निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा सर्वाधिक उपयुक्त वाले विकल्प को चुनकर लिखिए
(1x10 = 10) साहित्य में मानवीय समाज के सख
ु -दःु ख, आशा-निराशा, साहस-भय और उत्थान-पतन का स्पष्ट चित्रण रहता है। साहित्य की इन्हीं खूबियों के कारण इसे 'समाज का दर्पण' कहा जाता है । वास्तव में , दे खा जाए तो साहित्य एक स्वायत्त आत्मा है और उसकी सष्टि ृ करने वाला भी ठीक से यह नहीं बता सकता कि उसके रचे साहित्य की गूंज कब और कहाँ तक जाएगी? कहने का तात्पर्य यह है कि यदि साहित्य समाज में नैतिक सत्य की चिंता है , तो यह समाज की दरू गामी वत्ति ृ यों का रक्षक तत्त्व भी है। तभी तो प्रेमचंद ने साहित्यकारों को सावधान करते हुए साहित्य के लक्ष्य को बड़ी मार्मिकता से रे खांकित करते हुए कहा था- "जिस साहित्य से हमारी सरु ु चि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तप्ति ृ न मिले, हममें शक्ति और गति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य-प्रेम न जागे, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे , वह आज हमारे लिए बेकार है , वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं।"