Professional Documents
Culture Documents
Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale
Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale
ू रों के दख
ु से दख
ु ी होने वाला
ननदा फाज़ली
मौखिक प्रश्नोत्तर
1. बड़े -बड़े बबल्डर समुद्र को पीछ़े क्ोों धक़ेल रह़े थ़े ?
उ. बड़े -बड़े बबल्डर समुद्र को पीछे धकेल कर उस ज़मीन पर भी इमारतें बनाना चाहते थे ताबक
उन्हें ऊँचे दामोों पर बेचा जा सके|
2. ल़ेिक की मााँ बकस समय प़ेडोों क़े पत्त़े तोडऩे क़े बलए मना करती थी ों और क्ोों?
उ.लेखक की माँ उन्हें सूरज ढलने के बाद पेड़ोों से पत्ते तोड़ने से रोकती थीों| उनका कहना था बक
पेड़ रोएँ गे| दीया-बत्ती के वक्त फूल तोड़ने से वे मना करती थी क्ोोंबक उनके बवचार में ऐसा करने
से फूल बद् दु आ दे ते हैं |
5. ल़ेिक ऩे ग्वाबलयर स़े बोंबई तक बकन बदलावोों को महसूस बकया? पाठ क़े आधार पर
स्पष्ट कीबजए।
उ.लेखक का बचपन ग्वाबलयर में गुज़रा था| वहाँ अपनी माँ के साथ रहते हुए उन्होोंने पेड़ -पौधोों,
पशु-पबियोों के प्रबत प्रेम और आदर सीखा था|
अब वे मुोंबई में वसोवा में रहते हैं | यहाँ बड़े शहर का जीवन है जो ग्वाबलयर से बभन्न है | वसोवा में
जब लेखक आए तो वह समुद्र के बकनारे लोंबी-चौड़ी बस्ती बन गई थी| जबबक पहले वहाँ दू र-दू र
तक जोंगल थे| पेड़ थे, कई प्रकार के पिी और जोंगली जानवरा आबद थे| लोगोों की बस्ती ने पशु -
पबियोों से उनका घर छीन बलया है | अब वे या तो शहर छोड़ गए हैं या आस-पास के स्थानोों में वे
बस गए हैं |
इस प्रकार ग्वाबलयर से मुोंबई तक के जीवन में लेखक ने बहुत से बदलाव दे खे हैं |
7. श़ेि अयाज क़े बपता अपऩे बाजू पर काला च्ोोंटा रें गता द़े ि भोजन छोडकर क्ोों उठ
िड़े हुए?
उ.शेख अयाज़ के बपता कुँए से नहाकर लौटे थे| भोजन के बलए बैठते ही उन्होोंने एक काले च्ोोंटे
को अपनी बाज़ू पर रें गते दे खा| वे समझ गए बक यह च्ोोंटा कुँए से उनके साथ आ गया है | उन्हें
लगा जैसे उन्होोंने उस च्ोोंटे को उसके घर से अलग (बेघर) कर बदया है | वे उसे वापस कुँ ए पर
छोड़ आने के बलए उठ खड़े हुए|
3. समुद्र क़े गुस्स़े की क्ा वजह थी? उसऩे अपना गुस्सा कैस़े बनकाला?
उ.मुोंबई शहर के बड़े -बड़े बबल्डरोों ने समुद्र से उसकी ज़मीन छीन ली थी| समुद्र बसमटने लगा|
लेबकन एक बदन उसकी सहन-शस्तक्त
समाप्त हो गई| अब समुद्र का गुस्सा दे खने लायक था| लेखक कहते हैं बक जो बजतना बड़ा होता है
उसे उतना ही कम गुस्सा आता है | लेबकन जब आता है तो रोकना मस्तश्कल हो जाता है | समुद्र ने
अपने लहरोों पर दौड़ते तीन जहाज़ोों को बच्चोों की गेंद की तरह उछाल बदया| एक वली के समोंदर
के बकनारे पर आकर बगरा, दू सरा बाों द्रा में काटथ र रोि के सामने औोंधे मुँह पड़ा था और तीसरा गेट
वे ऑफ़ इों बिया पर टू टी-फूटी हालत में आकर बगरा और आज भी वह सैलाबनयोों का नज़ारा बना
हुआ है | इन जहाज़ोों की मरम्मत आबद की गई| लेबकन ये बफर चलने बफरने के काबबल न हो सके|
उ.इन पोंस्तक्तयोों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है बक ईश्वर ने सभी जीवोों को एक ही बमट्टी
से रचा है | जीवन समाप्त हो जाने पर सभी जीव बफर उसी बमट्टी में बमल जाते हैं | इसबलए यह
जानना असोंभव हो जाता बक बकसमें -बकसका-बकतना अोंश बमला होता है | सबके बीच की सभी
बभन्नताएँ समाप्त हो जाती है |
3. इस बस्ती ऩे न जाऩे बकतऩे पररों दोों-चररों दोों स़े उनका घर छीन बलया है। इनमें स़े कुछ
शहर छोडकर चल़े गए हैं। जो नही ों जा सक़े हैं उन्ोोंऩे यहााँ -वहााँ ड़े रा डाल बलया है।
Refer to the answer no. 1 of (50-60 words)
4. श़ेि अयाज क़े बपता बोल़े , ‘नही ों, यह बात नही ों है। मैंऩे एक घरवाल़े को ब़ेघर कर बदया
है। उस ब़ेघर को कुएाँ पर उसक़े घर छोडऩे जा रहा हाँ।’ इन पोंखियोों में बछपी हुई उनकी
भावना को स्पष्ट कीबजए।
(Refer to the answer no. 3 of (25-30 words))