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Notes 210204 112257 509
Notes 210204 112257 509
ो र-
अ धकतम श द म -
.1 वै ा नक ने सरा मशीनी मानव या सोचकर नह
बनाया ?
उ र - वै ा नक ारा सरा मशीनी मानव न बनाए
जाने का पहला कारण तो यह था क मशीनी वचारक
उनके औज़ार भी साथ ले गया तथा सरा कारण यह
था क वै ा नक ने सोचा क जब पहले आदमी ने यह
करतब कर दखाया है तो सरा पता नह या गजब
ढाएगा।
. 2 टापू के कनारे प ँचकर माहीगीर या दे खकर
हैरान रह गया ?
उ र - टापू के कनारे प ँचकर माहीगीर यह दे खकर
हैरान रह गया क कतने ही लोग वहाँ पेड़ चीर रहे
थे, ज़मीन खोदकर क ा लोहा नकाल रहे थे या
ई धुन रहे थे। कु छ ऐसे भी थे जो चरी ई लक ड़य
को आग लगाकर कोयला बना रहे थे पर वे सब के सब
आम आद मय से ब कु ल अलग तरह के थे। आपस
म भी एक गरोह के लोग सरे गरोह से मेल नह
खाते थे।
.3 मशीनी मानव के गरोह के लोग एक सरे से कस
कार अलग थे ?
उ र - मशीनी मानव के गरोह के लोग एक सरे से इस
कार अलग थे क जो लकड़ी चीर रहे थे, वे खुद
लकड़ी के बने लगते थे और उनक बाँह के आगे हाथ
क जगह आ रयाँ लगी थी। जो लोहा खोद रहे थे, उनके
ज म क े लोहे के थे। हाथ क जगह कु दा लयाँ थी
और वे चलते थे तो ऐसा लगता था जैसे कवायद कर
रहे हो।
इसी तरह ई धुनने वाले आदमी ई के बने थे, हाथ
- पैर और नाक - कान क ी कपास के थे और गले से
नीचे धड़ का ह सा धुनक क श ल का था। जो
लक ड़य को जलाकर कोयला बना रहे थे, वे सर से
पैर तक खुद ही कोयला ही थे तथा उनके हाथ-पैर से
लपट नकलती थी और आँख जलते अंगार क - सी
थी।
.4 भूख लगने पर माहीगीर ने या कया ?
उ र - भूख लगने पर माहीगीर नाव को कनारे पर
छोड़कर टापू म इधर-उधर घूमने लगा पर उसे ना तो
कोई ऐसा पेड़ नज़र आया, जस पर फल लगे हो और
ना ही कोई एक भी जानवर दखाई दया, जसका वह
शकार कर सके । जब भूख के मारे उसका बुरा हाल
होने लगा तो उसने सोचा क बेहतर यही है क अपनी
नाव लेकर फर से समु म चला जाए और वह कोई
मछली वगैरह पकड़ने क को शश कर।
.5 मशीनी मानव क नया वा त वक नया से
कस कार भ थी ?
उ र - मशीनी मानव क नया म कोई कसी चीज़ के
लए कसी का मोहताज नह था। हर आदमी अपनी
जगह म पूरा था। सब सर से अलग, अके ले और
आज़ाद थे। यहाँ न कसी को आम लोग क तरह भूख
लगती थी, न काम करके पसीना आता था, न कसी
को न द सताती थी, न समु और तूफ़ान से डर लगता
था। हर आदमी हर व काम करता रहता था और
अपनी तरह काम करने वाले नए-नए आदमी तैयार
करता रहता था।