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Hindu Banam Hindu
Hindu Banam Hindu
डॉ राममनोहर लोहया
भारतीय इितहास क सबसे बड़ लड़ाई हद ू धम म उदारवाद और क"टरता क लड़ाई , $पछले
पांच हजार साल* से भी अिधक समय से चल रह है और उसका अत अभी भी दखाई नहं पड़ता ।
इस बात क कोई कोिशश नहं क गयी , जो होनी चाहए थी , क इस लड़ाई को नजर म रखकर
हदःतान
ु के इितहास को दे खा जाए , उसे बुना जाय । लेकन दे श म जो कुछ होता है , उसका
बहत
ु बड़ा हःसा इसी के कारण होता है ।
हद ू धम सDप$G क भावना , संचय न करने और लगाव न रखने के िस=ात के कारण उदार है ।
लेकन क"टरपंथी हद ू कम िस=ात क इस ूकार Eया`या करता है क धन और जम या
श$8 म बड़े Eय$8 का ःथान ऊंचा है और जो कुछ है , वह ठdक भी है । सDप$G का मौजूदा सवाल
क िम;eकयत िनजी हो या सामा;जक हाल ह का है । लेकन सDप$G क ःवीकृ त Eयवःथा या
सDप$G से कोई लगाव न रखने के Hप म यह सवाल हद ू दमाग म बराबर रहा है । अय सवाल*
क तरह सDप$G और श$8 के सवाल* पर भी हद ू दमाग अपने $वचार* को अपनी ताकक
पIरणित तक कभी नहं ले जा पाया । समय और Eय$8 के साथ हद ू धम म इतना ह फक पड़ता
है क सDप$G के एक या दसरे
ू $वचार को ूाथिमकता िमलती है । आम तौर पर यह माना जाता है
क सहंणुता हदओं
ु का $वशेष गुण है । यह गलत है , िसवाय इसके क खुला उ[पात अभी तक
उसे पसद नहं रहा ।हद ू धम म क"टर पंथी हमेशा ूभुताशाली मत के अलावा अय मत* और
$वNास* का दमन करके एकHपता के Sारा एकता कायम करने क कोिशश करते रहे हA लेकन
उह कभी सफलता नहं िमली ।उह अब तक , आम तौर पर , बचपना ह माना जाता था 7य*क
कुछ समय पहले तक $व$वधता म एकता का िस=ात हद ू धम के अपने मत* पर ह लागू कया
जाता था । इसिलए हद ू धम म लगभग हमेशा ह सहंणुता का अंश बल ूयोग से Zयादा रहता
था । लेकन यूरोप के बु$=वाद ने इससे िमलते-जुलते ;जस िस=ात को जम दया है , उससे
उसका अथ समझ लेना चाहए । वाeटे यर जानता था क उसका $वरोधी गलती पर है ,फर भी वह
सहंणुता के के िलए , $वरोध के खुलकर बोलने के अिधकार के िलए लड़ने को तैयार था इसके
$वपरत हद ू धम म सहंणुता क बुिनयाद पर यह है क अलग-अलग बात भी अपनी जगह पर
सह हो सकती हA । वह मानता है क अलग -अलग \ेऽ* और वग6 म अलग िस=ात और चलन हो
सकते हA , और उनक बीच वह कोई फैसला करने को तैयार नहं । वह आदमी क ;जदगी म
एकHपता नहं चाहता , ःवे]छा से भी नहं , और ऐसी $व$वधता म एकता चाहता है ;जसक
पIरभाषा नहं क जा सकती , लेकन जो अब तक उसके अलग - अलग मत* को एक लड़ म
$परोती रह है । अत: उसम सहंणुता का गुण इस $वNास के कारण है क कसी भी ;जदगी म
हःत\ेप नहं करना चाहए इस $वNास के कारण क अलग-अलग बात गलत ह ह* यह जHर
नहं है , ब;eक वे स]चाई को अलग - अलग ढं ग से Eय8 कर सकती हA ।
दे श म एकता लाने क भारतीय लोग* और महा[मा गांधी क एकदम हाल क कोिशश कामयाब
हई
ु है , लेकन आंिशक Hप म ह।इसम कोई शक नहं क पांच हजार वष6 से अिधक क उदारवाद
धाराओं ने इस कोिशश को आगे बढ़ाया , लेकन इसके तकालीन ॐोत म यूरोप के उदारवाद ूभाव
के अलावा 7या है , तुलसी या कबीर या चैतय और सत*क महान परDपरा या अिधक हाल के
धािमक राजनीितक नेता जैसे राममोहन राय और फैजाबाद के $विोह मौलवी । फर, $पछले पांच
हजार साल* क क"टरपंथी धाराय भी िमलकर इस कोिशश को असफल बनाने के िलए जोर लगा
रह हA और अगर इस बार क"टरता क हार हई
ु , तो वह फर नहं उठे गी ।
उन चार सवाल* पर केवल उदारता से काम नहं चलेगा । अंितम Hप से उनका हल करके हद ू
दमाग से इस झगड़े को पूर तरह खतम करना होगा । इन सभी हल न होनेवाले झगड़* क पीछे
िनगुण
और सगुण स[य के सDबध का दाशिनक सवाल है । इस सवाल पर उदार और क"टर
हदओं
ु के Rख म बहुत कम अतर है । मोटे तौर पर , हद ू धम सगुण स[य के आगे िनगुण
स[य क खोज म जाना चाहता है , वह सृ$P को झूठा तो नहं मानता लेकन घटया कःम का
स[य मानता है । दमाग से उठकर परम स[य तक पहंु चने के िलये वह इस घटया स[य को छोड़
दे ता है । वःतुत: सभी दे श* का दशन इसी सवाल को उठाता है । दसरे
ू दे श* म यह सवाल अदकतर
दशन म ह सीिमत रहा है , जबक हदःतान
ु म यह जनसाधारण के $वNास का एक अंग बन
गया है ।
दशन को संगीत क धुन दे कर $वNास म बल दया गया है । दाशिनक* ने परम स[य क खोज
म आम तौर पर सांसाIरक स[य से $बeकुल ह इकार कया है । इस कारण आधुिनक $वN पर
उसका ूभाव बहत
ु कम पड़ा है । लेकन दसरे
ू दे श* म वैlािनक और सांसाIरक भावना ने बड़
उ[सुकता से ूकृ ित क सार जानकार को इक"ठा कया , अलग - अलग करके बमब= कया
और उह एक म बाँधने वाले िनयम खोज िनकाले ।इससे आधुिनक मनुंय को , जो मु`यत:
यूरोपीय है , जीवन पर $वचार कर एक खास O$Pकोण िमला है । वह सगुण स[य को , जैसा है वैसा
ह बड़ खुशी से ःवीकार लेता है । इसके अलावा ईसाई मत क नैितकता ने मनुंय के अ]छे काम*
को ईNरय काम का पद ूदान कया है ।इन सबके फलःवHप जीवन क असिलयत* का वैlािनक
ु
और नैितक उपयोग होता है । लेकन हद ू धम कभी अपने दाशिनक आधार से छटकारा नहं पा
सका । लोग* का साधारण $वNास भी Eय8 और ूकट सगुण स[य से आगे जाकर अEय8 और
अूकट िनगुण
स[य को दे खना चाहता है । यूरोप म भी मoय युग म ऐसा ह O$Pकोण था लेकन
फर कह दं ू क यह दाशिनक* तक ह सीिमत था और सगुण स[य से इकार कर करके उसे नकली
मानता था जबक आम लोग ईसाई मत को नैितक $वNास के Hप म मानते थे और उस हद तक
ःवीकार करते थे । हद ू धम ने कभी जीवन क असिलयत* से $बeकुल इकार नहं कया ब;eक
वह उह घटया कःम का स[य मानता है और आज तक हमेशा ऊंचे ूकार के स[य क खोज
करने क कोिशश करता रहा है । यह लोग* के साधारण $वNास का अंग है ।
एक बड़ा अ]छा उदाहरण मुझे याद आता है । कोणाक के $वशाल लेकन आधे नP मंदर म
प[थर* पर हजार* मूितयां खुद हई
ु िमलती हA । ;जदगी क असिलयत* क तःवीर दे ने म कलाकार
ने कसी तरह क क कंजूसी या संकोच नहं दखाया है । ;जंदगी क सार $विभनताओं को उसने
ःवीकार कया है । उसम भी एक बमब= Eयवःथा मालूम पड़ती है । सबसे नीचे क मूितय* म
िशकार , उसके ऊपर ूेम , फर संगीत और फर श$8 का िचऽण है ।हर चीज म बड़श$8 और
बयाशीलता है । लेकन म;दर के अदर कुछ नहम है , और जो मूितयां हA भी उनम शा;त और
खामोशी का िचऽण है । बाहर क गित और बयाशीलता से अदर क खामोशी और ;ःथरता
,मंदर म बुिनयाद तौर पर यह अंकत है । परम स[य क खोज कभी बद नहं हई
ु ।
अत: हद ू Eय$8[व दो हःस* म बंट गया है । अ]छd हालत म हद ू सगुण स[य को ःवीकार
करके भी िनगुण
परम स[य को नहं भूलता और बराबर अपनी अतO $P को $वकिसत करने क
कोिशश करता रहता है , और बुर हालत म उसका पाखंड असीिमत होता है । हद ू शायद दिनया
ु
का सबसे बडा पाखंड होता है , 7य*क वह न िसफ दिनया
ु के सभी पाखंडय* क तरह दस
ू र* को
धोखा दे ता है ब;eक अपने को धोखा दे कर खुद अपना नुकसान भी करता है । हद ू धम अपने
माननेवाल* को , छोटे से छोटे को भी, ऐसी दाशिनक समानता , मनुंय और मनुंय और अय
वःतुओं क एकता ूदान करता है ;जसक िमसाल कहं और नहं िमलती। दाशिनक समानता के
इस $वNास के साथ ह गद से गद सामा;जक $वषमता का Eयवहार चलता है । मुझे अ7सर
लगता है क दाशिनक हद ू खुशहाल होने पर गरब* और शूि* से पशुओं जैसा , पशुओं से प[थर*
जैसा और अय वःतुओं से दसर
ू वःतुओं क तरह Eयवहार करता है । शाकाहार और अहं सा िगर
कर िछपी हई
ु बूरता बन जाती है । अब तक क सभी मानवीय चेPाओं के बारे म यह कहा जा
सकता है क एक न एक ;ःथित म हर जगह स[य बूरता म बदल जाता है और सुदरता
अनैितकता म ।लेकन हद ू धम म यह और* क अपे\ा Zयादा सच है ।हद ू धम ने सचाई और
सुदरता क ऐसी चोटयां हािसल कं जो कसी और दे श म नहं िमलतीं, लेकन वह ऐसे अंधेरे
गsढ* म भी िगरा है जहां तक कसी और दे श का मनुंय नहं िगरा । जब तक हद ू जीवन क
असिलयत* को , काम और मशीन , जीवन और पैदावार , पIरवार और जनसं`या वृ$= , गरबी
और अ[याचार और ऐसी अय असिलयत* को वैlािनक और लौकक O$P से ःवीकार करना नहं
सीखता , तब तक वह अपने बंटे हए
ु दमाग पर काबू नहं पा सकता और न क"टरता को ह खतम
कर सकता है , ;जसने अ7सर उसका स[यानाश कया है ।
इसका यह अथ नहं क हद ू धम अपनी भावधारा ह छोड़ दे और जीवन और सभी चीज* क
एकता क कोिशश न करे । यह शायद उसका सबसे बड़ा गुण है । अचानक मन म भर जाने वाली
ममता , भावना क चेतना और ूसार , ;जसम गांव का लड़का मोटर िनकलने पर बकर के ब]चे
को इस तरह िचपटा लेता है जैसे उसी म उसक ;जदगी हो ,या कोई सूखी जड़* और हर शाख* के
पेड़ को ऐसे दे खता है जैसे वह उसी का एक अंश हो , एक ऐसा गुण है जो शायद सभी धम6 म
िमलता है लेकन कहं उसने ऐसी गहर और ःथायी भावना का Hप नहं िलया जैसा हद ू धम म ।
बु$= का दे वता दया के से $बeकुल अलग है । मA नहं जानता क ईNर है या नहं है लेकन मA इतना
जानता हंू क सारे जीवन और सृ$P को एक म बांधने वाली ममता क भावना है , हालांक अभी वह
एक दल
ु भ भावना है । इस भावना को सारे काम* , यहां तक क झगड़* क भी पृtभूिम बनाना
शायद Eयवहार म मुमकन न हो । लेकन यूरोप केवल सगुण , लौकक स[य को ःवीकार करने के
फलःवHप उ[पन झगड़* से मर रहा है तो हदःतान
ु केवल िनगुण
, परम स[य को ह ःवीकार
करने के फलःवHप िन;ंबयता से मर रहा है । मA बेहचक कह सकता हंू क मुझे सड़ने क अपे\ा
झगड़े से मरना Zयादा पसद है । लेकन $वचार और Eयवहार के 7या यह दो राःते मनुंय के
सामने हA ? 7या खोज क वैlािनक भावना का एकता क रागा[मक भावना से मेल बैठाना
मुमकन नहं है ? ;जसम एक दसरे
ू के अधीन न हो और समान गुण* वाले दो बम* के Hप म दोन*
बराबर क जगह पर ह* । वैlािनक भावना वण के ;खलाफ और ;Qय* के हक म , सDप$G के
;खलाफ और सहंणुता के हक म काम करे गी और धन पैदा करने के ऐसे तरके िनकालेगी ;जससे
भूख और गरबी दरू होगी । एकता क सृजना[मक भावना वह रागा[मक श$8 पैदा करे गी ;जसके
$बना मनुंय क बड़-से-बड़ कोिशश लाभ , ईंया , और घृणा म बदल जाती हA ।
आजाद हदःतान
ु का आम तौर पर बाहर दिनया
ु से एक तरफा Iरँता होता था , ;जसम कोई
$वचार बाहर से नहं आते थे और वःतुएं भी कम ह आती थीं , िसवाय चांद आद के । जब कोई
$वदे शी समुदाय आ कर यहां बस जाता और समय बीतने पर हद ू धम का ह एक अंग या वण
बनने क कोिशश करता तब जHर कुछ $वचार और कुछ चीज अदर आतीं । इसके $वपरत
गुलाम हदःतान
ु और उस समय का हद ू धम $वजेता क भाषा , उसक आदत* और उसके
रहन-सहन क बड़ तेजी से नकल करता है । आजाद म दमाग क आ[मिनभरता के साथ
गुलामी म पूरा दमागी दवािलयापन िमलता है । हद ू धम क इस कमजोर को कभी नहं
समझा गया और यह खेद क बात है क उदारवाद हद ू अlानवश , ूचार के िलए इसके $वपरत
बात फैला रहे हA । आजाद क हालत म हद ू दमाग खुला जHर रहता है , लेकन केवल दे श के
अदर होने वाली घटनाओं के ूित । बाहर $वचार* और ूभाव* के ूित तब भी बद रहता है । यह
उसक एक बड़ कमजोर है और भारत के $वदे शी शासन का िशकार होने का एक कारण है । हद ू
दमाग को अब न िसफ अपने दे श के अदर क बात* ब;eक बाहर क बात* के ूित भी अपना
दमाग खुला रखना होगा और $व$वधता म एकता के अपने िस=ात को सार दिनया
ु के $वचार
और Eयवहार पर लागू करना होगा ।
२.
http://kashivishvavidyalay.wordpress.com/2007/03/12/lohiahindu-banam-hindu-2/
३. .