MCOM08 VMOU Cost and Management Accounts

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(1)

(2)
(3)
पा य म अ भक प स म त
अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कु लप त
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा (राज थान)

संयोजक / सद य
संयोजक  ो. (डॉ.) पी.के. शमा
डॉ. एम.एल. जैन ‘म ण’ ोफेसर, ब ध अ ययन वभाग
(पू व उप ाचाय, व व व यालय वा ण य महा व यालय, जयपु र) वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
परामशदाता –वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा  ो. (डॉ.) नवीन माथुर
सद य आचाय एवं शास नक स चव , कु लप त
राज थान व व व यालय, जयपु र
 ो. (डॉ.) गरधर सोरल  डॉ. राजे श कोठार
आचाय एवं वभागा य (ए.बी.एस.ट .) नदे शक, पो ार इं ट यू ट ऑफ मैनज
े मे ट
एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र राज थान व व व यालय, जयपु र
 ो. (डॉ.) एन.डी. माथुर  डॉ. हष ववेद
ई.ए.एफ़.एम. वभाग पो ार इं ट यू ट ऑफ मैनेजमे ट
राज थान व व व यालय, जयपु र राज थान व व व यालय, जयपु र
 ो. (डॉ.) गो व द पार क  डॉ. आर.एस. अ वाल
उप ाचाय, वा ण य महा व यालय व र ठ या याता ए.बी.एस.ट .
राज थान व व व यालय, जयपु र राजक य एस.डी. कॉलेज, यावर

संपादन एवं पाठ–लेखन


संपादक
ो. (डॉ.) गरधर सोरल
आचाय एवं वभागा य (ए.बी.एस.ट .)
एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र
पाठ लेखक
 डॉ. बी.एल. हे ड़ा (इकाई सं या 01,13)  ो. (डॉ.) सु रे भानावत (इकाई सं या 08)
सह आचाय आचाय, ए.बी.एस.ट .
एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र राज थान व यापीठ, उदयपु र
 डॉ. सु धा जैन (इकाई सं या 02)  डॉ. मनीष जैन (इकाई सं या 09,10)
भार ए.बी.एस.ट . या याता
राजक य मीरा क या महा व यालय, उदयपु र एस.एस.जैन सु बोध पी.जी. महा व यालय,
जयपु र
 डॉ. जे .सी. भदादा (इकाई सं या 03)  ो. (डॉ.) आर.एल. त बोल (इकाई सं या 11,12)
व र ठ या याता आचाय, (ए.बी.एस.ट .)
राजक य महा व यालय, भीलवाडा एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र
 डॉ.( ीमती) मीनू माहे वर (इकाई सं या 04)  डॉ. सी.एम. जैन (इकाई सं या 14)
आई.सी.डब यू.ए.एवं सहायक ोफेसर सह आचाय, ए.बी.एस.ट .
कोटा व व व यालय, कोटा एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र
 डॉ. ओ.पी. जैन (इकाई सं या 05)  डॉ. एस.एस. भानावत (इकाई सं या 15,16)
या याता सह आचाय, ए.बी.एस.ट .
एम.एल. सु खा ड़या व व व यालय, उदयपु र बी.एन.पी.जी. महा व यालय, उदयपु र
 डॉ. अ नता शु ला (इकाई सं या 06,07)  डॉ. तपन कु मार भादवीया (इकाई सं या 17)
सह आचाय (लेखांकन वभाग) सह आचाय, ए.बी.एस.ट .
राज थान व यापीठ, उदयपु र राज थान व यापीठ, उदयपु र

अकाद मक एवं शास नक यव था


ो.(डॉ.) नरे श दाधीच ो.(डॉ.) अनाम जैतल ो.(डॉ.) पी.के. शमा
कु लप त नदे शक(अकाद मक) नदे शक
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार ,
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा

उ पादन – जू न 2009 ISBN – 13/978–81–8496–093–8


इस साम ी के कसी भी अंश को व.म.खु. व. कोटा क ल खत अनु म त के बना कसी भी प म अथवा म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पु नः तु त
करने क अनु म त नह ं है ।
व.म.खु. व. कोटा के लये कु लस चव व.म.खु. व. कोटा (राज.) वारा मु त एवं का शत।

(4)
M.COM–08
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा

अनु म णका

इकाई सं. इकाई का नाम पृ ठ सं या


इकाई –1 लागत व लेषण एवं लागत लेखांकन 06—33
इकाई –2 साम ी एवं म 34—62
इकाई –3 उप र यय लागत 63—87
इकाई –4 या आधा रत लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी 88—106
इकाई –5 उपकाय लागत नधारण व ध 107—131
इकाई –6 या लागत नधारण व ध 132—175
इकाई –7 प रचालन लागत नधारण व ध 176—206
इकाई –8 बजटर नय ण 207—231
इकाई –9 माप लागत लेखांकन क मू ल वचारधारा 232—250
इकाई –10 वचरण व लेषण 251—283
इकाई –11 शू य– आधार बजटन 284—297
इकाई –12 व तीय व लेषण क तकनीक 298—322
इकाई –13 अनुपात व लेषण 323—356
इकाई –14 रोकड़ वाह व लेषण 357—375
इकाई –15 सीमा त लागत लेखांकन 376—408
इकाई –16 सम– व छे द व लेषण 409—452
इकाई –17 नणयन हे तु लागत नधारण 453—475

(5)
इकाई –1 : लागत व लेषण एवं लागत लेखांकन (Cost
Analysis and Cost Accounting)
इकाई क परे खा :
1.0 उ े य
1.1 प रचय
1.2 लागत का आशय एवं व भ न अवधारणाएं
1.3 लागत लेखाशा क कृ त एवं े
1.4 लागत लेखांकन के उ े य
1.5 लागत लेखांकन बनाम व तीय लेखांकन
1.6 लागत लेखांकन तथा व तीय लेखांकन म समानताएं
1.7 लागत लेखांकन एवं व तीय लेखांकन म असमानताएं
1.8 लागत लेखांकन बनाम ब धक य लेखांकन
1.9 लागत लेखांकन का मह व अथवा लाभ
1.10 लागत लेखांकन – व भ न ि टकोण
1.11 लागत लेखांकन णाल क थापना के व आ ेप
1.12 लागत लेखांकन क सीमाएं
1.13 आदश लागत लेखांकन प त क वशेषताएं
1.14 लागत ात करने क व धयां
1.15 लागत ात करने क तकनीक
1.16 लागत लेखांकन णाल क पूव आव यकताएं
1.17 लागत लेखांकन व ध था पत करने के लए अपनाई जाने वाल या
1.18 लागत लेखा वभाग का संगठन
1.19 लागत वग करण
1.20 लागत के त व
1.21 लागत का काय अनुसार वग करण
1.22 वपरख/अ यास न
1.23 उपयोगी पु तक/संदभ थ

1.0 उ े य (Objective)
तु त वषय व तु के अ ययन उपरा त व याथ लागत क व भ न श दावल ,
अवधारणाओं, व धय , तकनीक , उपयो गता, अ य लेखांकन से स ब ध आ द से अवगत ह गे।

(6)
1.1 प रचय (Indroduction)
भारतवष म लागत लेखांकन 20वी सद क ह दे न है। इसका कु छ वणन 1832 म
का शत ोफेसर बेवेज क पु तक ''The economy of Machinery and Manufacture’’
म मलता है। इसका अ युदय न न कारण से हु आ –
(i) यूरोप क औ यो गक ाि त (ii) यावसा यक त पधा
(iii) ववेक करण तथा वै ा नक ब ध (iv) व व यापी यु
(v) मू य नयं ण एवं (vi) रा य सहायता।
इन कारण से यह आव यक समझा गया क सी मत साधन से कम लागत पर
व तु ओं का उ पादन कया जाये और लागत लेखे रखे जाव। 1944 म ICWA का पंजीयन
हुआ िजसका मु ख उ े य पर ाओं के मा यम से लागत लेखांकन म श ण दे ना था। इसके
मह व को दे खते हु ए 1965 म क पनी अ ध नयम म संशोधन कर सरकार को अ धकार दया
गया क वह कसी उ योग/ध धे म लगी क पनी के लए लागत लेखे रखना अ नवाय कर
सकती है।
लागत लेखांकन का उ गम एवं वकास (Origin and growth of Cost
Accounting) लागत लेखांकन, लेखांकन क एक शाखा है, िजसका उ गम व तीय लेखांकन
क क मय क वजह से ह हु आ है। व तीय लेखांकन म लागत का नधारण नह ं कया जाता
है जब क आज के त पधा के युग म यूनतम लागत पर अ छ क म का उ पाद उपल ध
कराने के लए साम ी, म एवं अ य खच पर नयं ण रखा जाना आव यक है, जो क
व तीय लेखांकन वारा स भव नह ं है। व तीय लेखांकन क मु ख न न क मय के कारण ह
लागत लेखांकन का उ गम हु आ है –
(i) वभागीय लागत क जानकार का अभाव
(ii) त इकाई लागत का नधारण नह ं होना
(iii) वा त वक एवं अनुमा नत लागत क तु लना स भव नह ं
(iv) लाभ–हा न म कमी एवं वृ के कारण का ान अस भव
(v) वग करण के अभाव म साम ी एवं म पर नयं ण नह ं होना
(vi) उ चत टे डर मू य नधारण म क ठनाई
(vii) कारखाने क पूण उ पादन मता का ान ा त नह ं होना
(viii) भावी योजनाएं एवं नी त नधारण अस भव
(ix) बाहर सं थाओं को आव यक सू चना दे ने म क ठनाई।
अत: उपयु त क मय को पूरा करने के उ े य से लेखांकन क जो व ध अपनाई जाती
है, उसे लागत लेखांकन के नाम से जाना जाता है।

(7)
1.2 लागत का आशय एवं व भ न अवधारणाएं (Meaning and
Concepts of Cost)
लागत (Cost)– कसी व तु के नमाण अथवा सेवा क पू त से स ब सभी वा त वक
एवं का प नक यय को लागत कहते ह अथात ् खच क वह कु ल रा श जो कसी व तु
वशेष पर क जाती है, लागत कहलाती है। जब कसी वशेष अथ या संदभ म लागत
श द को जोड़ा जाता है तो उसका अथ भ न– भ न नकलने लग जाता है। अत:
यावसा यक एवं नमाण जगत म यु त लागत लेखाशा से स बि धत लागत क
मु ख अवधारणाएं न न कार ह –
(1) वा त वक या ऐ तहा सक लागत (Actual or Historical Cost) : ऐसी लागत से
ता पय कसी उ पादन पर लगने वाल साम ी, म एवं उप र यय क कु ल लागत से
लया जाता है चाहे उसका भु गतान मौ क अथवा मु ा तु य अ य कसी भी प म
कया गया हो।
(2) अनुमा नत एवं माप लागत (Estimated and Standard Cost) : उ पादन से
पूव नधा रत लागत को अनुमा नत लागत कहा जाता है। य द लागत का पूवानुमान
वै ा नक आधार पर कया जाता है तो वह माप लागत कहलाती है। ICMA
(London) के अनुसार माप लागत एक पूव नधा रत लागत है िजसक गणना ब ध
के य याओं के माप एवं आव यक स बि धत यय के आधार पर क जाती है।
(3) सीमा त लागत (Marginal Cost) : वतमान उ पादन मता म एक इकाई कम
अथवा अ धक का उ पादन करने से उसक कु ल लागत म जो अ तर आए, वह
सीमा त लागत कहलाती है। यवहार म सीमा त लागत से ता पय एक इकाई क कु ल
प रवतनशील लागत से लया जाता है िजसम कु ल लागत एवं प रवतनशील उप र यय
शा मल होते ह।
(4) पा तरण लागत (Conversion Cost) : एक नमाण सं था म उ पादन के एक
तर से अगले तर तक साम ी को पा त रत करने म लगने वाल य मजदूर ,
य यय तथा कारखाना उप र यय को सामू हक प से पा तरण लागत के नाम
से भी जाना जाता है। दूसरे श द म नमाण क कु ल कारखाना लागत म से य
साम ी क लागत घटाने पर शेष रा श पा तरण लागत कहलायेगी।
(5) वभेदा मक लागत (Differential Cost) : कसी उ पादन काय म कायकु शलता के
एक नि चत तर से आगे कसी तर पर उ पादन होने क दशा म कु ल उ पादन
लागत म जो अ तर आए, वह वभेदा मक लागत कहलाती है। इसके वपर त
याशीलता तर कम होने पर य द कु ल लागत कम होती है तो लागत म आने वाल
यह कमी (Decremental Cost) कहलाती है।
(6) अवसर लागत (Opportunity Cost) : अवसर लागत या वैकि पक लागत
(Alternative Cost) से आशय कसी स पि त को वैकि पक योग म लाने से उससे

(8)
अब तक मलने वाले लाभ को यागने क लागत से ह। उदाहरणाथ य द कारखाना
भवन का कोई भाग कराये पर दया हु आ है और अब उसको खाल कराकर उसम
ला ट लगाने का वचार बनता है तो ला ट लगाने क लागत ात करते समय हम
इस बात का वचार करना पड़ेगा क कराया जो अब तक ा त होता था, वह आगे
ा त नह ं होगा। अत: कराये क हा न 'अवसर लागत’ है।
(7) मौ क लागत (Monetary Cost) : मौ क लागत से ता पय प ट तथा अ प ट
लागत के कु ल योग से है। यहां प ट लागत वे लागत ह जो एक फम वारा व भ न
उ पि त के साधन को मु ा के प म चु कायी जाती ह जब क अ प ट लागत वामी
के वयं के साधन के चालू ा वक मू य को य त करती है। नःस दे ह सामा य लाभ
जो एक साहसी को यवसाय म बनाये रखने के लए आव यक प से मलना चा हये,
भी मौ क लागत का एक अंग है। अत: मौ क लागत = ( प ट लागत + अ प ट
लागत + सामा य लाभ)।
(8) आरो पत लागत (Imputed Cost) : लागत के तु लना मक अ ययन हे तु कु छ ऐसी
लागत जो वा त वक नह ं होती ह, पर तु उ ह शा मल कया जाता है, 'आरो पत
लागत' कहलाती है। जैसे मा लक वारा अपने, वयं के कारखाना भवन का कराया
चाज करना, वयं क पू ज
ं ी पर याज लगाना आ द।
(9) काम ब द लागत (Shut–down Cost) : वह लागत जो क अ पकाल के लये
ला ट को ब द कर दे ने पर भी करनी ह पड़ती है, जैसे क भवन कराया, ला ट का
ास, ला ट का अनुर ण यय आ द 'काम ब द लागत' कहलाती है।
(10) डू बी हु ई लागत (Sunk Cost) : वह लागत जो वगत काल म क गयी है पर तु
वतमान नणय के संदभ म िजसक कोई उपयो गता नह ं रह है, डू बी हु ई लागत है।
जैसे क वतमान ला ट के थान पर एक नया ला ट लगाने का नणय लया गया है
तो उस हालत म वतमान ला ट को बेचने के प चात ् उस पर जो हा न होगी वह डू बी
हु ई लागत कहलायेगी। अथात ् Sunk Cost=Written down value of asset –
sale value of the asset.
(11) जेब से बाहर क लागत (Out of Pocket Cost) : वे लागत िजनक अदायगी प
से बाहर के यि तय को करनी पड़ती है, जैसे क साम ी य करने, मक
पा र मक चु काने आ द क लागत क अदायगी आव यक होती है, जेब से बाहर क
लागत ह। इसके वपर त वे लागत िजनक अदायगी नकद प म नह ं करनी पड़ती ह,
जैसे – हास, डु बत ऋण आ द, जेब से बाहर क लागत नह ं होगी। ब धक य नणय
लेते समय सभी जेब से बाहर लागत ाय: संगत लागत (Relevant cost) होती है
जब क डू बी हु ई लागत (Sunk cost) इस संदभ म सामा यत: असंगत लागत
(Irrelevant cost) होती है।

(9)
(12) थानाप न लागत (Replacement Cost) : कसी नमाण सं था म मौजू दा हाल म
पड़ी हु ई साम ी या स पि त को य द वतमान म बाजार से खर दा जाये तो जो रा श
बाजार म चु कानी पड़े वह उस साम ी एवं स पि त क थानाप न लागत कह जाती
है।
(13) ववेकशील लागत (Discretionary Cost) : येक नमाण सं था म एक अव ध
वशेष के प चात ् जो सामा यत: वा षक होती है उ च ब धक वारा कमचा रय के
श ण काय म, अनुसंधान एवं वकास काय, व ापन, व य संवधन आ द व भ न
नी त परक नणय लये जाते ह। िजनके भाव से उ पादन लागत म कुछ थायी
लागत और बढ़ जाती है। इनका उ पादन मा ा से कोई स ब ध नह ं होता है। ऐसी
थायी लागत को ववेकशील लागत (Discretionary cost) कहा जाता है।
इस कार क लागत को ह ब ध लागत (Managed cost) या काय म लागत
(Programmed cost) के नाम से भी जाना जाता है।

1.3 लागत लेखाशा क कृ त एवं े (Nature and Scope


of Cost Accountancy)
प र यय अथवा लागत लेखाशा का अथ लागत नयं ण के व ान, कला एवं
यवहार के लये तथा लाभाजन यो यता के नधारण के लए लागत नधारण तथा
लागत लेखांकन के स ा त, व धय एवं ा व धय को लागू करने से लगाया जाता है।
इसम लेख से ा त सूचनाओं का ब धक य नणय के लए तु तीकरण भी
सि म लत ह।
इ ट टयूट ऑफ कॉ ट ए ड मैनेजमट एकाउ टे स इं लै ड (I.C.M.A. England)
ने लागत लेखाशा क उपरो त प रभाषा दे ने के अ त र त इसक कृ त क या या
करते हु ए कहा है क ‘'लागत लेखाशा , लागत लेखापाल का व ान, कला एवं
यवहार कहा जाता है।“ लागत लेखापाल ह यवहार म लेखाशा क वै ा नक
व धय का योग अपनी कु शलता करता है।
लागत लेखाशा यवहार भी है, य क लागत लेखापाल अपने क त य पालन के
स ब ध म सतत ् य न करता रहे गा।
व मट (Wilmot) ने लागत लेखाशा क कृ त का वणन करते हु ए इसके काय म
अ ां कत को सि म लत कया है – ''लागत का व लेषण, माप नधारण, पूवानुमान
लगाना, तु लना करना, मत अ भ यि त तथा आव यक परामश दे ना आ द। लागत
लेखापाल क भू मका एक इ तहासकार, समाचारदाता एवं भ व यव ता के तौर पर होती
है। उसे इ तहासकार क तरह सतक, सह , प र मी एवं न प होना चा हए।
संवाददाता क भां त सजग, चयनशील एवं सारग भत तथा भ व यव ता क तरह उसको
ान व अनुभव के साथ–साथ दूरदश एवं साहसी होना आव यक है।"

(10)
े – लागत लेखाशा क प रभाषा एवं कृ त के उपयु त ववेचन से प ट है क
लागत लेखाशा का े बहु त यापक है। इसके अ तगत लागत लेखांकन (Cost
accounting),लागत नधारण (Costing), लागत नयं ण (Cost control), बजट
नयं ण (Budgetary control) एवं लागत अंके ण (Cost audit) सि म लत ह।
(1) लागत या प र यय लेखांकन (Cost accounting) : यह कसी व तु या सेवा क
लागत का यवि थत एवं वै ा नक व ध से लेखा करने क णाल है िजसके वारा
उस व तु या सेवा क लागत का अ धकतम अनुमान लगाया जा सके। इसके अ तगत
उ पा दत व तु या सेवा पर होने वाले यय एवं उनसे ा त लाभ का लेखा कया
जाता है। साथ ह वह आधार भी ात कया जाता है िजस पर वभ न यय क
गणना क गई है तथा उनका उप वभाजन कया गया है। इसके अ त र त व तु या
सेवा क त इकाई लागत व कु ल लागत ात क जाती है तथा लागत पर नयं ण
भी कया जाता है। सारांश म ‘लागत लेखांकन' वह णाल है िजससे व तु या सेवा क
लागत ात क जाती है या उस पर नयं ण रखा जाता है।
आई.सी.एम.ए. इ लै ड के अनुसार . ''लागत लेखांकन से आशय लागत स ब धी लेखा
करने क उस या से है जो खच होने वाले ब दु से ार भ होकर उन खच का
लागत के अथवा लागत इकाइय के साथ अि तम स ब ध था पत करने तक
चलती रहती है। व तृत अथ म इसके अ तगत सांि यक य आंकड़ क तैयार , लागत
नयं ण व धय का योग तथा स पा दत अथवा नयोिजत याओं क लाभदायकता
को ात करना सि म लत कया जाता है।'’
(2) प र ययांकन या लागत नधारण (Costing) : आई.सी.एम.ए. (इं लै ड) के अनुसार ,
“लागत नधारण या प र ययांकन लागत ात करने क एक तकनीक एवं या है।
यहां तकनीक से अ भ ाय उन नयम एवं स ा त से है िजनके आधार पर व तु ओं
एवं सेवाओं क कु ल लागत एवं त इकाई लागत नधा रत एवं नयं त क जाती है।
या का अथ यह है क लागत नधारण का काय म दन त दन चलता रहता है।
इस कारण ह लागत नधारण र त एवं तकनीक ग तशील होती है िजसम प रि थ तय
के अनुसार प रवतन करना आव यक होता है। इसका चयन उ योग क कृ त, नमाण
क जाने वाल व तु ओं क क म तथा उ पादन याओं पर नभर करता है।
(3) लागत नयं ण (Cost control) : कसी भी यवसाय के वतमान लाभ म वृ दो
तरह से क जा सकती है या तो व य मू य म वृ करके अथवा फर लागत को
नयं त करके। आज के ती त पधा वाले बाजार म व य मू य म वृ करके
लाभ बढ़ाने का वक प संभव नह ं होता है। अत: आजकल लागत लेखापाल का लागत
लेखे रखने के अ त र त लागत नयं ण स ब धी आव यक सू चनाएं समय–समय पर
ब धक को पहु ंचाना मु ख काय हो गया है। लागत पर नयं ण रखने हे तु अनेक
व धयां काम म लायी जाती ह िजनम से मु ख न न ह – (i) माप लागत

(11)
लेखांकन (Standard costing) (ii) बजट नयं ण (Budgetary control) (iii)
क म नयं ण (Quality control) आ द।
(4) बजट नयं ण (Budgetary control) : बजट नयं ण बजट क सहायता से
नयं ण क एक ा व ध है। सव थम एक नि चत अव ध के लए बजट तैयार कया
जाता है। फर उस अव ध क समाि त पर वा त वक प रणाम क बजट से तु लना क
जाती है। तु लना के आधार पर दोन म अ तर को ात कया जाता है। जहां आव यक
हो उ ह दूर करने के लए आव यक कदम उठाये जाते ह।
(5) लागत अंके ण (Cost audit) : िजन यावसा यक सं थाओं म लागत लेखांकन वृहत ्
तर पर लागू कया जाता है वहां लागत अंके ण आव यक हो जाता है। लागत
अंके ण के अ तगत लागत लेख क ग णतीय शु ता क जांच क जाती है तथा
नधा रत स ा त का पालन कया गया है अथवा नह ,ं इसक भी जांच क जाती है।
िजन ोत से लागत स ब धी सू चनाएं एक क गई ह, उनक शु ता क जांच करना,
लागत ववरण प , ेलेख , तवेदन आ द क जांच करना, लागत ात करने क
र तय एवं तकनीक क उपयु तता क जांच करना ब धक के नणय हे तु लागत
लेखांकन प त क जांच करना आ द लागत अंके ण म सि म लत ह।
आई.सी.एम.ए इ लै ड के अनुसार , ''लागत अंके ण लागत लेख का स यापन एवं
लागत लेखांकन योजना के पालन का पर ण है।''

1.4 लागत लेखांकन के उ े य (Objectives of Cost


Accounting)
लागत लेखांकन के भी कु छ नि चत उ े य होते ह। अत: कसी भी यावसा यक या
नमाण सं था म लागत लेखांकन णाल अपनाने से पूव ब धक को इसके उ े य को भल –
भां त समझ कर उ ह यान म रखना आव यक है, िजससे यवसाय के आकार कार तथा
ब धक क आव यकताओं के अनुसार समु चत लागत लेखांकन प त अपनाई जा सके।
लागत लेखांकन के उ े य क या या करते हु ए ड यू. बग ने कहा है क “लागत
लेख का मु ख उ े य, यि त, उपकाय व ध या ठे के आ द काय पर कये गये यय के
व तीय अ भलेख का व लेषण करना है।“
(1) लागत नधारण करना (To Ascertain cost) : कसी भी नमाणी सं था म लागत
लेखांकन अपनाने का मु ख उ े य उस सं था म उ पा दत व तु अथवा दान क गई
सेवा क कु ल लागत तथा त इकाई लागत ात करना तथा उसका समु चत
अ ययन, व लेषण एवं वग करण करना है। सारांश म लागत लेखांकन के मा यम से
एक उ योगप त न न जानकार ा त करना चाहता है :–
(i) कारखाने म कये गये सभी काय , उपाय , याओं, याओं एवं वभाग क
अलग–अलग लागत ात करना।
(ii) कारखाने म न मत व तु ओं क कु ल लागत ात करना।

(12)
(iii) कारखाने म न मत व तु ओं क त इकाई लागत ात करना।
(iv) कारखाने म न मत व तु क कुल लागत का वग करण तथा व लेषण करके
उसम साम ी, म तथा अ य यय का योगदान ात करना।
(2) लागत पर नयं ण करना (To Control over cost) : लागत के साथ–साथ लागत
लेखांकन का दूसरा मह वपूण उ े य लागत नयं ण भी है, िजससे लागत पर
अ धकतम उ पादन करके अ धक से अ धक लाभ अिजत कया जा सके। इस उ े य
क पू त के लए यह आव यक है क उ पादन काय ार भ करने से पूव उस
स भा वत नमाण या उ पादन काय क माप लागत (Stanard cost) अथवा बजट
लागत (Budgeted cost) ात कर ल जाए। त प चात ् उ पादन काय म स भा वत
य, अप यय तथा हा नय पर नयं ण करते हु ए एवं उ पादन तथा ब ध के दोष
को दूर करते हु ए इस बात का यास कया जाता है क वा त वक उ पादन लागत पूव
नधा रत माप लागत अथवा बजट लागत से अ धक नह ं हो।
(3) लागत म कमी करना (To Reduce the cost) : आधु नक ती त पधा मक
युग म व तु क ब को बढ़ाने अथवा बनाये रखने के लए यह आव यक है क
नमाणकता न मत व तु के गुण को यथावत कायम रखते हु ए उसक उ पादन लागत
कम करने के हर संभव यास करता रहे।
(4) व य मू य या टे डर मू य नधा रत करना (To determine sale price or
tender price) : एक नमाणी सं था म उ पा दत व तु के लागत नधारण एवं
नयं ण के अ त र त उ चत व य मू य या टे डर मू य भी नधा रत करना
आव यक है ता क आज के ती त पध बाजार म उ पाद क ब भी स भव हो
सके तथा नमाणक ता को पया त लाभ भी मलता रहे।
(5) नी त नधारण एवं नणय लेने हे तु आधार दान करना (To provide basis for
policy and decision making) : लागत लेखांकन का एक और मह वपूण
उ े य ब धक को लागत स ब धी वे सभी सू चनाएं दान करना है िजनके आधार पर
यवसाय के कु शल एवं अ धकतम लाभदायक संचालन हे तु भावी यावसा यक नी त का
नधारण तथा भ व य के स ब ध म व भ न नणय लेना स भव हो सके।
(6) वैधा नक अ नवायताओं क पू त (To Compliance statutory requirements) :
भारत म कई उ योग म लगी हु ई क प नय के लए लागत लेख रखना क पनी
अ ध नयम के अ तगत के य सरकार वारा अ नवाय कर दया गया है। अत:
वैधा नक आव यकता क पू त के लए भी लागत लेखे रखना ज र हो जाता है।
(7) व तीय ववरण बनाने म सहायता दान करना (To assist in preparation of
financial statements) : लागत लेखांकन वारा ब धक को समय–समय पर
सू चनाएं दान क जाती है जो व तीय ववरण बनाने म सहायक होती है।

(13)
1.5 लागत लेखांकन बनाम व तीय लेखांकन (Cost Accounting
vs financial Accounting)
लागत लेखांकन के अ तगत साम ी, म तथा अ य यय के लेखे रखकर सम त
लागत एवं यय का व लेषण इस कार कया जाता है क येक न मत व तु, सेवा,
उपकाय, या आ द क त इकाई लागत पृथक –पृथक ात हो सके ता क व भ न व तु ओं
या दान क गई व भ न सेवाओं से ा त लाभ अथवा उठाई गई हा न ात करना सरल हो
जाता है। जब क व तीय लेखांकन से आशय यवहार के मौ क प तथा व तीय कृ त क
घटनाओं को एक साथक प से अ भलेखीकरण, वग करण तथा सं तीकरण करने तथा उनके
प रणाम का नवचन करने क कला से है। इस कार व तीय लेखांकन का मु ख उ े य एक
नि चत अव ध म यावसा यक सं था क आ थक ग त तथा उस अव ध के अ त म उसक
आ थक ि थ त ात करने हे तु लाभ– हा न खाता एवं च ा बनाना होता है।
इस कार यह प ट है क लागत लेखांकन तथा व तीय लेखांकन म घ न ठ स ब ध
है तथा वे एक दूसरे के पूरक ह। हॉ क स ने यहां तक कहा है क “सामा य यापा रक खाता
बहु मू य सू चनाओं का ताला लगा हु आ भ डारगृह है, िजसक चाबी लागत लेखांकन है।''

1.6 लागत लेखांकन तथा व तीय लेखांकन म समानताएं


(Similarities in Cost and Financial Accounting)
(1) दोन लेखांकन का एक समान आधार : दोन लेखांकन प तय म यय क सूचनाऐं
एक ह माणक–समू ह (Voucher–set) से ा त होती है।
(2) दोन म ह दोहरा लेखा णाल का योग : दोन ह लेखांकन प तय के अ तगत
लेखा–जोखा रखने म डे बट व े डट करने के नयम का एक समान प से पालन
कया जाता है।
(3) दोन ह प तय के लेख से लाभ–हा न का ान : लागत लेखांकन तथा व तीय
लेखांकन दोन ह प तय से एक नि चत अव ध के अ त म लाभ अथवा हा न क
जानकार ा त हो सकती है।
(4) दोन ह प तय म लेख से न कष क पछले वष के न कष से तु लना : इस
कार दोन ह प तय के अ तगत यवसाय क सफलता एवं ग त का तु लना मक
व लेषण तथा मू यांकन कया जाता है, जो यवसाय के लए भावी योजनाओं म
सहायक स होता है।
(5) दोन ह व धय म य एवं अ य सभी यय का लेखा : लागत लेखांकन एवं
व तीय लेखांकन प तय म लेखा करते समय य (Direct) एवं अ य
(Indirect) सभी यय को यान म रखा जाता है।
(6) दोन ह लेखांकन उ पादन प म एवं व य स ब धी भावी नी त नधारण म सहायक
: लागत लेखांकन एवं व तीय लेखांकन दोन के ह न कष यवसाय म उ पादन एवं

(14)
यापार स ब धी भावी योजनाएं तथा नी त नधारण म एक मह वपूण आधार दान
करते ह।
(7) दोन ह व य मू य नधारण म सहायक : लागत लेख एवं व तीय लेख दोन म ह
पूण सू चनाएं उपल ध होती ह िजनक सहायता से उ चत व य मू य नधारण संभव
हो सकता है।

1.7 लागत लेखांकन एवं व तीय लेखांकन म असमानताएं


(Dissimilarities in Cost and Financial Accounting)
यघ प लेखांकन क ि ट से लागत लेखांकन एवं व तीय लेखांकन म बहु त–सी
समानताओं क ऊपर या या क गयी है, फर भी दोन प तय म कु छ मू लभूत न न अ तर
या असमानताएं कट होती ह–
लागत लेखांकन व तीय लेखांकन
1. इसम केवल उन मद का लेखा करते ह 1. इसम आयगत, ययगत सभी मद का
जो क व तु के उ पादन या सेवा क लेखा करते ह जैसे याज, बोनस,
लागत को भा वत करती है। कमीशन आ द।
2. यह हर बार लाभ–हा न क जानकार दे ता 2. यह ाय: केवल वष के अ त म ह
है। वष म कतनी बार भी लागत प लाभ–हा न क जानकार को है।
बनाये जाते ह।
3. इसम अनुमा नत यय को दखाते ह। 3. इसम केवल वा त वक यय को ह
दखाते ह।
4. इसम येक उ पाद के लए अलग– 4. इसम येक उ पाद पर अलग–अलग
अलग.लाभ–हा न ात कर सकते ह। लाभ–हा न ात नह ं कर सकते बि क
सामू हक प से ात होता है।
5. इसम लागत ात येक करने के साथ– 5. इसम केवल यय का लेखा करते ह,
साथ व य मू य का भी नधारण कया व य मू य का नह ं करते ह।
जाता है।
6. लागत लेखांकन साम ी, म तथा यय 6. व तीय लेखांकन रोकड़ पर नयं ण
पर नयं ण रखता है।6. लागत लेखांकन रखता है।
साम ी, म तथा यय पर नयं ण
रखता है।
7. ये लेखे नमाणी सं थाएं ह रखती ह। 7. ये लेखे सभी सं थाएं रखती ह चाहे
नमाणी हो या यापा रक।
8. इस व ध म सामा य च ा नह ं बनता। 8. इसम च ा भी बनता है जो आ थक
ि थ त क जानकार है।
9. लागत लेखे व तीय लेख के सहायक 9. ये लेखे यवसाय' के धान लेखे होते ह।

(15)
कहे जा सकते ह।
10. इन लेख से व तु नमाण स ब धी 10. ये लेखे व तु स ब धी नणय म सहायक
नणय आसानी से लये जा सकते ह। नह ं ह।
11. ये लेखे व तु उ पादन नी त के नमाण म 11. ये लेखे व तीय योजना बनाने म
सहायक होते ह। सहायक होते ह।
12. इन लेख से सं था क लाभाजन शि त 12. इन लेख से लाभाजन के अतर त
मापी जा सकती है। सं था का कर दा य व करने म भी
सहायता मलती है।
13. इन लेख से वभ न वभाग क 13. इन लेख से कायकुशलता नह ं मापी जा
कायकु शलता मापी जा सकती है। सकती है।

1.8 लागत लेखांकन बनाम ब धक य लेखांकन(Cost Accounting


v/s Management Accounting)
िजस तरह व तु क नमाण या म लागत लेखांकन का अपना मह वपूण थान
होता है ठ क उसी कार ब धक य लेखांकन का भी यवसाय के आ त रक ब ध
नय ण म बहु त अ धक मह व होता है। इन दोन व धय से हम जब चाहे लाभ क
जानकार कर सकते ह। वैसे वा तव म लागत लेखांकन तो ब धक य लेखांकन का
एक मह वपूण अंग है। ब धक य लेखांकन का मु ख काय तो उपकाय क लागत,
म, व त आ द सूचनाएं ा त कर उनका नवचन करके भ व य के लए नी त
नधा रत करना होता है।

सारांश प म लागत लेखे ह ब धक य लेख को ज म दे ते ह, िजसके बना उ े य


को ा त करना अस भव होता है।
व तीय लेखांकन, लागत लेखांकन तथा ब धक य लेखांकन पर पर एक दूसरे पर
आ त ह तथा एक खृं लाब प म आधु नक यावसा यक फम के उ े य को पूरा
करने म एक दूसरे के पूरक के प म यु त होते ह। लेखाशा क इन तीन
शाखाओं का स ब ध न न चाट म द शत कया गया है–

1.9 लागत लेखांकन का मह व अथवा लाभ (Important or


Advantages of Cost Accounting)
लागत लेखांकन का ज म व तीय लेखांकन क प रसीमाओं के कारण ह हु आ है।
व तीय लेखांकन के मा यम से सं था के कु ल लाभ–हा न का ान तो हो जाता है

(16)
पर तु यय के वग करण एवं व लेषण के अभाव म वभ न वभाग उ पाद एवं
इकाइय क अलग–अलग लागत ात नह ं क जा सकती है। जब कसी व तु क
लागत ात न हो तो उसका टे डर मू य या उ चत व य मू य कैसे नधा रत हो
सकता है! लागत लेखांकन का मु ख उ े य ह ब ध को ऐसा आधार दान करना है
िजससे वह यापार का नयं ण एवं संचालन अ धक से अ धक कायकुशलता एवं
मतापूवक कर सक। लागत लेखांकन से उ पादक को तो य प से लाभ ा त
होता ह है। इसके अ त र त समाज के अनेक प को जैस–े ब धक को कमचा रय
को, व नयोजक एवं ऋणदाताओं को, उपभो ताओं को, सरकार को एवं जनसाधारण को
अ य प से लाभ ा त होते ह, िजनको सारांश प म आगे चाट के प म दशाया
गया है –

1. उ पादन के 1.उ चत मजदू र एवं 1.लागत ले खांकन से सं था 1. यू नतम मू य 1.बडी–बडी


े म बोनस का भु गतान क लाभदायकता क पर सव तम औ यो गकयोजनाओं
जानकार व तु ओं क ाि त के या वयन म
सु वधा
2. शासन के 2. च के अनु सार 2. व नयोग के मू य म 2.औ यो गक 2. जनता को
े म काय– वभाजन नर तर वृ ि थरता आ द
उ चत मू य पर
व तु दलाने म
सहायक

3. व य एवं 3. काय करने के लए 3. व नयोग क रा श क 3. मक को


वतरण के े म उ तम ववरण सु र ा के त कोई खतरा उ चत वे तनमान
नह ं एवं बोनस दलाने
म सहायक
4. ले खांकन के 4. मक क वशेष 4. व नयोग को बे चने म 4. मा लक क
े म श ण म सु वधा होने सु वधा मु नाफा–खोर पर
से कायकुशलता म वृ नयं ण म सहायक
5. लाभ–हा न के 5. मान सक संतोष
स ब ध म
6. अ य सामा य 6. अ य अ य लाभ
नणय ले ने के
स ब ध म

(17)
1.10 लागत लेखांकन – वभ न ि टकोण (Cost Accounting–
Various Approaches)
वभ न ब ध याओं म लागत लेखांकन क भू मका क ववेचना करने पर यह
न कष नकलता है क लागत लेखांकन को ब ध क सेवा एवं सहायता करनी
चा हए। यह एक (Inescapable) त य है। अत: इसे सभी लागत प तय का आधार
होना चा हए।
वतमान युग म लागत लेखांकन के त तीन ि टकोण तु त कये जाते है, जो
न न ल खत ह–
(1) पर परागत ि टकोण (Convention Approach) : इस ि टकोण को लागत–
अ भमु ख ि टकोण (Cost oriented approach) भी कहा जाता है, य क यह
लागत क , व नमाण क दो प ि तयो– उपकाय एवं या, पर ह बल दे ता है। इस
ि टकोण क इस आधार पर आलोचना क जाती है क सभी उप म उपकाय एवं
' या' वाले उप म के वग म सि म लत नह ं कये जा सकते, तथा प यह
ि टकोण ह सामा यतया वीकृ त कया जाता है।
(2) संरचना मक ि टकोण (Structural Approach) : यह पर परागत लागत अ भमु ख
ि टकोण का एक वैकि पक ि टकोण है जो संगठन क संरचनाओं के अ ययन पर
आधा रत है। इसके अ तगत लागत के त व , साम ी, म एवं उप र यय का अ ययन
करने तथा उनके लए काय व धय एवं प तय क रचना करने के बजाय, कये जाने
वाले यवसाय क संरचना अथात ् काय–इकाइय , पर यान दया जाता है। इस
ि टकोण के अनुसार लागत लेखांकन प त अपनाने पर यावसा यक संगठन का
तकसंगत वग करण स भव हो पाता है, य क इसके अ तगत मा यता के थान पर
क सभी यवसाय एक कार के ह, इस त य पर आर भ से ह बल दया? है क वे
अलग–अलग कृ त के ह।इस मा यता के आधार पर वश ट यवसाय को ि टगत
रखकर उसके लए ऐसी लागत लेखांकन प त क संरचना करना सरल हो जाता है,
िजसको स बि धत सं था स भवतः लागू करने म स म होती है।
(3) स पूण प त ि टकोण (Total System Approach) : लागत लेखांकन के
स ब ध म यह तीसर अवधारणा है। इस ि टकोण के अनुसार यवसाय के अ तगत
सभी आव यकताओं के लए सू चनाएं सं हत क जाती है। व भ न उ े य क पू त के
लए उनका उपयोग कया जाता है। यवहार म लागत लेखाशा पूणतया एक कृ त
ब ध सू चना प त का एक भाग होता है।
लागत लेखांकन के स ब ध म उपयु त तीन ि टकोण ाय: लागत का उनके मु य
त व के आधार पर वग करण क आव यकता पर बल दे ते ह। पर परागत ि टकोण
के अनुसार यवसाय का कायानुसार वभागीकरण–उ पादन, व य एवं वतरण, शासन
तथा शोध एवं वकास वभाग के प म आव यक है। लागत के क थापना और

(18)
उ तरदा य व लेखांकन (Responsibility Accounting) भी इस ि टकोण क
मह वपूण अ नवायताएं ह।

1.11 लागत लेखांकन णाल क थापना के व आ ेप


(Objections against the Installation of Cost
Accounting System)
लागत लेखांकन तथा उसक णाल क थापना के व ाय: लगाये जाने वाले
आरोप इस कार है –
(i) लागत नधारण क अनुपयु त। व धय को अपनाने पर ा त प रणाम अस तोषजनक
होते ह।
(ii) केवल लागत स ब धी सू चनाओं एवं समंको के व तृत व लेषण क आव यकता क
पू त करने के लए लागत लेखा णाल क थापना पर अनाव यक यय होता है।
(iii) तकनीक क ठनाइय के कारण लागत लेखांकन क सफलता क आशा नह ं क जा
सकती है।
(iv) लागत लेखा णाल पयवे क (Supervisors) एवं मक के म य पार प रक संघष
का कारण बन जाती है।

1.12 लागत लेखांकन क सीमाएं (Limitations of Cost


Accounting)
य य प लागत लेख का उपयोग आज के त पधा मक युग म अ य त आव यक है,
पर तु इसक पूण सफलता ा त करने के लए इसक सीमाओं का यान रखना भी
आव यक है। इसक मु ख सीमाएं न न कार है –
1. उ च ब धक का सहयोग आव यक (Support of Top Management
Necessary) : इस णाल को लाग करने से पूव यह आव यक है क सभी अ धकार
एवं कमचार तथा मक पूण प से च लेकर इसे समझ एवं सहयोग कर। य द
वभ न ेणी के कमचा रय का आपस म सहयोग नह ं होगा तो यह णाल सफल
नह ं हो सकती।
2. कमचा रय एवं मक को पूण श त करना (To Provide Complete
Training to Employees and Workers): इस णाल को लागू करने से पूव
स बि धत यि तय को श त करना चा हये अ यथा उनके वारा कये गये काय
से आव यक व सह प रणाम ान नह ं ह गे।
3. व तीय लेख का त थापन नह ं (No Replacement of Financial
Accounts): लागत लेख का उ े य यवसाय म लागत का नयं ण करना, उ पादन
पर नयं ण करना, मक क काय मता पर पूरा यान रखना एवं सह लागत ात
करना है। इस कार इनका उ े य व तीय लेख को त था पत करना नह ं होता।

(19)
1.13 आदश लागत लेखांकन प त क वशेषताएं (Characteristice
of an Ideal System of Cost Accounting)
कसी सं था वारा अपनाई गई तथा था पत क गई लागत लेखा प त के आदश
होने के लए उसम न न ल खत वशेषताओं का होना आव यक है –
1. सरलता (Simplicity): लागत लेखांकन के उ े य क पू त करने के लए यावसा यक
सं था के यि तय का सहयोग ा त करना आव यक है। यह सहयोग उसी समय
मल सकता है जब क सं था म वभ न तर पर काय करने वाले यि तय को
उसक काय– व ध समझना सरल हो।
2. शु ता (Accuracy) : लागत लेखांकन क उपयो गता उसक शु ता पर करती है। य द
लागत लेख से नकाले गये प रणाम एवं न कष अशु ह गे, तो भावी अनुमान भी
अशु ह गे िजसके प रणाम व प भावी नयोजन एवं काय म आशानुकू ल लाभ न दे
सकगे। अत: वांछनीय लाभ के लए लागत लेख का पया त प से शु होना
आव यक है।
3. लोचशीलता (Elasticity) : लागत लेखा प त म प रि थ तय म प रवतन होने पर
आव यकतानुसार घटने व बढ़ने क मता होनी चा हए अथात ् अपनाई गई प त ऐसी
नह ं होनी चा हए क वह एक ह प रि थ त म उपयु त हो और साधारण से प रवतन
मा पर अनुपयु त हो जाये।
4. अनुकू लता (Adaptability) : व भ न यवसाय क आव यकताएं भ न– भ न होती
है। अत: येक यवसाय के लए अपनाई जाने वाल लागत लेखा प त के लए यह
आव यक है क वह उस यवसाय क वशेषताओं के अनुकू ल हो तथा उसम यह
वशेषता हो क वह उस यवसाय के स ब ध म सम त सूचनाएं दान करती रहे ।
5. मत य यता (Economy) : कसी भी यवसाय के लए अपनाई गई लागत लेखा
प त अ धक ययपूण नह ं होनी चा हए। इससे ा त होने वाले य तथा अ य
लाभ उस पर कये गये यय से अ धक होने चा हए।
6. तु लना मकता (Comparability) : लागत लेखा प त म तु लना मक वसलेषण क
या का होना आव यक है। इससे यय एवं लागत को नयं त करने तथा सं था
क म वृ करने म सहायता मलती है। अत: लागत लेखे इस कार लखे जाने
चा हए क के येक तर व अव था म यय क तु लना अ य वष या पछल अव ध
से क जा सके तथा यय पर नयं ण रखा जा सके।
7. शी दान करने क मता (Prompt in the presentation of Reports) :
लागत लेखा प त ऐसी होनी चा हए क कसी भी समय चाहे काय पूरा हो अथवा न
हु आ हो, लागत यय से स बि धत सभी सूचनाएं शी मल सके तथा कसी भी समय
यवसाय से होने वाले लाभ–हा न का अनुमान लगाया जा सके।

(20)
8. यय का उ चत एवं सह वग करण एवं व लेषण (Fair Classification and
Analysis of Expenses) : लागत लेखांकन क सफलता के लए यह आव यक है
क उ पादन, शासन तथा व य एवं वतरण स ब धी यय का उ चत एवं सह
बंटवारा कया जाये िजससे व भ न उ पादन पर इन यय का उ चत भार पड़े तथा
उनक कु ल एवं त इकाई लागत का ठ क ान ा त हो सके।
9. व तीय लेख से मलान यो य (Capable of Reconciliation with Financial
Accounts): व तीय लेखे तथा लागत लेखे दोन ह लाभ अथवा हा न क ओर संकेत
करते ह।पर तु दोन के प रणाम समान नह ं होते। अत: लागत लेखांकन प त ऐसी
होनी चा हए िजसम व तीय लेख वारा कट कये गये प रणाम क तु लना लागत
लेख वारा ात कये गये प रणाम से क जा सके और अ तर के कारण ात करके
उनका मलान कया जा सके।
10. लागत लेखांकन काय के लए सहयोग एवं समथन (Assistance and Support
for Costing System): लागत लेखांकन प त का संचालन अनेक यि तय के
सहयोग से ह स भव हो सकता है। अत: उ तरदा य व स पने के लए यह आव यक है
क येक यि त अपने काय–भार के स ब ध म पूण ान रखता हो। य द लागत
लेखांकन को येक यि त का समथन ा त होगा तो लेखांकन काय वभ न
यि तय म बांटने तथा उनसे उसक नय मत प म पू त कराने म सरलता होगी।

1.14 लागत ात करने क व धयाँ (Methods of Ascertainment


of Cost)
कसी व तु क लागत ात करने क व ध उ योग क वशेषताओं तथा न मत व तु
क कृ त पर नभर करती है। लागत ात करने क मु ख व धयां न न ल खत ह :–
1. उपकाय लागत व ध (Job costing) : उपकाय लागत लेखा व ध उस थान पर
यु त होती है जहां नमाण काय व उपकाय अलग–अलग होते ह और जहां एक ह
कार का उ पादन बार–बार नह ं होता है। यह एक ऐसी व ध है िजसका योग ऐसे
अ मा णत उपकाय (Non–standard jobs) जो ाय: ाहक के आदे शानुसार पूरे
कये जाते ह, क लागत ात करने हे तु कया जाता है, जैसे – ि टं ग ेस, वकशाप,
फन चर उ योग, यापा रक ढलाईखाने (Foundaries) आ द। यहां येक उपकाय के
लए एक अलग खाता खोला जाता है और सभी स बि धत काय को इस खाते से
स बि धत कया जाता है।
2. ठे का लागत व ध (Contract costing) : ठे का लागत व ध बड़े नमाण काय से
स बि धत लागत ात करने क व ध है। इसके वारा येक ठे के क लागत और
उस पर होने वाले लाभ अथवा हा न को ात कया जाता है। इस व ध म ठे के पर
काय कराने वाले यि त या सं था को ठे केदाता (Contractor) तथा ठे के पर काय
करने वाले यि त या सं था को ठे केदार (Contractor) कहते ह। यह वध

(21)
सामा यत: भवन बनाने वाल , जहाज नमाताओं, सड़क या बांध बनाने वाल आ द के
वारा अपनाई जाती है।
3. लागत जोड व ध (Cost–plus Method) : इस व ध म ठे के क रा श अनुब
वारा पूव नधा रत नह ं होती है बि क ठे के पर खच क गयी वा त वक रा श म एक
नि चत तशत लाभ जोड़कर ठे का मू य ात कया जाता है।
4. इकाई लागत व ध (Unit costing): यह व ध वहां अपनायी जाती है जहां उ पा दत
व तु ओं क इकाइयां एक समान होती ह तथा नमाण काय नर तर चलता रहता है।
यहां उ पादन क त इकाई लागत ात करने के लए कु ल यय म उ पादन क
कु ल मा ा का भाग दे दया जाता है। यह व ध ट के भ े , कोयले क खान , सीमे ट
उ योग तथा कागज के कारखान म यु त होती है।
5. प रचालन लागत व ध (Operating costing) : प रचालन लागत व ध का योग
उन सं थान म कया जाता है जो व तु ओं का उ पादन नह ं करते बि क वभ न
कार क सेवाएं दान करते ह।वा तव म प रचालन लागत सेवा दान करने क
लागत है। यह व ध प रवहन नगम, व युत म डल जलदाय वभाग, या ा क पनी,
कै ट न, सनेमा, होटल, कू ल, कॉलेज, अ पताल आ द के वारा यु त होती है।
6. समू ह लागत व ध (Batch costing): इस व ध का योग ऐसे उ योग म कया
जाता है जहां उ पादन काय को बहु त से समू ह म वभािजत कर दया जाता है। यहां
व तु ओं के समू ह क लागत ात क जाती है। यह वध ब कु ट, दवाईय ,
इ जी नय रंग कारखान आ द म यु त होती है।
7. या लागत व ध (Process costing method): य द कसी व तु को उ पादन
के व भ न तथा पृथक –पृथक चरण म से होकर गुजरना पड़ता है तो येक चरण पर
उ पादन क लागत ात करने के लए या लागत व ध अपनाई जाती है। यहां
येक या के लए अलग–अलग खाता खोला जाता है। यह व ध चीनी, साबुन,
व फोटक पदाथ, तेल, पे ोल, वन प त घी, रासाय नक पदाथ, खा य पदाथ आ द
उ योग म यु त होती है।

1.15 लागत ात करने क तकनीक (Techniques of Costing)


लागत ात करने क उपयु त व धय के अ त र त ब धक वारा लागत लेखांकन
क न नां कत ा व धया भी लागत नय ण करने तथा कु छ मह वपूण ब धक य
नणय लेने हे तु योग म लाई जाती ह। ये लागत ात करने क वत प तयां
नह ं ह, बि क मू लत: लागत ा व धयां ह जो लागत ात करने क व धय म से
कसी के भी साथ ब धक के वारा नणय लेने म यु त क जा सकती है।
1. माप लागत व ध (Standard costing) : माप लागत व ध का स ब ध लागत
ात करने के समय से है। इस ा व ध के अ तगत कसी व तु का नमाण होने से
पूव ह उसक लागत का माप नधा रत कर दया जाता है। माप लागत कसी व तु
का नमाण होने से पूव उसक लागत का पूवानुमान होती है। जब उस व तु का

(22)
नमाण हो जाता है तो उस व तु क वा त वक लागत ात कर ल जाती है। व तु क
वा त वक लागत उसक माप लागत से कम या अ धक हो सकती है। वा त वक
लागत और माप लागत म अ तर के कारण का व लेषण कया जाता है और य द
वा त वक लागत अ धक है तो उसे नयि त करने के यास कये जाते ह।इस कार
माप लागत व ध से आशय माप लागत को नधारण करने, उसक वा त वक
लागत से तु लना करने तथा अ तर के कारण और भार के ब दुओं का व लेषण
करने से है।
2. सीमा त लागत व ध (Marginal costing) : कसी व तु क सीमा त लागत ात
करना तथा यह ात करना क कसी व तु के उ पादन तथा ब क मा ा म
प रवतन का लाभ पर या भाव पड़ेगा, सीमा त लागत नधारण कहलाता है। कसी
व तु क वतमान उ पादन मा ा म एक इकाई क वृ करने से कु ल लागत म जो
वृ होती है उसे उस व तु क सीमा त लागत कहते ह।उदाहरणाथ, माना क कसी
व तु क 100 इकाइय क कु ल लागत 1,000 . है। य द 101, इकाइय का नमाण
करने पर लागत 1007 . हो जाती है तो 7 . उस व तु क सीमा त लागत होगी।
उ पादन के सम त खच म कु छ खच ि थर वभाव के होते ह और कु छ खच ऐसे
होते ह जो उ पादन बढ़ने के साथ बढ़ते ह और घटने के साथ घटते ह। दूसरे वभाव
वाले खच प रवतनशील खच कहलाते ह और व तु क सीमा त लागत म केवल इ ह ं
खच का यान रखा जाता है। सीमा त लागत ा व ध म ि थर खच लाभ–हा न खाते
को डे बट कये जाते ह, न क व तु क लागत को।
3. य लागत व ध (Direct costing) : उ पादन याओं तथा उ पाद क लागत म
केवल य लागत को शा मल करना तथा अ य लागत को लाभ–हा न खाते से
अप ल खत करने के लए छोड़ दे ना, य लागत नधारण कहलाता है। यह सीमा त
लागत नधारण से इस बात से भ न है क कु छ ि थर लागत को भी उ चत
प रि थ तय म य लागत समझा जा सकता है।
4. अवशोषण लागत व ध (Absorption costing) : य द उ पादन याओं तथा उ पाद
क लागत म ि थर और प रवतनशील सभी खचा को सि म लत कर दया जाता है तो
इसे' अवशोषण लागत नधारण कहते ह। इसे स पूण लागत नधारण (Total
costing) भी कहते ह, य क इस व ध के अ तगत स पूण लागत उ पादन को चाज
कर दया जाता है।
5. सम प लागत व ध (Uniform costing) : य द व भ न सं थाओं वारा एक ह
कार के लागत स ा त एवं याओं को अपनाया जाता है तो इसे सम प लागत
कहते ह। इस ा व ध से पार प रक तु लना म सहायता मलती है।

(23)
1.16 लागत लेखांकन णाल क पू व आव यकताएं (Pre–requisites
of Cost Accounting System)
लागत लेखांकन क आदश णाल लागू करने से पूव न न आव यकता, का पूरा होना
आव यक है:–
1. उ पा दत क जाने वाल व तु के वषय म पूण जानकार होनी चा हए।
2. लागत इकाई का चु नाव करना भी आव यक है।
3. लागत स ब धी सू चनाएं ा त करने हे तु लागत के क थापना क चा हए।
4. लागत के व भ न त व अथात ् साम ी, म व उप र यय आ द के क उ चत यव था
हो।
5. साम ी क ाि त व उसके नगमन पर पूण नयं ण रखने हे तु के अ भलेखन क
समु चत यव था हो।
6. म के भु गतान पर नय ण क पूण यव था हो।
7. उप र यय के अनुभाजन (Allocation) एवं अवशोषण (Absorption) के लए उ चत
नी त का नधारण हो ता क व भ न उ पाद पर उप र यय का यायो चत भार पड़े
तथा उनक कु ल एवं त इकाई लागत का सह ान ा त हो सके।
8. लागत लेखा णाल म िजन प का योग कया जाना है, उनको एक उ चत ा प
म मु त करा लेना चा हए।
9. लागत लेखा णाल पर उ चत नयं ण हे तु आंत रक नयं ण क यव था होनी
चा हए।
10. लागत लेखा णाल एवं व तीय लेखा णाल म रखे गये लेख के प रणाम म अ तर
आना वाभा वक है, अत: इन दोन के मलान हे तु उ चत यव था होनी चा हए।

1.17 लागत लेखांकन वध था पत करने के लए अपनाई जाने


वाल या (Procedure to Install a Costing System)
लागत लेखा प त था पत करने से पूव पूव त व णत आव यकताओं को पूरा करना
चा हए। लागत लेखा प त था पत करते समय लागत लेखापाल को न न त य को
यान म रखना चा हए:–
1. वतमान संगठना मक ढांचे म कम से कम प रवतन कए जाएं।
2. लागत लेखा णाल को मब प से लागू कया जाए।
3. केवल आव यक लागत स ब धी प ह बनाएं जाएं इनक अ धकता होने से
काय मता पर तकू ल भाव पड़ सकता है।
उपयु त त य को यान म रखते हु ए लागत लेखा णाल क थापना के लए
न न ल खत या अपनानी चा हए:–

(24)
1. तकनीक वशेषताओं का अ ययन: लागत लेखांकन व ध का चु नाव उस सं थान क
तकनीक वशेषताओं पर नभर करता है, अत: लागत लेखापाल को सव थम इस
स ब ध म अ ययन करना चा हए। तकनीक वशेषताओं म साम ी का वभाव, उसका
बाजार, उसको न मत माल म प रवतन करने के लए उपल ध वैकि पक याएं,
म का वभाव, म का श ण, अ य मु ख खच का वभाव, ला ट क मता,
गोदाम क मता, न मत व तु क मांग आ द बात का समावेश कया जाता
2. लागत लेखा व ध का चु नाव: लागत लेखा क एक आदश णाल म जो गुण होने
चा हए, इन सब को यान म रखते हु ए लागत लेखापाल को उस सं थान के लए
सवा धक उपयु त णाल का चयन करना चा हए।
3. लागत के का नधारण: एक लागत के , एक वभाग, अनुभाग , उपकरण, मशीन,
यि त अथवा यि तय का समू ह होता है िजसके स ब ध म लागत स ब धी आकड़े
इक े कये जाते ह और िजन पर लागत नय ण लागू कया जा सकता है। इस
कार लागत के म सम त यि तय , स पि तयीं और उ योग के काय े का
समावेश हो जाता है।
लागत के को इन श द म प रभा षत कया जाता है:–
“लागत के एक यवसाय म उससे स बि धत कोई थल या यि त या उपकरण क
मद (या इनका समू ह) होता है िजसके स ब ध म लागत ात क जाती है और
िजसका उपयोग नय ण के लए कया जाता है।”
इस कार यह कहा जा सकता है क लागत के से ता पय ऐसे कसी भी के से
है, िजस पर होने वाले कु ल खच का हसाब रखा जाये ता क उस के क कु ल लागत
ात क जा सके और उस पर नय ण था पत कया जा सके। इस ि टकोण से
लागत के न न ल खत वग म वभ त कये जा सकते ह:–
(i) अ यि तगत लागत के (Impersonal cost Centre) : इस कार के
लागत के म कोई थान या उपकरण या मद सि म लत कया जाता है।
जैसे, य द भ डार, गोदाम अथवा कसी वभाग के स ब ध म यह ात
कया जाता है क उस पर कु ल कतनी लागत आई है तो यह थान या
थल से स बि धत लागत के होगा। य द कसी ला ट या मशीन के
स ब ध म कु ल लागत ात क जाती है तो यह उपकरण से स बि धत
लागत के होगा।
(ii) यि तगत लागत के (Personal cost Centre) : यि तगत लागत
के एक यि त या यि तय का समू ह होता है। जैसे य द कसी वभाग
के फोरमैन, व य त न ध आ द के आधार पर लागत का हसाब रखा
जाता है, तो उसको यि तगत, लागत के कहा जायेगा।
(iii) प रचालन लागत के (Operation cost Centre) : प रचालन लागत
के म वे मशीन अथवा यि त शा मल कये जाते ह जो एक समान

(25)
याओं को कायाि वत करते ह। उदाहरणाथ, य द एक ह कार क व तु ओं
का उ पादन करने के लए कई मशीन लगाई गई ह तो इन सब मशीन को
एक लागत के म शा मल कया जा सकता है और सब मशीन वारा
उ प न व तु ओं क एक साथ लागत ात क जा सकती है।
(iv) या लागत के (Process cost Centre) : य द कसी यवसाय म
होने वाल व भ न सं याएं कसी नर तर अनु म म होती ह तो उनके
लए था पत लागत के को या लागत के कहा जाता है।
लागत लेखा व ध क थापना के लए लागत के का नधारण आव यक है, ता क
येक के पर होने वाल लागत ात क जा सके और उस पर उ चत नय ण
था पत कया जा सके।
4. लागत इकाई का नधारण – लागत इकाई से ता पय उ पादन, सेवा या समय क उस
इकाई से है िजसके स ब ध म लागत ात क जाती है और अ भ य त क जाती है।
लागत के और लागत इकाई म अ तर को अ छ तरह समझ लेना चा हए। लागत
के का स ब ध थान, यि त, उपकरण आ द से होता है जब क लागत इकाई का
स ब ध व तु, सेवा या समय क मा ा से होता है। एक लागत के पर कई इकाइय
का उ पादन हो सकता है। एसी ि थ त म लागत के पर हु ई कु ल लागत के साथ
त इकाई लागत भी ात क जाती है। लागत इकाई साधारण (Simple) अथवा
संयु त (Composite) हो सकती है। त दजन, त टन, त मीटर आ द साधारण
इकाई के उदाहरण ह जब क त या ी कलोमीटर संयु त इकाई का उदाहरण ह।

1.18 लागत लेखा वभाग का संगठन (Organisation of Costing


Department)
येक सं था क संगठन संरचना अलग–अलग होती है और इसी के साथ लागत लेखा
वभाग का थान भी अलग–अलग हो सकता है। संगठन संरचना से येक वभाग के एवं
उ तरदा य व कट होते ह। संगठन संरचना को उ चत प से तु त करने के लए चाट का
योग कया जाता है। इस चाट को दे खकर यह आसानी से ात कया जा सकता क कौन सा
वभाग या अ धकार कसके त जवाबदे ह है। संगठन का समि वत वकास होने पर
उ तरदा य व लेखांकन (Responsibility Accounting) के ि टकोण को अपनाया जा सकता
है।

(26)
उपरो त चाट से प ट है क लागत लेखा वभाग नय क के दशा नदश पर काय
करता है।

1.19 लागत वग करण (Classification of Cost)


येक व तु का नमाण करने म व भ न कार के यय होते ह। इसी कार सेवा क
पू त म भी कई यय कए जाते ह। ये सभी यय उस व तु क लागत म शा मल कए जाते
ह। मु यत: कसी भी व तु के नमाण म साम ी, म व अ य यय का योगदान होता है।
इन व भ न यय का वग करण ह लागत का वग करण (Classification) कहलाता है। िजन
मू ल वग (Primary Groups) म लागत को वभ त कया जाता है उ ह लागत के त व
(Elements of cost) कहते ह। त व का अ भ ाय कसी व तु के अंग अथवा आव यक भाग
से है। अत: कसी व तु क लागत के त व का आशय उन सभी यय से है, िजससे उस व तु
क कु ल लागत बनती है। दूसरे श द म, लागत के त व का आशय उन साधन पर कए गए
यय या उनक लागत से है, िजनक सहायता से कसी व तु का नमाण कया जाता है।

1.20 लागत के त व (Elements of Cost)


ये त व न न ल खत ह।
1. साम ी लागत (Material cost): कसी व तु के नमाण म जो साम ी उपयोग म
लायी जाती है उसे लागत का थम त व समझा जाता है। इसम उन व तु ओं क
लागत सि म लत क जाती है जो एक यवसाय को दान क जाती है।

(27)
2. म लागत (Labour cost): कसी यवसाय के कमचार को पा र मक दे ने पर जो
खचा होता है उसे मजदूर (Wages) अथवा म लागत कहते ह। इसम मजदूर ,
वेतन, कमीशन, बोनस आ द को सि म लत कया जाता है। इसे लागत का दूसरा त व
माना जाता है।
3. यय (Expenses) – साम ी एवं मजदूर के अ त र त अ य सभी खच मलाकर
लागत के तीसरे त व का नमाण करते ह। इसम कसी यवसाय को दान क गई
सेवाओं क लागत सि म लत होती है। यवसाय म स पि तय के योग क का प नक
लागत को भी इसम सि म लत कया जाता है। जैसे लागत को इन तीन मूल वग म
वभ त कये जाने मा से ह लागत का वग करण पूण नह ं होता है। येक त व को
लागत के या लागत इकाई से स ब ध के आधार पर पुन: दो वग म वभ त कया
जाता है जो य (Direct) एवं अ य (Indirect) खच के प म जाने जाते ह।
अत: वग करण का व प इस कार हो जाता है :–
1. साम ी लागत य साम ी लागत + अ य साम ी लागत
= (Direct Material Cost)
(Material Cost) (Indirect Material Cost)
2. मजदूर लागत य मजदूर +
= अ य मजदूर
(Labour Cost) (Direct Labour Cost)
3. यय (Indirect Labour Cost)
= य यय +
(Expenses) अ य यय
(Direct Expenses)
(Indirect Expenses)

1. य एवं अ य साम ी लागत (Direct and Indirect Material Cost) :


कसी भी यवसाय म साम ी पर होने वाले खच को दो भाग म बांटा जा सकता है :
(i) य साम ी लागत (Direct Material Cost), तथा (ii) अ य साम ी
लागत (Indirect Material Cost)। य द कोई साम ी पूण प से कसी नि चत
लागत के अथवा नि चत लागत इकाई को चाज क जा सकती है तो उस साम ी
क लागत उस के अथवा इकाई के लए य साम ी लागत है। यह यान रहे क
कसी के अथवा लागत इकाई से कोई साम ी य प से तभी स ब क जा
सकती है, जब क येक के अथवा इकाई के लए उस साम ी के उपयोग का अलग–
अलग हसाब रखा जाए।
यवहार म यह पाया जाता है क जो साम ी न मत माल का अंग बन जती है, उसे
य साम ी के प म चाज कया जाता है। ऐसी साम ी के लए आव यक है क
(28)
इसके उपभोग का लागत के अथवा लागत इकाई के अनुसार पृथक –पृथक हसाब रखा
जाए ता क यह मापा जा सके क कसी लागत के अथवा इकाई पर कतनी साम ी
खच क गयी है। य साम ी म ाय: न न ल खत मद को सि म लत कया जाता
है :
(i) कसी व श ट उपकाय या या के लए य क गयी साम ी,
(ii) कसी व श ट उपकाय या या के लए भ डार–गृह से मंगाई गई साम ी,
एवं
(iii) ाथ मक पै कं ग साम ी आ द।
बहु त–सी प रि थ तय म साम ी के उपभोग का अलग–अलग हसाब रखा जाना
यावहा रक अथवा सु वधाजनक नह ं होता है जैसे जब साम ी का मू य कम हो। ऐसी
ि थ त म उस साम ी क लागत को व भ न लागत के अथवा इकाइय म कसी
उ चत आधार पर बांट दया जाता है। ऐसी साम ी पर हु ई लागत को अ य साम ी
लागत कहते ह।

2. य एवं अ य म लागत (Direct and Indirect Labour Cost) : साम ी


क तरह मजदूर पर होने वाले कु ल खच को य (Direct) एवं अ य
(Indirect) दो वग म वभ त कया जा सकता है। य द कोई मजदूर पूण प से
कसी नि चत लागत के अथवा लागत इकाई पर खच क गई है तो ऐसा खच उस
के अथवा इकाई के लए य म, लागत (Direct Labour Cost) अथवा
“ य मजदूर '' (Direct Wages) के प म चाज कया जाता है। इसके वपर त
य द कसी यि त क सेवाओं का उपयोग कई लागत के अथवा कई लागत इकाइय
पर हु आ है और येक के अथवा इकाई पर उसके वारा खच कये गये समय का
हसाब अलग नह ं रखा गया है, तो उस यि त का पा र मक भी लागत के अथवा
इकाइय के लए अ य मजदूर होगा। जैसे भवन का नमाण करने वाले कार गर
एवं सहायक का पा र मक स बि धत भवन के लए य मजदूर है, जब क कई
भवन क दे ख–रे ख करने वाले इंजी नयर का वेतन सभी भवन के लए अ य
मजदूर है और इसे सभी भवन पर कसी उ चत आधार पर बांटा जायेगा।
3. य एवं अ य यय (Direct and Indirect Expenses) : साम ी एवं म
के अ त र त अ य खचा को भी य एवं अ य दो वग म वभ त कया जाता
है। जो खच कसी नि चत लागत के अथवा इकाई के लए कया गया है, वह उस
के अथवा इकाई के लए य खच (Direct Expense) है और िजस खच का
लाभ कई लागत के अथवा इकाइय को मला है, वह खच इन सब के अथवा
इकाइय के लए अ य खच (Indirect Expense) है। उदाहरणाथ, भ न– भ न
नमू ने के चार भवन बन रहे ह और येक के लए भ न– भ न न शा मश: 100
., 150 ., 200 . और 25० . म बनाया गया है। ऐसी ि थ त म येक नमो

(29)
का खच स बि धत भवन के लए य खच है। य द चार मकान एक ह नमू ने के
बन रहे ह और उसके लए 200 . म न शा बनाया गया है तो यह खच चार के
लए अ य खच होगा और मकान पर बराबर बांट दया जायेगा।
लागत के पूव त त व को न न कार द शत कया जा सकता है :–

उपयु त च से प ट है क सभी अ य लागत के योग को उप र यय कहते ह।


अथात ् अ य साम ी + अ य म + अ य यय = उप र यय। अप र यय
को काया मक आधार पर कारखाना उप र यय, कायालय व शास नक उप र यय तथा
व य एवं वतरण उप र यय म वग कृ त कया जाता है जो लागत के कायानुसार
वग करण का मु ख आधार है। इसे आगे समझाया गया है।

1.21 लागत का कायानु सार वग करण (Functional Classification


of Cost)
एक नमाणी सं था के काय को मु ख प से उ पादन काय (Production
Function), शास नक काय (Administrative Function) तथा व य एवं वतरण
काय (Selling and Distribution Function) म बांटा जा सकता है। अत: लागत
का नधारण भी कायानुसार कया जाना यादा तकसंगत है। लागत के व भ न तर
न न होते ह –
(i) य साम ी, य म तथा अ य य यय पर हु ई लागत का योग य
लागत (Directo Cost) अथवा मू ल लागत (Prime Cost) कहलाती है।

(30)
(ii) व तु क मू ल लागत म कारखाना उप र यय (Factory Overhead) जोड़ने पर जो
लागत आती है, से कारखाना लागत (Factory Cost or Works Cost) कहते ह।
व तु क य लागत के अलावा बहु त से अ य यय भी कारखाने म होते ह, जो
क उस समय तक कए जाते ह जब तक क वह व तु कारखाने क या से बाहर
न चल जावे अथात ् कारखाने से बाहर जाने से पूव के सभी अ य यय कारखाना
उप र यय म शा मल कए जाते ह जैसे मशीन सफाई के लए कपड़ा, सू त, मशीन तेल,
छोटे उपकरण, मर मत म यु त साम ी, फोरमेन एवं सु परवाईजर का वेतन,
कारखाना भवन का कराया इ या द। इन खच को कारखाना अ य यय, उ पादन
उप र यय आ द के नाम से भी जाना जाता है।
(iii) व तु क कारखाना लागत म शास नक उप र यय (Administrative Overheads)
जोड़ने पर जो लागत आती है, उसे कायालय लागत (Office Cost) or उ पादन
लागत (Cost of Production) कहते ह। शास नक उप र यय से आशय नद शत
करने एवं नी त नधारण करने क उस लागत से है, जो उ पादन तथा व य से सीधे
स बि धत न हो अथात ् कायालय म यु त अ य साम ी, कायालय कमचा रय का
पा र मक तथा अ य यय को सि म लत कया जाता है जो कायालय प र ध म होते
ह। कायालय म यु त टे शनर , वेतन, कायालय भवन का हास, बीमा, फन चर का
हास, बीमा, पानी एवं अ य सेवाओं पर यय, शास नक उप र यय के उदाहरण ह।
(iv) व तु क कायालय लागत म व य तथा वतरण उप र यय (Selling and
Distribution Overhead) जोड़ने पर जो लागत आती है, उसे कुल लागत (Total
Cost) कहते ह।
व तु ओं क पै कं ग साम ी लागत, व य एजे ट का कमीशन, व ापन यय, नकद
ब ा, एजे सी शाखा के यय, गोदाम का कराया तथा कमचा रय का वेतन, सु पदु गी
वाहन का हास इ या द व य एवं वतरण उप र यय के उदाहरण ह।
वभ न े णय म लागत का वग करण करने एवं उनके पार प रक स ब ध को
न न चाट से समझा जा सकता है :–
Functional Element wise Cost Components Accounting Classification
Classification Classification
Production Cost Direct Cost Direct Material
(Prime Cost) Direct Labour
Cost of Sales or Total Cost

Direct Expenses
Prime
Cost

Selling Price/Sales
Works Cost

Cost of Production

Office Cost or Indirect Cost Manufacturing


Administration (Overhead) expenses
Cost
Selling and Administration
Distribution cost Expenses

Selling Expenses

(31)
R &
D Expenses Distribution Expenses

R & D Expenses
Net Profit Net Profit

नमाण सं थाओं म उ पादन लागत क यवहा रक गणना न न ा प म लागत का


ववरण (Statement of Cost) बनाकर क जा सकती है :–
Statement of Cost (लागत ववरण)
Particular Details Amount
(Rs.) (Rs.)
Opening Stock of Raw Material -
-
Add: Raw Material Purchased
-
Less: Closing Stock of Raw Material -

Raw Material Used


-
Add: Direct Labour

-
Direct Expenses
-
(A) Prime Cost

Add: Works overheads -

Add: Opening Stocks of WIP -

Less: Closing Stock of WIP


-
(B) Factory or Works Cost -

Add: Office or Administrative Overheads -


-
(C) Cost of Production

Add: Opening Stock of Finished Goods -

Less: Closing Stock of Finished Goods -

(D) Cost of Goods sold -

(32)
Add: Selling & Distribution Overheads -

(E) Total Cost or Cost of Sales


-
(F) Sales
-

1.22 वपरख / अ यास न (Exercises)


1. लागत से या आशय है? लागत लेखांकन के मु ख उ े य बतलाइये।
2. लागत क व भ न अवधारणाएं प ट क िजए।
3. लागत ात करने क कौन–कौनसी व धयां ह?
4. प रचालन लागत के से आपका या आशय है?
5. व तीय एवं लागत लेखांकन म भेद प ट क िजए।
6. लागत लेखांकन क ा व धय से आप या समझते ह? क ह ं तीन को प ट
क िजए।
7. “साधारण यापार खाता एक ऐसा ताला लगा हु आ भ डारगृह है िजसम अ य धक
मू यवान सूचनाएं होती है और उसक चाबी लागत लेखा णाल है”, ववेचना क िजए।
8. लागत लेखा णाल क थापना हे तु या को समझाइये।
9. एक आदश लेखा प त म या वशेषताएं होनी चा हए?
10. लागत के त व से या अ भ ाय है? सामा यत: अ य लागत को भाग म बांटा
जाता है?
11. सं त टप णयां ल खए:–
(i) लागत लेखांकन का उ तम एवं वकास
(ii) लागत लेखांकन क सीमाएं
(iii) लागत लेखांकन णाल क पूव आव यकताएं

1.23 उपयोगी पु तक/संदभ ंथ


1. लागत लेखांकन एवं लागत नयं ण: ओसवाल, माहे वर , मौद , गु ता (रमेश बुक डपो,
जयपुर )
2. लागत लेखांकन जैन, नारं ग, प तल (क याणी पि लशस, नई द ल )
3. उ च तर य लागत सम याएं: ओसवाल, मंगल, बदावत (रमेश बुक डपो, जयपुर )
4. लागत लेखांकन: माहे वर एवं म तल (महावीर काशन, द ल )
5. लागत लेखांकन: जैन, ख डेलवाल, पार क (अजमेरा बुक क पनी, जयपुर )
6. Cost Accounting: M.L. Agrawal (अजमेरा बुक क पनी, जयपुर )
7. लागत लेखांकन : बी. के. मेहता (सा ह य भवन, आगरा)

(33)
इकाई – 2 : साम ी और म : (Material and Labour)
इकाई क परे खा :
2.0 उ े य
2.1 साम ी नयं ण
2.2 साम ी नयं ण या
2.3 साम ी भ डारण
2.4 साम ी का लागत लेखा एवं अंके ण
2.5 बल के भुगतान के लए नर ण करना व वीकृ त दे ना
2.6 टॉक नयं ण क व धयाँ
2.7 साम ी क लागत का नधारण
2.8 म नयं ण
2.8.1 उ े य
2.8.2 मक के चु नाव तथा उनक नयुि त
2.9 मक के समय पर नयं ण तथा लेखा
2.10 म लागत व लेषण
2.11 मक आवत
2.12 मजदूर भु गतान क व धयाँ
2.13 ेरणा मक योजनाएँ
2.14 सारांश
2.15 पा रभा षक श द
2.16 वपरख न / अ यास
2.17 यवहा रक न
2.18 संदभ थ
जैसा क आपको व दत है क साम ी और म लागत के दो मु य त व है। लागत
लेखांकन म इन लागत का प रकलन एवं नयं ण दो मह वपूण प है।

2.0 उ े य :
इस अ याय के पहले भाग म आप साम ी के य, भ डारण, नगमन के बारे म ान
ा त करगे त प चात दूसरे भाग म म समय रकाड करना, मजदूर के भु गतान क
व भ न व धयां तथा उनके लेखांकन के बारे म अ ययन करगे।
A साम ी – लागत नयं ण (Material Cost Control)
उ े य – इसका अ ययन करके आप जान सकगे
 साम ी नयं ण क आव यकता एवं उ े य
 साम ी य क या

(34)
 भावी साम ी भ डारण के लए उपयोगी सीमाएं
 नग मत साम ी का मू य नधारण

2.1 साम ी नयं ण (Material Control)


आव यकता
साम ी नयं ण का अथ साम ी क ाि त, भ डारण एवं उपभोग स ब धी नयम के
नधारण तथा इससे स बि धत व भ न याओं को नयमब करने से लया जाता
है ता क साम ी पर अ य धक व नयोग कए बना उ पादन म इसका नर तर वाह
बना रहे। दूसरे श द म साम ी के नय ण का उ े य सह माल, सह मू य पर सह
मा ा म, सह समय पर, सह व े ता से सह माग वारा य करके सह भ डारण
तथा नगमन से है।
उ े य
 नमाण थल म सभी कार क साम ी नरं तर उपल ध हो ता क कसी साम ी
के अभाव से उ पादन न के एवं न ह माल म अ धसं हण से थान एवं पू ज
ं ी
का दु पयोग हो।
 आव यक साम ी सवा धक अनुकूल मू य पर य क जा सके। य क जाने
वाल साम ी क मा ा व क म उ चत हो।
 बंध को साम ी क लागत और टॉक क उपल धता क नरं तर जानकार मलती
रहे ।
कु शल साम ी नयं ण के लए ाय: पांच वभाग यथा य वभाग, ाि त एवं जांच
वभाग, भ डारण वभाग, लागत लेखा वभाग तथा अंके ण वभाग सि म लत होते है।
कु शल साम ी नय ण के लए सभी वभाग म सम वय एवं सहयोग होना ज र है।

2.2 साम ी नयं ण या (Material Control Procedure)


 साम ी को कोड दान करना (Codification of Material) : उ पादन म अनेक
कार क साम ी योग म ल जाती है, येक मद क अलग पहचान क जा सके
इस लए उ ह कोड सं या दान क जाती है। िजससे साम ी का शी लेखा एवं
गोपनीयता भी स भव हो जाती है।
 साम ी का य (Purchase of Material) : जब य वभाग क उ पादन
वभाग, भ डार वभाग या योजना वभाग से य मांग प ा त होता है तो
य वभाग इसक या ार भ करता है। य मांग प म मांग प
सं या, त थ, वभाग, कोड, आव यक साम ी का ववरण व मा ा, मांग करने
वाले के ह ता र एवं अनुमोदन करने वाले अ धकार के ह ता र होते है।
नमू ना इस कार है।
Specimen of Purchase Requisition
PURCHASE REQUISITION

(35)
No. Date ………………………
Date by which materials are required
………………….
S.N. Description Code Qty. Remarks
No.

Requested by ……………… Checked by ………………… Approved by ……………..


य वभाग म य मांग प ा त होने के प चात ् य के लए न वदाएं (टे डस)
आमि त क जाती ह। न वदाएं ा त हो जाने के प चात ् उनका एक तु लना मक
ववरण प तैयार कया जाता है और उस आधार पर न कष नकाला जाता है क
कस व े ता क शत सवा धक अनुकू ल है। त प चात उस व े ता को य का आदे श
दे दया जाता है। इस य आदे श क त मांग करने वाले वभाग एवं ाि त वभाग
को भेज द जाती है। जब व े ता से सु पदु गी प (Delivery Documents) ा त
होता है तो इसे ाि त वभाग को भेज दया जाता है।
 साम ी क ाि त और नर ण (Receiving and Inspection of
Material) : सु पदु गी प ा त होने पर ाि त वभाग माल के आदे श क
त एवं सु पदु गी प के आधार पर ा त माल के गुण एवं मा ा क जांच
करता है। संतु ि ट होने पर माल ाि त नोट (Goods Reciept Note)
तैयार कया जाता है, िजसका ा प इस कार है :
GOODS RECIEPT NOTE
No. Supplier’s Name………….. ………………………
Date ………………………. Purchase order no…………………… Date ………………….
Code Description Unit Qty. Condition For Cost accounting
No. Use
Rate Amount
(Rs.)

Receivedby……………

(36)
StoreKeeper…………..…. Clerk…….……
Inspected by……………………
Purchased Officer…………..…………
य द माल के स ब ध म असंतु ि ट होती है तो तकू ल नर ण रप ट के आधार पर
व े ता को माल वा पस करने हे तु डे बट नोट का नगमन कया जाता है।

2.3 साम ी का भ डारण (Storage of Materials)


साम ी के य, ाि त और नर ण के बाद साम ी नयं ण क या म अगला
मह वपूण कदम साम ी का भ डारण (Store Keeping) ह। यह काय टोर क पर
क दे खरे ख म होता है िजसे टोर से स बि धत व भ न काय को सु यवि थत ढं ग से
करने का अनुभव व तकनीक ान हो।
सं हागार क ि थ त (Location) ऐसी होनी चा हए जहां से व भ न उ पादन वभाग
क दूर लगभग समान हो िजससे माल के प रवहन म समय एवं धन बबाद न हो।
टोर का लेआऊट भी बहु त मह वपूण है, इसका अ भ ाय है टोर म साम ी रखने क
आ त रक यव था। टोर को ख ड या रै क म वभािजत कर दे ना चा हए और येक
रै क को छोटे –छोटे थान म पुन: वभािजत कया जाना चा हए। इन थान को बन
(Bin) कहते ह। येक कार क साम ी के लए एक बन नयत कर दया जाता ह।
येक बन पर म सं या लखी होनी चा हए। इस कार टोर वभाग वारा
न न ल खत काय कये जाते है–
 माल ाि त वभाग से साम ी ा त करना और यह दे खना क साम ी मांगप , य
आदे श, नर ण नोट एवं ाि त नोट के अनु प हो।
 जब साम ी का टॉक पुन : आदे श तर पर पहु ंच जाए तो य वभाग को मांग प
भेजना। इसी कार यह दे खना क माल न तो अ धकतम तर से यादा हो और न ह
यूनतम तर से कम िजससे अनुर ण लागत यूनतम हो। साम ी तर के वषय म
आगे जानकार द जा रह है।
 ा त साम ी को उ चत थान पर रखना। साम ी क ाि त, नगमन और शेष का
उ चत रकाड रखना। बन काड म दखाए शेष क भौ तक मा ा से जांच करना।
 उ चत अनुमोदन पर उ चत मा ा म सह ववरण के साथ सह समय पर माल का
नगमन करना।
 टोर वभाग म लगे कमचा रय के काय म सम वय करना उनका पयवे ण करना,
अन धकृ त यि तय को टोर म वेश से रोकना।
साम ी पर उ चत नयं ण रखने के लए व भ न मद क ाि तय , नगमन और शेष
का रकॉड रखना आव यक है बन काड और टोस लेजर दो ऐसे मह वपूण टोर
रकॉड है जो टोर क व भ न मद का रकॉड कायम रखने के लए रखे जाते है।
बन काड बन के साथ संल न कए जाते है या बन के पास रखे जाते है जब क टोर
लेजर साधारणतया अलग–अलग खु ले काड म रखा जाता है।
(37)
बन काड और टोस लेजर म अ तर
.सं. बन काड टोर लेजर

1. बन काड लेखांकन रे कॉड नह ं ह। टोर लेजर मूल लेखांकन रकॉड है।


2. यह केवल मा ा का रकॉड है। यह मा ा और मू य दोन का रकॉड ह।
3. यह माल के साथ रखा जाता है। यह माल से अलग रखा जाता है।
4. यह टोर क पर वारा बनाया जाता है। यह लागत लेखा वभाग वारा बनाया जाता
है।
5. येक लेन–दे न क अलग से खतौनी क लेन–दे न क खतौनी आव धक क जा सकती
जाती है। है।
बन काड का
ा प
ABC CO.
LTD.
BIN CARD
Bin No………………….. Maximum
Level……………………….
Material No……………. Minimum Level…………………
Name of Ordering Level…………………
Material………………….
Stores Ledger Folio Re. Order Qty………………
No…………
Unit……………………..
Receipts Issue Balance Checked
Date G.R.N. Qty. Date Req. Qty. Qty. Date Initial
No.

टोस लेजर का नमू ना


ABC CO. LTD.
STORES
LEDGER
Name…………………….. Maximum Level…………………….
Description………………………… Minimum Level…………………
Name of Ordering Level…………………
Material………………….
(38)
Name of Re. Order Qty………………
Material………………….
Unit……………………..
Receipts Issue Balance Checked
Date G.R. Qty. Amt. Date Req. Qty. Amt. Qty. Rate Amt. Remark
N. No. s

टोर म रखी मद व भ न उ पादन वभाग को नग मत कए जाने के लए होती है।


टोर क पर को तब तक साम ी का नगमन नह ं करना चा हए जब तक क उसे एक
उ चत प से ा धकृ त साम ी मांग ि लप न मले। उ पादन वभाग िजस माल को
वा पस लौटाता है उसका लेखा भी समय–समय पर कया जाता है।

2.4 साम ी का लागत लेखा एवं अंके ण (Cost Accounting of


Material and Audit)
लागत वभाग वारा साम ी क ाि त, नगमन एवं शेष रह साम ी का लेखा कया
जाता है। इस वभाग का उ े य त इकाई साम ी लागत का नधारण, लागत पर
नय ण तथा य म कमी करना है। लागत लेख पर नय ण हे तु आ त रक व
साम यक अंके ण कया जाता है यह वभाग अं तम शेष रह साम ी क भौ तक
गणना भी करता है। अंके ण हे तु अपनाए जाने वाले तर के इस कार है– (1)
साम यक भौ तक गणना अथवा जाँच (2) नर तर साम ी गणना अथवा भौ तक
स यापन (3) नर तर सूची (गणना) व ध।

2.5 बल के भु गतान के लए नर ण करना व वीकृ त दे ना


(Checking and passing of Bills for Payment)
बीजक म स लाई क गई व तु ओं का यौरा और भु गतान क जाने वाल रा श द हु ई
होती है। य वभाग बीजक ा त होने पर उसक मा णकता और ग णतीय वशु ता
क जांच के लए लेखा वभाग के पास भेज दे ता है। माल ाि त, नोट, य आदे श,
माल वापसी नोट का बीजक से मलान कया जाता है। य द बीजक सह है तो इसक
पुि ट के लए रबर टा प लगा द जाती है और भु गतान कया जाता है।

2.6 टॉक नयं ण क ा व धयां (Techniques of Stock


Control)
I ए.बी.सी. व लेषण (Method of Selective Inventory Control) चय नत
साम ी नयं ण व ध

(39)
क ध नयं ण के लए यह एक मह वपूण तकनीक है। इस योजना के अनुसार भ डार
म रखी जाने वाल कु ल साम ी को सामा यत: तीन वग यथा (अ), (ब), (स) म
वभ त कर दया जाता है। वभि त का मु य आधार उपभोग मू य होता है।
वग (अ) कसी भी उ योग म यु त क जाने वाल व भ न साम ी म कु छ मद इस
कार क होती है जो तु लना मक प से अ धकम मू यवान एवं मह वपूण
होती है। इन मद को य करने म अ धक पू ज
ं ी का व नयोजन करना पड़ता
है तथा इनके उपभोग क लागत भी अ धक आती है। अतएव इन पर कठोर
नयं ण भी आव यक होता है।
वग (ब) इस वग म साम ी क वे मद शा मल है जो वग ‘अ’ क तु लना म कम
लागत वाल एवं कम मह वपूण है।
वग (स) इसम उपभोग क गई साम ी म सबसे कम मू य वाल मद को शा मल
कया जाता है। ये मद सं या म तो अ धक होती है पर तु इनम कम पू ज
ं ी
का व नयोग करना पड़ता है अत: ऐसी व तु एं काफ मा ा म एक साथ खर द
ल जाती है।
इस कार का व लेषण कर अलग–अलग साम ी क मद के लए अलग–अलग आ थक
आदे श मा ाएं नि चत क जाती है।
II टॉक सीमाएं (Stock Levels)
यह सु नि चत करने के लए क साम ी क न तो अ धक और न ह कम बि क
अनुकू लतम मा ा खर द व टोर क जाए, टोर क पर साम ी बंध क वै ा नक
णा लय का योग करता है। साम ी क येक मद क कु छ सीमाएं नि चत करना
साम ी नयं ण क मह वपूण णाल है। सामा यतया
न न ल खत सीमाएं नि चत क जाती है–
(a) पुन : आदे श तर (Re–order– Level) – इस सीमा से ता पय साम ी क मा ा के
उस तर से है िजस पर पहु ंचते ह साम ी य करने क कायवाह शु कर द जाती
है ता क साम ी को यूनतम तर तक पहु ंचने से पहले ह आदे शत साम ी ा त हो
जाए। इस सीमा को नि चत करते समय माल ा त होने क अव ध, उपयोग क दर
और आ थक आदे श मा ा को यान म रखा जाता है। सू :
पुन : आदे श तर = अ धकतम उपभोग दर x सु पदु गी क अ धकतम अव ध
(Recorder level) = (Maximum Usage rate) x (Maximum
Lead Time)
(b) यूनतम टॉक तर (Minimum Stock Level) – यह साम ी क वह सीमा है
िजस पर पहु ंचने से पूव ह नए आदे श का माल ा त हो जाता है। इस कार इससे
कम तर पर भ डार गृह म माल का तर न पहु ँ च,े ऐसा य न कया जाता है।
इसको संकटकाल न तर (Emergency Level) भी कहते ह। नए आदे श का माल

(40)
ा त होने म सामा य से अ धक दे र क अव था म इसका उपयोग कया जाता है।
सू :
यूनतम टॉक तर = पुन : आदे श तर – (औसत उपभोग दर x औसत सु पदु गी
अव ध)
Min. Stock Level = Recorder level – (Avg. usage rate x Avg.
Lead Time)

(c) अ धकतम टॉक सीमा (Maximum Stock Level) – यह साम ी क वह सीमा है


िजससे अ धक उसका टॉक नह ं होने दे ना चा हए। अ धकतम टॉक सीमा नि चत
करने का मु य उ े य टॉक म अनाव यक नवेश से बचना और कायशील पू ज
ं ी का
उ चत तर के से उपयोग करना है। सू :
अ धकतम टॉक सीमा (Maximum Stock Level) =
(पुन: आदे श तर + पुन : आदे श मा ा) – यूनतम उपभोग दर x यून तम सु पदु गी
अव ध
(Reorder level 9 Reorder Qty) – (Min. usage rate x Min. Lead
Time)
(d) संकट सीमा (Danger Level) – साधारणतया यह यूनतम टॉक तर से नीचे क
एक सीमा होती है। असमा य प रि थ तय म य द आदे श दे ने म दे र हो जाए अथवा
व े ता माल क आपू त म दे र कर दे तो इस सीमा पर पहु ंचते ह , उ पादन काय म
यवधान न हो, माल के पुन : टॉक के लए आपातकाल न यव था करनी चा हए।
सू :
संकट तर = औसत उपयोग x संकटकाल न ि थ त म य म लगने वाला अ धकतम
समय
Danger level = Average usage x Max. Period for emergency
purchases
(e) औसत टॉक तर (Average Stock Level) – एक सं हालय म साम ी का टॉक
सामा यतया िजतनी मा ा म रहना चा हए उसे औसत टॉक तर है। सू :
अ धकतम टॉक तर + यूनतम टॉक तर 2
औसत टॉक तर =
2

Max. Stock Level + Min. Stock Level 2


Average Stock Level =
2
(f) आ थक आदे श मा ा (Economic Order Quantity) – आ थक मा ा का अ भ ाय
य क जाने वाल साम ी क उस मा ा से है िजस पर यय यूनतम हो। इससे
अ धक मा ा खर दने पर साम ी को वहन करने क क लागत बढ़ जाती है दूसर और

(41)
थोड़ी–थोड़ी मा ाएं खर दने पर आदे श लागत बढ़ जाएगी। आदे श लागत से अ भ ाय
यय, प रवहन यय आ द से है।
आ थक आदे श मा ा का प रकलन न न ल खत सू क सहायता से कया जा सकता
है –
2AO
EOQ 
C
EOQ = आ थक आदे श मा ा A = Annual consumption in Units
O = Cost per order C = Carrying cost per unit per annum.
उदाहरण : न न सूचनाओं से ात करना है –
(a) Recorder Level (b) Mimimum Stock
Level
(c) Maximum Stock Level (d) Average Stock
Level
Recorder quantity – 600 units
Lead Time or Time required for delivery – 6
to 8 days
Normal consumption – 40 to 60 units per
day
गणनाऐं इस कार ह गी-
(a) Reorder level = Maximum usage rate x Maximum Lead Time
= 60 x 8 = 480 units
(b) Minimum Stock Level =
Reorder level – (Avg. usage rate x Avg. Lead Time)
= 480 – (50 x 7) = 480 – 350 = 130 units
(c) Maximum Stock Level = (Reorder level + Reorder Qty)–
(Min. usage rate x Min. Lead Time)
= (480 + 600) – (40 x 6)
= 1080 – 240 = 840 units
(d) Average Stock Level
. .
=

840 + 130
= = 485
2

(42)
उदाहरण : एक क पनी म साम ी का वा षक उपयोग 1600 इकाई, आदे श दे ने क लागत
100 . त आदे श, साम ी वहन करने क वा षक लागत 2 . त इकाई है तो अ धक
आदे श मा ा इस कार ात क जायेगी :
2 AO 2 1600 100
EOQ   1, 60, 000  400 इकाइयां
C 2
2.7 साम ी क लागत का नधारण (Assertainment of cost of
material)
 ा त साम ी क लागत – ा त साम ी क लागत ात करने के लए िजस मू ल
लेख का उपयोग कया जाता है वह बीजक है। इसम मू ल लागत के साथ छूट, भाड़ा,
बीमा, ब कर आ द मद भी द हु ई होती है। माल आवक भाड़ा, साम ी को ा त
करने, नर ण करने और भंडारण पर भी यय होते ह। साम ी क लागत नकालने
के लए यय क इन मद को समायोिजत कया जाता है।
 नग मत साम ी का मू य नधारण (Pricing the issue of materials) – जब
साम ी भ डार गृह से कसी उपकाय के लए नग मत क जाती है तो उस नग मत
साम ी िजस दर पर मू य लगाया जाता है उसे साम ी नगमन मू य कहते ह।
साम ी नगमन मू य साम ी के लागत मू य अथवा बाजार मू य म से कोई भी हो
सकता ह। ले कन ाय: लागत लेखा शा ी साम ी का लागत मू य पर नगमन करना
ह अ धक तकसंगत मानते ह। ाय: यह पाया जाता है क भ डार गृह म रखी हु ई
एक ह कार क साम ी कई बार म अलग–अलग क मत पर खर द जाती है। अत:
ऐसी ि थ त म साम ी का नगमन कस क मत पर कया जाए, इस हे तु कई व धयां
च लत है। इनम से कुछ मु ख व धयाँ इस कार ह –
1. थम आगमन थम नगमन (First in, First out or FIFO) – इस व ध के
अनुसार यह माना जाता है क पहले ा त क हु ई साम ी पहले नग मत क जाती है
और उसी म म मू य लगाया जाता है। यह मा यता केवल क मत लगाने के लए है,
भौ तक नगमन म म होना आव यक नह ं है। य क पहले खर द गई साम ी का
नगमन पहले होता है इस लए अि तम टॉक का मू य चालू बाजार मू य के लगभग
बराबर ह होता है। यह प त घटती हु ई क मत क ि थ त म उपयु त है। इससे कर
बचत भी क जा सकती है।
उदाहरण : अग त, 2008 माह के लए साम ी क ाि तयाँ एवं नगमन ववरण न न कार
है :
2008 August
1. Opening Balance 500 tonnes @ Rs. 10 per tone
5. Issue (Requition No. 223) 300 tonnes
9. Reciept (G.R. No. 215) 600 tonnes @ Rs. 11 per tone

(43)
14. Issue (Requisition No. 324) 250 tonnes
20. Reciept (G.R. No. 222) 100 tonnes @ Rs. 12 per tone
27. Issue (Requisition No. 414) 4250 tonnes
Material is issued on the basis of First in First out (FIFO) method.
टोर लेजर न न कार तैयार क जाएगी :–
Stores Ledger
(FIFO Method)
Description……………… Maximum
Level……….
Location Code…………. Minimum
Level………
Unit Tonnes Re. Order
Qty…………
Receipts Issue Balance Rate for
Date G.R. Qty Rate Amt Req. Rate Qty Amt. Qty. Amt. further
N. . Rs. No Rs. Ton Ton issue
Ton (Rs.)

Aug.0
8
1. Op 500 10 500 - - - - 500 5000 500-10
Bal 0
5. - - - - 223 300 10 3000 200 2000 200-10

9. 215 600 11 660 - - - - 800 8600 300-10


0
14. - - - - 324 200 10 2550 550 6050 550-11

20. 222 100 12 120 - - - - 650 7250 550-11


0
27. - - - - 414 400 11 4400 250 2850 150-11

100-12

अि तम आगमन, थम नगमन (Last in, First out or LIFO) – यह व ध, थम व ध


के वपर त है और इस मा यता पर आधा रत है क जो इकाईयां बाद म ा त हु ई है, नगमन
के समय पहले नग मत क गई है अत: उनक क मत भी उसी म म लगाई जाएगी। बढ़ती
हु ई क मत के समय म यह व ध उपयु त है, इससे कम द शत लाभ पर कम कर दे ना
होगा।

(44)
उदाहरण : पछले उदाहरण म दये गये समंक का योग करते हु ए LIFO प त के आधार
पर टोस लेजर खाता न न कार तैयार कया जायेगा।
Stores Ledger
A/c
(LIFO Method)
Description………………………… Maximum
Level……….
Location Code……………………. Minimum
Level…………
Unit Tonnes Re. Order
Qty……………
Date Receipts Issue Balance Rate for
G.R. Qty Rate Amt Req. Qty Rate Amt. Qty. Amt. further
N. . Rs. No Ton Rs. Ton issue
Ton (Rs.)

Aug.
08
1. 500 10 500 - - - - 500 5000 500-10
0
5. - - - - 223 300 10 3000 200 2000 200-10

9. 215 600 11 660 - - - - 800 8600 200-10


0
14. - - - - 324 250 11 2750 550 5850 200-11

20. 222 100 12 120 - - - - 650 7050 200-10


0
27. 350-11

11 50-11

3. औसत मू य व ध (Average Price Basis) – इस व ध म भ डार गृह म उपल ध


साम ी क भ न– भ न क मत के आधार पर साम ी का औसत मू य नकाल लया जाता
है। जब केवल साम ी क क मत को यान म रखा जाता है तो यह साधारण औसत कहलाता
है पर तु जब क मत के साथ उपल ध मा ा का भी यान रखा जाता है तो यह भा रत
औसत व ध कहलाती है। जब क मत म अ धक उतार–चढ़ाव हो, उस ि थ त म इस प त
के अ छे प रणाम मलते ह।
4. माप मू य व ध (Standard Price Method) – इस व ध के अनुसार उ पादन वभाग
को साम ी का नगमन वा त वक लागत पर नह ं कया जाता, बि क एक पूव नधा रत

(45)
मू य पर कया जाता है। यह मू य उन सभी त व को यान म रखकर नधा रत कया
जाता है जो साम ी क क मत को भा वत करते है।
5. अ धकतम मू य सव थम नगमन व ध (Highest Price First Out Method or
HIFO Method) – यह व ध इस नयम पर आधा रत है क नगमन क त थ तक िजन
लागत मू य पर साम ी ा त हु ई है उनम से सबसे अ धक मू य क साम ी सव थम
नग मत क हु ई मानी जाएगी तथा उससे कम क मत क साम ी उसके प चात ् नग मत क
हु ई मानी जाएगी।
उदाहरण : पछले उदाहरण म दये गये समंक का योग करते हुए औसत व ध के आधार
पर पर टोस लेजर खाता न न कार तैयार कया जायेगा।
Stores Ledger
A/c
(Average Method)
Description………………………… Maximum
Level……….
Location Code……………………. Minimum
Level…………
Unit Tonnes Re. Order
Qty……………
Date Receipts Issue Balance Rate for
G.R. Qty Rate Amt Req. Qty Rate Amt. Qty. Amt. further
N. . Rs. No Ton Rs. Ton issue
Ton (Rs.)

Aug.
08
1. 500 10 500 - - - - 500 5000 10.00
0

5. - - - - 300 10 3000 200 2000 10.00

9.
14. - - - - 250 10.75 2687. 550 5912.5 10.75
5

20. 100 12 120 - - - - 650 7112.5 10.94


0

27. - - - - 400 10.94 4376 250 2736.5 10.94

(46)
2.8 म नय ण (Labour Control)
कसी यवसाय के कमचा रय को पा र मक दे ने पर जो खचा आता है उसे मजदूर
अथवा म लागत कहते ह। य द कोई मजदूर पूण प से कसी लागत के अथवा
नि चत लागत इकाई पर खच क गई है तो ऐसा खच उस इकाई के लए य म
लागत कहलाता है। इसके वपर त य द कसी यि त क सेवाओं का उपयोग कई
लागत के अथवा लागत इकाइय पर हु आ है तो उसका पा र मक अ य म
लागत कहलाएगा।

2.8.1 उ े य :

इकाई के इस भाग को पढ़ने के बाद आप जान सकगे –


 मक का चु नाव तथा उनक नयुि त
 मक के समय पर नय ण तथा लेखा
 म लागत व लेषण

2.8.2 मक का चुनाव तथा उनक नयुि त (Selection of labour and their


appointment)

औ यो गक सं थाओं म मक के चु नाव, नयुि त , नकासी, थाना तरण आ द का


काय कमचार वभाग वारा कया जाता है िजसका अ य म अ धकार कहलाता है।
म अ धकार पर ण, सा ा कार आ द वारा मक क नयुि त करता है।

2.9 मक के समय पर नय ण तथा लेखा (Control on


labour time and their accounts)
समय लेखन मक के आने और जाने के समय को दज करने क एक प त है।
इससे मक वारा फै म बताए गए कु ल समय का रकॉड मलता है। िजसके
आधार पर समयानुसार मजदूर के अ तगत कु ल पा र मक नधा रत कया जाता है।
सामा यतया कसी फै म समय रकॉड दो कार से रखे जाते है : (अ) उपि थ त
समय (ब) काय समय
समय लेखन वेतन प क बनाने के लए म लागत का प रकलन करने के लए,
मजदूर या म घंटो के आधार पर उप र यय बंटन के लए, वै या नक आव यकताओं
क पू त के लए, मक म अनुशासन बनाए रखने एवं म लागत नयं ण के लए
आव यक है।
म लेखन क व धयां – (अ) उपि थ त समय
वध वशेषताएं
1. उपि थ त रिज टर व ध – 1. समय लेखन के लए उपि थ त रिज टर म मक
(AttendanceRegister के नाम लख जाते ह।

(47)
Method) 2. मक जब फै म काम पर आते है और जब
काम से वा पस जाते है तो उ ह ह ता र करने होते
ह।
3. काम पर आने के नयत समय के कुछ समय बाद
भी य द मक नह ं आता है तो मक को
अनुपि थत दज कर दया जाता ह।
4. य य प यह एक सरल एवं सामा य व ध है तथा प
जाल उपि थ त या धोखेबाजी संभव है।
2. धातु टोकन ड क व ध – 1. येक मक को एक पहचान या टोकन सं या द
(Metal token or disc जाती है।
Method) 2. फै म आने के समय मक बोड से अपना
टोकन उठा लेता है और फै के गेट पर रखे
ब से म डाल दे ता है।
3. वेश समय समा त होने पर ब सा हटा लया जाता
है और दूसरा ब सा रख दया जाता है।
4. थम ब सा मक के ठ क समय पर आने का
सू चक है जब क दूसरा दे र से आने का।
5. ब स म डाले गए टोकन के आधार पर मक के
संबध
ं म समय पु तक म आव यक वि टयां क
जाती है और इसे मजदूर वभाग को लेखांकन के
लए भेज दया जाता है।
3. समय घड़ी काड व ध 1. येक मक को एक लॉक काड दया जाता है
(Time recording clock िजसे फै के गेट पर रखे रै को म रखा जाता है।
Method) 2. येक मक के आने व जाने का समय लॉक
रकाडर क सहायता से रकाड कया जाता है।
3. मक आते समय व जाते समय घड़ी से अपने
काड पर समय दज करते है।
4. यह समय लेखन क एक वै ा नक और व वसनीय
व ध है।
(ब) काय समय :
समय लेखन क व धय से फै म मक वारा बताए गए समय का पता लगता
है। मक वारा कतना समय काय पर लगाया गया एवं कतने समय मक रहा यह जानने
के लए न न ल खत म से कसी भी व ध को अपनाया जा सकता है–
(1) दै नक समय प क (Daily Time Sheet)
यह येक मक का अलग से उसके वारा एक दन म येक काय पर लगाए गए
समय का रकॉड है। इस प क म मक का नाम, काय आदे श सं या, काय का

(48)
ववरण, उ पा दत मा ा, उपकाय शु करने और समा त करने का समय, उपकाय पर
लगे कु ल घ टे , त घ टा मजदूर दर और मजदूर क रा श इ या द का वणन होता
है।
दै नक समय प क का नमू ना
सं या......................... स ताह सं या......
नाम........................... दनांक................
वभाग या लागत
के ……………
काय सं या/ काय का ववरण समय कु ल घ टे लागत
कोड सं या ार भ समा त साधारण ओवर दर रा श
टाईम

कु ल घंटे................ ह ता र मक ……………..
कु ल लागत................
फोरमैन......................
(1) सा ता हक समय प क (Weekly Time Sheet)
िजन औ यो गक सं थाओं म येक उपकाय (Job) पर खच कए गए समय का दै नक
लेखा रखना उपयोगी न हो वहां पर ऐसे समय का लेखा ‘सा ता हक प क' वारा कया
जाता है। यह उन सं थाओं म उपयोगी है जहां उपकाय क सं या कम होती है। इस
व ध म समय एवं म क बचत होती है।
(2) उपकाय प क (Job Card)
समय प क वारा यह तु र त शांत नह ं होता क कस उपकाय पर कु ल कतना म
घ टे खच हु ए है और उस उपकाय पर कु ल कतनी मजदूर खच हुई है, अत: उपकाय
क लागत ात करने हे तु उपकाय प क (Job Card) बनाया जाता है।
उपकाय प क का नमू ना
उपकाय सं या.......................
ववरण..................................
ार भ करने क त थ................. समय................... पूण होने क त थ..................
समय..................
दन मक का मक वभाग काय समय कु ल मजदूर रा श
टोकन नं. का नाम ार भ समा त दर

(49)
ह ता र मक..............
फोरमैन..............

2.10 म लागत व लेषण (Analysis of labour cost)


लागत लेखा वभाग का काय समय प क , जॉब काड क सहायता से मक को दे य
मजदूर का प रकलन करना है। इस काय के लए मजदूर ववरण (Payroll) या
मजदूर सार (Wage abstract) बनाया जाता है। इसम मक क मजदूर ,
कटौ तयां तथा उनको दे य शु मजदूर दखाई जाती है। इस व लेषण से अ धसमय
(Overtime) कायह न समय (Idle time) आ द त य क जानकार भी मल जाती
है।
 अ धसमय (Overtime) –
अ धसमय काय नयत घंटो के बाद वह अ त र त समय होता है िजसम काम कया
गया हो। इन अ त र त घंटो के लए सामा य दर से दुगन
ु ी मजदूर द जाती है।
अ धसमय के औ च य के अनु प इसे य लागत अथवा उप र यय मानकर लागत
लेख म दशाते ह।
 कायह न समय (Idle Time) –
जब मक को समयनुसार भु गतान कया जाता है तो िजतने समय के लए भु गतान
कया हो तथा िजतना समय वा तव म उ पादन म लगाया गया हो म, य द इनम
अ तर हो तो वह कायह न समय कहलाता है। इसके लए चू ं क भु गतान करना पड़ता है
अत: यह एक अप यय है िजस पर भावी नयं ण आव यक है। सामा य कायह न
समय य लागत व असामा य कायह न समय उप र यय के प म दखाया जाता
है।

2.11 मक आवत (Labour Turnover)


एक सं था क म शि त म एक वशेष अव ध के दौरान होने वाले प रवतन क दर
म आवत दर कहलाती है इसे ात करने क अ ल खत व धयां ह–
 पृथ करण प त (Separation Method)
उ पादन काय छोड़कर जाने वाले मक क सं या
म नकासी दर = x 100
उस वशेष अव ध म उ पादन करने वाले मक क औसत सं या
 थानाप प त (Replacement Method)
त था पत कए गए मक क सं या
वशु म नकासी दर = X 100
उस वशेष अव ध म उ पादन करने वाले मक क औसत सं या

 आवागमन प त (Flux Rate Method)


उ पादन काय छोड़कर जाने वाले मक क सं या +
त था पत कए गए मक क सं या
आवागमन दर = X 100
उस वशेष अव ध म उ पादन करने वाले मक क औसत सं या

(50)
म नकासी दर िजतनी कम होती है, सं था के लए उतनी ह लाभदायक होती है। नए मक
को श त करने म एवं उ पादन काय से अ य त होने म समय लगता है अत: उ पादन
लागत अ धक बैठती है। अत: म नकासी को नयि त रखने के हर स भव यास करने
चा हए।

2.12 मजदूर भु गतान क व धयां (Methods of Wage Payment)


मक वारा कए गए काय के बदले जो रा श नकद म द जाती है उसे पा र मक
कहा जाता है। लागत नधारण म पा र मक का अ य धक मह व है य क कसी
यवसाय क सफलता के लए कु शल एवं संतु ट मक क आव यकता होती है। यह
तभी स भव है जब उ ह उ चत पा र मक मले। मजदूर भु गतान व धयां अ ल खत
है–
(I) समयानुसार मजदूर प त (Time Wage System)
यह मक को मजदूर दे ने क सवा धक लोक य प त है। इस प त के अ तगत
मक वारा फै म बताए गए समय के आधार पर उसे न द ट दर से मजदूर
का भु गतान कया जाता है। दर त घंटा, त दन, त स ताह आ द आधार पर तय
होती है।
सू : Wages = Hours worked x Rate per hour
उदाहरणत: एक मक ने कसी दन 6 घंटे काय कया हो तथा त घंटे मजदूर दर
12 . हो तो उसका पा र मक (6 x 12) = 72 . होगा।
(II) कायानुसार मजदूर प त (Piece Wage System)
जब मक को उनके वारा कए गए काय के आधार पर भु गतान कया जाता है तो
इसे कायानुसार मजदूर कहते है। इस प त के अ तगत भु गतान क दर कए गए
काम से स बि धत होती है या न त उ पादन इकाई, त व तु, त उपकाय आ द
सू : Wage = No. Of units produced x Rate per unit
उदाहरणतःएक मक ने कसी दन 5 इकाइय का नमाण कया तथा मजदूर क दर
त इकाई 17 . हो तो उस मक क मजदूर 5 x 17 = 85 . होगी। जहां पर
कायकु शलता के उ चत तर तथा अ छ क म के उ पादन क आव यकता हो वहां
सामा यतया समयानुसार मजदूर प त अपनाई जाती है। पर तु जहां कुशल–अकुशल
मक को उनके कायानुपात के अनुसार भु गतान क आव यकता तीत हो, वहाँ
कायानुसार मजदूर भु गतान प त अपनाई जाती है।

2.13 ेरणा मक योजनाएं (Incentive Plans)


समय दर व काय दर व ध के अपने–अपने गुण –दोष है। पर तु दोन ह व धय का
एक मु ख दोष यह है क इनम मक को अ धक पा र मक कमाने क उपयु त
ेरणा का अभाव है। इन दोष को दूर करने के लए ेरणा मक योजनाओं को अपनाया
जाता है। ेरणा मक योजनाओं के अ तगत अ ययन के आधार पर माप समय या

(51)
माप उ पादन नि चत कर लया जाता है। मक को माप समय या माप उ पादन
के आधार पर सामा य मजदूर तो चु काई ह जाती है इसके अलावा िजतना समय वह
बचाता है या िजतना काय अ धक करता है, उसके लए अ त र त पा र मका यािज
(Premium) के प म दया जाता है िजससे मक को ो साहन मलता है।
ेरणा मक पा र मक व धय को दो वग म वभािजत कया जा सकता है –
(1) वैयि तक बोनस योजनाएं (2) समू ह बोनस योजनाएं
वभ न व वान के नाम से कई वैयि तक बोनस योजनाएं च लत ह िजनम से
मु ख इस कार ह–
(I) वैयि तक बोनस योजना (Individual Bonus Plan)
इनम मक को मजदूर कायानुसार एवं समयानुसार द जाती है ले कन मजदूर क
दर मक क कायकुशलता के तर के साथ प रव तत होती है। कु छ मु ख व धयां
इस कार है –
(a) टे लर व ध – (Taylor’s differential piece rate system) – इस प त के
अनुसार जो मक माप उ पादन से कम उ पादन करता है वह अकुशल मक
कहलाता है उसे सामा य मजदूर दर का केवल 80 तशत भु गतान कया जाता है।
इसके वपर त जो मक माप या उससे अ धक उ पादन करता है, कु शल मक
कहलाता है। ो साहन दे ने के लए उसे साधारण मजदूर का 120 तशत तक
भु गतान कया जाता है।
उदाहरण – माप समय 10 इकाइयां त घ टा, मजदूर दर 10 . त इकाई
माप से नीचे उ पादन पर मजदूर दर मजदूर का 80 तशत
माप से ऊपर उ पादन पर मजदूर दर मजदूर का 120 तशत
टे लर व ध के अनुसार मजदूर ात क िजए, य द A एक दन म 8 घंटे काम करके 75
इकाइयां तथा B 100 इकाइयां उ पा दत करता है।
हल : 8 घंटे का माप उ पादन 8 x 10 = 80 इकाइयां
A वारा कया गया काय माप उ पादन से नीचे व B का अ धक है।
अत: A का पा र मक 10 x 80/100 = 8 . त इकाई
= 75 x 8 = 600 .
B का पा र मक 10 x 120/100 = 12 . त इकाई
= 100 x 12 = 1200 .
इस कार इस व ध म कु शल मक को बहुत अ धक ो साहन एवं अकु शल मक को द ड
मलता है।
(b) मै रक व ध – (Merrick Method) – इस व ध म भी समयानुसार मजदूर क
गारं ट नह ं द जाती पर तु सामा य प रि थ तय म य द एक मक माप उ पादन

(52)
का 83 तशत तक उ पादन करता है तो उसक मजदूर म कोई कटौती नह ं क
जाती है। दर इस कार है–
कायकु शलता का तर मजदूर भु गतान
माप उ पादन के 83 तशत तक कायानुसार सामा य दर
माप उ पादन के 83 तशत से 100 कायानुसार सामा य दर का 110 तशत
तशत तक
माप उ पादन के 100 तशत से अ धक कायानुसार सामा य दर का 120 तशत
उदाहरण : कायानुसार दर – 20 . त इकाई
मानक उ पादन – त दन 8 घंटे के काय के लए 24 इकाइयां।
A का उ पादन 16 इकाइयां B का उ पादन 21 इकाइयां एवं C का उ पादन 25 इकाइयां हो
तो’ मै रक दर व ध के अनुसार A, B, C का पा र मक ात क िजए।
हल : A का काय कु शलता तर 16/24 x 100 = 67%
य क यह 83 तशत से कम है अत: A क मजदूर = 16 x 20 = 320 .
B का कायकुशलता तर = 21/24 x 100 = 87.5%
य क तह 83 तशत से अ धक है ले कन 100 तशत से कम है अत: B क
मजदूर
= 21 x (20 x 100/100) = 462 .
C का कायकुशलता तर = 25/24 x 100 = 104%
य क यह 100 तशत अ धक है अत: C क मजदूर
= 25 x (20 x 120/100) = 600 .
इस कार A को 20 ., B को 22 . तथा C को 24 . त इकाई मजदूर
मलती है।
(c) गैट योजना – (Gantt System) – यह योजना टे लर एवं है मे योजना का म त
प है।
इसम समयानुसार , कायानुसार तथा बोनस तीन को ह मला दया जाता है–
 माप उ पादन से कम उ पादन होने पर समयानुसार नधा रत मजदूर द जाती है।
 माप उ पादन होने पर समयानुसार दर का 20 तशत बोनस दया जाता है।
 माप उ पादन से अ धक उ पादन होने पर पूरे उ पादन के लए ऊंची कायानुसार दर
पर मजदूर द जाती है।
उदाहरण : मानक समय 8 घ टे । मानक उ पादन 8 इकाइयां। त घ टा पा र मक 3 .।
उ पादन 6,7,8 तथा 10 इकाइयां गैट योजना के अनुसार कु ल पा र मक ात
क िजए।
हल :
उ पादन समय/ घ टे त घ. दर प र ा मक यािज कु ल त इकाई
इकाइयां पा र मक प र यय
(53)
Units Time/hrs. Rate/hr Daily Bonus Total Cost per
(Rs.) wage(Rs.) (Rs.) wages unit
(Rs.) (Rs.)
6 8 3.00 24.00 – 24.00 4.00
7 8 3.00 24.00 – 24.00 3.42
8 8 3.00 24.00 4.80 28.80 3.60
10 8 3.00 24.00 12.00 36.00 3.60
10 इकाइयां क लागत = 10 x 360 = 36 . यािज = 36 – 24 = 12 .
दै नक पा र मक = 24
मानक उ पादन क त इकाई लागत = 360
(d) इमरसन यािज कायद ता योजना (Emerson Efficiency premium
scheme) – इस योजना के अनुसार येक मक को दै नक पा र मक क गार ट
द जाती है तथा मक को उनक कायद ता के अनुसार कम या अ धक यािज द
जाती है।
कायकु शलता का तर बोनस दर
66.67 तशत तक समयानुसार दर
90 तशत तक 10 तशत
100 तशत तक अ धकतम 20 तशत
100 तशत से अ धक मजदूर दर का 20 तशत बोनस तथा 100
तशत से ऊपर येक 1 तशत अ त र त
कायकु शलता के लए 1 तशत अ त र त
बोनस
उदाहरण – माप समय (Standard Time) 30 hours
लया गया समय (Time taken) 20 hours
मजदूर दर (Wage rate) Rs.10 per hour
इमरसन योजना के अनुसार मजदूर ात क िजए।
हल : माप समय – 30 घंटे
लया गया समय – 20 घंटे
कायकु शलता तर – 30/20 x 100 –150%
बोनस तशत – 20 + 50 = 70%
कु ल मजदूर = 200 + 140 = 340 .
(e) है से यािज योजना (Halsey Premium Plan) – इस योजना म काय के लए
एक माप समय नधा रत कर दया जाता है। समयानुसार मजदूर क गार ट द
जाती है। जो मक माप समय या उससे अ धक समय म काय पूरा करता है, उसे

(54)
केवल समयानुसार मजदूर द जाती है। य द कोई मक काय को माप समय से कम
समय म पूण कर लेता है तो समय क बचत का नि चत तशत उस मक को
अ त र त बोनस के प म भु गतान कया जाता है। यह 30 से 70 तशत तक हो
सकता है, सामा यतया यह 50 तशत होता है।
बोनस = बचाया गया समय x त घंटा दर x बोनस तशत
मजदूर = (काय म लगने वाला समय x त घंटा दर) + बोनस
उदाहरण : माप समय 16 घंटे
वा त वक समय 12 घंटे
त घंटा दर 7 .
तो कु ल पा र मक = (12 x 7) + (4 x 7 x 50%)
= 84 + 14 = 98 .
(f) रोवन यािज योजना (Rowan Premium Plan) – इस योजना म है से योजना
क तरह समयानुसार मजदूर द जाती है। मक के लए काय के माप घंटे नधा रत
कए जाते है। य द मक नयत समय से कम समय म काय पूरा कर लेता है तो
बचाए गए समय के लए बोनस दया जाता है। बोनस क गणना बोनस घंटे के आधार
पर ात क जाती है। सू ानुसार बोनस घ टे इस कार ात कए जाते ह–
बचाया गया समय
बोनस घ टे = लया गया समय x
मा पत समय
उदाहरण : कसी उपकाय को पूरा करने के लए 20 घ टे माप समय है और कसी
मक ने यह उपकाय 15 घ टे म पूरा कर लया हो तथा मजदूर क दर
10 . त घ टा हो तो रोवन योजना के अनु प यािज व कु ल पा र मक
इस कार होगा–
माप समय – 20 घ टे
लया गया समय – 15 घ टे
बचाया गया समय – 5 घ टे
बोनस घ टे =15 x 5/20 = 15/4
घ टे बोनस रा श =15/4 x 10 = 37.50 .
मजदूर = ( लया गया समय x मजदूर त घ टा) + बोनस
= (15 x 10) + 37.50
= 150 + 37.50 = 187.50 .
II समू ह बोनस योजनाएं (Group Bonus Schemes)
बहु त सी सं थाओं म सामू हक उ साह पैदा कर उ पादकता बढ़ाने हे तु सामू हक बोनस
योजनाएं लागू क जा सकती है। इन योजनाओं के अ तगत मक के समू ह का माप
उ पादन नधा रत कर दया जाता है। मक का समू ह माप उ पादन से िजतना

(55)
अ धक उ पादन करता है उसी हसाब से समू ह को वेतन के अनुपात म बोनस दया
जाता है। इस योजना का उदाहरण ाइ टमैन बोनस योजना है।
इसके अ त र त मक के ब च को मु त श ा, वा य एवं सु र ा, कै ट न,
मनोरं जन, मक क सह–साझेदार , लाभ म ह सा आ द अ य अ य मौ क एवं
गैर मौ क ह िज ह दे कर सं था मक को ो साहन दे सकती है।

2.14 सारांश (Summary)


साम ी और म लागत के दो मु ख त व है। य साम ी तथा य म मूल
लु गत (Prime cost) के अंश होते है जब क अ य साम ी एवं अ य म
उप र यय (Overhead) म शा मल कए जाते है।
य क साम ी उ पादन लागत का मह वपूण भाग है अत: साम ी य से लेकर उसके
उपभोग तक साम ी पर नयं ण क उ चत यव था क आव यकता होती है। साम ी
नयं ण के अ तगत साम ी के य, भंडारण एवं नग मत साम ी के मू यांकन क
या शा मल क जाती है।
टॉक पर सु चा नयं ण के लए सं थाएं कई व धयां अपना सकती है। टॉक का
ए.बी.सी. व लेषण, पुन : आदे श तर, यूनतम टॉक तर, अ धकतम टॉक तर,
संकट सीमा, पुन : आदे श मा ा आ द टॉक क वे सीमाएं है जो भ डार म टॉक बंध
को एक वै ा नक प दान करते ह।
साम ी का य अलग–अलग समय म अलग–अलग क मत पर कया जाता है, अत:
जब इ ह उ पादन को नग मत कया जाता है तो उसके मू यांकन क सम या उ प न
होती है। नग मत साम ी का मू यांकन लागत मू य या बाजार मू य कसी पर भी
कया जा सकता है। नग मत साम ी के लागत मू य नधारण क बहु त सी प तयां
वक सत क गई है। इनम थम आगमन थम नगमन (FIFO), अि तम आगमन
थम नगमन (LIFO), भा रत औसत मू य आ द मु ख व धयां ह।
लागत के दूसरे मु ख त व के प म म लागत को लया जाता है। म नय ण के
अ तगत मक क नयुि त , मक के समय का लेखन, उनके वारा कए गए
काय का लेखन उनक मजदूर तथा उनको ो साहन क णा लयां शा मल ह।
मक क उपि थ त समय दज करने हे तु उपि थ त रिज टर, टोकन व ध, समय
छापने वाल घड़ी का योग कया जाता है। मक वारा कसी काय पर कु ल कतना
समय यतीत कया, यह जानने हे तु दै नक समय प क, सा ता हक समय प क,
उपकाय प क आ द बनाये जाते है।
मजदूर प क के वारा सभी मजदूर को द जाने वाल मजदूर ात क जाती ह।
कायह न समय और अ धसमय भी मजदूर भु गतान के समय वचारणीय होते ह। एक
सं था म वशेष अव ध म म शि त म प रवतन क दर मक आवत वारा ात
क जाती है। य द मक आवत दर अ धक होगी, तो सं था म लागत बढ़ जाएगी एवं
उ पादकता कम हो जाएगी अत: इ ह नयं त करने का यास करना चा हए।

(56)
मक को मजदूर भु गतान क दो मु ख व धयां समयानुसार मजदूर प त एवं
कायानुसार मजदूर प त। इन दोन ह प तय के अपने–अपने गुण दोष ह। इनके
अलावा मक को ो साहन दे ने हे तु वैयि तक एवं समू ह बोनस योजनाएं काम म ल
जाती है िजससे मक का मनोबल बढ़ता है और उ पादकता म वृ होती है।

2.15 पा रभा षक श द
साम ी नयं ण (Materials control) : साम ी नयं ण का अथ साम ी क ाि त,
भ डारण तथा उपयोग स ब धी नयम के नधारण से है िजससे अ य धक व नयोग
कए बना उ पादन म साम ी का नर तर वाह बना रहे ।
य मांग प (Purchase requisition note) : वभ न वभाग वारा य
वभाग को साम ी य हे तु भेजा जाने वाला प ।
बन काड (Bin Card) : एक बन म रखी गई साम ी क ाि त, नगमन एवं शेष
का रकॉड रखने वाला काड।
टोस लेजर (Stores Ledger) : साम ी लेखा वभाग म रखे जाने वाला खाता
िजसम साम ी क ाि त, नगमन एवं शेष का मौ क एवं भौ तक ववरण दया होता
है।
नर तर माल सूची णाल (Perpentual Inventory System) : टॉक रकॉड के
आधार पर साम ी के ाि त, नगमन एवं शेष क जांच करने क णाल ।
ए.बी.सी. व लेषण (ABC analysis) : उपभोग मू य के आधार पर टॉक म रखी
जाने वाल साम ी का वभि तकरण िजससे कु शलतापूवक ब ध कया जा सके।
पुन : आदे श तर (Recorder level) : साम ी क मा ा का वह तर िजस पर
पहु ंचते ह साम ी य करने क कायवाह शु कर द जाती है।
यूनतम टॉक तर (Minimum Stock Level) : इस तर पर पहु ंचने से पूव ह
भ डार म य क गई साम ी ा त कर ल जाती है।
अ धकतम टॉक तर (Maximum Stock Level) : साम ी क वह मा ा िजससे
अ धक मा ा टॉक म रखने क आव यकता नह ं होती है।
आ थक आदे श मा ा (Economic Order Quantity) : य क जाने वाल साम ी
क वह मा ा िजससे यूनतम यय हो।
थम आगमन थम नगमन (FIFO) : नग मत साम ी के मू य नधारण क वह
प त िजसम साम ी का मू य सबसे पहले य क गई साम ी के लागत मू य के
म म कया जाता है।
145: नग मत साम ी के मू य नधारण क वह प त िजसम साम ी का मू य
सबसे बाद म य क गई साम ी के लागत मू य के म म कया जाता है।
मजदूर (Wages) : कसी यवसाय म मक को कया जाने वाला भु गतान।
समय घडी काड (Time Clock Card) : मक को दए जाने वाला काड िजस पर
मक आते व जाते समय वशेष घड़ी क सहायता से समय अं कत करवाते है।
(57)
उपकाय प क (Job Card) : कसी उपकाय पर कु ल म घ टे एवं उनक लागत
ात करने के लए बनाए जाने वाला काड।
अ धसमय (Overtime) : काय के नयत घंटो के बाद दया गया अ त र त समय।
कायह न समय (Idle Time): वह समय िजसके लए मजदूर का भु गतान तो कया
जाता है पर तु मक उस समय म काय नह ं करता है।
मक आवत (Labour Turnover) : एक सं था क म शि त म एक वशेष
अव ध म होने वाले प रवतन क दर।
समयानुसार मजदूर प त (Time Wage System) : जब मक को मजदूर
उनके समय के आधार पर द जाती है।
कायानुसार मजदूर प त (Piece Rate Wage System) : जब मक को
मजदूर उनके वारा कए गए काय के आधार पर द जाती है।

2.16 वपरख न/अ यास


1. साम ी नय ण से आप या समझते ह? इसके उ े य ल खए।
2. टॉक क यूनतम , अ धकतम सीमाएं या ह? आ थक आदे श मा ा (EOQ) से आप
या समझते ह? इनका प रकलन कस कार कया जाता है?
3. साम ी नय ण क ABC व लेषण योजना से आप या समझते ह?
4. बन काड और साम ी खाता बह म मु ख अ तर बताइए। दोन के नमू ने द िजए।
5. साम ी नगमन का मू यांकन करने क वभ न व धय को समझाइये। बढ़ते हु ए
मू य क ि थ त म आप कौन सी व ध अपनाने क सफा रश करगे और य?
6. म लागत व लेषण को समझाइये।
7. एक कारखाने म मक क दै नक उपि थ त का लेखा–जोखा करने के लए योग म
लाए जाने वाले व भ न वक प कौन से ह?
8. म नकासी (Labour Turnover) से या आशय है? इसे ात करने क कौन–कौन
सी व धयां ह?
9. अ धसमय एवं कायह न समय से या आशय है? इनका लेखांकन कस कार कया
जाता है?
10. मक को मजदूर भु गतान करने क कौनसी प तयां ह? समझाइये।
11. मजदूर भु गतान क ेरणा मक योजनाएं या ह? क ह ं दो को उदाहरण दे ते हु ए
प ट क िजए।

2.17 यवहा रक न (Practical Question)


1. न न ल खत ववरण से आ थक आदे श मा ा क गणना क िजए। From the
following particulars calculate Economic Order Quantity (EOQ)
– 10000 units of a material consumed per year

(58)
– त वष उपभोग मा ा – 10000 Units
– Per Unit Cost ( त इकाई लागत) Rs.20
– Cost of processing an order (आदे श लागत) RS.50
– Annual Interest Rate (वा षक याज दर) 5%
– Annual carrying cost of material per unit 15%
– (साम ी क त इकाई भ डारण लागत)
(Answer: 500 units)
2. A Ltd. के ववरण अ ल खत है–
Details of A Ltd. Are as follows
Ordering cost (आदे श लागत) 100 . Per order
Inventory Carrying Cost (साम ी भ डारण लागत) 20 % per
annum
Cost per Unit ( त इकाई लागत) 520
.
Minimum Usage per Week ( त स ताह यूनतम उपभोग) 50
इकाइयां
Maximum Usage per Week ( त स ताह अ धकतम उपयोग) 200
इकाइयां
Normal Usage per Week ( त स ताह सामा य उपभोग) 100
इकाइयां
Normal time taken for supply (साम ी क आपू त म सामा यत:
लगने वाला समय) 6–8 स ताह
You are required to calculate
(आपको ात करना है)–
1. Economic Order Quantity आ थक आदे श मा ा।
2. Recoder Level पुन : आदे श तर।
3. Maximum Stock Level अ धकतम साम ी तर।
4. Minimum Stock Level यूनतम साम ी तर।
(Answer: (1) 100 units (2) 1600 units (3) 1400 units (4) 725
units)
3. From the following information prepare Stores Ledger Account:
न न सू चनाओं के आधार पर साम ी खाता तैयार क िजए :
(a) By FIFO Method ( थम आगमन, थम नगमन र त वारा)
(b) By LIFO Method (अि तम आगमन, थम नगमन र त वारा)

(59)
Date Particulars Quantity (Kg.) Rate per Unit
(Rs.)
July 2 Received 2000 10
July 6 Received 300 12
July 9 Issued 1200 –
July 10 Received 200 14
July 11 Issued 1000 –
July 22 Received 300 11
July 31 Issued 200 –
(Answer: Balance of closing stock on 31 July accordingly)
(a) 400 units of Rs. 4700
(b) 400 units of Rs. 4100)
4. X कं. के वेतन प वारा न न सू चनाएं उपल ध होती है।
The payroll of X Co. gives the following information :
Number of employees at the beginning of the year 350
(वष के ार भ म मक क सं या)
Number of employees at the end of the year 370
(वष के अ त म मक क सं या)
Number of employees replaced during the year 44
(वष के दौरान काम छोड़कर जाने वाले मजदूर क सं या)
Number of employees replaced during the year 36
(वष के दौरान त था पत मजदूर क सं या)
Additional Employment 28
Calculate various labour turnover rates.
वभ न म नकासी दर क गणना क िजए–
(Answer: (Labour separation rate – 12.22%)
Labour Replacement rate – 10%
Labour flux rate – 22.22%)
5. The standard output of a product has been fixed as 24 units per
day of 8 hours. The normal wage rate is Rs. 24 per day.
Determine the total wages payable under: (i) Time rate and (ii)
Piece rate, when the total production is 16, 32 and 48 units per
day.

(60)
एक फम वारा एक व तु के उ पादन का माप उ पादन 24 इकाइयां त 8 घ टे के दन
हे तु नि चत क गई। सामा य मजदूर 24 . त दन है : (1) समय दर, तथा (11) काय
दर के अ तगत कु ल दे य मजदूर ात क िजए, य द त दन कु ल उ पादन 16,32 एवं 48
इकाइयां हो।
(Answer : (i) Rs.24, Rs.24, Rs.24
(ii) Rs.16, Rs.32, Rs.48)
6. एक 40 घ टो के स ताह म M, N, O, P का उ पादन न न था।
The following is the output of M, N, O, and P is a particular 40
hrs. Week
M=60 units, N=75 units, O=80 units, P=85 units
गार ट समय दर (Guaranteed time : 5 . त घ टा (Rs. 5 per hour)
rate)
यून काय दर (Low piece rate) : 2 . त इकाई (Rs. 2 per unit)
अ धक काय दर (High piece rate) : 3 . त इकाई (Rs. 3 per unit)
मा णत इकाइयां (Standard units) : 80 इकाई त स ताह (80 units per
week)
टे र, मै रक व गै ट दर व ध के अ तगत मक क कु ल मजदूर ात क िजए।
Find out the total labour cost under Taylor, Merrick and gantt
method.
(Answer: Taylor M Rs.120, N Rs.150, O Rs.240, PRs.255
Merrick M Rs.120, N Rs.165, O Rs.176, P Rs.204
Gantt M Rs.200, N Rs.200, O Rs.240, P Rs.255
7. न न ल खत सू चनाओं से है से एवं रोवन योजना के अ तगत मजदूर ात क िजए।
From the following information calculate total wages under Halsey
and
Rowan Plan.
Standard Time ( मा णत समय) =50 Hours
Wage rate per hour ( त घ टा मजदूर दर) = Rs. 3
Actual time taken (वा त वक समय) = 42 hours
(Answer : Halsey Plan Rs.138, Rowan Plan Rs.146.16)

2.18 स दभ थ
1. जैन, ख डेलवाल पार क – लागत लेखांकन, अजमेरा बुक क पनी, जयपुर।
2. राव, गु ता , मू दड़ा – लागत लेखांकन, एपे स पि ल शंग हाउस, उदयपुर।

(61)
3. डा. एम एल अ वाल – प र यय लेखांकन, सा ह य भवन पि लकेश स, आगरा।
4. गु ता, यादव, मंगल – लागत लेखांकन, कु लद प पि लकेशनस, अजमेर।
5. एम.एन. अरोड़ा – लागत लेखांकन स ा त एवं यवहार, वकास पि ल शंग हाउस ा.
ल., नई द ल ।

(62)
इकाई – 03 : उप र यय लागत (Overhead Costs)
इकाई क परे खा
3.0 उ े य
3.1 उप र यय का वग करण
3.2 उप र यय का आवंटन एवं अनुभाजन
3.3 उप र यय लागत के अनुभाजन के आधार
3.4 उप र यय का सं यांकन एवं सं हण
3.5 उप र यय का अवशोषण
3.6 उप र यय लागत के अवशोषण क व धयाँ/दरे
3.7 मशीन घंटा दर पर ट प णयाँ
3.8 शास नक उप र यय का अवशोषण
3.9 व य एवं वतरण उप र यय का अवशोषण
3.10 लागत लेख म उप र यय का अ ध अवशोषण अथवा यून अवशोषण
3.11 सारांश
3.12 वपरख न
3.13 यावहा रक न
3.14 संदभ प तक

3.0 उ े य
इस इकाई का अ ययन करने पर आप उप र यय क अवधारणा, उनके वग करण तथा
आबंटन, अनुभाजन एवम ् अवशोषण के बारे म ान ा त कर सकगे।
पछल इकाई म आपने दे खा है क लागत के तीन त व होते ह िज ह मश: साम ी
लागत, म लागत एवं यय लागत कहा जाता है। लागत व लेषण के अ तगत पुन :
इन तीन तल को दो दो भाग म वभािजत कया जाता है जो न नानुसार है :–
साम ी लागत – य एवं अ य साम ी लागत,
म लागत – य एवं अ य म लागत,
यय लागत – य एवं अ य यय लागत।
सम त कार क य लागत को संयु त प से मू ल लागत (Prime Cost) कहा
जाता है तथा सभी अ य लागत को संयु त प से उप र यय लागत (Overhead
Costs) कहा जाता है। इस कार उप र यय लागत य लागत के अ त र त दै नक
काय पर कया जाने वाला यय है। लोकर एवं वा टमेर के श द म “ यावसा यक
इकाई क वह प रचालन लागत उप र यय लागत होती है िजसे कसी वशेष काय क
लागत म य प से सि म लत नह ं कया जा सकता।'' पर तु व तु के उ पादन
अथवा उसे ब यो य बनाने हे तु इस कार के यय होते ह है। कसी भी व तु

(63)
अथवा सेवा क लागत का सह नधारण करने हे तु इनका समु चत लेखांकन आव यक
है।

3.1 उप र यय का वग करण
उप र यय का वग करण अनेक कार से कया जा सकता है, यथा :–
(1) या मक आधार पर (On the Basis of Functions) –
(अ) कारखाना उप र यय (Factory/Works Overheads)
(ब) कायालय उप र यय (Office/Administrative Overheads)
(स) व य एवं वतरण उप र यय (Selling and Distribution Overheads)
(2) प रवतनशीलता के आधार पर (On the Basis of Variability)
(अ) प रवतनशील उप र यय (Variable Overheads)
(ब) अ प रवतनशील उप र यय (Semi Variable Overheads)
(स) थायी उप र यय (Fixed Overheads)
(3) नयं ण के आधार पर (On the Basis of Controllability)
(अ) नयं णीय उप र यय (Controllable Overheads)
(ब) अ नयं णीय उप र यय (Non Controllable Overheads)
(4) सामा यता के आधार पर (On the Basis of Normality)
(अ) सामा य उप र यय (Normal Overheads)
(ब) असामा य उप र यय (Abnormal Costs)
(5) त व/ कृ त के आधार पर (On the Basis of Nature)
(अ) अ य साम ी यय (Indirect Material Costs)
(ब) अ य म यय (Indirect Labour Costs)
(स) अ य यय (Indirect Expenses)
यवहार म थम दो कार के उप र यय वग करण ह चलन म ह। यह यान दे ने
यो य बात है क उप र यय क एक ह मद को व भ न उ े य के लये व वध कार से भी
वग कृ त कया जा सकता है। उदाहरण के लये कारखाना उप र यय को प रवतनशील कारखाना
उप र यय तथा ि थर कारखाना उप र यय के प म भी वगीकृ त कया जा सकता है।
(A) कारखाना उप र यय (Factory Overheads)
कसी व तु अथवा सेवा के उ पादन थल (कारखाना) पर उ पादन या के दौरान
य साम ी, म एवं यय के अ त र त अनेक यय और होते ह, उ ह कारखाना उप र यय
कहते ह। इनम कारखाने म उपयोग म लाई गई अ य साम ी क लागत, कये गये
अ य म यय तथा अ य अ य यय को सि म लत कया जाता है। कारखाना
उप र यय क मद के कु छ उदाहरण न नानुसार ह :–
 य वभाग, साम ी भ डार वभाग के यय
 उपभो य टोस यय, साम ी पर सामा य हा न

(64)
 अ य मजदूर लागत, कायह न काल क सामा य मजदूर
 म क याण पर यय, श ण यय, शोध एवं वकास यय
 कारखाना भवन तथा मशीनर आ द का मू य हास अथवा कराया, बीमा यय
 सामा य मर मत एवं रख रखाव के यय
 कारखाना ब धक, पयवे क, सु र ाकम आ द के वेतन भ ते
 कारखाना भवन म बजल , पानी, टे ल फोन आ द पर यय
 मक को बोनस, पुर कार क रा श एवं अ य सु वधाओं पर यय।
(B) कायालय/ शास नक उप र यय (Office/Administrative Overheads)
कारखाने के अ दर होने वाले अ य यय के अ त र त सामा य शासन एवं
कायालय से संबं धत यय भी होते है। यवसाय बंधन से संबं धत इन यय को
कायालय शास नक उप र यय कहा जाता ह। इन उप र यय म सि म लत कु छ
मह वपूण मद इस कार है :–
 कायालय के बंधक एवं अ य अ धका रय /कमचा रय के वेतन, भले एवं उनके
क याण हे तु कये गये यय
 कायालय के बजल , टे ल फोन, फे स, पानी, रखरखाव आ द यय
 कायालय भवन एवं फन चर पर मू य हास अथवा उनका कराया, सामा य
मर मत एवं रखरखाव के यय
 ं टंग एवं टे शनर , कायालय भवन एवं फन चर आ द का बीमा यय
(C) व य एवं वतरण उप र यय (Selling and distribution Overheads)
उ पादन एवं व य काय करने वाल यावसा यक इकाइय म पृथक से व य एवं
वतरण वभाग भी होता ह। यह वभाग सं था वारा उ पा दत इकाइय के व य एवं
वतरण क यव था करता ह। इस वभाग के यय को व य एवं वतरण उप र यय
कहते ह। इन उप र यय क मु य मद इस कार ह:–
– व ापन, चार एवं सार यय
– वभाग के अ धका रय एवं कमचा रय के वेतन भले एवं अ य सु वधाओं पर यय,
या ा यय, व य कमीशन, टे डर लागत
– वभागीय भवन का कराया अथवा मू यहास, तैयार माल क सामा य छ जत,
बजल एवं व य उपरांत सेवाओं पर यय
– तैयार माल के गोदाम का कराया, व य पर गाड़ीभाडा
– वतरण वाहन का मू य हास, रखरखाव, डीजल, ाइवर का यय।
– पै कं ग संबं धत खच
उपयु त वग करण म द गई मद का वग करण प रवतनशीलता के पर भी कया जा
सकता ह। यह इस कार हो सकता है।
– कारखाना प रवतनशील उप र यय (Factory variable Overheads)
– कारखाना थायी उप र यय (Factory fixed Overheads)

(65)
– कायालय प रवतनशील उप र यय (Office variable Overheads)
– कायालय थायी उप र यय (Office fixed Overheads)
– व य एवं वतरण प रवतनशील उप र यय (Selling and Distt. Variable
Overheads)
– व य एवं वतरण थाई उप र यय (Selling and Distt. Fixed
Overheads)
पुन : सारे वग करण का सारांश कु ल प रवतनशील यय तथा कु ल थायी उप र यय के
प म कया जा सकता है। प रवतनशीलता के आधार पर कया गया उप र यय का
यह वग करण ब धक य नणय म बहु त सहायक होता है। सीमा त लागत तकनीक
का उपयोग इसी वग करण के आधार पर कया जाता है। व तु त: प रवतनशील
उप र यय वे होते ह िजनक कृ त ऐसी होती है क वे उ पादन क मा ा के साथ
बदलते रहते है पर तु सामा यत: त इकाई ि थर रहते है जब क थायी उप र यय
ऐसे उप र यय होते है िजनका उ पादन क मा ा से ाय: सीधा स ब ध नह होता है,
वे ाय: ि थर ह रहते है। अ प रवतनशील यय एक सीमा तक ि थर एवं त प चात
बदल जाते ह।अत: उपल ध तकनीक का उपयोग करते हु ए इ ह प रवतनशील एवं
थायी दोन ह भाग म बाँट दया जाता है और अि तम प से प रवतनशील एवं
थायी उप र यय ह रह जाते है। यह यान दे ने यो य है क यवहार म यय सदै व
ह प रवतनशील अथवा– थायी नह ं रहते।
उदाहरण 1
300 वाटर कूलर के नमाण बाबत लागत समंक न नानुसार ह–
साम ी लागत (Material Costs) Rs.240000
मजदूर लागत (Labour Costs) Rs.300000
1उप र यय लागत (Overheads Costs) –
प रवतनशील कारखाना उप र यय Rs.60000
थायी कारखाना उप र यय Rs.60000
प रवतनशील कायालय उप र यय Rs.24000
थायी कायालय उप र यय Rs.12000
वतरण उप र यय थायी Rs.08000
500 वाटर कूलरो क नमाण हे तु लागत ात क िजये।
हल –
Statements of Cost for 500 Water Coolers –
Particulars Amount In Total Amount
Rs. In Rs.
Material Costs (240000  300)  500 40000

(66)
0
Labour Costs (300000  300)  500 50000
0
Factory Overheads (Variable) 10000
0
(60000  300)  500
Office Overheads (Variable) 40000
(24000  300)  500
Variable Cost 1040000
Fixed Costs
Factory Overheads 60000
Office Overheads 12000
Distribution Overheads 8000 80000
Total Cost @ Rs 2240 per unit 1120000
(Rs 1120000  500)

3.2 उप र यय का आवंटन एवं अनु भाजन (Allocation and


Apportionment of Overheads)
उप र यय का आवंटन (Apportionment) : उप र यय लागत क वे मद जो प ट
प से कसी लागत के /लागत इकाई से संबं धत होती ह, उ ह उसी लागत
के /लागत इकाई पर चाज कया जाता है। यह उप र यय का आवंटन कहलाता है।
कसी भी यय क कृ त के अनु प उसका आवंटन/अनुभाजन कया जाता ह।
उप र यय का अनुभाजन (Apportionment) : उप र यय लागत क वे मद िज ह
प ट प से कसी लागत के /लागत इकाई पर चाज नह ं कया जा सकता हो, उ ह
कसी उ चत आधार पर लागत के /लागत इकाइय पर चाज करने क या
उप र यय का अनुभाजन कहलाती है। इस कार प ट है क उप र यय का आवंटन
उप र यय लागत क कसी मद क स पूण रा श को कसी वशेष लागत के /लागत
क व भ न मद के अंश का अनेक लागत के /लागत इकाइय को चाज करने क
या है। यह स पूण या उप र यय लागत का वभागीयकरण
(Departmentalization) भी कहलाती है।
एक उदाहरण से उपयु त बात को समझाया जा सकता है। माना क एक यवसा यक
इकाई म एक ह उ पादन वभाग है जहां पर तमाह बजल यय क रा श 5000
. आती है। प ट है क एक ह वभाग होने से बजल यय क यह मद स पूण
प से इसी उ पादन वभाग पर चाज क जायेगी। पर तु य द यहां तीन उ पादन

(67)
वभाग हो और बजल यय क रा श 8000 . हो तो इस मद का आवंटन/अनुभाजन
इस कार होगा –
(अ) य द येक वभाग म अलग अलग मीटर हो तो येक वभाग वारा उपभोग
क गयी व युत इकाई अनुसार इस यय का आवंटन कया जायेगा।
(ब) य द येक वभाग म मीटर अलग अलग नह हो तो फर घेरे गये े फल के
आधार पर इस मद का अनुभाजन कया जा सकता है।

3.3 उप र यय लागत के अनुभाजन के आधार (Basis of


Apportionment of Overheads)
व भ न उप र यय लागत मद का अनुभाजन कसी उ चत एवं तकसंगत आधार पर
कया जाना आपे त है। ऐसा होने पर ह लागत का सह सह नधारण कया जा
सकता है। व भ न उप र यय मद को अनेक आधार पर अनुभािजत कया जा सकता
है, वे आधार मु यत: न नानुसार हो सकते ह –
 उ पादन एवं सेवा वभाग वारा घेरे गये े फल का आधार
 व भ न वभाग क वभागीय मजदूर का आधार
 वभागीय स प तय का पू ज
ं ीगत मू य आधार
 उ पादन के य म घंटो का आधार
 उपल ध तकनीक सू चनाओं का आधार
 सव तम अनुमान का आधार
यहां पर यान दे ने यो य बात है क उप र यय लागत क मद का अनुभाजन
यावसा यक इकाई के यय क कृ त को यान म रखकर उपयु त आधार पर कया
जाना चा हये। इसके अ त र त अनुभाजन के आधार का चयन करते समय उ पादन
वभाग वारा ा त क गयी सेवाओं, यय क उपयो गता आ द को यान म रखना
उ चत ह होगा। वभागीय भु गतान मता, व लेषण/सव ण तवेदन आ द को भी
यान म रखा जाना चा हए।
अनुभाजन के भी दो तर हो सकते है। ाथ मक अनुभाजन तथा वतीय अनुभाजन।
जहां उ पादन वभाग के साथ साथ सेवा वभाग भी होते ह वहाँ पहले इन सभी
वभाग म उप र यय लागत का अनुभाजन कया जाता है। यह ाथ मक अनुभाजन है।
अब सेवा वभाग के आवं टत यय का पुन : उ पादन वभाग को, उ ह उपल ध कराई
गई सेवा अथवा उपयो गता के आधार पर वभाजन कया जाता है। यह वतीयक
अनुभाजन कहलाता है। सेवा वभाग के कु ल उप र यय का अनुभाजन करते समय म
नकासी क दर, वभागीय कायशील घंटे, न मत व तु ओं क सं या, वभागीय
कमचा रय क सं या, उपभोग म लये गये व युत कलोवाट, आ द आधार पर वचार
कया जाना चा हए। एक उदाहरण से इसे प ट कया जा सकता है।
उदाहरण 2

(68)
एक नमाणी सं था म तीन उ पादन वभाग एवं एक सेवा वभाग कायरत है। एक माह
से स बि धत लागत सू चनाएं न नानुसार है –
कारख़ाना भवन का मा सक कराया _ . 12000
कारखाना भवन का सामा य व युत यय _ . 7200
पयवे णीय भु गतान _ . 4800
सामा य बीमा यय _ . 7200
मशीनर पर मू य हास _ . 5400
म क याण यय _ . 1800
सामा य मर मत यय _ . 3600
इन सभी वभाग से स बि धत कु छ अ य सूचनाएं न नानुसार है –
ववरण वभाग A वभाग B वभाग C सेवा वभाग
वभागीय े फल 100 120 80वगमी. 20वगमी.
वगमी. वगमी.
वभागीय कमचार 20 20 15 05
मशीनर का मू य 21000 18000 12000 3000
वधु त पाइ टस 10 08 04 02
सेवा वभाग क सेवाएं 40% 40% 20%
वभागीय उप र यय का अनुभाजन क िजए।
हल–
वभागीय उप र यय का अनुभाजन
Items Total Basis of Deptt. Deptt. Deptt. Servic
Overheads Apportionment A B C e
Rs. Rs. Rs. Rs. Deptt.
Rs.
Rent 12000 Floor Area 3750 4500 3000 750
Lighting 7200 Light Point 3000 2400 1200 600
Supervision 4800 No. of Employees 1600 1600 1200 400
General 720 Floor Area 225 270 180 45
Insurance
Depreciation 5400 Value of 2100 1800 1200 3.00
machinery
Labour 1800 No.of Employees 600 600 450 150
welfare
Normal repairs 3600 Value of 1400 1200 800 2445
machinery
1st apportionmet (Total Overheads) 12,675 12,370 8030 2445

(69)
2nd apportionment (Service Deptt.) 978 978 489 -
Total Depatmental Overheads 13,653 13348 8513 -
उप र यय लागत अनुभाजन के स ब ध म यह ात रहे क एक ह यय का व भ न
वभाग म कई आधार पर वतरण कया जा सकता है।

3.4 उप र यय का सं याकन एवं सं हण (Codification and


Collection of Overheads)–
उप र यय लागत के वग करण एवं सं हण म सरलता एवं समानता क ि ट से
उप र यय क व भ न मद को उ चत शीषक दे ते हु ए उ ह एक सं या दान क जा
सकती है। इसे को डंग भी कहते है। ऐसा करने पर उप र यय क गोपनीयता बनाये
रखते हु ए उनक पहचान को सरल बनाया जा सकता है। इस काय हे तु येक लागत
के / वभाग को भी एक संकेतक दान कया जाता है, िजसे साम ी मांग प क,
उपकाय प क आ द पर अं कत कर दया जाता है। यह आव यक नह है क सभी
कार के उ योग म यह र त एक समान ह हो। ाबं धक य आव यकता एवं महता
के अनु प यह काय कया जा सकता है। सं याकन के अ तगत सं याओं के साथ–साथ
लघुश द (यथा – FTR for Factory, AD for Administration) का भी उपयोग
कया जाता है।
उप र यय लागत क व भ न मद का व लेषण एवं सं याकन करने के बाद उ चत
प से उनका सं हण कया जाता है। इस हे तु लागत लेखांकन के अ तगत रखे जाने
वाले वभ न प / ा प /लेखापु तक आ द का उपयोग कया जाता है। ये प
न न ल खत हो सकते है–
साम ी मांग प (Stores Requition Slips) – अ य साम ी क व भ न मद
का सं हण इन प से कया जाता है।
उपकाय/बेच प क (Job/Batch Cards) – सम त कार क अ य म लागत का
सं हण इन प से कया जाता है।
यय का माणक (Voucher for Expenses) – व भ न कार के अ य यय
क रा श इन माणक से ा त क जा सकती है।
अ य प (Other Registers etc.) – अ य यय क कु छ मद जैसे मू यहास
दू षत काय, केप आ द क जानकार अ य रिज टर / तवेदन से क जा सकती है।
उप र यय लागत का ठ क कार से सं हण एवं वभागीकरण का काय हो जाने पर
येक उ पादन वभाग/लागत के के कु ल उप र यय ात हो जाते ह। अब ये
वभागीय उप र यय (Departmental Overheads) कहलाते ह।

3.5 उप रवय का अवशोषण (Absorption of Overheads)


उप र यय लागत को लागत लेख म सि म लत कये जाने क एक नधा रत या
के अ तगत उप र यय का व लेषण, सं याकन, सं हण एवं वग करण का काय कया

(70)
जाता है। यहां तक का काय हम वभागीय उप र यय क कु ल रा श क जानकार
दान करता है। अि तम प से अब उप र यय को उ पा दत इकाईय पर वत रत
कये जाने क या उप र यय लागत का अवशोषण कहलाती है। अथात कु ल
वभागीय उप र यय को लगात इकाई को चाज कया जाता है तथा भ व य के लये
उप र यय भा रत करने क उ चत दर ात क जाती है।
CIMA England के अनुसार – ''लागत इकाइय को उप र यय का आवंटन
(Allotment) उप र यय का अवशोषण है।'' इसे य भी कहा जा सकता है क
वभागीय उप र यय क कु ल रा श को उस वभाग वारा उ पा दत इकाइय पर वतरण
क या उप र यय का अवशोषण है। खृं ला प म य भी कहा जा सकता है क
आवंटन (Allotment) एवं अनुभाजन (Apportionment) याओं के प चात
अवशोषण (Absorption) क या ार भ होती है। उप र यय के अवशोषण क दर
अनेक कार से ात क जा सकती है। िजसके आधार पर एक नि चत कायाव ध के
उप र यय से उस नि चत काया व ध म पूरे कये जाने वाले उपकाय को भा रत
कया जाता है। इसी आधार पर येक उ पाद उपकाय क अनुमा नत लागत ात क
जा सकती है।

3.6 उप र यय लागत के अवशोषण क व धयां/दर


(Methods/Rates of Absorption of Over–head Costs)
वभ न कार के उप र यय के अवशोषण हे तु अनेक कार क व धयां/दर ात क
जा सकती है। या मक आधार पर वग कृ त उप र यय के अवशोषण हे तु न नानुसार
व धयां अपनायी जा सकती है :
(अ) कारखाना उप र यय के अवशोषण क व धयां – कारखाना उप र यय के अवशोषण
हे तु मु ख व धयाँ न नानुसार है –
(1) य साम ी लागत पर तशत व ध (Percentage on direct Material
Cost Method)
(2) य म लागत पर तशत व ध (Percentage on Direct Labour
Cost Method)
(3) मू ल लागत पर तशत व ध (Percentage on Prime Cost Method)
(4) य म घंटा दर व ध (Direct Lobour Hour RateMethod)
(5) मशीन घंटादर व ध (Machine Hour Rate Method)
(6) मशीन घंटा दर एवं य म घंटा दर म त व ध (Combination of
Machine Hour and Direct Labour Hour Rate Method)
(7) उ पा दत त इकाई व ध (Rate per Unit Produced Method)
(1) य साम ी लागत पर तशत व ध – इस व ध के अ तगत येक उ पादन
वभाग के कु ल कारखाना उप र यय का वतरण वभागीय य साम ी लागत के

(71)
आधार पर कया जाता है। उप र यय अवशोषण हे तु दर का नधारण न न सू से
कया जाता है–
कुल वभागीय कारख़ाना उप र यय
कारखाना उप र यय अवशोषण = x100
वभागीय य साम ी लागत
जहां पर उ पादन म यु त साम ी एक ह कार क हो, साम ी मू य म
ि थरता रहती हो तथा यु त साम ी अ धक मू यवान हो, वहां पर अवशोषण क यह
दर ठ क रहती है। यह व ध सरल एवं प ट है। समझने एवं लागू करने म भी कोई
क ठनाई नह है।
दोष – ाय: कारखाना उप र यय क मद साम ी से स बि धत नह होने से यह व ध
तक संगत नह लगती है। व तु ओं का उ पादन भले ह समान या वारा होता हो
पर तु सभी उ पाद के लए साम ी एक समान मू य वाल योग म नह लायी जाती
है। मक क कु शलता, उप र यय क समय से स ब ता आ द का इस व ध म कोई
मह व नह है।
(2) य म लागत पर तशत व ध – यह व ध वभागीय साम ी लागत के थान
पर वभागीय य म लागत को उप र यय के अवशोषण का आधार मानती है।
सू प म –
कुल वभागीय कारख़ाना उप र यय
कारखाना उप र यय अवशोषण क दर = x100
वभागीय य म लागत
यह व ध सरल, समझने यो य एवं प ट है। पा र मक क दर म समानता, मक
क कु शलता का तर आ द को इस व ध म मह व दया जाता है पर तु यह व ध भी
अनेक उप र यय मद के लये तक संगत नह ं है। वशेष प से यहां म भु गतान का
आधार कायानुसार (piece rate) हो, वहां समय त व मह वपूण नह ं होता। इस व ध
म इस त य क उपे ा क जाती है। मशीनीकरण के इस युग म मक क सं या
अपे ाकृ त कम होती जा रह है। अत: यह व ध ठ क नह ं है।
(3) मू ल लागत पर तशत व ध – इस व ध के अ तगत उप र यय क अवशोषण दर
नधा रत करने हे तु मू ल लागत को आधार माना जाता है। सू प म –
कुल वभागीय कारखाना उप र यथ
कारखाना उप र यय अवशोषण दर = x100
वभागीय कारख़ाना मू ल लागत
जैसा हम जानते है क मू ल लागत के अ तगत य साम ी लागत य म
लागत एवं य यय का योग सि म लत कया जाता है। जहां मा पत व तु ओं का
उ पादन होता ह , म एवं साम ी क नर तर आव यकता बनी रहती है, मशीन का
उपयोग अ धक न होता हो, वहां यह व ध ठ क रहती है।
इस र त का मु ख दोष यह है क इसम मको क कु शलता, मशीन के उपयोग
आ द पर यान नह ं दया जाता। साम ी धान उ पाद म समय त व पर अ धक
यान नह ं दया जाता जब क उप र यय लागत ाय: समय से भा वत होती है।
उदाहरण 3
मैसस सू या दस के यहां एक उ पाद के बारे म वा त वक लागत इस कार ह –

(72)
य साम ी लागत 250,000 ., य म लागत 160000 ., य य
30000 . एवं वभागीय कारखाना उप र यय 20,000 हम एक कायादे श ा त होता
है िजस पर लागत अनुमान के अनुसार य साम ी लागत 100000 ., य
म लागत 70000 . एवं य यय 10000 . होगे। इस कायादे श क कुल
लागत ात क िजए, य द उप र यय लागत अवशोषण हे तु (1) य साम ी लागत
(2) य म लागत (3) मू ल लागत पर तशत व ध का उपयोग कया जाये।
हल –
साम ी लागत – .250,000
म लागत – . 160,000
य यय – . 30,000
मू ल लागत . 380,000
जोड़ा कारखाना उप र यय . 20,000
कु ल लागत – 400,000
कारखाना उप र यय क अवशोषण क दर –
(अ) साम ी लागत पर दर – 20000  250000 x 100 = 8 %
(ब) म लागत पर दर – 20000  160000 x 100 = 12.5 %
(स) मू ल लागत पर दर – 20000  400000 x 100 = 5 %
नये कायादे श क कुल लागत का तुलना मक ववरण प
लागत त व य साम ी पर य म पर मू ल लागत पर
दर व ध Rs. दर व ध Rs दर व ध Rs.
य साम ी लागत 100000 100000 100000
य म लागत 70000 70000 70000
य यय लागत 10000 10000 10000
मू ल लागत 180000 180000 180000
कारखाना उप र यय साम ी लागत का म लागत का मू ल लागत का
8% 12.5% 5%

कु ल लागत ( पये) 188000 188750 189000


य म घंटादर व ध – जहां उ पादन काय म म शि त का अ धक उपयोग होता
है वहां पर उप र यय लागत अवशोषण हे तु यह व ध ठ क रहती है। उप र यय लागत
दर ात करने हे तु एक नि चत अव ध म कु ल वभागीय उप र यय को उसी अव ध
म उ पादन हे तु यु त य म घंटो से वभािजत कर दया जाता है। उ पादक या
य म घंटो क गणना हे तु कु ल वभागीय म घंटो मे से वभागीय कायह न काल
के घंटो को घटा दया जाता है। सू प म –

(73)
एक नि चत अव ध के वभागीय उप र यय
कारखाना उप र यय अवशोषण दर = एक नि चत अव ध के वभागीय उप र यय
उसी अव ध के कुल म घंटे – सामा य कायह न घंटे
उप र यय के अवशोषण क यह दर अगल अव ध म कारखाना उप र यय क गणना
करने म यु त होती है। यह व ध म धान उ योग म अ धक उपयु त रहती है।
इस व ध वारा व भ न कार के मक के लये (यथा कु शल वग के मक तथा
अकु शलवग के मक) अलग अलग अवशोषण दर का भी प रकलन कया जा सकता
है।
इस व ध म एक सम या यह आती है क व भ न उ पादन वभाग म कायरत
मको के कायशील घंट को ात करने हे तु अलग से लखे रखने पड़ते है जो अ तत:
उप र यय लागत को बढ़ाते ह ह।
उदाहरण 4
मैसस राज मै यूफ च रंग क पनी के तीन उ पादन वभाग के बारे म सूचनाएं
न नानुसार ह:–
ववरण वभाग(A) वभाग(B) वभाग(C)
वभागीय उप र यय लागत . 8100 . 9000 . 6400
सामा य कायह न समय 30 घंटे 40 घंटे 60 घंटे
मक क सं या 15 20 24
सामा य काय अव ध एवं समय – येक माह म 26 दन, 9 घंटे त दन उप र यय
के अवशोषण हे तु य म घंटा दर व ध से दर ात क िजये।
हल –
सव थम वभागीय उ पादक म घंटो का प रकलन कया जायेगा –
येक माह के कु ल म घंटे(26x9) वभाग (A) वभाग(B) वभाग(C)
(A) 234 234x20=4680 234
घटाया सामा य कायह न समय x15=3510 40 घंटे x24=5616
30 घंटे 60 घंटे
उ पादक/ य म घंटे (B) 3480 4680 5556
उप र यय अवशोषण दर (A/B) .2.33 .1.94 .1.15
वभागीय उप र यय उ पादन/ य (Aprox) (Aprox) (Aprox)
म घंटे
5. मशीन घंटा दर व ध –
जहां उ पादन काय म मशीन का ह अ धक उपयोग होता हो, वहा कारखाना उप र यय
लागत के अवशोषण क दर ात करने क यह व ध उपयु त रहती है। अवशोषण क
यह, दर वा त वक भी होती है और भ व य के लये पूव नधा रत भी होती है। इसक

(74)
गणना हे तु वभागीय कारखाना उप र यय अथवा अवशो षत कये जाने वाले यय को
मशीन के प रचालन घंटो अथवा संभा वत प रचालन घंट से वभािजत कया जाता है।
मशीन घंटा दर व ध के अ तगत येक उ पादन वभाग/लागत के क सम त,
मशीन के लये अलग अलग मशीन घंटा दर ात क जाती है। य द उ पादन काय म
छोट छोट मशीन के समू ह काम म आते है तो येक समू ह क पृथक पृथक मशीन
घंटा दर भी ात क जा सकती है।
मशीन घंटाघर प रकलन व ध –
मशीन घंटा दर वध क गणना से पूव स पूण कारखाना उप र यय लागत को
व भ न उ पादन वभाग म आबं टत एवं अनुभािजत कर वभागीय उप र यय ात
कर लये जाते है।
उपयु तानुसार ात उप र यय का स बि धत वभाग वारा उ पादन हे तु यु त
मशीन म उ चत आधार पर वतरण क या वारा उप र यय म येक मशीन/
मशीन समू ह का ह सा ात कया जाता है।
मशीन/मशीन समू ह को एक इकाई मान कर ऐसा कया जाता है।
उप र यय का मशीन/मशीन समूह वार वतरण करने के प चात येक मशीन/मशीन
समू ह के अनुमा नत कायशील घ टे नधा रत कये जाते ह।
 तद तर येक मशीन/मशीन समू ह को आव टत उप र यय म उस मशीन
मशीन समू ह के कायशील अनुमा नत घंटो का भाग दे कर त घंटा मशीन दर
ात कर ल जाती है। इसी दर के आधार पर कसी व तु/उपकाय पर लगने
वाले मशीन घंटो के अनुसार उप र यय क रा श का अनुमान लगा लया जाता
है। समय समय पर मशीन के प रचालन घंटो एवं अनुमा नत घंटो म अ तर
को समायोिजत कर लया जाता है।
 मशीन घंटा दर गणना हे तु वभागीय कारखाना उप र यय को मशीन/मशीन
समू ह को वत रत करने क ि ट से दो भागो, यथा मशीन यय (Machine
Expenses) तथा थायी यय (Standing Expenses) म वभािजत
कया जा सकता है।
जहां मानवीय म क अपे ा मशीन का उपयोग अ धक होता ह वहां यह व ध ठ क
है और अवशोषण का एक तक संगत आधार तु त करती है। ऐसा होने पर
व तु/उ पाद/ सेवा क सह सह लागत क गणना क जा सकती है। पर तु यह
व ध थोड़ी ज टल एवं क ठन भी है। येक मशीन/मशीन समू ह का अलग अलग
हसाब रखना उप र यय लागत को बढ़ाता है। सरलता से इस व ध का योग नह
कया जा सकता।

मशीन घंटा दर ात करने हे तु उप र यय क मद का मशीन/मशीन समू ह अनुसार


अनुभाजन करने के लये व भ न आधार काम म लये जा सकते ह –

(75)
यय क कृ त मशीन /मशीन समू ह को अनुभाजन का आधार
थायी यय –
भवन का कराया मशीन वारा घेरे गये े फल के अनुसार
बजल यय येक मशीन/मशीन समू ह म कायरत व युत पाइ ट अथवा
मशीन वारा यु त े फल
ब धक/पयवे क का वेतन येक मशीन/मशीन समूह पर यतीत कया गया समय
बीमा यय येक मशीन/मशीन समूह का मू य
व वध यय प रि थ त अनुसार कसी भी उ चत आधार पर
मशीन यय –
मू य हास मशीन/मशीन समूह के मू यानुसार
पावर येक मशीन क मीटर र डंग अथवा पछले अनुभव के आधार
पर या मशीन का हॉस पावर
मर मत एवं अनुर ण यय मशीन/मशीन समू ह का पू ज
ं ीगत मू य अथवा कायशील घंटो के
अनुसार

उदाहरण 5
सोया ोड टस के बोट लंग ला ट म कायरत एक मशीन के लये उप र यय क दर
मशीन घंटा दर व ध से ात क िजए। वभागीय उप र यय एवं अ य सू चनाएं
न नानुसार ह –
उपभो य साम ी यय Rs. 3000
मर मत एवं अनुर ण यय Rs. 4200
व ुत शि त Rs. 2400
सामा य बजल यय Rs. 1200
कराया एवं कर Rs. 4800
भवन का बीमा ी मयम Rs. 400
मशीन का बीमा ी मयम Rs. 6000
मशीन पर मू य हास Rs. 6000
पयवे णीय यय Rs. 4200
अ य सू चनाएं – उपभो य साम ी का 25 तशत तथा मर मत यय का 1/6 इस मशीन पर
चाज कया जाता है। वभाग म कु ल तीन मशीने ह िजनका घेरा गया े फल : 100 वगगज,
200 वग गज एवं 200 वग गज है तथा मशीन हॉसपावर मश: 5 एचपी, 4 एचपी तथा 6
एचपी है। मशीन का पू ज
ं ीगत मू य मश: . 30,000 . 20,000 तथा . 50,000 है।
यह मशीन तीसरे नंबर क है। तीन मशीन के अनुमा नत प रचालन घंटे मश: 6000 घंटे,
7000 घंटे तथा 4000 घंटे है।
हल –
Computation of Machine Hour Rate
(76)
Particulars Amount Basis of apport. Amount Grand Total
(Rs.) (Rs.) (Rs.)
Standing Charges
Consumable Store 3000 25%(Given) 750
General Electricity 1200 Area (40%) 480
Rent & Rates 4800 Area (40%) 1920
Building Insurance 400 Area (40%) 160
Machinery 1200 Capital Value 600
Insurance 50%
Supervisor salary 4200 Area(40%) 1680 5590
Machine
Eaxpanses
Depreciation 6000 Capital 3000
value(50%)
Power charges 2400 H.P.(60%) 1440 6540
Repairs & 4200 Capital 2100
Maintenance Value(50%
Total Overcheads 12130
Productive Machine Hours
4000Hrs
Hourly Rate for Absorption Rs.3.0325/hr.
(12130  4000)
उदाहरण 6
श लनी ए टर ाइजेज़ के कारख़ाना क एक मशीन के बारे म न न ल खत लागत
सू चनाएं उपल ध है –
कारख़ाना भवन का मा सक कराया Rs.7000
कारख़ाना भवन का बजल का बल Rs.2800 ( त दो माह)
तकनीक टाफ का मा सक वेतन Rs. 8000
मशीन के ऑइल एवं अ य यय Rs.800 त दो माह
मशीन वारा यु त पावर का बल Rs.32400 वा षक
(6 यू नट त घंटा 2 . त यू नट)
मशीन के जीवन काल म अनुमा नत मर मत यय लगभग 31500 . ह गे। ऐसा
अनुमान है क मशीन का कायशील जीवन 9 वष होगा। मशीन क लागत ( थापना के

(77)
खच स हत) 800,000 . होगी एवं अवशेष मू य 35000 . अनुमा नत है। मशीन
वारा कारखाना भवन का 1/6 भाग घेरा गया है तथा तकनीक टाफ का लगभग
20 तशत समय इस मशीन पर यतीत होता है। कारखाना उप र यय के अवशोषण
हे तु मशीन घंटा दर ात क िजए।
हल –
Computation Of Machine Hour Rate
Particulars Detailed Total M.H.Rate
Amount Amount (2700 Hrs.)
Rs. Rs.
(A) Standing Charges –
Share in Factory Rent 14000
(7000x12)x1/6
Share in Electricity Bill 2800
(2800x1/6
Share in Salary of Technical 19200
Staff (8000x12) x 20%
Oil & other Charges (800x6) 4800
Total (a) 40,800 15.11
(B) Machine Expanses–
Depreciation (80,0000– 8500
35,000)/9
Power Consumption (Given) 32400
Repairs Charges (31500/9) 3500
Total (b) 44400 16.44
Grand Total (a+b) 85,200 31.55
Note:– Working Hours for Machine =
32400
  2700 = Hrs
12
3.7 मशीन घंटा पर ट प णयाँ
(1) मशीन का से टंग अप समय (Setting Up Time) – मशीन घंटा दर का नधारण
करते समय एक मह वपूण बात यह भी है क कसी भी काय को ार भ करने से पूव
मशीन को उस काय के लए सेट करना पड़ता है या तैयार करना पड़ता है िजसम
समय लगता है। इस से टंग टाइम को भी उ पादन काय का ह समय माना जाना

(78)
उ चत होगा य क मशीन सेट करना उ पादन काय क पहल आव यकता है। अत:
स टग टाइम मशीन के कायशील घंटो का ह अंग होगा।
(2) मशीन का कायह न काल (Idle Time) – कसी यावसा यक सं था के कारखाने म
उ पादन काय के दौरान कभी ऐसी प रि थ तयां उ प न हो जाती है जब क मशीन को
ब द रखना पड़ता है, यह कायह न काल होता है। पावर स लाई ब द हो जाना, मशीन
म तकनीक उ प न हो जाना, मक क हड़ताल या ब धक वारा तालाब द
घो षत करना आ द ऐसे कारण है, जब मशीन यथ पड़ी रहती है। ऐसा समय
असाधारण कायह न काल (Abnormal Idle Time) कहलाता है। चू ं क उपयु त कारण
ब धक य नयं ण से परे होते है, अत: ऐसे काल को मशीन घंटो म ह सि म लत
कया जाना चा हए। इस असाधारण कायह न काल क लागत ात करने हे तु
स बि धत उप र यय क कु ल रा श म मशीन के कायशील घंटे एवम ् असाधारण
कायह न घंटो के योग का भाग दे कर मशीन घंटा दर ात क जानी चा हये। इस
कार हम असाधारण कायह न काल क अलग से लागत नधा रत कर सकते है।
िजसका भाव उ पा दत इकाईय पर भा रत नह ं होगा। यह लागत (हा न) अब लाभ
हा न खाते को ह ता त रत क जायेगी।
नोट : असाधारण कायह न काल क मा ा को यान म रखते हु ए, कु छ व ान इसे
कायशील घंटो का अंग नह ं मानते ह।
(3) संयु त मशीन घंटा दर (Composite Machine Hour Rate) – जग मशीन
वारा उ पादन काय कया जाता है, वहां भी मशीन को चलाने के लये कमचार रखने
ह होते है। इन मशीन चालक को मजदूर का भु गतान कया जाता है िजसे ाय:
य म लागत म सि म लत कया जाता है। इस कार यह मूल लागत का ह
भाग होता है। कु छ वशेष प रि थ तय म मशीन घंटा दर क गणना करने के लये
चालक क मजदूर को उप र यय लागत म सि म लत कया जाता है और तब इस
कार से ात क गई मशीन घंटा दर संयु त मशीन घंटा दर कहलाती है। ले कन
ऐसा होने पर ऐसी य लागत उप र यय का भाग बन जायेगी जो क उ पाद/सेवा
क लागत के व लेषण को अशु कर दे गी। अत: ऐसा न कया जाना ह उ चत होगा।
उदाहरण 7
मैसस आभा पेपर माट के एक उ पादन वभाग के लागत संमक एवं अ य सू चनाएं
न नानुसार है :– थम तमाह म मशीन के कायशील घंटे िजसम मशीन का से टंग
अप 15 घंटे सि म लत है, 300 घंटे, अ धसमय 20 घंटे, अनुर ण समय 10 घंटे।
उ पादन वभाग म मजदूर का भु गतान 20 . त घंटा, अ धसमय (Overtime)
मजदूर का भु गतान 30 . त। तथा कसी वशेष कारण से मशीन बंद हो जाये तो
10 . त घंटा क दर से कया जाता है।
इस अव ध के यय : मर मत एवं अनुर ण पर 1200 . सामा य. पर 800 .
पावर 10 . त घंटा, अ य वत रत उप र यय 1600 .। मशीन क लागत

(79)
( थापना यय स हत) 80000 . (अनुमा नत जीवन काल 9 वष तथा अवशेष मू य
8000 . होगा।)
उपयु त सूचनाओं से वभाग क सरल मशीन घंटा दर तथा संयु त मशीन घंटा दर
क गणना क िजए।
हल
(A) Department X, Machine No 101
Computation of Machine Hour Rate (Simple)

Standing Charger Rs. Rs.


Normal Lighting 800 2400
Other Allocated 1600
Expenses

Machine Expenses
Repairs & 1200
Maintainance– 1200
Power Consumption 3100
(300 – 10 + 20) x Rs
10
Depreciation 6300
(80000 – 8000  9)  2000
1
4

Total Expenses 8700


Simple Machine Hour Rate (8700  310)Rs.28.06
(B) Composite Machine Hour Rate
Normal Wages
300 x 20 =
Rs. 6000
Overtime wages
20 x 30 = Rs. Rs. 6600
600
Working Labour Hrs. (290 + 20) 310
Labour Hour Rate (6600  310 Rs. 21.29
Composite Machine Hour Rate – Rs. 28.06 + Rs. 21.29 = Rs. 49.35
(80)
(4) मशीन घंटा दर एवं य म घंटा दर म त वध –
सामा यत: कसी भी यावसा यक इकाई के उ पादन वभाग म मशीन के साथ मक
वारा भी उ पादन काय कया जाता है। इसे य भी कहा जा सकता है क उ पादन का
कु छ काय मशीन वारा तथा कु छ काय मक वारा कया जाता है। अत: उ पादन
क इकाइय पर उप र यय लागत को भा रत करने के लये मशीन घंटा दर एवं म
घंटा दर, दोन का ह प रकलन कया जाना उ चत रहता है। दोन दर अलग अलग
ात करने के लये वभागीय उप र यय क मद मे से मशीन से संबं धत मदो को
अलग छांट लया जाता है। त प चात ् न नानुसार पृथक पृथक दर क गणना कर ल
जाती है।
मशीन से स बि धत उप र ययो का योग
मशीन घंटा दर =
मशीन के कायशील घंटे
मीको से स बि धत उप र यय को योग
य म घंटा दर =
य म घंटे
अब कसी भी उपकाय पर उप र यय ात करने के लये उपरो त दर को स बि धत
उपकाय पर लगने वाले मशीन घंटो एवं य म घंट से गुणा कर लया जाता है।
यह णाल मशीन घंटा दर एवं य म घंटा दर व ध द न व धय क क मयां
दूर करती है। मानवीय म एवं मशीनीकृ त म को यह णाल समान मह व दान
करती है।
पर तु इस णाल म क ठनाइयां है। उप र यय क मद को अलग अलग भाग म
छांटना तथा दो अलग अलग अवशोषण दर ात करना अपे ाकृ त क ठन एवं ज टल
है। उप र यय लागत ात करने हे तु दो दरो का प रकलन करना पड़ता है। अत: इस
णाल का सी मत उपयोग ह होता है।
(5) उ पा दत त इकाई लागत व ध –
उप र यय के अवशोषण क इस व ध के अ तगत एक नि चत अव ध के वभागीय
उप र यय म उसी अव ध म उ पा दत इकाईय क सं या का भाग दे कर उप र यय अवशोषण
क दर ात कर ल जाती है।
यह व ध उन प रि थ तय म ठ क रहती है जहां पर एक ह माप के अनुसार
व तु ओं का उ पादन होता हो तथा उ पादन क इकाई भी मा पत हो। उदाहरण के
लये एक मा पत आकार क शट के उ पादन क दशा म यह व ध उपयोगी होती है।
यहां उ पादन क या लगातार चलती रहती है।

3.8 शास नक उप र यय का अवशोषण


शास नक अथवा कायालय उप र यय को कसी उ पादन इकाइय या उपकाय क
लागत म सि म लत कये जाने हे तु इनके अवशोषण के लये कसी उ चत आधार पर
वचार कया जाना उ चत तीत होता है। यवहार म सामा यतया संपण
ू कारखाने के
लये एक ह अवशोषण दर ात कर ल जाती है िजसे एकसमान उप र यय दर
(Uniform Overhead Rate) कहा जाता है। इन उप र यय क दर न नानुसार
कसी भी एक आधार पर ात क जा सकती है।

(81)
(i) कारखाना लागत के तशत आधार पर (Percentage to Factory Cost)
शास नक उप र यय का योग
शास नक उप र यय दर = x 100
कारखाना लागत
(ii) कारखाना उप र यय के एक नि चत तशत के आधार पर शास नक उप र यय क
दर ात क जा सकती है।
शास नक उप र यय का योग
शास नक उप र यय दर = x 100
कारखाना उप र यय का योग
कारखाना लागत अथवा कारखाना उप र यय को आधार मानने के बजाय कु ल व य
रा श अथवा प रवतन लागत के आधार पर भी शास नक/कायालय उप र यय क दर
ात क जा सकती है।
(iii) व य रा श के आधार पर (Percentage to Total Sale Value)
शास नक उप र यय का योग
शास नक उप र यय दर = x 100
कुल व य क रा श
(iv) उ पादन त इकाई के आधार पर (Cost Per Unit)
शास नक उप र यय का योग
शास नक उप र यय दर = x 100
उ पा दत इकाईय क सं या
उपयु त म सवा धक च लत थम दो कार क दर है।
कु छ अ य वचार – शास नक उप र यय के बारे म एक वचारधारा यह भी है क इन
यय को उ पादन वभाग एवं व य वतरण वभाग म सि म लत कया जाना
चा हये । एक अ य वचारधारा के अनुसार इ ह लागत लाभ हा न खात म अ त रत
कया जाना उ चत है। पर तु ऐसा करने पर कसी व तु क उ पादन लागत का
प रकलन समु चत प से नह ं होगा। अत: इ ह उ चत आधार पर अवशो षत कया
जाना उ चत होगा।

3.9 व य एवं वतरण उप र यय का अवशोषण (Absorption of


Selling & Distribution Overheads)
यावसा यक इकाई के व य वतरण वभाग के उप र यय के अवशोषण हे तु दर ात
करने के लये शास नक उप र यय क तरह ह व ध अपनायी जा सकती है। य द
इन उप र यय क कु ल रा श बहु त ह कम है तो इनके लये पृथक से दर ात करने
क बजाय इ ह कारखाना उप र यय म जोड़ दया जाना चा हये या फर लागत लाभ
हा न खाते म भी अ त रत कया जा सकता है। पर तु रा श अ धक होने पर कारखाना
लागत पर अथवा ब मू य के तशत आधार पर या त इकाई उ पा दत के
आधार पर अवशोषण क दर ात क जा सकती है।

(82)
3.1 लागत लेख म उप र यय लागत का अ ध अवशोषण अथवा
यू न अवशोषण (Over or Under Absorption Costs in
Cost Accounting)
ाय: भू तकाल न प रणाम के आधार पर आगे आने वाले समय के लये उप र यय
लागत के अवशोषण क दर का प रकलन कर लया जाता है। ये दर अनुमा नत होती
है। अत: वा त वक यय क एवं अनुमा नत यय क रा श म अ तर होना वाभा वक
है। य द अनुमा नत आधार पर वत रत क गई उप र यय क रा श, वा त वक यय
क रा श से कम होती है तो यह ि थ त अ प अ धशोषण (Under Absorption)
तथा अनुमा नत वत रत रा श वा त वक यय रा श से अ धक होती है तो यह ि थ त
अ ध अवशोषण (Over Absorption) क होती है। उप र यय क रा श के अ ध
अथवा यून अवशोषण के अनेक कारण हो सकते है। वा त वक उ पादन क मा ा का
अनुमा नत या या शत उ पादन क मा ा से बहु त कम अथवा अ धक होना, अनेक
कारण से वा त वक यय क रा श का बहु त अ धक बढ़ जाना अथवा कम हो जाना,
उप र यय के वतरण क व ध का अनुपयु त होना अथवा व भ न यय के अनुपात
म प रवतन होना आ द वे कारण होते है िजससे अ ध अथवा यून अवशोषण क
ि थ त बनती है।
अ ध/ यून अवशोषण के लए लेखांकन (Accounting for Over or Under
Absorption)– उप र यय लागत के अ ध अथवा यून अवशोषण का लेखा इसक
रा श पर नभर करता है। य द अ ध अथवा यून अवशोषण क रा श बहु त कम है तो
इसे सीधे ह लागत लाभ हा न खाते म अ त रत कर दया जाना चा हये। पर तु य द
ऐसी रा श क मा ा अ धक है तो फर हम यह दे खना होगा क –
 ऐसे अ ध अथवा यून अवशोषण का वा त वक कारण या है। कोई
असाधारण कारण है तो ऐसी रा श लागत लाभ हा न खाते म अ त रत क
जाएगी।
 य द ऐसी ि थ त का कारण यय के वतरण क अनु चत है तो उ पादन
लागत को संशो धत करने के प चात ् अ तर क रा श को Cost of Sales
Account म अ त रत कर दे ना चा हये।
य द बना बका माल शेष हो तथा अ न मत माल (Work in Progress) भी हो,
तो उनक लागत को वा त वक लागत के अनु प संशो धत कया जाना चा हये।

3.11 सारांश
 कसी भी सं थान म उ पादन काय कये जाने पर य साम ी, य म एवं
य यय के अ त र त भी कु छ अ य दै नक खच होते ह, िज ह अ य यय
कहा है।

(83)
 उप र यय लागत, कु ल लागत का ह अंश है, सम त कार के अ य सामा ी यय
अ य म यय तथा अ य अ य यय के योग को उप र यय लागत कहा
जाता है।
 कसी भी व तु/सेवा क सह सह लागत का नधारण करने हे तु उप र यय क पहचान,
सं हण, आवंटन, अनुभाजन एवं अ तत: अवशोषण कया जाना आव यक है।
 उप र यय का वग करण अनेक कार से कया जा सकता है। वग करण के मु ख
आधार न नानुसार ह :
o या मक आधार
o प रवतनशीलता का आधार
o नयं ण का आधार एवं सामा यता का आधार।
 या मक आधार पर उप र यय का वग करण न नानुसार होता है :–
o कारखाना उप र यय
o कायालय एवं शास नक उप र यय।
o व य एवं वतरण उप र यय।
 प रवतनशीलता के आधार पर वग करण का, व प न नानुसार होता है:?
o प रवतनशील उप र यय [कारखाना, कायालय, व य एवं वतरण वभाग
क]
o थायी उप र यय [सम त उप र यय मद का। ]
o अ प रवतनशील उप र यय।
 जो उप र यय मदे कसी लागत के से सीधे तोर पर स बि धत होती है, उ ह उस
लागत के पर आबं टत कया जाता है। पर तु वपर त प रि थ तय म कसी उ चत
पर उनका लागत के को वतरण/अनुभाजन कया जाता है। यह उप र यय का
वभागीयकरण है।
 उप र यय मद का वभागीयकरण हो जाने के प चात उनको उ पा दत इकाइय को
भा रत कया जाता है। यह या उप र यय का अवशोषण कहलाती है।;
 उप र यय के अवशोषण क दर ात क जाती है। इस हे तु अनेक आधार उपल ध है।
यह ात क गयी दर उ पाद क भ व य क लागत का ठ क से पूवानुमान लगाने म
बहु त सहायक होती है।
 उप र यय का अवशोषण दो भाव उ प न कर सकता है। उप र यय अ ध अवशोषण
अथवा उप र यय का यून अवशोषण। दोन ह ि थ तय म वा त वक कारण का पता
लगाकर सह सह लागत का नधारण कया जाता है।
 उप र यय लागत अवधारणा, कसी भी उ पाद/सेवा क लागत का व तृत व लेषण
करने एवं उसे समझने म मह वपूण भू मका का नवाह करती है।
उपयु त ववेचन उप र यय लागत का च सं ेप म तु त करता है जो हम कसी भी
व तु/सेवा क लागत क या या करने एवं लागत नयं ण म मह वपूण सहायता दान
करता है।

(84)
3.12 वपरख न
1. उप र यय लागत अवधारणा को प ट क िजये।
2. उप र यय लागत क व भ न मद म से क ह ं चार के उदाहरण द िजए।
3. उप र यय लागत के वग करण क आव यकता य है?
4. उप र यय का ि थर एवं प रवतनशील लागत म वग करण करने का या मह व है?
प ट क िजए।
5. उप र यय के संदभ म न न को प ट क िजए :–
 उप र यय का आबंटन।
 उप र यय का अनुभाजन।
6. उप र यय लागत के अवशोषण को प ट क िजए।
7. मशीन घंटा दर णाल क उपयो गता समझाइये।
8. य म घंटा दर एवं मशीन घंटा दर क तु लना क िजए।
9. मशीन के कायशील घंट क गणना क िजए –
 सामा य अवकाश के दन 10 (र ववार को छोडकर)
 त दन सामा य काय घंटे 9
 कारखाना म तीन एक जैसी मशीन कायरत है।
 सभी मशीन अपनी मता के 80 तशत पर काय करती है।
 मशीन का कायह न काल (सामा य) 10 तशत।

3.13 यावहा रक न
1. सोना ोसेसस म तीन उ पादन वभाग वाला एक कारखाना है। वष 2008 क थम
तमाह के न न त य उपल ध है:–
व युत पावर पर यय .22000 सामा य बजल यय . 2000
मशीन का मू य हास . 30000 सामा य मशीन मर मत . 6000
सामा य उप र यय . 6000 म क याण यय . 4000
कराया एवं कर . 5500 उपभो य टोस . 6000
अ य स बि धत सू चनाएं न नानुसार ह :–
ववरण वभागA वभाग B वभाग C सेवा वभाग

संपि तय का मू य. . 120000 . 80,000 .100.000 -


य साम ी लागत . 16000 .24000 .32000 .8000
लोर ए रया (वगमीटर) 30 40 30 10
व युत पाइ ट 20 8 12 10
कमचा रय क सं या 12 10 14 04
व युत भार ( कलोवाट) 4000 3000 2000 1000

(85)
सेवा वभाग क सेवाएं 40% 35% 25%
येक वभाग के वभागीय उप र यय का अनुभाजन करते हु ए, वभागीय उप र ययो क
रा श ात क िजए।
2. अन त उ योग ल मटे ड के उपकाय सं या 247 पर लागत के संदभ म न न त या मक
सू चनाएं उपल ध
 य साम ी जो काम म ल गयी . 240000
 य मजदूर लागत . 96000
 अ य य यय . 4000
 कारखाना भवन का कराया . 48000
 अ य कारखाना यय . 24000
 कायालय भवन का कराया एवं कर . 18000
 अ य कायालय यय . 12000
य साम ी लागत, य म लागत एवं मू ल लागत पर तशत आधार कारखाना
उप र यय के अवशोषण हे तु दर क गणना क िजए। य द कसी अ य उपकाय िजसक ,
म एवं यय लागत मश: 300000 ., 160000 . एवं 20000 . हो तो इस
उपकाय के कारखाना उप र यय क रा श (तीन आधार पर) ात क िजए।।
3. जय इ ड ज के एक उ पादन वभाग म दो मशीने मश: मशीन X एवं मशीन Y का
उ पादन काय हे तु उपयोग होता है।। माच को समा त वष के लए सू चनाएं न न कार। है

ववरण मशीन x Rs. मशीन Y Rs.
मशीन का लागत मू य 415000 122000
मशीन का थापना यय 10000 8000
मशीन का अवशेष मू य 3000 1000
मशीन का मर मत यय वा षक
5400 3200
पावर का उपयोग
24000 8000
अ य सूचनाएँ :–
मशीन का कायशील जीवन 8 वष 8 वष
मशीन का कायशील वा षक घंटे 2400 2400
मशीन हेतु कारखाने का े 1/6 1/3
मशीन पर कायरत मक क सं या 08 05
पयवे क वारा मशीन पर बताया गया समय 30% 20%

(86)
सामा य यय :–
कारख़ाना भवन का कराया . 90000 वा षक
मशीन का बीमा ी मयम . 11500 वा षक
पयवे क का वेतन . 48000 वा षक
सामा य वधयुत यय . 13500 वा षक
स बि धत वष के लये कारखाना उप र यय के अवशोषण हे तु मशीन घंटा दर व ध से
अवशोषण दर का प रकलन क िजए।

3.14 संदभ पु तक
लागत लेखाकंन एवं लागत नयं ण – ओसवाल, माहे वर
लागत लेखाकन – जैन, ख डेलवाल, पार क
लागत लेखांकन – एमएल. अ वाल
लागत लेखांकन – म तल, माहे वर
Cost Accounting – N.K. Prasad
Cost Accounting – B.K. Bhar
Cost Accounting Text Book – V.K. Saxena and C.D. Vashist
Practical Costing – P.C. Tulsain
Cost Accounting – Ravi M Kishore

(87)
इकाई– 4 : या आधा रत लागत नधारण व ध अथवा ए
बी सी [Activity Based Costing (ABC)]
इकाई क परे खा –
4.0 उ े य
4.1 प रचय
4.2 ए बी सी लाग करने के कारण
4.3 ए बी सी क अवधारणा
4.4 ए बी सी म यु त पद
4.5 ए बी सी के चरण
4.6 उदाहरण
4.7 ए बी सी के लाभ
4.8 ए बी सी के दोष या सीमाएं
4.9 सारांश
4.10 प रभा षक श द
4.11 वपरख न/अ यास
4.12 यावहा रक न
4.13 उपयोगी पु तक /स दभ थ

4.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के बाद आप इस यो य हो सकगे क:
 लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी लागू करने का कारण जान सक
 लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी का अथ व अवधारणा समझ सक
 लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी क गणना हे तु व भ न चरण समझ सक।
 लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी के लाभ / सीमाएं जान सक।

4.1 प रचय (Introduction)


लागत के आधार पर मू य नधा रत करने वाल यावसा यक सं थाऐं लागत लेखांकन
के अनुसार य यय को उ पाद लागत तथा अ य यय को व भ न लागत
के म आबं टत कर उ पादन लागत म जोड़ती ह। अ य यय को उ पादन तथा
सेवा के म के उपरा त सेवा के के यय को समु चत र त वारा उ पादन के
म बाँटा जाता है। त प चात अवशोषण व ध वारा उ ह उ पाद पर बाँटकर लागत
ात क जाती है। पर परागत व ध म उप र यय सामा यत: य म घ टे तथा
मशीन घ टे के आधार पर बाँटे जाते ह जो इस मा यता पर आधा रत ह क अ धक
समय लेने वाले उ पाद पर अ धक उप र यय आबं टत कये जाने चा हये।
प रणाम व प अ धक मा ा वाले उ पाद (High Volume Products)

(88)
अ तलागतां कत (Over costed) तथा कम मा ा वाले उ पाद (low volume
Products) यून लागतां कत (Under Costed) से भा वत हो जाते ह। आबंटन क
क मय एवं बाधाओं के कारण वष 1960 से 1980 के बीच अ धक प रशु उ पाद
लागत क गणना हे तु या आधा रत लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी (Activity
Based Costing) का ादुभाव हु आ।

4.2 लागत नधारण व ध अथवा ए बी सी लागू करने के कारण


1. बढ़ती हु ई बाजार त पधा के कारण अ धक प रशु लागत ात करने क
आव यकता।
2. पर परागत लागत लेखांकन व धय का अथपूण उ पाद लागत के थान पर टॉक
मू य क आव यकता वारा संचा लत होना।
3. पर परागत लागत नधारण का औसत एवं अनुमान पर आधा रत होने के कारण
कायकार अ धशा षय (Working executive) म बढ़ता असंतोष।
4. यि तगत उ पाद क सभी लागत को कारण एवं भाव स ब ध के आधार पर जोड़ने
हे त।ु
5. व भ न वभाग क ग त व धय के अ तस ब ध को था पत करने हे त।ु
6. अ धकांश नमाणी क प नय म य म का कु ल लागत म तशत कम होते
जाना। अभी तक उ पाद पर उप र यय बाँटने का सामा य आधार रहा है।
7. उ पाद े णय म व तार, उ पाद च म कमी तथा उ पाद गुणव ता क बढ़ती माँग।
8. क यूटर क उपल धता के कारण त पध लाभ को ा त करने हे तु सू चना सं हण
क आव यकता अप रहाय हो गयी है।

4.3 ए बी सी क अवधारणा
ए बी सी के अ तगत उ पादन या म लागत से स बि धत बहु–सं यक याओं
पहचान क जाती ह।इन याओं को उ पाद एवं सेवाओं क लागत गणना हे तु आधार
के प म यु त करते है। लागत चालक (Cost drivers) वारा या लागत को
उ पाद म अवशो षत करते है। ए बी सी म उ पाद एवं सेवा वारा संसाधन उपभोग के
बजाय याऐं जो संसाधन उपभोग करती ह क पहचान क जाती है। उ पाद के थान
पर याओं पर मु ख यान दया जाता है। सी. आई. एम. ए. ल दन के अनुसार
“अ य याओं जैसे आदे श दे ना, सं थापन, क म व वास आ द से ा त लाभ के
आधार पर लागत इकाइय पर लागत का आरोपण ए बी सी है।'' इस कार हम कह
सकते ह क ए बी सी के अ तगत लागत को याओं यथा माल आदे श (Material
ordering), साम ी चालन (material handling) गुणव ता पर ण (Quality
testing) मशीन सं थापन (machine set ups) आ द के आधार पर एक त कया
जाता ह तथा उपकाय (job) तथा याओं (processes) िजनके लए लागत एक
क गई थी को उ चत प से आवं टत कया जाता है। ए बी सी उपकाय आदे श लागत
(89)
नधारण व ध तथा या लागत नधारण व ध, दोन का ह भाग हो सकती ह।यह
कसी वशेष या के प रणाम तथा सं था के संसाधन म या क माँग के बीच
संबध
ं पर जोर दे ती है। उ पाद , ांड , ाहक , सु वधाओं, े वतरण संवाहक
(distribution channels) वारा दान आय एवं उपभोग कए गए संसाधन क सह
त वीर ए बी सी वारा ब धक को ा त होती ह।
सं ेप म, यह एक ऐसी व ध ह िजसम लागत को याओं वारा उपभोग कये गये
संसाधन के आधार पर उ पाद एवं सेवाओं म आबं टत कया जाता है। ए बी सी म
उप र यय आबंटन दो तर पर कया जाता है। सव थम उ पादन या सेवा उप र यय
(संसाधन ) को या चालक के वारा उ पाद या सेवा (लागत ल य) के या लागत
संघ (Activity Cost Pools) म आबं टत करते है। त प चात वतीय तर पर
उप र यय आबंटन या स प न क जाती है। इसके अ तगत एक लागत चालक जो
ऐसी लागत को उ प न करने वाल याओं का समूह है, के आधार पर लागत को
न पत (Assigned) कया जाता है।

4.4 ए बी सी म यु त पद (Tern used in Activity Based


Costing)
1. लागत ल य (Cost object):– सं था के उ े य से जु ड़ा ऐसा ब दु िजसके लए
लागत का मापन कया जाता ह। एक उ पाद, एक ाहक लागत ल य के उदाहरण ह।
2. संसाधन (Resources):– िजनके लए सं था वारा भु गतान कया जाता है।
उदाहरणाथ, सु वधाऐं, यि त, उपकरण, मशीन आ द।
3. या (Activity):– यि तय या मशीन वारा स पा दत या जो संसाधन का
उपभोग तथा उ पाद का उ पादन करती है, या कहलाती है। या काय क एक
इकाई है।
4. गैर–मू य प रव धत या (Non–value added activity):– ऐसी या िजसका एक
उ पाद के मू य म कोई योगदान नह ं होता तथा िजसके लए ाहक भु गतान नह ं
करना चाहता। उदाहरणाथ जाँच, अनाव यक फाइ लंग, अ त र त समय काय, एक
काय थल से दूसरे काय थल तक साम ी संचलन आ द।
5. या लागत संघ (Cost driver):– या लागत संघ एक समूह (Group) ह िजसका
नमाण समान लागत चालक वाल या लागत (Activity Costs) के सं ह हे तु
कया जाता है। येक या के लये लागत संघ क आव यकता होती है। लागत संघ
पर परागत प त के लागत के के समान है।
6. लागत चालक (Cost driver):– लागत चालक से आशय ऐसे त व (Factor) से ह
िजसके कारण कसी या क लागत म प रवतन होता ह। लागत चालक या तथा
संसाधन उपभोग के म य स ब ध था पत करता है। मक समय, मशीन समय,
सं थापन (Set ups) क सं या, शोध एवं वकास म शोध उ पाद क सं या,

(90)
ोजे ट पर से ववग य घ टे , ोजे ट पर तकनीक ज टलताएँ (Technical
Complexities) आ द लागत चालक के उदाहरण है।
लागत चालक को दो भाग म बांट सकते है :
(1) संसाधन लागत चालक (A resource cost driver):– यह एक या वारा उपभोग
कये गये संसाधन क मा ा का मापन है। इसे एक संसाधन क लागत को या (an
activity) या लागत संघ (Cost Pool) को आबं टत (assign) करने हे तु यु त
कया जाता है।
(2) या लागत चालक (An activity cost driver):– यह माँग क आवृि त और
ती ता िज ह लागत ल य (cost objects) वारा याओं पर स बि धत कया
जाता ह, का मापस है। इसका योग या लागत को लागत ल य म आबंटन हे तु
कया जाता है।

4.5 ए बी सी के चरण (Stages in Activity Based Costing)


ए बी सी म यु त पद को समझने के बाद अब आप इस व ध के अ तगत उ पाद,
सेवा या ाहक हे तु या लागत बाँटने क न नां कत या का अ ययन करगे :–
1. वभ न याओं क पहचान :– सव थम काया मक े क प रचालन याओं का
गहन अ ययन कया जाता है। नगत (output) हे तु वां छत येक या म एक या
अ धक याएं सि न हत हो सकती है। इसम से गैर मू य प रवधन याओं को हटा
दगे य क ये अनाव यक प से लागत को बढ़ा दे ती है। काया मक े एवं
सि न हत याओं को हम न नां कत दो उदाहरण से समझ सकते ह: पहला
काया मक े भ डार ब ध ह तो उसम सि न हत याएं साम ी सं हण, मांग–प
क पू त , नर ण एवं जाँच आ द हो सकते है। इसी कार काया मक े यद
का मक ब ध ह तो याएं भत , पर ण, उपि थ त, अवकाश आ द का रकाड, म
नकासी आ द हो सकती है। याओं को मु ख प से चार भाग यथा इकाई तर
या, समूह तर या, उ पाद तर या, सु वधा तर याओं म बाँटा जा सकता
है।
2. लागत संघ का नमाण :– येक या के लये लागत संघ का नमाण कया जाता
ह। इसके अ तगत ऐसी या लागत िजनके लागत चालक समान ह, को एक कया
जाता ह। साम ी चालन, साम ी अवाि त, क म नयं ण, थापन आ द लागत संघ के
उदाहरण है।
3. लागत चालक क पहचान एवं चयन :– लागत संघ म संक लत लागत को लागत
ल य म आबं टत करने हे तु लागत चालक का योग करते है। याओं हे तु लागत
चालक क पहचान करते है। एक या हे तु अनेक लागत चालक हो सकते है।
उदाहरणाथ अनुर ण (Maintenance) एक या हो तो मशीन बंद (Machine
break downs) क सं या, अनुर ण सू ची (Maintenance Schedule), पूँजीगत

(91)
खच (Capital expenditure), या तर (Activity levels) आ द मु य लागत
चालक ह गे। लागत क सं या अनेक कारण से भा वत होती है। अ धक प रशु ता
क आव यकता हो तो अ धक लागत चालक ह गे। एक लागत चालक या उपयोग से
िजतना अ धक स बि धत होगा उसम कम लागत चालक ह गे। मु ख याओं से
स बि धत लागत चालक के कु छ उदाहरण है।
या लागत चालक
1. साम ी ाि त आदे श क सं या / ा त मद क सं या
2. साम ी चालन चालान क सं या
3. थापन चलने वाले उ पादन क सं या / थापन क
सं या
4. पै कं ग पैक इकाइय क सं या / सु पदु आदे श क
सं या
5. उ पादन नयं ण उ पादन क सं या
6. मशीन चालन लागत मशीन घ टे
7. ाहक सेवा बेची गई इकाइय क सं या
8. क म नयं ण नर ण घ टे
लागत चालक व भ न संगठन म अलग–अलग हो सकते ह ये संगठन के उ े यानुकूल
होने चा हए।
4. संसाधन लागत का याओं पर आवंटन:– लागत चालक क सहायता से संसाधन
लागत अथात ् उप र यय को याओं म बाँटा जाता है। येक या क लागत का
नधारण, या वारा संसाधन का उपभोग कहलाती है।
5. नगत पहचान एवं नगत पर या लागत का आवंटन : सभी नगत (outputs)
िजनके लए याऐं स पा दत (performed) क जाती ह तथा संसाधन का उपभोग
कया जाता ह उनक पहचान क जाती है। उ पाद (Product), सेवाऐं (Services)
अथवा ाहक– यि तगत या सं था नगत के उदाहरण है। अं तम चरण म नगत पर
या लागत का आवंटन या चालक के मा यम से कया जाता है। या लागत
चालन दर क गणना न नां कत सू वारा क जाती है :
या लागत चालन दर (Activity cost driver rate)
या क कुल लागत ( )
या चालक ( )
नगत पर संसाधन (उप र यय) वतरण क गणना कसी सेवा या व तु के नमाण म
या चालक क मा ा को लागत चालक दर से गुणा करके क जाती है।
4.6 उदाहरण
ए बी सी के अ तगत संसाधन (उप र यय) वतरण या को हम आगे दए गए
उदाहरण क सहायता से भल कार समझ सकते है।

(92)
उदाहरण : 1
ए ल मटे ड एक बहु उ पाद क पनी ह जो ए स वाई तथा जेड़ तीन उ पाद कु नमाण
करती है। 31 माच 2008 को समा त होने वाले वष के लए बजटे ड लागत तथा
उ पादन इस कार थे :–
ए स वाई जेड
उ पादन मा ा (इकाई) 40,000 30,000 16,000
संसाधन त इकाई
य साम ी ( कलो) 4 6 3
य म ( मनट) 30 45 60
बजटे ड य म घ टा दर त घ टा 10 . तथा बजटे ड साम ी लागत कलो 2
. ह। बजटे ड उ पादन उप र यय 9,94,500 . थ तथा य म घ टा दर के
आधार पर से अवशो षत कए गए थे। ए ल मटे ड ने अवशोषण लागतांकन व ध का
योग कया था।
ए ल मटे ड अब ए बी सी व ध अपनाना चाहते है, इस हे तु अ त र त सू चनाऐ इस कार ह:–
1. बजटे ड उप र यय न नानुसार ह :–

Material handling 2, 91,000


Storage cost 3, 12,000
Electricity 3, 19,500
2. न नां कत लागत चालक क पहचान क गई:–
Material handling Weight of material handled
Storage cost No. of batches of Material
Electricity No. of Machine operations
3. लागत चालक हे तु न नां कत समंक है:–
ए स वाई जेड
पूण उ पादन हे त:ु 10 5 15
Batches of
material
उ पादन क त 6 3 2
इकाई हे तु : No. of
Machine
operation
आपसे आ ह ह क :

(93)
1. अवशोषण लागतांकन व ध का योग करते हु ए येक उ पाद हे तु इकाई लागत तथा
कु ल लागत का ववरण बनाइये।
2. ए बी सी व ध का योग करते हु ए येक उ पाद हे तु उ पाद लागत ात करते हु ए
ववरण बनाइये।
हल : 1. अवशोषण लागतांकन व ध
ए स वाई जेड कु ल
(क) मा ा (इकाइयाँ) 4000 3000 16000 –
(ख) य म ( मनट) 30 45 60 –
(ग) य म घ टे (क  20,000 22,500 16000 58,500
ख)
उप र यय दर त य म घ टा क गणना इस कार होगी :
बजटे ड उप र यय  बजटे ड म घ टे
994500  58500 = 17 . त य म घ टे
30 45 60
ए स  17   8.50 ., वाई  17   12.75 ., जेड  17   17 .
60 60 60
इकाई लागत क गणना :
य लागत ए स वाई जेड
. . .
य साम ी 8.00 12.00 6.00

य म 5.00 7.50 10.00


उ पादन उप र यय 8.50 12.75 17.00
कु ल इकाई लागत 21.50 32.25 33.00
इकाईयाँ 40,000 30,000 16,000
कु ल लागत 8,60,000 9,67,500 5,28,000
2. या आधा रत लागतांकन व ध:
ए स वाई जेड कु ल

मा ा 40,000 30,000 16,000 –

त इकाई भार ( क ा.) 4 6 3

कु ल भार 1,60,000 1,80,000 48,000 3,88,000

त इकाई मशीन 6 3 2 –
प रचालन

(94)
कु ल प रचालन 2,40,000 90,000 32,000 3,62,000

कु ल साम ी समू ह 10 5 15 30

साम ी चालन दर ( त क ा)  2,91, 000  3,88, 000  . 0.75 त गा


व युत दर ( त मशीन प रचालन)  3, 91,500  3, 62, 000  . 1.082 त
मशीन प रचालन भ डारण दर ( त समू ह)  3,12, 000  30 समू ह = . 10400
त समू ह
इकाई लागत क गणना :
य लागत ए स वाई जेड
. . .
य साम ी 8.00 12.00 6.00
य म 5.00 7.50 10.00
उ पादन उप र यय :
साम ी चालन 3.00 4.50 2.25
 0.75  4   0.75  6   0.75  3
व युत 6.49 3.25 2.16
1.082  6  1.082  3  1.082  2 
भ डारण 2.60 1.73 9.75
कु ल इकाई लागत  10, 400   10, 400   10, 400 
 10  40, 000   5  30, 000  15  16, 000 
     
25.09 28.98 30.16
इकाइयाँ 40,000 30,000 16,000
कु ल लागत 10,03,600 8,69,400 4,82,560
उदाहरण : 2
बी मै यूफे च रंग ल मटे ड के बजटे ड उप र यय तथा लागत चालक का उपभोग इस
कार ह :
लागत संघ बजटे ड उप र यय . लागत चालक लागत चालक क
बजटे ड मा ा
Material 22,000 No. of orders 9,000
Procurement 37,000 No. of movements 5,500
Material Handling 18,000 No. of set–ups 1,050
Set–up 53,000 Maintenance 42,000
Maintenance 46,000 hours 17,000

(95)
Quality control 72,000 No. of Inspections 2,50,000
Machinery No. of Machine
hours
पाट सं या जेड सामा ी तथा) इकाइय के एक समू ह क य लागत 8400 क 115
म 7270 ( . ह एवं याओं क मजदूर इस कार है :
Material orders 168
Material movements 98
Set–ups 44
Maintenance hours 1220
Inspections 180
Machine hours 2120
एक समू ह क लागत या आधा रत लागतांकन व ध के अनुसार ात क िजये।
हल : लागत चालक दर क गणना
लागत संघ बजटे ड लागत चालक लागत चालक लागत चालक दर
(Cost Pool) उप र यय Cost Driver Budgeted Cost Driver
Budgeted Quantity of Rate
overhead cost Drivers
.
Material 22,000 No. of orders 9000 Rs.22,000 
Procurement 9000
37,000 No. of 5500 =2.44 per
Material movements order
Handling 18,000 1050 Rs. 37000 
No. of set– 5500
Set up 53,000 ups 1050 =Rs.6.73 per
movement
Maintenance 46,000 Maintenance 17000 Rs. 18000 
hours 1050
Quality = Rs. 17.14
control 72,000 No. of 2,50,000 setup
inspections Rs. 53000 
42000
Machinery = Rs. 1.26
No. of per hour

(96)
Machine Rs. 46000 
hours 17000
= Rs. 2.71
per
inspection
Rs. 72000 
250000
= Rs. 0.288
per hour
उपरो त लागत चालक दर के आधार पर उ पाद उप र यय क उ चत रा श
न नानुसार ात क जायेगी:
Cost of batch of 8400 part No. Z 115
Rs.

Direct Cost (Material and 7270.00


Labour)
Overheads :–
Material orders 168  Rs.2.44  409.92

Material movements  98  Rs.6.73 659.54

Set–Ups  44  Rs.17.14  754.16


Maintenance hours 1220  Rs.1.26  1537.20

Inspections 180  Rs.2.71 487.80

Machine hours  2120  Rs.0.288  610.56 4459.18


एक समू ह क लागत (Cost of a batch) 11729.18
उदाहरण : 3
एक क पनी मु ख प से एक ह तरह क उ पादन व ध एवं उपकरण यु त करते
हु ए उ पाद का नमाण करती ह। तीन उ पाद का ववरण एक अव ध वशेष हे तु इस
कार ह :
Product Hours per unit Materials Volumes

(97)
Labour Machine per unit units
hours hours
ProjectA 0.5 1.5 Rs. 25.00 1500
Project B 1.5 1.0 Rs. 15.00 2500
Project C 1.0 3.0 Rs. 30.00 14000
य म लागत त घ टा 8 . है। मशीन घ ट के आधार पर उ पादन
उप र यय का अवशोषण होता है। अव ध हे तु दर त मशीन घ टा 28 . है।
व लेषण करने पर ात हु आ क कु ल उ पादन उप र यय का वभाजन न नानुसार
कर सकते ह–
थापना स ब धी लागत 35% मशीनर स ब धी लागत 20%
साम ी चालन स ब धी 15% नर ण स ब धी लागत 30%
लागत
इसके अ त र त अव ध के लए याओं स ब धी सू चनाऐं भी द गई ह–
Product No. of setups No. of No of Inspections
movements of
material
A 75 12 150
B 115 21 180
C 480 87 670
आप से आ ह ह क आप –
1. येक उ पाद क त इकाई लागत क गणना पर परागत लागतांकन व ध के आधार पर
ात क िजए।
2. येक उ पाद क त इकाई लागत क गणना ए बी सी व ध के आधार पर ात
क िजए।
हल : (अ) पर परागत व ध :
Statement of product cost per unit
Particulars Rate Products
A B C
Direct Material – 25.00 15.00 30.00
Direct labour Rs. 8 per 4.00 12.00 8.00
Production overhead hour 42.00 28.00 84.00
Rs. 28 per
Machine
hour

(98)
Total Cost per unit 71.00 55.00 122.00
(ब) ए बी सी व ध :
Statement of product Cost per unit
Particulars Rate Products
A B C
Direct Material – 25.00 15.00 30.00
Direct Labour Rs. 8 per hour 4.00 12.00 8.00
Direct Cost (i) 29.00 27.00 38.00
Production 458150 78638 328226
 683.81
overhead 670 (683.81  75) (683.81  480)
51286
(i)Set up cost.
 683.81 75
per set up
(ii)Machinery 261800
 5.6 14000 235200
46750 (5.6  2500  (5.6  1400  3)
12600
1)
 5.6 1500 1.5
Machine hour
(iii)Material 196350
 1636.25 34361 142354
handling 120 (1636.5  21) (392.7  670)
19635
1636.5  12 
movement
(iv)Inspection 392700
 392.7 70686 263109
1000 (392.7  180) (392.7  670)
58905
 392.7  150 
inspection
Total Production 142426 197685 968889
overhead
No. of units 1500 2500 14000
Productions 95.00 79.00 69.00
overhead per unit
(rounded of (ii)

(99)
Total Cost per unit 124 106 107
(i) +
(ii)
ट पणी :–
(i) मशीन घ ट के आधार पर कुल उ पादन उप र यय क गणना इस कार क गई है।
मशीन घ टे  1500 1.5  2500  1  14000  3  46750 मशीन घ टे
कु ल उप र यय लागत  46750  28 (Rate of overhead)  1309000 .
(ii) कुल उप र यय लागत का व भ न लागत म आबंटन :–
Set up 35% = 4,58,150
.
Machinery 20% = 2,61,800
.
Material 15% = 1,96,350
handling .
Inspection 30% =
3,92,700, .
कु ल उप र यय लागत 1,30,9000 .
उदाहरण : 4
एक क पनी दो उ पाद बनाती ह तथा वष हे तु न नां कत संमक तु त करती ह
Product Annual Total Total number Total
Output machine of order number of
(units) Hours purchase set–ups
A 5,000 20,000 160 20
B 60,000 1,20,000 384 44
वा षक उप र यय इस कार ह :

Volume related activity Rs. 5,


costs 50,000
Set up related activity Rs. 8,20,000
costs
Purchase related costs Rs. 6,18,000
येक उ पाद ए तथा बी क त इकाई लागत क गणना करनी ह य द :–
(क) उप र यय पर परागत व ध से वसू ल कये जाते ह
(ख) उप र यय ए बी सी व ध से वसू ल कये जाते ह ।

(100)
Statement of Overhead Cost per Unit
Product A Product B
Annual output (unit) 5,000 60,000
Total Machine hours 20,000 1,20,000
Overhead Cost 2,84000 17,04,000
Component (20,000hrs  Rs. (,120,000hrs  Rs.14.20)
14.20)
Overhead cost per unit 56.80 28.40
(2,84,000  5000 (Rs.17,04,000  60,000
units) units)
Rs.19,88, 000
मशीन घ टा दर = कु ल वा षक उप र यय कु ल मशीन घ टे = = . 14.20
1, 40, 000 Hrs.
त घ टा
(ख) ए बी सी व ध :
सव थम याचालक दर (Activity driver rate) क गणना इस क जायेगी :–
(i) Machine hour rate = Total annual overhead
For volume related activities/Total machine hours
= Rs. 5, 50,000/1, 40,000 hrs = Rs. 3.93 approx
(ii) Cost of one setup = Total costs related to setup/Total No. of
set–Ups
= Rs. 8, 20,000/64 setup = Rs. 12812.50
(iii) Cost of purchase order = Total costs related to purchase/Total
no. of
purchase order
= Rs. 6,18,000/544 orders = Rs. 1136.03
Statement of Overhead Cost Per Unit Under ABC
Particulars Product A Product B
1. Annual Output 5,000 60,000
(Units)

2. Total Machine 20,000 1,20,000


Hours

3. Cost related to Rs. 78600 Rs. 471600 Rs. 78600 Rs. 471600
(101)
volume activities (20,000 hrs x Rs. (120,000 hrs x Rs.
3.93) 3.93)
4. Cost related to set Rs. 2, 56,250 Rs. 5, 63,750
ups (20 set ups x Rs. (44 set ups x Rs.
12812.50) 12812.50)
5. Cost related to Rs. 181764.80 Rs. 436,235.52
purchases (160 orders x Rs. (384 orders x Rs.
1136.03) 1136.03)
6. Total Cost(3+4+5) Rs. 516,614.80 Rs. 14, 71,585.52
7. Cost per unit(6÷1) Rs. 103.32 Rs. 24.53

4.7 ए बी सी के लाभ (Benefits of Activity Based Costing)


याओं के आधार पर संसाधन (उप र यय ) को नगत पर बाँटने क इस णाल के
लाभ सेवा उ योग म वशेष मह वपूण होते ह य क उनम य लागत क तु लना
म सु वधाओं क लागत एवं उ पाद के कार का वशेष थान ह। तथा प ए बी सी क
यह णाल संसाधन (उप र यय ) के उपभोग हे तु अ धक वा त वक आधार दान करने
के कारण नमाणी क प नय म भी अ धक उपयोगी स हु ई है। इस णाल के मु ख
लाभ न नां कत ह:–
1. संसाधन का बेहतर आबंटन होने से अ धक शु लागत ात होती है।
2. इस णाल के अ तगत उप र यय लागत के यवहार तथा उनके उ पाद, सेवा, ाहक,
भौगो लक े आ द के म य स ब ध को समझने म भी सहायता मलती है।
3. याओं क पहचान करते समय गैर–मू य प रवधक याओं क लागत ि टगोचर हो
जाती है। अत: गैर–मू य प रवधक याओं को हटाकर मू य प रवधक याओं पर
यान केि त कया जा सकता है। प रणाम व प लागत म कमी क जा सकती है।
4. ऐसी याऐं जो अंशधार मू य को बढ़ाती हो उन पर अ धक संसाधन आबंटन म
सहायता मलती है। कसी एक उ पादन को ब द करने तथा दूसरे को चलाये रखने या
ो सा हत करने हे तु भी लाभ दता आधा रत नणय लया जा सकता है।
5. इस णाल के वारा न पा दत मापन क सह सू चना मल जाती ह य क यह
संसाधन क अपे ा याओं पर अ धक यान दे ती ह।
6. एक वभाग से दूसरे वभाग को माल ह ता त रत करते समय ह ता तरण मू य ात
करने म सहायक होती है। इस णाल से लाभ मािजन तथा लाभ सु धार हे तु न पादन
मापन के स ब ध म प रशु सूचनाऐं मल जाती है।
7. येक या हे तु लागत चालक के मा यम से ऐसे त व पर अ धक अ छा नयं ण
कया जा सकता ह जो लागत बढ़ाने के कारण ह ।

(102)
8. उ चत एवं उपयु त सू चनाऐं ा त होने से यवसाय को त पधा मक ि थ त सु धार
हे तु अवसर मल जाते है।
9. लाभदायकता व लेषण एवं प रचालन नणय म यह णाल स ब ध था पत करती है।
10. इन सबके अ त र त यह णाल कसी उ पाद को बनाने या खर दने के नणय, बजट
नमाण, यूह रचना मक नणयन म उपयोगी होने के साथ–साथ सं था के तु लना मक
लाभ बढ़ाने म योगदान दे ती है।

4.8 ए बी सी के दोष या सीमाएं (Disadvantages or limitations


of Activity Based Costing)
1. लागत चालक का नधारण एक क ठन काय है।
2. ए बी सी णाल क थापना म सभी तर के यि तय के शा मल होने के साथ–साथ
समंक संकलन, व लेषण एवं तवेदन म अ य धक समय म व धन लगने से यह
अ धक ययकार हो जाती है जो छोटे व म यम आकार के उप म के लए अनुपयु त
हो जाती है।
3. अ यु त मता लागत आवंटन म सम या पैदा कर सकती है।
4. इसम अवसर लागत क उपे ा हो जाती है।
5. कु छ उप र यय ऐसे होते ह िज ह ए बी सी व ध के अनुसार उ पाद या पर आवं टत
नह ं कया जा सकता य क उनके बाँटने का न तो कोई अथपूण तर का
(Meaningful method) होता है, न ह उनके लागत चालक को नधा रत कया जा
सकता ह। उदाहरणाथ यवसाय चलाये रखने क लागत। अनाबं टत उप र यय क
अ य धक रा श लाभदायकता पर भाव डालेगी।
6. ाहक को अ धक मह व दे ने क ि थ त म घ टया उ पाद जैसी सम याऐं पैदा हो
जाती है, जो काला तर म व य म कमी के प म कट होती है।।
7. लागत पर अ य धक यान उ पादकता को हा न पहु ँ चा सकता ह तार कभी–कभी लागत
आवंटन लाभ द अवसर का भी याग करवा सकता है।

4.9 सारांश
उप र यय अवशोषण क पर परागत वध म य म घ टे एवं मशीन घ टे के
आधार पर उप र यय बाँटे जाने से अ धक मा ा वाले उ पाद अ त लागतां कत तथा
कम मा ा वाले उ पाद यून लागता कत हो जाते है। त पध बाजार म अ धक
प रशु लागत ात करने, लागत को कारण एवं भाव स ब ध के आधार पर जोड़ने,
व भ न वभाग क ग त व धय म अ तस ब ध था पत करने जैसी आव यकताओं
के कारण ए बी सी का ादुभाव हु आ। ए बी सी म लागत को येक या हे तु एक
कर लागत चालक के मा यम से लागत ल य को आबं टत कया जाता है। ए बी सी
णाल का सेवा उ योग म वशेष मह वपूण थान है। न पादन मापन एवं सुधार ,
संसाधन का उपयु त आवंटन, अ धक प रशु लागत, उ पादन बंद या चलाने स ब धी

(103)
नणय, बनाने या खर दने स ब धी नणय, लागत म से गैर–मू य प रवधक या
लागत हटाकर लागत म कमी, बजट नणय, यूहरचनामक नणय आ द अनेक लाभ
को एक उप म वारा ए बी सी अपनाकर ा त कया जा सकता है। य य प लागत
चालक नधारण म ज टलता, ययकार होने से संसाधन का दु पयोग, अवसर लागत
क उपे ा, घ टया उ पादन से व य म कमी, उ पादकता को आघात जैसी सम याएं
भी ए.वी.सी णाल म आती है।

4.10 पा रभा षक श द
या आधा रत लागतांकन : संसाधन का याओं वारा उपभोग के आपार पर लागत
ल य म आबंटन।
लागत ल य : उप म के उ े य से. जु ड़ा लागत मापन ब दु।
या : संसाधन उपयोग एवं उ पाद उ पादन करने वाल काय क एक इकाई।
लागत चालक : या क लागत म प रवतन का त व।
लागत संघ : समान लागत चालक वाल या लागत का समू ह।

4.11 वपरख न / अ यास


1. या आधा रत लागत नधारण व ध या ए बी सी को प रभा षत क िजए। (इसे लागू
करना य आव यक है?
2. ए बी सी क अवधारणा से या आशय है? इसके या वयन के चरण को एक
का प नक उदाहरण से समझाइये।
3. ए बी सी के लागू करने से एक उप म को या लाभ है? इस व ध के दोष एवं
सीमाओं का भी उ लेख क िजए।

4.12 यावहा रक न (Practical Questions)


1. न नां कत सूचनाओं के आधार पर ए बी सी का योग करते हु ए उ पाद क कुल लागत
ात क िजये:–
Activity Cost (Rs.) Annual Cost Product Cost
Driver Quantity Driver
Consumption
Material 6,00,000 60,000 Units 12,000 Units
Labour 4,00,000 20,000 Hours 6,000 Hours
Set–up 4,00,000 20,000 Hours 300 Hours
Production order 9,000 300 orders 25 orders
Maintenance 9,600 240 Machines 30 Machines
2. ए स ल मटे ड आर तथा एस दो उ पाद का नमाण करती है। ग त व ध संमक इस कार
ह:–

(104)
Product Total Total Total Annual
machine number of number of output in
hours set ups purchase units
orders
R 80,000 80 600 10,000
S 1,00,000 40 360 20,000
वा षक उप र यय इस कार है :
.
Volume related activity 5,00,000
costs
Purchase related costs 6,00,000
Set up related costs 8,20,000
आपको पर परागत लागतांकन व ध एवं ए बी सी व ध का योग करते हु ए उ पाद
क त इकाई लागत ात करनी है।
3. अ फा ल मटे ड अपने पाँच नये ाहक क लाभदायकता का व लेषण करने का नणय
करती है। यह 90 पये तबॉ स के हसाब से पानी क बोतल खर दती है तथा अपने
खु दरा ाहक को 108 . त बॉ स के हसाब से बेचती है। पाँच ाहक से
स बि धत समक इस कार ह :–
Particulars Customers
A B C D E
Cases sold (Units) 4680 19,688 1,36,800 71,550 8775
List selling price (Rs) 108 108 108 108 108
Actual selling Pirce 108 106.20 99 104.40 97.20
(Rs.) 15 25 30 25 30
No. of purchase 2 3 6 2 3
orders 10 30 25 2 3
No. of customer visits 20 6 5 10 30
No. deliveries
Kilometers travelled 0 0 0 0 1
per delivery
No. of expedited
delivery
या लागत चालक दर
Order taking Rs. 750 per purchase order

(105)
Customer Rs. 600 per customer visit
Deliveries Rs. 5.75 per delivery km.
travelled
Product handing Rs. 3.75 per case sold
Expedited deliveries Rs. 2250 per expedited
delivery
येक खु दरा ाहक (A,B,C,D) क ाहक तर प रचालन आय क गणना क िजए।

4.13 उपयोगी पु तक / स दभ ंथ (Further Reading /


Reference)
1. V.K.Saxena and C.D. Vashist, Advanced Cost and Management
Accounting, Sultan Chand & Sons New Delhi.
2. एम. आर. अ वाल, ब ध लेखांकन, म लक ए ड क पनी, जयपुर
3. The Management Accountant, January 2005.
4. The Management Accountant, June 2007.

(106)
इकाई–5: उपकाय लागत नधारण व ध (JOB Costing
Method)
एकाई क परे खा –
5.0 आशय
5.1 उप काय लागत नधारण व ध क वशेषताएँ
5.2 ठे का लागत नधारण व ध तथा उपकाय लागत नधारण व ध म अ तर
5.3 उपकाय लागत नधारण क काय व ध
5.4 ठे का लागत नधारण
5.5 ठे का खाते के डे बट प
5.6 ठे का खाते के े डट प
5.7 ठे के पर लाभ या हा न
5.8 समू ह लागत व ध
5.9 श दावल
5.10 सारांश
5.11 वपरख न 7 अ यास
5.12 यावहा रक न
5.13 उपयोगी पु तक 7 स दभ थ

5.0 आशय
ऐसा अनुब ध जो क केवल कसी काय वशेष के लए कया जाता है उपकाय
अनुब ध कहलाता है।उपकाय लागत व ध लागत ात करने क ऐसी व ध है िजसम
एक उप म वारा लए गए उपकाय अथवा कायादे श के लए लागत त व को अलग–
अलग ात कया जाता है।उपकाय लागत व ध, अ मा पत उपकाय (Non –
standard Jobs) लागत ात करने क व ध है जो ाय: ाहक के नदशानुसार पूरे
कए जाते है।इन उ योग म उपकाय या उ पादन आदे श स पूण नमाण या म
अपना अि त व बनाये रखता है। उपकाय णाल सामा यत: उन सं थाओं वारा
अपनायी जाती है जो क ाहक के यि तगत नदश एवं वशेष आदे श क पू त हे तु
पृथक् – पृथक् उपकाय या समू ह म उ पादन करते ह जैस–े फन चर उ योग, टंग
ेस, वकशाप, पेि टग उ योग, रे लवे लोकोमो टव, औजार नमाणी उ योग, मर मत
उ योग इ या द।
येक उपकाय को अलग अलग लागत के माना जाता है तथा येक उपकाय क
लागत तथा उस पर हु ए लाभ या हा न का ान ा त करने हे तु पृथक् उपकाय–प क
(Job card) तैयार कये जाते।

(107)
5.1 उपकाय लागत नधारण व ध क वशेषताएँ
इस व ध क मु ख वशेषताएँ न न ल खत है:
(1) केवल आव यकता के अनुसार ह उ पादन कया जाता है िजसम माल को टॉक करने
क कोई आकां ा–नह ं होती।

(2) व तु का नमाण कारखान म सामा य नमाण या के दौरान ह कया जाता है।


(3) येक उपकाय पर लाभ या हा न क जानकार अलग अलग ा त क जाती है।
(4) उपकाय क लागत तथा ग त पर नय ण था पत कया जा सकता है।

5.2 ठे का लागत नधारण व ध तथा उपकाय लागत नधारण व ध


म अ तर
ठे का लागत नधारण व ध तथा उपकाय लागत नधारण म मुख अंतर न न ल खत
है:
अ तर का आधार ठे का लागत नधारण व ध उपकाय लागत नधारण व ध
1 काय क कृ त ठे के सामा यत: नमाण काय से उपकाय सामा यता: उ पादन
स बि धत होते है। या से स बि धत होते है।
2 लागत नधारण इस व ध म अपूण ठे क क इस व ध म उपकाय पूरा होने के
लागत का भी नधारण कया बाद ह लागत का नधारण कया
जाता है। जा सकता है
3 काय थल यह व ध उन उधोग म लागू यह व ध उन उधोग म लागू होती
होती है,जहां नमाण काय है जहां नमाण काय कारखाना या
कारखाने के बाहर स प न होता नजी घर म ह होता है।
है
4 अव ध इस व ध म अपूण ठे क पर इस व ध म लाभ का नधारण
भी लाभ नधा रत कया जा उपकाय के पूरा होने के बाद ह
सकता है। कया जा सकता है
5 लाभ नधारण इस व ध म अ धकांश यय इस वध म यय का य
य प से वभािजत होते है। वभाजन बहु त सी मत होता है।
6 यय का यह व ध उन काय म यु त यह व ध उन काय म यु त
नयोजन होती है जो आकार व मू य होती है जो आकार व मू य म
छोटे होते है।
7 आकार यह व ध उन काय मे यु त यह व ध उन उधोग म लागू होती
होती है जो आकार व मू य मे है जहां काय सामा यत: कम
बड़े होते ह समय व ध म स प न होता है।

(108)
5.3 उपकाय लागत नधारण क काय– व ध (Procedure of Job
Costing)
िजस यवसाय म उपकाय लागत नधारण व ध अपनायी जाती है वहाँ पर ाहक के
आदे श ा त होने से लेकर उपकाय क समाि त तक न नां कत काय णाल यवहार
म अपनायी जाती है:
1 उपकाय आदे श सं या. ाहक से उपकाय आदे श ा त करने के बाद उसे एक सं या
आबं टत कर द जाती है ता क उसे पहचाना जा सके।
2 उ पादन आदे श: यह एक कार से काय ार भ करने का आदे श है योजना वभाग
वारा फारमैन को व तु का उ पादन ार भ करने हे तु ल खत म जार कया जाता है।
इसम उपकाय स ब धी सू चनाय (जैस–े उपकाय आदे श सं या, दनांक, ाहक का नाम,
उपकाय क मा ा एवं ववरण डजाइन, ार भ व समा त करने क त थ तथा अ य
आव यक नदश दये जाते है। इसका ा प अ ां कत कार का हो सकता है:
Production
Order
Serial No……………. Quantity ordered…………….
Code No……………. Date ordered……….
Description………….. Date of
commencement…..
Customers ‘Order Date of finish…………
No………
Materials required………
Operation Nos……….
Machine Nos……

Cloc Operatio Departme Operatio Quantity


k n No nt No n No Detail N Detail Mad Rejecte
s o s e d
Time
……………………….
Recorded by
Approved by

(109)
(3) लागत का लेखा करना: येक उपकाय पर यय कये गये साम ी, म व उप र यय
से स बि धत लेखा, उपकाय लागत सू ची म कया जाता है। इसका ा प न ना कं त
कार का हो सकता है:
उपकाय लागत सू ची
(Job Cost Sheet)
Description: Name of Customer: Date of delivery:
Quantity Job No: Date of start
Ref.No Job Cost sheet No. Date of completion:
Particulars Amount Rs. Amount Rs.
Materials
Labour
Direct Expenses
Prime Cost
Overheads:
Variable
Fixed
Total Cost
Profit
Selling price
Units produced………Rejection……..
Cost Per unit…….. Cost
Accountant…….……
उपकाय लागत सू ची म साम ी, म व उप र यय से स बि धत लागत का
एक ीकरण न न ल खत प से कया जाता है :
(अ) साम ी : कसी व श ट उपकाय पर यु त साम ी क लागत, साम ी मांग प
(Requisition Note) अथवा साम ी नगमन व लेषण सू ची क सहायता से
ात क जाती
(ब) म : येक उपकाय को पूरा करने म मक को द गई मजदूर का लेखा
मजदूर भु गतान ता लका क सहायता से कया जाता है। अ य मक का
' मक उप र यय माना जाता।
(स) उप र यय: उप र यय का सं ह वभागीय आधार पर थायी सं या के अनुसार
कया जाता है। पछले प रणाम के आधार पर अवशोषण दर तय इन उप र यय
को व भ न उपकाय पर भा रत कया जाता है।

(110)
4. उपकाय क पूणता (Completion of job) : उपकाय के पूण होने पा उपकाय
पूणता माण –प बनाया जाता है और इसक सू चना लागत वभाग को दे द जाती
है। इस माण–प म लागत के येक त व का योग लगाकर एक उपकाय क कु ल
लागत का नधारण कर लया जाता है तथा इस उपकाय के लए ा त मू य से
तु लना करके लाभ या हा न ात कर ल जाती है।
उदाहरण 1 :

उपकाय सं या P 201 पर वकास इ जी नय रंग व स ने न न ल खत य लागत


उठायी:–
Rs
6,415
Materials
Wages
Department I: 80 hours @ Rs5.00 per hour
Department II: 60 hours @ Rs800 per hour
Variable Overhead:
Department I: Rs 5,000 for 4000 direct labour hours
Department II: Rs 6,000for 3,000 direct labur hours
Fixed Overhead:
Estimated at Rs 7,500 for 10,000 hour normal working time of the
factory.
आपको उपकाय सं या P 201 क लागत ात करनी है तथा अिजत लाभ के तशत
का अनुमान लगाना है, य द उ त मू य 8,750 हो।
हल :
Cost Sheet
(For Job No.P 201)
Rs. Rs.
Direct Materials 6,415
Direct Wages
Department I: 80 hours @Rs 5.00 per hour 400
Department II: 60 hours @ Rs 8.00 per hour 480 880
Prime Cost 7,295
Variable Overheads:
Department I: 80 hours @ Rs 1.25 per hour 100

(111)
Department II: 60 hour @ Rs 2.00 per hour 120 120
Fixed Overheads: 140 hours @ 0.75 per hour 105
Total Cost 7,620
Profit (Balancing figure) 1,120
Selling Price 8,750
ट प णयाँ 1 उप र यय क अवशोषण दर न न कार ात क गई है।
Variable Overhead
Rate:
Department I= Rs 5,000 = Rs 1.25 per
hour
4,000hrs.
Department II= Rs 6,000 = Rs 2.00 per
hour
3,000 hrs
Fixed Overhead Rate= Rs 7,500 = Rs 0.75 per
hour
10,000hrs
चालू काय : जो उ पादन गत उपकाय से स बि धत होता है चालू काय कहलाता है। इसका
लेखा न न द व धय म से कसी भी कार कया जा सकता है।
1 कारखाने के लए एक कृ त चालू काय खाता बनाकर; अथवा
2 येक वभाग के लए एक चालू काय खाता बनाकर।

5.4 ठे का लागत नधारण (Contract Costing)


ठे का लागत लेखांकन का उपयोग सामा यत: मकान, पुल , सडक आ द बनाने वाले
ठे केदार वारा कया जाता है। कसी ठे के पर लगने वाल लागत तथा लाभ अथवा
हा न क गणना हे तु ठे का लागत नधारण व ध का उपयोग कया जाता है।
अ धकांशतया इसका उपयोग भवन नमाण अथवा सावज नक नमाण करने वाले
ठे केदार के लये कया जाता है। येक ठे के को अलग से लागत के माना जाता है
अथात ् येक ठे के हे तु लागत क अलग से गणना क जाती है। ठे केदाता वारा
चु काया गया मू य ठे का मू य कहलाता ह
वशेषताएं : ठे का लागत नधारण क कु छ मु ख वशेषताएं न न कार से है:
1. लागत इकाई :– येक ठे का एक काय ठे का होता है, अत: येक ठे के के लए अलग
से लागत ात क जाती ह। ठे के क पूणता के आधार पर का प नक लाभ क गणना
क जाती है।

(112)
2. ठे का खाता :– येक ठे के हे तु अलग से ठे का खाता खोला जाता है जो क येक ठे के
से स बि धत मद को समा व ट करता है। इस ठे के खाते के डे बट प म ठे के से
स बि धत सम त यय तथा े डट प म ठे के से स बि धत आय व ठे के पर शेष
बची व तु एं दखलायी जाती है।
3. साम ी : हे तु ठे केदार न केवल बाहर से माल खर दता है अ पतु अपने गोदाम से अथवा
अ य ठे के से माल को ह ता त रत कर सकता है।
4. मा णत काय : य द ठे का एक वष से अ धक अव ध का होता है तो लाभ क गणना
हे तु येक ठे केदार को अपने वारा कये गये काय को मा णत करवाना होता है। इस
कार आ कटे ट वारा मा णत काय तथा ठे का मू य के अनुपात के आधार पर
का प नक लाभ म से लाभ क गणना क जाती है।
5. अ मा णत काय : वष के अि तम दन आ कटे ट वारा काय का मा णत कया
जाना स भव नह ं होता। उदाहरणाथ य द कसी ठे केदार वारा 31 माच को खाते बंद
कये जाते है तथा आ कटे ट वारा 20 माच तक कये गये काय को मा णत कया
जाये तो 20 माच से 31 माच तक कया गया काय अ मा णत काय कहलायेगा।
6. अवधा रत रा श : अवधा रत रा श से आशय ठे केदाता वारा मा णत काय म से न
चु काई गई रा श से है। सामा यत: ठे केदाता मा णत काय क पूर रा श नह ं चु काता
है।
ठे का लागत नधारण क ि ट से ठे क को तीन भाग म बाटा जा सकता :
1 एक ह वष म पूरे होने वाले ठे के।
2 वष के अ त म अपूण ठे के।
3 लेखा वष के अ त म लगभग पूरे हु ए ठे के।
एक ह वष म पूण होने वाले ठे के : कई ठे के जो एक वष के भीतर समा त हो जाते है
तथा ठे कादाता से स पूण रा श ा त हो जाती है। इस कार के ठे क पर होने वाले
लाभ अथवा हा न को लाभ हा न खात म ह ता त रत कर दया जाता है।
इस कार के ठे के का ा प न न कार का हो सकता है –
Contract Account
Particulars Amount Particulars Amoun
t

(113)
To Material purchased issued By Material returned to
from supplier supplier
To Material issued from store By Material returned to
To material transferred from store
other contracts By Material transferred
To wages to other contracts
Add:ACCRUED Wages By Plant at site
To Direct Expenses
To indirect Expanses By Contractee’s Account
To contract cost (By Contract Price)
To Cost of extra work don
To Profit & loss account (Profit
transferred)

5.5 ठे का खाते म डे बट प क मद का ववरण


(1) साम ी
जो साम ी ठे के म काम म लाई जाती है, उसे न न तीन तरह से ा त कया जा
सकता है –
(अ) पू तकताओं से खर द– ठे केदार ठे के हे तु आव यक साम ी पू तकाता से खर द कर
ठे के पर काम म ले सकता है।
(ब) ठे के के लए टोर से नगमन – ठे केदार के पास सामा यत: कुछ माल अपने टोर
म पड़ा. रहता है, वह इसम से ठे के हे तु साम ी का नगमन कर सकता है।
(स) अ य ठे क से साम ी का उ त ठे के को थाना तरण – कभी–कभी उ त ठे के पर
साम ी क तु र त आव यकता हो जाती है ऐसी ि थ त म ठे केदार के नदश के अधीन
साम ी अ य ठे के अथवा ठे क से उ त ठे के को थाना त रत क जाती है।इस दशा म
साम ी ा त करने वाले खाते को डे बट तथा साम ी थाना त रत करने वाले ठे का
खाते को े डट कया जाता है। साम ी का इस कार का थाना तरण साम ी
थाना तरण नोट के मा यम से कया जाता है तथा स ब धत ठे के खातो म वि टयाँ
भी इसी नोट के आधार क जाती ह।
माना क Contract No.3000 से Contract No को कोई साम ी ह ता त रत क
जाती है तो न न व ट होगी –
Contract No .251 A/c Dr
To Contract No। 300 A/c
(2) म लागत अथवा मजदूर –

(114)
ठे का काय के लए साम ी के अ त र त मको क भी आव यकता होती है जैसे भवन
नमाण काय के लए सु परवाइजर, कार गर, बेलदार, कु ल इ या द। इनक मजदूर को
स बि धत ता लका (Wage Sheet) क सहायता से ात कर ठे का खाते के डे बट
प म दखा दया जाता ह।य द वष के अ त म कु छ मजदूर अिजत (Accrued)
अथवा अदत (Unpaid) रह जाती है तो उसे भी उ त मजदूर म जोडकर दखा दया
जाता है।
(3) अ य यय –
साम ी व म पर होने वाले यय को ' य यय' समझा जाता ह। इनके अ त र त
एक ठे का काय म न न कार के यय भी हो सकते ह, िज ह मला कर अ य
यय कहा जाता है:
(अ) अ य साम ी यय; (द) शास नक यय; तथा
(ब) अ य म लागत; (य) अ य यय
(स) उ पादन या नमाण यय:
इन यय के य द अलग–अलग ववरण ात ह तो इ ह ठे के खाते के डे बट प म
उ चत शीषक के अ तगत दखाना चा हए। य द अलग–अलग ववरण ात नह ं ह तो
अ य यय क कु ल रा श को ठे का खाते म “To Indirect Expenses के शीषक
के अ तगत दखाया जाता है। य द इन यय क भी कोई रा श वष के अ त म
अिजत या अदत है तो उसे भी स बि धत अ य यय म जोड़कर दखा दया जाता
है।
(4) ला ट (Plant) –
आधु नक समय म ठे क पर कु छ काय स प न करने हे तु ला ट क आव यकता होती
है। ला ट योग के स ब ध म न न ि थ तयॉ हो सकती है।
(अ) जब एक ह ला ट कई ठे के पर अलग–अलग दन के लए यु त होता हो;
अथवा
(ब) जब एक ह ला ट एक ठे के को पूण प से नग मत कर दया गया हो। ऐसी
ि थ त म उस ठे के के पूण होने पर वह ला ट या तो अ य ठे के को थाना त रत कर
दया जाता है अथवा टोर को वापस लौटा दया जाता है।
थम ि थ त म ला ट का योग व भ न ठे क पर हु आ है, अत; योग कये गये
दन के लए नधा रत दर से ला ट पर मू य–हास ात कर लया जाता है तथा उसे
ठे के खाते के डे बट प म ला ट पर मू य– हास' शीषक के अ तगत दखाया जाता
है। य द एक ह ला ट एक ह दन म अलग–अलग घ ट के लए कई ठे क पर
यु त हु आ है तो मू य– हास क रा श का नधारण त घ टा दर के आधार पर
कया जाता है तथा ठे के पर यु त घ ट के लए मू य– हास क रा श ात क जाती
है िजसे ठे के खाते के डे बट प म दखा दया जाता है।

(115)
वतीय ि थ त म कसी एक ठे के पर युका होने के लए ला ट को पूण प से
नग मत कर दया जाता है। ऐसी ि थ त म ला ट नगमन क त थ को ठे के खाते
को उसके लागत मू य से डे बट कर दया जाता है। ठे का पूण हो जाने पर ला ट
नगमन क त थ से ठे का पूण होने क । त थ तक नधा रत दर मू य– हास घटाकर
ला ट का अप ल खत मू य ात कर लया जाता है िजसे ठे के खाते के े डट प पर
‘Plant –at –Site’ म दखाया जाता है। कभी–कभी ठे का खाता ब द होने क त थ को
उ त ला ट क मू यां कत रा शद हु ई होती है, तो ऐसी ि थ त म ला ट का
अप ल खत मू य ात करने क आव यकता नह ं है और इस मू यां कत रा श को ह
ठे का खाते के े डट प पर दखा दे ना चा हए।
(6) उप–ठे का लागत (Costs of Extra Work Done)
कभी –कभी ठे केदार को अपने ठे के को पूण करने के लए उप–ठे का दे ना पडता है, जैसे
एक भवन नमाmण का ठे केदार उ त भवन म बजल फ टंग का काय अथवा फन चर
बनाने का काय उप– ठे केदार को दे सकता है। इन उप ठे क क स पूण लागत को
मु य ठे के पर यय समझा जाता है तथा इनको ठे के खाते के डे बट प म 'उप ठे के
लागते 'शीषक के अ तगत दया जाता है।
(7) अ त र त कये गये काय क लागत (Costs of Extra Done)
कभी–कभी मूल ठे के के अ त र त कु छ और काय भी ठे केदार से करवाये जाते ह।इन
अ त र त काय के लए ठे केदार ठे केदाता से अलग रा श ा त करता है। ठे केदार को
इन काय पर लाभ या हा न ात करने हे तु अलग खाता खोलना चा हए और उसम
इनस स बि धत लागत व आय को दखाना चा हए ता क मू ल ठे के व अ त र त काय
पर हु ए लाभ या हा न पृथक् –पृथक् ात हो सके। य द इस अ त र त काय क लागत
नग य हो तो ठे केदार उ त लागत को मू ल ठे के खाते के डे बट प म ह दखा सकता
है तथा इसके लए अलग से खाता खोलने क आव यकता नह ं है। इस दशा म
अ त र त काय के लए य द कोई रा श ा त होती है तो उसे भी मू ल ठे के खाते के
े डट प म दखा दया जाता है।

5.6 ठे का खाते के े डट प म दखाई जाने वाल मद का वणन


(1) साम ी क टोर को वापसी:
ठे के पर साम ी योग कर लेने के बाद य द कोई साम ी शेष बची रहती है और यह
समझा जाता है क उ त साम ी क अब ठे के पर आगे आव यकता नह ं होगी तो उस
साम ीको ठे केदार वारा टोर म वापस लौटा दया जाता है। इस लौटायी हु ई साम ी
के लागत मू य को छे के खाते के े डट प म साम ी टोर को वापस लौटायी
(Material Returned to Store) मद के अ तगत दखाया जाता है। इसका लेखा
साम ी वापसी नोट' (Material transfer note) के आधार पर कया जाता है।
(2) उ त ठे के से अ य ठे क को साम ी का थाना तरण –

(116)
कभी – कभी कसी अ य ठे के को साम ी क तु र त आव यकता पड़ जाती है। ऐसी
दशा म उ त ठे के से उस अ य ठे के को साम ी थाना त रत कर द जाती है। यह
थाना तरण ' ठे केदार के नदश के अधीन साम ी थाना तरण नोट' (Material
transfer note) के मा यम ये होता है तथा साम ी थाना तरण करने वाले ठे के
खाते के े डट प म 'अ य ठे क को साम ी। थाना त रत क गई' (Materials
transferred to other contracts) मद के अ तगत दखाया जाता है।
(3) थल पर साम ी (Material at site):
कई बार ठे का पूण होने के प चात ् या ठे का खाता ब द करने क त थ को' नग मत
साम ी म से काय– थल पर कु छ साम ी शेष बची रहती है। इस साम ी के लागत
मू य को ठे का खाते के े डट प म थल पर साम ी (Material) मद के प म
दखाया जाता है।
(4) थल पर ला ट (Plant at site):
ठे का पूण होने के प चात ् या ठे का खाता ब द करने क त थ को ' यु त ला ट'
सामा यत: काय थल पर शेष बचा रहता है। इस ला ट के अप ल खत मू य को ठे का
खाते के े डट प म ' थल पर ला ट' शीषक के अ तगत द शत कया जाता है।
(5) ठे का मू य (Contract Price):
ठे का काय पूण होने पर ठे का मू य ठे केदार को दे य हो जाता है तथा इस ठे का मू य से
ठे केदार क पु तक म न न ल खत वि ट क जाती है:
Contractee ‘s A/c Dr
To Contract A/c
इस जनल वि ट क खतौनी ठे के खाते के े डट प मे “By Contractee’s A/c
के प म क जाती है।
य द ठे केदार बीच–बीच म ठे केदाता से कोई रा श अ म के प म नकद ा त करता है
तो उस क अ म रा श से ठे केदार क पु तक म न न ल खत जनल वि ट क
जाती है:
Cash or Bank A/c Dr
To Contractee’s A/c
उस जनल वि ट क ठे के खाते पर कोई भाव नह ं पड़ता है। ठे का पूण हो जाने पर
ठे केदार ठे केदाता से ठे का मू य म से अ म रा शय को काटकर बाक रकम ा त कर
लेता है िजसके लए भी रोकड़ या बक खाते को डे बट तथा ठे केदाता के यि तगत
खाते को े डट कर दया जाता है। इस कार ठे केदाता का यि तगत खाता ब द हो
जाता है।

(117)
5.7 ठे के पर लाभ या हा न
ठे का खाते के े डट प के योग का डे बट प के योग पर आ ध य ठे के पर लाभ
समझा जाता है तथा उसे ठे के खाते के डे बट प म 'To P.&L.A/c’ लखकर लाभ–
हा न खाते के े डट प म थाना त रत कर दया जाता है। वपर त ि थ त म
अथात ् डे बट प के योग का े डट प के योग पर आ ध य ठे के पर हा न समझी
जाती है तथा इसे ठे के खाते के े डट प म 'By P.& L.A/c’ लखकर लाभ–हा न
खाते के डे बट प म थाना त रत कर दया जाता है।
वष के अ त म अपूण ठे के
Contract Account
Particulars Amount Particulars Amount
To Material purchase By Material returned to
from supplier supplier
To Material issued from By Material returned to
store store
To Material transferred By Material transferred to
from other contrects other contracts
To wages By Material at site
Add:Accrued Wages By Plant at site
To Direct Expenses
To Indirect Expenses By work in progress
To Sub Contract cost Work Certified
To Cost of extra work Work Uncertified
done
To Profit & Loss
account(Profit
transferred)
लाभ हा न खाते म ले जाई जाने वाल रा श क गणना न न कार ' जायेगी –
य द ठे का 25 तशत से 50 तशत तक पूरा हो चु का हो तो :
National profit x 1/3 x Cash received /Work certified
य द ठे का 50 तशत से अ धक पूरा हो चु का हो तो:
Notional profit x 2/3 x Cash received /Work Certified
लेखा वष के अ त म लगभग पूरे हु ए ठे के
लाभ हा न खाते म ले जाई जाने वाल रा श क गणना न न कार जायेगी –
(i) Estimated profit x (work certified /contract price)
(118)
(ii) Estimated profit x (work certified /Contract price) x (cash received/
work certified)
(iii) Estimated profit x (cost of date /estimated total cost)
(iv) Estimated profit x (cost of work date /Estimated total cost) x (cash
received/Work certified)
उदाहरण 1 :
एक ठे केदार ने 55,00,0000 . म ि व मंग पूल तथा टे डयम बनाने का ठे का
लया। काय 1 जनवर 2008 को ार भ हु आ तथा18 माह म पूण होगा। 30 जू न
2008 को पूल , ारि भक काय पूण हो गया। 30 जू न 2008 तक कये गये यय
का ववरण इस कार है –

Value of plant sent to site Rs.


25,00000
Stores sent from depot 6,400
Materials purchase:
Cement 92,000
Reinforcing rods 1,84,000
Send and ballast 54,400
Fuel oil for bulldozers 59
Wages paid 2
Wages accrued 10
Direct expenses 44
Miscellaneous 6
expenses and overheads
15 जू न 2008 तक कये गये काय को मा णत कया गया तथा जो 1600000
तथा 15 जू न से 30 जू न 2008 तक कये गये काय क लागत 1,40,000 . था।
मा णत काय का 15 तशत रा श रोककर बा क रा श का भु गतान कर दया गया।
30 जू न 2008 को पु तक ब द क गई। उस दन ला ट का मू यांकन
21,20000 . कया गया तथा थल पर साम ी 35000 . क शेष रह ।
आपको ठे का खाता बनाना है तथा लाभ हा न खाते म ले जाई जाने। रा श क ट पणी
दे नी है।
Contract account
(From 1 st
January, 2008 to 30th June, 2008)
Dr. Rs. Cr. Rs.

(119)
To materials: By Material in hand 35,000
Stores 6,400 By plan (less 21,20,000
depreciation)
Cement 92,000 By work–in–progress
Reinforcing rods 1,84,000 Work certified
16,00,000
Sent and ballast 59,400 Work uncertified 17,40,000
54,400 1,40,000
Fuel oil for bulldozers
To wages paid 2,73,200 3,96,200
+ Wages accrued 10,400
To Direct expanses 2,83,600
To plant at cost 44,000
To mise. Expenses and 25,00,000
overheads
To notional profit 6,04,00
67,200 38,95,000
30.6.08 38,95,000 30.6.08
To profit and loss A/c By Notion profit 67,200
To Work–in–progress 19,040
(Profit in reserve) 48,168 67,200
1.7.08 67,200 1.7.08
To Material b/d By Work–in–progress
b/d
To Plant b/d 35,000 (profit in reserve) 48,160
To WORK–IN–PROGRESS 21,20,000
Work certified
Work uncertified 1,40,000 16,00,000
17,40,000
Working notes:

(i) Cash received:


Rs
Value of Work certified 16,00,000
(120)
Less: Retention 15 percent 2, 40.000
13,60,000
(ii) Profit to be taken to the profit and loss account:
चूँ क ठे का म व म के म य पूण है, अत: लाभ–हा न खाते म ले जाये जाने लाभ–हा न
क गणना न न कार करगे :–

= x Notional profit x Cash received


Work certified
= XrS 67,200XRs 13,60,000 =Rs . 19,040
RS 16,00,000
उदाहरण 2 :
एक क पनी ने बहु तल वाले भवन के नमाण का ठे का लया। भवन नमाण काय
ै 2008 म
अ ल ार भ कया गया। ठे का मू य 90,00,000 . था। लेखा वष के
अ त तक ठे के पर 36,00,000 . ा त हो गये थे जो क मा णत काय का 80
तशत है। न न अ य ववरण उपल ध है –
Rs.
Materials issued to contract 18,00,000
Materials in hand at site as at 31 st
75,000
March, 2009
Wages 24,66,000
Plant purchase specially for the 3,00,000
contract and to be depreciated at 10%
per annum
Direct expanses incurred 1,29,000
General overheads allocated to the 76,000
contract
Work finished but not yet certified 1,50,000
आपको ठे का खाता बनाना है तथा एक लाभ हा न ववरण 31 माच 2009 बनाना है
िजसम ठे के पर अिजत लाभ को लाभ हा न खात म ले जाने क व त त या या हो
तथा से स बि धत मद को च े म दखाना है।
हल :
Contract for the year ended 31st March 2009
Rs Rs

To materials 18,00,000 By work–in–

(121)
issued progress
To wages 24,00,000 Work certified 45,00,000
To Direct 1,29,000 Work not certified 1,50,000 46,50,000
expanses
To plant 3,00,000 By materials in 75,000
purchases hand
TO General 76,000 By plant (less 2,70,000
overheads depreciation)
To Notional profit 2,24,000

49,95,000 49,95.000

31.3.2009 31.3.2009
To Profit & loss 1,19,467 By notionl profit 2,24,000
A/c
To work–in–
progress 1,04,533
(Profit in reserve)
2,24000
1.4.2009 1.4.2009
To Material in 75,000 By Work–in– 1,04,533
hand progress
(profit in reserve)
To plant 2,70,000
To Work–in–
progress
Workcertified
45,00,000
Worknot certified 46,50,000
1,50,000

Extract of the balance sheet as at 31st March 2009


Asset 2,70,000

(122)
Plant at site
Current asset
Material in hand 75,000
Work in–progress:
Work certified
45,00,000
Work uncertified
150,000 45,45,4667

46,50,000 9,45,467
Less:Profit in reserve
1,04533
Lass: Cash received
36,00,000
Working notes
(i) Value of Work certified
100 100
Cash received x   Rs36, 00, 000 x Rs 45, 00, 000
80 80
(ii) Profit to be taken to the Profit and loss account (contract is ½
complete) hence.
=2/3 x Notional profit x Cash received
Work certified
=2/3x Rs 2,24,000 x Rs36,00,000
Rs 45,00,000 = Rs 1,19,467
उदाहरण 3 :
न न ववरण एक ठे के से स बि धत है जो क 31 माच 2009 को अपूण है –
Materials Rs. 8,00,000
Wages Rs. 7,00,000
Direct Charges Rs. 5,00,000
ठे केदाता से 20,00,000 . ा त हु ये जो क मा णत काय का 80 तशत है। लाभ
हा न खाते म ले जाई जानी वाल रा श क गणना क िजए। अ मा णत काय क लागत
1,00,000 . है तथा ठे का मू य 40,00,000 . है।
हल :
Contract Account

(123)
(For the year ended 31st march 2007)
Rs Rs
To Materials 8,00,000 By Work–in– progress
To Wages 7,00,000 Work certified 25,00,000
To Direct charges 5,00,000 Work uncertified 26,00,000
To Notional profit 6,00,000 1,00,000
26,00,000 31 March 2009
st
26,00,000
To Profit and loss A/c 3,20,000 By Notional profit
To Work–in–progress 2,80,000 6,00,000
(profit in reserve) 1 April 2009
6,00,000 By Work–in–progress 6,00,000
1 April 2009 (profit in reserve)
To Work–in–progress 2,80,000
Work certified 25,00,000 26,00,000
Work uncertified
1,00,000
Working notes:
Value of work certified

= Rs. 20,00,000 X100/80 = Rs. 25,00,000

The amount of notional profit to be taken to the profit and loss


account (work is more than ½ complete):

= 2/3 X Notional profit X Cash received / Work certified


= 2/3 X Rs. 6,00,000 X Rs. 25,00,000
= Rs. 3,20,000
Total expenditure incurred by the contractor to date Rs 28,00,000
Estimated additional expenditure(including provision for contingencies)
Rs.2,00.000
Contract price Rs. 36,00,000
Value of the contract certified Rs. 32,40,000
Cost of work done but not yet certified Rs. 1,00,000

(124)
Cash received Rs. 29,16,000
यह ठे का लगभग पूण होने को है । का प नक लाभ तथा अ भकि पत लाभ क गणना
करते हु ए व भ न व धय का उपयोग करते हु ए 31 माच 2009 लाभ हानी खाते म ले
जाई जाने वाल रा श ात क िजए।
उदाहरण 4.
न न ववरण एक ठे केदार क पु तक से 31 माच 2009 को लये गये ह:–
Total expenditure incurred by the contractor to date Rs. 28,00,000
Estimated additional expenditure (including provision For Rs. 2,00,000
contingencies)
Contract price Rs. 36,00,000
Value of the contract certified Rs. 32,40,000
Cost of work done but not yet certified Rs. 1,00,000
Cash received Rs. 29,16,000
यह ठे का लगभग पूण होने को है। का प नक लाभ तथा अ भकि पत लाभ गणना करते हु ए
व भ न व धय का उपयोग करते हु ए 31 माच 2009 लाभ हा न खाते म ले जाई जाने वाल
रा श ात क िजए
हल :
Computation of notional profit
Value of work certified Rs.32,40,000
Less: cost of work certified
(Rs.28,00,00–Rs.1,00,00) Rs. 27,40,000
Notional profit Rs. 5,40,000
Computations of estimated profit
Contract price Rs. 36,00,000
Less: Cost work to date
28, 00.00
Estimated additional expenditure Rs. 30,00,000
2,00,000
Estimated profit Rs. 6,00,000
व भ न व धय के अ तगत ह ता तर त कए जाने वाले लाभ क गणना न न कार होगी :
(i) Estimated profit x work certified/contract price
= Rs.6,00,000 x Rs. 32,40,000/Rs. 36,00,000
=Rs. 5,40,000

(125)
(ii) Estimated profit x work certified/Contract profit x cash
received/work certified
=Rs.6,00,000 x Rs.32,40,000/Rs.36,00,000 x Rs.29,16,000/
Rs.32,40,000
=Rs.4,86,000
(iii) Estimated profit x cost of to date/Estimated total cost
=Rs.6,00,000 x Rs.28,00,000/Rs.28,00,000+2,00,000
=Rs.5,60,000
(iv) Estimated profit x cost of date/Estimated cost x Cash
received/work certified
=Rs.6,00,000 x Rs.28,00,000/Rs.30,00,000 x Rs.29,16,000

5.8 समू ह लागत व ध (batch Costing)


िजन उ योग म एक ह कार क समान व तु ओं का उ पादन समू ह म यवि थत
कया जाए, उन उ योग म लागत नधारण व ध अपनाई जाती है उसे समू ह लागत
व ध कहा जाता है। इस व ध के अ तगत व तु ओं के समू ह को लागत क इकाई
माना जाता है अथात ् येक समू ह को एक उपकाय मानकर इसक लागत ात क
जाती है।
सामा यतया समू ह लागत व ध का योग खलौने, जू त,े सले– सलाए कपडे, कार ,
दवाइय और घ ड़य के पुज आ द उ योग म कया जाता है।
मत ययी समू ह मा ा (Economic batch Quantity)
िजन उ योग म समू ह लागत व ध अपनाई जाती है उनम मत ययी समू ह मा ा का
नधारण कया जाता है। इसका अ भ ाय समू ह म उ पा दत क जाने वाल व तु ओं क
उस सव तम मा ा से है िजसम लागत तथा लाभ अ धकतम करने म सहायक हो।
इसके नधारण म '–'' त य पर यान दे ना चा हए :
1. उपकरण को सेट करने क लागत (setting–up cost): अ तगत मशीन एवं स य
को एक वशेष समूह के उ पादन के लए करने क लागत है। यह लागत थायी होती
है तथा समूह म उ पादन क मा ा म प रवतन होने से प रव तत नह ं होती है। समू ह
म व तु ओं क मा ा अ धक होने से त इकाई लागत कम होती है।
2. सं ह करने क लागत (Carrying Cost): इसम गोदाम का कराया , बीमा यय,
व नयोग पर याज , अ चलन होने क लागत, दे खरे ख क लागत, इ या द सि म लत
है। समू ह म व तु ओं क मा ा िजतनी अ धक होगी यह लागत उतनी ह अ धक हो
जायेगी।
मत ययी समू ह मा ा ात करने के लए सू न न ल खत होगा–

(126)
2US
Economic batch Quantity (EBQ)
C
Where U=NO.of units to be produced in a year
S=Set up cost per bacth
C=Carrying cost per units
उदाहरण 1
न न ल खत सू चनाओं से मत ययी समू ह मा ा क गणना क िजए.
Production per year =5,000 units
Set–up cost per batch–Rs.3000
Carrying cost per units= Rs.0.20
हल :
U = 5,000 units
S = Rs.300
C = 0.20
2 x5, 000 x300
EBQ =  3873units
0.20
उदाहरण 2
एक ठे केदार को 10000 पेपर कोन त दन टे सटाइल ठे केदार ने जब उ पादन शु
कया तब इसे ात हु आ क वह 25000 पेपर कोन का त दन उ पादन कर सकता
है। पेपर फ़ोन को टॉक म रखने पर तवष 2 पैसे त पेपर कोन क लागत आती
है तथा उ पादन के समय उपकरण को सैट करने लागत 18 है। बताइए क कतनी
ज द उ पादन च को बनाना चा हये ?
हल :
2US
EBQ 
C
Where U = Units to be producted per year
= 10,000 X 365 days = 36,50,000
S = Setting–up cost per production run or batch = Rs 18
C = Carrying cost per units for one year=Rs.0.02
2US
EBQ 
C
2 x36,50, 000 x18
 18.056units
0.02

(127)
5.9 श दावल
उपकाय लागत नधारण : ाहक के नदशानुसार न पा दत उपकाय क लागत ात
वध करने हे तु अपनायी जाने वाल व ध।
ठे का मू य : ठे का अनुब ध के अ तगत ठे कादाता व ठे केदार म जो मू य
तय होता है।
अवरोध रा श : मा णत काय मू य का ऐसा भाग िजसे भ व य म भु गतान
हे तु रोका गया हो। '

5.10 सारांश
ठे का लागत नधारण व ध ठे क स ब धी लेखांकन म म वपूण थान रखती है।
भारतीय लेखांकन मानद ड 7 वारा ठे का लागत लेखांकन हे तु दो व धयाँ बताई गई
ह, पूणता तशत व ध एवं पूण अनुब ध व ध। ठे केदार वारा व भ न अनुब धो के
लए दोन म से अपनी प रि थ तय के अनुसार चयन कया जा सकता है। पूणता
तशत व ध म तशत के आधार पर लाभ, लाभ हा न खात म ह ता त रत कया
जाता है। येक ठे के हे तु अलग से ठे का खाता बनाया जाता है।

5.11 व–परख न
अ त लघुतरतमक न:
1. उपकाय आदे श लागतांकन व ध का अथ या है?
2. ठे का लागत नधारण व ध का योग कन यवसाय वारा कया जाता है?
3. उपकाय लागत नधारण व ध का योग करने वाले यावसाय के उदाहरण द िजए।
4. ठे का मू य से या आशय है ?
5. ठे के लागत म अवरोध मू य से या आशय है ?
6. य द ठे का मू य के 1/4 भाग या इससे अ धक, क तु उसके आधे से कम भाग का
माणीकरण हु आ है तो लाभ हा न खाते म े डट क जाने वाल रा श का सू
बताइए।
7. चालू काय का च े म न पण कैसे करगे ?
लघु तरा मक न:
1. ठे का लागत नधारण व ध तथा उपकाय लागत नधारण व ध म कोई दो अ तर
बताइए।
2. ठे का लागत नधारण व ध से या आशय है?
3. स प न काय के माणीकरण से या आशय है?
4. उप ठे का लागत से या आशय है?
5. ठे का लागत लेखांकन के ‘अ तगत थल पर ला ट' से या अ भ ाय है?
6. लागत योग ठे के से या आशय है?

(128)
सै ाि तक न
1. उपकाय लागत नधारण और ठे का लागत नधारण म अ तर बताइए। का ठे का लागत
नधारण व ध एक कारखाने म यु त क जा सकती है? ठे का लागत नधारण व ध
के वशेष ल ण का वणन क िजए।
2. ठे का खाता या है? एक ठे के खाते क मद का सं ेप म वणन क िजए। एक
का प नक उदाहरण लेकर अपने उ तर को प ट क िजए।
3. ठे का लागत नधारण व ध से या आशय है? यह व ध कह ं पर यु त होती है?
4. अपूण ठे के पर लाभ वसूल करने के औ च य के स ब ध म अपने वचार कट करते
हु ए, अपूण ठे के पर लाभ वसू ल करने क व धय का वणन क िजए।

5.12 यावहा रक न
1. ठे का सं या 2604 से स ब धत न न ल खत सू चना उपल ध है। आपको' ठे का खाता
और ठे केदार का खाता तैयार करना है यह मानते हु ए क ठे केदाता वारा दे य रा श पूण
ा त हो गई है–
Material issued Rs. 81,000
Wages paid Rs. 52,000
Stores issued Rs. 23,000
Loose Tools Rs. 5,200
Other expense:
Tractor running Exp. Rs. 1.200
Drivers Wages Rs. 6,000
Direct Expenses Rs. 2,000
ठे का मू य 2,10,000 . था। ठे का 1 सत बर, 2008 को आर भ हु आ तथा 31
दस बर, 2008 को पूण हो गया। 31 दस बर, 2008 को लौटाये गये खु ले औजार
तथा टोस का मू य मश: 400 . व 6000, . था। 20 तशत मू य ास
वसू ल करने के प चात ् 32,000 . के मू ल पर ला ट भी लौटाया गया। े टर का
मू य 40,000 . था और उस पर 15 तशत वा षक क दर से ठे के को मू य हास
चाज करना था। शास नक व कायालय यय के लए धान कायालय वारा इस ठे के
पर 11,630 . अनुभािजत कये गये।
2. भवन नमाताओं क एक फम ने 31 माच, 2009 को समा त होने वाले वष के लए
ठे का खाता सं या 1008 पर काय कया। इस ठे के से स बि धत न न ल खत यय
हु ए–
Material From store Rs. 5,600
Wooden doors, Windows Rs. 5,000
Bricks and mortars purchases Rs. 36,330
(129)
Iron, steel etc. purchased Rs. 3,600
Wages Rs. 48,200
Sundry Expenses Rs. 4,025
Material at site at the end Rs. 3,200
Proportion of supervision charges Rs. 4,300
ठे का मू य 3,00,000 . था और इ जी नयर वारा 31 माच, 2009 तक मा णत
काय, 20 तशत अवरोध रा श घटाने के बाद 48000 . था। कए गए पर तु
अ मा णत काय क लागत 4000 . थी। ठे का खाता तथा अ स प न काय खाता
तैयार क िजए।
3. 1 अग त, 2008 को ेरणा क शन क पनी ल मटे ड ने एक नया होटल बनाने
का काम शु कया। ठे का मू य 960000 . था। 31 माच, 2009 को इस ठे के से
स बि धत न न ल खत सू चना उपल ध थी–
Material Rs. 2,40,000
Material at site Rs. 1,40,000
Plant at site Rs. 32,000
Plant sent to site Rs. 40,000
Wages Rs. 2,60,000
Other Expenses Rs. 12,000
Work certified (Value) Rs. 3,00,000
Cost of work uncertified Rs. 20,000
ठे का खाता तैयार क िजए और बताइये क लाभ का कतना भाग ठे केदार के लाभ–हा न
खाते म 31 माच, 2009 को समा त होने वाले वष के लए े डट कया जाए।
मा णत काय 75 तशत नकद म ा त हो चु का है।
4. 31 माच, 2009 को समा त होने वाले अ वष के लए एक ठे के से स बि धत
न न ल खत सू चनाय उपल ध ह –
Material issued Rs. 1,80,000
Wages paid Rs. 1,00,000
Plant issued on 1.10.2008 Rs. 1,50,000
Supervisor’s salary paid Rs. 11,000
Cash received Rs. 3,16,800
Work uncertified (Cost) Rs. 18,000
Contract price Rs. 6,00,000
Material at site Rs. 8,400

(130)
काय 1 अ टू बर, 2008 को ार भ हु आ। मक क एक स ताह क मजदूर तथा
सु परवाईजर का एक माह का वेतन अव ध के अ त म बकाया था। 5000 . लागत
का ला ट तथा 3000 . लागत क साम ी 31 दस बर, 2008 को खो गई।
8000 . क लागत का ला ट जो क ठे के के लए अनुपयु त पाया गया, 28
फरवर , 2009 को 6500 . म बेच दया गया। ला ट पर मू य हास 12 तशत
वा षक क दर से लगाना है। 5000 . लागत क साम ी 1000 . के लाभ पर बेच
द गयी। मा णत काय के मू य का 90 तशत नकद म ा त होता है।
ठे का खाता, ठे के दाता का खाता तथा अ स प न काय खाता बनाइए। यह भी
दखाइये क अ स प न काय 31 माच, 2009 को च े म कस कार दखाया
जायेगा।
5. इ जी नयर क एक फम वारा लये गये ठे के से स बि धत ववरण न न
Material sent to site Rs. 1,59,000
Labour paid Rs. 99,300
Establishment charges Rs. 3,500
Plant installed at cost Rs. 12,600
Material returned to store Rs. 800
Value work certified Rs. 2,86,000
Cost of work uncertified Rs. 16,800
Direct expenditure Rs. 4,800
Material at site at the end Rs. 2,800
Direct expenditure Rs. 400
Cash received Rs. 2,60,000
Wages accrued at the end Rs. 3,600
Value of plant at the end Rs. 16,400
Contract price Rs. 4,00,000
आपको ठे का खाता तैयार करना है।

5.13 स दभ पु तक
Cost Accounting Dr. N.K. Prasad
Cost Accounting Dr. N.P. Agrawal
Cost Accounting Rao, Gupta, Mundra
Cost Accounting Jain, Khandelwal, Pareek
Cost Accounting Ravi M. Kishore

(131)
इकाई – 6: या लागत नधारण वध (Process
Costing)
इकाई क परे खा –
6.0 उ े य
6.1 अथ व प रभाषा
6.2 वशेषताएँ
6.3 आव यकता व मह व
6.4 उपकाय लागत नधारण एवं या लागत नधारण
6.5 या लागत नधारण व ध का योग
6.6 उ पा दत त इकाई लागत ात करना
6.7 या म न मत माल के टॉक का मू यांकन
6.8 अ त: या लाभ
6.9 या म अ न मत इकाइय का मू यांकन : समतु य उ पादन
6.10 गौण उ पाद/उपो पाद
6.11 वपरख न/अ यास
6.12 पा रभा षक श द
6.13 उपयोगी पु तक /स दभ थ

6.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से आप न न के बारे म जान सकगे.
 या लागत नधारण व ध क अवधारणा;
 यागत हा नय का यवहार;
 या म न मत माल का मू यांकन;
 अ त: या लाभ का यवहार;
 संयु त व उपो पाद स ब धी यवहार
 समतु य उ पादन स ब धी लागत नधारण।

6.1 अथ व प रभाषा
कु छ उ पादो को क चे माल से न मत माल क अव था तक पहु ँ चने हे तु अनेक
याओं से गुजरना होता है। इन उ पाद के उ योग म एक या का न मत माल
दूसर या के क चे माल के प म काय करता है। इन उ योग म उ पाद क
लागत ात करने हे तु यु त व ध या लागत नधारण व ध कहलाती है।
हे लडन के अनुसार – “ या प र यांकन लागत ात करने क वह प त है िजसके
अनुसार कसी व तु क लागत येक चरण अथवा सं या पर ात क जाती है।“

(132)
शा स के श द म – “ या लागत प त ऐसे उ योग म यु त क जाती है
िजसम ऐसी व तु ओं का नमाण होता है जो वभ न याओं से गुजरती है और
िजनम येक या क लागत जानना आव यक होता है।

6.2 वशेषताएँ
या लागत लेखांकन क न न ल खत वशेषताएं ह :–
1. उ पादन नर तर चलता रहता है।
2. पहल या म न मत माल दूसर या का क चा माल बन जाता तथा उ पादन
पूण होने तक यह म चलता रहता है।
3. उ पादन काय हे तु याओं का म न द ट होता है।
4. उ पादन सम प, सजातीय व मा पत होते है।
5. येक या क त इकाई लागत या के अ त म ात क है।
6. उ पादन क भावी इकाइय क गणना व भ न चरण म प रमापन क जाती है।

6.3 आव यकता व मह व
1. येक या क लागत नधा रत करना आसान रहता है।
2. यह लागत नधारण क सरल व मत ययी व ध है।
3. संयु त उ पाद व उपो पाद क लागत नधारण करना आसान हो जाता है।
4. उ पादन के दौरान वा त वक हा न का लेखांकन संभव हो जाता है।
5. ब धक य नणयन म भी यह व ध उपयोगी स होती है।
सीमाएं
1. यह प त ऐ तहा सक लेखा प त पर आधा रत है।
2. चालू काय के मू यांकन म वा त वक लागत का नधारण क ठन होता।

6.4 उपकाय लागत नधारण एवं या लागत नधारण


उपकाय व या नधारण दोन ह व धयां लागत नधारण हे तु यु त क जाती ह
क तु इनम न न मु ख अंतर है :
उपकाय व लागत नधारण या लागत नधारण
इसम व श ट आदे श हे तु ह उ पादन कया उ पादन नर तर व समान कार का होता है।
जाता है व लागत इकाई व श ट होती है।
येक उपकाय क लागत ात क जाती है। येक इकाई क लागत ात क जाती है।
सामा यत: लागत को दूसरे उपकाय येक या क लागत को दूसरे उपकाय म
थानांत रत नह ं कया जाता। म अ त रत कया जाता है।
येक उपकाय भ न होने से उ पादन पर इसम उ पादन नर तर व मा पत होने से
उ चत नयं ण क ठन होता है। उ पादन काय पर नयं ण सरल होता है।

(133)
6.5 या लागत नधारण व ध का योग
इस णाल को वशेष प से न न उ योग म यु त कया जाता है :
(अ) नमाण उ योग – लोहा व इ पात, सीमे ट, कागज, चीनी आ द उ योग।
(ब) रसायन – दवाएं, साबुन , पे ट, याह आ द उ योग।
(स) ख नज – कोयला, सोना, ज ता, ख नज तेल आ द उ योग।
या लागत नधारण वध : या लागत नधारण हे तु उ पाद क या को
व भ न वभाग म वभ त कर दया जाता है जहां येक वभाग एक व श ट का
त न ध व करता है। येक या क लागत नधारण हे तु एक अलग खाता खोला
जाता है िजसम साम ी, म, यय व उप र यय को डे बट कया जाता है। नमाण के
दौरान हु ए, अवशेष, संयु त गौण उ पाद के मू य को इस खाते म े डट प म
दशाया जाता है। असामा य लाभ (य द हो) तो उसे भी डे बट प म दशाया जाता है।
इस खाते का शेष आं शक प से तैयार माल क लागत दशाता है िजसे अगल या
म ह तांत रत कर दया जाता है। यह अगल या का क चा माल होता है।
या खाते का ा प
Process A/c
Unit Amount Unit Amount
To Direct Material By Normal Loss
To Direct Wages By Abnormal Loss
To Direct Expenses
To Direct Expenses By next
To Other Expenses Process (B.F.)
य द दो या अ धक उ पाद उ पा दत कए जाते ह तो उनके खाते भी इसी कार तैयार
कए जाते है।
उदाहरण 1 :
एक कारखाने म उ पादन तीन व भ न याओं से होकर गुजरता है। न न ल खत
सू चना से त इकाई लागत दशाते हु ए उ पादन लागत ात क िजए, य द 31
दस बर को समा त होते वष म 200 इकाइयां न मत क गई हो।
200 इकाइय के यय न न कार है:
Process I Process II Process III
Rs. Rs. Rs.
साम ी 20,000 10,000 7500
म 15000 25000 10,000
य यय 4000 2000 3000

(134)
कारखाने म इस अव ध म 60,000 . के यय िजसम से 20,000 . इस उ पाद से
स बि धत है। कसी भी या के अ त म कोई टॉक नह ं था। अ य यय को
म के अनुपात म वभािजत करना है।
Process I A/c
Unit Amt. Unit Amt.
Rs. Rs.
To Material 200 20,000 By Transfer to 200 45,000
To Wages 15000 Process II A/c
To Direct Exp. 4000 Cost per unit =
To Indirect Exp. 6000 45000/200 =
Rs.225/–
200 45000 200 45000
Process II A/c
Unit Amt. Rs. Unit Amt. Rs.
To Transfer from By Process III
Process I 200 45,000 A/c 200 92,000
To Raw Material 10000 (Transfer)
To Wages. 25000
To Direct Exp. 2000 Cost per unit =
To Indirect Exp. 10,000 92000/200
200 92,000 =Rs.460/– 200 92,000
Process III A/c
Unit Amt. Unit Amt.
Rs. Rs.
To process II A/c 200 92,000 By finished 200 1,16,500
To Raw Material 75000 Stock A/c
To Wages 10000
To Direct Exp. 3000 Cost per unit =
To Indirect Exp. 4000 116500/200
= Rs. 58.25
200 1,16,500 200 45000

(135)
अ य यय – 20,000 । म के अनुपात (15000:25000:10000) 3:5:2 म बाँटे
गए ह। या लागत नधारण हे तु पाँच मह वपूण मद ह िजसका व तृत अ ययन
आव यक ह:
I या हा नयां II या म न मत माल के टॉक
मू यांकन
III अ त: या लाभ IV भावी अथवा समतु य उ पादन
V संयु त व सहउ पाद का लेखा
I या हा नयां (Process Losses)
येक या म उ पादन के दौरान व भ न कारण से माल क हा न हो सकती है।
यह हा न दो कार क होती है।
1. सामा य हा न (Normal loss) – ऐसी हा न जो नमाण के दौरान अव य भावी होती
है, उदाहरणाथ भाप बनकर उडना, सकुडना, सू खना आ द। इससे तैयार माल के मू य
म वृ हो जाती है।
2. असामा य हा न (Abnormal loss) – अनुमा नत सामा य हा न क मा ा से अ धक
हा न असामा य हा न कहलाती है। यह लापरवाह , मशीन म गड़बड़ी, खराब साम ी
आ द से होती है। इससे शेष इकाइय का मू य अ भा वत रहता है व इसे लाभ–हा न
खाते म ह तांत रत कर दया जाता है।
असामा य हा न = कु ल हा न – सामा य हा न
3. असामा य बचत (Abnormal effectives) – य द वा त वक य सामा य मा ा से
कम होता है तो इसे असामा य बचत कहा जाता है।
असामा य बचत = सामा य य – वा त वक य
यह रा श भी शेष इकाइय के मू य को भा वत नह करती व इसे भी लाभ–हा न
खाते म ह तांत रत कर दया जाता है।

6.6 उ पा दत त इकाई लागत ात करना


Cost per unit = Normal cost of normal output
Normal output
Normal cost of normal output = Total of Dr. side – Scrap of
normal lossif any

Total Input (Units) – Normal Loss (Units)


असामा य य व असामा य बचत क इकाइय का मू यांकन
Abnormal wastage/Effective units x Cost per unit (as above)

(136)
उदाहरण 2 :
एक क पनी का उ पादन तीन व भ न याओं से नकलकर पूणता को ा त करता
है। वे याएं ह : 'अ', ‘ब' तथा ‘स’। पछले अनुभव से यह ात कया गया है क
येक या म य न न कार होता है : या ‘अ’ 2%; या ‘ब' 5%;
या ‘स' 10%
येक दशा म य का तशत या म वेश कर रह इकाइय क सं या पर ात
क जाती है। येक या का य कु छ अवशेष मू य रखता है। या ‘अ’ तथा 'ब'
का य 5 . त 100 इकाइय क दर से तथा या ‘स' का 20 . त 100
इकाइय क दर से बेचा जाता है।
येक या का उ पाद अगल या को तु र त भेज दया जाता है तथा न मत
इकाइयां 'स' या से टाक म भेजी जाती है।
न न ल खत सू चना ा त है : या ‘अ’ या 'ब' या ‘स’
. . .
यु त साम ी 4000 2000 1000
य म 6000 4000 3000
नमाण यय 1000 1000 1500
8000 . क लागत से 20,000 इकाइयां ‘अ’ को नग मत क गयी है। येक
या का उ पादन न न कार है : या ‘अ’ 19,500; या 'ब' 18,800;
या 'स' 16000 इकाइयां।
कसी भी या म कोई टाक अथवा चालू काय नह ं है।
या खाते तैयार क िजए।
हल :
Process A a/c
Unit Amt. Unit Amt.
Rs. Rs.
To Unit 20,000 8,000 By Normal
introduced 4,000 wastage 400 20
To Materials 6,000 @ Rs. 5 per 100 100 97
To Labour 1,000 By Abnormal
To Mfg. Exp. wastage
By Process B a/c 19,500 18,883
(Output
transferred)
20,000 19,000 20,000 19,000

(137)
Process B a/c
Unit Amt. Unit Amt.
Rs. Rs.
To Process A 19,500 18,883 By Normal
a/c 2,000 wastage 400 20
To Materials 4,000 @ Rs. 5 per 100 100 97
To Labour 1,000 By Abnormal
To Mfg. Exp. 275 384 wastage
To Abnormal By Process B a/c 19,500 18,883
Effectives (Output
Transferred)
19,775 26,267 19,775 26,267
Process C a/c
Unit Amt. Unit Amt.
Rs. Rs.
To Process B 18,80 26,218 By Normal
a/c 0 1,000 wastage
To Materials 3,000 (10% of unit
To Labour 1,500 entered @ Rs. 20 1,880 376
To Mfg. Exp. per 100) 920 1,704
By Abnormal
wastage
By Finished Stock 16,00 29,638
(Output 0
transferred)
18,80 31,718 18,80 31,718
0 0
असामा य य व असामा य लाभ क गणना न न कार से क गई ह :
Process a (Abnormal wastage):
Normal output Units introduced
Normal output Normal wastage (2% of 20,000 units) 20,000
400
Less

(138)
Normal output 19,600
Normal Cost of Total expenditure Rs.
Normal Output : Sale Proceeds of Normal Wastage 19,000
Less 20
18,980
Abnormal Wastage Normel Output = Unites
: Actual Output = 19,600
Unites
19,500
100
Actual output being less then normal output
Cost of Abnormal
Normal Cost to Normel Output
× Unites of Abnomal Wastag
Normel Output
e
Wastage :

18,980
= Rs
× 100 = Rs. 97
19,600
Process B (Abnormel Effectives) :
Normel Output : 19,500
Unites entered Less Normel Wastage (5% of the Unites 975
entered) 18,525
Units
Abnormal Actual Output 18,800
Effective : Normel Output 18,825
(When actual Abnormal effectives 275
output Exceeds
normal output)
Normel Cost of Totel expenditure Rs. 25,883
Normel Output : Less sale Proceeds of Normel Wastage Rs. 49
Rs. 25,834
Cost of
Normel Cost to Normel Output
× Unites of Abnomal Effectives
Normel Output
Abnormal
Effective :
25,834
= Rs
× 275 = Rs. 384
18,525
Process C (Abnormal Wastage) :

(139)
Normel Output :
Unites entered Less 10% Normel Wastage

Abnormal Normel output Units


Wastage : Units 16,920
(When actual Actual output 16,000
output Is less 920
then normal
output)

Normal Cost of Rs.


Normal Output : 31,718
Total expenditure Less Sale Proceeds of normal wastage 376
31,342
Normel Cost to Normel Output
× Abnomal Wastage (units)
Normal Output
e

31,342
= Rs × 920 = Rs. 1,704
16,920

जब भार म कमी तथा सामा य हा न दोन क तशत द हु ई ह और असामा य


हा न या असामा य लाभ आये तो सामा य हा न तथा भार म कमी क तशत द हु ई
हो तो उ ह खाते म े डट प म लख दे ना चा हये। य द सामा य हा न का य–
मू य हो तो वह रा श खाने म अं कत कर दे ना चा हये। इसके बाद भी य द उ पादन
क इकाइय का डे बट का योग अ धक और े डट का योग कम है तो 'असामा य
हा न' आयेगी और इसके वपर त य द े डट का योग अ धक और डे बट का योग कम
है तो 'असामा य लाभ' आयेगा।
उदाहरण 3.
एक नमाणी सं था का उ पादन दो याओं अ और ब से होकर गुजरता है तैयार
टाक म जाता है। यह मालूम है क दोन म कु ल यु त भार का 5 तशत कम हो
जाता और 10 तशत अवशेष बचता है जो अ और ब का मश: 80 . त टन
तथा 200 . त टन बकता है।
दोन याओं के समंक न न है अ ब
:–
साम ी (टन म) 1000, 70

(140)
साम ी क लागत त टन . म 125 200
मजदूर . 28,000 10,000
नमाण यय . 8,000 5,250
उ पादन टन म 830 780
या खाते तैयार क िजये जो दोन क त टन लागत बताये। कसी भी या म
कोई टाक नह ं था।
Process AA/C
Particulars Unites Amt. Particulars Units Amt
Rs. Rs.
To Materials 1,000 1,25,000 By Loss in weight 50 –
To wages 28,000 By Normel loss 100 8,000
To Mfg. Exp. 8,000 By Abnormal loss* 20 3,6000
By Transfer to
Process
B @Rs. 180 Per 830 1,49,400
tones
1,000 1,61,000 1,000 1,61,000
*Amount of abnormal loss = . , , – . ,
= Rs. 3,600

Process BA/c.
Particulars Unites Amt. Particulars Units Amt
Rs. Rs.
To Transfer from A 830 1,49,400 By Loss in 45 –
Weight
To Materials 70 14,000 By Normal Loss 90 18,000
To wages 10,000 By Transfer to 975 49
finished
To Mfg. Exp. 5,525 Stock @ Rs. 210
per
To Abnormal gain 15 3,150 Tonne 780 1,63,800
A/c*
915 1,81,800 915 1,81,800

*Value of abnormal gain = =Rs. 3,150


. , , – . ,

उदाहरण 4 :
उ पाद क अि तम या के ववरण न न है :

(141)
थम या से आ खर या को लागत पर इकाइयाँ .
ह ता त रत
अि तम या से तैयार टाक को ह ता त रत 4,000
य मजदूर 32,240 _
य साम ी योग क 2,000 3,000
फै या म उप र यय इस या म य साम ी का 400 तशत है। सामा य
हा न यु त इकाइय का 20 तशत है।
अवशेष मू य 5 . त इकाई है।
तैयार क िजए– (अ) अि तम या खाता
(ब) सामा य त खाता तथा
(स) असामा य लाभ खाता।
Last Process Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Transfer from first 4,000 9,000 By Nomal 800 4,000
wastage
Process 3,000 By Finished 3,240 22, 275
Stock
To Direct matertials 2,000
To Direct Wages 12,000
To Factory Overhead 40 275
To Abnormal Effectives 275 26,275 4,040 26,275
Normal Wastage Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Last Process 800 4,000 By Sales (800–40) 760 3,800
A/c ByAbnormalEffectives 40 200
800 4,000 800 4,000
Abnormal Effectives Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Normal wastage 40 200 By Last Process 40 275
A/c(loss of income) A/c
To Costing Profit

(142)
and 75
Loss A/c 75
40 275 40 275

6.7 या म न मत माल के टॉक का मू यांकन


यद या म उसी या का न मत ( ारि भक व अं तम दोन ) टॉक है तो
येक या का टॉक खाता खोला जाता है तथा येक या क न मत इकाइय
को भी उसी या के टॉक खाते म थाना त रत कर दया जाता है। ारि भक व
अि तम टॉक से समायोजन के प चात शेष इकाइयां अगल या म थाना त रत
कर द जाती है।
उदाहरण 5 :
एक क पनी का उ पाद दो याओं I तथा II से होकर गुज रता है। वगत अनुभव से
हा न का तशत जो या म े षत इकाइय पर लगाया जाता है इस कार आका
गया – या I – 2% या II 5%
येक या हा न का अव श ट मू य होता है – 1 क हा न 10 . सैकड़ा तथा II
क हा न 20 . सैकड़ा पर बकती है। 31 माच, 1995 को समा त वष क न न
सू चनाएं ा त हु ई–
40,000 इकाइयां 16000 . क लागत से या 1 म डाल गई।
Process I Process II
Rs. Rs.
Materials Consumed 8,000 2,800
Direct Labour 12,200 14,000
Manufacturing Expenses 3,080 1,000
Units Units
Finished Products 39,000 38,500
Stock :
April 1(Opening) 4,000 6,000
March 31 (Closing) 3,000 8,000
टॉक मू यांकन 1 अ ल
ै को . 090 तथा 1.47 . I तथा II हे तु 31 माच को
टॉक को लागत पर मू यां कत कया गया है।
आव यक खाते बनाइये।
हल :
Process I Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
(143)
To Inputs 40,000 16,000 By Normal Loss 800 80
To Materials 8,000 By Abnormal 200 200
Loss
To Labour 12,200 By Processal 39,000 39,000
Stock A/c
To Mfg. Exp. 3,080
40,000 3,080 40,000 39,280
Process I Stock Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Balance 4,000 3,600 By Process II 40,000 39,600
b/d By Balance c/d
To process I 39,000 39,000 3,000 3,000

43,000 42,600 43,000 42,600


Process II Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Materials 40,000 39,600 By Normal Loss 2,000 400
To Labour 2,800 By Process
Stock(II)
To Mfg.Exp. 1,000
To Abnormal 500 756
Gain
40,500 58,150 40,500 58,150
Process II Stock Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Balance 6,000 8,820 By Cost of Sales 36,500 54,570
b/d
To Process II 38,500 57,750 By Balance c/d 8,000 12,000
44,500 66,570 44,500 66,570
Normal Loss Account

(144)
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Process I 800 80 By Abnormal 500 750
Gain
To Process II 2,000 400 By Cash 2,300
380
2,800 480 2,800 480
Abnormal Gain Account

Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.


Rs Rs
To Normal 500 100 By Cash 500 750
Loss
To Costing P 650
&L A/c
500 750 500 750
Abnormal Loss Account
Particulars Unit Amt Particulars Unit Amt.
Rs Rs
To Process A 200 200 By Cash 200 20
By Costing 180
P/lA/c
200 200 200 200
य द पछल या से ा त इकाइय का ारि भक व अि तम टॉक है तो उसका
मू यांकन गत या क त इकाई लागत पर कया जाता है तथा अलग से टॉक
खाते न बनाकर या खाते म ह समायोजन कया जाता है।

6.8 अ त: या लाभ
कई बार एक या से न मत व तु का दूसर या म ह ता तरण लागत मू य म
लाभ जोड़कर कया जाता है। इसे अ त: या लाभ कहा जाता है। ऐसा ाय: येक
या के लाभ हा न और कु शलता का तु लना मक अ ययन करने के लए कया जाता
है। इस कार लाभ जोड़ने से सभी याओं के वपर त, अि तम टॉक म लाभ
जोड़कर दशाता है – जो न वसू ल हु आ लाभ अथवा का प नक लाभ है। अत: यह
आव यक है क सह व तीय ि थ त द शत करने हे तु टॉक म सि म लत क गई

(145)
रा श अलग से दशाई जाए। इस हे तु खात का ा प म डे बट व े डट प म तीन–
तीन खाने लागत, लाभ व योग के तैयार कए जाते है। अि तम टॉक म सि म लत
न वसू ल हु ए लाभ क रा श न न कार ात क जाती है।
उदाहरण 6 :
एक उ पाद पूणता ा त करने हे तु तीन याओं से नकलता है। वे याएं 'अ', 'ब'
तथा 'स' के नाम से जानी जाती है। येक या का उ पाद अगल या को
ह ता तरण मू य पर 20 तशत लाभ दान करते हु ए मू य पर चाज कया जाता
है। 'स' या का उ पाद न मत टॉक को उसी आधार पर चाज कया जाता है।
31 दस बर को जब क न न ल खत सू चना ा त क गई, कसी भी या म कोई
अ – न मत काय नह ं था।
या ‘अ’ या ‘ब’ या‘स’
. . .
यु त साम ी 4,000 6,000 2,000
म 6,000 4000 8000
टॉक 31 दस बर को 2,000 4,000 6,000
येक या का टॉक मू ल प र यय पर मू यां कत कया गया।
1 जनवर को हाथ म टॉक नह ं था तथा उप र यय के न पर यान नह ं दया
गया। न मत टॉक म गये माल म से 4000 . का माल 31 दस बर को हाथ म
रहा शेष 36,000 . का बेच दया गया। या खाते बनाइए तथा अ ा त लाभ के
संचय क गणना क िजए।
हल:
Process ‘A’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To Materials 4,000 4,000 – By
Process B
A/c
To Labour 6,000 6,000 – (Transfer) 10,000 8,000 2,000
Total 10,000 10,000 –
B/f Total 10,000 10,000 – B/f 10,000 8,000 2,000
Less :
Closing

(146)
Stock c/d 2,000 2,000 –
Prime Cost 8,000 8,000 –
To Gross
Profit
25% on 2,000 – 2,000
Cost
Rs. 10,000 8,000 2,000 Rs. 10,000 8,000 2,000
Stock b/d 2,000 2,000 –
Process ‘B’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To 10,000 8,000 2,000 By 20,000 14,4000 5,600
Process A Process
(Transfer) C A/c
To 6,000 6,000 –
Material
To Labour 4,000 4,000
ToTal 20,000 18000 2,000
Less:
Closing
Stock c/d 4,000 36,00 400
Prime 16,000 18,000 2,000
Cost
ToGross
Profit
25% on 4,000 - 56,000
Cost
Rs 20,000 14,000 5,600 Rs. 20,000 14,000 5,600
Stock b/d 4,000 3,6000 400
Process ‘C’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To By

(147)
Process B 20,000 14,400 5,600 Finished 30,000 19,520 10,480
(Transfer) Stock A/c
To 2,000 2,000 –
Material
To Labour 8,000 8,000
ToTal 30,000 24,400 5,600
Less:
Closing
Stock c/d 6,000 4,880 1,120
Prime 24,000 19,520 4,480
Cost
To Gross
Profit
25% on 6,000 - 6,000
Cost
Rs 30,000 19,520 10,480 Rs. 30,000 19,520 10,480
Stock b/d 6,000 4,880 1,120
Finished Stock Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To Process By Sales
C 36,000 16,917 19,083 36,000 16,917 19,083
(Transfer)
Less:Stock 4,000 2,603 1,397
c/d
26,000 16,917 9,083
To Gross 10,000 - 10,000
Profit
36,000 16,917 19,083 36,000 16,917 19,083
Stock b/d 4,000 2,603 1,397
(i) अि तम टॉक पर लाभ क गणना
यह न न ल खत सू को लागू करने से बड़ी सरलता से ात हो जाता है।
सू

(148)
लागत खाने क रा श
टॉक क ला ल = कुल खाने क रा श
× टॉक

नोट – जागत खाने' व 'कु ल खाने' क रा शयां वे ह जो क 'अि तम टॉक' क लाइन


के ऊपर दखाई गयी ह।
या ‘अ’ – कोई लाभ सि म लत
नह ं
या ‘ब' - 4,000= 3,600 .
,
,
सि म लत लाभ = 4,000 – 3,600 400 .
या ‘सं' – 24,000
x 6,000 4,800 .
30,000
सि म लत लाभ = 6,000 –4,880 1,120 .
न मत टॉक – 2,603
,
x4,000
,
खाता
सि म लत लाभ – 4,000–2,603 1 ,397 .
(ii) वा त वक ा त लाभ

अ ा य लाभ वा त वक
कि पत लाभ अि तम टॉक सकल लाभ

. .
.
या ‘अ’ 2,000 – 2,200
या ‘ब' 4,000 400 3,600
या ‘सं' 6,000 1,120 4,880
न मत टॉक 10,000 1,397 8,603
22,000 2,917 19,083
* न मत टॉक खाते के े डट म दखाये लाभ से मलाइए।
(iii) च े म अि तम टॉक का मू यांकन
अि तम टॉक के लागत के खाने क रा श च े म ल जायेगी।
अि तम टॉक क लागत
या ‘अ’ 2,000
या ‘ब’ 3,600
या ‘सं’ 4,880
न मत टॉक 2, 603
कु ल 13,083
(iv) पर ण

(149)
'अ’ ‘ब’ 'स'
सभी ओं क लागत =30,000 (10,000+10,000+10,000)
(–) ब क लागत (Cost of Sales) = 16,917
दे खए (Finished stock A/c) 13,083 .
अि तम टॉक
यद ारि मक टॉक तथा उप र यय दये गये ह तथा लाभ क तशत भ न तो
या खात पर इसका भाव न न ल खत उदाहरण के अनुसार होता है।
उदाहरण 7 :
एक उ पाद तीन याओं अ ब, स से गुजरता है और फर न मत माल के प म
भेजा जाता है। अ या से ब या म ह ता तरण, ह ता तरण मू य के 25
तशत पर तथा व स या का न मत माल ह ता तरण मू य के 20 तशत पर
ह ता त रत कया जाता है। 31 दस बर को समा त हु ए वष से स बि धत न न
सू चनाएं ा त है : –
Process Process Process Finished
A B C Stock
Rs Rs Rs
Opening Stock 5,000 6,000 4,000 15,000
Direct Materials 10,000 10,500 15,00 –
Direct Wages 7,500 7,500 8,000 –
Works Overhead 7,000 3,000 20,000 –
Closing Stock 2,500 3,000 2,000 7,500
Inter Process Profit
For Opening Stock
1,000 1,000 5,500
या के कंध को मू ल लागत पर मू यां कत कया जात है। न मत माल को या
सं से ा त लागत पर मू यां कत कया जाता है। न मत माल का व य 75000 .
था। आपको येक या के लाभ दशाते हु ए या खाते व तैयार माल खाता
बनाना है। च े म टॉक् का मू यांकन भी दखाइए।
Process ‘A’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To Opening By 36,000 27,000 9,000
Stock b/d 5,000 5,000 – process
B

(150)
Stock
A/c
To Material 10,000 10,000 –
To Wages 7,500 7,500 –
ToTal 22,500 22,500 –
Less: Closing
Stock c/d 2,500 2,500 –
Prime Cost 20,000 20,00
To Overheads 7,000 7,000 –
To Gross 27,00 27,000 –
Profit
331/3%n on 9,000 – 9,000
Cost
Rs 36,000 27,000 9,000 Rs. 36,000 27,000 9,000
Stock b/d 2,500 2,500 –
Process ‘B’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To 6,000 5,000 1,000 By 75,000 50,500 24,500
Opening process
Stock b/d B
Stock
A/c
To Process
A
Transfer 36,000 27,000 9,000
To Material 10,500 10,500 –
To Wages 7,500 7,500 –
ToTal 60,000 50,000 10,000
Less:
Closing
Stock c/d 3,000 2,500 500
Prime Cost 57,000 47,500 9,500

(151)
To 3,000 3,000 –
Overheads
To Gross
Profit
25% on 15,000 – 15,000
Cost
Rs 75,000 50,000 24,500 Rs. 75,000 50,000 24,500
Stock b/d 3,000 2,500 500
Process ‘C’ Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To By
Opening 4,000 3,000 1,000 Finished
Stock b/d Stock 1,50,00 95,00 55,00
(Transfer 0 0 0
)
To
Process
B
(Transfer) 75,000 50,50 24,50
0 0
To 15,000 15,00 –
Material 0
To 8,000 8,000 –
Wages
ToTal 1,02,00 76,50 25,50
0 0 0
Less:
Closing
Stock c/d 2,000 1,500 500
Prime 1,00,00 75,00 25,00
Cost 0 0 0
To 20,000 20,00 –

(152)
Overhead 0
s
To Gross 1,20,00 95,00 25,00
Profit 0 0 0
25% on 30,000 – 30,00
Cost 0
Rs 1,50,00 95,00 55,00 Rs. 1,50,00 95,00 55,00
0 0 0 0 0 0
Stock b/d 2,000 1,500 500
Finished Stock Account
Total Cost Profit Total Cost Profit
Rs. Rs. Rs. Rs.
To 15,000 9,500 5,500 By 1,75,000 99,750 75,250
Opening Sales
Stock b/d
To
Process 1,50,000 95,000 5,500
C
(Transfer)
Less: 1,65,000 1,04,500 55,00
Closing
Stock c/d 7,5oo 1,04,500 60,500
To Gross 1,57,500 99,750 57,750
Profit 17,500 – 17,500
Rs 1,75,000 99,750 75,250 Rs. 1,75,000 99,750 75,250
Stock b/d 7,500 4,750 2,750
(i) अि तम टॉक पर लाभ क गणना
या ‘अ’ – कोई लाभ सि म लत
नह ं
या ‘ब' - 25,00 .
,
× 3,000=
,
लाभ = 3000– 2,500 500 .
या ‘सं' – 76,500
x × 2,000 1,500 .
1,02,000
लाभ = 2,000 – 1,500 500 .

(153)
न मत टॉक 1,04,500 4,750
x 7,500
खाता 1,65,000

लाभ= 7,500 – 4,750 2,750 ..


(ii) वा त वक ा त लाभ
कि पत अ ा त लाभ टॉक म वा त वक लाभ
लाभ ारि भक टांक अि तम
. टॉक
या ‘अ’ 9,000 (+) – (–) – = 9,000
या 'ब' 15,ooo (+) 1,000 (–) 500 = 15,500
या 'स' 30,000 (+) 1,000 (–) 500 = 30,500
न मत खाता 17,500 (+) 5,500 (–) 2,750 = 20,250
71,500 (+) 7,500 (–) 3,750 = 75,250*
* न मत टॉक के े डट म दखाये गये लाभ से मलाइए।
(iii) च े म अि तम टॉक का मू यांकन
अि तम टॉक के लागत के खाने क रा श च े म ल जायेगी।
.
या ‘अ’ 2,500
या ‘ब' 2,500
या ‘सं’ 15,00
न मत खाता 4,750
कु ल 11,250
(iv) पर ण
'अ’ ‘ब’ 'स'
सभी ओं क लागत 88,500(24,500+21,000+ 43,000)
=
(–) ारि मक टॉक क लागत 22,500(5,000+5,000+ 3,000+
= 9,500)
1,11,000
(–) ब क लागत 99,750
टॉक क लागत 11,250
.

(154)
6.9 या म अ न मत ईकाइयो का मू यांकन : समतु लय
उ पादन (Equivalent Production)
नर तर उ पादन काय होने के कारण येक या म सदै व ऐसा उ पादन अव य
होता है जो पूण न मत नह ं है। ऐसी इकाइय को अ न मत/चालू काया/ नमाणाधीन:
काय कहा जाता है। इस काय के मू यांकन के दो आधार है:–
(i) वा त वक लागत के आधार पर : इस व ध के आधार पर अ न मत इकाइय का
मू य उन पर वा त वक यय क गई रा श के आधार पर ात कया जाता है इस
व ध का योग तभी संभव है जब क लेखो से इस मू यांकन हे तु वा त वक रा श ात
हो सके, जो क यावहा रक प म संभव नह ं है।
(ii) समतु य इकाइय के आधार पर : उ पा दत अ न मत इकाइय क लागत ात करने
हे तु इस व ध म अ न मत इकाइय को उनक अनुमा नत पूणता के तर के आधार
पर पूण इकाइय म प रव तत कर दया जाता है िजसे समतु य उ पादन कहते ह।
समतु य उ पादन = अपूण इकाइयां × पूणता का तशत
(इकाइयां) (सं या)
उदाहरण के लए य द 500 नमाणाधीन इकाइय पर औसतन 100 साम ी, 50
तशत म व 40 तशत उप र यय का काम हु आ है तो ये इकाइयां साम ी, म व
हे तु मश: (500 × 100%) = 500,500 × 250 तथा 500 ×40%= 200 तु य
' होगी।
इस ि थ त म या खाता तैयार करने हे तु न न चरण है :
(अ) समतु य उ पादन क गणना
(ब) त इकाई लागत ात करना
(स) मू यांकन प
(द) या खाता तैयार करना
(अ) समतु य उ पादन क गणना हे तु न नां कत ववरण प बनाया जाता।
Statement of Equivalent Production
Input Output Material Labour Equi. Overhead
Unit
% Units % Units
Units
Total
इस ववरण से तु य इकाइय क सं या न न कार ात क जा सकती है।
इकाइयां लया गया पूणता का तर
(अ) पूण न मत 100%

(155)
(ब) सामा य हा न शू य;
(स) असामा य हा न दए गए तशत अथवा 100% य द कोई सूचना
नह ं द गई है
(द) असामा य बचत 100%
(य) ारि भक टॉक
(i) फफो व ध 100% – गत या पूणता तशत
(ii) औसत लागत व ध समतु य इकाइयां अलग से ' दशायी जाती है
(र) अि तम टॉक दए गए तशत
II त इकाई लागत क गणना (Cost per unit)
न न ल खत ववरण वारा त इकाई लागत क गणना क जा सकती है।
Statement of Cost
Elements of Cost Total Cost Eq.Units Cost per Unit
1. *Material I
2. *Material II
3. Labour
4. Total
Overhead
*Material I = पछल या से लाई गई साम ी–अवशेष मू य (य द है)
Material II = चालू या म लगाई गई।
औसत लागत व ध म कु ल लागत ारि भक टॉक क लागत व वतमान लागत जोड़
कर दशायी जाती हे ।
III मू यांकन प
त इकाई लागत नधारण के प चात पूण न मत व ह तांत रत क जाने वाल
इकाइय के साथ ह असामा य य/बचत, अ न मत अि तम टॉक इकाइय का
मू यांकन साम ी म व उप र यय क उपयु का त इकाई लागत को तु य इकाइय
से गुणा कर ात कर लया जाता है।
या म ारि मक टॉक होने क ि थ त म पूण न मत इकाइय क गणना इस
कार होती है।
(अ) फ फो व ध के अनुसार – ारि मक टॉक क गत या क लागत +
ारि भक टॉक क चालू या क लागत फ़ पूण न मत इकाइय क लागत
(ब) औसत लागत व ध के अनुसार – तु य इकाइयां × त इकाई लागत
इस कार का मू यांकन कर या खाता तैयार कया जाता है।
उदाहरण 8 :

(156)
जनवर म या I म 2000 इकाइयां डाल गई। सामा य य कु ल का 5 तशत
अनुमा नत है। माह के अ त म 1400 इकाइयाँ तैयार हु ई जो अगल या म चल
गई, 460 इकाइयां अपूण थी तथा 140 इकाइयां कैप हो गई। अनुमान के अनुसार
अपूण इकाइयां पूणता के इस तर तक पहु ंची –
Material 75% पूण
Labour 50% पूण
Overheads 50%पूण
2000 इकाइय क लागत 5800 ., या म य साम ी 1440 . तथा
य म 3340 ., उ पादन उप र यय 1670 ., े प इकाइयां एक . त
इकाई वसू ल कर सक । केप इकाइयां या से गुजरती ह। अत: साम ी म तथा
उप र यय क ि ट से 100 तशत पूण होती है। ात क िजये (अ) समतु य
उ पादन (ब) त इकाई लागत तथा ( ) आव यक खाते बनाइये।
(a) Statement of Equivalent Production
Input output units Equivalent Production
Materials Labour Overheads
Qty. % Qty. % Qty. %
2000 Normal Loss 100 – – – – – –
Abnormal Loss 40 40 100 40 100 40 100
Finished 1,400 1,400 100 1,400 100 1,400 100
Production
Work–in–Progress 460 345 75 230 50 230 50
2,000 Total 2,000 1,785 1,670 1,670
(b) Statement of Cost
Element of Cost Cost Equivalent Production Cost
Rs. (Units) per
unit
Rs.
Material
Cost of Units 5,800
introduction 1,440
Direct Materials 7,240
Less Scarp Value of 100
loss

(157)
7,140 1,785 4
Direct wages 3,340 1,670 2
Statement of Evolution
Production Element of Equivalent Cost per Cost Total
Cost Production. unit Rs Rs. Cost
Abnormal Materials 40 4 160
loss
Labour 40 2 80
Overheads 40 1 40 280
Finished Production
Materials 1,400 4 5,600
Labour 21 2,800 9,800
Overheads 1,400 1 1,400 280
Work–in Materials 345 4 1,380
Progress
Labour 230 2 460
Overheads 230 1 230 2,070
12,150
Process I Account
Units Rs. Cost Rs.
Rs. Rs.
The Units By Normal Loss 100 100
Introduced 2,000 5,800 By Abnormal Loss 40 280
1,440 By Process I
To Direct 3,340 Finished 1,400 9,800
Material Production 460 2,%
To Direct Wages 1,670 By Balance c/d
To Production (W.I.P.)
Overheads
2,000 12,250 2,000 12,250

(158)
Process II Account
Rs.
To Process I A/c 1,400 9,800
Abnormal Loss Account
Rs. Rs.
To Process I A/c 40 280 By Cash/Debtor 40 40
(Sale @Re.1 per unit)
By Costing P&L A/c
(Loss) 240
40 280 40 280
उदाहरण 9 :
न न को ात क िजए। (अ) समतु य उ पादन (ब) उ पादन क त इकाई लागत
(स) पूण तथा पूण होने जा रह इकाइय क लागत तथा (द) आव यक खाते तैयार
क िजये :–
या म डाल गई इकाइयां 4,000 Units
अगल या म अ त रत पूण इकाइयां 3200 Units
अव ध के अ त म या म इकाइयां 800 Units
पूणता का तर साम ी 80 तशत, म व उप र यय 70
तशत
येक या म सामा य हा न 200 units
Value of scrap Re. 1 per unit
Value of Raw materials Rs.7,480
Wages Rs. 10,680
Overheads Rs. 7,120
हल :
(a) Statement of Equivalent Production
Input Output Equivalent Production (units)
Items Units Item Units Material Labour Overheads
Units % Units % Units %
Units 4000 Normal loss 200
introducted
Units completed and 3200 3200 100 3200 100 3200 100
transferred to next
Proess
W.I.P. 800 640 80 560 70 560 70

(159)
4200 3840 3760
Less :Abnormal Gain 200 200 100 200 100 200 100
4000 4000 3640 6560 3560

(b)Statement of Cost of Production


Element of cost Total Equivalent Cost per
Cost Production units Unit
Material 7,480 Rs. 3,640 Rs.
Less Scrap value of 200 7,280 3,560 2.00
normal loss 10,680 3,560 3.00
Labour 7,120 2.00
Overheads
Total cost per unit of 7.00
finished output
(c) Statement of Evaluation
Rs.
Transferred to Process B 3,200 x 7 22,400
Abnormal Gain 200 x 7 1,400
Work–in–Progress:
Materials 640 x 2 = 1,280
Labour 560 x 3 = 1,680
Overheads 560 x 2 = 1,120 4,080
(d)Process Account
Units Amount Rs. Units Amount
Rs.
To Materials 4,000 7,480 By Normal 200 200
To Labour 10,680 Loss 3,200 22,400
To Overheads 7,120 By Process
To Abnormal 200 1,400 B A/c 800 4,080
Gain A/c By Balance
c/d
(work–in–
progress)
4,200 26,680 4,200 26,680
Normal Loss Account
To Process A A/c 200 200 By Abnormal Gain 200 200
(160)
Abnormal Gain Account
To Normal Loss A/c 200 200 By Process A A/c 200 1,400
To Costing P&L A/c 1,200
200 1,400 200 1,400
जब ारि भक तथा अि तम चालू काय दये ह तथा हा नयां भी ह तो या खाता
पर इसका भाव न न उदाहरण से समझा जा सकता है।
उदाहरण 10 :
न न ल खत से समतु य उ पादन का ववरण, लागत ववरण तैयार करके न न के
मू य ात क िजए:
(अ) ह तांत रत उ पादन, तथा
(ब) औसत लागत व ध को अपनाते हु ए अि तम नमाणाधीन काय।
ारि भक नमाणधीन काय 2000 units
Rs.
Materials (100% complete) 7,500
Labour (60% complete) 3,000
Overhead (60% complete) 1,500
Unit introduced in the process 8000
या म 2000 इकाईयाँ है िजसका पूणता
का तर न न कार ह
Materials 100%
Labour 50%
Overhead 50%
8,000 इकाईयाँ अगल या म
थाना त रत क गई
इस अव ध क या लागत है :
Rs.
Materials 1,00,000
Labour 78,000
Overhead 39,000
हल :
Statement of Equivalent Production
Production Units Material Labour &
Overheads
Finished & transferred % Units % Units

(161)
Closing work–in–progress completion completion
8,000 100 8,000 100 8,000
2,000 100 2,000 50 1,000
Total 10,000 10,000 9,000
Statement of Cost
Materials Labour Overheads
Rs. Rs. Rs.
Cost of Opening Work–in– 7,500 3,000 1,500
progress 1,00,000 78,000 39,000
Cost incurred during the 1,07,500 81,000 40,500
process 10,000 9,000 9,000
1. Total Cost 10.75 9.00 4.50
2. Equivalent units Rs. 24.25
3. Cost per unit (1/2)

(a) Value of output transferred: = Rs. 1, 94,000


8,000 units @ 24.25
(b) Value of closing WIP :

Material 2,000 @ Rs. 10.75 = 21,500


Labour 1,000 @ Rs. 9.00 = 9,000
Overheads 1,000 @ Rs. 4.50 = 4,500 35,000
2,29,000
उदाहरण 11 :
न न ववरण से समतु य उ पादन का ववरण, लागत ववरण तैयार करके ' थम
आगमन', ' थम नगमण’ व ध का पालन करते हु ए अ त रत उ पादन का मू य तथा
नमाणाधीन काय का मू य ात क िजए :–
ारि भक नमाणधीन काय (2,000 units)
Rs.
Material (100% complete) 5,000
Labour(60% complete) 3,000
Overheads(60% complete) 1,500
9500

(162)
या म 2000 इकाइयाँ है िजसका पूणता का तर न न कार

Materials 100%
Labour 50%
Overhead 50%
8,000 इकाईयाँ अगल या म थाना त रत क गई
इस अव ध क या लागत है
Material 95,000
Labour 60,000
Overhead 30,000
हल :
Statement of Equivalent production
Production Units Material Labour & Overhead
Completion% Units Completion% Units
Opening WIP 2.000 – – 40 800
Completely
During the period
(8,000–2,000) 6,000 100 6,000 100 6,000
Closing WIP 2,000 100 2,000 50 1,000

Total 10,000 8,000 7,800


Statement of cost
Element of cost Cost (incurred Equivalent Cost per
during the year) Production units Units Rs.
Rs.
Materials 95,000 8,000 11,875
Labour 60,000 7,800 7,692
Overheads 30,000 7,800 3,846
Total 1,85,000 23,413
Statement of Evaluation

(163)
Opening work–in–progress
(current cost)
Rs. Rs.
Materia
Labour 800 Units @Rs. 6,154
7.692=
Overheads 800 Units @ 3,077 9,231
Rs. 3.846
Closing WIP
Material 2000@Rs. 23,750
11.875 =
Labour 1000@Rs.7.692= 7,692
Overheads 1000@Rs.3.846= 3,846 35,288
Units completely
processed during the
period :
6,000 @ Rs. 23,413 1,40,481 (approx)
1,
85,000
Process Account
Units Amount Units Amount
Rs. Rs
To 2,000 9,500 By Finished Stock
Opening
WIP
To 8,000 95,000 transferred to next
Materials process
To Labour 60,000 (9,500+9,231+1,40,481) 8,000 1,59,212
To 30,000 By Closing WIP 2,000 35,288
Overheads
10,000 1,94,500 10,000 1,94,500
उदाहरण 12 :

(164)
माच माह के लए द गई न न सू चना से या II हे तु या खाते FIFO व ध
का पालन करते हु ए बनाइए।
ारि भक टाक 600 इकाइयां . 1,050
पूणता क मा ा
साम ी 80% म 60% उप र यय 60%
या 1 से ह ता त रत 11,000 इकाइयां (5,500 .)
या III को ह ता त रत 8,800 इकाइयां
या II म लाई गई य साम ी: 2,410 .
य म 7,155 . उ पादन उप र यय 9,540 . े प इकाइयां 1,200
पूणता का तर. साम ी 100% म 70% उप र यय 70%
अि तम टॉक 1600 इकाइयां
पूणता का तर साम ी 70% म 60%4 उप र यय 60%
सामा य हा न–उ पादन का 10% अ सेष मू य 50 पैसे त इकाई
हल :
Statement of Equivalent Production
Input Units Output Units Equivalent Production
Material I Material II Labour Overhead
Qty. % Qty. % Qty. % Qty. %
Opening 600 Opening 600 - - 120 20 240 40 240 40
Stock Stock
Process
I
11,000 Normal 1,000 - - - - - - - -
Loss
Abnormal 200 200 100 200 100 140 70 140 70
Loss
Finished
Production 8,000 8,200 100 8,200 100 2,200 100 8,200 100
Closing 1,600 1,600 100 1,120 70 960 60 960 60
Stock
11,600 Total 11,600
Equivalent
Production 10,000 9,640 9,540 9,540

ट पणी :
1. साम ी I का अथ या I क साम ी से है। यह सदै व 100% पूण होती ह, य क
गत या का न मत उ पाद है।
2. साम ी II का अथ या II म लाई गई साम ी है।
Statement of Cost
Element of Cost Rs. Cost Equivalent Units
(165)
Production Cost Rs. P.
Rs.
Materials :
Transferred from Process I 5,500
Less Scrap 500 5,000 10,000 0.50
Added Material 2,410 9,640 0.25
Labour 7,155 9,540 0.75
Overheads 9,540 9,540 1.00
24,105 2.50
Process II Account
Units Amount Rs. Units Rs. Amount
To Balance b/d 600 1,050 By Normal Loss 1,000 500
To Process I 11,000 5,500 By Abnormal Loss 200 395

To Materials 2,410 By Process III


To Direct Labour 7,155 @2.50 per unit opening 8,800 22,000
To Overheads 9,540 stock (1050+450) 1,500
By Balance c/d 1,600 2,760
Work–in–Progress
11,600 25,655 11,600 25,655

6.10 संयु त उ पाद (Joint Products)


संयु त उ पाद वे है जो (1) एक ह क ची साम ी व एक ह या से उ प न ह ,
लगभग समान मह व मू य के ह तथा िजनके पृथक करण के प चात याकरण क
आव यकता हो। संयु त उ पाद व सह उ पाद म एक मु ख अ तर है– संयु त उ पाद
अ वभािजत होते है जब क सह उ पाद वभाजनीय।
संयु त उ पाद के लागत नधारण हे तु न न मु ख व धयां है।
(I) भौ तक माप प त Physical Measurement Method
(II) औसत इकाई लागत प त Average Cost Method
(III) बाजार मू य लागत प त Market Price Method
(a) पृथ क करण ब दु पर (b) पुन : याकंन के प चात
(IV) अशंदान व ध
(V) सव ण व ध
गौण उ पाद/उपो पाद (By–Products) :
उपो पाद वे है जो मु य उ पाद के साथ वत: ह उ प न हो जाते है। उपो पाद मु य
उ पाद क अपे ाकृ त कम मू य व मह व के होते है। कु छ उपो पाद को व य यो य

(166)
बनाने हे तु याकंन आव यक होता है। इनके मू यांकन क व धय को दो वग म
वभािजत कया जाता है–
(A) गैर लागत/ व य मू य व धयां
1. अ य आया व वध आय व ध,
2. मु य उ पाद खाते म उपो पाद क व य रा श े डट करके
3. कु ल लागत म उपो पाद क लागत घटाकर।
(B) लागत व धयां,
1. वपर त लागत व ध
2. अवसर लागत व ध
3. माप लागत व ध
उपयु त आधार पर अनुभाजन
उदाहरण 13 :
वभाजन ब दु क सीमा तक ए स, वाई तथा जेड उ पाद क कु ल संयु त लागत
140 . है। इन उ पाद का बाजार मू य मश: 60 ., 90 . तथा 190 . है।
वभाजन से आगे नमाण क लागत ए स क 20 वाई क 10 . तथा जेड क 30
. है। बाजार प त के आधार पर संयु त लागत को वभािजत क िजए।
हल :
Allocation of Joint costs
Products Market Cost Market Base of Joint Cost
Price of beyond price at Allocation Apportioned
Products Split–off split–off Point Rs. Rs.
Rs. Point Rs. Point Rs.
X 60 20 40 1/7 20
Y 90 10 80 2/7 40
Z 190 30 160 4/7 80
340 60 280 7/7 140
(आवंटन का आधार 40 : 80 : 160 है)
उदाहरण 14 :
‘अ’ उ पाद के उ पादन के दौरान 'ए स' तथा ‘वाई' उ पा दत हो जाते है। उसके यय न न
कार है:
Joint expenses Subsequent Separate Expenses
Rs. A X Y
Rs Rs Rs
Material 800 200 100 80
Labour 1,000 300 125 100

(167)
Overhead 600 300 100 192
2,400 800 325 372

ब मू य है: 'अ'– 3,000 ., 'ए स'– 1000 . तथा वाई– 800 .। ब पर


अनुमा नत लाभ मश: है– 20, 17.5 तथा 16। येक उ पाद क लागत दखाते हु ए
अलग–अलग खाते बनाइये।
हल:
वपर त लागत व ध (Reverse Cost Method)
Apportionment of Joint Expenses
A X Y
Rs. Rs. Rs.
Selling Price 3,000 1,000 800
Profit on turnover
(A 20%, X 17.5 and Y 16%) 600 175 128
Total Cost 2,400 825 672
Less : Separate Expenses 800 325 372
joint Expenses (Net Value) 1,600 500 300
वा त वक संयु त यय 2,400 को 16 : 5 : 3 के अनुपात म आवं टत कया
जाएगा। अत: संयु त यय का अंश 1,600 , 500 , 300 , होगा
A (Main Product) account
Rs. Rs Rs.
To Materials : By X By–product A/c :
joint 800 Share in joint Expenses
Separate 200 1,000 transferred 500
To Labour : By Y By–product A/c :
Joint 1,000 Share in Joint Expenses
Separate 300 1,000 Transferred 300
To Overheads : 600 By Cost of Production of A
Separate 300 900 (Main Product) 2,400
3,200 3,200
X (By–Product) Account
Rs Rs
To A (Main Product) 500 By Cost of Production A/c 825
A/c
To Materials 100
To Labour 125
To Overheads 100

(168)
825 825

Y (By–Product) Account
Rs Rs
To A (Main Product) A/c 300 By Cost of Production A/c 672
To Materials 80
To Labour 100
To Overheads 192
672 672

6.11 वपरख न
1. या लागत नधारण वध क सामा य वशेषताएं बतलाइए। उन तीन उघोग
उ योग के नाम बतलाइए जहां या लागत नधारण व ध को लागू कया जा
सकता है।
2. या लागत नधारण वध क काय णाल को समझाइये तथा इस वध क
वशेषताओं को प ट क िजए।
3. संयु त उ पाद तथा उपो पाद से आप या समझते ह? इन पर सं त ट पणी
ल खए।
4. साधारण य, असाधारण य तथा असाधारण आ ध य क प रभाषा द िजए और
प ट क िजये क एक व तु क लागत म इनका या भाव पड़ता है?
5. अ तर– वभागीय ह ता तरण लाभ से आप या समझते है तथा इसम से वा त वक
लाभ का आकलन कस कार कया जाता है?
6. न न पर ट पणी ल खये
(1) साधारण व असाधारण य (2) असाधारण उ पादन,
(3) अवशेष (4) चालू काय का मू यांकन
(5) तु य उ पाद इकाइयाँ
7. एक व तु उ पादन क तीन याओं से होकर नकलना है। न न आकड़ से माच
माह के लए येक या लागत ात क िजए
व ध सं या व ध सं या व ध सं या
1 2 3

यु त साम ी 15,000 5,000 2,000


म 8,000 20,000 6,000
य यय 2,600 7,200 2,500

(169)
अ य यय 8,500 . है जो मजदूर के आधार पर वभािजत ि यए जा सकते है।
माह के आर भ व अ त मे ह तगत टाक तथा चालू काय का वचार नह ं करना है।
माह म 240 व तु ओं का उ पादन हु आ।
Ans. Process No.1 Total Cost Rs. 27,600; Cost Per article Rs. 115.
Process No.2 Total Cost Rs. 64,800; Cost Per article Rs. 270.
Process No.3 Total Cost Rs. 76,800; Cost Per article Rs. 320.
8. एक फै का उ पादन पूण होने से पूव तीन याओं म होकर गुजरता है। येक
या का उ पादन पूण होने पर अगल या को तु र त भेज दया जाता है। ववरण
न न है: –
Processes
A B C
Rs Rs Rs
Materials and Wages (साम ी व मजदूर ) 18,000 12,000 10,000
Manufacturing expenses ( नमाण यय) 12,000 6,000 4,000
Output in units (उ पादन इकाइय म) 10,000 12,000 15,000
Opening Stock in Units (आरि भक टाक – 5,000 8,000
इकाइय म)
Closing Stock in Units (अि तम टाक इकाइय – 1,000 3,000
म)
Ans. A. Total Cost Rs. 30,000; per unit Rs. 3.00
B. total Cost Rs. 60,000; per unit Rs. 5.00
C. Total Cost Rs. 99,000; per unit Rs. 6.60
9. एक फै म उ पादन तीन याओं म होकर गुजरता है। येक या का
उ पादन अगल या को ह तांत रत हो जाता है।
व धयाँ
ववरण न न है– अ ब स
य मजदूर 10,000 20,000 30,000
मशीन यय 5,000 15,000 20,000
उप र यय 2,000 2,000 5,000
क ची साम ी उपयोग क 23,000 – –
इकाइयां इकाइयां इकाइयां
उ पादन (सकल) 21,000 – –
य 1,000 1500 2,500
आरि भक टाक – 2,000 3,000

(170)
अि तम टाक – 500 1,000
या खाते तैयार क िजए।
Ans. Process A Total Cost Rs. 40,000; Per Unit Rs. 2.00
Process B Total Cost Rs. 80,000; Per Unit Rs. 4,00
Process C Total Cost Rs. 1,43,000; Per Unit Rs. 7.33
10. एक फै म उ पादन अ, ब और स याओं म होकर जाता है। येक या म
कु ल लगाये वजन का 5% न ट हो जाता है और 10% अवशेष बचता है जो या
‘अ’ का 10 . त टन ‘ब’ का 15 . टन और ‘स’ का 20 . त टन बकता है।
अ य ववरण न न है
Processes
A B C
यु त साम ी टन म 3,000 2,000 1,000
Rs. RS. RS.
साम ी, क लागत त टन 30 40 40
उप र यय 6,000 2,00 1,000
उ पाद को न न कार काम म लाया जाता या अ या ब या
है– स
गोदाम को भेजा गया 25% 50% 100%
अगल या को भेजा गया 75% 50% –
या खाते तैयार क िजये।
11. या 1 म साम ी, 4 . त क. क दर से यु त क गई। य म पर 200
. यय हु ए तथा वभागीय यय 760 . हु ए। सामा य हा न यु त साम ी का
10% है तथा उ पादन 500 कलो ाम हु आ। यह मानकर क या का अवशेष 2
. त कलो ाम बकता है, 1 का लेजर खाता तैयार क रये तथा सामा य एवं
असामा य हा न का मू य बताये।।
Ans. Abnormal wastage 40 Kgs, value Rs. Output 500 Kgs, Cost Rs.
3,000.
12. एक फै म तीन याय यु त होती है। अ या का उ पादन 'ब' को सैर ‘ब'
का उ पादन ‘स' को ह ता त रत हो जाता है। अनुभव यह बताता है क अ व ध म
य 2 तशत च' व ध म य 5 तशत और ‘स' व ध म य 10 तशत है।
य का अवशेष मू य अ और 'ब' व धय म 20 . त 100 इकाइयां और 'स’
व ध म 50 . त 100 इकाइयां है
वध अ वध ब वध स
यय इस कार हु ए: . .

(171)
साम ी 10,000 8,000 6,000
मजदूर 5,000 4,000 3,000
उ पादन यय 3,000 3,000 1,000
उप र यय 2,000 2,000 500
‘अ’ व ध म 5,000 इकाइयां 10,000 . क लागत पर लगाई गई। उ पादन न न
हु आ–
या अ 4,500 इकाइयां
या व 4,400 इकाइयां
या स 3,500 इकाइयां
या खाते बनाइये।
Ans. Process A Abnormal wastage 400 units at Rs. 2,447; output 4,500 units of Rs. 27,533
Process B Abnormal wastage 125 units at Rs. 1,301; output 4,400 units of Rs. 45,789
Process C Abnormal watage 460 units at Rs. 6,513; output 3,500 units of Rs. 49,556
13. या II के ववरण न न है–
इकाइयां .

या नं. I से ह ता त रत 4,000

य मजदूर 2,000
य साम ी 3,000
फै उप र यय 4,000 9,000
तैयार टाक को ह ता त रत 3,240
य मजदूर 2,000
य साम ी 3,000 5,000
फै उप र यय या II क य साम ी का 400%
है।
सामा य हा न यु त इकाइय का 20% अवशेष मू य 5 . त इकाई।
व ध II का खाता तैयार क िजए। बताइये व ध का कतना लाभ–हा न लागत लाभ–हा न
खाते म ले जाया जायेगा।
Ans. Abnormal Gain 40 units; value Rs.275; 0utput 3,240 units of Rs.
22,275
Abnormal Gain A/c Rs.75 credited to Costing P&L. A/c
14. एक उ पाद ‘अ’ तथा ‘ब' दो याओं से अ सर होता है। ‘अ’ का उ पादन 'ब'
या को लागत म 25% लाभ, जोड़कर ह तांत रत कया जाता है तथा न मत

(172)
माल इसी कार न मत टाक खाते को लागत म 25% लाभ जोड़कर ह तांत रत
कया जाता है। 31 दस बर को कसी भी या म चालू–काय शेष नह ं था। इस
दनांक’ को न न ल खत सूचना और उपल ध थी:
या ‘अ’ या ब'
. .
साम ी उपभोग क गयी 8,000 12,000
पा र मक 2,4000 16,000
न मत टाक (मू ल प र यय पर मू यांकन) 4,000 12,000
न मत टाक म से 18,000 . का एक भाग हाथ म रहा तथा शेष 58,000 . को
बेच दया। उप र यय तथा आरम भक टॉक के न पर यान नह ं दे ना है। वध
खाते बनाइये और बताइये क कतना लाभ लाभ–हा न खाते म ले जाना है।
Ans Total Profiit Rs.32,000; Reserve for unrealized Profit Process A –
NiI;
Process B Rs. 800; Finished Stock Rs. 4,560 (Rs. 3,600+960).
Total Reserve Rs. 5,360
15. ए या का उ पाद बी या को ह तांतरण मू य पर 20% लाभ लेकर भेजा जाता
है। इसी आधार पर बी या का उ पादन तैयार टॉक को ह ता त रत होता है।
याओं के स ब ध म न न सू चनाय उपल ध है–
या ए या बी

ारि मक टाक 1,100 1,500


साम ी उपभोग क गई 14,500 6,075
य म 11,400 16,000
उप र यय 8,180 3,500
अि तम टाक 1,800 2,80
B या खाता बनाइये।
Ans. Effective units Cost per unit
Rs.
Materials (1) 10,000 0.50
Material (2) (added in Process) 9,640 0.25
Lobour 9,540 0.75
Overheads 9,540 1.00
Valuation of Work–in–progrress at the end would be Rs.2, 760.

(173)
16. या अ म एक माह म 2,000 इकाइयां यु त हो गई। सामा य हा न अनुमा नत
5% हे ।माह के अ त म 480 इकाइयां अपूण थी। पूणता क ि थ त न न थी–
Materials 75%
Labour 50%
Overheads 50%
समतु य उ पादन क गणना क िजए
Ans. Equivalent Production as regards material 1,785 units
Equivalent Production as regards labour 1,785 units
Equivalent Production as regards overhead 1,670 units
17. एक फै का न मत उ पादन दो याओं म होकर गुजरता है। साम ी थम के
आर भ म यु त क जाती है। न न ववरण म अि तम टाक तथा दूसर या
को साम ी का मू य ात क िजये:
या I .
आरि भक टाक 50,000
साम ी 1,37,500
म 2,50,000
उप र यय 2,00,000
इकाइयां
आरि भक टाक (25 पूण ) 20,000
या म लगाई गई 60,000
या II को ह ता त रत क गई 50,000
अि तम टाक (20 पूण ) 25,000
या के दौरान खराब हु ई 5,000
Ans Effective units 50,000; Work–in–Progress Rs.58,750; Transferred to
Process II 50,000 units valued Rs.5,78,750

6.12 पा रभा षक श द
या लागत नधारण व ध – लागत नधारण क व ध है िजसका योग उ पादन क
हर य/चरण पर लागत ात करने हे तु कया जाता है।
या हा न – उ पादन काय के दौरान अनेक नयं णीय/अ नयं णीय कारण से
उ पादन म होने वाल कमी या हा न है।
अ त: या लाभ – एक या का उ पादन दूसर या म लागत पर
थाना त रत न करके लाभ क कु छ रा श जोड़कर अ त रत कया जाता है। लाभ क
यह रा श अ तः या लाभ कहलाती है।
समतु य उ पादन– अ न मत उ पादन को पूण इकाइय म य त करता है।
(174)
गौण/उप उ पाद – मु य उ पादन के साथ वत: ह अपे ाकृ त कम मू य के उ पाद
गौण/उप उ पाद कहलाते है।
संयु त उ पाद – समान मह व के दो या दो से अ धक उ पाद साथ–साथ उ पा दत हो,
उ ह संयु त उ पाद कहा जाता है।

6.13 संद भत थ
1. प र यय लेखांकन एम. एल. अ वाल सा ह य भवन, आगरा
2. लागत लेखांकन जैन, नारं ग, म तल क याणी पि लशस, लु धयाना
3. लागत लेखांकन एस. एन. माहे वर सु तान चंद ए ड स स, नई द ल
4. लागत लेखांकन राव, सु थार, गु ता अ का पि लकेशंस, अजमेर

(175)
इकाई – 7 : प रचालक लागत नधारण
इकाई क परे खा –
7.0 उ े य
7.1 अथ व प रभाषा
7.2 प रचालन लागत नधारण के उ े य
7.3 प रचालन लेखांकन के े
7.4 प रचालन लागत
7.5 प रचालन लागत इकाई
7.6 वभ न े का प रचालन लागत नधारण
7.7 वपरख न/अ यास
7.8 श दावल
7.9 उपयोगी पु तक/स दभ थ

7.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से आप न न के बारे म जान सकगे :
 प रचालन लागत नधारण व ध क अवधारणा
 वभ न े म प रचालन लागत नधारण क व तृत या

ऐसे सं थान जो उ पादन काय म संल न नह ं ह, वरन सेवाएं दान करते है उनक
लागत नधारण क व ध उ पादन म लगे सं थान से भ न होती है। सेवा दान
करने वाले। सं थान क संचालन लागत को प रचालन लागत अथवा सेवा लागत भी
कहा जाता है। आई.सी.एम.ए. के अनुसार “प रचालन लागत का अथ सेवा दान करने
क लागत से है।''

7.1 प रचालन लागत नधारण का अथ


सेवा दान करने वाले सं थान वारा कए गए काय के आधार पर त इकाई सेवा
लागत और उसके आधार पर व य मू य का नधारण प रचालन लागत नधारण
अथवा सेवा लागत लेखांकन कहलाता हे

7.2 उ े य:
प रचालन लागत नधारण के न न ल खत मु ख उ े य ह : 1. कु ल लागत का
नधारण 2. त इकाई लागत का नधारण 3. यय का वग करण व नयं ण 4.
तु लना मक अ ययन।

7.3 या प रचालन नधारण के े :


यह व ध िजन सेवा े पर लागू होती है उ ह न न कार वग कृ त या जा सकता
है :

(176)
(अ) सेवा े का कायानुसार वग करण–
1. प रवहन सेवाएं 2. आपू त सेवाएं 3. क याण सेवाएं
(ब) कृ त अनुसार वग करण–
1. सावज नक सेवाएं (रे ल, अ पताल, होटल आ द)
2. आ त रक सेवाएं (के ट न, वा य के आ द)

7.4 प रचालन लागत :


प रचालन लागत के नधारण हे तु लागत को एक नधा रत अव ध हे तु सं हत कया
जाता है और उ ह दो मु ख वग म वभािजत कया जाता है–
1. थाई यय
2. प रवतनशील यय – इ ह पुन : दो भाग म वग कृ त कया जा सकता है –
1. अनुर ण यय 2. प रचालन यय

7.5 प रचालन लागत इकाई:


प रचालन लागत क त इकाई लागत ात करने हे तु प रचालन लागत इकाई का
नधारण आव यक है। यह व भ न सेवाओं हे तु भ न– भ न होती है। अ धकांशत:
म त अथवा संयु त इकाईयां यु त क जाती ह उदाहरणाथ प रवहन सेवाओं म त
या ी– कमी. अथवा त सीट– कमी. या त टन/ क. मी., होटल यवसाय म त
कमरा दवस, व युत वतरण सं थान म त कलोवाट–घ टा, अ पताल म त रोगी
दवस, आ द इकाईयां यु त क जा सकती है।

7.6 वभ न े का प रचालन लागत नधारण:


व भ न सेवाओं हे तु यय भी अलग–अलग होते ह। तुत अ याय म न न मु ख
सेवाओं क लागत क गणना का वणन कया गया है।
(1) प रवहन लागत नधारण
(2) शि त गृह लागत
(3) होटल लागत
(4) अ पताल लागत
(5) छ वगृह लागत
प रवहन लागत नधारण : एक प रवहन सं था वारा वभ न कार से भार वहन
करने का काय कया जाता है। इस हे तु प र यय इकाई सरल अथवा संयु त ल जा
सकती है। ाय: संयु त अथवा इकाई का ह चयन कया जाता है य क यह लागत
को भा वत करने वाले दो मु ख त व या य क सं या/ले जाया गये सामान का
भार तथा दूर , दोन का समावेश करती है। संयु त इकाई क गणना क दो व धयां है
:

(177)
1. प रशु टन कलोमीटर – इस व ध के अनुसार या ा के व भ न ख ड क दूर को
उस ख ड के या ी/साम ी भार से गुणा कर दया जाता है। व भ न या ा ख ड क
गुणनफल का योग ह प रशु या ी 1 टन कमी. कहलाता है।
2. वा णि यक टन कमी. – इस व ध के प रचालन इकाई क गणना सार या ा एक
मानते हु ए औसत या ी/साम ी को कु ल या ा क दूर से गुणा कर दया जाता है।

लागत नधारण : प रवहन सं थान के लागत नधारण हे तु तैयार कए जाने वाले


लागत प का ा प न न कार ह यह प एक नधा रत अव ध हे तु तैयार कया
जाता है।
XYZ TRANSPORT
OPERATING COST SHEET
For the period of …………………
Vehicle No. ………………….. Carrying Capacity …………………
Expenses Amount (Rs.)
A. Standing/Fixed
Expenses
Garage Rent
Insurance
Tax, License etc.
Interest on Capital
Total A ……………………………………………..
B. Variable Expenses
Petrol / Diesel etc.
Depreciation
Repairs & Renewals
Wages of Running Staff ………………………………………………
Total B
Grand Total (A+B)
Operating Cost Per Unit Total Operating Cost
=
Total Ton/Passenger Km.
(टन कलोमीटर का अथ है एक टन साम ी को एक कमी. तक ले जाना)
वाहन उपयो गता अनुपात : वाहन क मता के उपयोग क जानकार हे तु वाहन
उपयो गता अनुपात क गणना क जाती है। दो व भ न अव धय के तु लना मक
अ ययन म ये है। इसक गणना न न सू से क जाती है।

(178)
यु त टन/ क.मी
वाहन उपयो गता अनुपात =
उपल ध मता
उदाहरण 1 :
मा त े व स, जो एक प रवहन क पनी है, 75 कमी क दूर पर ि थत शहर के
म य 6 बस संचा लत करती है। जू न माह के सं दभ म न न समंक दए गए है :

1. ाइवर, क ड टर व ल नर का पा र मक 3600
2. कायालय कमचार व नर क का वेतन 1500
3. डीजल व अ य तेल 10,3200
4. मर मत व अनुर ण यय 1200
5. कर, बीमा आ द 2400
6. मू य हास 3900
7. याज व अ य यय 3000
वा त वक वहन मता के 80 तशत या ी ह ले जाए गए। सभी बस माह के सभी
दन चलती रह ।ं येक बस एक दन म एक प करती है। त या ी क.मी. लागत
ात क िजए।
हल 1:
माह के या ी कमी. न न कार ात कए गए ह।
बैठक मता = 6 Buses × 40 Passengers per bus = 240 या ी
त दन वा त वक या ी ले जाए गए = 192 या ी त दन
माह के वा त वक या ी = 5,760 या ी तमाह
माह के वा त वक या ी क.मी. = 5,760 × 75 × 2 = 8,64,000
OPERATING COST SHEET
For the month of June
Standing charrges : Rs Rs.
ages of drivers, Conductor & Cleaners 3,600
Salaries of Office and Supervisory staff 1,500
Taxation, insurance etc. 2,400
Interest & other charges 3,000 10,500
Variable Charges :
Diesel & other oils 10,320
Repairs & maintenance 1,200
Deprecation 3,900 5,420
Total Cost 5,920

(179)
Total Passenger Kms. Run 8,64000
Cost per Passenger Km. = 25,920/8,64,000 = Re. 0.03
उदाहरण 2 : दो वाहन ए स व वाई क त मील प रचालन लागत न न ल खत
सू चनाओं के आधार पर ात क िजए–
Vehicle A Vehicle B
Mileage run (annual) 1,5000 6,000
Cost of Vehicle Rs.25,000 Rs.15,000
Road License (annual) Rs.750 Rs.750
Insurance (annual) Rs.700 Rs.400
Garage rent (annual) Rs.600 Rs.500
Supervision and Salaries Rs.1,200 Rs.1,200
Driver’s Wages Per hour Rs.3 Rs.3
Cost of Fuel per gallon Rs.3 Rs.3
Miles run per gallon 20 miles 15 miles
Repairs & maintenance per mile Rs. 1.65 Rs.2.00
Tyre allocation per mile Rs.0.80 Rs.O.60
Estimated Life of Vehicle 1,00,000 75,000
miles miles
वाहनो क औसत ग त 20 मील त घ टा हे ।
हल :
STATEMENT OF COST PER/RUNNING/MILE
VechicalA VechicalB
A. Fixed Cost :
Road Licence 750 750
Insurance 700 400
Garage rent 600 500
Supervisory Salaries 1,200 1,200
Interest 5% 1,250 750
4,500 3,600
Mileage run per annum 1,5000 6,000
Fixed Cost per mile 0.3 0 0.60
B. Running cost :
Driver’s Wages (Rs.3per Hour For 0.15 0.15
20miles)
(180)
Fuel Cost Per mile 0.15 0.20
Repairs & maintenance per mile 1.65 2.00
Tyre allocation per mile 0.80 0.60
Depreciation (Cost/ estimated Life) 0.25 0.20
Running Cost Per 3.30 3.15
Total cost per running mile (A+B) 3.30 3.75
उदाहरण 3 :
न न ववरण से त या ी कलोमीटर लागत ात क िजये:–
एक बस दो नगर के बीच 15 कलोमीटर क दूर तय करती है। यह औसतन मह ने
म 5 दन सड़क पर नह ं चलती है। यह त दन 5 जाने के तथा 5 वा पस आने के
फेरे करती है। इसक मता 50 या ी है और औसतन 80 तशत भर रहती है। यय
इस कार है–
Rs.
Driver’s Salary per month 300
Salary of Conductors and Cleaners per 500
month
Petrol, etc per. Month 3,500
Cost of bus 80,000
Estimated life5 Years
Insurance Taxes p.a 3.000
Repairs and Renewals p.a 4,000
हल :
बस मह ने म 25 दन चलती है, त दन 15 कलोमीटर जाने तथा वा पस आने के
.5 फेरे करती है मता 50 या ी है और उसक औसतन 80 तशत पूर रहती है,
अत: माह क या ा 1,50,000 कमी. हु ई–
Total Passenger Km. = 15 × (15+5) × 50 × 80/100
= 15 × 10 × 25 × 5 × 80 /100
= 1,50,000 Passengers Kms. Per
month
OPERATING COST OF BUS
Month
Bus no. Passenger – Kms : 1,50,000
Rs. Rs.
1. Running Cost :
(181)
Petrol 3500
Driver’ Salary 300
Salary of Conductor and Cleaners 500 4,300.0
2. Maintenance Cost :
Repairs and renewals (Rs.4, 000/12) 333.33
Fixed cost :
Insurance and taxes (Rs. 3,000/12|) 250.00
Depreciation (Rs.80,000/5 x 12) 1333.33
Total operating cost : per month 6216.66
Therefore cost per passenger km =Rs.6216.66/1
,50,000

= Re.0.0414
= Re. 0.4 or
4 paisa
उदाहरण 4 :
भारत ांसपोट 20 कमी. क दूर के म य दस बस का संचालन करती। येक
50,000 . व जीवनकाल 5 वष है। अनुमा नत यय न न कार है :
(i) Insurance charges 3% per annum
(ii) Annual tax for each bus Rs.1000
(iii) Total garage charges 1000 p.m.
(iv) Annual repair for each bus 1000
(v) Driver’s Salary for each bus 150 pm.
(vi) Conductor’s salary for each 100 pm.
bus
(vii) Commision to be shared by
the driver and conductor
equally 10% of the takings
(viii) Cost of Stationery 500 p.m
(ix) Manager’ s salary 2000 p.m
(x) Accountants’ Salary 1500 p.m
(xi) petrol and oil 25per 100 KS.

(182)
येक बस त दन 3 प करती है व 40 या ी ले जाती है येक बस म 25 दन
येक या ी से लया जाने वाला भाड़ा ात क िजए।
हल :
OPERATING COST STATEMENT
(PassengerKms.12,00,000)
Per annum per month
Rs. Rs.
Fixed Expenses :

Insurance Charges 15,000


Taxes 10,000
Garage rent 12,000
Driver’s Salary 18,000
Conductors’ Salary 12,000
Driver’s salary 18,000
Conductors’ Salary 12,000
Cost of Stationery 6,000
Manager’s salary 24,000
Accountant’s Salary 18,000
1,15,000 Rs.9,583.33
Running expenses :
Depreciation 1,00,000 8,333.33
Repairs 833.34 10,000
Commission 7,500.00

Petrol 3,500.00
Total Cost per 29,750.00
month
Profit 15% on 5,250.00
takings
Total takings 35,000.00
Total effective Passenger Km. per
Month
10 x 3 x 2 x 25 x 40 = 1,20,000
(183)
x 20
Total taking = 35,000
Fare per Passenger = Rs. 0.2917
Km.
नोट. ाइवर व क ड टर को दे य कमीशन क गणना हे तु कदल या ा यय ात कया
Let total takings be “x”
Commission Will be = X / 10
Profit to be charged will be = 3X / 20
Total Cost per month Without including Commission are Rs.
26,250
Therefore X = 26,250 + +
, ,
Or X =
Or 20X= 5X+5,525,000
Or 15X= 5,25,000
Or X= 35,000
10% of Rs. 35,000 = Rs,3,500
उदाहरण 5 :
न न समंक एक क पनी क चालू वष क पु तक से लए गए है। तया ी क.मी.
ात करने हे तु उपयु त ववरण तैयार क िजए :–
या ी बस क लागत मश: 1,00,000 ., 1,80,000 . एवं 2,20,000 . है।
वा षक मू य हास लागत का 20 तशत वा षक मर मत अनुर ण व पुज क रा श
मू य हास क 80 तशत है।
Wages of 6 drivers @Rs.800 each per month
Wages of 3 Conductors @Rs.600 each per month
Yearly rate of interest 6% on Capital
Rent of 3 garages @Rs.200 each per month
Manager’ salary @Rs.1000 per month
Office establishment @Rs.1000 per Month
License and taxes @Rs.2000 every six months
Realisation of sale Proceed of
Old tyres and tubes Rs. 2000 every six months
Diesel Rs.3 per liter for every 10 Kms
150 Passengers were carried Over 40,000

(184)
हल:
OPERATING COST SHEET FOR TRANSPORT
(for the current year)
(Total Passenger Kms. = 60,00,000)
Particulars Total Cost Cost per
A. Fixed Charges :
Wages of 6 drivers @ Rs. 800 each per
Month – Rs. (4,800 x 12) 57,600
Wages of 3 Conductors @Rs.600 each
Per month – (1,800 x 12) 21,600
Rent of 3 garages @ Rs. 200 each per
Month – Rs. (600 x 12) 7,200
Manager’s Salary Rs. (1,000 x 12) 12,000
Office establishment Rs. (1,000 x 2) 12,000
Licence and taxes Rs.(2,000 x 2) 4,000
Interest 6% pm Rs. 5,00,000 30,000
Total Fixed Charges (A) 1,44,000 0.024
B. Variable Charges :
Depreciation – 20% on Rs. 1,00,000 0.024
Annual repairs, maintence and spare
Parts – 80% of depreciation 80,000 0.017
Diesel – (40,000/ 10) = 4,000 liters
@ Rs.3 per litre 12,000 0.002
Total (A+B) 1,92,000 0.002
Less : Sale Proceeds of old tyres 3,36,000 0.001
Total Cost 3,32,400 0.55
कु ल या ी कमी न न कार ात कए गए है :
No. ऑफ Passengers x Kilometers travelled
= 150 x 40,000 = 60,00,000 Passengers kms.
उदाहरण 6 :
एक यातायात प रचालक एक क व एक बस का संचालन करता है। अग त माह के
थम स ताह हे तु न न ववरण उपल ध है:

(185)
Date Truck Bus
Load Carried Kilometers No. Of Kilometers
In tonnes Covered Passengers Covered
Aug.1 5 200 50 150
Aug.2 6 150 40 200
Aug.3 4 200 60 100
Aug.4 7 250 40 150
Aug.5 5.5 300 30 200
Aug.6 4.5 200 20 150
Aug.7 5 100 50 100
क व बस का वाहन उपयो गता अनुपात ात क िजए य द 1 अग त से 7 अग त
तक क अव ध हे तु बजट म नधा रत दूर क हे तु 1000 टन कमी तथा बस हे तु
50,000 या ी कमी. है।
हल :
एक अग त से 7 अग त के बीच तय क गई कु ल प रचालन इकाइय क गणना
Date Truck Bus
Load in Kms. Tones No.of kms Passengers
Kms. Covered kms passengers traveled kms
Tonnes (load x
Kms.)
Aug.1 5 200 1,000 50 150 7,500
Aug.2 6 150 900 40 150 8,000
Aug.3 4 200 800 60 100 6,000
Aug.4 7 250 800 60 100 6,000
Aug.5 5.5 300 1,650 30 200 3,000
Aug.6 4.5 200 900 20 150 5,000
Aug.7 5 100 500 50 100 5,000
Total 7,500 41,500
Truck Bus
Target as per 90,000 Tonnes 50,000 Passengers Kms.
kms.
Budget
7,500 Tonne Kms. 41,500 Passenger kms

(186)
Actual Performance
Vehicle utilization Actual tone kms.
.
.
Budgeted Passengerkms.
7,5000 100 41,500 100
= 83.33% = 83%
9000. 1 50,000. 1
उदाहरण 7 :
मु बई ांसपोट क पनी मु बई से पूना के बीच माल ले जाने का काय करती है।
उनक रोकड़–बह से अ ेल माह के लए न न त य एक कए गए :
CASH BOOK
Rs. Rs.
To cash received for work By petrol used 2,650
performed 12,000
To cash received from New By Motor Lorry repairs 1,500
India
Insurance Co. Ltd. Account By Fees for Licence for year 1,425
Of damage caused to lorry 150 By Driver’s Wages 1,200
To Cost of Petrol recovered By Oil used 450
from
Directors 25 By Garage Rent for February 360
and march
By Cost of four tyres 240
ाइवर के लेख से न न जानकार ा त हु ई
Quintals Carried : April 15,000quintals
Kilometers Travelled : April 25,000
Work Performed in April as per bills rs.8,550
आपको सू चत कया गया है क क पनी क एक वष म 2,00,000 ि वंटल भार और
3,00,000 क.मी. क या ा अनुमा नत है। चार टायरो के एक सेट के अनुमा नत
जीवनकाल 5,000 क.मी. है। क पनी क पू ज
ं ी 94000 . है। ला रय क लागत पर
मू यहास 15 तशत है। मर मत यय सामा य है। वा षक बीमा ी मयम 1,165 .
है।
एक त पध ांसपोट क पनी के ार भ होने से मु बई ासपोट क पनी आपसे यह
ं ी पर 15
सलाह लेना चाहती है क पू ज तशत याज चाज करते हु ए उनक दर म
कतनी कमी क जा सकती है।
वष क कु ल अनुमा नत लागत व दर म कमी क गणना करते हु ए एक नवरण प
तैयार क िजए।

(187)
हल :
Statement Showing Estimated Total Cost For a year
Amount
Rs.
Cost of Petrol Rs.2,625 x 33,500
3,00,000/25,000
Motor Lorry repairs (Rs. 1500 – 150) x 16,200
12
Fees for Licence Rs.1,425 for a year 1,425
Driver’s Wages Rs. 1200 x 14,400
3,00,000/52,000
Oil used Rs. 450 x 5,400
3,00,000/25,000
Garage rent Rs.180 x 12 2,160
Cost of Tyres Rs. 240 x 3,00,000/ 4,800
25,000
Depreciation on Lorries at 15% on Rs.
75,000
Office Charges Rs. 300 x 12 3,600
Insurance Premium for a year 1,165
Estimated Total Cost 93,900
Add : Profit at 15% on their capital of Rs. 94,000 14,100
1,08,000
Estimated quintals to be Carried 2,00,000 2,00,000
Average rate per quintal Rs.1,08,000/ 0.54
Quintals Carried in April 15,000
Charges made to Customers in April Rs.8,550
Charges Rate per Quintal on present 0.57
basis Rs.8,550/15,000
Reduction in rate 0.03

(2) शि तगृह लागत नधारण :

(188)
शि तगृह म व युत नमाण होता है। शि त का नमाण कोयले या जल से हो सकता
है। य द जल शि त न मत होती है तो टरबाइ स व उसके यय दये होते है। कोयले
से शि त न मत होने पर मु ख यय न न होते है –
1. ईधन –इसम कोयला, तेल, कोयले क ढु लाई का यय, सं हण यय आ द आते
है।
2. म – कोयले को ढोने का यय, राख को हटाने का म।
3. नर ण यय –इसम फोरमेन तथा इ जी नयस आ द का वेतन सि म लत होता
है।
4. पानी
5. अ य साम ी
6. मर मत, अनुर ण हास व बीमा
7. अ य यय
8. टाफ का वेतन
उ पादन के सभी यय को जोड़कर उसम से अवशेष क ब से ा त रा श, राख क
ब से ा त रा श तथा ट म पू त से ा त रा श घटा द जाती है। इस उ पादन
लागत म उ पा दत इकाइय का भाग दे ने पर त इकाई लागत ात क जाती है।
इसक इकाई कलोवाट घ टा म पायी जाती है।
उदाहरण 8 :
एक वष के लए च बल थमल पावर टे शन बांरा उ पा दत शि त क त इकाई
लागत ात करने हे तु न न समको से लागत ववरण तैयार क िजए–
Total Units Generated 20,00,000kwh.
Rs.
Operating Labour 50,000
Repairs & Maintenance 50,000
Lubricants 40,000
Plant Supervision 30,000
Administration Overheads 20,000
Coal consumed per kwh. For the year
2.5 Kg. @Rs. 0.02 per kg.
Depreciation charges 5% on Capital Cost of
Rs.2,00,000

(189)
COST SHEET OF CHAMBAL THERMAL POWER STATION
For the ………………….)
Units
generated20,00,000kwh)
Particulars Total Cost per Kwh.
Cost Rs.
Rs
A. Fixed Charges :
Plant Supervision 30,000
Administration overheads 20,000
Depreciation 5% on Rs. 10,000
Total Fixed Charges (A) 60,000 0.030
B. Variable Charges :
Operating labour 50,000 0.025
Repairs & Maintenance 50,000 0.025
Labricants 40,000 0.020
Coal (5,00,000 kg. x 2 1,00,000 0.050
paisa)
Total Variable Charges (B) 2,40,000 0.120
Total Cost (A+B) 3,00,000 0.150
कायशील ट पणी
Total Units Generated = 20,00,000 kwh.
Coal Consumed per kwh. = 2.5 kg.
Total Coal required for 20,00,000 kwh = 20,00,000
= 50,00,000
Cost Price of Coal 50,00,000 kwh. X Re.0.02 = Rs.1,00,000
उदाहरण 9 :
पॉवर क पनी ल मटे ड क पु तक से एक वष से स बि धत न न लागत आंकड़े
लए गए ह। त कलोवाट–घंटा शि त उ पा दत करने क लागत दशाते हु ए एक
लागत ववरण प बनाइए:
Total Units Generated 15,00,000
units
Rs.
Operating Labour 16,500

(190)
Plant & Supervision 5,250
Lubricants & Suppliers 10,500
Repairs & Maintenance 21,000
Administrative Overhead 9,000
Capital Cost 1, 50,000
वष म त कलोवाट–घंटा 15 प ड कोयला उपभोग कया गया। पॉवर, तक भेजे गए
कोयले क लागत त मै क टन 33.06 . है। हास क दर 4 तशत वा षक है
तथा पू ज
ं ी पर याज 7 तशत वा षक दर से लगाना है।
हल :
Cost of Generation of Power During the year………
Total perk wh.
Variable Expenses
Coal 33,734 2.25
Operating Labour 16,500 1.10
Lubricants & Supplies 10,500 0.70
Repairs and Maintenance 21,000 1.40
Depreciation 6,000 0.40
87,734 5.85
Fixed Expenses :
Plant Supervision 5,250
Administrative Overhead 9,000
Interest (7% on Rs. 10,500
1,50,000)
24,750 1.65
1,12,484 7.50
कायशील ट पणी
Cost of metric tone (Rs.33.06) Rs. .33.06
Cost of 1.5 ibs (per kwh)
.
x1.5 = 2.25 paisa
,
Total for Rs. 15,00,000 kwh =
. . , ,
,
= Rs.33,734
उदाहरण 10 :
न न समको से एक उ चत लागत प क म बजल उ पादन करने क आइरन व
टल व स क त इकाई लागत अ ल
ै माह के लए ात कर.

(191)
1. ईधन : माह का आर भ म 500 टन
कोयला
माह म पू त 1,100 टन
माह के अ त म शेष 400 टन
कोयले क वा षक पू त का ठे का 10 . 'एफ.ओ.आर.' त टन है। इसम भाड़ा व
रखरखाव यय के लए 10 तशत जोड़ना है।
2. Oil : 10 Ton at Rs.250 per ton
3. Water : 50,000 gallon, Pumping charges at 25 paisa per 100
gallon
4. Depreciation of Steam Boiler : Capital value Rs. 24,00 and the
rate of depreciation12% per annum
5. salaries and wages of the boiler hours : 10 men at Rs. 100 per
month each 40 coolies at Rs.20 per month each
6. Recovery on account of sales of ashes: 100 ton at Re.12 per ton
7. Salaries and wages of the generating station : 50 men at Rs.100
per month each 20 coolies at Rs. 20 per month each.
8. Depriciation on Generating Equipment: Capital value Rs.1, 20,000
and rate of depreciation 121/2% p.a.
9. Repairs and maintenance of the generating equipment: Rs.2, 600
10. Share of administration charges: Rs.1, 750
11. Number of units generated: 1, 46,000
12. Loss in the process: 2,000 units generated
हल :
Net Power Generated = 1, 46,000 – 2,000 units loss in process =
1, 44,000 units
Power House Cost Sheet (for the month of April……………)
Boiler House Cost for the Month : Rs. Rs. 17,765
Fuel : Coal opening stock 500 ton @Rs.11 13,200 9,250
(i.e. Rs. 10+10% of Rs.10) 5,500 2500
Supply during the Month 1,100 Ton @Rs.11 125
12,100 240
Less : Closing stock 400 Ton @ Rs.11 17,600 1,800
Cost of Caol consumed –4,400 17,865
Oil : 10 Ton @ Rs.250 per ton 100
(192)
Water : 50,000 gallon @ 25 Paisa per 100 5,400 27,015
gallon 2,600 1,750
(50,000/100) X 0.25 1,250
Depreciation of Steam Boiler 28,765
(24,000 X 12/100 X 1/12)
Salaries and wages of Boiler House :
10 men at Rs. 100 per month each 1,000
40 cooles at Rs. 20 per month 800
Total Cost of Boiler House
Less : Recovery from Sale of Ash
Net Cost of Boiler House
Electricity Generating Cost for the Month :
Salaries and Wages
50 men at Rs.100 per month each 5,000
20 cooles at Rs.20 per month 400
Repairs and Maintenance of Generating
Equipment
(1,20,000 X 12% X 1/12)
Cost at Generating Station
Cost of Generating (Steam cost + Generating
cost)
Apportioned Administration charges
Total Cost of Generation
Cost per unit = 28,765 + 1, 44,000 = 0.1998 = Rs.0.20 approx.
Note: The power house is fed with steam generated in boiler
house. Therefore, cost of producting steam has been added
to the cost of generating power so as to arrive at total cost
of power generation.
(3) होटल लागत नधारण:
नवास थान दान करने वाले होटल क सम या भ न होती है। होटल म कमरे
वभ न कार के होते ह– कु छ कमर म। यि त ठहर सकता है, कु छ म दो और
कु छ म 2 से अ धक। येक कमरे म सु वधाय भी अलग होती है। फर मौसम, पव,
थान के अनुसार या य क सं या भा वत होती ह। इसक लागत इकाई त कमरा
दवस/ त यि त लागत होती है।

(193)
उदाहरण 11 :
एक होटल से ा त न न सू चना से चाज कए जाने वाले कराए क रा श ात
क िजए उस लागत पर ( याज के अ त र त) 25 तशत लाभ अिजत कया जा सके
:
(i) Salaries of staff: Rs.80, 000 p.a.
(ii) Wages of the room attendant: RS.2 per day
(iii) Lighting heating and power:
(a) The normal lighting expenses for a room for the whole month
is Rs.50 when occupied.
(b) Power is used only in winter and the charges are Rs.20 for a
room, when occupied.
(iv) Repairs to building: Rs.10, 000 p.a.
(v) Linen etc.: Rs.4, 800 p.a.
(vi) Sundries: Rs.6, 600 p.a.
(vii) Interior decoration and furnishing: Rs.10, 000 p.a.
(viii) Depreciation @5% is to be charged on building costing Rs.4,
00,000
(ix) Interest to be charged @5% on investment in building and
equipments amounting to Rs.5, 00,000
(x) होटल म 100 कमरे ह। ी म म 60 तशत व शीत ऋतु म 30 तशत कमरे भरे
रहते है। ी म व शीत ऋतु क अव ध 6 माह येक ल जा सकती है। एक माह म
30 दन माने जा सकते है।
हल :
Operating Cost Statement Showing Room Rent per day
(Room days 19,800)
Per annum Rs.
(A) Total Cost
(i) Staff Salaries 80,000
(ii) Room attendant’s wages 39,600
(iii) Lighting, heating and power 36,600
(iv) Repairs to buildings 10,000
(v) Line etc. 4,800
(vi) Sundries 6,600
(vii) Interior decoration and 10,000

(194)
furnishings
(viii) Depreciation:
Building @5% Rs. 20,000
Other equipments @10% Rs. 10,000 30,000
(ix) Interest on Investment 5% 25,000
on Rs. 50, 00,000
Total Cost 2, 42,600
(B) Profit @25% on cost 54,400
excluding Rs. 5, 00,000
I.e. 25% on Rs. 2, 17,600
(C) Total rent to be charged for 2,97,000
all rooms
(D) Room days 19,800
(E) Room rent per day (C / D) 15
Working Notes:
1. Room days:
80
Summer 100 rooms x 6 months x 30 days   14, 400
100
30
Winter: 100 rooms x 6 months x 30 days   5, 400
100
Total – 19,800
2. Room attendant wages :
Summer: Rs. 2 x 100 rooms x 80% x 30 days x 6 months
=28,800
Winter: Rs. 2 x 100 rooms x 30% x 30 days x 6 months =10,800
39,600
3. Lighting heating and power:
Lightning:
Summer : Rs. 50 x 6 months x 100 rooms x 80% = Rs. 24,000
Winter : Rs. 50 x 6 months x 100 rooms x30% = Rs. 9,000
Power
Winter : Rs.20 x 6 months x 100 rooms x 30% = Rs. 3,600
Total 36,600
उदाहरण 12 :

(195)
एक होटल म तीन कार के नवास थान ह– एक कमरे वाला नवास, दो कमरे वाला
नवास तथा तीन कमरे वाला नवास। न न सू चनाओं के आधार पर येक कार के
नवास के कराये क गणना क िजए:
1. दो कमरे वाले नवास का कराया, एक कमरे वाले नवास क तु लना म 1.5 गुना होगा
और तीन कमरे वाले नवास का कराया एक कमरे वाले नवास से दुगना होगा।
2. होटल म 20 तीन कमरे वाले, 30 दो कमरे वाले तथा 100 एक कमरे वाले नवास
ह।
3. सामा यत: ी म ऋतु म 90 तशत एक कमरे वाले, 60 तशत दो कमरे वाले
तथा 60 तशत तीन कमरे वाले नवास भरे रहते है। शीत ऋतु म 50 तशत एक
कमरे वाले, 20 तशत दो कमरे वाले तथा 20 तशत तीन कमरे वाले नवास भरे
रहते है।
4. वा षक यय न न ह –
टाफ वेतन 2,20,000 .।
कमरा प रचालक का वेतन – ी म काल म त दन 2 . एक कमरे वाला नवास,
3 . दो कमरे वाला नवास तथा 4 . तीन कमरे वाला नवास, जब भरा हो। शीत
ऋतु म 3 . त दन एक् कमरे वाला नवास, 450 . दो कमरे वाला नवास और
6 . तीन कमरे वाला नवास, जब भरा हो।
बजल , ताप व शि त –
बजल – 40 . त माह एक कमरे वाला नवास, जब वह भरा हो, ी म एवं शरद
दोन मौसम 60 . त माह दो कमरे वाला नवास ी म एवं शीत ऋतु म जब वह
भरा हो, 80 . त माह तीन कमरे वाला नवास ी म एवं शीत ऋतु म, जब वह
भरा हो।
शि त – 20 . तमाह एक कमरे वाला नवास, य द वह पूण माह भरा हो येक
मौसम म, 30 त दो कमरे वाला नवास येक मौसम म, य द पूण माह भरा हो,
40 . त माह तीन कमरे वाला नवास ी म एवं शीत ऋतु म, जब वह भरा हो।
अ य यय –
मर मत एवं नवीनीकरण
लनन आ द
आ त रक सजावट
ास – भवन दर 5 तशत 14,00,000 . पर
फन चर एवं फ टंग, दर 10 तशत, 1,00'000 . पर
एयर–कि डशनर दर 10 तशत 2,00,000 . पर
5. यह मन लया जाये ी म ऋतु 7 माह एवं शीत ऋतु 5 माह वष म रहती है। मह ने म
सामा य 30 माने जाय।

(196)
6. लागत पर 25 तशत लाभ मलना चा हए, िजससे लाभ से व नयोग पर याज भी मल
सके।
हल :
Cost Sheet
Rs. Rs.
1. Salarise 2,20,000
2. Room Attendant’s Salary
In summer (2 18,900  3  5, 040  4  2,520) 63,000
In winter (3  7,500+4.5  900+6  600) 30,150 93,150
3. Electricity
Single Room Suite = (26,400/30) 40 35,200
Double Room Suite = (5,940/30)  60 11,880
Three Room Suite = (3,120/30)  80 8,320 55,400
4. Power
Single Room Suite = (26,400/30) 20 17,600
Double Room Suite = (5,940/30)  30 5,940
Three Room Suite = (3,120/30)  40 4,160 27,700
5. Repairs & Renovation 42,000
6. Linen etc. 45,000
7. Interior decoration 50,000
8. Sundries 31,550
9. Depreciation :
Building 70,000
Furniture & Fittings 10,000
Air Conditioner 20,000 1,00,000
Total Cost 6,64,800
Profit 1,66,200
Revenue 8,31,000

Total Single Room Double Three Room


Suite Room Suite Suite
No. of rooms 150 100 30 20
Capacity :

(197)
In Summer 124 90 24 12
In Winter 60 50 6 4
N0. Of Rooms
Days
In Summer 26,400 18,900 5,040 2,520
In Winter 9,000 7,500 900 600
35,460 26,400 5,940 3,120
Rent Weight 2 3 4
Total 83,100 52,800 17,820 12,480
8,31,000
Rate per Room = Revenue / Total Rooms after weight   Rs.10
83,100
Single Room =10 X 2 =Rs.20
Double Room =10 X 3 =Rs.30
Three Room =10 X 4 =Rs.40
(4) अ पताल लागत नधारण :
अ पताल क लागत इकाई त रोगी दवस अथवा त शैया/ दवस होती है। इसके वारा
रो गय से ल जाने वाल रा श का नधारण कया जाता है। अ पताल लागत नधारण हे तु
प रवतनशील यय म डॉ टर क फ स, दवाई, भोजन इ या द सि म लत कया जाता है।
उदाहरण 13 :
'अपोलो हॉि पटल' एक गहन केयर क कराए के भवन पर 7,500 . त माह पर
चलाती है। हॉि पटल ने मर मत व अनुर ण क लागत वहन करने का दा य व लया
है।
गहन केयर क म 35 पलंग ह और 5 अ त र त पलंग जब आव यकता हो
समायोिजत कए जा सकते है। के से जु ड़े थायी कमचा रय क सं या न न कार
है
2 सु परवाइजर : येक 2500 . त माह के वेतन पर
4 नस : येक 2000 . त माह के वेतन पर
4 वाड बॉय : येक 500 . त माह के वेतन पर
हालां क के मर ज के लए 365 दन खु ला रहता है पर यह पाया गया क केवल
150 दन वष म 35 मर ज त दन रहे व अ य 80 दन औसतन 25 पलंग
त दन भरे रहे। ले कन ऐसे कई अवसर थे जब पलंग पूण प से भरे थे और
अ त र त पलंग 10 . त पलंग दन क दर से कराये पर लसे गए। यह
आव यकता कसी भी दन 5 पलंग से अ धक नह ं थी। वष के दौरान कु ल अ त र त
पलंग पर होने वाला यय 7500 . था।

(198)
के ने मर ज को दे खने हे तु बाहर से डाँ टर को बुलाया िजनका भु गतान उनके
वारा दे खे गए मर ज क सं या व यतीत समय के आधार पर कया गया जो क
औसत प म त माह वषपय त हु आ। माह के अ य यय न न थे :
मर मत व अनुर ण ( थायी)
मर ज को दया गया खाना (प रवतनशील)
जै नटर व मर ज को अ य सु वधा (प रवतनशील)
लॉ डर चाज पलंग के कपड़ के लए (प रवतनशील)
दवा (प रवतनशील)
ऑ सीजन, ए स–रे इ या द जो य प से मर ज के उपचार हे तु वहन कए गए
(ि थर)
के को आवि टत सामा य शास नक यय (ि थर)
वष म के वारा अिजत लाभ त मर ज त दन के हसाब से ात कर य द
के त दन औसतन येक मर ज से 200 . ा त करता है।
हल :
Statement of Profit
Rs. Rs.
Income received (Rs. 200x 8,000 paitent- days) 16,00,000
Less: Variable Cost (Marginal Costs) per annum ;
Food 88,000
Janitor and other charges 30,000
Laundary charges 60,000
Medicines supplies 75,000
Doctor’s Fees (Rs. 25,000x12) 3,00,000
Hire Charges for Extra beds 7,500 5,60,500
Contribution 10,39,500
Less : Fixed costs
Salaries :
Supervisors (2x2,500x12) 60,000
Nurses (4x2,000x12) 96,000
Ward Boys (4x500x12) 24,000
Rent (7,000x12) 90,000
Repairs & Maintenance 8,100
Cost of Oxygen etc. 1,08,000
General administration 1,00,000 4,86,100
Profit 5,53,400

(199)
Rs.5,53, 400
Profit per Patient – day   Rs 69.175
8, 000 Patient  days
Fixed cost x Income
Break–even point 
Contribution
Rs.4,86,100 x16, 00, 000
  Rs.7, 48, 206
Rs.10,39, 500
Break–even point for Patient–days
Rs.7, 48, 206
  3, 741 Patient  days
Rs.200
Note : No. of patient–days : 35 beds x 150 days 5,250
25 beds x 80 days 2,000
Extra beds day = 7500/10 750
8,000
(5) छ वगृह लागत नधारण :
छ वगृह लागत नधारण हे तु इकाई त यि त टकट ( दशन) होती है। इस हे तु कु ल
लागत का नधारण करने क व ध अ य व धय के समान ह है। कु ल लागत म कु ल
इकाईय का भाग दे कर त टकट ल जाने वाल रा श का नधारण कया जा सकता
है।
उदाहरण 14 :
न न ल खत समंक 31 दस बर को समा त होने वाले वष के लए अशोका टाक ज से
स बि धत ह वेतन :
1 ब धक Rs.800p.m.
10 वारपाल Rs.200p.m. each
2 प रचालक Rs. 400 p.m. each
4 ल पक Rs.250p.m. each
अ य यय: Rs.
व युत 11,655
काबन 7,235
व वध यय 5,425
व ापन 34,710
शास नक यय 18,000
टं का कराया 1,40,700
भवन 600000 . पर मू यां कत ह और उसका अनुमा नत जीवन 15 वष है।
ोजे टर तथा अ य सामान क लागत 3,20,000 . है िजन पर 10 तशत हास
चाज करना. है।

(200)
वष भर दन म 3 दशन कये जाते ह। कु ल बैठने क मता 625 है। सीट का
वभाजन न न कार तीन े णय म है:
III ेणी (Class) : 250 सीट,
II ेणी (Class) : 250 सीट
बालकनी (Balcony) : 125 सीट
त यि त दशन लागत ात क िजए, यह मानते हु ए क –
कु ल सीट क 20 तशत खाल रहती ह तथा
तीन े णय को 1:2:3 के अनुपात म भारयु त करना है
यद ब ध कु ल ब पर 30 तशत लाभ चाहता है तो येक े णी क दर
नधा रत क िजए। मनोरं जन कर पर यान नह ं दे ना है।
हल :
Cost Sheet
Salaries : Rs. Rs.
Manager (800x1x12) 9,600
Gate Keepers (200x10x12) 24,000
Operators (400x2x12) 9,600
Clerks (250x4x12) 12,000 55,200
Electricity 11,655
Carbon 7,235
Misc. Expenditure 5,425
Advertisement 34,710
Administrative 18,000
Expenses 1,40,700
Hire for Print 40,000,
Depreciation on Building 32,000
Depreciation on Projector & 3,44,925
Other
Total Cost 1,47,825
Total 4,92,750
, ,
Profit
Revenue
Total Ticket of each Class
80
III Class 250   3  365  2,19, 000
100

(201)
80
II Class 250   3  365  2,19, 000
100
80
Balcony 125   3  365  1, 09,500
100
After Weight
2,19, 000 1  2,19, 000  2  1, 09, 500  3  9,85,500
4, 92, 750
Cost per Class=  Re.0.50
9,85,500
III Class  Re.0.50
II Class  0.50 x 2  Re.1
Balcony = 0.50x3 = Rs. 1.5

7.7 वपरख न/अ यास :


1. प रचालन लागत कसे कहते ह? यह कस कार के उ योग के लए उपयोगी है?
2. प रचालन लागत के या उ े य है? समझाइये।
3. यातायात लागत के प र यय क इकाई कैसे नधा रत क जाती है?
4. का प नक अंको के योग से एक होटल का प रचालन लागत ववरण प तैयार
क िजए।
एक ांसपोट क पनी वारा चलायी गयी बस के बेड़े का एक वष के लए त या ी
कलोमीटर इकाई प र यय नकालने के लए उपयु त प र यय प बनाओ।
न न ल खत आंकड़े 1980–81 वष के क पनी क पु तक से लये गये ह :
या ी बस का लागत मू य मश: 50,000 ., 1,20,000 ., 45,000 . तथा
80,000 . है। येक गाड़ी का वा षक हास लागत का 20 तशत है। वा षक
मर मत, अनुर ण एवं खाल पुज : हास का 80 तशत।
10 ाइवर का पा र मक : 100 . त माह त ाइवर क दर
से
20 ल नर का पा र मक : 50 . त माह त ल नर क दर
से
याज क वा षक दर : ं ी पर 4
पू ज तशत
छ: गैरोजो का कराया : 50 . त माह त गैरेज
संचालक का शु क : 400 . त माह क दर से
कायालय यय : 1,000 . त माह
लाइसस व कर : 1,000 त छमाई
पुराने टायर व यूब क ब से ा त : 3,200 . त छमाई
रा श
वष म 900 या ी 1,600 कलोमीटर दूर ले जाये गये।
(202)
उ तर : त या ी क.मी. लागत 0.0125
5. एक रोड ांसपोट क पनी के पास अनेक ला रयां ह और वह न न सू चनाय दान
करती है–
जनवर 2008 म या ा क 30,000 कलोमीटर
जनवर 2008 क मजदूर 2,000 .
जनवर 2008 का पै ोल, तेल आ द 4,000 .
जनवर 2008 गैरेज का कराया 6,000 .
जनवर 2008 मर मत व अनुर ण 1,000 .
लाइसस तथा बीमा यय त वष 6,000 .
वाहन क मू ल लागत 1,00,000 .
हास वाहन क मू ल लागत पर 25 तशत लगाना है।
एक ववरण तैयार क िजए जो वाहन क त या ा कलोमीटर प रचालन लागत बना
सके।
उ तर : 52 पैसे त क.मी.
6. एक ांसपोट क पनी अपनी दो मोटर गा ड़य क त कलोमीटर प रचालन लागत
न न समंक से ात करना चाहती है :
पहल गाड़ी दूसर गाड़ी
X Y
. .
लागत 25,000 15,000
रोड लाइसस फ स त वष 750 750
नर ण एवं वेतन त वष 1,800 1200
गैरेज कराया त वष 850 500
बीमा तवष 1,600 550
ाइवर का वेतन त घ टा 4 4
तल टर डीजल क लागत 1.50 1.50
मर मत एवं अनुर ण त कलोमीटर 1.50 2.00
टायर–लागत त कलोमीटर 1.00 0.80
कलोमीटस कलोमीटस
त ल टर या ा 6 6
वष म या ा 15,000 6,000
अनुमा नत जीवन 1,00,000 75,000
वाहन औसतन 20 कलो. त घ टा चलते ह। वाहन क लागत पर 10 तशत
वा षक याज चाज क िजये।

(203)
उ तर : X वाहन 3.70 त क.मी., वाहन Y 4.25 . त क.मी।
7. एक क क पनी के पास 10 क है येक क लागत 60,000 . है। क पनी ने
एक मैनेजर नयु त कया हु आ है िजसे वह 450 . त माह दे ती है, एक लेखापाल
है िजसे 250 . त माह मलता है। एक चपरासी है िजसे 100 . त माह
मलता है। क पनी ने क का बीमा 2 तशत वा षक दर से कराया हु आ है। वा षक
कर 1200 . त क है। अ य यय है– ाइवर का वेतन 200 . त माह,
डीजल उपयोग 3, कलोमीटर त ल टर, दर 90 पैसे त ल टर, तथा एक क का
मर मत एवं अनुर ण यय 1200 . वा षक है।
येक क त दन 200 कलोमीटर दूर तय करता है। सामा य भार वाहन मता
त क क 100 ि वंटल है। भार वाहन– मता म 10 तशत य होता है। येक
क मर मत के लए 5 तशत खाल रहता है। माह म भाव पूण दन 25 है।
येक क का अनुमा नत जीवन 5 वष है।
गणना क िजए– (अ) एक क क त कलोमीटर प रचालन लागत (ब) त ि वंटल
क. प रचालन–लागत।
उ तर : (अ) 6.72 पैसे त क.मी., (ब) 0.745 पैसे त ि वंटल क.मी.
8. रामा े व स, एक ांसपोट क पनी 6 बस को दो नगर के बीच चला रह है िजनक
दूर 75 कलोमीटर है। येक बस म बैठने क मता 40 या ी क है। जू न माह के
लए न न ववरण ा त है :–
.
1. ाइवर , कंड टर तथा ल नस का वेतन 3,600
कायालय तथा सु परवाइजर टाँफ का वेतन 1,500
2.
डीजल तथा अ य तेल 10,320
3.
मर मत एवं अनुर ण 1,200
4.
कर तथा बीमा 2,400
5.
हास 3,000
6.
याज एवं अ य यय 3,000
7.
25,020

(204)
मता के 80 तशत या ी ले जाये गए। सभी बस मह ने म सभी दन चल ।ं येक
बस ने त दन आने जाने का एक प लगाया। त पैस जर कलोमीटर क लागत
ात क िजए।
उ तर : 3 पैसे त या ी क.मी.,
9. एक ांसपोट क पनी को एक बस चलाने के लए 20 कलोमीटर ल बा माग दया
गया। बस क लागत 50,000 . है और वह 6 तशत वा षक दर से बी मत है।
वा षक कर 2,000 . है। गैरेज का कराया 100 . त माह है। वा षक मर मत
लागत 2,000 . होगी और बस का जीवन 5 वष स भा वत है।
ाइवर का वेतन 3,000 . वा षक होगा तथा कंड टर का 1,800 . वा षक और
इसके अ त र त आय का 10 तशत उनका कमीशन होगा (िजसे ाइवर तथा कंड टर
बराबर बांटगे)। टे शनर क लागत 600 . वा षक होगी। मैनेजर का वेतन 400 .
त माह है, जो लेखा पु तक को भी दे खता है।
पे ोल तथा तेल त 100 क.मी. 25 . ह गे। बस त दन 3 आने जाने के प
करे गी तथा येक प म 40 या ी ह गे। क पनी 25 तशत लाभ लागत पर लेगी।
बताइए येक या ी से कतना भाड़ा लया जाये। बस माह म औसत 25 दन चलती
है।
उ तर : कमीशन 479.79 . त या ी क.मी. भाड़ा – 3.8 पैसे
10. च बल थमल पावर टे शन वारा उ पा दत शि त क त इकाई लागत मालूम
क िजए। एक वष के लए न न समंक के लागत–प बनाइए–
कु ल न मत इकाइयां 20,00,000
.
म लागत 50,000
मर मत एवं अनुर ण 50,000
तेल, पुज तथा टोस 40,000
ला ट नर ण 30,000
शासन उप र यय 20,000
वष म कोयला उपयोग हु आ– त 2.5 कलो ाम दर . .02 त कलो ाम।
हास–दर पू ज
ं ी लागत– 2,00,000 . पर 5 तशत क दर से।
उ तर : त इकाई लागत – 0.150 .
11. न न सू चनाओं से व युत –जनन क त इकाई लागत ात क िजए–
1. कोयला उपयोग कया– 1200 टन, दर 10 . त टन।
2. भाड़ा तथा उठाने रखने का यय– योग कोयले के मू य का 10 तशत।
3. तेल– 10 टन, दर 250 . त टन।
4. पानी– 50,000 ल टर, दर 25 पैसे त 100 ल टर।

(205)
5. ट म– बायलर का हास . 250।
6. बायलर हाउस का वेतन तथा मजदूर –
10 यि त दर 100 . येक
40 कुल दर 20 . येक
7. राख क ब से ाि त– 100 . दर 1 . त टन।
8. नमाण– टे शन का वेतन तथा मजदूर –
50 यि त– दर 100 . येक
20 कुल – दर 20 . येक
9. नमाण संय क मर मत एवं अनुर ण . 260 .।
10. नमाण संय का हास . 2,500।
11. शासन यय का ह सा . 1,750।
12. कु ल नमा णत इकाइयां–1, 46,000 इकाइयां।
13. या म सामा य हा न– 2,000 ज नत इकाइयां।
उ तर : 19 पैसे त इकाई

7.8 श दावल
1. प रचालन लागत – सेवा दान करने वाले सं थान क संचालन लागत प रचालन
लागत कहलाती है।

7.9 उपयोगी पु तक/संदभ थ


1. प र यय लेखांकन एम. एल. अ वाल सा ह य भवन, आगरा
2. लागत लेखांकन जैन, नारं ग, म तल क याणी पि लशस, लु धयाना
3. लागत लेखांकन जैन, ख डेलवाल, पार क अजमेरा बुक क पनी, जयपुर
4. लागत लेखांकन राव, सु थार, गु ता अ का पि लकेशंस, अजमेर

(206)
इकाई – 8 : बजटर नय ण
इकाई क परे खा :
8.1 उ े य
8.2 तावना
8.3 बजटर नयं ण के लाभ
8.4 बजटर नयं ण क सीमाएं
8.5 सु ढ़ बज टंग णाल के आव यक त व
8.6 बजट या
8.7 बजट स म त
8.8 बजटर नयमावल
8.9 बजट के व भ न भेद
8.10 श दावल
8.11 वपरख न
8.12 यावहा रक न
8.13 उपयोगी संदभ थ

8.1 उ े य :
इस इकाई के अ ययन से आप जान सकगे :
1. बजट क अवधारणा
2. बजटर नयं ण क अवधारणा
3. स बि धत तकनीक श द के अथ
4. बजट के कार
5. वभ न कार के बजट के नमाण क या।

8.2 तावना :
येक सं थान वारा अपनी योजना का नमाण कया जाता है। कु छ सं थान म यह
औपचा रक प म होते ह, पर तु यादातर सं थान म जो खम, चु नो तयाँ, अवसर
आ द का मू यांकन कर वा षक बजट तैयार कया जाता है िजसका वा त वक न पादन
से मलान कर नय ण कया जाता है। बजटर नय ण लागत नय ण क एक
मह वपूण तकनीक है। इस स ब ध म न न ल खत तीन पद यापक प से च लत

1. बजट 2. बज टंग 3. बजटर नय ण
1. बजट (BUDGET) :
बजट मू ल प से कसी यवसाय तथा सं थान का कसी नधा रत अव ध म क जाने
वाल याओं का मान च होता है। इस स ब ध म सी.आई.एम.ए. क आ धका रक,
(207)
श दावल के अनुसार “ बजट एक व तीय और/अथवा प रमाणा मक ववरण होता है
जो कसी नयत अव ध के पूव तैयार कया जाता है तथा िजसम एक दये हु ए उ े य
क ाि त के लए उस अव ध म अपनायी जाने वाल नी त का उ लेख होता है।”
प रभाषा के अनुसार बजट प रमाणा मक मु ा मू य म, नधा रत अव ध के पूव उस
अव ध म कमाये जाने वाले लाभ, कये जाने वाले यय तथा उ े य को ा त करने
के लये पू ज
ं ी क आव यकता आ द के लए बनाया जाता है। बजट सं थान क भ व य
क योजनाएं है। यह मु य प व तीय प म तु त क जाती है।
2. बज टंग :
बजट बनाने क या को बज टंग कहते है। बज टंग के अ तगत बजट बनाने, उसे
लागू करने तथा उसके संचालन क स पूण या सि म लत होती है। इस तरह कहा
जा सकता है क बज टंग बजट बनाने तथा लागू करने क कला एवं व ान है।
3. बजटर नय ण :
सी.आई.एम.ए. क पा रभा षक श दावल के अनुसार “बजटर नय ण से आशय
शासक के उ तरदा य व को नी त क आव यकताओं से स ब करके बजट क
थापना करना तथा वा त वक प रणाम क बजट प रणाम से नर तर तु लना करने से
है; यह तु लना या तो उस नी त के उ े य को यि तगत या वारा ा त करने के
लए तथा बजट के संशोधन का आधार दान करने के लए क जाती है।”
पूवानुमान बनाम बजट
पूवानुमान भ व य क स भा वत घटनाओं का अनुमान है। बजट तैयार करने से पूव
पूवानुमान आव यक है। पूवानुमान स भा वत घटनाओं का ववरण है जब क बजट
नयोिजत घटनाओं से स बि धत होता है। पूवानुमान स भा य भ व य क घटनाओं का
अनुमान है पर तु बजट प रचालन एवं व तीय नयोजन है। नयोजन हे तु आव यक है
क सं थान वारा भ व य म कये जा सकने वाले क प का अनुमान लगाया जाये।
यवसाय के बजट के प म अपने ल य नधा रत करता है जो वह ा त करना
चाहता है तथा उनके लए याओं का नधारण करता है।
बजटर नय ण के उ े य –
बजटर नय ण के न न ल खत उ े य होते है :
(1) नयोजन – बजटर नय ण का उ े य यवसाय के ल य क ाि त हे तु अ म
योजना तैयार करना है। बजट के मा यम से यवसाय के लाभ क योजना, उस हे तु
व य क योजना, व य के लए पया त उ पादन क योजना, उ पादन के व भ न
संसाधन क योजना, नकद ाि त एवं भु गतान क योजना तैयार क जाती है।
(2) सम वय – यवसाय म कई वभाग होते है िजनक पृथक याएं होती ह। बजटर
नय ण वारा इन सबम सम वय था पत कया जाता है, ता क सभी याओं का
स पादन कु शलतापूवक हो सके तथा यवसाय के नधा रत ल य को ा त कया जा
सके। बजटर नय ण वारा व य एवं उ पादन, उ पादन एवं क चे माल के य,

(208)
म तथा अ य संसाधन म, ला ट मता एवं उ पादन म व य उ पादन एवं
अनुसंसाधन म यवसा यक याओं नकद ाि त एवं भुगतान म सम वय था पत
कया जाता है।
(3) नय ण – बजटर नय ण का उ े य यवसाय क वभ न याओं को इस कार
नयि त करना होता है ता क इनसे सव तम प रणाम ा त हो सके। बजटर
नय ण के अ तगत बजट तथा वा त वक न प त क तु लना कर अ तर के कारण
को ात कया जाता है। इन अ तर म नय ण यो य कारण पर नय ण तथा
अ तर के कारण का उ तरदा य व नधा रत करना िजससे भ व य म प रणाम
नधा रत ल य के अनु प ा त हो सके।

8.3 बजटर नय ण के लाभ :


बजटर नय ण के उ े य नयोजन, सम वय एवं नय ण है िजनसे यवसाय को
अ ल खत लाभ होते है :
1. नणय से पूव उसके सभी पहलु ओं का अ ययन कया जाता है िजससे नणय अ धक
यवहा रक होते है।
2. सम याओं का अ म ान होता है िजससे समाधान के लए आव यक तैयार रहती है।
3. बजटर नय ण म कमचा रय के उ तरदा य व नधा रत होते है तथा उनके योगदान
क जानकार रहती है।
4. बजटर नय ण म मू लभू त नी तय क जांच हो जाती है तथा िजसे समय रहते
प रव तत कया जा सकता है।
5. बजटर नय ण आ त रक अंके ण के आधार क तरह है िजसम सभी ग त व धय
का व लेषण कया जाता है।
6. बजट कायकुशलता का पैमाना दान करता है िजस पर फम के काय का मू यांकन
कया जाता है, तथा कायकु शलता को बढ़ाया जा सकता है।
7. काय क कु शलता एवं अकुशलताओं क पहचान होती है तथा सु धार हे तु कदम उठाये
जा सकते है।
8. बजटर नय ण म ब ध को उ ह सूचनाओं को भेजा जाता है जो योजना अनुसार
नह ं हो रह है अत: ब ध का समय बचता है। इसे अपवाद वारा ब ध के प म
जाना जाता है।
9. बजटर नय ण से साम ी के य पर रोक, म क कु शलता म वृ , ला ट क
कु शलता म वृ उ पादन लागत म नय ण था पत कया जा सकता है।

8.4 बजटर नय ण क सीमाएं


ब धक क एक यव था प म बजट य नय ण न न ल खत प रसीमाओं से त
है :

(209)
1. बजट ब धक य ेरणा के अवरोधक बन सकते है य क येक अ धकार बजट य
ल य को ा त करता है। िजससे ब ध म लोचह नता आ सकती है।
2. बजट म रखे गये भावी अनुमान एवं पूवानुमान कभी भी पूणत: सह नह ं हो सकते
य क भ व य के गत म या छपा है, यह ात करना क ठन है।
3. बजट सम वय एक खच ल प त है अत: छोटे संगठन बजट य नय ण को लागत
नय ण क एक तकनीक के प म यवहार म नह ं ला सकते।
4. बजट य नय ण व भ न कायकार अ धका रय के म य मत–भेद उ प न कर सकता
है य क येक अ धकार बजट य वधान का यादा से यादा ह सा लेने का
यास करता है उ तरदा य व से बचता है तथा अपने दोष को दूसर पर थोपता है।
5. बजटर नय ण क सफलता के लए यह आव यक है क ब धक म सहयोग हो
तथा शीष ब ध क बजट म न ठा है। ाय: दे खा गया है क अ धकांश बजट क
वफलता शीष ब ध के स चे सहयोग के अभाव के कारण होती है।

8.5 सु ढ़ बज टंग णाल के आव यक त व:


1. संगठन के येक तर पर अ धकार एवं दा य व को प ट प से प रभा षत कया
जाना चा हये।
2. संगठन का ल य प रमाणा मक प म तय करना चा हये। इस ल य हे तु योजना एवं
नी तयाँ पूणत: प ट तथा उ चत प से य त होनी चा हये।
3. बजट नमाण क या म ब ध के सभी तर के अ धका रय को सि म लत कया
जाना चा हये िजससे यादा वा त वक बजट तैयार कया जा सके तथा उसे लागू करने
के लये भी सभी े रत रहे ।
4. बजटर नय ण लागू करने के लए बजट म एक सीमा तक लोचशीलता होनी चा हये
िजससे समय–समय पर प रि थ तय के अनु प बजट म आव यक प रवतन कये जा
सके तथा ब धक य कु शलता का सह मापन हो सके।
5. बजटर नय ण णाल को सफल बनाने के लये संगठन के व भ न तर पर संचार
तथा तवेदन क उ चत यव था हो। संचार क वप ीय णाल अपनायी जाये।
उ च ब ध को चा हये क वे नचले तर पर प ट प से बजट ब ध को तवेदन
द। इन तवेदन के आधार पर उ च ब ध सुधारा मक कदम हे तु नचले तर को
नदश दे सके।
6. बजटर नय ण लागू करने हे तु इस णाल का श ण दे ना चा हये िजससे लागत
नय ण सु चा प से स भव हो सके।
बजटर नय ण हे तु संगठन
बजट य नय ण के सफल त थापन से पूव सं था के सम संगठन क योजना
होना आव यक है। बजट के ि टकोण से संगठना मक ढ़ांचे को न न ल खत चाट
वारा तु त कया जा सकता है।

(210)
8.6 बजट या
बजट बनाने क या अलग–अलग संगठन म व भ न होती है। कु छ संगठन म
बजट बनाने क या बहु त अ धक संग ठत पूणत: पा रभा षत एवं लेख पर
आधा रत होती है जब क कु छ संगठन म यह असंग ठत एवं सु वधा अनुसार
प रवतनीय होती है। बजट या एक त न ध संगठन म हो सकती है उसको न न
चाट म बताया गया है।

(211)
8.7 बजट स म त :
बजट स म त म मु य कायकार अ धकार (CEO) महा ब धक लेखापाल, बजट
नय ण व य ब धक उ पादन या फे ब धक य ब धक, का मक ब धक
एवं अ य वभाग के ब धक को स म लत कया जाता है। मु य कायकार अ धकार
इस स म त का अ य होता है। कायानुसार ब धको वारा अपने वभाग के बजट
बना कर इस स म त को सु पदु कए जाते है। इस बजट स म त वारा बजट म
आव यक समायोजन करके उनम पर पर सामंज य था पत कया जाता है।
बजट स म त व भ न या मक ब धक के म य तालमेल बजट काय म प रचालन
हे तु आदे श– नदश जार करना, वभाग के बजट के आधार पर मा टर बजट तैयार
करना एवं आव यकता पड़ने पर बजट सारणी प रव तत करने का काय करती है।

8.8 बजटर नयमावल :


बजटर नय ण या म बजट नयमावल का बहु त मह व है। बजट नयमावल
एक ऐसा द तावेज है िजसम बजटर नय ण से स बि धत प व रकाड एवं
स बि धत यि तय के उ तरदा य व स ब धी नयम था पत कये जाते ह। न न
मह वपूण मु े बजट नयमावल म अव य होने चा हये।
1. वभ न तर पर अ धकार एवं दा य व को दशाता संगठना मक चाट
2. संगठन के उ े य एवं काय का ववरण
3. बजट काय म क स पूण या एवं साम यक तवेदन क समय Z'
4. येक तवेदन का उ े य, ा प एवं सं या का ववरण
5. बजट म योग क गयी श दावल क प रभाषा एवं अथ प ट कया।
बजट अव ध :
िजस अव ध के लए बजट बनाया जाता है तथा लागू कया जाता है उसे बजट अव ध
कहते है। बजट क अव ध का नधारण यवसाय क कृ त, उ पादन व ध, बाजार क
दशा तथा भावी दशा आ द बात को यान म रखते हु ए कया जाना चा हए। अ छे
बजटर नय ण के लए आव यक है क एक नि चत अव ध के लए बताये गये
बजट को समय क छोट –छोट इकाइय म उप वभािजत कया जावे। उदाहरणाथ एक
वष के लए बनाये गये बजट का तीन माह क चार अव धय म उप वभाजन कया जा
सकता है और फर येक तीन माह क अव ध का एक–एक माह क तीन अव धय म
उप वभाजन कया जा सकता है। इस कार बजट के आधार पर येक माह क गत
पर नजर रखी जा सकती है। अ याधु नक सं थान म बजट को त दन के तर पर
ले जाया जाता है ता क य द कसी दन ल य तक नह ं पहु ंचा जा सके तो उस दन
इसके लए कारण ात हो सके। बजट अव ध न न दो घटक पर नभर करे गी।
(i) यवसाय क क म तथा
(ii) नयं ण का पहलू।

(212)
उदाहरण के लए एक मौसमी कारखाने जैसे खा य या व आ द के मामले म बजट
क अव ध छोट रहती है तथा एक ह मौसम हे तु चल पाती है। भार इ जी नय रंग
उ योग जैसे गहन पू ज
ं ी वाले उ योग म बजट क अव ध अपे ाकृ त ल बी होनी
चा हये ता क यवसाय क आव यकताओं को पूरा कया जा सके।
मु य त व का नधारण :
यवसाय म कु छ ऐसे कारण हो सकते है जो उसक या को सी मत कर दे जैसे :
क ची साम ी, व युत शि त, मानव संसाधन, पू ज
ं ी, बाजार क मांग आ द। इस कार
के घटक को मु य त व अथवा प रसीमन त व (Limiting Factor) धान त व
(Principle Factor) नधारक त व (Governing Factor) भी कहते है। मु य त व
का नधारण बजट बनाने से पूव ह कया जाना चा हऐ। येक सं था के लए मु य
त व से स बि धत बजट बनाया जाना चा हये तथा इसके प चात ह अ य सभी बजट
बनाये जाने चा हये।

8.9 बजट के व भ न भेद :


बजट को इस कार वभािजत कया जाता है:
(i) उनके वारा पूण हु ए उ े य के आधार पर
(अ) कायानुसार बजट
(ब) मा टर बजट
(ii) उनसे स बि धत मता के आधार पर
(अ) ि थर बजट
(ब) लोचदार बजट
(iii) प रि थ तयां िजन पर वे आधा रत है।
(अ) मू ल बजट
(ब) चालू बजट
(iv) बजट अव ध के आधार पर
(अ) द घकाल न बजट
(ब) अ पकाल न बजट
कायानुसार बजट :
कायानुसार बजट एक ऐसा बजट है जो सं था के कसी एक काय से स बि धत है जैसे
व य, उ पादन, शोध एवं वकास, रोकड़ आ द सामा य तथा यवसाय म योग कये
जाते है।
1. व य बजट िजसम व य एवं वतरण लागत बजट भी सि म लत होता है। इसे
व य ब धक तैयार करता हे ।
2. उ पादन बजट इसे उ पादन ब धक तैयार करता है। उ पादन आधा रत न न बजट
भी तैयार कये जाते है :

(213)
(अ) क ची साम ी बजट: इसे य ब धक बनाता है।
(ब) म बजट: इसे से ववग य ब धक तैयार करता है।
(स) लाँट उपयो गता बजट : इसे उ पादन ब धक तैयार करता है।
3. नमाणी उप र यय बजट : इसे उ पादन ब धक तैयार करता है।
4. शास नक लागत बजट : इसे व त ब धक बनाता है।
5. पू ज
ं ी गत यय बजट : इसे मु य शासक बनाता है।
6. अनुसंधान एवं वकास लागत बजट : इसे शोध एवं वकास ब धक बनाता है।
7. रोकड़ बजट : इसे व त ब धक बनाता है।
व य बजट : व य बजट सबसे मह वपूण बजट है तथा साधारणतया इस बजट के
आधार पर ह अ य बजट बनते है। व य बजट बनाते समय न न त य को यान
म रखना चा हये :
(i) वगत व य आकड़े एवं वृ तयां
(ii) व यकताओं के अनुमान
(iii) संय मता
(iv) क ची साम ी तथा अ य पू तय क उपल धता
(v) सामा य यापा रक स भावनए
(vi) ह तगत आदे श
(vii) मौसमी उतार–चढ़ाव
(viii) कायशील पू ज
ं ी क आव यकता
(ix) तयो गता
उदाहरण – 1
हर श ल मटे ड म चार व य संभाग है। येक संभाग म चार े N.,S., E., W.
ह। क पनी दो उ पाद ए स तथा वाई बेचती है। 30 जू न 2008 को समा त हु ए छ:
माह के स भाग थम के लए ब स ब धी बजट अनुमान न न ल खत ह:
N. X 10,000 units at 20 each
Y 6,000 units at Rs 10 each
S Y 12,000 units at Rs.10 each
E. X 15,000 units at Rs.20 each
W. X 8,000 units at Rs.20 each
Y 5,000 units at Rs.10 each
इस अव ध म वा त वक ब इस कार थी :
N. X 11,500 units at Rs.20 each
Y 7,000 units at Rs 10 each
S. Y 12,500 units at Rs.10 each

(214)
E. X 16,500 units at Rs.20 each
W. X 9,500 units at Rs.20 each
Y 5,250 units at Rs.10 each
30 जू न 2009 को समा त होने वाले छ: माह के लए ब का बजट इस कार है:
N. X Increase of 2,000 Units on June 2008 Budget
Y Increase of 5, 00 Units on June 2008 Budget
S. Y Increase of 1,000 Units on June 2008 Budget
E. X Increase of 2,000 Units on June 2008 Budget
W. X Increase of 1,000 Units on June 2008 Budget
Y Increase of 5, 00 Units on June 2008 Budget
S तथा E े म व य आ दोलन करने का नणय लया गया। इसके फल व प
े म X क 3000 इकाइय क तथा E े म Y क 5,000 इकाइय क
अतर त ब हो सकेगी। 30 जू न, 2009 को समा त होने वाले छ: माह के लए
व य बजट बनाइए। जू न 30,2008 के लए बजटे ड तथा वा त वक ब भी
दखाइए।
SALES BUDGET
Area Product Budget (June 30, 2009) Budget (june 30, 2008 Actual (june 30, 2008)
Unit Price Amount Unit Price Amount Unit Price Amount
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
N X 12,000 20 2,40,000 10,000 20 2,00,000 11,500 20 2,30,000
Y 6,500
Total 18,500 3,05,000 16,000 2,60,000 18,500 3,00,000
S X 3,000 20 60,000 - - - - -
Y 13,000 10 1,30,000 12,000 1,20,000 12,500 1,25,000
Total 16,000 1,90,000 12,000 1,20,000 12,500 1,25,000
E X 17,000 20 3,40,000 15,000 20 3,00,000 16,500 20 3,30,000
Y 5,000 10 050,00 - - - - -
0
Total 22,000 3,90,000 15,000 3,00,000 16,500 3,30,000
W X 9,000 20 1,80,000 8,000 20 1,60,000 9,500 20 1,90,000
Y 5,500 10 55,000 5,000 10 50,000 5,250 10 52,500
Total 14,500 2,35,000 13,000 2,10,000 14,750 2,42,500
G Total 71,000 11,20,000 56,000 8,90,000 62,250 9,97,500

उ पादन बजट
उ पादन बजट संगठन के कु ल उ पादन का पूवानुमान होता है िजसको येक कार के
उ पादन अनुमान क व भ न सा ता हक तथा मा सक अव धय के साथ पृथक –पृथक
द शत कया जाता है तथा साथ ह अि तम न मत टॉक का पूवानुमान भी
सि न हत रहता है। उ पादन बजट बनाने म न न घटक वचारणीय है :

(215)
(i) फै म उ पादन एवं वा त वक व य म समया तर
(ii) फै गोदाम तथा व य के पर रखा जाने वाला टॉक
(iii) व य काय म के लए आव यक उ पादन तर। मा सक उ पादन ल य नधा रत
कया जाना चा हए तथा यह दे खा जाना चा हये क उ पादन वष भर एक ह तर पर
जार रखा जाता है। उ पादन स ब धी योजना बनाते समय चार बात क जानकार
ा त होनी चा हये। उ पादन कस व तु का, कब, कहां एवं कैसे कया जाय।
(iv) साम ी, म तथा संय अ नवायताओं का भी नधारण कर लेना चा हए ता क व य
काय म को सु चा प से न पा दत कया जा सके।
उदाहरण–2
एक नमाणी क पनी 2008 क पहल तमाह के लए न न सू चना तु त करती ह :

Product Product Product
A B C
व य(Sales(in units)) : Jan. 5,000 30,000 10,000
Feb. 20,000 25,000 10,000
March 30,000 35,000 10,000
व य मू य (Selling price per unit) Rs.10 Rs.20 Rs.40
ल य (Targets for 1st quarter 2008)
Sales quantity increase 20% 10% 10%
Sales price increase Nil 10% 25%
टॉक (Stock Position1st Jan.2008)
(Percentage of जन.2008 sales) 50% 50% 50%
टॉक (Stock Position 31st March2008) 20,000 25,000 5,000
टॉक (Stock Position end Jan. & Feb)
(Percentage of subsequent
Month’s sales) 50% 50% 50%
आपको 2008 क थम तमाह के लए व य बजट तथा उ पादन बजट तैयार करना है।
हल–

(216)
SALES BUDGET FOR THE 1ST QUARTER OF 2008
Month Product A Product B Product C
Units Price Value Units Price Value Units Price Value
Per unit Per unit Per unit
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
January 30,000 10 2,00,000 ,33,0000 22 7,26,000 11,000 50 5,50,000
Fabuary 24,000 10 2,40,000 27,500 22 6,05,000 11,000 50 5,50,000
March 36.000 10 3.60.000 38.500 22 8.47.000 11,000 50 5,50,000
Total 90,000 9,200,000 99,000 21,78,000 33,0000 16,50,000
PRODUCTION BUDGET FOR THE 1 ST
QUARTER OF 2008
Product A Product B Product C
Sales +Closing _Opening Produc- Sales +Closing _Opening Produc- Sales +Closing _Opening Produc-
Stock Stock Stock tion Stock Stock tion Stock Stock tion
January 30,000 12,000 15,000 27,000 33,000 13,750 16,500 30,250 11,000 5,500 5,500 11,000
Fabuary 24,000 18,000 12,000 30,000 27,500 19,250 13,750 33,000 11,000 5,500 5,500 11,000
March 36,000 020,000 18,000 38,000 38,500 25,000 19,250 44,250 11,000 5,500 5,500 11,000
Total 95,000 32,500

(217)
उ पादन लागत बजट :
उ पादन तर के नधारण के प चात उ पादन लागत बजट बनाकर उ पादन को ा त
करने क लागत ात करनी चा हए। यह बजट अव ध म आयोिजत उ पादन क लागत
का अनुमान है तथा इसको साम ी लागत बजट, म लागत बजट तथा उप र यय
बजट के प म उप वभािजत कया जा सकता है।
साम ी बजट :
साम ी बजट साम ी क आव यकता तथा उपल धता से स बि धत होता है। साम ी
बजट म उ पाद हे तु अपे त व वध कार के क चे माल, अपे त समय पर
आव यक य का बजट, क चे माल क लागत, टॉक स बि धत नी त एवं आव यक
आकड़े, साम ी क मौसमी उपल धता, बाजार मू य क वृि त आ द बात का यान
रखना होता है।
उदाहरण – 3
पी. यु.आर. क पनी बाजार से अ नाम का क चा माल 2 . त इकाई म काम मे
लेती है। क पनी का उ पादन बजट न न अनुमान बताता है :
January 2008 – 10,000 units
February 2008 – 10,000 units
March 2008 – 12,000 units
April 2008 – 12,000 units
येक माह के अ त म क ची साम ी का क ध अगले माह क उ पादन आव यकता
का आधा पया त होगा। यह माना जाता है क येक माह के य का 374 य के
माह म और शेष अगले माह म भु गतान कया जायेगा। 2 तशत नकद ब ा सम त
साम ी के य पर मलेगा।
बनाइये: (1) आव यक साम ी बजट जनवर , फरवर और माच के लए (2) जनवर ,
फरवर और माच के साम ी के दे य बल आशाि वत नगद भु गतान सू ची।
हल (Solution) – 3
PQR & Co.
(i) Materials Requirements Budget
Period: 2008
Particulars Months
January February March
Production Requirements (units) 10,000 10,000 12,000
(+) Closing inventory desired (1/2 5,000 6,000 6,000
of next month’s production
requirements in units.)

(218)
Total Inventory Required 15,000 16,000 18,000
(–) Opening inventory at the
beginning of the month in units - 5,000 6,000
Purchases in units 15,000 11,000 12,000
Price per unit 2.00 2.00 2.00
Cost of Purchases Rs. 30,000 22,000 24,000
(i) Distribution on Accounts Payable
Particulars Months
January Febuary March
Payments in the month of purchase Rs. Rs. Rs.
(3/4 of purchase cost) 22,500 16,5200 18,000
Payments of the previous month’s
purchase
(1/4 of purchse cost) - 7,500 5,500

Less : 22,500 24,000 23,500


2% Cash discount 450 480 470
Cash Disbursements 22,050 23,520 23,030
य म बजट :
म उ पादन का एक आव यक अंग है। बना म के उ पादन संभव नह ं है। म
बजट म न न बात का समावेश होता है। –
(i) नमाण हे तु कुशल एवं अकुशल मक क सं या
(ii) मक क मजदूर दर एवं मजदूर दे ने क प त
(iii) उ पादन हे तु आव यक म घ टे
(iv) मक हे तु सु वधाओं, श ण क आव यकता आ द
लाट उपयो गता बजट :
उन यवसाय गृह म जहां उ पादन काय अ धक मू य के संय से कया जाता है
वहां संय उपयो गता बजट आव यक होता है। बजट से स बि धत न न बात है :
(i) मह न क सं या, उनका लागत मू य, मू यहास, पु तक मू य
(ii) मशीन पर कायभार, काय , का ववरण
(iii) मशीन का जीवन काल, त थापन क आव यकता
(iv) मशीन संचालन क लागत
नमाणी उप र यय बजट :

(219)
नमाणी उप र यय बजट के अ तगत य साम ी, य म के यय को छोडकर
अ य उ पादन यय का समावेश कया जाता है। यय को प रवतनशीलता के आधार
पर भी। वभािजत कया जाता है।
शास नक लागत बजट –
शास नक उप र यय बजट म सामा य शासन से स बि धत सम त खच को
सि म लत कया जाता है। शास नक काय कई वभाग म वभ त होता है और
येक वभाग के अ य से उसके वभाग के खच का अनुमान ा त कया जा
सकता है।
ं ीगत यय बजट :
पू ज
यह बजट उ पादन म न द ट उ पादन आव यकताओं क पू त हे तु आपे थत थायी
स पि तय को ा त करने के लए आव यक पू ज
ं ीगत यय का अनुमान तु त करता
है। पूज
ं ीगत बजट आव यक व भ न स पि तय क ाि त एवं त थापन हे तु
अ य त मह वपूण माना जाता है। पू ज
ं ीगत बजट उ पादन मता बढ़ाने हे तु स प तय
का य, नवीन उ पादन खृं लाओं हे तु अ त र त, स प तय का य, नवीन तकनीक
को था पत करने हे तु बनाया जाता है।
शोध तथा वकास लागत बजट :
अ छे यवसा यक सं थान के लए शोध अ य त आव यक होता है। शोध वारा नये
उ पाद का वकास तथा पुराने उ पादो के गुण म सु धार करने हे तु नवीन तकनीक का
वकास कया जाता है। इस कार यह बजट अव ध म शोध पर कये जाने वाले काय
हे तु अनुमान का तु तीकरण है।
रोकड बजट :
यह बजट न द ट अव ध म रोकड़ क अनुमा नत ाि तय तथा भु गतान के अनुमान
तु त करता है। यह बजट दो भाग म बनाया जाता है – पहला भाग नकद ब
ाहक से ाि त तथा व वध ाि तय के अनुमा नत आगम को दखाता है तथा दूसरा
भाग नगद य लेनदार को भु गतान, मको को दे य मजदूर , अ य यय, आयकर
आ द भु गतान हे तु अनुमा नत यय को तु त करता है।
उदाहरण – 4
न न सूचना के आधार पर एपल यूस क पनी क जू न, 2008 क रोकड़ आव यकता
का अनुमान लगाइये :
(अ) व य .
फरवर , 2008 25,000
माच, 2008 20,000
ै से जू न, 2008
अ ल 30000 त माह
ाय: आधी (1/2) ब नकद म होती है। उधार ब का 90 तशत अगले माह म
और शेष एक माह बाद वसूल होता है।

(220)
(ब) 5 तशत नकद प ा ा त करने क ि ट से सेब सदै व नकद खर दे जाते है। वतीय
तमाह (अ ल
ै –जू न) का य बजट 15,000 टोक रयां, त माह दर 1 . त टोकर
है।
(स) वतीय तमाह म मजदूर व वेतन का बजट 5,000 पये तमाह है।
(द) इस तमाह के नमाणी व अ य आय– यय का बजट न न है: नकद यय 4,500 .,
हास 7,500 ., व य यय 3,000 .. शासन यय (अ ल
ै व मई के लए) 2000
.।
हल – 4
Cash Budget
For the quarter ending June, 2008
April May June
Rs. Rs. Rs.
Cash Receipts
Balance b/d - 2,500 9,250
Cash Sales (1/2 of sales) 15,000 15,000 15,000
Cash collection from debtors 10,250 14,500 15,000

Total 22,250 32,000 39,250


Cash Disbursements
Cash Purchases 14,250 14,250 14,250
(Less : Cash Discount)
Wages & Salaries 5,000 5,000 5,000
Cash Expenses 1,500 1,500 1,500
Selling Expenses 1,000 1,000 1,000
Administration Expenses 1,000 1,000 -
22,750 22,750 21,750
Closing Cash Balance 2,500 9,250 17,500
Therefore, Cash requirements for June, 2008 will be Rs. 21,750
ट पणी: उधार ब के स ब ध म दे नदार से वसू ल न न कार है :
Particulars Feb. March April May June
Rs. Rs Rs. Rs. Rs.
Credit Sales
(1/2 of Total Sales) 12,500 10,000 15,000 15,000 15,000
Collection from Debtors :

(221)
90% of Previous
Month’s credit sales –– –– 9,000 13,500 13,500
10% of Credit Sales
of Previous two
Moths –– –– 1,250 1,000 1,500
Total 10,250 14,500 1,500
नोट: मू य हास गैर रोकड़ मद होने से रोकड़ बजट म नह ं आती है।
मा टर बजट :
मा टर बजट व भ न कायानुसार बजट क सि म लत सं त त है। मा टर बजट,
बजट स म त– वारा समि दत कायानुसार बजट के आधार पर तैयार कया जाता है।
उसका ा प न ननुसार है :
Master Budget
Budgeted Profit and Loss A/c for the year ending………
Budget Period Previous period
Amount Rs. Actual Amount
Rs.

1. Net Sales
Manufacturing Cost
Direct Material
Direct Labour
Factory Overheads
Add : Opening Stock
Less : Closing Stock
2. Cost of goods sold
3. Gross Profit (1–2) Operating
Expenses
Administration
Selling
Distribution
Advertising
Research & Development
4. Financial Charges Operating

(222)
Expenses
5. Operating Profit (3–4)
6. Other Incomes
7. Net Profit before Tax (5+6)
8. Provision for Taxation
9. Net Profit (7–8)
10. Profit appropriations
Dividend
Transfer to General Reserve
Total Appropriations
11. Surplus Balance (9–10)
Budgeted Balance Sheet as at…………
Budget Period Previous period
Amount Rs. Actual Amount
Rs.

1. Fixed Assets
2. Current Assets
3. Capital Employment (1+2)
4. Current Liabilities
5. Total fixed Assets and Working
Capital (3+4)
6. Sources of Fund
Issued Share Capital
Reserves and Surplus
Profit and Loss Account Balance
ि थर बजट :
ि थर बजट को नद ट मता के तर तक तैयार कए गये बजट के प म
प रभा षत कया जा सकता है। मता के तर म प रवतन के फल व प होने वाले
प रवतन का यान नह ं रखा जाता। सामा यत:
न न ि थ तय म ि थर बजट बनाना उपयोगी नह ं रहता है –
1. जब यवसाय क कृ त ऐसी हो िजसके व य पर बाहर भाव हो।
2. व य मौसम से भा वत हो जैसे ऊनी व पर सद का, कू लर, एयर कंडीशनर
व य पर गम का भाव होता है।

(223)
3. नये उ पादन क दशा म।
4. काय आदे शानुसार कया जाता हो।
5. नयात हे तु उ पादन कया जाता है।
6. उ पादन म साम ी, म या व य मु य त व हो।
लोचपूण बजट :
लोचदार बजट उ प त के व भ न तर पर व भ न लागत तु त करता है। लोचदार
बजट म सम त यय को थायी, अ(प रवतनीय तथा प रवतनीय यय के अ तगत
वभाजन के प चात तैयार कया जाता है। लोचपूण बजट वारा कसी भी याशीलता
के तर के लए बजट अनुमान तु त कया जाता है।
लोच पूण बजट क आव यकता :
यवसाय क कृ त तथा अ य प रि थ तय म लोचदार बजट आव यकता होती है।
ऐसी ि थ तयाँ न नानुसार है :
1. म एवं साम ी आपू त अ नि चत हो।
2. अनेक कारण से माँग क मा ा म समय–समय पर प रवतन हो।
3. नये उ पादन या नये उप म म जँ हा माँग का सह अनुमान स भव हो।
4. सरकार नी तय एवं अ तरा य बाजार म प रवतन क स भावनाओं वजह से।
लोचदार बजट बनाने क वध :
लोचशील बजट तैयार करने के लए न न ल खत व ध अपनाई जाती है '
1. याशीलता के वभ न तर का नधारण : यह तय कया जाना चा हए क
याशीलता के कस तर के लए बजट तैयार कया जावेगा। यह तर उ पादन
मता व तु क बाजार मांग, आने वाले समय के अनुपात तथा अ य प रि थ तय पर
आधा रत होना चा हए।
2. प रवतनशील यय का नधारण : यह नधा रत कया जायेगा क कारखाना:,
उप र यय एवं व य उप र यय म प रवतनशील वभाव के कौन से यय ह, उनम
मू य तर प रवतन का कतना भाव होगा आ द त य को यान म रखा जायेगा।
3. ि थर यय का नधारण : कौन–कौन से यय पर उ पादन तर प रवतन का। भाव
नह पड़ेगा इस बात का नधारण करना होगा।
4. अथ प रवतनशील यय का नधारण : ऐसे यय जो पूणतया प रवतनशील गृह है
पर तु उ पादन बढ़ने के या घटने के साथ बढ़ते घटते है उ ह अलग से पता लगा उ ह
प रवतनशील तथा ि थर यय म वभािजत करना होगा।
5. कु ल लागत व लाभ का नधारण : इस कार याशीलता के व भ न तर पर सभी
कार क लागत को जोड़कर कु ल लागत तथा उ पादन तर पर व य रा श से कर
लाभ हा न का पूवानुमान कर लया जाता है।
उदाहरण – 5
कसी कारखाने म 10,000 इकाइय के उ पादन हे तु यय का बजटन इस कार हु आ–

(224)
Per unit
Rs.
Materials 70
Labour 25
Variable Factory Overheads 20
Fixed Factory Overheads (Rs. 1,00,000) 10
Variable Expenses (Direct) 5
Selling Expenses (10% fixed) 13
Distribution Expenses (20% fixed) 7
Administration Expenses (Rs. 60,000) 5
Total Cost of sales per unit 155
आपको 8,000 इकाइय के उ पादन हे तु बजट बनाना है।
हल – 5
Flexible Budget
Particulars Output 10,000 units Output 8,000 units
Per Unit Amount Per Unit Amount
Variable or Production Exp. Rs. Rs. Rs. Rs.
Materials 70.00 7,00,000 70.00 5,60,000
Labour 25.00 2,50,000 25.00 2,00,000
Direct Variable Exp. 5.00 50,000 5.00 40,000
Prime Cost 100.00 10,00,000 100.00 8,00,000
Factory Overhead
Variable Overhead 20.00 2,00,000 20.00 1,60,000
Fixed Overhead 10.00 1,00,000 12.50 1,00,000
Works Cost 130.00 13,00,000 132.50 10,60,000
Administration Expenses
Fixed (Assumed) 6.00 60,000 74.50 60,000
Cost of Production 136.00 13,60,000 140.00 11,20,000
Selling Expenses Fixed
10% of Rs. 13 1.30 13,000 1.63 13,000
(same as for 10,000 units)
Variable 90% of Rs. 13 11.70 1,17,000 11.70 93,600
Distribution Expenses 14,000

(225)
Fixed (20% of Rs. 7) 1.40 14,000 10.75
Variable (80% of rs.7) 5.60 56,000 5.60 (Same as
for 10,000
units)
44,800
Total Cost of Sale 156.00 15,60,000 160.68 12,85,400
उदाहरण – 6
रामा इंजी नय रंग क पनी ल मटे ड, मु बई का तीन माह के अ त पर 31, दस बर
2008 के लए उ पादन काय से स बि धत सू चनाओं के आधार पर 60 तशत, 80
तशत और 10 तशत उ पादन मता पर एक लोचशील बजट तैयार क िजए :
Rs.
Fixed Expenses :
Management Salaries 42,000
Rent and Taxes 28,000
Depreciation of Machinery 35,000
Sundry Office Cost Semi– 44,000
1,49,500
Variable Expenses at 50% Capacity :
Plant Maintenance 12,500
Indirect Labour 49,500
Salesmen’s Salaries and Expenses 14,500
Sundry Expenses 13,000
Variable Expenses at 50% Capacity :
Materials 1,20,000
Labour 1,28,000
Salesmen’s Commission 19,000
2,67,000
अ प रवतनशील खच 40 तशत और 70 तशत के बीच ि थर रहते ह 70
तशत और 85 तशत मता के बीच उपरो त मद 10 तशत से बढ़ती ह और
उपरो त मद 85 तशत से 100 तशत मता पर 15 तशत से बढ़ जाती ह।
थायी खच काय के कसी भी तर पर। एक समान रहते ह। व य 60 तशत
मता पर 5,10,000 ., 80 तशत मता पर 6,80,000 . ज़ौर 100 तशत
मता पर 8,50,000 .।
यह माना जाये क सम त उ पा दत मद बक जाती ह।

(226)
हल–6
Flexible Budget
(For the period of three months ending on 31st Dec. 2008)
Particulars Production Capacity
60% Rs. 80% Rs. 100% Rs.
A. Fixed Expenses :
Management Salaries 42,000 42,000 42,000
Rent and Taxes 28,000 28,000 28,000
Depreciation on Machinery 35,000 35,000 35,000
Sundry Office Cost 44,500 44,500 44,500
Total 1,49,500 1,49,500 1,49,500
B. Semi–Variable Expenses :
Plant maintenance 12,5500 13,750 14,375
Indirect labour 49,500 54,450 56,925
Salesmen’s Salaries & Expenses 14,500 15,950 16,675
Sundry Expenses 13,000 14,300 14,950
Total 89,500 98,450 1,02,925
C. Variable Expenses :
Materials 1,44,000 1,92,000 2,40,000
Labour 1,53,600 2,04,800 2,56,000
Salesmen’s commission 22,800 30,400 38,000
Total 3,20,400 4,27,200 5,34,000
Total Cost (A+B+C) 5,59,400 6,75,150 7,86,426
Sales 5,10,000 6,80,000 8,50,000
Profit / Loss (49,400) 4,850 63,575
नय ण अनुपात : बजट म न द ट आँकड से वा त वक न पि त के वचलनो क
अनुकू ल अथवा तकू ल ि थ त दशाने हे तु ब धको वारा नय ण अनुपात योग म
लाये जाते है। य द अनुपात 100 तशत म अ धक आये तो न पि त अनुकू ल तथा
100 तशत से कम आने पर तकू ल समझी जाती है। नय ण अनुपात न न है
(i) मता अनुपात (Capacity Ratio) : यह अनुपात वा त वक काय के घ ट तथा
बजट मे दये गये घ ट का अनुपात है।
Capacity Ration= X 100
य द यह अनुपात 95% है अथात 95% मता का उपयोग हु आ है 50% मता का
उपयोग नह ं हो सका।
(227)
(ii) याशीलता या स यता अनुपात (Activity Ratio) : याशीलता अनुपात वा त वक
उ पादन के लए मा पत घ ट का माप बजट घ ट का अनुपात है।
Activity Ration= X 100

(iii) काय द ता (काय मता) अनुपात (Efficiency Ratio) : यह अनुपात एक अव ध के


म य उ पादन म ा त क गई कायद ता का सू चक मा है।
Efficiency Ration= X 100
य द यह अनुपात 115 तशत है तो इसका अथ होगा क कायद ता 15% अ धक
रह है।
(iv) कले डर अनुपात यह अनुपात बजट काय दवस एवं वा त वक काय दवस का अनुपात
है
Calendra Ration= X 100
.
.

8.10 श दावल
बजट : नधा रत अव ध का व तीय प रमाणा मक ववरण।
बज टंग : बजट बनाने क या।
बजटर नय ण : बजट एवं वा त वक प रणाम क तु लना के मा यम से याओं
पर नय ण करने क या।
बजट समत : वभ न या मक बजट म सम वय एवं प रचालन हे तु
मु यकायकार अ धकार क अ य ता म ग ठत स म त।
बजट नयमावल : बजटर नय ण लाग करने स ब धी नयम का।
कायानुसार बजट : कसी काय स ब धी बजट जैसे उ पादन, य, शोध, रोकड़ आ द
के बजट।
मा टर बजट : कायानुसार बजट से सि म लत एवं सं त बजट।
मू ल बजट : आधारभू त बजट।
चालू बजट : वतमान समय म काय हे तु बजट।
द घकाल न बजट : भावी योजना बनाने के लए एक से अ धक वष का बजट।

8.11 वपरख न
1. बजटर नय ण या है? बजटर नय ण के मु य उ े य बतलाये एवं सु ढ़ बज टंग
णाल के आव यक त व का वणन क िजये।।
2. बजटर नय ण के लाभ एवं सीमाएं बताइये।
3. पूवानुमान एवं बजट के बीच अ तर बताइये। दोन का अ तर समझाने के लए
उदाहरण द।
4. लोचदार बजट या है? यह कैसे तैयार कया जाता है?

(228)
5. या मक बजट या है? ऐसे क ह ं दो बजट का वणन क िजए।
6. न पि त मू यांकन के लए यु त तीन नय ण अनुपात क उदाहरण स हत
या या क िजए।

8.12 यावहा रक न
.1 लोचदार बजट या है? न न ल खत सूचनाओं से एक बजट तैयार क िजए 60%,
70%, 90%, और 100% काय मता पर लाभ या हा न का पूवानुमान लगाइए :
Capacity worked 50%
Rs. Rs.
Fixed Expenses :
Salaries 50,000
Rent and Taxes 40,000
Depreciation 60,000
Administration Expenses 70,000 2,20,000
Variable Expenses :
Materials 2,00,000
Labour 2,50,000
Others 40,000 4,90,000
Semi–variable Expenses
Repairs 1,00,000
Indirect labour 1,50,000
Others 90,000 3,40,000
यह मा नए क ि थर खच उ पादन के सभी तर के लए अप रवतनीय है,
अ प रवतनशील खच 45% और 60% मता के म य ि थर रहते ह तथा जब
उ पादन 60% मता से अ धक व 75% के म य हो तब 20% से बढ़ते ह और जब
उ पादन 75% मता को पार कर जाता है तो उसम अ त र त 5 क वृ होती है
और उसके प चात ् 100% मता तक कोई प रवतन नह ं होता है।
कायशीलता के व भ न तर पर संभा वत ब न न कार है.
Capacity worked per cent Sales (Rs.)
60 11,00,000
70 13,00,000
90 15,00,000
100 17,00,000
.2 एक उ पादक क पनी 2009 क थम तमाह के लए न न समंक तु त करती है–

(229)
PRODUCTS
X Y Z
Sales (in units) : Jan 25,000 30,000 10,000
Feb 30,000 25,000 10,000
March 30,000 35,000 10,000
Selling price per unit (Rs.) 10 20 40
Target for 1st Quarter, 2009 :
Sales quantity increase 20% 10% 10%
Sales price increase Nil 10% 20%
Stock position 1st Jan., 2009
(percentage of Jan. 2009 Sales) 50% 50% 50%
Stock position 31 March, 2009
st
20,000 25,000 5,000
Stock position end of Jan. & Feb.
(percentage of subsequent months sales) 50% 50% 50%
आपको 2009 क थम तमाह के लए व य और उ पादन बजट तैयार करना है।
काय णाल को व तार से बताइये।
.3 माच से अग त, 2008 माह का संशो धत आय और यय अनुमान न न है–
Sales Purchase Wages Mfg. Office Selling
(All (All Exps. Exps. Exps.
credit) credit)
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
March 60,000 36,000 9,000 4,000 2,000 4,000
April 62,000 38,000 8,000 4,000 1,500 5,000
May 64,000 33,000 10,000 4,500 2,500 4,500
June 58,000 35,000 8,500 3,500 2,000 3,500
July 56,000 39,000 9,500 4,000 1,000 4,500
August 60,000 34,000 8,000 3,000 1,500 4,500
आपको न न ल खत सू चनाएँ द गई ह–
(a) जु लाई म 16000 . क लागत का संय सु पदु गी के लए दे य िजसका 10%
भु गतान सु पदु गी पर और शेष तीन माह बाद होगा।
(b) 8000 . का अ म कर माच और जू न म दया जायेगा।
(c) पू तकताओं वारा 2 माह और ाहक को 1 माह क उधार द जाती है।
(d) उ पादन खच का भु गतान 1/2 माह और अ य सम त खच 1 माह वल ब से कया
जायेगा।
(230)
1 मई, 2008 से ार भ तीन मह न के लए रोकड़ बजट बनाइये जब रोकड़ शेष
8,000 . हो।
.4 आपक क पनी A तथा B दो उ पाद का नमाण करती है। वष के पहले 7 माह म
बकने वाल इकाइयो का पूवानुमान इस कार तु त है

Product A Product B
January 1,000 2,800
Februray 1,200 2,800
March 1,600 2,400
April 2,000 2,000
May 2,400 1,600
June 2,400 1,600
July 2,000 1,800
यह संभा वत है क (i) माह के अ त म कोई नमाणाधीन काय नह ं बचेगा। (ii) आगामी माह
के व य के आधे के बराबर न मत इकाइय क सं या टॉक म रखी जायेगी (गत दस बर
स हत)
Product A Product B
Production (units) 22,000 24,000
Rs. Rs.
Per unit : direct materials 12.50 10.00
direct labour 4.50 7.00
Total factory overheads, apportioned 66,000 96,000
30 जू न के समा त 6 माह का उ पादन बजट येक माह हे तु बनाकर सं त लागत बजट
तु त क िजये।

8.13 उपयोगी संदभ थ


1. वगत लेखांकन – राव, हे डा गु ता
2. लागत लेखांकन – एमएल. अगवाल के.एल. अ वाल (सा ह य भवन पि लकेश स,
आगरा)
3. लागत लेखांकन – एस.पी. जैन, के.एल. नांरग, एल.सी. म तल, (क याणी पि लशज,
नई द ल )
4. लागत लेखांकन – ओसवाल, माहे वर रमेश बुक डपो, जयपुर )
5. लागत लेखांकन – जैन, ख डेलवाल, पार क, (अजमेरा बुक क पनी, जयपुर )

(231)
इकाई–9 : माप लागत लेखांकन क मू ल वचारधारा
(BASIC CONCEPTS OF STANDARD
COSTING)
इकाई क परे खा
9.0 उ े य
9.1 तावना
9.2 माप लागत लेखांकन क प रभाषाय
9.3 माप लागत लेखांकन के मू ल त व
9.4 माप लागत लेखांकन के ल ण
9.5 माप लागत लेखांकन के े
9.6 माप लागत लेखांकन प त क उपयो गता
9.7 माप लागत लेखांकन एवं अनुमा नत लागत लेखांकन म अ तर
9.8 माप लागत लेखांकन तथा बजट य नयं ण म अ तर
9.9 माप लागत लेखांकन प त के लाभ
9.10 माप लागत लेखांकन के दोष
9.11 माप नधारण के समय यान दे ने यो य बात
9.12 वचरण व लेषण का आशय
9.13 वचरण के कारण
9.14 वचरण के समाधान
9.15 सारांश
9.16 श दावल
9.17 वपरख न
9.18 कु छ उपयोगी पु तक

9.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप इस यो य हो सकगे क :
 माप लागत लेखांकन का अथ समझ सक।
 माप लागत लेखांकन के मू ल त व समझ सक।
 माप लागत लेखांकन के ल ण, े तथा उपयो गता जान सक।
 माप लागत लेखांकन एवं अनुमा नत लागत लेखांकन म अ तर समझ सक।
 माप लागत लेखांकन एवं बजटर नयं ण म अ तर जान सक।
 माप लागत लेखांकन प त के लाभ, दोष समझ सके।
 व भ न वचरण के कारण का अ ययन कर समापन हे तु कायवाह समझ

(232)
9.1 तावना
माप लागत लेखा प त – लागत नय ण क प तय म से एक है। यह वह प त
है िजसके वारा उ पादक को सदै व यह ात होता रहता है क उसक वा त वक
उ पादन या आदश है या नह ,ं अथवा आदश से कतनी भ न है और इसके या
कारण ह? इस प त के अ तगत कारखाने क औसत काय मता एवं द ता के आधार
पर उ पादन के माप (Standard) ल य, वा त वक उ पादन से पूव ह नधा रत
कये जाते ह। वा त वक उ पादन हो जाने पर लागत के व भ न त व क तु लना पूव
नधा रत माप से क जाती है। पूव नधा रत माप से वा त वक प रणाम का
अ तर ात कया जाता है िजसे वचरण (variance) कहते ह।

9.2 माप लागत लेखांकन क प रभाषाय


माप लागत लेखांकन क व भ न व वान वारा समय–समय पर अनेक प रभाषाय
तु त क गई ह। मु ख प रभाषाय अ ां कत ह –
(1) “ माप लागत साधारणतया पूव नयोिजत उ पादन क वह लागत है जो चालू एवं
अनुमा नत दशाओं के अ तगत नधा रत क जाती है। यह एक अनुमा नत उ पादन पर
नभर रहती है। इ ह असाधारण प रि थ तय म प रव तत भी कर दया जाता है।'' –
एच.के. हे डन
(2) '' माप लागत बजट य नयं ण का एक तकपूण वकास है िजसम व भ न वभाग म
हु ए वा त वक उ पादन या काय क पूव अनुमान से तु लना करने का स ा त अपनाया
जाता है।'' – वा टर ड यू बग
(3) '' माप लागत प त, लागत लेखांकन क वह प त है िजसम कुछ सौद को लखने
के लए माप लागत का योग कया जाता है तथा वा त वक लागत क तु लना माप
लागत से यह ात करने के लए क जाती है क इसम या वचरण है, और इस
वचरण के या कारण ह।” – ड यू बी. लॉरे स
(4) '' माप लागत से आशय ऐसी पूव नधा रत लागत से है जो क उस समय ा त होती
है जब क संयं , साम ी, म और पयवे ण आ द का योग अ धकतम काय मता के
अ तगत होता है, जो क ि थर और यावहा रक होती है, और बहु त अ धक आदश एवं
ा त न क जा सकने यो य नह ं होती है।” –जे. आर. बॉटल बॉय
(5) “ माप लागत लेखांकन प त, वह प त है िजसके वारा भ व य म कये जाने वाले
उ पादन के माप ल य, औसत काय मता एवं द ता के आधार पर पूव म ह
नधा रत कर दये जाते ह और वा त वक उ पादन हो जाने के बाद वा त वक लागत
के व भ न अंग तथा यय क तु लना पूव नि चत एवं नधा रत माप से क जाती
है िजससे नधा रत माप तथा वा त वक प रणाम म वचरण का पता लग जाय तथा
ब धक इनके कारण को जानकर उनके नवारण के उ चत उपाय कर सके।'' –

(233)
आर.आर. गु ता (6) “ माप लागत लेखांकन, लागत लेखांकन क एक प त है िजसम
उ पादन व तु या द त सेवा के स ब ध म लागत के येक त व – म, साम ी
तथा उप र यय के लये पूव नधा रत माप लागत का योग कया जाता है।” – जे.
बैट
(6) '' माप लागत पूव नधा रत लागत है अथात ् उ पादन लागत से पूव न मत व तु क
लागत ात करने के लये गणना क गई लागत है।'' – वॉ टर कॉट
(7) “ माप लागत लेखांकन, माप लागत नधारण करने तथा उ ह वा त वक लागत से
वचरण मापने एवं उ पादन म उ चतम काय मता बनाये रखने के लये वचरण के
कारण का व लेषण करने से स बि धत है।'' – आई.सी.ड यू.ए., ल दन

9.3 माप लागत लेखांकन के मू ल त व


माप लागत लेखांकन के मू ल त व न न ल खत ह :–
(1) माप का नधारण – साम ी, म एवं उप र यय के माप अलग–अलग नि चत कए
जाते ह।
(2) वा त वक लागत को नि चत करना।।
(3) वा त वक लागत क पूव नधा रत माप से तु लना।
(4) वचरण का नधारण तथा उनके कारण क खोज करना।।
(5) भ व य म वा त वक लागत को माप के अनु प रखने के लए उपयु त के लए
ब ध को तवेदन दे ना।

9.4 माप लागत लेखांकन के ल ण


माप लागत लेखांकन प त क व भ न प रभाषाओं के आधार पर न न ल खत
मह वपूण त य का ान होता है –
(1) माप लागत पूव अनुभ व एवं भावी अनुमा नत दशाओं के आधार पर वा त वक
उ पादन से पूव ात क जाती है।
(2) इसके अ तगत उ पादन लागत के सभी त व क माप लागत नधा रत करते समय
औसत काय मता का यान रखा जाता है। माप ऐसे नधा रत कए जाते ह, िज ह
सामा य यो यता से काय करने पर आसानी से ा त कया जा सके। ऐसे माप
नधा रत नह ं कये जाते, क िजले केवल असामा य द ता एवं यो यता से ह काय
करने पर ा त कया जा सके।
(3) नधा रत माप को प रि थ तय म प रवतन होने के साथ–साथ प रव तत आव यक
होता है।
(4) माप का नधारण केवल ि थर एवं यावहा रक प रि थ तय के अ तगत ह कया जा
सकता है।

(234)
(5) उ पादन लागत के व भ न अंग के माप नधा रत करते समय उन सभी क ठनाइय
को यान म रखा जाता है जो उस व तु के उ पादन म साधारणतः उ प न हु आ करती
है।
(6) कसी भी व तु के उ पादन म यय–साम ी, य म, कारखाना उप र यय, व य
तथा वतरण उप र यय, व य तथा वतरण उप र यय आ द पर होता है। इनके लये
माप साम ी, माप म, माप कारखाना उप र यय, माप कायालय उप र यय,
माप व य एवं वतरण उप र यय नधा रत कये जाते ह और इन सभी को जोड़कर
व तु क माप लागत ात क जाती ह।
(7) उ पादन लागत के व भ न अंग–साम ी, म, मशीन आ द के माप तथा माप
लागत नि चत हो जाने पर वा त वक उ पादन ार भ कया जाता है। वा त वक
उ पादन लागत के येक अंग क तु लना माप लागत से क जाती है तथा सरण
अथवा वचरण ात कए जाते ह।
(8) ब धक को य द लागत बढ़ती हु ई ात होती है तो वृ के कारण को ात भावी
उ पादन म उ ह दूर करने का यास कया जाता है। िजससे व तु क उ पादन लागत
म वृ न हो सके। इसके वपर त य द लागत घटती मालू म पड़ती है तो माप को
बदलती हु ई प रि थ तय के अनुसार संशो धत कया जाता है।

9.5 माप लागत लेखांकन का े


माप लागत लेखांकन प त का योग सभी उ योग म नह ं कया जा सकता। इस
प त का योग नि चत प रि थ तय तथा न नां कत उ योग म ह कया जा
सकता है :–
(1) एक ह कार क व तु अ धक मा ा म बार बार उ पादन करने वाले सं थान म इस
प त का योग कया जा सकता है। एक ह कार क व तु बार–बार उ पादन करने
से वा त वक लागत क तु लना माप लागत से करना स भव हो सकता है। इसके
वपर त य द उ पा दत क जाने वाल व तु का व प, गुण , आकार– कार, बार–बार
बदलता रहता है तो माप लागत लेखांकन प त का योग नह ं कया जा सकता।
काय–लागत– आकलन (Job Costing) के अ तगत माप लागत–लेखांकन का योग
नह ं कया जा सकता य क येक काय के लये पृथक् –पृथक् मानक नधारण
आ थक ि ट से लाभदायक नह ं होगा। इस प त का योग जू ट, श कर, कपड़ा,
लोहा ढलाई, रासाय नक पदाथ, रे डयो, साइ कल, तेल शोधन, ामोफोन, औष ध
नमाण आ द उ योग म सफलतापूव क कया जा सकता है।
(2) थायी प रि थ तय म इस प त का योग सफलतापूवक कया जा सकता है। उन
उ योग म जहाँ क ची साम ी के मू य, म–दर आ द म बार–बार प रवतन नह ं होते,
प रि थ तयाँ थायी रहती ह, इस प त का योग कया जा सकता है। प रवतनशील
प रि थ तय म माप लागत से वा त वक लागत क तु लना नह ं क जा सकती।
क तु प रवतनशील जगत म यह कदा प स भव नह ं है क प रि थ तयाँ सदै व थायी

(235)
बनी रहे । ऐसी ि थ त म केवल अ धक था य व क स भावना वाले यय के माप
नधा रत करना चा हये। लागत के कसी त व म अमा य प रवतन होने क ि थ त म
तु लना करते समय आव यक समायोजन कर लेना चा हये।

9.6 माप लागत लेखांकन प त क उपयो गता


सामा य लागत लेखांकन से य य प व तु क उ पादन लागत ात हो जाती है क तु
इस लेखा णाल का सबसे बड़ा दोष यह है क इसके वारा जो लागत ात होती है
वह उ चत है अथवा नह ,ं पता नह ं चलता। स प न कये गये काय क लागत को
पछले वषा के उसी कार के काय क लागत से तु लना करने पर केवल यह ात होता
है क द ता म तु लना मक वृ हु ई है अथवा हास। क तु यह पता नह ं चलता है क
उ पादन लाभ द है या नह ।ं यह स भव है क ' वगत वष क उ पादन लागत अ धक
रह हो और िजससे वतमान लागत क तु लना करने पर उ पादन लाभ द तीत हो रहा
हो, क तु इस कार से उ पादन को लाभ द मानना म है। सामा य लागत लेखांकन
व ध के अ तगत ऐसा उ तम मापद ड ा त नह ं है िजसके आधार पर यह ात
कया जा सके क वतमान उ पादन आदश है अथवा नह ?
ं य द नह ं तो वा त वक
और आदश म कतना अ तर है और य ? सबसे मह वपूण और उपयोगी लागत
लेखांकन णाल वह है जो चालू काय– मता को मापने के लए उ चत मापद ड तु त
करती हो तथा जो केवल त इकाई लागत ह द शत न करके यह भी द शत करे
क ये लागत पूव नधा रत माप से भ न है? इन सभी आव यकताओं क पू त करने
वाल प त को माप लागत लेखांकन प त के नाम से पुकारते ह, िजसके वारा
काय क सामा य दशाओं के अ तगत सामा य द ता के आधार पर माप नि चत
कए जाते ह तथा लागत पूव नि चत क जाती ह। उ पादन हो जाने पर वा त वक
लागत क तु लना माप लागत करके सरण तथा उनके कारण को ात कया जाता
है।

9.7 माप लागत लेखांकन एवं अनु मा नत लागत लेखांकन म


अ तर
माप लागत का नधारण पूव अनुभव तथा भावी प रि थ तय के आधार पर वा त वक
उ पादन से पूव कया जाता है क तु फर भी माप लागत तथा अनुमा नत लागत म
न न ल खत मह वपूण अ तर है
माप लागत अनुमा नत लागत
1) इसका उ े य यह बताना है क व तु क 1) इसका उ े य केवल यह बताना है क
उ पादन लागत या होनी चा हए। व तु क उ पादन लागत या होगी।
2) यह उ पादक क काय मता मापने के लए 2) यह केवल उ पादन लागत ात करने के
योग क जाती है। लये योग क जाती है। इसके आधार
पर काय मता नह ं मापी जा सकती।

(236)
3) इस प द त के अ तगत ात क गई लागत 3) ात क गई लागत व वसनीय नह ं
अ धक व वसनीय होती है। होती है।
4) इसका योग केवल उ ह ं उप म म कया 4) इसका योग कसी भी उप मी या
जा सकता है जहाँ उ पादन लागत के यवसायी वरा कसी भी समय कया
व भ न आँकड़े यवि थत ढं ग से रखे जाते जा सकता है।
ह।
5) माप लागत लेखांकन प द त का चलन 5) इसे ल बे समय से योग कया जा रहा
पछले कु छ ह वष म हु आ है। है।
6) यह व ध अ धक यय पूण है। 6) यह व ध बहु त ह मत ययी है।
7) इसका उ े य भावी उ पादन के लए व भ न 7) इसका उ े य भावी उ पादन के लये
उ पादन के मापद ड तैयार करना है। मापद ड तैयार करना नह ं है।
8) इस प द त के अ तगत ात क गई लागत 8) अनुमानत लागत बार–बार प रव तत होती
बार–बार श ता से प रवतनशील नह ं होती रहती है।
है।

9.8 माप लागत लेखांकन तथा बजट य नय ण म अंतर


बजट य नय ण (Budgetary Control) के अ तगत उ पादन का पूव नयोजन
कया जाता है तथा यय पर नय ण रखा जाता है। बजट य नय ण के अ तगत
यह पता चल जाता है क अमु क व तु क उ पादन ''लागत या होगी”। सामा य
लागत लेखांकन से यह ात होता है क वा त वक “लागत या है,” क तु यह ात
नह ं होता क नि चत प रि थ तय के अ तगत उ पादन करने म “लागत या होनी
चा हए''। लागत या होनी चा हये यह माप लागत लेखांकन प त से ह ात हो
सकता है। अत: कसी भी औ यो गक इकाई म बजट य– नय ण के साथ साथ माप
लागत लेखांकन प त को अपनाने से ब धक को व तु क उ चत लागत का ान हो
सकेगा और सं था को लाभ द ढं ग से चला सकगे।
माप लागत लेखांकन बजट य नय ण
1) माप लागत लेखांकन म भावी उ पादन लागत 1) बजट य नय ण के अ तगत यय
के ल य नधा रत करता है। क अ धकतम सीमा नि चत क
जाती है।
2) वा त वक उ पादन हो जाने पर माप लागत 2) बजट य– नय ण के अ तगत
क वा त वक लागत से तु लना क जाती है वा त वक पर यय नि चत क गई
तथा अनुकू ल अथवा तकू ल सरण जो भी हो सीमा से कम होने पर सामा यत:
ात ह उ ह दूर करने का यास कया जाता कोई कायवाह नह ं क जाती है।
है।
3) माप सामा यत: केवल नमाणी यय के 3) बजट आय तथा यय क सभी मद
स ब ध म नि चत कये जाते ह। के लए तैयार कये जाते ह।

(237)
4) माप लागत लेखांकन प त के योग के लए 4) बजट य– नय ण का योग बना
बजट य नय ण का होना एक अ नवाय माप लागत लेखांकन के फर कया
आव यकता है। जा सकता है।
5) माप उ पा दत क जानी वाल व तु क 5) बजट समय से स बि धत होता है,
इकाइय मे नधा रत कये जाते है जैसे त टन जैसे मा सक, म
ै ा सक अथवा
श कर क लागत, म घ ट क सं या आ द। वा षक। बजट आँकड़ को कु ल रा श
म य त कया जाता है।
6) माप तकनीक ान पर आधा रत होते है। 6) बजट भावी अनुमा नत प रि थ तय
तथा वगत वष के वा त वक यय
पर आधा रत होते ह।

9.9 माप लागत लेखांकन प त के लाभ


माप लागत लेखांकन प त के योग से अनेक लाभ होते ह। मु ख लाभ
न न ल खत ह :–
(1) सामा य लागत ात होना – नमाण क जाने वाल व तु क लागत या होनी चा हये
ब धक को इस प त का योग करने पर ह ात हो सकती है। इससे व तु क
केवल सामा य लागत ह ात नह ं होती वरन ् उ पादन क येक व ध क साधारण
लागत भी ात हो जाती है।
(2) ब धक य काय म सहायक – ब धक का सबसे मु ख काय नर तर यह दे खते रहना
है क वा त वक उ पादन लागत माप लागत से अ धक तो नह ं हो रह है। य क
वा त वक लागत बढ़ जाने पर उप म को पया त लाभ नह ं हो सकेगा। ब धक इस
प त क सहायता से वा त वक उ पादन यय क तु लना माप यय से करके
लागत पर नय ण करते ह। इ ट यूट ऑफ चाटड एकाउ स ऑफ इंगलै ड ए ड
हे स के अनुसार , '' ब धक ने स पूण नमाण क व धय को पूव नधा रत माप
लागत से तु लना करने क एक नय मत व ध उस समय से ा त क है जबसे क
लेखाकम म माप लागत लेखांकन प त का वकास हु आ है।”
(3) वभागा य को उ चतर मता ा त करने क ेरणा दान करती है – इस प त के
अ तगत उ पादन लागत के येक अंग तथा येक वभाग के माप पृथक् –पृथक्
नधा रत कये जाते ह। येक वभागा य माप को पूरा करने के लए पूण
काय मता से यास करता है। कसी भी वभाग म य द श थलता होती है तो वह
ात हो जाती है। ड यू. े चन के अनुसार “यह उ पादन काय पर पूण नय ण
रखने म सहायक है तथा उ पादन गृह के वभागा य उ चतर मता करने तथा
उ पादन करने क ेरणा दे ती है।''
(4) साधारण लागत लेखांकन प त क सीमाय – साधारण लागत लेखांकन प त के
अ तगत उ पादन को यह तो ात हो जाता है क उ पादन लागत या है। क तु यह
ात नह ं होता क उ पादन लागत या होना चा हए तथा वा त वक लागत एवं लागत

(238)
जो होना चा हए म जो अ तर ह, उसका या कारण है? माप लागत लेखांकन प त
इस कमी को पूरा , करती है तथा ब धक को सभी आव यक सूचनाय दान करती है।
(5) मक क द ता का ान – इस प त के अ तगत मक क काय द ता का ान
आसानी से हो जाता है जैसे य द कसी व तु के उ पादन म माप मजदूर छ: हजार
पया नि चत क गई है और वा त वक मजदूर 7,500 . यय हु ई है तो मक
क द ता न नानुसार ात होगी –
6, 000
म द ता = माप मजदूर 100  100  80%
7,500
वा त वक मजदूर
इसी आधार पर मजदूर अनुपात भी ात कया जा सकता है।
मजदूर लागत अनुपात = वा त वक मजदूर X 100
माप मजदूर
7,500
 100  115%
6, 000
(6) माप व तु ओं का नमाण – इस प त का योग करने से येक उतादक को माप
व तु ओं के नमाण के लए ो साहन मलता है।
(7) वा त वक लागत ात करने म सहायक – उ पादन लागत के व भ न अंग साम ी,
म, अ य यय आ द क माप लागत तथा काय मता का सू ात होने पर
वा त वक लागत ात क जा सकती है। जैसे कसी व तु क माप लागत 6,000 .
है, काय मता का तर 80 तशत है तो वा त वक लागत न नानुसार ात होगी –
वा त वक लागत = माप लागत X 100
काय मता का तशत
6, 000
 100  7500
80 .
(8) यय के माप बजट बनाने म सहायक – इस प त के वारा यय के माप बजट
सरलता से बनाये जा सकते ह तथा जो अनुमान लगाये जायगे वे अ धक व वसनीय
ह गे।
(9) मू य के उतार–चढ़ाव से होने वाले लाभ हा न का ान – माप लागत लेखांकन प त
से क चे माल से मू य म होने वाले उतार–चढाव के वारा होने वाल लाभ–हा न कट
हो जाती है।
(10) इस प त के वारा लागत लेख का यापा रक लेख से मलान कया जा सकता है।
(11) उ पादन मता का पूण योग – मानक लागत लेखांकन प त के अ तगत कम
उ पि त के कारण का पूरा–पूरा ान ा त हो जाता है तथा उ पादक अपनी उ पादन
मता का पूरा –पूरा योग करने म समथ हो जाता है।

(239)
(12) वृहत ् तर य उ पादन म लाभदायक – यह प त औ यो गक ाि त के प रणाम व प
उ प न आधु नक वृहत तर य उ पादन णाल म अ य त लाभदायक स हु ई है।
यह उ पादक तथा ब धक क सहायक ह।
(13) बढ़ते हु ए लागत यय पर नय ण – इस प त के अ तगत वा त वक यय क
माप यय से नर तर तु लना क जा सकने के कारण बढ़ हु ई लागत के कारण का
पता लगाया जा सकता है तथा उ ह नयि त कया जा सकता है। म, साम ी आ द
के अप यय को रोका जा सकता है।
(14) काय स ब धी ान – इस प त के अ तगत नि चत अव ध म येक यि त वारा
स प न कये जाने वाले काय का माप नि चत कर दया जाता है। काय का माप
नि चत हो जाने से येक उ तरदायी यि त को माप काय करने का ो साहन
मलता है।
(15) लागत वचरण के भाव को प ट करना – यह प त साम ी के मू य एवं उसके
उपयोग, मक क मजदूर व उनक काय मता, उ पादन क मा ा न बढ़ते हु ए
उप र यय के बढ़ने या कम होने के भाव को प ट प से द शत करती है।
ड यू े चन के अनुसार “वतमान औ यो गक प रि थ तय म उ पादन के साधन का
पूण योग करते हु ए यूनतम उ पादन लागत पर उ पादन के आदश ल य नधा रत
करना तथा उन आदश को ा त करना ह माप लागत लेखांकन प त क
उपयो गता है।”
लागत लेखा क आदश प त के अ तगत व तु क उ पादन लागत ह ात होना
पया त नह ं है अ पतु यह भी ात होना चा हये क यह आदश ल य से कतनी भ न
है तथा भ नता के या कारण ह? लागत लेखांकन क इस कमी को माप लागत
लेखांकन व ध दूर करती है।

9.10 माप लागत लेखांकन के दोष


इस प त क अ य धक मह व एवं उपयो गता होते हु ए भी इसम न न ल खत मु ख
दोष ह :–
(1) लागत के व भ न त व के माप तथा माप लागत नधा रत करना अ य त क ठन
काय है। इनके नधारण के लए अनेक प रि थ तय पर ग भीरता पूवक वचार करना
पड़ता है। बाजार क प रि थ तयाँ, मक क द ता, य क उपलि ध व उनक
मता, व तीय साधन आ द घटक को यान म रखकर माप नधा रत कये जाते ह
िजसम बहु त अ धक समय व धन यय होता है।
(2) उ पादन माप वा त वकता से ऊँचे नधा रत हो जाने क ि थत म मक तथा
ब धक को उ ह पूरा करना स भव नह ं हो पाता।
(3) वश ट माप लागत तकनीक वशेष के सहयोग से नधा रत हो सकती है।
तकनीक वशेष उपल ध नह ं होते, उपल ध हो भी जाते ह तो उ ह बहु त रा श

(240)
भु गतान करनी पड़ती है व उनके कसी भी समय सं था छोड़ जाने का भय लगा रहता
है।
(4) माप लागत लेखांकन प त, लागत–लेखांकन क पूण एवं वत प त नह ं है।
इसक सफलता तथा पूणता के लए कसी अ य प त का योग साथ म कया जाना
आव यक होता है।
(5) माप लागत लेखांकन क सफलता के लए बजट य नय ण प त का भी साथ म
योग कया जाना आव यक है।
माप लागत लेखांकन प त के उपयु त दोष से यह नह ं समझ लेना चा हए क यह
प त उपयु त नह ं है। उपयु त अ छ प त को योग करके लाभ ा त करने के
लए थोड़ा यय करना ह पड़ता है।

9.11 माप नधारण के समय यान रखने यो य बात


यह नि चत कर लेने के उपरा त क माप कस तर के नधा रत कये जायगे
माप नधा रत करना चा हये। क तु माप नधा रत करते समय न नां कत बात का
वशेष यान रखना चा हये –
(1) अव ध (Period) – माप का उपयोग कतनी अव ध के लए कया जाना है। य द
माप का योग द घकाल तक कया जाना है, तो द घकाल न प रि थ तय को यान
म रख कर माप नधा रत करना चा हये। इसके वपर त य द माप अ पकाल के
लए ह नधा रत करना है तो अ पकाल न प रि थ तय को ह यान म रखना पया त
होगा। आ थक ि टकोण से द घकाल न माप नधा रत करना उ चत है, य क इनके
नधारण म यय, अपे ाकृ त कम होता है।
(2) लागत त व (Elements of Cost) – जो व तु उ पा दत क जानी है उसक लागत
के सभी त व के माप नि चत करना है अथवा कु छ मु ख त व के ह माप
नि चत करना है ? लागत त व के अ ययन म कौन–कौन से माप नधा रत कये
जाते ह? सभी लागत त व के माप नि चत करना उ चत है। येक त व का माप
नि चत करते समय उसके सभी अंग के माप नधा रत करना चा हए, जैसे माप
साम ी नि चत करते समय, माप साम ी मा ा, माप साम ी क म, माप साम ी
मू य, माप साम ी त, आ द।
(3) वभागीय माप (Departmental Standards) – नमाणशाला के सभी वभाग एवं
उप वभाग के लए माप नधा रत कए जाय अथवा कु छ ह वभाग के लए? माप
लागत लेखांकन से अ धकतम लाभ ा त करने के लए कारखाने के सभी वभाग एवं
उप वभाग – जैसे ब ध, व तीय, नमाण, य– व य, वतरण अनुस धान एवं
वकास आ द वभाग के लए माप नि चत करना चा हये।
(4) प क एवं लेख – माप लागत लेखांकन योग करते समय कौन–कौन से प क एवं
लेख योग कये जायेग? साम ी, म एवं उप र यय के माप लागत प क का
ालप भी नि चत कर दे ना चा हए।
(241)
(5) सं त प एवं तवेदन – यह कस ा प पर तैयार कया जायेगा नि चत कर लेना
चा हए।

9.12 वचरण– व लेषण का आशय


ब ध के लये माप प र ययन प त क उपयो गता इसके अ तगत कये जाने वाले
वचरण– व लेषण म सि न हत ह। वचरण– व लेषण वा त वक न पादन और माप के
बीच वचरण के व लेषण क एक ऐसी व ध ह। इसम कु ल वचरण को इस कार
उप– वभािजत कया जाता है क िजससे ब ध वचरण के कारण और उनके लये
उ तरदायी यि तय का पता लगा सके। प र यय पर नय ण क ि ट से प र यय
के वभ न त व म वचरण क ि थ त का ात करना बहु त मह वपूण होता है।
पर तु इन वचरण का ात करना ह ब धक के लये पया त नह ं है जब तक क
उ ह उस वचरण के लये उ तरदायी कारण क जानकार न मलती रहे । अत: इन
कारण का खोजना तथा वचरण पर उनके भाव को आंकना एवं फर उनके बारे म
यह ात करना क इनम से कौन से कारण ब धक के नय ण के अ तगत ह और
कौन से नह ,ं वचरण– व लेषण कहलाता ह। इस व लेषण के अभाव म केवल मा
वचरण को ात करना कोई वशेष मह व नह ं रखता।
जब वा त वक प रणाम पूव नधा रत माप से अ छे होते ह तो यह अनुकू ल वचरण
कहलाता है तथा जब ये इन माप से खराब हो तो यह तकू ल वचरण कहलाता है।
सामा यता अनुकूल वचरण काय कु शलता का तीक माना जाता है। पर तु वचरण के
व लेषण से यह सामा य तक गलत भी स हो सकता ह। अत: इस काय म बहु त
सावधानी बरतने क आव यकता होती है य क यवसाय के लये अनुकू ल वचरण
सदै व ह अ छे नह ं होते। हो सकता है क एक वचरण के अनुकू ल होने से दूसरे
वचरण तकूल हो जाये। उदाहरण के लये अनुकू ल साम ी–मा ा वचरण सामा यतया
कु शलता का तीक माना जाता है पर तु जब इसे तकूल म कु शलता वचरण से
स बि धत कया जाता है तब यह पता लगता है क साम ी के योग म बहु त
अ धक, सावधानी बरतने से मक क उ पि त–दर (rate of output) गर गई हो।
इसी कार कम वेतन पाने वाले कमचा रय को नयु त करके म–दर वचरण अनुकू ल
बनाया जा सकता है ले कन य द इससे म कु शलता वचरण तकू ल हो जाता है तो
म–दर वचरण क अनुकूलता यवसाय के लये अ छ नह ं मानी जा सकती। इसी
तरह ऐसा भी हो सकता है क व य मू य बढ़ा दे ने से व य मू य वचरण अनुकू ल
हो जाये ले कन य द इससे व य मा ा वचरण तकू ल हो जाता है तो मू य वचरण
क यह अनुकू लता यवसाय के लये अ छ नह ं मानी जा सकती।
अत: प ट है क वभ न माप के वचरण पर पृथक –पृथक वचार न करके इन
सबम आपस म स ब ध था पत करके ह इनके शु प रणाम ब ध को सू चत कये
जाने चा हये िजससे ब ध सह सुधारा मक उपाय कर सके। यह सब वचरण के
सावधानीपूवक व लेषण से ह स भव है। य द कसी माप क अनुकू लता से कसी

(242)
दूसरे माप क तकू लता उसक अनुकू लता से भी अ धक हो तो ऐसी अनुकू लता कभी
भी अ छ नह ं कह ं जा सकती। वचरण के व लेषण व या या तथा उ ह ब ध के
सम तु त करने म ब ध–लेखापाल को बहु त सावधानी बरतनी चा हये। उसे इस
कार के अ तस बि धत वचरण का पता लगाना चा हये तथा इनके तु तीकरण म
एक माप से य प से स बि धत कसी दूसरे माप क तकू लता को पहले
माप क अनुकू लता से समायोिजत कर दे ना चा हये तथा माप क शु अनुकू लता
ात करनी चा हये।

9.13 वचरण के कारण


(क) साम ी मू य वचरण – यह वचरण न न ल खत कारण से होता है :–
(1) साम ी के बाजार मू य म प रवतन
(2) साम ी क सु पदु गी लागत (यातायात यय) म प रवतन।
(3) अ मा पत (non–standard) साम ी का य।
(4) रोकड़ क कमी के कारण साम ी के उधार य करने से रोकड़ छूट का लाभ न
ा त होना।
(5) साम ी का थोड़ी–थोड़ी मा ा म य करने से यापा रक छूट के लाभ से वि वत
रहना।
(6) साम ी भेजने के स ब ध म गलत नदश – जैसे मालगाड़ी के थान पर सवार
गाड़ी से माल मँगाना।
(7) उ चत समय पर साम ी का य न करना।
(8) साम ी का संकटकाल न य।
(9) साम ी क क म म प रवतन करने से मू य प रवतन।
(10) य वभाग क अदूरद शता, लापरवाह व अकुशलता।
(11) माप के नधारण म अशु ता।
(ख) साम ी उपयोग वचरण – यह वचरण न न ल खत कारण से होता है –
(1) कमचा रय वारा साम ी का असावधानीपूण ह तन (Handling)।
(2) घ टया क म क साम ी का उपयोग।
(3) मशीन व य म खराबी।
(4) उ पा दत व तु या उ पादन व ध म प रवतन।
(5) नवीन क म का उ पादन – कसी नये काय पर कमचा रय वारा पहले पहल
(6) अ यास करने म अप यय हो सकता है।
(7) साम ी उपयोग के श थल अथवा कठोर माप।
(8) साम ी का चोर चला जाना।
(9) समु चत नर ण का अभाव। साम ी म ण म प रवतन।
(10) माप नधारण म अशु ।

(243)
(ग) साम ी म ण वचरण – इस वचरण के न न कारण हो सकते ह –
(1) वपणन प रि थ तय म प रवतन – कसी वशेष कार क साम ी के कम या
अ धक मा ा म मले होने पर ह ाहक उस व तु को पस द कर अथात ् साम ी
म ण प रवतन से उ पाद क क म ह प रव तत हो जाए।
(2) कसी कार क साम ी क बाजार म कमी।
(3) कसी कार क साम ी के मू य म यकायक प रवतन।
(4) कसी कार क साम ी का बाजार म समय पर उपल ध न होना।
(5) टोर ब धक क अकु शलता।
(6) माप क अशु ता।
(घ) साम ी उ पि त वचरण – इसके न न कारण हो सकते ह –
(1) उ पादन क दू षत प त।
(2) घ टया क म क साम ी का उपयोग।
(3) कायकताओं वारा असावधानी।
(4) उ चत नर ण का अभाव।
(5) रासाय नक त या।
(6) माप क अशु ता।
(ङ) म दर वचरण – यह वचरण न न ल खत कारण से होता है
(1) मा पत दर से कम या अ धक दर से मजदूर का भु गतान।
(2) आधारभू त मजदूर दर म प रवतन।
(3) संकटकाल न अथवा मौसमी (Emergent or Seasonal) उ पादन के लए
ऊँची मजदूर दर पर मक क नयुि त।
(4) असामा य ओवर टाइम तथा उसका ऊँची दर से भु गतान।
(5) पंच नणय या कसी अ ध नयम वारा मक क मजदूर दर म संशोधन।
(6) नधा रत ेणी के मक के थान पर अ य े णय (non–standard
grade) के मक क नयुि त।
(7) माप के नधारण म अशु अथवा अ च लत माप का योग।
(च) म कु शलता वचरण – यह वचरण न न ल खत कारण से हो सकता है –
(1) न न को ट के कमचा रय क नयुि त।
(2) कमचा रय का अपया त श ण।
(3) मशीन व संय क खराबी।
(4) घ टया क म क साम ी का योग।
(5) सेवा– वभाग का असहयोग व उदासीनता।
(6) माप नधारण म श थलता या कठोरता।
(7) उ चत दे ख–रे ख का अभाव।

(244)
(8) कमचा रय म अस तोष और उनका असहयोगी मनोभाव।
(9) कमचा रय का मनोबल।
(10) काय क दशाएं।
(छ) म म ण वचरण – इसके कारण न न ल खत है –
(1) कसी ेणी के मक क द घकाल न कमी के कारण कसी अ य ेणी के
मक क नयुि त।
(2) कसी ेणी के मक का कसी समय वशेष पर उपल ध न होने से कसी
अ य ेणी के मक क संकटकाल न नयुि त।
(3) कसी ेणी के मक क मजदूर दर म वृ से कसी अ य ेणी के मक
क नयुि त।
(4) मा पत ेणी के मक क अनुपयु तता के कारण कसी अ य ेणी के
मक क नयुि त।
(5) से ववग य वभाग क उदासीनता या लापरवाह के कारण मा पत ेणी के
मक के थान पर कसी अ य ेणी के मक क नयु ि त।
(ज) म नि कय समय वचरण – यह वचरण न न कारण से होता है –
(1) नैि यक (Routine) काय (जैसे साम ी व औजार क पू त , नदश दे ना आ द)
म दे र ।
(2) साम ी के समा त हो जाने के कारण मक का खाल बैठे रहना।
(3) व युत चल जाने के कारण मक का खाल बैठे रहना।
(4) मशीन व औजार क टू ट–फूट के कारण मक का खाल बैठे रहना।
(5) एक थान से दूसरे थान तक जाने म कमचार वारा अनाव यक समय
लगाना।
(6) चाय–पानी या धू पान के लये काय छोडकर बैठ जाना।
(7) हड़ताल के कारण कमचार का काम पर न आना।
(झ) उप र यय बजट वचरण – प रवतनशील व ि थर उप र यय लए बजट
वचरण क पृथक् –पृथक् गणना क जाती है। ये वचरण सामा यतया कारण से
होते ह –
(1) अ य साम ी या अ य म के मू य म प रवतन।
(2) वभागीय सेवाओं का समय पर न उपल ध होना।
(3) सेवा क मता म प रवतन – सेवा का कम या अ धक उपयोग।
(4) कसी सेवा के योग म अकु शलता अथवा भ न कार क सेवा का उपयोग
(जैसे गैस के थान पर बजल का योग)।
(5) मौसमी दशाएँ।
(ञ) उप र यय मा ा वचरण – यह वचरण न न कारण से होता है –

(245)
(1) मजदूर क असाधारण नि यता से उ पादन म गरावट व उप र यय क कम
वसू ल ।
(2) मशीन क खराबी या टू ट जाने से उ पादन म कावट।
(3) बाजार म उ पादन क माँग म प रवतन आने से उ पादन मा ा म ज़ानबूझकर
कमी या वृ करना।
(4) मक क कमी, अनुपि थ त, हड़ताल आ द के कारण उ पादन म कावट।
(5) व युत चल जाने, कमचा रय क हड़ताल आ द के कारण उ पादन म कावट।
(6) बजट य व वा त वक काय– दन म अ तर।
(7) माप के नधारण म अशु ता।
(ट) उप र यय कु शलता वचरण – यह वचरण उ पादन कुशलता के प रवतन
द शत करता है। यह न न कारण से उ प न होता ह –
(1) मक क अकुशलता।
(2) मक म अनुभव का अभाव।
(3) काय–प तय म प रवतन।
(4) औजार क खराबी।
(5) घ टया क म क साम ी का योग।
(6) माप नधारण म अशु ता।

9.14 वचरण के समाधान


जब कसी सं था म व तु नमाण स ब धी खात (चालू काय खाता, न मत खाता व
व त व तु लागत खाता) म वा त वक लागत दखलाई जाती ह और मा पत रा शय
को केवल मरण के लये पृथक् से फाइल करके रखा जाता है तो सं था क पु तक
म वचरण का लेखा करने व उ ह समा त करने का न ह नह ं उठता क तु य द
व तु नमाण स ब धी खात को मा पत लागत के आधार पर तैयार कया जाता है
तो वचरण का समाधान करना अ त आव यक हो जाता है य क वचरण का
समाधान करके ह सं था के वा त वक लाभ ात कये जा सकते ह।
वचरण के समाधान करने क व ध के स ब ध म लेखापाल एक मत नह ं ह। कु छ
का मत है क सभी कार के वचरण को लाभ–हा न खाते म अ त रत (transfer)
कर दे ना चा हये तथा उ ह नमाण लागत का अंग नह ं माना जाये। इस व ध के
अनुसार चालू काय, न मत माल व व त व तु क लागत सभी मा पत मू य पर
मू यां कत कये जाने चा हए। कु छ लेखापाल का मत है क मू य वचरण के
अ त र त अ य सभी वचरण को लाभ–हा न खाते म अ त रत कया जाना चा हए।
उनके अनुसार मू य वचरण नय णीय कारक के प रणाम व प होता है। अत: इसे
क ध (Inventories) और व त व तु क लागत (Cost of goods sold) का
अंग समझा जाना चा हए।

(246)
लागत वचरण के समाधान क उपयु त दोन व धयाँ सरल अव य ह क तु लेखांकन
क ि ट से तक संगत नह ं कह जा सकती ह। वा तव म येक कार के वचरण
का पूण व लेषण करके उसके कारक का पता लगाना चा हए और तदानुसार ह उनका
नबटारा कया जाना चा हये। यवहार म वचरण का समाधान (1) वचरण के कार
– साम ी, म या उप र यय, (2) वचरण के आकार, (3) मा पत लागत के साथ
अनुभव (4) वचरण के कारण और (5) वचरण के समय आ द अनेक कारक से
भा वत होता है। पर तु मोटे तौर पर वे सभी वचरण जो क माप क अशु ता या
क ह ं अ नय णीय कारक (जैसे बाजार मू य म वृ के कारण साम ी मू य म
प रवतन, पंच नणय के कारण म दर म प रवतन आ द) के कारण हु ए ह तो उ ह
चालू काय (Work–in–progress), क ध तथा व त व तु क लागत म उस अव ध
के उ पादन क मा ा या मू य के अनुसार वत रत कर दे ना चा हए अथात ऐसे वचरण
लागत के अंग माने जाते ह। इसके वपर त वे सभी वचरण जो क कमचा रय क
अकु शलता, नि कयता, अप यय या असावधानी के कारण हु ए ह , अथात ् जो क
ब ध वारा नय णीय ह तो उ ह लाभ–हा न खाते म अ त रत कर दे ना चा हए।
वभ न कार के लागत वचरण का समाधान न न कार से कया जाता है –
(1) साम ी मू य वचरण – य द वचरण य वभाग क य क कु शलता या
अकु शलता व लापरवाह के कारण है तो वचरण क रा श लाभ–हा न खाते म
अ त रत कर दे नी चा हए क तु य द यह वचरण साम ी के बाजार मू य म
प रवतन, यातायात यय म प रवतन इ या द अ नय णीय कारण अथवा
माप क अशु ता के कारण है तो वचरण क रा श को चालू काय, न मत
क ध तथा व त व तु क लागत म उस अव ध म य क गई साम ी म
से इनम यु त साम ी के मू य या साम ी क मा ा के अनुपात म वत रत
कर दे ना चा हए।
(2) साम ी मा ा या उपयोग वचरण – यद वचरण साम ी के ह तन
(Handling) या वधायन (Processing) म लापरवाह या अकुशलता, मशीन
व य क खराबी, घ टया क म क साम ी के उपयोग, साम ी के चोर
चले जाने या समु चत नर ण के अभाव के कारण होता है तो वचरण क
रा श लाभ–हा न खाते म अ त रत कर दे नी चा हये और य द यह माप क
अशु ता या साम ी म ण म संशोधन आ द अ नय णीय कारण से होता है
तो वचरण रा श को चालू काय, न मत क ध तथा व त व तु क लागत
म उस अव ध म यु त साम ी क मा ा के अनुसार वत रत कर दे ना
चा हए।
(3) म दर वचरण – य द यह वचरण से ववग य वभाग क उदासीनता और
लापरवाह या कसी अ य ऐसे कारण से होता है िज ह ब ध नयि त कर
सकता है तो वचरण क रा श

(247)
लाभ–हा न खाते म अ त रत कर दे नी चा हए क तु य द यह माप क
अशु ता, या कसी अ नय णीय कारण (जैसे पंच नणय वारा मजदूर दर म
वृ ) से होता है तो ववरण क रा श को चालू काय, न मत माल व व त
व तु को लागत म समय या मजदूर रा श के अनुपात म वत रत कर दे ना
चा हये।
(4) म कु शलता वचरण – य द यह कमचा रय क कु शलता म प रवतन, न न
को ट के कमचा रय क नयुि त , मशीन व य क खराबी या घ टया
साम ी के योग के कारण है तो वचरण क रा श लाभ–हा न खाते म
अ त रत कर दे नी चा हए क तु य द यह माप क अशु ता के कारण होता
ह तो इसे चालू काय, क ध व व त व तु क लागत म वत रत कर दे ना
चा हए।
(5) उप र यय बजट वचरण – यद यह वचरण नय णीय कारक के
प रणाम व प होता है तो वचरण क रा श को लाभ–हा न खाते म अ त रत
कर दे ना चा हए और य द यह वचरण अस तोषजनक माप या अ नय णीय
दशाओं के कारण हो तो वचरण क रा श को चालू काय, क ध व व त
व तु क लागत म वत रत कर दे ना चा हए। य द वचरण मौसमी दशाओं के
कारण हो तो इसे थ गत मद मानना चा हए।
(6) उप र यय आ ध य मता वचरण – य द यह वचरण कमचा रय क
कायकु शलता आ द नय णीय कारक के कारण होता है तो वचरण क रा श
को लाभ हा न खाते म अ त रत कर दे ना चा हये और य द यह माप क
अशु ता तथा बाजार माँग म प रवतन आ द अ नय णीय कारण से होता है
तो वचरण क रा श को चालू काय, क ध द व त व तु क लागत म
वत रत कर दे ना चा हये। मौसमी दशाओं के कारण हु ए वचरण जो थ गत
मद मानना चा हए।
(7) उप र यय कु शलता वचरण – य द यह वचरण कमचा रय क अकुशलता,
अनुभव के अभाव या घ टया क म क साम ी व औजार के योग के कारण
होता है तो वचरण क रा श को लाभ–हा न खाते म अ त रत कर दे ना चा हए
और य द यह माप क अशु ता या कसी अ नय णीय कारक के फल व प
हु आ है तो वचरण क रा श को चालू काय, क ध व व त व तु क लागत
म वत रत कर दे ना चा हए।

9.15 सारांश
माप प र ययन लागत नयं ण क वह तकनीक है िजसके अ तगत भ व य म कये
जाने वाले उ पादन के माप ल य, पहले से ह पूव नधा रत कर लए जाते ह। इसके
प चात वा त वक लागत के व भ न अ यव (साम ी, म तथा वचरण) क तु लना
माप लागत (पूव नधा रत लागत) से क जाती है व दोन के वचरण या अ तर का
(248)
पता लगाया जाता है। अ तत: वचरण के कारण का व लेषण करके इनको दूर करने
के उपाय कये जाते ह। इसके नधारण म सं था क वतमान व पूव क उ पादन
याओं को यान म रखा जाता है।

9.18 श दावल
1. माप दर (Standard Rata) – उ पाद अथवा काय पर कायरत येक ेणी के
मक को द जाने वाल मजदूर माप दर कहलाती है। माप दर समयानुसार या
कायानुसार होती है।
2. वचरण व लेषण (variance Analysis) – माप व वा त वक लागत म पाये जाने
वाले अ तर क व तृत जाँच व उनके भाव का आकलन करना ह वचरण व लेषण
है।
3. अनुकू ल वचरण (Favourable Variance) – जब वा त वक लागत कु ल माप
लागत से कम होती है तो वह वचरण अनुकू ल वचरण कहलाता है।
4. तकू ल वचरण (Adverse Variance) – जब वा त वक लागत कु ल माप लागत
से अ धक होती है तो वह तकू ल वचरण कहलाता है!
5. मू ल माप (Basic Standard) – मू ल माप द घकाल न अव ध के लए यु त
कया जाता है तथा इसको नधा रत करते समय यह माना जाता है क यह माप
ल बे समय तक प रव तत नह ं होगा।
6. 6 चालू माप (Current Standard) – चालू माप वतमान दशाओं से स बि धत
होता है तथा इसक अव ध अ प (एक वष अथवा उससे कम) होती है। इसको नधा रत
करना यवसाय के लए उपयु त रहता है।
7. माप लागत (Standard Cost) – माप लागत एक पूव नधा रत लागत है जो द
गई दशाओं के अ तगत एक नि चत समय के लए लागत के व भ न त व के लए
वै ा नत आधार पर नधा रत क जाती है।
8. माप प र ययन (Standard Costing) – माप प र ययन अथवा माप लागत
लेखांकन णाल का आशय माप लागत को तैयार करना एवं उनका योग करना,
उनक वा त वक लागत से तु लना करना तथा वचरण का उनके कारण के आधार पर
व लेषण करने से है।

9.17 वपरख न
1. माप लागत लेखांकन को प रभा षत क िजए।
2. माप दर या है?
3. वचरण के कार ल खए।
4. वभ न कार के माप बताइए।
5. वचरण व लेषण या है?
6. अनुकू ल व तकूल वचरण को समझाइये।

(249)
7. साम ी वचरण के दो कारण द िजये।
8. म कु शलता वचरण के कार बताइए।
9. माप लागत व अनुमा नत लागत म अ तर बताइये।
10. माप लागत लेखांकन के पांच लाभ ल खये।
11. माप लागत लेखांकन क थापना के लए आप कौन–कौन से कदम उठायगे?
12. बजटर नयं ण और माप लागत लेखांकन म दो अ तर बताइये।
13. म वचरण के दो कारण ल खए।
14. वचरण का समाधान कैसे करगे? सं ेप म ल खये।

9.18 कुछ उपयोगी पु तक


1. लागत लेखांकन – जैन, ख डेलवाल, पार क, अजमेरा बुक डपो, जयपुर ।
2. लागत लेखांकन – औसवाल, माहे वर , रमेश बुक डपो, जयपुर ।
3. लागत लेखांकन – बदावत शमा, सु रो लया भार वाज, शील राइट वैल ( ा.) ल.,
जयपुर ।
4. लागत लेखांकन – अ वाल, जैन, शमा, शाह, मंगल, रमेश बुक डपो, जयपुर।
5. लागत व लेषण एवं नयं ण – अ वाल, अ वाल, ग रमा पि लकेशन,
6. Cost Accounting – Saxena, Vasistha

(250)
इकाई–10 : वचरण व लेषण (VARIANCE ANALYSIS)
इकाई क परे खा :
10.0 उ े य
10.1 तावना
10.2 वचरण का अथ
10.3 वचरण का वग करण
I य साम ी वचरण
(अ) साम ी लागत वचरण
(ब) साम ी मू य वचरण
(स) साम ी उपयोग वचरण
(द) साम ी म ण वचरण
(य) साम ी उ पि त वचरण
II य म वचरण
(अ) म लागत वचरण
(ब) म दर वचरण
(स) म कु शलता (द ता) वचरण
(द) म म ण वचरण
(य) म नि य समय वचरण
(र) म कैले डर वचरण
III उप र यय वचरण
10.4 उदाहरण
10.5 सारांश
10.6 श दावल
10.7 वपरख न
10.8 यावहा रक न
10.9 कु छ उपयोगी पु तक

10.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप इस यो य हो सकगे क :
 वचरण का अथ समझ सक।
 वचरण व लेषण का ब धक य उपयोग समझ सके।
 नयं णीय एवं अ नयं णीय वचरण का अ तर जान सक।
 व भ न वचरण के वग करण का अ ययन कर सक।
 साम ी एवं म वचरण का यावहा रक व लेषण समझ सक।

(251)
 माप प र यय प त क थापना का अ ययन कर सक।
 व भ न वचरण के कारण का अ ययन कर समापन हे तु कायवाह समझ सक।

10.1 तावना
माप लागत लेखांकन णाल क मु ख वशेषता वचरण व लेषण है। वा त वक
लागत और मा पत लागत म पाये जाने वाले अ तर को ह वचरण (Variance)
कहते ह। दूसरे श द म लागत के येक त व–साम ी, म तथा उप र यय के
स ब ध म माप (Standard) नधा रत कये जाते ह। इसक तु लना वा त वक
(Actual) प रणाम से क जाती है। इन प रणाम के अ तर को ह वचरण कहा जाता
है। वचरण दो कार के हो सकते ह – माप लागत क अपे ा य द वा त वक लागत
कम हो तो वचरण अनुकू ल (Favourable) होगा, जब क वा त वक लागत माप
लागत से अ धक हो तो वचरण तकू ल (Adverse) माना जावेगा। इस कार
वचरण का अ भलेखन कर उनके कारण को ात कया जाता है, त प चात
उ तरदा य व का नधारण करके सु धारा मक कायवाह क जाती है।

10.2 वचरण का अथ
जब वा त वक न पादन पूव नधा रत माप के अनुसार न हो तो इन दोन का
अ तर वचरण कहलाता है। माप प र ययन के अ तगत वा त वक प र यय और
मा पत प र यय का अ तर ‘ वचरण' अथवा 'प र यय वचरण' कहलाता है। वचरण
ब ध के लये एक लाल झंडी के समान होते ह जो क यह द शत करते ह क
वा त वक न पादन पूव नधा रत माप के अनु प नह ं है। जब वा त वक प रणाम
पूव नधा रत माप से अ छे होते ह तो अनुकू ल वचरण कहलाता है। अनुक़ूल वचरण
सामा यता काय कु शलता का तीक होता है। इसी तरह जब वा त वक प रणाम पूव
नधा रत माप से खराब ह तो यह तकू ल वचरण को डे बट वचरण भी कहते ह।

10.3 वचरण का वग करण


वचरण के वग करण के स ब ध म कोई एक राय नह ं है। व भ न उ योग म
वभ न कार के वचरण योग कये जाते ह। साधारणतया न न ल खत कार के
वचरण क गणना क जाती है –
(1) य साम ी वचरण
(2) य म वचरण
(3) उप र यय वचरण
I य साम ी वचरण – य साम ी वचरण के वा त वक यय पूव नधा रत
यय के बीच अ तर प ट करने के लए साम ी वचरण क गणना क जाती है।
इसके अ तगत न न ल खत वचरण क गणना क जाती है :–

(252)
(अ) साम ी लागत वचरण (Material Cost Variances) – वा त वक उ प त–मा ा
पर य साम ी क मा पत लागत और वा त वक लागत का अ तर 'साम ी
लागत वचरण' कहलाता है। सू प म :
Material Cost Variance = Standard Cost – Actual Cost
When SC = Actual Output X Std. Rate
AC = Actual Qty. X Actual Rate
जब मा पत लागत वा त वक लागत से अ धक हो तो अ तर अनुकू ल वचरण
द शत करता है। इसके वपर त य द मा पत लागत वा त वक लागत से कम
हो, तो अ तर तकूल वचरण होगा।
साम ी लागत वचरण साम ी के मू य वचरण, उपयोग वचरण, म ण वचरण
तथा उ पि त वचरण का योग होता है अथात ् –
Material Cost Variance = M. Price Variance + M. Usage
Variance
(ब) साम ी मू य वचरण (Material Price Variance) – यह उपयोग क गयी
साम ी के वा त वक मू य और पूव नधा रत मू य या मा पत मू य के म य
अ तर द शत करता है। यह मा पत मू य और वा त वक मू य के अ तर को
उपयोग क गयी साम ी क वा त वक मा ा से गुणा कर ा त कया जाता है।
सू प म :
M Price Variance = Actual Qty. (Standard Price – Actual Price)
य द वा त वक मू य मा पत मू य से कम हो तो अ तर अनुकूल वचरण
द शत करता है तथा वपर त ि थ त म अ तर तकूल वचरण कहलायेगा।
साम ी मू य वचरण क गणना दो समय क जा सकती है –
(1) व तु के य के समय और,
(2) व तु के नगमन के समय।
(स) साम ी उपयोग वचरण (Material Usage Variance) – इसे Quantity
Variance अथवा Efficiency Variance भी कहते ह। यह वचरण साम ी के
योग म बरती गयी कु शलता का माप तु त करता है। य द वा त वक उ पादन
पर यु त साम ी क वा त वक मा ा इसके लए नि चत मा पत मा ा से कम
या अ धक हो तो साम ी उपयोग वचरण उ प न होता है। यह वचरण साम ी
क मा पत मा ा और वा त वक मा ा के अ तर क साम ी के मा पत मू य
से गुणा करके ा त कया जाता है। सू प म :
M. Usage Variance = Std. Price (Std. Qty. – Actual Qty.)
When SQ = Actual Output/Std. Rate of Output
जब साम ी क वा त वक मा ा मा पत मा ा से कम हो तो अ तर अनुकू ल
वचरण कहलाता है और वपर त ि थ त म अ तर तकू ल वचरण कहलायेगा।

(253)
व तु के नमाण म यु त साम ी के वचरण के कारण को ात करने के लए
साम ी म ण और साम ी उ पि त वचरण क गणना क जा सकती है।
(द) साम ी म ण वचरण (Material Mix Variance) – य द कसी व तु के
नमाण म एक से अ धक कार क साम ी का योग कया जाता है और य द
नमाण या म साम ी पूव नधा रत अनुपात म न म त क जाये तो
साम ी म ण वचरण उ प न होता है। I.C.W.A. England के अनुसार
Direct Materials Variance is “that portion of the direct materials
usage variance which is due to the difference between the
standard and actual composition of mixture.”
लागत व क म नयं ण क ि ट से इस कार का व लेषण बहु त उपयोगी
होता है। इसक गणना क व भ न ि थ तयां न न ल खत ह :–
(i) जब मा पत म ण और वा त वक म ण के भार (Weights) समान हो। भार
म समानता का आशय मा पत और वा त वक साम ी क कु ल मा ा क
समानता से है। इस दशा म म ण वचरण क गणना के लये न न ल खत
सू का योग कया जाता है –
M. Mix Variance = Std. Price (Std. Qty. – Actual Qty.)
Or Standard Cost of Standard Mix – Standard Cost of Actual
Mix.
जब साम ी क वा त वक मा ा मा पत मा ा से कम हो तो अ तर अनुकू ल
वचरण कहलाता है तथा वपर त दशा म अ तर तकूल वचरण कहलाता है।
नोट:– भार समान होने पर साम ी उपयोग वचरण का लोप हो जाता है।
(ii) जब मा पत म ण और वा त वक म ण के भार म भ नता हो अथात ्
वा त वक म ण म साम ी क कु छ मा ा और मा पत म ण म साम ी क
कु ल मा ा म अ तर हो तो ऐसी ि थ त म पहले वा त वक म ण क कु ल मा ा
को मा पत म ण के अनुमात म बाँटकर संशो धत मा पत म ण ात कया
जाता है और फर येक कार क साम ी क संशो धत मा पत मा ा और
वा त वक मा ा के अ तर को स बि धत मा पत मू य से गुणा करके म ण
वचरण क गणना क जाती है। सू प म –
M. Mix Variance = Std. Price (Revised Std. Qty. – Actual Qty.)
Or Standard Cost of Revised Standard Mix – Standard Cost of
Actual Mix.
जब साम ी क वा त वक मा ा संशो धत मा पत मा ा से कम हो अ तर अनुकू ल
वचरण होता है और य द यह मा पत मा ा से अ धक हो तो अ तर वचरण
होगा।

(254)
नोट: भार असमान होने पर साम ी उप उपयोग वचरण क गणना के लये न न
सू का योग कया जायेगा:–
Material Sub–Usage Variance = SP (SQ–RSQ)
य द संशो धत मा पत मा ा, मा पत मा ा से कम है तो अ तर अनुकू ल वचरण
कहलाता है और य द यह मा पत मा ा से अ धक है तो अ तर तकू ल वचरण
कहलाता है।
(iii) य द क ह ं कारण से ब ध साम ी के मा पत म ण के अनुपात म संशोधन
(revision) करता है तो साम ी म ण वचरण व साम ी उप उपयोग वचरण
क गणना के लये न न ल खत सू का योग कया जाता है –
Material Sub–Usage Variance = SP (SQ–RSQ)
M. Mix Variance = SP (RSP–AQ)
साम ी के मा पत म ण क कु ल मा ा को संशो धत म ण के अनुपात म
बाँटकर संशो धत मा पत मा ा क गणना क जाती है। यह यान रखना चा हए
क (ii) म संशो धत मा पत मा ा क गणना वा त वक म ण क कु ल मा ा को
मा पत म ण के अनुपात म बाँटकर क जाती है।
(य) साम ी उ पि त वचरण (Material Yield Variance) – कसी उ पादन या
पर यु त साम ी से वा त वक उ पि त और मा पत उ पि त के बीच जो अ तर
आता है उसे साम ी उ पि त वचरण कहते ह। I.C.W.A., England के अनुसार
''Direct materials Yield Variance is “that portion of the direct
material usage variance which is due to the difference between
the standard yield specified and actual yield obtained'' यु त
साम ी से मा पत उ पि त सामा य व अ नय णीय य व हा न क
स भावनाओं को यान म रखकर नि चत क जाती है। इसक गणना के लये दो
प रि थ तय क क पना क जा सकती है –
(i) जब साम ी क मा पत मा ा और वा त वक मा ा एक समान ह पर तु वा त वक
उ पि त मा पत उ पि त से भ न हो। ऐसी ि थ त म उ प न वचरण क गणना के लए
न न ल खत सू का योग कया जायेगा –
M. Yield Variance = Std. Rate (Std. Yield for Actual Input – Actual
Yield)
Or Standard Rate (Standard Loss – Actual Loss)
When SR = Std. Cost for Std. Mix./Std. Output
जब वा त वक उ पि त मा पत उ पि त से कम हो तो अ तर तकू ल वचरण कहलायेगा
और जब यह मा पत उ पि त से अ धक हो तो अ तर अनुकू ल वचरण कहलायेगा।
(ii) जब साम ी क मा पत मा ा और वा त वक मा ा म अ तर हो और वा त वक उ पि त
मा पत उ पि त या संशोधन मा पत उ पि त से भ न हो तो वा त वक उपयोग क गयी

(255)
साम ी पर मा पत उ पि त के आधार पर संशो धत मा पत उ पि त क गणना क जाती
है और फर इसक तु लना वा त वक उ पि त से क जाती है। सू प म –
M. Yield Variance = Std. Rate (Revised Std. Yield – Actual Yield)
Or Std. Rate (Revised Std. Loss – Actual Loss)
य द वा त वक उ पि त संशो धत स पि त से अ धक है तो अ तर अनुकूल वचरण होगा
तथा वपर त ि थ त म यह तकू ल वचरण होगा।
नोट– बजटर नयं ण णाल के अ तगत वचरण व लेषण म (अथात जब न म
वा त वक और बजट य उ पादन के अंक दये ह ) साम ी लागत वचरण को छोड़कर
अ य सभी उपयु त साम ी वचरण क गणना क जाती ह इसके अ त र त
न न ल खत वचरण और ात कये जाते ह –
(i) साम ी मा ा वचरण (Material Volume Variance) – जब वा त वक उ पादन
मा ा बजट य उ पादन मा ा से कम या अ धक हो तो यह वचरण उदय होता है।
वा त वक उ पादन मा ा और बजट य उ पादन मा ा के अ तर को त न मत इकाई
बजट य दर से गुणा करके इस वचरण क गणना क जाती है। सू प म –
Material Volume Variance = Budgeted Rate per Finished Unit
(Budgeted Output – Actual Output)
Or M.V.V. = Standard Rate of Materials (Budgeted Quantity of
Materials – Normal or Standard Quantity of Materials at Actual
Production)
जब वा त वक उ पादन बजट य उ पादन से कम हो तो वचरण अनुकू ल कहलाता है
तथा वपर त ि थ त म वचरण तकू ल होगा।
(ii) कुल साम ी वचरण अथवा साम ी बजट वचरण (Total Material Variance or
Material Budget Variance) – यह बजट य साम ी लागत और वा त वक साम ी
लागत का अ तर होता है। सू प म –
Total Material Variance = Budgeted Material Cost
जब वा त वक लागत बजट य लागत से कम हो तो वचरण अनुकू ल होगा तथा
वपर त ि थ त म वचरण तकू ल होगा। यह वचरण अ य सम त साम ी वचरण
का योग होता है अथात ् –
Total Material Variance = Material Price Variance + Material Usage
Variance + Material Mix Variance + Material Yield Variance +
Material Volume Variance
य म वचरण (Direct Labour Variance) :
य म क वा त वक लागत और मा पत लागत के बीच अ तर के कारण को ात करने
के लए म वचरण क गणना क जाती है। ये भ न कार के हो सकते ह –

(256)
(अ) म लागत वचरण (Labour Cost Variance) – कसी व तु क उ पा दत इकाइय क
वा त वक म लागत और मा पत म लागत के बीच के अ तर को म लागत वचरण
कहते ह। सू प म –
L. Cost Variance = Standard Cost – Actual Cost
When SC = Actual Output x Standard Rate
Or Standard Hours x Standard Hourly Rate
जब वा त वक लागत मा पत लागत से कम हो तो वचरण अनुकू ल माना जायेगा
और जब यह मा पत लागत से अ धक हो तो वचरण तकू ल माना जायेगा। म
वचरण म दर वचरण, कायकुशलता वचरण, म ण वचरण, नि य समय
वचरण और कैले डर वचरण का योग होता है अथात ् –
L. Cost Variance = Rate Variance = Rate Variance + Efficiency
Variancy + Mix Variancy + Idle Time Variance + Calender
Variance
(ब) म दर (मू य) वचरण (Labour Rate (Price) Variance) – यह मज़दूर क
वा त वक दर और मा पत दर के बीच अ तर द शत करता है। मजदूर क मा पत
दर और वा त वक दर के अ तर को वा त वक म घ ट से गुणाकर म दर वचरण
ात कया जाता है। सू प म –
L. Rate Variance = Actual Hours Worked (Standard Rate – Actual
Rate)
जब वा त वक दर मा पत दर से कम हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब
यह मा पत दर से अ धक हो तो वचरण तकू ल माना जावेगा।
(स) म कायकुशलता (द ता) वचरण (Labour Efficiency Variance) – इसे
Labour Time, Labour Quantity, Labour usage और Labour Spending
Variance भी कहते ह। यह कसी काय को पूरा करने म लगे वा त वक म समय
और उसके लये मा पत दर से नधा रत म समय (अथात ् मा पत म समय) के
बीच अ तत ् द शत करता है। यह वचरण मक क कायकु शलता का माप दान
करता है। वा त वक उ पादन हर लगने वाले मा पत म समय व वा त वक म
समय के अ तर को मा पत म दर से गुणा करके इस वचरण क गणना क जाती
है। सू प म –
L. Efficiency Variance = Standard Hourly Rate (Standard Hours
Allowed – Actual Hours Worked)
जब वा त वक म घ टे मा पत म घंट से कम ह तो यह मक क
कायकु शलता का योतक है और वचरण अनुकू ल माना जाता है। इसके वपर त य द
ये मा पत घंट से अ धक हो तो यह मक क अकुशलता द शत करता है और
वचरण तकू ल माना जायेगा।

(257)
(द) म म ण वचरण (Labour Mix Variance) – इसे Gang
Compositio Variance भी कहा जाता ह। य द कसी काय क पू त के
लए व भ न कार के मक (जैसे म हला व पु ष मक, कु शल व अध–
कु शल मक आ द) कसी पूव – नधा रत अनुपात म लगाये जाते ह और य द
वा त वक नमाण या म क ह ं कारण से मक उस पूव – नधा रत
अनुपात म न लगाये जा सके तो म म ण वचरण उ प न होता है। इसक
गणना के लए न न ल खत प रि थ तय क क पना क जा सकती है :
(i) जब व भ न कार के मक के मा पत म घ ट का योग और वा त वक
म घ ट का योग समान हो तो न न ल खत सू का योग कया जायेगा –
L. Mix Variance = Standard Rate (Standard Hours – Actual
Hours)
Or Standard Cost of Standard Mix – Standard Cost of
Actual Mix
जब वा त वक म घ टे मा पत म घंट से कम ह तो वचरण अनुकू ल
माना जाता है तथा वपर त ि थ त म यह तकू ल माना जायेगा।
नोट : इस दशा म म कु शलता वचरण का लोप हो जाता है।
(ii) जब व भ न कार के मक के मा पत म घ ट के योग और वा त वक
म घ ट के योग म अ तर हो तो ऐसी ि थ त म वा त वक म घ ट के
योग को मा पत म ण के अनुपात म बाँटकर संशो धत मा पत म ण क
गणना क जाती है और फर संशो धत म घ ट को वा त वक म–घ ट के
अ तर को मा पत दर से गुणा करके म ण वचरण ात कया जाता है।
सू प म –
L. Mix Variance = Standard Rate (Revised Standard Hours –
Actual Hours)
Or Standard Cost of Revised Standard Mix – Standard Cost
of Actual Mix
जब वा त वक म घ टे संशो धत म घंट से कम ह तो वचरण अनुकू ल
माना जाता है और जब ये संशो धत म घंट से अ धक ह तो वचरण
तकू ल माना जाता है।
नोट : इस दशा म म कु शलता वचरण क गणना के लये न न ल खत
सू का योग कया जाता है –
L. Efficiency Variance = SR (SH –RSH)
य द संशो धत मा पत घ टे , मा पत घ ट से कम ह तो वचरण अनुकू ल
माना जाता है और जब ये मा पत घ ट से अ धक ह तो वचरण तकू ल
माना जाता है।

(258)
(iii) य द क ह ं कारण से म घ ट के मा पत म ण के अनुपात म संशोधन
कया जाता है तो म म ण वचरण और म कु शलता वचरण क गणना
के लए न न ल खत सू का योग कया जायेगा –
L. Mix Variance = SR (SH – RSH)
L. Efficiency Variance = SR (RSH – AH)
नोट : यहाँ पर मा पत कु ल म घ ट को संशो धत अनुपात म बाँटकर
संशो धत मा णत घ टे ात कए जाते ह।
(य) म नि य समय वचरण (Labour Idle Time Variance) – कसी
कारखाने म क ह ं असामा य प रि थ तय के कारण मक के नि य हो
जाने यह वचरण उ प न होता है। य द इस त व से उ प न वचरण को
अलग से न द शत कया जाए तो कमचा रय पर अकुशलता का दोषारोपण
कया जा सकता है। अत: इस त व को म वचरण म अलग से द शत
कया जाना चा हए। वा त वक नि य म समय को मा पत दर से गुणा
करके नि य समय वचरण ात कया जाता है। सू प म –
L. Idle Time Variance = Idle Hours x Standard Hourly Rate
(र) म केले डर वचरण (Labour Calendar Variance) – क ह ं कारण से
पूव नधा रत कायकार दन व वा त वक कायकार दन म अ तर हो जाने
पर म कैले डर वचरण उ प न होता है। इस वचरण का मु ख कारण कसी
कारण से कसी कायकार दन (Working Day) का अवकाश घो षत हो
जाना होता है। इसक गणना के लए न न ल खत सू का योग कया जाता
है –
L. Calendar Variance = Standard Daily Rate (Standard
Working Days – Actual Working Days)
Or Holidays X Standard Daily Rate
नोट:– बजटर नयं ण णाल के अ तगत म लागत वचरण को छोड़ कर
अ य उपयु त सभी म वचरण क गणना क जाती है। इनके
अ त र त न न वचरण और ात कये जाते ह :–
(i) म मा ा वचरण (Labour Volume Variance) –
सू – L.V.V. = Budgeted Rate (Budgeted Hours –
Standard Hours)
(ii) कुल म वचरण (Total Labour Variance) –
सू – T.L.V. = Budgeted Labour Cost – Actual Labour
Cost

(259)
Or T.L.V. = L.R.V. + L. Eff. V. + L.Eff. V. + L.M.V. +
I.T.V. + L.V.V.
III उप र यय वचरण (Overhead Variance) :
वा त वक उप र यय और पूव नधा रत उप र यय के बीच अ तर को प ट करने के लए
उप र यय वचरण क गणना क जाती है। उप र यय के स ब ध म दो कार के वचरण
पर वचार कया जा सकता है – प रवतनशील उप र यय वचरण और ि थर उप र यय
वचरण।
(1) प रवतनशील उप र यय वचरण (Variable Overhead Variance) – इन
उप र यय के स ब ध म केवल यय वचरण (Variable Expenditure Variance)
का ह गणना क जाती है। यह वचरण प रवतनशील मा पत उप र यय से वा त वक
उप र यय घटाकर ात कया जाता है। सू प म –
Variable Overhead Expenditure Variance = Std. Cost – Actual Cost
When SC = Actual Output X Standard Variable Overhead
Rate
य द वा त वक लागत मा पत लागत से कम हो तो वचरण अनुकूल माना जाता है
और जब यह मा पत लागत से अ धक हो तो वचरण तकू ल माना जाता है।
नोट :
1. य द प रवतनशील उप र यय उ पादन क मा ा के अनुपात म नह ं प रव तत होते तो मा ा
वचरण उ प न होगा और इन उप र यय के स ब ध म भी वे सभी वचरण ात कये
जा सकते ह जो क ि थर उप र यय के लये ात कये जाते ह।
2. य द काय के मा पत घ ट व वा त वक घ ट (अथवा मा पत उ पादन व वा त वक
उ पादन) म अ तर हो तो प रवतनशील उप र यय के स ब ध म कायकु शलता वचरण क
भी गणना क जायेगी। इस कार इस ि थ त म न न ल खत प रवतनशील उप र यय
वचरण ात कये जाते ह।
(अ) प रवतनशील उप र यय लागत (अथवा कु ल) वचरण (Variable Overhead Cost (or
Total) Variance) – यह वा त वक उ पादन पर प रवतनशील उप र यय क मा पत
लागत और वा त वक लागत का अ तर होता है। सू प म –
Variable Overhead Cost Variance = Std. Cost – Actual Cost
When SC = Actual Output X Std. Variable Overhead Rate
यह वचरण प रवतनशील उप र यय यय वचरण और प रतवनशील उप र यय
कायकु शलता वचरण का योग होता है। सू प म –
Cost Variance = Expenditure Variance + Efficiency Variance
(ब) प रवतनशील उप र यय यय वचरण (Variable Overhead Expenditure
Variance)– यह वा त वक काय घ ट के मा पत दर से यय (अथवा बजट य
प रवतनशील लागत) और वा त वक यय का अ तर होता है। सू प म –
(260)
Variable Overhead Expenditure Variable = Budgeted Cost – Actual
Cost
When BC (or Standard Overheads on Hours Worked) =
Actual Hours Worked X Std. Variable Overhead Rate
य द वा त वतक लागत बजट य लागत से कम है तो अ तर अनुकू ल वचरण होगा
तथा वपर त दशा म अ तर तकूल वचरण होगा।
(स) प रवतनशील उप र यय कायकु शलता वचरण (Variable Overhead Efficiency
Variance) यह मक क कायकुशलता म प रवतन का प रणाम होता है। इसक
गणना के लये न न सू का योग कया जाता है :–
Efficiency Variance = Std. Variable Overhead Rate
(Standard Hours – Actual Hours)
OR Std. Variable Overhead on Hours Worked – Std. Overhead on
Actual Output
OR Std. Variable Overhead Rate (Std. Output-Actual Output)
य द वा त वक काय घ टे मा पत घ ट से कम ह तो अ तर अनुकू ल वचरण होगा
तथा वपर त दशा म अ तर तकूल वचरण होगा।
(2) ि थर उप र यय वचरण (Fixed Overhead Variance) – ि थर उप र यय उ पादने
क मा ा के प रवतन के साथ–साथ नह ं प रव तत होते ह। ि थर उप र यय वचारण
क गणना दो कार से क जा सकती है –
(क) उ पि त – इकाइय के आधार पर (On the basis of units of output)
(ख) मा पत घ ट के आधार पर (On the basis of standard hours)।
ि थर उप र यय के स ब ध म न न ल खत वचरण क ं गणना क जाती है –
(अ) उप र यय वचरण या उप र यय लागत वचरण (Overhead Variance or Overhead
Cost Variance) – यह मा पत उप र यय लागत और वा त वक उप र यय लागत के
बीच अ तर दखलाता है। सू प म –
Overhead Variance = Standard Cost – Actual Cost
(क) उ पि त इकाइय के आधार पर –
SC = Actual Output x Standard Rate per unit
SR = Budgeted Fixed Overheads/Budgeted Output
(ख) उ पि त मा पत घ ट के आधार पर –
SC = Standard Hours x Standard Rate per hour
SR = Budgeted Fixed Overheads/Budgeted Hours

(261)
य द वा त वक लागत मा पत लागत से कम है तो वचरण अनुकू ल माना जाता है
और जब यह मा पत लागत से अ धक हो तो वचरण तकू ल माना जायेगा।
उप र यय वचरण यय वचरण तथा मा ा वचरण का योग होता है अथात ् –
Overhead Variance = Expenditure Variance + Volume Variance
 Volume Variance = Efficiency Variance = Capacity Variance +
Calendar Variance
 Overhead Variance = Expenditure Variance + Efficiency Variance
+ Capacity Variance + Calendar Variance.
(ब) यय वचरण अथवा बजट वचरण (Expenditure, Spending or Budget
Variance) – यह कसी नि चत समय के वा त वक ि थर यय और पूव नधा रत
बजट य यय के बीच अ तर प ट करता है। सू प म –
Expenditure Variance = Budgeted Cost – Actual Cost
य द वा त वक लागत बजट य लागत से कम है तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और
जब यह बजट य लागत से अ धक हो तो वचरण तकू ल माना जाता है।
(स) प रमाण अथवा मा ा वचरण (Volume Variance) – यह वचरप पूव नधा रत
उ पादन तर और वा त वक उ पादन तर म अ तर के कारण ि थर उप र यय के
अ धक या कम वसूल होने (Over or under recovery of fixed overheads) का
माप तु त करता है। इसक गणना के लये न न ल खत सू का योग जाता है –
(1) जब उ पि त–मा ा इकाइय म य त क जाय –
Volume Variance = Std. Rate (Budgets Qty. – Actual Qty.)
Or Budgeted Cost – Standard Cost
जब उ पि त क वा त वक मा ा बजट य मा ा से अ धक हो तो ि थर उप र यय
क अ धक वसू ल (Over recovery) होती है और वचरण अनुकू ल माना जाता
है। इसी तरह जब उ पादन क वा त वक मा ा बजट य मा ा से कम हो तो यह
ि थर उप र यय क कम वसू ल (under–recovery) कहलाती है और वचरण
तकू ल माना जाता है।
(2) जब उ पि त–मा ा मा पत घ ट म य त क जाय –
Volume Variance = Std. Rate (Budgets Hours – Std. Hours)
When SH = Actual Output/Std. Output per hour
जब मा पत घ टे बजट य घ ट से अ धक ह तो वचरण अनुकू ल माना जाता है
और जब ये बजट य घ ट से कम ह तो वचरण तकू ल माना जाता है।
मा ा वचरण कायकुशलता वचरण, काय मता वचरण तथा कैले डर वचरण का
स हक प रणाम होता है अथात ् –

(262)
Volume Variance = Efficiency Variance + Capacity Variance +
Calendar Variance
(द) कायकु शलता या द ता वचरण (Efficiency Variance or Production
Efficiency Variance) मक क कायकु शलता म प रवतन के कारण उ पादन तर
म हु ए प रवतन के कारण इस कार का वचरण उ प न होता है। यह उ पादन क
मा पत मा ा व वा त वक मा ा (अथवा मा पत घ ट और वा त वक घ ट ) के
अ तर के फल व प ि थर उप र यय के अ धक या कम वसूल होने का माप तु त
करता है। इसक गणना के लये न न सू का योग कया जाता है –
(1) जब उ पि त–मा ा इकाइय म य त क जाय –
Efficiency Variance = Std. Rate (Std. Qty. – Actual Qty.)
When SQ = Actual Hours X Standard Quantity Per hour
जब उ पि त क वा त वक मा ा मा पत मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल
माना जाता है और जब यह मा पत मा ा से कम हो तो वचरण तकू ल माना
जाता है।
(2) जब उ पि त–मा ा मा पत घ ट म य त क जाय –
Efficiency Variance = Std. Rate (Std. Hours – Actual Hours)
जब वा त वक घ टे मा पत घ ट से कम ह तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और
जब ये मा णत घ ट से अ धक ह तो वचरण तकूल माना जाता है।
(इ) मता वचरण (Capacity Variance) – 'यह वचरण संय और उपकरण के
अ धक या कम उपयोग (Over or underutilization) के कारण ि थर उप र यय क
कम या अ धक वसू ल द शत करता है। इसक गणना के लये न न सू का योग
कया जाता है–
(1) जब उ पि त–मा ा इकाइय म य त क जाय –
Capacity Variance = Std. Rate (Budgeted. Qty. – Std. Qty.)
यद मा पत मा ा बजट य मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है
और जब यह बजट य मा ा से कम हो तो वचरण तकूल माना जाता है।
(2) जब उ पि त–मा ा मा पत घ ट म य त क जाय –
Capacity Variance = Std. Rate (Budgeted Hours – Actual Hours)
य द वा त वक घ टे बजट य घ ट से अ धक ह तो वचरण अनुकू ल माना जाता है
और जब ये बजट य घ ट से कम ह तो वचरण तकू ल माना जाता है।
(फ) कैले डर वचरण (Calender Variance) – यह पूव नधा रत बजट काय– दन व
वा त वक काय– दन म क ह ं कारण से अ तर हो जाने पर उ प न होता है। जब
कैले डर वचरण क गणना क जाती है तो काय मता वचरण का सू भी बदल जाता
है। इस ि थ त म इनक गणना के लये न न सू का योग कया जाता है –
(1) जब उ पि त–मा ा इकाइय म य त क जाये –

(263)
Calendar Variance = standard Rate (Budgeted. Quantity
–Revised Budgeted Quantity
Actual Days
When RBQ  Budgeted Output for period x
Budgeted Days
य द संशो धत बजट य मा ा बजट य मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना
जाता है और जब यह बजट य मा ा से कम हो तो वचरण तकूल माना जाता है।
कैले डर वचरण के व यमान होने पर मता वचरण क गणना के लये न न
सू का योग कया जायेगा –
Capacity Variance = Standard Rate (Revised Budgeted Quantity
- Standard Quantity
यद मा पत मा ा संशो धत बजट य मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल और
जब यह इससे कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है।
(2) जब उ पि त–मा ा मा पत घ ट म य त क जाये –
Calendar Variance = Standard Rate (Budgeted Hours –
Revised Budgeted Hours)
Actual Days
When RBH  Budgeted Hours for period x
Budgeted Days
य द संशो धत बजट य घ टे बजट य घ ट से अ धक ह तो वचरण अनुकू ल और
जब ये इनसे कम ह तो वचरण तकूल माना जाता है। इस वचरण के होने पर
मता वचरण क गणना के लये न न सू का योग कया जायेगा :
Capacity Variance = Standard Rate (Revised Budgeted Hours –
Actual Hours)
य द वा त वक घंटे संशो धत बजट य घ ट से अ धक ह तो वचरण अनुकू ल और
जब ये इनसे कम ह तो वचरण तकू ल माना जाता है।
4. व य वचरण (Sales or Marketing Variances) –
यवसाय क एक नि चत अव ध क पूव नधा रत व य एवं वा त वक व य के
अ तर को द शत करने के लये व य वचरण क गणना क जाती है। इनक
गणना के लये न न ल खत दो प तय का योग कया जाता है –
(1) ब प त अथवा व य मू य प त (Turnover Method or Sales Value
Method)
(2) लाभ अथवा व य सीमा प त (Profit or Sales Margin Method)
ब प त म पूव नधा रत व य व वा त वक व य के अंक के आधार पर
वचरण क गणना क जाती है और लाभ प त म पूव नधा रत लाभ ( व य– व य
लागत) और वा त वक लाभ के अंक के आधार पर वचरण क गणना क जाती है।
ब ध अ धकतर लाभ वचरण क जानकार म अ धक च रखता है। यह यान

(264)
रखना चा हये क इन दोन प तय के वारा नकाले गये वचरण आपस म एक दूसरे
से भ न भी हो सकते ह।
इन दोन ह प तय के अ तगत वचरण क गणना के लए पुन : दो तकनीक का
योग कया जा सकता है –
(1) मा ा तकनीक (The quantity Technique)
(2) अध तकनीक (Value Technique)
मा ा तकनीक के अ तगत वचरण क गणना व य क मा ा (Quantity of
Sales) के आधार पर क जाती है जब क अध तकनीक के अ तगत व य रा श
(Value or Amount of Sales) के आधार पर क जाती है। ब धक य ि टकोण
से व य रा श का आधार अ धक मह वपूण होता है य क ब ध व य क मा ा
क तु लना व य क रा श म अ धक च रखता है। इसके अ त र त वजातीय
उ पाद (heterogeneous products) क दशा म अध तकनीक से सभी उ पाद के
लये सामा य माप दान कया जा सकता है। वजातीय उ पाद (जैसे एक व तु का
व य टन व दूसर का ल टर म य त कया गया हो) म मा ा तकनीक का योग
नह ं करना चा हये क तु य द एक ह व तु क व भ न क म द गई ह या सभी
व तु ओं क मा ाओं के लये एक सामा य मापद ड का योग कया गया हो तो मा ा
तकनीक का योग कया जा सकता है। व य के स ब ध म न न ल खत वचरण
क गणना क जाती है –
(1) ब प त (Turnover Method)
(अ) अध वचरण (Value Variance) – यह पूव नधा रत या बजट य व य रा श
व वा त वक व य के अ तर को द शत करता है। सू प म:
Value Variance = Budgeted Sales – Actual Sales
जब वा त वक व य–रा श बजट य व य–रा श से अ धक होती ह तो वचरण
अनुकू ल माना जाता है और जब यह इससे कम हो तो वचरण तकू ल माना
जाता है। यह वचरण व य मू य वचरण व व य मा ा वचरण का योग होता
है अथात ् –
Value Variable = Price Variance + Volume Variance
(ब) मू य वचरण (Price Variance) – यह व य मू य के प रवतन का कुल ब
पर पड़ने वाले भाव का माप तु त करता है। इस वचरण क गणना के लये
न न ल खत सू का योग कया जाता है –
(i) Price Variance = Actual Qty। (Std। Price – Actual Price)
(ii) Price Variance = Standard Sales – Actual Sales
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर जब वा त वक मू य मा पत मू य
से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह मा पत मू य से
कम तो वचरण तकूल माना जाता है। वतीय सू (अध तकनीक) क दशा म
(265)
जब वा त वक व य मा पत व य से अ धक है तो वचरण अनुकू ल माना जाता
है और जब यह इससे कम तो वचरण तकू ल माना जाता है।
(स) मा ा वचरण (Volume Variance) = यह वचरण व त व तु ओं क मा ा के
प रवतन क कु ल ब पर पड़ने वाले भाव का माप तु त करता है। इसक
गणना के लये न न सू का योग कया जाता है –
(i) Volume Variance = Std. Price (Budgeted Qty.– Actual Qty.)
(ii) Volume Variance = Budgeted Sales – Standard Sales
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर य द वा त वक व य मा ा बजट य
मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है तथा य द यह इससे कम हो
तो वचरण तकूल माना जाता है। इसी तरह वतीय सू (अथ तकनीक) के
योग करने जब मा पत व य बजट य व य से अ धक है तो वचरण अनुकूल
माना जाता है और जब यह इससे कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है।
यद कसी सं था म दो या दो से अ धक कार क व तु ओं का व य कया
जाता है तो व य म ण के प रवतन का भाव दखलाने के लये मा ा वचरण
को दो भाग म बाँट दया जाता है –.
(क) प रमाण वचरण (Quantity Variance) – यह मा ा वचरण का ह एक भाग
है। इसक गणना के लए न न सू का योग कया जाता है।
(i) Qty. Variance = Std. Price (Budgeted Qty.–Revised Std.
Qty.)
When RSQ is the budgeted ratio of total actual quantity of
sales i.e. total actual quantity of sales rearranged in the
ratio of budgeted quantity of sales.
(ii) Qty. Variance = Budgeted Sales – Revised Standard Sales
When RSS is the budgeted ratio of total standard sales i.e.
standard sales rearranged in the ratio of budgeted amount
of sales
थम सू (मा ा तकनीक) म जब संशो धत मा पत मा ा बजट य मा ा से अ धक
हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब बजट य मा ा से कम हो तो
वचरण तकू ल माना जाता है। इसी तरह वतीय सू (अध तकनीक) म जब
संशो धत मा पत बजट य व य से अ धक है तो वचरण अनुकू ल माना जाता है
और जब यह बजट य से कम हो तो वचरण तकूल माना जाता है।
(ख) म ण वचरण (Mix Variance) – जब कसी उ योग म दो या दो से अ धक
कार क व तु ओं का व य कया जाता है तो व य बजट बनाते समय यह
अनुमान लगा लया जाता है क ये व तु ऐं कतनी– कतनी बकगी अथात ् उनम
आपस म व य का या अनुपात होगा। य द वा त वक व य अनुपात इस

(266)
अनुपात से भ न हो जाए तो इससे उ प न होने वाले अ तर का व य म ण
वचरण कहा जाता है। यह वचरण यह बतलाता है क वा त वक व य म ण
बजट य म ण के अनुपात म नह ं है। इसक गणना के लये न न सू का
योग कया जाता है।–
(i) Mix Variance = Std Price (Revised Std. Qty.–Actual Qty)
(ii) Mix Variance = Revised Standard Sales – Standard Sales
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर य द व य का वा त वक प रमाण
संशो धत मा पत प रमाण से अ धक है तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब
यह इससे कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है। इसी तरह वतीय सू (अध
तकनीक) क दशा म य द मा पत व य संशो धत मा पत व य से अ धक हो तो
वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह संशो धत व य से कम हो तो वचरण
तकू ल माना जाता है। अध तकनीक के अ तगत येक व तु वशेष के लये यह
वचरण तकूल या अनुकू ल हो सकता है ले कन कु ल म ण वचरण सदै व शू य होगा
य क मा पत व य व संशो धत मा पत व य क कु ल रा श समान होती है।
ले कन मा ा तकनीक म कु ल म ण वचरण का शू य आना आव यक नह ं होता है।
(2) लाभ प त (Profit Method) – इस प त के अ तगत व भ न व य वचरण क
गणना न न कार से क जाती है –
(अ) अध वचरण (Value Variance or Net Variance) –
Value Variance = Budgeted Profit – Actual Profit
जब वा त वक लाभ बजट य लाभ से अ धक ह तो वचरण अनुकू ल माना
जाता है और जब ये बजट य लाभ से कम ह तो वचरण तकू ल माना
जाता है।
(ब) मू य वचरण (Price Variance) –
(i) Price Variance = Actual Quantity (Standard Profit Rate –
Actual Profit Rate)
(ii) Price Variance = Standard Profit – Actual Profit
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर जब वा त वक लाभ दर
मा पत लाभ दर से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब
यह मा पत लाभ दर से कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है। इसी
तरह वतीय सू (अध तकनीक) क दशा म जब वा त वक लाभ मा पत
लाभ से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह इससे
कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है।
(स) मा ा वचरण (Mix Variance) –
(i) Volume Variance = Std. Profit Rate (Budgeted Qty. –
Actual Qty.)

(267)
(ii) Volume Variance = Budgeted Profit – Standard Profit
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर जब वा त वक मा ा बजट य
मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह बजट य
मा ा से कम हो तो वचरण तकूल माना जाता है। इसी तरह वतीय सू
(अध तकनीक) क दशा म जब मा पत लाभ बजट य लाभ से अ धक हो तो
वचरण अनुकूल माना जाता है और जब यह बजट य लाभ से कम हो तो यह
तकू ल माना जाता है।
मा ा वचरण को दो भाग म बाँटा जा सकता है –
(1) प रमाण वचरण (Quantity Variance) –
(i) Qty. Variance = Std. Profit Rate (Budgeted Qty. –
Revised Std. Qty.)
(ii) Qty. Variance = Budgeted Profit – Revised Standard
Profit
When RSP is the standard profit percentage of Revised
Standard Sales.
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर जब संशो धत मा पत मा ा
बजट य मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह
बजट य मा ा से कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है। इसी तरह
वतीय सू (अध तकनीक) क दशा म जब संशो धत मा पत लाभ बजट य
लाभ से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह बजट य
लाभ से कम हो तो यह तकू ल माना जाता है।
(2) म ण वचरण (Mix Variance) –
(i) Mix Variance = Std. Profit Rate (Revised Std. Qty. –
Actual Qty.)
(ii) Mix Variance = Revised Standard Profit – Standard Profit
थम सू (मा ा तकनीक) के योग करने पर जब वा त वक मा ा संशो धत
मा पत मा ा से अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता है और जब यह
इससे कम हो तो वचरण तकू ल माना जाता है। इसी तरह वतीय सू
(अध तकनीक) क दशा म जब मा पत लाभ संशो धत मा पत लाभ से
अ धक हो तो वचरण अनुकू ल माना जाता हे और जब यह इससे कम हो तो
यह तकू ल माना जाता है।
उदाहरण 1 :
न न ल खत समंको से साम ी लागत वचरण, साम ी मू य वचरण और साम ी
योग वचरण ात क िजए –
Standard : 5 Kg Material for 1 unit of Output @ 5/–per kg.

(268)
Actual : Output 400 Units; Material used 2200 kg.,
Cost of Material @ Rs. 4.80 per kg.
हल:
(i) Material Cost Variance =
(SQ for actual production x SP) – (AQXAP)
Standard Quantity for Actual Production is 5 Kg x 400 Units =
2000 Kg.
MCV = (200x5)–(2200x4.80)
= 10,000–10,560
= 560 (Adverse)
(ii) Material Price Variance = AQ (SP–AP)
= 2200(5–4.80)
 MPV = 440 (Favourable)
(iii) Material Usage Variance = SP (SQ for Actual Production–
AQ)
= 5(2000–2200)
 MUV = 1000 (Adverse)
Verification: MCV = MPV+MUV
560(A) = 440(F) + 1000 (A)
560(A) = 560(A)
उदाहरण 2 :
अ ल खत ववरण से साम ी लागत वचरण, साम ी मू य वचरण तथा साम ी
योग वचरण क गणना क िजए –
The Standard Quantity & Standard Price of Raw Material required
for one unit of product P are given as follows :
A 2Kg Rs. 3/–per kg
B 4Kg Rs. 2/–per kg
The actual production and relevant data are as follows :–
Actual Output 500 Units of Product P
Material Total Actual Quantity Total Cost
A 1100 kg. Rs. 3410
B 1800 kg. Rs. 3960
हल

(269)
(i) Material Cost Variance = (Standard Quantity for Actual Output X
Standard Price)
–(Actual Quantity X Actual Price)
Where Standard Quantity for Actual Output
Standard Quantity
    x  Actual  Output
Standard Output
2
Material A =  500  1000kg
1
4
Material B   500  2000kg
1
MCV of Material A  1000  3    3410   410( A)
MCV of Material B   2000  2    3960   40( F )
 MCV  370( A)
(ii) Material Price Variance = (Standard Price – Actual Price)X Actual
Qty.
Material A   3  3.10  1100  110  A 
Material B   2  2.20   1800  360  A 
 MPV  470  A 
(iii) Material Usage Variance = (Standard Qty. for Actual Price)X Actual
Qty.
Material A  1000  1100   3  300  A 
Material B   2000  1800   2  400  F 
 MUV  100  F 
Verification : MCV  MPV  MUV
370  A   470  A   100  F 
उदाहरण 3 :
न न ल खत सू चनाओं से साम ी वचरण का प रकलन क िजये :
Material Standard Rs. Actual Rs.
A 120kg. @Rs.5 600 112@Rs.5 560
B 80 kg. @Rs.10 800 88@Rs.10 880
200 1400 200 1440
60 Loss 50Loss
140Output 150Output

(270)
हल
Material Cost Variance = TSC for Actual Output –TAC
Total Standard cost of 150 units = Rs. 1400x150/40
= Rs.1500
So, MCV=Rs. 1500–Rs.1440 = Rs.60(F)
(a) Material price Variance = Nil
(चूँ क माप मू य तथा वा त वक मू य समान है)
(b) Material Yield Variance =  RSQ  AQ   SP
( RSQXSP )   AQXSP 
=
Rs.1400  1440  Rs.40  A 
=
(c) Material Yield Variance =  AY  SY   SC per unit
SC per unit =  Rs.1400  140  Rs.10
MYV  Rs.10 (150 units–140 units)  Rs.100  F 
यद योग वचरण (Total Usage Variance) भी ात करना हो तो न न कार ात
करगे :
MUV   SQ  AQ   SP
यह ं पर DएइS का प रकलन करना होगा जो इस कार है :
Total Standard Quantity x Actual Output 200
 x150  214.3kg
Standard Output 140
Standard Ratio is 3:2 or A(128.58) and B (85.72)
MUV = A: (128.58-112) x Rs.5 = 82.90 (F)
= B: (85.72-88) Rs 10 = 22.90 (A) = Rs. 60(F)
उदाहरण 4:
न न ल खत समंक से साम ी स ब धी वचरण का प रकलन क िजए
Material Standard Material Actual
Qty Prince Amount Qty Prince Amount
(Units) (Rs.) (Rs.) (Units (Rs.) (Rs.)
A 100 20 2000 A 215 18 3870
B 200 17 3400 B 385 20 7700
300 5400 600 11570
Less 10% 30 Less: Loss 70
Output 270 Output 530

हल:

(271)
न म माप 270 इकाइय से स बि धत है; जब क वा त वक समंक 530 इकाइय
के लए दये गये ह। अत: TSC 530 इकाइय को ात करनी होगी। इसी कार SQ
भी 530 इकाइय के लए ात करना होगा।
(a) Material Cost Variance = TSC for Actual Output – TAC
St. Cost of 270 units = Rs. 5,400
5, 400
St. Cost of 530 units   530  Rs.10, 600
270
TAC= (215 x 18) + (385 x 20) = Rs. 11,570
MAC= Rs. 10,600 – 11,570 = Rs. 970 (A)
(b) Material Usage Variance = AQ (SP – AP)
Material A 215 (20 – 18) = Rs. 430 (F)
Material B 385 (17 – 20) = Rs.1155 (A) =Rs.725(A)
(c) Material Usage Variance = SP (SQ – AQ)
SQ for 530 output: Mat. A
Mat. A : 100/270 x 530 Rs.20 (196.3 – 215) = 374 (A)
= 196.3 Mat.B
Mat. B : 200/ 270 x 530 Rs. 17 (392.6 – 385) = 129 (F)
=392.6 245(A)
Material Cost variance = Price Variance+Usage Variance
Rs. 970 (A) = Rs. 725 (A)+ Rs. 245 (A)
(i) Material Mix Variance = (RSQ – AQ) x SP
RSQ = Total actual quanitity used in Std Ratio
100 200
Mat. A  600   200 ;Mat. B = 600   400
300 300
Mat.A (196.3 – 200) x Rs. 20 = Rs. 300 (A)
Mat.B (39.6 – 400) x Rs. 17 = Rs. 255 (F)
= Rs. 45 (A)
(ii) Metrial Sub-usage Variance= (SQ-RSQ) x SP
Mat. A (196.3-200) xRs. 20 = Rs. 74(A)
Mat. B (392.6-400) xRs. 17 = RS. 126(A)
= Rs. 200(A)
Or Material Yield Variance = (AY – SY) x SC per unit
(530 units – 540 units) x Rs. 20 = Rs. 200 (A)
Std. Yield = Input – Standard Loss

(272)
= 600 – 10% of 600 or 60 = 540 units
SC per unit = TSC of 270 units = Rs. 54,00
So Standard Cost for a unit = 54,00 ÷ 270 = Rs. 20
अत: साम ी उप– योग वचरण तथा साम ी उ पादन वचारण दोन ह समान है।
Verification : MUV = MMV + MSUV or MYV
Rs. 245 (A) = Rs. 45 (A) + Rs. 200 (A)
उदाहरण 5:
एक ठे का काय 100 कु शल मक , 40 अध–कु शल तथा 60 अकुशल मक वारा
30 स ताह म पुरा करना है। येक कार के मक क सामू हक मानक दर इस
कार हे : कु शल 60 ., अथ–.कुशल 36 ., अकुशल 24 .। वा तव म यह काम
80 कुशल, 50 अध–कुशल तथा 70 अकुशल मक 32 स ताह म पूरा कया जाता है
एवं उनक वा त वक सा ता हक औसत 'दर ह. 65 . कुशल, 40 . अध-'कुशल एवं
20 . अकुशल। व भ न कारण से उ प न म लागत वचरण का व लेषण
क िजये।
हल :
कु ल माप समय व कु ल वा त वक समय न न कार ात कये जावेगे –
Total Standard Weeks Total Actual weeks
Workers x Weeks Workers x weeks
Skilled 100 x 30 =3,0000 Weeks 80 x 32 =2,560 Weeks
Semi–Skilled 40 x 30 =1,200 Weeks 50 x 32 =1,600 Weeks
Unskilled 60 x 30 =1,800 Weeks 70 x 32 =2,240 Weeks
6,000 Weeks 67,400 Weeks
सभी सू म घंट के थान पर समय (Time) का योग कया जायेगा य क न म घंट
के बजाय स ताह दये गये ह। समय म घंटे व स ताह दोन स म लत होते हे
(i) Labour Cost Variance (LCV) = TSC – TAC
= (ST x SR) – (AT x AR)
Skilled = 3,000 x 60 – 2560 x 25 = Rs. 13,600 (F)
Semi – Skilled = 1,200 x 36 – 1600 x 40 = Rs. 20,800 (A)
Unskilled = 1,800 x 24 – 2240 x 20 = Rs. 1600 (A)
Rs. 8,800 (A)
(ii) Labour Rate Variance (LRV) = AT(SR – AR)
Skilled = 2,560 (60–65) = Rs. 12,800 (A)
Semi–Skilled = 1,600 (36–40) = Rs. 6,400 (A)
Unskilled = 2,240 (24–20) = Rs. 8,960 (F)

(273)
Rs. 10,240 (A)
(iii) Labour Efficiency Variance (LEV) = SR(ST-AT)
Skilled = 60 (3,200–2,560) = Rs. 26,400 (F)
Semi–Skilled = 36 (1,200–1,600) = Rs. 14,400 (A)
Unskilled = 24 (1,820–2,240) = Rs. 10,560 (A)
Rs. 1,440 (F)
(iv) Labour Mix Variance (LMV) = SR (RST-AT)
Skilled = 60(3,200-2,560) = Rs. 38,400 (F)
Semi-Skilled = 36(1,280-1,600) = RS.11,520 (A)
Unskilled = 24(1,820-2,240) = RS.7,680 (A)
RS. 19,200 (F)
ST for each type of Labour
Re vised S tan dard Time ( RST )  AT
Total Std .Time
3000
Skilled   6400  3200 weeks
6000
1200
Semi  Skilled   6400  1280 weeks
6000
1800
Unskilled   6400  1920 weeks
6000
(v) Labour Sunb –efficiency Variance (LSEV) = Rs. 12,000 (A)
Skilled = 60(3,000-3,200) = Rs. 12,000(A)
Semi-Skilled = 36(1,200-1,280) = Rs. 2,800 (A)
Unskilled = 24(1,800-1,920) = Rs. 2,880 (A)
Rs.17,760 (A)

Verification : LCV=LRV+LEV
Rs. 8,800 (A)=RS. 10.240 (A)+Rs. 1,440 (F)
LEV = LMC + LSEV
Rs. 1,440 (F) = Rs. 19,200 (F)+Rs. 17,760 (A)
उदाहरण 6 :
न न ल खत सूचनाओ से म वचरण क गणना क िजये :
Standard Wages :
Grade A :90 Workers at Rs. 2 per hour
Grade B :60 Workers at Rs. 3 per hour
Actual Wages :

(274)
Grade A : 80 workers at Rs. 2.50 per hour
Grade B : 70 Workers at Rs. 2 per hour
Budgeted Hour : 1,000; Actual Hours 900
Gross production 5,000 units, standard Loss 20%
Actual loss 900 units.
हल :
Standard Hrs. Actual Hrs.
Grade A : 1,000 x 90 = 90,000hrs. 900 x 80 = 72,000 hrs.
Grade B : 1,000 x 60 = 60,000hrs. 900 x 70 = 63, 000 hrs.
1,50,000 hrs 1,35,000 hrs.
Standard Output = 4,000 units (5,000 – 1,000)
Actual Output = 4,100 units (5,000 – 900)
Std. Hour means SH. For Actual Output
Actual Output
SH for Actual Output   SH for each type of wor ker
Std . Output
Grade A : Grade B:
4,100 4,100
 90, 000  92, 250 hrs .;  60, 000  61, 500 hrs.
4, 000 4, 000
(i) Labour Cost Variance = TSC – TaC
Grade A = 72,000(2-2.50) = Rs. 36,000 (A)
Grade B = 63,000 (3-2) = Rs.63,000 (F)
Rs. 27,000 (F)

(ii) Labour Rate Variance = AH (SR - AR)


Grade A = 72,000 (2-2.50) = Rs 36,000(A)
Grade B = 63,000 (3-2) = Rs. 63,000(F)
Rs. 27,000 (F)
(iii) Labour Efficiency Variance = SR (SH - AH)
Grade A = 2(81,000-72,000) = Rs40,000 (F)
Grade B = 3(61,500-63,000) = Rs. 4,500 (A)
Rs. 36,000 (F)
(iv) Labour Mix Variance = SR (RSH - AH)
Grade A = 2(81,000-72,000) = Rs.18,000 (F)
Grade B = 3(54,000-63,000) = Rs. 27,000 (A)
Rs. 9,000(A)

(275)
SH for each type of Labour
RSH   TAH
TSH
Grade A Grade B
90, 000 60, 000
1, 35, 000  81, 000hrs.; 1,35, 000  54, 000 hrs.
1, 50, 000 1,50, 000

(v) Labour Sub-effiency Varience = SR(SH - RSH)


Grade A = 2(92,250-81,000) = Rs. 22,500 (F)
Grade B = 3(61,500-54,000) = Rs. 22,500 (A)
Rs. 45,000 (F)
(vi) Labour Yield Variance = SC per unit (AY –SY)
Rs. 90(4,100-3,600) = Rs. 45,000 (F)
Total Std .Cost SH for Std .Output
SC per unit  or  SR
Total Std . Output Total Std .Output
(90, 000  2)  (60,000  3) Rs.3, 60, 000
  Rs.90 per unit
4, 000 4, 000
SY 4, 000
SY for Actual hrs.  TAH   1,35, 000  3, 600 units
TSH 1,50, 000
Verification: LCV = LRV + LEV
Rs. 63,000 (F) = Rs. 27,000 (F) + 36,000 (F)
LEV = LMV + LSEV or LYV
Rs. 36,000 (F) = Rs. 9,000 (A) + Rs. 45,000 (F)
उदाहरण 7 :
न न मा सक सू चनाओं के आधार पर व भ न ि थर उप र यय वचारण क गणना
क िजए :
Standard Acutal
Output (units) 10,000 10,090
No. of Days worked 25 26
Efficiency of Labour 100% 95%
Fixed Expenses (Rs.) 15,000 15,150
हल:
(i) Fixed Overhead Cost Variance= SC–AC
=Rs.15,135–Rs.15,150 = Rs.15 Adv.
Working : SC= Actual Output X Standard Rate
=10,090 XRs.1.50=Rs. 15,135

(276)
SR =Budgeted Fixed Overheads/Budgeted Output
=15,000/10,000=Rs.1.50
(ii) Expenditure Variance=BC–AC
=Rs.15,000–Rs.15,150 =Rs.150 Adv.
(iii) Volume Variance =SR(BQ–AQ)
=Rs.1.50(10,000–10,090) =Rs.135Fav.
(iv) Efficiency Variance =SR(SQ–AQ)
=Rs.1.50(9,880–10,090) =Rs.315Fav.
Workings : SQ=10,000X26/25=10,400units
Less : Fall in labour efficiency =520 units
=9,880 units
(v) Capacity Variance=SR (RBQ–SQ)
=1.50(10,400–9,880) =Rs.780 Adv.
Workings: RBQ=10,000x26/25=10,400 units
(vi) Calendar Variance=SR (BQ–RBQ)
=Rs.1.50(10,000–10,400) =Rs.600Fav.
उदाहरण 8 :
क पनी क जु लाई 2008 माह क बजटे ड ब , वा त वक ब , लागत तथा लाभ
क सू चना न न ल खत है–
Product Sales Cost Profit
Quantity Price Amount Price Amount Price Amount
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
BUDGET
A 6,000 5.00 30,000 4.00 24,000 1.00 6,000
B 10,000 2.00 20.000 1.50 15,000 0.50 5,000
16,000 54,000 39,000 13,750
ACTUAL
A 7,000 4.75 33,250 4.00 28,000 0.75 5,250
B 8,500 2.50 21,250 1.50 12,750 1.00 8,500
15,500 54,500 40,750 13,750
व य वचरण क गणना क िजए जो क लाभ पर आधा रत हो तथा एक ववरण प
बनाइए िजसके आधार पर बजटे ड लाभ अथवा हा न क गणना क जा सके।
हल :

(277)
For Calculating the sale Variance, Standard Profit and Revised
Standard Profits must be Calculated.
Product Standard Profits Standard Revised Revised Standard
Sales Standard Profits
Sales
AQ SR Amount SP Value Ratio Values Percentage Value
of Profits
on
Sales
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
A 7,000 1.00 7,000 5 35,000 3:2 31,200 20% 6,240
B 8,500 0.50 44,250 2 17,000 2:3 20,800 25% 5,200
15,500 11,250 52,000 52,000 11,440

Variance :
(i) Value variance = Budgeted Profit – Actual Profit
Product A : Rs. 6,000 – Rs. 5,250 = Rs. 750 Adv.
Product B : Rs. 5,000 – Rs. 8,500 = Rs.3,500 Fav.
Rs.2,750 Fav.
(ii) Price Variance = Standard Profit – Actual Profit
ProductA : Rs.7,000 – Rs.5,250 = Rs. 1,750 Adv.
ProductB : Rs. 4,250 – Rs.8,500 = TRs. 4,250 Fav.
Rs. 2,500 Fav.
(iii) Volume Variance = Budgeted Profit – Standard Profit
ProductA : Rs.6,000 – Rs. 7,000 = Rs. 240 Fav.
ProductB : Rs.5,000 – Rs. 4,250 = Rs. 750 Adv.
Rs. 250 Fav
(iv) Quantity Variance = Budgeted Profit – Revised Standard Profit
ProductA : Rs.6,000 – Rs. 6,240 = Rs. 240 Fav.
ProductB : Rs5,000 – Rs. 5,200 = Rs. 200 Fav.
Rs. 440 Fav.
(v) Mix Variance = Revised Standard Profit– Standard profit
ProductA : Rs.6,240 – Rs.7,000 = Rs. 760 Fav.
ProductB : Rs. 5,200 – Rs.4,250 = Rs. 950 Adv.
Rs. 190 Adv.
PROFIT & LOSS STATEMENT

(278)
For the month of july 2008
Particulars Product A Product B Total
Rs. Rs. Rs.
Budgeted Sales Less : Budgeted 30,000 20.000 50,000
Cost of sales 24,000 15,000 39,000
Budgeted Profit 6,000 5,000 11,000
Variance : Quantity 240 (F) 200(F) 440(F)
Mix 760 (F) 950(A) 190(A)
Standard Profit on Sales 7,000 4,250 11,250
Price variance 1,750(A) 4,250(F) 2,500(F)
Actual Profit on sales 5,250 8,500 13,750

10.5 सारांश
वा त वक लागत और माप लागत के बीच जो अ तर पाया जाता है, उसे वचरण
कहा जाता है। लागत को नयं त करने के लए यह जानना अ त आव यक है क
वचरण उ प न होने के कौन – कौन से कारण ह। इस लये ब धक वारा वचरण
को खोजने के लए इनक व तृत जाँच क जाती है तथा उनके भाव का आकलन
कया जाता है। इस कार वचरण क व तृत जाँच व उनके भाव का आकलन
करना वचरण व लेषण कहलाता है। य द माप मू य वा त वक मू य से अ धक है
तो वचरण अनुकू ल (F) जब क माप मू य वा त वक मू य से कम होने पर वचरण
तकू ल (A) होगा।

10.6 श दावल
1. लागत के :– एक थान, यि त, संय का मद या इनके समूह से है िजसके लए
लागत नधा रत क जाती है तथा िजसका उपयोग लागत नयं ण हे तु कया जाता है।
2. साम ी उप योग वचरण :– साम ी उप योग वचरण से ता पय साम ी मा ा वचरण के
उस भाग से हे जो माप मा ा एवं संशो धत माप पा ा म अ तर के कारण उ प न होता
है।
3. संशो धत माप मा ा :– संशो धत माप मा ा से ता पय माप मा ा के अनुपात म
वा त वक नवेश को ात करने से है।
4. साम ी म ण वचरण :– इससे ता पय साम ी मा ा वचरण से उस भाग से है जो
संशो धत माप म ण एवं वा त वक म ण म अ तर के कारण उ प न होता है।
5. साम ी उ पि त वचरण :– साम ी उ पादकता वचरण साम ी मा ा वचरण का वह भाग
है जो उ ले खत मा पत उ पादन एवं वा त वक उ पादन के अ तर का कारण होता है।

(279)
6. म कायद ता वचरण :– यह वचरण म लागत वचरण का वह ह सा है जो उ ले खत
माप म घ ट तथा यतीत कए गए वा त वक म घ ट म अ तर के कारण होता है।
7. नि य समय वचरण :– यह म लागत वचरण का वह भाग है जो नि या समय के
लए भु गतान क गई मजदूर के कारण उ प न होता है।
8. नि य समय :– जब मक असामा य कारण से काय न कर सके पर तु उसम मक
का कोई दोष न होने पर उसे भु गतान कया जाये। जैसे – मशीन का अचानक खराब हो
जाना, पावरफेल होना, साधन क अनुपि थत आ द।
9. वचरण :– माप और वा त वक प रणाम के बीच का अ तर वचरण है।
10. वचरण व लेषण :– माप और वा त वक प रणाम के बीच अ तर के कारण का पर ण
ह वचरण व लेषण है।

10.7 वपरख न
1. वचरण या है?
2. वचरण व लेषण के कोई दो ब धक य उपयोग बताइए।
3. नयं णीय और अ नयं णीय वचरण म या अ तर है?
4. नि य समय या है?
5. वचरण व लेषण से आप या समझते ह?
6. अनुकूल वचरण कसे कहते ह?
7. साम ी लागत वचरण ात करने का सू द िजये।
8. नि य समय वचरण हमेशा तकू ल (A) य होता है ?
9. म दर वचरण तथा म काय कु शलता वचरण क गणना म वा त वक काय घ टे (AH)
म या अ तर होता है ?
10. कसी उपकाय के लए 200 घ टे दर 5 . त घ टे नधा रत कये गये। वा तव म उस
काय पर 195 घ टे लगे िजसक य म लागत 955.50 . यय क गई। मशीन
खराब होने के कारण दो घ टे नमाण काय ब द रहा। य म कायकु शलता वचरण
ात क िजए।

10.8 यावहा रक न
.1 एक रसायन म ण क माप लागत न न कार ह: –
4 Tons of Material x at Rs. Per ton
6 Tons of Material Y at Rs. 30 per ton
माप उ पादन नवेश का 90 तशत है।
Standard Yield is 90% of Input.
एक अव ध क वा त वक लागत न न कार है :
Actual Cost for the Period is as under:–

(280)
4.5 Tons of material X at Rs. 34 per ton.
5.5 Tons of Meterial Y at Rs. 34 per ton.
वा त वक उ पि त 9.1 टन है। (Actual Yield is 9.1 Tones)
गणना क िजये –
(a) साम ी मू य वचरण (Material price variance)
(b) साम ी उपयोग वचरण (Material Usage variance)
(c) साम ी म ण वचरण (Material Mix Variance)
(d) साम ी उ पि त वचरण (Material Yield Variance)
.2 एक रसायन म ण क माप लागत न न कार ह :–
Material A = 8 tones at Rs. 40 per ton.
Material B = 12 tones at Rs. 60 per ton.
Standard Yield is 90% of input
Actual Cost for the Period is as under:
Material A = 10 tons at Rs. 30 per ton
Material B = 20 tons at Rs. 68 per ton
Actual Yield = 26.5 tones.
गणना क िजये –
(i) साम ी लागत वचरण (Material Cost Variance)
(ii) साम ी उपयोग वचरण (Material Usage variance)
(iii) साम ी मू य वचरण (Material Price variance)
(iv) साम ी म ण वचरण (Material Mix variance)
(v) साम ी उ पि त वचरण (Material Yield Variance)
Ans. (i)Rs. 129 (A) ; (ii) Rs. 69 (A); (iv) Rs. 40 (A); (V) Rs. 29
(A)
.3 एक पीतल फाउ ी म माप म ण 60 तशत तांबा तथा 40 तशत ज ता है।
उ पादन म माप य 30 तशत है। माप म ण एवं उ पादन इस कार था :–
Copper = 60 kgs. @ Rs. 5 per kg.
Zinc = 40 kgs. @ Rs. 10 per kg.
Standard Yield = 70 kgs.
वा त वक म ण एवं उ पादन इस कार था –
Copper = 80 kgs. @Rs. 4.50 per kg.
Zinc = 70 kgs. @Rs. 8.00 per kg.
Actual Yield 115 kgs.
गणना क िजये –
(281)
(i) साम ी लागत वचरण (Material Cost Variance)
(ii) साम ी मू य वचरण (Material Price Variance)
(iii) साम ी योग वचरण (Material Usage Variance)
(iv) साम ी उप– योग वचरण (Material Sub–usage variance)
(v) साम ी म ण वचरण (Material Mix Variance)
(vi) साम ी उ पि त वचरण (Material Yield variance)
Ans. (i) MCV= Rs. 229.95 (F); (ii) MPV = Rs. 180 (F); (iii) MUV
= Rs. 49.95 (F); (iv) MSUV = Rs.99.95 (F); (v) MMV = Rs.
5 (A); (vi) MYV = Rs. 100 (F).
.4 एक कारखाने म एक उ पादन का नमाण करने हे तु 50 पैसे त घंटा क दर से
200 कमचा रय को लगाया गया है। फरवर माह म, कारखाना चार स ताह म 168
घंटे चलाना तय है। मानक काय 60 व तु एं त घंटा नि चत कया है। फरवर म
182 कमचा रय को 50 पैसे त घंटा, 10 कमचा रय को 60 पैसे त घंटा व 8
कमचा रय को 40 पैसे त घंटा भु गतान कया गया है। कारखाना शि त फेल हो
जाने के कारण 2 घंटे कायह न रहा व उसने 10,100 व तु ओं का नमाण कया। ात
क िजये – (अ) म दर वचरण, (ब) म कायकु शलता वचरण, (स) कायह न समय
वचरण, (द) म लागत वचरण।
Ans. (a) Rs. 33.60 (A); (b) Rs. 233.33 (F); (c) Rs. 200(A); (d)
Rs. 0.27 (A)
10,100 1
संकेत – SH for Actual output =   168  200  33, 666.66 hrs.
60 3
.5 न न समंक से ात क िजये :–।
(i) Labour Cost Variance, (ii) Labour Rate Variance, (iii) Labour
Efficiency Variance, (iv) Labour Mix Variance, (v) Labour Sub–
efficiency Variance
Standard Actual
Workman Hours Rate Amount Hours Rate Amount
(Rs.) (Rs.) (Rs.) (Rs.)
A 20 4 80 25 3 75
B 60 3 180 51 4 204
80 260 76 279
Ans. (i) LCV=Rs.19 (A); (ii) LRV=RS.26 (A);(iii) LEV=Rs.7 (F); (iv)
LMV=Rs.6(A); (v) LSEV=Rs. 13(F)

(282)
.6 30 स ताह म होने वाले एक उपकाय पर लगी हु ई म शि त क स ता हक मजदूर
दर तथा संयोजन का योरा इस कार है :–
Category Standard Actual
of No. of Weekly wage No. of Weekly wage
Workers rate rate
Skilled Labourers per labourer Labourers Per labourers
Semi- (Rs.) (Rs.)
siklled 75 60 70 70
Unskilled 45 40 30 50
60 30 80 20
काय वा तव म 32 स ताह म आr हु आ। व भ न म वचरण क गणना क िजये।
Ans. (i) LCV = Rs. 13,000 (A);(ii) LRV = Rs. 6,400 (A); (iii) LEV =
Rs.6,660 (A); (iv) LMV = Rs. 9,600 (F); (V) LSEV = Rs. 16,200
(A)

10.9 कुछ उपयोगी पु तक


1. लागत लेखांकन – जैन, ख डेलवाल, पार क, अजमेरा बुक क पनी, जयपुर।
2. लागत लेखांकन एवं लागत नयं ण – एमएल. ओसवाल, रमेश बुक डपो जयपुर।
3. लागत व लेषण एवं नयं ण – एसआर. अ वाल, एमके. अ वाल, गर मा
पि लकेशन,जयपुर।
4. लागत लेखांकन – अ वाल, जैन, शमा, शाह, मंगल, रमेश बुक डपो, जयपुर ।

(283)
इकाई – 11 : शू य–आधार बजटन
इकाई क परे खा :
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 उ गम का इ तहास एवं वकास
11.3 अथ एवं प रभाषा
11.4 आव यकता एवं मह व
11.5 पर परा बजटन तथा शू य–आधार बजटन म अ तर
11.6 जेडबीबी क या
11.7 जेडबीबी एवं ान क अ य शाखाय
11.8 शू य–आधार बजटन हे तु वचारणीय ब दू
11.9 शू य–आधार बजटन पर समालोचना मक ि ट
11.10 भारत एवं वदे श म जेडबीबी अनुकरणीय उदाहरण
11.11 सारांश
11.12 श दाव लयाँ/पा रभा षक श द
11.13 लघुतरा मक न
11.14 नब धा मक एवं यावहा रक न
11.15 उपयोगी पु तक 7 संदभ थ

11.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के उ े य न न ल खत है :
1. व या थय को लागत एवं यय नयं ण क तकनीक के प म शू य–आधार
बजटन (जेडबीबी) क सामा य जानकार दान करना,
2. यावसा यक लागत नयोजन एवं यय नयोजन तथा लागत नयं ण म शू य–
आधार बजटन तकनीक क यावहा रक उपयो गता का ान दान करना, तथा
3. भारत म शू य आधार बजटन के लाग करने स बि धत पहलु ओं क जानकार से
अवगत कराना।

11.1 तावना
यवसाय का उ े य यूनतम लागत पर मा पत व तु का व य कर उ चत लाभ
कमाना होता है। इस उ े य क पू त के लये यवसाय ाय: बजट– नयं ण तकनीक
का उपयोग करते ह। पर परावाद लेखांकन म या मक बजट बनाना एक साधारण
सी बात है। बजट नयं ण क इस नवीन तकनीक को शू य–आधार बजटन अथात िजरो
बेस बजटन या सं ेप म जेडबीबी कहा जाता है। बजट य पयावरण तथा संसाधन
वतरण क बात चाहे भारत म हो या अमे रका म या व व के अ य कसी रा म
(284)
हो, सभी म एक जैसी ह ह। यह एक ऐसी तकनीक है िजसे उ पादन या नमाण, य–
व य करने वाल यावसा यक सं थाय और सरकार वभाग भी अपना सकते ह। बजट
या के दौरान संसाधन के वतरण क यह तकनीक पर परागत बजटन क भां त
न तो पछले समंक , धनरा श मद आ द' को आधार बनाती है और न ह पर पराधार
को अपनाती है, वरन ् यह तकनीक तो येक बजट को सतह से, नये सरे से तैयार
करती है अथात शू य को आधार मानकर चलती है। इसी लये इसे शू य–आधार बजटन
कहते ह। सामा य श द म गत वष के वा त वक यय को आधार माने बना ह चालू
वष के लए नये सरे से आव यकता का पता लगाकर बजट बनाने क यु ती तु त
करती है।

11.2 उ गम का इ तहास एवं वकास


जेडबीबी का वचार सव थम 1924 म एक अं ेज बजट अ धकार ई. ह टन यंग ने
दया। उनका सोच था क यावसा यक संगठन और सरकार वारा यु त पर परावाद
बजटन– या म पूव वृ त बजट म धन रा श बढ़ा कर बजट बनाने क बात पर पुन :
यायो चत सोच क आव यकता है। पर परावाद बजट या म अ च लत यय–मद
पर भी वष–दर–वष संसाधन वत रत होते चले जाते ह िजसे समा त करने क
आव यकता है। वा तव म चल आ रह बजट णाल म यय क मद पर गत वष म
कये गये धन आवंटन से थोड़ी रा श बढ़ाकर बजट बना दया जाता है। उनक इस
सोच ने बजट–जगत म बजट बनाने क या म सुधार क सोच वक सत क । फर
1952 म वन ले वस ने बजटन क एक नयी शैल पर जोर दया िजसक चै र ता
कर ब–कर ब जेड़बीबी के वचार जैसी ह थी। फर उसके बाद 1962 म अमे रका के
कृ ष– वभाग ने औपचा रक प से फेडरल गवनमे ट म बजटन क एक पूनमू यांकन
उं मु ख '' ाउ ड– अप'' तकनीक को लागू कया जो जेड़बीबी का ह प था। पर तु
इसका ेय पीटर ए. पैहर को जाता है िज ह ने इस जेडबीबी के वचार को स पूण प
से वक सत कर पहल बार 1970 म व व के सामने तु त कया। उनका एक लेख
जब 'हाडवड बजनेस र यू’ नामक प का, जो अमे रका से का शत होती है, म छपा
िजस का शीषक है, जीरो–बेस बजटन' तो उसने यावसा यक जगत म बंधक का
यान आक षत कया। पीटर अमे का क एक क पनी टे ास इं टु मे ट कॉरपोरे शन म
टाफ नयं ण बंधक के प म कायरत थे। उ ह ने इस तकनीक को पहल बार
अपनी क पनी म एक सफल पर ण के प म लाग कया। अमे रका के एक ा त
जोिजया के ता काल न रा यपाल िज मी काटर ने अपने ांत म आ थक मामल क
या व त के लये पीटर को आमं त कया। जहां पीटर ने इस तकनीक से सरकार
बजट बनाकर यय के नयं ण म जेडबीबी का सफल योग कया। िज मी काटर बाद
म अमे रका के रा प त बने तो इस तकनीक को उ च तर पर अपनाया गया। इस
कार जेडबीबी के वचार को एक बजट तकनीक के प म वक सत कर सबसे पहले
अमे रका म अपनाया गया और बाद म अ य रा म यह वचार च लत हु आ।
(285)
11.3 अथ एवं प रभाषा
सामा य प से, बजट बनाने म धन–संसाधन का वतरण एक मह वपूण बात होती है,
पर तु शू य–आधार बजटन अपने आप म इससे अ धक ह बात है। जेडबीबी बजट
नमाण करने क एक ऐसी वधा है िजसम येक बजट–मद म यय को यायो चत
ठहराया जाता है और ऐसा येक वष के बजट के लए कया जाता है, और इस बात
पर यान नह ं दया जाता क मद– वशेष पर गत–वष के बजट म यय कया गया था
या नह ं और य द कया गया तो कतना, इस पर भी यान नह ं दया जाता। बजट
को यय रा श वतरण का एक साधन मानकर चला जाता है न क सा य। येक मद
पर यय रा श नि चत करने से पूव उसका औ च य दे खा जाता है, िजसके लये
लागत–लाभ व लेषण कया जाता है। जेडबीबी अपने आप म एक संचालन, नयोजन
और बजटन या है िजसम येक बंधक को बजट–आव यकता को यायो चत
ठहराना होता है और वो भी शु से, थान थल (स े च) से। उसे यह भी स और
यायो चत करना पड़ता है क उसे अमुक रा श य यय करने द जाय, इसका आशय
यह भी नह ं है क कसी मद म यय को कम कया जाय, इसे बढ़ाया भी जा सकता
है य द ऐसा करने से सं थान के उ े य को ा त करने म कु शलतापूवक योगदान हो।
इसी समझ एवं अथ को यान म रखते हु ए शू य–आधार बजटन क कु छ प रभाषाय
वक सत क गई ह जो इस कार से हे :
डरक ांच अपने लेखांकन श दाव लय के श दकोष म लखते ह क ''जेडबीबी बजट
के तैयार करने क एक ऐसी व ध है िजसम येक बजट कालांश के लये येक
बजटे ड खच को वािजब याने यायो चत ठहराना ह होता है चाहे ऐसा ह खचा गत
समय म रहा हो या नह ं।'' नसंदेह, यह तकनीक बजट–मद पर पूण वचार करके ह
उसके लये यय– रा श का नधारण करती है। जू न 1974 म नेशनल गवनस कॉ स
म अपने उ बोधन भाषण म ''शू य से एक बजट का नयोजन'' पर बोलते हु ए िज मी
काटर कहते ह क ''यह (शू य आधार बजटन) कसी क पनी या ऐजसी म येक
काय क ेणी दे ते हु ए सम संचालन क लागत को कम करने का एक साधन है
(सा य नह )ं और िजससे यूनतम ाथ मकता वाले काय को हटाया जा सके।'' पीटर.
ऐ पैहर ने इसे (जेडबीबी को) “एक संचालन, नयोजन, और बजटन या के प म
प रभा षत कया है, िजसम येक बंध को उसके स पूण बजट आव यकताओं को
सतह/खरोच ( केच) से यायो चत ठहराना होता है और उसक िज मेदार होती है क
वह स करे /जि टफाइ करे क उसे ऐसी रा श य खच करनी चा हये।''

11.4 आव यकता एवं मह व


उपयु त ववेचन से यह प ट होता है क शू य–आधार बजटन एक तक संगत एवं
अनाव यक यय पर नयं ण करते हु ये अ य त आव यक मद पर यय करने के

(286)
लये दु ह एवं सी मत संसाधन (धनरा शय ) का आबंटन कर बजट तैयार करने क
एक तकनीक है। पर परावाद बजटन णाल म गत वष के बजट के आधार पर बड़ी
रा श से बजट बनाने को आर.एफ फै न एक तरफ ज टल या का सरल करण
बताते है तो दूसर तरफ टे न जॉनसन ऐसे आधार पर बजट बनाना प ट प से
अ ववेकपूण बात मानते है और इसे पर परावाद बजटन णाल क एक बड़ी नाजु क
कमी बताते है। पुरानी प त म कोई ऐसा यास नह ं कया जाता है क जो यय मद
या कायकलाप चले आ रहे ह उनपर पुन वचार कर उनको पुनमू यां कत कया जाये न
क केवल इसके क आगामी वष के लये तु त ताव क कोर छं टनी करके बजट
बना दये जाये। जब क शू य–आधार बजटन तकनीक म व यमान और चालू याओं
क छं टनी पर जोर दे ने के साथ–ह –साथ ता वत याओं को और उन पर यय कये
जाने वाले येक पये को वािजब/उ चत और तकसंगत ठहराया जाता है। वा तव म,
पूव नधा रत उ े य को ा त करने क ि ट से कु शल एवं भावी तर के वारा
सी मत धन–संसाधन के वैकि पक उपयोग हे तु नवीन आयाम क खोज करने क एक
या का नाम ह जेडबीबी तकनीक है। जेडबीबी क आव यकता और मह व इसी
बात से प ट होता है क यह तकनीक लागत–लाभ व लेषण पर आधा रत है और एक
साथ चार याओं यथा मू यांकन. बजटन. नयं ण और नयोजन को स प न करती
ह। लोगन एम चीक का मानना है क ' 'शू य आधार बजटन तकनीक येक बात का
केच अथात शू य से पुन यायो चत आधार तु त करती है और िजससे पर परागत
बजटन णाल से मु ि त मल जाती है। इस तकनीक म मह वह न, असंगत,
अनाव यकता और अ च लत जैसी याओं के लये कोई थान नह ं होता और केवल
यायो चत एवं चय नत याओं पर ह ाथ मकता के आधार पर दुलभ एवं सी मत
धन–संसाधन का वतरण होता है।

11.5 पर परागत बजटन तथा शू य–आधार बजटन म अ तर


यवसाय, सं थान और सरकार वभाग म बजट ाय: पर परागत णाल से ह तैयार
कये जाते ह जब क जेडबीबी एक ता कक तकनीक होते हु ये भी इसे यावहा रक प से
अभी तक नह ं अपनाया जा सका। इस बात को समझने म दे र नह ं लगेगी य द हम
इन दोन के अ तर को समझ ल। इन दोन व धय म अ तर इस कार से बताया
जा सकता है:
1. पर परागत बजटन म गत वष क मद पर कये गये यय को आधार मानकर नये
ताव तु त कये जाते ह अथात यय के गत वष के तर के आधार पर चालू वष
के लए नया बजट बना दया जाता है, जब क शु य आधार बजटन म याओं एवं
धनरा शय यायो चत ठहराते हु ए उनके मह व एवं ाथ मकता के अनुसार दुलभ एवं
सी मत धन–संसाधन का बटन करते हु ये बजट बनाये जाते ह।
2. पर परागत बजटन क व ध एवं या सरल है जो क लेखांकन उं मु ख होती है तथा
याओं के वगत वष के तर पर जोर दया जाता है जब क शू य आधा रत क

(287)
या ज टल और तकउं मु ख होती है। इसम कतना धन के साथ–साथ य यय
कया जाये इसका प ट करण एवं औ च यता भी बो धत करानी पड़ती है।
3. पर परागत बजटन म कसी वभाग वशेष, इकाई वशेष, लागत–के वशेष पर यय
के लये धन रा श आबंटन करने का अ धकार केवल उ च बंध के हाथ म न हत
होता है, शू य–आधार बजटन म ऐसा नणय लेने का अ धकार नणय–इकाइय के
अ य या बंधक के पास चला जाता है।
4. पर परागत बजटन म बजट गत वष के बजट के आधार पर चालू (भा व) के लये
तैयार हो जाते ह जब क जेडबीबी म नणय इकाइय के बंधक वारा नणय पैकेज
तैयार जाते ह और फर उन पैकेज को ेणीबंधन र कं क कर व त पोषण कया जाता
है और फर बजट तैयार होते ह।
5. पर परागत बजटन पूवानुमान और बा यगणन क या पर आधा रत है जब क
शू य– आधार बजटन लागत–लाभ व लेषण करके नणय पैकेज को चय नत करने क
एक ता कक और संगत व ध है।
6. पर परागत बजटन म वभागा य या इकाई मु ख या म य बंध और उभ बंध क
ह सहभा गता रहती है जब क शू य आधार बजटन म सम –संगठन त पर, संल न एवं
सहभागी होता है।

11.6 जेडबीबी क या
दुलभ एवं सी मत धन–संसाधन का बजट शीषक म वतरण उनक ाथ मकताओं के
आधार पर यायो चत तथा तकसंगत हो इसके लये शू य आधार बजटन म एक
अ भल त या अपनायी जाती है। ऐसी बजट या म न न ल खत तीन
मह वपूण कदम या आयाम को। आ मसात कया जाता है:
(अ) नणय–इकाइय क थापना,
(ब) नणय–पैकेज को तैयार करना, और
(स) पैकेज को ेणीबंधन अथात ् रक दान कर व तपोषण करना।
कसी सं थान, यवसाय, सरकार, सरकार वभाग आ द म शू य आधार बजटन
णाल को अपनाने के लये उपयु त तीन मह वपूण आयाम /कदम के अ त र त कु छ
काय इन के पहले और बाद म भी होते ह। शू य–आधार बजटन क पूर या को
म टर पीटर ने पूण प से व णत कया और धीरे –धीरे इस वचार को अनेक लेखक ,
बंधक एवं बजट अ धका रय ने आगे बढ़ाया िजन म लोगन.एम. चीक, ए. ेमचँ द,
पी.एल. जोशी, रे गना हज लगर, अरोन एवं हे म ड, वि यमस जोन जे., टे न
जॉनसन. सामामू त वी. एस.के. द ता एंथोनी एवं र श जीएम. टे लर, मन मयर जी.
एस. आ द मु ख है।
शू य–आधार बजटन क कया तवष नये सरे से ार भ होती ह। इसके लए
सव थम क पनी यवसाय को अपने उ े य के अनु प बजट बनाने के उ े य को

(288)
करने होते ह। प ट है क यवसाय के उ े य एवं बजट के उ े य क पहचान और
कर लेने से बजट का प रचालन दशा मत नह ं होता है और आगे के कदम सह
दशा म और वो भी समय पर उठाये जा सकते ह। फर इस म थम कदम के प म
' नणय–इकाइय क थापना’ करनी होती है। यवसाय को यह नधा रत करना होता है
क कौन सा वभाग या यू नट या लागत के अपने बजट के स ब ध म वतं होगा
और अि तम नणय लेगा क बजट म कौनसी यय–मद सि म लत क जाय और उस
मद पर कतनी धनरा श नधा रत क जाये। इस कार एक स ता/के या यवसा यक
संगठन को व भ न नणय इकाइय के प म बांट दया जाता है और उन इकाई–
अ य या इकाई मु ख को अपने बजट क येक मद एवं उसम आवं टत रा श–
ताव के औ च य को ता कक प से स करना पड़ता है। येक नणय इकाई म
कसी नणय पर पहु ँ चने के लये, जैसा क पीटर कहते ह, लागत–लाभ व लेषण कर
के अं तम नणय लया जाता है। नणय इकाई वृहत प से कोई वभाग, अनइट या
लागत के हो सकता है एवं सू म प से कोई प रयोजना, काय म, े , ाहक–समू ह,
या बाजार वशेष हो सकते ह।
शू य–आधार बजटन म दूसरा कदम होता है– ' नणय–पैकेज' तैयार करना। नणय–पैकेज
अथात ् ड सजन पैकेजेज म वभ न याओं क पहचान क जाती है. कसी एक
नधा रत या के स ब ध म भी कई वैकि पक नणय–पैकेजेज हो सकते ह, जो
येक यास के वभ न तर से व णत कये जा सकते ह। उनक कृ त से ह
शू य आधार बजट के नणय पैकेजेज दा या याय उ नमु खी होते ह, न क आदा
या नवेश उ नमु खी। उदाहरण के लये कसी उ पाद का ीगणेश करना, सेवा म सुधार
करना, आगम म वृ करना, व नयोग पर यय, बाजार–अंश/ ह सा, या उ पादकता
आ द शू य आधार बजटन म नणय पैकेज हो सकते ह और ये सभी आउटपुट –
ऑ रए टे ड है, न क इन–पुट ऑ रए टे ड। सि म लत करने से पूव येक नणय पैकेज
का बड़ी सावधानी और व धवत व लेषण के आधार पर मू यांकन कया जाता है
िजसके लये लागत–लाभ व लेषण तकनीक उपयोगी हो सकती ह। येक मद के लये
यह दशन अपनाया जाता है क ''इस खच से मु झे ( यवसाय) या मल रहा है?''
अथात ् '' हाट एम आई गे टंग फॉर दस ए सपेि डचर ?'' ऐसा लाभ कोई ज र नह ं है
क मु ा म ह मले, यह य और अ य लाभ भी हो सकता है जैसे ''और अ धक
अ छे मानवीय स ब ध'', तो यय साथक माना जाव। साथ–ह –साथ नणय पैकेज म
याओं क पहचान, और येक नणय पैकेज का व धवत व लेषण कर के मू यांकन
करने के बाद तीसरा कदम इन नणय पैकेज को उनक मह वता के म म ेणीब
कया जाता है। पू ज
ं ी बजटन और प रयोजना बंध के ल य को यान म रख कर
ऐसा कया जा सकता ह। ह , यह बात ववाद त नह ं होगी क कभी लागत–लाभ तो
कभी लागत– भावशीलता के आधार पर मू यां कत नणय पैकेज को ेणीब अथात ्
ाथ मकता क ेणी/रक द जावे।
(289)
शू य आधार बजटन म बेहतर संसाधन आबंटन के उ े य को ा त करने क ि ट से
ऐसी े णी दान करने का काय अपने आप म एक टे ढ़ खीर है। गहन वचार– वमश
एवं तक के आधार पर औ च यता स करके जब एक बार ाथ मकता ेणी पर
सहम त हो जाती है तो पैकेज को वीकृ त दान कर द जाती है और उनको वीकाय
यो य सहनीय तर तक कोष का आबंटन कर दया जाता है।
व भ न नणय इकाइय के मु ख या अ य वारा नणय पैकेज को ेणीब कर
दे ने अथात ाथ मकता के आधार पर उनको म थान दान कर दे ने के प चात ्
धनरा श का सम प से आवंटन कया जाता है िजसम उ च– बंध क भू मका अहम
हो जाती है। और इसके बाद ह बजट को लेख या ल खत प म तैयार कर लये
जाते ह। धनरा श अथात ् कोष का बेहतर आवंटन करने क ि ट से एक व छे द ब दु
कट ऑफ याइंट नधा रत कर लया जाता है और वे सभी नणय पैकेज जो इस
व छे द ब दु के ऊपर आते ह उ ह वीकार कर कोष आवंटन कर दया जाता है एवं
अ य को या तो वचाराधीन रख लया जाता है या फर र अथात ् अ वीकृ त कर
दया जाता है। इस कार शू य–आधार बजटन म न मत बजट के संचालन का
अ धकार एवं न पादन का उ तर दा य व नणय–इकाइय के मु ख का हो जाता है।
उपयु त ववेचन से यह प ट होता है क नाम से तो यह तकनीक शू य–आधार है पर
इसक या को –दे खे तो इस तकनीक क यावहा रकता बहु त ज टल लगती है।
नःसंदेह शू य–आधार बजटन क व ध या या ज टल है। पर ज टल है तो या
हु आ, इससे यथ क याओं एवं अप यय पर नयं ण होते हु ए बजट कु शल एवं
भावी तो बन जाते ह।

11.7 जेडबीबी एवं ान क अ य शाखाय


शू य आधार बजट और ान क अ य शाखाओं के बीच स ब ध म सबसे घ न ठता
का स ब ध बंध लेखांकन एवं लागत लेखांकन के साथ है। बंधक य लेखांकन म
इनको एक तकनीक मानकर व लेषणाथ यु त कया जाता है और लागत लेख म
नमाणी बजट बनाने के लये पार प रक बजट के थानाप न के प म जेडबीबी को
यु त कया जाता है। व तीय बंध म लये जाने वाले नणय म व नयोग नणय
बहु त मह वपूण होता है िजसका यावहा रक प जेडयीबी के आधार पर ह पू ज
ं ी बजट
न मत कया जाना है। बंध के सामा य स ा त के आधार पर ह जेडबीबी म
नणय इकाइय , नणय पैकेज और उनको र कं ग तथा पैकेज को व त पोषण का काय
न पा दत कया जाता है। इस तकनीक का स ब ध व तीय लेखांकन से भी है य क
कये गये यय का लेखांकन व तीय लेखांकन क दोहरा लेखा णाल के आधार पर
ह कया जाता है। यवसाय, यापार, उ योग, वा ण य एवं सरकार तथा सरकार
वभाग म बजट इस तकनीक से बनाये जाते ह, अत: इसका स ब ध राजनी त शा
एवं अथ शा से भी था पत होता है। नयोजन, नयं ण तथा न पादन से
स बि धत ान क सभी शाखाओं का स ब ध जेडबीबी से जु ड़ जाता है। नःसंदेह!

(290)
स ब ध का आधार पर पर एक दूसरे शा के ान के उपयोग पर नभर करता है
और जेडबीबी का ान– सा ह य भई कालांतर म एक शा के प म था पत हो
चु का है।

11.8 शू य–आधार बजटन हे तु वचारणीय ब दु


कु छ वचारणीय ब दु िजन पर सफलता नभर करती है। शू य आधार बजटन को
था पत करने, संचा लत करने और न पा दत करने क ि ट से कु छ ऐसी बात,
मा यताय, नयम, वशेष ब दु, स ांत, अवधारणाये या मनन कु छ भी कहो, है िज ह
यान म रखना चा हये। ये यान दे ने यो य बात ह शू य आधार बजटन क सफलता
क कं ु िजयाँ होती है। िज मी काटर के अनुसार शू य आधार बजटन को सफलतापूवक
लाग करने के लये तीन आधारभू त आव यकताय होती ह यथा (1) उ च बंध के
वारा बेशत समथन कया जाना, (2) जेडबीबी णाल क भावी–संचरना, तथा (3)
वक सत णाल का भावी बंध करना। अ छ शु वात अपने आप म पूणता का
प रल ण होता ह। यू ं तो जेडबीबी म शर क सभी सद य क अपनी– अपनी–अपनी
अहम ् होती है वरन ् काम कैसे चले फर भी उ च बंध का यह थम, नै तक एवं
औपचा रक कत य बनता है क वे इस बात को जानने के लए सदै व तैयार और सतक
रहे क बजट या म कहां और या चल रहा है। मु य न पादन या कायकार
अ धकार का वे छा से घ ट –घ ट काय करते रहने क इ छा–शि त एवं आदत हो,
और उसस ऐसा ह सला एवं ह मत भी हो क आव यकता पड़ने पर कठोरतम नणय
ले सक। उ च बंध, नणय–इकाइय के अ य पर उ तरदा य व डालकर अपनी
वचनब ता से मु त न समझ। टाफ एवं नणय–इकाइय के धान या अ य को
शि तयाँ स प दे ने से नतीज क िज मेदार एवं उ तरदा य व से उ च बंध भी बच
नह ं सकते। इस तकनीक क सफलता पूणतया उ च बंध वारा म य ब ध एवं तल
बंध के साथ–साथ चलते हु ए समथन करने पर नभर करती है और ऐसा समथन
कसी पूवा ह , शत, अ य–अपे ा आ द पर ट का हु आ नह ं होना चा हये।
इतना ह नह ,ं दूसर बात यह भी है क सं थान के अ दर शू य– बजटन णाल को
बहु त सोच–समझ कर डजाइ नंग करना चा हये। इस कार क संरचना म नवीन एवं
आ व का रक वचार को तु त करना, उनका तु लना मक व लेषण करना, मू यांकन
करना और फर आ मसात करना भी आव यक होता है। बजट या म लगे हु ये
मह वपूण एवं बौ क जन के दमाग म जो बात आ जाये वो ज र नह ं क एक
आइ डया हो और वो भी जो ' ये टव आइ डया' हो। बंध मताओं का उ च को ट का
होना नतांत आव यक है। ऐसी मताय मानव म अनेक गुणव ताओं, कई उ च को ट
क यो यताओं और ल बे अनुभव के प चात ् वक सत हो पाती ह। फर उसके बाद
पूण न ठा, अथक प र म और ईमानदार के साथ ह उनको काय थल पर यु त
कया जा सकता है। जेडबीबी का ऐसा डजाइ ड स टम नःसंदेह भावी रहता है। पर
यह तवष दोहराने वाल एक या ह। वैकि पक प से कोई सं था अपने े ठतर
(291)
यि तय का एक चय नत काय–दल' न मत करके भी जेडबीबी के लये एक अ छ
णाल को डजाइन कर सकती है।
तीसरा मु य वषय, ययका रता का होता है िजसम या म संल न सभी बंधक
वारा ऐसा यास कया जाता ह क िजससे शू य–आधार बजटन जैसी नयी तकनीक
को अपनाने के लये संगठन म सभी तैयार हो जाये और 'प रवतन का वरोध के
थान पर इसे सहष वीकार कर। ययका रता एक ऐसा ढ़ यास होता है क
आचरण वारा बंधक–गण सभी म इस तकनीक के त ऐसा व वास जागृत कर दे
क वे सभी इसे अपनाने के लये तैयार हो जाये, चाहे पहल –पहल बार तो उ ह
अनुनय – वनय ह य न करना पड़े। वा तव म, यह जेडबीबी पूणतया: एक नयी
तकनीक है िजसम स पूण संगठन के लये नये ि टकोण, नयी सोच, नवीन मनोदशा
और ढ़ बंधक य शैल क आव यकता होती है। और ऐसी मान सकता तथा शैल से
ह कोई संगठन अपने यहां जेडबीबी को लागू कर सकता है, यवहार म अपना सकता
है और न पादन म आ चयजनक घना मक भाव दे ख सकता है।

11.9 शू य–आधार बजटन पर समालोचना मक ि ट


शू य आधार बजटन एक ऐसी नयी तकनीक है िजसका व व म वागत एवं
आलोचना/ वरोध, दोन हु आ। वा तव म वीकायता के पीछे इस तकनीक के लाभ एवं
आलोचना या वरोध के पीछे इस क हा नयां ह गनायी गयी पर तु इसके मह व को
सभी ने वीकारा। पर तु समालोचना मक व लेषण से ह कु छ कहा जाये तो बात
प ट नजर आती है। ऐसे तो गुण –दोष, लाभ–हा न, सु भाव–कु भाव, वीकायता– वरोध,
और शंसा–आलोचना ठ क वैसी ह बात है जैसे स के के दो पहलू यथा 'हे ए ड टे ल'
होते ह। शू य आधार बजट तकनीक क अ छ बात ये ह क इस तकनीक म (1)
बजट आधा रत बजट नह ं बनाया जाता वरन ् नये सरे से आव यकताओं का पता
लगाया जाता ह, ता वत मद एवं धनरा श पर ववेकपूण वचार कया जाता है,
उसका लागत–लाभ व लेषण कर मू यांकन कया जाता है, और फर उसके बाद मह व
के आधार पर ेणी दान कर थान दया जाता है और अ त म ाथ मकता के
आधार पर संसाधन (धनरा श आ द) का आवंटन कया जाता है। इन सभी से दुलभ
एवं सी मत कोष का आवंटन यायो चत एवं ववेक होता है। (2) जब आवंटन और
यय–मद का चयन पूवत: ह सोच– वचार कर होता है तो शू य–आधार बजट लागत–
नयं ण य न कर। नःसंदेह, इससे अनाव यक यय पर बंधक य रोक लगती है
और िजससे लागत– नयं ण एवं लागत–घटाव हो ह जाता है। (3)यह तकनीक संगठन
म बजट बनाकर उ े य को ा त करने म सहायक स होती है। कोई यय इस लये
नह ं कया जा सकता है क वह गत वष तक कया जा रहा था। यह तकनीक बजट
म यय को उ े य–उ मु ख बना दे ती है। (4) शू य–आधार बजट एक अ छ सोची–
समझी या से गुजर कर बनता है, इस लये भावी होना ाय: नि चत ह रहता है।

(292)
नणय इकाई के मु ख , अ य को अपनी ाथना को यायो चत ठहराना पड़ता है,
इकाई अ य को यय करने के पीछे वा त वक तक दे ने होते है। उ ह यायो चत
ठहराना पड़ता है। नणय पैकेज यथ यय–मद को हटा दे ता है और आव यक मद म
ववेकपूण यय करता है। (5) वष पय त बजट यय क युि त पर कठोर ख
अपनाया जाता ह, िजससे अ नय मतता, अनाव यक यय, चू क या अ य कोई बात हो
जाने पर पता चल जाता है और बंध तुरंत उ चत कायवाह कर सकता है। (6) शू य–
आधार बजटन म उ च, म य एवं तल तीन तर के बंधक का न केवल
उ तरदा य व नधारण ह होता वरन ् उनके उ तरदा य व के न पादन का लेखा–जोखा
भी होता है, वे या कर इससे पहले वे प ट करते ह क य करे , और फर कैसा
हु आ इसके लये वे वयं उ तरदायी रहते ह। अत: यह तकनीक एrक सधी एवं कशी
तकनीक है
शू य–आधार बजट तकनीक क आलोचनाय मु य प से इस के लये अपनायी जाने
वाल या को लेकर ह ह। नणय इकाइय क थापना अपने आप म इस तकनीक
र ढ़ क ह डी है। उ च बंध अपने अ धकार का ह तांतरण अ धन थ को करता है
तो उनम सहयोग और अ छे स ब ध के थान पर पर पर ई या, असहयोग, एवं
कटु ता पनपने के आसार यादा दखाई दे ते ह। नणय–पैकेज के लये यय–मद का
नधारण एवं ाथनीय धन–रा श क मा ा तय करना तल– बंध एवं म य बंध म बैठे
लोग क शां त–भंग करने का एक खेल बन जाता है। ऐसे तो नणय पैकेज पर बजट
क सफलता नभर है पर उससे पहले ह ऐसे पैकेज बनाना टे क खीर लगती है। यय
क यायो चतता के लये वयं म टर पैहर ने लागत–लाभ व लेषण क बात कह ं पर
वो भी तो यवहार म क ठन है। नणय पैकेज य द जैसे–तैसे बना भी लये जाएं तो
उनको रक दान करता पुन : खीच–तान क बात है और फर उस पर संसाधन का
आवंटन तो मान दे वता और दानव म अमृत – वष वतरण जैसा काय है। य क
अवसर क उपल धता संसाधन वतरण क ाथ मकताओं से बंधी हु ई नह ं है, उनम
सम मकता नह ं पायी जाती है तो भला 'कट–ऑफ वाइंट' या कर।
गुण –दोष अपनी जगह ह एवं जेडबीबी को अपनाना इ छा शि त क बात है। वषय तो
मनोदशा और बंधक य शैल का है। इस क या के दोष वा तव म मानव– वभाव
ज य ह। प रवतन का वरोध भी शु –शु म होता है, अपनाकर तो दे ख क इस
तकनीक का भाव या पड़ता है। य द उ च बंध क ढ़ इ छा शि त, बेशत सहयोग
एवं अनुकरणीय शैल हो तो इस तकनीक क सफलता नःसंदेह स भव है।

11.10 भारत एवं वदे श म जेडबीबी : अनु करणीय उदाहरण


जैसा क यह एक वदे शी तकनीक है य क भारत म यह वचार अमे रका से आया।
इसक शु वाती सव थम यूनाइटे ड टे ट ऑफ अमे रका के एक सं थान, िजसका नाम
टे ाज इं मे ट है, म हु ई। वहां इस तकनीक को वै ा नक तर के से वक सत कया

(293)
गया और यवहार म सफलतापूवक लाग कया गया। पीटर एपैहर क वहां सफलता
दे ख, जैसा क, म टर िज मी काटर ने उसे सरकार बज या म नयी णाल
था पत करने के लये जोिजया म बुलाया। जब िज मी काटर बाद म 1977 म
अमे रका के रा प त बने तो औपचा रक प म इस तकनीक को लाग करने का यास
कया। व तीय वष 1976–77 म मै मा टर यू नव सट ऑफ कनाडा ने इस णाल
को सफलतापूवक लाग कया। सुवरै एवं ॉ वज लखते ह क कई ऐसी यावसा यक
संगठन एवं इकाइयां है िज ह ने कसी न कसी प म जेडबीबी को अपनाया पर तु
बना कसी सफलता ा त कये।
भारत म संसाधन क क मय को दे खते हु ये भारत सरकार के व त–मं ालय ने जु लाई
1986 के दौरान अनुदेश जार कये क कसी काय म या काय म के मद समू ह
िजसम एक करोड़ या अ धक यय हो उसके लये के य सरकार म जेडबीबी णाल
को शु कया जाये। जन–खच पर कड़ा नयं ण करने क ि ट से नयोजन तैयार
करते समय ला नंग क मशन वारा जेडबीबी को भी यान म रखा जाये। 1986 म
आईआईपीए, द ल वारा स प न एक ओ रए टे शन ो ाम वारा भी के य सरकार
के मु ख अ धका रय को जेडबीबी णाल के बारे म जानकार द गयी। सरकार ने भी
लागत– मत ययता के यास से सावज नक े के उप म के लये जेडबीबी था पत
करने। क अनुशंसा क थी। भारत के कु छ रा य जैसे राज थान और म य दे श ने
व तीय वष 1987–88 म अपने बजट तैयार करते समय जेडबीबी को लागू करने म
च का दशन अव य कया था। महारा सरकार ने भी 1987–88 वाले व तीय वष
से जेडबीबी के आधार पर अपने बजट बनाने क बात तवे दत क । ऐसे भी कई
नजी े के उप म अपने बजट को जेडबीबी के वचार को यान म रख कर तैयार
करते ह य क वे ाय: बजटे ड न पादन को वा त वक न पादन से तु लना करते
रहते है। पर तु न पादन–बजटन णाल नःसंदेह ह जेडबीबी णाल से भ न है। इसी
कार से बजट– र यू भी जेडबीबी नह ं हो सकता ह। रोबट एन. एंथोनी एवं जे स एस
रशी ने यह सह कहा है क एक समय ऐसा भी रहा जब जेडबीआर को गलती से
जेडबीबी कहा जाने लग गया पर तु जेडबीबी कभी वा षक बजट या का एक ह सा
नह ं हो सकती; यह तो अपने आप म अलग से स पूण बजट या है। नःसंदेह,
जेडबीबी णाल एक आकषक णाल लगती है, इसका भ व य भारत म और व व के
अ य रा म उ वल लगने भी लगा है। पर तु यह केवल बजट–सा ह य म एक
व ध ह बन कर नह ं रह जाये, इसके लये यह आव यक है क इस पर नरं तर शोध
एवं इसे लागू करने के स य यास क आव यकता है।

11.11 सारांश
यवसाय म यय– नयोजन तथा पू ज
ं ी– नयोजन क ि ट से बजट बनाना एक
अ नवायता होती है। पर परागत बजट णाल पुराने बजट के आधार पर आगामी

(294)
व तीय वष के लये बजट बना दे ने से कु छ यादा नह ं दखाई दे ती है। अत: जब
जेडबीबी णाल के बारे म पढ़ने–सु नने को मला तो यवसाय जगत बड़ा आक षत
हु आ। वा तव म जेडबीबी का ेय अ म रकन पीटर.ए– पैहर को जाता है िज ह ने इस
णाल पर काफ शोध कया और यवहार म भी इसे लागू कर दखाया। जेडबीबी एक
ऐसी णाल है िजसम यय– मद को बजट म सि म लत करने से पूव उसक
वा त वक ज रत और उस यय को यायो चत स करना पड़ता है। व त जैसे
आ थक संसाधन क यूनता और वैकि पक उपयोग क ि ट से जेडबीबी क मह ता
सभी वीकार करते ह। नःसंदेह कु छ ऐसे त य है िजनके आधार पर यह कहा गया क
पर परागत बजट णाल क तुलना म शू य आधार बजटन एक यादा भावकार
णाल है जैसे (1) याओं म धन रा श को यायो चत ठहराना, (2) यय–
नि चतीकरण तक एवं औ च यता उ मु खी होता है, (3) धन–रा श का आवंटन इकाई–
बंधक के हाथ म वके त हो जाता है, (4) नणय–पैकेज तैयार कर उ ह ेणीब
कये जाते ह, (5) नणय–पैकेज लागत–लाभ व लेषण तकनीक पर आधा रत होते ह,
और (6) सम –संगठन क संल नता, सहभा गता, एवं त परता आव यक होती है।
जेडबीबी क या तीन चरण म पूर होती है यथा (1) नणय– इकाइय क थापना
करना, (2) नणय पैकेज को तैयार करना, और (3) पैकेज को ेणी बंधन एवं व त
पोषण करना। इस तकनीक का ान क अ य शाखाओं जैसे लेखांकन, लागत, व त
आ द वषय से भी घ न ठता का संबध
ं है। इतना ह नह ं जेडबीबी क थापना और
सफलता के लये तीन आधारभू त बात अथात ' 'मनन' ' जैसे (1) उ च बंध वारा
बना शत समथन, (2) जेडबीबी क भावी संरचना, और (3) वक सत णाल का
भावी बंधन करना भी आव यक माने गये ह। येक णाल म गुण –दोष होते ह ह
तो जेडबीबी म य नह ं हो सकते, इसके लये व वान म सदै व संवाद बना रहे गा
और समालोचना से सु धार ह हु आ। इस अ याय म, भारत तथा व व के अ य रा
म जेडबीबी को लेकर एक जैसी ह बात है, इसका भी ववेचन कया गया िजससे इस
मह वपूण तकनीक पर शोध चलते रहे और लागू कये जाने क स भावनाओं पर
वचार करते हु ये इसको था पत कया जा सके।

11.12 श दाव लयाँ / पा रभा षक श द


तु त इकाई, शू य आधार बजट म ऐसे तो यु त श द को प रभा षत कया जा
चु का पर तु यह कु छ और श द को जो ट स के प म होते ह, उ ह प रभा षत
कया जा रहा है:
1. बजट : भावी व तीय वष म कये जाने वाले यय तथा आगम क एक अनुमा नत
तथा ल खत प रे खा है। यवसाय म यावसा यक बजट तथा सरकार म सरकार
बजट के नाम से पुकारा जाता है।
2. बजटन : बजट बनाने क या को बजटन कहा जाता है।

(295)
3. बज – नयं ण: वा त वक नतीज से नयोिजत ताव क तु लना, वचरण को ात
करना और वचरण के कारण ातकर के बंधक य कदम उठाना बज नयं ण है।
4. शू य–आधार बजटन : जेडबीबी संचालन, नयोजन और बजटन क एक। ऐसी व ध है
िजसम येक बंधक को उनक स पूण बजट आव यकताओं को सतह से एवं व तार
म यायो चत स करना होता है क उसे अमुक यय य करना चा हये। इस व ध
म सभी याओं एवं स बि धत यय मद को नणय पैकेज म वक सत करना पड़ता
है िज ह व धवत व लेषण वारा मू यां कत कया जाता है और फर उनक मह ता
के म म ेणी दानकर व त पोषण कया जाता है।
5. लागत–लाभ व लेषण: लागत–लाभ व लेषण मू यांकन क एक ऐसी तकनीक है िजसम
लगायी जाने वाल स भा वत लागत पर उनसे होने वाले स भा वत लाभ पर वचार
कया जाता है। सरकार जन– यय से पूव जन–क याण और जन– हत को दे खती है और
यवसायी यय से पूव लाभ को दे खता नणय–इकाई जेडबीबी क या का पहला
कदम
6. नणय – इकाई: जेडबीबी क या का पहला कदम नणय इकाइयां करना है जो
वभाग, के , ख ड, अनुभाग आ द हो सकते ह। यवसाय को िजन–िजन भाग म बांट
दया जाये उ ह नणय–इकाइयाँ कहते ह।
7. नणय–पैकेज : एक नणय पैकेज को एक द तावेज / प –पुलंदा के प म प रभा षत
कया जाता है िजसम या, कृ त या संचालन वशेष को एक ऐसे नि चत तर के से
पहचाना जाता है क िजस से अ य याओं के साथ तु लना और बंधक य मू यांकन
कया जा सके।
8. व त–पोषण: था पत नणय–इकाइय के मु ख वारा नणय पैकेजो के नमाण के
प चात उनक मह ता और आव यकता के म म ेणी दान कर उ च बंध वारा
धन। रा श का न चयकरण एवं आवंटन बजट को व त पोषण करना है।

11.13 लघु तरा मक न


1. शू य आधार बजटन या है?
2. शू य आधार बजटन को शू य आधार बजट य कहा जाता है?
3. शू य आधार बजटन के वचार का उ गम बताइये।
4. शू य आधार बजट को प रभा षत क िजये और इसका अथ बताइये।
5. शू य आधार बजट क आव यकता य है? समझाइये।
6. शू य आधार बजट का मह व समझाइये।
7. पर परागत बजटन तथा जेडबीबी म अ तर बताइये।
8. जेडबीबी क या के व भ न चरण कौन–कौन से ह? सं ेप म बताइये।
9. जेडबीबी का अ य वषय से स ब ध बताइये।
10. शू य आधार बजटन के मनन कौन–कौन से ह? बताइये।

(296)
11. जेडबीबी क आलोचना य क जाती है? समझाइये।
12. लागत–लाभ व लेषण को प रभा षत क िजये।

11.14 नबंधा मक एवं यावहा रक न


1. शू य आधार बजटन को प रभा षत क िजये एवं पर परागत बजट णाल से इसक
तु लना क िजये।
2. जेडबीबी का वचार, अथ, आव यकता, मह व और क मयाँ बताइये।
3. जेडबीबी णाल को था पत करने से पूव यान म रखने वाल बात अथात मनन का
ववेचन क िजये।
4. जेडबीबी णाल क या को व तार से समझाइये।
5. जेडबीबी का आलोचना मक अ ययन क िजये।
6. न न पर ट प णयाँ क िजये ( क ह ं तीन पर)
(अ) नणय–इकाइयाँ,
(ब) नणय–पैकेज, तथा
(स) नणय पैकेज को र कं ग करना
(द) नणय पैकेज को व त पोषण
7. व व के संदभ म जेडबीबी का भारत म वकास एवं भ व य पर अपने वचार द िजये।

11.15 उपयोगी पु तक / संदभ थ



1. पीटर ए. पैहर; िजरो–बेस बजटन, व लेय ए ड संस, यूयॉक
2. लोगन एम. चीक; िजरो–बेस बजटन क स ऑफ ऐज, एमाकॉम, ड वजन ऑफ
अमे रकन मैनेजमे ट एशो सएशन, यूयॉक
3. पी.एल जोशी; इन ोडाकशन टू िजरो–बेस बजटन, द प ए ड द प पि लकेशन, नई द ल
4. ए. ेमच ; गवनमे ट ए ड ए पडीचर क ो स: थयर ए ड ेि टस, आई.एम.एफ.
पि लकेशन, नई द ल ।
5. आर.एन. एंथोनी तथा जे स एस. रशी; मैनेजमे ट अकाउि टं ग, ं सपु स ए ड
ेि टस, डी.बी. तारापोरे वाले संस ए ड क पनी ( ा.) ल मटे ड, मु ंबई।
6. आर.एल. त बोल ; िजरो बेस–बज टंग इन इि डया, ए सच फॉर सू टे ब लट इन जे.पी.
म तल एवं मोद कु मार (ए डटे ड), “जीरो बेस बज टंग, राधा पि लकेश स नई द ल ।

(297)
इकाई – 12 : व तीय व लेषण क तकनीक
इकाई क परे खा।
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 व लेषण तकनीक का उ गम वकास एवं इ तहास
12.3 तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक
12.4 समानाकार ववरण व लेषण तकनीक
12.5 वृि त– व लेषण तकनीक
12.6 सारांश
12.7 श दावल / प रभा षक श द
12.8 वपरख न / अ यास
12.9 लघु तरा मक न
12.10 यावहा रक न
12.11 उपयोगी पु तक / संदभ थ

12.0 उ े य
इस इकाई को पढ़ाने का उ े य है क:
1. व या थय को व तीय व लेषण क तकनी कय क सामा य जानकार दान
करना,
2. व तीय ववरण के व लेषण म व तीय व लेषण क तकनी कय क युि त
करने का यावहा रक ान दान करना, और
3. व तीय ववरण का व लेषण कर व तीय नणय लेने म स मता दान करना।

12.1 तावना
यवसाय म बंध लेखाकार दन– त दन अनेकानेक व तीय नणय लेते ह ओर बंध
के लये भी नणय त य न मत कर तु त करते ह। इन नणय त य का मू ल
आधार व तीय ह होते ह। व तीय ववरण म मु ख प से च ा और लाभ–हा न
खाता सि म लत कया जाता है। च ा यवसाय क एक नि चत त थ को आ थक
ि थ त अवगत कराता है और लाभ–हा न खाता कसी व तीय वष वशेष के लये
व तीय प रणाम तु त करता है। ये व तीय ववरण, लेखांकन क दोहरा लेखा
णाल पर आधा रत होते ह।
लेखांकन या म च ा बाद म और लाभ–हा न खाता पहले तैयार कया जाता है
पर तु मह व क ि ट से लाभ–हा न खाता क तु लना म च ा यादा यु त होता है
य क च ा को व तीय ि थ त ववरण के प म लया जाता है। च ा के दो प ;

(298)
स पि त प और दा य व होते ह। च ा एक ववरण वप है, न क खाता। दूसरा
ववरण लाभ–हा न खाता है िजसे आय– ववरण भी कहते ह। लाभ–हा न खाता म मु ख
प से यापा रक खाता, लाभ–हा न खाता और लाभ–हा न नयोजन खाता तैयार और
तु त कये जाते ह। काशनीय ि ट से व तीय ववरण को खाते’ कहा जाता है और
वष के अ त म तैयार कये जाने से इन ववरण को 'वा षक खाते या 'अि तम खाते
भी कहा जाता ह। क पनी अ ध नयम, 1956 के अनुसार येक क पनी को अपने
अि तम खात को कसी मा यता ा त अंके क से अंके त कराना आव यक होता ह।
अत: इन व तीय ववरण को 'अंके त खाते भी कहा जाता है। इ ह वा षक– तवेदन
म छापा जाता है।
मू लतः, व तीय व लेषण म व तीय ववरण का व लेषण ह कया जाता है। ऐसे
व लेषण म यु त क जाने वाल तकनी कय को व तीय ववरण व लेषण
तकनी कयाँ कहा जाता है। व भ न यि त अपने–अपने उ े य को यान म रखते हु ये
व तीय ववरण का व लेषण करते ह और व तीय नणय लेते ह। अत: व तीय
ववरण के व लेषण से भी यादा मह वपूण बात है, व तीय ववरण व लेषण क
तकनी कय का उपयोग करना। उपयु त तकनीक क युि त के लये तकनीक वशेष
क जानकार आव यक होती है, अत: व तीय ववरण व लेषण क वभ न
तकनी कय क स पूण जानकार करना आव यक हो जाता है।

12.2 व लेषण–तकनीक का उ गम, वकास एवं इ तहास


व लेषण एक ऐसी या है िजसम उपयु ता तकनीक या तकनी कय का उपयोग
करते हु ये व तीय ववरण म द त सू चना–समंको को ' नणयन–त य म बदल कर
उ ह बहु मू य बनाया जाता ह। व लेषण– या म द त सू चना– समंक आ द का
गहन अ ययन, तु लना मक स ब ध, आलोचना मक पर ण, नवचन, पूवानुमान एवं
नणयन आ द काय सि म लत होते ह। इन सभी काय म तकनी कयाँ मदद करती है।
व भ न तकनी कय क सहायता से व तीय ववरण म का शत साम ी को बोधग य
एवं सरल बनाया जाता ह। पूव नि चत उ े य के संदभ म ह तकनी कय को यु त
कया जाता ह। जैसा क कहा जाता है क “आव यकता ह आ व कार क जननी है।“
का शत व तीय ववरण के उपयोग कताओं को जैसे–जैसे व लेषण क आव यकता
पड़ी, वैसे– वैसे काला तर म व तीय व लेषण क तकनी कय का उ गम हु आ और
धीरे –धीरे उनम सु धार एवं वकास हु आ। अ ययन क ि ट से तकनीक वशेष क
जानकार के साथ– साथ उसके उ गम, वकास आ द पर काश डालना यादा उ चत
है। अभी तक वक सत व तीय व लेषण क तकनी कय म से मु य प से न न
तकनीक को मह वपूण माना जाता है:
(i) तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक,
(ii) समानाकार ववरण व लेषण तकनीक,

(299)
(iii) वृि त व लेषण तकनीक,
(iv) अनुपात व लेषण तकनीक,
(v) कोष वाह ववरण व लेषण तकनीक, एवं
(vi) नकद वाह ववरण व लेषण तकनीक,
तु त पाठ म उपयु त म से थम तीन का अ ययन कया जा रहा है और अ य का
अ य इकाई–पाठ म ववेचन होगा।

12.3 तु लना मक व तीय ववरण व लेषण


तकनीक तु लना मक व लेषण म दो मु ख व तीय ववरण यथा च ा ( व तीय
ि थत ववरण) तथा लाभ–हा न खाता (आय– ववरण) को आधार बनाया जाता ह।
व भ न वष के व तीय ववरण से तु लना मक च ा तथा तु लना मक लाभ–हा न
खाता तैयार कये जाते ह। इस व लेषण से यावसा यक व तीय ि थ त तथा लाभाजन
शि त का तु लना मक अ ययन कया जाता है। व वसनीयता क ि ट से यु त
व तीय ववरण म एक पता तथा संगतता का होना आव यक है। सूचना एवं समंक
को व लेषण म यु त करने से पूव संगत एवं सम प बना लया जाता है। यह भी
यान रहे क व तीय ववरण म समंक–सू चना पु तक मू य पर होती है, अत: मू य
तर म आये उ चावचन को यान म रख कर कसी न कष पर पहु ँ चना यावहा रक
रहता है। इस तकनीक से अ तक पनी एवं अ तराक पनी व लेषण, दोन स भव है।
तु लना क ि ट से कम से कम दो पर तीन, पांच या सात वष का अ ययन एवं
व लेषण ेय कर रहता है।
अथ एवं प रभाषा:
तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक समंक–सू चना को एक तु लना मक आधार
तु त करती है िजससे नणयकता को उनक पर पर ि थ त ब कु ल प ट हो जाती
है। यह तकनीक, व तीय ववरण म द त–समंक को नणया मक त य के प म
कट करती है िजससे सह नणय लेने म मदद मलती है। उदाहरण के लये गत वष
क ब 8,00,000 पये हो और चालू वष क ब 12,00,000 पये हो तथा गत
वष का लाभ 2,60,700 पये हो और चालू वष का लाभ 5,03,700 पये हो तो इस
सू चना को समझ कर नणय लेना क ठन है। पर तु इस तकनीक के आधार पर यह
कहा खाए क बक म 50 तशत क वृ हु ई और लाभ म 93.21 तशत क
वृ हु ई तो बात प ट स च म आ जाती है। यह तकनीक ज टल और यथ लगने
वाले समंक– सू चना को सरल ओर बोधग य बनाती है और उ ह नणय–त य म
बदलती है। इससे नणय लेने म सु वधा मलती ह।
तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक का इ तहास पुराना है। यह तो नि चत
प से नह ं कहा जा सकता है क इस तकनीक का उपयोग सव– थम कब हु आ पर तु
ऐसा लगता है क व लेषण क आव यकता के साथ ह साथ इस तकनीक का उ गम

(300)
एवं ार भ हु आ। कालांतर म इस तकनीक के उपयोग के साथ–साथ इस म सुधार हु आ
और इसका सा ह य वक सत हु आ। इन तकनीक के वारा व तीय ववरण के आधार
पर तु लना मक च ा और तु लना मक लाभ–हा न खाता बनाकर क पनी यवसाय वशेष
का ऐ तहा सक, आलोचना मक एवं त या मक अ ययन एवं व लेषण कर नणय लये
जाते ह। सामा य श द म तु लना मक व तीय ववरण व लेषण एक ऐसी तकनीक है
िजस से का शत व तीय ववरण के आधार पर तुलना मक च ा या / तथा
तु लना मक लाभ–हा न खाता बनाकर कसी यवसाय वशेष के ऐ तहा सक त य का
आलोचना मक अ ययन कर आव यक नणय लये जाते ह। इस तकनीक से समय के
आधार पर व तीय त य का तु लना मक अ ययन कया जाता है िजससे यवसाय के
व भ न आ थक एवं व तीय पहलु ओं म समया तर के कारण आये अनुकू ल तथा
तकू ल प रवतन का व लेषण स भव हो जाता है। ाय: इस तकनीक के आधार पर
यवसाय क थायी स पि तय , दा य व , शु स पदा, वा म व समता, लाभाजन
मता, ब , रह तयाँ आ द म आये प रवतन का अ ययन एवं व लेषण करना सरल
है। इस तकनीक क कु छ प रभाषाओं का अ ययन इस कार से है:
एस.डी. सवरजमेन तथा रचड.ई. बाल' के अनुसार ''इस तकनीक म आय ववरण तथा
व तीय ि थ त ववरण दोन म समान त व के लये तशत का उपयोग करते हु ए
एक या अ धक वष के बीच वृ या गरावट क रा श आनुपा तक प से द शत क
जाती है।“
In this technique “Using percentage for element common to both
income and financial position statements will show the
proportionate of growth or decline between one or more years”.
––Sylvan D. Schwartzman and Richard E. Ball
रॉय.ए. फॉ के1 के श द म ''तु लना मक व तीय ववरण व लेषण व भ न त थय
पर कसी यावसा यक उप म के दो या अ धक च / लाभ–हा न खात म द शत
एक जैसी मद या मद के समूह , और प रक लत अथात ् क पयु ट
ं े ड मद क वृि त का
एक अ ययन है।''
मह व :
व तीय ववरण तो केवल सू चना एवं समंक दान करते ह पर तु तु लना मक व तीय
ववरण व लेषण उ ह नणय त य ( ड सजन फै टस) म प रवतन कर दे ते ह। दो या
दो से अ धक वषा के व तीय ववरण ( च ा तथा लाभ–हा न खाते) का व लेषण करने
से इन वष म होने वाले प रवतन के कारण भी कट हो जाते ह। भ व य म इनका
ख कैसा ओर कस दशा (वृ या गरावट) म होगा, यह समझा जा सकता है।
अमे रकन लेखाकार सं थान ने उ चत ह अ भ य त कया है क ''अकेले च े क
अपे ा एक वष से दूसरे वष के च से आये प रवतन का अ ययन यादा मह वपूण

(301)
है। ''इतना ह नह ,ं क पनी अ ध नयम, 1956 के अ तगत ऐसे ावधान कये गये ह
क िजससे येक क पनी अपने व तीय वष के अ त म व तीय खाते का शत
करे गी िजसम चालू वष के साथ–साथ गत वष के समंक–सू चना भी दे ती है। इस
तकनीक के उपयोगकता नवेशक, ऋणप धार , लेनदार, कानूनी सलाहकार, शोधकता
एवं वयं बंध स हत व भ न प कार अपने–अपने पूव नि चत उ े य के अनु प
व तीय ववरण का तु लना मक अ ययन कर के नणय लेते ह।
नःसंदेह, इस कार से तु लना मक अ ययन एवं व लेषण करना अ य त मह वपूण है
और यह मह व न न ल खत ब दुओं से और भी अ धक प ट हो जाता है:
 तु लना मक व लेषण तकनीक न केवल व तीय ववरण क मद के पु तक मू य को
ह यु त करती है, वरन ् उनक कृ त एवं वृि त का भी अ ययन एवं व लेषण
करती है।
 तु लना मक व लेषण तकनीक ज टल, अपच एवं औपचा रक सूचना–समंक को सरल,
बौ ग य एवं यावहा रक नणय–त य ( ड सजन–फै टस) म प रव तत करती है।
 तु लना मक व लेषण तकनीक व तीय ववरण ( च ा एवं लाभ–हा न खाते) क
व भ न मद , मद–समू ह , पहलु ओं आ द म आये प रवतन (धना मक या ऋणा मक)
क न केवल मा ा, वरन ् कृ त, कारण, दशा एवं वृि त को भी सरल प म कट
करती है।
 तु लना मक व लेषण तकनीक यावहा रक तकनीक ह जो लेखांकन– या म अपनाये
गये लेखांकन– माप वचार , नी तय आ द का औ च य, पालना, व म , समायोजन ,
आ द को भी उजागर करती है। पूण कट करण, संगतता, स ची एवं उ चत,
ववेकशीलता, सारवानता आ द क मा ा ( ड ी) को भी कट करती है।
 तु लना मक व लेषण तकनीक व तीय ववरण व लेषण क अ य तकनी कय म
तु लना मक–दशन को साकार करती है।
सीमाय:
य य प तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक एक मह वपूण तकनीक है,
तथा प इस तकनीक क कु छ सीमाय, सम याय, मा यताय या गुण –दोष है िज ह इस
कार से बताय जा सकते ह –
1. इस तकनीक म ऐ तहा सक व लेषण कर भावी नणय लये जाते ह िजनका भ व य
अ नि चत होता है।
2. इस तकनीक म वैयि तक प पात क स भावना बनी रहती है।
3. इस तकनीक के नतीजे व तीय ववरण क व वसनीयता पर नभर करते ह।
4. इस तकनीक म नणय ाय: व तीय समंक और व तीय सू चनाओं पर नभर करते ह
जब क गैर व तीय समंक और सू चनाओं से दे श काल प रि थ तय पर पड़ने वाले,

(302)
सरकार नी तयाँ, बाजार ख, आ थक नी तयाँ, तकनीक य एवं टे कन लौजी म प रवतन
आ द भी मह वपूण होते ह।
5. यह तकनीक दो या दो से अ धक वष के व तीय ववरण के आधार पर चलती है,
जब क इस अव ध के दौरान यवसाय म भौ तक एवं अभौ तक कई प रवतन हो जाते
ह।
6. इस तकनीक म यु त समंक–सू चना पु तक मू य पर आधा रत होते ह। और मु ा
सार का भाव सि म लत नह ं कया जाता है।
7. यह तकनीक क पनी– यवसाय के सं या मक एवं प रमाणा मक पहलु ओं छार तो यान
दे ती है, पर तु गुणा मक पहलु ओं को नजर अंदाज कर दे ती है।
उपयु त सीमाओं से इस तकनीक को यथ समझना भार भू ल होगी। का दोष कम
और यि त तथा प रि थ तय का दोष यादा है। इस तकनीक से लये गये नणय
और भावी हो इसके लये यह आव यक है क–उपल ध सूचना, समंक, रा श आ द को
तु लनीय। बना लया जाए एवं नणय म दे श–काल प रि थ तय के अनु प आव यक
संशोधन एवं समायोजन कर लये जाव।
तु लना मक व लेषण के कार :
व तीय ववरण के कार के आधार पर इस तकनीक के कार उ प न होते। ह। च ा
और लाभ–हा न खाता को मु य व तीय ववरण माना जाता है, अत: तु लना मक
व लेषण के न न दो प मु ख है –
1. तु लना मक च ा व लेषण, और
2. तु लना मक लाभ–हा न खाता व लेषण।
1. तु लना मक च ा व लेषण: इसे तु लना मक व तीय ि थ त ववरण भी कहा जाता है।
इस तकनीक के अ तगत दो या दो से अ धक लेखांकन वष के का शत च क एक
जैसी मद , मद के समू ह आ द के आधार पर अ ययन, व लेषण कर नणय लये
जाते ह। यवसाय क थायी स पि तय , दा य व , वा म व समता, कायशील पूजी
आ द म आने वाले प रवतन का अ ययन एवं व लेषण इस तकनीक के वारा कया
जाता है।
तु लना मक च ा बनाना बहु त सरल है। इसम दो या दो से अ धक वष ये च क
मद के स मु ख रा श लख कर उनम प रवतन को दे खा जाता है जो धना मक या
ऋणा मक या शू य प रवतन के प म हो सकते ह। िज ह प रवतन वाले त भ म
_____________________
1. Comparative financial statement Analysis is the study of trend of the
same items, groups of items, and computed items in two or more
balance sheets profit and loss account of the same business
enterprise on different dates”.
--Roy .A.Foulke

(303)
गरावट या बढ़ोतर को ऋणा मक (–) या धना मक (+) च ह से दशाया जाता है।
प रवतन क तशत और / या अनुपात म गणना क जाती ह। तशत प रवतन के
लये थम या पछले वष को आधार वष बनाया जाता है। उदाहरण के लये कसी
क पनी का च ा पछले वष का नकद ह त थ 5,00,000 पये और उसी क पनी
का च ा चालू व तीय वष का नकद ह त थ 6,00,000 पये द शत करता हो तो
नरपे प से मौ क अ तर धना मक और +1,00,000 (यथा 6,00,000 –
 1, 00, 000 
5,00,000) पये होगा तथा इसके तशत अ तर 20% यथा   100 
 5, 00, 000 
वृ के प म बताया जायेगा। य द इसे अनुपात के प म भी द शत करना हो तो
गणना यथा ,
,
,
,
होगी।
इस कार से च म द त मदानुसार धनरा शय को नरपे रा श या तशत या
अनुपात के प म तैयार कर बढ़ोतर या गरावट का तु लना मक अ ययन कया जाता
है। इस कार इस तकनीक से स पि तय , दा य व , एवं अ य मद म आने वाले
प रवतन तथा उनक दशा एवं दशा ात कर ल जाती ह और इसके आधार पर
आव यक नणय ले लये जाते ह। एक उदाहरण वारा तु लना मक च ा व लेषण
तकनीक को समझ सकते ह:
उदाहरण : द पि लक इं डया ( ा.) ल. अपने दो वष के च के आधार पर एक मद
समू ह (चालू स पि तय ) के स ब ध म जानकार दे ती है। इसको तु लना मक च ा
तकनीक के आधार पर नरपे –मू य , तशत और अनुपात से समझा जा सकता है
तु लना मक च ा
31 माच बढ़ोतर या गरावट
चालू स प तयाँ 2007 2008 धनरा श1 तशत2 अनुपात 3
नकद ह तरथ 5,00,000 6,00,000 + 1,00,000 + 20.00 1.200
बक म नकद 4,00,000 3,50,000 - 50,000 - 12.50 0.875
ा य बल 2,50,000 3,00,000 + 50,000 + 20.00 1.200
व वध दे नदार 9,00,000 10,00,000 + 1,00,000 + 11.11 1.111
रह तयाँ 15,00,000 25,00,000 + 10,00,000 + 66.67 1.667
अ य चालू स प तयाँ 1,00,000 1,25,000 + 25,000 + 25.00 1.250
कु ल 36,50,000 48,75,000 + 12,25,000 + 33.56 1.336
ट पणी 1. धन रा श = 6,00,000 पये – 5,00,000 =1,00,000 पये ओर ऐसे ह ....
2. तशत = 1,00,000 / 5,00,000 ×100 =20 तशत ओर ऐसे ह ....
3. अनुपात = 6,00,000 पये / 5,00,000 पये =1.200
सामा यत: नरपे अ तर धनरा श के साथ–साथ तशत एवं अनुपात का दशन
करते हु ये तु लना मक च ा बनाना अ धक उ चत रहता है। तु लना मक च ा बनाने के
बाद नरपे प रवतन (यथा + या –) या तशत प रवतन या अनुपात का गहन
(304)
अ ययन और व लेषण कर के न कष पर पहु ँ चा जाता है। मद के समू ह म आये
प रवतन का व लेषण कया जाता है। इस तकनीक के अ तगत छ: मद–समूह जैसे;
(1) चालू स पि तय , (2) चालू दा य व (3) थायी स पि तय , (4) द घकाल न
दा य व , (5) वा म व–समता, तथा (6) कायशील पू ज
ं ी का तु लना मक अ ययन एवं
व लेषण कया जाता है। इन छ: समू ह पर इस कार से जानकार द जा रह है:
चालू स पि तय का तु लना मक अ ययन एवं व लेषण करने से क पनी– यवसाय का
तरलता– बंध क कु शलता एवं भावी ख का पता चलता है। चालू दा य व के मद
समू ह का तु लना मक अ ययन एवं व लेषण चालू स पि तय के संदभ म ह करना
उ चत रहता है िजससे साख, शोधन– मता, पया त, प रवतन, आ द का पता चलता है।
थायी स पि तय का तु लना मक अ ययन स पि त– बंध को बताता है। थायी
स पि तय क अनुकू लता सु ढ़ आ थक ि थ त को बताती है। लाभाजन म मदद इ ह ं
स पि तय से मलता है। अनुकू ल प रवतन सह व नयोजन, संचय का उपयोग,
द घकाल न ऋण क मा ा, गु त संचय का भाव आ द को बताता है। स पि तय का
न ट हो जाना, बेच दया जाना, अ चलन, मू य हास, पुनमू यांकन के भाव आ द को
प रवतन के आधार पर समझा जा सकता है।
द घकाल न दा य व का तु लना मक अ ययन से अनुकू ल एवं तकू ल ि थ त का पता
चलता है। द घकाल न दा य व म प रवतन थायी स पि तय म प रवतन के संदभ म
ह अ ययन एवं व लेषण कया जाता है। द घकाल न दा य व म कमी शोधन करने से
आयी अनुकू ल होती है। द घकाल न दा य व म प रवतन का असर याज क रा श के
संदभ म भी दे खना चा हये। वा मय अथात अंशधा रय क ि ट से वा म व समता
का तु लना मक अ ययन एवं व लेषण करना उ चत रहता है। वा म व–समता म
मु यत: अंशपूज
ं ी और उपािजत पर अ वत रत लाभ अथात ् तधा रत आय आती ह।
तधा रत आय यवसाय म व भ न संचय , ावधान , कोष , और आ ध य म पड़ी
रहती है। वा म व समता म कमी य द थायी स पि तय म वृ या द घ काल न
दा य व म कमी के कारण आती हो तो उसे अनुकू ल समझा जाता है। वा म व–समता
म वृ होना चा हये जो या तो नये नगमन वारा या लाभांश का वतरण नह ं करने
से हो सकती है। शोधनीय पूवा धकार अंश का शोधन, लाभांश का भु गतान, आ द से
वा म व–समता म कमी आती है पर यह तकू ल नह ं है। वा म व–समता म आने
वाले प रवतन से यादा मह वपूण उनके कारण है िजन से ऐसे प रवतन आते ह।
कारण के अ ययन एवं व लेषण के बाद ह वा म व समता म आने वाले प रवतन
को अनुकू ल या तकू ल मानना चा हये।
तु लना मक च ा व लेषण म कायशील पू ज
ं ी का अ ययन एवं व लेषण भी मह वपूण
आयाम है। कायशील पू ज
ं ी इसके सकल अथ म चालू स पि तय को माना जाता है जब
क इसके शु अथ म चालू स पि तय का चालू दा य व पर आ ध य होता है। चालू
स पि तय एवं चालू दा य व के संदभ म ह कायशील पूज
ं ी म आने वाले अ तर को

(305)
अनुकू ल या तकू ल माना जाता है। सामा यतया: चालू स पि तय का चालू दा य व से
दो गुना होना अथात कायशील पू ज
ं ी अनुपात दो गुना होना अनुकू ल माना जाता है। यह
व लेषण चालू स पि तय के घटक म प रवतन, चालू दा य व के' घटक म अ तर
तथा इन दोन म पार प रक अ तर को प ट करता है और ये प रवतन ह पू ज
ं ी
ब ध क कायकु शलता, भावशीलता तथा गुणव ता बताते ह। कायशील पू ज
ं ी क
कृ त, और प रवतन आ द का अ ययन इससे होता है। सं ेप म इन छ: समूह का
अलग–अलग और च ा म एक साथ अ ययन कया जा सकता है।
उदाहरण : द अमन ( ा.) ल मटे ड का च ा 31 माच, 2008 को सं त प म
दया गया है, इससे आप तु लना मक च ा व लेषण तकनीक क युि त करते हु ए
व लेषण क िजये :
31 माच, 2008 को च ा
( पये)
31.3.2008 31.3.2007
स पि तयाँ :
थायी स पि तयाँ 2,40,000 2,48,000
चालू स पि तयाँ, ऋण एवं अ म:
चालू स पि तयाँ 5,40,000 4,66,000
ऋण तथा अ म 1,00,000 96,000
व वध या क ण यय 60,000 40,000
लाभ– हा न खाता 10,000 30,000
कु ल 9,50,000 8,80,000

दा य व :
अंश पूज
ं ी 2,50,000 2,50,000
संचत तथा अ ध य:
पू ज
ं ी संचय कोष 40,000 40,000
ऋण तथा थ गत भु गतान 2,57,000 2,80,000
चालू दा य व तथा आयोजन:
चालू दा य व 3,95,000 3,04,000
आयोजन या ावधान 8,000 6,000
कु ल 9,50,000 8,80,000
हल: इसी उदाहरण को अब यहाँ पर नरपे तु लना मक अंक प रवतन, तशत प रवतन
तथा अनुपात इन तीन आकलन से हल करते है :

(306)
द अमन ( ा.) ल मटे ड
वष 2008 तथा 2007, माच 31 का तु लना मक च ा
ववरण 31 माच प रवतन
2007 2008 धनरा श तशत अनुपात
स पि तयां :
कु ल थायी स पि तयां 2,48,000 2,40,000 (–)8,000 (–) 3.225 0.9677
चालू स पि तयाँ 4,66,000 5,40,000 +74,000 + 15.880 1.1588
ऋण तथा अ म 96,000 1,00,000 +4,000 + 4.167 1.0417
+ 13.879 1.1388
कु ल चालू स पि तयाँ 5,62,000 6,40,000 + 78,000
+ 50.50 1.5000
क ण या व वध य 40,000 60,000 + 20,000
(-) 66.67 0.3333
0 1.0000
लाभ–हानी खाता (नाम 30,000 10,000 (-) 20,000
शेष)
कु ल का प नक समत तयाँ 70,000 70,000 0
कु ल स पि तयाँ 8,80,000 9,50,000 + 70,000 + 7.955 1.07954
पू ज
ं ी एवं दा य व :
अंश पूज
ं ी 2,50,000 2,50,000 - - 1.000
पू ज
ं ी संचय कोष 40,000 40,000 - - 1.000
कु ल वा म व समता 2,90,000 2,90,000 - - 1.000
कु ल द घकाल न दा य व 2,80,000 2,57,000 (-) 23,000 (-) 8.214 0.9178
चालू दा य व 3,04,000 3.95,000 + 91,000 + 29.934 1.2993
आयोजन या ावधान 6,000 8,000 + 2,000 + 66.667 1.3333
कुल चालू दा य व 3,10,000 4,03,000 + 93,000 + 30.000 1.3000
कु ल चालू दा य व और पू ज
ं ी 8,80,000 9,50,000 + 70,000 + 7.955 1.0795

च ा का व लेषण : उपयु त उदाहरण म द अमन ( ा.) ल मटे ड का तु लना मक


च ा एक वष क अव ध म हु ये कायकलाप से आने वाले प रवतन को बता रहा ह।
क पनी क थायी स पि तयाँ 8,000 पय से कम हु ई ह। यह कमी 3.23 तशत
है। इस कमी का कारण हास है। कु ल चालू स पि तयाँ 13.88 तशत से बढ़ जो
संतोष द मानी जा सकती है पर तु यह बढ़ोतर चालू दा य व म बढ़ोतर के कारण
लगती है। व वध यय का बढ़ना और कु ल का प नक स पि तयाँ बराबर बनी रहना
अ छ और संतोष द ि थ त नह ं है। कु छ हद तक लाभ नयोजन ठ क रहा। पछल
चल आ रह हा न कम हु ई है। लाभाजन मता शू य के बराबर होने से ह वा म व
समता म कोई बढ़ोतर नह ं हु ई और न ह कसी कार का अंशधा रय को लाभांश
दया जा सकार। द घकाल न दा य व म 23,000 क कमी आयी है वो भी चालू

(307)
दा य व म वृ के कारण ह हो सक । चालू दा य व म भी 91,000 क वृ जो
30 तशत है उसे अनुकू ल नह ं माना जा सकता है य क चालू स पि तयाँ केवल
13,88 तशत ह बढ़ । चालू दा य व क बढ़ रा श को चालू स पि तय क बढ़
कु ल रा श के साथ दे खने पर ि थ त संतोष द नह ं लगती है। कु ल मलाकर क पनी
क न तो आ थक ि थ त और न ह लाभाजन मता अ छ है।
2. तु लना मक लाभ–हा न खाता व लेषण:
इसे तु लना मक आय ववरण व लेषण भी कहा जाता है। यह कसी यवसाय के
कायकलाप और या मक याओं क एक व तृत जानकार दान करता है। इससे
यवसाय को यावहा रक याओं, लाभजन मताओं के स ब ध म ठ क तरह से
नणय कये जा सकते ह। तु लना मक लाभ–हा न खाता व लेषण तकनीक एक ऐसी
तकनीक है िजससे कसी क पनी या यवसाय क व भ न समयाव धय म लाभ–हा न
खाता अथात आय ववरण क व भ न मद या मद के समू ह वशेष क वृि त
(उ न त या अवन त) का एक अ ययन एवं व लेषण कर उसके कायकलाप , लाभाजन–
मताओं आ द के बारे म न कष नकाल कर पूव नधा रत नणय पर पहु ँ चा जा
सकता है। यवसाय क ग त या अवन त, लाभाजन– मता, नै यक– न पादन मता
आद क कृ त, वृि त एवं प रवतन और उनके कारण पर काश डाला जा सकता
है।
तु लना मक लाभ–हा न खाता बनाना सरल है। दो या दो से अ धक वष से लाभ–हा न
खाता या आय ववरण क मद को यवि थत कार से द शत करके उनके सामने
स बि धत अंको को इस कार रो रखा जाता है िजससे उनम एक वष से दूसरे वष म
आये प रवतन क रा श (वृ या कमी) अथात (+ या –) के प म प ट अवगत हो
जाती है। इसके लये मू ल वष को आधार माना जाता है। प रवतन को तशत म भी
य त कया जाता है। जैसे गत वष म 4,50,000 ब हो और चालू व तीय वष
क ब 6,00,000 पये हो तो प रवतन धना मक और 33.33
 1,50, 000 
तशत यथा अथात ्  100  33.33  होगा। इस
, , , ,
, ,
× 100
 4, 50, 000 
प रवतन को अनुपात म भी द शत कर व ले षत कया जाता है जो इस उदाकरण म
1.33 होगा। (यथा 6,00,000 / 4,,50,000)। य द अनुपात 1 हो तो प रवतन शू य
अथात ि थ त ि थर समझी जाती है। तु लना मक लाभ–हा न खाता को नरपे मू य,
या तशत, या अनुपात कसी से भी व लेषण कया जा सकता है।
तु लना मक लाभ–हा न खाता का व लेषण सम प से या कसी मद या मद–समू ह के
प म कया जा सकता है, यह पूव नधा रत उ े य एवं व लेषक क आव यकता पर
नभर काता है। यह तकनीक यवसाय क न पादन– मता, लाभाजन– मता, व भ न
कायकलाप आ द का व लेषण करने म यु त क जाती है। कु छ मद या मद समू ह
जैसे ' व य' िजसम सकल व य वापसी, व य क लागत, बेचे गये माल क लागत,

(308)
आ द म प रवतन तथा भावी ख का पता लगाया जा सकता है। इसी कार 'लाभ’
िजसम सकल लाभ, शु लाभ, या मक लाभ, ई.बी.आई. अथात कर एवं याज से
पूव उपाजन, कर के प चात उपाजन, लाभ का नयोजन, संचय, आयोजन– ावधान,
लाभांश आ द का अ ययन व लेषण कया जा सकता है। इस तरह यय क वश ट
मद या मद–समू ह जैसे ब ा, हास, पू ज
ं ी पर याज, ऋण–प पर याज, संचालन यय,
बंधक का पा र मक, वशेष उपहार, च दे , दान आ द, आयगत यय, पू ज
ं ीगत यय
आ द का व लेषण कया जा सकता है। इन यय को ब या / तथा लाभ के संदभ
म दे खा जा सकता है। इसी तरह 'आय' क वशेष मद या मद समू ह का अ ययन एवं
व लेषण कया जा सकता है जैसे ा त कमीशन, ब ा, लाभांश, कराया आ द, पू ज
ं ीगत
आय, आयगत ाि तयाँ, सामा य यवसाय या स ा का लाभ, व नयोग पर उपाजन,
आ द का अ ययन– व लेषण कई नयी बात पर काश डालते ह। कु छ मद बड़ी या
छोट हो सकती है पर तु काफ मह वपूण होती ह जैसे कमचार –क याण, टाउनशीप,
सामािजक उ तरदा य व, सरकार अनुदेश पालना म यय आ द सरकार, समाज, रा ,
मजदूर संघ, लेखांकन नी तय एवं अ य ि टकोण से अ य त मह व क होती है।
व लेषण को सह नणय पर पहु ँ चने क ि ट से तु लना मक लाभ–हा न खाता
व लेषण बहु त उपयोगी है। इस तकनीक को उदाहरण क सहायता से समझा जा
सकता है।
उदाहरण :
न न ल खत आय– ववरण एक 'लोकल टू लोबल ( ा.) ल मटे ड' का है िजसे 31 माच
2008 को समा त हु ये व तीय वष के लये अ ययन क ि ट से तैयार कया गया
है। आप तु लना मक आय– ववरण व लेषण तकनीक का उपयोग करते हु ये अपने वचार
द िजये –
(धनरा श पय म)
31.3.2008 31.3.2007
आय :
व य 3,95,000 2,65,000
अ य 17,500 5,000
रह तयाँ 20,000 65,000
4,32,500 3,35,000
यय :
साम ी, भ डारा द 1,05,000 1,15,000
पा र मक तथा अनुलाभ 1,02,500 80,000
व य यय 2,00,000 92,500
याज 22,500 21,250

(309)
हा नय के लये ावधान 8,750 6,250
हास 24,500 18,750
4,93,250 3,61,250
हा नयाँ :
वष क हा नयाँ 60,750 26,250
गत वष क हा नयाँ 50,750 24,500
च ा म द शत हा नयाँ 1,11,500 50,750
द लोकल टू लोबल ा. ल मटे ड
तु लना मक आय ववरण
31 माच 2007 तथा 2008 को समा त होने वाले वष के लय
ववरण धनरा श पय म प रवतन (+) या (-)
31.3.2007 31.3.2008 धनरा श तशत (%)
व य (सकल) 2,65,000 3,95,000 1,30,000 49.056
घटाया :साम ी–भ डारा द 1,15,000 1,05,000 (–)10,000 8.696
1,15,000 2,90,000 1,40,000 93.333
जोड़ा :रह तयाँ म वृ 65,000 20,000 (–)45,000 (–)69.231
व य पर सकल लाभ (1) 2,15,000 3,10,000 95,000 44.186
संचालन यय
पा र मक तथा अनुलाभ 80,000 1,02,500 22,500 28.125
अ य यय 92,500 2,00,000 1,07,500 116.216
व य यय 27,5000 30,000 2,500 9.091
हास 18,750 24,500 5,750 30.667
कु ल संचालन यय (2) 2,18,750 3,57,000 1,38,250 63.200

शु संचालन लाभ (+), हा न – (1– (–) 3,750 (–)47,000 (–)43,250 (–)1153.333


2)
जोड़ा: अ य आय 5,000 17,500 12,500 250.000
याज पू व लाभ (+)या हा न (–) (+) 1,250 (–)29,500 (–)30,750 (–)2460.000

घटाया :अ य यय n याज (–)21,250 (–)22,500 1,250 5.882


ह नय के लये ावधान (–) 6,250 (–)8,750 2,500 40.000
वष का शु लाभ (+) या हा न (–) (–)26,250 (–)60,750 (–)34,500 131.429
जोड़ा : गत वष क हा नयाँ (–)24,500 (–)50,750 (–)26,250 107.143
कु ल हा न (नाम शेष) (–)50,750 (-)1,11,500 (–)60,750 119.704

व लेषणा मक वचार : द लोकल दू लोबल क पनी ( ा.) ल मटे ड, के आय ववरण


का तु लना मक अ ययन करने पर न नां कत त य अवलो कत हु ए
1. क पनी क व य रा श 2007 क तु लना म 2008 म कर ब 49 तशत बढ़ है पर
यु त साम ी केवल 8.7 तशत से ह बढ़ है जो यह प ट करती है क बढ़े

(310)
व य म क ची। साम ी का कम योग कर घ टया माल बेचा गया या फर क पनी
का 'मू य–योग' अ धक रहता है। क पनी अपने संचालन यय पर नयं ण नह ं कर
सक ; ब 49 तशत बढ़ जब क व य एवं संचालन यय 63 तशत बढ़े और
यह कारण है क संचालन हा न यारह गुणा से भी यादा रह है।
2. क पनी क अ य आय अ छ बढ़ जो क 250 तशत है पर यह धनरा श म यादा
नह ं लगती है। अ य यय म व तीय भार के प म याज है, जो 5.88 तशत
बढ़ा पर यह रा श यादा नह ं है फर भी क पनी क दशा दे खते हु ए उधार ऋण को
चु काने का यास करना चा हये िजससे बढ़ता व तीय भार घट सके। क पनी ने
हा नय के लये ावधान बनाया पर यह लाभ म से नह ं बनाया गया और इससे
हा नय को अप ल खत कया जा सकता था और िजससे च े म द शत हा न क
रा श को यून कया जा सकेगा।
3. क पनी क बढ़ती हा नय क रा श उसक आ थक ि थ त के खराब होने का संकेत है।
क पनी लगातार, (कम से कम तीन वष) हा न म चल रह है जो इसके बंध का
असंतोष द होना दशाती है।
उपयु त त य से यह न कष नकलता ह क क पनी क संचालन यव था संतोष द
नह ं है। यह ि थ त फर भी सु धार जा सकती है य क क पनी क ' ब पर सकल
लाभ' कमाने क अ छ मता है। सबसे पहले इसे अपने संचालन यय पर कटौती
करनी चा हये, याज के प म व तीय भार कम कया जाना चा हये और बने हु ए
हा नय के लये ावधान से च ा म द शत हा नय को अप ल खत करना चा हये।
रह तयाँ बंध संतोष द है, उसका भी लाभ और उठाना चा हये पर तु अ छा माल
बनाते हु ए।

12.4 समानाकार ववरण व लेषण तकनीक


व तीय ववरण के व लेषण म तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक क
तरह ह समानाकार ववरण व लेषण तकनीक एक सरल, बोधग य एवं उपयोगी
तकनीक मानी जाती है। वा तव म समानाकार अपने आप म तु लना मक तकनीक पर
एक सु धार है। इस तकनीक म समानाकार लाभ–हा न खाता एवं समानाकार च ा बनाये
जाते ह इसके लये कु ल ब को एक सौ और कु ल स पि तय को एक सौ मान कर
इन ववरण क मद को तशत म बना दया जाता है और इससे व लेषण करना
आसान हो जाता है। इसे इस लये शत– तशत ववरण व लेषण, समान+आकार=
समानाकार ववरण व लेषण, घटक व लेषण, त व तशत व लेषण या घटक– व य
अनुपात व लेषण आ द कहा जाता है।
1. अथ एवं प रभाषा:
दो या दो से अ धक वष के न मत व तीय ववरण को समानाकार अथात कॉमन
साइज अथात तशत म प रवतन कर के ववरण क मद या मद समू ह का
अ ययन करने एवं व लेषण करने क यह एक अ ु त, सरल, बोधग य एवं भावी

(311)
तकनीक है। जॉन.एन. मेयर के श द म “समानाकार ववरण व लेषण तकनीक म
व तीय ववरण वशेष क येक मद का उस ववरण क कु ल रा श के साथ एक
वशेष अनुपात ात कया जाता है। इस तरह से तैयार कये जाने वाले ववरण को
कॉमन साइज टे टमे ट या समानाकार ववरण या 100 तशत ववरण कहा जाता
है।'' इसी तरह वाटमेन तथा बॉल का कहना है क ''समानाकार ववरण म फम अथात
यवसाय के आय– ववरण तथा व तीय ि थ त ववरण के व भ न त व को 'तु लना
यो य तशत म बदल दया जाता है।'' इस तकनीक म आय– ववरण और व तीय
ि थ त ववरण क सभी मद को मश: व य और कुल स पि तय के तशत म
बदल दया जाता है। इस तकनीक से ै तजाकार तथा ल बाकार दोन कार का
व लेषण कया जा सकता है। सामा य श द म इस तकनीक से अ त यवसाय
अ ययन तथा अ तरा यवसाय अ ययन, दोन करना संभव हो जाता है।
2. समानाकार के कार :
अ ययन क ि ट से समानाकार ववरण व लेषण तकनीक म व तीय ववरण को
न नां कत दो भाग म वभ त कर दया जाता है –
1. समानाकार लाभ–हा न खाता व लेषण, तथा
2. समानाकार च ा व लेषण।
समानाकार लाभ–हा न खाता व लेषण :
इस तकनीक को समानाकार आय– ववरण व लेषण तकनीक भी कहते ह। इस तकनीक
म कु ल व य रा श को 100 मानकर ववरण अथात लाभ–हा न खाता म द शत सभी
मद का ब से तशत ात कर लया जाता है। इस तरह से उन सभी मद का
मा टर–चल अथात व य से अनुपात नधा रत हो जाता है। कसी वष वशेष, दो या
दो से अ धक वषा या दो या दो से अ धक यवसाय का तु लना मक अ ययन– व लेषण
कर अनेकानेक अ टो ड फै स य त कये जा सकते ह। भावी नणय के लये
व लेषकगण शु व य रा श को ह 100 मानकर चलते ह। इस तकनीक से
या मक न पादन , यय क ग त, कृ त एवं वृि त , औ च यता आ द का न
केवल व य के संदभ म ह वरन ् वष–दर–वष, क पनी से क पनी का पार प रक
अ ययन, व लेषण, त यांवे ण, नणयन आ द करना सरल एवं भावी हो जाता ह।
उदाहरण :
आपको एक क पनी द सीधी–सरल ल मटे ड का 31 माच 2007 तथा 2008 को
समा त होने वाले वषा के लये न मत–सं त आय– ववरण तु त कये जा रहे ह।
आप समानाकार लाभ–हा न खाता अथात आय ववरण व लेषण तकनीक क युि त
करते हु ए क पनी के व भ न कायकलाप का व लेषण करते हु ए अपने– वचार तु त
क िजये –
द सीधी–सरल ल मटे ड

(312)
31 माच 2007 तथा 2008 को समा त होने वाले वष के लए
आय– ववरण।
( पेय)
ववरण 31.3.2008 31.3.2007
शु व य 30,00,000 50,00,000
बेचे गये माल क लागत (–)21,25,000 (–)30,00,000
सकल लाभ 8,75,000 20,00,000
कु ल संचालक यय (–)6,60,000 (–)13,00,000
कु ल संचालन लाभ 2,15,000 7,00,000
अ य आय +43,000 +50,000
याज चु काया (–)30,000 (–)30,000
शु आय 2,28,000 7,20.000
आय कर (–)79,800 (–)2,52,000
कर प चात शु आय 1,48,200 4,68,000
द सीधी–सरल ल मटे ड
31 माच 2007 तथा 2008 को समा त होने वाले वष के लये
समान–आकार आय– ववरण
ववरण 31.03.2007 31.03.2008 तशत
धनरा श ( .) तशत धनरा श( .) तशत प रवतन

शु व य 30,00,000 100.00 50,00,000 100.00 –


घटाया : बेचे माल क 21,25,000 70.83* 30,00,000 60.00** (–)10.83
लागत
सकल लाभ 8,75,000 29.17 20,00,000 40.00 +10.83
घटाया : कु ल संचालन यय 6,60,000 22.00 13,00,000 26.00 +4.00
कु ल संचालन लाभ 2,15,000 7.17 7,00,000 14.00 +6.83
जोड़ा : अ य आय 43,000 1.43 50,000 1.00 (–)0.43
कर एवं याज पूव लाभ 2,58,000 8.60 7,50,000 15.00 +6.40
घटाया : याज 30,000 1.00 30,000 0.60 (–)0.40
कर पूव शु आय 2,28,000 7.60 7,20,000 14.40 +6.80
घटाया : आय कर 79,800 2.66 2,52,000 5.04 +2.38
कर प चात शु आय 1,48,200 4.94 4,68,000 9.36 +4.42
ट पणी :
*
(21,25,000 / 30,00,000 × 100) = 70.83 तशत और इस तरह से 2007 के
लये अ य सभी तशत को शु व य रा श के आधार पर आक लत कये गये।

(313)
(30,00,000 / 50,00,000 × 100) = 60.00 ओर इसी तरह 2008 के अ य।
**

व लेषणा मक वचार : द सीधी–सरल ल मटे ड क पनी का समानाकार आय ववरण


2007 तथा 2008 का बनाने पर गहन अ ययन स भव हु आ और इसका व लेषण
करने पर कई चकर एवं गंभीर त य सामने आये ह। क पनी क रह तयाँ ब ध एवं
उ पादन याओं के प रणाम व प ह व य म यु त माल क लागत म 10.63
तशत क कमी आयी है। साथ ह साथ इसी के अनु प सकल लाभ भी बढ़ा है।
संचालन यय ज र बढ़े ह वो भी 4 तशत से और संचालन लाभ 6.83 तशत ह
बढ़ा। संचालन न पादन म संतोष द ि थ त बनी है। यह माल क क म के साथ
समझौता से अ छ ि थ त बनी न क अ छे काय से। याज क रा श म कोई
प रवतन नह ं आया पर अपे ाकृ त ब क तु लना म कुछ कमी आयी है। याज का
ऐसे भी ब क रा श से नह ं वरन ् उधार ल गयी रा श से स ब ध होता है। शु
लाभ क ि ट से उधार चु काया जा सके तो अ छा है पर आयकर क ि ट से नह ं।
आयकर क रा श म बढ़ोतर हु ई वो भी आय बढ़ने से न क आयकर क दर बढ़ने से,
आय–कर क दर ि थर ह अथात 35 तशत ह रह । आयकर का स ब ध आय से
होता है न क ब क रा श से अत: 2.38 तशत क वृ केवल आकलन क
ि ट से ह रह गयी है। सं त म यह कहा जा सकता है क वष 2007 क तु लना
म वष 2008 म क पनी क संचालन– न पादन–ि थ त एवं लाभाजन मता क ि थ त
अ छ रह य क क पनी क ब का तशत बढ़ जब क क पनी का कर चु काने
के बाद शु लाभ / आय 215 तशत से अ धक बढ़ है। इतना होने के बावजू द भी
क पनी को अपनी उपाजन मता म और सु धार करने के लये माल क क म
सु धारते हु ये संचालन यय म कमी करनी चा हये।
समानाकार च ा व लेषण:
इस तकनीक को समानाकार व तीय ि थ त ववरण व लेषण तकनीक भी। कहा जाता
है। इस तकनीक म च ा क योग–रा श अथात कु ल स पि तय क योग रा श को
100 मानकर च ा अथात व तीय ि थ त ववरण म द शत सभी मद को स पि त–
योग से तशत म ात कर लया जाता है। सामा य श द म सभी मद का कु ल
स पि त से एक वशेष अनुपा तक स ब ध था पत कया जाता है। कसी वष वशेष,
दो या अ धक वषा या दो या दो से अ धक क पनी यवसाय का तुलना मक अ ययन–
व लेषण कर त या मक नणय लये जा सकते ह। स पि तय के साथ–साथ दा य व
एवं पू ज
ं ी प का भी अ ययन– व लेषण कया जाता है उसके लये भी च े के योग से
तशत ात कये जाते ह। इस तकनीक को तशत च ा व लेषण और तु लना मक–
समानाकार च ा व लेषण भी कहते ह। इस तकनीक का मु य उ े य यवसाय क
आ थक ि थ त, स पि तय क संरचना एवं दा य व क ि थ त, कृ त, अपे ाकृ त
भार, सापे क प रवतन, वृ त को समझ कर : त या मक आधार पर व तीय नणय
लेना है।

(314)
ऐसा व लेषण करने से पूव च े म द शत य द का प नक स पि तयाँ हो तो उ ह
हटाकर व लेषण करना चा हये। तशत को मा णत करने के लये कु छ क प नय
का या एक ह क पनी / यवसाय के कु छ वष के आधार पर माप– तशत ात
कया जा सकता है िजस से व लेषण और भी भावी एवं सह नणय–उ मुख हो जाता
है। च े क रा श और तशत त भ के साथ–साथ एक कॉलम या त भ ' तशत
म प रवतन' या औसत– तशत बनाया जा सकता है। ह,सक प रभाषा, अथ, मह व,
आकलन व ध आ द ार भ म एवं उपयु त ववेचन म तु त क जा चु क ह।

12.5 वृि त – व लेषण तकनीक


क पनी क ग त, ि थरता या अवन त, कैसी ग त है इस बात का अ ययन करने के
लये व लेषक ाय: कु छ वष के का शत व तीय ववरण का उपयोग करते ह। ाय:
पांच सात या अ धक वष का अ ययन करने से ह क पनी क ग त, ग त या ख
का पता चलता है। इस व ध म तशत या अनुपात का योग कया जाता है िजसे
तशत– वृ त या वृि त अनुपात कहते है। आधार वष के अंक को 100 मानकर शेष
वषा के लए तशत या अनुपात या सू चकांक इं गत कये जाते ह और ये एक वृि त
का बोध कराते ह। का शत ववरण क सभी मद के लये वृि त तशत इं गत
कये जाते ह। इसके लये सामा यत: ारि भक वष को आधार वष (100) मानकर
अ य वषा के लये वृ या गरावट को ात कया जाता है और इ ह य क तशत
म ात कया जाता है, इस लये इ ह वृ त तशत भी कहते ह। व तीय ववरण क
कसी मद– वशेष के लये वृि त तशत क गणना करने का सू इस कार से होगा:
आधार वष क तुलना म चालू वष म वृ या गरावट
वृि त- तशत = × 100
आधार वष म मद वशेष क धनरा श

वृि त – तशत का आकलन थम वष के थान पर ''ठ क गत वष'' को आधार मान


कर भी कया जा सकता है। इससे खृं लाधार तशत प रवतन अथात वष–दर–वष
प रवतन के ख का पता चल जाता है। अ पकाल न व लेषण म आधार–वष अथात ्
थम वष को थायी नह ं रखकर खृं ला आधार ठ क रहता पर तु द घकाल न वृि त
व लेषण थायी आधार पर करना ह यादा भावी रहता है। 'ठ क गत वष' अथात
पछले वष को आधार मानते हु ए चालू वष म कसी मद– वशेष के लए वृि त तशत
ात करने का सू इस कार से बनता है:
गत वष क तुलना म चालू वष म वृ या कमी
वि त- तशत= × 100
ठ क गत वष म मद वशेष क धनरा श

नःसंदेह यह तकनीक एक सरल तकनीक है, इससे तुलना मक एवं सं तीकरण


स भव हो जाता है और इससे प रवतन का संकेत प ट मल जाता है। इतना ह
नह ,ं यह एक मत ययी, और सहज तकनीक है िजसे हर–कोई व लेषक अपना सकता
ह। पर तु यान रहे इस तकनीक क भी कु छ सीमाय ह िजसे यान म रखकर ह इसे
अपनाना चा हये। जैसे इसम आधार वष क ज रत पड़ती है जो आसानी से चय नत
नह ं कया जा सकता एवं का शत व तीय ववरण म उपल ध समंक . म संगतता

(315)
का अभाव होने पर इसके न कष मत कर सकते ह। अनुपात या तशत तो एक
के य चे टा को कट करते है अत: इस तकनीक का उपयोग करते समय नरपे
मू य / धनरा शय को भी यान म रखते हु ए अि तम– नणय लया जाना चा हये।
अब यहां एक उदाहरण क सहायता से वृि त व लेषण तकनीक को समझायगे।
उदाहरण
द. लेजर इि डया ल मटे ड के संचालन यय से स कधी न नां कत सूचना के आधार
पर आप वृि त व लेषण तकनीक क सहायता से व लेषण करते हु ये अपना मंत य
अथात वचार अ भ य त कर; (अ) 2001 व वष को थायी आधार मानते हु ए, तथा
(ब) येक वष के लए गत वष को खृं ला आधार बनाते हु ए।
वष 2001–02 2002–03 2003–04 2004–05 2005–06 2006–07 2007–08

संचालन ( .) 25,000 30,000 22,500 22,500 40,000 50,000 55,000

हल :
द लेजर इि डया ल मटे ड
(अ) 2001 – 02 को आधार रखते हु ये वृि त तशत
वष 2001–02 2002–03 2003–04 2004–05 2005–06 2006–07 2007–08

संचालन यय 25,000 30,000 22,500 37,500 40,000 50,000 55,000


( .)
प रवतन (+ – +5,000 (–)2,500 +12,500 +15,000 +25,000 +30,000
या –)
वि त – 20% 10% +50% +60% +100% +120%
तशत

व लेषणा मक वचार :
वृ त तशत से यह अवलो कत होता है क क पनी का संचालन यय 2001–08–02
क तु लना म 2007–08 म 120 तशत से बढ़ा है अथात 100 क तु लना म बढ़कर
220 हो गया है। ाफ पेपर पर द शत कर तो एक वृ त ( े ड) प ट दखायी दे गी
और यह वृ लगातार हु ई, केवल 2003 – 04 को छोड़ कर िजसम 10 तशत क
कमी हु ई।
(अ) गत वष को खृं ला आधार मानते हु ये वृि त तशत
वष संचालन यय ( .) प रवतन (+ या –) वृि त तशत
2001–02 25,000 – –
2002–03 30,000 + 5,000 + 20.00%
2003–04 22,500 (–) 7,500 (–) 25.00%
2004–05 37,000 + 15,000 + 66.67%
2005–06 40,000 + 2,500 + 06.67%
2006–07 50,000 + 10,000 + 25.00%
2007–08 55,000 + 5,000 + 10.00%

(316)
व लेषणा मक वचार :
उपयु त ता लका म येक वृि त तशत संबं धत गत वष क तु लना म चालू वष म
आये संचालन यय म प रवतन को द शत कर रहे है। वष 2004–05 म यह यय
अ यंत बढ़ा जो 66.67 तशत था और अगले ह वष 2005–06 म सबसे कम बढ़ा,
जो केवल 06.67 तशत था। क पनी म इस यय क वृि त वृ और गरावट क
रह जो यह बताती है क क पनी म न तो इस यय वशेष के लए कोई नी त ह है,
और न ह कसी कार का नयं ण रहा। लाभ–मा ा म इससे आने वाला प रवतन
इसके न पादन को भा वत करता है। इसके लए इस यय पर यान दे ने क
आव यकता है।
उपयु त उदाहरण म एक मद वशेष का व लेषण कया गया। पर तु इस तकनीक से
आव यकतानुसार मद–समू ह या समूह का भी इस तकनीक से अ ययन एवं व लेषण
कया जा सकता है। प ट है क वृि त व लेषण को हम वृि त तशत या वृि त
अनुपात या फर वृि त–सू चकांक भी कह सकते ह। यह तकनीक लाभ–हा न खाता,
च ा, या अ य ववरण के व लेषण म सहज, सरल एवं बोधग य तकनीक मानी
जाती है।

12.6 सारांश
व तीय ववरण म मु यतया: 'लाभ–हा न खाता तथा च ा आता है। इन के व लेषण
क अनेक तकनी कयाँ वक सत क जा चु क ह। व लेषण से इन ववरण म द शत
समंक–सू चना बोधग य सहज एवं सरल प से नणय–त य म बदल द जाती ह
िजससे व भ न कार के यावसा यक एवं व तीय नणय लये जा सकते ह। व तीय
ववरण के व लेषण म मु यतया: तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक,
समानाकार ववरण व लेषण तकनीक, वृि त व लेषण तकनीक, अनुपात व लेषण
तकनीक, कोष वाह ववरण व लेषण तकनीक एवं नकद वाह ववरण व लेषण
तकनीक यु त होती ह। थम तीन आधारभूत तकनी कय को इस पाठ–इकाई म
आ मसात कया गया ह। तु लना मक तकनीक लाभ–हा न खाता तथा च ा म यु त
क जाती है और समानाकार तथा वृि त व लेषण तकनीक भी मु यतया: इन
ववरण के व लेषण म यु त होती ह। इन तकनी कय का अपना मह व है, और
आज के आ थक एवं व तीय जगत म तो व लेषण करना अ या य हो गया है और
वा तव म इन तकनी कय क यावहा रक उपयो गता और भी यादा बढ़ गई है। कु छ
भी हो इन तकनीक का उपयोग इन क सीमाओं को यान म रखते हु ए ह करना
ेय कर रहता है।

12.7 श दावल /पा रभा षक श द


 च ा : च ा को व तीय ि थ त ववरण भी कहते ह। यह एक आधारभूत व तीय
प है जो एक नि चत त थ को यवसाय वशेष क आ थक/ व तीय ि थ त द शत

(317)
करता है। यह कोई खाता नह ं होता वरन एक ववरण है िजसम स पि तयाँ एक प
म तो दूसरे प म यवसाय के दा य व तथा अंशधा रय क समता बतायी जाती है।
 लाभ–हा न खाता : यह यवसाय का एक आधार भू त व तीय प होता है जो
व तीय–वष वशेष के दौरान यवसाय वारा नतीजन उपािजत लाभ या सहन क गयी
हा न को द शत करता है। इसे आय– ववरण या लाभ–हा न ववरण भी कहा जाता है।
 व तीय नणय : व तीय नणय से आशय क पनी बंध वारा लये जाने वाले ऐसे
नणय से है जो व तीय– बंध के लये आव यक होते ह। इन नणय म मु यत:,
व नयोग नणय, व त–पोषण नणय एवं लाभांश नी तगत नणय सि म लत कये
जाते ह। पर तु कायशील पू ज
ं ी बंध भी इसम सि म लत कया जाता है।
 ं ी : कायशील पू ज
कायशील पू ज ं ी इसके सकल अथ म चालू स पि तय को कहते और
इस के शु अथ म चालू स पि तय का चालू दा य व से आ ध य कायशील पू ज
ं ी है।
 तधा रत आय : तधा रत आय से आशय क पनी यवसाय वारा वगत वष म
उपािजत लाभ से ह िज ह क पनी ने अंशधा रय को लाभांश के प म वतरण न
करके अपने पास रख लये ह। इनका पुन व नयोजन कया जाता ह। ये लेखा–पु तक
म व भ न संचय , ावधान , आयोजन , कोष आ द के प म दखाये जाते है।

12.8 वपरख न / अ यास


 अ तलघु तरा मक न :
1. व तीय ववरण से आपका आशय या है?
2. व लेषण का मह व समझाइये।
3. आय ववरण को समझाइये।
4. व तीय ववरण का व लेषण करना य आव यक है? समझाइये।
5. व तीय ववरण व लेषण क कोई दो तकनीक के नाम बताइये।
6. तु लना मक लाभ–हा न खाता य बनाया जाता है? उदाहरण दे ते हु ए समझाइये।
7. तु लना मक च ा व लेषण का मह व बताइये।
8. तु लना मक व लेषण क सीमाय बताइये।
9. समानाकार ववरण व लेषण को प रभा षत क िजये।
10. वृि त तशत ात करने का सू द िजये।

12.9 लघु तरा मक न


1. व तीय ववरण व लेषण का अथ, प रभाषा एवं मह व बताइये।
2. तु लना मक व तीय ववरण व लेषण तकनीक पर काश डा लये।
3. समानाकार च ा व लेषण को उदाहरण दे ते हु ए समझाइये।
4. वृि त तशत व लेषण म यु त कये जाने वाले आधार को समझाइये।

(318)
5. कसी क पनी के व तीय न पादन का व लेषण एवं नवचन करने म यु त क
जाने वाल वृि त तशत तकनीक को उदाहरण दे ते हु ए समझाइये।
6. न न म से क ह ं दो पर ट प णयाँ द िजये :
(अ) तु लना मक च ा व लेषण
(ब) समानाकार आय ववरण व लेषण
(स) वृि त तशत व लेषण
7. न न को समझाइये :
(अ) च ा,
(ब) लाभ–हा न खाता और
(स) व तीय नणय

12.10 यावहा रक न
1. मैसस रा धका–मोहन आप को उनक वष 31 माच 2007 एवं 2008, के च से
चालू स पि तय क जानकार दान करते ह। आप तु लना मक च ा तकनीक का
उपयोग क िजये और व लेषण करते हु ए अपने वचार द िजये :
मैसस रा धका–मोहन
च ा : 31 माच. 2007 तथा 2008 पर (केवल चालू स पि तयाँ)
(धनरा श पय म)
ववरण : चालू स पि तयाँ 31.03.2007 31.03.2008
रोकड़ ह त थ 8,00,000 5,00,000
बक शेष 6,00,000 7,00,000
ा य वप 4,25,000 5,28,000
व वध दे नदार 9,28,000 10,52,000
अि तम रह तयाँ 15,12,000 18,20,000
अ य चालू स पि तयाँ 4,35,000 3,00,00
कु ल 47,00,000 49,00,000
2. द. यू टार इंटरनेशनल ल मटे ड का 31 माच, 2008 को सं त च ा से आप
तु लना मक च ा व लेषण तकनीक के आधार पर व लेषण करते हु ये, नवचन (अपने
वचार) द िजये :
( पये)
स पि तयाँ : 31.03.2008 31.03.2007
थायी स पि तयाँ 80,00,000 50,00,000
चालू स पि तयाँ, ऋण तथा अ म :
चालू स पि तयाँ 30,00,000 25,00,000

(319)
ऋण तथा अ म 20,00,000 15,00,000
क ण अथवा व वध यय 50,000 60,000
लाभ–हा न खाता 5,00,000 3,70,000
कु ल 1,35,50,000 94,30,000
दा य व :
अंशपू ज
ं ी 60,00,000 50,00,000
पू ज
ं ी संचय कोश 8,00,000 5,00,000
ऋण तथा थ गत भु गतान 3,00,000 3,00,000
चालू दा य व 60,00,000 35,30,000
संचय एवं ावधान 4,50,000 1,00,000
कु ल 1,35,50,000 94,30,000
3. द. यू इं डया ( ा.) ल मटे ड 31 माच 2008 को समा त हु ए अपने व तीय वष के
लए सं त आय– ववरण आप को तु त करती ह, आप तु लना मक आय– ववरण
व लेषण तकनीक से व लेषण करते हु ए उस के न पादन, लाभाजन मता आ द पर
काश डा लये।
(धनरा श पय म)
ववरण 31.03.2008 31.03.2007
आय :
व य 9,87,500 6,62,500
अ य आय 43,750 12,500
रह तय म वृ 50,000 162,500
10,81,250 8,37,500
यय :
क ची साम ी 2,62,500 2,87,500
वेतन एवं पा र मक 2,56,250 2,00,000
व वध यय 5,00,000 2,31,250
व य यय 75,000 68,750
ऋण पर याज 56,250 53,125
हा नय के लए ावधान 21,875 15,625
मू य हास 61,250 46,875
12,33,125 9,03,125
हा नयाँ :
वष क हा नयाँ 1,51,875 65,625

(320)
गत वष क हा नयाँ 1,26,875 61,250
च ा म द शत हा नयाँ 2,78,750 1,26,875
4. द. कोटा–बू द
ं इं डया ल. आप को 31 माच, 2007 एवं 2008 को समा त होने वाले
वष के लए अपना सं त आय ववरण तु त करती है। आप समानाकार आय–
ववरण व लेषण तकनीक क युि त करते हु ए उनके न पादन का मू यांकन क िजये
और सु धार के लए सु झाव भी द िजये :
आय– ववरण
ववरण 2007 ( पये) 2008 ( पये)
शु व य 58,00,000 85,00,000
बेचे गये माल क लागत (–)42,00,000 (–)48,00,000
सकल लाभ 16,00,000 37,00,000
कु ल संचालन यय –7,80,000 –12,16,000
संचालन लाभ 8,20,000 24,84,000
अ य आय (+)16,500 (+)21,800
याज (–)50,000 (–)50,000
शु आय 7,86,500 24,55,800
आय कर –2,35,950 –8,59,530
कर प चात शु आय 5,50,550 15,96,270
5. मैसस क यूटस इं डया ल मटे ड आप को गत तीन वष के सं त व तीय ि थ त
ववरण तु त करती ह। आप समानाकार ववरण व लेषण तकनीक लागू करते हु ए
उसक व तीय ि थ त पर काश डा लये :
ववरण 2005–06 2006–07 2007–08
नकद एवं बक शेष 50,000 75,000 60,000
व वध दे नदार 4,00,000 5,00,000 7,50,000
ा य– वप 3,00,00 2,00,000 4,00,000
रह तयाँ 2,50,000 4,00,000 7,40,000
शु थायी स पि तयाँ 30,00,000 33,00,000 30,00,000
योग 40,00,000 44,75,000 49,50,000
व वध लेनदार 1,85,000 2,40,000 8,75,000
बा य ि थत यय 15,000 60,000 10,000
दे य वप 1,25,000 3,50,000 3,00,000
अ प काल न बक–ऋण 75,000 1,00,000 1,25,000
द घकाल न दा य व 10,00,000 10,40,000 10,00,000

(321)
अंश पू ज
ं ी 25,00,000 25,00,000 25,00,000
तधा रत आय 1,00,000 1,85,000 1,40,000
योग 40,00,000 44,75,000 49,50,000
6. द दे हरादून गारमे स ा. ल मटे ड अं तम पांच वष के दौरान आये प रवतन से
स बि धत समंक (धनरा श) कु छ मह वपूण मद के स ब ध म इस कार तु त
करती है :
ववरण 31 माच, 2003 31 माच, 2008
कायशील पू ज
ं ी 50,60,800 26,50,000
ला ट ए ड ईि वपम स 48,36,000 86,40,000
द घकाल न ऋण 32,64,000 80,64,000
शु य स पि तयाँ 58,40,000 85,40,000
आप वृि त तशत तकनीक का उपयोग क िजये और व लेषण करते हु ए क पनी क
व तीय ि थ त म आये प रवतन पर अपने वचार द िजये।

12.11 उपयोगी पु तक/संदभ थ


1. एंथोनी, आर.एन. एवं र श; मैनेजमे ट अकाउि टं ग, डीबी तारापोरावाला ए ड संस ( ा.)
ल., मु बई।
2. हंगोरानी. रामनाथन एवं ेवाल; मैनेजमे ट अकाउि टग, सु तान चद, ए ड संस,
द ल।
3. चौधर . एस.बी.; मैनेजमे ट अकाउि टं ग, क याणी पि लसस, नई द ल ।
4. जॉन डयरडेन एवं भ ाचाय; ब ध लेखांकन, डीबीट , ब बई।
5. त बोल , सोमानी एवं मेना रया; बंध लेखांकन, अजमेरा बुक क पनी, पो लया
बाजार, जयपुर ।

(322)
इकाई – 13 : अनुपात व लेषण : (Ratio Analysis)
इकाई क परे खा :
13.1 उ े य
13.2 अनुपात का अथ एवं प रभाषा
13.3 अनुपात व लेषण क मा यताएँ
13.4 अनुपात व लेषण के आधार
13.5 अनुपात व लेषण का मह व एवं उपयो गता
13.6 अनुपात का वग करण
13.7 लाभदायकता एवं याशीलता अनुपात का स ब ध
13.8 तरलता अनुपात
13.9 शोधन मता अनुपात
13.10 अंशधा रय के लए अनुपात
13.11 अनुपात व लेषण क सीमाएँ
13.12 अनुपात व लेषण म आधु नक वृि तयाँ
13.13 व–परख न
13.14 यावहा रक न
13.15 उपयोगी पु तक / संदभ थ

13.1 उ े य
व तीय ववरण व लेषण क इस तकनीक के अ ययन के उपरा त व याथ को
अनुपात क उपयो गता पर पर स ब धता, ववरण के व लेषण के व भ न आयाम
यथा लाभदायकता, तरलता, याशीलता एवं साहू का रता के अ ययन म कस कार
सहायक ह, उससे अवगत कराना है।
अनुपात व लेषण का प रचय एवं उ गम : व तीय ववरण के व लेषण क िजतनी
भी तकनीक चलन म ह, उनम से अनुपात व लेषण स भवत: सबसे अ धक लोक य
है। आरि भक काल म बक वारा ाहक क ऋण शोधन मता का अनुमान लगाने
हे तु ाय: चालू स पि तय तथा चालू दा य व के बीच अनुपात का योग सामा य प
से कया जाता था। सव थम एले जडर बाल ने अपने यास से अनुपात व लेषण के
े को वक सत एवं प र कृ त कया। माच 1919 म ''फेडरल रजव बुले टन म
एले जडर वारा व णत लेख ने अनुपात व लेषण को आव यक ग त दान क ,
तदुपरांत एले जडर वारा ल खत लेख मश: न न कार का शत हु ए :
Analytical credits 1921, Ratio Analysis of Financial Statements
1928, Analysis of Financial Statements 1930, How to evaluate
Financial Statements 1936.
(323)
उपयु त लेख के काशन के बाद अनुपात व लेषण के योग एवं मह व को एक नया
आयाम ा त हु आ। पछले कु छ वष से इस े म सांि यक य व धय का योग
बहु त बड़ी सीमा तक बढ़ गया है।
1960 के दशक म ो. आ टमन वारा का शत एक लेख के बाद ''बहु वभेदा मक
अनुपात व लेषण” (Multi Discriminant Ratio Analysis) का योग ती ग त से
बढ़ा है। ो. आ टमन ने लेखा अनुपात को सांि यक य पैकेज काय म म यु त कर
एक व श ट मॉडल का सृजन कया जो व तीय ि टकोण से व थ और ण
यावसा यक इकाइय म भेद करने म बहु त सफल स हु आ। आधु नक युग म इस
कार के व लेषण का मह व बहु त बढ़ गया है।

13.2 अनु पात का अथ एवं प रभाषा.


व तु त: लेखा अनुपात दो लेखांकन त य िजनके बीच कारण तथा प रणाम स ब ध
या त हो, के पर पर स ब ध को प ट करता है। प ट है क मा दो त य का
अनुपात एक लेखा अनुपात नह ं हो सकता जब तक क उन त य के बीच कारण तथा
प रणाम पी स ब ध न हो। उदाहरणाथ अंश के नगमन पर द गई छूट तथा व य
के बीच ात कया गया अनुपात यथ होगा। इन चार म कोई कारण तथा प रणाम
स ब ध नह ं है। इसके वपर त य द सकल लाभ तथा के बीच कसी अनुपात क
गणना क जाय तो वह न चय ह सह एवं साथक होगी।
लेखांकन अनुपात क गणना व तीय ववरण – चाहे वे आ त रक तवेदनो के प म
ं म जे. बैट का कथन उ लेखनीय है :
हो अथवा बा य से क जा सकती है। इस संबध
“लेखानुपात श द का योग च े , लाभ–हा न खाते, बजटर नयं ण णाल अथवा
लेखांकन संगठन के कसी भी े म दशाये गये समंक के बीच या त साथक संबध

को प ट करने के लये कया जाता है।''
च े एवं लाभ–हा न खाते म जो समंक तु त कये जाते ह वे नरपे समंक होते ह।
वा तव म नरपे सू चनाएं एवं समंक बहु त अ धक अथपूण नह ं होते। यह कह दे ने से
क एक फम को एक वष वशेष म 100000 . का सकल लाभ हु आ, यह अनुमान
नह ं लगता क लाभ क मा ा संतोष द है अथवा नह ,ं जब तक क यह ात न हो
क फम क कु ल व नयोिजत पूँजी व कु ल व य क मा ा कतनी है।
अनुपात के व प : लेखा अनुपात को व भ न व प म आक लत कया जाता है,
उनम से च लत व प न न कार ह
(1) शु अनुपात के प म : लेखा अनुपात का यह सबसे अ धक च लत व प है िजसम
दो लेखा मद के बीच या त संबध
ं को सीधे आनुपा तक व प म य त कया जाता
है। उदाहरणाथ य द चालू स पि त 6,00,000 . तथा दा य व 1,00,000 . है तो
चालू स पि तय एवं दा य व के बीच लेखा अनुपात 6:1 के प म य त कया
जायेगा।

(324)
(2) दर के प म : कभी–कभी लेखा अनुपात को इस कार से य त कया जाता है क
अमु क लेखा मद कसी अ य स बि धत लेखा मद क कतनी गुनी (Time) है।
अ धकांश याशीलता अनुपात को ाय: इसी प म य त कया जाता है, उदाहरणाथ
व नयोिजत पूँजी 10,00,000 . है तथा स बि धत समयाव ध म कुल व य रा श
3,00,0000 . है तो इसका आशय है व य रा श व नयोिजत पूँजी क तीन गुणा
है।
(3) तशत के प म : कभी–कभी दो लेखा त य के बीच या त संबध
ं को तशत के
प म य त करके अनुपात का आकलन कया जाता है। अ धकांश लाभदायकता
अनुपात गणना तशत के प म ह क जाती है। उदाहरणाथ य द एक व तीय वष
म व य 1,00,0000 . तथा सकल लाभ 2,00,000 . हु आ है तो सकल लाभ
एवं व य के बीच अनुपात को 20%के प म य त कया जा सकता है।
(4) औसत के प म : कु छ आनुपा तक गणनाएँ इस कार से क जाती है क वे दो लेखा
त य के बीच औसत संबध
ं को य त करती ह। उदाहरणाथ य द दै नक उधार ब
2,00,00 . है तथा दे नदार का औसत शेष 4,00,000 . है तो दे नदार क औसत
सं हण अव ध 4,00,000 ÷ 20,000 = 20 दन के प म य त क जा सकती
है।
(5) कोर के प म : ाय म त तथा बहु चर अनुपात व लेषण के अ तगत आनुपा तक
संबध
ं को कोर के प म ह य त कया जाता है। उदाहरणाथ आ टमैन के मॉडल के
अ तगत Z–score क गणना क जाती है तथा कई अ य मॉडल म Y–score क
गणना क जाती है।

13.3 अनु पात व लेषण क मा यताएँ :


अनुपात व लेषण न न ल खत मा यताओं पर आधा रत है :–
(i) अनुपात व लेषण करते समय यह मान लया जाता है क लेखा–पालक वारा तु त
व तीय ववरण सामा य लेखा स ा त पर आधा रत है एवं यवसाय क व तु–ि थ त
को वा त वक प म कट करते है।
(ii) िजन व तीय ववरण के अनुसार लेखा अनुपात क गणना क जा रह है वे ववरण
यथा संभव पूण है।
(iii) व तीय ववरण म उ ले खत त व अ य सं थाओं एवं संबं धत उ योग के लेखा त य
से हर ि ट से तु य है।
अनुपात व लेषण क साथकता उतनी ह होगी िजस सीमा तक उपयु त मा यताएं
वा त वक होगी अथात ् अनुपात व लेषण के न कष एक बहु त बड़ी सीमा तक बताई
गई मा यताओं क स यता पर नभर करते है।

(325)
13.4 अनु पात व लेषण के आधार :
अनुपात व लेषण अपने आप म सा य नह ं है, वरन ् सा य को ा त करने का
मा यम है। अनुपात व लेषण के वारा एक सं था क व तीय ि थ त का मू यांकन
करने हे तु आंक लत अनुपात का न न ल खत आधार पर नवचन कया जा सकता है।
(i) वृि त से तु लना करके : पछले कु छ वष के अनुपात क गणना करके चालू अनुपात
क तु लना वृि त से क जा सकती है। इस कार का व लेषण काल ेणी व लेषण
भी कहलाता है।
उदाहरणाथ : एक फम के पछले पाँच वष के सकल लाभ अनुपात न न कार है :–
2003–15%, 2004–15% ,2005–20%, 2006–22%, 2007–26%.
अब य द वतमान वष का सकल अनुपात 160% है तो यह च ता का वषय है एवं
इस बात का तीक है क सं था क व य कु शलता म गरावट आयी है।
(ii) पछल अव ध क औसत से तु लना करके : वतमान वष के लेखानुपात क तु लना
पछले कु छ वषा के इसी फम के औसत से करके यथो चत न कष नकाले जाते ह।
मान ल िजए क एक फम के पछले कु छ वष के शु लाभ अनुपात तथा उनका
औसत न न कार है :–
2003–10%, 2004–15%, 2006–11%,2007–17%.
अब य द वष 2008 म शु लाभ अनुपात 14% आता है तो इसे औसत पर
संतोषजनक कहा जा सकता है।
(iii) उ योग के औसत से तु लना करके : कसी यावसा यक इकाई के आपात का मू यांकन
स पूण उ योग के उसी अनुपात के औसत से तु लना करके कया जा सकता है।
उदाहरणाथ – कसी टे सटाइल मल का पछले दस वष के सकल लाभ अनुपात का
औसत 20% आता है, और इि डयन कॉटन मल संगठन वारा का शत तनध
फाम के समंक के आधार पर। यह औसत 40% आता है, तो न कष नकाला जा
सकता है क फम क सकल लाभ अिजत करने क मता उ योग क तु लना म बहु त
कम है, तथा फम म व य कु शलता तथा लागत नयं ण बंध म, कमी है। इस
कार के व लेषण को त न ध समू ह व लेषण (Cross sectional analysis)
कहते है।
(iv) संदभ माप से तु लना करके : ब ध लेखांकन के सा ह य म कु छ अनुपात लए माप
माप नधा रत है। उदाहरणाथ चालू अनुपात के संबध
ं म यह माना जाता है क यह
अनुपात के बराबर होना चा हए। कसी फम के आक लत चालू अनुपात क तु लना इस
माप से क जा सकती है।
अनुपात व लेषण के उ े य : व तीय व लेषण के व भ न व लेषणा मक यं म से
अनुपात व लेषण एक मु ख यं अथवा तकनीक है। अनुपात क गणना के मु ख
न न कार है:–

(326)
(i) पर पर स बि धत लेखांकन त य को एक माप के प म य त करना : व तीय
ववरण म उ ले खत त य एवं सू चनाएं नरपे प म होती है तथा वयं व णत नह ं
होती अनुपात व लेषण के मा यम से इन त य एवं सू चनाओं को सापे प म
य त करना होता है।
(ii) ज टल समंक का सरल करण करना : ज टल समंक को सरल बनाकर अ धक अथपूण
ढं ग से तु त करने हे तु अनुपात व लेषण कया जाता है।
(iii) व लेषण करना : अनुपात के मा यम से एक फम या उ योग क ग त व धय का
सु यवि थत प म व लेषण करना संभव हो पाता है।

13.5 अनु पात व लेषण का मह व एवं उपयो गता :


व तु त: अनुपात व लेषण व तीय व लेषण का सबसे मह वपूण उपकरण है। इसक
मह ता न न कारण से है:–
(i) यवसाय के कसी भी े म वृि त को प ट करना।
(ii) बड़े एवं ज टल समंक को सरल एवं बोधग य प म तु त करना।
(iii) दो या दो से अ धक अव धय म व तीय समंक म आने वाले प रवतन को करना।
(iv) व तीय मता का नधारण एवं मापन करना।
(v) व भ न इकाइय क कायकुशलता क तु लना करना।
(vi) सं था म भावी नयं ण था पत करना।
(vii) व भ न अनुपात के लए यथो चत मानक नधा रत करना।

13.6 अनु पात का वग करण :


अनुपात का वग करण भी बहु आयामी है। सामा य प से अनुपात को न न कार से
वग कृ त कया जा सकता है :–
(A) व तीय ववरण के आधार पर : व तीय ववरण के आधार पर अनुपात को
न न ल खत तीन भाग म वभािजत कया जा सकता है :–
(i) ि थत ववरण के अनुपात : जो अनुपात च े म द शत सू चनाओं के आधार पर
आंक लत कए जाते ह उ ह ि थ त ववरण अनुपात कहा जाता है। इस ेणी म आने
वाले कु छ अनुपात ह – चालू अनुपात, तरलता अनुपात , थायी स पि त अनुपात आ द।
(ii) आय ववरण के अनुपात : जो अनुपात आय ववरण म द त सू चनाओं के आधार पर
ात कए जाते ह, उ ह आय ववरण के अनुपात कहा जाता है। उदाहरणाथ – सकल
लाभ अनुपात, शु लाभ अनुपात , प रचालन अनुपात आ द।
(iii) उपयु त दोन व तीय ववरण पर आधा रत अनुपात : कु छ अनुपात ऐसे होते ह
िजनक गणना के लए एक सू चना आय ववरण से ल जाती है तो दूसर सू चना
ि थत ववरण से ा त क जाती है। इस ेणी म आने वाले मु ख अनुपात ह –
व नयोिजत पूँजी पर आय अनुपात, कंध अनुपात, कायशील पूँजी फेरा अनुपात ,
थायी स पि त फेरा अनुपात आ द।
(327)
(B) आपसी स ब ध के आधार पर : British Institute of Management ने अ त:फम
तु लना मक अ ययन हे तु अनुपात को न न दो े णय म वभ त कया है जो
पर पर एक–दूसरे पर आ त है :–
(i) ाथ मक अनुपात : इसम मू लभू त लाभदायकता अनुपात को ह शा मल कया जाता है।
व नयोिजत पूँजी पर याय इस ेणी का एक मा अनुपात है। िजसका मान शु
प रचालन लाभ अनुपात तथा सामा य फेरा अनुपात के गुणनफल के बराबर होता है।
(ii) वतीयक अनुपात : इस ेणी म अ य सभी अनुपात को सि म लत कया जाता है।
मु ख वतीयक अनुपात है: प रचालन लाभ अनुपात तथा पूँजी फेरा अनुपात।
(C) कृ त के आधार पर : व भ न कार के अनुपात कु छ व श ट बात का बोध कराते ह
तदनुसार उनक कृ त को यान म रखते हु ए इ ह वग कृ त कया जा सकता है जैसे –
(i) व भ न व य अनुपात, (ii) कायशील पूँजी अनुपात, (iii) लागत अनुपात , (iv)
कंध अनुपात, (v) लाभ व लाभांश के अनुपात।
(D) मू लभू त वग करण : मूलभू त प से अनुपात को उस काय के अनुसार वग कृ त कया
जाता है िजसका क वह अनुपात उ े य पूरा करता है। इस ेणी म अनुपात को न न
कार वग कृ त कया जाता है। (i) लाभदायकता अनुपात , (ii) याशीलता अनुपात ,
(iii) तरलता अनुपात , (iv) शोधन मता अनुपात, (v) अंशधा रय के लए अनुपात,
(vi) अ य अनुपात।
इस अ याय म हमने व भ न अनुपात का वणन मु य प से इसी आधार पर कया
है। अनुपात को चाट–1 म वग कृ त करके दशाया गया है।

(328)
चाट -1
लाभदायक अनुपात (Profitability Ratios)
कसी भी सं था क लाभाजन मता का मापन ब अथवा व नयोग दोन संदभ म
कया जैसा क न न ल खत चाट म उ ले खत है :–

(A) ब पर आधा रत लाभ अनुपात : ब पर आधा रत लाभदायकता अनुपात न न


कार व णत है:
(i) सकल लाभ अनुपात (Gross Profit Ratio or GPR): यह अनुपात एक अव ध म
फम वारा अिजत सकल लाभ एवं शु ब के बीच स ब ध को य त करता है।

(329)
Gross Pr ofit
Gross Pr ofit Ratio (GPR)  100
Net Sales
य य प इस अनुपात के लये कोई पूव नधा रत माप उपल ध नह ं है तथा प इसको
आदश मान यवसाय वशेष क प रि थ तय पर नभर करता है। इसका मान इतना
अव य होना चा हये क अ य यय को पूरा करने के बाद यथो चत शु लाभ
आ ध य के प म दे सके िजससे यवसाय का वकास कया जा सके तथा
अंशधा रय को उ चत लाभांश दया जा सके।
(ii) शु लाभ अनुपात (Net Profit Ratio or NPR) यह अनुपात फम वारा अिजत
शु लाभ व शु ब के म य स ब ध को य त करता है। इसक गणना न न
कार क जा सकती है :–
Net Pr ofit
Net Pr ofit Ratio ( NPR)  100
Net Sales
इसका कोई पूव नधा रत माप नह ं है। यह अनुपात िजतना अ धक होगा उतनी ह
फम क शु लाभाजन शि त अ छ होगी।
(iii) शु प रचालन लाभ अनुपात (Net operating profit ratio) : ाय: शु लाभ
अनुपात यवसाय क वा त वक लाभाजन मता का सह माप तु त नह ं करता
य क इसक गणना करते समय आय म बहु त सी ऐसी आय सि म लत होती ह जो
गैर प रचालन ोत से ा त हु ई हो। ठ क इसी कार बहु त से ऐसे यय हो सकते ह
जो गैर प रचालन कृ त के ह तथा िज ह शु लाभ ात करते समय घटा दया
जाता है। प रणाम व प NPR प रचालन लाभाजन मता का माप नह ं करता है।
ऐसी अव था म यह वांछनीय होगा क शु लाभ म गैर प रचालन यय जैसे
व नयोग क ब पर हा न, व तीय यय, थायी स पि तय क ब पर हा न
आ द को शु लाभ म जोड़कर तथा गैर प रचालन आय जैसे याज, कराया तथा
लाभांश से आय, स पि त क ब से लाभ आ द आय को घटाकर शु लाभ
(NOP) ात कया जाये। इस अनुपात क गणना न न सू से क जा सकती है:–
Net Operating Pr ofit
Net Operating Pr ofit Ratio ( NOPR)  100
Net Sales
यह अनुपात िजतना अ धक होगा, फम क प रचालन लाभाजन मता भी उतनी ह
अ धक मानी जायेगी।
(iv) प रचालन अनुपात (Operating Ratio or OR) : प रचालन अनुपात प रचालन
यय तथा ब क लागत के योग एवं शु ब स ब ध को य त करता है।
Cost of goods sold  Other Operating exp enses
Operating Ratio (OR)   100
Net Sales
यह अनुपात शु प रचालन लाभ अनुपात का पूरक है तथा इन दोन अनुपात का कु ल
योग 100 के बराबर होता है। इस अनुपात का मान िजतना कम होगा उतना ह शु
प रचालन अनुपात अ छा होगा।

(330)
(v) यय अनुपात (Expenses Ratio or ER) : कसी भी यय क मद का शु ब
से जो संबध
ं होता है वह उस मद का यय अनुपात कहलाता है। इसक गणना कार
क जा सकती है।
Particular Expense
Expense Ratio ( ER)  100
Net Sales
यय अनुपात का मान कम होना अ छा माना जाता है।
(B) व नयोग पर आधा रत लाभ अनुपात : लाभदायकता अनुपात क गणना व नयोग के
संदभ म भी क जा सकती है। इस ेणी का मु ख अनुपात ' व नयोग पर दर' इसक
गणना न न कार क जाती है:
Net Operating Pr ofit
Re turn on Investment or ROI  100
Capital Exployed
सामा यतया व नयोिजत पूँजी से आशय (Fixed Asset + Current
assets) – (Current Liabilities) से है। यह अनुपात िजतना अ धक होता है,
व नयोिजत पूँजी के संदभ म फम लाभदायकता उतनी ह अ छ मानी जाती है।
समता अंशधा रय क पूँजी पर लाभदायकता न न कार ात क जा सकती है :–
Earnings After Tax and Pr eference Divided
Re turn on Equity or ROE   100
Equity Shareholder ' s Funds
कु छ लेखक कु ल स पि तय पर लाभदायकता क माप हे तु Return on Total
Asset or ROTA क गणना करते ह। इसका सू न न कार है :–
उदाहरण 1 :
न न ल खत लाभ हा न खाता ए स ल. से स बि धत है:
Profit and Loss A/c
Rs . Rs.
To Opening stock 90,000 By Sale 10,00,000
To Purchases 2,15,000 By Closing stock:
To Wages 50,000 Finished goods 20,000
To Manufacturing expanses 80,000 Raw materials 10,000
To Administration expenses 50,000 By Non–operating
To Interst 10,000 Incomes:
To Selling & distribution expenses 70,000 Rent 3,000
To Non–Operating expenses: Dividend 7,000
Loss on sale of Investment 5,000
To Net Profit 4,70,000
10,40,000 10,40,000

स बि धत अव ध म व नयोिजत पूँजी 20,00,000 . है। समंक को यवि थत से


जमा कर क पनी क लाभदायकता का मू यांकन क िजये।
हल : Income Statement of X Ltd.
(331)
Rs.
Sales 10,00,000
Less: Cost of goods sold (I) 4,05,000
Gross earnings 5,95,000
Less: Other Opening expenses (ii) 1,20,000
Net Operating Profit 4,75,000
(+)Non–operating Incomes 10,000
(–)Non–operating expenses 15,000
Net Profit 4,70,000
(i) Cost of goods sold = 90000 + 2,15,000 + 50,000 + 80,000 –
20,000 – 10,000 = 4,05,000
(ii) Other Operating expenses = 50,000 + 70,000 = 1,20,000
Gross Pr ofti 5, 95, 000
Gross Pr ofit Ratio (GPR )  100  100  59.5%
Net Sales 10, 00, 000
Net Pr ofti 4, 75, 000
Net Pr ofit Ratio ( NPR)  100  100  47%
Net Sales 10, 00, 000
NOP 4, 75, 000
Net Operating Pr ofit Ratio ( NOPR)  100   100  47.5%
Net Sales 10, 00, 000
Cost of Goods Sold  Other Operating Expenses
Operating Ratio (OR )   100
Net Sales
4, 05,000  1, 20, 000
  100  52.5%
10,00, 000
यहाँ यह उ लेखनीय है क NOPR तथा का योग सदै व 100 होता है अथात ् 47.5 +
52.5 = 100
Expenses Ratios:
Manufacturing Expenses 80, 000
Manufacturing Expenses Ratio   100   100  8%
Net Sales 10, 00, 000
Ad min istration Expenses 50, 000
Ad min istrative exp enses Ratio  100   100  5%
Net Sales 1000000
Selling & Distribution Expenses 70,000
S / D Expenses Ratio  100  100  7%
Net Sales 10,00,000
NOP 4, 75, 000
ROI   100  100  23.75%
Capital Employed 20, 00, 000
याशीलता अनुपात (Activity Ratios)
व तु त: याशीलता अनुपात एक यवसाय क कायकु शलता का व य के संदभ म
मापन करते ह। इन अनुपात के मा यम से यह दे खा जाता है क यवसाय के
व भ न संसाधन का व य न पादन एवं तदनुसार आय सृजन म समु चत योग हो

(332)
रहा है अथवा नह ं य क इन। अनुपात क गणना व य अथवा व य लागत के
आधार पर क जाती है। इन अनुपात को आवत अनुपात (Turnover Ratios) अथवा
व य अनुपात न पादन अनुपात के नाम से भी जाना जाता है। इनके वारा इस बात
का अनुमान लगाया जाता है क क पनी व नयोिजत पूँजी अथवा संसाधन पर लेखांकन
अव ध म कतनी बार ब म प रव तत होती है। मु ख याशीलता अनुपात न न
कार है :–
(i) व नयोिजत पूँजी आवत अनुपात (Capital employed Turnover Ratio) : इस
अनुपात के मा यम से व नयोिजत पूँजी तथा व य के म य अनुपात को य त
कया जाता है। यह अनुपात इस बात को बताता है क सं था म व नयोिजत पूँजी
कतनी बार आवत हु ई। इस अनुपात क गणना न न ल खत सू से क जा सकती
है:–
Net Sales or Cost of Goods Sold
Capital Employed Turnover Ratio 
Capital Employed
इस संदभ म व नयोिजत पूँजी से आशय थाई स पि तयाँ + चालू स पि तयां – चालू
दा य व से है। यह अनुपात िजतना अ धक होगा उतनी ह व नयोिजत पूँजी क
कायकु शलता सु ढ़ मानी जायेगी।
(ii) थायी स पि त आवत अनुपात (Fixed Assets Turnover Ratio): थायी
स पि त आवत अनुपात के मा यम से थायी स पि तय क व य न पादन मता
का मू यांकन कया जाता है। इस अनुपात क गणना न न सू से क जा सकती है।
Net Sales or Cost of Goods Sold
Fixed AssetsTurnover Ratio 
Fixed Assets ( Net )
इस अनुपात का मान िजतना अ धक होगा उतनी ह थायी स पि तय क
कायकुशलता भी बेहतर होगी।
(iii) कायशील पूँजी आवत अनुपात (Working Capital Turnover Ratio) : यह
अनुपात इस बात का मू यांकन करता है क सं था क कायशील पूँजी का व य एवं
आय सृजन म कस द ता के साथ योग कया गया है। इस अनुपात क गणना
न न सू से क जा सकती है :–
Net Sales or Cost of Goods Sold
Working Capital Turnover Ratio 
Net Working Capital
कु छ व वान Net Working Capital के थान पर Average Working Capital
का योग भी करते ह। औसत कायशील पूँजी से आशय आरि भक कायशील पूँजी तथा
अि तम कायशील पूँजी के औसत से है।
(iv) दे नदार आवत अनुपात (Debtors Turnover Ratio) : यह अनुपात दे नदार क
वसू ल कु शलता का गुणा मक व लेषण करने म सहायक होता है। इस अनुपात क
गणना न न सू क जा सकती है:–

(333)
Net Credit Sales
DebtorsTurnover Ratio 
Accounts Re ceivables ( Debtors  Bills Re ceivables) / Ave.A / R
य द शु उधार ब क रा श ात न हो तो उपयु त सू क गणना हे तु कु ल व य का
योग कया जा सकता है।
(v) औसत सं ह अव ध (Average Collection Period) : इस अव ध क गणना सं था
क सं ह नी त क द ता का अनुमान लगाने के लए क जाती है। यह अव ध दे नदार
क औसत आयु (Average age of receivables) अथात दे नदार क गत
(Debtor’s Velocity) का मापन करती है। यह अव ध इस बात को य त करती है
क औसत प से कतने समय बाद उधार ब वसू ल हो पाती है। औसत सं हण
अव ध क क पनी के वारा अपनायी जाने वाल नी तय एवं शत के साथ तु लना मक
प से व ले षत करके ऋण सं ह क द ता का पर ण कया जा सकता है। कु छ
व वान का मत है क यह अव ध सं था क नी तय के अंतगत उ ले खत उधार
अव ध + इस अव ध के 1/3 से अ धक नह ं होनी चा हए, अ यथा यह इस बात का
तीक होगा क क पनी दे नदार के सं हण ब ध म अकु शल है। वसू ल अव ध य द
बहु त अ धक होगी तो इससे डू बत ऋण क संभावना बढ़ जाती है। इस अव ध क
गणना न न सू से क जा सकती है:–
Debors  B / R
Average Collection Period 
AverageCredit Sales ( Daily / Weekly / Monthly )
उदाहरण 2 :
न न सू चनाओं से दे नदार आवत अनुपात क गणना क िजये:
2006–07 (Rs.) 2007–08 (Rs.)
Net Sales 21,000 26,000
Debtor’s on 1st April 2,400 3,200
Debtor’s on 31 Marchst
2,800 3,600
हल:
2006–07 2007–08

Average Debtors 2400  2800 3200  3600


 2600  3400
2 2
Debtors Turnover Ratio 21000 26, 000
 8.1Times  7.7 times
2600 3, 400
(vi) क ध आवत अनुपात (Stock Turnover Ratio) : व तु त: क ध ब ध आधु नक
यवसाय क एक वलंत सम या है। गोदाम म पड़े हु ए क ध को कु छ व वान ने
यावसा यक क तान (Grave yard of Business) क सं ा दान क है। वा तव
म क ध म फंसी पूँजी यवसाय क लाभदायकता को अ यंत तकू ल ढं ग से भा वत
करती है। धीमी ग त से चलने वाल साम ी ब ध अकुशलता का तीक है। क ध

(334)
क याशीलता का माप करने हे तु क ध आवत अनुपात क गणना क जाती है। इस
अनुपात क गणना साम ी एवं न मत माल के लए पृथक –पृथक तथा संयु त प से
भी क जा सकती है। यह अनुपात िजतना अ धक होता है याशीलता का तर उतना
ह अ छा होता है। इस अनुपात का व लेषण न न दो भाग म कया जाता है :–
(a) साम ी आवत अनुपात : साम ी आवत अनुपात इस बात को य त करता है क
अमु क साम ी ने लेखांकन अव ध म कतनी बार वाह च पूरा कया। साम ी आवत
अनुपात न न सू से ात कया जा सकता है:–
Material used
Material Turnover Ratio 
Average Material held
उदाहरण 3 :
न न सूचना से वष 2006–07 के लए साम ी आवत अनुपात ात तथा यह बताइए
क दोन म से कौन सी साम ी अ धक ग तशील है?
Opening Stock Purchases Stock Closing Stock
Rs. Rs. Rs.
Material A 20,000 16,000 12,000
Material B 80,000 1,00,000 50,000
हल : यहाँ उपयोग म लाई गई साम ी न न कार ात क जाएगी :
उपभोग साम ी Consumed = Opening Stock + Purchases – Closing
Stock
Material A= 20,000 + 16,000 – 12,000 = Rs. 24,000
Material B= 80,000 + 1,00,000 – 50,000 = Rs. 1,30,000
येक दशा म अब औसत साम ी ात क जाएगी।
औसत सामा ी (Average Material) =
20000  12000 80000  5000
Material A   Rs.16, 000, Material B   Rs.65, 000
2 2
Material used
Material Turnover Ratio 
Average Material held
24, 000 1,30, 000
A  1.5; B  2
16, 000 65, 000
उपयु त अनुपात से यह कट होता है क साम ी (B) अपे ाकृ त अ धक है य क
इसका क ध फेरा अनुपात 2 है जो (A) के क ध फेरा अनुपात से अ धक है।
(b) न मत क ध आवत अनुपात इसक गणना न न कार क जा सकती :–
Number of Units Sold
Average Number of Units in Stocks

(335)
एक यापा रक सं थान म इस सू का योग सरलता से कया जा सकता है एक
नमाण सं था म उपयु त सू का योग उ चत नह ं होगा तथा इसके थान पर न न
सू का कया जाना चा हए :–
Cost of goods sold
Average stock of finished goods
(vii) लेनदार आवत अनुपात (Creditors Turnover Ratio) : दे नदार आवत क भां त ह
लेनदार आवत अनुपात क गणना न न सू से क जा सकती है :–
Net credit purchase
Creditors turnover ratio 
Trade creditors  B / P
इस अनुपात से स बि धत औसत साख अव ध क गणना करना अ धक रहता है। इस
अव ध क गणना न न सू से क जा सकती है :–
Average accounts payable Creditor ' s B / P
Average  
Average Credits Purchase per day Credit Purchases for the year
365
उपयु त सू म 365 दन के थान पर 12 माह अथवा 52 स ताह का योग भी
कया जा सकता है।
उदाहरण 4:
न न ल खत च ा 31–3–2007 को सीं. ल . के स ब ध म है :
Rs. Rs.
Share Capital 40,00,000
Good will 40,000
General reserve 1,10,000 Land & Building 1,00,000
Plant & Machinery 2,50,000
12% Debentures 2,00,000 Patent 10,000

Sundry creditors 1,00,000 Stock of materials 50,000


Finished goods 1,50,000
Books debts 75,000
B/R 25,000
Cash at bank 1,00,000
Preliminary Expenses 10,000
8,10,000 8,10,000
क चे माल तथा न मत माल का ारि भक क ध मश: 60000 . एवं
1,00,000 . था। वष के दौरान व य 15,00,000 . हु ई। सकल लाभ अनुपात
33.3% है। ब आवत अनुपात क गणना क िजये।

(336)
हल :
Sales 1500000
(i) Capital turnover ratio    2.14 Times
Capital employed 700000
Capital Employed = (Fixed ASSETS) + (Current Assets) – (Current
liabilities
= 400000 + 400000 – 100000 = 7,00,000
Sales 1500000
(ii) Fixed assets turnover ratio    3.75 Times
Fixed Assets 400000
Sales 1500000
(iii) Working capital turnover ratio    5 Times
Working Capital 300000
Cost of goods sold 1000000
(iv) Stock turnover ratio    5.55 Times
Average Stock held 180000
Opening Stock  Clo sin g Stock 160000  200000
Average Stock    1,80,000
2 2
(v) Average collection period 
Debtor ' s  B / R

100000
 0.8 Month or 24 days.
Average Credit Sales 125000
Average credit sales = 15,00,000 ÷ 12 = Rs. 1,25,000 per month

13.7 लाभदायकता एवं याशीलता अनु पात का स ब ध :


एक सं था क याशीलता उस यवसाय क लाभदायकता को प रल त करती है। इस
संदभ म Dupont Chart का उ लेख करना वांछनीय है। एक क पनी क लाभाजन
को ाय: व नयोिजत पूँजी पर याय के संदभ म मापा जाता है। इस संबध
ं को
Dupont Chart व ले षत कया गया है।
Pyramid Ratios

Dupont Chart

(337)
याय को भा वत करने वाले दो मु ख त व : व य पर लाभ तथा पूँजी आवत
अनुपात है। ाथ मक अनुपात अथात ् व नयोिजत पूँजी पर याय अनुपात, लाभ
अनुपात तथा पूँजी आवतन अनुपात के गुणनफल के बराबर होता है। इस संबध
ं को
न न य त कया जा सकता है:
Return on capital employed = [Net operating profit ratio x Capital
turnover ratio]
Operating Pr ofit Sales Operating Pr ofit
or   
Sales Capital employed Capital employed

13.8 तरलता अनु पात (Liquidity Ratios)


तरलता अथवा अ पकाल न शोधन मता से आशय सं था वारा अपने अ पकाल न
दा य व का यथासमय भु गतान करने क मता से है। कसी भी सं था क तरलता
का मापन करने के लए न न ल खत अनुपात का योग कया जाता है।
(i) चालू अनुपात (Current Ratio): चालू अनुपात व तीय व लेषण का संभवतः: सबसे
पुरातन अनुपात है। यापा रक बक वारा 19वीं सद के उ तरा से ह इसका योग
ऋण आवेदक क आ थक ि थ त का मू यांकन करने हे तु कया जाता है। यह अनुपात
चालू स पि तय तथा चालू दा य व के संबध
ं को य त करता है। इस अनुपात क
गणना न न सू से क जा सकती है :–
Current Assets
Current Ratio 
Current Liabilities
चालू स पि तयाँ (Current Assets) : व तु त: चालू स पि त से आशय उन
स पि तय से है िज ह नकद म प रणत करने के उ े य से रखा जाता है तथा िज ह
12 माह क अव ध अथवा याशीलता च (Operating cycle) अव ध दोन म से
जो भी अ धक हो, म नकद म प र णत कर लया जाता है प टतः याशीलता च
के दौरान िजन स पि तय का सृजन होता हो, वे सब चालू स पि तयाँ होती ह।
चालू स पि तय क एक स भा वत सू ची न न कार है :–
Cash, bank, Inventory, Marketable, Securities, B/R, Debtor, prepaid
Expenses etc.
चालू दा य व (Current Liabilities) : चालू दा य व से आशय उन सम त दा य व
से है िजनका. भु गतान 12 मह ने क अव ध अथवा याशील च क अव ध दोन म
से जो भी अ धक हो म प रप व होता है। सामा यत: न न ल खत दा य व को चालू
दा य व म सि म लत कया जाता है।
Sundry creditors, B/P, outstanding expenses and provisions etc. इस
अनुपात का माप ाय: 2:1 लया जाता है।

(338)
(ii) व रत अनुपात (Quick Ratio): व रत अनुपात को तरल अनुपात (Liquid Ratio)
अथवा अ त परख अनुपात (Acid Test Ratio) के नाम से भी जाना जाता है। इस
अनुपात के आधार पर यह मू यांकन कया जाता है क य द कसी सं था को तु र त
ह अपने सम त चालू दा य व का भु गतान करना पड़े तो या वह सं था इस ि ट से
तरलता ा त कए हु ए है अथवा नह ।ं व रत अनुपात क गणना न न सू से क
जाती है।
Quick Assets Quick Assets
Quick Ratio  or
Quick Liabilities Current Liabilities
Quick Assets = (Current Assets) – Inventories + Prepaid Exp.) &
Quick Lab. = C.L. – Bank O.D.
इस अनुपात का माप ाय: 1:1 लया जाता है।
सु पर व रत अनुपात (Super Assets) : तरलता के उ कृ ट के माप के लए
डे वडसन तथा आर. एवं वेल. (Davidson and R.L Weil) ने सु पर व रत अनुपात
भी आंक लत कया है। इस अनुपात को नरपे तरलता अनुपात (Absolute Liquid
Ratio) के नाम से भी जाना जाता है। य य प इसका चलन बहु त कम है तथा प
अ य धक अ पकाल न तरलता का माप करने हे तु इस अनुपात क गणना न न सू
वारा क जा सकती है :
Cash  Marketable sec urities  Bank balance
Super Quick Ratio 
Current Liabilities or Quick liabilities
इस अनुपात का माप 0.5 है।

13.9 शोधन मता अनु पात (Solvency Ratios)


कसी यावसा यक फम क द घकाल न शोधन मता से आशय उस सं था क उस
मता से है िजसके मा यम से वह अपने द घकाल न दा य व का यथासमय भु गतान
करने म तथा अपने अंश के मू य म
वृ करने म स म होती है। सामा यत: एक सं था क द घकाल न शोधन मता का
मापन करने हे तु न न ल खत अनुपात क गणना क जाती है।
(i) ऋण मता पूँजी अनुपात (Debt–Equity Ratio) : सामा यत: एक यावसा यक
सं था के पूँजी ढाँचे म द घकाल न व त के ोत के प म क पनी के अंशधा रय
वारा व नयोिजत सामा य पूँजी पूवा धकार अंश पूँजी एवं ऋण पूँजी आ द सि म लत
होते ह। उन तभू तय के सि म ण से ह एक आधु नक क पनी के पूँजी ढाँचे क
संरचना होती है। एक सु ढ़ पूँजी ढाँचा द घकाल न शोधन मता का तीक है पूँजी
ढाँचे के वभाव का अ ययन करने हे तु ऋण समता पूँजी अनुपात क गणना क जाती
है। इस अनुपात क गणना के अनेक सू न पा दत कये गये ह। सामा य प से
च लत कु छ सू का वणन न न कार है:-

(339)
(a) कु ल द घकाल न कोष पर आ त सू : ऋण समता पूँजी अनुपात क गणना हे तु
न न ल खत सू का योग इस बात का अनुमान लगाने के लए कया जाता है क
कु ल द घकाल न व नयोिजत कोष म द घकाल न ऋण का ह सा कतना है। इस
आधार पर ऋण समता अनुपात क गणना करने हे तु न न ल खत सू का योग
कया जाता है :–
Debt
Debt Equity Ratio 
Debt  Equity (or total long term fund employed )
उपयु त सू म ऋण (Debt) से आशय सम त द घकाल न ऋण से है िजसम ऋण
प के नगमन से ा त ऋण, व तीय सं थाओं से ा त ऋण तथा अ य ोत से
ा त द घकाल न ऋण को सि म लत कया जाता है।
15 सत बर 1984 को ऋण प के नगमन के संबध
ं म जार दशा– नदश के
अनुसार ऋण समता अनुपात का अ धकतम मान 0.67 हो सकता है, अथात ् कु ल
द घकाल न व नयोिजत पूँजी म दो ह से ऋण तथा एक ह सा समता का होना आदश
माना जाता है।
(b) अंशधा रय के कोष पर आधा रत सू : ऋण समता अनुपात क गणना हे तु द घकाल न
ऋण तथा अंशधा रय के वारा व नयोिजत पूँजी के बीच म संबध
ं था पत कया जा
सकता है। इस आधार पर ऋण समता अनुपात का सू न न कार होगा :–
Debt
Debt Equity Ratio 
Equity
इस सू के अनुसार ऋण समता अनुपात का आदश माप 2:1 है। इस अनुपात का
अ धक होना जो खम क अ धकता का तीक है।
(c) आ त रक समता के आधार पर सू : इस आधार पर ऋण समता अनुपात का
अ ययन करने हे तु आ त रक एवं बा य दाव के बीच या त संबध
ं को प रमाणा मक
प म तु त कया जाता है। इस आधार पर ऋण समता अनुपात क गणना न न
सू वारा क जा सकती है :–
External Equities
Debt Equity Ratio 
Internal Equities
(ii) ऋण सेवा फेरा अनुपात (Debt Service Coverage Ratio or DSCR) : यह
अनुपात एक सं था क द घकाल न ऋण क सेवा करने क मता का माप करता है।

यह अनुपात इस बात को य त करता है क या सं था क आय मू ल धन एवं याज


का भु गतान यथा व ध कर पायेगी अथवा नह ।ं व तु त: यह अनुपात ऋण समता
अनुपात का पूरक है। इस अनुपात का अ धक होना इस बात का तीक है क फम
अपने ऋण क सेवा उ चत ढं ग से कर पायेगी। सू ानुसार :–

(340)
Annual cash low before Interest & tax
Debt Service Coverage Ratio =
Principal payment Intalment
Interest +
I − Tax rate
(iii) थायी स पि त अनुपात (Fixed Assets Ratio) : व तीय अवधारणाओं के आधार
पर यह माना जाता है क थायी स पि तय का व तीय ब ध द घकाल न साधन से
तथा चालू स पि तय का व तीय ब ध अ पकाल न व तीय ोत से कया जाना
चा हए। इस आधार पर इस अनुपात का माप 1 होना चा हए। य द यह अनुपात 1 से
अ धक है तो यह इस बात का तीक होगा क संभवतः: थायी स पि त का व तीय
ब ध अ पकाल न साधन से कया जा रहा है। इसके वपर त य द यह अनुपात एक
से कम है तो यह संभव है क सं था ने थायी व तीय ोत को अ पकाल न
स पि तय के ब धन म यु त कया है।
Net fixed assets
Fixed Assets Ratio 
Total long terms funds employed
कु छ व वानन का मत है क य द चालू स पि तय का एक भाग िजसे मू ल चालू
स पि त (Core Current Assets) के नाम से जाना जाता है, को यान म रखा
जाय तो इस अनुपात का 1 से कम होना वाभा वक है तथा इस आधार पर इसका
आदश मान 0.67 माना जा सकता है
(iv) वा म व अनुपात (Proprietary Ratio) : यह अनुपात अंशधा रय के कोष तथा
सं था क कु ल मू त स पि तय के बीच स ब ध को दशाती है। इसक गणना का सू
न न कार है :–
Pr oprietor ' s fund
Pr oprietary Ratio 
Total tan gible assets
यह अनुपात िजतना अ धक होगा उतना ह इस बात का तीक होगा क सं था बा य
ोत पर नभर है तथा ऋणदाताओं के हत सु र त है।
(v) गय रंग अनुपात (Gearing Ratio) : द तीकरण अनुपात से आशय कु ल द घकाल न
नयोिजत कोष म ि थर आय वाले कोष के अनुपात से है। ि थर आय वाले कोष म
ाय: ऋण प एवं अ धकार अंश को सि म लत कया जाता है। इसे उतोलक अनुपात
(Leverage ratio) भी कहते ह। इस अनुपात क गणना न न सू वारा क जा
सकती है :–
Fixed int erest and fixed dividend bearing sec urities
Gearing Ratio 
Total long term funds employed
Pr ef . share capital  Debentures
Or 
Total long term funds employed
(vi) सकल शोधन मता अनुपात (Gross solvency ratio) : यह अनुपात एक
यावसा यक सं था क द घकाल न शोधन मता का सकल अनुपात तु त करता है।
इसक गणना न न सू से क जा सकती है:

(341)
Total tan gible assets
Gross solvency ratio 
Pr ef . share capital  Borrowings  Current liabilities
उदाहरण 5 : 31 माच 2007 को एबीसी ल. का च ा न न कार है :–
Liabilities Rs. Assets Rs.
2,000 7%Pref.shares ofRs 100 each Liabilities 2,00.000 Land & Buildings(W.D.V) 6,00,000
10,000 Equity shares of Rs. 100 each 10,00,000 Plant & 8,00,000
Machinery(W.D.V.)
Furnitures (W.D.V.) 2,00,000
General 2,00,000
P & L A/c (Current Year) 1,92,000 2000 share in XYZ Ltd.
Subsidiary (M. values 2,00,000
6% Mortagege Debentures Rs. 2,50,000)
(Rs. 1,00,000 is to be redeemed in 8,00,000
June 2007) Stock at Cost 3,00,000
Book-debt (Outstanding
Sundry Creditors 2,00,000 More than 6 months
Rs. 50,000 1,00,000
Cash and Bank 2,00,000
Bills receivable 1,00,000
Prilimanary Expenses 92,000
25,92,000 25,92,000

आप क पनी क द घकाल न व तीय ि थरता का मू यांकन क िजये।


हल:
Debt 700000
(i) Debt equity ratio    0.32
Total long term funds 2200000
(ii) Gearing Ratio 
Debts  Pr ef .ShareCapital 700000  200000 900000
   0.41
Total Long Term Funds 2200000 2200000
Fixed assets 1800000
(iii) Fixed Assets Ratio    0.82
Total long term funds 2200000
Pr oprietor ' s Fund 1500000
(iv) Pr oprietary Ratio    0.60
Total Tangible Assets 2500000
EBIT 432000
(v) Fixed Ch arg es Cover Ratio    9 times
Interest ch arg es 48000
Total tan gible assets
(vi) Gross solvency ratio 
Pr ef .share capital  Borrowing  Current liabilities

13.10 अंशधा रय के लए अनु पात (Shareholders Ratios)


कसी क पनी के अंश म धन व नयोिजत करने वाले व नयोगकता ाय:।
न न ल खत अनुपात का योग करते ह :–

(342)
(i) त अंश आय (Earning per share or EPS) : समता अंश पर लाभांश क
मा ा एक सं था वारा करोपरा त उपल ध लाभ पर नभर करती है। त अंश आय
िजतनी अ धक होती है अंशधा रय क ि ट से यवसाय उतना ह अ धक कुशल माना
जाता है। इस अनुपात के अ धक होने से बाजार म अंश का मू य बढ़ता है। इस
अनुपात क गणना न न सू से क जा सकती है –
Earning after tax and pref . dividend
EPS 
No. of equity share
(ii) भु गतान अनुपात (Pay Out Ratio or POR): यह अनुपात क पनी वारा वा तव
म भु गतान कये गए लाभांश तथा त अंश अजन के संबध
ं को य त करता है।
इसक गणना न न सू से क जा सकती है:–
Dividend declared per equity share
POR  100
EPS
यह अनुपात एक क पनी क लाभांश नी त का मह वपूण सू चक है।
Pay out Ratio (POR) Indication
(iii) क मत अजन अनुपात (Price Earnings Ratio or PER) : यह अनुपात इस
बात को य त करता है क क पनी का त अंश अजन अंश के बाजार मू य को
कतनी बार आवत करता है। इसक गणना न न सू से क जा सकती है :–
Market price per equity share
PER 
EPS
इस अनुपात का अ धक होना व नयोगक ताओं के लए उ साहवधक माना जाता है।
इस अनुपात का योग क ध व नमय बाजार म दलाल वारा अपने ाहक को
मागदशन करने हे तु यापक प से कया जाता है।
(iv) ाि त अनुपात (Yield Ratio): इस अनुपात के वारा व नयोगक ताओं को इस बात
का आभास होता है क उनके वारा व नयोिजत धनरा श पर भावी याय दर या
है। इस अनुपात क गणना न न सू से क जा सकती है :–
Dividend per share
Dividend Yield Ratio   100
Market price per share
उदाहरण 6 : न न ववरण दए गए है:
Balance Sheet as on 31 stMarch 2007
Liabilities Rs. Assets Rs.
Issued Capital Land and Building 60,000
200 10% Perference shares 20,000 Plant & Machinery 20,000
4000 Equity shares of Rs. 40,000 Stock 6,000
10 each
Reserve and Surplus 4,000 Debtors 10,000
Borrowings 20,000 Cash at Bank 4,000

(343)
Current liabilities & provisions
1,00,000 1,00,000
Profit and Loss A/c for the year ended 31 st March, 2007
Rs. Rs.
To Opening Stock 2,000 By Sales 54,000
To Purchases 36,000 By Closing Stock 6,000
To Carriage 6,000
To Gross profit c/d 16,000
60,000 60,000
To Factory expenses 1000 By Gross profit B/d 16,000
To Adm. Expenses 1400
To Interest 600
To Provision for taxation 5000
To Net profit c/d 8000
16000 16000

To Proposed dividends:
Equity 4000 By Net profit B/d 8,000
Preference 2000
To General reserve 2000
8000 8000
क पनी के समता अंश का बाजार मू य 25 . त अंश है।
Calculate (गणना क िजये)-
(i) Return on proprietors fund (ii) Return on equity (iii) Earning per
share (iv) Pay out Ratio (v) Price earning Ratio (vi) Yield Ratio.
हल:
EAT 8, 000
(i) Re turn on p fund    100  12.5%
Pr oprietor ' s Fund 64, 000
(ii) Re turn on equity 
Earnings after tax and pref .dividends 6000
 100  13.64%
Equity shareholder ' s Fund 44000
Earning after tax and pref .dividend 6000
(iii) EPS    Rs.1.50
Number of quity shares 4000
(iv) Pay out ratio 
Dividend declared per share
 100 
1
 100  66.67%
EPS 1.50

(344)
Market price per share 25
(v) Pr ice earning ratio    16.67 Times
EPS 1.5
Dividend per share 1
(vi) Yield ratio   100  100  4%
Market price per share 25

13.11 अनु पात व लेषण क सीमाएं


येक कार के व लेषण क अपनी सीमाएँ होती ह, अनुपात व लेषण भी इसका
अपवाद नह ं है। अनुपात व लेषण व तीय ववरण के अ ययन क एक अ य धक
उपयोगी तकनीक है तथा प इसक मु ख सीमाएँ न न कार ह :
1. अनुपात व लेषण क व वसनीयता लेखा समंक पर आ त है: सभी अनुपात उ ह ं
त य के आधार पर आक लत कये जाते ह जो व तीय ववरण से कट होते ह।
य द इन ववरण म लेखा त य को अ तरं िजत (Over stated) अथवा कम आंक कर
दशाया गया है तो उन पर आ त अनुपात भी उतना ह छलपूण हो जायेगा। अनुपात
व लेषण के मा यम से छुपी हु ई सूचनाओं का रह योदघाटन नह ं कया जा सकता।
2. मु य प से ऐ तहा सक व लेषण : ाय: अनुपात क गणना भू तकाल न त य के
आधार पर ह क जाती है तथा इनका भ व य के लये योग इस मा यता पर ह
कया जाता है क इ तहास पुन : घटता है, क तु इस कार के अनुपात का वतमान
अथवा भावी अनुमान के लये योग करना हर अव था म उ चत नह ं रहता य क
प रि थ तय म नर तर प रवतन आते रहते ह तथा यावसा यक इकाइयाँ ाय:
ग या मक होती है।
3. बना संदभ के छलपूण न कष : मा कसी एक अनुपात का ह अ ययन करने से
व तु ि थ त का सह ान नह ं होता तथा ु टपूण न कष नकल सकते ह। उदाहरणाथ
– केवल चालू अनुपात का अ ययन करने मा से यवसाय क तरलता का सह पता
नह ं लगता, जब तक क अ य अनुपात , जैसे अ त पर ण अनुपात आ द के साथ
इसका अ ययन न कया जाए।
4. अनुपात व लेषण केवल सामा य स य को कट करता है अनुपात व लेषण के आधार
पर केवल सामा य न कष ह नकाले जा सकते ह तथा ये न कष औसत प से ह
सह होते ह।
5. अ त: फम व लेषण सदै व वा त वक नह ं होते : अनुपात पर आधा रत न कष अनेक
बार इस कारण यथ हो जाते ह य क भाग लेने वाल फम भ न– भ न लेखांकन
नी तय का अनुसरण करती
6. अनुपात का दु पयोग : व तु त: अनुपात वयं कु छ नह ं बोलते। व लेषक उनका योग
करके न कष नकालते ह। व लेषक के पूवा ह , प पात आ द के कारण अनुपात
व लेषण का दु पयोग कया जा सकता है।

(345)
7. व लेषण ामक: अनुपात के आधार पर व भ न वष क वृि त का व लेषण ामक
हो सकता है। मु ा के मू य म आने वाले प रवतन के कारण न कष ामक हो सकते
ह।

13.12 अनु पात व लेषण म आधु नक वृि तयाँ


अनुपात व लेषण क ' एक चर' ' व ध िजसके अ तगत येक अनुपात का पृथक –
पृथक अ ययन कया है। कई बार बड़े ामक न कष दान करती है। व तीय सम या
के एक ह आयाम को दो व भ न अनुपात से व ले षत करने पर वरोधी न कष भी
दे खने को मलते ह। पछले कु छ वष से ' 'बहु चर' ' अनुपात व लेषण व ध का योग
यापक प से बढ़ा है। अनुपात व लेषण के े म सांि यक क एक व श ट व ध
Multiple Discriminant Analysis(MDA) का योग करके मह वपूण नणयन
मॉडल बनाये जा सकते ह। इस संदभ म अनेक व वान ने यास कये तथा बहु चर
अनुपात व लेषण के कई मॉडल तु त कये। इस संदभ म ो. आ टमन का योगदान
व श ट उ लेखनीय है। ो. आ टमन ने संयु त कंध पूँजी वाल क प नय के
व तीय वा य का मू यांकन करने हे तु एक मॉडल का सृजन कया िजसके योग से
इस बात का पूवानुमान लगाया जा सकता है क या कोई क पनी नकट भ व य म
दवा लया अथवा ण हो जायेगी या वह क पनी पूण व थ है। य य प आ टमन के
मॉडल नमाण क या को यहाँ उ ले खत करना तक संगत नह ं होगा तथा प उनके
वारा सृिजत मॉडल का सं त ववरण एवं यावहा रक योग न न कार है।
आ टमन ने अनुपात के आधार पर क पनी क व तीय ि थ त का मू यांकन करने
हे तु पाँच अनुपात को उपयोगी पाया। इन अनुपात को सांि यक य व धय से यथो चत
प : से भारां कत करते हु ए न न ल खत मॉडल तु त कया :–
Z=1.2x1 + 1.4x2 + 3.3x2 + 0.6x4 + 1.0x5
Working capital Re tained earnings EBIT
यहाँ x1 , X2  , X3 
Total assets Total assets Total assets
Market value of equity Sales
X4  , X5  working capital/Total
Book value of total liabilities Total assets
उपयु त मॉडल के योग से य द कसी क पनी के Z–score का मान 1.81 से' कम
आता है तो यह इस बात का तीक है क क पनी, (य द अ य बात समान रह)
नकट भ व य म दवा लया हो जायेगी। इसके वपर त य द क पनी के Z–score का
मान 3 से अ धक है तो यह माना जा सकता है क क पनी का आ थक वा य ठक
है। इस मॉडल के अनुसार नणय नयम (Decision rule) को न न कार य त
कया जा सकता है :–
Z–score Decision
Z.<1.81 क पनी ण अथवा दवा लया होने वाल है।
1.81<Z<2.99 क पनी का वा य अ प ट है।

(346)
Z>3 क पनी का वा य अ छा है।
उदाहरण 7.
न न ल खत व तीय ढांचा 31–3–2007 को ह द घाट ा. ल. के वा षक तवेदन से
लया गया है
1,000 Equity shares of Rs. Rs.200 each 2,00,000,12%Preferance
share capital(Redeemable after 13 years) 1,60,000 Reserves
80,000, 16% Long Term Loans 4,00,000 P & L s/c 40,000 Current
Liabilities 1,20,000.
आपसे न न ल खत अनुपात क गणना करने को कहा गया है :–
(i) संचय एवं आ ध य का पूँजी से अनुपात (ii) चालू दा य व का वा म व कोष से
अनुपात (iii) ऋण समता अनुपात (iv) त अंश मू य (v) द तीकरण अनुपात।
हल :
(i) Reserve & surplus to capital ratio:
Re serve and Surplus 1, 20, 000
   0.6
Equity Capital 2, 00, 000
C.Liab. 1, 20, 000
(ii) Current liabilities to Pr oprietor ' s fund Radio    0.25
P.Fund 4,80, 000
Debt 4, 00, 000
(iii) Debt Equity Ratio    0.45
Total long term funds 8,80, 000
Equity share holder claim 3, 20, 000
(iv) Value per share ( Equity )    320
No. of equity shares 1, 000
Pr eference share capital  Debentures 5, 60, 000
Capital gearing ratio    0.64
Total long term funds 8,80, 000
उदाहरण :8
न न ल खत सू चनाओं क जांच क िजये तथा चालू ?अनुपात ात क िजये.
Sales(assumed to be all credit) Rs.3,00,000,,Gross Profit Ratio
20%,Quick Ratio 0.80,Current laities 40,000,Closing stock 10,000
more them the opening stock, Inventory turnover Ratio 6 times.
हल:
Quick Assets Quick Assets
(i) Quick Ratio  or 0.8  Quick
Current Liabilities 40,000
Assets = 32,000
(ii) Cost of goods sold = sales–G.P.=3,00,000–60,000(20% OF
3,00,000)=32,000

(347)
(iii) Inventory Turnover Ratio 
Cost of goods sold

2, 40, 000
Average Inventory held or 6 Average Inventary held
 Average inventory held = Rs. 40,000
Opening Stock  Clo sin g Stock
Average inventory held 
2
40,000 = Opening Stock +Closing Stock
80,000 = Opening Stock +Closing Stock
Closing stock is Rs. 10,000 more than the opening stock.
Therefore 80,000–10,10,000 =70,000 is equally divided into opening
and closing stock.
Opening Stock = 35,000 and Closing Stock = 45,000
(35,000+10,000)
Thus the Current Asset = Quick Assets + Closing
Stock=32,000+45,000=77,000
Current Assets 77, 000
Current Radio    1.925
Current Liabilities 40, 000
उदाहरण 9
Current Ratio = 2.5, Liquid Ratio=1.5, Net working capital= 60,000
Cost of goods sold
Stock turnover ratio   6 Times
Clo sin g Stock
Gross Profit Ratio 20%, Fixed Assets Turnover Ratio (On Cost of
goods sold)=2 Times,
Averave Debt Collection Period=2 Months,Fixed Assets to
Shareholders Net Worth=0.8,
Reserve and Surplus to capital= 0.5 क पनी का च ा बनाइये।
हल :
(i) चालू दा य व क गणना : Current Ratio 25 इस बात को य त करता है क 1
. के दा य व क तु लना म क पनी के पास 25 . क चालू स पि तयाँ ह अथात ्
Working Capital=2.5–1= द 1.5 होगी।
जब Working Capital 1.5 . है तब Current Liabilities 1 है। जब Working
1
Capital 60,000 . है तब Current Liabilities
1.5
जब Working Capital 60,000 है तब Current Liabilities
1
 60, 000  40, 000 होगी
1.5

(348)
(ii) चालू संप तयो क गणना : Current Ratio = Current Assets/Current
Liabilities
Current Assets
or 2.5   Current Assets = Rs.1,00,000
40, 000
Quick Assets
(iii) कंध क गणना : Quick Ratio = Quick Assets 
Current Liabilities
Quick Assets
1.5  Quick Assets =Rs. 60,000
40, 000
Stock= Current Assets–Quick–Quick Assets = 1,00,000–60,000=Rs.
40,000
(iv) दनदार क गणना :
दे नदार क गणना हेत’ु सव थम ब ात क जाएगी।
Sales = Cost of Goods sold+Groos profit
Cost of Goods sold ात करने के हे तु हम Stock ratio का योग करगे
Stock turnover ratio = Cost of Goods sold/Closing Stock
Cost of Goods Sold
Stock turnover ratio 
Clo sin g Stock
Cost of Goods Sold
6  Cost of Goods Sold =Rs. 2,40,000
40, 000
Gross Profit Ratio, Sales का 20% है अत: ो स ॉ फ़ट, Cost of sales
 20 
समतु य होगा  10  25%  प टतया ब होगी :
 80 
Sales = Cost of Goods Sold + Gross Profit = 2,40,000,+
 25 
 24000    Rs.3, 00, 000
 100 
300000
Average Sales per Month   25, 000
12
Debtors  B / R
Average Sales per Month 
Average Credit Sales Per Month
Debtors  B / R
2  Debtors + B/R = Rs. 1,20,000
25, 000
(v) थायी स पि तय क गणना : Fixed assets turnover ratio
Cost of goods sold

Fixed Assets
2, 40, 000
2  Fixed Assets = Rs.1,20,000
Fixed Assets
(349)
(vi) ं ी व आ ध य क गणना :
पू ज
Fixed Assets 120000
Fixed assets to net worth  or  0.8 
Net worth Net worth
 Net Worth = 1,50,000
1 1
Reserve and Surplus = Net Worth   1,50, 000   50, 000
3 3
2 2
Capital = Net Worth   1,50, 000   Rs.1, 00, 000
3 3
उपयु त गणनाओं के आधार पर च े को न न कार समे कत कया जा सकता है –
Balance Sheet
Rs. Rs.
Equity Share Capital 1,00,000 Fixed Assets 1,20,000
Reserve and Surplus 50,000 Current Assets :
Borrowings (Balance Figure) 30,000 Stock 40,000
Current Liabilities 40,000 Debtors 50,000
Other Current Assets 10,000
(1,00,000–40,000–50,000)
2,20,000 2,20,000

उदाहरण 10 :
न न ल खत से यथासंभव सू चनाओं को दशाते हु ए वा म व कोष का वतरण तैयार
क िजये :
Current Ratio = 2.5 and Liquid ratio = 1.5, Proprietary Ratio (Fixed
Assets/Proprietary Fund) = 0.75, Working Capital = Rs. 60,000,
Reserved and Surplus = Rs. 40,000, Bank Overdraft = Rs. 10,000
कसी कार का द घकाल न ऋण अथवा का प नक स पि त नह ं है।
हल :
(i) चालू दा य व क गणना : चू ं क चालू अनुपात 2.5 है
Working Capital = Current Assets–Current Liablities = 2.5–1=1.5
Or 60,000 = 1.5 1 (or Current Liablities) = 40,000
Other Current Lia. = Total Current Liablities – Bank Overdraft or
40,000–10,000 = 30,000
Current Assets
(ii) चालू स पि तय क गणना : 2.5= or Current
40, 000
Assets=Rs.1,00,000

(350)
Quick Assets
(iii) कंध क गणना : Liquid Ratio = or 1.5 =
Current Liabilities
Quick Assets
40, 000
Quick Assets = 60,000
Current Assets–Quick Assets= Stock
1,00,000 – 60,000 = Stock Stock = 40,000
(iv) थायी स पि तय क गणना : माना क Proprietors Fund = x
Fixed Assets Fixed Assets
Proprietary Ratio =  0.75 = 
Pr oprietor Fund X
0.75x = Fixed Assets
हम जानते ह क मू लभू त लेखांकन समीकरण के अनुसार –
(Proprietors Fund) + (Borrowing) (Fixed Assets) + (Current Assets)
+ (Current Liabilities) = + (Fictitious Assets)
य क इस क पनी म द घकाल न ऋण एवं का प नक स पि तयाँ नह ं ह अत:
उपयु त समीकरण का प न न कार होगा :–
(Proprietors Fund) + (Current Liabilities) = (Fixed Assets) +
(Current Assets) अथात x+40,000 = 0.75x + 1, 00,000 or 0.25x =
60,000 or x (P. Fund) + Rs. 2, 40, 000
Fixed Assets= 0.75  2, 40,000 = Rs. 1, 80,000
उपयु त गणनाओं को न न कार वा म व कोष के ववरण म समे कत कया जा
सकता है।
Statement of Proprietor’s Fund
Rs.
Fixed Assets 1,80,000
Add: Current Assets 1,00,000
Total Assets 2,80,000
Less: Current Liabilities 40,000
Proprietors Fund 2,40,000
Represented By:
Share Capital 2,00,000
Reserves and Surplus 40,000
2,40,000
सारांश (Important ratios at a glance)

(351)
A. Profitability Ratios
Gross Pr ofit
(1) Gross Pr ofit ratio  100
Net Sales
Net Pr ofit
(2) Net Pr ofit ratio  100
Net Sales
NOP
(3) NOPR   100
Net Sales
Cost of Sales  Other Operating Expenses
(4) Operating ratio   100
Net Sales
Net Operating Pr ofit
(5) ROI (Pr imary ratio) 100
Capital employed
Net Pr ofit after tax and pref . dividend
(6) ROE   100
Net worth or equity
Net Pr ofit Net operating profit
(7) ROTA  100 or
Total Assets Total Assets
B. Activity Ratios
Sales or cos t of goods sold
(1) Capital turnover ratio =
Capital employed
Sales or cos t of goods sold
(2) Working capital turnover ratio =
Net working Capital
Sales or cos t of goods sold
(3) Fixed assets turnover ratio =
Net Fixed Assets
Net credit sales
(4) Debtors turnover ratio =
Average Re ceivables
B / R  Debtors
(5) Average debt collection period =
Average credit sales
Creditors  B / P
(6) Average debt payment period =
Average credit purchase
Cost of goods sold
(7) Inventory turnover ratio =
Averageinventory held
C. Liquidity Ratios
Current Assets
(1) Current ratio =
Current Liabilities
Liquid Assets Liquid Assets
(2) Quick ratio = or 
Current Liabilities Liquid Liabilities

(352)
Super Quick Assets Super Quick Assets
(3) Super quick ratio = or
Current Liabilities Quick Liabilities
D. Solvency Ratios
Debt
(1) D.E ratio 
Total long term funds
Fixed Assets
(2) Fixed assets ratio 
Total long term funds
Pr ef . share capital  Debentures
(3) Leverage ratio 
Total long term funds
Pr oprietors funds
(4) Pr oprietary ratio 
Total tan gible assets
(5) =

(6) Grove solvency ratio 


Total tan gible assets
Pr ef . share capital  Borrowing  Current Liabilities

E. Shareholders Ratios
Earning after tax and pref . dividend
(1) EPS 
No. of equity shares
Div.declared
(2) POR 
EPS
Market price per share
(3) PER 
EPS
Div. per share
(4) Yield ratio   100
Market price per share
* व भ न व वान ने अनेक गणनाएँ वैकि पक सू का योग करते हु ए भी क है।
यवहा रक न को हल करते समय वैकि पक सू का योग करने पर ोत के
स ब ध म ट पणी दे ना उ चत रहता है।

13.13 व–परख न
1. चालू एवं तरल अनुपात म भेद क िजए।
2. ऋण–समता अनुपात क गणना के व भ न सू द िजए।
3. मह वपूण अनुपात के सामा य वीकृ त मान द िजए।
4. न न ल खत म से क ह ं चार क या या क िजये तथा उदाहरण स हत समझाइये:
(अ) सकल लाभ अनुपात (ब) कंध आवत अनुपात
(स) कायशील पूँजी अनुपात (द) ऋण समता अनुपात।
5. अनुपात व लेषण से या आशय है? इसके उ े य एवं सीमाओं क या या क िजये।

(353)
6. लेखांकन अनुपात से या आशय है? अनुपात का वग करण कस कार कया जा
सकता है?
7. न न ल खत अनुपात क मह ता को समझाइये, ये कस कार ात कये जाते ह –
(अ) तरलता अनुपात (ब) चालू अनुपात (स) व य अनुपात

13.14 यावहा रक न
1. एक फम क व नयोग के संदभ म लाभदायकता का मापन करने हे तु तीन मु ख
लाभदायकता अनुपात क गणना क िजये। इसके लये न न सू चनाओं का योग
क िजये:
Net worth (shareholders’ equity) Rs. 7, 50,000; Preference share
capital 2, 00,000; Preference dividend 16,000; Capital employed
11, 00,000; Intangible assets 1,40,000; Total; assets 12,65,000;
Net profit after interest and taxes 1,50,000; Interest 23,500.
[Ans: ROI 15.77; Return on Total Assets 13.7%; Return on Equity
Shareholders’ Funds 17.8%]
2. आपको न न समंक उपल ध है :
Gross Sales Rs. 1,00,000; Cash Sales (include in above) 20,000;
Sales Return 7,000; Total debtors for sales as on 31.3.2007 Rs.
9,000; Bills receivable on 31.3.2007 Rs. 2,000; Provision for
doubtful debts on 31.3.2007 Rs. 1,000; Total creditors on
31.3.2007 Rs. 10,000
औसत सं हण अव ध ात क िजये। [Ans : 55 Days]
3. न न ल खत अनुपात नेशनल े डस के याकलाप से स बि धत ह :–
Debtors velocity 3 months, Stock velocity 8 months, Creditors
velocity 2 months, Gross profit ratio 25%.
Gross profit for the year ended 31 March, 2007 amounts to Rs. 4,
00, 000. Closing Stock of the year is Rs. 10,000 above the
opening stock. Bills receivable amount to Rs. 25,000 and bills
payable to Rs. 10,000.
न न ल खत समंक क गणना क िजये :–
(अ) व य (ब) दे नदार (स) अि तम कंध (द) व वध लेनदार
Ans. (a) Rs. 16, 00,000 (b) Rs. 3, 75,000 (c) Rs.
8,05,000 (d) Rs. 1, 91,667
4. न न ल खत च े को पूण क िजये:

(354)
Balance Sheet
Liabilities Rs. Assets Rs.
Equity Capital 3,00,000 Fixed Assets –
Retained Earning 3,00,000 Inventories –
Creditors – Debtors –
Cash –
– –
आपको न न ल खत अ त र त सू चनाएं उपल ध ह :–
Total debt is two–third of net worth; Turnover of total assets is 1.8
times; 30 days’ sales are in the form of debtors; Turnover of
inventory is 5; cost of goods sold in the year is Rs. 9, 00,000;
and the Acid test ratio is 1.
Ans : Creditors Rs. 4,00,000; Debtors Rs. 1,50,000; Fixes Assets
Rs. 4,20,000; Cash Rs. 2,50,000; Inventories Rs. 1,80,000; B/S
Total RS. 10, 00,000 Hint: Assume 360 days in a year.
5. न न ल खत ववरण से बी. ल. का च ा तैयार क िजये.
Current Ratio 1.5 Current Assets to Fixed Assets 1.2, Fixed
Assists to Turnover 1: 1, Gross Profit 25%, Debtor’
Velocity2month, Creditors’ Velocity 2 month; Stock velocity 3 month
(Based on cost of goods Sold), Debt Equity Ratio 2 : 5 (Debts
upon total long term funds employed), Working Capital Rs.
2,00,000
ट प णय को उ तर के एक भाग के प म मा नये।
Ans. : S. Capital 10,00,000 Long term Loan 4,00,000 Crs. 1,50,000
other Liabilities 2,50,000 Fixed Assets 12,00,000, Stock
2,25,000 S.Drs. 2,00,000 Cash 1,75,000
6. नीचे दये अनुपात तथा सू चनाओं से वा म व कोष का ववरण अथवा च ा तैयार
क िजये:–
Current Ratio = 2.5
Quick ratio = 1.5
Working Capital = Rs. 90,000
Prepaid expenses = Rs. 5000
Prepaid expenses = Rs. 5000
Reserve and Surplus = Rs. 50,000
(355)
Fixed Assets
Pr oprietary ratio   0.8
Pr oprietors fund
Bill payable = Rs. 10000
न तो कृ म स पि त ह तथा न ह द घकाल न ऋण
Ans: Closing Stock Rs. 55,000; Proprietors fund Rs. 4, 50,000; B/S
total Rs.5,10,000

13.5 उपयोगी पु तक/संदभ थ


ं :
(1) ब धक य लेखांकन : अ वाल एवं अ वाल (रमेश बुक डपो, जयपुर )
(2) ब धक य लेखा व ध : एस.पी. गु ता (सा ह य भवन, आगरा)
(3) Management Accounting : Manmohan Goyal (सा ह य भवन, आगरा)
(4) ब धक य लेखांकन : एन.एम. ख डेलवाल (राज थान ह द ं अकादमी, जयपुर )

(5) ब धक य लेखा व ध : बी.के. मेहता (सा ह य भवन, आगरा)
(6) Financial and Management Accounting : S.N Maheshwari (Sultan
Chand & Sons)

(356)
इकाई – 14 रोकड वाह व लेषण
इकाई क परे खा :
14.1 उ े य
14.2 रोकड़ वाह ववरण का अथ
14.3 रोकड़ वाह का अथ
14.4 रोकड़ वाह का ववरण लेखा मानक–3 (संशो धत) के अनुसार तैयार करना
14.5 सारांश
14.6 वपरख न
14.6 A. अ तलघुतरा मक न
14.6 B. लघु तरा मक न
14.6 C. नब धा मक न
14.6 D. यावहा रक न
14.7 स दभ थ

14.1 उ े य
इस इकाई का उ े य व या थय को न न जानका रयाँ उपल ध कराना है :–
1. रोकड़ वाह एवं रोकड़ वाह ववरण या है?
2. रोकड़ वाह ववरण, लेखा मानक–3 के अनुसार कस कार बनाया जाता है?
3. रोकड़ वाह ववरण का ा प य एवं अ य व ध के आधार पर।
4. रोकड़ वाह ववरण का व लेषण उदाहरण वारा समझाना।
ब ध को भावी नणयन तथा यावसा यक सफलता हे तु यह ात करते रहना
आव यक होता है क यवसाय अथवा उप म म रोकड़ कोष के व भ न ोत या है
तथा रोकड़ को इन ोत का कस कार उपयोग कया गया है। यह जानकार हम
रोकड़ वाह ववरण से ा त है। कोष वाह ववरण से कायशील पू ज
ं ी क वभ न
मद एवं उनम हु ए प रवतन का अ ययन कया जाता है। कायशील पू ज
ं ी म रोकड़ के
अ त र त अ य चालू स पि तय एवं चालू दा य व भी। सि म लत रहते है।

14.2 रोकड़ वाह ववरण का अथ


रोकड़ वाह ववरण एक वश ट कार का ववरण होता है जो दै नक, सा ता हक
मा सक, म
ै ा सक वा षक या अ य कसी नि चत समय के अ तर से तैयार कया जा
सकता है। यह ववरण क ह ं दो अव धय के म य यवसाय के रोकड़ कोष म हु ए
प रवतन के कारण क या या करता है।
भारत के इं ट यूट ऑफ का ट ए ड व स एकाउ टे टस के मतानुसार ‘रोकड़ ववरण
कसी द हु ई अव ध म रोकड़ आव यकताओं के नधारण एवं उनक पया त यव था

(357)
करने उ े य से व भ न शीषक के अ तगत रोकड़ के साधन ( ोत ) एवं उनके
उपयोग से बनाया गया रोकड़ के वाह का ववरण है।
‘Cash Flow Statement is a Statement Setting Out the Flow of
Cash Under different heads of Sources and their utilization to
determine the requirements of Cash during the given Period and
to Prepare for nits adequate Provisions.
रोकड़ वाह ववरण एक नि चत अव ध के दौरान रोकड़ के वभ न ोत एवं
उपयोग को द शत करता है। यह ववरण यह बताता है क यवसाय म रोकड़ या
नकद कहाँ कहां से ा त कया गया तथा इसे कस कार उपयोग कया गया।

14.3 रोकड वाह का अथ


रोकड़ का यवसाय म वह थान है जो थान र त का मानव शर र म होता है। िजस
कार मानव शर र म र त वा हत होता रहता है, उसी कार रोकड़ यवसाय म
वा हत होती है। मानव शर र म र त वाह ब द हो जाने पर वह न ाण हो जाता
है। इसी कार यवसाय म रोकड़ वाह ब द होने पर यवसाय समा त हो जाता है।
रोकड़ वाह से ता पय है, यवसाय म रोकड़ क ाि त एवं रोकड़ का भु गतान।
यवसाय म रोकड़ क ं ी, द घकाल न व अ पकाल न ऋण,
ाि त अंश पू ज यावसा यक
याओं ( व य), थायी स पि तय व व नयोग का व य आ द से होती है, जब क
रोकड़ का योग क ची साम ी, माल य, वभ न यय के भु गतान, थायी
स पि तय का य, द घकाल न व अ पकाल न ऋण के भु गतान, लाभांश व कर के
भु गतान आ द म कया जाता है। यवसाय म क चा माल रोकड़ से खर दा जाता है।
त प चात ् मजदूर व अ य यय का भु गतान कर इसे प के ( न मत) माल म
प रव तत कर लया जाता है। न मत माल को नकद व य या उधार व य वारा
दे नदार म तथा दे नदार रा श वसूल कर रोकड़ क जाती है, तथा पुन : इसी या को
लगातार दोहराया जाता है। इस कार यवसाय म रोकड़ संवहन नर तर चलता रहता
है। रोकड़ वाह ववरण इसी संवहन को मापने का एक साधन है।

14.4 रोकड वाह का ववरण लेखा मानक 3 (संशो धत) के अनु सार
तैयार करना
चाटड एकाउ टे स सं थान ने लेखा मानक 3 जू न 1981 म नग मत कया था। अब
उसके थान पर लेखा मानक 3 संशो धत प म नग मत कया गया िजसे
1/4/2001 से अ नवाय प से लागू कया गया है िजसके अनुसार एक सं था के
रोकड़ एवं रोकड़ तु य ऐ तहा सक प रवतन के बारे म सू चना इस कार से रोकड़
वाह ववरण बनाकर तु त क जानी चा हए िजससे रोकड़ वाह को संचालन,
व नयोग तथा व तीय ग त व धय म वग कृ त कर द शत कया जा सके।

(358)
उ त तीन ग त व धय का व तृत ववरण न न ल खत है–
(1) प रचालन याओं से रोकड वाह
प रचालन याओं से रोकड़ वाह से अ भ ाय यापार क मु य ग त व धय जैसे
उ पादन एवं उसके व य एवं अ य ग त व धय , जो व नयोग या व तीय ग त व धय
के अलावा है, से रोकड़ वाह से है। सामा य श द म प रचालन याओं से रोकड़
वाह म यापार क मु य यापा रक याओं से संबं धत उन यवहार के नकद
भाव को सि म लत करते है जो शु लाभ–हा न का नधारण करते ह (कु छ यवहार
जैसे थायी स पि तय के व य पर लाभ–हा न यघ प शु लाभ–हा न को भा वत
करते है तथा प प रचालन याओं से रोकड़ वाह म नह ं आते है। य क ये यापार
क मु य यावसा यक याओं से जु डे नह ं है अत: इ ह ' व नयोग ग त व धय से
रोकड़ वाह मद म दखाते है) प रचालन याओं से रोकड़ वाह के उदाहरण इस
कार है–
– माल बेचने या सेवा दे ने से नकद ाि त
– राय ट , फ स, कमीशन इ या द से नकद ाि त
– माल पू तकता या सेवा दे ने वाल को नकद भु गतान
– कमचा रय को नकद भु गतान
– आयकर का भु गतान या वापसी (ले कन य द कोई आयकर का भु गतान या वापसी
प ट प से व तीय या व नयोग याओं से संबं धत क जा सकती है तो उसे
प रचालन याओं से रोकड़ वाह म नह ं सि म लत करगे)
Cash Flow from Operating Activities
प रचालन ग त व धय से रोकड वाह
रोकड के ोत रोकड के उपयोग
(Cash Inflow) (Cash outflows)
नकद व य नकद य
दे नदार से नकद ाि त लेनदार को नकद भु गतान
कमीशन व फ स जो नकद ा त क नकद प रचालन यय।।
राय ट नकद ा त क मजदूर का नकद भु गतान
आयकर का नकद भु गतान
प रचालन ग त व धय से रोकड़ वाह हे तु प रचालन से रोकड़ दो व धय से ात क
जा सकती है–
(अ) य वध
(ब) अ य वध
इस दोन व धय का ववरण इस कार है –
(अ) य व ध – इस वध म कसी सं था वारा एक नि चत अव ध के भीतर जो
नकद ब हु ई है, इसम से नकद य तथा नकद प रचालन यय को घटाकर

(359)
प रचालन से रोकड़ क रा श ात क जाती है। ले कन लाभ हा न खाते के आधार पर
उ त व ध से रोकड़ क रा श ात करने म यह क ठनाई आती है क लाभ हा न खाते
को एक तो अिजत आधार पर तैयार कया जाता है इस कारण गैर नकद मद भी लाभ
हा न खाते म आ जाती है जैसे व य म उधार एवं नकद दोन व य सि म लत कये
जाते है। दूसरा कारण यह है क लाभ हा न खाते म शु गैर रोकड़ मद जैसे हास,
ारि भक यय एवं ऋणप पर ब े को अप ल खत करना, या त अप ल खत करना
इ या द भी होती है िजसका नकद से कोई लेना दे ना नह ं होता है जब क रोकड़ वाह
ववरण नकद ाि त एवं भु गतान पर आधा रत होता है इस हे तु न न ल खत
समायोजन करने होते है –
1 नकद व य क रा श – जैसा क हम मालू म है लाभ हा न खाते म नकद एवं उधार
दोन व य क रा श का योग व य के प म आता है अत: नकद व य से रोकड़
वाह न न सू से ात करते हे ।
Cash Flow from Sales = Total Sales + Opening debtors and Bills
receivable – Closing Debtor and Bills receivable
ारि भक दे नदार एवं ा त वप का शेष व य म यह मानते हु ए जोड़ा जाता है क
इन शेष क रा श वष म ा त हो गई है। इन खात के अि तम शेष क रा श ा त
नह ं हु ई है यह मानते हु ए उ ह घटाया जाता है इस कार जो रा श ात होती है वह
व य, दे नदार एवं ा त वप से ा त नकद माना जा सकता है।
2 नकद य क रा श – व य क भां त नकद य क रा श जात करने हे तु लेनदार
तथा दे य वप का समायोजन न न कार से करके नकद य क रा श ात क
जाती है –
उदाहरण 1
न न ल खत सूचना से य वध वारा प रचालन ग त व धय से रोकड़ वाह ात
कर।
Profit and Loss A/c
For the year ended on 31st March 2009
Particulars Amount Rs. Particulars Amount Rs.
To Cash of goods sold 75,000 By Sales 1,25,000
To Gross Profit 50,000
1,25,000 1,25,000
To Depreciation 10,000 By Gross Profit 50,000
To Salaries 15,000
To Insurance Premium 5,000
To Net Profit 20,000
50,000 50,000
(360)
अ त र त सूचनाएँ
31.3.2008 31.3.2009
Rs. Rs.
Dibtors 10,000 15,000
Bills receivables 2,000 4,000
Creditors 6,000 4,000
Stocks 20,000 24,000
Salaries outstanding 1,000 1,200
Prepaid Insurance 500 500
हल :
Calculation of Cash From Operating Activities (Direct Method)
Rs.
Cash Sales 1,18,0001
Less- Cash purchases 81,0002
Payment to Employees- Salaries 14,8003
Payment of Expenses-Insurance Premium 5,0004 1,00,800
Cash from Operating Activities
17,200
1 Cash Sales
Total Sales during the period 1,25,000
Less-Increase in Debtors 5,000
Increase in bills Receivables 2,000 7,000
1,18,000
2 Cash Purchases
Cost of Goods sold 75,000
Add. Increase in stock 4,000
Total Purchases 79,000
Add Decrease in creditors 2,000 81,000
3 Cash Payment to Employees
Salaries during the period 15,000
Less: Increase in outstanding salaries 200 14,800
4 Cash Payment of Expenses- Insurance Premium
Increase during the period 5,000
Change in Prepaid Insurance Nil 5,000
(361)
(ब) अ य व ध – इसे शु लाभ व ध भी कहते है। इसम शु लाभ को आधार बनाकर
प रचालन से रोकड़ क रा श क गणना होती है जब न म व य क रा श नह ं द
गई हो तो इसी व ध का योग कया जाता है। इस व ध म प रचालन से रोकड़ क
गणना हे तु जैसे पूव म ''कोष वाह ववरण'' म शु लाभ को आधार मानकर गैर
मौ क मद समायोिजत कर प रचालन से कोष क रा श ात करते थे, ठ क उसी
कार रोकड़ वाह ववरण म भी गैर कोष मद समायोिजत करनी च हये त प चात ्
'प रचालन से कोष क रा श म को छोडकर अ य चालू स पि तय () म कमी एवं
चालू दा य व () म वृ होने पर जोड़ दे ते है, य क इससे नकद म वृ होती है।
चालू स पि तय म वृ एवं चालू दा य व म कमी होने पर घटा दे ते ह, य क इससे
नकद म कमी होती है ले कन यह यान म रखने यो य है क यह कमी अथवा वृ
नकद से भा वत होनी चा हये। इस कार ात रा श प रचालन से रोकड' कहलाती है।
उदाहरण 2
अ य व ध का योग करते हु ए उदाहरण 1 क सू चनाओं के आधार पर प रचालक
से रोकड़ से रोकड़ क रा श ात कर।
हल :
Calculation of Cash from Operation (by Indirect Method)
Net profit for the year 20,000
Add: non-cash Expenses
Depreciation 10,000 10,000
Fund from operation or net profits before working capital 30,000
changes
Add: Increase in Sararies outstanding 200 200
30,200
Less: Increase in Debtors 5,000
Increase in Bills recivable 2,000
Increase in Stock 4,000
Decrease in creditors 2,000 13,000
Cash from Operation 17,200
(2) व नयोजन ग त व धय से रोकड वाह – (Cash Flow from Investing
Activities)
थायी स पि तय और व नयोग (नकद तु य व नयोग को छोडकर) के य और
व य से जो रोकड़ वाह होता है उसे व नयोजन ग त व धय से रोकड़ वाह मानते
है जैसे–

(362)
– थायी स पि तय (अ य स पि तय स हत) को ा त करने हे तु नकद भु गतान,
शोध एवं वकास लागत जो पू ज
ं ीगत कृ त क हो, उनका नकद भु गतान एवं वयं
वारा न मत थायी स पि तय हे तु नकद भु गतान।
– थायी स पि तय (अ य स पि तय स हत) के व य पर नकद ाि त।
– अ य सं थाओं के अंश वार ट अथवा ऋणप को नकद खर दने एवं बेचने से रोकड़
वाह।
– तृतीय प को ऋण या अ म दे ना एवं पुनभु गतान नकद ा त ( व तीय सं थान
को छोडकर) से रोकड़ वाह।

व नयोजन ग त व धय से रोकड वाह (Cash Flow From Investing


Activities)
रोकड के ोत या अ तवाह रोकड के उपयोग या ब हवाह
(1) थायी स पि तय का व य (1) थाई स पि तय का य
(Sale of Fixed) (Purchase of Fixed Assets)
(2) व नयोग का व य (2) व नयोग का य
(Sale of Investments) (Purchase of Investments)
(3) याज क ाि त
(Interest Received)
(4) लाभांश क ाि त
(Dividend Received)
व तीय ग त व धय से रोकड वाह– (Cash flow from Financing Activities)
ं ी (क पनी क ि थ त म पूवा धकार अंश पू ज
वामी क पू ज ं ी स हत) और सं था वारा
लये गये ऋण क मा ा एवं संरचना म िजन ग त व धय के कारण नकद प रवतन
होता है उ ह ं व तीय ग त व धय को रोकड़ वाह कहते है।
यथा–
 अंश अथवा ऐसे ह अ य द तावेज के नग मत से ा त रोकड़।
 ऋणप , नो स, बॉ स के नगमन अथवा अ य अ पकाल न द घकाल न ऋण से
ा त रोकड़।
 उ त उधार ल गई रा शय का नकद पुनभु गतान।
 लाभांश का नकद भु गतान।
व तीय ग त व धय से रोकड वाह (Cash flow from Financing Activities)
रोकड के ोत या अ तवाह रोकड के उपयोग या ब हवाह
(1) अंश का नकद नगमन (1) ऋण का भुगतान
(Issue of Shares in cash) (Payment of Loans)
(2) ऋणप का नकद नगमन (2) पू वा धकार अंश का शोधन

(363)
(Issue of Debentures in Cash) (Redemption of preference shares)
(3) द घकाल न उधार ाि त (3) लाभांश का भु गतान
(Issue of Debentures in Cash) (Payment of Dividend)
(4) याज का भुगतान (4) उधा रय का पु नभु गतान
(Interest Paid) (Repayment of Finance/ Leases
Liability)
उ त ववरण म से अ त र त न न प ट करण भी रोकड़ वाह ववरण तैयार करते
समय यान रखने यो य है:–
1. प रचालन व नयोग एवं व तीय ग त व धय से रोकड़ वाह का योग धना मक या
ऋणा मक हो सकता है। रोकड़ वाह ववरण म घटाने वाले ऋणा मक अंको को () म
रखकर दशाया जाता है।
2. रोकड़ वाह जो असाधारण मद जैसे डु बत ऋण वसू ल लाटर बीमा क पनी से ा त
दावे क रा श इ या द को अलग से िजस मद (प रचालन व नयोग एवं व तीय) से
स बि धत हो उस शीषक म दखाना चा हये।
3. व नयोग एवं व तीय ग त व धय के ऐसे यवहार जो रोकड़ वाह नह ं करते है।
रोकड़ वाह ववरण म नह ं आते है जैसे थायी स पि त ऋण प नग मत करके
खर द गई। इनको रोकड़ वाह ववरण के नीचे ट पणी के प म दया जा सकता है।
4. नकद तु य श द से आशय उन अ पकाल न उ च तर य तरल व नयोग से है
िजनको बना कसी वशेष जो खम के तु र त नकद म ात मू य पर प रव तत कया
जा सकता है।
5. व तीय सं थाओं के अ त र त अ य सं थाओं क ि थत म याज एवं लाभांश
भु गतान से संबं धत रोकड़ वाह को व तीय ग त व धय से संबं धत रोकड़ वाह
मानना चा हये, जब क याज व लाभांश ाि त के रोकड़ वाह को व नयोग
ग त व धय से उ प न रोकड़ वाह मानना चा हये।
रोकड वाह ववरण का ा प
जैसे क पूव प ट कया जा चुका है रोकड वाह ववरण य व अ य दोन
व धय से बनाया जा सकता है इन दोन व धय के अनुसार ा प न न ल खत है–
य व ध (Direct Method)
Cash Flow Statement
For the Year ended…………….
Particulars Rs Rs
(a) Cash Flow from operating Activities
Cash Receipt from:
Sales …………
Commissio & Fee ………….
Interest Received ………….
(364)
Cash Payment for:
Purchases ………….
Payments to and for Employees …………
Operation Expenses ………….
Interest Payments …………..
Direct Taxes paid …………. ……………
Net cash flow operating Activities …………….
(b) Cash Flow form Investing Activities
Purchases of fixed Assests
Purchase of Investments …………….
Sale of fixed Assets ……………
Sales of Investments …………..
Interest Received ………….
Devidend Received …………..
Net cash from/used in Investing Activities ……………
(c) Cash Flow from Financing Activities
Proceeds form Issue of Share Capital ……………
Proceeds form Long term borrowings …………..
Repayment of finance/lease liability …………..
Dividend Paid …………. …………..
Net cash from/used in Financing Activities
Net Increase/decrease in cash and cash …………
equivalents(A+B+C)
Opening balance of cash and cash Equivalents ………….
Closing balance of cash and cash Equivalants ………….
अ य व ध (Indirect Method)
CASH FLOW STATEMENT
For the year ended……….
Particulars Rs Rs
(a) Cash Flow from operating Activities
Net Profits before tax
Adjustment for:
Depreciation …………

(365)
Provision for depreciation ………….
Goodwill written off …………
Preliminary Exp. ………..
Transfer to reserve ………..
Loss on sale of fixed assets ………..
Loss on revaluation ……….
Operationg profit before working capital changes ………….
Adjustment For:
Trade and other Receivable
Inventories or stock ………….
Trade Payable or(Creditors and B/P) …………
Cash generated from operations …………
Less: Taxes paid
Net cash flow from operation Activities …………..
(b) Cash Flow from Investing Activities
Purchase of fixed Assets
Purchase of Investments …………..
Sale of fixed Assets ………….
Sale of Investments …………
Interest Received ………….
Dividend Received ………….. …………...
Net cash from/used in Investing Activities …………….
(c) Cash Flow from Financing Activities
Proceeds from Issue of Share Capital …………..
Proceeds form long term borrowings …………
Repayment of finance/lease liability ………..
Dividend Paid …………..
Net cash from/used in financing Activities …………..
Net Incerease/decrease in cash and cash equivalents …………..
(A+B+C)
Opening balance of cash and cash Equivalents ………….
Closing balance of cash and cash Equivalants …………..
+ Decrease in current Assets and Increase in current Liability

(366)
- Increase in current Assets and Decreases in current Liability
उदाहरण 3
नीचे दये गये यापार एंव लाभ–हा न खाते से प रचालन ग त व धय से रोकड़ वाह
ात कर।
Trading and Profit & Loss A/c
Particulars Amount Particulars Amount
Rs Rs
To Opening stock 10,000 By Sales 1,00,000
To Purchases 60,000 By Closing Stock 20,000
To Manufacturing Exp. 15,000
To Wages 7000
Add outstanding 3000 10,000
To Gross profit 25,000
1,20,000 1,20,000
To Administration 20,000 By Gross Profit 25,000
Expenses
To Selling Exp. 10,000 By Rent 8,000
To Depreciation 12,000 By Commission accrued 17,000
To Salaries By Net Loss 30,000
To Salaries 6,000
Add outstanding 2000 8,000
To Insurance 15,000
Less Prepaid 5,000 10,000
To Share issue Exp. 20,000
80,000 80,000

हल :
Cash Flow from Operating Activities (Direct Method)
Particulars Rs. Rs.
Cash Sales 1,00,000
Less: Cash Purchases 60,000
Payment to Employees (Wages 7,000+ Salaries 6,000 13,000
Payment to Expenses– Manufacturing 15,000
Insurance 15,000
Selling Exp. 10,000
Administrative Exp. 20,000 (1,33,000)

Cash Outflow From Operating Activities (33,000)


Cash Flow From operating Activities (Indirect Method)
Particulars Rs Rs
Net Loss as per Profit and Loss Account (30,000)

(367)
Adjustment for
Add : Depreciation
Share Issue Expenses 12,000
Less: Rent Received 20,000 32,000
Operating Profit before Working Capital (8,000)
Changes (6,000)
Add : Increase in outstanding wages 3,000
Increase in outstanding Salaries 2,000 5,000
(1,000)
Less : Increase in stock 10,000
Increase in prepaid Increase 5,000
increase in Accrued Commission 17,000 (32,000)
Cash outflow from operating Activities (33,000)

उदाहरण 4 न न सू चना से रोकड़ वाह ववरण तैयार कर –


Liabilities 31–3–2008 31–3–2009 Assets 31–3–2008 31–3–2009
Creditors 25,000 27,500 Bank 5,000 1,40,000
Bills payable 25,000 10,000 Cash 20,000 45,000
Provision for taxation 25,000 32,500 Debtors 20,000 40,000
Bank Loan – 25,000 Stock 30,000 25,000
Debentures 50,000 – Investments – 1,35,000
Profit and Loss a/c 1,00,000 1,75,000 Plant 1,50,000 1,35,000
Share capital 2,50,000 4,00,000 Land 2,00,000 1,25,000
Goodwill 50,000 25,000

4,75,000 6,70,000 4,75,000 6,70,000

वष के दौरान 25,000 . का लाभांश ता वत एवं भु गतान कया।


हल – Cash flow statement for the year ended 31st March 2009
Particulars Details Amount
(Rs.)
(A) Cash flows from Operating Activities
Increase in Profit and Loss account Balance 75,000
Add: Appropriation for dividend 25,000
Net Profit 1,00,000
Add: Non–cash Expenses:
Goodwill written off 25000
Depreciation on plant 15000
Provision for taxation 32,500
Operating profit before working Capital changes 1,72,500
Add: Increase in Creditors 2,500

(368)
Decrease in Stock 5,000
Less: Increase in Debtors (20,000)
Decrease in Bills payable (15,000)
Cash Generated by Operating activities 1,45,000
Less: Tax paid (25,000)
Net Cash provided by Operating activities 1,20,000
(B) Cash flows from investing activities
Inflows from sale of land 75,000
Outflow on purchase on investments (1,35,000)
Net cash used in Investing activities (60,000)
(C) Cash flows from Financing Activities
Inflow from Issue of shares 1,50,000
Outflow on payment of dividend (25,000)
Outflow on redemption of debentures (50,000)
Inflow from raising of bank loan 25,000
Net Cash flows from Financing activities 1,00,000
Net Increase in cash and bank 1,60,000
Add: Opening balance of cash and bank (20000+5000) 25,000
Closing balance of cash and bank (45000+140000) 1,85,000
उदाहरण 5
ए स ल मटे ड के न न सं त रोकड़ खाते से 31 माच 2009 को समा त होने वाले
वष के लए लेखा मानक 3 (संशो धत) के अनुसार य र त वारा रोकड़ वाह
ववरण बनाइये। क पनी के पास रोकड़ तु य नह ं है।
Summary Cash Account for the year ended 31.3.2009
Rs Rs
Balance on 1,4,2008 50 Payment to Suppliers 2000
Issue of equity Shares 3000 Purchase of Fixed Assets 200
Receipts from Customers 2800 Overhead Expense 200
Sale of Fixed Assets 100 Wages and Salaries 100
Taxation 250
Dividend 50
Repayment of bank loan 300
Balance on 31.3.2009 150
3250 3250
हल – Cash Flow Statement for the year ended 31 March 2009
st

(369)
(Using direct Method)
Cash Flow from operating activities
Rs
Cash Receipts from customers 2800
Cash Payment to suppliers (2000)
Cash paid to employees (100)
Cash Payment of overhead (200)
Cash generated from operations 500
उदाहरण 6 नीचे एबीसी ल मटे ड का लाभ–हा न खाता तथा स बि धत च े क सू चनाएँ द गई
ह:
Profit and Loss Account of ABC for the year ended 31st Dec 2008
Revenue :–
Sale 4,150
Interest and dividend 100
Stock adjustment 20
Total (A) 4,270
Expenditure :–
Purchases 2,400
Wages and Salaries 800
Other expenses 200
Interest 60
Deprecation 100
Total (B) 3,560
Profit before tax (AB) 710
Tax provision 200
Profit after tax 510
Balance of Profit loss account
Brought forward 50
Profit available for distribution (C) 560
Appropriation :–
Transfer to general reserve 200
Profit dividend 300
Distribution tax 30

(370)
Total (D) 530
Balance (C–D) 30
Relevant Balance Sheet Information
31.12.2008 31.12.2007
Rs in Lakhs Rs in Lakhs
Debtors 400 250
Inventories 200 180
Creditors 250 230
Outstanding wages 50 40
Outstanding expenses 20 10
Advance tax 195 180
Tax Provision 200 18
Assessed tax Liability
प रचालन ग त व धय वारा नकद वाह क गणना य र त से क िजए।
हल – Computation of Cash flow from operating actuaries
Cash Receipts :–
Cash sales and collection from debtors 4,000
Sales + opening Debtors – Closing (a) debtors
4150 + 250 – 400 = 4000
Cash Payments :–
Cash Purchases and payment to creditors Purchases
+Opening creditors – closing creditors
2400+ 230– 250 = 2,380
Wages and salaries paid 2,380
800+ 40– 50 = 790
Cash expenses 790
200+ 10– 20 = 190
Taxes paid – Advance tax 190
195
3,555
Cash flow from operating Activities 445

(371)
14.5 सारांश
नकद वाह ं ी क सबसे मह वपूण अंग रोकड़'' के
व लेषण कायशील पू ज वाह क
उपयु तता क माप करता है। रोकड़– वाह व लेषण एक वश ट कार का व तीय
ववरण है जो दो समयाव धय के बीच रोकड़ ि थ त म आये प रवतन क मा ा,
क म तथा कारण क या या करता है। रोकड़– वाह व लेषण व त नयोजन एवं
नयं ण के लए अ य धक उपयोगी है। प रयोजनाओं का व लेषण नकद वाह
व लेषण के अभाव म स भव नह ं है।

14.6 वपरख न
14.6 (A) अ तलघु तरा मक न:
1. नकद वाह ववरण के तीन मू लभूत उ े य बताइए।
2. AS–3 के मु य उ े य बताइए।
3. संचालन या से नकद वाह क तीन मद बताइए।
4. नकद– वाह ववरण तथा कोष वाह ववरण म कोई तीन मू लभू त अ तर बताइए।
5. नकद वाह के 4 ोत को बताइए।
14.6 (B) लघु तरा मक न
1. संचालन से रोकड़– वाह या है?
2. AS–3 के अनुसार नकद– वाह के तीन भेद के बताइए।
3. व नयोग याओं से नकद वाह के मद के बताइए।
4. प रचालना मक, व नयोजना मक तथा व तीय याओं के दो–दो उदाहरण द िजए।
14.6 (C) नब धा मक न
1. नकद– वाह ववरण के उ े य तथा मह ता क या या क िजए।
2. नकद– वाह ववरण के स ब ध म AS–3 के ावधान क या या क िजए।
3. नकद– वाह ववरण तथा कोष– वाह ववरण म अ तर क िजए। इनक सीमाओं का
भी उ लेख क िजए।
4. का प नक समंक क सहायता से नकद– वाह ववरण तैयार करने क य तथा
अ य व ध को समझाइए।
(D) यावहा रक न
न 1. नीचे द सू चना से रोकड़ वाह ववरण तैयार कर:
Particulars Rs
Opening Cash Balance 15,000
Closing Cash Balance 17,000
Decrease in stock 8,000
Increase in bills payment 12,000

(372)
Sale of fixed assets 30,000
Repayment of Loan term loan 50,000
Net profit for the year 2,000
उ तर Cash Flow from operating Activities Rs 22,000.
Cash Flow used in Investing Activities Rs 30,000.
Cash Flow from Financing Activities Rs 50,000.
न 2. म. ए स के न न ल खत ि थ त ववरण से रोकड़ वाह ववरण वष 2008 के लए
तैयार क िजये:
Balance Sheet of Mr.X
Liabilities 1.1.2008 31.12.2008 Assets 1.1.2008 31.12.2008
Creditors 40,000 44,000 Cash 10,000 7,000
Loan from X 25,000 Debtors 30,000 50,000
Loan from Bank 40,000 50,000 Stock 40,000 25,000
capital 1,25,000 1,53,000 Machinery 80,000 55,000
Land 35,000 50,000
Building 35,000 60,000
2,30,000 2,47,000 2,30,000 2,47,000
वष के दौरान 10,000 लागत क मशीन िजस पर एक त हास 3,000 का था
5,000 म नकद बेच द गई।
उ तर– Cash from operating activities Rs 47,000; Financing Activities;
Loan from bank Rs 10,000; Repayment of loan Rs 25,000;
Investing activities; sale of machinery Rs 5,000 Purchases of loan,
Purchases of building Rs 25,000
न 3. नीचे वष 2008 का ए स ल मटे ड. का लाभ– हा न खाता एवं ि थ त ववरण दया
जा रहा है–
Balance Sheet as at 31st Dec. 2008
Liabilities Amount Assets Assets Rs
Rs
Share Capital: Fixed Assets:
Fully paid shares of Rs 4,00,000 Cost 10,000,000
100 each Depreciation written off 3,50,000 6,50,000
General Reserve 1,00,000 Preliminary Expenses 30,000
8% Debentures 2,50,000 Current Assets:
P&L Account 35,000 Stock in trade 1,50,000
Creditors: Book debts 2,00,000

(373)
Goods 2,65,000 Cash in bank 40,000
Expenses (manufacturing) 20,000
10,70,000 10,70,000

Profit & Loss Account


For the year ended 31st Dec. 2008
Particulars Amount Particulars Amount
To Purchase (adjusted) 8,00,000 By Sales 20,00,000
To wages 3,20,000 By Profit on sale of investments 15,000
To Manufacturing Expenses 4,40,000
To Administration and 2,30,000
Selling exp.
To Depreciation 90,000
To Interest 20,000
To Preliminary Expenses
written off 5,000
To Transfer to general reserve 30,000
To Dividend paid
To Profit 65,000
15,000
20,15,000 20,15,000

1 जनवर 2008 को व भ न मद के शेष इस कार थे।


Particulars Rs
8% Debentures NIL
Creditors
For goods 2,00,000
For manufacturing expenses 15,000
Stock–in–trade 1,80,000
Book debts 2,50,000
Fixed Assets (Cost) 8,00,000
Investments 70,000
रोकड़ वाह ववरण बनाकर 1 जनवर 2008 को रोकड़ एवं बक का शेष
उ तर– Cash Flow from operating Activities Rs 3,40,000.
Cash Flow used in Investing Activities Rs 1, 15,000.
Cash Flow from Financing Activities Rs 1, 85,000.
Cash and bank balance opening 3, 70,000 means overdraft

14.7 संदभ थ
1. ब ध लेखांकन, राव, हे ड़ा, गु ता

(374)
2. Student Guide for Accounting Standard D.S. Rawat
3. Management Accounting M.C. Kuchhal
4. Financial Management Agarwal & Agrawal,
Kulhari

(375)
इकाई – 15 : सीमा त लागत (Marginal Costing)
इकाई क परे खा :
15.0 उ े य
15.1 प रचय
15.2 लागत के कार
15.3 ि थर लागत एवं प रवतनशील लागत म अ तर
15.4 अ प रवतनशील लागत का पृथ क करण
15.5 कु ल लागत नधारण
15.6 सीमा त लागत लेखांकन का अथ एवं प रभाषाएं
15.7 आय नधारण
15.8 सीमा त लागत लेखांकन क मा यताएं
15.9 सीमा त लागत लेखांकन क उपयो गता
15.10 सीमा त लागत लेखांकन क सीमाएं
15.11 अवशोषण लागत व सीमा त लागत व ध म अ तर
15.12 सु झाव
15.13 न कष
15.14 अ यास न
15.15 पा रभा षक श द
15.16 उपयोगी पु तक

15.0 उ े य
इस इकाई के मु य उ े य इस कार है –
1. लागत यवहार को प ट करना।
2. अवशोषण लागत व ध के अंतगत आय का नधारण करना।
3. सीमा त लागत लेखांकन व ध के अंतगत आय का नधारण करना।
4. सीमा त लागत एवं अवशोषण व ध म अंतर।

15.1 प रचय
लागत लेखांकन का एक मह वपूण उ े य लागत नयं ण है। इसके लये सीमा त
लागत लेखांकन तकनीक का योग कया जाता है। सीमा त लागत लेखांकन एक
व श ट तकनीक है िजसके आधार पर ब धक वारा व तु के उ पादन म ण, मू य
नधारण, नयात नणय, य या बनाओ नणय आ द मह वपूण नणय लये जाते है।
इस तकनीक के अंतगत उ पादन म प रवतन का लागत पर पड़ने वाले भाव का
अ ययन कया जाता है। इस तकनीक म मू लत: यह माना जाता है क बंधक य

(376)
नणय म प रवतनशील लागत क अहम भू मका होती है य क थायी यय तो कु ल
मा ा म एक ासं गक सीमा के अंतगत उ पादन के येक तर पर ि थर रहते ह।
अत: उ पादन म प रवतन करने पर केवल सीमा त
लागत या प रवतनशील लागत ह भा वत होती है। इस तकनीक का उपयोग नयं ण
तथा लाभ नयोजन जैसे व श ट काय को स प न करने के लये कया जाता है।
लागत लेखांकन अनेक नाम से जाना जाता है जैसे य लागत व ध, प रवतनशील
लागत व ध भेदा मक लागत व ध, वृ शील लागत व ध आ द।
इस तकनीक के अंतगत प रवतनशील उप र यय को उ पा दत इकाइय पर वसू ल कया
जाता है जब क संबं धत अव ध के थायी उप र यय को उस अव ध के अंशदान के
व व त कया जाता है। अत: प ट है क इस तकनीक के अंतगत यय को
थायी व प रवतनशील यय म वभे दत कर उ पादन म प रवतन का लाभ पर या
भाव पड़ेगा इसका अ ययन कया जाता है। सीमा त लागत लेखांकन लागत को दो
भाग म वभ त करता है, थम– थायी लागत तथा वतीय–प रवतनशील लागत। यह
तकनीक केवल प रवतनशील लागत के यवहार म होने वाले प रवतन पर है। रह तये
का मू यांकन प रवतनशील नमाणी लागत के आधार पर कया जाता है। ि थर लागत
का कोई भी भाग रह तये के प म अगल अव ध के लये थ गत नह ं कया जाता
है।

15.2 लागत के कार


सीमा त लागत लेखांकन म लागत को तीन भाग म वभािजत कया जाता िजनका
ववरण न न कार है–
1. ि थर लागत (Fixed Cost) :
ऐसे यय जो अ पकाल म ''कु ल रा श'' म उ पादन के येक तर पर ासं गक सीमा
(relevant range) के अंतगत ि थर रहते ह उसे ि थर लागत कहते है। उ पादन म
प रवतन करने पर ''कु ल रा श'' म तो लागत ि थर रहती ह क तु त इकाई लागत
उ पादन के वपर त दशा म प रव तत होती है। जैसे कराया, बंधक य पा र मक
आ द। ि थर यय क न न वशेषताएँ सेती ह –
1. यह ''कुल रा श'' म ि थर रहती है।
2. यह '' त इकाई'' प रवतनशील होती है।
3. त इकाई लागत व उ पादन म वपर त संबध
ं होता है अथात ् उ पादन बढ़ने पर
त इकाई ि थर लागत कम हो जाती है एवं उ पादन घटने पर त इकाई लागत
बढ़ जाती है।
4. ि थर लागत क कुल रा श '' ासं गक सीमा’' म ह ि थर रहती है।
5. ि थर लागत को ''अव ध लागत’' माना जाता है और इसे लाभ हा न खाते से
वसू ल कया जाता है।

(377)
अत: प ट है क ि थर यय ''कु ल रा श’' म उ पादन म प रवतन करने पर प रव तत
नह ं होती है। उदाहरण के तौर पर कायालय कराया उ पादन म प रवतन से भा वत
होता है। कंपनी को तो कायालय कराया का भु गतान करना ह है चाहे उ पादन या
व य क म कमी हो या वृ हो या ि थर रह। ि थर यय को न न रे खा च से
प ट कर सकते ह –

उपयु त रे खा च से प ट है क उ पादन के येक तर पर थायी लागत 12000


. ह रहे गी य क थायी लागत रे खा एक पड़ी हु ई रे खा A, B है। अत: उ पादन क
मा ा म वृ या कमी होने पर भी ये लागत ि थर रहती है।
2. प रवतनशील लागत (Variable Cost) :
मू ल लागत तथा ऐसे उप र यय जो उ पादन म प रवतन करने पर प रव तत होते ह
उ ह प रवतनशील लागत कहते है। अत: मू ल लागत तथा प रवतनशील उप र यय का
योग प रवतनशील लागत कहलाती है। अ य श द म प रवतनशील लागत से आशय
ऐसी लागत से है जो उ पादन म प रवतन करने पर ''कु ल रा श'' तो प रव तत हो
जाती ह क तु त इकाई लागत म ि थर रहती है। प रवतनशील लागत तभी होती है
जब क एक समय म कु छ नि चत उ पादन होता है, प रवतनशील लागत क मा ा
उ पादन के तर पर नभर करती है। प रवतनशील लागत क न न वशेषताएँ है –
1. यह ''कुल रा श” म प रवतनशील होती ह।
2. त इकाई प रवतनशील लागत ि थर रहती ह।
3. कुल रा श का उ पादन के साथ सीधा संबध
ं होता है अथात ् उ पादन बढ़ने पर कु ल
प रवतनशील लागत भी बढ़ जाती है एवं उ पादन कम होने पर कु ल प रवतनशील
लागत भी कम हो जाती है।
प रवतनशील लागत को न न रे खा च से प ट कया जा सकता ह –

(378)
15.3 ि थर लागत एवं प रवतनशील लागत म अ तर
ि थर लागत एवं प रवतनशील लागत के अंतर को न न सारणी म प ट। कया गया
है –
. सं. अंतर का आधार ि थर लागत प रवतनशील लागत
1. लागत क कृ त ि थर लागत येक उ पादन ये लागत उ पादन म
तर पर “कुल रा श” ि थर प रवतनशील के साथ “कु ल
रहती है। रा श” म प रव तत होती रहती
है। उ पादन के साथ अनुपा तक
संबध
ं होता है।
2. स ब ध ि थर लागत “समय” से ये लागत समय से संबं धत न
संबं धत होती है अतः उ पादन होकर उ पादन से संबं धत होती
से भा वत नह ं होती है। है। उ पादन घटते–बढ़ने पर ये
लागत प रव तत होती है।
3. त इकाई लागत त इकाई लागत का उ पादन अ पकाल म अ य बात समान
के साथ वपर त संबध
ं होता रहने पर त इकाई
है। उ पादन बढ़ने पर त प रवतनशील लागत उ पादन के
इकाई लागत कम होती है। येक तर पर ि थत रहती
है।
4. ासं गक व तार ि थर लागत केवल एक दये प रवतन लागत म ासं गक
गए ासं गक व तार तक व तार का नयम लागू नह ं
ि थर रहती है अथात केवल होता है।
दये गए उ पादन तर तक
(अ धकतम उ पादन मता)
ह ि थर रहती है।
5. ि थरता थायी लागत कु ल रा श म प रवतनशील लागत त इकाई
ि थर रहती है। लागत के संदभ म ि थर रहती
है।

(379)
6. प रवतनशीलता थायी लागत त इकाई प रवतनशील लागत “कु ल
लागत के संदभ म रा श” म प रवतनशील रहती है।
प रवतनशील रहती है।
7. संबं धत अव ध अ य बात समान रहने पर संबं धत अव ध म प रवतन
संबि धत अव ध म प रवतन होने पर प रवतनशील लागत
होने पर ि थत यय भी पर कोई भाव नह ं पड़ता है।
प रवतन हो जाते है। जैसे
वेतन म वा षक वेतन वृ
3. अ प रवतनशील लागत (Semi Variable Cost)
इस कार क लागत म ि थर व प रवतनशील दोन ह कार के लागत त व
व यमान रहते ह। ये लागत न तो पूण प म ि थर होती ह और न ह पूण प से
प रवतनशील। उ पादन मा ा म प रवतन पर ये लागत मा ा के प रवतन क दशा म
तो प रव तत होती ह क तु यह प रवतन मा ा के प रवतन के अनुपात से कम होता
है। अत: इन लागत को उ पादन के साथ संबध
ं होता है क तु आनुपा तक नह ।ं
उदाहरण के तौर पर मर मत यय, बजल यय आ द अ प रवतनशील यय को
न न रे खा च से प ट कया जा सकता है –

उपयु त रे खा च का अवलोकन करने पर प ट है क पयवे क का वेतन


अ प रवतनशील ह है। ब ध के span of control के नयम के तहत य द
पयवे क 40 मक को कु शलता से नयं त कर सकता है तो पयवे क को दया
गया वेतन 40 मक तक ि थर रहे गी क तु य द 40 से अ धक मक क
नयुि त होती है तो एक अ त र त पयवे क नयु त करना पडेगा प रणाम व प
लागत दुगनी हो जाएगी क तु पुन : यह लागत 80 मक तक ि थर रहे गी अत:
पयवे क वेतन को अ प रवतनशील 60 मक तक ि थर रहे गी अत: पयवे क
वेतन को अ प रवतनशील लागत क ेणी म आयेगा।

15.4 अ प रवतनशील लागत का पृथ क करण:


सीमा त लागत लेखांकन म अ प रवतनशील लागत को थायी एवं प रवतनशील
लागत म वभािजत करके थायी लागत को थायी लागत म तथा प रवतनशील
लागत को प रवतनशील लागत म सि म लत करके आगे क गणना क जाती है। अ

(380)
प रवतनशील लागत म सि म लत प रवतनशील एवं ि थर लागत को अलग–अलग
करने क कई व धयां च लत है। इनम से मु ख व धयां न न ह –
1. याशीलता तर व ध
2. उ च एवं न न ब दु व ध
3. समीकरण व ध
4. यूनतम वग व ध
इन सभी व धय का वणन न न कार है–
1. याशीलता तर व ध
अ प रवतनशील लागत को प रवतनशील एवं ि थर लागत म वभ त करने के लये
इस व ध के अंतगत न न या अपनायी जाती है।
1. सव थम याशीलता के दो तर का चयन कया जाता है।
2. इन दोन तर पर कु ल लागत ात क जाती है।
3. न न सू का उपयोग कर त इकाई प रवतनशील दर ात कर ल जाती है।
Changein SemiVariable Cost
VariableCost PerUnit 
Changein Level of Activity
4. उपयु त दर को याशीलता से गुणा करके कु ल प रवतनशील लागत ात कर ल
जाती है।
5. तदुपरा त कुल लागत म से कुल प रवतनशील लागत घटाकर थायी लागत ात
कर ल जाती है।
इस व ध को न न उदाहरण से प ट कया जा सकता है–
उदाहरण–1
प रवतनशील लागत तथा ि थर लागत ात क िजये।
Period Level of activity (output units) Semi – variable cost
I 1,600 units Rs. 10,000
II 2,400 units Rs. 11,600
हल–
Calculation of variable cost per unit (V.C.P.U.)
V.C.P.U = Change in cost / Change in output
= Rs. 11,600 – Rs. 10,000/2,400 – 1600 units
= Rs. 1,600/800 unit = Rs. 2 per unit

पहल अव ध म कु ल प रवतनशील लागत 3200 . (1600 x Rs. 2 p.u.) तथा


कु ल थायी लागत 6800 . (Rs. 10,000 – Rs. 3,200) होगी। दोन अव ध क
सू चनाओं न न सारणी म दशाया गया है।
Segregation of Semi–Variable Cost –

(381)
Period Level of activity Semi–variable Variable cost (v.c) Fixes cost
Cost (SAV) (Output x Rs. 2) (SVC – V.C.)
I 1,600 Rs. 10,000 Rs. 3,200 Rs. 6,800
II 2,400 Rs. 11,600 Rs. 4,800 Rs. 6,800
यह व ध अ य त सरल है क तु इस व ध क सबसे बडी सम या यह क हर दो
अव धय के बीच बार–बार गणन या दोहरानी पडती है।
2. उ च एवं न न ब दु व ध
यह व ध भू तकाल न समंक के व लेषण पर आधा रत है। इसम एक नि चत
समयाव ध के यूनतम एवं अ धकतम उ पादन तर को ात कया जाता है फर उन
दोन तर के कु ल लागत क आपस म तु लना करके त इकाई प रवतनशील दर
ात क जाती है। त प चात ् लागत को प रवतनशील एवं थायी भाग म बाँटा जाता
है। गणना या म यह व ध तर व ध के समान ह है क तु यहां दो यूनतम व
अ धकतम उ पादन तर को लया जाता है जब क याशीलता तर म कसी भी दो
उ पादन तर का चयन कया जाता है।
अत: इस व ध के अंतगत यूनतम एवं अ धकतम उ पादन तर पर वाल कु ल
उप र यय से तु लना कर कु ल लागत को वभ त कया जाता है और न न सू के
मा यम से सीमा त लागत त इकाई ात क जाती है –
ChangeinTotal Cost
Variable Cost PerUnit 
Change inOutput
यह व ध इस मा यता पर आधा रत है क कु ल लागत म जो प रवतन उ पादन म
प रवतन करने पर आता है वह प रवतनशील लागत का ह प रणाम है।
उदाहरण–2
आ द य ल. ने वष 2008 म उ पा दत अ धकतम व यूनतम इकाइय क कु ल लागत
न न है –
Maximum Minimum
Output Units 20,000 units 10,000 units
Total cost Rs. 50,000 Rs. 30,000
त इकाई सीमा त लागत तथा कु ल थायी लागत ात क िजए।
हल–
(1) त इकाई सीमा त लागत
Changein total cos t
VariableCost per unit 
Changein output
Rs.20, 000

10,000
 Rs.2 per unit
(2) कु ल थायी लागत क गणना

(382)
Total Fixed cost = Total Cost – Total variable cost
= Rs. 50,000 – (20,000 x 2)
= Rs. 10,000
3. समीकरण व ध
इस व ध के अंतगत युगपत समीकरण का सृजन कर अ प रवतनशील लागत को
ि थर एवं प रवतनशील लागत म वभ त कर सकते ह। इसके दो उ पादन तर पर
कु ल लागत क समीकरण का सृजन कर उनको हल कर लया जाता है। कु ल लागत
के लये न न समीकरण का उपयोग कया जा सकता है। समीकरण का सृजन करते
समय त इकाई प रवतनशील दर तथा कु ल थायी यय को कोई भी चर मू य माना
जा सकता है।
Variable Cost = Fixed cost + (Marginal Cost) variable Cost
OR
Variable Cost = Total cost – Fixed cost
उदाहरण–3
व वास ल. के लागत पु तक से न न सू चनाय एक क गयी –
Year Total Cost (Rs.) Production (Units)
2007 40,000 15,000
2008 50,000 20,000
त इकाई सीमा त लागत तथा कु ल थायी लागत ात क िजए।
हल –
माना क त इकाई सीमा त लागत V है तथा कु ल ि थर यय l है
Marginal Cost + Fixed Cost = Total Cost
15,000 V + F = 40,000............... (i)
20,000 V + F = 50,000..................(ii)
समीकरण (ii) को समीकरण (i) म से घटाने पर
20,000 V + F = 50,000
15,000 V + F = 40,000
- - -
5,000 V = 10,000
,
V= = Rs. 2 per unit
,
V का मान समीकरण (i) म त थापन करने पर
15,000 x 2 + F = 40,000
F = 40,000 – 30,000

(383)
= Rs. 10,000
अत: त इकाई सीमा त लागत Rs. 2 तथा
ि थर लागत Rs. 10,000
उदाहरण–4
आ द य ल. ने 2007 म 2,00,000 इकाइय का उ पादन 5 . त इकाई लागत
से उ पा दत क । 2008 म 3,00,000 इकाइय का उ पादन 4.80 . त इकाई
लागत से उ पा दत क । 2008 म 2007 क तु लना म ि थर यय 10 तशत से
बढ गये। त इकाई सीमा त लागत व मू ल ि थर यय ात क िजए।
हल–
माना क त इकाई सीमा त लागत 9 तथा कु ल ि थर यय F है –
2007 Total Cost = 2, 00,000 x 5 = Rs. 10, 00,000
2008 Total Cost = 3, 00,000 x 4.80 = Rs. 14, 40,000
Variable Cost + Fixed Cost = Total Cost

चू ं क 2008 म ि थर यय 10 तशत बढ़ गये अत: 2008 म ि थर उप र यय 1.1


F हो जायेगा (F + 10% of F)
2, 00,000 V x F = 10, 00,000................ (i)
3, 00,000 V + 1.1 F = 14, 40,000........... (ii)
पहले समीकरण को 1.1 से गुणा करके पहले समीकरण को दूसरे समीकरण म से
घटाने पर
3, 00,000 V + 1.1 F = 14,40,000
2, 20,000 V + 1.1 F = 11,00,000
- -
80,000 V = 3,40,000
3, 40, 000
V  Rs.4.25
80, 000
V का मान समीकरण म त थापन करने पर
2,00,000 x 4.25 + F = 10,00,000
F = 10,00,000 – 3,50,000
F = Rs. 1,50,000
4. यूनतम वग र त
इस र त म रे खीय या एक घातीय वृि त के आधार पर त इकाई सीमा त लागत व
कु ल ि थर यय ात क जाती है। यह एक सांि यक य व ध है। इस व ध म औसत
लागत को आधार माना जाता है। इसम न न रे खीय समीकरण वक सत क जाती है।

(384)
Y = a + bx
जहाँ– Y = औसत कुल लागत
a = कुल ि थर यय
b = त इकाई सीमा त लागत
X = औसत उ पादन इकाइयां
या –
1. सव थम उ पादन (X) तथा कु ल लागत (Y) का औसत न न सू वारा ात कया
जाएगा।
X X /N Y  Y / N
2. फर संबं धत मा य मू य से वचलन ात कया जाएगा –
वचलन XX
 Y Y
3. उ पादन ( X ) के वचलन के वग का योग ात कया जायेगा ( X  X )2 तथा
उ पादन ( X ) तथा कु ल लागत ( Y ) के वचलन को आपस म गुणा कया जायेगा
तथा उसका योग ात कया जाएगा।
4. न न सू का उपयोग कर त इकाई सीमा त लागत ( Y ) ात क जाएगी –
( X  X )(Y  Y )
(b) 
( X  X ) 2
5. अंत म औसत कु ल लागत ( Y ) म प रवतनशील लागत घटाकर थायी लागत ात
क जाती है अथात Y  a  bx समीकरण म त इकाई सीमा त लागत ( b ) तथा
औसत उ पादन ( X ) का मान रख कर थायी लागत ( a ) ात कर ल जाती है।
उदाहरण–5
सी योर मीटर ल. उदयपुर के बजल यय (Y) अ प रवतनशील यय है। ये खच
मशीन घ ट (X) म प रवतन करने पर भा वत होते हे । लागत लेख म पछले 12
मह न को समंक एक कये जो न न ह –
Month Jan Feb Mar Apr May June July Aug Sept Oct Nov Dec Total
X(’00) 68 60 68 78 84 64 52 52 62 70 86 96 840
Y(Rs.) 1280 1240 1240 1180 1000 1060 1000 1000 1060 1100 1160 1360 13680

बजल खच को यूनतम वग व ध से सीमा त लागत व थायी यय म वभे दत


करो।
हल:
Calculation of Fixed and Variable Cost
Month Machine X X ( X  X )2 Electricity Y Y ( X  X )(Y  Y )
Hours(X) charges(Y)
January 68 –2 4 1280 140 –280

(385)
February 60 –10 100 1240 100 –1000
March 68 –2 4 1240 100 –200
April 78 8 64 1180 40 320
May 84 14 156 1000 –140 1960
June 64 –6 36 1060 –80 480
July 52 –18 324 1000 –140 2520
August 52 –18 324 1000 –140 2520
September 62 –8 64 1060 –80 640
October 70 0 0 1100 –40 0
November 86 16 256 1160 20 320
December 96 26 676 1360 220 5720
Total ?X=840 2008 ?Y=13680 ?xy=13,000
Calculation of mean machine house and mean electricity charge:
X =∈X/N=840/12 Y=ϵY/N=13680/12
=70 hours =Rs.1140
Variable cost per unit (b) =ϵ(X–X) (Y–Y)/ (X–X) 2
=13,000/2008=6.4741 per 100 machine hours
=6.4741/100 per machine hour
=0.064741 per machine hour
Y=a+bx i.e.
Rs.1140=a+Rs.0.064741 x 70 x 100
Rs. 1140= Fixed cost+453.187
Fixed cost=Rs. 686.813

15.5 कुल लागत का नधारण


कसी भी उ पाद या या क कुल लागत म उप र यय के अवशोषण के लये न न
म से कसी भी व ध का उपयोग कया जा सकता है –
1. अवशोषण लागत लेखांकन (Absorption Costing)
2. सीमा त लागत लेखांकन (Marginal Costing)
1. अवशोषण लागत लेखांकन :
अवशोषण लागत व ध तकनीक को पर परागत या पूण लागत व ध भी कहते है। इस
व ध के अंतगत उ पाद क लागत का नधारण थायी एवं प रवतनशील यय को
यान म रखकर कया जाता है। य द एकल उ पाद का उ पादन करते ह तो स पूण
खच उसी पर वसू ल करते ह क तु एक से अ धक उ पाद का उ पादन करने पर

(386)
प रवतनशील यय को तो सीधे ह उ पाद पर वसू ल कया जाता है जब क थायी
उप र यय को उ चत आधार पर वत रत कया जाता है।
1.1 आय नधारण :
अवशोषण लागत व ध म आय का नधारण न न चाट वारा कया जा सकता है –
(Determination of Income)
Particulars Amount Amount
A. Sales Value XXX
B. B.1 Direct Material XXX
B.2 Direct Labour XXX
B.3 Factory Overheads XXX (XXX)
C. Gross Profit (A–B) XXX
D. D.1 Administration Expenses XXX
D.2 Selling & Distribution Expenses XXX
E. Net Profit (C–D) (XXX)

2. सीमा त लागत लेखांकन :


2.1 सीमा त लागत:
सीमा त लागत एक ऐसी लागत है जो अ त र त इकाई का उ पादन करने पर उ प न
होती है। उ पादन के कसी तर पर एक अ त र त इकाई का उ पादन करने पर कु ल
लागत म जो प रवतन आता है उसे सीमा त लागत कहते ह। सीमा त लागत
प रवतनशील लागत का दूसरा नाम है।
आई सी.एम.ए. लंदन ने सीमा त लागत को इस कार प रभा षत कया है – ''उ पादन
के कसी एक नि चत तर पर उ पा दत इकाइय क वृ या कमी के फल व प
ू लागत म हु ई प रवतन क रा श को ह सीमा त लागत कहते ह।“
संपण
सीमा त लागत म थायी उप र यय को सि म लत नह ं करते है। सीमा त लागत
ात करने के लये न न सू का योग कया जा सकता है
कु ल लागत म प रवतन
सीमांत लागत =
कु ल मा ा म प रवतन
उपयु त प रभाषा से यह प ट हो गया क कु ल प रवतनशील लागत ह कु ल सीमा त
लागत है य क उ पादन म प रवतन करने पर केवल प रवतनशील लागत ह
प रव तत होती है थायी उप र यय तो ि थर रहते है। इस त य को न न उदाहरण से
प ट कया जा सकता है। माना क प रवतनशील लागत त इकाई 10 . है,
थायी उप र यय 5,000 . है तथा उ पादन 2'000 इकाइयां ह तो इसक कुल लागत
इस कार होगी –
Rs.
Variable cost of 2,000 unit @ Rs. 10 per unit 20,000
Fixed Cost 5,000
Total Cost 25,000

(387)
एक अ त र त का उ पादन करने पर –
Rs.
Variable cost of 2,0001 units @ Rs. 10 per unit 20,000
Fixed Cost 5,000
Total Cost 25,000

उपयु त उदाहरण से यह प ट हो गया क एक अ त र त इकाई का – करने पर कु ल


लागत म 10 . का प रवतन आ गया य क प रवतनशील लागत म वृ हु ई। कु ल
लागत म यह प रवतन सीमा त लागत है। सं ेप म, सीमा त लागत म मू ल लागत
तथा प रवतनशील उप र यय को सि म लत कया जाता है।
Marginal Cost = Prime Cost +Variable Overheads
OR
Marginal Cost =Direct Material + Direct Labour +Direct Expenses +Variable Factory,
Office and Selling Overheads
OR
Marginal Cost =Total Cost – Fixed Cost

15.6 सीमा त लागत लेखांकन का अथ एवं प रभाषाएं :


सीमा त लागत लेखांकन वह तकनीक है िजसम थायी व प रवतनशील लागत म
अंतर था पत कर उ पादन क मा ा म होने वाले प रवतन का व लेषण कर लाभ पर
पड़ने वाले भाव का अ ययन कया जाता है।
आई.सी.एम–ए. लंदन के अनुसार– 'सीमा त लागत लेखांकन का अ भ ाय ि थर व
प रवतनशील यय म अंतर करते हु ये सीमा त लागत तथा उ पादन मा ा म प रवतन
का लाभ पर भाव ात करने से है।“
डॉ. जोसेफ के अनुसार – 'सीमा त लागत लेखांकन वतमान उ पादन तर से एक
अ त र त इकाई के उ पादन के फल व प संपण
ू लागत म हु ऐ प रवतन को नधा रत
करने क एक व ध है।“
उपयु त प रभाषा के आधार पर सीमा त लागत लेखांकन क न न वशेषताएँ कट
होती है –
1. सीमा त लागत लेखांकन म सीमा त लागत का नधारण कया जाता है।
2. इसम ि थर एवं प रवतनशील लागत म अंतर कया जाता है।
3. इसम उ पादन म प रवतन का लाभ पर या भाव पडता है, इसका अ ययन
कया जाता है।
उपयु त प रभाषाओं से यह प ट है क सीमा त लागत लेखांकन म उ पादन क
इकाइय म कमी या वृ के कारण लागत म होने वाल कमी या वृ का अ ययन
कया जाता है।

(388)
15.7 आय नधारण :
इस तकनीक के अंतगत व तु के व य मू य क तु लना उसक प रवतनशील या
सीमा त लागत से क जाती है तथा दोन का अंतर अंशदान (Contribution)
कहलाता ह। इस अंशदान म से उस अव ध क कु ल थायी लागत को घटाकर शु
लाभ ात कया जाता है। इसम क ध का मू यांकन प रवतनशील नमाणी लागत के
आधार पर कया जाता ह। य द एक से आ थक उ पाद का उ पादन कया जाता है तो
सभी उ पाद का अंशदान जोडकर उसम से थायी यय को घटाकर आय का नधारण
कया जाता ह। न न रे खा च एक उ पाद नमाणी सं था का है। जो तीन उ पाद A,
B तथा C का उ पादन करती है क कस तरह सामू हक अंशदान नकालकर आय का
नधारण कया जा सकता है, को प ट करता है।

सीमा त लागत व ध म आरा का नधारण न न चाट वारा कया जा सकता है –


(Determination of income)
Particulars Amount Amount
A. Sales Value XXX
B. B.1 Direct Material XXX
B.2 Direct Labour XXX
B.3 Variable Factory Overheads XXX
B.4 Variable Selling & Distribution Overheads XXX (XXX)
C. Contribution (A–B) XXX
D. D.1 Fixed Factory Overheads XXX
D.2 Fixed Administration Overheads XXX
D.3 Fixed Selling &Distribution Overheads XXX (XXX)
E. Net Profit (C–D) XXX

15.8 सीमा त लागत लेखांकन क मा यताएं:


1. लागत को दो भाग म वभ त कया जाता है – (अ) थायी तथा (ब) प रवतनशील
लागत
2. त इकाई प रवतनशील लागत ि थर रहती है।
3. त इकाई व य मू य ि थर रहता है।

(389)
4. कु ल ि थर यय येक उ पादन तर पर ि थर रहता है।

15.9 सीमा त लागत लेखांकन क उपयो गता:


सीमा त लागत लेखांकन क ब ध म मह वपूण भू मका है। इस तकनीक के आधार
पर ब धक न न कई नणय ले सकता है जो इसक उपयो गता को दशाता है –
1. उ पादन क मा ा नधारण म सहायक :
इस तकनीक के मा यम से ब धक यह नणय ले सकते ह क कस उ पादन तर
पर यवसाय का संचालन करने पर लागत यूनतम तथा लाभदायकता अ धक. होगी।
यह तकनीक लागत–मा ा–लाभ (Cost–Volume–Profit) के अ तस ब ध को प ट
करती है। उ पा दत इकाइय क मा ा म प रवतन करने पर लागत तथा लाभ पर या
भाव पडेगा इसके अ ययन म यह तकनीक सहायक स होती है। प रणाम व प
अ धकतम लाभ ाि त के उ े य को इस तकनीक के मा यम से पूरा कया जा सकता
है।
2. मू य नधारण म सहायक :
अ पकाल म उ पादन क येक इकाई पर सीमा त लागत ि थर रहती है तथा ि थर
लागत कु ल रा श म ि थर रहती है। चू ं क अ पकाल म त इकाई सीमा त लागत
ि थर रहती है अत: फम को मू य नधारण करने म सम या नह ं आती ह। य द
ि थर लागत को भी नणय करने म सि म लत कया जाये तो त दन उ पादन म
प रवतन करने पर त इकाई लागत म प रवतन होता रहे गा। प रणाम व प फम को
नणय करने म सम या उ प न होती है।
3. उप र यय के यूनावशोषण तथा अ यावशोषण क उपे ा:
लागत लेखांकन म उप र यय को पूव नधा रत दर के आधार पर वसू ल कया। जाता
है। य द थायी उप र यय को पूव नधा रत दर के आधार पर कया जाये और
वा त वक म कमी हो या उप र यय क रा श यादा हो तो उप र यय का
यूनावशोषण होगा। वपर त य द बजटे ड उ पादन से यादा उ पादन हो तो उप र यय
का अ ध अवशोषण होगा। उप र यय का कम या यादा वसू ल करने पर फम को
नणय करने म क ठनाई आती है। सीमा त लागत म इसक उपे ा क जाती है िजससे
नणय करने म आसानी रहती है।
4. अव ध का सह लाभ:
सीमा त लागत लेखांकन म न मत माल तथा अ न मत माल का मू यांकन केवल
सीमा त लागत के आधार पर कया जाता है। ि थर यय को अव ध लागत मानकर
उसे उसे के लागत लाभ हा न खाते म अप ल खत कर दया जाता है। यह उस अव ध
का सह लाभ कट करता है।
5. यावसा यक नणय को लेने म सहायक:
सीमा त लागत लेखांकन कई तरह के यावसा यक नणय लेने म सहायता करती है।
ये यावसा यक नणय न न हो सकते ह –

(390)
1. यावसा यक मंद के समय यह नणय लेना क अ पकाल के लये उ पादन बंद
करना चा हये या नह ।ं
2. कसी उ पाद वशेष कोई के संघटक का उ पादन कया जाये या बाहर ऐजे सी से
य कया जाये।
3. लाभदायक उ पाद म ण ात करने हे तु ।
4. उ पाद का नयात कया जाये या नह ं।
6. लागत नयं ण :
सीमा त लागत लेखांकन म यय को दो भाग म बाँटा जाता है– प रवतनशील एवं
ि थर यय। इस तरह का वग करण ब धक को खच पर नयं ण करने म सहायता
मलती है। ब ध वा त वक प रवतनशील यय क अनुमा नत प रवतनशील यय से
तु लना करके '' वचरण व लेषण” (Variance Analysis) तकनीक से सु धारा मक
कायवाह कर सकता है। प रणाम व प अ तत: लागत नयं त कया जा सकता है।
सीमा त लागत लेखांकन क उपयो गता को न न उदाहरण से प ट कया जा सकता
है –
उदाहरण –6
व वास ल मटे ड क त माह 2,000 इकाइय को उ पादन क मता है। लागत
ववरण इस कार है –
Direct material Rs. 6 per unit
Direct labour Rs. 4 per unit
Variable overhead Rs. 2 per unit
Fixed overhead Rs. 8,000 per month
Selling price Rs. 20 per unit
बाजार म मंद होने क वजह से उ पाद को 14 . त इकाई दर से ह बेचा जा
सकता है। अगले तीन माह तक मंद का असर बाजार पर रहने क संभावना है।
लेखाकार का कहना है क उ पादन बंद कर दे ना चा हये य क व य मू य उ पाद
क लागत से कम है। आप अपनी राय कट क िजये।
हल–
लेखाकार ने अ थायी प से उ पादन बंद करने क सलाह इस लये द य क त
इकाई उ पाद लागत 16 . (6+4+2+4(800 / 2000)) है जब क व य मू य 14
. त इकाई है। अत: यवसाय को हा न होगी। इस लये जब तक बाजार क दशाय
सु धर नह ं जाती जब तक उ पादन रोक दे ना चा हये।
क तु, हम लेखाकार के नणय से सहमत नह ं है य क उ पादन बंद करने पर भी
हम 8,000 . त माह थायी उप र यय क हा न होगी। य द हम उ पादन चालू
रखे तो 8,000 . त माह हा न के थान पर 4,000 . ह हा न होगी। यह न न

(391)
गणना से प ट है। अत: यहाँ पर नणय केवल सीमा त लागत के आधार पर लेना
चा हये न क अवशोषण लागत व ध के आधार पर।
य द उ पादन को चालू रखा जाए य द उ पादन को ब द कया जाए
Total Sales (2,000×14) 28,000 Total Sales NIL
Less: Variable Cost: Less; Variable Cost:
Direct Material 12,000 Direct Material
Direct Labour 8,000 Direct Labour
Variable OH 4,000 24,000 Variable OH NIL
Contribution 4,000 Contribution NIL
Less: Fixed Cost (8,000) Less; Fixed Cost (8,000)
Profit (4,000) Profit / (Loss) (8,000)

15.10 सीमा त लागत लेखांकन क सीमाय:


1. लागत वग करण म क ठनाई :
सीमा त लागत तकनीक म मु य सम या लागत को दो भाग म (1) थायी लागत
तथा (2) प रवतनशील लागत म बांटना है। बहु त से खच ऐसे होते है िजनका इस तरह
वग करण क ठन होता है। जैसे कमचा रय को दान क गयी सु वधाओं का मू य जो
न तो उ पादन म प रवतन करने पर भा वत होती है और नह ं समय के आधार पर।
2. व य कमचा रय वारा गलती :
व य कमचार य द सीमा त लागत को कु ल लागत मानकर व तु ओं क ब कर
दे ते ह तो यवसाय को हा न हो सकती है। अत: व य कमचा रय को सीमा त लागत
का व लेषण करते समय सावधानी रखनी चा हये।
3. थायी यय का वा तव म थायी न होना :
थायी यय को उ पादन के येक तर पर ि थर माना जाता है जो म संभव नह ं
है। थायी यय भी एक समय से दूसरे समय म प रवतन हो जाते ह जैसे कमचा रय
वेतन बल त वष वा षक वेतन वृ से बढ़ जाता है। कायालय का कराया भी ि थर
नह ं रहता है। मा लक उसम भी वृ करता रहता है।
4. व नयोग रा श तथा समय त व क उपे ा :
सीमा त लागत लेखांकन म नणय लेते समय व नयोग क रा श तथा सम , त व क
उपे ा क जाती है य क नणय का मु य आधार सीमा त लागत होती है। दो
उपकाय बी सीमा त लागत समान हो सकती है क तु उस उपकाय को पूरा करने म
लगने वाला समय तथा यु त मशीन क लागत अलग–अलग हो सकती है।

15.11 अवशोषण लागत व सीमा त लागत व ध म अंतर :


क. सीमा त लागत व ध अवशोषण लागत व ध
स.
1. रह तये का मू यांकन एवं उ पादन रह तये का मू यांकन एवं उ पादन लागत नधारण

(392)
लागत नधारण म केवल प रवतन म प रवतनशील एवं ि थर लागत दोन को
लागत को यान म रखा जाता है। सि म लत कया जाता है
2. थायी लागत को माना जाता है अत: थायी लागत को उ पादन क लागत म वसूल
उ पाद पर वसूल नह ं कया जाता। कया जाता है अत: येक उ पादन का लाभ हा न
नकालते समय थायी लागत का भाव पड़ता है।
3. लागत समंक म कुल अंशदान को लागत समंक म शु लाभ पर यादा यान दया
यादा मह व दया जाता है। जाता है।
4. ारं भक एवं अं तम रह तये क मा ा ारं भक एवं अं तम रह तये क मा ा म प रवतन
म प रवतन होने पर त एकाई होने पर त एकाई उ पादन लागत को भा वत
उ पादन लागत को भा वत नह ं करती हे य क थायी लागत का भाव पड़ता हे।
करती है।
उदाहरण–7
एक कंपनी ने 2,000 बजटे ड इकाइय क तु लना म 1,500 इकाइय का उ पादन
कया। वा त वक ब 1,300 इकाइयां ह। कंपनी टॉक के मू यांकन म मा पत
अवशोषण लागत व ध का उपयोग करती है। अ य समंक इस कार है
Direct material Rs. 100 per unit
Direct labour Rs. 100 per unit of normal capacity
Variable OH Rs. 50 per unit
Fixed OH at budgeted capacity Rs. 100000
Variable selling OH Rs. 26000
Budgeted fixed selling OH Rs.30000
Actual fixed selling OH Rs. 25000
Selling Price Rs. 400 per unit
ारं भक टॉक नह ं है।
1. अवशोषण लागत व ध के अंतगत लाभदायकता ववरण बनाइये।
2. यह मानते हु ये लाभ या हा न क गणना क िजये क वा त वक म सामा य मता से
25 तशत कम था तथा स पूण उ पादन के बाद 100 इकाइयां खराब हो गयी ह।
3. उपयु त 1 तथा 2 म लाभ का मलान कर।
हल –
(i) Calculation of profit under absorption costing
Statement of Profitability
(Absorption Costing)
Particulars Amount Amount
A Sales (1300xRs. 400) 5,20,000
B B.1 Direct Material (1500 x Rs. 100) 1,50,000
B.2 Direct Labour (1500 x Rs.100) 1,50,000

(393)
B3. Variable overheads (1500 x Rs. 50) 75,000
B4. Fixed overheads (Rs. 1,00,000 x 1,500 / 2,000) 75,000

C Total of B 4,50,000
D Less: Closing Stock (Rs. 4,50,000 x 200 / 1,500) (60,000)
E Net Absorption Cost 3,90,000
F Add: Under absorption of fixed OH (1,00,000 x 25,000 (4,15,000
50/2,000)
G Gross Profit (A–F) 1,05,000
H H.1 Selling overheads Variable 26,000
H.2 Selling overheads Fixed 25,000 (51,000)
I Net Profit (G–H) 54,000
(ii) Calculation of profit / loss under second situation
Statement of Profitability
Particulars Amount Amount
A Sales (13 x Rs. 400) 5,20,000
Closing Stock (100 x 300) 30,000
5,50,000
B B.1 Direct Material (1500 x Rs. 100) 1,50,000
B.2 Direct Labour (1500 x Rs. 100/75%) 2,00,000
B.3 Variable overheads (1500 x Rs. 50) 75,000
B.4 Fixed overheads 1,00,000
(5,25,000)
C Gross Profit (A–B) 25,000
D D.1 Fixed Selling Overheads 25,000
D.2 Variable Selling Overheads 26,000 (51,000)
E Net/(Loss) (C–D) (26,000)
(iii) Reconciliation Statement
Particulars Amount
Profit under absorption costing 54,000
Less: labour inefficiency (2,00,000–1,50,000) (50,000)
Less: value of unit scrapped (100 x 300) (30,000)
Profit/(Loss) under second situation (26,000)

Working notes:
1. Absorption cost per unit: Rs.
(394)
Direct material 100
Direct labour 100
Variable OH 50
Fixed OH(100000/2000) 50
Total 300

Units
2. Budgeted capacity 2000
Production 1500
Under absorption 500(2,000–1,500)
Sales 1300
Closing Stock 200
उदाहरण–8
आ द य ल. एकल उ पाद, ''KALP'' का उ पादन करती है। न न सू चनाएँ वष 2008
क ''KALP'' से संबं धत ह:
Actvity Level 50% 100%
Production & Sales (Units) 800 1600
Rs.(lakhs) Rs.(lakhs)
Sales 16.00 32.00
Production Cost variable 6.40 12.80
Sellig & Administration 3.20 3.20
Variable 3.20 6.40
Fixed 4.80 4.80
वष क सामा य याशीलता का तर 1,600 इकाइयां ह। थायी यय स पूण वष
एक दर से खच होते है। वा त वक थायी यय एवं बजटे ड थायी यय समान ह।
वषा के ारं भ म कोई टॉक नह ं ह। थम तमाह म 440 इकाइय का उ पादन
कया गया है उसम से 320 इकाइयां बेची गयी।
गणना क िजये :
a. य द अवशोषण लागत व ध अपनायी जाये तो ''KALP'' उ पाद को अवशो षत क
जाने वाल ि थर उ पा दत उप र यय क रा श कतनी होगी।
b. वष 2008 म उप र यय के यूनावशोषण व अ यावशोषण क कतनी रा श होगी।
c. अवशोषण लागत व ध का उपयोग करने पर लाभ कतना होगा।
d. सीमा त लागत व ध का उपयोग करने पर लाभ कतना होगा।
e. उपयु त ब दु c तथा– ब दु d म आक लत लाभ म अंतर य है।

(395)
हल–
a. Fixed production cost absorbed:
Budgeted fixed production cost Rs. 3,20,000
Budgeted output (normal level of activity) 1,600 units Therefore,
Absorption rate = Rs. 3,20,000/1,600 Units= Rs. 200 per unit
During first quarter fixed production cost absorbed ‘KALP’ would be (440 unit x
Rs.200) = Rs. 88,000
b. Calculation of Under/Over recovery of overheads:
Actual fixed production overhead Rs. 80,000(Rs.3, 20,000 x ¼)
Absorbed fixed production overhead Rs. 88,000
Over recovery of overheads Rs. 8,000
c. Calculation of profit under absorption costing:
Particulars Amount Amount
A Sales (320 x Rs. 2,000) 6,40,000
B Production Cost:
B.1 Variable cost (44 x 800) 3,52,000
B.2 Fixed Overheads (as per working note No.2) 88,000
4,40,000
Less: closing Stock (4,40,000 x 120/440) (1,20,000 (3,20,000)
C Gross Profit(A–B) 3,20,000
D Selling & Distribution Expenses
D.1 Fixed (4,80,000 x ¼) 1,20,000
D.2 Variable (320 units x Rs. 400) 1,28,000 (2,48,000)
E Unadjusted Net Profit (C–D) 72,000
F Add: Over recovery of overheads 8,000
Actual Profit 80,000

d. Calculation of profit under marginal costing:


Particulars Amount Amount
A Sales (320 x Rs. 2,000) 6,40,000
B Variable PRODUTION Cost (44 x Rs.800) 3,52,000
Less: Closing Stock (120 x Rs.800) (96,000)
Balance 2,56,000
Variable Selling Cost 1,28,000 (3,84,000)
C Contribution (A–B0 2,56,000
D Fixed Cost
D.1 Production cost (Actual) 80,000
D.2 Selling cost 1,20,000 (2,00,000)
E Net Profit(C–D) 56,000

Working notes:

(396)
1. Sales price unit = Rs.16,00,000/800 units OR Rs. 32,00,000/1,600
units
=Rs. 2,000 per units =Rs. 2,000 per unit
2. Fixed production cost:
थायी उप र यय क वसू ल सामा य उ पादन मता के संदभ म क जाती
है। अत:
= (Total fixed overheads/Normal level of activity) x Units
produced
=Rs. 3, 20,000/1,600 units x 440 unit
=Rs. 88,000
3. प रवतनशील लागत V.C.P.U. =Rs. 3, 20,000+3, 20,000/800 units=Rs.
800
e. दोन व धय म आक लत लाभ म अंतर का मु य कारण अं तम टॉक के मू यांकन
का अलग–अलग आधार होना है। अवशोषण लागत व ध म अं तम टॉक का मू यांकन
करते समय थायी यय को (24,000 .) सि म लत कया गया है अत: थायी
यय का एक ह सा अगले तमाह म ह तांत रत हो गया और उस तमाह के लाभ
से वसू ल नह ं कया गया, अतः लाभ बढ गये क तु सीमा त लागत व ध म स पूण
थायी यय को उसी तमाह म वसू ल कर लये गये और अगले तमाह म
ह तांत रत नह ं कये गये। अत: सीमा त लागत व ध म लाभ केवल 48,000 . ह
हुय।े
Profit under absorption costing Rs. 80,000
Less: Fixed cost carried forward in stock values (88000/440 x Rs. 24,000
120)
Profit under marginal costing Rs. 56,000
उदाहरण–9
आद य ल. कई उ पाद का नमाण करती है। येक उ पाद के लये एक पृथक
व य ब धक नयु त कर रखा है। उसे येक उ पाद वारा सृिजत लाभ पर बोनस
दया जाता है। एक उ पाद के न पादन का व लेषण करने पर यह पता चला क चालू
वष म व य गत वष क तु लना म 16 लाख . से घटकर 12 लाख . ह रह
गया। क तु व य बंधक को गत वष क तु लना म अ धक बोनस ा त हु आ य क
शु लाभ चालू वष म गत वष क तु लना म 1,80,000 . से बढकर 2,40,000 .
हो गया। संचालक को यह आ चय हु आ क यह सब कैसे हु आ। वे यह जानना चाहता
है क व य म कमी होने के बावजू द शु लाभ कैसे बढ गया।

(397)
एक लागत लेखापाल के प म िजसके आधार पर बोनस चु काया गया, आपको एक
ववरण बनाना है। कारण स हत बताइये क ब म कमी होने के बावजू द शु लाभ
कैसे बढ़ गया। या आप अ य कोई व ध अनुमो दत करना चाहगे।
न न समंक उपल ध है –
First year Second year
2007 2008
Units sold @ Rs. 20 80,000 60,000
Standard variable cost of production per unit (Rs.) 8 8
Fixed factory overhead cost (Rs.) 4,00,000 4,00,000
Selling expanses (assumed to be fixed) Rs. 2,80,000 2,80,000
Standard fixed factory OH per unit (Rs.) 5 5
Units produced 60,000 1,00,000
Opening finished goods inventor (units) 20,000 –

All factory overheads variance are written off to cost of goods


sold.
हल–
Income statement
(Based on which bonus was paid)
Particulars 2007 2008
Sales units 80,000 60,000
Rs. Rs.
A Total sales @ Rs.20 16,00,000 12,00,000
B Cost of sales:
B.1 Variable cost of production 4,80,000 8,00,000
(60,000x8) (1,00,000x8)
B.2 Fixed Factory OH 3,00,000 5,00,000
(60,000x5) (1,00,000x5)
C Cost of Production (B.1+B.2) 7,80,000 13,00,000
D Add: Opening Stock 20,000 x 13(8–5) 2,60,000 –
E Total (C+D) 10,40,000 13,00,000
F Less: Closing Stock 40,000 x 13 (8+5) – (5,20,000)
G Balance 10,40,000 7,80,000
H Fixed OH variance (unfavorable) in 2007
Standard (5 x 60,000) 3,00,000
Actual 4,00,000 1,00,000
11,40,000 7,80,000
I Fixed OH variance (favorable) in 2008
Standard (5 x 1,00,000) 5,00,000
Actual 4,00,000 – (1,00,000)

(398)
J Cost of Goods Sold 11,40,000 6,80,000
K Selling expanses 2,80,000 2,80,000
L Cost of Sales 14,20,000 9,60,000
M Income(A–L) 1,80,000 2,40,000

उपयु त गणना से प ट है क वष 2008 का लाभ व य म कमी के बावजू द शु


लाभ म वृ हु ई है। लाभ क गणना अवशोषण लागत व ध के आधार पर क गयी।
ऐसा इस लये 'हु आ य क 2008 का अं तम टॉक के मू यांकन म 2,00,000 .
(40,000 x 5) जो ि थर कृ त के ह, को सि म लत कया गया है। यह रा श अगले
वष के लये ह तांत रत हो गयी और चालू वष क लागत कम हो गयी। प रणाम व प
चालू वष का लाभ बढ़ गया।

15.12 सु झाव:
वतमान बोनस भु गतान क वध व य ब धक के लये उपयु त नह ं है। यह व ध
उ पादक ब धक के लये उपयु त हो सकती है य क ि थर यय को उ पादन
लागत माना गया है न क अव ध लागत। प रणाम व प 40,000 इकाइयां थायी
उप र यय अगले वष ह तांत रत कया गया है।
व य बंधक को बोनस सीमा त लागत व ध के अनुसार दया जाना चा हये न क
अवशोषण लागत के आधार पर। न न गणना से प ट है क व य म कमी होने पर
बोनस म वृ नह ं हो सकती है।
2007 2008

Sales 16,00,000 12,00,000


Less: variable cost 6,40,000 4,80,000
(80,000×8) (60,000×8)
Contribution 9,60,000 7,20,000
Less: Fixed cost(4,00,000+2,80,000) (6,80,000) (6,80,000)
Income 2,80,000 40,000
सीमा त लागत व ध म थायी उप र यय को अव ध लागत माना जाता है तथा लागत
को आगे थानांत रत नह ं कया जाता है। अत: इस व ध म व य म कमी होने पर
लाभ म भी कमी हो जाती है।
उदाहरण–10
आ द य ल. दो उ पाद KALP तथा VKAS बनाती है। नमाणी लागत न न कार
है –
KALP VKAS
Direct material per unit Rs. 8 Rs. 4
Direct wages Rs. 6 Rs. 3

(399)
Selling price Rs. 30 Rs. 15
Output 2,000 units 1,000 units
कुल उप र यय 12,000 . है िजसम से 9,000 . थायी कृ त के या शेष
प रवतनशील कृ त के ह। यह न चय कया गया क इन उप र यय को उ पा दत
इकाइय के अनुपात म बांटना है। अवशोषण लागत व ध तथा सीमा त लागत व ध के
अंतगत एक ववरण बनाते हु ये येक उ पाद क लागत व लाभ ात करो।
हल–
(a) Calculation of profit under absorption costing method
Statement of cost and profit (Rs.)
Particulars KALP VKAS Total
A Sales 60,000 15,000 75,000
B Cost Incurred
B.1 Direct Material 16,000 4,000 20,000
B.2 Direct Labour 12,000 3,000 15,000
B.3 Overheads
Fixed Rs. 9,000 (2:1) 6,000 3,000 9,000
Variable Rs. 3,000 (2:1) 2,000 1,000 3,000
C Total Cost 36,000 11,000 47,000
D Profit (A–C) 24,000 4,000 28,000
(b) Calculation of profit under marginal costing–
Statement of Cost and profit (Rs.)
Particulars KALP VKAS Total
A Sales 60,000 15,000 75,000
B Variable Cost
B.1 Direct Material 16,000 4,000 20,000
B.2 Direct Labour 12,000 3,000 15,000
B.3 Variable Overheads 2,000 1,000 3,000

C Total Variable Cost 30,000 8,000 38,000


D Contribution (A–C) 30,000 7,000 37,000
Less: Fixed Cost (9,000)
Total Profit 28,000
उदाहरण–11

(400)
उपयु त उदाहरण सं या 10 के समंक का उपयोग करते हु ये आ द य ल. का दो वष
का अवशोषण लागत व ध तथा सीमा त लागत व ध से यह मानते हु ये लाभ हा न क
गणना करो क–

1. थम वष दोन उ पाद KALP तथा VKAS क एक भी इकाई क ब नह ं हो


पायी।
2. वतीय वष म दोन उ पाद का उ पादन नह ं कया गया क तु पहले वष म सम त
इकाइय का व य कर दया गया।
हल –
1. (a) Calculation of profit under absorption costing method–
Aditya Ltd.
Profit and loss A/c for first year
To Direct Material By Sales Nil
KALP 16,000 By Closing Stock 47,000
VKAS 4,000 20,000
To Direct Wages
KALP 12,000
VKAS 3,000 15,000
To Overheads
Variable 3,000
Fixed 9,000 12,000
47,000 47,000
उ पा दत सम त माल अं तम टॉक है य क एक भी इकाई नह ं बेची गयी अत:
उ पादन क स पूण लागत अं तम टॉक क लागत बन जायेगी।
Aditya Lid.
Profit and loss A/c for second year
To Opening Stock 47,000 By Sales
To Fixed Overheads 9,000 KALP 60,000
To Profit 19,000 VKAS 15,000 75,000
75,000 75,000
नोट: चू ं क वतीय वष म कोई उ पादन नह ं कया गया अत: प रवतनशील लागत शू य
होगी क तु थायी उप र यय क रा श तो खच होगी य क इसका उ पादन से कोई
संबध
ं नह ं है।
नवचन

(401)
उपयु त गणना से प ट है क थम वष म कोई ब नह ं हु ई फर भी कोई हा न
नह ं हु ई जब क वतीय वष म 19,000 . का लाभ हु आ। थम वष के थायी
उप र यय को अं तम टॉक के मू यांकन म सि म लत कया गया प रणाम व प यह
लागत अगले वष म ह तांत रत हो गयी। वतीय वष के लाभ हा न खाते को
18,000 . थायी यय के वहन करने पड़े ( थम वष के 9,000 . ( ारं भक
रह तये म सि म लत) वतीय वष के.9, 000) ए प रणाम व प वतीय वष का
लाभ केवल 19000 . ह हु आ जब क वा त वक लाभ 28000 . होना चा हये था।
ऐसे मौसमी उ योग िजनम टॉक तर म उ चावचन क मा ा अ धक हो वहां
अवशोषण लागत तकनीक वषम प रणाम दे ती है। उनके दो अव ध के लाभ उप र यय
का टॉक म ह तांत रत करने से भा वत होते ह। जब व य मा ा अ धक होगी तो
लाभ म गरावट दज क जाएगी और जब व य क मा ा कम होगी तब लाभ म
वृ होगी य क थायी उप र यय का एक ह सा अं तम टॉक म ह तांत रत हो
जाता है।
2. (b) Calculation of profit under marginal costing –
Aditya Ltd.
Profit and loss A/c for first year
To Direct Material By Sales Nil
KALP 16,000 20,000 By Closing Stock 38,000
VKAS 4,000 By Loss (balancing figure) 9,000
To Direct Wages
KALP 12,000 15,000
VKAS 3,000
To Overheads
Variable 3,000
Fixed 9,000 12,000
47,000 47,000
Aditya Lid.
Profit and loos A/c for second year
To Opening Stock 38,000 By Sales
To Fixed Overheads 9,000 KALP 60,000
To Profit 28,000 VKaS 15,000 75,000
75,000 75,000
उपयु त ववरण से प ट है क कंपनी के थम वष म 9,000 . क हा न हु ई
य क थायी उप र यय वसू ल नह ं हो पाये जब क वतीय वष म 2,8000 . का

(402)
लाभ हु आ। वष के लाभ हा न खाते से प ट है क थम वष का थायी यय अगले
वष ह तांत रत नह ं हु आ। अत: लाभ हा न खाता सह त वीर द शत करता है।

15.13 न कष
उपयु त नवचन से न न न कष नकाले जा सकते ह –
1. जब ारं भक एवं अं तम टॉक नह ं होता है अथात ् सम त उ पा दत इकाइयां बेच द
जाती ह तो अवशोषण लागत एवं सीमा त लागत के अंतगत नकाला गया लाभ एक
होगा।
2. यद ारं भक टॉक नह ं है क तु अं तम टॉक है तो अवशोषण लागत व ध वारा
द शत लाभ सीमा त लागत प त से यादा होगा।
3. यद ारं भक टॉक है ले कन अं तम टॉक नह ं है तो अवशोषण लागत व ध वारा
द शत लाभ सीमा त लागत प त से कम होगा।
4. यद ारं भक टॉक अं तम टॉक क मा ा म से कम है तथा यह मानते हु ये क
दोन का मू यांकन समान दर पर हु आ है, अवशोषण लागत प त वारा दशाया गया
लाभ सीमा त लागत व ध वारा दशाया गया लाभ से अ धक होगा।
5. य द अं तम टॉक क मा ा ारं भक टॉक से कम है तो यह मानते हु ये दोन का
मू यांकन समान दर पर हु आ है तो अवशोषण लागत व ध वारा कट लाभ सीमा त
लागत व ध से कट लाभ से कम हु आ।

15.14 अ यास न
1. सीमा त लागत तथा सीमा त लागत लेखांकन का आशय समझाइये। इसक , उपयो गता
एवं सीमाओं का वणन क िजये।
2. सीमा त लागत लेखांकन एवं अवशोषण लागत व ध म अंतर को प ट।
3. ि थर एवं प रवतनशील लागत म भेद करो। इनके लागत यवहार को उदाहरण क
सहायता से समझाइये।
4. दो अव ध म उ पा दत 10,000 इकाइय एवं 15,000 इकाइय क मश: 5,000 .
तथा 6,500 . कुल लागत है। त इकाई सीमा त लागत कतनी है तथा थायी
लागत कतनी ह ?
(Ans.–Marginal Cost per unit=Rs.3, Fixed Cost=Rs. 20,000)
5. दो अव ध म उ पा दत 20,000 इकाइय एवं 36,000 इकाइय क मश: 60,000
. तथा 84,960 . कुल लागत है। त इकाई सीमा त लागत कतनी है ?
(Ans. – Rs. 1.56 per unit)
6. एक उ पादक 2,0,0000 इकाइय का उ पादन 3.25 . त इकाई क दर से करता
है। बाद म वह 2,75,000 इकाइय का उ पादन 3.20 . त इकाई क दर से
करता है। तब थायी उप र यय 10% क दर से बढ़ गये। त इकाई सीमा त लागत
तथा मू य थायी उप र यय ात क िजए।

(403)
(Ans.– Marginal cost per unit=Rs. 3, Original Fixed Cost =Rs.
50,000)
7. दया गया है –
उ पादन 5,500 इकाइयाँ, व य 2.40 . त इकाई क दर से 5000 इकाइयाँ,
ि थर उ पादन लागत: 2,860 ., व य एवं वतरण लागत. 1,300 म 400 .
प रवतनशील, प रवतनशील नमाणी लागत 1 20 . त इकाई।
अपे त –
2. न न के अ तगत आय ववरण बनाइये: पर परागत या (a) अवशोषण लागत
लेखांकन; य या (b) सीमा त लागत लेखांकन।
(Ans.–Rs.2, 100, Rs. 1,840)
8. व वास ल. एकल उ पाद का उ पादन करती है। त इकाई माप लागत इस कार
है –
Variable Manufacturing Cost Rs. 100
Fixed Costs Rs. 60
Total Costs Rs. 160
Profit Rs. 40
Selling Price Rs. 200
त वष 6o,oo,ooo . बजटे ड थायी लागत है।
1. वा त वक यापा रक प रणाम का उपयोग करते हु ए आपको थम अवशोषण
लागत लेखांकन तथा वतीय सीमा त लागत लेखांकन के आधार पर शु लाभ
ववरण बनाना है।
व य 1,25,000 इकाइयाँ
उ पादन 1,50,000 इकाइयाँ
ारि भक रह तया 5,000 इकाइयाँ
प रवतनशील यय क वा त वक लागत म 2,5o,ooo . ( तकूल) का मा णत
प रवतनशील यय से वचरण दशाता है। िजस अव ध म माप से वचरण
उ प न हु ये उसी अव ध म अप ल खत कर दये। रह तये का मू यांकन मा णत
लागत पर कया गया।
2. दो व धय म दशाये गये शु लाभ म अ तर का लेखा द िजए।
उ तर – 77,50,000 . 62, 5o, 000
9. आ द य ल. क त वष 2,00,000 इकाइय क उ पादन मता है। सामा य उपयोग
मता 90% आँक गयी है। 11 . त इकाई मा पत प रवतनशील उ पादन लागत
है। थायी लागत 3,60,000 त वष है। 3 . त इकाई प रवतनशील व य लागत
तथा थायी व य लागत 2,70,000 . त वष है। त इकाई व य मू य 20 .

(404)
है। 3। माच 2008 को समा त होने वाले वष का उ पादन 1,60,000 इकाइय तथा
व य 1,50,000 इकाइय का था। 31.03.2008 को अि तम रह तया 20,000
इकाइयाँ थी। वा त वक प रवतनशील उ पादन लागत माप . 35,000 . यादा
थी।
(i) वष के लए लाभ क गणना क िजये:
(a) अवशोषण लागत व ध वारा
(b) सीमा त लागत व ध वारा
(ii) लाभ म अ तर को प ट क िजए।
(Ans.– Rs.2, 64,375; Rs.2, 39,375)
10. क पना ल. एक उ पाद बनाती है। इसका तमाह व य, व य लागत तथा उ पादन
बजट इस कार :–
तमाह बजट
Total Cost Per unit
Sales 40000 units Rs.60,000 Rs. 1.50
Cost of Sales:
Variable Mfg. overheads Rs. 30,000 0.75
Fixed Mfg. overheads Rs. 6,000 0.15
Total Mfg. Costs Rs.36,000 Rs. 0.90
Gross profit Rs.24,000 Rs. 0.60
Selling & Administrative costs–Fixed Rs.14,000 Rs. 0.35
Net Opening Profit Rs.10,000 Rs. 0.25
वष के लए वा त वक उ पादन समंक तमाह के आधार पर न न उ पा दत एवं
व य इकाइयाँ इस कार थी –
First Second Third Fourth Year
Opening inventory 0 0 9,000 2,000 0
Production 40,000 45,000 35,000 38,000 1,58,000
Sales 40,000 36,000 42,000 40,000 1,58,000
Closing Inventory 0 9,000 2,000 0 0
अवशोषण एवं य लागत लेखांकन के अ तगत तमाह आय ववरण। बनाइये। दोन
व धय के अ तगत द शत लाभ म अ तर का लेखा क िजए।
(Ans.–Absorption costing Rs. 10,000; 8,350; 10,450; 9,700; 38,500;
Direct Costing Rs. 10,000; 7,000; 11,500; 10,000, 38,500)
11. दया गया है –
Year Level of activity (output units) Semi– variable cost
2007 2,400 units Rs. 15,000

(405)
2008 3,600 units Rs. 17,400
वष 2007 तथा 2008 के लए प रवतनशील तथा थायी लागत ात क िजये।
(Ans.– Rs. 2 variable cost per unit, Fixed Cost Rs. 10,200 and
Variable Cost Rs. 4,800 Rs.7200).
12. न न सू चनाओं से गणना क िजए –
1. त इकाई प रवतनशील लागत।
2. कुल थायी लागत
3. दये गये दो तर पर कु ल प रवतनशील लागत।
Machine Hours Maintenance Cost (Rs.)
High 2,000 3,000
Low 1,200 2,600
[Ans. (i) 0.50 (ii) Rs. 2000 (iii) Rs. 1000, Rs. 6000]
13. उ पा दत इकाइयाँ तथा अ प रवतनशील लागत से स बि धत मा सक समंक नीचे
दये गये ह। आपसे अपे त है क अ प रवतनशील लागत को थायी तथा
प रवतनशील लागत म अ त वभ त क िजये।
Month Jan. Feb. March April May June
Unit produced 400 300 200 600 500 800
Semi variable cost (Rs.) 2800 2600 2400 3200 3000 3600
(Ans.–Variable cost per unit= Rs.1.9827 say Rs. 2 any Fixed
Cost Rs. 2,000)
14. ै एवं मई 2008
व वास ल एकल उ पाद का उ पादन करती है। न न सू चनाय अ ल
से स बि धत है–
April (Rs.) May
(Rs.)
Variable production cost per unit 2.00 2.00
Total fixed cost (based on budgeted output of 25,000
unit per month) 40,000 44,000
Total fixed selling cost (based on budgeted 2,500 unit
per month) 14,000 15,000
Actual production and sales: Units Units
Production 24,000 24,000
Sales 21,000 26,500
अ ल
ै माह म कोई ारि भक रह तया नह ं था। न न व धय म लाभ क गणना
क िजये –
(i) अवशोषण लागत
(ii) सीमा त लागत

(406)
(Ans. – (i) Rs. 13,800, Rs. 24,730; (ii) Rs. 9,000, Rs. 28,650;
Closing Stock April 3000 units, May 500 units)
15. (i) अवशोषण लागत व ध, तथा (ii) सीमा त लागत व ध के अ तगत तीन वष का
लाभ न न सू चनाओं से ात क िजए –
Units 2006 2007 2009
Opening stock – – 10,000
Units produced 50,000 70,000 60,000
Units sold 50,000 60,000 66,000
Closing stock – 10,000 4,000
Cost incurred Rs. Rs. Rs.
Direct material 1,00,000 1,44,000 1,27,200
Direct labour 1,50,000 2,16,000 1,74,000
Direct expenses 48,000 72,000 56,000
Factory exp. (fixed) 72,000 72,000 70,000
Variable selling cost 2,50,000 3,00,000 3,40,000
Fixed selling cost 50,000 50,000 50,000

त इकाई व य मू य 20 .
थायी उप र यय का अवशोषण वा त वक तर पर करना है।
(Ans. (1) under Absorption Costing Method 2006 – Rs. 3,30,000,
2007 – Rs. 4,18,000, 2008 – Rs. 4,59,280; (2) Under Marginal
Costing Method 2006 – Rs. 3,30,000, 2007 – Rs. 4,07,700, 2008 –
Rs. 4,64,900)

15.15 पा रभा षक श द
1. अ प रवतनशील लागत: इस कार क लागत म ि थर व प रवतनशील दोन ह
कार के लागत त व व यमान रहते ह।
2. अवशोषण लागत लेखांकन – इस व ध के अंतगत उ पाद क लागत का नधारण
थायी एवं प रवतनशील यय को यान म रखकर कया जाता है।
3. प रवतनशील लागत –मूल लागत तथा ऐसे उप र यय जो उ पादन म प रवतन करने
पर प रव तत होते ह उ ह प रवतनशील लागत कहते है।
4. थायी लागत – ऐसे यय जो अ पकाल म ''कु ल रा श'' म उ पादन के येक तर
पर ासं गक सीमा (relevant range) के अंतगत ि थर रहते ह उसे ि थर लागत
कहते है।
5. सीमा त लागत – उ पादन के कसी तर पर एक अ त र त इकाई का उ पादन करने
पर कु ल लागत म जो प रवतन आता है उसे सीमा त लागत कहते ह।

(407)
6. सीमा त लागत लेखांकन – सीमा त लागत लेखांकन का अ भ ाय ि थर व
प रवतनशील यय म अंतर करते हु ये सीमा त लागत तथा उ पादन मा ा म प रवतन
का लाभ पर भाव ात करने से है।

15.16 उपयोगी पु तक
1. Colin Drury, 2000, Costing an Introduction, Taxman Publication (P)
Ltd., New Delhi.
2. Ravi M. Kishore, 2002, Advance Management Accounting, Taxman
Publications (P) Ltd...
3. Study Material, 2004, Cost Management, the Institute of Chartered
Accountants of India, Noida
4. S.P. Jain & K.L. Narang, 1988, Cost Accounting, Kalyani
Publishers, New Delhi.
5. ओसवाल, मंगल, (2031–04), उ च तर य लागत सम याएँ, रमेश बुक डपो, जयपुर

(408)
इकाई–16 : सम– व छे द व लेषण (Break–Even Analysis)
इकाई क परे खा
16.0 उ े य
16.1 तावना
16.2 सम– व छे द व लेषण
16.3 सम– व छे द व लेषण क मा यताएं
16.4 सम– व छे द व लेषण क सीमाएं
16.5 सम– व छे द व लेषण के मु ख अंग
16.6 सम– व छे द ब दु का आशय
16.7 सम– व छे द ब दु क वशेषताएं
16.8 सम– व छे द ब दु क गणना
16.9 पा रभा षक श द
16.10 वपरख न
16.11 उपयोगी पु तक

16.0 उ े य
इस इकाई के मु ख उ े य न न ह –
1. सम– व छे द व लेषण के अथ को प ट करना।
2. सम– व छे द व लेषण के मु ख संघटक को प ट करना।
3. सम– व छे द व लेषण के मु ख संघटक क उपयो गता को समझाना।

16.1 तावना:
गत इकाई म सीमा त लागत का व लेषण करने के बाद इस बात का अ ययन करना
आव यक हो जाता है क उ पादन म आने वाले प रवतन का लागत एवं लाभ पर या
भाव पड़ता है। उ पादन तर म प रवतन अनेक कारण से हो सकते ह, जैसे नये
उ पाद का बाजार म वेश, तयो गता मक प ा, यावसा यक अवसाद या तेजी,
उ पाद क मांग म वृ . उ पाद के व य मू य म वृ आ द। लाभ को भा वत
करने वाले मु यत: चार त व होते ह यथा (1) लागत (2) मा ा (3) उ पाद म ण
एवं (4) व य मू य। इन चार त व म कोई प रवतन आता है तो उसका सीधा
भाव लाभ पर पड़ता है। लाभ को भा वत करने वाले ये चार त व अ तस बि धत
और एक दूसरे पर आ त होते ह। इनका यवि थत व लेषण लागत–मा ा–लाभ
(Cost–Volume–Profit–Analysis) कहलाता है। ऐसी ि थ त म उ पादन तर म
प रवतन के प रणाम व प लाभ पर पड़ने वाले भाव क व धवत समी ा करने के
लए अनेक तकनीक उपल ध ह िजनम से एक सम– व छे द व लेषण ह। सम– व छे द

(409)
चाट के मा यम से लागत–मा ा–लाभ व लेषण आसानी से कया जा सकता है। अत:
लागत–मा ा–लाभ का अ ययन िजस तकनीक के मा यम से कया जाता है उसे सम
व छे द व लेषण कहते ह।

16.2 सम– व छे द व लेषण


सम व छे द व लेषण लागत, मा ा एवं लाभ के म य संबध
ं था पत करता है अत:
सम व छे द व लेषण को लागत–मा ा–लाभ व लेषण भी कहते ह। यवसाय क
लाभाजन मता का सह मू यांकन करने के लये सम– व छे द व लेषण एक बहु त ह
उपयोगी तकनीक है। इस व लेषण के अंतगत सव थम उ पादन का वह तर ात
कया जाता है िजस पर उ पादन एवं व य करने पर उ पादक को न लाभ होगा और
न कोई हा न। इस तर का नधारण करने के बाद सरलता से लाभ नयोजन कया जा
सकता है।

16.3 सम– व छे द व लेषण क मा यताय


सरल सम– व छे द व लेषण न न ल खत मा यताओं पर आधा रत है –
1. सम त लागत को थायी एवं प रवतनशील लागत म वभ त कया जा सकता
2. उ पादन के येक तर पर थायी लागत ि थर रहती है।
3. प रवतनशील लागत उ पादन म प रवतन होने पर आनुपा तक प से प रव तत होती
है।
4. त इकाई व य मू य ि थर रहता है। व य क मा ा म कमी या वृ करने पर
त इकाई मू य म कोई प रवतन नह ं आता है।
5. उ पा दत एवं बेची गयी इकाइय क सं या समान रहती है।
6. उ पि त के साधन क कायकुशलता यथाि थर रहती है।
7. एक से अ धक उ पाद बनाये तो उ पादन म ण अप रव तत रहता है।

16.4 सम– व छे द व लेषण क सीमाय


सम– व छे द व लेषण कई अवा त वक मा यताओं पर आधा रत है िजसके कारण
इसक ब धक य उपयो गता सी मत हो जाती है। मु ख सीमाय न न ह –
1. लागत पर कई कारक का भाव :
कसी अव ध व लेषण क लागत पूणतया उसी अव ध के उ पादन से भा वत नह ं
होती है अ पतु बहु त से कारक से भा वत होती है, जैसे उ पादन मा ा, संयं मता,
म क कु शलता आ द क तु सम– व छे द व लेषण म व य मा ा के अ त र त
अ य सभी कारक को ि थर मान लया जाता है जो तक संगत नह ं है।
2. यय का वभाजन क ठन:
ि थर एवं प रवतनशील यय म वभाजन करना क ठन काय है। वा तव म अ धकांश
खच न तो ि थर कृ त के होते ह और न ह प रवतनशील कृ त के।

(410)
3. उ पादन एवं व य मा ा के बराबर होने क मा यता अ यावहा रक:
वा तव म एक बड़े यवसाय म कसी एक नि चत समय म उ पादन और व य क
मा ा पूणतया समान नह ं रहती है। अत: अं तम टॉक का होना वाभा वक है। िजसके
प रणाम व प सम– व छे द व लेषण ामक प रणाम दे सकता है य क इसक गणना
म अं तम टॉक का यान नह ं रखा जाता है।
4. अ यावहा रक मा यताय:
सम– व छे द व लेषण क न न मा यताय अ यावहा रक है –
1. त इकाई व य मू य का ि थर रहना।
2. व य म ण का ि थर रहना।
3. लागत यवहार का रे खीय न होना।

16.5 सम– व छे द व लेषण के मु ख अंग


इसका अ ययन करने के लये सम व छे द व लेषण के मु ख अंग न न कार है
अत: इन श द का अथ एवं मह व समझना आव यक है –
1. अंशदान (Contribution)
2. लाभ–मा ा अनुपात (Profit volume ratio)
3. सम– व छे द ब दु (Break– even point)
4. सु र ा सीमा (Margin of safety)
5. संयोग का कोण (Angel of indifference point)
6. लागत उदासीन ब दु (Cost indifference point)
1. अंशदान:
व य मू य एवं सीमा त लागत का अंतर अंशदान कहलाता है। अंशदान फम के कु ल
कोष को कट करता है जो ि थर यय व लाभ का योग होता है। य द कसी
उ पादन या व य तर पर लाभ शू य हो तो थायी यय ह अंशदान होगा। कु ल
अंशदान क रा श म से थायी यय घटा दया जाय तो शेष रा श लाभ या हा न को
त न ध व करे गी। अंशदान को Gross Margin भी कहते ह। इसको न न सू से
ात कर सकते ह –
Contribution (c) = Sale (s) – Variable Cost (v)
य द उपयु त सू म व य एवं प रवतनशील लागत त इकाई लया जाये तो
अंशदान भी त इकाई होगा और य द कसी व य तर पर कु ल ब म से कु ल
प रवतनशील लागत घटाया जाये तो शेष रा श उस व य तर पर कु ल अंशदान को
कट करे गा।
यह सव व दत है क व य मू य, कु ल लागत व लाभ का योग होता है। इस त य के
आधार पर अ य सू भी सृिजत कये जा सकते ह यथा –
Sale=Total Fixed Cost (F) +Total Variable Cost (V) ± Profit (P)

(411)
OR
S–V=F±P=C
OR
C=F±P
य द P=0 हो तो
C=F होगा
य द उ पादन या व य के दो तर पर अलग–अलग लाभ दे रखा हो तथा अंशदान
त इकाई ात करना हो तो न न सू का उपयोग कया जा सकता है –

Change in profit
Contribution per unit =
Change in output /sales unit

उदाहरण–1
न न समंक से कु ल अंशदान एवं त इकाई अंशदान ात क िजए:
Sale Rs.80,000
Sale units 8,000
Variable cost Rs.60, 000
हल–
(i) Total Contribution = Sales–Variable cost
= Rs. 80,000–Rs. 60,000
= Rs. 20,000

(ii) Per unit contribution = Selling price per unit – Variable cost per
unit
= Rs. 80,000/8,000 unit – Rs. 60,000/8,000
unit
= Rs. 10– Rs. 7.50
= Rs. 2.5
न–1 न न दशाओं म कु ल अंशदान क रा श ात क िजये :
(a) Sales 75,000, Variable cost Rs. 45,000
(b) Fixed cost = Rs. 20,000 and profit 15,000
(c) Fixed cost = Rs. 25,000 and Loss Rs. 10,000
(d) Fixed cost Rs. 10,000 and profit Zero
[Ans. (a) 30,000; (b) 35,000; (c) 15,000; (d) 10,000]
उदाहरण–2

(412)
न न समंक से त इकाई अंशदान ात क िजये:
Year profit Output
2007 Rs.10,000 1,000units
2008 Rs.12,000 1,00units
हल–
Contribution per unit = Change in profit/Change in output
= Rs. 2000/100units =Rs. 20 per unit
न–2 न न से त इकाई अंशदान ात क िजये:
थम वष म 2,000 इकाइय के उ पादन पर 500 . क हा न हु ई जब क अगले वष
2,100 इकाइय के उ पादन पर 600 . का लाभ हु आ।
[Ans. Rs. 11 per Unit]
अंशदान एवं लाभ म अंतर :
अंशदान एवं लाभ दो अलग–अलग अवधारणा ह। दोन म मु य अंतर न न ह –
1. अंशदान म लाभ एवं ि थर यय दोन सि म लत होते ह क तु लाभ म ि थर यय
सि म लत नह ं है।
2. अंशदान सीमा त लागत अवधारणा पर आधा रत है जब क लाभ कु ल लागत व व य
क अवधारणा पर आधा रत।
3. सम– व छे द ब दु से आ ध य अंशदान लाभ बन जाता है जब क लाभ कु ल थायी एवं
प रवतनशील यय क पू त के बाद ह उ प न होते है।
अंशदान क उपयो गता
अंशदान का उपयोग ब धक य नणय म बहु तायत से होता है। अंशदान क सहायता
से कई ाचल क गणना क जा सकती है। अंशदान क उपयो गता न न है –
1. अंशदान के मा यम से लाभ मा ा अनुपात क गणना क जा सकती है।
2. उ पादन तथा व य म ण नधारण म उपयोगी है।
3. अंशदान क अवधारणा के आधार पर यह नणय लया जा सकता है क व तु का
उ पादन कया जाये या बाजार से य कया जाये।
4. व य मू य के नधारण म सहायक।
2. लाभ–मा ा अनुपात:
जब अंशदान को व य के तशत प म य त कया जाये तो वह लाभ–मा ा
अनुपात कहलाता है। इसे कई नाम से य त करते ह जैसे अंशदान अनुपात
(Contribution Ratio), अंशदान / ब अनुपात (Contribution/Sales Ratio),
या सीमा त आय तशत (Marginal Income Percentage). यहाँ लाभ का अथ
अंशदान से तथा मा ा का ता पय ब क मा ा से है। अंशदान म ब का भाग दे ने
पर यह अनुपात ा त होगा।
लाभ–मा ा अनुपात गणना–
(413)
लाभ–मा ा अनुपात क गणना न न सू से कर सकते ह –
Profit Volume Ratio = Contribution/Sales X 100
OR
= S –V /S x 100
OR
= F+ P /S x 100
OR
= 1–(V/S) x 100
लाभ–मा ा अनुपात क गणना के अ य सू –
(1) य द दो तर पर व य एवं लाभ दे रखा हो तो –
P/V Ratio =Change In Profit or Contribution/Change in
Sales in Sales (Rs.) x 100
(2) य द प रवतनशील लागत अनुपात दे रखा हो तो –
P/V Ratio =100– Variable Cost Ratio (V.C.R)
(3) य द एक से अ धक उ पाद क संयु त लाभ मा ा अनुपात ात करना हो तो
– Combined P/V Ratio = [Individual P/V Ratio x Individual
sales ratio (on the basis of sales)]
लाभ–मा ा अनुपात उपयो गता:
सम– व छे द व लेषण म लाभ–मा ा अनुपात क अहम भू मका रहती है। इस अनुपात
के मा यम से सम– व छे द ब दु ात कया जा सकता है। एक दये गये इि छत लाभ
कमाने के लये आव यक व य रा श, एक दये गये ब पर लाभ क रा श आ द
को ात करने म लाम मा ा अनुपात अ यंत उपयोगी है। व भ न उ पाद के लाभ
मा ा अनुपात क तु लना करके यह ात या जा सकता है क कौन सा उ पाद
यादा लाभदायक है। िजस उ पाद का लाभ–मा ा अनुपात यादा है वह यादा
लाभदायक है तथा िजस उ पाद का कम लाभ–मा ा अनुपात है वह कम लाभदायक है।
लाभ–मा ा अनुपात म सु धार :
सु धार का ता पय अंशदान म वृ होना और अंशदान म वृ का अथ लाभ म वृ
होना है। न न उपाय से लाभ–मा ा अनुपात म सु धार कया जा सकता है।
1. त इकाई मू य बढ़ाकर लाभ मा ा अनुपात म सु धार कया जा सकता है। जैसे
वतमान म एक इकाई 20 . म बेची जा रह है िजसक प रवतनशील लागत 15 .
है तो लाभ मा ा अनुपात 25 तशत (20 – 15/25x 100) होगा। अब य द व य
मू य 20 . से बढ़ाकर 25 . कर दया जाय तो लाभ मा ा अनुपात भी 25
तशत से बढकर 40 तशत (25 – 15/25x 100) हो जायेगा।

(414)
2. प रवतनशील लागत घटाकर भी लाभ मा ा अनुपात म वृ कर सकते ह। जैसे वतमान
म एक इकाई 20 . म बेची जा रह है िजसक प रवतनशील लागत 15 . है तो
लाभ मा ा अनुपात 25 तशत होगा क तु य द लागत नयं ण क तकनीक का
उपयोग कर प रवतनशील लागत 15 . से घटकर 14 . हो जाये तो लाभ मा ा
अनुपात 25 तशत से बढकर 30 तशत हो जायेगा (20 – 14/20x 100)।
3. व य म ण म प रवतन करके भी लाभ मा ा अनुपात को बढाया जा सकता है। जैसे
उ पाद A क 500 इकाइयां 10 . त इकाई दर तथा उ पाद B क 100 इकाइयां
8 . त इकाई दर से बेची जा रह हो िजनक प रवतनशील लागत मश: 7 .
तथा 5 . त इकाई है तो संयु त लाभ मा ा अनुपात (1500+300/13000x100)
34.61 तशत होगा। अब य द A क 500 इकाइयां तथा B क 1200 इकाइय का
म ण बेचा जाये तो लाभ मा ा अनुपात 34.61 तशत से बढ़कर 34.93 तशत हो
जायेगा (1500=3600/14600 x 100)।
उदाहरण–3
न न दशाओं म लाभ–मा ा अनुपात ात क िजए–
1. Sales Rs. 40,000, Variable Cost Rs. 30,000.
2. Sales Rs. 50,000, Fixed Cost Rs. 15,000 and Profit Rs.10, 000
3. Selling price per unit = Rs. 10, Variable cost per unit = Rs. 7.
4. Variable cost ratio = 60%
हल–
(i) P/V Ratio = Sales –Variable cost /Sales x 10
= 40, 00 – 20,000/ 40,000 x100
= 50%
(ii) P/V Ratio = F+P/Six 100=Rs. 15,000 + Rs. 10,000/Rs.50, 000
= 50%
(iii) P/V Ratio = Contribution per unit/sales per unit x 100
= 10 –7/10 x 10
= 30%
(iv) P/V Ratio = 100% –Variable Cost Ratio
= 100%– 60%
= 40%
जब एक से अ धक व य तर पर लाभ–मा ा अनुपात ात करना हो –
उदाहरण– 4
लाभ–मा ा अनुपात क गणना क िजए।
(a) Year Sales Profit
2007 Rs.50,000 Rs.15,000

(415)
2008 Rs.1,00,000 Rs. 35,000

(b) Year Sales Profit


2007 Rs, 50,000 Rs. (–) 5,000
2008 Rs.1,00,000 Rs.10,000
(c) Year Sales Cost
2007 50,000 Rs.35,000
2007 1,00,000 Rs.60,000
हल–
(a) P/V Ratio = Change in profit /Change in Sales x 100
= Rs. 20,000/Rs.50, 000 x 1000
= 40%
(b) P/V Ratio = 10,000–(–50,000 x 100
= 15,000/50,000x1000
= 30%
(c) P/V Ratio = 40,000–15, 00/50,000
= 25,000/50,000x100
= 50%
Profit for 2006= Rs.50,000-Rs.35,000=Rs.15000
जब संयु त लाम–मा ा अनुपात ात करना हो–
उदाहरण–5
एक कंपनी तीन कार के उ पाद अ,ब तथा स का उ पादन एवं व य करती है।
मह ने क कु ल ब 30,000 है। िजसम अ, ब, स का मश: ह सा 40,40 तथा
20 तशत है। इन उ पाद क प रवतनशील लागत मश: 40 तशत, 50 तशत
तथा 60 तशत है। संयु त लाभ–मा ा अनुपात क गणना क िजये।
हल–
Calculation of Combind Profit Volume Ratio
Product Sales Ratio P/V ratio (100–V.C.R) Combined P/V ratio
A 40% 60% 24%
B 40% 50% 20%
C 20% 40% 8%
Combined Profit volume Ratio 52%

न–3

(416)
अनुराधा उप म काल फनायल 20,000 ., सफेद फनायल 25,000 ., सु गि धत
फनायल 10,000 . तथा नै थल न गोल 5,000 . तमाह न मत एवं ब
करती है। तमाह फम को कु ल थायी उप र यय 14,700 . है। प रवतनशील लागत
काल फनायल क 60 तशत, सफेद फनायल क 68 तशत, सु गि धत फनायल
80 तशत तथा नै थल न गोल क 40 तशत है।
उप म क मा लक ीम त अनुराधा जो व ान वषय म नातक ह यह जानना चाहती
है क कस म त ब पर लाभ कमाना ारं भ हो जायेगा।
[Ans.Combined PVR 35% BEP 42,000]

16.6 सम– व छे द ब दु का आशय


सम– व छे द व लेषण का आधार सम– व छे द ब दु है। सम व छे द ब दु याशीलता
का वह तर है िजस पर कु ल लागत तथा कु ल आगम बराबर होती है अथात उ पादन
या व य का वह तर होता है जहाँ पर यवसायी को न कोई लाभ और न ह कोई
हा न होती है।
चा स ट . होन ीन के श द म. “सम व छे द ब दु याशीलता ( व य मा ा) का
वह ब दु है जहां कुल यय बराबर हो, यह शू य लाभ और शू य हा न का ब दु होता
है।“
अत: प ट है क सम व छे द ब दु का आशय उ पादन तथा व य मा ा के उस
ब दु से होता है िजस पर यवसाय के कु ल आगम तथा कु ल लागत एक समान हो
और शु लाभ शू य हो।
व तु त: सम व छे द ब दु उ पाद के उस तर को इं गत करता है जो लागत एवं
आगम को बराबर ह से म व छे द करता है जैसा क नाम से प ट है। इस ब दु के
बाद भी व य म वृ होती है तो फम के लाभ म वृ होगी क तु य द इस ब दु
से ब म कमी आती है तो फम को हा न होगी।

16.7 सम– व छे द ब दु क वशेषताय


1. इस ब दु पर फम को न लाभ और न हा न होती है।
2. कु ल आगम कु ल लागत के बराबर होता है।
3. अंशदान ि थर यय के बराबर होता है।

16.8 सम– व छे द ब दु क गणना


सम– व छे द ब दु क गणना न न व धय से क जा सकती है–
1. रे खा च वध
2. बीजग णतीय व ध
2.1 अंशदान व ध
2.2 समीकरण व ध

(417)
1. रे खा च वध :
सम व छे द व लेषण के अ तगत सम व छे द ब दु ात करने के लये रे खा च
व ध का उपयोग कया जा सकता है। पर परागत सम व छे द चाट बनाने म न न
या अपनायी जाती है–
1. सव थम सम व छे द ता लका बनानी चा हये िजसम उ पा दत इकाइयां, ि थर लागत,
प रवतनशील लागत, कुल लागत तथा कु ल व य का समावेश हो।
2. OX अ पर व य इकाइय को दखाने के लये पैमाना नधा रत करना।
3. OY अ पर लागत एवं आगम को दखाने के लये पैमाना नधा रत करना।
4. OX अ के समाना तर एक रे खा खींचनी चा हये जो थायी लागत को इं गत करती
हो।
5. फर कु ल लागत को ाफ पेपर पर द शत कर कु ल लागत रे खा ात क जाती है।
इस रे खा का ारंभ उस थान से होगा जहाँ थायी लागत रे खा ारं भ होती है।
6. कु ल व य को ाफ पेपर पर द शत कर कु ल व य रे खा ात क जाती है। यह
रे खा उ गम थान (O अ से) से ारं भ होती है।
7. कु ल लागत रे खा तथा कु ल व य रे खा जहाँ आपस म व छे द (Interact) करती है
वह ं ब दु सम व छे द ब दु कहलाता है।
8. सम व छे द ब दु से OX अ पर एक रे खा खींची जाती है तथा OX अ पर जहाँ
मलती है वह सम व छे द ब इकाइय म द शत करे गा तथा OY अ पर ै तज
रे खा खींचने पर सम व छे द ब दु . म आक लत हो जाएगी।
उदाहरण –6
आ द य ल. न न सू चनाय दान करता है –
Aditya Ltd. Provides following data–
Selling price per unit Rs. 10
Variable cost per unit Rs. 6
Fixed cost p.a. Rs.80,000
सम व छे द रे खा च क रचना क िजये तथा सम व छे द ब दु क गणना क िजये।
Output Sale Variable Fixed Total Profit/(Loss) Contribution
(Units) Cost Cost Cost
0 – – 80,000 80,000 (80,000) –
5,000 50,000 30,000 80,000 1,10,000 (60,000) 20,000
10,000 1,00,000 60,000 80,000 1,40,000 (40,000) 40,000
15,000 1,50,000 90,000 80,000 1,70,000 (20,000) 60,000
20,000 2,00,000 1,20,000 80,000 2,00,000 0 80,000
25,000 2,50,000 1,50,000 80,000 2,30,000 20,000 1,00,000
30,000 3,00,000 1,80,000 80,000 2,60,000 40,000 1,20,000

(418)
Break–Even Chart–Traditional
The Break–even sales is 20,000 units. It is no profit no loss
activity level at which contribution equals to total fixed cost.
न–4
न न ल खत सू चनाओं से सम व छे द चाट बनाइये
Out put units 1,000 2,000 3,000 3,000 5,000
Fixed cost (Rs.) 400 400 400 400 400
Variable Cost (Rs.) 200 400 600 600 1,000
Sales (Rs.) 400 800 1,200 1,600 2,000

2. बीजग णतीय व ध:
बीजग णतीय व ध के मा यम से सम व छे द ब दु क गणना क जा सकती है। इस
व ध के अंतगत दो अवधारणाओं के आधार पर सम व छे द ब दु ात कया जाता है
िजसका वणन न न कार है –
2.1 अंशदान व ध:
इस व ध के अनुसार सम व छे द ब दु व य क गणना के लये न नां कत सू
योग म लये जा सकते ह –
Break–Even Point (unit) = Fixed cost/Contribution per unit
OR
= Break–Even Point sales (Rs.)/Selling price per unit
Break–Even Point (Rs.) = Fixed Cost/Profit Volume Ratio
OR
= Break–Even point (units) x Selling Price per unit
य द हम यह ात करना होता है क सम व छे द ब कु ल ब का कतना
तशत है तब न न सू का उपयोग कया जा सकता–
B.E. Sales
B.E.P. in sales capacity (%) 100
Sales at 100% capacity
उदाहरण–7
न न सू चनाओं से सम व छे द ब दु क गणना क िजए:
Selling price per unit = Rs. 10

(419)
Variable cost per unit = Rs. 2
Fixed cost for the year = Rs. 40,000
Estimated sales for period = Rs. 1.00,000
हल–
(i) B.E.P = Fixed cost/Contribution per unit
= Rs. 40000/ Rs.10–Rs. 2
= 5000 units

(ii) B.E.P (Rs.) = Fixed Cost/Profit volume ratio


= Rs. 40,000/80%
= Rs. 5,00,000
Profit volume Ratio = S – V/S x 100
= Rs. 10 – Rs. 2/Rs. 10 x 100
= 80%
न–5
न न सू चनाओं से सम व छे द ब दु क गणना क िजए:
Selling Price per unit = Rs. 20
Variable Cost per unit = Rs. 15
Fixed cost for the year = Rs. 1, 08,000.
[Ans. 21,600 units; Rs. 4, 32,000]
समीकरण व ध
सम व छे द ब दु वह होता है जहां कु ल आगम कु ल व य के बराबर हो। य द त
इकाई व य मू य 10 . है तथा प रवतनशील लागत 6 . त इकाई है तथा
थायी लागत 5,000 . है तो सम व छे द इकाइय को x इकाई मानकर न न
समीकरण व ध से सम व छे द ब दु ात कर सकते ह। अत: न न समीकरण के
मा यम से सम व छे द ब दु को ात कया जा सकता है:–
Selling price per unit*no. of units solid i.e.X=Total Fixed
Cost+(Variable cost unit no. of units sold)
*

10x=6x+5,000
10x–6x=5,000
X=5,000/4
X=12,500 units
Sale=Total Cost=BEP
Sales – Total Cost = Net profit

(420)
Sales – Fixed Cost – Variable Cost = Net profit
Sales = Fixed Costs + Variable cost + Net profit
Sales – Variable Cost = Fixed Cost + Profit
Contribution = Fixed Cost + Profit
At Break–even point:
Contribution = Fixed Cost + 0
Sales – Variable Cost – Fixed Cost = 0
Contribution – Fixed Cost = 0

Calculation of required Sales (RS.) = Fixed Cost + Desired Profit/P.V.R.

संयु त सम व छे द ब दु क गणना :
जब एक से अ धक उ पाद का संयु त सम व छे द ब दु ात करना हो न न
या अपनायी जा सकती है –
.सं. संयु त सम व छे द ब दु पय म संयु त सम व छे द इकाइय म
1. सव थम येक उ पाद का कु ल ब म येक उ पाद क “कुल ब इकाइय ” म
तशत प से ह सा ात कया तशत ह सा ात कया जायेगा
जाएगा।
2. येक उ पाद के तशत का यि तगत येग उ पाद का त अंशदान ात कया
लाभ–मा ा अनुपात ात कया जाएगा। जायेगा
3. येक उ पाद के तशत ह से को येक उ पाद के तशत ह से को उसके
उसके लाभ–मा ा अनुपात से गुणा करके त इकाई अंशदान से गुणा करके सामू हक
सामू हक लाभ–मा ा अनुपात ात कया त इकाई अंशदान ात कया जायेगा I
जाएगा।
4. सू – सू –
Total fixed cos t Total fixed cos t
BEP( Rs.)  BEP (units ) 
Composite P / V ratio Compositecontribution p.u

उदाहरण –8
एम ल. तीन उ पाद पी, यू तथा आर का उ पादन करती है। त इकाई व य मू य
मश: 100 . 80 . तथा 50 . है। स बि धत त इकाई प रवतनशील लागत
50 ., 40 . तथा 20 . है। ये तीन उ पाद मश: 20 तशत, 30 तशत
तथा 50 तशत के अनुपात म उ पो हत कये गये ह (इकाइय म)। कु ल थायी
लागत 14,80,000 . है।
उपयु त सू चनाओं से संयु त सम– व छे द मा ा क गणना तथा येक उ पादन क
यि तगत ह से क मा ा भी ात क िजय
हल –
Working Note:

(421)
Calculation of Contribution per unit (Rs.)
Particulars P Q R
Selling Price 100 80 50
Less: variable cost 50 40 20
Contribution
Proportion of Quantity of Production and sales
50 40 30
20% 30% 50%

Calculation of composite Contribution per unit:


= (50 x 0.20) + (40 x 0.3) + (30 x 0.5) = Rs.37 per unit.
Composite Break –even point units
Total Fixed cos ts

CompositeContribution per unit
= Rs.14, 80,000/ Rs. 37 = 40, 000 units
Product wise breakup of Break – even Quantity of 40,000 units
Product Proportion Units
P 0.2 8,000
Q 0.3 12,000
R 0.5 20,000
Total 40,000
सम व छे द व लेषण पर आधा रत व भ न गणन या को न न उदाहरण से प ट
कया जा सकता है –
रानू राज थान प का वारा आयोिजत यापा रक मेले म एक बूथ को कराये पर लेने
क योजना बना रह है। वह उस मेले म एक पो टर 10 . म बेचना चाहती है। वह
यह पो टर 3 . म खर द सकती है तथा न बेचे गये पो टर को वापस पू तकताओं
को लौटाकर अपना पैसा ा त कर सकती है। बूथ का कराया 700 . है। इन
सू चनाओं का उपयोग करते हु ये न न 6 न का उ तर द िजये।
न 1 रानू क सम व छे द व य का तर या होगा?
सम व छे द व य का आशय उस ब से है िजस पर रानू को न लाभ न हा न हो
अथात उसक कु ल आगम कु ल लागत के बराबर हो जाये। इस ब दु क गणना क दो
मह वपूण व धयां ह –
1. समीकरण व ध
सव थम कु ल खच को दो भाग म बांटना होगा–प रवतनशील एवं थायी यय। रानू के
लये बेचे गये माल क लागत ह प रवतनशील यय है। िजतने पो टर बेचे जायगे
उनको 3 . से गुणा करने पर उसक प रवतनशील लागत होगी य क य लागत 3

(422)
. त पो टर है। उसक थायी लागत 700 . है। चू ं क सम व छे द ब दु पर
लाभ शू य होता है अत: न न समीकरण का योग कर सम व छे द ब दु क गणना
क जा सकती है –
Sales = Total fixed cost + Total variable cost + Profit
OR
Sales – Total variable cost = Total Fixed cost + Profit
(Sale price per unit x Unit sold) – (Variable cost per unit x Unit
sold) = Fixed cost +Profit
(Rs. 10 x Unit sold) – (Rs. 3 x Unit sold) = Rs. 700 + Profit
(Rs. 10 – Rs.) X unit sold = Rs.700 + Profit
Rs. 7 x unit = Rs. 700/Rs.7
Break – even sales in units = 100 units
रानू को सम व छे द ब दु को ा त करने के लये कम से कम 100 पो टर बेचने
ह गे। य द पय म सम व छे द ब ात करनी हो तो इसे त इकाई व य मू य
से गुणा कर दया जाएगा। अत: 1,000 . (100 units x Rs. 10) क ब करने
पर न लाभ न हा न होगी।।
2. अंशदान व ध
व ध से भी सम व छे द ब दु क गणना क जा सकती ह। येक बेची गयी इकाई
पर अंशदान होता है। यह अंशदान व य मू य का प रवतनशील यय पर आ ध य
होता है। अंशदान को त इकाई या तशत प म य त कया जा सकता है।
रानू के यवसाय के लये न न कार से गणना क जा सकती है
Rs. %
Sale price per unit 10,00 100
Less: Variable cost per unit 03.00 30%
Contribution per unit 07.00 70%
व य को 100 तशत मानने पर इसम से प रवतनशील लागत तशत घटाने पर
ा त अनुपात अंशदान अनुपात या लाभ मा ा अनुपात कहलाता है। अत:
B.E.P. in units = Fixed Expenses/ Contribution per units
= Rs. 700/Rs.7 =100 units
B.E.P. in Rs = Fixed cost/P/V ratio
= Rs. 700/70%= Rs. 1000
P/V = Contribution/Sales x 100
= Rs.7/Rs.10 x 100 = 70%
न 2 यद थायी लागत बदलती है तो सम व छे द ब दु या होगा?

(423)
माना क रानू के बूथ का कराया 700 . बढकर 1,050 . हो जाये तो नया सम
व छे द ब दु इस कार होगा –
Break– even sales in units = Fixed exp. /Contribution per unit
= Rs. 1,050/Rs. 7 =150 units
Break– even sales in Rs. = Fixed exp. /P/V Ratio
= Rs. 1050/70% = Rs. 1,500
नवचन:
कराया 700 . से बढकर 1,050 . हो गया अथात कराये म 50 तशत वृ
होने पर सम व छे द ब दु भी 50 तशत बढ गया। यह स ब ध हमेशा बना रहता
है अथात थायी यय म िजतना तशत वृ होगी उतना ह तशत सम व छे द
ब दु म वृ होगी य द अ य बात समान रह। अत: रानू को बढ हु ई थायी लागत
को वसू ल करने के लये 500 पो टर अ त र त बेचने ह गे।
न 3 य द व य मू य म प रवतन होता है तो सम व छे द व य या होगा?
माना क त पो टर व य मू य 10 . के थान पर 11 . हो तथा त इकाई
प रवतनशील यय एवं थायी यय म कोई प रवतन न हो तो रानू का नया सम
व छे द ब दु या होगा?
व य मू य म प रवतन होने पर त इकाई अंशदान 8 . (Rs.11– Rs.3) हो
जाएगा और अंशदान अनुपात 72.73 तशत हो जायेगा।

B.E.P. in Units = Rs. 700/Rs.8


= 87.5 units
B.E.P. in Rs. =Rs. 700/72.73%
= Rs. 962.5
नवचन :
प ट है क व य मू य म वृ करने पर सम व छे द व य म कमी आ गयी
य क त इकाई अंशदान म वृ हो गयी।
न 4 य द प रवतनशील लागत बदलती है तो सम व छे द ब दु या होगा?
माना क प रवतनशील लागत 3 . से बढकर 5 . हो जाये तथा व य मू य एवं
थायी लागत म कोई प रवतन न हो तो रानू का नया सम व छे द ब दु या होगा?
Break –even sales in units = s Rs. 700/ Rs. 10– Rs. 5
= 140 units
Break–even sales Rs. = Rs. 700/50% = Rs, 1,400 units
नवचन:

(424)
त इकाई प रवतनशील लागत बढने के कारण अंशदान म कमी आ गयी
प रणाम व प सम व छे द व य म बढ़ोतर हो गयी।
न 5 इि छत लाभ कमाने के लये कतनी इकाइय का व य करना होगा?
य द रानू चाहती है क इस मेले म उसे 700 . का फायदा हो जाये तो उसे कतनी
इकाइयां बेचनी होगी य द अ य सू चनाएं नह ं है।
अब तक हमने केवल सम व छे द ब दु क गणना क जहां लाभ शू य होता है।
अंशदान वह मा ा होती है जो थायी यय तथा इि छत लाभ को पूरा करता हो। अत:
अब तक सू के अंश भाग म केवल थायी यय लखते आये क तु सम व छे द
ब दु म लाभ शू य होता है अत: थायी यय ह अंशदान होता है क तु अब इसम
इि छत लाभ और जोडना होगा। अत: सू इस कार होगा –
Fixed exp enses  Desired profit
Re quired sales inunits 
Contribution per unit
Rs.700  Rs.700

Rs.10  Rs.3
Fixed exp enses  Desired profit
Re quired sales in Rs. 
P / V Ratio

Rs.700  Rs.700

70%
 Rs.2, 000
न 6 वभ न व य तर पर कतना लाभ या शत होगा?
जब रानू व भ न पो टर के व य से या शत लाभ क गणना चाहती है तो बेहतर
होगा क सम व छे द चाट बनाकर इसका हल नकाला जाये। इसके लये न न
या अपनानी चा हये –
1. सव थम कु ल व य रे खा o अ ांश से द शत क जाएगी।
2. कु ल थायी लागत को एक पडी हु ई रे खा के प म OX अ ांश के समाना तर खींची
जाएगी।
3. कु ल लागत रे खा उस थान से खींची जाएगी जहां से थायी लागत रे खा ारं भ होती
है।
4. िजस तर पर कु ल लागत रे खा तथा कु ल आगम रे खा आपस म काटती है वह तर
सम– व छे द ब दु कहलाता है। पय म गणना के लये ै तज रे खा खींची जायगी
और इकाइय म गणना के लये उ वाकार रे खा खींची जायगी।
5. कु ल लागत रे खा तथा कु ल आगम रे खा का अंतर सम– व छे द ब दु से पहले हा न तथा
उसके बाद लाभ को द शत करता है।

(425)
उपयु त रे खा च से प ट है क व भ न उ पादन तर पर लाभ का नधारण कया
जा सकता है।
4. सु र ा सीमा:
सम व छे द व य मू य एवं वतमान व य मू य का धना मक अंतर सु र ा सीमा
कहलाती है। सु र ा सीमा उस व य रा श को इं गत करता है िजसके स पूण गरावट
होने पर ह हा न ारं भ होती है। य द कसी यवसाय क वतमान ब 5,00,000 .
है तथा सम व छे द ब दु 3,00,000 . है तो सु र ा सीमा 2,00,000 . है। इसका
ता पय यह है क य द ब म 2,00,000 . तक क गरावट दज होती है तब तक
s लाभ क सीमा बनी रहे गी क तु इससे अ धक गरावट होती है तो हा न ारंभ हो
जायगी। व तु त: सु र ा सीमा वह सीमा है जहां तक उ पादन या व य म कमी क
त को यवसाय वहन कर सकता है। य द सुर ा सीमा यादा होगी तो घाटे क
ि थ त दूर होगी। अत: सु र ा सीमा िजतनी यादा होगी उतना ह फम के लये
लाभदायक ि थ त है।
सु र ा सीमा क गणना न न सू के मा यम से क जा सकती है –
Margin of Safety = Actual sales – BEP
OR
Margin of Safety (M.S.) = Profit / PVR
सु र ा सीमा के लाभ :
सु र ा सीमा यवसाय क लाभदायकता का तीक है। इसक गणना से न न लाभ ह –
1. सु र ा सीमा के मा यम से यवसाय क व तीय ि थ त का ान ा त होता है। य द
यह कम है तो यह सं था के लये क ठन व तीय ि थ त का तीक है।
2. सु र ा सीमा के वारा ब धक कंपनी क लाभदायकता पर सतत ् नगरानी रख सकता
है।
3. त पधा क ि थ त म व य मू य म कहां तक कमी क जा सकती है, इस त य
का नधारण संभव है।
सु र ा सीमा के सुधार :
सु र ा सीमा के न न तर क से सु धार कया जा सकता है –

(426)
1. व य मू य बढ़ाकर।
2. व य मा ा बढ़ाकर।
3. प रवतनशील लागत म कमी करके।
4. थायी यय म कमी करके।
उदाहरण–9
सु र ा सीमा क गणना क िजये –
(a) Sales Rs. 2,40,000, Fixed cost 60,000, Variable Cost Rs.
1,44,000
(b) Profit = Rs. 30,000, PVR = 20%
हल–
(a) M.S. = Actual Sales – BEP Sales
= Rs. 2,40,000– Rs. 1, 50, 000
= Rs. 90,000
PVR = S – V/ S x 100
= 2, 40,000– 1, 44, 00/2, 40,000 x 100
= 96,000/2, 40,000 x 100
= 40%
BEP = F.C. /PVR
= Rs. 60,000/40%
= Rs. 1,50,000
(b) M.S = profit/PVR
= Rs. 30,000/20%
= Rs. 1,50,000

न –6
आपको दया गया है–
Sales Rs. 50,000; Variable Cost Rs. 37,500; Fixed Cost Rs.
10,000
गणना क िजये।।?
1. सु र ा सीमा
2. सु र ा सीमा तशत
[Ans. Rs. 10,000, 20%]
5. संयोग का कोण

(427)
सम व छे द चाट म सम व छे द ब दु के तु रंत बाद कु ल आगम एवं कु ल लागत
रे खाओं के म य म जो कोण बनता है उसे संयोग का कोण कहते ह। यह कोण फम क
लाभदायकता को कट करता है। यह कोण िजतना यादा बडा होगा फम क लाभदायकता भी
यादा होगी य क कोण बडा होने का सीधा अथ है कु ल लागत एवं कुल आगम के अंतराल
का बढना जो लाभ का तीक है। संयोग का कोण न न रे खा च से प ट कया जा सकता है–

उपयु त रे खा च से प ट है क कु ल आगम तथा कु ल लागत के व छे द ब दु को सम


व छे द ब दु कहते ह और इसके तु रंत बाद जो कु ल आगम तथा कु ल लागत के म य जो
कोण बना हु आ है वह संयोग का कोण कहलाता है। कु ल आगम व कु ल लागत म य– य
व तार होता जायेगा य – य इस कोण का आकार बढता जायेगा।
सम व छे द व लेषण क या म ब धक को कई सू चनाओं क आव यकता होती
है, इन सू चनाओं के ती नधारण म न न सू का उपयोग कया जा सकता है –
1. इि छत लाभ कमाने के लये आव यक व य इकाइयां
Units to earn desired profit =TFC+ Desired profit (Total)/SPPU–
VCPU
2. इि छत लाभ कमाने के लये आव यक व य रा श
Sales to earn desired profit = TFC +Desired profit/PVR
3. दये गये त इकाई लाभ कमाने हे तु आव यक ब इकाइयां
Units to earn a given per unit profit = TFC/S.P. – (AVC +per unit
profit
4. व य पर तशत लाभ कमाने के लये आव यक ब इकाइयां
Units to earn a% profit on sales = TFC/ S.P. – (AVC =% of profit
on sales)
5. एक दये गये सम व छे द ब दु पर त इकाई व य मू य का नधारण
S.P.P.U.at given BEP units = F.C./B.E.P.Units + V.C.P.U.
6. लागत उदासीन ब दु:
सम व छे द व लेषण म लागत उदासीन ब दु का मह वपूण थान है। बंधक इसके
मा यम से यह पता लगा सकता है क उ पादन के कस तर पर दो वक प क
कु ल लागत समान होगी। लागत उदासीन ब दु से आशय उ पादन के उस तर से है

(428)
जहाँ पर दो या दो से अ धक वक प ( व धय या मशीन ) के योग से येक क
कु ल लागत समान होती है। य द व य मू य समान होगा तो लाभ भी समान होगा।
इस ब दु क गणना न न कार से क जा सकती, माना क अ तथा व उ पाद क
Q इकाइय का उ पादन कया जाता है तो
Cost indifference point (units) = Total cost of A = Total cost of B
OR
[TFC+ A (A.C.P.U. x Q)] = [TFC + B (V.C.P.U.)]
Here,
Q = Quantity to be produced
TFC = Total Fixed cost
VCPU = Variable cost per unit
1. Cost indifference point (units) = Difference in total fixed
cost/Difference in variable cost p.u.
2. Cost in difference point (in Rs.)= Difference in P/V ratio
उदाहरण–10
दया है–
Particular Machine X Machine Y
Out put units 20,000 20,000
Total fixed cost Rs. 80,000 Rs. 1,28,000
Estimated profit Rs. 80,000 Rs. 1,12,000
Selling price per unit Rs.40
गणना क िजये –
1. लागत उदासीन ब दु
2. येक मशीन का सम व छे द ब दु
हल –
1. लागत समीकरण के मा यम से लागत उदासीन ब दु ात कया जा सकता है:
Cost indifference] point = Total cost of X = Total cost of Y
Total Cost = Total fixed cost + (Quantity produced i.e. Q x
Variable cost per unit)
Rs. 80,000 + Q x 32 = Rs. 1, 28,000 + Q x 28
32 Q – 28 Q = Rs. 1, 28,000 – Rs. 80,000
Q = Rs. 48,000/4
Q = 12,000 units
OR

(429)
Differencein total fixed cos t
Cost indifference po int 
Difference in var iable cos t p.u.
Cost indifference point =
= Rs. 48,000/32–28= 12,000 units
2. BEP (units) = Fixed cost/C.P.U.
Machine X = Rs. 80,000/Rs.40.32 = 10,000 units
Machine Y = Rs. 1, 28,000/RS. 40– Rs. 28 = 10,667 units
Working notes:
न म प रवतनशील लागत नह ं दे रखी है अत: लागत समीकरण म प रवतनशील
लागत ात क जाएगी –
Calculation of variable cost
Sales = F + v + P
Machine X Rs. 8,00,000 = Rs. 80,000 + V +80,000
V = 8,00,000 – 1,60,000
V = Rs. 6, 40,000
V.C.P.U. = Rs. 6, 40,000/20,000
= Rs. 32
Machine Y = 8, 00,000 – 1, 28,000 – 1, 12,000/20000
= Rs. 28
न – 7
लागत उदासीन ब दु क गणना, क िजए:
Calculation cost indifference point–
MachineX Machine Y
Output units 10,000 10,000
Total fixed cost Rs. 40,000 Rs.64,000
V.C.P.U Rs. 12 Rs. 8
Selling price per unit Rs. 20

[Ans. 6,000 units]


उदाहरण –11
गणना क िजए
(a) वष 2008 म आ द य ल. ने 60,000 . का लाभ कमाया। य द उ पाद क त
इकाई सीमा त लागत एवं व य मू य मश: 16 . तथा 20 . है। सु र ा सीमा
ात क िजए।

(430)
(b) य द बजटे ड उ पादन 80,000 इकाइयां, ि थर लागत 4, 000, 00 ., त व य
मू य 20 . तथा प रवतनशील लागत त इकाई 10 . है तो सम व छे द व य
ात।
(c) य द सीमा त लागत 2,400 . है तथा लाभ मा ा अनुपात 20 तशत है जो व य
मू य ात क िजए।
(d) य द लाभ 20,000 . तथा लाभ मा ा अनुपात 40 तशत हो तो सु र ा सीमा ात
क िजए।
हल –
(a) P/V Ratio = Contribution per unit/Selling per unit x 100
= Rs. 20 – Rs. 16/Rs. 20 x 100
= Rs. 4/20 x 100
= 20%
Margin of Safety = Profit/PVR
= Rs. 60,000/20%
= Rs. 3,00,000
(b) BEP (Rs.) = fixed cost/PVR
= Rs. 4,00,000/50%
= Rs. 8,00,000
PVR = s – V/S x 100
= 20 – 10/20 x 100
= 50%
BEP (Unit) = F – C/ C.P.U>
= Rs. 4, 00,000/ Rs. 20 – Rs. 10
= 40,000 units
(c) V.C.R = 100 – PVR
= 100 – 40%
= 60%
Variable cost = Rs. 2,400
Sales Values = V.C/V.C.R
= Rs. 2,400/60%
= 4,000
(d) M.S. = Profit/P.V.R
=20,000/40%
= Rs. 50,000

(431)
न –8
गणना क िजये –
(a) आ द य ल. जो उपभो ता माल म यवहार करती है िजसका लाभ मा ा अनुपात 50
तशत है तथा सु र ा सीमा 40 तशत है। य द व य क मा ा 50 लाख . है तो
आपको सम व छे द ब दु तथा शु लाभ ात करना है।
[Ans. 30, 00,000; Rs. 20, 00,000.]
(b) वष 2007–2008 म कंपनी ने 15,000 . का लाभ कमाया। य द एक उ पाद क
सीमा त लागत एवं व य मू य मश: 4 . तथा 5 . है, सु र ा सीमा ात
क िजये।
[Ans. Rs. 75,000.]
(c) य द सु र ा सीमा 2, 40,000 . है ( व य का 40 तशत) तथा लाभ–मा ा अनुपात
30 तशत है, सम व छे द ब दु क गणना क िजये।
[Ans. Rs. 3, 60,000; Fixed Cost Rs. 1, 08,000.]
(d) प रवतनशील लागत अनुपात 70 तशत है, व य मता के 60 तशत पर सम
व छे द ब दु आता है। य द ि थर लागत 90,000 . हो तो मता व य ात
क िजये। मता व य के 75 तशत पर लाभ क गणना भी क िजये।
[Ans. Rs.5, 00,000; Rs. 22,500]
(e) एक कंपनी क सु र ा सीमा 20 तशत है तथा 4,00,000 . लाभ कमाती है। य द
अंशदान व य अनुपात 0.4 है तो चालू व य एवं ि थर लागत ात करो।
उदाहरण – 12
वशाल माट के आलेख से 31 माच को न न सू चनाय उपल ध ह –
Particular 2007 2008
Sales (Rs.) 300 400
Profit (Rs.) 60 100
ात क िजए –
(a) लाभ मा ा अनुपात एवं कुल थाई यय
(b) सम व छे द ब दु
(c) –180 लाख . का लाभ कमाने हे तु ब
(d) 560 लाख . क बक पर लाभ या हा न
हल –
(a) Calculation of P/V ratio and total fixed expenses
(i) P/V ratio = Change in profit/ Change in Sales x 100
= Rs, 100 Lakhs – Rs. 60 Lakhs/ Rs. 400 Lakh – Rs. 300
Lakhx 100

(432)
= 40%
(ii) Fixed expenses = Sales x P/V ratio – Profit
Year 2007 = Rs. 300 Lakh x 40% – Rs. 60 Lakh
= Rs. 120 – Rs. 60 Lakh
= Rs. 60 Lakhs
Year 2008 = Rs. 400 Lakh x 40% – Rs. 100 Lakh
= Rs. 160 Lakhs – Rs. 100 Lakh
= Rs. 60 Lakhs
(b) calculation of breakeven sales
B E. Sales = Fixed exp./P/V ratio
= Rs. 60 Lakh/40%
= Rs. 150 Lakhs
(c) Calculation of sales recquired to earn a profit of Rs. 180 Lakh
Required sales = Fixed cost + desired profit/ P/V Ratio
= Rs.60 lakhs + Rs. 180 lakhs/ 40%
= Rs. 240 lakhs/ 40%
= Rs. 600 lakhs
(d) Calulation of profit or loss if sales were Rs.560 lakhs
Profit = Sales x P/V ratio – Fixed exp.
= Rs. 560 lakhs x 40% – Rs. 60 lakhs
= Rs. 224 lakh –= Rs. 60 lakhs
= Rs. 160 lakhs
न– 9
आद य ल. जो बहू उ पाद कंपनी है जो वष 2008 के लये न न समंक उपल ध
कराती है–
1st half of the year (Rs.) 2nd half of the year (Rs.)
Sales 45,000 50,000
Total Cost 40,000 43,000

यह मानते हु ए वष 2009 क गणना क िजये क मू य एवं प रवतनशील लागत म


कोई प रवतन नह ं हु आ है तथा थायी लागत दोन अ वष म बराबर खच होती है।
(i) The profit volume ratio.
(ii) The fixed expenses.
(iii) The break even sales, and

(433)
(iv) The percentage of margin of safety to tale sales.
[Ans. 40%; Rs.26,000; Rs.65,000; Rs.30,000; 31.58%]
उदाहरण –13
व वास ल. ने हाल ह म एक नया उ पाद जार कया िजसक 6 माह बाद प रचालन
न पादन क समी ा क गयी। पछले दो तमाह का लाभ ववरण न नां कत है –
Particulars Quarter I (Rs.) Quarter II (Rs.)
Sales 15,00,000 21,00,000
(–) Direct Material (1,25,000 units @ Rs. 12) (1,75,000 units @ Rs. 12)
(–) direct Wages 3,12,500 4,37,500
(–) Production Overheads 2,50,000 3,50,000
Gross Profit 3,87,500 4,62,500
(–) selling & Admn. OH 5,50,00 8,50,000
Net Profit / (loss) 5,75,00 7,25,000
(25,000) 1,25,000

आव यक–
(i) तमाह के लये सम– व छे द ब दु इकाइय म तथा व य मू य म गणना क िजये।
(ii) य द कंपनी वशेष ाहक को वतीय तमाह क ब के अ त र त 50,000 इकाइय क
पू त करती है तो 25,000 . के वशेष खच को पूरा वसू ल करने के बाद 50,000 . का
लाभ कमाने हे तु त इकाई व य मू य या वसू ल क जानी चा हये।
(iii) य द कंपनी तीसरे तमाह म त इकाई व य मू य एक . से कम करती है तथा
व ापन यय एक लाख . से बढ जाये तो व य मा ा द तमाह से 20 तशत बढ
जाती है। या इस योजना का या वयन करना चा हये?
हल – (i) Calculated Break–even sales
BEEP (in units) = Fixed cost/Contribution per unit
= Rs. 4, 00,000/ Rs. 3 = 1,334 units
BEEP (Rs.) = Fixed cost/P/V ratio
= Rs.4,00,000/0.25 = 16, 00, 000
(ii) Calculation of Selling Price
Extra expenses 25,000
Profit 50,000
Desired Contribution 75,000
Contribution p.u. (Rs. 75,000/50,000units) Rs. 1.50
Selling Price (Variable Cost + Contribution) (9 + 1.50) Rs. 10.50 p.u

(iii) (Rs.)
Selling Price (Rs. 12 – Re.1) 11.00
Less: Variable cost 9.00

(434)
Contribution 2.00

(Rs.)
Advertisement Expenses 1,00,000
Other expenses 4,00,00
Total Fixed Costs 5,00,000

Sales [1,75,000 units x 1.2 (1+20%)] = 2,10,000 units


Contribution (2,10,000 units x Rs. 2) 40,20,000
Less: Fixed Costs 5,00,000
Loss 80,000

Working Notes:
Segregation of semi–variable costs into variable and fixed
components:
Variable Component = Change in Costs/Change in activity
Fixed Costs = Total Cost – (No. of units x Variable Costs p.u.)
Production Overheads
(i) Variable component
= Change in Cost/Change in Output
= Rs. 4, 62,500 – Rs. 3, 87, 500, /1, 75,000 – 1, 25,000
= Rs. 75,000/50,000
= Rs. 1.50 per unit
(ii) Fixed Cost
= Rs. 3, 87,500 – (1, 25,000 units x Rs. 1.580)
= Rs. 3, 87,500 – Rs. 1, 87,500
= Rs. 2, 00,000
Selling and Administration Overheads
(i) Variable Component
= Rs. 7, 25,000 – Rs. 5, 75,000/1, 75,000 – 1,25,000
= Rs. 1, 50,000/50,000
= Rs. 3.00 per unit
(ii) Fixed cost
= Rs. 5, 75,000 – (1, 25,000 units x Rs. 3)
= Rs. 5, 75,000 – Rs. 3, 75,000
= Rs. 2, 00,000
Calculation of Variable Cost per Unit

(435)
(Rs.)
Direct Material (Rs. 3,12,500/1,25,000) 2.50
Direct labour (Rs. 2,50,000/1,25,000) 2.00
Production overhead 1.50
Selling an Administration overhead 3.00
Total Variable Cost P.u.
9.00
Calculation of total fixed costs per Quarter
(Rs.)
Fixed Production Overhead’ 2,00,000
Fixed Selling and Administration Overhead 2,00,000
Total fixed overhead 4,00,000
Calculation of Contribution p.u. and P/V ratio
(Rs.)
Selling Price p.u. 12
Less; Variable Cost p.u. 9
Contribution p.u. 3
P/V ratio (Rs. 3/Rs.12) x 100 25%
न –10
आपको न न ल खत सू चनाय ा त ह –
1. The P/V ratio of a firm was 40% in 2006.
2. The firm wants to increase it selling price by 10% now in
2007.
3. The firm’s variable cost is higher now by 5%.
4. The fixed expenses of the firm have gone up form RS. 3,
00,000 to Rs. 4, 27,300 in 2007.
मू ल सम व छे द व य एवं प रव तत अव थाओं के बाद 2007 म सम व छे द
व य ात करो।
[Ans. Rs. 7, 50,000 and Rs. 10, 00,000.]
उदाहरण – 14
क पना ल. के दो वष के न न समंक उपल ध ह –
2008 2009
Sales Rs. 8,00,000 ?

(436)
Profit/Volume Ratio (P/V ratio) 50% 37.5%
Margin of safety Sales as % of total Sales 40% 21.875%
या म पुन : संरचना करने से वष 2009 म थायी यय म भार मा ा म बचत
क गयी। कंपनी ने व य मू य म कमी करके वष 2009 म व य क मा ा वह
रह जो वष 2008 म थी।
आपको न न क गणना करनी है –
(i) वष 2009 के लये व य।
(ii) वष 2009 के लये थायी लागत।
(iii) पय म 2009 क सम– व छे द व य।
हल– (i) Sales for 2009 in Rs.
Sales  Variable Cost
P.V . Ratio 
Sales
X  Rs.4, 00, 000
0.375 
X
X  Rs.4, 00, 000
0.375 
X
0.375 X  X  Rs.4, 00, 000
X  0.375 X  Rs.4, 00, 000
X  Rs.4, 00, 000 / 0.625
 Rs.6, 40, 000
(ii) Fixed Cost for 2009
Margin of safety sales as a % of total sales = 21.875%
Total sales – Margin of safety = Break–even sales
100%– 21.875% = 78.125%
Fixed cost = Break–even sales x P.V ratio
= Rs. 6,40,000 x 78.125/100 x 37.5/100
= Rs. 1,87,500
(iii) Break–even sales for 2009 in Rs.
Total sales – Margin of safety = Break–even sales
Rs. 6,40,000 = Rs. 5, 00,000
Working notes:
Calculation of variable cost for 2008 and 2009
Contribution
P.V .Ratio 
Sales

(437)
8, 00, 000  V .C.
0.50 
8, 00, 000
0.50 × 8,00,000=8,00,000-V.C.
V.C.=Rs. 4,00,000
न – 11
एक फम का दो तमाह का तु लना मक लाभ ववरण न न है –
Particulars Quarter I Quarter II
Units sold 2,500 3,750
Direct materials 87,500 ?
Direct wages 62,500 ?
Fixed and variable factory overheads 75,000 95,000
Sales 2,75,000 ?
Profit 50,000 66,250

दूसरे तमाह म य साम ी का मू य 20 तशत से बढ गया, वतीय तमाह म


थायी उप र यय म 50,000 . क बचत हो गयी एवं अ य लागत तथा व य
मू य म कोई प रवतन नह ं हु आ है। पहले तमाह म कमाये गये त इकाई लाभ को
ि थर रखते हु ये दूसरे तमाह म बेची जाने वाल मा ा का नधारण क िजये।
[Ans. 6,667 units.]
उदाहरण –15
व वास ल. जो एक उ पाद का लघु नमाता है, के बंधक ने वा षक लाभ योजना
तैयार क । उ ह ने वा षक आय ववरण क समी ा क और 20,000 इकाइय के
व य पर 1,10,000 . का लाभ इं गत कया। वे त इकाई व य मू य 100 .
म वचलन होने से कु छ शंका रखते ह य क थायी ढाँचे क लागत 9,90,000 .
अ य धक ऊंची है। एक सामा य सहम त थी क लाभ का ल य 2,20,000 . हो।
इस सम या को नपटाने के लये बैठक म ब धक वारा सु झाये गये वभ न
वक प क समी ा क गयी।
आपको गणना करनी है
(a) बजटे ड सम– व छे द ब दु पय म तथा इकाइय म तथा ल य लाभ को ा त
करने के लये कतनी इकाइयां बेचनी चा हये?
(b) ब ध न न दो वक प पर वचार रह है, आपको इस पर य त या
दे नी है।
येक वक प को वतं मानते हु ए आप अपनी मा यताय सृिजत कर सकते ह।
वक प (1) : व य मू य के 20 तशत वृ का वचार कर रह है। व य ब धक
अनुमान लगा रहे ह क इसक वजह से व य मा ा म 15 तशत कमी हो जायेगी।
नया सम– व छे द पय तथा मा ा म या होगा? नया लाभ क रा श या होगी?
ल त लाभ ा त करने के लये व य क कतनी मा ा बेचन चा हये?
(438)
वक प (2) थायी यय म 55,000 . क कमी तथा प रवतनशील लागत म 6
तशत क कमी का वचार हो रहा है। पय म नया सम– व छे द ब दु या होगा?
ल त लाभ कमाने हे तु कतनी व य क मा ा बेचनी चा हये?
हल– (a) Computation of budget Break–even point to earn target profit
(Units sold 20,000)
Particulars Per unit Total
Sales (A) 100.00 20,00,000
Fixed cost 49.50 9,90,000
Profit 5.50 1,10,000
Contribution (B) 55.00 11,00,000
Variable cost (A) v– (B) 45.00 9,00,000
P./V ratio = Contribution /Sales x 100
= Rs.55/Rs. 100 x100=55%
Break–even point (Sales Rs.)
Fixed cos t  Rs.9,90, 000 Rs.18, 00, 000

P / V ratio 55%
Break–even point (units)
= Fixed Cost/Contribution per unit
= Rs.9, 90,000/Rs. 55 = 18,000 units
Number of Units be sold to earn a target profit of Rs. 2,20,000
Fixed Expenses  Desired Pr ofit
Desired Sales 
P / V ratio
Rs.9,90, 000  Rs.2, 20, 000

55%
 Rs.22, 00, 000
Desired Sales (No. of Units)
= Rs. 22, 00,000/Rs. 100 = 22,000 units
(b) Alternative I
Calculation of No. of units to be sold earn the target profit (Rs.)
Present Selling Price 100
Add: 20% Increase 20
New Selling Price 120
Less: Variable cost 45
Contribution 75

Break–even point (Units)

(439)
= Fixed Cost/contributed per unit
Rs.9, 00, 000  Rs.9,90, 000  13, 200 units

Rs. 75 Rs.75
Break–even point (Sales Rs.)
= Break–even units x selling price per unit
= 13,200 units x Rs. 120 = 15, 84,000
(Units)
Present units sold 20,000
Less: 15% Drop 3,000
Revised Sales Units 17,000
(Rs.)
Revised Contribution (17,000 units x Rs, 75) 12,75,000
Less: Fixed Cost 9,90,000
Profit 2,85,000
Fixed Cost  Desired Pr ofit
Desired Sales (Units )
Contribution per unit
 Rs.9,90, 000  2, 20, 000  Rs.12,10, 000
 16,133 units
Rs.75 Rs.75
Alternative II
Calculation of Contribution per unit
(Rs.)
Selling Price 100.00
Less: Variable cost (Rs. 45 – 6% of Rs. 45) 42.30
Revised Contribution
57.70

Present fixed cost 9,90,000


Less: Decrease 55,000
Revised fixed cost
9,35,000

Break – even point (Units)


= Revised fixed cost/ Revised contribution per unit
= Rs. 9, 35,000/Rs. 57.70= 16,204 units
Break–even point (Sales Rs.)
= Break– even Units x Selling Price per unit

(440)
= Break – even Units x Rs. 100= Rs. 16, 20,451
Units to be sold to earn a desired Profit of Rs. 2,20,000
Re vised Fixed Cost  Desired Pr ofit
Desired Sales 
Re vised Contribution per unit
Rs.9,35, 000  Rs 2, 20, 000  Rs 20, 017 units

Rs.57.70
उदाहरण – 16
एक कंपनी एकल उ पाद 50 . त इकाई पर बेच रह है। त इकाई प रवतनशील
लागत 35 . है तथा थायी यय 12 लाख . वा षक है। इन समंक क सहायता
से आपको येक को वतं मानते हु ए गणना करनी है–
(a) लाभ–मा ा अनुपात तथा सम– व छे द ब दु।
(b) व य मू य म वृ कये बना य द प रवतनशील लागत त इकाई 3 .
से बढ जाती है तो नया सम– व छे द ब ।
(c) य द लाभ 2 .4 लाख . से बढ जाये तो व य म कतनी वृ ।
(d) वतमान लाभ को भा वत कये बना व य म 1.2 लाख . क वृ के
लये कतना व ापन यय क आव यकता होगी?
हल– (a) (i) P/V ratio
= Contribution p.u./Selling Price p.u. x 100
Selling price p.u.  / Selling Pr ice p.u.100

Selling Pr ice p.u.
Rs.50  Rs.35
  100 30%
Rs.50
(ii) Break–even Sales
Fixed Cost  Rs.12,00, 000
  Rs 40, 00, 000
P / V ratio 30%
(b) New Break-even sales if profits are to be increased by
Rs. 2,40,000 Receised P/V ratio
Existing Contribution p.u  Increase in var iable cos t p.u
  100
Selling price p.u
Rs.15  Rs.3
  100
Rs.50
Revised Break–even Sales
Fixed Cost  Rs.12, 00, 000
  Rs.50, 00, 000
P / V ratio 24%

(441)
(c) Increase in sales required if profit are to be increased by
Rs. 2,40,000
Rs.2, 40, 000
  Rs.8 lakhs addition sales required
30%
(d) The increase in contribution from additional sales should
be equal to Advertisement expenditure to be in no loss,
no profit situation.
Advertisement exp enses ( x)
 Additional Sales
P / V ratio
X / 30%  Rs.1, 20, 000
1, 20, 000  0.30
 Rs.36, 000
उदाहरण –17
कंपनी एक व यमान मशीन जो बराबर ेकडाउन हो जाती है, के त थापन के लये
नयी मशीन खर दना चाहती है। दो त प M1 तथा M2 का ताव ा त हु आ। इन
त प के स ब ध म न न सू चनाय उपल ध है –
M1 M1
Installed capacity (units) 10,000 10,000
Fixed overhead be annum (Rs.) 2,40,000 1,00,000
Estimated profit at the above capacity (Rs.) 1,60,000 1,00,00

जो उ पाद इन मशीन पर उ पा दत होता है उसको 100 . त इकाई पर बेचा जाता


है।
आपको गणना करनी है –
(a) M1 तथा M2 के त प के लये सम– व छे द व य क रा श।
(b) व य का वह तर जहाँ दोन त प समान लाभ दान करगे।
(c) उ पाद क वभ न तर पर मांग के अनु प उपयोगी त प।
हल– Contribution of Break – even sales
(Rs)
Installed Capacity (Unit) Model
M1 M2
10,000 10,000
Sales (@ Rs. 100 p.u.) (i) 10,00,000 10,00,000
Fixed overhead 2,40,000 1,00,000
Estimated profit 1,60,000 1,00,000
Contribution (ii) 4,00,000 2,00,000
Variable Cost (i) (ii) 6,00,000 8,00,000
P/V ratio 40% 20%

(442)
(Contribution/Sales x 100) 6,00,000 5,00,000,
Break–even point (units) 6,000 5,000
(Fixed cost/Contribution p.u.)

Level of sales at which both models will earn same profit


Fixed cos t  Desired Pr ofit
Desired Sales 
P / V ratio
Rs.2, 4, 000  Desired Pr ofit ( P)
Modle M 1 
0.40
Rs.1, 00, 000  Desired Pr ofit ( P)
Modle M 2 
0.20
According to the given expression
Rs.2, 40, 000  P 1, 00, 000  P
 
0.40 0.20
0.20 (2, 40,000) =, 0.40 (1, 00,000 + P)
48,000 + 0.20P = 48,000 + 0.0 P
0.40P – 0.20 P = 48,000 – 40,000
0.20p = 8,000
p = 8,000/0.20
= 40,000
Desired profit = Rs. 40,000
Putting the value of P, we get sales value at which both the
Models will earn the same
Profit
Rs.2, 40, 000  Rs.40, 000
Modle M 1 
0.40
= Rs. 2, 0,000/0.40 = Rs. 7, 0,000 or 7,000 units
Rs.1, 00, 000  40, 000
Modle M 2
0.20
= Rs. 1, 40,000/0.20 = Rs. 7, 00, 000 or 7,000 unit
Model suitable for different levels of demand for the Product
From the Indifference analysis in (b) above we can conclude that:
1. Model M2 is suitable for low demand since it has a lower Break–
even point and lower fixed Cost and makes higher profits between
5,000 units and 7,000 units, than Model M1.
2. If the level of demand for the product exceed 7,000 units, Model
M1 is better as it marks greater Profit.
(443)
For clear understanding of the above, the Profitability of two
Models at 6,000 units and 8,000units is given below:
Rs.
Production and Sales (units) 6,000 8,000
Machine Model M1 M2 M1 M2
Total Contribution 2,40,000 1,20,000 3,20,000 1,60,000
Less: Fixed Cost 2,40,000 1,00,000 2,40,000 1,00,000
Profit Nil 20,000 80,000 60,000

From the above analysis we can observe that if the product and
sales level is up to 7,000 units
Model M2 is more profitable due to lower fixed cost. If the
production and sales level is beyone
7,000 units, Model M1 is more profitable due to higher P/V ratio.
उदाहरण –18
एक कंपनी एक उ पाद का उ पादन करती है। वतमान म 80 तशत मता पर
80,00,000 . क ब 25 . त इकाई पर हो रह है। लागत समंक न न
कार है –
1. Material cost Rs. 7.50 per unit,
2. Labour cost Rs. 6.25 per unit.
3. Semi–variable cost (including variable cost of Rs. 3.75 per unit0
Rs. 1,80,000.
4. Fixed cost Rs. 90,000 up to 80% level of output, beyond this
an additional Rs. 20,000 will be incurred.
गणना क िजये :
(i) सम– व छे द ब दु पर याशीलता तर।
(ii) व य पर 8 तशत लाभ कमाने के लये बेची जाने वाल इकाइय क सं या।
(iii) 95,000 . का लाभ कमाने के लये आव यक याशीलता तर।
(iv) य द सम– व छे द ब दु 40 तशत याशीलता तर पर लाना हो तो त इकाई
व य मू य या होगा?
हल– (i) calculation of activity level at break–even point
= Fixed Cost/Contribution p.u. = Rs. 1,50,000/Rs.7.50 =
20,000
Activity level at break–even point
Break–even units/Total capacity (at 100% level) x100

(444)
= 20,000/40,000 units x 100
= 50%
(ii) Calculation of number of units to be sold to earn a net
income of 8% of sales.
Let number of units sold be ‘x’ to a earn profit of 8% of
sales.
(S.P x units = Variable cost + Fixed cost + Net income)
Rs. 25 Xx = Rs. 17.5 Xx + Rs. 1, 50,000 + 8/100 (25x0
25x= 17.5x + 1, 50,000 + 2x
25x – 19.5x = 1, 50,000
5.5x = 1, 50,000
x = 1, 50,000/5.5
x = 27,273 units
No. of units to be sold to earn a net income of 8% of
sales
= 27,273 units.
(iii) Calculation of activity level needed to earn a profit of
Rs.95,000
Let us assume the capacity exceeds 80% level, then,
Desired sales
Fixed cos t  Desired profit Rs.1, 70, 000  Rs.95, 000
 X
Contribution P.U . Rs.7.50
= 35,333 units.
Activity level to achieve to earn a profit of Rs. 95,000.
= 35,333 units/40,000 units X 100 = 88.33%
(iv) Calculation of selling price P.U., if break–even point to be
brought down to 40% activity level.
No. of units at 40% level = 40,000 units x 40/100
= 16,000 units
Let Selling price be ‘x’
S.P. x Units = Variable cost + Fixed cost
X x 16,000 Units = (Rs. 17.50 x 16,000 units) + Rs. 1,
50,000
16,000 X = 2, 80,000 + 1, 50,000

(445)
16,000 X = 4.30.000
X = 4,30,000/16,000
= 26.875
उदाहरण –19
न न ल खत समंक आर. ल. से संबं धत ह:
Sales (8,000 units) 80,000
Less: Total Variable cost 64,000
Contribution 16,000
Less: Total Fixed cost 24,000
Loss –8,000
आपसे गणना करने को कहा गया है –
1. लाभ मा ा अनुपात तथा सम व छे द ब दु ... म।
2. 6,000 . का लाभ कमाने हे तु इकाइयां।
3. सम व छे द ब दु को 2,000 इकाइय से घटाने हे तु व य मू य।
4. कर के बाद 9,000 . का लाभ कमाने हे तु इकाइयां, य द कंपनी कर क दर
55 तशत हो।
5. 1,50,000 . के व य मू य पर सु र ा सीमा।
हल–
SP  AVC
(i) PVR  100
SP
= 10–8/10 x 100
= 20%
BEP (Rs.) = TFC/PVR = 24,000/20%= Rs. 1, 20,000
(ii) Units to earn a Profit of Rs. 6,000
TFC  Desired Pr ofit

SP  AVC
24, 000  6, 000

10  8
= 30,000/2 = 15,000 units
(iii) Present BEP in units = TFC/SP–VC = 24,000/10–8 = 12,000
units.
In order to reduce it by 2000, New BEP will be at 10,000
units. Selling Price to bring BEP down to 10,000 units.

(446)
10,000 = TFC/Spa – AVC or 10,000 = 24,000/(x–8) or
10,000 (x–8) = 24,000
10,000 x– 80,000 = 24,000 or 10,000 x = 1,04,000
X = 1,04,000/10,000 = 10, 4 = Rs. 10.40 (SP)
(iv) No. of units to earn a profit of Rs. 9,000 after tax:
य द कंपनी 1 . का लाभ कमाती है तो उस पर 0.55 पैसे कर दे ना होगा,
अत: 1 – 0.45 कर के बाद का लाभ होगा। दूसरे श द म, य द कर 'के बाद
लाभ 0.45 वां छत हो तो सकल लाभ 1 . होना चा हये।
य द कर के बाद लाभ 1 वां छत हो तो सकल लाभ 1/0.45

य द कर के बाद लाभ 9,000 वां छत हो तो सकल लाभ 1/0.45 x 9,000


= 20,000 . प टतया य द कर के बाद 9,000 . का लाभ कमाना हो
तो 20,000 . का सकल लाभ कमाना होगा। अत: आव यक इकाइयां
TFC  Desired Pr ofit

SP  AVC
24, 000  20, 000

10  8
 22, 000Units
Verification:
Sales (22,000 x 10) 2,20,000
Less TVC 1,76,000
Contribution 44,000
Less: TFC 24,000
Profit before tax 20,000
Less: Tax @ 55% 11,000
Profit after tax 9,000
(v) Margin of Safety (M/S)
M/s = sales – BEP (Sales) = 1, 50,000 – 1, 20,000 =
30,000 (Rs.)
उदाहरण –20
न न सू चनाएँ द गई ह :–
Period Number of Units sold Profit (Rs.)
I 7,000 –5,000(i.e. Loss)
II 9,000 5,000

(447)
ात क िजए –
1. इकाइय म सम व छे द ब दु
2. 10,000 . का लाभ कमाने हे तु इकाइय क सं या
3. 15,000 इकाइय क ब पर लाभ
हल–
(i) BEP= TFC/SP – AVCOR BEP = TFC/Contribution per unit
Contribution per unit = Change total contribution/Change no.
of units
= 10,000/2,000 = Rs. 5
7,000 इकाइय क ब का कु ल अंशदान = 7,000 x 5 = 35,000:–
होगा, हम जानते ह क–
C = P + TFC  35,000 = –5,000 + TFC
TFC = Rs. 40,000
अंत: BEP (in Units) = TFC/Contribution per unit = 40,000/5=
8,000 units
(ii) No. of Units to earn a profit of Rs. 10,000
TFC  Desired profit TFC  Desired profit 40, 000  10, 000
    10, 000 Units
SP  AVC Contribution per unit 5
(iii) Profit on a sales of 15,000 units
Total Contribution = 15,000 x = Rs. 75,000
C = P + TFC 75,000 = P + 40,000 P = Rs. 35,000

16.9 पा रभा षक श द
1. सम– व छे द ब दु : व य का वह तर जहां कु ल आगम कु ल लागत के बराबर होता है।
2. अंशदान :– व य मू य का प रवतनशील लागत पर आ ध य अंशदान कहलाता है।
4. लाभ–मा ा–अनुपात :– अंशदान का व य से तशत लाभ–मा ा–अनुपात कहलाता है।
5. सु र ा सीमा :– वा त वक ब का सम– व छे द ब पर आ ध य सु र ा सीमा कहलाता
है।
6. संयोग का कोण :– ाफ पेपर पर सम– व छे द ब दु के तु रंत प चात कु ल आगम व कु ल
लागत रे खा के बीच बनने वाला कोण संयोग का कोण कहलाता है।
7. लागत उदासीन ब दु :– उ पादन के उस तर से है जहाँ पर या दो से अ धक वक प
( व धय या मशीन ) के योग से येक क कु ल लागत समान होती है।

16.10 वपरख न
1. लाभ मा ा अनुपात या है? इसके या उपयोग ह?

(448)
2. सम व छे द ब दु से या आशय है? इसका या मह व है?
3. सम व छे द व लेषण क या मा यताय ह? प ट करो।
4. सम व छे द व लेषण के संबध
ं म न न ल खत के काय एवं उपयोग समझाइये।
(a) सम व छे द ब दु
(b) लाभ मा ा अनुपात
(c) अंशदान
(d) संयोग का कोण
5. उपयु त का प नक समंक के आधार पर एक सम व छे द च बनाकर उस पर सम
व छे द ब दु, संयोग का कोण तथा सु र ा सीमा द शत करो।।
6. (a) एक कंपनी के थायी खच 90,000 ., व य 3,00,000 . तथा लाभ
60,000 . है तो लाभ मा ा अनुपात ात करो। य द अगल अव ध म कंपनी को
30,000 . क हा न हु ई तो व य रा श ात क िजये।
(b) य द लाभ 60000 . हो तो सु र ा सीमा या होगी?
[Ans. (a) 50%, 1,20,000; (b) 1,20,000
7. एक कंपनी ने दो लगातार अव ध म 7,000 इकाइय तथा 9,000 इकाइय का व य
कया तथा मश: 10,000 . क हा न एवं 10,000 . का लाभ हु आ। त इकाई
मू य 100 . है। आपको ात करना है –
(a) The amount of fixed cost (b) The number of units to break–
even
(c) The number of units to earn a profit of Rs. 40,000
[Ans. Rs. 80,000; 8,000 units 12,000 units]
8. आपको न न ल खत सू चनाय दान क गयी ह –
Fixed cost Rs.30,000
Variable cost (per unit) Rs. 4
Selling price Rs. 10
वां छत:
1. सम व छे द ब दु (अ) इकाइय म (ब) पय म।
2. 6,000 . का लाभ कमाने हे तु कतनी इकाइयां बेचनी होगी?
3. य द कंपनी कर क दर 60 तशत हो तो करोपरा त 12,000 . का लाभ कमाने
हे तु इकाइयां
4. य द बेची गई येक इकाई पर 3 . का लाभ कमाना हो तो बेची जाने वाल इकाइय
क सं या।
5. व य पर 20 तशत का लाभ कमाने हे तु बेची जाने वाल इकाइयां।
6. 15,000 इकाइय क ब पर औसत लाभ।

(449)
7. य द 20,000 इकाइयां बेची जाये तो पू ज
ं ी पर आय य द शु व नयोिजत पू ज
ं ी
20,00,00 . हो।
8. ं ी पर करोपरात 12
य द कंपनी को व नयोिजत पू ज तशत लाभ कमाना हो तो कतनी
इकाइयां बेची जायेगी?
[Ans.(i) 5,000 Units and Rs. 50,000; (ii) 6,000 Units; (iii) 10,000
Units; (iv) 10,000 Units; (v) 7,500 Units; (vi) Rs. per unit; (vii)
45% (vii) 15,000 Units.]
9. आपको न न सू चनाय द गयी ह –
Year Sale (Rs) Profit/Loss (Rs.)
1998 1,00,000 10,000 Loss
1999 4,00,000 50,000 Profit
ात क िजए –
(i) लाभ मा ा अनुपात
(ii) सम व छे द ब दु
(iii) प रवतनशील लागत का ब से तशत
(iv) 80,000 . क ब पर लाभ
(v) 60, 00,000 . क ब पर लाभ
[Ans. (i) 20%; (ii) Rs. 1, 50,000; (iii) 80%’ (iv) Rs. 5, 50,000; (v)
Rs.90, 000]
10. एबीसी ल. ए, बी, सी तथा डी ा ड नाम से चार कार के उ पाद का नमाण कर
बेचती है। व य मू य म ए, बी, सी तथा डी का मश: भाग
1 2 2 1
33 %,41 %,16 % तथा 8 % है। कु ल बजटे ड व य 60,000 . तमाह
3 3 3 3
है। प रचालन लागत इस कार हे :–
Variable Cost:
Product A 60% of selling price
B 68% of selling price
C 80% of selling price
D 40% of selling price
Fixed cost is Rs. 14,700 per month.
स पूणता के आधार पर उ पाद के लए सम व छे द ब दु ात क िजये।
[Ans. Rs. 42,000.]
11. दो क प नयाँ I तथा II दोन एक कृ त होने का न चय करती है। वे न न सूचनाय
दान करते ह –

(450)
Company I Company II
Capacity utilization 90% 60%
Sales (Rs. Lakh) 540 300
Variable cost (Rs. Lakh) 396 225
Fixed cost (Rs. Lakh) 80 50
मा नये ताव लागू हो जाता है। ात क िजए –
(i) एक कृ त लांट का सम व छे द व य तथा इस तर पर मता का उपयोग।
(ii) एक कृ त ला ट के 80 मता पर लाभदा यकता।
एक कृ त ला ट पर 75 लाख . का लाभ कमाने के लए व य क रा श
[Ans. (i) Rs. 501.67 Lakh, 45.61%; (ii) 98; (iii) 791.23 Lakh; (iv)
0.8215%]
12. एक क पनी नयी मशीन य करना चाहती है तो ऐसी मशीन से त था पत होगी जो
बर–बार ेकडाउन हो जाती है। उसे दो त प M1 तथा M2 का ताव ा त हु आ।
इन त प के बारे म न न सू चनाय उपल ध ह
M1 M2
Installed capacity (units) 10,000 10,000
Fixed overhead per annum (Rs.) 2,40,000 1,00,000
Estimated profit at the above capacity (Rs.) 1,60,000 1,00,000
The product manufactured using this type of machine (M1 or M2)
is sold at Rs.100 per unit.
आपको गणना करनी है:
(a) येक त प के लए सम व छे द व य
(b) व य का वह तर जहाँ दोन त प समान लाभ दगे
(c) उ पाद के व भ न तर पर उपयु त त प
[Ans. (a) Rs. 6,00,000; 5,00,000 (b) 7,000 unit (c) demand up to
7,000 unit M1 is suitable otherwise M2]
13. एक सं थान वशेष Z उ पाद का उ पादन करती है। उसे अ भलेख से न न समंक
लये गये:–
Selling price per unit Rs.20
Direct material cost per unit Rs. 5
Direct labour cost per unit Rs. 3
Variable overhead cost per unit Rs. 2
Budgeted level of output and sales 80,000 units
Budgeted recovery rate of fixed overhead cost per unit Rs. 5

(451)
आपको सम व छे द चाट बनाकर उस पर सम व छे द ब दु को दशाना है।

16.11 उपयोगी पु तक
1. Colin Drury.2000, Costing an Introduction, Taxman Publication (P)
Ltd. New Delhi.
2. Ravi M. Kishore, 2002, Advance Management Accounting, Taxman
Publication (P) Ltd.
3. Study Material, 2004, Cost Management, the Institute of Chartered
Accountants of India, Noida.
4. S.P Jain & K.L. Narang, 1988, Cost Accounting, Kalyani
Publishers, New Delhi.
5. ओसवाल, मंगल, बदावत (2003–04), उ च तर य लागत सम याय, रमेश बुक डपो,
जयपुर

(452)
इकाई–17 : नणयन हेतु लागत नधारण (Cost Estimation
for Decision Making)
इकाई क परे खा :
17.1 उ े य
17.2 प रचय
17.3 अथ, प रभाषा
17.4 आव यकता व मह व
17.5 े
17.6 नणयन या
17.7 यावसा यक नणय हे तु लागत व गकरण
17.8 व धयाँ / तकनीक
17.9 व श ट नणय
17.10 उदाहरण
17.11 यावहा रक न को हल करते समय यान रखने यो य मु ख बात
17.12 वपरख न
17.13 यवहा रक न
17.14 उपयोगी पु तक / संदभ थ

17.1 उ े य
नणयन हे तु लागत नधारण इकाई का अ ययन न न उ े य क पू त करता है : (1)
लागत नधारण क आव यकता का ान (2) इसके े व उपयोग का ान (3) नणय
वातावरण तथा नणयन या का ान (4) लागत व लेषण हे तु व भ न लागत व
इनक कृ त का ान (5) नणयन हे तु लागत नधारण क व धय का ान (6) चार
मह वपूण नणय (i) बनाना या य करना (ii) उ पादन ब द करना (iii) उ पाद म ण
व (iv) नयात हे तु वैकि पक ि थ तय म लागत व लेषण कर ासं गक लागत नधारण
या का ान।

17.2 प रचय
पार प रक प से लागत लेखांकन व इसक तकनीक का योग ब धक वारा कया
जाता है। व तु क अनुमा नत कु ल व त इकाई उ पादन लागत का नधारण कर
उ पादन याओं व सेवा दाय सं थाओं म सेवा स ब धी याओं का नर ण व
उनपर नयं ण कया जाता रहा है। पर तु अब वै वीकरण के इस युग म जहां त पधा
अ धक है, यवसाय चलाने म जो खम अ धक है, संसाधन सी मत है: लगातार लाभ
कमाते रहे यवसाय को समृ बनाने का उ तरदा य व ब धक के सामने एक चु नौती है
तब उपल ध कई वक प म से सव तम नणय को चु नने के लए उदे य अनु प “उ चत
लागत नधारण” ब धक के लये एक मु ख उपकरण है। कसी भी यवसाय के मुख

(453)
उदे य “लाभ अ धकतमीकरण” को पाने के लये सव तम वक प “लागत युनतमीकरन
है तथा लागत नधारण से अनुमा नत लागत ात होने से लागत पर नयं ण रख कर
लागत यूनतम व लाभ अ धकतम कया जा सकता है ।

17.3 अथ, प रभाषा


लागत नधारण से अ भ ाय लागत को अनुमा नत करने क व ध से है। इसके तहत
कसी व तु क , ठे के क , सेवा क , प रचालन काय क अथवा या क अनुमा नत
कु ल लागत ात करने का काय कया जाता है।
नणयन हे तु लागत नधारण से अ भ ाय “ नणय वशेष के उ े य के अनु प लागत
का सह तर के से वग करण व व लेषण कर ऐसी ासं गक लागत ान करने से है
िजसके आधार पर ब धक व भ न वक प म से सव तम वक प का चयन कर
सके।''
यवसाय के प रचालन अथवा व तार से स ब धी नणय लेने का सबसे बड़ा आधार
उससे “स ब लागत व लाभ'' पर पड़ने वाला भाव होता है। अत: आव यक है क
कु ल अनुमा नत लागत के तीन मु ख त व साम ी, म व यय का नणय वशेष
के उ े य को यान म रखते हु ये, उ चत कार से वग करण व व लेषण करके लागत
नधारण कया जाए। उ चत. लागत नधारण के बना लाभ का अनुमान लगाया जाना
क ठन है, तब लाभ द वक प का चु नाव करना भी क ठन है।
उ चत ासं गक लागत के नधारण हो जाने तथा भावी लाभ का ान हो जाने से
व भ न वक प म से' यवसाय के लये सबसे लाभ द वक प का चयन करने म
ब धक के लये यह तकनीक बहु त उपयोगी है।

17.4 आव यकता व मह व
वभ न कार क लागत तथा लागत अवधारणाओं से व भ न उ े य क पू त होती
है। आजकल लागत नधारण केवल सह व उ चत लागत ान करने के लये ह नह ं
कया जाता है वरन ् उपल ध व भ न वक प के लये लागत के व भ न घटको से
व भ न लागत संयोग ात कये जाते है िजनके लये लागत नधारण आव यक है।
सं ेप म लागत नधारण क आव यकता एक यवसाय म न न ि थ तय म हो
सकती है :–
1 लागत पर नयं ण हे तु ।
2 उ पाद का मू य नधारण हे तु ।
3 प रचालन नी त नधारण हे तु ।
4 व भ न उपल ध वक प क ासं गक लागत ात करने के लये।
5 वक प चयन के कारण अनुमा नत लागत व लाभ म प रवतन ात करने के
लये।
6 ब धक को उ चत नणय का आधार दान करने के लये।

(454)
नणयन हे तु लागत नधारण करते समय इस बात को यान म रखा जाता है क
एक त लागत समंक तथा ात व भ न लागत संयोग का योग कन उ े य हे तु व
कस कार के नणय लेने म कया जायेगा। ब धक वारा त पधा के इस युग म
यवसाय को सु चा व भावी तर के से संचालन के लये कई कार के नणय लेने
पड़ते है। इन नणय को लागत नधारण आधार दान करता है लागत नधारण के
उपयोग व मह व को न न ब दुओं से समझा जा सकता है:–
1 ब धक य कु शलता का मापन :
लागत नधारण या से नधा रत लागत क तु लना पूव म नधा रत अनुमा नत,
मा पत तथा पूव म लये गये नणय क लागत से तु लना करके ब धक य कु शलता
का मापन कया जा सकता है।
2 लागत पर नयं ण रखना:
लागत नधारण क या के दौरान साम ी आ द भौ तक सु वधाओं, मक क
कु शलता, येक वभाग क द ता आ द के बारे म पता चल जाता है अत: जहां
क मयाँ हो उ ह दूर कर तथा प रचालन कु शलता म वृ कर लागत म कमी लाई जा
सकती है।
3 ब धक को भावी योजनाओं हे तु मागदशन दे ना:
लागत नधारण से समंक को एक त व व ले षत करने का काय उ े य को यान म
रख कर कया जाता है। इससे वक प क सह तर के से पहचान होती है और इनका
सम प मू यांकन कया जा सकता है। जब भी ब धक यवसाय क भावी उ न त के
लये कोई नणय लेना चाह तो लागत नधारण वारा कये गये प रमाणा मक
मू यांकन के मा यम से उस नणय का भ व य म यवसाय पर कैसा भाव पड़ेगा,
यह ात कया जा सकता है। इससे ब धक को भावी योजनाओं व नी तय के
नधारण म मदद मलती है। भावी लागत व लाभ के नधारण से उ चत नणय लया
जा सकता है।

17.5 े
नणय हे तु लागत नधारण से ब धक क नणय लेने क मता बढ़ती है, वे ता कक
नणय ले सकते है। लागत नधारण हो जाने से ब धक यवसाय से जु ड़े अनेक
नणय ले सकते है इस ि टकोण से लागत नधारण का े यापक है इसे न न से
समझा जा सकता है।
1 यवसाय क प रचालन नी तय का नधारण :– प रचालन याओं क भावी लागत का
नधारण पूव लागत के आधार पर ह कया जाता है। कसी भी नणय को लेने के
लये भावी लागत को भा वत करने वाले त व का भाव पूव लागत पर या पड़ेगा,
यह व लेषण करने से वतमान म लग रह लागत व व य मू य से स बि धत अ य
समंक का भी वत: ह व लेषण हो जाता है। व य मू य नधा रत करते समय
वतमान व य मू य म कतनी कमी क जा सकती है, कतनी उ पादन मता

(455)
अ यु त है, इसका उपयोग अ य यावसा यक अवसर के लये कैसे कया जा सकता
है, पूव लागत म अ तर के कारण पर कैसे नयं ण कया जा सकता है, सामा य,
असामा य साम ी व म क हा नय का ान होने पर इन पर नयं ण कया जा
सकता है, लागत नधारण से इनसे स बि धत उ चत समाधानपरक नी तयाँ नधा रत
क जाती है। मक से स बि धत नी तय , ब े से स बि धत नी तय , वभ न
वभाग म यय के अनुभाजन से स बि धत नी तय का नधारण भी लागत नधारण
से कया जा सकता है।
2 मू य नी तय का नधारण : यवसाय के लये यह अ य त आव यक है क वह अपने
उ पाद का उ चत व य मू य नधा रत कर ता क बाजार म उस मू य पर उ पादन
को बेचा जा सके। त पधा के दौर म इस कार क व तु के त पधा उ पाद के
व य मू य का ान, बाजार मांग का ान आ द के आधार पर यवसाय क आय व
लाभ पर भाव का मू यांकन कर सकते है और उ पाद का ऐसा भावी मू य नधा रत
कर सकते है िजस पर बाजार म अ धक मा ा म व तु को बेचा जा सके और भावी
लाभ को अ धकतम कया जा सके।
लागत नधारण से व तु क लागत ात होने से ब धक अपने यवसाय क कृ त
के अनु प व नयोिजत पू ज
ं ी पर वां छत याय को कमाने हे तु आव यक व य मू य
नधा रत कर सकते है। लागत नधारण से यूनतम व य मू य का ान होता है
िजसको यान द रखते हु ये अ यु त मता के उपयोग से होने वाले उ पादन का
व य मू य कम रख कर अ त र त लाभ कमाने के अवसर का लाभ उठा सकते है व
बड़ी मा ा म व छोट –छोट मा ा म बार–बार माल य करने वाले े ताओं के लये
अलग– अलग मू य नधा रत कर सकते है।
3 उ पादन मा ा से स बि धत नी तय का नधारण : उ पादन के वभ न तर पर
नधा रत लागत म अ तर के अ ययन व व लेषण से इसके कारण होने वाले मू य
तर म प रवतन से यवसाय क लाभाजन मता पर पड़ने वाले भाव को मापा जा
सकता है। इसके वपर त य मू य म प रवतन से उ पादन मा ा म वां छत प रवतन
को भी मापा जा सकता है। लागत का अ ययन करने से यह भी ात होता है क
कतनी उ पादन मा ा पर यवसाय हा न म रहे गा, कब यह लाभ द ि थ त म होगा,
कौन सा उ पाद कम अंशदान दे रहा है कौन सा अ धक, इस आधार पर कस उ पाद
को बनाते रहना चा हये या व भ न उ पाद को कस अनुपात म बनाने से सव तम
लाभ क ि थ त होगी। अ य धक मांग व कम मांग वाले उ पाद क उ पादन या
का नधारण कैसे करे , उ पाद म यु त क चे माल क उपल धता सी मत होने पर
अ धकतम भावी तर के से कस उ पाद को बनाने म कर, साथ ह इनसे स बि धत
क ध का ब ध व नयं ण कैसे कर ; वशेष ताव पर अ त र त उ पादन कर
अथवा नह ,ं आ द कार क नी त नधारण म लागत नधारण से उ चत आधार
मलता है।

(456)
4 व य व वपणन स ब धी नी तय का नधारण : कसी व तु का उ पादन कतना
कया जाय, उ पादन बढ़ाया जाय या कम कया जाय यह व तु क बाजार म
स भा वत मांग पर नभर करता है। स भा वत मांग को ात करने के लये बाजार
अनुस धान आव यक है ता क बाजार म उपभो ताओं के झान म प रवतन व नये
ाहक के कारण उ पाद क कतनी मांग होगी यह ात कया जा सके। साथ ह
व य संवधन के लये ाहक को उ पाद क जानकार दे ना, नये े म उ पाद क
पहचान बनाना तथा लगातार उ पाद को ाहक क पस द बनाये रखने के लये
उपयु त व ापन व व ापन मा यम का चु नाव करना पड़ता है ऐसी ि थ तय म
व भ न व य व वपणन नी तय का चु नाव करने के लये तु लना मक लागत व आय
का व लेषण करना आव यक हो जाता है। तु लना मक व लेषण कर वपणन क कस
नी त को जार रखा जाये, कन नी तय को थ गत कया जाये व कन वपणन
नी तय म सु धार क आव यकता है, यह ान सं था के लये लाभ द होता है।
5 मशीन थापना व त थापन नी तय का नधारण : अ त र त उ पादन स ब धी
आव यकताओं क पू त के लये ब धक को कई बार यह नणय लेना पड़ता है क
वतमान मशि त से ह उ पादन कया जाय अथवा नवीन मशीन क थापना क
जाये ; तु र त आदे श क पू त क जानी हो ऐसी अव था म वतमान मशीन क काय
मता को बढ़ाया जाये अथवा नवीन मशीन क थापना क जाए; य द भ व य म
उ पाद क मांग जार रहे या बढ़ने क स भावना हो तो पुरानी मशीन से ह उ पादन
जार रखा जाये या नई मशीन से पुरानी मशीन को त था पत कया जाये। इस
कार क प रि थ तय म उपल ध वक प क लागत के नधारण व व लेषण से
उ चत नणय लया जा सकता है।

17.6 नणयन या
अ य यावसा यक नणय के समान ह उ पादन, प रचालन व व य मू य से
स बि धत नणय को लेने क सम या तभी उ प न होती है जब क नणय वशेष के
उ े य के अनु प कसी एक सव तम वक प का चु नाव कया जाना हो। उ चत नणय
समृ यवसाय का आधार होते है। अत: आव यक है इन नणय को लेने के लये भी
एक मब या को अपनाया जाये यह या न न हो सकती है :–
(i) नणय से स बि धत त य को पहचान कर उनक या या करना।
(ii) उपल ध वक प को पहचानना।
(iii) वग करण व व लेषण करना।
(iv) उ े य अनु प लागत का सं हण करना।
(v) व भ न वक प से स बि धत लागत का नधारण व व लेषण करना।
(vi) येक वक प क ासं गक लागत व आगम ात करना।
(vii) उ े य अनु प सव तम वक प का चु नाव करना।
(viii) नणय को लागू करना व मू यांकन करना।

(457)
17.7 यावसा यक नणय हे तु लागत वग करण
उ चत लागत नधारण के लये आव यक है क यवसाय म होने वाले सम त यय
को व ध अनु प वशेष कार से वग कृ त कया जाये। यवसाय म होने वाले यय
को न न कार क लागत म वग कृ त कया जा सकता है।
 य लागत :– ऐसी लगाते जो कसी व तु उ पादन से सीधे स बि धत है अथात
उ पादन करने पर यह लगेगी तथा नह ं करने पर यह नह ं लगेगी। यथा य
साम ी, य म तथा य यय।
 य लगाते :– ऐसी लागत जो पूरे यवसाय अथवा सम त कार के उ पाद के
उ पादन से स बि धत है, िजसे एक उ पाद क लागत ात करने के लये अनुमा नत
कया जाता है अ य लागत कहलाती है। यथा अ य साम ी, अ य म व
अ य यय।
 प रवतनशील लागत :– ऐसी लागत जो उ पादन क मा ा अथवा मता से सीधे
स बि धत है प रवतनशील लागत कहलाती है। इसे सीमा त लागत भी कहते है। यह
उ पादन बढ़ने पर उसी अनुपात म बढ़ती है तथा घटने पर उसी अनुपात म घटती है।
यह त इकाई लागत (प रवतनशील लागत ÷ इकाइय क सं या) के प म ि थर
होती है। उदाहरणाथ :– 500 पैन (25 तशत मता) बनाने क प रवतनशील लागत
2500 . (अथात 2500÷500 = 5 . त इकाई) है तो 1000 पैन (50 तशत
मता) बनाने क प रवतनशील लागत 5000 . (2500/500 X 1000) व 1500 पैन
(75 तशत मता) पर 7500 . (2500/500 X 1500) होगी। येक ि थ त म
यह 5 . त पैन है। प रवतनशील लागत के त व है : य साम ी, य म,
य यय, तथा प रवतनशील कारखाना, कायालय, व य व वतरण उप र यय।
 ि थर लागत :– यह वह लागत है जो उ पादन मा ा व मता से सीधे स बि धत नह ं
है। अथात लागत िजस पर इकाइय क सं या घटाने या बढ़ाने का कोई भाव नह ं
उ पा दत पड़ता है ि थर लागत (अप रवतनशील लागत) कहलाती है। यह लागत त
इकाई के प म उ पादन बढ़ने पर कम होती है तथा उ पादन घटने पर बढ़ती है।
इसम अप रवतनीय ि थर कारखाना, कायालय तथा व य व वतरण उप र यय को
शा मल कया जाता है। उदाहरणाथ : 1000 इकाइय (50 तशत मता) को
उ पा दत करने पर य द ि थर लागत 5000 . आती है तो 500 इकाइय (25
तशत मता) को उ पा दत करने पर भी ि थर लागत 5000 . आयेगी तथा
2000 इकाइय (100 तशत मता) का उ पादन करने पर भी ि थर लागत 500
. ह होगी।
 अ प रवतनशील लागत :– यह वह लागत है जो उ पादन बढ़ने पर बढ़ती व घटने पर
घटती है पर तु उ पादन म प रवतन के अनुपात म प रव तत नह ं होती है। अथात

(458)
इसका कु छ भाग प रवतनशील व कु छ भाग ि थर होता है यथा संयं का हास,
मर मत व अनुर ण , पयवे ण आ द।
 प रहाय लागत :– यह वह लागत है जो सामा य प रि थ तय म लगती है तथा िजस
पर ब धक आने वाले समय म नयं ण कर सकते है अथात ब धक य नणय से
इसे भ व य म होने से रोका जा सकता है। जैसे साम ी व म क असामा य हा न।
 अप रहाय लागत :– यह वह लागत है जो उ पादन के दौरान सामा यत: लगती है तथा
िजस पर ब धक नयं ण नह ं कर सकते है अथात इसे कसी भी वैकि पक ि थ त
म भ व य म होने से रोका नह ं जा सकता है। जैसे साम ी व म क सामा य हा न,
काय मता लागत, पूरे यवसाय से जु ड़ी लागत आ द।
 भेदा मक लागत :– कसी वशेष तर पर लगने वाल वतमान लागत तथा वैकि पक
ि थ तय म उ पादन के तर को बदलने पर लगने वाल लागत के अ तर को
भेदा मक लागत कहते है। अ य श द म दो उपल ध वक प क लागत म अ तर
(वृ मान या ासमान लागत) को ह भेदा मक लागत कहते है। ाय: जब नणय के
फल व प ि थर लागत म प रवतन होता हो भेदा मक लागत ात क जाती है
 कामब द लागत :– यह ि थर लागत का वह भाग है जो कसी उ पाद का नमाण
ब द करने पर भी अथवा कसी वभाग को ब द करने पर भी लगती रहे गी। यथा
स प त कर व कराया।
 ासं गक लागत :–वैकि पक प रि थय म य दं कसी नणय को लया जाना हो तो
भावी लागत या होगी, यह सामा य (वतमान) यावसा यक दशाओं म प रवतन पर
नभर करता है। ासं गक लागत वतमान तर व नणय के फल व प भावी तर पर
आने वाल लागत म अ तर है। ब धक को उ चत नणय लेने के लये ासं गक
लागत ात होना आव यक है।
 कु ल लागत :– कसी व तु के उ पादन म लगने वाल सभी लागत का योग व तु क
कु ल लागत कहलाती है।

17.8 व धयाँ / तकनीक


सम या से स बि धत येक वक प के लये स बि धत लागत के नधारण के लये
चार तकनीक है :– 1 सीमा त लागत व ध (Marginal Cost Technique) 2.
भेदा मक लागत व ध (Differential Cost Technique) 3. अप ल खत नकद वाह
व ध (Discounted Cash Flow Technique) 4. या मक शोध व धयाँ
(Operations Research Techniques)। यवहार म लागत व लेषण के लये
उपरो त म से थम दो का ह योग कया जाता है।
1 भेदा मक लागत व ध
कसी ब धक य नणय को लये जाने से स बि धत उपल ध वक प क लागत म
अ तर (वृ मान या ासमान) को भेदा मक लागत कहते है। ाय: इस व ध का योग

(459)
उ पादन मता बढ़ाने स ब धी, म को मशीन से त था पत करने, नई मशीन क
थापना, पुरानी मशीन को त था पत करने, कसी वशेष व य ताव को वीकार
करने से स बि धत नणय लेने म कया जाता है। नणय से स बि धत एक वक प
क ि थर व’प रवतनशील लागत क तु लना म दूसरे वक प को चु नने पर इन लागत
म होने वाल वृ या कमी (भेदा मक लागत) तथा इस कारण से शु आय म से वृ
या कमी के आधार पर उ चत नणय लया जा सकता है।
इसको न न उदाहरण से समझा जा सकता है :–
Particulars I Alternative II Alternative Differential Cost
& Incremental
Revenue
Production & Production & Sale 5000 Units
Sale =20000 =25000 Units
Units
Rs. Rs. Rs.
Sale @ 10 Per Unit (a) 2,00,000 2,50,000 50,000
Direct Materials @ Rs.3 P.U. 60000 75000 15000
Direct Wages @ Rs.2 P.U. 40000 50000 10000
Variable Overheads @ Re.1 20000 25000 5000
P.U. 40000 40000 –
Fixed Overheads
Total Cost (b) 160000 190000 30000
Average Cost Per unit 8.00 7.60 6.00
Profit (a–b) 40000 60000 20000

उपरोकतानुसार भेदा मक लागत = 30000 .


वृ मान आगम = 20000 .
भेदा मक लागत क अवधारणा ब धक हे तु नयोजन व नणय लेने म मह वपूण है।
जब अ यु त मता का उपयोग करना हो या उ पादन वृ का नणय लेना हो और
अ त र त व नयोग म भी वृ हो रह हो तो भेदा मक लागत व लेषण से ब धक
अ त र त लागत व अ त र त लाभ का अनुमान कर उ चत नणय ले सकते है। य द
उपरो त उदाहरण म 25000 इकाइय के उ पादन पर ि थर लागत म 10000 .
वृ क स भावना हो तो कु ल लागत 2,00,000 . तथा भेदा मक लागत त इकाई
8.00 (2000000–16000/5000) . हो जायेगी।
2 सीमा त लागत व ध
इस व ध से उ पादन म एक इकाई के प रवतन से लागत म होने वाले प रवतन को
तथा इसके कारण लाभ म प रवतन को ात कया जा सकता है अथात लागत
व लेषण से लागत–मा ा–लाभ म अंतरसंबध
ं ात कया जा सकता है। इससे ब धक
व य मू य म प रवतन कये जाने पर लाभ म होने वाले प रवतन का ान हो जाने

(460)
पर उ चत नणय ले सकते है। इस व ध का योग अ त र त मा ा के व य मू य
नधारण म, म द के समय व य मू य म कमी, नये बाजार या वदे शी बाजार म
वेश हे तु व य मू य नधारण, पूव नधा रत लाभ मा ा अिजत करने हे तु व य
मू य नधारण, उ पादन मता को बढ़ाने, कम व य मू य के वशेष ताव को
वीकार या अ वीकार करने, एक से अ धक उ पाद क ि थ त म ाथ मकता नधारण
आ द के लये कया जाता है और ब धक इस स ब ध म नणय आसानी से ले
सकते है।

लागत को येक मद क उसक कृ त के अनुसार प रवतनशील लागत व ि थर


लागत म शा मल कया जाता है। ि थर लागत उ पादन घटने या बढ़ने पर अप रव तत
रहती है और प रवतनशील लागत उ पादन बढ़ने या घटने के अनुपात म बढ़ती या
घटती है। सीमा त लागत व लेषण म इन दोन कार क लागत म अ तभद कया
जाता है। य साम ी, य मजदूर , य यय तथा प रवतनशील कारखाना,
शासक य व य वतरण उप र यय को प रवतनशील लागत म शा मल कया जाता
है। सीमा त लागत नधारण म नणय लेने का आधार प रवतनशील लागत होता है न
क ि थर लागत। इस कार लागत नधारण से य द एक अ त र त इकाई का व य
मू य उसक कु ल लागत से कम हो पर तु उसक प रवतनशील लागत से अ धक है तो
भी इस व य मू य पर व तु को बेचना सं था के लये लाभ द सा बत होता ह।
उदाहरणाथ य द एक सं था 10000 इकाइयां 5 . तइकाई लागत पर उ पा दत व
6 . त इकाई पर व य कर रह है और उसे 4 . त इकाई पर 2000
इकाइय को बेचने का ताव मले तो सीमा त लागत व लेषण क उपयो गता को
न न कार समझा जा सकता है।
Particulars If offer is Rejected If offer is Accepted Additional
10000 Units 12000 Units 2000 Units
Sale (a) Rs. Rs. Rs.
60000 68000 8000
Material @ 1.50P.U 15000 18000 3000
Wages @ 1.5 P.U 10000 12000 2000
Variable Overheads @0.5 P.U 5000 6000 1000
Marginal Cost: (b) 30000 36000 6000
Contribution (a–b) 30000 32000 2000
Less : Fixed Cost 20000 20000 –
Profit 10000 12000 2000

चू ं क ताव वीकार नह ं करने अथात 10000 ईकाइय के व य पर 10000 .


का लाभ होता है तथा आदे श वीकार कर लेने पर अथात 12000 (वतमान 10000
ईकाइयां + 2000 इकाइयां नये ताव अनुसार ) इकाइय के व य पर अंशदान
2000 . से बढ़कर 12000 . हो जाता है अत: वतमान कुल लागत 5 . त

(461)
इकाई (30000+20000/10000) से कम व य मू य रखने पर भी सं था ताव
वीकार कर के अ त र त लाभ कमा सकती है।
सीमा त लागत व लेषण इस मा यता पर आधा रत है क सम त लागत को ि थर व
प रवतनशील लागत म वभािजत कया जाना स भव है पर तु यवहार सभी लागत
को पूणत: प रवतनशील या पूणत: ि थर लागत म वभािजत कर पाना स भव नह ं हो
पाता है। यह इस व ध क कमी है। दूसरे सीमा त लागत व लेषण म' उ पादन व
व य मा ाएं समान मानी जाती है अथात क ध नह ं रहता, पर तु यवहार म
येक यवसाय म सम त उ पादन बेचा नह ं जा पाता ाय: अि तम क ध यवसाय
म रहता ह है।
3 अप ल खत नकद वाह (Discounted Cash Flow)
पू ज
ं ी व नयोग या थाई उ पादक स प तय म व नयोग से स बि धत सम या येक
यवसाय म आती है तब ब धक को नणय लेना होता है क उपल ध वक प म से
सवा धक लाभ द वक प के चु नाव हे तु अप ल खत नकद वाह व ध का योग
ब धक वारा कया जाता है। इस व ध म कु ल व नयोग क तु लना इस व नयोग
से आने वाले वष ा त होने वाले नकद अ तवाह के कुल वतमान मू य से करते है
य द नकद अ तवाह का वतमान मू य व नयोग रा श से अ धक है तो ऐसे व नयोग
का कया जाना लाभ द होता है। भ व य म ा त होने वाले अ तवाह को च लत
याज अथवा ब ा दर के आधार पर वतमान मू य म प रव तत कया जाता है।
उदाहरणाथ य द आज 100000 . का व नयोग करने पर 1 वष बाद य द 105000
क ाि त होने क स भावना हो व याज दर 10% हो तो 1 वष प चात मलने वाले
105000 . का वतमान मू य . 95,454 (105000 X1/1+10%) ह होगा अत:
व नयोग नह ं कये जाने का नणय लया जाना चा हये। य द एक से अ धक वक प
हो तो शु वतमान मू य (वतमान मू य– व नयोग रा श) िजसम अ धक हो उस
वक प का चु नाव कया जायेगा।
4 या मक शोध व धयाँ
रे खीय काय म, प रवहन व ध, आन द व ध, खेल स ा त, क ध त प, काय म
मू यांकन व त व लेषण, नणयन स ा त आ द या मक शोध व धय से भी
लागत व लेषण कर सव तम वक प का चु नाव कया जा सकता है।

17.9 व श ट नणय
त पधा के इस दौर म लाभाजन कर न सफ यवसाय को जी वत रखना वरन शु
स पदा अ धकतम कर यवसाय को उ तरो तर ग त के पथ पर चलाने का
उ तरदा य व यवसाय ब धक का है जो उपल ध वैकि पक प रि थ तय म
उ े यानु प सव तम नणय लेकर अपने उ तरदा य व का नवाह करते है। कसी भी
उ पादन व नमाण म संल न यवसाय या क पनी के ब धक को भी यावहा रकता
म उ पादन व व य से जु ड़े कई कार के अ पकाल न नणय लेने पड़ते है यथा कसी

(462)
उ पाद का नमाण कर अथवा बाजार से खर दे , उ पादन कम कर या बढ़ाये, व य
मू य कम कर या बढ़ाये, य द एक से व तु ओं का उ पादन कया जा रहा है तो
उपल ध सी मत संसाधन का अनुकू लता उपयोग करने के उ े य म उ पाद म ण या
रखे; कम लाभ द उ पाद का नमाण जार रखे या ब द कर दे ; वतमान
ब मू य से कम ब मू य के ताव को वीकार कर अथवा नह ं ; नया उ पाद
बनाय अथवा नह ं याब उ पादन क ि थ त म अगल या को जार रखे या
अभी बेच दे ; यवसाय जार रखे या ब द कर दे आ द।
ऐसे अ पका लक यावसा यक नणय को लेने के लये उ े यानु प ासं गक लागत व
त स बि ध लाभ को ात करना आव यक है। इकाई के इस भाग म हम ऐसे ह कु छ
यावसा यक नणय से स बि धत लागत व लाभ क गणना तथा इनके आधार पर
नणयन या को जानगे।
बनाना या य करना (Make or Buy)
उ पादन या म संल न अ धकतर यवसाय , क प नय म ब धक को नर तर
यह नणय लेना पड़ता है क उ पाद के कसी भाग को वयं बनाये अथवा बाजार से
कसी अ य पू तकता से य कर ले। ऐसी सम या उन उ पादक सं थान म बार–बार
आती है जहां एक उ पाद कई संघटक को जोड़ने से तैयार होता है या जहां था पत
मता का स पूण योग नह ं हो रहा है। उदाहरणाथ एक कारखाने म मोटर साईकल
न मत होती है तो मोटर साईकल के घटक टायर, सीट, इंजन, बॉडी अ य म से
कसी घटक यथा टायर का उ पादन अपने कारखाने म ह कर (िजसके लये कारखाने
क कु छ मता का योग होगा) अथवा अ य कसी टायर नमाता क पनी से सीधे
य कर ले।
यहां नणय लेते समय नणय के वातावरण को यान म रखना मह वपूण होगा। य द
(अ) वतमान म टायर का नमाण क पनी वारा ह कया जा रहा है। तो य मू य
तथा टायर को बनाने म लगने वाल प रवतनशील लागत क तु लना कर जो कम हो के
आधार पर उ चत नणय लया जा सकता है ; या (ब) वतमान म टायर को य कया
जा रहा है तो टायर के नमाण के लये कारखाने क कु छ मता का योग कया
जायेगा। तब (i) अ यु त मता उपल ध है तो नणय टायर नमाण क प रवतनशील
लागत व य मू य जो कम है, के आधार पर लया जा सकता है। (ii) अ यु त
मता नह ं है तो नणय लेते समय नमाण क कु ल लागत (साम ी ास, म
व नयोजन पर याज स हत सभी अ त र त लागत का योग) क तु लना य मू य से
कर जो कम हो के आधार पर नणय लगे, तथा (iii) य द टायर बनाने के लये
वतमान म कसी अ य घटक के उ पादन को थ गत कया जा रहा है तो उस अ य
घटक पर मल रहे अंशदान को यागना होगा ; तब टायर को बनाने हे तु प रवतनशील
लागत व यागे गये अंशदान के योग क तु लना य लागत से कर जो कम हो के
आधार उ चत नणय लया जा सकता है। यवहार म अ धकतर बड़ी क प नयां उ पाद

(463)
म लगने वाले संघटक का नमाण अपने कारखाने म नह ं कर कु छ मु य घटक वयं
न मत करती है व कु छ अ य नमाताओं से य करने के बाद सभी घटको का
संयोजन कर उ पाद को बेचती है अत: ब धक को इस कार के नणय बार बार लेने
पड़ते है।
उ पादन ब द करना (Production Shut Down)
य द कसी उ पाद के नमाण व व य से हा न हो अथवा अ य उ पाद क तु लना म
लाभ कम हो रहा हो यह सम या उ प न होती है उस उ पाद का उ पादन जार रखे
या उ पादन ब द कर द। यहां यह जानना मह वपूण होगा क उ पादन को ब द कर
दे ने पर कामब द लागत जो उ पादन ब द होने पर भी लगती रहे गी कतनी होगी।
य द कामब द क लागत से हा न कम है तो उ पादन जार रखना अ यथा ब द करना
लाभ द होगा। अथात उ पादन ब द कर दे ने के फल व प ि थर लागत म कतनी
लागत को बचाया जा सकता है (प रहाय लागत) तथा शेष लगाते जो उ पादन ब द
कर दे ने के बावजू द लगती रहे गी िज ह रोका नह ं जा सकेगा (अप रहाय लागत) का
व लेषण करना होगा। यहां नणय लेते समय ब धक को. साथ ह उ पाद को बाजार
म पुन : था पत करने, नये कमचा रय के श ण आ द बात को भी यान म रखना
चा हये। य द सभी ि थर लागत अप रहाय ह तो उ पादन करना तब तक जार रखना
चा हये जब तक क व य मू य प रवतनशील लागत से अ धक हो। कस व य
ब दु पर उ पादन ब द कर दया जाये इसक गणना न न सू से भी क जा सकती
है।
ि थत लागत − काम ब द लागत
काम ब द व य ब दु (रा श म )
लाभ मा ा अनुपात
य द कसी व तु का वतमान म उ पादन कया जा रहा है और इसके व य से कु ल
हा न 10000 . हो रह है और इसके उ पादन क लागत म कुछ लागत जो उ पादन
ब द करने के उपरा त भी होती रहे गी, 15000 . है तो उ पादन ब द करने पर
सं था को अ त र त हा न 5000 . (15000–10000) होगी ऐसी ि थ त म उ पादन
व व य जार रखना ह लाभ द वक प होगा। अब य द उ पादन ब द करने पर जार
रहने वाल लागत 15000 . म से 7000 . को बचाया जा सके अथात इ ह
घटाकर 8000 . पर लाया जा सकता हो उ पादन ब द करने से हा न 8000 . ह
होगी जब क उ पादन करने पर हा न 10000 . है अत: इस ि थ त म उ पादन ब द
करने का वक प लाभ द सा बत होगा।
उ पाद म ण (Product Mix)
उपल ध संसाधन का सव तम उपयोग कर लाभ अ धकतम करना येक ब धक का
ाथ मक ल य होता है। य द व भ न उ पाद क कतनी– कतनी मा ा उ पा दत क
जाये क लाभ अ धकतम हो यह नणय लेना हो तो नणय लेने के लये व भ न
उ पाद व उ पाद म ण पर अंशदान, मा ा व लाभ का अ ययन कया जाता है तथा
जो उ पाद म ण सबसे अ धक लाभ दे उस उ पाद म ण का चु नाव कया जा सकता

(464)
है। य द एक नमाणी सं था तीन उ पाद का उ पादन व व य कर रह है तो उपल ध
संसाधन का योग सव थम कस उ पाद हे तु कया जाये क सं था अ धक लाभ कमा
सके इसको न न उदाहरण से समझा जा सकता है।
Particular Product Product Product
X X Z
Rs. Rs. Rs.
Selling Price (s) 100 75 150
(–)Marginal Cost (V) 60 60 100
Contribution (C) =S–V 40 15 50
Contribution Ratio =C/S x 100 40% 20% 33.33%
अंशदान अनुपात के आधार पर उपरो त ि थ त म सबसे पहले X उ पाद त प चात Z
उ पाद व अ त म Y उ पाद को बनाने म मता का योग करना ह लाभ द सा बत
होगा।
नयात करना
यवहार म सम त उ पादक सं थाएं अपनी 100% काय मता पर काय नह ं कर
पाती है इसका मु य कारण स पूण मता का योग करने पर होने वाले उ पादन के
लये घरे लू मांग का तदनु प नह ं होना होता है। सं था ाय: थानीय बाजार म उ पाद
क मांग के अनु प ह उ पादन करती है ऐसी ि थ त अ यु त मता के उपयोग से
होने वाले उ पादन के लये ब धक को वदे शी बाजार म व य के अवसर को तलाश
करना चा हये। वदे श म व तु को बेचने के लये घरे लू बाजार क तु लना म कम व य
मू य नधा रत करके भी लाभ बढ़ाया जा सकता है य क ि थर लागत क वसू ल
घरे लू बाजार से हो रह है अत: प रवतनशील लागत से ऊपर कसी भी मू य पर
वदे शी अथवा नये बाजार म उ पाद को बेचा जा सकता है। आज के त पधा के युग
म इस कार के उ चत नणय लेकर सं था के लाभ म वृ कर ल बे समय तक
यवसाय को जी वत रख सकते है।

17.10 उदाहरण
उदाहरण 1 :– (उ पादन अथवा य)
ीजी ल मटे ड कार के एक संघटक का उ पादन करती है। इस संघटक वष म
100000 इकाइय बनाई जाती है। इस संघटक के उ पादन लागत स ब धी समंक
न न है :–
Per Unit (Rs.)
Materials 135
Wages (25% Fixed) 180
Variable Overheads 90

(465)
Fixed Overheads 100
Total 505
(अ) एक पू तकता का इस संघटक को 405 . त इकाई पर पू त करने का ताव
ब धक के पास है या इसे वीकार कर लेना चा हये?
(ब) य द संघटक को बाजार से य कया जाता है ि थर उप र यय को अ य उ पाद के
उ पादन म लगा कर 80 . त इकाई तक बचाया जा सकता है तो आपका नणय
या होगा?
हल :
(अ) पू तकता से य करने के वक प का मू यांकन।
Particulars य करने पर लागत म बचत य करने पर लागत
(Saving in Cost if Purchased) (Cost if Purchased)
Materials 135 –
Wages (180 x 75%) 135 –
Variable Overheads 90 –
Purchase Price 405
360 405
यद य करने पर ि थर लागत को बचाया नह ं जा सकता अथात संघटक को बाजार
से य करने क ि थ त म भी क पनी को ये लागत वहन करनी पड़ेगी तो क पनी
को इस संघटक का उ पादन जार रखना चा हये। इससे क पनी को 45 . (405–
360) त इकाई बचत होगी य क य करने पर लागत 45 . अ धक है। क पनी
को कु ल (100000 X 45) = 4500000 . क बचत होगी। ( य करने पर लागत
बचत से अ धक है)
(ब) यद य करने पर ि थर लागत 80 . त इकाई से बचत स भव है तब य के
वक प का मू यांकन
Particulars Saving in Cost if Purchased Cost if Purchased
(Rs. Per Unit) (Rs. Per Unit)
Materials 135 –
Wages (180 x 75%) 136 –
Variable Fixed Cost 90 –
Avoidable Fixed Cost 80 –
Purchase Price – 405
440 405

उपरो त ववरण से प ट है क य करने पर लागत 405 . तथा लागत म बचत


440 . है। (बचत अ धक है) चू ं क य करने पर शु बचत 35 . (440–405)
त इकाई है अत: क पनी को इस ि थ त म संघटक को पू तकता से य करना
चा हये इससे कु ल बचत 100000 X 35) = 3500000 . क होगी।
उदाहरण 2 :– (उ पादन ब द करना या जार रखना)

(466)
एक क पनी तीन उ पाद का नमाण व व य करती है िजससे स बि धत समंक
न न कार है:–
Particulars Product (Rs. Per Unit)
A B C
Materials 10 15 18
Wages 5 6 7
Variable Overheads 2 3 3
Fixed Overheads 4 6 7

Total Cost 25 50 45
Profit 4 20 10
Selling Price 25 50 45
Production (Units) 1000 500 1200
चू ं क उ पाद A पर त इकाई लाभ सबसे कम हो रहा है अत: ब धक इस उ पाद
का उ पादन ब द करना चाहते है बताइये क या उ पाद A को उ पादन ब द कर
दे ना चा हये? य द उ पाद A का उ पादन कर दे ने से अ य दोन उ पाद का उ पादन
30% से बढ़ाया जा सकता हो तो या उ पाद A का उ पादन ब द कर दया जाना
चा हये?
हल : चू ं क क पनी तीन उ पाद का उ पादन कर रह है अत: वतमान म क पनी के कु ल
ि थर यय न नानुसार ह गे जो सामा य ि थ तय म उ पादन ब द कर दे ने के
उपरा त भी क पनी को वहन करने पड़गे
Rs.
Product A 1000 Units x Rs. 4 = 4000
Product B 500 Units x Rs. 6 = 3000
Product C 12000 Units xRs. 7 = 8400
Total Fixed Overheads = 15,400
तीन उ पाद पर अंशदान क गणना
Particulars A B C
Rs. Per Unit Rs. Per Unit Rs. Per Unit
Selling Price 25 50 45
Materials 10 15 18
Wages 5 6 7
Variable Overheads 2 3 3
Marginal Cost 17 24 28
(467)
Contribution 8 26 17
तीन उ पाद का उ पादन कया जाय तो कु ल लाभ :
Contribution on Rs.
Product A 1000 Units x Rs. 8 = 8000
Product B 500 Units x Rs. 26 = 13000
Product C 1200 Units x Rs. 17 = 20,400
Total Contribution = 41,400
Less: Total Fixed Overheads = 15,400
Profit = 26,000
य द उ पाद A का उ पादन ब द कर दया जाये तो कु ल लाभ
Contribution on Rs.
Product B 500 Units x Rs. = 13000
Product c 1200 Units x Rs. = 20,400
Total Contribution = 33,400
Less: Total Fixed Overheads = 15,400
Profit = 18,000
उपरो त व लेषण से प ट है क य द वतमान ि थ त म उ पाद A का उ पादन ब द
कर दया जाय तो लाभ म A पर अंशदान बराबर अथात 8000 . (26000–18000)
कमी आयेगी अत: उ पाद A का उ पादन बंद नह ं करना चा हये।
अब य द उ पाद A के उ पादन को ब द करने से अ य उ पाद B व C के उ पादन
को 30% से बढ़ाया जा सकता है तो B का उ पादन 750 इकाइयां व C का उ पादन
1560 इकाइयां हो जायेगा। A के उ पादन को ब द कर मता का योग उ पाद B व
C म लगने पर कुल लाभ:–
Contribution on Rs.
Product B 750 Units x Rs. 26 = 19,500
Product C 1560 Units x Rs. 17 = 26,520
Total Contribution = 46,020
Less: Total Fixed Overheads = 15,400
Profit = 30,600
उपरो त से प ट है क A क मता का योग B व C के उ पादन म करने पर
लाभ 30620 . है जो वतमान लाभ 26000 . से 4620 . (30620–26000)
. अ धक है अत: उ पाद A का उ पादन ब द करके B व C उ पाद का 30%
अ धक उ पादन कया जाना चा हए।

(468)
उदाहरण 3 :– (उ पाद म ण)
एक क पनी के लागत लेखा पाल वारा क पनी वारा उ पा दत दो उ पाद के
स ब ध म न न समंक तु त कये।
Product ‘A’ Product ‘B’
Direct Materials (Per Unit) Rs. 10.00 Rs. 8.00
Direct Wages (Per Unit) Rs 3.00 Rs.2.00
Variable Overheads 100% of Direct Wages 100% of Direct Wages
Selling Price (Per Unit) Rs. 22.00 Rs. 15.00

(अ) ब धक बाजार मांग व उ पादन मता को यान म रखते हु ये न न वैकि पक


उ पाद म ण म से कसी एक के अनु प उ पादन कर सकता है:–
(i) A क 1000 इकाइयां व B क 500 इकाइयां
(ii) A क 800 इकाइयां व B क 800 इकाइयां
(iii) A क 600 इकाइयां व B क 1500 इकाइयां
सु झाव द िजये।
(ब) ब धक कु ल 3000 . का लाभ कमाना चाहता है और A व B कुल 1800 इकाइय
का उ पादन स भव है तो A व B उ पाद का कतना उ पादन कया जाना चा हये?
हल : उ पाद म ण के नधारण के लये सीमा त लागत व अंशदान का नधारण करना
होगा।
Maginal Cost Statement
Product (Rs. Per Unit)
A B
Selling Price (S) 22.00 15.00
Direct Materials 10.00 8.00
Direct Wages 3.00 2.00
Variable Overheads 3.00 2.00
Marginal 16.00 12.00
Contribution C = S–V 6.00 3.00
P.V Ratio = C/S x 100 27.27% 20%
य द व तु ओं क मांग असी मत हो तो यथा स भव मता का योग A व तु को
उ पा दत करने म कया जाना चा हये य क अंशदान अनुपात A व तु का अ धक है।
(अ) मांग व उ पादन मता को यान म रखते हु ये ब धक वारा तीन वैकि पक उ पाद
म ण नधा रत कये गये है तब
(i) A क 1000 इकाइय व B क 500 इकाइय के उ पादन पर लाभ:
Contribution on Rs.
Product A 1000 Units x Rs. 6 = 6,000

(469)
Product B 500 Units x Rs. 3 = 1500
Total Contribution = 7,500
Less: Total Fixed Overheads = 6,000
Profit = 1,500
(ii) A क 800 इकाइय व B क 800 इकाइय के उ पादन पर लाभ:
Contribution on Rs.
Product A 800 Units x Rs. 6 = 4,800
Product B 800 Units x Rs. 3 = 2400
Total Contribution = 7,200
Less: Total Fixed Overheads = 6,000
Profit = 1,200
(iii) A क 600 इकाइय व B क 1200 इकाइय के उ पादन पर लाभ:
Contribution on Rs.
Product A 600 Units x Rs. 6 = 3,600
Product B 1500 Units x Rs. 3 = 4,500
Total Contribution = 8,100
Less: Total Fixed Overheads = 6,000
Profit = 2,100
उपरो त से प ट है क तीसरा वक प A क 600 इकाइय व B क 1200
इकाइय का म ण अपनाना चा हये य क इससे कु ल लाभ 2100 . होगा जो अ य
वक प के लाभ से अ धक है।
(ब) माना क A उ पाद क इकाइय = A
व B उ पाद क इकाइय = B
तो नानुसार
(i) कु ल लाभ (कु ल अंशदान − कु ल ि थर उप र यय) 3000 . कमाने हे तु
A पर अंशदान + B पर अंशदान − ि थर यय = कुल लाभ
6A+3B–6000=3000
6A+3B=9000……(i)
(ii) दोन उ पाद क कु ल 1800 इकाइयाँ ह उ पा दत क जा सकती हो तो
A+B = 1800……(ii)
दोन समीकरण को हल करने पर (समीकरण सं या (ii) को 3 से गुणा के
उपरा त)
6A+3B = 9000…………..(i)

(470)
3A+3B = 5400…………..(ii)
समीकरण (i) म से समीकरण (ii) को घटाने पर
3A = 3600
A = 1200
A= 1200 समीकरण (i) म रखने पर
6 x 1200+3B = 9000
7200 + 3B = 9000
3B = 1800
B = 600
अथात A क 1200 इकाइयां व B क 600 इकाइय के उ पादन पर ब धक कु ल
3000 . लाभ कमा सकते है।
उदाहरण 4 :– ( नयात करना)
हमेशा क पनी ने 2008 म 20000 इकाइयां 8 . त इकाई पर उ पा दत क और
घरे लू बाजार म 8.50 त इकाई पर बेची। 2009 म म द के कारण ब धक
अनुमान लगा रहे है क घरे लू बाजार म 20000 इकाइयां व य मू य 7.70 .
तइकाई करने पर बेच पायगे। 20000 इकाइय क लागत का व लेषण न न कार
है :–
. ( त इकाई).
साम ी 3.00
मजदूर 2.20
प रवतनशील उप र यय 1.20
कु ल ि थर यय 16000 . ह गे।
व य बढ़ाने के लये नयात क स भावनाओं को तलाशने पर पता चला है 40000
इकाइय का एक नयात ताव 7.50 त इकाई व य मू य पर मल रहा है।
पया त अ यु त मता उपल ध है पर तु येक अ त र त 20000 इकाइय के
उ पादन पर ि थर यय 10 तशत से बढ़ जायगे। सुझाव द िजये क या नयात
ताव को वीकार कर लया जाये?
हल : वष 2009 म य द नयात ताव को वीकार नह ं करे तो क पनी 20000 इकाइय
व 7.70 . त इकाई पर व य करे गी और य द नयात ताव वीकार कर लया
जाये तो क पनी को कु ल 60000 इकाइयां बनानी होगी ; (20000 इकाइय 7.70 .
त इकाई घरे लू मांग हे तु तथा 40000 इकाइयां 7.50 त इकाई नयात पू त हे त)ु
इन वक प को न न कार व ले षत कया जा सकता है :–
Particulars (i) If offer is not (ii) if offer Incremental cost
Accepted Is accepted And revenue for

(471)
20000 Units 60000 Units On 40000 Units
Sale (S) 1,54,000 4,54,000 3,00,000
Material 60,000 1,80,000 1,20,000
Wages 44,000 1,32,000 88,000
Variable overheads 24,000 72,000 48,000
Fixed Expenses 16,000 19,200 3,200
Total Cost (TC) 1,44,000 4,03,200 2,59,200
Profit = S– TC 10,000 50,800 40,800
गणना:
60000 इकाइय पर व य मू य:
20000 Units x Rs. 7.70 = 154000
40000 Units x Rs. 7.50 = 300000
Sales = 454000
60000 इकाइय पर ि थर यय (ये उ पादन के बढ़ने पर आनुपा तक बढ़ते है)
On 20000 units (given) = 16,000
Increase for Additional 40000 Units

(16000 x 10% + 16000 x 10%) = 3,200


Total Fixed Exp. = 19,200
उपरो त ववरण प से ा त प ट है क नयात ताव वीकार करने पर लाभ
40800 . बढ़ जायेगा व कुल लाभ 50800 . हो जायेगा। अतः ताव वीकार
कर लेना चा हये।

17.11 यावहा रक न को हल करते समय यान रखने यो य


मु ख बाते:
 य साम ी, य म, य यय को प रवतनशील लागत म शा मल करना
चा हये।
 न म य द कारखाना उप र यय को ि थर व प रवतनशील प म वभ त नह ं कया
गया हो तो, चू ं क ाय: इनको म आधा रत माना जाता है अत: प रवतनशील मानना
चा हये।
 न म. दये कायालय उप र यय को ि थर मानना चा हये य क कायालय यय
उ पादन से सीधे स बि धत नह ं होते है।
 न म य द व य व वतरण यय क कृ त भी नह ं द है तो इ ह प रवतनशील
मानना चा हये य क यह बेची गई मा ा से सीधे स बि धत माने जाते है।

(472)
 अ प रवतनशील यय को न म द गई सू चनाओं के आधार पर प रवतनशील व
ि थर भाग म बांट कर प रवतनशील भाग को प रवतनशील लागत व ि थर भाग को
कु ल ि थर लागत म शा मल करना चा हये।
 यद न म ि थर लागत त इकाई प म द गई है तो पहले न म दये गये
तर पर उ पा दत इकाइय से गुणा कर कु ल ि थर लागत ात कर उसे उ पादन के
अ य तर के लये ि थर मानना चा हये।
 कसी नणय वशेष के लये जाने पर कतनी इकाइयां बनेगी तथा वह नणय नह ं
लया जाता तो कतनी इकाइयां बना रहे है ; को यान म रख कर वक प का
नधारण कया जाना चा हये।
 प रवतनशील लागत व ि थर लागत के सभी त व को इनक कृ त के आधार पर
येक वक प के लये ात कर उपयु त व ध से ासं गक लागत / कु ल लागत /
लाभ का नधारण करना चा हये।
 िजस वक प क ासं गक लागत या कु ल लागत सबसे कम हो अथवा लाभ सवा धक
हो उस वक प का चयन करना चा हये।

17.12 वपरख न
1 लागत आधा रत नणय के लये नणय या समझाइये।
2 नणयन हे तु लागत नधारण से या अ भ ाय है? इसक एक यवसाय म या
आव यकता है?
3 प रवतनशील लागत व ि थर लागत म अ तर बतलाइये।
4 भेदा मक लागत व ध व सीमा त लागत व ध को उ चत उदाहरण से समझाइये।
5 ''लागत नधारण यावसा यक नी तय के नधारण का आधार है।'' कथन को समझाते
हु ये लागत नधारण के े को बताइये।
6 ''उ चत लागत के ान से ब धक उ पाद के व य मू य को कम करके भी अ धक
लाभ कमा सकते है।'' कथन को उ चत उदाहरण से समझाइये।
7 यावसा यक नणय हे तु लागत नधारण को समझाइये। यवसाय म इसके मह व को
बतलाते हु ये इसके े क ववेचना क िजये।

17.13 यावहा रक न
1 स यम ल मटे ड क पुटस का नमाण करती है। क पुटस म लगने वाल यूब क
1000 इकाइयां तमाह न मत करने क लागत का ववरण न न कार है:–
Particulars Rs.
Direct Materials 7,00,000
Direct Wages 5,00,000
Direct Expenses 8,00,000
Variable Expenses 10,00,000

(473)
Fixed Expenses 10,00,000
Total Cost 40,00,000
व ा क पनी इस यूब को 3200 . त यूब के हसाब से बाजार म बेच रह है।
ऐसी ि थ त म ब धक इस बात पर वचार कर रह है क यूब का उ पादन करते
रहना चा हये या इसे व ा क पनी से य करना चा हये। आप से अपे ा है क इस
स दभ म ब धक को अपने सु झाव द। यह भी बतलाइये क य द ब धक इस यूब
को य करना ह चाह तो कस ि थ त म यह नणय लाभ द हो सकता है।
(उ तर: उ पादन जार रखने पर बचत 200 . त यूब; ि थर यय म कम से
कम 20, 00,000 . क बचत होने पर।)
2 संक प क पनी वतमान म एक उ पाद बीटा क 40,000 इकाइयां तवष (50%
मता पर) उ पा दत कर थानीय बाजार म 75 . त इकाई क दर से व य कर
रह है। उ पाद को बनाने म साम ी और म लागत 40 . त इकाई प रवतनशील
उप र यय 10 . त इकाई तथा ि थर उप र यय 10 लाख . वा षक लागत आती
है। क पनी भ व य म अ धक लाभ कमाने के लये न न तीन ताव पर वचार कर
रह है :
(अ) थानीय बाजार म व य मू य 8 . त इकाई से कम कर दे फल व प बीटा क
30,000 अ त र त इकाइय का व य स भव है।
(ब) रलाई े श के 30000 इकाइय क पू त 55 . त इकाई पर करने के ताव को
वीकार कर ले। थानीय बाजार म वतमान व य मू य पर बीटा का व य जार
रखा जा सकता है।
(स) बीटा क 3000 अ त र त इकाइय को 60 . त इकाई व य मू य पर नयात का
ताव वीकार कर ले, फल व प वदे शी एजट को पांच . त इकाई अ त र त
व य कमीशन दे ना पड़ेगा।
ब धक को सु झाव द िजये क वे कौन सा ताव वीकार कर।
(उ तर: ताव अ, लाभ म वृ 190000 .)
3 इ फोस ल मटे ड तीन उ पाद T, K, व B का उ पादन व व य कर रह है। वतमान
म व य म ण व त स बि ध अ य सू चनाएं न न है:–
कु ल व य 6,00,000 .
कु ल ि थर यय 1,80,000 .
व य म ण अनुपात T(35%), K (35%) व B (30%) ; व य मू य त इकाई
: (Rs. 30), K (Rs.40) व B (Rs. 20); प रवतनशील लागत त इकाई: T
(Rs. 15), K (Rs. 20) व B (Rs. 12) क पनी के ब धक के पास एक
वैकि पक उ पाद R को उ पादन का ताव है पर तु तब उ पाद B का उ पादन ब द
करना पड़ेगा। उ पाद R का उ पादन करने पर कु ल व य 6, 40,000 . हो जायेगा

(474)
पर तु व य म ण T(50%)] K (25%) & R (25%) हो जायेगा। R उ पाद का
त इकाई व य मू य 30 . व प रवतनशील लागत 15 . होगी। अ य लागत व
व य मू य पूवानुसार रहगे। कारण स हत बताइये क या उ पाद B का उ पादन
ब द कर उ पाद R का उ पादन करना चा हये?
(उ तर: हाँ, लाभ म वृ 38,000 .)

17.14 उपयोगी पु तक / संदभ ंथ


1 जैन, नारं ग, “लागत लेखाकंन'', (क याणी पि लशस, नई द ल )
2 ओसवाल, माहे वर , मोद , गु ता, “लागत लेखांकन एवं लागत नयं ण'', (रमेश बुक
डपो, जयपुर )
3 खान एम.वाई, जैन पी.के., “मैनेजमट अकाउि टं ग”, (टाटा मैक ा हल पि ल शंग
क पनी, नई द ल )
4 लाल जवाहर, “अकाउि टं ग फॉर मैनेजमट”, ( हमालया पि ल शंग हाऊस, मु बई)
5 स सेना वी.के., व श ठ सी.डी., “को ट अकाउि टं ग” (सु तान च द ए ड स स, नई
द ल)
6 माहे वर एस.एन., “एडवा स को ट अकाउि टं ग” (सु लान च द ए ड स स, नई द ल )
7 कशोर र व. एम., “एडवा स को ट अकाउि टं ग ए ड को ट क ोल स टम”
(टे समान पि लकेश स, नई द ल )
8 साद एन.के., “को ट अकाउं टंग फोर ला नंग ए ड क ोल” ( टं स हॉल ऑफ
इि डया, नई द ल )

(475)
(476)

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