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solution of दुख का अधिकार
solution of दुख का अधिकार
solution of दुख का अधिकार
ु का अधिकार
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मौखखक
प्रश्न 2.
खरबूजे बे चनेवाली स्त्री से िोई खरबूर्े तयों नहीीं खरीद रहा था?
उत्तर-
खरबर्
ू े बे चने वाली अपने पर
ु िी मौि िा एि ददन बीिे बबना खरबर्
ू े बे चने आई थी। सि
ू ि वाले घर िे खरबर्
ू े खाने से लोगों िा अपना िमा
भ्रष्ट होने िा भय सिा रहा था, इसललए उससे िोई खरबूर्े नहीीं खरीद रहा था।
प्रश्ि 3.
उत्तर-
उस स्त्री को फुटपाथ पर रोता दे खकर िे खक के मि में व्यथा उठी। वह उसके दुःु ख को िाििे के लिए बे चैि हो उठा।
प्रश्ि 4.
उत्तर-
उस स्त्री के िड़के की मत्ृ यु का कारण था-सााँप द्वारा डॅस लिया िािा। वह मंह
ु -अाँिेरे खे त में खरबि
ू े तोड़ रहा था। उसी समय उसका पैर एक
सााँप पर पड़ गया था।
प्रश्ि 5.
उत्तर-
स्त्री का कमाऊ बे टा मर चुका था। अतुः पैसे वापस ि लमििे की आशंका के कारण कोई उसे इकन्िी-दअ
ु न्िी भी उिार िहीं दे ता।
लिखखत
प्रश्ि 1.
उत्तर-
मिुष्य के िीवि में पोशाक का बहुत महत्त्व है । पोशाक ही मिुष्य की सामाक्िक और आधथिक क्स्त्थनत दशािती है । पोशाक ही मिुष्य को मिुष्य
में भे द करती है । पोशाक ही उसे आदर का पार बिाती है तथा िीचे झुकिे से रोकती है ।
प्रश्ि 2.
उत्तर-
िब हम अपिे से कम है लसयत रखिे वािे मिुष्य के साथ बात करते हैं तो हमारी पोशाक हमें ऐसा िहीं करिे दे ती। हम स्त्वयं को बड़ा माि
बैठते हैं और सामिे वािे को छोटा मािकर उसके साथ बैठिे तथा बात करिे में संकोच अिुभव करते हैं।
प्रश्ि 3.
उत्तर-
िेखक उस स्त्री के रोिे का कारण इसलिए िहीं िाि पाया तयोंकक रोती हुई स्त्री को दे खकर िे खक के मि में एक व्यथा उठी पर अपिी अच्छी
और उच्चकोढट की पोशाक के कारण फुटपाथ पर िहीं बैठ सकता था।
प्रश्ि 4.
उत्तर-
भगवािा शहर के पास डे़ि बीघा िमीि पर हरी तरकाररयााँ तथा खरबूिे उगाया करता था। वह रोि ही उन्हें सब्िी मंडी या फुटपाथ पर बैठकर
बेचा करता था। इस प्रकार वह कनछआरी करके अपिे पररवार का निवािह करता था।
प्रश्ि 5.
िड़के की मत्ृ यु के दस
ू रे ही ढदि बढु ़िया खरबि
ू े बे चिे तयों चि पड़ी? उत्तर- िड़के की मत्ृ यु के ढदि ही खरबि
ू े बे चिे िािा बढु ़िया की घोर
वववशता थी। सााँप के हाँसे िड़के की झाड़-फेंक करािे, िाग दे वता की पूिा और मत्ृ यु के बाद अंत्येक्ष्ट करिे में हुए खचि के कारण उसके घर में
अिाि का दािा भी ि बचा था।
प्रश्ि 6.
बुढ़िया के दख
ु को दे खकर िे खक को अपिे पड़ोस की संभ्ांत मढहिा की याद तयों आई?
उत्तर-
िे खक िे बुढ़िया के पुर शोक को दे खा। उसिे अिुभव ककया कक इसे बे चारी के पास रोिे-िोिे का भी समय और अधिकार िहीं है। तभी उसकी
ति
ु िा में उसे अपिे पड़ोस की संभ्ांत मढहिा की याद आ गई। वह मढहिा पर
ु शोक में ढाई महीिे तक पिंग पर पड़ी रही थी।
प्रश्ि 1.
बाजार के िोग खरबूिे बे चिेवािी स्त्री के बारे में तया-तया कह रहे थे ? अपिे शब्दों में लिखखए।
उत्तर-
बािार के िोग खरबूिे बे चिे वािी मढहिा के बारे में तरह-तरह की बातें कहते हुए तािे दे रहे थे और धितकार रहे थे। उिमें से कोई कह रहा
था कक बुढ़िया ककतिी बे हया है िो अपिे बे टे के मरिे के ढदि ही खरबूिे बे चिे चिी आई। दस ू रे सज्िि कह रहे थे कक िैसी िीयत होती है
अल्िाह वैसी ही बरकत दे ता है । सामिे फुटपाथ पर ढदयासिाई से काि खुििाते हुए एक आदमी कह रहा था, “अरे इि िोगों का तया है ? ये
कमीिे िोग रोटी के टुकड़े पर िाि दे ते हैं। इिके लिए बे टा-बेटी खसम-िग
ु ाई, ईमाि-िमि सब रोटी का टुकड़ा है ।
प्रश्ि 2.
पास-पड़ोस की दक
ु ािों से पछ
ू िे पर िे खक को तया पता चिा?
उत्तर-
पास पड़ोस की दक
ु ािों से पूछिे पर िे खक को पता चिा कक बुढ़िया का एक िवाि पुर था—भगवािा। वह तेईस साि का था। वह शहर के पास
डे़ि बीघे िमीि पर सक्ब्ियााँ उगाकर बे चा करता था। एक ढदि पहिे सुब ह-सवे रे वह पके हुए खरबूिे तोड़ रहा था कक उसका पैर एक सााँप पर
पड़ गया। सााँप िे उसे डस लिया, क्िससे उसकी मौत हो गई। उसके मरिे के बाद घर का गि
ु ारा करिे वािा कोई िहीं था। अतुः मजबरू ी में उसे
अगिे ही ढदि खरबूिे बे चिे के लिए बाजार में बैठिा पड़ा।
प्रश्ि 3.
उत्तर-
िड़के को बचािे के लिए बुढ़िया िे वह सब उपाय ककए िो उसकी सामर्थयि में थे। सााँप का ववष उतारिे के लिए झाड फेंक करिे वािे ओझा को
बुिा िाई ओझा िे झाड़-फेंक की। िागदे वता की पूिा की गई और घर का आटा और अिाि दाि-दक्षिणा के रूप में दे ढदया गया। उसिे अपिे
बेटे के पैर पकड़कर वविाप ककया, पर ववष के प्रभाव से शरीर कािा पड़ गया और वह मत्ृ यु को प्राप्त कर गया।
प्रश्ि 4.
िे खक िे बुढ़िया के दख
ु का अंदाजा कैसे िगाया?
उत्तर-
िे खक िे बुढ़िया के द:ु ख का अंदािा िगािे के लिए अपिे पड़ोस में रहिे वािी एक संभ्ांत मढहिा को याद ककया। उस मढहिा का पुर वपछिे
वषि चि बसा था। तब वह मढहिा ढाई मास तक पिंग पर पड़ी रही थी। उसे अपिे पर
ु की याद में मछ
ू ाि आ िाती थी। वह हर पंद्रह लमिट बाद
मूनछि त हो िाती थी। दो-दो डॉतटर हमे शा उसके लसरहािे बैठे रहा करते थे। उसके माथे पर हमे शा बफि की पट्टी रखी रहती थी। पुर शोक मिािे
के लसवाय उसे कोई होश-हवास िहीं था, ि ही कोई क्िम्मे वारी थी। उस मढहिा के दुःु ख की तुििा करते हुए उसे अंदािा हुआ कक इस गरीब
बुढ़िया का दुःु ख भी ककतिा बड़ा होगा।
प्रश्ि 5.
उत्तर-
दख
ु का अधिकार कहािी को प़िकर ऐसा िगता है कक संभ्ांत व्यक्ततयों का दख
ु ज्यादा भारी होता है । उन्हें दख
ु व्यतत करिे का अधिकार है ।
उिके दख
ु को दे खकर आसपास के िोग भी दख
ु ी ही िहीं होते हैं, बक्ल्क उिके प्रनत सहािुभूनत दशािते हैं। ठीक उसी प्रकार के दख
ु से िब कोई
गरीब दख
ु ी होता है तो िोग उसका उपहास ही िहीं उड़ाते है बक्ल्क उससे घण
ृ ा भी प्रकट करते हैं। वे तरह की बातें बिाकर उस पर कटाि करते
हैं, मािो गरीब को दख
ु मिािे का कोई अधिकार ही िहीं है । इस पाठ की परू ी कहािी इसी दख
ु के आसपास घूमती है अतुः यह शीषिक पूणत
ि या
साथिक है।
प्रश्ि 1.
िैसे वायु की िहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूलम पर िहीं धगर िािे दे तीं , उसी तरह खास पररक्स्त्थनतयों में हमारी पोशाक हमें झुक सकिे से
रोके रहती है।
उत्तर-
िेखक कहिा चाहता है कक हमारी पोशाक और हमारी हैलसयत हमें िीचे धगरिे और झुक िे से रोकती है । क्िस प्रकार हवा की िहरें पतंग को
एकदम सीिे िीचे िहीं धगरिे दे तीं, बक्ल्क िीरे -िीरे धगरिे की इिाित दे ती हैं, ठीक उसी प्रकार हमारी पोशाक हमें अपिे से िीची हैलसयत वािों
से एकदम लमििे -िुििे िहीं दे ती। हमें उिसे लमििे में सं कोच होता है ।
प्रश्ि 2.
उत्तर-
आशय यह है कक भूखा आदमी कौि-सा पाप िहीं करता है अथाित ् वह हर पाप करिे को तैयार रहता है । क्िस वववश और िाचार व्यक्तत के
पास घर में खािे के लिए एक दािा भी ि हो, वह अपिे सारे कमि रोटी के इंतिाम के लिए करे गा। रोटी पा िेिा ही उसकी प्राथलमकता होगी।
इस प्राथलमकता के लिए वह हर तरह के कमि करिे को तैयार रहता है।
प्रश्ि 3.
उत्तर-
िे खक संभ्ांत मढहिा और गरीब बुढ़िया-दोिों के द:ु ख मिािे के ढं ग को दे खकर सोचता है -द:ु खे प्रकट करिे के लिए और मत्ृ यु का शोक प्रकट
करिे के लिए भी मिुष्य को सुवविा होिी चाढहए। उसके पास इतिा िि, सािि और समय होिा चाढहए कक द ु:ख के ढदिों में उसका काम चि
िाए। डॉतटर उसकी सेवा कर सकें। उस पर घर के बच्चों के भरण-पोषण की क्िम्मे दारी ि हो। आशय यह है कक गरीब िोग मजबूरी के कारण
ठीक से शोक भी िहीं मिा पाते। उिकी मिबूररयााँ उन्हें पररश्रम करिे के लिए बाध्य कर दे ती हैं।
भाषा-अध्ययि
प्रश्ि6 - बुढ़िया के दुःु ख को दे खकर िे खक को अपिे पड़ोस की संभ्ांत मढहिा की याद तयों आई?
उत्तर - बुद़िया िे दख
ु िो दे खिर ले खि िो अपने पड़ोस िी सींभ्राींि मदहला िी याद इसललए आई कि उस सींभ्राींि मदहला िे पुर िी मत्ृ यु
पपछले साल ही हुई थी। पर
ु िे शोि में वह मदहला ़िाई महीने बबस्त्िर से उठ नहीीं पाई थी। उसिी खानिरदारी में डॉतटर और नौिर लगे रहिे
थे। शहर भर िे लोगों में उस मदहला िे शोि मनाने िी चचाा थी और यहााँ बार्ार में भी सभी उसी िरह बुद़िया िे बारे में बाि िर रहे थे।