Workbook Answers of Matri Mandir Ki Oor - Sahitya Sagar: Thanks From Shouttolearn - Shouttolearn - Shout To Learn

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Thanks From Shouttolearn - ShoutToLearn - Shout To Learn ✕

Shout To Learn - The Original
Contents ✕

Contact For Instant Help!  1.  몭िथत है


 मे
रा 몭दय-몭दे
श, चलू

, उसको
बहलाऊँ ख-दु
 आज। बताकर अपना सु ख
उसे
 몭दय का भार हटाऊँ ँ
 माँ
 आज। चलू  के
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पद-पं
कज पकड़ नयन जल से
 नहलाऊँ
To Get Latest Notification!
आज। मातृ
-मं
िदर म몭몭ने
 म몭  कहा..... चलू

Click Now
दश몭
न कर आऊँ
 आज॥
2.  अहा! वे
 जगमग-जगमग जगी 몭ोितयाँ
Like Us On Facebook! दीख रही ह몭 । शी몭ता करो, वा몭 बज
 वहाँ
To Get Latest Notification!
उठे  कै
 भला म몭 से
 जाऊँ
 वहाँ नाई पड़ता
 ? सु
Click Now
है
 कल-गान िमला 몭ँ
 म몭
 भी अपनी तान।
शी몭ता करो मु
झे
 ले
 चलो, मातृ
 मं
िदर म몭
 हे
Home  /  ICSE  /  Sahitya Sagar भगवान॥
3.  चलू

 म몭  बढ़-चलू
 ज몭ी से ँ
। दे
ख लू

 माँ
 की

Workbook Answers of Matri Mandir 몭ारी मू
ित몭
। अहा! वह मीठी-सी मु
जगा जाती है
, 몭ारी 몭ू
ित몭
। उसे
सकान
 भी आती

ki Oor - Sahitya Sagar होगी याद? उसे
तो 몭लू

गी म몭
 आती होगी याद। नहीं
, हाँ
नाऊँ
 आज सु गी उसको
फ몭रयाद।
ShoutToLearn Updated: October 13, 2021  · 9 min read जा माँ
4.  (कले  का, म몭
 संतान करे
गा दोषों
 पर
अिभमान। मातृ
-६ -वे
दी पर 몭ई पु
कार,
चढ़ा दो मु
झको, हे
 भगवान।।सु
नू

गी माता
की आवाज़ र몭ँ
गी मरने
 को तै
यार। कभी भी
उस वे
दी पर दे
व, न होने
 दू

गी अ몭ाचार॥ न
होने
 दू

गी अ몭ाचार चलो, म몭
 हो जाऊँ
बिलदान। मातृ
-मं
िदर म몭 कार, चढ़ा दो
 몭ई पु
मु
झको, हे
 भगवान।।

मातृ
 मं
िदर की ओर - सािह몭 सागर

अवतरणों
 पर आधा몭रत 몭몭
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몭िथत है मेरा 몭दय-몭देश, चलूँ
, उसको बहलाऊँ ख-
 आज। बताकर अपना सु
दु
ख उसे  몭दय का भार हटाऊँ  आज। चलू ँ
 माँ  के कज पकड़ नयन जल
 पद-पं
से नहलाऊँ  आज। मातृ -मं
िदर म몭 ने
 कहा..... चलू
 म몭 ँ
 दश몭
न कर आऊँ आज॥

(क) किवता की रचिय몭ी कौन ह몭  पं
 ? ये 몭몭याँ
 उनकी िकस किवता से
 ली गई ह몭
 ? उसके
 몭दय के
 몭िथत
होने
 का 몭ा कारण है
 ?

उ몭र : किवता की रचिय몭ी 몭ीमती सु
भ몭ा कु
मारी चौहान ह몭
। ये
 पं
몭몭याँ
 उनकी 'मातृ
 मं
िदर की ओर' किवता से
 ली
गई ह몭
। उनका 몭दय इसिलए 몭िथत है
 몭ों
몭िक भारत माँ
 पराधीन है
। कविय몭ी ने
 भारत की पराधीनता को ले
कर
गई ह몭
। उनका 몭दय इसिलए 몭िथत है
 몭ों
몭िक भारत माँ
 पराधीन है
। कविय몭ी ने
 भारत की पराधीनता को ले
कर
अपने
 मन की पीड़ा अिभ몭몭 की है

 अपने
(ख) कविय몭ी ने  मन को बहलाने
 का कौन-सा उपाय ढू

ढ़ा ?

उ몭र : कविय몭ी कहती है
 िक उसके
 몭दय म몭 । वह मातृ
 पीड़ा है  मं
िदर म몭  को अपना सु
 जाकर भारत माँ ख-दु

सु
नाकर अपने
 िच몭 को ह몭ा करना चाहती है


 माँ
(ग) 'चलू  के कज पकड़ नयन जल से
 पद-पं  नहलाऊँ 몭몭 का भावाथ몭
 आज -पं  िल몭खए। 

उ몭र : कविय몭ी की इ몭ा है
 िक वह मातृ
भू
िम जै
से
 पिव몭 मं
िदर म몭  के
 माँ  कमल के  को अपने
 समान चरणों  अ몭ु
 जल
से
 धोए और उन चरणों
 को पकड़कर अपना दद몭 नाए। वह मातृ
 रो-रोकर सु  मं
िदर के न करके
 दश몭  मन को
 अपने
ह몭ा करना चाहती है

몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
 몭ारा कविय몭ी 몭ा 몭े
रणा दे
 रही है
 ?

उ몭र : कविय몭ी भारत माँ
 की पराधीनता के खी है
 कारण दु । अने
क बिलदानों
 के
 बाद भी भारत को पराधीनता से
मु
몭몭 नहीं
 िमल पा रही है
। इसिलए वह भारत माता को अपने
 सु
ख-दु
ख का साझीदार बनाना चाहती है
 तथा उसके
चरणों
 को पकड़कर आँ
सू
 बहाकर अपनी पीड़ा 몭몭 करना चाहती है
। िकं
तु
 यह 몭आ अचानक 몭ानदीन 몭ँ
, छोटी
몭ँ -मं
, अ몭ान। मातृ िदर का दु
ग몭
म माग몭몭ीं
 तु  बतला दो हे
 भगवान। माग몭
 के दार सु
 बाधक पहरे ना है
 ऊँ
चे-से
 सोपान।
िफसलते
 ह몭 दु
 ये ब몭
ल पै
र चढ़ा दो मु
झको हे
 भगवान।

 भगवान से
(क) कविय몭ी को अचानक 몭ा 몭ान आया ? उसने  몭ा 몭ाथ몭
ना की ?

उ몭र : कविय몭ी की इ몭ा है
 िक वह भारत माता के िदर म몭
 मं  जाकर उनके न करे
 दश몭 , उ몭몭 ख-दद몭
 अपना दु  सुनाकर
अपने
 मन को ह몭ा करे तु
, परं तभी उसे
 अपनी दु
ब몭
लता तथा छोटे
पन का अहसास होता है
। वह सोचती है
 िक म몭
दीन, छोटी तथा 몭ान से
 रिहत 몭ँ
, साथ ही भारत माता के िदर तक प몭ँ
 मं चने
 का माग몭 त दु
 भी अ몭ं ग몭
म है
। वहाँ
 आसानी
से
 प몭ँ
चा नहीं
 जा सकता, इसिलए कविय몭ी भगवान से
 몭ाथ몭
ना करती है
 िक वे
 उसे
 वहाँ
 तक प몭ँ
चाने
 का माग몭 ।
 बताएँ

 के
(ख) 'माग몭 दार' से
 बाधक पहरे  कविय몭ी का 몭ा ता몭य몭
 है
 ? 몭몭 कीिजए।

उ몭र : कविय몭ी मातृ
 मं
िदर म몭 श चाहती है
 몭वे तु
, परं वहाँ
 तक प몭ँ
चने
 के
 माग몭
 म몭 क किठनाइयाँ
 अने  ह몭
 । माग몭
 म몭
अने
क पहरे
दार (िवदे
शी शासक) ह몭 ते
, जो हर समय पहरा दे रहते
 ह몭
, िजसके  प몭ँ
 कारण वहाँ चना किठन है

 मातृ
(ग) कविय몭ी ने  मं
िदर के
 माग몭 ग몭
 को दुम 몭ों
 कहा है  몭ा 몭ाथ몭
 ? वह भगवान से ना करती है
 ? 

उ몭र : कविय몭ी ने
 मातृ
 मं
िदर के
 माग몭 ग몭
 को दुम इसिलए कहा है
 몭ों
몭िक माग몭
 म몭 शी शासक 몭पी अने
 िवदे क
पहरे
दार ह몭  है
, जो हर समय बाधा उप몭몭थत करते  प몭ँ
, इसिलए वहाँ चना किठन है
। कविय몭ी कहती है
 िक उसके
पहरे
दार ह몭  है
, जो हर समय बाधा उप몭몭थत करते  प몭ँ
, इसिलए वहाँ चना किठन है
। कविय몭ी कहती है
 िक उसके
दु
ब몭
ल पै
र िफसल रहे
 ह몭
। कविय몭ी ई몭र से
 몭ाथ몭
ना करती है
 िक हे
 भगवान! अब के
वल तु
몭ीं
 मे
री सहायता कर सकते
हो। मु
झे
 मातृ
 मं
िदर की ऊँ
ची-ऊँ
ची सीिढ़यों
 पर चढ़ने
 की श몭몭 몭दान करो। 

(घ) श몭ाथ몭
 िल몭खए

उ몭र : 

दीन - गरीब 

दु
ग몭
म -  जहाँ
 प몭ँ
चना किठन हो 

बाधक - बाधा डालने
 वाला, रोकने
 वाला 

सोपान - सीढ़ी 

अहा! वे
 जगमग-जगमग जगी 몭ोितयाँ  दीख रही ह몭 । शी몭ता करो, वा몭
 वहाँ
बज उठे  कै
 भला म몭 से जाऊँ वहाँ नाई पड़ता है
 ? सु  कल-गान िमला 몭ँ
 म몭
 भी
अपनी तान। शी몭ता करो मुझे
 ले चलो, मातृ
 मं
िदर म몭 भगवान॥
 हे

 दीख रही ह몭
(क) '몭ोितयाँ  वहाँ 몭몭 몭ारा कविय몭ी का सं
'-पं के
त िकस ओर है
 ? 

उ몭र : कविय몭ी का सं
के
त 몭तं
몭ता की जगमग करती 몭ई 몭ोितयों
 से
 है
। कविय몭ी कहती ह몭
 िक य몭िप भारत माता
का मं
िदर दू
र है र नहीं
, पर इतना भी दू  है
 िक वहाँ
 का जगमगाता 몭몭 िदखाई न दे
। कविय몭ी को 몭तं
몭ता की
जगमग करती 몭ई 몭ोितयाँ
 िदखाई दे
 रही है

(ख) 'वा몭 बज उठे  कविय몭ी का 몭ा अिभ몭ाय है
' से नकर उसकी 몭ा 몭िति몭या होती है
 ? उनकी 몭िन सु
?

उ몭र :कविय몭ी को 몭तं
몭ता की जगमग करती 몭ई 몭ोितयाँ
 तथा वहाँ
 बजने
 वाले
 वा몭 भी सु
नाई दे
 रहे
 ह몭
 वह मातृ
मं
िदर से
 आने
 वाले
 िद몭 और पिव몭 सं
गीत को भी सु
नती है
 इसिलए वह वहाँ
 ज몭ी-से
-ज몭ी प몭ँ
चना चाहती है

उ몭र: ।

 कविय몭ी का 몭ा आशय है
(ग) 'कल-गान' से दभ몭
 ? इस सं  म몭
 कविय몭ी अपनी 몭ा अिभलाषा 몭몭 करती
है
 ?

उ몭र: 'कल-गान' से
 कविय몭ी का ता몭य몭ं
 सुदर, िद몭 और पिव몭 सं
गीत से
 है
। कविय몭ी वहाँ
 ज몭ी से
 ज몭ी
प몭ँ
चकर वहाँ
 होने
 वाले
 गायन म몭 ना चाहती है
 अपनी तान भी िमला दे । वह ई몭र से
 몭ाथ몭
ना करती है
 िक वे
 शी몭ता से
उसे
 मातृ
 मं
िदर तक प몭ँ
चा दे

몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
 का मू
लभाव 몭몭 कीिजए।

उ몭र : कविय몭ी को एहसास हो रहा है
 िक भारत की 몭तं
몭ता अब दू
र नहीं
 है
। इसिलए वह कहती है
 िक वहाँ
 का
जगमगाता 몭몭 उसे
 िदखाई दे
 रहा है त्
 몭ाधीनता 몭ा몭몭 होने
, अथा몭  म몭 र नहीं
 अिधक दे  है  िक
, इसिलए वह चाहती है
भगवान उसे
 ज몭ी-से
-अपने
 ल몭 तक प몭ँ
चा दे  िक वह भी 몭तं
, िजससे 몭ता 몭ा몭몭 म몭  सके
 अपना योगदान दे ।

चलूँ
 म몭
 ज몭ी से बढ़-चलू ँ
। दे
ख लू ँ
 माँ
 की 몭ारी मू
ित몭
। अहा! वह मीठी-सी
मु
सकान जगा जाती है , 몭ारी 몭ूित몭
। उसे भी आती होगी याद? उसे  आती
, हाँ
होगी याद। नही तो 몭लू
ं ं
गी म몭
 आज सु नाऊँगी उसको फ몭रयाद।

몭
몭 पं
(क) उपयु 몭몭यों
 के
 आधार पर 몭몭 कीिजए िक कविय몭ी की 몭ा इ몭ा है
 ?

उ몭र : कविय몭ी को लगता है
 िक मातृ
-मं
िदर म몭  दीपकों
 जगमगाते  की लौ अपना 몭काश िबखे
र रही है
। वह मातृ
मं
िदर से
 आने
 वाले
 िद몭 एवं
 पिव몭 सं
गीत को भी सु
नती है -ज몭ी मातृ
, इसिलए वह ज몭ी-से भू
िम के  म몭
 चरणों
प몭ँ
चकर भारत माँ
 की 몭ारी मू
ित몭 खना चाहती है
 को दे ।

सकान' का सं
(ख) 'मीठी-सी मु दभ몭
 몭몭 कीिजए।

उ몭र : मातृ
भू
िम की मू
ित몭 त िद몭 है
 अ몭ं । उसकी मु
몭ान इतनी सु

दर है
 िक उसे
 दे
खते
 ही शरीर म몭
 नई 몭ू
ित몭
 का
समावे
श हो जाता है
। भारत माँ
 के ख पर मीठी-सी मु
 मु 몭ान दे
खकर उसके  भी नई 몭ू
 몭दय म몭 ित몭 चार होगा।
 का सं

, 몭ारी 몭ू
(ग) 'जगा जाती है ित몭 몭몭 का आशय 몭몭 कीिजए।
'- पं

उ몭र : भारत माँ
 की अलौिकक और िद몭 मू
ित몭 몭ान को दे
 पर मीठी-सी मु खकर कविय몭ी के
 शरीर म몭
 एक नई
몭ू
ित몭 श हो जाता है
 का समावे । उ몭र:

몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
 का भावाथ몭
 िल몭खए।

उ몭र : कविय몭ी भारत के 몭ता सं
 몭तं 몭ाम म몭 ने
 अपना योगदान दे को त몭र है  िक भारत शी몭ता से
, उसकी इ몭ा है
िवदे
शी शासन से
 मु
몭 हो और वह भारत माँ
 को मु
सकराता 몭आ दे
ख सके
। भारत माँ
 के ख पर मु
 मु सकान दे
खकर
उसे
 भी नई 몭ू
ित몭
 몭ा몭 होगी, उसम몭  नई उमं
 नया जोश एवं ग आ जाएगी। पु
몭몭का-सािह몭 सागर [55]

जा माँ
(कले  का, म몭
 संतान करे
गा दोषों
 पर अिभमान। मातृ
-६ -वे
दी पर 몭ई
पु
कार, चढ़ा दो मु
झको, हे भगवान।।सु नू

गी माता की आवाज़ र몭ँ
गी मरने को
पु
कार, चढ़ा दो मु
झको, हे भगवान।।सु नू

गी माता की आवाज़ र몭ँ गी मरने को
तै
यार। कभी भी उस वे दी पर देव, न होने
 दूं
गी अ몭ाचार॥ न होने  दू

गी
अ몭ाचार चलो, म몭
 हो जाऊँ  बिलदान। मातृ -मं
िदर म몭 कार, चढ़ा दो
 몭ई पु
मु
झको, हे भगवान।।

몭
몭 पं
(क) उपयु 몭몭यों
 म몭
 'माँ षता का उ몭े
' की िकस िवशे ख िकया गया है
 और 몭ों
 ?

उ몭र : कविय몭ी कहती है
 िक माता के
 몭दय म몭 तान के
 अपनी सं ह तथा वा몭몭 के
 몭ित ममता, 몭े  भाव भरे  ह몭
 होते ।
माँ
 के षता होती है
 몭दय की यह िवशे  िक वह अपने
 ब몭ों
 के  को 몭मा कर दे
 दोषों ती है
। अपने
 ब몭े
 के  को
 दोषों
दे
खकर भी उसके
 몭दय म몭  के
 ब몭ों  होता, ब몭몭 सं
 िलए 몭ार कम नहीं तान के
 몭ित गव몭 ।
 का भाव होता है

-वे
(ख) 'मातृ दी पर 몭ई पु
कार'- का सं
दभ몭
 몭몭 कीिजए।

उ몭र : मातृ
-वे
दी अथा몭
त्
 मातृ
भू
िम पर पु
कार 몭ई है ना चाहती है
, इसिलए कविय몭ी अपना बिलदान दे  और भारत माँ
को पराधीनता से
 मु
몭 करना चाहती है

(ग) कौन िकस पर तथा िकस 몭कार अ몭ाचार कर रहा था ? अ몭ाचार के
 िवरोध म몭
 कविय몭ी अपनी 몭ा
इ몭ा 몭몭 करती है
 ?

उ몭र : मातृ
भू
िम पर िवदे
शी शासक अ몭ाचार कर रहे
 ह몭
। ये
 शासक अ몭ं
त श몭몭शाली ह몭  ट몭र ले
, िजनसे ना
आसान नहीं
 है  टकराने
, िफर भी कविय몭ी उनसे  का सं
क몭 करती है
। कविय몭ी की इ몭ा है
 िक वह मातृ
-वे
दी पर
कभी अ몭ाचार नहीं
 होने
 दे
गी। इन अ몭ाचारों
 को रोकने
 के  अपने
 िलए यिद उसे  몭ाणों
 का बिलदान भी करना पड़े
,
तो वह सहष몭 गी। वह भगवान से
 ऐसा करे  몭ाथ몭
ना करती है
 िक वह उसे
 मातृ
मं
िदर की पु
कार पर आ몭ो몭ग몭  की
 करने
श몭몭 몭दान करे

몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
 몭ारा कविय몭ी 몭ा 몭े
रणा दे
 रही है
 ?

उ몭र : उपयु
몭
몭 पं
몭몭यों
 म몭  माँ
 कविय몭ी ने  के षताओं
 몭भाव की िवशे  की चचा몭  몭ए कहा है
 करते  िक माता कभी
कु
माता नहीं
 होती। वह अपनी सं
तान के  को भी अनदे
 दोषों खा कर दे
ती है
। कविय몭ी की इ몭ा है
 िक वह अपनी
मातृ
भू
िम पर होने
 वाले
 अ몭ाचारों
 को दे
खकर चु
प नहीं
 बै
ठे
गी और िकसी 몭कार के  होने
 अ몭ाचार नहीं  दे
गी।
अ몭ाचारों
 को रोकने
 के  몭ाणों
 िलए वह अपने  का बिलदान करने
 को भी त몭र है
 1

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