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अल्लाह कौन है?
अल्लाह कौन है?
अल्लाह कौन है?
द्धिद्धममल्लाद्धहिर हमाद्धनिर हीम
मैं अद्धत मेहििान औि दयालु अल्लाह के नाम से आिम्भ किता हूँ।
من يهده اهلل، وسيئات أعمانلا، ونعوذ باهلل من رشور أنفسنا،إن احلمد هلل حنمده ونستعينه ونستغفره
: وبعد، ومن يضلل فال هادي هل،فال مضل هل
हि प्रकाि की हम्द िं सना (प्रशंसा औि गुणगान) के िंल अल्लाह के द्धलए योग्य है, हम उसी
की प्रशंसा किते हैं, उसी से मदद मांगते औि उसी से क्षमा याचना किते हैं, तथा हम अपने
नफ्स की िुिाई औि अपने िुिे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, द्धिसे अल्लाह द्धहदायत
प्रदान कि दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमिाह) किनेिंाला नहीं, औि द्धिसे गुमिाह कि दे उसे कोई
शब्द-साधन :
मद्धहमािंान “अल्लाह” के नाम का शब्द अििी मूल का है। इमलाम से पहले अििों ने इस नाम
का प्रयोग ककया है। अल्लाह सिंरशद्धिमान सिंोच्च पूज्य है द्धिसका कोई साझी नहीं। द्धिस पि,
इमलाम से पूिंर अज्ञानता की अिंद्धध में अिि लोग ईमान िखते थे, लेककन उनमें से कु छ लोगों ने
उसके साथ अन्य देिंताओं की भी पूिा की ििकक कु छ दूसिे लोगों ने उसकी उपासना में मूर्ततयों
को भी साझी ठहिाया।
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अल्लाह का अद्धमतत्िं औि उसकी द्धिंशेषताएूँ
(द्धिंश्वाद्धसयों औि नाद्धमतकों समेत) सभी लोगों के िीच इस िात पि सहमत होना संभिं है कक
अल्लाह के अद्धमतत्िं औि उसकी द्धिंशेषताओं की सच्चाई तक पहंचने के द्धलए एक मात्र िामता शुि
िंैज्ञाद्धनक तकर होना चाद्धहए। क्योंकक इस िात से हि कोई सहमत है कक हि काम का कोई न कोई
किनेिंाला होता है औि हि ची़ि के द्धलए कोई न कोई कािण होता है। इस से कोई ची़ि िाहि
नहीं है। चुनाूँचे कोई भी ची़ि द्धनमसािता से या अनद्धमतत्िं से नहीं आती है। औि न ही कोई ची़ि
द्धिना कािण के या कािण पैदा किनेिंाले के होती है। इसके उदाहिण अनद्धगनत हैं, द्धिनसे कोई
अनदेखी नहीं कि सकता। पूिा ब्रह्माण्ड अपने सभी िीद्धिंत या द्धनिीिं, द्धमथि औि गद्धतशील
ची़िों के साथ अनद्धमतत्िं के िाद अद्धमतत्िं में आया है। अतः तकर औि द्धिंज्ञान दोनों इस िात की
पुद्धष्ट किते हैं कक कोई ऐसा अद्धमतत्िं है द्धिसने ब्रह्मांड को िनाया है। चाहे उसका नाम अल्लाह
हो या सृष्टा हो या सृिनहाि हो या प्रािं भकतार (पहली िाि पैदा किने िंाला) हो। उसका इस
िंामतद्धिंकता पि कोई प्रभािं नहीं है। क्योंकक पूिा ब्रह्मांड अपने अंदि द्धिंद्यमान चीिों के साथ
इस सृष्टा के गुणों की पहचान उसके ककए हए कायों औि िनाई हई ची़िों (िचनाओं) के अध्ययन
लेखक के ज्ञान, उसके अनुभिं, उसकी संमकृ द्धत, उसकी शैली, उसकी सोच औि उसके कायर किने
(उपलद्धब्ध) औि द्धिंश्लेषण किने की क्षमता का पता देती है। इसी तिह सािी िनाई हई ची़िें,
द्धनमारता की द्धिंशेषताओं के िािे में एक व्यापक द्धिंचाि औि तमिंीि देती हैं। यकद लोग ब्रह्मांड
औि उसके अंदि उपद्धमथत प्राद्धणयों औि िचनाओं के साथ इसी िंैज्ञाद्धनक तकर का उपयोग किें तो
िंे सृष्टा (द्धनमारता) की द्धिंशेषताओं की िानकािी तक पहूँच सकते हैं। समुद्र औि प्रकृ द्धत की
उसकी आंदोलन प्रणाली, औि िंे सभी द्धिंज्ञान िहाूँ तक मानिं पहूँचा है, यह सि के सि सृष्टा की
महानता, ज्ञान औि िुद्धि का संकेत देते हैं।
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चाहे लोग संसाि को पैदा किने की द्धहकमत (तत्िंदर्तशता) का पता चलाने में सहमत हों या िंे
इसका पता न लगा सकें , औि चाहे िंे िीिंन में करठनाइयों औि ददर के पाए िाने के पीछे कािण
(तत्िंदर्तशता) के द्धिंषय में सहमद्धत िना सकें या सहमत न हों, पिं तु यह उस परिणाम को कु छ
भी नहीं िदल सकता िो िंैज्ञाद्धनक तकर के द्वािा प्राप्त हआ है, िो एक महान, सिंरज्ञानी औि
िुद्धिमान सृष्टा के अद्धमतत्िं की पुद्धष्ट किता है, द्धिसे द्धिंश्वासी लोग (मुसलमान) सिंरसहमद्धत के
साथ “अल्लाह” सिंरशद्धिमान की संज्ञा देते हैं।
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