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कब्रों के पास नमाज़ न पढने की बीस दलीलें एवं कब्रों पे मस्जिद व भवन निर्माण का हुक्म
कब्रों के पास नमाज़ न पढने की बीस दलीलें एवं कब्रों पे मस्जिद व भवन निर्माण का हुक्म
लेखक
ईमेल: binhifzurrahman@gmail.com
मोबाइल: 22544049511910
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इस पज
ु तक के संपण
ू ा अधिकार लेखक के ललए सरु क्षित हैं।
ववषय सच
ू ी
ववषय सच
ू ी
प्रजतावना
क़ब्रों के पास नमाज़ पढ़ने के ववषय में कुछ इजलामी ववद्िानों की रायें
क़ब्रों का अपमान
अंनतम बातें
संदभा
प्रजतावना
وعلى آله و صحبه وسلم،الحمد هلل وحده والصالة والسالم على من ال نبي بعده
चीज़ें इबादत में शालमल हैं। इसी प्रकार से अल्लाह और उसके रसूल
मन्नत आहद।
सन्
ु दर बना दे ता है ववशेष रूप से कह)नाई की स्जर्नत में । और स्िसने
ऐसा ककया वह अल्लाह की प्रार्ाना में लशका में पड गया िो नरक में
सवैद रहने का कारण है ।
इस संक्षिप्त शोि में मैं ने अपनी बात रखनी चाही है ताकक मुझे और
मेरे भाइयों को लाभ हो।इस ववषय पर अहल-ए-सुन्नत की पुजतकों में
िो भी बबखरी हुई बातें र्ीं उन्हें एकबरत कर हदया है मैंने क़ब्रों के पास
नमाज़ पढ़ने के सम्बंि में शरीअ़त की प्रमाणों का उल्लेख ककया है ।
कफर चारों िमाशाजर के पंर्ों के िमागुरूओं की बातें भी प्रजतुत की हैं।
तत्पश्चात क़ब्रों के पास नमाज़ न पढ़ने के कारणों को ववजतार से
बताया है । इस शोि के सार् क़ब्रों पर भवन ननमााण का हुक्म भी
सस्म्मललत कर हदया है ।और यह बताया है कक चारों पंर्ों के िमागुरूओं
के ननकि यह ह़राम है । मैंने यह भी बताया कक सारे िमागरू
ु ओं का इस
पर एकमत है ।मैं अल्लाह से प्रार्ाना करता हूाँ कक इस शोि से लेखक
और पा)क को लाभ पहुंचाये। हम समजत मुसलमानों को लाभदायक
ज्ञान प्राप्त करने और अल्लाह और उसके रसूल सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम की शरीअ़त के अनस
ु ार नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम की
सुन्नत पर चलने की तौफीक दे । इ़बादत में नवाचारों और मनगढ़त
बातों से बचाये ताकक हमारी इ़बादतें अल्लाह के ननकि जवीकृत और
प्रलय के हदन लाभप्रद हों।
وهللا اعلم و صلى هللا على نبينا محمد وعلى اله وصحبه وسلم تسليما كثيرا
लेखक
नीची भवन हो अर्वा खाली जर्ान,इसी अर्ा में नबी सलल्लाहु अ़लैहह
बनाई गई है ।(बुखारी:4446
़ ,मुस्जलम 694,िाबबर रज़ीअल्लाहु अंहु से
वर्खणत)
ववशेष अर्ा में मस्जिद उस भवन को बोलते हैं स्िसे सारे लोगा िानते
हैं इसी अर्ा में अल्लाह का यह फरमान है :
إنما يعمر مساجد هللا من آمن باهلل و اليوم اآلخر ولم يخش إال هللا
प्रर्म:क़ब्र की पि
ू ा करना,नमाज़ एवं सिदा द्वारा,िैसा कक बत
ु ों की
पूिा करने वाले बुतों के सामने करते हैं और यह खुला कुफ्र है स्िसमें
कोई संदेह नहीं।
प्रर्म कारण:
क़ब्रों के पास नमाज़ पढ़ने वालों में से अधिकांश का ववश्वास है कक क़ब्र
के पास अर्वा उसके अन्य भागों में नमाज़ जर्ावपत करने पर एक
ववशेष बरकत और फिीलत
़ है । इस ववश्वास की न तो अल्लह की
पज
ु तक में कोई वाजतववकता है और न ही रसल
ू ल्लाह सल्लल्लाहू अ़लैहह
वसल्लम की सुन्नत में क्योंकक शरीअ़त में (4) मस्जिद-ए-ह़राम,(9)
मस्जिद-ए-ह़राम,रसल
ू सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम की मस्जिद और
इदने हहदबान
़ (49492 ),यह उन्हीं के शदद हैं और उनके अलावा ने
नमाज़,दआ
ु ़ स्िक्र
़ अर्वा उसके अलावा के ललए इितेमा का इरादा करना
अपनी इच्छा को अपना पूज्य बना ललया है ।" (सूरह अल- िासीया-94)
इस में मश
ु ररकों को मश
ु ाबहत है स्िन्हों ने अपनी आत्मइच्छा की ललए
कुछ जर्ानों को महत्व दे रखी है वे वहााँ ककसी मूनता अर्वा उसके
अलावा के ललए िाते र्े उनका ववश्वास र्ा वह उन्हें अल्लाह तआ़ला के
ननकि कर दे ता है
तीसरा कारण:
क़ब्र वाले की क़ब्र के पास नमाज़ पढ़ कर सम्मान करना समय के सार्
और बढ़ िाता है यहााँ तक कक क़ब्र वाले ही की प्रार्ाना की िाने लगती
चौर्ा कारण:
पांचवां कारण:
छ)ा कारण:
अनेक ह़दीसों में क़ब्रों को मस्जिद बनाने के संबंि में नबी सलल्लाहु
अ़लैहह वसल्लम की मनाही आई है कफर आपके मत्ृ यु रोग में मनाही पर
बल हदया गया है ।रोग की तीव्रता एवं उसकी गहनता के बाविूद आपने
एक बार कफर उसकी मनाही पर बल हदया और आप निा की स्जर्नत में
र्े।यह मामले की गंभीरता और उसके महत्व को बताता है ।क्योंकक आप
की यह स्जर्नत क़ब्रों को मसास्िद बनाने से रोकने से गाकफल नहीं कर
पायी।इस अध्याय में नबी सलल्लाह अ़लैहह वसल्लम से बीस से अधिक
ह़दीसें आई हैं।
(4) िंद
ु ब
ु बबन अ़ददल्
ु लाह बिली (रज़ीअल्लाह अन्हु) से वखणात है कक
उन्होंने फरमाया: मैंने नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम को आप की मत्ृ यु
से पांच हदन पहले फरमाते हुए सुना: मैं अल्लाह के सामने इस बात से
बेज़ारी प्रकि करता हूाँ कक तुम में से कोई मेरा (खलील) लमर है क्योंकक
अल्लाह तआ़ला ने मुझे अपना लमर बनाया है ।स्िस प्रकार कक इब्राहीम
अ़लैहहजसलाम को अपने लमर बनाया र्ा, और यहद में अपनी उम्मत में
लमर बनाता,सन
ु ो तम
ु से पहले िो लोगा र्े वे अपने पैगंबरों और
सदाचाररयों की क़ब्रों को सिदागाह (मार्ा िे कने का जर्ान) बना ललया
करते र्े अतिः साविान! तुम क़ब्रों को सिदागाह न बनाना मैं तुम्हें
इससे रोकता हूाँ। (इसे मुस्जलम (699) ने ररवायत ककया)
(9) अ़ददल्
ु लाह बबन मसउूद़ से वखणात है कक उन्होंने ने फरमाया: मैंने
अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अ़लैहह व सल्लम को कहते हुए सुना कक
सबसे बुरे लोग ये हैं स्िन पर क़्यामत जर्ावपत होगी और स्िन्होंने क़ब्रों
को मसास्िद बना ललया।
(1) अबू ओ़बैदा आ़लमर बबन िरााह़ से वखणात है उन्होंने कहा कक नबी ने
अंनतम शदद िो कहा र्ा व वह यह र्ा कक तुम लोग यहूहदयों और
अहले नज़रान को अ़रब से दरू कर दो। ज्ञात रहे कक क़ब्रों को मस्जिद
बनाने वाले सब से बरु े लोग हैं।
शैख साद बबन हम्द बबन अ़ली बबन अतीक ने इस ह़दीस पर हिप्पणी
करते हुए कहा: कक िब आप ने अपनी दआ
ु ़: अल्लाह मेरी क़ब्र को ऐसा
बुत न बनाना स्िस की पूिा की िाए और क़ब्रों को मस्जिद बनाने
वालों पर अल्लाह के सख्त करोिी होने की सच
ू ना को एक सार्
लमलाया।यह इंधगत करता है कक दस
ु रा प्रर्म का कारण है ।
और इदने अ़ददल
ु बर मालकी रहह़महुल्लाह ने कहा:
"वसन" बत
ु है चाहह सोने चांदी की मनू ता हो अर्वा ककसी और चीज़ की
प्रनतमा अल्लाह के अलावा प्रत्येक वह चीज़ स्िसकी पि
ू ा की िाए वह
"वसन" है चाहह वह बुत हो अर्वा कोई और चीज़ अ़रब के लोग बुतों
की ओर माँह
ु करके नमाज़ पढ़ते और उनकी प्रार्ाना ककया करते र्े।
इसललए रसल
ू सलल्लाह अ़लैहह वसल्लम को अपनी उम्मत के बारे में
यह डर हुआ कक यह भी पव
ू ा की उम्मतों के मागा पर न चल पडे िब
उनमें ककसी नबी का ननिन हो िाता तो वे उनकी क़ब्र के ईदा -धगदा
प्रार्ाना के ललए िमकर बै) िाते िैसा कक ककसी बुत के सार् ककया
िाता र्ा तो नबी सलल्लाह अ़लैहह वसल्लम ने दआ
ु की: "ऐ अल्लाह
मेरी क़ब्र को बुत न बनाना कक स्िसकी ओर माँह
ु करके नमाज़ पढ़ी िाए
सिदा ककया िाए और प्रार्ाना की िाए।उन लोगों पर अल्लाह का क)ोर
करोि अवतररत हुआ स्िन्होंने ऐसा ककया।रसूल सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम अपने साधर्यों और अपनी परू ी उम्मत को पव
ू ा की उम्मतों के
उस काम से डरा रहे र्े स्िन्होंने अपने नबबयों की क़ब्रों की ओर माँह
ु
कर नमाज़ें पढ़ी और उनको ककबला व मस्जिद बना ललया िैसा कक
बुतपुिकों ने बुतों के सार् ककया।वह उन को सिदा करते और उनका
आदर करते र्े और यह लशका-ए-अकबर है । और नबी सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम इस काम में मौिूद अल्लाह की नारािगी और करोि की
अपनी उम्मत को सूचना दे ते हैं और इस बात की भी कक आप उन
कामों को पसंद नहीं करते और आप अपनी उम्मत के बारे में धचंनतत
भी र्े कक यह भी यहूहदयों और ईसाइयों के अनस
ु गमन में उनके तरीकों
को न अपना लें।
यहद कोई िाहहल आपके कमरे में नमाज़ पढ़ता है अर्वा अपनी आवाि
को बुलंद करता है अर्वा ननषेि बात करता है तो ध्यान रहे कक यह
आप के कमरे के बाहर ककया िाता है ना कक उनकी क़ब्र के पास कोई
भी कभी उनकी क़ब्र में दाखखल हो कर ना नमाज़ पढ़ सका और न ही
दआ
ु ़ कर सका न ही उसके सार् लशका कर सका िैसा कक उनके अलावा
के सार् ककया गया।और क़ब्र को बुत बना हदया गया।
(44) अ़ददल
ु बबन उ़मर का ह़दीस है कक नबी ने कहा तुम अपने घरों में
नमाज़ पढ़ो और उन्हें कबब्रजतान मत बनाओ और एक ररवायत में है कक
तुम अपनी कुछ नमाज़ें अपने घरों में पढ़ो और उन्हें कबब्रजतान मत
बनाओ और एक ररवायत में है कक तुम अपने घरों में नमाज़ें पढ़ो और
उन्हों कबब्रजतान न बनाओ।
इदने ह़िर "फतहुल बारी" में ह़दीस की व्याख्या करते हुए कहते हैं ह़दीस
में आप का कर्न कक तम
ु लोग उन्हें कबब्रजतान मत बनाओ से लसद्ि
हुआ कक क़ब्र प्रार्ाना का जर्ान नहीं है उन में नमाज़ पढ़ना नापसंदी है ।
और इदनुल मुंस्िर ने "अलऔवसत" में कहा स्िस पर अधिकतर
ववद्वानों की सहमती है अबू सई़द की ह़दीस के कारण कबब्रजतान में
नमाज़ पढ़ना मकरूह (ऐसा काया स्िसका न करना करने से अच्छा हो)
है ।मेरा कहना है कक यहााँ कराहत का आशय कराहते तह़रीमी है ना कक
कराहते तनज़ीही।मुतकद्हदमीन (पूवा के पूवि
ा ों) के ननकि कराहत का
आशय कराहते तह़रीम होती है िैसा कक क़ुआान में है अल्लाह का
है चाहे तुम िहां कही भी रहो,तुम लोग और अंदलुस में रहने वाले एक
باب هل تنبش قبور مشـركـى الـجـاهلية و يتخذ،)رواه البـخـاری تـعـلـيـقـا في كتاب الصالة
)05٥0() اللفظ له و عبدالرزاق في مصنفه٢/4٣5( مكانها مساجد و وصله البيهقي في الكبرى
मकहूल।
िैसे कब्रें ?
मारूर बबन सव
ु ैद का बयान है कक उन्होंने कहा हम उ़मर रज़ीअल्लाहु
अंहु के सार् ह़ज्ि यारा पर र्े तो उन्होंने हमें फिर में ألم تر كيف فعل
ربك بأصحاب الفيلऔर إليالف قريشपढ़ाई िब वह अपना ह़ज्ि पूरा कर
के वापस हुए तो दे खा लोग प्रार्ाना के ललए एक जर्ान की यारा कर रहें
शैखल
ु इजलाम इदने तैलमया ने उ़मर रज़ीअल्लाहु अंहु के कर्न की नीनत
की व्याख्या करते हुए कहा है कक इसका कारण यह है कक अल्लाह ने
मुसलमानों के ललए ववशेष रूप से मस्जिदों को छोड कर कोई ऐसी
जर्ान मश्रू नहीं ककया स्िस की वे प्रार्ाना के ललए नीयत करे ,िो
उन्होंने यह भी कहा कक मस
ु लमानों के इमाम इस पर सहमत हैं कक
मशाई़र (िालमाक प्रतीक) में नमाज़ पढ़ने की आज्ञा नहीं है न ही यह
अननवाया है और न ही मस्जिद के अलावा क़ब्रों अर्वा ककसी भूलम पर
बने मज़ार में नमाज़ पढ़ने की कोई फिीलत
़ है ।िो यह ववश्वास रखता
है कक उन के पास नमाज़ कुछ मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से अधिक
बेहतर है तो मुस्जलम समुदाय से अलग हो गया और उसने िमा का
उल्लंघन ककयाड।बस्ल्क इमाम इस पर सहमत हैं कक उनमें नमाज़ पढ़ना
ननषेि है यही वह अर्ा है स्िनकी व्याख्या इजलाम िमा के इमामों िैसे
पांच ऐसे प्रारूप आए हुए हैं स्िनमें ऐसा करने वाले के ललए कडी
फिकार है ।
अबू बकर अल-असरम कहते हैं कक मैंने अह़मद बबन हम्बल को कहते
सन
ु ा िब उनसे क़बब्रजतान में नमाज़ पढ़ने के ववषय में पछ
ू ा गया तो
उन्होंने नापसंद ककया,तब उन से कहा गया मस्जिद क़ब्रों के बीच में
होती है तो उस में नमाज़ पढ़ना कैसा?है तो उन्हों ने भी इसे नापसंद
ककया।
रिब: 4/450)।
इदने अददल
ु बर अपनी पुजतक"अल तमहीद"में ललखते हैं:"इमाम अबू
इदने कुद़ ामा अपनी पुजतक "अल-मुग़नी" में कहते हैं कक हज़रत अ़ली,
शैखुल इजलाम इदने तैलमया कहते हैं कक अधिकांश कफक्ही पंर्ों के िमा
गरु
ु ओं ने क़बब्रजतानों में मस्जिद बनाने के ननषेि होने को जपटि बयान
ककया है ।उदाहरण जवरूप इमाम माललक,शाफई़,और अह़मद के अनुयाई
क़ब्रों के उूपर बनी हुई मस्जिदों में नमाज़ ह़राम है हर स्जर्नत में ।चाहे
क़ब्र मस्जिद में हो अर्वा क़बब्रजतान में अर्वा चहियल मैदान मैं।
अर्वा चाहे क़ब्र नमाज़ी के सामने हो अर्वा उसके पीछे अर्वा उसके
दायें अर्वा उसके बायें अर्वा अर्वा खल
ु ी हुई भलू म में हो अर्वा
मस्जिद में हो।या वह मस्जिद स्िस के अंदर क़ब्र हो वह पहले बनाई
गई बाद में मुदी दफन ककया गया हो या क़ब्र पहले से हो बाद में
मस्जिद बनाई गई हो अर्वा क़ब्र उसी मंस्ज़ल पर स्िस पर नमाज़ी
नमाज़ पढ़ता अर्वा ऊाँची मंस्ज़ल पर अर्वा नीचली मंस्िल पर अर्वा
क़ब्र मस्जिद के भवन के अंदर हो अर्वा उसके आंगन में हो क्योंकक
मस्जिद का आंगन मस्िजद के अंतगात होता है ।िब क़ब्र वाले का
सम्मान इन समजत स्जर्नतयों में एक िैसा हो तो ऐसी स्जर्नत में वहााँ
नमाज़ पढ़ना ह़राम है क्योंकक इजलामी शरीअ़त में यह बात सबको
मालूम है कक शरीअ़त का हुक्म अपने कारण के सार् उपस्जर्त अर्वा
अनुपस्जर्त होता है और यहााँ कारण नमाज़ के जर्ान पर क़ब्र की
उपस्जर्नत है ।पररणाम जवरूप नमाज़ में ध्यान अल्लाह के बिाए शवों की
ओर िाएगा।
कोई पछ
ू ने वाला पछ
ू सकता है कक हमें मालम
ू हो गया कक क़ब्रों के पास
नमाज़ )ीक नहीं परं तु कोई पढ़ ले तो व्यर्ा हो िायगी और उसे लोिाना
हिम का है ।
इदने हहदबान
़ ने अपनी पुजतक ) (المجروحينके अन्दर बकर बबन ज़्याद
बाहली,अذददल्
ु लाह बबन मुबारक,सईद बबन अबी उरूबा,ज़रारा बबन औफा
और अबू हुरै रा रज़ीअल्लाहहु अ़न्हुम से ररवायत है कक नबी सलल्लाहु
अ़लैहह वसल्लम ने कहा (मेराि की रात मुझे बैतुल मकहदस की यारा
ऐ मह़
ु म्मद यह आपके वपता इबराहीम की क़ब्र है ।
बस्ल्क कुछ लोग मस्जिदों के ननमााण में बहुत िन खचा करते हैं कफर
यह वसीयत करते हैं कक उसे उसमें दफन ककया िाए।
दसवां प्रमाण:
इदने अ़ददल
ु बर रहह़महुल्लाह ने कहा कक मुसलमानों पर यह ह़राम है कक
ग्यारहवां प्रमाण:
बारहवां प्रमाण:
)٢0 :(قال الذين غلبـوا على أمرهم لنتخذون عليهم مسجدا) (الكهف
सहाबा
़ ताबई़न का एकमत है कक पहली तीन शतास्ददयों में लोगों पर
फिीलत
़ एवं महत्व प्राप्त है वे मस्जिद में दफन करने के पि में नहीं
हैं और इसी प्रकार से क़ब्रों पर मस्जिदों के ननमााण में भी चाहे स्िनकों
दफन ककया गया वह अपने युग के सवोत्तम पुरूष हो और सबसे
अफज़ल उम्मत हो ।
हम मकरूह िानते हैं क़ब्रों को पलाजिर करने अर्वा उसके पास मस्जिद
बनाए िाने को।अह़नाफ के नज़दीक मकरूह का इतलाक हुरमत
़ पर होता
है ।िैसा के यह उनके यहााँ प्रलसद्ि है ।
शमशुद्दीन अलअफगानी
़ ने अपनी पुजतक में अध्याय बााँिा है और
इसमें अह़नाफ ववद्िानों के प्रयासों का उल्लेख ककया है कुबुरीया (क़ब्र
पि
ू क) के आजर्ाओं को व्यर्ा करने में ।कफर कुछ संदेहों का उल्लेख
ककया है िो इस पर उ)ते हैं और उसका उत्तर हदया है ।
लेते र्े अत: तुम लोग क़ब्रों को मस्जिद मत बनाओ,नन:संदेह मैं तुम्हें
प्रर्म संदेहिः
मस्जिदे नबवी में नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम की क़ब्र होने के कारण
बहुत से लोगों ने क़ब्रों पर मस्जिदों के ननमााण की अनम
ु नत दी है ।यहद
यह ह़राम (ननषेि) की होता तो आप सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम उसमें
दफनाये नही िाते।
इस संदेह का उत्तरिः
अल्लामा हाकफज़
़ मोह़म्मद बबन अ़ददल
ु हादी रहह़महुल्लाह ने (الصارم
) المنكيमें कहा: हुिरा-ए-नबवी को मस्जिद के अंदर वलीद बबन अ़ददल
ु
मललक के शासन काल में प्रवेश ककया गया उस समय मदीना के सभी
सहाबा
़ का ननिन हो चुका र्ा।मदीना में ननिन होने वाले अंनतम सहाबी
़
िाबबर बबन अ़ददल्
ु लाह हैं उनका ननिन वलीद की शासन काल में हुआ।
क्योंकक उनकी मत्ृ यु 91 हहिरी में हो गई र्ी।और वलीद ने 11 हहिरी
में पद संभाला और 25 हहिरी में उनका ननिन हो गया।इसललए
मस्जिदे नबवी का न्या ननमााण और हुिरा-ए-नबवी को उस के अंदर
प्रवेश करने की घिना इसके बीच का है ।और उन्हों ने यह भी कहािः
"सहाबा
़ के युग में हुिरा मस्जिद से बाहर र्ा और उस से िुडा हुआ
और मस
ु लमानों ने वलीद द्वारा ककए गए उल्लंघन को कुछ हद तक
कम करने की कोलशश की है ।इस ललए उन्होंने उस घर की दीवार को
उ)ा हदया िो ककबले की हदशा में स्जर्त है ताकक नमास्ियों
़ के ललए
प्रार्ाना के कयम में क़ब्र का ववचार न आए।इदने रिब ने कहा: कुऱ तब
ु ी
रहह़महुल्लाहु तआ़ला ने फरमायािः मस
ु लमानों ने नबी सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम की क़ब्र में तबररूक को रोकने के ललए अनतशयोस्क्त ककया।उसे
आप सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम की क़ब्र के सार् घेर हदया कफर उन्हें
आप की क़ब्र के जर्ान को ककबला बनाए िाने का डर हुआ िब वह
नमास्ियों
़ के सामने हो और प्रार्ाना के समय में उसकी ओर माँुह करके
नमाज़ पढने का कल्पना हो।इस ललए उन्होंने क़ब्र के दो उत्तरी कोनों से
दो हदवार बनाई और उन्हें खूब घुमाया यहााँ तक कक वे उत्तर की ओर
एक बरकोणीय कोने पर लमल गई ताकक कोई उनकी क़ब्र की ओर माँह
ु न
कर सके।इसी कारण आ़यशा ने कहा यहद मिाऱ बनाने का डर न होता
तो आपकी क़ब्र बाहर रखी िाती।
तत
ृ ीय: हुिरा-ए-नबवी को मस्जिद में सस्म्मललत करना वलीद बबन
अ़ददल
ु माकक (अल्लाह उन्हें िमा करे ) की गलती र्ी।
आमीन।
दस
ू रा संदेहिः
उनमें से कुछ ने उस ररवायत के आिार पर क़ब्रों पर मस्जिदों के
ननमााण की अनुमनत दी है स्िसे तबरानी ने ररवायत ककया है उन्होंने
कहा:हम से अबदान बबन अह़मद ने बयान ककया कहा:हम से अबू
हम्माम अल-दलाल ने बयान ककया।कहा हम से इबराहीम बबन तहमान
ने मंसरू के माध्यम से बयान ककया वह मि
ु ाहहद से वह इदने उ़मर से
ररवायत करते हैं कक उन्हों ने कहा सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम ने
फरमाया मस्जिदे खेफ में सत्तर नबबयों की कब्रें हैं और इसे बज्िाऱ ने
अबू ह़म्माम से ररवायत ककया है ।
तीसरा संदेहिः
"उसकी सनद बहुत ही ज़ई़फ (कमिोर) है ।मैंने कहा अ़ददरु रह़मान बबन
मगूल अबू दाद ने कहा वह ह़दीस बनाता र्ा और बुखारी़ ने कहा:उसकी
ह़दीस कुछ भी नहीं है और अ़ददल्
ु लाह बबन मस्ु जलम बबन हुरमज़
ु ज़ईफ
है िैसा कक अल-तकरीब में है ।
चौर्ा संदेहिः
पााँचवा संदेहिः
छिा संदेह:
प्रर्म:
संक्षिप्त उत्तर है कक अल्लाह की शरीअ़त में ववरोिाभास नहीं है यह
असंभव है कक नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम ने ककसी काया से रोका हो
कफर उनके ननिन के पश्चात उनके सहाबा
़ इस पर सवासम्मनत से
सहमत हो कर करते हैं।
द्वतीय:
ववजतर
ृ उत्तर यह कक सहाबा
़ ने नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम को
उनका सम्मान करने के इरादे से आ़यशा के कमरे में नहीं दफनाया
बस्ल्क दो कारणों से:
प्रर्म: आपकी क़ब्र लोगों से दरू की गाई ताकक उनके सम्मान में
अनतशयस्ु क्त न हो और इसके प्रमाणों का दयान गि
ु र चक
ु ा है ।
यहद कहा िाए तो क्या सभी लोगों को घरों में दफनाने की अनुमनत
दे ना िाईज़ है ?
अह़मद) घरों में दफन ककये िाने से मुसलमानों के कबब्रजतान में दफन
ककये िाने को अधिक पसंद करते र्े।क्योंकक यह उस के िीववत अधश्रतों
के ललए कम हाननकारक है ।आखखरत के श्रेखणयों की वद्
ृ धि के ललए
अधिक दआ
ु ़ मुनालसब है करना और उस पर अल्लाह से कृपा की ववनती
दफन हैं। िो लोग क़ब्रों पर भवनों का ननमााण करते हैं वे इसके क़ब्र
वाले का आदर चाहते हैं न कक उसके सम्मान से लोगों को दरू रखना
चाहते हैं दोनों का कारण ववलभन्न है और इस प्रकार से इस से संदेह
खत्म हो िाता है ।
सातवां संदेह:
गुंबद है ?
इस संदेह का उत्तर सनआ़नी रहह़माहुल्लाह ने अपनी पज
ु तक (تطهير
) االعتقاد عن أدران الشرك واإللحادमें इस प्रकार से हदया है ।
अददल
ु अ़िीज़़ अ़ददरु ा रज़्ज़ाक
सदजय सदजय
अ़ददल्
ु लाह बबन ग़दयान अ़ददल्
ु लाह बबन
कुऊद
क़ब्रों पर भवन एवं गुंबद
ं आहद बनाने का हुक्म
तत
ृ ीयिः क़ब्र पर भवन बनाने से ज़मीन दस
ू रे मुदों के ललए कम हो
िायगी और बाद में मरने वालो को दफन करने में परे शानी होगी।
ु ता करने,चन
वसल्लम ने क़ब्र को पख् ु ा करने उस पर बै)ने और उस पर
भवन ननमााण से मना फरमाया है (मुस्जलम:292)
( ٢٢:) و وصحح االلبانی اسناده في تحذير الساجد ص01٢1( )رواه ابو يعلى فی المسند
नोमान बबन अबी शैबा कहते हैं कक मेरे एक चाचा "िनद" में मर गये
मैं अपने वपता के सार् इदने ताऊस के पास गया।मेरे वपता ने पछ
ू ा ऐ
अबू अ़ददरु ा ह़मान क्या मैं अपने भाई की क़ब्र को पुख्ता करूाँ?तो वह हं स
पडे और कहा:ऐ अबू शैबा! बेहतर है कक तम
ु अपने भाई की क़ब्र न
पहचानो मगर यह कक तुम उसके ललए िमा की दआ
ु ़ करो।क्या तुम्हे
नहीं मालूम कक नबी सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम सलल्लाहु अ़लैहह
गवाह बनाता हूाँ कक मैं अपनी मत्ृ यु पर लसर मुंडाने वाली,वजर फाडने
ने रसल
ू सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम से सुना है ।
(4) क़ब्र पर बनी हुई मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वाले के ललए शैतान शव
से दआ
ु ़ करने और उससे सहायता मांगने और उसके ललए नमाज़ पढ़ने
को सुन्दर बना करके प्रजतुत करता है ,यही तो सबसे बडा लशका है ।
(5) क़ब्रों को मस्जिद बनाने में यहूदी एवं ईसाई से एकरूपता होती है
और यह जवयं में ह़राम है ।उनका ववरोि करना एवं अनुसरण न करना
वास्िब है ।इन्हीं खराबीयों के काणर शरीअ़त ने क़ब्रों को सिदगाह बनाने
को ह़राम ककया है ।कबररजतान और मस्जिद को अलग अलग बनाना
वास्िब है इस ललए कक अल्लाह ने मुदाा दफन करने के ललए मस्जिद
बनाना मशरू नहीं ककया है और न नमाज़ पढने के ललए कबररजतान को
ककया है ।
क़ब्र की लमट्िी के बुलद
ं करना
क़ब्र की सतह को बल
ु ंद करना अधिक लमट्िी डाल कर मना है ।सेवाए
एक बाललश्त (हात) के ताकक समझ में आए के वह क़ब्र हैं और क़ब्र का
अपमान न हो उस पर बै) कर अर्वा चल कर।मनाही का कारण यह है
कक क़ब्र की सतह को उूं चा करने में क़ब्र वाले का सम्मान होती है ।क़ब्र
की ज़मीन को बराबर रखना सेवाए एक बाललश्त के वास्िब है ।क़ब्र की
लमट्िी को उूं ची करने की मनाही के ववषय में कुछ ह़दसें एवं आसार
आए हैं उन में से एक यह की िब अमीरूल मोमेनीन ह़ज़रत अ़ली
रज़ीअल्लाहु अंहु खलीफा हुए तो क़ब्र पर बने हुए भवन को तोडने के
ललए अबल
ु हययाि असदी पलु लस कमांडर को भेिा।अबुल हययाि असदी
से रवायत है कहते हैं कक उन से हज़रत अ़ली ने कहा कक"क्या मैं तुम्हे
उस काम के ललए न भेिूं स्िस पर अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम ने मझ
ु े भेिा र्ा कक तम
ु ककसी मनू ता को न छोडों मगर उसे
ध्वजत कर दो और न उूं ची क़ब्र को मगर उसे बराबर कर दो।"मस्ु जलम
(252)
अ़ददल्
ु लाह बबन शरहबील बबन ह़सना से मरवी है कक ह़ज़रत उजमान
ननकले और क़ब्र को बराबर करने का हुकम हदया तो क़ब्र बराबर कर दी
गई सेवाए उजमान की बेिी उम्मे अमर की क़ब्र की तो कहा यह कैसी
क़ब्र है ?तो लोगों ने कहा उम्मे अमर की क़ब्र है तो उसके बारे में भी
कुऱ तब
ु ी फरमाते हैं:क़ब्र में कुहान िैसा बनाना एक बाललश्त उूं ची करना
ऊाँि के कुहान से ललया गया है ।("अल-िामे ले अह़कालमल कुऱ आन"
क़ुरतब
ु ी की तफसीर सूरह कहफ आयत संख्या:94)
और कुहान िैसा क़ब्र पर बनाने के ववषय में सलफे सालेहीन से कुछ
आसार वखणात हैं।बुखारी़ रहह़महुल्लाह सुफयान तम्मार से ररवायत करते
हैं उन्होंने फरमाया कक मैं उस घर मैंने प्रवेश ककया स्िसमें नबी की क़ब्र
दे खा।(सहीह़ बोखारी:4422)
और इदने अबी शैबा शोअबी से ररवायत करते हैं कक मैंने उहुद के शहीदों
की कब्रें एक ही जर्ान पर कुहान िैसी दे खी है ।("मोसन्नफ अबी शैबा:
44946)
इदने अबो शैब अबु मैमूना से ररवायत करते हैं कक इ़मरान बबन हुसै़ न ने
वसीयत की र्ी कक लोग उनकी क़ब्र को उूं ची बनाएं और चार उं गली
अर्वा वैसा ही"(मोसन्नफ अबी शैबा:44915)
और शाफई़ रहहमह
़ ु ल्लाह फरमाते हैं कक"मैं नापसंद करता हूाँ की क़ब्र को
उूं ची ककया िाए उससे अधिक िेतना उूं ची करना प्रलसद्ि हैं ताकक क़ब्र
को रौंदा न िाए और न उस पर बै)ा िाए।"(सोनने नतरमीिी:45944)
़
इदने कोदामा
़ रहहमह
़ ु ल्लाह कहते हैं कक र्ोडी उूं ची करना ही मज
ु तहब है
अ़ली रज़ीअल्लाहु अ़ंहु से नबी के फरमान के कारण कक ककसी भी मनू ता
को बबना ध्वजत ककए न छोडो और उूं ची क़ब्र को बरारब ककए बबना मत
छोडो।(मुस्जलम)
कफर कहा:क़ब्र को कुहान िैसा बनाना अफज़ल है बराबर रखने से।इसी
तो यहद कहा िाए कक क़ब्र के अन्दर क्या मशरू है ?तो उत्तर है कच्ची
नतरलमिी ़ रहहमह
़ ु ल्लाह फरमाते हैं कुछ ववद्िानों ने क़ब्र को लीपने की
अनुमनत दी है स्िसमें से ह़सन बसरी हैं।और शाफई़ रहहमह
़ ु ल्लाह कहते
हैं कक क़ब्र को लीपने में कोई हिा नहीं है ।
क़ब्र पर हदया िलाने का हुक्म
इदने ह़िर है समी ने क़ब्र पर हदया िलाने को बडे पापों में माना है ।
अपनी पुजतक ) (الزواجر عن اقتراف الكبائرके में कहा है कक:
लाभ:
प्रर्म चेतावनी गि
ु र चक
ु ी है कक अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अ़लैहह
वसल्लम ने क़ब्र की स्ियारत4दशान करने वाली औरतों और उस पर
मस्जिद बनाने वालों और हदया िलाने वालों पर अलभशाप भेिी है ।
(रवाहो अबु दाऊद (4945) व नतमीिी ़ (492) व नसाई (9219) व
अह़मद (99244) अन इदने अदबास रज़ीअल्लाहु अ़ंहुमा) ह़दीस सही ़
ललगैरेही है िैसा कक अ़ल्लामा अल्बानी ने "लसललसलतुल अहादीस
़
ज़ई़फा" में लसद्ि ककया है संख्या 696-996 में ।शदद "अल-सुरूि" के
ववषय में बयान ककया है कक यह वद्
ृ धि ज़ई़फ है और स्िन लोगों ने
"सुरूि" की वद्
ृ धि को ज़ई़फ कहा है उन में शैख मुकबबल बबन हादी भी
हैं।
यहद कहा िाए कक क्या हुक्म है िब रात में दफन के ललए राजता दे खने
के लस्ए तदफीन की िगह दे खने के ललए चराग या रौशनी का प्रबंि
करना कैसा है ?
तो उत्तर होगा कक ऐसी स्जर्नत में कोई हरि नहीं है ।इस प्रकार से कक
शव की तदफीन करने वाले अपने सार् चाराग ले िाएं।कफर अपने सार्
वापस लायें।दे खीए "अल-कौल़ ुल मुफीद अ़ला ककताब अल-तौहीद"
रही बात कबब्रजतान में क़ब्रों से दरू ऐसी िगह पर चलने की िहााँ पास
में क़ब्र न दे खी िाए या कफर ऐसे राजते से िो कबब्रजतान में चलेन के
ललए बनाया गया हो तो उसमें कोई हरि नहीं।क़ब्रों के बीच चलना ह़राम
है ।
मुदे को बुरा भला कहने की मनाही के संबंि में कुछ ह़दीसें व आसार
मरवी हैं।स्िनमें से आ़ईशा रज़ीअल्लाहु अ़ंहा की ह़दीस है कहती हैं कक
आप सलल्लाहु अ़लैहह वसल्लम ने फरमाया मुदे को बुरा भला मत कहो।
क्यों वह अपने अमालों के पास बहुाँच चुके हैं। (बुखारी:4424)
़
इदने अबी शैबा आ़ईशा से नकल करते हैं कक उन्हों ने कहा अपने मद
ु े
का स्ज़क्र अच्छाई के सार् ककया करो। (अलमोसन्नफ:44212)
और अ़ददल
ु ाह बबन उ़मर से ररवायत करते हैं कक उन्हों ने कहा मद
ु े को
बुरा भला कहने वाला मानो बरबादी की ओर िाने वाला है।
(मुसन्नफ:44211)
क़ब्रों पर भवन एवं गुबद
ं आहद बनाने का हुक्म
तत
ृ ीयिः क़ब्र पर भवन बनाने से भूलम दस
ू रे मुदों के ललए कम हो
िायगी और बाद में मरने वालो को दफन करने में परे शानी होगी।
मैं ऊाँि के बै)ने की जर्ान पर नमाज़ पढ़ सकता हूाँ? आपने कहा नहीं।
وهللا اعلم
الـحـمـد لـلـه اوال واخرا وصلى هللا على نبينا محمد وعلى اله وصحبه وسلم تسليما كثيرا
संदभा
-1مسند ابی دائود الطيالسي ،حتقيق ،د .حممد بن عبداحملسن الرتكي ،الناشر :دار هجر – مصر
-٢الكتاب املصنف يف األحاديث و اآلثار ،عبدهللا بن ابی شيبـه تـحـقـيـق مـحـمـد عبدالسالم شاهني ،الناشر مكتبة
دار الباز -مكة.
-٣مـصـف عـبـدالـرزاق ،تـحـقـيـق حـبـيـب الـرحـمـن األعظمي الناشر :املكتب االسالمي -بريوت
-٤فتح البـاري،ا بـن رجـب الـحـنـبـلى الناشر :مكتبه الغرباء األثريه -املدينة املنورة.
-٥األوسط يف السنن واالمجاع واالختالف ،حممد بن ابـراهيـم بـن الـمـنذر النيسابوری حتقيق مجاعة من احملققني،
الناشر :دار الفالح -مصر
-٦فضل الصالة على النيب ﷺ ،امساعيل بن اسحاق القاضی ،حتقيق حممد ناصر الدين االلباين ،الناشر :املكتب
االسالمی -بريوت.
-٧االبـانة الصغرى ،ابن بطة العكربي،حتقيق د .رضا بن نعسان معطى ،الناشر :مكتبة العلوم واحلكم ،املدينة.
-٨األمـر بـاالتباع والـنـهـي عـن االبتداع جالل الدين السيوطي ،حتقيق مشهور حسن سلمان ،الناشر :دار ابن القيم
– الدمام
- ٩اقتـضـاء الـصـراط املستقيم ،ابن تيمية ،حتقيق د .ناصر العقل ،ط ه الناشر :مكتبة الرشد – الرياض
۰۱۔ االستغاثة يف الرد على البكري ،ابن تيمية حتقيق عبدهللا السهلي ،ط ، 1الناشر :مدار الوطن-مصر
-11اعـالم الـمـوقـعـيـن عـن رب الـعـالـمـيـن ابـن قـيـم الـجـوزية تـحـقـيـق ،حممد املعتصم باهلل البغدادی ،الناشر :دار
الكتاب العريب -لبنان.
.۰۱اغاثة الـلـهـفـان فـي مـصـايـد الشيطان ،ابن قيم اجلوزية حتقيق حممد عزيز مشس ،الناشر :دار عامل الفرائد -
مكة.
.1٣الشرك ووسـائـلـه عـنـد أئمة الشافعية،د .حممد بن عبـدالـرحـمـن الـخـميسي ،الناشر :مدار الوطن الرياض.
-1٤شرح الـصـدور بتـحـرمي رفع القبور ،حممد بن علی الشـركـانی ،حتقيق حممد صبحي بن حالق ،ط ،1الناشر :دارا
هلجرة-اليمن.
-۰۱شفاء الصدور يف زيارة الشاهد والقبور ،مرعي بن يوسف الكرمي احلنبلي ،الناشر :مكتبة نزار مصطقى الباز -
مكة
-1٦دمعة على التوحيد ،مقال :حقيقة القبورية و اثرها يف واقع األمة ،الناشر :املنتدى االسالمي -لندن1 .
-1٧التمهيد ملا يف املوطأ من املعاين واألسانيد ،ابن عبـدالـبـر املالكي حتقيق أسامة بن ابراهيم ،الناشر الفاروق احلديثة
للطباعة والنشر -مصر:
-1٨املغين ،ابن قدامة الـمـقـدسی حتقيق د .عبدهللا الرتكي ،و د .عبـدالـفـتـاح الـحـلـو ،الناشر :دار هجر -مصر
-1٩زاد الـمـعـاد فـي هـدى خري العباد ،ابن القيم ،حتقيق عبدالقادر األرناؤوط و شعيب األرناؤوط ،الناشر :مؤسسة
الرسالة – بريوت
- ٢٢الـجـنـائـز مـحـمـدنـاصر الدين األلباين ،سنه الطبع 1٤1٢ :الناشر :مكتبة املعارف-الرياض
-٢1وفاء الوفاء بأخبار دار املصطفى ،نور الدين على بـن احـمـد السـمهـودي ،الناشر :دار احياء الرتاث العريب -
بريوت