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बीबीसी दुनिया में आज देखिये, रूस की बारूदी सुरंगों से जूझते यूक्रे न के सैनिक।

बीबीसी पहुंचा पूर्वी यूक्रे न में फ्रं टलाइन पर, जहाँ यूक्रे न के सैनिक लड़ रहे हैं, उन
बारूदी सुरंगों से जिन्हें बिछाया है रूसी सैनिकों ने रूस को कानूनी तौर पर
जिम्मेदार ठहराने के लिए जारी है कोशिशे द हेग में इसके लिए खुला एक स्पेशल
इनवेस्टिगेटिव ऑफिस।

स्वागत है आपका बीबीसी दुनिया में मैं हूँ विदित मेहरा बारूदी सुरंगों से निपटते
यूक्रे न के सैनिकों की करेंगे बात का वो स्टोरी में लेकिन पहले हैड्लाइन्स।

आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ 11 जुलाई से करेगी


सुनवाई 5 अगस्त 2019 को सरकार ने आर्टिकल 370 को कर दिया था।

आर्टिकल 370 के तहत जम्मू कश्मीर को हासिल था विशेष राज्य का दर्जा।

कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में इसराइली सुरक्षाबलों और हथियारबंद फलस्तीनियों के


बीच जबरदस्त गोलीबारी जारी जेन्यूइन रिफ्यूजी कैं प में इस्राइल चला रहा है एक
बड़ा अभियान, फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा कम से कम आठ लोगों की मौत
पूरे फ्रांस के तमाम टाउन हॉल्स में शांति की अपील के 7:00 बजे सायरन एक
युवा की पुलिस की गोली से मौत के बाद।
देश में पिछले एक हफ्ते से हो रहे हैं दंगे, कई नेताओं के घरों पर भीड़ ने किए हैं
हमले।

ईरान में शराब पर है पाबंदी, लेकिन पाबंदी के बावजूद जहरीली शराब पीने की
वजह से ईरान में हो रही है नौजवानों की मौत सजा के डर से अस्पतालों में इलाज
के लिए जाने में जानबूझकर करते है देरी? इनमें से कु छ अहम खबरों की चर्चा
आज बीबीसी दुनिया।

यूक्रे न का जवाबी हमला जारी है लेकिन उसे उतनी कामयाबी नहीं मिल पा रही
जितना कि राष्ट्रपति जेलेंस्की को उम्मीद थी।

इसकी एक वजह है रूसी सैनिकों के जरिये बिछाई गई।

बारूदी सुरंगें इस बीच यूक्रे न पर हमला करने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराने
की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों में आज उस वक्त कु छ तेजी देखने को मिली जब द हेग में
एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन ऑफिस ने काम करना शुरू कर दिया।

इसी की चर्चा आज कवर स्टोरी में।


यूक्रे नी सेना का दावा है कि रूसी सैनिकों के जबरदस्त विरोध के बीच उसने
पिछले एक हफ्ते में रूस से 37 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा का इलाका दोबारा
हासिल कर लिया है।

यूक्रे न और उसी सैनिकों के बीच में कल 39 झड़पें हुईं।

पिछले एक महीने से यूक्रे न रूस के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई कर रहा है जो


काफी मुश्किल हो रही है और राष्ट्रपति की भी।

कह चूके हैं कि यह कार्रवाई उतनी तेजी नहीं है, उतनी तेज नहीं है जितनी होनी
चाहिए थी।

इसकी एक वजह यह है कि आगे बढ़ते यूक्रे न के सैनिकों को वो बारूदी सुरंगें रोक


रही है।

जिन्हें रूस ने बिछाया हैं, जिनकी वजह से यूक्रे न के कई सैनिक या तो मारे जा


रहे हैं या गंभीर रूप से जख्मी हो रहे हैं।
देखिये पूर्वी यूक्रे न में फ्रं ट लाइन से बीबीसी संवाददाता ऐंड्र्यू हार्डिंग की ये रिपोर्ट।

सेना के बनाए इस कामचलाऊ पुल से हम यूक्रे न के दक्षिणी मोर्चे की ओर बढ़ रहे


हैं।

यहाँ हमलों की वजह से हर तरफ तबाही है और यूक्रे न के सैनिक अब यहाँ रूसी


बारूदी सुरंगों के खतरे से निपट रहे हैं।

उन्हें यहाँ सड़क के किनारे एक और बारूदी सुरंग मिली है।

कॉल अंकित।

हे मोर माइन है जो अभी अभी मिली है।

ये ऐक्टिव है इसलिए हमें इससे दूर हो जाना चाहिए।

हम पीछे हटे तो यूक्रे न के इंजीनियर्स इसे डिफ्यूज करने के लिए सावधानी से


आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि इसमें धमाका कर दो वरना ये 3040 लोगों की जान ले सकती
है।

जिंस जमीनी रवाना होती।

मित्रा कह रहे है की हाँ हर तरफ से जिनसे उन्हें सबसे अधिक डर लगता है।

इसी हफ्ते दो अनुभवी लोग अपना पैर गंवा चूके हैं।

ड्रोन फु टेज में दिख रहा है कि यूक्रे न की यूनिट रूसी बारूदी सुरंगों में फं स गई है।

कई घायलों का पहले ही इलाज चल रहा है।

इस सैनिक का पांव एक और माइन पर पड़ा।

लेकिन वो किसी तरह बच गया।


यू हैव टु हियर? यहाँ चलते हुए बहुत सावधान रहना होगा।

रूसी यहाँ कई बारूदी सुरंगें बिछा कर गए हैं।

यूक्रे न का कहना है कि इन्हीं बारूदी सुरंगों की वजह से उन्हें वैसी सफलता नहीं
मिल रही जो इस जंग की दिशा बदल सके ।

इन वो तो से चेन से कोर्स ऑफिस वो यूक्रे न के एक इंजीनियर ने।

हमें कु छ रूसी डिवाइस दिखाएं, जिन्हें डिफ्यूज कर दिया गया है।

दोनों पक्ष एक दूसरे पर प्रतिबंधित बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे
हैं।

अपने बंकर में यूक्रे न के एक कमांडर ने मुझे बताया की जवाबी कार्रवाई जारी है,
लेकिन गति थोड़ी धीमी है।

कमांडर टाई शंकु उसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि यूक्रे न चाहता है उसके
कम से कम सैनिक हताहत हो।
लेकिन क्या यूक्रे न को जल्द कामयाबी मिले गी इंटरसेप्ट किए गए रूसी रेडियो
संदेश इशारा कर रहे हैं कि उनका मनोबल गिर रहा है? रूस का ये सैनिक अपने
संदेश में कह रहा है कि उनके 50 लोग भाग गए।

यहाँ यूक्रे न के सैनिकों का हर अगला कदम जोखिम भरा है।

सपाट।

फिर भी वो बारूदी सुरंगों के बीच से गुजर रहे हैं ताकि यूक्रे न का हर हिस्सा
आज़ाद करा सके ।

राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है कि यूक्रे न का जवाबी हमला जैसा वो चाहते थे वैसा


नहीं हो रहा है।

लेकिन उन्होंने ज़ोर दिया के सैनिकों और साजो सामान की हिफाजत करना


जरूरी है और जानकारी दे रहे हैं बीबीसी संवाददाता ऐड रोहारी।
विनोद? मशीनरी इस हमें पता है की यूक्रे नी सैनिकों के पास बड़े हथियार हैं
जिनका उन्होंने इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।

वो गोलीबारी करते हुए किसी ज़ंजीर या रस्सी के सहारे आगे बढ़ सकते हैं और
फिर रास्ते में बिछी बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सकते हैं।

लेकिन ये रफ्तार धीमी है।

आप एक वक्त में कु छ मीटर ही ज्यादा आगे बढ़ पाएंगे।

अभी इस लड़ाई में वो स्टेज नहीं आया है।

जब यूक्रे नी सैनिक पश्चिमी देशों से मिले असलहा और बारूद का इस्तेमाल कर


सकें , अभी इन्फै न्ट्री ही इस्तेमाल कर रहे हैं और दुश्मन की कमजोरी को तलाश
करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है ताकि रूसियों से ज्यादा इलाके छीने जा
सके ।

लेकिन अभी सिर्फ एक महीना हुआ है।


महीनों तक इसकी योजना बनाई गई।

और अगले दो तीन महीनों में स्थिति यही रही कि यूक्रे नी सैनिक यहाँ कु छ ही
किलोमीटर का एरिया अपने कब्जे में ले पाए।

मुझे लगता है कि यूक्रे न और उनके पश्चिमी समर्थकों को चिंतित होना चाहिए,


लेकिन अभी ये भले ही धीमी रफ्तार से चल रहा हो, मुझे लगता है भविष्य में कृ षि
खेमे में बहुत कु छ होगा।

बहुत हद तक।

इसकी संभावना है कि आने वाले कु छ हफ्तों या महीनों में सामरिक स्तर पर बड़ा
बदलाव हो।

इन वीक सोमंथ शहर।

इस बीच यूक्रे न में युद्ध के लिए रूस को कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराने के लिए
कोशिशे जारी है।
आज दहेज में इसके लिए एक स्पेशल इनवेस्टिगेटिव ऑफिस खुल गया है।

यूरोपियन यूनियन समर्थित ये संस्था युद्ध अपराध की जांच के लिए ट्रिब्यूनल


बनाने की दिशा में पहला कदम है।

यह संस्था अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के साथ मिलकर काम करेगी और


सुबूत जुटाने में मदद करेगी।

यूक्रे न और उसके सहयोगी देश रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उनके वरीष्ठ सैन्य
कमांडरों के खिलाफ़ योजना बनाने और सेना को हमले करने के आदेश देने का
के स बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।

यूक्रे न के अभियोजक जनरल एंड्रि या कॉस्टिंग ने कहा कि इस ऑफिस का


खुलना साफ संके त है कि रूस को उसके सभी अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराने
के मामले में दुनिया एकमत हैं।

इंटरनेशनल लॉ रेवंत मेकै निज़म अंतरराष्ट्रीय कानून और संबंधित व्यवस्था को


आज की सच्चाई और चुनौतियों के हिसाब से बदलने की जरूरत है।
उनको आगे बढ़ाना और उन्हें दोबारा पुनर्जीवित करना हमारे हाथों में है और
आज हमने ये मिसाल कायम की है जो कि अंतरराष्ट्रीय अपराध की जांच और
उसके खिलाफ़ मुकदमा चलाने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को।

कारगर बनाने की दिशा में पहला कदम है।

जैसा कि मैंने सुबह कहा था इंसाफ से शांति कायम होती है।

जब तक इस अपराध में शामिल सभी लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा नहीं
किया जाता तब तक शांति कायम नहीं हो सकती।

जिसने सिर्फ यूक्रे न की संप्रभुता और आजादी को ही निशाना नहीं बनाया, बल्कि


अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय प्रणाली के काम करने और उनके स्थायित्व को भी
निशाना बनाया है।

इसलिए मुझे विश्वास है कि हमारे काम का दूरगामी प्रभाव होगा और अंतरराष्ट्रीय


स्तर पर जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया को मजबूत करने में मदद मिले गी।
सिक्योरिटी एंड लीगल सिस्टम इस बीच बक मूत एक बार फिर यूक्रे न और रूसी
सैनिकों के बीच लड़ाई का मुख्य कें द्र बन गया है।

यूक्रे नी सेना के कमांडर और एक सैन्ड सिर।

इसकी ने कहा कि उस क्षेत्र का दौरा करने के बाद वो कह सकते हैं कि वहाँ


हालात बेहद नाजुक है।

दोनों पक्ष इस हिस्से पर कब्जे की कोशिश में लगे हुए हैं।

खबर इस रेल की जिसने कब्जे वाले वेस्ट बैंक के जेन इन शरणार्थी कैं प में बड़े
पैमाने पर सैन्य कार्रवाई कर दी है, उसके निशाने पर हैं फलस्तीनी चरमपंथी।

इस कार्रवाई में गोलीबारी के अलावा ड्रोन की मदद से हमले किए जा रहे हैं।

फलस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस कार्रवाई में आठ फलस्तीनी


मारे गए हैं और 50 घायल हुए हैं।
पिछले साल इस्राइली नागरिक को पर कई हमले हुए थे, जिनके तार जेन में रह
रहे हैं।

फलस्तीनियों से जोड़े गए इसराइल के विदेश मंत्री का कहना है कि इस्राइली


सेना जेन इनमें मौजूद चरमपंथियों को निशाना बना रही है।

वे स्ट्राइक के टेररिज़म अब हम टेररिज्म पर पूरी ताकत के साथ हमला कर रहे


हैं।

मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि हमारी फलस्तीनियों से कोई लड़ाई नहीं
है।

हमारी लड़ाई मुख्यतः हमास और इस्लामिक जिहाद से हैं, जिन्हें ईरान का


समर्थन मिला हुआ है।

ये दोनों चरमपंथी संगठन है।

ने ईरान पैसे देता है, ईरान का उद्देश्य है हमारे इलाके का माहौल खराब करना।
विच फायदा एस बी इरान इरान टारगेट इस टु एस्कै लेट एआरवी जन।

फलस्तीनी नेताओं ने वेस्ट बैंक में हो रही कार्रवाई की निंदा की है।

फलस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ये शरणार्थी कैं प को पूरी


तरह से मिटाने की और लोगों को विस्थापित करने की कोशिश है।

और अब बात ईरान की।

ईरान में हाल ही में जहरीली शराब पीने से कई लोग मारे गए हैं।

बीबीसी अरबी सेवा को ईरान में रह रही एक युवती की ब्लड रिपोर्ट मिली जिससे
पता चलता है कि उनके खून में मैथनॉल की मात्रा ज्यादा थी।

इस युवती की मौत हो चुकी है।

जानकारों का मानना है कि ईरान में शराब पर पाबंदी और निरीक्षण की कमी की


वजह से।
जहरीली शराब मौतों की वजह बन रही है और सजा के डर से लोग मदद मांगने
से भी कतराते हैं, जिससे उनकी मौत तक हो जाती हैं।

देखिए बीबीसी संवाददाता पर हम की ये रिपोर्ट।

ईरान एक ऐसा देश जहाँ शराब का सख्त पाबंदी है लेकिन बंद दरवाजों के पीछे
ऐसे उपकरणों के जरिये इसे बनाया जा रहा है और देश में इसकी तस्करी की
जाती है में शराब पीने पर जेल तक का प्रावधान है या फिर 80 कोड़ों की भी
सजा दी जाती है और चार बार दोषी पाए जाने पर फांसी तक की सजा हो सकती
है? लेकिन ये सजा भी यूनान के युवा को रोक नहीं सकीं, जैसा की बीबीसी अरबी
सेवा को मिले इस वीडियो में देखा जा सकता है, लेकिन जोखिम सिर्फ सजा का
नहीं है, उससे कहीं ज्यादा है।

हाल के हफ्तों में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की जान चली गई।

कइयों की आँखों की रौशनी खत्म हो गई।

24 साल की।
मीरा उन्हीं में से एक है।

दो सप्ताह पहले उनकी मौत हो गई।

बीबीसी को उनकी ब्लड रिपोर्ट मिली है जिसमें पता चलता है कि उनके खून में
मैथनॉल की मात्रा ज्यादा थी जो बहुत जहरीला अल्कोहल है।

उनके दोस्तों को तुरंत इलाज मिल गया और वो अभी जिंदा है।

लेकिन अलमीरा के पिता बताते हैं कि उनकी 20 को 24 घंटे की देरी से


अस्पताल ले जाया गया।

तभी एलमीरा ने ये खुलकर नहीं बताया कि उन्होंने शराब पी थी।

डॉक्टर ने उससे पूछा कि क्या खाया पीया है? उसने कहा कु छ खास नहीं कहा।
शायद मेरी नल कोहली ड्रिंक में शराब की थोड़ी मात्रा थी और इसीलिए डॉक्टरों
ने वो के स गंभीरता से नहीं लिया।

ईरान के अधिकारियों के मुताबिक हाल के दिनों में राजधानी तेहरान में जहरीली
शराब पीने से दो लोगों की मौत हो गई और दो की आँखों की।

रौशनी चली गई।

राजधानी तेहरान के दक्षिण में रोबत करीम में नशे के 22 मामले सामने आए,
जिनमें सात मौतें दर्ज की गई।

उधर में जहरीली शराब पीने से 180 लोग बीमार हो गए।

इनमें से 15 की मौत हो गई।

वहीं मज़ंदरान प्रांत में भी तीन लोगों की मौत हुई।

सजा के डर से कु छ लोग मदद मांगने में या सच बोलने से? डरते हैं इसलिए
जानकार की जानते हैं कि जहरीली शराब से बातों की संख्या ज्यादा है।
ईरान में एक डॉक्टर ने हमें बताया कि यह सब देश में शराब पर लगी पाबंदी और
बेलगाम ब्लैक मार्के ट की वजह से हो रहा है।

पेन में जहरीली शराब जानबूझकर भी मिलाई जा सकती है क्योंकि शराब बनाने
के मामलों में किसी तरह की कोई निगरानी नहीं है।

और पाबंदी की वकील से लोग इलाज के लिए बहुत देर से जाते हैं।

बीबीसी फ़ारसी सेवा ने ईरान के एक शराब डीलर से बात की।

उन्होंने इस सब के लिए कालाबाजारी करने वाले कु छ मुनाफाखोरों को दोषी


ठहराया।

सुरक्षा के मद्देनज़र हम इनकी पहचान छिपा रहे हैं।

कु छ डीलर दवा की दुकान से मेथनॉल लाते हैं जिसका सेवन नहीं किया जा
सकता।
और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इसे शराब में मिला देते हैं।

बढ़ती मौतों के बावजूद ईरान के अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि देश में


शराब पर प्रतिबंध जारी रहेगा।

21 वीं सदी में दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच चुकी है? पर आज भी अलग अलग
नामों से अलग अलग तरीकों से महावारी के दौरान लड़कियों को नापाक समझा
जाता है।

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी ऐसी ही एक प्रथा है जिसे चौपदी कहा जाता
है।

लेकिन संगीता रोका या नाम की एक लड़की इसे बदलने की कोशिश में लगी है।

वो माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी है और कहती हैं कि चौपदी की लड़ाई माउंट


एवरेस्ट फ़तह करने से भी ज्यादा रहती है।

वो कहती हैं कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।


देखिए बीबीसी संवाददाता कमल परियार की ये रिपोर्ट।

दुख, दर्द और कई तरह की तकलीफों को सहते हुए माउंट एवरेस्ट फतह किया
है।

अब मुझे एक और मुश्किल चढ़ाई करनी है।

चौपदी जैसी कु प्रथा को खत्म करना है।

तेरे को गाया मेरा नाम संगीता रुकाया है।

मेरा घर बजरंग जिले के साहिपाल गांव में है।

जैसी प्रथा को मैंने भुगता भी है और दूसरों के साथ होते हुए भी देखा है।

जब मैं चौपदी के खिलाफ़ लोगों को जागरूक कर रही थी तो कई ऐसे लोग भी


मिले जिन्होंने मुझसे कहा कि दूसरों को समझाने से पहले।
मैं अपनी माँ को समझाता हूँ।

मैंने कु छ जगह मैंने कु छ जगहों पर चौकड़ी के लिए बने छोटे छोटे घरों को भी
तोड़ा और ये सब करते हुए मुझे बहुत भला बुरा कहा गया।

ये छोटे छोटे घायल पूरा हमारे पूर्वजों के समय से ही बनाए जा रहे हैं।

ये छोटे घरों मुख्य घरों से कु छ दूरी पर बने होते हैं।

कई बार हम एक पुआल बिछाकर सोना पड़ता है और कई बार हम पेड़ों की


पत्तियाँ बिछाकर सोते थे और ये ऐसा नहीं है जो मेरे साथ हुआ हो।

मेरी तरह हजारों लड़कियां आज भी इस कु प्रथा को भुगत रही है।

बलात्कार के कई मामले इतने छोटे छोटे घरों में हुए।

कई बार सांप के काटने की घटनाएं भी सामने आई।


इन।

यहाँ लड़कियां समाज के डर और ये सोचकर कि कौन इनसे शादी करेगा, अपनी


बात नहीं कह पाती।

हम तो समाज में हमारे समाज में लोग सोचते है की बेटियों को पहाड़ों की चढ़ाई
नहीं करनी चाहिए, उन्हें छू ना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे भगवान नाराज हो जाते
हैं।

हो सकता है की चौकड़ी की प्रथा जल्द ना बदलें पर घर हमारी कोशिश जारी


रही तो मुझे उम्मीद है की 1 दिन बदलाव जरूर आएगा।

हम कु छ भी नामुमकिन नहीं है।

इस लड़ाई में महिलाओं के साथ साथ।

पुरुषों की भागीदारी जरूरी है।

महिला पुरुष।
तो कार्यक्रम में आज बस इतना ही।

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