History Book Issues in 20th Century

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Discipline Specific Elective (DSE)


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(Issues in Twentieth Century World History-II)

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नातक पाठ्य म
Discipline Specific Elective (DSE)
II
Issues in Twentieth Century World History-II
अनु म
इकाई-I

इकाई-II

-III
(i)
(ii)

(i)
(ii)

(i)
(ii)

मु त िश ा िव ालय
िद ली िव विव ालय
5, के वेलरी लेन, िद ली-110007
I

1
2
3
NATO

4
CENTO
SEATO

5
(PTBT)
NPT

SDI

6
INF

START

NIEO

NAM

7
WTO



8
2. शीत यु क राजनीित: महाशि य के सबं ध

सरं चना
2.0 उ े य
2.1 प रचय
2.2 शीत यु का उदय और कारण
2.3 शीत यु - राजनीित एवं िविभ न चरण
2.3.1 थम चरण (1946-1949)
2.3.2 दसू रा चरण (1949-1953)
2.3.3 तीसरा चरण (1953-1957)
2.3.4 चौथा चरण (1957-1962)
2.3.5 पाँचवाँ चरण (1962-1969)
2.3.6 छठा चरण (1969-1978)
2.3.7 अंितम चरण (1979-1987)
2.4 सा यवाद का पतन
2.5 िवयतनाम यु
2.5.1 च शासन के बाद िवयतनाम का िवभाजन
2.5.2 िजनेवा समझौते - जुलाई 1954 म
2.5.3 टोनिकन क खाड़ी का सक
ं ट
2.5.4 अमे रका ारा सै य वापसी का समझौता
2.6 को रयाई यु
2.6.1 आ मण
2.6.2 सपु र पावर ित िं ता
2.7 सार-सं ेप /िन कष
2.8 संदभ सचू ी
2.0 उ े य
इस पाठ का उ े य
• शीत यु पर चचा करना है। िविभ न िव ान ने शीत यु को अमे रका और सोिवयत यिू नयन के बीच अ य
टकराव के प म चचा क है; िजसका कारण पँजू ीवाद और सा यवाद के बीच वैचा रक अतं र था।

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• 1945 से 1990 तक के समय के राजनीितक इितहास से छा को प रिचत कराना।
• यह समझने के िलए िक सपु रपावर के बीच कोई सीधा यु य नह हआ?
• यह समझने के िलए िक यबू ाई िमसाइल िववाद पणू यु म आगे य नह बढ़ा?
2.1 प रचय
शीत यु क राजनीित के श दकोश म, प रभाषा इस कार क गई है, “‘शीत यु ’ देश के बीच तनाव क वह ि थित है,
िजसम येक प खदु को मजबतू और दसू रे को कमजोर करने क नीितय को अपनाता है; िक त,ु पर पर वा तिवक यु
क ि थित से दरू रहते ह।” (अरोड़ा और चं : 1997,182) ि तीय िव वयु के बाद ‘शीत यु ’, वह कट तनाव था, जो
िबना य यु के ; सयं ु रा य और सोिवयत सघं एवं उनके सबं िं धत सहयोिगय के बीच िवकिसत हआ। शीत यु म
हिथयार का सीिमत उपयोग था, य िक यह यादातर िवचार का यु था िजसम मत- चार( ोपगंडा) के साधन का
उपयोग िकया गया। अं ेजी लेखक जॉजऑरवेल अपने 1945 म कािशत एक लेख म इस श द का वणन करते हए कहते ह
िक भिव य म दो या तीन महाशि य के बीच परमाणु गितरोध उ प न होगा, “िजसम येक के पास ऐसे अ -श ह गे,
िजससे कुछ ही पल म लाख लोग को िमटाया जा सकता है।” (इनसाइ लोपीिडया ि टािनका, 1998) पहली बार इस श द
का उपयोग, अमे रका म रा पित के सलाहकार बनाडबा च ारा 1947 म कोलंिबया के दि ण कै रोिलना म टेट हाउस
भाषण म िकया गया था, जब उ ह ने कहा था–“हम म म नह रहना चािहए, हम आज शीत यु के बीच ह”
(इनसाइ लोपीिडया ि टािनका, 1998)। यह ि थित, महाशि य के बीच एक लंबे आपसी अिव वास और ई या का
प रणाम थी। स म एं लो-अमे रक उ े य के बारे म गहरा संदेह िवकिसत हो गया, जब ि तीय िव व यु के दौरान जमनी
के िखलाफ दसू रा मोचा खोलने म स को मदद भेजने म देरी हई। अमे रका ने परमाणु बम के िनमाण काय म पर भी
गोपनीयता बनाए रखी। उसी समय, पि मी शि याँ, स के जापान पर अचानक आ मण और उसके े पर क जे से
नाराज थी। आपसी अिव वास के इन उदाहरण के कारण ि तीय िव व यु क समाि के तरु ं त बाद तीखी ित िं ता पैदा
हई, जो बाद म शीत यु म िवकिसत हो गई।
2.2 शीत यु का उदय और कारण
बो शेिवक ांित के बाद, स एक महाशि के प म उभरा, जो पि मी शि य को अ िचकर था। ारंभ म, पि मी
शि याँ, ािं त के बाद थािपत हई क यिु न ट सरकार के िखलाफ थ । ि तीय िव व यु क शु आत से पहले, शािं त बनाए
रखने के िलए, स ने सभी पि मी शि य को लीग ऑफ नेशसं क सरु ा णाली म लाने का य न िकया था। ि तीय
िव व यु के ारंिभक वष म स ने पि मी शि य ारा जमनी क तिु करण क नीित का भी िवरोध िकया था। शीत यु
के बीज तभी से अक ं ु रत हए। जमनी से लड़ने के िलए स को ि तीय िव व यु के दौरान िम रा म शािमल होने के
बावजदू , अिव वास कम करने म मदद नह िमली, य िक उन म पर पर सम वय का अभाव था। ऐसा इसिलए था य िक
एं लो-अमे रिकय ने स को जमनी से बचाने के िलए दसू रा मोचा खोलने म देरी क थी। साथ ही अमे रका ने परमाणु बम के
िनमाण के अपने रह य को स से गु रखा था। िव व-यु के अतं के साथ दो िवपरीत प रि थितयाँ िवकिसत हई:ं एक ओर
अमे रका का उ े य था िक पँजू ीवादी नीितय का योग कर िव व को आिथक अवसाद से बचा कर ि थरता लाना, वही
दसू री ओर सोिवयत स, जमनी का िवभािजत करना चाहता था तािक उसे मै ीपणू पवू यरू ोप के देश और पि मी यरू ोप के
म य शांित- े के प म इ तेमाल िकया जा सके । शीत यु शु होने म अंितम कारक, सोिवयत स था िजसने काले-
सागर का रा ता और डे यबू के पानी को खोलने से इक ं ार कर िदया था तािक अमे रका पवू यरू ोप क ओर िव तार न कर
सके । इसीिलए, 1946 म इं लड म िवं टनचिचल ने अपने भाषण म कहा था, “अतं रा ीय संगठन ारा हाल ही म जो काश
िदया गया था उस पर एक गहरा साया पड़ गया है य िक ... बाि टक म स ािटन से लेकर एि एिटक म ि एि तन तक एक
लोहे का पदा परू े महा ीप पर उतर आया है” (एनसाइ लोपीिडयाि टािनका, 1998)। उ ह ने एं लो-अमे रकन गठबंधन का

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आ ान िकया और घोषणा क िक सोिवयत सघं के आिधप य को के वल ताकत क भाषा से लड़ा जा सकता है। इसी ने शीत
यु क शु आत को िचि त िकया।
शीत यु क शु आत के कारण पर अतं रा ीय सबं ंध के िव ान ारा चचा क गई है: “आमतौर पर सबसे पहले, वे शीत
यु को, पँजू ीवाद और सा यवाद के बीच वैचा रक असंगित से उ प न हई, पार प रक दु मनी के प रणाम व प देखते ह।
उदाहरण के िलए, अमे रका के अवर सिचव जे सएफ. बाय स ने कहा था िक “अमे रका और स क िवचारधाराओ ं म
बहत अतं र है िजस कारण एक साथ काम करने म सम याएँ ह गी” (लोव1997: 122)। अमे रका पर सोिवयत सघं का सदं हे
अतीत क घटनाओ ं पर भी आधा रत था। “िजसम बो शेिवक ांित के बाद थािपत स क सा यवादी सरकार से
अमे रका का 1933 तक राजनियक संबंध थािपत नह करना; परमाणु बम िवकिसत करने के िलए बनी मैनह न प रयोजना
म स को शािमल नह िकया जाना और जमनी ारा स पर आ मण के बाद भी एिलड शि य का दसू रा मोचा खोलने म
क गई देरी शािमल थे।” (लोवे1997: 122) ि तीय िव व यु के बाद, दो महाशि य के बीच आयधु दौड़ ार भ हो गई।
िजससे र ते म और त खी आ गई। यह तब हआ जब ि तीय िव व यु के बाद, सोिवयत स ने अपनी सै य ताकत बढ़ा
दी थी, िजसने पि मी देश के िलए खतरा पैदा कर िदया था। अमे रिकय ने एटम बम, हाइ ोजन बम और अ य घातक
हिथयार का िनमाण शु कर िदया। िजसने,परू े िव व को दो पावर लॉ स म िवभािजत कर शीत यु का माग श त कर
िदया। (लोवे1997: 127) अतं म, स ारा सयं ु रा क सरु ा प रषद म वीटो शि के िनरंतर उपयोग ने अमे रका को
परे शान िकया, िज ह पँजू ीवादी तज पर दिु नया के पनु िनमाण के िलए सयं ु रा य अमे रका ारा तािवत िकया था और
िजनका सोिवयत स ारा िवरोध िकया गया था। इसने पि मी देश क सभी योजनाओ ं को कुचल िदया जो सोिवयत स
से नाराज हो गए थे िजस कारण भी शीत यु को बढ़ावा िमला। (लोव1997: 123)
2.3 शीत यु - राजनीित एवं िविभ न चरण
शीत यु कई उतार-चढ़ाव से गुजरा। कई काल-ख ड म यह एक ससु ु अंत: धारा क तरह था ,तो अ य समय म एक खुले
संघष के प म। इन सभी चरण म, जैसा िक हम देखते ह िक यह अ य सघं ष था, िजसम महाशि याँ आमने–सामने थ ।
मोटे तौर पर शीत यु को िन निलिखत चरण म िवभािजत िकया जा सकता है –
2.3.1 थम चरण (1946-1949)
ि तीय िव व यु 1945 म समा हआ और पहले चरण म ही दो महाशि य यानी अमे रका और सोिवयत स के बीच
तनाव शु हो गया। यह सम या या टा स मेलन म ही शु हो गई, जब यह िनणय िलया गया िक यु के तरु ं त बाद पवू
यरू ोप म वतं चनु ाव ह गे। अमे रका ने सदैव ही स के लाल शासन के सार को िनयंि त करने का यास िकया था। इस
काल म भ-ू राजनीितक ि थितयाँ इतनी तेजी से बदली िक स को पोलड म पहले क यिु न ट सरकार थािपत करने का मौका
िमल गया। इसके बाद छल और पंच के मा यम से बु गा रया, मािनया, हगं री, यगू ो लािवया म भी क यिु न ट सरकार
थािपत क गई और िफर यह अ य पवू यरू ोपीय देश तक फै ल गई ं। यह आमतौर पर ामक उपाय का उपयोग िकया गया;
िजसम कई बार बल योग भी शािमल था; जैसे िवप ी नेताओ ं क ह या अथवा िगर तारी। इसने स के भाव को बढ़ाया
जो िक अमे रका का मक ु ाबला करने क रणनीित के प म देखा गया था। स के उदाहरण के बाद, अमे रका ने मैन िस ातं
(माच, 1947) के उपयोग के मा यम से पँजू ीवाद क थापना म ीस और तुक क मदद क । इस िस ांत का उ े य “उन
मु लोग का समथन करना था जो सश अ पसं यक अथवा बाहरी दबाव ारा अधीनता का िवरोध कर रहे थे”। इ ह
क यिु न ट दबाव का सामना करने के िलए अमरीका से आिथक सहायता और हिथयार ा हए। इन ह त ेप के बाद,
अमे रका ने सा यवाद िवरोधी नीित के अधीन जनू , 1947 म माशल योजना क घोषणा कर दी। इस योजना के अनसु ार,
अमे रका ने पि मी यरू ोपीय देश को िव ीय और अ -श से सहायता दी, जो गरीबी, भख ू और अि थरता के तहत रह
रहे थे। दसू री ओर स ने मो टोवो योजना क घोषणा करके अपने सहयोिगय क र ा करने क कोिशश क , िजसने अपने
पवू यरू ोपीय सहयोिगय को सहायता दी और िव व भर के सभी सा यवादी दल को एक साथ लाने के िलए कॉिमन फॉम
क थापना क । सा यवाद के तहत अिधक से अिधक देश को लाने के िलए अपने यापक अिभयान के बाद, स ने

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चेको लोवािकया म ह त पे िकया और उसे 1948 म क यिु न ट शासन के अधीन ले आया। दोन िशिवर म तनाव बढ़ने के
साथ, जमनी को भी महाशि य क ित िं ता का सामना करना पड़ा। यह तब हआ, जब पि मी शि य ने जमनी के
अपने े का िवलय कर ाइज़ोिनया का नाम िदया जैसे बाद म जमनी संघीय गणरा य (FDR) के प म जाना जाने लगा,
जबिक सोिवयत सघं ने जमनी के अपने क जे वाले े को जमन डेमो े िटक रपि लक (GDR) म बदल िदया। जमनी का
यह िवभाजन 1945 म आयोिजत िकए गए पो टडैम सक ं प का ही प रणाम था। सोिवयत को बिलन पहँचने से पि मी
शि य के रोकने के यास के कारण दो िशिवर के बीच तनाव बढ़ गया, िजसके कारण बड़े पैमाने पर बिलन से एयरिल ट
करना पड़ा। (िजसे बिलन नाकाबंदी और एयरिल ट के प म जाना जाता है)। ये तनाव तब और बढ़ गए जब अमरीका ने
चीन क क यिु न ट सरकार को मा यता देने से इनकार कर िदया और फॉम सा सरकार का समथन िकया और स के
िति या व प ईरान से सेना हटाने से इनकार कर िदया। 1949 म नाटो (उ र अटलांिटक संिध गठन) के गठन के बाद,
परमाणु हिथयार क दौड़ और उ हो गई, िजसने आग म घी का काम िकया। हालाँिक टािलन क मृ यु और सयं ु रा य
अमे रका म शासन बदलने के साथ, शीत यु ने एक पड़ाव ले िलया। (लोवे1997: 128-129)
2.3.2 दूसरा चरण (1949-1953)
इस चरण ने तनाव म कुछ शांित के संकेत िदए, जो दोन देश म नेतृ व म बदलाव के कारण था। 1945 म, मा को स मेलन
म, सोिवयत स, अमे रका और इं लड ने सदु रू -पवू खासकर को रया म ि थरता लाने का फै सला िकया था। उस समय
अिधकांश को रयाई पणू वतं ता के प धर थे। जैसा िक मा को समझौते के अनसु ार आयोग बनाने के िलए बातचीत चल
रही थी, संयु रा य अमे रका ने आयोग बनाने म अिन छा िदखाई य िक बहत संभव था िक उ र को रया क अंत रम
क यिु न ट सरकार जीत जाती। इस संदेह के कारण इस मामले को 1950 म संयु रा के पास भेजा गया। कोई भी फै सला
आने से पहले उ र को रया ने स श और चीन के सेना के जवान क मदद लेकर दि ण को रया के िखलाफ यु क
घोषणा कर दी। हाथ से िनकलते इस अवसर के बाद, अमे रका ने इस ि थित का उपयोग सयं ु रा से वैध ितबंध को ा
करने के िलए िकया और दि ण को रया को सै य सहायता भेजी। अनक ु ू ल राजनीितक माहौल म, उ र को रया और दि ण
को रया दोन ने 1953 म शांित संिध पर ह ता र िकए और यु को समा कर िदया। इस तरह क और कारवाइय के डर से
अमरीका ने सोिवयतक यिु न म के भाव को कम करने क कोिशश क , िजससे क यिु न म के िखलाफ चार म बड़ी मा ा
म धन खच हए। दसू री ओर, सोिवयत स ने अमे रका के साथ बराबरी करने क कोिशश क और परमाणु बम का परी ण
िकया। संिध पर ह ता र करने के बावजूद, दोन शि य ने अपना भाव जारी रखते हए को रया म तनाव को बनाए रखा।
इस चरण म हम देखते ह िक दोन शि य ने दसू रे के भाव को कम करने क कोिशश क और ितशोध और राजनैितक
ित िं ता क नीितय का ही पालन िकया। (बेयलीस, ि मथ एंड ओवे स 2011: 58)।
2.3.3 तीसरा चरण (1953-1957)
इस चरण के दौरान कई े ीय सहयोग क घोषणा क गई। संयु रा य अमे रका ने सोिवयत स के िखलाफ अपने सै य
और आिथक गितिविधय को कठोरता के साथ जारी रखा। सबसे पहले, पवू यरू ोप म सोिवयत सी सै य भाव को कम
करने के िलए अपने पि मी सहयोिगय के साथ; उ र अटलांिटक सिं ध संगठन का गठन िकया (NATO, 1949 म); इसी
कार दि ण पवू े म, सोिवयत स के भाव को कम करने के िलए अपने समथक के साथ दि ण-पवू एिशया संिध
संगठन (SEATO, 1954 म) का गठन िकया। अमे रका ने म य पवू म म य पवू र ा सगं ठन (MEDO, 1955) का गठन
िकया। थोड़े समय के भीतर, अमे रका ने 43 देश को सै य सहायता देकर और सोिवयत स के आस-पास 3300 सै य
िठकान का िनमाण करके सोिवयत स को घेर िलया और उसके िव तार को ितबािधत कर िदया। अमे रक सै य-शि
का मकु ाबला करने के िलए, स ने 1955 म 12 देश के साथ र ा समझौते पर WARSAW PACT पर ह ता र िकए।
उसी समय, अमे रका ने एक अवसर पाकर, हगं री को सा यवादी शासन से मु करने का असफल यास िकया। दोन
महाशि य ने अपनी सै य शि बढ़ाई और हाइ ोजन बम का परी ण िकया। उनके काय से लगता था िक यु अप रहाय
था लेिकन उ ह ने सयं म भी बनाए रखा। नेतृ व प रवतन के साथ दो महाशि य के बीच राजनीितक सबं धं बदल गए। पहली

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बात यह हई िक अमे रका और स के बीच 1956 म वेज संकट के बारे म एक समझौते पर ह ता र िकए गए, जो
अंतरा ीय संबंध को िनयंि त करता था। इस समझौते के अनसु ार, अमे रका,इं लड और ांस जैसे अपने सहयोिगय क
मदद नह करने के िलए सहमत हआ और सोिवयत संघ भी िवरोधी देश क मदद करने के िलए सहमत हआ। इस कदम ने
पि म एिशया को पणू यु और िवनाश के एक बड़े खतरे से बचा िलया। यह आपसी टकराव तब 1955 म शु हए,
िवयतनामी यु म िदखा। बहत ज द िवयतनाम यु (इस पाठ म बाद म िव तृत) शु हआ िजसने िफर से दोन शि य को
एक दसू रे के िखलाफ खड़ा कर िदया; हालाँिक, 1955 म िजनेवा म पहले िशखर शांित वाता स मेलन के बाद यु क
ती ता कमी हई थी। बाद म िसतंबर, 1957 म ऑ ेिलया, यजू ीलड और अमे रका के बीच एक संिध पर ह ता र िकए
गए, िजसे सै य और आिथक संबधं को मजबतू करने ANZUS) के प म देखा गया। (बेएिलस, ि मथ और ओवे स
2011: 59)
2.3.4 चौथा चरण (1957-1962)
इस चरण को दो चरम छोर ारा पहचाना गया था। एक तरफ, इस चरण के आरंभ को शांितपणू सह-अि त व का िस ातं के
िवकास से जाना गया तो दसू री ओर, दिु नया ने यबू ा के िमसाइल सक
ं ट के प म सबसे खतरनाक परमाणु टकराव को देखा,
िजसने मानव जाित को तीसरे यु के कगार पर ला िदया। ारंभ म दोन शि य ने सामािजक, सां कृ ितक और आिथक
आदान- दान करके आपसी सह-अि त व िदखाया। 1959 म, सी रा पित, ु ेव ने अमे रका का ऐितहािसक दौरे िकया,
िज ह ने दो देश के म य सहयोग के नए राजनीितक इितहास क शु आत क । हालाँिक, यह बहत ही अ पकािलक था
य िक नई घटनाओ ं ने उनके बनते हए संबंध को िफर िबगाड़ िदया। उदाहरण के िलए, U-2 दघु टना, जहाँ एक अमे रक -
जाससू िवमान को स के म य मार िगराया गया; िजसे अमे रका ने भी वीकार िकया। अगला, बिलन सक ं ट तब हआ जब
सी रा पित ने पि मी बिलन से अमे रक सेना ारा वापसी पर जोर िदया, िजसे अमे रका ने खा रज कर िदया। इसी समय,
सम या और भी बढ़ गई– जब पवू जमनी के हजार लोग आिथक तंगी से परे शान होकर पि म जमनी को पलायन करने
लगे। िजस कारण 1961 म स ने पवू बिलन के लोग क जाँच करने के िलए पवू जमनी म 25 िकमी. क बिलन क
दीवार बनाने के िलए े रत िकया। इन सभी घटनाओ ं को 1962 के मा यम, यबू ािमसाइल संकट ने गौण कर िदया; िजसने
िव व को परमाणु यु के कगार पर ला िदया था। इसने शीत यु को बढ़ा िदया। इस घटना क पवू पीिठका म यबू ा क
राजनीितक घटनाएँ थ , जो िफदेलका ो के स ा म आने और अमे रक वािम व वाले भूिम और उ ोग का रा ीयकरण
करने से शु हई थी, िजसने यबू ा-अमे रक संबंध पर एक दबाव डाला, जबिक स- यबू ा संबंध म सधु ार हआ। यबू ा म
सा यवाद के सार को रोकने के उ े य से अमे रका ने िप स क खाड़ी म यबू ा पर हमला िकया। हालाँिक हमल को यबू ा
सरकार ने आसानी से झेल िलया, और अमे रक सेना को हरा िदया। इस घटना के बाद, स ने यबू ा (संयु रा य अमे रका
क सीमा से के वल सौ मील) पर परमाणु िमसाइल लगाने का फै सला िकया, िजनका िनशाना अमे रका था। िमसाइल क रज
बहत बड़ी थी, जो अमे रका के सभी मख ु शहर को न कर सकती थी। जब कै नेडी के सै य सलाहकार चाहते थे िक वह
सी िठकान पर हमला करे , तो उ ह ने संयम से काम िलया य िक उ ह उसके संभािवत प रणाम के बारे म पता था, िक
यिद जवाबी कायवाही क गई तो हो सकता था। इस घटना ने संयु रा के अ य के मागदशन म अमे रक रा पित
कै नेडी और सी रा पित ु ेव के बीच बातचीत का माहौल बनाया। इस चचा म, अमे रका ने स को आ वासन िदया
िक वह यबू ा पर हमला नह करे गा और स भी यबू ा से िमसाइल टेशन वापस लेगा। (लोव 1997: 135-136)।
2.3.5 पाँचवाँ चरण (1962-1969)
इस चरण म अमे रका और स के बीच सहकारी संबंध म उ लेखनीय वृि देखी गई। यबू ा िमसाइल संकट के बाद दिु नया
भर म वीकृ ित थी, िजसने परमाणु हिथयार पर ितबंध लगाने क माँग क । इसने दोन प को परमाणु यु से बचने के
िलए मजबरू िकया और परमाणु अ सार सिं ध (एनपीटी) पर 1968 म ह ता र िकए गए। शािं तपणू सह-अि त व मानदडं को
वीकार िकया गया, िजसने िनर ीकरण के िलए समझौते के माग को श त िकया। प रणाम व प अमे रका और स के

13
बीच एक हॉट लाइन क थापना हई। हालाँिक, िवयतनाम यु और जमनी म सम या के कारण ये तनाव के कारण शीत यु
जारी रहा।
2.3.6 छठा चरण (1969-1978)
इस चरण ने दो महाशि य के बीच शांितपणू समझौत क एक ख ंृ ला को देखा, िजसे अतं रा ीय सबं धं के िव ान ने
तनावशैिथ य या ‘िदता त’ (DÉTENTE) प म देखा। (‘िदता त’ श द का अथ था “पवू और पि म के बीच तनाव म
कमी।” (लोवे1997: 158) यह अमे रक रा पित िन सन और सी रा पित ेझनेव ारा सभं व बनाया गया था, िज ह ने
शीत यु को समा करने के िलए मह वपणू भिू मका िनभाई थी। ैटेिजक आ स िलिमटेशन। सिं ध 1972 के (SALT),
हेलिसकं म 1975 के सरु ा पर िशखर स मेलन और 1978 म बेल ेड स मेलन; दोन महाशि य को करीब ले आया।
अमे रका, चीन के साथ सबं धं बेहतर बनाना चाहता था, इस हेतु 1971 म चीन के साथ सामजं य क सभं ावनाओ ं का पता
लगाने के िलए अमे रक िवदेश सिचव हेनरीिकिसजं र ने चीन क एक गु या ा क । हालाँिक यह सहका रता अ पकािलक
थी। जैसा ही अमे रका ने िडएगोगािसया को एक सै य अड्डे म बदलने का िनणय िलया; सोिवयत-संघ ने इसे िहदं महासागर
म अपनी उपि थित पर नजर रखने के एक कदम के प म देखा। 1971 के बां लादेश सक ं ट और 1973 के िम -इज़राइल
यु के दौरान, दो महाशि य ने िवपरीत प को समथन िदया, िजस कारण वह एक बार िफर पर पर िव खड़ी िदखाई
दी।
2.3.7 अंितम चरण (1979-1987)
इस चरण म शीत यु म कुछ प रवतन देखे गए िजसके कारण िव ान ने इस चरण को नव शीत यु के प म संदिभत
िकया। हालाँिक 1979 म, अमे रक रा पित काटर और सी रा पित ेझनेव ने SALT-II सिं ध पर ह ता र िकए,
िजसका उ े य परमाणु अ को कम करना था। 1979 म कुछ ऐसी नई प रि थितय का उदय हआ; िज ह ने शीत यु म
कमी क सभं ावनाओ ं का अतं कर िदया। यह अफगािन तान म दोन शि य के नए ह त ेप के साथ शु हआ।
अफगािन तान म दोन महाशि य ने अपने सहयोिगय और समथक का िनमाण करना ारंभ कर िदया, िजससे इस े के
भ-ू राजनीितक प र य पर भाव पड़ा। इसी समय नए अमे रक रा पित ने मानवािधकार और मिु क कूटनीित क
शु आत क िजसका उ े य स को बदनाम करना था। इन नीितय ने स म रहने वाले नाग रक क भलाई पर सवाल
उठाया य िक अमे रक एजिसय ने क यिु न ट स म हो रहे मानवािधकार के यापक उ लघं न को रपोट करने क
कोिशश क । ऐसे म अमे रक सीनेट ारा SALT-II सिं ध को अ वीकार कर आग को और हवा दी। 1980 म, अमे रका ने
मा को म आयोिजत ओलंिपक का बिह कार िकया और इस कार उनका सहयोग समा हो गया। 1985 तक,
अफगािन तान म ि थितयाँ खराब हो गई,ं िजससे सोिवयत सघं को बहत शिमदा होना पड़ा। नए समझौत पर ह ता र िकए
गए, िजसम दोन प ने अफगािन तान से बाहर िनकलने का फै सला िकया और अफगािन तान म अपने सहयोिगय को
सहायता बंद करने का फै सला िकया। अमे रका का मक
ु ाबला करने के िलए, चीन- स संबंध म नया अ याय शु हआ जब
1985 म पाँच साल के यापार समझौत पर ह ता र िकए गए और िनयिमत संपक थािपत हआ।
2.4 सा यवाद का पतन
स समिथत े म घटनाओ ं के अचानक प रवतन ने सोिवयत संघ म भगू ोल को बदल िदया और सा यवाद रे त के महल
क तरह ढेर हो गया। अग त 1988 म ि या तब शु हई; जब पोलड क ेड यिू नयन ने हड़ताल के मा यम से अपनी
सरकार के िखलाफ स ा प रवतन का आयोजन िकया। इसने अंततः सरकार को वतं चनु ाव क अनमु ित देने के िलए
मजबरू िकया, िजसम क यिु न ट हार गए और क यिु न ट पाट के शासन का अंत हआ। इसके बाद अ य स समिथत रा य
म भी इसी ि या का पालन िकया गया, जब ांितकारी िवरोध हर जगह तेजी से फै ल गया। पोलड, हगं री, उसके बाद
चेको लोवािकया, बु गा रया और रोमािनया ने वतं चनु ाव क अनमु ित दी गई और सा यवादी सरकार को स ा से बाहर
कर िदया। लेिकन पवू जमनी म, ि थित कुछ अलग थी। पहले-पहल क यिु न ट नेता ने िवरोध को िनयंि त करने क कोिशश
क , लेिकन जनता ारा ितरोध सामना करना पड़ा, जो अंततः बिलन क दीवार को व त करने म प रिणत हआ और

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िजसके प रणाम व प जमनी का एक करण हआ। अतं म िदसंबर 1991 के अतं म सोिवयत सघं वयं कई गणरा य म
िवभािजत हो गया और गोबाचेव ने इ तीफा दे िदया, इस तरह सा यवाद के अंत क शु आत हई।
त प चात,् िव ान ने शीत यु के अतं क घोषणा कर दी और अतं रा ीय तर पर नए समीकरण का उदय हआ। सबसे
पहले, नाटो (NATO) और वारसा (WARSAW) के देश ने एक समझौते पर ह ता र िकए, िजसम कहा गया िक वे एक-
दसू रे के साथ सहयोग करगे। दसू री बात यह है िक त कालीन सा यवादी देश म सा यवादी सरकार के अंत के साथ
आ त रक संघष क शु आत हई, िजसके कारण िवभाजन क शु आत हई। उदाहरण के िलए, चेको लोवािकया चेक और
लोवाक म िवभािजत हो गया, जबिक यगू ो लािवया म एक खनू ी सघं ष के बाद; िजसम लाख लोग क जाने गई,ं इसे पाँच
अलग-अलग रा य सिबया (म टेने ो के साथ),बोि नया-हज़गोिवना, ोएिशया, लोवेिनया और मैसडे ोिनया म िवभािजत
िकया गया था। िफर भी, शािं त थािपत न हो सक , य िक एक जिटल गृहयु ारंभ हआ, िजसम सिबया ने ोएिशया से
िजतना सभं व हो उतना े हड़पने क कोिशश क । बोि नया म सब, ोट्स और मिु लम ने एक-दसू रे से तब तक लड़ाई
लड़ी जब तक िक 1995 म यु िवराम नह घोिषत हो गया। तीसरा, शीत यु के दौरान परमाणु हिथयार क दौड़ अब
अतं रा ीय समदु ाय के िलए िसरदद बन गई य िक परमाणु हिथयार पयवे ण एक िचतं ा का िवषय बन गया। ऐसा इसिलए
था य िक सोिवयत सघं के िवघटन के साथ उभरी नई अि थर या गैर-िज मेदार सरकार क पहँच परमाणु हिथयार तक
आसान हो गई थी। अतं रा ीय समदु ाय को डर था िक अगर इन सरकार ने लापरवाही बरती तो वे मानव स यता को न कर
सकते ह। इसिलए बेहतर अतं रा ीय सरु ा उपाय पर िवचार और बहस क गई और दिु नया को आपदा से बचाने के िलए
उपाय पर िनणय िलए गए। त कालीन सा यवादी देश के बीच ि थरता एक िचतं ा का िवषय बन गया। ऐसा इसिलए था
य िक वे आिथक सक ं ट का सामना कर रहे थे य िक वे बेहद गरीब हो गए थे और खदु को ‘मु -बाजार अथ यव थाओ’ं
म बदलने के िलए संसाधन क भी कमी थी। एक सावधानीपवू क िनयोिजत और उदार िव ीय सहायता क आव यकता थी,
अ यथा उन िह स म अि थर ि थितयाँ िव व म अशांित पैदा करगी। अंत म पि मी सहयोिगय के बीच के र ते भी बदले ह
य िक उन सब का समान श ु सोिवयत संघ के न रहने पर अमे रका भी िव व यव था को ि थरता दान करने के िलए
यव था से बाहर हो गया है। उदाहरण के िलए, अमे रका ने संयु रा शांित सेना म अपनी सै य सेवाएँ दान करने से
इनकार कर िदया िजसका बोझ अ य सद य देश पर पड़ा। (लोव1997: 136-137)
2.5 िवयतनाम यु
िवयतनाम यु (1954-75), एक लंबा और िहसं क संघष था जो एिशया म द नो महाशि य क मह वाकां ाओ ं और
ह त ेप के कारण बहत बढ़ गया। यह एक वैचा रक लड़ाई थी जो एक तरफ उ री िवयतनाम क सा यवादी सरकार और
दि ण िवयतनाम म ीिमयरडायम क अि थर सरकार के बीच थी, िजसे िवयत-क ग के नाम से भी जाना जाता था। इस
संघष क जड़ उ री िवयतनाम क मह वाकां ाओ ं से जड़ु ती; िज ह ने 1954 म िवयतनाम के ांसीसी औपिनवेिशक शासन
को हराया था; और परू े देश को एक ही क यिु न ट शासन के तहत लाना चाहते थे। दि ण िवयतनामी सरकार को थोड़ी
सं या म अमे रक सै य सलाहकार का समथन ा था, जो ि तीय िव व यु म ांस समय से ही िवयतनाम म मौजदू थे।
जैसे ही शीत यु मजबतू हआ, िवयतनाम शासन म अमे रका को सा यवाद के सार को रोकने का अवसर िदया। “1969
तक 500,000 से अिधक अमे रक सै यकम िवयतनाम म तैनात थे। इस बीच, सोिवयत सघं और चीन ने उ री िवयतनाम म
हिथयार, आपिू त और सलाहकार को भेज िदया, िजसने दि ण क ओर अिभयान के िलए समथन, राजनीितक िदशा और
िनयिमत प से मक ु ाबला करने वाले सैिनक को भी दान िकया। ( पे टर, आर: 2016)
2.5.1 च शासन के बाद िवयतनाम का िवभाजन
िवयतनाम यु जापान और ांस के औपिनवेिशक शासन के िखलाफ था और चीनी एवं सोिवयत सा यवाद से े रत था,
िजसने िवयतनाम के रा वादी समहू , जैसे हो चीिम ह के िवयतिम ह को एकजुट िकया, जो यु के मा यम से वतं ता के
िलए सघं ष कर रहे थे। 1946 म ासं ीसी-इडं ोचाइना यु आर भ हआ िजसका 1954 म जाकर अंत हआ, इसे अमरीका का
समथन ा था। जो ांस क मदद करना चाहता था तािक चीन म सा यवादी सरकार क थापना के बाद, एिशया म

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सा यवाद के सार को रोका जा सके । इस तरह के यास के बावजदू , “मई 1954 म दीन िबएनफु क लड़ाई म ांस को
िवएतिम ह ने हरा िदया।” ( पे टर, आर: 2016) इस लड़ाई के बाद, ांसीसी शासन इडं ोचीन म समा हो गया। इस लड़ाई
म शािमल िविभ न यु रत िशिवर को िजनेवा स मेलन म बातचीत के िलए एक साथ लाया गया, िजसे जेनेवा समझौते के
प म जाना जाता है।
2.5.2 िजनेवा समझौते, जुलाई 1954 म
यु का अतं िजनेवा म समझौते के साथ हआ। प रणाम व प दोन प ने सै य बल के बीच एक अ थायी सीमाक ं न रे खा
के प म 17व समानातं र (अ ाश ं 17 ° N) को वीकार िकया। “इस समझौते ने िवयतनाम को अ ाश ं ीय आधार पर
िवभािजत कर िदया।” ( पे टर, आर: 2016)। समानातं र म एक तरफ हो चीिम ह क िवयतनामी क यिु न ट पाट के शासन
म डेमो े िटक रपि लक ऑफ़ िवयतनाम या उ री िवयतनाम था िजसक राजधानी हनोई म थी। दि ण िवयतनाम म, बाओ
दाई के साथ इसका मख ु रा य थािपत िकया गया था। इसक राजधानी साइगॉन म थी। समझौते के अनसु ार, 17व
समानांतर के दोन िकनार पर सेना को हटाकर एक सै य-मु े (DMZ) बनाया गया। नाग रक को सीमा के दोन ओर
जाने का िवक प िदया गया था। इन समझौत म समयब तरीके से परू े िवयतनाम म 1956 तक खल ु े चनु ाव का आ ान
िकया गया था, तािक िवयतनाम का भिव य तय िकया जा सके । हालाँिक अमे रका ने इस िवभाजन को वीकार कर िलया
था, लेिकन उ री िवयतनाम म क यिु न ट सरकार के साथ यह असहज था। एिशया म सा यवाद के सार को रोकने के
संक प के साथ, अमे रका ने दि ण िवयतनाम क सहायता करना शु कर िदया, तािक यह सा यवाद के भाव म न आए।
दि ण िवयतनाम के नए मख ु एनगोदी हदीम एक ि थर सरकार दान करने म स म नह थे य िक इ ह एक ओर उ र के
सा यवादी शासन ारा ह त ेप से और दसू री ओर दि ण म सश धािमक सं दाय से आतं रक िव ू प का सामना था,
ि थितयाँ और िबगड़ गई ं य िक ीिमयर के पास अपनी ही सेना के कुछ िव वंसक त व का भी समथन नह था। इन िवषम
प रि थितय के बावजदू , ीिमयर को अमे रक सै य सलाहकार का समथन िमला, िज ह ने अमे रक सेना के अनु प
उसक सेना को िशि त िकया और असतं ु अिधका रय ारा स ा प रवतन और अ य षड्यं को िवफल िकया। स ल
इटं ेिलजस एजसी (CIA) ने दीम के घरे लू िवरोिधय को ना के वल डराया-धमकाया बि क उनक ह याएँ भी क । अमे रक
सहायता एजिसय ने उ ह अपनी अथ यव था को बचाए रखने म मदद क । 1955 के अंत तकदीमने दि ण िवयतनाम म
अपनी शि को मजबूत कर िलया था, उसने धािमक सं दाय को परािजत कर िदया और क यिु न ट गटु को िगर तार
िकया, जो यािशत चनु ाव क तैयारी के िलए काफ सं या म सामने आए थे। जब सावजिनक चनु ाव का समथन नह रहा,
तो दीम ने के वल दि ण िवयतनाम म जनमत सं ह का आ ान िकया और अ टूबर 1955 म उ ह ने खदु को िवयतनाम
गणरा य का अ य घोिषत िकया। ( पे टर, आर: 2016)।
उ री िवयतनाम म भी ि थितयाँ उ साहजनक नह थ । जबिक, सोिवयत और चीनी क यिु न ट मॉडल का अनक ु रण करने क
कोिशश करते हए, इसने अपने े म कृ िष और औ ोिगक सधु ार को शु िकया। ये सधु ार सफल नह रहे और इनका
िव ोह हआ। अतं रा ीय प र य म सोिवयत और चीन के बीच अतं र का उ री िवयतनाम म ितकूल भाव पड़ा। ऐसा
इसिलए था, य िक इसे सै य सहायता या समथन दोन म से कुछ नह िमल रहा था और आतं रक िकसान के िव ोह का
सामना भी करना पड़ा रहा था। तभी इसे अपनी शि को आ त रक मजबतू ी क ओर लगाना पड़ा। 1960 के म य तक, यह
प था िक दि ण िवयतनामी सेना और सरु ा बल उस नए खतरे का सामना नह कर सकते थे, जो बौ धािमक सं दाय
के प म दीम के शासन के िवरोध म उभर रहे थे, िजसे क यिु न ट गु र लाओ ं के प म भी जाना जाता है। “असतं ोष को
िनयिं त करने के यास के बावजदू , ि थित िनयं ण से बाहर हो गई और अमे रका को हताशा का सामना करना पड़ा
य िक डायम सरकार िगर गई थी। उसी समय सोिवयत-चीन सबं ंध म सुधार हआ और इसने िवएतक ग वयं सेवक का
समथन करना शु कर िदया, िज ह ने दीम के शासन के पतन म मदद क । नव वतं रा क अि थर सरकार का
मकु ाबला करने और उ ह सा यवाद के भाव म लाने के िलए यह उनक नई रणनीित बन गई।”( पे टर, आर: 2016)।
1961 म, जॉन एफ कै नेडी, रा पित के प म स ा म आए। उनके िलए िवयतनाम, ‘एक चनु ौती और एक अवसर दोन ’
था। यह एक चनु ौती थी, य िक दि ण िवयतनाम म नई सरकार क अि थरता; क यिु न ट तोड़फोड़ और गु र ला यु के

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ितकार म फायदेमदं सािबत नह हो रही थी। यह एक ऐसा मौका था िजसे अमे रका ने िवयतनाम यु म जीत के बाद से एक
अवसर के प म देखा था, जो सोिवयत संघ पर रोक लगाने म मदद कर सकता था। “अमे रक खिु फया िवभाग ने अनमु ान
लगाया िक 1960 म उ र से लगभग 4000 क यिु न ट कै डर घसु पैठ कर गए थे; जो 1962 तक कुल िमलाकर लगभग
12,900 हो गए। यह घसु पैठ उ री िवयतनाम से लाओस के मा यम से संभव हो पाई, िजसम सै य दल हिथयार और गोला-
बा द को मोटर ारा िवयतनाम के तट और लाओस से होकर जाने वाले गु माग से भेजने म सफल रहे, िज ह ‘हो
चीिम ह ेल’ के प म जाना जाता है। इस तरह क आमद और अि थरता जो िनरंकुशता, कठोरता और ाचार क
िनरंतरता का प रणाम थी,जो अमे रका ारा अनदेखी क गई। हाइट हाउस ने डायम के शासन के बारे म बार-बार चेतावनी
के बावजूद,डायम को अपने समथन से आ त करने के िलए बहत यास िकए। अमे रक शासन ने मई 1961 म साइगॉन
म उप रा पित िलंडनबी. जॉनसन को भी भेजा और आिथक और सै य सहायता को बढ़ाया, िक तु सब यथ ही रहा।”
( पे टर, आर: 2016)।
2.5.3 टोनिकन क खाड़ी का सक ं ट
यह संकट िवयतनाम म अमे रका क हताश का नतीजा था, जो पँजू ीवादी तज पर ि थरता लाने म सफल नह हो पा रहा था।
“कै नेडी को कम से कम िवयतनाम म गित का म तो था, जबिक जॉनसन को साइगॉन म िव म, असगं ित, उलझने और
देश के अंद नी भाग म बढ़ रही िवयत-् क ग क उपि थित के साथ देश म तेजी से बढ़ते िवघटन क एक प त वीर का
सामना करना पड़ा”। एक अ पकािलक सै य जंटु ा के बाद जनरल गयु ने खान के अधीन एक अि थर तानाशाही जनवरी
1964 म थािपत हए। हनोई म, क यिु न ट नेताओ ं ने यह मानते हए िक जीत िनकट थी, दि ण को जीतने के िलए एक मख ु
सै य यास का फै सला िकया। पहले टुकिड़य म और िफर उ री िवयतनामी सेना (NVA) क परू ी इकाइय को लाओस के
मा यम से, हो चीिम ह ेल से दि ण भेजा जाने लगा, जो उस समय तक क यातायात म स म आधिु नक सड़क का एक
नेटवक बन गया था। चीनी क यिु न ट नेता माओ से तुंग ने उ र िवयतनामी आ ामक का परु जोर समथन िकया और
हिथयार , तकनीक तथा रसद किमय क आपिू त का वादा िकया। दि ण िवयतनामी सरकार म अ यव था क ि थित को
देखते हए, तो अमे रका के िलए एकमा िवक प उ री िवयतनाम के िव एक बड़ा आ मण ही था। उसी समय संयु
रा य अमे रका म शासन म बदलाव क सभं ावना के कारण, दि ण पवू एिशया म अमे रक िहत म िगरावट आई थी। ऐसे
मिलंडन जॉनसन नवंबर के चनु ाव तक िवयतनाम के िववादा पद मु े को हल करना चाह रहे थे िक तु अग त 1964 क
अ यािशत घटना ने उस समय सा रणी को बदल िदया। “( पे टर, आर: 2016)। जब अग त म अमे रक यु पोत मैडॉ स
पर उ र िवयतनामी सेना ने टोनिकन क खाड़ी के गलती से हमला िकया था, तो अमे रका ने इसे अतं रा ीय तर पर अपनी
ि थित को नक ु सान पहँचाने वाले कदम के प म देखा। अपनी शि िदखाने के िलए, दि ण िवयतनाम के नौसैिनक क
ग ती नौकाओ ं ने उ री िवयतनाम के िनकट होण म और होणिनएउ के ीप पर जानबूझकर छापे मारे । िजससे दोन ओर से
िवयतनामी नौकाओ ं क ग त बढ़ गई, और अमे रक जहाज मैडॉ स के समथन म एक और जहाज भेजा गया। म क
ि थित से यह सोचकर िक बार-बार हमले हो रहे थे, अमे रका ने हाइट हाउस से अनुमित ली और अपनी सेनाओ ं क सरु ा
के िलए परू ी तरह से जवाबी कारवाई करने का आदेश दे िदया। िजससे अमे रका सीधे सै य टकराव म आ गया। वच व
हािसल करने के िलए जवाबी हमले और सघं ष लंबे समय तक चले, हालात िबगड़ गए और जीत अभी भी दरू थी। इस
प र य के तहत “अमे रक रा पित ने हनोई क क यिु न ट सरकार के साथ शांित वाता के िलए टेलीिवजन पर घोषणा क
जो सफल नह रही और हमले जारी रहे। इसके एक साल के बाद भी िकसी भी प म जीत क सभं ावना ना देखते हए और
भारी नकु सान के बाद, अ टूबर म सोिवयत ने गु प से वािशगं टन को सिू चत िकया िक वह उ र िवयतनामी DMZ म
अपने हमल को रोकने के िलए तैयार है और सयं ु रा य अमे रका और दि ण को रया के साथ गभं ीर वाता शु करेगा,
यिद अमे रका भी उ र िवयतनाम म सभी बमबारी को रोक द” ( पे टर, आर: 2016)। शािं तर क के प म अपनी ि थित
को ठंडा करने और अपने उ थान के िलए इस प रप व ि थित को देखते हए, जॉनसन ने अ टूबर के अिं तम िदन बमबारी को
रोकने क घोषणा क । बमबारी रोकने से कोई सफलता नह िमली, बि क सयं ु रा य अमे रका और इसके दि ण
िवयतनामी सहयोगी के बीच वाता को सचं ािलत करने के िलए शत और ि याओ ं के बारे म तनावपणू सबं धं सामने आए।

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जब तक दि ण िवयतनाम वाता म शािमल हआ, तब तक शासन म प रवतन हो चक
ु ा था और रचडएम. िन सन रा पित
चनु े गए थे।
जीत को बहत दरू देखते हए, अमे रका ने “स मानजनक” समाधान के िलए सोचा जो दि ण िवयतनाम को बने रहने का एक
उिचत मौका देगा। उ ह ने यह भी देखा िक अमे रका ारा अचानक वापसी से दिु नया भर म अमे रक साख कम हो जाएगी
य िक अमे रक जनमत ने अिधक सैिनक को ितब करना असभं व कर िदया था। अमे रका ने सोिवयत संघ और चीन
को भी वाता के बीच लाकर इसे हािसल करने क कोिशश क , दोन अमे रका के साथ अपने सबं ंध को सधु ारने के िलए
उ सकु थे। इससे “उ री िवयतनाम” ने 1969 म दि ण िवयतनाम म हमल का एक और दौर शु िकया था, िजसे िदखा कर
अमे रका ने िवयतनामी सीमा के पास कंबोिडया म गु क यिु न ट आधार े पर बमबारी क । इससे कंबोिडया भी यु म
उतर आया और साथ ही कंबोिडया क तथाकिथत तट थता का भी अनावरण होगा, जो िक सा यवाद के प म था।
( पे टर, आर: 2016) कंबोिडया पर इन हमल क योजना गु प से बनाई गई थी, लेिकन उससे िन सन क (अमे रका क
रा पित) छिव म िगरावट आई. िजससे अतं तः 1972 का वाटरगेट घोटाला सामने आया। साथ ही अमे रक सैिनक इस यथ
के यु से थक गए थे, िजसम उ ह के वल भारी नकु सान ही उठाना पड़ा था।
2.5.4 अमे रका ारा सै य वापसी का समझौता
हालाँिक िवयतनाम म सेना क वापसी आगे बढ़ी, लेिकन पे रस म बातचीत ि थर रही य िक दोन प समझौते क शत पर
फै सला नह कर सके । ऐसा इसिलए था, य िक उ री िवयतनाम के वल अमे रका ारा वापसी चाहता था,लेिकन अमे रका
दोन प क वापसी चाहता था और तट थ सरकार के गठन म गयु ेन वान िथयक ू ो शािमल िकये जाने का समथन कर रहा
था। गितरोध को देखते हए, अमे रका ने क यिु न ट नेतृ व को बातचीत म लाने के िलए बमबारी के नए दौर क शु आत करने
क कोिशश क , लेिकन अमे रका के सै य और गु चर िवशेष ऐसी कोई भी कायवाही नह चाहते थे जो अमे रक जनता
को पसदं न आए, जोिक यु वापसी को जारी रखने के िलए उ सक ु थी। अमे रका ने िवयतनाम म तो ह त ेप नह िकया,
लेिकन कंबोिडया म वयं को रोक नह सका, जहाँ जनरल लोनलनोल के तहत एक पि मी समथक सरकार ने माच 1970 म
िसहनौक क तट थ सरकार को उखाड़ फका और स ा म आ गई। इस शासन ने क यिु न ट को उनक सीमा के बाहर रहने
के िलए मजबरू करने का यास िकया था। “उ र िवयतनाम जो बहत शि शाली था, वह आसानी से क बोिडयन सेना
समिथत क बोिडयन क यिु न ट आंदोलन के हमल का सामना कर सकता था, जो खमेर ज के प म जाना जाता है। लोन
नोल का समथन करने और क यिु न ट अभयार य को न करने के िलए उ सक ु , अमे रका ने उ री िवयतनाम के सीमावत
े म वेश करके और आपूित और उपकरण क भारी मा ा म क जा करके एक पणू यु को बढ़ाया लेिकन यह िकसी
भी बड़े श ु बल को फंसाने म िवफल रहा। अमे रका म, कंबोिडयन घसु पैठ क खबर से यापक िवरोध और दशन शु हो
गए। ओिहयो के कट टेट यिू नविसटी म 4 मई को दशनका रय क भीड़ पर अमे रक नेशनल गाड के सैिनक के कायवाही
म चार छा क ह या और कई अ य लोग के घायल होने के बाद ये और भी ती हो गए। इसके प रणाम व प अमे रक
सरकार के िखलाफ िविभ न िव विव ालय म रा यापी दशन हए; िज ह ने अमे रका को वापसी के बारे म गभं ीरता से
सोचने पर िववश कर िदया।” ( पे टर, आर: 2016)।
अमे रक कारवाई के िव असतं ोष के उ हो जाने पर, अमे रका अब वापसी के एक शांितपूण समझौता को तैयार था।
लेिकन, अब उ री िवयतनाम क क यिु न ट सरकार इस समझौते को नह चाहती थी। ऐसा इसिलए था य िक इसने इसे परू े
िवयतनाम पर िनयं ण हािसल करने के अिं तम अवसर के प म देखा। प रणाम व प हनोई नेतृ व ने 30 माच, 1972 को
दि ण पर आ मण शु िकया, टक ारा िकये गए हमले को तोपखाने का समथन था। इन हमल क िवफलता के साथ,
हनोई नेता समझौता करने के िलए तैयार थे। अब दोन प क सहमित से समझौते को आगे बढ़ाया गया। समझौते क शत
इस कार थी: उ र िवयतनामी सेना दि ण से परू ी तरह से पीछे नह हटेगी। बदले म, उ री िवयतनाम ने सहमित य क
िक वह दि ण म गठबंधन सरकार के साथ िथएउ को बदलने पर जोर नह देगा। 1972 म एक समझौता हआ था, िजसे
दि ण िवयतनाम सरकार ने खा रज कर िदया था य िक उसम उनक िच का यान नह रखा गया था। “नवंबर म (िन सन

18
के िफर से चनु ाव के बाद)िकिसंजर,िथएउ के संतोष के िलए, बनाये गए समझौते, म प रवतन के कुछ 69 सझु ाव लेकर पे रस
म लौट आए। उ र िवयतनामी ने तािवत प रवतन पर गु से का जवाब िदया। िन सन ने तािवत बदलाव को अ वीकार
करने को उ र िवयतनाम के दु साहस के प म जो देखा, िजससे उ सािहत होकर, िथएउ से सहयोग करने के िलए राजी करने
के िलए हनोई पर हमला करने के िलए िफर से बी-52 बमवषक को आदेश िदया। यह तथाकिथत ि समस बमबारी, यु क
सबसे ती बमबारी थी। आठ िदन के बाद उ र िवयतनामी पे रस म अिनवाय प से एक समझौते पर ह ता र करने के
िलए वापस लौटने के िलए सहमत हो गया, जैसा िक अ टूबर म हआ था। िथएउ, अमे रक सै य सहायता के एक बड़े वाह
से आ व त और िन सन से वाद और खतर के सयं ोजन के साथ अिन छा से साथ जाने के िलए सहमत हए। 27 जनवरी,
1973 को िवयतनाम म यु को समा करने और शांित बहाल करने के समझौते पर दि ण िवयतनामी क यिु न ट ताकत ,
उ री िवयतनाम, दि ण िवयतनाम और अमे रका के ितिनिधय ने ह ता र िकए। समझौते पर ह ता र िकए जाने के
बावजूद, 1974 तक श तु ा का एक िववादा पद पैटन देखा गया। िजसम सैकड़ िवयतनामी हर िदन अपनी जान गंवाते रहे,
जबिक लड़ाई बंद होनी चािहए थी। 1974 क गिमय तक िन सन ने अपमािनत हो इ तीफा दे िदया था, कां ेस ने िवयतनाम
को सै य और आिथक सहायता म 30 ितशत क कटौती कर दी, और कंबोिडया म लोन नोल शासन हार के करीब िदखाई
िदया। िथएउ क और अ म सरकार, को अब देश के भीतर भारी किठनाइय का सामना करना पड़ा, बेरोजगारी,
उदासीनता, और सेना से बड़ी सं या म पलायन दर। साइगॉन के उ र-पवू म फौकलॉ ग म एक आसान सफलता के बाद,
िदसंबर 1974 – जनवरी 1975 म, हनोई नेताओ ं का मानना था िक जीत िनकट थी। उ रिवयतनाम को माच 1975 क
शु आत म दि ण िवयतनाम पर अिधकार करने के िलए दो साल के यु क उ मीद थी। िक तु जैसा िक हआ, दि ण क
सरकार और सेना दो महीने से भी कम समय म व त हो गई और यु समा हो गया।”( पे टर, आर: 2016)।
2.6 को रयाई यु
यु के कारण, वा तिवक यु शु होने से बहत पहले से ही थे। 1910 के बाद से को रया जापानी क जे म था, 1945 म
उसक हार के बाद को रया का 38व समानांतर के साथ दो े म िवभाजन हो गया था। इस यव था को अ थायी माना
गया और संयु रा ने परू े देश म चनु ाव क घोषणा क । यह अमे रका के प म था य िक उसने सोचा था िक उनके े
म दो-ितहाई आबादी है और क यिु न ट सरकार को हरा िदया जाएगा। हालाँिक, अंतरा ीय प र य म बदलाव के साथ
को रया का एक करण शीत यु क ित िं ता के साथ जुड़ गया, िजसने बुरा मोड़ ले िलया और कोई समझौता नह हआ।
दि ण को रया म चनु ाव हए, िजसम िसनगामरी को उनके अ य और िसयोल को राजधानी के प म थािपत िकया गया,
जबिक उ र को रया के लोकतांि क गणरा य म िकम II संगु ने क यिु न ट सरकार के तहत य गयांग म अपनी राजधानी
थािपत क । हालाँिक स और अमे रक सैिनक को वापस ले िलया गया था, लेिकन एक संभािवत खतरनाक ि थित को
पीछे छोड़ िदया गया। देश के लोग िवभाजन से नाखशु थे जबिक दोन को रयाओ ं के शासक शासन करना चाहते थे, उ र
को रया ने जनू 1950 म दि ण को रया पर आ मण कर िदया।
2.6.1 आ मण
1950 क शु आत म िकम II ने 38वाँ समानांतर पार िकया और एकता क तलाश म दि ण को रया पर आ मण िकया।
िव ान का मानना है िक आ मण के पीछे के कारण िन निलिखत म से कोई भी हो सकता है:
1. िकम II संगु का अपना िवचार, सभं वतः अमे रक सिचव ारा शांत के आसपास अमे रका के भाव को मजबतू
करने के बयान से ो सािहत हआ िजसमे को रया का उ लेख नह था।
2. िकम II को नई चीनी सरकार ारा ो सािहत िकया गया हो सकता है, जो उसी समय म ताइवान पर हमला करने के
िलए सैिनक क तैयारी कर रहा था, जो यांग काई–शेक के अधीन था।
3. स पि म बिलन म अपनी हार के बाद अपना भाव बढ़ाना चाहता था। (लोव1997: 144)

19
2.6.2 सपु र पावर ित िं ता
हैरी एस. मैन, अमे रका के रा पित, आ त थे िक हमला टािलन ारा िकया गया था। उ ह ने इसे एक समझी-बुझी
चनु ौती के प म िलया और इसे सा यवाद फै लाने के िवशाल सी योजना के िह से के प म देखा। इस िव तारवाद को
रोकने के िलए अमरीका ने दि ण को रया को न के वल आिथक बि क सै य समथन के साथ मदद करने का फै सला िकया।
संयु रा सरु ा प रषद क एक त काल बैठक बल ु ाई गई थी िजसम सभी देश से उ र को रया के वापस न आने क
ि थित म सेना भेजने का अनरु ोध िकया गया था। जब उ र को रया पीछे नह हटा, तो अमे रका को मंजरू ी िमल गई य िक
स और चीन क माओ क सरकार सयं ु रा म अ कािशत िवरोध के कारण सभाओ ं का बिह कार कर रहे थे। दि ण
पवू को रया को रोकते हए सेनाएँ समय पर पहँच , िजसम पसु ान का बंदरगाह भी शािमल था, दि ण को रया के बाक िह से
क यिु न ट के हाथ म थे। सयं ु रा के िफर से वतन के िबना भारी बल और बेहतर यु के कारण, अमे रक नौ सैिनक ने
क यिु न ट सरकार को पीछे धके ल िदया। अब अमे रका नह चाहता था िक वह उ र को रया पर आ मण करे , तािक सयं ु
रा क मजं रू ी के साथ मु चनु ाव हो सके । चीनी सरकार ने आ मण के िखलाफ चेतावनी दी थी लेिकन चेतावनी अनसनु ी
हो गई और अ टूबर के अतं तक, सयं ु रा के सैिनक ने य गयागं पर क जा कर िलया था, उ र को रया के दो-ितहाई
िह से पर क जा कर िलया था और को रया और चीन के बीच सीमा पर ि थत यालु नदी तक पहँच गया था। चीन क सरकार
गभं ीर प से िचिं तत थी य िक िचयागं पर हमले को रोकने के िलए अमे रक सरकार ने पहले ही ताइवान और मु य भिू म
के बीच एक बेड़ा रखा था और हर मौका था िक वे मचं ू रया (उ र को रया क सीमा म चीन का िह सा) पर आ मण करगे।
नवबं र म चीनी ने 30000 से अिधक सैिनक के साथ बड़े पैमाने पर जवाबी हमला िकया, िज ह वयसं वे क के प म विणत
िकया गया, िज ह ने सयं ु रा के सैिनक को उ र को रया से बाहर िनकाल िदया और िसयोल पर िफर से क जा कर
िलया। हालाँिक, इस जवाबी हमले के बाद अमे रका ने सोचा था िक अिधक ितशोध से और अिधक जवाबी हमले ह गे जो
अिधक यु म आगे बढ़गे। प रणाम व प, यह िनणय िलया गया िक सा यवाद यु ल य होना चािहए, इसिलए उ ह ने
यु को रोक िदया, जब क यिु न ट समहू को 38व समानांतर म िसयोल से बाहर कर िदया गया था। पनमनु जोम म दो साल
के िलए शांित वाता हई, जो 1953 म इस समझौते के साथ ख म हई िक 38व समानांतर दोन को रया के बीच अंतरा ीय
सीमा होगी। (लोव 1997, 144-147)
को रयाई यु ने को रया को तबाह कर िदया य िक लाख लोग मारे गए और अथ यव था को भारी हािन पहँची। इस यु ने
शीत यु को एक और आयाम िदया य िक अब अमे रका का सबं ंध न के वल स के साथ बि क चीन के साथ भी
तनावपणू था। इस यु ने चीन को उभरती हई शि के मचं पर ला िदया, िजससे भिव य म अमे रका को िनपटना होगा।
संयु रा ने अपने अिधकार पर जोर िदया, जो अ छा संकेत था य िक अब नए अंतरा ीय सगं ठन को शि िमली और
लीग ऑफ़ नेशंस को उसके ख म होने का डर दरू हो गया।
2.7 सार-सं ेप / िन कष
 सयं ु रा य अमे रका और सोिवयत सघं के बीच स ाव म कमी और पर पर अिव वास के कारण ि तीय िव व यु
के तरु ं त बाद शीत यु िछड़ गया। इसने सोिवयत सघं और पि म के बीच लगातार तनाव पैदा िकया, जबिक कोई
सीधा टकराव नह हआ। शीत यु के काल को सात चरण म देखा जा सकता है।
 सोिवयत सघं के िवघटन तक कई चरण म शीत यु जारी रहा। शीत यु के सात चरण थे (अ) थम चरण (1946-
1949) (ब) दसू रा चरण (1949-1953) (स) तीसरा चरण (1953-1957) (द) चौथा चरण (1957-1962)
(इ) पाँचवाँ चरण (1962-1969) (एफ) छठा चरण (1969-1978) (जी) अिं तम चरण (1979-1987)। इस काल म
महाशि य ने पर पर अप- चार ( ोपेगंडा), आिथक ितबंध का उपयोग और पर पर असहयोग तक अपनाने को
सीिमत रखा था।
 शीत यु के मु य िबंदु िवयतनाम यु (1961-75) और को रयाई यु (1950-53) ह; जो बहत िवनाश लाए।

20
बह-वैकि पक न
1. स ने अपने सहयोगी देश के िलए िकस योजना क घोषणा क थी?
(a) माशल लान (b) मैन लान
(c) मो तोवो योजना (d) कॉ नी फॉम
2. वसाव संिध पर ह ता र कब िकए गए थे?
(a) 1954 (b) 1955
(c) 1953 (d) 1957
3. यबू ािमसाइल सक
ं ट कब हआ?
(a) 1960 (b) 1964
(c) 1962 (d) 1963
4. 1954 तक िवयतनाम पर िकसका शासन था?
(a) ांस (b) जापान
(c) यएू सए (d) चीन
5. उ री िवयतनाम और दि ण िवयतनाम के बीच िवभाजन रे खा या थी?
(a) 19वाँ समानांतर (b) 17वाँ समानांतर
(c) 21वाँ समानांतर (d) 15वाँ समानांतर
बह-वैकि पक न के उ र
1. (c), 2. (b), 3. (c), 4. (a), 5. (b)
िपछले वष के न
1. शीत यु क उ पि और िवकास का िव लेषण (2018) कर।
2. शीत यु (2019) क समालोचना कर।
3. संि नोट िलख–
a) ‘िदता त’ यातनावशैिथ य (2017) b) िवयतनाम यु (2019)
सझ
ु ाए गए न
1. शीत यु के चरण क सिव तार चचा कर।
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
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21
2. शीत यु का अतं कै से हआ? या आपको लगता है िक शीत यु समा हो गया है?
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
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.......................................................................................................................................................
3. िवयतनाम यु के िवकास पर सिव तार चचा कर।
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
4. को रयाई यु महाशि य क ित पधा का प रणाम था। इस कथन का िव लेषण कर।
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
.......................................................................................................................................................
2.8 सदं भ सच
ू ी
 Baylis, J., Smith, S.& Owens P. (2011) The Globalization of World Politics : An introduction
to International Relations. Oxford University Press: Delhi
 Chander P. & Arora P. (1984) Comparative Politics and International Relations. Book hives:
Delhi
 Lowe N. (1997) Mastering Modern World History. Macmillan: Delhi
 Spector,Ronald H. Vietnam War, 2016 https://www.britannica.com/print/ article/628478)
(https://www.britannica.com/print/article/125110Cold War

22
इकाई-II
1. िव-उपिनवेशीकरण और उसके बाद

सारांश
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 पृ भिू म
1.3 िव-उपिनवेशीकरण या है? सै ाि तक संक पना
1.4 िव-उपिनवेशीकरण कब ार भ हआ?
1.4.1 अ जी रया का वतं ता सं ाम
1.4.2 इडं ोनेिशया
1.5 उ र िव-उपिनवेशीकरण काल
1.5.1 उ र-उपिनवेशीकरण
1.5.2 नव-उपिनवेशीकरण
1.6 उपसंहार
1.7 संदभ सचू ी
1.0 उ े य
इस पाठ का उ े य िवशेष प से अ जी रया और इडं ोनेिशया म िव-उपिनवेशीकरण क ि या को सदं िभत करते हए; िव-
उपिनवेशीकरण क सै ाि तक सक ं पना को िवकिसत करना है जो िव-उपिनवेशीकरण क ि या के यापक स दभ क
समझ को िवकिसत करने एवं इससे जड़ु े मल
ू - न के प ीकरण म िवशेष सहायक है।
1.1 तावना
मानव यवहार एवं मानव समाज क अकादिमक ितकृ ित क समझ को िवकिसत करने के िलए सामा यत: ऐितहािसक
समझ अ यतं मह वपणू है। यह हम आिथक, राजनैितक, सामािजक, सां कृ ितक, सै ांितक एवं संवाद के े म िविवध
प र य के िवषय म बौ ग य सै ांितक संक पन को िवकिसत करने म सहायक होती है। िव-उपिनवेशीकरण एक ऐसी ही
संक पना है; िजसक रा , शासन- णािलय , आिथक, राजनैितक, बौि कतावाद एवं सां कृ ितक िवकास क िदशा को
प रवितत करने म वृहत भिू मका रही। यह ि या इसिलए भी मह वपणू है, य िक इसके भाव वतमान समय को भी
भािवत कर रहे ह। अब, यह समझ दो कार से िवकिसत क जा सकती है; सै ािं तक तथा त या मक। सै ांितक समझ
जहाँ हम िव-उपिनवेशीकरण को प रभािषत करने म सहायक होगी एवं हम या? य ? कब और कै से? जैसे न के उ र
समझने म सहायक होगी वह त या मक, जो िक िव-उपिनवेशीकरण के वा तिवक उदाहरण पर आधा रत है, हमारी
सै ांितक समझ को त या मक आधार दान करेगी। धानत: उ े य िव-उपिनवेशीकरण क सै ािं तक प रक पना को
िवकिसत करना है।

23
1.2 पृ भिू म
एक नई िदशा तब ा हई जब यरू ोपीय सा ा य ने धन और संसाधन क तलाश ‘दरू देश म’ शु क । लगभग 17व
शता दी के बाद से यरू ोपीय सा ा य जैसे िक पतु गाली, डच और पेन को जहाज िनमाण तकनीक और समु ी या ा म
नवाचार क ाि हई। उ ह ने ‘नई दिु नया’ म अिभयान शु करने के िलए इन नवाचार का उपयोग िकया। अिभयान के
मा यम से, वे एिशया और अ का म यापार का िव तार करने म स म हए। उ ह ने मसाले, क मती धातु और सतू ी व
यापार क थापना क , जो काला तर म पार- ीपीययरू ोपीय औपिनवेिशक शासन के प म प रवितत हो गया। बाद म,
ि िटश ने भी िवदेश म अपना यापार बढ़ाना शु कर िदया, िजसके मा यम से वे भी औपिनवेिशक शासन थािपत करने
म स म हए िजसे सा ा यवाद के दसू रे चरण के प म भी जाना जाता है। औपिनवेिशक शासन के पतन और िव-
उपिनवेशीकरणके ादभु ाव के िलए दो कार के प ीकरण ह – यरू ो-कि त या बा -कि त। यरू ो-कि त सं करण का तक है
िक यरू ोपीय सा ा य क आिथक िगरावट िव-उपिनवेशीकरण का कारण थी। 1929 के महान आिथक अवसाद ने यरू ोपीय
शि य को भािवत िकया और इसने उ ह अ का म अिधक उपिनवेश का िनयं ण लेने के िलए े रत िकया। हालाँिक,
थम िव व यु के बाद ही सा ा यवादी शि य का सयू डूबना शु हो गया था, यह संयु रा य अमे रका म उ प न हए
महान आिथक अवसाद के कारण तेज हो गया। ि तीय िव व यु ने ि थित को और भी खराब कर िदया था, िजसने आिथक
प से यरू ोपीय शि य को िनचोड़ िदया। हालाँिक, ांस और डच अपने िवदेशी सा ा य को मजबतू करना चाहते थे। ासं
ने एक संिवधान क थापना क , जो ांस और उपिनवेश दोन के िलए था, डच ने अपनी रानी के शासन म उपिनवेश के
साथ मु य भिू म को एकजटु करने क योजना बनाई और ि िटश ने अ का म अपने सा ा य को बनाए रखने क कोिशश
क । िफर भी, िव-उपिनवेशीकरण ि या एिशया म शु हई जब ि िटश ने भारत को वतं ता दी। इस ि या ने गित
पकड़ी जब औपिनवेिशक शि य ने औपिनवेिशक सा ा य को बनाए रखने क लागत को महससू करना शु िकया।
(Rothermund, 2005)। हालाँिक, बा -कि त प र े य का तक है िक यरू ोपीय सा ा यवाद के पतन के िलए उपिनवेश
के भीतर क गितिविधयाँ िज मेदार थ । यह औपिनवेिशक लोग ारा औपिनवेिशक सा ा य को िति त करने म िनभाई
गई भिू मका पर काश डालती है और इस समथन के िबना सा ा य उखड़ने के िलए बा य था।
1.3 िव-उपिनवेशीकरण या है? सै ाि तक सक ं पना
िव-उपिनवेशीकरण ‘ व-शासन’ के नए राजनीितक म क शु आत को िचि त करता है। श द ‘डी-कोलनाइज़ेशन’ का
इ तेमाल पहली बार 1936 म जमन अथशा ी मो र ज़ जूिलयसबॉन ने अतं र-यु काल म िकया था। इस श द का एक
मजबतू राजनीितक अथ है य िक यह िवशेष प से एिशयाई और अ क देश म औपिनवेिशक शासन के िवघटन,
िवचछे् दन, पतन को समझने के िलए उपयोग िकया जाता है। यह हम औपिनवेिशकता और ित-उपिनवेिशकता के ि -चर
को समझने म मदद करता है। सरल तरीके से, िव-उपिनवेशीकरण को औपिनवेिशक शि य से वदेशी लोग को सं थागत,
काननू ी और े ीय िनयं ण के ह तांतरण के प म समझा जा सकता है। एक ि या के प म िव-उपिनवेशीकरण ने रा ीय
आ मिनणय, समानता और वतं ता जैसे मानदंड से ेरणा ा क । राजनीितक प रवतन आंत रक तर पर यानी
औपिनवेिशक सा ा य के भीतर और बाहरी तर पर यानी अतं रा ीय तर पर हो रहे थे।
आतं रक ि कोण से, गलत िनणय , दमन व सकल शोषण क नीित ने ही औपिनवेिशक शि य के तर पर उनक िगरावट
म योगदान िदया। उपिनवेश के जनमानस म रा वाद और आ मिनणय क रे णा म वृि ने ही उ ह े रत िकया िक वह वयं
को औपिनवेिशक शि य का सामना करने के िलए तैयार कर। बाहरी ि कोण से, अतं रा ीय तर पर, राजनीितक इकाई के
प म सा ा य क वैधता सिं द ध होती जा रही थी य िक तक
ु मानी और पेिनश सा ा य क शि म भारी िगरावट आई
थी। एक राजनीितक इकाई के प म रा -रा य अिधक वीकाय था य िक यह समानता, वाधीनता, लोकतं ,
आ मिनणय और वतं ता के नए मू य को ितिबिं बत करने म स म था। हालाँिक, ये नए मू य यरू ो-कि त ही थे, य िक
यह उपिनवेश म न लीय असमानता को हटाने व अ याय को दरू करने म ेरक नह हए और औपिनवेिशक शि य को भी
उपिनवेश से वैि छक प से िनयं ण हटाने को े रत न कर पाए। ि तीय िव व यु के बाद िव-उपिनवेशीकरण क ि या

24
ने गित एवं वेग ा िकया य िक संयु रा के सद य 1945 म 51 से बढ़कर 1965 म 117 हो गए। िफर भी, यह समझने
क आव यकता है िक िव-उपिनवेशीकरण एक बह तरीय ि या है और हालाँिक, े ीय वतं ता क घोषणा क जाती है;
तो भी एक बौि क सम या के प म उपिनवेशीकता का अंत नह होता है।
1.4 िव-उपिनवेशीकरण कब ार भ हआ?
1940 के बाद हए, राजनीितक प रवतन वैि क तर के थे और इसक ती ता काफ नाटक य थी। औपिनवेिशक शि य
को औपिनवेिशक लोग से भारी ितरोध का सामना करना पड़ रहा था। औपिनवेिशक शि याँ एक िवनाशकारी तरीके से
िवफल रह , उदाहरण के िलए 1949 म डच, ई टइडं ीज म हार गए, 1947 म अं ेज ने भारत छोड़ िदया और 1954 म डायन
िबयेनफु (DienBienPhu) म ासं को सै य हार का सामना करना पड़ा (बेट्स, 2012)।
The Wretched of the Earth by Frantz Fanon, सबसे मह वपणू आलोचना मक सािह य था िजसने िव-
उपिनवेशीकरण को एक िहसं क प र य के प म विणत िकया। (बेट्स, 2012) यह एक िहसं क मामला था, बीसव शता दी
का उ रा िजसके उदाहरण से भरा हआ है, जैसे िक भारत का िवभाजन 1947; अ जी रयाई यु 1954-62; 1946-54
इडं ीचीन म यु ; 1945-49 म इडं ोनेिशया म िहसं ा; को रयाई यु 1950-53 आिद। यह यरू ोप के िवदेशी सा ा य के अंत
का ितिनिध व करता है और नवगिठत राजनीितक इकाइय का जो िक सं भतु ा क थापना, अपने रा ीय े , याय-
यव था, सिं वधान, सरकार, वज और रा गान को प रभािषत करने म स म थ । िव-उपिनवेशीकरण क ि या को
िविभ न ि कोण से समझा जा सकता है जैसे िक उपिनवेश के भीतर के घटना म जहाँ औपिनवेिशक शि य से ितरोध
समय के साथ ती होता गया, सा ा य के िवघटन क ि या, जहाँ िव-उपिनवेशीकरण को एक लंबे समय के सा ा य के
इितहास म एक घटना समझा जाता है तथाअंतरा ीय चेतना के िवकास के प म जहाँ उपिनवेशवाद वतं ता, समानता
और अिधकार जैसे आदश मू य क भावना के िखलाफ जाता िदखाई देता है।
आइए अब हम अ जी रया और इडं ोनेिशया के िव तृत उदाहरण के मा यम से िव-उपिनवेशीकरण क ि या को समझते
ह।
1.4.1 अ जी रया का वतं ता सं ाम
अ जी रया क आजादी क लड़ाई; िव-उपिनवेशीकरण क ि या से संबंिधत; सबसे िववादा पद और दिू षत रही।
रा वािदय ारा इ तेमाल िकए जाने वाले िहसं क साधन और ांसीिसय ारा दी गई यातना-तकनीक के कारण यह
कु यात है।
ांसीिसय ने 1830 म आ मण कर अ जी रया पर क जा कर िलया था, जो एक िहसं क आ मण था। ांसीसी ने
ओटोमन तुक सा ा य पर बढ़त हािसल करने म अ जी रयाई े के रणनीितक मह व के कारण इस े पर आ मण
िकया था। यह ांसीसी क ज़ा एक अथ म अि तीय था; य िक ांस ने इसे औपिनवेिशक रा य घोिषत न करके ,
महानगरीय ांस का िह सा घोिषत िकया। िजस कारण, बड़ी सं या म च लोग अ जी रया म बस गए, जो अ जी रयाई
लोग क तुलना म काफ अलग थे। इन यरू ोपीय बसने वाल को, ांस सरकार ने राजनीितक और नाग रक अिधकार दान
िकये हए थे, िजनसे अ जी रया के मल
ू लोग को वंिचत रखा गया था।
अ जी रया क आबादी िविवधतापणू थी य िक इसम बबर, अरब और तक ु शािमल थे। ासं ीसी शासन के िव ितरोध
ने िविवध आबादी को एकजटु करने और एक रा ीय पहचान के िमथक को िवकिसत करने के िलए आधार दान िकया
(FareII, 2012)। दबी हई रा ीय पहचान का एक िसलिसला िवकिसत हो रहा था, लेिकन थानीय आबादी के बीच
ांसीसी नाग रकता के ांसीसी सु ढ़ीकरण ारा इसे बीच म ही रोक िदया गया। अ जी रयाई लोग को 1930 के दशक
तक तीन िविभ न समहू के तहत वग कृ त िकया गया था, य िक एक अयो य और दमनकारी ांसीसी शासन से वतं ता के
संबंध म, उनक धारणाएँ अलग-अलग थ । पहले समहू का नेतृ व मेसालीहडज ने िकया था, जो मोर को, ट्यूनीिशया और
अ जी रया के वतं रा य को बहाल करना चाहते थे। दसू रा समहू देशी अ जीयस का था, िज ह िवशेष प से अरब के

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प म वग कृ त िकए जाता है, और जो ांसीसी क जे को अपनी सं कृ ित के िलए एक खतरे के प म देखते थे और
यरू ोपीयकरण के यास के प म। तीसरे समूह का नेतृ व फरहत अ बास करते थे, जो वतं ता, समानता और बंधु व के
ांसीसी आदश और अ जी रया म बसने यरू ोपीय म भेद करते थे। इस समहू ने आदश ांस म िव वास िकया और तक
िदया िक अ जी रयाई ांसीसी हो सकते ह और इ लाम धम को भी, एक ही समय म, वीकार कर सकते ह य िक उनके
पास िजसे वह चाहते ह उ ह चनु ने क वतं ता है। यह सम या तब और बढ़ गई जब ांस को ि तीय िव व यु का सामना
करना पड़ा। ांस के दो समहू – धरु ी (एि सस) शि य के साथ पेटीसिवची ांस और वत ांस, ांस के भिव य पर
एक-दसू रे के साथ सघं ष कर रहे थे। इसने अ जी रया को भािवत िकया य िक िवची ांस समहू क नीितय ने गैर-यरू ोपीन
पर यरू ोपीय लोग के भु व का समथन िकया, जो भेदभावपणू कृ ित का था; जबिक ांस समहू ने यु के बाद, िवदेशी
े को आ मिनणयण का अिधकार देने का वादा िकया। ि तीय िव व यु के बाद ांस परू ी तरह से न हो गया था और
पनु िनमाण करना चाहता था। च नेता इसे शि और ित ा के तीक के प म िफर से बनाना चाहते थे, िजसके िलए उ ह
आिथक सहायता हेतु िवदेशी े क ओर देखना पड़ रहा था। अ जी रया म, यु के बाद क वतं ता क इ छा उ च
तर पर थी, जैसा िक मेसालीहडज और फरहतअ बास ारा िवत रत घोषणा-प से िदखाई देता था। यु के बाद क
वतं ता क माँग आिथक सम याओ ं से भी जुड़ गई; िजसके प रणाम व प 1945 म सेिटफ़ नामक शहर म झड़प हई।ं
अ जी रयाई अब अपने देश म भेदभावपूण यवहार के िलए तैयार नह थे। यरू ोपीय समदु ाय अ जी रया म अपने भु व को
यागना नह चाहता था। यु के कारण ांसीसी कमजोर थे और िवदेशी े म आमल ू -चल ू प रवतन नह कर सकते थे।
ांसीसी कमजोरी, नई अ जी रयाई अपे ाएँ और यूरोपीय असिह णतु ा ने िमलकर वहाँ वतं ता क लड़ाई के िलए आधार
तैयार िकया। यवु ा अ जी रयाई, राजनीितक माहौल से े रत होने के बाद; (Frant de Liberation Nationale) ट डी
िलबरे शन नेशनले (FLN) के प म सगं िठत हो गए, िज ह ने वतं ता के यु को आकार िदया। FLN समाजवादी िस ातं
के आधार पर नए अ जी रया को सगं िठत करने के िलए े रत था। जब ासं सरकार ने यरू ोपीय लोग क तरह अ जी रयाई
लोग को बराबरी का दजा देने से इनकार कर िदया तो िहसं ा बढ़ गई िजसने च सरकार के िखलाफ सश सघं ष का प ले
िलया।
िहस ं ा म विृ
कई समहू बने जो अ जी रया को ांसीसी स ा से मु करना चाहते थे। ये समहू थे, मोवेवमट पओ
ु र ले ाय फे देस िलबट
के डेमो े िट स (MTLD, Mouvement pour le Triomphe des Liberte's Democratique), एक मख ु रा वादी
पाट , िजसने एक अधसैिनक भिू मगत िवंग का आयोजन िकया: संगठन पीलेइल (OS, Organization Spe'ciale)। एक
अ य समहू था कॉमाइट रे वो यश ू नएयर पओ
ु र I ‘यनू ाइटएट I’ए शन (CRUA, Comite Re'volutionnaire pour I’
Unite et I'Action), िजसका उ े य अ जी रया म ांसीसी शासन को समा करने के िलए सश सघं ष म अ जी रयाई
रा वािदय को एकजुट करना था। CRUA के नेताओ ं ने FLN और उसके सै य िवंग,आम दे िल ेशन नाितओनाले
(ALN, Armee de lib'ration Nationale ) का आयोजन िकया। िहसं ा और सश सघं ष क कई घटनाएँ हई;ं उदाहरण
के िलए; और FLN ने 1 नवंबर, 1954 को अ जी रया के िविभ न िह स म तीस हमले िकए, जहाँ इसने पिु लस टेशन ,
ासं ीसी िसिवल सव ट्स और रा य अिधका रय आिद को िनशाना बनाया(FareII,2012)। ासं ीसी सरकार और
ासं ीसी स ा के िवरोधी समहू के बीच एक लबं ा सघं ष शु हआ, जो जलु ाई 1962 तक चला। इस सघं ष ने बहत िवनाश
िकया; जहाँ पाँच लाख लोग मारे गए; ासं के चौथे गणरा य को समा कर िदया गया,मजबरू होकर यरू ोिपय को थायी
प से िनवासन होना पड़ा और आधिु नक ासं और अ जी रया का िनमाण हआ।
च-अ जी रयन यु ; FLNऔर अ जी रयाई रा वादी समहू के बीच सघं ष, ांसीसी सेना और FLN के बीच गु र ला
यु और दोन देश म ांसीसी सेना क टकराव क नीित, का एक िमलाजुला संधष था। FLN क गितिविधय को
आतंकवादी काय के प म माना गया और ांसीसी शि ने इसके िखलाफ जवाबी कारवाई क । FLN ने औपिनवेिशक
शासन के िखलाफ कई िहसं क कृ य को अंजाम िदया, िजसका उ े य सयं म के िकसी भी यास क स भावना को समा
करना था। िहसं ा के मह वपणू काय म से एक अ जीयस क लड़ाई थी, जो राजधानी अि जयस म एक शहरी आतंकवाद

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का प था। इन िहसं ा काय ने ासं म भी राजनीित को भािवत िकया और अ जी रयाई िववाद के कारण पे रस क दो
सरकार िगर गई थ । ALN क गटु ने 1957 म मेलौजा म मेसली हद के समथक पर हमला िकया, िजसने अ जी रया के
भीतर समहू के बीच संघष का संकेत िदया, लेिकन अतं तः अ जी रयाई रा वाद को FLN ारा ही प रभािषत िकया गया
था। ांसीसी सरकार ने अ जी रयाई लोग को ांसीसी शासन क ओर ले जाने के यास िकए। एक मख ु नेता डीगॉल ने
उस ि थित को सामा य करने क बहत कोिशश क , जहाँ उ ह ने ांस म भी,अ जी रयाई क वतं क इ छा के बारे म
बताया था, लेिकन 1960 के दशक म यरू ोपीय समदु ाय ने ितरोध क शु आत क , िजसका िव FLN ारा िकया गया।
Alge'rie Francaise, the organisationde’Arme'e Secre'te (OAS) का गठन यरू ोपीय उपिनवेशवािदय ारा िकया
गया था जो अ जी रया को ांस के एक िह से के प म रखने को समिपत थे। OAS ने अ जी रया म नये आतंकवाद क
शु आत क , जो पहले से कह यादा िहसं क था। FLN और OAS अब आमने-सामने थे और उन म िहसं क संघष क
स भावना थी िक अिधकांश यरू ोपीय समदु ाय ने अ जी रया छोड़ िदया। 1 जुलाई, 1962 को,अ जी रया के वतं सं भु
रा य क घोषणा कर दी गई।
िव-उपिनवेशीकरण क ि या क गितशीलता को समझने के िलए अ जी रया का अनभु व एक मह वपणू उदाहरण है।
वतं ता ा करने के बाद अ जी रया पहले से भी अिधक साधनहीन और शि हीन हो गया। ासं ीसी सहायता म वृि
हई, पर अ जी रया क हालत को देखते हए बड़ी सं या म लोग ासं भाग गए। परू े अनभु व ने ासं और अ जी रया दोन
को हत भ छोड़ िदया और अ जी रया म ‘शांित’ भी लबं े समय तक नह बनी रही, य िक FLN समाज के बहलतावादी
वभाव के ित असिह णु हो गया था। यह कहा जा सकता है िक अ जी रया बाद म भी िहसं ा से भािवत रहा और यह
अभी भी वहाँ क समकालीन राजनीित को भािवत कर रही है।
अपनी गित जाँच-1
1. िव-उपिनवेशीकरण के अ णी िव ान के प म िकसे जाना जाता है?
(a) महा मा गाँधी
(b) वामेन मा
(c) ांट्ज़फै नोन
(d) फरहत अ बास
2. वतं ता के सघं ष से कौन सी सै ािं तक अवधारणा उ प न हई?
(a) धमिनरपे ता
(b) रा वाद
(c) िलबट
(d) समानता
3. उस सगं ठन का नाम बताइए जो मु य प से अ जी रया म वतं ता के यु म सि य था।
(a) ं ट डे िलबरे शन नेशनले
(b) द आम डे िलबेरेशन नेशनले
(c) संगठन पे’िसअले
(d) वेरीिनगेडओ ट-इिं ड चेकॉ पे नी
उ र- 1. c, 2. d, 3. a

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1.5 उ र-िव-उपिनवेशीकरण का चरण
िव-उपिनवेशीकरण चरण का भाव बह-आयामी होता है, िजसे िव-उपिनवेशीकरण क ि या के बाद के चरण का
िव लेषण करके समझा जा सकता है। राजनीितक प से वतं रा य हो जाने के बाद भी, औपिनवेिशक िवरासत पूव
कॉलोिनय म बनी रही। अिधकांश वतं रा य को औपिनवेिशक शासन और रा -रा य क अवधारणा िवरासत म
िमली। लेिकन सबसे मह वपणू बात, यह औपिनवेिशक सोच, मानिसकता और आिथक यव था थी, जो औपिनवेिशक
शासन के बाद भी लंबे समय तक बनी रही। आमतौर पर, िव ान ने इसे उ र-उपिनवेशवाद और नव-उपिनवेशवाद के प म
समझा है।
1.5.1 उ र-उपिनवेशीकरण
उ र-उपिनवेशवाद बाद म औपिनवेिशक सा ा य क सां कृ ितक िवरासत क दाशिनक आलोचना ततु करता है और
‘मन के िव-उपिनवेशीकरण’ क वकालत करता है। ‘जब भी हम वतं ता के सघं ष को समझने क कोिशश करते ह, कथा म
औपिनवेिशय ारा औपिनवेिशत के िकए गए आिथक शोषण शािमल रहते ह, जो सच है लेिकन शोषण के तरीके के बारे म
परू ी त वीर पेश नह करते ह। ांजफै नोन ने पहली बार िव-उपिनवेशीकरण के दो कार को उजागर िकया था – स चा और
झूठा िव-उपिनवेशीकरण। स चे िव-उपिनवेशीकरण का अथ है औपिनवेिशक उपि थित के सभी प से छुटकारा पाना और
झूठे िव-उपिनवेशीकरण का अथ है िक भले ही ऐसा तीत होता है िक औपिनवेिशक स ा ने उपिनवेश को छोड़ िदया है,
लेिकन िफर भी, वे खदु को अ य प म कट करते ह। एडवड ने अपने काम म कहा िक ओ रएटं िल म ने अधरू े िव-
उपिनवेशीकरण को (कोिल स, 2015) समझाने के िलए एक पणू तक तुत िकया। उ ह ने बताया िक औपिनवेिशक
शि याँ एक कॉलोनी को िविभ न मा यम से िनयंि त करती ह, िजनम से सं कृ ित और िवचार पर िनयं ण भी है।
उपिनवेश म लोग क धारणा उ ह औपिनवेिशक स ा ारा दी गई थी यानी उ ह ने यरू ोपीय िवचार क अवधारणाओ ं के
मा यम से खदु को और समाज को देखा और समझा। वा तव म उपिनवेश को औपिनवेिशक अवधारणाओ ं और िवचार से
मु त कराना ही वतं ता मानी जा सकती है, जो मा सरकार म प रवतन के मा यम से ा नह क जा सकती। पि मी
शि य ारा गैर-पि म लोग के िलए िनमाण क गई संक पनाएँ, िनयं ण और उ पीड़न का एक तरीका था। उपिनवेश म
समाज, लोग, ेिणयाँ, संरचनाएँ आिद शािमल थे जो औपिनवेिशक शि य से अलग थे और इसिलए, उनक समझ से परे
थे। इन उपिनवेश का जमीन का बेहतर िनयं ण करने के िलए उ ह ने सामािजक, सां कृ ितक, राजनीितक और आिथक
संरचना को समझने क कोिशश क और उ ह ने ऐसी संक पनाएँ तैयार क , जो यरू ोपीय लोग क मदद कर सक।
1.5.2 नव-उपिनवेशीकरण
नव-उपिनवेशवाद क अवधारणा उस ि थित को िन िपत करती है, जहाँ िव-उपिनवेशीकरण के बाद भी औपिनवेिशक
शि य का िनयं ण अ य तरीके से पवू उपिनवेश पर हावी है। Kwame Nkrumah ने सबसे पहले ‘सा ा यवाद के
अंितम चरण’ के प को समझाने के िलए ‘नव-उपिनवेशवाद’ श द का इ तेमाल िकया। औपिनवेिशक शि य ने िविभ न
तरीक से पवू उपिनवेश के आिथक कामकाज को िनयंि त करना जारी रखा, उदाहरण के िलए, बेि जयम ने एमएनसी
सोसाइटी गेनरे े ले डी बे गीक िडकोलोनाइजेशन ऑफ कॉनगो
् (कोिल स, 2015), (MNCsociété Générale de
Belgique Decolonization of Congo (Collins, 2015)), के मा यम से कॉनगो् क 70 ितशत अथ यव था का
िनयिं त करना जारी रखा। नव-उपिनवेशवाद का ि कोण तब उ प न हआ जब नवगिठत रा ने यह देखना शु कर िदया
िक िवघटन के यािशत प रणाम नह ह। एक यापक आलोचना “िनभरता का िस ांत” रही है, जो मा सवादी ऐितहािसक
प र े य से िव व अथ यव था क आलोचना तुत करती है। यह बताती है िक िव-उपिनवेशीकरण तो बहत बाद क
अव था है; पहले तो सा ा य क थापना से लेकर वतं ता के संघष तक क समझ बनाने क ज रत है तािक िव व
अथ यव था म उपिनवेश के एक करण को जाना जा सके जो उनके ‘िन न-िवकास तर’ को मापने म मदद कर सकता है।
उपिनवेश अिनवाय प से एक ऐसी जगह थी, जहाँ से औपिनवेिशक शि याँ म और क चे माल जैसे संसाधन को
िनकालने म स म थ । इसे क -प रिध मॉडल से समझा जा सकता है, जहाँ कॉलोनी प रिध थी, जो मु य अथ यव थाओ ं

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को लाभ पहँचा रही थी। भले ही अथशा को समझने के िलए िनभरता िस ातं का सबसे लोकि य वैचा रक उपकरण नह
था, लेिकन इसने तीसरी दिु नया के देश म अपनी अथ यव थाओ ं के उ थान के िलए िव व बक और आईएमएफ के
आलोचना मक िव लेषण को िवकिसत करने म मदद क । िजस छानबीन ने, एक गहरी अवधारणा तुत करके िवकास के
दायरे को यापक बनाने क अनमु ित दी है।
औपिनवेिशक सा ा य के अंत के बाद ांस क िच पवू उपिनवेश म अपनी पकड़ बनाए रखने म थी। यह नव-
उपिनवेशवाद का एक और पहलू है जहाँ राजनीितक ह त पे उन साधन म से एक है िजसके मा यम से िनयं ण समा हो
जाता है। नव-उपिनवेशवाद को तीन िन निलिखत उदाहरण से समझा जा सकता है। सबसे पहले, ांस म सेनेगल, गैबॉन
आिद जैसे पवू उपिनवेश म चाइजी ारा उपजी राजनीितक अधीनता है, नव-उपिनवेशवाद के िलए दसू रा उदाहरण शीत
यु क राजनीित है। जहाँ अ का, लैिटन अमे रका और दि ण पवू एिशया जैसी पवू उपिनवेश सोिवयत सघं और सयं ु
रा य अमे रका दोन के िलए िच के े थे। अनौपचा रक िनयं ण को सै य गठजोड़ या शासक के साथ अनक ु ू ल गठजोड़
के मा यम से बढ़ाया गया था। तीसरा उदाहरण ि िटश कॉमनवे थ और रा के रा मडं ल और क यिु न ट के इस
(communauté Française) जैसे अतं रा ीय सगं ठन का अि त व है। इन सगं ठन म ि टेन या ाँस क जो भिू मका है,
वह उस शि का तीक है िजसे उ ह ने एक बार पवू उपिनवेश म धारण िकया था।
वासन, िव-उपिनवेशीकरण के कम यािशत प रणाम म से एक है। पवू उपिनवेश के बहत से लोग ांस, ि टेन और
हॉलड आिद म चले गए ह। िव-उपिनवेशीकरण ने कई अ य जिटल घटनाओ ं क शु आत क है जो वैि क तर पर
जनसं या के एक करण के िलए अ णी कारक ह। एक अलग तर पर, िव-उपिनवेशीकरण ने पवू उपिनवेश के राजनीितक
पाठ्य म जैसे रा वाद, एकमा शि शाली स ा के प म रा य क वृि , उ िहसं ा को िनधा रत करने म मह वपणू
भिू मका िनभाई है; कमजोर सं थागत सरं चनाएँ आिद औपिनवेिशता रा य क ि थित रही ह। पि मी भाव अ य प म
बहत अिधक िदखाई देता है जैसे िक तकनीक नवाचार, सै य उ नित, तीसरी दिु नया म चिलत नव-उदारवादी नीितय और
बौि क वचन के े म। लोग क मता वयं को ‘प रभािषत’ करने म स म थी और रा वाद क भावना ने सामा य
प से 20व शता दी के दाशिनक झुकाव को िनयंि त िकया। सा ा य से रा -रा य म थानांत रत क गई वैध राजनीितक
इकाई क अवधारणा, दो िव व यु के बाद औपिनवेिशक शि याँ और भी अिधक लु हो रही थ और मानव अिधकार
क अवधारणा म एक मह वपणू पहलू के प म ‘ व-शासन’ शािमल था। बेनिे ड ट एंडरसन क सक ं पना समदु ाय: रा वाद
क उ पि और सार पर िचतं न, रा वाद के साथ अन टगेलर क ‘रा वाद से मठु भेड़’ (Encounter with
Nationalism), वतं ता के सघं ष म रा वाद क लोकि यता के मह व के कारण का पता लगाने का यास िकया। ि ंट
मीिडया के सार और लोग के भीतर चेतना के उदय ने रा वाद के उदय म मह वपणू भूिमका िनभाई। इसका उपयोग एकता
और सामदु ाियक भावना के िनमाण करने के िलए िकया गया, जो समाज के भीतर समहू िवभाजन म कटौती करता है। यह उन
लोग के बीच एकजुटता के िनमाण के िलए आव यक था, जो अतं रा ीय तर पर एक वतं इकाई के प म खदु को मख ु र
करने के िलए इ तेमाल कर रहे थे। उपिनवेशी समाज अपनी बहलतावादी कृ ित के कारण जिटल थे और वे अ सर
आंत रक असंतोष से भािवत थे, िफर भी, लोकि य भागीदारी और लोकतांि क शासन के आदश ने वतं ता (कोिल स,
2015) के सघं ष को वैधता दान क । िव-उपिनवेशीकरण क ि या ने बौि क तर पर औपिनवेिशक शि य के पाखडं
को ही वीकार कर िलया। उदारता, समानता, समावेिशता, बधं ु व और लोकतं जैसे उदारवादी मू य को ि िटश, डच या
ासं ीसी औपिनवेिशक शासक ारा भल ु ा िदया गया जब कॉलोिनय ने वतं ता क माँग क , उदाहरण के िलए, के या और
अ जी रया म। औपिनवेिशक रा य क भिव य क राजनीित और ि थितय को उनक वतं ता सघं ष करने के तरीके से
प रभािषत िकया गया।
अंतरा ीय यव था, िव-उपिनवेशीकरण ि या के आदश और घटनाओ ं ारा िफर से आकार िदया गया, लेिकन सबसे
मह वपणू बात यह है िक रा का िवचार अि त व म आया। जहाँ जनसं या क सामिू हक पहचान को एक ठोस तरीके से
पनु प रभािषत िकया गया। वै वीकरण क ि या को िव-उपिनवेशीकरण के मा यम से मजबतू िकया गया य िक उसके बाद
वैि क समदु ाय क भावना को; नए रा य को पहचान के साथ िवकिसत िकया गया। हालाँिक, या वा तव म इसका मतलब

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यह है िक िव-उपिनवेशीकरण क ि या ख म हो गई है? जैसा िक इस िनबंध म पहले बताया गया है, सरकार का बदलना
या स ा ह तांतरण पणू वतं ता का ोतक नह है। पणू वतं ता को भी िनभरता के नकारा मक प क आव यकता होती
है जो अभी भी उ र-औपिनवेिशक रा य म बहत अिधक िदखाई देती है।
अपनी गित जाँच-2
1. उस िस ातं का नाम बताइए िजसका उपयोग मा सवादी आिथक आलोचना को िडकोलोनाइजेशन ि या के बाद
िव व अथ यव था म ततु करने के िलए िकया गया था।
(a) पद-आधिु नकतावाद
(b) व ड िस टम योरी
(c) िनभरता का िस ातं
(d) आधिु नक करण िस ातं
2. पवू उपिनवेश म औपिनवेिशक सा ा य क िवरासत क दाशिनक आलोचना ततु करने के िलए िकस सै ांितक
अवधारणा का उपयोग िकया जाता है?
(a) रा वाद
(b) नव-उपिनवेशवाद
(c) सा ा यवाद
(d) उ र-उपिनवेशवाद
3. नव-उपिनवेशवाद को सा ा यवाद के अंितम चरण के प म िकसके ारा विणत िकया गया था?
(a) जोसेफ ोज़टीटो
(b) वामेन ु मह
(c) क़माल आ दल ु नािसर
(d) जवाहर लाल नेह
4. िन न म से िकस घटना को औपिनवेिशक शि य ने भी िवघटन के प रणाम व प अनभु व िकया था?
(a) िवभाजन
(b) अकाल
(c) वासन
(d) राजनीितक अि थरता
5. वतं ता के बाद, उपिनवेश-शासन के कारण उपिनवेश अभी भी िकससे भािवत ह?
(a) अंडर-डेवलपमट
(b) औपिनवेिशक सा ा य
(c) यापार का एकािधकार
(d) वासन
उ र-1. c, 2. d, 3. b, 4. c, 5. a
1.6 िन कष
िव-उपिनवेशीकरण सबसे मह वपणू ि या म से एक है; िजसने इितहास, राजनीित, अथशा और सं कृ ित के वाह को
बदल िदया है। इस अ याय म, हमने इस ि या क अवधारणा क बुिनयादी समझ िवकिसत करने क कोिशश क है। सरल

30
श द म, यह उस राजनीितक ि या को संदिभत करता है जहाँ उपिनवेश के व-शािसत रा य के प म घोिषत िकया
गया। हालाँिक, वा तिवक घटना उतनी सरल नह है अत: अ जी रया और इडं ोनेिशया के उदाहरण के मा यम से इसक
अिधक बारीक समझाई गई है। ऐितहािसक घटनाओ ं से प रिचत होने पर भी एक पणू समझ को िवकिसत करने के िलए
सै ांितक और अनभु वज य िव लेषण क आव यकता होती है। िव-उपिनवेशीकरण ने परू ी दिु नया को भािवत िकया है और
न के वल औपिनवेिशक सा ा य और उपिनवेिशत रा य को। िफर भी, उपिनवेश के अिधक िवकृ त पनए रा -रा य क
राजनीित और कामकाज को िबगाड़ने म कामयाब रहे ह। उपिनवेशवाद के इन नए प को उ र-उपिनवेशवाद और नव-
उपिनवेशवाद के मा यम से समझा जा सकता है। इस अ याय का मल ू उ े य अपने आप को िव-उपिनवेशीकरण जैसी
मह वपणू घटना को समझने के िलए बौि क ससं ाधन से स प न करना है, िजसने दिु नया को बदल िदया।
सिं उ र न:
1. सं ेप म िव-उपिनवे करण क अवधारणा को समझाइए।
2. िविभ न घटनाओ ं क गणना कर िजसके कारण अ जी रया म वतं ता का यु हआ।
3. उ र-उपिनवेशवाद या है?
4. िव-उपिनवे करण के मु य कारण या थे?
दीघ उ रीय न:
1. अ जी रया म वतं ता के यु का िव तृत िववरण द। एक ि या के प म िव-उपिनवे करण के बारे म इसका या
अथ है?
2. इडं ोनेिशया म िव-उपिनवे करण ि या क या या क िजए। यह अ जी रया म ि या से कै से अलग है?
3. औपिनवेिशक शासन के पतन के कारण या ह? एक यापक परे खा द।
4. वैि क तर पर िव-उपिनवे करण क ि या के भाव पर िव तार से बताएँ।
1.7 सदं भ सच
ू ी
 Betts, Raymond F. (1998) Decolonization, Routledge, NY
 Collins, Michael (2015) Decolonization, the Encyclopedia of Empire, John Wiley & Sons
Inc. NY
 Farrell, B.P. (2011). Algerian War of Independence (1945-1962). The Encyclopedia of War,
Blackwell Publishing Ltd.
 Rothermund, Dietmar (2005)The Routledge Companion to Decolonization, Routledge,
London, UK

31
III
(i)

oecologie

32
DDT

DDT

33
CCHW

34
35
*UNCED)

$10 $14

(EU),

36
CFC,

(UNFCCC)

CFC

PPP
PPP PPP, PPP MC Neil
2001 : 109)

37


38
(ii) पयावरणीय आपदा और सघं ष

सरं चना
1.0 उ े य
1.1 प रचय
भाग-I
1.2 भोपाल गैस ासदी
1.3 द इटं रवेिनंग नाइट - भोपाल गैस ासदी
1.4 चेरनोिबल आपदा
1.5 चेरनोिबल दघु टना को समझना
1.6 चेरनोिबल आपदा का िव लेषण
1.7 भोपाल गैस ासदी और चेरनोिबल आपदा के बीच समानताएँ और िवसंगितयाँ
भाग-II
1.8 िचपको आदं ोलन का प रचय
1.9 िचपको आंदोलन का काय प
1.10 िचपको आंदोलन के िविवध पहलू
1.11 अमेज़न आंदोलन
1.12 सदं भ-सचू ी
1.0 उ े य
1. इस अ याय का उ े य छा को उन औ ोिगक आपदाओ ं और संघष से अवगत कराना है िज ह ने मानव
पा रि थितक को आकार िदया है।
2. अ याय मु य प से के स टडीज पर यान कि त करता है िक आपदाएँ कै से कोई अक मात घटनाएँ नह ह, बि क
वे दजु य सं थागत दबाव और सरु ा उपाय से अवहेलना का ही प रणाम ह।
3. अ याय का उ े य छा को इस बात से प रिचत कराना है िक लोग ने िकस तरह अपने िनवाह और अिधकार के
िलए संघष करते हए ता कािलक शासन को चनु ौती दी है। यह अ याय थानीय वािसय और शासन के बीच
बातचीत क जिटलताओ ं को उजागर करने के िलए िचपको और अमेज़न आंदोलन पर कि त है।
1.1 प रचय
यह पाठ पयावरणीय आपदाओ ं के िव लेषण पर यान कि त करता है और पयावरणीय सकं ट के साथ थानीय समदु ाय के
सधं ष के प को उजागर करता है। पाठ को मोटे तौर पर दो भाग म िवभािजत िकया गया है। पहला भाग पयावरणीय
आपदाओ ं के िवषय म है िजसमे दो बड़ी आपदाओ,ं भारत म भोपाल गैस ासदी और यू े न म चेरनोिबल आपदा का
उपयोग करके पयावरणीय आपदाओ ं के अतं िनिहत कारण को उजागर करने का यास करता है। मानव इितहास म सबसे

39
भयावह दो औ ोिगक दघु टनाओ ं का िव तार से अ ययन करता है। इसके अलावा, इन दोन ासिदय के बीच समानता
और अंतर पर भी सं पे म चचा करता है।
पयावरणीय संकट हमेशा एक सामािजक सक ं ट का कारण बनता है, िजसे िविभ न तरीक से और िविभ न तर पर िनपटाया
जा सकता है– यि , समहू , संगठन और समदु ाय। एक भयावह घटना का सामना करने वाले समदु ाय और उन जोिखम के
साथ रहने वाले, अ सर नाग रक समहू के मा यम से इ ह चनु ौती देते ह। इस िवषय के साथ, दसू रा भाग भारत के िचपको
आंदोलन और ाजील के अमेज़ॅन आंदोलन के उदाहरण का उपयोग कर के पयावरणीय संघष के बारे म जानने को समिपत
है। पहला मामला, छा को यह समझने म स म करे गा िक िचपको या है और इसे मंडल से रे नी गांव और उसके बाद कै से
आगे बढाया गया। यह सं पे म उन िविभ न ि कोण को भी देखता है; िजन के ारा िचपको आ दोलन क या या क गई
है। दसू रा मामला, िचको मडेस क जीवन या ा का आलेख है, जो रबड़ के टपर के प म शु हए और अमेज़ॅन के जगं ल क
र ा के िलए एक सामािजक प रवतन िनमाता बन गए।
भाग-I
1.2 भोपाल गैस ासदी
1970-80 के दशक म म य देश क , राजधानी भोपाल भारत के सबसे कम औ ोिगक े म से एक था, जहाँ 1978-79
म रा य के घरे लू उ पाद म िविनमाण े का योगदान, मा 11 ितशत से कुछ ही अिधक था। (िमनोचा, 1981) हालाँिक,
शहर धीरे -धीरे ही सही लेिकन आिथक िव तार के दौर से गजु र रहा था और आिथक वापसी क इस होनहार भिू म म िनवेश
करने के िलए कंपिनय को आकिषत कर रहा था।
1969 म अमे रका क यिू नयन काबाइड कॉरपोरेशन (इसके बाद यसू ीसी) ने अपने भारतीय सं करण को मलू प से 50.9%
वािम व के साथ, परु ाने भोपाल म अपनी रासायिनक कारखाना इकाई को, यिू नयन काबाइड इिं डया िलिमटेड नाम से
थािपत िकया। (सारंगी, 2012) सयं ं के रख-रखाव और सचं ालन पर िनणय लेने का अिधकार मल ू सगं ठन ारा आरि त
और िनयिं त िकया गया था। भारत म चल रही ह रत ािं त प रयोजन से उ च लाभ ा करने के उ े य से, भोपाल इकाई
ने रासायिनक क टनाशक के िनमाण का काम शु िकया। हालाँिक, 1980 क शु आत म, क टनाशक उ ोग म भारी
ितयोिगता थी, जो िक माँग म कमी के साथ जड़ु ी हई थी। (मै कम, 1997) प रणाम व प, UCIL ने 1984 म िनणय
िलया िक वे भोपाल सयं ं को बेचगे, जबिक MIC सयं ं उनके अधीन काय करना जारी रखेगा।
अपने अ ययन म मै कम (1997, यह भी बताते ह िक यिू नयन काबाइड के आंत रक द तावेज (19-20) म विणत रकॉड
के अनसु ार, ािधकरण ने िविनमाण लागत म कटौती करने के िलए अ यु ौ ोिगक के उपयोग को मंजरू ी दी। भारी लाभ
कमाने के लालच ने बदले म िमथाइल आइसोसाइनेट को सं हीत करने के िलए आव यक सरु ा मानक को भािवत
िकया, िजसे फॉसजीन से अिधक िवषा माना जाता है। कृ ित प म यह रसायन अि थर है और इसे कम तापमान पर
सं हीत िकया जाना चािहए। यसू ीसी ारा भोपाल के घनी आबादी वाले शहर म नगर िनगम के अिधका रय ने इस
हािनकारक रसायन के उपयोग को अ वीकार कर िदया, िजसे के वल वािणि यक और ह के औ ोिगक उपयोग (भोपाल
शहर और े िनयोजन िवभाग, 1975) के िलए लाइसस िदया गया था। लेिकन क और रा य दोन म सरकार ारा किथत
तौर पर कंपनी के भारी भाव के तहत आपि को वािपस ले िलया गया। एमआईसी क कृ ित पर बंधक और िमक के
बीच एक ारंिभक यापक िव वास क यह आँसू गैस के बराबर कुछ है और इस म कुछ भी आपि जनक नह माना जा
सकता। लेिकन, यह िमथक िक यह बहत हािनकारक नह है, इसका भंडाफोड़ हो गया य िक िमक इसके जोिखम से बरु ी
तरह भािवत हो रहे थे।
दिु नया म फै ी यिू नट क खतरनाक ि थित को उजागर करने वाली िवपि पणू ासदी से पहले ही, सरु ा क ि थित मजदरू
सघं और यसू ीसी के बीच िववाद का एक िह सा बनी हई थी। िजसम मजदरू दैिनक काय के दौरान शि शाली रसायन के
सपं क म आ रहे थे। िमक सघं ारा उठाई माँग को, यिू नयन काबाइड के अिधका रय ने बार-बार अनदेखा िकया। यिू नयन

40
काबाइड के िमक कभी-कभी कारखाने म खतरनाक काम करने क ि थित का िशकार हो जाते थे। उदाहरण के िलए, 26
िदसंबर, 1981 को, रख-रखाव कम मोह मद अशरफ क जान चली गई, य िक उसक सांस म फॉ जीन चली गई थी।
यिू नयन काबाइड ने उनक मृ यु पर खेद य िकया लेिकन बदले म, मृतक को उनक मृ यु के िलए िज मेदार ठहराया। उनके
िनधन ने खतरनाक ि थितय म सधु ार करने के िलए बहत काम िकया। बाद म जनवरी और फरवरी 1982 म, बयालीस
िमक को िवषा साँस लेने के कारण अ पताल म भत कराया गया था। हालाँिक, िवषा पदाथ के हािनकारक जोिखम
को रोकने के िलए कोई ि या शु नह क गई थी। ये अलग-थलग मामले नह थे, जो दज िकए गए थे। अग त 1982 म,
िलि वड एमआईसी के सपं क म आने से एक के िमकल इजं ीिनयर का 30 ितशत शरीर जल गया था। िसतंबर, 1982 म
सरु ा सबं ंधी िचंताओ ं को बदतर से बदतर बनाते हए, सायरन णाली जो िक जहरीले लीक से यिू नयन काबाइड प रवेश म
रहने वाले को सचेत करती थी, को न कर िदया गया था। एक महीने के बाद, जहरीले रसाव के संपक म आने के बाद
यिू नयन काबाइड इकाई के आस-पास के इलाक म रहने वाले सैकड़ िनवािसय को अ पताल म भत कराया गया। यिू नयन
काबाइड म इस रसाव को िनयंि त करने क कोिशश करने वाले एक पयवे क को रासायिनक जलन का सामना करना पड़ा,
जबिक कुछ अ य िमक भी हािनकारक गैस के संपक म आए। मजदरू और आस-पास रहने वाले लोग के दैिनक जीवन के
साथ होने वाली घातक दघु टनाओ ं के साथ, िमक सघं ने इस बार आ ामक प से खतरे के बारे म चेतावनी और
सावधानी के साथ आस-पास के थान म रहने वाले लोग को पै फलेट िवत रत करके उनक माँग को कट िकया।
प रणाम व प, फै ी यिू नट के अंदर सभी यिू नयन गितिविधय पर यिू नयन काबाइड के अिधका रय ारा ितबंध लगा
िदया गया था।
यिू नयन काबाइड के अिधका रय ारा िकए गए लागत म कटौती के उपाय क पृ भिू म म जब दघु टनाएँ होती ह, तो यह पिु
करता है िक तबाही क कहानी एक िछटपटु घटना नह थी, बि क एक सिु नयोिजत लापरवाही थी। सरु ा मानक जैसे िक
सरु ा िश ण, जो आमतौर पर 6 महीने के िलए होता है, 15 िदन तक सीिमत था। भारत सरकार के उ साह के साथ
अिधक म गहन सयं ं के साथ तालमेल करते हए, भोपाल यिू नयन काबाइड सेटअप ने क यटू रीकृ त णाली पर मैनअ ु ल
िनयं ण णाली का िवक प चुना। हालाँिक संयं म कमचा रय क सं या काफ कम हो गई थी। उदाहरण के िलए,
एमआईसी इकाई म, कायरत कमचा रय को बारह से घटाकर छह और रख-रखाव कमचा रय को तीन से घटाकर एक कर
िदया गया। यह अंततः दोन क यटू रीकृ त िनयं ण णाली का न होना और मैनअ ु ल िनयं ण के िलए कमचा रय क
अनपु ि थित आिखर दघु टना का कारण बनी। इसके अलावा, सरु ा िदशािनदश को सश ं ोिधत कर चीज को और अिधक
संि बना िदया गया था।
1.3 द इटं रवेिनगं नाइट – भोपाल गैस ासदी
यह 3 और 4 िदसंबर, 1984 क सबसे भयभीत करने वाली रात थी, जब भारत ने म य देश के भोपाल म यिू नयन काबाइड
इिं डया िलिमटेड (यसू ीआईएल) के क टनाशक संयं म अपनी सबसे भयावह औ ोिगक दघु टना देखी। कई शोध आधा रत
आलेख औ ोिगक तबाही के कारण के प म पयावरण म अ य िवषा पदाथ के साथ िमथाइल आइसोसाइनेट गैस क
रहाई को बताते ह। यह समझने के िलए िक ऑपरे िटंग यिू नट के अंदर या गलत हआ, उस रात क घटनाओ ं के म पर
यान देना मह वपणू है। रासायिनक इकाई म दो मह वपणू काय िकए गए थे– पाइप ाइमर से पाइप लश करने के िलए पानी
का उपयोग करने के िलए लिशगं ऑपरेशन, जो पाइप क दीवार पर बनाया गया था और िफर भडं ारण टक म जाने से
रोकने के िलए ि लप लाइडं के साथ उस पानी को बदं कर िदया जाना था। ह त ेप वाली रात म, जबिक एमआईसी
पयवे क लिशगं ऑपरे शन को देख रहा था, वहाँ ि लप बड डालने वाला कोई नह था। कुछ िदन पहले रख-रखाव
पयवे क का पद समा कर िदया गया था। ऑपरे टर ने कामकाज म सम या को देखा, लेिकन जाचं करने से पहले ही, उसे
एमआईसी पयवे क ारा ऑपरेशन (ICFTU, 1985) को िफर से शु करने का आदेश िदया गया। इस लापरवाही ने
लगभग 5,00,000 लोग को बीमार कर िदया, जो खतरनाक गैस के सपं क म आ गए थे।

41
जबिक वा तिवक घटना से अनजान अ पताल के डॉ टर सांस लेने म इस किठनाई के कारण को समझने क कोिशश कर
रहे थे। हवा म गैसीय संचरण के भाव रोिगय ारा फे फड़ म जलन क िशकायत, िजससे कई लोग का जीवन दावा पर था।
और िजनक सं या बढ़ती ही जा रही थी। भाव पर फै ल आस-पास के े म भी देखा गया था, िज ह अ पकािलक
वा य भाव माना जा रहा था।
यह उ लेख करना उिचत है िक यह कारखाना परु ाने भोपाल म थािपत िकया गया था, िजसम दैिनक वेतन भोगी और
वािसय क एक बड़ी आबादी शािमल थी। ( क ेट एट. अल., 2009) भोपाल म थानीय िनवासी हजीरा बी के जोरदार
आ ोश का उ लेख िमलता है, जो काफ अिधक भािवत जय काश नगर कॉलोनी से थी। उनके श द म, “जब गैस
लीक हई तो इसने यिू नयन काबाइड के करीब के इलाके को जहर दे िदया… सभी जगह जहाँ गरीब रहते ह”। िनि त प से
एक कारण है िक के वल गरीब को ही UCC जैसी खतरनाक फै ी के पास जमीन आवंिटत क गई थी। वा य और सरु ा
उपाय क घोर लापरवाही इस प र य म है िक 3 व 4 िदसंबर, 1984 को दिु नया एक सबसे बरु ी औ ोिगक दघु टना का
गवाह बनी।
1.4 चेरनोिबल आपदा
कु यात भोपाल गैस ासदी, िजसने दिु नया को बेहतर सरु ा मानक को िवकिसत करने और स त काया मक तं पर
िवचार को े रत िकया था। उसके दो साल बाद मानवता को एक और आपदा देखनी पड़ी। 26 अ ल ै , 1986 को, उ री
यू े न के िपप रयात शहर के पास ि थत चेरनोिबल परमाणु संयं म एक परमाणु दघु टना हई। मु य प से एक कृ िष
अथ यव था वाले यू े न क ऊजा ज रत का 38 ितशत परमाणु ऊजा से ही आता था। परमाणु तकनीक म सोिवयत क
िदलच पी दसू रे िव व यु के दौरान शु हई और सोिवयत शासन के िलए सव च ाथिमकता बन गई। इसे शि शाली
रा के बीच आिधप य थािपत करने क पृ भिू म म भी समझा जा सकता है, जो परमाणु आधा रत योग क अपनी
ंख
ृ ला शु कर रहे थे। सभी परमाणु टेशन रा य बिं धत थे और यएू सएसआर के िवघटन से ठीक पहले तक, सोिवयत
शासन 46 परमाणु ऊजा टेशन संचािलत कर रहा था। चेरनोिबल एक अ यतं उ नत आरबीएमके आधा रत वािणि यक
परमाणु टेशन था, जो सोिवयत ारा अपने मख ु काय म के तहत थािपत िकया गया था। यह 1977 म चालू हो गया। उस
समय के सबसे उ नत रए टर होने के नाते, आरबीएमके खदु को िबजली का एक िव वसनीय उ पादक सािबत करने म
स म रहा था। इस साइट पर चार आरबीएमके परमाणु रए टर थे, िजनम से येक 1000 मेगावॉट िबजली का उ पादन
करने म स म था। यह मु य प से दिु नया म वािणि यक रए टर के अ य प से अलग है। इसम, पानी पाइप के मा यम
से या ा करता है जो कोर से गजु रते ह, जहाँ परमाणु िवखंडन होता है। पाइप म उबला हआ पानी भाप उ प न करता है जो
िबजली बनाने के िलए टब जनरेटर म जाती है।
1.5 चेरनोिबल दुघटना को समझना
25 अ ैल, 1986 क रात न द से विं चत सयं ं िमक ने िनयिमत रख-रखाव क अविध के दौरान रए टर 4 पर परी ण क
एक ख ंृ ला शु क । िजसका उ े य यह मल ू याकं न करना था िक पावर कट या उतार-चढ़ाव होने पर रए टर ठंडे रहते ह
अथवा नह । लेिकन योग के भारी कमचा रय ने मल ू भतू सरु ा ोटोकॉल का उ लघं न िकया और रए टर के अदं र शि
म कई गनु ा वृि हई। पावर 30 मेगावॉट से नीचे चला गया। ‘ रए टर उ मीद से कह कम िबजली पर चल रहा था, लेिकन
कोर के मा यम से शीतलक का वाह योग काय म ारा माँग के तर पर रहा। नतीजतन, कोर म िम ण म भाप और भी
कम थी, िजसके प रणाम व प और भी अि थर ि थित पैदा हो गई थी। (मै कम, 1997) इसके अलावा, ईधन ं म सीनन
का तर बहत बढ़ गया, जो िक कम िबजली उ पादन के कारण शायद ही जला रहा था, इस ने ि थित को बदतर बना िदया
य िक ि थित को उलटना बहत मिु कल हो गया। हालाँिक, रए टर के िविभ न िह स से इसे बंद करने के कई िस नल भेजे
गए थे। इन चेताविनय को ऑपरे टर ारा ओवरराइड कर िदया गया था, िज ह ने वचािलत िनयं ण णाली के उस िह से
को अ म कर िदया था। िवखंडन ि या को बंद करने के यास म िश ट मैनेजर ने 10 सेकंड के समय सीमा म गु वाकषण

42
के बजाय िनयं ण छड़ को मै यअ
ु ल प से डालने का यास िकया। 3 सेकंड बाद िबजली का उ पादन बढ़कर 530 मेगावॉट
हो गया, लेिकन इसने इस ि थित को गंभीर प से अि थर कर िदया िजसे ‘ व रत संकट’ कहा जाता है। इसके प रणाम
व प दो परमाणु िव फोट हो गए।
‘यह माना जाता है िक पहला िव फोट ईधन ं और शीतलक के बीच असतं ल ु न के प रणाम व प हआ था जब एक बार ईधन ं
क कुछ छड़ अचानक िबजली क वृि के कारण न हो गई,ं जबिक दसू रा िव फोट हाइ ोजन और हवा के बीच िव फोट
के प रणाम व प हो सकता है, जो रए टर म वेश कर गई थी।’ (मै कम, 1997)।
इसने टील और कं ट के ढ कन को उड़ाने के िलए पया शि शाली िव फोट क ख ंृ ला िति या का नेतृ व िकया।
रए टर के कोर के सपं क म आने से, रे िडयोधम साम ी वायमु डं ल म फै ल गई। भािवत रए टर से उ सजन 5 मई तक जारी
रहा, जब तक भाव प से वे बदं नह हो गए।
आिधका रक सचू ना के अनसु ार, भोपाल रसाव के मामले म 203000 घायल के साथ लगभग 3800 मौत हई,ं जबिक
रे िडयोधम रसाव के प रणाम व प 1995 तक 33 मौत और थायरॉयड कसर के 600 पंजीकृ त मामल के प म रपोट
िकया गया था। िव ीय लागत के संदभ म चेरनोिबल दघु टना क लागत, भोपाल म िति या क लागत से बहत आगे
िनकल गए ह। चेरनोिबल म इस उ च िति या लागत का एक कारण यह है िक रे िडयोधिमता का पता िन न तर पर भी
लगाया जा सकता है और अिधक समय तक वातावरण म रहता है। चेरनोिबल दघु टना का प रणाम उ री वे स क कृ िष भिू म
के दषू ण के प म भी पता लगाया जा सकता है। इसके िवपरीत, भोपाल के आसपास के े को छोड़ कर अ य कही इस
के कोई िनशान नह देखे गए ह।
चेरनोिबल दघु टना के कई वष के बाद भी वा य सबं धं ी सावधानी के कारण, आसपास क आबादी के िलए काउंटर उपाय
अभी भी सभं ािवत वा य खतरे को कम करने के िलए सावजिनक आदेश म रहते ह। इसके अित र , अिनधा रत सम या
को जानने म अनसु धं ान, जो परमाणु िव फोट का एक प रणाम हो सकता है, अभी भी चेरनोिबल और पास के भाव े म
चल रहा है। यह माना जाता है िक परु ाने भोपाल म एमआईसी रलीज को चेरनोिबल फॉलआउट क तल ु ना म समय के साथ
हाइ ोलाइ ड िकया गया था, िजसे पयावरण म लबं े समय तक रहने के िलए माना जाता है और इसिलए भिव य क पीढ़ी को
वा य खतरे का खतरा बना रहता है। यह एक कारण लगता है िक चेरनोिबल भोपाल म घनी आबादी क तल ु ना म सािह य
म एक अ यिधक उ तृ दघु टना है, जो अ यथा बड़े पैमाने पर मानव मृ यु का कारण रही है।
आिधका रक रपोट म दावा िकया गया है िक शु आती िव फोट म दो संयं िमक क मौत हो गई, जबिक एक दजन अ य
को िविकरण क बीमारी के साथ अ पताल म भत कराया गया, िजसम अि नशमन कम भी शािमल थे जो आग क लपट
को बुझाने के िलए जा रहे थे।
शीत यु अभी चल रहा था, सोिवयत संघ ने दख ु द परमाणु दघु टना पर अतं रा ीय मीिडया का यान न जाने के िलए िलए।
इस दघु टना के 36 घंटे बाद ही िपप रयात शहर के िनवािसय को बाहर िनकालने के आदेश पा रत िकए थे, य िक दघु टना
पर सोिवयत लोग गोपनीयता बनाए रखना चाहते थे। कुछ िदन बाद खतरनाक रे िडयोधम उ सजन पर रोष कट होने पर ही,
सोिवयत ने अपने लोग और दिु नया को इस दघु टना का खल ु ासा करने का फै सला िकया। रए टर से लगातार होने वाली
परमाणु िविकरण को रोकने के िलए, रे त, िम ी आिद को सयं पर िगराया गया। सोिवयत ने तब रमोट िनयिं त वचािलत
रोबोट के मा यम से मलबे को साफ करने क कोिशश क । लेिकन, जब मशीन भी िवषा वातावरण म खराब होने लगी, तो
100 टन रे िडयोधम मलबे को साफ करने के िलए पु ष के एक समहू को लाया गया। बाद म वष म, रए टर 4. के चार
ओर पहले टील सरकोफै गस को बनाया गया था तािक रए टर 4 से और नक ु सान न हो सके । सरं चना मक प से कमजोर
होने के बावजदू , यह 2016 तक बना रहा, जब नया सरु ा कवच बनाया गया। सरं ण क इस अित र परत के साथ भी
े आने वाले कई वष के िलए िनवास के िलए असरु ि त बना हआ है। सोिवयत ने अतं तः बड़ी आबादी को िशिवर म
िव थािपत कर, रए टर के आसपास 90 िव तृत मील बिह करण े थािपत िकया। आधिु नक बेला स म एक चौथाई

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कृ िष भिू म के भिव य के िलए दिू षत हो जाने के साथ इस आपदा से अनमु ािनत हािन क लागत 235 िबिलयन डॉलर होने का
अनमु ान है।
1.6 चेरनोिबल आपदा का िव लेषण
चेरनोिबल म यह रासायिनक िति या दघु टना कई मायन पर अि तीय थी। मौिलक यह है िक यह दघु टना संयं के घटक
क खराबी के कारण नह हई, बि क यह ऑपरे शन के िनयम के जानबझू कर उ लंघन से बढ़ी थी। चेरनोिबल संयं म
रए टर 4 को िनयिमत रख-रखाव के िलए 25 अ ल ै , 1986 को िनधा रत िकया गया था। वष म एक बार योग संभव थे,
जब संयं रख-रखाव के िलए ऑफ़लाइन रहता है। िकसी भी हालत म योग करने के िलए एक ढ़ सक ं प था। दघु टना के
कारण के िलए ासिं गक कारक वयं योग क अवधारणा थी। इलेि कल इजं ीिनयर, िजसने इस योग को िडजाइन िकया
था, का मानना था िक रए टर का काय इस योग के िलए अ ासिं गक था, िजसे योग के शु होने से पहले ही संयं को
बदं िकया जा सकता था। हालाँिक, यिद योग पहले परी ण से वैध प रणाम ा करने म स म नह हो, तो कम िबजली
उ पादन म रए टर को दसू री बार परी ण चलाने के इरादे से शोधकताओ ं ने चालु रखा था। यहाँ यान देना मह वपणू है िक
टेशन िनदेशक को इस योग के बारे म पता नह था। रकॉड के अनसु ार योग के वा तिवक व प क जानकारी के िबना
ही; मु य अिभयतं ा और रए टर मख ु ; ारा अनमु ित दे दी गई थी। हालाँिक यह नौकरशाही क िशिथलता ही थी,
ऑपरे शन स त ोटोकॉल म ही िकया जाना चािहए। उदाहरण के िलए, परी ण मल ू प से दोपहर म िनधा रत िकया गया
था, लेिकन यह अगली सबु ह के शु आती घटं म िकया गया था। जब अिधकांश मख ु वै ािनक और इजं ीिनयर पहले ही
अपने घर को रवाना हो चक ु े थे। िगरते िबजली उ पादन को बढ़ाने क अपनी खोज म, न द से विं चत कमचा रय ने एक
योग म रए टर से कई िनयं ण छड़ हटा द , िजस क सरु ा िदशािनदश ारा अनमु ित नह थी। योग के दौरान उभर रही
सम याओ ं पर यान देने के बावजदू कमचा रय ने इसे रोका नह , बि क योग के िनणायक अंत तक पहँचने के इरादे से िहट
और ायल जारी रखा।
1.7 भोपाल गैस ासदी और चेरनोिबल के बीच समानताएँ और िवसगं ितयाँ
भोपाल और चेरनोिबल के पर पर असंबं थल पर घातक दघु टनाओ ं के कारण और भाव का अ ययन दोन घटनाओ ं
म समानता और अतं र को सामने लाता है। इन दोन दभु ा यपणू घटनाओ ं के बीच समानता को मानव, संगठना मक और
तकनीक किमय म उ तृ िकया जा सकता है। पाठ के इस भाग का उ े य सं ेप म उनम से कुछ पर चचा करना है।
ये दोन दघु टनाएँ कृ ित म अ यिधक तकनीक थ , जबिक भोपाल म यिू नयन काबाइड इकाई क टनाशक के उ पादन म
लगी थ , चेरनोिबल म परमाणु रए टर म िबजली का उ पादन िकया जा रहा था। वे अपे ाकृ त गरीब इलाक म ि थत थे,
जो बड़े पैमाने पर िनवािसय से िघरे थे, जो अपनी ज रत को परू ा करने के िलए सघं ष कर रहे थे। इन दोन दघु टनाओ ं क
सबु ह के शु आती घटं म होने क सचू ना है, िजसके िलए वहाँ तब काम कर रहे कािमक को दोषी बताया जा रहा था।
हालाँिक, िव लेषण करने पर दोन घटनाओ ं म बधं क य और सं थागत कमजोरी एक अतं िनिहत कारक के प म सामने
आती है, जो दघु टना क स भावना को बढ़ा देती है। इसिलए गलती श द का उपयोग करना दोन ही घटना के सदं भ म
िु टपणू लगता है। सबसे पहले, दोन ही मामल म, ि या के साथ अतं िनिहत सम याएँ जब सामने आई,ं तो उन पर यान
नह िदया गया और किन कमचा रय ारा सचू ना िदए जाने के बाद भी सं थागत दबाव म के वल नजरअदं ाज िकए गए। इस
कार उ ह ठीक करने के िलए कोई सधु ारा मक कारवाई नह क गई थी। दसू रा, भोपाल म घाटे म चल रहे संयं पर उसके
मखु मािलक ारा यावसाियक प से अिधक लाभ उ प न करने के िलए दबाव डाला गया, जबिक दसू री ओर चेरनोिबल
म शि बढ़ाने के िलए अ यािशत आव यकता को िनणायक तर पर योग करने के िलए इन इकाइय को इस हद तक
िनदिशत िकया िक सभी सरु ा मानक टूट गए। उदाहरण के िलए– चेरनोिबल रए टर 4 म, वचािलत आपातकालीन सरु ा
को बंद कर िदया गया था, जबिक भोपाल म एक सरु ा मक काय करने वाले कूलर और अवशोषक को बंद कर िदया गया
था। दोन संयं म, दजु य दबाव ने ि थित को एक गैर ितवत ि थित म बदल िदया।

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दोन मामल म, नौकरशाही से आदेश म देरी हई थी, य िक त काल भाव से ि थित को िनयिं त करने के िलए कोई
त काल कारवाई नह क गई थी। अिधका रय ारा, थानीय लोग क त काल बचाव योजना के तहत सि य ह त पे से,
कई लोग क जान बचाई जा सकती थी। दोन देश म सरकार के कामकाज से लगता है िक चीज को छुपाने का यास कर
रही थी, मानो कुछ हआ ही नह हो। िव वसनीय जानकारी के अभाव म लोग दघु टना और उसके बाद के हालात से जूझ रहे
थे। तनाव इस भयानक दघु टना का अपेि त प रणाम था और इसिलए लोग और सरकार के बीच िव वास क कमी थी।
दोन मामले– भोपाल गैस ासदी और चेरनोिबल आपदा, िजसे सबसे भयावह दघु टना के प म जाना जाता है, ने नाग रक
समाज और कायकताओ ं ारा सि यता के िलए एक िनणायक भिू मका िनभाई। औ ोिगक आपदाओ ं के पीिड़त के िलए
औ ोिगक सरु ा, जोिखम, ितपिू त और राहत से संबंिधत न क ंख ृ ला, खतरनाक पदाथ के उपयोग और प रवहन से
सबं िं धत िविनयमन दोन देश म काननू ी िनकाय के साथ-साथ अतं ररा ीय तर पर प िनयम और जवाबदेही को कट
करने के िलए े रत िकया।
दोन संय के बीच कुछ भारी अतं र भी थे। भोपाल म, जहाँ टक E610 के दबाव िनयं ण वा व क खराबी एक तरह से
काफ बड़ी घटक िवफलता थी, चेरनोिबल संयं म कोई प घटक िवफलता नह थी। एक और प अतं र औ ोिगक
मानक का है। भोपाल म संयं , औ ोिगक मानक से नीचे था। िजसे घाटे म चलने के प म एक ‘डेड-एंड’ माना जाता है,
अपने अि त व को बचाए रखने के िलए , िबगड़ते यव था म भी अपनी सीमा से परे जा कर चलते रहना ही एकमा उपाय
था। कुशल कमचारी िबना िकसी ो साहन और पदो नित के तेजी से इसे छोड़ कर जा रहे थे और शेष कमचा रय म एक
मह वपणू बाधा अं ेजी को पढ़ने और समझने म असमथता थी, िजस भाषा म मशीन पर िनदश िलखे हए थे। िमक िबना
िकसी भावशाली िश ण के अपना काय कर रहे थे। आपात ि थित से िनपटने के िलए उनके पास कोई िश ण नह था।
कोई आपातकालीन योजना नह थी। ऐसी िकसी भी आकि मक ि थित म, संदेशवाहक सचू ना को सा रत करने के िलए
एक थान से दसू रे थान पर जाता था। भोपाल इकाई क तुलना म, चेरनोिबल म परमाणु रए टर त कालीन सोिवयत सरकार
का एक मख ु काय म था। यह सबसे उ नत तकनीक के साथ थािपत िकया गया था और इसके वै ािनक और अ य
कमचारी सरकार ारा उ च यो य, िशि त और अ छे वेतन पर थे। जैसा िक पहले कहा गया था िक चेरनोिबल म दघु टना
लांट रए टर म घटक क िवफलता का प रणाम नह थी, जो िक प प से भोपाल संयं म ासदी का कारण था।
हालाँिक, दोन मामल म दघु टना मु य प से सरु ा मानक क लापरवाही से हई।
आिधका रक सचू ना के अनसु ार, भोपाल रसाव के मामले म 203000 घायल के साथ लगभग 3800 मौत हई,ं जबिक
रे िडयोधम रसाव के प रणाम व प 1995 तक 33 मौत और थायरॉयड कसर के 600 पजं ीकृ त मामल के प म रपोट
िकया गया था। िव ीय लागत के सदं भ म चेरनोिबल दघु टना क लागत, भोपाल म िति या क लागत से बहत आगे
िनकल गई है। चेरनोिबल म इस उ च िति या लागत का एक कारण यह है िक रेिडयोधिमता का पता िन न तर पर भी
लगाया जा सकता है और अिधक समय तक वातावरण म रहता है। चेरनोिबल दघु टना का प रणाम उ री वे स क कृ िष भिू म
के दषू ण के प म भी पता लगाया जा सकता है। इसके िवपरीत, भोपाल के आसपास के े को छोड़ कर अ य कही इस
के कोई िनशान नह देखे गए ह।
चेरनोिबल दघु टना के कई वष के बाद भी वा य संबंधी सावधानी के कारण, आसपास क आबादी के िलए काउंटर उपाय
अभी भी संभािवत वा य खतरे को कम करने के िलए सावजिनक आदेश म रहते ह। इसके अित र , अिनधा रत सम या
को जानने म अनसु ंधान, जो परमाणु िव फोट का एक प रणाम हो सकता है, अभी भी चेरनोिबल और पास के भाव े म
चल रहे ह। यह माना जाता है िक परु ाने भोपाल म एमआईसी रलीज का भाव तो समय के साथ समा हो गया था, जबिक
चेरनोिबल फॉलआउट उसक तल ु ना म पयावरण म लंबे समय तक रहने के िलए जाना जाता है और इसिलए भिव य म भी
पीढ़ी तक वा य खतरे के प म बना रहता है। यह एक कारण लगता है िक चेरनोिबल सािह य म एक अ यिधक उ तृ
दघु टना है, जबिक भोपाल म घनी आबादी के कारण बड़ी सं या म मानव मृ यु को देखा गया।

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भाग-II
1.8 िचपको आदं ोलन का प रचय
िचपको आंदोलन भारत म यापक प से अिहसं क वन सरं ण आंदोलन के प म जाना जाता है। यह दिु नया भर म
पयावरण आंदोलन के िलए एक ेरणा िबंदु भी बन गया। इसने लोग म बढ़ती पयावरण जाग कता को कट िकया और
भारत म नाग रक समाज के मह व को ित विनत िकया; जो आिदवासी और हािशये के समदु ाय के दख ु म शािमल होने
लगा। िचपको का िवचार पहली बार 1970 के दशक म वतमान उ राखंड रा य के चमोली िजले के एक गाँव मंडल से शु
हआ था। यह थानीय लोग के सघं ष के प म शु हआ िक उनके आसपास के े म जंगल पर िनयं ण का दावा िकया
गया, जो उनक आजीिवका के िलए मह वपणू था। िचपको आंदोलन से सबं ंिधत मह वपणू लोग, जो स या ह िविध के साथ
संबं थे, वे थे: गौरा देवी, सदु श
े देवी, चंडी साद भ इ यािद। िचपको ने जो भाव डाला, उसे ाकृ ितक संसाधन के
सरं ण, पनु थापना और पा रि थितक प से विन उपयोग के िलए ‘राइट टू लाइवलीहड अवाड’ के प म सराहा गया।
ऐितहािसक प से, िचपको शैली का नवाचार 1730 ई वी पवू का है, जब 363 िब नोइय ने राज थान म खेड़ी के पेड़ को
बचाने के िलए अपने जीवन का बिलदान िदया था।
1.9 िचपको आदं ोलन का काय प
हाल तक, इस े के िनवािसय का स पक गंगा के मैदान से बहत हद तक बािधत रहा है। य िक तराई के दलदल े ने
यहाँ पहँच को परे शानी वाला बना िदया। इस िवसंगित ने िविभ न पा रि थितक मु के साथ िमलकर आिथक प से
अिधशेष उ प न करने क िकसी भी संभावना को रोक िदया। प रणाम व प, इन े से बड़े पैमाने पर आबादी अपनी
आजीिवका कमाने के िलए वन उपज पर बहत िनभर थी। हालाँिक, थानीय कृ िष वािनक के िलए पेड़ क थायी िक म
पर िनभरता के अलावा, िचर चीड़ पर वन िवभाग क एका ता जैसे रा य के आदेश इस बात का माण ह िक रा य क
सरकार ाकृ ितक संसाधन का दोहन करने क औपिनवेिशक िवरासत के साथ जारी रही। वनोपज पर भारी िनभरता के
बावजूद, इन वन के आसपास रहने वाले समदु ाय को अपने अिधकार से लगातार वंिचत रखा गया और उपेि त िकया गया।
इस तरह के वािणि यक लॉिगगं से पैदा होने वाले िकसी भी रोजगार के अवसर से थानीय िनवासी वंिचत ही रहे य िक
ऐसी नौक रय के िलए वािसय को थानीय िनवािसय को अिधक पसंद िकया गया। (टकर, 1993) इसने िनवाह से
संबंिधत सम याओ ं क परत बनाई,ं िजसम सीिमत पहाड़ी ससं ाधन पर दबाव थानीय और साथ ही वािसय , दोन के
आधार पर कई गुना बढ़ गया। गुहा (1989) ने अपने मह वपणू अ ययन म यह भी नोट िकया है िक 1962 के भारत-चीन
यु के बाद रणनीितक सड़क बनने के बाद पहाड़ी म लोग ने वन िवभाग क यापक और अि थर पैठ के बारे म आम िचतं ा
य क थी, िजससे थानीय िनवािसय के िलए आजीिवका क िचतं ा बढ़ गई थी। वन िवभाग ारा िनरंतर अिभयान के
प रणाम व प 1970 के दशक क शु आत म एक गभं ीर बाढ़ क आपदा आई। (पाठक, 1994) िजसमे िकसी भी ढ़
शासन के अभाव म, 200 से अिधक लोग क जान चली गई। इस पृ भिू म म, एक सहकारी सगं ठन: दशोली ाम वरा य
सघं (DGSS), िजसक थापना 1964 म गाँधीवादी सामािजक कायकता चडं ी साद भ ने क थी, लोग को बचाने म एक
सि य एजट बन गया। गोपे र म डीजीएसएस क थापना थानीय ससं ाधन का उपयोग करते हए और थानीय लोग क
भत के िलए एक लघु उ ोग इकाई के प म क गई थी। यह अ पृ यता, पहािड़य म शराब क िब और वन अनबु धं
णाली जैसी बाधाओ ं से लड़ने म भी सि य था। (गहु ा, 1989) बाढ़ भािवत पहाड़ी म बचाव काय करते समय, बड़े पैमाने
पर उ ोगकरण का िवरोध करने के िलए सरकार के साथ एक तकपणू वाता शु करने के िलए आगे ह त पे करने क
आव यकता थी। 1973 म, DGSS ारा छोटे पैमाने पर उ पादन के िलए दस राख के पेड़ का उपयोग करने के अनबु ंध को
अ वीकार कर िदए जाने के बाद, उसी अनबु ंध को, इलाहाबाद म अपने कायालय के साथ एक िनजी पोट्स कंपनी,
साइमंड्स को बड़ी सं या म पेड़ को काटने के अनमु ित दी थी। इसने वन िवभाग और DGSS के बीच टकराव को आमिं त
िकया। साइमंड्स कंपनी को जंगल म अपने काम को रोकने के िलए मजबूर होना पड़ा य िक इसे डीजीएसएस कायकताओ ं
ारा यापक आदं ोलन का सामना करना पड़ा। िज ह ने पेड़ को लकड़हारे क कु हाड़ी से बचाने के िलए गले लगा िलया

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या। जारी िवरोध ने सरकार को साइमंड्स कंपनी के लॉिगंग परिमट को र करने के िलए मजबरू कर िदया और भावी ढगं से
अनबु ंध को डीजीएसएस को ह तांत रत कर िदया, िजसे शु म उस अिधकार से वंिचत कर िदया गया था। हालाँिक यह मु ा
अब राख के पेड़ क वािषक खरीद तक सीिमत नह था, बि क यह बड़े िनजी कारखाने इकाइय के िलए िनरंतर और
लगातार वािणि यक लॉिगंग अनुबधं के आसपास कि त था और सरकार क वन नीित के िखलाफ था। वे दोन ामीण के
िलए ितकूल थे, िजनक आजीिवका काफ हद तक वन संसाधन पर िनभर थी।
मंडल वन म सफल सि यता के बाद, चंडी साद भ के नेतृ व म कायकताओ ं ने इस प रयोजना को फाटा-रामपरु म
ामीण के बीच ले जाने का फै सला िकया, जो क खेल क एक बड़ी कंपनी ारा उसी खतरे म थी। िचपको ने, जो मंडल के
जंगल म एक अिहसं क िवरोध के प म उ प न हआ था, इसी तरह के बड़े पैमाने पर अिभयान के संपक म आने वाले अ य
जगं ल के आसपास के े म रहने वाले ामीण को समथन देकर अपनी एकजटु ता य क जोिक उनक तरह ही बड़े
पैमाने पर जगं ल काटे जाने से पीिड़त थी। यह िचपको को एक थानीय आदं ोलन के प से, एक सामािजक आदं ोलन के प
म प रवतन क ओर ले जाने वाला अवसर था, जो अपनी थानीय थािनक आव यकताओ ं से परे अपनी सेवाओ ं को दान
करता था।
जबिक िचपको रणनीित यापक प से िनजी वािम व वाली कंपिनय ारा बड़े पैमाने पर लॉिगंग के खतरे से भािवत े
म फै ली हई थी, िचपको के िलए िनणायक ण तब आया जब जंगल म पेड़ क बड़े पैमाने पर कटाई से बचाने के िलए रेनी
म मिहलाओ ं ारा इस शैली के तौर-तरीक का मखु ता से इ तेमाल िकया गया था। जो उनक आजीिवका का ोत था।
1974 म, वािणि यक शोषण के िलए 2,000 से अिधक पेड़ को काटने का अनबु ंध िदया गया था। चंडी साद भ के नेतृ व
म, ामीण को यावसाियक लॉिगंग पर सरकारी ि कोण के िखलाफ उकसाने के िलए कई समूह बैठक और रैिलयाँ
आयोिजत क गई।ं यह िनणय िलया गया िक जब लकडहारे पेड़ को काटने आए, तो ामीण सांकेितक प म पेड़ को गले
लगाए गए।
सरकार ारा मुआवजे के लालच म, रे नी के ामीण और डीजीएसएस कायकताओ ं ने चमोली पहँचने के िलए पहािड़य क
लंबी सड़क क या ा क , जहाँ अपेि त बैठक होनी थी। हालाँिक, यह एक का पिनक थल था और सरकार और ठे केदार
ारा रे नी के जंगल से दरू ले जाने के िलए यह नाटक आयोजन िकया था। जैसे ही बड़ी आबादी को गमु राह कर िदया गया,
लकड़हार से लदे क पेड़ काटने के िलए पहँच गए। एक थानीय लड़क ने गौरा देवी को घटना क सचू ना दी, िजसने रे नी म
मिहला मगं ल दल का नेतृ व िकया। इन गौरा देवी ने जानकारी िमलने के बाद गाँव क 27 अ य मिहलाओ ं के साथ िमलकर
लकड़हार से िभड़ने का फै सला िकया। जब लबं रदार और मिहलाओ ं के बीच वाता िवफल हो गई, तो मिहलाएँ अपने पहले
से ही तय क गई काययोजना पर पीछे हट गई।ं उ ह ने पेड़ को काटने से बचाने के िलए गले लगाया। यह परू ी रात सतकता से
जारी रहा। प रणाम व प, कुछ लकडहारे जगं ल से वािपस चले गए। अगले िदन पु ष और डीजीएसएस कायकता वापस
लौट आए। रे नी ामीण के िवरोध म शािमल होने के िलए दसू र को उकसाने के िलए आस-पास के गाँव म खबर फै ल गई।
ठे केदार को लबं े समय तक गितरोध के बाद जगं ल छोड़ने के िलए मजबरू िकया गया था जो लगातार चार िदन तक जारी
रहा।
रे नी क घटना इतनी मख
ु हो गई थी िक त कालीन मु यमं ी हेमवती नंदन बहगणु ा को मामले को आगे बढ़ाने के िलए एक
सिमित गिठत करके ह त पे करना पड़ा। सिमित ने ामीण के प म फै सला सनु ाया। यह इस तरह के मु का सामना करने
वाले आंदोलन को नये तर पर ले जाने के िलए एक मह वपणू मोड़ था।
िचपको क सफलता को 1978 म भइु दं र घाटी म पल
ु ना गाँव जैसे िविभ न अ य थल पर दोहराया गया जहाँ मिहलाओ ं ने
लकड़हारे के औजार ज त कर िलए। 1972 और 1979 के बीच, 150 से अिधक गाँव िचपको सघं ष का िह सा बने।
सामिू हक लड़ाई के प रणाम व प उ राखंड म कई छोटे टकराव के साथ 12 मख ु िवरोध दशन हए। िचपको के
उ लेखनीय छाप के साथ, 1980 म, भारत क धानमं ी इिं दरा गांधी, ने उ राखंड के िहमालय म वािणि यक लॉिगगं पर
15 साल के िलए ितबधं लगा िदया।

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िचपको बाद म अिधक मख
ु र हो गया और िहमालय बचाओ आंदोलन शु िकया। इसने िहमालय बे ट म कई प रयोजना
आधा रत सि यता को समथन देना शु कर िदया।
1.10 िचपको आदं ोलन के िविवध पहलू
िचपको क क पना ने िचपको के साथ बातचीत क प रयोजना को शु करने के िलए िव व पयावरणिवद के क पना को
आकिषत िकया, िजसके संदभ म समदु ाय के पास अपने स मािनत देश क िवषम सरकारी नीितय से लड़ने के िलए एक
क मचं होगा। वंदना िशवा आव यक पयावरण-नारीवादी कूल से एक सि य तावक है, जो मिहलाओ ं और कृ ित के
बीच संबंध को अपने िव लेषण के िलए मल ू भतू के प म विणत करती है, िचपको आदं ोलन को मिहलाओ ं के वच व वाले
एक पा रि थितक आंदोलन के प म बताती है। िशवा और बं ोपा याय (1986) के अनसु ार, िचपको संघष एक तरह से
अि तीय था, जो मु य प से धन के िवतरण क राजनीित पर कट नह हआ था, लेिकन पा रि थितक ि थरता को अपने
नैितक मू य घोिषत करता था, िजसम मिहलाओ ं ने अपनी र ा के िलए जगं ल के पेड़ के ित अपनी बहन क भिू मका
िनभाई थी। इस के िवपरीत, रामचं गहु ा ने अपनी िकताब “अशांत जंगल – ‘The Unquiet Woods’ म िचपको संघष
क ऐितहािसक और सां कृ ितक जड़ क पड़ताल क । वह कहते ह िक िचपको क पयावरण आंदोलन क लोकि य छिव
के िवपरीत, िचपको मु य प से जंगल म पारंप रक अिधकार क र ा के िलए एक िकसान आंदोलन था” (गहु ा, 1989)
और अगर बाद म के वल एक पयावरणीय आदं ोलन के प म बल ु ाया जा सके , तो यह यो य हो सकता है। गहु ा के अनसु ार,
िचपको िनवाह के िलए थानीय लोग के संघष के आसपास कि त था, िजसम पु ष और मिहलाओ ं दोन को वन उपज पर
िनयं ण करने के िलए शािमल िकया गया था, जो उनक आजीिवका के िलए मह वपणू था।
िचपको अपनी तरल कृ ित के साथ कई या याओ ं को आकिषत करना जारी रखता है, लेिकन इसक ासिं गकता इस त य
म बरकरार है िक इसने एक समूह के प म िवरोध करने के िलए लोग क क पना पर क जा कर िलया। इसके अलावा,
इसने देश के िविभ न िह स म पयावरण आधा रत आंदोलन को गित दान क , जो अिधकार पर वाता को के ीय मचं
दान करता है।
1.11 अमेज़न आदं ोलन
ाजील के एकरे जगं ल म यह आदं ोलन, अमेज़ॅन वषावन के सरं ण के िलए लड़ने वाले यिू नयन नेता िचको मडेस के
पयावरणीय इितहास म एक मह वपणू नाग रक आधा रत आदं ोलन बन गया। 1988 म एक रचर ारा उनक नृशसं ह या ने
सिु खयाँ बटोर । हालाँिक अमेज़नॅ के कायकताओ ं के िखलाफ िहसं ा जारी रही, उनक मृ यु ने अमेज़नॅ के सरं ण आदं ोलन
पर बड़ा भाव डाला। समथक ने एकर म एक नए प रभािषत पयावरणीय सतत िवकास के साथ भारी उ साह के साथ
चनु ौती दी और संघष िकया।
गरीब प रवार म 1944 म ज मे िचको मडेस ने अपना बचपन एकरे शहर सापरु ी (Xapuri) म िबताया। 9 साल क उ म,
उ ह ने अपने िपता के साथ एक रबर टपर के प म काम करना शु कर िदया। िकसी भी औपचा रक िश ा के िबना, उ ह ने
पढ़ने क कला को वय-ं सीखा, िजसने उ ह रबड़ के रजव म गहन शोषण और अ याय को जानने म मदद क , िजसे वह
और उनके साथी, रबर बैरन के अधीन सहन कर रहे थे। 1970 के दशक म िचको मडेस ने इस अ याय और शोषण के िव
एवं ामीण अिधकार के िलए सापरु ी (Xapuri) म एक ामीण िमक सघं का आयोजन िकया।
एक दशक के भीतर िचको मडेस के नेतृ व म रबर टेपस के सामिू हक सगं ठन ने एक मजबतू थानीय सामािजक आदं ोलन के
प म अपनी पकड़ बना ली। उ ह ने रबर टेपस क रा ीय प रषद क सं था िवकिसत क । यह रबड़ टेपस, नदी के
िनवािसय और मलू िनवािसय के बीच एक सयं ु गठबधं न था, सामिू हक प से उ ह ‘जगं ल के लोग ’ कहा जाने लगा।
फोरम अमेजन वषावन क कटाई के िखलाफ था और जन-अिधकार क वकालत कर रहा था।
1970 और 80 के दशक म ाजील म राजनीितक बादल छाए रहने का उ लेख यहाँ करना उिचत है, िजसम ाजील सै य
तानाशाही के अधीन था, िजसने पश-ु पालन के िलए अमेज़ॅन के वषावन क कटाई को मंजरू ी देने कर ो सािहत िकया था।

48
इस नीित के अनु प, िजसका उ े य वन के े को साफ करके कृ िष के तहत अिधक भिू म लाना था। रबर लांटेशन यिू नट
से रचस ारा रबर टेपस को हटा िदया गया था। सै य शासन ारा िवक प िदया गया था िक रबर टेपस और उनके प रवार को
अ य रा य ायोिजत प रयोजनाओ ं म थानांत रत िकया जाए – जहाँ ि थित और भी खराब थी।
एक ितशोध म, िचको मडेस और उनके सहयोिगय ने अपने प रवार के साथ उन वना छािदत े पर क जा कर िलया,
िज ह कृ िष के िलए अिनवाय प से काटा जाना था। िवरोध क शैली को ‘सहानभु िू त’ (empate) के प म जाना गया था,
जहाँ वे बल
ु डोज़र को अव करने के िलए आर के सामने खड़े थे।
अमेज़ॅन के आस-पास के लोग का यापक यान आकिषत करने के िलए, उ ह ने नेशनल काउंिसल ऑफ़ रबर टपर के
अ य के प म, अतं रा ीय पयावरण आदं ोलन के साथ भागीदारी क । ‘ए ेि टव रज स ‘क अवधारणा का बीड़ा
उठाया गया था, िजसका मतलब था िक लोग ारा िवरोध करने के िलए इ तेमाल क जाने वाली रणनीित िजसका इ तेमाल
उ ह ने ाजील के वषावन को बचाने के सघं ष करते हए िकया। बदले म, इसने जम दार और उनके समथक को नाराज कर
िदया। हालाँिक िवरोध जारी रहा और 1987 म मडेस और उनके सहयोिगय ने नेरी के जगं ल म पेड़ को काटने के िलए
डारली नामक एक रजर क योजना को िवफल कर िदया, जो एक ‘आरि त वन’ के प म िचि हत था।
अपने िनरंतर सफल िवरोध के साथ, वह रा य क रणनीित के िलए खतरा बन गया था, िजसका उ े य वषा वन क कटाई
को जारी रखना था। 1988 म, उ ह अपने घर के बाहर गोली मार दी गई थी। ह या ने अतं रा ीय सिु खयाँ बटोर और ितरोध
को बढ़ाया। मडेस िवरासत को जारी रखने के िलए; जो अके ले एकरे म नह , लेिकन परू े ाजील म थी; पहचान के प म देश
का पहला ‘ए ेि टव रजव’ थािपत िकया गया, जो समय के साथ बढ़ता रहा है। मडेस क मृ यु के एक दशक बाद, उनके
सहयोगी एकरे म स ा म आए। उ ह ने वन क व-घोिषत सरकार क थापना क और शेष वन को बनाए रखने के इरादे से
कई पयावरण अनक ु ू ल नीितय को थािपत िकया।
हालाँिक, चनु ौती बनी हई है। अमेज़ॅन भर म ामीण िववाद म कई लोग क ह या कर दी गई है, इसके साथ वन क कटाई
क दर म िगरावट आई है। लेिकन वन, अवैध और अि थर कटाई, कृ िष िव तार और बिु नयादी ढाँचे के िवकास से एक
िनरंतर खतरे म है। िफर भी, मिडस क िवरासत ऐसी चनु ौितय का सामना करने के िलए जारी है।
अपनी गित क जाँच कर
1. भोपाल गैस ासदी कब हई थी?
1. 1981 2. 1983
3. 1984 4. 1985
2. चेरनोिबल सयं ं म चल रहे योग के कारण िकस रए टर पर सम या उ प न हई?
1. रए टर 1 2. रए टर 2
3. रए टर 3 4. रए टर 4
3. भोपाल यिू नयन काबाइड संयं का िनमाण–
1. यरू े िनयम 2. रासायिनक क टनाशक
3. िबजली 4. सौर ऊजा
4. चेरनोिबल सयं ं के उ पादन के िलए िज मेदार था–
1. उवरक 2. िबजली
3. टील का लोहा 4. पवन ऊजा

49
5. िचपको आंदोलन िकस भारतीय रा य म हआ था?
1. उ राखंड 2. िबहार
3. गजु रात 4. पजं ाब
6. िचपको संघष का पहला थल कौन सा था?
1. रे नी गाँव 2. पल
ु ना गाँव
3. मंडल गाँव 4. भायंदर घाटी
उ र : 1. (3); 2. (4); 3. (2); 4. (2); 5. (1); 6. (3)
सझ
ु ाए गए न–
-1. भोपाल गैस ासदी का गंभीर मू यांकन कर।
…………………………………………………………………………………………………
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-2. गंभीर प से चेरनोिबल आपदा का मू यांकन कर।
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
-3. दो भयावह औ ोिगक आपदाओ;ं जो मशः भोपाल और चेरनोिबल परमाणु सयं ं म हए थे; के बीच अतं िनिहत
समानताएँ और अतं र या थे?
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
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-4. िचपको आंदोलन के गित-पथ क या या क िजए। िचपको संघष पर िविभ न या याएँ या ह?
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………
1.12 सदं भ सच
ू ी
 Grimston, Malcolm (1997). Chernobyl and Bhopal ten years on comparisons and
contrasts. Advances in Nuclear Science and Technology, 24.
 Guha, R. (1989). The Unquiet Woods: Ecological Change and Peasant Resistance in
the Himalayas. New Delhi: Oxford University Press.

50
 International Confederation of Free Trade Unions (ICFTU) (1985). The Trade Union
Report on Bhopal. Geneva: International Confederation of Free Trade Unions
 Minocha A.C. (1981). Changing Industrial Structure of Madhya Pradesh: 1960-1975.
Margin, 4 (1), pp 46-61.
 Pathak, A. (1994). Contested Domains: The State, Peasants and Forestry in
Contemporary India. New Delhi: Sage.
 Sarangi, Satinath (2012). Compensation to Bhopal Gas Victims: Will Justice Ever
Be Done? Indian Journal of Medical Ethics 9 (2), pp. 118-120.
 Scandrett, Eurig., Suroopa Mukherjee, Dharmesh Shah, and Tarunima Sen (2009)..
Bhopal Survivors Speak: Emergent Voices from a People’s Movement. Edinburgh:
Word Power Books.
 Shiva, Vandana, and J. Bandyopadhyay (1986). The Evolution, Structure, and
Impact of the Chipko Movement. Mountain Research and Development, vol. 6 (2),
pp. 133–142.
 Town and Country Planning Department (1975). Bhopal Development Plan. Bhopal:
Municipal Corporation.
 Trent Brown (2014) Chipko Legacies: Sustaining an Ecological Ethic in the Context
of Agrarian Change. Asian Studies Review, 38 (4), pp. 639-657.
 Tucker, R.P. (1993). Forests of the Western Himalaya and the British Colonial
System (1815-1914), in A.S. Rawat (ed.) Indian Forestry: A Perspective. New
Delhi: Indian Publishing Company, pp. 163-192.

51
2. छा आदं ोलन : पे रस 1968

सरं चना
2.0 उ े य
2.1 प रचय
2.2 छा सि यता के पीछे कारण
2.3 पे रस छा आंदोलन (1968)
2.3.1 प रचय
2.3.2 पृ भिू म
2.3.3 घटनाएँ
2.4 िन कष
2.5 संदभ-सचू ी
2.0 उ े य
इस पाठ का उ े य बीसव शता दी के उ राध म होने वाले मह वपणू छा आदं ोलन के पीछे छा के िविभ न ि कोण
को सामने लाना है। पाठ मु य प से पे रस छा आंदोलन (1968)।
2.1 प रचय
काफ लंबे समय तक, छा आदं ोलन कई देश म मह वपणू राजनीितक और सामािजक ताकत रहे ह। इितहास इस बात क
गवाही देता है िक छा ने उ नीसव सदी म कई यरू ोपीय ािं तकारी आदं ोलन (जैसे 1848 क जमन ािं तय और सी
ांितकारी आदं ोलन ) म मह वपणू राजनीितक भूिमका िनभाई। हालाँिक, िविभ न यवु ाओ ं और छा आंदोलन के बारे म
सामा यीकरण करना मिु कल है य िक येक रा क राजनीितक और शैि क प रि थितय ारा गिठत प रि थितय म
िभ नता होती है, जो तब िदए गए रा म चिलत थे, और िजनक पृ भिू म म ये आंदोलन हए थे। उदाहरण के िलए संयु
रा य अमे रका और यरू ोप म 1960 और 1970 के दशक के छा आदं ोलन नाग रक अिधकार के आ दोलन का प रणाम थे
जो सयं ु रा य अमे रका म 1950 के दशक म शु हए और (एच-बम िव ) यरू ोप म शांित माच और दशन हए।
िवयतनाम यु म संयु रा य क भागीदारी के िखलाफ आंदोलन के प रणाम व प यु िवरोधी माच और अ य िवरोध
दशन हए, जो कॉलेज प रसर म शांित कायकताओ ं और वामपथं ी बिु जीिवय ारा शु िकए गए थे। सयं ु रा य
अमे रका ारा उ री िवयतनाम पर बमबारी शु करने के बाद, 1965 म इ ह गित िमली। हालाँिक अमे रक आबादी के
अिधकांश लोग ने िवयतनाम म शासन क नीित का समथन िकया, लेिकन एक छोटी लेिकन मख ु र उदार अ पसं यक
िजसम वामपंथी संगठन टूडट्स फॉर ए डेमो े िटक सोसाइटी (SDS) के सद य, साथ ही मख ु कलाकार और बिु जीवी
और िह पी आदं ोलन के सद य शािमल थे? (बढ़ती सं या म यवु ा िज ह ने अिधकार को अ वीकार कर िदया और ग
क चर को गले लगा िलया था) ने अपना िवरोध य करने के िलए “लोक िश ण” का आयोजन करना शु कर िदया,
िजसम वे उस तरीके का िव कर रहे थे जैसे वह यु चलाया जा रहा था। शु म िवयतनाम यु म अमे रक भागीदारी के
िवरोध पर यान कि त करने वाले िवरोधाभास ने धीरे -धीरे नए मु क एक िव तृत ख ंृ ला को अपनाया – ‘नारीवादी
दसू री लहर’ (िजसका उ े य िसफ और िसफ आ मबल बढ़ाकर मिहलाओ ं के िलए समानता बढ़ाना था), पयावरणवाद,

52
वैि क याय और सबसे मह वपणू बात अिधक यि गत वतं ता के िलए आ ान, जोिक दो महा ीप से परे दिु नया के
अ य िह स म फै ल गया।
2.2 छा सि यता के पीछे कारण
परू ी दिु नया म, छा िकसी देश क जनसं या का एक मह वपणू भाग होते ह और इसके बावजदू छा गितिविधय का
के ीय थान िव विव ालय ही होता है। िव विव ालय के छा सबसे पहले “नए” िवचार से भािवत होते ह और
राजनीितक प से जाग क होते ह। वे तुलना मक प से आबादी म अ य समहू क तुलना म सामािजक बाधाओ ं से मु
ह, आमतौर पर रहने के िलए काम नह कर रहे ह, कोई पा रवा रक िज मेदा रयाँ नह ह, और अ सर एक सहकम समहू
उपसं कृ ित म घर से दरू रहते ह (ऑ ट 334)। इसके अलावा, चँिू क वे एक प रसर म ि थत ह, इसिलए उ ह इक ा करना
आसान है। ये सभी कारक िविभ न आंदोलन म छा क सि य भागीदारी के िलए िज मेदार ह, िफर चाहे वह सामािजक
या राजनीितक य न हो। िकसी भी छा आदं ोलन क कृ ित और ल य को िनधा रत करने के िलए सि यता का शैि क
और सं थागत वातावरण एक मह वपणू कारक है।
अब हम पे रस छा आदं ोलन (1968) पर यान कि त करगे।
2.3 पे रस छा आदं ोलन (1968)
2.3.1 प रचय
िकसी भी तरह के सामािजक आंदोलन को संवेदनशील आँख से देखा जाना चािहए। यह अिधक सच है जब कोई यवु ाओ ं
के नेतृ व म आंदोलन को देख रहा हो – एक सपने क खोज म बेचैन, क पनाशील यवु ा आ माएँ, ितबंध के िव और
अ यव था, अराजकता और यु क बदसरू ती से घृणा करता हआ।
पे रस िव विव ालय के दोन प रसर को 1968 म दगं के कोप, घेरेबंदी (barricading) और पथराव म फंसा िदया गया
था। इस आदं ोलन ने अपने पीछे िभि िच , नार , गीत और िच का िनशान छोड़ िदया। ये नारे और िच आदं ोलन के
ितभािगय के ोध और उ साह पर काफ काश डालते ह और जो िवचारो ेजक तरीके से आदं ोलन क परे खा को
प रभािषत करते ह।
एक िभि िच को िच लाया, ‘यहाँ िनषेध – िनिष है’, जबिक दसू रे ने इसे अपना ल य घोिषत िकया– ‘िबना के आनंद
ल’। इस ल य के साथ इसे ा करने के िलए िनयोिजत तरीका काफ साहिसक था। एक िभि िच पढ़ ‘म तमु से यार करता
हँ!!! ओह, इसे रा ते के प थर के साथ कह !!!’ एक और िभि िच नए िसरे से सक ं े ितत करता है, ‘प के प थर के नीचे,
समु तट’। पिु लस के साथ लड़ाई म रा ते के प थर का इ तेमाल अ सर िवरोध के हिथयार के प म िकया जाता था।
पे रस के छा िवरोध आदं ोलन को अ सर िवचार के े से उपजे आदं ोलन के प म विणत िकया जाता है। समकालीन
नेता एलेन गी मर ने अपनी सफलता को ‘एक सामािजक ािं त बताया, न िक राजनीित िवजय।’ चँिू क आंदोलन यवु ाओ ं का
था और िजन िवचार के िलए उ ह ने आदोलन िकया, वह भी िवचार के े से ही उपज थे।
2.3.2 पृ भिू म
1950 और 60 के दशक म दिु नया भर म बौि क उफान के संकेत िदखाई दे रहे थे। ता कालीन सािहि यक जगत और
बौि क जगत के मख ु संदभ पर संि ि बढ़ती सामिू हक मानिसकता क एक झलक दान करे गी। इस काल म ांस म
अि त ववाद मख ु वैचा रक िस ांत था और इसके मख ु तावक म जीन-पॉल सा थे। यह िनराशा और शू यता का
िस ांत था। एक उ लेखनीय लेख म सा िलखते ह “ई वर का अि त व नह है, और इसके प रणाम व प मनु य िनराश है,
य िक न तो खदु के भीतर और न ही बाहर, उसे कोई भी सहारा नह रहा है”। उ ह ने चिलत दख
ु और अ याय के िखलाफ
भी िलखा। डी.एच. लॉरस के अं जे ी उप यास ‘लेडी चटेरले लवस’, िजसे आर भ म ितबंिधत कर िदया गया था, 1960 म
कािशत िकया गया। ‘दसू रा से स’, िसमोन डी बेवॉयर का एक मखु काम 1949 म सामने आया, जो जीन-पॉल सा क

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करीबी सहयोगी थ । इसे एक अ णी नारीवादी लेखन के प म माना जाता है। 1966 म जिू लयट िमशेल ने ‘वीमेन : द
लॉ गे ट रवो यश ू न’ नामक एक िनबंध िलखा। इसने मिहलाओ ं के सामने आने वाली सम याओ ं को बो ड श द म रखा।
िजसे क इस उ तृ से प है : “ वयं मिहला क तरह, प रवार एक ाकृ ितक व तु के प म ततु िकया जाता है, लेिकन
यह वा तव म एक सां कृ ितक रचना है ... दोन को िवरोधाभासी प से आदश के प म ततु िकया जा सकता है।
‘स ची मिहला’ और ‘स चा प रवार’ शािं त और स प नता क बहत सी छिवयाँ ततु करता ह : िक तु वा तिवकता म वे
दोन ही िहसं ा और िनराशा के थल हो सकते ह।”
सां कृ ितक े म कई अ य आदं ोलन जड़ जमा रहे थे। यरू ोप म नए िसनेमा क एक लहर उभरी। यह अविध समलिगक
अिधकार के आंदोलन के िवकास के िलए भी जानी जाती है। अ ेत गौरव के िलए आंदोलन भी एक सहवत िवकास था।
बॉब िडलन ने 1965 म गाए गए अपने मरणीय गीत म तक क मनोदशा को अिभ य िकया–
How does it feel या कहे कै सा लगता है
How does it feel या कहे कै सा लगता है
To be on your own िनज पर िनभर होना
With no direction home िबन जाने घर का र ता
Like a complete unknown जैसे खदु से भी अनजान
Like a rolling stone? इक ढलवा प थर जैसा?
िवरोध आंदोलन से पहले क अविध मह वपणू जनसांि यक य प रवतन ारा जानी जाती है। अब अिधक लोग िश ा ले
रहे थे। आधिु नक िश ा क ओर झान उ नीसव सदी म शु हआ। बीसव सदी म इसक गित तेज हई। ाथिमक िश ा का
सार सावभौिमक था, िजनम से बड़ी सं या म छा मा यिमक िव ालय तर तक पहँच गए थे। ि तीय िव व यु के बाद के
‘बेबी बूम’ क अविध म परू े यरू ोप म िव विव ालय म छा के नामांकन म अभतू पवू वृि देखी गई। 1960 के दशक म
ांस म उ च िश ा ा करने वाले छा का आँकड़ा 196,000 से बढ़कर 376,000 हो गया, जबिक यरू ोप म इसी अविध
क सं या 202,000 615,000 थी। दभु ा य से, छा क बढ़ती हए सं या का िमलान शैि क े म िव ीय िनवेश क
आव यकता से नह हआ। इसने अवसरं चना मक सिु वधाओ ं और िश ण टाफ को नकारा मक प से भािवत िकया
तािक छा क बढ़ी हई सं या क ज रत को परू ा िकया जा सके । िव विव ालय क इमारत , उनक आवासीय और
शै िणक आव यकताओ ं को परू ा करने के िलए अपया थे। इसके अित र , जबिक, प रवतन क हवाएँ चार ओर मौजूद
थी; िव विव ालय म अिधकारवाद और नौकरशाही का बोलबाला था; जो उदारवादी िवचार और मू य को िहकरात क
नज़र से देखते थे।
आंदोलन म एक उ लेखनीय भागीदार ता रक अली ने िलखा, “1968 म एक तूफान ने दिु नया को तबाह कर िदया”। वह
आगे कहते ह, ‘जो िवयतनाम म शु हआ, िफर एिशया भर म उमड़ा, समु और पहाड़ को पार करके यरू ोप और उससे
बाहर।’ िवयतनाम यु क भयावहता, कालीन बमबारी और गाँव को जलाने क छिव, हर रात टेलीिवजन से सा रत हो
रही थी। एक तीसरी दिु नया के गरीब देश ारा अमे रका के ितरोध ने लोग को सोचने पर मजबूर कर िदया। इसने उ ह इस
उ मीद से भर िदया िक अगर िवयतनाम, एक तीसरी दिु नया का, संयु रा य अमे रका को चनु ौती दे सकता है, तो वे भी
अिधनायकवादी शासन से उबर सकते ह।
2.3.3 घटनाएँ
1968 के आदं ोलन क शु आत छा दशनका रय ने क थी। उ ह ने यौन वतं ता क माँग क । जैसा िक पहले कहा गया
था िक िव विव ालय म सामा य वातावरण िढ़वादी और शु तावादी था। यह छा ावास के िनयम म प रलि त होता
था, जो िलंग अलगाव पर आधा रत थे। आंदोलन वा तव म पे रस के उपनगर म शु हआ। पे रस िव विव ालय के प रसर

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म से एक नानटेरे म था, जो 1962 से अब तक िनमाणाधीन था। भवन के अलावा लगभग 12,000 छा के ठहरने के िलए
अ पिवकिसत आवास होने के कारण छा ावास के िनयम म िवपरीत िलगं के छा के वेश पर ितबधं था। जनवरी 1968
म, छा नेता डैिनयल कोहन-बिडट ने ासं ीसी मं ी, कोइस िमसोफ़े से छा क हताशा को िज िकया , िजसके उ र म
मं ी ने ‘उसे पल
ू म गोता लगाकर खदु को शातं करना क सलाह दी’। 22 माच, 1968 को लगभग 150 छा ने कुछ
किवय और सगं ीतकार के साथ पे रस िव विव ालय के नानटेरे कपस म एक इमारत पर क जा कर िलया था तािक इसके
कामकाज से संबंिधत मु पर चचा क जा सके । इमारत को पिु लस ने घेर िलया था। इसके बाद छा अपनी इ छाओ ं को
सावजिनक करने के बाद चले गए। यह 22 माच के आंदोलन ‘के प म जाना जाता है।
दशनका रय के िखलाफ कारवाई के िलए एक अनश ु ासना मक सिमित बनाई गई थी। इस बीच माच से लेकर मई तक
छा और अिधका रय के बीच झड़प जारी रह । इसके कारण 2 मई को नानटेरे प रसर को बंद कर िदया गया। नानटेरे प रसर
को बदं करने के िवरोध म और छा के ऊपर िन कासन के खतरे के िवरोध म, पे रस िव विव ालय के सोरबोन प रसर म 3
मई को छा उठ खड़े हए। घटनाएँ तेजी से घटने लगी। अगले सात ह त के िलए पे रस क सड़क यु के मैदान म बदल गई।ं
एक छा िनकाय, यिू नयन नेशनले डेस एट्यिू डएटं ् स डी ांस (UNEF), और िश क संघ ने 6 मई को नानटेरे और सोरबोन
के प रसर को बदं करने के िखलाफ िवरोध माच के िलए एक कॉल िदया। अगले सात स ाह ासं ीसी इितहास म, सड़क के
झगड़े, के रा ते के प थर , आंसगू ैस के गोले और घेरेबंदी (बै रके ड्स) के समय के प म जाने जाते ह। बीस हजार
दशनका रय के िव पं ह सौ सश को खड़ा िकया गया था। छा और िश क सोरबोन क ओर माच कर रहे थे,
जबिक पिु लस का उ ह इसके करीब नह आने देने के िलए ढ़ सक ं प था। जैसे ही भीड़ आगे बढ़ी पिु लस ने उन पर डंड से
हमला कर िदया। भीड़ को िततर-िबतर कर िदया, लेिकन ज द ही वह िफर से इक ा हो गए, जो भी साम ी हाथ म थी, उसके
साथ बै रके ड्स लगा िदए और पिु लस पर प थरबाजी क ।
10-11 मई क म यराि को ासं ीसी इितहास म ‘द नाइट ऑफ द बैरीके ड्स’ के प म जाना जाता है। तब तक छा क
ताकत 40,000 तक पहँच चक ु थी। वे शेन नदी के बाय िकनारे (Rive Gauche) पर इक ा हए और इसे पार करने का
यास िकया। पुिलस ने उ ह रोक िदया। छा ने रा ते के प थर को उखाड़कर और बै रके िडंग लगाकर जवाब िदया। यह
दशन मई आंदोलन क थायी छिवय म से एक है। पिु लस ने सबु ह 2 बजे उन पर डंड और आँसू गैस के गोले दागे। दमन
सबु ह तक जारी रहा। लगभग 500 छा को िगर तार िकया गया और उनम से सैकड़ को अ पताल म भत कराया गया।
िजस समय यह हो रहा था उस समय पिु लस क बबरता को रे िडयो पर सा रत िकया गया था और बाद म इसे टेलीिवजन पर
भी िदखाया गया था।
पिु लस क बबरता के सावजिनक ान ने ासं ीसी समाज म दशनका रय के िलए सहानभु िू त क लहर पैदा क । किवय
और गायक सिहत बुि जीिवय ने पुिलस क कारवाई क िनदं ा क । दो मख ु वामपंथी यिू नयन के समथन म, क फे डरे शन
जेनरल डु ावेल (सीजीटी) और फोस लुवरीयर ने 13 मई को एक िदन क हड़ताल का आ ान िकया था। उस िदन पे रस ने
अपनी सड़क के मा यम से दस लाख से अिधक लोग का माच देखा। उस िबदं ु पर इस आदं ोलन ने िव विव ालय क
सीमाओ ं को पार कर िलया और ासं ीसी अथ यव था और शासन के सभी े को भािवत िकया।
जैस-े जैसे यह िव विव ालय के दायरे से बाहर होता गया, मई के म य से आदं ोलन अिधक वयतसफुत और क र होता
चला गया। अब इसका नेतृ व वाम सघं ने नह बि क वयं कायकताओ ं ने िकया। यिू नयन नेताओ ं ने उ च मजदरू ी क िदशा
म आंदोलन को तेज करने क कोिशश क , लेिकन कायकता अब सरकार को बदलने और अपने कारखान को िनयंि त
करने क माँग कर रहे थे। ‘दस साल काफ हो गए!’ एक नारे म रा पित के प म चा स डी गॉल को शासन से हटाने क
माँग क गई। एक स ाह के भीतर हड़ताल पर जाने वाल क सं या 17 मई को दो लाख से बढ़कर अगले िदन बीस लाख
और 23 मई को एक करोड हो गई।
छा सघं (UNEF) और ेड यिू नयन (CFDT) ारा चारलेटी टेिडयम सगं ठन म एक सयं ु रै ली आयोिजत क गई थी।
परे शानी के सबब डी गॉल 29 मई को देश छोड़कर भाग गया। यह सोचा गया था िक वह ज द ही इ तीफा दे देगा। चार लाख

55
से पाच
ं लाख क भीड़ ने ३० मई को पे रस क सड़क के मा यम से माच करते हए, ‘अलिवदा डी गॉल’ (Adieu, De
Gaulle) के नार से गजंु ायेमान कर िदया।, हालाँिक, डी गॉल (De Gaulle) क सोच कुछ और थी। उ ह ने नेशनल
असबली को भगं कर िदया और 23 जनू को चनु ाव का आ ान िकया। इसके साथ ही उ ह ने खदु के सैकड़ हजार समथन म
ांसीसी लोग का ितवाद िकया। सिु नयोिजत चनु ाव म डी गॉल क पाट ने शानदार जीत हािसल क । उसी समय छा
और कायकताओ ं ारा िवरोध दशन धीरे -धीरे ख म हो गया।
अपनी गित क जाँच कर
बताएँ िन न व य सही है या गलत–
(i) पीपु स रपि लक ऑफ चाइना माओ से तंगु के नेतृ व म थािपत िकया गया था।
(ii) 19 मई, 1989 को ीिमयर झोउ एनलाई ने माशल लॉ घोिषत िकया।
(iv) दमनकारी रा य ारा कुचल िदया जाने वाला यह पहला छा आंदोलन था।
उ र– (i) स; (ii) ग; (iii) ग।

2.6 सदं भ-सच


ू ी
 Corinna-Barbara Francis, (1989). “The Progress of Protest in China: The Spring of
1989” in Asian Survey, Vol. 29, No. 9, pp. 898-915( Available online:
https://www.jstor.org/stable/2644834)
 Altbach, Philip G. (1970), “Student Movements in Historical Perspective” in Youth
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 Calhoun, Craig. (1989), “Revolution and Repression in Tiananmen Square” in
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 Kent, Arthur. (1993), “Between Freedom and Subsistence: China and Human
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 Walder, A.G. (1996), “The Workers, Managers and the State: The Reform Era and
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Clarendon Press, Oxford.

56
3. (i) दि ण अ का : रंगभेद से समाधान तक
लेिखका-अलीशा ढ गरा
अनवु ादक- अनभु व िम ल
परेखा
1.0 उ े य
11. ऐितहािसक पृ भिू म : दि ण अ का के संघ का िनमाण
12. दि ण अ का म रंगभेद शासन के िखलाफ संघष
13. दि ण अ का म रा वाद का उदय
14. सधु ार और तानाशाही क गाथा
15. संवैधािनक उपाय क िदशा म यास
16. एक संवाद आधा रत समझौते के िलए आ ह और उसके प रणाम
17. िन कष
18. सार-सं ेप
1.9 अपनी गित जाँच
1.10 सदं भ-सचू ी
1.0 उ े य

 यह अ याय दि ण अ का के िवकास को समझने का यास करता है जो एक ऐसा देश था, िजसने न लीय
भेदभाव को वैध बनाया था और िजसने 1996 म एक गैर-जाितवादी और गैर-िपतृस ा मक समाज क थापना के
उ े य से नया संिवधान अपनाया।
 यह अ याय एं लो-बोअर यु क ऐितहािसक पृ भिू म देता है जो दि ण अ का को संघ के गठन क ओर ले
जाता है।
 यह अ याय िवशेष प से इस संघष म अ क रा ीय कां ेस क भिू मका पर कि त रंगभेद शासन के िखलाफ
संघष का पता लगाता है।
 यह अ याय 1996 म दि ण अ का के नए सिं वधान को अपनाने के िलए अ णी सवं ैधािनक िवकास के साथ
छा को प रिचत करता है।
1 1.ऐितहािसक पृ भिू म दि ण अ का : के सघं का िनमाण
1899 म एं लोबोअर यु शु हआ।- ि िटश सा ा य ने दो बोअर रा य के साथ यह यु लड़ा, और ये दो रा य दि ण
गणरा ययु को बोअर यु भी कहा जाता है। और ऑरज रा य थे। इस ( ांसवाल गणरा य) यह ासं वाल गणरा य पर
िनयं ण पाने के िलए लड़ा गया था। इस यु का अतं 1902 ई वी म हआ। लंबे समय के सघं ष और लड़ाई के बाद ि िटश
सेना ने यह यु जीता। नव िनिमत रा य-के संिवधान के ा पण के िलए कई वष तक कई बैठक और स मेलन आयोिजत
िकए गए। दि ण अ का अिधिनयम 1910 म ि टेन म लागू िकया गया था िजसके कारण चार रा य ांसवाल -, ऑरज

57
टेट, के प कॉलोनी और नटाल के सि मलन के बाद दि ण अ का संघ का िनमाण हआ। इस प र े य म उन घटनाओ ं को
समझना आव यक है िजनके कारण दि ण अ का अिधिनयम बनाया गया था।
12 अ टूबर, 1908 को डरबन म चार सि मिलत रा य के वेत ितिनिधय का जमावड़ा हआ और इस बैठक को रा ीय
अिधवेशन कहा गया। वेत जो तब तक) एक दसू रे के साथ यु म थेसरकार बनाने के िलए समेिकत िकया ने खदु को एक (,
िजसम अ वेत अ िकय को छोड़ िदया गया। ( लैक) और काले (कलड) सिं वधान िनमाताओ ं क चचा म दो मख ु बहस
हावी रह । पहला तो मल
ू िनवासीय के न थे िजसका अथ था मलू िनवािसय क भिू मका तथा दसू री बहस सघं ीय यव था
और एका मक णाली के बीच िवक प के बारे म थी।
िसतंबर 1910 म, दो घोषणा क गई थ । इसम एक तो रा ीय स मेलन क रपोट और दसू रा दि ण अ क अिधिनयम का
मसौदा था। कई िवपरीत और ितकूल यवहार को टालने के िलए, अ का म काले और अ वेत अ क लोग क एक
संयु सभाऑरज रवर नेिटव कां ेस ारा आयोिजत क गई थी। , इस बैठक म अ का के िविभ न िह स के कई लोग ने
भाग िलया। उनका उ े य उपयु चार रा य के नवगिठत सि मलन के बारे म अपने िवरोध को प और िव तृत करना था।
दसू री तरफ, सभी चार औपिनवेिशक संसद ने अपने यहाँ दि ण अ का अिधिनयम शीषक वाले मसौदे को मंजरू ी दे दी
और उ ह ने मई 1909 म इस अिधिनयम को रा ीय अिधवेशन म भेज िदया। कुछ सांसद ऐसे थे िज ह ने इस अिधिनयम का
िवरोध िकया। के प संसद म इस अिधिनयम पर चचा के समय, ड य)ू ेयरन .पी.W.P. Schireinerसमान अिधकार के (
यिू नयन िवद ” न लीयता के मामले को उजागर करने वाली एक उ कट अपील दी और उनक सहमित-िहमायती ने गैर
म थी। “ऑनर उ ह ने काले लोग और अ वेत लोग के अिधकार के सबं ंध म एक बयान िदया। उ ह ने कहा िक यरू ोप के
िनवािसय को लाभ देने के िलए उनके अिधकार क अनदेखी नह क जानी चािहए। ड यू ेयरन .पी. ने घोषणा क िक
संघ क अवधारणा के बजाय वह दसू रे यि के अिधकार और स मान को बनाए रखने के मामले का चनु ाव करग। उनके
ारा यह दावा िकया गया था िक फे डरे शन, यिू निफके शन और कुछ अ य जड़ु े हए मु े िव तार के सवाल थे, लेिकन सबसे
मह वपणू मु ा जो सव प र और सवािधक मू य वाला है वह है। “यिू नयन िवद ऑनर” इस कार, “स मान के िबना संघसे “
उ पनन् होने वाले खतरे और िनराशा ने एक सव च खतरे को उिदत िकया जो देश को उकसाने क ि थित म था। ओडे दल)
1984.)
के प ससं द ारा सिं वधान के मसौदे को मजं रू ी देने के बाद इसे ि टेन क सरकार को इ पी रयल पािलयामट ारा मजं रू ी के
िलए भेजा गया था। अ वेत अ िकय और काले नाग रक ने सिं वधान को इपं ी रयल ससं द म ततु करने के इस काय को
अपनी ि थित क बेहतरी के िलए एक अित र संभावना माना। इस आशा के कारण, इन काले और अ वेत अ क
नेताओ ं के एक ितिनिधमंडल ारा हाउस ऑफ कॉम स को एक यािचका ततु क गई थी। यािचकाकताओ ं ने एक
ितवेदन तुत िकया िक हाउस ऑफ कॉम स को यह घोषणा करनी चािहए िक स म और यो य नाग रक को उनक
न ल, रंग, पंथ पर िवचार िकए िबना समान राजनीितक अिधकार दान िकया जाना चािहए। इस त य के बावजूद िक यह
ितिनिध व अनक ु ू ल िवचार के िलए ततु िकया गया था, ि टेन क शाही सरकार ने 19 अग त, 1909 को इसम कोई
संशोधन िकए िबना संिवधान का मसौदा पा रत कर िदया। इस संिवधान के मा यम से एक अिखल वेत सरकार थोप दी गई
थी। इस सिं वधान ने मतदान के अिधकार से काले और अ वेत अ िकय को वंिचत कर िदया, हालाँिक मतदान का यह
अिधकार संिवधान के पा रत होने से पहले था।
1 2.दि ण अ का म रंगभेद शासन के िखलाफ सघं ष
1917 के कठोर भिू म अिधिनयम जैसे काननू ी ावधान, दि ण अ का के संघ के िनमाण के बाद अि त व म आया, िजसने
रंगभेद आ दोलन हेतु मोचा तैयार िकया। 1917 के भिू म अिधिनयम ने अ वेत अ िकय को वोट देने के अिधकार से वंिचत
कर िदया और संपि रखने के अिधकार को रंगभेद के िखलाफ संघष म शािमल अपरािधय के मांगो म से एक माना। रंगभेद
आ दोलन के समथको के अ दतू म से एक, Pixley Ka Isaka Seme (जो ि टेन म िशि त वक ल था, िजसने ‘नेिटव

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यिू नयन’ क थापना के बारे म अपना मत िनधा रत िकया था) िज ह ने उपमहा ीप के सभी वंिचत न ल के िलए साल म
एक या दो बार बैठक कर अतीत का मू यांकन करने क अपील क तथा उन काननू और नीितय का िवरोध िकया, जो इन
वंिचत नृजातीय क गित को रोकने के िलए िज मेदार ह। अ का के लोग को एक साथ लाने म उ ह ने मह वपणू और
सराहनीय योगदान िदया।
सेम)े Pixley Ka Isaka Semeरने एक आ दोलन क शु आत क िजसके ा (◌ा आठ जनवरी 1912 को अ क
रा ीय कां ेस )A.N.C) क थापना का माग श त हआ। अ वेत अ क लोग को उनक सम याओ ं के बारे म बताने
और उनके सघं ष का नेतृ व करने के िलए एक एक कृ त नेतृ व अि त व म आया। हालाँिक, काफ हद तक इसने काले
अ क नाग रक को अ छे अि त व क अवधारणा क पेशकश क । एएनसी के नेतृ व म यह सघं ष सिं वधान के ावधान
के िवरोध म था िजसने कई वैध ावधान और काले लोग के उ पीड़न के िलए िनदिशत िकए गए साधन को लागू िकया।
इसिलए, अ वेत के ि कोण म इस तरह के सिं वधान के िलए एक ि भी शािमल थी, जो सभी के िलए िन प और
लोकतांि क अिधकार था। वही देख))
1 3.दि ण अ का म रा वाद का उदय
दि ण अ का के अि त व म आने के साथ अ वेत और वेत म लगभग समान अनपु ात म देशभि के बोल मख ु र हए।
अब तक िजन काली जनजाितय को एक दसू रे से दरू रखा गया था, उ ह एक प रिचत श ु िमला, जो उ ह उनके मतदान
अिधकार से दरू रखना चाहते थे। दि ण अ का सघं के िनमाण से आने वाली नई यव था ने एक ऐसी अथ यव था के
िलए माग श त िकया जो साधारण िमक वग के म य भरोसेमदं बन गई। इसिलए, क यिु न ट आदं ोलन का यहाँ अचानक
िव तार देखा गया। य िप दि ण अ का क क यिु न ट पाट पहले से ही दि ण अ का म थी और िमक (एसएसीपी)
वग के लोग के बीच लोकि य थी। 1928 म िदसंबर के महीने म, इस पाट ने यह कहकर लोग को उकसाया िक, “एक
दि ण मल ू वासी गणतं के प म िमक क सरकार और िकसान क सरकार होने के साथ पणू संर ण और सभी रा ीय
अ पसं यक के िलए समान अिधकार) होना चािहए “ibid)।
क यिु न ट इटं रनेशनल ने छठे कां ेस के दौरान दि ण अ का के सघं मामल क ि थित को आव यक प से समझा।
दि ण अ का क क यिु न ट पाट क वािषक रपोट म नेिटव रपि लक नामक अवधारणा से िनपटा गया था। इस संक प
ने काले अ िकय के बीच रा वाद क वैचा रक गित को िवकिसत करने के िलए कुछ आधार दान िकए।
दि ण अ का के उभरते अ क रा वादी लोग अटलांिटक चाटर जो अग त के महीने म 1941 म ह ता रत िकया गया
थासे े रत थे। धानमं ी ,, िवं टन चिचल और रा पित किलन डी जवे ट इस चाटर के ह ता रकता थे। इस चाटर म
सं ेप म िन निलिखत आठ मु य िनयम शािमल थे –
1. िकसी भी िवदेशी े पर हमले और ज ती का खल
ु ासा।
2. शािमल नाग रक क सहमित के िबना िकसी भी रा क सीमाओ ं को नह बदला जा सकता है।
3. िनमाण और वशासन क अवधारणा। :सं भु अिधकार का पनु
4. िकसी दसू रे देश से क चा माल ा करने के िलए हर दसू रे देश को अनमु ित।
5. आिथक गठजोड़ को लेकर सभी देश के बीच टीम वक होना चािहए।
6. नाग रक को भय से मु होना चािहए और चीज क कमी से मु होना चािहए।
7. समु का उपयोग करने के िलए हर देश के िलए वतं ता होनी चािहए।
8. होना चािहए।दसू रे देश पर हमला करने वाले हर देश को िनर

59
अ क रा ीय कां ेस के प म जाना जाने वाला इस चाटर “अ क दाव ” ने खदु का एक चाटर तैयार िकया। (एएनसी)
का मसौदा एएनसी ारा तैयार िकया गया था जो1941 के अटलांिटक चाटर से भािवत और े रत था। यह अ क लेम
चाटर पणू नाग रकता, भिू म का अिधकार और सभी पवू ा ही काननू को र करना चाहता था। िजससे मौिलक अिधकार या
आ मिनणय के अिधकार क धारणा अि त व म आई।
नेशनल पाट )N.P.) नामक एक पाट वष 1948 म स ा म आई और उस समय इस पाट क सरकार ने रंगभेद क शु आत
क थी। इसने सा यवाद अिधिनयम )1951), समहू े अिधिनयम )1950), मतदाता अिधिनयम का अलग पजं ीकरण
)1951), बटं ू ािधकरण अिधिनयम )1951), और टॉक िलिमटेशन अिधिनयम )1950) जैसे िववािदत काय िकए। रंगभेद
क शु आत के साथ ही टकराव और सघं ष शु हो गया। इन िनयम के िखलाफ आ ोश य करने के उ े य से 1952 म
एक अव ा अिभयान शु िकया गया था। इस आदं ोलन म भाग लेने वाले काले अ क , अ वेत और भारतीय मल
ू के लोग
थे।
जनकां ेस, जो सभी जाितय के लोग के िलए आयोिजत क गई थी, 26 जून, 1955 को हई थी। यह रा ीय काय प रषद
ारा बल
ु ाई गई थी जो एक बहन लीय संगठन था।- इस कां ेस म कई हज़ार ितभािगय ने भाग िलया था और िफर डम
चाटर नामक एक ा ट अि त व म आया। इसे दि ण अ का के 1996 के नए सिं वधान के ारंिभक मसौदे के प म माना
जा सकता है। यह यान देने यो य है िक इस चाटर के पहले पैरा ाफ ने एक अवधारणा का िवचार ततु िकया जो देश के
राजनीितक सेटअप और ोफाइल को आकार देने के िलए आव यक था।- राजनीितक सेटक यह नविनिमत अप-
अवधारणा कई राजनीितक नेताओ ं और कायकताओ ं के िलए बाद म कई वष तक एक मख ु कारक बनी रही। हम 1996
के नए सिं वधान म इस चाटर ारा दान क गई रे णा का प प से अनुमान लगा सकते ह। िजसका पहला पैरा ाफ
िन नानसु ार है:
”हम, दि ण अ का के लोग, हमारे देश के सभी लोग और दिु नया को यह जानने के िलए घोिषत करते ह िक दि ण
अ का उन सभी लोग का है जो इसम रहते ह, काले और वेत, अ वेत, और यह िक कोई भी सरकार तब तक अिधकार
का दावा नह कर सकती जब तक िक यह सभी लोग क इ छा पर आधा रत न हो। अ याय और असमानता पर थािपत
सरकार के एक व प ारा हमारे लोग से उनके ज म का अिधकार, भिू म, वतं ता और शांित का अिधकार छीन िलया
गया है; हमारा देश तब तक समृ या वतं नह होगा जब तक िक हमारे सभी लोग भाईचारे म रहते ह, समान अिधकार
और अवसर का आनदं लेते ह; िक सभी लोग क इ छा के आधार पर के वल एक लोकतांि क रा य म रंग, न ल, िलंग या
िव वास के भेद के िबना उनके सभी ज म के अिधकार सरु ि त हो सकते ह। “( वतं ता चाटर 1955)
अ क रा ीय कां ेस के त कालीन रा पितजनरल ारा मई-, 1957 म एक प और उप वी बयान िदया गया था िक हर
वग के लोग से संबंिधत िविभ न ितिनिधय को इक ा करने और सामंती िवचारिवमश के िलए एक रा ीय स मेलन -
आयोिजत िकया जाना चािहए। चिलत अराजकता और अशांित का सम◌ाधान खोजने के िलए बनाई गई यव था म
असहमित के कारण उनक अपील को उनके समकालीन ने यान नह िदया।
ऑरलडो, वातो म अ क नेताओ ं के एक परामशदाता स मेलन के दौरान िदसंबर, 1960 म चालीस अ क नेताओ ं ने
वेत समदु ाय के कुछ गितशील और उदारवादी नेताओ ं के साथ एक बैठक क । गणतं क थापना का सझु ाव इस
स मेलन ारा खा रज कर दी गई और इसने अ क नेताओ ं से अपील क िक उ ह म भाग लेना “इन कॉ स-ऑल”
का उ े य था िक एक रा ीय स मेलन आयोिजत िकया जाना चािहए। य “इन कॉ स-ऑल” चािहए। इसह तािवत
क वशन हर नाग रक के मौिलक अिधकार को सिु नि त करने वाले राजनीितक और काननू ी यव था के नए आदेश को
ितिबिं बत करने के िलए था।
25 माच, 1961 को तािवत ऑलइन का स आयोिजत िकया गया था। इस स मेलन ने वा तव म लोकतांि क सरकार -
लाने के िलए एक ढ़ ताव बनाया। इस स मेलन म लगभग 1400 ितिनिधय ने भाग िलया, ये ितिनिध पूरे देश से आए

60
और िविभ न धािमक, सामािजक, सां कृ ितक और राजनीितक समूह से जुड़े थे। ने सन मंडेला ने िनवािचत ितिनिधय के
िलए एक रा ीय स मेलन आयोिजत करने के सबं ंध म एक प आ ान िकया तािक वे एक सिं वधान के सबं ंध म एक प
और ढ़ िनणय ले सक, जो लोकतांि क होगा और एक गैरन लीय समाज क थापना करे गा। इस स मेलन म यह ताव -
िकया गया िक ने सन मंडेला को इस ताव से त कालीन धानमं ी, हि क वेरवोड से अवगत कराना चािहए। ी हि क
वेरोवड 1919 से 1961 तक दि ण अ का के धानमं ी थे। ने सन मंडेला ारा प का मसौदा तैयार िकया गया था और
इसे त कालीन धानमं ी को भेज िदया गया और प ने देश म बढ़ती अशांित और वृि के िलए प संदभ बनाए। प ने
आगे सझु ाव िदया िक अशांित और अराजकता के वार को सल ु झाया जा सकता है यिद ितिनिधय के एक रा ीय
स मेलन को नए संिवधान का मसौदा तैयार करने के िलए कहा जाए जो िक एक गैरन लीय और लोकतांि क समाज को -
उिदत करे गा।
हालाँिक, ऐसा हआ िक दि ण अ क सरकार ने के वल एक वेत जनमत सं ह कराने के बाद दि ण अ का को गणतं
घोिषत कर िदया। सरकार के इस कदम ने दि ण अ का के इितहास म भारी बदलाव के िलए े रत िकया जो एक सश
गृह यु म बदल गया और यह गृह यु 30 वष तक चला। सरकार ने A.N.C क चेतावनी और ताव पर कोई यान
नह िदया। इसके िवपरीत, सरकार ने A.N.C और कुछ अ य सगं ठन पर ितबंध लगा िदया। इन राजनीितक िनकाय पर इस
ितबंध ने उनक िशकायत के समाधान के िलए उ ह िकसी भी तरह का अिधकार दे िदया। इससे यह िन कष िनकला िक
इस सघं ष म हिथयार क मदद िलए िबना उ ह यादा ज री राहत नह िमल सकती थी। इस तरह से, एक शांितपणू अ क
रा वादी सगं ठन A.N.C उ वाद से जड़ु कर मिु आदं ोलन बन जाता है। हालाँिक, A.N.C के कई नेताओ ं को जेल भेज
िदया गया और ऐसा तीत हआ िक ितरोध पराधीन और चपु हो गया था।
1 4.सधु ार और तानाशाही क गाथा
ए.सी.एन. और अ वेत और काले लोग के अ य िनकाय के ितबंध के बाद, सरकार ने िनदश के मा यम के प म
अ क भाषा को िवफल कर िदया। इस पर िति या करते हए छा ारा जनू , 1976 के महीने म एक बहत ही ू र और
िहसं क ितरोध िकया गया। यह अशांित बहत गभं ीर और ू र थी और इस अशािं त के दौरान कई सौ छा मारे गए। इस
िवनाशकारी िहसं ा के प रणाम व प अशांित ने दि ण अ का क तरफ परू ी दिु नया का यान आकिषत िकया। दिु नया का
यह यान इस कारण से था िक इस अशांित, िहसं ा और ह याओ ं के िलए रंगभेद मु य कारण था और दिु नया ने रंगभेद को
कभी मंजरू ी नह दी। कई काले अ िकय ने अपने देश को बाहर से संघष म शािमल होने के िलए छोड़ िदया। इस तरीके से
सश संघष और ती हो गया। इन सभी उ कट और तेजी से आगे बढ़ने वाली गितिविधय ने सरकार को इस िवनाशकारी
और भयावह सम या का हल खोजने के िलए संवाद क कुस पर बैठने के िलए मजबरू कर िदया।
पवू म हो रही घटनाओ ं के म ने जर धानमं ी .ड यू .पी (बाद म रा पित)बोथा न 1978 म स ा म आने के बाद रा य
को पनु यवि थत करने क ि या शु क । सवं ैधािनक िवकास और िनयोजन िवभाग नामक एक नया सरकारी िवभाग
थािपत िकया गया और यह िनमाण के सबसे मखु चरण म से एक था। िशिलंग और िफिल स)1989)। सरकार ने रा ीय
सरु ा बधं न णाली )NSMS) नाम के बह तरीय अतं रिवभागीय िव यास के मा यम से प रवतन लाने का िज ासु काय -
पणू और अि थर मु का यान रखना और हल पथु ल जैसे मह व- ािधकरण को स पा। सामािजक और आिथक उथल
करना एनएसएमएस का मु य काय था।
थानीय नाग रक क स ावना जीतने म सफल होने के िलए NSMS को ऐसा करने के िलए अिधकृ त िकया गया था।
1983 म, संिवधान के िवकास म एक और उ लेखनीय गित सधु ार के िलए बोथा क योजना के एक त व के प म हई।
यह कदम एक नई ि सदनीय संसद और रा पित क प रषद के आकार म था। इस संसद म हाइट हाउस, द कलड हाउस
ऑफ र ेजटेिट स नामक (भारतीय नमु ायदं क सभा) और इिं डयन हाउस ऑफ डेिलगेट्स (त ितिनिधय क सभाअ वे)
तीन सदन शािमल थे। इसम जो िविच था िक काले लोग क अनपु ि थित थी। रंगभेद िवरोधी ताकतो◌ं ारा फै लाए जा रहे

61
उ वाद को सलु झाने के िलए रा पित बोथा के शासन ारा दोहरी रणनीित लाई गई। इस दोहरे ि कोण म िनरंकुशता के
साथसाथ सधु ार भी शािमल था।-
रा ीय सरु ा बधं न णाली .एस.एम.एस.एन)) के ि कोण के साथ रा ीय पाट .एन)पी.) क नीित का एक वा तिवक
आशय प हो गया, िजसे 1979 म अि त व म लाया गया और दसू रा 1983 म सवं ैधािनक मामल और योजना के मं ी
ि स हेिनस ारा शु िकए गए सवं धै ािनक सधु ार के साथ। हालाँिक एनसरकार ने रंगभेद के ावधान को बरकरार रखा .पी.
लेकि◌न इसने कुछ अ य सधु ारसबं धं ी पहलओ ु ं पर यान कि त करना शु कर िदया-, िजनका उपयोग काले लोग क
आबादी को िनयिं त करने के िलए िकया जा सकता है। 1980 के दशक के िवकास से सबं िं धत पैकेज “आतं रक शहरी”
)अबन इनसाइडसएक गटु क थापना के िलए था (, जो िक सीिमत सं या म अिभजात वग के काले अ िकय से बना था
तािक वे बहसं यक काले अ िकय के िवपरीत एक बफर बन सक। cock)और नाथन 1989)। राइसके ट और वीहान
आयोग और 1983 के सिं वधान ने इस ल य को हािसल करने क िदशा म काम िकया।
नेशनल पाट सरकार ने सधु ार के साथ साथ दमन के दोहरे उ े य के िलए-NSMS (नेशनल िस यो रटी मैनेजमट िस टम (
नामक एक बहत ही प र कृ त उपकरण का उपयोग िकया। इस ि कोण से बोथा सरकार के िलए कुछ अ थायी राहत िमली।
इस प ित के साथ, यह सरकार 80 के दशक के म य क अविध म कुछ हद तक राजनीितक अराजकता को दबाने म सफल
रही और रंगभेदी सरकार का ामक आवरण दिशत कर सक । पवू यापी ि कोण से, 80 के दशक के म य क अविध म
एक कार का गितरोध अि त व म आया। दि ण अ क सरकार क सै य शि एनएसएमएस के काया वयन के साथ
सामने आई। इस कार, एनसरकार रंगभेद िवरोधी धड़ के प म िनणायक जीत को टालने म सफल रही। .पी.
समय बीतने के साथ N.P सरकार के िखलाफ सश िव ोह और ती हो गया। वष 1984 तक, ित वष 50 हमल तक
सश िव ोह क सं या बढ़ गई। वष 1985 म, ANC ने बा दी सरु ं ग का इ तेमाल िकया और पहली बार अपने िहसं क
प को दिशत करना शु िकया। ANC ने अपने नेताओ ं क अनमु ित के साथ वष 19को पीपु स आम वष के प म 86
घोिषत िकया। दि ण अ का रा य ने ांितकारी राजनीित के एजडे को आगे बढ़ाया और देश के मख ु िह से को िनयंि त
करने और शािसत करने के िलए उ मु यास शु िकए। िफर ितरोध के मामले म अगला कदम आया, और यह कदम
था िक सश संघष को म बदल िदया गया। “पीपु स वार” बेथल ायल नाम का एक परी ण एके भिू मगत .सी.एन.
उ वािदय से जड़ु ा था। िजसने ए ारा बनाई गई अपनी संपणू यु के सबं ंध म ांितकारी यव था को उजागर िकया। .सी.एन.
1 5.सवं ैधािनक उपाय क िदशा म यास
संवैधािनक उपाय खोजने के िलए, एक बैठक वष 1985 म ने सन मडं ेला और पीबोथा सरकार.ड य.ू के कुछ ितिनिधय
के बीच शु हई। बोथा सरकार को यह प हो गया िक दि ण अ क सक ं ट असहनीय और उनके िनयं ण से परे हो गया,
उ ह ने आगे महससू िकया िक इस समय म कठोर राजनीितक और संवैधािनक सधु ार क आव यकता है । सरकार ारा यह
आभास िकया गया िक इस तरह के कदम के िलए काले बहमत क भागीदारी अिनवाय थी। बोथा सरकार के पास दो
िवक प उपल ध थे। पहला िवक प यह था िकउ ह सभी िहरासत म िलए गए राजनीितक नेताओ ं को रहा करना चािहए ,
और उनके साथ बातचीत शु करनी चािहए। दसू रा िवक प यह था िकवह कुछ काले ितिनिधय को चुन और , उनके साथ
एक अनक ु ू ल समाधान ा कर। P.W. बोथा ने दसू रा िवक प चनु ापहले वाला नह य िक वह िहरासत म िलए गए ,
राजनीितक नेताओ ं के साथ बातचीत करने के िलए पया प से िनभ क नह थे।
इस समय के दौरान, दि ण अ क सरकार का थानीय बहमत के ित ि कोण उसके पड़ोसी रा य के ि कोण के
समान था। वष 1988 के आगमन क शु आत से, दि ण अ क सरकार ने अपने पड़ोसी देश के िखलाफ ू र और नृशंस
हमले िकए, य िक वे दि ण अ का म सरकार को अि थर करने का यास कर रहे थे।
इस भयावह संकट को हल करने के उ े य से, बोथा ने अब अपनी योजनाओ ं म और बढ़ो री िकया। 1988 के अ ैल महीने
म, बोथा ने अपने रा के िलए एक नया संवैधािनक ढाँचा तैयार िकया और इस ढाँचे क परे खा संघीय या सहसंघीय -

62
यव था पर आधा रत थी। इस यव था के मा यम से ऐसा बंध िकया गया था िजसम काले दि ण अ क लोग को
राजनीितक यव था म सहभागी िकया जा सकता है और उ ह कै िबनेट मंि य के पद के तर तक सहयोिजत िकया जा
सकता है।
1 6.एक सवं ाद आधा रत समझौते के िलए आ ह और उसके प रणाम
सरकार क एक नई सवं ैधािनक योजना को आगे लाने के िलए 1988 के जून और जुलाई महीन म कई नए िबल लाए गए थे।
इन िवधेयक को अि त व म लाने क पृ भिू मकुछ सधु ार लाना और समशीतो ण कृ ित के काले नेताओ ं क ि थित को ,
मजबतू करना था। इन िवधेयक ने उदारवादी औरसंयमी अ वेत नेताओ ं को संिवधान के ा पण क ि या म लाने क भी
कामना क । समहू े अिधिनयम )1950) ारा बताई गई सीमाओ ं का हनन कई उदारवादी काले, अ वेत और भारतीय
नाग रक को शांत करना चाहता है। यह सोचा गया था िक इन सधु ार के मा यम से प रवतन िकए गए ह, अ य सभी
प रवतन के अलावा, प रकि पत अ वेत यि य को प रकि पत रा ीय प रषद म उनके यास म योगदान देने के काय के
िलए मदद िमलेगी। काले और अ य भािवत अ िकय को शांित और समृि के िलए बातचीत और सामंज य के माग पर
ले जाना इन नए िवधेयक का मखु उ े य था।
एक नए सिं वधान के िलए दि ण अ का के बाहर िविभ न राजनीितक सगं ठन के ि कोण क भी इस दौरान समी ा क
जा रही थी। एएनसी ने दो वष तक चलने वाली िविभ न बैठक और िवचारिवमश के अतं म नए सिं वधान के म-ु य
आकषण मिु त िकए। इन ावधान म से कुछ म लोकतािं क मू य के आधार पर एक रा य के अि त व का औसत था
जहाँ येक नाग रक के मौिलक अिधकार क गारंटी होती है और जहाँ उसे उसके िवकास और खश ु ी के िलए गितिविधय /
म भागीदारी क पणू वतं ताहै। इसके अलावा, कई नेता गितशील सघं ीय पाट के सवं ैधािनक ि कोण का (पीएफपी)
आकलन कर रहे थे। यह पाट िजसे 1977 म थािपत िकया गया था, रंगभेद के िवरोध म थी।
यह शि साझाकरण म िव वास करता था और एक भगू ोलआधा रत महासंघ क प रक पना करता था-, िजसम
सावभौिमक मतािधकार हो, लेिकन बहमत के शासन के मा यम से िकसी भी दु कम को रोकने के िलए चेक और शेष ारा
शािसत होता है। PFP ने संिवधानसंबंधी यव था के बारे म रा ीय अिधवेशन के काम क िनगरानी क ।- आगामी चनु ाव
क तैयारी के िलए एनल पनेशन) .पी.◌ाट जो 1948 म थािपत क गई थी और जो रंगभेद क िनमाता थी ने (29 जून,
1989 को अपनी पचं वष य योजना को सावजिनक िकया। इस योजना म वा तव म कुछ उ लेखनीय और लोग के अनक ु ूल
ावधान थे।
इस योजना ने ावधान को के वल सामा य सधु ार क सीमा तक सीिमत कर िदया, िजसम समहू को कुछ अिधकार क
अनमु ित देने वाले िबल ऑफ राइट्स शािमल थे। इस योजना ने एक नई यव था को मोलभाव करने, रा य के मखु के नए
काय और शि य क समी ा करने और संयु फै सले के साथ के बारे म आ मिनणय क “ वयं के मामल ”अवधारणा
को बढ़ावा देने के िलए को लेना। “सामा य मामल ” –क भागीदारी का संकेत िदया “हर समहू के िति त नेताओ”ं इस
योजना म कुछ किमयाँ और किमयाँ थ , लेिकन यह योजना एनडेमो े िटक पाट और हाल ही म लॉ च िकए गए .पी.
पीएफपी के लोग के अनक ु ू ल योजना क तरह लग रही है।
इन सबसे ऊपर, यह प हो गया िक एनतब तक अपनी कुछ योजनाओ ं और नीितय पर सदं ेह करना शु कर िदया था। .पी.
अ वेत अ क समदु ाय के कई नेताओ ं ने इस नई पचं वष य योजना को वीकार नह िकया और वे सवं ाद के िलए उपयु
वातावरण क थापना तथा रंगभेद के अिभशाप का कुल िवनाश चाहते थे। इस पंचवष य योजना से ि िटश मीिडया को भी
अवसर िमला और उस मीिडया को भी िजसे इस योजना का अनमु ोदन नह िमला था। िफर भी, इस योजना क एक अ छी
िवशेषता यह थी िक इसम अ वेत लोग के साथ एक संवाद क प रक पना िवकिसत क गई थी।
इसके बाद, अ टूबर, 1989 से, दि ण अ क सरकार के अतं रा ीय सहानभु ूितदाताओ ं ने भी सधु ार के िलए इस पर
दबाव बढ़ाना शु कर िदया। ीमती मागरे ट थैचर ने सरकार को यह सलाह दी थी िक यिद वह अ य देश जैसे अमे रक

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सरकार ने इस सरकार को सभी राजनीितक दल पर ितबंध हटाने, आपातकाल क ि थित को दरू करने, हर भेदभावकारी
काननू को ख म करने और नए सिं वधान का मसौदा तैयार करने के िलए यिद िनदश, आिद ितबंध के खतरे को कम करना
चाहती है तो जून, 1990 से पहले सभी जाितय के साथ बातचीत शु करने तथा सधु ार को शािमल करने के िलए यास
करना चािहये। थानीय प से, इक ं ाथा डम पाट )IFP) भी तब तक बातचीत के िलए सहमत नह हई जब तक िक
उपयु बाधाएँ हटा नह दी गई ं। सकारा मक पहल के िलए कुछ िदन के बाद, सरकार ने िबना शत के कई मख
ु राजनीितक
कै िदय को रहा कर िदया।
1991 म िदसबं र के महीने म डेमो े िटक दि ण अ का )CODESA) के ारा एक स मेलन के आयोजन के बाद
आिधका रक प से एक रंगभेदचीत शु हई।पीिड़त शासन और वतं ता आदं ोलन के सद य के बीच बात- CODESA
अपने यास म असफल रहा य िक यह N.P के िविभ न ि कोण के कारण नए सिं वधान के िलए सिं वधानिनमाण -
ि या पर कोई समझौता नह कर सका। लेिकन गितरोध के कारण िकसी भी अिधक सघं ष और र पात से बचने के िलए
न िकया।एक ारंिभक िनपटान का आ ा र पात और आगे के संघष को रोकने के िलए, िसतंबर, 1992 म रकॉड ऑफ
अंडर टिडंग नामक एक द तावेज के मा यम से एक िन कष िनकाला गया था। इसके बाद 1993 म म टी पाट नेगोिशएशन
ोसेस )MPNP)ने भी सधु ार के िलए यास िकया तथा च तीस सवं ैधािनक िस ातं पर सहमित य क । ये िस ांत
िविभ न लोकतांि क देश क िस िवशेषताओ ं से िलए गए थे। ये थे, शि य का पृथ करण और एक वतं याियक
णाली, काननू का शासन और भेदभाव को रोकना।
1993 क शु आत म, अंतत त संसद नेअतं रम संिवधान पर एक समझौता हआ। अिं तम वे :22 िदसंबर, 1993 को इस
अतं रम सिं वधान को अपनाया। पहला लोकतािं क चुनाव 27 अ ल ै , 1994 को हआ था और यह अतं रम सिं वधान उसी
िदन लागू हआ था। अतं रम सिं वधान ने रंगभेद का अतं िकया। इस अतं रम सिं वधान ने सभी दि ण अ िकय को उिचत
अिधकार दान िकया। इस तरीके से, ससं दीय सं भतु ा क अवधारणा, िजसने रंगभेद काननू ी आदेश को िनयिं त िकया था,
को सिं वधान क सव चता के िस ातं ारा ित थािपत िकया गया था। इस ित थापन का मतलब था िक सभी सरकारी
आचरण को अिधकार के िबल और अ य सवं ैधािनक शत क दहलीज के िखलाफ जाँच क जाएगी और याियक णाली
को सिं वधान क िकसी भी ावधान के अनु प शू य और शू य घोिषत करने क शि के साथ िनवेश िकया जायेगा।
इन पवू प रवतन के साथ, एक और मह वपणू प रवतन जो अि त व म आया, वह था संघवाद को अपनाना, िजसके ारा
क ीकृ त कायकारी शि याँ और क ीकृ त िवधायी शि याँ, िज ह अ पमत सरकार ने अश और शू य घोिषत िकया था,
सरकार के रा ीय, ांतीय और थानीय त व के बीच िवत रत क गई ं । अंत रम संिवधान के अ याय 11 म पारंप रक
नेताओ ं को ातं ीय सरकार और थानीय सरकार का अिवभा य िह सा बनाया गया था।
8 मई, 1996 को संिवधान सभा ारा अंितम और अंितम प से संिवधान को लोकतांि क प से अपनाया गया था, और
अनसु मथन के िलए नव थािपत संवैधािनक यायालय को भेजा गया था। संवैधािनक सं मण के नाटक म जोड़ते हए,
अदालत ने कहा िक अिं तम सिं वधान 1993 म MPNP ारा सहमत िकए गए च तीस िस ातं के अनु प नह था। उदाहरण
के िलए, यायालय ारा यह फै सला सनु ाया गया िक संिवधान ने सामिू हक सौदेबाजी म भाग लेने के िलए यि गत
िनयो ाओ ं के अिधकार को मंजूरी नह दी। इसे आगे असंवैधािनक ठहराया गया य िक इसने अिधकार के िवधेयक म
संशोधन क अनमु ित नह दी।
अ त म, यह असवं ैधािनक था य िक इस सिं वधान ने लोक र क क वाय ता क र ा नह क थी। इस िनणय के कारण,
सिं वधान इस कारण से, सिं वधान सभा ारा यायालय के आदेश के अनु प बदल िदया गया और बाद म इसे माणीकरण
के िलए िफर से यायालय म ततु िकया गया। 6 िदसबं र, 1996 को सिं वधान के सश ं ोिधत पाठ को अतं तः यायालय ने
मजं रू ी दे दी। इस पाठ को 10 िदसबं र, 1996 को त कालीन रा पित ने सन मडं ेला ने वीकार िकया था। सिं वधान 4 फरवरी,
1997 से लागू िकया गया था। 1996 के दि ण अ का सिं वधान के दो त व या प रभािषत िवशेषताएँ ह, अथात् सिं वधान

64
के अ याय 2 और नंबर दो संवैधािनक यायालय म उि लिखत अिधकार का एक उिचत िबल। यह िवधेयक यायालय को
अिधकार के िबल के ावधान को लागू करने के िलए अ यिधक उपचारा मक अिधकार देता है।
1 7.िन कष
दि ण अ का का नया संिवधान )1996) रंगभेद क अविध म अ यायपणू और ू र सामािजक यव था के प रवतन का
नेतृ व करने का इरादा रखता है। अिधकार का यह िवधेयक इस दलील पर आधा रत है िक काननू और मानवािधकार से जड़ु े
मकु दमे या मु े मौिलक प रवतन के संबंध म एक तं के प म काम कर सकते ह। रंगभेद के दौरान नाग रक के नाग रक
और राजनीितक अिधकार का एक बहत गंभीर उ लंघन बहत प प से देखा जा सकता था और इस यगु को अ याचार,
िबना िकसी परी ण के नजरबंदी, अित र याियक फाँसी, याियक िन पादन, अिभ यि क वतं ता पर ितबंध और
िवधानसभा के ितबंध आिद मामलो के प म िचि त िकया गया था। लोग को पवू गामी त व के अलावा, रंगभेद के यगु
ने जनसं या के बहमत को और अिधक िविधपवू क तरीके से भािवत िकया था। इन अनक ु ू ल प रवतन के बाद भी, रंगभेद
ारा िनिमत गरीबी के िनशान अब तक मौजदू ह और गरीबी के ये िनशान दि ण अ क लोकतं के िलए सबसे गभं ीर
चनु ौती ह जो अ य थािपत लोकतं क तुलना म तुलना मक प से नये ह।
यह नया सिं वधान दि ण अ का के येक नाग रक को नाग रक अिधकार और राजनीितक अिधकार ही नह , बि क
येक नाग रक को आिथक अिधकार दान कर, इन सम याओ ं से िनजात िदलाना चाहता है। दि ण अ का का सिं वधान,
1996 इस कार से, transformation उ र-यगु के घोषणा’ उदारवादी-प के प म काय करता है, जो रंगभेद के बाद के
समाज को बह सां कृ ितक लोकतं -म बदलने और नए समाज को एक वगिवहीन सामािजक लोकतं बनाने के िलए
यासरत है।
1 8.सार-सं ेप

 दि ण अ का अिधिनयम 1910 म ि टेन म लागू िकया गया था िजसके कारण चार रा य - ासं वाल, ऑरज
टेट, के प कॉलोनी और नेटाल के समामेलन के बाद दि ण अ का सघं का िनमाण हआ।
 1917 के कु यात भिू म अिधिनयम जैसे काननू ी अिधिनयम का एक सेट दि ण अ का म रंगभेदी शासन के शु
होने के बाद बना।
 दि ण अ का के अि त व म आने के साथ अ वेत और वेत म लगभग समान अनपु ात म देशभि क झलक
प हो गई। अब तक िजन अ वेत जनजाितय को एक दसू रे से दरू रखा गया था, उ ह एक प रिचत श ु िमला, जो
उ ह उनके मतदान अिधकार से विं चत रखना चाहते थे।
 रा ीय पाट (N.P.) नामक एक पाट वष 1948 म स ा म आई, और उस समय इस पाट क सरकार ने रंगभेद क
शु आत क । इसने सा यवाद अिधिनयम (1951), समहू े अिधिनयम (1950), मतदाता अिधिनयम का अलग
पजं ीकरण (1951), बटं ू ािधकरण अिधिनयम (1951), और टॉक िलिमटेशन अिधिनयम (1950) जैसे िववािदत
काय िकए।
 रंगभेद िवरोधी शि य ारा फै लाए जा रहे उ वाद को सल ु झाने के िलए रा पित बोथा के शासन ारा एक दोहरी
रणनीित लाई गई। इस दोहरे ि कोण म िनरंकुशता के साथ-साथ सधु ार भी शािमल था।
 एन.पी. सरकार के िखलाफ सश िव ोह समय बीतने के साथ सरकार और कठोर होती गई। वष 1984 तक, सश
िव ोह क सं या बढ़कर ित वष 50 हमल तक हो गई। वष 1985 म, ANC ने बा दी सरु ं ग का इ तेमाल िकया
और पहली बार अपने िहसं क प को दिशत करना शु िकया।
 1991 के िदसंबर के महीने म डेमो े िटक दि ण अ का (CODESA) के िलए एक स मेलन के आयोजन के बाद
रंगभेद-रिहत शासन और वतं ता आंदोलन के सद य के बीच आिधका रक तौर पर बातचीत शु हई।

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 1993 क शु आत म, अतं त: अतं रम संिवधान पर एक समझौता हआ। अंितम वेत ससं द ने 22 िदसंबर, 1993 को
इस अतं रम संिवधान को अपनाया। पहला लोकतांि क चनु ाव 27 अ ैल, 1994 को हआ था और यह अंत रम
संिवधान उसी िदन लागू हआ था।
 8 मई, 1996 को सिं वधान सभा ारा अंितम और अंितम प से संिवधान को लोकतांि क प से अपनाया गया था,
और अनसु मथन के िलए नव थािपत सवं ैधािनक यायालय को भेजा गया था। संवैधािनक सं मण से जोड़ते हए,
अदालत ने कहा िक अंितम सिं वधान 1993 म MPNP म सहमत िकए गए च तीस िस ातं के अनु प नह था।
 6 िदसंबर, 1996 को संिवधान के सशं ोिधत पाठ को अतं तः यायालय ने मंजरू ी दे दी। इस पाठ को िदसंबर 10,
1996 को त कालीन रा पित ने सन मंडेला ने वीकार िकया था। संिवधान 4 फरवरी, 1997 से लागू िकया गया
था।
 नए दि ण अ का संिवधान (1996) के दो त व या प रभािषत िवशेषताएँ ह, अथात् संिवधान के अ याय 2 और
नंबर दो संवैधािनक यायालय म उि लिखत अिधकार का एक उिचत िबल। यह िवधेयक यायालय को अिधकार
के िबल के ावधान को लागू करने के िलए अ यिधक उपचारा मक अिधकार देता है।
 दि ण अ का का संिवधान, 1996, इस तरीके से, पो ट-िलबरल यगु के घोषणाप के प म काय करता है, जो
रंगभेद के बाद के समाज को एक बह-सां कृ ितक लोकतं म बदलने और नए समाज को एक वगिवहीन सामािजक
लोकतं बनाने के िलए है।
1.9 अपनी गित जाँच
बहिवक पी न:
1. एं लो-बोअर यु कब शु हआ था?
अ. 1989
ब. 1878
स. 1899
द. 1786
2. िकस अिधिनयम ने दि ण अ का के चार रा य ासं वाल, ऑरज टेट, के प कॉलोनी और नेटाल को िमला
िदया?
अ. दि ण अ का अिधिनयम, 1910
ब. यिू नयन ए ट 1905
स. अमलगमेशन ए ट 1929
द. िवलय अिधिनयम 1917
3. अ क रा ीय कां ेस के सं थापक कौन थे?
अ. ने सन मंडेला
ब. िप ले का इसाकु सेमे
स. रोना ड डॉिकन
द. P.W. बोथा
4. दि ण अ का का नया संिवधान कब लागू िकया गया था?
अ. 1993

66
ब. 1996
स. 1998
द. 1997
उ र
.1स; 2. अ; 3. ब; 4. द
दीघ उ रीय न
1. दि ण अ का के िनमाण म एं लो-बोअर यु के िवशेष संदभ म नेतृ व करने वाले संदभ क जाँच कर।
.2 अ क रा ीय कां ेस क भिू मका के सदं भ म दि ण अ का म रंगभेद शासन के िखलाफ सघं ष का िव लेषण
कर।
.3 रंगभेद िवरोधी संघष के दौरान दि ण अ का म गविनग नेशनिल ट पाट ारा िकए गए सधु ार और दमन क दोहरी
रणनीित पर चचा कर।
.4 दि ण अ का म संिवधान बनाने क ि या तथा 1996 के दि ण अ का संिवधान के मु य उदे य का वणन
कर।
1 10.सदं भ सच
ू ी
 Cock, Jacklyn & Laurie Nathan eds1989, War and Society: The Militarization of South
Africa, Cape Town: David Phillip.
 Freedom Charter. 1955. Kliptown, downloaded from https://disa.ukzn.ac.za/sites/default/
files/ DC%20Metadata% 20Files/Gandhi-Luthuli%20 Documentation %20Centre/The
Freedom Charter 1955/TheFreedomCharter1955.pdf
 Karis, Thomas and Gwendolen M Carter. From Protest to Challenge: A Documentary
History of African Politics in South Africa 1882-196. Stanford, Calif. : Hoover Institution
Press, Stanford University, 1972.
 Klare, Karl “Legal Culture and Transformative Constitutionalism “ (1998) 14 South African
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 Odendaal André (1984) Vukani Bantu! : The Beginnings of Black Protest Politics in South
Africa to 1912. Cape Town : Centre for African Studies at the University of Cape Town.
 Ricard Seme and Tim Couzens (1991), Seme: The Founder of the ANC. Skotaville
Publishers: South Africa 1991

67
(ii) नाग रक अिधकार आदं ोलन
मािटन लूथर िकंग और मा कॉम ए स
लेखक-िनशा त यादव
अनवु ादक- अनभु व िम ल
सरं चना
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 अमे रका म नाग रक अिधकार आदं ोलन: ऐितहािसक अवलोकन और िवकास
2.3 मािटन लूथर िकंग
2.3.1 मािटन लूथर िकंग और नाग रक अिधकार आंदोलन
2.4 मा कॉम ए स
2.4.1 मा कॉम ए स और नेशन ऑफ इ लाम
2.4.2 ए ो-अमे रकन यिू नटी का सगं ठन
2.4.3 मा कॉम ए स क आ मकथा के िव फोटक अ याय को छोड़ िदया गया
2.4.4 मा कॉम ए स क ह या
2.4.5 मा कॉम ए स क आ मकथा
2.5 प रणाम
2.6 लोकतं का सु ढ़ीकरण
2.7 समकालीन ासिं गकता
2.8 िन कष
2.9 िश ण प रणाम
2.10 सदं भ-सचू ी
2.0 उ े य
यह पाठ नाग रक अिधकार के आदं ोलन के इितहास से सबं िं धत है, जो 1950 और 1980 के बीच दिु नया के िविभ न देश
म िविभ न असतं ु नेताओ ं के आधीन हए थे, लेिकन मु य प से दो महान नाग रक अिधकार कायकताओ–ं मािटन लथू र
िकंग और मा कॉम ए स पर कि त है। य िप, िविभ न देश म हए इन आदं ोलन म से अिधकांश अपने ल य को परू ी तरह
से ा नह कर सके । ये नाग रक अिधकार आदं ोलन बहत मह वपणू ह य िक वे दसू री पीढ़ी के अिधकार क बहस क
आवाज बन।
2.1 तावना
अपे ाकृ त ि थर राजनीितक णाली िवकिसत करने क ि या म येक नाग रक को काननू (यानी) क मल ू समानता से
पहले समान अिधकार ा होते ह, लेिकन भेदभाव एक यावहा रक सम या बनी हई है। समाज म रोजमरा क िजदं गी म
नाग रक वतं ता के उ लघं न क सभं ावना बनी रहती है। सफल सं थागतकरण के बावजदू अमे रक लोकतं म रंगभेद,
न लवाद और लिगक असमानता जैसे राजनीितक और सामािजक बिह कार व भेदभाव अमे रक अतीत के कारण बने रहे।

68
20व शता दी के अतं म, 1950 और 1970 के बीच, रंगभेद, न लीय और काननू ी समानता को लि त करते हए, एक
आंदोलन था िजसे अमे रका म नाग रक अिधकार आंदोलन के प म बदल िदया गया, िजसे दसू रा पनु : िनमाण कहा जाता
है और अमे रक सधु ारवादी आंदोलन का एक िह सा माना जाता है।
इन आदं ोलन ने िश ा और सामािजक सम याओ ं के े म मह वपणू थान हािसल िकया। इन सम याओ ं के समाधान के
िलए 1964, 1965, और 1968 के नाग रक अिधकार अिधिनयम जैसे िविभ न नाग रक अिधकार अिधिनयम पेश िकए गए
थे। 1964 का नाग रक अिधकार अिधिनयम, िजसने रोजगार, सावजिनक आवास आिद के े म भेदभाव को अवैध बना
िदया। उपलि धय म 1965 का चनु ाव अिधकार अिधिनयम शािमल था, िजसके ारा सावभौिमक वय क मतािधकार दान
िकया गया था, 1968 का नाग रक अिधकार अिधिनयम िजसने आवास बेचने या िकराए पर देने के भेदभाव को समा कर
िदया। 1955 से 1968 क अविध ने अमे रका को प रप व लोकतं म बदल िदया और मािटन लथू र और मा कॉम ए स के
न शेकदम पर चलने के िलए कई देश और समाज को े रत िकया, िजसने दिु नया के अ य िह स म नाग रक अिधकार
आंदोलन का नेतृ व िकया, जैसे घाना म कोफ अ नान, दि ण अ का म ने सन मंडेला। इस म क प रणित 2009 म
हई, जब अमे रका के पहले अ वेत रा पित बराक ओबामा ने शपथ ली और अमे रका म एक नए यगु क शु आत क ।
वा तव म, यह घटना अमे रका म नाग रक अिधकार कायकताओ ं ारा छे ड़े गए दीघकािलक संघष क प रणित है।
2.2 अमे रका म नाग रक अिधकार आदं ोलन: ऐितहािसक अवलोकन और िवकास
नाग रक अिधकार को “एक नाग रक के गैर-राजनीितक अिधकार के प म प रभािषत िकया जाता है; िवशेष प से
सिं वधान के 13 व और 14 व सशं ोधन ारा और कां ेस के कृ य ारा अमे रक नाग रक के िलए गारंटी वाले” (म रयम-
वेब टर ऑनलाइन)। अमे रका म 1865 म सिं वधान के 13 व सश ं ोधन को समा कर िदया गया, और 1868 म 14व
संशोधन ने अ क नाग रक को उनक काननू ी नाग रकता और काननू के तहत समान सरु ा को सिु नि त िकया। (रा ीय
अिभलेखागार अनभु व) आ दोलन को प रभािषत िकया गया है – ‘एक उ े य क िदशा म काम करने वाली गितिविधयाँ’
अथवा ‘एक अतं को बढ़ावा देने या ा करने के िलए एक सगं िठत यास’। (मे रयम-वेब टर ऑनलाइन) नाग रक
अिधकार आंदोलन अमे रका म अ क अमे रिकय के समान अिधकार और उपचार के िलए सि यता ारा प रभािषत
यगु था। इस अविध के दौरान, लोग ने भेदभाव और अंत अलगाव के िलए सामािजक, काननू ी, राजनीितक और सां कृ ितक
प रवतन के िलए दशन िकए।
कई घटनाएँ िजनम अ क अमे रिकय के िखलाफ भेदभाव शािमल था, नाग रक अिधकार आदं ोलन के प म जाने वाले
यगु से पहले, अ िकय के आयात और दासता ने अमे रका म काले अनभु व क शु आत को िचि त िकया। 1808 म,
दास के आयात पर ितबधं था, लेिकन िनषेध के बावजदू यापार जारी रहा। 1863 म, त कालीन रा पित िलंकन ारा
जारी मिु उ ोषणा ने आिधका रक तौर पर दासता को समा कर िदया। हालाँिक, उ ोषणा तरु ं त कई नाग रक या एक देश
क िवरासत के ि कोण को बदलने म िवफल रही िजसने अ क अमे रिकय को मानव से कम माना था। 1865 म,
सिं वधान के 13व सश
ं ोधन ारा मिु तावना क पिु क गई, िजसने दासता और अनैि छक दासता को तरु ं त हटा िदया।
1896 म, लेसी बनाम फ यसनू ने अ क अमे रिकय के िलए अलग लेिकन समान आवास क नीित थािपत क ।
1954 म सु ीम कोट ने पि लक कूल म न लीय अलगाव को असवं ैधािनक बना िदया। ाउन बनाम बोड ऑफ एजक ु े शन
ऑफ टोपेका का मामला, एक करण क पहल करने म मह वपणू कदम सािबत हआ, िजसे थगडू माशल ने ततु िकया,
िजस ने लेसी बनाम फ यसन
ू को उलट िदया। 1957 म, अकासस के गवनर ने नौ अ वेत छा को िलिटल रॉक, अकासस
के स ल हाई कूल म वेश से रोकने क कोिशश क तो, रा पित आइजनहावर ने अदालत के आदेश को लागू करने के
िलए सघं ीय सैिनक को भेजा। 1957 के नाग रक अिधकार अिधिनयम ने मतदान करने के िलए अ क अमे रिकय क
वतं ता क र ा क । 1960 म, अमे रक सु ीम कोट ने फै सला िदया िक अंतररा यीय बस और ेन टेशन म अलगाव
अवैध था। ‘ डम राइडस’ नामक, नाग रक के समहू ने इस फै सले का परी ण िकया य िक वे बस पर देश के दि णी

69
िह से म या ा करते थे। उ ह अलबामा म िहसं ा का सामना करना पड़ा। रा पित के नेडी ने उनक सरु ा सिु नि त करने के
िलए ह त ेप िकया।
1962 म, रा पित कै नेडी ने कूल क पहली अ वेत छा जे स मेरेिडथ क सरु ि त उपि थित सिु नि त करने के िलए
िमिसिसपी िवशविव् ालय म सघं ीय सैिनक को भेजा। 1964 के नाग रक अिधकार अिधिनयम ने सावजिनक थान पर
और िकसी भी काय म म सघं ीय सरकार से ा होने वाले िव पोषण म भेदभाव पर रोक लगा दी। इस अिधिनयम ने, एक
सरकारी एजसी, समान रोजगार अवसर आयोग (EEOC) क थापना भी क । जो रोजगार म भेदभाव क िशकायत को
अदालत म ले जाती है, और नौकरी म भेदभाव को रोकने वाले काननू को लागू कराने का यास करती है। 1965 के मतदान
अिधकार अिधिनयम ने मतदाता यो यता परी ण , जो अ क अमे रिकय को उनके मतदान अिधकार से अयो य घोिषत
करने के िलए इ तेमाल होते थे, के उपयोग को िनलंिबत कर िदया। िजससे काले मतदाता के पजं ीकरण म ती वृि हई।
गैर-लाभकारी े और लोकोपकार ने नाग रक अिधकार आंदोलन म भी बहत योगदान िदया। कई गैर-लाभकारी संगठन
इस यगु के दौरान िवशेष प से काय म के आयोजन म सहायता के िलए बनाए गए थे। इन संगठन ने बदलाव के िलए
सू धार के प म काम िकया। परोपकार ने कई काननू ी और राजनीितक यास क सहायता क , जो सरकार म प रवतन को
बढ़ावा देने के िलए आव यक थे। लोक-क याण क भावना से ा सहायता के िबना, नाग रक अिधकार आंदोलन के
दौरान बनाए गए कई गैर-लाभकारी संगठन अपने िमशन को परू ा करने म स म नह ह गे।
2.3 मािटन लूथर िकंग
मािटन लूथर िकंग एक सामा य नाम नह है, िजसे बस सनु ा और भलु ा िदया गया है, इनका ज म अटलांटा, अमे रका म 15
जनवरी, 1929 को हआ था, मािटन लूथर िकंग जिू नयर के िपता का नाम मािटन लूथर िकंग सीिनयर और माता का नाम
अ बटा िविलय स िकंग था। वह उसी अ क वंश के वंशज थे, िजसने दशक तक अमे रका के दि णी रा य म बंधआ ु
मजदरू के प म काम िकया। अमे रिकय ने कभी भी बंधआ ु मजदरू का अतं नह चाहा और चाहते थे िक अ क हमेशा
वेसे ही रह। यिद कहा जाए तो इ ह िकसी भी कार के कोई अिधकार नह िमलते थे। न तो बराबरी का अिधकार, न वोट देने
का अिधकार, न ही वे सारे अिधकार जो आम अमे रक के पास थे। यह अमे रका म रह सकता है लेिकन हमारे बराबर नह ।
मािटन लूथर िकंग एक बहत ही उ वल छा होने के साथ-साथ बहत अ छे व ा भी थे। वह अपने श द से सामने वाले के
िदल पर राज करने क मता रखते थे।
बाद म उ ह ने राजनीित म कदम रखा और संयु रा य अमे रका म नी ो समदु ाय के िखलाफ भेदभाव के िखलाफ एक
सफल अिहसं क आंदोलन िकया। वष 1955 उनके जीवन का मह वपणू मोड़ था। उसी वष उनक शादी कोरे टा कॉट से हई,
उ ह अमे रका के दि णी रा य अलबामा के म टगोमरी के डे सटर एवे यू बैपिट ट चच म बोलने के िलए बल
ु ाया गया। उसी
वष, मॉ टगोमरी क सावजिनक बस म एक मिहला, ीमती रोज पा स को काले और सफे द के भेद के िखलाफ िगर तार
िकया गया था। काननू था िक जब अ क मल ू का कोई भी अ वेत बस म सीट पर बैठे हो और यिद कोई वेत अमे रक
आया, तो उसे सीट छोड़ कर खड़ा होना पड़ेगा। रोज पा स ने इसका िवरोध िकया और वह अपनी जगह से नह उठी। िजसके
बाद उसे िगर तार कर िलया गया और इसके बाद डॉ. िकंग ने बस आंदोलन चलाया।
381 िदन तक चले इस स या ही आदं ोलन के बाद, अमे रक बस म काले और सफे द याि य के िलए अलग-अलग सीट
का ावधान समा कर िदया गया। बाद म, धािमक नेताओ ं क मदद से, उ ह ने अमे रका के उ री भाग म समान नाग रक
काननू आंदोलन का सार िकया। उ ह 1964 म िव व शािं त के िलए सबसे कम उ म नोबेल परु कार िदया गया। कई
अमे रक िव विव ालय ने उ ह मानद उपािधय से स मािनत िकया। धािमक और सामािजक सं थाओ ं ने उ ह पदक िदए।
अमे रका क िस ‘टाइम’ पि का ने उ ह 1963 के ‘मैन ऑफ द ईयर’ के प म चनु ा। वह गाँधी के अिहंसक आंदोलन से
गहराई से भािवत थे और उनका अनसु रण करते हए मािटन लूथर िकंग ने अमे रका म एक ऐसा सफल आदं ोलन चलाया,
िजसका अिधकांश वेत लोग ने समथन िकया; साथ ही त कालीन रा पित जॉन एफ. के नेडी ने भी उनका समथन िकया।

70
1959 म उ ह ने भारत क या ा क । डॉ. िकंग ने समाचार प म कई लेख िलखे। ‘ ाइड फ़ॉर डम’ (1958) और ‘ हाई
वी कट वेट’ (1964) वे दो िकताब ह, िज ह उ ह ने िलखा। 1957 म उ ह ने दि ण ईसाई नेतृ व स मेलन क थापना क ।
उनके यास से अमे रका म नाग रक अिधकार के े म गित हई है; इसिलए उ ह आज मानवािधकार के तीक के प
म भी पहचाना जाता है। दो चचाओ ं ने उ ह सतं के प म सदं िभत िकया है िजसे अभी भी मा यता ा है।
2.3.1 मािटन लूथर िकंग और नाग रक अिधकार आदं ोलन
19व सदी के आिखरी दशक म अमे रका म न लीय भेदभाव काननू और न लीय िहसं ा का बोलबाला था। अमे रक
इितहास म, इस अविध को अमे रक लोकि य सबं ंध के िन नतम के प म भी जाना जाता था। उ लेखनीय प से टै सास,
लुइिसयाना, िमिसिसपी, अलबामा, जॉिजया, िव क , दि ण के रोिलना, उ री के रोिलना, अकासस, टेनेसी, ओकलोहमा,
और के सनू रा य म सरकारी और गैर-सरकारी तर पर येक े म ए ो-अमे रक लोग के साथ भेद-भाव िकया जाता
था। यह भेदभाव लगभग सभी तर पर था, जैसे िक आिथक अवसर, थानीय राजनीितक ितिनिध व, रोजगार के अवसर,
आिद। इस भेदभाव क नीित से भािवत लोग (मु यतः अ वेत ) ने 1955 म आदं ोलन शु िकया और िजस के िलए
य कारवाई के साथ अिहसं क ितरोध क रणनीित अपनाई, जो बाद म सिवनय अव ा के प म जाना गया।
आंदोलनका रय ने अपनी माँग का समथन करने के िलए कई कार के बिह कार, पैदल माच और बैठक आयोिजत क ।
इनम से मख ु : म टगोमरी बस का बिह कार 1955-1956, ी स बोरो क बैठक 1960 और से मा से म टगोमरी माच
1965 आिद उ लेखनीय ह। इन िवरोध दशन म, शायद रोजगार और वतं ता के िलए वािशंगटन माच सबसे िस ह,
िजसम मािटन लूथर िकंग ने एक अ यिधक भावशाली भाषण िदया और आंदोलनका रय के मख ु नेता के प म उभरे ।
इस आंदोलन म ए ो-अमे रक लोग के अलावा कई वेत बुि जीिवय , िवचारक और राजनेताओ ं क भी सहभािगता थी।
इस आंदोलन के मख ु नेता, िज ह िबग िस स के नाम से भी जाना जाता है, िचल रडो फ, रॉय िवि कंस, मािटन लूथर िकंग,
ि हटनी यांग, जे स ई ट और एज़न लुईस थे। इस आंदोलन के दौरान, सरकार ने व रत कदम उठाए और ि थित को सँभालने
क कोिशश क और आंदोलनका रय क कुछ माँग को वीकार कर िलया गया।
• मॉ टगोमरी बस बॉयकॉट (मॉ टगोमरी बस बॉयकॉट, 1955)
मािटन लूथर िकंग जिू नयर को 1954 म म टगोमेरी, अलबामा के डे सटर एवे यू बैपिट ट चच का िविधवत पादरी िनयु
िकया गया था। 1955 म, रोज पा स नामक मिहला जो मॉ टगोमरी क सावजिनक बस म काले और गोर के बीच भेद के
िखलाफ िगर तार हई थी। इसके बाद िदसंबर 1955 म, डॉ. िकंग ने िस बस आदं ोलन का नेतृ व िकया। उ ह धमक िमली
और ि थित बहत भयावह हो गई, डॉ. िकंग को िगर तार कर िलया गया और उनके घर पर बमबारी क गई। अंत म सु ीम
कोट ने इस अिभयान म ह त पे िकया और सावजिनक प रवहन म न लीय भेदभाव को अवैध बताया। आिखरकार,
मॉ टगोमरी ने सावजिनक बस म रंगभेद को हटाकर उनका संचालन शु कर िदया। यह स या ही आदं ोलन था, जो 381
िदन तक चला, अमे रक बस म काले और सफे द याि य के िलए अलग-अलग सीट रखने का ावधान ख म हो गया।
• दि णी ईसाई नेतृ व स मेलन
1957 म, मािटन लूथर िकंग को दि णी ईसाई नेतृ व स मेलन (SCLC) का अ य चनु ा गया। इस समहू का उ े य नैितक
अिधकार का उपयोग करके और काले लोग के चच क शि को जटु ाकर नाग रक अिधकार सधु ार आदं ोलन के िहत म
अिहसं क िवरोध दशन करना था। उनके िवचार म ईसाई िश ण से SCLC, महा मा गाँधी का अिहसं ा मक आदं ोलन और
हेनरी डेिवड थोरो के िवचार शािमल थे।
• बिमघम अिभयान (1963)
1959 म, मािटन लथू र िकंग अपने िपता के चच के सह-पादरी के प म कायभार सभं ालने के िलए अटलाटं ा गए। इसके बाद
उ ह ने 1963 म अलबामा म बिमघम अिभयान सिहत मतदान अिधकार, म अिधकार और अ य बिु नयादी नाग रक

71
अिधकार के िलए कई िवरोध दशन और जुलूस का आयोजन िकया। इसके अलावा, मािटन लूथर िकंग ने 1968 तक
कई अिभयान का भी नेतृ व िकया, िजसम सट ऑग टाइन, लो रडा (1964), से मा, अलबामा (1965) शािमल थे। इस
अविध के दौरान, िकंग को कई बार िगर तार िकया गया। मािटन लूथर को आंदोलन के पीछे िकसी भी सािजश को रोकने के
िलए FBI िनदेशक जे. एडगर हवर ने गु िनगरानी म भी रखा था।
• वािशंगटन माच 1963
वािशंगटन डीसी म एक िवशाल माच, मािटन लूथर िकंग के नेतृ व म माच, 1963 म, एक िनयोिजत नाग रक अिधकार
काननू , िजसम पि लक कूल और रोजगार म न लीय भेदभाव पर ितबंध था, ने न लीय अलगाव के इस काननू ी के अंत
क माँग क । िवरोध दशन म सभी िमक के िलए नाग रक अिधकार क आव यकता और $ 2. क यनू तम मजदरू ी क
माँग भी क गई थी। माच म वािशगं टन डीसी के िलए व-शासन क थापना क भी माँग क गई थी। िलंकन मेमो रयल म
मािटन लूथर िकंग के सबसे िस भाषण, “आई हैव ए ीम” के साथ यह माच सफल सािबत हआ और अब यह भाषण
एक ऐितहािसक भाषण का प ले चक ु ा है।
• िशकागो या ा
दि ण म, मािटन लूथर िकंग जिू नयर ने रा फ एबरनेथी के सफल अिभयान और िवरोध दशन और नाग रक अिधकार
संगठन के कुछ सद य के साथ घटनाओ ं क एक ंख ृ ला के बाद िशकागो क या ा क , िजसका उ े य उ र म नाग रक
अिधकार क गितिविधय को फै लाना था। िकंग और रा फ, िशकागो के पि म म उ री ल डले क झिु गय म गए, उन
े म रहने वाले गरीब लोग के ित सहानभु िू त िदखाने और उनका समथन करने के िलए। राजनीित और िहसं ा क
धमिकय के कारण रा फ और िकंग दोन अतं तः दि ण म लौट आए।
• िवयतनाम यु
मािटन लथू र िकंग, रा पित जॉनसन के शासन और नाग रक अिधकार के एजडे के अपने समथन से अलगाव क भावना
पैदा करने के डर से िवयतनाम यु पर बोल रहे ह। यह महु मद अली थे िज ह ने िवयतनाम यु क कड़ी आलोचना क ,
िजसने िकंग को े रत िकया। िकंग ने पहली बार िवयतनाम के िखलाफ आवाज उठानी शु क य िक वह िवयतनाम यु
म अमे रका क भिू मका के बारे म पहले से ही सिं द ध थे। ‘िबयॉ ड िवयतनाम’ नामक अपने भाषण म, िकंग ने यु म
अमे रका क भागीदारी के बारे म भी सदं ेह य िकया। उ ह ने िवयतनाम यु का िवरोध िकया, य िक यह पैसे और
ससं ाधन क बबादी थी। िजसका उपयोग गरीब लोग के क याण के िलए िकया जा सकता था।
लैक नेशनिल म के रा के सबसे अिधक िदखाई देने वाले तावक के प म, मािटन लूथर िकंग के बह तरीय, अिहसं क
ि कोण के िलए मा कॉम ए स क चनु ौती ने 1960 के दशक के काले वतं ता संघष के भीतर वैचा रक और साम रक
संघष के िलए टोन सेट करने म मदद क । मा कॉम ए स ारा िकंग क घोर आलोचना और न लीय अलगाववाद क
उसक वकालत को देखते हए, यह आ चय क बात नह है िक िकंग ने अपने उ आलोचक से कभी-कभार िमलने वाली
सहयोग क अपील को अ वीकार कर िदया। हालाँिक, 1965 म मा कॉम क ह या के बाद, िकंग ने उनक िवधवा बेटी
शबज़ को िलखा– “जबिक हम हमेशा न लवाद क सम या को हल करने के तरीक पर एक सा नज रया नह रखते थे, तो
भी मझु े हमेशा मा कॉम से गहरा लगाव था और और मझु े लगता था िक सम या के अि त व और जड़ पर अपनी उंगली
रखने क उसम बहत मता थी”।
2.4 मा कॉम ए स
मा कॉम ए स नाग रक अिधकार के आंदोलन म एक अ क अमे रक नेता, पादरी और अ वेत रा वाद के समथक थे।
उ ह ने अपने साथी अ वेत अमे रिकय से आव यकता होने पर “िकसी भी तरह से” से वेत आ ामकता के िखलाफ खदु
को बचाने का आ ह िकया, एक ख जो अ सर उ ह मािटन लूथर िकंग जूिनयर, के अिहसं क उपदेश के िवरो खड़ा करता

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है। उनके क र मा और व ृ व कौशल ने उ ह ‘नेशन ऑफ इ लाम’ म रा ीय मख ु ता हािसल कराई। नेशन ऑफ इ लाम,
एक िव वास णाली जो इ लाम को काले रा वाद के साथ िमलाती है। मा कॉम ए स का ज म मा कॉम िलिटल नाम से
1925 म ओमाहा, नबरसका म हआ था। उनके िपता एक बैपिट ट उपदेशक और माकस गाव के अनयु ायी थे। कु क स
लान (ku klux klan) ारा उनके िखलाफ धमक िदए जाने के बाद, प रवार लांिसंग, िमिशगन चला गया, हालाँिक
प रवार पर, अपने नए घर म, भी खतर का सामना जारी रहा। 1931 म, मा कॉम के िपता क किथत तौर पर वेत
वच ववादी समहू लैक लीजनरीज ारा ह या कर दी गई थी, हालाँिक अिधका रय ने दावा िकया िक उनक मृ यु एक
दघु टना थी। ीमती िलिटल और उनके ब च को उनके पित-िपता के मृ यु लाभ से वंिचत कर िदया गया। 1965 म मा कॉम
ए स क ह या के बाद, उनक सव े पु तक, ‘द ऑटोबायो ाफ ऑफ मा कॉम ए स’ ने उनके िवचार को लोकि य
बनाया और लैक पावर आदं ोलन को े रत िकया।
2.4.1 मा कॉम ए स और नेशन ऑफ इ लाम
मा कॉम ए स जेल म थे िक जब पहली बार; लॉ ट-फाउंड नेशन ऑफ़ इ लाम के मख ु एिलजा महु मद क िश ाओ;ं से
उनका सामना हआ, जो अ वेत मसु लमान का एक अ वेत रा वादी समहू था और वेत लोग को शैतान के प म
पहचानता था। इसके तरु ं त बाद, मा कॉम ने अपने “दास” नाम को अ वीकृ ित कर अंितम नाम “X” अपनाया।
अब एक मु यि , मा कॉम ए स ने डे ायट, िमिशगन क या ा क , जहाँ उ ह ने इ लामी रा वाद के नेता, एिलजा
महु मद के साथ काम िकया, तािक देश यापी अ वेत अमे रिकय के बीच आंदोलन का िव तार िकया जा सके । मा कॉम
ए स, हालम म मि जद नंबर 7 और बो टन म मि जद नंबर 11 के मु ती बने, जबिक हाटफोड और िफलाडेि फया म नई
मि जद क थापना भी क । 1960 म, उ ह ने इ लाम के रा के संदश े को और बढ़ावा देने के िलए, एक रा ीय समाचार
प , ‘महु मद पी स’ क थापना क ।
एक वा पटु, भावना मक और ेरणादायक व ा, मा कॉम ए स ने िहसं ा सिहत “िकसी भी तरह से आव यक”, जाितवाद
क बेिड़य को हटाने के िलए अ वेत को े रत िकया। उ ह ने कहा, “आपके पास एक शािं तपणू ािं त नह है। आपके पास
एक गाल क ािं त नह है,” उ ह ने कहा, “अिहसं क ािं त जैसी कोई चीज नह है।” उनके उ वादी ताव ने एक वतं
अ वेत रा क थापना के िलए एक िहसं क ािं त का ताव रखा, िजसने बड़ी सं या म अनयु ाियय को जीतने के साथ-
साथ, कई उ आलोचक को भी ज म िदया। मु य प से मा कॉम ए स के यास के कारण, नेशन ऑफ़ इ लाम के
सद य क सं या, जो 1952 म उनक जैल से रहाई के समय 400 थी, 1960 तक 40,000 सद य क हो गई।
2.4.2 ए ो-अमे रकन यूिनटी का सगं ठन
नेशन ऑफ़ इ लाम म; िजसने िदसबं र 1963 म उ ह िनलंिबत कर िदया था य िक उ ह ने दावा िकया था िक रा पित जॉन
एफ. के नेडी क ह या “मगु को घर म वापसी,” (जैसी करनी वैसी भरनी जैसा है); ाचार के ित असतं ु मा कॉम ए स ने
सदा के िलए संगठन छोड़ िदया। कुछ महीन बाद, उ ह ने म का क या ा क , जहाँ उनमे एक आ याि मक प रवतन हआ :
उ ह ने िलखा “मने जो स चा भाईचारा देखा था, उसने मझु े यह पहचानने के िलए भािवत िकया िक ोध मानवीय ि को
अंधा कर सकता है”। मा कॉम ए स एक नए नाम के साथ अमे रका लौटा – एल-ह ज मिलक अल-शाज़ाज़।
जून 1964 म, उ ह ने ए ो-अमे रकन यिू नटी सगं ठन क थापना क , िजसने याय के दु मन के प म न लवाद को मा यता
दी, न िक वेत न ल को। उनका अिधक उदारवादी दशन भावशाली रहा, िवशेष प से छा अिहसं क सम वय सिमित
(SNCC) के सद य के बीच।
2.4.3 मा कॉम ए स क आ मकथा के िव फोटक अ याय को छोड़ िदया गया
मा कॉम छह साल क सेवा के बाद जेल से रहा हो गए और हालम म मि जद नबं र 7 का मु ती बन गए, जहाँ आ मर ा के
प म उसके व ृ व कौशल और उपदेश ने सगं ठन को नए शसं क ा हए– नेशन ऑफ़ इ लाम म सद य सं या 1952 म

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400 सद य से बढ़ कर 1960 म 40,000 हो गई। उनके शंसक म महु मद अली जैसी हि तयाँ शािमल थ , जो दोन म
दू रयाँ आने से पहले मा कॉम ए स के घिन िम बन गए थे।
“िकसी भी कार से आव यक को” हािसल करने क उनक वकालत ने उ ह मािटन लूथर िकंग जूिनयर के , अिहसं क
ि कोण से बढ़ते नाग रक अिधकार के आदं ोलन म, जमीन पाने के िवचार के िवपरीत छोर पर रख िदया। वॉिशगं टन म
1963 माच को मािटन लथू र िकंग के “आई हैव ए ीम” भाषण के बाद, मा कॉम ने िट पणी क – “िकसने सोचा था क
कभी ोिधत ािं तकारी ‘वी शैल ओवरकम’ क धनु पर उ ह के साथ बाँह म बाह डाल कदमताल करते िदखगे....िजनके
िवरोध वह ािं त को अ सर हो रहे है? मा कॉम ए स क राजनीित ने उ ह FBI के कोप का भी भाजन बना िदया, िज ह ने
उन पर उनक कारावास काल से उनक मृ यु तक िनगरानी रखी। जे. एडगर हवर ने एजसी के ययू ॉक कायालय को
“मा कॉम ए स के बारे म कुछ करने” के िलए भी कहा।
2.4.4 मा कॉम ए स क ह या
21 फरवरी, 1965 को ययू ॉक शहर के ऑडबोन बॉल म म ए ो-अमे रकन यिू नटी क एक रै ली म मा कॉम ए स क
ह या एक काले मिु लम ारा क गई थी। मा कॉम ए स ने भिव यवाणी क थी िक वह जीवन क तुलना म उनक मृ यु म
अिधक मह वपणू ह गे, और यहाँ तक िक अपनी पु तक, द ऑटोबायो ाफ ऑफ मा कॉम ए स म उ ह ने अपने अकाल
िनधन के पवू ाभास का उ लेख िकया।
2.4.5 मा कॉम ए स क आ मकथा
मा कॉम ए स ने ट्स के शंिसत लेखक एले स हेली क मदद से 1960 के दशक क शु आत म अपनी आ मकथा पर
काम शु िकया। मा कॉम ए स क आ मकथा ने उनके जीवन और न ल, धम और अ वेत रा वाद पर िवचार िकया।
जोिक 1965 म मरणोपरांत कािशत हई और बे टसेलर बन गई। पु तक और मा कॉम ए स के जीवन ने कई िफ म
पांतरण को े रत िकया है, िजन म सबसे िस डेनजेल वािशगं टन अिभनीत पाइक ली क 1992 क िफ म मा कॉम
ए स है।
2.5 प रणाम
सकारा मक कारवाई काय म, क ा या काय थल क िविवधता को बढ़ाने क कोिशश करते ह, अ सर पवू ा ह के सचं यी
भाव को मापने के िलए। लैक पावर एक ऐसा श द है जो अ वेत आ मिनणय के ल य को संदिभत करता है। यह िवचार
अ क अमे रिकय ारा समिथत था जो अपने वयं के समदु ाय के साथ-साथ कूल , सं थान , सेवाओ ं और उ पाद पर
िनयं ण चाहते थे। मतदान के अिधकार का अथ है मतदान के अिधकार का खंडन करना; सबसे अिधक बार अ क
अमे रिकय को; अवैधता के बावजूद, कई दि णी रा य ने अ क अमे रक मतदाताओ ं को ितबंिधत करने के िलए
रणनीितयाँ बनाई।
नाग रक अिधकार आदं ोलन के दौरान एक करण का ता पय अ क अमे रिकय के उन े से बाहर होना शािमल है, जो
आमतौर पर न ल ारा नािमत होते थे, उदाहरण के िलए, पि लक कूल। िजम ो नीित उन काननू और नीितय को
सदं िभत करता है, जो ‘गोर के िलए’ या ‘अ वेत के िलए’ कई थान जैसे पाक, कूल और रे तराँ के उपयोग को िनयोिजत
करके अ क अमे रिकय के साथ भेदभाव को लागू करती थी।
अलगाववाद का अथ जानबझू कर (आमतौर पर काननू ारा) अ क अमे रिकय को गोर से अलग करना है। धरना- दशन
नाग रक अिधकार के आंदोलन के दौरान अ क अमे रक छा ारा अ सर इ तेमाल क जाने वाली रणनीित थी। छा
ने न लभेद के यास को बा य करने के यास म ‘के वल गोर ’ के िलए नािमत रे तरां के काउंटर पर बैठ कर धरना- दशन
िकए। ये िसट-इन सफल रहे, िजससे कई ित ान पर िजम ो नीित का अंत हआ।

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2.6 लोकतं का सु ढ़ीकरण
द यू यॉकर म “एक अमे रक ू िसबल,” नामक अपने लेख म जेलानी कॉब, ए टन टिलग और िफलडो कै ि टले पर
पिु लस गोलीबारी एवं इसके बाद डलास म पाँच पिु लस अिधका रय के वध और सात अ य के धायल होने पर कहते है।
इसके बाद, देश और िवदेश म बढ़ती िहसं ा क वृित से, लाख अमे रिकय को आ चय होता है िक या न लीय और अ य
रे खाओ ं से पैदा हई खाई ओर गहरी हो सकती है।
इस िनराशा का मक
ु ाबला करने के िलए, हम 1950 और 60 के दशक के नाग रक-अिधकार आंदोलन से भल ू ी हई “दसू री
आवाज़” को याद करने के िलए इ छा होती है। सावजिनक मृित अलगाव और न लीय क रता के कोप के िखलाफ
नैितक आवाज के आंदोलन क भिव यवाणी है। यह आवाज मािटन लूथर िकंग जिू नयर के “लोकतं के वाद को वा तिवक
बनाने” के आ ान और िमिसिसपी क कृ षक-भािगधारक फै नी लू हैमर, िज हीने 1964 क डेमो े िटक नेशनल कनवशन म
अ वेत को मतदान से रोकने के यास का लोमहषक उ लेख िकया था।
लेिकन आमजन के िहत , ज रत और आशक ं ाओ ं पर यान िदए िबना नैितक भिव यवाणी, आसानी से नैितकतावािदय
और शािपत के बीच एक मानिसक िवभाजन क ओर ले जाती है। यहाँ, यह याद रखना मह वपणू है िक नाग रक-अिधकार
आदं ोलन म, समझौते क राजनीित के साथ नैितक भिव यवाणी म तनाव का भी आयोजन इस आधार पर िकया गया था, िक
वा तिवक प रवतन करने के िलए उन लोग क सम या क जिटलता और िहत को समझने क आव यकता है, िजनम िलए
बात हो रही है तथा िजसम िवरोधी भी शािमल है।
आंदोलन के मल ू वर, अिहसं ा को, अलगाव के समथक के शैतािनकरण से इनकार म य िकया गया था – वा तव म,
उनके सधु ार क सभं ावना म िव वास रखते हए। मािटन लूथर िकंग जिू नयर, ने शांितवाद से अलग एक राजनीितक रणनीित के
प म अिहसं ा को िलया था, जो उसने धमशा ी रेनहो ड नेबुहर से सीखा था। जैसा िक टेलर ाचं ने िकं स क जीवनी,
‘पािटग द वाटस’ म वणन िकया है, नेबहु र ने अिहसं ा को “एक उ पीिड़त समहू के िलए एक िवशेष प से रणनीितक साधन
के प म देखा जो िक िनराशाजनक प से अ पसं यक है।”
अिहसं ा का अनशु ासन और िवरोिधय के सधु ार क इ छा, एक चतुर रणनीित से तैयार संदेश से जड़ु ा था िजसका उ े य
“म य अमे रका”, न लीय नरमपंथी और यहाँ तक िक िढ़वािदय पर जीत हािसल करना था। यह 1963 म वािशंगटन पर
माच के आयोजक बेयड रि टन क रणनीित थी, जो न के वल िकंग के “आई हैव ए ीम” भाषण म शािमल थी, बि क
माचस के संकलन म भी थी। काय म के िनदश ितभािगय को उकसाने पर भी ग रमा और अनश ु ासन के साथ काम करने
के िलए कहते थे। “एक पास-पड़ोसी िववाद म धौस-प ी, खरु दरु े श द और गम अपमान हो सकते ह, लेिकन जब एक बड़ा
समहू अपनी सरकार से बात करता है तो कारवाई क गणु व ा और सवं ाद को उन लोग के मू य और उस सरकार क
िज मेदारी को ितिबंिबत करने क आव यकता होती है।”
अतं म, आदं ोलन ने बड़े पैमाने पर अलग-अलग िवचार और पृ भिू म वाले अ य लोग के साथ काम के कौशल को
िसखाकर समझौतावादी राजनीित म समदु ाय म नाग रक को िशि त िकया। चा स पायने अपनी िकताब ‘मने पाया मिु
का काश’ (I’ve got the Light of Freedom) म बताते ह िक आदं ोलन के नेताओ ं के एक समहू ने नाग रकता और
वतं ता कूल के मा यम से इस ि कोण को िसखाया। पायने िलखता है, “अगर एमी मरू , मेडगर एवस और आरोन हेनरी
जैसे लोग ने दमन क सीमाओ ं का परी ण िकया, तो सेि टमा लाक, एला बेकर और माइ स हॉटन जैसे लोग ने एक और
सीमा का परी ण िकया, अपने वयं के जीवन के पनु थान म भाग लेने के िलए उ पीिड़त क सहनशीलता क मता क
सीमाओ ं पर।”
िकंग के काय का अंितम अ याय, गरीब लोग का अिभयान, इन त व को एक साथ रखने क माँग करता है। िकंग, रि टन
और अ य लोग का मानना था िक वेत और अ वेत, गरीब और िमक वग के समोिहक आंदोलन के ारा बेरोजगारी,
अपराध, गरीबी और असफल कूल जैसे सरं चना मक और सं थागत सवाल को संबोिधत करने के िलए आव यक थे। मारे

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जाने के एक महीने पहले िकंग का धम पदेश, “ म मेजर इिं टं ट,” म एक बातचीत शािमल है िजसम उ ह ने जेल म काम
करने वाले िमक वग के सफे द वाडन के साथ क िजसम इस तरह के अंतरजातीय गठबंधन क सभं ावना पर अपना िव वास
य िकया था। िकंग ने उसे LCLC के िलए एक यवु ा े सिचव के प म, गरीब वेत को संगिठत का काय स पा, जो
उसने सात साल तक डरहम म िकया था।
यह जड़ु ाव क राजनीित क उ मीद स र और अ सी के दशक म फै ले हए सामदु ाियक आयोजन आदं ोलन म जडु ी रही। मने
पाया िक जब मने कई आदं ोलन के िद गज का सा ा कार िलया, तो उ ह ने खदु को एक “अलग तरह क राजनीित” के प
म देखा, िजसने न व को बनाए रखा। इसका पहला आधार यह है िक आप दसू र के ‘आ म-िहत ’ को सनु ते ह, “जहाँ लोग
ह”, वही से आप उ ह पसदं करते है। इसी आदं ोलन ने यवु ा बराक ओबामा को िशि त िकया।
सहयोग क राजनीित यापक प से सामदु ाियक आयोजन से आगे नह बढ़ी है, लेिकन इसका मल ू िवचार अमे रक
लोकतं के क म है। 1830 के दशक म, ांसीसी पयवे क एलेि सस डी टोके िवले ने अमे रका क तुलना म देखा िक वहाँ
के िवपरीत, यरू ोपीय रा म नाग रक सरकार या महान नेताओ ं पर िनभर थे। “लोकतांि क लोग म, पर पर सहयोग को
शि शाली िवशेष यि य क जगह लेनी चािहए,” उ ह ने अमे रका पर अपने लािसक लोकतं म िलखा था।
“लोकतांि क देश म सहयोग का िव ान मातृ िव ान है।” लोग उस मातृ िव ान, से सहयोग क राजनीित सीख सकते ह।
ऐसा कोई कारण नह है िक इसे कूल , कॉलेज और अ य जगह पर पनु ज िवत कर और पढ़ाया नह जा सकता है। ऐसा
करने के िलए आव यक है िक हम याद कर िक यह आिखरी बार कब हआ था, जब न लीय िवभाजन ने रा को अहलािदत
िकया था।
2.7 समकालीन ासिं गकता
4 अ ैल, 1968 को उनक ह या के बाद से, मािटन लूथर िकंग जिू नयर को पिव और संत वीकारते हए; अमे रक ित ान
ारा न लीय समानता के धरु ं धर संत के प म सहयोग और समथन दान िकया है। जबिक सही मायने म, वह एक क रपंथी
िवघटनकारी थे, िज ह ने अ क अमे रक आतंकवािदय जैसे लैक पथस के ईु यटू न और नेशन ऑफ़ इ लाम के
मा कॉम ए स के समान ही राजनीितक, आिथक और सै य ि थित को चनु ौती दी थी। इसिलए FBI का जनु नू ी, अथक
यास िकंग और उसके आसपास के लोग को बदनाम करने का रहा है, िजसम उ ह क यिु न ट, देश ोही, यिभचारी और
अितचारी िस करना भी शािमल है।
अब, कई लोग िकंग को परू ी तरह से काले अिधकार के चिपयन के प म मानते ह। लेिकन वह इससे बहत अिधक था।
उ ह ने िवयतनाम म अमे रक यु का िवरोध िकया, हड़ताली िमक का समथन िकया और गरीब वेत और अ वेत
अमे रिकय के िलए आिथक याय क माँग क । कोई आ चय नह िक वािशगं टन के अंद नी सू ने उ ह एक खतरनाक
क रपथं ी और सामािजक यव था के िलए खतरे के प म देखा। िकंग के नाग रक अिधकार के अिभयान ने न लीय
अलगाव को समा करने और दि णी रा य म अ क अमे रिकय को मतदान के अिधकार से विं चत करने के िव म
मह वपणू भिू मका िनभाई। िजसने न लवाद के मु पर, स पणू अमे रका नह तो अिधकांश म एक सां कृ ितक बदलाव को
ज म िदया।
न ल समानता काननू म सरु ि त होने के बाद, दासता समथक कॉ फे डरे ट नेता न के वल अपनी गितिविधय म लगे रहे बि क
उस म नए आयाम जोड़ते रहे। कई सावजिनक और िनजी इमारत से कॉ फे डरे ट वज फहराता रहा। यह इस बात का माण
था िक जाितवादी भेदभाव और मतदाता दमन को समा करने के िलए काननू बदलना पया नह था। अ वेत नाग रक
अिधकार के आंदोलन का यान कानूनी समानता था। जबिक यह समझ म आता है िक वह त काल ाथिमकता थी, इस का
भी एक नकारा मक पहलू था। एक बार जब आिधका रक भेदभाव समा हो गया और औपचा रक काननू ी समानता जीत
गई, तो आंदोलन िबखर गया। िदशा, ससु ंगतता, गितशीलता और सम वय जो इसक महान ताकत थे, और इसक कई

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सफलताओ ं का कारण थे, खो गई ं। इसके अित र न लवाद समा नह हआ था, इसने अ क अमे रिकय के जीवन को
तबाह करना जारी रखा। नाग रक अिधकार वह रामबाण नह था, िजसे कई लोग ने मान िलया था।
यह िकसी भी सघं ष म िनिहत खतरे को िदखाता है, जो समान अिधकार के एकमा और सीिमत ल य ने िसमट जाता है।
िकंग ने इस सीमा को समझा। यही कारण है िक, काननू ी समानता के बाद, वह आिथक अ याय पर यान कि त करते हए
एक नए चरण म आदं ोलन को आगे बढ़ाना चाहते थे, िजसे उ ह ने अ क अमे रिकय को वापस लेने वाले अ य मख ु
कारक के प म देखा। उ ह ने इस एजडे को आिथक मिु के िलए एक आम सघं ष म असतं ु अ वेत और ते को एकजटु
करके न लीय िवभाजन को पार करने के साधन के प म भी देखा।
अमे रका म न लीय भेदभावपणू क़ाननू के समा होने के आधी सदी बाद भी, हम के वल क़ाननू ी समानता क कठोर सीमाएँ
को देख सकते ह। अमे रका के कुछ िह स म अ वेत और वेत समदु ाय क अनौपचा रक अलगाव लगभग उतना ही है
िजतना डॉ. िकंग के िदन म था। जबिक 1960 के दशक के बाद से अ वेत म यम वग म बहत वृि हई है, िफर भी लाख
गरीब अ वेत लोग आिथक उ थान से बाहर ह, िजतना िक वे नाग रक अिधकार के यगु क शु आत से पहले थे।
मखु शहर और ामीण समदु ाय के बहत से अ वेत े झु गी-झोपड़ी, बेरोजगारी और िबगड़ी हए िश ा और वा य
सेवा से पीिड़त ह। आपरािधक याय णाली म न लवादी पवू ा ह का मतलब है िक कुल जनसं या का के वल 12 ितशत
होने के बावजदू , अ वेत जेल क आबादी का 40 ितशत िह सा ह। यह सब इस बात का और बड़ा सबूत है िक नाग रक
अिधकार कायकताओ ं क वीरता और काननू ी प से समानता मे उनक जीत, उसके िलए अपया थी।
दरअसल, आज िकंग क िवरासत अि थर िदखती है और कुछ को डर है िक वह उ टा भी रही है। िजम ो के भेदभाव को
नीित के अनु प, हाल ही म अमे रक चनु ाव म मतदाता पंजीकरण और मतदान िनयम म प रवतन हए है, जो अ क
अमे रिकय के िखलाफ प पाती ह। संघीय एजिसय म व र पद पर काम करने वाले अ वेतओ ं के ितशत म हाल ही म
िगरावट आई है। िनह थे अ वेत क बार-बार क पिु लस ारा ह या, कुछ लोग के िलए एक कार क िलंिचंग है। पवू
नाग रक अिधकार िदन क अनु प, कुछ अिधका रय को अनश ु ासना मक कारवाई का सामना करना पड़ा है। इसने
‘अ वेत जीवन को मा यता’ (Black Liives Matter) आदं ोलन को बढ़ावा िदया है, जो कई ारा नाग रक अिधकार के
आंदोलन 2.0 प म देखा जा रहा ह। उनका कहना है िक िकंग ने जो शु िकया उसे जारी रखने क ज रत, िजसे ह यारे क
गोली ने अधरु ा छोड़ने को बा य िकया, और जो अभी समा नह हआ – एक गैर-न लीय अमे रका का सपना।
अपनी मृ यु से पहले महीने म मा कॉम ए स िस अ क -अमे रक लेखक एले स हेली के िलए अपनी जीवनी िलख रहे
थे। मा कॉम ए स क ह या के कुछ महीने बाद 1965 म मा कॉम ए स क आ मकथा कािशत क गई। अपनी आ मकथा
के मा यम से, मा कॉम ए स क शि शाली आवाज, अ वेत समदु ाय को उनके अिधकार क वकालत करने के िलए े रत
करती रही। उदाहरण के िलए, लैक पथस ने 1966 म अपने को सगं िठत करने के िलए मा कॉम ए स क िश ाओ ं का
उपयोग िकया। वा तव म, मा कॉम ए स नाग रक अिधकार के यगु के सवािधक िववादा पद यि य म से एक है।
सामा यत: उ ह इितहास के सबसे अिधक संघषमय (और घातक) समय म बदलाव के िलए अपनी भावक ु माँग के िलए
अ वेत नेताओ ं ारा स मािनत िकया जाता है।
1960 के दशक क शु आत म, मा कॉम ए स नाग रक अिधकार के आदं ोलन के एक क रपथं ी िवगं क एक अ णी
आवाज के प म उभरे थे, जो मािटन लूथर िकंग जिू नयर के एक न लीय-एक कृ त समाज के ि कोण को शािं तपूण तरीक
से हािसल करने के िलए एक नाटक य िवक प पेश करता था। डॉ. िकंग, मा कॉम ए स को िवनाशकारी जननायक के प म
जो कुछ भी देखते थे, उसके अ यिधक आलोचक थे। एक बार िकंग ने कहा, “मझु े लगता है िक मा कॉम ने खदु का और
हमारे लोग का एक महान अिहत िकया है।”
मा कॉम ए स क मृ यु के त काल बाद, िट पणीकार ने बड़े पैमाने पर उनके हािलया आ याि मक और राजनीितक
प रवतन को नजरअदं ाज कर िदया और एक िहसं क हगं ामा करने वाला के प म उनक आलोचना क । लेिकन, िवशेष प

77
से द ऑटोबायो ाफ ऑफ मा कॉम ए स के काशन के बाद, उ ह उस महान संघष को रे खांिकत करने के िलए याद िकया
जाएगा, िजसम कोई वा तव म मु समाज म अपनी वतं ता को सरु ि त करने के िलए जाएगा। “ वतं ता क र ा म शि
अ याचार और उ पीड़न क शि क तुलना म अिधक है,” उ ह ने कहा। “ य िक शि , वा तिवक शि , हमारे िव वास
से आती है, जो कारवाई को ज म देती है, समझौतारिहत कारवाई को।”
2.8 िन कष
मह वपणू सामािजक, आिथक और राजनीितक प रवतन दघु टना से नह होते ह। उ ह एक आंदोलन, जबरद त साहस और
िव वसनीय नेता क आव यकता होती है। नाग रक अिधकार के आंदोलन म मािटन लूथर िकंग जिू नयर थे, और उ ह ने
काननू , िजंदिगय और इस देश को बेहतर के िलए बदल िदया। “हमारा जीवन उस िदन समा होना शु होता है जब हम उन
चीज के बारे म चपु रहते ह, जो मह वपणू ह,” िकंग ने कहा था। अनिु चत यवहार, अमानवीय और बिु नयादी ग रमा हमारे
िलए मायने रखती ह। हम उस ू र, यव थागत उ पीड़न से दरू नह ह िजसने आंदोलन को गित दी। अभी भी ऐसे अ याय
करने क मता रखने वाले लोग ह। लेिकन शु है िक हमम से अिधकांश को उन आदश म िव वास करते ह िजनक िकंग
ने प ता के साथ थापना क ; िजन पर हम आगे बढ़ने को े रत ह।
मािटन लूथर िकंग और उनके समथक के यास के कारण है िक अमे रका ने अिहसं क िवरोध क शि को समझा। जब
उनके अिहंसक यास का िहसं ा से सामना हआ, तो यह वा तव म सहानभु िू त और उनके उ े य के िलए समथन था। िजस
से जनता ऐसे हद तक भािवत हई िक सिं वधािनक शि याँ भी काय करने को बािधत हो गई |
िकंग ही 1964 के नाग रक अिधकार अिधिनयम और 1965 के मतदान अिधकार अिधिनयम के पा रत होने के िलए काफ
हद तक िज मेदार थे। नाग रक अिधकार अिधिनयम ने “जाित, रंग, धम या रा ीय मल
ू ” के आधार पर कायबल और
सावजिनक आवास म भेदभाव पर ितबंध लगा िदया।
मतदान का अिधकार अिधिनयम अ क अमे रिकय के मतदान के अिधकार क र ा करता है। उ ह ने 1968 के फे यर
हाउिसगं ए ट के पा रत होने म भी मख ु भिू मका िनभाई। यह लोग को िकसी भी कार के आवास से अ वेत लोग को
ितबंिधत करने से रोकता है, चाहे वह िकराये का हो या िब का। यहाँ तक िक अपनी मृ यु तक िकंग ने डर को खदु पर
िवजय क अनमु ित नह दी। उ ह ने एक साझा ल य के तहत लोग को एकजटु िकया। आज, आप काले लोग और गोरे
लोग को बस म अलग-अलग वग म बैठने या सावजिनक थान पर अलग-अलग पानी के फ वारे से पीने को मजबरू नह
पाएँगे। हालाँिक पवू ा ह बना हआ है, हालात बदल रहे ह, जहाँ दिु नया के न लवािदय को ितर कृ त िकया जाता है, न िक
िनद ष अ क अमे रिकय को।
अमे रका म अलगाव को आिधका रक तरीके से समा कर िदया गया है, हालाँिक हम अभी भी अ य तरीक से भेदभाव
देखते ह। कुछ आतं रक शहर म िहसं ा और समान वेतन और समान अवसर क आव यकता के िलए संघष जारी है। यिद
िकंग जीिवत होते, तो वह हर उस शहर म रैली कर रहे होते, जहाँ असमानता और अ याय का सामना हो रहा है।
उसी समय, 2008 म, अमे रका ने अपने पहले अ क अमे रक रा पित को िनवािचत िकया। रा पित बराक ओबामा
एक वेत, अमे रक मिहला और के याई िपता से पैदा हए यि ह। ऐसा बहत कुछ है िजस पर िकंग को गव होगा। उनका
नाम अभी भी गव के साथ िलया जाता है और अिहसं ा क उनक िवरासत ने सािबत कर िदया है िक अिहसं क िवरोध के
मा यम से न ल यु से िनपटाया जा सकता है और एक िवरोधी और भेद-िवरोधी दिु नया के िलए आम यास है।
2.9 िश ण प रणाम
अ याय हम नाग रक अिधकार के आदं ोलन के इितहास के बारे म बताता है िक यह लोकतं िजतना परु ाना है। काननू के
सम समानता नाग रक अिधकार आदं ोलन के िलए मौिलक मू य रहा है और यह आदं ोलन का मल ू था। दिु नया के िविभ न
देश म िविभ न असतं ु नेताओ ं का प रणाम है, और ये आदं ोलन 1950 और 1980 के बीच मािटन लथू र, मा कॉम ए स,

78
कोफ अ नान और ने सन मंडेला जैसे लोकि य िव ोिहय के नेतृ व म हए। कई देश म इन आदं ोलन क ि या
दीघकािलक, तनावपणू और जिटल थी, उनम से अिधकांश अपने ल य को परू ी तरह से ा नह कर सके । हालाँिक
लोकतं के इितहास म ये नाग रक अिधकार आंदोलन बहत मह वपणू ह य िक वे दसू री पीढ़ी के अिधकार क बहस क
ित विन करते ह।
मािटन लथू र िकंग को नाग रक अिधकार आदं ोलन म सबसे िवपल ु नेता माना जाता है। वह SCLC के सं थापक थे और
भेदभाव को समा करने के िलए अिहसं क ि कोण अपनाया। मािटन लथू र िकंग ने माच 1963 म वािशगं टन म नाग रक
अिधकार को बढ़ावा देने के िलए 250,000 लोग के दशन के समम् ख ु अपना िस ‘आई हैव ए ीम’ भाषण िदया।
अगले वष उ ह नोबेल शािं त परु कार से स मािनत िकया गया। 1968 म मेि फस, टेनेसी म उनक ह या कर दी गई थी।
उनका ज मिदन जनवरी म तीसरे सोमवार को आिधका रक अमे रक छु ी के प म मनाया जाता है।
नाग रक अिधकार काल म मा कॉम ए स एक मख ु यि था। मा कॉम ए स का ज म नाम मा कॉम िलिटल था। जेल से
रहा होने के बाद उसने अपना नाम बदल िलया और नेशन ऑफ़ इ लाम म शािमल हो गया, िजसका नेतृ व एिल याह
मोह मद ने िकया, जो अ वेत अलगाववाद म िव वास करता था। बाद म, उ ह ने NOI छोड़ िदया और ए ो अमे रकन
यिू नटी का सगं ठन शु िकया। मु यधारा के नाग रक अिधकार के आंदोलन के िलए एक वैकि पक ि कोण क पेशकश
करते हए, मा कॉम ए स ने एक अलग अ वेत समदु ाय क थापना और आ मर ा म िहंसा के उपयोग क वकालत क ।
वेत यि क बुराइय म उनके बलशाली, अिडग िव वास ने वेत समदु ाय को भयभीत कर िदया।
मा कॉम ए स ने इ लाम सगं ठन के अ वेत मिु लम रा को छोड़ िदया, िजसके िलए वह एक व ा और एक नेता दोन
थे, गोरे लोग के ित उनके िवचार नरम हो गए, लेिकन उनके अ वेत गव का मल ू संदेश समा नह हआ। 1965 म
मा कॉम ए स क ह या के बाद, उनक आ मकथा ने उनके िवचार और जनु नू को फै लाना जारी रखा।
इसिलए हमारे पाठ्य म के अनसु ार अ याय ने सयं ु रा य अमे रका म नाग रक अिधकार के आदं ोलन का गभं ीर प से
िव लेषण करने क कोिशश क , िवशेष प से मािटन लथू र और मा कॉम ए स के नेतृ व वाले आदं ोलन का।

1. 20व शता दी म अमे रका म िविभ न नाग रक अिधकार के आदं ोलन क सिं या या कर।
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2. आपके अनसु ार नाग रक अिधकार के आदं ोलन के िस पा का योगदान या है?
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3. नाग रक अिधकार के आंदोलन म मा कॉम ए स और मािटन लूथर िकंग के जीवन और योगदान पर सिं चचा
कर।
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4. आज के समय म नाग रक अिधकार के आंदोलन क समकालीन ासंिगकता पर चचा कर।
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5. परू े िव व म लोकतं क मजबतू ी के िलए नाग रक अिधकार के आदं ोलन ने कै से योगदान िदया है।
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2.10 सदं भ सच
ू ी
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4(i)

[(1792) , 1967]

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SEWA

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90



91
(ii) मिहलाओ ं के आदं ोलन : मु े और बहस

सरं चना
2.0 उ े य
2.1 प रचय
2.2 उदारवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.2.1 संग
2.2.2 उदार नारीवािदय क िवशेषताएँ
2.2.3 उदारवादी नारीवाद पर आधा रत मिहला आंदोलन : ेट ि टेन और संयु रा य अमे रका म पीिड़त
आंदोलन
2.2.4 उदारवादी नारीवाद से े रत मिहला आदं ोलन क सीमाएँ
2.3 मा सवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.3.1 संग
2.3.2 मा सवादी नारीवाद क िवशेषताएँ
2.3.3 मा सवादी नारीवािदय ारा े रत मिहलाओ ं का आंदोलन: गृहकाय अिभयान के िलए अंतरा ीय
मजदरू ी
2.3.4 मा सवादी नारीवािदय क सीमाएँ
2.4 क रपंथी नारीवाद और मिहलाओ ं के आंदोलन
2.4.1 सगं
2.4.2 क रपंथी नारीवािदय क िवशेषताएँ
2.4.3 क रपंथी नारीवािदय से े रत मिहलाओ ं के आदं ोलन : स दय मानक, यौन उ पीड़न और गभपात
2.4.4 क रपथं ी नारीवाद क सीमाएँ
2.5 समाजवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.5.1 संग
2.5.2 समाजवादी नारीवाद क िवशेषताएँ
2.5.3 समाजवादी नारीवाद से े रत मिहला आदं ोलन: िशकागो मिहला मिु सघं
2.5.4 समाजवादी नारीवाद क सीमाएँ
2.6 वैकि पक नारीवादी कूल और मिहलाओ ं के आंदोलन
2.7 िन कष

92
2.0 उ े य
पु ष ारा मिहलाओ ं को लंबे समय से उ पीिड़त िकया जाता रहा है। उ पीड़न का यह अनुभव सावभौिमक और यि गत
दोन प म देखा गया है। िविवध वैचा रक ि कोण, िजनके मा यम से मिहलाओ ं के उ पीड़न को प करने, संबोिधत
करने ह और िवक प तािवत िकए गए ह, उ ह लोकि य प से नारीवाद कहा जाता है। चँिू क मिहलाओ ं के अनभु व संदभ
के अनसु ार अलग-अलग रहे ह, इसिलए इन िविवध ि कोण से े रत नारीवाद और मिहलाओ ं के आंदोलन भी िविभ न
कार के रहे ह। इस अ याय का उ े य नारीवाद क िविभ न िवचारधाराओ ं के िवकास, िवशेषताओ ं और सीमाओ ं को
जानना और नारीवाद क इन िवचारधाराओ ं से े रत मिहलाओ ं के आंदोलन को समझना है।
2.1 प रचय
नारीवाद मानवीय संबंध को परखने के बारे म है। यह यि य , सामािजक सं थान और वृहत तर पर समाज के बीच शि
समीकरण को समझने और जाँच-परख करने के बारे म है। वतमान को जानने और बेहतर भिव य क क पना करने के िलए,
अतीत म देखने का एक अ यास है। नारीवाद क एक सावभौिमक अपील है, य िक सभी को उ पीड़न का अनभु व समान
प से बधं ता है। िफर भी इसम दमन क िभ न-िभ न कथाएँ ह य िक दमन िविभ न प म होता रहा है। मल ू प से
नारीवाद, सामािजक थाओ,ं मानव यवहार और सबसे मह वपणू प से वयं से सवाल करना सीखने का एक मा यम है।
दिु नया भर म मिहलाओ ं के आदं ोलन सघं ष और प रवतन क रणनीित पर आधा रत ह। ये आदं ोलन कृ ित से राजनैितक
और नैितक रहे ह। राजनैितक प से समाज क स ा सरं चनाओ ं से सबं िं धत न उठाते ह। नैितक के प म वे, एक इसं ान
होने का सही तरीका या होना चािहए, के बारे म िचतं न है। मिहलाओ ं के आदं ोलन िवरोधाभासी, असगं त, उ प से
क रपथं ी रहे ह और एक बेहतर और व छ दिु नया के िलए ितब ह। हम िन निलिखत चार वग म; उदारवादी नारीवाद,
मा सवादी नारीवाद, क रपंथी नारीवाद और समाजवादी नारीवाद; नारीवाद के िवकास, िवशेषताओ ं और सीमाओ ं पर चचा
करगे। नारीवाद के इन िविभ न िवचार से े रत मिहलाओ ं के आंदोलन पर भी चचा क जाएगी। उपरो चार मख ु
नारीवादी िवचार से िभ न हाल के िदन म उभरे अ य नारीवादी िवचार और उन से जुड़े मिहलाओ ं के आंदोलन पर भी
सं ेप म चचा क जाएगी।
2.2 उदारवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.2.1 सगं
पँजू ीवाद के उदय के सदं भ म उदारवादी नारीवाद का उदय हआ। यह मानव क अतं िनिहत समानता को सामने रखता है।
बढ़ते पँजू ीवाद क पृ भिू म म, नए बुजआ
ु लोग ने राजा के िद य और पणू अिधकार पर सवाल उठाया। इसी तरह, इस
अविध म मिहलाओ ं ने प नी पर पित के पणू अिधकार पर सवाल उठाया। उदारवादी नारीवाद का इितहास तीन सौ वष का है
और इन वष म इसक कई िविवधताएँ ह। अठारहव शता दी म, इस िवचारधारा ने इस त य पर काश डाला िक मिहलाएँ
पु ष के बराबर ह और इसिलए उनके भी ाकृ ितक अिधकार ह। उ नीसव सदी म, इस ने काननू के तहत मिहलाओ ं के िलए
समान अिधकार पर जोर िदया। बीसव सदी म, इस ने जीवन के सभी े म मिहलाओ ं के िलए समान अवसर क माँग
क।
इस िवचारधारा को उदार नारीवाद कहा जाता है य िक इसने पारंप रक उदारवाद से अपने मल ू िस ांत को िलया है।
पारंप रक उदारवाद का मल
ू तक यह है िक मनु य अिनवाय प से तकसंगत ाणी ह। तकसंगतता यि क मानिसक मता
से ली गई थी। अतत: तकसगं तता यि क बपौती है, न िक समूह या वृहतर समाज क । यह अमतू यि क धारणा है, जो
सामािजक प रि थितय से अलग है। यहाँ शारी रक मता अिनवाय नह है। मानव क मता को समझने के िलए िविभ न
तरीके ह– नैितक, यवाह रक और दो का सयं ोजन। हमारे पास नैितक िवचारक, इमैनएु ल कांट ह जो मानते ह िक नैितकता के
तकसंगत िस ातं को समझने क मता ही है जो मनु य को अ य जीिवत ािणय से अलग बनाती है। सभी मनु य म यह
अंतिनिहत मता होती है। यावहा रक िचंतक, थॉमस हॉ स ह जो मानते ह िक िकसी यि के अतं तक सव म साधन

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क गणना करने क मता मानव के िलए अि तीय है। जॉन लोके , जॉन रॉ स और रॉबट नोिज़क का मानना है िक यह
नैितक और यावहा रक तरीके का संयोजन है जो मनु य को अलग बनाता है। उनके िलए, अंत तक पहँचने के िलए सबसे
कुशल साधन के चयन और तकसंगत मू यांकन को अपनाना दोन समान प से मह वपणू ह। पारंप रक उदारवािदय ने
मानव म दो बुिनयादी सावभौिमक इ छाओ ं पर जोर िदया– ित ा और आ म-स मान। हो स ने िकसी क ित ा बनाने के
िलए ससं ाधन क सापे कमी से िचि त दिु नया म एक यि ारा असीिमत संचय के मह व पर जोर िदया। दसू री ओर,
रॉ स ने आ म-स मान अिजत करने के िलए सावभौिमक परोपकार के मह व को रे खांिकत िकया। उदारवादी नारीवािदय ने
राजनीितक िव लेषण क मल ू इकाई के प म तकसंगतता क अंतिनिहत गुणव ा के साथ पारंप रक उदारवाद क अमतू
यि क क ीयता को वीकार िकया। उदारवादी नारीवािदय ने रा य के ि कोण पर एक पारंप रक साधन के प म
पारंप रक उदारवािदय के साथ सहमित य क और रा य के गैर-ह त ेप के कारण िनजी के दायरे म अिधकतम यि गत
वतं ता सिु नि त करने के िलए सावजिनक और िनजी े के िवभाजन क आव यकता को भी माना।
2.2.2 उदार नारीवािदय क िवशेषताएँ
उदारवादी नारीवािदय ने िनिहत मता के आधार पर येक यि क अंतिनिहत ग रमा और मू य पर िव वास िकया।
उनके िलए सभी के िलए समान अवसर एक अ छे जीवन तक पहँचने के िलए मह वपणू है। इसिलए, उदारवादी नारीवािदय
ने िश ा, नौक रय और म के यौन आधा रत भेदभाव के िखलाफ लड़ाई लड़ी। ारंिभक म उदारवादी नारीवादी मिहलाएँ
सरु ा मक काननू के िखलाफ थ य िक उनका मानना था िक मिहला और पु ष समान ह और उ ह िवशेष काननू क
आव यकता नह है। बाद म उदारवादी नारीवािदय ने महससू िकया िक मिहलाओ ं के िखलाफ सामािजक भेदभाव अ यतं
यापक और शि शाली है। इसे संबोिधत करने के िलए हम मिहलाओ ं के िलए सरु ा मक काननू क आव यकता है। मैरी
वो टन ा ट, जे.एस. िमल और बैटी डन ने मिहलाओ ं के िलए आिथक वतं ता के मह व पर जोर िदया। उनका मानना
था िक मिहलाओ ं के उ पीड़न से, समाज परू ी तरह से नक
ु सान म है य िक यह अपनी आधी आबादी के योगदान से वंिचत
है। उदारवादी नारीवािदय ने दावा िकया िक एक अ छा जीवन जीने के िलए, वतं ता, समानता और याय के मू य
मिहलाओ ं के िलए भी उतने ही मह वपणू ह, िजतना िक पु ष के िलए।
2.2.3 उदारवादी नारीवाद पर आधा रत मिहला आदं ोलन: ेट ि टे न और सयं ु रा य अमे रका म पीिड़त
आदं ोलन
टे ि टेन म मिहला अिधकार का पहली बार मैरी वू टन ा ट ने अपनी पु तक ‘ए िवि डनेशन ऑफ राइट्स ऑफ वमू न’
(1792) म समथन िकया था और बाद म 1840 के ि ट आदं ोलन ारा दावा िकया गया था। मिहला मतािधकार क माँग
का समथन जॉन टुअट िमल और उनके साथी है रयट टेलर ने िकया। 1865 म मैनचे टर म पहली मिहला मतािधकार
सिमित का गठन िकया गया था और 1867 म इस सिमित क यािचका ससं द म तुत क गई थी, िजसम मिहलाओ ं के िलए
मतदान के अिधकार क माँग क गई थी और इस पर लगभग 1,550 ह ता र थे। 1867 के सधु ार िवधेयक म मिहला
मतािधकार के िलए कोई ावधान नह था। हालाँिक, ि टेन के मख ु शहर म मिहला मतािधकार सिमितय का िवकास हो
रहा था और इन सगं ठन ने मिहलाओ ं के िलए मतािधकार क माँग के िलए संसद क यािचकाएँ ततु क िजन यािचकाओ ं
पर तीस लाख ह ता र थे। अगले वष म संसद के सामने लाए गए हर मख ु मतािधकार िवधेयक क हार देखी गई। इसका
मु य कारण यह था िक उस समय के मख ु राजनेताओ ं म से कोई भी, िविलयम लैड टोन और बजािमन िडसरायली, रानी
िव टो रया के मिहलाओ ं के आंदोलन के िनमम िवरोध को अनदेखा नह कर पाए। हालाँिक, 1869 म, संसद ने मिहला
करदाताओ ं को नगरपािलका चनु ाव म वोट देने का अिधकार िदया, और बाद के वष म मिहलाएँ काउंटी और नगर प रषद
पर बैठने क पा बन गई।ं 1897 म िविभ न मतदानवादी समाज ने एक साथ आकर मिहलाओ ं के उ पीिडत समाज का एक
रा ीय सघं बनाया, इस कार आंदोलन म एकता और संगठन म भारी वृि हई। सरकारी कारवाई के अभाव म हताश,
मिहला मतािधकार आंदोलन का एक वग ए मेिलन पचं ह ट और उनक बेटी ि टाबेल के नेतृ व म अिधक उ वादी हो
गया। इन मिहला उ वािदय , या पीिड़त , जैसा िक वे वयं को मानते थे, को िगर तार कर िलया गया था, लेिकन उ ह ने जेल

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म भखू हड़ताल करके अपना िवरोध दशन जारी रखा। इस बीच, मिहला मतािधकार आंदोलन का सावजिनक समथन
मजबतू ी से बढ़ा। जब थम िव व यु शु हआ, तो मिहला मतािधकार संगठन ने यु के यास का समथन िकया, और
इस कारण भी मिहला मतािधकार आदं ोलन को जनता के समथन म अ यिधक वृि हई। मिहलाओ ं के उ थान क
आव यकता को, अतं तः टोरी और िव स दोन दल से संबंिधत संसद के अिधकांश सद य ारा मा यता ा हई।
प रणाम व प जून 1917 म हाउस ऑफ कॉम स ारा और फरवरी 1918 म हाउस ऑफ लॉड्स ारा पीपु स ए ट का
‘संशोधन’ पा रत िकया गया। इस अिधिनयम के तहत, 30 वष या अिधक आयु क सभी मिहलाएँ मतदान के अिधकार के
िलए पा थ । हाउस ऑफ कॉम स म मिहलाओ ं को बैठने क अनमु ित देने के िलए एक अिधिनयम शी ही अिधिनयिमत
िकया गया था। 1928 म, मिहला मतदाताओ ं को पु ष मतदाताओ ं के सामान रखते हए, मिहलाओ ं मतदान क आयु को भी
घटाकर 21 कर िदया गया।
सयं ु रा य अमे रका (यएू सए) म मिहला मतािधकार के िलए आदं ोलन 19व सदी क शु आत म गल ु ामी के िखलाफ
आदं ोलन के दौरान शु हआ था। लु ेिटया मॉट और एिलजाबेथ कै डी टटन जैसी मिहला नेताओ ं ने दासता िवरोधी
शि य का समथन िकया और सहमित य क िक मिहलाओ ं और दास के अिधकार के िलए लड़ने क ज रत है।
सेनेका फॉ स क वशन (19-20 जल ु ाई, 1848) म एक घोषणा-प पा रत िकया गया िजसम मिहला मतािधकार और
मिहलाओ ं को शैि क और रोजगार के अवसर के अिधकार क बात क गई थी। एिलजाबेथ कै डी टटन और ससु ान बी.
एथं ोनी ने िमलकर अमे रक मतािधकार आदं ोलन का नेतृ व िकया। पहले, िविभ न रा य के सिं वधान म सशं ोधन लाने क
रणनीित को अपनाया गया। वायोिमगं रा य ने मिहलाओ ं को 1869 म सभी चनु ाव म वोट देने का अिधकार िदया। लेिकन
ज द ही यह प हो गया िक सघं ीय सिं वधान म सश ं ोधन एक बेहतर उपाय होगा। उसी के िलए, टटन और एथं नी के नेतृ व
म ‘नेशनल वमु न सफ़रे ज एसोिसएशन’ का गठन 1869 म िकया गया, िजस का घोिषत उ े य संघीय संिवधान म सश ं ोधन
ारा मिहलाओ ं के मतदान का अिधकार हािसल करना था। 1869 म ही, एक अ य संगठन, ‘अमे रकन वमू न सफ़रे ज
एसोिसएशन’ क भी थापना क गई और लुसी टोन ने िविभ न रा य के संिवघान म सश ं ोधन करके मिहला वोिटंग
अिधकार को हािसल करने के उ े य से नेतृ व िकया। 1890 म, दोन सगं ठन ‘अमे रकन वमु न सफ़रे ज एसोिसएशन’ के नाम
से एकजटु हो गए और लगभग 30 वष तक एक साथ काम िकया। 1890 म जब योिमगं ने संघ म वेश िकया, तो यह
पहला सघं ीय रा य था, िजसके संिवधान ने मिहलाओ ं को मतदान का अिधकार िदया था। बाद म, थानीय से लेकर रा पित
चनु ाव तक सभी तर पर मिहलाओ ं के मतदान के अिधकार के िलए जोरदार अिभयान चलाए गए। अगले 25 वष म कई
अलग-अलग रा य ने आंदोलन क माँग को वीकार िकया और अपनी मिहलाओ ं को सश बनाया। 1918 तक
मिहलाओ ं ने 15 रा य म पु ष के साथ समान मतािधकार हािसल कर िलया था।
थम िव व यु म मिहलाओ ं के योगदान ने मिहलाओ ं के मतदान के अिधकार के िवरोध को कमजोर कर िदया। 1878 म
पेश िकए गए मिहला मतािधकार के संबंध म संघीय संिवधान म संशोधन को भारी िवरोध का सामना करना पड़ा था, लेिकन
1914 म शु िकया गया संशोधन अिधिनयम कां ेस और सीनेट म साधारण बहमत भी महािसल करने म िवफल रहे थे
(जबिक रा य िवधानसभाओ ं से अनसु मथन के िलए भेजने हेतु िकसी संिवधन सश ं ोधन का कां ेस म दो-ितहाई बहमत का
मत से पा रत आव यक होता है)। हालाँिक, 1918 तक, रपि लकन और डेमो े ट्स (दो मख ु राजनीितक दल) मिहला
मतािधकार के िलए ितब थे और जनवरी 1918 और जनू 1919 म, दोन सदन कां ेस और सीनेट म आव यक दो-
ितहाई मख ु ता से सश
ं ोधन पा रत कर िदए गए। तब रा य िवधानसभाओ ं के दो-ितहाई ारा सश ं ोधन के सरु ि त अनसु मथन
के िलए मजबतू अिभयान चलाए गए थे, और 18 अग त, 1920 को, टेनेसी सश ं ोधन को मजं रू ी देने वाला 36वाँ रा य बन
गया। 26 अग त, 1920 को, उ नीसव सश ं ोधन के सयं ु रा य अमे रका के सिं वधान का िह सा होने क घोषणा रा य-
सिचव ारा कर, सयं ु रा य म मिहलाओ ं को पु ष के साथ समान आधार पर मतािधकार लागू िकया गया था।

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2.2.4 उदारवादी नारीवाद से े रत मिहला आदं ोलन क सीमाएँ
उदारवादी नारीवाद से े रत मिहलाओ ं के आंदोलन, जैसे ेट ि टेन और संयु रा य अमे रका के मतािधकार, सामा य प
से मिहलाओ ं ारा सामना क गई असमानताओ ं के बड़े तर पर सवाल उठाने म िवफल रहे। वे गंभीर प से घर के अंदर
और बाहर दोन जगह काम के यौन िवभाजन से नह उलझ रहे थे। ये आंदोलन काफ हद तक सफे द मिहलाओ ं तक सीिमत
थे और इस तरह एिशया, अ का और लैिटन अमे रका क मिहलाओ ं क आवाज़ को बाहर रखा गया। िफर, इन आंदोलन
ने सावजिनक / िनजी धै वाद पर सवाल उठाए िबना मिहलाओ ं के राजनीितक अिधकार को लाने म रा य क एक तट थ
एजट के प म मता म िव वास िकया। वे रा य और अथ यव था के उदारवादी पँजू ीवादी वभाव के बारे म अनिभ रही
थी। उ ह ने शारी रक और मानिसक म के बीच थािपत पदानु म पर सवाल नह उठाए। मिहलाओ ं को हीन समझने का
परू ा तक इस धारणा पर आधा रत था िक वे के वल शारी रक म से जुड़ी ह। इसिलए, मिहलाओ ं क पु ष के समान नैितक
ाणी के प म वीकाय था, लेिकन समान तकसगं त ािणय के प म मिहलाओ ं के बारे म िनि तता नह थी। मल ू प से,
उदारवादी नारीवाद से े रत मिहलाओ ं के आदं ोलन यह समझने म िवफल रहे िक वतं ता का अथ के वल बाहरी बाधाओ ं
क अनपु ि थित नह है।
A. बहिवक पीय न
1. ेट ि टेन म मिहला मतािधकार आदं ोलन िकसने चलाया?
a) है रयट टेलर
b) एमिमलीन पखं रु ट
c) मैरी वो टन ा ट
d) बेटी डन
2. अमे रकन वमू ेन सफ़रे ज एसोिसएशन ारा थािपत िकया गया था–
a) एिलजाबेथ कै डी टटन
b) ससु ान बी. एंथोनी
c) वज िनया वू फ
d) लसु ी टोन
3. उदार नारीवाद म िव वास था–
a) सार यि वाद
b) जैिवक िनधारणवाद
c) ऐितहािसक भौितकवाद
d) रे स योरी
2.3 मा सवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.3.1 सगं
मा सवाद पँजू ीवादी यव था क िवनाशकारी आलोचना ततु करता है। मा सवाद पँजू ीवाद के नकारा मक भाव क
िति या थी। मा सवािदय के िलए वग क धारणा; मिहलाओ ं के उ पीड़न क घटना सिहत; सभी सामािजक घटनाओ ं को
समझने क कँु जी है। उनका आदश समाज, िजसम शोषण का कोई प नह होगा, एक वगहीन समाज है। मा सवाद श द,

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काल मा स से ा लेखन और िवचार से िलया गया है। लेिकन सवाल यह है िक मा स ने लंबी अविध म कई तरह क बात
िलखी ह, िजन म कुछ िवचार िवरोधाभासी ह और कुछ लेखन उ ह ने अपने ि य िम े ड रक एंगे स के साथ िमलकर
िकया है। एिलसन ज गर ने तक िदया िक मा सवादी िवचार का िव लेषण करते हए; हम मा स के बाद के िवचार को
अिधक मह व देना चािहए; य िक एक यि के िवचार समय के साथ प रप व होते ह।
तकसंगत यि (मानिसक मता) पर आधा रत अमतू यि क क ीयता पर मा स ारा सवाल उठाए गए ह। मा स के
िलए, मानव अिनवाय प से जैिवक जाित ह और उनक भौितक-अव था उसे अ य मनु य और गैर-मानव दिु नया पर
िनभर बनती है। मनु य वयं म आ मिनभर नह होते जो उ ह सामािजक बनाता है। मा स के अनसु ार, मनु य जानवर से
अलग ह य िक वे दिु नया को उपभोग और उसे बदलना जानते ह। क पना और भाषा क शि ने मानव को िवकास म म
वरीयता दी है। मनु य के िलए, म का उ े य प है और वे िपछले अनभु व से सीखते ह। मा सवाद को उदारवाद से अलग
करने वाला क ीय िवचार दिु नया को बदलने के िलए सजग-सचेत और उ े यपणू म पर जोर क ं ा मक पर परा है। ारंभ
म, उ े यपणू म को खाने, पीने, रहने और कपड़े जैसी बिु नयादी मानवीय ज रत को परू ा करने क िदशा म िनदिशत िकया
जाता है। लेिकन एक बार जब ये बिु नयादी ज रत परू ी हो जाती ह, तो यह नई ज रत को ज म देती है। यह एक ऐितहािसक
कृ य है, जब मनु य अपनी नई आव यकताओ ं क ओर अपने यास को प रवितत करता है। इस ि या म, दिु नया म
प रवतन होता है और िनमाता के प म मानव म भी प रवतन होते ह। इसिलए, जीव िव ान और समाज एक ं ा मक सबं धं
साझा करते ह िजसम येक आिं शक प से दसू रे को भािवत करता है। इसीिलए एगं े स ने इस त य पर जोर िदया िक हाथ
म के उ पादन और उ पाद दोन का अगं है। मा स के िलए, सामज, मानव क चेतना को िनधा रत करता है और इसिलए
उसके िलए उस क यि गत गितिविध क तल ु ना म सामािजक गितिविध अिधक मह वपणू है। मा सवाद इस त य पर जोर
देता है िक मानव वभाव एक ऐितहािसक उ पाद है लेिकन हमेशा उ पादन के तरीके से िनधा रत होता है। उ पादन क िवधा
के िवकास म, दो ाथिमक वग का िनमाण करता है, िजनका नाम है स (जो उ पादन क िविध के वामी ह) और नॉट्स (वे
ह, जो है स ( वामी) के िलए काम करते ह)। इस कार मा स ने मानववाद के इितहास को समझने के िलए ऐितहािसक
भौितकवाद को एक िविध के प म अपनाया। मा सवाद ने इस त य पर काश डाला िक यह है स (शासक वग) क
िवचारधारा है,जो िकसी समाज म सभी िवचार के उ पादन और िवतरण क अनमु ित देती है। यह वा तिवकता क झठू ी
चेतना उ प न करता है, जो िनि त और ाकृ ितक के प म अंितम तीत होती है। इस झठू ी चेतना के कारण है िक िमक
वग ांित से दरू रहता है और धीरे -धीरे वे अलगाव क ि थित म चले जाते ह जहाँ वे अपने म के उ पाद से, अपने म के
वातावरण से, साथी ािणय से और सबसे मह वपणू वयं से अलगाव क अनभु िू त करते है। मा स के अनसु ार, ि थित को
बदलने के िलए, बाजार के अ य हाथ को कई यमान और व-सचेत प से सहकारी मानव हाथ ारा ित थािपत
िकया जाना होगा। मा सवािदय के अनसु ार, रा य एक िन प स ा नह है, लेिकन शासक वग का ही ितिनिध है। इसिलए,
मजदरू वग का अंितम उ े य शासक वग और रा य दोन को समा करने के िलए ािं त लाने के िलए हाथ िमलाना होना
चािहए।
2.3.2 मा सवादी नारीवाद क िवशेषताएँ
एगं े स के िलए, िववाह मे पर आधा रत सं था होने के बजाय आिथक सरु ा ा करने के िलए एक सं था थी। एगं े स के
अनसु ार, शादी प नी क गल ु ामी का एक प है िजसम वह अपने शरीर और म को एक बार और एक ही आदमी को बेचती
है। प नी वयं और अपने ब च क आिथक सरु ा के नाम पर पित ारा क अ याय, यहाँ तक िक बेवफाई भी सहती है।
मा सवादी नारीवािदय ने प नी ारा प रवार म लगाए गए शारी रक म को मह व िदया है। वे सं ातं (अमीर) मिहलाओ ं
और सवहारा वग (कामकाजी वग) क मिहलाओ ं के बीच अंतर करते ह। उ ह ने तक िदया िक कामकाजी वग क मिहलाएँ,
जो कारखान म उ पादन के म बाजार म भी भाग लेती ह, एक अ यायी पित से दरू रहती ह और शादी करने के िलए पसदं
करती ह य िक वह आिथक सरु ा के िलए परू ी तरह से पित पर िनभर नह होती। िक तु मा सवादी नारीवादी घर के अंदर
और बाहर दोन ओर से जारी यौन-िहसं ा और कामकाजी वग क मिहलाओ ं के शोषण क या या करने म िवफल रहे ह।
एंगे स के िलए, समाजवाद के तहत, ब च क देखभाल और िश ा एक सावजिनक मामला होना चािहए। इन सेवाओ ं के

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िलए भगु तान नह िकया जाना चािहए, बि क यह सामिू हक उ म क प म ज रत के अनसु ार उपल ध होनी चािहए।
घरे लू िज मेदा रय से मु , मिहलाएँ सावजिनक दायरे म वेश कर सकती ह और शोषणकारी िववाह से बाहर िनकल सकती
ह। मा सवादी नारीवािदय के िलए, आदश िववाह िवषमलिगक जोड़े का था और समलिगक को बजु आ ु पतन के प म
देखा जाता था। यह शादी आपसी नेह और आिथक सरु ा पर आधा रत थी। पँजू ीवाद के तहत मिहलाएँ कम मजदरू ी के
िलए काम नह करगी य िक इससे िमक वग क सौदेबाजी क शि कम हो जाएगी और मिहलाएँ उ पादन के
शोषणकारी पँजू ीवादी तरीके को समा करने के िलए मजदरू वग के पु ष के साथ िमलकर लड़गी।
एले ज ा िमखाइलोवना को लोताई (1872-1952) सबसे िस मा सवादी नारीवािदय म से एक थ । वह लेिनन क
सरकार म एकमा मिहला थ और सी इितहास क सबसे िस मिहलाओ ं म से एक ह। वह 1917 क बो शेिवक ािं त
के प रणाम से सतं ु नह थ और जीवन भर उ ह ने सा यवाद के स चे आदश क थापना के िलए परू े जोश से सघं ष
िकया। उनका ढ़ िव वास था िक वा तिवक सामािजक, आिथक और राजनीितक प रवतन के वल यि गत और
पा रवा रक सबं धं म प रवतन के साथ आ सकते ह। उनका जीवन, यि गत और राजनीितक प से, िववादा पद था। वह
अिभजात वग म पैदा हई थी, लेिकन सा यवाद के क रपथं ी िवचार के भाव म जीवन को छोड़ िदया। मिहला सशि करण
के साथ उनका आजीवन सहयोग 1918 म अपने दसू रे पित पावेल डायबको और ब चे को छोड़ने के िनणय के साथ शु
हआ। को लोनताई ने 1922 म डायबको को िलखा– “म वह प नी नह हँ िजसक आपको ज रत है। म एक मिहला होने से
पहले एक यि हँ।” यह दो क यिु न ट के बीच िवषमलिगक िववाह म भी बल यौन िढ़य क सम या को सं पे म
बताता है। क यिु न ट मिहला, एक प नी, को अपने पु ष के िलए शांित और सरु ा पर अपनी ऊजा का एक बड़ा भाग खच
करना पड़ता है, जो उनक राजनीितक गितिविध के दायरे को गभं ीर प से सीिमत कर देता है। को लोनताई ने अपनी पु तक
‘द सोशल बेिसस ऑफ द वमू ने वे न’ म इस बात पर भी जोर िदया िक एक बजु आ ु मिहला और सवहारा मिहला के िहत,
अंतिनिहत पर पर िवरोधी िहत और पँजू ीवादी समाज के अनभु व के कारण, सहयोग म कभी नह बदल सकते।
2.3.3 मा सवादी नारीवािदय ारा े रत मिहलाओ ं का आदं ोलन : गृहकाय अिभयान के िलए अंतरा ीय
मजदूरी
द इटं रनेशनल वे स फॉर हाउसवक कपेन एक नारीवादी आंदोलन था जो इटली (1972) म गिठत इटं रनेशनल फे िमिन ट
कलेि टव से उभरा था। इस आंदोलन ने लिगक म और जनन म ारा उ प न सामािजक संरचनाओ ं पर ितरोध और
सावजिनक बहस का आयोजन िकया। उ ह ने घरे लू काम जैसे िक घर का काम, ब चे क देखभाल, लिगक भेदभाव का
सवाल उठाया। उ ह ने सामािजक वीकृ ितज य लिगक भिू मकाओ,ं लिगक आकां ाओ ं और अवकाश असमानता म बल
पु ष-प पात पर काश डाला। अिभयान के मचं ने मिहलाओ ं को घर के बाहर काम करने, बेरोजगारी लाभ, माता-िपता क
छु ी और वेतन म समानता के अिधकार को शािमल िकया। अिभयान पडुआ, इटली म शु हआ और इसका नेतृ व से मा
जे स, ि िगट गाि टयर, मा रयारोसा ड ला को टा और िसि वया फे डे रसी ने िकया। अिभयान का एक मख ु िस ातं यह
काश म लाना था िक जनन म औ ोिगक काय क न व है। यह पु ष कमचा रय के रखरखाव और देखभाल म
मह वपणू भिू मका िनभाता है। िफर भी एक िपतृस ा मक समाज म, जनन म को पया मजदरू ी के प म मा यता नह दी
जाती है। गृहकाय के िलए मजदरू ी क माँग ने मा सवादी ढाँच का उपयोग सामा य और कामकाजी वग क मिहलाओ ं के
िखलाफ शोषणकारी म थाओ ं पर पँजू ीवादी अथ यव थाओ ं क िनभरता के मा यम से िकया था। गृहकाय के िलए
मजदरू ी अिभयान, िवशेष प से माररोसा ड ला को टा ने िमक को उनके य िहत म काय करने के िलए ो सािहत
िकया और बेहतर प रि थितय क माँग के िलए कारखाने म हड़ताल करने को रत िकया है। हाउसवक मजदरू ी अिभयान ने
सामािजक कारखाने के िवचार को चिलत है, िजसम परू ा समाज ही एक कारखाने के काय के प म रहता है और कारखाने,
परू े समाज म अपने िवशेष वच व का िव तार करते ह।

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2.3.4 मा सवादी नारीवािदय क सीमाएँ
सवहारा पु ष और सवहारा मिहलाओ ं के िहत के बीच अप रहाय सहयोग को उजागर करने के मा सवादी नारीवािदय का
यास अ भावी सािबत हआ। यह समझने म िवफल रहा िक सवहारा पु ष समान प से िपतृस ा मक थे। वे ांित के
कारण मिहलाओ ं पर अपना िवशेषािधकार छोड़ने को तैयार नह थे। मा सवादी नारीवाद अ यिधक अथवाद से पीिड़त था,
जहाँ उ ह ने उ पादन के े के लोकतं ीकरण के बारे म अिधक बात क थी, लेिकन खरीद के े के लोकतं ीकरण के बारे
म नह । इसी तरह, रा य म चाइ डकै अर क िज मेदारी लेने क माँग बरु ी तरह से िवफल रही। त कालीन सोिवयत संघ क
भी समाजवादी ि थित इस िज़ मेदारी को नह उठा सक य िक माँग तो अतं हीन ह और रा य के पास इन चाइ डकै अर
सिु वधाओ ं को चलाने के िलए ससं ाधन नह ह। मा सवादी नारीवािदय के यास के बावजदू , आज भी म का यौन
िवभाजन जारी है। यहाँ तक िक नीली कॉलर वाली नौकरी ( िमक सेवाओ)ं , गल ु ाबी कॉलर वाली नौकरी (आिफस-जो स)
और सफे द कॉलर वाली नौकरी (अिधकारी पद ) के बीच मजदरू ी म भेद-भाव का िसलिसला जारी है। तेजी से भमू डं लीकृ त
पँजू ीवादी अथ यव था म, रा य क याण काय से पीछे हट गया है और मा सवादी नारीवािदय क माँग को परु ाना माना
जाता है।
B. बहिवक पीय न
1. एले ज ा को लोताई ारा िलिखत पु तक है–
a) मिहलाओ ं के अिधकार का िववेक
b) मिहला के न का सामािजक आधार
c) खदु का एक कमरा
d) दसू रा से स
2. हाउसवक के िलए मजदरू ी अिभयान शु आत हई
a) संयु रा य अमे रका
b) ांस
c) ेट ि टेन
d) इटली
2.4 क रपंथी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.4.1 सगं
1960 के उ राध म क रपंथी नारीवादी, उदारवादी और मा सवादी नारीवािदय दोन के िलए एक मह वपणू िति या के
प म उभरा। शु आत म, क रपंथी नारीवादी संयु रा य अमे रका और अ य औ ोिगक यरू ोपीय देश से संबंिधत सफे द,
म यम वग और कॉलेज-िशि त मिहलाओ ं तक सीिमत थे। ये मिहलाएँ पहले वामपंथी राजनीितक दल , शांित आधा रत
संगठन या िढ़वादी मिहला संगठन क सद य थ । समानता, शांित और याय के िलए लड़ने के दावे के बावजदू , ये संगठन
वयं गैर-लोकतांि क थे। अत: एक िवक प क तलाश के िलए यास शु हआ। क रपंथी नारीवािदय ने मिहलाओ ं के
उ पीड़न के णालीगत या मल ू कारण को उजागर करने और िमटाने के िलए खदु को ितब िकया। उ ह ने इस त य पर
जोर िदया िक मिहलाओ ं का उ पीड़न दिु नया म अ य सभी उ पीड़न का कारण था।

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2.4.2 क रपथ
ं ी नारीवािदय क िवशेषताएँ
क रपंथी नारीवािदय का ाथिमक तक था, िक पु ष िलंग िवशेषािधकार ने यव थागत उ पीड़न पैदा िकया। यौन उ पीड़न
और नौकरी के भेदभाव इस उ पीड़न के बाहरी भाव ह। आतं रक प म यह मिहलाओ ं ारा यौन-आनंद लेने म अिनणय
और अ मता म प रलि त होता है। के ट िमलेट जैसी उ नारीवािदय ने एक क र समाज क थापना का उ े य सामने
रखा, िजसम येक यि समाज ारा दी गई से स-भिू मकाओ ं को याग देगा और ी व और पु ष व क धारणाएँ बेमानी
हो जाएँगी। क रपंथी नारीवािदय ने तक िदया िक मिहलाओ ं क अधीनता बनाए रखने म, पु ष भौितक लाभ भी अनभु व
करते ह। क रपंथी नारीवािदय के िलए, जैिवक मख ु है। जैिवक िभ नता को सशि करण के च मे के मा यम से देखा जाता
है। वे मानते थे िक भाि नभाव शि शाली ह। मैरी जेन शेरफ ने तक िदया िक पु ष ारा मिहलाओ ं का उ पीड़न को
मिहलाओ ं के जैिवक प से िनधा रत उ च व च य यौन इ छा को दबाने के िलए िकया जाता है। ससु ान ाउनिमलर ने इस
त य पर काश डाला िक मानव शरीर रचना पु ष को मिहलाओ ं के साथ बला कार क सभं ावना दान करता है। इसिलए,
िलंग का उपयोग भय उ प न करने के िलए हिथयार के प म िकया जाता है। इससे सभी पु ष सभी मिहलाओ ं को भय क
ि थित म रखते ह। यहाँ उदार नारीवािदय क तरह, क रपथं ी नारीवािदय ने भी रा य को बला कार के िखलाफ काननू बनाने
और लागू करने म एक मह वपणू भिू मका िनभाने का ताव िदया। शिु लिमथ फायर टोन इस िवचार को सामने रखती ह िक
मानव जाित के इितहास को उ पादन के ि के मा यम से नह , बि क जनन क ि के मा यम से देखा जाना चािहए।
फायर टोन, िसगमडं ायड के िवचार को अजैवक य प देते हए बताते ह िक िलंग ई या एक शारी रक अगं से ई या नह है,
बि क पु ष क सामािजक शि से ई या है। फायर टोन का तक है िक जैिवक को उपयोग तािं क क मदद से बदला जा
सकता है जैसे गभ िनरोधक का उपयोग करके या टे ट-ट्यबू िशशओ ु ं के ारा। िलगं के बीच इस जननागं भेद से सां कृ ितक
प से कोई फक नह पड़ेगा। कुछ नारीवािदय को कृ ित पर िवजय पाने के साधन के प म फायर टोन के तांि क के
उपयोग के ताव पर संदहे था। न तो तांि क को एक िन प उपकरण के प म देखा गया था और न ही कृ ित पर िवजय
क संभावना से ही वह उ सािहत हई थी। क रपंथी नारीवािदय का मानना था िक पु ष अपनी जैिवक-रचना के कारण
आ ामक ह, अथात् टे टो टेरोन नामक हाम न क उपि थित। उ ह ने तक िदया िक इसका समाधान यह था िक मिहलाओ ं
को अपना समाज बनाना चािहए, जहाँ से पु ष को बाहर रखा जाए। क रपंथी नारीवािदय के िलए मातृ व भावपणू था।
उ ह ने मािसक धम को देवीय आशीवाद के प म देखा। वे नारी व का उ सव मनाने म िव वास करती थी। सैली िगयरहाट
जैसे क रपंथी नारीवािदय का मानना था िक भिव य मिहला का ही है। उ ह ने नारी गुण को े माना।
ांसीसी मिहलाओ ं का एक मजबतू समहू था जो क रपंथी नारीवादी थ । इस समहू म ि टीन डे फ , हेलेन िस सस, लूस
इ रगरे और मोिनक िविटग शािमल थे। इन मिहलाओ ं का मानना था िक जैिवक ,सामािजक प से िनिमत है। मोिनक िविटग
के िलए, एक िपतृस ा मक समाज म, सव एक थोपी गई अव था है। उसने कहा, “इस तरह से देखे जाने से पहले, उ ह
पहले इस तरह से बनाया जाना था।” इन क रपंथी नारीवािदय ने कामक ु ता को पु ष और मिहला के घेरे के बजाय एक
िनरंतरता के प म देखा था। वे ि -आधारी ेिणय के िवनाश म िव वास करते थे और एक यौन-रिहत समाज का िनमाण
करना चाहते थे। क रपंथी नारीवािदय ने ‘ यि गत ही राजनीितक है’ का आ ान िकया, िजसके दो मतलब थे, (ए) यौन
राजनीित का िवरोध करना और सावजिनक और िनजी दोन े म पु ष वच व का िवरोध करना और (बी) मिहलाओ ं के
अनभु व पर आधा रत राजनीित के एक नए व प क आव यकता है, जो भु व के िकसी भी प के सं थागतकरण के
िव हो। क रपथं ी नारीवािदय ने जबरन मातृ व, यौन दासता और मिहलाओ ं के शरीर के पु ष िनयं ण के िखलाफ
आवाज उठाई।
2.4.3 क रपथ ं ी नारीवािदय से े रत मिहलाओ ं के आदं ोलन : स दय मानक, यौन उ पीड़न और गभपात
1968 म क रपंथी नारीवािदय ने मिहलाओ ं के सामािजक मु म सबसे आगे “कामक ु स दय िवचार और सामािजक
अपे ाओ”ं को लाने के िलए िमस अमे रका ितयोिगता का िवरोध िकया। भले ही उस िदन कोई ा नह जलाई गई थी,
लेिकन इस िवरोध को ‘ ा-बनर’ के नाम से जाना जाता है। क रपंथी नारीवािदय ने अपनी ा को डम ैश कै न ‘म फक

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िदया, लेिकन उ ह ने इसे आग नह लगाई। 1970 म, लेडीज होम जनल म एक सौ से अिधक क रपंथी नारीवािदय ने यारह
घंटे तक धरना िदया। इन मिहलाओ ं ने माँग क िक पु ष संपादक को हटा िदया जाए और उनक जगह एक मिहला सपं ादक
को ले िलया जाए। लेडीज़ होम जनल ने भोजन, प रवार, फै शन और ी व पर जोर देते हए पँजू ीवादी-िपतृस ा मक ि के
मा यम से मिहलाओ ं के उ पीड़न को बनाए रखने म मह वपणू भिू मका िनभाई। संदु रता के पु ष मानक के िवरोध के
अलावा, क रपंथी नारीवािदय ने कई तरह के रणनीित- दशन का योग कर बला कार और यौन उ पीड़न जैसे अ य प
और िवषय के बारे म चचा चलाई। दो त और सह-किमय के बीच, सड़क के कोन पर, सपु रमाकट और मिहलाओ ं के
कमरे म अथक दशन के मा यम से, इन क रपंथी नारीवािदय ने मिहलाओ ं के मु पर जनता का यान बहत अिधक
आकिषत िकया। 6 जून, 1971 को टन (पि का) के शीषक म 28 जमन अिभनेि य और प कार ने “वी हैड ए अबॉशन”
पर बात कर गभपात ितबंध के िखलाफ एक अिभयान शु िकया। बाद म 1974 म, प कार एिलस वाजर ने 329 डॉ टर
को सावजिनक प से गभपात कराने के िलए मनाने के िलए राजी िकया। जमनी, ांस और नीदरलड म क रपंथी
नारीवािदय ारा बंिधत मिहला क ने गभपात परामश िकया, गभपात लीिनक क एक सचू ी तैयार क , उनका दौरा
िकया और इन गभपात लीिनक के िलए बस या ाएँ आयोिजत क । इन देश क पिु लस ने इन कारवाइय को अवैध माना
लेिकन बाद म उ ह अनमु ित दे दी। इस कार, मिहलाओ ं ारा धीरे-धीरे गभपात के अिधकार ने रा य क वैधता और
सामािजक वीकृ ित ा क ।
2.4.4 क रपंथी नारीवाद क सीमाएँ
जैसा िक पहले उ लेख िकया गया है, क रपंथी नारीवािदय के पास संयु रा य अमे रका और औ ोिगक यरू ोप से सफे द,
िशि त, म यम वग क मिहलाओ ं का बहत सीिमत आधार था। इसिलए, क रपंथी नारीवािदय के िस ांत और यवहार क
सीिमत अपील थी। इसी वजह से क रपंथी नारीवािदय पर जाितवादी और वगवादी होने का आरोप लगाया जाता है।
क रपंथी नारीवािदय क एक और सम या यह थी िक वे िस ांत पर नह बि क अ यास पर यादा जोर देते थे। यह तक
िदया जाता है िक आगे बढने के िलए िस ातं का अपना मह व है िक पु ष िकस तरह से यवहार करते ह। पु ष भु व को
समा करने के िलए, िविवध अनभु व के गहन िव लेषण क आव यकता है और क रपंथी नारीवादी ऐसा करने म िवफल
रहे। क रपंथी नारीवािदय क आलोचना मिहलाओ ं क पसंद पर जोर देने के िलए क जाती है। एक िपतृस ा मक समाज म,
मिहला िकस सीमा तक सचू ना आधा रत वतं िनणय ले सकती है, यह संिद ध है। उदाहरण के िलए, एक अिववािहत- ी
ारा गभपात िकया जा सकता है, य िक िपतृस ा मक समाज ारा गभाव था और मातृ व के वल एक िवषमलिगक िववाह
के भीतर िनधा रत है। इस ि थित म, यह दावा करना मिु कल है िक यह िनणय िकसक पसंद है। क रपंथी नारीवािदय के
िखलाफ सबसे बड़ी आलोचना अलगाववाद, िवशेष प से मिहलाओ ं के िलए अलग दिु नया के िलए उनका चार है।
आलोचक का तक है िक एक वा तिवक िपतृस ा मक दिु नया म पु ष और मिहलाएँ सह-अि त व म ह। िपतृस ा के बोझ
और लाभ का अनभु व पु ष और मिहलाओ ं दोन ारा समहू के भीतर और बाहर अलग-अलग तरीके से िकया जाता है।
ऐसे पु ष ह जो िपतृस ा म पीिड़त ह और ऐसी मिहलाएँ ह जो िपतृस ा के तहत िवशेषािधकार का आनंद लेती ह। इसिलए
िपतृस ा को समा करने के िलए मिहलाओ ं और पु ष का पणू अलगाव न तो सभं व है और न ही उिचत।
C. बहिवक पीय न
1. ि टीन डे फ , हेलेन िस सस, लूसी इ रगरे और मोिनक िविटग से सबं ंिधत ह–
a) संयु रा य अमे रका
b) जमनी
c) ांस
d) नीदरलड

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2. िकस पि का म एक िवशेष मु ा था ‘हमने गभपात करवाया था!'
a) वोग
b) बेला
c) नई
d) टन
3. क रपंथी नारीवािदय म िव वास था–
a) सार यि वाद
b) जैिवक िनधारणवाद
c) ऐितहािसक भौितकवाद
d) रे स योरी
2.5 समाजवादी नारीवाद और मिहलाओ ं के आदं ोलन
2.5.1 सगं
समाजवादी नारीवाद, क रपंथी नारीवाद और मा सवादी नारीवाद दोन के अतं राल को भरने के िलए, एक िति या के प
म उभरा। नारीवाद के िकसी भी अ य कूल क तरह, समाजवादी नारीवाद म भी आंत रक िभ नताओ ं और बहस का अपना
िह सा रहा है। समाजवादी नारीवािदय ने क रपंथी नारीवािदय के साथ सहमित य क िक िकसी भी समाज म क ीय
उ पीड़न मिहलाओ ं के उ पीड़न पर आधा रत है और मिहलाओ ं के उ पीड़न के िखलाफ लड़ने के िलए मिहलाओ ं ारा
अलग राजनीितक सगं ठन क आव यकता है। मा सवादी नारीवािदय के साथ समाजवादी नारीवािदय का एक साझा समझ
है िक उ पादन का तरीका समाज म सामािजक समीकरण को िनधा रत करता है। हालाँिक, समाजवादी नारीवािदय ने
साम ी के उ पादन और जनन दोन को शािमल कर के उ पादन के अथ का िव तार िकया। इसिलए मिहलाओ ं के उ पीड़न
को समझने के िलए, समाजवादी नारीवादी जैिवक के बजाय ऐितहािसक पथ को पसंद करते ह। हालाँिक, समाजवादी
नारीवािदय ने मा सवादी नारीवािदय और क रपंथी नारीवािदय दोन के पार-ऐितहािसक तक को चनु ौती दी। उनका मानना
था िक मानव जैिवक और पयावरण के बीच बातचीत को प रभािषत करने म बदलते संदभ मह वपणू ह। उदाहरण के िलए,
कफट कूल के िव हेम रीच ने इस त य पर काश डाला िक यौन दमनकारी जमन प रवार ने स ावादी च र संरचना का
िनमाण िकया, िजसने नाजीवाद को आसानी से वीकार कर िलया।
2.5.2 समाजवादी नारीवाद क िवशेषताएँ
क रपंथी नारीवािदय क तरह, समाजवादी नारीवािदय का मानना था िक यौन गितिविध, ब चे पैदा करने और ब चे के
पालन-पोषण क थाएँ शि सबं धं म अंतिनिहत ह और इसिलए राजनीितक ह। िज लाह आइज़न टीन ने इस त य पर
काश डाला िक मातृ व एक सामािजक या या है। चँिू क शादी के भीतर मातृ व वैध है, जबिक शादी के बाहर मातृ व
नाजायज है। एक ही जैिवक ि या का मू यांकन, िवषमलिगक िववाह पर आधा रत िपतृस ा मक समाज ारा अलग-
अलग िकया जाता है। इसी तरह, एन फोरमैन इस त य पर काश डालती ह िक समलिगकता एक हािलया िवकास है, जो
शहरी समाज म मिहलाओ ं क आिथक वतं ता क सभं ावना को मान कर कर िवकिसत हई है। समाजवादी नारीवादी
मिहलाओ ं को उ पादन के एजट के प म वीकार करते ह और के वल, मिहलाओ ं को पु ष को शािमल करके राजनीितक
िव लेषण को वैध बना सकते ह। समाजवादी नारीवािदय का तक है िक पदानु िमत और आव यक यौन िवभाजन ही
जनन और भौितक उ पादन दोन को आकार देता है चँिू क यह िवभाजन सामािजक िनमाण का एक उ पाद है, इसिलए इसे
बदला जा सकता है। रोजािलंड पेटचे क ने इस त य पर जोर िदया िक सावजिनक और िनजी े को प रभािषत करने वाले

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उ पादन और जनन के बीच का अंतर अ ासिं गक है य िक राजनीित दोन े को भािवत करती है। जोन के ली ने यह
भी बताया िक सामािजक, आिथक, यौन और पा रवा रक संरचनाओ ं के बीच एक यवि थत अतं सबंध है। इस कार,
समाजवादी नारीवािदय के िलए राजनीित और अथ यव था ‘एक साथ मायने रखती है’ (राजनीित के िबना अथशा
अथहीन है और अथ यव था के िबना राजनीित अधरू ी है)। समाजवादी नारीवादी काल मा स ारा अलगाव क अवधारणा
को सम या त मानते ह। िलंडा फे स और स ा बाटक के अनसु ार, मिहलाएँ और पु ष के अलगाव के अनभु व म
िभ नता है। जबरद ती िवषमलिगक के कारण मिहलाओ ं एक यौन ाणी के प म अलगाव का अनभु व करती है। मिहलाओ ं
के िलए आिथक सरु ा क गारंटी शादी म यौन-कामना क िब से ही आती है। प रणाम व प, प नी व और मातृ व
सहमित पर आधा रत नह है। इस ि थित म मिहलाएँ अपने ब च , अपनी कामक ु ता, अ य मिहलाओ ं और वयं से भी
अलगाव का अनभु व करती ह। वै ािनक पालन और एकल मातृ व प रवार ने माताओ ं म अलगाव क भावना को बड़ा िदया
है। नारी व ही म अलगाव क भावना का वास है। समाजवादी नारीवािदय के िलए वग और िलगं दोन का उ मल ू न
मह वपणू है। इसके िलए मिहलाओ ं क जनन वतं ता (ब चे के जनन और ब चे के पालन-पोषण) म वृि होनी चािहए।
सामािजक प रि थितय म प रवतन होना चािहए तािक मिहलाएँ वतं और सिू चत िवक प चनु सक। िशशु देखभाल और
पालन-पोषण म पु ष क समान भागीदारी को बढ़ावा िदया जाए तािक यवहार म बदलाव अचेतन तर पर हो। समाजवादी
नारीवािदय नौकरी के े म िलगं -आधा रत भेद-भाव क समाि पर भी जोर िदया। मिहलाओ ं क आिथक सरु ा और
आ म-स मान म वृि तभी सभं व है जब एक तरफ वेतन सिहत और सरु ि त मातृ व अवकाश (पि य सिहत) क यव था
हो और दसू री ओर सावजिनक प से िव पोिषत समदु ाय सचं ािलत बाल-पालन पोषण क सिु वधाओ ं क थापना हो।
समाजवादी नारीवादी मजदरू ी के एक नया प को थािपत करना चाहती थी जो मिहलाओ ं के िलए ‘गैर- यावािसकृ त’ ‘और
‘सवहाराकृ त’ काय के अवसर दान करता हो। समाजवादी नारीवादीय ने पँजू ीवादी िपतृस ा को समा करने के िलए
के वल मिहलाओ ं और सहयोगी (पु ष और मिहला सिहत) राजनीितक सगं ठन के सह-अि त व क आव यकता पर जोर
िदया। समाजवादी नारीवािदय ने इस त य पर काश डाला िक कै से सवहारा वग को पु ष भी िपतृस ा पोिषत कर सकते ह
और इसिलए मिहलाओ ं को अपने िहत और ज रत को आगे बढ़ाने के िलए िविभ न सगं ठन क आव यकता है।
2.5.3 समाजवादी नारीवाद से े रत मिहला आदं ोलन: िशकागो मिहला मिु सघं
िशकागो मिहला मिु सघं , िजसे CWLU भी कहा जाता है, को 1969 म इिलनोइस के पालाटाइन म एक सं थापक
स मेलन के बाद थािपत िकया गया था। नाओमी वेइ टीन, िविवयन रोथ टीन, हीथर बथू और थ सजल इसके सं थापक
सद य म से थे। सगं ठन का मु य उ े य लिगक असमानता और िलंगवाद को समा करना था। CWLU ने स ाधा रय के
लाभ के िलए मिहलाओ ं के यवि थत शोषण के िखलाफ लड़ाई लड़ी। सगं ठन का उ े य व य कहता है िक समाज म
मिहलाओ ं क ि थित को बदलना आसान नह है। इसके िलए अपे ाओ,ं नौक रय के अवसर, ब च क देखभाल और
िश ा म बदलाव क आव यकता है। यह शि के िवतरण को बदलने जा रहा है िजसम सभी लोग शि साझा करगे और
हमारे जीवन को भािवत करने वाले फै सल म साझा करगे। CWLU ने लगभग एक दशक का समय सेि स म और वग
उ पीड़न दोन के िखलाफ आवाज बल ु ंद करने म िबताया। समहू ने 1972 म “सोशिल ट फे िमिन म : ए ेटेजी फॉर द वमू ेन
मवू मट” नामक एक पिु तका कािशत क । रा ीय प से िवत रत, काशन को समाजवादी नारीवाद श द का उपयोग करने
वाला पहला द तावेज माना जाता है। CWLU को िविभ न काय समहू और चचा समहू क एक िव तृत ख ंृ ला को एक
साथ लाने के िलए सगं ठन के प म आयोिजत िकया गया था। सगं ठना मक नीित और रणनीित पर िनणय लेने के िलए
येक काय समहू का एक ितिनिध सचं ालन सिमित क मािसक बैठक म जाता था। उ ह ने मिहलाओ ं के वा य, जनन
अिधकार, िश ा, आिथक अिधकार, िसनेमा, मीिडया और सगं ीत, खेल और समलिगक मिु जैसे मु क एक िव तृत

ंृ ला को सबं ोिधत िकया।

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2.5.4 समाजवादी नारीवाद क सीमाएँ
समाजवादी नारीवािदय का उ े य श त है। यह मिहलाओ ं क अधीनता को समा करने के िलए जनन और साम ी
उ पादन दोन को बदलना चाहता है। हालाँिक, जनन का लोकतं ीकरण करना आसान काम नह है। यिद थािपत िकया
जाता है, तो जनन का लोकतांि करण मिहलाओ ं के अपने शरीर के अिधकार का उ लंघन कर सकता है। उदाहरण के िलए,
जब पालन-पोषण गितिविध सामिू हक प से क जाती है, तो यह मिहलाओ ं को अिधक सतं ान के िलए मजबरू कर सकती
है य िक अ य पालन-पोषण के बोझ को साझा करने के िलए अ य भी रहगे। समाजवादी नारीवािदय ने िवक ीकृ त,
भागीदारी और लोकतांि क सगं ठन का आ ान िकया। हालाँिक, ऐसे सगं ठन का कामकाज सम या त हो सकता है।
यादातर बहत कम लोग बैठक म शािमल होते ह। इसके दो भाव हो सकते ह। पहला, सभी िनणय के वल इन सीिमत लोग
ारा िलए जा सकते ह और लोकतांि क िनणय के नाम पर बड़े समहू पर थोपे जा सकते ह। दसू रे , यह छोटा समूह
िज़ मेदा रय के बोझ तले आ सकता है य िक अ य सि य नह ह। समाजवादी नारीवािदय के यि गत और सावजिनक
िवलय के अ य सझु ाव क अपनी सम याएँ ह। यह कै से करना है, और यह अतं हीन प रवतन का एक मकड़जाल म
प रवितत हो सकता है। समाजवादी नारीवािदय क ब च को लोकताि क अिधकार म कोई िच नह है।
D. बहिवक पीय न
1. िलंडा फे स और स ा बाटक ने इस बारे म बात क –
a) ऐितहािसक भौितकवाद
b) जैिवक िनधारणवाद
c) मिहलाओ ं के बीच अलगाव
d) िवचारधारा
2. समाजवादी नारीवािदय का क ीय उ े य____ समा करना है–
a) वग भेदभाव
b) िलंग भेदभाव
c) वग और िलंग भेदभाव
d) यि गत भेदभाव
3. जनन के लोकतं ीकरण का मतलब है–
a) सह-पालन
b) सावजिनक िव पोिषत पालन-पोषण सिु वधाएँ
c) मातृ व अवकाश का लाभ
d) उपरो सभी
2.6 वैकि पक नारीवादी कूल और मिहलाओ ं के आदं ोलन
उपयु सभी नारीवादी कूल और उनके ारा े रत मिहला आदं ोलन –उदारवादी, मा सवादी, क रपंथी और समाजवादी–
मेगा कथाएँ थ िजनम सयं ु रा य अमे रका और यरू ोपीय देश के अनभु व को िस ातं बनाने पर जोर िदया गया था और
उ ह मिहलाओ ं के सावभौिमक अनभु व के प म पेश िकया गया था। हालाँिक, वैकि पक नारीवादी कूल और मिहलाओ ं
के आदं ोलन ने वैि क राजनीित को िचि त िकया है। इस खडं म हम सं पे म नारीवाद के िन निलिखत व प पर चचा

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करगे– उ र औपिनवेिशक नारीवादी, उ र आधिु नकतावादी नारीवादी, पा रि थितक य नारीवादी, अ वेत नारीवादी और
दिलत नारीवादी।
उ र औपिनवेिशक नारीवाद
सयं ु रा य अमे रका और यरू ोप ि थत ि कोण म, ‘पवू क मिहलाओ ं को अ सर िपछड़े’ धािमक और िपतृस ा मक
सरं चनाओ ं के िशकार के प म देखा जाता है, जो अपने शोषण क गभं ीरता के बारे म असहाय और अनजान ह। ‘पवू क
मिहलाओ’ं को उदार यरू ो-अमे रक सं कृ ितय से गले लगाकर समानता, अिधकार और धमिनरपे ता क किथत स य
ताकत क स त ज रत है। उ र औपिनवेिशक नारीवाद उपिनवेशवाद, सा ा यवाद और यरू ो-अमे रक नारीवादी कूल
क िति या के प म उ प न हआ िजसका मानना था िक यरू ो-अमे रक मू य को अ य सं कृ ितय पर सा ा यवादी प
से लागू िकया गया था। िस ाि तक प से यह यरू ो-अमे रक नारीवािदय क उस वृि का िवरोध करता है जो अपने वयं
के जीवन म उ पीड़न के प को सावभौिमक मानते ह जोिक िविभ न रा ीय, जातीय और धािमक पृ भिू म क मिहलाओ ं
के अनभु व को नकारता है। उ र औपिनवेिशक नारीवाद म इस बात पर काश डाला गया है िक समानता का अथ िविभ न
मिहलाओ ं के िलए अलग हो सकता है। उ र औपिनवेिशक नारीवाद सावभौिमक उ पीड़न के िवचार से इनकार करता है।
यिद संयु रा य अमे रका और यरू ोप म मिहलाओ ं के आंदोलन म वेतन म िलंग आधा रत अंतर, अवैतिनक घरे लू म या
अ लील सािह य के अमानवीय पहलुओ ं पर यान िदया जाता है, तो ये उ पीड़न और उस के ितरोध के प, संयु रा य
अमे रका और यरू ोप से बाहर क मिहलाओ ं के िलए आव यक नह है। इसिलए, उ र औपिनवेिशक नारीवाद मिहलाओ ं के
अनभु व क खोज म िवशेष ऐितहािसक संदभ के मह व पर जोर देता है। इस तरह, उ र औपिनवेिशक नारीवाद, नारीवादी
िवचारधारा क एक वत शाखा है। उ र औपिनवेिशक नारीवाद इस त य को इिं गत करता है िक एक अनभु व के प म
उपिनवेशवाद एक समाज म सभी स ा संरचनाओ ं को बदल देता है इसिलए उपिनवेशवािदय के ि कोण उ र-आधिु नक
समाज क वा तिवकताओ ं को सफलतापवू क नह पकड़ सकता है। उ र औपिनवेिशक नारीवाद ‘ वेत उ ारकता के
िवचार” समालोचना दान करता है। यह िवचार पवू के उपिनवेशकरण के िलए ऐितहािसक तक को सही ठहराने म खतरनाक
भिू मका िनभाता है, अथात,् बबर या देशी भाषाओ ं को िशि त करना। उ र औपिनवेिशक नारीवािदय का मानना है िक
नारीवाद को बहरी ान के बजाय थानीय ान से उभरना चािहए। ‘सफे द उ ारकता के िवचार’ का उपयोग सयं ु रा य
अमे रका और यरू ोप ारा पवू म े पर हमला करने और क जा करने के िलए िकया जाता है। यूएसए और यरू ोप के बाहर
मिहलाओ ं के उ पीड़न के एक सनसनीखेज तीक के प म अ सर इ तेमाल िकया जाने वाली एक था ‘घघंू ट” है। सऊदी
अरब और ईरान म मिहलाओ ं क अिनवाय नसबंदी के िपतृस ा मक िनिहताथ के बारे म बारीक समझ क आव यकता है।
िहजाब को वाभािवक प से दमनकारी या समानता के साथ असगं त प से देखना सम याकारक है। उदाहरण के िलए,
इ लािमक नारीवािदय ने समानता के िलए यास िकए ह,और िहजाब को भी िवनय को सश और ई वर के करीब महससू
करने के तरीके के प म शािमल रखा है। बहरा ीय कंपनी नाइक ारा वष 2017 म खेल के िलए िहजाब का शभु ारंभ एक
उदाहरण है िक कै से ‘ व’ क बहवचन समझ को नव-उदारवादी अथ यव था ारा वीकार िकया जा रहा है। उ र
औपिनवेिशक नारीवाद िविभ न, जैिवक नारीवाद क मता को गले लगाता है जो अपनी सम ता म िलंगवाद, न लवाद,
पँजू ीवाद और सा ा यवाद के भाव को समा करने के िलए यासरत ह। यह हम याद िदलाता है िक “नारी व” क
एकजुटता ‘िव व- भागािन व’ क भावना म कम है, य िक इस एकजुटता म वैि क अनभु व क बहलता के बारे म
जाग कता का अभाव है।
उ र आधिु नकतावादी नारीवाद
उ र आधिु नक नारीवाद का ल य समाज म िनिहत िपतृस ा मक मानदंड को बािधत करना है, िजसने लिगक असमानता
को ज म िदया है। उ र-आधिु नक नारीवाद इस ल य को हािसल करने क कोिशश करते ह तािक मिहलाओ ं के बीच मौजदू
मतभेद को गले लगाने के प म आव यकता, दशन और सावभौिमक स य को खा रज कर िदया जा सके िक यह दिशत
करने के िलए िक सभी मिहलाएँ समान नह ह। सावभौिमक िवचारधाराओ ं को उ र आधिु नकतावादी नारीवािदय ारा

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खा रज कर िदया जाता है य िक उनका मानना है िक अगर समाज क सभी मिहलाओ ं पर एक सावभौिमक स चाई लागू
होती है, तो यह यि गत अनभु व को कम करता है। उ र आधिु नकतावादी मिहलाओ ं को समाज म आदश के प म
दिशत िवचार से अवगत होने के िलए चेतावनी देते ह य िक यह मदाना धारणाओ ं से उपजी हो सकती है िक मिहलाओ ं
को कै से ततु िकया जाना चािहए। उ र आधिु नकतावादी समालोचना मक लिगक समानता म तीका मकता का िवरो
करते ह, संवाद क बहलता को ो सािहत करते ह, ंथ क िववेचना ह और यि वाद को बढ़ावा देते ह। उ र-
आधिु नकतावादी नारीवािदय को समाज म तै वाद क ओर यान आकिषत करने और यह िदखाने के िलए मा यता ा है
िक भाषा कै से लिगक अंतर को भािवत करती है। नारीवाद क अ य शाखाओ ं से उ र-आधिु नक नारीवाद का मख ु अतं र
यह तक है िक से स िवशु प से जैिवक नह है और से स का िनमाण भाषा के मा यम से ही िकया जाता है। यिू डथ
बटलर ने अपनी पु तक जडर बल (1990) म िपछले नारीवाद ारा (जैिवक) से स और (सामािजक प से िनिमत) िलंग
के बीच के अतं र क िनंदा क है। वह सवाल करती ह िक हम यह य मानते ह िक भौितक चीज, जैसे शरीर, वयं
सामािजक िनमाण क ि याओ ं के अधीन नह ह। बटलर का तक है िक यह आव यकता क पया आलोचना क
अनमु ित नह देता है। जिू डथ बटलर बताते ह िक से स सामािजक प से िनिमत होता है और िविभ न संदभ म इसका
िनमाण अलग तरह से िकया जाता है। उसके तक का अथ है िक मिहलाओ ं क अधीनता का एक भी कारण या एकल
समाधान नह है। दिु नया के िविभ न िह स म समलिगक, उभयिलंगी, ांससे सअ ु ल, ांसजडर, वीर, इटं रसे स,
एसे सअु ल और अ य (LGBTQIA +) समदु ाय के सामािजक आदं ोलन ने उ र आधिु नक मिहलाओ ं के तक का समथन
िकया है िक से स ाकृ ितक और जैिवक नह है लेिकन सामािजक प से िनिमत है और इसिलए अि त व म वाहमान है।
उ र-आधिु नकतावादी के िखलाफ मख ु आलोचना यह है िक बहवचन वाताओ ं और सदं भ का बहत अिधक एक करण
मिहलाओ ं के एक करण को असभं व बना देगा।
पा रि थितक य नारीवाद
1970 के दशक म, परमाण-ु सार िवरोधी आंदोलन के उदय और हरी राजनीितक सि यता क शु आत के साथ-साथ,
पा रि थितकतावाद क अवधारणा ने मिहलाओ ं के शोषण और सशि करण क कमी के िलए पयावरणीय ित को समान
माना। पा रि थितकवादी नारीवाद और ह रत आदं ोलन के त व को एक साथ लाता है, जबिक एक ही समय म दोन को
चनु ौती देता है। मख
ु पा रि थितक य-नारीवािदय म मा रया िमज़ और वंदना िशवा ह। पा रि थितक य-नारीवाद उतना
आसान नह है, िजतना िक पा रि थितक य मु के िलए लड़ने के िलए बाहर जाने वाली मिहलाएँ ह। पा रि थितकतावाद का
एक प इसे बहत शाि दक प से लेता है, यह कहते हए िक मिहलाओ ं को ाकृ ितक के समान माना जाता है। ससं ाधन : के
प म कुछ िलया, लूट या इ तेमाल िकया। क रपंथी पा रि थितकवाद के म ने जर, समान िपतृस ा मक शि य ारा
मिहलाओ ं और पयावरण का उसी तरह से शोषण िकया जाता है। यहाँ िवकास को मिहलाओ ं और वन जैसी अराजक चीज
से ऑडर बनाने और मू य ा करने के प म देखा जाता है। सां कृ ितक पा रि थितकवाद कृ ित और मिहलाओ ं के बीच
क कड़ी को सश बनाता है, हमारे िलगं क क पना करता है जो मािसक धम और सव जैसी चीज के मा यम से
पयावरण और ाकृ ितक ि याओ ं से िविश प से जुड़ा हआ है। यह प र े य बताता है िक जब पयावरण के नक ु सान क
वा तिवक ित को महससू करने और इसके बारे म कुछ करने क बात आती है, तो मिहलाओ ं को कारवाई करने के िलए
बेहतर माना जाता है। सै ािं तक बहस से परे , बहत पा रि थितकवाद बहत वा तिवक अतं ःि याओ ं क ओर इशारा करता है
जो मिहलाओ,ं िवशेष प से िवकासशील देश म, पयावरण रण के साथ होती ह और कै से उनक बेरोजगारी गभं ीर
पा रि थितक सम याओ ं से सबं िं धत है। उदाहरण के िलए, मिहलाएँ अ सर भोजन और पानी के िलए इक ा होती ह, अथात्
मिहलाएँ अपने घर के िलए ाकृ ितक ससं ाधन क बधं क होती ह, िजसका अथ है िक मिहलाओ ं का जीवन व थ, समृ
प र य के साथ भीतर से जड़ु ा हआ है। ाकृ ितक ससं ाधन बधं क के प म उनक मता म मिहलाओ ं को पयावरणीय
ित को समा करने म मदद करने के बारे म अनठू ी धारणा हो सकती है, लेिकन अगर उनक आवाज़ को शातं िकया जाता
है, तो वे मदद नह कर सकते। िचपको आदं ोलन और नमदा बचाओ आदं ोलन म मिहलाओ ं को िजस तरह से लामबदं िकया
गया, वह मिहलाओ ं क कृ ित के करीब और सवं ेदनशील होने क मता म सहज िव वास को दशाता है। इसं ान और

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कृ ित म एक जिटल र ता है। रा य के साथ मिहलाओ ं के संबंध को सरल और आव यक बनाने के िलए पयवान य-
नारीवािदय क आलोचना क जाती है।
अ वेत नारीवाद
आधिु नक मिहलाओ ं के मिु आदं ोलन के उदय के वष पहले, अ वेत मिहलाएँ सफे द न लवादी पु ष के हाथ उनके
यवि थत बला कार के िखलाफ एकजटु हो रही थ । सयं ु रा य अमे रका म ऐितहािसक प से अ वेत मिहलाओ ं के
उ पीड़न के एक चौराहे पर, न लवादी यौन हमल के ित अ वेत मिहलाओ ं क र ा के िलए रोजा पा स क तरह मिहला
नाग रक अिधकार कायकता एक मख ु र जमीनी आदं ोलन का िह सा थे। बाद म िक बरले शव का तक है िक अ वेत
मिहलाओ ं के साथ उन तरीक से भेदभाव िकया जाता है जो अ सर न लवाद या िलगं वाद के काननू ी वग करण के भीतर बड़े
करीने से िफट नह होते ह, लेिकन न लवाद और िलंगवाद दोन के सयं ोजन प ह। िफर भी काननू ी णाली ने आमतौर पर
यौनवाद को प रभािषत िकया है, जो सफे द, मिहलाओ ं सिहत सभी को िमले अ याय के सदं भ के आधार पर है, जबिक
न लवाद को प रभािषत करने के िलए सभी का सामना करना पड़ता है, िजसम पु ष, अ वेत और रंग के अ य लोग शािमल
ह। यह ढाँचा अ सर अ वेत मिहलाओ ं को काननू ी प से अ य और काननू ी सहारे के िबना छोड़ देता है। शॉ ने कई
रोजगार भेदभाव-आधा रत मक ु दम का वणन यह बताने के िलए िकया है िक कै से काली मिहलाओ ं क िशकायत अ सर
अनसनु ी हो जाती ह य िक उनके साथ मिहलाओ ं और अ वेत के प म भेदभाव िकया जाता है। एक ऐसे मामले म
स ा ढ़, डे फ़े ेइद बनाम जनरल मोटस, 1976 म पाँच अ वेत मिहलाओ ं ारा दायर, इस िबंदु को प प से सािबत
करता है। जनरल मोटस कॉप रे शन ने 1964 से पहले अपने कायबल के िलए एक अ वेत मिहला को कभी िनयु नह िकया
था–िजस वष नाग रक अिधकार अिधिनयम कां ेस के मा यम से पा रत हआ था। 1970 के बाद िनयु सभी अ वेत
मिहलाओ ं ने अपनी नौकरी को बहत तेज़ी से खो िदया, हालाँिक 1973-75 क मंदी के दौरान बड़े पैमाने पर छंटनी हई।
अ वेत मिहलाओ ं के बीच नौक रय के इतने यापक नुकसान के कारण वादका रय ने तक िदया िक व र ता-आधा रत
छंटनी, “िपछले आओ–पहले िनकाल िदए गए” के िस ातं ारा िनदिशत, जनरल मोटस म अ वेत मिहला िमक के
िखलाफ भेदभाव, कंपनी ारा िपछले भेदभावपणू थाओ ं को शािमल करते हए, िफर भी अदालत ने अिभयोगी को िलगं -
आधा रत और जाित-आधा रत भेदभाव को एक ही ेणी म भेदभाव करने क अनमु ित देने से इनकार कर िदया। अ वेत
नारीवािदय ने मिहलाओ ं क अधीनता म जाित, वग और िलंग के बीच अप रहाय गठबंधन पर काश डालती है।
दिलत नारीवाद
दिलत नारीवाद दिलतवाद के पु ष धानता के प और मिहलावाद के एक वच व के िखलाफ आवाज के प म उभरा
िजसने दिलत मिहलावाद का एक शा ीय बिह कार िकया। 1970 और 80 के दशक क शु आत म ‘ ांित के पनु सरचना’
का समय था और कई सगं ठन और मोच का उदय देखा गया – िमक मिु संगठन, स यशोधक क यिु न ट पाट , िमक
मिु दल, यवु ा ािं त दल – इन सभी ने दिलत मिहलाओ ं को टोकन भूिमका तक सीिमत नह िकया। उनके ांितकारी एजडे
ने िविभ न तरीक से, दिलत मिहलाओ ं को एक क ीय भिू मका दान क । हालाँिक, यह ि थित दो अ य आदं ोलन के मामले
म नह थी – दिलत पथस और मिहला आंदोलन मु य प से वामपथं ी पाट आधा रत मिहलाओ ं के मोच और नव उभरती
वाय मिहलाओ ं के समहू ारा गिठत समहू म। दिलत पथस ने 1970 के सां कृ ितक िव ोह म एक मह वपणू योगदान
िदया, लेिकन उनके लेखन और उनके काय म दोन म, दिलत मिहलाओ ं को ‘माँ’ क भिू मका म देखा या िफर ‘यौन
अपराध पीिडता के प म’। वामपंथी पाट के मिहला संगठन ने आिथक और काम से जड़ु े मु पर काश डाला और
िपतृस ा मक पँजू ीवादी रा य क आलोचना करने म भी मदद क । वतं मिहलाओ ं के समहू ने मिहलाओ ं के िखलाफ
िहसं ा के मु े का राजनीितकरण िकया और उसे सावजिनक िकया। हालाँिक इससे वग बनाम िपतृस ा पर गंभीर बहस हई, इन
संरचनाओ ं ने ा ण वच व के मु े को संबोिधत नह िकया। जबिक पवू क ‘जाित’ वग म िनिहत थी, बाद के िलए,
भािगन व क धारणा मह वपणू थी। सभी मिहलाओ ं को ‘पीिड़त’ और इसिलए ‘दिलत’ के प म क पना क गई, िजसके
प रणाम व प एक शा ीय बिह कार िकया गया। (सभी दिलत को पु ष और सभी मिहलाओ ं को ‘सवण’ माना जाता है।)

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यह तक िदया जा सकता है िक चँिू क अनभु व और यि गत राजनीित क ेिणयाँ दिलत पथर और मिहलाओ ं के आदं ोलन
क ान मीमांसा और राजनीित के मल ू म थ , इसिलए वा तव म या है म यम नेतृ व, म यम वग, उ च जाित क
मिहलाओ ं के अनभु व या वैकि पक प से दिलत पु ष अनभु व। 1980 के दशक क शु आत म वाय मिहलाओ ं के
समहू ने इसे चनु ौती देते हए भी वाम िवचार पर िनभर रहना जारी रखा। जैस-े जैसे मिहलाओ ं के आदं ोलन ने गित पकड़ी,
काय, िवकास, काननू ी ि याओ ं क मु यधारा क अवधारणाओ ं क ती आलोचना हई और रा य कई सै ांितक और
यावहा रक काय म क ओर अ सर हआ। वग बनाम िपतृस ा पर बहस राजनीितक प से बहस के िलए दोन प के
िलए आकषक थी। यह रे खांिकत िकया जाना चािहए िक कई नारीवादी समूह ने यापक प से इस बात पर सहमित य
क िक भारतीय संदभ म एक भौितकवादी ढाँचा मिहलाओ ं के उ पीड़न के िव लेषण के िलए मह वपणू था। हालाँिक, उ ह ने
वग ‘ढाँचे के भीतर अपनी जड़ को यान म रखते हए, जाित या समदु ाय क तल ु ना म परू े वग म समानताएँ बनाने का अिधक
यास िकया। इस अविध के दौरान मिहलाओ ं के आदं ोलन ारा शु िकए गए मख ु अिभयान म यह िदखाई देता है। फुले
और अंबेडकर (जाित और िलंग के बीच के अतं र को देखते ह) के िव लेषणा मक ढाँचे क अनपु ि थित, दहेज िवरोधी,
बला कार और मिहला आंदोलन के िहसं ा िवरोधी संघष म प है। मिहलाओ ं के िखलाफ िहसं ा के जाितगत आधार क
थाओ ं के िव लेषण से पता चलता है िक दहेज ह या और िहसं क िनयं ण और प रवार ारा उनक गितशीलता और
कामक ु ता के िनयमन क घटनाओ ं के दौरान मख ु उ च जाितय म अिधक थी, काय थल पर और सावजिनक प से
बला कार, यौन हमले और शारी रक िहसं ा के सामिू हक और सावजिनक खतरे से दिलत मिहलाओ ं का सामना करने क
अिधक संभावना है। 1990 के दशक म, दिलत मिहलाओ ं क पहचान के कई वतं और वाय दावे थे। दिलत मिहलाओ ं
के रा ीय सघं का गठन, अिखल भारतीय दिलत मिहला मचं , महारा दिलत मिहला सघं टन, िवकास विं चत दिलत मिहला
प रषद, भारतीय रपि लकन पाट और बहजन मिहला सगं ठन का गठन 1990 म हआ। दिलत नारीवािदय ारा उठाए गए
मख
ु न एक ओर दिलत मिहलाओ ं और उ च वग तथा म यम वग क मिहलाओ ं के अनभु व और दसू री ओर दिलत
पु ष के अतं र को उजागर करता है। या के वल दिलत मिहलाएँ ही अपने िलए बोल सकती ह, यह एक और मह वपणू
सवाल है।
2.7 िन कष
नारीवाद क िविभ न िवचारधाराओ ं और उनके ारा े रत आंदोलन पर गौर करने से, यह प है िक मिहलाओ ं का
उ पीड़न एक सावभौिमक अनभु व है, लेिकन इसके साथ जड़ु े सदं भ म िभ नता है। मिहलाएँ िपतृस ा मक समाज म
उ पीिड़त ह लेिकन अधीनता के तरीके और कारण अलग-अलग ह। मिहलाओ ं के उ पीड़न के कारण को िद यता के
आधार पर, जैिवक आधार पर, ाकृ ितक आधार पर, उ पादन के तरीके के आधार पर और मनोवै ािनक आधार पर उिचत
ठहराया गया है। ि य क अधीनता गल ु ाम समाज म, सामतं ी समाज म, पँजू ीवादी समाज म, समाजवादी समाज म देखी
जाती है। यह औ ोगीकृ त पँजू ीकृ त समाज और कृ िष िवकास और अ प िवकिसत समाज का िह सा रहा है। मिहलाओ ं के
उ पीड़न को सबं ोिधत करने के िलए कई िस ांत और आंदोलन हए ह, लेिकन अब तक मिहलाओ ं के िलए एक
स मानजनक और समतावादी समाज परू ा होना एक सपना ही है। उस समय तक, मिहलाओ ं के सवाल के साथ जड़ु ाव
ासिं गक रहेगा।
लघु न
1. मिहलाओ ं को उ पीड़न के िव उदारवादी नारीवाद के योगदान पर चचा कर।
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2. ेट ि टेन म मतािधकार आंदोलन पर सिं िट पणी िलख।
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3. इको-फे िमिन म पर सिं नोट िलख।
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4. दिलत नारीवाद पर सिं िट पणी िलख।
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दीघ न
1. गंभीर प से क रपंथी नारीवािदय और मा सवादी नारीवािदय के बीच अतं र का िव लेषण कर।
2. नारीवाद के समकालीन कूल और मिहलाओ ं के आदं ोलन पर उनके भाव पर चचा कर।
बहिवक पीय न के उ र
A: 1. c; 2. d; 3. a
B: 1. b; 2. d
C: 1 c; 2. d; 3. b
D: 1. c; 2. c; 3. d

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