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भगवान श्री राम सनातन हिं द ू सं स्कृति के शिखर पु रुष हैं .

उनकी आराधना से जीवन के सभी दुख दर्द दरू हो जाते


हैं . बु ध कौशिक ऋषि द्वारा रचित श्रीरामरक्षा स्‍त्रोत की विशे ष महिमा मानी गई है . इसमें प्रभु श्री राम के
अने कों नाम का गु णगान किया है . धार्मिक मान्याता है कि ए‍क दिन भगवान शं कर ने बु धकौशिक ऋषि को स्वप्न
में दर्शन दे कर, उन्हें रामरक्षास्‍त्रोत सु नाया था और प्रातःकाल उठने पर उन्होंने इस स्‍त्रोत को लिख लिया.

श्रीरामरक्षा स्त्रोत का महत्व


•इसका पाठ करने से प्रभु श्रीराम आपकी हर तरह से रक्षा करते हैं
•इसका पाठ करने से मनु ष्य भय रहित हो जाता है .
•इसका पाठ करने से हनु मान जी भी प्रसन्न होते हैं और रामभक्तों के हर दुख को हर ले ते हैं .
•यदि इसका प्रतिदिन पाठ किया जाए तो दीर्घायु , सं तान, शां ति, विजयी, सु ख और समृ दधि ् प्राप्त होती है .
ऐसा माना जाता है कि श्रीराम की भक्ति से बड़े से बड़े सं कटों का नाश हो जाता है और हर तरह की बाधा का
निवारण होता है । श्रीराम और उनके भक्त हनु मान के स्मरण मात्र से मानव जीवन सफल हो जाता है । व्यक्ति
इस लोक में सभी सु खों की प्राप्ति के बाद परलोक में भी मोक्ष की प्राप्ति करता है । भगवान राम की कृपा को
प्राप्त करने के लिए रामभक्त  श्रीरामचरित मानस आदि का पाठ करते हैं । ऐसा ही श्रीराम का एक अमोघ
कवच श्रीरामरक्षा स्त्रोत है , जिसको पढ़ने से समस्त विपत्तियों का नाश होता है ।

भगवान शं कर ने बु धकौशिक ऋषि को सु नाया था यह स्त्रोत


श्रीरामरक्षा स्त्रोत की उत्पत्ति को ले कर पौराणिक मान्यता जु ड़ी हुई है , जिसके मु ताबिक भगवान् शं कर ने
बु धकौशिक ऋषि को स्वप्न में दर्शन दे कर उन्हें  श्रीराम रक्षा स्त्रोत सु नाया था। इसके बाद प्रात: काल उठकर
बु धकौशिक ऋषि ने इस स्त्रोत को लिखा। ये स्तोत्र सं स्कृत में है और इसके पाठ को काफी प्रभावी माना गया
है ।
श्रीरामरक्षा स्‍त्रोत का क्या है महत्‍व
श्रीरामरक्षा स्‍त्रोत के पाठ से सभी तरह का विपत्तियां दरू हो जाती हैं । इसको पढ़ने से मनु ष्य भय रहित हो
जाता है । इतना ही नहीं, जो इसका पाठ करता है वह दीर्घायु , सु खी, सं ततिवान, विजयी तथा विनयसं पन्न होता
है । मान्‍यता है कि इसके प्रभाव से व्यक्ति के चारों और सु रक्षा कवच बनता है , जिससे हर प्रकार की विपत्ति से
रक्षा होती है ।
इस पाठ को करने से पहले विनियोग करें
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बु धकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचं दर् ो दे वता। अनु ष्टु प छं दः। सीता
शक्तिः। श्रीमान हनु मान कीलकम। श्री सीतारामचं दर् प्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः।
जल को धरती पर छोड़कर भगवान राम का ध्यान करें
ध्याये दाजानु बाहुं धृ तशरधनु षं बद्धपदमासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिने त्रम् प्रसन्नम।
वामांकारूढ़ सीता मु खकमलमिलल्लोचनम् नीरदाभम् नानालं कारदीप्तं दधतमु रुजटामण्डलम् रामचं दर् म ।।

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