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सतू क या हे ?

हरी ॐ तसत

जम और मृ यु के प ात परवार पर


य लग जाता है ‘सतू क’
जीवन का सफर
जीवन अगर खिु शय से भरा है तो वह बहत छोटा लगता है,
ऐसा लगता है यह सफर िकतनी जदी समा" होने जा रहा है।
वह$ अगर िसफ% गम के साये म& ही समय बीत रहा हो तो
एक-एक िदन भी बोिझल हो जाता है और ऐसा लगता है ना
जाने यह सफर अचानक इतना लबं ा कै से हो गया। खैर
आपके जीवन का सफर आपको लंबा लगता है या छोटा
लेिकन इसम& आने वाले अनेक पड़ाव से तो आप गजु र ही
रहे ह+।

ी ऋिष पंड्या योितष िवशारद गांधीनगर गजु रात वोट्सएप 08485964964 मोबाइल 09824162904
हरी ॐ तसत

जीवन के िविभन पड़ाव


मन,ु य के जीवन म& अनेक पड़ाव आते ह+ जो उसके ज.म के
साथ ही श/ ु होते ह+ और म2ृ यु तक चलते ही रहते ह+। िह.दू
धम% क6 बात कर& तो वैयि7क जीवन म& आने वाले हर पड़ाव
को परंपरा के साथ अव:य जोड़ िदया गया है, िजसक6 वजह
से उनका मह2व और भी बढ़ गया है।

सतू क
इसं ानी जीवन म& िजतने भी पड़ाव आते ह+ उनम& ज.म और
म2ृ यु शािमल ह+। आप तो यह जानते ही हगे िक जब भी घर
म& कोई ब>चा ज.म लेता है या िफर प?रवार के िकसी सद@य
क6 म2ृ यु हो जाती है तो परू े प?रवार पर सतू क लग जाता है।
सतू क से जड़ु े कई िवAास या अधं िवAास हमारे समाज म&
मौजदू ह+। लेिकन Cया वाकई सतू क एक अधं िवAास का ही
नाम है या इसके पीछे कोई वैEािनक कारण भी है?

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हरी ॐ तसत

जम के समय लगने वाला सतू क


जब भी प?रवार म& िकसी का ज.म होता है तो प?रवार पर दस
िदन के िलए सतू क लग जाता है। इस दौरान प?रवार का कोई
भी सद@य ना तो िकसी धािम%क काय% म& भाग ले सकता है
और ना ही मिं दर जा सकता है। उ.ह& इन दस िदन के िलए
पजू ा-पाठ से दरू रहना होता है। इसके अलावा ब>चे को ज.म
देने वाली Hी का रसोईघर म& जाना या घर का कोई काम
करना तब तक विज%त होता है जब तक िक घर म& हवन ना हो
जाए।

अधं िव"ास या #यवहारक


अकसर इसे एक अधं िवAास मान िलया जाता है जबिक
इसके पीछे िछपे बड़े ही IैिCटकल कारण क6 तरफ Jयान
नह$ िदया जाता। ये बात तो आप सभी जानते ही ह+ िक पहले
के दौर म& सयं 7
ु प?रवार का चलन Kयादा था। घर क6
मिहलाओ ं को हर हालत म& पा?रवा?रक सद@य क6 ज/रत
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हरी ॐ तसत
को परू ा करना होता था। लेिकन ब>चे को ज.म देने के बाद
मिहलाओ ं का शरीर बहत कमजोर हो जाता है।

$ी को आराम देना
उ.ह& हर सभं व आराम क6 ज/रत होती है जो उस समय
सयं 7
ु प?रवार म& िमलना मिु :कल हो सकता था, इसिलए
सतू क के नाम पर इस समय उ.ह& आराम िदया जाता था
तािक वे अपने दद% और थकान से बाहर िनकल पाए।ं

िविभन समयाविध
पारंप?रक तौर पर सतू क का समय भी िविभ.न वण% के लोग
के िलए अलग-अलग माना गया था। जैसे िक MाNण के
िलए यह समय 10 िदन का, वै:य के िलए 20 िदन, OिPय
के िलए 15 िदन और शQू के िलए 30 िदन का होता था।

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हरी ॐ तसत

श)ू मिहलाएं
मJयकालीन यगु म& तीन वणR क6 मिहलाओ ं म& से शQू वण%
क6 मिहलाओ ं को शारी?रक काय% अपेOाकृत Kयादा करना
होता था। उ>च वण% के लोग के घर जाकर सफाई, बत%न
आिद सभी काय% शQू वण% क6 मिहलाएं ही करती थ$, और
ब>चे को ज.म देने के बाद उनके शरीर को िफर से तैयार होने
के िलए समय लगता था। इसिलए उनके िलए सतू क का
समय 30 िदन का िनधा%?रत था।

स+
ं मण का खतरा
इसके अलावा जब ब>चे का ज.म होता है तो उसके शरीर म&
रोग Iितरोधक Oमता का िवकास भी नह$ हआ होता। वह
बहत ही जद सS ं मण के दायरे म& आ सकता है, इसिलए
10-30 िदन क6 समयाविध म& उसे बाहरी लोग से दरू रखा
जाता था, उसे घर से बाहर नह$ लेकर जाया जाता था। बाद
म& ज/र सतू क को एक अधं िवAास मान िलया गया लेिकन
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इसका मौिलक उTे:य Hी के शरीर को आराम देना और


िशशु के @वा@Uय का Vयाल रखने से ही था।

ब/चे का शरीर
आज के समय म& वे ब>चे जो ज.म के समय काफ6 कमजोर
होते ह+ उ.ह& डॉCटर इCं यबू ेटर म& रखते ह+ तािक वे बाहरी
वातावरण के िलए शारी?रक तौर पर तैयार हो जाए।ं लेिकन
िह.दू धम% म& गभ% से बाहर िनकलते ही ब>चे को वातावरण म&
ढालने के िलए अनेक तरीके पहले से ही मौजदू रहे ह+।

मृ यु के प ात सतू क
िजस तरह ज.म के समय प?रवार के सद@य पर सतू क लग
जाता है उसी तरह प?रवार के िलए सद@य क6 म2ृ यु के पYात
सतू क का साया लग जाता है, िजसे ‘पातक’ कहा जाता है।
इस समय भी प?रवार का कोई सद@य ना तो मिं दर या िकसी

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अ.य धािम%क @थल जा सकता है और ना ही िकसी धािम%क


काय% का िह@सा बन सकता है।
ग1ण परु ाण
गZण परु ाण के अनसु ार जब भी प?रवार के िकसी [यि7 क6
म2ृ यु होती है तो प?रवार पर पातक लग जाता है। प?रवार के
सद@य को पजु ारी को बल ु ाकर गZण परु ाण का पाठ
करवाकर पातक के िनयम को समझना चािहए।

पातक
गZण परु ाण के अनसु ार पातक लगने के 13व& िदन िSया
होनी चािहए और उस िदन MाNण को भोजन करवाना
चािहए। इसके पYात मतृ [यि7 क6 सभी नई-परु ानी
व@तओ ु ,ं कपड़ को गरीब और असहाय [यि7य म& बाटं
देना चािहए।

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2नान का महव
यह भी माP अधं िवAास ना होकर बहत साइिं टिफक कहा जा
सकता है Cयिक या तो िकसी लबं ी और घातक बीमारी या
िफर एिCसड&ट क6 वजह से या िफर व]ृ ाव@था के कारण
[यि7 क6 म2ृ यु होती है। कारण चाहे कुछ भी हो लेिकन इन
सभी क6 वजह से सS ं मण फै लने क6 सभं ावनाएं बहत हद
तक बढ़ जाती ह+। इसिलए ऐसा कहा जाता है िक दाह-
स@ं कार के पYात @नान आव:यक है तािक :मशान घाट
और घर के भीतर मौजदू क6टाणओ ु ं से मिु 7 िमल सके ।

हवन
इसके अलावा उस घर म& रहने वाले लोग को सS ं मण का
वाहक माना जाता है इसिलए 13 िदन के िलए साव%जिनक
@थान से दरू रहने क6 सलाह दी गई है। घर म& हवन होने के
बाद, घर के भीतर का वातावरण श] ु हो जाता है, सSं मण

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क6 सभं ावनाएं समा" हो जाती ह+, िजसके बाद ‘पातक’ क6
अविध समा" होती है।

3ाचीन ऋिष-मिु न
Iाचीन भारत के ऋिष-मिु नय और Eािनय ने िबना िकसी
ठोस कारण के कोई भी िनयम नह$ बनाए। जीवन के I2येक
OेP क6 जांच और उसे गहराई से समझने के बाद ही िदशा-
िनद^श िदए गए, जो बेहद [यवहा?रक ह+। परंतु आज के दौर म&
उनक6 [यवहा?रकता को समा" कर उ.ह& माP एक
अधं िवAास क6 तरह अपना िलया गया है।

मु ा योितष काया लय


सी - 302 मखु नगर लेट, साथ क मोल के पीछे , सगा सन
चोकड़ी के पास, ख रोड, गाधं ीनगर - 382421 गजु रात
मोबाइल फॉर कोिलंग - 09824162904
वोट्सएप फॉर ए !ो िट"स - 08485964964
Astro Guru G - हमारी ए"लीके शन ए !ो ग%ु जी आप गगू ल
"ले टोर से डाउनलोड कर शकते हे
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