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मॉडल प

स -2022-23
क ा-10
वषय- ार भक ह द (ख ड-अ)

समय- 3 घ टे 15 िमनट पूणाक- 70


िनदश-
(I) ार भ के 15 िमनट पर ािथय को -प पढ़ने के िलए िनधा रत है ।
(II) प दो ख ड (अ) तथा ख ड (ब) म वभा जत है ।
(III) प के ख ड (अ) म बहु वक पीय ह जसम सह वक प का चयन करके
O.M.R. शीट पर नीले अथवा काले बाल वाइं ट पेन से सह वक प वाले गोले को पूण
प से काला कर।
(IV)ख ड (अ) म बहु वक पीय हे तु येक के िलए (01) अंक िनधा रत है ।
(V) ओ एम आर  शीट पर उ र अं कत कये जाने के प ात उसे काटे नह ं तथा
इरे जर(Eraser) एवं हाइटनर (Whitener) आ द का योग न कर।
(VI) येक के स मुख उनके िनधा रत अंक दये गये ह।

बहु वक पीय ख ड-अ पूणाक-20


-1 ‘ठलुआ लब’ कस वधा क रचना है - 01
A. िनब ध B. रे खािच
C. सं मरण D. नाटक
-2 ‘जय-पराजय’ कसका नाटक है - 01
A. इलाच द जोशी B. जयशंकर साद
C. उपे नाथ ‘अ क’ D. राजे यादव
-3 राम च शु ल कस युग के लेखक ह- 01
A. भारते द ु युग B. ि वे दी युग
C. गितवाद D. शु ल युग
-4 आंचिलक उप यासकार ह- 01
A. जैने कुमार B. अ ेय
C. फणी रनाथ रे णु D. रामधार िसंह दनकर
-5 शु ल युग क समयाविध है - 01
A. सन ् 1918 से 1936 तक
B. सन ् 1900 से 1918 तक
C. सन ् 1843 से 1900 तक
D. इनम से कोई नह ं
-6 ‘आ यदाताओं क शंसा’ कस युग क मुख वशेषता रह है - 01
A. भ काल B. आधुिनक काल
C. र ितकाल D. इनम से कोई नह ं
-7 जयशंकर साद कस युग के मुख क व ह- 01
A. छायावाद B. गितवाद
C. ि वे दी युग D. इनम से कोई नह ं
-8 ‘ कृ ित का मानवीकरण’ कस युग क मुख वशेषता रह है - 01
A. गितवाद B. योगवाद
C. छायावाद D. अक वता
-9 ‘नीरजा’ कसक रचना है - 01
A. महादे वी वमा B. सुिम ान दन पंत
C. जयशंकर साद D. िनराला
-10 ‘गीत फरोश’ कसक रचना है - 01
A. भवानी साद िम B. धमवीर भारती
C. नागाजुन D. अ ेय
-11 ‘च पा ण’ म समास है - 01+01=02
A. वहु ी ह B.
C. अ ययी भाव D. त पु ष
-12 वहु ी ह समास क प रभाषा है - 01
A. अ य पद धान है ।
B. उ र पद धान है ।
C. पूव पद धान है ।
D. जहाँ दोन पद धान ह ।
-13 ‘कमल’ का पयाय है - 01
A. वा रद B. सरिसज
C. आलय D. पयोद
-14 ‘पराधीनता’ का वलोम है - 01
A. वाधीनता B. आजाद
C. परतं ता D. इनम से कोई नह ं
-15 ‘चौराहा’ का त सम है - 01
A. चतुपद B. चतु पथ
C. दोरा ता D. इनम से कोई नह ं
-16 ‘कपट’ का त व है - 01
A. कपाट B. दरवाजा
C. कपड़ा D. इनम से कोई नह ं
-17 ‘जो ई र म व ास रखता हो’ उसे कहते ह- 01
A. आ तक B. ना तक
C. वा तक D. इनम से कोई नह ं
-18 ‘रमेश’ का संिध व छे द है - 01
A. रमा + ईश B. रम + ईश
C. रमे + ईश D. इनम से कोई नह ं
-19 ‘फल य’ म वभ और वचन है - 01
A. ष ी वभ एकवचन
B. स मी वभ एकवचन
C. पंचमी वभ बहुवचन
D. इनम से कोई नह ं
-20 ‘पठे तम ्’ म वचन और पु ष है - 01
A. ि वचन म यम पु ष
B. एकवचन उ म पु ष
C. एकवचन थम पु ष
D. इनम से कोई नह ं
पूणाक-50
(ख ड-ब) (वणना मक )

-1 दये गये ग ांश को पढ़कर उसके नीचे दए गये के उ र द जए- 3×2=06


रोहतास-दग
ु के को म बैठ युवती ममता, शोण के ती ण ग भीर वाह को दे ख रह
है । ममता वधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ह उमड़ रहा था। मन म वेदना, म तक म
आंधी, आंख म पानी क बरसात िलए, वह सुख के कंटक शयन म वकल थी। वह रोहतास
दग
ु पित के मं ी चूड़ाम ण क एकमा द ु हता थी। फर उसके िलए कुछ भी अभाव हो, अस भव
था। तब उसक वड बना का कहाँ अ त था?
(I) उपयु ग ांश का संदभ िल खए।
(II) ग ांश के रे खां कत अंश क या या क जए।
(III) उपयु ग ांश के अनुसार ह द-ू वधवा क थित कैसी है ?
अथवा
हम लोग क ची िम ट क मूित के समान रहते है जसे जो जस प का चाहे उस
प का करे - चाहे रा स बनावे, चाहे दे वता। ऐसे लोग का साथ करना हमारे िलए
बुरा है जो हमसे अिधक ढ़ संक प है य क हम उनक हर एक बात बना वरोध
के मान लेनी पड़ती है । पर ऐसे लोग का साथ करना और बुरा है ।
(I) उपयु ग ांश का संदभ िल खए।
(II) रे खां कत अंश क या या क जए।
(III) हम कन लोग का साथ नह ं करना चा हए।
-2 दए गए प ांश पर आधा रत तीन का उ र द जए। 3×2=06
उधौ मन न भयो दस बीस।
एक हुतौ सो गयौ याम संग, को अवराधै ईश।
इं िसिथल भई केसव बन, य दे ह बनु सीस।
आसा लािग रहित तन वासा, जीव ह को ट बर श।
तुम तौ सखा याम सु दर के सकल जोग के ईश।
सूर हमारै नंदनंदन बनु, और नह ं जगद श।
(I) उपयु प ांश का संदभ िल खए।
(II) रे खां कत अंश का भाव प क जए।
(III) उपयु पं य क भाषा एवं छ द िल खए।
अथवा
सीस जटा उर बाहु वभाल, वलोचन ित र ह सी भौह
वून सरासन वान धरे , तुलसी वन मारग म सु र सौह।
सादर वार हं वार सुभाय िचतै तुम य हमरो मन मोह।
पूछित ाम-वधू िसय सो कह सावरे से स ख सांवरे को है ।
(I) उपयु पं य का संदभ िल खए।
(II) रे खां कत अंश क या या क जए।
(III) ‘वाहु वसाल वलोचन लाल’ म कौन सा अलंकार है ?
-3(क) दए गए सं कृ त ग ांश म से कसी एक का संदभ स हत ह द म अनुवाद
क जए। 2+3=05
इयं नगर व वधधमाणां स गम थली। महा मा बु ः, तीथ करः पाशवनाथः,
श कराचायः, कबीरः, गो वामी तुलसीदासः अ ये च बहवः महा मानः अ ाग य वीयान ् वचारान ्
ासारयन ्। न केवलं दशने, सा ह ये, धम, अ पतु कला े ेs प इयं नगर व वधानां कलानां,
िश पानाञ कृ ते लोके व त
ु ा। अ याः कौशेयसा टकाः दे शे दे शे सव पृ ते। अ याः
तरमूतयः िथताः।
अथवा
एषा कमवीराणां सं कृ ितः। “कुव नेवेह कमा ण जजी वषे छतं समाः” इित अ याः
उ ोषः। पूव कम, तदन तरं फलम ् इित अ माकं सं कृ तेः िनयमः। इदानीं यदा वयं रा य
नविनमाणे संल नाः मः िनर तरं कमकरणम ् अ माकं मु यं कत यम ्। िनज य म य फलं
भो यं, अ य य म य शोषणं सवथा वजनीयम ्। य द वयं वपर तम ् आचरामः तदा न वयं
स यं भरतीयसं कृ तेः उपासकाः। वयं तदै व यथाथ भारतीयाः यदा माकम ् आचारे वचारे च
अ माकं सं कृ ित। ल ता भवेत ्। अिभलषामः वयं यत ् व य अ युदयाय भारतीयसं कृ ते एषः
द यः लोके सव सरे त।
-3(ख) दये गए सं कृ त ोक म से कसी एक ोक का संदभ स हत अनुवाद क जए।
2+3=05
सव भव तु सु खनः सव संतु िनरामयाः।
सव भ ा ण प य तु मा क दःु खभाग ् भवेत ्।।
अथवा
मरणं म गलं य वभूित वभूषणम ्।
कौपीनं य कौशेयं सा काशी केन मीयते।।
-4(क) िन निल खत लेखक म से कसी एक लेखक का जीवन प रचय दे ते हुए उसक एक
मुख रचना का उ लेख क जए। 3+2=05
(I) रामच शु ल
(II) डॉ0 राजे साद
(III) जयशंकर साद
-4(ख) िन निल खत क वय म से कसी एक क व का जीवन प रचय दे ते हुए उनक एक
मुख रचना का उ लेख क जए। 3+2=05
(I) तुलसीदास
(II) सूरदास
(III) सुिम ान दन पंत
-5 दये गये सं कृ त म से क ह ं दो का सं कृ त म उ र द जए।2+2=04
(I) भारतीय सं कृ तेः कः द यः संदेशः अ त?
(II) वाराण याम ् कित व व ालयः स त?
(III) व वध धमाणाम ् संगम थली का नगर ?
-6(क) हा य रस क प रभाषा िलखते हुए उसका एक उदाहरण द जए। 1+1=02
(ख) उपमा अलंकार क प रभाषा िलख कर एक उदाहरण िल खए। 1+1=02
(ग) चौपाई छं द के ल ण िलखकर उसका एक उदाहरण िल खए। 1+1=02
-7 िन निल खत लोको एवं मुहावर म से कसी एक का अथ बताते हुए वा य योग
क जए। 1+1=02
(क) नौ दो यारह होना
(ख) अंगार पर पैर रखना
(ग) अधजल गगर छलकत जाए
(घ) अपनी खचड़ अलग पकाना।\
-8 िन निल खत म से कसी एक शीषक पर िनब ध िल खएः 6×1=06
(I) वृ धरा का आभूषण है ।
(II) मेरा य पव
(III) दष
ू ण सम या
(IV) जीवन म खेल का मह व।

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