क्रम शब्द अर्थ पर्यथर्वयची ववलोम वयक्र् प्रर्ोग 1 उज्जज्जवल सफ़ेद पववत्र धमू िल चंद्रिा की चांदनी उज्जज्जवल होती है | 2 उचचत ठीक तककसंगत अनचु चत संकट िें उचचत ननर्कय लेना िहत्त्वपर् ू क होता है | 3 नभ आकाश गगन धरा नभ िें तारे चिकते हैं | 4 शक्ततशाली ववशेषर् बलशाली बमलष्ठ शक्ततहीन भारत एक शक्क्तशयली दे श है । 5 ननिकलता स्वच्छता ननष्कलंकता िमलनता हिारे स्वभाव िें ननमथलतय होनी चाहहए | 6 शीतलता ठं डक ठं डापन उष्र्ता गिी िें शरबत पीने से शीतलतय मिलती है | 7 सि ु न फूल पष्ु प कंटक िैंने िंहदर िें भगवान को सम ु न अवपकत ककए | 8 शमश चंद्रिा राका रवव शशश शीतलता दे ता है | 9 पथ रास्ता राह अपथ हिें सच्चाई के पर् पर चलना चाहहए | 10 व्याकुल बेचन ै व्यचथत शांत भख ू से व्र्यकुल बच्चा रोने लगा | 11 आज्ञा अनि ु नत आदे श अवज्ञा हिें बड़ों की आज्ञय लेकर ही कोई भी कायक करना चाहहए | 12 अचेत बेहोश बेहाल सचेत सरोवर का जल पीकर पांडव अचेत हो गए | 13 अवश्य ज़रूर पतका संभवतः गमिकयों की छुट्हटयों िें हि अवश्र् घि ू ने जाएँगे | 14 सवोत्ति सबसे अच्छा श्रेष्ठ ननकृष्ट कक्षा िें आराध्या का कायक सवोत्तम है | 15 ित्ृ यु ननधन दे हांत जन्ि जीवन और मत्ृ र्ु संसार का ननयि है । 16 अहंकार घिंड दं भ ननरहंकार रावर् को अपने ऊपर बहुत अहं कयर था | 17 धैयक सब्र धीरज अधैयक िस ु ीबत के सिय धैर्थ से काि लेना चाहहए | 18 आरोग्य रोग से िक्ु तत तंदरुस्त अनारोग्य व्यायाि करने से हि आरोग्र् रहते हैं | 19 अतल ु नीय क्जसकी तल ु ना न की अतल् ु य तल ु नीय पाण्डवों िें अतल ु नीर् साहस था | 20 अज्ञातवास ऐसे स्थान िें रहना नछपना ज्ञातवास राजा ने राजकुिार को एक वषक अज्ञयतवयस िें रहने का आदे श हदया |