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सिफारिस पत्र................................................................................................................................

5
स्वीकृति पत्र................................................................................................................................. 6
परिच्छे द एक................................................................................................................................ 7
परिचय........................................................................................................................................7
१.१ अध्ययनको पष्ृ ठभमि ू ...................................................................................................................7
१.२ समस्याको कथन....................................................................................................................... 10
१.३ अध्ययनको औचित्य..................................................................................................................11
१.४ अध्ययनका उद्दे श्यहरु...............................................................................................................12
१.५ अनस ु न्धानात्मक प्रश्नहरु...........................................................................................................13
१.६ अध्ययनको परिसीमा................................................................................................................. 13
१.७ शब्दावलीको परिभाषा.................................................................................................................13
परिच्छे द दई
ु ............................................................................................................................... 14
सम्बन्धित साहित्यको पन ु रावलोकन तथा सैद्धान्तिक ढाँचा.................................................................14
२.१ सम्बन्धित साहित्यको पन ु रावलोकन........................................................................................... 14
२.२ अध्ययनको सैद्धान्तिक ढाँचा.....................................................................................................18
२.३.अनस ु न्धानको लागि पन ु रावलोकनको उपादे यता........................................................................... 20
परिच्छे द तीन............................................................................................................................. 22
अध्ययन विधि............................................................................................................................ 22
३.१ अनस ु न्धनात्मक ढाँचा................................................................................................................22
३.२ अध्ययनको जनसंख्या र नमन ू ा छनौट.........................................................................................22
३.३ तथ्यांकका श्रोतहरु.....................................................................................................................23
३.४ तथ्यांक संकलनका साधनहरु...................................................................................................... 24
३.४.१ प्रश्नावली...............................................................................................................................24
३.४.२ अन्तर्वार्ता.............................................................................................................................. 24
३.४.३ लक्षित समह ू छलफल..............................................................................................................24
३.५ तथ्यांक संकलन प्रक्रिया............................................................................................................. 25
३.६ तथ्यांक विश्लेषण प्रक्रिया........................................................................................................... 25
परिच्छे द चार.............................................................................................................................. 26
नतिजाको विश्लेषण..................................................................................................................... 26
४.१.४ जनसहयोगको व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता................................................................29
४.१.५ अतिरिक्त क्रियाकलाप र अभिभावक दिवशमा अभिभावक सहभागिता......................................... 30
४.१.६ अभिभावक भेला र व्यवस्थापन समितिको गठनमा अभिभावक सहभागिता.................................. 30
४.१.७ नीति निर्माण र विद्यालयको सप ु रिवेक्षणमा अभिभावक सहभागिता............................................ 31
४.२विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले ल्याएका परिवर्तनहरु........................................ 32
४.२.१ विद्यालयको शैक्षिकस्तरमा सध ु ार........................................................................................... 32
४.२.२ विद्यालयको आर्थिक सक्षमतामा बद् ृ धि.................................................................................... 33
४.२.३ भौतिक अवस्थाको सध ु ारमा..................................................................................................... 34
४.२.४ नीति निर्माण र विद्यालय सश ु ासन.......................................................................................... 34
४.२.५ दलीय राजनीतिक प्रभावमा परिवर्तन........................................................................................ 35
1

४.३ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरु.................................................... 36


४.३.१ दलीय राजनीतिक प्रभाव..........................................................................................................36
४.३.२ अनग ु मन तथा नियमनकारी निकायको निश्क्रियता.................................................................... 37
४.३.३ अभिभावकको कमजोर आर्थिक अवस्था र चेतनास्तर................................................................. 37
४.३.४ सरकारको शैक्षिक नीति र कमजोर व्यवस्थापन......................................................................... 37
४.३.५ शिक्षक अभिभावकबीच कमजोर सम्बन्ध.................................................................................. 38
४.३.६ उत्प्रेरणामल ू क नीति र कार्यक्रमको प्रयोग.................................................................................. 38
४.४ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागिता बढाउने उपायहरु............................................ 40
४.४.१ दलीय राजनीतिक प्रभावको अन्त्य........................................................................................... 40
४.४.२ अभिभावकको शैक्षिक चेतनास्तरको अभिबद् ृ धि......................................................................... 40
४.४.३ अभिभावकको व्यवस्थापकीय भमि ू कामा बद् ृ धि......................................................................... 40
४.४.४ अभिभावक परिचालनका नीति तथा कानन ु को निर्माण................................................................ 41
४.४.५ उत्प्रेरणामल ू क तत्वको व्यवस्थापन.......................................................................................... 41
४.४.६ अभिभावक दिवश, विद्यालय वार्षिकोत्सव र छलफल भेलाको आयोजना...................................... 41
परिच्छे द पाँच............................................................................................................................. 43
निष्कर्ष र सझ ु ावहरु......................................................................................................................43
५.१ निश्कर्ष.....................................................................................................................................43
५.२ सझ ु ावहरु.................................................................................................................................. 44
५.२.१ नीतिगत तह.......................................................................................................................... 44
५.२.२ कार्यान्वयन तह...................................................................................................................... 45
५.२.३ अनस ु न्धान तह...................................................................................................................... 46
अनस ु च ू ी एक............................................................................................................................. 47
प्रधानाध्यापकका लागि तयार पारिएको प्रश्नावली......................................................................... 47
सन्दभग्रन्थसच ू ी........................................................................................................................48

विषयसच
ू ी पष्ृ ठ
परिच्छे द एक

परिचय १–१२
१.१ अध्ययनको पष्ृ ठभमि
ू १
१.२ समस्याको कथन ७
१.३ अध्ययनको औचित्य ९
१.४ अध्ययनका उद्दे श्यहरु ११
१.५ अनस
ु न्धनात्मक प्रश्नहरु ११
१.६ अध्ययनको परिसीमा ११
2

१.७ शब्दावलीको परिभाषा १२


परिच्छे द दई

सम्बन्धित साहित्यको पन
ु रावलोकन र सैद्धान्तिक ढाँचा १३–२४
२.१ सम्बन्धित साहित्यको पन
ु रावलोकन १३
२.२ अध्ययनको सैद्धान्तिक ढाँचा २१
२.३ अनस
ु न्धानको लागि पन
ु रावलोकनको उपादे यता २४
परिच्छे द तीन
अध्ययन विधि
३.१ अनस
ु न्धानात्मक ढाँचा २६
३.२ अध्ययनको जनसंख्या र नमन
ू ा छनोट २७
३.३ तथ्याङ्कका स्रोतहरु २८
३.३।१ प्राथमिक स्रोत
३.३।२ द्धितीय स्रोत
३.४ तथ्याङ्क सङ्कलनका साधनहरु २९
३.५ तथ्याङ्क सङ्कलन प्रक्रिया ३०
३.६ तथ्याङ्क विश्लेषण प्रक्रिया ३१

परिच्छे द चार
नतिजाको विश्लेषण ३२–५७
४.१ विधालय व्यवस्थापनमा आभिभावक सहभागिताको वर्तमान अवस्था ३२
४.१.१ शैक्षिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता ३१
४.१.२ आर्थिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता ३४
४.१.३ भौतिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता ३६
४.१.४ जनसहयोगको व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता ३७
४.१.५ अतिरिक्त क्रियाकलाप र अभिभावक दिवशमा अभिभावक सहभागिता ३८
४.१.६ अभिभावक भेला र व्यवस्थापन समितिको गठनको अभिभावक सहभागिता ३९
४.१.७ नीति निर्माण र विद्यालय सप
ु रिवेक्षणमा अभिभावक सहभागिता ४०
४.२ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागिताले ल्याएको परिवर्तनहरु ४३
४.२.१ विद्यालयको शैक्षिकस्तरमा सधु ार ४३
४.२.२विद्यालयको आर्थिक सक्षमतामा बद्
ृ धि ४४
४.२.३ भौतिक अवस्थाको सध ु ार ४५
४.२.४ नीति निर्माण र विद्यालय सश
ु ासन ४६
४.२.५ दलीय राजनीतिक प्रभावमा परिवर्तन ४७
४.३ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरु ४९
४.३.१ दलीय राजनीतिक प्रभाव ४९
3

४.३.२ अनग ु मन तथा नियमनको निकायको निस्क्रियता ५०


४.३.३ अभिभावकको कमजोर आर्थिक अवस्था र चेतना स्तर ५०
४.३.४ सरकारको शौक्षिक नीति र कमजोर व्यवस्थापन ५१
४.३.५ शिक्षक अभिभावकबीच कमजोर सम्बन्ध ५२
४.३.६ उत्प्रेरणामल
ू क नीति र कार्यक्रमको प्रयोग ५२
४.४ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागिता बढाउने उपायहरु ५४
४.४.१ दलीय राजनीतिक प्रभावको अन्त्य ५४
४.४.२ अभिभावकको शैक्षिक चेतनास्तरको अभिबद् ृ धि ५५
४.४.३ अभिभावकको व्यवस्थापकीय भमि ू कामा बद्
ृ धि ५५
४.४.४ अभिभावक परिचालनका नीति तथा कानन ु को निर्माण ५६
४.४.५ उत्प्रेरणामल
ू क तत्वको व्यवस्थापन ५६
४.४.६ अभिभावक दिवश, विद्यालय वार्षिकोत्सव र छलफल आयोजना
५७
परिच्छे द पाँच
निष्कर्ष तथा सझ
ु ाबहरु
५९–६४
५.१ निष्कर्ष ५९
५.२ सझ ु ावहरु ६१
५.२.१ नीतिगत तह ६१
५.२.२ कार्यान्वयन तह ६२
५.२.३ अनस ु न्धान तह ६४
सन्दर्भग्रन्थ–सच ू ी
अनस ु च
ू ी

विद्यालय ब्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता

त्रिभव
ु न विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र सङ्काय स्नातकोत्तर तह (एम.एड.)
द्वितीय वर्ष शैक्षिक योजना तथा ब्यवस्थापन विषयको आंशिक
आवश्यकता परू ा गर्न तयार पारिएको
शोधपत्र
4

शोद्यार्थी
शमसेरबहादरु मगर
क्याम्पस रो. नं.ः ३५८÷०६४
परीक्षा रो.नं.१५०१७२
त्रि.वि. दर्ता नं.ः ६१५३—९१

ठाकुरराम बहुमख
ु ी क्याम्पस
विरगञ्ज, पर्सा
२०७०
5

सिफारिस पत्र
6

स्वीकृति पत्र
7

परिच्छे द एक
परिचय

१.१ अध्ययनको पष्ृ ठभमि



मानव जीवनमा गुणात्मक परिवर्तन ल्याउने जीवनोपयोगी शिक्षा नै गुणस्तरीय शिक्षा हो । यस्तो शिक्षा नै
आजको आवश्यक्ता हो । यसका लागि विद्यालयको हरे क पक्षको व्यवस्थापनमा जोड दिन आवश्यक छ ।
जबसम्म विद्यालय व्यवस्थापन सदृ ु ढ हुँदैन, तबसम्म शिक्षामा गुणस्तर कायम गर्न सकिँदै न ।
विद्यालय व्यवस्थापनमा सध ु ार ल्याई गुणस्तरयक् ु त शिक्षाको विकास गर्न बिद्यालयमा उपलब्ध
आर्थिक, भौतिक, शैक्षिक, मानवीय स्रोत साधन एवंं सेवा सवि ु धाहरुको उचित व्यवस्थापन हुनु आवश्यक
छ । व्यवस्थापन भन्नु नै यिनै कुराहरुलाई संस्थाको लक्ष्य तथा उद्दे श्यअनरु ु प अधिकतम उपलब्धि
प्राप्ति हुने गरी सही प्रयोग र परिचालन गर्नु हो ।
विद्यालयलाई उचितढङ्घले संचालन गर्न त्यस विद्यालयमा उपलब्ध स्रोत साधनलाई समचि ु तरुपमा
परिचालन गरी निर्धारित लक्ष्य प्राप्त गर्ने एक प्रक्रियागत सामहि
ु क प्रयास नै विद्यालय व्यवस्थापन हो ।
यसअन्तर्गत विद्यालय व्यवस्थापन समिति एवं शिक्षक अभिभावक संघको गठन, अभिभावक सम्बन्ध,
आर्थिक स्रोत व्यवस्थापन, शैक्षिक व्यवस्थापन, शिक्षक व्यवस्थापन, भौतिक व्यबस्थापन, नियम कानन ु
तथा आचार संहिताको परिपालन, जनसहयोग परिचालन, नीति निर्माण, विद्यालय सप ु रिवेक्षण,
सामाजिक परीक्षण लगायतका थप ु ै ्र व्यवस्थापकीय कार्यहरु एवं विद्यालय सध ु ार तथा सश ु ासनका
विषयहरु समेटिएका हुन्छन ् (शिक्षा विभाग,२०६७) ।
विद्यालयको समग्र विकास र विद्यालय सश ु ासनका लागि विद्यालय व्यवस्थापनलाई एक महत्वपर्ण ू
प्रक्रिया मानिन्छ । विद्यालयमा आधारित विद्यालय व्यवस्थापन विभिन्न ढांचाका हुन्छन । समद ु ाय
नियन्त्रित व्यवस्थापन ढांचाको विद्यालय व्यवस्थापनलाई सहभागितामल ू क व्यवस्थापन भनिन्छ । यस
किसिमको व्यवस्थापनमा धेरै अभिभावकहरुको संलग्नता रहन्छ भन्ने मान्यता छ (शैक्षिक जनशक्ति
विकास केन्द्र,२०६९) ।
अभिभावक शब्दले विद्यालयमा अध्यनरत विद्यार्थीका अभिभावक तथा विद्यालयको अभिलेखमा
अभिभावक भनि जनिएको व्यक्तिलाई जनाउँ छ भने विद्यालय व्यवस्थापन समितिको अध्यक्ष सदस्य
छनौटका लागि विद्यार्थीका आमा, बाब,ु बाजे र बज्यैलाई मात्र अभिभावक मानिने कानन ु ी व्यवस्था छ
(शिक्षा मन्त्रालय, २०६५) । कुनै पनि संस्थामा आवद्ध प्रत्येक व्यक्ति चाहे जनु सकु ै स्तर र अवस्थाका
हुन ्, जिम्मेवारी र दायित्वको हिसावले त्यो संस्थाको व्यवस्थापक हो । विद्यालय एक सामद ु ायिक शैक्षिक
संस्था हो र अभिभावक त्यस संस्थाको अभिन्न सदस्य भएकोले शिक्षक, प्रधानाध्यापक, व्यवस्थापन
समिति जत्तिकै अभिभावकको पनि विद्यालय व्यवस्थापनमा महत्वपर्ण ू दायित्व एवं भमिू का र जिम्मेवारी
रहन्छ । सबैको समान सहभागिताले विद्यालय व्यवस्थापनमा निरन्तर सध ु ार आई समग्रमा
गुणस्तरीयता ल्याउन सहयोग पग्ु दछ (थापा, २०६८) ।
8

विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक, जनसहयोग लगायतका व्यवस्थापकीय गतिविधिहरुमा


अभिभावकले संलग्नता प्रकट गर्नु, गराउनु नै विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता हो । यस
कुराले विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकहरुको सझ ु ाव, चाहना र भावनाको कदर गर्ने संस्कार
समेतलाई बझ ु ाउँ छ । अर्को अर्थमा भन्नु पर्दा विद्यालय व्यवस्थापनको बिभिन्न नीति निर्माणको
प्रक्रियामा अभिभावकहरुको अर्थपर्ण ू संलग्नताको सनि ु स्चित गर्ने एक सामहि ु क प्रयास नै विद्यालय
व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता हो । सहभागिताका धेरै स्वरुपहरु हुन्छन ् । स्वैच्छिक, दवाबमल ू क
र उत्पे ्ररित सहभागिता यी तीन सहभागिताहरुमध्ये स्वैच्छिक सहभागिता महत्वपर्ण ू हुन्छ, । यसले दिगो
प्रभावकारी र अपेक्षित उपलब्धि हासिल गर्न सहज बनाउँ छ । यसको लागि स्वःस्फूर्तरुपमा उत्पे ्ररित हुने
वातावरण निर्माण गरिनप ु र्दछ । साथै विद्यालय विकासको क्रममा स्थानीयस्तरमा प्रजातान्त्रिक अभ्यास
र प्रयोग गर्न गराउनसमेत अभिभावक सहभागितालाई पर्व ू सर्तको रुपमा लिने गरिन्छ (सिवाकोटी, २०६९)

शिक्षक व्यवस्थापन, आर्थिक श्रोत, सप ु रिवेक्षण तथा नियन्त्रण पर्णू रुपले सरकारकै व्यवस्थापनमा
संचालन हुने सामद ु ायिक विद्यालय सरकारी अनद ु ानमा संचालन हुन्छ । सामद ु ायिक विद्यालयमा
अभिभावकले विद्यालयको विभिन्न कार्यमा सरिक भएर आफ्नो भमि ू का निर्वाह गरी सहभागिता प्रकट
गर्न सकिन्छ । विद्यालयका लागि जग्गा, चन्दा, शिक्षण शल् ु क दिएर आर्थिक तथा भौतिक सहभागिता
प्रकट गर्न सकिन्छ । बालबालिकालाई विद्यालय पठाएर, शैक्षिक प्रगतिको लेखाजोखा गरे र, शिक्षण
सिकाइमा सहयोग गरे र शैक्षिक सहभागिता दे खाउन सकिन्छ । अभिभावक भेला र सामाजिक परिक्षण,
विद्यालय व्यवस्थापन समिति, शिक्षक अभिभावक संघको गठन प्रक्रियामा सहभागी भएर विद्यालय
व्यवस्थापनको हरे क नीति निर्माण प्रक्रियामा सक्रिय भमिू का निर्वाह गर्ने र व्यवस्थापन पक्षका जिम्मेवार
व्यक्तिहरुलाई सचेत र जागरुक बनाई अभिभावकले आफ्नो व्यवस्थापकीय सहभागिता प्रकट गर्न
सकिन्छ (पौडेल,२०६८) ।
बिकेन्द्रीकृत शिक्षा प्रणालीको अभ्यास गर्ने र व्यवस्थापनमा आधारित शैक्षिक विकास गर्ने क्रममा शैक्षिक
व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागितासम्बन्धी अवधारणा सर्वप्रथम अमेरिकाबाट शरु ु भएको मानिन्छ
(काफ्ले र अन्य २०६७) । नेपालमा भने सन ् १९६० को दशकपछि मात्र यस अवधारणाको बिकास भएको हो
। यस समयसम्म दे शमा रहे का सबैजसो विद्यालयहरु निजी क्षेत्रमा संचालित थिए । तर ती विद्यालयहरु
सामाजिक अवधारणामा संचालित थिए । काठमाण्डौं उपत्यका बाहिरका सचेत अभिभावकहरूले
विद्यालय चलाउने अभिप्रायले अनम ु ति बेगरपनि स्कुल खोली पठनपाठन गर्न थाले । यसै शिलशिलामा
वि.सं.१९८६मा आदर्श विद्यालयको स्थापना भयो । यस विद्यालयमा अभिभावकहरु मिलेर चन्दा
संकलनगरी तलवभत्ता खव ु ाउने व्यवस्था गरिएको थियो । विद्यालय स्थापना गरी आर्थिक सहयोग एवं
चन्दा संकलन र विद्यार्थी बटुल्नेजस्ता कार्यहरु अभिभावकबाट हुन्थ्यो । शिक्षाप्रति जनताको चासो बढ्दै
गएपछि वि.सं.२००६ साल सम्ममा दे शका विभिन्न स्थानमा जनस्तरबाटै खर्च बेहोर्ने गरी धेरै पब्लिक
स्कुलहरू खल ु े।
२०२८ सालपछि भने विद्यालयको सम्पर्ण ू व्यवस्थापनको जिम्मा राज्यले लिएपछि पनि अभिभावकहरु
विद्यालय संचालनका लागि शिक्षक लैजान बझाङ बाग्लङ्ु घदे खि काठमाण्डौसम्म आउने गरे को उदाहरण
नेपालको शैक्षिक इतिहांसमा पाइन्छ । यसले पनि अभिभावक सहभागिताको अवधारणाको विकास भएको
दे खाउँ छ (शर्मा, २०६७) ।
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शैक्षिक इतिहांसमा अभिभावक सहभागितासम्बन्धी औपचारिक परम्पराको शरु ु वात २००७ साल पछि
भएको मानिन्छ । नेपाल राष्ट्रिय शिक्षा योजना आयोग, २०११ को प्रतिबेदनमा मन्त्रालयदे खि विद्यालय
संचालक समितिसम्मको प्रशासनिक संगठनलाई पन ु ःसंगठित गरी प्रशासन र निरीक्षणलाई आधनि ु क
प्रजातान्त्रिक पद्धतिअनरुु प विकेन्द्रीकरणलाई प्रत्याभत ू गर्नका साथै अभिभावक र शिक्षकबीच असल
सम्बन्ध बढाउन स्थानीय, जिल्ला तथा राष्ट्रिय तहमा अभिभावक शिक्षक संघ बनाइनप ु र्छ भन्ने सझु ाव
दिइएको थियो (शर्मा, २०६६) । त्यसैगरी, राष्ट्रिय शिक्षा पद्धति योजना, (२०२८–२०३२) कार्यान्वयनको
ंपर्णा
ू वधि मल् ू यांकन समितिको प्रतिवेदन, २०३६ अनस ु ार विद्यालयलाई सहयोग प¥ ु याउनेहरुका लागि
कदरस्वरुप तक्मा प्रशंसापत्र दिन शरु ु वात गर्ने र जनसहयोगबाट विद्यालय संचालन गर्ने प्रयासले पनि
विद्यालय विकासमा अभिभावकलाई सक्रिय सहभागी हुन उत्पे ्ररित गर्ने कार्यको थालनी भएको थियो
(शर्मा, २०६०) ।
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको अर्थपर्ण ू सहभागितालाई सनि ु श्चित गर्न आवश्यक महसस ु भै
अभिभावकको प्रतिनिधित्व हुने गरी विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गर्नुपर्ने उच्चस्तरीय कार्य
समितिको प्रतिबेदन, २०५८ ले दिएको सझ ु ावअनसु ार २०५८, माघ २५ मा शिक्षा ऐन, २०२८ को सातौं
संशोधनपछि मात्र अभिभावक सहभागिताको सैद्धान्तिक अवधारणाले बैधानिक मान्यता पायो । यस
ऐनमा अभिभावक भेलाले सामद ु ायिक विद्यालयको विद्यालय व्यवस्थापनमा नौ सदस्यीय समिति रहने
र त्यस समितिमा एकजना अध्यक्ष र तीनजना अन्य सदस्यहरु अभिभावकहरु मध्येबाट छानिने व्यवस्था
भयो । त्यतिमात्र होइन, अभिभावक शिक्षक संघ तथा सामाजिक परीक्षण समितिको गठन गर्ने र प्रत्येक
बर्ष सामाजिक परीक्षण गर्नुपर्ने काननु ी व्यवस्था पनि गरियो । यस व्यवस्थाले विद्यालय व्यवस्थापनमा
अभिभावक सहभागिता बढाउने परम्परा बसाल्न खोजेको दे खिन्छ (अधिकारी, २०६४) ।
नेपाल सरकारले अंगिकार गरे को विकेन्द्रीकरण सिद्घान्त र समद ु ायमा आधारित विद्यालय
व्यवस्थापनको अवधारणाबमोजिम विव्यसमा अभिभावकहरुबाट छानिएका प्रतिनिधिहरु रहने प्रावधान
राखी समद ु ायलाई अधिकार सम्पन्न बनाउने ब्यवस्था गरिएको छ । यसैपष्ृ ठभमि ू मा हाल
सार्वजनिकरुपमा सञ्चालन भैरहे का विद्यालयहरुको शैक्षिक व्यवस्थापनमा समद ु ाय तथा अभिभावकको
भमि
ू का अझै सदृ ु ढ गर्र्ने, बढीभन्दा बढी अभिभावकको संलग्नता बढाउने र सोमार्फ त सामद ु ायिक
विद्यालयको शैक्षिक गुणस्तर अभिबद् ृ धि गर्ने र विद्यालय व्यवस्थापनमा पारदर्शिता कायम गरी सबैको
जिम्मेवारी बोध गराउने उद्दे श्यले विद्यालय सञ्चालन एवं व्यवस्थापनको सम्पर्ण ू जिम्मेवारी समदु ाय नै
दिने गरी आ.ब.२०६१÷०६२ दे खि समद ु ायलाई विद्यालय हस्तान्तरण गर्दै जाने नीति सरकारले अघि
सारे को छ । यो नीति लागू गर्न सामद ु ायिक विद्यालय सहयोग कार्यक्रम पनि संचालन गरिदै आएको छ ।
यस कार्यक्रमलाई विद्यालयमा अभिभावक सहभागिता सनि ु श्चित गर्ने अवसरको रुपमा लिन सकिन्छ
(शिक्षा मन्त्रालय, २०५९) ।
अहिले नेपालमा सरकारी विद्यालयलाई समद ु ायको एउटा सम्पदाको रुपमा स्वीकार गरिएको छ ।
अभिभावकसंगको समन्वयविना विद्यालय व्यवस्थापन सध ु ार हुन सक्दै न भन्ने मान्यता स्थापित
भैसकेको छ । शिक्षाको गुणस्तर अभिबद्ृ धि गर्ने सन्दर्भमा आ.व.०४९÷०५० दे खि लागू गरिएको आधारभत ू
तथा प्राथमिक शिक्षा परियोजना, सबैका लागि शिक्षा कार्यक्रम (२०६१–२०६६) र विद्यालय क्षेत्र सध ु ार
योजना (२०६६–०७२)ले विद्यालयमा आधारित व्यवस्थापनमार्फ त अभिभावक सहभागिता बडाउने
कुरालाई प्राथमिकतामा राखेको पाइन्छ ।
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राज्यले गुणस्तरीय शिक्षाको लागि विभिन्न योजना परियोजना र कार्यक्रमको नाममा अर्बौ रकम लगानी
खर्चिसकेको छ । वर्तमान अवस्थामा राज्यले शिक्षा विकासका लागि वाषर्ि ् ाक बजेटको १७५ रकम
शिक्षामा खर्चिएको पाइन्छ (पौडेल, २०६८) । प्राथमिक तहको शिक्षा निःशल्
ु क छ भने माध्यमिक तहसम्म
निःशल्ु क गर्ने ब्यवस्था नेपालको अन्तरिम संविधान, २०६३ मा उल्लेख छ । शिक्षा निःशल् ु क भैदिदा
अभिभावकले शिक्षामा कुनै पनि आर्थिक लगानी गर्नु नपर्ने भएकोले सामद ु ायिक विद्यालयतर्फ
अभिभावकहरुको चासो र सम्बन्ध हराउदै गइरहे को छ भने अर्कोतर्फ हुनेखाने एवं पढे –लेखेका ब्यक्तिहरुले
भने आफ्ना बालबच्चा निजी विद्यालयमा पढाउने हुनाले सामद ु ायिक विद्यालयको व्यवस्थापनमा
जिम्मेवार अभिभावक नपाउने अवस्था छ । प्राथमिक तहदे खि नै विद्यालयको शैक्षिक गुणस्तर खस्किदो
अवस्थामा छ । जसको परिणाम माध्यमिक तहको शिक्षामा दे खापरे को छ । २०६९ सालमा संचालित
एस.एल.सी परीक्षाले यही अवस्थालाई दे खाउं छ । यस परीक्षामा नेपालका सामद ु ायिक विद्यालयहरुबाट
२४५ विद्यार्थी मात्र उतिर्ण भएको थियो (शिक्षा विभाग, २०६९) ।
विद्यालय शिक्षाको गुणस्तर खस्किनक ु ा विभिन्न कारणहरुमध्ये विद्यालय व्यवस्थापनको
अस्तव्यस्तता पनि एक हो । विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको कमजोर अवस्थाले
यस्तो अस्तव्यस्तता श्रज
ृ ना हुनु भएको हो । शिक्षाको गुणस्तर बढाउन अभिभावक सहभागिताको प्रमख

भमि
ू का हुन्छ । यही तथ्यलाई आत्मसात गरे र नै राज्यले गाँउ शिक्षा समिति, शिक्षक अभिभावक संघ,
विद्यालय व्यवस्थापन समिति र सामाजिक परीक्षण समितिको माध्यमबाट अभिभावकहरुलाई
सामदु ायिक विद्यालयमा सहभागी गराउने सैद्धान्तिक र ब्यवहारिक उपायहरु अवलम्बन पनि गरिदै
आइरहे को छ ।
अपवादका बाहे क नेपालका अधिकांस सामद ु ायिक विद्यालयहरुको व्यवस्थापन पक्षमा अभिभावक
सहभागिताको अवस्था कमजोर रहे को प्रमाण ती विद्यालयहरुको कमजोर व्यवस्थापनको अवस्थाले
दे खाउं छ । यसकारणले विद्यालयको शैक्षिक गण ु स्तर खस्किदो अवस्थामा छ । यसप्रति चिन्ता प्रकट गरी
आर्थिक भौतिक सेवासविु धा उपलब्ध गराउने, जनसहयोग जट ु ाउने, भौतिक सम्पतिको संरक्षण सम्बद्र्धन
गर्ने, शैक्षिक तथा भौतिक निर्माणका गतिविधिहरुको निरीक्षण गर्ने कार्यमा समेत अभिभावकहरु
सक्रियरुपमा सहभागी हुने गरे को दे खिदै न । आप ्mना बालबच्चाकै शैक्षिक भविष्यका लागि पनि
विद्यालयको शैक्षिक विकास गर्नुपर्दछ भन्ने साचेर भेला, छलफल, शैक्षिक सध ु ार योजना निर्माण,
विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन, नीति निर्माण र निर्णय प्रक्रियामा चासो प्रकट गरी उत्शाहपर्व ू क
सहभागी हुने र आवश्यक सरसल्लाह लिनेदिने विषयमा अभिभावकले सक्रियता दे खाउन छोडिसकेको
अवस्था छ ।
यस विषयमा जेजति चर्चा परिचर्चा गरिए तापनि औपचारिकढं गले गहिरो अनस ु न्धान हुन सकेको छै न ।
अहिलेसम्म सरकारको नीतिगत व्यवस्था र प्रयासहरु सैद्धान्तिक अवधारणामा नै सीमित छ ।
यहीसन्दर्भमा केन्द्रित रही विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्ने
मल
ू उद्दे श्यले यो शीर्षक छनौट गरिएको हो । यसलाई विशेष महत्वसाथ हे री अध्ययन कार्यलाई अगाडि
बढाइएको छ ।

१.२ समस्याको कथन


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राज्य र जनस्तरको सहयोगमा दे शभरी संचालनमा रहे का सामद ु ायिक विद्यालयहरुको रे खदे ख र
व्यवस्थापन राज्य एक्लैले गर्न सकिदै न । अभिभावकहरुबाटै रे खदे ख तथा व्यवस्थापन हुन सके विद्यालय
व्यवस्थापन प्रभावकारी बन्नसक्छ । नेपालको शिक्षा नीतिले अभिभावकहरुलाई सामद ु ायिक विद्यालयमा
सहभागी गराउने सैद्धान्तिक र ब्यवहारिक उपायहरु अवलम्बन पनि गरिएको छ । तर धेरैजसो सामद ु ायिक
विद्यालयहरुमा विद्यालय व्यवस्थापन समितिले विद्यालयको भौतिक आर्थिक पक्षमा मात्र चासो र सरोकार
राखेको पाइन्छ । एकातिर विद्यालयहरुले आफ्ना व्यवस्थापकीय क्रियाकलापमा अभिभावकहरुलाई सहभागी
गराउन नसकेको अवस्था छ भने अर्कोतिर अभिभावकहरुले पनि विद्यालयको गतिविधिमा गहिरो ढं गले चासो
राखेको पाइदै न । परिणामस्वरुप आज विद्यालय र अभिभावक विचको दरु ी अस्वभाविकरुपमा फराकिलो बन्न
पगु ेको अवस्था छ ।
विद्यालय व्यवस्थापन सध ु ारमा अभिभावकको भमि ू का अहिलेसम्म पनि अपेक्षित तहमै सीमित छ ।
विद्यालय विकासका लागि अभिभावकहरुको साथ, समन्वय र सहयोगलाई अनिवार्य मानेका छन ् । तर
नेपालका सबै विद्यालयहरुले यी कुराहरुलाई उपेक्षा गरिएको दे खिन्छ । आफ्ना बालबच्चा संस्थागत
विद्यालयमा भर्ना गरी सरकारी विद्यालयमा राजनीतिक तथा सामाजिक है सियत बढाउने, राम्राभन्दा हाम्रा
मान्छे लाई जागिर खव
ु ाउने उद्दे श्यले विद्यालय व्यवस्थापन समितिमा जसरी भएपनि बस्ने प्रमाणहरु प्रसस्तै
भेटिन्छन ् । वास्तविकरुपमा विद्यालयको विकासको लागि आफ्नास्वार्थरहीत भमि ू का निर्वाह गर्ने
अभिभावकहरु कमै संख्यामा भेटिन्छन ् ।
जसले आफ्ना छोराछोरीलाई बर्षौसम्म गाँउकै सरकारी विद्यालयमा पढाउदै आइरहे काछन ् । विद्यालयलाई
शिक्षण शल्ु क, भौतिक र नैतिक सहयोग एवं सेवा सवि ु धा पनि प्रदान गर्दै आइरहे का छन ् । आज तिनै
वालवालिकाका अभिभावकहरु विद्यालयको ब्यवस्थापकीय गतिविधिहरुमा सहभागी हुने, सच ू ना, जानकारी
पाउने, सेवासविु धा पाउने, नीति निर्माण तहमा निर्णायक भमि ू का निर्वाह गर्न पाउने, सरसल्लाह लिने दिने
जस्ता कुराहरुबाट बंचित गराइरहे का छन ् ÷भएका छन ् । कुनै अवस्थामा व्यवस्थापनको जिम्मेवारी पदमा रहन
पग
ु े पनि कार्यक्षमता र अनभ
ु वको अभावमा पर्ण
ू रुपले भमि
ू का निर्वाह गर्न नसकेको अवस्था छ ।
विद्यालय व्यवस्थापन समितिमा ंरहं दैमा विद्यालय व्यवस्थापनमा सहभागी भएको विल्कुलै मान्न सकिन्न
। व्यवस्थापन समितिमा नरहे र पनि विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक व्यवस्थापन र सश
ु ासनजस्ता धेरै
विषयहरुमा चासो, निगरानी र खबरदारी गरे र व्यवस्थापन पक्षलाई सजग र सचेत बनाई सहभागिता प्रकट गर्न
सकिन्छ । यसतर्फ अभिभावकहरुको चेतनाको विकास गरी उत्प्रेरित तथा उत्साहित बनाउन सकिरहे को छै न ।
जसले गर्दा विद्यालय व्यवस्थापन फितलो, कमजोर र निस्क्रिय हुंदै गएको अवस्था छ । आम
अभिभावकहरुको विद्यालय व्यवस्थापनप्रति निरासा, असहयोग र विरोधी भावना बढदै छ । शिक्षकहरुमा
पेशाभन्दा राजनीतिक भावना, पठनपाठनमा अनियमितताजस्ता समस्याहरु दे खिएका छन ् । जस्को प्रभाव
विद्यालयको समग्र शिक्ष्।ण सिकाइमा परे को दे खिन्छ ।
यस किसिमका समस्याहरुबाट सर्लाही जिल्ला पनि अपवादमा पर्न सकेको छै न । विद्यालय व्यवस्थापनमा
अभिभावक सहभागिताको कमजोर अवस्था वर्तमान शैक्षिक विकासको सन्दर्भमा टड्कारो समस्याको रुपमा
रहे को दे खिएका छन ् । आफ्नो बालबच्चा भर्ना गरे पछि फर्के र विद्यालय नजाने चलन बसिसकेको छ । आफ्नो
बालबच्चाको पढाइलेखाइमा खासै मतलव राख्ने गरे को दे खिदै न । घर नजिकैको विद्यालय हाम्रो हो यसलाई
राम्रो बनाऔ भन्ने चेतना छै न । विद्यालय व्यवस्थापन समिति कसरी गठन हुन्छ, को कस्तो व्यक्ति
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छानिन्छ, यस्तो कुराको चासो राख्ने अभिभावक विरलै पाइन्छ । बिधमान नीति नियमले यस्ता समस्याहरुको
सहीढं गले सम्बोधन गर्न सकेको छै न । यी र यस्ता समस्याहरुलाई यस अध्ययनमा समस्याका रुपमा
लिइएकोछ । जवसम्म कुनै पनि विषयको समस्याको पहिचान हुन सक्दै न, तबसम्म अध्ययन कार्य अगाडि
बढ्न सक्दै न । विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको यही कमजोर अवस्थालाई यस
अध्ययनमा मख् ु य समस्याको रुपमा उठान गरी अध्ययन कार्य अगाडि बढाउने प्रयास गरिएको छ ।

१.३ अध्ययनको औचित्य


कुनै पनि विषयमा अध्ययन अनस ु न्धान गर्नुको पछाडि त्यस अध्ययनको आफ्नै महत्व एवं औचित्य रहे को
हुन्छ । औचित्यहीन तथा अर्थहीन अध्ययनले समय, श्रम र सम्पत्तिको खर्च मात्र गराउँ दछ ।
विद्यालयको शैक्षिक गुणस्तर सध ु ारका लागि विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको
अनिवार्यतालाई राज्यले महससु गरी विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभभागिता समद ु ायमा आधारित
विद्यालय व्यवस्थापन, विद्यालयमा आधारित व्यवस्थापन, शैक्षिक बिकेन्द्रीकरण अवधारणा र सो
अनस ु ारको सैध्दान्तिक तथा व्यवहारिक नीति निर्माण गरी लागस ू मेत गरिदेै आएको छ । राज्यबाट लागू
गरिएका ती सबै व्यवस्थाहरुको प्रभावकारिताको लेखाजोखा गरी अभिभावक सहभागितालाई आगामी
दिनहरुमा अझ थप प्रभावकारी बनाई विद्यालय व्यवस्थापनमा उनीहरु सहभागिता सनि ु श्चित गर्न अपनाइने
उपायहरुका सम्बन्धमा थप नियम कानन ु को व्यवस्था गर्नका सर्वप्रथम विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक
सहभागिताको अवस्था पहिचान हुन आवश्यक छ । व्यवस्थापनको जन ु पक्षमा अभिभावक सहभागिाताको
अवस्था कमजोर छ, त्यस्को कारण पत्ता लगाई निराकरणका लागि प्रभावकारी उपाय अवलम्बन गर्नसमेत
जरुरी हुन्छ ।
अर्कोतर्फ अभिभावकहरुलाई विद्यालय व्यवस्थापनप्रति जिम्मेवार र उत्तरदायी बनाई उनीहरुको
सहभागितालाई विद्यालय विकाससंग जोडेर यसलाई संस्थागत गर्दै विद्यालय व्यवस्थापनमा
जिम्मेवारीढं गबाट सहभागी गराउन आज टड््रकारो आवश्यकता दे खिन्छ । यस अध्ययनले यिनै तथ्यलाई बढी
जोड दिएको छ । जसबाट बिद्यार्थीको शैक्षिक उपलव्धिस्तर लगायतका विद्यालयको शैक्षिक आर्थिक तथा
भौतिक अवस्थाको अनक ु ु लतामा थप टे वा पग्ु ने कार्यमा महत्वपर्ण
ू हुने अपेक्षा गरिएको छ । यस अध्ययनले
विद्यालय व्यवस्थापन सध ु ारका लागि विद्यालयको शैक्षिक आर्थिक, भौतिक, जनसहयोग तथा विद्यालय
सशु ासनका धेरै विषयहरुमा अभिभावक सहभागिता बढाउने सन्दर्भमा थप प्रभावकारी नीति, नियम कानन ु
बनाउन राज्य, सरकार, नीति निर्माण तहका प्रशासक, ब्यवस्थापक र योजनाकारहरुलाई सहयोग परु याउं दछ ।
यसैगरी व्यवस्थापन समितिको गठन, शिक्षक नियक्ति ु , शिक्षण शल्
ु क, भौतिक पर्वा
ू धार निर्माण, बैठक प्रक्रिया,
योजना तथा कार्यक्रम निर्माणजस्ता व्यवस्थापकीय प्रक्रियाहरु नियमसम्मत ढं गले संचालन भए, नभएको
कुराहरु पनि यस अध्ययनबाट प्राप्त हुने हुंदा यसतर्फ अभिभावकलाई चनाखो र सक्रिय बनाउन अभिप्रेरित
गर्दछ भने सम्बद्ध सबै सरोकारवालाहरुलाई आफ्ना कामकारवाही, जिम्मेवारी र कर्तव्यप्रति सजग र सचेत
बनाउन, आफ्ना व्यवस्थापकीय भमि ू का एवं दायित्वबोध गराई जिम्मेवार बनाउन साथै अभिभावक
सहभागितासम्बन्धमा थप शैक्षिक अनस ु न्धान गर्न शैक्षिक अनस
ु न्धानकर्ताहरुलाई यो अध्ययनबाट अरु धेरै
विषय वस्तु एवं अध्ययन क्षेत्र छनौटका लागि सहयोगी हुने सन्दर्भमा महत्वपणू हुने दे खिन्छ ।
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यसैसन्दर्भमा सर्लाही जिल्लामा सामद


ु ायिक विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता सम्बन्धमा
गहिरो अध्ययन अनस ु न्धान नभएकोले राष्ट्रिय अपेक्षाअनरु
ु प विद्यालय व्यवस्थापन भैरहे को छ÷छै न भनी
नमन ू ाको रुपमा अध्ययन गर्नु पनि यो शोधकार्य सान्दर्भिक नै ठहर्छ । समग्रमा यस अध्ययनको प्राप्ति र
निष्कर्ष यस अध्ययनसँग प्रधानाध्यापक, शिक्षक, अभिभावक, विद्याथीर्, गाँउ शिक्षा समिति, शिक्षक
अभिभावक संघ, विद्यालय व्यवस्थापन समिति, जिल्ला शिक्षा अधिकारी, विद्यालय निरीक्षक र स्रोत
व्यक्तिलगायत सम्बद्ध सरोकार राख्ने सबैलाई उपयोगी हुने भएकोले यो अध्ययन आफैमा सार्थक र
औचित्यपर्णू छ भन्ने विश्वास लिइएको छ ।

१.४ अध्ययनका उद्दे श्यहरु


यस अध्ययनका उद्दे श्यहरु निम्नानस
ु ार रहे का छन ् ः
क) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्नु ।
ख) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले ल्याएका परिवर्तनहरुको खोजी गर्नु ।
ग) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरु पत्ता लगाउनु ।
घ) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउने उपायहरु खोज्नु ।

१.५ अनस
ु न्धानात्मक प्रश्नहरु
माथि उल्लेखित उद्दे श्यहरु परू ा गर्नका लागि निम्न अनस
ु न्धानात्मक प्रश्नहरु निर्धारण गरिएका छन ् ः
क) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था के कस्तो रहे को छ ?
ख) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले केके परिवर्तनहरु ल्याएका छन ् ?
ग) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरु केके छन ?
घ) विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउन कुनकुन उपायहरु अपनाउन
सकिन्छ ?

१.६ अध्ययनको परिसीमा


कुनै पनि विषयको अध्ययन, त्यस अध्ययनमा लाग्ने समय, विषयवस्तक ु ो क्षेत्र तथा अध्ययन गर्न
लागिएको भौगलिक क्षेत्र र जनसंख्याको सीमानै परिसीमा हो(ढकाल र कोइराला२०६८) ।
कुनै पनि तहका विद्यालयको शैक्षिक गुणस्तर सध ु ार्न विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक, शिक्षक,
प्रधानाध्यापक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति समद
ु ायलगायत सबैको समान सहभागिताको खांचो हुन्छ ।
तर यस अध्ययनमा भने अभिभावक सहभागितालाई मात्र महत्व दिई अध्ययनको मख् ु य विषय बनाइएको छ ।
विद्यालय व्यवस्थापनसंग सम्बन्धित पक्षहरु धेरै हुन्छन ् । यस अध्ययनमा शैक्षिक, आर्थिक,
भौतिक,जनसहयोगको व्यवस्थापन जस्ता मख् ु य–मख् ु य पक्षहरुमा मात्र अभिभावक सहभागिताको अवस्था
पहिचान गर्ने मख्
ु य उद्दे श्य राखिएको छ । सो उद्दे श्य परू ा गर्न परवानीपरु श्रोत केन्द्रका २७ वटा विद्यालयहरु
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मध्ये ५ वटा सामद


ु ायिक विद्यालयहरुमा मात्र यो अध्ययन परिसीमित गरिएको छ । अध्ययनकर्ताको श्रोत,
साधन र समय तथा अन्य बाध्यताको कारणले ठूलो आकारको क्षेत्र वा जनसंख्यामा अध्ययन गर्न असमर्थ
भएकोले अध्ययनको लागि यो परिसीमा निर्धारण गरिएको हो

१.७ शब्दावलीको परिभाषा


सहभागिताः सामद
ु ायिक विद्यालयको विभिन्न गतिविधिहरुमा अभिभावकको संलग्नता
विकेन्द्रीकरणः माथिल्लो निकायका जिम्मेवारी तल्ला निकायमा हस्तान्तण गर्ने एक प्रक्रिया
सामाजिक परीक्षणः सरोकारवालाहरुको भेलामा विद्यालयको शैक्षिक कार्यक्रमहरुको समीक्षा
गर्ने कार्य आचारसंहिताः शिक्षक विद्यार्थीले पालन गर्नुपर्ने आचार सम्बन्धी नियम

परिच्छे द दई

सम्बन्धित साहित्यको पन
ु रावलोकन तथा सैद्धान्तिक ढाँचा
कुनै पनि विषयवस्तक ु ो गहन अध्ययन गर्दा त्यस अध्ययनसँग सम्बन्धित पर्व ू अध्ययनहरुलाई विशेष
समीक्षा गरिनप ु र्छ । जसले उपयक् ु त अनस
ु न्धान विधि छनौट गर्न, तथ्याङ्क संकलन गर्न र विश्लेषण
प्रकिया बारे मा निर्णय गर्न ठोस आधार प्रदान गर्दछ भने अध्ययनको सैद्धान्तिक ढाँचाले
अनस ु न्धानकर्तालाई निर्देशित गर्दछ । यसले समस्यालाई स्पष्ट पार्न, अध्ययन विधिलाई सध ु ार गर्न र
अनस ु न्धानकर्ताको सम्बन्धित विषयको ज्ञानलाई फराकिलो बनाउनसमेत सहयोग प¥ ु याउं छ ।

२.१ सम्बन्धित साहित्यको पन


ु रावलोकन
यस परिच्छे दमा अध्ययनसंग सम्बन्धित यसअघि तयार पारिएको शोधपत्र, संगठितरुपमा तयार
पारिएको, पस्
ु तक, जर्नल, लेख र कृतिहरुको पन
ु रावलोकनबाट प्राप्त प्राप्तिहरुको सारलाई तल उल्लेख
गरिएको छ ः
अवस्थी (२०५६)का अनस ु ार अहिले विद्यालय तहको शैक्षिक व्यवस्थापन सिद्धान्तमा विकेन्द्रीकरण
प्रणालीको भएपनि व्यवहारमा केन्द्रीकृत प्रणालीको छ । प्रधानाध्यापकको नियक्ति ु , शिक्षक भर्ना, सरुवा,
बढुवा तथा निरीक्षण कार्यमा अभिभावकलाई संलग्न गराइएको छै न । बिद्यमान नियम कानन ु ले
विद्यालय व्यवस्थापन र संचालनका विषयहरुमा अभिभावकलाई राम्ररी समेटन सकेको छै न । जिल्ला
शिक्षा कार्यालयले विद्यालय निरीक्षकमार्फ त प्रत्येक महीना विद्यालय निरीक्षण गरे र प्रतिवेदन
बझ ु ाउनप
ु र्ने सैद्धान्तिक परम्परालाई महत्व दिइएको तर विद्यालय छे उमा रहे को अभिभावकलाई भने
बेवास्ता गरिएको छ । पढे –लेखेका सचेत अभिभावकसमेतले पनि विद्यालय व्यवस्थापनमा चासो राख्दै न
भन्ने अवस्था उल्लेख गरे का छन ् । पढने विद्यार्थी, पढाउने शिक्षक र अभिभावक सबै विद्यालय गाँउमै
छन ् भने उनीहरुको सहभागितालाई हामीले विर्सनु हुदैन । कुनै बेला मानोमठि ु दिएर गाँउमा विद्यालय
चलाएका अभिभावकहरुले आज पनि मेरो र हाम्रो विद्यालय ठान्नप ु र्दछ । स्थानीयस्तरमा खोलिएको
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सामदु ायिक विद्यालयहरु अभिभावकको सम्पत्ति भएकोले यसमा अभिभावकहरुले स्वामित्वभावको


अनभु व गर्न पाउनप
ु र्छ भन्ने ठहर लेखकले गरे को छ ।
सेरिड (सन ् २००८)को अध्ययनमा नेपालका सामद ु ायिक विद्यालयहरु समाजका उच्च समह ू बाट
व्यवस्थित एवं नियन्त्रित रहे को, गैरअभिभावक र राजनीतिककर्मीहरु विद्यालय शासनाको सदस्यको
रुपमा रहे को विद्यालय व्यवस्थापन समितिलाई शिक्षक नियुिक्त लगायतका अधिकार रहे पनि शिक्षा
कार्यालयले प्रभावित पार्ने गरे को र विद्यालय अभिभावक संघ शेयरमोनियल संस्थाको रुपमा रहे को
उल्लेख छ । विद्यालय व्यवस्थापन समितिलाई शक्ति र अधिकार सम्पन्न बनाई समद ु ायप्रति जिम्मेवार
बनाउन कानन ु ी सध
ु ार गर्नुपर्ने, अभिभावकलाई सामाजिक परीक्षणको महत्वबारे चेतनशिल बनाउनप ु र्ने
स्थानीय शैक्षिक सरोकारवालाहरुको शिक्षक अभिभावक सम्बन्धमा बद् ृ धि वित्तीयकोष, अभिभावक चेतना
अभिबद् ृ वि विद्यालय गतिविधि संचालनजस्ता भमि ू का र कार्य विस्तारका अतिरिक्त विद्यालय
गतिविधिमा भाग लिन अभिभावकलाई उत्प्रेरित र उत्शाहीत बनाउनप ु र्ने सझ
ु ावहरु प्रस्ततु गरे को छ ।
शर्मा (२०६३)ले आफ्नो लेखमा समद ु ायमा चेतना,राजनीतिक स–ु संस्कार, ब्यवस्थापकहरुको
समन्वयात्मक भमि ू का, निर्वाह गर्ने क्षमता, कुशलता र धेरैभन्दा धेरै अभिभावकलाई साझेदार बनाउने
नीतिगत ब्यवस्था भएमा विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढ्न सक्ने संभावना
औंल्याएका छन ् । जस्ता सक ु ै अभिभावक पनि आफ्ना बालबच्चाको राम्रो भविष्यका साथै आफ्ना
बालबच्चा पढ्ने विद्यालय अरुभन्दा राम्रो होस ् शिक्षकहरु नियमित कक्षामा आऊन ् उनीहरु सिपालु र
सहयोगी होऊन ् भन्ने चाहन्छ । अभिभावकको यही विरासतलाई विद्यालयले उपयोग गर्न सक्नप ु र्छ भन्ने
विचार व्यक्त गरे का छन ् ।
शैक्षिक जनशक्ति विकास केन्द्र (२०६५)मा अभिभावक सहभागिताले वालवालिकालाई विद्यालयमा
आकर्षित गर्ने र शिक्षण सिकाइमा सकारात्मक प्रभाव पार्ने हुंदा अभिभावकलाई
विद्यालयको विभिन्न गतिविधिहरुमा संलग्न गराउनु पर्ने हुन्छ । बालबालिकाको आचरण, ब्यवहार,
प्रगतिका बारे मा अभिभावकलाई समयसमयमा विभिन्न माध्यमबाट जानकारी दिने साथै उनीहरुलाई
विद्यालयमा बोलाई छलफल र अन्तत्र्रिmया पनि गर्न सकिन्छ । अभिभावकसँग भेटघाट गरी
वालवालिकाको सवल तथा कमजोर पक्षका बारे मा छलफल गरी अभिभावकहरुको सहयोग र सहभागिता
जट ु ाउन निरन्तर घरदै लो, बैठक, भेटघाट जस्ता कार्यक्रम समद
ु ाय एवं अभिभावक समेतको संलग्नतामा
गर्न सके बढी प्रभावकारी हुन्छ र समद ु ायका अभिभावकहरुको चेतना अभिबद् ृ धिसमेत हुन जान्छ भन्ने
सझ ु ाव सहितको निचोड यसमा प्रस्तत ु गरिएको छ ।
नाल (२०६५)को अध्ययनमा सामद ु ायमा हस्तान्तरण नभएका विद्यालयहरुमा भन्दा हस्तान्तरण भएका
विद्यालयहरुमा अभिभावक सहभागिता बढी हुने गरे को तथ्य उल्लेख छ । समद ु ायमा हस्तान्तरण भएका
विद्यालयमा विद्यार्थीको अनश ु ासन, परीक्षा प्रगति, शिक्षकको नियमितता, बालबच्चाप्रति
अभिभावकहरुको चिन्ता र जागरुकताजस्ता कुराहरुले आन्तरिक सक्षमता पनि राम्रोे भएकोे,
विद्यालयलाई अभिभावकले आर्थिक सहयोगसमेत उपलब्ध गराउने गरे को, बेलाबेलामा विद्यालय पग ु ेर
विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक र भौतिक अवस्थाको बारे मा चासो राख्ने गरिएको आप ्mना बालबच्चाका
समस्याहरु दर्शाउने गरिएको र लेखा परीक्षणमा पनि अभिभावकहरु संलग्न हुने गरिएको तर समद ु ायमा
हस्तान्तरण नभएका विद्यालयहरुमा भने त्यस्तो नभएको अध्ययनमा उल्लेख छ ।
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भट्टराई (२०६७)ले आफ्नो अध्ययनमा विद्यालयमा अभिभावकको निरन्तर सहभागिताले पठनपाठन


तथा मल् ू यांकन प्रक्रिया, आर्थिक श्रोत क्षमता बद्
ृ धि भौतिक पर्वा
ू धर, भौतिक सम्पतिको संरक्षण सम्बर्धन,
शिक्षक अभिभावक सम्बन्ध, नियमको पालना, अनश ु ासन, जनसहयोगजस्ता शैक्षिक आर्थिक भौतिक
पक्षहरुको उचित व्यवस्थापनको कारण समग्र शिक्षण सिकाइमा गुणत्मक सध ु ार आएको बताइएको छ ।
विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक भौतिक ब्यवस्थापनमा दयनीय अवस्था श्रज ृ ना हुनकु ो एउटा प्रमखु कारण
विद्यालय ब्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अभाव हुनु हो । अभिभावक सहभागिताले विद्यालय
व्यवस्थापन समिति, शिक्षक र प्रअलाई आफ्नो काम कार्वाही प्रति जिम्मेवार ढं गले लाग्न अभिप्रेरित गर्ने
र विद्यालय विकासमा यसले सकारात्मक प्रभाव पार्ने हुंदा समग्र शैक्षिक सध ु ारका लागि विद्यालय
ब्यवस्थापनमा अभिभावकको व्यापक सहभागिता बढाउन शैक्षिक सरोकारवालाहरुले सामहि ु करुपमा
लाग्नपु र्ने मख्
ु य निष्कर्ष रहे को छ ।
राई (२०६६)को अध्ययनमा विद्यालयमा पढ्ने आफ्नो बालबालिका विद्यालयमा नियमित
जान्छन ्÷जादै नन ्, के–कसरी पढ्दै छन ् जस्ता कुराहरुमा शिक्षकसँग जानकारी लिने गर्नुपर्दछ ।
विद्यालयमा के–कस्ता गतिबिधि भइरहे का छन ् भनेर नजिकबाट अवलोकन गर्ने, आबश्यक परे को बेलामा
र्आिर्थक, भौतिक सेवा सबि
ु धा एवं जनसहयोग गर्ने, व्यबस्थापन सम्बन्धमा गरिने निर्णयहरुको जानकारी
लिने र समितिको गठन लगायतका कार्यहरुमा सहभागी भई आफ्नो धारणा र बिचारहरु राख्ने कार्यहरुमा
अभिभावकको भमि ू का महत्वपर्ण
ू रहन्छ । यस कार्यले शैक्षिक व्यबस्थापनमा सध ु ार आउं छ ।
कानन ु ीरुपमा अभिभावकको व्यबस्थापकीय भमि ू काको अभावले जिम्मेवारीपर्ण
ू ढं गले विद्यालयको
शैक्षिक विकासमा लाग्न नसकेको र राजनीतिक हस्तक्षेपले गर्दा अभिभावकको भमि ू का ओझेलमा परे को
तथ्य उनले अध्ययनमा दर्शाइएका छन ् ।
पौडेल(२०६७)ले विद्यालयको समग्र विकास विद्यालयमा आधारित व्यवस्थापन ढांचाबाट मात्रसंभव छ
भन्ने धारणा अघि सार्दै उनले शिक्षाको गण
ु ात्मक तथा परिमाणात्मक अवस्था सध ु ार्न स्थानीय समद ु ाय,
अभिभावक र शिक्षक जो विद्यालयका प्राथमिक सरोकारवाला हुन ् । उनीहरुलाई नीति निर्माण तहमा
सहभागी गराउन उनीहरुकै संयक् ु त संलग्नतामा विद्यालय व्यवस्थापन समिति बनाई शिक्षक नियक् ु त
गनर्,े बजेट र पाठ्यक्रम बनाउने अधिकारहरु यस समितिलाई बिकेन्द्रीत गरिनप ु र्दछ । स्थानीय
साधनश्रोत जटु ाउने र समस्या समाधान गर्ने कार्यमा उनीहरुको संलग्नतामा हुंदा विद्यालयको दीगो
विकाससमेत हुनसक्ने तथ्य अध्ययनको प्राप्तिमा उल्लेख गरे का छन ् । नेपालमा विद्यालयमा आधारित
व्यवस्थापनको शरुु वात भएपछि अस्थायी शिक्षक भर्ना गर्ने, प्राथमिक तहमा स्थानीय पाठ्यक्रम बनाउने
र विद्यालयमा व्यवस्थापन समितिमा अध्यक्ष तथा सदस्य छान्न पाउने अधिकार अभिभावक र
व्यवस्थापन समितिलाई प्राप्त भएतापनि राजनीतिक कारणले प्रभावकारी रुपमा कार्यान्वयन हुन
नसकेको कुरा उल्लेख गरे का छन ् ।
राजभण्डारी (२०६५)द्वारा गरिएको अध्ययनमा समद ु ाय आफैले व्यवस्थापन गरे का विद्यालयहरु
पिछडिएको भौगलिक स्थानमा रहे पनि विद्यालयमा व्यवस्थापनमा अभिभावक तथा समद ु ायको
तदारुकताले नीति निर्माण प्रक्रियामा अभिभावकहरुको सहभागिता प्रभावकारी रहे कोले भर्ना दर उच्च मात्र
है न, शिक्षाको गुणस्तरमा पनि राम्रो सध ु ार आएको तथ्य उल्लेख छ । आर्थिक तथा प्राकृतिक श्रोत
साधनको सदप ु योग र क्षमता विस्तारमा सवैजना लागी परे का र अंग्रेजी माध्यमबाट शिक्षा दिन सकेकोले
अभिभावकहरुले आफ्ना छोराछोरी संस्थागत विद्यालयमा पढाउन छाडेका तथ्य पत्ता लगाएका छन ् ।
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विद्यालय व्यवस्थापन समितिको बैठकमा अभिभावक, विद्यार्थीसमेतलाई बोलाउने र उनीहरुबाट पनि


स्वस्थ सझ
ु ाव पाउने हुंदा विद्यालयमा व्यवस्थापन समितिको कार्यक्षमता बढे र गएको उल्लेख छ ।
समग्रमा सामदु ाय आफैले व्यवस्थापन गरे को विद्यालयमा अभिभावक तथा समद ु ायले आफ्नो सक्षमता र
जागरुकता बिकेन्द्रीकरण नीति कार्यन्वयनको सन्दर्भमा उपयक्
ु त छ भन्ने निष्कर्षमा उल्लेख छ ।
गोरे ट (२०१०) अनस ु ार आफ्ना छोराछोरीको शिक्षामा विभिन्न किसिमले सहयोग गरिरहे को भए तापनि
बय
ु ागा काउन्टीमा संचालित माध्यमिक विद्यालयका अधिकांश अभिभावकहरु विद्यालय व्यवस्थापन
सम्बन्धमा अनभिज्ञ रहे काले विद्यार्थीको शैक्षिक उपलब्धि दयनीय अवस्था रहे को तथ्य अध्ययनबाट
पत्ता लगाएका छन ् । आर्थिक व्यवस्थापनसम्बन्धी असक्षमता कारण अभिभावकहरुले सक्रिय भमि ू का
निर्वाह गर्न नसकेकाले विद्यालयको आर्थिक व्यवस्थापन कमजोर भैे विद्यार्थीको शैक्षिक अवस्था
कमजोर रहे को निचोड निकालेका छन ् । शैक्षिक सध ु ारका लागि व्यवस्थापन संचालनसम्बन्धी क्षमताको
विकास गरी विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको सक्रिय सहभागिता बढाउनु आवश्यक छ भन्ने
निष्कर्षमा उल्लेख छ ।
खतिवडा (२०६७) ले भने आप ्mनो अध्ययनमा विद्यालयहरुमा श्रोत साधनको अभाव रहे को, शिक्षण
सिकाइ प्रभावकारी ढं गले संचालन नभएको, दलीय राजनीतिक आधारमा विद्यालय व्यवस्थापन
समितिको गठन हुने गरिएकोेले वास्तविक अभिभावक सहभागी हुन नसकी विद्यालयमा राजनीति
एजेण्डा हावी भै आर्थिक, शैक्षिक एजेण्डा ओझेलमा परे को जस्ता समस्या रहे को बताएका छन ् ।
विद्यालयको शैक्षिक विकासमा अभिभावकहरुलाई सहभागी गराउनेतर्फ विद्यालय व्यवस्थापन समितिले
खासै भमि
ू का निर्वाह गर्न नसकेका र यसतर्फ अभिभावकहरुले पनि चासो र सहभागिता नदे खाइएकाले
यस्ता समस्याहरु सजृ ना भएका हुन ् भन्ने निचोड निकालेका छन ् ।
ठाकुर (२०६७)को अध्ययनमा विद्यालयको गुणस्तरीय शिक्षामा शिक्षक अभिभावक सम्बन्धले
सकारात्मक प्रभाव पार्नसक्ने भएकाले शिक्षक र अभिभावक सम्बन्ध बढाउन अभिभावक भेलाबाट
अभिभावककै नेतत्ृ वमा शिक्षक अभिभावक संघको गठन गर्नुपर्ने व्यवस्था छ । तर यसको व्यवस्थापकीय
भमि
ू का प्रभावकारी नभएको कारणले अभिभावकहरुले आफ्र्नो भमि ू का निर्वाह गर्न नसकी यस समितिको
गठनमा शिक्षक र अभिभावक दब ु ल
ै े सक्रियता दे खाएको पाइदै न । अधिकांस सरकारी शिक्षकहरु आफ्नो
पेशाप्रति जिम्मेवारी नबनेको र अभिभावकहरुले पनि छोराछोरीलाई विद्यालयमा पढ्न पठाउनु मात्र
आफ्नो जिम्मेवारी ठान्ने प्रबति
ृ रहे कोले यी दवु ै पक्षबीच सकारात्मक सम्बन्ध हुन सकेको छै न । जसबाट
विद्यालयहरुको शैक्षिक गुणस्तर अभिवद् ृ धिमा असर पग ु ेको तथ्य उल्लेख छ ।
पौडेल (२०६८)ले विद्यालयको शैक्षिक व्यवस्थापनमा प्रधानाध्यापक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति,
शिक्षक, जिल्ला शिक्षा कार्यालय, स्थानीय निकाय, अभिभावकको अधिकार तथा दायित्ववीच सन्तल ु न
नमिलेकोले शिक्षक विद्यार्थीको न्यनू उपस्थिति, फेल हुने, विद्यालय छाड्ने, कक्षा दोहर्याउनेको संख्या
बढी हुन,ु निरीक्षण र अनगु मन प्रभावकारीरुपमा हुन नसक्नज ु स्ता समस्याहरु शैक्षिक व्यवस्थापनमा
दे खिएको र यसको समाधानका लागि सम्बद्ध निकायले अभिभावकहरुलाई सहभागी गराउन सके शैक्षिक
व्यवस्थापनमा सध ु ार आई संस्थागत विद्यालयको भन्दा राम्रो शैक्षिक गुणस्तर प्राप्त गर्नसक्ने संभावना
बताएका छन ् ।
18

यादव (२०६९)ले आफ्नो शोधपत्रमा विद्यालय सरोकारवालाहरुको वर्गीकरण चार किसिमले गर्दै विद्यार्थी,
शिक्षक र अभिभावकलाई विद्यालयको प्रारम्भिक सरोकारवालाको रुपमा मानिएको छ । विद्यालयका
बिविध गतिविधिमा उनीहरुलाई सामेल गराउन सकेमा अभिभावकको निरन्तर निगरानी र शिक्षकहरुको
लगनशील स्वभावका कारणले राम्रो सफलता प्राप्त गर्न सक्छ र अन्ततः शैक्षिक गुणस्तर अभिवद् ृ धि
हुन्छ भन्ने विश्लेषण अध्ययनकर्ताले गरे का छन ् । विद्यालयको शैक्षिक गण ु स्तर अभिवद्
ृ धिमा
विद्यार्थी, अभिभावक र शिक्षकको प्रमख ु भमि
ू का हुन्छ । सरोकारवालाहरुले पनि आफ्नो भमि
ू का सक्रिय
ढं गले निर्वाह गर्नुपदर्छ । सरोकारवालाहरु सबैकोे आ–आफ्ना काम कर्तब्य निर्वाहमा कमी–कमजोरी
रहे कोले सामद ु ायिक विद्यालयको शैक्षिक व्यवस्थापनमा खासगरी अभिभावकको सहभागिता कम हुंदै
गएको हुंदा शैक्षिक गुणस्तरमा कमी आएको कुरा पत्ता लगाएका छन ् ।
जिल्ला शिक्षा कार्यालय (२०६९)ले भने विद्यालय व्यवस्थापन समिति नै अत्यन्त कठिनाईका साथ गर्ने
गरे को, यसको गठन गर्दा राजनीतिक गन्ध आउने र जस्का छोराछोरी त्यो विद्यालयमा पढ्दै नन ् तिनैको
अभिभावक व्यवस्थापन समितिमा बस्ने गर्नाले उनीहरु जिम्मेवारी बोध गर्दैनन ् । त्यसैले विद्यालय
व्यवस्थापन समितिमा राजनीतिक हस्तक्षेप नगरी अभिभावकहरुबाट सचेत र सक्षम ब्यक्तिहरुलाई
राख्नुपर्ने कुरामा जोड दिएका छन ् ।
विश्वकर्मा (२०७०)ले अभिभावकको सहभागिता हुँदा विद्यालय चम्कने र नहुँदा ओरालो लाग्ने बताएका
छन ् । अध्ययनमा कैलालीका केही सामद ु ायिक विद्यालयहरुमा अभिभावक संलग्नताले विद्यालयको
शैक्षिक भौतिक पर्वाु धार मात्र होइन, छात्रछात्राको सिकाइ उपलब्धिमा समेत सन्तोषजनक सध ु ार आएको
बताएका छन ् । तर केही विद्यालयहरुमा अभिभावकको संलग्नता नरहे को तथ्य फेला पारे का छन ् ।
मौजद ु ा शिक्षा ऐन नियमले अभिभावक सहभागितालाई केवल विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक
अभिभावक संघमा मात्र संकुचित गरे को र अभिभावकको प्रत्यक्ष सहभागिताको परिकल्पना नगरे कोले
उनले अभिभावक सहभागितामा समस्या आएको बताएका छन ् । अभिभावक सहभागिता बढ्ने वित्तिकै
विद्यालय व्यवस्थापन समिति तथा विद्यालय प्रशासन पनि आफ्नो जिम्मेवारी तथा भमि ू काप्रति सचेत
हुने गर्दछ र अन्ततः विद्यालय प्रगतिको बाटोमा लाग्ने हुँदा यसको लागि विद्यार्थी शिक्षक र अभिभावक
यी तीन पक्षको भमि ू का प्रभावकारी हुनप ु र्छ । यसो भएमा मात्र विद्यालय चम्कन्छ भन्ने निष्कर्ष
अध्ययनकर्ताको रहे को छ ।
गौतम (२०७०)ले जन ु विद्यालयले उपयक्
ु त भमि
ू का सहित अभिभावकको साथसंगत पाएका छन ्, तिनका
विद्यालय राम्रा भएका छन ्, जसले पाएका छै नन ् तिनका विद्यालय विग्रिएका छन ् र बिग्रदै गएका छन ् ।
त्यसकारण उचित भमि ू कासहित अभिभावकहरुको परिचालन विद्यालयहरुका लागि अवसर र चन ु ौती
दवु रु
ै पमा दे खिएको तथ्य बताएका ंछन ् । अभिभावक संलग्नताका कारण रुकुमजस्तो दर्ग ु म जिल्लाका
कतिपय विद्यालय नाटकीयरुपमा राम्रा भएका छन ् । विद्यालयमा अभिभावकको भमि ू का सनि ु श्चित गर्न
कानन ु ीरुपमै पनि कतिपय प्रावधानहरु राखिएका छन ् । विद्यालय व्यवस्थापन समिति, शिक्षक
अभिभावक संघ र समाजिक परीक्षण समितिको ब्यवस्था, विद्यालय सध ु ार योजना र त्यसमा आधारित
खर्च प्रणालीजस्ता केही उदाहरणहरु छन ् । यी प्रावधानले मात्रै विद्यालयका लागि अभिभावकको
परिचालन बान्छनीय तहमा हुन सकेन । यही नै अहिलेको मल ू समस्या हो । अभिभावक सबै स्वःजागत ृ
नहुन सक्छ, विद्यालय विकासमा आफ्नाभमि ू का सबैले थाहा नपाएका हुन सक्छ । त्यसकारण
19

अभिभावक परिचालनका लागि विद्यालयको अगुवाईमा केही जागति


ृ मल
ू क क्रियाकलापहरु गर्नु जरुरी
रहे को तथ्य अध्ययनमा दे खाइएको छ ।
मिलर (सन ् २०१०)ले विद्यार्थीलाई उच्चस्तरको शिक्षा प्रदान गर्न सबैभन्दा अत्यावश्यक तत्वहरुमा
अभिभावक सहभागिता र अभिभावकसंगको सहकार्य एउटा हो भन्ने कुरा बताएका छन ् । सफल र
प्रभावकारी भनेर चिनिने विद्यालयहरुले अभिभावकसंग सहकार्य गर्न विशेष प्रयत्न गर्ने गरे का हुन्छन ् ।
विद्यालय क्रियाकलापबाट आफ्ना बालबच्चाको अवश्यक्ता अनक ु ु लको सिकाइ अवसर प्राप्त भइरहे को
छ÷छै न भनी सचेत अभिभावकले सोच्नेसमेत गरे को दे खिन्छ ।
माथि छलफल गरिएका सम्बन्धित साहित्यहरुको अध्ययनमा शैक्षिक विकासको लागि विद्यालय
व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागितालाई विशेष महत्वकासाथ हे री चिन्तन विश्लेषण गरिएको
पाइन्छ । विद्यालयको शैक्षिकस्तर बद्
ृ धि गर्न एकपक्षीय प्रयासले मात्र संभव छै न । यसका लागि
विद्यालय व्यवस्थापनसँग सम्बद्ध सरोकारवालाहरु सबैको उत्तिकै भमिू का हुन्छ । खासगरी विद्यालय
व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागितासम्बन्धमा सर्लाही जिल्लाका सामद ु ायिक विद्यालयहरुमा
अनस ु न्धान नगरिएकोेले नमनू ाको रुपमा पांच विद्यालय छनौट गरी विद्यालय व्यवस्थापनमा
अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्ने उद्दे श्यसाथ यो अध्ययन कार्यलाई अगाडि बढाइएको हो

२.२ अध्ययनको सैद्धान्तिक ढाँचा


अनस
ु न्धानको लागि विषयबस्तसु ँग मेलखाने र निश्चित सिद्धान्तको रुपरे खालाई सैद्धान्तिक ढाँचा
भनिन्छ, जसले अध्ययनलाई गन्तब्य प्रदान गर्न सहयोग गर्छ (खनाल,२०६७) ।
यस अनस ु न्धानलाई अगाडि बढाउने क्रममा पर्व ू स्थापित सिद्धान्त र मान्यतालाई प्रमख
ु आधार बनाई
उद्दे श्यअनस ु ार सच ु ना तथ्यहरु संकलन गरी ब्याख्यात्मकरुपमा विश्लेषण गरिएको छ । यस
अध्ययनसंग सम्बन्धित अनस ु न्धनात्मक प्रतिवेदनहरु, लेख–रचनाहरुको अध्ययनबाट पाइएका
प्राप्तिहरु, सैद्धान्तिक मान्यता र सझु ावहरुलाई प्रमख
ु आधार बनाइएको छ ।
यस अध्ययनका लागि प्राप्त गरिएको तथ्यगत सच ू ना एवं जानकारीहरुलाई प्रशिद्ध अमेरिकी
व्यवस्थापनविद् फ्रेडरिक हर्जवर्ग (सन ् १९५०)द्वारा प्रतिपादित उत्प्रेरणासम्बन्धी उत्प्रेरक तत्वको
सिद्धान्तमा आधारित भै व्याख्या गरिएको छ । यस सिद्धान्तमा मानिस के चाहन्छन ् र केके कुराहरुले
उसलाई अभिप्रेरित गर्दछ भन्ने कुराहरुको विश्लेषण गरिएको छ । हर्जवर्गको यो सिद्धान्तमा आरोग्य
तत्व र उत्प्रेरक तत्वजस्ता दई ु तत्वको व्याख्या विश्लेषण गरिएकोले यसलाई उत्प्रेरणासम्बन्धी दई ु
तत्वको सिद्धान्त पनि भनिन्छ । यसकारण विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागितामा
कुनकुन तत्वहरुले प्रभाव पार्दछन ् ती तत्वहरुलाई कसरी व्यवस्थापन गर्दा अपेक्षित उद्दे श्यहरु प्राप्ति
हुन्छ भन्ने कुरामा ध्यान दिनु आवश्यक हुन्छ । यो सिद्धान्तमा आरोग्य तत्व र उत्प्रेरक दई
ु तत्वको चर्चा
गरिएपनि यहां उत्प्रेरक तत्वलाई मात्र महत्व दिई अध्ययनलाई अगाडि बढाइएको छ ।
कुनै पनि संगठनको लक्ष्य तथा उद्दे श्य परू ा गर्न संगठनमा आबद्ध ब्यक्तिहरुको सहयोग, संलग्नता एवं
सहभागितामल ू क क्रियाकलापलाई विशेष प्रोत्साहन दिनप ु र्दछ । सहभागिता बढाउने संयन्त्रको प्रमख
ु श्रोत
उत्प्रेरक तत्वको सही व्यवस्थापन हो । उत्प्रेरणा व्यवस्थापनको मानवीय गुण हो । व्यतिmलाई जति
20

उत्प्रेरित गर्न सक्यो, त्यतिनै संस्थाको उद्दे श्य परू ा गर्न गराउन सजिलो र चाँडो हुन्छ । काम गर्ने भावना
जगाउने तत्व नै उत्प्रेरक तत्व हो । मानिसलाई जति बढी उत्प्रेरक दियो त्यति नै राम्ररी कार्य सम्पादन
गर्दछ । संस्थामा ब्यक्तिले आफुले गर्नुपर्ने कामप्रति नकारात्मक भावना, ईच्छा र चाहना रोकी सधैं
उत्कृष्ट कार्य गर्नेतर्फ अन्तरआत्मादे खि उत्साही भएर गर्नुपर्छ भन्ने मान्यता नै उत्प्रेरक तत्वको
सिद्धान्तको मान्यता हो ।
हर्जवर्ग (१९५०)का अनस ु ार कार्य सरु क्षा, कार्य वातावरण, ब्यक्तिगत जीवन, संस्थाको नीति तथा प्रशासन,
तलब सवि ु धा, मर्यादा, अन्तरव्यक्ति सम्बन्धजस्ता तत्वहरुलाई आरोग्य तत्व भनिन्छ भने चन ु ौतीपर्ण

कार्य, मान्यता, जिम्मेवारी, उत्तरदायित्व, उन्नति, कार्यबद् ृ धि, अवसर एवं उपलब्धिजस्ता तत्वहरुलाई
उत्प्रेरक तत्व भनिन्छ । उत्प्रेरक तत्व दिने प्रक्रियामा ब्यवस्थापकले शरु ु मा आरोग्य तत्वको पर्ति

गर्नुपर्दछ । आरोग्य तत्वको सिद्धान्तले कार्य सन्तष्टि ु लाई र उत्प्रेरक तत्वको सिद्धान्तले कार्य
उत्प्रेरणलाई जोड दिन्छ । उत्प्रेरक तत्वले ब्यक्तिलाई सकारात्मक सन्तष्टि ु तिर लैजाने कार्य गर्दछ भने
आरोग्य तत्वले असन्तष्ु टीलाई रोक्ने कार्य मात्र गर्दछ । जन ु सक
ु ै व्यक्ति पनि चन
ु ौतीपर्ण
ू कार्य गरी
उन्नति तथा कार्य बद् ृ धिको अवसर चाहन्छ । आफ्नो कार्यप्रति सबैबाट मान्यता, उपलव्धि तथा प्रशंसा
पाउने अपेक्षा पनि गर्दछ । उसलाई उत्तरदायित्वको बोध गराई आफ्नो कार्यप्रति सकारात्मक सन्तष्टि ु दिन
सकेमा मात्र आफ्नो कार्यमा दत्तचित्त भै लाग्न सक्छ(कोईराला र श्रेष्ठ,२०६६) ।
विद्यालयको शैक्षिक विकासका लागि अभिभावक सहभागिता अपरिहार्य मानिने तथ्य यस अघिको
साहित्यको पन ु रावलोकनबाट प्राप्त भै सकेको छ । विद्यालय व्यवस्थापनप्रति अभिभावकको नकारात्मक
सोंच, धारणा, असन्तष्टि ु , विरोधी भावना, सस्
ु तता, बेवास्ता, शिथिलता, निस्क्रियता, असहयोगजस्ता
तत्वहरुलाई समयमा नै व्यवस्थापन गरे र विद्यालयको समग्र शैक्षिक विकासका लागि उत्तरदायी र
जिम्मेवारी ढं गले लाग्न शिक्षक तथा अभिभावकहरुलाई उत्प्रेरित गर्नु÷गराउनु पर्दछ । यसका लागि
उत्प्रेरक तत्वको ब्यवस्था विद्यालयका ब्यवस्थापक, प्रशासक, समद ु ाय, सरोकारवाला, राज्य र
सरकारबाट गरिनप ु र्छ । सम्पर्ण
ू अभिभावकहरुलाई आफ्नो गांउ–ठाँउको विद्यालयको रे खदे ख संचालन र
व्यवस्थापन कार्यमा सहभागी गराउन सके विद्यालय व्यवस्थापनमा सध ु ार आई शैक्षिक गण
ु स्तरमा
बद्
ृ धि हुने संभावना हुन्छ ।
शिक्षक र प्रधानाध्यापकको एकल प्रयासबाट मात्र विद्यालय विकास संभव हुदैन । यसमा अभिभावकको
सहभागिता अनिवार्य हुनप ु र्दछ । विद्यालयमा अभिभावकको सहयोग, सक्रिय संलग्नता र चासोलाई
निरन्तर बढाई राख्न अभिभावकहरुलाई समयसमयमा छलफल, अन्तरक्रिया संवाद गरे र, कार्यसमह ू बनाई,
अभिभावकलाई व्यवस्थापन क्षमतासम्बन्धी तालिम, भ्रमण, आर्थिक सवि ु धाको व्यवस्था गरे र उत्प्रेरणा
जगाउने कार्य गरिनप ु र्दछ । यसै कुरालाई ध्यानमा राखेर अध्ययनलाई अघि बढाउन उत्प्रेरक
सिद्धान्तलाई यस अध्ययनमा लागू गरिएको हो ।
गण
ु स्तरीय शिक्षाको नाममा राज्यले विद्यालय, शिक्षक व्यवस्थापन, पाठ्यपस् ु तक, निःशल्
ु क पढाइ,
छात्रबत्ति
ृ को ब्यवस्था र अभिभावकसमेतको विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक अभिभावक संघको
गठन गर्ने नीतिगत ब्यवस्थाले विद्यालय शिक्षा÷व्यवस्थापनप्रति अभिभावकको असन्तष्टिु लाई रोकथाम
अवश्य गरे को छ । यो सिद्धान्तअनस ु ार यस किसिमको ब्यवस्थालाई सफा पानीसँग तल ु ना गर्न सकिन्छ
। तर राजनीतिक प्रभाव, सम्बद्ध पक्षको निश्क्रियता, नियमकाननक ु ो प्रभावकारी कार्यन्वयन र
अनग ु मनको अभाव, अभिभावकको कमजोर आर्थिक तथा शैक्षिक अवस्था, सरकारको लचिलो शिक्षा
21

नीति, कमजोरजस्ता कुराहरुले अभिभभावक सहभागितामा असर प¥ ु याई रहे को पाइन्छ । यस्ता
समस्याहरु सबैले आ–आफ्ना पक्षबाट जिम्मेवारीढं गले समाधान गर्न लाग्नप ु र्छ । व्यवस्थापनमा
बढीभन्दा बढी अभिभावकहरुलाई सहभागी हुने अवसर सज ृ ना गरी उनीहरुलाई जिम्मेवारीढं गले
सहभागिता प्रकट गर्न जागरण पैदा गराउनु आवश्यक छ । यसै मान्यता हर्जवर्गको उत्प्रेरक र आरोग्य दई

तत्वको सिद्धान्तमध्ये उत्प्रेरक तत्वको सिद्धान्तसँग उपयक्
ु त भएकोले यस सिद्धान्तलाई अध्ययनमा
उपयोग गरिएको हो ।
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकहरुको सहभागिता बढाउने उपायहरुको सन्दर्भमा पनि यो
सिद्धान्तले महत्व दिएकोले यस अध्ययनमा यो सिद्धान्तबढी उपयक् ु त र सान्दर्भिक दे खिन्छ ।
विद्यालय व्यवस्थापनमा शिक्षक जतिकै अभिभावक पनि अभिन्न अंग हुन ् । शिक्षण सिकाइमा
अभिभावकको पनि महत्वपर्ण ू भमि
ू का हुन्छ । शिक्षण सिकाइमा अभिभावकबाट शिक्षकलाई उत्प्रेरित गर्न
सहयोग प¥ ु याउन सक्नपु र्छ भने अभिभावकलाई यस कार्यतर्फ उत्प्रेरित गराउन शिक्षक, व्यवस्थापन
समिति, शिक्षक अभिभावक संघ लगायतका सरोकारवालाहरुले सहयोग प¥ ु याउन सक्नपु र्छ भनेर नै यो
सिद्धान्तलाई उपयोगमा ल्याइएको हो

२.३.अनस
ु न्धानको लागि पन
ु रावलोकनको उपादे यता
अनसु न्धानमा सम्बन्धित साहित्यको समिक्षा वा सिद्धान्तको पन ु रावलोकन गर्नाले सम्बन्धित विषयको
जानकारी लिन तथा नयाँ विषयवस्तक ु ो खोज गरी त्यस्को गहिराईसम्म पग्ु न सकिन्छ । अध्ययन क्षेत्रमा
परीक्षण नगरिएका प्रमाण वा ज्ञानहरुबारे जानकारी प्राप्त गरे र पर्व ू सिद्धान्तमा आधारित
आफ्नाअनस ु न्धानमा त्योभन्दा बढी वा नयाँ कुरा खोज गरी निष्कर्षमा पग्ु नसक्नु नै अनसु न्धानको लागि
पन
ु रावलोकनको उपादे यता हो ।
यस अध्ययनमा समीक्षा गरिएका साहित्यको अध्ययनमा विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक
सहभागिताको अवस्था, समस्या र सहभागिता बढाउने उपायहरुका सेरोफेरोमा रहे र चिन्तन विश्लेषण तथा
अनस ु न्धान गरिएको दे खिन्छ । पर्व
ू साहित्यको विषयवस्तस ु ंग यो अध्ययनको शीर्षक हुबहु नमिले पनि
उद्दे श्य, समस्या र निष्कर्षहरु अध्ययनको विषयवस्तस ु ँग सान्दर्भिक र उपयक्ु त दे खिन्छ । यसर्थ यस
अध्ययनको लागि विषयबस्तक ु ो चयन, उद्दे श्य निर्धारण तथ्यांक विश्लेषण र निष्कर्ष निकाल्न
पर्व
ू साहित्यको अध्ययनले निश्चित मार्ग निर्देशन तथा सैद्धान्तिक आधार प्रदान गरे को छ । सम्बन्धित
साहित्यको अध्ययनमा वर्णन गरिएको अवस्था र बर्तमान अवस्था तल ु ना गरी कमी–कमजोरी र त्यसको
कारण पत्ता लगाई सध ु ारका उपायहरु सझु ाउनसमेत अध्ययन उपयोगी भएको छ ।
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्ने उद्दे श्यले जन ु विषय
शोधकर्ताबाट छनौट भयो, त्यो उद्दे श्यलाई सार्थक र उपलब्धिमल ू क बनाउनका साथै अध्ययनलाई पर्ण ू ता
दिन सम्बन्धित साहित्यको पन ु रावलोकन उपयोगीसिद्ध भएको दे खिन्छ । विद्यालय व्यवस्थापनमा
सधु ार ल्याउन अभिभावक सहभागिता बढाउने आवश्यक नीति निर्माण गरी लागू गर्न आगामी दिनहरुमा
सरोकारवालाहरुलाई सझु ाव प्रस्ततु गर्ने कार्यलाई सम्बन्धित साहित्यको अध्ययनले परू ा गरिदिएको छ ।
यस सम्बन्धमा थप अध्ययन अनस ु न्धान गर्नका लागि अनस ु न्धानका क्षेत्रहरु खोजी गर्न सम्बन्धित
साहित्यको अध्ययनले सहयोग गरे को छ ।
22
23

परिच्छे द तीन
अध्ययन विधि
अध्ययन विधि अनस ु न्धानलाई अगाडि बढाउने यस्तो तरीका हो, जसले आफुले गर्नुपर्ने कार्य योजनालाई
नियमबद्ध र सहजढं गबाट प्रमाणित गर्न सहयोग गर्दछ (खनाल,२०६७) । अध्ययनमा खोजी गर्न
लागिएको समस्याको वर्तमान अवस्थाबारे जस्ताको त्यस्तै ब्याख्या विश्लेषण गरिन्छ भने त्यस अध्ययन
विधिलाई वर्णनात्मक विधि भनिन्छ (निउरे ,२०६९) ।
यस परिच्छे दमा अनस ु न्धान ढाँचा, अध्ययनको जनसंख्या र नमन ु ा छनौट, तथ्यांक संकलनका साधनहरु,
तथ्यांकका श्रोत, तथ्यांक संकलन प्रक्रिया र तथ्यांकको विश्लेषणबारे प्रस्ट पार्ने प्रयास गरिएको छ ।

३.१ अनस
ु न्धनात्मक ढाँचा
अनस ु न्धान कार्य गर्नुुभन्दा अगाडि गरिने कार्यहरुको रुपरे खा अनस ु न्धनात्मक ढाँचा हो । यसमा
पर्व
ू निर्धारित साधनहरुको उपयोग गरी संकलन गरिएका तथ्यांकहरुको वर्गिकरण र विश्लेषणपछि उचित
निष्कर्षमा पग्ु ने कोशिस गरिे न्छ (निउरे ,२०६९) । प्रश्नावली, अन्र्तवार्ता र लक्षित समहु छलफलको उपयोग
गरी संकलन गरिएको तथ्यांकलाई शाब्दिकरुपमा ब्याख्या विश्लेषण गरी ठोस निष्कर्षमा पगि ु ने
अनस ु न्धानात्मक ढांचालाई गुणात्मक अनस ु न्धान भनिन्छ (सव ु ेदी,२०६९) ।
यस अध्ययनमा समावेश भएका उत्तरदाताहरुले व्यक्त गरे का धारणा एवं बिचारलाई यथास्थितिमै वर्णन
गरिएकोले अध्ययन वर्णनात्मकरुपमा छ । यस अध्ययनको उद्दे श्यअनस ु ार शोध निर्देशकको सल्लाह र
निर्देशनमा तथ्यांक संकलनका साधनहरु निर्माण गरिएको हो । यी साधनहरुमा संख्यात्मक तथ्यांकभन्दा
पनि उत्तरदाताहरुले अनभ ु व गरे का, भोगेका,दे खेका सामाजिक परिवेशका विचार तथा धारणा पक्षका
तथ्यांक संकलन गर्नेतर्फ बढी जोड दिएको र यस्ता तथ्यांकहरु संकलन गर्दा संख्यात्मक आधार लिएकोले
यो अध्ययन गुणात्मक र परिमाणात्मक दव ु ै अर्थात मिश्रित अनस
ु न्धानात्मक ढांचामा तयार पारिएको छ
। तथ्यांक विश्लेषणको क्रममा अध्ययनर्ताको मौलिक विचारलाई पनि आवश्यक्तानस ु ार समावेश गरिएको
छ।

३.२ अध्ययनको जनसंख्या र नमन


ू ा छनौट
कुनै पनि विषयको एउटा निश्चित समस्याको अनस ु न्धान गर्दा समस्याको परू ै भागको अध्ययन
प्रयोगात्मक रुपले कठिन मात्र है न अध्ययनमा नियन्त्रण कायम गर्न पनि सकिदै न । साथै समय र
कार्यबोझको हिसावले बढी जटिल र महं गो पनि हुन्छ । यस्तो अवस्थामा नमन ू ा छनौट गर्नुपर्ने हुन्छ ।
अनस ु न्धानको लागि छनौट गरिएका सम्पर्ण
ु मानिस एवं वस्तह
ु रुको समह
ु लाई नै अध्ययनको जनसंख्या
भनिन्छ (खनाल,२०६७) ।
यस अध्ययनमा सर्लाही जिल्लाको परवानीपरु श्रोत केन्द्रअन्र्तगतका सम्पर्ण
ू सामद
ु ायिक विद्यालयहरु र
यी विद्यालयहरुसंग सम्बन्धित सरोकारवाला पक्षहरु यस अध्ययनको जनसंख्याको रुपमा रहे का छन ् ।
24

जनसंख्या वा समग्रबाट त्यसको प्रतिनिधित्व हुने गरी एउटा अंश चयन गर्ने कार्यलाई नमन ू ा छनौट
भनिन्छ (मडु वरी,२०६८) । नमन
ू ा छनौट गर्ने विभिन्न बिधिहरुमा संभावनायक् ु त र संभावनारहित नमन ू ा
छनौट विधि प्रमखु मानिन्छ । संभावनायक् ु त नमनू ा छनौट यस्तो विधि हो, जसमा जनसंख्याको प्रत्येक
एकाई छानिने संभावना बराबर हुन्छ । अध्ययनको जनसंख्याबाट नमन ू ा छनौट गर्दा संयोगको आधारमा
नगरी शोधकर्ताको ब्यक्तिगत ईच्छाअनस ु ार छनौट गरिन्छ भने त्यस्तो विधिलाई संभावनारहित विधि
भनिन्छ । यही विधिको विभिन्न प्रकारहरुमध्ये उद्दे श्यमल
ू क विधि पनि एक हो (खनाल,२०६७) ।
यस श्रोत केन्द्रमा संचालित २७ वटा सामदु ायिक विद्यालयहरुमध्ये ५ वटा विद्यालयहरुलाई सामान्य
संभावनायक्ु त नमन ू ा छनौट विधिबाट छानिएको छ । यी विद्यालयहरुका प्रधानाध्यापक, विद्यालय
व्यवस्थापन समितिका अध्यक्ष, शिक्षक अभिभावक संघका अध्यक्ष, विद्यालय निरीक्षक र श्रोत
ब्यक्तिलाई उद्दे श्यमलू क नमन
ू ा छनौट विधिबाट र प्रत्येक विद्यालयबाट २÷२ जना शिक्षक, ५÷५ जना
अभिभावक र ५÷५ विद्यार्थीलाई सामान्य संभावनायक् ु त नमन ू ा छनौट विधिबाट यस अध्ययनमा
उत्तरदाताको रुपमा छानिएको छ ।
छनौट भएका विद्यालयहरुमा डिम जनता उच्चमाध्यमिक विद्यालय परवानीपरु , नेपाल राष्ट्रिय जनता
उच्चमाध्यमिक विद्यालय कालिन्जोर, जनज्योति निमावि भोरलेनि, इन्द्रावती प्रावि चिसापानी,
जलकन्या प्रावि झरझरा रहे का छन ् । विद्यालय व्यवस्थापन सम्बन्धमा अनभ
ु वप्राप्त, जिम्मेवार र प्रमख

सरोकार व्यक्तिको रुपमा प्रधानाध्यापक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक अभिभावक संघका
अध्यक्ष, विद्यालय निरीक्षक र श्रोत ब्यक्तिलाई मानिने भएकोले यिनीहरुलाई यस अध्ययनमा
उत्तरदाताको रुपमा छानिएको हो ।

३.३ तथ्यांकका श्रोतहरु


पर्व
ू निर्धारित उद्दे श्यअनरु
ु प कुनै गुण वा विशेषताका आधारमा सब्ु यवस्थित तरीकाले संकलन गरिएको
आंकडाको समह ू लाई तथ्यांक भनिन्छ । जन ु क्षेत्रबाट तथ्यांक प्राप्त गर्न सकिन्छ, त्यस क्षेत्रलाई
तथ्यांकका श्रोत भनिन्छ (जोशी, २०६८) । कुनै पनि अध्ययनको स्वरुप र प्रकृतिअनस ु ार तथ्यांक श्रोतहरु
फरक–फरक हुन्छन ् । तथ्यांकका श्रोतहरुलाई प्राथमिक र सहायक गरी दई ु वटा समह ू मा बर्गिकरण
गरिएको हुन्छ । यस अध्ययनमा यिनै दई ु वटा तथ्यांक श्रोतहरुको प्रयोग गरिएको छ ।

३.३.१ प्राथमिक श्रोत


अनसु न्धानकर्ताबाट संकलन गरिएको मौलिक तथ्यांकहरुलाई प्राथमिक तथ्यांक भनिन्छ (जोशी,
२०६८) । प्रश्नावली, अन्तरवार्ता र लक्षित समह ू छलफलबाट प्राप्त गरिएका तथ्यांकहरुलाई यस
अध्ययनमा प्राथमिक तथ्यांकका श्रोतको रुपमा प्रयोग गरिएको छ । यी तथ्यांकहरुले अध्ययनलाई पर्ण
ू ता
दिन सहयोग गरे को छ ।

३.३.२ द्वितीय श्रोत


अन्य पक्षबाट पहिले नै संकलन गरी तयार पारिएका एक किसिमको साहित्यिक विवरणहरुलाई द्वितीय
तथ्यांक भनिन्छ (जोशी, २०६८) । यस अध्ययनमा छनौटमा परे का विद्यालयहरुको विद्यार्थी भर्ना, बैठक
पस्ति
ु का, विद्यालय सध
ु ार योजना प्रतिवेदनका साथै अध्ययनसंग सम्बन्धित लेख—रचना, अप्रकाशित
25

शोधपत्र, जर्नल, पस्


ु तक, पत्रपत्रिका अध्ययन गरी श्रोत सामग्रीको रुपमा तथ्यांक संकलन गरिएको छ ।
जसले अध्ययनलाई उद्दे श्यमल ू क बनाउनसार्थक बनाउन सहयोग प¥ ु याएको छ ।

३.४ तथ्यांक संकलनका साधनहरु


अध्ययनको क्रममा संकलन गरिने तथ्यगत सच ू नाहरु अनस
ु न्धानको तथ्यांक हुन ् । तिनै तथ्यांकहरु संकलन गर्ने
क्रममा प्रयोगमा ल्याइने औजारहरुलाई तथ्यांक संकलनका साधन भनिन्छ (खनाल, २०६७) । यस अध्ययनको
लागि निम्न साधनहरु प्रयोग गरिएको थियो ः

३.४.१ प्रश्नावली
प्रश्नावली व्यवस्थितरुपले मिलाइएका प्रश्नहरु हुन, जसलाई अपेक्षित जानकारी प्राप्त गर्न जनसंख्याको
प्रतिनिधि समह ू मा संचालन गरिन्छ (खनाल, २०६७) । प्रश्नावली संरचित र असंरचित गरी २ प्रकारका हुन्छन ्
। विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था, समस्या, शिक्षण सिकाइमा यसले पारे को
प्रभावका सम्बन्धमा सच ु ना जानकारी प्राप्त गर्ने उद्दे श्यले प्रश्नावली निर्माण गरी विद्यालय निरीक्षक, स्रोत
व्यक्ति, प्रधानाध्यापक र शिक्षकहरुबाट उत्तर भराइएको थियो । (जन ु अनसु चू ी १, २ र ३ मा राखिएको छ)

३.४.२ अन्तर्वार्ता
अन्तर्वार्ता संचार आदान प्रदान वा अन्र्तक्रियाको त्यो विधि हो, जसमा अन्तर्वार्ता दिने ब्यक्तिले आमनेसामने
भएर मौखिकरुपमा आवश्यक जानकारी दिने गर्दछ । गुणात्मक र परिमाणात्मक दव ु ै किसिमका
अनस ु न्धानमा विश्वसनीय र बैध तथ्य संकलन गर्न प्रयोग गरिने एउटा विधि नै अन्तर्वार्ता हो । अन्य विधि वा
साधनबाट तथ्यांक संकलन गर्न कठिन भएका तथ्यगत सच ू ना तथा जानकारीहरु अन्तर्वार्ताका माध्यमबाट
प्राप्त गर्न सहयोग पग्ु दछ (निउरे ,२०६९) । यसबाट व्यक्तिको आन्तरिक विचार, धारणा, सोंच पत्ता लगाउन
सकिन्छ ।
यस अध्ययनमा विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था, समस्या र उपायका सम्बन्धमा
थप जानकारी तथा सच ू ना प्राप्त गर्न अभिभावक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक अभिभावक संघका
अध्यक्षसंग अन्तर्वार्ता लिने उद्दे श्यले असंरचित अन्र्तवार्ता सच
ू ी तयार पारिएको थियोे । (जन
ु अनस
ु च
ू ी४र५
मा राखिएको छ)

३.४.३ लक्षित समह


ू छलफल
उद्दे श्यमल
ू क ढं गले निश्चित विषयमा केन्द्रित भै कुराकानी गर्नुलाई लक्षित समह
ू छलफल भनिन्छ (सव ु ेदी,
२०६९) । अध्ययनको उद्दे श्यसंग सम्बन्धित विभिन्न आवश्यक सच ू ना संकलन गर्नका लागि शोधकर्ताको
अनरु ोधमा प्रधानाध्यापक, शिक्षक, विद्यार्थी अभिभावक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक
26

अभिभावक संघका अध्यक्षलाई भेला गरार्ई निर्धारित उद्दे श्यहरुमा केन्द्रित भएर समह ू गत छलफल गरिएको
थियो । प्रश्नावली र अन्तर्वार्ताबाट प्राप्त तथ्यहरुको पष्टि
ु गर्न र थप सच ू ना प्राप्त गर्न समह
ू छलफल
चलाइएको थियो । छलफलमा ब्यक्त भएका धारणा तथा विचारहरुलाई सारमा टिपोट गरिएको थियो ।

३.५ तथ्यांक संकलन प्रक्रिया


तथ्यांक श्रोतहरुबाट जम्मा गरिएको तथ्यांकहरुलाई एक ठाँउमा मिलान गर्नु नै तथ्यांक संकलन प्रक्रिया
हो (मड ु वरी, ०६८) । यस अध्ययनको लागि आवश्यक पर्ने सच ु ना, जानकारी तथा तथ्यांक प्राप्त गर्न
अनस ु न्धानकर्ता स्वयं अध्ययन क्षेत्रमा नै पग
ु ी छनौट गरिएका ब्यक्तिहरुसंग अलग अलगरुपमा प्रत्यक्ष
भेटघाट गरी आफ्नो उद्दे श्य बताई आवश्यक समय र सहयोगको लागि अनरु ोध गरिएको थियो । सम्पर्क
ब्यक्तिहरुको सहमतीअनस ु ार प्रत्येक विद्यालयमा अलगअलग समयमा भेला गराई प्रश्नावली भराउने,
अन्तर्वार्ता लिने र समह
ू छलफल गरी सहभागीहरुबाट प्रतिक्रिया तथा धारणा टिपोट गरिएको थियो ।
त्यसैगरी सहायक तथ्यांक श्रोतको रुपमा प्रत्येक विद्यालयमा पग ु ी विद्यार्थी भर्ना र बैठक पस्ति
ु का,
पलाश रिर्पोट, शैक्षिक दर्पण, स्मारिका, विद्यालय सध
ु ार योजना र शैक्षिक क्यालेण्डर अध्ययन गरिएको
थियो । अध्ययनसंग सम्बन्धित विभिन्न साहित्यहरुमध्ये शोधपत्र, पत्रिका, जर्नल, विभिन्न पस् ु तकहरु
संकलन गरी अध्ययन गरिएको थियो र त्यसबाट आवश्यक कुराहरु टिपोट गरी अध्ययनलाई पर्ण ूु ता दिन
सहयोग गरे को छ ।

३.६ तथ्यांक विश्लेषण प्रक्रिया


तथ्यांकन संकलनका साधनहरुबाट संकलन गरिएका जानकारी तथा सच ू नाहरुलाई अर्थपर्ण
ू ढं गले संगठन
र ब्याख्या गर्नुलाई विश्लेषण भनिन्छ (निउरे ,२०६९) । अध्ययनको क्रममा प्राथमिक तथा द्वितीय
तथ्यांकका श्रोतहरुबाट प्राप्त तथ्यांकहरुलाई अनस ु न्धानको उद्दे श्यको परिधिभित्र रही सोही
चरणबद्धरुपमा विभिन्न शीर्षक उपशीर्षकमा राखी वर्णनात्मक विधिबाट गुणात्मक र परिमाणात्मक
अर्थात मिश्रित अनस ु न्धनात्मक ढांचामा विश्लेषण गरी निचोड निकालिएको छ । प्रत्येक शीर्षकको
विश्लेषण र ब्याख्या हर्जवर्गको उत्प्रेरणा तत्वको सिद्धान्तका आधारमा गरिएको छ । तथ्यांकलाई
विश्लेषण गर्दा तथ्यांक शास्त्रीय बिधि प्रयोग गरिएको छै न ।
27

परिच्छे द चार
नतिजाको विश्लेषण
कुनै पनि अध्ययन तथा अनस ु न्धानका लागि छनौट गरिएका नमन ू ाबाट सही तथ्यगत सच ू ना जानकारी
प्राप्त गरिसकेपछि त्यसलाई विश्लेषण तथा प्रस्ततिु करण गर्नुपर्दछ । यसबाट नै अध्ययनको निष्कर्ष
निकाल्न सकिन्छ । यस शोध अध्ययनको उद्दे श्य प्राप्तिका लागि प्रश्नावली, अन्तर्वार्ता र लक्षित समह

छलफल साधनहरुको प्रयोगबाट संकलन गरिएको तथ्यांकहरुलाई अनस ु न्धनात्मक प्रश्नहरुमा आधारित
रही ब्याख्यात्मकरुपमा निम्नानसु ारको शीर्षक उपशीर्षकमा विश्लेषण तथा प्रस्ततु ीकरण गरिएको छ ः

४.१ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था


विद्यालय व्यवस्थापनअन्र्तगत शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक, मानवीय पक्षहरु पर्दछन ् । यिनै विभिन्न
पक्षहरुमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्नु यस अध्ययनको मख् ु य उद्दे श्य हो । यसै
उद्दे श्यलाई यस अध्ययनमा मख्ु य शीर्षक बनाइएको छ । प्राप्त सच
ू ना जानकारी तथ्यहरुलाई सर्वप्रथम
मख्
ु य शीर्षकसँग सम्बन्धित गराई विभिन्न उपशीर्षकमा वर्गीकरण गरी विश्लेषण गरिएको छ ः

४.१.१ शैक्षिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता


विद्यालयमा संचालन गरिने शैक्षिक गतिविधिहरुको समचि ु त ब्यवस्था मिलाउनु नै शैक्षिक व्यवस्थापन
हो । विद्यार्थी भर्ना, शैक्षिक योजना निर्माण, नियमित पठनपाठन तथा मल् ू यांकन ब्यवस्था, कक्षाकोठा
व्यवस्थापनका कार्यहरु शैक्षिक व्यवस्थापनका विषयहरु हुन ् ।
सामद ु ायिक विद्यालयका अभिभावकहरु विद्यालयमा आउन नसकेको, पढे –लेखेका सीमित
अभिभावकहरु पनि विद्यालयमा चासो राख्ने काममा जाँगर नदे खाएको तथ्य अधिकांस विद्यालयका
प्रधानाध्यापकहरुले बताए । आफ्ना बालबच्चाको पढाइ लेखाइ के–कस्तो छ, कुन अवस्थामा के कसरी
पढदै छ भनेर बझ्
ु नसम्म नआउने, विद्यार्थी भर्ना गराई सकेपछि फर्के र नआउने, छात्रबत्ति
ृ रकम बझ् ु नर
शिक्षण शल्ु क बझु ाउन पनि आफै नआउने र शिक्षकसंग सरसल्लाह लिने काम आजसम्म अभिभावक
तर्फ बाट नभएको तथ्य डिम जनता उमाविका प्रधानाध्यापकले बताए । ढिलोगरी विद्यार्थी भर्ना गर्न
आउने, विचैमा पढाइ छाड्ने, नियमित विद्यालयमा बालबच्चा नठाउने, गह ृ कार्य, सरसफाई, पाठ्यपस्
ु तक,
28

कापी कलमको सरु क्षामा ध्यान नदिने समस्या रहे को र आफूले अभिभावकलाई पटक–पटक संझाउदा पनि
सध
ु ार गर्न नसकेको कुरा जलकन्या प्रा.वि.का प्रधानाध्यापकले बताए ।
अभिभावकहरुले चासो नदिएकोले विद्यालयहरुमा शिक्षक व्यवस्थापनको समस्या रहे को, शिक्षक
विद्यार्थी नियमित उपस्थित नहुने, पठनपाठन तथा मल् ू यांकन प्रभावकारी नभएको, शैक्षिक योजना बनाई
सोअनस ु ार कार्य नगरे कोले शिक्षण व्यवस्थापन नियमित बन्न नसकेको र यसका लागि विद्यालय
व्यवस्थापन समिति, शिक्षक र प्रधानाध्यापकले पनि अभिभावकको सक्रियता बढाउन आवश्यक पहल
गर्नुपर्छ । तर महत्व बझ
ु रे पनि यस कार्यमा व्यवस्थापन पक्षले चासो नराखेको निज श्रोत व्यक्तिले बताए

आफ्ना सन्तानको भविष्य सबै अभिभावहरु चाहन्छन ् तरपनि अभिभावकको आफ्नै बाध्यताहरु हुन्छन ् ।
मुिस्कलले परिवार धान्नु पर्ने अवस्था छ, काम गरे र खानप
ु र्ने भएकोले आफ्नाबालबच्चाको पढाइलेखाइमा
ध्यान गएको हुँदैन । सरकारले स्कूल र शिक्षक ब्यवस्था गरिदिएको छ, पढ्नेपढाउने काम स्कूलमा
भैहाल्छ भन्ने सोच अभिभावकहरुमा छ । शैक्षिक अवस्था पनि कमजोर छ । विद्यालय गएर बोल्न, प्रश्न
सोध्न समस्या राख्ने धक मान्ने र छलफल संवाद गर्ने क्षमता नहुनाले शैक्षिक गतिविधिको चासो र
निगरानी राख्ने काम अभिभावकहरुबाट हुन सकिरहे को छै न भन्ने तथ्य शिक्षकहरुले बताए ।
विद्यालयमा पटक–पटक आउन फूर्सद पनि नहुने र विद्यालयमा बालबच्चालाई पढ्न पठाएर सहयोग
गरे को, विद्यालय गएर अनग ु मन, निगरानी र सचेत गराउने कुनै पनि ब्यवस्थापकीय भमि
ू का नभएको,
विद्यालयले पनि अभिभावकको भमि ू का उपेक्षा गरे कोले अभिभावकबाट विद्यालय गतिविधिमा चासो
राख्ने काम नभएको हो भन्ने जानकारी अभिभावकहरुले दिए ।
उत्तरदाताहरुले व्यक्त गरे का धारणा तथा भनाईहरुका आधारमा विश्लेषण गर्दा शैक्षिक व्यवस्थापन
विद्यालय व्यवस्थापनको प्रमख ु पक्ष हो । विद्यालयमा नियमित पढाइ लेखाइ हुन्छ÷हुदैन, आफ्ना
बालबच्चा के–कसरी कुन अवस्थामा पढिरहे को छ, शिक्षक तथा विद्यार्थी नियमित विद्यालयमा
आउँ छ÷आउँ दै न, कक्षाकोठा शैक्षिक सामग्री, शिक्षक व्यवस्थापनको अवस्था के—कस्तो छ भनेर
अभिभावकहरुले हे र्न र बझ्
ु न सकिन्छ । तर सबै सामद ु ायिक विद्यालयमा यस खाले चासो र सक्रियता
अभिभावकको दे खिएन । विद्यालयहरुमा शिक्षक विद्यार्थी नियमित नहुने, पठनपाठन तथा मल् ू यांकन
ब्यवस्था प्रभावकारी नभएको, शिक्षक व्यवस्थापनमा समस्याजस्ता थप्र ु ै समस्याहरु अभिभावक
सहभागिाताको अभावले उत्पन्न भएको र शिक्षक, प्रअ, विद्यालय व्यवस्थापन समितिसमेतले यसतर्फ
ध्यान प¥ु याउन नसकेको दे खिन्छ ।
यसैगरी अभिभावकहरुको कमजोर शैक्षिक आर्थिक अवस्थाले पनि अभिभावक सहभागितामा प्रभाव
पारे को दे खिन्छ । एकपटक भर्ना गराई सकेपछि विद्यालय जानु नपर्ने, सरकारी विद्यालयमा सरकारी
शिक्षकले पढाउने भएपछि आफुले ध्यान दिइरहनु नपर्ने, रोजीरोटीमा ध्यान दिनु परे को साथै विद्यालय
गएर अनग ु मन, निगरानी र सचेत गराउनेजस्ता कुनै पनि ब्यवस्थापकीय भमि
ू का नभएको र विद्यालयले
पनि अभिभावकको भमि ू का उपेक्षा गरे काले शैक्षिक गतिविधिमा चासो नभएको दे खिन्छ ।

४.१.२ आर्थिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अवस्था


29

विद्यालय संचालनका लागि चाहिने आर्थिक श्रोतहरुको चाँजोपाँजो मिलाउनु नै आर्थिक व्यवस्थापन हो ।
विद्यालयको शैक्षिक विकासमा आर्थिक व्यवस्थापनको ठूलो भमि ू का हुन्छ । शैक्षिक विकासका निम्ति
अभिभावकले विद्यालयलाई नगद तथा जिन्सी बस्तस ु मेत उपलब्ध गराएर आर्थिक सहयोग प¥ ु याउन
सकिन्छ । साथै विद्यालयमा उपलब्ध भएका हरे क आर्थिक श्रोतहरुको पारदर्शिरुपमा परिचालन र लेखा
राख्ने काममा समेत सक्रिय भमि
ू का निर्वाह गर्न सकिन्छ ।
माध्यमिक तहका विद्यालयहरुमा ६ कक्षादे खि विद्यार्थी शिक्षण शल् ु क लिने गरे को र यसरी उठे को रकम
शिक्षक व्यवस्थापनमा खर्च हुने गरे को छ । यस रकमले मात्र शिक्षक ब्यवस्था गर्न कठिन भैरहे को अवस्था
छ । यसबाहे क विद्यालयको आर्थिक श्रोत केही पनि नभएको र समद ु ाय र अभिभावकहरुले कुनै आर्थिक
सहयोग गरे का छै नन ् । बरु उल्टै शिक्षा निःशल्
ु क भएकोले शिक्षण शल् ु क बढाउन नपाउने भन्ने गुनासो
बेलाबेलामा अभिभावकहरुले आफुलाई प्रकट गर्ने गरे को तथ्य प्रधानाध्यापकहरुले बताए । विद्यालयमा
सरकारबाट उपलब्ध गराउने छात्रबत्तिृ , पस्
ु तक, प्रशासनिक अनद ु ान, भवन मर्मत तथा निर्माण खर्च आदी
शीर्षकको रकममा भने केही सचेत अभिभावकहरुले मात्र चासो राखेर सोध खोज गर्ने तर अधिकांस
अभिभावकहरुले भने छात्रबत्ति
ृ रकम बारे मा बढी चासो राख्ने गरे को कुरा ने.रा.ज.का प्रधानाध्यापकले बताए

प्राथमिक तहका विद्यालयहरुमा विद्यार्थी शल् ु क उठाउने नपाउने भएकोले अतिरिक्त आर्थिक श्रोत शन्
ु य
अवस्थामा रहन्छ जस्ले गर्दा डेस्क बेन्च मर्मत, सरसफाई, खानेपानी, शौचालय मर्मत गर्न कठीन भएको
छ । विद्यालयको भौतिक अवस्थाप्रति अभिभावक चिन्तित दे खिदै न, हामीले आर्थिक श्रोत संकलनका
लागि छलफल गर्न बैठक राख्यौं तर सबै खर्च सरकारले ब्यहोर्छ, भन्ने धारणा अभिभावकको रहे को शिक्षक
तथा प्रधानाध्यापकहरुले जवाफ दिए । विद्यालयको आय–व्यय कसरी राख्ने गरिएको छ भन्ने सन्दर्भमा
अभिभावकले जिज्ञासा प्रश्न नगरे को तर केही पढे –लेखेका अभिभावकले भने विद्यालयको लेखा
व्यवस्थापनका सम्बन्धमा चासो ब्यक्त गर्ने गरे को डिम जनता उमाविका प्रधानाध्यापकले बताए ।
प्रत्येक वर्ष विद्यालयको काम कारवाहीको सामाजिक परीक्षण गर्नुपर्ने व्यवस्था छ । तर कुनै पनि
विद्यालयमा सामाजिक परीक्षण समितिको गठन नभएको, अभिभावकले पनि चासो नराखेकाले
सामाजिक परीक्षण हुन नसकेको कुरा एक शिक्षकले बताए ।
उत्तरदाताहरुको उत्तरका आधारमा विश्लेषण गर्दा विद्यालयको शैक्षिक विकासमा आर्थिक व्यवस्थापनले
ठूलो सहयोग प¥ ु याउने भएकोले विद्यालयको आर्थिक व्यवस्थापनमा अभिभावकले सहयोग प¥ ु याई
सहभागिता दे खाउनु पर्दछ । विद्यालय शिक्षा निःशल्
ु क भएकोले कुनै पनि अभिभावकले विद्यालयलाई
आर्थिक सहयोग नगरे को दे खिन्छ । छात्रबत्ति
ृ रकम र शिक्षक व्यवस्थापनको लागि उठाउने शिक्षण शल् ु क
सम्बन्धमा पटक–पटक गुनासो गरे को दे खिन्छ । तर लेखा परीक्षणलगायत अन्य कुराहरुमा भने अनभिज्ञ
रहे को दे खिन्छ । पढे –लेखेका केही अभिभावकले भने लेखा व्यवस्थापन सम्बन्धमा प्रश्न गर्ने गरे को
दे खिन्छ । कुनै पनि विद्यालयमा सामाजिक परीक्षण समितिको गठन नभएको र अभिभावकले पनि चासो
नराखेकाले सामाजिक परीक्षण हुन नसकेको दे खिन्छ ।

४.१.३ भौतिक व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता


30

विद्यालय संचालन गर्न चाहिने आवश्यक भौतिक श्रोत साधनहरुको उचित चाजोपांजो मिलाउनु नै भौतिक
व्यवस्थापन हो । यसअन्तर्गत विद्यालयको लागि डेस्कबेन्च, टे बल
ु कुर्सी दराज, भवन, खेलकुद सामाग्री,
काठपात, जग्गाजमिन उपलब्ध, संरक्षण, संम्बद्र्धन गरी अभिभावकले भौतिक सहभागिता प्रकट गर्न
सकिन्छ ।
अहिले विद्यालयलाई भौतिक सहयोग मात्र है न, त्यसको व्यवस्थापनमा पनि अभिभावकको तत्परता
दे खिदै न । विद्यालयको भवनदे खि कक्षाकोठाको लागि चाहिने सबै ब्यवस्था सरकारले मिलाएको हुन्छ ।
यसको व्यवस्थापन गर्ने कार्य विद्यालय व्यवस्थापन समिति र प्रअको हो भन्ने मानसिकता
अभिभावकमा भएको तथ्य इन्द्रावती प्रा.वि.का एक शिक्षकले बताए । उनका अनस ु ार खानेपानी, शौचालय,
खेल्ने मैदान, कक्षाकोठाको समस्या छ । विद्यालयको रे खदे ख गर्ने ब्यवस्था मिलाउन नसकेकोले
कागजात हराउने, फोहोर हुने, भवन भत्कने अवस्था छ । यस अवस्थाप्रति अभिभावक चिन्तित हुनह ु ु न्न ।
विद्यालयको भौतिक अवस्था सध ु ार्न प्रधानाध्यापक शिक्षक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति र
अभिभावक सबै एक भएर लाग्नप ु र्छ । अभिभावकले आफ्ना बालबच्चालाई पढ्न पठाउने र शिक्षकले
पढाउने मात्र गरे र हुदैन र जिम्मेवारीबाट पन्छिनु पनि हुदैन । यहाँ सबैजना आफ्ना जिम्मेवारीबाट
पन्छिने प्रबत्ति
ृ छ । त्यसैले यो अवस्था आएको विद्यालय निरिक्षकले बताए ।
उपरोक्त तथ्यहरुको विश्लेषण गर्दा विद्यालयलाई आवश्यक पर्ने भवन, जग्गा काठपात, फर्निचर सामान,
खानेपानी, शौचालय आदिको ब्यवस्था मिलाउनु भौतिक व्यवस्थापन हो । यस कार्यमा आवश्यक भौतिक
वस्तु उपलब्ध गराई सहयोग गर्नु र आवश्यक भौतिक बस्तु उपलब्ध गराई सहयोग गर्नु र उपलब्ध भौतिक
बस्तकु ो सहीढं गले व्यवस्थापन रे खदे ख संरक्षण सम्बद्र्वन गर्नु अभिभावकको पनि ठूलो भमि
ू का हुनप ु र्दछ
। तर यस्तो भमि ू का अभिभावकले निर्वाह गर्न नसककेको दे खिन्छ । अहिले विद्यालयमा खानेपानी,
शौचालय कोठा, आदीको समस्या रहे को र यसमा अभिभावकहरुले खासै चासो राखेको दे खिदै न । उल्टै
जिम्मेवारीबाट पन्छिने प्रबत्ति
ृ बढे को दे खिन्छ । शिक्षक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति, प्रअले पनि
जिम्मेवारीबाट नपन्छे र अभिभावक समेतलाई सहभागी गराई भौतिक अवस्था सध ु ार गर्नतर्फ लाग्नपु र्ने
दे खिन्छ ।

४.१.४ जनसहयोगको व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता


विद्यालय एक सामाजिक संस्था हो । विद्यालयको समग्र शैक्षिक विकाशका लागि जनसहयोगको पनि
आवश्यकता पर्दछ । अभिभावक आफैले विद्यालयको शैक्षिक विकासको लागि आर्थिक भौतिक सहयोग
गर्न नसकेपनि यस्ता श्रोतहरु जट
ु ाउन अभिभावकले सक्रिय भमि
ू का खेल्न सक्नपु र्छ । जनसहभागिताबाट
विद्यालयलाई आवश्यक श्रोत साधन जट ु ाउन सकिन्छ । जनसहभागिता जट ु ाउने कार्यमा अभिभावकले
सहयोग प¥ ु याउन सक्नपु र्छ ।
आफ्ना वालबच्चा पढ्ने विद्यालयको लागि आवश्यक भौतिक तथा मानवीय सहयोग जट ु ाउन
अभिभावकले प्रयास गरिराख्नु पर्दछ । जनसहयोग जट ु ाई भौतिक निर्माण गर्नुपर्ने नीति सरकारको रहे पनि
समद ु ायबाट आर्थिक भौतिक सहयोग तथा श्रमदान प्राप्त नभएको गुनासो नेपाल राष्ट्रिय जनता उमाविका
प्रधानाध्यापकले व्यक्त गरे । विद्यालयमा खानेपानीको अभाव हुंदा गाउं घरमा पानी मागेर पिउनप ु र्ने
बाध्यता रहे पनि खानेपानीको व्यवस्था मिलाउन सम्बन्धित निकायमा गएर अनरु ोध गर्ने काम गरे को
31

हुदैन । बाटोघाटो मर्मत, सरसफाई गर्ने, निर्माण साम्रागी ओसार्ने जनसहयोगको खांचो पर्छ । जनसहयोग
जटु ाउन अभिभावकको सहयोग चाहिन्छ । यसकार्यमा अभिभावकले खासै सहयोग प¥ ु याएको हुदैन भनेर
डिमजनता उमाविका विद्यालय व्यवस्थापन समितिका अध्यक्षले बताए ।
उत्तरदाताहरुले बताए अनस ु ार विश्लेषण गर्दा विद्यालयको शैक्षिक विकासका लागि आर्थिक तथा भौतिक
श्रोत साधन जट ु ाउने र जनश्रमदान गर्ने कार्यमा अभिभावकले ठूलो सहयोग गर्न सक्नप ु र्दछ । विद्यालय
सामाजिक संस्था हो र यो संस्था आफै नचल्ने भएकाले श्रोत साधनको लागि जनसहभागिता जट ु ाउन र
आफ्ना बालबच्चाको शिक्षाको लागि अभिभावकले जनसहयोग जट ु ाउने कार्य नगरे को दे खिन्छ ।
खानेपानी, शौचालय, बाटोघाटो र सरसफाईको लागि सम्बन्धित निकायमा अनरु ोध गर्ने कार्यहरु नगरे को
दे खिन्छ । समदु ाय र संघसंस्थाबाट सहयोग जट ु ाउने कार्यमा एकजट
ु नभएको दे खिन्छ ।

४.१.५ अतिरिक्त क्रियाकलाप र अभिभावक दिवशमा अभिभावक सहभागिता


अभिभावक सहभागिता बढाउने उपायको रुपमा अभिभावक दिवशलाई मख् ु य लिइन्छ । तर यस्को महत्व
बझ्
ु न÷बझ ु ाउन नसकेकै कारण कार्यक्रम नगरिएको तथ्य शिक्षकहरुले बताए भने शिक्षक प्रअ समितिले
पनि चासो नदिएको भनाई अभिभावकहरुको रह््यो । अतिरिक्त क्रियाकलाप विद्यालयमा नियमित
संचालन गरी अभिभावकलाई पनि सहभागी गराउन सके शिक्षक तथा विद्यार्थी दव ु क
ै ो हौसला बढे र जाने
छ । विद्यालयहरुमा के कस्तो क्रियाकलाप संचालन हुन्छ भनेर जानकारी नै हुदैन । पढे –लेखेका सचेत
अभिभावकले विद्यालयमा हुने अतिरिक्त क्रियाकलापमा अभिरुचि राख्ने गरे को तर अन्य अभिभावकहरुले
चासो राख्ने नगरे को तथ्य शिक्षकहरुले बताए ।
कहिलेकाही मात्र संचालन हुने अतिरिक्त क्रियाकलापमा जानकारी नगराउनाले अभिभावकले यस्तो
क्रियाकलापमा सहभागी हुने अवसर प्राप्त भएको हुदैन । यसमा शिक्षक, प्रअ र विद्यालय व्यवस्थापन
समितिकसैले चासो दिदै नन ् भन्ने गन
ु ासो विद्यार्थीहरुले गरे ।
उत्तरदाताले उपलव्ध गराएको तथ्यांकका आधारमा विश्लेषण गर्दा विद्यालयमा अभिभावक दिवश र
अतिरिक्त त्रिंmयाकलाप संचालनगरी अभिभावकलाई सहभागी गराउदा शिक्षक, अभिभावक तथा
विद्यार्थीको हौसला बढने र अभिभावकले विद्यालयका धेरै विषयमा जानकारी हासिल गर्ने अवसर प्राप्त
हुने कुराको महत्व बझ्
ु न÷बझु ाउन नसकेको कारण यस्ता गतिविधिहरु आयोजना नभएको र कहिलेकाही
हुने अतिरिक्त क्रियाकलापमा पनि अभिभावक सहभागी नहुने गरे को दे खिन्छ । यस्तो कार्य नहुनम ु ा
शिक्षक, अभिभावक, प्रधानाध्यापकर े विद्यालय व्यवस्थापन समितिले चासो नराखेको दे खिन्छ ।

४.१.६ अभिभावक भेला र व्यवस्थापन समितिको गठनमा अभिभावक सहभागिता


विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन विद्यालय व्यवस्थापनको एक महत्वपर्ण ू व्यवस्थापकीय कार्य
हो । व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउने उपायको रुपमा विद्यालय व्यवस्थापन समिति र
शिक्षक अभिभावक संघको गठन गर्ने अवसरलाई लिन सकिन्छ । यस समितिको गठन गर्न अभिभावक
भेला बोलाउनु पर्ने अभिभावक भेलाबाटै गठन गर्नुपर्ने व्यवस्था छ । स्वच्छ, इमान्दर, विद्यालय तथा
32

विद्यार्थीको हक हितमा काम गर्ने व्यक्तिहरुको छनौट गर्न अभिभावक भेलामा सहभागी भै सक्रियरुपमा
अभिभावकीय भूिमका निर्वाह गर्नुपर्दछ ।
अभिभावककै नेतत्ृ वमा अभिभावक भेलाबाट समितिको गठन गर्नुपर्ने भएपनि राजनीतिक तहमा दलीय
भागवण्डा लगाई समितिको गठन हुने भएकोले अभिभावकहरु उत्शाहीत हुदैनन ् भन्ने धारणा शिक्षक र
अभिभावकहरुले व्यक्त गरे । व्यवस्थापन समितिको अध्यक्ष पदको लागि राजनीतिक दलहरुबीच हुने
राजनीतिक खिंचातानीकै कारण अभिभावक संख्या कम भएर पटकपटक अभिभावक भेला स्थगित
गर्नुपरे को तथ्य एक प्रधानाध्यापकले बताए ।
यी भनाईहरुका आधारमा विश्लेषण गर्दा विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउने
उपायकारुपमा विद्यालय व्यवस्थापन समिति, शिक्षक अभिभावक संघको गठन अवसरलाई लिन
सकिन्छ । यिनीहरुको गठन अभिभावककै नेतत्ृ वमा अभिभावक भेलाबाट हुने व्यवस्था छ तर अधिकांस
विद्यालयमा विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन राजनितिक ढं गबाट हुने गरे को दे खिन्छ । दलीय
भागबन्डा नमिल्दा राजनीतिक खिंचातानी हुनेहुदां अभिभावकहरुको प्रतिनिधित्व संख्या पनि कम हुने
अभिभावकमा निरासा उत्पन्न भै समितिको गठनमा सक्रियता दे खाउन छाडेको र अभिभावक संख्याको
कमीले अभिभावक भेला स्थगित गर्नुपरे को अवस्था पनि दे खिन्छ ।

४.१.७ नीति निर्माण र विद्यालयको सप


ु रिवेक्षणमा अभिभावक सहभागिता
नियमित पठनपाठन, शल् ु कनिर्धारण, परीक्षा, विद्यार्थी अनश ु ासन भौतिक निर्माण, विद्यालय सध ु ार
योजनाजस्ता विषयहरुमा नीति निर्माण र यस्ता विषयहरुको सप ु रिवेक्षण गर्नु विद्यालय व्यवस्थापनको
महत्वपर्ण
ू कार्यहरु हुन ् । यस्ता कार्यहरुमा अभिभावकहरुलाई सामेल गराउन सके विद्यालय व्यवस्थापन
सव्ु यवस्थित र नियमित बनेर शैक्षिक सध ु ार हुने कुरा पक्का छ । यसका लागि विव्यस गठन भएको हुन्छ

सबै अभिभावकहरुलाई पटकपटक बोलाई बैठक राख्न पनि सकिदै न । सबै अभिभावकहरुमा निणर्य लिने
क्षमता पनि हुदैन । महत्वपर्ण
ू विषयहरुमा निर्णयका लागि अभिभावकलाई पनि बोलाइन्छ तर थोरै मात्र
उपस्थित हुन्छन ् । उपस्थित भएका अभिभावकहरुले पनि सक्रिय भमि ू का निर्वाह गरे को दे खिदै न भन्ने
विव्यसका अध्यक्ष र प्रअहरुको भनाई रह्यो । विद्यालयमा पठनपाठन, भौतिक अवस्था, शिक्षक
विद्यार्थीको नियमित उपस्थिति केकस्तो छ विद्यालयमा आएर हे र्ने र कमीकमजोरीका बारे मा
सम्बन्धित पक्षलाई सझ ु ाउने कार्य पढे लेखेका केही अभिभावकहरुले मात्र गरे को हुन्छ, प्रअ शिक्षकहरुले
बताए ।
विद्यालयमा के कस्ता निर्णय गरिन्छ, अभिभावकलाई कुनै जानकारी हुंदैन । कहिलेकाही बोलाउने
बैठकमा पनि अभिभावकको विचारको सन ु बाई हुदैन । राजनीतिक व्यक्ति र गैर अभिभावकहरु नै बढी
हावी हुन्छन ् । नीति निर्माणमा अभिभावकबाट के कति भमि ू का निर्वाह गर्ने साथै सप
ु रिवेक्षण गर्ने
विषयहरुमा अभिभावकको खास व्यवस्थापकीय भमि ू का दे खिदै न । अभिभावकको भमि ू का विव्यस गठन
गर्नु मात्र रहे को छ भनी अभिभावकहरुले आफ्ना विचार प्रस्तत
ु गरे ।
सहभागी उत्तरदाताहरुका भनाईका आधारमा विश्लेषण गर्दा नीति निर्माण र सप
ु रिवेक्षण के कसरी गर्ने
भन्ने विषयहरुमा अभिभावकको खास व्यवस्थापकीय भमि
ू का नरहे को, अभिभावकलाई यस विषयमा कुनै
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जानकारी नगराउने तथ्य दे खिन्छ । कहिलेकाही बोलाउने बैठकमा पनि अभिभावकको विचारको सन ु बाई
नभएर राजनीतिक व्यक्ति र गैर अभिभावकहरुका निर्णय नै बढी हावी हुने गरिएको दे खिन्छ । नीति
निर्माण र विद्यालय सप ु रिवेक्षणका लागि विव्यस गठन भएको हुन्छ भन्ने धारणा रहे कोले अभिभावक
सहभागितामा कमी आएको दे खिन्छ । महत्वपर्ण ू विषयहरुको बैठकमा अभिभावक उपस्थित भएर सक्रिय
भमि
ू का निर्वाह गरे को दे खिदै न ।
एकातिर स्थानीयस्तरमा संचालित विद्यालयहरुको रे खदे ख संचालन र व्यवस्थापनमा अभिभावकको
नैतिक जिम्मेवारी छँ दैछ, अर्कोतर्फ काननु ी जिम्मेवारी पनि राज्यले थप ब्यवस्था गरे को छ । यस
हिसावले विद्यालयमा अभिभावकको नैतिक र कानन ु ी जिम्मेवारी दब ु ै छ । यस्तो जिम्मेवारीले
अभिभावकको अधिकार तथा भावनाको कदरसम्मान भएको छ । यसले आरोग्य सिद्धान्तअनस ु ार सफा
पानीले जस्तै आरोग्यताको मात्र काम गरे को छ । यस मानेमा आरोग्य सिद्धान्त उपयक् ु त दे खिन्छ तर
यस अध्ययनमा उत्प्रेरक तत्वको सिद्धान्तलाई मात्र महत्व दिइएको हुंदा कुनै पनि संस्थाको विकासको
लागि संस्थामा आबद्ध ब्यक्तिहरुमा उत्प्रेरणा जगाउनप ु र्छ भन्ने मान्यता यस सिद्धान्तको रहे कोले
वर्तमान नीतिगत ब्यवस्थाले मात्र सकारात्मक सन्तष्टि
ु दिन सकेको छै न ।
यस सिद्धान्तमा संस्थामा काम गर्ने व्यक्तिहरुलाई मात्र लिएको छ । संस्थामा काम गर्ने व्यक्तिलाई
उत्प्रेरित गर्ने सहयोगी व्यक्तिहरुलाई पनि उत्प्रेरित गराउनु पर्छ भन्ने मान्यता रहे को पाइदै न भने
अर्काेतर्फ उत्प्रेरक तत्वमा के के कुराहरुले प्रभाव पार्दछन ् भन्ने कुरा उल्लेख गरिएको छै न । अभिभावकलाई
विद्यालय व्यवस्थापनमा सहभागी हुन उत्प्रेरित गराउन सकिएको छै न । सबै अभिभावकहरुलाई
उत्साहित बनाई स्वःस्फूर्तरुपमा विद्यालय व्यवस्थापनमा सहभागी गर्न गराउन व्यवस्थापन पक्षधरहरुले
नसकिएको अर्थात उत्प्रेरित हुने वातावरण सज ृ ना गरिएको पाइएन । तसर्थ हर्जबर्गका उत्प्रेरक तत्वको
सिद्धान्तसंग यो शीर्षकमा प्राप्त तथ्यहरुको बिश्लेषणको निचोड मेल खान सकेन ।
यस शीर्षकको प्राप्तिहरुमा विद्यार्थी भर्ना, पठनपाठन तथा मल्
ू यांकन ब्यवस्था, शैक्षिक सामग्रीको
व्यवस्था, शैक्षिक योजनाको व्यवस्थापनमा अभिभावकले जिम्मेवारी पर्व
ू क ध्यान दिन नसकेको पाइयो ।
विद्यालयको शैक्षिक व्यवस्थापनमा मात्र है न, आर्थिक भौतिक तथा जनसहयोगको व्यवस्थापनमा पनि
ध्यान दिन नसकेको र विद्यालयलाई कुनै सहयोग र जनश्रमदान उपलब्ध गराउने काम अभिभावकको
तर्फ बाट नभएको पाइयो । माध्यमिक तहमा उठाउने शिक्षण शल् ु क र छात्रबत्ति
ृ को रकम सम्बन्धमा
पटकपटक चासो ब्यक्त गर्ने गरे को पाइयो । विद्यालयको आर्थिक व्यवस्थापनमा पढे लेखेका सचेत
अभिभावकले चासो र निगरानी गर्ने गरे को दे खियो । तर भौतिक सम्पत्तीको संरक्षण र संबद्र्धन कार्यमा
सबैखाले अभिभावक निश्क्रिय भएको पाइयो ।
यसैगरी विद्यालयको रे खदे ख, संचालन र व्यवस्थापन गर्ने काम विद्यालय व्यवस्थापन समितिको हो
भन्ने सोच अभिभावकहरुमा रहे को पाइयो । कहिलेकाही मात्र संचालन हुने अतिरिक्त क्रियाकलापमा पनि
अभिभावकको खासै सहभागिता नभएको पाइयो । विद्यालयले खासै महत्व नदिएकाले अभिभावक दिवस
मनाउने चलन हराउदै गएको पाइयो । विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन राजनीतिकढं गले हुने
भएकोले अभिभावकहरु अभिभावक भेलामा उत्शाही भएर सहभागी हुन नसकेको तथ्य पनि प्राप्त भयो ।
सामाजिक परीक्षण, नीति निर्माण र विद्यालय सप ु रिवेक्षणमा पनि अभिभावक सहभागिता सबल रहकोे
पाइएन । अभिभावकको विद्यालय व्यवस्थापनसम्बन्धी असक्षमताको कारण र अभिभावकसंग यी
विषयहरुमा छलफल र अन्तरक्रिया नगरे कोले यस्तो समस्या आएको भन्ने तथ्य पाइयो ।
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४.२विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले ल्याएका परिवर्तनहरु


सामद
ु यिक विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बिषयमा गरिएको यस अध्ययनमा
अभिभावक सहभागिताले विद्यालय व्यवस्थापनको कुन–कुन पक्षमा परिवर्तन ल्याएको छ भनी अध्ययन
गरिएको थियो । उत्तरदाताहरुबाट प्राप्त सच
ू ना तथ्यांकहरुलाई विभिन्न उपशीर्षकहरुमा बाँडरे क्रमशः
अलगअलग गरी तल प्रस्तत ु गरिएको छ ः

४.२.१ विद्यालयको शैक्षिकस्तरमा सध


ु ार
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले शैक्षिकस्तर सध ु ारमा उपलब्धिमल ू क परिवर्तन
ल्याउन सहयोग पर्या ु उछ । संख्यामा थोरै भएपनि आफ्नो विद्यालयमा अभिभावकबाट पठनपाठनको
अवलोकन गर्ने, मल् ू यांकन नतिजा बभु ने, शिक्षक तथा विद्यार्थीको नियमित उपस्थिति बारे सोध्ने कार्य
बेला बखत हुने भएकाले विद्यालयमा पढाइ लेखाइ नियमित संचालन हुदै आइरहे को छ । शिक्षक तथा
विद्यार्थी पनि नियमित उपस्थिति हुन्छन ् भनी जनज्योती निमाविका प्रअको उत्तर रह्यो ।
विद्यार्थी भर्ना गर्न अभिभावक आफै आउने गरे को, विद्यार्थी भर्ना संख्या बढे को, विद्यालय छाड्ने दर
घटे को, टिकाउ दर बढे को छ । यीे सबै उपलब्धिहरु अभिभावककै सहभागिताको उपज हो । शिक्षित
अभिभावकहरुले त आफ्ना बालबच्चाको पढाइ लेखाइ के कस्तो छ भनी घरमा पनि जांच्ने, बभ ु ने र
ट्यशू नको व्यवस्था मिलाउनेजस्ता उपयक् ु त शैक्षिक वातावरण श्रज
ृ ना गर्ने हुंदा विद्यालयको शैक्षिक
उपलब्धि राम्रो रहे को सोही विद्यालयका शिक्षकले बताए ।
यी तथ्यहरुका आधारमा विश्ले गर्दा विद्यालयको शैक्षिकस्तर बढाउनमा अभिभावक सहभागिताले ठूलो
भमि ू का खेल्ने दे खिन्छ । अभिभावकहरुले विद्यालयमा आएर आफ्ना बालबच्चाको पढाइ लेखाइको स्तर
बभ ु ने, शिक्षक तथा विद्यार्थीको नियमित उपस्थित छ छै न सोध्ने र घरमा पनि पढाइ लेखाइको उपयक्त
वातावरण मिलाइ दिने कार्यमा अभिभावकले ध्यान दिएको हुंदा विद्यालयको शैक्षिक उपलब्धि राम्रो रहे को
दे खिन्छ ।
अभिभावक सहभागिताले विद्यार्थी भर्ना संख्या बढे को, विद्यालय छाड्ने दर घटे को र टिकाउ दर बढे को
समेत दे खिन्छ ।

४.२.२ विद्यालयको आर्थिक सक्षमतामा बद्


ृ धि
आर्थिकरुपमा विद्यालय सक्षम भएमा विद्यालयको शैक्षिकस्तर बढाउन सकिन्छ । नीजिश्रोतमा थप
शिक्षकको व्यवस्था गनर्, शैक्षिक सामाग्रि व्यवस्था गर्न, कक्षाकोठा थप्न शिक्षकलाई तालिमको व्यवस्था
गर्न र अन्य कार्यहरु गर्न विद्यालयको आर्थिक स्थिति सबल हुनप ु र्छ । विद्यालयलाई आर्थिकरुपले सक्षम
बनाउन अभिभावक सहभागिताले सहयोग पर्या ु उछ ।
विद्यालयलाई आर्थिक सहयोग तथा चन्दा दिने, विद्यालयको आर्थिक श्रोतको खोजी गरी उपलब्ध
सहयोग रकमको परिचालन तथा व्यवस्थापन अभिभावकहरुले गर्न सकेमा विद्यालयको आर्थिक
स्थितिमा सध
ु ारात्मक परिवर्तन ल्याउन सकिन्छ ।
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विद्यार्थी भर्ना शल्


ु क, शिक्षण शल्ु क,परीक्षा, शल्
ु क र स्थानान्तरण शल्
ु क विद्यालयको प्रमख
ु श्रोत रहे कोले
अभिभावकले यस्ता शल् ु कहरु ब ्ुाझाइ सहयोग गरिरहे का छन ् । यसबाट विद्यालयको आर्थिकरुपमा केही
टे वा पग
ु ेको छ । भने शैक्षिक विकासमा ठूलो राहतको काम गरे कोछ । तर यी बाहे क विद्यालयलाई अन्य
आर्थिक सहयोग तथा चन्दा दिने र विद्यालयको आर्थिक श्रोतको खोजी गर्ने कार्यमा सहयोग भएको छै न ।
यसैले आर्थिक समस्या भोग्नु परे कोभन्ने कुरा डिम जनता उमाविका प्रअले बताए ।
अर्का एक विद्यालयका शिक्षकका भनाई अनस ु ार पढे खेका र विद्यालयको शैक्षिक व्यवस्थपनमा चासो
राख्ने केही अभिभावकले भने विद्यालयमा प्राप्त हुने आन्तरिक श्रोतका आम्दानी विद्यालयमा सरकारले
पठाउने विभिन्न शीर्षकको रकमको हरहिसाब सम्बन्धमा खोजीनिति गर्ने गरे कोले विद्यालयको आर्थिक
व्यवस्थापन चस् ु त राख्ने प्रयास गरे को छ ।
उत्तरदाताहरुले भनाइका आधारमा विश्लेषण गर्दा नीजिश्रोतमा थप शिक्षकको व्यवस्था गनर्, शैक्षिक
सामाग्रि व्यवस्था गर्न, कक्षाकोठा थप्न शिक्षकलाई तालिमको व्यवस्था गर्न र अन्य कार्यहरु गर्न
विद्यालयको आर्थिक स्थिति सबल हुनप ु र्छ । विद्यालयलाई आर्थिकरुपले सबल र सक्षम बनाउन
अभिभावक सहभागिताले सहयोग पर्या ु उन सक्ने दे खिन्छ । विद्यार्थी भर्ना शल्
ु क, शिक्षण शल्
ु क,परीक्षा,
शल्
ु क र स्थानान्तरण शल्ु क बझु ाइ अभिभावकले सहयोग गरे कोले विद्यालयको आर्थिक सक्षमतामा केही
हदसम्म टे वा दिएको दे खिन्छ । तर यी बाहे क विद्यालयलाई अन्य आर्थिक सहयोग तथा चन्दा दिने र
विद्यालयको आर्थिक श्रोतको खोजी गर्ने कार्यमा सहयोग नभएकोले विद्यालयले आर्थिक समस्या
भोगिरहे को दे खिन्छ ।

४.२.३ भौतिक अवस्थाको सध


ु ारमा
जबसम्म विद्यालयको भौतिक अवस्था विद्यार्थाीको सिकाइ अनकु ु ल हुदैन तबसम्म शैक्षिक सध
ु ार हुन
सक्दै न । यसका लागि विद्यालयको भौतिक व्यवस्थापनमा अभिभावकको सलग्नता अनिवार्य मानिन्छ ।
विद्यालयको भौतिक निर्माणका लागि अभिभावकहर संलग्न रहे को निर्माण समिति र रे खदे ख समिति
बनेको छ । निर्माण सामाग्रि खिरिद गर्ने अनग
ु मन तथा निरीक्षण गर्ने कार्य समितिमार्फ त हुने भएकोले
निर्माण कार्य सस्तोमा छिटोे मजबत
ु भएकोे छ । डिम जनता उमाविका विव्यसका अध्यक्षले बताए ।
अर्का सहभागीका अनस ु ार खानेपानी उपलब्ध गराउन अभिभावकले सहयोग गरे कोले यसको अहिले कुनै
समस्या छै न । भौतिक वस्तक
ु ो संरक्षण र सम्बर्धनमा पनि अभिभावकले सहयोग पर्या
ु एकोले विद्यालयको
भौतिक अवस्थामा सन्तोषजनक सध ु ार आएकोछ ।
यी तथ्यहरुका अनस ु ार विद्यार्थाीको सिकाइलाई अनक ु ु ल बनाउन विद्यालयको भौतिक अवस्थामा सध ु ार
गर्नुपर्ने र विद्यालयको भौतिक अवस्थामा सध ु ार ल्याउन अभिभावकको सलग्नता अनिवार्य हुने दे खिन्छ
। विद्यालयको भौतिक निर्माणका लागि अभिभावकहरु संलग्न रहे को निर्माण समिति र रे खदे ख समितिले
निर्माण सामाग्रि खरिद गर्ने अनग ु मन तथा निरीक्षण गर्ने भएकोले निर्माण कार्य सस्तोमा छिटोे मजबतु
भएकोे दे खिन्छ । भौतिक वस्तक ु ो संरक्षण र सम्बर्धनमा पनि अभिभावकले सहयोग पर्या ु एकोले
विद्यालयको भौतिक अवस्थामा सन्तोषजनक सध ु ार आएको दे खिन्छ ।

४.२.४ नीति निर्माण र विद्यालय सश


ु ासन
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विद्यालय समद ु ायको सम्पति हो । अभिभावक समद ु ायको पहिलो सदस्य भएकोले विद्यालयको शैक्षिक
सध ु ारसम्बन्धमा नीति निर्माण र त्यस्ता नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा अभिभावक अग्रसर
हुनप ु र्छ । अभिभावक अग्रसर भएमा शैक्षिक सध ु ार सम्बन्धी नीति निर्माण तहमा अभिभावकको पहुंच
हुन्छ ।
हाम्रा विद्यालयहरुमा नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा अभिभावकहरुको संलग्नतालाई बेवास्ता
गरिन्छ । नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा विद्यालय व्यवस्थापन र राजनीतिक दलका
व्यक्तिहरु नै अगाडि हुन्छन ् यसले गर्दा विद्यालयमा गरिर्यने हरे क निर्णयहरु अभिभावक र विद्यार्थीमख
ु ी
हुदैनन ् । तर भनाई प्रति जनज्योती निमाविका प्रअले असहमत प्रकट गरे । उनका अनस ु ार विद्यालयको
शैक्षिक सध ु ारका लागि योजना कार्यक्रम सम्बन्धी निर्णय लिन अभिभावक बेठक राखिन्छ । यसमा
अभिभावककै सझ ु ावलाई सबैले मान्छन ् । अभिभावकहरुकै संलग्नतामा विषयगत समिति बनेको छ ।
विद्यालय सधु ारका धेरै जसो विषयहरुमा निर्णय लिनप ु र्दा अभिभावक भेला बोलाइन्छ । निर्णय प्रक्रियामा
उनीहरुनै अग्रसर हुन्छन ् । उनीहरुले विद्यालय संचालन तथा व्यवस्थापनका विषयमा नीति निर्धारण
गर्छन । कसैले हस्तक्षपे गर्न पाउदै न । यसले गर्दा विद्यालय निश्चित नियम र पक्रियामा चलेको छ ।
अभिभावक सहभागिताले नीति निर्माणमा विधीको शासन रहे कोले विद्यालयमा शस ु ाशन कायम भएको
अनभ ु व भएको धारणा एक विव्यसका अध्यक्षले सन ु ाए ।
उपरोक्त तथ्यहरुका आधारमा विश्लेषण गर्दा विद्यालयको शैक्षिक सध ु ार सम्बन्धमा नीति निर्माण र
त्यस्ता नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा अभिभावक अग्रसर हुनप ु र्छ । अभिभावक अग्रसर भएमा
शैक्षिक सध ु ार सम्बन्धी सही नीति निर्माण हुने दे खिन्छ । नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा
अभिभावकहरुको संलग्नतालाई बेवास्ता गरिन्छ । नीतिगत विषयहरुमा निर्णय लिने कुरामा
अभिभावकहरु नै अगाडि हुन्छन ् यसले गर्दा विद्यालयमा गरिने हरे क नीति नियमहरु अभिभावक र
विद्यार्थीमखु ी भएको दे खिन्छ । उनीहरुले विद्यालय संचालन तथा व्यवस्थापनका विषयमा नीति
निर्धारण गर्छन । यसले गर्दा विद्यालय निश्चित नियम र पक्रियामा चलेको हुंदा विद्यालयमा शस ु ाशन
कायम भएको दे खिन्छ ।

४.२.५ दलीय राजनीतिक प्रभावमा परिवर्तन


विद्यालय व्यवस्थापनमा दलीय राजनीाितक प्रभावले विद्यालयको शैक्षिकस्तर सन्तोषजनक हुदैन ।
यस विसंगतिलाई हटाउन अभिभावक सहभागिताको खांचो पर्छ । अभिभावक आफै सक्रिय भएर
विव्यसको गठन अवसरमा भाग लिनेहो भने अवश्य परिवर्तन आउन सक्छ । यसले राजनीतिक
सहमतीबाट दलीय भागबण्डाका आधारमा गठन हुने परिपाटी हटे र जान्छ भन्ने धारणा श्रोतव्यक्तिले
बताए । अभिभावकले विद्यालय व्यवस्थापनमा राजनीतिक गतिविधि हुन नदिन विद्यालय व्यवस्थापन
समिति र प्रअलाई सचेत गराउने गरे को एक प्रअले बताए । यस अनस ु ार अभिभावक सहभागिताले
विद्यालय व्यवस्थापनमा दलीय राजनीतिक प्रभावको अन्त गर्न सहयोग पगु ेको दे खिन्छ ।
उत्प्रेरक सिद्धान्तअनसु ार कुनै कार्य गराउन व्यक्तिलाई उत्प्रेरक तत्वको व्यवस्थापन पनि संगसंगै गर्दै
लैजानप ु र्छ । यसले सकारात्मक परिणाम दिन्छ । उसलाई उत्तरदायित्वको बोध गराई आफ्नो कार्यप्रति
सकारात्मक सन्तष्टि ु दिन सकेमा मात्र आफ्नो कार्यमा दत्तचित्त भै लाग्न सक्छ । विद्यालय
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व्यवस्थापनमा अभिभावकलाई सहभागी हुने अवसर बढाउदै जानु पर्छ । यस्को प्रभावले विद्यालय
व्यवस्थापनको शैक्षिक आर्थिक भौतिक क्षेत्रमा सकारात्मक परिवर्तन आई शैक्षिक गुणस्तर बद् ृ धि हुन
जान्छ । यसको लागि शिक्षक, प्रधानाध्यापक विद्यालय व्यवस्थापन समितिले अभिभावकलाई,
अभिभावकले शिक्षकलाई उत्प्रेरित गर्दै जानप ु र्छ । उत्प्रेरक सिद्धान्तले ब्यक्तिलाई उपयक्
ु त कार्यको लागि
अवसर र उपयक्ु त वातावरण प्रदान गर्नुपर्ने मान्यता रहे को छ ।
यस अनस ु ार विद्यालय व्यवस्थापनको अभिभावक सहभागिताको लागि उपयक् ु त अवसर र कार्य
वातावरण थोरै भएपनि प्रदान गरे को दे खियो । यसकै प्रभावले अभिभावकहरुले विद्यालयको शैक्षिक,
आर्थिक, भौतिक व्यवस्थापनमा प¥ु याएको सहयोगले शैक्षिकस्तर आर्थिक सक्षमता भौतिक सध
ु ार नीति
निर्माण र विद्यालय शस ु ाशन क्षेत्रमा सकारात्मक परिवर्तन ल्याउन सफल भएको तथ्यहरुको
विश्लेषणबाट पष्टि
ु भएको छ ।
विद्यालयमा आएर आफ्ना बालबच्चाको पढाइ लेखाइको स्तर बझ् ु ने, शिक्षक तथा विद्यार्थीको नियमित
उपस्थित छ छै न सोध्ने र घरमा पनि पढाइ लेखाइको उपयक्त वातावरण मिलाइ दिने कार्यमा
अभिभावकले ध्यान दिएको हुंदा विद्यालयको शैक्षिक उपलब्धि राम्रो रहे को पाइयो ।
विद्यार्थी भर्ना शल्
ु क, शिक्षण शल्
ु क,परीक्षा, शल्
ु क र स्थानान्तरण शल्
ु क ब ्ुाझाइ अभिभावकले सहयोग
गरे कोले विद्यालयको आर्थिक सक्षमतामा केही हदसम्म टे वा दिएको पाइयो । तर यी बाहे क विद्यालयलाई
अन्य आर्थिक सहयोग तथा चन्दा दिने र विद्यालयको आर्थिक श्रोतको खोजी गर्ने कार्यमा सहयोग
नभएकोले विद्यालयले आर्थिक समस्या भोगिरहे को दे खिन्छ ।
विद्यालयको भौतिक निर्माणका लागि अभिभावक संलग्न रहे को निर्माण समिति र रे खदे ख समिति
समितिमार्फ त हुने भएकोले निर्माण कार्य सस्तोमा छिटोे मजबतु भएको र भौतिक वस्तकु ो संरक्षण र
सम्बर्धनमा पनि अभिभावकले सहयोग पर्या ु एकोले विद्यालयको भौतिक अवस्थामा सन्तोषजनक सध ु ार
आएको पाइयो ।
अभिभावक सहभागिताले विद्यालय संचालन तथा व्यवस्थापनका विषयमा नीति निर्धारण गर्ने क्षमताको
विकास भएको पाइयो । यसले गर्दा विद्यालय निश्चित नियम र पक्रियामा चलेकोले विद्यालयमा
सशु ासन कायम भएको पाइयो ।
यसरी विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताले विद्यालय व्यवस्थापनको विभिन्न क्षेत्रमा
सकारात्मक परिवर्तन ल्याएको पाइयो ।

४.३ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरु


अध्ययनको क्रममा विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरुका सम्बन्धमा
उत्तरदाताहरुबाट प्राप्त भएको तथ्यहरुको आधारमा निम्न समस्याहरुलाई विभिन्न उपशीर्षकहरुमा
विभाजन गरी ब्याख्या विश्लेषण गरिएको छ ः

४.३.१ दलीय राजनीतिक प्रभाव


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धेरै जसो विद्यालयहरुमा अभिभावक संघ र व्यवस्थापन समितिको गठन दलिय भागवण्डाका आधारमा
गठन गर्ने चलन बढ्दै गएको र राजनितिक खिंचातानी हुंदा अभिभावक निरास भई चासो र सक्रियता
दें खाउन छोडेकाले अभिभावक भेलामा थोरै संख्यामा अभिभावकहरु भेला हुने गरे कोे भनाई अधिकांश
उत्तरदाताहरुको थियो । डिम जनता उमावि परवानीपरु मा अध्यक्ष पदको लागि राजनीतिक सहमतीको
नाममा अभिभावक भेला पटकपटक स्थगित गर्नु परे को प्रधानाध्यापकले बताए । राजनितिक खिंचातानी
हुने र अभिभावक प्रतिनिधित्व कमै संख्यामा हुने भएकोले अभिभावकहरुले विद्यालय व्यवस्थापनमा
चासो र सक्रियता दे खाउन छोडेका हुन भन्ने भनाई अभिभावकहरुको थियो । अभिभावकहरु पनि
राजनितिक आस्थाका आधारमा विभाजित हुने राजनीतिक निर्णयलाई मौन समर्थन गर्ने संस्कार बढे को
धारणा शिक्षकहरुले व्यक्त गरे ।
प्राप्त तथ्यहरुलाई विश्लेषण गर्दा ब्यवस्थापकीय भमिू काले महत्वपर्ण
ू मानिएको विद्यालय व्यवस्थापन
समितिको गठनमा दलीय राजनितिक खिंचातानी र अभिभावकको प्रतिनिधित्व कम संख्यामा हुने
भएकोले यसको गठनमा सहभागी भएर भमि ू का प्रकट गर्न नसकेको दे खिन्छ । अभिभावकहरु समेत
राजनीतिक आस्थाका आधारमा विभाजित हुने र विद्यालय व्यवस्थापनमा राजनीतिक प्रभाव बढे कोले
अभिभावकहरुले विद्यालय व्यवस्थापनमा चासो र सक्रियता दे खाउन छाडेका दे खिन्छ । विद्यालय
व्यवस्थापन समितिकोे गठनका लागि हुने अभिभावक भेलामा अभिभावकको कम उपस्थिीतिले भेला
पटकपटक स्थगित गर्नुपरे को अवस्था पनि दे खिन्छ ।

४.३.२ अनग
ु मन तथा नियमनकारी निकायको निश्क्रियता
कुनै पनि नियम कानन ु को कार्यान्वयनका लागि जिम्मेवार निकायहरुले प्रभावकारीढं गले अनग ु मन
गर्नुपर्दछ । तर विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठनमा राजनीतिक हस्तक्षेप हुंदा विरोधस्वरुप जिल्ला
शिक्षा कार्यालयमा उजरु ी हुँदापनि स्थानीयस्तरमा सहमती गरी गठन गर्नु भन्ने जिल्ला शिक्षा अधिकारीले
गैरजिम्मेवार जवाफ दिएको अभिभावकहरुले बताए । कार्यान्वयन तहका जिम्मेवार व्यक्ति÷निकायहरुनै
गैरजिम्मेवार भैदिद ं ा अभिभावकहरुले विद्यालय व्यवस्थापनमा सक्रिय सहभागिता प्रकट गर्न नसकेको
भन्ने उत्तरदाताहरुको जवाफका आधारमा बिश्लेषण गर्दा शिक्षा ऐन नियमअनस ु ार विद्यालय व्यवस्थापन
समिति र शिक्षक अभिभावक संघ गठन गर्नुपर्ने ब्यवस्था भएपनि कार्यान्वयन तहका जिम्मेवार
निकायहरुको निश्क्रियताले उपरोक्त व्यवस्थाहरु कार्यान्वयन नभएकाले अभिभावकको सहभागितामा
असर पग ु ेको दे खिन्छ ।

४.३.३ अभिभावकको कमजोर आर्थिक अवस्था र चेतनास्तर


सामदु ायिक विद्यालयमा पढ्ने विद्यार्थीको अभिभावकको आर्थिक र शैक्षिक अवस्था कमजोर रहे कोले
आफ्ना बालबच्चाको पढाइको स्तर केकस्तो छ विद्यालयमा के कस्तो गतिविधि भैरहे को छ विद्यालय
व्यवस्थापनमा आफ्नो भमिू का के कति हो जस्ता कुराहरुमा अनभिज्ञ रहे को शिक्षकहरुले बताए ।
विद्यालयमा आएर समस्या राख्ने र अन्र्तक्रिया गर्न सक्ने अभिभावकहरु थोरै संख्यामा रहे को,
39

अभिभावकहरुले आफ्ना समय र ध्यान घरधन्दा, रोजीरोटीको समस्यामा दिनु परे कोले बालबच्चाको
पढाइलेखाइ र विद्यालय व्यवस्थापनको अन्य पक्षहरुमा चासो कम हुन गएकोे धारणा उत्तरदाताहरुको
थियो ।
उत्तरदाताहरुका भनाईको बिश्लेषण गर्दा सामद
ु ायिक विद्यालयका अभिभावकहरु सामाजिक, आर्थिक तथा
शैक्षिक दृष्टिले कमजोर रहे कोले उनीहरुमा अन्तरक्रिया गनर्,े छलफलमा भाग लिन,े संवाद गर्ने र
प्रभावकारी संचार गर्ने क्षमता कम भएकोले विद्यालयमा गै सप ु रिवेक्षण गर्ने, आफ्ना समस्या दर्शाउने,
गल्ती औंल्याउने, सचेत बनाउने कार्यमा हिच्किचाउने, धक मान्ने गरिएको दे खिन्छ । यही कमीकमजोरी
नै अभिभावक सहभागिताको ठूलो समस्याको रुपमा रहे को दे खिन्छ ।

४.३.४ सरकारको शैक्षिक नीति र कमजोर व्यवस्थापन


सरकारले प्राथमिक तहमा ंिवद्यार्थी मल् ू याकंन प्रक्रियामा उदार कक्षोन्नतिको नीति तथा कक्षा दशको
टे स्ट परीक्षा दिनु नपर्ने व्यवस्था लागू गरे को हुँदा कमजोर पढाइ भएका विद्यार्थीलाई पनि कक्षा अपग्रेड
गर्नु परे को र यसले गर्दा आफ्ना बालबच्चा पढे पनि नपढे पनि विद्यालय गएपनि नगएपनि पास भैहाल्छ
भन्ने मनस्थितिले भन्ने बिचार शिक्षक र प्रधानाध्यापकहरुको थियो ।
विद्यालयको शैक्षिक विकास अभिभावकको सक्रिय सहभागिताविना संभव छै न भन्ने कुरालाई ध्यानमा
राखी अभिभावकलाई संम्झाउने, बझ ु ाउने, जागरुकताको विकास गर्ने, सहयोगका लागि उत्प्रेरित गर्ने काम
शिक्षक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति, प्रधानाध्यापक र गाँउका सचेत अभिभावकले गर्न नसकेकोले
यस्तो समस्याहरु आएको भन्ने धारणा विद्यालय निरीक्षकको रह््रयो । शिक्षा निःशल् ु क भएकोले
अभिभावकले कुनै खर्च व्यहोर्नु नपर्ने भएकोले आफ्नो भमि
ू का विद्यालय व्यवस्थापनमा नहुने एक
अभिभावकले सन ु ाए ।
उत्तरदाताहरुले व्यक्त गरे का धारणाका आधारमा बिश्लेषण गर्दा कक्षा दशको टे स्ट परीक्षा दिनु नपर्ने
व्यवस्था र उदार कक्षोन्नतिजस्ता लचिलो सरकारी नीति, स्कूल नगएपनि पास भइहाल्छ धारणा,
निःशल्ु क शिक्षा, अभिभावकले कुनै खर्च व्यहोर्नु नपर्ने शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक सहयोगका लागि उत्प्रेरित
तथा उत्साहित गर्ने गराउने तत्परता शिक्षक, विद्यालय व्यवस्थापन समिति, प्रधाानाध्यापक र सचेत
अभिभावकले समेत दे खाउन नसकेकोले पढाइलेखाइको बारे मा चासो राख्ने, छलफलमा सक्रियता दे खाउने
कार्य नगरिएको जस्ता समस्याहरु अभिभावक सहभागितामा आएको दे खिन्छ ।

४.३.५ शिक्षक अभिभावकबीच कमजोर सम्बन्ध


अधिकांस सरकारी शिक्षकहरु आफ्ना पेशाप्रति जिम्मेवारी नबनेको र अभिभावकहरुले पनि आफ्ना
बालवच्चालाई विद्यालयमा पढ्न पठाउनु मात्र आफ्ना जिम्मेवारी ठान्ने प्रबति
ृ रहे कोले यी दव
ु ै पक्षबीच
सकारात्मक सम्बन्ध हुन नसकेकोले विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागितामा समस्या परे को
तथ्य शिक्षकहरुको धारणा थियो । नियममा शिक्षक अभिभावक संघको गठन गरी शिक्षक र अभिभावक
सम्बन्ध बढाउने नीतिगत ब्यवस्था गरिएपनि धेरै विद्यालयहरुमा यस्को गठनमा कसैले सक्रियता
नदे खाएकोे सहभागी उत्तरदाताहरुको रह्यो ।
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यी तथ्यहरुका आधारमा विश्लेषण गर्दा आफ्नो जिम्मेवारीबाट पन्छिने प्रवति


ृ र अभिभावक संघको गठन
नहुंदा शिक्षक अभिभावक सम्बन्ध कमजोर भएको दे खिन्छ । यसको असर अभिभावक सहभागितामा
परे को दे खिन्छ ।

४.३.६ उत्प्रेरणामल
ू क नीति र कार्यक्रमको प्रयोग
विद्यालय व्यवस्थापनको विभिन्न गतिविधिमा सहभागिता प्रकट गराउने नीतिगत व्यवस्थाकोअभावले
विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गरे पछि आफ्नाव्यवस्थापकीय भमि ू का सकियो भन्ने
अभिभावकहरु धेरै छन ् । वास्तवमा विद्यमान नीति नियम पनि त्यस्तै छ । विद्यालय अनग ु मन गर्ने र
शिक्षक, प्रधानाध्यापक र विद्यालय व्यवस्थापन समितिलाई सचेत पार्ने जिम्मेवारीको भमि ू का निर्वाह
गर्न पाउने व्यवस्था नभएको, व्यवस्थापन क्षमता तालिम, भ्रमण र प्रोत्साहनको व्यवस्था नभएको
कारणले अभिभावकहरुले उत्साहित भएर सहभागिता दे खाउन नसकेको हो भन्ने विचार उत्तरदाताहरुको
थियो । विद्यालय व्यवस्थापनका विभिन्न पक्षहरुलाई व्यवस्थित पार्ने कार्यमा योगदान पर्या ु उने र
विद्यालयमा उत्कृष्ट कार्य गर्ने बालबच्चाका अभिभावकलाई सम्मान, प्रशंसा र प्रोत्शाहनको व्यवस्था
नभएकोले अभिभावकले सक्रिय सहभागिता प्रकट नगरे का हुन ् भन्ने धारणा व्यक्त गरे ।
उत्तरदाताहरुको धारणाका आधारमा बिश्लेषण गर्दा व्यवस्थापकीय भमि ू का, र व्यवस्थापन क्षमता तालिम,
भ्रमण र प्रोत्साहन व्यवस्थाको अभावलाई पनि अभिभावक सहभाागिताको समस्याको रुपमा लिइन्छ ।
विद्यालय व्यवस्थापनका लागि अनग ु मन गर्ने, सचेत पार्नेजस्ता व्यवस्थापकीय भमिू का नभएकोले र
विद्यालय व्यवस्थापनको शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक पक्षहरुमा सहयोग गर्ने अभिभावकलाई कदर सम्मान
गर्ने नीतिगत व्यवस्था नभएकोले उत्साहित भएर सहभागी भएको दे खिदै न ।
मानिसलाई जति बढी उत्प्रेरक तत्व दियो, त्यति नै राम्ररी कार्य सम्पादन गर्दछ । उत्प्रेरक तत्व दिने
प्रक्रियामा व्यवस्थापनले शरु ु मा आरोग्य तत्वको पर्ति ू गर्नुपर्छ । यस्ले व्यक्तिलाई सकारात्मक
सन्तष्टि
ु तिर लैजाने काम गर्दछ भन्ने तथ्य उत्प्रेरक आरोग्य तत्वको सिद्धान्तले बताउँ छ । सामद ु ायिक
विद्यालय विकासमा अभिभावक सहभागिताको भमि ू कालाई स्वीकार गरे र विद्यालय व्यवस्थापन रे खदे ख
र संचालन अभिभावककै नेतत्ृ वमा सम् ु पने नीतिगत व्यवस्था कार्यान्वयन गरी आईरहे को छ तरपनि
चन ु ौतीपर्ण
ू कार्य, मान्यता उत्तरदायित्व, उन्नति, कार्य बद्
ृ धि अवसर र उपलब्धिजस्ता उत्प्रेरक तत्वहरु
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभाव रहे को दे खियो । जसले गर्दा सामद ु ायिक विद्यालयको शैक्षिक विकासमा
अभिभावक सहभागितामा असर प¥ ु याएको पाइयो ।
्प्राप्त तथ्यहरुको विश्लेषणका आधारमा अधिकांश विद्यालयमा विद्यालय व्यवस्थापन समिति दलीय
राजनीतिक आधारमा हुने गरे कोले राजनीतिक खिंचातानीका कारण अभिभावक निरास भई सक्रियता
दें खाउन छोडेकाले अभिभावक भेलामा थोरै संख्यामा अभिभावकहरु उपस्थित हुने गरे को पाइयो ।
अभिभावकहरुको आर्थिक र शैक्षिक अवस्था कमजोर हुने भएकोले बालबच्चाको पढाइ–लेखाइ भन्दापनि
जीविकोपार्जनका काममा बढि व्यस्त हुनु परे कोले ध्यान प¥ ु याउन नसकेको पाइयो । गरीव र पिछडिएका
छोराछोरी पढ्ने स्कूल, सरकारी पढाइ राम्रो नहुने जस्ता नकारात्मक सोंच सरकारी विद्यालयप्रति
हुने–खाने, पढे –लेखेका र सचेत व्यक्तिहरुले समेत राख्ने गरे को, विद्यालयले बोलाउने छलफलमा भाग
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लिने, संवाद गर्ने, समस्या राख्ने र कमीकमजोरी औंल्याई सचेत गर्न सक्ने क्षमता नभएकोले विद्यालयमा
चासो बढाई निगरानी राख्ने काम हुन नसकेको तथ्य पाइयो ।
अर्कोतर्फ शिक्षा निःशल्
ु क भएकोले आफुले केही दिनु नपर्ने, सम्पर्ण ू जिम्मेवारी सरकारको हो भन्ने
मानसिकता रहे को, लचिलो परीक्षा प्रणालीले गर्दा आफ्ना छोराछोरी जसरी पनि उतिर्ण भैहाल्छ भन्ने सोच
भएकोले छोराछोरीको पढाइमा ध्यान नदिएको पाइयो । व्यवस्थापन सम्बन्धमा चासो राख्ने, बालबच्चाको
पढाइ–लेखाइमा ध्यान दिने, शिक्षक तथा प्रधानाध्यापकलाई राय सझ ु ाव दिएर हौसला दिने अभिभावक
पनि भएको तर यस्ता अभिभावकलाई सम्मान गर्ने, प्रोत्साहित गर्ने र अभिभावक शिक्षाको पनि ब्यवस्था
नभएकोले अभिभावक सहभागिता प्रभावकारी हुन नसकेको पाइयो । यसतर्फ शिक्षा विभाग, जिल्ला शिक्षा
कार्यालय, व्यवस्थापन समिति, प्रधानाध्यापक, शिक्षकजस्ता जिम्मेवार व्यक्ति तथा निकायहरु सवै
जिम्मेवार नबनेको तथ्य पाइयो ।
यसरी जिम्मेवार निकाय तथा व्यक्तिको निस्क्रियता, फितलो नियम, कडा अनग
ु मनको अभावजस्ता
समस्याहरुले अभिभावक सहभागितामा असर प¥ ु याएको पाइयो ।

४.४ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागिता बढाउने उपायहरु


विद्यालय व्यवस्थापन आफैमा एउटा जटिल कार्य हो । यस अध्ययनमा राजनीतिक प्रभाव, अभिभावकको
कमजोर आर्थिक तथा शैक्षिक अवस्था र चेतनास्तर, सम्बन्धित निकायको निस्क्रियता जस्ता
समस्याहरुले अभिभावक सहभागितामा असर पारे को पाइयो । यस्ता समस्याहरु निराकरण गरी
अभिभावक सहभागिता बढाउने उपायहरुका सम्बन्धमा उत्तरदाताहरुले दिएका सझ
ु ावहरुलाई निम्नानस
ु ार
प्रस्तत
ु गरिएको छ ः

४.४.१ दलीय राजनीतिक प्रभावको अन्त्य


विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गर्दा राजनीतिक सहमतीको आधारमा होईन नियम कानन ु ले
तोकेको शर्त र प्रक्रियाअनस
ु ार आवश्यक योग्यता पग ु ेका व्यक्तिहरु रहने गरी अभिभावक भेलाबाट नै
व्यवस्थापन समितिको गठन गर्न पहल गर्नुपर्छ । प्रत्येक अभिभावकलाई अभिभावक परिचयपत्रको
व्यवस्था गरी यसै मध्येबाट अध्यक्ष र सदस्य छानिने व्यवस्था गर्नुपर्दछ । विद्यालय व्यवस्थापन
समिति र शिक्षक अभिभावक संघको गठन कानन ु ले तोकिएको शर्त र प्रक्रियाअनस
ु ार भए नभएको
अनग ु मन गर्ने र नियम विपरित भए गरे मा सम्बन्धित विद्यालयका प्रधानाध्यापक र श्रोत व्यक्ति तथा
विद्यालय निरीक्षक जिम्मेवार हुनप
ु र्ने व्यवस्था गर्नुपर्छ ।

४.४.२ अभिभावकको शैक्षिक चेतनास्तरको अभिबद्


ृ धि
अभिभावकका कमजोर आर्थिक तथा शैक्षिक चेतनास्तरलाई यस अध्ययनमा एउटा समस्याको रुपमा
हे रिएको छ । शैक्षिक चेतनास्तर कम भएका अभिभावकहरुबाट विद्यालय विकासमा सहभागिताको
अपेक्षा गर्नु निरर्थक हुन्छ । तसर्थ विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता जट ु ाउनभ ु न्दा पहिला
अभिभावक शिक्षा र प्रभावकारी सच ू ना संचारमार्फ त चेतना अभिबद्
ृ धि गरिनप
ु र्छ । शैक्षिक चेतनास्तर
बद्ृ धिसंगै जीविकोपार्जनका कार्यक्रमहरु पनि विद्यालयतहबाटै संचालन गरिनप ु र्छ । त्यसैगरी
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विद्यालयका जल्दाबल्दा समस्या र त्यसको सध ु ारको विषयमा नियमितरुपमा अभिभावकसमेत


समद ु ायका सरोकारवालाहरु भेला गराई अन्र्तक्रिया गराउनप ु र्दछ । अभिभावकहरुलाई विभिन्न जिम्मेवारी
दिएर विद्यालय घरदै लो भेटघाट संवाद गरे र सम्बन्ध विस्तार गरी उनीहरुको शैक्षिक चेतनास्तर
बढाउनप ु र्छ भन्ने धारणा अधिकांस उत्तरदाताहरुको रह्यो ।

४.४.३ अभिभावकको व्यवस्थापकीय भमि


ू कामा बद्
ृ धि
विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक अभिभावक संघको गठन गर्नुबाहे क अभिभावकको अन्य भमि ू का
र जिम ्ेमवारी शिक्षा ऐन तथा नियममा तोकेको छै न । त्यसैले समितिको गठन गरी सकेपछि आफ्नो
भमि
ू का सकिएको अभिभावकहरुले समेत ठान्दछन ् । व्यवस्थापन समितिले गरे को राम्रो–नराम्रो कामको
विरोध गर्नुबाहे क अन्य अधिकार अभिभावकलाई छै न ।
तसर्थ विद्यालय संचालन र व्यवस्थापनमा समितिबाहिर रहे का अभिभावकको पनि व्यवस्थापकीय
भमिू का बढाउन विद्यालय अनग ु मन गर्ने र शिक्षक तथा प्रधानाध्यापकलाई सचेत बनाउन,े निर्णय
प्रक्रियामा सहभागी हुनेजस्ता नीतिगत व्यवस्था गरिनप ु र्छ । शिक्षा ऐनमा विद्यालय व्यवस्थापन
समितिमा अध्यक्षसहित चारजना ब्यक्ति अभिभावकहरु मध्येबाट छनौट गर्नुपर्ने व्यवस्था सबै तहका
विद्यालयहरुमा सान्र्दभिक नभएकोले कक्षा संख्या र अभिभावक संख्याको आधारमा विद्यालय
व्यवस्थापन समिति सदस्य संख्या निर्धारण हुनपु र्ने उपायहरु सहभागीहरुद्वारा सझ
ु ाइएका थिए ।

४.४.४ अभिभावक परिचालनका नीति तथा कानन


ु को निर्माण
एकपटक विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन प्रक्रियामा सहभागी भै सकेपछि आफ्ना भमि ू का
सकिएको अनभ ु व हरे क अभिभावकले गर्नु स्वभाविक हो । विद्यालयका विभिन्न गतिविधिहरुमा
अभिभावकलाई सरिक गराई विद्यालयप्रतिको उत्तरदायित्व एवं भमि ू का बोध गराउन विद्यालय
व्यवस्थापनको विभिन्न क्षेत्रजस्तैः रे खदे ख, निर्माण, पस्
ु तकालय सहयोग, अनग ु मन, निरीक्षण समिति
तथा कार्यसमह ू बनाई त्यसमा अभिभावकहरुलाई संलग्न गराउनप ु र्ने काननु ी व्यवस्था गर्नुपर्दछ । यसरी
बनेको समितिले विद्यालय श्रोत र साधन परिचालन, निरीक्षण र मल् ू यांकन गर्ने पर्ण
ू जिम्मेवारी उपलब्ध
गराउनप ु र्दछ भन्ने सझ
ु ावहरु समेत पाइयो । यस कार्यले विद्यालयप्रति अभिभावकको स्वामित्व एवं
अपनत्वभावको विकासका साथै जिम्मेवारी तथा भमि ू का बढे को प्रत्यक्ष अनभ ु व भै विद्यालय विकासतर्फ
आकर्षित हुनसक्छ भन्ने धेरैको धारणा रह्यो ।

४.४.५ उत्प्रेरणामल
ू क तत्वको व्यवस्थापन
विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको अभिबद् ृ धिका लागि राज्यले कानन ु को व्यवस्थापन
गरे र मात्र पग्ु दै न । तालिम, प्रोत्साहन, आयआर्जन, भत्ता, पोशाक, राहत, अनद ु ान, परु स्कारजस्ता
उत्प्रेरणामल
ू क तत्वको पनि ब्यवस्था गरे र स्वःस्फूर्तरुपमा विद्यालय व्यवस्थापनमा सहभागी हुने अवसर
एवं वातावरणको सज ृ ना गरिनप
ु र्छ । अभिभावक संघको छुट्टै कोषको खडा गरी सरकारबाट एकमष्ु ट
43

वार्षिक अनद ु ान दिने व्यवस्था गरिनप ु र्छ । प्रत्येक वर्ष अभिभावक भेला राखी शैक्षिक योजना बनाउने,
नतिजा लिन, छात्रवति ृ बभ ु न अभिभावक आफै आउनप ु र्ने बाध्यकारी नियम बनाई कार्यान्वयन गरिनप
ु र्दछ
। विद्यालयलाई शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक सहयोग उपलब्ध गराउने, नियमित विद्यार्थी पठाउने,उत्कृष्ट र
अनश ु ासित विद्यार्थीका अभिभावकहरुलाई विद्यालयमा अभिनन्दन समारोह संचालन गरी प्रशंसापत्र
दिने तथा सम्मान गर्ने कार्य गर्नुपर्दछ ।

४.४.६ अभिभावक दिवश, विद्यालय वार्षिकोत्सव र छलफल भेलाको आयोजना


विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउन विद्यालयले शिक्षक विद्यालय व्यवस्थापन
समितिमार्फ त सम्बन्ध विस्तार गर्नुपर्दछ । विद्यालयमा आयोजना गरिने उत्सव तथा दिवशमा
अभिभावकहरुलाई अनिवार्य सहभागी हुन प्रोत्साहित गर्नुपर्ने दे खिन्छ । प्रत्येक बर्ष अभिभावक दिवस
मनाउने ब्यवस्था गरी अभिभावकलाई अभिनन्दन र सम्मान गर्ने चलन बसाउनु पर्दछ । अभिभावक
दिवसमा अभिभावक र विद्यालय परिवारबीच विचार आदान प्रदान गर्ने, शिक्षक अभिभावक बैठक बसाई
समस्या बझ ु ाउने प्रयास गरिनप
ु र्दछ । शिक्षक, प्रधानाध्यापक र विद्यालय व्यवस्थापन समितिले
अभिभावकसंग निरन्तर छलफल अन्र्तक्रिया कार्यक्रमको माध्यमबाट अभिभावक सम्बन्धविस्तार गरे र
विद्यालय व्यवस्थापनमा उनीहरुको सहभागिता बढाउनप ु र्ने दे खिन्छ ।
यस अध्ययनमा उपयोग गरिएको हर्जवर्गको (१९५०) उत्प्रेरक आरोग्य सिद्धान्तले खासगरी संस्थामा
काम गर्ने कामदारलाई उत्प्रेरित गर्नुपर्ने कुरामा जोड दिन्छ । शैक्षिक संस्थामा शिक्षकहरुलाई कामदारको
रुपमा लिइन्छ । विद्यालयको शिक्षण सिकाइलाई उपलब्धिमल ू क बनाउन शिक्षकहरुको कार्य मनोबल
उच्च पार्नुपर्ने कुरामा यो सिद्धान्त मेल खान्छ । तर यस अध्ययनमा शिक्षक जतिकै भमि ू का
अभिभावकको पनि हुन्छ । अभिभावकको सहयोग नभएमा शिक्षकको एकल प्रयास निरर्थक हुन्छ ।
शिक्षकलाई उत्प्ररित गर्न अभिभावकको साथ र सहयोग चाहिन्छ । अभिभावकलाई पनि अभिप्रेरित गर्नका
लागि शिक्षक, व्यवस्थापनपक्ष, सरोकारवाला, राज्य, सरकार सबै लाग्नप ु र्ने कुरामा यो सिद्धान्त उपयक्
ु त
हुन्छ । त्यसैले विद्यालय शैक्षिक विकासको लागि अभिभावकहरुलाई विद्यालय व्यवस्थापनमा सहभागी
हुन उत्प्रेरित हुने उपयक्
ु त वातावरण सज ृ ना गरिनप ु र्दछ ।
उत्प्रेरक तत्वलाई सन्तष्टि
ु को तत्व पनि भनिन्छ । यो तत्वले ब्यक्तिलाई उत्कृष्ट कार्य गर्नका लागि
अन्तर्आत्मादे खि नै उत्साही बनाउँ दछ । यसले सकारात्मक सन्तष्टि
ु तिर लैजान्छ । अभिभभावकहरुको
व्यवस्थापकीय भमि ू का र जिम्मेवारी बढाई विद्यालय विकासप्रति उत्तरदायी बनाउनपु र्दछ भन्ने कुरा
दे खिन्छ ।
माथि विश्लेषण गरिएका विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता बढाउने उपायका सम्बन्धमा
प्राप्त भएका सझ ु ावहरुको विश्लेषण र उत्प्रेरणा सिद्धान्तका आधारमा नतिजा निकालिएको छ ।
विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गर्दा राजनीतिक सहमतीको आधारमा नभै नियम कानन ु ले
तोकेको शर्त र प्रक्रिया परू ा गरी अभिभावक भेलाबाट नै विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गर्न पहल
गर्नुपर्छ । प्रत्येक अभिभावकलाई अभिभावक परिचयपत्रको व्यवस्था गरी यसै मध्येबाट अध्यक्ष र सदस्य
छानिने व्यवस्था गर्नुपर्दछ । कक्षा संख्या र अभिभावक संख्याको आधारमा समितिको सदस्य संख्या
निर्धारण हुनप ु र्दछ । प्रभावकारी सचू ना संचारमार्फ त चेतना अभिबद्
ृ धिसंगै जीविकोपार्जनका कार्यक्रम
संचालन पनि विद्यालयतहबाटै गरिनप ु र्छ ।
44

त्यसैगरी विद्यालयको समस्या र सध ु ारको विषयमा अभिभावकको नियमित छलफल अन्र्तक्रिया गर्नुपर्ने,
अभिभावकसंग निरन्तर संवाद गरे र सम्बन्ध बढाउनप ु र्ने, विद्यालय व्यवस्थापनको विभिन्नक्षेत्रको
कार्यसमह ू बनाई त्यसमा अभिभावकहरुलाई संलग्न गराउने व्यवस्था गरी श्रोत–साधन परिचालन,
निरीक्षण र मल्ू यांकन गर्ने पर्ण
ू जिम्मेवारी र अधिकारसमेत उपलब्ध गराउनप ु र्ने, विद्यालय अनग
ु मन तथा
सपु रिवेक्षण गर्नेे नीतिगत व्यवस्था गरे र व्यवस्थापन समितिबाहिरका अभिभावकहरुको पनि
व्यवस्थापकीय भमि ू का बढाउनप ु र्ने, अभिभावक संघको छुट्टै कोषको गठन गर्नुपर्ने ्विद्यालय विकासमा
योगदान पर्याु उने अभिभावकहरुलाई कदरसम्मान गर्नुपर्ने भन्ने सझ ु ावहरु सझु ाइएको पाइयो ।

परिच्छे द पाँच
निष्कर्ष र सझ
ु ावहरु
यस परिच्छे दमा प्रश्नावली, अन्तर्वार्ता र समह
ू छलफलबाट प्राप्त तथ्यांकहरुको विश्लेषणका आधारमा
निकालिएको अध्ययनको निष्कर्ष र सझ ु ावहरुलाई तल प्रस्तत
ु गरिएको छ ः

५.१ निश्कर्ष
निष्कर्षले समस्याको उत्तर दिन्छ । नतिजाको विश्लेषणको गहन अध्ययनका आधारमा अध्ययनको
प्राप्ति के भयो, निश्कर्ष के आयो, भविष्यका लागि सझ
ु ावहरु के–के हुन भन्ने विषयहरुलाई मख्
ु यरुपमा
लिनप ु र्दछ ।
विद्यालयको शैक्षिक व्यवस्थापनअन्तर्गत पठनपाठन तथा मल् ू यांकन र योजना निर्माणजस्ता शैक्षिक
पक्षहरुमा मात्र है न विद्यालयको शिक्षण शल्ु क बझु ाउनेबाहे क आर्थिक, भौतिक सहयोग गर्ने तथा त्यस्को
व्यवस्थापनमा अभिभावकले उत्शक ु ता प्रकट गरे को पाइएन । सामाजिक परीक्षण सम्बन्धमा विद्यालयले
जानकारी गराउने कार्यमा अभिभावककै निस्क्रियताको कारण हुन नसकेको पाइयो । सबै काम विद्यालय
45

व्यवस्थापन समिति र सरकारले गर्नुपर्छ भन्ने सोंचका कारण विद्यालयको भौतिक संरक्षण सम्बद्र्घनमा
अभिभावकले खासै ध्यान दिएको पाइएन ।
शैक्षिक जनचेतनाको अभावले विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक विकासको लागि जनसहयोग
जटु ाउने, जनश्रमदान गर्ने कार्यमा अभिभावकले पटक्कै चासो र सक्रियता दे खाउन नसकेको पाइयो ।
अतिरिक्त क्रियाकलापमा सहभागी भएर शिक्षक विद्यार्थीहरुको हौसला बढाउने कार्यमा अभिभावकलाई
सहभागी गर्ने÷गराउनेतर्फ प्रअ र विद्यालय व्यवस्थापन समिति सक्रिय भएर नलागेको पाइयो ।
अभिभावकको निश्क्रियताले विद्यालयमा अभिभावक दिवस मनाउने चलन नभएको पनि पाइयो ।
राजनीतिक खिंचातानीको कारण अभिभावक भेलामा अभिभावकको सक्रियता घट्दै गएको तथ्य पनि
पाइयो ।
जनु विद्यालयमा अभिभावकको सक्रिय सहभागिता रहे को छ, त्यो विद्यालयमा पठनपाठन मंूल्यांकन
नियमित हुनाले शैक्षिक उपलव्धिको सचू ांक राम्रो रहे को पाइयो भने आर्थिक सक्षमता भौतिक अवस्था
समेतमा सकारात्मक सध ु ार आएको पाइयो ।
कुनै पनि संस्थामा समस्या दे खिनु स्वभाविक हो । यस अध्ययनमा अभिभावक सहभागिताका
आफ्नैसमस्याहरु रहे को दे खियो । दलीय राजनीतिक प्रभाव, जिम्मेवार निकायको निस्क्रियता, प्रभावकारी
नीति नियम र कडा अनग ु मनको अभाव, व्यवस्थापन पक्षको बेवास्ता, अभिभावकको कमजोर शैक्षिक
पष्ृ ठभमि
ू र आर्थिक अवस्थाजस्ता ब्यक्तिगत समस्याहरुले अभिभावक सहभागितामा असर पारे को
दे खियो ।
हरे क समस्याको समाधान अवश्य हुन्छ । दलीय राजनीनिक प्रभावको अन्त्यका लागि नियम कानन ु ले
तोकेको शर्त र प्रक्रिया परू ा गरी आवश्यक योग्यता पग ु ेका व्यक्तिहरु रहने गरी अभिभावक भेलाबाट नै
विद्यालय व्यवस्थापन समितिको गठन गर्न पहल गर्नुपर्छ । अभिभावक परिचयपत्र होल्डरमध्येबाट
अध्यक्ष र सदस्य छानिने व्यवस्था गर्नुपर्दछ । कक्षा संख्या र अभिभावक संख्याको आधारमा विद्यालय
व्यवस्थापन समितिको सदस्य संख्या निर्धारण, गठन विधि र शर्तका विषयहरु थप गरी कडा अनग ु मन
गर्नेसमेत ब्यवस्था गरी कानन ु संंशोधन गर्नुपर्ने उपायहरु रहे को पाइयो ।
यसैगरी अभिभावक शिक्षा, प्रभावकारी सच ू ना संचारमार्फ त शैक्षिक चेतना अभिबद् ृ धि संगसंगै
जीविकोपार्जन कार्यक्रम पनि विद्यालय तहबाटै संचालन गरिनप ु र्छ । विद्यालयका समस्या र सध ु ारको
विषयमा नियमित छलफल र अन्र्तक्रिया गराउनु पर्दछ । निर्माण, रे खदे ख, अनश ु ासन जस्ता विद्यालय
व्यवस्थापनका विभिन्न पक्षहरुमा कार्यसमह ू बनाई त्यस्मा अभिभावकहरुलाई संलग्न गराई योजना
निर्माण र श्रोतसाधन परिचालनदे खि लिएर निरीक्षण र मल् ू यांकन गर्ने पर्ण
ू जिम्मेवारी सहित
व्यवस्थापकीय भमिू का बद् ृ धि गरिनपु र्दछ । सरकारले अभिभावक संघको छुट्टै कोषको गठन गरी त्यसमा
वार्षिक अनद
ु ान दिने र त्यसबाट आयआर्जन कार्यक्रम चलाउने, परीक्षा नतिजा लिन, छात्रबत्ति ृ रकम बझ् ु न,
भर्ना गराउन अभिभावक आफै आउनप ु र्ने ब्यवस्था गर्नुपर्ने, अभिभावक दिवस मनाउने चलन बसाली
शिक्षक अभिभावक सम्बन्ध बढाउनप ु र्ने सझ ु ावहरु दर्साइएको पाइयो ।

५.२ सझ
ु ावहरु
46

विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताका समस्याहरुको समाधान कसरी गर्ने र कसले के–के
कार्य गरे मा अभिभावक सहभागिता बढाउन सकिन्छ भन्ने बारे मा सझ
ु ावहरु संकलन गरिएको थियो । ती
सझु ावहरुलाई नीतिगत तह, कार्यान्वयन तह र अनस ु न्धान तहमा वर्गीकरण गरी अलगअलग
उपशीर्षकमा राखी प्रस्तत
ु गरिएको छ ः

५.२.१ नीतिगत तह
अध्ययनको क्रममा कुनै नीतिगत प्रश्न उठे मा वा कुनै नीतिमै परिवर्तन गर्नुपर्ने खांचो दे खियो भने कसले,
के कस्तो नीति बनाउने स्पष्ट उल्लेख गरी नीतिगत तहका लागि सझ ु ाव दिन सकिन्छ ।
अभिभावकले आफ्ना बालबच्चा भर्ना गरी नियमित विद्यालयमा पठाउने, बालबच्चाको पढाइलेखाइमा
ध्यान दिने कार्यदे खि विद्यालयको शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक अवस्थाको अवलोकन तथा अनग ु मन गर्ने
कार्य अभिभावकको ऐच्छिक अर्थात स्वैच्छिक कार्य हो । यस्ता स्वैच्छिक कार्यलाई बढावा दिन शिक्षा
मन्त्रालयले बाध्यकारी एवं ब्यवहारिक नीति तथा कानन ु बनाई लागू गर्नुपर्छ ।
विद्यालय व्यवस्थापनको सम्पर्ण ू गतिविधिहरुमा सरिक गराउने उद्दे श्यले विद्यालय व्यवस्थापन
समिति, शिक्षक अभिभावक संघको गठन अभिभाककै नेतत्ृ वमा अभिभावक भेलाबाटै गठन गर्ने कानन ु ी
ब्यवस्था छ । यस ब्यवस्थाले अभिभावक सहभागिताको अवधारणालाई यिनै समितिको गठनमा सिमित
बनाएको छ । एकपटक समितिको गठनमा सहभागिता जनाई सकेपछि अभिभावकीय भमि ू का सकिएको
अनभ ु व हरे क अभिभावकले गर्नुपर्ने अवस्था छ । फेरी यी समितिहरुको गठन राजनितिक ढं गले हुने गरे को
दे खिन्छ । अर्कोतर्फ शिक्षक अभिभावक संघको ब्यवस्थापकीय भमि ू का कमजोर भएकोले यसको गठनमा
चासो नदिएकोले यसको गठन धेरै विद्यालयमा नगरिएको अवस्था छ ।
राजनीतिक प्रभावको अन्त्य गर्न प्रधानाध्यापकले अभिभावक सचि ू प्रमाणित गरी सोही सचि ू बाट
पदाधिकारी छनौट गर्न छुटै सच ू ी तयार गर्ने र अभिभावक भेलाबाट गठन गर्न राज्यले कानन ु संशोधन
गर्नुपर्छ । यसमा अध्यक्ष सदस्य पदका लागि आवश्यक शर्त तथा योग्यता निर्धारण गर्नुपर्छ । अध्यक्षको
लागि प्राथमिक तहदे खि सामद ु ायिक विद्यालयमा पढाउदै आएको छात्र–छात्राको अभिभावक हुनप ु र्ने,
राजनितिक दलको सदस्यता नलिएको, विद्यालयमा धेरै पटक आई धेरै समय विताएको, विद्यालयलाई
चन्दा दान दिएको व्यक्ति हुनपु र्ने व्यवस्था थप गर्नुपर्दछ । सरकारले अभिभावक संघ कोष बनाई हरे क वर्ष
अनद ु ान सहयोग दिने र त्यस कोषबाट अभिभावकलाई ऋण दिने, प्रोत्शाहन भत्ता दिने, जीविकोपार्जनका
कार्यक्रम संचालन गर्ने र अभिभावक शिक्षाको व्यवस्था मिलाउने नीतिगत कार्यक्रम बनाउनप ु र्छ ।
विषयगत समितिले हरे क महिना पालैपालो विद्यालय अनग ु मन गर्ने र प्रतिवेदन बझु ाउनप ु र्ने
जिम्मेवारीको व्यवस्था सहितको नियम सरकारले बनाई लागू गर्नुपर्छ ।
हरे क वर्ष वालबच्चा भर्ना गराउन, परिक्षाफल बझ्
ु न र छात्रवति
ृ रकम लिन अभिभवाक स्वयं उपस्थिति
हुनपु र्ने व्यवस्था विद्यालय व्यवस्थापन समितिले निर्णय गरी लागू गराउन सक्नप
ु र्छ भन्ने सझ
ु ावहरु यस
तहमा सझ ु ाइएको छ । जिल्लास्तरमा जिल्ला शिक्षा समिति र गाउँ स्तरमा गाउँ शिक्षा समितिले
अभिभावक सहभागिता अभिवद् ृ धिका लागि अभिभावक शिक्षाको व्यवस्था र अभिमख ु ीकरण तथा
प्रबोधिकरण तालिम संचालनका नीतिनियम बनाई लागू गर्नुपर्छ ।
47

५.२.२ कार्यान्वयन तह
कुनै पनि नीति तथा कानन ु ी व्यवस्थाको प्रभावकारिता त्यसको कार्यान्वयनमा हुन्छ । कार्यान्वयन तहमा
रहे का निकाय तथा व्यक्तिले नीति तथा कानन ु को परिपालना प्रभावकारी रुपमा गर्न गराउन सक्नप ु र्छ ।
कतिपय अवस्थामा नीति, कानन ु तथा नियम पर्याप्त छ तर व्यवहारमा लागू हुन सकिरहे को हुदैन । यस्तो
अवस्थामा को–कस्को कमजोरी रह्यो, कस्ले कसरी के कार्य गरे मा नीति कानन ु ी व्यवस्था प्रभावकारी
ढं गबाट लागू हुन सक्छ भनेर कार्यान्वयन तहका लागि सझ ु ाव दिन सकिन्छ ।
शैक्षिक सध ु ारका लागि अभिभावकलाई विद्यालय व्यवस्थापनमा सरिक बनाउन अभिभावक भेलाबाट
अभिभावककै नेतत्ृ वमा विद्यालय व्यवस्थापन समिति र शिक्षक अभिभावक संघको गठन गर्नुपर्ने
व्यवस्था छ तर यी समितिहरुमा राजनितिक दलका व्यक्ति तथा गैर अभिभावकहरु सक्रिय हुन्छ र
नेतत्ृ वदायी पदमा पग्ु छन ् । जसमा अभिभावकको प्रतिनिधित्व न्यन
ू रहन पग्ु छ । शिक्षक अभिभावक
संघको भमि ू का प्रभावकारी छै न ् । यस्तो अवस्थामा ऐन नियममा रहे का विद्यमान व्यवस्थालाई
प्रभावकारीढं ङ्गले लागू गर्न जिल्ला शिक्षा कार्यालयमार्फ त शिक्षा मन्त्रालय र शिक्षा विभागले
जिम्मेवारीका साथ अनग ु मन तथा नियमनको व्यवस्था गर्नुपर्छ । यस्ता निकायले नियम बनाई
कार्यान्वयन पक्षलाई प्रभावकारी बनाउनप ु र्छ ।
सरकारले तर्जुमा गरे को शैक्षिक नीति, नियम, कानन ु र योजना तथा कार्यक्रमहरुको कार्यान्वयन हुने
अन्तिम आधार थलो विद्यालय हो भने प्रधानाध्यापक विद्यालय तहको नीतिगत व्यवस्था र कार्यान्वयन
गर्ने जिम्मेवार विद्यालय प्रशासन प्रमखु हुन ् । अतः विद्यालयका प्रधानाध्यापकले माथिल्लो शैक्षिक
निकायको नीति निर्देशनअनस ु ार काम गर्नुपर्दछ । विद्यालयमा संचालन हुने हरे क गतिविधिको जानकारी
विद्यालयका सम्पर्ण ु अभिभावकहरुलाई संप्रेषित गराउनप ु र्दछ । अभिभावक सहभािगताका लागि
वालबच्चा भर्ना गराउन, परिक्षाफल बझ् ु न र छात्रवति ृ रकम लिन अभिभावक आफै उपस्थिति हुनप ु र्ने
नियमलाई कार्यान्वयन गर्न तत्परता दे खाउनप ु र्छ । शैक्षिक तथा विद्यालय सध ु ार योजना र सामाजिक
परिक्षण भेलामा अभिभावकलाई सहभागी गराउनप ु र्ने ब्यवस्था प्रभावकारीढं गबाट कार्यान्वयन गर्नुपर्दछ ।
यस कार्यमा जिल्ला शिक्षा कार्यलयले विद्यालय निरीक्षक तथा श्रोत व्यक्तिमार्फ त आवश्यक सहयोग
प¥
ु याउन सक्नप ु र्छ ।

५.२.३ अनस
ु न्धान तह
यस अध्ययनमा विद्यालय व्यवस्थापनअन्र्तगत शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक व्यवस्थापन, जनसहयोगको
व्यवस्थापन, अतिरिक्त क्रियाकलाप, अभिभावक दिवश, अभिभावक भेला, नीति निर्माण र निर्णय प्रक्रिया
र विद्यालय सपु रिवेक्षणपक्षहरुमा मात्र अभिभावक सहभागिताको अवस्था पहिचान गर्ने जमर्को गरिएको
छ । यस अध्ययनले विद्यालय व्यवस्थापनको सबै पक्षहरुलाई यहाँ नसमेटिएको हुनसक्छ । विद्यालय
व्यवस्थापन समिति तथा शिक्षक अभिभावक संघ र अन्य व्यवस्थापकीय समितिहरुमा अभिभावक
सहभागिताको तल ु नात्मक अध्ययन छुट्टाछुट्टै रुपमा अध्ययन भएको छै न । यसैगरी विद्यालय
व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिताको भमि ू काले शिक्षण सिकाइमा पारे को प्रभाव, प्राथमिक तथा
माध्यमिक विद्यालयमा अभिभावक सहभागिताको तल ु नात्मक अध्ययन र विद्यालय व्यवस्थापनमा
48

महिला सहभागिताका विषयमा अनस


ु न्धान भएको दे खिदै न । यी विषयहरुमा पनि बेग्लै, गहन र विस्तत

अध्ययन हुन जरुरी छ ।
विद्यालय शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक पक्षमा थप्र ु ै समस्याहरु जल्दाबल्दारुपमा रहे को हुन्छन । यस्ता
समस्याहरु विद्यालयको तह तथा शैक्षिक, सामाजिक, संस्कृतिक परिवेशअनस ु ार फरक–फरक प्रकृति र
स्वरुपका हुन सक्छन । यस्ता समस्याहरुको पनि छुट्टा–छुट्टै रुपमा अध्ययन गरी समाधानका लागि
उपयक्ु त उपायको खोजीका लागि अध्ययन अनस ु न्धान गर्नु जरुरी छ । जसअनस ु ार प्राथमिक शिक्षामा
अभिभावक सहभागिताका कठिनाईहरु तथा माध्यमिक÷प्राथमिक तहको शिक्षामा दलित÷जनजाति
अभिभावक सहभागिताका विषयहरुमा पनि अध्ययन अनस ु न्धान गर्न सकिन्छ । अभिभावक
सहभागिताका आफ्नै ब्यक्तिगत समस्याहरु पनि हुनसक्छन । यस अध्ययनमा यस्ता समस्याहरुलाई
गहिरो ढं गले विश्लेषण गर्न सकेको छै न । त्यसैले यस्ता समस्याहरुलाई पनि अनस ु न्धानको मख्
ू य
समस्या मानी यसैमा अध्ययनलाई केन्द्रित बनाई गहिरो तथा समाधान योग्य अनस ु न्धान गर्न सझु ाव
प्रस्तत
ु गरिएको छ ।

विद्यालय व्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता

अनस
ु च
ू ी एक
प्रधानाध्यापकका लागि तयार पारिएको प्रश्नावली
प्र.अ.को नाम थर ः मितिः
विद्यालयको नाम ः
49

१. तपाई यस विद्यालयमा प्रधानाध्यापकका भएर काम गर्नु भएको कति भयो ?


..................................................................................................................
२. विद्यालय व्यवस्थापन समिति भनेको केहो ? यसअन्तर्गत कुन कुन पक्षहरु पर्दछन ् ?
..................................................................................................................
३. विद्यालय व्यवस्थापनको कुनकुन पक्षमा अभिभावकहरुले सहभागिता प्रकट रहे को पाउनु
भएकोछ ?
..................................................................................................................
४ विद्यालयमा शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक तथा अन्य पक्षहरुमा के के समस्याहरु रहे का छन ् ? यी
समस्याहरुप्रति अभिभावक जिम्मेवार रहे को ठान्नु हुन्छ ?कसरी ?
..................................................................................................................
५. विद्यालयमा शैक्षिक, आर्थिक, भौतिक गतिविधिहरु भैरहे का छन ् ? यी पक्षहरुमा चासो राखी
सहयोग गरे का छन ् या छै नन ् ? छै नन भने किन ?कारणहरु उल्लेख गर्नु होला ।
.......................................................................................................................
६. यस विद्यालयमा शिक्षक विद्यार्थीको नियमितताको अवस्था के कस्तो ? यसबारे
अभिभावकहरुले कतिको चासो र निगरानी राख्ने गरे को पाउनु भएको छ ?

७. जनसहयोगको व्यवस्थापन भनेको केहो ? यसमा अभिभावक सहभागिताको कस्तो भमि


ू का
हुन्छ ? यी भमि
ू काहरु अभिभावकले निर्वाह गरे को पाउनु भएको छ ?
.......................................................................................................................
८.अभिभावक दिवश, विद्यालय वार्षिक उत्शव, मनाउने गरएिको छ ? यी कार्यक्रममा कत्तिको
अभिभावकसहभागी हुन्छन ् ?
..................................................................................................................
९.यस विद्यालयमा कुन कुन समितिके कसरी गठन भएका छन ् ? ति समितिहरुमा केकति संख्यामा वास्तविक
अभिभावकको प्रतिनिधित्व भएकाछन ् ?
.......................................................................................................................
१०.विद्यालय व्यवस्थापन समिति गठन गर्न अभिभावक भेलामा कतिको संख्यामा
अभिभावकहरु उपस्थित भएको पाउनु भयो ?
50

११. तपाई यस विद्यालयको व्यवस्थापनमा अभिभावकको सहभागिताको अवस्था दे खि कतिको


सन्तष्ु ट हुनु हुन्छ ?
क) ज्यादै ख) ठीकै ग) कम घ) अतिकम
१२. अभिभावक भेला गरी सामाजिक परिक्षण कार्य गराउनु भएको छ ? यसमा अभिभावकले
सहभागिता कस्तो सक्रियता दे खाउछन ् ?
..................................................................................................................
१३. के कस्तो समस्याहरु अभिभावक सहभागितामा भएको पाउनु हुन्छ ? समस्या समाधानमा
सरोकारवालाहरुले ध्यान दिएका छन ् वा छै नन ् ?
..................................................................................................................
१४. तपाइको विचारमा अभिभावक सहभगिता बढाउन आगामी दिनमा के के कस्ता उपायहरु अपनाउनु पर्ला ?
..........................................................................................

सन्दभग्रन्थसच
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