1. कत्थक नत्ृ य को नटवरी नत्ृ य के नाम से भी जाना जाता है । 2. कत्थक नत्ृ य को नया रूप वाजिद अली शाह ने दिया था। 3. पंडित बिरजू महाराज लखनऊ घराने के थे। कुछ वाक्यों में 1. नत्ृ य की विशेष शैली को घराना कहते हैं। तीनों घरानों में थोड़ा अंतर है ।लखनऊ घराने में अंगों का नाजक ु संचालन है और भाव पर अधिक ध्यान दिया जाता है ।जयपरु घराने में पैरों के संचालन पर बल दिया जाता है । बनारस घराने में नर्तक एडी का प्रयोग अधिक करते हैं। 2. पंडित बिरजू महाराज स्वर्गीय अच्छन महाराज के पत्र ु हैं। नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में कालका प्रसाद व बिंदादीन भाइयों की जोड़ी कथक नत्ृ य के लिए प्रसिद्ध थी ।बिरजू महाराज उसी वंश के हैं। वे लखनऊ घराने के हैं ।पिता की मत्ृ यु के समय वे केवल 10 वर्ष के थे। अपने परिश्रम से वे एक प्रसिद्ध नर्तक बने ।इन्हें ' पद्मभष ू ण' 'कालिदास परु स्कार' से सम्मानित किया गया है ।सोवियत संघ ने नेहरू फैलोशिप से सम्मानित किया है । आजकल यह कथक केंद्र दिल्ली में नियक् ु त है । 3. पौराणिक कहानी के अनस ु ार राजा नहुष की मत्ृ यु हो गई तो अपने अच्छे कर्मों के कारण उन्हें स्वर्ग भेजा गया। स्वर्ग में नत्ृ य दे खकर उन्हें आश्चर्य हुआ ।उन्होंने भारत के सौ पत्र ु ों से आग्रह किया कि वे यह कला मनष्ु य को सिखाएं। इस तरह नत्ृ य की शरू ु आत हुई। मेरे विचार से 1. विद्यार्थी स्वयं करें गे। 2. लोक नत्ृ य और शास्त्रीय नत्ृ य के कुछ प्रमख ु अंतर नीचे दिए गए हैं- शास्त्रीय नत्ृ य 1. संगीत नाटक अकादमी से शास्त्रीय नत्ृ य को मान्यता प्राप्त है । 2. नत्ृ य की निश्चित नियम व मद्र ु ाएं होती है । 3. निरं तर अभ्यास और शिक्षण की आवश्यकता होती है । 4. पौराणिक कथाओं और ईश्वर भक्ति पर आधारित होते हैं। 5. विशेष वेशभष ू ा परिधान होते हैं। 6. शास्त्रीय नत्ृ य आठ प्रकार के होते हैं। लोक नत्ृ य 1. इन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है । 2. कोई नियम नहीं होते। 3. विशेष अभ्यास में ट्रे निग ं नहीं चाहिए। 4. लोक परं पराओं और फसलों पर आधारित होते हैं। 5. कोई विशेष वेशभष ू ा नहीं होती। 6. लोक नत्ृ य भारत में बहुत है । 3. विद्यार्थी अपने विचार लिखें। ● इससे उन्हें नत्ृ य का आधार मिलेगा । ● खेलकूद की तरह शारीरिक व्यायाम भी मिलेगा। ● मेरे विचार से यह अनिवार्य होना चाहिए। ● आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।