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पथ्

ृ वीराज की आँखें
डा. रामकुमार
वर्मा
लेखक का परिचय :- आधुनिक हिन्दी साहितकारों में डा. रामकुमार
वर्मा जी का विशिष्ट स्थान है । आप एक सफल एकांकीकार के साथ
साथ प्रमख
ु साहित्य इतिहासकार तथा प्रसिद्ध छायावादी कवि रहे हैं।
आपकी एकांकियों में सामाजिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं का सन्
ु दर
तथा सजीव वर्णन हुआ है ।"चारुमित्र , रे शमी टाई, पथ्ृ वीराज की आँखें
आदि आपके सफल एकांकी संग्रह हैं। प्रस्तुत एकांकी " पथ्
ृ वीराज की
आँखें " में आपने दिल्ली तथा अजमेर के राजा पथ्ृ वीराज चौहान की
शौर्यता तथा विवशता का चित्रण किया है ।

सारांश :- तराइन के प्रथम यद्ध


ु में शहाबद्द
ु ीन मह
ु म्मद गोरी पराजित
होकर भाग गया था। उसी तराइन के द्वितीय यद्ध
ु में पथ्
ृ वीराज
जयचंद के विश्वासघात के कारण मुहम्मद गोरी से पराजित हो गए।
मुहम्मद गोरी उन्हें बंदी बनाकर गोर ले गए। बंदीगह
ृ में उनसे क्रूरतम
व्यवहार किया गया। महाराज पथ्
ृ वीराज की आंखों में गर्म सलाखे
डालकर उन्हें अंधा बना दिया गया।
चंदबरदाई महाराज पथ्ृ वीराज चौहान का दरबारी कवि तथा परममित्र
था। वह उनसे मिलने के लिए गोर के बंदीगह
ृ गया। वह वहां पथ्
ृ वीराज
के साथ हुए अमानवीय व्यवहार को दे खकर बहुत अधिक दख
ु ी हुआ।
उस समय पथ्ृ वीराज चंदबरदाई से यह कहता है कि वह उनकी हत्या
कर दे , पर चंदबरदाई कटार से स्वयं अपनी ही हत्या करने के लिए
तैयार हो जाता है । इसी समय मुहम्मद गोरी वहां आकर उसे रोक लेता
है । वह चंदबरदाई के द्वारा पथ्ृ वीराज को महाराज कहने पर उसका
मजाक उड़ाता है । अवसर पाकर चंदबरदाई पथ्
ृ वीराज के शब्दभेदी
बाण चलाने के चमत्कार की प्रशंशा मह
ु म्मद गोरी के सामने करता है ।
मुहम्मद गोरी उस अदभुत चमत्कार को दे खने के लिए तैयार हो जाता
है । इस घटना के साथ ही एकांकी का समापन हो जाता है ।

विशेषता:- यह एक ऐतिहासिक एकांकी नाटक है । इस एकांकी के


माध्यम से लेखक ने तत्कालीन भारत की राजनीतिक स्थिति का
चित्रण किया है । परू ी एकांकी पथ्
ृ वीराज पर केंद्रित है । इसमें पथ्
ृ वीराज
की विवशता तथा मह
ु म्मद गोरी की क्रूरता का चित्रण हुआ है । इस
एकांकी की भाषा सहज, सरल तथा उर्दू मिश्रित हिन्दी है । शैली
प्रभावकारी है । कुल मिलाकर यह हिन्दी की एक उत्तम एकांकी है ।

प्रश्न और उत्तर :-
प्रश्न 1. "पथ्ृ वीराज की आँखें " के पथ्ृ वीराज का चरित्र - चित्रण
कीजिए ?
उत्तर :-पथ्ृ वीराज चौहान दिल्ली तथा अजमेर के एक पराक्रमी राजा
थे। उन्होंने अनेक बार शत्रओ
ु ं से अपने राज्य की रक्षा की। वह एक
साहसी, पराक्रमी के साथ वीर योद्धा भी थे। उनके क्रोध और तलवार
की आतंक से शत्रु भी भयभीत रहते थे। तराइन के पहले युद्ध में उनकी
विजय हुई थी। मुहम्मद गोरी पराजित होकर वापस गोर चला गया
था। इस युद्ध में पथ्ृ वीराज ने उनको जीवनदान दिया था। तराइन के
दस
ू रे युद्ध में पथ्
ृ वीराज जयचंद के विश्वासघात के कारण पराजित हो
गया था। मह
ु म्मद गोरी उसे बंदी बनाकर गोर के किले में रखता है ।
उस पर तरह तरह के अमानवीय व्यवहार करता है । वह उनकी आंखें
फोड़ डालता है । पथ्ृ वीराज वीर, धैर्यवान, साहसी, स्वाभिमानी और
क्षमाशील राजा है । जबकि मुहम्मद गोरी कायर, दष्ु ट और कपटी
व्यक्ति है ।

प्रश्न 2. "पथ्ृ वीराज की आँखें " एकांकी के चंद कवि की चरित्र की


विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?

उत्तर :- चंदबरदाई महाराज पथ्


ृ वीराज के परममित्र तथा दरबारी
कवि थे। उन्होंने "पथ्ृ वीराज रासो" नामक महाकाव्य की रचना की है
। चंदबरदाई एक बुद्धिमान तथा होशियार व्यक्ति थे। उन्होंने समय
समय पर महाराज को उचित सलाह दी, जिसके कारण अनेक बार
पथ्
ृ वीराज की विजय हुई। तराइन के दस
ू रे युद्ध में जब पथ्ृ वीराज की
हार हुई तो उन्हें बंदी बनाकर गोर के किले में रखा गया। बंदी महाराज
के साथ मुहम्मद गोरी ने अमानवीय व्यवहार किया। उनकी दोनों
आखें फोड़ ली गई।

चंद ने जब महाराज की दशा दे खी तो उनसे रहा नहीं गया । वह


महाराज को धैर्य दे ते हुए यह कहता है कि शेर को पिंजड़े में रखने पर
भी वह शेर ही कहलाता है । वह महाराज के दख
ु से विचलित होकर
आत्महत्या करना चाहता है । वह मुहम्मद गोरी के सामने अंधे राजा
की वीरता तथा पराक्रमता का वर्णन करता है । वह इस समय राजा
द्वारा शब्दभेदी बाण चलाने की विद्या के बारे में भी बताता है । इस
प्रकार चंदबरदाई एक परममित्र तथा कवि दोनों की भमि
ू का को सहर्ष
निभाता है ।

प्रश्न 3. "पथ्ृ वीराज की आँखें " शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश


डालिए ?

उत्तर :- "पथ्ृ वीराज की आँखें " नामक एकांकी के लेखक डा.


रामकुमार वर्मा जी है । इसमें उन्होंने पथ्ृ वीराज चौहान की शौर्यता,
वीरता तथा विवशता का चित्रण किया है ।

तराइन के पहले युद्ध में पथ्


ृ वीराज के हाथों मुहम्मद गोरी की हार हो
जाती है । तराइन के दस
ू रे युद्ध में गोरी की जीत तथा महाराज
पथ्
ृ वीराज की हार हो जाती है । गोरी पथ्
ृ वीराज को बंदी बनाकर गोर के
किले में रखता है । गोरी पथ्ृ वीराज पर बहुत जुल्म करता है । लोहे की
सलाखों से राजा की दोनों आखें फोड़ ली जाती है । इस अर्थ में एकांकी
का शीर्षक " पथ्
ृ वीराज की आँखें " रखा गया है ।

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