V- 4 भारत की भूगर्भिक चट्टानें

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भारत की भूगर्भिक चट्टानें और उनमें ममलने वाले खननज

 भूगर्भिक चट्टानों से तात्पयय धरातल के नीचे पायी जाने वाली चट्टानों से होता है |

 पृथ्वी प्रारम्भ में आग के गोले के समान थी | कालान्तर में तप्त पृथ्वी के ठण्डी
होने के क्रम में चट्टानों का ननमायण होना प्रारम्भ हुआ |
 भारत में अलग-अलग समयकाल में भभन्न-भभन्न प्रकार के चट्टानों का ननमायण
हुआ | भारत में कुल 6 प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं | चट्टानों के
ननमायणकाल के आधार पर इनका क्रम ननम्नललखखत है -

(i) आर्कियन क्रम की चट्टानें

(ii) धारवाड़ क्रम की चट्टानें

(iii) कुडप्पा क्रम की चट्टानें

(iv) वविध्यन क्रम की चट्टानें

(v) गोंडवाना क्रम की चट्टानें

(vi) दक्कन ट्रै प


आर्कियन क्रम की चट्टानें -
 पृथ्वी पर सबसे पहले आर्कियन क्रम की चट्टानों का ननमायण हुआ | दूसरे शब्दों में
यह कहा जा सकता है, नक पृथ्वी पर सबसे पुरानी चट्टानें आर्कियन क्रम की
चट्टानें हैं |
धारवाड़ क्रम की चट्टानें -
 धारवाड़ क्रम की चट्टानों का नामकरण कनायटक के धारवाड़ जजले के नाम पर
हुआ है, क्योंनक इन चट्टानों की खोज सबसे पहले धारवाड़ जजला में ही हुआ
था |

 धारवाड़ क्रम की चट्टानें भारत में मुख्यत: दो क्षेत्रों में पायी जाती हैं -
(i) कनााटक क्षेत्र में
(ii) अरावली क्षेत्र में
 कनायटक के तीन जजलों में धारवाड़ क्रम की चट्टानें पायी जाती हैं -
(i) धारवाड़ जजला
(ii) बेल्लारी जजला
(iii) शिमोगा जजला
 आर्थिक दृनि से धारवाड़ क्रम की चट्टानें काफी समृद्ध होती हैं | भारत की प्रमुख
धातुएं जजनमें - सोना, मैगनीज, ताांबा, जस्ता, क्रोममयम, टां गस्टन और लोहा
इत्यादद धातुएं शाममल हैं, ये धारवाड़ चट्टानों के अंतगयत पाए जाते हैं |
 भारत में सोना धारवाड़ क्रम के चट्टानों के अंतगयत कोलार एवं हट्टी की खानों में
पाया जाता है |
कुडप्पा क्रम की चट्टानें-
 धारवाड़ क्रम की चट्टानों के बाद कुडप्पा क्रम के चट्टानों का ननमायण हुआ |
 कुडप्पा क्रम की चट्टानों का नामकरण आंध्र प्रदे श के कुडप्पा जजले के नाम पर
हुआ है, क्योंनक ये चट्टानें सबसे पहले आांध्र प्रदे ि के कुडप्पा जजले में ही
प्राप्त हुई थी |
वविध्यन क्रम की चट्टानें-
 वविध्य पवयत के नीचे एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में वविध्यन क्रम की चट्टानें पायी
जाती हैं | वविध्यन क्रम की चट्टानों का नवस्तार कुछ मात्रा में आांध्र प्रदे ि में भी
पाया जाता है |
 वविध्यन क्रम की चट्टानों की प्रमुख नवशेषता यह है, नक ये चट्टानें भवन ननमााण
सामग्री के ललए प्रलसद्ध है | उदाहरण के ललए - चूना पत्थर, बलुआ पत्थर,
सांगमरमर आदद वविध्यन क्रम की चट्टानों में पाए जाते हैं |
 मध्य प्रदे ि में पन्ना की खान और आांध्र प्रदे ि में गोलकुांडा की खानों से हीरा
ननकलता है, यह खाने वविध्यन क्रम की चट्टानों के अंतगयत ही स्स्थत हैं |
गोंडवाना क्रम की चट्टानें-
 गोंडवाना क्रम की चट्टानें भारत में प्रमुख रूप से नदी घादटयों में पायी जाती हैं |
 गोडवाना क्रम की चट्टानों का नवस्तार भारत में प्रमुख रूप से तीन नदी घादटयों में
पाया जाता है | उदाहरण के ललए - दामोदर नदी घाटी, महानदी घाटी एवं
गोदावरी नदी घाटी |
 भारत का लगभग 98% कोयला गोंडवाना क्रम की चट्टानों में ही पाया
जाता है | इसका अथय है नक भारत में कोयला दामोदर नदी घाटी, महानदी घाटी
एवं गोदावरी नदी घादटयों में पाया जाता है |
 आंध्र प्रदे श में ससिगरैनी कोयला क्षेत्र गोदावरी नदी घाटी में स्स्थत है |
 तलचर कोयला क्षेत्र उड़ीसा में महानदी घाटी में स्स्थत है |
 उड़ीसा स्स्थत झररया कोयला क्षेत्र दामोदर नदी घाटी में है |
 भारत में नबटु ममनस प्रकार का कोयला पाया जाता है जो नक नितीय श्रेणी का
कोयला माना जाता है | प्रथम श्रेणी के कोयले को एन्रेसाइट कहते हैं |
दक्कन ट्रै प -
 महाराष्ट्र एवं उसके आस-पास के क्षेत्रो में स्स्थत दक्कन के पठार को ही दक्कन
ट्रै प कहते हैं |
 प्रायिीपीय भारत और अफ्रीका महािीप गोंडवानालैंड के ही भाग हैं भारत
अफ्रीका से अलग होकर उत्तर एवं पूवी ददशा में प्रवानहत हो रहा है |
 प्रायिीपीय भारत के अफ्रीका महािीप से टू टकर अलग होने के क्रम में भारत के
पभिमी तट पर लावा का दरारी प्रवाह उत्पन्न हुआ और दरारों से ननकलता हुआ
तप्त लावा धरातल पर चारों ओर फैल गया| इसी लावा के ठण्डा होकर जम
जाने के बाद एक पठार का ननमायण हुआ, इसे ही दक्कन का पठार कहते हैं |
 लावा के जमाव से ननर्मित चट्टानों को बेसाल्ट चट्टान कहते हैं |
 दक्कन ट्रै प का मुख्य भाग महाराष्ट्र राज्य में स्स्थत है, इसका लगभग 75-80%
नहस्सा महाराष्ट्र में तथा कुछ नहस्सा मध्य प्रदे ि एवं गुजरात राज्यों में भी नवस्तृत
है |
 बेसाल्ट चट्टानों का ननमायण लावा के जमाव से होता है | अत: जब इन बेसाल्ट
चट्टानों का अपक्षय होता है तो इससे ननर्मित ममट्टी को काली ममट्टी कहते हैं |
 काली ममट्टी कपास की खेती के ललए उपयुक्त मानी जाती है, इसललए इसे
कपासी ममट्टी भी कहा जाता है |
 काली ममट्टी का ननमायण लावा चट्टानों से होता है, इसललए इसे लावा ममट्टी भी कहा
जाता है |

 काली ममट्टी को रेंगुर ममट्टी भी कहा जाता है |

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