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12th HINDI 6.1
12th HINDI 6.1
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ष म सं रण
त ात् योगी भवाजुन
वसुदेवसुतं(न्) दे वं(ङ् ), कंसचाणूरमदनम्।
दे वकीपरमान ं (ङ् ), कृ ं(व्ँ) व े जगद् गु म् ॥
ॐ ीपरमा ने नम:
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त
'अन( ) ये+नैव' म 'ये' का उ ार प कर ('अन े' नह )ं
त
ात् योगी भवाजुन
अनपे ः (श्) शुिचद , उदासीनो गत थः
सवार प र ागी, यो म ः (स्) स मे ि यः 16
'शु चर'् पढ़ (' चर'् नह )ं , ' यथः' पढ◌़ (' यतः' नह )ं
यो न ित न े ि , न शोचित न का ित
शुभाशुभप र ागी, भ मा ः (स्) स मे ि यः 17
'शोच त' म ' त' व पढ़,
'शभाशभ'
ु ु म दोन 'श'ु व एवं 'भ' पूरा पढ़ ('ब' नह )ं
समः (श्) श ौ च िम े च, तथा मानापमानयोः
शीतो सुखदःु खेषु, समः (स्) स िवविजतः 18
'मानाप+मानयोहो' म 'प' पूरा पढ़
'शीतो( ) ण' म 'शी' द घ पढ़ (' शतो ण' या 'शीतोषण' नह )ं
तु िन ा ुितम नी, स ु ो येन केनिचत्
अिनकेतः (स्) थरमित:(र् ), भ मा े ि यो नरः 19
'ि थर' पढ़ ('इ ि तर' नह )ं एवं 'र' पूरा पढ़
● िवसग के उ ार जहाँ (ख्) अथवा (फ्) िलखे गय ह, वह ख् अथवा फ् नही ं होते, उनका उ ारण 'ख्' या 'फ्' के जैसा िकया
जाता है ।
● संयु वण (दो ंजन वण के संयोग) से पहले वाले अ र पर आघात (ह ा सा जोर) दे कर पढ़ना चािहये। '॥' का िच आघात
को दशाने हे तु ेक आव क वण के ऊपर िकया गया है । ोक के नीचे उ ारण संकेत हे तु बगनी रं ग से आघात के वण
िलखे गये ह, इसका अथ यह नही ं िक इन वण को दो बार पढ़, ब इ े जोड़कर वहाँ ज़ोर दे कर इन वण का उ ारण
कर, यह ता य है ।
● यिद िकसी ंजन का र के साथ संयोग हो तो वह संयु वण नही होता इसिलये वहां आघात भी नही ं होगा। संयु वण से पूव
र पर ही आघात िदया जाता है िकसी ंजन या अनु ार पर नही।ं उदाहरण - 'वासुदेवं(व्ँ) जि यम्' म ' ' संयु होने पर भी
पूव म अनु ार होने से आघात नही ं आयेगा।
● कुछ थानो ं पर र के प ात् संयु वण होने पर भी अपवाद िनयम के कारण आघात नही ं िदये गये ह जैसे एक ही वण के दो बार
आने से, तीन ंजनो ं के संयु होने से, रफार (उपर र् ) या हकार आने पर आिद। िजन थानो ं पर आघात का िच नही ं वहाँ िबना
आघात के ही अ ास कर।