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Instapdf - in Bhairav Chalisa 327
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d चालीसा f.i
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जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति कािी-कुिवाला॥
बटुक नाथ िो काल गभं ीरा। श्वेि रक्त अरु श्याम िरीरा॥
करि नीनिं रूप प्रकािा। भरि सभु क्तन किं िभु आिा॥
मिा भीम भीषण िरीर जय। रुद्र ियम्बक धीर वीर जय॥
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िेिलेि भिू ेि चद्रं जय। क्रोध वत्स अमरे ि नन्द जय॥
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श्री वामन नकुलेि चण्ड जय। कृ त्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
ऐलादी के दख
ु तनवारयो। सदा कृ पाकरर काज सम्िारयो॥
सन्ु दर दास सतिि अनरु ागा। श्री दवु ावसा तनकट प्रयागा॥
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काल भैरव चालीसा का महत्व
काल भैरव चालीसा का पाठ करने से सख
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ु -सौभाग्य में वृति िोिी िै। काल भैरव की कृ पा से तसति-
बतु ि,धन-बल और ज्ञान-तववेक की प्राति िोिी िै । काल भैरव के प्रभाव से इसं ान धनी बनिा िै, वो
िरक्की करिा िै। वो िर िरि के सखु का भागीदार बनिा िै, उसे कष्ट निीं िोिा। काल भैरव की कृ पा
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माि से िी इसं ान सारी िकलीफों से दरू िो जािा िै और वो िेजस्वी बनिा िै ।
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