुपत्ीं िमां दे िीं माधिीं माधिनियाम््‌। ॐ

लक्ष्ीं नियसखीं दे िीं नमाम्यच्युतिल्लभाम॥


ॐ ॐ
अथव :- भगिान निष्णु की निय पत्ी, माधिनिया, भगिान अच्युत की
ॐ िेयसी, िमा की मूनतव, लक्ष्ी दे िी मैं आपको बारं बार नमन करता हूँ। ॐ

महादे व्यै च्‌निद्महे निष्णुपत्न्यै च्‌धीमनह।


ॐ ॐ
तिो लक्ष्ीुः िचोदयात््‌॥

ॐ अथव :- हम महादे िी लक्ष्ी का स्मरण करते हैं। निष्णुपत्ी लक्ष्ी हम पर ॐ

कृ पा करें, िे दे िी हमें सत्कायों की ओर ििृि करें।


ॐ ॐ
चं द्रिभां लक्ष्ीमेशानीं सूयावभांलक्ष्ीमेश्वरीम््‌।
चं द्र्‌सूयावनिसं काशां द्मश्रय दे िीमुपास्महे॥
ॐ ॐ

अथव :- जो चं द्रमा की आभा के समान शीतल और सूयव के समान परम


ॐ तेजोमय हैं उन परमेश्वरी लक्ष्ीजी की हम आराधना करते हैं। ॐ

श्रीिवचवस्वमायुष्यमारोग्यमाद्मभधाच्छर ोभमानं महीयते।


ॐ ॐ
धान्य्‌धनं पशु्‌बहु्‌पुत्रलाभम् सत्सं ित्सरं दीर्वमायुुः ॥

ॐ अथव :- इस लक्ष्ी सूक्त का पाठ करने से व्यनक्त श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से ॐ

युक्त होकर शोभायमान रहता है। िह धन-धान्य ि पशु धन सम्पि, पुत्रिान


ॐ ॐ
होकर दीर्ावयु होता है।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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