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पथरी, प्रोस्ट्रे ट, यूररन इन्फेक्शन

1. सौ ग्राम बायबाड़ं ग के दाने लायें| एक चम्मच बायबाड़ं ग के दाने साढ़े पााँच गगलास
पानी में डालकर रात को उबालें व पााँच गगलास रहने पर गैस बंद करें | सुबह बााँसी मुाँह
इस पानी को छानकर दो- तीन गगलास पीयें व शेष पानी सुबह ही पीकर समाप्त होने
के बाद साधारण पानी पीयें| उक्त इलाज को आप एक महीने तक लेते रहें|

2. पत्थरचट (खटू म्बरा) का एक- एक पत्ता सुबह- शाम खाली पेट खायें व आधे घंटे बाद
पानी पीयें|

3. गदन में दो बार गबना शक्कर व दू ध की काली चाय पीयें| एक कप पानी उबालने पर
एक चम्मच साधारण चाय- पत्ती पानी में डालकर तुरंत गैस बंद करें | तीन गमनट के
गलए ढककर रखें व छानकर गपयें| गदन में एक बार चाय में एक चम्मच दे शी घी
डालकर पीयें|

(ह्रदय, गलवर, गकडनी, मधुमेह, ब्लड प्रेशर आगद की तकलीफ़ वाले घी न डालें|)

उक्त इलाज आप दस गदन तक लें|

* मल- मूत्र का वेग न रोकें|

* पानी अगधक पीयें|

* ये इलाज शुरू करने के दस गदन बाद आपको पथरी में आराम लगने लगेगा|

* प्रोस्ट्े ट की तकलीफ हो तो उक्त इलाज इक्कीस गदन तक गनयगमत लें तो स्वास्थ्य


लाभ होगा|

* मूत्र -संक्रमण (यूररन – इन्फेक्शन) हो तो दस गदन गनयगमत उक्त इलाज ले ने से


स्वास्थ्य लाभ होगा | पस सेल्स में भी एक महीना इलाज ले ने से स्वास्थ्य लाभ होगा |

* जााँच करवाकर अपने गचगकस्तक की सलाह जरूर लें |

* एक पत्थरचट का पत्ता सुबह फ्रेश होकर गनत्य खाते रहें क्ोंगक शरीर में बार- बार
पथरी बनने की प्रवृगत हो जाती है | ऐसा करने से आप सदा पथरी की बीमारी से
सुरगित रहेंगे| इसको खाने से हागन नही ं होती, परन्तु कई फायदे है| इसे हर उम्र का
व्यक्तक्त खा सकता है|

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