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अंतर्राष्ट्रीय भरर्तीय विद्यरलय , जद्दरह

हहंदी विभरग

परठ - 2 लरख की चूड़ियराँ


लेखक - करमतरनरथ

शब्द - अथा

चाव - चाह , तीव्र इच्छा

सलाख - सलाई , धातु की छड़

मग
ुँु ेरी - गोल , मठु ियादार लकड़ी जो िोकने - पीटने के काम आती है

पैतक
ृ - पूवज
व ों का , पपता से प्राप्त या पश्ु तैनी

खपत - माल की बिक्री

वस्तु - पवननमय - पैसों से न खरीदकर एक वस्तु के िदले दस


ू री वस्तु लेना

कसर - घाटा पूरा करना , कमी

नाज़क
ु - कोमल

पगड़ी - ससर पर लपेट कर िाुँधा जाने वाला लंिा कपड़ा , पाग

मरहम - पट्टी - ज़ख्म का इलाज , घाव पर दवा लगाकर पट्टी िाुँधना

मचचया - िैिने के उपयोग में आने वाली सुतली आठद से िुनी छोटी /चौकोर खाट
मुखानति - दे खकर िात करना

डसलया - िाुँस का िना एक छोटा पात्र

फिना - सजना , शोभा दे ना

प्रश्न उत्तर्

प्रश्न - 1 बचपन में लेखक अपने मरमर के गराँि चरि से क्यों जरतर थर और् बदलू
को ''बदलू मरमर'' न कहकर् ''बदलू करकर'' क्यों कहतर थर ?

उत्तर - िचपन में लेखक अपने मामा के गाुँव इससलए जाता था क्योंकक िदलू उसे

लाख की रं ग - बिरं गी गोसलयाुँ िनाकर ठदया करता था I वह मलाई और आम


खखलाकर लेखक की खानतर भी करता था | लेखक िदलू को ''िदलू मामा'' न

कहकर '' िदलू काका'' इससलए कहता था क्योंकक गाुँव के सभी िच्चे उसे

'' िदलू काका'' कहकर िल


ु ाते थे |

प्रश्न - 2 िस्तु - विननमय क्यर है ? विननमय की प्रचललत पद्धनत क्यर है ?

उत्तर - वस्तु - पवननमय का अथव है ककसी वस्तु को पैसों से न खरीदकर ककसी

अन्य वस्तु के िदले लेना | वस्तु - पवननमय अचधकतर अनाज के िदले

में ककया जाता है | आजकल वस्तु - पवननमय नहीं होता िल्कक वस्तओ
ु ं

को पैसों के िदले िेचा जाता है |

प्रश्न - 3 '' मशीनी यग


ु ने ककतने हरथ करट हदए हैं | '' - इस पंक्क्त में लेखक ने

ककस व्यथर की ओर् संकेत ककयर है ?


उत्तर - मशीनी युग ने ककतने हाथ काट ठदए हैं | इस पंल्क्त में लेखक कहना

चाहते हैं कक ल्जस काम को लोग हाथ से ककया करते थे और ल्जसके कारण

लोगों का रोज़गार चलता था अि वही काम मशीनों पर होने लगा था | ल्जस के

कारण कई लोग िेरोज़गार हो गए थे | वे मजिरू ी और गरीिी का जीवन जी

रहे थे |

प्रश्न - 4 बदलू के मन में ऐसी कौन - सी व्यथर थी जो लेखक से निपी न र्ह


सकी |

उत्तर - िदलू के मन में यह व्यथा थी कक उसका काम लाख की चड़ू ड़याुँ िनाना

िंद हो गया था | उसी से उसके घर की रोज़ी - रोटी चलती थी | अि चड़ू ड़याुँ

िनाने का काम मशीनों से होने लगा था | गाुँव की औरतों ने काुँच की चूड़ड़याुँ

पहनना शुरू कर ठदया था | िदलू की यह व्यथा लेखक से नछपी न रह सकी

कक मशीनों के कारण वह िेरोज़गार हो गया था |

प्रश्न -5 मशीनी यग
ु से बदलू के जीिन में क्यर बदलरि आयर ?

उत्तर - मशीनी युग ने िदलू के जीवन को पूरी तरह िदलकर रख ठदया था |

औरतें मशीन से िनी काुँच की चड़ू ड़याुँ पहनने लगी थीं | अतः िदलू का

कारोिार िंद हो गया था , उसे गरीिी और मजिरू ी का जीवन जीना पड़ रहा था |


भरषर की बरत

ननम्नललखखत शब्दों के शुद्ध रूप (प्रचललत रूप ) ललखखए |

1 . िखत - वक्त

2 . मरद - मदव

3 . उमर - उम्र

4 . पपयास - प्यास

5 . चधयान - ध्यान

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