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बंदर और बाघ की मित्रता
बंदर और बाघ की मित्रता
बंदर और बाघ की मित्रता
बहुत समय पहले की बात है , एक जं गल में एक बं दर और एक बाघ रहते थे । वे दोनों अच्छे दोस्त थे और हमे शा साथ
में खे लते रहते थे । उनकी मित्रता दे खकर जं गल के सभी जानवर चकित हो जाते थे ।
एक दिन, बं दर और बाघ ने सोचा कि वे साथ में एक यात्रा करें गे । उन्होंने तै यारी की और अपना सामान सं ग लिया।
वे अपनी यात्रा शु रू कर दी और जं गल के अन्य हिस्से की ओर चल दिए।
दोस्त यात्रा करते वक्त दे खते हैं कि एक हाथी जल खाने के लिए आया हुआ है । हाथी को अपनी ताकत और अपार
सामर्थ्य की खु शी हो रही थी। वह बड़ी आराम से और बिना किसी चिं ता के जल खा रहा था।
बं दर और बाघ को हाथी का दृश्य दे खकर दिलचस्पी हुई। उन्होंने बातचीत की और हाथी से पूछा, "आप इतना खु श
क्यों हो रहे हैं ? क्या आपके पास कोई ख़ास कारण है ?"
हाथी मु स्कुराते हुए बोला, "हाँ , मे रे पास बहुत सारी शक्ति और ताकत है । मैं जं गल का राजा हँ ू और सभी जानवर
मे री से वा करते हैं ।"
बाघ इसे सु नकर चिढ़ा और बोला, "तु म्हारी यह बात सही हो सकती है , ले किन बं दर के पास तो कोई शक्ति नहीं है ।"
ू रों के साथ
बं दर धीरे से हं सा और बोला, "हां , मे रे पास ताकत तो नहीं है , ले किन मे री एक खास बात है । मैं दस
सहयोग करना जानता हँ ।ू "
हाथी इस बात से चु काने लगा और बोला, "तु म बिल्कुल सही कह रहे हो। ताकत हर किसी के पास नहीं होती, ले किन
सहयोग सबके लिए महत्वपूर्ण होता है ।"
यह सु नकर बं दर और बाघ को बड़ी खु शी हुई। उन्होंने सोचा कि अगले सप्ताह में एक मित्रता का महोत्सव
ू रे जानवरों को दिखा सकेंगे कि सहयोग सबसे अच्छा उपहार है ।
आयोजित करें गे , जिसमें वे दस
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि शक्ति और ताकत हर किसी के पास नहीं होती, ले किन सहयोग हर किसी
को सिखाना चाहिए। हमें दसू रों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और उन्हें आदर और सम्मान दे ना चाहिए।
सहयोग और मित्रता हमारे जीवन को सु खी और समृ द्ध बनाते हैं ।