िनदश- (I) ार भ के 15 िमनट पर ािथय को -प पढ़ने के िलए िनधा रत है । (II) प दो ख ड (अ) तथा ख ड (ब) म वभा जत है । (III) प के ख ड (अ) म बहु वक पीय ह जसम सह वक प का चयन करके O.M.R. शीट पर नीले अथवा काले बाल वाइं ट पेन से सह वक प वाले गोले को पूण प से काला कर। (IV)ख ड (अ) म बहु वक पीय हे तु येक के िलए (01) अंक िनधा रत है । (V) ओ एम आर शीट पर उ र अं कत कये जाने के प ात उसे काटे नह ं तथा इरे जर(Eraser) एवं हाइटनर (Whitener) आ द का योग न कर। (VI) येक के स मुख उनके िनधा रत अंक दये गये ह।
बहु वक पीय ख ड-अ पूणाक-20
-1 ‘ठलुआ लब’ कस वधा क रचना है - 01 A. िनब ध B. रे खािच C. सं मरण D. नाटक -2 ‘जय-पराजय’ कसका नाटक है - 01 A. इलाच द जोशी B. जयशंकर साद C. उपे नाथ ‘अ क’ D. राजे यादव -3 राम च शु ल कस युग के लेखक ह- 01 A. भारते द ु युग B. ि वे दी युग C. गितवाद D. शु ल युग -4 आंचिलक उप यासकार ह- 01 A. जैने कुमार B. अ ेय C. फणी रनाथ रे णु D. रामधार िसंह दनकर -5 शु ल युग क समयाविध है - 01 A. सन ् 1918 से 1936 तक B. सन ् 1900 से 1918 तक C. सन ् 1843 से 1900 तक D. इनम से कोई नह ं -6 ‘आ यदाताओं क शंसा’ कस युग क मुख वशेषता रह है - 01 A. भ काल B. आधुिनक काल C. र ितकाल D. इनम से कोई नह ं -7 जयशंकर साद कस युग के मुख क व ह- 01 A. छायावाद B. गितवाद C. ि वे दी युग D. इनम से कोई नह ं -8 ‘ कृ ित का मानवीकरण’ कस युग क मुख वशेषता रह है - 01 A. गितवाद B. योगवाद C. छायावाद D. अक वता -9 ‘नीरजा’ कसक रचना है - 01 A. महादे वी वमा B. सुिम ान दन पंत C. जयशंकर साद D. िनराला -10 ‘गीत फरोश’ कसक रचना है - 01 A. भवानी साद िम B. धमवीर भारती C. नागाजुन D. अ ेय -11 ‘च पा ण’ म समास है - 01+01=02 A. वहु ी ह B. C. अ ययी भाव D. त पु ष -12 वहु ी ह समास क प रभाषा है - 01 A. अ य पद धान है । B. उ र पद धान है । C. पूव पद धान है । D. जहाँ दोन पद धान ह । -13 ‘कमल’ का पयाय है - 01 A. वा रद B. सरिसज C. आलय D. पयोद -14 ‘पराधीनता’ का वलोम है - 01 A. वाधीनता B. आजाद C. परतं ता D. इनम से कोई नह ं -15 ‘चौराहा’ का त सम है - 01 A. चतुपद B. चतु पथ C. दोरा ता D. इनम से कोई नह ं -16 ‘कपट’ का त व है - 01 A. कपाट B. दरवाजा C. कपड़ा D. इनम से कोई नह ं -17 ‘जो ई र म व ास रखता हो’ उसे कहते ह- 01 A. आ तक B. ना तक C. वा तक D. इनम से कोई नह ं -18 ‘रमेश’ का संिध व छे द है - 01 A. रमा + ईश B. रम + ईश C. रमे + ईश D. इनम से कोई नह ं -19 ‘फल य’ म वभ और वचन है - 01 A. ष ी वभ एकवचन B. स मी वभ एकवचन C. पंचमी वभ बहुवचन D. इनम से कोई नह ं -20 ‘पठे तम ्’ म वचन और पु ष है - 01 A. ि वचन म यम पु ष B. एकवचन उ म पु ष C. एकवचन थम पु ष D. इनम से कोई नह ं पूणाक-50 (ख ड-ब) (वणना मक )
-1 दये गये ग ांश को पढ़कर उसके नीचे दए गये के उ र द जए- 3×2=06
रोहतास-दग ु के को म बैठ युवती ममता, शोण के ती ण ग भीर वाह को दे ख रह है । ममता वधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ह उमड़ रहा था। मन म वेदना, म तक म आंधी, आंख म पानी क बरसात िलए, वह सुख के कंटक शयन म वकल थी। वह रोहतास दग ु पित के मं ी चूड़ाम ण क एकमा द ु हता थी। फर उसके िलए कुछ भी अभाव हो, अस भव था। तब उसक वड बना का कहाँ अ त था? (I) उपयु ग ांश का संदभ िल खए। (II) ग ांश के रे खां कत अंश क या या क जए। (III) उपयु ग ांश के अनुसार ह द-ू वधवा क थित कैसी है ? अथवा हम लोग क ची िम ट क मूित के समान रहते है जसे जो जस प का चाहे उस प का करे - चाहे रा स बनावे, चाहे दे वता। ऐसे लोग का साथ करना हमारे िलए बुरा है जो हमसे अिधक ढ़ संक प है य क हम उनक हर एक बात बना वरोध के मान लेनी पड़ती है । पर ऐसे लोग का साथ करना और बुरा है । (I) उपयु ग ांश का संदभ िल खए। (II) रे खां कत अंश क या या क जए। (III) हम कन लोग का साथ नह ं करना चा हए। -2 दए गए प ांश पर आधा रत तीन का उ र द जए। 3×2=06 उधौ मन न भयो दस बीस। एक हुतौ सो गयौ याम संग, को अवराधै ईश। इं िसिथल भई केसव बन, य दे ह बनु सीस। आसा लािग रहित तन वासा, जीव ह को ट बर श। तुम तौ सखा याम सु दर के सकल जोग के ईश। सूर हमारै नंदनंदन बनु, और नह ं जगद श। (I) उपयु प ांश का संदभ िल खए। (II) रे खां कत अंश का भाव प क जए। (III) उपयु पं य क भाषा एवं छ द िल खए। अथवा सीस जटा उर बाहु वभाल, वलोचन ित र ह सी भौह वून सरासन वान धरे , तुलसी वन मारग म सु र सौह। सादर वार हं वार सुभाय िचतै तुम य हमरो मन मोह। पूछित ाम-वधू िसय सो कह सावरे से स ख सांवरे को है । (I) उपयु पं य का संदभ िल खए। (II) रे खां कत अंश क या या क जए। (III) ‘वाहु वसाल वलोचन लाल’ म कौन सा अलंकार है ? -3(क) दए गए सं कृ त ग ांश म से कसी एक का संदभ स हत ह द म अनुवाद क जए। 2+3=05 इयं नगर व वधधमाणां स गम थली। महा मा बु ः, तीथ करः पाशवनाथः, श कराचायः, कबीरः, गो वामी तुलसीदासः अ ये च बहवः महा मानः अ ाग य वीयान ् वचारान ् ासारयन ्। न केवलं दशने, सा ह ये, धम, अ पतु कला े ेs प इयं नगर व वधानां कलानां, िश पानाञ कृ ते लोके व त ु ा। अ याः कौशेयसा टकाः दे शे दे शे सव पृ ते। अ याः तरमूतयः िथताः। अथवा एषा कमवीराणां सं कृ ितः। “कुव नेवेह कमा ण जजी वषे छतं समाः” इित अ याः उ ोषः। पूव कम, तदन तरं फलम ् इित अ माकं सं कृ तेः िनयमः। इदानीं यदा वयं रा य नविनमाणे संल नाः मः िनर तरं कमकरणम ् अ माकं मु यं कत यम ्। िनज य म य फलं भो यं, अ य य म य शोषणं सवथा वजनीयम ्। य द वयं वपर तम ् आचरामः तदा न वयं स यं भरतीयसं कृ तेः उपासकाः। वयं तदै व यथाथ भारतीयाः यदा माकम ् आचारे वचारे च अ माकं सं कृ ित। ल ता भवेत ्। अिभलषामः वयं यत ् व य अ युदयाय भारतीयसं कृ ते एषः द यः लोके सव सरे त। -3(ख) दये गए सं कृ त ोक म से कसी एक ोक का संदभ स हत अनुवाद क जए। 2+3=05 सव भव तु सु खनः सव संतु िनरामयाः। सव भ ा ण प य तु मा क दःु खभाग ् भवेत ्।। अथवा मरणं म गलं य वभूित वभूषणम ्। कौपीनं य कौशेयं सा काशी केन मीयते।। -4(क) िन निल खत लेखक म से कसी एक लेखक का जीवन प रचय दे ते हुए उसक एक मुख रचना का उ लेख क जए। 3+2=05 (I) रामच शु ल (II) डॉ0 राजे साद (III) जयशंकर साद -4(ख) िन निल खत क वय म से कसी एक क व का जीवन प रचय दे ते हुए उनक एक मुख रचना का उ लेख क जए। 3+2=05 (I) तुलसीदास (II) सूरदास (III) सुिम ान दन पंत -5 दये गये सं कृ त म से क ह ं दो का सं कृ त म उ र द जए।2+2=04 (I) भारतीय सं कृ तेः कः द यः संदेशः अ त? (II) वाराण याम ् कित व व ालयः स त? (III) व वध धमाणाम ् संगम थली का नगर ? -6(क) हा य रस क प रभाषा िलखते हुए उसका एक उदाहरण द जए। 1+1=02 (ख) उपमा अलंकार क प रभाषा िलख कर एक उदाहरण िल खए। 1+1=02 (ग) चौपाई छं द के ल ण िलखकर उसका एक उदाहरण िल खए। 1+1=02 -7 िन निल खत लोको एवं मुहावर म से कसी एक का अथ बताते हुए वा य योग क जए। 1+1=02 (क) नौ दो यारह होना (ख) अंगार पर पैर रखना (ग) अधजल गगर छलकत जाए (घ) अपनी खचड़ अलग पकाना।\ -8 िन निल खत म से कसी एक शीषक पर िनब ध िल खएः 6×1=06 (I) वृ धरा का आभूषण है । (II) मेरा य पव (III) दष ू ण सम या (IV) जीवन म खेल का मह व।