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मा बेटा और बहन
मा बेटा और बहन
मा बेटा और बहन
मा बेटा और बहन-1
हे ल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ हाई मेरा नाम
आमिर है और मेरी उमर 20 साल है . मेरी एक छ्होटी बहन शुमैला है . वह अभी सिर्फ़ सत्रह साल है और
कॉलेज में है . मोम अब 40 की हैं. मोम स्कूल में टीचर हैं और मैं यूनिवर्सिटी में हूँ. हमलोग करांची से है .
पापा का 2 साल पहले इंतेक़ाल हो गया था. अब घर में सिर्फ़ हम तीन लोग ही हैं.
यह अब से 6 मंथ पहले हुआ था. एक रात मम्मी बहुत उदास लग रही थी. मैं समझ गया वह पापा को
याद कर रही हैं. मैंने उनको बहलाया और खुश करने की कोशिश की. मम्मी मेरे गले लग रोने लगी. तब
मैंने कहा, "मम्मी हम दोनो आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर पापा की कमी महसूस नही होने
दें गे."
शम
ु ैला भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मम्मी से बोली, "हां मम्मी प्लीज़ आप दिल छ्होटा ना करिए. भाई
जान हैं ना हम दोनो की दे खभाल के लिए. भाई जान हमलोगो का कितना ख्याल रखते हैं."
खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात शुमैला अपने रूम में थी.
मैं रात को टाय्लेट के लिए उठा तो टाय्लेट जाते हुए मम्मी के रूम से कुच्छ आवाज़ आई. 12 बज चुके थे
और मम्मी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके रूम की तरफ गया. मम्मी के रूम का दरवाज़ा खल
ु ा
था. मैं खोलकर अंदर गया तो चौंक गया.
"ओह्ह मम्मी मैं भी अब समझता हँ .ू यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब पापा तो हैं नही."
फिर में मम्मी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, "मम्मी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए."
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मैं वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाइ पी. चाइ के बाद शुमैला
बोली, "भाई जान बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ जो खाना हो ."
मैं जाने लगा तो मम्मी ने कहा, "बेटा किचन में आओ तो कुच्छ और समान बता दँ ग
ू ी लेते आना."
मैं मम्मी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, "मम्मी अंदर करने के लिए?"
मम्मी शर्मा गयी और मैं भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर चला गया. सब्ज़ी
लाकर शुमैला को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास रख लिया. शुमैला ने खाना बनाया फिर
रात को खा पीकर सब लोग सोने चले गये. तब करीब 11 बजे मम्मी मेरे रूम में आ बोली, "बेटा बैगन
लाए थे?"
तब मम्मी ने कुच्छ सोचा फिर कहा, "क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत में है वही सही." फिर मेरी पॅंट के
उभार को दे खते बोली, "बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है ?"
"ओह्ह बे टा ते रे पापा का भी इतना ही था. बे टा अपना दिखा दो तो ते रे पापा की याद ताज़ी हो जाए."
"हां बे टा तभी तो कह रही हँ .ू तू मे रा बे टा है और अपनी माँ से क्या शरम. तू एकदम अपने पापा पे गया है . दे खूं
तेरा वह भी तेरे पापा के जैसा है या नही?"
तब मैंने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवेर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को दे ख मम्मी एकदम से खुश हो
गयी. वह मेरे लंड को दे ख नीचे बैठी और मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, "हाई आमिर बेटा तेरे पापा का
भी एकदम ऐसा ही था. हाई बेटा यह तो मुझे तेरे पापा का ही लग रहा है . बेटा क्या मैं इसे थोड़ा सा प्यार
कर लँ ू?"
"मम्मी अगर आपको इससे पापा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर लीजिए."
"आहह बे टा ते रे पापा भी रोज़ रात मे रे मुँ ह को पहले ऐसे ही गं दा करते थे फिर मेरी च.." मम्मी इतना कह चुप हो
गयी.
मैं उनके चेहरे को दे खते बोला, "फिर क्या क्या करते थे पापा? मम्मी जो पापा इसके बाद करते थे वह
मुझे बता दो तो में भी कर दं .ू आपको पापा की कमी नही महसूस होगी."
मम्मी मेरे चेहरे को पकड़ बोली, "बेटा यह जो हुआ है एक माँ बेटे में नही होता. लेकिन बेटा इस वक़्त तम
ु
मेरे बेटे नही बल्कि मेरे शौहर हो. अब तुम मेरे शौहर की तरह ही करो. वह मेरे मँह
ु में अपना झाड़कर
अपने मँुह से मेरी झारते थे फिर मुझे.."
"मम्मी अब जब आप मु झे अपना शौहर कह रही है तो शरमा क्यों रही हैं . सब कुच्छ खुलकर कहिए ना."
फिर मम्मी को अपने बेड पर लिटाया और उनको पूरा नंगा कर दिया. मम्मी की चूचियाँ अभी भी सख़्त
थी. 2-3 साल से किसी ने टच नही किया था. मैंने चूत को दे खा तो मस्त हो गया. मम्मी की चूत कसी
लग रही थी. 40 की उमर में मम्मी 30 की ही लग रही थी. मम्मी को बेड पर लिटा अपने कपड़े अलग किए
फिर मम्मी की चूचियाँ पकड़ उनकी चूत पर मँह
ु रख दिया. चूचियों को दबा दबा चूत चाट अपने झड़े लंड
को कसने लगा.
8-10 मिनट बाद मम्मी मे रे मुँ ह पर ही झाड़ गयी. वह अपनी गांद ते ज़ी से उचका झाड़ रही थी. मैं मम्मी की
झड़ती चूत में 1 मिनट तक जीभ पेले रहा फिर उठ कर ऊपर गया और चूचियों को मँह
ु से चूसने लगा.
"हाअ आहह बे टा चूस अपनी मम्मी की चूचियों को. हाई पियो इनको हाई कितना मज़ा आ रहा है बेटे के साथ."
मेरा लंड अब फिर खड़ा था. 4-5 मिनट बाद मम्मी ने मुझे अलग किया और फिर मेरे लंड को मँह
ु से
चूस्कर खड़ा करने के बाद बोली, "बेटा अब चढ़ जा अपनी माँ पर और चोद डाल."
मेने मम्मी को बेड पर लिटाया और लंड को मम्मी के छे द पर लगा गॅप से अंदर कर दिया.
अब में तेज़ी से चुदाई कर रहा था और दोनो चूचियों को दबा दबा चूस भी रहा था. मम्मी भी नीचे से
गांद उच्छाल रही थी.
मैं धक्के लगाता बोला, "मम्मी शाम को जब आपने बैगन लाने को कहा था तभी से दिल कर रहा था कि
काश अपनी मम्मी को मैं कुच्छ आराम दे सकँू . मेरी आरज़ू परू ी हुई."
"बे टा अगर तू मु झे चोदना चाहता था तो कोई गोली ले ता आता. अब तू मे रे अं दर मत झड़ना. आज बाहर झड़ना
फिर कल मैं गोली ले लँ ग
ू ी तो ख़तरा नही होगा तब अंदर डालना पानी. चत
ू में गरम पानी बहुत मज़ा
दे ता है ."
करीब 10 मिनट बाद मेरा लंड झड़ने वाला हुआ तो मैंने उसे बाहर किया और मम्मी से कहा, "ःआह
मम्मी अब मेरा निकलने वाला है ."
फिर में मम्मी की चूचियों पर पानी निकाला. झारकर अलग हुआ तो मम्मी अपनी चूचियों पर मेरे लंड का
पानी लगाती बोली, "बेटा तू एकदम अपने बाप की तरह चोद्ता है . वह भी ऐसा ही मज़ा दे ते थे. आहह बेटा
अब तू सो जा."
अगले दिन मम्मी बहुत खुश लग रही थी. शुमैला भी मम्मी को दे ख रही थी.
फिर वह कॉलेज चली गयी और मैं यूनिवर्सिटी. उस रात मम्मी ने गोली ले ली थी और अपनी चूत में ही
मेरा पानी लिया था. हम दोनो माँ बेटे 1 महीने इसी तरह मज़ा लेते रहे .
मा बेटा ओर बहन 2
एक रात जब मैं मम्मी को चोद रहा था तो मम्मी ने मुझसे पूछा , “आमिर बे टा एक बात तो बता.”क्या
मम्मी” बे टा अब शु मैला बड़ी हो रही है उसकी शादी करनी है . इस उम्र मैं लड़कियों की शादी कर दे नी चाहिये
वरना अगर वो कुछ उल्टा सीधा कर ले तो बहुत बदनामी होती है . मम्मी आप सही कह रही हो. अब
उसके लिये कोई लड़का दे खना होगा. हाँ बेटा, अच्छा एक बात तो बता तुमको शुमैला कैसी लगती है ? क्या
मतलब मम्मी? मतलब तझ
ु े अच्छी लगती है तो इसका मतलब वो किसी और को भी अच्छी लगेगी और
उसे कोई लड़का पसंद कर लेगा तो उसकी शादी कर दें गे. हाँ मम्मी शुमैला बहुत खूबसूरत है . तू उसे कभी
कभी अजीब सी नज़रो से दे खता है ? मैं अपनी चोरी पकड़े जाने पर घबरा कर बोला, नही नही मम्मी ऐसी
बात नही है ?” कल तो तू उसकी चूचियों को घूर रहा था. नही मम्मी. पगले मुझसे झूठ बोलता है . सच बता.
मैं शर्माते हुये बोला, मम्मी कल वो बहुत अच्छी लग रही थी. कल वो छोटा सा कसा कुर्ता पहने थी.
मैं मम्मी की बात सुन कर मस्त हो गया उसे तेज़ी से चोदने लगा. वो तेज़ी से चुदती हुई हाए हाए करते
हुये बोली, हाँ बहन को दे खने की बात सुन कर इतना मस्त हो गया की मम्मी की चूत की धज्जीयां उड़ा
रहा है . फिर मेरी कमर को अपने पैरो से कस कर बोली, चोद अपनी मम्मी को हाअआआआ आज मुझे
चोद कल से अपनी बहन पर लाइन मारो और उसे पटा कर चोदो. फिर 4-5 धक्के लगा कर मैं झड़ने
लगा. झड़ने के बाद मैं मम्मी से चिपक कर बोला, मम्मी शुमैला तो मेरी छोटी बहन है , भला मैं उसके
साथ ऐसा कैसे….? जब तू अपनी माँ के साथ चद
ु ाई कर सकता है तो अपनी बहन के साथ क्यों नही?
मम्मी आपकी बात और है .”क्यों?” मम्मी आप पापा के साथ सब कर चुकी हैं और अब उनके ना रहने
पर मैं तो उनकी कमी पूरी कर रहा हूँ. लेकिन शुमैला तो अभी नासमझ और अनजान है , यही कहना चाह
रहा हूँ? मम्मी.
बेटा अब तेरी बहन 18 की हो गई है . इस उम्र मैं लड़कियों को बहुत मस्ती आती है . आजकल वो कॉलेज
भी जा रही है . मुझे लगता है की उसके कॉलेज के कुछ लड़के उसको फँसाने की कोशिश कर रहे हैं. पड़ोस
के भी कुछ लड़के तेरी बहन पर नज़रे जमाये हैं. अगर तू उसे घर पर ही उसकी जवानी का मज़ा उसे दे
दे गा तो वो बाहर के लड़कों के चक्कर मैं नही पड़ेगी और अपनी बदनामी भी नही होगी. माँ आप सही
कह रही हो मैं अपनी बहन को बाहर नही चुदने दँ ग
ू ा. सच मम्मी शुमैला की बहुत मस्त चूचियाँ दिखती
हैं. मम्मी अब तो उसे तैयार करो. करूँगी बेटा, मैं उसे भी यह सब धीरे धीरे समझा दँ ग
ू ी. फिर अगले दिन
जब मैं सुबह सुबह उठा तो दे खा की वो मेरे रूम मैं झाड़ू लगा रही थी. मैं उसे दे खने लगा. वो कसी हुई
कमीज़ पहने थी और झुककर झाड़ू लगाने से उसकी लटक रही चूचियाँ हिलने से बहुत प्यारी लग रही
थी. तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे अपनी चूचियों को घूरता पा वो मूड गई और जल्दी से झाड़ू
लगा कर चली गई.
मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता कर टी.वी दे खने लगा. उस दिन छुटी थी इसलिये किसी को कही नही
जाना था. मम्मी भी टी.वी दे ख रही थी. शम
ु ैला भी आ गई और मैने उसे अपने पास बिठा लिया. मैं उसकी
कसी कमीज़ से झाँक चूचियों को ही दे ख रहा था. मम्मी ने मुझे दे खा तो चुपके से मुस्कुराते हुये इशारा
करते कहा की ठीक जा रहे हो. शुमैला कभी कभी मुझे दे खती तो अपनी चूचियों को घरू ता पा वो सिमट
जाती. आख़िर वो उठकर मम्मी के पास चली गई. मम्मी ने उसे अपने गले से लगाते हुये पूछा, क्या हुआ
बेटी? कुछ नही मम्मी. वो बोली. तू यहाँ क्यों आ गई बेटी जा भाई के पास बेठ. मम्मी ववववाह भाईजान.
वो फुसफुसाते हुये बोली. मम्मी भी उसी की तरह फुसफुसाई, क्या भाईजान. मम्मी भाईजान आज कुछ
अजीब हरकत कर रहे हैं. वो धीरे से बोली तो मम्मी ने कहा, “क्या कर रहा तेरा भाई? मम्मी यहाँ से चलो
तो बताऊ. मम्मी उसे ले कर अपने रूम की तरफ गई और मझ
ु े पीछे आने का इशारा किया. मैं उन दोनो
के रूम के अंदर जाते ही जल्दी से मम्मी के रूम के पास गया. मम्मी ने दरवाज़ा परू ा बंद नही किया था
और पर्दे के पीछे छुपकर मैं दोनो को दे खने लगा.
मम्मी ने शुमैला को अपनी गोद मैं बिठाया और बोली, क्या बात है बेटी जो तू मझ
ु े यहाँ लाई है ? मम्मी
आज भाईजान मुझे अजीब सी नज़रों से दे ख रहे जैसे कॉलेज के..क्या पूरी बात बताऊ शुमैला बेटी. मम्मी
आज भाईजान मेरे इनको बहुत घरू रहे है , जैसे कॉलेज मैं लड़के घूरते हैं.” इनको. मम्मी ने उसकी चूचियों
को पकड़ा तो वो शर्माते हुये बोली, “सच मम्मी. अरे बेटी अब तू जवान हो गई है और तेरी यह चूचियाँ
बहुत प्यारी हो गई हैं इसीलिये कॉलेज मैं लड़के इनको घरू ते हैं. तेरा भाई भी इसीलिये दे ख रहा होगा की
उसकी बहन कितनी खूबसूरत है और उसकी चूचियाँ कितनी जवान हैं. मम्मी आप भी..वो शरमाई. अरे बेटी
मुझसे क्या शर्म. बेटी कॉलेज के लड़कों के चक्कर मैं मत आना वरना बदनामी होगी. अगर तू अपनी
जवानी का मज़ा लेना चाहती है तो मुझको बताना.
मम्मी आप तो जाइये हटिये. अच्छा बेटी एक बात तो बता, जब भाईजान तेरी मस्त जवानीयों को घरू ते हैं
तो तुझे कैसा लगता है ? मम्मी हटिये मैं जा रही हूँ. अरे पगली फिर शरमाई, चल बता कैसा लगता है जब
तुम्हारे भाईजान इनको दे खते हैं? अच्छा तो लगता है पर..पर वर कुछ नही बेटी, जानती है बाहर के लड़के
तेरे यह दे खकर क्या सोचते हैं? क्या मम्मी? यही की हाये तेरे दोनो अनार कितने कड़क और रसीले हैं. वो
सब तेरे इन अनारो का रस पीना चाहते हैं. मम्मी चुप रहिये मुझे शर्म आती है . अरे बेटी यही एक बात है
इनको लड़के के मँह
ु मैं दे कर चूसने मैं बहुत मज़ा आता है . जानती हो लड़के इनको चूस कर बहुत मज़ा
दे ते हैं. अगर एक बार कोई लड़का तेरे अनार चूस ले तो तेरा मन रोज़ रोज़ चूसाने को करे गा और अगर
कोई तेरी नीचे वाली चूत को चाट कर तुझे चोद दे तब तू बिना लड़के के रह ही नही पायेगी. अब मैं जा
रही हूँ मम्मी मझ
ु े नही करवाना यह सब. हाँ बेटा कभी किसी बाहर के लड़के से कुछ भी नही करवाना
वरना बहुत दर्द और बदनामी होती है . हाँ अगर तेरा मन हो तो मझ
ु े बताना.”मम्मी..”अच्छा बेटी चल अब
कुछ खाना खा लिया जाये तेरा भाई भख
ू ा होगा. जा तू उससे पछ
ू क्या खायेगा, जो खाने को कहे बना
दे ना. फिर मैं भाग कर टी.वी दे खने आ गया.
थोड़ी दे र बाद शुमैला आई और मुझसे बोली, भाईजान. जो खाना हो बता दीजिये मैं बना दे ती हूँ. मम्मी
आराम कर रही हैं. मैं उसकी चूचियों को घरू ते हुये अपने होठों पर जुबान फेरते हुये बोला, क्या क्या
खिलाओगी? वो मेरी इस हरक़त से शरमाई और नज़रे झुका कर बोली, जो भी आप कहें . मैने उसका हाथ
पकड़ कर अपने पास बिठाया और चूचियों को घरू ता हुआ बोला, खाऊगा तो बहुत कुछ पर पहले इनका
रस पीला दो. क्या भाईजान किसका रस? वो घबराते हुये बोली. मैं बात बदलता हुआ बोला, मेरा मतलब है
पहले एक चाय ला दे फिर जो चाहे बना लो. वो चली गई. मैं उसको जाते दे खता रहा. 5 मिनिट बाद वो
चाय लेकर आई तो मैने उससे कहा अपने लिये नही लाई. मैं नही पीऊगी. पीओं ना लो इसी मैं पी लो. एक
साथ पीने से आपस मैं प्यार बड़ता है . वो मेरी बात सुन कर शरमाई फिर कुछ सोच कर मेरे पास बैठ
गई तो मैने कप उसके होठों से लगाया तो उसने एक सीप लिया फिर मैंने एक सीप लिया. इस तरह से
परू ी चाय ख़त्म हुई तो वो बोली, अब खाने का इंतज़ाम करती हूँ.
मैने उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुये कहा, अभी क्या जल्दी है थोड़ी दे र रूको बहुत अच्छा प्रोग्राम आ
रहा है दे खो. मेरे खींचने पर वो मेरे उपर आ गिरी थी. वो हटने की कोशिश कर रही थी पर मैने उसे हटने
नही दिया तो वो बोली, हाय भाईजान हटिये क्या कर रहे हैं? कुछ भी तो नही टी.वी दे खो मैं भी दे खता हूँ.
ठीक है पर छोड़िये तो ठीक से बैठकर दे खूं. ठीक से बैठी हो, शुमैला मेरी छोटी बहन अपने बड़े भाई की
गोद मैं बैठकर दे खो ना टी.वी. वो चुप रही और हम टी.वी दे खने लगे. थोड़ी दे र बाद मैने उसके हाथो को
अपने हाथो से इस तरह दबाया की उसकी कमीज़ सिकुड कर आगे को हुई और उसकी दोनो चूचियाँ
दिखने लगी. उसकी नज़र अपनी चूचियों पर पड़ी तो वो जल्दी से मेरी गोद से ऊतर गई और तभी मम्मी
ने उसे आवाज़ दी तो वो उठकर चली गयी.
मैं भी पहले की तरह पर्दे के पीछे छुप कर दे खने लगा. वो अंदर गई तो मम्मी ने पूछा, क्या हुआ बेटी
आमिर ने बताया नही क्या खायेगा? वो मम्मी भाईजान ने.. क्या भाईजान ने, बताओ ना बेटी क्या किया
तेरे भाई ने? वो भाईजान ने मझ
ु े अपनी गोद मैं बिठा लिया था और फिर ओर फिर.. और फिर क्या? और
और कुछ नही. अरे अगर तेरे भाई ने तुझे अपनी गोद मै बिठा लिया तो क्या हुआ, आख़िर वो तेरा बड़ा
भाई है . अच्छा यह बता उसने गोद मैं ही बिठाया था या कुछ और भी किया था? और तो कुछ नही मम्मी
भाईजान ने फिर मेरे इन दोनो को दे ख लिया था. मुझे लग रहा है मेरे बेटे को अपनी बहन की दोनो
रसीली चूचियाँ पसंद आ गई हैं तभी वो बार बार इनको दे ख रहा है . बेचारा मेरा बेटा, अपनी ही बहन की
चूचियों को पसंद करता है . अगर बाहर की कोई लड़की होती तो दे ख लेता जी भर कर पर साथ में वो
डरता होगा. अच्छा बेटी यह बता जब तुम्हारे भाईजान तेरी चूचियों को घरू ता है तो तुमको कैसा लगता
है ? ज्जज्ज जी मम्मी वो लगता तो अच्छा है पर… पर क्या बेटी. अरे तझ
ु े तो खश
ु होना चाहिये की
तुम्हारा अपना भाई ही तुम्हारी चूचियों का दीवाना हो गया है .
अगर मैं तेरी जगह होती तो मैं तो बहाने बहाने से अपने भाई को दिखाती. “मम्मी.”हाँ बेटी सच कह रही
हूँ. क्या तुझे अच्छा नही लगता की कोई तेरा दीवाना हो और हर वक़्त बस तेरे बारे मैं सोचे और तझ
ु े
दे खना चाहे . तुझे चोदना चाहे . मम्मी आप भी. अरे बेटी कोई बात नही जा अपने भाई को बेचारे को दो चार
बार अपनी दोनो मस्त जवानीयों की झलक दिखा दिया कर. वैसे उस बेचारे की ग़लती नही, तू है ही इतनी
कड़क जवान की वो क्या करे . दे ख ना अपनी दोनो चूचियों को लग रहा है अभी कमीज़ फाड़कर बाहर आ
जायेगी. जा तू भाई के पास जाकर टी.वी दे ख और बेचारे को अपनी झलक दे मैं खाने का इंतज़ांम करती
हूँ. खाना तैयार होने पर में तम
ु दोनो को बल
ु ा लँ ग
ू ी.” नेक्स्ट पार्ट नेक्स्ट टाइम आप को मेरी यह कहानी
केसी लगी. आप मुझे जरुर बताये.
मा बेटा ओर बहन 3
फिर उसे अपनी गोद में धीरे से झुकाया तो वह मेरी गोद की तरफ झुक गयी. तब मैं ने उसे अपनी गोद पर
ठीक से झुकाते कहा, "शुमैला आराम से दे खो टीवी मम्मी तो किचन में होगी?"
"जी भाई जान ठीक से बै ठी हँ .ू " शु मैला यह कहते हुए मे री गोद में सर रख लेट गयी.
वह टीवी दे ख रही थी और मैं उसकी चूचियाँ. तभी उसने मुझे दे खा तो में ललचाई नज़रों से उसकी
चूचियों को दे खता रहा. वह मुस्काई और फिर टीवी की तरफ दे खने लगी. अब वह शर्मा नही रही थी. तब
मैंने उसकी कमीज़ को नीचे से पकड़ा और नीचे की तरफ खींचा. वह कुच्छ ना बोली. मैं थोड़ा सा और
खींचा तो उसकी चूचियाँ ऊपर से झाँकने लगी. अब मैं उसकी गदराई कसी चूचियों को दे खता एक हाथ को
उसके पेट पर रख चुका था. हमलोग 3-4 मिनट तक इसी तरह रहे .
फिर वह मेरा हाथ अपने पेट से हटाती उठी तो मैंने कहा, "क्या हुआ शुमैला?"
वह चली गयी और मैं उसकी पेशाब करती चूत के बारे में सोचने लगा.
मैं समझ गया कि मैं अब कुच्छ भी कर सकता हूँ वह बुरा नही मानेगी. फिर भी मैं ने पहली बार की वजह
से एकदम से कुच्छ भी करने के बजाए धीरे धीरे ही शुरुआत करना ठीक समझा. फिर एक हाथ को उसकी
रान पर रखा और 4-5 बार सहलाया. वह चप
ु रही तब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन और खोल दिए और
अब उसकी ब्रा में कसी परू ी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी. अब मेरी गोद में मेरी 17 साल की बहन
शुमैला लेटी थी और मैं उसकी चूचियों को ब्रा में दे ख रहा था. ब्रा का हुक नीचे था जिसे अब मैं खोलना
चाह रहा था.
मेने दो तीन बार उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर टटोला तो मेरे मंन की बात समझ गयी और उसने
करवट ले ली. तब मैंने उसकी ब्रा का हुक अलग किया. फिर उसका कंधा पकड़ हल्का सा दबाया तो वह
फिर सीधी हो गयी और टीवी की तरफ दे खती रही. मैं कुच्छ दे र उसे दे खता रहा फिर ब्रा को उसकी
चचि
ू यों से हटाया तो उसने शर्मा कर अपनी आँखे बंद कर ली.
उसकी दोनो चूचियों को दे खा तो दे खता ही रह गया. एक गुलाबी रं ग की बहुत टाइट थी दोनो चूचियाँ और
निपल एकदम लाल लाल बहुत प्यारा लग रहा था.
मैं उसकी चूचियों को दे ख सोच रहा था कि सच इतनी प्यारी और खूबसूरत चूचियाँ शायद कभी और नही
दे ख पाउन्गा. वह आँखें बंद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी. मैंने अभी उसकी चूचियों को च्छुआ नही था
केवल उनका ऊपर नीचे होना दे ख रहा था. चूचियों का साइज़ बहुत अच्छा था, आराम से परू े हाथ में आ
सकती थी. मम्मी की चुचियो के लिए तो दोनो हाथो को लगाना पड़ता था.
वह चुप रही तो फिर बोला, "शुमैला ए शुमैला क्या हुआ? तू टीवी नही दे ख रही. दे खो ना कितना प्यारा
सीन है ."
वह फिर भी चुप आँखें बंद किए रही तो में फिर बोला, "शुमैला दे खो ना."
तब उसने धीरे से ज़रा सी आँखे खोली और टीवी की तरफ दे खने लगी. कुच्छ दे र में उसने फिर आँखे बंद
कर ली तो मैंने उसके गालों को पकड़ उसके चेहरे को अपनी ओर करते कहा, "क्या हुआ शुमैला तुम टीवी
नही दे खोगी क्या?"
वह चुप रही तो उसके गालों को दो तीन बार सहला कर बोला, "कोई बात नही अगर तुम नही दे खना
चाहती तो जाओ किचन में मम्मी की हे ल्प करो जाकर."
उसने मेरी बात सुन अपनी आँखे खोल मझ
ु े दे खा फिर टीवी की ओर दे खते बोली, "दे ख तो रही हूँ भाई
जान."
इस बार उसने आँखें बंद नही की और टीवी दे खती रही. थोड़ी दे र बाद मैंने एक हाथ को धीरे से उसकी
एक चच
ू ी पर रखा तो वह सिमट सी गयी पर टीवी की ओर ही दे खती रही. हाथ को उसकी चच
ू ी पर रखे
थोड़ी दे र उसके चेहरे को दे खता रहा फिर दस
ू रे हाथ को दस
ू री चूची पर रख हल्का सा दबाया तो उसने
फिर आँखे बंद कर ली.
मेने दो तीन बार दोनो चूचियों को धीरे से दबाया और फिर उसके निपल को पकड़ मसाला तो वह मज़े से
सिसक गयी. दोनो निपल को चुटकी से मसल बोला, "शु मैला, लगता है तु मको फिल्म अच्छी नही लग रही,
जाओ तु म किचन में मैं अकेला दे खता हूँ."
इतना कह उसकी चूचियों को छ्चोड़ दिया और उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश की तो वह जल्दी
आँखे खोल मुझे दे खती घबराती सी बोली, "हाई न्न्न नही तो भाई जान बहुत अच्छी फिल्म है , हाई भाई
जान दे ख तो रही हूँ. आप भी दे खिए ना मैं भी दे खग
ूँ ी."
वह फिर लेट गयी और सर मोड़ कर टीवी दे खने लगी. मैंने उसका चेहरा अपनी ओर करते कहा, "शुमैला."
वह अपनी चूचियों को दे खती बोली, "हाई भाई जान आपने इनको नंगी कर दिया हाई मुझे शरम आ रही
है ."
"कोई नही आएगा. तु झे बहुत मज़ा आएगा." और दोनो चूचियों को पकड़ लिया और दबा दबा उसे मस्त करने
लगा.
"वह तो किचन में है . तू डर मत उनको अभी बहुत दे र लगे गी खाना बनाने मे."
फिर उसकी दोनो चूचियों को मसलता रहा और वह टीवी की ओर दे खती रही. वह बहुत खुश लग रही थी.
10 मिनट तक उसकी चूचियों को मसल्ने के बाद झुककर दोनो चूचियों को बारी बारी से चूमा तो उसके
मँुह से एक सिसकारी निकल गयी.
"क्या है शु मैला?"
"भाई जान."
"अभी नही आएँ गी, अभी उनको आधा घं टा और लगे गा खाना बनाने मे ."
होंठो को चम
ू ने पर वह और मस्त हुई तो मैंने उसके होंठो को अपने मँह
ु में लेकर खब
ू कसकर चस
ू ा. 3-4
मिनट होंठ चूसने के बाद अलग हुआ तो वह हाँफती हुई बोली, "ऊऊहह आआहह स भाई जान आहह बहुत
अच्छा लगा हाई भाई जान इनको मँह
ु से करो."
मैं उसकी चूची को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रहा था. वह अपने हाथ से दबा परू ी चूची को मेरे मँह
ु में
घुसाने की कोशिश कर रही थी. 3-4 मिनट बाद उसने इसी तरह दस
ू री चूची भी मेरे मँह
ु में दी. दोनो को
करीब दस मिनट तक चुसाती रही और मैं उसकी गांद पर हाथ लगा उसके चुतर सहलाता पीता रहा.
फिर वह मझ
ु े उठा मेरी गोद में पहले की तरह लेट गयी और फिर मेरे हाथ को अपनी एक चूची पर लगा
दबाने का इशारा किया. मैं दबाने लगा तो उसने मेरे चेहरे को पकड़ अपनी दस
ू री चूची झुकाया. मैं उसका
मतलब समझ उसकी एक चूची को मसलने लगा और दस
ू री को पीने लगा. वह अब मुझे ही दे ख रही थी.
वह मेरे सर पर हाथ फेर रही थी.
वह मेरे कान में फुसफुसा भी रही थी, "हहाअ आहह हाई भाई जान बहुत अच्छा लग रहा है हाउ आप
कितने अच्छे हैं."
"भाई जान एक बात तो बताओ? अभी जब आपसे खाने को पूछा था तो आप किनका रस पीने को कह रहे थे?"
शुमैला हड़बड़ाकर उठा बैठी और अपने कपड़े ठीक करती बोली, "जी मम्मी."
"कुच्छ नही मम्मी आ रही हँ .ू " वह बहुत घबरा गयी थी और मु झसे बोली, "हाई भाई जान दरवाज़ा खु ला था कहीं
मम्मी ने दे ख तो नही लिया?"
अपनी बहन की चूचियों का रस पीकर तो मज़ा ही आ गया था. मैं फिर जल्दी से किचन के पास गया.
मम्मी रोटी सेक रही थी. शम
ु ैला उनके पास खड़ी हुई. वह अभी भी तेज़ी से साँसे ले रही थी.
मम्मी उसे दे खकर बोली, "क्या हुआ बेटी, तू थकि लग रही है ?"
"नही बे टी क्यों?"
"मैं जाउ टीवी दे खने भाई जान अकेले बोर हो जाते हैं ."
"बहुत ख्याल रखती है अपने भाई जान का. जा दे ख जाके भाई के साथ. मु झे अभी 10 मिनट और लगे गें."
वह खश
ु हो जल्दी से बाहर निकली तो मैंने उसे पकड़ अपनी गोद में उठाया और टीवी रूम में ले आया. वह
मेरे गले में बाँहें डाले मझ
ु े ही दे खे जा रही थी.
अंदर आ मैं बैठा और उसे अपनी गोद में बिठा उसके होंठो को चूम उसकी दोनो चूचियों को दबाने लगा.
दो मिनट बाद उसके बटन खोलना चाहा तो वह बोली, "नही भाई जान बटन ना खोलो ऐसे ही करो . मम्मी आ
सकती हैं ."
"ओह्ह भाई जान अभी नही खाने के बाद मम्मी तो 2 घं टे के लिए सो जाती हैं तब आपको जी भरके नंगी
पिलाउन्गि. भाई जान ब्रा अलग कर दीजिए फिर कमीज़ के अंदर हाथ डालकर पकडिए."
फिर मैंने उसकी ब्रा खोलकर अलग कर दी तो उसने ब्रा को कुशन के नीचे च्छूपा दिया फिर अपनी
कमीज़ को ऊपर उठाया और मेरे हाथों को अंदर किया. मैंने उसकी दोनो चूचियों को पकड़ लिया और दबा
कर उसके होंठ, गाल गले पर चूमने लगा..
वह अपने हाथ पिछे कर मेरे गले में डाले अपनी चूचियों को दे ख रही थी.
तभी किचन में कुच्छ आहट हुई तो वह मेरे हाथ हटाती बोली, "अब रहने दो भाई जान मम्मी आने वाली
हैं."
मैं जानता था मम्मी कुच्छ नही कहें गी लेकिन फिर भी मैंने उसे छोड़ दिया तो उसने अपने कपड़े ठीक
किए और अलग होकर बैठ गयी. एक मिनट बाद मम्मी आई और शम
ु ैला के पास बैठ गयी. वह मझ
ु े दे ख
मुस्काराई तो में भी मुस्काराया और इशारा किया कि काम बन गया.
"मम्मी बहुत मस्त है शु मैला की दोनो चूचियाँ , हाई मम्मी दोनो का खूब रस पिया."
"ठीक है खाना खा लो फिर में सोने का बहाना कर अपने रूम में चली जाउन्गि तब तुम यही फिर करना लेकिन
बेटा नीचे हाथ लगाया या नही?"
"ठीक किया, नीचे वाला माल रात किचन में ही चूना. आज रात तु म्हारी और शु मैला की है . अभी एक दो घंटे
उसकी चचि
ू यों का मज़ा ही लो. रात किचन में नीचे का. अगर अभी नीचे वाली को कुच्छ किया तो वह
बेचैन हो जाएगी और चुदाई का असली मज़ा रात में ही है . उसे अपना दिखाया या नही?"
"अब उसे अपना दिखाना और मान जाए तो उसके मुँ ह में भी दे ना. अगर ना माने तो कोई बात नही मैं सीखा दँ ग
ू ी
मँुह में लेना."
फिर हम सब खाना खाने लगे. खाने पर वह मुझे दे ख रही थी. खैर खाने के बाद वह बर्तन सॉफ करने
लगी. मैं टीवी दे खने जाता बोला, "शम
ु ैला मैं टीवी दे खने जा रहा हूँ अगर तम
ु को दे खना हो तो आ जाना."
"ठीक है भाई जान आप चलिए मैं अभी आती हँ .ू बर्तन धोकर कपड़े बदल लँ ू फिर आती हूँ. इन कपड़ो में परे शानी
होती है ."
"हां बे टी जाओ बर्तन सॉफ करके भाई जान के साथ टीवी दे खना और मु झे डिस्टर्ब ना करना. मैं दो घंटे सोउं गी.
और शुमैला बेटी घर में इतने कसे कपड़े ना पहना करो. जाओ कोई ढीला सा स्कर्ट और टी-शर्ट पह्न लो."
मम्मी तो सोने की बात कह चली गयी.
मैं टीवी दे खने लगा. 10 मिनट बाद शुमैला आई तो उसे दे ख मैं दं ग रह गया. लाल रं ग का स्कर्ट और
वाइट टी-शर्ट में उसने मेक- अप किया हुआ था. होंठो पर स्किन कलर की लिप स्टिक थी और पर्फ्यूम से
उसका बदन महक रहा था.
मैं उसे दे खता रहा तो वह मुस्कराते हुए बोली, "भाई जान क्या दे ख रहे हो?"
वह अपनी चिकनी राने दिखाती अपने हाथों को अपनी चूचियों पर बाँधे थी.
फिर वह मेरी ओर दे ख बोली, "भाई जान यह अच्छी फिल्म नही है , मैं बोर हो रही हूँ."
मैं उठकर उसके पास जाकर बैठा और उसकी कमर पर हाथ रख बोला, "शुमैला इस वक़्त कोई अच्छा
प्रोग्राम नही आता." और कमर पर हल्का सा दबाव डालता बोला, "एक घं टे बाद एक अच्छा प्रोग्राम आता
है ."
"अरे यही प्रोग्राम दे खते हैं ना, आओ सोफे पर चलो ना वही बै ठकर दे खते हैं दोनो लोग." मैंने उसका हाथ पकड़
उसकी नशीली हो रही आँखों में झाँकते कहा.
मेने उसे मुस्करा कर दे खा और कहा, "ठीक है शुमैला तुम सच में थक गयी होगी बर्तन धोकर." और
उसकी कमर के पास ही बैठ गया.
अभी मैं चुप बैठा था. वह टीवी दे खते दे खते एक दो बार मुझे भी दे ख लेती थी. 4-5 मिनट बाद उसने
करवट ले ली तो उसकी पीठ और चूतर मेरी तरफ हो गये. अब मैं भी आगे कुच्छ करने की सोच धीरे से
उसके साथ ही लेट गया और अपना हाथ उसके ऊपर रखा. हाथ उसके ऊपर रखा तो उसने चेहरा मोड़ मुझे
दे खा और मुझे अपनी बगल में लेटा दे ख मुस्काराकार बोली, "क्या हुआ भाई जान आप भी थक गये हैं?"
कुच्छ दे र लेटा रहा फिर धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर खिसकाने लगा. वह चुप रही और थोड़ी ही दे र में
उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया और उसकी पैंटी दिखने लगी.
कुच्छ दे र बाद जब उसकी पैंटी को खिसकाना चाहा तो उसने मेरे हाथो को पकड़ लिया और टीवी दे खती
रही. मैं समझ गया कि वह शर्मा रही है . मैंने सोचा ठीक है रात में दे खग
ूँ ा नीचे वाली, अभी चूचियों का ही
मज़ा लिया जाए.
वह चुप रही तो फिर में धीरे धीरे दबाने लगा. दोनो चूचियों को 4-5 मिनट तक दबाया फिर उसकी टी-शर्ट
को ऊपर करने लगा तो उसने मेरी हे ल्प. दोनो चचि
ू यों को टी-शर्ट से बाहर कर दिया था. वह ब्रा पहले ही
उतार चुकी थी.
चूचियों को नंगी करने के बाद उसका कंधा पकड़ अपनी तरफ किया तो वह चुप चाप सीधी होकर लेट
गयी. उसकी आँखें बंद थी और मैं उसकी तनी तनी चूचियों को दे ख रह ना सका और झुककर एक को मँुह
में ले लिया. अब मैं दोनो चूचियों पर जीभ चला चला चाट रहा था. मैं अपनी बहन की दोनो चूचियों को
चूस नही रहा था बल्कि चाट रहा था.
जब 6-7 मिनट तक चाट्ता रहा तब वह भी मस्ती से भर गयी और अपनी एक चूची को अपने हाथ से
पकड़ मेरे मँह
ु में घस
ु ेड़ती फुसफुसाकर बोली, "भाई जान."
"क्या है शु मैला?"
"ववव आह इनको...."
"भाई जान इनको मुँ ह से चूस्कर पियो जै से खाने से पहले कर रहे थे ." वह शरमाते हुए बोली.
"तु मको अच्छा लगा था अपनी चूचियों को अपने भाई को चूसाने मे ?"
"पगली, शरमाया मत कर. अगर तु झे अपनी इस मस्त जवानी का मज़ा ले ना हो तो शरमाना नही. चलो खुलकर
इनका नाम लेका कहो जो कहना है ."
"भाई जान हाई पियो हाई पियो अपनी बहन की चूचियों को." और शरमाते हुए बोली, "ठीक है ना भाई जान?"
"बहुत अच्छे चलो एक काम करो यह सब कपड़े अलग करो अड़चन होती है ."
"अरे अगर दरवाज़ा बं द कर लिया तो मम्मी कुच्छ ग़लत समझें गी. डरो नही मम्मी कम से कम 2 घंटे बाद ही
उठें गी."
तब उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट अलग कर दिया और केवल पैंटी में ही लेट गयी.
"शु मैला."
"ओह्ह भाई जान फिर तो मज़ा आ जाएगा, हाई मैं तो रात भर आपको पिलाउन्गि."
"दे खो मैं ने तु मको इतना मज़ा दिया है ना इससे मे रा यह बहुत परे शान हो गया है . तुम अपने हाथ से इसे थोड़ा
प्यार करो तो इसे भी क़रार आ जाए." और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वह यह दे ख शरमाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ अपने लंड पर रखते कहा, "अरे यार तू शरमाती
क्यों है ."
"नही भाई जान नही मैं इसे नही पकडूँ गी." और उसने अपना हाथ हटा लिया.
"भाई जान आपको जो करना हो कर लो मैं इसे नही पाकडूँ गी मु झे डर लगता है ."
मैं उसकी चूचियों को चूस अपनी मूठ मारता रहा फिर थोड़ी दे र बाद बोला, "शु मैला हाई ऐसे नही निकले गा
प्लीज़ एक काम करो"
"यार अपने हाथ से नही होता और तू करे गी नही, तु म प्लीज़ अपनी पैं टी उतारकर मुझे दे दो ना."
तब उसने कुच्छ सोचते हुए अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और फिर पैंटी उतारी और मेरी ओर कर दी.
मैंने पैंटी पकड़ी और उसे संघ
ू ते हुए उसे मस्त करने के लिए कहा, "हाई शम
ु ैला मेरी बहन कितनी मस्त
और नशीली खुश्बू आ रही है तुम्हारी पैंटी से हह आह अब तुम्हारी पैंटी को प्यार करूँगा तो मेरा
निकलेगा.
फिर में उसकी पैंटी को मँुह में ले चूसने और चाटने लगा तो वह है रानी से मुझे दे खने लगी. कुच्छ दे र
चाट कर बोला, "शम
ु ैला लग रहा है जैसे सच में तम्
ु हारी चत
ू चाट रहा हूँ."
वह और ज़्यादा शर्मा गयी तब मैंने दो टीन बार और पैंटी को चाता फिर उसकी पैंटी से अपने लंड को
रगड़ते हुए कहने लगा, "ले हाई ले शम
ु ैला की पैंटी पर ही निकल जा हाई यह तो मेरी सग़ी और छ्होटी
बहन है यह तुमको अपनी चूत नही दे गी. हाई जब यह मेरा पकड़ नही रही है और मुझे अपनी चटा नही
रही है तो तझ
ु े कैसे दे गी."
और फिर में तेज़ी से झड़ने लगा. खूब पानी निकला था जिसे वह दे ख भी रही थी और शर्मा भी रही थी.
जब मैं झाड़ गया तो उसे पकड़ उसके होंठ चूमकर बोला, "थॅंक यू शुमैला अगर तुम अपनी पैंटी ना दे ती
तो मेरा निकलता नही और मुझे मज़ा नही आता. प्लीज़ अब तुम अपनी सभी गंदी पैंटी मुझे दे दिया
करना."
"अरे जो पहनी हुई होगी उसी में तो तु म्हारी चूत की मस्त खु श्बू होगी ना."
वह फिर शर्मा गयी और धीरे से बोली, "हाय चलिए, भाई जान थोड़ा सा और चूस दीजिए ना."
तब मैंने फिर उसकी चूचियों को 10 मिनट तक और चूसा फिर उससे बोला, "जा दे खकर आ मम्मी सो रही
हैं ना."
वह गयी और थोड़ी दे र बाद आ बोली, "हां भाई जान सो रही हैं मम्मी."
"शु मैला मे री जान तु म्हारी चूचियाँ बहुत अच्छी हैं , इनको चूस्कर मज़ा आ गया यार ज़रा सा अपनी नीचे वाली
भी चटा दो ना."
"भाई जान आप नही मानते तो में आपको केवल दिखा सकती हँ ू ले किन छन
ू े नही दँ ग
ू ी, बोलिए?"
"ओके, ठीक है , दिखाओ हाई दे खें तो मे री बहन की चूत कैसी है हाई जिस चूत की खश्ु बू इतनी प्यारी है वह दे खने
में कितनी खूबसूरत होगी?"
वह मेरी बात सुन शर्मा गयी और फिर धीरे से अपने स्कर्ट को पकड़ा और मेरे सामने खड़ी हो स्कर्ट ऊपर
उठाने लगी. मैं उसकी चूत दे ख मस्त हो गया और लंड तेज़ी से झटके लेने लगा. मैं उसकी खब
ू सूरत चूत
दे ख अपने होंठो पर जीभ फेरता बोला, "आह शुमैला मेरी जान मेरी प्यारी बहन तुम्हारी चूत बहुत खूबसूरत
है , हाई कितनी प्यारी सी छ्होटी छ्होटी फाँक और कितनी गुलाबी सी एकदम गुलाब की कली सी चूत है .
हाई शुमैला वह कितना खुशनसीब होगा जो इस कली को फूल बनाएगा. आअह उसे कितना मज़ा आएगा
जब वह मेरी बहन की प्यारी सी चत
ू पर अपनी जीभ लगा चाटे गा."
फिर वह स्कर्ट नीचे कर सामने बेड पर करवट के बल लेट गयी तो में भी उसके पिछे लेट उसकी गांद
पर लंड सटा उसे अपनी बाँहो में दबोच लिया. वह कसमसाई तो मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और
दबाते हुए उसे मस्त करने के लिए उसके कान में फुसफुसाने लगा.
"शु मैला मे री बहन तु म बहुत खूबसूरत हो, तु म्हारी चूचियाँ बहुत कड़क है और तुम्हारी चूत का तो जवाब ही
नही."
"ओह्ह दे ख तो रहा हँ ,ू हाई शु मैला अगर तु म इज़ाज़त दो तो तु म्हारी चूत को हाथ से छू कर दे ख लँ .ू "
"प्लीज़ शु मैला."
"भाई जान दे खिए आप ......ओके भाई जान ले किन भाई जान अभी नही प्लीज़ अभी टीवी दे खिए रात को जब
मम्मी सो जाए तब आप आ जाइएएगा मेरे रूम में तब आप दे खिएगा भी और छू भी लीजिएगा."
"हाई ठीक है शु मैला, ऊहह हाई रात तक इं तेज़ार करना होगा इस प्यारी चूत के लिए."
फिर वह उठकर टाय्लेट गयी और वापस आ ठीक से बैठ गयी. फिर मैंने भी अपने कपड़े सही किए और
थोड़ी दे र बाद मम्मी आ गयी.
मम्मी भी हमारे साथ टीवी दे खने लगी. 10 मिनट बाद मम्मी बोली, "शुमैला बेटी जा चाइ बना ला."
वह गयी तो मम्मी ने मुझसे कहा, "आमिर बेटे कुच्छ काम बना तुम्हारा?"
"मम्मी आज तो शु मैला की दोनो चूचियों को चूस चूस्कर खूब मज़ा ले कर झाड़ा और उसकी चत
ू को भी दे खा
लेकिन उसने छूने नही दिया."
"अच्छा ठीक है बे टा तु म उसके कमरे में जाकर ही मज़ा दे ना. कोशिश करना कि तम
ु उसे आज ही चोद लो, और
अगर ना चोद पाओ तो एक काम ज़रूर करना."
"क्या मम्मी?"
"तु म अपनी अं डरवे र उसके रूम में ही छोड़ दे ना और अपनी कोई और आइटम भी वही छोड़ दे ना बाकी मैं दे ख
लँ ूगी."
"ठीक है मम्मी."
फिर शम
ु ैला चाइ लेकर आ गयी. हम सब चाइ पीने लगे. फिर सब कुच्छ नॉर्मल हो गया. मैं बाहर चला
गया.
रात को वापस आया फिर सबलोगो ने खाना खाया और फिर शुमैला बर्तन धोने लगी तो मम्मी ने मुझसे
कहा, "बेटा आज तू अपनी बहन की लेगा, तुझे उसके सामने अपनी मम्मी तो अच्छी नही लगेगी."
"ओह्ह मम्मी आप कैसी बात करती हो, आप तो पहले हैं और शु मैला बाद मे . आज आप अकेले सो जाओ आज
शुमैला को कोशिश करके चोद लँ ू तो फिर कल आपको."
फिर मम्मी शुमैला से बोली, "बेटी मैं सोने जा रही हूँ, तुम बर्तन धोकर सोना, आमिर बेटा जाओ तुम भी
सोओ जाकर."
"आप चलिए मम्मी मैं ज़रा टीवी दे खँ ग
ू ा."
"तु मको रोका किसने है हाई आज तो मे री ज़िं दगी का सबसे अच्छा दिन था और अब रात भी सबसे हसीन होगी."
"हा आहह आज रात मे री खूबसूरत जवान बहन मे रे साथ बिस्तर पर होगी ना इसलिए." और उसकी चूचियों को
पकड़ा.
"मे रे साथ ही चलना हाई यार जल्दी धो बर्तन और चलो दे ख ना यह कितना तड़प रहा है ." और अपने लंड पर
हाथ लगाया.
वा मेरी पॅंट को दे खते बोली, "ओह्ह भाई जान आप चलिए फिर मेरी चूस्कर इसे सही कर लीजिएगा."
"भाई जान मु झे अपनी चु सवाने में बहुत मज़ा आया था." वह मे रा हाथ अपनी चचि
ू यों पर रखती बोली.
"अरे यार तु म एक बार अपनी चूत को अपने भाई से चटवाकर तो दे खो चूचियों से ज़्यादा मज़ा चूत में होता है ."
मैंने कसकर चूचियों को मसला.
"भाई जान आप कहते है तो सच होगा ले किन मु झे बहुत डर लगता है ." वह अपनी चचि
ू यों को दे खते बोली.
"अच्छा तू एक बात बता, तु झे अपनी चूत चट् वाने में क्या डर लगता है ?"
"पगली शरम क्यों लगती है ?" मैं ने उसके चे हरे को हाथो से पकड़ अपनी ओर किया.
फिर मैने उसे गोद में उठाया तो वह मेरी गोद से उतरते हुए बोली, "ओके भाई जान ठीक है आप जैसे
चाहे वैसे मज़ा लीजिएगा अपनी प्यारी छोटी बहन का पर आप छोड़िए तो."
"भाई जान मे रे रूम में अटॅ च टाय्ले ट नही है , आपके रूम में टाय्ले ट है ना, वरना टाय्लेट के लिए बाहर आना
पड़ेगा."
फिर में अपने रूम में आया और बेड पर लेट गया और अपनी बहन के आने का इंतेज़ार करने लगा. मैं
लेटा हुआ अपनी मम्मी के बारे में सोच रहा था कि बेचारी मम्मी आज अकेले तड़प रही होगी. तभी
दरवाज़े पर आहट हुई तो मैंने दे खा और दे खता ही रह गया.
दरवाज़े पर शुमैला खड़ी थी. उफ्फ कितनी हसीन लग रही थी वह. उसके बदन पर एक सफेद झीना सा
छ्होटा कुर्ता था जो उसकी कमर तक ही था और अंदर ब्लेक्ज ब्रा पहने थी. नीचे भी वह केवल काली पैंटी
पहने थी और कुच्छ नही. उसने मेक-अप भी किया था. होंठो पर लाल लिपस्टिक थी और आँखों में काजल
और पर्फ्यूम भी लगी थी. मैं उसे पागलों की तरह दे खता रहा. अपनी छ्होटी बहन को तीन सेक्सी कपड़ो में
दे ख सबकुच्छ भूल गया.
जब मैं उसे दे खता रहा तो वह मुस्काराकार बोली, "भाई जान अब दे खते ही रहिएगा या अंदर आने को भी
कहिएगा."
मैं उसकी बात सुन बेड से उतर उसके पास गया और दरवाज़ा बंद कर उसे गोद में उठाया और फिर बेड
पर लिटाया और उसके पास बैठ उसे दे खने लगा. वह इस तरह अपने आपको दे खता पा मुस्कराती हुई
बोली, "क्या बात है भाई जान अब दे ख भी चक
ु ो."
"शु मैला मे री जान क्या बात है यार इस वक़्त तू बहुत प्यारी लग रही है मन कर रहा है कि दे खता ही रहूं."
"भाई जान अब दे खना बं द करिए, कल पूरा दिन दे ख लीजिएगा, अब जो करना हो करिए मुझे सोना है और सुबह
कॉलेज जाना है ."
तब मैंने उसके होंठो को कुच्छ दे र तक चूसा. वह भी मेरे होंठो को चूस्ति रही फिर मैंने उसके कुर्ते को
उतारा और ब्रा को अलग किया तो दिन में जी भरकर चस
ू ी गयी दोनो चचि
ू याँ ऊपर को तनी तनी मझ
ु े
ललचाने लगी. मैंने दोनो हाथो से शुमैला की दोनो चूचियों को पकड़ा फिर धीरे धीरे सहलाने लगा.
मैं चचि
ू यों को सहलाते हुए शम
ु ैला को दे ख रहा था. वह भी मझ
ु े ही दे ख रही थी और मस्
ु करा भी रही थी.
वह मुस्काराई और मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दबाव ज़्यादा करते हुए बोली, "भाई जान मे री चूचियाँ
आपके लिए है . लीजिए मज़ा अपनी बहन की चूचियों का, दबा दबाकर भाई जान."
मेने उसकी चूचियों को 6-7 मिनट तक दबाया और वह बराबर मुझे दे खती रही. फिर वह मेरा हाथ पकड़
बोली, "भाई जान अब बस भी करिए."
"अब फिर दबा लीजिएगा, अब ज़रा इनको मुँ ह में ले कर चूसिए ना."
"हाई भाई जान हाई मे रे प्यारे भाई जान और और हाई बहुत मज़ा है पिलाने मे , पियो सारा रस पी जाओ."
10 मिनट तक दोनो निपल चूसे फिर मुँ ह अलग कर उसकी बगल में ले ट गया.
थोड़ी दे र मस्ती की लौ में रहने के बाद उसने आँखे खोल मझ
ु े दे खा और मुस्कराते हुए बोली, "शुक्रिया
भाई जान."
"अरे यार तु झे मालूम नही कि जब बच्चा होता है तभी इनमे रस होता है ."
"ओह्ह भाई जान मु झे नही पता था. तो क्या आपको मज़ा नही आया?"
"अरे यार मु झे तो बहुत मज़ा आया, मैं तो रस के बारे में बता रहा था, हां अभी तुम्हारी चूत में रस ज़रूर होता है ,
अगर तुम मुझे अपनी चूत का रस पिला दो तो मुझे मज़ा आ जाए."
वह मुझे दे खने लगी फिर चुप हो गयी और कुच्छ सोचने लगी. कुच्छ दे र बाद उसने मुझे दे खा और
मुस्काराकार बोली, "ठीक है भाई जान आप आज अपनी बहन की चूत चाट कर दिखाइए उसमे कितना
मज़ा है ."
मैं खुश हो गया और उसे चूम नीचे उसकी कमर के पास गया. फिर धीरे धीरे उसकी पैंटी को उतारने लगा.
उसने चत
ू र उठा पैंटी अलग करवाई तो उसकी चत
ू दे ख मस्त हो गया. एकदम चिकनी लग रही थी. शायद
अभी क्रीम से थोड़े बहुत रोएँ भी सॉफ कर आई थी. मैंने उसे बेड पर टे क लगा बिठाया और उसकी गांद के
नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत उभर आई. फिर उसकी टाँगो के बीच लेटा और उसकी चूत के
दोनो फाँक उं गली से खोल दे ख कर मस्
ु काराया तो वह भी मस्
ु करा दी.
उसने अपनी कमर उचकाई तो मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया. चूत पर हाथ रखते ही मेरे बदन में
सनसनी दौड़ गयी. वह भी मचल सी गयी. उसके मँुह से एक आह निकल गयी. मैं उसकी चूत को हाथ
लगा मस्त हो गया. मम्मी की चूत से कहीं ज़्यादा खूबसूरत चूत थी शुमैला की. मन तो कर रहा था कि
हाथ रखे चूत को दे खता रहूं.
शुमैला की चूत को 4-5 बार सहलाया तो वह बोली, "भाई जान अच्छा लग रहा है ."
"हाई बहुत प्यारी चूत है , हे या छ्होटी सी फाँक वाली गु लाबी गु लाबी." और फिर उं गली से दोनो फाँक खोलकर
दे खा तो च्छे द दे ख बोला, "और दोनो फाँक कितने मस्त है और हाई कितना प्यारा च्छे द है , हाई शुमैला
मेरी जान ऐसी चूत तो बस रात भर चाटने के लिए होती है ."
"भाई जान हाई आपकी बहन आपके सामने ऐसे ही चूत खोले ले टी है और आप चाट क्यों नही रहे ?"
"चाटु न्गा चाटु न्गा यार हाई दे खने से ही इतना मज़ा आ रहा है ."
फिर चेहरे को उसकी चूत पर झुकाया और नाक को उसकी चूत पर सून्घ्ता हुआ बोला, "हाई आहह कितनी
प्यारी, नशीली खश्ु बू आ रही है तेरी चूत से, आहह हाई तुम्हारी पैंटी की खुश्बू से ज़्यादा मस्त खुश्बू चूत में
है ."
वह मुझे अपनी चूत की खश्ु बू सूंघते दे ख खुश हो गयी और मेरे सर पर हाथ लगा धीरे से बोली, "ओह
भाई जान हाई आप कितने अच्छे हैं, आप अपनी बहन को कितना प्यार करते हैं हाई और प्यार करिए
अपनी बहन को आपकी बहन अब आपकी दीवानी हो गयी है ."
कुच्छ दे र तक चत
ू की खश्ु बू लेने के बाद उसकी चत
ू को चम
ू ा तो वह एकदम से फडक गयी और उसकी
गांद तकिये से उछल गयी और वह मेरा सर अपनी चूत पर दबाते हाई हाई करती बोली, "ओह्ह हाई
आहह ब्ब्भ्ह्ह्हाऐज्जाआन उुउऊहह भाई जान हां हां और और ऐसे ही करिए हाई बहुत अच्छा."
फिर दो तीन बार चूमने के बाद जीभ निकाली और उसकी रानो को चाटा फिर जीभ को उसके दोनो फांको
पर ऊपर नीचे तक चला चला 4-5 मिनट चाटा. वह इतने में ही एकदम पागल सी हो गयी थी. दोनो
फांकोंको चाट चाट्कर थक
ू से भिगोने के बाद उसको दे खने लगा. चत
ू से ज़ब
ु ान हटी तो उसने आँखे खोल
मुझे दे खा फिर मुस्कराती बोली, "भाई जान बहुत अच्छा लगा."
"कहाँ मे री जान अभी तो ऊपर से मज़ा लिया है ." और चूत की फाँक में उंगली चलाई.
वह अपने पैर कसकर फैलाती बोली, "हाई आह आज तो मज़े से पागल हो जाउन्गि, भाई जान इसमे तो
चूचियाँ चुसवाने से ज़्यादा मज़ा है ."
फिर मैंने उसकी फांको में अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे चलाई और उसके क्लिट को ज़ुबान से चाटा. क्लिट
को ज़बान लगते ही वह एकदम बेहोश सी हो गयी थी. क्लिट को चाटने के साथ ही उसके छे द में ज़ुबान
डाल डाल परू ी चूत को चूस्कर चाटने लगा. अब वह मज़े से भारी चूटर को ऊपर की ओर उच्छाल सिसकती
हुई हाई हाई कर रही थी.
फिर हाथ ऊपर कर उसकी दोनो चूचियों को पकड़ दबा दबा चाटने लगा. 8-10 मिनट इसी तरह चाटा कि
वह एक तेज़ सिसकारी ले हाई भाई जान बोलती झडने लगी.
"हां भाई जान यह तो सबसे हसीन मज़ा था. चूचियों से ज़्यादा मज़ा चूत में है ."
"हां शु मैला इसीलिए तो कह रहा था, मु झे भी बहुत मज़ा आया, दे खो मे रा लंड कैसा कड़क हो रहा है , हाई अब
इसका पानी भी निकालना पड़ेगा वरना यह मुझे सारी रात सोने नही दे गा."
वह यह सन
ु मझ
ु े दे खने लगी. फिर धीरे से मस्
ु कराई और बोली, "भाई जान जैसे दिन में आपका पानी
निकला था वैसे ही मेरा भी पानी निकला था अभी."
"हां जब मज़ा आता है तो पानी निकलता है और यही पानी निकलने पर ही असली मज़ा आता है , मैंने तम्
ु हारा
पानी चाट कर निकाला है अब अपना पानी निकालँ ूगा तो मुझे भी मज़ा आएगा."
"कई तरीके होते है . जै से मैं अपने हाथ से अपना पानी निकालु या तु म अपने हाथ से निकाल दो या तुम अपने
मँुह में लेकर चाटकार भी निकाल सकती हो और सबसे प्यारा तरीका है कि तुम्हारी चूत में इसे डालकर
निकालु. सबसे ज़्यादा मज़ा इसी में आता है ."
फिर अपना अंडरवेर उतार उसकी बगल में लेटा और उसे दे खते हुए मूठ मारने लगा. वह कुच्छ दे र बाद
बोली, "भाई जान मैं कर दं ?ू "
तब वह उठी और मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर नीचे करने लगी. उसके हाथ में लंड
जाते ही मज़ा बढ़ा. 5-6 बार सहलाया तो में बोला, "हाई शु मैला अगर तु म इसे अपने मुँ ह में ले कर दे खो तो मज़ा
आ जाएगा तु मको. लंड चाटने में लड़कियों को बहुत मज़ा आता है ."
तब उसने मँुह खोला और सुपाडे को अंदर लिया. फिर उसने केवल सुपाडे को तीन चार बाद अंदर बाहर
किया और शायद उसे अच्छा लगा था क्योंकि उसके बाद उसने अपनी ज़बान बाहर निकाली और परु लंड
को चारो ओर से ज़बान लगा लगा चाटने लगी.मे मस्त हो गया और आहह हाई करने लगा. कुच्छ दे र तक
उसने लंड को ज़बान से ही चाटा.
10 मिनट बाद मैं हांफता सा बोला, "हाहह बॅ स बस्कर शु मैला अब निकाल दे अपने मँुह से बाहर अब झडने वाला
है . आहह हाई मैं गया."
फिर शम
ु ैला को अपनी बाँहों में भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वह मेरे ऊपर थी और उसकी
चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी और चूत लंड के ज़रा ऊपर पेट पर थी. मैं उसके दोनो गुदाज़ चूतर पर
हाथ लगा सहलाता हुआ उससे बातें कर रहा था.
"भाई जान...."
"आए शर्मा मत बता ना अपने भाई जान का लं ड कैसा लगा? अगर अच्छा नही लगा तो फिर नही कहूँगा चाटने
को."
"व्व वो मे रा मतलब है भाई जान बहुत अच्छा लगा चाटने मे . भाई जान प्लीज़ अब मैं रोज़ रात को आपके साथ
ही लेटुंगी. आप प्लीज़ रोज़ मेरी चूत को चाटियेगा और मैं आपका लंड."
"ठीक है जान तु म्हारा हर तरह से मैं ख्याल रखूँगा. अब बताओ क्या इरादा है ?"
ू ा."
"अब तु म्हारी चूत को अपनी उंगली से चोद्कर तु मको मज़ा दँ ग
"उं गली से भी मज़ा आता है . तु मको लगे गा कि कोई तु म्हारी चूत को चोद रहा है ."
इस बार वह पहले से भी ज़्यादा झड़ी. जब वह झाड़ रही थी तो उसने मेरी उं गली को अपनी चूत में ही
दबा लिया और होंठो को कसे झड़ती रही. उसने टाँगो को मेरी गर्देन पर कस रखा था और मैं उसकी रानो
को चाट रहा था. उसकी गांद बहुत तेज़ी से झटके ले रही थी.
तब मैंने उसकी चूत में उं गली डाल घुमाया और फिर उं गली निकाल उसके मँह
ु के पास कि तो उसने मेरी
उं गली मँह
ु में ले चस
ू ी और बोली, "हां भाई जान बहुत प्यारा टे स्ट है ."
फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में गया. फिर उसकी चूत और अपना लंड धोकर सॉफ किया
और वापस आया. मैं बेड पर लेटा तो वह मेरी बगल में लेट मझ
ु से चिपकती मेरे होंठो को चम
ू बोली, "भाई
जान आप बहुत अच्छे हैं."
"जी तभी तो अभी जा रही हँ .ू भाई जान कल पूरी रात अपने भाई जान के पास रहूंगी."
"सच?"
"और क्या मैं अपने भाई जान से झठ
ू बोलूँगी? भाई जान कल आपकी बहन रातभर आपके बेड पर आपकी बाँहों में
रहे गी."
"रातभर बिना कपड़ों के पूरी नं गी अपने नं गे भाई जान की बाँ हों में रहना होगा और लंड को चाटकार चूत चटवानी
होगी?"
"ओके."
फिर उसे अपने से अलग किया तो उसने अपना कुर्ता पहना और ब्रा लेकर पैंटी उठाने लगी तो में बोला,
"इसे छ्चोड़ दो यही हाई रात भर यह तुम्हारी याद दिलाएगी."
वह मुस्काराई फिर बिना पैंटी पहने नीचे से नंगी अपनी गांद मुझे दिखाती दरवाज़े तक गयी और पलट
कर मझ
ु े दे खा और मस्
ु काराकार मझ
ु े दे खा और दरवाज़ा खोला और फिर बाहर दे खा फिर चप
ु के से निकल
गयी.
अगले दिन सब
ु ह मैं दे र से उठा. शम
ु ैला कॉलेज जा चक
ु ी थी. मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया. कुच्छ दे र बाद
मम्मी आई और मुस्काराकर बोली, "क्यों बेटा खूब मज़ा लिया रात भर नये माल का?"
"मम्मी आप भी."
"हां मम्मी अब आप उसे चु द्वा दीजिए. वह चु द जाएगी, कह रही थी कि उसे शरम आती है . ओह्ह मम्मी उसकी
चूत इतनी प्यारी है कि क्या बताऊ."
"अरे बे टा 17 साल का कसा माल है , अन्छुआ भी है . मज़ा तो आएगा ही. आज ही कोशिश करूँगी तेरा काम
बनाने की."
"मम्मी उसकी पैं टी मे रे रूम में है ."
दिन में जब शम
ु ैला वापस आई तो मम्मी ने उसे बल
ु ाया और उसे घरू ने लगी.
वह डर गयी और चप
ु रही. मम्मी ने उसे घरू ने के बाद कहा, "शम
ु ैला."
"ज्जजई मम्मी."
"यह तु म्हारी है ना?" मम्मी ने उसकी ब्लॅ क पैं टी उसे दिखाते कहा.
वह पैंटी दे ख घबरा गयी और हकलाने लगी. तब मम्मी ने उसका हाथ पकड़ा और अपने रूम में ला उसे
बैठा खुद उसके पास बैठती बोली, "बेटी यह तेरे भाई के रूम से मिली है ."
"ओह्ह मु झे लगता है तु म्हारा भाई ही इसे ले गया होगा अपने रूम मे . मु झे लगता है वह च्छूप च्छूप कर तुमको
दे खता भी है ."
"ज्ज्ज मम्मी."
"बे चारा वह भी क्या करे तू है ही इतनी खूबसूरत की कोई भी लड़का तु मको दे खना चाहे गा."
वह फिर शरमाई तो मम्मी ने उसका चेहरा पकड़ कहा, "अरे बेटी शर्मा नही, मैं तुम्हारी सहे ली भी हूँ, मैं ही
तुमको सब कुच्छ समझाउं गी बताओ?"
"पर क्या?"
"वह लड़के उल्टा सीधा बोलते रहते हैं ."
"बहुत बु रे होते हैं वह लड़के, बे टी तु म कभी उनके चक्कर में मत आना, जानती हो ऐसे लड़के लड़कियों को अपने
जाल में फँसाकर उनकी इज़्ज़त से खेलते हैं."
"जी मम्मी."
"बे टी तु म जवान हो और जवानी में हर लड़की चाहती है कि कोई उसे खूब प्यार करे . अगर तुम्हारा मन करे तो
तुम मुझे बताना."
"ज्जजई."
"हां बे टी, इस उमर में ऐसा होता है यह कोई ग़लत बात नही. ले किन बाहर के लड़के लड़कियों को बर्बाद कर दे ते
है . बेटा तम्
ु हारा भाई तम
ु को बहुत प्यार करता है . वह तम
ु को च्छुपकर दे खता भी है . तम
ु उसे ही दिखाओ ना
अपना कसा माल."
"मम्मी."
"हां बे टी मैं सही कह रही हँ ,ू इस उमर में अगर कोई लड़का लड़की को प्यार करता है तो उसे बहुत मज़ा आता है .
अगर इस वक़्त कोई लड़का तुमको प्यार करे तो तुमको लगेगा कि तुम जन्नत में हो. तुम रात में अकेले
सोती हो अगर कोई लड़का तम्
ु हारे साथ सोए तो तम
ु बहुत खश
ु होगी. इसीलिए कह रही हूँ कि बाहर के
लड़को के साथ कभी मत मिलना जुलना."
"तु म्हारा मन करता हो कि कोई लड़का तु म्हारे साथ सोए तो तु म अपने भाई को अपना कसा माल दिखाओ और
अगर वह तुमको प्यार करे गा तो कोई डर नही होगा. इसमे बदनामी भी नही होती और कोई जान भी नही
पाता."
शम
ु ैला मन में बहुत खश
ु थी. मम्मी तो उसके मन की बात कर रही थी. वह शरमाने की आक्टिं ग करती
बोली, "मम्मी हाई नही."
"जा अपनी कोई पु रानी छोटी कुरती पहन आ जिससे तु म्हारी दोनो कम से कम आधी बाहर निकल आए और अंदर
ब्रा नही पहनना और नीचे मियानी फटी रखना जिससे तुम्हारे भाई को सब कुच्छ दिखे."
"मम्म मन करता है कोई इनको पकड़ कर दबाए और चूसे." शु मैला ने अपनी चूचियों को पकड़ कर शरमाते हुए
कहा.
"पगली तो इसमे इतना शरमाने की क्या बात है . इस उमर में तो यह मन करता ही है . तुम्हारे भले के लिए कह रही
हूँ. तुम अपने भाई को अपने खूबसूरत बदन को दिखाओ तो अगर वह फँस गया तो तुमको कहीं बाहर
जाने की ज़रूरत नही होगी."
"पहले तो तु म जाओ और कोई छ्होटे कपड़े पहनो जिसमे कुच्छ दिखे ."
फिर वह अपने रूम में जा पुराने कपड़े पहन आई. सफेद शलवार जंपर था.
शलवार कसी थी और जंपर भी कसी थी और दोनो चूचियाँ कसकर बाहर को रही थी और ऊपर से दिख
रही थी. वह पास गयी तो मम्मी ने उसे पकड़ कहा, "हां अब ठीक है , जब भाई आए तो उसके सामने ही बै ठना
और पै रों को फैलाना जिससे उसे तुम्हारी चूत की झलक दिखे और चूचियों को ज़रा और बाहर निकाल लेना
जा."
"भाई जान मम्मी ने पहनाए है ये कपड़े , कहा है अपने भाई को दिखाओ अपना माल."
"हाई ते रा माल तो दे ख भी चु का हँ ू और चख भी चु का हँ ,ू रानी आज तो तुम्हारा परू ा मज़ा लँ ूगा, आज अपनी बहन
की जवानी को खुलकर चोदन्ु गा."
"अरे यार मम्मी भी चाहती है कि तु म अपनी चु द्वाओ मु झसे तो क्यों शरमाती है ?"
"जी नही भाई जान मम्मी तो बस इतना चाहती हैं कि मैं आपको दिखाऊ और थोड़ा बहुत दबवाकर मज़ा लँ .ू आई
बात समझ में अब जाइए और रात को मेरे रूम में आना हो तो मुझे इनकार नही."
फिर वह इठलाती हुई चली गयी. मैं मम्मी के पास गया और पूछा तो मम्मी बोली, "काम बन रहा है ,
जल्दी मत करो आज रात चोद लेना अपनी बहन को."
फिर सब नॉर्मल होने लगा. वह मुझे दे ख दे ख इठला रही थी. खैर रात के 11 बजे मैं उसके रूम में गया तो
वा बेड पर लेटी कोई बक
ु दे ख रही थी. मैं उसके पास गया तो वह बक
ु रख मझ
ु े दे खने लगी. मैं पास गया
और उसको पकड़ कहा, "आज क्या कर्वओगि?"
"तु म झठ
ू बोलती हो."
"तो ठीक है पहले तो में तु म्हारी चूत को चाटकार मज़ा लूँगा फिर आज तु मको चोदन्ु गा भी."
मैं अभी कुच्छ कहने ही वाला था कि बाहर से आहट की आवाज़ आई और फिर मम्मी की आवाज़ आई,
"आमिर बेटा तुम कहाँ हो?"
"हां हां बे टा ठीक है , तु म दोनो लोग बातें कर्लो मैं तो सोने जा रही हँ .ू वैसे तुमलोग भी जल्दी सो जाना बाते
करने के बाद."
"अरे क्यों?"
"अरे शु मैला बे टी क्या बात है . अपने बड़े भाई की बात मानलो, जो कह रहा वह करो. बेटा मानेगी तुम्हारी बात."
शुमैला सब सुन घबरा सी रही थी. तभी मम्मी ने उसके गालों को पकड़ कहा, "बे टी क्या कह रहा था यह?"
"ज्ज्ज..."
"मम्मी मैं कह रहा था कि तु म मे री छ्होटी और प्यारी बहन हो और मैं तु मको बहुत प्यार करता हूँ और मैं इस
वक़्त इससे कुच्छ प्यारी बातें करने आया हूँ."
"अरे बे टी तु म अपने भाई को बहुत परे शान करती हो. तु मको समझाइया था दिन मे . चलो अपने भाई को अपना
माल दिखाओ."
वह मम्मी की खुली खुली बात सुन शर्मा गयी. मैं खुश था. तभी मम्मी मुझसे बोली, "बेटा तुम अपनी बहन
का माल दे ख लो और इसे थोड़ा प्यार भी करना, बेचारी को किसी के प्यार की बहुत ज़रूरत है ."
फिर मम्मी ने उसका हाथ पकड़ कहा, "आओ बेटी मैं तुमको प्यार करवा दं ू भाई से."
"ज्जजई..."
फिर मम्मी जैसे ही बाहर गयी मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठो को चूमते कहा, "दिखाओ अपना
माल."
तब उसने मुस्कराते हुए अपने कपड़ो को अलग किया और फिर नंगी हो अपनी चूचियों को पकड़ बोली,
"लो भाई जान दे खो अपनी बहन का माल."
मैं उसकी चूचियों को पकड़ दबा दबा चूसने लगा. वह मुस्करती हुई मुझे दे खने लगी. कुच्छ दे र बाद वह
मेरे बालों में हाथ फेरते बोली, "भाई जान पहले मेरी चाटकार झाड़ दो फिर चूसना."
तब मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत के पास जा चूत को दे खते कहा, "हाई कितनी प्यारी चूत है ,
मज़ा आ जाएगा इसको चाटकार."
फिर मैंने ज़ुबान निकाल उसकी चूत को 8-10 चाटा फिर अंदर तक जीभ पेल चाटने लगा 50-55 बार चाटा
तब उसकी चूत ने फुच से पानी फेंका. नमकीन पानी निकलते ही मैं अलग हुआ तो वह हाई हाई करती
बोली, "मज़ा आ गया भाई जान."
अगले दिन सुबह नाश्ते पर मम्मी ने पूछा, "बेटी रात में भाई ने तुमको प्यार किया था?"
वह शरमाई तो मम्मी ने मुझसे कहा, "क्यों बेटा रात में अपनी बहन को प्यार किया था?"
"क्यों बे टी अरे मैं ने कहा था जो भाई करे करने दे ना, चलो कोई बात नही नाश्ता हो गया चलो अब मेरे रूम में
दोनो लोग दे खते हैं तुम लोग क्या करते हो."
फिर मम्मी हम्दोनो को अपने रूम में ला खुद बेड पर बैठी और मुझे एक ओर बिठा शुमैला का हाथ पकड़
उसे अपने पास बिठा उसके गालो को सहलाती प्यार से बोली, "बेटी क्या हुआ बोलो भाई तुमको परे शान
करता है क्या?"
वह चप
ु रही तो मम्मी ने फिर कहा, "बेटी कल रात मैंने दे खा था कि तम
ु अपने भाई की गोद में बैठी
हो."
"ज्ज्ज्जई..."
वह शरमाई तो मम्मी ने कहा, "अरे बेटी शरमाओ नही अपने भाई की ही गोद में बैठी थी ना कोई बाहर
वाले की गोद में तो नही, कोई बात नही तुम लोग जो मन करे किया करो."
फिर मम्मी मझ
ु से बोली, "क्यों बेटा तम
ु अपनी बहन को अपनी गॉद में बिठाते हो."
"और मैं इसे अपनी गोद में बिठाकर इसकी दोनो पकड़कर..."
"और मैं इसकी दोनो चूचियों को पकड़ कर दबा दबा इसको चूमता हँ .ू "
शुमैला तो मेरी बात सुन शर्मा कर घबराने सी लगी पर मम्मी ने कहा, "और क्या क्या किया है तुमने
मेरी बेटी के साथ?"
"माँ मैं ने अपनी प्यारी बहन को अपना लं ड पिलाया है और इसकी चूचियों का रस पिया है और इसकी चूत को
खब
ू चाटा है ."
"अरे तु म दोनो इतना सब कर चु के हो. क्यों बे टी तु मने अपने भाई का लं ड मुँ ह से चूसा है और अपनी चूचियाँ
पिलाई हैं?"
"हान्न मामी यह लं ड को खूब कसकर चूस्ति है और सारा पानी मुँ ह में ही ले ती है और मम्मी अपनी चूचियों को
खूब दबा दबाकर पिलाती है सारा रस मेरे मुँ ह में निचोड़ दे ती है ."
मम्मी शुमैला के चेहरे को पकड़ बोली, "मैं तो कह रही थी कि थोड़ा बहुत भाई को दिखा दिया करो पर
तुमने तो खूब मज़े लिए अपने भाई जान से, चलो कोई बात नही बेटी आज तुम लोग और मज़ा लो."
"अरे तो चोदो ना कोई मना करता है क्या? बे टी अपने भाई का लं ड चूत में लो बहुत मज़ा आएगा."
यह बात सुन शुमैला खुल कर बोली, "मामी मैं भाईजान का लंड मँह
ु में तो रोज़ ही लेती हूँ पर चूत में
आज पहली बार लँ ग
ू ी इसलिए प्लीज़ आप भी साथ रहिएगा."
"ठीक है बे टी आमिर बे टा चलो आज पहले मु झे चोद्कर अपनी बहन को दिखाओ फिर इसको चोद्ना."
"अब उपे र आओ ना बे ड पर यूँही खड़े रहो गे क्या? यहाँ आओ बे टा." मम्मी ने मे रा हाथ पकड़ मुझे बिठा लिया.
"यहाँ नही हमारे दरमियाँ आओ, आज यहाँ ही केरते हैं जो केरना है . शु मैला वैसे भी घबरा रही है , मुझे ही कुछ
करना पड़ेगा." मम्मी ने नकली गुस्सा दे खते हुए मुस्कुरा कर कहा और मुझे अपने और शुमैला के बीच
बिठा लिया.
"दे खो शु मैला ते रे भाई के जिस्म पे कैसे प्यारे कट् स हैं ." मम्मी ने शु मैला का हाथ पकड़ के मेरे चेस्ट पे रख
दिया. शम
ु ैला का दिल ऐक बार ज़ोर से धड़का लेकिन उस ने हिम्मत नही छोड़ी और हल्के हल्के अपना
गर्म गर्म हाथ मेरे चेस्ट पे फैरने लगी. मैं अब रे लेक्ष था मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता फूलने लगा था. तभी
मम्मी ने मेरे पैट पे हाथ फेरते हुए मेरे सेमी एरे क्टे ड कॉक को ट्राउज़र के उप्पेर से ही पकड़ लिया और
बोली, "आरएे क्या केरते हो!! जवान बनो, चलो ये भी उतारो."
और मम्मी ने मेरा ट्राउज़र भी उतार दिया. मैंने हल्का सा खुद को उठा कर ट्राउज़र उतारने में मम्मी की
मदद की. अब मैं दोनो के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था.
शुमैला की नज़ारे मेरे सेमी एरे क्टे ड लंड पर थीं जो कि मम्मी के हाथ में था. उस का दिल अब और भी
ज़ोर से धरकने लगा था.
"मम्मी आप खु द ही कर लो ना, आप को तो आता है ना." मैं ने मम्मी की तरफ दे खते हुए जवाब दिया.
और शम
ु ैला ने मेरा लंड हाथ में ले कर मट्ठ
ु ी बंद कर ली. उसे लगा के जैसे उस ने कोई गर्म गर्म रोड
पकड़ लिया है वो काफ़ी सख़्त हो रहा था और झटके ले रहा था. मैं शुमैला के हाथ की नर्मी और गर्मी
अपने रोड पे महसूस कर के और भी हार्ड होने लगा.
"ऐसे करो जान." मम्मी ने शु मैला का हाथ पकड़ के मे रे लं ड पे ऊपर नीचे किया और शुमैला अपने हाथ को हल्के
हल्के अप्पर नीचे केरने लगी और मेरे लंड की रगो को अपने हथेली में महसूस केरने लगी.
"हां , और मज़े का भी." मम्मी ने शु मैला की आँ खो में दे खा और थोड़ा सा झुक कर मेरे हार्ड राक लंड के हे ड पे
किस की और मेरे परू े बदन में करें ट सा दौड़ गया.
"चलो बे टी अब तु म्हारी बारी." मम्मी ने शु मैला को कहा और शु मैला ने ऐक नज़र मेरी तरफ दे खा. मैं सिर उठा
कर उस की तरफ ही दे ख रहा था.
शुमैला बहुत अच्छी आक्टिं ग कर रही थी शरमाने की. साली कई दिन से मेरा लंड चूस रही थी पर आज
मम्मी के सामने बेचारी शर्मा भी रही थी इसलिए लग रहा था जैसे सबकुच्छ आज पहली बार हो रहा है .
शुमैला ने शेरमाते हुए जल्दी से मेरे तने हुए लंड के सिर पे किस कर दी.
"नही हम भी उतरने लगे हैं कपड़े तु म परे शान कियूं होते हो, ये लो बाबा."
और मम्मी ने अपनी कमीज़ ऐक झटके से उतार दी और उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ उछल कर बाहर आ
गयी.
"ओह! हो अभी भी शर्म, लाओ इधर आओ ज़रा." और मम्मी ने शु मैला की कमीज़ भी उतार दी. शम
ु ैला ने बाज़ू
उपर कर के मम्मी की हे ल्प की.
अब शुमैला की गोल गोल पर्फे क्ट तनी हुई 32 साइज़ की चूचियाँ बाहर आ गईं.
मम्मी ने दोनो पे हाथ फेरा और कहा, "लो ज़रा मेरी ब्रा तो खोलना." मम्मी ने अपनी कमर शुमैला की
तरफ की.
मैं कमरे की ब्लू रोशनी में दोनो की चमकती हुई चूचियाँ दे ख रहा था.
तभी मम्मी ने मँुह खोल कर मेरा आधे से ज़ियादा लंड अपने अंदर ले लिया और चूसने लगी. मेरा बदन
अकड़ने लगा. मम्मी ने दो तीन बार ही चस
ू ा कि फॉरन ही मेरा फोव्वारा मम्मी के मँह
ु में ही छूट गया.
मम्मी को मेरा नमकीन पानी अपने मँुह में आते महसूस हुआ लेकिन मम्मी ने मेरा लंड बाहर नही
निकाला. वो वैसे ही उसे चूस्ति रही, अंदर बाहर करती रही और मेरे कम का फुल लोड मम्मी मुँ ह में भर
गया.
"आह्ह्ह्ह! गं दे! इतनी जल्दी." मम्मी ने अपने दुपट् टे से अपना मुँ ह सॉफ करते हुए कहा तो शुमैला ने भी आँखे
खोल कर मम्मी की तरफ दे खा. उसे नही पता चल सका कि ये क्या हुआ है .
"हां मु झे पता है . आज ते रे हाथों में बहन की चूचियाँ जो हैं . कैसा लगा?" मम्मी ने कहा.
"बोहुत ही अच्छा मम्मी बड़ा मज़ा आया." मैं ने मस्ती से भरी आवाज़ में कहा और ज़ोर शम
ु ैला की चचि
ू याँ को
दबा दिया.
शम
ु ैला ने बड़ी मश्कि
ु ल से अपनी चीख रोकी और बोली, "क्या केरते हो भाईजान दर्द होता है यहाँ, आहिस्ता
पकडो ना." शुमैला ने मेरे चेहरे पे हाथ फेरते हुए कहा.
"ओह! सॉरी शु मैला मैं दरअसल झाड़ गया था ना पता ही नही चला."
"चलो अब तु म ज़रा शु मैला को भी वो मज़ा दो मैं तु म्हे दोबारा हार्ड केरती हूँ." मम्मी ने कहा तो मैंने शुमैला को
बेड पे सीधा लिटा दिया और उस की टाँगे ज़रा सी खोल कर करवट के बल उस के उप्पेर आ गया और
शुमैला के होंठो पे किस्सिंग केरने लगा तो मम्मी मेरे सेमी एरे क्टे ड लंड के पास लेट गई और मेरे लंड पे
ज़ुबान फैरने लगी जिस से लंड फिर से हार्ड होने लगा.
शुमैला ने पहले तो अपने होंठ कस के बंद किए हुए थे लेकिन उसे जब मज़ा आने लगा मेरे चूमने का तो
वो भी रे स्पॉन्स दे ने लगी उस ने अपने होंठ खोल दिए. अब मेरे और शुमैला की ज़ुबाने ऐक दस
ू रे से खैलने
लगीं. ऐसी किस्सिंग का शम
ु ैला को बोहत मज़ा आता था. मम्मी ने चम
ू के चाट के चस
ू के मेरा लंड फिर
से हार्ड कर दिया था और वो मुसलसल मेरा लंड उपर से नीचे तक चाट रही थी और फिर वो मेरे लंड के
नीचे थैली में बंद बॉल्स को ज़ुबान से चाटने लगी. मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था. मेरे बदन में लहरे सी
उठने लगीं और ऐक नया सा सरूर आने लगा और मेरी किस्सिंग में जोश सा आ गया और मैंने शुमैला
के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया. फिर उस के कानो पे आया और गर्दन पे और फिर दोनो हाथ में
शुमैला की चूचियाँ पकड़ लीं और उस के लेफ्ट निपल को मँह
ु में ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पे
फैरने लगा. शम
ु ैला के दोनो निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे. मेरी ज़ब
ु ान उस के निपल के गिर्द गोल
गोल घूम रही थी और वो मज़े की दनि
ु याँ में आँखे बंद किए उड़ रही थी. मैं दीवानो की तरह अब उस की
चूचियों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनो हाथो से ज़ोर ज़ोर से सहला भी रहा था.
तभी शुमैला को महसूस हुआ कि उस की टाँगो के दरमियाँ फँसी हुई छ्होटी सी चूत से पानी का सैलाब
आ गया है . और वो झडने लगी. उस ने अपनी टाँगे और भी फैला लीं और अपने कुल्हो को ज़रा सा उठा
कर अपनी चूत को अपने अप्पर लेते हुए अपने भाई की पसलियो से लगाया और अच्छी तरह ज़ोर से
रगड़ा. मैंने ये हरकत महसूस की और शुमैला की चूचियों से हाथ हटाया और उस की शलवार उतारने लगा.
शुमैला ने गांद को उठा कर मुझे अपनी शलवार उतरने दी.
"गु ड! अब आए हो ना दोनो तु म पूरे मज़े मे ! शाबाश बे टा आज इस को वो मज़ा दे ना कि सारी ज़िंदगी याद रखे."
मम्मी ने जोश से भरी आवाज़ में कहा और मझ
ु े भी जोश आ गया और मैंने शम
ु ैला की शलवार उतार
कर उस की टांगे ज़रा सी और फैला दीं और झुक गया शुमैला की छ्होटी सी चूत पर मँह
ु रखा.
मेने जैसे ही शुमैला की चूत को चूमा शुमैला की तो जैसे जान ही निकल गई उस ने गांद उठा कर अपनी
चूत को मेरे मँह
ु पे और दबा दिया. मम्मी इतने में शुमैला के पहलू में आ गई और शुमैला की चूचियाँ
चूसने लगी.
मेने ज़ुबान निकाल कर शुमैला की चूत के लबो पर फैरनी शुरू कर दी शुमैला की चूत का ज़ायक़ा मेरी
ज़ब
ु ान पे आने लगा और मैं भी दीवाना हो गया. आज तो बहुत मज़ा आ रहा था. अकेले में तो खब
ू चाटा
था पर आज मम्मी के सामने ही मज़ा ज़्यादा आ रहा था. मम्मी उसकी चूचियों को चूस रही थी.
शम
ु ैला तड़प रही थी मस्ती से. मैं और ज़ोर से शम
ु ैला की चत
ू चाटने लगा.
शुमैला भी अपनी गांद उठा उठा कर मेरी ज़ुबान को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही
थी. उस के मँुह से हल्की हल्की आवाज़ में तेज़ तेज़ सिसकियाँ निकालने लगीं.
मम्मी ने शुमैला को बरु ी तरह कसमसाते हुए महसूस कर के कहा, "आमिर बेटा बस करो तेरी बहन मज़े
से मर जाएगी. उठो अब मैं बताती हूँ क्या करना है ." मम्मी ने मेरे सिर में हाथ फेरते हुए मुझे शुमैला की
चूत से उठाया.
"उपे र आओ, इस की टाँ गो के दरमियाँ और शु मैला की चूत पे अपना लं ड रखो." मम्मी के मँह
ु से ये सन
ु कर ऐक
बार तो मुझे यकीन नही हुआ कि आज दिल की मुराद परू ी होगी. मैं बहुत खुश था कि आज बहन को
चोद्ने का मौका मम्मी दे रही हैं. फिर में अपने घुटनो के बल उपर आ गया. अब मेरा लंड शुमैला की चूत
के बिल्कुल सामने था. मम्मी ने हाथ बढ़ा के मेरा लंड पकड़ा और शम
ु ैला की चत
ू के लबो पे फैरने लगी.
शुमैला की चूत पे मेरा गरम गरम लंड जैसे ही लगा उस ने ऐक झरजरी सी ली. मुझे भी इस में बहुत
मज़ा आ रहा था. मम्मी को तो कई बार चोदा था पर शुमैला की कँु वारी चोद्ने का पहला मौका था. मैं थोड़ा
और झक
ु गया अब मम्मी मेरा लंड शम
ु ैला की चत
ू की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी. शम
ु ैला की
गीली गीली चूत में गुदगुदी करने लगी.
"अरे बे टी मज़ा आने पर ऐसे ही होता है . अभी तू आहिस्ता आहिस्ता सिसक रही है ,जब भाई का लंड अंदर जाकर
तुझे चोदे गा तो मज़े से चिल्लाने लगेगी तू. मज़ा आरहा है ना तुम दोनो को?" मम्मी ने शुमैला की तरफ
मँुह कर के कहा.
शुमैला ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो में दबाई लेकिन फिर भी ज़रा सी निकल ही गई.
मम्मी का हाथ भी मेरे लंड के साथ शुमैला की चूत को जा लगा था.
"बस इतनी सी बात थी बे टी. आमिर आहिस्ता आहिस्ता अब और नीचे जाओ, और अं दर करो अपना लंड अपनी
बहन की चूत मे. लेकिन दे खो आहिस्ता करना पहली बार है . क्यों बेटी आज पहली बार चुद्वा रही हो ना?"
मम्मी ने हाथ दोनो के बीच से हटा कर मेरे सिर पे फेरते हुए कहा.
"जी मम्मी आज पहली बार भाईजान का अं दर जा रहा है ." शु मैला ने अब खु लकर बिना शरम के कहा.
अब में आहिस्ता आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को शुमैला की चूत में अंदर केरने लगा. शुमैला अपना सिर
इधेर उधेर मारने लगी. उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद केरने की कोशिश कर रही
थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच में था.
"बाअस्स्स!!! अया आह अह्ह्ह्ह!!!" शु मैला के मुँ ह से निकला वो दर्द से मरी जा रही थी.
मैं मम्मी की बात सुन वहीं रुक गया. शुमैला तेज़ तेज़ साँसे ले रही थीं.
उस की चचि
ू याँ उस के सीने पे परू ी तरहा फूल और पिचक रही थी. मम्मी उस के सिर में हाथ फैरने लगी.
"मम्मी भाई जान से कहो अपना लं ड मे री चूत से निकाले नही तो में मर जाऊं गी. आ आ." शुमैला ने मम्मी की
तरफ दे खते हुए कहा.
"बे टी यही दर्द तो लड़कियों को वह मज़ा दे ता है जिसके लिए लड़कियाँ कुच्छ भी कर सकती हैं. तम
ु बहुत
खुशनसीब हो जो तुमको तुम्हारा भाई ही तुम्हे यह पहला दर्द दे रहा है . अभी मज़ा आएगा. अब कुछ नही
हो गा. पहली बार होता है मुझे भी हुआ था. ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बोहत मज़ा आए गा, ज़रा सी दे र
और." मम्मी ने शुमैला के बालो में हाथ फेरते हुए उस समझाइया.
"नही, नही!!! बाकी फिर कभी इसे कहो निकाल ले ,आह आह आहह!!" शु मैला ने सिर हिलाते हुए कहा.
"अरे बे टी क्या कर रही है . अभी जब मज़ा आएगा तब दे खना." मम्मी ने उसकी चूचियों को सहलाते कहा.
"नही मम्मी आपने कहा था कि आप भाई जान से चु दवाकर मु झे दिखाइं गी. अब आप ही चुद्वाइये भाई जान से,
मुझे छ्चोड़ो." शुमैला तड़प्ते हुए बोली.
"अच्छा मैं कुछ केरती हँ !ू " ये कहती हुई मम्मी मे रे पास आई. मैं आधा लं ड शुमैला की टाइट चूत में फँसाए हुए
वहीं झुका हुया था. मेरा अपना वज़न मेरे हाथो पर था जो शुमैला की साइड में बेड पे रखे थे.
"बे टा जब मैं इस की किस्सिं ग करने लगूँ तो तु म ऐक ही झटके से पूरा अं दर कर दे ना और वहीं रुके रहना समझे."
मम्मी ने मेरे कान में सरगोशी की और खुद जा कर शुमैला के होंठो को चूमने लगी.
इतने में शुमैला का दर्द कुछ कम हो गया. उसे मम्मी की किस्सिंग का मज़ा आने लगा और अपनी चूत
में फँसे हुए मेरे लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा सा अपनी गांद को उठाया. मैं समझ गया कि यही टाइम
है और मैंने ज़ोर का झटका दिया कि मेरा पूरा लंड शुमैला की ऊट में घुस गया और मेरी हल्की हल्की
झांते शुमैला के सॉफ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और मैं वहीं रुक गया. मुझे महसूस हो रहा था कि
मेरा लंड किसी टाइट से शिकंजे में फँस गया है . शुमैला के मँह
ु से निकली हुई चीख मम्मी के मँह
ु में ही
रह गई.
वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी. उस की आँखूं से आँसू निकलने लगे. उसे महस्सूस हो रहा था
कि जैसे उस की चत
ू में आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चत
ू के अंदर घस
ु ा दिया
गया हो. मम्मी उस को चूमे जा रही थी और हाथो से शुमैला की चूचियों को दबा भी रही थी कुछ दे र में
शुमैला का दर्द कम हुआ और वह कुच्छ संभल गई. उस ने ऐक ज़ोर की साँस ली और बोली, "आअहह
मम्मी मझ
ु े तो भाई जान ने मार ही डाला था."
"बे टा अब तु म अपना लं ड हल्के हल्के अपनी बहन की चूत में अं दर बाहर करो."
मम्मी ने मुझसे कहा और मैं अपने लंड को शुमैला की चूत में आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर केरने लगा.
इससे मुझे और शुमैला को मज़ा आने लगा. शुमैला की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद
कर लीं. मैंने भी आँखे बंद कर लीं. मैं आज बहुत मस्त था. मम्मी की चत
ू चदि
ु और फैली थी पर शम
ु ैला
की तो कँु वारी थी और बहुत ही कसी और गरम थी. मेरे लंड से मेरी बहन की चूत में मेरी ज़ुबान और
उं गली ही गयी थी. जाने कब मेरे धक्को में तेज़ी आ गई. हम दोनो को ही पता ना चला लेकिन अब दर्द
नही केवल मज़ा और सरूर था.
मम्मी के होंठो पे मुस्कान थी. मैंने हाथ बेड से हटा लिए और मैं शुमैला पे गिर गया और उसके होंठ
चस
ू ने लगा. अब धक्कों में काफ़ी तेज़ी आ गयी थी.
मेरा लंड शुमैला की गीली चूत में आराम से आ जा रहा था. मेरे हर झटके में मेरे बाल शुमैला की चूत को
छू जाते थे. मेरे टे स्टिकल्स शम
ु ैला के कूल्हों को छू जाते. दोनो पसीने में नहा गये थे जिस से कमरे में
फूच फूच की आवाज़े आ रही थीं. दोनो मस्ती में चूर ऐक दस
ू रे को खूब जोश से चोद रहे थे और मम्मी
हमारे पास लेटी हमारी चुदाई दे ख खुश हो रही थी.
वह आज बहुत खुश थी बेटी को बेटे से चुदवाकर. मैं भी अपनी बहन को चोद बहुत मस्त था.
"आमिर बे टा अं दर ही मत झाड़ जाना. झड़ने से पहले अपना लं ड बाहर निकाल ले ना." मम्मी ने मुझे दे खते हुए
कहा.
"ओके!" मैं ने ने ते ज़ी से झटके लगाते हुए कहा और फिर कुच्छ दे र बाद मैं ने अपने लंड शुमैला की चूत से निकाल
लिया और साथ में शम
ु ैला की चत
ू पर झड़ने लगा.
..
"शु मैला तु म्हारा भी शु क्रिया." मैं ने आँ खे बं द केरते हुए कहा और दोनो अपनी साँसे हल्की करने लगे.
काफ़ी दे र यूँ ही लेटे रहने के बाद मैंने करवट ली और फिर दोनो के दरमियाँ लेट गया तो मम्मी ने मेरा
चेहरा अपनी ओर करते कहा "अब खश
ु है मेरा राजा बेटा?"
मेने मम्मी के होंठो को जोश से चूम लिया तो मम्मी मुझसे बोली, "ये था तुम्हारे इतने दिनो का इनाम.
अपनी मम्मी की चुदि परु ानी चूत और गांद मारने के बदले तुमको अपनी बहन की ताज़ी कसी अन्चुदि
चूत मिली है ." फिर हाथ बढ़ा शुमैला की एक चूची को पकड़ हल्के से सहलाते कहा, "हाई शुमैला तुम ठीक
तो हो ना?"
"हां ! मम्मी भाई जान ने तो मे री फाड़ ही डाली." शु मैला ने हस्ते हुए कहा तो हम तीनो हस्ने लगे.
"ले किन मम्मी मज़ा बहुत आया." शु मैला ने छत की तरफ दे खते हुए कहा और उस ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड
पकड़ लिया.
मेरा लंड फिर से सेमी एरएसेट हो चुका था. लंड पकड़ते ही उसके मँह
ु से निकला, "हाई माँ ! ये तो फिर से
खड़ा हो रहा है ." और फिर तीनो की हँ सी निकल गई.
"बे टी इसीलिए तो कह रही थी कि बाहर के लड़के से ख़तरा तो रहता ही है मज़ा भी परू ा नही आता. घर पर जब
तक चाहो चुद्वाति रहो. बाहर वक़्त नही मिलता जल्दी और घर पर भाई के साथ ही रात भर लेटो. अब ये
तुम्हारा है अब इस से खूब मज़े करो कियूं बेटा?" मम्मी ने मेरी तरफ दे खते हुए कहा.
"हां मम्मी अब यह जब चाहे मे रा लं ड अपनी चूत में ले सकती है ." कहते हुए करवट ले कर मम्मी की चचि
ू यों
को चूमा और दोनो चूचियों को दोनो हाथो में पकड़ लिया.
"हां बाबा करें गे ले किन अभी मे रे यहाँ का दरवाज़ा बं द है ." मम्मी ने शलवार के उप्पेर से अपनी चूत पे हाथ
लगाते हुए कहा.
"क्या मतलब? मैं समझा नही यहाँ दरवाज़ा भी होता है क्या?" मैं ने है रान होते हुए पूछा और दोनो लोग हसणे
लगीं.
"आरे बद्ध
ु ू ! लड़कियो को हर महीने में यहाँ से ब्लड आता है जोकि गं दा होता है और इस दौरान चुदाई नही केरते
ये और 6/7 दिन आता रहता है . समझे!" मम्मी ने उसे समझाइया.
"क्या ब्लड! ले किन इस से कुछ होता नही क्या हर लड़की को आता है ?" मैं ने परे शान होते हुए पूछा.
"हां हर लड़की को आता है , थोड़ा दर्द होता है कमर में ले किन और कुछ नही होता ये क़ुद्रत का नियम है . आजकल
मेरे आ रहा है . जब तक मेरे आए तू अपनी बहन को चोद कुच्छ दिनो के बाद तेरी बहन को आएगा तब
तू मेरी चोद्ना." मम्मी ने जवाब दिया.
"सब लड़कियो को ऐक साथ नही आता है ये ! सब के अपने हिसाब से दिन होते हैं." मम्मी ने मेरे गाल पे हल्की
सी चपत लगाते हुए कहा.
"तु म्हारे कब आएगा शु मैला?" विकी ने कुछ सोचते हुए शु मैला से पूछा.
ू ी! बे शरम कहीं के." शु मैला ने मु स्कुराते हुए जवाब दिया और करवट ले कर मँह
"आएगा तो बता दँ ग ु हम दोनो
की तरफ कर लिया.
"अछा चलो अब जाओ अपने अपने कमरे में और मु झे सोने दो." मम्मी ने मु झसे कहा. "हां अब तो तुम दोनो को
चद
ु ाई का पहला मज़ा मिल गया ना अब तो शम
ु ैला नही शरमाएगी तू अपने भाई का लंड लेने में ." मम्मी
ने पूछा.
"मज़ा! मम्मी भाई जान ने तो मे री फाड़ दी है ." शु मैला ने मु स्कुराते हुए कहा.
"हे शु मैला क्या फाड़ दी है ?" मैं ने शु मैला की तरफ झुकते हुए पूछा.
"अच्छा अभी तो खूब बोल रही थी जब चु द रही थी. अब शर्मा रही है . प्लीज़ ऐक बार."
"चल अब जाता है अपने कमरे में या नही?" मम्मी ने नकली गु स्सा दिखाया.
"मम्मी आप जाओ ना अपने कमरे में मैं शु मैला के साथ ही सोउँ गा." मैं ने शुमैला की चूचियों को पकड़ते कहा.
"हां मम्मी अब मैं रोज़ रात को भाई जान के साथ ही सोया करूँगी. भाई जान अब आप रोज़ाना मेरे रूम में ही
सोया करिएगा."
"नही मैं तु म्हारे रूम में नही बल्कि तु म मे रे रूम में सोओगी."
"क्योंकि जै से शादी के बाद लड़की अपने शौहर के घर जाती है वै से ही तू अब मेरे कमरे में आया करे गी.
"ओह्ह नही मम्मी भाई जान पहले आपको चोदे न्गे फिर मे री लें गे . और जब चाहे आप हमलोगो के साथ रात भर
मज़ा लीजिएगा." शुमैला ने खुश होते कहा.
"ठीक है बे टा अब मैं जा रही हँ ू और तु म दोनो भी जल्दी सोना, एक दिन में ही सारा मज़ा ना ले लेना."
मम्मी के जाते ही शुमैला मेरे ऊपर गिरती बोली, "भाई जान हाय आज तो आपने बहुत मज़ा दिया. सच
चुद्वाने का मज़ा सबसे ज़्यादा हसीन है . भाई जान अब पहले मेरी चूत को चाटो और अपना मस्त लंड भी
पिलाओ और फिर खूब कसकर चोदो. हाई आज रात भर मज़ा लँ ग
ू ी भाई जान."
"हां यार मैं भी ते री चाटना चाहता था. सच ते री चूत का टे स्ट बहुत जायकेदार है . चल आ बैठ मेरे मँह
ु पर."
फिर वह मेरे ऊपर अपनी चूत रख बैठ गयी. तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक
ओर नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड