Chandogyopanishad Sankara Bhashya With Hindi Translation GIta Press 1956

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यस्त्वेतमेवं यथोक्तावयवेगभर्धा- | फित॒ जो को चुलोकरूप मप्तके


लेकर एथिवीरूप पादपर्यन्त इतन
दिभिः प्रथिवीपादान्तेर्विरिष्र- पूर्वोक्तं अवयवोँसे युक्त एक प्रादेश-
मेकं प्रादेशमात्र्‌, परदेरोयुूर्भा- मात्र--जो प्रत्यगात्मा दी युमूधसि
लेकर परथिवीपादपर्यन्त प्रेशर
दिभिः प्रथिवीपादान्तेरध्यात्मं |मित होता दै अर्थात्‌ जाना जाता
मीयते ज्ञायत इति प्रादेगमाव्रम्‌। |है, उस प्रादेशमात्र आतमा
मुखादिषु वा कणेप्वचतुतवेन | [पसन करता है] । मथवा स
मीयत इति प्रादेशमात्रः । लो. आदि कर्णोमि भोक्ताूपसे मित
9 “ 2 | होता है इसलियि प्रदेशचमात्र है।
कादिपृथिव्धन्तप्रदेशपरिमाणो वा या युटोकसे लेकर प्रथिवीपरयन्त
प्रादेशमात्रः । प्रकर्पेण शासरेणा- |प्रदेश ही उसका परिमाण है इस-
दिदयन्त इति प्रदेशा युोका- | रिय भरद्शमात्र है | अथा श
द्य एव ताबत्परिमाणः प्रादेश- दारा प्रकर्पसे आदिष्ट होते हैइस
युखोक आदि प्रादेश दै उतने दी
भ्रात । |परिमाणवाला होने प्रदेशमे ।
शाखान्ठर तु मूर्थादिरिचघुक- ` अन्य शाखा तो मृघसि लेकः
व र चिलुकपर्न्त प्रतिष्ठित हे इसलियि
भति इति प्रादशमातरं कन्प- । उत प्रादेशमात्र कल्पत करते दै,
यन्ति,
| इह तु न तथामिप्ेतः, |मिति यँ वह इस भकार
,
सस्य हब एतस्यातमनः इत्या |अभिप ्रेत नही है, क्योकि उस
भामा | युरोकं ही मूर्धा हैईप}
= इत्यादि [ सार्वास्य- ] रूपसे उप
दयुपसंदारात्‌ । संहार छया गया है |
्रत्यगात्मतयामिविमीयतेऽह- , वह प्रयगातमरपसे अभिविमान
क्रिया जाता है अर्थात्‌ भे" इस
भकार जाना लाता दै; इखलमि
मिति ज्ञायतइत्यभिविमानस्तमेत-| अभिविमान है
, उस इख वान

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