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नाटक

देश बदल रहा है


(तीन चार लोग उल्टे चलते हुए आते हैं। सबके चेहरे और शरीर अजीब ढंग से तने-तने और ख ंचे हुए हैं।
उल्टा चलते हुए एक चक्कर लगाते हैं।
एक नेता और उसके चमचे का प्रवेश। उनके गले में भगवा गमछे हैं। दोनों हैरानी से तीनों को दे ते हैं।)
नेता : अबे ये क्या हो रहा है?
चमचा : ये क्या हो रहा है?
तीनों : देश बदल रहा है। हम अपने महान नेता की अगवु ाई में आगे बढ़ रहे हैं।
नेता : आगे बढ़ रहे हैं? अबे, तमु लोग तो पीछे जा रहे हो!
चमचा : (जैसे अचानक कोई बात समझ आयी हो) अरे नेता जी! (खकनारे ले जाकर) आप भल ू गये क्या?
हमारे महान नेता ने बताया है खक आगे बढ़ने का सही तरीका यही है! (दशशकों से) असल में ये नेताजी
दसू री पाटी से आये हैं, इसखलए कभी-कभी ग़लती से खमस्टेक हो जाता है। आप लोग आगे बढ़ते
रहो...
(नेता और चमचा जब भी “महान नेता” बोलते हैं तो महान को लम्म्म्म्म्म्मबा ींचकर बोलते हैं)
व्यखक्त-एक : नेताजी, हम लोग खपछले कई साल से ऐसे आगे बढ़ने की कोखशश कर रहे हैं, लेखकन लगता है
खक हम आगे जा ही नहीं पा रहे हैं।
व्यखक्त-दो : उल्टे हमारी हालत तो खदन-ब-खदन और ख़राब होती जा रही है
व्यखक्त-तीन : (थोडा तैश में) मझु े तो लगता है आगे बढ़ने का ये झठू ा तरीका बताकर हम लोगों को और पीछे
धके ला जा रहा है!
नेता : बकवास कर रहे हो तमु सबके सब!
चमचा : (तीसरे की ओर इशारा करके ) लगता है ये देशद्रोखहयों की बातें सनु ने लगा है।
नेता : हमारे महान नेता 24-24 घण्टे देश को आगे बढ़ाने के खलए काम कर रहे हैं और तमु लोग कहते हो खक
देश पीछे जा रहा है! अरे तुम लोग आलसी और कामचोर हो!
चमचा : ऊपर से सीनाजोर हो!
नेता : देश आगे बढ़ता है कडी मेहनत से, लगन से, त्याग से, तपस्या से…
चमचा : लगन से, त्याग से, तपस्या से...

1
व्यखक्त-एक : नेताजी हम लोग तो सालों से कडी मेहनत कर रहे हैं।
व्यखक्त-दो : परू ी लगन से काम कर रहे हैं।
व्यखक्त-तीन : घरबार का त्याग करके परदेस में आकर तपस्या कर रहे हैं।
व्यखक्त-एक : लेखकन देश कहााँ आगे बढ़ा नेताजी?
नेता : अबे गधे, देश में इतना खवकास हो रहा है और तम्म्ु हें कुछ खद ता ही नहीं?
चमचा : कुछ खद ता ही नहीं? अन्धे हो क्या?
व्यखक्त-दो : कहााँ खवकास हो रहा है नेताजी? हम तो खवकास को कब से ढूाँढ रहे हैं, कहीं नजर ही नहीं आता।
नेता : कहााँ हो रहा है? कुछ पता भी है? हमारे देश में दस हज्जार से भी ज्यादा अरबपखत हो गये हैं। हमारे
महान नेता के महान दोस्त ढनढनानी जी दखु नया के दसू रे सबसे अमीर आदमी हो गये हैं।
चमचा : (कान में) नेताजी, इनका अभी नाम नहीं लेना है, अभी डाउन हो गये हैं।
नेता : (झेंपी हुई हाँसी हाँसकर) कोई बात नहीं। वैसे हमारे दसू रे महान सेठ बमबमबानी जी भी दखु नया के सबसे
अमीर लोगों में आ गये हैं...
व्यखक्त-तीन : लेखकन नेताजी, हमारा देश तो भु मरी के मामले में बहुत से ग़रीब देशों से भी नीचे चला गया
है।
नेता : (समझाते हुए) अरे भाई, इसीखलए तो हमारे महान नेता 80 करोड लोगों को पााँच-पााँच खकलो राशन दे
रहे हैं...
चमचा : अब और खकतना ाओगे?
व्यखक्त-एक : नेताजी आप लोग कहते थे खक बहुत हुई महाँगाई की मार... लेखकन महाँगाई तो बढ़ती ही जा रही
है...
व्यखक्त-दो : सब्जी, दधू , दवाई सबमें आग लगी हुई है...
व्यखक्त-तीन : गैस खसलेंडर 1200 का खमल रहा है नेताजी...
नेता : अबे चपु ! चपु ! ाली गन्दी गन्दी बातें सनु ता रहता है! दे भाई, सब्जी खकस रंग की होती है – हरे रंग
की। तो भाई हरे रंग से जरा दरू ही रहो। समझ रहे हो न? और रही बात दधू की, तो दधू को क्या पीना?
गाय हमारी माता है...
चमचा : (चहककर) …हमको कुछ नहीं आता है...
नेता : (डपटकर) चपु ! तो भाइयो-बैनो, गौमाता का दधू तमु लोग क्या करोगे पीकर...
चमचा : …उसके खलए तो हम हैं ना!

2
नेता : (आाँ ें तरे रता है, चमचा माँहु पर हाथ र ता है) और भाइयो-बैनो, इतना महाँगा खसलेंडर ख़रीदना ही
क्यों भला? हमारे महान नेता ने देशवाखसयों को नाले की गैस से चल्ू हा जलाने का फ़ॉमशल ू ा बताया है
ना? देश में चारों ओर नाले ही नाले हैं, गैस ही गैस है – ऐश करो!
व्यखक्त-एक : नेताजी लोगों का काम धन्धा छूट गया है, गजु ारा कै से करें ?
व्यखक्त-दो : रोजगार खमलता भी है तो जीने लायक पैसे नहीं खमलते। आज काम है तो कल सडक पर...
व्यखक्त-तीन : 25 से 30 करोड बेरोजगार सडकों पर धक्के ा रहे हैं। सारी पढ़ाई खल ाई खडग्री खकसी काम
नहीं आ रही है...
(भीड में से 2-3 लोगों के चीख़ने की आवाज आती है। सब चौंक उठते हैं। तीनों व्यखक्त जाकर दे ते हैं)
नेता : कौन है जो ऐसे खचल्लाकर देश का माहौल ख़राब कर रहा है?
चमचा : देश की छखव को धखू मल करने की साखजश कर रहा है?
व्यखक्त-एक : एक ग़रीब मााँ की बेटी भात-भात कहते-कहते भू से मर गयी...
व्यखक्त-दो : एक मजदरू ने कजशदारों से बचने के खलए फााँसी लगा ली...
व्यखक्त : एक बेरोजगार नौजवान ने रे ल की पटरी पर कटकर जान देदी...
नेता : ये सब देश के दश्ु मनों की साखजश है। इन लोगों ने खमलकर खवकास के जश्न में रंग में भंग डालने का
काम खकया है।
चमचा : (दशशकों से) चपु चाप नहीं मर सकते क्या? इतना शोर मचाने की क्या जरूरत है?
नेता : (आाँ ें तरे रता है, चमचा माँहु बन्द करता है) दे ो, बडे-बडे देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती
हैं। इन पर फालतू लोग ध्यान देते हैं। तमु लोग कामचोर हो इसीखलए तम्म्ु हें खवकास नहीं खद ता। जाओ
जाकर मेहनत से अपना काम करो।
व्यखक्त-एक : नेताजी, हम तो ख़बू मेहनत से अपना काम करते हैं।
व्यखक्त-दो : खदन-रात पसीना बहाते हैं।
व्यखक्त-तीन : सबु ह से शाम तक दौडते ही रहते हैं।
नेता : अच्छा, जरा सनु ें तो तमु लोग क्या काम करते हो...
व्यखक्त-एक : नेता जी, मैं आपकी फै क्री में मजदरू ी करता ह।ाँ
नेता : वेरी गडु , तमु ख़बू मेहनत से अपना काम करो...
चमचा : और यखू नयन-फूखनयन के चक्कर में मत पडो...
व्यखक्त-दो : नेता जी, मैं आपकी रांसपोटश कम्म्पनी में काम करता ह।ाँ
नेता : बहुत अच्छे ! तमु भी ख़बू मेहनत से अपना काम करो...

3
चमचा : (व्यखक्त-तीन से) और तमु ?
व्यखक्त-तीन : मैं पढ़ खल कर बेरोजगार ह।ाँ नेताजी के टीवी चैनल के बाहर पकोडे तलता ह।ाँ
नेता : (डपटकर) खफर तमु बेरोजगार कै से हो? पकौडे तलना भी तो एक रोजगार है! हमारे महान नेता ने बताया
है...
चमचा : कल से तमु नेताजी के होटल में आकर पकौडे तलो...
नेता : तमु सब अपनी अपनी जगह पर कडी मेहनत से काम करो। दे ना देश जरूर आगे बढ़ेगा। याद र ो,
खवकास का एक ही रास्ता है – कडी मेहनत... कडीಽಽ मेहनत... कडीಽಽಽ मेहनतಽಽಽ...
चमचा : (दण्डबैठक वाले अन्दाज में) कडीಽಽಽ मेहनत... (चक्कर ाकर बैठ जाता है) (तीनों खहकारत से
उसपर हाँसते हैं)
व्यखक्त-एक : लेखकन नेताजी, हमें तो इतने खदनों में यही समझ आया है खक हमारी कडी मेहनत से दसू रों को
ही फायदा होता है। हम तो वहीं के वहीं रह जाते हैं।
व्यखक्त-दो : सबु ह से शाम तक टते हैं खफर भी बच्चों का पेट नहीं भर पाते...
व्यखक्त-तीन : जब आधी से ज़्यादा जनता ग़रीब होगी तो भला देश कै से आगे बढ़ेगा नेताजी?
नेता : तमु सब अन्धे हो, काने हो, बहरे हो। चारों ओर इतना खवकास हो रहा है तम्म्ु हें खद ता ही नहीं? आदमी
लगन से काम करे तो भला क्या नहीं हो सकता? अब मझु को ही दे लो। अभी 15 साल पहले मैं
यहीं खसनेमा ह़ॉल में खटकट ब्लैक करता था। खफर मैंने ब़ॉडशर पर माल इधर-उधर करना शुरू खकया।
खफर मैं सभासद बना, उसके बाद खवधायक बना और गौमाता की कृ पा से आज मैं मत्रं ी बन गया ह!ाँ
चमचा : …और ऐसी ही कृ पा बनी रही तो एक खदन परधानमंत्री बन जायेंग!े
नेता : (आाँ ें तरे रता है, चमचा माँहु बन्द करता है) तो ये खवकास हुआ खक नहीं?
व्यखक्त-एक : नेताजी, इससे देश का खवकास कै से हुआ?
नेता : लो सुन लो! अरे अभी-अभी नोएडा में मेरी एक और गारमेंट फै क्री का उदघ् ाटन हुआ है, मेरा बेटा
अयोध्या में भव्य राम मखन्दर के पास नया होटल बनवा रहा है, मेरी बीवी के नाम से चार नये
मल्टीप्लेक्स खसनेमा ह़ॉल बन रहे हैं, मेरे साले ने डेढ़ सौ नये रक ख़रीदे हैं, मेरे भाजं े ने रैक्टर की नयी
एजेंसी ली है और मेरे ससरु ने... (हााँफने लगता है)
चमचा : ...हमारे ससरु जी ने शेयर बाजार का खबजनेस शरू ु खकया है। और तो और, हमको भी नेताजी ने एक
ठो पेरोल पम्म्प खदलवा खदया है....
नेता : ये सब खवकास है खक नहीं?
व्यखक्त-दो : नेताजी अभी भी बात समझ में नहीं आयी। इस सबसे देश का खवकास कै से हुआ?

4
नेता : अरे उल्ल,ू अरे गधे! कार ाना मैंने कहााँ लगाया? इसी देश में ना? और होटल हमने कहााँ ोला?
अमेररका में? और मल्टीप्लेक्स कहााँ बन रहे हैं? इटली में? सब यहीं बन रहे हैं ना? तो इससे देश आगे
बढ़ेगा या नहीं?
(फोन बजता है।)
चमचा : (फोन उठाकर) हेलो, हााँ जी, हााँ जी, नेताजी के यहााँ से बोल रहा ह।ाँ जी जी, सर जी, जी सर, अभी
बात करवाता ह।ाँ नेताजी, ढनढनानी इडं स्रीज के माखलक साहब का फोन है।
नेता : (लपककर) हेल्लो, अरे नमस्ते सर जी, आपने ख़दु फोन क्यों खकया, एक बार कहला देते मैं फौरन हाखजर
हो जाता.... (सनु ता है) स़ॉरी सर स़ॉरी सर, आप खफकर मत कररए सर, संसद में जो भी हगं ामा हो रहा
है, सब ख़त्म करवा दगाँू ा। आप तो दे ही रहे हैं, हमारे महान नेता आपकी रक्षा के खलए क्या-क्या कर
रहे हैं... (जोश में आकर) आपके खलए हम अपनी जान की बाजी लगा देंगे सर जी... (चमचा थोडा
शान्त रहने का इशारा करता है)
नेता : ....क्या कह रहे हैं सर? प़ॉवर प्लाटं के खलए 2000 एकड जमीन का क्या हुआ? आप खचन्ता मत कररए
सर। समखझए जमीन आपकी हो गयी। बस 7-8 गााँव ख़ाली कराने हैं। आप तो जानते ही हैं, चनु ाव के
मौसम में जरा ख़याल र ना पडता है। उसके बाद तो चटु की बजाते सारा इलाका ख़ाली करवा दगाँू ा।
क्या कहा, जंगल? अरे जंगल भी कटवा डालाँगू ा... क्या कह रहे हैं सर? खवरोध? अरे , कोई साला
खवरोध-खफरोध नहीं करे गा। मार-मार के सबको टाइट कर खदया जायेगा। (चमचा कुछ सु र-पसु र करता
है) ...और आप तो जानते ही हैं सर जी, इसके बाद भी पखब्लक चपु नहीं बैठी तो इधर से जय श्रीराम
उधर से नारा-ए-तकबीर करवा देंगे। लडते रहेंगे सब आपस में, खफर आपसे लडने कौन आयेगा...हा-
हा-हा! (चमचा खफर कुछ सु र-पसु र करता है) ...बस थोडा हमारा भी ख़याल रख एगा। आप तो
जानते ही हैं चनु ाव में आजकल ख़चाश बहुत बढ़ गया है। हजार-बारह सौ करोड और खमल जाते तो -
हें हें हें... बस हुजरू ऐसे ही कृ पा बनाये रख ए... (फोन चमचे को दे देता है)
चमचा : ठीक है सर जी, वो बैंक लोन वाली फाइल भी मैंने बन्द करवा दी है। हें हें हें... आप खचन्ता मत
कीखजए सर, आपके सारे नुक्सान की भरपाई हम लोग करवा देंगे। अभी नेताजी संसद में खबल पेश
करने वाले हैं खक जोभी खदन में दो बार से ज़्यादा ट़ॉयलेट जायेगा उसे सरचाजश देना पडेगा। और इसके
खलए हर घर में कै मरे भी लगवाना जरूरी होगा। (आाँ मारकर) सर जी, आप तो अभी से कै मरे की
फै क्री डाल दो। क़ॉण्रैक्ट तो आपको ही खमलना है!
(तीनों हैरानी और ग़ुस्से से उन्हें दे रहे हैं)
नेता : (उनकी ओर मडु कर) दे ा, ऐसे होता है खवकास। अब बताओ, मेरा पावर प्लांट लगेगा तो खवकास होगा
या नहीं?
व्यखक्त-एक : लेखकन नेताजी हमने सनु ा है खक इस पावर प्लांट की सारी खबजली तो पडोसी देश को बेची
जायेगी। हमारे गााँव में तो अाँधेरा ही रहेगा...

5
व्यखक्त-दो : हमने यह भी सनु ा है खक इस प्लाटं के खलए सेठ को खसफश एक रुपया एकड के रे ट से जमीन दी
गयी है...
व्यखक्त-तीन : और इसके खलए कई गााँवों की आबादी को उजाडा जा रहा है...
नेता : खफर वही गन्दी गन्दी बातें! तमु लोगों को कोई अच्छी चीज खद ायी नहीं देती? अरे जब हमारे पावर
प्लाटं की खबजली से शहर में बडे बडे म़ॉल जगमगायेंगे तो सबको पता चल जायेगा खक हमारे देश में
खकतनी श ु हाली आ गयी है। तब तम्म्ु हारी समझ में आयेगा खक खवकास कै से होता है।
चमचा : अब तमु लोग समझे देश कै से आगे बढ़ रहा है?
व्यखक्त-एक : (ग़स्ु से से) नहीं समझे। इससे देश कै से आगे बढ़ा नेताजी? इससे तो आप और आप के माखलक
हुजरू ही आगे बढ़ रहे हैं।
नेता : अबे तो हम हैं कौन?
चमचा : कौन हैं हम?
व्यखक्त-दो : आप आदमी हैं नेताजी।
नेता : अबे आदमी होगा त,ू तेरा बाप। हम तो देश हैं देश।
व्यखक्त-तीन : अच्छा नेता जी, आप ही देश हैं?
नेता : हााँ, हम ही देश हैं, हम आगे बढ़ेंगे तभी देश आगे बढ़ेगा।
व्यखक्त-एक : आप आगे बढ़ेंगे तभी देश आगे बढ़ेगा?
नेता : और नहीं तो क्या तेरे जैसे खचरकुट के बढ़ने से देश आगे बढ़ेगा?
व्यखक्त-तीन : तो साखथयो, आप लोग समझ ही गये खक जब नेता जी और उनके आका लोग आगे बढ़ेंगे तभी
ये देश आगे बढ़ेगा?
एक और दो : हााँ, हम समझ गये। और हम ये भी समझ गये खक अब तक हम क्यों नहीं आगे बढ़ पा रहे हैं।
नेता : हााँ भाई, बात समझ में आ गयी न?
चमचा : अब भल ू मत जाना…
व्यखक्त-एक : तो आओ साखथयो, हम सब खमलकर देश को आगे बढ़ायें!
व्यखक्त-दो : आओ साखथयो!
व्यखक्त तीन : दे क्या रहे हो साखथयो! आओ हम सब खमलकर देश को आगे बढ़ायें।
(तीनों खमलकर नेता और चमचे की ओर बढ़ते हैं)
नेता : अबे, ये तमु लोग क्या कर रहे हो?
तीनों : हम देश को आगे बढ़ा रहे हैं...

6
नेता : अरे ... अरे ... पागल हो गये हो क्या?
व्यखक्त एक : नहीं नेता जी, पागल तो हम अब तक थे।
व्यखक्त-दो : अब तो हमारी आाँ ों पर पडी परियााँ ल ु रही हैं।
व्यखक्त तीन : अब हम तमु लोगों के जाल में नहीं फाँ सेंगे। आओ साखथयो!
नेता : अरे , उधर दे ो, पाखकस्तान में क्या हो रहा है!
चमचा : वो दे ो, लव खजहाद हो गया! दौडो-दौडो!
नेता : रुक जाओ, तम्म्ु हें गौमाता की कसम!
चमचा : आगे मत बढ़ो, तम्म्ु हें रामराज्य की सौगन्ध!
(तीनों उनकी ओर ध्यान खदये खबना उनकी ओर हाथ उठाये आगे बढ़ते रहते हैं। एक-दो या तीन और लोग भी
उनके साथ हो जाते हैं)
तीनों : अब तम्म्ु हारी कोई चाल काम नहीं करे गी! आज हम तम्म्ु हारे इस देश को आगे बढ़ाकर ही रहेंगे...
(आगे बढ़ते हैं। नेता और चमचा पीछे हटते हैं। लोग उन्हें धखकयाकर बाहर कर देते हैं।)

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