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शीत ऋतु में मौसम की क्रिया क्रिधध (उत्तर-पूिी मानसून)

 भारत में शीत ऋतु में केवल पश्चिमी क्रिक्षोभ से ही वषाा नहीं होती, बल्कक उत्तर-
पूवी मानसून से भी भारत में वषाा होती है |
 जहााँ पश्चिमी क्रिक्षोभ से उत्तरी भारत में पहाड़ी तथा मैदानी इलाकों में वषाा होती
है, वहीं उत्तरी-पूिी मानसून से तधमलनाडु के कोरोमण्डल तट पर वषाा प्राप्त
होती है |
 ववषुवत् रेखा पर वषाभर सूया की वकरणें लम्बवत् चमकती हैं, इसके कारण
ववषुवत् रेखा पर स्थल का तापमान उच्च हो जाता है |उच्च तापमान के कारण
ववषुवत् रेखा से हवाएाँ गमा होकर ऊपर की ओर उठने लगती हैं | ये चक्र वषाभर
चलता रहता है, इसके कारण ववषुवत् रेखा पर वषाभर वायुमण्डल में क्रनम्न दाब
का क्षेत्र बना रहता है |
 ववषुवत् रेखीय वनम्न दाब के क्षेत्र को भरने के ललए दोनों गोलार्द्धों (35० दश्चक्षणी
अक्षाांश तथा 35० उत्तरी अक्षाांशों) से ववषुवत् रेखा वक तरफ हवाएाँ चलने
लगती हैं| इन ववषुवत् रेखीय हवाओं को हम व्यापाररक पिन कहते हैं |
 व्यापाररक पवनें दोनों गोलार्द्धों (उत्तरी तथा दक्षक्षणी) में 35० अक्षाांश से लेकर 0०
अक्षाांश ,अथाात् ववषुवत् रेखा तक प्रवावहत होती है |
 जब व्यापाररक पवनें 35० अक्षाांश से ववषुवत् रेखा की ओर प्रवावहत होती है, तो
ये पवनें सीधे ववषुवत् रेखा की ओर न जाकर पक्षिम की ददशा में मुड़ जाती हैं |
 फेरल के क्रनयमानुसार, उत्तरी गोलार्द्धा में हवाएाँ अपनी दां ओर और दक्षक्षणी
गोलार्द्धा में अपनी बां ओर मुड़ जाती हैं, इसका पररणाम यह होता है वक दोनों
गोलार्द्धों में व्यापाररक पवनें पक्षिम की ओर मुड़ जाती हैं |
 इसके पररणामस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में व्यापाररक पवनों की ददशा उत्तर-पूिध से
दश्चक्षण-पश्चिम हो जाती है और दश्चक्षणी गोलार्द्ध में व्यापाररक पवनों की ददशा
दश्चक्षण-पूिध से उत्तर-पश्चिम की ओर हो जाती है, इसललए इन व्यापाररक पवनों
को उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूिी व्यापाररक पिन और दश्चक्षणी गोलार्द्ध में
दश्चक्षणी-पूिी व्यापाररक पिन कहते हैं |
 क्रिषुित् रेखा पर वषाभर दोनों गोलार्द्धों (उत्तरी तथा दक्षक्षणी ) से हवाएाँ आपस में
टकराकर ऊपर की ओर उठ जाती हैं, इसललए इस क्षेत्र को अन्त:
उष्णकटटबांधीय अश्चभसरण क्षेत्र (Intertropical Convergence
Zone -ITCZ) कहते हैं |
 'ववषुवत् रेखा की अधधकतम तापमान की पेटी' अन्त: उष्णकटटबांधीय
अश्चभसरण क्षेत्र (Intertropical convergence zone- ITCZ) को
कहते हैं |
 सूया की लम्बवत् वकरणें वषाभर ककध और मकर रेखाओं के बीच ववचलन करती
रहती हैं, अथाात् सूया उत्तरायन और दश्चक्षणायन होता रहता है| सूया के उत्तरायन
और दश्चक्षणायन होने के कारण अन्त: उष्णकटटबांधीय अश्चभसरण क्षेत्र
(ITCZ) भी उत्तरायण और दश्चक्षणायन होता रहता है |
 शीत ऋतु में जब सूया दश्चक्षणायन होता है, तब अन्त: उष्णकटटबांधीय
अश्चभसरण क्षेत्र भी दक्षक्षणी गोलार्द्धा की तरफ चला जाता है, इसके चलते भारत
पूरी तरह से उत्तर-पूिी व्यापाररक पिनों के अधीन हो जाता है |
 शीत ऋतु में भारत के ऊपर बहने वाली उत्तर-पूवी व्यापाररक पवनें स्थल-खण्डों
से होकर प्रवावहत होती है, इसके कारण इन हवाओं में नमी की मात्रा नगण्य होती
है, इसललए अधधकाांश क्षेत्र में उत्तर-पूवी व्यापाररक पवनों से भारत में वषाा नहीं
हो पाती है |
 वकन्तु उत्तर-पूिी व्यापाररक पिनों का वह भाग जो बांगाल की खाड़ी के ऊपर
से प्रवावहत होता है, वह बांगाल की खाड़ी से पयााप्त मात्रा में नमी सोख लेती है,
इसललए जब ये पवनें तधमलनाडु में पहाँचती हैं तो पूिी घाट पिधत से टकराकर
तधमलनाडु के कोरोमण्डल तट पर वषाा कर दे ती हैं| यही कारण है वक शीत
ऋतु में उत्तर-पूवी मानसून पवनों द्वारा तधमलनाडु के कोरोमण्डल तट पर वषाा
होती है |
 उत्तर-पूवी मानसूनी पवन स्थल-खण्डों से होकर प्रवावहत होती है, इसललए इन
पवनों द्वारा भारत के अधधकाांश भागों में वषाा नहीं होती है| वकन्तु उत्तर-पूवी
मानसूनी पवनों का जो भाग बांगाल की खाड़ी से होकर प्रवावहत होती है, उसमें
पयााप्त आर्द्धता हो जाती है और इसके उपराांत ये हवाएाँ पूिीघाट पिधत से
टकराकर तधमलनाडु के कोरोमण्डल तट पर पयााप्त वषाा करती हैं|
 उत्तर-पूिी व्यापाररक पिनें तधमलनाडु के कोरोमण्डल तट पर वषाा करती हैं,
इसललए हम इसे उत्तर-पूिी मानसून भी कहते हैं |
 शीतऋतु में िषाध के दो क्षेत्र हैं -

(a) उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी राज्य - यहााँ वषाा पक्षिमी ववक्षोभ से
होती है |

(b) तधमलनाडु का कोरोमण्डल तट - यहााँ उत्तर-पूवी मानसून से वषाा होती है |

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