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Class 12 Micro Economics Combine File 1686742115 1
Class 12 Micro Economics Combine File 1686742115 1
अध्माम 1
साभान्म अथथव्मवस्त्था
• सभाज भें रोगों को बोजन, कऩड़ें, आवास,सड़क एवं ये र जैसे ऩरयवहन सवु वधाएं,डाक सेवाएं औय अध्माऩक
एवं चिककत्सक जैसे अन्म सेवाओं सहहत कई वस्तुओं औय सेवाओं की आवश्मकता ऩड़ती है ।
• वास्तव भे,ककसी व्मक्तत को क्जन वस्तुओं की आवश्मकता होती है , उनकी सूिी कापी रंफी है औय ऐसा कोई
व्मक्तत नह ं है क्जसके ऩास सबी वस्तुएं उऩरब्ध हो।
उदाहयण:
• इनभें से प्रत्मेक ननणाामक इकाई अऩने ऩास उऩरब्ध संसाधनों को उऩमोग भें राकय कुछ वस्तुओं औय
सेवाओं का उत्ऩादन कय सकती है तथा अऩने उत्ऩाद का प्रमोग अन्म वस्तओ
ु ं एवं सेवाओं को प्राप्त कयने के
मरए कय सकते है ,क्जनकी उसे आवश्मकता है ।
• उदाहयण के मरए, कृषक ऩरयवाय अनाज के उत्ऩादन के फाद
उसके एक अंश का उऩमोग उऩबोग के मरए कय सकता है औय
फाकी फिे हुए उत्ऩाद का ववननभम कयके वस्त्र, आवास औय
ववमबन्न सेवाएं प्राप्त कय सकता है ।
• श्रमभक बी ककसी अन्म व्मक्तत का काभ कयके जो कुछ कभाता है उससे अऩनी आवश्मकताओं की ऩनू ता
कयता है ।
• महां कृषक ऩरयवाय क्जतना अनाज ऩैदा कय सकता है ,उसकी भात्रा उसे प्राप्त संसाधनों के भात्रा द्वाया
ननमंत्रत्रत होती है , इस कायण इस अनाज के फदरे भें ववमबन्न वस्तुओं औय सेवाओं की जो भात्रा वह प्राप्त
कयता है , वह बी सीमभत होती है ।
• ऩरयणाभस्वरूऩ,वह ऩरयवाय अऩने मरए उऩरब्ध वस्तुओं एवं सेवाओं भें से कुछ का िमन कयने के मरए
फाध्म हो जाता है ।
• वह कुछ अन्म वस्तुओं औय सेवाओं को छोड़ कय ह कुछ ऩसंद दा वस्तु औय सेवाओं को ह अचधक भात्रा भें
प्राप्त कय सकता है ।
• उदाहयण के मरए, महद एक ऩरयवाय फड़ा घय रेना िाहता है तो उसे कुछ औय एकड़ खेती मोग्म बूमभ रेने का
वविाय छोड़ना ऩड़ेगा।
• महद वह फच्िों के मरए उत्तभ मशऺा की व्मवस्था िाहता है तो उसे जीवन की कुछ ववरासताओं को त्मागना
ऩड़ सकता है ।
• सबी को संसाधनों की कभी का साभना कयना ऩड़ता है औय इसमरए सबी को अऩनी आवश्मकताओं की
उऩरब्ध संसाधनों का कुशरतभ प्रमोग कयना ऩड़ता है ।
• साभान्म तौय ऩय, सभाज का प्रत्मेक व्मक्तत ककसी न ककसी वस्तु एवं सेवा के उत्ऩादन भें संरग्न यहता है
रेककन उसे कुछ ऐसी वस्तु एवं सेवा से संमोजन की आवश्मकता होती है ,क्जनभें से सबी उसके द्वाया
उत्ऩाहदत नह ं होती। (आवश्मकताएं असीमभत है रेककन संसाधन सीमभत है )
• उदाहयण के मरए,कृषक ऩरयवाय एवं अन्म कृवष इकाइमों द्वाया ऩैदा ककमे गए अनाज की भात्रा इतनी अवश्म
होनी िाहहए कक वह सभाज के रोगों के साभूहहक उऩबोग के मरए आवश्मक भात्रा के फयाफय हो।
• महद सभाज के रोगों को उतनी भात्रा भें अनाज की आवश्मकता नह ं है , क्जतना कृषक इकाइमां साभूहहक
रूऩ से ऩैदा कय यह है तफ ……...
• ……इन इकाइमों के ऩास उऩरब्ध संसाधनों का उन वस्तुओं तथा सेवाओं के मरए प्रमोग ककमा जा सकता
है ,क्जनकी भांग फहुत अचधक है ।
• दस
ू य तयप, महद सभाज के रोगों की अनाज की आवश्मकता कृषक इकाइमों द्वाया व्मवक्स्थत रूऩ से ऩैदा
ककमे जाने वारे अनाज की भात्रा के तर
ु ना भें अचधक है तो……
• क्जस प्रकाय व्मक्तत के ऩास संसाधनों की कभी होती है ,उसी प्रकाय सभाज के रोगों की साभूहहक
आवश्मकताओं की तुरना भें बी सभाज के ऩास उऩरब्ध संसाधनों की कभी होती है ।
• सभाज के रोगों की ऩसंद औय नाऩसंद को ध्मान भें यखते हुए सभाज के ऩास उऩरब्ध सीमभत संसाधनों का
आवंटन ववमबन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के मरए कयना ऩड़ेगा।
• वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्ऩादन, ववननभम औय उऩबोग जीवन की आधायबूत आचथाक गनतववचधमों के
अंतगात आते हैं।
• प्रत्मेक सभाज को इन आधायबूत आर्थथक किमाकराऩों के दौयान सींसाधनों की कभी का साभना कयना
ऩड़ता है तथा सींसाधनों की मही कभी चुनने के सभस्त्मा को प्रकट कयती है ।
• अथाव्मवस्था भे इन संसाधनों के उऩबोग के मरए प्रनतस्ऩधाा होती है औय प्रत्मेक सभाज को ननणाम कयना
ऩड़ता है कक वह अऩने संसाधनों का कैसे उऩमोग कये ।
• अचधक बोजन,वस्तओ
ु ं औय आवासों का ननभााण ककमा जाए अथवा
ववरामसता की वस्तुओं का अचधक उत्ऩादन ककमा जाए।
• मशऺा तथा स्वास््म ऩय अचधक संसाधनों का उऩमोग ककमा जाए अथवा सैन्म सेवाओं के गठन ऩय अचधक
सेवाओं का उऩमोग ककमा जाए?
• फुननमाद मशऺा ऩय अचधक खिा ककमा जाए अथवा उच्ि मशऺा भे अचधक खिा ककमा जाए?
इन वस्त्तुओीं का उत्ऩादन कैसे ककमा जाए?
• प्रत्मेक सभाज को ननणाम कयना ऩड़ता है कक ववमबन्न वस्तुओं औय सेवाओं के उत्ऩादन कयते सभम ककस -
ककस वस्तु मा सेवा भे ककस- ककस संसाधन की ककतनी भात्रा का उऩमोग ककमा जाए।
• प्रत्मेक वस्तु के उत्ऩादन के मरए उऩरब्ध तकनीकों भे से ककस तकनीक को अऩनामा जाए?
• अथाव्मवस्था के उत्ऩाद को व्मक्तत ववशेष के फीि ककस प्रकाय ववतरयत ककमा जाना िाहहए?
• मह सुननक्श्ित ककमा जाए अथवा नह ं कक अथाव्मवस्था के सबी रोगों को उऩबोग की न्मूनतभ भात्रा
उऩरब्ध हो?
• तमा प्रायं मबक मशऺा तथा फनु नमाद स्वास््म सेवाएं अथाव्मवस्था के प्रत्मेक रोगों को नन:शल्
ु क उऩरब्ध
कयाई जाए?
भानव जीवन चि भे बोजन औय ऩोषक सुयऺा उऩरब्ध कयाने के शरए, तथा ऩमाथप्त भारा
भें गुणवत्ता मुक्त बोजन को वहनीम रागत भे सुननष्चचत कयने के शरए ष्जससे गरयभा ऩूणथ
जीवन ष्जमा जा सके। 5 ककरो खाद्मान्न प्रनत व्मष्क्त प्रनत भहीने चावर/गेहूीं/भोटे
अनाज 3/2/1 के हहसाफ से हदमा जा यहा है ।
• अत् प्रत्मेक अथाव्मवस्था को इस सभस्मा का साभना कयना ऩड़ता है कक ववमबन्न संबाववत वस्तओ
ु ं औय
सेवाओं के उत्ऩादन के मरए दर
ु ब
ा संसाधनों का आवंटन कैसे ककमा जाए औय उन रोगों के फीि, जो
अथाव्मवस्था के अंग है उत्ऩाहदत वस्तुओं औय सेवाओं का ववतयण ककस प्रकाय ककमा जाए।
• सीमभत संसाधनों का आवंटन औय अंनतभ वस्तओ
ु ं औय सेवाओं का ववतयण ह ककसी अथाव्मवस्था की
केंद्र म सभस्माएं हैं।
ाऄध्याय 1 भाग 2
• दुलथभ सांसाधनों के वैकष्टपपक ाईपयोग होते है तथा प्रत्येक समाज को यह ष्टनणथय करना पड़ता है कक
ष्टवष्टभन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के ाईत्पादन के ष्टलए प्रत्येक सांसाधन का ककतनी मात्रा में प्रयोग ककया जाना
है।
• दूसरे शब्दों में,प्रत्येक समाज को यह ष्टनणथय लेना होता है कक ष्टवष्टभन्न वस्तुओं और सेवाओं के ष्टलए वह
ाऄपने दुलथभ सांसाधनों का ाईपयोग ककस प्रकार करें ।
• ाऄथथव्यवस्था के दुलथभ सांसाधनों के ाअवांटन से ष्टवष्टभन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के ष्टवशेष सांयोग प्रकट होते है।
• सांसाधनों के कु ल कदए गए मात्रा के सांबांध में ाईन सांसाधनों का ष्टवष्टभन्न प्रकार से ाअवांटन सांभव है और
ाआससे सभी सांभाष्टवत वस्तुओं और सेवाओं के ष्टवष्टभन्न ष्टमश्रणों को प्राप्त ककया जा सकता है।
• सांसाधनों की ाईपलब्ध मात्रा से वस्तुओं एवां सेवाओं के सभी सांभाष्टवत सांयोग के समूह का ाईत्पादन ककया
जा सकता है।
• प्रौद्योष्टगकी ज्ञान के द्वारा ाईत्पाकदत की जा सकने वाली ाऄथथव्यवस्था को ाईत्पादन सांभावना समूह कहते
है।
• ाईदाहरण- एक ऐसी ाऄथथव्यवस्था पर ष्टवचार कीष्टजये जो ाऄपने सांसाधनों का ाईपयोग करके ाऄनाज या
कपास का ाईत्पादन कर सकता है।
• यकद सभी सांसाधनों का ाईपयोग ाऄनाज के ाईत्पादन में लगा कदया जाता है तो ाऄनाज की ाऄष्टधकतम
ाईत्पाकदत मात्रा 4 ाआकााइ होगी।
• यकद सभी सांसाधनों का प्रयोग कपास के ाईत्पादन में लगा कदया जाए तो,10 ाआकााइ तक कपास का
ाईत्पादन हो सकता है।
• ाऄथथव्यवस्था मे ाऄनाज की 1 ाआकााइ ाऄनाज और 9 ाआकााइ कपास का ाऄथवा 2 ाआकााइ ाऄनाज और 7 ाआकााइ
कपास की ाऄथवा 3 ाआकााइ ाऄनाज और 4 ाआकााइ कपास की ाईत्पाकदत की जा सकती है।
• बहुत सी ाऄन्य सांभावनाएां भी हो सकती है और ाअकृ ष्टत ाऄथथव्यवस्था के ाईत्पादन सांभावना को कदखाती है।
• वक्र पर ाऄथवा ाईसके नीचे ष्टस्थत कोाइ भी बबदु ाऄनाज और कपास के ाईस सांयोग को दशाथती है,ष्टजसका
ाईत्पादन ाऄथथव्यवस्था के सांसाधनों के द्वारा सांभव है।
• यह वक्र कपास की ककसी ष्टनष्टित मात्रा के बदले ाऄनाज की ाऄष्टधकतम सांभाष्टवत ाईत्पाकदत मात्रा तथा
ाऄनाज के बदले कपास की मात्रा को कदखाता है।
• ध्यान दीष्टजए कक सीमाांत ाईत्पादन सांभावना के ठीक नीचे ष्टस्थत कोाइ भी बबदु ाऄनाज तथा कपास का वह
सांयोग बताता है…..
• …..जो तब ाईत्पाकदत होगा जब सभी ाऄथवा कु छ सांसाधनों का ाईपयोग या तो पूरी तरह न ककया गया हो
ाऄथवा ाईनका ाऄपव्यय करते हुए ककया गया हो।
• यकद दुलथभ सांसाधनों मे से ाऄष्टधक सांसाधनों का ाईपयोग ाऄनाज के ष्टलए ककया जाएगा तो कपास के
ाईत्पादन के ष्टलए कम सांसाधन ाईपलब्ध होगें ।ाआसी तरह कपास को ाऄपनाने पर ाऄनाज के ष्टलए कम
सांसाधन ाईपलब्ध हो
• ाऄताः यकद हम ककसी एक वस्तु की ाऄष्टधक मात्रा प्राप्त करना चाहते हैं तो ाऄन्य वस्तुओं की कम मात्रा प्राप्त
हो सके गी।
• ाआस प्रकार एक वस्तु की कु छ ाऄष्टधक मात्रा प्राप्त करने के ष्टलए दूसरी वस्तु की कु छ मात्रा को छोड़ना पड़ता
है।
• ाआसे वस्तु की एक ाऄष्टतररक्त ाआकााइ प्राप्त करने की ाऄवसर लागत कहते हैं।
• प्रत्येक ाऄथथव्यवस्था को ाऄपने पास ाईपलब्ध ाऄनेक सांभावनाओं मे से ककसी एक का चयन करना पड़ता है।
• वस्तुओं और सेवाओं के ाईत्पादन, ष्टवष्टनमय और ाईपभोग से जुड़े सभी महत्वपूणथ फै सले सरकार द्वारा ककए
जाते हैं।
• कें द्रीय प्राष्टधकरण सांसाधनों का ष्टवशेष रूप से ाअवांटन करके वस्तुओं और सेवाओं का ाऄांष्टतम सांयोग प्राप्त
करने का प्रयास कर सकती है ,जो पूरे समाज के ष्टलए वाांछनीय है। (बाजार पर ष्टनभथर मॉडल मे समाज के
सभी वगों को वस्तुओं और सेवाओं की प्राष्टप्त नहीं हो पाती क्योंकक पूांजीवादी मॉडल माांग और ाअपूर्थत पर
ाअधाररत हैं)।
• ाईदाहरण के ष्टलए,यकद यह पाया जाता है कक कोाइ ऐसी वस्तु और सेवा जो पूरी ाऄथथव्यवस्था के सुख-
समृष्टि के ष्टलए ाऄत्यांत महत्वपूणथ है जैसे- ष्टशक्षा, स्वास््य सेवा ष्टजनका लोगों के द्वारा पयाथप्त मात्रा में
ाईत्पादन नहीं ककया जा सकता हो।
• तो सरकार ाईन्हें ऐसी वस्तुओं एवां सेवाओं का ाईपयुक्त मात्रा में ाईत्पादन करने के ष्टलए प्रेररत कर सकती
हैं।
• तब कें द्रीय प्राष्टधकरण हस्तक्षेप करके सभी कोवस्तुओं एवां सेवाओं के ाऄांष्टतम ष्टमश्रण का न्यायोष्टचत ष्टहस्सा
देने का कायथ कर सकती हैं।
बाजार ाऄथथव्यवस्था
• कें द्रीय ष्टनयोष्टजत ाऄथथव्यवस्था के ष्टवपरीत बाजार ाऄथथव्यवस्था मे सभी ाअर्थथक कक्रयाकलापों का ष्टनधाथरण
बाजार की ष्टस्थष्टतयों के ाऄनुसार होता है।
• ाऄथथव्यवस्था के ाऄनुसार ,बाजार एक ऐसी सांस्था है जो ाऄपने ाअर्थथक कक्रयाकलापों का ाऄनुसरण करने
वाले व्यष्टक्तयों को ष्टनबाथध ाऄांत:कक्रया प्रदान करती हैं।
• दूसरे शब्दों में, बाजार व्यवस्थाओं का एक ऐसा समुच्चय है जहााँ ाअर्थथक ाऄष्टभकताथ मुक्त रूप से ाऄपने धन
ाऄथवा ाऄपने ाईत्पादों का परस्पर ष्टनबाथध ाअदान -प्रदान कर सकते हैं।
• यहााँ यह ध्यान देना महत्वपूणथ है कक ाऄथथशास्त्र मे प्रयुक्त 'बाजार' शब्द बाजार के ाईस स्वरूप से ष्टभन्न है
जैसा हम ाईसे ाअमतौर पर समझते हैं।
• ष्टवशेष रूप से ाअप ाआस बाजार के ष्टवषय में जो सोचते हैं ाईससे ाआसका कु छ भी लेना -देना नहीं है।
• वस्तुओं को खरीदने तथा ाईनको बेचने के ष्टलए व्यष्टक्त एक -दूसरे से ककसी वास्तष्टवक भौष्टतक जगह पर
ष्टमल भी सकते हैं ाऄथवा नहीं भी।
• क्रेताओं तथा ष्टवक्रेताओं के बीच कक्रयाकलाप ष्टवष्टभन्न पररष्टस्थष्टतयों में सांभव है जैसे गााँव के चौक पर या
शहर के सुपर बाजार में।
• ाऄथवा वैकष्टपपक रूप से क्रेता और ष्टवक्रेता टेलीफोन ाऄथवा ाआां टरनेट द्वारा भी वस्तुओं का ाअदान- प्रदान
कर सकते हैं।
• बाजार का स्पि लक्षण वह व्यवस्था है ष्टजसमें लोग मुक्त होकर वस्तुओं को खरीदने और बेचने का काम
कर सकते हैं।
• ककसी भी तांत्र के सुचारू रूप से सांचालन के ष्टलए यह जरूरी है कक ाईस तांत्र के ष्टवष्टभन्न घटकों के कायों में
समन्वय हो।
• ाऄथवा ाऄव्यवस्था हो सकती है। शायद ाअप जानना चाहेंगे कक वह कौन सी शष्टक्तयाां है जो बाजार तांत्र में
करोड़ों ाऄलग -ाऄलग व्यष्टक्तयों की कक्रयाओं में समन्वय स्थाष्टपत करती हैं।
• एक बाजार तांत्र में सभी वस्तुएां एवां सेवाओं की एक तय कीमत होती हैं (ष्टजस पर क्रेता एवां ष्टवक्रेता मे
सहमष्टत होती है) ष्टजस कीमत पर ष्टवष्टनमय होता है।
• ाआस प्रकार वस्तुओं एवां सेवाओं की कीमतें बाजार में सभी व्यष्टक्तयों को महत्वपूणथ सांकेत प्रदान करती हैं
ष्टजससे बाजार तांत्र में समन्वय स्थाष्टपत होता हैं।
• ाऄताः एक बाजार तांत्र में ाईन के न्द्रीय समस्याओं का समाधान ककस वस्तु का और ककतनी मात्रा में ाईत्पादन
ककया जाना है कीमत के ाआन्हीं सांकेतों के द्वारा हुए ाअर्थथक कक्रयाकलापों के समन्वय से होता हैं।
• वास्तव में सभी ाऄथथव्यवस्थाएां ष्टमष्टश्रत ाऄथथव्यवस्था होती है जहााँ कु छ महत्वपूणथ ष्टनणथय सरकार के द्वारा
ष्टलए जाते हैं।
• वास्तव में सभी ाऄथथव्यवस्थाएां ष्टमष्टश्रत ाऄथथव्यवस्था होती है जहााँ कु छ महत्वपूणथ ष्टनणथय सरकार के द्वारा
ष्टलए जाते हैं और ाअर्थथक कक्रयाकलाप बाजार के द्वारा तय ककए जाते हैं।
• भारत में ाअजादी के बाद से सरकार ने ाअर्थथक गष्टतष्टवष्टधयों के ष्टनयोजन मे महत्वपूणथ भूष्टमका ष्टनभााइ है।
• तथाष्टप, एक सांस्था की भूष्टमका कु छ ाईद्देश्यों के ष्टलए एक सांगठन के रूप में पररभाष्टषत की गाइ है।
• ये ाऄलग- ाऄलग कक्रयाष्टवष्टधयााँ सामान्यताः ाआन समस्याओं के ष्टलए ष्टभन्न समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं।
• ष्टजसके कारण ाऄथथव्यवस्था में सांसाधनों के ाअवांटन में ाऄांतर ाअ सकता है और ाईत्पाकदत वस्तुओं तथा
सेवाओं के ाऄांष्टतम ष्टमश्रण के ाअवांटन में भी ाऄांतर ाअ सकता है
• ाआस कारण यह समझना ाऄत्यांत ाअवश्यक है कक ाआन वैकष्टपपक कक्रयाष्टवष्टधयों मे से कौनसी कक्रयाष्टवष्टध
ककस ाऄथथव्यवस्था की दृष्टि से सामान्यताः ाऄष्टधक ाऄच्छी होगी।
• ाऄथथव्यवस्था में हम ष्टवष्टभन्न कक्रयाष्टवष्टधयों का ष्टवश्लेषण करते हैं तथा ाआनमें से प्रत्येक कक्रयाष्टवष्टध के
ाईपयोग से होने वाले सांभाष्टवत पररणामों का ष्टवश्लेषण करने का प्रयत्न करते हैं।
• हम ाआन कक्रयाष्टवष्टधयों का मूपयाांकन करने के ष्टलए यह ाऄध्ययन भी करते हैं कक ाईनसे होने वाले पररणाम
ककतने ाऄनुकूल होगें।
• प्रायाः सकारात्मक ाअर्थथक ष्टवश्लेषण और ाअदशथक ाअर्थथक ष्टवश्लेषण मे ाआस ाअधार पर ाऄांतर ककया जाता हैं
कक क्या हम ककसी कक्रयाष्टवष्टध के ाऄांतगथत होने वाले कायों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं ाऄथवा
ाईसका मूपयाांकन करने का।
• सकारात्मक ाअर्थथक ष्टवश्लेषण में,हम यह ाऄध्ययन करते हैं कक ष्टवष्टभन्न कक्रयाष्टवष्टध ककस प्रकार कायथ करती
हैं, और ाअदशथक ाऄथथव्यवस्था में
• ाआसके बाद भी सकारात्मक और ाअदशथक ाअर्थथक ष्टवश्लेषण के बीच यह ाऄांतर पूणथताः स्पि नहीं है।
• सकारात्मक और ाअदशथक ष्टवषय के न्द्रीय ाअर्थथक समस्याओं के ाऄध्ययन में ष्टनष्टहत वे सकारात्मक और
ाअदशथक पहलू या प्रश्न है जो एक-दूसरे से ाऄत्यांत ष्टनकटता से सांबांष्टधत है तथा ाआनमें से ककसी एक की
पूणथताः ाईपेक्षा करके ाऄथवा ाऄलग करके दूसरे को ठीक से समझ पाना सांभव नहीं होता।
• हम यह जानना चाहते हैं कक समग्र ाईपायों के स्तर ककस प्रकार ष्टनधाथररत होते हैं तथा ाईनमें समय के साथ
बदलाव ककस प्रकार ाअता है।
• क्या ाऄथथव्यवस्था के सांसाधनों (ाईदाहरण के ष्टलए भूष्टम) का पूणथ रूप से ाईपयोग ककया जा रहा है?
• ाऄताः ष्टजस प्रकार व्यष्टि ाऄथथशास्त्र मे ष्टवष्टभन्न बाजारों का ाऄध्ययन ककया जाता हैं।
• समष्टि ाऄथथशास्त्र में, हम ाऄथथव्यवस्था के कायथ ष्टनष्पादन की समग्र ाऄथवा समष्टिगत ाईपायों के व्यवहार का
ाऄध्ययन करने का प्रयास करते हैं।
अध्याय 2 भाग 1
िबिे स्वाभासवक रूप िे, कोई भी उपभोक्ता िामान का एक िांयोजन प्राप्त करना
चाहेगा जो उिे असधकतम िांतुसि प्रदान करता है।
यह 'िवचश्रेष्ठ' िांयोजन क्या होगा?
यह उपभोक्ता की पिांद पर सनभचर करता है और उपभोक्ता क्या खरीद िकता है।
उपभोक्ता के 'पिांद' को 'वरीयताएँ' भी कहा जाता है।
एक उपभोक्ता, िामान्य रूप िे, कई वस्तुओं का उपभोग करता है; लेककन िामान्य रूप
दो िामानों की रासि के ककिी भी िांयोजन को उपभोग बांिल कहा जाएगा या िांक्षेप में,
एक बांिल कहा जाएगा ।
िामान्य तौर पर, हम के ले की मात्रा को सनरूसपत करने के सलए चर x1 और आम की
उदाहरण के सलए, बांिल (5,10) में 5 के ले और 10 आम होते हैं; बांिल (10, 5) में 10
के ले और 5 आम होते हैं।
उपयोसगता
करे गी कक व्यसक्त लद्दाख या चेन्नई (स्थान) में है या गमी या िदी (िमय) है या नहीं।
उपयोसगता के माप
कु ल उपयोसगता
िीमाांत उपयोसगता
स्पि रूप िे, 5 वें के ले की खपत िे कु ल 2 यूसनि (30 यूसनि माइनि 28 यूसनि) की
उपयोसगता बढ़ गई है।
इिसलए, 5 वें के ले की िीमाांत उपयोसगता 2 इकाई है।
आमतौर पर, यह देखा गया है कक वस्तु की खपत में वृसद् के िाथ िीमाांत उपयोसगता
कम हो जाती है।
ऐिा इिसलए होता है क्योंकक कमोसििी की कु ि मात्रा प्राप्त करने के बाद, इिे अभी भी
प्राप्त करने की उपभोक्ता की इछिा कमजोर हो जाती है।
कु ल उपयोसगता बढ़ जाती है लेककन घिती दर पर, उपभोग की गई वस्तु की मात्रा में
पररवतचन के कारण कु ल उपयोसगता में पररवतचन की दर िीमाांत उपयोसगता का एक
उपाय है।
यह िीमाांत उपयोसगता 12 िे 6, 6 िे 4 और इिी तरह िे कमोसििी की खपत में वृसद्
के िाथ कम हो जाती है।
यह सनम्न िीमाांत उपयोसगता के सिद्ाांत िे आता है।
ह्रािमान िीमाांत उपयोसगता का सिद्ाांत कहता है कक एक वस्तु की प्रत्येक असतररक्त
इकाई के उपभोग िे िीमाांत उपयोसगता की खपत कम हो जाती है क्योंकक इिकी खपत
बढ़ती है, जबकक अन्य वस्तुओं की खपत सस्थर रहती है।
उदाहरण में, TU खपत की 5 वीं इकाई में नहीं बदलता है और इिसलए MU5 = 0 है।
असधक मात्रा खरीदने के सलए तैयार है; ऊांची कीमतों पर वह कमोसििी x को खरीदने के
सलए तैयार है।
इिसलए, माांग की गई वस्तु और मात्रा की कीमत के बीच एक नकारात्मक िांबांध है सजिे
माांग का सिद्ाांत कहा जाता है।
नीचे की ओर झुकी हुई माांग के सलए एक व्याख्या घिती िीमाांत उपयोसगता की धारणा
पर रिकी हुई है।
ह्रािमान िीमाांत उपयोसगता का सनयम कहता है कक प्रत्येक वस्तु की क्रसमक इकाई कम
िीमाांत उपयोसगता प्रदान करती है।
इिसलए व्यसक्त प्रत्येक असतररक्त इकाई के सलए िमान भुगतान करने को तैयार नहीं
होगा और इिके पररणामस्वरूप माांग में कमी आ िकती है।
40 रूपए प्रसत इकाई की कीमत पर , X के सलए व्यसक्तगत माांग 5
क्रमवाचक उपयोसगता सवश्लेषण िमझने में िरल है, लेककन िांख्या में उपयोसगता की
मात्रा की गणना के रूप में एक बडी खामी है।
वास्तसवक जीवन में, हम िांख्या के रूप में उपयोसगता को कभी व्यक्त नहीं करते हैं।
िेवन त्यागना पडता है, ताकक उिकी कु ल उपयोसगता का स्तर िमान हो और वह उिी
उदािीनता की अवस्था में रहा हो।
इिसलए, उदािीनता ढलान नीचे की ओर होता है ।
तो, एमआरएि = | DY / DX |
जैिे ही उपभोक्ता के िाथ के लों की िांख्या बढ़ती है, प्रत्येक असतररक्त के ले िे प्राप्त एमयू
सगर जाता है।
इिी प्रकार, आम की मात्रा में सगरावि के िाथ, आम िे प्राप्त िीमाांत उपयोसगता बढ़
जाती है।
तो, के ले की िांख्या में वृसद् के िाथ, उपभोक्ता िोिी और िोिी
मात्रा में आमों का त्याग करने में झुकाव महिूि करे गा।
के ले की मात्रा में वृसद् के िाथ एमआरएि के सगरने की यह
प्रवृसि ह्रािमान िीमान्त दर रूप में जाना जाता है।
बबदु A िे बबदु B पर जा रहे उपभोक्ता 1 के ले के सलए 3 आमों
एकात्मक वरीयता
और (y1, y2) के बीच, यकद (X1, x2) में कम िे कम एक वस्तु है और अन्य (y1) , y2)
की तुलना में कम नहीं है , तब उपभोक्ता (X1, x2) पर (y1, y2) को पिांद करता है
इि तरह की पिांद को एकात्मक प्राथसमकताएां कहा जाता है।
इि प्रकार, ककिी उपभोक्ता की प्राथसमकताएँ एकात्मक हैं यकद और के वल यकद ककिी
उदािीनता मैप
एक उदािीनता वक्र ढलान बाएां िे दाएां नीचे की ओर होती है, सजिका अथच है कक के ले
यकद उपभोक्ता के ले की िांख्या में वृसद् के िाथ कु ि आमों का त्याग नहीं करता है -
हमेिा उि कमोसििी को असधक पिांद करे गा, क्योंकक कमोसििी के असधक होने िे िांतुसि
का स्तर बढ़ेगा।
के ले और आम के सवसभन्न िांयोजन पर सवचार करें ,
इिी प्रकार, जैिे ही A और C िमान उदािीनता वक्र IC2 पर सस्थत होते हैं, िांयोजन
लेककन यह स्पि रूप िे एक बेतुका पररणाम है, क्योंकक बबदु B पर, उपभोक्ता को के ले
की िमान मात्रा के िाथ असधक िे असधक आम समलते हैं।
इिसलए उपभोक्ता बबदु C पर बबदु B िे बेहतर है।
उपभोक्ता बजि
आइए एक ऐिे उपभोक्ता पर सवचार करें सजिके पाि दो वस्तुओं पर खचच करने के सलए
के वल एक सनसित रासि (आय) है।
बाजार में िामान की कीमतें दी जाती हैं।
उपभोक्ता उन दो िामसग्रयों के ककिी भी और हर िांयोजन को नहीं खरीद
िकता है सजिका वह उपभोग करना चाहता है।
उपभोक्ता को समलने वाली खपत बांिल दो वस्तुओं की कीमतों और
उपभोक्ता की आय पर सनभचर करती है।
उिकी सनसित आय और दो वस्तुओं की कीमतों को देखते हुए।
उपभोक्ता के वल उन बांिलों को खरीद िकता है सजनकी लागत उिकी आय िे कम या
उिके बराबर है।
P2 हैं।
यकद उपभोक्ता के ले की X1 मात्रा खरीदना चाहता है, तो उिे p1x1 की रासि खचच
करनी होगी।
इिी तरह, यकद उपभोक्ता x2 मात्रा में आम खरीदना चाहता है, तो उिे P2x2 रासि
खचच करनी होगी।
ाऄध्याय 2 भाग 2
x2 = M '/ P2 - p1 / P2x1
ध्यान दें कक नाइ बजट लााआन का ढलान ाईपभोक्ता की ाअय में पररवतचन से पहले
बजट लााआन के ढलान के समान है।
हालाांकक, ाअय में पररवतचन के बाद ाउध्वाचधर ाऄवरोधन बदल गया है।
यकद ाअय में वृसद् होती है, ाऄथाचत् यकद M '>
M, ाउध्वाचधर के साथ-साथ क्षैसतज ाऄवरोधों में
वृसद् होती है, तो बजट रे खा का एक
समानाांतर बाहरी पररवतचन होता है।
यकद ाअय में वृसद् होती है, तो ाईपभोक्ता मौजूदा बाजार कीमतों पर ाऄसधक
सामान खरीद सकता है।
ाआसी तरह, यकद ाअय कम हो जाती है, यानी यकद M '<M, दोनों ाऄवरोधन
कम हो जाते हैं, और ाआससलए, बजट लााआन का एक समानाांतर ाअांतररक
पररवतचन है।
ाऄब मान लीसजए कक के ले की कीमत p1 से p'1 में बदल जाती है लेककन ाअम
की कीमत और ाईपभोक्ता की ाअय ाऄपररवर्ततत रहती है।
के ले की नाइ कीमत पर, ाईपभोक्ता सभी बांडल (X1, x2) जैसे कक p'1x1 +
P2x2 £ M खरीद सकता है।
बजट लााआन का समीकरण p'1x1 + P2x2 = M है
समीकरण (2.10) को x2 = M '/ P2 - p1 / P2x1 के रूप में भी सलखा जा
सकता है
ध्यान दें कक नाइ बजट लााआन का ाउध्वाचधर ाऄवरोधन के ले के मूल्य में पररवतचन
से पहले बजट लााआन के ाउध्वाचधर ाऄवरोधन के समान है।
हालाांकक, मूल्य पररवतचन के बाद बजट लााआन की ढलान और क्षैसतज ाऄवरोधन
बदल गए हैं।
यकद के ले की कीमत बढ़ जाती है, ाऄथाचत यकद p'1> p1, तो बजट रे खा के
ढलान का सनरपेक्ष मान बढ़ जाता है, और बजट रे खा सथथर हो जाती है (यह
लांबवत ाऄवरोधन और क्षैसतज ाऄवरोधन के ाअसपास की तरफ घट जाती है)।
यकद के ले की कीमत कम हो जाती है, ाऄथाचत, p'1 <p1, बजट लााआन के ढलान
का सनरपेक्ष मूल्य घट जाता है और ाआससलए,
बजट रे खा समतल हो जाती है (यह ाउध्वाचधर ाऄवरोधन के ाअसपास की ओर
सनकलती है और क्षैसतज ाऄवरोधन बढ़ जाती है)
सचत्र 2.11 बजट सेट में पररवतचन कदखाता है जब के वल एक कमोसडटी की
कीमत बदलती है जबकक ाऄन्य कमोसडटी की कीमत के साथ-साथ ाईपभोक्ता की
ाअय सथथर होती है।
ाअम की कीमत में बदलाव, जब के ले की कीमत और ाईपभोक्ता की ाअय
ाऄपररवर्ततत रहती है, तो ाईपभोक्ता के बजट सेट में ाआसी तरह के बदलाव ाअएांगे।
बजट सेट में सभी बांडल होते हैं जो ाईपभोक्ता को ाईपलब्ध होते हैं सजसमें से वह
चुन सकता है
लेककन वह ककस ाअधार पर ाऄपनी खपत का बांडल ाईन लोगों से चुनती है जो
ाईन्हें ाईपलब्ध हैं? (ाईसके थवाद और पसांद के ाअधार पर)
ककसी भी दो बांडलों के बीच, वह या तो एक या दूसरे को पसांद करता है या
वह दोनों के प्रसत ाईदासीन रहता है।
ाऄथचशास्त्र में, यह ाअमतौर पर माना जाता है कक ाईपभोक्ता एक तकच सांगत व्यसक्त
है।
एक तकच सांगत व्यसक्त थपष्ट रूप से जानता है कक ाईसके सलए क्या ाऄच्छा है या
क्या बुरा है, और ककसी भी सथथसत में, वह हमेशा ाऄपने सलए सवचश्रेष्ठ हाससल
करने की कोसशश करता है।
ाआस प्रकार, न के वल एक ाईपभोक्ता के पास ाईपलब्ध बांडलों के सेट पर ाऄच्छी
तरह से पररभासषत प्राथसमकताएां हैं, बसल्क वह ाऄपनी प्राथसमकताओं के ाऄनुसार
भी कायच करता है।
बांडलों से जो ाईसके सलए ाईपलब्ध हैं, एक तकच सांगत ाईपभोक्ता हमेशा ाईसे चुनता
है जो ाईसे ाऄसधकतम सांतुसष्ट देता है।
ाईपभोक्ता की समथया को सनम्नानुसार भी बताया जा सकता है:
ाईच्चतम सांभव ाईदासीनता वक्र पर एक बबदु पर जाने के सलए ाईसे बजट सेट
कदया गया।
यकद ऐसा कोाइ बबदु मौजूद है, तो यह कहााँ सथथत होगा? ाआष्टतम बबदु बजट
लााआन पर सथथत होगा।
बजट रे खा के नीचे एक बबदु सनम्न के रूप में ाआष्टतम नहीं हो सकता है -
बजट लााआन पर हमेशा कु छ बबदु होते है सजसमें कम से कम एक कमोडोटय
शासमल होती है और दूसरे में से कम नहीं होता है, और ाआससलए, एक
ाईपभोक्ता द्वारा पसांद ककया जाता है, सजसकी प्राथसमकताएां एकाकी हैं।
ाआससलए, यकद ाईपभोक्ता की प्राथसमकताएाँ बजट रे खा के नीचे ककसी भी बबदु के
सलए एकाकी हैं, तो बजट लााआन पर कु छ बबदु है जो ाईपभोक्ता द्वारा पसांद
ककये जाते है।
बजट लााआन के ाउपर के बबदु ाईपभोक्ता को ाईपलब्ध नहीं हैं।
ाआससलए, ाईपभोक्ता का ाआष्टतम (सबसे पसांदीदा) बांडल बजट लााआन पर होगा।
जहाां बजट रे खा पर ाआष्टतम बांडल सथथत होगा?
वह बबदु सजस पर बजट लााआन ससफच थपशच करती है (थपशचरेखा है), ाईदासीनता
वक्र में से एक ाआष्टतम होगा।
यह देखने के सलए कक ऐसा क्यों है, ध्यान दें कक सजस बबदु पर वह ाईदासीनता
की ाऄवथथा को छू ता है, ाईसके ाऄलावा बजट रे खा पर कोाइ भी बबदु एक कम
ाईदासीनता वक्र पर सथथत होता है और ाआससलए यह सनम्नतम है।
ाआससलए, ऐसा बबदु ाईपभोक्ता का ाआष्टतम नहीं हो सकता है।
ाआष्टतम बांडल ाईस बजट रे खा पर ाईस बबदु पर सथथत होता है जहाां बजट रे खा
एक ाईदासीनता वक्र के सलए थपशचरेखा होती है।
सचत्र 2.12 ाईपभोक्ता के ाआष्टतम को दशाचता है।
* (X1, x2) पर, बजट लााआन काले रां ग की ाईदासीनता वक्र की थपशचरेखा है।
माांग
सिमाांि फां क्शन (माांग फलन) एक वस्तु के सलए उपभोक्ता की माांग और इसकी
कीमत के बीच सम्बन्ध है जब अन्य चीजें दी जाती हैं।
एक वस्तु की माांग और उसकी कीमत के बीच के सांबांध का अध्ययन करने के
बजाय, हम उपभोक्ता की वस्तु माांग और आय की के बीच सांबांध का भी
अध्ययन कर सकते हैं।
एक वस्तु की मात्रा सजसकी उपभोक्ता को माांग होती है में वृसद् हो सकती
है या घट सकती है जो वस्तु की प्रकृ सत के आधार पर आय में वृसद् के साथ
होती है।
असधकाांश सामानों के सलए, एक उपभोक्ता द्वारा चुनी गई मात्रा में वृसद् होती
है, क्योंकक उपभोक्ता की आय में वृसद् होती है और उपभोक्ता द्वारा चुनी गई
मात्रा में कमी होती है क्योंकक आय में कमी होती है।
ऐसी वस्तुओं को सामान्य वस्तु कहा जाता है।
इस प्रकार, सामान्य वस्तुओं के सलए उपभोक्ता की माांग उसी कदशा में होती
है जैसे कक उपभोक्ता की आय होती है ।
हालाांकक, कु छ ऐसी वस्तुएां हैं सजनकी माांग उपभोक्ता की आय के सवपरीत कदशा
में चलती है।
ऐसी वस्तुओं को को सनम्नतम वस्तु कहा जाता है।
जैसे-जैसे उपभोक्ता की आय बढ़ती है, एक सनम्नतम वस्तु की माांग सगरती है,
और जैसे-जैसे आय घटती है, एक सनम्नतम वस्तु की माांग बढ़ती है।
सनम्नतम वस्तुओं के उदाहरणों में कम गुणवत्ता वाले खाद्य पदाथथ जैसे मोटे
अनाज शासमल हैं।
एक वस्तु आय के कु छ स्तरों पर उपभोक्ता के सलए एक सामान्य वस्तु और
आय के अन्य स्तरों पर उसके सलए एक सनम्नतम वस्तु हो सकती है।
आय के बहुत कम स्तर पर, कम गुणवत्ता वाले अनाज के
सलए उपभोक्ता की माांग आय के साथ बढ़ सकती है।
लेककन, एक स्तर से परे , उपभोक्ता की आय में ककसी भी
वृसद् से ऐसी खाद्य पदाथों की खपत कम होने की सांभावना
है क्योंकक वह बेहतर गुणवत्ता वाले अनाज पर पररवतथन
करती है।
जैसा कक पहले उल्लेख ककया गया है, उपभोक्ता द्वारा चुनी गई एक वस्तु की
मात्रा, वस्तु की कीमत, अन्य वस्तुओं की कीमतों, उपभोक्ता की आय और
उसकी पसांद और वरीयताओं पर सनभथर करती है।
माांग फां क्शन वस्तु और इसकी कीमत के बीच एक सांबांध है जब अन्य चीजें
अपररवर्मतत रहती हैं।
माांग वक्र माांग फां क्शन का एक सचत्रमय प्रसतसनसधत्व है।
असधक कीमतों पर, माांग कम होती है, और कम कीमतों पर, माांग असधक होती
है।
इस प्रकार, मूल्य में कोई भी बदलाव माांग वक्र के साथ सांचलन की ओर जाता
है।
दूसरी ओर, ककसी भी अन्य चीज में पररवतथन से माांग वक्र में बदलाव होता है।
सचत्र 2.17 माांग वक्र के साथ एक सांचलन और माांग वक्र में बदलाव को
दशाथता है ।
बाजार की माांग
माांग की लोच
ककसी वस्तु के सलए माांग इसके मूल्य के सवपरीत पररवर्मतत होती है।
लेककन मूल्य पररवतथन का प्रभाव हमेशा समान नहीं होता है। कभी-कभी, छोटे
मूल्य पररवतथनों के सलए भी एक वस्तु बदलाव की माांग काफी बढ़ जाती है।
दूसरी ओर, कु छ सामान हैं सजनके सलए कीमत में बदलाव से माांग ज्यादा
प्रभासवत नहीं होती है।
कु छ वस्तुओं की माांग मूल्य पररवतथनों के सलए बहुत ही सांवेदनशील होती है,
जबकक कु छ अन्य वस्तुओं की माांग मूल्य पररवतथनों के सलए उत्तरदायी नहीं
होती है।
माांग की कीमत लोच इसकी कीमत में बदलाव के सलए वस्तु की माांग की
प्रभाव्यता का एक उपाय है।
एक वस्तु के सलए माांग की कीमत लोच को उसकी माांग में प्रसतशत पररवतथन
को वस्तु की कीमत में प्रसतशत पररवतथन के रूप में पररभासषत ककया गया
है।
एक वस्तु के सलए माांग की कीमत लोच:
इससलए, हमारे उदाहरण में, जैसे कक के ले की कीमत 40 प्रसतशत बढ़ जाती है,
के ले की माांग 20 प्रसतशत कम हो जाती है।
माांग की कीमत लोच e (d) = 20/40 = .5
स्पष्ट रूप से, के ले की कीमत के ले की कीमत में बदलाव के सलए बहुत
सांवेदनशील नहीं है।
जब माांग की गई मात्रा में प्रसतशत पररवतथन बाजार मूल्य में प्रसतशत पररवतथन
से कम होता है, तो e (d) एक से कम होने का अनुमान लगाया जाता है और
वस्तु की माांग को उस मूल्य पर लोच रसहत कहा जाता है।
आवश्यक सामानों की माांग अक्सर लोच रसहत पाई जाती है।
जब माांग की मात्रा में प्रसतशत पररवतथन बाजार मूल्य में प्रसतशत पररवतथन से
असधक है।
माांग को बाजार मूल्य में पररवतथन के सलए अत्यसधक सांवेदनशील कहा जाता है
और अनुमासनत e (d) एक से असधक होता है।
उस मूल्य पर वस्तु की माांग को लोचदार कहा जाता है। लक्जरी वस्तुओं की
माांग को उनके बाजार मूल्यों और e (d)> 1 में बदलाव के सलए अत्यसधक
उत्तरदायी माना जाता है।
जब मात्रा में पररवतथन की माांग प्रसतशत उसके बाजार मूल्य में प्रसतशत
पररवतथन के बराबर होती है, तो e (d) 1 के बराबर होने का अनुमान लगाया
जाता है और वस्तु की माांग को उस मूल्य पर एकात्मक रूप से लोचदार कहा
जाता है।
ध्यान दें कक कु छ सामानों की माांग अलग-अलग कीमतों पर लोचदार, एकात्मक
और लोच रसहत हो सकती है।
वास्तव में, अगले खांि में, एक रै सखक माांग वक्र के साथ लोच अलग-अलग
कीमतों पर अनुमासनत होता है और प्रत्येक ड्रबदु पर नीचे की ओर झुका हुआ
माांग वक्र पर सभन्न होता है।
एक वस्तु के सिए माांग की कीमत िोच वस्तु की प्रकृ सत और वस्तु के करीबी सवकल्प
की ाईपिब्धता पर सनभार करती है।
ाईदाहरण के सिए, भोजन जैसी ाअवश्यकताओं पर सवचार करें ।
ाआस तरह के सामान जीवन के सिए ाअवश्यक हैं और ाआस तरह के सामानों की माांग
ाईनकी कीमतों में बदिाव के जवाब में ज्यादा नहीं बदिती है।
ाऄगर खाने की कीमतें बढ़ती हैं तो भी खाने की माांग में बहुत बदिाव नहीं होता है।
दूसरी ओर, कीमत में बदिाव के सिए सविाससता की माांग बहुत ही सांवेदनशीि हो
सकती है।
सामान्य तौर पर, एक ाअवश्यकता के सिए माांग की कीमत िोक्सहरसहत होने की
यकद ाआस ककस्म के दािों की कीमत बढ़ जाती है, तो िोग कु छ ाऄन्य प्रकार की दािों को
िोचशीिता और व्यय
यकद मूल्य में प्रसतशत की सगरावट मूल्य में प्रसतशत वृसद् से ाऄसधक है, तो वस्तु पर खचा
कम हो जाएगा।
ाईदाहरण के सिए, तासिका 2.5 में पांसक्त 2 देखें। ाआससे पता चिता है कक जैसे ही
कमोसिटी की कीमत 10% बढ़ जाती है, ाआसकी माांग 12% तक सगर जाती है, सजसके
पररणामस्वरूप वस्तु पर खचा में सगरावट ाअती है।
दूसरी ओर, यकद मात्रा में प्रसतशत की सगरावट मूल्य में प्रसतशत वृसद् से कम है, तो वस्तु
देखें)।
दूसरी ओर, यकद मात्रा में प्रसतशत वृसद् मूल्य में प्रसतशत सगरावट से कम है, तो वस्तु
और यकद मात्रा में प्रसतशत वृसद् मूल्य में प्रसतशत सगरावट के बराबर है, तो वस्तु पर
ाऄथाात, यकद कीमत मूल्य में िोच रसहत है (तासिका 1 में पांसक्तयाां 1 और 5 देखें) )।
वस्तु पर व्यय ाऄपररवर्ततत रहेगा यकद और के वि यकद मात्रा में प्रसतशत पररवतान मूल्य
में प्रसतशत पररवतान के बराबर है।
यानी, यकद वस्तु ाआकााइ-िोचदार है (तासिका 2.5 में पांसक्तयों 3 और 6 देखें)।
ाअयताकार हााआपरबोिा होगा, जहााँ मूल्य (p) x मात्रा (q) एक सस्थराांक है।
ाआस तरह के माांग वक्र के साथ, ाईपभोक्ता चाहे ककतना भी खचा कर िे, ाईसका खचा
साराांश
बजट सेट वस्तुओं के ाईन सभी बांििों का सांग्रह है जो एक ाईपभोक्ता ाऄपनी ाअय के साथ
मौजूदा बाजार मूल्यों पर खरीद सकता है।
बजट िााआन ाईन सभी बांििों का प्रसतसनसधत्व करती है जो ाईपभोक्ता को ाईसकी पूरी
ाअय का खचा देती हैं।
बजट रे खा नकारात्मक रूप से ढिान वािी है।
यकद दोनों में से कोाइ एक या ाअय में पररवतान होता है तो बजट सेट बदि जाता है।
ाईपभोक्ता के पास सभी सांभासवत बांििों के सांग्रह पर ाऄच्छी तरह से पररभासषत
प्राथसमकताएां हैं। वह ाऄपनी पसांद के ाऄनुसार ाईपिब्ध बांििों को रैं क कर सकता है।
ाईपभोक्ता की प्राथसमकताओं को एकात्मक माना जाता है।
एक ाईदासीनता वक्र बांििों का प्रसतसनसधत्व करने वािे सभी बबदुओं का एक स्थान है
सजसके बीच ाईपभोक्ता ाईदासीन है।
वरीयताओं की एकरूपता का ाऄथा है कक ाईदासीनता वक्र नीचे की ओर झुकी हुाइ है।
एक ाईपभोक्ता की प्राथसमकताएां, सामान्य रूप से, एक ाईदासीनता मानसचत्र द्वारा दशाााइ
जा सकती हैं।
एक ाईपभोक्ता की प्राथसमकताएां, सामान्य रूप से, एक ाईपयोसगता फिन (फां क्शन) द्वारा
भी दशाााइ जा सकती हैं।
एक तका सांगत ाईपभोक्ता हमेशा बजट सेट से ाऄपना सबसे पसांदीदा बांिि चुनता है।
ाईपभोक्ता का ाआष्टतम बांिि बजट िााआन और एक ाईदासीनता वक्र के बीच स्पशारेखा के
बबदु पर सस्थत है।
ाईपभोक्ता की मााँग वक्र ाईस वस्तु की मात्रा दशााती है जो ाईपभोक्ता ाऄपने मूल्य के
सवसभन्न स्तरों पर चुनता है जब ाऄन्य वस्तुओं की कीमत, ाईपभोक्ता की ाअय और ाईसकी
पसांद और प्राथसमकताएाँ ाऄपररवर्ततत रहती हैं।
माांग वक्र सामान्यताः नीचे की ओर झुका हुाअ होता है।
ाईपभोक्ता की ाअय में वृसद् (कमी) के साथ एक सामान्य वस्तु की माांग में वृसद् (घटती)
होती है।
ाईपभोक्ता की ाअय बढ़ने (घटने) के साथ एक सनम्न वस्तु की माांग घट जाती है (बढ़
जाती है)।
बाजार माांग वक्र वस्तु मूल्य के सवसभन्न स्तरों पर एक साथ बाजार में सभी
ाईपभोक्ताओं की माांग का प्रसतसनसधत्व करता है।
एक वस्तु के सिए माांग की कीमत िोच को ाईसकी कीमत में प्रसतशत पररवतान को
मूल्य में प्रसतशत पररवतान से भाग देकर प्राप्त रासश के रूप में पररभासषत ककया गया
है।
माांग की िोच एक शुद् सांख्या है।
एक वस्तु के सिए माांग की िोच और वस्तु पर कु ि खचा का ाअपस में गहरा सांबांध है।
अध्याय 3 भाग 1
उत्पादन और लागत
पररचय
इस अध्याय में
अध्याय 2 में, हमने उदासीनता वि के बारे में सीखा है। यहााँ, हम एक समान
अवधारणा का पररचय देते हैं जजसे आइसोक्ें ट कहा जाता है।
यह उत्पादन फं क्शन का प्रजतजनजधत्व करने का एक वैकजल्पक तरीका है।
दो इनपुट श्रम और पूंजी के साथ एक उत्पादन फं क्शन पर जवचार करें ।
एक आइसोक्ांट दो इनपुटों के सभी संभाजवत संयोजनों का एक सेट है जो
उत्पादन के अजधकतम संभव स्तर को प्राप्त करता है।
प्रत्येक अलग-अलग आउटपुट के एक जवशेष स्तर का
प्रजतजनजधत्व करता है और आउटपुट की मात्रा के साथ
लेबल क्रकया जाता है।
10 इकाइयों के उत्पादन को 3 तरीकों (4L, 1K),
(2L, 2K), (1L, 4K) में उत्पाक्रदत क्रकया जा सकता
है।
L ,K के ये सभी संयोजन एक ही आइसोक्ें ट पर रहते
हैं, जो आउटपुट 10 के स्तर का प्रजतजनजधत्व करता है।
क्या आप उन इनपुट के सेट की पहचान कर सकते हैं जो आइसोक्ें ट q = 50
पर होंगे? यहााँ जचत्र इस अवधारणा का सामान्य जचत्रण करता है।
हम L को X अक्ष पर और K को Y अक्ष पर रखते हैं।
हमारे पास तीन आउटपुट स्तरों के जलए तीन आइसोक्ांट हैं, अथामत् q = q1, q
= q2 और q = q3।
दो इनपुट संयोजन (L1, K2) और (L2, K1) हमें समान स्तर का आउटपुट q1
देते हैं।
यक्रद हम K1 पर पूंजी को ठीक करते हैं और श्रम को L3 तक बढ़ाते हैं, तो
उत्पादन बढ़ता है और हम उच्च आइसोक्ें ट, q = q2 तक पहुंचते हैं।
जब सीमांत उत्पाद सकारात्मक होते हैं, तो एक इनपुट की अजधक मात्रा के
साथ, आउटपुट का समान स्तर के वल दूसरे की कम मात्रा का उपयोग करके
उत्पाक्रदत क्रकया जा सकता है।
इसजलए, आइसोक्ांट नकारात्मक रूप से प्रवणता जलए होते हैं।
उत्पादन और लागत
कु ल उत्पाद
मान लीधजए कक हम एक एकल इनपुर् को पररवर्ततत करते हैं और अन्य सभी इनपुर्ों
को धस्थर रखते हैं।
कफर उस इनपुर् के धवधभन्न स्तरों के धलए, हमें आउर्पुर् के धवधभन्न स्तर धमलते हैं।
चर इनपुर् और आउर्पुर् के बीच यह सूंबूंध, अन्य सभी इनपुर्ों को धस्थर रखते हुए,
सामान्य तौर पर चर इनपुर् के कु ल उत्पाद (र्ीपी) के रूप में सूंदर्तभत ककया जाता है।
जैसे-जैसे हम कॉलम के साथ आगे बढ़ते हैं, हमें श्रम के धवधभन्न मूल्यों के
धलए आउर्पुर् मूल्य धमलता है।
यह K2 = 4 के साथ श्रम अनुसूची का कु ल उत्पाद है।
औसत उत्पाद
औसत उत्पाद को प्रधत इकाई चर इनपुर् के आउर्पुर् के रूप में पररभाधषत ककया गया
है।
हम इसे APL=TPL/Lके रूप में गणना करते हैं
इस कॉलम में मान L (कॉलम 1) द्वारा TP (कॉलम 2) को धवभाधजत करके प्राप्त ककए
जाते हैं।
सीमाूंत उत्पाद
यह इनपुर् में पररवतान की प्रधत यूधनर् आउर्पुर् में पररवतान है जब अन्य सभी इनपुर्
धस्थर होते हैं।
जब पूूंजी को धस्थर रखा जाता है, तो श्रम का सीमाूंत उत्पाद
एमपीएल = आउर्पुर् में पररवतान / इनपुर् में पररवतान
जहााँ डेल्र्ा पररवतानशील का प्रधतधनधधत्व करता है।
ताधलका 3.2 का तीसरा स्तूंभ हमें ताधलका 3.1 में वर्तणत उत्पादन फूं क्शन के धलए श्रम
यहाूं, र्ीपी में पररवतान = 24 -10 = 14 L में पररवतान = श्रम की दूसरी इकाई का 1
चूूंकक इनपुर् नकारात्मक मान नहीं ले सकते हैं, सीमाूंत उत्पाद इनपुर् धनयोजन के शून्य
स्तर पर अपररभाधषत है।
ककसी इनपुर् के ककसी भी स्तर के धलए, उस इनपुर् की प्रत्येक पूवावती इकाई के सीमाूंत
उत्पादों का योग कु ल उत्पाद देता है।
धनयोजन के ककसी भी स्तर पर एक इनपुर् का औसत उत्पाद उस स्तर तक के सभी
सीमाूंत उत्पादों का औसत है।
औसत और सीमाूंत उत्पादों को सामान्यता िमशः, चर इनपुर् के धलए औसत और
यकद हम ग्राफ़ पेपर पर ताधलका 3.2 में डेर्ा को प्लॉर् करते हैं, तो X-अक्ष पर श्रम और
Y-अक्ष पर आउर्पुर् रखते हैं, तो हमें नीचे कदए गए धचत्र में कदखाए गए वि धमलते हैं।
आइए हम जाूंच करें कक र्ीपी का क्या हो रहा है।
ध्यान दें कक श्रम इनपुर् बढ़ने पर र्ीपी बढ़ता है।
लेककन धजस दर से यह बढ़ता है वह धस्थर नहीं है। 1 से 2 तक श्रम में वृधद् से र्ीपी में
धजस दर से र्ीपी बढ़ता है, जैसा कक ऊपर बताया गया है, MP द्वारा दशााया गया है।
ध्यान दें कक MP पहले (श्रम की 3 इकाइयों तक) बढ़ता है और कफर धगरने लगता है।
ऐसा क्यों होता है ? इसे समझने के धलए, हम पहले कारक अनुपात की अवधारणा को
पररभाधषत करते हैं।
फै क्र्र अनुपात उस अनुपात का प्रधतधनधधत्व करता है धजसमें आउर्पुर् उत्पन्न करने के
धलए दो इनपुर् सूंयुक्त होते हैं।
जब हम एक कारक को धस्थर रखते हैं और दूसरे को बढ़ाते रहते हैं, तो कारक अनुपात
बदल जाता है।
प्रारूं भ में, जैसा कक हम चर इनपुर् की मात्रा बढ़ाते हैं।
कारक अनुपात उत्पादन के धलए अधधक से अधधक उपयुक्त हो जाते हैं और सीमाूंत
उत्पाद बढ़ जाते हैं।
लेककन रोजगार के एक धनधित स्तर के बाद, उत्पादन प्रकिया चर इनपुर् के साथ बहुत
सूंकीणा हो जाती है।
मान लीधजए कक ताधलका 3.2 में एक ककसान के उत्पादन का वणान है, धजसके पास 4
हेक्र्ेयर भूधम है, और वह यह चुन सकता है कक वह ककतना श्रम उपयोग करना चाहता
है।
यकद वह के वल 1 श्रधमक का उपयोग करता है, तो उसके पास अके ले खेती करने के धलए
बहुत अधधक भूधम है।
जैसे-जैसे वह श्रधमकों की सूंख्या बढ़ाता है, प्रधत इकाई भूधम पर श्रम की मात्रा बढ़ती है,
और प्रत्येक श्रधमक कु ल उत्पादन में आनुपाधतक रूप से अधधक से अधधक श्रम अनुपात
जोड़ता है।
इस चरण में सीमाूंत उत्पाद बढ़ता है।
जब चौथे कमाचारी को काम पर रखा जाता है, तो भूधम को 'सघनता ' धमलनी शुरू हो
जाती है।
प्रत्येक कायाकताा के पास अब कु शलतापूवाक काम करने के धलए अपयााप्त भूधम है।
इसधलए प्रत्येक अधतररक्त कायाकताा द्वारा जोड़ा गया उत्पादन अब आनुपाधतक रूप से
कम है।
सीमाूंत उत्पाद धगरने लगता हैं।
हम इन रर्प्पधणयों का उपयोग TP, MP और AP वि के सामान्य आकार का वणान
करने के धलए कर सकते हैं।
कु ल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद और औसत उत्पाद के उत्पादन वि की आकृ धत
अन्य सभी इनपुर्ों को धस्थर रखने वाले एक इनपुर् की मात्रा में वृधद् उत्पादन में वृधद्
का पररणाम है।
ताधलका 3.2 से पता चलता है कक श्रम की मात्रा बढ़ने पर
कु ल उत्पाद कै से बदलता है।
इनपुर्-आउर्पुर् तल में कु ल उत्पाद वि एक सकारात्मक
रूप से ढलान वाला वि है।
धचत्र 3.1 एक सामान्य फमा के धलए कु ल उत्पाद वि के
आकार को दशााता है।
हम क्षैधतज अक्ष के साथ श्रम और ऊध्वााधर अक्ष के साथ आउर्पुर् इकाइयों को मापते
हैं।
श्रम की L इकाइयों के साथ, फमा उत्पादन के अधधकाूंश q1 इकाइयों का उत्पादन कर
सकती है।
पररवतानीय अनुपात के धनयम के अनुसार, एक इनपुर् का सीमाूंत उत्पाद शुरू में बढ़ता
उत्पादन और लागत
पररणामथवरूप, यकद उत्पादन दोगुना हो जाता है, तो उत्पादन कायत सीआरएस प्रदर्शशत
करता है।
यकद आउटपुट दोगुना से कम है, तो DRS धारण करता है, और यकद यह दोगुना से
गतणतीय रूप से, हम कह सकते हैं कक यकद हमारे पास उत्पादन फलन पैमाने पर
यानी नया आउटपुट लेवल f (tK, tL) तपछले आउटपुट लेवल f (K, L) से ठीक t गुना
ज्यादा है। t के वल तभी बाहर आएगी जब सभी इनपुट समान अनुपात में बढ़ाए जाएंगे।
इसी प्रकार, उत्पादन फलन अगर, f (tK, tL)> t.f (K, L) के प्रततफल को बढ़ाता है।
यह घटते हुए ररटनत को पैमाने पर प्रदर्शशत करता है अगर, f (tK, tL) <t.f (K, L)
लागत
लघुअवतध में, कु छ इनपुट तवतवध नहीं हो सकते हैं, और तथथर रह सकते हैं
इन तनतित तनतवतियों को तनयोतजत करने के तलए एक फमत जो लागत लगाता है, उसे
कु ल तनतित लागत (TFC) कहा जाता है। यह आउटपुट पर तनभतर नहीं करता है |
फमत जो भी उत्पादन करता है, यह लागत फमत के तलए तनतित रहती है
लागत नहीं बदलेगी)। इसतलए, जैसे-जैसे आउटपुट बढ़ता है, कु ल पररवततनीय लागत
और कु ल लागत में वृति होती है।
उत्पादन के सभी थतरों के तलए, कु ल तनधातररत लागत 20 रु।
आउटपुट बढ़ने पर कु ल पररवततनीय लागत बढ़ जाती है।
आउटपुट शून्य के साथ, टीवीसी(TVC) शून्य है
फमत द्वारा ककए गए लघु अवतध औसत लागत (SAC) आउटपुट की प्रतत यूतनट कु ल
लागत है |
SAC =TC/q
जहां q आउटपुट है।
शून्य आउटपुट पर, SAC अपररभातषत है
पहली इकाई के तलए, SAC30 रु। है; उत्पादन की 2 इकाइयों के तलए, SAC 19 रुपये
और इसी प्रकार है।
इसी प्रकार, औसत पररवततनीय लागत (AVC) को आउटपुट की प्रतत इकाई कु ल
पररवततनीय लागत के रूप में पररभातषत ककया गया है।
AVC =TVC/q
इसके अलावा, औसत तनतित लागत (AFC) है
AFC =TFC/q
थपि रूप से SAC = AVC + AFC
आउटपुट की पहली इकाई के तलए, AFC 20 रुपये और AVC 10 रुपये है। उन्हें जोडने
लघु अवतध सीमांत लागत (एसएमसी) को आउटपुट में पररवततन की प्रतत यूतनट कु ल
लागत में पररवततन के रूप में पररभातषत ककया गया है
SMC = कु ल लागत में बदलाव / आउटपुट में बदलाव
=∆TC/ ∆ q
जहां डेल्टा चर के मूल्य में पररवततन का प्रतततनतधत्व करता है
इस प्रकार q = 5 पर,
TC में बदलाव = (q पर TC = 5 ) - (q पर
TC = 4) (3.12)
= (53) - (49)
=4
q में बदलाव = 1
SMC = 4/1 = 4
सीमांत उत्पाद के मामले की तरह, सीमांत लागत
भी उत्पादन के शून्य थतर पर अपररभातषत है
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूणत है कक अल्पावतध
में, तनतित लागत को बदला नहीं जा सकता है
आउटपुट की पहली इकाई के तलए, एसएमसी 10 रुपये है; दूसरी इकाई के तलए,
इसतलए, जैसे-जैसे आउटपुट बढ़ता है, कु ल पररवततनीय लागत और कु ल लागत में वृति
होती है
कु ल तनधातररत लागत, हालांकक, उत्पाकदत उत्पादन की मात्रा से थवतंत्र है और उत्पादन
के सभी थतरों के तलए तथथर रहती है
हम x- अक्ष पर आउटपुट रखते हैं और y- अक्ष पर लागत
जब उत्पादन शून्य के करीब होता है, तो AFC अव्यवतथथत रूप से बढ़ता है, और जैसे
AFC वि, वाथतव में, एक आयताकार अततपरवलय है। यकद हम इसके संबंतधत AFC
के साथ आउटपुट के ककसी भी मूल्य q को गुणा करते हैं, तो हमें हमेशा TFC तमलता है
हम क्षैततज अक्ष के साथ आउटपुट और ऊध्वातधर अक्ष के साथ AFC को मापते हैं ।
= OF × Oq1
तचत्र 3.5 में, F पर ऊध्वातधर अक्ष को काटने वाली क्षैततज सीधी रे खा TFC वि है।
के साथ बढ़ता जाता है, और कफर एक तनतित बबदु के बाद यह घटता जाता है।
इसका मतलब उत्पादन की प्रत्येक अततररक्त इकाई का उत्पादन करना है, कारक की
AVC सीमांत लागत का औसत है, यह भी तगरता है, लेककन तगरावट SMC से कम
= OV × Oq0
AFC का योग है। प्रारं भ में, AVC और AFC दोनों आउटपुट बढ़ने के साथ घटते हैं।
उत्पाकदत उत्पादन के एक तनतित थतर के बाद, AVC बढ़ने लगती है, लेककन AFC
लगातार तगरती जाती है।
शुरू में AFC में तगरावट AVCमें वृति से अतधक है औरSAC अभी भी तगर रही है।
लेककन, उत्पादन के एक तनतित थतर के बाद, AVC में वृति AFC में तगरावट से बडी
हो जाती है।
इस बबदु से, SAC बढ़ता है। SAC वि इसतलए ’U’- आकार का है।
यह AVC वि के ऊपर तथथत है तजसमें ऊध्वातधर अंतर AFCके मूल्य के बराबर है।
q 1 के दाईं ओर AVC बढ़ रहा है और SMC AVC से अतधक है। SMC वि AVC
दीघातवतध लागत
दीघातवतध में, सभी इनपुट पररवततनशील हैं। कोई तनतित लागत नहीं है। कु ल लागत
दीघातवतध में औसत लागत (LRAC) को प्रतत यूतनट उत्पादन लागत के रूप में
LRAC = TC / q
दीघातवतध तक सीमांत लागत (LRMC) उत्पादन में पररवततन की प्रतत इकाई कु ल लागत
में पररवततन है।
यकद हम उत्पादन के q1-1 से q1 इकाइयों तक उत्पादन बढ़ाते हैं, तो q1 वी इकाई के
उत्पादन की सीमांत लागत को तनम्नानुसार मापा जाएगा।
LRMC = (q1 इकाइयों पर TC) - ( q1 - 1 इकाइयों पर TC)
लघु अवतध की तरह, दीघतवतध में, कु छ उत्पादन थतर तक सभी सीमांत लागतों का योग
हमें उस थतर पर कु ल लागत देता है।
दीघतवतध लागत वि का आकार
हमने पहले पैमाने के प्रततफल पर चचात की है। अब हम LRAC के आकार के तलए उनके
तनतहताथत देखते हैं।
आईआरएस का तात्पयत है कक यकद हम एक तनतित अनुपात से सभी इनपुट बढ़ाते हैं, तो
आउटपुट उस अनुपात से अतधक बढ़ जाता है।
दूसरे शब्दों में, एक तनतित अनुपात से आउटपुट बढ़ाने के तलए, इनपुट को उस अनुपात
से कम की आवश्यकता होती है।
कदए गए इनपुट मूल्यों के साथ, लागत भी कम अनुपात से बढ़ती है। उदाहरण के तलए,
मान लें कक हम आउटपुट को दोगुना करना चाहते हैं।
ऐसा करने के तलए, इनपुट बढ़ाने की जरूरत है, लेककन दोगुने से भी कम। वह लागत जो
फमत उन इनपुट को ककराए पर देने के तलए
लगाती है इसतलए भी इसे दोगुने से कम बढ़ाने
की जरूरत है।
यहााँ औसत लागत का क्या हो रहा है? यह
मामला होना चातहए कक जब तक आईआरएस
संचातलत होता है, फमत द्वारा उत्पादन में वृति
के साथ औसत लागत तगरती है।
DRS का तात्पयत है कक यकद हम एक तनतित अनुपात से आउटपुट बढ़ाना चाहते हैं, तो
इनपुट को उस अनुपात से अतधक बढ़ाना होगा।
पररणामथवरूप, लागत भी उस अनुपात से अतधक बढ़ जाती है। इसतलए, जब तक
DRS संचातलत होता है, फमत द्वारा उत्पादन में वृति के साथ औसत लागत बढ़ रही
होगी।
CRS का तात्पयत इनपुट में आनुपाततक वृति से है, तजसके पररणामथवरूप उत्पादन में
आनुपाततक वृति होती है।
जब तक सीआरएस संचातलत होता है, तब तक औसत लागत तथथर रहती है। यह तकत
कदया जाता है कक एक सामान्य फमत में आईआरएस उत्पादन के प्रारं तभक थतर पर माना
जाता है।
इसके बाद CRS और उसके बाद DRS होता है। तदनुसार, LRAC वि, U’- आकार
का वि है।
इसका नीचे की ओर ढलान वाला तहथसा IRS से मेल खाता है और ऊपर की ओर उठता
LRAC वि के न्यूनतम बबदु पर, CRS माना जाता है। आइए हम जांचें कक LRMC
वि कै सा कदखता है।
आउटपुट की पहली इकाई के तलए, LRMC और LRAC दोनों समान हैं।
कफर, आउटपुट बढ़ने के साथ, LRAC शुरू में तगरता है, और कफर, एक तनतित बबदु के
जब तक औसत लागत तगर रही है, सीमांत लागत औसत लागत से कम होनी चातहए।
जब औसत लागत बढ़ रही है, तो सीमांत लागत औसत लागत से अतधक होनी चातहए।
तचत्र 3.9 एक तवतशि फमत के तलए दीघतवतध सीमांत लागत और दीघातवतध औसत
लागत वि के आकार को दशातता है।
LRAC q1 पर अपने न्यूनतम मान पर पहुंचता है। Q1 के बाईं ओर, LRAC तगर रहा
लघु अवतध में, उत्पादन के ककसी भी थतर के तलए, उस थतर तक सीमांत लागतों का
योग हमें कु ल पररवततनीय लागत देता है।
उत्पादन के ककसी भी थतर तक SMC वि के तहत क्षेत्र हमें उस थतर तक कु ल
पररवततनीय लागत देता है।
LRAC और LRMC दोनों वि ‘U’ आकार के हैं।
पररचय
चूूँकक हम जानते हैं कक फमण लाभ चाहती हैं - इसतलए, एक फमण जो बाजार में उत्पादन
और तबक्री करती है वह है जो उसके लाभ को अतधकतम करती है
हम यह भी मानते हैं कक फमण जो भी उत्पादन करती है वह बेचती है इसतलए ‘आउटपुट
पूणण प्रततयोतगता
ककसी फमण के लाभ अतधकतमकरण का तवश्लेषण करने के तलए, हमें बाजार के वातावरण
को तनर्ददष्ट करना होगा तजसमें फमण कायण करता है
ऐसे बाजार के माहौल को पूणण प्रततस्पधाण कहा जाता है।
अल्पातधकार(oligopoly)
शब्द "oligopoly" एक ऐसे उद्योग को सांदर्तभत करता है, जहाां के वल कु छ ही फमें काम करती हैं।
ऑतलगोपोली में, ककसी भी एकल फमण के पास बडी मात्रा में बाजार की शति नहीं होती है। इस प्रकार,
कोई भी फमण अपनी कीमतों को उस कीमत से ऊपर उठाने में सक्षम नहीं है जो एक पररपूणण प्रततयोतगता
पररदृश्य के तहत मौजूद होगी। ओतलगोपॉली एक बाजार की तस्थतत है तजसमें एक उद्योग में के वल कु छ
फमण या कु छ बडी फमें होती हैं, जो अपने अतधकाांश उत्पादन मूल्य और आउटपुट के बारे में तनणणय लेने के
तलए पारस्पररक रूप से तनभणर करती हैं।
एकातधकार (Monopoly)
‘मोनो’ का अथण है एकल और ’पॉली’ का अथण है तवक्रेता, अथाणत एकल तवक्रेता। एकातधकार एक बाजार की
तस्थतत है जहाां कमोतडटी बेचने वाली एक ही फमण है और एकातधकार द्वारा बेचे गए कमोतडटी का कोई
करीबी तवकल्प नहीं है। उदाहरण - रे लवे
4. सूचना एकदम पूणण होती है (उत्पाद के बारे में पूरी तरह से बताया गया है)
है, इसतलए एक खरीदार बाजार में ककसी भी फमण से खरीद सकता है, और उसे एक ही
उत्पाद तमलता है।
तन: शुल्क प्रवेश और तनकास का मतलब है कक फमों के तलए बाजार में प्रवेश करना
आसान है, साथ ही साथ यह छोडना आसान है कक बडी सांख्या में फमों के तलए मौजूद
रहें
सांपूणण जानकारी का तात्पयण है कक सभी खरीदारों और सभी तवक्रेताओं को उत्पाद, साथ
ही बाजार के बारे में पूरी तरह से कीमत, गुणवत्ता और अन्य प्रासांतगक तववरणों के बारे
में बताया जाता है।
इन सभी तवशेषताओं के पररणामस्वरूप पूणण प्रततयोतगता की एकल सबसे तवतशष्ट
तवशेषता है: मूल्य व्यवहार
कीमत लेने वाली एक फमण का मानना है कक अगर यह बाजार मूल्य से ऊपर की कीमत
तय करता है, तो वह अपने द्वारा उत्पाकदत ककसी भी मात्रा को बेचने में असमथण होगा।
दूसरी ओर, तनधाणररत मूल्य बाजार मूल्य से कम या उसके बराबर होना चातहए, फमण
उतनी ही अच्छी इकाइयाां बेच सकता है तजतनी वह बेचना चाहता है।
एक खरीदार स्पष्ट रूप से सबसे कम सांभव कीमत पर वस्तु खरीदना पसांद करे गा, लेककन
खरीदार को उतनी ही कई इकाइयाूँ तमल सकती हैं, तजतनी वह खरीदना चाहता है|
अतधक व्यापक व्याख्या:
आइए हम एक ऐसी तस्थतत से शुरू करते हैं जहाां बाजार में प्रत्येक फमण एक ही (बाजार)
कीमत वसूलती है
मान लीतजए, अब एक फमण बाजार मूल्य से ऊपर अपनी कीमत बढाती है
चूांकक सभी फमण एक ही वस्तु का उत्पादन करते हैं और सभी खरीदार बाजार मूल्य के
बारे में जानते हैं, इसतलए प्रश्न में फमण अपने सभी खरीदारों को खो देती है
इसके अलावा, जैसा कक ये खरीदार अपनी खरीद को अन्य फमों पर पररवतणन करते हैं,
कोई "समायोजन" समस्याएां उत्पन्न नहीं होती हैं; बाजार में कई अन्य फमों के होने पर
उनकी माांग को आसानी से समायोतजत ककया जा सकता है
वास्तव में यही मूल्य व्यवहार का सही अथण है
एकातधकार और अल्पातधकार के तवपरीत
राजस्व
बता दें कक q वस्तु उत्पादन की मात्रा है, और इसतलए कीमत p पर फमण द्वारा बेची
जाती है
कफर, फमण के कु ल राजस्व (TR) को वस्तु के बाज़ार मूल्य (p )से फमण के उत्पादन के
गुणनफल के रूप में पररभातषत ककया गया है
इसतलए, TR = p × q
उदाहरण
है |
तीन अवलोकन:
दूसरे शब्दों में, कीमत लेने वाली फमण के तलए, औसत राजस्व बाजार मूल्य के बराबर
होता है
फमण के आउटपुट (x- अक्ष) के तवतभन्न मूल्यों के तलए औसत राजस्व / बाजार मूल्य (y-
चूांकक बाजार मूल्य p पर तय ककया गया है, इसतलए हम एक क्षैततज सीधी रे खा प्राप्त
चाहती है)
लोचदार (बदल सकता है) बनाम लोचरतहत (मूल्य में पररवतणन और मात्रा की माांग
फमण के सीमाांत राजस्व (MR) को फमण के आउटपुट में इकाई वृतद् के तलए कु ल राजस्व में
वृतद् के रूप में पररभातषत ककया गया है
मोमबत्ती के 2 बक्से की तबक्री से कु ल राजस्व रु। 20 है और मोमबतत्तयों के 3 बक्से की
= 30 - 20 / 3-2
= 10
क्या यह सांयोग है कक यह कीमत के समान ही है?
=p
तार्दकक रूप से, जब कोई फमण अपने उत्पादन को एक इकाई से बढाती है, तो यह
लाभ अतधकतमकरण
3. फमण का उत्पादन जारी रखने के तलए, कम समय में, मूल्य औसत पररवतणनीय लागत (p
> avc) से अतधक होना चातहए; लांबे समय में, कीमत औसत लागत (p> ac) से अतधक
होनी चातहए।
अध्याय 4 भाग 2
लाभ अतधकिमकरर्
3. फमण का उत्पादन जारी रखने के तलए, अल्पावतध में, मूल्य औसि पररविणनीय
लागि (पी> एवीसी) से अतधक होना चातहए; लांबे समय में, कीमि औसि
लागि (पी> एसी) से अतधक होनी चातहए।
शिण 1
शिण 2
लांबे समय में एक लाभ- बढ़ाने वाली फमण, एक उत्पादन स्िर पर उत्पादन नहीं
करे गा, तजसमें बाजार मूल्य AC की िुलना में कम है
इसतलए, आपूर्जि वक्र के साथ जैसे ही हम नीचे जािे हैं, अांतिम मूल्य-आउटपुट
सांयोजन तजस पर फमण सकारात्मक उत्पादन करिा है वह न्यूनिम AVC का
बबदु है जहाां SMC वक्र AVC वक्र को काटिा है। इसके नीचे, कोई उत्पादन
नहीं होगा।
इस बबदु को फमण का शॉटण रन शट डाउन बबदु कहा जािा है। लांबे समय में,
हालाांकक, शट डाउन बबदु LRAC वक्र का न्यूनिम है
सामान्य लाभ और ब्रेक-इवन पॉइां ट (THE NORMAL PROFIT AND BREAK
EVEN POINT)
मौजूदा व्यवसाय में एक फमण को बनाये रखने के तलए आवश्यक न्यूनिम स्िर के
लाभ को सामान्य लाभ के रूप में पररभातषि ककया गया है।
एक फमण जो सामान्य लाभ नहीं कमािी है वह व्यवसाय में जारी रहने वाली
नहीं है।
सामान्य लाभ इसतलए फमण की कु ल लागि का एक तहस्सा है।
उन्हें उद्यतमिा के तलए अवसर लागि के रूप में सोचना उपयोगी हो सकिा है।
लाभ यह है कक एक फमण सामान्य लाभ के ऊपर और ऊपर कमािा है तजसे
सुपर-सामान्य लाभ कहा जािा है।
लांबे समय में, एक फमण का उत्पादन नहीं होिा है अगर वह सामान्य लाभ से
कम कमािा है।
अल्पावतध में, हालाांकक, यह उत्पादन हो सकिा है भले ही लाभ इस स्िर से कम
हो। आपूर्जि वक्र पर बबदु तजस पर एक फमण के वल सामान्य लाभ कमािी है उसे
फमण का ब्रेक-इवन पॉइां ट कहा जािा है।
न्यूनिम औसि लागि का बबदु तजस पर आपूर्जि वक्र LRAC वक्र (सांक्षेप में,
SAC वक्र) को काटिा है, इसतलए एक फमण का ब्रेक-ईवन बबदु है।
अवसर लागि
मौजूदा व्यविाय में एक फमण को बनाये रखने के तलए ाअवश्यक न्यूनतम स्तर के लाभ
को िामान्य लाभ के रूप में पररभातित ककया गया है।
एक फमण जो िामान्य लाभ नहीं कमाती है वह व्यविाय में जारी रहने वाली नहीं है।
िामान्य लाभ ाआितलए फमण की कु ल लागत का एक तहस्िा है।
ाआिे ाईद्यतमता के तलए ाऄविर लागत के रूप में िोचना ाईपयोगी हो िकता है।
लाभ तजिे एक फमण िामान्य लाभ के ाउपर और ाऄतधक मात्रा में कमाता है तजिे िुपर-
ाअपूर्तत वक्र पर बबदु, तजि पर एक फमण के वल िामान्य लाभ कमाती है, ाईिे फमण का
ब्रेक-ाआवन पॉाआां ट कहा जाता है। (ब्रेक ाआवेंट पॉाआां ट वह बबदु है, जहाां कु ल लागत कु ल
न्यूनतम औित लागत का बबदु तजि पर ाअपूर्तत वक्र LRAC वक्र (िांक्षप
े में, SAC वक्र)
तपछले खांड में, हमने देखा है कक एक फमण की ाअपूर्तत वक्र ाआिकी िीमाांत लागत वक्र का
एक तहस्िा है।
ाआि प्रकार, कोाइ भी कारक जो फमण के िीमाांत लागत वक्र को प्रभातवत करता है, तनतित
रूप िे ाआिकी ाअपूर्तत वक्र का एक तनधाणरक है।
ाआि खांड में, हम ऐिे दो कारकों पर चचाण करते हैं।
तकतनकी प्रगतत
फमण द्वारा एक िांगठनात्मक नवाचार के बाद, पूांजी और श्रम के िमान स्तर ाऄब ाईत्पादन
की ाऄतधक ाआकााआयों का ाईत्पादन करते हैं।
ाऄलग तरह िे रखने पर , ककिी कदए गए स्तर का ाईत्पादन करने के तलए, िांगठनात्मक
नवाचार फमण को ाआनपुट की कम ाआकााआयों का ाईपयोग करने की ाऄनुमतत देता है।
यह ाईत्पादन के ककिी भी स्तर पर फमण की िीमाांत लागत को कम करे गा; तजिमे ,
जैिा कक फमण की ाअपूर्तत वक्र ाऄतनवायण रूप िे एमिी वक्र का एक खांड है, तकनीकी
प्रगतत फमण के ाअपूर्तत वक्र को दाईं ओर स्थानाांतररत करती है।
ककिी भी बाजार मूल्य पर, फमण ाऄब ाअाईटपुट की ाऄतधक ाआकााआयों की ाअपूर्तत करती है।
ाआनपुट मूल्य
ाआनपुट की कीमतों में बदलाव भी फमण के ाअपूर्तत वक्र को प्रभातवत करता है।
यकद एक ाआनपुट की कीमत (कहते हैं, श्रम की मजदूरी दर) बढ़ जाती है, तो ाईत्पादन की
लागत बढ़ जाती है।
ाईत्पादन के ककिी भी स्तर पर फमण की औित लागत में पररणामी वृतद् ाअमतौर पर
ाईत्पादन के ककिी भी स्तर पर फमण की िीमाांत लागत में वृतद् के िाथ होती है।
यानी MC वक्र का बाईं (या ाउपर की ओर) तखिकाव होता है।
ाआिका ाऄथण है कक फमण की ाअपूर्तत वक्र बाईं ओर तिफ्ट होती है: ककिी भी बाजार मूल्य
कफर, यकद फमण 10 ाआकााआयों का ाईत्पादन करती है और बेचती है, तो िरकार को कां पनी
तचत्र 4.11 में, LRMC1 और LRAC1 क्रमिाः हैं, दीघणकातलक िीमाांत लागत वक्र और
ाआकााइ कर लगाने पर फमण की दीघणकातलक औित लागत वक्र हैं ।
ध्यान दें कक ाआकााइ कर फमण के लांबे िमय तक चलने वाले ाअपूर्तत वक्र को बाईं ओर तिफ्ट
करता है: ककिी भी बाजार मूल्य पर, फमण ाऄब ाअाईटपुट की कम ाआकााआयों की ाअपूर्तत करती
है।
बाजार की ाअपूर्तत वक्र ाअाईटपुट स्तर (x-ाऄक्ष पर प्लॉट ककए गए) को कदखाती है जो बाजार
में फमों को बाजार मूल्य के ाऄलग-ाऄलग मूल्यों (वााइ-ाऄक्ष पर प्लॉट ककए गए) के ाऄनुरूप
बनाती है।
बाजार का ाअपूर्तत वक्र कै िे प्राप्त ककया जाता है? n फमों के िाथ एक बाजार पर तवचार
करें : फमण 1, फमण 2, फमण 3, और ाआिी तरह। मान लीतजए कक बाजार मूल्य p पर तनधाणररत
है।
कफर, n फमों द्वारा कु ल में ाईत्पाकदत ाईत्पादन [मूल्य p पर फमण 1 की ाअपूर्तत] + [कीमत p
गया है; पैनल (बी) मे, हमारे पाि एि 2 द्वारा तनरूतपत फमण 2 का ाअपूर्तत वक्र है।
तचत्र 4.13 का पैनल (िी) Sm द्वारा तनरूतपत बाजार की ाअपूर्तत वक्र को दिाणता है। जब
बाजार मूल्य 1 p िे नीचे होता है, तो दोनों कां पतनयाां ककिी भी राति का ाऄच्छा ाईत्पादन
नहीं करने का तवकल्प चुनती हैं।
ाआितलए, ऐिे िभी मूल्यों के तलए बाजार की ाअपूर्तत भी िून्य होगी।
बाजार मूल्य िे ाऄतधक या 2 p के बराबर के तलए, दोनों फमों में िकारात्मक ाईत्पादन स्तर
होंगे।
ाईदाहरण के तलए, ऐिी तस्थतत पर तवचार करें , तजिमें बाजार मूल्य p3 माना गया है
ाआकााआयों की ाअपूर्तत करता है, जबकक फमण 2 ाअाईटपुट की q 4 ाआकााआयों की ाअपूर्तत करता
है।
तो, कीमत p3 पर बाजार की ाअपूर्तत q5 है, जहाां q5 =
q3 + q4 है।
ध्यान दें कक बाजार का ाअपूर्तत वक्र , Sm, पैनल (c) का तनमाणण कै िे ककया जा रहा है: हम
तविेि रूप िे, यकद बाजार में फमों की िांख्या बढ़ती है (घटती है), तो बाजार की ाअपूर्तत
ध्यान दें कक S 1 (p) ाआां तगत करता है कक (1) फमण 1,0 का ाईत्पादन करता है यकद बाजार
मूल्य, p, 10 िे कम है, और (2) फमण 1 बाजार में ाईत्पादन (p - 10) करता है। यकद
ाऄब, बाजार का ाअपूर्तत वक्र, Sm (p), बि दो फमों के ाअपूर्तत वक्र को जोडता है; दूिरे
िब्दों में
एक वस्तु की ाअपूर्तत की कीमत लोच, वस्तु की कीमत में पररवतणन के तलए ाअपूर्तत की
गाइ मात्रा की जवाबदेही है।
तविेि रूप िे, eS द्वारा तनरूतपत ाअपूर्तत की कीमत लोच,
= ाअपूर्तत की गाइ मात्रा में प्रततित पररवतणन / मूल्य में प्रततित पररवतणन
जहाां DQ बाजार में ाअपूर्तत की जाने वाली वस्तु की मात्रा में पररवतणन है क्योंकक DP
द्वारा बाजार मूल्य में पररवतणन होता है।
मान लीतजए कक कक्रके ट गेंदों का बाजार पूरी तरह िे प्रततस्पधी है।
जब एक कक्रके ट बॉल की कीमत 10 रुपये होती है, तो हम मान लेते हैं कक बाजार में
कां पतनयों द्वारा कु ल तमलाकर 200 कक्रके ट बॉल का ाईत्पादन ककया जाता है।
जब ककिी कक्रके ट बॉल की कीमत 30 रुपये तक बढ़ जाती है, तो हम मान लेते हैं कक
1,000 कक्रके ट बॉल का ाईत्पादन कां पतनयों द्वारा कु ल तमलाकर ककया जाता है।
नीचे दी गाइ तातलका में िांक्षेतपत जानकारी का ाईपयोग करके ाअपूर्तत की गाइ मात्रा और
बाजार मूल्य में प्रततित पररवतणन का ाऄनुमान लगाया जा िकता है:
जब ाअपूर्तत वक्र ाउध्वाणधर होता है, तो ाअपूर्तत पूरी तरह िे मूल्य के प्रतत ाऄिांवेदनिील
होती है और ाअपूर्तत की लोच िून्य होती है।
ाऄन्य मामलों में, जब ाअपूर्तत वक्र िकारात्मक रूप िे ढलान पर होता है, तो मूल्य में
वृतद् के िाथ ाअपूर्तत बढ़ जाती है और ाआितलए, ाअपूर्तत की लोच िकारात्मक होती है।
माांग की कीमत लोच की तरह, ाअपूर्तत की कीमत लोच भी ाआकााआयों िे स्वतांत्र है।
ज्यातमतीय तवतध
तचत्र 4.1 4 पर तवचार करें । पैनल (a) एक िीधी रे खा की ाअपूर्तत वक्र कदखाता है। S
ाअपूर्तत वक्र पर एक बबदु है।
ऐिी ाअपूर्तत वक्र पर ककिी भी बबदु S के तलए, हम देखते हैं कक Mq0> Oq0। ाआि तरह
पैनल (c) में हम एक िीधी रे खा की ाअपूर्तत वक्र पर तवचार करते हैं और S ाईि पर एक
कफर िे ाआि ाअपूर्तत वक्र की कीमत लोच बबदु S पर ाऄनुपात Mq0 / Oq0 द्वारा दी गाइ
है।
ाऄब, Mq0 <Oq0 और ाआितलए, eS <1. S ाअपूर्तत वक्र पर कोाइ बबदु हो िकता है,
ाऄब हम पैनल (b) पर ाअते हैं। यहााँ ाअपूर्तत वक्र मूल बबदु के माध्यम िे जाता है।
कोाइ कल्पना कर िकता है कक बबदु M की ाईत्पति यहाां िे हुाइ है, ाऄथाणत, M00 ,Oq0 के
बराबर हो गया है।
बबदु S पर ाआि ाअपूर्तत वक्र की कीमत लोच, Oq0 / Oq0 द्वारा दी गाइ है, जो कक 1 के
बराबर है।
एक िीधी रे खा पर ककिी भी बबदु पर, मूल बबदु मूल्य लोच िे गुजरने वाला ाअपूर्तत
वक्र 1 होगा।
िाराांि
एक पूरी तरह िे प्रततस्पधी बाजार में, कां पतनयाां कीमत लेने वाली हैं।
ककिी फमण का कु ल राजस्व, वस्तु के बाजार मूल्य और फमण द्वारा ाईत्पाकदत वस्तु के
गुणनफल के बराबर है।
मूल्य लेने वाली फमण के तलए, औित राजस्व बाजार मूल्य के बराबर है।
मूल्य लेने वाली फमण के तलए, िीमाांत राजस्व बाजार मूल्य के बराबर है।
माांग वक्र जो एक प्रततस्पधी बाजार में एक फमण का िामना करता है वह पूरी तरह िे
लोचदार है; यह बाजार मूल्य पर एक क्षैततज िीधी रे खा है।
एक फमण का लाभ ाऄर्तजत कु ल राजस्व और कु ल लागत के बीच का ाऄांतर है।
यकद ाईत्पादन का एक िकारात्मक स्तर है तजि पर एक फमण के लाभ को ाऄल्पावतध में
ाऄतधकतम ककया जाता है, तो ाईत्पादन स्तर पर तीन ितें होनी चातहए।
(i) p = SMC
यकद ाईत्पादन का एक िकारात्मक स्तर है तजि पर एक फमण के लाभ को लांबे िमय में
ाऄतधकतम ककया जाता है, तो ाईत्पादन स्तर पर तीन ितें होनी चातहए
(i) p = LRMC
(iii) p ³ LRAC.
एक फमण लघु कातलक ाअपूर्तत वक्र, न्यूनतम AVC िे कम िभी कीमतों के तलए 0
ाअाईटपुट के िाथ-िाथ न्यूनतम AVC के ाउपर और ाउपर SMC वक्र का बढ़ता तहस्िा
है।
एक फमण का दीघणकातलक ाअपूर्तत वक्र, LRMC की वक्र िे ाउपर और न्यूनतम LRAC के
ाउपर का भाग है,यह न्यूनतम LRAC िे कम िभी कीमतों के तलए 0 ाअाईटपुट के िाथ
है ।
तकनीकी प्रगतत एक फमण के ाअपूर्तत वक्र को दाईं ओर स्थानाांतररत करता है।
ाआनपुट कीमतों में वृतद् (कमी) एक फमण की ाअपूर्तत वक्र को बाएां (दाएां) और
स्थानाांतररत करती है।
एक ाआकााइ कर (यूतनट टैक्ि) लगाने िे फमण के िप्लााइ वक्र को बाईं ओर तिफ्ट ककया
जाता है।
बाजार ाअपूर्तत वक्र व्यतक्तगत फमों के ाअपूर्तत वक्र के क्षैततज योग द्वारा प्राप्त ककया
जाता है।
एक वस्तु की ाअपूर्तत की कीमत लोच ाअपूर्तत की गाइ मात्रा में प्रततित पररवतणन होता है
जो वस्तु के बाजार मूल्य में एक प्रततित पररवतणन के कारण होता है।
अध्याय 5 भाग 1
बाजार संतुलन
भूममका
• इस अध्याय को अध्याय 2 और 4 में ननधाा ररत न वीं पर बनाया जाएगा, जहााँ हमने उपभोक्ता और
व्यावसानयक सींस्थानोीं के व्यवहार का अध्ययन नकया जब वे क मत लेते हैं ।
• अध्याय 2 में, हमने दे खा है नक एक वस्तु (कमोनिट ) के नलए नकस व्यक्ति की मााँ ग वक्र हमें बतात है नक
जब वह द गई क मत लेता है , तो उपभोक्ता नवनभन्न क मतोीं पर नकस मात्रा में वस्तु को खर दने के नलए
तैयार है ।
• बदले में बाजार की मां ग वक्र हमें बतात है नक जब सभ एकसाथ सामान लेते हैं तो सभ उपभोक्ता
नकतन वस्तुओीं को अलग-अलग क मतोीं पर खर दने के नलए तैयार रहते हैं जब हर कोई द गय क मत
लेता है ।
• अध्याय 4 में , हमने दे खा है नक एक व्यक्तक्तगत फमा क आपूनता वक्र हमें उस कमोनिट क मात्रा बतात है
जो एक लाभ-अनधकतम करने वाल फमा अलग-अलग क मतोीं पर बे चना चाहे ग , जब वह दी गई कीमत
लेत है ।
• बाजार की आपूमति वक्र हमें बतात है नक सभ फमों को जब एक साथ लाया जाये तो वे नकतन वस्तुओीं
को अलग-अलग क मतोीं पर आपूनता करना चाहे ग , जब प्रत्येक फमा द गय क मत ले त है ।
• इस अध्याय में , हम उपभोक्ताओीं और फमों दोनोीं के व्यवहार को माीं ग-आपूनता नवश्लेषण के माध्यम से
बाजार संतुलन का अध्ययन करें गे । जो इन्हें जोड़ते तथा ननधाा ररत करते हैं नक नकस क मत पर सींतुलन
प्राप्त होगा। इसके माध्यम से हमें सींतुलन क मात्रा और सींतुलन क क मत का पता चल जाता है ।
• उपभोक्ताओीं का उद्दे श्य अपन प्राथनमकताओीं को अनधकतम करना तथा कींपननयोीं का अपने लाभ को
अनधकतम करना है ।
• उपभोक्ताओीं और कम्पननयोीं दोनोीं के उद्दे श्य सींतुलन में सुसींगत हैं ।
• संतुलन कय एक ऐसी क्तथिमत के रूप में पररभामित मकया जाता है , जहां बाजार में सभी उपभयिाओं
और फमों की ययजनाएं मे ल खाती हैं और बाजार साफ हयता है ।
• सींतुलन में , सभ कींपननयााँ जो अपन सभ सकल उत्पादोीं को बेचना चाहत हैं , वह उस मात्रा के बराबर
होत हैं , नजसे बाजार के सभ उपभोक्ता खर दना चाहते हैं । दू सरे शब्ोीं में , बाजार क आपूनता बाजार क
माीं ग के बराबर होत है ।
• नजस मूल्य को सींतुनलत नकया जाता है , उसे साम्यावथिा मूल्य (p *) कहा जाता है तथा इस मूल्य पर
खर द और बे च जाने वाल वस्तु को संतुमलत सं चय (q *) कहा जाता है ।
qD (p*) = qS (p*)
• यनद नकस मूल्य पर, बाजार क आपूनता बाजार क माीं ग से अनधक है , तो हम कहते हैं नक उस क मत पर
बाजार में अमि (अमिक) पूमति और यनद बाजार क माीं ग एक
क मत पर बाजार क आपूनता से अनधक है , तो यह कहा जाता है
नक उस क मत पर बाजार में अमि मााँग है ।
• जब भ बाजार क आपूनता बाजार क माीं ग के बराबर नह ीं होत है , तब बाजार सींतुलन में नह ीं होता है ,
नजसके कारण क मत में बदलाव होता रहता है ।
सम-साममयक गमतमवमियां
• एडम क्तिि (1723-1790) के समय से , यह सुनननित नकया गया है नक एक पूणा प्रनतयोनगता बाजार में एक
’अदृश् शक्ति’ है , (आनथाक सवे क्षण 2019-20 में उल्लेख नकया गया है ) जो नक बाजार में असीं तुलन होने
पर क मत में बदलाव करता है (यह एिम क्तिथ क पुस्तक वे ल्थ ऑफ नेशींस में द गई है )। पूणा
प्रनतयोनगता बाजार में , कई क्रेता और नवक्रेता होते हैं और वस्तुओीं क क मतोीं में पररवता न अदृश्य हाथ से
तय नकया जाएगा यान बाजार क शक्तक्तयोीं द्वारा नजसे हम नह ीं दे ख सकते हैं नक यह कैसे काम कर रहा
है ।
• हमारे सहज बोध हमें यह भ बताता है नक इस 'अदृश्य शक्तक्त' को 'अनध मााँ ग' के मामले में क मतें बढान
चानहए और 'अनधपूनता' के मामले में क मतें कम करन चानहए।अदृश्य शक्तक्त इस तरह से काम करे गा नक
अनध मााँ ग या अनधपूनता वापस चल जाएग ।
• लेनकन हम अपने नवश्ले षण के दौरान यह सुनननित करें गे नक "अदृश्य शक्तक्त" काफ महत्वपूणा भूनमका
ननभाता है ।
• इसमें हम यह भ अध्ययन करें गे नक मााँ ग और आपूनता में बदलाव के कारण सींतुलन मू ल्य और मात्रा कैसे
बदलत है ।
• मााँ ग वक्र ि ि हमें बताता है नक वस्तु नकतन होग ीं तथा उपभोक्ता अलग-अलग क मतोीं पर खर दार
करने को तैयार होींगे।
• मानमचत्यं द्वारा, संतुलन एक जगह हयती है , जहााँ बाजार की आपू मति वक्र बाजार की मांग वक्र कय
काटती है । क्ोींनक यह वह जगह है जहाीं बाजार क माीं ग बाजार क आपूनता के बराबर होत है ।
• अन्य सभ च जें मूल्य वृ क्तद् के समान ह रहत हैं । मााँ ग क मात्रा नगर जात है और आपूनता क मात्रा बढ
जात है । (आपू नता का ननयम कहता है नक यनद क मत बढत है तो आपूनता क मात्रा भ बढ जात है )। इस
प्रकार आपूनता वक्र भ बढ जाता है और मााँ ग वक्र कम हो जाता है तो वे सींतुलन के स्थान पर आ जाते हैं ।
• तब बाजार उस नबींदु क ओर बढता है जहााँ कींपननयाीं नजस तादाद में बे चना चाहत हैं , वह उस तादाद के
बराबर है नजसे उपभोक्ता खर दना चाहते हैं ।
• यह तब होता है जब मूल्य p*होता हैं तथा कींपननयोीं के आपू नता ननणाय केवल उपभोक्ताओीं के मााँ ग ननणायोीं के
साथ मेल खाते हैं ।
• कुछ कींपन तब बेचने में सक्षम नह ीं होींगे नजस स्तर पर वे बेचना चाहते हैं । क्ोींनक उनक क मतें अनधक
होत हैं । इसनलए, उन्हें अपन क मतोीं में कम लान पड़े ग ।
• बाक सभ च जें क मत नगरने के जैसे सींचय क मााँ ग बढ जात है तथा आपूनता क मात्रा घट जात है और
p* पर, कींपननयाीं अपने वाीं नछत उत्पादन को बेचने में सक्षम होत हैं क्ोींनक बाजार क मााँ ग उस क मत पर
बाजार क आपूनता के बराबर होत है ।
• सींतुनलत दर और मात्रा ननधाा रण को अनधक स्पष्ट रूप से समझने के नलए, आइए इसे एक उदाहरण के
माध्यम से समझाते हैं
उदाहरर्
• आइए हम एक ऐसे बाजार के उदाहरण पर नवचार करें नजसमें समान गुणवता वाले गेहीं का नवपणन नकया
जाता है ।
• मान ल नजए नक बाजार क मााँ ग वक्र और गेहीं के नलए बाजार क आपूनता वक्र द गई है :
qD = 200 – p for 0 £ p £ 200
qS = 120 + p for p ³ 10
= 0 for 0 £ p < 10
• जहााँ qD और qS क्रमशः गेहाँ (नकग्रा) क मााँ ग और आपूनता को ननरूनपत करते हैं तथा p रुपये में गेहाँ क
क मत प्रनत नकग्रा को दशाा ता है ।
• चूींनक सींतुलन बाजार में मूल्य साफ होता है । हम सींतुलन मू ल्य (p * द्वारा नचनित) बाजार क माीं ग और
आपूनता क बराबर करके प्राप्त करते हैं और प * को हल करते हैं ।
qD(p*) = qS(p*)
200 – p* = 120 + p*
2p* = 80
p* = 40
• इसनलए, गेहीं का सींतुनलत दर 40 रुपये प्रनत नकलोग्राम है । सींतुनलत मात्रा (q* द्वारा दशाा या गया है ) या तो
मााँ ग या आपूनता वक्र के सम करण में सींतुलन दर को प्रनतस्थानपत करके प्राप्त क जात है । क्ोींनक सींतुनलत
मात्रा क मााँ ग और आपूनता बराबर होत हैं ।
qS = q* = 120 + 40 = 160
• p* से कम क मत पर, p1 = 25
qD = 200 – 25 = 175
qS = 120 + 25 = 145
• ब जगनणत य रूप से , अनधमााँ ग (ईि ) को ननम्न के रूप में व्यक्त नकया जा सकता है
ED(p) = qD – qS
= 200 – p – (120 + p)
= 80 – 2p
• उपरोक्त उक्तक्त में ध्यान दें नक p* (= 40) से कम नकस भ क मत के नलए, अनध मााँ ग सकारात्मक होग ।
qD = 200 – 45 = 155
qS = 120 + 45 = 165
ES(p) = qS – qD
= 120 + p – (200 – p)
= 2p – 80
• उपरोक्त अनभव्यक्तक्त पर ध्यान दें नक p* (= 40) से अनधक नकस भ क मत के नलए, अनधपूनता सकारात्मक
होग ।
• श्रम बाजार में , गृहथिी श्रम के आपूमतिकताि हयते हैं तिा श्रम की मााँ ग कंपमनययं से भी आती है । जबमक
सामानयं के मलए बाजार में , यह मवपरीत है । (माल के मलए बाजार में , घर वाले मााँ ग कर रहे हैं यानी
उपभयिा और कंपनी यानी मवक्रेता बेच रहे हैं )
• यहााँ , यह बताना जरूर है नक श्रम से हमारा तात्पया मजदू रोीं द्वारा नदए गए काम के घीं टोीं से है न नक मजदू रोीं
क सींख्या से।
• मजदू र दर श्रम क माीं ग और आपूनता के अीं तथप्रनतछुके दन पर ननधाा ररत होत है । जहााँ श्रम सींतुलन क माीं ग
और आपूनता होत है ।
• अब हम दे खेंगे नक श्रम क मााँ ग और आपूनता वक्र कैसा नदखता है । यह सामानोीं क मााँ ग और आपूनता वक्र
के समान है ।
• एक एकल कींपन के द्वारा श्रम की मााँ ग के अध्ययन करने के नलए, हम मानते हैं नक श्रम उत्पादन का
एकमात्र पररवतानश ल कारक है तथा श्रम बाजार पू री तरह से प्रनतस्पधी है , इसका अथा है नक प्रत्ये क
कंपनी मदए गए संकेतयं के अनुसार मजदू री दर दे ता है ।
• इसके अलावा, नजस कींपन क हम बात कर रहे हैं , वह प्रकृनत में पू र तरह से प्रनतस्पधी है और उत्पादन
को लाभ अनधकतमकरण के लक्ष्य के साथ पूरा करत है ।
• हम यह भ मानते हैं नक कींपन क तकन क को दे खते हए, ह्रासमान स मान्त उत्पाद का नसद्ाीं त मौजूद है ।
• अनधकतम लाभ प्राप्त करने वाल कींपन हमेशा उस स्थान तक श्रम को ननयोनजत करे ग , जहााँ श्रम क
अींनतम इकाई को ननयोनजत करने के नलए उसे जो अनतररक्त लागत नमलत है । वह उस इकाई से अनजात
अनतररक्त लाभ के बराबर होता है ।
• श्रम क एक और इकाई द्वारा उत्पानदत अनतररक्त उत्पादन इसका स माीं त उत्पाद (एमप एल) और उत्पादन
क प्रत्येक अनतररक्त इकाई का नवक्रय है ।
अध्याय 5 भाग 2
बाजार संतुलन
• आपूर्ति और म ां ग के स्रोत के सांबांध में श्रम ब ज र और िस्तु ओां के ब ज र के बीच बुर्नय दी अांतर है ।
• श्रम ब ज र में , गृहस्थी श्रम के आपूनताकताा होते हैं तथ श्रम की मााँ ग कंपननयों से भी आती है । जबनक
सामानों के नलए बाजार में , यह निपरीत है ।
• यह ाँ , यह बत न ज़रूरी है र्क श्रम से हम र त त्पयि मजदू रोां द्व र र्दए गए क म के घां टोां से है न र्क मजदू रोां
की सांख्य से।
• मजदू री दर (प्रर्त घां टे श्रम की कीमत) क र्नध ि रण श्रम की आपूर्ति और आपूर्ति के बीच के अांतर पर र्कय
ज त है । जह ाँ श्रम सांतुलन की म ाँ ग और आपूर्ति होती है । यर्द श्रम की आपूर्ति म ाँ ग से अर्धक होती है तो
मजदू री कम हो ज एगी तथ इसके र्िपरीत भी हो सकती हैं । म ाँ ग िक्र हमेश नीचे की ओर झुक हुआ
होग और आपू र्ति िक्र हमेश ऊपर की ओर होग और उनके र्मलन र्बांदु को सांतुलन के रूप में ज न
ज त है ।
• र्कसी एकल कांपनी द्व र श्रम की म ाँ ग को ज ां चने के र्लए, हम म नते हैं र्क उत्प दन के र्लए श्रम एकमात्र
पररितानशील कारक है और श्रम बाजार पूरी तरह से प्रनतस्पधी है ( श्रमोां क र्नध ि रण ब ज र की
शक्तियोां द्व र तय र्कय ज त है न र्क कांपनी द्व र तय र्कय ज त है , अथ ि त यह एक श्रम मजदू री र्नम ि त
नहीां है ), जो बदले में , इसक अथि है र्क प्रत्ये क फमि र्दए गए दर के अनुस र मजदू री दर को लेते है ।
• इसके अल ि , र्जस कांपनी से हम र्चांर्तत हैं , र्क िह प्रकृर्त में पू री तरह से प्रर्तस्पधी है और उत्प दन को
ल भ अर्धकतमकरण के लक्ष्य के स थ पू र करती है ।
• हम यह भी म नते हैं र्क कांपनी की तकनीक को दे खते हुए, सीम ां त उत्प द क ह्र स (एक अर्तररि मूल्य
के र्लए सांतुर्ि में कमी) क क नून है ।
• र्कसी भी अर्धकतम ल भ (र जस्व - ल गत) प्र प्त करने ि ली कांपनी में हमेश श्रम को उस स्थ न तक
र्नयोर्जत र्कय ज त हैं , जह ाँ तक श्रम की अांर्तम इक ई को र्नयोर्जत करने के र्लए जो अर्तररि ल गत
लग त है िह उस इक ई से अर्जित अर्तररि ल भ के बर बर है । यर्द कोई कांपनी ने श्रम की आिश्यत के
अल ि एक और इक ई बन ई तो उसे नु कस न उठ न पडे ग क्ोांर्क र जस्व श्रम की ल गत से कम प्र प्त
होग ।
• श्रम की एक और इक ई को क म पर रखने की अर्तररि ल गत मजदू री दर (डब्लू) य सीम ां त ल गत
(एमसी) होती है ।
• श्रम की एक अर्तररि इक ई द्व र उत्प र्दत अर्तररि उत्प दन सीम ां त (एक अर्तररि) उत्प द
(एमपीएल) है । तथ इसमें प्रत्ये क को बेचने पर अर्तररि इक ई प्र प्त होती हैं ।
• र्कसी भी कांपनी की अर्तररि कम ई सीम ां त र जस्व (एमआर) होती है , जो उसे अपनी इक ई से र्मलती
है । यर्द एमआर>एमसी है तो कांपनी ल भ कम एगी। यर्द दोनोां सम न हैं तो ल भ शून्य होग और यर्द
एमआर<एमसी तो कांपनी घ टे में चली ज एगी। इस प्रक र कांपनी एमआर = एमसी तक अर्तररि श्रम को
क म पर र्नयोर्जत करती है ।
• इसर्लए, श्रम की प्रत्येक अर्तररि इक ई के र्लए, उसे सीम ां त र जस्व (मूल्य) के सीम ां त उत्प द (म त्र ) के
बर बर अर्तररि ल भ र्मलत है र्जसे सीमांत राजस्व उत्पाद का श्रम (एमआरपीएल) कह ज त है ।
w = MRPL
और MRPL = MR × MPL
• चूांर्क हम पू री तरह से प्रर्तस्पधी कांपर्नयोां के स थ क म कर रहे हैं , सीमां त राजस्व िस्तु की कीमत के
बराबर होता है । इसर्लए इस म मले में श्रम क सीम ां त र जस्व उत्प द श्रम के सीम ां त उत्प द (िीएमपीएल)
के मूल्य के बर बर होत है ।
• इसके अल ि यर्द श्रम रोजग र के र्कसी भी स्तर पर िीएमपीएल मजदू री दर से कम होत है , तो कांपनी
रोजग र की एक इक ई को कम करके अपन ल भ बढ सकती है ।
• सीम ां त उत्प द को कम करने ि लें क नून की गणन (कुछ र्नर्ित स्थ नोां पर सीम ां त उत्प द अर्धक श्रम पर
क म करत है , लेर्कन उस स्थ न के ब द यह घटने लगत है ), क तथ्य यह है र्क कांपनी हमेश w =
VMPL (सांतुलन) क उत्प दन करती है । र्जसक अथि यह होत है र्क श्रम के र्लए म ां ग िक्र नीचे की ओर
झुक हुआ है ।
• व्यक्तिगत कांपर्नयोां के म ाँ ग िक्र को ब ज र म ाँ ग िक्र में ल ने के र्लए हम अलग-अलग कांपर्नयोां में श्रर्मकोां
की म ाँ ग को अलग-अलग तनख़्व ह पर रखती हैं । चूांर्क प्रत्येक कांपनी ल गत बढने पर कम श्रर्मकोां की
म ाँ ग करती है इसर्लए ब ज र म ाँ ग िक्र भी नीचे की ओर झुक ज त है ।
• एक ओर, व्यक्तक्त आराम करना पसंद करते हैं और काम करना उन्हें दु खदायी लगता है और दू सरी
ओर, िे आय को महत्व दे ते हैं नजसके नलए उन्हें काम करना ही होगा।
• इसर्लए आर म क आनांद लेने और क म के र्लए अर्धक घां टे र्बत ने के बीच समझौत क री समन्वयन
करन होत है ।
• एक अकेले व्यक्ति के र्लए श्रम आपूर्ति िक्र प्र प्त करने के र्लए, हम म न लें र्क कुछ मजदू री दर w1 पर,
व्यक्ति श्रम की 1 इक ई की आपूर्ति करत है ।
4. व्यक्ति की क्रय शक्ति बढती है । इसर्लए, िह अिक श के समय में पहले से अर्धक खचि करे ग ।
मजदू री दर में िृ क्तद् क अांर्तम प्रभ ि उन दोनोां में से कौन स प्रभ ि प्रबल होत है , इस पर र्नभिर हो सकत
हैं ।
कम मजदू री दरोां क पहल प्रभ ि दू सरे पर ह िी होत है । इसर्लए व्यक्ति मजदू री दर में िृ क्तद् के स थ
अर्धक श्रम की आपूर्ति करने के र्लए तैय र होत हैं ।
लेर्कन मजदू री की उच्च दरोां पर, दू सर प्रभ ि पहले पर ह िी होत है और व्यक्ति मजदू री दर में प्रत्येक
िृ क्तद् के र्लए कम श्रम की आपूर्ति करने को तैय र होत हैं ।
इस प्रक र, हम एक पीछे की ओर झुकने ि ले व्यक्तिगत श्रम आपूर्ति िक्र को दे खते हैं जो यह दश ि त है
र्क मजदू री दर में िृ क्तद् के र्लए एक र्नर्ित मजदू री दर तक श्रम की आपूर्ति में िृ क्तद् हुई है ।
िेतन दर में सभी िृक्ति के नलए इस मजदू री दर से
परे , श्रम आपू नता में कमी आएगी।
र्फर भी, श्रम की ब ज र आपूर्ति िक्र, र्जसे हम अलग-
अलग मजदू री पर व्यक्तियोां की आपूर्ति को जोडकर
प्र प्त करते हैं , ऊपर की ओर होग , क्ोांर्क उच्च मजदू री
पर कुछ व्यक्ति कम क म करने के र्लए तैय र हो सकते
हैं , तो कई लोग अर्धक श्रम की आपूर्ति करने के र्लए
आकर्षित होांगे।
ऊपर की ओर झुकी हुई आपूनता िक्र और नीचे की ओर झुकी हुई मां ग िक्र के स थ, सांतुलन मजदू री
दर उस र्बांदु पर र्नध ि ररत की ज ती है जह ाँ ये दो प्रर्तच्छे द करते हैं ।
दू सरे शब्ोां में , जह ां श्रम र्जन्हे गृ हक्तस्थय ां आपूर्ति करन च हती है िह उस श्रम के बर बर है र्जसे फमि क म
पर रखन च हती हैं ।
• ह ल ां र्क, इनमें से एक य अर्धक क रकोां में पररितिन के स थ य तो आपूर्ति य म ाँ ग िक्र य दोनोां पररिर्तित
हो सकती है । र्जससे सांतुलन मूल्य और म त्र प्रभ र्ित होती है ।
मााँग चक्र
• र्चत्र 5.2 पर ध्य न दें , र्जसमें कांपर्नयोां की
सांख्य तय होने पर म ाँ ग बदल ि के प्रभ ि
को दश ि य गय हैं ।
• अभी के र्लए म न लें र्क SS0 पर अपररिर्तित आपूर्ति िक्र के स थ ब ज र की म ां ग िक्र DD2 की तरफ
द यीां ओर मुडती है ।
• इस अर्ध म ाँ ग के जि ब में कुछ व्यक्ति अर्धक कीमत चुक ने के र्लए तैय र होते हैं र्जसके क रण कीमत
बढ ज ती हैं ।
• इसी तरह यनद मााँ ग िक्र DD1 के बाई ओर स्थांतररत हो जाता है , जैस र्क पैनल (b) में र्दख य गय है ,
तो र्कसी भी कीमत पर म ाँ ग की गई म त्र बदल ि से पहले की तुलन में कम होगी।
• इसर्लए, प्र रां र्भक सांतुलन दर p0 पर अब ब ज र में अर्धपूर्ति होगी, र्जसके जि ब में कुछ कांपर्नय ाँ अपने
िस्तु की कीमत कम कर दें ती त र्क िे अपनी िस्तु को ि ां र्छत म त्र में बे च सकें।
• नय सांतुलन र्बां दु F पर र्मलत है , र्जस पर म ाँ ग िक्र DD1 और आपूर्ति िक्र SS0 प्रर्तच्छे दन और पररण मी
सांतुलन दर p1 p0 से कम है और म त्र q1 q0 से कम है ।
• ध्य न दें र्क जब भी मां ग िक्र में कोई बदलाि होता है तो संतुलन और मूल्य में पररितान की नदशा
समान होती है ।
• म न लीर्जए र्क उपभोि ओां के िे तन में बढोतरी के क रण, उनकी आय में िृ क्तद् होती है । यह सांतुलन को
कैसे प्रभ र्ित करे ग ?
• आय में िृ क्तद् के स थ, उपभोि कुछ स म नोां पर अर्धक पैस खचि करने में सक्षम होत हैं ।
• लेर्कन अध्य य 2 को स्मरण करते हैं र्जसमें र्क उपभोि आम आय में िृ क्तद् के स थ र्नम्नतम िस्तुओां पर
कम खचि करें गे जबर्क स म न्य िस्तु पर अर्धक खचि कर सकत हैं ।
• सभी िस्तुओां की कीमतोां के स थ उपभोि ओां की इच्छ ओां और िरीयत ओां की क्तस्थरत बन ई ज ती है ।
हम उम्मीद करें गे र्क प्रत्येक मूल्य पर िस्तु ओां की म ां ग बढे गी र्जसके पररण मस्वरूप ब ज र म ाँ ग िक्र द ईां
ओर ज एग ।
• यह ाँ हम कपडे की तरह एक स म न्य िस्तु के उद हरण पर र्िच र करते हैं , र्जसके र्लए उपभोि ओां की
आय में िृ क्तद् के स थ म ाँ ग बढ ज ती है ।
• ह ल ां र्क, इस आय िृ क्तद् क आपूर्ति िक्र पर कोई प्रभ ि नहीां पडत है । जो केिल प्रौद्योर्गकी य कांपनी के
उत्प दन की ल गत से सांबांर्धत क रकोां में कुछ बदल िोां के क रण बदल ज त है ।
• इस प्रक र, आपूर्ति िक्र अपररिर्तित रहत है । र्चत्र 5.2 (a) में, यह DD0 से DD2 तक म ाँ ग िक्र में बदल ि
को दश ि य गय है , लेर्कन आपूर्ति िक्र SS0 पर अपररिर्ति त रहत है ।
• आां कडे से , यह स्पि है र्क नए सांतुलन पर, कपडे की कीमत अर्धक है और म ाँ ग की गई और बेची गई
म त्र भी अर्धक है ।
• अब हम दू सरे उदाहरण को दे खते हैं । म न लीर्जए र्क र्कसी क रण से , कपडे के बाजार में
उपभोक्ताओं की संख्या में िृक्ति हुई।
• जैसे ही उपभोि ओां की सां ख्य बढती है , अन्य क रक अपररिर्तित रहते हैं , प्रत्येक कीमत पर, अर्धक
कपडे की म ां ग की ज एगी। इस प्रक र, म ां ग िक्र द ईां ओर र्शफ्ट हो ज एग ।
• लेर्कन उपभोि ओां की सां ख्य में इस िृ क्तद् क आपूर्ति िक्र पर कोई
प्रभ ि नहीां पडत है । क्ोांर्क आपूर्ति िक्र केिल कांपर्नयोां के गर्तर्िर्ध
से सांबांर्धत म पदां डोां में बदल ि य कांपर्नयोां की सांख्य में िृ क्तद् के क रण बदलते हैं ।
• इस म मले को र्फर से र्चत्र 5.2(a) के म ध्यम से र्चर्त्रत र्कय ज सकत है , र्जसमें म ाँ ग DD0, DD2 से
द र्हने ओर पररिर्तित होत है , तथ आपूर्ति िक्र SS0 पर अिर्शि अपररिर्तित रहत है ।
• यह आां कड स्पि रूप से र्दख त है र्क पुर ने G र्बांदु E की तुलन में , र्बांदु G पर जो नय सांतुलन र्बां दु है ,
िह म ाँ ग और आपूर्ति दोनोां की कीमत और म त्र में िृ क्तद् है ।
आपूनता चक्र
• र्चत्र 5.3 में, आइये हम सांतुलन दर और म त्र पर
आपूर्ति िक्र में बदल ि क प्रभ ि दे खते हैं ।
• अब, र्कसी क रण से सांर्दग्ध हैं र्क ब ज र की आपूर्ति िक्र SS 2 के र्लए ब ईां ओर पररिर्तित हुई है , लेर्कन
अिर्शि म ां ग अपररिर्तित रहत है , जैस र्क पैनल (a) में र्दख य गय है ।
• कुछ उपभोि जो िस्तु प्र प्त करने में असमथि हैं िे उच्च कीमतोां क भु गत न करने के र्लए तैय र होांते हैं ,
र्जससे ब ज र मूल्य में िृ क्तद् होगी।
• नय सांतुलन र्बां दु G पर र्मलत है , जह ाँ आपूर्ति िक्र SS2 तथ म ाँ ग िक्र DD0 को प्रर्तच्छे र्दत करत है
र्जसे q2 म त्र को P2 में खरीद और बेच ज एग ।
• इसी प्रक र, जब आपूर्ति िक्र द ए ओर बदलत है , जैस र्क पैनल (b) में र्दख य गय है , तो p0 पर म ल
की अर्धपूर्ति होगी।
• इस अर्धपूर्ति के जि ब में , कुछ कांपर्नय ां अपनी कीमत कम कर दें गी और नय सांतुलन F पर र्मलत हैं ।
जह ाँ आपूर्ति िक्र SS1 म ाँ ग िक्र DD0 को प्रर्तच्छे र्दत करत है जैसे र्क नय ब ज र मू ल्य p1 है , र्जस पर
q1 म त्र खरीदी और बेची ज ती है ।
• जब भी आपूर्ति िक्र में कोई बदल ि होत है तो मूल्य और म त्र में पररिति न की र्दश एाँ र्िपरीत होती हैं ।
• आइए हम ऐसी क्तस्थर्त पर र्िच र करें जह ाँ अन्य सभी चीजें क्तस्थर रहती हैं । एक िस्तु के उत्पादन में
उपयोग नकए जाने िाले उत्पादक की कीमत में िृक्ति होती है ।
• इससे इस उत्प दक क उपयोग करने ि ली कांपर्नयोां के उत्प दन की सीमांत लागत में िृक्ति होगी।
• इसर्लए, प्रत्ये क कीमत पर, बाजार आपूनता पहले की तु लन में कम होगी। इसर्लए, आपूनता िक्र बाईं ओर
पररिनतात होता है ।
• र्चत्र 5.3 (a) में, SS(0) से SS(2) तक आपूर्ति िक्र में पररिति न को र्दख य गय है ।
• लेर्कन उत्प दक की कीमत में इस िृ क्तद् क उपभोि ओां की म ाँ ग पर कोई प्रभ ि नहीां पडत है क्ोांर्क
यह सीधे उत्प दक की कीमतोां पर र्नभि र नहीां करत है । इसर्लए, म ाँ ग िक्र अपररिर्तित रहती है ।
• र्चत्र 5.3 (a) में, DD(0) पर अपररिर्तित म ाँ ग िक्र को र्दख य गय है । नतीजतन, पुर ने सांतुलन की तु लन
में, अब ब ज र मूल्य बढ गय है और उत्प र्दत म त्र कम हो ज ती है ।
• चूांर्क सभी कीमत पर अब अर्धक कांपर्नय ाँ िस्तुओां की आपूर्ति करें गी, तो आपूर्ति िक्र द ईां ओर पररिर्तित
होग लेर्कन म ाँ ग िक्र पर इसक कोई प्रभ ि नहीां पडत है ।
• इसक उद हरण र्चत्र 5.3 (b) में र्दय गय है । जह ाँ आपूर्ति िक्र SS (0) से SS (1) में स्थ न ां तररत हो ज त
है ,जबर्क म ाँ ग िक्र DD (0) पर अपररिर्ति त रहत है ।
• इस आां कडे के आध र पर, हम कह सकते हैं र्क िस्तु की कीमत में कमी होगी और प्र रां र्भक क्तस्थर्त की
तुलन में उत्प र्दत म त्र में िृ क्तद् होगी।
बाजार संतुलन
• सभी चार प्रकार जो सांतुलन दर और मात्रा पर प्रभाव डालते हैं , उन्हें तार्लका 5.1 में वर्णित र्कया गया है ।
• तार्लका की प्रत्येक पांद्धि उस र्दशा का वणिन करती है र्जसमें मााँ ग और आपूर्ति वक्र में एक साथ बदलाव
के प्रत्येक सांभार्वत सांयोजन के र्लए सांतुलन दर और मात्रा बदल जाएगी।
• पहले दो मामलोां में जो र्क तार्लका की पहली दो पांद्धियोां में र्दखाए गये हैं , उनमे सांतुलन की मात्रा पर
प्रभाव स्पष्ट है लेर्कन सांतुलन दर में पररवति न हो सकता है ।
• यर्द पूणितया, र्कसी भी र्दशा में पररवति न पररमाण के आधार पर होता हैं , तो अगले दो प्रकार के रूप में ,
तार्लका की अांर्तम दो पांद्धियोां में र्दखाया गया है ।
• इसमें दर पर प्रभाव अस्पष्ट है , जबर्क मात्रा पर प्रभाव दो वक्र पररवतिन के पररमाण की मात्रा पर र्नभि र
करता है ।
• र्चत्र 5.4 (a) में, दे खा जा सकता है र्क मााँ ग और आपूर्ति वक्र दोनोां में दार्हने ओर पररवतिन के कारण
सांतुलन की मात्रा बढ़ जाती है , जबर्क सांतुलन की कीमत अपररवर्तित रहती है ।
• इसके अर्तररि र्चत्र 5.4 (b) में , सांतुलन की मात्रा समान बनी हुई है , जबर्क मााँ ग वक्र में बाईां ओर
पररवतिन तथा आपूर्ति वक्र में दाएां और पररवतिन के कारण दर घट जाती है ।
यर्द मााँ ग में कमी (इसके र्वपरीत) तथा आपूर्ति में कुछ प्रर्तशत की वृ द्धि होती है , तो मात्रा/पररमाण
अपररवर्तित रहता है । अगर मााँ ग के पररवति न प्रर्तशत आपूर्ति में पररवति न प्रर्तशत से अर्धक होती है , तो
आपूर्ति की मात्रा में कमी हो जाएगी। यर्द मााँ ग की पररवतिन प्रर्तशत आपूर्ति की पररवतिन प्रर्तशत से कम
होती है , तो आपूर्ति की मात्रा में वृ द्धि हो जाएगी।
• इस भाग में , हम बाजार सांतुलन में कांपर्नयोां के स्वतांत्र रूप से बाजार में प्रवेश करने और बाहर र्नकलने
का अध्ययन करें गे।
• यहााँ , सामान्यतौर पर, हम मानते हैं र्क बाजार में सभी कांपर्नयाां समान होती हैं , तो इसके र्लए प्रवे श और
र्नकास धारणा का आशय क्या है ?
• इस धारणा का तात्पयि यह है र्क सांतुलन में कोई भी कांपनी अवर्शष्ट उत्पादन करके असामान्य लाभ या
हार्न नहीां उठाती है ।
• दू सरे शब्ोां में , सांतुलन की दर कांपर्नयोां की न्यूनतम औसत लागत के बराबर होती हैं ।
• यह दे खने के र्लए र्क ऐसा क्योां होता है , मान लीर्जए, मौजूदा बाजार मू ल्य पर, प्रत्येक कांपनी अप्रत्यार्शत
लाभ कमा रही है ।
• हालाां र्क,मााँ ग अपररवर्तित बनी होती है । र्जससे बाजार भाव र्गरता है । कीमतोां में र्गरावट के कारण,
अप्रत्यार्शत लाभ अांततः समाप्त हो जाते हैं ।
• इस द्धथथर्त पर, बाजार में सभी कांपर्नयाां सामान्य लाभ कमा रही होती हैं , र्जससे और अर्धक फमों को
प्रवे श करने के र्लए प्रोत्साहन नहीां र्मलेगा।
• इसी तरह, अगर कांपर्नयााँ प्रचर्लत मूल्य पर सामान्य लाभ से कम कमा रही हैं ।
• कुछ कांपर्नयााँ इससे बाहर र्नकल जाएां गी, र्जससे मूल्य में वृ द्धि होगी, और पयाि प्त सां ख्या में कांपर्नयोां के
साथ, प्रत्येक कांपर्नयोां का लाभ सामान्य लाभ के स्तर तक बढ़ जाएगा।
• इस थतर पर, अर्धकाां श कांपनी नहीां छोड़ना चाहती हैं क्योांर्क वे यहााँ सामान्य लाभ कमा रहे होते हैं ।
• इस प्रकार, मुफ्त प्रवे श और र्नकास के साथ, प्रत्येक कांपर्नयााँ हमेशा प्रचर्लत बाजार मूल्य पर सामान्य
लाभ अर्जित करे गी।
• र्पछले अध्याय में हमने अध्ययन र्कया हैं र्क कांपर्नयााँ तब तक असामान्य लाभ अर्जि त करे गी, जब तक र्क
मूल्य न्यू नतम औसत लागत से अर्धक होगा तथा न्यूनतम औसत लागत से कम कीमत पर, वे सामान्य लाभ
से कम कमाएां गे।
• इसर्लए, न्यूनतम औसत लागत से अर्धक मूल्य पर, नई कंपर्नयााँ प्रवेश करे गी, तथा न्यूनतम औसत
लागत से कम कीमत ं पर, मौजूदा कंपर्नयााँ बाहर र्नकलना शुरू करें गी।
• कांपर्नयोां की न्यूनतम औसत लागत के बराबर मू ल्य पर, सभी कांपर्नयााँ सामान्य लाभ अर्जित करे गी तार्क
कोई भी नई कांपनी बाजार में प्रवे श करने के र्लए प्रोत्सार्हत न हो।
p = min AC
• उपरोि में से , इसके अनुसार यह है र्क सां तुलन की दर कांपर्नयोां की न्यूनतम औसत लागत के बराबर
होती हैं ।
• सांतुलन में , आपूर्ति की गई मात्रा उस कीमत पर बाजार की मााँ ग के द्वारा र्नधाि ररत की जाती हैं , तार्क वे
समान रहे ।
• र्चत्र 5.5 में इसे आलेखीय रूप से र्दखाया गया है । जहााँ बाजार र्बांदु E पर सांतुलन में होगा, र्जस समय मााँ ग
वक्र DD p0 = र्मन AC रे खा को पार कर जाता है । जैसे र्क बाजार मूल्य p0 और माां ग की गई कुल मात्रा
q0 के बराबर है ।
• P0 = min AC पर प्रत्येक फमि समान मात्रा में आउटपुट की आपूर्ति करती है , मान लीर्जये q0f।
• इसर्लए, बाजार में फमों की सांतुलन सांख्या p0 पर q0 आउटपुट की आपूर्ति करने के र्लए आवश्यक फमों
की सांख्या के बराबर है , प्रत्येक बदले में उस मूल्य पर q(0)f रार्श की आपूर्ति करता है ।
n0 =q (o)/q(o)f
उदहारण
• उदाहरण के तौर पर गेहां के एक बाजार पर र्वचार करें गे। जहााँ गेहां के र्लए मााँ ग वक्र इस प्रकार है
• मान लें र्क बाजार में एक समान कांपर्नयााँ हैं । एकल कांपनी का आपूर्ति वक्र र्दया गया है
= 0 for 0 £ p < 20
• कांपर्नयोां के र्न: शुल्क प्रवे श और र्नकास का मतलब यह हैं र्क कांपर्नयााँ कभी भी न्यू नतम औसत लागत
से नीचे का उत्पादन नहीां करें गे। क्योांर्क वे यर्द ऐसा नहीां करते हैं तो उन्हें उत्पादन से नुकसान उठाना
पड़े गा तथा इस द्धथथर्त में उन्हें बाजार से बाहर जाना पड़े गा।
• जैसा र्क हम जानते हैं , मुफ्त प्रवे श और र्नकास के साथ, बाजार एक कीमत पर सांतुलन में होगा जो र्क
कांपर्नयोां की न्यूनतम औसत लागत के बराबर होगा।
q0 = 200 – 20 = 180
q0f = 10 + 20 = 30\
n0 =q(o)/q(o)f
=180/30= 6
• इस प्रकार, र्न: शुल्क प्रवे श और र्नकास के साथ, सांतुर्लत दर, मात्रा और कांपर्नयोां की सांख्या क्रमशः 20
रुपये , 180 र्कलोग्राम और 6 है ।
• सभी पररद्धथथर्तयोां में सांतुलन की दर मौजूदा कांपर्नयोां की न्यूनतम औसत लागत के बराबर होगी।
• इस शति के अां तगित, यद्यर्प बाजार की मााँ ग वक्र दोनोां र्दशाओां में पररवर्ति त हो जाती हैं । र्जससे नए सांतुलन
में, बाजार एक ही कीमत पर वाां र्छत मात्रा में आपूर्ति करे गा।
अध्याय 5 भाग 2
बाजार संतुलन
• सभी पररस्थथनतय ं में संतुलन की दर मौजूदा कंपननय ं की न्यूनतम औसत लागत के बराबर ह गी।
• इस शतत के अं तगतत, यद्यनप बाजार की मााँ ग वक्र द न ं नदशाओं में पररवनतत त ह जाती हैं । नजससे नए संतुलन
में, बाजार एक ही कीमत पर वां नित मात्रा में आपूनतत करे गा।
• मान लीजजए जि जिसी िारणवश मााँग वक्र दाईं ओर पररवजततत होता है , तो p0 पर वस्तु िी अजध
मााँग होगी।
• कुि असंतुष्ट उपभ क्ता वस्तु के नलए अनधक कीमत दे ने क तैयार ह ते हैं , नजनके कारण मूल्य में वृ स्ि
ह ती है । यह अप्रत्यानशत लाभ कमाने की संभावना क जन्म दे ता है , ज नई कंपननय ं क बाजार में
आकनषतत करता हैं ।
• इन नई कंपननय ं के प्रवे श करने के फलस्वरूप अप्रत्यानशत लाभ का सफाया ह जाता हैं और कीमत नफर
से p0 पर पहं च जाती हैं । नजससे वस्तुओं क अनधक मात्रा में समान मूल्य पर आपूनतत की जाती हैं ।
• पैनल (a) में, हम दे ख सकते हैं नक नई मााँ ग वक्र DD1 नबंदु F पर p0 = नमनट AC लाइन क इस तरह से
काटती है नक नया संतुलन (p0, q1), q1 q0 से अनधक ह ता है ।
• नई कंपननय ं के प्रवे श के कारण n1 की तुलना में कंपननय ं का नया संतुलन n1 से अनधक है । इसी प्रकार,
मााँ ग वक्र की DD2 के बाई ओर पररवनततत ह ने पर p0 मूल्य पर अनध पूनतत ह गी।
• इस अनधपूनतत के अनुनक्रया में , कुि कंपनी, ज अपनी वां नित मात्रा क p0 पर बेचने में असमथत हैं , वे उनकी
कीमत क कम करना चाहें गे।
• कीमत ं के घटने की प्रवृ नत के कारण मौजूदा कंपननय ं में से कुि बाजार से बाहर ननकल जायेंगे और
कीमत नफर से p0 पर पहं च जाएगी।
• नजसके फलस्वरूप, नए संतुलन में , कम मात्रा में आपूनतत की जाएगी ज उस कीमत पर कम मां ग के बराबर
ह गी।
• इसे पैनल (b) में नदखाया गया है , जहााँ DD0 से DD2 तक मााँ ग वक्र के पररवततन के कारण मााँ ग की गई
और आपूनतत की जाने वाली मात्रा घटकर q2 ह जाएगी, जबनक कीमत p0 पर अपररवनतत त रहे गी।
• यहााँ के कुि मौजूदा कंपननय ं के बाहर ननकलने के कारण n2 की तुलना में कंपननय ं का संतुलन सं ख्या n0
से कम है ।
• इस प्रकार, मां ग में दाएं (बाएं ) बदलाव के कारण, संतुलन की मात्रा और कंपननय ं की संख्या में वृ स्ि (कमी)
ह ती हैं । जबनक संतुलन की कीमत अपररवनततत रहती हैं ।
• यहााँ पर, हमें ध्यान दे ना चाजहए जि जन: शुल्क प्रवेश और जनिास िे साथ, मााँग में पररवततन िा एि
बडा प्रभाव मात्रा पर भी पडता है । क्ोंजि यह जनजित संख्या में िंपजनयों िे साथ होता है ।
• लेनकन कंपननय ं के नननित संख्या के नवपरीत, यहााँ हमारे पास संतुलन कीमत पर क ई प्रभाव नहीं पड़ता
है ।
अनुप्रयोग
• इस भाग में , हम यह समझने की क नशश करें गे नक आपूनतत -मााँ ग नवश्लेषण क कैसे लागू नकया जा सकता
है ।
• नवशेष रूप से , हम मू ल्य ननयं त्रण के रूप में सरिारी हस्तक्षेप िे दो उदाहरणों क दे खते हैं ।
• प्रायः , जब उनकी कीमतें वां नित स्तर ं की तुलना में बहत अनधक या बहत कम ह ती हैं तब सरकार के नलए
यह आवश्यक ह जाता है नक वह कुि वस्तु ओं और सेवाओं की कीमत ं क नवननयनमत करे ।
मूल्य जनधातरण
• ऐसे मामल ं का सामने आना असामान्य बात नहीं है , जहााँ सरकार
कुि सामान ं के नलए अनधकतम स्वीकायत मू ल्य तय करती है ।
• यह बाजार-ननधात ररत मूल्य से नीचे ननधात ररत है । क् नं क बाजार-ननधात ररत मूल्य पर आबादी का कुि वगत इन
वस्तुओं क वहन करने में सक्षम नहीं ह गा।
• आइए हम गेहं के नलए बाजार के उदाहरण के माध्यम से बाजार संतुलन पर मूल्य ननधात रण के प्रभाव ं की
जां च करते हैं ।
• नचत्र 5.7 गेहं के नलए बाजार की आपूनतत वक्र SS और बाजार की मां ग वक्र DD से पता चलता है ।
• जब सरकार c p पर मूल्य ननधात ररत करती है , ज नक संतुलन मूल्य स्तर से कम है , त उस मूल्य पर बाजार
में गेहं की अनध मााँ ग ह गी।
• उपभ क्ता qc नकल ग्राम गेहं की मााँ ग करते हैं , जबनक कंपननयााँ c q’ नकल ग्राम की आपूनतत करती हैं ।
• हालां नक सरकार का इरादा उपभ क्ताओं की मदद करना था, लेनकन इससे गेहं की कमी भी ह सकती है ।
• नफर गेहं (q'c) की मात्रा उपभ क्ताओं के बीच कैसे नवतररत की जाती है ? ऐसा करने का एक तरीका राशन
की प्रणाली के माध्यम से सभी क नवतररत करना है ।
• उपभ क्ताओं क राशन कार्त जारी नकए जाते हैं , तानक क ई भी व्यस्क्त एक नननित मात्रा से अनधक गेहं न
खरीद सके और गे हं की यह ननधात ररत रानश ऐसे राशन की दु कान ं के माध्यम से बेची जाए, नजन्हे उनचत
मूल्य की दु कानें भी कहा जाता है ।
• सामान्य तौर पर, माल की राशन-व्यवथथा के साथ मूल्य ननधात रण उपभ क्ताओं पर ननम्ननलस्खत प्रनतकूल
पररणाम र्ाल सकते हैं :
(a) प्रत्येक उपभ क्ता क राशन की दु कान ं से सामान खरीदने के नलए लंबी कतार ं में खड़ा ह ना पड़ता है ।
(b) चूंनक सभी उपभ क्ता उनचत मूल्य की दु कान से नमलने वाले सामान ं की मात्रा से संतुष्ट नहीं ह ग
ं े। उनमें से
कुि इसके नलए उच्च मू ल्य का भुगतान करने क तैयार ह ग
ं े।
• सरकार नकसी मूल्य पर सबसे ननम्न मूल्य ननधात ररत करती हैं , ज नकसी नवशेष वस्तु या सेवा के नलए वसूल
की जा सकती है नजसे आधार मूल्य कहा जाता है ।
• आधार मूल्य लगाने का सबसे प्रनसि उदाहरण कृनष मूल्य समथतन कायतक्रम और न्यूनतम मजदू री कानून
हैं ।
• कृनष के न्यू नतम मूल्य समथत न कायतक्रम के माध्यम से , सरकार कुि कृनष वस्तुओं (जैसे एमएसपी) के नलए
खरीद मूल्य पर एक न्यूनतम मूल्य ननधात ररत करती है ।
• इसके आलावा आधार मूल्य आमतौर पर इन सामान ं के नलए बाजार-ननधात ररत मूल्य से अनधक स्तर पर
ननधात ररत नकया जाता है ।
• इसी प्रकार, न्यूनतम मजदू री कानून के माध्यम से , सरकार यह सुनननित करती है नक मजदू र ं की मजदू री
दर नकसी नवशे ष स्तर से नीचे नहीं जाए।
• बाजार की मााँ ग qf है , जबनक कंपननयााँ q¢ f की आपूनतत करना चाहती हैं , इस प्रकार बाजार में qf q’f के
बराबर अनधपूनतत ह ती है ।
• कृनष समथतन के मामले में , अनधपूनतत के कारण से कीमत क नगरने से र कने के नलए, सरकार क पू वत
ननधात ररत मूल्य पर अनधशेष खरीदने की आवश्यकता ह ती है ।
सारांश
• पूरी तरह से प्रनतस्पधी बाजार में , संतुलन वहााँ ह ता है जहााँ बाजार की मााँ ग बाजार की आपूनतत के बराबर
ह ती है ।
• फमों की नननित संख्या ह ने पर बाजार की मां ग और बाजार आपूनतत वक्र ं के प्रनतच्छे दन पर संतुलन मू ल्य
और मात्रा ननधात ररत की जाती है ।
• प्रत्येक फमत उस थथान तक श्रम क ननय नजत करती है जहााँ तक श्रम का सीमां त राजस्व उत्पाद मजदू री दर
के बराबर ह ता है ।
• आपूनतत वक्र के साथ शेष के अपररवनततत रहने के कारण जब मााँ ग वक्र दाएं से बाएं की ओर पररवनततत ह ती
है , त फमों की नननित संख्या के साथ संतुलन की मात्रा बढ़ या घट जाती है तथा संतुलन की दर भी बढ़ या
घट जाती है ।
• मााँ ग वक्र के साथ शेष के अपररवनततत रहने के कारण जब आपूनतत वक्र दाएं से बाएं की ओर पररवनततत ह ती
है , त फमों की नननित संख्या के साथ संतुलन मात्रा में वृ स्ि या कमी ह जाती है तथा संतुलन की दर में कम
अनधक ह जाती है ।
• जब मााँ ग और आपूनतत वक्र द न ं एक ही नदशा में पररवनतत त जाती है , त संतुलन की मात्रा पर प्रभाव स्पष्ट
रूप से ननधात ररत नकया जा सकता है । जबनक संतुलन की दर पर पररमाण के पररवततन प्रभाव पर ननभतर
करता है ।
• जब मााँ ग और आपूनतत वक्र द न ं नवपरीत नदशाओं में पररवनततत ह ती है , त संतुलन की दर पर प्रभाव स्पष्ट
रूप से ननधात ररत नकया जा सकता है , जबनक संतुलन की मात्रा पररमाण के पररवततन के प्रभाव पर ननभतर
करता है ।
• पूरी तरह से प्रनतस्पधी बाजार में यनद कंपननयााँ स्वतंत्र रूप से बाजार में प्रवे श कर सकती हैं तथा बाहर
ननकल सकती हैं , त संतुलन की दर हमेशा कंपननय ं की न्यू नतम औसत लागत के बराबर ह ती है ।
• नन: शुल्क प्रवे श और ननकास के साथ, मााँ ग में पररवततन का संतुलन दर पर क ई प्रभाव नहीं पड़ता है लेनकन
यह मां ग में पररवततन के रूप में एक ही नदशा में संतुलन मात्रा और फमों की संख्या में पररवततन करता है ।
• कंपननय ं की नननित संख्या वाले बाजार की तुलना में , बाजार में ननः शु ल्क प्रवे श और ननकास के साथ
संतुलन मात्रा पर मााँ ग वक्र में पररवततन का प्रभाव अनधक ह ता है ।
गैर-प्रतियोतगिा बाजार
भूतमका
• हम एक बार स्मरण करते हैं कक पूणण प्रकतयोकिता एक बाजार संरचना है जहााँ उपभोक्ता और कंपकनयााँ दोनों
मूल्य लेने वाले होते हैं ।
• हमने चचाण की हैं कक पूणण प्रकतयोकिता बाजार संरचना कनम्नकलखित खथथकतयों को संतुष्ट करने वाले बाजार द्वारा
अनुमाकनत है :
• (i) यहााँ बहुत बडी संख्या में कंपनी और उपभोक्ताओं के सामान मौजूद हैं , जैसे कक प्रत्येक कंपकनयों द्वारा
बेचे जाने वाला उत्पाद संयुक्त रूप से सभी कंपकनयों के कुल उत्पादन की तुलना में काफी छोटा होता है ,
तथा इसी प्रकार से।
• सभी उपभोक्ताओं द्वारा एक साथ िरीदी िई मात्रा की तुलना में प्रत्ये क उपभोक्ता द्वारा िरीदी िई मात्रा
बहुत कम है ।
• (ii) कंपकनयााँ वस्तु का उत्पादन शुरू करने या उत्पादन रोकने के कलए स्वतंत्र हैं ; यानी, प्रवे श और कनकास
मुप्त है ।
(iii) उद्योि में प्रत्येक कंपनी द्वारा उत्पाकदत उत्पादन दू सरों से अप्रभेद्य है तथा ककसी भी अय उ उद्योि का उत्पादन
इस उत्पादन को प्रकतथथाकपत नहीं कर सकता है ; तथा
(iv) उपभोक्ताओं और कंपकनयों के पास उत्पादन, उत्पादक और उनकी कीमतों का सही जानकारी होती है ।
• यकद धारणा (ii) को हटा कदया जाता है , और कंपकनयों का ककसी बाजार में प्रवे श करना मुखिल हो जाता है ,
तो एक बाजार में अकधक कंपकनयााँ नहीं हो सकती हैं ।
• अकधकत्तर मामलो में ककसी बाजार में केवल एक कंपनी हो सकती है । ऐसे बाजार, जहााँ एक कंपनी और
कई िरीदार होते हैं , उसे एकातिकार कहा जाता है ।
• एक बाजार कजसमें कम संख्या में बडी कंपकनयााँ होती हैं , उन्हें अल्पातिकार कहा जाता है ।
• ध्यान दें कक धारणा को समाप्त करना (ड्रॉकपंि) (ii) ड्रॉकपंि (समाप्त करना) धारणा (i) के साथ-साथ (कई
कंपकनयों और कई िरीदार) की ओर जाता है ।
• इस धारणा को समाप्त करना कक एक कंपनी द्वारा उत्पाकदत सामान दु सरे कंपकनयों से अप्रभेद्य हैं । धारणा
iii का अथण है कक कंपकनयों द्वारा उत्पाकदत सामान का नजदीकी कवकल्प हैं , लेककन यह एक दू सरे के कलए
सही कवकल्प नहीं हैं ।
• कुछ बाजार ऐसे हैं , जहााँ धारणाएं (i) और (ii) शाकमल होती हैं ,
लेककन (iii) शाकमल नहीं हैं , कजन्हें एकाकधकार प्रकतयोकिता के
साथ बाजार कहा जाता है ।
• हालााँ कक, इस एकल पंखक्त वाली पररभाषा में कछपी शतों को स्पष्ट
रूप से समझने की आवश्यकता हैं ।
• इसके आलावा इस खथथकत को समय के साथ जारी रिने के कलए, ककसी अय उ कंपनी को बाजार में प्रवेश
करने से रोकने तथा उपयोिी वस्तु को बेचने की शुरुआत करने के कलए पयााप्त प्रतिबोंिोों क
आवश्यकिा होती है ।
• अय उ बाजार सं रचनाओं की तु लना में उपयोिी वस्तुओं के बाजार में एकाकधकार से उत्पन्न संतुलन के अंतर
की पडताल करने के कलए हमें इस िारणा को मानने क जरूरि है तक अन्य सभ बाजार पूणा
प्रतियोतगिात्मक बने हुए हैं ।
• इसके कलए कवशेष रूप से , हमें चाकहए कक (i) सभी उपभोक्ता मूल्य लेने वाले हो; और (ii) यह कक इन
उपयोिी वस्तुओं के उत्पादन में उपयोि ककए िए उत्पादक के बाजार आपूकतण और मााँ ि दोनों तरफ से पूरी
तरह से प्रकतयोिी हो।
• यकद उपरोक्त सभी शतें संतुष्ट करते हैं , तो हम इस खथथकत को एकल उपयोिी वस्तु बाजार के एकाकधकार
के रूप में पररभाकषत करते हैं ।
• चूंकक व्यखक्तित कंपनी के उत्पादन के ककसी भी स्तर के कलए मूल्य समान रहता है , इसकलए ऐसी कंपनी
ककसी भी मात्रा को बेचने में सक्षम होती है , कजसे वह कदए िए बाजार मूल्य पर बेचना चाहती है ।
• कजसके कारण इसके उत्पादन के कलए बाजार में ककसी अय उ कंपकनयों के साथ प्रकतस्पधाण करने की
आवश्यकिा नह ों होि है ।
• यह आमतौर पर प्रकतयोकिता या प्रकतयोकितात्मक व्यवहार से समझ में आने वाले अथण का कवपरीत है ।
• हम दे िते हैं कक कोक और पेप्स उच्च स्तर की कबक्री या बाजार के एक बडे कहस्से को प्राप्त करने के कलए
कवकभन्न तरीकों से एक-दू सरे के साथ प्रकतस्पधाण करते हैं ।
• इसके कवपरीत, हम ककसानों को व्यखक्तित रूप से बडी मात्रा में अपने फसल बेचने के कलए प्रतिस्पिी
करिे हुए नह ों दे खिे हैं ।
• ऐसा इसकलए होता है क्ोंकक कोक और पे प्सी दोनों शीतल पेय के बाजार मूल्य को प्रभाकवत करने की
शखक्त रिते हैं , जबकक व्यखक्तित ककसान ऐसा करने में समथण नहीं है ।
• वही दू सरी ओर, बाजार संरचना कजतनी कम प्रकतयोकितात्मक होती है , उतना ही प्रकतयोकितात्मक एक दू सरे
के प्रकत कंपकनयों की िकतकवकध होती है । लेककन एकाकधकार में प्रकतयोकिता करने के कलए कोई भी दू सरी
कंपनी नहीं होती है ।
• वही दू सरी ओर, यकद बाजार मूल्य कनचले स्तर p1 पर है , तो उपभोक्ता अकधक मात्रा में q1 िरीदने को
तैयार हैं ।
• अकधक मात्रा में बेचने का एकाकधकार कंपनी का कनणणय केवल कम कीमत पर ही संभव है ।
• वही इसके कवपरीत, यकद एकाकधकार कंपनी कबक्री के कलए कम मात्रा में वस्तु बाजार में लाता है तो वह उच्च
मूल्य पर बेच सकेिा।
• इस प्रकार, एकातिकार कोंपतनयोों के तलए, वस्तु का मू ल्य बेच गई वस्तु क मात्रा पर तनभा र करिा
है ।
• इस प्रकार, एकाकधकार कंपकनयों के कलए, बाजार की मााँ ि वक्र उस कीमत को व्यक्त करता है , जो
उपभोक्ता आपूकतण की िई कवकभन्न मात्राओं के कलए भु ितान करने के कलए तैयार हैं ।
• यह अवधारणा इस कथन में पररलकक्षत होता है कक एकाकधकार कंपनी बाजार की मााँ ि वक्र का सामना
करता है , जो नीचे की ओर झुका होता है ।
• पूणण प्रकतयोिी बाजार संरचना में कंपनी के साथ कवषमता स्पष्ट होना चाकहए।
• उस खथथकत में, कंपनी कम से कम वस्तु की उतनी ही मात्रा बाजार में ला सकती है , कजतनी वह चाहे िी और
उसे उसी कीमत पर बेच सकती है ।
• चूंकक यह एक एकाकधकार कंपनी के कलए नहीं होता है । इसकलए कंपनी को वस्तु की कबक्री के माध्यम से
प्राप्त राकश की कफर से जां च करनी होती है ।
• उदाहरण के रूप में , मााँ ि फलन को समीकरण द्वारा कदया िया हैं
q = 20 – 2p,
• 0 से 13 तक q के कवकभन्न मू ल्यों को प्रकतथथाकपत करने से हमें 10 से 3.5 तक की कीमतें प्राप्त होती हैं ।
• इन संख्याओं को कचत्र 6.2 में एक ग्राफ में ऊर्ध्ाण धर अक्ष और क्षैकतज अक्ष पर मात्रा के
साथ दशाण या िया है ।
• उपयोिी वस्तु के कवकभन्न मात्राओं के कलए उपलब्ध मू ल्य सीधी रे िा D द्वारा कदिाए िये
हैं ।
• वस्तुओं की कबक्री से कंपकनयों को प्राप्त कुल राजस्व (टीआर) मूल्य के उत्पाद और बेची
िई मात्रा के बराबर होता है ।
• एकातिकार कोंपतनयोों के मामले में , कुल राजस्व स ि रे खा में नह ों होिे है । इसका आकार मााँ ि वक्र
के आकार पर कनभणर करता है ।
TR = p × q
= (10 – 0.5q) × q
= 10q – 0.5q2
• बेची िई प्रकत इकाई वस्तु पर कंपनी को प्राप्त राजस्व को औसत राजस्व (AR) कहा जाता है ।
• िकणतानुसार, AR = TR/q.
• ताकलका 6.1 में , AR कॉलम का मान TR मानों को q मानों से कवभाकजत करके प्राप्त होता है ।
AR = (p*q)/q= p
• जैसा कक पहले ही कचत्र 6.2 में कदिाया िया है ,कक pमान बाजार की मााँ ि वक्र का प्रकतकनकधत्व करता हैं ।
• यह इस कथन द्वारा व्यक्त ककया िया है कक बाजार की मााँ ि वक्र एकाकधकार कंपनी के कलए औसत राजस्व
वक्र है ।
• ग्राफों द्वारा, कचत्र 6.3 में कदए िए एक साधारण बनावट के माध्यम से
बेची िई मात्रा के ककसी भी स्तर के कलए TR वक्र से AR का मान पाया
जा सकता है ।
• पहली इकाई की कबक्री से टीआर में 0 से पररवतणन होता है । जब मात्रा 0 इकाई से 9.50 रु. होती है , जब
मात्रा 1 इकाई होती है , अथाण त 9.50 रु. की वृ खि होती है । जैसे-जैसे मात्रा आगे बढ़ि है , TR में वृस्ि
कम होि जाि है ।
• उदाहरण के कलए, वस्तु की 5 वीं इकाई के कलए, टीआर में वृ खि 5.50 रु. (5 यूकनट के कलए 37.50 रु.
माइनस 4 यूकनट के कलए 32 रु.) है ।
• इस प्रकार, 12 वीं इकाई के कारण टीआर में वृ खि: 48 - 49.50 = -1.5 है , यानी 1.50 रुपये की किरावट।
• अकतररक्त इकाई की कबक्री के कारण टीआर में होने वाले इस बदलाव को स माोंि आय (एमआर) कहा
जाता है ।
• ध्यान दें कक ककसी भी मात्रा में एमआर, उस मात्रा के टीआर और कपछले मात्रा के टीआर के बीच का अंतर
है ।
• उदाहरण के कलए, जब q = 3, MR = (25.5- 18) = 7.5
• कपछले पैराग्राफ में , यह कदिाया िया कक टीआर ज्यादा धीरे -धीरे बढ़ता है , क्ोंकक बेची िई मात्रा में वृ खि
होती है और मात्रा 10 यूकनट तक पहुं चने के बाद किरती है ।
• ग्राकफक रूप से, एमआर वक्र के मान टीआर वक्र के झुकाव द्वारा
कदया िया हैं ।
• ककसी भी कनष्कोण वक्र के झुकाव को उस कबंदु पर वक्र को स्पशणरेिा के झुकाव के रूप में पररभाकषत
ककया िया है ।
• TR वक्र पर तबोंदु 'd', जहााँ स्पशा रेखा को नकारात्मक रूप से ुुक जािा है । तजससे MR एक
ऋणात्मक मान हो जािा है ।
• अब हम यह कनष्कषण कनकाल सकते हैं कक जब कुल राजस्व बढ़िा है , िो स माोंि आय सकारात्मक होि
है , तथा जब कुल राजस्व में किरावट आती है , तो सीमां त आय नकारात्मक होती है ।
• हम यह कनष्कषण कनकाल सकते हैं कक यकद एआर वक्र (यानी मााँ ि वक्र) ते जी से किरता है , तो एमआर वक्र
एआर वक्र से काफी नीचे होता है ।
• वही दू सरी ओर, यकद एआर वक्र कम िडी है , तो एआर और एमआर वक्र के बीच की ऊर्ध्ाण धर दू री छोटी
है ।
• कचत्र 6.5 (a) एआर वक्र को बढ़ा-चढ़ा कर कदिाता है , जबकक कचत्र 6.5 (b) एआर वक्र को खथथर रूप में
कदिाता है ।
• वस्तु की समान इकाइयों के कलए, पैनल (a) के एआर और एमआर के बीच का अंतर पै नल (b) के अं तर से
छोटा है ।
• यह केवल एक पहलू पर ध्यान दे ने के कलए पयाण प्त है - जब एमआर का मूल्य सकारात्मक है मााँ ग क
क मि लोच 1 से अतिक होि है और एमआर का मूल्य नकारात्मक होने पर एक से कम हो जाती है ।
• इसे ताकलका 6.2 में दे िा जा सकता है , जो ताकलका 6.1 में प्रस्तुत समान ड्े टा का उपयोि करता है ।
• जैसे-जैसे वस्तु क मात्रा बढ़ि है , िो एमआर मूल्य कम होिा जािा है ििा मााँ ि की कीमत लोच का
मूल्य भी कम होता जाता है ।
• याद करें कक मां ि वक्र को उस कबंदु पर लोचदार कहा जाता है जहां मू ल्य लोच एक इकाई से अकधक होती
है , तथा उस कबंदु पर िैर लोचदार होती है जहां मूल्य लोच एक और एकात्मक लोचदार से कम है जब मूल्य
लोच 1 के बराबर होता है ।
• ताकलका 6.2 से पता चलता है कक जब मात्रा 10 इकाइयों से कम होता है , तो एमआर सकारात्मक होती है
तथा मााँ ि वक्र लोचदार होता है और जब मात्रा 10 से अकधक इकाइयों की है , तो मााँ ि वक्र िैर लोचदार
रहता है ।
• इसमें 10 इकाइयों की मात्रा के स्तर पर, मााँ ि वक्र ऐककक लोच है ।
• इस भाि में , हम एकाकधकार कंपनी द्वारा लाभ को अकधकतम करने के उद्दे श्य से उत्पाकदत की िई वस्तु की
मात्रा और कनधाण ररत कीमत कजस पर इसे बे चा जाता हैं , उसका कवश्लेषण करें िे ।
अध्याय 6 भाग 2
गैर-प्रतियोगी बाजार
• इस भाि में , हम एिाकििार िंपनी द्वारा उत्पाकिि िी िई मात्रा और उसे बेचने िे कलए कनिाण ररि िी िई
िीमि से अकिि लाभ प्राप्त िरने िी प्रकिया िा किश्लेषर् िरें िे।
• हम इस िारणा को मानिे हैं तक एक कंपनी उत्पातिि मात्रा के भंडार को बनाए नही ं रखिी है िथा
उत्पातिि की गई पूरी मात्रा तबक्री के तिए रखी जािी है ।
• इस िुएं पर एि व्यस्ि िा स्वाकमत्व है , जो पानी खरीिने िालों िे अलािा िू सरों िो इससे पानी खींचने से
रोििा है ।
• पानी खरीिने िाले व्यस्ि िो िुएं से पानी कनिालना पड़िा है ।
• इस प्रिार िुए िे माकलि िा यह एकातिकार व्यवसाय है , जो इसिे उत्पािनिे कलए शून्य लािि िहन
िरिी है ।
• कचत्र 6.6 उसी प्रिार से टीआर, एआर और एमआर िि िो िशाण िा है , जैसा कि कचत्र 6.2 में िशाण या िया
है । िंपनी िुल लाभ िंपनी िो प्राप्त िुल आय में से िंपनी िी िुल लािि िो घटाने पर प्राप्त राकश िे
बराबर होिा है । लाभ = टीआर – टीसी होिा है ।
• चूंकि इस स्थिकि में टीसी शू न्य होिा है , जबकि टीआर अकिि होिा हैं कजसिे पररर्ाम स्वरुप लाभ अकिि
होिा है । जैसा कि हमने पहले िे खा है कि ऐसा िभी होिा है , जब उत्पािन 10 इिाइयों िा होिा है ।
• यह िह स्तर भी होिा है , जब एमआर शू न्य िे बराबर होिा है । िब िाभ की रातश की िंबाई ऊर्ध्ाा िर
रे खा खंड 'a' से क्षैतिज अक्ष िक िी जािी है ।
• कजस मूल्य पर यह आउटपु ट बेचा जाएिा िह िो मूल्य है जो उपभोिा पूरी िरह से भु ििान िरने िे कलए
िैयार हैं । यह बाजार िी मााँ ि िि D द्वारा किया िया है ।
• उत्पािन स्तर पर 10 इिाइयों िा मूल्य 5 रुपये होिा है । चूंकि बाजार िी मााँ ि िि एिाकििार िंपनी िे
कलए एआर िि होिी है , िंपनी द्वारा 5 रुपये औसि राजस्व प्राप्त होिा है ।
• िुल आय एआर िे उत्पाि और बेची िई मात्रा द्वारा किया जािा है , अिाण ि 5 × 10 यूकनट = 50 रुपये । यह
छायां किि आयि िे क्षे त्र द्वारा िशाण या िया है ।
पूणा प्रतियोतगिा के साथ िुिना
• हम उपरोि पररर्ाम िी िु लना पूर्ण प्रकियोकििा बाजार संरचना िे अं ििणि िरें िे। आइए हम इस िारर्ा
िो मानिे है कि इस िरह िे िुओं िी सं ख्या अनंि है ।
• मान लीकजए कि एि िुएं िे माकलि पानी िा मूल्य 5 रु./ बाल्टी िय िरिा है , िो उससे िौन खरीिे िा?
याि रखें कि यहााँ िई िुएं िे माकलि हैं ।
• किसी भी िु सरे िुएं िे माकलि 5 रु./ बाल्टी खरीिने िे कलए िैयार सभी खरीिारों िो आिकषणि िर
सििा है । िे उन्हें िम िीमि पर 4 रु./ बाल्टी बेचने िी पेशिश िरिे हैं ।
• िुछ िु सरे िुएं िे माकलि चु पचाप िम िीमि पर बेचने िी पेशिश िर सििे हैं , और िहानी कफर से
िोहरे िी। िास्तु िः , िुएं िे माकलिों िी प्रकिस्पिाण िे बीच मूल्य शू न्य से नीचे चला जाएिा।
• इस िुलना िे माध्यम से , हम िे ख सकिे हैं तक पूणा प्रतियोतगिा संिुिन के पररणाम स्वरुप एक बडी
मात्रा को कम कीमि पर बेचा जा रहा है ।
िन िागिों का सूत्रपाि
• अध्याय 3 में, हमने लािि िी अििारर्ा पर चचाण िी है और िुल लािि िि िे आिार िो कचत्र 6.7 में
टीसी द्वारा िशाण या िया है । टीआर िि भी उसी आरे ख में िशाण या जािा है ।
• िंपनी िो प्राप्त लाभ िंपनी िी िुल आय में से िुल लािि िो घटाने िे बाि प्राप्त राकश िे बराबर होिी
है । तनम्ां तकि आकृति में , हम िे ख सकिे हैं तक यति मात्रा q1 का उत्पािन तकया जािा है , िो कुि
आय TR1 िथा कुि िागि TC1 है ।
• TR1 – TC1 से प्राप्त शेष लाभ होिा है ।
• इसे रे खाखंड AB िी लंबाई िे द्वारा िशाण या िया है , अिाण ि, उत्पािन िे q1 स्तर पर TR और TCिि िे
बीच िी ऊर्ध्ाा िर िू री िो िशाण या िया है ।
• यहााँ यह स्पष्ट होना चातहए तक यह ऊर्ध्ाा िर िू री उत्पािन के तवतभन्न स्तरों के तिए बिििी रहिी है ।
• Q3 से अकिि उत्पािन स्तर िे कलए भी समान स्थिकि होिी है । इसकलए, िंपनी िेिल q2 और q3 िे बीच
उत्पािन स्तर पर सिारात्मि लाभ िमा सििी है , जहााँ TR िि TC िि से ऊपर होिा है ।
• एिाकििार िंपनी उत्पािन िे उस स्तर िो चुनिा हैं , जो उसिे लाभ िो अकिििम िरिा है ।
• कजसिे कलए टीआर और टीसी िे बीच ऊर्ध्ाण िर िू री अकिििम होिी है और टीआर टीसी से ऊपर होिा
है , िही उत्पािन िा स्तर होिा हैं अिाण ि, टीआर - टीसी अकिििम लाभ होिा है । यहााँ उत्पािन q0 िे
स्तर पर होिा है ।
• यकि टीआर - टीसी िी अंिर िी िर्ना िी जािी हैं ििा एि ग्राफ िे रूप में िैयार िी जािी है । कजसे
बाजार िि "लाभ" िे रूप में िे खा जािा हैं । इसे कचत्र 6.7 िशाण या िया हैं ।
• यहााँ यह ध्यान तिया जाना चातहए तक q0 उत्पािन के स्तर पर िाभ वक्र की कीमि अतिक है । कजस
मूल्य पर यह उत्पािन बेचा जािा है यह िह मूल्य होिा है , कजसिा उपभोिा q0 मात्रा िे कलए भुििान
िरने िो िैयार हैं ।
• इसकलए एिाकििार िंपनी मााँ ि िि पर मात्रा स्तर q0 िे अनुरूप िीमि िसूल िरिी हैं ।
• कचत्र 6.8 में, औसि लािि (AC), औसि पररििणनीय लािि (AVC), और सीमां ि लािि (MC) िि, मााँ ि
(औसि आय) िि और सीमां ि राजस्व िि िे साि खींची िई हैं ।
• यहााँ यह िे खा जा सििा है कि q0 से कम मात्रा के स्तर पर, MR का स्तर MC के स्तर से अतिक
होिा है ।
• इसिा मिलब यह है कि अकिररि इिाई िे उत्पािन िे कलए िुल लािि में िृ स्ि िी िुलना में िस्तु िी
एि अकिररि इिाई िो बेचने से िुल आय में अकिि है ।
• इसिा अिण यह है कि आउटपुट िी एि अकिररि इिाई लाभ में पररििण न िे बाि से उत्पन अतिररक्त
िाभ = टीआर में बिलाि - टीसी में बिलाि।
• इसकलए, यकि िंपनी q0 से िम उत्पािन स्तर पर उत्पािन िर रही है , िो िह अपने उत्पािन िो बढाने
िी इच्छा िरे िी, क्ोंकि इससे उसिा मुनाफा बढे िा।
• जब िक MR वक्र MC वक्र के ऊपर होिा है , िब िक ऊपर तिया गया िका िागू होगा। इस प्रकार
यह कंपनी अपने उत्पािन को बढाएगी।
• यह प्रकिया उस समय रुि जािी है जब िंपनी िा उत्पािन q0 के स्तर पर पहुं च जािा है । जहााँ एमआर
एमसी के बराबर होिा है ििा उत्पािन बढाने से मु नाफे में िोई िृ स्ि नहीं होिी है ।
• िू सरी ओर, यकि िंपनी उत्पािन स्तर पर उत्पािन िर रही िी जो तक q0 से अतिक है , िो MC, MR से
अतिक होगा।
• q0 में फमा अतिकिम िाभ कमािी हैं । यहााँ q0 से बिलने िे कलए िोई प्रोत्साहन नहीं है । इस स्तर िो
उत्पािन का संिुिन स्तर कहा जािा है । चूंकि उत्पािन िा यह संिुलन स्तर उस कबं िु से मेल खािा है
जहााँ एमआर एमसी के बराबर होिा है ।
• एिाकििार िंपनी द्वारा उत्पाकिि उत्पािन िे कलए इस समानिा िो संिुलन स्थिकि िहा जािा है ।
• उत्पािन q0 िे इस संिुलन स्तर पर, औसि लािि कबंिु 'd' द्वारा िी जािी है । जहााँ ऊर्ध्ाण िर रे खा से q0
AC िि िो िाटिी है ।
• जैसा कि पहले ही किखाया िया है , कि एि बार उत्पाकिि उत्पािन िी मात्रा कनिाण ररि िी जािी है , कजस
िीमि पर इसे बेचा जािा है िह उस राकश द्वारा किया जािा है जो उपभोिा भुििान िरने िे कलए िैयार
होिे हैं , जैसा कि बाजार िी मां ि िि िे माध्यम से व्यि किया िया है ।
• इस प्रिार, मूल्य कबंिु 'a' द्वारा किया जािा है जहााँ q0 िे माध्यम से ऊर्ध्ाण िर रे खा बाजार िी मााँ ि िि D
से कमलिी है ।
• यह उच्च aq0 द्वारा िी िई िीमि प्रिान िरिा है । चूंकि िंपनी द्वारा प्राप्त मूल्य उत्पािन िी प्रकि इिाई
आय है , जो कंपनी के तिए औसि आय होिी है ।
पुनः पूणा प्रतियोतगिा के साथ िुिना
• हम एिाकििार िंपनी िी सं िुलन मात्रा और िीमि िी िु लना पूर्ण
प्रकियोिी िंपनी से िरिे हैं । यहााँ याि रखे कि पूणा प्रतियोगी कंपनी
कीमि िेने वािा (प्राइस टे कर) था।
• बाजार मूल्य िो िे खिे हुए, पू र्ण प्रकियोिी बाजार संरचना में िंपनी
िा मानना िा कि यह अतिक या उससे कम उत्पािन करके
कीमि में बििाव नही ं कर सकिा है ।
• मान लीकजए कि कजस संिुलन हम ऊपर किचार िर रहे िे , उसपर िंपनी िा मानना िा कि यह पूर्ण
प्रकियोिी िंपनी िी।
• िब, किए िये q0 पर उत्पािन िा अपना स्तर, aq0 = Ob पर िस्तु िी िीमि िो िे खिे हुए, यह Ob पर
स्थिर रहने िी उम्मीि िरे िा। इसकलए, उत्पािन िी प्रत्ये ि अकिररि इिाई िो उस िीमि पर बेचा जा
सििा है ।
• कचत्र 6.8 में कबंिु 'f' पर, जहााँ MC िि मााँ ि िि िो िाटिा है , िह िंपनी द्वारा प्राप्त मू ल्य MC िे बराबर
होिा है ।
• इसकलए, पूर्ण प्रकियोिी िंपनी द्वारा उत्पािन बढाने िे कलए इसे फायिे मंि नहीं माना जािा हैं । यह इस
िारर् से होिा है कि मू ल्य = सीमांि िागि कजसे पूर्ण प्रकियोिी िंपनी िे कलए संिुलन िी स्थिकि िे रूप
में माना जािा है ।
• इससे हम इस कनष्कषण पर पहुाँ चिे हैं तक पूणा प्रतियोगी बाजार एकातिकार कंपनी की िुिना में वस्तु
की एक बडी मात्रा का उत्पािन और तबक्री करिा है ।
• भकिष्य में एकातिकार की िु िना में पूणा प्रतियोगी के अं िगाि वस्तु की कीमि कम होिी है िथा पूणा
प्रतियोगीकंपनी द्वारा अतजा ि िाभ भी छोटा है ।
• यह इस िथ्य िे िारर् िा कि यकि िंपकनयों द्वारा अकजणि लाभ सिारात्मि िा, कजसिे िारर् अकिि
िंपकनयां बाजार में प्रिे श िरें िी और उत्पािन में िृ स्ि से िीमि में िमी आएिी। कजससे मौजूिा िंपकनयों
िी आय में िमी होिी।
• इसी प्रिार, यकि िंपकनयों िो नुिसान होिे हैं , िो िुछ िंपकनयां बंि हो जाएं िी ििा उत्पािन में िमी से
िीमिें बढें िी और बािी िंपकनयों िी िमाई बढे िी।
• चूाँकि अन्य िंपकनयों िो बाजार में प्रिे श िरने से रोिा जािा है , इसकलए एकातिकार कंपतनयों द्वारा
अतजाि िाभ को िं बे समय में िू र नही ं जािा है ।
• हालां कि, एिाकििार िे सं बंि में अलि-अलि अिणशास्ियों द्वारा अलि-अलि किचार व्यि किए िए हैं ।
• पहला, ििण यह किया जा सििा है कि ऊपर िकर्णि प्रिार िा एिाकििार िास्तकिि िु तनया में मौजूि
नही ं हो सकिा है ।
• ऐसा इसकलए है क्ोंकि सभी िस्तुएं एि अिण में , जो एि िू सरे िे कलए कििल्प हैं । इस िथ्य िे िारर्
अंकिम किश्लेषर् में , िस्तुओं िा उत्पािन िरने िाली सभी िंपकनयां उपभोिाओं िे हािों से आय प्राप्त
िरने िे कलए प्रकिस्पिाण िरिी हैं ।
• एि और ििण यह है कि शुि एिाकििार िी स्थिकि में भी एि िंपनी प्रतियोतगिा के तबना कभी नही ं
होिी है । ऐसा इसकलए है क्ोंकि अिणव्यिथिा िभी स्थिर नहीं होिी है ।
• नई प्रौद्योतगतकयों का उपयोग करने वािी नई वस्तुएं हमे शा सामने आिी हैं , जो एिाकििार िंपकनयों
द्वारा उत्पाकिि िस्तु िे कलए िरीबी कििल्प होिी हैं ।
• इसकलए, एकातिकार कंपतनयों में हमेशा िंबे समय िक प्रतिस्पिाा होिी है । अल्पािकि में भी, प्रकिस्पिाण
िा खिरा हमे शा मौजूि रहिा है और एिाकििार िंपकनयााँ हमारे द्वारा िकर्णि िरीिे से व्यिहार िरने में
असमिण होिी है ।
• तफर भी एक िू सरा दृतष्टकोण यह िका िे िा है तक एकातिकार का अस्स्तत्व समाज के तिए फायिे मंि
हो सकिा है ।
• चूंकि एिाकििार िंपकनयााँ बड़ी लाभ िमािी हैं ििा उनिे पास अनु संिान और कििास िायण िरने िे
कलए पयाण प्त िन होिा है । ऐस प्रिार िी िुछ चीझे जो पू र्ण प्रकियोिी िंपकनयााँ िरने में असमिण होिी है ।
• इस प्रिार िे अनुसंिान िरने से , एिाकििार िंपकनयााँ बे हिर िुर्ित्ता िाले सामान, या िम लािि पर
उत्पािन िरने या िोनों में सक्षम होिे हैं ।
• इस िरह िी संरचना अतिक सामान्यिः तिखाई िे िी है । यहााँ तबस्कुट उत्पािि िंपकनयों िी संख्या
बहुि अकिि है ।
• उत्पाकिि होने िाले िई कबस्कुट िुछ ब्ां ड िे नाम से जुड़े होिे हैं और इन ब्ां ड िे नाम और पैिेकजंि एि
िू सरे से अलि होिे हैं ििा स्वाि में भी िोड़ा अलि होिे हैं ।
• उपभोिा समय िे साि किसी किशेष ब्ां ड िे कबस्स्कट िे कलए एक स्वाि को व्यवहार में िािा है , या
किसी िारर् से किसी किशेष ब्ां ड िे प्रति तनष्ठावान हो जािा है । इसकलए, िुरंि इसे िू सरे कबस्स्कट िे
कलए थिानापन्न िरने िे कलए िैयार नहीं होिा है ।
• हािां तक, अगर मूल्य अंिर बडा हो जािा है , िो उपभोक्ता िू सरे ब्ां ड के तबस्स्कट को चुनने के तिए
िैयार हो जािा हैं ।
• किसी ब्ां ड िे कलए उपभोिाओं िी पसंि अक्सर किचार-िंभीयण में कभन्न होिी हैं । इसकलए उपभोिा िो
अपने ब्ां ड िो बिलने िे कलए आिश्यि मू ल्य में बिलाि िरना पड़ सििा है ।
• इसकलए, यकि किसी किशेष ब्ां ड िी िीमि िम िी जािी है , िो िुछ उपभोिा उस ब्ां ड िा उपभोि
िरने िे कलए पररिकिणि हो जाएं िे। भकिष्य में िीमि िम होने से िम िीमि िे साि अकिि उपभोिा
ब्ां ड िी ओर पररिकिणि होंिे।
• अिः , कंपनी द्वारा सामना की गई मााँ ग वक्र क्षै तिज नही ं होिी है (पू णा िोचिार) जैसा तक पूणा
प्रतियोतगिा के मामिे में होिा है ।
• जैसा तक एकातिकार के मामिे में होिा है वैसे कंपनी द्वारा सामना तकया गया मााँ ग वक्र बाजार की
मााँग वक्र नही ं है । एिाकििार प्रकियोकििा िे मामले में , िंपनी िो उम्मीि होिी है कि यकि िह िीमि
िम िरिा है िो उसिी मााँ ि बढ जािी है ।
• यह कंपनी, इस कारण से नीचे की ओर झुकी हुई एआर वक्र है । क्ोंकि सीमां ि आय औसि आय से
िम है , ििा नीचे िी ओर झुिी हुई भी होिी है ।
• जब भी सीमां ि राजस्व सीमां ि लािि से अकिि होिा है िब फमण अपना उत्पािन बढािी है । इस फमण िा
संिुलन िैसा किखिा है ? एकातिकार प्रतियोगी कंपनी का िाभ भी अतिकिम होिा है ।
• इस मात्रा िी िुलना पूर्ण प्रकियोिी िंपनी से िैसे िी जािी है ? याि रखे कि एआर एमआर पूर्ण प्रकियोिी
िंपनी िे कलए बराबर होिी हैं ।
• इसतिए पूणा प्रतियोगी कंपनी, एक समान स्थथति में , अपने एआर को एमसी के बराबर कर िे िी हैं ।
• इसतिए एकातिकार प्रतियोतगिा के िहि एक कंपनी पू णा प्रतियोगी कंपनी से कम उत्पािन करे गी।
• िम उत्पािन िो िे खिे हुए, वस्तु की कीमि पूणा प्रतियोतगिा के अंिगा ि कीमि से अतिक हो जािी है ।
ऊपर िकर्णि स्थिकि िह है जो अल्पािकि में मौजूि है ।
• लेकिन एिाकििार प्रकियोकििा िी बाजार संरचना नई कंपतनयों को बाजार में प्रवेश करने की अनु मति
िे िी है । यकि उद्योि में िंपकनयों िो अल्पािकि में लाभ प्राप्त हो रहा है , िो यह नई िंपकनयों िो आिकषणि
िरे िा।
• नई िंपनी िे प्रिे श िरिे ही, िुछ ग्राहि मौजूिा िंपकनयों से इन नई िंपकनयों में चले जािे हैं । इसतिए
मौजूिा कंपतनयों को िगिा है तक उनकी मााँग वक्र बाईं ओर थथानां िररि हो गई है , और उन्हें प्राप्त
होने िाली िीमि किर जािी है ।
• इससे मुनाफा िम हो जािा है । यह प्रकिया िब िि जारी है जब िि अप्रत्याकशि लाभ िा सफाया नहीं हो
जािा हैं , और िंपनी िेिल सामान्य लाभ िमािी हैं ।
• इसिे किपरीि, यकि उद्योि में िंपकनयों िो िम समय में नुिसान उठाना पड़ रहा है , िो िुछ िंपकनयां
उत्पािन बंि िर िें िी और बाजार से बाहर कनिल जाएिी।
• मौजूिा िंपकनयों िे कलए मााँ ि िि िायें ओर प्रिकिणि होिा। जो उच्च मू ल्य, और लाभ िे कलए ले जाएिा।
• एि बार जब असामान्य लाभ शू न्य हो जािा हैं ,िो बाजार में प्रिे श या कनिास रुि जाएिा, जो लंबे समय
िि संिुलन िा िाम िरे िा।
• अल्पाकििार िे किशेष स्थिकि में जहााँ िो तवक्रेिा होिे हैं , िो उसे तद्व-क्रेिातिकार कहा जािा है ।
• इस बाजार संरचना िा किश्लेषर् िरने पर, हम पािे हैं कि िो कंपतनयों िे द्वारा बेचा िया उत्पाि
समरूप होिा है और किसी िु सरे िंपनी द्वारा उत्पाकिि उत्पाि िा िोई तवकल्प नही ं होिा है ।
अध्याय 6 भाग 3
गैर-प्रतियोगी बाजार
• अल्पाधधकार के धिशेष स्थथधत में जहााँ िो तवक्रेिा होिे हैं , िो उसे ति-क्रेिातिकार कहा जािा है ।
• इस बाजार संरचना का धिश्लेषण करने पर, हम पाते हैं धक िो कंपतनयों के द्वारा बेचा गया उत्पाद
समरूप होता है और धकसी दु सरे कंपनी द्वारा उत्पाधदत उत्पाद का कोई तवकल्प नही ं होता है ।
• हम िे खिे हैं तक यहााँ पर कुछ कंपतनयााँ बाजार के आकार की िु लना में प्रत्येक कंपनी अपेक्षाकृि
बडी है । धजसके पररणामस्वरूप प्रत्ये क कंपनी बाजार की कुल आपूधति को प्रभाधित करती है , तथा इस
प्रकार बाजार मूल्य को प्रभाधित करती है ।
• उदाहरण के धलए, यधद धकसी धद्व-क्रेताधधकार में दो कंपनी आकार में समान हैं , और उनमें से एक इसका
उत्पादन दोगुना करने का फैसला करता है , तो बाजार में कुल आपूधति में काफी िृ स्ि होगी, धजससे कीमत
में धगरािट होगी।
• मूल्य में इस प्रकार की धगरािट उद्योग में शाधमल सभी कंपधनयों के मुनाफे को प्रभाधित करती है । अन्य
कंपधनयााँ अपने स्वयं के मुनाफे की रक्षा के धलए इस तरह के कदम का जिाब दें गी, इस बारे में नए धनणिय
लेते हुए धक धकतना उत्पादन करना है ।
• इसतलए उद्योग में उत्पािन के स्तर, कीमिों के स्तर के साथ मुनाफा, इस बाि का पररणाम हैं तक
तकस प्रकार कंपनी एक-िू सरे पर परस्पर प्रभाव डाल रहे हैं ।
• एक थतर पर, कंपधनयााँ सामूधहक लाभ को अधधक करने के धलए एक-दू सरे के साथ 'तमलीभगि' करने का
धनणिय ले सकती हैं । इस प्रकार के मामलों में , कंपधनयााँ एक "उत्पािक संघ" बनाती हैं जो एकाधधकार के
रूप में कायि करती है । जैसे: ओपेक (पेटरोधलयम धनयाि तक दे शों का संगठन)। यह उत्पादक संघ (काटे ल) के
रूप में कायि करता है क्ोंधक यधद इसका कोई सदस्य इसका उत्पादन बढाता है तो लाभ बढाने के धलए
सभी सदस्य अपना उत्पादन बढा दे ते हैं ।
• उद्योग द्वारा सामूधहक रूप से आपूधति की गई मात्रा और प्रभाररत धकया गया मूल्य उतना ही होगा धजतना
एकाधधकार में होता है ।
• दू सरे थतर पर, कंपनी एक दू सरे के साथ प्रधतयोधगता करने का धनणिय ले सकते हैं । (धजयो दु सरे कंपधनयों
को बाहर धनकालने के धलए अपनी कीमत को कम करता रहा धजसके कारण एयरटे ल को खुद को बाजार
में बनाए रखने के धलए अपनी कीमत को कम करने के धलए मजबूर होना पड़ा। धजसके कारण आज भारत
दु धनया में सबसे कम दू रसंचार कीमत िाले दे शों में से एक है )
• उदाहरण के तौर पर, एक कंपनी अपने ग्राहकों को आकधषित करने के धलए, अन्य कंपधनयों से अपने कीमत
को थोड़ा कम कर सकती है ।
• जाधहर-सी बात है , धक दू सरी कंपधनयााँ भी ऐसा ही करतीं हैं । धजसके कारण जब तक धक कंपनी एक दू सरे
से अपनी कीमतों को कम करते रहते हैं , तब तक बाजार मूल्य धगरता रहता है ।
• यधद प्रधक्रया अपने ताधकिक धनष्कषि पर जारी रहती है , तो कीमत सीमां त लागत तक धगर जाएगी। (सीमां त
लागत से कम कीमत पर कोई कंपनी आपूधति नहीं करती हैं ।)
• याद करें धक यह पू री तरह से प्रधतयोगी मूल्य के समान है । व्यिसाय में , एकाधधकार के पररणाम को
सुधनधित करने के धलए धजस प्रकार की आिश्यकता होती है , िै सा सहयोग अक्सर िास्तधिक दु धनया में
प्राप्त करना मुस्िल होता है ।
• दू सरी ओर, कंपतनयों को यह एहसास होिा है तक लगािार कम कटौिी से प्रतिस्पिाम करना उनके
स्वयं के मुनाफे के तलए हातनकारक हो सकिा है ।
सारांश
• िास्ति में धजस बाजार संरचना में एक ही धिक्रेता होते है उस बाजार संरचना को एकाधधकार बाजार
संरचना कहा जाता है ।
• िस्तु के बाजार की एकाधधकार संरचना होती है यधद िस्तु का एक धिक्रेता होता है , िस्तु के धलए कोई
धिकल्प नहीं होता है , और उद्योग में अन्य कंपनी के प्रिे श को रोका जाता है ।
• िस्तु का बाजार मूल्य एकाधधकार कंपधनयों द्वारा आपूधति की गई मात्रा पर धनभि र करता है । बाजार की मााँ ग
िक्र एकाधधकार कंपनी के धलए औसत राजस्व/आय िक्र है ।
• कुल राजस्व िक्र का आकार औसत राजस्व िक्र के आकार पर धनभिर करता है । नकारात्मक झुकाि िाली
सीधी रे खा की मााँ ग िक्र के मामले में , कुल राजस्व िक्र एक उलटा लंबित परिलय होता है ।
• धकसी भी मात्रा स्तर के धलए औसत राजस्व को कुल राजस्व िक्र को मू ल से प्रासंधगक धबंदु तक लाइन के
झुकाि द्वारा मापा जाता है ।
• धकसी भी मात्रा स्तर के धलए सीमां त राजस्व को कुल राजस्व िक्र को प्रासंधगक धबंदु पर स्पशि रेखा के झुकाि
द्वारा मापा जाता है ।
• यधद औसत राजस्व घटता हुआ िक्र है और यधद केिल सीमां त राजस्व का मूल्य औसत राजस्व से कम होता
है ।
• नकारात्मक रूप से ढला हुआ मां ग िक्र धजतनी तीव्र ढलानिाला होगा, उससे कहीं अधधक नीचे सीमां त
राजस्व िक्र होगा
• सीमां त राजस्व का सकारात्मक मूल्य होने पर मााँ ग िक्र लोचदार होता है , और सीमां त राजस्व का ऋणात्मक
मान होने पर लोच रधहत या मूल्य-धनरपेक्ष होता है ।
• यधद एकाधधकार कंपनी की लागत शून्य है या केिल धनधित लागत है , तो संतुलन में आपूधति की गई मात्रा
उस धबंदु से दी जाती है जहााँ सीमां त राजस्व शून्य है ।
• इसके धिपरीत, पूणि प्रधतयोगी उस धबंदु द्वारा दी गई एक सं तुलन मात्रा की आपूधति करे गी जहााँ औसत
राजस्व शून्य हो।
• एक एकाधधकार कंपनी के सं तुलन को उस धबंदु के रूप में पररभाधषत धकया जाता है जहााँ एमआर = एमसी
और एमसी बढ रहा होता है । यह धबंदु उत्पाधदत संतुलन की मात्रा प्रदान करता है ।
• संतुलन मूल्य मााँ ग िक्र द्वारा संतुलन मात्रा प्रदान की जाती है । एक एकाधधकार कंपनी को सकारात्मक
अल्पािधध लाभ लंबे समय तक जारी रखता है ।
• िस्तु बाजार में एकाधधकार प्रधतयोधगता िस्तु के समरूप नहीं होने के कारण उत्पन्न होती है ।
• एकाधधकार प्रधतयोधगता में , अल्पािधध संतुलन का पररणाम मात्रा में कम उत्पादन होता है और कीमतें पू णि
प्रधतयोधगता की तुलना में अधधक होती हैं ।
• यह स्थथधत लंबे समय तक बनी रहती है , लेधकन लंबे समय तक मुनाफा शू न्य है ।
• िस्तु बाजार में अल्पाधधकार तब होता है जब एक समरूप िस्तु बनाने िाली कंपनी की सं ख्या कम होती हैं ।