Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 1

Script for नौगाऊँ उ न

या सफलता अन नत कहा यां , हर कहानी अपने आप अनूठी । र भी, सब कहा जो सू


सामा वो अटलता और संक । तमाम तरह बाधाओ ं का सामना करने के बावजूद अपने सप का पीछा
करने अटलता और ल को हां ल करने का संक । ऐसी ही कहानी उ राख राज य उ न, नौगाँव
चकराता हरा न , जहां एक मह कां ल त या गया और उसे करने के ए अथक प म
या गया। यह त कता, धै और संक ए सफलता रक कहानी ।

उ राख सरकार रा 21 न कॉ पौधारोपण कर व वाइड बुक ऑफ़ कॉ ना त होकर एक मान


त या गया। राज य उ न नौगाँव , माननीय मु मं एवं माननीय कृ मं उ राखंड मह कां
प योजना के तहत 21 कॉ सोलह ह र नौ सौ इकावन का रोपण या जा चुका , सके अंत त सेब के
(11,661) धे, वी के (1050) धे, चेरी के(590) धे, अखरोट के (250) धे, प के(1200) धे, आ के (1100)
धे और खुबानी के (1100) धे शा ल ।

इस उपल को हां ल करने के ये उ न भाग को कई चुनौ का सामना करना प , असा पहा , पथरीली मीन
और म होने के कारण खाद- ध के लान तु उ त व ना होना, बंजर धरती स ई कर उसे धारोपण तु
उपयु बनाना, और चाई के एउ त व ना होना जैसी कई सम एँ भाग के सम ख , पर माननीय
धानमं जी रा खे गये बा वानी और उ के सार के , माननीय मु मं जी के उ राख को स च रा
बनाने प क ना, को साकार करने ब ता और माननीय कृ मं जी और उ न शक के कुशल मा द न और
शा के साथ ADO रण पाल ह के सम ण के सामने प र- च भी ना चली, और अंततः उ न भाग ने
अथक या से कई कट चुनौ से पार पाया और यह मु म हां ल या।

उ न भाग का उ राज य उ न नौगाँव को अंत यउ के समक बना कर हो के के प


क त करने का । ब लउ न शक, नौगाँव उ न आने वाले समय अपने फ के उ दन और सुंदरतम भू
के ए जाना जायेगा ससे सैलानी आक त गे, जहां एक ओर सैला का आवागमन रो गार के अवसर
ब एगा व सरी ओर रा के राज इ होगा।

ADO रण पाल इस उपल का पूरा पूरा य उ राखंड के माननीय मु मं , माननीय कृ मं , और उ न भाग


शक को ते , रण पाल जी के अनुसार उ न एवं खा सं रण भाग के शक डॉ॰ बावेजा के मा द न
भाग ने रंतर नयी ऊँचाइ को आ ।

इस कहानी से हो गया नौगाँव उ न यह या चुनौ के ना न थी। रा लंबा और पथरीला था। ले न


इस कहानी का रहा उ न भाग कभी भी अपने ल से न भटका, चा कुछ भी हो, उ न भाग अटल, ब और
बना रहा ।

उ राख सरकार ने वह हा ल कर या जो ब को असंभव लगता था। ले न उ राख सरकार जानती यह


सफलता आ री न ,ब एक नए अ य शु आत ।

सिं
सिं
कि
स्था
पौं
प्र
दि
वि
नि
वि
दृ
त्त
द्या
त्त
दु
ढ़
नि
रि
ढ़ा
दे
लि
पि
सि
क्त
नि
न्य
की
की
दुर्ग
वि
कि
प्र
ण्ड
ण्ड
र्दे
त्री
में
कि
शों
हैं
ब्धि
नि
दे
हीं
क्षे
पौं
सों
रि
ख़ि
त्र
दे
द्वा
दू
स्प
कें
ल्प
दू
हैं
की
ष्ट
द्र
द्दे
की
न्य
द्वा
है
दे
कि
हीं
सि
की
श्य
द्या
वि
जि
है
दि
क़ौ
की
द्या
नों
ज्य
क्ष्य
ल्कि
यों
सि
गि
कि
की
दि
है
ब्धि
दृ
में
पौं
र्य
ढ़
ग़
वि
कि
रि
द्या
लि
द्या
में
ति
लि
पौं
द्या
रि
यों
छु
पौं
र्ड
नि
सि
त्वा
मि
लि
ल्प
स्व
दृ
चि
दे
नि
ढ़
की
है
र्ड
द्या
में
हैं
हैं
र्षि
द्या
ध्या
है
प्र
व्य
क्षी
द्या
में
हैं
ज़ा
ति
ढु
श्रे
वि
ल्प
नि
ज़ा
हों
फ़ा
स्था
की
द्या
की
द्ध
की
क्ष्य
लि
हे
हु
त्त
र्प
तों
नि
पौं
र्रा
द्या
क्ष्य
रु
प्र
चि
र्धा
ष्ट्री
ल्प
की
ख्य
त्रा
रि
र्ड
द्य
व्य
क़ा
है
हीं
प्र
त्री
द्या
कि
स्व
स्था
ति
की
ति
नों
स्क
पौं
प्न
यों
त्थ
यों
प्रे
धों
सि
षि
में
नि
ख्य
वि
बि
यों
स्या
त्री
कि
ट्टा
में
हे
नों
क्ष
त्री
रि
है
पौं
वि
की
है
षि
हीं
कि
ख्य
त्त
र्ड्स
है
कि
नि
प्रा
फि
त्री
ल्म
दे
लों
त्री
प्त
में
त्त
द्या
ण्ड
ड़ा
त्त
की
स्ता
द्या
र्टी
मि
क्षे
नि
षि
ण्ड
त्र
त्पा
क्ष
दे
टू
रि
फ़ा
वि
की
में
त्री
त्त
ज्म
की
है
ध्य
लि
ड़ीं
पौं
ज़
जि
थीं
नि
द्या
ण्ड
कें
त्वा
यों
ड़
द्र
की
द्या
में
नों
पौं
द्या
ड़ू
र्ग
र्ति
प्र
क्षी
रू
ति
वि
है
र्ग
र्वो
र्श
रि
र्ग
दृ
वि
कि
श्र
श्‍य
द्ध
में
र्श
त्र
में
ज़
ज्य
कि
मि
हे

You might also like