Hindi-Mobile-Murli (27-May-2023)

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27-05-2023 प्रात: मुरली ओम्

शान्ति "बापदादा" मधुबन


“मीठे बच्चे - आधाकल्प से माया
ने तुम्हें श्रापित पकया है, अब बाि
तुम्हारे सब श्राि पमटाकर वसाा
दे ने आये हैं, तुम श्रीमत िर चलो
तो वसे के लायक बन जायेंगे।“

प्रश्न:- दे ही-अभिमानी बनने का


यथाथथ रहस्य तुम बच्चों ने क्या
समझा है ?
उत्तर:- पुरानी दु भनया से मरकर
बाप का बनना अथाथ त् मरजीवा
बनना ही दे ही-अभिमानी बनना है ।
इस पु रानी जुत्ती कच िूल बाप
समान अशरीरी बन बाप कच याद
करच - यही है दे ही-अभिमानी बनने
का यथाथथ रहस्य।

गीत:- ओम् नमच भशवाए....

ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना।


एक तरफ हैं भक्त घचर अन्धियारे
में , दू सरी तरफ हैं मात-पिता के
बच्े। पिनकी मपहमा सुनी और
तुम तच अब सम्मुख बैठे हुए हच।
कहते भी हैं पिवाए नम:। पफर फट
से कह दे ते हैं तुम मात-पिता...
सबका मात-पिता भी ठहरा, सबका
स्वामी भी ठहरा। समझाया गया है
िच भी मनुष्य मात्र हैं - नर अथवा
नारी, सब हैं भक्त, ब्राइड् स और
वह एक है ब्राइडग्रू म, स्वामी, मात-
पिता। बरचबर तुम बच्चों का बाि
भी है , सिपनयचों का सािन भी है ।
यह बातें तुम बच्े ही िानते हच
और सब अन्धियारे में हैं । तुम अभी
सचझरे में हच। तुम िानते हच हम
बाि के सम्मुख बै ठे हैं । पनराकार
भगवान सृपि कैसे रचे ? िरूर
मात-पिता चापहए इसपिए बाि
कहते हैं मैं इस द्वारा बच्चों कच नया
िन्म दे ता हूँ । तुम भी कहते हच हम
इस िुरानी दु पनया से मरकर बाि
के बने हैं अथाा त् दे ही-अपभमानी
बने हैं । बाि तच सदै व दे ही-
अपभमानी ही है । वह आकर इस
समय दे ही-अपभमानी बनाने का
रहस्य समझाते हैं । तुम पिनकी
मपहमा करते थे , त्वमेव माताश्च
पिता... उनके सम्मुख बै ठे हच। भि
तुम अिने गाूँ व में हच तच भी सम्मुख
हच।
बाि आये हैं बच्चों की सपवास में।
िपतत-िावन बाि िानते हैं पक मुझे
ही िपततचों कच िावन बनाना िड़ता
है । याद तच उनकच ही करते हैं ना -
िपतत-िावन आओ। अभी तच तुम
सोंगमयुग िर हच। िानते हच बरचबर
हम िपतत थे । िपततचों कच िावन
करने वािा एक बाि है पिसकच
कहते हैं पिवाए नम:। बच्े बाि कच
िुकारते हैं । बच्े सबकच प्यारे िगते
हैं । बच्चों की सेवा में बाि उिन्धथथत
रहते हैं । बच्े िैदा हचते हैं तच बाि
उन्चों की सपवास में उिन्धथथत हचते
हैं । अभी तुम िानते हच उन द्वारा
िावन बन रहे हैं । बरचबर वह
बील्वेड बाि है ना, पिसकच
आधाकल्प हमने िुकारा है ।
सतयुग-त्रेता में हमने बाि का वसाा
िाया था। पफर वह वसाा गुम हच
गया। माया रावण का श्राि िग
गया। हम पबल्कुि ही दु :खी बन
िड़े थे । दु पनया में सब दु :खी ही
दु :खी हैं । दु :ख के िहाड़ पगरते हैं ।
तब ही बाि कहते हैं - हम आते हैं ।
सब िाि आत्मा बन िड़े हैं । िाि
करने वािे दु :खी बन िड़ते हैं । बाि
आकर के िु ण्य आत्मा बनाते हैं ,
वसाा दे ते हैं । तुम िानते हच बरचबर
हम पफर से बेहद के बाि से 21
िन्मचों का वसाा िे ते हैं । माया ने
श्रापित कर पदया है । बाि वह श्राि
पमटाते हैं । बाि कहते हैं मुझे याद
करच तच तुम सदा िान्त बन िायेंगे।
यहाूँ तच िान्धन्त हच न सके।
दु :खधाम है ना। हम तुमकच
िान्धन्तधाम में िे चिते हैं । वहाूँ
सुख, िान्धन्त, धन आपद सब है ।
बेहद के बाि से तुम 21 िन्मचों के
पिये झचिी भरने आये हच। हरे क
कच अिने िुरुषाथा से वसाा िाना है ,
िबपक भगवान के बच्े बने हच।
वह है स्वगा का रचपयता। तच िरूर
स्वगा का वसाा दे ता हचगा। हम
उनके बच्े हैं तच िरूर वसाा
पमिना चापहए। बच्े ही वसे के
अपधकारी हैं । बाि कहते हैं 5
हिार वषा िहिे तुमकच वसाा पदया
था पफर गूँवा पदया। अभी सोंगमयुग
है , पफर तुमकच वसाा पमि रहा है ।
यह तुम िानते हच पक कल्प िहिे
स्वदिान चक्रधारी ब्राह्मण कुि
भूषण बने थे । वही धीरे -धीरे आते
रहें गे। पदन-प्रपतपदन ब्राह्मण कुि
भूषण बनते रहें गे। पबरादरी बढ़ती
रहे गी। ब्रह्मा मुख वोंिाविी आि
बनते हच। बनाते हैं पिवबाबा। तुम
इस समय ईश्वरीय औिाद हच।
तुमकच सवागुण सम्पन्न, 16 किा
सम्पूणा, अपहों सा िरमचधमा का
बनाते हैं । दे वतायें कब पहों सा नहीों
करते। तुम िानते हच हम सच दे वता
थे। अब पफर से हम बनते हैं । चक्र
िगाया, दे वता कुि से क्षपत्रय कुि
अथवा वणा में आये । क्षपत्रय कुि से
वैश्य कुि अथवा वणा में आये। हम
84 िन्मचों का चक्र िूरा कर आये
हैं । अब पफर से बाि आये हैं वसाा
दे ने। श्राि पमटाकर िपतत से िावन
बनाते हैं । यहाूँ सब मनुष्य मात्र
श्रापित हुए िड़े हैं । बाि आकर
श्राि पमटाकर वसाा दे ते हैं । यह है
सोंगमयुग। अभी सतयुग तुमसे दू र
नहीों है । स्वगा इतना निदीक है ,
पितना यह आत्मा का िरीर
निदीक है । बहुत निदीक है ।
मनुष्य स्वगा कच बहुत दू र समझते
हैं । िरन्तु तुम बच्े अब बहुत
निदीक आये हच। िाूँ च हिार वषा
िहिे की बात है िबपक स्वगा था।
आधा कल्प स्वगा था पफर आधा
कल्प नका चिा है । अभी स्वगा
सामने खड़ा है ।
बाि कहते हैं सेकेण्ड में स्वगा का
राज्य िच। बरचबर तुम िानते हच
हम बाि के बनते हैं तच स्वगा के
मापिक बनते हैं । िैसे बच्ा
समझता है हम बाि से वसाा िे ते
हैं । बाि समझेंगे वाररस िैदा हुआ।
भि छचटा बच्ा है , मुख से कुछ
बचि नहीों सकता है िरन्तु बाि
िानते हैं यह वाररस है । यह है
बेहद का बाि। आत्मा समझती है
बरचबर हम बाि के बने और वाररस
हच गये। बाि भी कहते हैं तुम स्वगा
के वाररस तच िरूर बन गये। िरन्तु
वसे में भी बहुत दिे हैं । कचई
सूयावोंिी, कचई चन्द्रवोंिी, कचई प्रिा
में आयेंगे। मताबे तच अिग-अिग
हैं । बच्े कहें गे हम बाि की प्रािटी
के मापिक बनते हैं । तुम बच्े
िानते हच हम बे हद बाि के बच्े
हैं । हम सारे पवश्व के मापिक बनते
हैं । पसफा भारत ही नहीों, सारे पवश्व
के। भि भारत में राज्य करते हच
िरन्तु पवश्व के मापिक हच। वहाूँ
कचई दू सरा रािा राज्य करने वािा
नहीों रहता। तच तुमकच पकतना निा
रहना चापहए! बेहद का बाि और
बेहद के बच्े। अब तुम पकतने
बच्े हच! तुम कहें गे हम स्वगा के
मापिक बन रहे हैं । बाि िैसा मीठा
कचई नहीों। बाि पनष्काम सेवा
करते हैं । खुद मापिक नहीों बनते ,
बच्चों कच बनाते हैं । मनुष्य कहते हैं
इस दादा ने खुद तच बहुत सु ख
दे खे, बुढ़ािे में आकर सोंन्यास पकया
तच क्या हुआ। पिवबाबा के पिये तच
ऐसा नहीों कहें गे ना। वह तच कहते
हैं मैं तच स्वगा का सु ख नहीों िे ता हूँ ।
मैं तुमकच स्वगा का मापिक बनाकर
तुमकच स्वगा की रािधानी दे ता हूँ ।
वह रािे िचग खुद राज्य करके
पफर राज्य-भाग्य दे ते हैं । यह तच
कहते हैं - िाडिे बच्े , मैं
िरमधाम से आया हूँ तुमकच राज्य-
भाग्य दे ने के पिये । मैं राज्य नहीों
करता हूँ । मुझे इस िपतत दु पनया,
िपतत िरीर में आना िड़ता है
तुमकच िावन बनाने। इसमें भी
पकतने पवघ्न िड़ते हैं ! श्रीकृष्ण ने
नहीों भगाया था। पिवबाबा के िास
तुम भागकर आते हच। कहें गे - हम
बाबा के िास िाते हैं िूरा वसाा
िेने। सम्मुख िाकर गचद िे ते हैं ।
तुम कहते हच हमने अब ईश्वरीय
गचद िी है । ईश्वर से वसाा िाना है ।
बाि आते हैं िपतत दु पनया में , इस
रावण रूिी दु श्मन से छु ड़ाने । यह
5 पवकार रूिी रावण ही मनुष्य का
बड़े ते बड़ा दु श्मन है । यहाूँ तुमकच
इस दु श्मन से छूटना है । िपतत-
िावन एक ही बाि है , पिसकच
पिवाए नम: कहते हैं । सबका
सािन अभी तुम सिपनयचों कच गुि-
गुि बनाकर िे िाते हैं । अभी
तुम्हारी आत्मा और िरीर - दचनचों
ही िपतत हैं । मैं तुम्हारी आत्मा कच
िपवत्र बनाता हूँ तच िरीर भी िपवत्र
पमिेगा। पफर तुम सतयुग के
महारािा-महारानी बनेंगे। सािन
आकर िायक बनाते हैं । िानते हच
पक माया रावण ने नािायक बनाया
था। अभी पिवबाबा ब्रह्मा तन से
िायक बनाते हैं । अगर श्रीमत िर
चिते रहें गे तच। श्रीमत है भगवान
की। मात-पिता भी उनकच कहते
हैं । श्रीकृष्ण कच नहीों कहें गे। अभी
तुम बच्े िानते हच पिसकी वह
मपहमा करते हैं , उनसे हम िढ़ रहे
हैं । ब्राह्मण कुि बनता है िरूर।
पफर दै वी कुि में िाना है । िरूर
ब्रह्मा मु ख से िहिे -िहिे यह
ब्राह्मण चचटी पनकिते हैं । तुम
ब्राह्मण हच रूहानी िण्डे , रूहानी
सेवा करने वािे । बाि कहते हैं मैं
तुम्हारा िण्डा बन आया हूँ सच्े -
सच्े तीथा िर िे िाने। तुमकच
बहुत सहि बात बतिाता हूँ । पसफा
बाि कच याद करना है और अिने
कच आत्मा समझना है । तुम्हें कचई
भी ईपवि बातें नहीों सुननी है , इपवि
बातें बहुत नुकसानकारक हैं । इस
समय सारी दु पनया में िाूँ च भूतचों की
प्रवेिता है । तच इपवि ही सुनायेंगे।
बेहद के बाि की पकतनी भारी
मपहमा है पफर कह दे ते सवा व्यािी
है । तुम समझा सकते हच - गाते हच
िपतत-िावन आओ। पफर
सवाव्यािी कहते हच तच सब िावन
हचने चापहए। सवाव्यािी के ज्ञान ने
ही भारत कच नान्धिक, कौड़ी तुल्य
बना पदया है । बाि तच कहते हैं मैं
तुम बच्चों कच कल्प-कल्प आकर
िपतत से िावन बनाकर स्वगा का
मापिक बनाता हूँ । मैं तुम्हारी सेवा
में उिन्धथथत हूँ । भि पकतना भी
सहन करना िड़ता है तच भी सेवा
में उिन्धथथत हूँ । मैं तच िानता हूँ -
बच्े बहुत हैं , कचई श्रीमत िर चिते
हैं , कचई नहीों चिते हैं , कचई नहीों
िानते हैं । अथाह बच्े हैं ।
प्रिापिता ब्रह्मा सच तच िरूर प्रिा
का ही बाि हचगा। पक्रयेटर ब्रह्मा
द्वारा सृपि रचते हैं । ब्रह्मा द्वारा तुम
बच्चों कच पिक्षा दे ता हूँ । िाडिे
बच्े , मुझे पनरन्तर याद करच तच
तुम िपतत से िावन बनते िायेंगे
और तुम्हारी बुन्धि का तािा खुिता
िायेगा। ित्थर से िारस बुन्धि बनाने
की सेवा करने आया हूँ । नका से
स्वगा में िे िाता हूँ । बाि आते ही हैं
सोंगम िर। िबपक सारी सृपि िपतत
तमचप्रधान िड़िड़ीभूत बन िाती
है । एक-दच कच दु :ख दे ने िग िड़ते
हैं । काम कटारी चिाकर एक दच
कच दु :ख दे ते हैं । अभी तुम बच्े
िानते हच पक हम बाबा के िास
िान्धन्तधाम में िायेंगे पफर सु खधाम
में आयेंगे। बाि कहते हैं तुम बच्चों
कच रूहानी नयनचों िर पबठाकर
स्वीट हचम िे िायेंगे। अब तुम भी
िण्डे के बच्े िण्डे बनते हच।
तुम्हारा नाम भी है पिव िन्धक्त
िाण्डव सेना। हरे क कच अिने बाि
का िररचय दे बाि के िास िाने
का रािा बताते हच। तुम्हें खुद भी
वसाा िेना है और औरचों कच भी दे ना
है ।
दे खच, मेरठ से 22 की िाटी आई
है । मेहनत करते हैं , हरे क कच
कौड़ी से हीरे िैसा बनाने की राह
बताते हैं । गाया भी िाता है -
भगवान् , अिचों की िाठी तुम। बाि
आकर काूँ टचों की दु पनया से फूिचों
की दु पनया में िे िाते हैं । तुम
िानते हच असुर से पफर दे वता बन
रहे हैं । हम ही इन वणों से चक्र
िगाकर आये हैं । अब िूद्र से
ब्राह्मण बन पफर सच दे वता बनें गे।
तुम हच गये स्वदिान चक्रधारी। यह
अिोंकार हैं तुम्हारे , िरन्तु पवष्णु कच
दे पदये हैं क्यचोंपक तुम्हारा थथाई तच
यह िाटा रहता नहीों इसपिए
दे वताओों कच यह पनिानी दे दी है ।
बाि तच बच्चों िर तरस खाते हैं ।
कहाूँ माया का सोंग न िग िाये।
बाि कच याद नहीों करें गे तच माया
िरूर खा िाये गी। बाबा िािी
मेहनत नहीों दे ते हैं । पसफा कहते हैं
मुझ बाि कच याद करच। अिने कच
आत्मा पनश्चय करच। यह है रूहानी
यात्रा। तुम भी यात्रा करच। बाि कच
थचड़े ही भूिना चापहए। यचग अक्षर
पनकाि दच। बाि कच याद करना
है । क्या बाि कच तुम भूि िाते हच?
बाि कहते हैं अिरीरी बन िाओ।
तुम अिरीरी हच। यहाूँ आकर यह
िरीर धारण पकया है । अब पफर
िरीर का भान छचड़च। मैं वापिस िे
चिूूँगा। मैं कािचों का काि हूँ । इस
िुरानी दे ह कच भूि मुझे याद करच।
यह िुरानी िूती है । पफर तुमकच
नया िरीर दें गे। िु राने से ममत्व
पमटाओ। मैं तुमकच साथ िे
िाऊोंगा। तच खुि हचना चापहए पक
हम िाते हैं पियर घर। िाूँ च हिार
वषा हुए हैं , हमने िान्धन्तधाम कच
छचड़ा है । अब पफर हम िाते हैं ।
यह है दु :खधाम। बाि आकर बच्चों
की सेवा करते हैं । आत्मा िच छी-
छी बनी है , उनकी ज्यचपत िगाते
हैं । सिूत बच्े िच हचोंगे वह कहें गे
हम तच श्री नारायण कच वरें गे। बाि
कहते हैं - अिना पदि दिाण दे खच
- कचई भूत तच नहीों बैठा है ? भूतचों
कच भगाते रहच तापक भूतचों का राज्य
ही खत्म हच िायेगा। बाि तच बच्चों
की सेवा में उिन्धथथत है । वह तच
पवपचत्र है , कचई पचत्र नहीों है । दू सरे
के आरगन्स द्वारा बाबा िढ़ाते हैं ।
वािव में तच पवपचत्र सब आत्मायें
हैं । पफर बाद में पचत्र िेकर िाटा
बिाती हैं । बाि कहते हैं मैं इस
पचत्र वा प्रकृपत का आधार िेता हूँ ,
माताओों कच ज्ञान किष दे ता हूँ ।
िब तुम बच्े बाि कच िान िाते हच
तब ही वसाा पमिता है । अच्छा!
मीठे -मीठे पसकीिधे बच्चों प्रपत
मात-पिता बािदादा का याद, प्यार
और गु डमापनिंग। रूहानी बाि की
रूहानी बच्चों कच नमिे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाि कच याद कर, बाबा की
श्रीमत िर चि माया के श्राि से
िूरा-िूरा मुक्त हचना है ।
2) दे ह का भान छचड़ अिरीरी
बनना है , िुरानी दु पनया से
ममत्व पमटा दे ना है ।

वरदान:- अिनी उदारता द्वारा


सवा को अिनेिन का अनुभव
कराने वाले बाि समान सवंश
त्यागी भव
सवथ -वोंश त्यागी वह है भजसका
सोंकल्प, स्विाव, सोंस्कार, नेचर
बाप समान है । जच बाप का स्विाव
वही आपका हच, सों स्कार सदा बाप
समान स्नेह, रहम और उदारता के
हचों, भजसे ही बडी भदल कहते हैं ।
बडी भदल अथाथ त् सवथ अपनापन
अनुिव हच। बडी भदल में तन, मन,
धन, सोंबोंध में सफलता की बरक्कत
हचती है । छचटी भदल वाले कच
मेहनत ज्यादा, सफलता कम हचती
है । बडी भदल, उदार भदल वाले ही
बाप समान बनते हैं , उन पर साहे ब
राजी रहता है ।

स्लोगन:- पररपक्व बनने के भलए


परीक्षाओों कच गुड-साइन समझ
हभषथत रहच।
ओम् शान्ति।

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