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3e1fe PT 365 Polity and Constitution Hindi 2022
3e1fe PT 365 Polity and Constitution Hindi 2022
3e1fe PT 365 Polity and Constitution Hindi 2022
in 8468022022
राजव्यवस्था और संववधान
ववषय-सूची
1. संववधान से संबवं धत मुद्दे (Issues Related to Constitution) ...............................................................................4
1.1. वनजी क्षेत्र में स्थानीय अरक्षण (Local Reservation in Private Sector) ........................................................... 4
1.2. ऄन्य विछडे वगों का ईि-वगीकरण {Sub-Categorisation of Other Backward Classes (OBCs)}..................... 4
3.2. भारत में ऄंतरराज्यीय सीमा वववाद (Interstate Border Disputes in India).................................................... 27
3.4. राज्य सरकार की ऊण लेने संबंधी शवि (Borrowing Powers of State Government) ..................................... 28
4.3.1. वजला स्तर िर न्यायाधीशों की वनयुवि: ऄवखल भारतीय न्यावयक सेवा {Appointment of Judges at District
Level: All India Judicial Service {AIJS)} ................................................................................................. 36
4.4. ऄवधकरण (Tribunals) ............................................................................................................................. 37
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5.1. वनवाणचन वववध (संशोधन) ववधेयक {Election Laws (Amendment) Bill} ......................................................... 44
6.1. िंचायत ईिबंध (ऄनुसूवचत क्षेत्रों िर ववस्तार) ऄवधवनयम, 1996 {Panchayats (Extension to the Scheduled
Areas) Act, 1996} ....................................................................................................................................... 51
6.3. ककशोर न्याय (बालकों की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन ऄवधवनयम, 2021 {Juvenile Justice (Care And
Protection Of Children) Amendment Bill, 2021} ........................................................................................ 53
7.1. कें द्रीय ऄन्वेषण ब्यूरो और प्रवतणन वनदेशालय (CBI and ED) ............................................................................ 59
8.2. ग्राम िंचायत ववकास योजना (Gram Panchayat Development Plan) ......................................................... 62
8.6. सावणजवनक खरीद (ऄवधप्रावि) और िररयोजना प्रबंधन (Public Procurement and Project Management) .......... 66
9. ववववध (Miscellaneous)........................................................................................................................... 72
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नोट:
PT 365 (महदी) डाक्यूमेंट के ऄंतगणत, व्यािक तौर िर ववगत 1 वषण (365 कदन) की महत्विूणण समसामवयकी को समेककत
रूि से कवर ककया गया है ताकक प्रारं वभक िरीक्षा की तैयारी में ऄभ्यर्ख़थयों को सहायता वमल सके ।
ऄभ्यर्ख़थयों के वहत में PT 365 डॉक्यूमेंट को और बेहतर बनाने के वलए आसमें वनम्नवलवखत नवीन ववशेषताओं को शावमल
ककया गया है:
1. टॉविक्स के असान वगीकरण और वववभन्न प्रकार की सूचनाओं को रे खांककत तथा याद करने के वलए आस ऄध्ययन
सामग्री में वववभन्न रं गों का ईियोग ककया गया है।
2. ऄभ्यथी ने ववषय को ककतना बेहतर समझा है, आसके िरीक्षण के वलए QR अधाररत स्माटण किज़ को शावमल ककया
गया है।
3. ववषय/ टॉविक की असान समझ के वलए आन्फोग्राकफक्स को शावमल ककया गया है। यह सीखने और समझने के ऄनुभव
को असान बनाता है तथा िढ़े गए ववषय/कं टेंट को लंबे समय तक याद रखना सुवनवित करता है।
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1.1. वनजी क्षेत्र में स्थानीय अरक्षण (Local Reservation in Private Sector)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, हररयाणा सरकार ने स्थानीय लोगों के वलए वनजी नौकररयों में 75% अरक्षण रोकने के िंजाब और हररयाणा ईच्च न्यायालय
के अदेश को ईच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
ऄन्य संबवं धत तथ्य
हररयाणा राज्य स्थानीय ईम्मीदवार वनयोजन ऄवधवनयम, 2020 15 जनवरी, 2022 को लागू हुअ था।
हररयाणा ऐसा कदम ईठाने वाला भारत का िहला राज्य नहीं है। महाराष्ट्र, अंध्र प्रदेश, कनाणटक और मध्य प्रदेश जैसे ऄन्य राज्यों ने
िहले ही स्थानीय लोगों के वलए वनजी नौकररयों को अरवक्षत करने का प्रयास ककया है। हालांकक, ये सभी राज्य वववादों में फं से हुए
हैं।
1.2. ऄन्य विछडे वगों का ईि-वगीकरण {Sub-Categorisation of Other Backward Classes (OBCs)}
सुर्ख़ियों में क्यों?
कें द्रीय मंवत्रमंडल ने कें द्रीय सूची में ऄन्य विछडे वगों (OBCs) के भीतर ईि-वगीकरण की संभावना की जांच हेतु गरठत न्यायमूर्ख़त जी.
रोवहणी अयोग के कायणकाल में छह माह के ववस्तार को स्वीकृ वत प्रदान की है।
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राष्ट्रीय विछडा वगण अयोग (NCBC) के ऄनुसार, o अरक्षण लागू न होने, अर्ख़थक वशकायतों, महसा अकद से संबंवधत िररवादों
या वशकायतों के मामले में नागररक अयोग के समक्ष ऄिनी समस्याएं
11 राज्यों/कें द्र शावसत प्रदेशों (अंध्र प्रदेश,
प्रस्तुत कर सकें गे।
तेलंगाना, िुडुचेरी, कनाणटक, हररयाणा, झारखंड, o ऄवधकारों एवं सुरक्षा ईिायों से वंवचत करने संबध
ं ी वशकायतों की जांच
करना।
िविम बंगाल, वबहार, महाराष्ट्र, राजस्थान और
तवमलनाडु ) ने राज्य सरकार के स्वावमत्व वाले संस्थानों में अरक्षण के वलए OBCs को ईि-वगीकृ त ककया है।
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SC द्वारा जारी अदेश ‘कृ ष्ण मूर्ख़त वाद’ के वनणणय िर अधाररत हैं। आस वनणणय में कहा गया था कक राजनीवतक भागीदारी की बाधाएं,
वशक्षा और रोजगार तक िहुंच को सीवमत करने वाली बाधाओं के समान चररत्र की नहीं है।
ररिल टेस्ट में शावमल हैं:
o राज्य के भीतर स्थानीय वनकायों के संबंध में विछडेिन की प्रकृ वत और वनवहताथण की समसामवयक कठोर ऄनुभवजन्य जांच करने के वलए एक
समर्ख़ित अयोग की स्थािना करना।
o अयोग की वसफाररशों के ऄनुसार स्थानीय वनकाय-वार प्रावधान ककए जाने के वलए अवश्यक अरक्षण का ऄनुिात वनर्ददि करना।
अरक्षण ऄनुसूवचत जावतयों, ऄनुसूवचत जनजावतयों और ऄन्य विछडा वगण के िक्ष में समग्र अरवक्षत सीटों के कु ल 50% से ऄवधक नहीं होना
चावहए।
श्रीिद्गलवरु और ऄन्य बनाम के रल वतणमान में कु छ वसद्धांत जो ‘मूल संरचना’ (या बेवसक स्रक्चर) का वहस्सा हैं, वनम्नवलवखत हैं:
राज्य वाद के मुख्य यावचकाकताण o भारत की संप्रभुता;
के शवानंद भारती का वनधन हो गया। o नागररकों के वलए सुरवक्षत व्यविगत स्वतंत्रता की अवश्यक ववशेषताएँ;
के शवानंद भारती वाद के बारे में o कल्याणकारी राज्य के वनमाणण के वलए ऄवधदेश;
ज्ञातव्य है कक के शवानंद भारती o संववधान की सवोच्चता;
वाद में वनणणय सुनाते हुए o सरकार का गणतंत्रात्मक और लोकतांवत्रक स्वरूि;
ईच्चतम न्यायालय ने संववधान
o संववधान की िंथवनरिेक्ष और संघीय प्रकृ वत;
की मूल संरचना (या मूल ढ़ांच)े
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ऄवधवनयम, 1963 के तहत o मूल ऄवधकार और राज्य की नीवत के वनदेशक तत्वों (DPSPs) के मध्य सामंजस्य एवं संतुलन;
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हालाँकक, राज्यों द्वारा सैकडों संशोधन ककए जा चुके हैं और आसवलए, कु छ मामलों में, आन धमणवनरिेक्ष नागररक कानूनों के तहत भी
ववववधताएं मौजूद हैं।
हाल ही में, कइ राज्यों ने समान मोटर वाहन ऄवधवनयम, 2019 को ऄिनाने से आनकार कर कदया है।
गोवा एकमात्र भारतीय राज्य है जहां सामान िररवार कानून के रूि में समान नागररक संवहता लागू है।
UCC की िृिभूवम
स्वतंत्रता िूवण (औिवनवेवशक युग):
o ऄक्टू बर 1840 की लेक्स लोकी ररिोटण: आसके तहत ऄिराधों, साक्ष्य और संववदा से संबंवधत भारतीय कानून के संवहताकरण में
एकरूिता की महत्ता और अवश्यकता िर बल कदया गया था। हालांकक, आसके तहत यह भी वसफाररश की गइ कक महदुओं और
मुवस्लमों के व्यविगत कानूनों को आस प्रकार के संवहताकरण के दायरे से बाहर रखा जाना चावहए।
o महारानी की 1859 की ईद्घोषणा: आसमें धार्ख़मक मामलों में िूणण रूि से हस्तक्षेि न करने की प्रवतबद्धता जावहर की गइ थी।
o वषण 1941 में महदू कानून को संवहताबद्ध करने के वलए बी. एन. राव सवमवत का गठन ककया गया था।
स्वतंत्रता प्रावि के बाद:
o महदू कोड वबल: डॉ. बी. अर. ऄंबेडकर ने महदू कानूनों में सुधार के वलए आस ववधेयक का मसौदा तैयार ककया था, वजसके तहत
तलाक को वैध ठहराया गया, बहुवववाह का ववरोध ककया गया, बेरटयों को संिवत्त का ईत्तरावधकार प्रदान ककया गया।
o महदू ईत्तरावधकार ऄवधवनयम, 1956 को महदुओं, बौद्ध, जैन और वसख के मध्य “वनवणसीयत या वसीयतनामा के बगैर
ईत्तरावधकार” (Intestate or Unwilled Succession) से संबंवधत कानूनों में संशोधन और संवहताकरण करने के वलए लाया
गया था। हालांकक, मुवस्लम, इसाइ और िारवसयों के वलए ऄलग-ऄलग व्यैविक कानून लागू ककये गए थे।
वनवणसीयत: यकद संिवत्त के बारे में वसीयत जावहर ककये वबना ककसी व्यवि की मृत्यु हो तो, व्यवि की मृत्यु ईस संिवत्त के
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
एम. चंद्र बनाम एम. थंगमुथु तथा ऄन्य वाद (वषण 2010) - ईच्चतम न्यायालय ने धमाांतरण सावबत करने के वलए शतें वनधाणररत की: िहला, सही
मायने में धमाांतरण हुअ हो और दूसरा यह कक, ईस समुदाय में स्वीकृ वत वजसमें व्यवि धमाांतररत हुअ है। न्यायालय ने यह भी कहा कक धमाांतरण
की अवश्यकता को िूरी तरह से समाि नहीं ककया जा सकता है।
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(Autonomous Functioning),
लोकतांवत्रक वनयंत्रण
(Democratic Control) और
िेशेवर या वृवत्तक प्रबंधन
(Professional Management)
का संवधणन करने का प्रयास करे गा।
o संववधान का भाग IXB: आसने
सहकारी सोसाआरटयों को संचावलत
करने के वलए शतों को वनधाणररत
ककया है। यह एक सहकारी
सोसाआटी के वनदेशकों की संख्या या
ईनके कायणकाल की ऄववध और यहां
तक कक सोसाआटी का सदस्य बनने के वलए अवश्यक ववशेषज्ञता का वनधाणरण करता है।
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o भाग IX-B को ऄनुच्छे द 243ZH से ऄनुच्छेद 243ZT तक ववस्ताररत कर कदया गया है।
सर फ्रेडररक वनकोल्सन को देश में ‘सहकाररता अंदोलन के जनक’ के रूि में संदर्ख़भत ककया जाता है।
o भारत में, सर फ्रेडररक वनकोल्सन, वजन्होंने मद्रास ऄकाल के ईिरांत ककसानों की समस्याओं के वनस्तारण के संदभण में एक
व्यािक ऄध्ययन ककया। ईन्होंने 1895 इ. में एक ररिोटण प्रकावशत की, वजसके कारण भारत में सहकारी कृ वष ऊण सवमवतयों
और सहकारी बैंकों की स्थािना हुइ और ‘सहकारी अंदोलन’ का मागण प्रशस्त हुअ।
कौन? एक भारतीय नागररक, जो नागररकता ऄवधवनयम, 1955 की धारा 7A के तहत OCI काडणधारक के रूि में िंजीकृ त
सामान्यतः भारत से बाहर व्यवि।
वनवास करता है और एक
भारतीय िासिोटण धारक है।
क्या लाभ प्राि होते सरकार द्वारा समय-समय िर काडणधारक ककसी भी ईद्देश्य हेतु भारत अने के वलए बहु-प्रवेश वाला अजीवन
हैं? जारी ऄवधसूचनाओं के ऄधीन वीजा प्राि कर सकता है।
भारतीय नागररकों के वलए भारत में ककतनी भी ऄववध तक रह सकता है, आसके वलए िंजीकरण से छू ट प्रदान
ईिलब्ध सभी लाभ। की गइ है।
ऄवनवासी भारतीयों (NRIs) के साथ समानता
o ववत्तीय, अर्ख़थक और शैवक्षक क्षेत्र में ईिलब्ध प्रत्येक सुववधा में समानता,
िरन्तु कृ वष ऄथवा बागान िररसंिवत्तयों के ऄवधग्रहण के मामलों को छोडकर।
o ईन्हें भारत में रहने वाले ककसी भी व्यवि से कृ वष या बागवानी संिवत्त
ववरासत में प्राि करने की ऄनुमवत है।
o भारतीय बच्चों को गोद (दत्तक) लेने की ऄंतदेशीय सुववधा।
o वचककत्सक, फामाणवसस्ट जैसे िेशों को ऄिना सकते हैं।
o देश में ककसी भी राष्ट्रीय ईद्यान, वन्यजीव ऄभ्यारण्डय, राष्ट्रीय स्मारक,
ऐवतहावसक स्थल और संग्रहालय के दशणन के क्रम में घरे लू यात्रा और प्रवेश
शुल्क एवं ववमान शुल्क को लेकर भारतीय नागररकों के समान सुववधाएं प्राि
करने के िात्र हैं।
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कोइ व्यवि भारतीय एक व्यवि िहले से ही एक नागररकता ऄवधवनयम 1955 के ऄनुसार, 5 वषण के वलए OCI के रूि में िंजीकृ त व्यवि
नागररकता ककस भारतीय नागररक है।
और िंजीकरण के वलए अवेदन करने से िूवण 12 माह तक भारत में रहने वाला व्यवि
प्रकार ऄर्ख़जत कर
नागररकता के वलए िात्र है।
सकता है?
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संववधान सभा संववधान सभा की ऐवतहावसक िहली बैठक के 75 वषण िूणण हुए
संववधान सभा की प्रथम बैठक नइ कदल्ली में 9 कदसंबर 1946 को संसद भवन के सेंरल हॉल में हुइ थी।
o कै वबनेट वमशन योजना, 1946 (फ्रेडररक िेवथक लॉरें स, सर स्टैफोडण कक्रप्स और ए. वी. ऄलेक्जेंडर
आसके सदस्य थे) की वसफाररशों के अधार िर भारत की संववधान सभा का वनमाणण ककया गया था।
संववधान सभा को भारतीय स्वतंत्रता ऄवधवनयम, 1947 की धारा 8 द्वारा मान्यता दी गइ थी।
संरचना: सदस्यों का चयन कै वबनेट वमशन द्वारा ऄनुशंवसत योजना के ऄनुसार प्रांतीय ववधान सभाओं के
सदस्यों द्वारा ऄप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से ककया गया था।
o व्यवस्था:
प्रांतीय ववधान सभाओं के माध्यम से 292 सदस्य चुने गए थे।
आसमें शावमल 93 सदस्यों ने भारतीय ररयासतों का प्रवतवनवधत्व ककया था, तथा
4 सदस्यों ने चीफ कवमश्नरी वाले प्रांतों का प्रवतवनवधत्व ककया था। (कु ल सदस्य = 389)।
o हालांकक 3 जून, 1947 की माईं टबेटन योजना के तहत ववभाजन के िररणामस्वरूि, िाककस्तान के
वलए एक ऄलग संववधान सभा की स्थािना की गइ थी और कु छ प्रांतों के प्रवतवनवध संववधान सभा के
सदस्य नहीं रहे। िररणामस्वरूि, संववधान सभा की सदस्यता घटकर 299 रह गइ थी।
सभा की प्रथम बैठक की ऄध्यक्षता डॉ. सवच्चदानंद वसन्हा ने की थी।
स्वतंत्र भारत के वलए संववधान तैयार करने में संववधान सभा को दो वषण, ग्यारह महीने और ऄठारह कदन
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कदव्यांगजनों के वलए िदोन्नवत में ईच्चतम न्यायालय ने कें द्र सरकार को कदव्यांगजनों के वलए िदोन्नवत में अरक्षण लागू करने संबध
ं ी वनदेश जारी
अरक्षण {Reservation in करने का अदेश कदया है।
Promotions for Persons ईच्चतम न्यायालय ने अदेश कदया है कक कदव्यांगजन ऄवधकार ऄवधवनयम, 2016 {Rights of Persons
with Disabilities (PWDs)} with Disabilities (PwD) Act, 2016} की धारा 34 के ऄनुसार वनदेश जारी ककए जाने चावहए। यह
धारा संदर्ख़भत (बेंचमाकण ) कदव्यांग व्यवियों के वलए न्यूनतम 4 प्रवतशत अरक्षण वनधाणररत करती है।
o कदव्यांगजन ऄवधकार ऄवधवनयम, 2016 के ऄनुसार, "संदर्ख़भत कदव्यांग व्यवि" से अशय एक ऐसे
व्यवि से है, जो एक वनर्ददि कदव्यांगता के चालीस प्रवतशत से कम कदव्यांग नहीं है, जैसा कक प्रमाणन
प्रावधकारी द्वारा प्रमावणत ककया गया है।
o आस ऄवधवनयम के ऄंतगणत 21 प्रकार की कदव्यांगताओं को शावमल ककया गया है।
SC के महत्त्विूणण वाद:
आससे िूवण, वसद्धाराजू बनाम कनाणटक राज्य वाद में, जनवरी 2020 के वनणणय में ईच्चतम न्यायालय ने िुवि
की थी कक कदव्यांगजनों को के वल वनयुवि में ही नहीं बवल्क िदोन्नवत में भी अरक्षण का ऄवधकार प्राि है।
o ककतु, कें द्र सरकार ने आसे लागू नहीं ककया था।
नेशनल फे डरे शन ऑफ द ब्लाआं ड वाद में, ईच्चतम न्यायालय ने यह स्वीकार ककया था कक कदव्यांगजनों के
वलए अरक्षण की गणना समूह A, B, C और D िदों (ऄथाणत दोनों वचवन्हत तथा गैर वचवन्हत िद) के मामले
में कै डर स्रेंथ में ररवियों की कु ल संख्या िर अरक्षण की गणना करके की जाएगी।
राजीव कु मार गुिा वाद में, ईच्चतम न्यायालय ने सरकार को समूह A तथा B में सभी वचवन्हत िदों िर
कदव्यांगजनों को अरक्षण प्रदान करने का वनदेश कदया था।
राजद्रोह भारतीय दंड संवहता, 1860 की धारा 124A में राजद्रोह (सेवडशन) की िररभाषा दी गयी है। आस िररभाषा
के ऄनुसार, जब कोइ व्यवि वनम्नवलवखत के माध्यम से (भारत में) वववध द्वारा स्थावित सरकार के प्रवत घृणा
या ऄवमान ईत्िन्न करता है या ईत्िन्न करने का प्रयत्न करता है, ऄसंतोष (ऄप्रीवत) ईत्िन्न करता है या
ईत्िन्न करने का प्रयत्न करता है तो ईसके कृ त्य को राजद्रोह माना जाएगा:
o बोले गए या वलखे गए शब्दों द्वारा, या
o संकेतों द्वारा, या
o दृश्यरूिण प्रस्तुवत (visible representation) द्वारा, या ऄन्यथा ककसी प्रकार से
'ऄसंतोष/ऄप्रीवत' (Disaffection) में ऄभवि (disloyalty) और शत्रुता की सभी भावनाएँ सवम्मवलत होती
हैं। हालांकक, घृणा, ऄवमान या ऄसंतोष को ईत्तेवजत करने का प्रयास ककए वबना की गइ रटप्िवणयों को आस
धारा के तहत ऄिराध की श्रेणी में सवम्मवलत नहीं ककया जाता है।
यह एक गैर-जमानती ऄिराध है।
o आसके ऄंतगणत, व्यवि को जुमाणने के साथ तीन वषण या अजीवन कारावास का दंड कदया जा सकता है।
o रोमेश थािर वाद (1950), के दार नाथ मसह वाद (1962), कन्हैया कु मार वाद (2017) अकद मामलों
में कदए गए वववभन्न वनणणयों ने राजद्रोह को कफर से िररभावषत ककया है। कोइ कृ त्य राजद्रोह तभी कहा
जाएगा, जब ईसमें वनम्नवलवखत अवश्यक तत्व ववद्यमान हों-
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हेट स्िीच गृह मंत्रालय ने "वाक् और ऄवभव्यवि से संबंवधत ऄिराधों" िर सुधारों का सुझाव देने के वलए एक सवमवत का
गठन ककया है
चूंकक, विरटश काल में ववकवसत भारतीय दंड संवहता (IPC) में "हेट स्िीच" की कोइ स्िि िररभाषा नहीं है,
आसवलए अिरावधक कानूनों में सुधार हेतु सवमवत िहली बार आस प्रकार के वाक् को िररभावषत करने का
प्रयास कर रही है।
आससे िूवण, िुवलस ऄनुसध
ं ान एवं ववकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development)
ने हेट स्िीच को "ऐसी भाषा, जो ककसी व्यवि को ईसकी िहचान और ऄन्य लक्षणों (जैसे लैंवगक
ऄवभववन्यास या कदव्यांगता या धमण अकद) के अधार िर कलंककत, ऄिमावनत, धमकी देना या लवक्षत करती
है" के रूि में िररभावषत ककया था।
आसके ऄवतररि, संयुि राष्ट्र महासवचव ने भी हेट स्िीच िर रणनीवत और कायण योजना (Strategy and
Plan of Action on Hate Speech) जारी की है। यह राष्ट्रीय और वैविक स्तर िर हेट स्िीच को
संबोवधत करने के वलए संयुि राष्ट्र प्रणाली हेतु रणनीवतक मागणदशणन वनधाणररत करती है।
भारत में हेट स्िीच के वलए कानूनी प्रावधान
o संववधान के ऄनुच्छेद 19(2) द्वारा युवियुि वनबांधन।
o IPC की धारा 124A में राजद्रोह का दंड।
o IPC की धारा 153A और 153B ईन कृ त्यों को दंवडत करती है, जो दो समूहों के बीच शत्रुता और
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
बेऄदबी या िववत्र वस्तुओं के िंजाब सरकार ने धमणग्रंथों का ऄिमान करने िर ईम्रकै द के प्रस्ताव वाले ऄिने ववधेयक को मंजूरी हेतु कें द्र सरकार
ऄनादर की घटना (Sacrilege) को ित्र वलखा है। आस ववधेयक में चार धमों के धमणग्रथ
ं ों के ऄिमान िर सजा का प्रावधान ककया गया है।
ककसी धार्ख़मक प्रतीक/वस्तु या स्थान को समुवचत सम्मान न देना या ऄनादर करना बेऄदबी (आसे इशमनदा
के रूि में भी जाना जाता है) कहलाती है।
भारत व िाककस्तान जैसे ऄन्य देशों के वविरीत एक िंथवनरिेक्ष देश है, जो इशमनदा कानूनों के तहत सभी
धमों की रक्षा करता है।
वतणमान में भारतीय दंड संवहता (Indian Penal Code: IPC) की धाराएँ 295 और 295A, 296, 297,
298 इशमनदा की घटनाओं से संबंवधत हैं।
o यकद कोइ व्यवि जानबूझकर भारत में ककसी भी धमण के ऄनुयावययों द्वारा िववत्र समझी जाने वाली
ककसी धार्ख़मक वस्तु को क्षवत िहुंचाता है, ईसे नि करता है या मवलन करता है, तो धारा 295 के तहत
वह सजा का भागीदार है। आन धार्ख़मक वस्तुओं में मूर्ख़तयों और ककताबों के ऄलावा ऄन्य वस्तुएं भी
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शावमल हैं।
o यकद कोइ व्यवि दुभाणवना से बोले गए शब्दों के माध्यम से या वलख कर या सांकेवतक रूि से या वचत्रों
द्वारा धार्ख़मक भावनाओं को ठे स िहुंचाता है या ईसका ऄिमान करने का प्रयास करता है, तो वह धारा
295A के तहत सजा का भागीदार है।
वनवारक वनरोध (Preventive ईच्चतम न्यायालय ने ‘बांका स्नेहा शीला बनाम तेलग
ं ाना राज्य’ वाद में यह वनणणय कदया है कक 'कानून और
Detention) व्यवस्था' के ईल्लंघन की संभाववत अशंका के अधार िर वनवारक वनरोध के ईिबंध को लागू नहीं ककया जा
सकता है। वनवारक वनरोध का अदेश के वल तभी िाररत ककया जा सकता है, जब संबंवधत गवतवववधयों का प्रत्यक्ष
रूि से लोक व्यवस्था िर प्रवतकू ल प्रभाव ईत्िन्न होता हो।
वनवारक वनरोध के बारे में:
o ‘वनवारक वनरोध’ ककसी व्यवि द्वारा संभाववत ऄिराध/ऄनुवचत कृ त्य ककए जाने के संदेह के अधार
िर संबवं धत व्यवि को वहरासत में लेने की कारण वाइ है {दंड प्रकक्रया संवहता (CrPC), 1973 की धारा
151}।
o भारतीय संववधान का ऄनुच्छेद 22 वगरफ्तारी और वनरोध से संबवं धत मामलों में सुरक्षा प्रदान करता
है।
संववधान का यह ऄनुच्छेद व्यवि को कु छ ऄवधकार प्रदान करता है, जैसे वगरफ्तारी के कारणों से
यथाशीघ्र ऄवगत करवाना, ऄिनी रुवच के वववध व्यवसायी से िरामशण करना और प्रवतरक्षा प्राि
करना अकद।
o हालांकक, ये ऄवधकार ककसी तत्समय शत्रु ऄन्यदेशीय नागररक या वनवारक वनरोध कानूनों के तहत
वहरासत में वलए गए व्यवि को प्रदान नहीं ककए गए हैं।
भूल जाने जाने का ऄवधकार कदल्ली ईच्च न्यायालय ने ककसी व्यवि के भूल जाने के ऄवधकार (RTBF) को यथावत रखा है।
(Right to be Forgotten: भूल जाने का ऄवधकार' (RTBF) वस्तुतः आं टरनेट और सचण आं जन, डेटाबेस, वेबसाआटों या ककसी ऄन्य
RTBF) सावणजवनक प्लेटफॉमण अकद से सावणजवनक रूि से ईिलब्ध व्यविगत जानकारी को ईस वस्थवत में हटाने का
ऄवधकार है जब यह व्यविगत जानकारी अवश्यक या प्रासंवगक नहीं रह जाती है।
o RTBF वनजता के ऄवधकार के ऄंतगणत अता है।
वतणमान में, भारत में RTBF िर वैधावनक प्रावधानों का ऄभाव है।
यह लंवबत व्यविगत डेटा संरक्षण ववधेयक (Personal Data Protection Bill), 2019 का वहस्सा है।
िरन्तु आस ववधेयक में डेटा ववलोिन के वववशि ऄवधकार का ऄभाव है, जैसा कक यूरोिीय सामान्य डेटा
संरक्षण वववनयमन (GDPR) के ऄनुच्छेद 17 द्वारा प्रदान ककया गया है।
भारतीय संववधान का ऄनुच्छेद हाल ही में, जम्मू एवं कश्मीर में एक सरकारी वशक्षक की सेवाओं को वबना ककसी जांच के समाि कर कदया
311(2) {Article 311 (2) of गया था।
the Indian Constitution} ऄनुच्छेद 311(2) सरकारी कमणचाररयों की िद से बखाणस्तगी, वनष्कासन या िदावनवत से िूवण जांच को
ऄवनवायण बनाता है।
हालांकक, ऄनुच्छेद 311(2)(c) के तहत िूवण जांच की अवश्यकता नहीं होती है, यकद राष्ट्रिवत या राज्यिाल
संतुि हो कक राज्य की सुरक्षा के वहत में, आस प्रकार की जांच करना समीचीन नहीं है।
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ववदेशी ऄवधकरण (Foreigners’ ऄसम सरकार ने राज्य िुवलस की सीमा शाखा को गोरखाओं के ववरुद्ध ककसी भी मामले को ववदेशी ऄवधकरणों
Tribunals: FT) (Foreigners’ Tribunals: FT) के समक्ष प्रस्तुत नहीं करने का अदेश कदया है।
ववदेशी ऄवधकरण (FTs) ऄधण-न्यावयक वनकाय हैं। आनकी स्थािना ववदेशी ववषयक (ऄवधकरण) अदेश
(Foreigners’ Tribunal Order), 1964 तथा ववदेवशयों ववषयक ऄवधवनयम (Foreigners Act),
1946 के ऄनुसार की गइ है। ये यह िता लगाने के वलए ऄवधदेवशत हैं कक कोइ व्यवि भारत का नागररक है
ऄथवा नहीं ।
o ववदेवशयों ववषयक ऄवधवनयम, 1946 कें द्र सरकार को ववदेवशयों के प्रवेश या प्रस्थान के संबंध में
प्रावधान करने का ऄवधकार प्रदान करता है।
o ववदेशी ऄवधकरण िहली बार वषण 1964 में स्थावित ककए गए थे। ये ऄसम के मामले में वववशि हैं।
देश के शेष वहस्सों में, ऄवैध रूि से वनवास करने िर िुवलस द्वारा िकडे गए ककसी ववदेशी के उिर
स्थानीय ऄदालत में मुकदमा चलाया जाता है और बाद में ईसे वनवाणवसत/ वडटेंशन कें द्रों में डाल कदया
जाता है।
आन ऄवधकरणों को दो प्रकार के मामलों हेतु ऄवधदेवशत ककया गया है: प्रथम, वे वजनके ववरुद्ध मामला सीमा
िुवलस द्वारा "संदर्ख़भत" ककया गया है और दूसरे , वे वजनके नाम मतदाता सूची में संकदग्ध (Doubtful-D) के
रूि में संदर्ख़भत ककए गए हैं।
ववदेशी ववषयक ऄवधकरण की ऄध्यक्षता एक सदस्य करता है। यह एक सेवावनवृत्त न्यावयक ऄवधकारी,
नौकरशाह या ऄवधविा (वजसे वववधक िेशेवर के रूि में कायण करने का सात वषण का ऄनुभव हो) हो सकता
है।
वषण 2019 में, गृह मंत्रालय ने ववदेशी ववषयक (ऄवधकरण) अदेश, 1964 में संशोधन ककया था। आसके तहत
राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों के वजलाधीशों को यह वनधाणररत करने के वलए ऄवधकरण स्थावित करने का
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
ऄवधकार कदया गया था कक भारत में ऄवैध रूि से वनवास करने वाला कोइ व्यवि ववदेशी है ऄथवा नहीं।
आससे िहले, ववदेशी ऄवधकरणों का गठन करने की शवि के वल कें द्र के िास थी।)
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है।
आसके वनयम 9 के ऄनुसार, ऄध्यक्ष और ईिाध्यक्ष की ऄनुिवस्थवत में सभा में िीठासीन होने के वलए ऄध्यक्ष द्वारा 10 सदस्यों की एक तावलका
बनाइ जाती है। लेककन, ईन्हें ईिाध्यक्ष के कतणव्यों का वनवणहन करने की शवि प्रदान नहीं की गइ है।
11वीं लोक सभा के बाद से यह अम सहमवत रही है कक ऄध्यक्ष सत्ता िक्ष/गठबंधन से होगा और ईिाध्यक्ष का िद मुख्य वविक्षी दल
को जाएगा।
िदाववध: ऄध्यक्ष की तरह, ईिाध्यक्ष भी लोक सभा की समयाववध (5 वषण) के दौरान अमतौर िर िद िर बना रहता है।
वनष्कासन/हटाया जाना: लोक सभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से िाररत संकल्ि द्वारा ईिाध्यक्ष को हटाया जा सकता है।
ईिाध्यक्ष बजट सवमवत का ऄध्यक्ष होता है। वह सवचवालय के बजट प्रस्तावों को अम बजट में शावमल करने के वलए ववत्त मंत्रालय
को भेजे जाने से िहले मंजूरी देता है।
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24 DRSCs में से 8 राज्य सभा के तहत और 16 लोक सभा के ऄंतगणत कायण करती हैं।
वनयम 268 के तहत गरठत प्रत्येक सवमवत में कु ल 31 सदस्य होते हैं। ईनमें से 10 सदस्य राज्यसभा से और 21 सदस्य लोक सभा से होते हैं।
o आन सदस्यों को क्रमशः लोक सभा ऄध्यक्ष या राज्य सभा के सभािवत द्वारा नावमत ककया जाएगा।
कोइ मंत्री ककसी भी सवमवत का सदस्य नहीं होता है।
सवमवत के सदस्य ऄवधकतम एक वषण की ऄववध के वलए िद धारण करें गे।
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लाभ का िद (Office of Profit) ईच्चतम न्यायालय ने माना कक मवणिुर में कवथत रूि से लाभ का िद (OoP) धारण करने
वाले 12 ववधायकों की ऄयोग्यता िर राज्यिाल चुनाव अयोग (EC) की राय िर ववलंब
नहीं कर सकता है।
लाभ के िद को संववधान या लोक प्रवतवनवधत्व ऄवधवनयम, 1951 (RPA) में
िररभावषत नहीं ककया गया है। ककतु वववभन्न न्यायालयों ने आसकी व्याख्या कु छ
कतणव्यों के साथ एक वववशि िद के रूि में की है, जो लगभग सावणजवनक प्रकृ वत के हैं।
o सार यह है कक ववधायकों को वतणमान सरकार के प्रवत ककसी भी ईत्तरदावयत्व
के वबना स्वतंत्र रूि से ऄिने कतणव्यों का िालन करने की ऄनुमवत दी जाती है।
o आसके ऄवतररि, संसद (वनरहणता वनवारण) ऄवधवनयम, 1959 में ऐसे कइ िद
सूचीबद्ध हैं, वजन्हें वनरहणता से छू ट प्रदान की गइ है।
संववधान के ऄनुच्छेद 102(1) और ऄनुच्छेद 191(1) में, एक सांसद या ववधायक को
कें द्र या राज्य सरकार के तहत कोइ भी लाभ का िद धारण करने से प्रवतबंवधत करने
का प्रावधान ककया गया है।
o आसके ऄवतररि RPA, 1951 के ऄंतगणत, लाभ का िद धारण करना वनरहणता
का अधार है।
ईच्चतम न्यायालय के ऐवतहावसक मामले
वषण 1964 में, ईच्चतम न्यायालय ने वनणणय कदया था कक यह वनधाणररत करने के वलए
कक कोइ व्यवि लाभ के िद का धारक है या नहीं का िरीक्षण, वनयुवि का ही
िरीक्षण है।
प्रद्युत बोरदोलोइ बनाम स्विन रॉय (2001): ईच्चतम न्यायालय ने यह वनधाणररत
करने के वलए चार व्यािक वसद्धांतों को रे खांककत ककया कक क्या कोइ िद संवैधावनक
ऄयोग्यता को अकर्ख़षत करता है ऄथवा नहीं।
o क्या सरकार िद धारक की वनयुवि, ईसे हटाने, ईसके प्रदशणन और िद के कायों
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मंवत्रिररषद का ववस्तार कें द्र सरकार ने नए मंवत्रयों को शावमल करके और कवनि मंवत्रयों की िदोन्नवत कर ऄिनी
मंवत्रिररषद का ववस्तार 77 मंवत्रयों तक कर कदया है।
संववधान के 91वें संशोधन ने ऄनुच्छेद 75(1A) को समाववि ककया गया है। आसमें
ईिबंध ककया गया है कक कें द्रीय मंवत्रिररषद की क्षमता लोक सभा में सांसदों की कु ल
संख्या के 15 प्रवतशत से ऄवधक नहीं हो सकती है।
मंवत्रिररषद एक संवध
ै ावनक वनकाय है; हालांकक संववधान में आसके अकार और
वगीकरण का ईल्लेख नहीं ककया गया है।
o वत्रस्तरीय वनकाय में वगीकरण (कै वबनेट मंत्री, राज्य मंत्री और ईि मंत्री)
विरटश संसदीय िरं िरा िर अधाररत है।
राज्यसभा ने संववधान (ऄनुसवू चत जनजावत) अदेश ववधेयक ऄरुणाचल प्रदेश राज्य से संबंवधत संववधान (ऄनुसूवचत जनजावत) अदेश,
(संशोधन) ववधेयक, 2021 िाररत ककया {Rajya Sabha 1950 की ऄनुसूची के भाग-XVIII को संशोवधत करने िर कें कद्रत है जैसे:
passes Constitution (Scheduled Tribes) Order o 'ऄबोर' जनजावत को ऄनुसूवचत जनजावत की सूची से हटाया गया है।
(Amendment) Bill, 2021} o 'वमश्मी, आदु और तारोन’ के स्थान िर 'वमश्मी-कमान (वमजु वमश्मी), 'आदु
(वमश्मी) और तारोन (कदगारू वमश्मी)' को शावमल ककया गया है।
o 'मोम्बा' के स्थान िर ‘मोन्िा, मेम्बा, सारताङ और सजोलाङ (वमजी)'
जनजावतयों को शावमल ककया गया है अकद।
संववधान राष्ट्रिवत को वववभन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में ऄनुसवू चत जनजावतयों
(STs) को वनर्ददि करने का ऄवधकार प्रदान करता है।
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कानून वनरस्त करने की प्रकक्रया हाल ही में, सरकार ने तीनों वववादास्िद कृ वष कानूनों को वािस लेने की घोषणा की है।
एक कानून को वनरस्त कर कदया जाता है, जब संसद (संववधान के ऄनुच्छेद 245 से
शवि प्राि करते हुए) यह मानती है, कक ऄब कानून के ऄवस्तत्व को बनाए रखने की
अवश्यकता नहीं है।
o अमतौर िर, आस ईद्देश्य के वलए वनरसन और संशोधन शीषणक से ववधेयक
प्रस्तुत ककए जाते हैं। आसे ऄन्य ववधेयकों की तरह ही प्रकक्रया से िाररत ककया
जाता है।
o आस शवि का ईियोग विछली बार वषण 2019 में ककया गया था, जब संसद ने
58 ऄप्रचवलत कानूनों को वनरस्त कर कदया था।
सूयाणस्त खंड: कानून में एक "सूयाणस्त" खंड (सनसेट क्लॉज) भी हो सकता है। यह एक
ववशेष वतवथ होती है, वजसके बाद ईसका ऄवस्तत्व समाि हो जाता है।
o ईदाहरण के वलए, अतंकवाद रोधी कानून “अतंकवादी और ववघटनकारी
गवतवववधयां (रोकथाम) ऄवधवनयम 1987”, वजसे अमतौर िर टाडा के रूि में
जाना जाता है, में एक सूयाणस्त खंड था। आस खंड के कारण ही यह वषण 1995 में
स्वतः वनरस्त हो गया था।
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करने का ऄवधकार प्रदान करता है। ऄवधकरण द्वारा कदया गया वनणणय ऄंवतम और वववाद से संबवं धत िक्षकारों िर बाध्यकारी
होता है।
जल वववाद न्यायावधकरण के ऄध्यक्ष और सदस्यों को भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नावमत ककया जाता है।
हाल ही में, ऄंतराणज्यीय नदी जल वववाद (संशोधन) ववधेयक, 2019 लोक सभा द्वारा िाररत ककया गया था। यह ववधेयक
वववाद समाधान सवमवत और वववाद वनिटान के वलए एक स्थायी ऄवधकरण की स्थािना करने का प्रावधान करता है। आस
प्रकार ऄवधवनयम के तहत वववाद वनिटान तंत्र को प्रवतस्थावित करने का प्रयास करता है।
3.2. भारत में ऄंतरराज्यीय सीमा वववाद (Interstate Border Disputes in India)
िंद्रहवें ववत्त अयोग के ऄध्यक्ष एन. के . मसह ने जलवायु िररवतणन और महामारी की मौजूदा चुनौवतयों के मद्देनजर संववधान की सातवीं
ऄनुसच ू ी की गहन समीक्षा की बात कही है।
सातवीं ऄनुसच
ू ी के बारे में
यह नीवत राज्यों को ऄवतररि धन प्राि करने के वलए प्रगवतशील नीवतयों को ऄंगीकृ त करने हेतु प्रोत्सावहत करती है।
कु ल वमलाकर, 23 राज्यों ने 2.14 लाख करोड रुिये की सीमा में से 1.06 लाख करोड रुिये के ऄवतररि ऊण का लाभ ईठाया है।
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
ववशेष श्रेणी के राज्य का ववशेष श्रेणी राज्य के दजे की तजण िर अंध्र प्रदेश को ववशेष सहायता ईिाय।
दजाण राज्य द्वारा वषण 2015-16 से लेकर 2019-20 के बीच हस्ताक्षररत और संववतररत की गईं सहायता प्राि
िररयोजनाओं6 हेतु वलए गए ऊण और ब्याज के िुनभुणगतान के वलए ये ववशेष सहायता ईिाय प्रदान ककए जाएंगे।
ववशेष श्रेणी राज्य का दजाण िहली बार वषण 1969 में प्रस्ताववत ककया गया था। यह ईन राज्यों के ववकास में सहायता
के वलए कें द्र द्वारा प्रदत्त एक वगीकरण है, जो िहाडी क्षेत्रों, सामररक ऄंतराणष्ट्रीय सीमाओं, अर्ख़थक और ढांचागत
विछडेिन तथा गैर-व्यवहायण राज्य ववत्त जैसी भौगोवलक एवं सामावजक-अर्ख़थक हावन का सामना करते हैं।
o चौदहवें ववत्त अयोग ने ववशेष श्रेणी राज्य के दजे को के वल ईत्तर-िूवी और तीन िहाडी राज्यों तक ही सीवमत
रखा था।
ववशेष श्रेणी राज्य श्रेणी के तहत, कें द्र सरकार सभी कें द्र प्रायोवजत योजनाओं और बाहरी सहायता िर राज्य व्यय के
90% वहस्से का भुगतान करती है, जबकक शेष 10% ब्याज की शून्य प्रवतशत दर िर राज्य को ऊण के रूि में कदया
जाता है।
o जो धन खचण नहीं हो िाता, वह लैप्स (व्यिगत) नहीं होता है और ईसे ऄगले वषण आस्तेमाल ककया जा सकता है।
o ववशेष श्रेणी का दजाण प्राि राज्यों को वनवेश अकर्ख़षत करने के वलए सीमा शुल्क, कॉिोरे ट कर, अयकर और
ऄन्य करों में छू ट प्रदान की गइ है।
आनर लाआन िरवमट लद्दाख प्रशासन ने ऄिने संरवक्षत क्षेत्रों की यात्रा करने वाले सभी भारतीय नागररकों के वलए ILP प्रणाली को समाि कर
(ILP) कदया है। यह कदम ग्रामीण ियणटन को बढ़ावा देने और भारत की संप्रभुता को रे खांककत करने के वलए ईठाया गया है।
हालांकक, आन संरवक्षत क्षेत्रों में जाने के आच्छु क ववदेवशयों को ऄब भी एक संरवक्षत क्षेत्र िरवमट (Protected Area
Permit) की अवश्यकता होगी। आसकी वैधता ऄब 7 कदनों से बढ़ाकर 15 कदन कर दी गइ है।
ILP के बारे में
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या रे लवे स्टेशन का नाम िररवर्ख़तत करने का आच्छु क होता है, तो ईसे कइ ऄन्य मंत्रालयों और एजेंवसयों जैसे
िृथ्वी ववज्ञान मंत्रालय, खुकफया ब्यूरो, डाक ववभाग अकद से ऄनािवत्त प्रमाण-ित्र की अवश्यकता होती है।
छठी ऄनुसच
ू ी (Sixth हाल ही में लद्दाख के सांसद द्वारा, लद्दाख को संववधान की छठी ऄनुसच
ू ी में शावमल ककये जाने की मांग की गयी है।
Schedule) छठी ऄनुसच
ू ी में ऄनुच्छेद 244(2) के तहत ऄसम, मेघालय, वत्रिुरा और वमजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के
प्रशासन संबंधी प्रावधान शावमल हैं।
यह ईच्च स्वायत्तता वाले स्वायत्त वजलों और िररषदों के गठन की ऄनुमवत देता है, ताकक स्थानीय अबादी की भूवम,
रोजगार और सांस्कृ वतक िहचान की सुरक्षा के वलए प्रावधान ककए जा सकें ।
िुवलस महावनदेशक की ईच्चतम न्यायालय ने िविम बंगाल सरकार द्वारा िुवलस महावनदेशक की वनयुवि प्रकक्रया में संघ लोक सेवा अयोग
वनयुवि (UPSC) की भागीदारी के वबना स्वयं ही
{Appointment of ईसकी वनयुवि करने की ऄनुमवत हेतु प्रस्तुत
Director General of अवेदन िर ववचार करना ऄस्वीकृ त कर कदया
है।
Police (DGP)}
‘िुवलस’ राज्य सूची का ववषय है।
आससे िूवण, ईच्चतम न्यायालय ने िुवलस
सुधार (वषण 2006 में प्रकाश मसह वाद
का वनणणय, वजसमें वषण 2018 में
संशोधन ककया गया) िर एक
ऐवतहावसक वनणणय देते हुए यह अदेश
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
अिदा प्रबंधन िविम बंगाल के िूवण मुख्य सवचव को अिदा प्रबंधन ऄवधवनयम, 2005 की धारा 51 के तहत कें द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा
ऄवधवनयम, 2005 की कारण बताओ नोरटस जारी ककया गया।
धारा 51 (Section 51 यह धारा, ऄवधवनयम के तहत कें द्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कायणकारी सवमवत या राज्य कायणकारी सवमवत
of the Disaster या वजला प्रावधकरण द्वारा या ईनकी ओर से कदए गए ककसी भी वनदेश का िालन करने से आनकार करने के संदभण में
2005) यह अदेशों का िालन करने से आनकार करने िर दो वषण के कारावास का प्रावधान करती है।
वजला स्तरीय सवमवतयां ववद्युत मंत्रालय (MoP) द्वारा वजला स्तरीय सवमवतयां (District-Level Committees: DLCs) गरठत की जाएंगी, जो
(District-Level कें द्र सरकार की सभी ववद्युत संबध
ं ी योजनाओं का ियणवेक्षण करें गी।
Committees: DLCs) ध्यातव्य है कक सवमवत में वजले के वररि सांसद ऄध्यक्ष के रूि में, वजले के ऄन्य सांसद सह-ऄध्यक्ष के रूि में तथा
वजला कलेक्टर सदस्य सवचव के रूि में सवम्मवलत होंगे।
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आसके ऄंतगणत सभी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों को कें द्रीय ववद्युत मंत्रालय को सूवचत करते हुए वजला ववद्युत सवमवतयों की
स्थािना को ऄवधसूवचत और सुवनवित करना है।
यह देश में ववद्युत क्षेत्र के सुधारों और ईनके कायाणन्वयन की प्रकक्रया में लोगों की भागीदारी एवं वनगरानी प्रकक्रया को
सुवनवित करने के वलए ककया जा रहा है।
ववद्युत क्षेत्र में सरकार द्वारा की गइ िहलें
o दीनदयाल ईिाध्याय ग्राम ज्योवत योजना (DDUGJY),
हाल ही में, मंवत्रमंडल ने ₹3.03 ररवलयन की 'िुनोत्थान ववतरण क्षेत्र योजना' (Revamped Distribution Sector
o आसका ईद्देश्य वनजी क्षेत्र की ववद्युत ववतरण कं िवनयों (वडस्कॉम्स/DISCOMs) को छोडकर सभी
वडस्कॉम्स/ववद्युत ववभागों की िररचालन क्षमता और ववत्तीय वस्थरता में सुधार करना है। वडस्कॉम्स को िररणाम
संबद्ध ववत्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
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4. न्यायिावलका ( Judiciary)
‘वववध के शासन’ वसद्धांत की ईत्िवत्त प्राचीन रोम में प्रथम गणतंत्र के गठन के दौरान हुइ थी। तब से आसे यूरोि में कइ मध्ययुगीन
ववचारकों, जैसे- हॉब्स, जॉन लॉक और रूसो द्वारा प्रचाररत ककया गया।
भारतीय दाशणवनकों जैसे कक चाणक्य ने वववध के शासन का समथणन यह वर्ख़णत करते हुए ककया कक राज्य का शासन, शासक या लोगों
के मनोनीत प्रवतवनवधयों द्वारा नहीं बवल्क वववध द्वारा वनयंवत्रत ककया जाना चावहए। ‘वववध का शासन’ फ्रांसीसी वाक्यांश ‘ला
मप्रवसिल डा लीगलाआट’ से ग्रहण ककया गया है। आसका अशय ‘वववध के वसद्धांतों’ या ‘वैधता के वसद्धांतों’ िर अधाररत सरकार से है।
वववध का शासन बनाम वववध द्वारा शासन (Rule of Law Vs Rule by Law)
संक्षेि में, ‘वववध के शासन’ का तात्ियण राज्य के सवोच्च वववध वनमाणता प्रावधकरण द्वारा शवियों के ऄसीवमत प्रयोग को वनयंवत्रत करने से है, जबकक
‘वववध द्वारा शासन’ राज्य के सवोच्च वववध वनमाणता प्रावधकरण द्वारा वनधाणररत ककया जाता है।
साधारणत: वववध का शासन तभी बनाए रखा जा सकता है जब वववध न्याय और समानता जैसे अदशों द्वारा वनदेवशत होती है। ईदाहरण के वलए,
भारतीय संववधान के ऄनुच्छेद 14 और 15 के ऄनुसार, राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में ककसी व्यवि को वववध के समक्ष समता से या वववधयों के समान
संरक्षण से वंवचत नहीं करे गा। आसके ऄवतररि, ककसी नागररक के ववरुद्ध के वल धमण, मूलवंश, जावत, मलग, जन्मस्थान या आनमें से ककसी के अधार
िर कोइ ववभेद नहीं करे गा।
दूसरी ओर, वववध द्वारा शासन नैवतक के साथ-साथ ऄनैवतक वववधयों को भी शावमल कर सकता है। ईदाहरण के वलए, दवक्षण ऄफ्रीका में रं गभेद
शासन को ऄवधवनयवमत वववधयों के अधार िर ईवचत ठहराया गया था।
वववध के शासन िर बल देने वाले प्रमुख वसद्धांत
वववध स्िि और सुलभ होनी चावहए: वववधयों को सरल और स्िि भाषा में ईिबंवधत ककए जाने की अवश्यकता है।
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वववध के समक्ष समानता: न्याय तक समान िहुंच वववध के शासन का अधार है।
वववधयों के वनमाणण और संशोधन में भाग लेने का ऄवधकार
सुदढ़ृ स्वतंत्र न्यायिावलका: आसे यह सुवनवित करने का कायण सपिा गया है कक वनर्ख़मत वववधयां संववधान के ऄनुरूि हों।
वववध का शासन और भारतीय संववधान
वववध का शासन भारतीय संववधान का एक मूलभूत स्तंभ है और भारतीय संववधान के वववभन्न प्रावधानों में ऄंतर्ख़नवहत है। आन्फोग्राकफक देखें-
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न्यायाधीशों का चयन करने, वनयुि करने और स्थानांतररत करने की शवि तीन न्यायाधीशों के मामलों में ईच्चतम न्यायालय के वनणणय से ली गइ
है। न्यायाधीशों के स्थानांतरण के ववषय िर ईच्चतम न्यायालय के वववभन्न वनणणयों से वनम्नवलवखत मबदु ईभर कर अये हैं:
o न्यायाधीश का स्थानांतरण दंडात्मक ईिाय नहीं हो सकता।
o 'न्याय के बेहतर प्रशासन' के वलए 'जनवहत' िर ही स्थानांतरण का अदेश कदया जा सकता है।
o प्रभावी िरामशण के बाद CJI की सहमवत के अधार िर ही राष्ट्रिवत द्वारा स्थानांतरण का अदेश कदया जा सकता है।
4.3.1. वजला स्तर िर न्यायाधीशों की वनयु वि: ऄवखल भारतीय न्यावयक से वा {Appointment of Judges at
District Level: All India Judicial Service {AIJS)}
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, कें द्र सरकार कें द्रीय वसववल सेवा की तजण िर वतणमान में वजला न्यायाधीशों की भती िद्धवत:
वनचली न्यायिावलका के वलए ऄवखल भारतीय न्यावयक सेवा भारत के संववधान के ऄनुच्छेद 233 और 234 वजला न्यायाधीशों की
(AIJS) की स्थािना को नए वसरे से बढ़ावा देने की तैयारी कर वनयुवि से संबवं धत हैं, और ये वनयुवियां राज्य ऄवधकाररता ऄंतगणत
रही है। अती हैं।
ऄवखल भारतीय न्यावयक सेवा (AIJS) क्या है? चयन प्रकक्रया राज्य लोक सेवा अयोगों (SPSC) और संबवं धत ईच्च
न्यायालय द्वारा संचावलत की जाती है, क्योंकक राज्य में ऄधीनस्थ
AIJS वस्तुतः न्यायिावलका में सुधार हेतु संचावलत एक
न्यायिावलका ईच्च न्यायालय के ऄवधकार क्षेत्र के ऄंतगणत होती हैं। ईच्च
िहल है। आसके ऄंतगणत सभी राज्यों में ऄवतररि वजला
न्यायालय के न्यायाधीशों के िैनल िरीक्षा के बाद ईम्मीदवारों का
न्यायाधीशों और वजला न्यायाधीशों के स्तर िर
साक्षात्कार करते हैं और वनयुवि के वलए ईनका चयन करते हैं।
न्यायाधीशों की वनयुवि को कें द्रीकृ त ककया जाएगा।
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प्रवतवलप्यवध
कार
ऄवधवनयम,
सीमा शुल्क
ऄवधवनयम,
एकस्व
(Patents)
ऄवधवनयम, भारतीय ववमानित्तन प्रावधकरण ऄवधवनयम, व्यािार वचन्ह ऄवधवनयम (Trademark Act), माल का
भौगोवलक ईिदशणन (रवजस्रीकरण और संरक्षण) ऄवधवनयम अकद शावमल हैं।
o आस ऄवधवनयम के ऄनुसार ऄवधकरण के ऄध्यक्ष और आसके सदस्यों की िदाववध चार वषण की होगी। यह िदाववध ऄध्यक्ष के
वलए 70 वषण और ऄन्य सदस्यों के वलए 67 वषण की उिरी अयु सीमा के ऄधीन होगी।
ज्ञातव्य है कक िूवण में, ईच्चतम न्यायालय द्वारा ववत्त ऄवधवनयम 2017 की धारा 184 को वनरवसत कर कदया गया था।
न्यायालय के ऄनुसार आसमें सदस्यों के वलए चार वषण का कायणकाल वनधाणररत ककया गया था, जो कक शवियों के िृथक्करण,
न्यायिावलका की स्वतंत्रता और भारत के संववधान के ऄनुच्छेद 14 के वसद्धांतों के वविरीत था।
o यह ऄवधवनयम वनर्ददि करता है कक ऄध्यक्ष या सदस्य के रूि में वनयुवि के वलए एक व्यवि की अयु कम से कम 50 वषण होनी
चावहए।
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o यह एक प्रभावी वववाद समाधान प्रकक्रया हेतु प्रवतबद्धता प्रकट करता है, जो देश में 'व्यवसाय करने में सुगमता' में सुधार कर
सकती है।
वतणमान में, मध्यस्थता के वैकवल्िक वववाद
समाधान (ADR) तंत्र के वववभन्न िहलुओं को
वनयंवत्रत करने वाला कोइ व्यािक कानून नहीं
है, यद्यवि वे वववभन्न मौजूदा कानूनों में
ईल्लेवखत ककये गये हैं।
आस ववधेयक की मुख्य ववशेषताएं:
o भारतीय मध्यस्थता िररषद की स्थािना
करना।
o वनवायण मुकदमा-िूवण मध्यस्थता और
समझौता।
o ऑनलाआन मध्यस्थता को ईवचत मान्यता
प्रदान करना।
o सामुदावयक मध्यस्थता का प्रावधान
करता है।
o मध्यस्थता प्रकक्रया को िूरा करने के वलए
180 कदनों की ऄववध।
o मध्यस्थता कोष की स्थािना करना।
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कोइ क्षेत्रावधकार नहीं है। एक बार समझौता या समाधान ववफल हो जाने िर, लोक ऄदालत को ईि वाद को ईस न्यायालय को िुनः प्रेवषत
करना होगा, जहां से ईसका संदभण प्राि हुअ है।
यूनाआटेड नेशन्स कन्वेंशन ऑन आं टरनेशनल सेटलमेंट एग्रीमेंर्टस ररजमल्टग फ्रॉम मीवडएशन, वजसे "मसगािुर कन्वेंशन ऑन मीवडएशन" के रूि में भी
जाना जाता है, को लागू कर कदया गया है।
o भारत ने जुलाइ 2019 में आस कन्वेंशन िर हस्ताक्षर हेतु ऄिनी मंजूरी प्रदान कर दी थी।
o हाल ही में अयोवजत भारत-मसगािुर मध्यस्थता वशखर सम्मेलन में, संबोवधत करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने मध्यस्थता के
कायाणन्वयन को प्रत्येक स्वीकृ त वववाद के समाधान के वलए ऄवनवायण िहला कदम बताया था।
o यह संयि ु राष्ट्र की िहली संवध है वजसका नाम मसगािुर के नाम िर रखा गया है।
o यह कन्वेंशन ऄंतराणष्ट्रीय व्यािार को सुववधाजनक बनाने और व्यािाररक वववादों को हल करने के एक वैकवल्िक तथा प्रभावी तरीके के रूि में
मध्यस्थता को बढ़ावा देने का एक साधन है।
o यह मध्यस्थता िर वनर्ख़मत ऄंतराणष्ट्रीय ढांचे में वनवितता और वस्थरता लाने में मदद करे गा, वजससे सतत् ववकास लक्ष्यों (SDG) मुख्य रूि से
SDG 16 (यानी शांवत, न्याय और सुदढ़ृ संस्थान) को प्राि करने में मदद वमलेगी।
भारत में मध्यस्थता को दो श्रेवणयों में वगीकृ त ककया गया है:
o न्यायालय द्वारा संदर्ख़भत/वनर्ददि मध्यस्थता: न्यायालय भारत में वसववल प्रकक्रया संवहता, 1908 के तहत लंवबत मामले/वाद को मध्यस्थता के
वलए संदर्ख़भत/वनर्ददि कर सकता है।
मध्यस्थता के प्रभावी कायाणन्वयन की वनगरानी के वलए वषण 2005 में ईच्चतम न्यायालय द्वारा मध्यस्थता और सुलह िररयोजना सवमवत
(MCPC) की स्थािना की गइ थी।
o वनजी मध्यस्थता: एक वनवित शुल्क के अधार िर योग्य कमणचारी, मध्यस्थ के रूि में कायण करते हैं।
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय राष्ट्रीय न्यावयक ऄवसंरचना प्रावधकरण7 के गठन का प्रस्ताव कदया है।
NJIAI के बारे में
आसका ईद्देश्य देश में ऄधीनस्थ
न्यायालयों के बजट और ऄवसंरचना
ववकास को NJIAI के वनयंत्रण के
ऄधीन लाना है।
प्रस्ताववत वनकाय की मुख्य
ववशेषताएँ:
o आसे नालसा ऄथाणत् राष्रीय
वववधक सेवा प्रावधकरण8
मॉडल िर स्थावित ककया
जाएगा, जहाँ यह एक कें द्रीय
एजेंसी के रूि में काम करे गा।
आसमें प्रत्येक राज्य का ऄिना राज्य न्यावयक ऄवसंरचना प्रावधकरण होगा।
नालसा, समाज के कमजोर वगों को वनःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करता है। नालसा एक राष्ट्रव्यािी वनकाय है। राज्य और
वजला स्तर िर भी आसके जैसे वनकाय कायणरत हैं।
o भारत के मुख्य न्यायाधीश NJIAI के प्रमुख संरक्षक (Patron-In-Chief) होंगे। नालसा, कानून और न्याय मंत्रालय के ऄधीन है,
जबकक NJIAI को भारत के ईच्चतम न्यायालय के ऄधीन रखा जाएगा।
o NJIAI के सदस्यों में ईच्च न्यायालयों के कु छ न्यायाधीश तथा कें द्र सरकार के कु छ ऄवधकारी शावमल होंगे।
न्यायिावलका हेतु ऄवसंरचना सुववधाओं के ववकास के वलए कें द्रीय क्षेत्र की योजना:
आसका ईद्देश्य सभी राज्यों/संघ शावसत प्रदेशों में न्यावयक ऄवधकाररयों के वलए न्यायालय भवनों और अवासीय घरों के वनमाणण में राज्य सरकार की
सहायता करना है।
हाल ही में, कें द्र सरकार ने आस योजना को वषण 2021 से वषण 2026 तक की ऄववध के वलए बढ़ा कदया है।
आस योजना के तहत दी जाने वाली सहायता में, न्याय प्रदायगी और वववधक सुधार के वलए राष्ट्रीय वमशन9 के एक भाग के रूि में ग्राम न्यायालय
योजना के कायाणन्वयन के वलए भी वनवध शावमल है।
o भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्रणाली की त्वररत और असान िहुँच के वलए ग्राम न्यायालय ऄवधवनयम, 2008 के तहत, ग्राम न्यायालय
स्थावित ककये गए हैं।
o प्रणालीगत ववलंब और लंवबत मामले को कम करते हुए न्याय तक िहुँच बढ़ाने के वलए NMJDLR को वषण 2011 में स्थावित ककया गया था।
ऄनुसवू चत जावत ईच्चतम न्यायालय ने स्िि ककया है कक दीवानी प्रकृ वत का ऄिराध प्रतीत होने िर न्यायालय SC/ST ऄवधवनयम में कायणवाही
और ऄनुसवू चत
को वनरस्त कर सकता है।
जनजावत
(ऄत्याचार ईच्चतम न्यायालय ने यह वनणणय कदया कक संववधान के ऄनुच्छेद 142 के तहत ईसकी शवियों तथा दंड प्रकक्रया संवहता की
वनवारण धारा 482 के तहत ककसी ईच्च न्यायालय (HC) की शवियों को SC/ST ऄवधवनयम के ऄंतगणत कायणवाही को वनरस्त करने के
1989 के तहत o ऄनुच्छेद 142 ककसी भी मामले में ईच्चतम न्यायालय को “िूणण न्याय” हेतु अवश्यक अदेश िाररत करने की शवि प्रदान
न्यायालय की करता है। धारा 482, ईच्च न्यायालयों को यह शवि देती है।
शवियां ईच्चतम न्यायालय ने वनम्नवलवखत वस्थवतयों को भी सूचीबद्ध ककया है, जहां मामलों की सुनवाइ को रद्द करने की शवियां लागू
{Powers of की जा सकती हैं:
Court under o जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कक ऄिराध:
Scheduled प्रकृ वत में प्राथवमक रूि से वनजी या दीवानी है,
Castes and िीवडत की जावत के अधार िर काररत नहीं ककया गया है,
the Scheduled जहां कानूनी कायणवाही को जारी रखना वववधक प्रकक्रया का दुरुियोग होगा।
Tribes o यकद न्यायालय आस बात से संतुि है कक ऄनुसूवचत जावत/ऄनुसूवचत जनजावत ऄवधवनयम के ऄंतर्ख़नवहत ईद्देश्य का
(Prevention of ईल्लंघन नहीं ककया जाएगा या ईसे कम नहीं ककया जाएगा, भले ही ववचाराधीन ऄिराध को दंवडत न ककया गया हो।
Atrocities Act),
ऄनुसवू चत जावत/ऄनुसवू चत जनजावत ऄवधवनयम के बारे में:
o ऄवधवनयम ऄनुसूवचत जावत और ऄनुसूवचत जनजावत के सदस्यों के ववरुद्ध ऄिराध करने िर रोक लगाता है तथा ऐसे
1989 (SC/ST
ऄिराधों की जांच एवं िीवडतों को तीव्र न्याय प्रदान करने हेतु ववशेष न्यायालयों की स्थािना करता है।
Act)} o आसे आस ऄवधवनयम के कठोर प्रावधानों को कमजोर करने वाले ईच्चतम न्यायालय के एक वववादास्िद वनणणय को रद्द
करने के वलए वषण 2018 में संशोवधत ककया गया था।
राष्ट्रीय ऄिील भारत के महान्यायवादी ने ईच्चतम न्यायालय िर कायणभार कम करने के वलए राष्ट्रीय ऄिील न्यायालयों (National Courts of
न्यायालय (NCA) Appeal: NCA) की स्थािना िर बल कदया है।
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
यह ववचार संववधान कदवस के ऄवसर िर प्रस्तुत ककया गया था। यह ववचार 4 क्षेत्रीय NCA (प्रत्येक में 15 न्यायाधीश) की
स्थािना करने के 11 वषण िुराने प्रस्ताव को िुनजीववत करने के वलए प्रस्ताववत ककया गया था।
o आस ववचार को स्वयं ईच्चतम न्यायालय ने भी वषण 1986 में और वववध अयोग ने ऄिनी 229वीं ररिोटण में प्रस्तुत ककया
था।
प्रस्ताववत NCA के बारे में
o NCA राज्य के ईच्च न्यायालयों और ईच्चतम न्यायालय के बीच मध्यवती ऄिीलीय न्यायालयों के रूि में कायण करें गे।
o आनमें प्रत्येक में 15 न्यायाधीश होंगे।
o ये दीवानी, फौजदारी, श्रम और राजस्व मामलों में ऄिने क्षेत्र के ईच्च न्यायालयों तथा ऄवधकरणों के वनणणयों के ववरुद्ध
की जाने वाली ऄिीलों से वनिटने में न्याय के ऄंवतम न्यायालय के रूि में कायण करे गा।
o ध्यातव्य है कक आन ऄिीलीय न्यायालयों के वनणणय ऄंवतम रूि से मान्य होंगे।
o हालांकक, NCA की स्थािना के वलए एक संवध
ै ावनक संशोधन की अवश्यकता हो सकती है।
राष्ट्रीय मुकदमा सरकार एक राष्ट्रीय मुकदमा नीवत (National Litigation Policy: NLP) का वनमाणण कर रही है
नीवत (National
हाल ही में, सरकार ने सूवचत ककया है कक मुकदमेबाजी को रोकने, वनयंवत्रत करने और कम करने के वलए कदशा-वनदेश
Litigation
वनधाणररत करने हेतु एक NLP ववचाराधीन है।
Policy: NLP)
o आससे िहले वषण 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री द्वारा आस ईद्देश्य से एक NLP प्रस्तुत की गइ थी कक सरकार को
वनरथणक मुकदमेबाजी में शावमल नहीं होना चावहए, ववशेषकर जहां सरकार के ववरुद्ध कोइ उंचा/बडा दावा नहीं ककया
गया है। आस नीवत को लागू नहीं ककया गया था।
महत्व:
o आस नीवत का ईद्देश्य सरकार को एक कु शल और ईत्तरदायी वादी में िररवर्ख़तत करना है।
सवणववकदत है कक राज्यों और कें द्र में सरकारें वजला ऄदालतों से लेकर ईच्चतम न्यायालय तक में कु ल 3.14 करोड
मामलों में से 46% मामलों में वादी के रूि में शावमल हैं।
o यह नीवत न्यायालय में ककसी मामले के लंवबत रहने की औसत ऄववध को 15 वषण से घटाकर 3 वषण करने में सक्षम
बनाकर न्यायालय के बहुमूल्य समय की बचत करे गी।
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वैवावहक के रल ईच्च न्यायालय ने एक महत्त्विूणण वनणणय में यह स्िि ककया है कक वैवावहक बलात्कार तलाक के वलए एक वैध अधार है।
बलात्कार हालांकक, भारत में वैवावहक बलात्कार के वलए दंड का प्रावधान नहीं है।
भारतीय दंड संवहता (IPC) की धारा 375 (ऄिवाद) के ऄनुसार, ककसी िुरुष का ऄिनी स्वयं की ित्नी के साथ मैथुन या
लैंवगक कृ त्य, यकद ित्नी िंद्रह वषण से कम अयु की न हो, तो वह बलात्संग नहीं है। आस प्रकार यह धारा ऐसे कृ त्यों को
ऄवभयोजन से प्रवतरवक्षत करती है।
भारत ईन 36 देशों में से है, जहां वैवावहक बलात्कार वववधक ऄिराध नहीं है।
मवहलाओं के वलए ईिलब्ध वववधक प्रावधान
o धारा 498A मवहलाओं के साथ ईनके िवत या ईनके िवत के ककसी ररश्तेदार द्वारा ककए गए क्रूरतािूणण व्यवहार से
संबंवधत है।
o भारतीय कानून के तहत घरे लू महसा ऄवधवनयम, 2005 बलिूवणक लैंवगक संबंध बनाने के कृ त्य को दंडनीय मानता है।
हालांकक, कानूनी रूि से एक मवजस्रेट को ऄिनी ित्नी के साथ बलात्कार करने वाले ककसी व्यवि के कृ त्य को
ऄिराध घोवषत करने की िूणण शवि प्राि नहीं है और न ही ईस व्यवि को दंड कदया जा सकता है।
दया मृत्यु अंध्र प्रदेश की एक ऄदालत में 9 वषण के एक बालक हेतु मसी ककमलग (दया मृत्यु) की यावचका दायर की गइ है
(Mercy Killing)
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आच्छामृत्यु (Euthanasia), ऄथाणत मसी ककमलग (दया मृत्यु), एक ऐसे व्यवि को िीडा रवहत मृत्यु देने के कायण को संदर्ख़भत
करती है, जो या तो बहुत वृद्ध हो या ऄवधक बीमार हो ताकक ईसके ददण और िीडा का वनवारण ककया जा सके । यह 2 प्रकार
की होती है ऄथाणत वनवष्क्रय (Passive) और सकक्रय (Active) (आन्फोग्राकफक देखें)।
भारत में आच्छामृत्यु से संबवं धत घटनाक्रम
o वषण 1994 में ज्ञान कौर बनाम िंजाब राज्य वाद में यह माना गया था कक सहायता प्राि अत्महत्या और आच्छामृत्यु
दोनों गैरकानूनी थे।
िीठ ने स्िि ककया था कक ऄनुच्छेद 21 के तहत जीवन के ऄवधकार में मरने का ऄवधकार शावमल नहीं है।
आसने िी. रवथनम बनाम भारत संघ वाद के वनणणय को वनष्प्रभावी कर कदया था। आस वाद में भारतीय दंड संवहता
की धारा 309 (अत्महत्या का प्रयास) को ऄसंवैधावनक करार कदया गया था।
o हालांकक, बाद में ऄरुणा शानबाग बनाम भारत संघ वाद 2011 में, ईच्चतम न्यायालय ने माना कक ऄसाधारण
िररवस्थवतयों के मामले में और शीषण न्यायालय की सख्त वनगरानी में वनवष्क्रय आच्छामृत्यु को स्वीकृ वत प्रदान की जा
सकती है।
o कॉमन कॉज बनाम भारत संघ वाद 2018 में ईच्चतम न्यायालय ने वनणणय कदया था कक जीवन और गररमा के मूल
ऄवधकार में ईिचार को ऄस्वीकृ त करने एवं सम्मान के साथ जीवनत्याग करने का ऄवधकार भी शावमल है, क्योंकक
"साथणक ऄवस्तत्व" के मूल ऄवधकार में एक व्यवि की वबना िीडा के मृत्यु का ववकल्ि भी शावमल है।
सकक्रय या अक्रामक आच्छामृत्यु: सकक्रय तरीकों से रोगी को मृत्यु देना। ईदाहरण के वलए, रोगी को ककसी दवा की प्राणघातक
खुराक का आं जेक्शन लगाना।
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5. वनवाण च न ( Elections)
23 में संशोधन द्वारा) के िास अवेदन कर सकता है। यकद ईस व्यवि का नाम िहले से ही मतदाता सूची में
सत्यािन के ििात् यकद ऄवधकारी आस बात से संतुि है है तो आसमें दजण वववरणों के सत्यािन12 के वलए अधार
कक अवेदक िंजीकरण का हकदार है तो वह अवेदक संख्या की अवश्यकता हो सकती है।
का नाम मतदाता सूची में शावमल करने का वनदेश यकद कोइ व्यवि ककन्हीं वनधाणररत कारणों से ऄिनी
देगा। अधार संख्या प्रस्तुत करने में ऄसमथण है तो ईसे
मतदाता सूची में शावमल करने से वंवचत नहीं ककया
जाएगा या ईसका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया
जाएगा।
o ऐसे व्यवियों को कें द्र सरकार द्वारा
वनधाणररत वैकवल्िक दस्तावेज प्रस्तुत
करने की ऄनुमवत दी जा सकती है।
मतदाता सूची में वषण 1950 के ऄवधवनयम के तहत वजस वषण मतदाता यह ववधेयक एक कै लेंडर वषण में चार िात्रता वतवथयाँ
नामांकन के वलए िात्रता प्रदान करने के वलए आसमें संशोधन करता है, जो 1
सूची तैयार या संशोवधत की जाती है, ईस वषण की 1
वतवथ (RPA, 1950 की जनवरी, 1 ऄप्रैल, 1 जुलाइ और 1 ऄक्टू बर होंगी।
जनवरी को नामांकन की िात्रता वतवथ माना जाता
धारा 14 के खंड (b) में था।
संशोधन द्वारा) आसका तात्ियण यह है कक 1 जनवरी के बाद 18 वषण का
(ऄथाणत् मतदान के वलए िात्र) होने वाला व्यवि
मतदाता सूची में तभी नामांकन करा सकता था, जब
ऄगले वषण के वलए मतदाता सूची तैयार/संशोवधत की
जाए।
मलग-तटस्थ या जेंडर- 1950 का ऄवधवनयम कु छ ऐसे व्यवियों को वनवाणचक ववधेयक के द्वारा RPA, 1950 और 1951 में ‘ित्नी
न्यूरल प्रावधान (RPA, नामावली में िंजीकरण करने की ऄनुमवत देता है जो (Wife)’ शब्द की जगह ‘िवत/ित्नी (Spouse)’ शब्द
ककसी वनवाणचन क्षेत्र में सामान्य रूि से वनवास13 करते को शावमल ककया गया है।
1950 की धारा 20 और
हैं। ऐसे व्यवियों में सरकारी सेवा से जुडे लोग, जैसे कक
RPA, 1951 की धारा
सशस्त्र बलों के सदस्य या भारत के बाहर तैनात/वनयुि
60 में संशोधन द्वारा) कें द्र सरकार के कमणचारी शावमल हैं।
ऐसे व्यवियों की िवत्नयों को भी सामान्य रूि से ईसी
वनवाणचन क्षेत्र में वनवास करने वाला माना जाता है
यकद वे ईनके साथ रहती हैं।
1951 का ऄवधवनयम सेवा से जुडे व्यवि की ित्नी को
व्यविगत रूि से या डाक मतित्र द्वारा मतदान करने
में सक्षम बनाता है।
वनवाणचन संबध
ं ी ईद्देश्यों 1951 के ऄवधवनयम में राज्य सरकारों को यह यह ववधेयक ईन ईद्देश्यों का ववस्तार करता है वजनके
के वलए िररसर की मांग ऄनुमवत दी गइ है कक वे ऐसे िररसरों की मांग कर वलए ऐसे िररसरों की मांग की जा सकती है।
(RPA, 1951 की धारा सकती हैं, वजनका मतदान कें द्र के रूि में या चुनाव आनमें मतगणना, वोटटग मशीन और चुनाव संबध
ं ी
160 में संशोधन) होने के बाद मत िेटी रखने हेतु ईियोग में लाने या सामग्री रखने और सुरक्षा बलों एवं मतदान कर्ख़मयों के
रहने के वलए िररसर का ईियोग शावमल हैं।
लाए जाने की संभावना है।
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13 Ordinarily Residing
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भारतीय वनवाणचन अयोग (ECI) ने िंजाब ववधान सभा चुनाव स्थवगत ककये।
ECI ने यह कदम गुरु रववदास जयंती समारोह के मद्देनज़र चुनाव स्थवगत करने के ऄनुरोध के बाद ईठाया है।
लोक प्रवतवनवधत्व ऄवधवनयम, 1951 की धारा 153 के तहत वनवाणचन अयोग चुनाव संिन्न करवाने के वलए “समय/वतवथ बढ़ा” सकता है।
o हालांकक, आस तरह का ववस्तार सदन (लोक सभा या राज्य ववधान सभा) के सामान्य ववघटन/ कायणकाल की वतवथ से अगे की वतवथ के वलए
नहीं ककया जाना चावहए।
सदन का कायणकाल के वल संसद द्वारा घोवषत अिातकाल के दौरान ही बढ़ाया जा सकता है।
o संववधान के ऄनुसार अिातकाल के वल वनम्नवलवखत दो वस्थवतयों में ही लागू ककया जा सकता है-
युद्ध ऄथवा बाहरी अक्रमण के कारण।
देश में सशस्त्र ववद्रोह के कारण।
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संबवं धत मामलों िर वनणणय लेते समय न्यायालयों द्वारा कानून की व्याख्या कै से की गइ है?
'स्वेच्छा से ऄिनी सदस्यता छोडता है' वाक्यांश की व्याख्या: ‘त्यागित्र’ की तुलना में आस वाक्यांश का ऄवधक व्यािक ऄथण है। ईच्चतम न्यायालय ने
व्याख्या की है कक सदस्य द्वारा कदए जाने वाले औिचाररक त्यागित्र की ऄनुिवस्थवत में, सदस्यता को त्यागने का ऄनुमान ईसके अचरण से लगाया
जा सकता है।
o वजन सदस्यों ने सावणजवनक रूि से ऄिने दल के ववरोध या ककसी ऄन्य दल के समथणन की घोषणा की है , तो आसे ईनका त्यागित्र समझा जाना
चावहए।
िीठासीन ऄवधकारी का वनणणय न्यावयक िुनर्ख़वलोकन के ऄधीन है: अरं भ में आस कानून के तहत यह वनधाणररत ककया गया था कक िीठासीन
ऄवधकारी का वनणणय न्यावयक िुनर्ख़वलोकन के ऄधीन नहीं होगा। लेककन, वषण 1992 में ईच्चतम न्यायालय ने आस प्रावधान को समाि कर कदया और
िीठासीन ऄवधकारी के वनणणय के ववरुद्ध ईच्च न्यायालय एवं ईच्चतम न्यायालय में ऄिील करने की ऄनुमवत प्रदान की।
o हालांकक, न्यायालय ने यह कहा कक आस संबंध में जब तक िीठासीन ऄवधकारी अदेश जारी नहीं कर देता, तब तक ककसी भी प्रकार का
न्यावयक हस्तक्षेि नहीं हो सकता है।
िीठासीन ऄवधकारी की दल-िररवतणन ववरोधी मामलों िर वनणणय करने संबध ं ी समय-सीमा: आस कानून के ऄंतगणत वनरहण घोवषत करने वाली
यावचका िर वनणणय करने के संबंध में िीठासीन ऄवधकारी के वलए कोइ समय-सीमा वनर्ददि नहीं की गइ है। आस संबंध में न्यायालय ने मचता व्यि
करते हुए यह कहा कक यकद ऄध्यक्ष द्वारा वनरहण ठहराए जाने वाली यावचकाओं िर ईवचत समय-सीमा के भीतर वनणणय नहीं ककया जाता है तो ईच्च
न्यायालय वनदेश दे सकता है।
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आलेक्रॉवनक वोटटग मशीन हाल ही में, चुनाव िर नागररक अयोग (Citizens’ Commission on Elections) ने आलेक्रॉवनक वोटटग मशीन
(Electronic Voting (EVM) और वोटर वेरीफाएबल िेिर ऑवडट रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail: VVPAT) िर ऄिनी
Machines: EVMs) ररिोटण जारी की है।
आलेक्रॉवनक वोटटग मशीन (EVM) के बारे में
EVM एक माआक्रोकं रोलर-अधाररत िोटेबल ईिकरण है। आसे चुनाव संचालन की प्रकक्रया को अधुवनक बनाने के
वलए वडज़ाआन ककया गया है।
आस मशीन में दो यूवनर्टस होती हैं- कं रोल यूवनट और बैलेटटग यूवनट। आन दोनों यूवनर्टस को एक के बल द्वारा अिस
में जोडा जाता है।
EVM चलाने के वलए वबजली की अवश्यकता नहीं होती है। यह एक साधारण बैटरी िर चलती है:
आलेक्रॉवनक वोटटग मशीन का आस्तेमाल िहली बार के रल के िरूर ववधान सभा क्षेत्र में वषण 1982 में ककया गया
था।
वषण 1988 में, जन प्रवतवनवधत्व ऄवधवनयम, 1951 में एक नइ धारा 61A जोडी गइ थी। आस नइ धारा ने
वनवाणचन अयोग को आलेक्रॉवनक वोटटग मशीनों का ईियोग करने का ऄवधकार कदया है।
चुनाव अयोग द्वारा आस्तेमाल की जा रही एक EVM में ऄवधकतम 2,000 मत दजण ककये जा सकते हैं।
EVM में ऄवधकतम 64 ईम्मीदवारों (नोटा सवहत) का नाम शावमल ककया जा सकता है। एक बैलेट यूवनट में 16
ईम्मीदवारों के वलए प्रावधान होता है।
मतित्र में ईम्मीदवारों के नाम ऄंग्रेज़ी वणणमाला के ऄनुसार (ऄल्फाबेरटकल) दजण ककये जाते हैं। आसमें सबसे िहले
राष्ट्रीय राजनीवतक दलों के ईम्मीदवारों के नाम होते हैं। ईसके ईिरांत ऄन्य िंजीकृ त राज्य दलों के ईम्मीदवारों
के नाम होते हैं।
वोटर वेरीफाएबल िेिर ऑवडट रेल (VVPAT) के बारे में
अदशण अचार संवहता अदशण अचार संवहता भारत के वनवाणचन अयोग (ECI) द्वारा जारी कदशा-वनदेशों का एक सेट है। यह चुनाव से
िहले राजनीवतक दलों और ईम्मीदवारों को वववनयवमत करती है। आसका ईद्देश्य स्वतंत्र और वनष्िक्ष चुनाव
सुवनवित करना है।
o आसे ईन राजनीवतक दलों की सहमवत से ववकवसत ऄथवा वनर्ख़मत ककया जाता है, वजन्होंने ईि संवहता में
सवन्नवहत वसद्धांतों का िालन करने िर सहमवत व्यि की है। सभी राजनीवतक दलों को आसका ऄक्षरशः
िालन करना होता है।
संववधान का ऄनुच्छेद 324 वनवाणचन अयोग को ऐसा करने का ऄवधकार प्रदान करता है। यह ऄनुच्छेद अयोग
को संसद एवं राज्य ववधान मंडलों के वनवाणचनों की वनगरानी करने हेतु प्रावधकृ त करता है।
संवहता चुनाव कायणक्रम की घोषणा की तारीख से िररणाम घोवषत होने की तारीख तक लागू रहती है।
आस संवहता के एक स्वरूि को िहली बार वषण 1960 में के रल राज्य ववधानसभा चुनावों में लागू ककया गया था।
o वनवाणचन अयोग ने िहली बार वषण 1971 (िांचवें चुनाव) में अचार संवहता जारी की थी और समय-समय
िर आसमें संशोधन ककया था।
अदशण अचार संवहता कानून द्वारा प्रवतणनीय नहीं है।
हालांकक, अदशण अचार संवहता के कु छ प्रावधानों को भारतीय दंड संवहता, 1860, दंड प्रकक्रया संवहता, 1973
और जन प्रवतवनवधत्व ऄवधवनयम, 1951 जैसे ऄन्य कानूनों में संबंवधत प्रावधानों को लागू करके प्रवर्ख़तत ककया
जा सकता है।
स्टार प्रचारक की वस्थवत ईच्चतम न्यायालय ने हाल ही में संिन्न मध्य प्रदेश राज्य ववधानसभा चुनावों में एक व्यवि के स्टार प्रचारक का दजाण रद्द
करने के चुनाव अयोग के अदेश िर रोक लगा दी है।
एक स्टार प्रचारक प्रवसद्ध हस्ती होता है। यह सामावजक रूि से प्रवतवित व्यवित्व होता है। यह राजनीवतक दलों
के वलए ऄवधक से ऄवधक मत प्राि करने में सहायता करता है।
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स्टार प्रचारक ककसे बनाया जा सकता है या नहीं बनाया जा सकता है, आसे वनयंवत्रत करने वाला कोइ कानून नहीं
है।
एक मान्यता प्राि राजनीवतक दल में 40 स्टार प्रचारक हो सकते हैं। एक गैर-मान्यता प्राि (लेककन िंजीकृ त)
राजनीवतक दल में 20 स्टार प्रचारक हो सकते हैं।
o महामारी के कारण संशोवधत कदशा-वनदेशों के ऄनुसार, मान्यता प्राि राष्ट्रीय/राज्य राजनीवतक दलों के
वलए स्टार प्रचारकों की संख्या की ऄवधकतम सीमा 40 के स्थान िर 30 होगी। गैर-मान्यता प्राि िंजीकृ त
राजनीवतक दलों के वलए यह महामारी की ऄववध के दौरान 20 के स्थान िर 15 होगी।
लोक प्रवतवनवधत्व ऄवधवनयम, 1951 की धारा 77(1) के तहत स्टार प्रचारकों की सूची मुख्य वनवाणचन ऄवधकारी
और भारत के वनवाणचन अयोग को ऄवनवायण रूि से भेजी जानी चावहए। ऐसा चुनाव की ऄवधसूचना जारी होने
की वतवथ से एक सिाह के भीतर ककया जाना चावहए।
िररसीमन अयोग जम्मू-कश्मीर, ऄसम, ऄरुणाचल प्रदेश, मवणिुर और नागालैंड के लोक सभा और ववधानसभा वनवाणचन क्षेत्रों को िुनः
तैयार करने के वलए िररसीमन अयोग का गठन ककया गया था।
िररसीमन अयोग के बारे में
िररसीमन ककसी देश या राज्य में ववधायी वनकाय वाले क्षेत्रीय वनवाणचन क्षेत्रों की सीमाओं का वनधाणरण करने की
एक प्रकक्रया है।
यह एक ईच्च शवि प्राि वनकाय को सपिा गया है, वजसे िररसीमन अयोग या सीमा अयोग के रूि में जाना जाता
है।
ऄनुच्छेद 82 में यह प्रावधान है कक, संसद वववध द्वारा प्रत्येक जनगणना के ईिरांत िररसीमन अयोग की
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
o
स्थािना का ईिबंध करे गी।
o ऄनुच्छेद 170 के तहत, राज्यों को प्रादेवशक वनवाणचन क्षेत्रों में ववभावजत ककया जाता है।
वषण 1952, वषण 1963, वषण 1973 और वषण 2002 में 4 बार िररसीमन अयोग का गठन ककया जा चुका है।
o आसे राष्ट्रिवत द्वारा वनयुि ककया जाता है। आसके अदेशों में ऄवधवनयम की शवि होती है और आसे ककसी भी
न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती है।
संरचना: तीन सदस्य-
o ऄध्यक्ष के रूि में सवोच्च न्यायालय के सेवारत या सेवावनवृत्त न्यायाधीश।
o मुख्य चुनाव अयुि (CEC) या CEC द्वारा नावमत चुनाव अयुि।
o संबंवधत राज्य/संघ राज्यक्षेत्र के राज्य चुनाव अयुि।
ऄस्थायी वनवाणचन क्षेत्र कश्मीरी िंवडतों ने एक ‘ऄस्थायी’ वनवाणचन क्षेत्र का प्रस्ताव प्रस्तुत ककया है। यह वसकक्कम की तजण िर जम्मू-
(Floating constituency) कश्मीर के कश्मीरी िंवडत प्रवावसयों के वलए चुनाव लडने और मतदान हेतु अरवक्षत होगा।
भारत का एकमात्र ‘ऄस्थायी’ वनवाणचन क्षेत्र- वसकक्कम में लामा संघों के वलए संघ मॉडल, भारत के संववधान में
ऄनुच्छेद 371 (F) के तहत समर्ख़थत है।
o यह वबना ककसी भौगोवलक सीमा वाला वनवाणचन क्षेत्र है और आसके वलए राज्य के भीतर 51 मठों में
िंजीकृ त बौद्ध वभक्षु ही चुनाव लड सकते हैं और मतदान कर सकते हैं।
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एक राष्ट्र, एक ववधायी मंच ऄवखल भारतीय िीठासीन ऄवधकाररयों के सम्मेलन (AIPOC) के शताब्दी वषण के ईिलक्ष्य में, प्रधानमंत्री ने
लोकतंत्र को मजबूत करने के वलए ककए जाने वाले कइ ईिायों की घोषणा की।
o प्रधानमंत्री ने कहा, कक ईनका ववचार ‘वन नेशन वन लेवजस्लेरटव िोटणल’ का है। एक ऐसा िोटणल, जो न
के वल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी तकनीकी ईन्नयन प्रदान करे , बवल्क देश की सभी लोकतांवत्रक
आकाआयों को जोडने का भी कायण करे ।
AIPOC भारत में ववधानमंडलों का सवोच्च वनकाय है। आसकी स्थािना वषण 1921 में हुइ थी।
वषण 1925 में मवहलाओं के मतदान के ऄवधकार जैसे ऐवतहावसक प्रस्तावों को आस सम्मेलन में िाररत ककया गया
था।
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6.1. िंचायत ईिबंध (ऄनुसवू चत क्षेत्रों िर ववस्तार) ऄवधवनयम, 1996 {Panchayats (Extension to the Scheduled Areas)
Act, 1996}
ववस्तार करने का
ऄवधकार है। संसद के
आस कायण को संववधान में
संशोधन नहीं माना
जाएगा।
िेसा ऄवधवनयम को
कदलीि मसह भूररया
सवमवत की वसफाररशों के अधार िर वषण 1996 में जनजातीय समुदायों के सशिीकरण और ईन्हें मुख्यधारा में लाने हेतु
ऄवधवनयवमत ककया गया था।
िेसा ऄवधवनयम को 'संववधान के भीतर संववधान' कहा जाता है क्योंकक यह संववधान के िंचायती राज (भाग IX) के प्रावधान को
कु छ संशोधनों और ऄिवादों के साथ ऄनुच्छेद 244 के खंड (1) के ऄंतगणत 10 राज्यों के िांचवीं ऄनुसच
ू ी में अने वाले क्षेत्रों तक
ववस्ताररत करता है।
o ये 10 राज्य हैं: अंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, वहमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ईडीसा, राजस्थान और
तेलंगाना।
यह आन क्षेत्रों में ग्राम सभा और समुदाय की भूवमका को मान्यता प्रदान करता है। साथ ही यह राज्य सरकार को प्रत्यक्ष रूि से ग्राम
सभा और िंचायतों को शवि और ऄवधकार हस्तांतररत करने का वनदेश देता है।
िंचायती राज मंत्रालय िेसा ऄवधवनयम के प्रावधानों के कायाणन्वयन हेतु नोडल मंत्रालय है।
िेसा ऄवधवनयम के मुख्य प्रावधान
िांचवीं ऄनुसच ू ी के क्षेत्रों के वलए स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं और सहभागी लोकतंत्र और राज्य िंचायती राज ऄवधवनयमों को
प्रोत्साहन देना।
िंचायतों के संबंध में राज्यों द्वारा बनाए गए ववधान, रूकढ़जन्य वववध, सामावजक और धार्ख़मक प्रथाओं और समुदाय के संसाधनों की
िरं िरागत प्रबंधन िद्धवतयों के ऄनुरूि होंगे;
प्रत्येक ग्राम की एक ग्राम सभा होगी जो ऐसे व्यवियों से वमलकर बनेगी वजनके नामों को ग्राम स्तर िर िंचायत के वलए वनवाणचक
नामाववलयों में सवम्मवलत ककया गया है;
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प्रत्येक ग्राम सभा लोगों की िरं िराओं और रूकढ़यों, ईनकी सांस्कृ वतक िहचान, समुदाय के संसाधनों तथा वववाद वनिटाने के
रुकढ़जन्य ढंग का संरक्षण और िरररक्षण करने के वलए सक्षम होगी;
प्रत्येक िंचायत में ऄनुसवू चत जनजावतयों के वलए समुदाय की अबादी के ऄनुिात में (न्यूनतम 50%) सीटों का अरक्षण होगा, जो
सभी स्तरों िर िंचायतों के ऄध्यक्ष के साथ ईिबंवधत होगा;
ग्राम सभाओं की भूवमकाएं एवं ईत्तरदावयत्व: ग्रामों में सभी ववकास कायों को मंजूरी प्रदान करना, लाभार्ख़थयों की िहचान करना,
वनवधयों के ईियोग के प्रमाण ित्र जारी करना।
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6.3. ककशोर न्याय (बालकों की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन ऄवधवनयम, 2021 {Juvenile Justice (Care And Protection Of
Children) Amendment Bill, 2021}
सुर्ख़ियों में क्यों?
संसद ने ककशोर न्याय (बालकों की देखरे ख और संरक्षण) संशोधन ववधेयक, 2021 को िाररत कर कदया है। यह ववधेयक ककशोर न्याय
ऄवधवनयम, 2015 में संशोधन करता है।
संवक्षि िृिभूवम
18 वषण से कम अयु के व्यवि को ककशोर या जुवेनाआल कहा जाता है। ककशोर न्याय (बालकों की देखरे ख और संरक्षण) ऄवधवनयम,
2015 वववध का ईल्लंघन करने वाले बालकों (children in conflict with law) तथा देखरे ख एवं संरक्षण की अवश्यकता वाले
बालकों (children in need of care and protection) की समस्याओं से संबंवधत है। यह कु छ मामलों में वववध का ईल्लंघन करने
वाले 16-18 वषण के अयु वगण के ककशोरों िर वयस्कों के रूि में ऄवभयोजन (या मुकदमा) चलाए जाने का प्रावधान करता है।
आस ऄवधवनयम को ककशोर ऄिराध कानून तथा ककशोर न्याय (बालकों की देखरे ख और संरक्षण ऄवधवनयम), 2000 को प्रवतस्थावित
करने हेतु िाररत ककया गया था।
यह बाल ऄवधकारों िर संयुि राष्ट्र ऄवभसमय, बालक संरक्षण और ऄंतदेशीय दत्तकग्रहण के संबध
ं में सहयोग संबध
ं ी हेग ऄवभसमय
(वषण 1993) तथा ऄन्य संबवं धत ऄंतराणष्ट्रीय संवधयों के वलए एक हस्ताक्षरकताण के रूि में भारत की प्रवतबद्धता को िूणण करता है।
वतणमान ऄवधवनयम द्वारा ककए गए िररवतणन
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अधार ककशोर न्याय ऄवधवनयम, 2015 में संबवं धत प्रावधान ऄवधवनयम की ववशेषताएं
दत्तक ग्रहण एक बार दीवानी न्यायालय (वसववल कोर्टसण) मामलों का त्वररत वनिटान सुवनवित करने और जवाबदेही बढ़ाने
(Adoption) द्वारा दत्तक ग्रहण संबंधी अदेश जारी करने के हेतु वडवस्रक्ट मवजस्रेट (DM) सवहत एवडशनल वडवस्रक्ट
ईिरांत बच्चे को गोद लेने की प्रकक्रया समाि हो
मवजस्रेट (ADM) दत्तक ग्रहण का अदेश (देश के भीतर और
जाती है।
ऄंतदेशीय दत्तक ग्रहण दोनों के वलए) जारी कर सकते हैं।
वडवस्रक्ट मवजस्रेट (DM) के ऄवतररि कायण:
o मुख्य ऄवधवनयम के प्रावधान के कायाणन्वयन के वलए
ईत्तरदायी वववभन्न ऄवभकरणों के कायों का प्रभावी ढंग से
समन्वय और ईनकी वनगरानी करने हेतु DM सवहत ADM
को भी ऄवधकृ त ककया गया है।
o ईन्हें वजला बाल संरक्षण एककों (District Child
Protection Units) और ववशेष ककशोर संरक्षण एककों की
वनगरानी करने और बाल कल्याण सवमवत (Child Welfare
Committee: CWC) तथा ककशोर न्याय बोडों
(Juvenile Justice Boards) की कायणप्रणाली की
त्रैमावसक समीक्षा करने हेतु ऄवधकृ त ककया गया है।
ऄिील बाल कल्याण सवमवत द्वारा कदए गए ककसी भी यह ववधेयक आस प्रावधान को हटाता है।
अदेश के वलए कोइ ऄिील नहीं होगी, वजसमें DM द्वारा िाररत दत्तक ग्रहण के अदेश से व्यवथत कोइ भी व्यवि
यह वनणणय ककया गया है कक ईि बालक को ऐसे अदेश कदए जाने के 30 कदनों के भीतर संभागीय अयुि
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बालकों के ववरुद्ध ऄवधवनयम के तहत कोइ ऄिराध, वजसमें तीन से ऐसे ऄिराध ऄसंज्ञय
े (non-cognizable) और गैर-जमानती
ऄिराध सात वषण के बीच कारावास के दंड का प्रावधान (non-bailable) होंगे।
है, संज्ञेय (जहां वबना वारं ट के वगरफ्तारी की
ऄनुमवत होती है) और गैर-जमानती होगा।
बाल कल्याण देखरे ख और संरक्षण की अवश्यकता वाले यह CWC के सदस्यों की वनयुवि हेतु कु छ ऄवतररि मानदंड
सवमवतयां बालकों की समस्याओं से वनिटने हेतु राज्यों को वनधाणररत करता है।
(CWCs) प्रत्येक वजले के वलए एक या ऄवधक CWCs का कोइ भी व्यवि CWC के सदस्य के रूि में वनयुवि हेतु िात्र नहीं
गठन करना चावहए। होगा, यकद:
यह CWC में सदस्यों की वनयुवि हेतु कु छ o ईसका मानवावधकारों या बाल ऄवधकारों के ईल्लंघन का
मानदंड वनधाणररत करता है। ईदाहरण के वलए, कोइ ववगत ररकॉडण है।
o वह नैवतक ऄधमता वाले ऄिराध हेतु दोषी ठहराया गया हो
एक सदस्य में वनम्नवलवखत योग्यताएं होनी
तथा आस तरह के ऄिराध के संबंध में ईसे प्रदत्त दंड को ईलट
चावहए:
नहीं कदया गया है या ईसे िूणण क्षमा प्रदान नहीं की गइ है।
o न्यूनतम सात वषों तक बाल स्वास्थ्य, o ईसे भारत सरकार या राज्य सरकार या भारत सरकार
वशक्षा या कल्याण में शावमल हो, या ऄथवा राज्य सरकार के स्वावमत्व ऄथवा वनयंत्रण वाले
ईिक्रम या वनगम की सेवा से हटा कदया गया या बखाणस्त कर
o बाल मनोववज्ञान, मनोवचककत्सा, वववध या
कदया गया है।
समाज कायण में वडग्री प्राि ऄभ्यास करने o वह कभी बाल शोषण या बाल श्रम के वनयोजन या ऄनैवतक
वाला / ऄनुभवी िेशेवर हो। कायण में संवलि रहा हो।
o वह ककसी वजले में ककसी बाल देखरे ख संस्थान के प्रबंधन का
वहस्सा हो।
के बल टेलीववजन नेटवकण (संशोधन) वनयम, 2021 कें द्र ने टेलीववजन चैनलों द्वारा प्रसाररत सामग्री से संबवं धत नागररकों की वशकायतों के
वनवारण के वलए सांवववधक तंत्र प्रदान करने हेतु के बल टेलीववजन नेटवकण वनयमों में संशोधन
{Cable Television Networks
ककया है।
(Amendment) Rules, 2021} o भारत में टेलीववजन मीवडया, के बल टेलीववजन नेटवकण (वववनयमन) ऄवधवनयम 1955
द्वारा शावसत है।
o वतणमान में, वनयमों के तहत कायणक्रम/ववज्ञािन संवहताओं के ईल्लंघन से संबंवधत
नागररकों की वशकायतों का वनवारण करने के वलए एक ऄंतर-मंत्रालयी सवमवत के रूि
में एक संस्थागत तंत्र ईिलब्ध है, ककतु ईसे कोइ सांवववधक समथणन प्राि नहीं है।
के बल टेलीववजन नेटवकण (संशोधन) वनयम, 2021, सूचना प्रौद्योवगकी ऄवधवनयम के तहत
वनर्ख़मत ककए गए नए सोशल मीवडया वनयमों के ऄंतगणत वशकायत वनवारण ढांचे के ऄनुरूि
तीन-स्तरीय वशकायत वनवारण तंत्र प्रदान करता है।
चलवचत्र (संशोधन) ववधेयक, 2021 का प्रारूि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चलवचत्र ऄवधवनयम (Cinematograph Act), 1952 में संशोधन
{Draft Cinematograph (Amendment) करने हेतु चलवचत्र (संशोधन) ववधेयक, 2021 का प्रारूि जारी ककया है।
Bill, 2021} आसका ईद्देश्य बदलते समय के साथ समन्वय स्थावित करते हुए कफल्मों के सावणजवनक प्रदशणन
के संबध
ं में कफल्मों की प्रमाणन प्रकक्रया को और ऄवधक प्रभावी बनाना तथा िायरे सी िर
ऄंकुश लगाना है।
ववधेयक के प्रमुख प्रावधान
o ‘U/A 7+’, ‘U/A 13+’ और ‘U/A 16+’ के रूि में अयु-अधाररत वगीकरण अरं भ कर
कफल्मों की ऄलग-ऄलग श्रेवणयां वनधाणररत करना।
चलवचत्र ऄवधवनयम, 1952 में तीन श्रेवणयों के तहत कफल्मों के प्रमाणन का
प्रावधान ककया गया है-
‘U’- ऄवनबांवधत सावणजवनक प्रदशणन (Unrestricted Public Exhibition);
‘ऄ/व’ (U/A)- 12 वषण से कम अयु के बच्चों के वलए माता-विता के मागणदशणन
(दूसरे शब्दों में ईिवस्थवत) की अवश्यकता।
व्यस्क कफल्म (Adult Films)
o कफल्म िायरे सी के संबंध में कारावास तथा अर्ख़थक दंड का प्रावधान ककया गया है।
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अदशण ककरायेदारी ऄवधवनयम (MTA) ऄसम, अदशण ककरायेदारी ऄवधवनयम को ऄिनाने वाला िहला राज्य बन गया है।
अदशण ककरायेदारी ऄवधवनयम का ईद्देश्य ककरायेदारों एवं गृहिवतयों के मध्य दावयत्वों को
स्िि रूि से िररभावषत करके दोनों के मध्य वविास को बढ़ाना है।
MTA 2019 की मुख्य ववशेषताएं
o ककरायेदारी समझौता: कोइ भी व्यवि आस प्रकार के समझौते के वबना ककसी भी िररसर
को भाडे (let out) या ककराए (rent) िर नहीं देगा।
o सुरक्षा जमा: ऄवग्रम सुरक्षा जमा को ररहायशी िररसर के वलए ऄवधकतम दो महीने के
स्वािक औषवध एवं मन:प्रभावी िदाथण (संशोधन) वसतंबर, 2021 में संसद ने स्वािक औषवध एवं मन:प्रभावी िदाथण (संशोधन) ऄध्यादेश 2021 को
ववधेयक’ 2021 {Narcotic Drugs and प्रवतस्थावित करने के वलए स्वािक औषवध एवं मन:प्रभावी िदाथण (संशोधन) ववधेयक’ 2021
Psychotropic Substances (Amendment) िाररत ककया था।
Bill, 2021} आस ऄवधवनयम के प्रमुख प्रावधान:
o यह ऄवधवनयम स्वािक औषवध और मन:प्रभावी िदाथों से संबवं धत कु छ िररचालनों
(जैसे वववनमाणण, िररवहन एवं ईिभोग) को शावसत करता है।
o कु छ ऄवैध गवतवववधयां जैसे गांजे की खेती और ईसमें संलग्न व्यवियों को शरण देना एक
ऄिराध है।
o दोषी िाए जाने वाले व्यवि को कम से कम दस वषण के कठोर कारावास (वजसे 20 वषण
तक बढ़ाया जा सकता है) और कम से कम 1 लाख रुिये के जुमाणने से दंवडत ककया जा
सकता है।
o नए प्रावधान को 1 मइ 2014 से िूवव्य
ण ािी प्रभाव से लागू ककया जाएगा।
राष्ट्रीय डोमिग रोधी ववधेयक, 2021 (National युवा कायणक्रम और खेल मंत्री द्वारा राष्ट्रीय डोमिग रोधी ववधेयक, 2021 संसद में प्रस्तुत ककया गया।
Anti-doping Bill, 2021) ववधेयक के प्रमुख प्रावधान:
o राष्ट्रीय डोमिग रोधी एजेंसी (NADA), राष्ट्रीय डोि िरीक्षण प्रयोगशाला (NDTL) और
ऄन्य डोि िरीक्षण प्रयोगशालाओं के संचालन के वलए सांवववधक ढांचा वनर्ख़मत ककया
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जाएगा।
सोसायटी िंजीकरण ऄवधवनयम के तहत सोसायरटयों के रूि में स्थावित NADA
और NDTL को ववघरटत कर िुनगणरठत ककया जाएगा।
भारत द्वारा वषण 2008 में NDTL और वषण 2009 में NADA की स्थािना की गइ थी।
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
o वतणमान में NDTL को तकनीकी अवश्यकताओं को िूणण करने में ववफल रहने के कारण
ववि डोमिग रोधी एजेंसी (WADA) द्वारा वनलंवबत कर कदया गया है।
खासी वहल्स स्वायत्त वजला खासी संिवत्त की आस ववधेयक को खासी वहल्स स्वायत्त वजला िररषद द्वारा प्रस्तुत ककया जाना है। यह िररषद
ववरासत ववधेयक (Khasi Hills Autonomous संववधान की छठी ऄनुसच
ू ी के तहत एक स्वायत्त वनकाय है।
District Khasi Inheritance of Property यह भाइ-बहनों के बीच िैतक
ृ संिवत्त के समान ववतरण का प्रावधान करता है।
Bill), 2021 o खासी समुदाय एक मातृवश
ं ीय समाज है। आनमें माता के वंश के माध्यम से ववरासत और
वंशज का िता लगाया जाता है।
o खासी समुदायों में, सबसे छोटी िुत्री को माता-विता की संिण
ू ण संिवत्त ववरासत में
वमलती है।
हालांकक, छठी ऄनुसूची के ऄनुसार एक वजला िररषद द्वारा बनाए गए कानून को िाररत करने
का ऄवधकार ऄंततः राज्य ववधावयका के िास ही रहता है।
कें द्रीय वविववद्यालय (संशोधन) ववधेयक, 2021 हाल ही में, संसद ने एक कें द्रीय वविववद्यालय (संशोधन) ऄवधवनयम, 2021 िाररत ककया है।
{Central Universities (Amendment) Bill, यह ववधेयक कें द्रीय वविववद्यालय ऄवधवनयम, 2009 में संशोधन िर कें कद्रत है। आस संशोधन
2021} का प्रयोजन संघ शावसत प्रदेश लद्दाख में "मसधु कें द्रीय वविववद्यालय" के नाम से एक
वविववद्यालय की स्थािना का प्रावधान करना है।
o कें द्रीय वविववद्यालय ऄवधवनयम, 2009 वववभन्न राज्यों में वशक्षण और ऄनुसंधान हेतु
वविववद्यालयों की स्थािना तथा ईन्हें वनगवमत करने के वलए ऄवधवनयवमत ककया गया
था। यह ईन वविववद्यालयों से संबंवधत अनुषंवगक ववषयों का ईिबंध भी करता है।
o वतणमान में, संघ शावसत प्रदेश लद्दाख में कोइ भी कें द्रीय वविववद्यालय नहीं है।
ववरासत संिवत्त िर मवहलाओं के ऄवधकार महदू ईत्तरावधकार ऄवधवनयम, 1956 के तहत संिवत्त के ईत्तरावधकार में मवहला ऄवधकारों से
(Women’s Right in the Inherited संबंवधत मामले और दहेज प्रवतषेध ऄवधवनयम 1961 से जुडे ऄन्य मामले में SC ने मवहला
Property) सशिीकरण के वलए आन कानूनों में सुधार िर बल कदया है।
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7.1. कें द्रीय ऄन्वेषण ब्यूरो और प्रवतणन वनदेशालय (CBI and ED)
सुर्ख़ियों में क्यों?
कें द्र सरकार ने प्रवतणन वनदेशालय (ED) और कें द्रीय
ऄन्वेषण ब्यूरो (CBI) के डायरे क्टसण (वनदेशक) के
कायणकाल को 2 वषण से बढ़ाकर 5 वषण करने का
वनणणय वलया है।
CBI के बारे में
CBI, कदल्ली ववशेष िुवलस स्थािना
(DSPE) ऄवधवनयम, 1946 से ऄिनी
शवियां प्राि करती हैं।
यह कार्ख़मक, लोक वशकायत और िेंशन
मंत्रालय के ऄधीन कायण करती है।
आसकी स्थािना की वसफाररश ‘संथानम
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
भारतीय प्रेस िररषद (Press Council of India: PCI) भारतीय प्रेस िररषद (PCI) के ऄध्यक्ष का िद ररि होने के बावजूद, सरकार द्वारा
ऄध्यक्ष की वनयुवि नहीं ककए जाने िर प्रेस एसोवसएशन ने मचता प्रकट की है।
PCI का गठन वषण 1966 में प्रेस िररषद ऄवधवनयम, 1965 के तहत ककया गया
था। यह एक स्वायत्त, सांवववधक तथा ऄधण-न्यावयक वनकाय है।
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o यह िररषद, भारतीय प्रेस के वलए एक नैवतक प्रहरी के रूि में कायण करती है।
संरचना: आसमें एक ऄध्यक्ष (भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत) और 25
ऄन्य सदस्य होते हैं।
सफाइ कमणचारी राष्ट्रीय अयोग (NCSK) मंवत्रमंडल ने राष्ट्रीय सफाइ कमणचारी अयोग के कायणकाल को वषण 2022 से अगे तीन वषण
बढ़ाने की मंजरू ी दी
NCSK की स्थािना वषण 1993 में की गइ थी। आसे राष्ट्रीय सफाइ कमणचारी अयोग
ऄवधवनयम, 1993 के प्रावधानों के ऄनुसार स्थावित ककया गया था। प्रारम्भ में
आसका कायणकाल 31 माचण 1997 तक ही वनधाणररत ककया गया था।
o आसके ििात् ऄवधवनयम की वैधता को वषण 2004 तक बढ़ा कदया गया था।
NCSK की भूवमका:
राष्ट्रीय विछडा वगण ववत्त और ववकास वनगम (NBCFDC) NBCFDC और NSFDC कोववड रोवगयों को राहत प्रदान करने के वलए खाद्य
तथा राष्ट्रीय ऄनुसवू चत जावत ववत्त और ववकास वनगम ववतरण कायणक्रम जैसी िहलें अरं भ कर रहे हैं।
(NSFDC) NBCFDC एवं NSFDC को सामावजक न्याय और ऄवधकाररता मंत्रालय के
(National Backward Classes Finance & ऄंतगणत संचावलत गैर-लाभकारी कं िवनयों के रूि में वनगवमत ककया गया है।
Development Corporation and National o NBCFDC, विछडा वगण के लाभ के वलए अर्ख़थक और ववकासात्मक
Scheduled Castes Finance and Development गवतवववधयों को बढ़ावा देने के ईद्देश्य से कं िनी ऄवधवनयम 1956 के तहत
Corporation) वनर्ख़मत भारत सरकार का ईिक्रम है।
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फ्रेमवकण जारी ककया है। Commission for Asia and the Pacific: UN-ESCAP) ईत्कृ िता
कें द्रों में से एक के रूि में मान्यता प्राि है।
अदशण िंचायत वसटीजन चाटणर
आसका ववज़न ईन नीवतयों और कायणक्रमों िर ध्यान कें कद्रत करना है, जो
िंचायतें, भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के तृतीय स्तर का
ग्रामीण वनधणनों को लाभावन्वत करते हैं, लोकतांवत्रक ववकें द्रीकरण
वनमाणण करती हैं। ये भारत के संववधान के ऄनुच्छेद 243G के प्रकक्रयाओं को सकक्रय करने का प्रयास करते हैं, ग्रामीण ववकास कर्ख़मयों के
ऄंतगणत ववशेष रूि से स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, वशक्षा, िोषण व संचालन एवं दक्षता में सुधार करते हैं, ऄिनी सामावजक प्रयोगशालाओं
िेयजल के क्षेत्रों में बुवनयादी सेवाओं के ववतरण के वलए व प्रौद्योवगकी िाकों के माध्यम से प्रौद्योवगकी के हस्तांतरण को बढ़ावा
देते हैं तथा ियाणवरण के प्रवत जागरूकता का प्रसार करते हैं।
ईत्तरदायी हैं।
यह िंचायती राज संस्थानों (Panchayati Raj Institutions: PRIs)
ग्राम िंचायत वसटीजन चाटणर का मूल ईद्देश्य सेवाओं के
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
और राज्यों में ग्रामीण ववकास कायणक्रमों की कायणप्रणाली का ऄध्ययन
संबंध में नागररकों को सशि बनाना तथा वबना ककसी
करता है।
िूवाणग्रह के और नागररकों की ऄिेक्षाओं के ऄनुरूि सेवाओं
की गुणवत्ता में सुधार करना है।
o यह िंचायत में िेशेवर प्रवृवत्त स्थावित करता है और वबना ककसी भेदभाव के समुदाय के सभी वगों तक िहुंच स्थावित करने में
सहायता प्रदान करता है।
o िंचायतों द्वारा प्रवतबद्ध मानक सेवा ववतरण की वनगरानी और मूल्यांकन के वलए ईियोगी मानदंड है।
o यह एक ओर नागररकों को ईनके ऄवधकारों के प्रवत जागरूक करने में तथा दूसरी ओर िंचायतों एवं ईनके वनवाणवचत
प्रवतवनवधयों को प्रत्यक्षत: जनता के प्रवत जवाबदेह बनाने में सहायता करे गा।
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प्रशासवनक सुधार और लोक वशकायत ववभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances:
DARPG) द्वारा वसटीजन
चाटणरों के समन्वय, वनमाणण एवं
संचालन का कायण प्रारं भ ककया
गया।
नागररक माल और सेवाओं का
समयबद्ध िररदान और वशकायत
वनवारण ऄवधकार ववधेयक,
2011 {Right of Citizens for
Time Bound Delivery of
Goods and Services and
Redressal of their
Grievances Bill, 2011} (वसटीजन चाटणर) नागररकों के वलए वस्तुओं और सेवाओं का समय िर ववतरण सुवनवित करने हेतु एक
तंत्र वनर्ख़मत करने का प्रयास करता है। हालांकक, वषण 2014 में लोक सभा के भंग होने के कारण यह व्यिगत हो गया था।
िंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की क्षमता बढ़ाने के वलए सरकार द्वारा की गइ प्रमुख िहलें।
राजीव गांधी िंचायत सशिीकरण ऄवभयान (RGPSA): आसका ईद्देश्य िंचायतों एवं ग्राम सभाओं की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाना,
िंचायतों में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना, िंचायतों के क्षमता वनमाणण के वलए संस्थागत ढांचे को सशि करना है।
अदशण नागररक घोषणाित्र/रूिरे खा (Model Citizen’s Charter): यह िंचायत द्वारा नागररकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं की वववभन्न
श्रेवणयों, सेवा शतों एवं समय सीमा और स्थानीय संधारणीय ववकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ कायों को संरेवखत करने का वववरण देता है।
सबकी योजना सबका ववकास: िंचायती राज संस्थाओं (PRIs) और राज्य के संबंवधत ववभागों के बीच ऄवभसरण के माध्यम से ग्राम सभा में
योजना बनाने के वलए एक गहन और संरवचत ऄभ्यास।
वमशन ऄंत्योदय: यह मानव और ववत्तीय संसाधनों को एकवत्रत करके सरकारी हस्तक्षेिों को ग्राम िंचायतों के साथ वमलाने का प्रयास करता है।
इ-ग्राम स्वराज: एक वेब अधाररत िोटणल जो ग्राम िंचायतों के वनयोजन, लेखा और वनगरानी कायों को एकीकृ त करता है।
o यह ईस ववजन को प्राि करने के वलए स्िि लक्ष्य वनधाणररत करती है; तथा
o ईन लक्ष्यों को प्राि करने के वलए कायण योजना प्रदान करती है।
ग्राम िंचायत ववकास योजना को व्यािक और समुदाय (ववशेष रूि से ग्राम सभा) को शावमल करने वाली सहभागी प्रकक्रया िर
अधाररत होना चावहए। आसके ऄवतररि, आसे संववधान की ग्राम सभा डैशबोडण
11वीं ऄनुसच
ू ी में सूचीबद्ध 29 ववषयों से जुडे सभी संबंवधत यह डैशबोडण, संिण
ू ण वषण ग्राम सभा की बैठक, ग्राम िंचायत की स्थायी
मंत्रालयों/ववभागों की योजना के साथ तालमेल िर अधाररत सवमवत की बैठक तथा वनवाणवचत िंचायत के जनप्रवतवनवधयों की बैठक के
होना चावहए। माध्यम से ऄवधकतम भागीदारी बढ़ाने में सहायता करे गा।
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यह एक व्यािक ऄवधारणा है वजसका अशय वनजता के ऄवधकार और डेटा संरक्षण से है। ये रोमलग, ऑनलाआन धमककयों और ऄभद्र
भाषा से संबवं धत हो सकते हैं। आसके ऄलावा, ये अर्ख़थक वस्थवत और ऄसमथणताओं िर ध्यान कदए वबना आं टरनेट तक समान िहुँच के
8.6. सावणजवनक खरीद (ऄवधप्रावि) और िररयोजना प्रबंधन (Public Procurement and Project Management)
हाल ही में, ववत्त मंत्रालय के ऄधीन व्यय ववभाग ने सावणजवनक खरीद और िररयोजना प्रबंधन में सुधार के वलए कदशा-वनदेश जारी
ककए हैं।
ज्ञातव्य है कक ये मंत्रालय ऄिने बजट का लगभग 50% सावणजवनक खरीद िर व्यय करते हैं।
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लोकिाल (Lokpal) कें द्र सरकार ने ऄब तक लोकिाल और लोकायुि ऄवधवनयम, 2013 द्वारा वनर्ददि जांच वनदेशक की वनयुवि नहीं की है।
लोकिाल, लोकिाल ऄवधवनयम 2013 के तहत िररभावषत लोक सेवकों के ववरुद्ध वशकायतों की जांच करने के वलए
एक राष्ट्रीय भ्रिाचार-रोधी ओम्बु्समैन है।
ऄवधवनयम के ऄनुसार, एक जांच वनदेशक की वनयुवि की जाएगी। यह वनदेशक संयुि सवचव की रैं क से नीचे का
ऄवधकारी नहीं होगा तथा आसे कें द्र सरकार द्वारा वनयुि ककया जाएगा। यह लोकिाल द्वारा कें द्रीय सतकण ता अयोग
(CVC) को वनर्ददि प्रारं वभक जांच के कतणव्य का वनवणहन करे गा।
o यद्यवि लोकिाल वषण 2019 में ऄवस्तत्व में अया था, ककतु ऄभी तक जांच वनदेशक की वनयुवि नहीं की गइ
है।
लोकिाल ऄवधवनयम, 2013 की मुख्य ववशेषताएं
o लोकिाल का ऄवधकार क्षेत्र: आसमें प्रधान मंत्री, मंत्री, संसद सदस्य और क, ख, ग एवं घ समूह के ऄवधकारी
शावमल होंगे।
o लोकिाल एक ऄध्यक्ष सवहत ऄवधकतम 8 सदस्यों वाला वनकाय है (4 न्यावयक सदस्य होंगे)।
o शेष 4 सदस्य ऄनुसूवचत जावत, ऄनुसूवचत जनजावत, ऄन्य विछडा वगण, ऄल्िसंख्यकों और मवहलाओं में से
होंगे।
8 सदस्यों की वनयुवि एक चयन सवमवत की वसफाररश िर राष्ट्रिवत द्वारा की जाती है। आन अठ सदस्यों में
प्रधानमंत्री, लोक सभा के ऄध्यक्ष, लोक सभा में वविक्ष का नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) या CJI द्वारा
नावमत ईच्चतम न्यायालय के एक वतणमान न्यायाधीश और राष्ट्रिवत द्वारा मनोनीत एक प्रवतवित न्यायववद शावमल
इ-गवनेंस 24वें राष्ट्रीय इ-गवनेंस सम्मेलन ने सभी की सहमवत से हैदराबाद घोषणा-ित्र को स्वीकार ककया है।
हैदराबाद घोषणा-ित्र की मुख्य ववशेषताएं:
o अधार, यू.िी.अइ., वडवजलॉकर, ईमंग, इ-साआन अकद का ईियोग करके नागररक सेवाओं को बदलना।
o प्रमुख सामावजक क्षेत्रों (जैसे स्वास्थ्य, वशक्षा, कृ वष अकद) में राष्ट्रीय स्तर के सावणजवनक वडवजटल प्लेटफॉम्सण
का बहुत जल्दी कायाणन्वयन करना।
o ईभरती हुइ प्रौद्योवगककयों जैसे अर्टटकफवशयल आं टेवलजेंस, मशीन लर्डनग, ब्लॉकचेन, 5G अकद के
वजम्मेदारीिूणण ईियोग को बढ़ावा देना।
o महामारी जैसी बाधाओं से वनिटने के वलए मजबूत तकनीकी समाधान सुवनवित करना।
o वडवजटल तकनीक को सरकारी सेवा वडजाआन और ववतरण का प्राथवमक िहलू बनाना।
o राष्ट्रीय इ-गवनेंस सेवा ववतरण के मूल्यांकन (NeSDA) को MeITY के सहयोग से ऄिनाया जाएगा।
कु छ इ-गवनेंस िहलें:
भूवम िररयोजना (कनाणटक): भूवम ररकॉडण की ऑनलाआन ईिलब्धता।
इ-सेवा (अंध्र प्रदेश)।
ज्ञानदूत (मध्य प्रदेश): सेवा अिूर्ख़त िहल।
लोकवाणी (ईत्तर प्रदेश): वशकायतों के वनिटान, भूवम ररकॉडण के रखरखाव और अवश्यक सेवाओं का वमश्रण प्रदान
करने के वलए।
फ्रें्स योजना (के रल): सेवाओं के ववतरण के वलए तेज़, वविसनीय, कु शल व तत्काल नेटवकण ।
वडवजटल मीवडया सामग्री वडवजटल मीवडया सामग्री/ऄंतवणस्तु वववनयामक िररषद (DMCRC) को आं वडयन िॉडकामस्टग एंड वडवजटल फाईं डेशन
वववनयामक िररषद
(IBDF) द्वारा वडवजटल ओटीटी प्लेटफॉमण (ओवर-द-टॉि) के वलए ईद्योग समर्ख़थत/संचावलत स्व-वववनयामक वनकाय
{DIGITAL MEDIA
(SRB) के रूि में गरठत ककया गया है।
CONTENT REGULATORY
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COUNCIL (DMCRC)} आसका गठन सूचना प्रौद्योवगकी (मध्यवती कदशावनदेश और वडवजटल मीवडया अचार संवहता) वनयम, 2021
{Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules,
2021} के ऄवधदेश के तहत ककया गया है।
IBDF को िूवण में आं वडयन िॉडकामस्टग फाईं डेशन के रूि में जाना जाता था। आसे वषण 1999 में स्थावित ककया गया
था। यह प्रसारकों और ओ.टी.टी. ऑिरे टरों हेतु स्थावित एक शीषण वनकाय है।
यह ऄिीलीय-स्तर िर वनर्ख़मत एक वद्वतीय-स्तरीय तंत्र है। साथ ही, आसे प्रसारण सामग्री वशकायत िररषद
(Broadcast Content Complaint Council: BCCC) के समान ऄवधकार प्रदान ककए गए हैं।
BCCC, जून 2011 में
आं वडयन िॉडकामस्टग
फाईं डेशन (IBF) द्वारा
गैर-समाचार सामान्य
मनोरं जन चैनलों के
वलए स्थावित एक
स्वतंत्र स्व-वववनयामक
वनकाय है।
सूचना प्रौद्योवगकी (मध्यवती
कदशा-वनदेश और वडवजटल
मीवडया अचार संवहता)
वनयम, 2021 के बारे में
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
ववस्ताररत है:
ऄवभशासन (गवनेंस),
मानव संसाधन,
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ध्यातव्य है कक मेघालय भारत ईद्यम स्थाित्य (IndEA /आं डइए) को मेघइए के रूि में लागू करने वाला प्रथम राज्य
है।
आं डइए को आलेक्रॉवनकी और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय द्वारा प्रारं भ ककया गया है। यह एक ऐसा तंत्र है, जो समान
मॉडल एवं मानकों के ऄनुरूि संिूणण भारत में सभी सरकारों तथा ईनकी एजेंवसयों द्वारा स्वतंत्र एवं समानांतर रूि
माइगॉव (MyGov) मंच वषण 2014 में अरं भ ककए गए माइगॉव (MyGov) िोटणल ने सहभावगतािूणण ऄवभशासन (Participatory
MyGov िोटणल एक ऄवभनव नागररक संलग्नता मंच है। यहां सरकार नीवत वनमाणण प्रकक्रया में नागररकों को शावमल
करके तथा जनवहत और कल्याण के मुद्दों िर ईनकी राय प्राि करके सुशासन की कदशा में नागररकों की भागीदारी
को प्रोत्सावहत करती है।
o MyGov, वडवजटल आं वडया कारिोरे शन का वहस्सा है। यह आलेक्रॉवनकी और सूचना प्रौद्योवगकी मंत्रालय के
आं वडया आं टरनेट गवनेंस हाल ही में भारत में िहले आं टरनेट गवनेंस फोरम का अयोजन ककया जाएगा।
फोरम (IIGF)
IIGF का गठन यूएन आंटरनेट गवनेंस फोरम (IGF) के ट्यूवनस एजेंडे के ऄनुरूि ककया गया है।
IGF एक बहु-वहतधारक मंच है। यह आं टरनेट से संबवं धत सावणजवनक नीवत के मुद्दों िर चचाण करने के वलए वववभन्न
IIGF ऄंतर सरकारी संगठनों, वनजी कं िवनयों, नागररक समाज संगठनों अकद के मध्य िररचचाण संबंधी सुववधा
प्रदान करता है। ज्ञातव्य है कक ये सभी आं टरनेट गवनेंस से संबंवधत सावणजवनक नीवत से संबद्ध मुद्दों में संवलि हैं।
करप्शन िरसेप्शन आं डेक्स आसे रांसिेरेंसी आं टरनेशनल द्वारा जारी ककया गया है।
आस सूचकांक में भारत 180 देशों में 85वें स्थान िर है। भारत को 40 ऄंक वमले हैं। विछले वषण यह 86वें स्थान िर
था।
आस ररिोटण के ऄनुसार विछले एक दशक में भारत का स्कोर वस्थर रहा है। आसका कारण है कक कु छ तंत्र जो भ्रिाचार
िर ऄंकुश लगाने में मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं।
डेनमाकण , न्यूजीलैंड और कफनलैंड ने संयुि रूि से सूचकांक में शीषण स्थान हावसल ककया है।
यह सूचकांक देशों को ईनके सावणजवनक क्षेत्र में व्याि भ्रिाचार के कवथत स्तरों के अधार िर रैं क प्रदान करता है।
आसमें ववशेषज्ञों और व्यवसावययों से जानकारी ली जाती है।
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ऄवखल भारतीय महािौर आस सम्मेलन में वववभन्न राज्यों के 120 महािौर भाग ले रहे हैं। आस सम्मेलन का ववषय/थीम “नया शहरी भारत” (New
सम्मेलन
Urban India) है।
शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs) के महािौर/ऄध्यक्ष, नगर वनकाय के राजनीवतक और कायणकारी प्रमुख होते हैं।
वतणमान में, महािौरों का चुनाव नगर िाषणदों द्वारा ककया जाता है, जो प्रत्यक्ष रूि से शहरी मतदाताओं द्वारा चुने
जाते हैं।
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9. ववववध ( Miscellaneous)
आं टरनेट शटडाईन सूचना प्रौद्योवगकी िर संसदीय स्थायी सवमवत (PSC) ने आं टरनेट शटडाईन को लेकर कें द्र की अलोचना की है।
यह ररिोटण आं टरनेट शटडाईन को सूचना के प्रवाह िर वनयंत्रण स्थावित करने हेतु ककसी वववशि
जनसांवख्यकी क्षेत्र या स्थान के वलए आं टरनेट या आलेक्रॉवनक संचार को ऄवरुद्ध करने के रूि में िररभावषत
करती है। आं टरनेट शटडाईन के वनम्नवलवखत प्रकार हो सकते हैं:
o आं टरनेट ब्लैकअईट (Internet blackouts): आसमें आं टरनेट तक िहुँच िूणण रूि से समाि कर दी
जाती है।
o सोशल मीवडया शटडाईन (Social media shutdowns): आसमें फे सबुक व व्हार्टसएि जैसे
लोकवप्रय सोशल मीवडया प्लेटफॉम्सण तक िहुँच ऄवरुद्ध कर दी जाती है।
o थ्रॉटमलग (Throttling): आसमें आं टरनेट की स्िीड (गवत) कम कर ईसे 2G के स्तर तक िहुँचा कदया
जाता है।
भारत में आं टरनेट शटडाईन से संबवं धत कानूनी प्रावधान
o वषण 2017 तक, ऄवधकतर प्रावधान दंड प्रकक्रया संवहता (CrPC) की धारा 144 और भारतीय तार
ऄवधवनयम, 1885 के तहत शावसत होते थे।
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o वषण 2017 में, दूरसंचार ऄस्थायी सेवा वनलंबन (लोक अिात और लोक सुरक्षा) वनयमों को
ऄवधसूवचत ककया गया था। वनयमों के बावजूद सरकार ने धारा 144 के तहत व्यािक शवियों का भी
ईियोग ककया है।
o सूचना प्रौद्योवगकी (संशोधन) ऄवधवनयम, 2008 की धारा 69A कु छ ववशेष वेबसाआर्टस को ब्लॉक
करने की शवि प्रदान करती है।
िुवलस कवमश्नरी प्रणाली मध्य प्रदेश ने भोिाल और आं दौर में िुवलस कवमश्नरी प्रणाली के कायाणन्वयन की घोषणा की
दोहरी कमान प्रणाली कवमश्नरी प्रणाली
एक वजले में वजला मवजस्रेट (DM) िुवलस अयुि (Commissioner of Police: CP)
और िुवलस ऄधीक्षक (SP) द्वारा एक एकीकृ त िुवलस कमान संरचना का प्रमुख होता है।
शवियों एवं ईत्तरदावयत्वों को साझा वह शहर में िुवलस बल की कायणप्रणाली के वलए
ककया जाता है। ईत्तरदायी होता है और राज्य सरकार के प्रवत जवाबदेह
होता है।
आसके तहत वनयंत्रण की एक 'दोहरी
आस िद को मवजस्रेट की शवियां भी प्राि होती हैं। ये
व्यवस्था' होती है। आसमें िुवलस
शवियां वववनयमन, वनयंत्रण और लाआसेंमसग से
प्रशासन के वनरीक्षण के वलए SP को संबंवधत होती हैं।
DM के साथ कायण करना होता है। o डी.अइ.जी. या ईससे उिर की रैं क वाले
o DM को वगरफ्तारी वारं ट व ऄवधकारी को CP के रूि में वनयुि ककया जाता
लाआसेंस जारी करने का कायण है। ईसे ववशेष/संयुि/ऄिर/ईिायुिों द्वारा
सपिा जाता है, जबकक SP के सहायता प्रदान की जाती है।
िास ऄिराध की जांच करने और ऐसे ऄवधकाररयों को वनवारक वगरफ्तारी, धारा 144
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
वगरफ्तारी करने की शवियां एवं लागू करने और अवश्यकतानुसार कायणवाही शुरू करने
वजम्मेदाररयां होती हैं। की शवियां प्रदान की जाती हैं।
आस व्यवस्था को शवियों के के न्द्रीकरण o िुवलस के िास ऄवधकतम दो वषों के वलए लोगों
को कम करने और वजला स्तर िर को ऄिने ऄवधकार क्षेत्र में प्रवेश करने और ककसी
व्यवि को क्षेत्र से बाहर करने की भी शवि होती
िुवलस को DM के प्रवत ऄवधक है।
जवाबदेह बनाने के वलए स्थावित ककया आससे जरटल शहर-कें कद्रत मुद्दों को हल करने के वलए
गया है। तेजी से वनणणय लेने की ऄिेक्षा की जाती है।
वडफॉल्ट/ वैधावनक ज़मानत राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एवक्टववस्ट सुधा भारद्वाज को जमानत देने के बॉम्बे ईच्च न्यायालय के अदेश के ववरुद्ध
ईच्चतम न्यायालय में ऄिील की है।
वडफॉल्ट या वैधावनक जमानत एक ऄवधकार (ऄिराध की प्रकृ वत से वनरिेक्ष) है, जो ईस समय प्राि ककया
जा सकता है, जब िुवलस न्यावयक वहरासत में ककसी व्यवि की एक वनर्ददि ऄववध के भीतर जांच िूरी करने
में ववफल रहती है।
o यह दंड प्रकक्रया संवहता में वनवहत है।
ऄवधकांश ऄिराधों के वलए, िुवलस के िास जांच िूरी करने और न्यायालय के समक्ष ऄंवतम ररिोटण प्रस्तुत
करने के वलए 60 कदनों का समय होता है।
o हालांकक, कु छ ऄिराधों के वलए 90 या 180 कदन की सीमा भी है।
ईच्चतम न्यायालय ने भी वववभन्न श्रेवणयों के ऄिराधों के वलए कदशा-वनदेश जारी ककए हैं।
A दंडनीय ऄिराध वजसके तहत सात वषण अरोि-ित्र दावखल करते समय ऄवधविा के
या ईससे कम के कारावास का प्रावधान माध्यम से ईिवस्थत होने के वलए ऄवभयुिों
ककया गया है। को सामान्य समन जारी ककए जाते हैं।
ऄगर िेशी नहीं होती है, तो िहले जमानती
वारं ट जारी ककया जाता है और ईसके बाद
गैर-जमानती वारं ट जारी ककए जाते हैं।
B दंड के रूि में मृत्युदंड, अजीवन जमानत ऄजी िर अरोिी के न्यायालय में िेश
कारावास या सात वषण से ऄवधक के होने के ईिरांत योग्यता/मेररट के अधार िर
कारावास की सजा दी जा सकती है। वनणणय ककए जाते हैं।
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C स्वािक औषवध और मन: प्रभावी िदाथण ववशेष कानूनों के तहत जमानत के प्रावधानों
ऄवधवनयम (NDPS), धन- शोधन के ऄनुिालन के ऄवतररि शतों के साथ श्रेणी
D ववशेष ऄवधवनयमों के ऄंतगणत अर्ख़थक अरोिी के न्यायालय में िेश होने के ईिरांत
ऄिराध को शावमल नहीं ककया गया योग्यता/मेररट के अधार िर जमानत ऄजी िर
है। वनणणय वलए जाते हैं।
िैरोल बनाम फलो फलो और िैरोल कारागार ऄवधवनयम (The Prisons Act), 1894 के ऄंतगणत अते हैं। ये कारावास से एक
वलए कदया जाता है। ऄववध के कारावास के बाद) कदया जा सकता है।
िैरोल, एक कै दी को दंड के वनलंबन के साथ ररहा ककसी कै दी को दी गइ फलो की ऄववध को ईसके दंड
करने की एक प्रणाली है। में िररहार (remission) के रूि में माना जाता है।
कै दी के िास िैरोल का दावा करने का िूणण वववधक कै दी के िास फलो का दावा करने का िूणण वववधक
ऄवधकार नहीं है। ऄवधकार नहीं है।
वववभन्न हत्याओं या अतंकवाद रोधी वववध- फलो कदया जाना जनवहत के साथ संतवु लत
ववरुद्ध कक्रयाकलाि (वनवारण) ऄवधवनयम, होना चावहए। कु छ श्रेवणयों के कै कदयों को फलो
प्रदान करने से आं कार भी ककया जा सकता है।
196717 के तहत वसद्धदोष बंदी िैरोल के वलए
िात्र नहीं हैं।
िी.एम. के यसण फं ड कें द्र सरकार ने कदल्ली ईच्च न्यायालय को सूवचत ककया है कक िी.एम. के यसण फं ड, जो कक एक चैररटेबल रस्ट है,
सरकारी फं ड नहीं है। आसका कारण यह है कक आसके द्वारा एकत्र की गइ रावश भारत की संवचत वनवध में जमा
नहीं की जाती है।
यह 'प्रधानमंत्री नागररक सहायता और अिात वस्थवत राहत कोष' (िीएम के यसण फं ड)' के नाम से स्थावित
एक सावणजवनक धमाणथण रस्ट है।
यह ककसी भी प्रकार की अिात वस्थवत या वविदा की वस्थवत से वनिटने (जैसे कक कोववड-19 महामारी
द्वारा ईत्िन्न संकट से वनिटने और प्रभाववतों को राहत प्रदान करने) के वलए एक समर्ख़ित कोष है।
प्रधान मंत्री, िीएम के यसण फं ड के िदेन ऄध्यक्ष हैं तथा रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और ववत्त मंत्री फं ड के िदेन
ककसी भी कं िनी या िीएसयू द्वारा िीएम के यसण फं ड में ककए गए दान की गणना कं िनी ऄवधवनयम, 2013
के तहत ईिबंवधत वनगवमत सामावजक ईत्तरदावयत्व (CSR) व्यय के रूि में की जा सकती है। साथ ही,
िीएम के यसण फं ड को ववदेशी ऄंशदान (वववनयमन) ऄवधवनयम, 2010 के सभी प्रावधानों से छू ट प्रदान की
गइ है।
िी.एम. के यसण फं ड का लेखा िरीक्षण एक स्वतंत्र लेखा िरीक्षक द्वारा ककया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्र ववकास योजना वनमाणण हाल ही में कदशा-वनदेश जारी ककए गए हैं।
और कायाणन्वयन के वलए संशोवधत
संशोवधत RADPFI कदशा-वनदेशों का ईद्देश्य गांवों के समग्र एकीकृ त ववकास के वलए स्थावनक ववकास की
कदशा-वनदेश {Revised Rural
योजना बनाना है।
Area Development Plan
नये कदशा-वनदेश (वषण 2021) वनम्नवलवखत िर कें कद्रत हैं:
Formulation And
Implementation (RADPFI) o स्थावनक ववकास योजना तैयार करने के वलए गांवों की टाआिोलॉजी िर ध्यान कें कद्रत करना। आसके
Guidelines} ऄंतगणत गांवों की जनसंख्या, कृ वष-जलवायु क्षेत्र, िहाडी क्षेत्र, अिदाओं का घरटत होना आत्याकद
शावमल हैं।
PT 365 - राजव्यवस्था और संववधान
o सहयोगात्मक योजना वनमाणण िर अधाररत समुदाय के माध्यम से ग्राम कस्बा वनयोजन योजना
(Village Town Planning Scheme: VPS)।
o ग्राम स्तरीय योजना वनमाणण के संबंध में 15वें ववत्त अयोग को राज्य ववत्त अयोग से जोडना।
o 73वें और 74वें संववधान संशोधन ऄवधवनयम तथा ग्राम िंचायत ववकास कायणक्रम (GPDP) के
ऄनुसार रुबणन क्लस्टसण/ब्लॉक/वजला योजना के साथ ग्राम िंचायत ववकास का एकीकरण/समेकन
करना।
o अबादी क्षेत्र (भूवम ररकॉ्सण को जोडने) के वलए ‘ग्रामों का सवेक्षण और ग्राम क्षेत्रों में तात्कावलक
सरकारी संगठनों द्वारा ऄवधकाररयों संववदा या िरामशण के अधार िर ककसी सेवावनवृत्त ऄवधकारी की वनयुवि से िूवण सरकारी संगठनों को
की सेवावनवृवत्त ईिरांत वनयुवि से स्वीकृ वत प्राि करना ऄवनवायण होगा। हालांकक, आसके वलए कें द्रीय सतकण ता अयोग (CVC) ने एक स्िि
संबवं धत वनयम (Rules for post-
प्रकक्रया वनधाणररत की है वजसे सरकारी संगठनों द्वारा ऄिनाया जाना ऄिररहायण होगा।
retirement hiring of officials
o यकद सेवावनवृत्त ऄवधकारी ने एक से ऄवधक संगठनों में सेवा प्रदान की है, तो ईन सभी संगठनों से
by government
मंजूरी प्राि करनी होगी, जहां वह व्यवि सेवावनवृवत्त से िूवण 10 वषों के दौरान वनयोवजत था।
organisations)
CVC ने सभी सरकारी संगठनों को ऄिने कमणचाररयों के वलए ईवचत वनयम तैयार करने का भी वनदेश
कदया है, ताकक यह सुवनवित ककया जा सके कक वनजी क्षेत्र में ककसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने से िूवण,
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