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Workbook Answers of Matri Mandir Ki Oor - Sahitya Sagar: Thanks From Shouttolearn - Shouttolearn - Shout To Learn
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Workbook Answers of Matri Mandir 몭ारी मू
ित몭
। अहा! वह मीठी-सी मु
जगा जाती है
, 몭ारी 몭ू
ित몭
। उसे
सकान
भी आती
ki Oor - Sahitya Sagar होगी याद? उसे
तो 몭लू
ं
गी म몭
आती होगी याद। नहीं
, हाँ
नाऊँ
आज सु गी उसको
फ몭रयाद।
ShoutToLearn Updated: October 13, 2021 · 9 min read जा माँ
4. (कले का, म몭
संतान करे
गा दोषों
पर
अिभमान। मातृ
-६ -वे
दी पर 몭ई पु
कार,
चढ़ा दो मु
झको, हे
भगवान।।सु
नू
ँ
गी माता
की आवाज़ र몭ँ
गी मरने
को तै
यार। कभी भी
उस वे
दी पर दे
व, न होने
दू
ं
गी अ몭ाचार॥ न
होने
दू
ं
गी अ몭ाचार चलो, म몭
हो जाऊँ
बिलदान। मातृ
-मं
िदर म몭 कार, चढ़ा दो
몭ई पु
मु
झको, हे
भगवान।।
मातृ
मं
िदर की ओर - सािह몭 सागर
अवतरणों
पर आधा몭रत 몭몭
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몭िथत है मेरा 몭दय-몭देश, चलूँ
, उसको बहलाऊँ ख-
आज। बताकर अपना सु
दु
ख उसे 몭दय का भार हटाऊँ आज। चलू ँ
माँ के कज पकड़ नयन जल
पद-पं
से नहलाऊँ आज। मातृ -मं
िदर म몭 ने
कहा..... चलू
म몭 ँ
दश몭
न कर आऊँ आज॥
(क) किवता की रचिय몭ी कौन ह몭 पं
? ये 몭몭याँ
उनकी िकस किवता से
ली गई ह몭
? उसके
몭दय के
몭िथत
होने
का 몭ा कारण है
?
उ몭र : किवता की रचिय몭ी 몭ीमती सु
भ몭ा कु
मारी चौहान ह몭
। ये
पं
몭몭याँ
उनकी 'मातृ
मं
िदर की ओर' किवता से
ली
गई ह몭
। उनका 몭दय इसिलए 몭िथत है
몭ों
몭िक भारत माँ
पराधीन है
। कविय몭ी ने
भारत की पराधीनता को ले
कर
गई ह몭
। उनका 몭दय इसिलए 몭िथत है
몭ों
몭िक भारत माँ
पराधीन है
। कविय몭ी ने
भारत की पराधीनता को ले
कर
अपने
मन की पीड़ा अिभ몭몭 की है
।
अपने
(ख) कविय몭ी ने मन को बहलाने
का कौन-सा उपाय ढू
ँ
ढ़ा ?
उ몭र : कविय몭ी कहती है
िक उसके
몭दय म몭 । वह मातृ
पीड़ा है मं
िदर म몭 को अपना सु
जाकर भारत माँ ख-दु
ख
सु
नाकर अपने
िच몭 को ह몭ा करना चाहती है
।
ँ
माँ
(ग) 'चलू के कज पकड़ नयन जल से
पद-पं नहलाऊँ 몭몭 का भावाथ몭
आज -पं िल몭खए।
उ몭र : कविय몭ी की इ몭ा है
िक वह मातृ
भू
िम जै
से
पिव몭 मं
िदर म몭 के
माँ कमल के को अपने
समान चरणों अ몭ु
जल
से
धोए और उन चरणों
को पकड़कर अपना दद몭 नाए। वह मातृ
रो-रोकर सु मं
िदर के न करके
दश몭 मन को
अपने
ह몭ा करना चाहती है
।
몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
몭ारा कविय몭ी 몭ा 몭े
रणा दे
रही है
?
उ몭र : कविय몭ी भारत माँ
की पराधीनता के खी है
कारण दु । अने
क बिलदानों
के
बाद भी भारत को पराधीनता से
मु
몭몭 नहीं
िमल पा रही है
। इसिलए वह भारत माता को अपने
सु
ख-दु
ख का साझीदार बनाना चाहती है
तथा उसके
चरणों
को पकड़कर आँ
सू
बहाकर अपनी पीड़ा 몭몭 करना चाहती है
। िकं
तु
यह 몭आ अचानक 몭ानदीन 몭ँ
, छोटी
몭ँ -मं
, अ몭ान। मातृ िदर का दु
ग몭
म माग몭몭ीं
तु बतला दो हे
भगवान। माग몭
के दार सु
बाधक पहरे ना है
ऊँ
चे-से
सोपान।
िफसलते
ह몭 दु
ये ब몭
ल पै
र चढ़ा दो मु
झको हे
भगवान।
भगवान से
(क) कविय몭ी को अचानक 몭ा 몭ान आया ? उसने 몭ा 몭ाथ몭
ना की ?
उ몭र : कविय몭ी की इ몭ा है
िक वह भारत माता के िदर म몭
मं जाकर उनके न करे
दश몭 , उ몭몭 ख-दद몭
अपना दु सुनाकर
अपने
मन को ह몭ा करे तु
, परं तभी उसे
अपनी दु
ब몭
लता तथा छोटे
पन का अहसास होता है
। वह सोचती है
िक म몭
दीन, छोटी तथा 몭ान से
रिहत 몭ँ
, साथ ही भारत माता के िदर तक प몭ँ
मं चने
का माग몭 त दु
भी अ몭ं ग몭
म है
। वहाँ
आसानी
से
प몭ँ
चा नहीं
जा सकता, इसिलए कविय몭ी भगवान से
몭ाथ몭
ना करती है
िक वे
उसे
वहाँ
तक प몭ँ
चाने
का माग몭 ।
बताएँ
के
(ख) 'माग몭 दार' से
बाधक पहरे कविय몭ी का 몭ा ता몭य몭
है
? 몭몭 कीिजए।
उ몭र : कविय몭ी मातृ
मं
िदर म몭 श चाहती है
몭वे तु
, परं वहाँ
तक प몭ँ
चने
के
माग몭
म몭 क किठनाइयाँ
अने ह몭
। माग몭
म몭
अने
क पहरे
दार (िवदे
शी शासक) ह몭 ते
, जो हर समय पहरा दे रहते
ह몭
, िजसके प몭ँ
कारण वहाँ चना किठन है
।
मातृ
(ग) कविय몭ी ने मं
िदर के
माग몭 ग몭
को दुम 몭ों
कहा है 몭ा 몭ाथ몭
? वह भगवान से ना करती है
?
उ몭र : कविय몭ी ने
मातृ
मं
िदर के
माग몭 ग몭
को दुम इसिलए कहा है
몭ों
몭िक माग몭
म몭 शी शासक 몭पी अने
िवदे क
पहरे
दार ह몭 है
, जो हर समय बाधा उप몭몭थत करते प몭ँ
, इसिलए वहाँ चना किठन है
। कविय몭ी कहती है
िक उसके
पहरे
दार ह몭 है
, जो हर समय बाधा उप몭몭थत करते प몭ँ
, इसिलए वहाँ चना किठन है
। कविय몭ी कहती है
िक उसके
दु
ब몭
ल पै
र िफसल रहे
ह몭
। कविय몭ी ई몭र से
몭ाथ몭
ना करती है
िक हे
भगवान! अब के
वल तु
몭ीं
मे
री सहायता कर सकते
हो। मु
झे
मातृ
मं
िदर की ऊँ
ची-ऊँ
ची सीिढ़यों
पर चढ़ने
की श몭몭 몭दान करो।
(घ) श몭ाथ몭
िल몭खए
उ몭र :
दीन - गरीब
दु
ग몭
म - जहाँ
प몭ँ
चना किठन हो
बाधक - बाधा डालने
वाला, रोकने
वाला
सोपान - सीढ़ी
अहा! वे
जगमग-जगमग जगी 몭ोितयाँ दीख रही ह몭 । शी몭ता करो, वा몭
वहाँ
बज उठे कै
भला म몭 से जाऊँ वहाँ नाई पड़ता है
? सु कल-गान िमला 몭ँ
म몭
भी
अपनी तान। शी몭ता करो मुझे
ले चलो, मातृ
मं
िदर म몭 भगवान॥
हे
दीख रही ह몭
(क) '몭ोितयाँ वहाँ 몭몭 몭ारा कविय몭ी का सं
'-पं के
त िकस ओर है
?
उ몭र : कविय몭ी का सं
के
त 몭तं
몭ता की जगमग करती 몭ई 몭ोितयों
से
है
। कविय몭ी कहती ह몭
िक य몭िप भारत माता
का मं
िदर दू
र है र नहीं
, पर इतना भी दू है
िक वहाँ
का जगमगाता 몭몭 िदखाई न दे
। कविय몭ी को 몭तं
몭ता की
जगमग करती 몭ई 몭ोितयाँ
िदखाई दे
रही है
।
(ख) 'वा몭 बज उठे कविय몭ी का 몭ा अिभ몭ाय है
' से नकर उसकी 몭ा 몭िति몭या होती है
? उनकी 몭िन सु
?
उ몭र :कविय몭ी को 몭तं
몭ता की जगमग करती 몭ई 몭ोितयाँ
तथा वहाँ
बजने
वाले
वा몭 भी सु
नाई दे
रहे
ह몭
वह मातृ
मं
िदर से
आने
वाले
िद몭 और पिव몭 सं
गीत को भी सु
नती है
इसिलए वह वहाँ
ज몭ी-से
-ज몭ी प몭ँ
चना चाहती है
।
उ몭र: ।
कविय몭ी का 몭ा आशय है
(ग) 'कल-गान' से दभ몭
? इस सं म몭
कविय몭ी अपनी 몭ा अिभलाषा 몭몭 करती
है
?
उ몭र: 'कल-गान' से
कविय몭ी का ता몭य몭ं
सुदर, िद몭 और पिव몭 सं
गीत से
है
। कविय몭ी वहाँ
ज몭ी से
ज몭ी
प몭ँ
चकर वहाँ
होने
वाले
गायन म몭 ना चाहती है
अपनी तान भी िमला दे । वह ई몭र से
몭ाथ몭
ना करती है
िक वे
शी몭ता से
उसे
मातृ
मं
िदर तक प몭ँ
चा दे
।
몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
का मू
लभाव 몭몭 कीिजए।
उ몭र : कविय몭ी को एहसास हो रहा है
िक भारत की 몭तं
몭ता अब दू
र नहीं
है
। इसिलए वह कहती है
िक वहाँ
का
जगमगाता 몭몭 उसे
िदखाई दे
रहा है त्
몭ाधीनता 몭ा몭몭 होने
, अथा몭 म몭 र नहीं
अिधक दे है िक
, इसिलए वह चाहती है
भगवान उसे
ज몭ी-से
-अपने
ल몭 तक प몭ँ
चा दे िक वह भी 몭तं
, िजससे 몭ता 몭ा몭몭 म몭 सके
अपना योगदान दे ।
चलूँ
म몭
ज몭ी से बढ़-चलू ँ
। दे
ख लू ँ
माँ
की 몭ारी मू
ित몭
। अहा! वह मीठी-सी
मु
सकान जगा जाती है , 몭ारी 몭ूित몭
। उसे भी आती होगी याद? उसे आती
, हाँ
होगी याद। नही तो 몭लू
ं ं
गी म몭
आज सु नाऊँगी उसको फ몭रयाद।
몭
몭 पं
(क) उपयु 몭몭यों
के
आधार पर 몭몭 कीिजए िक कविय몭ी की 몭ा इ몭ा है
?
उ몭र : कविय몭ी को लगता है
िक मातृ
-मं
िदर म몭 दीपकों
जगमगाते की लौ अपना 몭काश िबखे
र रही है
। वह मातृ
मं
िदर से
आने
वाले
िद몭 एवं
पिव몭 सं
गीत को भी सु
नती है -ज몭ी मातृ
, इसिलए वह ज몭ी-से भू
िम के म몭
चरणों
प몭ँ
चकर भारत माँ
की 몭ारी मू
ित몭 खना चाहती है
को दे ।
सकान' का सं
(ख) 'मीठी-सी मु दभ몭
몭몭 कीिजए।
उ몭र : मातृ
भू
िम की मू
ित몭 त िद몭 है
अ몭ं । उसकी मु
몭ान इतनी सु
ं
दर है
िक उसे
दे
खते
ही शरीर म몭
नई 몭ू
ित몭
का
समावे
श हो जाता है
। भारत माँ
के ख पर मीठी-सी मु
मु 몭ान दे
खकर उसके भी नई 몭ू
몭दय म몭 ित몭 चार होगा।
का सं
, 몭ारी 몭ू
(ग) 'जगा जाती है ित몭 몭몭 का आशय 몭몭 कीिजए।
'- पं
उ몭र : भारत माँ
की अलौिकक और िद몭 मू
ित몭 몭ान को दे
पर मीठी-सी मु खकर कविय몭ी के
शरीर म몭
एक नई
몭ू
ित몭 श हो जाता है
का समावे । उ몭र:
몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
का भावाथ몭
िल몭खए।
उ몭र : कविय몭ी भारत के 몭ता सं
몭तं 몭ाम म몭 ने
अपना योगदान दे को त몭र है िक भारत शी몭ता से
, उसकी इ몭ा है
िवदे
शी शासन से
मु
몭 हो और वह भारत माँ
को मु
सकराता 몭आ दे
ख सके
। भारत माँ
के ख पर मु
मु सकान दे
खकर
उसे
भी नई 몭ू
ित몭
몭ा몭 होगी, उसम몭 नई उमं
नया जोश एवं ग आ जाएगी। पु
몭몭का-सािह몭 सागर [55]
जा माँ
(कले का, म몭
संतान करे
गा दोषों
पर अिभमान। मातृ
-६ -वे
दी पर 몭ई
पु
कार, चढ़ा दो मु
झको, हे भगवान।।सु नू
ँ
गी माता की आवाज़ र몭ँ
गी मरने को
पु
कार, चढ़ा दो मु
झको, हे भगवान।।सु नू
ँ
गी माता की आवाज़ र몭ँ गी मरने को
तै
यार। कभी भी उस वे दी पर देव, न होने
दूं
गी अ몭ाचार॥ न होने दू
ं
गी
अ몭ाचार चलो, म몭
हो जाऊँ बिलदान। मातृ -मं
िदर म몭 कार, चढ़ा दो
몭ई पु
मु
झको, हे भगवान।।
몭
몭 पं
(क) उपयु 몭몭यों
म몭
'माँ षता का उ몭े
' की िकस िवशे ख िकया गया है
और 몭ों
?
उ몭र : कविय몭ी कहती है
िक माता के
몭दय म몭 तान के
अपनी सं ह तथा वा몭몭 के
몭ित ममता, 몭े भाव भरे ह몭
होते ।
माँ
के षता होती है
몭दय की यह िवशे िक वह अपने
ब몭ों
के को 몭मा कर दे
दोषों ती है
। अपने
ब몭े
के को
दोषों
दे
खकर भी उसके
몭दय म몭 के
ब몭ों होता, ब몭몭 सं
िलए 몭ार कम नहीं तान के
몭ित गव몭 ।
का भाव होता है
-वे
(ख) 'मातृ दी पर 몭ई पु
कार'- का सं
दभ몭
몭몭 कीिजए।
उ몭र : मातृ
-वे
दी अथा몭
त्
मातृ
भू
िम पर पु
कार 몭ई है ना चाहती है
, इसिलए कविय몭ी अपना बिलदान दे और भारत माँ
को पराधीनता से
मु
몭 करना चाहती है
।
(ग) कौन िकस पर तथा िकस 몭कार अ몭ाचार कर रहा था ? अ몭ाचार के
िवरोध म몭
कविय몭ी अपनी 몭ा
इ몭ा 몭몭 करती है
?
उ몭र : मातृ
भू
िम पर िवदे
शी शासक अ몭ाचार कर रहे
ह몭
। ये
शासक अ몭ं
त श몭몭शाली ह몭 ट몭र ले
, िजनसे ना
आसान नहीं
है टकराने
, िफर भी कविय몭ी उनसे का सं
क몭 करती है
। कविय몭ी की इ몭ा है
िक वह मातृ
-वे
दी पर
कभी अ몭ाचार नहीं
होने
दे
गी। इन अ몭ाचारों
को रोकने
के अपने
िलए यिद उसे 몭ाणों
का बिलदान भी करना पड़े
,
तो वह सहष몭 गी। वह भगवान से
ऐसा करे 몭ाथ몭
ना करती है
िक वह उसे
मातृ
मं
िदर की पु
कार पर आ몭ो몭ग몭 की
करने
श몭몭 몭दान करे
।
몭
몭 पं
(घ) उपयु 몭몭यों
몭ारा कविय몭ी 몭ा 몭े
रणा दे
रही है
?
उ몭र : उपयु
몭
몭 पं
몭몭यों
म몭 माँ
कविय몭ी ने के षताओं
몭भाव की िवशे की चचा몭 몭ए कहा है
करते िक माता कभी
कु
माता नहीं
होती। वह अपनी सं
तान के को भी अनदे
दोषों खा कर दे
ती है
। कविय몭ी की इ몭ा है
िक वह अपनी
मातृ
भू
िम पर होने
वाले
अ몭ाचारों
को दे
खकर चु
प नहीं
बै
ठे
गी और िकसी 몭कार के होने
अ몭ाचार नहीं दे
गी।
अ몭ाचारों
को रोकने
के 몭ाणों
िलए वह अपने का बिलदान करने
को भी त몭र है
1
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