बेनक़ाब - बाज़ीगर सीरीज परशुराम शर्मा

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BENAQAAB

Parshuram Sharma

Sooraj Pocket Books


सामि याँ

शीषक पेज
लेखक य
बेनक़ाब
बेनक़ाब (उप यास)
लेखक : परशुराम शमा
“सूरज पॉके ट बु स” पु तक सं या- 111
तुत सं करण: जुलाई 2021
कवर आट : दीपक आई डी
कवर िडजाइन : Runjhun Art Works

सभी अिधकार सुरि त ह ।


इस काशन का कोई भी िह सा लेखक व काशक क िलिखत पूवानुमित के बगैर फोटोकॉपी, रकॉ डग या कसी भी
अ य मेकैिनकल या इले ॉिनक मा यम के ज़ रये पुनः उपयोग नह कया जा सकता ।

काशक:
सूरज पॉके ट बु स
ठाणे, महारा
wwwDOTsoorajbooksDOTcom
Email ID: soorajpocketbooks@gmailDOTcom; publisher@soorajbooksDOTcom
मु ण व िज दसाज़ी : मिणपाल टे ोलॉजीज़ िलिमटेड, मिणपाल

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यह एक का पिनक कताब है ।
थान और सं था के नाम का योग के वल क य को मािणकता दान करने के िलए कया गया है । कहानी म
आये सभी च र , नाम और घटनाएँ लेखक क क पना पर आधा रत ह और कसी भी जीिवत या मृत ि से कसी भी
कार का स ब ध एक संयोग मा होगा ।
लेखक य
‘बाज’, ‘बाजीगर’ और ‘बुलडॉग’ के बाद बाजीगर सीरीज का चौथा उप यास
‘बेनकाब’ आपके हाथ म देते ए मुझे अपार गव का अनुभव हो रहा है । इस सीरीज़ के
िपछले उप यास को दोबारा ि ट म देख के मुझ म एक नया उ साह संचा रत हो गया है
। आप सभी क ित याएं मुझे िनरं तर िमल रही ह िजसके िलये आपका आभार
करता ँ ।
मेरे िपछले उप यास क तरह ‘बेनकाब’ भी अपने आपम एक तूफान है, जलजला है ।
बाजीगर, िजसे कसी को भी क ल कर देने का सरकारी लायसस ा है और जो उसे
पहचान ले, उसे वह कसी हालत म भी नह छोड़ता है । ऐसे ही एक श स के सामने
बाजीगर बेनकाब हो जाता है ले कन उस श स का क ल करना बाजीगर के िलए भी बड़ा
मुि कल था । उस मुि कल का या हल िनकला ? इसक भी एक दलच प व हैरतअंगेज
कहानी है ।
आपका
परशुराम शमा
Email: parshuramsharmanovelist@gmailDOTcom
बेनक़ाब

शा ईतैयह
न बड़ी देर से उस गो र ले का पीछा कर रहा था ।
गो र लानुमा ि अगर िलबास म न होता तो उसे गो र ला ही कहा जा
सकता था, य क जहाँ-जहाँ से िलबास उसके िज म को ढांपने म नाकाम हो रहा था,
वहाँ-वहाँ से उसके मोटे-मोटे याह बाल नजर आ रहे थे ।
गो र लानुमा श स हे टर था । उसे जमनी का बगोला भी कहा जाता था और शाईतैन
ने उसक द रं दगी क कई घटनाएँ अतीत म सुनी थ । ले कन एक ऐसी घटना भी घटी थी,
िजसे समाचार-प म पढ़कर शाईतैन ने अपने दल म संक प कया था क अगर जंदगी
म कभी यह श स उसके सामने आया तो वह उसे अपने हाथ से ठकाने लगा देगा । उसके
इस संक प पर वष क गद पड़ गई थी ले कन जैसे ही उसे हे टर दखाई दया यह गद
खुद-ब-खुद हट गई और संक प फर से जवान हो गया ।
इस जमनी बगोले क िवशेषता थी क यह हसीन औरत क ह या करने से आन द ा
करता था । उसके अंदाज म इतनी ू रता थी क बाद म मृत औरत क लाश देखकर बड़े-
बड़े दल-गुद वाले आदिमय को झुरझुरी आ जाती थी ।
अ जी रया म शाईतैन ने बड़े-बड़े खूंखार मुज रम को देखा था िज ह ने क लो-गारत
का माहौल गरम कर दया था । वे सब-के -सब बुलडॉग के िनमं ण पर वहाँ आये थे ।
शाईतैन जो क अ हंसा का पुजारी बना बैठा था मानवता क र ा के िलए खुद एक खूंखार
द रं दा बन गया था ।
यूँ तो मुज रम का सफाया हो गया था, बुलडॉग क जली ई लाश भी िमल गई थी
पर तु उसी व से शाईतैन गायब था और शहर म अब भी क ल हो रहे थे । यह क ल उन
मुज रम के हो रहे थे जो बुलडॉग क मौत के बाद भी वहाँ जीिवत रह गए थे । जो काम
पुिलस का स पूण िवभाग भी िमलकर नह कर सका था उसे के वल शाईतैन अके ला ही कर
रहा था ।
अ जी रया म उस बूढ़े फ र ते क अनिगनत कहािनयाँ चिलत हो गई थ और आज
शाई इस बगोले के पीछे लग गया था, जो आज अचानक ही उसे एक बार से िनकलता आ
दखाई दया था ।
शाईतैन के स ब ध म जो अफवाह उड़ रही थ , उनके पेश-े नजर शाईतैन क शि सयत
बेहद रह यमय समझी जाने लगी थी । लोग का याल था क पुिलस एक बार फर उस
बूढ़े के पीछे पड़ जायेगी, जो िम टर पाक के नाम से होटल टोन वाल म ठहरा था, ले कन
ऐसा आ नह । उसे लोग जगह-जगह देखते रहे थे और शाईतैन पुिलस को देखकर फरार
होने क कोिशश भी नह करता था और न ही पुिलस वाले उसक तरफ कोई यान देते
थे ।
कु छ लोग ने िवशेष प से महसूस कया था क पुिलस जान-बूझकर उसे नजर-अंदाज
कर रही है । इसका कोई िवशेष कारण था या नह , यह तो कसी को भी मालूम नह था,
अलब ा हर एक अपने-अपने अंदाज लगाकर िविभ अफवाह को ज म दे रहे थे, जो
उसने बरस पहले कया था ।
िपछले तीन घ ट के अंदर दो लाश और िमली थ , ले कन इन लाश को देखकर यह
पता नह चलता था क मरने वाल को कसी ने महज लु फ के िलए इस हालत म
प च ँ ाया है । उनम से एक लाश बदसूरत आदमी क थी ले कन दूसरी लाश अब भी
शाईतैन के जहन से िचपक ई थी, जो क एक औरत क लाश थी ।
और जब उसक नजर हे टर पर पड़ी तो उसे यक न हो गया क लाश देखकर उसने
काितल के बारे म जो अंदाजा लगाया था, वह गलत नह था । क ल क यह वारदात हे टर
के ही हाथ ई थी । हे टर ने उस सुंदर ी को कसी दु मनी क वजह से क ल नह कया
था, बि क महज आि मक यास बुझाने के िलए कया था और यह काय इतने िघनावने
अंदाज म पूण कया गया था क द रं दगी अपनी सीमा पार कर गयी थी ।
गो र लानुमा हे टर इस समय एक भरे -पूरे बाजार म चला जा रहा था । शाईतैन उससे
अिधक दूर नह था । कई बार हे टर ने पलटकर भी देखा ले कन चूं क वह शाईतैन को
नह जानता था, इसिलए उसने एक ऐसे बूढ़े को यान देने यो य नह समझा, जो भूरे चोले
म अपने िज म का ढांचा िछपाये सड़क पर चल रहा था । अगर उसे जरा-सा भी संदह े हो
जाता क िजस कमजोर िज म को वह नजरअंदाज कर रहा है, दरअसल वह िसर से पाँव
तक मौत क एक मशीन है, तो शायद वह अपने बचाव क जुरत ज र करता । ले कन वह
खुद एक नामधारी ह यारा था, इसिलए ऐसे कसी बूढ़े को अपनी सोचो म लाना भी उसके
िलए दूभर-सी बात थी ।
शाईतैन ने अंदाजा लगा िलया था क हे टर इस समय कसी िवशेष जगह जा रहा था ।
उसक चाल म समानता थी और वह कभी-कभार ही इधर-उधर देखता आ अपनी मंिजल
क तरफ बढ़ा जा रहा था । हे टर ने बार से िनकलने के बाद कोई टै सी नह ली थी,
िजससे शाईतैन को अंदाजा हो गया था क वह अिधक दूर नह जायेगा ले कन उसका यह
अनुमान गलत ही सािबत आ ।
चलते-चलते आधा घ टा हो गया था और अब भी हे टर के कदम कते दखाई नह दे
रहे थे । एक ल हे के िलए शाईतैन को संदह
े आ क कह वह हे टर क नजर म तो नह
आ गया । इस सोच के बावजूद भी वह पीछा करता रहा ।
अ जी रया म उनका िमशन समा हो चुका था, को बा के रा पित क ह या क
सािजश नाकाम हो गई थी और बुलडॉग, जो क उस देश को मुज रम का वग बनाना
चाहता था, वह जलते हेलीकॉ टर के साथ दफन हो गया था ।
इस तरह उ ह अब अ जी रया छोड़ देना चािहए था ।
शाईतैन को मालूम था क बाजीगर का िख़ताब अ जी रया म भी िज दा हो गया था
और िवनाश बाजीगर को वहाँ भी वही हैिसयत िमल गई है, जो उसे िह दु तान और
अमे रका म ा थी । ले कन शांजो का यह मा टर अभी तक अपने शािगद िवनाश को
बधाई देने भी नह प च ँ ा था, न ही कसी मा यम से यह सूचना दी थी क ‘बुलडॉग’ के
साथ जलते हेलीकॉ टर म झूलते रहने के बावजूद वह िज दा था । बि क शाई को एक नई
ही धुन सवार थी । वह पूरब के देश क सैर करना चाहता था, पर तु अ जी रया म
मुज रम का भरपूर िशकार खेलने के बाद ही शांित क जंदगी गुजारने का इरादा रखता
था । फर हे टर जैसे द रं द को वह खुला छोड़कर कै से चला जाता !
एक बार बाजार म प च ँ कर हे टर ने कते ए इधर-उधर देखा । उसका अंदाज ऐसा
ही था जैसे वह कसी िवशेष व तु क तलाश म इधर-उधर िनगाह दौड़ा रहा हो । फर
उसने जेब से एक छोटी-सी नोटबुक िनकाली और उसके पृ पलटने लगा । कदािचत् वह
कसी िवशेष इमारत क तलाश म था । डायरी देखने के बाद हे टर ने सहमित म िसर
िहलाया और इमारत क तरफ बढ़ गया ।
इमारत के सदर दरवाजे के सामने वह एक ल हे को ठठक गया । शाईतैन पलटकर एक
दुकान का शो-के स देखने लगा । उसने शो-के स के शीशे म हे टर को देखा । वह सतक दृि
से इधर-उधर देख रहा था, जैसे वह इि मनान कर रहा हो, इमारत म िव होते समय
वह िवशेष प से कसी क िनगाह म तो नह आ रहा है ! फर कदािचत् वह संतु हो
गया । वह तेजी से इमारत म िव आ और शाईतैन क नजर से ओझल हो गया ।
शाईतैन ने पलटकर सदर दरवाजे क तरफ देखा । वह धीरे -धीरे इमारत के उसी
दरवाजे पर जा प च ँ ा जहाँ से हे टर अंदर गया था । दरवाजे से िव होते ही एक ोढ़ी
थी । ोढ़ी म एक तरफ िल ट थी और दूसरी तरफ सी ढ़याँ थ । िल ट पर ‘खराब’ है क
त ती लगी थी, जो दरवाजे म िव होते ही शाईतैन को नजर आ गई थी ।
शाईतैन ने जीने क तरफ देखा, उसक आि मक शि याँ तेजी से सरगम हो गय । वह
उन ह क -सी आहट को सुन रहा था जो जीना चढ़ते ए हे टर के कदम से उ प हो
रही थ । उसी ल हे शाईतैन को मौत क गंध महसूस होने लगी । वह च क पड़ा ।
इसका मतलब था क वह गो र लानुमा श स यहाँ भी कसी को क ल करने के इरादे से
आया है । इससे पहले शाईतैन का याल था क वह अपने कसी पुराने दो त के पास
मौज-म ती मनाने के इरादे से जा रहा होगा । ले कन मौत क गंध महसूस करके उसके
जबड़ का तनाव बढ़ गया था । वह दल-ही- दल म खुश भी आ क इस गो र ले को रं गे
हाथ पकड़ लेगा और उसे मौके पर ही सजा दे देगा ।
वह तेजी से सी ढ़याँ चढ़ने लगा । उसके पाँव जीने पर गितशील थे ले कन जरा-सी भी
आवाज पैदा नह हो रही थी । उसके पाँव लबादे के नीचे दखाई नह दे रहे थे । यूँ लगता
था जैसे वह सी ढ़य से च द इं च ऊपर हवा म तैरता आ बढ़ रहा हो ।
हे टर के भारी कदम क आवाज अब भी शाई क कण इं ी म पड़ रही थी । यह एक
छः मंिजला इमारत थी और चौथे लोर क सी ढ़य से कदम क आहट उसके कान तक
प चँ रही थी, जब क वह अभी दूसरी ही मंिजल क सी ढ़याँ तय कर रहा था ।
ज द ही वह चौथी मंिजला पर जा प च ँ ा । उस समय तक हे टर शायद अपने िशकार
के दरवाजे पर प च ँ चुका था । शाईतैन ने दरवाजा खटखटाने क आवाज सुनी । वह जीने
म ही क गया । उसने ऊपर देखा तो हे टर दखाई नह दया, तब शाईतैन अपनी कण
इ ी पर जोर देकर यह अनुमान लगाने लगा क हे टर कस दरवाजे पर द तक दे रहा
है । दरवाजा खुला और कसी औरत क हैरत व खौफ म डू बी ई आवाज सुनाई दी ।
एकाएक यह आवाज दब गई ।
य महसूस होता था जैसे हे टर ने उस औरत का मुँह दबा िलया हो, जो उस पर िनगाह
पड़ते ही हैरत और खौफ का इजहार कर रही थी । उसे अफसोस होने लगा, औरत अ सर
सावधान रहती ह और महज द तक पर िबना सोचे-समझे दरवाजा नह खोलत , ले कन
वह औरत कदािचत् अ यिधक असावधान रहने वाली औरत थी ।
हे टर ने इमारत का नाम अपनी डायरी म िलख रखा था, इसका मतलब था क यह
औरत पहले से ही उसक िनगाह म थी और उसने िशकार क हैिसयत से उसका नाम चुन
िलया था ।
शाईतैन जीने से ऊपर आ गया । राहदारी वीरान पड़ी थी । मौत क गंध का उसे अब
भी अहसास हो रहा था ।
वह तेजी से आगे बढ़ने लगा । उस दरवाजे तक प च ँ ने म उसे अिधक क ठनाई नह ई,
िजससे हे टर अंदर गया था । उसके बाहर लगी जंजीर अभी तक गितशील थी । इसके
अलावा अंदर से घुटी-घुटी आवाज भी बाहर सुनाई दे रही थ ।
इस राहदारी म छः दरवाजे थे, िजनम से तीन पर ताले दखाई दे रहे थे । बाक दो
दरवाज पर ताले तो नह थे, अलब ा वह इतनी स ती से ब द थे क उनके पीछे रहने
वाल तक इस बेचारी औरत क आह जरा भी नह प च ँ सकती थी ।
खुद शाईतैन भी अब उन आवाज को अपनी आि मक-शि के कारण सुन रहा था ।
उसने दरवाजे पर हाथ रखकर ध ा दया । दरवाजा ब द था और शायद अंदर से लॉक कर
दया गया था । शाईतैन ने दरवाजे पर द तक दी ।
तुर त ही आवाज का िसलिसला समा हो गया ।
शाईतैन ने दूसरी बार दरवाजा खटखटाया ।
"कौन है ?" अंदर से गुराती ई आवाज सुनाई दी ।
"दरवाजा खोलो, पुिलस... ।" शाईतैन ने वर को भारी बनाते ए कहा ।
अंदर से तुर त ही कोई जवाब नह िमला, कदािचत् हे टर कसी सोच म पड़ गया था ।
तब शाईतैन ने सोचा क उसे अिधक मोहलत नह देनी चािहए ।
उसका दायाँ हाथ धीरे -धीरे बुल द आ फर जब यह हाथ कवाड़ पर िगरा तो उसने
लकड़ी के कवाड़ को यूँ काट दया जैसे कसी कु हाड़े के शि शाली वार से दरवाजे के
परख े उड़ा दये जाएँ ।
दूसरी चोट पर दरवाजा टू टकर अलग हो गया । उसी ल हे अंदर से एक फायर आ और
गोली शाईतैन के कान के समीप से गुजर गयी । उसने जो लबादा ओढ़ रखा था, गोली
उसम सुराख कर गई थी ।
शाईतैन उछला । एक ल हे के िलए वह फजा म तैरता दखाई दया, फर उसके दोन
पाँव बाक बचे दरवाजे को दो िह स म िवभािजत करते ए गुजर गए और दरवाजा फश
पर यूँ िगरा क हे टर के रवॉ वर से िनकलने वाली दो गोिलयाँ उसके दाय-बाय से गुजर
गय ।
शाईतैन धीरे -धीरे फश पर खड़ा हो गया । गोिलय क वजह से इमारत के उस िह से म
काफ शोर पैदा हो गया था ले कन अभी तक न तो पड़ोस का कोई दरवाजा खुला था और
न ही ऐसी कोई इं सानी आवाज सुनाई दी जो इन धमाक क वजह जानने के िलए बेचैन
हो ।
शाईतैन ने सामने देखा । हे टर रवॉ वर हाथ म िलए खड़ा था । उसक द रं द जैसी
आँख म खून उतरा आ था और उसके खुले ह ठ से उसके भयानक दाँत कसी खून पीने
वाले शैतान क तरह नुक ले दख रहे थे । उसका हाथ रवॉ वर के द ते पर जड़ था । यह
रवॉ वर भी साधारण साइज से खासा बड़ा था । उसके बावजूद हे टर के हाथ म छोटा-
सा िखलौना लग रहा था ।
"कौन हो तुम ?" हे टर गुराया ।
"मौत का फ र ता !" शाईतैन ने जवाब दया और खी-खी करके अपने िवशेष अंदाज म
हँस पड़ा ।
इस अंदाज म वह उसी समय हँसता था जब उसे कसी मामले म आि मक स ता ा
होती थी । कदािचत् हे टर जैसे द रं दे क मौत क क पना करके वह आि मक स ता
महसूस कर रहा था ।
“मेरे रवॉ वर म अभी तक दो गोिलयाँ बाक ह और यह मौत के फ़ र ते का मुँह तोड़
सकती ह ।” हे टर से खूंखार वर म कहा, “बेहतर होगा क वािपस अपनी क म चले
जाओ, ऐ खबीश बूढ़े !”
शाईतैन क खी-खी जारी थी ।
“ब द करो यह शैतानी कहकहे ।” हे टर गुराया, “और चले जाओ ।”
“म कि तान जाते समय तु ह साथ ले जाना चाहता ँ ।”
“सुनो बूढ़े !” हे टर के वर म बेपनाह द रं दगी थी, “तुम एक कमजोर और नकारा बूढ़े
हो । तुम जैसे हि य के पंजर पर हाथ उठाना म अपनी तौहीन समझता ,ँ इसिलए
बेहतर होगा क अपनी मौत का सामान कह और जाकर तलाश करो ।”
“तुमने अपनी तीन गोिलय का अंजाम तो देख ही िलया है ।” शाईतैन ने अ यिधक
गंभीरता से कहा, “अपनी बाक गोिलयाँ भी आजमाकर देख लो ।”
“मने वह तीन गोिलयाँ महज चेतावनी के िलए चलाई थ ।” हे टर ं या मक वर म
बोला ।
वह अब शाईतैन को कोई अहिमयत नह दे रहा था और उसका कारण िसफ यह था क
शाईतैन दखावे के प म एक कमजोर नाकारा-सा बूढ़ा ही नजर आ रहा था, जो
कदािचत् पागल भी था । कदािचत् हे टर ने दरवाजा टू टने पर यान ही नह दया था, या
फर वह यह समझा होगा क बूढ़े ने कवाड़ कु हाड़े का वार करके तोड़े ह गे ।
अभी तक शाईतैन ने उसे भयभीत महसूस नह कया था ।
कमरा मौत और दहशत के भाव से भरा आ था ले कन यह भाव उस हसीन लड़क के
थे जो दीवार से लगी थर-थर काँपती ई एक न ही-सी िचिड़या लग रही थी । उसक आँख
हलक से उबलकर असाधारण लग रही थ और उसका दहाना गोलाई म फै लकर वह
सा कत हो गया था ।
अचानक हे टर भयभीत नजर आने लगा । उसक आँख म उलझन के भाव उभरने
लगे ।
“त... तुम वही तो नह ... ?” वह बड़बड़ाया ।
“वही कौन ?” शाईतैन ने बेपरवाही से सवाल कया ।
“वही... िजसके बारे म समाचार-प ने िपछले दन से कई असाधारण बात िलखी थ ,
वही जो बुलडॉग क तबाही का कारण बना... वही िजसका नाम अखबार म िम टर पाक
छपा है ।”
“हाँ, म वही ँ ।”
“ले कन मेरा तु हारा या झगड़ा ?”
“ या तुम इस लड़क का दोष बता सकते हो िजसे क ल करने जा रहे थे ।”
“यह... यह... ।” हे टर क आँख म भय उतर आया । उसका रवॉ वर वाला हाथ
कं पकं पाहट का िशकार हो गया था ले कन इसके बावजूद रवॉ वर क नाल अब भी
शाईतैन क तरफ उठी ई थी ।
“इसका दोष शायद यह है क कृ ित ने इसे अ यिधक सुंदर प दान कया है ।”
शाईतैन कह रहा था, “और तु ह हसीन औरत से इसिलए नफरत है क एक खूबसूरत
औरत ने तु ह ज म दया । इसम तु हारी खूबसूरत माँ का कोई कसूर नह था जमनी
बगोले ! कसूर सरासर तु हारे भा य का था । अगर वह बदसूरत न होता तो शायद तुम
इतने बदसूरत न होते ।”
“तुम मेरे जाित मामलात म बड़े िव ास से बात कर रहे हो, ले कन मेरे इस नज रये से
तु ह आिखर या दलच पी है ?”
“िजस तरह तु ह अनाव यक बात से दलच पी है, उसी तरह मुझे भी अनाव यक
बात म उलझने का शौक है ।”
“ या तुम मुझे पुिलस के हवाले कर दोगे ?”
“नह ।” शाईतैन मु कु राने लगा ।
“फ... फ... फर... ?” हे टर क आवाज काँप गई ।
“म तु ह इस दुिनया के िलए एक बोझ समझकर वािपस उसी दुिनया म भेजना चाहता
ँ जहाँ से तुम पैदा होकर आए थे, ता क तु हारी द रं दगी से इस दुिनया क सुंदरता
िबगड़ने न पाए । तुम अब तक अनिगनत लड़ कयाँ क ल कर चुके हो । उनसे तु ह या
िमला ? मेरा याल है, इन बेगुनाह लड़ कय के खून से तु हारी उं गिलय क पोर तक
खूबसूरत नह हो सक ।”
“म कहता ँ मेरा और तु हारा कोई झगड़ा नह है ।”
“है । म कहता ,ँ झगड़ा है ।”
शाईतैन धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगा ।
“ क जाओ, वरना गोली मार दूग ँ ा ।” हे टर गुराया, ले कन उसक धमक म जोर नह
था । यूँ लगता था जैसे भय ने उसक गुराहट से भी द रं दगी के भाव छीनकर उसे सरगोशी
बना दया हो ।
“म तु ह मारने से पहले एक बात ज र बता देना चाहता ँ ।” शाईतैन ने कदम-कदम
आगे बढ़ते ए सरसराती ई आवाज म कहा, “तु हारी मौत भी िब कु ल वैसी ही होगी
जैसी मासूम लड़ कय क तु हारे हाथ से हो चुक है ।”
हे टर धीरे -धीरे पीछे हटने लगा । उसके चेहरे पर भूक प-सा आ गया था । यूँ महसूस
होता था जैसे उसके पहाड़ जैसे िज म म चूहे जैसा दल हो जो शाईतैन के सामने धड़कना
तक भूल गया हो ।
हे टर पीछे हटता आ दीवार के करीब जा प च ँ ा और पीछे हटने म दीवार आड़े आने
लगी । वह दीवार से लगकर खड़ा हो गया । रवॉ वर अभी तक उसके हाथ म दबा आ
था और उसक शाईतैन क तरफ उठी ई नाल म कं पकं पाहट साफ देखी जा सकती थी ।
शाईतैन क पुतिलयाँ सा कत थ । उसके जबड़े स ती से भंचे ए थे और वह कहर का
देवता बना आ था । दीवार के साथ दूसरी ओर लगी ई लड़क एक ठोस मुजस मा
बनकर रह गई थी । उसके चेहरे पर जो भय, दलच पी, आ य और बेबसी के भाव थे, वह
भाव भी जड़ होकर रह गए थे । दुिनया का कोई भी फनकार शायद कसी बुत म इतने
भाव एक साथ उभारने म सफल नह हो सका था, िजतने इस लड़क के चेहरे पर दखाई
दे रहे थे ।
हे टर क हालत ऐसी हो रही थी, जैसे वह धीरे -धीरे अपने होशो-हवास खो रहा हो ।
उसके द रं दगी से भरपूर न शो-िनगार वाले चेहरे पर खूनी आँख म बेबसी के भाव थे ।
वह इन भाव को देखने के िलए एक अरसे से बेचैन था ।
“मुझे... मुझ.े .. मुझे माफ कर दो ।” वह बड़बड़ाया ।
“मुझसे भी बड़ा एक दरबार है । वहाँ म तु ह माफ माँगने के िलए भेज रहा ँ
बगोले !” शाईतैन ने जहरीले वर म कहा, “वहाँ जाकर जी भरकर मा फयाँ माँगते
रहना ।”
“मुझे... मुझे पुिलस के हवाले कर दो ।”
उसी ल हे दूर कह पुिलस का सायरन सुनाई देने लगा ।
शाईतैन के ह ठ पर मु कु राहट गहरी हो गई ।
“पुिलस... पुिलस... ।” हे टर क ठ फाड़-फाड़कर रोने लगा ।
“वह अभी ब त दूर है हे टर !” शाईतैन ने हँसकर कहा, “ई र क सौग ध, अगर
पुिलस इस अपाटमट के दरवाजे पर भी प च ँ चुक होती, तो भी तु ह मेरे हाथ से नह
बचा सकती थी । तुम िसफ उस तेरह साल क मासूम ब ी को याद करो, िजसे तुमने
अपनी द रं दगी का िशकार बनाया था और िजस पर देश भर के अख़बार ने जो बवाल
कया था वह अपनी जगह, दुिनया भर के अखबार भी चीख पड़े थे ले कन पुिलस तु ह
िगर तार करने म सफल न हो सक थी । मने उस तेरह साल क मासूम ब ी क त वीर
अखबार म देखी थी, तब मने अपने आपसे ण कया था क तु ह भी वैसी ही मौत
मा ँ गा ।”
“म... म... म... म... ।” हे टर हकलाने लगा ।
“अपनी जुबान को अिधक क न दो य क वह जो कु छ कहना चाहती है, उस पर मौत
का खौफ सवार है । तु हारे पास कहने के िलए कु छ भी नह है हे टर ! मरने के िलए तैयार
हो जाओ ।”
एकाएक हे टर ने फायर कर दया । गोली का धमाका आ और वातावरण गूँज उठा ।
नीचे सड़क पर कदािचत् जूम एक हो गया था । अनिगनत आवाज सुनाई देने लगी थ
और इन आवाज म पुिलस का सायरन अलग था, ले कन पुिलस कार अब भी दूर थी ।
इसके अलावा अपाटमट के दरवाजे वाली राहदारी म भी आवाज उभर रही थ । कदािचत्
आसपास रहने वाल ने भी अंततः धमाक क आवाज सुन ली थ ।
“अब तु हारे पास एक ही गोली है ।” शाईतैन बोला, “इसे भी चला दो, ता क मरने के
बाद तु हारे दल म कोई हसरत न रह जाये ।” यह कहते ए शाईतैन अपनी जगह से
उछल पड़ा ।
उसका दायाँ पाँव लबादे से िनकला । हे टर ने आिखरी गोली भी चला दी । शाईतैन ने
हवा म कलाबाजी खाई और जब वह जमीन पर आया तो उसका पाँव अपना काम कर
चुका था । ठोकर जमन बगोले के सीने पर पड़ी थी । उसका सीना खुल गया ।
खून यूँ उबला जैसे द रया का बाँध टू ट जाये तो पानी बह िनकलता है । दूसरी ठोकर
नाक पर लगी और पेट फटने का धमाका आ । स भव है, हे टर चीखा भी हो ले कन मौत
क यह अंितम चीख उसक हि य के टू टने और िज म पर पड़ने वाली कुं गफू क
मािहराना चोट क आवाज म दबकर रह गई थी । अलब ा वह चीख बड़ी ही दल
दहला देने वाली थी, जो इस दृ य को देखकर लड़क के क ठ से िनकली थी । वह लहराती
ई फश पर िगर गई ।
शाईतैन अब भी नृ य कर रहा था । मौत का यह नृ य च द िमनट ही जारी रहा । ले कन
इन च द िमनट म उस द र दे का िज म टू ट-फू टकर ढेर बन गया था । िसफ गदन और
चेहरा सलामत था ले कन उस पर भी इतनी लक र कट हो गयी थ क उसे िशना त
करने वाले धोखा खा सकते थे ।
शाईतैन का नृ य थम गया । मौत के कदम क गए । आहट-ही-आहट हर तरफ गूँज रही
थ । शाईतैन ने पलटकर उस लड़क क तरफ देखा, जो फश पर कसी लाश क तरह पड़ी
थी । वह एक ल हे के िलए करीब बैठ गया और उसक कनप टय को टटोलता रहा । इस
दौरान म शाईतैन क उं गिलयाँ मािहराना अंदाज म चलती रही थ ।
लड़क क तरफ से संतु होने के बाद वह उठा और हवा के तेज झ के क तरह दरवाजे
क तरफ बढ़ गया । अगले ही ल हे वह छत क तरफ जा रहा था, जहाँ से इमारत के
िपछले िह से क तरफ कू दकर वह आसानी से फरार हो सकता था ।
☐☐☐
जापान का वह कबीला जो शांजो के नाम से जाना जाता है, एक लड़ाकू कौम थी ।
पहाड़ म आबाद इस कबीले ने बड़े जलजले देखे थे और चोर-डाकु से लेकर चीनी फौज
के हमल तक का सामना कया था । इस बहादुर कौम को अंततः चीनी हिथयार ने तहस-
नहस कर दया था । यह वही जमाना था जब िहरोिशमा और नागासाक पर एटम बम
िगरा था ।
शांजो क लोक कथा म एक अलौ कक महाशि के गीत आज भी गाये जाते ह, और
इस शि का नाम शाईतैन है । मा टर शाईतैन, िजसे वहाँ के लोग इस सदी का मा टर
मानते ह ।
उसी जमाने से मा टर शाई फरार था, जब शांजो तबाह आ था । न जाने कन- कन
देश म रह यमय जीवन िबताने के बाद मा टर शाई िह दु तान आकर बस गया था । एक
बड़ी दौलत कमाकर वह फर से शांजो को आबाद करने के सपने देखा करता था । दौलत
पाने का ार भ उसने पूना म एक इं ि ट ूट खोलकर शु कया था । िवनाश इसी
इं ि ट ूट म एक छा क हैिसयत से आया था और उसे िशि त करने के िलए उसे
ज रत से अिधक दौलत हािसल भी ई थी । िवनाश क ितभा ने शाई का मन मोह
िलया और फर दोन म एक आि मक र ता कायम हो गया ।
शाई का यह अ भुत शािगद एक अनमोल हीरा था, िजसे बहराम ने ा कर िलया और
अंततः िवनाश को बाजीगर का टाइ टल ा हो गया ।
िह दु तान म लैक ऐरो नामक सं था एक गोपनीय सं था थी, िजसका िनमाण वष
पहले आ था । इस सं था के चीफ बहराम का संपक सीधे देश के रा पित से था और
हेड ाटर आइरन फोट के नाम से जाना जाता था । बहराम ने िवनाश बाजीगर के स पूण
िनमाण के िलए शाईतैन क सेवाएँ एक भारी रकम देकर ा कर ल । शाई को मािसक
वेतन भी िमलता था और वह बाजीगर के िनमाण म भी जी-जान से लग गया ।
क तु बाजीगर के स पूण िनमाण से पहले ही उसे कु छेक अिभयान म काम करना पड़
गया और इन सभी अिभयान म िवनाश खरा उतरा । वह मौत क मशीन बनकर रह गया,
िजसका ि वच बहराम के हाथ म होता था ।
बाजीगर टाइ टल का अथ यह था क उसे क ल करने का सरकारी लायसस दे दया
गया है । वह कभी भी, कह भी कसी का भी क ल कर सकता था और क ल का कारण तक
बताना उसके िलए ज री न था ।
इससे पूव िजस इं सान को बाजीगर का िखताब िमला था वह तमरािजय के हाथ मारा
गया था । इटली के क शय ीप म इस संगठन क बुिनयाद दूसरे िव यु के जमाने म
पड़ी थी । तमरािजय ने संसार भर म आतंक फै ला रखा था । राजनीित क ह या से
लेकर रा तक का त ता पलटने म तमराजी बड़ी महारत रखते थे । अमे रका का
मा फया इसी क एक शाख मानी जाती है । बाजीगर को समा करने के िलए उ ह एक
ब त बड़ी धनरािश िमली थी ।
बहराम को दूसरे बाजीगर के िलए पाँच साल तक ती ा करनी पड़ी । आिखर िवनाश
उसक कसौटी पर खरा उतरा और एक नया बाजीगर संसार म कट हो गया ।
न िसफ भारत म बि क अमे रका म भी िवनाश को यह िखताब दे दया गया और उसके
बाद तमाम बड़े देश अपने देश म बढ़ते जरायम को कु चलने के िलए बाजीगर क माँग
करने लगे ।
बाजीगर अ जी रया प च ँ ा जहाँ को बा के रा पित को क ल करने क सािजश रची
जा रही थी और बुलडॉग नामक एक खूंखार मुज रम अ जी रया को मुज रम का वग
बनाना चाहता था । यहाँ भी िवनाश और शाईतैन ने िमलकर मैदान मार िलया और
अ जी रया सरकार ने बाजीगर को वह सभी सुिवधाएँ उपल ध करा द जो उसे भारत
और अमे रका म ा थ । अथात इन तीन देश म बाजीगर कोई कारण बताए िबना
कसी का भी क ल कर सकता था । िवनाश बाजीगर अब कसी रा िवशेष का पद नह
रहा था, वह संसार भर म मानवता क र ा के िलए उठ खड़ा आ था और जहाँ वह कट
होता मुज रम से धरती का बोझ ह का होता जाता ।
शाईतैन ने अपने इस शािगद को सुपरमैन बना दया था । िवनाश एक लंबे कद का
खूबसूरत जवान था, जो ‘मैन ऑफ ए शन’ था, मौत क मशीन था, िजसक जान के
दु मन संसार भर म फै ले ए थे ।
िवनाश के संबंध म इतनी जानकारी पया नह , उसक जंदगी का एक और ख, एक
और पहलू भी था, जो उसके ज म लेते ही शु हो गया था । यह उसका सामािजक, घरे लू
पहलू था ।
बचपन म जब िवनाश ने होश संभाला तो अपने आपको एक गवनस क देखरे ख म
पाया । उसका लालन-पालन एक त हा जंदगी थी । उसे कसी से भी घुलने-िमलने क
इजाजत नह थी । बाबा चंदन उसे योगा और अखाड़े म दाँव-पेच िसखाया करते थे और
कभी-कभी एक अ सरा जैसी सुंदर ी उससे िमलने आया करती थी । इसी ी से िवनी
को मालूम आ क इं सानी जंदगी म माँ का र ता कतना अनमोल होता है । यह सुंदर
औरत उसक माँ थी ।
कं वल देवी ने बचपन से ही िवनाश को ऐसी तालीम दी थी, ऐसे साँचे म ढाला था, जो
इं सान को ब त बुलंद ह ती बना देता है । कू ली जंदगी म भी िवनाश का कोई दो त न
था, य क उसे सभी लड़के अपने से ब त छोटे लगते थे ।
जब वह कशोर आयु का था तो उसे मा टर शाईतैन के इं ि ट ूट म माशल आट का
िश ण ा करने भेजा गया और िवनाश नह जानता था क उसक म मी उसे या
बनाना चाहती है । सोलह साल क उ म िवनाश ने लैक बे ट हािसल करके तहलका
मचा दया ।
मा टर शाईतैन के इस जािनसार शािगद ने पहली बार कालेज के ांगण म अपनी
मोह बत का िचराग रोशन कया । िवनाश का यह यार पहला और शायद आिखरी यार
था । कं चन-सी काया वाली कं चन उसके जीवन म आई और उसे वालामुखी बनाकर न
जाने उसक जंदगी से कहाँ ओझल हो गई ! इतनी दूर चली गई थी क य द िवनाश
चाहता भी तो भी वहाँ नह प च ँ सकता था । इसी मोह बत क खाितर कपूर से उसक
दु मनी हो गई । सेठ जगमोहन के लड़के ने भरी लास म उसक माँ को वे या सािबत
करने क कोिशश क थी और िवनाश ने उसका क ल कर दया था ।
उसके बाद िवनाश एक काितल था और कानून क नजर म मुज रम । उ ह दन
एहसान िमजा नामक ि ारा वह बहराम क नजर म आ गया और बहराम ने उसे
एक िमशन पर भेजा, जब वह कामयाब होकर लौटा तो उसे बाजीगर के िलए चुन िलया
गया ।
पर तु इसी बीच एक और रह य का पदाफाश आ ।
िवनाश क मुलाकात अचानक शाईतैन से हो गई । शाईतैन ने उसे ब त खरी-खोटी
सुनाई और उसे अपने साथ मुंबई ले गया, जहाँ उसक मुलाकात अपनी म मी से ई और
फर िवनाश को मालूम आ क उसक म मी को वे या कसने बनाया था ।
उसक माँ ांितकारी सोमधावके क एकमा पु ी थी और सोमधावक के तीन ग ार
सािथय ने अं ेज से िमलकर न िसफ सोमधावके को मरवाया था, बि क उसक माँ को
तेरह साल क उ म औरत भी बनाया था । यह तीन आदमी थे, िव म, नाथ, शंभू, और
िवनाश दरअसल इ ह तीन इं सान क िमली-जुली औलाद के प म पैदा आ ।
कं वल देवी ने बड़े दुख उठाए थे । उस औरत ने अपने आपको जंदा रखा और जब मु क
आजाद आ तो उसके कु छ अरसे बाद ही कं वल देवी गभवती अव था म उन तीन के
चंगुल से फरार होने म कामयाब हो गई । उसने संतान को ज म दया और िव म, नाथ,
शंभू तीन के नाम का पहला अ र चुनकर उसका नाम िवनाश रख दया ।
वे तीन शैतान जंदा थे और िवनाश को इसी दन के िलए िन मत कया गया था क
वह अपनी माँ का पुराना िहसाब चुका सके । िवनाश अब दूसरी दशा म लग गया था और
उसने अपने तीन बाप को खोजकर बेरहमी से ठकाने लगा दया । यह तीन ि
जरायम क दुिनया के बेताज बादशाह थे और इनका संबंध तमराजी ुप से था ।
आिखरी आदमी िव म दरअसल एहसान िमजा ही था । इस इं सान ने बहराम को ब त
बड़ा धोखा दया था । वह बाजीगर िनमाण करने वाली सं था को ही जड़ से उखाड़ फकना
चाहता था । इसी जगह िवनाश क मुलाकात एक लड़क शकुं तला से ई थी, जो जहर
बुझा खंजर अपने फु लबूट म रखती थी और एहसान िमजा उफ िव म के िलए काम करती
थी ।
जब िवनाश के हाथ िव म क सारी दुिनया ही उजड़ गई तो िवनाश ने अपने आपको
कानून के हवाले कर दया और उसे फाँसी क सजा सुना दी गई ।
(उपरो कहानी िव तृत प म जानने के िलए पढ़, ‘परशुराम शमा’ के ‘बाजीगर
सीरीज’ का थम उप यास ‘बाज’)
दुिनया क नजर म यह मर चुका था परं तु बहराम ने उसे अपनी कोिशश से जीिवत
कर िलया । ब त ही गु प से िवनाश को फाँसी से बचा िलया गया था परं तु कानून क
सूची म वह एक मुदा इं सान था ।
इस रह य को शाईतैन भी जानता था, य क बहराम ने बाजीगर के िश ण का काम
उसे ही स पा था और शाईतैन बाकायदा इस सं था का सद य बन गया था ।
बाजीगर का टाइटल िमलने के बाद िवनाश को चंद उसूल म बँधकर चलना था । सबसे
िवशेष बात तो यह थी क उसे अपने आपको छु पाकर रखना था । जंदगी के कसी भी
मोड़ पर य द कोई ऐसा ि टकरा जाता, जो उसे िवनाश के प म पहचान जाए तो
िवनाश का पहला कत यह था क वह उसे क ल कर दे । ऐसे एक-दो अवसर उसके
जीवन म आ भी चुके थे, जब उसे अपने कसी पुराने दो त क ह या िसफ इसी वजह से
करनी पड़ गई, य क वह उसे पहचान गया था ।
जब भी िवनाश, बाजीगर के कसी नए अिभयान पर चलता था तो उसके चेहरे पर नई
लाि टक सजरी कर दी जाती थी और इस तरह बाजीगर दुिनया के पद पर फर से
उजागर हो गया था ।
☐☐☐
िवनाश अब अ जी रया म एक सरकारी मेहमान था । उसक रहाइश अब एक नए
होटल, लोरा म थी और वह अ जी रया क हंगामी गितिविधय से बेखबर हो गया था ।
हालां क वह एक बड़ी क ठन तप या से गुजरा था । उसे वह व याद आता जब उसक
याददा त खो गई थी और वह अपने ही उ ताद शाईतैन को क ल करने पर आमादा हो
गया था ।
चौथे दन बहराम का फोन उसे ा आ ।
“कै से हो फरजंद ?” बहराम ने खै रयत पूछी ।
“अब मुझे कसी डॉ टर क ज रत नह वीटहाट ! मेरा इलाज तो मुक मल हो
गया ।”
“ले कन शाईतैन तो कहता है क अभी तु ह कु छ और खुराक क ज रत पड़ेगी ।”
“ या आप भी वग िसधार गए ह वीटहाट !”
“हाँ, फलहाल म वग लोक से ही बोल रहा ,ँ य क शाई भी यह मौजूद है और
ब त खुश है ।” बहराम कु छ अ छे मूड म नजर आ रहा था ।
(िवनाश बाजीगर के बारे म संपूण जानकारी के िलए प ढ़ए, ‘बाज’, ‘बाजीगर’,
‘बुलडॉग’ । परशुराम शमा के यह तीन उप यास सूरज पॉके ट बु स म ही कािशत हो
चुके ह ।”
िवनाश ने एक गहरी साँस ली ।
“मेरे िलए भी एक सीट बुक हो सकती है ।”
“सीट तो बुक हो चुक ह, इसिलए फोन कया था ।”
“आपके वग म मेरे बीमार दल का पूरा इलाज तो होगा ही । या आपने वहाँ ऐसी
कोई लड़क देखी है िजसके चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे ितल ह और िजसक िमसाल... ।”
“ले कन शाईतैन तो कु छ और ही कह रहा है ।” बहराम ने बीच म ही बात काटते ए
कहा ।
“ या ?”
“यही क इस बार खुद तु हारे चेहरे पर अनिगनत ितल उगने वाले ह, जो इतने बड़े
ह गे क चेहरा िहला पाना भी मुि कल हो जाएगा । ऐसा मुम कन है क वह चेहरा दाँत
से भी मह म हो ।”
िवनाश अनायास अपनी कनपटी सहलाने लगा । उसके पतले ह ठ पर ह क -सी
मु कु राहट उजागर हो गई । शाईतैन उससे बेहद नाराज था । नाराजगी के एक-दो नमूने
तो वह दखा ही चुका था । अगर फु सत होती तो शायद वही होता जो बहराम कह रहा
था । उसका चेहरा घूँस से सूज गया होता, या टू ट-फू ट गया होता ।
“मेरी तरफ से आप गु से उतनी ही बार माफ माँग लीिजये िजतनी बार मने उ ह
अपमािनत कया था ।”
“तुम खुद यह काम कर लेना । आज शाम तैयार रहो, तुम अ जी रया छोड़ने वाले हो ।”
“कहाँ ?”
“इं िडया ।”
“इं िडया !” िवनाश को तिनक आ य आ ।
“हाँ, वहाँ तु हारी ज रत महसूस क जा रही है ।”
“ले कन अभी तो म अ जी रया म एक नए िमशन पर िनकलने वाला ँ ।”
“नया िमशन ! या मतलब ?” बहराम का वर च का आ था ।
“उस िमशन के िलए आपको ि वच बोड पर उं गली ले जाने क ज रत नह पड़ती और
न बुढ़ापे म आपके बस का रोग है । वह जवान का काम है । अभी तक अ जी रया म मुझे
एक भी ऐसी लड़क नह दखाई दी िजसके चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे ितल ह । एक
बड़ा अिभयान है क म ऐसी कसी लड़क को तलाश क ँ और उसे वह िमसाल बताऊँ क
िजनके चेहर पर यह ितल नह होते उनक िमसाल एक ऐसी रात के समान है िजस रात
िसतारे नह िनकलते ।”
“बाजीगर !” बहराम गुराया, “आइरन फोट का सजन तु हारा वहाँ इं तजार कर रहा
है । शाम पाँच बजे तैयार रहना ।” इतना कहकर बहराम ने फोन िड कने ट कर दया ।
िवनाश बड़बड़ाते ए रसीवर को घूरने लगा ।
☐☐☐
िवनाश ने यह या ा अके ले ही तय क थी । शाईतैन अभी तक अ जी रया म ही था ।
कदािचत् वहाँ के हालात अभी सामा य नह ए थे और बहराम ने उसे अके ले ही वापस
भेज दया था । वह इस बात को अ छी तरह जानता था क उसे इं िडया भेजने का कोई
कारण अव य होगा, या फर बहराम उसे कं पलीट रे ट देना चाहता था ।
िवनाश सीधा अपने हेड ाटर आइरन फोट जा प च ँ ा । राजधानी के एक उपनगर म
यह इमारत थी जो कसी जमाने म राजसी महल था और एक मुगल बादशाह ने उसे
बनाया था, परं तु वतमान समय म वह सरकार का गोपनीय सं हालय था । इसी फोट को
एकमा आइरन फोट के सांकेितक नाम से जाना जाता था । फोट का वह िह सा अ यंत
सुरि त था । उसके चार तरफ से दीवार थ । वह पाती थी और फोट के च पे-च पे पर
आधुिनकतम यं का जाल िबछा आ था । शॉट स कट टीवी कै मरे जगह-जगह लगे थे ।
कं ोल म से येक िह से को आसानी से देखा जा सकता था । दरवाजे मैकेिन म खुलते
थे ।
िवनाश को यह जगह दुिनया का सबसे सुरि त जेलखाना लगती थी । फोट का इं चाज
एक गंजा म ासी सु म यम था, िजसक आँख छोटी-छोटी थ और खासा बड़ा िसर होने
के कारण सु म यम अपनी आँख को िछपाने के िलए काले शीश क ऐनक लगाया करता
था ।
जब िवनाश फोट म िव आ तो गंजे इं चाज ने उसका वेलकम कया और उसक
िवदेश या ा के बारे म पूछताछ करता रहा । िवनाश को यह गंजा इं चाज जरा भी नह
भाता था, ले कन इं चाज होने क वजह से उसे बदा त करना ही पड़ता था ।
“इस कै दखाने म तु हारा दल कै से लग जाता है यारे लैक मैिजिशयन ?”
िवनाश अपने पुराने अंदाज म बोला ।
“अपुन तो इधर ब त खुश रहता ।” काली सूरत वाले म ासी ने कहा, “ले कन फ मत
करो, तुमको इधर दो-चार दन ही रहना पड़ेगा, फर तुम नए लोग म प च ँ जाएगा ।”
“यह तो हमको मालूम है काले जादूगर !” िवनाश उसी के अंदाज म बोला, “ब त से
लोग इन हाथ से मरता है, तु हारा नंबर सबसे आिखर म आएगा ।”
“देखो लड़के , तु हारा चीफ का आडर इधर आया आ है ! या बोला क तुम मुंबई से
अपना काम शु करे गा । शाम तक तु हारा सजन आएगा और तुम नया आदमी बन
जाएगा ।”
“ओके -ओके , शाम को हम उधर हो आ जायेगा ।” िवनाश ने कहा और अपने अपाटमट
क तरफ चल पड़ा ।
अभी तक उसने यह नह पूछा था क असल मुसीबत या है ! यह तो प था क कोई
नया काम उसके िलए तैयार था । गंजे इं चाज ने यह भी बता दया था क उसे मुंबई जाना
होगा । कु छ नए लोग उसके ज लादी हाथ से मरने वाले थे ।
अगले चौबीस घंट बाद िवनाश एक नई श ल म तैयार हो गया । ले कन जो नया
चेहरा उसे दया गया था वह पहले चेहर क अपे ा कु छ अिधक ही खतरनाक मालूम
होता था । देखने से ही वह कोई नामधारी बदमाश लगता था । उसके गाल पर एक ज म
का िनशान तक बना दया गया था । लाि टक सजरी के बाद वह फोट के ऑपरे शन म म
प चँ ा, जहाँ इं चाज उसका इं तजार कर रहा था । इं चाज ने बाजीगर को बैठने का संकेत
कया । िवनाश खामोशी के साथ बैठ गया ।
“ि व जरलड के एक बकर अवतार संह का नाम तुमने कभी नह सुना होगा । िपछले
दन इस देशभ ि ने अपनी जान दे दी । ले कन मरने से पहले वह अपने उ े य म
कामयाब हो गया था । उसका एक सीलबंद िलफाफा ेसीडट हाउस तक प च ँ गया और
उसने यह काम अपनी से े टरी से िलया था, जो कसी तरह ि व जरलड से यहाँ तक
प च ँ ने म सफल हो गई ।” इं चाज ने अं ेजी म कहना शु कया, “बकर क िलखी उस
तहरीर म या था, जो उसने सीलबंद िलफाफे म भेजी थी, यह म तु ह बाद म बताऊँगा ।
पहले म तु ह रकॉड कया आ फोन सुनाऊँगा ।
इं चाज ने बैठे-बैठे ही अपना हाथ बढ़ाया और डैशबोड पर लगे एक पुश बटन पर उं गली
रख दी । ण भर बाद ही पीकर पर एक आवाज गूँजी ।
“हैलो ।” यह कसी औरत क सुरीली आवाज थी ।
“हेलो डा लग !” एक पु ष ारा वर उभरा िजसक आवाज सुनकर बाजीगर ने साफ
महसूस कया क वह कसी ऐसे ि क आवाज है जो अपने दल म छाया भय िछपाने
क कोिशश कर रहा है ।
“तुम कब वापस आ रहे हो िडयर ?” औरत ने पूछा ।
“दो स ाह के अंदर-अंदर ।” फर कु छ पल क खामोशी के बाद उसने पूछा, “ब े कै से
ह ?” उसक आवाज म भराहट थी ।
“सब ठीक है िडयर ! ले कन हम सबको तु हारी कमी बड़ी िश त से महसूस हो रही है ।
या म ब को लेकर ि व जरलड आ जाऊँ ?”
“नह !” पु ष ने एक झटके से कहा और उसके वर म भय क झलक प प से चमक
आई ।
“तो फर... अवी लीज... ज दी वापस आ जाओ ।” औरत ने बेचैनी से कहा ।
िवनाश ने पु ष क ठं डी आह सुनी । ऐसा मालूम पड़ता था जैसे कोई भारी सदमा उस
पर छाता जा रहा हो ।
“म जानता ँ क तुम मुझसे यार करती हो ।” वह बोला, “तुमने मुझे बेपनाह खुिशयाँ
दी । तुमने मेरे संपूण िनमाण म भरपूर सहयोग दया । म आज पहली और आिखरी बार
यह वीकार करता ँ क तुमने मुझे जंदगी क स ी खुिशय से मालामाल कया है । म
अंितम समय म भी तु ह नह भूलूँगा डा लग !”
“अवी ! यह तुम कै सी बात कर रहे हो, कै सा अंितम समय ?”
“म आिखरी साँस तक तुमसे यार करता र ग ँ ा, और तुम हमेशा मुझ पर फ करोगी
क तु हारा पित अपने मु क का वफादार है । अलिवदा डा लग, ब को मेरी तरफ से
यार करना !”
फर फोन का संबंध िव छेद होने क आवाज सुनाई दी । इं चाज ने पुनः एक बटन पर
उं गली रखी और बाजीगर क तरफ देखने लगा ।
“इस मद क आवाज और उसक दली हालत के बारे म तुम या कहते हो बाजीगर ?”
“उसे यक न था क उसे मौत से कोई नह बचा सकता । और वह एक स ा वफादार
इं सान होगा, जो अपने मु क के िलए जान दे रहा था ।”
“तुमने वाकई बेिमशाल हो बाजीगर ! तुम इं सान क आवाज सुनकर ही उसक दली
भावना का अंदाजा लगा लेते हो । यह अवतार संह का अंितम फोन था और उसके कु छ ही
घंटे बाद अवतार मुदा पाया गया ।”
“ओह !” बाजीगर गंभीर हो गया । ऐसे लोग का वह दल से स मान करता था, “ई र
उसक आ मा को शांित दान कर !”
“मरने से पहले अवतार ने जो तहरीर भेजी थी, उसके अनुसार इस मु क म कोई ऐसी
ह ती मौजूद है जो सारे देश का कं ोल नीलाम करना चाहती है, या दूसरे श द म देश को
लैकमेल करने क कोिशश क जाएगी ।”
“यह कै से संभव है !” बाजीगर च क पड़ा ।
“संभव है या नह , परं तु अवतार संह के कथनानुसार कु छ लोग तेजी से सोने का टाक
कर रहे ह और यह सोना ि व जरलड के बक म प च ँ ाया जा रहा है । सोने के भाव तेजी
से बढ़ते जा रहे ह और बड़ी-बड़ी मंिडय से सोना गायब होता जा रहा है । ऐसा इसिलए
हो रहा है य क मु क के उस सौदागर ने क मत सोने के प म माँगी है । सौदागर कौन है
और खरीदने वाले लोग कौन ह, इस बारे म कु छ ात नह है और यह काम कब शु होगा
इस बारे म कोई जानकारी नह । ले कन वह कोई ऐसी शि सयत ज र है िजसक
जरायमपेशा लोग म बड़ी शाख है और उसके सौदे पर यक न कया जाता है ।
“अवतार संह क ह या के बाद इस बात क पुि हो जाती है क उन लोग क प च ँ
कतनी गहरी है ! उस शि सयत का संबंध मा फया या तमरािजय से भी हो सकता है ।
इस संबंध म ेसीडट हाउस से तुरंत हमारी सेवा तलब क गई थी और चीफ को इसक
सूचना भेज दी गई थी । जैसे ही तु ह पहली फु सत िमली, तु ह यह भेज दया गया और
अब तु ह इन लोग का पता लगाना है ।”
“माई िडयर लैक मैिजिशयन ! तुम जानते हो क मेरी एक ब त बड़ी कमजोरी है । म
जासूसी तकनीक का फनकार नह ँ । मुझे यह बताना तुम लोग का काम है क वह कौन
लोग ह, बाक काम म कर दूग ँ ा ।”
“हमारे पास िसफ एक ही ज रया है । हमने जो लान बनाया है, उसके आधार पर हम
तु ह एक नई शि सयत के प म उभारना चाहते ह । हमारी नजर म िसफ एक ि है,
ंस शो बी ! इस वहशी ने मालती मं दर नामक एक जंजीरा ब त पहले खरीदा था, जहाँ
उसका आलीशान पैलेस है । यह ि खासा दौलतमंद है और अ याश है । अपनी
अिधकांश दौलत औरत पर खच करता है । उसके बावजूद ऐसा पता चला है कस ि
के पैलेस म अंडरव ड के लोग क खासी आवोभगत होती है ।”
फर इं चाज अचानक ही अपनी ओ रिजनल भाषा म बोला, “अपुन इधर मुंबई म ंस
शो बी के मुकाबले एक नया आदमी खड़ा कर देगा ।” अब वह अपनी पेशल हंदी म बोल
रहा था, “तुम समझा बाजीगर ?”
“सब समझ गया । तभी हमारा इधर यह िलया बनाया है ।”
“राइट !” गंजे इं चाज ने दाँत िनकालते ए कहा, “मुंबई म तु हारा एक िबजनेस खड़ा
कया जा रहा है । तुम अचानक इस माकट म उभरे गा और तु हारा पहला कोिशश होगा
शो बी को पीछे छोड़ देना । हमने सुना है क शो बी अपना पैलेस बेचना माँगता । अगर
ऐसा आ तो उधर सबसे पहले यही कोिशश करे गा क शो बी का पैलेस खरीद लेगा । हम
चाहता क वह लोग तुमसे आ िमले । तुमको भी नीलामी का दावत द ।”
“ले कन माई िडयर लैक मैिजिशयन ! अपुन के िलए यह काम बड़ा बो रयत का
होगा ।”
“वह य बाजीगर ?”
“इसिलए जादूगर क इसम व ब त लगेगा ।”
“पर अपुन को तुम पर भरोसा है क तुम ज दी ही अपनी धाक जमा लेगा ।”
“ऑल राइट ! मुंबई म मेरा नया ठकाना कहाँ होगा ?”
“हमने वह सारे बंध कर दए ह ।” गंजा फर से इं ि लश म बोलने लगा ।
“तु हारे िलए कोटी खरीद ली है । एक नया ऑ फस भी तैयार है, जहाँ तुम अपना
कारोबार संभालोगे । कोठी म जो नौकर ह, वे अपने मािलक के ित वफादार ह गे ।
हालां क उ ह ने अभी तक अपने मािलक को नह देखा है । य क उनका मािलक एक लंबे
अरसे बाद िवदेश से आ रहा है । ंस शो बी पर आइरन फोट ने एक कोिशश पहले भी क
थी और उस कोिशश म उसक एक कमजोरी हमारे हाथ आ गई थी । अगर तुम उसका
योग करना चाहो तो कर सकते हो । दो ऐसे भी आदमी है, जो तु हारा कारोबार संभाले
ए ह ले कन आइरन फोट से उनका कोई संबंध नह । फर भी वे तु हारे हाथ म ह गे जो
पहले भी जरायम क दुिनया म जाने जाते ह, उनसे जो मेल-संपक करके भारी मुआवजे पर
तैयार कया गया और अब वह मुंबई म अपने वामी का इं तजार कर रहे ह ।”
“यह तैया रयाँ कब से शु ?” िवनाश ने पूछा ।
“एक स ाह के भीतर-भीतर सबकु छ आ है । उन दोन क जमानत भी तुमने ही ली है
और यह तु हारा उन पर बड़ा एहसान है । तु हारा एक आदमी उनसे संपक कर चुका है ।
वह लोग इस धंधे म काफ द ह । यह जोड़ी रांझे और पंिडत के नाम से जानी जाती है ।
“अब म तु ह तु हारी नई कोठी और ऑ फस क फ म दखाता ँ । साथ ही यह
समझाता ँ क कहाँ या चीज रखी है । तुम उन लोग के चेहरे भी देखोगे ।”
इं चाज ने एक और बटन दबा दया । कु छ देर बाद ही िवनाश एक फ म देख रहा था ।
“कोई काला जादूगर ही एक स ाह के अंदर इतना बड़ा तमाशा खड़ा कर सकता है ।”
िवनाश ने अपने िवशेष अंदाज म उसक शंसा क ।
“ओके वॉय ! सब तुमने समझ िलया न ?”
“इतना तो समझ ही िलया ।”
“एक बात और ।” उसने अपनी शानदार इं ि लश म पुनः कहा, “तुम वहाँ बाजीगर क
हैिसयत से नह , एक नंबर दो ापारी क हैिसयत से रहोगे । इसिलए एक बात का ज र
यान रखना, अपने िवनाशकारी हाथ पर थोड़ा कं ोल रखना । ब त से लोग यह जान
चुके ह क बाजीगर फर से जंदा हो गया है और वे इस खोज म भी लगे ह गे क वह
ि कौन है, या उसक आदत ह, कस तरह वह क ल करता है ! इसिलए तु ह ऐसी
कोई चीज अपने अंदर से कट नह करनी है, जो तु हारे ित कोई शंका जािहर करे ।”
“और कु छ ?”
“नह , बस इतने ही िनदश ह ।”
बाजीगर उठ खड़ा आ ।
☐☐☐
इस तरह िवनाश बाजीगर के िलए एक नई भूिमका तैयार हो गई और वह अपने इस
नए प म मुंबई महानगर म कट हो गया ।
इं पोट-ए सपोट के कारोबार का मैनेजर पंिडत था, जो एक दुबला-पतला लंबे शरीर का
ि था । एयरपोट पर पंिडत और रांझे दोन ही उसे रसीव करने आए थे, और दो दन
तक पंिडत उसे कारोबार के संबंध म समझाता रहा ।
एक कं पनी िवनाश के िलए खरीदी गई थी और पंिडत ने पुराने टाफ को िनकाल बाहर
कया था । कं पनी का नाम भी बदल दया गया था । य क इससे पहले जो फम वहाँ
थािपत थी उसक साख ब त िबगड़ी ई थी । फम ने ब त से लोग का पैसा मारा आ
था । पंिडत ने यह ज री समझा क उस कं पनी म काम करने वाले कसी भी ि को न
िलया जाए ।
“इस समय म और रांझे धंधा संभाले ए ह ।” पंिडत ने बताया, “अब आप आ गए ह तो
जैसा चाहगे वैसा हो जाएगा । उसके बावजूद भी मुझे इस लाइन का बड़ा तजुबा है । आप
देखते जाइए क हम कस तरह धंधा चमकाते ह ।”
“ टाफ म और कतने आदमी काम कर रहे ह ?” िवनाश ने पूछा ।
“अभी तक तो हम दो ही काफ ह । ले कन हाँ, ऑ फस के िलए एक टेनो ाफर क
ज रत पड़ेगी । हमने इस संबंध म िव ापन भेज दया है, जैसे ही आपको पहली फु सत
होगी, इं टर ू के िलए कॉल लेटर भेज दया जाएगा ।”
“आज ही रवाना कर दो और एक स ाह के भीतर कोई भी तारीख िनि त कर दो । म
कसी भी काम म िवलंब पसंद नह करता ।”
पंिडत ने िवनाश को कारोबार के संबंध म मोटी-मोटी जानका रयाँ द । फम के अकाउं ट
म दस लाख पया जमा था और आठ लाख पया िबजनेस क टीन म लगा आ था ।
िवनाश ने बाकायदा एक सुलझे ए ापारी क तरह सारे अकाउं स चेक कए । नंबर दो
के खाते भी देखे । फम शु से ही मुनाफे म चल रही थी ।
अपने आपको इस नए प म पाकर िवनाश को एक ताजगी-सी महसूस हो रही थी ।
पुणे और मुंबई ऐसे शहर थे जहाँ उसके अतीत क ददनाक याद दफन थ । उसक माँ इसी
शहर म रहती थी और उसक मजबूरी यह थी क वह अपनी माँ से िमल भी नह सकता
था । पुणे म उसका बचपन बीता था, जहाँ उसके कशोर मन का पहला और आिखरी यार
जागा था । एक रोशनी का झमाका आ था और शोला बदन कं चन उसके जीवन म आई
थी । इसी यार क खाितर उसके जीवन ने ऐसी-ऐसी करवट ली थी क दल दहल उठता
था । वह आदमी से मशीन बन गया था । आइरन फोट के िश ण ने उसे ऐसे साँचे म ढाल
दया था क वह ऐसी समाजी बात से ब त दूर हो चुका था । हर र ता उसके िलए
बेमानी हो चुका था । उसके बावजूद भी िवनाश एक इं सान था । उसके सीने म भी एक
दल धड़कता था ।
उसके जेहन को याद क आग कु रे द सकती थी । यह अलग बात है क उन याद क
जलन उसने कभी अपने ऊपर हावी नह होने दी थी । ले कन मुंबई आने के बाद कसी
आवारा ल हे यह याल ज र उसके मन म आया क वह एक नजर अपनी देवी जैसी माँ
के दशन तो कर ले । जाने कै सी होगी, कस हाल म होगी ! भले ही वह दूर से दशन करे ,
भले ही वह एक अजनबी क तरह मुलाकात करे । ले कन ‘बाजीगर’ होने के नाते यह
िवचार अिधक देर तक उसके मन म न ठहर सका ।
यहाँ वह एक नए आदमी के प म था, िजसका नाम बलवंत था और उसका पहला काम
अ कन शहजादे शो बी से शु होना था । उसने शो बी क वतमान पोजीशन जानने के
िलए रांझे को लगा दया था । खुद यह देखने म लग गया क ज द-से-ज द ापार को
कस तरह बढ़ाया जा सकता है और कब मुंबई के सेठ म बलवंत सेठ का नाम चमकता है ।
पंिडत के मा यम से वह मुंबई क मश र हि तय से प रिचत होता जा रहा था । उनम
से कु छ फ म इं ड ी के लोग भी थे । एक अिभने ी से भी उसका प रचय आ । बलवंत
का उनक पाट म आना-जाना शु हो गया ।
िवनाश उन लोग म काली भेड़ तलाश कर रहा था । एक मश र अिभने ी उसके जाल
म फँ स गई थी । िवनाश के कु छ चच ने अिभने ी का दल जीत िलया था और दो-चार
रोज म ही उनके रोमांस के क से उड़ने लगे थे ।
ले कन अचानक उसके इस नए जीवन म एक जलजला आ गया । एक ऐसी घटना घट
गई िजसक वह क पना भी नह कर सकता था ।
िजस दन टेनो ाफर के इं टर ू क डेट थी, िवनाश द तर म बैठा उन लड़ कय का
इं टर ू ले रहा था, जो पंिडत ने इस यो य समझी थी । उनम से एक लड़क ऐसी भी थी
जो बुक म थी ।
“बॉस !” पंिडत ने बताया, “जहाँ तक काम-धंधे क बात है, बुक वाली लड़क मुझे पसंद
है । ब त अ छी इं ि लश जानती है । ा टंग का तो जवाब ही नह और आवाज भी मन
मोहने वाली है । मगर बॉस य क वह बुक म थी इसिलए म उसक श ल नह देख
पाया । मने इसक ज रत भी नह समझी । बस उसके गोरे हाथ से अनुमान लगा िलया
था क वह खुद एक अनुपम सुंदरी होगी । टेनो ाफर का काम चाहे िजतना अ छा हो
बॉस, उसक श ल-सूरत, ल बो-िलबास का सुंदर होना पहली ज रत होती है !”
“तब तो तुम यह भी नह देख पाये ह गे क उसके चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे ितल भी
ह या नह ।” िवनाश मु कु राया ।
“जी, भूरे ितल !” पंिडत च का, “म समझा नह ।”
“म तु ह यह बताना भूल गया था पंिडत क िजस लड़क के चेहरे पर अनिगनत भूरे
ितल नह होते, उसक िमसाल एक ऐसी रात क तरह होती है जब िसतारे नह
िनकलते ।”
“हो हो हो ।” पंिडत बेसा ता हँस पड़ा और फर वह िवनाश क बतायी ई िमसाल
याद करने लगा ।
“खैर, म तु हारी इस बुक वाली से िनवेदन क ँ गा क वह अपने चाँद से मुखड़े के दशन
कराए । अगर तु हारी पस द खरी उतरी तो उसक नौकरी प समझो । चलो, लड़ कय
को भेजो ।”
एक-एक करके लड़ कयाँ आती रह , जाती रह । बुक वाली लड़क का न बर सबसे अंत
म था ।
जब वह कमरे म िव ई तो िवनाश को एक ऐसी जानी-पहचानी ख़शबू का एहसास
आ जो उसक नस-नस म रची-बसी थी । उसने च ककर लड़क क तरफ देखा, चाल भी
जानी-पहचानी थी । िवनाश के जेहन म दफन याद म एक अंधड़-सा चल पड़ा । वह
अपलक बुक वाली लड़क को देख रहा था और फर जब वह मेज के करीब आकर खड़ी ई
तो िवनाश ने उसक आँख म देखा, तो सारा मंजर ही साफ हो गया । वह अ छी तरह
पहचान गया क बुक म िछपी लड़क कं चन ही थी । हैरत क बात यह थी क उसने बुका
ओढ़ रखा था ।
य ?
“गुड मॉ नग सर !” लड़क के ह ठ खुले ।
वही सुरीली आवाज, कान म बजती घि टयाँ जब जेहन म उतर तो घिड़याल के
जोरदार घ ट क तरह बज उठ । बाजीगर का समूचा अि त व एक बार िहलकर रह
गया और एक ही झ का उसे कॉलेज क दुिनया म ले गया ।
“तुम !” उसके मुँह से एक आह-सी िनकली, “कं चन, तुम... यह तुम हो ?”
कं चन एकदम से च ककर एक कदम पीछे हट गई । हैरत का एक जबरद त झटका लगा
और उसक आँख आ य से फै लती जा रही थ । वह भी अपनी िवनी क आवाज पहचान
गई थी । आँख भी िवनी क थ , पर तु श ल िवनाश क नह थी ।
और फर एकाएक बाजीगर को एहसास आ क वह अपनी जंदगी क सबसे जबरद त
गलती कर बैठा है । एक पल के िलए वह भूल गया था क वह बाजीगर है । बाजीगर के
प म न सही पर तु िवनाश के प म तो उसने अपने-आपको उजागर कर ही दया था
और इस तरह बाजीगर के िस ांत के अनुसार उसने अपनी खोई मोह बत का जीवन ही
छीन िलया था ।
उसे अपने चीफ बहराम के वह श द याद आ गए, “याद रखो, जंदगी के कसी भी मोड़
पर य द तु ह ऐसा कोई श स नजर आ जाये, तो बाजीगर यह तु हारा सबसे पहला फज है
क उसका क ल कर दो ।”
“हे भगवान !” िवनाश ने दोन से िसर थाम िलया ।
“िवनी !” कं चन के मुँह से आ य क कं पकं पाती चीख-सी िनकल गई, “िवनी, मेरे
िवनी... ! या तुम िज दा हो ? हे भगवान !”
कं चन क हालत भी कम िबगड़ी नह थी । उसे अपने चकराते जेहन को संभालने के
िलए कु स का सहारा लेना पड़ गया और फर य द वह कु स पर ढेर न हो गई होती तो
कदािचत् फश पर ही लहराकर िगर पड़ती ।
कं चन का िसर मेज पर आकर टक गया था । िवनाश तुर त उठा और उसने सबसे
पहला काम यह कया क ऑ फस का दरवाजा भीतर से ब द कर िलया । कह अचानक
पंिडत ही भीतर आ गया तो । फर उसने दरवाजे से टक कर दो-चार गहरी साँस ल ।
कं चन को क ल करना उसके िलए कोई मुि कल काम न था, ले कन या वह अपने
भीतर इतनी िह मत जुटा सके गा । जंदगी म थम बार फज के सामने उसका सारा
अि त व काँप कर रह गया था ।
शायद यही वह व था जब उसके कत क वा तिवक परी ा होनी थी । दरवाजे पर
खड़े-खड़े वह एक भयावह अंधड़ से गुजरता रहा । एक तरफ उसक अपरािजत मोह बत
थी और दूसरी तरफ कत । गलती तो उससे हो चुक थी, अब वह लाख समझाने पर भी
कं चन को यह िव ास नह दला सकता था क वह िवनाश नह । कं चन क मौत यक नी
हो गई थी ।
पहले भी जब उसने हडसन शहर म अपने एक दो त को हलाक कया था तो उसे कई
रात ठीक से न द नह आई थी । उसक मौत का कारण भी िसफ इतना था क वह िवनाश
को पहचान गया था ।
यह कै सा पद, कै सा स मान और कै सी जंदगी थी ! बाजीगर, िजस पर रा को नाज
था, िजस पर देश का ेसीडट अपने आपसे अिधक िव ास कर सकता था, उसे महज एक
झ के ने झकझोरकर रख दया ।
उसका दल चीख-चीखकर कह रहा था, ‘िवनी, तू इं सान नह , द र दा है, द र दा !
य क एक द र दा ही मासूम और िनद ष इं सान क ह या कर सकता है । आज तू कं चन
को मौत के घाट उतारने क सोच रहा है । आिखर उसने तेरा िबगाड़ा या है ? उसका
कसूर िसफ इतना है न क उसने तेरी कशोर जंदगी म एक सपना जगाया था । तुझे
दलोजान से चाहा था । यह कोई कताबी दा तान नह , हक कत है, जो तेरे सामने खड़ी
है । ऐसे ही एक दन तेरी माँ भी सामने आ सकती है, तो या तू उसक भी ह या कर
देगा ।’
‘नह ।’ उसका दूसरा मन कह रहा था, ‘म इं सान ँ ही कब ! म एक मशीन ,ँ िसफ
मशीन । िजसके पास ज बात नह होते । मेरे िवनाशकारी हाथ म िसफ मौत िछपी है,
मौत ।’
कदािचत् कं चन बेहोश हो गई थी, य क वह िहल-डु ल नह रही थी । िवनी अपने
आपसे ही लड़ रहा था । काश, बहराम से वह दो िज दिगय क भीख माँग सकता । जहाँ
पचास-पचपन आदमी बाजीगर का भेद जानते ह, वहाँ दो क बढ़ोतरी और हो सकती थी ।
एक तो यह मासूम लड़क , दूसरी उसक अपनी माँ ।
ले कन या उसका चीफ इसक अनुमित देगा ?
वह एक बार कोिशश करे गा और तब तक कं चन उसके पास ही रहेगी । िवनाश ने एक
झटके से फै सला कया और कं चन को क ल करने का िवचार अपने मन से उतार फका । अब
वह आिह ता-आिह ता आगे बढ़ा ।
कं चन को शायद ह का-सा दौरा पड़ा था, य क अब उसका शरीर धीरे -धीरे लरज
रहा था और शायद उसे होश आता जा रहा था ।
िवनाश उसक पु त से घूमकर अपनी सीट पर चला गया । उसने कं चन का फाम
िनकाला तो यह देखकर च क पड़ा क उसम उसका नाम सलमा िलखा था । उसक
एजुकेशन का तो कोई स ट फके ट उसम नह था, पर तु पंिडत ने जो इि तहान लड़ कय
का िलया था, उसम वह सबसे थम थी ।
कं चन पूरी तरह होश म आती जा रही थी, फर वह कु स पर सीधी होकर बैठ गई । कु छ
देर दोन एक-दूसरे को तकते रहे ।
“इस फाम पर तु हारा नाम कु छ और िलखा है ।” आिखर िवनाश ने यह मौन तोड़ा ।
“हाँ, सलमा ।” वह बोली ।
“ य ?”
“जैसे तुम बलव त सेठ बन गए िवनी, शायद वैसी ही कहानी मेरी भी होगी ।”
िवनाश ने तुर त ही कोई जवाब नह दया ।
फर बोला, “तु ह कै से यक न हो गया क म िवनाश ही ,ँ मेरी श ल देखते ए भी ?”
“और तु ह कै से यक न हो गया क म कं चन ही ँ श ल देखे िबना ही ?”
“यह मेरी अपनी सोच थी, मेरी कािबिलयत ।”
“कािबिलयत और सोच नह िवनी ! यह तु हारी आ मा क आवाज थी । दो आ माय
जब जुड़ जाती ह तो उनका दद एक जैसा होता है, सोच एक जैसी होती है । उनके सामने
श ल का कोई मह व नह होता । उनके िलए तो बस आहट ही काफ होती है ।”
“ले कन एक आदमी जो मर चुका है वह िज दा कै से हो सकता है ?”
“तुम कै से मरे , म नह जानती । म तो िसफ यह जानती ँ क म कै से मरी !” उसके मुँह
से एक आह-सी िनकली । वर भराया आ था ।
िवनाश उसके ज बात क टटोल रहा था ।
“तुम कै से मरी कं चन ?”
“हर रोज घुट-घुटकर ।”
“और अब ?”
“कं चन के प म िज दा लाश ँ ।”
“कोई सदमा, कोई दुख ?”
“एक हो तो बताऊँ ।” वह सुबक पड़ी, “पहाड़ म कतने प थर होते ह, कोई िगन
सकता है ।”
िवनाश ने एक गहरी साँस ली ।
“तुमने नाम बदल िलया, चेहरा छु पा िलया, य ?”
“ य क म मर चुक ,ँ इसिलए चेहरा भी िछपा िलया, नाम भी बदल दया । मुझे
या मालूम था क यहाँ तुम मुझे िमलोगे, वरना म तो हरिगज यहाँ न आती ।”
“अब यह बुका भी हटा दो कं चन ! वाब इतने धुंधले हो गए ह क तु हारी श ल भी
याद नह रही ।” िवनाश के दल म कु छ बेचैिनयाँ जाग उठ ।
“मुझसे बुका हटाने के िलए न कहो िवनी, तु हारा भरम टू ट जायेगा !”
“ या मतलब, म कु छ समझा नह ।”
“हाँ िवनी, जो तु हारे मन म छाया है,चाह वह कतनी ही धूिमल य न हो, उसे ही
देखते रहो, वरना वह छाया भी न रहेगी । सब िमटकर याह हो जायेगा ।”
“तुम कह रही हो यह ! या तुम इसिलए अपना चेहरा नह दखाना चाहती क तुमने
अपना धम बदल िलया है । तुम कं चन से सलमा बन गई हो ?”
“यह बात नह िवनी !”
“तो फर चेहरा छु पाने का ता पय ?”
“तुम मेरी श ल बदा त न कर सकोगे ।”
िवनाश हँस पड़ा, “यह कै सी बेतुक बात है ! अभी तुमने ही तो कहा था क आ माय
जब िमल जाती ह तो श ल-सूरत बेमानी हो जाती है । मुझ पर इतना भरोसा कया है तो
फर यक न करो, चाहे तुम कसी भी श ल म य न आ जाओ, आ मा का यह ब धन
टू टने वाला नह । हमारी डोर इतनी क ी तो नह थी कं चन !” वह खामोश रही । कु छ
पल सोचती रही ।
“जवाब दो कं चन !”
और जवाब कं चन ने अपना बुका हटाकर दया । पहले पल या दो पल के िलए िवनाश
को एक जबरद त झटका लगा । कं चन क यह श ल देखकर उसका तो अि त व ही काँप
गया । इसक तो उसे जरा भी उ मीद नह थी ।
कं चन के खूबसूरत चाँद जैसे चेहरे क जगह एक जला आ कु प चेहरा उसके सामने
था । आँख क पलक भ ह के थान पर ऐसी वचा चमक रही थी जैसे कसी ने उसक
खाल उतार ली हो । कसी औरत का इतना बदसूरत चेहरा िवनाश ने जीवन म पहले कभी
नह देखा और न ही वह यह क पना कर सकता था क कोई औरत इतनी बदसूरत भी हो
सकती है ।
“म न कहती थी िवनी क तुम मेरी श ल बदा त न कर सकोगे !” कं चन के वर म
मायूसी झलक रही थी, “इसी चेहरे को िछपाने के िलए मने बुका इ तेमाल कया और नाम
भी बदल िलया ।”
फर चंद ल हे तक दोन खामोश रहे और यह चंद ल हे गोया स दय समान थे ।
फर िवनाश ने ठहरे -ठहरे वर म पूछा, “अब मुझे सबकु छ बताओ क यह कै से आ ?
कोई पहलू मुझसे गु न रहने पाये कं चन !”
“ या करोगे सुनकर ?” उसके वर ने जहर भर आया, “साँप िनकल जाये तो लक र
पीटने से या लाभ ! मने जब तु ह आवाज दे-देकर पुकारा था, तब तो तुम ब त दूर
िनकल चुके थे । उस समय तु ह याल न आया क तुम मुझे कन खतर म िघरी छोड़कर
जा रहे हो । तुम एक काितल बनकर जाने कस दुिनया म खो गए और ह यारे हमारे पीछे
पड़ गए । जंदगी म एक साथ जीना और एक साथ मरना या इसी का नाम है ? जब तुम
िज दा थे िवनी तो तुमने मेरी ओर ख य नह कया ? मुझे आवाज य न दी ?”
िवनाश के पास इसका कोई जवाब नह था ।
“बोलो िवनी, खामोश य हो ?”
“कपूर क ह या के बाद म एक मुलिजम बन गया था कं चन ! आसमान क कताब म
जो फै सला िलखा जाता है वह इसी तरह सामने आता है । मरकर भी म कै से बच गया, यह
तो तु ह न बता सकूँ गा, पर जब िज दा आ तो मने पहली फु सत म तु हारे ही बारे म
सोचा था, ले कन अफसोस, मने सुना क तु हारा िववाह हो गया और मुझे यक न आ गया
क मोह बत क िजतनी दा तान सुन , वह सब महज कताब म होती ह । हक कत बड़ी
कड़वी होती है ।”
“नह िवनी, यह झूठ था ! मुझे पूना से ब त दूर भेजने के बाद डैडी ने यह चिलत कर
दया क मेरा िववाह हो गया है । ऐसा उ ह ने अपनी सामािजक ित ा बनाये रखने के
िलए कया । मुझे बाहर भेजकर उ ह ने मेरे दुख पर मरहम लगाने क कोिशश ज र क ,
ऊपर से वह सेठ जगमोहन क नजर से मुझे इतनी दूर कर देना चाहते थे क मेरी छाया
को भी न छू सके । हालात हमारे ब त िखलाफ हो गए थे । डैडी मुझे ब त चाहते थे और
जानते थे शादी के बाद म िज दा न रह सकूँ गी, ले कन उ ह ने यह भी सोचा क दूर रहकर
धीरे -धीरे म सबकु छ भूल जाऊँगी । िवनी, म आिखरी आस, आिखरी साँस तक तु हारे िलए
िज दा रही । यहाँ तक क मुझसे वह खबर भी छु पायी गई, तु हारी मौत क खबर । म
तु हारा इं तजार करती रही । तुम िज दा होते ए भी मुझसे दूर होते चले गए । तुमने एक
बार भी मेरे डैडी से िमलने क कोिशश न क । य ? तुम ऐसे तो न थे िवनी !”
“तुम मुझ पर जहर बुझे ए िजतने भी तीर बरसाओ, कम है । जंदगी भर बरसाती
रहोगी तब भी उसका िहसाब पूरा नह होगा, जो मेरी वजह से तु ह सहना पड़ा । ले कन
जो कु छ म पूछ रहा ँ ई र के िलए मुझे उसका जवाब ज र दो । यह मेरी गलती थी क
मने सुनी-सुनाई बात पर यक न कर िलया और अब मुझे वह सब इसिलए भी जानना है
य क जु म के इितहास को इसक ज रत है और यह साँप िनकल जाने के बाद लक र
पीटने वाली बात नह है । म लक र नह पीटता । उनके िबल तलाश करना चाहता ँ ।
ऐसे िबल म तलाश करता रहता ँ ।” िवनाश ने यह सब इतने धीमे वर म कहा क उसका
एक-एक श द कं चन के जेहन म उतर जाये ।
चंद ल हे वह िवनाश के पीछे शू य म ताकती रही फर िवनाश क तरफ देखे िबना धीरे
से बोली, “सबकु छ एक डरावना वाब लगता है । कतनी ज दी सबकु छ हो गया !
आिशयाँ बनाने म बड़ा व लगता है । ितनका-ितनका चुनते उ बीत जाती है ले कन
उजाड़ने म कु छ देर नह लगती ।”
वह कु छ पल क फर बोली, “जब म पूना से दूर दा ज लंग म रह रही थी तो मुझे
िव ास था क म तु ह फर से पा लूँगी । तुम अगर पकड़े भी गए तो तु हारा मुकदमा
अदालत म प च ँ ेगा और अगर तु ह आजीवन कारावास भी हो गया तो भी म तु हारा
इं तजार क ँ गी । डैडी इस बात को जानते थे । वे तु हारे िलए बड़े से बड़ा वक ल तैयार
करते, य क मेरे िलए तुम उ ह भी पस द थे । ले कन सवाल तो यह था क तुम अपने
आपको कानून के हवाले तो करते, तभी तो पैरवी होती । उनका याल था, जब मामला
ठं डा पड़ जायेगा तो वह मुझे वािपस पूना बुला लगे ।
ले कन क मत का िसतम तो देखो क अपनी बेटी क जंदगी मझधार म छोड़कर
अचानक वह चल बसे और जब मुझे इसक खबर िमली तो पूना आना ही पड़ा । माँ क
हालत तो ब त बुरी थी । मेरे अलावा घर को संभालता भी कौन और फर म भी घर से
बाहर कदम न रखती थी । उसी बीच मुझे यह समाचार िमला क तु ह फाँसी हो गई और
म जंदगी भर के िलए एक तूफान म िघर गयी ।
मने अपने आपको संभालने क कोिशश क । माँ क हालत देखकर मर भी न पाई । मने
सोचा, अके ले जीवन का सफर तय क ँ गी, पहाड़ जैसा जीवन तु हारी याद म गुजार दूग ँ ी
ले कन आ मह या न क ँ गी ।
“माँ ने ब त समझाया क म शादी कर लूँ ता क वह मुझे खुश देखकर चैन से मर तो
सक । डैडी का देहांत एक दुघटना म आ था । वह दुकान के सामने अपनी गाड़ी पाक
करके सड़क पार कर रहे थे क एक तेज र तार क अचानक कट आ और उ ह कु चलता
आ गुजर गया । हमने उसे महज एक हादसा समझकर िजस तरह भी बन पड़ा बदा त
कया ले कन बाद म कह अिधक पीड़ा उस व सहनी पड़ी जब पता चला क वह हादसा
नह था । यह बताने क कोई ज रत नह िवनी क क का कोई सुराग न लग सका ।”
कं चन ने गहरी साँस ली ।
िवनाश बड़ी गंभीरता से उसक आपबीती सुन रहा था ।
कं चन ने आगे कहना जारी रखा ।
“अभी म और म मी तेरहव के बाद एक-दूसरे के आँसू प छने म ही त थे क सराफा
बाजार म रात को ग ती पुिलस के कई िसपािहय और सराफा बाजार के चार चौक दार
क मौजूदगी म हमारी दुकान पर डाका पड़ा और डाकू जैसे दुकान म झाड़ू फे र गए । लाख
के क मती जेवरात और हीरे -मोितय म से एक कण भी नह छोड़ा, बि क एक सेफ उनसे
नह टू टी तो सेफ ही दीवार से उखाड़कर ले गए । हमने अब भी यही समझा क तकदीर
हमारे िखलाफ सािजश कर रही है और अपने आपको यही समझाते रहे क मुसीबत कहकर
नह आती, जब आती है तो चार तरफ से एक साथ आती है ।
“जवाहरात और जेवरात क दुकान म डैडी क पाटनरिशप सेठ अजुनदास से थी । वह
ब त ही अ छा और धा मक वृि का आदमी था । डैडी अपनी जंदगी म उस पर ब त
िव ास करते थे, इसिलए प था क सभी क िनगाह म सेठजी का उतना ही स मान
था ।
“डाके के चंद रोज बाद वह म मी के पास आया, ब त ही गमजदा था । उसने मुझे और
म मी को ब त ढांढस दी । वह डैडी क सभी घरे लू बात जानता था और यह भी जानता
था क म कुं वारी ही ँ । उसी क सलाह पर मुझे दा ज लंग भेजा गया था । डैडी ने अपनी
जंदगी म ही अपनी वसीयत िलख दी थी िजसके अनुसार य द उनक मौत अचानक ही हो
जाती तो उस सूरत म अपना वा रस और अपने तमाम मामलात क वािमनी म मी को
ही बनाया था ।
“सेठ अजुनदास ने म मी को बताया । दुकान क वसूली और डैडी का बक बैलस वगैरा
ा करने के िलए उ ह ब त बड़ा व लगेगा और ब त-सी कानूनी अड़चन क वजह से
कह उ ह एक या दोन चीज से हाथ न धोना पड़ जाये । चूं क म मी को कानूनी मामलात
क समझ नह है और वह महज वक ल पर िव ास करके सारे हालात से नह िनपट
सकत , इसिलए उिचत यही होगा क म मी उसके नाम पावर ऑफ अटान िलख द, वह
खुद ही सारे काम सीधे करे गा ।
“म मी कारोबारी मामल म िब कु ल अनाड़ी थ , सेठ अजुनदास के जाल से न बच
सक । उ ह ने न िसफ पावर ऑफ अटान िलख दी बि क वसीयतनामा भी उसके हवाले
कर दया, य क उसका कहना था क पावर ऑफ अटान के साथ वसीयतनामे क भी
एक नकल ज री होती है । नकल तैयार होने के बाद असली वसीयतनामा वािपस कर
देगा ।
“उसके बाद सेठ अजुनदास का कोई पता नह चला । म मी के अकाउं ट म कु छ रकम
थी, ले कन वह कब तक साथ दे सकती थी । हाथ तंग होने पर म मी ने इन योरे स
क पनी और बक इ या द से संपक कया तो मालूम आ क सेठ अजुनदास इन योरे स का
लेम और बक बैलस सब वसूल कर चुका है । म मी ने उसके घर फोन कया । वह एक
िवधुर था । उसके दो बेटे अपनी बीिवय के साथ एक ही घर म रहते थे । उ ह ने बताया
क उनका बाप तो इं लै ड चला गया है और वहाँ कोई कारोबार सेट करने के च र म है,
इसिलए दो साल तक वािपस नह आएगा ।”
इतना कहते-कहते कं चन का गला खु क हो गया था । िवनाश ने उसे एक िगलास पानी
िपलाया । वह एक साँस म पानी का िगलास खाली कर गई । थोड़ी देर चुप रही, खोयी-
खोयी नजर से िवनाश क तरफ देखती रही, फर गहरी साँस लेकर बोली ।
“ऐसी हालत म हम कर भी या सकते थे िवनी ! फर भी म मी ने वक ल से स पक
थािपत कया । वह हमारा पा रवा रक वक ल होने के बावजूद भी बड़ी खाई से पेश
आया । साफ मालूम होता था क वह भी अजुनदास से िमला आ है । उसने बताया क
अजुनदास के िखलाफ मुकदमा चलाने के िलए कोई ठोस बुिनयाद नह है और अगर
मुकदमा कया भी गया तो साल चलेगा और म मी को कु छ िमलने क बजाय उ टे
मुकदमे के खच वहन करने पड़ जायगे ।
“उधर से मायूस होकर हम अभी दूसरा रा ता तलाश कर भी न पाये थे क एक रोज
सेठ जगमोहन का दूसरा लड़का कपूर का भाई म हंदर दो बदमाश के साथ हमारे यहाँ आ
धमका । पहले उसने हमारे हालात पर बड़ी हमदद कट क फर म मी से कहने लगा क
अगर वह अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ म थमा द तो न िसफ उसके वग य भाई क
आ मा को शांित प च ँ जायेगी बि क सारे मसले भी हल हो जायगे ।
“मुझे संदह
े तो पहले ही था, अब यक न हो चला था क कम-से-कम क वाली दुघटना
और डकै ती के पीछे सेठ जगमोहन के खानदान का हाथ है, जो कपूर क मौत के बाद ही
हम तबाह करने पर तुल गया था । म मी उसक बात सुनकर आग बबूला हो गयी ।
म हंदर ने यह भी कहा क वह जानता है, मेरी कह शादी-वादी नह ई, सब ढ ग था और
मुझे कह बाहर रखा गया था ।
“ फर वह बोला –
‘बु ढ़या, र सी जल गई मगर बल नह गया ! म चा ँ तो अभी तु हारी बेटी को उठाकर
ले जाऊँ ले कन हमारे खानदान ने कसम खाई है क तुम लोग को अपने कदम म झुकाकर
ही चैन लगे । वह दन दूर नह जब तुम खुद अपनी बेटी का हाथ पकड़कर मेरे घर आओगी
और फर म जो चा ग ँ ा, वह होगा ।’
“म मी ने उसके मुँह पर तमाचा रसीद कर दया, तब वह गु से से लाल-पीला हो गया ।
उसने अपने एक साथी को इशारा कया और उसने पंडली पर बंधा आ खंजर िनकालकर
म मी के सीने म उतार दया ।”
कं चन क आवाज तमामतर कोिशश के बावजूद भी भरा गयी और आँख का सूनापन
बढ़ गया । चंद ल ह तक वह कटे-फटे ह ठ को भ चे बैठी रही फर झुरझुरी-सी लेकर एक
गहरी साँस लेते ए बोली, “तुम उस व क क पना नह कर सकते िवनी ! एक जवान
लड़क के घर म तीन द र दे घुसे बैठे ह , सामने खून से लथपथ माँ क लाश पड़ी हो और
पास-पड़ोस म कोई ऐसा भी न हो जो उसक आवाज सुनकर देखने के िलए आ जाये क
मामला या है ! उस लड़क का उस व या आलम होगा, यह तुम नह जान सकते ।
“म हंदर ने कहकहा लगाते ए ं या मक दृि से मेरी ओर देखते ए कहा, ‘म चा ँ
तो अभी तु ह उठाकर ले जाऊँ ले कन अब बात हद से आगे बढ़ गई है । तुम मेरे भाई क
जंदगी थी, उसक मौत का कारण तुम थी और अब म तु ह कसी और क बाँह म नह
जाने दूगँ ा । मने कसम खाई थी क अपने भाई क जगह खुद लूँगा । अब म उस व के
िलए थोड़ा-सा इं तजार कर लूँगा, जब घुटन के बल रगती ई तुम आओगी और पालतू
िब ली क तरह मेरे कदम म लोटा करोगी । म जब चा ग ँ ा तु ह धमक दूग
ँ ा और जब
चा ग ँ ा तु ह ठोकर मा ँ गा ।’
“वे लोग बड़े इि मनान से चले गए जैसे कु छ आ ही न हो । देर तक म म मी का सद
हाथ थामे गुमसुम बैठी रही । इस उ मीद पर क शायद यह कोई डरावना वाब है, ज दी
ही टू ट जायेगा ले कन फर मुझे यक न करना ही पड़ा । मुझे यह भी मालूम नह था क
हमारे इलाके का थाना कस तरफ है ! आधी रात के करीब म पूछती-पाछती, िगरती-
पड़ती थाने प च ँ ी । वहाँ पर मौजूद हर पुिलस वाला अपने-अपने पद के अनुसार मेरे
िज म के िविभ िह स तक प च ँ हािसल करने क कोिशश करने लगा । अंततः जब मने
उ ह अं ेजी म गािलयाँ द तो वह कु छ पीछे हटे, फर एसएचओ ने आकर डाँट-डपटकर
सबको उनके काम पर लगाया, बड़े यानपूवक और हमदद से मेरी कहानी सुनी । जैसे भी
मुझसे बन पड़ा मने उन लोग के स ब ध म सारा िववरण दया । मुझे बड़ी तस ली दी,
मुझे इं साफ दलाने का वचन दया, इस क म के कई डायलॉग भी बोले जो िह दु तानी
फ म म अ सर बोले जाते ह, ले कन वह सब महज बकवास था ।
“पुिलस आकर म मी क लाश ले गई, पो टमाटम के बाद लाश िमली और तकरीबन
लावा रस के अंदाज म जला दी गई । कािलज तो मेरा छू ट ही चुका था, लासफै लोज सब
इधर-उधर िबखर चुके थे । होते भी तो उ ह या करना था, और िवनी मुझे यक न है क न
िसफ म हंदर बि क उसका बाप सेठ जगमोहन भी ज र कसी बड़े गग का लीडर ह । वे
ऐसे लोग ह क पुिलस भी िजनके इशारे पर नाचती है । उसी एस•एच•ओ• ने, िजसने मुझे
बड़ी तसि लयाँ दी थ , उसने अदालत म जब चालान पेश कया, िजसने जज के सम यह
इकबाल कर िलया क वह चोरी क िनयत से हमारे घर म दािखल आ था । म मी ने उसे
रं गे हाथ पकड़ िलया था और शोर मचाने लगी थ , िजस पर उसने घबराहट म उ ह खंजर
घ प दया था ।
“अदालत और पुिलस क नजर म यह एक सीधा-सादा के स था और फर मुि जम के
इकबाले जुम के बाद तो अदालत का समय न करने क कोई ज रत ही नह थी । उस
खानाबदोश को सजा हो गई और म अदालत म ब त चीखी-िच लाई ले कन मुझे बाजु
से पकड़कर बाहर िनकाल दया गया । म कतनी ही बार पुिलस टेशन भी गयी ले कन
कसी ने मुझे एस•एच•ओ• के द तर घुसने नह दया । एक बार म घुसने म कामयाब भी
ई तो वह मुझे कमरे म नह िमला ।
“म घर के तमाम दरवाजे, िखड़ कयाँ ब द करके लेटी थी ले कन न द नह आती थी । म
बुरी तरह टू ट-फू ट चुक थी और जेहन म भय के िसवा कु छ न था । म अपने आपको
अ यिधक असाधारण लड़क समझती थी, ले कन इन हालात म सारी असाधारणता धरी-
क -धरी रह गई । अंततः मने फै सला कया क मुझे इस शहर से कह चला जाना चािहए,
चुपचाप िनकल लेना चािहए । यहाँ क जमीन मेरे िलए तंग कर दी गई है । यह बात तय
थी क जब मेरे िलए हालात अब उससे बुरे ही हो सकते थे, अ छे नह । अतः मने मुंबई
जाने का फै सला कया । िवनी बाद के दन म सोचती रही क म एक अहमक लड़क थी ।
अपनी असाधारणता मुझे ले डू बी, वरना मुझे उस व तक आ मह या कर लेनी चािहए
थी । म यही सोचती, आ मह या पाप है, जीवन एक वरदान होता है, इसिलए नह होता
क इं सान खुद अपने हाथ से उसे िमटा डाले । दल के कोने म उ मीद का दया धीरे -धीरे
टम टमाता था, जाने य मुझे यूँ लगता क तु हारी मौत क खबर झूठी है और तुम
िज दा हो ।” उसने उदास-सी नजर से िवनाश क ओर देखा । एक ल हे बाद उसने पुनः
कहना शु कया ।
“शायद तुमने भी देखा हो, हमारी गली के कोने म एक कोठी म एक ापट डीलर का
द तर था । मुझे उसका असली नाम अब भी नह मालूम ले कन सब लोग उसे राजा साहब
कहते थे । वह सरसरी तौर पर हम जानता था । दूसरी सुबह मने घर क बची-खुची
क मती चीज एक बैग म डाली, अपना च द सामान एक सूटके स म रखा और इन दोन
चीज को तैयार हालत म छोड़कर म राजा साहब के पास प च ँ ी । वह एक अधेड़ आयु का
शाितर आदमी था ।
“मेरे िसर पर हाथ फे रते ए बोला, ‘मुझे पता चला था क तु हारे घर पर मुसीबत का
पहाड़ आकर टू ट पड़ा है । म एक पड़ोसी क हैिसयत से खेद कट करने आजकल म आने
वाला था, ले कन या बताऊँ, मेरी अपनी तबीयत कु छ ठीक नह रहती ।’
“मने बुझे वर म कहा, ‘र मी बात छोड़ दीिजये राजा साहब ! म इस व आपके पास
एक अहम काम के स ब ध म आई ँ ।’
“वह सीने पर हाथ रखकर मेज पर झुकते ए बोला, ‘िनःसंकोच कहो बेटी, म तु हारे
िलए या कर सकता ँ ?’
“मने िनःसंकोच ही कहा, ‘हमारी कोठी बाहर से तो आपने देखी ही होगी, अंदर से म
अभी आपको दखा देती ँ । डैडी ने यह मेरे नाम पर ही खरीदी थी । म उसे मय साजो-
सामान बेचना चाहती ँ । आप यह बताएँ क अभी और इसी समय आप उसक या
क मत दे सकते ह ?’
“उसक आँख म एकदम शाितराना चमक पैदा हो गई, ले कन उसने उसी कार ब त
ही महीन ढीले-ढाले वर म कहा, ‘बेटी ! इस इलाके म कोठी खरीदने-बेचने का मामला
एक दन तो या एक ह ते म भी तय नह होता । इस क म क डील के िलए कई टेप
होते ह और उनके िलए कम-से-कम तीन महीने लग जाते ह । फर म खुद तो ये खरीददारी
करता नह । म तो महज एक डीलर ँ । मेरे पास इतना पया कहाँ होता है ! म तो के वल
दो पा टय का आपस म सौदा करा के अपनी मेहनत का पा र िमक वसूल करता ँ ।’
“वह एकदम मुझे िनराश कर बैठा । जो कु छ मने उसके बारे म सुन रखा था, उसके
अनुसार कसी जमाने म वह सचमुच कं गाल था ले कन अब वह चाहता तो हमारी कोठी
जैसी कई को ठयाँ खड़े-खड़े खरीदकर नीलम कर सकता था ।
“मुझे मालूम था क म ज दबाजी का दशन करके अपना नुकसान कर रही ,ँ ले कन
मेरे जेहन पर तो जैसे कसी ेत क छाया पड़ गई थी । म उसी रोज हर हाल म घर से,
उस शहर से िनकल जाना चाहती थी और जहाँ तक नुकसान का सवाल था तो अब
नुकसान के िसवा जंदगी म रह ही या गया था !
“मने िज य वाले वर म कहा, ‘ले कन मुझे आज ही इसी व सौदा करना है । आपने
जो कागजात तैयार करने ह , कर लीिजये । मुझसे सारे कागजात ले लीिजये, िजन-िजन
कागजात पर मुझसे ह ता र कराने ह, करा लीिजये और बक टाइम समा होने से पहले
रकम मँगा लीिजये ।’
“वह जैसे मुझ पर एहसान करते ए उठा और बोला, ‘चलो, पहले मुझे एक नजर
दखाओ तो वह मकान कै सा है ! ऐसा ही आड़ा व आ पड़े तो पड़ोिसय को बहरहाल
फज तो िनभाना ही पड़ता है । चलो, म देखता ँ क तु हारे िलए या कर सकता ँ ।’
“घर आकर उसने कोठी के च पे-च पे का िनरी ण कया । यहाँ तक क पानी क
टो टयाँ तक खोल-खोलकर देख । बाथ म के शावर तक चलाकर देखे । सोफ और
अलमा रय को ठ क-बजाकर देखा, फर िसर खुजलाते ए बोला, ‘ फलहाल म इस
मकान के िलए स र हजार का ब ध कर सकता ँ ।’
“मने उससे यह नह कहा क स र हजार से यादा का तो उसम सामान मौजूद है ।
डैडी ने ढाई-तीन साल पहले वो दो लाख क खरीदी थी और अब तक उसक क मत
लगभग दोगुनी हो चुक थी । मगर मने उससे यह सब नह कहा, मने िसफ इतना कहा,
‘रकम का ब ध क िजये ।’
“वह मुझे द तर लाया । उसके लक ने आनन-फानन कागजात तैयार कये, मुझसे न
जाने कतने कागज पर ह ता र िलए गए । मने कोठी क िमि कयत के कागजात उसके
हवाले कये । इस दौरान बक से रकम आ चुक थी । घर आकर मने रकम का पैकेट बैग म
डाला, कोठी क चाबी राजा साहब के हवाले क और टै सी करके टेशन प च ँ गई ।
“इ ायरी काउं टर से पता चला क मुंबई जाने के िलए मुझे सबसे पहली ेन मुंबई
ए स ेस िमल सकती है, जो पौन घ टे बाद आने वाली थी । मने ए•सी•सी• का टकट
खरीदा और वो टंग म म जा बैठी ।
“ ेन के आगमन क घोषणा सुनकर म बैग और सूटके स उठाये वे टंग म से बाहर आई
और अभी लेटफाम पर कु ली क तलाश म नजर दौड़ा ही रही थी क एक श स न जाने
कस दशा से मुझसे आ टकराया । मने िसफ उसका हाथ हरकत म आते देखा, िजसम शीशे
का कोई बतन-सा था । दूसरे ही ल हे वह श स भीड़ म गायब हो गया । मुझे ऐसा ही
महसूस आ था जैसे कसी ने मेरे चेहरे पर अंगारे फक दए ह, जो वह िचपककर रह गए
ह।
“मेरे कं ठ से शायद ददनाक चीख िनकल रही थ और म लेटफाम पर िगरकर एिड़याँ
रगड़ने लगी थी । मेरी आँख ब द थ । मुझे कु छ मालूम नह था क वा तव म आ या
है ! बस अ यिधक पीड़ा का एक एहसास था । मने अपने इद-िगद लोग के दौड़ने-भागने
क आवाज सुन ले कन ज द ही मेरा जेहन अँधेरे म डू ब गया ।”
कं चन ने एक बार खामोश होकर शू य म घूरा ।
“मुझे होश आया तो... ।” उसने िवनी क बेचैन िनगाह म सवािलया िनशान महसूस
करते ए कहा, “मेरे चेहरे पर बरसती ई आग ठ डी पड़ चुक थी और गदन तक चेहरा
प य म िलपटा आ था । िसफ आँख पर प य के बीच एक मोटी लक र िजतना पेस
था िजससे म अपने आसपास का दृ य देख सकती थी । मेरी आँख क रौशनी सुरि त थी,
िजससे मने एक राहत-सी महसूस क । वरना जब म रे लवे लेटफाम पर िगरी थी तो मुझे
यही महसूस आ था क मेरी आँख क रौशनी भी जा चुक है ।
“आसपास देखने पर एहसास आ क म कसी अ पताल म थी । ज द ही एक लेडी
डॉ टर मुझे देखने आई । उसने मुझे संकेत से बताया क कसी ने मेरे चेहरे पर तेजाब फक
दया था और मेरी आँख िब कु ल सुरि त रही थ । लोग ने मुझे रे लवे कमचा रय क
मदद से रे लवे अ पताल प च ँ ाया था य क उस समय िनकट वही था ।
“मने इशार -ही-इशार म अपने सामान के स ब ध म पूछा तो पता चला मेरे करीब
िसफ एक सूटके स पाया गया था जो इस व पुिलस के संर ण म है । बैग का कसी को
कु छ पता नह था । मुझे अपनी आिखरी पूंजी लुट जाने का कोई खास दुःख नह आ ।
शायद बबादी और िनरं तर तबाही के रा ते पर एक मुकाम ऐसा भी आता है जब इं सान
खुद एक िज दा लाश क तरह रह जाता है, य क उसका एहसास मर चुका होता है ।
“शाम को एक ए•एस•आई• मेरा बयान लेने आया ता क एफ•आई•आर• दज क जा सके
ले कन लेडी डॉ टर ने उसे बताया क फ़लहाल म बोलने यो य नह ँ और अभी मेरे मुँह
पर से प ी ढीली नह क जा सकती । मने इशारे से ए•एस•आई• से कागज-कलम माँगा
और उसे एक कागज पर अपना बयान िलखकर दे दया, िजसका अथ यही था क मुझे कु छ
अंदाजा नह क कसने मेरे चेहरे पर तेजाब फका और य फका । म तो एक काम के
िसलिसले म चंद दन के िलए मुंबई जा रही थी ।
“मने उससे रकम और मू यवान चीज से भरे बैग के बारे म भी नह पूछा, बि क मने
तो उस सूटके स के स ब ध म भी कोई सवाल नह कया जो उसके संर ण म था । मुझे
मालूम था क मेरे चेहरे पर तेजाब फकने वाले कपूर खानदान के गुग के िसवा कोई नह
हो सकता, य क उ ह ने मुझे तबाह करने क कसम खाई थी । अब इन सब बात को
दोहराने से कोई लाभ न था । िवशेषकर पुिलस के सामने मुझे अ छी तरह मालूम हो गया
था क दौलत और कानून के सामने पुिलस और अदालत कसको कतना इं साफ दे सकती
ह । जब क ल के जुम से ही वह बच सकते ह तो तेजाब फकना उनके िलए मामूली बात
थी ।”
कं चन एक बार जहरीले अंदाज म यूँ मु कु राई या यूँ किहये क उसने मु कु राने क
कोिशश क । िनचला ह ठ कटा-फटा होने क वजह से उसक मु कु राहट अधूरी-अधूरी-सी
रहती थी, ले कन अपनी आँख से वह स पूण भाव जािहर कर सकती थी, ं य कर सकती
थी । और उनसे कह बेहतर कर सकती थी, िजनके ह ठ सही-सलामत और चेहरा व थ
होता है ।
“दरअसल िवनी !” वह नजर झुकाकर अपनी एक उं गली के नाखून से खेलती ई बोली,
“दुिनयावी कानून िसफ कमजोर के िलए दल बहलावे का एक ज रया है, वरना दुिनया म
हर जगह वा तव म फतरत का ही कानून चल रहा है । यानी ताकत का कानून । मुझे याद
है, एक बार म बचपन म इलाहबाद के एक ब त बड़े ए पो रयम म गई थी । वहाँ
मैनेजमट ने कदािचत् गलती से शीशे के एक के स म चंद मछिलय के साथ एक छोटी-सी
खूबसूरत मछली को भी ब द कर दया था । मने देखा क बड़ी मछिलयाँ धीरे -धीरे उसे खा
रही थ । सबसे पहले तो उ ह ने छोटी मछली क आँख बड़ी सफाई से िनकाल ली थ
ता क वह इधर-उधर भाग ही न सके और अपने दमाग क थोड़ी-ब त कोिशश भी न कर
सके । आँख क जगह उसक खोपड़ी म महज एक सुराख रह गया था, िजससे आर-पार
नजर आ रहा था ।
बड़ी मछिलयाँ बारी-बारी आत और उसके िज म से एक लुकमा भरकर बड़े चुलबुले
अंदाज म तैरती ई इधर-उधर चली जात । छोटी मछली तड़पकर इधर-उधर जाने क
कोिशश करती मगर या तो शीशे क दीवार से टकराकर रह जाती या फर पीछे सजे ए
प थर से । बार-बार वह पानी म उभरने क कोिशश करती ले कन फर थके -थके अंदाज
म डू बने लगती । वह धीरे -धीरे मर रही थी ।
“जाने य मुझे वह दृ य नह भूलता । म सोचती ,ँ जब कु दरत ने ही यह कानून बना
दया है क ताकतवर जानवर कमजोर को खा जाये, बड़ी मछली छोटी को िनगल जाये
तो फर हम कृ ित के इस िनयम को कै से बदल सकते ह ? इस दुिनया म सारा खेल ताकत
का है ।”
िवनाश अब तक खामोशी से सबकु छ सुन रहा था । उसक जुबान तो जैसे गुम होकर रह
गई थी । उसके पास अब बोलने के िलए था भी या, ले कन िवनाश महसूस कर रहा था
क य - य वह अपने दुख का सागर उड़ेल रही है, उसके दुःख का बोझ भी ह का होता
जा रहा है ।
वह आगे कहने लगी, “ए•एस•आई• कु छ देर बक-झक करने के बाद चला गया । मने
कागज पर िलख दया था क कोई एफ•आई•आर• दज नह कराना चाहती । वह अपने
तौर पर चाह जो करे ।
“अ पताल म म सोलह दन ीटमट म रही । उस दौरान रात क ूटी पर आने वाला
एक सुिशि त डॉ टर मुझसे बड़ी हमदद से पेश आता रहा । वही मानिसक तौर पर मुझे
तैयार भी करता रहा क जब मेरी आिखरी प ी खुलेगी तो मेरी श ल कु छ त दील हो
चुक होगी, ले कन मुझे उससे घबराना नह है वगैरा-वगैरा । उसने मेरी थोड़ी-ब त
आ थक सहायता करने क भी कोिशश क । साथ ही उसने मा भी माँगी क वह इससे
अिधक कु छ नह कर सकता, य क उसका वेतन थोड़ा ही है । मने ध यवाद के साथ
उसक रकम वीकार करने से इं कार कर दया और कहा क अगर वह मेरी मदद ही करना
चाहता है तो कसी तरह मेरी एक चीज बेचकर आये ता क कु छ अिधक रकम िमल सके ,
य क अ पताल का िबल देने के बाद भी मुझे पैस क ज रत थी । मेरे गले म हीरे का
एक लॉके ट बाक था, िजसक जंजीर सोने क थी । वह मने उसे दे दया, दो-तीन रोज बाद
उसने पाँच हजार पये मुझे ला दए ।
“आिखरी प ी खुलने के बाद डॉ टर ने मेरी िह मत बढ़ाने के िलए खासा ले चर
दया । उसके बाद मुझे दपण दखाया गया । उनका याल था क म चीख मारने लगूँगी,
जार-जार रोऊँगी ले कन ऐसा नह आ । शायद उसक वजह यह थी क मेरे भीतर का
एहसास मर चुका था और जंदगी के ित मेरी दलच पी ख म हो गई थी । मुझे तो अब
िसफ इतनी साँस पूरी करनी थ , िजतनी मेरे भा य म िलख दी गई थ ।
“दपण म अपना चेहरा, या यूँ कहो अपने भा य का चेहरा देखकर मने उफ् तक न क ।
बुक का इं तजाम डॉ टर ने कर रखा था, य क यह चेहरा ऐसा था क म आम रा ते पर
इसे लेकर चल ही नह सकती थी । उसम िलपटकर म अ पताल से खसत हो गई । इसी
बीच मेरा सूटके स अ पताल प च ँ ा दया गया था । मेरा इरादा अब भी मुंबई जाने का
था । इस बार म बस ारा रवाना ई और सकु शल पूना क हद से िनकलने म कामयाब हो
गई । शायद अब मुझे ऐसा िशकार समझकर छोड़ दया गया था िजसम िशकारी के िलए
कोई कोिशश बाक नह रही थी ।
“यहाँ मुंबई म मेरी एक शादी-शुदा दो त रहती थी, जो कानपुर के कािलज म मेरे साथ
पढ़ती थी । ले कन िश ा अधूरी छोड़कर कम उ म ही याही गई थी और तब से वह
मुंबई म ही थी । उसका ए स े मुझे याद था । बस से उतरकर म सीधी उनके पास प चँ ी।
“ प है क उसने मुझे नह पहचाना और मेरे िनवेदन के बावजूद भी वह मुझे कं चन
वीकार करने के िलए तैयार नह ई थी और जब मने उसे अपनी चंद एक िनशािनयाँ
दखा और चंद ऐसी बात बताई िजनका इ म िसफ मुझे ही हो सकता था तब उसने मुझे
कं चन वीकार कया । ले कन उसक रं गत पीली पड़ गई । और जब मने उससे कहा क
मुझे चंद दन के िलए शरण चािहए, उसके बाद म अपना कोई ब ध कर लूँगी तो उसक
रं गत कु छ अिधक ही पीली पड़ गई । वह िब कु ल गुमसुम-सी हो गई ।
“उसी दौरान उसका पित भी आ गया । मेरी दो त ने अलग ले जाकर उससे कु छ
सुझाव-मशवरा कया फर मेरे पास आकर बोली, ‘तुम देख ही रही हो हमारा लैट कु छ
अिधक बड़ा नह है । ब े भी सारा दन इ ह कमर म खेलते रहते ह । अब तुम चौबीस
घ टे तो चेहरा लपेटकर नह रह सकती । प है, ब क नजर तो पड़ेगी और इस तरह
उनके मन पर बुरा भाव पड़ेगा । तुम मेरा मतलब समझ रही हो न ? बुरा मत मानना,
आज क रात तो तुम यहाँ ठहरो । सुबह मेरे पित लड़ कय के एक बो डग हॉउस म
तु हारा ब ध कर दगे । वहाँ रहाइश जरा महंगी है, ले कन इतनी ज दी कोई उिचत
ब ध नह हो सकता । बहरहाल तुम घबराना नह , अगर पये-पैसे क कमी पड़े तो हम
कसी-न- कसी तरह बंदोब त करने क कोिशश करगे ।’
“मने उसे बताया क मामला पैसे का नह , मुझे माग दशन क ज रत है । मुंबई मेरे
िलए नया शहर है ।
“मुझे अपनी दो त के वहार से कोई दुःख नह आ । म पहले ही कह चुक ँ क
मुझम अब दुःख महसूस करने क सलािहयत ही नह रही थी ।
“दूसरे दन म बो डग प च ँ ी तो लड़ कय के बो डग म बूढ़े चौक दार को देखकर च क
पड़ी । चूं क म बुक म थी तो वह मुझे पहचान न सका, पर तु वह इनाम पाने के लालच म
मेरा सूटके स उठाकर अंदर तक ले गया और हॉउस के ऑ फस म प च ँ ा आया । वह मुझे
कमरा िमलने क ती ा म वह खड़ा रहा, ता क सूटके स वहाँ तक प च ँ ा आए ।
“म बो डग क मैडम के सामने रिज टर क खानापू त करवाती रही और फर जब एक
कमरा मुझे िमल गया तो बूढ़ा चौक दार मुझे साथ ले चला । मुझे याद आया, कानपुर म
वह हमारे घर के बाहर एक कमरे म रहा करता था । डैडी ने उसे एक िमल म चौक दार
पर लगाया था और वह हमारे घर म भी थोड़ा-ब त काम-काज कर िलया करता था ।
उसका नाम रहीम खां था और बरस तक हमारे घर म ही रहा था । अपनी जंदगी म
उसका एक ही सगा-स ब धी था, उसक इकलौती लड़क । औलाद क चाहत म रहीम खां
को बड़ी उ तक इं तजार करना पड़ा था । माँ-बेटी एक गाँव म रहती थ । जब हम
कानपुर छोड़कर आये तो वह खूब रोया था । मुझे अपनी बेटी क तरह चाहता था और
मेरा बचपन उसक गोद म खेला था । मुझे बड़ी हैरत ई क रहीम बाबा मुंबई म ह और
लड़ कय के बो डग म चौक दारी कर रहे ह ।
“जब म कमरे म आ गई तो रहीम बाबा ने िबना िहच कचाये पूछा, ‘तुमने बुका य
ओढ़ रखा है कं चन बेटी !’
“म बुरी तरह च क पड़ी, रहीम बाबा ने कस तरह मुझे पहचान िलया !
‘पहले तो मुझे तु हारी आवाज पर शक आ, फर रिज टर म नाम और वि दयत
देखकर रहा-सहा शक भी दूर हो गया । ले कन बात कु छ समझ म नह आ रही है ! पंिडत
जी कै से ह ? तुम अके ली ही यहाँ आई हो ?’
‘रहीम बाबा !’
“अब म अपने आपको िछपा नह सकती थी ।
‘अब मेरी दुिनया म कु छ नह रहा, सब छोड़कर चले गए । घर-बार सब छू ट गया ।’
“इतनी मु त के बाद पहली बार मेरी लाई फू ट पड़ी थी और मने सबकु छ रहीम बाबा
को सुना दया ।
‘घबरा मत बेटी ! मुंबई म म भी ँ । िब कु ल मत घबरा । मुंबई म म यहाँ ज र पड़ा ँ
बेटी, मगर मेरे पास एक खोली है, िजसका ताला उस दन के बाद कभी नह खुला जब
मेरी बेटी जल-मरी थी ! हाँ बेटी, मेरा भी अब इस दुिनया म कोई नह है ! गाँव म ही
सलमा क माँ चल बसी थी और म अपनी बेटी के साथ यहाँ चला आया । इस बेरहम नगरी
म । यहाँ मेरा एक भाई रहता था । कहता था, मुंबई म खूब पैसा कमा सकता ँ । लड़क
क शादी भी धूमधाम से क ँ गा । यही तम ा लेकर यहाँ आ गया । भाई ने रहने के िलए
एक खोली का इं तजाम कर दया और म पैसा कमाने िनकल पड़ा । फर एक नौकरी
िमली । रात भर चौक दारी करता था । मत पूछ बेटी, मत पूछ ! यह नगरी बेरहम लोग
क है । यहाँ मेरी पाक-साफ बेटी क इ त कु छ द रं द ने लूट ली और वह बेचारी िम ी
का तेल िछड़ककर जल मरी । कतने अरमान थे उसके िलए मेरे मन म ! म उसका याह
बड़ी शान से करना चाहता था, फर उस खोली पर हमेशा के िलए ताला डालकर इस
बो डग म आकर रहने लगा । िसफ इसिलए बेटी क यहाँ ब त-सी लड़ कयाँ रहती ह ।
कु छ बेसहारा भी होती ह और अब म उनको सलमा समझकर उनक देखरे ख करता ँ ।
ज रत पड़ने पर उनक इ त-आब क िहफाजत भी करता ँ । ले कन बेटी, तेरे दुःख
मुझसे भी बड़े ह । तू तो दुख के पहाड़ तले दबी है ।
‘िह मत रख बेटी, परवर दगार ने आज मुझे मेरी सलमा लौटा दी !’
“हाँ, म सलमा ँ ! आपक बेटी सलमा !’
“और म रहीम बाबा से िलपट गई । बाबा क बूढ़ी बाँह म सुबक-सुबककर रोती रही ।
रहीम बाबा ने ब त कु छ मेरे गम को ह का कर दया था ।
“चंद दन बो डग म रहने के बाद म बाबा के साथ खोली म आ गई और उस गरीब
ब ती म एक दूसरी ही जंदगी का एहसास पाकर मुझे कु छ सुकून-सा िमला ।
“रहीम बाबा ने बो डग क नौकरी छोड़कर उस ब ती म चटपट एक दुकान खोल डाली
और एकाएक एक नई धुन बाबा के मन म जाग उठी । अपनी बेटी सलमा का याह
धूमधाम से करगे और दूसरी तरफ म नौकरी क तलाश म भटकती रही, ले कन मेरी श ल
हर जगह आड़े आ जाती । भरपूर कािबलीयत होते ए भी मुझे नौकरी न िमल सक । रोज
अख़बार म छपे िव ापन को टटोलती और एक नई आस िलए चल पड़ती । म अपने
पाँव पर खुद खड़ा होना चाहती थी । रहीम बाबा ब त बूढ़े थे और मेरे िलए सबकु छ कमा
रहे थे, पर म जानती थी उनका सपना कभी पूरा नह होगा । कोई मुझे याहने नह
आएगा और एक दन वह भी मुझे त हा छोड़कर चल बसगे ।
“तुमसे मुलाकात क तो म सोच भी नह सकती थी । अब तो मने यह उ मीद भी दल
से िनकाल दी थी । िजस प म तुम सामने आये हो उसक तो म क पना नह कर सकती
थी ।” उसने ऑ फस के दरो-दीवार पर नजर डालते ए कहा, “ले कन इस व अगर तुम
मुझे न भी पहचानते तो भी मुझे कोई दुःख न होता और न ही म तु ह अपने स ब ध म कु छ
बताने क कोिशश करती, ले कन यहाँ भी नौकरी न िमलने का दुःख मुझे ज र होता ।”
वह खामोश हो गई और िवनाश के िलए गोया कायनात खामोश हो गई । अब तक
उसका हर श द िवनाश के कान म हथौड़े क तरह बरस रहा था । उसके अि त व के िलए
डायनामाइट सािबत हो रहा था, ले कन उसके बावजूद भी वह अपने आपको संभाले बैठा
था ।
बाजीगर का अि त व चकनाचूर हो गया । हालाँ क उसका दल िजस साँचे म ढाल
दया गया था वह कसी भी एहसास से परे क चीज थी । अपना मान बनाये रखने के िलए
वह कसी ऐसी नारी का क ल नह कर सकता था जो खुद उसके सामने िज दा मुदा बनकर
आई थी ।
कमरे म च द ल ह तक स ाटा रहा । बस वह खामोशी से एक-दूसरे को ताकते रहे । वह
तो यही समझा था क कं चन जंदगी म कभी नजर नह आएगी, पर अब एहसास आ क
इं सान िज दा रहे तो न जाने कस- कस मोड़ पर कौन-कौन िबछड़े ए आन िमलते ह !
कै सी-कै सी ददनाक कहािनयाँ बनती रहती ह ।
कं चन के दोन हाथ मेज पर टके ए थे और उं गिलयाँ एक-दूसरे म फँ सी ई थ ।
िवनाश के हाथ गैर-इरादी तौर पर आगे बढ़े और उसने उन जाने-पहचाने हाथ को अपनी
मजबूत िगर त म ले िलया । उसके गुदाज िज म म आज भी कोई फक नह आया था ।
च द ल ह तक वह एकटक िवनाश क ओर देखती रही । िवनाश महसूस कर रहा था क
उसक साँस तेज हो रही ह और िज म लरजने लगा ।
फर जैसे मु त से बाँधा आ स का बाँध टू ट गया । एक घुटी-घुटी-सी चीख के साथ
वह िबलख-िबलखकर रो दी । िवनाश ने उसे चुप कराने क कोिशश नह क । उसे मालूम
था क तेजाब ने िसफ उसके चेहरे को जलाया है ले कन यह आँसू अगर उसके सीने म ही
के तो उसक ह तक जलाकर राख कर दगे । अंततः उसने मेज पर िसर रख दया । हर
िससक के साथ उसका िज म बुरी तरह लरज रहा था । पर जैसे भावना के वालामुखी
को धीरे -धीरे ठं डक पड़ती चली गई । उसक िसस कयाँ म यम पड़ने लग और उ ह के
दर यान उसने ठे ए ब े क तरह अटक-अटककर कहा ।
“इस बार इन हाथ को थामा है तो पहले क तरह छोड़कर जमाने क भीड़ म खो न
जाना । म तु हारी खाितर लुट गई ,ँ बबाद हो गई ँ । मेरे पास कु छ बाक नह बचा ।”
िवनाश उठा और मेज के इद-िगद च र काटकर उसके करीब प च ँ ा । एक हाथ उसके
क धे पर रखा और दूसरे हाथ से देर तक उसके बाल म कं घी-सी करता रहा । जब वह
िब कु ल पुरसुकून हो चुक तो िवनाश ने उसका चेहरा ऊपर कया और अपने सीने म फटने
वाले तूफान को ज ब करते ए िसफ इतना ही कहा –
“अब सबकु छ भूल जाओ । सारे गम मेरे िलए छोड़ दो । सब ठीक हो जायेगा ।”
कं चन क आँख सुख हो चुक थ और आँसु से पूरा चेहरा भीगा आ था ले कन अब
वह मु कु राने यो य हो चुक थी ।
“ले कन िवनी, यह तु हारे चेहरे को या आ ?”
“बस कं चन, यह ऐसी कहानी है जो म तु ह सुना नह सकता ! ले कन धीरे -धीरे तु ह
सब मालूम हो जायेगा, जब तुम मेरी जंदगी म लौट ही आई हो तो आिह ता-आिह ता
सब समझ जाओगी । फ़लहाल इतना जान लो क मने अपना चेहरा नह खोया, लाि टक
सजरी क इस तह के पीछे मेरा अपना ही चेहरा है और तुम यह भी याद रखोगी क म
यहाँ िवनी या िवनाश नह ँ । िवनाश मर चुका है । उसके प म बलवंत िज दा है । यहाँ
सब मुझे बलवंत के नाम से जानते ह ।” िवनाश ने यह श द कु छ धीमे वर म कहे ।
“ लाि टक सजरी... बलवंत... ओह... ! म तो भूल गई थी क म बलव त इं टर ाइिजज
म ही नौकरी क ाथना लेकर आई थी ! ले कन िवनी, या मेरा यह चेहरा भी इसी तरह
बदल सकता है ?” उसने ऊँगली से अपने चेहरे क तरफ संकेत करते ए कु छ ं या मक
वर म पूछा ।
“हाँ, यह चेहरा भी ठीक हो जायेगा ।” िवनाश ने पूरे िव ास से कहा ।
“ले कन िजन डॉ टर ने मेरा इलाज कया था उ ह ने बात -बात म मुझे बता दया था
क इतने अिधक िबगड़े ए चेहरे को लाि टक सजरी ारा भी ठीक नह कया जा
सकता ।”
“शायद उ ह ने तु हारी मुफलसी देखकर तु ह और अिधक जानकारी देना थ समझा
हो ।” िवनाश ने करीब बैठते ए मु कु राकर कहा ।
िवनाश ने महसूस कया क उसके शरीर से आज भी वही रह यमय ख़शबू फू ट रही थी,
जो कभी दूर से ही उसके आगमन का पता दया करती थी ।
“ लाि टक सजरी क आधुिनक तकनीक िजसे फे स िल टंग भी कहते ह ।” िवनाश ने
कहा, “उसम समय और पैसा तो ब त लगता है ले कन यूँ समझो क अस भव को अब
स भव बना दया जाता है । बुरी तरह कटे-फटे चेहरे दु त हो जाते ह, गंज के िसर पर
बाल उग आते ह और बूढ़ क झु रयाँ दूर हो जाती ह ।”
“िह दु तान म तो मने इस क म क सजरी का कह िज नह सुना ।”
“म िह दु तान क नह , इं लै ड, अमे रका क बात कर रहा ँ ।” िवनाश ने कहा, “मेरे
पास इस स ब ध म कु छ जानका रयाँ ह और बाक अिधक जानका रयाँ च द दन म
एकि त क जा सकती ह । स पूण व था होते ही तु ह लंदन या यूयाक के िलए उड़ान
भरनी होगी ।”
“तुम साथ नह चलोगे या ?” उसने पूछा । उसक आँख म अब जंदगी क दलच पी
लौट आई थी ।
“नह । मेरा अंदाजा है, तु हारे इलाज म शायद छः माह या इससे अिधक समय लग
जाये ।” िवनाश ने कहा, “ले कन तुम फ़ न करो, तु हारे िलए हर ब ध म क ँ गा, जो
िनहायत तस लीब श ह गे । तु ह बस आँख ब द करके िनदश पर अमल करना होगा और
कु छ नह । इस दौरान शायद म तु ह देखने के िलए आता र ,ँ ले कन इतने अरसे तक सारा
कारोबार छोड़कर म तु हारे साथ नह रह सकता । ले कन उस व म यक नी तौर पर
एयरपोट पर ग ँ ा जब मेरी कं चन अपने पहले रं ग प के साथ िवमान से उतरे गी । व ने
जो प तुमसे छीन िलया है, उसे वापस ा करने के िलए म दुिनया के बड़े-से-बड़े डॉ टर
तक प च ँ ूँगा । अपनी ही नह , अपने तमाम दु मन क दौलत समेटकर उसके कदम म ढेर
लगा दूगँ ा । तुम अब भूल जाओ क तु हारा चेहरा िबगड़ा आ है, या हालात ।”
िवनाश ने महसूस कया क उसके वर म भराहट आती जा रही है, इसिलए वह एक
ल हे के िलए खामोश हो गया ।
“तु हारे पास अपनी कोई त वीर है, िजसम तु हारी असली श लोसूरत उजागर होती
हो ।” िवनाश ने अब ‘टू द वॉइं ट’ पूछा ।
“मेरे पास अतीत के िच ह म िसफ कािलज का एक काड बाक रह गया है, िजस पर
मेरी छोटी-सी त वीर बनी ई है । यह काड वािपस कराने का मुझे अवसर नह िमला
था ।” कं चन ने बताया ।
“ठीक है, उसी से काम चल जायेगा ।”
इतना कहकर िवनाश ने इं टरकॉम का ि वच दबाया ।
“पंिडत !”
“यस बॉस !”
“जो लड़क पहले यहाँ से इं टर ू देकर गई थी, या वह चली गई ?”
“जी नह , अभी मौजूद है । कहती है क हाँ-न का जवाब सुनकर ही जायेगी, य क उसे
दूसरी फम म भी इं यर ू देना है । अगर उपयु वेतन होगा तो यहाँ काम कर लेगी ।”
“ठीक है, उसे अ वॉइ मट लेटर इशू कर दो । जो मुनािसब वेतन समझो, तय कर लो ।”
इतना कहकर िवनाश ने इं टरकॉम का कने शन ऑफ कर दया ।
“आओ चल ।” उसने कं चन से कहा ।
“कहाँ ?”
“वैसे तो रहीम बाबा के पास जाना ज री भी नह है, पर मानवता के नाते तु ह वहाँ से
िवदाई लेनी ही पड़ेगी । अगर रहीम बाबा पूछ क म कौन ँ तो तुम यही कहोगी क म
तु हारा होने वाला पित ँ । नाम बलव त ही बताना और यह भी कह सकती हो क म
तु हारे चेहरे के इलाज के िलए तु ह ज दी िवदेश भी भेज रहा ँ । उ ह यह भी समझा
देना क सलमा क जंदगी आबाद हो गई है । उ ह फ़ करने क ज रत नह ।”
िवनाश ने उसका क धा थपथपाया और ऑ फस के मु य ार से िनकलने क बजाय उस
गु रा ते से िनकला जो िवशेष अवसर के िलए बनाया गया था । वह ऑ फस का िपछला
दरवाजा था ।
िल ट से उतरने के बाद वह कं चन के साथ कार पा कग म आया और अपनी गाड़ी म बैठ
गया । कं चन उसके बराबर वाली सीट पर बैठी थी ।
रहीम बाबा को कं चन पर बड़ा िव ास था । कं चन को वह बचपन से जानते थे और यह
भी समझते थे क जो लड़क इतने तूफान से गुजरने के बाद भी न झुक तो उसे जंदगी के
कसी मोड़ पर कोई नह झुका सकता ।
जब कं चन ने कहा क मुझे मेरी मंिजल िमल गई है बाबा ! तब बाबा को ख़शी ई थी ।
कं चन ने यह भी वादा कया था क वह आती रहेगी । रहीम बाबा ने अपनी सलमा को
िवदा कया, जब बेटी एक चमचमाती नई गाड़ी म बैठी तो आँख म खुशी के आँसू थे ।
िवनाश, कं चन को लेकर उस कोठी म आया, जो उसका अ थाई िनवास था । उसे यक न
था क यह बात आइरन फोट वाल से िछपी न रहेगी क वह बदसूरत चेहरे वाली लड़क
को साथ रखे ए है । वह यह देखना चाहता था क इसका या प रणाम सामने आता है ।
कं चन के स ब ध म जो फै सला उसने कया था उससे बगावत क बू आती थी । कं चन
एक ऐसी शि सयत होगी और शायद पहली ह ती होगी जो बाजीगर का हर रह य जान
जायेगी और बहराम से या आइरन फोट से उसका कोई स ब ध न होते ए भी वह िज दा
रहेगी । इस तरह बाजीगर पहली बार बेनकाब होगा और आइरन फोट का कोई काितल
कं चन को हलाक नह कर सके गा । इसका मतलब यह होगा क खुद बाजीगर पर हमला
कया गया है । बशत क बहराम ने ऐसा ख अि तयार कया ।
इस कोठी म दो नौकर थे । एक किड़यल जवान था, दूसरी उसक बीवी थी, जो देखने म
क मीरी औरत जैसी लगती थी । मद का नाम छ ा था और औरत रसीली के नाम से जानी
जाती थी । वे दोन आइरन फोट के आदमी भी हो सकते थे । यह बात अलग थी क वे
मािलक के ित बड़े वफादार थे ।
शानदार कोठी देखकर कं चन बोली, “बड़ा खूबसूरत बंगला है । मेरी समझ म नह आता
क तुमने इतने कम अरसे म इतनी बुल दी कै से हािसल कर ली है ! मेरे डैडी ने जवानी से
लेकर बुढ़ापे तक मेहनत क थी तब भी िवशेष थान तक नह प च ँ सके । बस उ ह छोटे-
मोटे सेठ म से एक बन सके थे, जो पूना या मुंबई के गली-कूँ च म खासी तादाद म िबखरे
पड़े ह और गुमनामी क जंदगी बसर करते ह ।”
“वह तु हारे डैडी थे न !” िवनाश ने मु कु राते ए कहा, “कु छ लोग जंदगी भर उनसे
भी अिधक मेहनत करते ह ले कन उसके बराबर भी नह प च ँ पाते । अगर हर इं सान एक-
सी मेहनत करके एक जैसी तर कर सके तो फर दुिनया का िनजाम बड़ा गड़बड़ा जाये ।
सब ही बड़े-बड़े सेठ बन जाय, या फर शायद कोई भी सेठ न बन पाये । य क वह गरीब
और िमिडल लास कहाँ से आएँगे िजनके िसर पर सेठ िज दा रहते ह ! इसिलए हम
वीकार करना पड़ता है क ऊपर से भी एक हाथ दुिनया क इस शतरं ज के मोहरे इधर-
उधर करता है । शाह को शाह क जगह रखता है और यादे को यादे क जगह, ता क
शतरं ज क बाजी सही रहे, कह गड़बड़ न हो जाये ।”
“बात बड़ी आ गई ह तु ह ।” वह मु कु राई ।
“दौलत आती है तो बात भी आ जाती ह, िजस तरह खुदा जब देता है तो नजाकत
आ ही जाती है ।”
िवनाश और कं चन हाल म प च ँ े तो रसीली किचन से और छ ा ाइं ग म से आता
दखाई दया ।
रसीली ने सरसरी से अंदाज म बस एक नजर कं चन क तरफ देखा था और आम औरत
क तरह उसक आँख म आ य भरा यह सवाल नह उभरा था क वह बुकापोश औरत
कौन है ?”
“म ब त ज दी म ँ ।” िवनाश ने दोन िमयाँ-बीवी को संबोिधत कया, “तुम अपना-
अपना काम करते रहो । मुझे तु ह िसफ यह बताना था क आज से यह भी इसी घर म
रहेगी और तुमने िब कु ल उसी तरह इनके आराम का याल रखना है और म मानना है
िजस तरह मेरा ।”
उ ह ने वीकृ ित म िसर िहलाया और वािपस चले गए । िवनाश ने िनचली मंिजल के
तमाम कमरे कं चन को दखा दए, िजनम दो शयन-क थे ।
“जहाँ तु हारा दल चाहे रहो, जब जी चाहे सो जाया करो, जब जी चाहे उठ जाया
करो । कसी भी िसलिसले म पित ता नारी क तरह मेरा इं तजार करने क ज रत नह ,
य क अभी तुम िसफ नारी हो, पित ता नह ।” िवनाश शरारत भरी मु कु राहट के साथ
बोला, “और म भी चूं क िसफ मद ,ँ पित नह , इसिलए मेरी कोई आने-जाने क पाब दी
नह । अ सर म रात को ब त देर से आता ँ और कभी-कभी तो कई-कई रात तक आता
ही नह ।”
“कहाँ रहते हो ?” उसने तुर त पूछा ।
“देखा, पि य क तरह सवाल शु कर दए न ! इधर आपने कसी लड़क को घर
स पा और उधर उसने सवाल शु कर दए ।” िवनाश ने उसे छेड़ा ।
“ब त बदमाश हो गए हो ।” वह कु छ झप-सी गई, “ या दौलत आ जाने से बदमाशी
भी आ जाती है ?”
और फर िवनाश उसे अपनी रहाइशगाह म छोड़कर वािपस द तर म उसी िपछले
रा ते से आकर अपनी सीट पर जम गया ।
☐☐☐
ं शो बी के स ब ध म रांझे ने जो सबसे पहले जानकारी क , वह हैरतअंगेज थी ।

शो बी ने अपना पैलेस बेचने के िलए समाचार-प म िव ापन दया था । वह उसक
नीलामी करके इस मु क से ही खसत होने क सोच म बैठा था और लगभग तैयारी कर
चुका था । िवनाश को अपनी शु आत इसी श स से करनी थी और वह पैलेस बेचकर यहाँ
से जा रहा था । इसक कोई ठोस वजह न तो रांझे जान पाया, न ही िवनाश को मालूम हो
सक । ंस शो बी आजकल ताजमहल होटल के एक वी•आई•पी• सूट म ठहरा आ था ।
जैसे ही िवनाश को यह समाचार िमला उसने इं टरकॉम क तरफ हाथ बढ़ाया फर कु छ
सोचकर क गया । कु छ देर सोचने के बाद उसने सीधे टेलीफोन लाइन वाले इ स मे ट क
तरफ देखा और उस पर ताजमहल के न बर डायल करने लगा । ंस शो बी ने वयं ही
रसीव कया और पहले उसका प रचय पूछा ।
“आपका यह सेवक ब त ही गुमनाम-सा आदमी है ।” िवनाश ने उसी तरह बदली ई
आवाज म कहा, “हालां क ब त से नामवार के नाम िबगाड़ने या बनाने क ताकत रखता
है, मगर खुद आपके सेवक को पास-पड़ोस म भी कोई अ छी तरह नह जानता ।”
“सीधे-सादे अपने श द म अपना प रचय दो और उ े य बताओ ।”
“सीधे-सादे श द म या यूँ कहा जा सकता है क आपके इस सेवक का स ब ध इि डया
क एक ब त बड़ी यूज एजसी से है, िजसका स ब ध िवदेशी एजिसय से भी है । सीधे-
सादे श द म इसका मतलब यह है क आपका यह सेवक जब कोई िवशेष और चटपटी
खबर अपनी एजसी को देता है तो इि डया के अलावा वह बाहर कई बड़े-बड़े देश के
अखबार म भी प अंदाज म कािशत करते ह ।”
“कदािचत् तुम इं टर ू लेना चाहते हो ।” ंस ने अब कु छ न वर म कहा, “ले कन
ऑपरे टर ने तो बताया था क तुम पैलेस क खरीददारी के स ब ध म... ।”
“ऑपरे टर ने ठीक ही बताया था, योर हाइनेस ! कु छ ठहरे -ठहरे वर म िवनाश ने कहा,
“ले कन म चाहता ,ँ उससे पहले आपसे मेरा स पूण प रचय हो जाये । आपको शायद
मालूम होगा क रपोटर बड़ी अजीब क म क जीवा मा होते ह । हवाएँ उनके कान म
सरगोिशयाँ करती ह और दूर-दराज क खबर ला सुनाती ह । कसी ज रत के तहत कभी-
कभी बड़े-बड़े बदमाश कु छ क मती राज उनके कान म डाल जाते ह और कभी-कभी वह
खुद भी अस भव बात को खोज िनकाल लेते ह ।”
“म अब भी नह समझा क तुम कहना या चाहते हो !” ंस ने उलझन भरे वर म
कहा ।
“आप कै से समझ सकते ह, जब क म अभी असली िवषय पर आया ही नह !” िवनाश ने
बैठी-बैठी आवाज म बड़े इि मनान से कहा, “म आपको यह बताना चाहता ँ क काफ
अरसे पहले दो बदमाश ने मुझे एक बड़ी दलच प कहानी सुनाई थी । कहानी का मु य
पा एक अ याश शहजादा था, जो एक पराये मु क म जाकर दौलत के बल पर अपनी
मनपस द औरत और लड़ कय को अपनी हवस के िलए हािसल कया करता था । उस
शहजादे का एक दलाल संयोग से उन बदमाश के ह थे चढ़ गया । बदमाश ने उसके साथ
कया सो कया ले कन उ ह जाने या सूझी क उ ह ने अपनी सोच के अनुसार एक नेक
काम करने क ठान ली ।” िवनाश एक ल हे के िलए खामोश हो गया । दूसरी तरफ यूँ
स ाटा छाया था जैसे ंस ने भी साँस रोक रखी हो ।
अब िवनाश ने वह जानकारी दी जो आइरन फोट को ा थी ।
“दोन बदमाश रात के अँधेरे म मालती मं दर प च ँ े ।” उसने बात आगे बढ़ाते ए कहा,
“शहजादा तो अपने दलाल के इं तजार म था । उन बदमाश को अपने ही दलाल के
ितिनिध समझकर उनके साथ कार म बैठकर चल दया और उन बदमाश ने एक जगह
झािड़य म ले जाकर शहजादे के खास-खास आदमी, िजनको वह दावत पर बुलाता था,
बड़े परे शान ह क अब न तो शहजादा दलाल के ज रये कसी हसीना को बुलवाता है और
न ही खूंखार क म के कराये के बदमाश के ज रये कसी शरीफ आदमी को उठवाता है ।
वह हैरान है क शहजादे को आ या है, या याल है, य न अखबार म यह दलच प
क सा छापकर उनक उलझन दूर कर दी जाये ! िसफ उ ह का नह , इसके पढ़ने से और
भी ब त का भला होगा । कु छ लोग को यह जानकर भी बड़ी हैरत होगी क शहजादे क
देवजाद बीवी िजसक वजह से शहजादे क शहजादगी कायम है, अब शहजादे को घूँस
और लात से पीटती ह, जब क पहले वह िसफ थ पड़ से यार करती थी ।”
दूसरी तरफ च द ल ह के िलए खामोशी रही, फर शहजादे क आवाज सुनाई दी ।
वह बड़बड़ा रहा था, लैकमे लंग फर कु छ बुल द आवाज म बोला, “ या चाहते हो ?
पया ?”
“नह , पये-पैसे क ज रत होती तो ब त पहले तुमसे संपक थािपत कया होता ।”
िवनाश ने जहरीले वर म कहा, “मुझे खुद तुमसे कु छ नह चािहए । मेरा एक शुभ चंतक
है, िजसे शायद अब मेरा नाम भी याद न होगा । कु छ अरसे पहले उसने बात -बात म
कसी और से यह चाहत कट क थी क काश, वह मालती मि दर जैसे जज़ीरे पर ंस
शो बी के पैलेस जैसा एक पैलेस बना सकता ! वह कोई गरीब आदमी नह है । चाहे तो
उस जैसे कई पैलेस बनवा सकता है ले कन कारोबारी आदिमय क सम याएँ शायद तुम
समझ सकते हो क कभी-कभी उनके पास अिधक बड़ी रकम कै श के प म मौजूद होती
और कभी-कभार मौजूद होती है तो वह उसे कसी जगह लॉक करने को िबजनेस के
िखलाफ समझते ह । मेरी बात समझ रहे हो न ?”
“समझ रहा ,ँ तुम बोलते रहो ।” ंस के वर म तनाव था ।
“अब जब क तुमने पैलेस बेचने का इरादा कर ही िलया है, तो म चाहता ँ उसे मेरे उस
पुराने शुभ चंतक के हाथ बेच दो ।” िवनाश ने कहा, “ले कन अपनी माँग क ई रकम पर
नह , बि क िजतनी भी रकम वह तुर त तौर पर आसानी से अदा कर सके , तुम उसे ही
काफ समझकर रख लोगे । चाह दूसरी पा टय क तरफ से तु ह कतनी ही रकम क
पेशकश हो चुक हो । समझ गए ?”
वह च द ल हे खामोश रहा, फर बोला, “समझ गया । कौन है तु हारा वह शुभ चंतक
और इस िसलिसले म तु हारा उससे कतना कमीशन तय आ है ?”
“गैर ज री बात से दूर ही रहो तो अ छा है ।” िवनाश ने अपनी आवाज म गुराहट का
समावेश करते ए कहा, “वरना हो सकता है क म अपने शुभ चंतक का एहसान उतारने
का इरादा िब कु ल छोड़ दूँ और इस कहानी को टाइप करने बैठ जाऊँ िजसके तमाम
मह वपूण कागज मेरी मेज क दराज म पड़े ह ।”
“ओ•के •-ओ•के • । तुम अपने उस शुभ चंतक को मेरे पास भेज दो ।”
“वह इतना िगरा-पड़ा आदमी नह है क तुम इस वर म उसका िज कर सको और न
ही वह तुमसे िमलने आएगा । तुम खुद उसके पास जाओगे, फोन न बर म दे रहा ँ । पहले
तुम उससे मुलाकात का समय तय करोगे ।” िवनाश ने उसे फोन न बर दया, “और
कारोबारी न बर दो धंधे के बेताज बादशाह म उसका नाम सेठ बलव त के नाम से जाना
जाता है ।” इतना कहकर िवनाश ने फोन का स ब ध िव छेद कर दया ।
फर वह ंस के फोन क ती ा करने लगा ।
च द िमनट बाद ही टेलीफोन क घ टी बजी । िवनाश ने रसीवर उठा िलया ।
िवनाश का एहसास सही िनकला ।
पि डत कह रहा था, “बॉस, ंस शो बी आपसे बात करना चाहते ह !”
“उ ह बताओ क अभी म त ँ । चंद िमनट बाद वह दोबारा फोन कर ।”
“जी !” पंिडत क हैरत भरी आवाज सुनाई दी । फर बोला, “जी, ब त बेहतर ।”
िवनाश ऑ फस क फाइल टटोलता रहा । दोबारा ंस शो बी का फोन लगभग पौने
घ टे बाद आया ।
िवनाश ने रसीवर उठाया और पंिडत से लाइन देने के िलए कह दया । िवनाश क
आशा के अनु प ंस का वर दो ताना था । बातचीत के दौरान उसने अपना प रचय
कराने क भी कोिशश क ।
िवनाश ने बड़ी लापरवाही से कहा, “िह दु तान म आप इतने भी गुमनाम नह ह ंस !
फरमाइए, इस गुमनाम सेवक से आपने कै से संपक थािपत कया, या ज रत आन
पड़ी ?”
“यह तो िमलने पर ही बता सकता ँ ।”
उसने कहा, “बहरहाल आप चूं क कारोबारी आदमी ह, इसिलए इि मनान क खाितर
यह बता दूँ क म आपको कु छ देने ही आऊँगा, लेने नह ।”
अब ऐसा भी नह था क इस कारोबारी ं य को िवनाश समझ न पाता । उसने ह का-
सा कहकहा लगाया, “कु छ लेना दरअसल एक के बस क बात नह होती ।”
“िम टर ंस !”
“सही फ़रमाया आपने ।” उसने तुर त वीकृ ित दान क , “तो म कब आपक सेवा म
हािजर हो सकता ँ ?”
“आप चाह तो खाना मेरे साथ खा सकते ह ।”
“खाना फर कभी सही ।” ंस ने कहा, “ फलहाल िसफ कारोबारी बात ह गी । म आधे
घ टे बाद आ जाऊँ ?”
“बड़े शौक से ।” िवनाश ने कहा ।
ंस ने गुड बाई कहकर स ब ध िव छेद कर दया ।
लगभग पतीस िमनट बाद पंिडत ने ंस के आने क सूचना िवनाश को दी ।
“बॉस, आपक िहदायत के अनुसार ंस शो बी को म अंदर भेजने लगा तो कहने लगे,
उनके दोन बॉडीगाड भी अंदर आएँगे । इस स ब ध म या आ ा है ?”
“ ंस से कह दो क बॉडीगाड बाहर ही छोड़ दे । मेरे द तर म उसक जान का कोई
खतरा नह है ।” िवनाश ने कहा, “दूसरे िनजी बातचीत के दौरान म बॉडीगा स क
उपि थित पस द नह करता ।”
चंद ण बाद ंस शो बी अंदर आया । वह एक खास डीलडौल वाला अ क था ।
आँख म गुलाबी डोरे तैर रहे थे । उसके अंदर आते ही ऑटोमै टक डोर उसके पीछे ब द हो
गया । वह वह खड़ा एकटक िवनाश को देख रहा था । ले कन िवनाश संतु रहा । ंस का
वागत उसने खड़े होकर कया और हाथ िमलाने के बाद उसे सामने बैठने का संकेत
कया ।
उसने एक चमक ले िसगार ब स से एक मोटा-सा िसगार िनकालकर बेरहमी के से
अंदाज म चौड़े-चौड़े दाँत से उसका एक िसरा तोड़कर र ी क टोकरी म थूका । िवनाश ने
टेिबल लाइटर उठाकर ल बी-चौड़ी मेज पर कु छ आगे को झुककर उसका िसगार सुलगा
दया ।
“थ स !” कहकर उसने एक गहरा कश िलया और धुएँ के छ ले उड़ाते ए उनके पीछे से
िवनाश का जायजा लेने लगा ।
“आज का दौर एहसान फ़रामोशी का है । ले कन आप बड़े भा यशाली ह िम टर
बलव त क आपके एहसान को कसी ने याद रखा है ।” फर एक ण ककर उसने ामाई
अंदाज म पूछा, “ कसी यूज एजसी म आपका कोई दो त रपोटर है ?”
“मुझे तो याद नह पड़ता क मेरा कोई दो त इस क म के धंधे से भी स ब ध रखता
है ।” िवनाश ने कु छ सोचने वाले अंदाज म कहा, हालां क इस समय उसे हँसी आ रही थी ।
“दो त नह , मुलाकाती होगा । िजसे आपने कभी कोई एहसान कया होगा ।”
“मुलाकाितय के नाम तो मुझे याद नह रहते और न ही म कसी का एहसान करके
याद रखता ँ ।” िवनाश ने लापरवाही से कहा ।
“इसका मतलब है, मुझे अपना भाव इ तेमाल करना पड़ेगा ।” अचानक उसके वर म
कठोरता आ गई ।
“ कस िसलिसले म िम टर ंस ?” िवनाश ने नरमी से पूछा ।
“उस रपोटर का पता चलाने के िसलिसले म, िजसके साथ िमली-भगत करके तुम मुझे
लैकमेल करना चाहते हो और मेरा पैलेस स ते दाम म मुझसे हिथयाने क कोिशश कर
रहे हो ।” वह साँप क तरह फुं कार उठा ।
“आप तशरीफ ले जा सकते ह िम टर ंस !” िवनाश ने सकू न से कहा, “पहले आप
शौक से अपने भाव का योग कर । उसके बाद मुझे आकर बता दीिजयेगा क बात या
है ! मुझे अभी तक यही मालूम नह क आप कस रपोटर, कस पैलेस और कै सी िमली-
भगत क बात कर रहे हो ! दूसरी बात यह है क म इस बदतमीजी से बात करने वाल को
उठाकर द तर से बाहर फक दया करता ँ और यह जाँच बाद म करता ँ क वह ंस है
या शहंशाह ! जहाँ तक भाव वाली बात है तो इस देश म छोटे-मोटे शहजाद क िसफ
इ त होती है, भाव नह । भाव यहाँ ापारी का है, जो सबसे अिधक टै स अदा
करता है । और म िसफ ापारी ही नह , ापा रय क यूिनयन का जनरल सेके ी भी ,ँ
िजसके सद य क सं या डेढ़ हजार से अिधक है । जो िसफ इसी मु क म ही नह और कई
भी देश म कारोबार चला रहे ह । जो मेरे एक इशारे पर अपने ापार का पिहया जाम
कर द । तुम जैसे शहजाद का मुँह काला करके , जो संयोग से पहले ही काला है, इस मु क
से खदेड़ने क माँग कर सकते ह । समझे ? इसिलए उिचत है क जो बात करनी है स य
आदिमय क तरह करो । धम कयाँ देना तु हारे हक म हािनकारक हो सकता है ।”
िवनाश को तो यह भी पता नह था क ापा रय क कोई यूिनयन ऐसी है भी या
नह । उसने बड़ी शानदार ग प हांक थी ।
ंस चंद ल ह तक मखमली ग े वाली कु स के ह थ पर स ती से हाथ जमाये िवनाश
को घूरता रहा । उसके नथुने तेजी से फू ल-िपचक रहे थे । िवनाश भी पलक झपकाये िबना
उसक तरफ देखता रहा ।
एकाएक उसने िसगार ए े म मसल दया ।
“ ंस शो बी ने लैकमेल होना नह सीखा, समझे ?” उसने एक-एक श द पर जोर देते
ए कहा, “और संयोग से मेरी आदत भी यही है क म ताकत का पहले इ तेमाल नह
करता ,ँ दूसरी चीज पर गौर बाद म करता ँ । करने को म यह भी कर सकता ँ क
उठकर अपने बॉडीगा स को अंदर बुलाऊँ और उ ह महज एक इशारा कर दूँ । वह इसी
कु स पर तु हारा िज म छलनी करके रख दगे । कहानी हम यहाँ से जाने के बाद इि मनान
से गढ़ लगे । अिधक-से-अिधक अगर आ तो यही होगा क मेरे बॉडीगा स को चंद माह
क सजा हो जायेगी । य क मेरे िलए यह सािबत करना कु छ मुि कल न होगा क
कारोबारी वाता के दौरान तुमने अपना आपा खोकर िलफाफे खोलने वाली छु री से मुझ पर
हमला कर दया था । छु री का िज मुझे इसिलए करना पड़ेगा य क रवॉ वर तो तुम
जैसे सेठ अपने पास रखते नह , य क चलाने का हौसला नह होता ।”
“यह भी तो स भव है क इस कमरे म कह ऐसे यं िछपे ह , िजनसे तु हारी बातचीत
कसी और कमरे म रकॉड हो रही हो ।”
एक ल हे के िलए वह हड़बड़ा-सा गया । पर तुर त ही समझ गया, “ लैकमेलर के यही
तो अंदाज होते ह । म तुमसे यही पूछने आया ँ क मुझे उस रपोटर का नाम और पता
बता दो, िजसने मुझे लैकमेल करने क कोिशश क है और मुझे यह भी एहसास हो रहा
था क कु छ दन पहले िजन दो बदमाश ने मालती मि दर म घुसकर मुझ पर काितलाना
हमला कया था, वह तुम और यह रपोटर सब एक ही थैली के च े-ब े हो । यह िबजनेस,
यह ऑ फस असल म एक ॉड है िजसके पीछे तुम लोग िमल-जुलकर बड़ी-बड़ी वारदात
करते हो । बड़े-बड़े हाथ मारते हो ।”
“मालती मि दर पर आप पर हमले क घटना कब घटी िम टर ंस ?” एकाएक िवनाश
ने नरमी से पूछा ।
“दो महीने हो चले ह ।”
“आपने उसक रपोट तो दज कराई होगी । पुिलस ने कोई कायवाई नह क ?”
“ रपोट !” वह एक बार फर बड़बड़ाया ले कन िनहायत शाितर इं सान था इसिलए इस
बार भी स भल गया, “इस क म क छोटी-मोटी बात को काश म लाकर म किडल
बनवाना पस द नह करता । मुझे उ मीद थी क एक-न-एक दन म अपने इन तु छ से
दु मन को खुद ही ढू ँढ़ िनकालूँगा और मेरा अनुमान सही था । अंततः मुझे इनका सुराग
िमल ही गया, यानी तुम ! अब तुम मुझे बताओगे िम टर बलव त क वह कौन थे ? अगर
तुमने मेरी बात का जवाब न दया तो म तु ह सजा देने के िलए अब अपने बॉडीगा स को
भी जहमत नह दूग ँ ा, य क वह वैसे ही ज रत पड़ने पर हर इ जाम अपने िसर लेने को
तैयार रहते ह । अब तुम जुबान खोल दो ।” उसने कोट क अंद नी जेब क तरफ हाथ
बढ़ाया, जहाँ बगली होले टर क उपि थित के उभार िवनाश पहले ही देख चुका था ।
हालाँ क िवनाश के हाथ क प च ँ ब त ल बी थी और अगर कोई दूसरा अवसर होता
तो अब तक ंस के िज म क न जाने कतनी हि याँ टू ट चुक होत , मगर वह इस व
बाजीगर नह , बलव त था । एक सुलझा आ ापारी । ले कन अब कारोबारी बने रहना
भी खतरे से खाली न था । वह इस कारोबारी आदमी को ताक पर रखकर तीसरे दज का
बदमाश नजर आने लगा था ।
“िम टर ंस !” उसक आवाज म अचानक एक ऐसी धड़कन पैदा हो गयी क ण भर
को तो ंस के शरीर म झुरझुरी-सी दौड़ गई ।
“होले टर तक हाथ ले जाने से पहले एक नजर मेज के नीचे देख लीिजयेगा । इस सुझाव
पर अमल न करने से आपक जंदगी भी जा सकती है ।”
आिखरी श द म ऐसा असर था क न िसफ होले टर क तरफ बढ़ता उसका हाथ
मशीनी अंदाज म क गया, बि क असमंजस से च ककर उसने कु स भी पीछे िखसका दी,
ता क आसानी से झुककर मेज के नीचे देख सके ।
नीचे देखते ही उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लग और वह एकाएक कु स पर सीधा
होकर यूँ सा कत बैठ गया जैसे त वीर खंचवा रहा हो । हालां क मेज के नीचे ऐसी कोई
डरावनी चीज भी नह थी क उसके होश पूरे उड़ जाएँ ।
मेज के त ते के िनचली तरफ एक लाइट मशीनगन फट थी, जो एक स पूण दायरे म
बड़ी खामोशी के साथ तेज र तारी से यूँ हरकत कर रही थी, जैसे कसी ब त बड़े डायल
पर ब त बड़ी से कं ड क सुई हरकत कर रही हो । उसके सामने ऑ फस का पूरा-का-पूरा
िह सा मशीनगन क जद म आता था । यह मशीनगन आइरन फोट ने ही फ स कराई
थी । कु सयाँ तो गन क रज से च द इं च के फासले पर ही थ ।
“इससे फाय रं ग करने के िलए िसफ एक बटन दबाने क ज रत पड़ती है ।” िवनाश ने
उसी अंदाज म कहा, “िजस पर इस समय मेरा हाथ है । इसी से तुम मेरी ह ती का अंदाजा
लगा सकते हो । ले कन अब हम श , धमक या लैकमे लंग से हटकर कारोबारी बात
करगे, िसफ िबजनेस ।”
कमरे म चंद ल हे स ाटा रहा । ंस क सारी अकड़ हवा हो गई थी । उसे एहसास हो
गया था क वह महज एक सेठ के सामने नह बैठा ।
“हाँ, वह रपोटर मेरा दो त है, िजस तरह मेरे और ब त-से लोग दो त ह ।” िवनाश ने
अब असली बातचीत शु क , “और उसका िनवेदन है क म वह पैलेस आपसे खरीद लूँ ।
हालां क मुझे उसे खरीदने क कोई िवशेष इ छा नह , ले कन मेरे उस दो त का कहना है
क वह मुझे आपसे वह पैलेस साधारण-सी क मत पर दलवाएगा, य क आप उसक
बात ब त मानते ह ।”
“हाँ ।” उसने ह ठ पर जुबान फे रकर त खी से कहा, “ठीक ही कहता है वह । म उसक
बात मानता ँ । यह दूसरी बात है क म उसका नाम नह जानता, उसक सूरत से
अप रिचत ँ । यहाँ तक क उसक आवाज भी आज पहली बार फोन पर सुनी है ।”
“खैर, यह आपका और उसका मामला है ।” िवनाश ने खु क वर म कहा ।
“ या सचमुच तु ह उसका कारण मालूम नह है, िजस पर वह इतने िव ास से बात
कर रहा है ?”
“नह ।” िवनाश ने सपाट वर म कहा, “वह मेरा दो त ज र है, ले कन अपने
कारोबारी राज मुझे नह बताता । वह लैकमेलर शायद हो पर उसे अजीब ही क म का
लैकमेलर कहा जा सकता है । यही देख लो क वह मेरे एक छोटे से एहसान के बदले
आपक ओर से ब त बड़ा लाभ प च ँ ाना चाहता है । लैकमेलर ऐसे कहाँ होते ह ! अब म
आपको सीधे-सीधे और दो टू क अंदाज म बता दूँ क म आपके उस पैलेस क क मत अिधक-
से-अिधक पाँच लाख पये दे सकता ँ ।” िवनाश ने िनणायक वर म कहा ।
“पाँच लाख !” ंस के पहलू म जैसे कसी ने छु री घ प दी, “पाँच लाख पये तो उसका
िबजली और एयरकं िडश नंग का ब ध करने म खच हो गया था । आज से चार साल पहले
उसके िनमाण और ीप क आधी जमीन क क मत अदा करने म ही मेरा तीन करोड़ पये
से ऊपर खच आ था । इस व पाँच लाख से अिधक के तो िसफ उसके गेट ही ह गे ।”
“ आ कर ।” िवनाश ने लापरवाही से कहा, “मने आपको वह क मत बता दी जो म
अफोड कर सकता ँ । आगे आपक मज । और हाँ, आपको एक ज री बात बता दूँ क वह
रपोटर मेरा दो त ज र है ले कन मेरे कहने पर भी वह अपने इरादे नह बदलता । वह
पैलेस मुझे दलाने का इरादा कर चुका है तो फर उससे बाज रखना अस भव है । यहाँ तक
क म खुद भी उसके सामने इं कार नह कर सकता ।”
“पाँच लाख से तो बेहतर है क म अपने पैलेस को िग ट म दे दूँ ।”
“िग ट म वीकार नह कया करता ।”
ंस उलझन भरी दृि से उसक ओर देख रहा था । कदािचत् उसक समझ म नह आ
रहा था क यह कस क म का आदमी है !
“आपने पैलेस कदािचत् बाहर से देखा है ।” चंद ल ह बाद वह बोला । अब वह स य ढंग
से बोल रहा था, “आप ऐसा कर क एक नजर अंदर से भी देख ल, शायद उसके बाद आप
रकम बढ़ाने पर आमादा हो जाएँ ।”
“रकम बढ़ाने का तो म कसी भी सूरत म इरादा नह रखता ।” िवनाश ने उसक
आशा पर पानी फे रने क कोिशश क , “अलब ा म एक नजर उसे देखना अव य
चा गँ ा ।”
“तो फर कसी भी रोज तशरीफ लाइए ।” ंस ने तुर त कहा । उसके वर म कसी
हद तक अब भी उ मीद थी, “दरअसल मने इि डया म ब त नुकसान उठाया है िम टर
बलव त ! अब जब क मने इस मु क से नाता तोड़ने का फै सला कर ही िलया है तो म
चाहता ँ क आिखरी समय पर तो लुट कर न जाऊँ ।”
“ या कहा जा सकता है िम टर ंस !” िवनाश ने मु कु राते ए कहा, “यह भी मुम कन
है क आप इि डया को लूटकर ले जा रहे ह ।”
उसने गहरी नजर से िवनाश क तरफ देखा, ले कन िवनाश ने ऐसा ही जािहर कया
जैसे यह बात उसने मजाक म कही हो । फर उसने गंभीरता से कहा ।
“इतवार को म छु ी करता ँ । अगले स डे को म आपके यहाँ आने का ो ाम रख लेता
ँ ।”
“िब कु ल ठीक है । दोपहर का खाना आप मेरे साथ खाएँ ।” ंस ने ज दी से कहा ।
“खाने का आप तक लुफ न कर ।” िवनाश बोला, “वैसे भी म शाम ढले आऊँगा ।
रिववार को मेरा दन म कोई-न-कोई ो ाम पहले से तय होता है ।”
“तो फर आप मुझे अपने आगमन का समय बता दीिजये । म बोट हॉउस पर आपके
वागत के िलए मौजूद र ग ँ ा ।”
िवनाश ने चंद ण सोचने के बाद सात बजे का समय दे दया । वह उठ खड़ा आ और
हाथ बढ़ाता आ बोला, “रिववार को सात बजे मुलाकात तय ई । म िब के स ब ध म
तमाम कागजात तैयार रखूँगा । इस शाम चाहे जैसे भी सौदा तय हो जाये, बहरहाल सौदा
स पूण करके ही कागजात पर ह ता र करगे ।”
“िब कु ल ठीक ।” िवनाश ने उससे हाथ िमलाया और वह खसत हो गया ।
अब वह पैलेस िवनाश को कौिड़य के भाव िमल रहा था और इस स भावना से इं कार
नह कया जा सकता था क पैलेस का मािलक बनते ही वह अंडर ाउं ड लोग म एक बड़ी
हैिसयत से उभरकर सामने आएगा । आइरन फोट क योजना भी यही थी क ऐसे लोग
उससे संपक कर और उसे उस सौदे के िलए आमंि त कया जाये जो मु क का कं ोल बेचने
का सौदा करने वाला था ।
यह एक चाल थी और अब यक नन खेल शु हो गया था ।
☐☐☐
रिववार को िवनाश ने कं चन को साथ िलया और बाजार क तरफ िनकल गया ।
रिववार को अिधकांशतः बड़ी-बड़ी दुकान खुली ई थ य क त लोग रिववार के
दन ही शॉ पंग करते थे । कं चन बराबर बुक म िलपटी रहती थी । िवनाश ने उसके िलए
बीिसय ज रत क चीज खरीद डाल । हर िलबास को पस द करने के बाद वह िवनाश से
ज र पूछती ।
“यह तु ह भी पस द है न, यह मुझ पर अ छा लगेगा न ?”
“मुझे तो तुम िचथड़ म भी प रय क रानी लगोगी ।”
शॉ पंग स पूण होते-होते दोपहर हो चुक थी ।
दुकान से बाहर आकर गाड़ी म बैठते ए उसने खोये-खोये वर म कहा, “िवनी, कभी-
कभी म हैरत से सोचती ँ क या दुिनया म कोई कसी से इतनी मोह बत भी कर सकता
है, िजतनी तुम मुझसे करते हो ! मुझे यक न नह आता । यह सब मुझे झूठ लगने लगता ह,
सपना महसूस होने लगता है । िजस तरह मुझे अपनी बबादी एक सपना लगती है, उसी
तरह तु हारा िमल जाना और पहले क तरह पेश आना भी सपना ही लगता है । जैसे
कु दरत एक भयानक वाब दखा रही हो । आँख खुलेगी तो वही दन-रात ह गे, तुमसे
िबछड़ने का सदमा होगा । वही िन े य-सी जंदगी ।”
िवनाश टेय रं ग संभालकर बैठ चुका था ले कन उसने गाड़ी टाट नह क । वह कं चन
क तरफ देखते ए मु कु राया ।
“मेरी तु हारी जंदगी बस शायद चंद सपन का ही घर दा है । फक िसफ यह है क
वाब वतः ही िनमाण ए ह ।” फर िवनाश ने कु छ च कते ए पूछा, “तुमने अगर सोचा
था क म तु ह भूल सकता ँ तो इसका मतलब है क कम-से-कम उस समय तक तुम मेरी
मोह बत क गहराई तक नह प च ँ सक थी । तुमसे िबछड़कर जो मुझ पर गुजरी उससे म
अपने आपको भूल गया था ले कन तु ह नह भूला था । मेरी जंदगी म मोह बत क
गुंजाइश ब त कम है ले कन िजतनी भी है वह िसफ तु हारे िलए है ।”
वहाँ से दोन बीच ल जरी होटल आये । जहाँ होटल के इद-िगद फै ले सािहल पर कु छ
िह से म छत रयाँ वगैरा लगाकर होटल वाल ने अपने ाहक के िलए समु दर का नजारा
करने और वी मंग इ या द के ब ध कया आ था । यहाँ ाहक को लंच भी सव कया
जाता था ।
गाड़ी से नीचे उतरकर वह एक छतरी के नीचे आ बैठे और लंच का ऑडर देकर को ड
ं स क चुि कयाँ लेने लगे । स दय के दन थे इसिलए वी मंग करने वाल क सं या
ब त कम थी । अिधकतर लोग रे त पर धे-सीधे लेटे धूप सक रहे थे । चंद शोख और
चुलबुली लड़ कयाँ दौड़ती उनके समीप से गुजर । वह सब कनिखय ने कं चन को देख
रही थ ।
“अब तो िनर तर इस बुरी तरह से चेहरा लपेटे रखने से मुझे उलझन होने लगी है ।”
कं चन ने थके -थके वर म कहा, “अ सर ब त अिधक पसीना आ जाता है और इतना भी
अवसर नह िमलता क म नकाब हटाकर पसीना प छ सकूँ ।”
“बस अब थोड़े दन क बात और है ।” िवनाश ने कहा, “आजकल म म एक बड़े सौदे से
फा रग हो लूँ । कदािचत् अगले ह ते तक म तु ह एक सेिनटो रयम म भेज दूग
ँ ा ।”
“मालूम नह , य मेरा अब तुमसे दूर होने को जी नह चाहता ।” कं चन क आवाज म
ह का-सा क पन था, “मुझे डर लगता है क दुिनया क भीड़ म तु हारा हाथ कह मेरे हाथ
से छू ट न जाये ।”
“अंदशे े अब दल से िनकाल दो ।” िवनाश ने तेजी से कहा, “अंदश
े का दौर अब ख म
आ । आिखर जंदगी कब तक हम पर िसतम ढायेगी और कहाँ तक हम बदा त करगे । म
जंदगी से भी अपने अिधकार छीन सकता ँ ।” एकाएक िवनाश क आवाज म तीखापन
आ गया िजसे महसूस करके कं चन एकाएक हैरत से उसक तरफ देखने लगी ।
तब िवनाश ने पहले क तरह कोमल वर अि तयार करके कहा, “अब हमारा संपक
कभी नह टू टने पायेगा । तुम जहाँ रहोगी, समझो क मेरी िनगरानी म रहोगी । तु हारे
स ब ध म मुझे हर ह ते रपोट िमलती रहेगी । और फर म तु ह यह खुशी क बात तो
बताना ही भूल गया क मेरी पहली कोिशश यही है क तु हारी सजरी इसी शहर के
सेिनटो रयम म करवाऊँ ।”
कं चन क आँख से इ मीनान झाँकने लगा ।
दोपहर ढलते वह घर वािपस लौट आये । घर प च ँ कर वह अपने-अपने कमर म आराम
करने चले गए । मालती मि दर प च ँ ने से पहले वह कु छ देर सोकर ताजा दम होना
चाहता था । सोने से पहले उसने पाँच बजे का अलाम लगा दया । पाँच बजे उठकर
िवनाश ने चंद ज री टेलीफोन कये, एक नया सूट पहना, कं चन क पस द क गई आज
ही खरीदी एक टाई बाँधी और तैयार होकर घर से िनकलने के पहले कं चन के कमरे म
झाँकना चाहा ले कन उस कमरे का दरवाजा अंदर से लगा था । वह अभी सो रही थी ।
िवनाश क उसे िहदायत थी क सोते समय वह अपने कमरे का दरवाजा अंदर से ब द
करके रखा करे ।
घर से िनकलते समय उसने घड़ी देखी और धीमी र तार से कार ाइव करते ए
सािहल क तरफ रवाना हो गया । फ शंग हावर पर प च ँ कर उसने उस मोटरबोट को
तलाश कया िजसे पंिडत ने पहले ही उसके िलए कराये पर ले िलया था । हाइट शाक
नामक वह बोट थी और अ य ि थितय म अलग ही नजर आ रही थी ।
िवनाश ने घड़ी गौर से देखी । उसके पास दस िमनट अिधक थे और वह ठीक समय से
पहले मालती मि दर नह प च ँ ना चाहता था । दस िमनट उसने डोर पर टहलते ए
गुजार दए और ठीक छः बजकर चालीस िमनट पर वह आगे बढ़ा । अब उसके कदम बोट
क तरफ बढ़ रहे थे ।
☐☐☐
ीप के पास आने तक शाम का धुंधलापन गहरा हो चुका था, फर भी अभी रोशनी क
इतनी ज रत नह थी । पर तु ंस शो बी के बोट हॉउस पर उसे दूर से ही कई बड़ी-बड़ी
लाइट ऑन नजर आ । ऐसा मालूम होता था क यह ब ध इसिलए कया गया है क
कह वह भटककर दूसरी दशा म न िनकल जाये ।
पर तु िवनाश जैसे जहीन ि के िलए यह स भव न था । आइरन फोट के पास
मालती मि दर क फ़ म थी । रा ते का पूरा न शा था । इससे पहले आइरन फोट के
काितल द ते के दो आदमी गुंड का वेष धरकर वहाँ जा चुके थे और उ ह ने ही ंस शो बी
पर हमला कया था ।
िवनाश बोट म अके ला आया था और सीधा सुरंग से िमलते-जुलते बोट हॉउस म ले
गया । बोट हॉउस का दरवाजा खुला था ।
ंस शो बी को उसने दूर से ही सािहल पर खड़े देख िलया था । उसके दाय-बाय दो
ि भी सतक खड़े ए थे । दोन ही सूट म थे । ंस भी सूट म था ले कन िसर पर हैट
क बजाय न जाने य उसने तुक टोपी पहन रखी थी । मुसलमान अ क अ सर यह
अंदाज अि तयार करते ह क सूट के साथ तुक टोपी पहन लेते ह । पर तु ंस शो बी
ि यन था ।
वह तीन िवनाश को तट पर उतरते देख कु छ इस अंदाज म आगे बढ़े जैसे फोटो शूट के
अनुसार कसी देश के सरकारी मेहमान को रसीव करने आये ह । ंस ने बड़े शानदार
ढंग से िसर को झुकाकर िवनाश से हाथ िमलाया और फर पहले अपने दाय तरफ खड़े
ि से प रचय कराया ।
“िम टर ग बे शो बी, मेरे पसनल से े टरी ।”
उस ि ने ज रत से अिधक मुँह चौड़ा करके मु कु राते ए िवनाश से हाथ िमलाया ।
वह औसत कद का अधेड़ आयु का आदमी था । बारीक े म का नजर का च मा लगाये ए
था ।
“िम टर तोरे वाला, मेरे टेट मैनेजर ।” ंस ने बाय तरफ खड़े ि से प रचय
कराया । वह गठे ए शरीर का एक ल बे कद का नौजवान था ले कन आँख से अ यिधक
तजुबकार और शाितर नजर आता था ।
िवनाश ने ंस के पीछे झािड़य के करीब दो और काले नौजवान को खड़े देखा । ंस
ने उनके प रचय क ज रत महसूस नह क । वह दोन भी सूट म ही थे और हाथ पु त
पर कये खड़े थे । िवनाश को उनके स ब ध ने अनुमान लगाने म कोई द त नह ई क
वह ंस के बॉडीगाड ह ।
ंस ने बोट हॉउस के अंदर और दूर तक समु दर क सतह पर दृि दौड़ाते ए अपने
वर को सरसरी बनाने क कोिशश करते ए कहा, “आप अके ले ही आये ह ?”
उसके वर म दबी-दबी हैरत थी ।
“ या मुझे कसी को साथ लाना चािहए था ?”
“नह -नह ।” ंस ने ज दी से कहा, “म तो वैसे ही पूछ रहा था । आइये, तशरीफ
रिखये ।” उसने िवनाश को साथ-साथ चलने का संकेत कया ।
च द कदम दूर ही एक पु ता पगड डी पर काले रं ग क मसडीज और उसके पीछे
शेवरलेट खड़ी थी । दोन बॉडीगा स ने आगे बढ़कर काली मसडीज के दोन दरवाजे खोल
दए । टेय रं ग पर ंस वयं बैठ गया और िवनाश को उसने अपने बराबर म बैठने का
संकेत कया । वे बैठ चुके तो बॉडीगा स वयं ही िपछला दरवाजा खोलकर िपछली सीट
पर बैठ गए ।
टेट मैनेजर और ंस का से े टरी पीछे सफे द शेवरलेट म बैठ चुके थे । दोन कार आगे-
पीछे पैलेस क तरफ रवाना हो ग । ंस क ाइ वंग बड़ी कु शल थी । रा ते म उनके
बीच कोई बात नह ई, पर तु य - य पैलेस िनकट आता गया, िवनाश को खतरे क
ग ध महसूस होने लगी । उसके भीतर सोया आ एक खौफनाक चीता अंगड़ाई लेने लगा
और उसक आँख म एक ऐसी बाज क चमक पैदा होने लगी जो अपने िशकार पर झपटने
क तैयारी कर रहा हो ।
िवनाश का याल था क पैलेस प च ँ कर ंस के नौकर या गा स क खासी फौज
देखने को िमलेगी, ले कन ऐसा नह आ ।
हान सुनकर लोहे का ऊँचा-सा गेट िजस काले भुजंग ने खोला उसक कद-काठी
अ यिधक असाधारण थी । वह बेशुमार िसलवट वाली िम ी गुलाम क -सी सलवार और
वा के ट पहने ए था जो आगे से खुली थी । उसका िज म आबनूसी प थर का तराशा आ
लगता था । उसका कद इतना ऊँचा और छाती इतनी चौड़ी थी क साधारण क म के
दरवाज से तो गुजर ही नह सकता था । जरा-सी हरकत के साथ उसके बाजु क
मछिलयाँ यूँ फड़कती थी जैसे अभी वचा झड़कर बाहर आ जायेगी ।”
ब त ही शानदार हाईवे पर ंस ने गाड़ी रोक और उतरकर िम ी गुलाम जैसे नजर
आने वाले उस श स से संकेत म कु छ पूछा । उसने इशार म ही च द अथहीन आवाज के
साथ कु छ उ र दया और तब िवनाश को अंदाजा आ क वह गूँगा है । उसे देखकर
िवनाश को न जाने य बुलडॉग के वाजा सर यूमो क याद आ गई ।
उससे बात करके ंस ने शायद िवनाश क जानकारी के िलए बताया, “गूँगा है बेचारा
ले कन ताकतवर इतना है क मेरे और आप जैसे आदिमय को िसफ एक घूँसे म हलाल कर
सकता है ।”
िवनाश मु कु रा दया ।
ंस ने उसे भी अपने ही जैसे आदिमय म िगन िलया था ।
“कु हाड़ी के िसवा यह कोई हिथयार इ तेमाल नह करना जानता, ले कन िसफ
कु हाड़ी ही से एक हाथी का िसर तन से जुदा कर सकता है और शेर को टु कड़ म बाँट
सकता है । देखने म यह इं सान है मगर मेरी दृि म बड़ा नायाब क म का हैवान है ।”
िवनाश गदन िहलाकर मु कु रा दया ।
बॉडीगा स, टेट मैनेजर और से े ी भी गािड़य से उतर आये थे । िवनाश ने सरसरी
नजर से आसपास का जायजा िलया ।
महल दो मंिजला था और पूव स यता का िमलाजुला नमूना था । एक खूबसूरत
शाहकार ।
उसक ऊपरी मंिजल पर सामने क तरफ मुगिलया रं ग क एक ल बी-सी बालकनी थी,
िजसक दीवार वा तव म माबल के खूबसूरत छोटे-छोटे तंभ क एक ल बी कतार थी ।
पैलेस के िनमाण म बेिहसाब माबल योग कया गया था । ऊँची-सी बाहरी चारदीवारी
पर थोड़े-थोड़े फासले पर बड़ी-बड़ी लैश लाइ स फ स थ ।
चारदीवारी के बीच म वा तिवक इमारत थी और उसके तीन ओर हरा-भरा लॉन फै ला
आ था । िजसके एक िह से म वी मंग पुल नजर आ रहा था । लॉन पर दूर एक जगह
फू लदार पौध क या रय पर दो माली काम करते नजर आये । उ ह ने कनिखय से
उसक तरफ देखा और दोबारा काम म लग गए ।
ंस ने बॉडीगा स सिहत अपने चार नौकर को संबोिधत कया, “आप लोग अपने-
अपने कमर म जाएँ । िजसक ज रत होगी, म उसे बुला लूँगा ।”
सबने िसर झुकाया और िविभ दशा म चलते ए इमारत के पहलू म प च ँ कर
गायब हो गए । इस तरफ शायद बगली दरवाजे थे ।
“आइये, पहले बैठकर कु छ पीते ह, फर म आपको पैलेस दखाता ँ ।
“म मा चा ग ँ ा ।” िवनाश ने घड़ी म देखते ए कहा, “पीने-िपलाने को रहने दीिजये ।
मेरे पास व कम है । आप कृ पया मुझे एक नजर पैलेस दखा दीिजये । म चेकबुक साथ
लाया ँ । म चाहता ँ क आज यह काम ख म हो जाये । आपको मालूम है क हम
कारोबारी लोग क और भी सकड़ सम याएँ होती ह ।”
“काम आज हर हाल म ख म हो जायेगा ।” ंस ने िव ास से कहा, “और जहाँ तक
सम या का सवाल है तो म नह समझता, आपके सामने के वल कारोबारी आदमी नह
ह । शु म मने आपके स ब ध म अनुमान लगाने क गलती क थी ।”
“और इं सान को अपनी गलती दोहरानी नह चािहए ।” िवनाश ने भी मु कु राते ए
कहा, “ या आपको यक न है क आप अपनी गलती नह दोहरा रहे ?”
“मुझे िव ास है क म अपनी गलती नह दोहरा रहा ँ ।” ंस ने एक-एक श द पर
जोर देते ए कहा ।
“और या आपको मालूम है, आपक गलती या थी ?” िवनाश ने दलच पी से पूछा ।
बात करते-करते वह पैलेस क इमारत म िव हो चुके थे और एक ल बी-चौड़ी लॉबी
से गुजर रहे थे, िजसका माबल दपण क तरह चमक रहा था । उनक एिड़य क आवाज
इस कार गूँज रही थी जैसे वह कसी बड़े गु बद के नीचे से गुजर रहे ह ।
“हाँ, मेरी गलती यह थी क म शेर को उसके कछार म िशकार करने जा प च ँ ा था ।”
ंस ने िनःसंकोच कहा, “जब क बड़े से बड़ा िशकारी भी ऐसा नह करता । शेर के िशकार
का उिचत तरीका मेरी जानकारी म यही है क उसे अपनी मचान तले आने पर मजबूर
कया जाये ।”
“तो या आप भी शेर के िशकार का इरादा रखते ह ?”
िवनाश ने उसक आँख म झाँका । उसने तुर त िवनाश क तरफ से मुँह फे र िलया ।
उसके कदम म कु छ तेजी आ गई ।
“नह -नह , म तो िसफ जानकारी क बात कर रहा था ।” ंस ने ज दी से कहा, “काय
प म म िशकारी नह ँ । म एक स य आदमी ँ ।”
“तमाम िशकारी अपने घर म स य आदमी ही होते ह ।” िवनाश ने कहा, “उनक
असली सलािहयत तो उस व जागती है जब वह िशकार क नीयत करके िनकलते ह ।”
“और म इस व अपने घर म ँ ।”
“कु छ िशकारी अपने घर को अपनी मचान समझते ह ।”
“कदािचत् हम अपने उ े य क तरफ यान नह दे रहे ह ।” ंस ने कोमल वर म
कहा, “यानी न म आपको पैलेस दखा रहा ँ और न आप देख रहे ह । हम दोन ही नाक
क सीध म चले जा रहे ह । जरा पीछे आइये ।”
दो कमर के दरवाजे आमने-सामने थे और दोन क बाहरी दीवार गोलाई म थी ।
“यह िनचली मंिजल का ाइं ग म है ।” ंस ने दाय हाथ वाला दरवाजा खोलते ए
कहा ।
ंस ने िवनाश को अंदर चलने का संकेत कया । क तु िवनाश ने दरवाजे पर ही खड़े
होकर अंदर का जायजा िलया । कमरा सजा-धजा था, िजसे े को ट का ाइं ग म कहा
जा सकता था ।
“िनचली मंिजल पर परमानट एयरकं डीशन है । स दय म गरम रखने का भी ब ध
है ।” ंस ने बताया ।
उसका चेहरा और अंदाज सचमुच वैसा ही हो गया था, जैसे वा तव म कोई अपनी चीज
बेचने वाला हो और उसक खूिबयाँ िगनवा रहा हो ।
“ऊपर क मंिजल भी एयरकं डीशंड बनाने क गुंजाइश और ब ध है ले कन मने अपने
जमाने म उसे इ तेमाल नह कया । आप चाह तो उस िस टम का इ तेमाल क िजयेगा ।”
उसने दूसरे कमरे का दरवाजा खोला, “यह टडी म है ।”
उस कमरे म भी मू यवान फन चर मौजूद था । उसका जायजा लेने के बाद वह दाय
हाथ पर राहदारी म मुड़ा । यहाँ फश पर मखमली कालीन फै ला आ था । इस राहदारी म
आमने-सामने दो ब त बड़े बेड म थे । पर एक छत और दीवार म बीिसय शानदार
आईने लगे ए थे । एक कोने म बार भी मौजूद था ।
ंस ने कमरे के म य म मौजूद ब त बड़े गोल बेड क ओर संकेत कया । यह बेड इतना
बड़ा था और इसके मखमली ग े पर फै ली ई वे िशकन और बेदाग चमक ली झालरदार
चादर इस तरह रोशनी म िझलिमला रही थी क इस बेड पर ही जैसे सूय दय और सूया त
हो रहा हो । उसके ऊपर एक महीन छतरी लटक ई थी ।
“इस तमाम बेड म क रोशिनयाँ रमोट कं ोल पर जलती-बुझती ह । िब तर पर लेटे-
लेटे कोई सी भी ब ी जला लीिजये, बुझा दीिजये ।” ंस बता रहा था, “ रमोट कं ोल से
ही छत म लटकती ई यह महीन-सी छतरी फै लकर आपके बेड म को ढांप लेती है और
आप महसूस करते ह क आप बादल पर उड़ रहे ह । छतरी हटा दी जाये तो आप तमाम
दपण म अपने आपको देख सकते ह । बेड म म रमोट कं ोल पर तमाम ब ध अभी
िसफ ांस के करोड़पित तक ही िसिमत ह । इि डया म बड़े-से-बड़े सेठ के घर म इस तरह
का बेड म नह होगा ।”
“खैर, मेरे िलए यह िवलािसता म कोई खास आकषण नह है ।” िवनाश ने लापरवाही
से कहा, “अगर मुझे यहाँ रहना होता तो ब त-सी चीज मुझे हटानी पड़त ।”
“तो या आप रहने के िलए पैलेस नह खरीद रहे ?” ंस ने हैरत से पूछा ।
“जी नह ।” िवनाश ने इ मीनान से जवाब दया, “मेरा िबजनेस शहर म है और
रोजाना यहाँ से वहाँ प च ँ ने म मुझे डेढ़ घ टा लगेगा । कभी समु दर का िमजाज अ छा
होता है और कभी असाधारण प से िबगड़ जाता है, ऐसे मौक पर म हाथ-पर-हाथ धरे
नह बैठ सकता । यह जगह या तो रटायरमट के बाद रहने के िलए उिचत है या फर आप
जैसे शहजाद के िलए ।”
“तो फर आप इसे कसिलए खरीदना चाहते ह ?” ंस ने पूछा ।
“अभी तो मुझे वयं भी नह मालूम ।” िवनाश ने मु कु राते ए कहा, “कारोबारी
आदिमय क वैसे ही आदत होती है क स ते दाम म कोई चीज िमल रही हो तो उसे
बेकार डाल देते ह । कभी-न-कभी काम आ जाती है या फर अ छा दाम दे जाती है ।
स भव है क म रटायरमट के बाद यहाँ रहना पस द क ँ ।”
ंस ने िसफ कं ार भरी ।
अब वह पैलेस के पा म आ प च ँ े थे । यहाँ भी लॉबी जैसा एक हॉल था िजसके म य म
एक ब त मोटे तंभ के िगद गोलाई म ग वाले कोच लगे थे । कट म हॉल का उ े य
नजर न आता था । यह एक तरह का वे टंग हॉल मालूम होता था ।
“ऊपरी मंिजल भी िब कु ल ऐसी ही है ।” ंस ने कहा, “उसे देखने से बेहतर होगा क
पहले आप तहखाना देख ल ।”
िवनाश ने समथन म िसर िहलाया और ंस के मागदशन म आगे बढ़ा ।
हॉल के एक तरफ सी ढ़य का रा ता था जो नीचे जा रहा था, िजसके ार भ म ऐसा
दरवाजा ही था क ब द हो जाये तो कमरे का दरवाजा मालूम पड़ता था ।
इस समय दरवाजा खुला था । ले कन नीचे सी ढ़य के समापन पर एक और दरवाजा
था ।
िवनाश के ायु तनने लगे । उसे महसूस आ क िजस खतरे का आभास पैलेस के िनकट
आते-आते बढ़ता गया था वह दरअसल इसी तरफ मौजूद है ।
ंस ने दरवाजे का ताला खोला और िवनाश दरवाजे क मोटाई देखकर हैरान रह
गया । दरवाजा था तो लकड़ी का मगर लोहे से अिधक मजबूत मालूम होता था ।
तहखाने म िव होकर वह एक कदम आगे बढ़े । ंस ने दरवाजा खुला ही छोड़ा था
और लाइट ऑन कर दी थी, इसके बावजूद यहाँ रोशनी कम पड़ रही थी ।
अंदर प च ँ ते ही शीतलता कु छ अिधक ही महसूस होने लगी थी । यहाँ नमी इस कदर
थी क दीवार पर बूँद-सी चमकती नजर आ रही थ , जैसे उ ह पसीना आ गया हो ।
“यहाँ रोशनी का कोई उिचत ब ध करवाने के िसलिसले म म आज तक यान न दे
सका ।” ंस बोला, “ य क इसे इ तेमाल करने क कभी नौबत नह आई । हालां क यह
बड़े काम क जगह है ।”
तहखाने के म य म िसफ आठ-दस फु ट के दायरे म रोशनी नजर आ रही थी । इद-िगद
अँधेरा ही था, जो िनर तर गहरा होता नजर आ रहा था । ऐसा लगता था, जैसे तहखाना
काफ लंबा-चौड़ा है ले कन रोशनी तले पु ता फश के अलावा कु छ भी नजर नह आता
था ।
“यहाँ है ही या िजसे हम देखने आये ह ?” िवनाश ने पूछा, “बस यह एक सीधा-सा
तहखाना है ।”
“इतना सीधा-सादा भी नह है ।” ंस ने कहा, “म आपको अभी दखाता ँ ।”
एकाएक तहखाने क रोशनी और कम हो गई और दरवाजा एक जोरदार झटके के साथ
ब द हो गया था । िवनाश ने मुड़कर देखना चाहा ले कन इससे पहले ही च द शि शाली
बाजु ने उसके बाजु को िगर त म लेकर पीछे क तरफ मोड़ दया और जरा-सी भी
मोहलत दए िबना आनन-फानन म कलाइय पर मजबूत हथकिड़याँ डाल द । अब उसके
हाथ पु त क तरफ लोहे के कड़ म कै द होकर रह गए थे ।
िवनाश ने कसी िवरोध का दशन नह कया । िवनाश का याल था क अब ंस
फ मी िवलेन क तरह िवजेता के अंदाज म कहकहा लगाएगा, मगर वह खामोश रहा ।
ंस, िवनाश से कु छ फासले पर जाकर रोशनी म खड़ा हो गया था और इस अंदाज म
िवनाश क तरफ देख रहा था जैसे कोई वै ािनक उस चूहे का जायजा ले रहा हो िजस पर
कोई रसच कर चुका हो, या तजुबा करने का वह कसी कार का इरादा रखता हो ।
सामने अँधेरे से दो और आदमी िनकलकर िवनाश क तरफ बढ़े । यह औसत कद म गठे
ए काले भुजंग जवान थे और दोन ही काला िलबास पहने ए थे । इस कार का िलबास
िजस तरह क कराटे या कुं गफू का फाइटर पहना करता है ।
वह इ मीनान से िवनाश के पास आए और सरसरी से अंदाज म उसके िलबास पर हाथ
फे रकर उ ह ने कदािचत् यह इ मीनान कर िलया क अब उसके पास कोई हिथयार मौजूद
नह है । कदािचत् यही बात उ ह ने अपनी भाषा म ंस को बताई ।
“यह कै से हो सकता है ?” ंस, िवनाश क तरफ देखते ए अपने िवशेष ांसीसी लहजे
म इं ि लश म बड़बड़ाया, “तुम यहाँ अके ले आये हो और िबना कसी हिथयार के आये हो !
यह अस भव है ।”
फर गु से से अपनी मातृभाषा म कदािचत् गािलयाँ देता आ उन दोन नौजवान से
कु छ कहने लगा ।
नौजवान ने अब बाकायदा उसक तलाशी लेनी शु कर दी । उ ह ने िवनाश क हर
जेब म हाथ डालकर देखा और बगल टटोल । टाँग पर हाथ मारकर देखा फर ंस क
तरफ देखते ए बेबसी से इं कार म िसर िहलाया ।
िवनाश ने अभी तक अपने पीछे गदन घुमाकर देखा भी न था । ले कन इतना अंदाजा
वह लगा सकता था क जो भी उसके पीछे था, वह बेपनाह ताकतवर एवं फु त ला इं सान
था । पीछे हाथ म हथकड़ी पड़ जाने के बाद िवनाश को पहली बार एक ल हे के िलए
अफसोस आ क उसे अपने दु मन से इतना लापरवाह नह होना चािहए था । हथकड़ी
लग जाना उसके हक म जानलेवा भी सािबत हो सकता था ।
पीछे से दो आदमी िनकलकर उसके दाय-बाय आ खड़े ए ले कन कोई और भी था जो
उसके पीछे मौजूद था और वह श स अब धीरे -धीरे बे-आवाज कदम से पीछे हट रहा था ।
तहखाने म गहरा स ाटा छा गया । जैसे वहाँ कोई पिव र म अदा क जाने वाली हो ।
च द ल ह बाद ही अचानक पीछे वाला इं सान भी उसके सामने आता चला गया । यह
वही भीमकाय ह शी था, िजसे िवनाश ने िम ी गुलाम क वेशभूषा म गेट पर खड़े देखा
था ।
काला देव अपने क धे पर ब त बड़े और भारी फल क कु हाड़ी उठाये ए था । इतने
चौड़े और मोटे फल क कु हाड़ी िवनाश ने आज तक नह देखी थी । गूँगे के भ े और मोटे-
मोटे ह ठ पर मूखतापूण मु कान थी, ले कन उसम एक अजीब-सी स फाक भी शािमल
थी । उसक बड़ी-बड़ी आँख म खून क यास झलक रही थी । िवनाश क तरफ देखते ए
उसने कसी द रं दे क तरह ह ठ पर जुबान फराई ।
“िम टर बलव त ! या सचमुच तु हारे पास कोई हिथयार नह है ?” ंस को जैसे
अभी तक िव ास ही नह आ रहा था ।
“तु ह अपने आदिमय पर भरोसा नह है या ?” िवनाश ने सद वर म पूछा, “जो मेरी
तलाशी ले चुके ह । म तु ह एक शरीफ आदमी समझकर शरीफ क तरह यहाँ लेन-देन क
बात करने आया था । इसिलए मने कोई हिथयार साथ लाने क ज रत नह समझी । यूँ
भी शेर कभी हिथयार से लैस होकर िशकारी क मचान के नीचे नह आता । ले कन तुम
खुद एक मुसीबत को दावत दे रहे हो ।”
“जब क मेरा याल है, मुसीबत को हमेशा के िलए ख म कर रहा ँ ।” ंस ने अब कु छ
संतु वर म कहा ।
उसने एक दीवार के समीप जाकर कोई वीच दबाया और पूरे तहखाने म रोशनी फै ल
गई । अब िवनाश ने देखा तहखाने का एक िह सा अजीबोगरीब आड़-कबाड़ से भरा आ
था । र से, हथौड़े, छु रयाँ, छोटी-बड़ी कु हािड़याँ, लकड़ी का एक ब त बड़ा चौकोर ठोस
टु कड़ा । एक कोने म जमीन के कमोड से िमलता-जुलता एक ब त बड़ा याला भी था,
िजसके साथ लैश क टंक क ही तरह ब त बड़ी टंक भी जुड़ी थी । टंक के साथ बड़े से
हिडल वाली जंजीर भी लटक ई थी । यह भाग कसी हैवानी जीवा मा का बाथ म
मालूम होता था, जो इं सान से कम-से-कम दस गुना बड़ी हो सकती थी ।
“ ंस !” िवनाश ने गहरी गंभीरता से कहा, “म एक बार फर तु ह खबरदार कर रहा ँ
क तुम ब त बड़ा नुकसान उठा जाओगे । अभी समय है क तुम म ारी से मुझ पर काबू
पाने का िवचार याग दो तो म तु ह माफ कर दूग ँ ा । कह ऐसा न हो क म फर चा ँ भी
तो तु ह माफ न कर सकूँ ।”
“गोया, अभी तु ह कोई खुशफहमी बाक है ।” ंस ने कु छ हैरत से ं या मक वर म
कहा, “म कभी क ा काम नह करता । तुम ीप पर अके ले आये हो और तु हारे पास कोई
हिथयार भी नह है, इसके बावजूद तु ह इतना आ मिव ास य ? या म इसक वजह
जान सकता ँ ?”
“इसम कोई ऐसी वजह नह है ।” िवनाश बोला, “सम या यह है क म चा ँ तो भी
भयभीत नह हो सकता । मौत मेरे िलए एक साधारण-सी स ाई है । इसक क पना से म
भयभीत नह हो सकता । मरना तो बहरहाल सबको ही होता है, कसी हाथ सीलन भरे
तहखाने म । इसिलए यह कोई सोचने क बात नह । मगर तुम सोच लो क अगर
अचानक मौत तु हारे सामने आ खड़ी ई तो तुम या करोगे ?”
“ फलहाल म महज बात से भयभीत होने के मूड म नह ँ ।” ंस ने लापरवाही से
कहा, “अभी जब सही प म मौत को सामने खड़ा देखोगे तो चीख मारोगे । रहम क भीख
माँगोगे । तुम जवान हो, व य हो । तुम जैसे नौजवान से मुझे नफरत है । तु हारा क ल
देख मुझे बड़ी खुशी होगी ।” उसने एक ल ह ककर कहा, “वैसे तुम बच भी सकते हो ।
शत यह है क तु ह मेरे कु छ सवाल के सही जवाब देने ह गे । एक तो यह क तुम असल म
हो कौन, कसने तु ह मेरे पीछे लगाया है ? और य तुमने मेरा यह करोड़ का महल
कौिड़य के दाम खरीदने क क म बनाई ? और यह भी क तु हारा वह कमीना दो त
रपोटर कौन है ? तुम जो भी उ र दोगे, म उसक पुि क ँ गा, उस व तक तुम मेरी कै द
म रहोगे । जब मुझे तु हारी स ाई पर यक न हो जायेगा, तो म तु ह आजाद कर दूगँ ा ।”
“वरना ?” िवनाश ने पूछा ।
“वरना सीधा तरीका है जो पुराने जमाने से इ तेमाल होता आ रहा है ।” ंस ने
लापरवाही से कहा, “मने उसम िसफ थोड़ा-सा इजाफा कया है । वह भी लाश को ठकाने
लगाने के िसलिसले म । तरीका यह होगा क चार आदमी तु ह पकड़कर लकड़ी के इस
चबूतरे पर झुकायगे और यह गूँगा, िजसका नाम ह बीश है, कु हाड़ी के एक ही वार से
तु हारी गदन उड़ा देगा । यह इतनी ताकत से वार करता है क स भव है तु हारी गदन
कटकर तहखाने क दीवार से जा टकराये । उसके बाद यह उसी चबूतरे पर चंद िमनट के
अंदर-अंदर तु हारे अंग अलग-अलग करके इस बड़े कमोड म डालेगा और टंक क जंजीर
ख चेगा । दूसरे ल ह िम टर कमोड लश हो जायगे, िजस तरह बाथ म म गंदगी लश
कर देते ह । इस तरह यह तु हारे तंद ु त और व थ शरीर को लश कर देगा । फश,
कु हाड़ी और लकड़ी का चबूतरा धो डालेगा और यहाँ तु हारा नामो-िनशान तक न
रहेगा । इस कमोड क िनकासी का ब त बड़ा पाइप समु म जा िनकलता है । तु हारे
अवशेष सीधे समु म जायगे । इन पर से गो त मछिलयाँ न चकर खा जाएँगी और हि याँ
डू ब जायगी ।” वह खामोश हो गया ।
“ई र न करे क मुझ पर कभी ऐसा व आये । ठीक है, तुम अपना काम शु करो ।”
िवनाश के ायु म एक अकड़न-सी पैदा होने लगी थी । उसके भीतर का बाजीगर
कभी सोता न था, ले कन उसे िहदायत थी क उसे इस तरह क द रं दगी का दशन नह
करना है, जैसा बाजीगर करता है । अगर यह बात न होती तो अब तक तहखाने म छः
लाश िबछी होत ।
ले कन अब सवाल अपनी ाण क र ा का आ खड़ा आ था और हिथयार के प म
जो चीज उसके साथ हमेशा रहती थी उसका योग लाजमी हो गया था ।
“भाड़ म जाये गंजे लैक मैिजिशयन का िनदश !” भीतर का बाजीगर फुं कार उठा,
“इनम से कोई भी िज दा छोड़ने के कािबल नह है ।”
उसने अपने हाथ क हथकड़ी को टटोलना शु कया । हथकड़ी के बीच लगभग आठ-
नौ इं च मोटी जंजीर क कड़ी थी । वह चाहता तो लात से भी अपना क र मा दखा
सकता था पर तु इसम एक-दो पसट का चांस था क वे सभी उसके हाथ हलाल न हो
पाय । यह तो उसने देख ही िलया था क ंस के अलावा चार तो उसके सामने फाइटर ह
और एक ताकतवर दै य । इन सबसे िनपटने के िलए ज री था क उसके हाथ आजाद ह ।
ंस ने चार आदिमय को इशारा कया । वह िवनाश के क ध और बाजु पर
िगर त मजबूत करके उसे लकड़ी के चबूतरे क तरफ ले गए ।
ह बीश कु हाड़ी को क धे पर रखे उसके आगे चल रहा था । कु हाड़ी का फल तेज
रोशनी म चमक रहा था । ऊँचे से चबूतरे के पास प चँ कर उन चार ने ताकत का योग
करके िवनाश को चबूतरे पर झुका दया था । िवनाश िसफ दखावे के िलए थोड़ा-ब त
िवरोध करता रहा था । वह चाहता तो उन चार क पकड़ से आसानी के साथ िनकल
सकता था और एक-दो को तो पहले ही हमले म ढेर कर सकता था । ले कन उसक सबसे
बड़ी ज रत इस व यह थी क कसी तरह वह ह बीश के हाथ से कु हाड़ी िनकालने म
कामयाब हो जाये और उसके हाथ भी खुल जाय ।
िवनाश भी सबसे अिधक खफा उसी ि से था, िजसने उसके बाजु को चीते जैसी
फु त के साथ पीछे घुमाकर हथकड़ी डाल दी थी । इस उ े य के िलए वह जान पर खेलकर
एक िवशेष क म का दाँव आजमाने जा रहा था । खतरा मोल िलए िबना कोई चारा भी
नह था ।
चार आदमी उसे चबूतरे पर झुका चुके थे और उसके पीछे हथकड़ी लगे हाथ धीरे -धीरे
टाँग के नीचे सरकते जा रहे थे । उसक नाक और माथा चबूतरे को छू रहा था और वह
घुटने िसकोड़कर उकड़ू बैठ गया था । चबूतरे पर उसके घुटने और एिड़याँ टक गई थ ।
वह चबूतरे म रची-बसी ल क गंध महसूस कर रहा था । वैसे तो उसे न जाने कतनी
बार धोया होगा ले कन ल क गंध शायद कसी भी तरीके से नह जाती, या फर िवनाश
को ही इसक िवशेष पहचान हो गई थी । हालां क उसने अभी अपनी जंदगी म अिधक
खून नह बहाया था ।
ह बीश ने पोजीशन संभाल ली । वातावरण पर एक गहरे स ाटे का सा ा य था । उस
बाजीगर का यान एक ही चीज पर क त था । वह ह बीश को देख नह रहा था पर तु
उसक हर गितिविध पर उसक जेहनी शि क नजर भी जमी ई थी ।
अचानक सायं क आवाज ई । कसी क दृि म भी यह बात नह आ सकती थी या
आ, ले कन जब दृ य फर आ तो हैरत से ंस क चीख-सी िनकल गई ।
ंस के चार फाइटर लड़खड़ाकर पीछे इस कार हटे क जैसे उ ह कोई िबजली का
शॉट लगा हो और उसके साथ ही कु हाड़ी का फल िवनाश क गदन काटने क बजाय
लकड़ी के त ते म पैव त हो गया था ।
ंस ने फटी-फटी आँख से यह देखने क कोिशश क क िशकार का िसर कटकर कहाँ
िगरा है पर तु तभी उसने ह बीश क चीख सुनी जो एक द रं दे क तरह दहाड़ता आ
चबूतरे से नीचे जा िगरा था ।
िवनाश चबूतरे पर खड़ा था और न िसफ खड़ा था बि क उसके दोन हाथ आजाद थे ।
हाथ म हथकड़ी के कुं डे तो नजर आ रहे थे, पर तु जंजीर बीच से कट गई थी ।
दरअसल कु हाड़ी का फल उसक गदन क बजाय इसी जंजीर को काटता आ त ते म
पूरा-का-पूरा धँस गया था । िवनाश क एक टाँग भी उसी ण चली जो ह बीश के सीने से
टकराई थी और वह लड़खड़ाकर नीचे चला गया था । चार फाइटर म से दो के पेट पर
िवनाश क कु हिनय क चोट पड़ी थी और िजस ण वह टाँग के नीचे से हथकड़ी जकड़े
हाथ सामने लाया था, उसक दोन टाँगे भी हरकत म आ थ ।
यह सब इतनी तेजी से और इतने हत भ अंदाज म आ था क कोई उसक हरकत को
देख ही नह पाया था ।
अब बाजीगर चबूतरे पर खड़ा था । उसक आँख तेजी के साथ दाय-बाय सामने-पीछे
का नजारा करती ि थर हो गई और ह बीश संभलकर चबूतरे पर चढ़ा तो उस िवनाश क
आँख क पुतिलयाँ भी जाने कहाँ गायब हो गई थ । ऐसी खतरनाक और चमक ली आँख
ंस ने पहली बार देख थ । िवनाश क यह करट जैसी दृि ह बीश पर जमी थी ।
ह बीश एक हाथ म अपनी पसली दबाये ए था, ले कन उसके चेहरे पर पीड़ा का कोई
भाव न था । साधारण इं सान होता तो बाजीगर क बस एक ही कुं गफू क चोट से परलोक
िसधार चुका होता । िवनाश और ह बीश के बीच कु हाड़ी अब फश पर गढ़ी थी ।
“मार डालो इसे ।” ंस चीखा ।
ह बीश ने अपने कदम को संतुिलत ढंग से आगे बढ़ाया । कदािचत् उसने एक चोट खाकर
अपने ित ी क शि का अनुमान लगा िलया था । ह बीश ने कु हाड़ी के ह थे क
तरफ पल भर के िलए देखा और फर उसने कदािचत् अपनी जंदगी म सबसे बेहतरीन
चु ती-फु त का दशन कया । उसने झुककर कु हाड़े का ह था पकड़ा और उसके फल को
त ते से बाहर ख च िलया और उसी अंदाज म वह िवनाश पर झपटा । कु हाड़ी का फन
सायं से हवा म घूम गया पर तु िवनाश वहाँ कहाँ था !
वह अपने उ ताद शाईतैन के अंदाज म त ते से हवा म उठा और फर उसक हथेली
ह बीश के गदन पर जा पड़ी । अगले ही से क ड एक दहशतनाक मंजर उजागर आ ।
ह बीश का िसर तन से जुदा होता दखाई दया और सीधा कमोड पर जा िगरा ।
िसर तन से जुदा हो जाने के बावजूद भी ह बीश ने कु हाड़ी को दूसरी बार घुमाया
पर तु िवनाश इस समय तक लकड़ी के चबूतरे से नीचे जा चुका था । ह बीश उसी अंदाज
म घूमता आ फश पर जा िगरा ।
ऐसा मालूम पड़ता था जैसे उन सभी पर कसी ने स मोहन कर दया हो । बेयक नी
अंदाज म उनक आँख हैरत से फटी-क -फटी रह गय । कमोड पर ह बीश का पड़ा िसर
अब भी उछल रहा था और उसम से खून का फ वारा छू ट रहा था । यूँ लगता था जैसे
ह बीश को कमोड ने समूचा लश कर दया हो पर तु उसका िसर फँ सकर रह गया हो ।
फश पर बे-आवाज उतरने के बाद िवनाश ने इस अंदाज म िसर िहलाया जैसे अपनी इस
कामयाबी पर संतु हो और अपने आपको सराह रहा हो ।
अचानक उसका हाथ लश क ओर जंजीर पर पड़ा । लश के पानी क जोरदार
आवाज सुनाई दी । कमोड से खून बाहर आकर बहने लगा और एक पल के िलए पूरा
कमोड लाल सुख खून म डू बा नजर आया । फर ण भर बाद ही सबकु छ साफ हो गया ।
ह बीश का िसर अब कमोड पर नजर नह आ रहा था, अलब ा लाल पानी-सा अब भी
उसम नजर आ रहा था ।
ठीक उसी समय बाहर से धमाक क आवाज गूँजने लग । वे सब-के -सब एक साथ जैसे
होश म आ गए ।
“इसे क ल कर दो ।” ंस चीखा ।
ले कन चार फाइटर िवनाश को क ल करने क बजाय पीछे हटते ए दीवार से जा लगे
थे । िवनाश धीरे -धीरे उनक तरफ बढ़ रहा था ।
“बुज दल आगे बढ़ो और इसे क ल कर दो ।” ंस एक बार फर चीख पड़ा ।
उनम से दो एक साथ आगे बढ़े । िवनाश जहाँ था, वह क गया । उनम से एक ने
िवनाश पर कुं गफू का दाँव इ तेमाल करते ए हवा म उछाल भरी और फर उसक एड़ी
िवनाश के सीने क तरफ तनती चली गई । िवनाश एकदम से अपनी जगह से हट गया और
उसने उसी तनी ई टाँग के घुटने पर अपने िवनाशकारी हाथ का लोअर पंच इ तेमाल
कया । फाइटर का घुटना टू ट गया और वह हवा म ही कलाबाजी खाता दखाई दया ।
िवनाश ने उसके धरातल पर आने से पहले उसक पसिलय और िसर पर एक साथ अपर
और लोअर कट इ तेमाल कये । प रणाम व प धरातल पर टकराने से पहले ही वह मुदा
हो चुका था और उसका िसर तरबूज क तरह फट गया था ।
दूसरे आदमी क टाँग के म य जोड़कर िवनाश के पाँव के पंजे का हमला आ और वह
भी अपने साथी पर धा जा िगरा । बाक दो फाइटर अपने ंस के आदेश क अवहेलना
करते ए दरवाजे क तरफ भाग खड़े ए । उसी समय दरवाजा एक जबरद त धमाके के
साथ टु कड़ म िवभािजत हो गया और साथ ही टेनगन क अनिगनत गोिलय ने दोन
फाइटर को वह ढेर कर दया ।
वह रांझे था । धुएँ के गु बार से टेनगन क गोिलयाँ बरसाता वह अंदर आ गया था ।
गोिलयाँ बाहर भी चल रही थ और यह फाय रं ग दोतरफा हो रही थी ।
उन दोन को गोिलय से भूनता आ रांझे अंदर आ धमका और उसने ंस को टेनगन
क जद म ले िलया ।
“इसे मारना मत ।” िवनाश ने कहा ।
रांझे ने धीरे से िसर िहलाया । उसक िनगाह अब भी ंस पर जमी थी ।
ंस शो बी अब िसर से पाँव तक काँप रहा था । उसके चेहरे पर जद छा गई थी और
आँख भय से बेरौनक हो गई थ । रांझे के अंदाज से मालूम होता था क उसने खासा
र पात कया है । अगर िवनाश क िहदायत न िमलती तो वह ंस को भी गोिलय से
भून देता । हालां क िवनाश उ ह कोई आदेश देकर नह आया था फर भी उसके सहयोगी
वहाँ ठीक व पर आ प च ँ े थे ।
“बाहर और कौन-कौन है ?” िवनाश ने पूछा ।
“मने बाक बचे ए लोग को पंिडत के िह से म छोड़ दया और खुद यहाँ चला
आया ।” रांझे ने बताया ।
ंस शो बी को गश आ गया था और वह रांझे के कदम म धे मुँह जा िगरा । अब
रांझे ने पहली बार तहखाने का दृ य देखा । चबूतरा खून से रं ग गया था और एक िसर कटी
लाश उसम ान कर रही थी । रांझे ने यह देखने के िलए इधर-उधर नजर दौड़ाई क
आिखर उस वहशी ह बीश का कटा िसर कहाँ है, ले कन िसर उसे कह नजर न आया तो
उसने हैरत से अपने वामी क तरफ देखा ।
िवनाश के हाथ म अब भी हथकड़ी के कुं डे फँ से थे ।
रांझे से कु छ कहे िबना िवनाश आगे बढ़ा और उसने चबूतरे पर चढ़कर ह बीश क
तलाशी ली । हथकड़ी क चाबी उसे िमल गई । जब तक उसने हथकड़ी खोलकर एक तरफ
फक तब तक ंस को होश आ गया था ।
होश म आते ही उसने सबसे पहले अपने दोन हाथ गु ी पर रखे, िजसका मतलब था
वह आ मसमपण कर रहा है । उसके कं ठ से अजीब-सी िघिघयाई आवाज िनकल रही थ ।
अब बाहर भी फाय रं ग क गई थी ।
रांझे चौड़ा-चकला और खूबसूरत जवान था । उसक ताकत और मजबूती उसक
िज मानी बनावट से ही कट होती थी । ले कन पंिडत एक छु पा- तम था । उसके दुबले-
पतले शरीर म कु दरत ने हैरतअंगेज खूिबयाँ भरी थ । चाकू बाजी, तैराक , िज ाि टक,
िनशानेबाजी और िशकार खेलने म द था ।
इन दोन के स ब ध म अिधकांश जानकारी उसे पहले ही ा हो गई थी । हैरत क
बात तो यह थी क पंिडत इतना दुबला-पतला होने के बावजूद भी बला का ताकतवर और
स त जान था । ऑ टोपस क तरह अगर कसी को िगर त म ले लेता तो वह अपने
आपको छु ड़ा नह सकता था । स त जान इतना क तीन-चार दन तक िनर तर भूखा
रहने के बावजूद उसक शारी रक फु त और िववेकशीलता म कोई अंतर नह आता ।
रांझे भी बड़े ऊँचे दज क चीज था । नई और मू यवान गाड़ी म सफर करना उसक
पहली पस द थी । शु -शु म वह कार चोरी करने का धंधा करता था । हर क म क
कार चलाने म बड़ा द था । हिथयार अ वल दज के पस द करता था । उसके खच भी
शाहाना थे और लड़ कय से दो ती करने म बड़ा मािहर था । मुंबई क अिधकांश
सोसायटी ग स उसक दो त थ ।
“अ छा, इस ंस के ब े को तो म संभालता ँ । अगर बाहर क जंग ब द हो गई हो तो
पंिडत से कहो क लाश ठकाने लगाने का काम शु कर दे । िजसका यह ब त बेहतरीन
इं तजाम है ।” िवनाश ने कमोड क तरफ इशारा कया, “ ंस शो बी ने इसे लाश बहाने के
िलए ही बनाया है ।”
“मुझे मत मारना, ई र के िलए !” ंस ने िघिघयाते ए कहा ।
“तु ह मारना ही तो म नह चाहता ।” िवनाश ने गहरी साँस लेकर कहा, “वरना पहली
मुलाकात म ही तु हारी क मत का फै सला कर देता ।”
वह उठकर बैठा तो उसके हाथ-पाँव काँप रहे थे ।
“अब तुम मेरे साथ या सुलूक करोगे ?”
“सुलूक !” िवनाश ने रांझे क तरफ देखा, “ ंस को बताओ क हम इ ह मामूली-सी
जहमत देना चाहते ह । रांझे, वह सामान तु हारे पास है या... ।”
“हम पूरा इं तजाम साथ ही ले आये थे । हालां क आपने कहा था क आपक इ ला
िमलने पर ही उसे लाया जाये ।” रांझे ने कहा ।
रांझे ने टेनगन अपनी टाँग के सहारे िमलाकर खड़ी कर दी और अपने बगल म लगा
एक चमड़े का थैला खोलने लगा । इस थैले पर बाहर क तरफ छोटे-छोटे खान म तीन
नेड झाँक रहे थे । चौथा खाना खाली था । यह चौथा नेड रांझे ने तहखाने का भारी
दरवाजा उड़ाने म योग कया था ।
रांझे ने िजस लापरवाही से टेनगन खड़ी कर ली थी उस पर ंस चाहता तो लाभ
उठाने क कोिशश कर सकता था । िवनाश यही देख रहा था क ंस उस पर फायर करने
क कोिशश करता है, या नह । अगर वह ऐसी कोिशश करता तो टेनगन तक उसका हाथ
प च ँ ने से पहले ही िवनाश क ठोकर उसके मुँह पर पड़ती, ले कन ंस िजस दहशतअंगेज
मंजर से गुजर चुका था उसे देखते ए वह िसफ अपनी जान क भीख ही माँग सकता था ।
इस क म के लोग जो िसफ अपने लोग के बलबूते पर चलते ह, खुद कु छ नह होते ।
गुग का सफाया हो जाने के बाद उनक हालत दयनीय हो जाती है ।
रांझे ने थैले से टाइप कये अदालती कागजात का एक ब डल िनकाला और ंस के
सामने रख दया ।
रांझे एक पेज उसक तरफ बढ़ाते ए कहा, “इन सब पर ह ता र कर दो । बाक
कारवाइयाँ हमारे वक ल िनपटाते रहगे । इन कागजात पर ह ता र के बाद यह पैलेस
हमारी क पनी के कं शन िडवीजन क संपि हो जायेगा ।”
“उसके बाद तुम लोग मुझे क़ ल कर दोगे ?” ंस क सुई अब भी वह अटक ई थी ।
उसे अब पैलेस क फ नह थी ।
“उ लू के प े !” िवनाश ने उसके मुँह पर उ टे हाथ का तमाचा रसीद कया । यह अलग
बात थी क इस ह क चोट से ही ंस िबलिबलाकर चीख मारने लगा ।
“खामोश हो जा ।” िवनाश दहाड़ा ।
ंस सकपकाकर चुप हो गया । ले कन वह अब अपना जबड़ा सहला रहा था ।
“म कह चुका ँ क अगर तु ह क ल करना मेरा उ े य होता तो तुझे इतना व नह
िमलता । अब इतना अिधक काँपने मत लगो क कागजात पर ह ता र ही खराब हो
जाएँ ।”
कई ल ह नाल को सहलाते रहने के बाद जब रांझे ने टेनगन क नाल से उसके हलक को
दोहरा दया, तब उसने फश से पेन उठाया और झुककर तेजी से कागजात पर ह ता र
करने शु कर दए । रांझे टेनगन क नाल से उसे बताता जा रहा था क कहाँ-कहाँ
ह ता र करने ह ।
ह ता र से फा रग होकर उसने थूक िनगलते ए िसर उठाया ।
“अब तुम ऊपर चलोगे, अपनी ज रत क चीज एक सूटके स म डालोगे, उसके बाद तु ह
तु हारे िवमान तक हम छोड़ने चलगे । एयरपोट पर तुम यह से रे िडयो ारा अपना
लाइट लान दोगे और अपनी रयासत क तरफ रवाना हो जाओगे और अगर िज दा
रहना चाहो तो कभी िह दु तान का ख नह करोगे ।”
“म... म कभी नह आऊँगा । मेरा तो पहले से ही यही िवचार था ।” वह ज दी से
बोला ।
“अगर तुमने थ ही चालक बनने क कोिशश न क होती तो तु ह पाँच लाख पया
भी िमल जाता और इतने सािथय से हाथ भी न धोने पड़ते ।”
“दरअसल मुझे अंदाजा नह था क यहाँ इस तरह के लोग भी पाये जाते ह ।” उसने
िहच कचाते ए कहा ।
“अभी तुमने देखा ही या मेरी जान !” िवनाश ने मु कु राते ए कहा, “दरअसल
तु हारी कसी से लड़ने क नौबत ही नह आई थी । चलो, अब उठो ।”
☐☐☐
26 जनवरी को जब समूचे देश म गणतं दवस मनाया जा रहा था और राजधानी म
देश के मह वपूण वै ािनक क कॉ स चल रही थी, ठीक उसी समय एयरफोस का एयर
कमांडर आजादी क क मत म इजाफा कर रहा था । उसे दु मन के िखलाफ कायवाई करने
का ल बा िश ण दया गया था, ले कन वह अपने ही देश के एक शहर पर बम िगरा रहा
था ।
दि ण आंचल के एक शहर शोलापुर पर दस मेगाटन वजनी एटम बम िगराया गया
था । यह बम अगर फट जाता तो शोलापुर जैसे कई शहर तबाह हो जाते, ले कन बम फटा
नह , बि क शहर के म य एक मैदान म इतना बड़ा सुराख कर गया क उसम और कई बम
समा सकते थे । एयरफ़ोस पुिलस, िमिल ी पुिलस और सीबीआई वाल ने इस थान का
िनरी ण कर िलया । एटािमक एनज कमीशन के िवशेष तलब कये गए िजनक
सहायता से िज दा बम को मुदा बनाकर िनकालने क कोिशश शु हो गयी ।
इस घटना के ठीक चालीस घ टे के बाद बहराम अपने हेड ाटर प च
ँ गया था ।
इस घटना ने सम त देश क िस यो रटी को िहलाकर रख दया था । जाँच-पड़ताल क
र तार ब त तेज थी । िवमान के सहयोगी हवाबाज वंग कमांडर सोमेश द ने घटना का
प ीकरण सीबीआई, सी े ट स वस, एयर माशल एवं बहराम नामक ि को दया
था । बहराम के स ब ध म ेसीडसी से िसफ यह बताया गया था क वह रा पित भवन से
भेजा गया ितिनिध है ।
वंग कमांडर सोमेश के अनुसार ब बार िवमान पूना एयरपोट म एक जम दोज
एयरफोस से उड़ान पर था और यह उड़ान परी ण क उड़ान थी ।
कमांडर ने टीन के अनुसार शोलापुर क तरफ उसका ख कया ।
“ या तुमने कमांडर से पूछा था क रा ता य बदला गया है ?” बहराम ने वंग
कमांडर से पूछा ।
“नह ।” वंग कमांडर ने जवाब दया ।
“उड़ान के दौरान उसने तुमसे कहा होगा ?” बहराम का सवाल था ।
“नह , बस गुनगुनाता रहा था ।”
“ओह ! वह या गुनगुनाता रहा था ?” बहराम ने च ककर पूछा ।
सी े ट म म होने वाली गु वाता म स मािनत ऑ फसर म से एयर वॉइस माशल ने
जोर से मेज पर हाथ मारा ।
“यह थ है, कमांडर ने अपने ही देश के एक शहर पर एटमबम दे मारा । अहम
बात यह है क य ? सवाल यह नह क वह या गुनगुना रहा था ।”
“ वंग कमांडर सोमेश द !” बहराम ने माशल क आपि को अनसुना करते ए पूछा,
“मने जो सवाल कया था, उसका जवाब दो ।”
“मुझे ठीक से याद नह ।” वंग कमांडर का चेहरा सुख हो गया ।
“कु छ तो याद होगा ?” बहराम ने पूछा ।
इस बार तो सी े ट स वस का आदमी भी कु स पर पहलू बदलने लगा ।
“मुझे अपने सवाल का जवाब चािहए ।” बहराम ने सी े ट स वस के सद य को भी
नजरअंदाज कर दया ।
“डा... डा... डा... डम... डा... डम... डम... डा... डा... डा... डा... डम... डम... ।” वंग
कमांडर ने जवाब म एक धुन गुनगुना कर सुना दी ।
हर ि आ य से बहराम क तरफ देखने लगा जो कु छ िलख रहा था ।
“जरा फर से दोहराना ।” बहराम ने कहा, “म उसके बोल िलखना चाहता ँ ।”
“ या मूखता है !” वॉइस माशल िचढ़ गया ।
“आप ब त असाधारण बात कर रहे ह िम टर बहराम ।” सीबीआई के चीफ ने कहा ।
“िम टर वंग कमांडर, अपनी धुन दोबारा गुनगुनाओ और उसी अंदाज म िजस तरह
एयर कमांडर गुनगुना रहा था ।” बहराम ने दोन क आपि को फर से अनदेखा करते
ए कहा ।
“ या आप सचमुच ेसीडट हॉउस क िस यो रटी से आये ह ?” वॉइस माशल ने हैरत
से पूछा ।
“हाँ ।” बहराम ने उसक तरफ देखे िबना कहा, “तुम मेरे कागजात देख चुके हो ।”
“मने आज तक आपको ेसीडट हॉउस म नह देखा ।”
“तब फर ेसीडट से संपक थािपत कर ले कन उसी दौरान म कमांडर क धुन दोबारा
सुन लूँ ।” बहराम ने जवाब दया, “हाँ, वंग कमांडर शु हो जाओ !” वंग कमांडर का
चेहरा फर सुख हो गया ले कन वह गुनगुनाने लगा ।
“डा... डा... डा... डम... डा... डम... डाडा... डा... डम... ।”
“नह , वंग कमांडर ! सपाट अंदाज म नह , उसी तरह गाओ जैसे एयर कमांडर गा रहा
था ।” बहराम ने फरमाइश क ।
“हे भगवान !” वॉइस माशल चीख उठा । उसके अलावा दूसरे ऑ फसर भी भौच े रह
गए और फर सीबीआई का चीफ तो वाक आउट कर गया ।
वंग कमांडर भी झुंझला गया । इस बार उसने बाकायदा गाकर धुन पेश क और छत
को घूरने लगा ।
“ध यवाद !” बहराम ने कहा, “तुमने बताया था क नागर पैराशूट के िबना ही िवमान
से कू द गया था ?”
वंग कमांडर ने समथन म िसर िहलाया ।
“जब तुमने देखा क एयर कमांडर नागर पैराशूट के िबना कू द रहा है तो तुमने उसे
रोकने क कोिशश य नह क ?”
“यह एयर कमांडर था और म उसका मातहत ।” सोमेश द ने बेचारगी से कहा ।
बहराम ने पैड पर कु छ िलखा और पूछा, “और कोई खास बात ?”
“ओह, हाँ ! मुझे याद आया ।” वंग कमांडर बोला, “जब कमांडर िवमान से कू दा तो
उसने अपने हाथ को कई बार यूँ हरकत दी जैसे वह पैराशूट क डो रयाँ बाँध रहा हो ।
हमारे पीछे आने वाले हवाबाज ने भी यह बात महसूस क थी ।”
“ध यवाद ! म जो कु छ पूछना चाहता था, पूछ चुका ँ ।” बहराम ने पैड और कलम
संभालकर जेब म रखा । उसे यक न था क यह सारी जानकारी बाजीगर के ब त काम
आयेगी ।
उसके बाद वॉइस माशल ने गहरी साँस लेकर कहा, “ ेसीडट हॉउस क िस यो रटी म
कै से-कै से लोग भत हो गए ह ।” और फर अपने तौर पर पूछताछ करने लगा ।
माशल का चेहरा ब त आकषक था ले कन वह िसफ आने वाले चौदह घ टे तक उस
चेहरे का मािलक रह सकता था । चौदह घ टे बाद उसका चेहरा उसके अपने िब तर के
त कये म मोम क तरह िचपकने वाला था । उसक गदन इतनी खामोशी से कटने वाली
थी क उसक बीवी को भी इ म नह हो सकता था ।
उसका कसूर िसफ इतना था क उसक अ ोच से एयर कमांडर का तबादला पूना
एयरफोस के उस िवभाग म आ था जहाँ ब बर िवमान का ायल िलया जाता था । वह
कसी रा िवरोधी जुम म शािमल नह था पर तु जंजीर क एक कड़ी था । एक ऐसी कड़ी
को मु क के िलए बेहद खतरनाक थी और कदािचत् जो सूचना आइरन फोट को एक बकर
क मौत के स ब ध म िमली थी, उसक यह एक शु आत थी । कोई शि सयत देश के
कं ोल का सौदा करने वाली थी िजसका नमूना उसने दखा दया था ।
एयर कमांडर को इस िवभाग म िनयु करने का जो आदेश माशल क तरफ से दया
गया था यह उसक मौत का परवाना था, िजस पर उसने पहले ही ह ता र कर दए थे ।
बहराम इस सी े ट िब डंग से िनकला तो महज ततालीस िमनट बाद ही एयर कमांडर
नागर का ांसफर करने वाले आदेश-प पर मौजूद ह ता र िशना त कर िलए गए थे ।
डेढ़ घ टे बाद वह त वीर बहराम को िमल गई जो कमांडर नागर के िवमान का पीछा
करने वाले िवमान ने ख ची थी ।
सोलह एम•एम• क यह त वीर एक ऐसे श स क थी जो िवमान से कू द रहा था । चेहरे
को इं लाज करते ए फोटो लेबोरे ी के डाक म म अिस टट ने सोचा क आ मह या करने
वाला यह एक श स कै सा बेिजगर इं सान था क उसके चेहरे पर मौत का कोई खौफ नह
था ।
नागर के ह ठ इस तरह िसकु ड़े ए थे जैसे वह जमीन पर िगरने से पहले कोई धुन
गुनगुना रहा हो ।
बहराम ने वह जो वंग कमांडर से कये थे, कमांडर नागर क मानिसक रपोट,
उसके तबादले के ऑडर स ब धी रपोट एवं बकर क रपोट उस नए क यूटर म डाल दी
जो वह अमे रका से अपने साथ लाया था और िजसे आइरन फोट म थािपत कर दया
गया था । क यूटर चलता और फर छोटा-सा नोट टाइप हो जाता ।
“बकर क मौत के स ब ध म और िववरण क आव यकता है । यह मालूम कया जाये
क वह मरते समय कोई धुन तो नह गुनगुना रहा था ।” आिखरी नोट टाइप हो गया ।
वह अब एक ऐसे श स के बारे म गौर कर रहा था िजसे यह पता चलाने क कोिशश
करनी थी क बकर ने अपनी मौत से पहले या कु छ कया था ।
☐☐☐
एयर वॉइस माशल जनादन चौधरी के क ल क घटना भी कम सनसनीखेज नह थी ।
िमसेज चौधरी ने पुिलस को जो बयान दया उसके अनुसार सोते ए वह न जाने कस
वजह से जाग उठी । उ ह ने अपने पहलू म लेटे ए माशल चौधरी को देखा तो वह मर चुके
थे ।
चौधरी का चेहरा गायब था । िमसेज चौधरी के कथनानुसार उ ह ने कमरे क
ध गामु ती के कोई आसार नह देखे और न कोई आवाज सुनी ।
“मतलब कसी ने आपके पित क ह या कर दी और आपको मालूम भी नह हो सका ?”
जासूस ने पूछा ।
उस समय दो ि लाश को ेचर पर डालकर ले जा रहे थे ।
“और िजस समय माशल को क ल कया गया उस समय िसफ आप ही उनके साथ थ ।
आप भी कानून क नजर म सं द ध ह ।”
“बकवास मत करो ।” िमसेज चौधरी चीख पड़ी, “िम टर चौधरी फोर टार ऑ फसर
थे । भला म उ ह य क ल करने लगी !”
“पद ही सबकु छ नह होता मैडम !” जासूस बोला, “औरत और मद के दर यान कभी-
कभी शारी रक स ब ध भी झगड़े का कारण बन जाते ह । या अब भी आप इसी बात पर
अड़ी ह क आपने कोई आवाज नह सुनी थी ?”
“हाँ ।” िमसेज चौधरी ने अपने गुलाबी नाइट गाउन को िज म को िगद कसते ए कहा ।
वह एक खूबसूरत औरत थी । ऐसी औरत को जासूस ज बाती िबि लयाँ कहते ह ।
उसक आँख देखते ही कमरे म मौजूद जासूस ने अंदाजा लगाया था क चौधरी क मौत से
पहले या बाद म िमसेज चौधरी ने कसी के साथ व गुजारा है । उस दंपि क कोई
औलाद नह थी ।
िमसेज चौधरी ने दरअसल जासूस से कु छ अिधक झूठ नह बोला था । उसने िसफ एक
बात िछपाये रखी थी । िमसेज चौधरी को याद था क चौधरी क लाश देखने से िसफ एक
घ टा पहले उसने कोई आवाज नह सुनी । वह अपने िब तर से कसमसाई और फर उसे
कसी क गम-गम साँस के साथ ही अपनी आँख पर हाथ का दबाव महसूस आ था । वह
पूरी तरह जाग गई थी ले कन उसने अपनी आँख ब द रख । च द िमनट बाद िलबास
सरसराने क आवाज सुनाई दी । उसने चौधरी को पुकारा । उसक आँख पर अभी तक
हाथ मौजूद था और फर वह सो गई । वह उस समय जागी जब उसे एहसास आ क
उसके क धे पर कोई िचपिचपा तरल पदाथ बह रहा है । उसने पलटकर देखा तो उसके
पित का त कया खून से तर था ।
“ओ... ओह... न... नह ... !” वह इस भयानक दृ य को देखकर च क पड़ी ।
उसके बाद िमसेज चौधरी ने पुिलस को फोन कया और अब यह बदतमीज जासूस उसे
सवाल से कु रे द रहा था ।
“म एक बार फर पूछना चाहता ँ क िजस समय आपके पित का िसर काटा जा रहा
था उस समय आपने कोई आवाज सुनी थी या नह ?” गु चर ने पूछा ।
“नह , मने कोई आवाज नह सुनी ।” िमसेज चौधरी ने कहा, “जब म जागी तो उस
समय म बेिलबास थी ।”
“ओह ! मगर चौधरी पूणतया िलबास म थे । आपके बेिलबास होने क या वजह थी
मैडम ?” जासूस क आँख चमकने लग ।
िमसेज चौधरी चकरा गय ।
गु चर महज एक इशारे को मह व दे रहा था, इसिलए िमसेज चौधरी को बता देना
पड़ा क कसी अजनबी के हाथ ने उसक आँख ब द करके ज बात क हसीन दुिनया म
धके ल दया था ।
☐☐☐
टेलीिवजन पर एयरफोस का ितिनिध ेस कॉ स म यह िववरण बता रहा था क
ब बर िवमान से िगरने वाली चीज महज एक यूल टक था । उसने इस सवाल का ख डन
कर दया क कोई एटमबम शोलापुर पर िगरा है । उसने अलब ा यह वीकार कर िलया
क िवमान का हवाबाज एक दुघटना के तहत िवमान से िगरकर मारा गया था ।
िवनाश इस समय टी•वी• के सामने बैठा था और इस प ीकरण और ेस वाल के तीखे
सवाल पर एयरफोस के ितिनिध क हालत देख-देखकर मु कु रा रहा था । उसी ण
फोन क घ टी बजी । िवनाश सेट ऑफ करके उठा और टेलीफोन के पास जा प च ँ ा।
उसने रसीवर उठा िलया ।
िवनाश ने तुर त ही कोई जवाब नह दया । वह इस बात से जरा भी नह च का था क
यह आवाज बहराम क है । मु क म ऐसी िवल ण घटना घट जाये और बहराम अपने
हेड ाटर न प च ँ ,े यह नामुम कन था । उसे इसी फोन का इं तजार था ।
“ या तुम फोन पर नह हो ?”
“हाँ, यह म ही ँ वीटहाट !” िवनाश ने मु कु राकर कहा ।
“मने सुना है क शो बी पैलेस पर तु हारा क जा हो गया है ।”
“दरअसल मुझे अब पैसा कमाने क धुन सवार हो गई है । मेरा कारोबार रात- दन
फू लता-फलता जा रहा है । आड़े व पर यही सब काम आएगा । कु छ अरसे बाद ही आप
मु क के चंद धनवान म मेरा नाम भी सुनगे ।”
“ले कन िजस काम पर तु ह लगाया था, उसक कोई रपोट नह िमल रही है ।”
“आप जानते ह, म अंजाम पर प च ँ े िबना कोई रपोट नह दया करता । हाँ, इतना
ज र बताना चाहता था क आजकल मने ऐसी लड़ कय क तरफ यान देना ब द कर
दया है िजनके चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे ितल... ।”
“म तु ह गंभीर देखना चाहता ँ ।”
“म ब त गंभीर ँ चीफ !” िवनाश ने जवाब दया, “म उस व भी गंभीर रहता ँ जब
कसी ऐसे ि क ह या करता ,ँ िजसक मुझसे कोई दु मनी नह होती । म ऐसे ण
म भी गंभीरता का दामन नह छोड़ता, जब मुझे संग दल हो जाना पड़ता है ।”
“ओह, तो तुम भावुक भी हो सकते हो !”
“मशीन होने से पहले म आदमी ँ ।”
“म यह पूछना चाहता था क वह लड़क कौन है जो तु हारी कोठी म ठहरी है और हर
समय बुक म रहती है ?”
िवनाश को यक न था क यह बात सामने आएगी और उसका चीफ परे शान हो
जायेगा ।
“ वीटहाट, म इस स ब ध म अभी कु छ नह बता सकता, य क यह बात फु सत क
ह !”
बहराम कु छ पल तक खामोश रहा, फर बोला, “ठीक है, ऐसे अवसर पर म सीधे तुमसे
मुलाकात नह करना चाहता । तु ह एक िहदायत देनी है । पूना म उन लोग का अ ा हो
सकता है िजनक हम तलाश है । स िलयत के िलए एक-दो नाम हमारी सूची म ह । इन
लोग पर संदह े है क यह मा फया जैसे गग से स ब ध रखते ह । शो बी से भी इनका
ता लुकात था । पहले हमारा याल था क वे लोग खुद तुमसे संपक थािपत कर, पर तु
अब हम ज दी कु छ करना है । इसिलए तु ह खुद उनसे संपक थािपत करना होगा । तुम
इस तरह वहाँ घुसोगे जैसे वहाँ भी अपना कारोबार फै लाना चाहते हो ।”
“ठीक है, आप सं द ध लोग का पता बता दीिजये ।”
बहराम ने उसे कु छ नाम बताये फर बोला, “एक बात का यान रखना बेटे !” इस बार
बहराम का वर खुद ज बाती था, “मुझे तुम पर ब त भरोसा है । तुम मेरे सारे जीवन क
कमाई का एक प हो और तु ह ऐसे लोग क र ा के िलए जीिवत रहना है, जो इं सानी
द रं द का िशकार बनते ह । इसिलए अगर तु ह कसी लड़क से मोह बत ही य न हो,
वह तु हारी जंदगी का िह सा नह बनना चािहए ।”
इतना कहकर बहराम ने फोन िड कने ट कर दया ।
☐☐☐
उस सेिनटो रयम का नाम यूमन लेबोरे ी था, जो खंडाला िहल क तरफ जाने वाले
हाईवे पर बनी थी । एक शानदार इमारत जो कृ ित के मनोरम दृ य से िघरी थी, एक
छोटी-खूबसूरत झील-बाग और तरह-तरह के पु प उ ान । इस सेिनटो रयम का चार
िपछले छः माह से बड़े जोर-शोर से चल रहा था । कई-एक पि का म लेबोरे ी के
इं टर ू छप चुके थे । जब िवनाश ने कं चन के स ब ध म कु छ िलटरे चर एकि त कया तो
इस सेिनटो रयम का नाम भी उसके सामने आ गया ।
इस सेिनटो रयम क डॉ टर टीना के फोटो ाफ भी छपे थे, जो क एक शानदार औरत
थी, बला क खूबसूरत और मनोवै ािनक िच क सक थी । सेिनटो रयम का दावा था क
वह दुिनया के बेहतरीन डॉ टर क सेवा ा करके अपने मरीज का इलाज करवाते ह
और हर उस के स म दलच पी रखते ह जो ज टलता क अंितम सीढ़ी पर प च ँ चुका हो ।
आजकल इस सेिनटो रयम म जमनी का एक ऐसा सजन भी आया आ था, िजसने
सजरी के अ भुत करामात कर दखाए थे । इस सजन ने ज टल ऑपरे शन करके इं सान को
नया जीवन दया था ।
कं चन क सजरी के िलए िवनाश ने इसी सेिनटो रयम से पहल क थी और इससे संपक
थािपत करके िववरण माँगा था । खच का यौरा भी आ गया था । वे लोग इस के स पर
शत- ितशत सफल होने क गार टी दे रहे थे ।
पूना रवाना होने से पहले िवनाश ने यह उिचत समझा क कं चन को सेिनटो रयम म
एडिमट करा दया जाये । इससे कं चन भी उससे अिधक दूर न रहती और उसक
िज मेदा रयाँ भी ज टल न रह जात । सेिनटो रयम म वह कं चन क देख-रे ख के िलए एक
आदमी और रख छोड़ेगा ।
पंिडत कारोबार संभाल रहा था और रांझे पैलेस को नए ढंग से तैयार करवाने म लगा
था । उसने अपनी कोठी म मौजूद नौकर को इस काम के िलए चुना । वह भी एक वफादार
ि था और न िसफ वफादार था, बि क युि और सूझ-बूझ क भी उसम कमी नह
थी । कं चन क िहफाजत के िलए िवनाश ने उसी का चयन कया । हालां क खुद
सेिनटो रयम म भी मरीज क देखभाल और सुर ा क पूण व था थी । उसके बावजूद
भी िवनाश अपनी तरफ से भी चौकसी बरतना चाहता था । रसीली को उसी कमरे म
कं चन के साथ रहना था और दूसरे नौकर को एक अ य पड़ोसी कमरे म रहकर चौकसी
रखनी थी ।
िवनाश ने अपने लान को आिखरी बार ढंग से जाँचा और पंिडत को उ ह सेिनटो रयम
म छोड़ने क िज मेदारी स प दी । कं चन सेिनटो रयम म पंिडत, खान बाबा के संर ण म
भेजी जा रही थी । उसका नाम वहाँ सलमा था और खान बाबा उसका गा जयन था ।
कं चन को इस बात क अ यिधक खुशी थी क िवदेश जाने क बजाय उसका इलाज इसी
शहर म हो रहा है ।
और जब कं चन सेिनटो रयम के िलए खसत हो गयी तब िवनाश ने पूना का ख
कया । वह पहले अपने िमशन को हल करना चाहता था । पूना म वे लोग भी थे िजनक
वजह से कं चन को यह दन देखने पड़े थे और जब वह उस शहर जा ही रहा था तो फर
लगे हाथ उनसे भी िनपट लेना चाहता था ।
उसने अपना सफर कार ारा तय करने का फै सला कया और बहराम का मैसेज िमलने
के लगभग चौबीस घ टे बाद वह पूना के िलए रवाना हो गया । हाईवे पर उसक कार
फराटे भर रही थी और वह अके ला ही उस शहर क ओर बढ़ रहा था जहाँ उसके जीवन क
अनिगनत याद दफन हो गयी थ ।
रा ते म एक जगह उसे सड़क पर एक युवती दखाई दी जो िल ट माँग रही थी ।
िवनाश ने सोचा, चलो, सफर का एक साथी तो िमला । इस लड़क के साथ आसानी से कट
जायेगी । ले कन जब लड़क के पास उसने कार रोक तो वह बुरी तरह च क पड़ा ।
वह युवती नीली जी स और सफे द शट पहने ए थी । पाँव म फू ल बूट थे, ले कन
च कने क बात यह थी क िवनाश उसे पहचानता था ।
यह शकु तला थी ।
शकु तला से उसक मुलाकात कोई अिधक पुरानी भी नह थी । वह युवती िव म उफ़
एहसान िमजा क फाइटर थी और उसी काल म जब िवनाश एहसान िमजा क शरण म
गया था, शकु तला ने उस पर अपनी जान भी िछड़क थी ।
िव म उफ़ एहसान िमजा क तो सारी दुिनया तबाह हो गई थी । यह तो िवनाश
जानता था क शकु तला िज दा है पर तु कहाँ और कस हाल म है, यह नह जानता था ।
यह वह औरत थी जो अपने लॉ ग बूट म जहर बुझा खंजर रखा करती थी । अपने खूबसूरत
शरीर के साथ उसक जंदगी भी कु छ कम हंगामी नह थी । वह एक द चाकू बाज थी ।
खंजर चलाने म बड़ी महारत रखती थी । इस तरह उसका अचानक टकरा जाना कम
आ यजनक नह था ।
िवनाश ने सोचा, शकु तला ज र उन लोग को जानती होगी जो अंडरव ड म जीते ह ।
उसने ऐसे लोग के बीच एक अरसा गुजारा था । इस तरह शकु तला से वह एक बड़ा काम
ले सकता था ।
िवनाश ने उसे मु कु राकर देखा और कार का दरवाजा खोल दया ।
“दरअसल मेरी गाड़ी रा ते म खराब हो गई । चूं क कु छ ही दूरी पर एक पे ोल प प है,
इसिलए सोचा पैदल ही बढ़ चलू,ँ ले कन फर ज दी ही थक गई । मेनी-मेनी थ स !”
शकु तला उसके बराबर वाली सीट पर बैठ गई ।
िवनाश ने कार टाट कर दी ।
“आप कहाँ तक जा रहे ह ?” शकु तला ने पूछा ।
“पूना ।”
“पूना ! पूना तो म भी जा रही थी ।”
“आप चाह तो अपनी गाड़ी दु त करवाने का याल छोड़कर मेरे संग ही चल सकती
ह ।” िवनाश बोला, “आप सड़क पर चलते-चलते थक गय और म कार म अके ले सफर
करते-करते थक गया । हम दोन का साथ कै सा रहेगा िमस... ?”
“के टी । के टी मेरा नाम है ।”
“िमस के टी ! काफ खूबसूरत नाम है । मुझे बलव त कहते ह ।”
“आप कोई कारोबारी ि मालूम पड़ते ह ।” शकु तला ने पूछा ।
“छोटा-सा धंधा है अपना मुंबई म । बलव त इं टर ाइिजज ।”
“बलव त इं टर... !” वह च क पड़ी, तो या आप वही सेठ बलव त ह िज ह ने ंस
शो बी का मालती मि दर नामक ीप हाल म ही खरीदा है ।”
“वह तो बस शौ कया खरीद िलया ।”
िवनाश ने महसूस कया क अचानक शकु तला कु छ बेचैन-सी हो गयी और फर
िवनाश ने उसी ण खतरे क गंध भी महसूस क ।
ज दी ही यह खतरा सामने भी आ गया ।
सड़क पर जाम के साये लहराने लगे थे । कार के अंदर अँधेरा छाने लगा था । िवनाश ने
हेडलाइ स रोशन कर दी थी । अगले ही मोड़ पर िवनाश ने अपनी गदन पर कसी चीज
क चुभन महसूस क । िन य ही यह रवॉ वर क नोक थी ।
“यह पॉइं ट ी एट का रवॉ वर है िम टर बलव त !” िवनाश ने िसर को मामूली-सी
जुि बश देकर वीकार कर िलया, “और तुम इसका मतलब अ छी तरह जानते ह गे ।”
िवनाश ने उसी कार सहमित कट क ।
“अब म तुमसे िजधर गाड़ी ले चलने को क ,ँ ले चलना । जरा-सी चालाक दखाई तो
शूट कर दूग
ँ ी ।”
“कहाँ ले चलोगी जानेमन ?” िवनाश ने पूछा ।
“मने तु हारे स ब ध म ब त-सी अफवाह सुनी ह ।” वह बोली, “यक नन तुम रवॉ वर
से भयभीत न ए होगे, ले कन इसका मतलब यह हरिगज नह क तु हारे िलए अभी कोई
गोली तैयार ही नह ई है ।”
“म कब कह रहा ँ ! म तो तु हारे म क तालीम करना चाहता ँ ।”
“आगे बाय तरफ एक क ा रा ता है, गाड़ी उसी तरफ ले चलो ।”
“ओ•के • ।”
करीब एक िमनट बाद ही शकु तला ने बताया क रा ता आ गया है । िवनाश ने क े
रा ते पर गाड़ी मोड़ दी । दोन तरफ झाड़-झंखाड़ फै ले ए थे । शकु तला ने एक जगह उसे
गाड़ी रोकने का म दया ।
“चलो, कार का दरवाजा खोलो और चुपचाप बाहर िनकल जाओ ।” शकु तला ने नाल
दबाव बढ़ा दया ।
िवनाश चुपचाप उतर गया ।
“हाथ िसर पर ।” िवनाश ने हाथ उठा िलए । शकु तला ने दूसरे हाथ से उसक तलाशी
ली और फर संतु होकर उसे रवॉ वर से टहोका देते ए कहा, “सीधे चलना है ।”
िवनाश चल पड़ा । वह मन-ही-मन मु कु रा रहा था और देखना चाहता था क
शकु तला उसे कहाँ ले जाना चाहती है !
कु छ ही देर म वह एक पगड डी पर चल रहे थे । अब शकु तला के हाथ म टॉच थी,
दूसरे म रवॉ वर । एक टीले के पास जाकर उसने कने के िलए कहा और फर टॉच का
ख एक दशा म करके टॉच जला-बुझाकर िसगनल पास कया ।
िवनाश अँधेरे म आँख फाड़-फाड़कर घूरता रहा ।
“तुम मुझे यहाँ य लाई हो के टी डा लग !” उसने पूछा ।
“अपना-अपना धंधा है ।” वह बोली ।
“ फरौती का च र तो नह है ।”
“अब खामोश रहो । तु ह खुद मालूम हो जायेगा ।”
उसी समय कदम क चाप सुनाई दी । फर चार इं सानी साये उनक तरफ बढ़ते दखाई
दए । चार ने अपने चेहरे छु पाये ए थे । अब वह समीप आ गए तो उनम से कसी ने टॉच
क रोशनी डालकर मुआइना कया ।
“ब त मोटा िशकार है ।” शकु तला ने कहा, “इसका नाम सेठ बलव त है । मुंबई का
एक करोड़पित । अपना िशकार संभालो और मुझे मेरा कमीशन देकर चलता करो । बाक
िहसाब करने बाद म आऊँगी ।”
“सेठ बलव त !” एक ने आ य भरी चीख के साथ कहा, “वाह, या हाथ मारा ! दस
लाख से कम क आमदनी नह ।”
“खामोश रहो ।” दूसरा बोला, “पहले इसक तलाशी लो ।”
“मने देख िलया । तलाशी म कु छ नह । बस पस ज र है, जो कायदे के अनुसार मेरा
है ।”
शकु तला ने तलाशी म उसका पस िनकाल िलया था और िबना नोट िगने रख िलया
था ।
“ठीक है । फ ेशाह, मेमसाहब का िहसाब चुकता करो !” वही श स बोला जो उनका
सरदार मालूम पड़ता था ।
फ ेशाह नामक दूसरे ि ने एक पैकेट शकु तला को थमाया और फर शकु तला ने
िवनाश क कार क चाबी भी िनकाल ली । उसके बाद वह अंधकार म गायब हो गई ।
उसी रा ते से वािपस लौटकर शकु तला ने िवनाश क कार टाट क और चल पड़ी ।
शी ही क े रा ते से िनकलकर वह हाईवे पर आ गई और पूना क दशा म ही तेज
र तार से कार दौड़ाने लगी ।
कार म अँधेरा था ।
एकाएक शकु तला च क । उसने अपने पहलू म ह क -सी सरसराहट महसूस क ।
च ककर देखा तो टेय रं ग पर उसका हाथ बहक गया । ज दी ही एक हाथ टेय रं ग पर
आया और शकु तला को कसी पु ष के पश का एहसास आ ।
“गाड़ी ठीक से चलाओ । मरने का इरादा है या ?”
“त... तुम !” वह बुरी तरह हकला गई ।
शकु तला आवाज पहचान गई थी । यह तो वही िशकार था िजसे वह अभी-अभी
छोड़कर आई थी ।
“मने सोचा, तुम रात के समय अके ले म ब त बोर होगी, इसिलए तु हारा साथ देने
चला आया । चलो, टेय रं ग संभालो । हाथ य काँप रहे ह ?”
शकु तला संभलकर बैठ गई ।
“डरने क बात नह । म ब त खुशिमजाज आदमी ँ । ले कन अब अगर तुम उन लोग
के पास गई तो वे तु ह ज र क ल कर दगे । उनम से एक भाग गया और बाक तीन क
लाश वहाँ पड़ी ह ।”
“क... या !” वह हकला गई, “तुमने उ ह मार डाला !”
“मने उनसे कहा था क म सेठ बलव त नह , पुिलस का अफसर ँ और उस िगरोह क
तलाश म था । और जो लड़क उनके िलए िशकार लाती है, वह सरकारी गवाह बन गई
है । इस पर वह मुझसे ब त नाराज ए और वह मुझे क ल करने पर आमादा हो गए ।
अपनी जान बचाने के िलए मुझे हाथ-पाँव तो चलाने ही थे ।”
िवनाश के बात करने का अंदाज ऐसा ही था क शकु तला के माथे पर पसीने क बूँद
चुहचुहा आ । इतनी ज दी सबकु छ िनपटाकर वह जाने कब गाड़ी म आ गया था ।
कदािचत् वह उसके कार तक प च ँ ने से पहले ही िपछली सीट पर आकर िछप गया था ।
“त... तुम कौन हो ?”
“सेठ बलव त !” िवनाश मु कु राया और फर ठहाका मारकर हँस पड़ा ।
शकु तला का एक हाथ धीरे -धीरे अपने रवॉ वर क तलाश म रगने लगा, ले कन
उसका रवॉ वर यथा थान पर नह था ।
“हे भगवान !”
“अगर म तु ह पुिलस के हवाले कर दू,ँ तो भी घाटे म नह र ग ँ ा । अगर तु ह छोड़ दूग
ँ ा
तो जो एक आदमी मेरे हाथ से बच गया है वह तु हारी जान का दु मन बन जायेगा । हो
सकता है, उनके और साथी भी ह ।” िवनाश ने पसीने क और भय क िमली-जुली बू
महसूस क ।
“उसके बावजूद भी तुम एक काम क लड़क हो । हसीन और जानदार । चालाक और
मेरे काम क ।”
शकु तला चुप रही ।
िवनाश ने आिखरी तीर चलाया । उसक आवाज अब ऐसी थी जो अ छी-अ छी औरत
को िपघलाकर मोम बना देती थी ।
“मेरे िलए काम करो । मने तु ह पहली ही नजर म पस द कर िलया था । जो चाहोगी,
वह िमलेगा । मालती मि दर म एक मिलका क मुझे स त ज रत है ।”
शकु तला उसके जाल म फँ स गई । उसके साथ ही पसीने और भय क गंध समा हो
गई ।
“काम या करना होगा ?”
“िसफ वह जो एक जािनसार दो त दूसरे के िलए करता है ।”
शकु तला के ह ठ पर अब मु कु राहट आ गई ।
“सेठ बलव त, तुम वाकई िज दा दल, शेर दल और शानदार आदमी हो ! मेरी जंदगी
म तुम वह दूसरे श स हो, िजसने मुझे झकझोरकर रख दया । मुझे भािवत कया । वरना
म तो दुिनया के हर मद से नफरत करती ँ ।”
िवनाश ने यह नह पूछा क पहला श स कौन था ।
“तुम मुझे बतला सकती हो ?” िवनाश ने िसफ इतना कहा और शकु तला ने गाड़ी क
र तार तेज कर दी ।
“शायद तुम मेरे बारे म कु छ अिधक नह जानते होगे ।” रा ते म वह बोली ।
“ऐसी जानका रयाँ फजूल होती ह । आदमी को आदमी पहचानने क मता होनी
चािहए । इतना ही काफ होता है ।”
“ फर भी म बताना ज री समझती ँ । बारह साल क उ से म जरायम पेशा लोग के
बीच रही ँ और अब तक िज दा ँ । तु हारा नाम मने नया-नया सुना था, वरना तो म हर
उस श स के बारे म जानती ँ जो जरायम क दुिनया म बादशाह कहलाये जाते ह ।
िपछले दन म अजुनदास नामक ि के िलए काम करती थी, जो हीरे -जवाहरात और
सोने क मग लंग करता है । ले कन म यह धंधा छोड़कर क ह ि गत कारण से चली
आई और हाईवे पर राहजनी करने लगी । तभी मेरी मुलाकात इस िगरोह से ई और
हमारे बीच एक सौदा तय हो गया । सौदा यह था क िजसे म राहजनी का िशकार बनाऊँ
उसका माल तो मेरा ही होगा पर उसे इन लोग के हवाले कर दूँ । वह फरौती वसूल करते
थे । उसम भी मेरा कमीशन होता था और अगर पाट मोटी होती तो उसम मुझे कु छ
अ छा ॉ फट हो जाता था । अपनी जंदगी म मने बड़े रं ग बदलते देखे । एक जमाना था
जब एहसान िमजा का डंका बजता था । उसके वहाँ म खुश थी, ले कन उसक जैसी बबादी
मने आज तक कसी इं सान क नह देखी ।”
िवनाश चुपचाप सुनता रहा ।
“अब तुम मेरी जंदगी म आये हो और तुमने मुझे अपनी दो त बनाया है । ई र करे ,
यह दो ती हमेशा आबाद रहे ।” उसका वर भरा गया, “ य क मेरी अपनी जंदगी म
कोई मद दो त नह रहा । िजसे बनाना चाहा वह भी मेरी दुिनया से ब त दूर चला गया ।
उसका नाम िवनाश था । वह लड़ कय के ित न जाने य उदासीन रहता । एक ऐसा
शानदार फाइटर था, बि क आज अगर वह िज दा होता तो... ।” वह चुप हो गई ।
“ या तुम उससे मोह बत करती थी ? और था से तु हारा या मतलब ? या वह
िज दा नह रहा ?”
“हाँ, यही बात है । पहली बार मेरे दल म कसी मद ने द तक दी थी । ऐसा मद जो
अगर मुझसे जान भी माँगता तो खुशी-खुशी दे देती । ले कन शायद म उसक नजर म एक
िगरी ई औरत थी । एक च र हीन औरत, िजसे कोई भी वािभमानी मद न तो दो त
बनाना पस द करता था, न ेिमका ।” वह चुप हो गई ।
“बेहतर है क तुम पुरानी बात को भूल जाओ ।”
कार पूना क तरफ बढ़ती गई ।
☐☐☐
पूना प च
ँ ते ही िवनाश ने एक होटल म वेश कया । होटल नवरं ग म उसके नाम पर
एक महँगा सुइट बुक हो गया और शकु तला से िमलकर उसने उन लोग क सूची आसानी
से तैयार कर ली जो पूना म जरायम क दुिनया से ता लुक रखते थे ।
इस िल ट म सेठ जगमोहन का भी नाम था ।
जहाँ तक अजुनदास का सवाल था, वह भी ऐसा ि था जो संयोग से िवनाश क
पसनल सूची म था । यह वही अजुनदास था जो कं चन के वग य िपता नागमणी िम का
पाटनर रहा था । शकु तला ने यह भी बताया क जगमोहन और अजुनदास जरायम क
दुिनया म अब साझे के कई कारोबार चला रहे ह । वे हेरोईन क त करी भी करते थे
ले कन हाल ही म कु छ ऐसा सुनने म आया था क दोन म मतभेद पैदा हो गया है और वे
एक-दूसरे के दु मन बनते जा रहे ह ।
उनके अलावा कामता नाथ था, िजसका एक बड़ा होटल पूना म था और मुंबई म फाइव
टार होटल खुलने जा रहा था । जानी नामक रह यमय ि का नाम भी आया, जो पूना
म रहता तो नह था पर तु वह इन सब लोग से संपक बनाकर अपना कोई धंधा चला रहा
था ।
जानी एक ऐसा श स था िजसके बारे म कहा जाता था क वह जरायम पेशा लोग के
बीच एक शानदार दलाल क भूिमका अदा करता है और उसका स ब ध मा फया के
तमाम लीडर से है ।
िवनाश ने एक ल बी सूची तैयार कर ली । इस सूची म डी•एस•पी• िनमल दास का भी
नाम था और यह वह श स था, िजसने कं चन क माँ क ह या के जुम म महे क बजाय
एक खानाबदोश को फँ सा दया था ।
“के टी ! म पूना म एक शानदार पाट का आयोजन करना चाहता ँ ता क इन सब लोग
से मेरे ता लुकात कायम हो सक । ले कन तु हारी भूिमका इसम मह वपूण होगी । पाट म
सरकारी ऑ फसर भी आएँग,े शहर के छोटे-बड़े रईस, सभी ह गे । ले कन तुम जरायम
पेशा के लोग तक हमारी ओर से यह स देश प च ँ ाओगी क मालती मि दर नामक ीप म
मने ऐसी मशीन लगाई ह जो एक िवशेष क म क स तैयार कर रही है । यह स
हेरोईन का एक नया प होगी । हेरोईन अफगािन तान और तुक क होगी और इस नए
प नई पै कं ग म थोक पर स लाई करने का काम मालती मि दर का होगा । यह स देश
गु प से उन सभी लोग तक प च ँ जाना चािहए । तुम यह भी कहोगी क पूना के िलए
म एक सोल एजट िनयु करना चाहता ँ । पाट का मु य उ े य यही है क म ऐसे
तमाम लोग से िमलूँ जो इस सौदे म दलच पी रखते ह ।” शकु तला ने सहमित से िसर
िहलाया ।
“इसके िलए जानी मेरे ब त काम आएगा । म जानी को एक-दो रोज म तलाश कर
लूँगी । ले कन या तुम सचमुच ऐसा कारोबार शु करना चाहते हो ?”
“नह । फ़लहाल म यह जानना चाहता ँ क इस धंधे म कतने लोग िल ह और इसम
कतना मुनाफा है ?”
“मालती मि दर म ऐसे ब त से लोग पहले भी आते-जाते थे, जो ंस शो बी के दो त
थे, ले कन ंस शो बी ऐसा कोई धंधा नह करता था । वह एक दौलतमंद ि था और
कभी-कभी अपने दो त क कि तयाँ ीप के तट पर उतरने क सुिवधा दया करता था ।
इसके एवज म वे लोग शो बी के िलए उसक अ याशी का सामान जुटाते थे ।”
“तब तो उ ह मेरी सरपर ती क ज रत पड़ेगी । इि वटेशन छापने के िलए कसी अ छे
ेस को ऑडर दे दो और उसम एक स ाह बाद क तारीख डाल दो । पाट इसी होटल म
होगी ।
दो दन के भीतर इि वटेशन छपकर आ गए । इस बीच शकु तला ब त त रही ।
पूना के सेठ म सेठ बलव त का नाम इ ह दो दन म च चत हो गया था । शकु तला ने
जरायम पेशा लोग म भी शीशे छोड़ दए थे । अपने आपको वह सेठ बलव त क पसनल
से े टरी बताती थी और उसके स ब ध म ऐसे-ऐसे का पिनक क से गढ़कर सुनाती थी क
जो सुनता वह सेठ बलव त से िमलने के िलए बेचैन हो जाता ।
उसने जानी का सुराग लगा िलया था । वह जामनगर म था । के टी तीसरे दन जानी से
िमलने जामनगर प च ँ ी और वहाँ से फोन पर िवनाश को बताया क काम ठीक से चल रहा
है । जानी खुद बलव त से िमलना चाहता था ।
पाट क तारीख िनि त हो चुक थी और फर िनमं ण बाँटने का काम भी शकु तला ने
कया ।
यह पाट नवरं ग होटल के ाउं ड लोर पर होनी िनि त ई थी । होटल म इसक
व था के िलए ऑडर दे दया गया था और ऐसी पाट का ब ध करवाया गया था, जैसे
कभी कसी सेठ ने अरज न क हो । कु छ िनमं ण ेस फोटो ाफस को भी दये गए थे ।
☐☐☐
िनि त ितिथ म होटल नवरं ग क शाम रं गीन बना दी गयी । यह िवनाश क आशा से
भी अिधक सफलता क बात थी क पाट म वह सभी लोग आ गए थे िज ह आमंि त
कया गया था । पुिलस के महकमे के ऑ फसर भी आये थे । उनके साथ उनके दो त भी थे ।
महे अपने चार दो त के साथ आया था । पाट म वे लोग औरत को साथ लाये थे ।
एक छोटा-सा खूबसूरत मंच बना था, िजस पर आक ा के साथ-साथ गायन और नृ य
का आयोजन भी था । इस रं गारं ग ो ाम म जानी वॉकर क शै पेन खुली । ेस
फोटो ाफस के कै मरे लैश िलए जगमगा रहे थे । तेज रोशनी के फोकस म एक मूवी कै मरा
भी चल रहा था ।
िवनाश शहर क जानी-पहचानी हि तय म िघरा था । उसक हैिसयत इस समय कसी
शहजादे से कम नह थी । अचानक िवनाश एक शि सयत को पाट म देखकर च क पड़ा ।
पाट अभी चल ही रही थी क एक गाड़ी क । उसम से जो ि उतरकर अंदर
आया, वह सीबीआई का रीजन चीफ था ।
“वह सीबीआई का रीजन चीफ डी•के • चौरािसया है ।” शकु तला ने उसे आते देख
िवनाश को जैसे सजग कया, “हाल ही म रीजन चीफ बना है और इसक वजह से ब त से
मुज रम यहाँ से अपना धंधा उखाड़ने पर मजबूर हो गए ह ।”
“म जानता ँ ।” िवनाश ने कहा, “ले कन मने इसे िनमं ण नह दया था । उसक
वजह यह थी क पाट के दर यान ही चंद लोग को अलग ले जाकर कु छ आव यक बात
करनी थ । जब क इस आदमी के बारे म मश र है क यह हवा म जुम क गंध सूँघता है ।
इसक वजह से पाट के रं ग म भंग हो सकता है ।”
डी•के • चौरािसया कु छ गुनगुनाता आ आगे बढ़ रहा था । वह सीधा मंच क तरफ बढ़ा
जा रहा था, जहाँ संगीत का ो ाम चल रहा था । एक सुंदरी माइक पर खड़ी थी और
उसके गायन के साथ धीमा संगीत बज रहा था ।
डी•के • चौरािसया को देखकर ब त से लोग के चेहर पर आ य और उलझन के भाव
पैदा हो गए । कु छ लोग तो अपनी सीट से उठ खड़े ए । चंद पुिलस ऑ फसर वहाँ मौजूद
थे । वह भी च ककर एलट मु ा म नजर आने लगे । ले कन डी•के • चौरािसया सभी को
नजरअंदाज करता आ उसी मु ा म गुनगुनाता आ एक झ के क तरह िवनाश के पास से
गुजरा और सीधा मंच पर चढ़ गया । उसने माइक गाियका के हाथ से छीन िलया और
दूसरे हाथ से पीछे हटा दया । उसक यह हरकत देखते ही सभा को साँप सूँघ गया और
संगीत ने भी दम तोड़ दया । वह अब भी कोई धुन गुनगुना रहा था ।
फर अचानक उसने कहा, “मुझे हैरत है क शहर म इतनी बड़ी पाट का आयोजन हो
रहा है और मुझे आमंि त नह कया गया । ले कन म खुद चला आया और म इसिलए
चला आया क तुम सबको अपनी ओर से एक िवशेष उपहार देना चाहता था । इस पाट म
मौजूद अ ारह ि ऐसे ह िजनके हाथ म ज दी ही हथकिड़याँ पड़ने जा रही ह । उनके
िखलाफ सारे माण मेरे पास ह । ले कन म ऐसा नह क ँ गा । म यहाँ िसफ यह बताने
आया ँ क आप सब यानी अ ारह असािमयाँ कस तरह बच सकती ह, और मेरे िडपाटमट
का कौन-कौन-सा ि , कस- कस प म आपके धंध घुसा आ है । उ ह क सूचना
पर आपको रं गे हाथ िगर तार कया जाना था । अब म अपने िडपाटमट के उन आदिमय
के नाम बताऊँगा । उसक पहचान और उनके काम का िववरण दूग ँ ा । यह भी बताऊँगा क
वह कस तरह काम कर रहे ह । उसके बाद यह देखना आप लोग का काम है क उनसे
कस तरह पीछा छु ड़ाया जाये ।”
हर तरफ स ाटा छा गया । उसने एक कागज जेब से िनकाला और अपने वफादार
सािथय का क ा-िच ा खोलने लगा ।
“तुम कौन हो ?” अचानक कसी ने िच लाकर पूछा ।
“बकवास मत करो । म रीजनल डायरे टर ऑफ सीबीआई ।” यह कहते ए चौरािसया
ने अपनी िशना ती काड उनक तरफ उछाल दया ।
“तुम यह रह यो ाटन य कर रहे हो ?” एक अखबार के संवाददाता ने उसका चेहरा
कै मरे म कै द करते ए पूछा ।
“अपने जमीर के हाथ मजबूर होकर ।” चौरािसया ने जवाब दया ।
“वे लोग छोटे-बड़े ापारी ह, जब क इस देश म उन सफे दपोश मुज रम का कोई कु छ
नह िबगाड़ सकता, जो सरकारी मशीनरी का बाकायदा अंग बन चुके ह ।”
“तुम लोग मेरे रह यो ाटन क पुि कसी भी तरह कर सकते हो । ले कन ठहरो, पहले
म िववरण सुना दूँ । उसके बाद मुझे जाना है । मेरे इस रह योदघाटन के बाद सीबीआई
वाले मेरे पीछे पड़ जायगे ।”
उसने सारा िववरण ज दी-ज दी पढ़कर सुना दया ।
“अगर मेरे पास व होता तो म यह सब भी बताता क हमारी सरकार ने एक ऐसा
नया ऑगनाइजेशन खड़ा कया है िजसम ू रतम ह यार क टोली काम करती है । इस
सं था म एक ऐसा पद भी है िजसे क ल करने का सरकारी लाइसस दे दया गया है ।
बाजीगर का िखताब और यह बाजीगर खुद एक बड़ा मुज रम है ।”
अब िवनाश च क पड़ा । पर तु उसी व चौरािसया टेज से कू दकर नीचे आ गया और
गुनगुनाता आ हवा के झ के क तरह होटल के सदर दरवाजे से बाहर िनकल गया ।
वह अपने पीछे पूरी मह फल को त ध छोड़ गया था ।
चौरािसया ने सच कहा था, सीबीआई वाले चंद ही िमनट बाद उसक तलाश म िनकल
खड़े ए ।
चौरािसया अपने कमरे म मौजूद नह था । वह घर म भी नह िमला ।
रात गए चौरािसया पूना पि लक लाइ ेरी म एक छोटे से कमरे म दािखल आ । वह
जूत के चमड़े वाले त म का एक पूरा ब डल उठा लाया था । बाथ म म उसने त म एक-
दूसरे से अ छी तरह बाँधा क र सी बन गई । फर उसने इस र सी को पानी म िभगोया
और गीले त म क र सी को अपनी गदन के िगद लपेटने लगा । उसने पूरी र सी गदन के
िगद लपेट ली और दूसरे िसरे को पहले िसरे से कसकर बाँध दया । वह लाइ ेरी के कमरे
म वािपस आ गया । चंद िमनट तक वह इसी तरह बैठा रहा ।
त म क र सी खु क होने लगी । उसक गदन म पैव त होती चली गई । र सी
चौरािसया के क ठ और गु ी म इस तरह चुभ रही थी जैसे कोई तेज धार का चाकू गदन
काट रहा हो ।
च मदीद गवाह का कहना था क उ ह ने जब चौरािसया को मरते देखा तो वह उस
समय एक गीत गुनगुना रहा था । मरने से पहले उसने डा डा डम डा, डा डा डा डा डम डम
क एक जोरदार तान लगाई थी ।
☐☐☐
चौरािसया ने पूरी मह फल ही बखा त कर दी थी । वातावरण म कु छ ऐसा साँप सूँघा
था क िवनाश ने उसे आगे जारी रखना भी आव यक नह समझा और मेहमान से मा
माँगकर उ ह खसत कर दया ।
चौरािसया ने उसे सचमुच उलझन म डाल दया था । उसने आगामी ो ाम क
परे खा तैयार करने म शेष व जाया कया । अगले रोज उसे चौरािसया क मौत का
समाचार िमल गया था ।
“के टी !” उसने शकु तला को नए िनदश दए, “म चाहता ँ क इन लोग से अलग-
अलग मुलाकात क जाये कारोबार के िसलिसले म । म अब सबसे अलग-अलग बात
क ँ गा ।”
“ले कन िपछली रात जो कु छ आ, उसने सभी को सोच म डाल दया है ।”
“कै सी सोच ?”
“जानी से इस स ब ध म मेरी बात कु छ देर अलग से ई थी । मेहमान के जाने के बाद
भी वह कु छ देर मेरे साथ अके ला रहा था ।”
“ या बात ई ?”
“वे लोग कसी नए िबजनेस म पैसा फँ साने क बजाय एक ऐसे गेम म हाथ डालने के
िलए उ सुक ह िजसम कु छ िवदेशी लोग भी भाग ले रहे ह । आज से यह सरगम शायद
और तेज हो जायेगी ।”
“म कु छ समझा नह । जरा साफ-साफ बताओ ।”
“आ य है बलव त सेठ क तु ह इसक खबर भी नह ! या तुमने ऐसी अफवाह नह
सुनी क दुिनया म बड़ी-बड़ी मंिडय से सोना गायब होता जा रहा है ? या तु ह सोने के
बढ़ते दाम के पीछे कोई बात नजर नह आती ?”
“दरअसल म सटो रया नह ँ । और िवशेषकर सोने के चढ़ते-उतरते भाव से तो कोई
दलच पी नह रखता ।”
“ले कन जानी कु छ और ही कह रहा था । वह कह रहा था क कसी दूसरे धंधे म पैसा
फँ साने क बजाय ज दी-ज दी िजतना हो सके सोना खरीद डालो । बि क उसका तो यहाँ
तक कहना था क म तु ह सुझाव दूँ क ीप बेचकर जो पैसा हाथ लगे उसका सोना खरीद
डालूँ ।”
“सोना खरीद डालूँ ! ले कन य ?”
“ऐसी अफवाह है क कोई इस मु क का सौदा कर रहा है । पूरा कं ोल बेचना चाहता है
और इसके एवज म वह चंद रोज बाद कसी खास मुकाम पर नीलामी करवाएगा । दस
लाख डॉलर का सोना बोली लगाने वाले को जमा करना पड़ेगा और यह सोना
ि व जरलड के कसी बक म जमा करना होगा, जो क बोली बोलने वाले क जमानत
होगी ।”
िवनाश कु छ पल खामोश रहा ।
फर बोला, “और यह शि सयत कौन है जो इतना बड़ा गेम खेल रही है ?”
“यह तो मुझे भी नह मालूम और शायद जानी भी नह जानता होगा । उस शि सयत
ने खुद ही ऐसे तमाम पूंजीपितय को सूचना प च ँ ाई थी । ले कन कसी ने अिधक यान
इसिलए नह दया य क उ ह यक न नह आ । फर उस रह यमय ह ती ने इसका
सबूत दया । एयरफोस के कमांडर ने जो बम िगराया था, वह इसी स ब ध म एक भाव
था । उस घटना से चंद िमनट पहले इसक इ ला फोन ारा ऐसे अनेक लोग को दी गई
थी जो इस िबजनेस म भाग लेने क हैिसयत रखते ह । जानी चूं क ऐसे लोग का एक
बेहतरीन दलाल है, इसिलए उसे भी सूचना िमली थी ।”
“और उसने अब वही सूचना तु हारे ज रये मुझ तक भी प च ँ ा दी ।”
“शायद वह रात तुमसे करता, ले कन माहौल िबगड़ गया था ।”
“म समझ गया । रात क घटना का स ब ध भी उसी शि सयत से है ।”
“जानी का यही कहना था ।”
िवनाश चुप हो गया ।
कु छ देर तक दोन ही खामोश रहे फर अचानक शकु तला ने गंभीर होते ए धीमे वर
म पूछा, “ या सोच रहे हो िडयर ब ली ?”
“सोच रहा ँ क इस गेम के िलए कतनी क मत का सोना खरीदना पड़ेगा !”
“ले कन जब तक म आपके साथ ,ँ ऐसा नह सोचने दूग ँ ी ।”
“ या मतलब ?” शकु तला ने एक गहरी साँस ख ची ।
“हालां क म कु छ बढ़कर बोल रही ँ । तुम पर मेरा इतना हक तो नह ब ली, मुझे
अपनी हैिसयत से आगे नह बढ़ना चािहए । चाहे तुम उसे वीकार न करो, पर मेरी तरफ
से वह तु हारे िलए आिखरी बात होगी । पहला और आिखरी हक ।”
िवनाश ने नजर उठाकर उसक तरफ देखा ।
“रात चौरािसया वाली घटना के बाद से लेकर अब तक तुम काफ परे शान रहे हो,
इसिलए कु छ कहने से पहले म तु हारा मूड सही देखना चाहती ँ । चलो, कह घूमने चलते
ह । आदमी हर समय मशीन क तरह काम करता रहे तो वह ज बात से खाली हो जाता
है ।”
“मेरा मूड तो हर व एक जैसा ही रहता है के टी ! ले कन तुम अगर अपने दल म कु छ
रखे हो तो िनःसंकोच कह डालो । मुझम हर बात सुनने और सोचने क बदा त है ।”
“हो सकता है, तु हारा मूड ही चौपट हो जाये और तुम मुझसे कनारा कर लो और म
फर से अके ली रह जाऊँ । अब तक तो हम दोन कारोबार म ही उलझे रहे ह, इसिलए म
तु हारी बाँहो म कु छ हसीन घिड़याँ कह ऐसी जगह िबताना चाहती ,ँ जहाँ तनहाई-ही-
त हाई हो, हम ह और तुम ।”
“तो फर तैयार हो जाओ ।”
शकु तला मु कु राती ई दूसरे कमरे म चली गई । िवनाश ने भी नीला सूट पहना और
तैयार हो गया ।
कु छ देर बाद ही के टी तैयार होकर आ गई । वह खूब जँच रही थी । उसके खूबसूरत
िज म से पर यूम क खुशबू उड़ रही थी । वह दोन हाथ कमर पर रखकर िवनाश के
सामने आ खड़ी ई । फर एक अदा से बोली, “म अ छी लग रही ँ न ?”
िवनाश ने उसका िसर से पाँव तक जायजा कया और पहली बार िवनाश को एहसास
आ क उसका रं ग भी कं चन क तरह जगमगा रहा था । उसके िज म से भी एक भीनी-
भीनी महक िनकलती थी, जो भरपूर जवानी का एहसास दलाती थी ।
“तुम न िसफ अ छी लग रही हो बि क अ छी हो भी ।” िवनाश ने उसके बाल मु य
म जकड़कर दोबारा खराब करते ए कहा । हालां क वह बड़ी मेहनत से उ ह संवारकर
लाई थी ।
“तु हारा दुभा य िसफ यह है क तु ह तु हारी अ छाइय क क करने वाला कोई नह
िमला । लोग तु हारी अ छाइय , बुराइय , िज म तथा जेहन व नर सबसे ही खेलते
रहे ।”
“जो गुजर गई सो गुजर गई ।” उसने िवनाश के गले म बाँह डालकर आँख ब द करते
ए कहा, “मुझे मेरा अतीत मत याद दलाओ । म अपना हर गुजरा आ कल आज के साथ
दफन कर देती ँ । म दुिनया म अके ली आई थी, अके ली जाऊँगी । ले कन मुझे फर अब
कसी भी बात का दुःख नह , अलब ा इस बात क खुशी ज र है जंदगी के चाह कसी
गलत मोड़ पर ही सही, तुम मुझे िमले । मुझे नह मालूम हमारे रा ते कब तक के िलए एक
ह ले कन खुशी क बात यह है क चाहे कु छ देर के िलए सही, हमारा संग तो आ है । नह
जानती क भा य क िपटारी म मेरे िलए या है ले कन मुझे पहले भी इसक परवाह नह
थी और अब तो िब कु ल नह है ।”
िवनाश ने च ककर उसक तरफ देखा । वह पहली बार इतनी भावुक दखाई दी थी ।
इतने दन से वह साथ थे पर उसे िवनाश ने इस अंदाज म नह देखा था । वह जैसे वाब के
आलम म बोल रही थी ।
“आज मुझे अपना अि त व बेहद ह का-फु का लग रहा है ।” वह जैसे गुनगुनाते ए
बोली, “म जैसे आसमान के करीब-करीब परवाज कर रही ँ । मुझसे न जाने कतने मद
ने कै सी-कै सी हसीन और दलफरे ब बात क ह ले कन मने कभी अपनी ह को ह का
महसूस नह कया । एक खास िशला के बोझ तले मेरी ह दबी-दबी रहती थी । तुम ब त
कम और साधारण-सी बातचीत करते हो ले कन तु हारा हर श द जैसे मेरे अि त व म
पैव त अनिगनत काँट चुन लेता है । म आज बेहद खुश ँ । मेरा जेहन जैसे बादल के टु कड़े
या ई के गोल क तरह ह का होकर हवा क सतह पर उड़ता फर रहा है ब ली !”
“यह सब बात इसी जगह ह गी ।” िवनाश ने उसे बाँह से आजाद कया ।
“आं हाँ, म तो भूल ही गई थी । चलो ।”
“कै सी जगह चलना पस द करोगी ?” िवनाश ने पूछा ।
“ कसी ऐसी जगह जहाँ कसी नदी का कनारा हो । यार क नदी बह रही हो । ढलवां
कनारे पर हरी-हरी घास हो । कह -कह वृ भी छाया कये खड़े ह और हवा क
सरसराहट के साथ फु र-फु रकर नदी से सरगोिशयाँ कर रहे ह और कह -कह पीले प े
दखाई पड़ रहे ह । बोलो, ले चलोगे ?” वह मु कु राई ।
“ य नह !” िवनाश ने उसके गाल थपथपाए ।
पूना के बाहर से दो ही नहर गुजरती थ । एक तो िब कु ल छोटे पाट क थी और नहर
क बजाय ग दा-सा नाला ही मालूम होती थी । दूसरी चौड़े पाट क थी और खूबसूरत
नहर वही थी । वह शहर से काफ दूर से गुजरती थी और उसके आसपास ही वीराना रहता
था ।
िवनाश ने शकु तला का हाथ थामा और नीचे आकर होटल के पा कग लॉन क तरफ बढ़
चले । कु छ ही देर बाद िवनाश क कार पूना के आउटर रज क तरफ बढ़ रही थी ।
शकु तला का िसर उसके क धे पर आ टका था । िवनाश अिधक तेज चलने का आदी नह
था । वह मशीन को मशीन के ढंग से ही इ तेमाल कया करता था । पर तु शकु तला का
आज अचानक यूँ ज बाती हो जाना उसक सोचो को बुरी तरह कु रे द रहा था ।
एक िवशेष बात ने उसके जेहन म हलचल-सी मचा दी थी । कह ऐसा तो नह ,
शकु तला भी कं चन क तरह उसे पहचान गई हो । अगर ऐसा आ तब या उसके हाथ
शकु तला के खून से रं ग जायगे । यह कै से अजीबोगरीब इ फाक उसके जीवन म आते जा
रहे थे ।
बाजीगर म ज बात नाम क ऐसी कोई चीज नह होनी चािहए थी । वह या से या
बनता जा रहा है ! आिखर बाजीगर क शि सयत उसके भीतर से य और कहाँ गायब
होती जा रही है । उसके िश ण पर जो लाख खच आ था, या ऐसे मामूली झ के ढा
सकते थे ? बाजीगर का बाजीगर क क मत के आगे इं सानी जान , ज बात और र त का
कोई मू य नह था ।
अगर ऐसा व आया तो उसे या करना चािहए ?
या शकु तला यार क चंद घिड़याँ उसक बाँहो म गुजारकर मारी जायेगी ?
बाजीगर का जेहन इ ह असमतल पर भटक रहा था । यही वजह थी जो उसे अपना
पीछा कये जाने का जरा भी आभास नह आ ।
वह प तः सामने देख रही थी ले कन हक कत म वह कु छ भी नह देख रही थी । वह
िसफ सोच रही थी, न जाने या कु छ । उसके ह ठ पर ब त ही मि म-सी मु कु राहट थी
जैसे अंदर-ही-अंदर वह अपने कसी मसले से उलझी ई हो ।
िवनाश को उस समय उसका साथ बेहद भला लग रहा था । ऐसी दबी-दबी-सी खुशी
उसे उस व महसूस आ करती थी जब कं चन उसके पास होती थी । यह एक अजीब-सा
एहसास था य क उसके िलए कं चन और शकु तला का अलग-अलग मह व था ।
शारी रक तौर पर कं चन उसके िलए एक खूबसूरत राज, एक अनबुझ पहेली थी, तो
शकु तला एक खुली कताब । इन दोन के ि व म कोई भी समानता नह थी ।
नहर के कनारे प च ँ कर िवनाश ब त ही कम र तार से पु ता सड़क पर कार ाइव
करने लगा । बैठने के िलए उसे कोई उपयु थान नजर नह आ रहा था । यहाँ तक क
वह उस थान तक प च ँ गए जहाँ सड़क एक पगड डी के प म प रव तत हो गई थी ।
यहाँ अंततः उसे एक ऐसी जगह नजर आ ही गई जैसी शकु तला ने इ छा कट क थी ।
कार रोककर वह नीचे उतर गए ।
कु छ देर तक वह ढलान और हरी-भरी घास पर वृ और फू लदार पौध के म य ब
क तरह एक-दूसरे के पीछे भागते रहे । यहाँ तक क शकु तला हँसते-हँसते बेदम होकर
घास पर लेट गई, हँसी जैसे खुद-ब-खुद उसके अंदर से फू ट रही थी ।
िवनाश भी कु हनी के बल उसके समीप ल बा हो गया ।
एकाएक आकाश क तरफ देखते-देखते उसक हँसी थम गई । वह कु छ पल के िलए यूँ
खामोश हो गई जैसे आसमान पर उसने कोई डरावना मंजर देख िलया हो । उसक आँख
म आँसू भर आये ।
“ब ली ! गर बंगाल के अकाल म मेरे माँ-बाप ने बारह पये म मुझे बेचा न होता तो
आज शायद म एक सीधी-सादी मासूम देहाती लड़क ही होती ।” वह खोये-खोये वर म
बोली, “शायद इसी तरह नहर का कोई कनारा, न हे-न हे से कोमल ब े और तुम-सा
कोई हमसफर मेरा भा य होता । आज म कतनी त हा ँ ।”
“मेरी नजर म तो तुम आज भी सीधी-सादी और मासूम ही हो ।” िवनाश ने उसक
आँख से गाल पर ढलक आये दो आँसु क बूँदे प छते ए कहा, “बाक रही यह बात क
या कु छ तु हारा भा य होता, तो इं सान क तो फतरत यही है क अ सर वह यही
सोचता रहता है क यूँ होता तो कै सा होता और यूँ न होता तो कतना अ छा होता ।
“यह भी तो स भव था क अगर अकाल न पड़ता तो तु हारे माँ-बाप ने तु ह बेचा न
होता, तो जवान होते ही कसी उबड़-खाबड़ उजड़ जवान से तु हारा याह हो जाता । वह
रोज ताड़ी पीकर तु ह पीटा करता, तु हारे ब े वैसे न होते जैसी तुम क पना करती हो ।
गरीबी क वजह से भूख से उनक पसिलयाँ िनकली होत , नाक बहती ई, शरीर मैल से
अटे ए और आँख पर पीप जमा आ । और यह भी तो हो सकता था क तु हारा पित ही
तु ह तलाक दे देता, फर तो तुम और भी अके ली होती । इसिलए ऐसी बात सोचकर दल
दुखी मत कया करो । और फर तुम तो कह रही थी जो गुजर गई, सो गुजर गई । अपने
हर कल को दफन कर देती हो, भूल गई या ?”
“हाँ, म कहती तो यही ँ ।” वह अधमुंदे ने से पेशानी मलते ए अजीब से अंदाज म
मु कु राई, “ले कन कभी-कभी खुद फरे ब के लबादे का कोई-न-कोई तार कह -न-कह से टू ट
जाता है । कई ज म ह िजनसे खून रसना तो कब का ब द हो चुका है, मगर कसक नह
गई ।
“मेरे माँ-बाप ने िजस व मुझे बेचा म चार-पाँच साल क थी । मुझे याद है, मेरी माँ
जब उस बड़े से मकान म छोड़कर जाने लगी तो म भयभीत होकर रोने लगी थी । मेरी माँ
ने अपनी फटी ई मैली-कु चैली साड़ी के प लू से अपने और मेरे आँसू प छते ए कहा था,
‘बेटी, म काम से जा रही ँ ! तू जरा देर को यहाँ बैठ, म अभी तुझे लेने आ जाऊँगी ।’ फर
वह प लू मुँह म िछपाकर यूँ फाटक क तरफ दौड़ती चली गई थी जैसे उसके कदम तले
कसी ने अंगारे िबछा दए ह । इस बात को कम-से-कम प ीस वष बीत गए ह । मुझे
दोबारा कभी अपने माँ या बाप क श ल नजर नह आई । मेरी माँ क जरा देर अभी ख म
नह ई ब ली ! कभी-कभी मेरा जी चाहता है क अपना दोधारी खंजर िनकालकर एक
िसरे से इस दुिनया के सारे इं सान को क ल कर दू,ँ जहाँ बारह पये के िलए माँ-बाप
अपनी औलाद को बेचने पर मजबूर हो जाते ह ।”
“के टी िडयर !” िवनाश ने उसके बाल म उं गिलयाँ फे रते ए बोिझल वर म कहा, “तुम
अ छे मूड को चौपट कर रही हो ।”
“नह ब ली !” वह बोली, “म तु ह यह बताना चाहती थी क यह कहानी िसफ मेरी ही
नह । इस देश म अब भी भूख और गरीबी से लोग अपने ब को बेच देते ह । और ऐसे भी
लोग ह िज ह यह नह मालूम क उनके पास कतनी दौलत है । म यह नह कहती क दूसरे
मु क म गरीब नह होते । इं सान का आ थक ढांचा समान प से कभी नह होता, ले कन
गरीबी क भी एक सीमा होनी चािहए । यहाँ जब-जब अकाल पड़ते ह, जलजले आते ह,
तो मानवता चीख उठती है । यहाँ क सरकार के पास इतनी भी व था नह होती क
उन बेसहारा लोग को एक व क रोटी मुहय ै ा करा सके ।”
“देश का आ थक ढांचा धीरे -धीरे सुधर रहा है । आजादी के बाद देश ने काफ गित क
है । एकदम से तो कु छ हो नह जाता, यह य भूलती हो क हम सौ साल गुलामी म रहे
ह ।”
“ले कन ब ली, अगर इस देश म देश का कं ोल बेचने वाले सौदागर रहगे तो या फर
यह देश उसी हालत म न प च ँ जायेगा ? या अभी भी ऐसी कोिशश नह होत ?”
“म तु हारा मतलब समझा नह ।”
“तुम खूब समझ रहे हो ब ली ! म उन लोग क बात कर रही ँ जो जरायम पेशा है ।
जरायम एक सीमा तक तो ठीक है, ले कन मु क का सौदा करना एक िघनावना जुम है ।”
“ओह, म समझ गया क तुम या कहना चाहती हो !”
“हाँ ब ली ! म जुम को एक सीमा तक पस द करती ँ । म तुमसे यही कहना चाहती थी
क अगर हम दोन िमलकर इन लोग के िव जेहाद छेड़ द, जो क हमारे देश का कं ोल
बेचना चाहते ह और जो हम फर से गुलामी क बेिड़य म जकड़ देना चाहते ह, तो यक न
मानो म उनके िखलाफ लड़ते ए सुकून क मौत मरने के िलए तैयार ँ । अगर तुम मेरा
साथ नह दोगे तो म अके ले लड़ूग ँ ी ।”
िवनाश ने तुर त कोई जवाब नह दया । शकु तला अब एकटक उसक तरफ देख रही
थी । शायद उसे जवाब का इं तजार था । अंततः िवनाश मु कु राया ।
“ या तु ह यक न है क हम दोन िमलकर उ ह तबाह कर सकगे ?”
“इस लाइन का मुझे एक ल बा अनुभव है और म िव ास के साथ कह सकती ,ँ ज रत
िसफ हौसले क होती है, इं सान सबकु छ कर सकता है ।”
“तो फर के टी, यक न करो क म तु हारे िव ास को िज दा रखूँगा !”
शकु तला ने एक गहरी साँस ख चकर आँख मूँद ल और हष भरे वर म बड़बड़ाई,
“थ स गॉड ! मुझे मेरा स ा साथी िमल गया ।”
िवनाश के वल मु कु रा भर दया ।
शकुं तला ने फर नहर क तरफ देखते ए जैसे इस िवषय को बदलते ए कहा, “वह
क ती न जाने कसक होगी । लगता तो यही है जैसे इसका कोई दावेदार नह ।”
छोटी-सी इस क ती को िवनाश ने आते ही देख िलया था । वह दूसरे कनारे पर उनक
दाय तरफ ब त दूर एक खूँटे से बँधी ई थी और लहर पर धीरे -धीरे िहलोरे ले रही थी ।
“शायद वह परली तरफ से कसी देहाती क होगी ।” िवनाश ने लापरवाही से कहा,
“उसे छोड़ो, हम अब अपने मुकाम क तरफ लौटना चािहए ।”
और फर अचानक ही िवनाश ने अपनी धड़कन म बेचैनी-सी महसूस क । कोई िवशेष
वजह ही हो सकती थी । यह बेचैनी उसके भीतर छु पे बाजीगर ने महसूस क थी और फर
उसके ायु धीरे -धीरे अकड़ने लगे । खतरा ब त करीब था, ले कन कहाँ । !
ऐसी बेचैनी वह तभी महसूस करता था । हवा क अदृ य लहर ही उसे सचेत कर दया
करती थ । यह उसका आंत रक एहसास था ले कन उसे हैरत हो रही थी क उसके
आसपास तो कोई था ही नह । यहाँ वीराना था चार तरफ, तो या खतरा शकु तला क
तरफ से है !
अचानक उसक िनगाह पास ही एक झाड़ी पर जम गई । झाड़ी म ह क -सी हरकत ई
और फर खतरा प होकर सामने आ गया । वह चार आदमी थे जो अचानक ही कट हो
गए थे और उनके हाथ म श थे । एक के हाथ म राइफल देखकर िवनाश ने अपने भीतर
एक अजीब-सी सनसनी महसूस क । बाक दो के हाथ म रवॉ वर थे और एक खाली
हाथ था । शकु तला उछलकर खड़ी हो गई ।
“खबरदार !” उनम से एक ने चेतावनी दी, “तुम म से कसी ने भी अगर जरा-सी हरकत
क तो गोिलय से छलनी कर दए जाओगे ।”
शकु तला जहाँ थी वह क गई । उसने िवनाश क तरफ देखा । िवनाश ने खामोशी के
साथ सहमित सूचक अंदाज म िसर को जुि बश दी ।
“साइमन !” अचानक दूर कह से आवाज आई । आवाज कसी पीकर पर गूँजी थी ।
यह आवाज एक ऊँचे टीले क तरफ से आ रही थी । िवनाश ने उधर देखा और फर
उसने एक टेनगन क झलक भी देख ली ।
टीले पर एक आदमी ने िब कु ल इस कार पोजीशन ले रखी थी जैसे वह जंग के मैदान
का िसपाही हो । उसके क धे पर एक पीकर लटक रहा था और वह माइक पर कह रहा
था ।
“इ ह बाँधकर ले आओ ।”
िवनाश ने महसूस कया क घेराब दी ब त मजबूत है । वह चार तो उसके समीप थे,
िजन तक उसके िवनाशकारी हाथ क प च ँ हो सकती थी, पर तु जब वह अपनी या को
स पूण करता यक नन टेनगन का ट छू ट जाता और फर कसी क जंदगी क गार टी
नह दी जा सकती थी ।
“सुना तुमने ?” राइफलधारी बोला, जो िन य ही साइमन था, “ऊपर जो आदमी
मौजूद है वह कोई साधारण िनशानेबाज नह । अगर गड़बड़ ई तो वह हमारी जंदगी क
भी परवाह नह करे गा और तु हारे साथ-साथ हम भी भूनकर रख देगा । इसके अलावा
उधर देखो, दूसरे टीले पर कौन खड़ा है !”
साइमन ने दूसरी तरफ इशारा कया । वहाँ एक और ि खड़ा था, जो याह पोशाक
पहने था । उसने अपना चेहरा भी िछपा रखा था । उसके हाथ म एक नेड था और उसके
कं धे पर जो थैला लटक रहा था, उसम नेड ही हो सकते थे ।
“अगर टेनगन भी तु हारा कु छ न िबगाड़ सक , तो वह है ।”
“ले कन बात या है ? इतनी तैया रय क वजह ?” िवनाश ने पूछा ।
“वजह हम नह जानते । हम िसफ वह करते ह जो हम म िमलता है ।”
“और तु ह म कौन देता है ?”
“यह भी तु ह पता चल जायेगा ।” साइमन आगे बढ़ता आ बोला, “अब तुम बोलो,
चुपचाप हमारे साथ चलना पस द करोगे या... ।”
“शायद तुम लोग को मेरे ित कु छ गलतफहमी हो गई है ।” िवनाश ने संतुिलत वर म
कहा, “म चलने के िलए तैयार ,ँ ले कन बस लड़क को जाने दया जाये ।”
“ म िसफ तु हारे िलए होता तो हम इस लड़क को क ल करके तु ह ही ले चलते ।”
वह बोला, “ले कन म यह है क तुम दोन को िज दा पकड़कर लाया जाये । ले कन
इसका मतलब यह नह क तु ह मुदा हालत म नह ले जाया जा सकता, ज रत पड़ने पर
हम लाश भी ढोते ह ।”
“कदािचत् अब तुम हमारी तलाशी लोगे ।” िवनाश ने मु कु राकर कहा । वह तेजी के
साथ बचाव क कोई सूरत तलाश कर रहा था । वह कसी और ही रौ म बह गया था और
यहाँ चंद द रं दे उसका पीछा करते ए आ गए थे । अगर शाईतैन यह बात सुनता तो उसे
हजार मतबा लानत भेजता ।
बचाव क एक सूरत उसे तुर त ही नजर आ गई ।
नहर के पानी म गहरी छलांग और नीचे ही तैरते ए िनकल जाना । उसने इस दूरी को
नापा । इस दूरी को तय करने के िलए दो छलांग क ज रत थी और उसम इतनी मता
थी क उनक गोली चलने से पहले ही वह पानी म प च ँ सकता था, ले कन सवाल
शकु तला का था ! नहर के पानी म प च ँ कर न िसफ नेड से बचा जा सकता था बि क
गोिलय से भी सुरि त रहा जा सकता था । एक बार अगर उन लोग का मोचा टू ट जाये,
तो वह अपना काम कर सकता था ।
“के टी, तुम पानी म छलांग लगाने म कतना व ले सकती हो ?” उसने फु सफु साते वर
म पूछा ।
अब शकु तला ने भी उसका इरादा भाँप िलया था । उसने यह दूरी नजर -ही-नजर से
नापी और उसी अंदाज म बोली, “मेरी फ़ न करो । मेरे िलए पाँच सेकंड काफ ह ।”
िवनाश कसी भी हालत अपने आपको िज दा उनके हवाले नह कर सकता था ।
“दोन िसर पर हाथ रखकर धे लेट जाओ ।” राइफलधारी ने कहा, साथ ही खाली
हाथ वाले को इशारा कया । खाली हाथ वाला एक र सी लेकर आगे बढ़ा ।
ठीक उसी ण िवनाश का शरीर हवा म उछलता दखाई दया और यही वह ण था
जब वातावरण फाय रं ग क गूँज से थरा उठा । ले कन गोिलय क शु आत दरअसल
शकु तला क तरफ से ई थी और उसने राइफलधारी साइमन को ढेर कर दया था ।
फौरन ही रवॉ वर गरजे पर तु शकु तला उनक रज म न आ सक ।
उसी ण टेनगन का व ट छू टा और शकु तला छपाक से पानी म जा िगरी । टेनगन
िवनाश क दशा म गरजी थी पर तु िवनाश तो कभी का पानी म गायब हो चुका था ।
सारा वातावरण धमाक म गूँज उठा था ।
नहर के पानी क छाती पर गोिलय के छपाके उछल रहे थे और साथ ही दौड़ते कदम
क आवाज गूँज रही थ । नहर क सतह पर बा दी धुआँ फै ल गया था ।
उ ह ने देखा क उसका शरीर पानी म है और िज दा है । िज दा होने का यह सबूत था
क िवनाश एक बार के िलए सतह पर साँस लेने के िलए चमका और उ ह हाथ के इशारे से
टा-टा करके फर से गोता लगा गया था । अलब ा शकु तला अभी तक पानी से बाहर नह
िनकली थी । वे नहर के कनारे - कनारे उसी तरफ बढ़ रहे थे िजधर िवनाश ने गोता
लगाया था । वह पानी के बहाव क तरफ बढ़ रहा था । पानी क लहर से वह िवनाश क
दशा का अनुमान लगा रहे थे । अब उ ह ने फाय रं ग ब द कर दी थी ।
नहर का पानी साफ था और पानी क चीज कु छ फासले तक नजर आ सकती थ । कु छ
देर के िलए पानी ग दा हो गया था । उसके बावजूद भी वह िवनाश क परछाई-सी तैरते
देख रहे थे । उनका यान शकु तला क तरफ से पूरी तरह हट गया था । चूं क वह काफ
आगे बढ़ आये थे इसिलए शकु तला कह भी नजर नह आ रही थी । अलग-अलग ढंग से
मोचाब दी करने वाले िशकारी अब एक ही जगह जमा थे और नहर के कनारे - कनारे बढ़
रहे थे ।
िवनाश ने एक बार फर िसर उभारा ।
उ ह हाथ िहलाकर इशारा कया क वह भी पानी म आकर उसे पकड़ ले । टेनगन वाले
ने एक व ट छोड़ दया । िवनाश उसी ण गोता लगा चुका था । खुद िवनाश ने जो
योजना पानी म गोता लगाने के बाद सोची थी, वह कारगर हो रही थी । लोग का यान
शकु तला क तरफ से हट गया था और अब वह िसफ उसका पीछा कर रहे थे । पीछा करने
वाल का याल था क वह कनारे पर िनकलेगा । उनम से एक श स पुल पार करके
दूसरी तरफ दौड़ता चला गया था । यह वह श स था जो नेड का थैला िलए खड़ा था ।
इस तरह वह दोन कनार पर हमला करने क ि थित म थे ।
ले कन जब उ ह ने देखा क वह पानी से िनकलने को तैयार ही नह और बहाव पर
तैरने क वजह से उसे कोई खास मुि कल भी नह हो रही है तब टेनगन वाले ने आदेश
दया ।
“पानी म कू द जाओ । साले को चाकु से हलाक कर दो । अगर वह बाहर िनकला तो
दोन दशाएँ हमारे क जे म ह ।”
उसका आदेश पाते ही तीन साथी पानी म उतर गए । उन तीन के हाथ म चाकू चमक
रहे थे । िवनाश पानी म चंद फु ट क गहराई म तैर रहा था । ऊपर से िनशाना सही बैठ
सकता था । जब तीन िशकारी तैरते ए उसके नजदीक प च ँ े तो उ ह ने एक-दूसरे को
अ छी कार देख िलया । ले कन िवनाश को क ल करने के िलए पानी म गोता लगाना
ज री था । उ ह हैरत तो इस बात क थी क वह इतनी देर पानी म कस कार रह रहा
है । वे उसी दशा म तैरते ए उस व का इं तजार करने लगे जब वह साँस लेने के िलए
ऊपर आये ।
ज दी ही िवनाश सतह पर चमका ।
इस बार टेनगन क गोिलयाँ नह चल । वह तीन उसके इद-िगद एक घेरा-सा
बनाकर बढ़ रहे थे और िवनाश उ ह बढ़ते देख रहा था । जैसे ही उनके हाथ चाकू सिहत
बुल द ए और वे एक साथ िवनाश पर तीन चाकु का हमला करने क पोजीशन म
आये, िवनाश गोता लगा गया और गोता लगाते ही उनम से एक क टाँग पकड़कर नीचे
उतरा चला गया । दु मन क टाँग पर उसक पकड़ ऑ टोपस क तरह थी । वह उसे
ख चता आ एकदम नीचे ले गया । उसका मुँह खुला आ था । हाथ का चाकू िवनाश क
तरफ लाने क कोिशश म वह तिनक मुड़ा ही था क िवनाश का िसर उसके िसर से पूरी
शि के साथ टकराया और फर िवनाश ने उसक टाँग को ह का झटका देकर छोड़
दया । साथ ही उसक ठोकर ित ी के नरखरे पर पड़ी । उसने खून बहते देखा । फर
वह पलटा ही था क उसे दूसरा श स नजर आया, जो गोता लगाये हाथ का चाकू सीधा
ताने उसक तरफ बढ़ रहा था । िवनाश ने लपककर उसक चाकू वाली कलाई पकड़ ली
और फर उसके दूसरे हाथ क दो उं गिलयाँ कसी तेजधार खंजर क तरह उस ि क
आँख म पैव त हो गई ।
तीसरा नजर नह आ रहा था । िवनाश दूसरे दु मन को गोते खाता छोड़कर तीसरे क
तलाश म इधर-उधर चकराने लगा । फर वह ऊपर प च ँ ा तो तीसरा श स नजर आ
गया । तीसरा श स हाथ-पाँव मारता तेजी के साथ िवनाश पर झपटा पर तु उसने सीधा
हमला करने क बजाय दूसरी चालाक से काम िलया । िवनाश के करीब आते ही वह
एकदम गित से गोता लगा गया । िवनाश िबजली क तेजी से अपना थान छोड़कर दूसरी
तरफ गोता लगा गया । वह ि अपनी झ क म चाकू ताने सीधा आगे िनकल गया ।
उसके चाकू क खर च िवनाश ने अपनी जाँघ पर महसूस क पर तु िवनाश ने उसे पलटने
का अवसर नह दया और उसक पीठ पर सवार होकर उसे दोन टाँग के बीच कस
िलया, फर उसका दबाव बढ़ता चला गया । वह ि हाथ-पाँव फै लाये तड़प रहा था ।
चाकू उसके हाथ से छू ट गया था ।
और फर िवनाश ने उसक पसिलयाँ टू टने क म यम-सी आवाज महसूस थी । वह
श स गहराई म जा रहा था । तट पर जाकर िवनाश ने उसे छोड़ दया और वह मुदा होकर
लेट गया । उसक आँख भयानक अंदाज म उबलकर बाहर आ गई थ । िजस श स को
सबसे पहले िवनाश ने क ल कया था, उसके इद-िगद अब कु छ मछिलयाँ चकरा रही थ ।
िवनाश को पानी म एक जगह रे त का ढेर नजर आया । उसने रे त के ढेर पर पाँव क
ठोकर मारनी शु कर द । पानी ग दा होने लगा और जब यह पानी सतह तक ग दा-सा
हो गया तब वह तेजी के साथ कनारे क तरफ बढ़ चला । िजस समय वह तट पर िनकला
टेनगनधारी क नजर उस व भी बीच धारा को देख रही थी । पानी ग दा-सा हो गया
था, इसिलए उसे कु छ भी नजर नह आ रहा था । जैसे ही उसने िवनाश को िब कु ल अपने
करीब पानी म उभरते देखा, वह बुरी तरह उछलकर पीछे हटा । खौफ और आ य के
िमले-जुले भाव उसके चेहर पर उजागर हो रहे थे ।
िवनाश ने पानी क सतह से एक चीते जैसी छलांग लगाई और पलक झपकते ही उसक
टेनगन हवा म उड़ती ई छपाक से पानी म जा िगरी । वह अपनी कलाई पकड़कर चीखने
लगा । उसक कलाई इस तरह झूल रही थी, जैसे ह ी टू ट गई हो ।
“तु ह कसने भेजा है ?” िवनाश ने बड़े ठोस और सद वर म पूछा ।
“म... महे दर ।” वह हकलाया ।
“महे दर !” िवनाश च क पड़ा, “सेठ जगमोहन का लड़का ?”
“ह... हाँ ।” उसके वर म कँ पकँ पी थी ।
“इस व कहाँ है ?”
“अपने फाम हॉउस पर । हम तु ह और इस लड़क को पकड़कर वह प च ँ ना था ।”
उसने पता बता दया ।
“फाम हॉउस पर और कौन-कौन मौजूद है ?”
“यह तो मुझे मालूम नह ।”
“तो फर तु ह यह भी मालूम नह होगा क िजस औरत के चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे
ितल नह होते उसक िमसाल या होती है !” वह आ य और भय से िवनाश क तरफ
देखते ए इं कार म गदन िहलाने लगा और फर िवनाश ने मु कु राते ए कहा, “अपने
साथी को आवाज देकर बुलाओ । ले कन उससे कहो क अपना थैला पानी म ही फककर
इधर आये ।”
िवनाश को अचानक कु छ यान आया । फर उसने वयं भी पलटकर देखा, ले कन
उसको नेड वाला कह नजर नह आ रहा था ।
“खैर, म खुद ही उसे तलाश कर लूँगा । शायद वही मेरी बात का उ र दे सके ।”
िवनाश का एक हाथ बुल द आ और उस श स का दूसरा बाजू भी टू ट गया । वह बुरी
तरह चीख पड़ा ।
िवनाश ने लगातार दो ठोकर उसके घुटन पर मार और वह धे मुँह िवनाश के कदम
म आ िगरा ।
“म देखना चाहता ँ क िबना हाथ-पाँव के इं सान कस तरह तैर सकता है । अगर तुम
तैर सको तो अपने सािथय क लाश ज र िनकाल लोगे ।”
इतना कहकर िवनाश ने उसे बाजु पर उठाया और पानी म फक दया । पानी म
छपाका आ और वह श स पानी म बुलबुले छोड़ता आ ऊपर-नीचे होता रहा । फर
उसक चीख पानी म डू बकर शांत हो गय । उसके साथ ही पानी भी व छ होता चला
गया ।
अब िवनाश को शकु तला का यान आया । उसने नहर के कनारे - कनारे तेज चाल से
बढ़ना शु कर दया । तभी वह एकाएक कने पर मजबूर हो गया । उसे नहर क परली
तरफ से कसी क चीख गूँजती सुनाई दी ।
िवनाश को एक बार फर पानी म छलांग लगानी पड़ी । तेजी से पानी काटता आ वह
आगे बढ़ा और जैसे ही उसने नहर पार क , उठकर दौड़ना शु कर दया ।
िवनाश को मौत क बू महसूस होने लगी । फर उसके कान म कसी के कराहने का
वर पड़ा । वह उसी दशा म बढ़ चला । उसके कदम से कोई आवाज उ प नह हो रही
थी । वह झािड़य क तरफ बढ़ रहा था, िजधर से आवाज उभर रही थी, फर वह एक
झाड़ी के पास आकर ठठक गया ।
शकु तला एक पेड़ से बँधी ई थी । उसके व तार-तार हो रहे थे । बाल िबखरे ए थे
और उसके पेट म एक खंजर पैव त था । उसक आँख ब द हो रही थ । उसक एक जाँघ से
भी खून बह रहा था और पेट से बहने वाला खून उसके कदम पर बह रहा था ।
उससे चंद फु ट दूर ही उसके कदम म एक इं सान धे मुँह पड़ा था । एक तरफ नेड का
थैला पड़ा था ।
िवनाश लपककर आगे बढ़ा और उसने शकु तला को तुर त ब धन मु कर दया ।
शकु तला उसक बाँह म आकर झूल गई ।
“के टी... के टी !” उसने शकु तला को झंझोड़ा ।
पलभर के िलए शकु तला क आँख डबडबाई । उसके ह ठ फड़फड़ाये । उसने कु छ कहना
चाहा पर तु श द बुरी तरह उसके कं ठ म फँ स रहे थे ।
“म... मेरे... िवनाश... !” वह अटकते वर म बोली, “म... म तु ह... पहचान गई थी ।
त... तु ह... बचाने... के िलए... म... मने इस द रं दे का यान अपनी ओर आक षत...
कराया... । म... म... घायल थी... । इसने... म... मुझे बेबस कर दया... ।”
उसके ने धुंधलाने लगे, “य... यह म... मेरे साथ... अमानवीय वहार करना चाहता
था... । उसी व इसे... एक साँप ने काट खाया... । और इससे पहले... क साँप का जहर...
इस पर चढ़ता... इसने मुझे हलाक कर दया... । व... िवनी... यह जगमोहन और महे दर के
गुग ह... । त... तुम मेरी बात न... भूलना इस मु क म बारह पय क खाितर ब को
बेच दया जाता है... ।” उसके वर म एक दद था ।
“इस ज म म... न सही... हम फर कसी ज म... ।”
और फर शकु तला क आँख पथरा ग । गदन एक ओर लुढ़क गई ।
“शकु तला !” िवनाश ने उसे झंझोड़कर पुकारा ।
ले कन वह एक ऐसे सफर क ओर रवाना हो चुक थी जहाँ इं सान का शरीर साथ नह
देता, िसफ आ मा जाती है । िवनाश चाहे उसे िजतना पुकारता, िजतनी भी आवाज देता
पर आ मा क दुिनया तक उसक आवाज न प च ँ पाती ।
उसने शकु तला को आिह ता से जमीन पर िलटा दया ।
शकु तला क मौत से िवनाश के जेहन पर एक जबरद त झटका-सा लगा । उसने धे
पड़े ि को ठोकर से सीधा कया । उसक देह नीली पड़ती जा रही थी और जंदगी के
आसार उसम कह भी नजर नह आते थे ।
☐☐☐
िवनाश वापस होटल लौटने क बजाय महे दर के फाम हॉउस पर जा प च ँ ा । उसने
फाम हॉउस से कु छ दूर ही गाड़ी रोक दी और फर पैदल ही आगे बढ़ गया । फाम हॉउस के
गेट पर एक चौक दार खड़ा था जो शरीर क बनावट से ही शि शाली नजर आता था ।
उसके हाथ म ब दूक थी और वह फाम हॉउस के बाहर एक टू ल पर बैठा था । गेट पर
ताला पड़ा था । फाम हॉउस के चार तरफ छः फु ट ऊँची चारदीवारी थी और उसके ऊपर
कटीले तार का जाल था ।
िवनाश ने गेट क तरफ जाने क बजाय िपछली ओर बढ़ना शु कया और फर फाम
हॉउस के बाहर एक वृ पर चढ़कर उसने अंदर के वातावरण का जायजा िलया ।
हर तरफ स ाटे का सा ा य था ।
िवनाश पेड़ से उतरकर चारदीवारी पर चढ़ा और फर उसने हथेली क चोट से तार
को काट डाला । उसके बाद वह िबना कसी आवाज के अंदर कू द गया । फर उसने एक
छलावे क तरह दौड़ लगाई और मु य इमारत क दीवार तक जा प च ँ ा।
☐☐☐
कमरे म महे दर के अलावा एक पुिलस ऑ फसर मौजूद था, दो ि और थे और यह
चार एक-दूसरे के चेहरे तक रहे थे । अचानक डी•एस•पी• नरे संह ने बेय कनी अंदाज
म कहा ।
“तुम एक ऐसी बात कह रहे हो महे दर, िजस पर कोई यक न नह कर सकता ! ज र
तु ह कोई धोखा आ है । पुिलस रकॉड म जो ि फाँसी क सजा पाकर मर चुका है,
वह फर से िज दा कै से हो सकता है ?”
“यक न तो मुझे भी नह है ।” एक श स बोला, “हो सकता है, कसी और वजह से सेठ
बलव त ने उस लड़क के इलाज का खचा अपने िसर कया हो ।”
“और यह भी तो ज री नह क वह वही लड़क हो ।”
“मने अपने हाथ से एक खूबसूरत लड़क को बदसूरत भी बनाया था ।” तीसरा बोला,
“तेजाब ने उसका सारा छीन िलया था । राजा साहब, म यूमन लेबोरे ी से इस बात
क पुि कर चुका ँ क वह वही लड़क है । हालां क वहाँ उसका नाम सलमा िलखा गया
है, ले कन वह कं चन ही तो है ।”
“इसके अलावा भी हमारे पास दूसरी ब त-सी जानका रयाँ भी ह ।” महे दर ने
मु कु राते ए कहा, “कु छ ही देर म मेरे आदमी उसे यहाँ पकड़कर ले आएँगे और सारी पुि
हो जायेगी ।”
“और अगर वह िवनाश सािबत न आ तो ?”
“तो हम सेठ बलव त से माफ माँग लगे ।” महे दर ं या मक वर म बोला, “ले कन
कसी वजह से वह िवनाश सािबत होता है तो उसका िज दा रहना उन सब लोग के िलए
घातक है जो कं चन क बबादी का कारण बने ह । िवनाश ने कस- कस ढंग से क ल कये
ह, यह कहानी अिधक पुरानी नह है । उसने एहसान िमजा जैसी शि सयत को तबाह
करके रख दया था । उसने मेरे भाई क हर ह ी के दो टु कड़े कर दए थे । वह एक ऐसा
द रं दा है जो अगर खुला रहा तो हमम से कसी के भी िज दा रहने क गार टी नह । तुमने
राजा साहब, कौिड़य के दाम कं चन क कोठी खरीदी थी ।”
“ले कन वह तो िबजनेस है । कोई स ते दाम म अपनी चीज बेच देता है तो उसम मेरा
या कसूर ।” राजा साहब के वर म ह का-सा कं पन था ।
“कसूर यह है क तुमने उसक मजबूरी का लाभ उठाया । हमम से हर एक कं चन के
मामले म दोषी ह और सेठ बलव त के प म उसने हर श स को अपनी पाट म बुलाया
था । गनीमत यह समझो क पाट म िव पड़ गया, वरना शायद उसी रात उसने कोई
योजना बनाई थी ।”
“ले कन सवाल यह है क फाँसी लगने के बाद एक इं सान कै से बच सकता है ?”
“यही एक वजह ऐसी है िजसके िलए मने उसे जीिवत हिथयाने क धारणा बनाई है ।
शायद कोई ब त बड़ा राज हमारे हाथ लग जाये तो वारे - यारे हो सकते ह ।”
वाता आगे बढ़ती इससे पूव ही इ ह कमरे म कसी और ि क मौजूदगी का एहसास
आ । उ ह ने दरवाजा खुलने और ब द होने क ह क -सी आवाज भी सुनी थी ।
सब-के -सब एकदम खामोश हो गए और फर उ ह ने गदन घुमाकर दरवाजे क तरफ
देखा । िजस ि का उ ह इं तजार था वह दरवाजे के ठीक सामने कमर पर हाथ रखे
खड़ा था । उसक आँख म एक ऐसी द रं दगी भरी चमक थी क उसे देखते ही उन चार
क बोलती ब द हो गई ।
“म आ गया ँ ।”
िवनाश बोला, “और अपने तबाहकार हाथ के साथ सही-सलामत आया ँ ।”
“स... सेठ... ब... बलव त... !” ापट डीलर राजा हकलाया ।
“सेठ बलव त नह , िवनाश ! िवनाश ‘बाजीगर’ !”
“ब... बाजीगर... !” डी•एस•पी• के कं ठ से फँ सी-फँ सी आवाज िनकली, पर तु ण भर
बाद ही वह स भल गया और उसका हाथ अपने रवॉ वर क तरफ रगने लगा ।
“और िजस कसी को यह मालूम हो जाता है क ‘बाजीगर’ कौन है, वह उसी ण
करोड़पित बन जाया करता है । ले कन अफ़सोस, ऐसे सभी करोड़पितय का िनवास- थल
दूसरी दुिनया म है । वहाँ जाकर तुम ऐसे ब त से लोग से िमलोगे । अगर दूसरे ज म के
िलए तु ह इस धरती पर भेजा जायेगा तो तुम ई र के सामने, उन फ र त के सामने, जो
यह फै सला करते ह, रहम क भीख माँगोगे । िगड़िगड़ाओगे क तु ह पृ वी पर न भेजा
जाये, य क पृ वी पर बाजीगर रहता है, िजसके पास तुम जैसे लोग के क ल का लाइसस
है ।”
डी•एस•पी• के हाथ म रवॉ वर आ गया था । ले कन इससे पहले क वह िवनाश पर
फायर करता, िवनाश हवा म उछला और फर एक फायर के साथ छत पर लगा फानूस
टू टकर डी•एस•पी• के िसर पर आ िगरा । फानूस क करिचयाँ खोपड़ी म पैव त हो गय
और उसका चेहरा ल लुहान हो गया ।
फानूस काटकर िवनाश बाजीगर धरातल पर आया तो राजा साहब के िसर पर उसका
हाथ कसी कु हाड़े के फल क तरह आकर िगरा और राजा साहब का मुँह और आँख खुली
रह गय । यह अलग बात थी क दोन आँख दो दशा म झूल रही थ ।
िब ला दरवाजे क तरफ भागा ले कन मौत उसका भी पीछा कर रही थी । िवनाश क
ठोकर उसके क धे के जोड़ पर पड़ी और वह चीखता आ दीवार से जा टकराया । दीवार
से टकराने के बावजूद भी वह संभला, हालां क उसका बाजू कं धे से टू ट चुका था ।
अचानक उसे अपनी एक आँख म तेज जलन महसूस ई, फर दूसरी आँख म । उसके
बाद उसे चेहरे के हर िह से पर भयानक पीड़ा का एहसास आ और वह बेदम होकर िगर
पड़ा । िवनाश क उं गिलय ने उसके चेहरे पर अनिगनत सुराख बना दए थे और वह एक
भयानक क म क लाश बन गया था । चेहरे पर बने सुराख से खून बह रहा था और
िवनाश क हथेली पर उसक दोन आँख धँसी ई थ । इन आँख को लेकर िवनाश
महे दर के पास जा प च ँ ा।
जो कु छ आ था वह बड़ी तेजी के साथ पल म हो गया था । महे दर के सामने तीन
लाश पड़ी थ और खुद उसम इतनी िह मत भी नह थी क उठकर खड़ा हो सके ।
“बाजीगर !” िवनाश ने उसके चेहरे के सामने अपनी खूनी हथेली खोल दी, “बताओ,
मेरे बारे म तु ह कहाँ से सूचनाएँ ा ?”
“म... मुझे कसी ने फ... फोन पर इ ला दी थी ।”
“तुमने फोन कॉल का कस तरह यक न कर िलया ?”
“सूचना िमलने के बाद म... मने कं चन के स ब ध म पुि कर ली थी । यूमन लेबोरे ी
म तुमने उसे दािखल कराया था ।”
िवनाश क हथेली भंच गयी, फर वही खूनी हाथ हवा म बुल द आ और जैसे ही नीचे
आया उसक हथेली खुल गई । उसक हथेली ठीक महे दर के िसर पर बीच -बीच आकर
टकराई और फर िवनाश तेजी के साथ दरवाजे क तरफ बढ़ गया ।
उसे यूँ महसूस आ जैसे यूमन लेबोरे ी म कं चन असुरि त है । वह िजस रा ते से
आया था, उसी से वािपस लौट गया ।
☐☐☐
िवनाश ने बहराम को फोन करने के िलए रसीवर उठाया ही था क कमरे के दरवाजे
पर द तक ई । उसने रसीवर रख दया और अभी आवाज देकर द तक देने वाले का नाम
पूछना ही चाहता था क दरवाजा खुल गया ।
दरवाजे पर शाईतैन खड़ा था । िवनाश, शाईतैन को देखते ही बुरी तरह च क पड़ा । वह
बेय कनी के से अंदाज म अपने मा टर को घूरने लगा ।
“शाई गु , आप !”
“ य , मुझे वगलोक म होना चािहए था ?”
“म... मेरा मतलब िबना कसी सूचना के ।”
“घोड़ा जब बेलगाम होकर भड़क जाता है तो फ घुड़सवार को होती है, न क घोड़े
को । और अगर घुड़सवार उसक पीठ से कू द भी पड़े तो वह ज मी ज र होता है । यह
अलग बात है क घोड़ा कसी खाई म िगरकर अपनी जान ही गवां दे ।”
“यह रे स का मैदान नह है गु !”
“है ब े ! दुिनया का हर एक कोना रे स का मैदान है, जहाँ हर इं सान अपने घोड़े दौड़ा
रहा है ।”
“ले कन यहाँ घोड़ा कौन है और घुड़सवार कौन ?”
“तु हारी ब त जबरद त िशकायत सुनने म आई, तो मुझसे रहा न गया । हालां क
अ जी रया म कु छ और भी मुज रम मेरे हाथ से मारे जाने वाले थे ले कन खबर िमली क
मेरा अपना ही घोड़ा बेलगाम होकर भड़क रहा है ।”
िवनाश ने गहरी साँस ख ची ।
“इन दो सूटके स म या है ?” िवनाश को हैरत ई, य क शाई कसी भी सफर म
इतना सारा बोझ ढोने का आदी नह था । कपड़ के नाम पर तो उसके पास चंद िगनती के
लबादे ही थे ।
“इसम बी•सी•आर• के कै सेट ह । मेरे मनपस द ो ाम, िज ह म टी•वी• पर देखना
पस द करता ँ ।”
शाईतैन गहरी नजर से कमरे का जायजा लेने लगा ।
“वह लड़क कौन है िवनी ?” शाईतैन ने पूछा ।
“कौन-सी लड़क ?”
“िजसे तुमने एक सेिनटो रयम म भत करवाया है ।”
“ओह ! आपको कै से मालूम ?”
“बहराम इसी मसले से परे शान है । उसका कहना है क तुम कसी गहरे च र म फँ सते
जा रहे हो । तुमने उस लड़क के स ब ध म जो सावधािनयाँ बरती ह, उससे पता चलता है
क तु हारा उससे कोई-न-कोई गहरा स ब ध ज र है । बताओ, वह कौन है ?”
“कु छ मामले ऐसे भी होते ह गु ... !” िवनाश कु छ कहते-कहते क गया । टेलीफोन क
घ टी बज रही थी ।
िवनाश ने बात रोककर रसीवर उठाया ।
“सेवन फोर फोर !”
िवनाश के िलए यह एक कोड था । उसने तुर त फोन के रसीवर पर एक इं मट अटेच
कर दया । अब फोन पर क जाने वाली वाता कोई दूसरा श स नह सुन सकता था ।
“यस, सेवन फोर फोर कॉ लंग !” उसने कोड पूरा कया ।
“ या शाईतैन प च ँ गया है ?” बहराम का वर था ।
“जी हाँ, आपक कृ पा से ।” िवनाश के वर म कु छ कड़वाहट थी ।
“तुमने पि लक लाइ ेरी म होने वाली घटना का िववरण समाचार-प म पढ़ िलया
होगा, िजसक शु आत तु हारी पाट से ई थी ।
“हाँ, म पढ़ चुका ँ ।”
“यह तीसरा क ल है और इस तरह मरने वाले एक िवशेष क म क धुन गुनगुनाते मरे
ह । तहक कात से पता चला है क एयर चीफ कमांडर, वॉइस माशल और सीबीआई का
रीजनल चीफ एक ही जंजीर क किड़याँ ह । इन तीन घटना से सरकार दहल गई है ।
मेरा याल है क अब तुम यूमन लेबोरे ी जाकर थोड़ा-ब त आराम कर लो । यह
लेबोरे ी खंडाला म है । तु ह वहाँ एक मरीज क हैिसयत से रहना होगा । वह यक नन
बलव त नामक मरीज को तुर त भत कर लगे ।”
“वहाँ मुझे व जश करनी होगी न ?” िवनाश ने मु कु राते ए पूछा ।
“नह , िसफ आराम । य क यह तीन श स इसी सेिनटो रयम म इलाज करवा रहे
थे ।” इतना कहकर बहराम ने फोन िड कने ट कर दया ।
िवनाश क खोपड़ी घूमकर रह गई । इसी सेिनटो रयम म कं चन भी एडिमट क गई
थी । यह अलग बात थी क कं चन को सेिनटो रयम भेजने म िवनाश ने बड़े गोपनीय तरीके
से काम िलया था । सारा ब ध पंिडत और रांझे ने इस खूबसूरती से कया था क सेठ
बलव त का कह नाम नह आया था ।
कं चन उस सेिनटो रयम म सलमा के नाम से एडिमट थी और उसके गा जयन क
हैिसयत से खान का नाम िलखाया गया था । अब प रि थित यह थी क कु छ लोग इस
स ब ध म जानकारी रखते थे क वह कं चन नामक लड़क कौन है और यह भी क उसके
ऊपर सेठ बलव त खास प से मेहरबान है ।
अब बहराम ने फोन पर जो कु छ बताया था, वह च का देने वाली बात थी । तो या
बहराम जानता था क कं चन उसी सेिनटो रयम म है ? अव य जानता था । अ यथा
शाईतैन को कस तरह पता चलता ! और उन तीन ि य का स ब ध भी अब
सेिनटो रयम म आ जुड़ा था । अगर यूमन लेबोरे ी कसी भयानक अपराध म िल है तो
यक नी तौर पर कं चन क जंदगी खतरे म पड़ गयी थी ।
िवनाश ने तय कया क वह खुद एक मरीज क हैिसयत से यूमन लेबोरे ी म एडिमट
होगा । उसने डॉ टर टीना क खूबसूरती के चच भी सुने थे और यह भी क वह मानिसक
रोग क जबरद त िवशेष ह । यही एक ऐसा नु ा था िजसे नजर रखकर आिखरी कड़ी
तक प च ँ ा जा सकता था ।
‘बाजीगर’ अपने उ ताद शाई क ओर घूम गया ।
☐☐☐
शाईतैन, िवनाश का हानी उ ताद था । वह दोन एक आ मा, दो शरीर थे और दोन
एक-दूसरे पर उतना ही िव ास करते थे िजतना क खुद पर कर सकते थे ।
िवनाश ने शाई से कु छ भी नह िछपाया और सारी कहानी सुनकर शाईतैन भी ग भीर
हो गया ।
“उसे िसफ इतना ही मालूम है न क तुम िवनाश हो ? यह तो नह मालूम क तुम
बाजीगर हो ।”
“नह ।”
“और तुमने उसे ब श कर अपने फज के सामने घुटने टेक दए ।” शाईतैन शू य म
िनहारता आ बोला ।
“तुम मेरी जगह होते तो या करते उ ताद ?”
“जहाँ तक मेरा सवाल है, मेरा औरत जात से िसफ इतना र ता रहा है क मुझे एक
औरत ने ही पैदा कया है ।”
“तो या तुमने मासूम और िनद ष औरत क ह याएँ भी क ?”
“नह , ऐसा कभी नह आ ।” शाईतैन बोला, “ले कन हम दोन क िनजी जंदगी म
ब त फक है और तु ह िश ण भी मने दया है । म जानता ँ क तुम या हो । यार-
मोह बत के स ब ध म म िसफ इतना कह सकता ँ क इं सान के सामने ये चीज फज से
बढ़कर कभी नह हो सकत । आगे तु ह सोचना है क तु ह या करना है । व आने पर
तुम खुद फै सला करोगे । यह तो तुम खूब समझते हो िवनी क जंदगी के कसी भी मोड़
पर तु ह भी कोई उसी तरह हलाल कर सकता है िजस तरह तुम क ल कर देते हो ! और
यह भी क तु ह अब खुद अपनी िज दगी पर कोई अिधकार नह है, य क तुम मेरे
वा रस हो ।”
वे पूना से वापस लौट रहे थे ।
और बाजीगर के जेहन म आँिधयाँ चल रही थ ।
☐☐☐
यूमन लेबोरे ी क हसीन रसे शिन ट लक से िजस अंदाज म िवनाश ने बात क थी,
वह एक िशि त अंदाज था जो कसी भी लड़क को उसका दीवाना बना देता था । इस
अंदाज म बाजीगर क आँख अिधक बात करती थी, ह ठ कम ।
लक ने बताया क सेिनटो रयम म कोई कमरा खाली नह है, ले कन य द वह चाहे तो
दूसरी जगह उसक बेहतरीन व था करा सकती है । रसे शिन ट लक क उ बीस
साल से अिधक नह थी । वह अ यिधक कसावदार स े पहने ए थी । िवनाश काउं टर पर
इतना झुक गया क वह लड़क के िज म से उठने वाली महक तक सूँघ सकता था । लड़क
क रे शमी भूरे बाल उसक गदन को चूम रहे थे ।
“तुम मुझे एडिमट कर सकती हो तो कर लो ।” िवनाश ने सरगोशी क और लड़क इस
साधारण से वा य पर भी शम से सुख हो गई ।
“काश... काश, म तु ह रिज टर कर सकती !” उसने एक सद आह भरी, “ले कन डॉ टर
टीना तमाम नए मरीज को खुद ही रिज टर करती है । म कु छ नह कर सकती ।” लड़क
क आँख म बेचारगी क हसरत थी ।
“तब डॉ टर टीना से मेरी बात करा दो ? िवनाश ने कहा ।
“डॉ टर से... ! ले कन अगर तुम उनसे िमल िलए तो मुझे भूल जाओगे ।” लड़क ने
हसरत से कहा । वह िवनाश के ि व से अ यिधक भािवत हो रही थी ।
“नह , तुम मेरे दल म रहोगी ।” िवनाश ने मु कु राकर हौसला दया ।
“वादा कर रहे हो ?”
“प ा वादा !” िवनाश क मु कु राहट और गहरी हो गयी ।
“म उससे बात करती ,ँ ले कन शायद वह तुमसे िमलने को तैयार न हो ।” लड़क ने
कहा । उसका चेहरा िवनाश के जादू भरे ि व क िनकटता से ही चमक उठा था ।
लड़क ने रसीवर उठा िलया । िवनाश, शाईतैन के पास वािपस आ गया । यहाँ शाईतैन
क हैिसयत िवनाश के गा जयन क थी और िवनाश एक मानिसक रोगी बनकर आया था ।
“तुमने लड़क को जाल म फँ सा िलया है, ब े !” शाईतैन ने कहा । उसके कान िवनाश
और लड़क क पूरी वाता सुन चुके थे ।
“उ े य पू त के िलए ऐसा जाल फकना ही पड़ता है महा िपता !” िवनाश ने जवाब
दया ।
उसने करीबी मेज पर पड़ा आ प पलेट उठाया और हँस पड़ा, “लोग के सामने
बेिलबास होना पड़ेगा ।” यह कहते ए िवनाश ने प पलेट शाईतैन क तरफ बढ़ा दया,
“तुम भी पढ़ लो ।” ले कन शाईतैन ने प पलेट को अनदेखा कर दया ।
िवनाश िसफ इस वजह से हँसा था क उसने आज तक शाईतैन को बेिलबास नह देखा
था । शाईतैन अिधकतर ल बे चोगे म रहता था ले कन िलबास त दील करते ए भी
िवनाश को उसके िज म का कोई ऐसा िह सा नजर नह आता जो पौ ष सुंदरता का
तीक समझा जाता है ।
☐☐☐
वह अपने कमरे म थी क फोन क घंटी बजी । उसने च ककर फोन क घंटी सुनी और
हैरत से फोन क तरफ देखा । पहले तो वह यह समझी क ऑपरे टर ने गलती से लाइन
खुली छोड़ दी होगी, ले कन जब िनर तर चार बार घंटी बजी तो उसने रसीवर उठा
िलया ।
“मने तु ह स ती से िनदश दया था क मुझे िड टव मत करो ! या बलव त... बलव त
नाम बताया है ? ओह... भ... भेज दो । प ह िमनट बाद म उससे इं टर ू के िलए तैयार
िमलूँगी ।” टीना ने अिव ास के से अ दाज म फोन को घूरा और किडल पर रसीवर इतनी
सावधानी से रखा जैसे वह काँच का कोई बतन रख रही हो ।
“वह आ गया... । वह प च ँ गया... । वह यहाँ आ गया... ।” टीना बड़बड़ाने लगी ।
“कौन आ गया ?” टीना के कमरे म बैठे श स ने पूछा ।
“एक ऐसी शि शयत, िजस तक प च ँ ने के िलए म खुद तड़प रही थी ।” टीना बोली,
“एक ऐसा श स जो हमारे खेल को अके ला ही िबगाड़ सकता है । ले कन मेरा यह भा य है
क वह खुद ही यहाँ आ रहा है ।”
‘सेठ बलव त !’ वह सोच रही थी, ‘एक नौजवान िजसने ंस शो बी को तबाह कर
दया । ंस शो बी, जो क सैिनटो रयम के िलए भिव य म शानदार ीप उसे देने वाला
था । वह उसी को पहले बेचना चाहता था परं तु इस श स ने बीच म पड़कर सारी योजना
गड़बड़ कर दी । ंस शो बी ने मु क छोड़ने से पहले एक खास क म क सूचना उस
आदमी के संबंध म दी थी । तभी से वह िवचिलत हो गई थी । अब वह आ रहा था, तो
उसके िलए भरपूर वागत होना चािहए ।’
जब टीना यह सब सोच रही थी, ऐन उसी व एक और श स भी कु छ सोच रहा था ।
यूमन लेबोरे ी क एक खुली िखड़क के सामने खड़ा आ यह श स सुनहरे लबादे म था ।
“मेरे ब े !” उसने अपने शािगद के जेहन म कहा, “मने तु ह बेहतरीन िश ण दया
है । तुम जरायम क दुिनया के िलए एक िवनाशकारी द रं दे हो । जाओ और उस हसीन
जादूगरनी के पास िनभय होकर जाओ, जो इं सान के वजूद को अपने अिधकार म कर लेती
है । कोई ताकत तु ह उसके आगे नह झुका सकती । म जानता ,ँ इस इमारत के
वातावरण को देखकर जान चुका ँ क वह अपनी कसी िवशेष या ारा लोग को
कसी भी बेबस द र दे क तरह फाँस लेती है । ले कन तुम आम इं सान नह बि क
बाजीगर हो । तुम मेरे शािगद हो । तुमने मुझसे, अपने आि मक शाईतैन से ब त कु छ
सीखा है । जाओ मेरे बेटे, इस जादूगरनी के पास जाओ !”
िवनाश अपने जेहन म शाईतैन क आवाज सुन रहा था । वह अब एक बार फर लड़क
के करीब जा खड़ा आ था ।
लड़क ने िवनाश क तरफ देखा, “तुम अब डॉ टर के पास जा सकते हो ।” यह कहते
ए लड़क ने उसक तरफ मु कु राकर देखा, “ले कन वादे के मुतािबक आज रात मेरे पास
ज र आना ।”
उसी समय शाईतैन भी िखड़क से टहलता आ उसके पास आया । लड़क ने आ य से
शाईतैन के हाथ देख ।
“सर !” उसने कहा, “यह आपके नाखून इतने लंबे कै से हो गए ?”
“तुम ब त शरीफ ब ी हो ।” शाईतैन ने सुनहरे लबादे म हाथ छु पाते ए कहा ।
सैिनटो रयम दो भाग म बटा आ था । एक स जकल लेबोरे टरी थी, दूसरी
पैथोलॉिजकल । इन दोन ही िवभाग क डायरे टर टीना थी, परं तु यहाँ दोन िवभाग
इस तरह बैठे ए थे क एक िवभाग के मरीज दूसरे िवभाग के मरीज क श ल तक न देख
सकते थे । िसफ टाफ के लोग ही इधर से उधर आ-जा सकते थे ।
िवनाश उस िवभाग म एडिमट आ था िजससे क िवशेष टीना थी और इसी िवभाग
म वह तीन मरीज भी रह चुके थे जो एक काितल धुन गुनगुनाते ए मर गए थे ।
चंद िमनट बाद एक िवनाश अ यिधक खूबसूरत और सजे कमरे म था । कमरे के
वातावरण क तरह दलकश टीना एक मेज से उठी ।
“हैलो बलव त ! वैलकम ! म तु हारा ही इं तजार कर रही थी ।” टीना ने कहा और
उसक मु कु राहट और गहरी हो गई ।
☐☐☐
िवनाश यूमन लेबोरे ी के उस िवभाग म एडिमट आ था जो मानिसक रोग क
िच क सा होती थी और यह िवभाग पैथोलॉजी लैब के अ डर म आता था ।
डॉ टर टीना मानिसक रोग क िवशेष थी । टीना िविभ क म क ए सरसाइज
करवाकर रोिगय का िनदान करती थी । स जकल िडपाटमट म कोई दखल नह था ।
डायरे टर होने के नाते वह कभी-कभार उस िवभाग म ग त लगा आती थी ।
कं चन स जकल िडपाटमट म एडिमट थी और ताजा सूचना के अनुसार उसक सजरी का
काम शु हो गया था । कं चन क क न से ही यह सजरी होनी थी िजसे ले र ड नामक
िवशेष कर रहा था । शाईतैन इस लेबोरे ी म घूम- फर आया था और अपना सामान
खोलते ए िवनाश को बता रहा था क उसने िवनाश को टीना के कमरे म मौजूदगी के
दौरान या कु छ उस इमारत म देखा है ।
“ब त से लोग एक हॉल म बेिलबास खड़े होकर िविभ कार क व जश कर रहे थे ।”
शाईतैन ने नफरत से मुँह िसकोड़कर कहा ।
“तुमने कोई िवशेष बात देखी उ ताद ? हॉल म होने वाली हरकत से अिधक
असाधारण हरकत नजर आ ?” िवनाश ने पूछा ।
“ या मतलब ?”
“मतलब तो मुझे भी नह मालूम ।” िवनाश ने कहा ।
उसी शाम डॉ टर टीना ने िवभाग के िविभ टे ट कये । िवनाश ने मानिसक मज क
िशकायत क थी । िवनाश ने डॉ टर टीना के हर टेढ़े सवाल का िजस शराफत से जवाब
दया उसे शाईतैन ब त खुश था । उसे इस बात क खुशी थी क िवनाश, टीना के चंद
बे दा सवाल के बावजूद गु से म नह आया । य िप टे ट के समय शाईतैन क मौजूदगी
ज री नह थी, फर भी शाईतैन वहाँ मौजूद रहा था ।
शाईतैन शाम क ए सरसाइज के बाद िवनाश से बात कर रहा था क अचानक
टेलीफोन क घंटी बजी उठी ।
“बलव त पी कं ग !” िवनाश ने रसीवर उठाते ए कहा ।
“डॉ टर टीना आपसे तुरंत िमलना चाहती है िम टर बलवंत !” एक नारी वर ने उसे
संबोिधत कया ।
िवनाश चंद ल ह बाद टीना के कमरे म िव आ, जब सूरज डू बकर आिखरी सलाम
कर रहा था । पहाड़ क ओट म सूरज क आिखरी झलक के गायब होते ही िवनाश चाँद
क तरह ठं डी टीना के सम जा खड़ा आ ।
टीना उस व एक झीने िलबास म डे क के करीब इस तरह खड़ी थी क िवनाश उसका
चेहरा न दे सका ले कन वह पु त से भी अ यिधक दल खुश नजर आ रही थी । न जाने
य िवनाश जैसे इं सान के दल म एक ऐसी इ छा ने ज म िलया िजसे कु चलने के िलए
शाईतैन ने उसे िवशेष िश ण दया था ।
“बैठो बलव त !” टीना का बारीक वर िवनाश के कान म पिव घं टय क तरह
घुलने लगा ।
टीना ने उसे कु स पर नह बि क काउच पर बैठने क दावत दी थी । फर वह खुद भी
काउच के करीब आ गई ।
“म यहाँ बताना चाहती थी क तु हारे टे ट का या प रणाम रहा ।”
“म जानता ँ ।” िवनाश ने जवाब दया । वह टीना क तरफ से िनगाह चुरा रहा था ।
“तुमने ठोस प थर के लॉक को तोड़कर यह सािबत कया है क तुम शारी रक प से
कमजोर नह हो ।”
िवनाश ने धीरे से गदन िहलाई ।
“अ छा, अब तुम आराम से लेट जाओ । हम चंद और ज री िवषय पर बात करनी है,
ता क म मज क जड़ तक प च ँ सकूँ ।”
िवनाश चमड़े के नम काउच पर लेट गया । उसक नजर खुले आसमान पर पड़ी, जहाँ
एक बाज कसी कबूतर पर लपक रहा था । वह सोच रहा था क शायद टीना मुझे भी
कबूतर समझ रही है और खुद को बाज ।
और फर उसके जेहन म शाईतैन क आवाज गूँजने लगी ।
“मेरे ब े, तुम तो खुद एक बाज हो और सारी दुिनया के इ सान तु हारे सामने प र द
से अिधक मह व नह रखते ।”
तो यह फै सला होना था क बाज कौन है और कबूतर कौन ।
िवनाश को अहसास हो रहा था क टीना अपने िशकार पर कसी बाज क तरह झपटती
होगी । वह सोचने लगा, कु छ औरत अपने िज म को हिथयार क तरह योग करने म
महारत रखती ह और टीना भी उ ह म से एक है ।
“बलव त ! अगर कोई श स िसनेमा हाउस म लगी ई कतार को अनदेखा करके तु हारे
आगे खड़ा हो जाये तो तुम या करोगे ?”
“म उससे क ग ँ ा क दूसर क तरह वह भी कतार म खड़ा हो जाये ।” िवनाश ने जवाब
दया ।
“अगर उसने तु हारी बात न सुनी तब ?”
“तब म उसे उठाकर कतार के अ त म फक दूग ँ ा ।” िवनाश ने कहा ।
“ या तुमने कभी कसी का क ल कया है ?”
“हाँ, ले कन िगनती मुझे याद नह । बेशुमार लोग मेरे हाथ से मारे गए ।” िवनाश ने
जवाब दया । वह एकदम सच बोल रहा था ।
“देश के कसी यु म ?”
“मेरा कसी यु से कोई संबंध नह ।” िवनाश ने उ र दया ।
“सेठ बलव त ! तुम अचानक दौलतमंद लोग क सूची म कट ए हो । इससे पहले
तु हारा कह कोई अि त व, कोई रकॉड नह ।” टीना ने कहा, “इस लेबोरे टरी म
उ ािधकारी भी आते ह, ले कन या यह अजीब बात नह क सारे हथकं डे योग करने के
बावजूद भी यह नह मालूम हो सका क तुम कौन हो ?”
“यह तु ह कभी नह मालूम हो सके गा डॉ टर टीना !” िवनाश ने मु कु राते ए उ र
दया ।
“और तुमने यहाँ अपने बारे म जो कु छ िलखवाया उसम यह भी है क तुम गो फ के
पेशेवर िखलाड़ी भी हो ले कन पूरे भारत म इस नाम का कोई श स गो फ का पेशेवर
िखलाड़ी नह । तुम कौन हो बलव त ?”
िवनाश धीरे से मु कु राया । उसने उिचत समझा क टीना को बता द क वह वा तव म
कौन है ?
“म वह श स ँ टीना, िजसके हाथ तु हारी मौत िलखी गई है ।” यह कहते ए उसने
टीना क आँख और हाथ पर िनगाह रखी ले कन न तो डॉ टर टीना के हाथ कँ पकँ पाये थे
और न ही उसक आँख म भय क छाया नाचती दखाई दी ।
“ओह, मानिसक आ ोश !” टीना ने मु कु राकर कहा, “मने यह जाना था क तुम अपने
भीतर कसी आ ोश से भयभीत हो । अ छा, अब यह बताओ क तुम मुझे य मारना
चाहते हो ?”
“यह कसने कहा क म मारना चाहता ँ ! म तु ह क ल क ँ गा ।” िवनाश ने जवाब
दया ।
“गोया तुम अपनी इ छा के िवपरीत मुझे क ल करोगे ?”
“हाँ, ले कन अभी नह । मुझे अहसास है क तु ह क ल करके म दुिनया को हसीन तरीन
औरत से मह म कर दूग ँ ा । ले कन म तु ह क ल करने पर िववश ँ ।”
“मगर तुम मुझे क ल य करोगे बलवंत ?” टीना ने ह के से अपने िज म को हरकत दी
ता क िशकार उसक खूबसूरती को महसूस कर सके ।
“इसिलए क तु ह क ल होना चािहए ।”
“मगर मेरा कसूर ?” वह एक अदाये नाज से बोली ।
“िसफ यह क तुम एक िशकारी औरत हो ?”
“ले कन यह फै सला कसने कया क म िशकारी ँ ?”
“िसफ मने ।” िवनाश ने जवाब दया ।
“तुमने उन लोग के बारे म कभी कु छ सोचा जो तु हारा िनशाना बन चुके ह ?”
“और तुमने कभी उन मरीज के बारे म सोचा जो तु हारा िनशाना बनते रहे ह ?”
िवनाश ने तुरंत जवाबी सवाल कया ।
टीना ने कोई जवाब नह दया । फर बोली, “तुमने कभी कसी को क ल कर के
मानिसक आघात महसूस कया ?” टीना ने पूछा, “तु ह कभी क ल के बाद दुख आ ?”
“नह , य क म जो क ल करता ,ँ क ल नह होता ।” िवनाश ने मु कु राकर कहा ।
“तुम अपने पैर स के बारे म कसी क म के ज बात महसूस करते हो ?”
“म अपने पैर स को नह जानता । मेरा िश ण और परव रश एक यतीमखाने म ई
थी और िजस औरत ने वहाँ देखभाल क , वह ब त अ छी औरत थी ।”
“तब तुम अपनी आँख बंद कर लो और अपने जेहन को आजाद छोड़ दो और मुझे यह
बताओ क तु हारे नजदीक एक आइिडयल िमशाली मद कौन है ?” टीना उसके और करीब
आ गई ।
िवनाश ने यह सोचते ए अपने िज म को िब कु ल आजाद छोड़ दया क टीना अब
अपना खेल शु करने वाली है ।
“िमशाली मद ! िमशाली मद वह होता है िजसका जेहन और दल उसका गुलाम हो, जो
अपनी ायु पर लगाम डालकर रखे । जो अमन क भावना म िहलकोरे ले रहा हो ।
वह गैर ज री खतर को तलाश नह करता, बि क खतर के सामने आने पर उनसे खेलता
है । उसे ात होता है क मौत भी फना का दरवाजा होती है । उसे यक न रहता है क वह
ज र मरे गा । मेरे नजदीक िमशाली मद वह है जो घंट कं बल का आसन जमाये चुपचाप
बैठा रहे । उसके दुबले-पतले हाथ उसके चोगे क झोली म रखे होते ह । वह अपने िज म
और माहौल के अलावा अपने दलो दमाग का बेताज बादशाह होता है । वह ऐसा होता है
िजसको अपने शािगद से अ यिधक ेह होता है ।”
“ या तुम उस बूढ़े के बेटे हो जो तु हारे साथ यहाँ आया है ?” टीना ने सवाल कया ।
“नह ।” िवनाश ने आँख बंद करते ए जवाब दया ।
“बलवंत, तुमने पहली बार भावना मक दशन कया है !” टीना ने कहा, “जब तुम
लोग को क ल करने क बात कर रहे थे तो मुझे भावना से र इं सान नजर आये, तो
तु हारे अंदर एक बेरहम काितल िछपा आ है ले कन साथ-ही-साथ तुम ऐसे मद हो जो
गु से से भड़क भी सकता है । म अब यह कोिशश क ँ गी क तु हारे अंदर िछपे काितल को
ख म कर दूँ । म तु हारा इलाज क ँ गी ता क तु हारे ि व क जािलमाना पहलू
उजागर हो जाये । तु हारे अंदर बेरहमी के जो पृ ह उनको डैथ थेरेपी ारा कु चला जा
सकता है । अ छा बताओ क तुम इन पृ के वामी को या कहोगे ।”
“बाजीगर !” िवनाश ने जवाब दया ।
“तब फर हम दोन इस बाजीगर को ख म कर दगे ।” टीना ने दोन हाथ सीने पर बाँध
िलए ।
िवनाश काउच से खड़ा हो गया । वह मु कु रा रहा था ।
“ब त से लोग ने बाजीगर को ख म करने क सािजश क मगर सब िम ी म िमल
गए ।”
“ओह !” टीना ने सीना तानकर िवनाश क तरफ देखा, “वह िनरे अहमद ह गे जो
नाकाम रहे । हम यूमन लेबोरे ी म देखगे क बाजीगर के साथ या सलूक कर सकते ह ।
हम तु ह बाजीगर से मुि दलायगे ।”
टीना को देखकर िवनाश के अंदर िछपे मद ने अंगड़ाई ली ले कन उसे मालूम था क
अगर वह बहक गया तो टीना सचमुच बाजीगर को ख म कर देगी ।
िवनाश ने िखड़क से बाहर झाँका । बाज गायब हो चुका था और कबूतर च च क मदद
से अपने पर साफ करने म त था ।
☐☐☐
िवनाश के जाने के बाद टीना ब त देर तक अपनी कु स पर बैठी कु छ सोचती रही । कु छ
देर बाद उसने रसीवर उठाया और कोई नंबर िमलाया ।
“वह अभी गया है ।” टीना रसीवर पर बोली, “और अपने आपको बाजीगर कहते ह ।”
“ या !” दूसरी तरफ से कसी ने च ककर कहा, “बाजीगर ! तक क ल कर दो ।”
“यही एक तरीका है ले कन म उसे यहाँ नह करना चाहती । इस तरह लेबोरे टरी म
पुिलस का आगमन शु हो सकता है, जो हमारे मंसूब को नुकसान प च ँ ाएगा ।”
“कह भी ले जाकर मार डालो, मुझे कोई आपि नह ।”
☐☐☐
सुबह हो चुक थी । िवनाश ने आज पहली बार मानिसक रोिगय के बीच फिजकल
ए सरसाइज म भाग िलया था । िवनाश और शाई एक ार म िव ए िजससे क
दीवार पर गलौचे लगे ए थे, जब क छत पर भूरे रं ग का पे ट कया गया था । कमरे के
म य म त कय से दायरा-सा बनाया गया था । हर त कये के करीब एक ऐश- े रखी ई
थी । िवनाश और शाईतैन उस हॉल म िव ए । वहाँ ए सरसाइज शु हो चुक थी ।
टीना एक बड़े त कये पर बैठी नजर आई । वह डॉ टर के िलबास म थी, जब क हॉल म
मौजूद दूसरी औरत और मद िलबास क कै द से आजाद थे । एक मोटी लड़क िनरं तर रो
रही थी, ले कन िवनाश को देखते ही वह चुप हो गयी । ऐसा लगता था जैसे िवनाश क
शि सयत उसके दल म उतरती चली गई हो । िवनाश ने लड़क को अनदेखा कर दया ।
“देखो ।” लड़क फर रोने लगी, “यह चलता इस तरह है, जैसे मद का बादशाह हो । म
इसे खुद को छू ने भी नह दूग
ँ ी ।”
“ या हाल है बलव त ?” टीना मु कु राई, “इस वातावरण म तुम या महसूस कर रहे
हो ?”
“भला इस न वातावरण म या महसूस कया जा सकता है !” िवनाश ने जवाब
दया ।
“म तुमसे नफरत करती ँ ।” वही लड़क चीख पड़ी ।
अब वह िबलख-िबलखकर रो रही थी । उसका नाम कोिमला था । ुप के कई मद,
कोिमला के समीप गए । वह उसके कं धे दबा रहे थे । कसी ने कोिमला क कनप टय पर
मािलश शु कर दी ।
“यह भावना मक मानिसक रोगी है ।” टीना ने िवनाश को बताया, “भावना का
सूनापन इसक याददा त और ायु को कु चल चुका है ।”
दूसरी तरफ मद, कोिमला क दलजोई कर रहे थे । कसी ने उसके क शंसा क
तो वह भड़क उठी ।
“मगर वह... ।” कोिमला, िवनाश क तरफ संकेत कर रही थी, “वह मुझे बदसूरत
समझता है ।”
िवनाश ने उन लोग क तरफ देखा जो कोिमला क दलजोई म त थे, ले कन एक
मोटा-ताजा श स कोिमला और टीना से अलग खड़ा रहा । उसका वजन कम-से-कम साढ़े
चार सौ पौ ड होगा । वह काली चमड़ी का था और उसके लटके ए गाल गो त के लोथड़े
लग रहे थे । िवनाश ने एक ही नजर म अनुमान लगा िलया क मोटा दमे का रोगी है । वह
िवनाश क तरफ देख रहा था ।
िवनाश ने शाईतैन क तलाश म इधर-उधर देखा और फर उसक हैरत का ठकाना न
रहा । शाईतैन उन लोग म शािमल हो गया, जो कोिमला से दलजोई कर रहे थे । वह
कोिमला क पीठ पर मािलश कर रहा था । िवनाश ने देखते-ही-देखते दूसरे लोग को
कोिमला के करीब से हटा दया और फर वह अके ला ही कोिमला क रीढ़ क ह ी पर
मािलश करने म त हो गया ।
“तुम तो एक नाजुक-सी सुंग य से भरे ए फल क तरह हो मेरी ब ी !” शाईतैन क
सरसराती ई रह यमयी और जादूभरी आवाज हॉल म गूँज रही थी, “तुम यारी हो,
भावना से भरी फू ल क डाली हो । इ क और क सीमा हो यारी लड़क !”
शाईतैन के हाथ ब त तेजी से कोिमला क गदन से रीढ़ क ह ी तक मािलश कर रहे
थे ।
“फू ल ने तुमसे नजाकत और खुशबू ली है । तुम कसी खुशनुमा िततली क तरह हो ।
तुम एक नारी हो, एक भरपूर औरत ।”
“कोई तो ऐसा है िजसने मेरी शंसा क ।” कोिमला बड़बड़ाई ।
“तुम शंसा यो य हो यारी ब ी !” शाईतैन ने गोरी कोिमला क बात का जवाब
अ यिधक गंभीरता से दया ।
“इससे कहो क वह भी मेरी शंसा करो ।” लड़क मचलकर बोली ।
“ कसे कहो ?” शाईतैन ने पूछा ।
“इससे, जो तु हारे साथ आया है । लड़क बोली ।
शाईतैन ने िवनाश क तरफ देखा जो गहरी दलच पी से बात सुन रहा था । फर
िवनाश के समीप त कये पर आकर बैठ गया । िवनाश अपने अंदाज म बैठा था ।
िवनाश ने यह देखने के िलए क कसी ने शाईतैन के इस अंदाज को महसूस तो नह
कया, हर चेहरे का जायजा िलया । िसफ काला मोटा ही शाईतैन को घूर रहा था ।
☐☐☐
डॉ टर टीना अके ले शानदार कमरे म बैठी यह सोच रही थी क बलवंत का क सा
कस तरह तमाम कया जाये ! ऐन उसी व उसके िनजी फोन पर सुख ब ब जल उठा ।
टीना ने तुरंत ही रसीवर उठाया ।
“नेवी फोस के संबंध म कु छ करना है । यह सािबत करना है क हम नेवी पर भी कं ोल
रखते ह ।” भारी आवाज सुनाई दी । टीना बुरी तरह हाँफने लगी ।
“हम या कर सकते ह, तुम बताओ क या कर ?” टीना ने बौखलाते वर म पूछा ।
“जो चाहे करो ।” भारी आवाज ने जवाब दया, “कु छ मु क भी हमारे इस सौदे म
दलच पी लेने लगे ह, ले कन वे चाहते ह क हम नेवी फोस पर भी अपना कं ोल सािबत
करके दखाये । जो कु छ भी करना है फौरन करो ।”
“ओके डा लग !” टीना ने कु छ सोचते ए जवाब दया, “ या आज रात म तुमसे िमल
सकती ँ ?”
“मेरा याल है, हम पहले अपने मंसूबे को स पूण करना चािहए ।”
“तुम यादती कर रहे हो ।” टीना क आँख म आँसू आ गए, “म तु हारी हर िहदायत
पर चुपचाप अमल करती ँ और तुम मुझे अनदेखा कर देते हो ।”
“शटअप !” दूसरी तरफ से कहा गया और साथ ही ि लक क आवाज सुनाई दी ।
मद ने फोन का रसीवर रख दया । टीना रसीवर रखकर अपनी कु स पर अधलेटी हो
गयी ।
“अभी तीन रोज बाक है ।” टीना ने सोचा, “तीन रोज बाद नीलामी होगा और फर
बलव त... ।” टीना के सुख ह ठ पर एक अजीब-सी मु कु राहट नाचने लगी ।
अब वह एक तीर से दो िशकार खेलने का फै सला कर रही थी ।
☐☐☐
िवनाश और शाईतैन को यूमन लेबोरे ी म आये छ ीस घ टे गुजर चुके थे, ले कन
अभी तक ऐसी कोई असाधारण बात सामने नह आई । िवनाश उठ खड़ा आ और कमरे
से बाहर िनकलकर राहदारी म आ गया ।
अभी वह मोड़ पर घूम ही रहा था क उसे ठठक जाना पड़ा । उसका माथा ठं ड-े ठं डे
पसीने से तर होने लगा । उसक कण इं ी से कसी के गुनगुनाने क आवाज टकरा रही
थी । यह वही धुन थी िजसे उसने सी०बी०आई० के रीजनल चीफ के मुँह से अपनी पाट म
सुना था और इसी धुन के कारण देश क चंद मह वपूण हि तयाँ हलाक हो चुक थी ।
िवनाश जहाँ था वह बेहरकत खड़ा उस काितल गुनगुनाहट को सुनता रहा और फर
उसके दल क धड़कन बेहतीब होती रही ।
इस काितल गुनगुनाहट का सुराग लगाने के िलए िवनाश बाजीगर ने अपने अि त व को
दाँव पर लगा दया था । उसने अपने चेहरे पर पड़ी नकाब उतार दी थी । ले कन अभी तक
वह उस दशा का चयन करने म सफल नह हो सका था िजधर से आवाज आ रही थी ।
उसने चार तरफ देखा । उसके ललाट पर पसीने क बूँद क सं या बढ़ती जा रही थी ।
िवनाश को यूँ लग रहा था जैसे यहाँ आवाज चार तरफ से आ रही हो, बि क जैसे-जैसे
वह कण इं ी पर जोर डाल रहा था, उसका एहसास बढ़ता जा रहा था क गुनगुनाने क
यह आवाज वयं उसके अि त व से खा रज होती जा रही है । उसने िसर को पूरी तरह
झटक दया और फर अचानक ही गुनगुनाने क आवाज बंद हो गयी ।
िवनाश ने गहरी साँस ली और आगे बढ़ गया । उसक बेतरतीब धड़कन को करार आ
गया ले कन इस सुकून के साथ उसका दमाग बुरी तरह से काम लगने लगा था । ोध क
अिधकता के कारण उसक मु याँ भंचने लगी । उसने फै सला कर िलया क उस भयंकर
सािजश को शी ही बेनकाब करके , मुज रम के नापाक बोझ को धरती से मु कर देगा,
ले कन फर एक अहसास ने उसके गु से क आँधी धीमी कर दी ।
िवनाश को ात था क बहराम ने उसे जानका रयाँ ा करने के िलए यहाँ भेजा है,
ले कन जानका रयाँ तो सी०बी०आई० वाले भी ा कर सकते थे और यही एक ऐसा
सवाल था िजस पर गौर करके िवनाश इस नतीजे पर प च ँ ा क खु फया संगठन म कोई
भी ऐसा नह है जो टीना के िगरोह का सुराग लगा सके । ऐसी भयानक सािजश रचने वाले
से प है क कू मत के का र द क बड़े पैमाने पर खरीदारी भी क होगी ।
एयर कमांडर, वाइस माशल, सी०बी०आई० का रीजनल डायरे टर, इन सबके
उदाहरण िवनाश के सामने थे ।
िवनाश को तो पता चल चुका था क कू मत को नीलाम करने वाली शि शयत टीना के
अलावा कोई और ही है । और वह रह यमय ि इसी लेबोरे ी से संबंध रखता है । हो
सकता है, वह इस इमारत म रहता हो ।
िपछली रात क व जश समा होने पर जब पूरा ुप हॉल से िनकला था तब भी िवनाश
ने मदाना वर म उस जानी-पहचानी गुनगुनाहट को सुना था और फर उसने ब त
कोिशश क ले कन वह गुनगुनाने वाले का सुराग लगाने म कामयाब न हो सका ।
☐☐☐
उस सुबह टीना मरीज को व जश कराने के िलए हॉल म नह बि क यूमन लेबोरे ी
क बजाय मुंबई के एक फाइव टार होटल म नेवी के एडिमरल ताप मिलक से मुलाकात
के िलए गई थी ।
ताप मिलक ांसीसी राजदूत के कॉकटेल पाट म पहली बार टीना से िमला था और
वह अब तक इस कयामत को नह भूल सका था । अतः जब टीना ने उसे फोन कया तो वह
खुशी से दीवाना हो गया ।
टीना उससे त हाई म िमलना चाहती थी । उसने खुद ही उस होटल म िमलने क बात
रखी थी और जब एडिमरल ताप ने रसीव े िडल पर रखा तो उसने अपने िज म म एक
ऐसे श स को अंगड़ाई लेते ए महसूस कया जो एक साल पहले मर चुका था । वही ताप
एक बार फर जंदा हो गया िजसने टीना क चाहत रखी थी और अब वह डॉ टर टीना से
मुलाकात के िलए बेचैन था ।
होटल जाते ए रा ते म एडिमरल ने बोरवन क एक बोतल खरीदी । वह इस व एक
ऐसा नौजवान लग रहा था िजसक कसी लड़क से पहली मुलाकात तय हो ।
जब वह होटल के कमरे म दािखल आ तो उस व टीना िखड़क के करीब खड़ी ई
थी । उसने एक महीन रे शमी गाउन पहन रखा था । िखड़क से आने वाली रोशनी इस
महीन गाउन के आर-पार हो रही थी । इस रोशनी क वजह से एडिमरल ताप को यूँ
लगा जैसे टीना िब कु ल बेिलबास खड़ी हो ।
टीना आहट सुनकर उसक तरफ पलटी तो वह मु कु रा रही थी । उसने अपनी बाँह
फै ला दी ।
“आओ ताप डा लग ! तुम आ गए ।” वह ज बात से भरी आवाज म बोली ।
ताप का िज म सनसनाने लगा, “टीना ! तुम कै सी हो ?” उसने बड़ी मुि कल से पूछा ।
उसका कं ठ खु क होने लगा था ।
टीना ने िनकट आकर ताप का हाथ थाम िलया और उसे सोफे तक लाई । उसे सोफे पर
धके लकर वह खुद सोफे के सामने पड़ी ई कु स पर बैठ गई ।
“ ताप !” टीना के भरे -भरे ह ठ हरकत म आये, “मुझे मालूम है क तुम ब त ही त
थे । म तु हारी तता म िव डालने क मा माँगती ँ ।”
ताप ने फौरन ही इ कार म िसर िहला दया । वह टीना क िनकटता क वजह से
मदहोश था ।
“ ताप ! मने तु ह यह बताने के िलए क कया है क तु हारी जंदगी खतरे म है ।”
“मेरी जंदगी !” एडिमरल ताप मु कु राने लगा, “मगर कससे ? मुझे कौन मारना
चाहता है ?”
“मेरा एक मरीज बलवंत तु हारे िलए जानलेवा है ।” टीना ने जवाब दया ।
“बलवंत ! मने आज तक यह नाम नह सुना । म उससे प रिचत भी नह ँ ।” एडिमरल
ने गंभीरता से कहा, “और यह अजनबी मुझे आिखर य मारना चाहता है ?”
“मुझे इस बात का इ म नह हो सका ।” टीना ने जवाब दया, “मुझे इस श स से भय
महसूस होता है । वह तु हारी जंदगी छीन लेना चाहता है ।” यह कहते ए टीना ने कु स
आगे ख च ली । उसका गाउन िखसकने लगा ।
“मेरा याल है, बलवंत कसी दु मन देश का एजे ट ह ।”
ऐडिमरल यूँ मु कु राने लगा जैसे वह टीना के संदह
े को बेबुिनयाद समझ रहा हो ।
“ ताप !” टीना ने सरगोशी क , “इस बात को हँसी म मत उड़ाओ । म अपनी
सेिनटो रयम के िनयम का उ लंघन करके अपने एक मरीज के इराद से तु ह आगाह कर
रही ँ ।” यह कहकर वह कु स से उठी और सोफे पर बैठ गयी ।
ऐडिमरल ने अपनी मोटी यूिनफॉम के बावजूद टीना का पश महसूस कया ।
“टीना ! म तु हारा आभारी ँ । या तुम मुझे इस संबंध म और अिधक िववरण
बताओगी ?”
“बलव त चंद रोज पहले ही इलाज के िलए लेबोरे ी म दािखल आ है ।” टीना ने
जवाब दया, “उसने एडिमशन फॉम पर अपना िववरण भी गलत िलखा है, ले कन कल
रात म अपनी िवशेष कया से उसका मज मालूम करने क कोिशश कर रही थी तो
उसक शि सयत सामने आ गई । म बलवंत के दलो दमाग तक घुसती चली गई । वह एक
पेशेवर काितल है ताप और उसके भिव य का िनशाना तुम हो !”
“उसने यह तो बताया होगा क वह मुझे य क ल करना चाहता है ?” एडिमरल ने
उलझकर सवाल कया ।
“नह ।” टीना ने मायूसी से िसर िहला दया, “मने जैसे ही सवाल कया था, वह अपनी
वा तिवक दुिनया म वापस आ गया, इसिलए म नाकाम रही ।”
“तब फर म सी०बी०आई० को फोन कर देता ँ ।” एडिमरल ने कहा ।
वह उतना ही चाहता था क डॉ टर टीना ने उसका बाजू पकड़कर अपनी तरफ ख च
िलया ।
“नह ताप ! तुम सी०बी०आई० को फोन नह करोगे । इस तरह मेरी लेबोरे ी
बदनाम हो जायेगी । तु ह अपने तौर पर वयं ही िहफाजत करनी चािहए ।”
“तब तुम उससे यह मालूम करो क वह मुझे य क ल करना चाहता है !” एडिमरल ने
कहा ।
“ज र । आज रात म उसे कमरे म बुलाकर स मोहन या से ात कर लूँगी ।” वह
मु कु राने लगी ।
टीना, एडिमरल क आँख म आँख डाल चुक थी । उसक आँख खुली समु क तरह
नीली थ ।
एडिमरल और टीना बात करते रहे । ताप ने बताया क उसका जंगी जहाज शि
खाड़ी म लंगर डालेगा । फर टीना का यह ताव भी उसने वीकार कर िलया क वह
अपनी सुर ा के िलए गोताखोर उपल ध करे गा, ता क गोताखोर य द बलवंत को जहाज
म आता देखे तो उसे रोक ले ।
टीना ने कहा क अगर बलवंत जहाज के आसपास भी नजर आए तो उसे क ल कर दया
जाए । ताप ने समथन करते ए गदन िहला दी ।
“ ताप !” टीना उस पर झुक गई ।
ताप क साँस बेतरतीब होने लगी ।
“म तु हारी ँ ताप ! ले कन पहले हम कु छ िपयगे और उसके बाद तुम मेरे साथ एक
गीत गुनगुनाओगे ।”
ताप ने वीकृ ित म िसर िहलाया । वह फर पालतू कु े क तरह टीना के सामने दुम
िहला रहा था ।
☐☐☐
शाईतैन लेबोरे ी के चयन बाग म मरीज को फू ल क क म और खूिबय के बारे म
बताता जा रहा था । कोिमला और दूसरी औरत शाईतैन के ले चर म ब त दलच पी ले
रही थ । मद भी शाईतैन के अनुभव से लाभ उठाने म म थे । इसी आलम म िवनाश उन
सबको वहाँ छोड़कर यूमन लेबोरे ी से िनकल गया ।
उसे कसी टेलीफोन बूथ क तलाश थी । दोपहर एक बजे का समय था । िवनाश फोन
क तलाश म इस लेबोरे ी से साढ़े छः मील दूर िनकल आया । यहाँ तक क उसे एक पे ोल
पंप पर पि लक टेलीफोन बूथ नजर आ गया ।
उसने ज दी बहराम के खु फया नंबर डायल कए, जो मुंबई ांच के थे । उसे यक न था
क बहराम यही होगा और न भी होता तो भी ांच उसे लाइन िमलाने म स म थी ।
बहराम जहाँ भी होता लाइन पर आ जाता ले कन बहराम पहले ही यास म फोन पर
िमल गया ।
“िवनाश !” वह धीरे से बोला ।
“कोई िवशेष बात ?” बहराम ने पूछा ।
“कोई भी नह ।” िवनाश ने बुरा-सा मुँह बनाया, “म िनरं तर यही इं तजार कर रहा ँ
क वे मुझ पर हमला कर और म अपना काम शु दूँ ।”
“ ँ ।” बहराम ने क ं ार भरा, “बहरहाल तु ह यह बताना ज री है क हमारे दो श ु
देश इस नीलामी म िह सा लेने के िलए तैया रयाँ संपूण कर चुके ह । नीलमी म कई बड़े
गग लीडर िह सा ले रहे ह । पूरी दुिनया क मंिडय से सोना गायब हो गया है ।”
“होगा । इसका मुझसे कोई संबंध नह ।” िवनाश ने नागवारी से जवाब दया, “म अब
अिधक देर हाथ-पर-हाथ धरे नह बैठ सकता । म टीना से िमलकर देखूँगा क वह खुलकर
बात कर सकती है या नह । मेरी कोिशश यही होगी क उससे पूरी योजना मालूम करके
उसे ख म कर दूँ ।”
“तुम जो चाहो कर सकते हो ।” बहराम ने खु क वर म जवाब दया, “ले कन यह याद
रखो क मामला ब त मह व रखता है ।”
“मेरे िज मे स पा जाने वाला हर काम मह व रखता है चीफ !” िवनाश ने खु क वर म
कहा, “वैसे या आपको संगीत से कोई दलच पी है ?”
“संगीत !” बहराम एक पल को चकराया, “ कस क म का संगीत ?”
“मुझे अिधक पता नह , ले कन जब मेरी पाट म सी०बी०आई० का चीफ भाषण दे रहा
था तब वह ह ठ -ही-ह ठ म कु छ गुनगुना भी रहा था । वैसे ही गुनगुनाहट म यूमन
लेबोरे ी म भी सुन चुका ँ ले कन यह पता नह चला क कौन गुनगुना रहा था ।”
“जरा गुनगुनाकर सुनाओ ?” बहराम ने फरमाइश क ।
“चीफ !” म कोई गवैया नह ँ क धुन याद रखता फ ँ । वैसे मेरे कान म डा... डा...
डम... डम... डम... डा... ।”
“गलत, िब कु ल गलत ।” बहराम क जोशीली आवाज सुनाई दी, “मुझसे सुनो, डा...
डा... डा... डा... डम...डा... डम... डम... डा... डा... डा... डा... डम... डम... ।”
“माई गॉड ! िबलकु ल यही । आपने कहा सुनी ?” िवनाश ने हैरत से पूछा ।
“एयर चीफ कमांडर मरते समय यही धुन गुनगुना रहा था और वाइस माशल के संबंध
म भी जब यह तह ककत ई तो उसक बीवी ने समथन कया क उसने ऐसी कोई
गुनगुननाहट सुनी थी ।”
“ले कन उसका उ े य ?”
“मुझे मालूम नह । संभव है, यह कोई िशना ती इशारा हो ।”
“ओहो, चीफ ! लीज, या आप मेरी एक बात मान सकते ह ?”
“बोलो, या बात है ?”
“हम यह क ठन जीवन छोड़ एक यूिजक ुप कायम कर लेते ह । शाई उ ताद बेहतरीन
तबलाची ह ।” िवनाश ने मु कु राकर कहा ।
“असंभव ।” बहराम भी मु कु राया, “म हारमोिनयम, िगटार बजाना नह जानता और
म वैसे भी संगीत क दुिनया के बारे म कोरा कागज ँ ।”
“अ छा । खैर, देखा जाएगा ।” िवनाश ने कहा, “ले कन मेहरबानी करके आप सावधान
रह । इस ज टल पहेली को सुलझाने के िलए मुझे बेनकाब होना पड़ा है और मेरी मौत के
बाद वे आसानी से आपक गदन तक प च ँ सकते ह । बशत क मेरा क ल करने म वे
कामयाब हो जाये ।” िवनाश अब िब कु ल गंभीर था ।
“मने सावधानी बरत ली है और इस के स के बाद म तु ह एक जबरद त उपहार भी
दूग
ँ ा ।”
िवनाश ने उपहार के संबंध म पूछे िबना रसीवर क पर लटका दया और फर उसने
महसूस कया क वह कु छ थका-थका-सा है । अतः उसने सड़क पर चलते-चलते आँख और
बाजू क ए सरसाइज क और उसी तरह ए सरसाइज करते ए तीन बजे के करीब
यूमन लेबोरे के बाहरी अहाते म िव आ जहाँ से असली इमारत एक मील दूरी पर
थी ।
उसी ण उसे अपने पीछे कसी कार के इं जन क गड़गड़ाहट सुनाई दी । उसने पलटकर
देखा । टीना क रो जराइस कार िब कु ल उनके समीप आकर क थी ।
“बलवंत !” टीना ने आवाज दी, साथ ही अपनी कार का दरवाजा खोल दया, “आओ,
म तु ह इमारत तक छोड़ दूँ ।”
िवनाश तुर त ही टीना के साथ बैठ गया । डॉ टर टीना के सुनहरे बाल िबखरे ए थे ।
उसके रे शमी महीन गाउन पर िसलवट थ और उसका चेहरा चुगली खा रहा था क वह
दन के उजाले म ही रात क याही कसी के चेहरे पर मलकर आ रही है ।
“ऐसा लगता है, जैसे तुम कोई पाला मारकर आ रही हो ।” िवनाश बोला ।
“ओह ! तुम तो िलया देखकर ही ब त कु छ समझ लेते हो ।” टीना ने एक अदा के साथ
कहा ।
“ले कन यह भी लगता है क तुमने अ छा व नह गुजारा ।” िवनाश ने कहा ।
“यह कै से कह सकते हो ?”
“इसिलए क तु हारी आँख म अभी तक यार के ीप रोशन ह । अगर व अ छा
गुजरता तो दीये बुझ चुके होते ।”
“म तु हारा इं तजार क ँ गी ।”
☐☐☐
ठीक सात बजे िवनाश, टीना के अपाटमट म प च
ँ ा तो टीना क से े टरी जा चुक थी ।
िवनाश ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया ।
“आ जाओ ।” टीना क आवाज सुनाई दी और िवनाश कमरे म घुस गया ।
कमरे म काश फै ला आ था । िवनाश ने महसूस कर िलया क टीना ने कमरे के
वातावरण को स मोहनजनक बनाने के िलए रोशिनयाँ कम कर रखी है । वह सुख रं ग के
गाउन म िलपटी ई थी । उसके दोन हाथ म कसी पेय के िगलास नजर आ रहे थे ।
“बलवंत !” वह अ यिधक लगावट भरे अंदाज म बोली, “मुझे खुशी है क तुम वादे के
अनुसार आ गए ।” यह कहते ए वह उसके करीब आई और एक िगलास िवनाश क तरफ
बढ़ाकर दूसरे अपने ह ठ तक ले गयी ।
“आँख के रोशन िचराग के नाम ।” यह कहकर टीना ने िगलास एक साँस म पी िलया ।
िवनाश ने महज दखावे के िलए िगलास ह ठ पर लगाकर एक घूँट भरा और फर यही
घूँट महसूस करने के अंदाज म िगलास म वािपस चला गया ।
वह शराब का रिसया नह था । शाईतैन का िश ण ही ऐसा था क आज तक
गैरज री तौर पर िवनाश ने शराब को हाथ तक नह लगाया था ।
“रोशन िचराग के नाम, जो बुझ जायगे ।” िवनाश ने िगलास बुलंद करते ए सरगोशी
म कहा और अधमुंदे ने से टीना क ओर देखने लगा ।
उसने िगलास एक बार फर मुँह से लगाया और डकार कर टीना के अंदाज म पी गया ।
साथ ही उस समय मेदे क पाचन या को एक िवशेष अंदाज म हरकत दी और ांडी मेदे
के उस िह से म चली गई जहाँ से वह दमाग और ायु पर अपना नशीला ढंग इ तेमाल
नह कर सकता था ।
िवनाश सोचने लगा, म टीना को क ल करने से पहले उसके ि व म िछपे ए राज
मालूम क ँ गा और उससे भी पहले वह मंसूबा उगलवा लूँगा जो कू मत और फरो त करने
के िसलिसले म तैयार कया गया है । वह शी -अितशी इस मंसूबे को नाकाम बना देना
चाहता था ।
डॉ टर टीना ने अपना िगलास मेज पर रखा और िवनाश का बाजू थाम िलया, “खड़े
य हो ? आओ, सोफे पर बैठ जाओ ।” यह कहते ए उसने िवनाश को बड़े अपन व से
सोफे पर िबठाया और वयं भी उसके समीप बैठ गई ।
उसने िवनाश का िगलास भी उसके हाथ से लेकर फश पर रख दया । िवनाश मानिसक
प से तैयार हो गया । वह जानता था क डॉ टर टीना अब उसे िह ोटाइज करने वाली
है । उसने तुरंत ही अपने जेहन और िज म को अपने अधीन करना शु कर दया । िज म
को खामोश करने के िलए उसने शाईतैन के िश ण के अनुसार गहरी साँस ल , फे फड़ को
ऑ सीजन से भरा और दमाग को मा एक िब दु पर ि थर कर दया ।
“म िवनाश ँ ।” वह सोच रहा था ।
“बलवंत, तुम सो रहे हो !” टीना के सरगोशी सुनाई दी ।
िवनाश ने तुरंत ही आँख बंद कर ल । वह अपने दल और मन को ि थर रखने के िलए
िनयं ण गहरी साँस ले रहा था । डॉ टर टीना ने उसक शट के बटन खोलकर एक उं गली
से उसके सीने पर याली ार बनाते ए कहा ।
“अब तुम िसफ मेरी आवाज़ सुनोगे बलवंत !” उसने सरगोशी क ।
िवनाश उ र म एक गहरी साँस लेकर रह गया ।
“तुम मेरी आवाज सुन रहे हो ?”
“हाँ, म तु हारी आवाज सुन रहा ँ ।” उसने विपनल वर म जवाब दया जैसे वह
सचमुच डॉ टर टीना के स मोहन का िशकार हो गया हो ।
“तुम कसके िलए काम करते हो ?” टीना ने पूछा ।
“ लैक ऐरो के िलए ।”
“बाजीगर कौन है ?”
“यह मेरा गु नाम है ।” िवनाश ने इस तरह जवाब दया जैसे उसका समूचा ि व
सो चुका है हो ।
“बलवंत तु हारा फज नाम है ?”
“हाँ, बलवंत मेरा फज नाम है ।”
“तु हारा असली नाम या है ?”
“िवनाश !
“तुम यहाँ य आये हो ?” डॉ टर टीना ने सरसराती आवाज म पूछा ।
“सरकार के िखलाफ सािजश करने वाल क तलाश म ।” िवनाश ने सच बोलने म कोई
िहच कचाहट महसूस नह क ।
“ या तुमने उन लोग को तलाश कर िलया, जो वह सािजश कर रहे ह ?”
“नह , म नाकाम रहा ँ ।”
“िवनाश उफ बलवंत, एक बात सोचकर बताओ ! यहाँ कु छ दन पहले एक लड़क
सजरी हाउस म एडिमट ई थी । उसका नाम सलमा िलखाया गया । या तुम उस लड़क
को जानते हो ?”
“जानता ँ ।”
“उसका असली नाम या है ?”
“कं चन ।”
“ या उसे भी तुमने भेजा था ?”
“हाँ, मने भेजा था ।”
“ या वह लड़क भी तु हारी सं था से ता लुक रखती है ?”
“नह , वह मुझे िवनाश के प म जानती है ।”
“और तुम दोन का र ता या है ?”
“जो एक ेमी- ेिमका का होता है, िजसे अमर ेम कहते ह । म उसके िलए जंदा ँ और
वह मेरे िलए ।”
“ फर तुमने उसक सजरी के िलए यह ामा य टेज पर कया ?”
“अपने आपको उससे दूर करने के िलए, या अपने आपको िछपाये रखने के िलए ।”
“वह महज सजरी के िलए यहाँ भेजी गई है ?”
“हाँ, महज सजरी के िलए ।”
टीना एक पल के िलए खामोश रही, फर बोली, “िवनाश ! मेरी बात गौर से सुनो । म
तु हारी कु छ मदद करना चाहती ँ ।” टीना ने स मोहन का भाव गहरा करने के िलए
इस बार उसके ह ठ पर उं गली रखते ए पूछा, “ या तुम मेरी बात सुन रहे हो ?”
“हाँ ।” िवनाश बोला, “म सुन रहा ँ ।”
“हमारे देश के िव एक खतरनाक सािजश क जा रही है िवनाश !” सािजश का
मंसूबा यह है क यहाँ पर क जा कर िलया जाये और उस सािजश को तैयार करने वाले का
नाम एडिमरल मिलक है । नाम दोहराओ ।”
“एडिमरल ताप मिलक !” िवनाश कसी मासूम क तरह नाम दोहराने लगा ।
“एडिमरल ताप देश ोही है । वह क जा करना चाहता है । तु हारा कत है क तुम
उसक सािजश को नाकाम कर दो ।”
“हाँ, मेरा कत है क म कू मत के िखलाफ हर सािजश को नाकाम कर दूँ ।” िवनाश ने
जानबूझकर दोमुंही बात कह ।
“और वह एक जंगी जहाज ‘शि ’ म मौजूद है । यह जहाज खाड़ी म लंगर डाले खड़ा
है । चंद ही घंट बाद एडिमरल ताप अपने मंसूबे पर अमल शु करने वाला है । उसे हर
क मत पर रोकना है िवनाश !”
“हाँ, उसे हर क मत पर रोकना है । मगर कै से ?”
“तुम शि के डेक पर जाओगे और एडिमरल ताप को क ल कर दोगे । मेरी बात
दोहराओ िवनाश !”
“म शि के डेक पर जाकर एडिमरल को क ल कर दूग ँ ा ।” िवनाश ने कहा ।
“और यह काम आज रात को हो जाना चािहए, समझ गए ?”
“म आज रात ही एडिमरल को क ल कर दूग ँ ा ।” िवनाश ने जवाब दया ।
डॉ टर टीना ने िवनाश क गदन सहलाई और उसके कान पर झुक गयी । उसने
सरगोशी क , “म तु ह बाद म िमलूँगी िवनाश ! अब तुम सो जाओ । उठोगे तो तु हारा
िज म िब कु ल तरोताजा होगा । तुम समझोगे क तुमने आँख के िचराग बुझा दए है ।
जागने के बाद यही समझना क मने तु हारे साथ ब त अ छा व गुजारा है, फर तुम
फौरन ही एडिमरल ताप का क सा तमाम करने के िलए चले जाओगे । अब तुम गहरी
न द म डू ब जाओ िवनाश ! गहरी न द म ।”
“म सो रहा ँ । म सो रहा ँ । म सो रहा ँ ।”
यह कहते ए िवनाश ने जानबूझकर खराटे लेने शु कर दए । डॉ टर टीना ने बड़ी
सावधानी से उसका िसर सोफे पर टका दया और उठ खड़ी ई ।
िवनाश वही लेटा रहा । उसका दमाग बड़ी तेजी से काम कर रहा था । सवाल िसफ यह
था क टीना, एडिमरल ताप को य क ल करना चाहती है ?
या एडिमरल के इस ष ं को भाँप िलया है ?
या टीना उसे िह ोटाइज करने म कामयाब नह हो सक ? या फर एडिमरल ही टीना
का बॉस है और डॉ टर टीना अपनी सफलता को सामने देखकर खुद को राह से हटाना
चाहती है ?
िवनाश अभी यह सोच रहा था क डॉ टर टीना ने एक गलती क , िजसक वजह से
िवनाश को यक न हो गया क एडिमरल ताप उसका बॉस नह है और उसका यही यक न
इस बात क जमानत बन गया क एडिमरल उसके हाथ क ल नह होगा, बि क उसक
जंदगी सुरि त रहेगी ।
डॉ टर टीना, िवनाश के पास से उठकर टेलीफोन क तरफ गई । यूँ वह अधखुली आँख
से उसे देखता रहा ।
टीना ने तीन नंबर डायल कए ।
“हैलो िडयर, कै सा रहा ?” उसने पूछा ।
उसके बाद वह दूसरी तरफ से बोलने वाले क आवाज सुनती रही । अब िवनाश को
ात हो गया क टीना िजस कसी से बात कर रही है वह यूमन लेबोरे ी म मौजूद है,
य क तीन नंबर लोकल कॉल के नह बि क इं टरकॉम म योग होते ह ।
“तुम इसक फ मत करो ।” डॉ टर टीना ने माऊथ पीस पर ह ठ रखते ए कहा,
“तुमने जो िहदायत दी थी, उसी के अनुसार काम कर रही ँ ।”
उसक इस बात से िवनाश को यक न हो गया क वह अपने बॉस से या फर उसके
कसी सहयोगी से बात कर रही है ।
“कल ।” टीना क आवाज सुनाई दी ।
िवनाश सोच म पड़ गया क कल या होगा ?
या एडिमरल ताप क मौत के बाद भी कु छ होने वाला है ?
िवनाश ने कु छ और सुनने क कोिशश क ले कन टीना ने बात ख म करके माउथ पीस
से ह ठ हटाए और रसीवर रख दया ।
िवनाश ने तुरंत ही आँख बंद कर ल । डॉ टर टीना बेहद खुश थी । आज रात उसक
राह से िवनाश का काँटा हटने वाला था । उसने एक ऐसा जाल बुना था क िवनाश,
एडिमरल ताप को ख म करने के इरादे से शि के डेक पर जाएगा जहाँ एडिमरल के
गाड उसे क ल कर दगे और फर कल एडिमरल ताप एक खौफनाक जहाजी हादसा
कराएगा िजसके बाद कई और देश भी इस नीलामी म िह सा लेने के िलए कू द पड़ेगे ।
टीना ने िवनाश को देखा और फर िखलिखलाकर हँस पड़ी । वह हँसते-हँसते बेहाल हो
गयी । अब वह एक जानी-पहचानी धुन गुनगुनाने रही थी । ऐसी धुन जो िवनाश िपछले
चंद रोज म कई बार सुन चुका था । यह मौत और तबाही का नगमा थी ।
डॉ टर टीना चंद ल ह बाद उस सोफे क तरफ पलटी िजस पर िवनाश लेटा आ था ।
वह िवनाश के पास खड़ी हो गयी ।
“िवनाश !” उसने सरगोशी म कहा, “उठ जाओ िवनाश ! िवनाश !”
िवनाश ने बड़ी कािहली से एक अंगड़ाई ली और आँख खोल द । उसने डॉ टर टीना के
चेहरे को अपने चेहरे से महज चंद दूर देखा और बड़बड़ाया, “ओह ! म खुद को कतना
ह का महसूस कर रहा ँ ।” यह कहते ए िवनाश ने उसक आँख म झाँका । इस समय
वह बेहद शानदार अिभनय कर रहा था ।
“आँख म यास के जलते िचराग बुझ गए ।”
“हाँ, बलवंत ! तुम बेहद शानदार हो ।” डॉ टर टीना ने सरगोशी क । िवनाश उठ खड़ा
आ, “ या तुम कु छ देर और नह कोगे ?”
“नह ।” िवनाश बड़बड़ाया ।
वह जानता था क डॉ टर टीना उसे कने का दबाव देकर वा तव म अपने अ ल क
सफलता का यक न करना चाहती है । अगर वह क जाता तो डॉ टर टीना समझ जाती
क उसक कोिशश थ गयी ।
“नह टीना ! म नह क सकता । मुझे चंद ज री काम करने ह ले कन जब भी तु ह
मेरी ज रत हो, म तु हारे एक ही इशारे पर यहाँ आ सकता ँ ।” यह कहकर िवनाश ने
टीना का हाथ थाम िलया और फर कमरे से िनकल गया ।
िवनाश, एडिमरल ताप से िमलकर उसे इस खतरे से आगाह करना चाहता था क
उसक जंदगी खतरे म है ।
☐☐☐
जंगी जहाज शि खाड़ी म लंगर डाले खड़ा था । जहाज बेशुमार रोशिनय और
गितशील सचलाइट के कारण जगमग आ रहा था । िवनाश ने अनुमान लगाया क शि
खु क म चार सौ गज दूर लंगर डाले ए ह । उसने दूर ही से जहाज का जायजा िलया
ले कन वह उन दजन भर श धा रय को न देख सका जो गोताखोरी के िलबास म डेक पर
मौजूद थे और िजनको एडिमरल ताप ने िहदायत कर रखी थी क अगर उ ह कोई
अजनबी नजर आये तो उसे तुरंत ही गोली मार द ।
एडिमरल ताप इस व न तो अपनी जंदगी के बारे म परे शान था और न ही कोई
जंगी कायवाही सोच रहा था । बि क वह डॉ टर टीना के बारे म सोच रहा था, िजसने
पाँच साल बाद एक बार फर उसे जवान होने का एहसास दलाया । डॉ टर टीना से
िमलकर उसक जंदगी क बहार लौट आई थ । एडिमरल सोच रहा था, अगर टीना से
दोबारा मुलाकात न ई तो उसक जंदगी कसी खाली बोतल क तरह होकर रह
जायेगी ।
वह महसूस कर चुका था क उसे डॉ टर टीना से अ यिधक मोह बत हो गई है ।
एडिमरल के के िबन से साठ फु ट नीचे अब सतह पर एक छोटी-सी पावर बोट का इं जन बंद
आ । क ती जहाज से पहलू म खड़ी हो गई । िवनाश ने क ती को इस अंदाज म खड़ा
कया क डेक से अगर कोई झाँककर देखे तो भी क ती नजर न आ सके ।
िवनाश ने जहाज के लंगर को पकड़कर कसी बंदर क तरह चढ़ना शु कया और चंद
ल ह म साठ फु ट बुलंद डेक पर प च ँ गया । उसने डेक क रे लंग को पकड़कर खुद को
इतना ऊपर उठाया क उसका िसर डेक के बराबर आ गया ।
उसने देखा क नीचे जैकेट और ज स पहने एक श धारी श स चंद कदम दूर टहल रहा
है । उसके हाथ म एक शॉटगन दबी ई थी । िवनाश ने डेक पर कु छ और फासले तक
देखा । दो ि भी शॉटगन थाम पहरा दे रहे थे । िवनाश उस समय बेहरकत रहा, जब
तक करीबी पहरे दार टहलता आ कु छ दूर नह िनकल गया और फर िवनाश ने कोई
आवाज पैदा कए िबना खुद को डेक कर फक दया ।
अब वह कसी साये क तरह बेआवाज रग रहा था । उसका ख श धारी र क क
तरह था । र क कु छ दूर िनकल गया तो िवनाश ने दशा त दील क और साये क तरह
रगता आ जहाज के दरवाजे म घुस गया, जो के िबन से शन के िलए सुरि त था ।
अब वह एक तंग-सी राहदारी म था । उसने अपनी सफे द पोट टी-शट उतारकर उ टी
क और इस तरह पहन ली क उसके बटन सीने पर नह बि क पु त क तरफ रहे । उसने
फु त से गदन से नीचे कमर तक तमाम बटन बंद कर िलए । अब िलबास से वह कोई
म लाह ही लगता था ।
िवनाश आम से अंदाज म राहदारी से ऊपर जाने वाली सी ढ़य पर चढ़ने लगा तो
सी ढ़याँ पार ई । तभी एक और राहदारी नजर आई िजससे क दोन तरफ के िबन बने
ए थे । उसने एक कोने म िछपकर पूरी राहदारी का जायजा िलया तो एक श धारी
श स चौथे के िबन के सामने खड़ा नजर आया ।
यही एडिमरल का के िबन हो सकता है । िवनाश ने सोचा फर उसने एक ही ल हे म
फै सला कया क उसे या करना चािहए ।
िवनाश ने लकड़ी क दीवार पर टंगे ए आग बुझाने वाले यं को उतारकर अपने कं ध
पर इस तरह रख िलया क उसका चेहरा कसी को नजर न आ सके । उसके बाद बेधड़क
राहदारी म िनकल आया । र क के दौरान फासला िनरं तर कम होने लगा । यहाँ तक क
वह र क के करीब प च ँ गया है ।
“ठहरो । कहाँ जा रहे हो ?” र क म उसे ललकारा ।
“नीचे जाकर इस यं को दोबारा चाज करने का म िमला है ।” िवनाश ने
िमनिमनाती आवाज म जवाब दया ।
“ठीक है, जाओ ।” र क ने संतु होकर उसे जाने क अनुमित दे दी । िवनाश खामोशी
से आगे बढ़ गया ले कन र क के करीब से गुजरते ए उसके कं धे क ह क -सी जुि बश से
वजनी यं का एक िह सा र क के िसर से टकराया । र क आवाज िनकाले िबना ही ढेर
हो गया ।
र क क तरफ से संतु होकर वह एडिमरल के के िबन म जा घुसा ।
एडिमरल ताप िब तर पर लेटा था । उसके हाथ फोन क तरफ बढ़ रहे थे । शायद
डॉ टर टीना को फोन करके एक मुलाकात क ाथना करना चाहता था । के िबन का
दरवाजा खुलते ही एडिमरल उछल पड़ा । उसने देखा क एक श स अंदर घुसकर दरवाजा
बंद कर चुका है ।
“एडिमरल ताप !” िवनाश ने सरगोशी क ।
“तुम द तक कये िबना अंदर कै से आ गए ?” एडिमरल गुराया, “तुम कौन हो ?”
“मेरी िशना त इस व ज री नह एडिमरल !” िवनाश ने कहा, “म िसफ आपको
खबरदार करने आया ँ क आपक जंदगी खतरे म है ।”
एडिमरल ने सोचा क डॉ टर टीना के बाद कौन श स, बलवंत क तरफ से पेश आने
वाले खतरे से आगाह करने आया है. ले कन जब उसने के िबन म मौजूद नौजवान क आँख
म देखा तो उसे अपने िज म म सनसनी-सी दौड़ती महसूस होने लगी । न जाने य उसे
एहसास होने लगा क उसके सामने जो नौजवान खड़ा है, वा तव म वही बलवंत है । इसके
साथ ही उसे अंदाजा हो गया क यह नौजवान कस कदर खतरनाक है । उसने फै सला
कया क वह इससे मुकाबला करने के िलए अपने इस नाम को कसी हद तक तो गु
रखेगा ।
“मेरे करीब आओ नौजवान ! तुम कहना या चाहते हो ?” एडिमरल ने वर म नरमी
पैदा करते ए पूछा ।
“आप डॉ टर टीना से वा कफ ह एडिमरल ?”
“हाँ ।” एडिमरल ने जवाब दया, “म उ ह जानता ँ ।”
“वह आपको क ल करना चाहती है । इस व वह दल म यह सोच रही होगी क म
आपको क ल करने के िलए शि के डेक पर प च ँ चुका गँ ा ।”
एडिमरल ताप क आँख म आ य के भाव भरकर तुरंत ही गायब हो गए, फर उसने
उलझन म पूछा, “डॉ टर टीना से मेरी दो मुलाकात ई ह । आिखर वह मुझे य क ल
करवाना चाहती है ?”
“उसक आपसे कोई जाित दु मनी नह है, बि क वह देश क दु मन है । मुझे इसका
ठीक से िववरण तो मालूम नह ले कन प रि थित से अंदाजा होता है क आप डॉ टर
टीना के मंसूबे म काँटा ह । अतः उसने आपको रा ते से हटाने का फै सला कर िलया ।”
“मगर तुम कौन हो ?” एडिमरल ने पूछा ।
“मु क का र क !” िवनाश ने जवाब दया और दरवाजे से आगे बढ़कर के िबन के म य
म आ गया ।
“गोया मेरी जंदगी खतरे म है ।” ऐडिमरल ने उसी अंदाज म कहा, “बहरहाल इस
प रि थित म तुम या सुझाव पेश कर सकते हो ?”
“र क क सं या दुगनी कर द ।” िवनाश ने सुझाव दया, “और उ ह म दे द क
भिव य म चंद रोज के अंदर कोई भी अजनबी श स जहाज के डेक पर नजर आये तो उसे
मार द ।”
“गोया चंद रोज म ही हालात बेहतर हो जाने क आशा है ।”
“जी हाँ ! चंद रोज म ष ं कारी बेनकाब हो जायेगे ।” िवनाश ने बड़े आ मिव ास से
जवाब दया ।
“तुम ब त कु छ जानते हो । तु हारी बात से तो मुझे यही लगता है । या तुम और
अिधक प ीकरण नह दोगे ?”
“म मा माँगता ँ एडिमरल ! इस मामले म सरकारी तौर पर राजदारी बरती जा रही
है ।”
“राजदारी !” एडिमरल ने मु कु राकर कहा और दरवाजे क तरफ देखने लगा ।
उसी ल हे दरवाजा अचानक ही खुल गया और िवनाश ने अपनी खोपड़ी पर राइफल
क नाल का दबाव महसूस कया ।
“इसने आपको परे शान तो नह कया सर ?” िवनाश ने पीछे से एक आवाज सुनी ।
“नह कै टन ! मगर म हैरान ँ क र क क उपि थित म यह यहाँ अंदर कै से आ
गया ?” एडिमरल ने कठोर वर म पूछा ।
“एक र क तो बाहर बेहोश पड़ा है सर !” कै टन ने जवाब दया, “हमने इसे राहदारी
म ही देख िलया था, ले कन हमने सोचा क देखना चािहए क या करता है ।”
एडिमरल अभी कु छ कहना ही चाहता था क के िबन म फोन क घंटी बजने लगी ।
एडिमरल ने कै टन और उसके तीन सािथय को के िबन म ही कने का संकेत करके
रसीवर उठा िलया ।
“हैलो ! हाँ । ओह, टीना !” यह कहते ए उसने मु कु राते ए िवनाश क ओर देखा ।
िवनाश को पहली बार एहसास आ क वह कसी जाल म फँ स गया है ।
“जरा हो ड करो ।” एडिमरल ने कहा और फर अपने अमले क तरफ आक षत हो
गया, “िम टर बलवंत क इ त और स मान के साथ इनक आिखरी मंिजल तक प च ँ ा
दो ।”
“यस सर !” कै टन ने एिड़याँ बजाते ए कहा, “चलो ।” उसने िवनाश क गदन पर
राइफल क नाल का दबाव बढ़ाया ।
िवनाश इस समय अपने आपको अ यिधक मूख समझ रहा था । उसने खतरे को सूँघने
क तुरंत तौर पर कोिशश ही नह क थी, य क वह सोच भी नह सकता था क
एडिमरल, टीना का साथी हो सकता है । अब वह इस मूखता का खािमयाजा भुगत रहा
था । टीना ने उसे कसी ब े क तरह जाल म फँ सने पर मजबूर कर दया था । टीना ने जो
जाल बुना था, उसम वह कसी अहमक और अंधे श स क तरह खुद ही अपने आप फँ सा
था ।
एडिमरल ने रसीवर को फर कान से लगा िलया । दरवाजे पर प च ँ कर िवनाश ने
पलटकर एडिमरल क तरफ देखा । वह अपने बैड पर जा लेटा था और उसक आँख बेचैन-
सी लग रही थ ।
िवनाश ने गहरी साँस ली । वह समझ गया क एडिमरल, टीना के स मोहन का िशकार
हो चुका है और अब उसे बचाना संभव नह रहा । उसने कमरे से िनकलते ए एडिमरल
क आवाज सुनी । वह वही काितल धुन गुनगुना रहा था ।
िवनाश का जी चाहा क वह वयं को अ यिधक भयानक सजा दे । एडिमरल उसके
फज नाम और ि व से अ छी तरह वा कफ था और यह डॉ टर टीना ही थी िजसने
एडिमरल को िवनाश के संबंध म बताया था । अब डॉ टर टीना ने यह यक न करने के
िलए फोन कया होगा क िवनाश ‘शि ’ के डेक पर प च ँ चुका है या नह ।
अब तीन म लाह और कै टन उसे जहाज पर आने क मूखता क सजा देने के िलए जा
रहे थे । के िबन के बाहर र क उसी कार बेहोश पड़ा था । कै टन और मिहला ने उसे
नजरअंदाज कर दया । वह िवनाश को सी ढ़य क तरफ से ले जा रहे थे ।
कै टन अब भी िवनाश के पीछे चल रहा था और िवनाश अपनी गदन पर राइफल क
सद नाल महसूस कर रहा था । वह सी ढ़य से उतरकर राहदारी म प च ँ े और वहाँ से डेक
पर आ गए ।
“तुम यहाँ कस तरह प च ँ े थे बलवंत ?” कै टन ने चलते-चलते सवाल कया ।
“तैरकर ।” िवनाश ने जानबूझकर उस क ती का िज नह कया िजस पर वह जहाज
तक प च ँ ा था ।
“गोया तुम एक अ छे तैराक भी हो । सािहल का यहाँ से फासला चार सौ गज है ।”
“म एक हजार गज क तैराक का मुकाबला जीत चुका ँ ।”
“ले कन तु हारे कपड़े तो िब कु ल खु क ह ।”
“म िपछले तीन घंटे से डेक पर ँ । म एडिमरल के कमरे म दािखल होने के िलए अवसर
क तलाश म था । इस दौरान म मेरे कपड़े सूख गए ।”
वह एक क ती के करीब प च ँ गए । समु क नमक न हवा और लहर क उड़ती ई
बूँद साँस तक को नमक न और गीला बना रही थ । सबसे पहले िवनाश को क ती म
िबठाया गया और फर वह चार भी क ती म सवार हो गए । अगले ही ल हे क ती
समु के खुले सीने पर दौड़ने लगी ।
कै टन, िवनाश के पीछे बैठा था जब क एक म लाह कसी इं िजन क तरफ आक षत हो
गया । क ती समु के मौज से लड़ती-िभड़ती आगे बढ़ने लगी और शि धीरे -धीरे दूर
होने लगा । िवनाश ने खु क क तरफ देखा । वहाँ कु छ ऐसी रोशिनयाँ नजर आ जैसे
सािहल पर हजार छोटे-छोटे रोशनी के िचराग टम टम आ रहे ह ।
जहाज से लगभग डेढ़ सौ गज दूर जाकर कै टन ने इं जन बंद करने का म दया । इं जन
बंद आ तो क ती समु के रहमो-करम पर डोलने लगी ।
कै टन ने िवनाश क तरफ देखते ए सपाट वर म कहा, “अब तु हारी जंदगी का
इं जन भी बंद होने वाला है िम टर बलवंत !”
“ जंदगी ख म होने के िलए ही दी जाती है कै टन !” िवनाश ने कहा, “ओह ! वह लांच
कहाँ से आ रही है ?” िवनाश ने एक दशा म संकेत कया ।
कै टन च ककर पलटा, ता क आने वाली लांचर को देख सक, मगर उसी समय िवनाश
के फौलादी बाजू बगल से होते ए उसक गदन तक जा प च ँ े । शाईतैन इस दाँव को हैड
चे ट लॉक कहता था ।
कै टन क राइफल ह क -सी आवाज के साथ क ती के फश पर िगरकर पानी म जा
िगरी । िवनाश, कै टन को साथ िलए खुद भी समु म िगर गया । तीन श धारी म लाह
पल के इस खेल म िह सा न ल और हैरान त ध पानी क सतह म घूमते रहे ।
कै टन गोताखोरी म मािहर था ले कन गोताखोरी आजाद रहकर होती है जब क उसके
िज म म एक अफ रयत िचपका आ था और िवनाश ने उसे िजस अंदाज म जकड़ रखा
था, अगर कै टन जरा भी ज ोजहद करता तो उसक रीढ़ क ह ी चटक सकती थी ।
कै टन ने इस दाँव म आते ए बड़े-बड़े पहलवान को िम ी चाटते देखा था । िवनाश,
कै टन को साथ िलए पानी म तैरता रहा । वह क ती से दूर होता जा रहा था । कै टन और
िवनाश दोन ही जानते थे क म लाह फायर नह करे गा य क इस सूरत म कै टन क
जंदगी भी खतरे म पड़ सकती थी
कै टन ने कोिशश करके अपना एक हाथ पूरी शि से िवनाश के पेट के िनचले िह से पर
मारने क कोिशश क ले कन पानी के िवपरीत दबाव के कारण यह दाँव कामयाब न हो
सका ।
“मेरे बेटे ! इतनी बेचैनी ठीक नह है ।” िवनाश ने साँस लेने के िलए सतह पर उतरते
ए कहा और फर कै टन के बाल पकड़कर उसक गदन छोड़ दी । अब वह कै टन को
बेजान व तु क तरह पानी के अंदर ले जा रहा था । कै टन एक बार फर तड़पा और
िवनाश क गदन पकड़ने म कामयाब हो गया ।
िवनाश ने एक झटका दया ले कन कै टन कसी ज क क तरह उससे िलपटा रहा ।
दोन जल सतह के दस फु ट नीचे थे । िवनाश ने फौरन कै टन के बाल छोड़कर कमर थाम
ली और दोन हाथ म उं गिलय से उसक पीठ पर दबाव डालने लगा । कै टन का दम
घुटने लगा । उसका मुँह खुला और पानी मुँह के रा ते उसके पेट म उतर गया ।
वह िबलिबला रहा था । िवनाश ने उं गिलय का दबाव कम न कया और फर उसक
उं गिलयाँ कै टन के गो त और पसिलय का दरिमयानी फासला तय करके पसिलय से भी
आगे िनकल गयी । अगर दन का समय होता तो कै टन अपना खून खुद ही देख सकता
था । िवनाश ने एक झटके से उं गिलयाँ बाहर ख ची । उसक गदन पर कै टन क पकड़
समा हो गयी थी और वह कसी बेजान लकड़ी क तरह पानी म डोल रहा था ।
िवनाश ने उसे छोड़ दया । कै टन क लाश धीरे -धीरे इधर-उधर पानी म िहचकोले
खाने लगी । िवनाश ने दशा का अनुमान लगाने के िलए साथ ही एक और गहरी साँस लेने
के िलए ऊपर उठना शु कया । सतह पर आते ही उसने देखा, क ती कम-से-कम पचास
गज दूर थी ।
िवनाश ने गोता लगाया और एक बार फर उसका ख शि जहाज क ओर हो गया ।
क ती म मौजूद खूंखार म लाह को अपने कै टन क मौत का अभी तक इ म नह आ
था । वह अंधेरे म आँख फाड़-फाड़कर कै टन और िवनाश को तलाश कर रहे थे ले कन उ ह
उन दोन म से कोई भी दखाई नह दया । फर भी उ ह यक न था क कै टन चार-पाँच
िमनट बाद ही अपने ित ं ी से िनपटकर वापस आ जाएगा ।
िवनाश पानी के अंदर तैरता आ तेजी से जहाज के उस िह से क तरफ बढ़ता जा रहा
था जहाँ उसने अपनी मोटरबोट छोड़ी थी । कु छ ही देर बाद वह शि के पहलू म बँधी
अपनी क ती को खोल रहा था ।
उसने इं िजन टाट कए िबना ही च पु क सहायता से सािहल क तरफ बढ़ना शु
कया कर दया । उसक र तार बेहद तेज थी ले कन अगले ही ल हे उसे एक तेज आवाज
सुनाई दी । क ती उछली ले कन फर पानी के सीने पर बहने लगी । िवनाश ने पलटकर
देखा ।
शि के तमाम इं िजन टाट हो चुके थे । िवनाश ने भी क ती का इं िजन टाट करने म
देर न लगाई । उसक क ती अ यिधक तेज र तार से सािहल क तरफ दौड़ रही थी ।
िवनाश ने देखा क दूसरी ओर एक और क ती ‘शि ’ क तरफ बढ़ रही थी । म लाह
शायद अपने कै टन क जंदगी से मायूस होकर वापस लौट रहे थे । िवनाश ने सोचा क
डॉ टर टीना ने एक सुनहरा जाल तैयार कया था ले कन वह उसम फँ सकर भी िनकल
आया था ।
शि के इं जन क गरज कु छ और तेज हो गयी । िवनाश क समझ म कु छ न आया क
शि के खामोश इं जन अचानक ही य जंदा हो गए ह ! या जहाज कह जा रहा है ?
उसने के िबन से िनकलते समय एडिमरल को धुन गुनगुनाते सुना था, या वह कसी नए
हंगामे का ऐलान थी ?
☐☐☐
गोवा ीप पर सूय दय हो चुका था । सुबह क खुशगवार ठं डी हवा म लोग इधर-उधर
जा रहे थे और खाड़ी म एक जंगी जहाज िव हो रहा था । यह शि जहाज था ।
शि के कं ोल म के बाहर इं िजन चलाने वाला अपने ऑ फसर से कह रहा था,
“शायद वह पागल या कम-से-कम सनक ज र हो गया ।”
“ या मतलब ?” ऑ फसर ने आ य से पूछा ।
“उसने मुझे कं ोल म से ध े देकर िनकाल दया, मगर उसके हर अंदाज से जािहर हो
रहा था क वह बेहद खुश है । जब वह मुझे िनकालकर इं जन क तरह बढ़ा तो एक अजीब-
सी धुन गुनगुना रहा था ।”
“धुन गुनगुनाने म तो कोई आपि नह ।” ऑ फसर ने मु कु राकर जवाब दया, “तुम
नीचे जाओ और पानी क गहराई पर नजर रखो ।”
उधर कं ोल म म एडिमरल ताप अब भी गुनगुना रहा था । वह अपने के िबन म
वापस आ गया, फर के िबन से इं िजन म म गया । जहाँ अब उसक जगह उस ऑ फसर ने
ले ली थी जो चंद ल हे पहले ही इं िजन चलाने वाले क आपि सुन रहा था ।
“र तार बढ़ा दो ऑ फसर !” एडिमरल ने कं ोल म म जाते ए कहा ।
उसने कं ोल म क छत पर नजर दौड़ाई और फर गुनगुनाते ए िखड़क से झाँककर
देखा । िचमिनय म धुआँ बंद हो रहा था । उसके दाय ओर तटवत इमारत नजर आ रही
थ । कु छ ही दूर गोवा ीप था ।
एडिमरल ने माइ ोफोन संभालकर म कर दया, “र तार बढ़ाओ । जहाज पूरी
र तार से चलेगा ।”
जहाज के पावर लांट से शन म टाफ के लोग ने एक-दूसरे क तरफ देखा ।
“एडिमरल तो शायद समझता है क जहाज अमले से चल पड़ा है । िजतना कोयला
डालोगे उतनी ही र तार तेज हो जाएगी ।” एक टे िशयन ने िचढ़कर कहा, “आिखर हम
यह कहाँ ले जा रहा है ?”
“पता नह ।” एक सीिनयर लेि टनट ने कहा, “ले कन इस र तार का मतलब है, हम
जहाँ कह भी प च ँ ना है, ब त ज द प च
ँ जाएँगे ।”
कं ोल म म एडिमरल ताप ने जहाज को मोड़ने के िलए हील को बाय तरफ
घुमाया । जंगी जहाज कसी िखलौने क तरह घूमा और उ र क तरफ जाने वाली चौड़ी
नहर म िव हो गया । एडिमरल ने हील को िवशेष सुरि त पोजीशन पर सेट कर
दया । अब जहाज नहर म सीधा चल रहा था ।
एडिमरल ताप ने एक बार फर बाहर का नजारा िलया और ब त दूर एक रा वज
लहराते देखकर उसने एक बार फर उसी ण िवशेष धुन गुनगुनाना शु कर दया ।
वह एक आजादी क िनशानदेही करने वाली िवशाल ितमा थी । वज उसी पर लहरा
रहा था । यह ितमा िनरं तर जहाज के करीब आती जा रही थी । हजार गज का फासला
चंद ही िमनट म सैकड़ गज का रह गया ।
एडिमरल ने धुन गुनगुनाने के साथ-साथ अब नृ य भी शु कर दया ।
“र तार बढ़ाओ ।” वह माइक के करीब आकर िच लाया और फर गाने लगा ।
शि क एक लाइफ बोट इतनी तेज र तार बदा त न कर सक और जहाज से अलग
होकर नहर म िगर गई ।
आजादी क ितमा क तरफ जाने वाले टू र ट ने एक जहाज को कसी िबफरे ए
साँड क तरह अपनी तरफ आते देखा तो उ ह ने तुरंत ही अपनी लांच का ख दूसरी दशा
म कर दया । उसी ण जहाज लांच के समीप से गुजरा । बुलंद लहर उठ और उ ह ने
लाश को घेर िलया, मगर लांच का संचालक इन लहर के कहर से बचाने म कामयाब हो
गया ।
शि के ऊपर नेवी के हेलीकॉ टर उड़ान भर रहे थे । उ ह कु म िमला था क शि क
हर गितिविध पर नजर रखी जाये ।
एक हवाबाज ने शि के कं ोल म से संपक थािपत करने क कोिशश क , ले कन उसे
कोई जवाब नह िमला । हवाबाज ने तुरंत ही नेवल टेशन को संदश े भेजा क शि से
कसी का जवाब नह िमल रहा है ।
गोवा क आबादी और शि के म य महज सौ गज का फासला रह गया था । शि
अभी पचास-साठ गज और आगे आया होगा क पानी उथला-सा हो गया । शि के नीचे
लगे ए तेज धार वाले पंखे िम ी को काटने लगे ले कन जहाज अपनी र तार क वजह से
फौरन ही उथले पानी म नह क सका और पचास गज आगे जाकर पंखे भी जवाब दे गए ।
अब जहाज चलने क जगह फसल चल रहा था । उसक र तार अब भी ब त तेज थी
और य - य उसके पंखे िम ी म धँसते गए, उसक र तार भी कम होती गयी । यहाँ तक
क शि के कं क टल एक तंभ से जा टकराया । तंभ हवा म उड़ा और ीप के सािहल पर
जा िगरा, जो अब महज पह गज दूर था ।
जहाज फसलता रहा, चलता रहा । यहाँ तक क ीप के सािहल ने उसे और आगे बढ़ने
से रोक दया । सािहल और जहाज के संपक से िम ी का तूफान उठा और तटवत े पर
छा गया । तटवत े म मौजूद लोग म अफरा-तफरी मच गई और सब अंधाधुन इधर-
उधर भागने लगे ।
जहाज क र तार म कमी का अहसास होते ही एडिमरल कसी स मोिहत ि क
तरह कं ोल म से िनकलकर इं जन म तक भागता चला गया । डेक पर ब त से म लाह
बौखलाहट के आलम म दौड़ रहे थे । उनक समझ म नह आ सका क कं ोल म म
मौजूद श स पर पागलपन य सवार है ?
कई म लाह ने पानी म छलांग लगा दी । नहर म मौजूद तमाम छोटे-बड़े जहाज के
सायरन बजाए और मदद के िलए शि क तरफ लपके । एडिमरल गुनगुनाते ए इं जन म
िव आ ।
“जहाज को ज दी खाली कर दो ।” उसने दहाड़कर कु म दया ।
इं िजन म म िसफ एक ऑ फसर मौजूद था ।
“इं जन म के करीब खड़े ए म लाह को म सुना दो, दरवाजे से िनकलकर डेक क
तरफ दौड़ पड़े ।”
“सर !” ऑ फसर ने एिड़याँ बजाते ए कहा, “ या म आपके साथ यहाँ ठहर सकता
ँ ?”
“भाग जाओ ।” एडिमरल ने गुराकर हाथ लहराया ।
“यस सर, मगर आप... ?”
“म एक िमसाल कायम करने वाला ँ । म यही ठह ँ गा ।” यह कहते ए एडिमरल ने
ऑ फसर को दरवाजे क तरफ धके ल दया । ऑ फसर इं जन म से बाहर जा िगरा और
एडिमरल ने दरवाजे को अंदर से लॉक कर दया ।
उसने चार तरफ मु कु राते ए देखा । वह अब फर गुनगुना रहा था । साथ-ही-साथ
उसने इं जन म म लगे ए कई बटन दबा दये । इं जन म के रोशनदान खुले और नीला
पानी इं जन म म िव होने लगा ।
पानी सबसे पहले िवशाल मशीन पर िगरा, मशीन के अंदर घुसा, इं जन के अंदर
घुसता चला गया और मशीन आिखरी साँस लेकर खामोश हो गई । इं जन भी घराया और
फर बंद हो गया ।
“एडिमरल !” ऑ फसर ने दरवाजा पीट डाला, “दरवाजा खोिलए सर !”
“भाग जाओ । डा...डा...डा...डा... ।”
पानी चार तरफ से इं जन म म िव हो रहा था । ऑ फसर ने दरवाजा तोड़ने क
कोिशश क , मगर नाकाम रहा ।
एडिमरल ताप पानी से खेलता रहा, कु ि लयाँ करता रहा । वह िनरं तर गुनगुना रहा
था । पानी ने उसे फश से उठाया । वह पानी के साथ-साथ इं जन म क छत तक चला
गया, ले कन उसके ह ठ पर मु कु राहट थी । वह उस व भी गा रहा था, जब पानी और
छत के दर यान जरा-सा भी फासला बाक नह रहा ।
☐☐☐
टेलीफोन क घंटी के शोर से बचने के िलए िवनाश ने त कया कान पर रख िलया
ले कन आवाज थी जो िनरं तर कान म घुसी जा रही थी ।
“शाई गु ! फोन तो दीिजए ।” िवनाश िचढ़कर चीख पड़ा । ले कन शाईतैन यूमन
लेबोरे ी के उस कमरे क बजाय नीचे लॉन म फू ल चुन रहा था । मजबूरन िवनाश ने
उठकर रसीवर उठाया, “कौन है ?” उसने झ लाकर पूछा ।
“बहराम !” दूसरी तरफ से पुरसुकून आवाज सुनाई दी ।
“ओह ! मेरा याल है क आप इस समय के ल क शराब के नशे म धुत ह गे ।” िवनाश
बड़बड़ाया, “इस ओपन लाइन पर बातचीत का मकसद ?”
“मकसद िसफ यह है क अगर हम अब भी िमशन क सफलता ा नह कर सके तो
हमारे खा मे म अिधक देर नह लगेगी । तुम एडिमरल ताप से वा कफ हो ?” बहराम ने
पूछा ।
“जी हाँ, मने यह नाम सुना है । य , या आ ?” िवनाश तुरंत चौकस होकर िब तर
पर बैठ गया ।
“आज सुबह उसने जंगी जहाज शि को गोवा के सािहल पर चढ़ाने क कोिशश क थी,
फर वह इं जन म के रोगनदान खोलकर खुद भी डू ब मरा । मरते समय उसके लब पर
वही धुन थी, काितल धुन ।”
“बेचारा ।” िवनाश बड़बड़ाया, “कल रात मने उससे मुलाकात क और उसे बताया क
वह खतरे म है, ले कन शायद उसे सचेत करने म मुझे काफ देर हो गई थी । वह लोग उसे
पहले ही फँ सा चुके थे ।”
“ओह !” बहराम के वर म हैरत थी, “तो तुम उससे िमल चुके हो । बहरहाल म
कोिशश कर रहा ँ क शाम तक नीलामी के बारे म तु ह कोई ठोस सूचना दे सकूँ ।”
“गुड । म आपसे वयं ही संपक थािपत करने क कोिशश क ँ गा, मगर इससे पहले
मुझे कु छ कू ड़ा-करकट साफ करना है ।”
“ज बात म मत बह जाना !” बहराम ने िवनाश का मकसद भाँपते ए कहा, “हर कदम
सावधानी से उठाने क ज रत है ।”
“म हमेशा सावधान रहता ँ चीफ !” िवनाश ने जवाब दया और ब त आिह तगी से
रसीवर रख दया ।
वह सोच रहा था क डॉ टर टीना ने उसके िलए ब त उ दा जाल तैयार कया था ।
उसने उसे एडिमरल को क ल करने के िलए भेजा और साथ ही ऐसा बंध कया क खुद
िवनाश के बच िनकलने क भी कोई आशा नह क जा सकती थी ।
शायद एडिमरल ने वह काम कर दखाया िजसक फरमाइश टीना ने क थी, मगर
िवनाश उस जाल से बच िनकलने म कामयाब हो गया । िपछली रात जब वह वापस आया
तो डा टर टीना अपने द तर म नह थी और न ही द तर से जुड़े अपने शानदार अपाटमट
म कह दखाई दी । शायद वह िवनाश के क ल का ज मनाने चली गई थी । उसे तो शत-
ितशत िवनाश क मौत का यक न होगा, ले कन अब िवनाश िसफ यह चाहता था क वह
इस यक न को हक कत म प रव तत करके खेल ख म कर डाले ।
िवनाश अब भी रात वाले कपड़ म था जो नमक न पानी म भीग जाने के कारण
नमक न हो रहे थे ।
उसने कपड़े त दील कये और हॉल म आ गया ।
इतनी सुबह वहाँ कोई नजर नह आया । िवनाश ने संतु अंदाज म गदन िहलाई और
टीना के अपाटमट क तरफ बढ़ गया । डॉ टर टीना क से े टरी अभी नह आई थी ।
िवनाश, सेके ी के काउं टर से गुजरता आ डॉ टर टीना के द तर म िव आ । कमरा
सुबह क कुं वारी रोशनी से जगमगा रहा था, ले कन टीना वहाँ भी मौजूद नह थी ।
उसने एक दरवाजा देखा तो उसे खोलकर एक और कमरे म प च ँ गया । यह ाइं ग म
था । ले कन डॉ टर टीना का यहाँ भी कोई नामोिनशान तक नह था । िवनाश ने अभी
वापसी का इरादा कया ही था क उसे ह क -सी आहट सुनाई दी । उसने अपनी कण
शि को आवाज पर लगा दया । आवाज दाय तरफ से आ रही थी । वह उस तरफ बढ़
गया । यहाँ भी दीवार म एक खूबसूरत दरवाजा मौजूद था । वह दरवाजे से गुजरकर एक
ऐसे कमरे म प च ँ गया जहाँ उसने डबल बेड देखा ।
कमरे क हर चीज याह रं ग क थी । मोटे नम याह कालीन, याह बेड और पद, सभी
कु छ कमरे के वातावरण को रह यमय बना रहे थे । िखड़क के रा ते बाहर से रोशनी क
एक भी करण कमरे म िव नह हो सकती थी । अलब ा कमरे म रोशनी िसफ एक
चीनी लप क वजह से हो रही थी, जो े संग टेबल पर रखा आ था । वह आवाज िवनाश
ने ाइं ग म म सुनी, जो बाथ म से आ रही थी ।
यह सावर से पानी िगरने क आवाज थी और अब उसी आवाज म एक बारीक पनारी
वर म गीत गाने क आवाज भी सि मिलत हो गई थी । आवाज सुरीली और भावशाली
थी । िवनाश को यूँ लगा जैसे उसके कान म जल-तरं ग से बज उठे हो । वह डॉ टर टीना के
िब तर पर बैठ गया और उसका इं तजार करने लगा । िशकारी अपने िशकार को मार
डालने के बाद कतना खुश होता है इसका अंदाजा टीना के गीत गाने के वर से लगाया जा
सकता था ।
डॉ टर टीना भी कसी िशकारी से कम नह थी । इतने सारे उ अिधकारी उसक
काितल धुन गुनगुनाते ए मारे गए थे । कु छ और लोग भी मरे थे जो इसी औरत क वजह
से मारे गए थे । ले कन अब वह खुद भी अपनी जान देने वाली थी और िवनाश यहाँ
िशकारी बनकर आया था ।
एकाएक शावर से पानी िगरने क आवाज आनी बंद हो गई और टीना के नगमे म तेजी
आ गई । िवनाश इस प रि थित का आनंद उठाने के िलए वयं भी गाने लगा । बोल वही
थे जो डॉ टर टीना गा रही थी, फर उसने गाने क बजाय वह धुन सीटी पर छोड़ दी ।
वही काितल धुन । तुर त ही बाथ म से आने वाला नारी वर दम तोड़ गया । डॉ टर
टीना ने सीटी क आवाज सुन ली थी ।
धीरे -धीरे बाथ म का दरवाजा खुला और डॉ टर टीना बाथ म क रोशनी म नहायी
ई दखाई देने लगी । उसक वचा ही उसका िलबास थी ।
उसने िब तर पर बैठी शि सयत को पहचानने म गलती क थी तभी तो उसके ह ठ पर
मु कु राहट जाग उठी थी । ले कन अचानक ही उसके चेहरे के भाव आ य और भय म
बदल गए थे । चीनी लप क धुंधली रोशनी म उसने िवनाश को पहचान िलया था । उसका
मुँह खुला-का-खुला रह गया ।
“तुम कसी और के इं तजार म थी ?” िवनाश ने मायूसी से पूछा ।
टीना के चेहरे पर भाव बदलते चले गए । उसने वयं को िछपाने के िलए दोन हाथ
कं ध पर रख िलए ।
“बेकार है डॉ टर टीना !” िवनाश ने मु कु राकर कहा, “मुझसे तुम कहाँ छु प सकती
हो !”
टीना एक ल हे म िहच कचाई जैसे कोई फै सला कर रही हो और फर उसने दोन हाथ
िगरा दए । िवनाश का दल पसिलय के पंजरे म तेजी से धड़कने लगा था ।
टीना, िवनाश क तरफ बढ़ी, फर चंद इं च के फासले पर क गयी ।
“िवनाश ! मेरे पास से जाने के बाद तुमने या कया ?” वह पूछ रही थी ।
“अगर तुम यह मालूम करना चाहती हो क मने एडिमरल को हलाक कर दया या
नह , तो मेरा जवाब इनकार म है । और अगर यह पूछने के िलए अदाय दखा रही हो क
या म तु हारे जाल म फँ सकर एडिमरल के र क क गोिलय से छलनी हो गया, तब म
समूचा तु हारे जूर म हािजर ँ । खुद ही देख लो ।” यह कहते ए िवनाश का हाथ टीना
क गदन तक उठ गया ।
टीना ने एक झुरझुरी-सी ली ।
उसी ल हे िवनाश ने उसक सुनहरी रे शमी जु फ पकड़कर उसे अ यिधक बेरहमी से
िझझोड़ डाला । वह उठा और उसने टीना के भरे -भरे सुख गाल पर एक जोरदार थ पड़
मारकर उसे िब तर पर िगरा दया । िवनाश क आँख म नफरत-ही-नफरत थी ।
“तुमने मुझे जबरद त धोखा दया था वीट हाट !” वह गुराया, “और अब म धोखा
खाने का मुआवजा लेने आया ँ ।”
टीना पहले तो कसी भयभीत िब ली क तरह दुबक रही ले कन फर अ यिधक सुकून
के साथ लेट गई ।
वह अब मु कु रा रही थी । अंधेरे म उसके सफे द समतल मोितय जैसे दाँत चमक रहे थे ।
उसने दावत देने के से अंदाज म दोन हाथ िवनाश क तरफ बढ़ा दए । िवनाश आगे बढ़ा
ले कन उसने कनिखय से देख िलया था क डॉ टर टीना का एक हाथ धीरे -धीरे बेड क
खुली दराज म रग रहा है ।
हाथ वापस आया तो उसम कची दबी ई थी । डॉ टर टीना का दूसरा हाथ िवनाश क
पीठ पर रखा आ था । वह कची वाले हाथ को भी उसक पीठ तक ले गई । अब उसने
दोन हाथ से कची पकड़ ली और बैड क पु तगाह तक सरक गयी । िवनाश सबकु छ देखने
के बावजूद अनजान बना रहा । उसे चूह-े िब ली के इस खेल से लु त आ रहा था । एकाएक
डॉ टर टीना के हलक से एक कराह िनकल गयी । यह लु त या हष भरी कराहट नह थी,
बि क नफरत क पुकार थी ।
उसने दोन हाथ म कची को जकड़ िलया । दोन हाथ बुलंद ए और पूरी ताकत से
नीचे आए । ले कन िवनाश इन हाथ क सीमा से इतनी तेजी से िनकला क डॉ टर टीना
को अहसास तक न हो सका ।
और उसके हाथ, वह हाथ िजनम कची दबी ई थी, जाँचदार कची, नीचे आ चुके थे ।
टीना को इतनी भी मोहलत न िमल सक क वह अपने ही हाथ को रोक सकती । कची
िवनाश क बाजू के करीब से होती ई टीना के सीने म घुस गई और वहाँ से खून का
फ वारा उबल पड़ा ।
टीना ने हैरत और पीड़ा के साथ िवनाश को देखा, मगर िवनाश तो खून और कची को
देख रहा था । तेज धार वाली नुक ली कची टीना के दल तक उतर चुक थी ।
“ वीटहाट !” उसने टीना को हाथ-पाँव पटकते और तड़पते देखकर पुचकारा, “तु हारी
हसीन आँख और हसीन शरीर, यह सबकु छ मौत के फ र ते को फरे ब नह दे सकता ।”
डॉ टर टीना िब तर पर उछल पड़ी । उसके दोन हाथ र सनी कची पर थे, जो अभी
तक उसके सीने म धँसी ई थी । शायद वह कची बाहर ख चना चाहती थी, मगर जब तक
हाथ कची के द ते पर तक प च ँ ,े उसक आ मा शरीर से कू च कर चुक थी और वह दोन
हाथ कसी नाकाम मुसा फर क तरह िब तर पर िगर गए ।
☐☐☐
अपने ांच ऑ फस म एक िवशेष मेज पर बैठा बहराम बेशुमार कागजात को उलट-
पुलटकर देख रहा था । उसे िवनाश के संदश
े का िश त से इं तजार था ।
उसे आज तीन फोन कॉल आने क आशा थी । एक ि वजरलड से, दूसरी कॉल िवनाश
क तरफ से आनी थी और तीसरी... ।
तीसरी कॉल के बारे म सोचते ए बहराम ने िसर को झटक दया । उसे तीसरी कॉल का
इं तजार नह था य क िवनाश क कॉल आने से पहले अभी वह और कोई रपोट पेश नह
करना चाहता था ।
बहराम अपनी सोचो म गुम न जाने या कु छ सोचता रहा । वह अभी अपने और
बाजीगर के भिव य के बारे म ही गौर कर रहा था क फोन क घंटी बजने लगी ।
“हैलो ।” उसने भारी आवाज म कहा ।
यह कॉल ि वजरलड से आई थी । फोन करने वाला एक ऐसा श स था, िजसे एक ऐसा
काड दया गया था जो उसे मादक का सरकारी कमचारी जािहर करे , ले कन वा तव
म वह बहराम के िलए काम करता था ।
“मने ि वस-आयरलड म काम करने वाले एक दो त से जानका रयाँ हािसल क । उसके
अनुसार एक ि वस बकर अपनी से े टरी के साथ आज मुंबई रवाना हो रहा है । वह दोन
कल ही वापस आ जाएँगे ।” उस ि ने रपोट पेश क , “ या म उनके सामान क
तलाशी लूँ । संभव है इनम हशीश... ।”
“नह ।” बहराम ने मना कया, “इ ह िबना कसी रोक-टोक के क टम से गुजार दो ।”
“ले कन सर... !”
“ले कन-वे कन कु छ नह । उन लोग को अहसास भी न होने पाए क वह हमारी
िनगाह म सं द ध ह ।” यह कहते ए बहराम ने रसीवर रख दया ।
उसे कु छ देर पहले ही यह सूचना िमल गई थी क िविभ देश म कु छ खरीददार जाली
नाम और पासपोट इ तेमाल करके मुंबई प च ँ ने शु हो गए ह और इन सभी को
ि वजरलड का एक बकर इनक िडपॉिजट क जमानत ले चुका था । जो यक नी तौर पर
वही बकर था िजसका िज अभी-अभी उसने फोन पर सुना था । बहराम को यह भी
मालूम था क वे लोग अगले ही दन वापस लौट जायगे । गोया नीलामी कल होगा, मगर
कहाँ ?
“कल !” बहराम गुराया, “व ब त तेजी से गुजर रहा है ।” उसने सोचा, “िवनाश पर
अब एक-एक पल भारी होगा । मु क के िलए अब एक-एक ण क मती है ।”
बहराम िखड़क के समीप जा खड़ा आ । वह च ान से टकराने वाली समु ी मौज के
कहकहे आसानी से सुन सकता था । उसे आज यह अहसास आ क नाकामी और
कामयाबी के दर यान कतना साधारण-सा फासला होता है ।
व उसका गुलाम नह था और व गुजर गया तो बाजीगर सं था क साख का बूत टू ट
जाएगा ।
“ या िवनाश नाकाम भी हो सकता है ?” वह बड़बड़ाया और बेचैनी के साथ कमरे म
टहलने लगा ।
अचानक एक बार फर फोन क घंटी बज उठी ।
“हैलो ।” बहराम म लपककर रसीवर उठाते ए कहा ।
“वह मर चुक है ।” दूसरी तरफ से िवनाश क आवाज सुनाई दी ।
बहराम ने एक गहरी साँस ली और चंितत वर म बोला, “और नीलामी कल हो रही
है ।”
“कहाँ ?” िवनाश के वर म भी बेचैनी थी ।
“अभी तक कु छ पता नह चल सका ।” बहराम ने कहा, “टीना क मौत के बाद शायद
वह अब नीलामी मु तवी कर दे ।”
“असंभव ।” िवनाश ने जवाब दया, “टीना ! वह एक एजट थी । उसक डो रयाँ कोई
और ही िहला रहा था ।”
“वह कौन है ?”
“मालूम नह , ले कन म शी ही उसका पता चला लूँगा ।”
“गोया हम अभी तक मंिजल के समीप नह प च ँ सके ।” बहराम के वर म मायूसी
थी ।
“ चंता न कर चीफ !” िवनाश ने तस ली दी, “कल तक उन सबको बाँध िलया जाएगा ।
नीलामी के बारे म भी फ करने क ज रत नह । अब सबकु छ मुझ पर छोड़ दो ।”
“ठीक है िवनाश ! सारा ामा आज भी तुम पर ही िनभर है । मुझसे संपक बनाये
रखना ।” बहराम ने भरायी ई आवाज म कहा और रसीवर रख दया ।
िवनाश से बातचीत करके उसके दल का बोझ कु छ ह का हो गया था ।
“वह कु छ-न-कु छ ज र कर दखाएगा ।” बहराम बड़बड़ाया और फर उसने
आ मिव ासी अंदाज म मेज पर घूँसा मारा ।
उसी ल हे तीसरे फोन क घंटी बजने लगी । वह इसी फोन से बचना चाह रहा था ।
उसने फोन क तरफ देखा और फर उसे रसीवर उठाना ही पड़ा ।
“यस ।” उसने माउथपीस को मुँह से जरा दूर रखते ए कहा । दूसरी तरफ से कोई पूरे
तीस सेकंड तक बोलता रहा ।
इस दौरान बहराम के चेहरे पर कई रं ग आकर गुजर गए और फर उसने खंखारकर
अपना गला साफ कया, “सर, आप जानते ह क म इतनी कड़वाहट भरी बात का आदी
नह ँ ! आप जानते ह क एक ही मसले क वजह से सब परे शान ह, िलहाजा म आपके
वर का बुरा नह मानूँगा । म आपको आिखरी बार यक न दला रहा ँ क सबकु छ मेरे
हाथ म है । मेरा आदमी ष ं काय के िगद घेरा तंग कर रहा है ।” यह कहकर उसने
रसीवर रख दया ।
यह फोन ेिसडट हाउस से था ।
बहराम ने एक गहरी साँस ख ची और पुनः उठकर िखड़क के करीब प च ँ कर बाहर
उफनती मौज को घूरने लगा ।
☐☐☐
िवनाश ने बहराम को जो यक न दलाया था, उसका िवनाश के पास कोई जवाब नह
था । उसने डॉ टर टीना के क ल होने के बाद उसके द तर म रखी ई तमाम फाइल एक
बार नह , बि क तीन-तीन बार पढ़ी ले कन फाइल से ऐसी कोई बात मालूम न हो सक
जो क नीलामी घर और नीलामी करने वाल तक प च ँ ने के िलए कारगर सािबत होती ।
वह थककर टीना क कु स पर बैठ गया । उसके चार तरफ कागजात िबखरे ए थे ।
उसने ोध म आकर मेज पर रखी ई फाइल को हाथ मारकर फश पर फक दया और
फर काउच क तरफ देखने लगा िजस पर टीना क से े टरी बँधी पड़ी थी ।
िवनाश ने अब मरीज क फाइल के िबनेट देखनी शु कर दी । दूसरे मरीज क तरह
अपनी फाइल भी उसे िमली थी, ले कन फाइल म एयर कमांडर, वाइस माशल,
सी०बी०आई० रीजनल डायरे टर, एडिमरल क फाइल कह नह थी ।
फर िवनाश ने कै िबनेट का खाना देखा, जहाँ स जकल िडपाटमट क फाइल थ । इन
फाइल म उसे कं चन क फाइल िमल गई, िजस पर नाम सलमा ही िलखा था । फाइल म
मरीज क ताजा रपो स लगती रहती थी ।
उसने कं चन क फाइल को चेक कया । उसक जले ए चेहरे क त वीर उसम मौजूद
थी फर अंितम रपोट के अनुसार उसका एक नया फोटो मौजूद था । िवनाश अपने िमशन
के दौरान उस पर फरामोश कर गया था । परं तु यहाँ िजस कं चन का चेहरा देख रहा था,
उसने उसक धड़कने बाँध दी । वह जैसे साकार होकर उसके सामने आ खड़ी ई थी ।
कमाल क फे स िल टंग क सजरी क दुिनया म बेहतरीन कमाल । सजन लैरी ांट
बेिमशाल सजन था । उसने कं चन को उसका वा तिवक प दखा दया था और यह
सजरी का अंितम दौर िपछली रात संप आ था । वह ठीक थी और कमरा नंबर छः म
आराम कर रही थी । पहले उसका कमरा नंबर बाइस था परं तु कल फाइनल ऑपरे शन के
िलए उसे दूसरी जगह प च ँ ाया गया था । उसके बाद वह कमरा नंबर छः म चली गई थी ।
िवनाश ने मन-ही-मन लैरी ांट के हाथ को दाद दी । िवनाश का दल िश त से धड़क
रहा था । कं चन पहले से भी अिधक खूबसूरत लग रही थी । िवनाश उससे एक मुलाकात
कर लेना चाहता था य क अब इस बात का कोई ठकाना नह था क कब उ ह यह
सेिनटो रयम छोड़ना पड़ जाए ।
वह अब कं चन को अपने उ ताद के हवाले करके ही खसत होना चाहता था । शाई उस
लड़क क अ छी कार देखभाल कर सकता था । हालां क शाईतैन से अभी उसक इस
संबंध म कोई बातचीत नह ई थी ।
टीना क मौत का समाचार शी ही उस शि सयत को िमल जाएगा जो इसी
सैिनटो रयम म कह मौजूद था । ब त संभव है तीन ने उसे कं चन के संबंध म सबकु छ
बता दया हो और टीना क मौत का बदला वह कं चन से ले । य क उसे यह भी मालूम
हो जाएगा क बाजीगर मरा नह । वह टीना के कमरे म गया और टीना को मौत वीकार
करनी पड़ी ।
िवनाश ने वह फाइल भी अ य फाइल म रख दी ।
अब िवनाश सोच रहा था क टीना अ यिधक गु फाइल कह और रखती होगी । अब
उसे यक न हो गया क वह सही दशा म सोच रहा है । वह उठा और काउच क तरह बढ़
गया । इस काउच पर टीना क से े टरी लेटी थी, िजसे िवनाश ने बाँधकर डाल दया था ।
इस लड़क ने पहली मुलाकात म िवनाश के साथ रात गुजारने क इ छा कट क थी ।
काउच पर बँधी लड़क ने िवनाश को अपनी तरफ आते देखा तो उसक नीली-नीली
आँख भय क वजह से धुंधला-सी ग । डॉ टर टीना ने अपने के अनु प ही अपने िलए
से े टरी का चयन कया था । िवनाश, लड़क के समीप ककर देर तक उसक नीली आँख
म ताक-झाँक करता रहा । लड़क क हँसी और बड़ी-बड़ी आँख पुकार-पुकार कर कह रही
थी क वह एक भरपूर औरत है ।
लड़क के बाजू उसक पीठ पर बंधे ए थे । िवनाश ने हाथ बाँधने के िलए काउच टेप
इ तेमाल क , िजसके कई पैकेट कमरे म िमल गए थे । आ यह था क िवनाश, टीना के
मरने के बाद उसक दराजे खोलकर तलाशी लेने म त था क अचानक ही से े टरी आन
टपक । अतः िवनाश के पास इसके अलावा कोई चारा नह था क वह इस हसीना को
बेदद से दो-तीन हाथ रसीद करके बाँधकर उसी कमरे म डाल दे ।
िवनाश ने गहरी िनगाह से लड़क का जायजा िलया । वह ह का-सा तंग वेटर पहने
ए थी िजसके बटन पु त पर हाथ बँध जाने के कारण टू ट गए थे ।
िवनाश उसके समीप बैठ गया । उसका एक हाथ सरककर लड़क के हाथ पर जम गया ।
लड़क का िज म एक ल हे के िलए काँपकर सा कत हो गया । िवनाश खु फया फाइल के
बारे म बात करने का फै सला कर चुका था । उसे इस हसीन से े टरी म फलहाल कोई
दलच पी नह थी ।
“ या तुम जानती हो, म कौन ँ ?” िवनाश ने सरगोशी क । लड़क ने इनकार से िसर
िहला दया ।
“म एक काितल ँ ।” उसने खौफनाक वर म कहा ।
लड़क क आँख म खौफ नाचने लगा ले कन उसी के साथ िवनाश का हाथ आगे सरका
तो से े टरी क आँख से ख़ौफ गायब हो गया और उसके ह ठ काँपने लगे ।
“ या तुमने मेरी फाइल नह देखी ?”
लड़क ने इनकार से िसर िहला दया । उसक नजर फाइल के िबनेट क तरफ थी ।
“मेरी फाइल वहाँ नह है । डॉ टर टीना मह वपूण फाइल कहाँ रखती है ?”
लड़क महज िसर िहलाकर रह गई ।
िवनाश ने उसके ज बात से फायदा उठाने का फै सला कया । उसने अपनी आँख म
बेपनाह यार पैदा कया । लड़क क आँख मु कु राने लगी और वह दूसरी उलझन म आ
फँ सी ।
“एक बार फर सोचो गुिड़या, फाइल कहाँ है ?” िवनाश ने सरगोशी क और लड़क के
ह ठ से काउच टेप हटा दी ।
“बताओ डा लग !” िवनाश ने इस बार अ यिधक खौफनाक वर म ाथना क ।
“कु छ मरीज क फाइल अ यिधक गु होती ह । अगर मने बता दया क कहाँ रखी है
तो डॉ टर मुझे नौकरी से िनकाल देगी ।” वह कसमसाकर बोली ।
“तुम टीना क फ मत करो ।” िवनाश ने बड़ी िजगर दली से स ाई उगल दी, “वह
मर चुक है ।”
“क... क... या !” लड़क काँप गई ।
“मने उसे क ल कर दया है ।” िवनाश ने यूँ मु कु राकर कहा जैसे डॉ टर टीना के बजाय
कसी म खी क मौत का िज कर रहा हो । लड़क अजीब अंदाज से उसे देखती रही,
“मुझे फाइल क ज रत है वीटहाट ! उसके बाद म तु हारे बारे म कु छ सोच सकूँ गा ।”
िवनाश ने यहाँ ऐसे समय वेश कया था जब क लड़क उस पर पूरी तरह दीवानी हो
चुक थी । लड़क ने अनजानी भावना क रौ म बहकर उसे वह जगह बता दी जहाँ
खु फया फाइल रखी थी ।
“ठीक है ।” िवनाश तुरंत खड़ा हो गया और उसने लड़क के ह ठ पर टेप दोबारा
िचपका दया । साथ ही उसने लड़क क कनपटी पर हथेली का ह का-सा दबाव डाला ।
वह बेहोश हो गई ।
लड़क ारा िवनाश को बताए अनुसार खु फया फाइल टीना के बेड म म दीवार के
साथ बने एक लॉकर म होती है और लॉकर क चाबी टीना अपने पास ही रखती है ।
िवनाश बेड म म वापस गया ।
टीना क लाश अभी तक उसी हालत म पड़ी थी । य िप खून रसना बंद हो गया था ।
उसक आँख खुली यूँ ई थ जैसे वह कसी क मु तजर हो ले कन आँख म जादू भरी
चमक गायब हो चुक थी । खून उसके िज म पर जमने लगा था और कची भी अब टेढ़ी
होकर िज म को छू रही थी ।
िवनाश ने लॉकर क चािबयाँ तलाश करने म समय न करना उिचत नह समझा,
बि क सीधा लॉकर क तरफ गया िजस पर एक िवशेष लॉक लगा आ था । िवनाश ने
लॉक का िनरी ण कया और उसके बाजू के ायु स त हो गए । उसने साँस रोककर
लॉकर को हाथ म पकड़ िलया । अगर वहाँ कोई देखने वाला होता तो यही समझता क
िवनाश ने लॉक को ह का-सा झटका ही दया । लॉक टू ट गया और लॉकर के दरवाजे खुलते
चले गए ।
लॉकर म तीन रै क थ िजनम सुख फाइल रखी ई थी । िवनाश ने तमाम फाइल
िनकाली और डॉ टर टीना के ऑ फस म प च ँ ा दी । उसके बाद वह काउच के करीब ही
कालीन पर बैठकर फाइल खोल-खोलकर पढ़ने लगा । उसे यक न था क उन फाइल म
कु छ-न-कु छ ज र िमलेगा ले कन या िमल सकता है, इसका जवाब तो वयं िवनाश के
पास भी नह था ।
पहली फाइल म कु छ न िमला । यह कसी ऐसे मरीज क फाइल थी जो अपनी बहन के
साथ बेपनाह ज बाती ता लुक रखने क वजह से मानिसक संतुलन गँवा बैठे था । िवनाश
ने गहरी दलच पी से फाइल पढ़ी । फाइल के ऊपर म पीले रं ग के पृ पर मरीज क
रपोट िलखी थी । िवनाश ने पढ़ने के बाद फाइल फक दी ।
फाइल नंबर दो से नंबर ितरे पन तक कोई काम क बात मालूम न हो सक । यह फाइल
उ अिधका रय के संबंध म थी और सब-के -सब कसी-न- कसी मानिसक या शारी रक
रोग से पीिड़त थे । हर फाइल म पैथोलॉजी टे ट और मानिसक हालात के िववरण क
रपोट भी न थी थी ।
िवनाश ने हर फाइल देख ली िजस पर नंबर पड़ा आ था । अंत म के वल एक ऐसी
फाइल बची िजस पर कोई नंबर नह था । िवनाश का पूरा यान अब इस फाइल पर था ।
इसी फाइल पर उसक आशा बनी ई थी । उसने फाइल खोल ली ।
इस फाइल म न तो कसी मरीज के रोग का िववरण था, न कोई रपोट । फाइल म
डॉ टर टीना के तहरीर म छः पृ लगे ए थे । हर पृ पर सरकारी ऑ फसस क एक वृ
सूची भी थी । पहले पृ पर नजर पड़ते ही वह हँस पड़ा ।
यह वही नाम थे िजनक ि गत फाइल फश पर िबखरी पड़ी थ । िवनाश सावधानी
से फाइल का अ ययन करने लगा ।
हर नाम के आगे नंबर िलखा था । नंबर के बाद उस ि का पद और टेलीफोन नंबर
दज था । टेलीफोन नंबर के बाद वह रकम िलखी थी िजसे टीना ने बतौर फ स वसूल कया
था । कु छ लोग ने पचास िमनट क फ स पाँच सौ तक अदा क थी । फ स के बाद एक और
कॉलम था और यही कॉलम िवनाश क दलच पी का कारण बना ।
इसम चंद लोग के नाम दज थे िजनके आगे कु छ नो टस लगे ए थे । इन नाम म रजव
बक के एक उ अिधकारी का भी नाम था िजसके आगे नो टस म िलखा था क उससे
गो ड का िववरण ा कया गया था । िवनाश तेजी से फाइल का अ ययन कर रहा था ।
फाइल म उन लोग के नाम भी दज थे िजनक ह या क गई थी । उनके आगे उनके काम
का िववरण िलखा गया था, जो उनसे िलया गया था । िवनाश ने कागजात फाइल से अलग
करके अपनी जेब म ठूँ स िलए । बहराम इन कागजात का अिधक बेहतर प से इ तेमाल
कर सकता था ।
फर िवनाश च क-सा गया । उसके पास बह र नाम क सूची थी ले कन उसके सामने
बह र फाइल पड़ी ई थ । उसने अंितम फाइल एक बार फर उठाई, उसे खोला और एक
बार फर उसे पढ़ने लगा, िजससे उसने महज कसी मरीज क फाइल समझकर छोड़ दया
था । इस फाइल म वह सबकु छ था िजसक कसी भी व िवनाश को ज रत पड़ सकती
थी । यह फाइल टीना के साथी या बॉस से संबंिधत थी । िवनाश ने फाइल का नाम पड़ा तो
बुरी तरह च क पड़ा । एक बार फर वह फाइल पढ़ने म त हो गया ।
फाइल म टीना ने सबकु छ िलख दया था । यह भी िलखा था क डॉ टर टीना लोग को
िह ोटाइज ारा काबू म करती थी और उससे पहले वह उ ह अपने के जाल म
फँ साकर या कोई हथकं डा अपनाकर उनक सोचने-समझने क िववेकशीलता को समा
कर देती थी ।
फाइल म यहाँ भी दज था क टीना का िशकार अपना काम संपूण करते समय
गुनगुनाता य है ! फाइल के अंितम पैरा ाफ से जािहर होता था क टीना उस ि से
मोह बत करती थी िजसके बारे म फाइल बनायी गई थी और यह ि एक हौलनाक
नीलामी कर रहा था ।
इस शि सयत का नाम डॉ टर लैरी ांट था । लैरी ांट, जो क एक बड़ा सजन था ।
जो फे सेस िल टंग के ज टलतम के स को बड़े शानदार तरीके से िनपटाया करता था ।
िजसक न िसफ जमनी म धूम थी बि क वह िव िव यात सजन म िगना जाता था ।
लैरी ांट, िजसने कं चन को एक नया जीवनदान दया था ।
लैरी ांट के संबंध म जो जानकारी फाइल म दज थी, वह बड़ी संि थी । टीना क
जंदगी म यह श स उस व आया था जब टीना ए सीडट म अपने चेहरे का प-रं ग गँवा
बैठी थी । छह माह तक वह डॉ टर लैरी ांट के संर ण म जेरे इलाज रही और जो नया
प-रं ग टीना को उसने दया था, बदले म टीना ने उसे अपना दल दया था । टीना उस
समय जमनी म मानिसक रोग पर रसच कर रही थी ।
हंद ु तान म टीना क एक छोटी-सी जायदाद थी । उसका ज म भी हंद ु तान म आ
था परं तु उसने िश ा इं लड म ा क थी । उसके वग य िपता ब त बड़े डॉ टर थे ।
अपने जीते-जी टीना के िपता ने यूमन लेबोरे टरी क न व रख दी, परं तु आ थक तंगी होने
के कारण िनमाण न हो सका, फर टीना ने जब इस काम को आगे बढ़ाया तो एक ि ने
उसक खूबसूरती पर ऐसी दौलत यौछावर क क सेिनटो रयम खड़ा हो गया । यह ि
और कोई नह ंस शो बी था ।
सेिनटो रयम को चलाने के िलए टीना ने एक सं था भी बनाई और खुद उसक
डायरे टर बन बैठी । उसने अपने सेिनटो रयम को चलाने के िलए लैरी ांट को आमंि त
कया और फर जब लैरी ांट ने देखा क टीना क उठ-बैठ आला-अफसर म है, ब त से
लोग को उसके मा यम से लैकमेल कया जा सकता है तब यह भयानक योजना बन गई ।
इस मु क क कं ोल बेचने क योजना ।
िवनाश इस संि -सी दा तान को पढ़कर कु छ पल तक त ध-सा रह गया । दुिनया
का एक िस डॉ टर, िजसके हाथ ने न जाने कतने इं सान को जीवनदान दया, वह
यह सबकु छ कर रहा है । उसके भीतर एक मुज रम िछपा है ।
वह तो इस डॉ टर के हाथ को चूमना चाहता था । उसी के हाथ एक बबाद लड़क का
आिशया बन गया था । कं चन को नई जंदगी देने वाला वही श स था । हालां क िवनाश
क उससे अभी तक कोई मुलाकात भी नह थी ।
ले कन अब उसी डॉ टर लैरी ांट से उसक एक जबरद त मुलाकात होने जा रही थी ।
कदािचत् पहली और आिखरी मुलाकात ।
िवनाश ने सारे कागजात िनकाल कर जेब म ठूँ स िलए और फर फाइल के ऊपर से
होता आ काउच के तरफ आया ।
लड़क एक बार फर होश म आ रही थी ।
“आराम करो गुिड़या !” िवनाश ने उसक आँख म झाँककर कहा, “म कसी को भेजकर
तु ह आजाद करा दूगँ ा । तुमसे मुलाकात कभी-न-कभी ज र होगी, यह मेरा वादा है । यह
कहकर उसने लड़क क कनप टयाँ दबाई और वह एक बार फर बेहोशी म डू ब गई ।
☐☐☐
िवनाश स जकल िडपाटमट क राहदारी म बढ़ रहा था । इमारत के अंदर से इन दोन
िवभाग म आने-जाने का एक ही रा ता था और यह रा ता भी टीना के ऑ फस से होकर
जाता था । इस माग के दरवाजे क चाबी भी टीना के पास रहती थी ।
परं तु यह एक कार का डबल साइड लॉक था, जो दोन तरफ से खुल और बंद हो
सकता था । िवनाश ने इस ताले को भी आसानी से तोड़ डाला और दूसरे िवभाग क
राहदारी म चला । इससे पूव उसने इतना अव य कया था क कागजात शाईतैन तक
प चँ ा आया था, जब वह पुनः टीना के ऑ फस म प च ँ ा तो टीना क से े टरी उस व भी
बेहोश थी ।
राह म स ाटा छाया आ था । टीना क तरह लैरी ांट भी सेिनटो रयम के एक
अपाटमट म रहता था और उसे तलाश करने म िवनाश को अिधक जहमत नह उठानी
पड़ी । उसके अपाटमट म डॉ टर लैरी ांट के नाम से नेम लेट लगी थी ।
अभी मरीज के चेकअप का व नह आ था, इसिलए लैरी ांट के अपने अपाटमट म
िमलने क उ मीद थी । िवनाश ने डोर पर हाथ रखा । डोर लॉक था । उसने कॉल बेल पर
िनगाह डाली और फर कु छ सोचकर दरवाजे पर कान लगा दए । अंदर कसी कार क
आहट सुनाई दी ।
दरवाजा धके लकर अंदर प चँ ा । अंदर स ाटा था । अपाटमट म कसी क मौजूदगी का
िच ह नह था । बेड म म प च ँ ा तो उसे एक आदमकद िच सामने नजर आया । यह
िच टीना का था । टीना अपनी त वीर म मु कु रा रही थी जब क त वीर म कु छ डाट गड़ी
थ । एक डाट क सुई उसके दल वाले थान पर, दूसरी नािभ वाले थान पर और तीसरी
नािभ से लगभग छः इं च नीचे था ।
िवनाश तेजी के साथ अपाटमट से बाहर आ गया । न जाने य उसे खतरे क गंध
महसूस हो रही थी । वह तेजी से बढ़ता आ सबसे पहले उस कमरे म प च ँ ा जहाँ खान
और िवनाश का घरे लू नौकर ठहरा था । िवनाश को उनके म नंबर मालूम थे । कं चन का
और वह कमरा ठीक आमने-सामने थे । खुद कं चन के साथ िवनाश क नौकरानी को रखा
गया था । तीन इं सान उसक रखवाली के िलए वहाँ छोड़े गए थे ।
िवनाश जब पहले कमरे म प च ँ ा तो वहाँ उसे दो लाश देखने को िमल । एक लाश
उसके नौकर क थी, दूसरी खान बाबा क और दोन ही डाट क सुइय से हलाक कये गए
थे । यक नन यह कसी जहर म बुझी थी ।
िवनाश ने खान बाबा के मि त क म धँसी एक डाट को बाहर ख च िलया । खून क
पतली लक र बहने लगी । डाट वाला थान कु छ नीला पड़ गया था । साफ जािहर था क
ह या कए अिधक देर नह ई ।
वे दोन ना ते क टेबल पर बैठे थे और दोन को वह बैठे-बैठे क ल कर दया गया था ।
उ ह िहलने का जरा भी अवसर नह दया गया था । अगर दया गया होता तो कु स या
मेज अव य लुढ़क होती । यहाँ तक क मेज पर रखी चाय क े भी य -क - य थी ।
दोन कप म चाय पड़ी थी । िवनाश ने उसम उं गली डु बोकर अंदाजा लगाया क चाय
कतनी देर पहले वहाँ लायी गई थी ।”
उन दोन के भीतर जीवन के जरा भी िच न शेष नह थे ।
िवनाश तेजी के साथ कमरे से िनकला और हवा के झ के के साथ कं चन वाले कमरे म
दािखल आ । उसका दल जैसे कसी क मु ी म जकड़ गया । ह यारे ने यहाँ भी खून
बहाया था । एक औरत को यहाँ भी क ल कया गया था और उसक लाश आधी बाथ म
के अंदर और आधी बाहर पड़ी थी । लाश के िज म पर िलपटा टावल एक तरफ से सरक
गया था और वह महज वचा के िलबास म पड़ी थी ।
उसके शरीर म डाट क तीन सुइयाँ पैव त थी और तीन ठीक उस थान पर पैव त थी
जैसी उसने लैरी ांट के बेड म म टीना क त वीर म धँसी देखी थी ।
यह नौकरानी क लाश थी । एक जवान औरत क लाश ।
तीन इसिलए मरे थे क वह िवनाश के वफादार थे और वहाँ कं चन क रखवाली के
िलए छोड़े गए थे ।
और इन तीन ह या से लैरी ांट के भीतर िछपा एक खूंखार द रं दा उजागर हो गया
था । िन य ही वह कोई मुज रम था । िनि त ही उसने पहले भी लोग को क ल कया
होगा ।
अब िवनाश राहदारी म दौड़ रहा था । उसके कदम से कोई भी चाप उ प नह हो
रही थी, जैसे वह हवा म कु लांचे भर रहा हो । रा ते म एक नस ने उसे देखा तो मारे भय के
दीवार से जा िचपक और उसके हाथ म थमा सामान फश पर िबखर गया ।
िवनाश सीधा कमरा नंबर छः क तरफ जा रहा था, जो ाउं ड लोर पर था । जब वह
कमरा नंबर छः के पास प च ँ ा तो उसने देखा यहाँ जो चार कमरे ह उनके बाहर नो
एडिमशन क त ती लगी है और साथ ही ऊपर ऑपरे शन िथयेटर िलखा आ है । िवनाश
ने नंबर छः के दरवाजे पर हाथ रखा ।
“ऐ िम टर !” कसी ने पीछे से आवाज दी, “जरा ठहरो, तुम कहाँ जा रहे हो ?”
वह ऑपरे शन िथएटर का गाड था । ले कन इससे पहले क वह िवनाश तक प च ँ पाता,
िवनाश हवा के झ के क तरह म नंबर छः म िव हो चुका था ।
उसने कमरे का दरवाजा अ दर से बंद कया और सामने घूरने लगा । सामने एक िब तर
था परं तु िब तर पर कोई नह था । चादर क िसकु ड़न बता रही थी क अभी-अभी कोई
उस पर लेटा था । कमरे म जानी-पहचानी महक थी जो कं चन के िज म क खुशबू थी ।
इसका मतलब चंद सेकड पहले वह वह थी ।
िवनाश ने इधर-उधर देखा फर उसे एक दरवाजा नजर आया था । शीशे का दरवाजा
था पर तु दूसरी तरफ क कोई चीज नजर नह आ रही थी । िवनाश ने दरवाजे के बराबर
म लगा एक पुश बटन देखा तो उसने बटन पर उं गली रख दी । दरवाजा एक ह क
सरसराहट के साथ दीवार म धँसता चला गया । यह लाई डंग डोर था और िवनाश ने
पहली ही नजर म भाँप िलया था क उसका लॉक चूं क दीवार के अंदर फ स होता था
इसिलए उसे तोड़ना आसान काम न था । दूसरे शीश क बनावट से उसक मजबूती का
अंदाजा लगाया जा सकता था । ऐसे शीशे लैक ूफ कार म लगाए जाते ह ।
दरवाजा खुलते ही िवनाश अंदर दािखल हो गया । कमरे म म यम-सा काश फै ला
था । िवनाश को वहाँ कं चन के अि त व क गंध महसूस ई ले कन उसके साथ-साथ वह
खतरे का िस ल भी बराबर पा रहा था । उसने पहले यह देखने क कोिशश क क खतरा
कस तरफ से है, ले कन जब उसे कमरे म िसवाय एक ेचर उस पर बँधी पड़ी के अलावा
कोई नजर नह आया, तब वह आगे बढ़ा ।
कं चन के मुँह पर टेप िचपका था और उसे ेचर से बाँध दया था । कं चन क आँख खुली
थ और फटी-फटी आँख से वह िवनाश को घूर रही थी । फर उसक आँख म एक आशा
क करण जागती दखाई दी । िवनाश एक झटके से आगे बढ़ा और उसने कं चन को बंधन
से मु करना शु कर दया । कं चन का रं ग- प वापस लौट आया था । उसे देखकर
िवनाश को एक जबरद त खुशी ई और पल क खुशी म ही वह खतरे के माहौल को
फरामोश कर गया ।
और जब उसे कसी तीखी बू का अहसास आ, तब तक इस गंध ने उसके जेहन को
चकराना शु कर दया था । उसने िज म को झड़काने और अजीब क म क चकराहट से
छु टकारा पाने क ब तेरी कोिशश क परं तु गंध अपना काम कर चुक थी ।
अब वह हाथ-पाँव फै लाए फश पर िगर पड़ा रहा था । तभी एक े डंल श स दखाई
पड़ा जो गैस मा क पहने खड़ा था ।
☐☐☐
उसक आँख खुली तो सबसे पहला अहसास उसे कनप टय म धमका आ । िनरं तर
धमक क पीड़ा कु छ कम ई तो एक धुंध-सी चढ़ती चली गई, तब उसे आभास आ क वह
सीलन यु लकड़ी के फश पर धा पड़ा है । मालूम नह वह कब से इसी तरह धा पड़ा
था य क उसके िज म का अिधकांश िह सा सु -सा हो चुका था ।
जब उसने उठने क कोिशश क तो उसे एहसास आ क यह या कोई आसान नह ,
य क उसके हाथ पु त पर बंधे थे । और न िसफ हाथ बि क पाँव भी बंधे थे । जैस-े तैसे
करके वह उठ बैठा तो उसे एक जबरद त ध ा-सा लगा । उसके गले म चमड़े का एक
सश प ा कसा आ था, िजस तरह बड़े-बड़े खूंखार जानवर या मवेिशय के गले म होता
है । प े से एकमा मोटी-सी लोहे क जंजीर बँधी थी िजसका दूसरा िसरा लोहे के एक
मोटे नट-बो ट ारा लकड़ी क दीवार म धँसा था । न ही जंजीर अिधक बुलंदी पर नह
था, न ही जंजीर अिधक लंबी थी ।
सकस म आमतौर पर िबगड़े ए चीते या शेर को इसी तरह बाँधकर रखा जाता था ।
वह लेट सकता था, उखड़ू बैठ सकता था, बस इतनी ही आजादी थी ।
चंद ल ह तो वह जैसे सबकु छ भूल गया क वह य कर यहाँ प च ँ ा है । कौन उसे लाया
होगा ? वह कस तरह बेहोश आ था ? उसे यह अहसास भी नह रहा क िसर पीड़ा के
कारण फटा जा रहा था ।
एक पल के िलए उसक पीड़ा पर ोध क छाया डोलने लगी क वह सबकु छ भूल
गया । उसके थके -थके िज म पर धीमी र तार से ग दश करने वाला खून जैसे वालामुखी
बनने लगा और उसके रोये-रोये म आग लग गई । फर उसने साँप क तरह िज म को
िसकोड़कर यूँ हवा म छलांग लगाने क कोिशश क जैसे जंजीर और प ा वगैरा को तोड़ते
ए बाज क बुलं दय क तरह चला जाए ।
इस कोिशश के प रणाम व प वह बुरी तरह वािपस लकड़ी के फश पर िगरा और
उसक गदन को जबरद त झटका-सा लगा । एक ल ह के िलए तो उसे यह महसूस आ
जैसे वह दोबारा बेहोश हो जायेगा, ले कन धीरे -धीरे आँख के आगे नाचने वाले नीले-पीले
तारे गायब हो गए । कु छ देर तक वह उसी तरह च कत पड़ा, ज मी द र दे क तरह
हाँफता रहा । फर धीरे -धीरे उसके सोचने-समझने क सलािहते ठकाने पर आई और उसे
सबकु छ याद आता चला गया ।
यक नी तौर पर तेज गैस ने उसे भािवत करके बेहोश कर दया था । खतरे का अहसास
तो उसे था पर तु कं चन को उस हालत म देखकर उसे खतरे का अहसास न रह पाया । इस
पल के खेल म ही सबकु छ हो गया था और अब वह यहाँ पड़ा था ।
अब वह वातावरण का िनरी ण करने लगा क आिखर वह ह कहाँ और उसके कान से
दूर क आवाज को सुनना शु कर दया । फश पर कान लगाकर सुनते ही उसे सबसे
पहली चीज का जो अहसास आ था क व समु ी लहर के बीच मौजूद है । यक नी तौर
पर वह कोई बड़ी बोट, लांच या फर छोटा जहाज ही है, जहाँ उसे कै द कया गया है ।
सामने िनगाह उठी तो उसे स खच का दरवाजा नजर आया । दूसरी तरफ गैलरी थी और
गैलरी म खामोशी ा थी ।
वह श स उसके जेहन म घूम गया िजसे बेहोश होते समय उसने देखा था, जो गैस मा क
पहने था । िजसके कारण िवनाश उसका चेहरा न देख पाया था । यक नी तौर पर वह
उ ह लोग क कै द म है । और कं चन का या आ ? या लैरी ांट ने उसे भी अपनी डाट
का िनशाना बना दया ?
अब उसक िनगाह गैलरी के पार एक और के िबन पर पड़ी । उस पर स खच का
दरवाजा था और फर यह देखकर वह बुरी तरह च क पड़ा क वहाँ भी एक कै दी उसी क
हालत म मौजूद था । यह कै दी ी थी । होश म न होने के कारण वह बेहरकत धे मुँह
पड़ी थी ।
िवनाश ने इस कै द से मु होने के यास शु कर दए । एक बार य द हाथ आजाद हो
गए तो वह कु छ कर सकता था । गले म पड़े प े को काट डालना उसके िलए कोई मुि कल
काम न था, ले कन सामने जो मोटे-मोटे स खचे पड़े थे वह िन य ही ब त ठोस और
मौजूद थे ।
अचानक उसे कदम क चाप सुनाई द और िवनाश क धड़कन बेचैन होने लग । वह
एक नह , दो-तीन आदिमय के कदम क चाप थी । धीरे -धीरे चाप िनकट आती चली ग
और फर उसके के िबन के सामने आकर ठहर गई ।
िवनाश ने िसर उठाकर देखा । स खच के परली तरफ एक ांडील श स खड़ा था ।
उसके पीछे दो ि और थे जो उसके भीमकाय साये क वजह से नजर नह आ रहे थे ।
“िम टर जगमोहन !” अचानक ांडील ने कसी श स को संबोिधत कया, “काितल
क मंडी म इस श स के िसर क ब त बड़ी क मत है । मने उसके चेहरे से लाि टक क
सजरी भी हटा दी है, ता क तुम लोग को इसे पहचानने म कोई धोखा न हो । और िम टर
अजुनदास, तुम भी देख लो, या यह वही श स है िजसे िवनाश के नाम से जाना जाता है ।
अजुनदास और जगमोहन !
िवनाश च क पड़ा । जगमोहन के लड़क का क ल खुद उसी ने कया था और यह दोन
ि कं चन क बबादी म बड़ा भारी हाथ रखते थे ।
“तुम दोन एक इस समय मु क के ब त बड़े मगलर म िगने जाते हो ।” ांडील कह
रहा था, “ थानीय लोग क मदद के िबना म कु छ नह कर सकता था, ले कन उसके
बावजूद भी चंद अरसे से मने वह सबकु छ कर दखाया जो तुमम से कोई नह कर सकता
था । मने न िसफ इस मु क को बेच डालने का सौदा कया बि क ऐसी शि सयत को भी
पकड़ िलया िजसके नाम से जरायम क दुिनया म एक खौफनाक जलजला आया आ है ।
यह वही बाजीगर है और तुम दोन ही बाजीगर क असल कहानी से वा कफ हो । उसक
िशना त भी कर सकते हो । अब पहचान लो, या यह वही है ?”
“शत- ितशत वही । मने इसक त वीरे अपने आदिमय म बाँटकर यह म दे दया
था क जहाँ भी यह िमले इसका िसर धड़ से जुदा कर दो । इसने मेरे बेटे को लास म म
बेरहमी से मार डाला था और अब मुझे यक न हो गया क मह का क ल भी इसी ने कया
होगा । यह ब त खतरनाक इ सान है ांड ।”
ांडील ठहाका मारकर हँसा ।
और िवनाश समझ गया क वही लैरी ांट है ।
“मने तुम दोन को नीलाम म शािमल होने क दावत दी थी । तु हारे अलावा भी ब त
से लोग थे । एक गुमनाम आदमी क हैिसयत से तु हारी मदद भी करता रहा और यह मेरी
कोिशश का नतीजा है क तुम जानी दु मनी याग कर एक जगह जुड़ने के िलए तैयार हो
गए । और चूं क अब तुम लोग मेरी ऑगनाइजेशन म एक िवशेष हैिसयत रखते हो,
इसिलए म तु ह यह उपहार देता ँ । काितल क मंडी म बाजीगर क क मत करोड़
डॉलर है, ले कन म इस इं सान के ेन का ऑपरे शन करना चाहता ँ । ता क यह श स
हमारे िलए काम कर । इसके बाद इसी के हाथ पहले बाजीगर यूिनट को तबाह कया
जाएगा और फर यह तु हारा गुलाम होगा । गुलाम !”
“और उस लड़क के बारे म तु हारा या याल है लैरी ांट ?”
“उसे हम नीलाम कर दगे । मुझे यक न है क ंस शो बी जैसे रिसया आदिमय के िलए
वह एक नायाब हीरा है और अगर तुम लोग उसे अपने िलए रखना चाहते हो तो मुझे कोई
एतराज नह । इस श स क वजह से डॉ टर टीना मारी गयी । मुझे चािहए था क म
टीना क मौत का इससे भयानक इं तकाम लेता, ले कन म ऐसा नह क ँ गा । म इस औरत
को ऐसे मोड़ पर प च ँ ा दूग
ँ ा, जहाँ प च
ँ कर हर औरत खुद म ख म हो जाती है । और यह
श स हमारा गुलाम होगा ।”
िवनाश खामोशी म उसक बात सुनता रहा । वह जानबूझकर धे मुँह आँख बंद कए
लेट गया था । उसने अधखुले ने से उ ह देखा था और उ ह अब उनके भयानक इरादे
साफ जािहर थे ।
“कु छ ही देर बाद सब मेहमान आ जायगे और म नीलामी म चला जाऊँगा । उसके बाद
हम इस मसले पर गौर करगे । आओ, अब चला जाए ।”
िवनाश अभी कु छ नह बोला ।
कदािचत् उन लोग ने उसे अभी तक बेहोश ही समझा था । तीन सामने के के िबन के
पास जा खड़े ए । कु छ देर तक बात करते रहे और फर वापस चले गए ।
िवनाश के पास व ब त कम था और इस नाजुक समय म उसे बड़ी सूझ-बूझ से काम
लेना था । इतना तो उसे इ मीनान हो गया क वे लोग उसे क ल नह करगे ।
िवनाश ने अब कु छ दूसरे क म क आवाज भी सुनी । यह कसी और इं जन क मि म-
सी आवाज थी । वह सोच रहा था कोई और बोट करीब आ रही है । कदािचत् लैरी ांट
उस बोट ारा करीब आ रहा है । कदािचत् लैरी ांट उस बोट ारा नीलाम म प च ँ ने क
तैयारी कर रहा है, या फर उसके कु छ और मेहमान इस जगह प च ँ ने वाले ह । इस
संभावना से भी इनकार नह कया जा सकता क नीलमी इसी जगह होने वाली हो । या
फर वह समु ी क ती पुिलस क नौका भी हो सकती थी ।
ले कन फर यह सारे ही िवचार उसके मि त क म धुआँ बनकर उड़ गए, य क
अचानक ही गोिलय के धमाके गूँजने लगे थे । मालूम यही होता था क फाय रं ग आने
वाली बोट से शु ई है । ग ती पुिलस आमतौर पर फायर करने से पहले लाउड पीकर
पर चेतावनी ज र देती है । और फर िवनाश के अनुमान के अनुसार यह जगह तट से
काफ दूर होनी चािहए थी । ग ती पुिलस आमतौर पर तट के िनकटवत े म ही
घूमती है ।
फाय रं ग के दौरान कभी-कभार चीख-पुकार भी सुनाई दे जाती थी और कभी-कभी
लकड़ी टू टने या धातु से गोिलयाँ टकराने क आवाज तो िवनाश को अपने के िबन के करीब
ही सुनाई दे रही थी । फर उसने के िबन के सामने तंग-सी राहदारी म भी चंद आदिमय
को टेनगन और मशीनगन उठाये एक तरफ से दूसरी तरफ भागते देखा ।
एकाएक ब त जबरद त झटका िवनाश ने महसूस कया । ऐसा मालूम पड़ता था जैसे
उस पर दूसरी ओर से साइड मारी गयी है । अब िवनाश को यक न हो गया था क यह कोई
बड़ी बोट थी । फाय रं ग क आवाज भी खौफनाक हद तक तेज हो गयी । ऐसा मालूम होता
था क गोिलय क बौछार से बोट के हर त ते के परख े उड़ जायगे ।
फर एक और िसतम शु आ । गोिलय के धमाके के बीच एक और जबरद त धमाका
सुनाई दया और बोट चंद ल ह के िलए डगमगा-सी गयी । यक नन दूसरी बोट से ेनेड
मारा गया था और फर जैसे िवनाश क समूची शि याँ एकाएक जाग ग । उसने
आजादी के यास शु कर दये और वह उखड़ू बैठकर बँधे ए हाथ को पाव के नीचे
करने का यास शु कर दया । ऐसे हर फन का वह मािहर था ।
पाँव के नीचे से बंधे ए हाथ िनकालकर सामने आ गए । दोन कलाइय म र सी क
डोर इतनी चुभ गयी थी क मालूम पड़ता था वह र सी न होकर तार हो । खंचाव के
कारण उसक कलाई म घूँसता जा रहा हो ।
और फर बाजीगर ने नाइलोन क इस डोरी को दाँत से काट डाला । अचानक एक और
धमाका आ और डेक आकर ठीक उसके ऊपर पड़ा । के िबन क छत पर एक बड़ा सुराख
हो गया और टू टे-फू टे त त के साथ ही एक लाश भी धड़ाम से अंदर आ िगरी ।
िवनाश बाजीगर के हाथ आजाद होते ही बाक का काम भी पल म हो गया । उसने
अपनी उं गिलय से गदन का फं दा काट डाला । साथ ही अपने पाँव को भी आजाद करके
सीधा खड़ा हो गया । और फर उसने ऊपर ए बड़े सुराख को देखा, जहाँ से एक लाश
अ दर टपक थी । उसने दोन हाथ बुलंद ए और फर हवा म उछाल भरी । अगले ही पल
उसके हाथ ने उस र थान का एक कोना थाम िलया । धीरे -धीरे उसने अपना िसर
बाहर िनकाला और वातावरण का जायजा िलया । डेक पर गोिलय का आदान- दान
जारी था और कु छ लाश वहाँ िछतराई पड़ी थी । डेक पर िजतने भी इं सान जंदा थे, वह
मोचा संभाले फाय रं ग कर रहे थे और उनका यान समुंदर क तरफ था, जहाँ से उन पर
फाय रं ग हो रही थी । िवप ी लोग भी मोचा संभाले ए थे ।
िवनाश क नजर डेक पर सरसरी तौर से घूमी और फर वह धीरे -धीरे बाहर आ गया ।
अब वह डेक पर िचपका कसी साँप क तरह रग रहा था । गोिलयाँ उसके ऊपर से गुजर
रही थ ।
डेक पर जंदा लोग क सं या इस व कु ल चार रह गयी थी । अचानक िवनाश क
िनगाह जगमोहन पर ठहर गयी, जो ओट म खड़ा अपने सािथय को िनदश दे रहा था ।
खुद जगमोहन के हाथ म भी एक रवॉ वर मौजूद था । िवनाश धीरे -धीरे उसी तरफ रगने
लगा ।
जगमोहन क िनगाह िवनाश पर उस व पड़ी जब वह उससे कु छ पाँच-छः गज के
फासले पर आ गया था । पहली नजर म जगमोहन ने उसे अपना ही कोई घायल आदमी
समझा ।
“मुकाबला करो ।” जगमोहन ने उसे ही संबोिधत करके ऊँची आवाज म कहा, “तु हारे
हिथयार कहाँ ह ?”
“हिथयार मेरे ही पास है ।” िवनाश ने तेजी से बीच का फासला तय कया और जब वह
सीधा आ तो जगमोहन उसे देखते ही बुरी तरह च क पड़ा ।
“त... तुम !” वह हकलाया ।
एकदम से जैसे उसे कु छ होश आया और वह चीख पड़ा ।
“इसे क ल कर दो ।”
साथ ही उसने अपना रवॉ वर वाला हाथ िवनाश क तरफ घुमाया । गोिलय के शोर
म या तो कसी ने उसक आवाज सुनी ही नह , या फर सुनी भी तो उनक समझ म नह
आया क कसे क ल करने का ऑडर िमला है ।
इतनी मोहलत तो िवनाश के िलए ब त थी । उसका हाथ लहराया और फर जगमोहन
का रवॉ वर समु म कह जा पड़ा । जगमोहन ने हैरत से अपने उस हाथ क तरफ देखा
िजसम रवॉ वर मौजूद था ले कन रवॉ वर तो दर कनार, खुद उसका हाथ क कलाई से
गायब हो गया था । कलाई से टपकते ल को देखकर उसके मुँह से एक ऐसी आवाज
िनकली जैसे कसी ने उसका हाथ काटने क बजाये गदन काटी हो ।
उसका हैरत म िमि त चीख से खुला मुँह कु छ यादा ही फै ल गया था । अ यथा उस मुँह
म िवनाश क पाँच उं गिलयाँ एक साथ हरिगज़ दािखल नह हो सकती थ । और फर मुँह
से खून टपक पड़ा ।
अगली चोट िवनाश ने उसक खोपड़ी पर क और खोपड़ी कसी तरबूज क तरह फट
गयी । उसी ण िवनाश ने एक और खतरा महसूस कया और एक दशा म छलांग लगा
दी ।
जगमोहन के दो आदिमय ने उसे अपने बॉस का क ल करते देख िलया था और उस पर
टेनगन का ट मार दया था, ले कन उस ट क अिधकतर गोिलयाँ खुद जगमोहन क
डेड बॉडी म पैव त हो गयी ।
जब क िवनाश नीचे जा रहा था । यह बोट एक छोटे जहाज िजतनी थी और जब नीचे
प च ँ ा तो िसवाय इं जन म म उसे कह से भी आवाज आती न सुनाई दी । जहाज पी
यह बोट अब बुरी तरह डगमगा रही थी । उसके पदे म कोई सुराग हो गया था जहाँ से
उसम पानी भरने लगा था ।
इं जन म म िवनाश का दूसरा िशकार अजुनदास मौजूद था । कदािचत् सभी लोग
ऊपर चले गए थे, इसिलए अजुनदास को खुद पर काबू करना पड़ रहा था । सामने शीशे
पर लहर उठ रही थ । जहाजनुमा बोट िहचकोले खाती एक तरफ नजर आ रही थी ।
अजुनदास को इस बात का जरा भी इ म नह आ क िवनाश कब अंदर आकर ठीक
उसके पीछे मौत का फ र ता बनकर खड़ा हो गया ।
िवनाश ने उसका कं धा धीरे से थपथपाया ।
“मेरे एक सवाल का जवाब दे सकते हो ?” िवनाश ने उससे पूछा ।
अजुनदास उछलकर मुड़ा और फर फटी-फटी आँख से िवनाश को देखने लगा ।
“त... तुम !”
“अगर तुम बता सको क िजस लड़क के चेहरे पर अनिगनत भूरे-भूरे ितल नह होते
उसक िमसाल या होती है, तो म तु ह माफ कर दूग ँ ा । तु ह कं चन के प रवार पर कये
गए जु म क सजा से बरी कर दया जायेगा ।”
अजुनदास के चेहरे पर पसीना चुहचुहा आया ।
“म... मने कु छ नह कया... । म... िनद ष ँ ।”
“यह मेरे सवाल का जवाब नह है । नक म जाकर उन लोग से पूछना जो इस सवाल
का जवाब न देने के कारण मर गए । काितल क मंडी म ब त से लोग यहाँ ह और वे सब-
के -सब बाजीगर क शि सयत है ।”
“व... िवनी... म... मुझे माफ़... कर दो... ।
पर तु िवनाश क आँख क पुतिलयाँ गायब हो गई थ । उसक आँख एकदम ेत,
खुली-खुली और चौड़ी हो गयी । जैसे वह मुदा इं सान क खुली आँख ह । िवनाश के इन
आँख म द रं दगी झलकती थी । उससे तो बड़े-से-बड़े दल-िजगर वाला अपनी टाँग पर
खड़ा रहने यो य नह रहता था ।
अजुनदास क टाँग भी बुरी तरह काँप रही थ ।
िवनाश के दोन हाथ एक साथ बुलंद ए और खुली हथेिलयाँ कु हाड़े के फल क तरह
अजुनदास के कं ध पर पड़ी । अजुनदास के दोन बाजू तन से जुदा हो गए । िवनाश ने एक
झटके के साथ टाँग पकड़कर अजुनदास को शीशे क तरफ उछाल दया । एक झनाके के
साथ शीशे के अनिगनत टु कड़े अजुनदास के शरीर म पैव त हो गए और फर मोटी-सी
लहर आई और उसे समेटकर ले गयी ।
पानी अब इं जन म म घुस रहा था । िवनाश अब लैरी ांट को तलाश कर रहा था ।
उसने धड़ाधड़ के िबन के दरवाज को तोड़ना शु कर दया और फर उसे लैरी ांट का
कहकहा सुनाई दया ।
“इधर आओ, म यहाँ ँ ।”
िवनाश ठठक गया । उसने आवाज क तरफ देखा फर दौड़ता आ उस थान पर जा
प च ँ ा । लैरी ांट, कं चन वाले के िबन म मौजूद था और डाट क सुइय का खेल खेल रहा
था । कं चन उसी पोजीशन म बँधी थी और लैरी ांट ने डाट उसक तरफ तान रखी थी ।
के िबन के स खचे सीखे खुले थे ।
“यह तु हारे आदमी ह ।” ांट दहाड़ा, “इन हरामजद से कहो क अपने हिथयार फक
द । पंिडत और रांझ,े दो श स ने यहाँ हंगामा कया है । ऊपर जाओ और उ ह कु म दो,
वरना यह सारी सुइयाँ इस छोकरी के िज म म पैव त हो जायगी ।”
कं चन को होश आ चुका था और वह भयभीत िनगाह से लैरी ांट को देख रही थी
“तु हारी बोट डू ब रही है लैरी ांट !”
“बकवास मत करो । जो मने कहा वही करो ।” उसने के िबन क दीवार पर एक सुई
छोड़ते ए कहा, “िवनाश बाजीगर, म तु हारी काितल ह ती से अ छी कार वा कफ ँ ।
ले कन तुम मेरे रा ते म रोड़ा नह अटका सकते । म महान िहटलर का सपना पूरा करने के
िलए दुिनया म जंदा ँ । तुम जैसे सैकड़ बाजीगर ने एक अरसे तक मेरी तलाश म िसर
खपाया ले कन म आज भी जंदा ँ । िजस सरकार ने तु ह यह िखताब दया है, वह चंद
घंट बाद नीलाम हो जायेगी । म अगर मर भी गया तो मेरी सं था म अब ब त से ऐसे
लोग ह जो मेरा िमशन जारी रखगे ।”
“एक बेहतरीन सजन होते ए तुमने यह जंदगी य अपनाई ?”
“नाजीवाद मेरा पहला धम और पहला कत है । म सजन बाद म ,ँ नाजी सैिनक
पहले । म अब तु ह िसफ तीन िमनट का व देता ँ । तु हारे आदमी हिथयार डालकर
पहले यहाँ आएँगे फर म इस लड़क के साथ उसी बोट से सफर क ँ गा िजससे वे यहाँ तक
आए ह । म जानता ँ क इस लड़क क जंदगी तु हारे नजदीक कतनी अहिमयत रखती
है । एक सरकारी एजट हो और हर उस श स को क ल कर देते हो जो तु हारा राज जान
जाता है ले कन यह लड़क न िसफ जंदा रही बि क तुमने अपनी मोह बत को भी
जंदाबाद कर दया । वाकई तु हारी मोह बत बेिमसाल है और देखो, मने भी रात- दन
एक करके इसे इसका का रं ग- प दलाया और इसी को स मोिहत करके तु हारे अमर ेम
के बारे म ब त कु छ जान भी िलया था । जाओ बाजीगर, तुम मेरे कु म के गुलाम हो !”
बाजीगर का िसर बुरी तरह घूमने लगा । लैरी ांट को उसक इस कमजोरी का पता था
और अब वह सोच रहा था क यह कमजोरी उसने अपने करीब आने कै से दी ! वह कौम क
अमानत है । वह एक मशीन है । ऐसे ज बात का उसके सामने कोई मह व नह होना
चािहए था ।
“मेरी फ न करो िवनाश ! समझ लो, मने तु ह पा िलया । काश, मुझे पहले तु हारी
हैिसयत का पता होता तो म तुमसे ब त दूर चली जाती ! अपने फज के िलए मेरी जंदगी
क परवाह मत करो िवनी, वरना हमारी मोह बत दागी हो जाएगी !” कं चन सुबक कर रो
पड़ी ।
“चुप रह छोकरी, वरना जुबान ख च लूँगा !” लैरी ांट चीखा ।
ऊपर अब फाय रं ग क गई थी । लैरी ड उससे चंद कदम के फासले पर खड़ा था और
िवनाश से य द जरा भी चूक हो जाती तो डाट क सुइयाँ कं चन के िज म म पैव त हो
जात । लैरी ांट डाट क सुइयाँ चलाने म कतना मािहर है, यह वह देख चुका था ।
िवनाश एक इं च भी आगे बढ़ता तो लैरी ांट, कं चन को मौत के घाट उतार देता ।
अचानक िवनाश के जेहन म एक तूफान-सा बरपा हो गया और उसके दलो दमाग ज बात
से खाली हो गए । मा टर शाईतैन क आवाज उसके दलो दमाग पर छा गई । वह
बाजीगर है, िजसका िश ण इस सदी के मा टर के हाथ आ था । मोह बत का झ का
अ थाई हो सकता था ले कन बाजीगर के प म उसके सीने म ऐसे कसी ज बात के िलए
जगह नह थी ।
उसने फै सला कया क कं चन को अब मर जाना चािहए । वह अपनी मोह बत का गला
अपने ही हाथ घ ट देगा, वरना सारी जंदगी के िलए पाँव म जंजीर पड़ जाएगी । लैरी
ांट उसक इस कमजोरी का लाभ उठा रहा था ।
जब तक कं चन बदसूरत थी, उसे क ल करने का हौसला वह नह जुटा पाया था ले कन
अब वह उसक कमजोरी नह बन सकती थी । अगर वह इस समय झुक गया तो सारी
कौम िबक जाएगी और वह खुद गुलाम हो जाएगा । कतने व र पदािधका रय क आँख
उस पर टक होगी । िसफ बाजीगर इस मुसीबत से देश को बचा सकता था ।
रा के नाम पर ब त से लोग शहीद होते आये ह । उ ह कोई मजबूरी न बाँध सक ।
उनके भी बीवी-ब े ह गे, अपने सगे-संबंधी ह गे । वे भी कसी से यार करते ह गे । सैिनक
सीमा पर मर जाता है और उसक प ी िवधवा हो जाती है । ब त से ऐसे भी ह गे िजनक
मौत पर कोई सारी जंदगी कुं वारी गुजारती ह गी ।
यहाँ बात दूसरी थी –
कौम क र ा के िलए एक औरत को शहीद होना था । बस एक औरत क जान जाती
और सारा देश बच जाता । जब लैरी ांट ही नह रहेगा तो उसक यूिनट के चंद लोग या
कर लगे । और वे सभी लोग चंद घंट म कसी एक जगह पर एकि त होने जा रहे है,
ले कन जब लैरी ांट वहाँ नह प च ँ ेगा तो खेल ख म हो जाएगा ।
िवनाश ने चंद सेकड म कं चन क मौत का फै सला कर िलया ।
“भाग जाओ, जाते य नह ? अपने सािथय को बुलाकर यहाँ मेरे सामने िनह था
लेकर आओ ।” लैरी ांट गुराया ।
िवनाश ने उसक गुराहट नजरअंदाज कर दी, बि क अपने कदम उठाये और के िबन म
दािखल हो गया ।
“अगर तुमने एक कदम भी और बढ़ाया तो तुम अपनी ेिमका क जान से हाथ धो
बैठोगे और फर म बची ई सुइयाँ तु हारे िज म म उतार दूग ँ ा ।”
“म सुन चुका ँ ।”
लैरी ांट ने एक हाथ बुलंद कया । उसके हाथ म डाट थी ।
“दाय टाँग ।” वह बड़बड़ाया और डाट उसके हाथ से िनकलकर कं चन क टाँग म चुभ
गई ।
कं चन कराह उठी ।
“खेल ख म हो चुका है लैरी ांट !” िवनाश ने एक कदम और आगे बढ़ाया ।
िवनाश ने कोिशश क थी क लैरी ांट और उसके दर यान आठ फु ट से कम फासला न
हो ।
“बायाँ अँगूठा !” लैरी ांट ने चीखकर कहा और डाट क सुई उसके हाथ से िनकलकर
कं चन के बाय अंगूठे म पैव त हो गई ।
“इस योजना म और कौन-कौन से िह सेदार है लैरी ांट ?”
“िसफ म ।” वह पागल क तरह चीख पड़ा, “ या तु ह इस लड़क क जान यारी
नह ?”
“तुम मेरी शि सयत के संबंध म ब त बड़ा धोखा खा गए । मेरे नजदीक ऐसी चीज क
अहिमयत नह होती । या टीना तु हारी पाटनर नह थी ?”
“नह , वह इतनी बुि मान नह थी, जो ऐसा शानदार मंसूबा बना लेती ।”
“टीना तुमसे मोह बत करती थी, इसिलए तु हारे जाल म फँ स गई । तुम लोग को जाल
म फँ साने के िलए शराब म एक िवशेष तरह क िमलावट करते थे, जो टीना लोग को पीने
के िलए देती थी । उसने िह ोटाइज क कला का भी भरपूर इ तेमाल कया ।”
“यह कहना महज मूखता है क म और टीना महज िह ोटाइज से काम लेते रहे ह ।”
लैरी ांट ने कहा, “हमने वै ािनक तरीका अपनाया । अगर तुम कसी श स से काम लेना
चाहते हो तो उसे यक न दला दो क यह काम िब कु ल जायज और ज री है । उदाहरण
के तौर पर कमांडर नागर को यक न था क वह शोलापुर क बजाय दु मन मु क पर बम
िगरा रहा है । एडिमरल ताप, उसे यह यक न दलाया गया था क गोवा उन लोग का
शरण थल बन गया है जो देश ोही है । जब उन लोग को िव ास हो गया क वह अपने
देश के िहत म काम कर रहे ह, तो कोई ताकत उ ह रोक नह सकती थी । िम टर िवनाश,
एक िमनट बीत चुका ! अब िसफ दो िमनट बाक ह और तुम देख चुके हो क मेरा िनशाना
कै सा है ! इसिलए अभी अपने कदम वापस मोड़ लो । यह लड़क अब भी बच सकती है ।
अभी मने जहर क सुई नह इ तेमाल क है ।”
“उस धुन के बारे म और बता दो ?” िवनाश ने उसक बात नजरअंदाज करते ए पूछा ।
“यह स मोहन क एक साधारण-सी या थी ।” लैरी ांट ने मु कु राकर कहा, “हम
नह जानते क हमारा िशकार काम करते ए मरते व कोई ऐसा श द अदा कर जाये,
िजसके कारण हम नाकाम हो जाय । इसिलए टीना स मोहन ारा उ ह ऐसा गीत याद
करा देती थी जो उनके मानस-पलट पर िनदश के साथ सुरि त हो जाता क काम करते
समय वह यह गीत गुनगुनायगे ।”
“शानदार !” िवनाश दाद दये िबना न रह सका, “म तु हारी जमानत से भािवत हो
गया ँ लैरी ांट ! अब िसफ यह बताओ क नीलामी कहाँ हो रही है ?”
लैरी ांट ने इस सवाल को नजरअंदाज कर दया ।
िवनाश ने एक पल को पीछे क ओर देखा । उसके साथ ही लैरी ांट ने िमलकर उस
तरफ देखा । िजधर िवनाश देख रहा था । बाजीगर के िलए इतना मौका ब त था, िवनाश
ने तुरंत लैरी ांट पर छलांग लगा दी । िवनाश क लाइं ग कक लैरी ांट के सीने पर
पड़ी । लैरी ांट अ यािशत ढंग से बौखला गया और कं चन उसक पकड़ से छू ट गई ।
ले कन तुर त ही लैरी ांट भी संभल गया और िवनाश क ओर बढ़ा । तभी िवनाश को
एक लंबी क ल और हथौड़ा िमल गया । उसने फु त से वह क ल और हथौड़ा उठा िलया
और लैरी ांट को दबोचकर नीचे िगरा िलया । िवनाश ने क ल उसक पंडली पर रखकर
तेजी से हथोड़ा मारा, ले कन लैरी ड तब तक करवट ले चुका था । क ल तेजी से बोट के
फश म घुस गई । िवनाश ने तुर त कल बाहर ख च िलया । क ल के िनकलते ही एक तेज
बौछार से पानी बोट म उस छेद से अंदर आने लगा ।
तभी फर िवनाश ने लैरी ाड पर दोबारा वार कया और इस बार क ल उसक पंडली
म पैव त हो गई और खून का फ वारा फू ट पड़ा । पंडली वाली क ल ह ी को छेद कर
आर-पार हो चुक थी । उसका िसर के िबन क फश से टकराया । िवनाश ने बीच का
फासला तय कया और उसक जेब से डाट बॉ स िनकालकर हाथ म ले िलया ।
“ओ०के ० वीटहाट !” िवनाश ने मु कु राकर कहा, “अब बताओ क नीलामी कहाँ
होगी ?”
पानी अब के िबन म भी आ रहा था और लैरी ांट का खून रस कर उसम िमल रहा था ।
ांट लंबी-लंबी साँस ले रहा था, जैसे उसे साँस लेने म क महसूस हो रहा हो । हाथ
और पंडली खून से तर थ । सीना ठोड़ी से लग गया था ।
उधर कं चन बेहोश पड़ी थी । खून उसक टाँग से भी बह रहा था ले कन उस तरफ
िवनाश का कोई यान नह था ।
“नीलामी कहाँ हो रही है ?” िवनाश ने एक-एक श द म कठोरता भरते ए पूछा ।
उसने जवाब देने से इनकार कर दया ।
िवनाश ने िड बे म से एक और डाट िनकाली और लैरी ांट क बगल म उतार दी । ांट
के मुँह से दल दहला देने वाली चीख िनकली और वह बुरी तरह तड़पने लगा ।
एक छोटा-सा जहाज या बड़ी बोट अब धीरे -धीरे पानी म डू ब रही थी और इस के िबल
क आवाज के अलावा वहाँ कोई इं सानी आवाज नह उभर रही थी । फाय रं ग क आवाज
तो कभी क दम तोड़ चुक थी । अब जो आवाज उभर रही थ वह िसफ समु क लहर
का शोर था ।
लेरी ांट क बगल म बांस क पूरी क ल गायब हो गई । िसफ लकड़ी का टु कड़ा ही
बाहर रह गया था ।
“बोलो लैरी ांट !” िवनाश गुराया, “नीलामी कहाँ हो रही है ? वरना म अब तु हारे
िज म के उस िह से को िनशाना बनाऊँगा िजसे ज मी... ।”
“त... तुम.... मुझे क ल नह कर सकते... ।” लैरी ांट बोला, “म एक सजरी का ब त
बड़ा िवशेष ँ । मने तु हारी ेिमका को नया जीवनदान दया है ।”
“मेरे िलए वह मर चुक है और तु हारी मौत यक नी हो चुक है । हो सकता है, इस देश
म भी तु हारी हैिसयत एक वी०आई०पी० क हो । ले कन शायद तुम यह नह जानते क
मुझे वी०आई०पी० के क ल का भी सरकारी लाइसस ा है और लैरी ांट ! एयर
कमांडर और वाइस माशल भी अपने फन के िवशेष थे । तुमने उनक जान लेने म कोई
रहायत नह क , तो म भी तु ह कु े क मौत मारने से बाज नह आऊँगा ।”
“पुिलस के हवाले कर दो मुझे । यह बोट डू ब रहा है । तुम चाहो तो मुझे बंदी बनाकर
कानून के हवाले कर सकते हो । तुम... तुम मुझे क ल नह कर सकते । शायद तुम मुझे नह
जानते क संसार के हजार -लाख लोग महज मेरे एक ऑपरे शन से बच जाते ह । सारी
दुिनया म मुझे लोग कॉल करते ह और िजस मु क म प च ँ ता ,ँ वे मेरी सुर ा के
िज मेदार होते ह ।”
“तु हारी कोई भी दलील मेरे काम नह आएगी लैरी ांट ! तुम चाहे मुझे कसी भी प
या पद पर िमलते तब भी म तु हारे िज म का रे शा-रे शा अलग कर देता ।” िवनाश के वर
म कसी भेिड़ए क -सी गुराहट थी और फर उसने डाट का खेल खेलना शु कर दया ।
लैरी ांट क चेहरे पर वह क ल पैव त हो गयी । रान पर एक क ल लगी । त द पर
लगकर तीन क ल आकर क गई । लैरी ांट कसी ऐसे साँड क तरह डकरा रहा था िजसे
िजबह कया जा रहा हो । एक और डाट आई । लैरी ांट ने डाट के सामने अपना ज मी
हाथ लाने क कोिशश क ले कन वह कं ठ म घुस गई । वह कसी मुदा िछपकली क तरह
कालीन पर िचत लेट गया । खून का रं ग के िबन म भर रहे पानी म िमला तो पूरा के िबन ही
सुख पानी से भर गया ।
िवनाश ने एक और डाट लैरी ांट क जीवन दाइनी नािसका क तरफ उछाल दी । अब
वह तेजी से आगे बढ़ा और उसने लैरी ांट क तलाशी लेनी शु कर दी । एक डायरी
उसके हाथ लग गई । िवनाश ने डायरी जेब म रख ली ।
अब वह कं चन क तरफ पलटा जो बेहोश हो चुक थी । उसने कं चन क न ज पर हाथ
रखा । वह जीिवत थी ।
िवनाश ने उसे तुरंत ही कं धे पर लाद िलया और बाहर िनकलने के िलए कदम बढ़ाया ।
डू बते ए इस बोट म अब पानी तेजी के साथ बढ़ रहा था । पानी के रे ले को काटता आ
िवनाश कसी तरह डेक पर आ गया । डेक पर लाश-ही-लाश पड़ी थ । डेक पर अभी पानी
नह आया था और वहाँ एक लाइफ बोट भी मौजूद थी । कु छ लाश समु म भी तैर रही
थ । सामने एक बोट और नजर आ रही थी, जो समु क सतह पर िहचकोले खा रही थी,
परं तु उसम कोई नजर नह आ रहा था । उस बोड का एक िह सा भी टू ट चुका था और वह
कसी भी समय पानी म गक हो सकती थी । उस बोट म कोई भी जीिवत इं सान नह रहा
था ।
िवनाश ने लाइफ बोट खोल दी और कं चन को लेकर उसी बोट ारा समुंदर म उतर
गया । जहाँ कं चन क पंडली से खून रस रहा था उस जगह िवनाश ने प ी बाँध दी और
अब कं चन के फू ल जैसे िज म को लेकर सूने समु के सीने पर बढ़ रहा था ।
☐☐☐
शाईतैन आसन लगाये वी०सी०आर० म अपने पसंदीदा ो ाम क कै सेट देख रहा था
और बहराम उसके इद-िगद च र लगा रहा था । वह इस बात क ती ा म था क
शाईतैन का यह कै सेट कब समा हो, तो उससे बात क जाये । य क अभी तक उसने
िजतने भी सवाल कए थे, शाई क ओर से कोई जवाब नह िमला था । बि क उसने
बहराम को खामोश रहने का संकेत कया था । अचानक कै सेट समा हो गया । शाईतैन ने
हाथ का संकेत कया और झ लाकर बहराम ने वी०सी०आर० का ि वच ऑफ कर दया ।
“नीलाम कहाँ हो रहा है ?” बहराम ने पूछा ।
“मालूम नह ।” शाई का जवाब था ।
“और या तुम दोन नाकाम हो गए ?” बहराम ने पूछा । उसके वर म अ यिधक
बेचैनी झलक रही थी ।
“अभी नह , अभी मामला हद से यादा नह आ है ।”
“बाजीगर ने डॉ टर टीना को क ल कर दया ।”
“बेशक कर दया । म भी ऐसी औरत को पसंद नह करता ।”
“ लीज शाईतैन ! म ब त परे शान ँ । अगर हम नाकाम हो गए तो सारा उ रदािय व
मेरे िसर पर होगा ।”
“ले कन बाजीगर के लौटने से पहले म कसी तरह का उ र देने क पोजीशन म नह
ँ ।”
“आिखर वह गायब कहाँ हो गया ?”
“वह गायब नह आ, कदािचत् बाजीगर उनक कै द म है ।”
“लैरी ांट ! डॉ टर लैरी ांट !” बहराम के वर म आ य था ।
“हाँ । वही मोटा ि इस सारी खुराफात क जड़ है ले कन तुम चंता न करो । सेठ
बलवंत के रखवाले उसके पीछे लग गए ह । वे अपने बॉस के िलए जान लड़ा दगे और वह
सब लौटकर इसी जगह आयगे ।”
शाईतैन मालती मं दर के शानदार पैलेस म मौजूद था, िजसम इस समय आयरन फोट
के आदमी गाड के प म मौजूद थे ।
“यह सब तो मुझे मालूम है क पंिडत समुंदर म कह गया है और वह कसी बोट का
पीछा कर रहा है । ले कन बताया गया था क बोट म चंद नामी मगलर मौजूद ह । सेठ
जगमोहन भी बोट म है । मेरा शक था क ये लोग नीलामी म भाग लगे ।”
“और यह बात िसफ म बता सकता ँ क उसी जहाजनुमा बोट म बाजीगर भी कै द है ।”
“लैरी ांट भी उसी बोट म मौजूद है ।”
“हाँ, और उसके अलावा एक लड़क भी है ।” शाईतैन ने िवशेष अंदाज म हँसते ए
कहा ।
“तुम हँस रहे हो !” बहराम क भौह कमान हो ग ।
“बात ही हँसने क है ।”
“यह हँसने-हँसाने का व नह शाई ! भगवान के िलए सी रयस हो जाओ ।”
“म नह समझता क सी रयस होने से सम या हल हो जाएगी । दरअसल चीफ ऑफ
बाजीगर महोदय ! तुमने ऐसी कई फ म देखी ह गी जब िवलेन के सामने कोई चारा नह
रहता तो वह हीरो को काबू करने के िलए कसी ऐसी लड़क को कै द कर लेता है िजससे
हीरो क बड़ी जोरदार मोह बत चल रही होती है । यह ऐसी फ म का लाइमे स होता
है ।”
“म कु छ समझा नह ।”
“लैरी ांट को बाजीगर क हक कत का आभास है । वह जानता है क कै द करने से भी
उस पर काबू नह पाया जा सकता । वह सारे प े अपनी जेब म रखना चाहता है, इसिलए
उसने ऐसी लड़क को भी साथ ले िलया िजससे बाजीगर बेइंतहा यार करता है और वह
ठीक कसी फ मी हीरो क तरह अपनी लैला के िलए जान दे सकता है ।”
“यह या बकवास शु कर दी तुमने ! कौन है वह लड़क ?”
“वह ऐसी ही लड़क है िजसके मामले म म कु छ नह बोल सकता । म जानता ँ क मेरे
बोलने से भी कोई लाभ न होगा । मने उसके दल क आवाज पहचान ली थी । वह मजनू
हो गया है । तीसरे दज का घ टया आिशक । वह उस लड़क क मोह बत के सामने अंधा
हो चुका है । तु ह भी सतक कर रहा ,ँ इस मामले म न पड़ना ।”
“कह यह वह बुकापोश लड़क तो नह , जो चंद दन उसके साथ रही है ।” बहराम ने
च ककर पूछा ।
“जी हाँ, आप ठीक फरमा रहे ह ।”
“ले कन बाजीगर का िश ण इस चीज क अनुमित नह देता । ऐसा कै से हो सकता है
क वह एक लड़क के िलए... ।”
“शायद तुम नह जानते क यह लड़क कौन है, ले कन म जानता ँ ।”
“जब तुम जानते थे तो तुमने मुझे य नह बताया और फर तुमने उस लड़क ... ।”
“एक िमनट चीफ ! अिधक उ ेिजत होने क ज रत नह । म तु ह पहले ही बता चुका
ँ क म इस मामले म मजबूर ँ । िवनी का उस लड़क से गहरा आि मक संबंध है । वह
दोन एक आ मा, दो शरीर ह और ऐसी मोह बत का सबको अिधकार है ।”
“ले कन म कहता ,ँ बाजीगर को इसका अिधकार नह है ।” बहराम ने चीखकर कहा,
“म उस लड़क को गोली से उड़ा दूग ँ ा ।”
“इसिलए तो म इस संबंध म कु छ बताना नह चाहता था ।”
“शाई !” बुरी तरह बहराम झ ला गया, “ई र के िलए पहेिलयाँ मत बुझाओ । मुझे
बताओ क वह लड़क कौन है ?”
“ले कन एक वादा करना पड़ेगा तु ह ।”
“कै सा वादा ?
“मेरी तरह तुम भी इस मामले म खामोश रहोगे ।”
बहराम उसे घूरने लगा । कु छ पल खामोश रहने के बाद बहराम बोला, “अ छा, ठीक
है । म हारा, तुम दोन बदमाश जीते । म वायदा करता ँ ।”
“तो फर सुनो ।” शाईतैन ने मु कु राकर कहा, “उसका नाम कं चन है ।”
“कं ... चन ! कदािचत् यह नाम तो म पहले भी सुन चुका ँ ।”
“ज र सुना होगा ।” शाई उसी अंदाज म बोला, “वह वही लड़क है जो कॉलेज जंदगी
म िवनी क दो त थी, ेिमका थी और फर कपूर नामक लड़के का क ल िवनी ने इसी क
वजह से कर दया था । कपूर से दु मनी क वजह यही लड़क थी ।”
“ओह गॉड ! अब याद आया । मगर उसक तो शादी हो गई थी । िवनाश को कहाँ िमल
गई ।”
“इ मीनान से बैठ जाओ । म तु ह उसक पूरी कहानी सुनाता ँ ।” शाई ने कहा और
बहराम ने अपने आपको सोफे पर ढेर कर दया । उसने अपना िसर थाम िलया था ।
शाईतैन जब पूरी कहानी सुना चुका तो बहराम क बेचैिनयाँ और भी बढ़ ग । वह उठ
खड़ा आ और कमरे म टहलने लगा । बड़ी देर तक गहरी खामोशी छाई रही । दोन म
कोई न बोला । यह स ाटा ऐसा था जैसे कोई तूफान गुजर गया हो और अपने पीछे तबाही
के िनशान छोड़ गया हो ।
अंत म खामोशी शाईतैन ने तोड़ी ।
“अब या कहते हो चीफ ! या अब भी इस लड़क को गोली से उड़ा देने का इरादा
रखते हो ?”
“तु ह यक न है क लैरी ांट उसक सजरी म कामयाब हो गया था ?” बहराम ने
ककर पूछा ।
“हाँ, वह फर से अपना खोया आ प पा चुक है ।” शाईतैन ने जवाब दया ।
“यह लड़क कं चन जंदा रहेगी ।” बहराम ने अचानक अपना फै सला सुना दया, “और
िवनाश अगर चाहे तो शादी कर सकता है । इसक सूरत यह होगी क हम उसे अपनी
सं था का मबर बना लगे । उसे भी िश ण दया जा सकता है ।”
“तु हारा मतलब है, एक बाजीगरनी तैयार कर दी जाएगी ।”
“हाँ, ऐसा भी हो सकता है ।”
अब शाईतैन अपना िसर पकड़कर बैठ गया ।
“यह बात मेरे जेहन म थी शाई क िवनाश के जीवन म कभी-न-कभी कसी-न- कसी
मोड़ पर दो शि सयत आकर टकरा सकती ह । उस हालत म या बाजीगर उनका क ल
कर सके गा । एक यह लड़क , दूसरी िवनाश क माँ । और मने यह िनणय पहले ही ले िलया
था क यह दो इं सान और ह गे जो बाजीगर का रह य जानने के बावजूद भी जीिवत रहगे ।
य क बाजीगर एक मशीन होने से पहले एक इं सान भी है और अगर इं सान क भावनाएँ
मर जाती ह तो वह इं सान नह , द रं दा बन जाता है ।
“मेरी तरफ से आपको मुबारकबाद ।” शाईतैन ने बहराम क बाकायदा का नस बजाई,
“अब सारा मामला सुलझ जाएगा ले कन म बाजीगर को फलहाल इसक मुबारकबाद
नह दे सकता । और न ही अभी उसे शादी क छू ट दे सकता ँ । ले कन इस बात से सहमत
ँ क वह लड़क जंदा रहेगी ।”
“ले कन लैरी ांट ने अगर उस लड़क को ढाल बनाकर िववश कर डाला... ।”
“ऐसा नह हो सकता । ऐसा कभी नह हो सकता । िवनी को मुझसे अिधक कोई नह
जानता । वह ऐसी ि थित आने पर अपनी मोह बत का गला घ ट देगा ।”
बहराम ने कु छ राहत क साँस ली और फर घड़ी म समय देखा ।
“अ छा, म चलता ँ । जैसे ही कोई सूचना िमले, मुझे फोन कर देना ।” इतना कहकर
बहराम कमरे से बाहर िनकल गया । शाईतैन ने अपनी पसंद का दूसरा कै सेट
वी०सी०आर० पर चढ़ाना शु कर दया ।
☐☐☐
िवनाश मालती मं दर कनारे के बोट हाउस तक प च ँ ने म कामयाब हो गया था । परं तु
उस व रात के तीन बजे थे और सारे ीप पर रात क अंधेरी लाइ स टम टमाती नजर
आ रही थी । रात के समय पैलेस के ऊपर एक सुख रोशनी जला करती थी जो इस बात का
सूचक थी क रात के अंधेरे म समु ी जहाज या वायुयान को उसक उपि थित का आभास
आसानी से हो जाये । िवनाश ने दूर से ही वह रोशनी देख ली थी और उसी के सहारे आगे
बढ़ता आ ीप के तट पर आ गया था ।
मालती मं दर के बोट हाउस म इस समय दो बोट मौजूद थ । मुंबई के सािहल तक
प च ँ ने म उसे ब त व लग जाता, इसिलए वह इसी जगह प च ँ ा था और िजस समय
उसने यह सफर शु कया था, उस समय शाम का धुंधलका फै ल गया था ।
च पू चलाते-चलाते उसके हाथ म ठन होने लगी थी । बड़ी ही धीमी र तार से उसने
अपना सफर शु कया था । लाइफ म एक कु तुबनुमा फ स था और एक न शा भी
मौजूद था । उसी के सहारे आगे बढ़ता आ वह फर आिखरकार मालती मं दर प च ँ ने म
कामयाब हो गया था ।
उसके जेहन म एक ही सवाल था, कं चन का जीवन बचाना था । कं चन क बेहोशी अभी
टू टी नह थी । इस गहरी बेहोशी ने उसे चंितत कर दया था । कह डाट क वह सुई भी
जहरीली तो नह थी जो लैरी ांट ने कं चन पर छोड़ी थी । उसे यही खटका था ।
घाट पर उतरते ही िवनाश ने इधर-उधर देखा और फर अचानक वह रोशनी से नहा
गया । कसी ने उसे वह कने का आडर दया । िवनाश जहाँ था वह क गया । उसे
याल आया क इस व उसके चेहरे पर सेठ बलवंत वाला मेकअप भी नह है । ऐसी
ि थित म पैलेस म मौजूद उसके गाड भला उसे कस तरह पहचान पाएँगे । ऐसी ि थित म
वह उसे बलवंत मानने के िलए कसी भी सूरत म तैयार न ह गे ।
कदम क चाप उसके करीब आने लगी । फर एक राइफलधारी उसके पास आ गया ।
वह उसी क तरफ देख रहा था जो अभी दूर ही था । िन य ही बोट हाउस म दो गाड
मौजूद थे ।
“कौन हो तुम ?” गाड ने पूछा ।
“म एक भटका आ मुसा फर ँ । मेरे साथ यह लड़क भी है । हमारा जहाज डू ब गया
और म कसी तरह यहाँ तक आ प च ँ ा । हमारी मदद करो ।”
गाड कु छ देर तक उसे घूरता रहा फर बोला, “तु हारे पास कोई हिथयार तो नह ?”
“नह । चाहो तो मेरी तलाशी ले सकते हो ।” गाड ने आगे बढ़कर उसक तलाशी ली,
फर बेहोश लड़क क तरफ देखा ।
“ठीक है । तु ह चंद िमनट यहाँ इं तजार करना होगा ।” उसने लकड़ी के एक के िबन क
तरफ इशारा कया, “ फर म बता सकूँ गा क म तु हारे िलए या कर सकता ँ । इतने म
तुम उस के िबन म आराम करो ।”
िवनाश, कं चन को लादकर के िबन क तरफ बढ़ गया । के िबन के पास ही उसका दूसरा
साथी पावरफु ल टोच जलाएँ खड़ा था । दोन गा स ने आपस म कु छ बात क , फर रे िडयो
फोन ारा पैलेस से संपक थािपत कया ।
िवनाश ने कं चन को के िबन म मौजूद एक बेड पर िलटा दया । आधे घंटे बाद ही कसी
गाड़ी इं जन का शोर सुनाई दया और फर एक गाड के िबन म आ गया ।
“आप भा यशाली ह, जो पैलेस म सेठ बलवंत के गे ट बन गए हो ।” उसके वर म
स मान क झलक थी, “आइये, हम आपक मदद के िलए तैयार ह ।”
कु छ ही देर म िवनाश कार म बैठा पैलेस क तरफ बढ़ रहा था । िपछली सीट पर कं चन
लेटी थी । िवनाश उसी सीट के कोने म बैठ था और कार तेज र तार से पैलेस क तरफ
भाग रही थी । पैलेस प च ँ ने म आधा घंटा और बीत गया ।
िवनाश ने अपनी घड़ी म समय देखा । साढ़े चार बज गए थे और भोर का उजाला
फै लना शु हो गया था । पैलेस के एक िवशेष कमरे म उसे प च ँ ा दया गया । पैलेस के दो
र क ने कं चन को ेचर पर लादकर उसके कमरे म प च ँ ा दया ।
िवनाश को यह देखकर तिनक आ य आ क यहाँ न िसफ गाड क सं या बढ़ गई है
बि क गाड नए भी है । फर औसत कद का ि उसके कमरे म आया तो िवनाश उसे
देखकर च क पड़ा । वह ि आयरन फोट का एक िस यो रटी ऑ फसर था और दोन
ही एक-दूसरे से प रिचत थे ।
“तुम और यहाँ ?” िवनाश ने च ककर पूछा ।
“जी हाँ !” ऑ फसर मु कु राया, “हम आपका बेताबी से इं तजार था । हम यक न था क
आप देर-सवेर इसी जगह पहले प च ँ गे । चीफ ब त परे शान ह और रात को भी तीन कॉल
उनक आई थी ।”
“ले कन तुम लोग यहाँ आये कब ?”
“हम शु से यह थे ।” वह बोला, “पंिडत जी आयरन फोट का आदमी था और दूसरे
लोग भी जो यहाँ आपके साथ अटैच रहे ह, उनका संबंध कसी-न- कसी प म आयरन
फोट से था ।”
“तो या आयरन फोट म जरायम पेशा लोग भी काम करते ह ।”
“ऐसे ब त से लोग ह ।” वह मु कु राया, “कु छ मुज रम भी हमारे िलए इनफामर का
काम करते ह । पंिडत क तरफ से कोई सूचना हम नह िमली, इसिलए हम परे शान थे ।”
“पंिडत मारा गया ।”
“ओह !” िस यो रटी ऑ फसर के चेहरे पर पल भर के िलए िवषाद के भाव उभरकर
गायब हो गए ।
“मने शाई गु को यहाँ भेजा था ।” िवनाश ने पूछा ।
“वह इस व यहाँ नह ह ।”
“पैलेस म एक लीिनक म भी है । इस लड़क के संबंध म फौरन कु छ करना है । तुम
ऐसा करो, कसी डॉ टर को फौरन तलब करो । ले कन ठहरो, म खुद चीफ से बात कए
लेता ँ ।”
िवनाश पैलेस के उस क म प च ँ ा जहाँ रे िडयो फोन क व था थी । उसने तुरंत
बहराम से संपक थािपत कया । बहराम उस व भी जाग रहा था ।
“सारी रात से म तु हारी कॉल का इं तजार कर रहा ँ ।” बहराम ने पुरजोर आवाज म
कहा, “तुम ठीक तो हो न ?”
“मुझे तो कु छ नह आ वीटहाट, ले कन तुरंत ही कसी अ छे डॉ टर को यहाँ भेज
दीिजए ! मेरा याल है क इसके िलए आपको एक हेलीकॉ टर क व था करनी होगी,
य क मुझे भी बुखार चढ़ा आ है और म अब बोट म सफर नह कर सकता । समु ी हवा
मुझे रास नह आ रही है ।”
“ फ न करो बाजीगर, म तुरंत व था करता ँ !”
“थ यू वीटहाट !”
“नीलामी के संबंध म कु छ पता चला ?”
“मुझे थोड़ा व तो और दीिजए । म उसी हेलीकॉ टर से आ रहा ँ ।” िवनाश ने कहा
और फर संबंध िव छेद कर दया ।
कं चन का आव यक उपचार शु हो गया था । िस यो रटी ऑ फसर ने यह िज मेदारी
संभाल ली थी । िवनाश बेहद थक गया था । वह इस बीच कु छ आराम कर लेना चाहता
था, िसफ उस समय तक जब तक हैलीकॉ टर नह प च ँ जाता ।
☐☐☐

हैलीकॉ टर ारा डॉ टर पैलेस म प च ँ गया और िवनाश, कं चन को उसक देख-रे ख म


छोड़कर हैलीकॉ टर म सवार हो गया । हैलीकॉ टर क सीट पर भी वह बैठे-बैठे ऊँघ रहा
था । ठीक नौ बजे उसे एक िनि त मुकाम पर प च ँ ना था । बाजीगर अपनी उसी मंिजल
क ओर रवाना हो गया था ।
हैलीकॉ टर के अंदर ही िवनाश सुबह क आव यक ए सरसाइज कर रहा था । वह
अपनी थकान और न द को अपने िज म से बाहर फक देना चाहता था और शाईतैन के
बताये ए गुण के अनुसार ही काम कर रहा था । इसी ह के -फु के ायाम ने िवनाश के
शरीर म िबजली-सी भर दी । उसक सारी थकान और उस पर सवार न द गायब हो
गयी । अब वह पूरी तरह तरोताजा था ।
अब उसने अपनी जेब से वह डायरी िनकाली जो उसे लैरी ांट क जेब से ा ई थी ।
एक बार फर वह उस डायरी का अ ययन करने लगा । वह अपने दूसरे व साथ लाया
था, जो उसके बैग म पड़े थे । िवनाश ने हेलीकॉ टर छोड़ने से पहले वह व बदल िलए ।
उसके िज म पर अब एक शानदार सूट था ।
हैलीकॉ टर ने उसे एक मैदान म छोड़ दया था । मैदान म एक कार तैयार खड़ी थी, जो
उसे उसक इि छत जगह ले जा सकती थी । ले कन उसे रवाना होने से पहले एक टेलीफोन
बूथ क तलाश थी जो क उसे ज द ही िमल गया ।
िवनाश कार से उतरकर सीधा बूथ क तरफ बढ़ा और उसने एक नंबर डायल कया ।
दूसरी तरफ से फोन उठाने वाली कोई औरत थी ।
“म एक के पीिल ट ँ ।” िवनाश ने फोन पर कहा, “ या आज म आपक सं था के कसी
पदािधकारी से िमल सकता ँ ?”
“मुझे खेद है सर ! हमारा द तर मर मत के िलए बंद रहेगा, इसिलए आज कसी
पदािधकारी से आपक मुलाकात नह हो सकती । के वल िम टर देव ऑ फस म मौजूद
रहगे ता क मर मत क देखभाल क जा सके ।”
“और वह मर मत कतने बजे तक चलेगी ?”
“म आपका मतलब नह समझी ।”
“इसका कोई व तो होगा ही ?”
“म कह चुक ँ क पूरे दन क छु ी है ।”
“तो फर आप मुझे कसी पदािधकारी के घर का पता दे दीिजये । म उनसे घर पर ही
मुलाकात कर लूँगा ।”
दूसरी तरफ खामोशी छाई रही ।
और फर कहा गया, “अगर आपको इतना ही ज री काम है तो आप यहाँ िसफ दो घंटे
म अपनी मुलाकात तय कर सकते ह । द तर नौ बजे खुल जाता है ले कन दस बजे तक
ऑ फस आने का समय होता है । आज ठीक बारह बजे द तर बंद हो जाएगा । दस से बारह
के बीच आप कसी पदािधकारी से मुलाकात कर सकते ह ।
“थ यू मैडम !” िवनाश ने कहा, “अगर मेरी क मत अ छी ई तो आज रात को कोई
पदािधकारी मुझे िमल ही जायेगा ।”
इतना कहकर िवनाश ने फोन िड कने ट कर दया ।
इसका मतलब यह है क नीलामी बारह बजे शु हो जाएगी । बारह बजे के बाद वहाँ
िसफ देव ही रहेगा । यह वह जगह थी जहाँ लैरी ांट क डायरी के अनुसार नीलामी आज
ही होना था परं तु िवनाश उसका ठीक समय नह जानता था, इसिलए उसने पहली
कोिशश यही क थी क वह िजतनी ज दी हो सके इस नीलाम घर तक प च ँ जाये, ले कन
अब उसे समय का इ म हो गया था ।
अभी घड़ी म आठ बजे थे और उसे बारह बजे उस इमारत म प च ँ ना था । उसके पास
खासा समय था और वह यह समय कसी अ छे होटल के शानदार ि व मंग पूल पर
तीत करना चाहता था ।
िवनाश कार म आ बैठा ।
“होटल ताज चलो ।”
उसके ाइवर ने िबना कोई आ य कट कए गदन को जुि बश दी और कार को आगे
बढ़ा दया । कार म बैठे-बैठे िवनाश ने एक बार फर उस डायरी के पृ उलटे ।
इस डायरी म उस सं था का पता था । उसने सोचा, नीलामी म यक नन कु छ देश के
ितिनिध भी आएँगे और वहाँ मौजूद अजनबी मेहमान म एक िबन बुलाए मेहमान क
गुंजाइश भी िनकल सकती है । उनम से अिधकांश एक-दूसरे के िलए अजनबी ही ह गे ।
आधे घंटे के भीतर ही कार ने उसे होटल ताज प च
ँ ा दया ।
तब िवनाश ने कार ाइवर से कहा, “तुम जा सकते हो । मेरे पास काफ व है । ठीक
साढ़े यारह बजे हािजर हो जाना ।”
िवनाश कार से उतरकर सीधा होटल के रसे शन पर जा प च ँ ा और रसे शिन ट गल
से अ यिधक खुशगवार मुड म बात करने लगा । थोड़ी ही देर म उसे एक सूइट क चाबी
िमल गई । िवनाश सूइट म प च ँ ा और फर अगले चंद िमनट बाद ही वह ि व मंग पूल म
गोते लगा रहा था ।
वह एक अ छा तैराक था । उसका कसरती बदन ऐसा था क कोई भी लड़क उसे
देखकर दीवानी हो सकती थी । ि व मंग पूल के कनारे ही दो-तीन लड़ कयाँ उसम
दलच पी लेती रह । उनम से एक लड़क िवनाश को पसंद आ गई और िवनाश ने उसे
िल ट दे दी ।
लड़क ठ डी आह भरती ई उसके करीब आ गई ।
“मुझे ऐसी लड़ कयाँ ब त पसंद है िजनके गाल पर अनिगनत न हे-न हे भूरे-भूरे ितल
होते ह । या तुम भी ऐसी ही हो ?”
“हाँ, म ऐसी ही ँ । यह देखो ।” लड़क ने अपना चेहरा उसके करीब ला दया ।
“जानती हो, िजसके चेहरे पर ऐसे ितल नह होते उसक िमसाल या होती है ?”
लड़क ने इनकार से िसर िहलाया ।
“उसक िमसाल उस रात जैसी होती है जब िसतारे नह िनकलते ।”
“ओ िडयर तुम कतने शानदार हो ।”
“हम थोड़ी देर यही बात करगे, फर आज शाम समुंदर के कनारे क सैर करगे । ठीक है
न ?”
“हाँ, म अपना कु छ व तु हारे साथ गुजारना चाहती ँ ।” वह गदगद होते ए बोली ।
िवनाश को कु छ समय के िलए एक साथी क ज रत महसूस हो रही थी और साथी उसे
िमल गई थी । वह लड़क के साथ मािलश घर म चला गया । मािलश के बाद उसने टीम
बाथ िलया । लड़क ने भी मािलश करवायी और िवनाश के साथ ही टीम बाथ लेती
नह । बाद म िवनाश एक झाग यु टब म उसके साथ घुसा रहा ।
उसने वह समय इसी कार क तफरीह म गुजारा । यारह बजे ह का-सा लंच से िलया
और फर तैयार हो गया ।
☐☐☐
ठीक बारह बजे िवनाश उस इमारत के आठव लोर पर प च ँ गया । यही वह फाइनस
कं पनी थी । इमारत म सचमुच मर मत का काम जारी था, ले कन इस व मजदूर को
लंच क छु ी दे दी गई थी और काम दो बजे शु होना था । िवनाश को यक न था क इसी
बीच नीलामी का काम समा हो जाएगा और वह कसी और जगह चले जायगे ।
नौव मंिजल से एक िल ट नीचे आई और बाक बचे मजदूर भी खसत हो गए ।
मजदूर के साथ आठव मंिजल के हॉल पर एक नौजवान नजर आया िजसने मजदूर को
हॉल से िनकालकर दरवाजा बंद कर दया था ।
िवनाश आठव मंिजल पर ही मौजूद रहा । पाँच िमनट बाद हॉल से फोन क घंटी
बजती सुनाई दी । कसी ने दूसरी घंटी से पहले ही रसीवर उठा िलया । पाँच िमनट बाद
एक िल ट नीचे से आठव मंिजल पर आकर क गई । दरवाजा खुला और आठ िवदेशी,
िजनका संबंध अलग-अलग कौम से था, बाहर िनकल आये । िवनाश एक कोने म िछपकर
उ ह देखता रहा । यह लोग हॉल के दरवाजे पर क गए । हॉल का दरवाजा खुला और वह
अंदर चले गए ।
दरवाजा पुनः बंद हो गया ।
िवनाश ने हॉल के दरवाजे पर जाकर कान एक कवाड़ से लगा दया ले कन वह कोई
आहट या आवाज न सुन सका । यक नन वह सब-के -सब हॉल म बने कसी कमरे म मौजूद
ह गे । दरवाजा खोलने के िलए हडल घुमाया, ले कन दरवाजा अंदर से लॉक था ।
वह हॉल के िपछले दरवाजे क तरफ़ बढ़ गया । यह दरवाजा शीशे का था । िवनाश ने
एक िस ा िनकालकर दरवाजे पर द तक दी । दरवाजा िसफ इतना खुला क अंदर वाला
बाहर झाँक सके ।
“कौन है ?” दरवाजा खोलने वाले ने पूछा ।
“िम टर देव मौजूद ह ?” िवनाश ने पूछा ।
उसे िव ास था क देव नामक वह ि िपछले दरवाजे क वजह कह दूसरी जगह
पर होगा ।
“हाँ, मौजूद है ।”
“उ ह ने मुझे बुलाया है ।” िवनाश बोला, साथ-ही-साथ वह अपनी एक उं गली उस
जंजीर क तरफ बढ़ा रहा था जो दरवाजे और चौखट से जुड़ी थी । इस जंजीर के कारण
दरवाजा पूरी तरह नह खुल सकता था और उसने एक झटके से जंजीर तोड़ दी । दरवाजा
खुल गया । वह अंदर घुसा और उसने एक नौजवान को दबोच िलया जो उसक राह म
आने क कोिशश कर रहा था ।
“तु हारा नाम ?” िवनाश गुराया ।
िवनाश के दोन हाथ उसके नरखरे पर थे ।
“देव !” नौजवान िवनाश क िगर त से िनकलने के िलए संघष कर रहा था । िवनाश ने
उसे कु स पर धके ल दया ।
“तु हारी शादी हो चुक है ?” िवनाश ने अजीब सवाल कया ।
“हाँ... हाँ ।”
“और ब े ?”
“दो ब े भी ह ।” देव हकलाकर बोला ।
“तो तु ह अपने ब से यार भी होगा ।” िवनाश ने उसक तरफ झुककर सरगोशी
क । देव सहमित से िसर िहलाकर रह गया ।
“तब फर तुम मेरे बारे म जुबान बंद रखोगे, वरना तु हारे ब े, बाप के बगैर ही
परव रश पायगे ।” िवनाश ने धमक दी ।
यह कहकर उसने देव क कनपटी पर हाथ मारा । देव अब बीस िमनट से पहले होश म
नह आ सकता था ।
िवनाश ने देव से िनपटकर दायाँ कान एक दीवार पर लगा दया और फर राहदारी म
बढ़ गया, जो िपछले दरवाजे से हॉल और कमर क तरफ जाती थी । हॉल म कोई नह
िमला । वहाँ िब कु ल स ाटा था । हॉल के अंितम छोर पर एक कमरे का दरवाजा थोड़ा-
सा खुला नजर आया । िवनाश दबे पाँव उस दरवाजे पर खड़ा आ । अब वह अंदर होने
वाली वाता आसानी से सुन सकता था ।
उपि थत स न ने कसी क आवाज सुनी, “आप सब नीलामी क शत को दमाग म
रखे । आपने गारं टी फॉम भरने के बाद इसम भाग िलया है । अब म हर कसी क पेशकश
बंद िलफाफे म वसूल करके दूसरे कमरे म जाऊँगा । म वहाँ िलफाफा खोलूँगा और वापस
आकर उस ि का नाम घोिषत कर दूग ँ ा, िजसने सबसे अिधक बोली लगाई होगी । आप
सब कसी-न- कसी मु क से संबंध रखते ह । पहले इस नीलामी म ब त से लोग भाग ले
रहे थे । उनक सं या बढ़ गई थी । तभी हमने गारं टी रािश बढ़ाकर उ ह लोग को
िनमं ण दया जो कसी देश िवशेष के ितिनिध ह और प रणाम व प िसफ आप लोग
का चयन आ ।”
वह कु छ ककर बोला, “प रणाम घोिषत होने के बाद कामयाब देश के ितिनिध को
छोड़कर शेष सभी अितिथगण तशरीफ ले जाएँगे और हमारी अितिथ-शाला म जाकर बैठ
जाएँगे । उनक जमानत वहाँ वापस िमल जाएगी । कामयाब देश का ितिनिध मेरे
मुव ल से बातचीत करे गा, ता क सोना ांसफर कराने के बंध कए जा सके ।”
“कृ पया अब अपने िलफाफे मेरे सुपुद कर द ।” बोलने वाले ने ाथना क ।
िवनाश ने कु सयाँ िखसकने क आवाज सुनी । लोग नीलामी करने वाले को मोहर बंद
िलफाफे दे रहे थे ।
“अब मुझे आ ा दीिजए, ता क म दूसरे कमरे म जाकर बोिलयो का िनरी ण कर लूँ ।”
कु छ देर बाद िलफाफा वसूल करने वाले ने कहा ।
“एक िमनट िम टर िगनेशन !” िबगड़ी ई अं ेजी म कसी ने कहा, “हम यह कस तरह
यक न कर ल क आप वा तव म उसी देश को कामयाब जिनत करगे, िजसने सबसे अिधक
बोली दी होगी । आप हम बोली क रकम बताएँगे ?”
“नह ।” यु र म कहा, “हम कामयाब बोली क असिलयत बताने के पाब द नह है
और न ही बताएँगे । य क इस तरह कामयाबी बोली देने वाला देश कु छ दूसरी तरह क
उलझन म पड़ सकता है । आपका यह संदश े िनराधार है क हम नीलाम म कोई बेईमानी
करगे, य क अगर हम बेईमानी करते ह तो नीलाम क ज रत ही या थी, बि क अंदर-
ही-अंदर सौदा तय कर लेते । दूसरी बात यह है क सं था कसी ऐसे कारोबार म हाथ नह
डालती, िजसम बेईमानी या धांधली क जरा भी गुंजाइश हो ।”
गणेशन के इस भाषण के बाद खामोशी छा गयी । िवनाश ने एक कु स िखसकने क
आवाज के साथ ही कदम क चाप भी सुनी । वह दरवाजे से हटकर खड़ा हो गया । एक
ि हॉल के दरवाजे से िनकला । उसके हाथ म कई िलफाफे थे । वह सीधा सामने वाले
कमरे म घुस गया । िवनाश ने िब ली क -सी खामोशी से उसका पीछा कया । गणेशन
दरवाजा बंद करने के िलए पलटा ही था क िवनाश उसके िसर पर प च ँ गया ।
“तुम कौन हो ?” गणेशन गड़बड़ा गया ।
“म एक पुरानी कार खरीदने के िलए कज लेने आया ँ ।” िवनाश ने गंभीरता से उ र
दया ।
“ऑ फस बंद हो चुका है । यहाँ से तुरंत चले जाओ, वरना म पुिलस को बुला लूँगा ।”
गणेशन ने धमक दी ।
“ओह ! अगर तुम कार खरीदने के िलए कज नह दे सकते तो म कु छ और खरीद लूँगा ।
और कोई सरकार िबकाऊ हो तो बताओ ?”
“ या बकते हो ?” गणेशन ने चीखने क कोिशश क थी, ले कन हैरत और खौफ क
वजह से उसक आवाज कं ठ म ही फँ सी रह गयी ।
“म बक नह रहा ँ यारे , बि क नीलामी म िह सा लेने आया ँ ।”
“ कस देश से संबंध रखते हो ? कौन-सी कौम... ?” गणेशन ने थूक िनगलते ए पूछा,
“और तु हारी कौम ने जमानत य नह जमा कराई ?”
“मेरा संबंध इसी मु क से है यारे ! और यह कौम एयर कमांडर, एयर वाइस माशल,
नेवी एडिमरल और सी०बी०आई० डायरे टर क श ल म जमानत के अलावा पूरी
अदायगी भी कर चुक है । उनक कु बानी बड़ी रकम नह है !” िवनाश का वर अ यिधक
कठोर हो गया ।
गणेशन ने एक गहरी साँस ली । वह समझ गया था क खेल ख म हो चुका है । वह
कसी ि वस बकर को तय करने के िलए कु स पर बैठ गया ।
“मगर मेरा कमांडर, उसका या आ ?” गणेशन ने पूछा ।
“वह मर चुका है ।” िवनाश ने जवाब दया ।
“मेरी आज तक उससे मुलाकात नह ई । वह कै सा श स था ?” गणेशन ने बेचैनी से
हाथ मलते ए पूछा ।
“वह पागल था ।” िवनाश बोला, “और तुम एक पागल कु े हो । वह तो िहटलर क
नाजी पाट का एक भगोड़ा था िजसने अपना प सजरी से बदल िलया था । एक नई खाल
पहनकर डॉ टर बन गया था । एक ऐसा डॉ टर जो न िसफ चंद इं सानी जंदिगय से खेल
सकता है, बि क पूरी कौम को भी हलाल कर सकता है । मगर िम टर गणेशन, तुम इसी
मु क के एक बड़े फाइनसर हो ! िवदेश म भी तु हारी ांच ह गी । मु क के पूंजीपित
तुमसे कजा लेते ह गे । सरकारी धंध म भी तु हारा पैसा फँ सा होगा और जब देश का कोई
िज मेदार फाइनसर ही देश बेचने पर उता हो जाए तो उसक हैिसयत एक कु े से भी
बदतर है । म अपना काम संपूण कर चुका ँ दो त और म कसी भी चीज को अधूरा नह
छोड़ता । अब यह सारा खेल ख म हो चुका है ।”
“तब मुझे अनुमित दो क म कमरे म वापस जाकर उन लोग को बता दूँ क नीलामी
ख म हो गया ।” गणेशन ने काँपती आवाज म कहा ।
“नह , यह काम मुझे करने दो ।” यह कहते ए उसने गणेशन के तमाम िलफाफे छीन
िलए, “और यह भी समझ लो क कोई भी पागल कु ा जब सड़क पर आवारा घूमता है
तो लोग को काट खाता है । इस कु े के काटने से दूसरे लोग भी पागल हो सकते ह और
वह वैसी ही हरकत करते ह जैसे क पागल कु ा करता है । म नह चाहता क यह बीमारी
आगे भी फै ले । फर मेरा काम अ यिधक बढ़ जायेगा और कसी को भी हक है क वह
पागल कु े को देखते ही ख म कर दे । मुझे तो खैर इं सान तक को मारने का हक ा है ।”
“म... म... मुझे माफ कर दो ।”
परं तु िवनाश के ने से पुतिलयाँ गायब हो गयी थ और उसक आवाज बाज क शीशे
जैसी आँख क तरह चमकने लगी थी ।
☐☐☐
िवनाश जब नीलाम घर प च ँ ा तो िलफाफे उसके हाथ म थ । सोलह आँख ने उसे
आ य से देखा । यह आँख गणेशन क ती ा कर रही थ , ले कन अब गणेशन क बजाय
खूबसूरत नौजवान उनके सामने था ।
“मेिसयो िगनेशन कहाँ है ?” कसी ने पूछा ।
“वह ऐसी जगह प च ँ गया है जहाँ उसका तुरंत प च
ँ ना आव यक है ।” िवनाश ने कहा,
“इसिलए मुझे आना पड़ा । गणेशन ने मुझे नीलामी संपूण करने का िनदश दया है ।”
यह कहकर वह कॉ स टेबल के टॉप पर खड़ा हो गया ।
उनके चेहर पर अब भी आ य के भाव थे ।
“इससे पहले क म कामयाब बोली देने वाले घर का ऐलान क ँ , म इस नीलामी के कु छ
खास पहलु पर नजर डालना ज री समझता ँ ।” िवनाश ने देखा क तमाम िवदेशी
दलच पी और आ य के िमले-जुले भाव िलए उसे देख रहे थे ।
“पहले यह ऐलान कया गया था क कामयाब बोली देने वाला सोने क श ल म
अदायगी करे गा, ले कन म ऐलान कर रहा ँ क कामयाब बोली वह है िजसके तहत सोने
से अिधक मू यवान व तु अदा क गयी है । कामयाब बोली देने वाले ने िह मत, खून और
कु बानी क श ल म पूरी अदायगी क है । स न ! कामयाब बोली देने वाले देश का नाम
वह है, िजसक आप बोली लगाने यहाँ तशरीफ लाये ह ।”
कमरे म ही हलचल-सी मच गयी । वह सब लोग एक-दूसरे क तरफ देखने लगे ।
“मेरा देश अपनी बोली को दुगनी करने को तैयार है ।” एक ितिनिध ने कहा ।
“हम भी बोली दुगनी कर सकते ह ।” एक और ितिनिध चीख पड़ा ।
“हमारी दो सौ परसट बढ़ोतरी हो सकती है ।” तीसरा ितिनिध भी गुराया ।
“स न !” िवनाश ने मेज पर पाँव मारा, “बोली समा । नीलाम घर बंद कया जाता
है । आप लोग हार चुके ह ।”
“मगर... ।” एक पि मी देश का ितिनिध बोला ।
“अगर-मगर कु छ नह ।” िवनाश गुराया, “अगर आप लोग अपने मु क कु शलतापूवक
वापस जाना चाहते ह तो अभी और इसी समय तशरीफ ले जा सकते ह, वरना म
सी०बी०आई० से संपक थािपत क ँ गा और फर जब यह मामला सरकारी तर पर
काश म आयेगा तो आप सबके देश को भारी बदनामी का सामना करना पड़ेगा । और
यह भी हो सकता है क कई देश आपके देश से कारोबारी संबंध िव छेद कर दगे । आप
लोग अपने देश वापस जाकर अपने मरान से कह दे क कसी देश क आजादी और
सरकार िबकाऊ नह आ करती । अगर आपका देश कसी क आजादी छीनना चाहता है
तो फर सोने क बजाय हिथयार से हर समय तैयार हमसे बात कर । हम हर समय तैयार
िमलगे । अब आप चले जाय । यह िलफाफे हमारे देश के अधीन रहगे, ता क समय-समय
पर आपके देश को यह ऐितहािसक याद दलाई जा सके क आपने एक ऐसी कोिशश क
थी ।”
िवदेशी त ध होकर िवनाश को देखने लगे और फर चुपचाप उठकर कमरे से बाहर
िनकल गए । कु छ देर बाद फाइनस कं पनी के इस द तर क संपूण इमारत म कसी के
कदम क चाप तक बाक न रही ।
िवनाश ने कमरे से िनकलकर गणेशन के कमरे म झाँका । वह सोफे पर बैठा था परं तु
बुरी हालत म था । िवनाश क काितल उं गली उसके दल के आर-पार िनकल गई थी और
जाँच से पता चलता था क वह हाट अटैक से मरा है य क िजस िबजली क तेजी से
उं गली ने काम कया था, घाव भी बंद हो गया था । उसक कमीज पर अव य ही एक
ह का-सा सुख ध बा नजर आ रहा था । िवनाश ने उसक कमीज का वह थान नोच
िलया ।
अब वह उस तरफ बढ़ रहा था जहाँ देव बेहोश पड़ा था । वह एक साधारण तर का
ि था । अपने मािलक के ित वफादार था पर तु मुज रम कदािप न था । उसक
गलती यह थी क उसने िवनाश को आते देखा था । हालां क उसे यक न था क देव कभी
भी मुँह नह खोलेगा और कसी को नह बतायेगा क कोई वहाँ आया था । न जाने य ,
िवनाश को उसे क ल न करके एक खुशी-सी महसूस हो रही थी ।
और शायद बाजीगर का िखताब पाने वाले इस इं सान ने पहली बार एक ऐसे श स को
जंदा छोड़ दया िजसने उसे देखा था और िजसे होश म आने के बाद यह अ छी तरह इ म
हो जाना था क उसके मािलक क मौत के पीछे कसका हाथ हो सकता है । िवनाश के
ह ठ पर मु कु राहट फै ली थी ।
अगर देव क मौत ज री होगी तो उसक व था बहराम भी कर सकता था ले कन
बाजीगर ने उसे माफ कर दया ।
☐☐☐
दो बजे जब िवनाश होटल वापस आया तो यह देखकर च क पड़ा क उ ताद शाईतैन
वह मौजूद था । शाईतैन यहाँ भी आसन जमाए टी०वी० देख रहा था और फश पर वह
कागजात पड़े थे जो िवनाश ने टीना क ह या के बाद शाईतैन के हवाले कए थे । िवनाश
को देखते ही शाईतैन उछल पड़ा और उसने लपककर िवनाश को गले लगा िलया ।
“इस गमजोशी का कोई िवशेष कारण उ ताद शाई ?” िवनाश ने हैरत से कहा ।
“आज तु हारी आँख म वही चमक है जो कसी िमशन क सफलता के बाद नजर आती
है मेरे ब े !” शाईतैन ने जवाब दया, “तु ह सफल और कु शल देखकर मुझे अ यिधक खुशी
है ।”
“ले कन ऐसी खुशी पहले तो आपको कभी नह ई । इससे पहले भी मने कई के स
िनपटाये ह । बात तो कु छ और ही है ।”
“पहले तुम बहराम से फोन पर बात कर लो । तु हारा वह चीफ ब त परे शान है ।
उसका हाजमा खराब हो रहा है ।”
िवनाश फोन पर बहराम का नंबर िमलाने लगा । बहराम ने तुरंत ही रसीवर उठा
िलया, जैसे वह उसी कॉल क ती ा म बैठा था ।
“नीलाम ख म हो चुका है चीफ !” िवनाश ने कहा, “हम जीत गए ।”
“गॉड लेस यू ।” दूसरी तरफ से बहराम ने गहरी साँस ली, “कोई जानी नुकसान ?”
“गणेशन फाइनस कं पनी शायद ख म हो गई है ।” िवनाश ने उस इमारत का पता बता
दया ।
“गुड ।” बहराम के वर म खुशी का गहरा भाव था, “और म तु ह भी एक खुशी का
पैगाम देना चाहता ँ । तु हारी कं चन को होश आ गया है । डॉ टर ने उसे बचा िलया है
और वह मालती मं दर के पैलेस म तु हारा इं तजार कर रही है । आज से पैलेस तु हारा
रे िजडस कहलायेगा ।”
“शाई गु एक सूची लेकर आपके पास प च ँ रहे ह ।” िवनाश ने बहराम क उस बात
को अनसुना कर दया, “इस सूची म चंद व र पदािधका रय के नाम ह । एक श स मबर
ऑफ पा लयामट भी है और कु छ और भी वी०आई०पी० ह । सब लोग टीना के आिशक
थे ।”
“गुड ।” बहराम ने पुरजोर वर म कहा, “मुझे तुम पर फ है । ले कन वह कं चन... ।”
“डा... डा... डा... डा... डम... डा... ।” िवनाश ने फोन पर काितल धुन गुनगुनानी शु
कर दी ।
“बाज आ जाओ िवनी !” बहराम िखलिखलाकर हँस पड़ा, “इस धुन ने हम ब त
परे शान कया ।”
और बाजीगर ने संबंध िव छेद कर दया । अब वह अपने उ ताद क तरफ पलटा ।
शाईतैन मु कु रा रहा था ।
“म मालती मं दर जा रहा ँ ।” िवनाश ने कहा ।
“म जानता ँ ।”
“िल टल फादर, या आपक खुशी क वही वजह थी क बाजीगर बेनकाब हो गया ?”
“अमर ेम के सामने कसी चीज का पदा नह होता ।”
“ले कन फादर, मने कु छ और ही फै सला कया है ! आपक यह खुशी अिधक देर तक
कायम नह रहेगी ।”
इतना कहकर बाजीगर अके ले कमरे म पलट पड़ा । शाईतैन उसके इस अंदाज से च क
पड़ा । उसने िवनाश के बाहर िनकलते ही फौरन फोन पर बहराम के नंबर डायल कये ।
“उस लड़क क जंदगी खतरे म है । फौरन कोई व था करो ।”
“ या मतलब ?”
“मने अपने शािगद क आँख म जो भाव देखे ह, वह इससे पहले कभी नह देखे । म
दावे के साथ कह सकता ,ँ वह मालती मं दर म कं चन का क ल करने जा रहा है ।”
“क... या ?”
“हाँ चीफ, यही बात है !”
“तुमने उसे रोका य नह ?”
“म पहले ही कह चुका ,ँ म इस मामले म नह पड़ूग ँ ा । औरत का कोई भी मामला हो,
शाईतैन उससे दूर ही दूर रहता है ।” शाईतैन ने फोन िड कने ट कर दया ।
☐☐☐
िवनाश मालती मं दर क तरफ बोट ारा रवाना आ तो उसके मन म अब कोई तूफान
नह लड़ रहा था । उसने फै सला कर िलया था क वह आज ही कं चन से शादी करे गा और
उसे सुहािगन बनाकर अपने ही हाथ क ल कर देगा ।
यह अपने जीवन क सबसे बड़ी िमसाल काम करने जा रहा था । जब वह पैलेस म
प चँ ा तो सूरज का लाल गोल समु के सीने म एक कयामतखेज सुख फै लाए डू ब रहा
था । यह खूनी लािलमा थी और पैलेस का िपछला भाग उस लािलमा से भािवत था ।
क तु िवनाश जब उस कमरे म प च ँ ा जहाँ कं चन को होना चािहए था तो कं चन को
वहाँ न पाकर च क पड़ा । उसने सोचा वह इधर-उधर घूमने गई होगी ।
शी ही उसक नजर एक िलफाफे पर पड़ी जो वहाँ पड़ा था और िलफाफे पर उसका ही
नाम िलखा था । िवनाश ने वह िलफाफा उठाकर चेक कया । अंदर एक खत था ।
उसने खत पढ़ना शु कया –
यारे िवनी !
म बार-बार मरकर भी बचती रही । यहाँ तक क तुम फर मेरे जीवन म बहार बनकर
आ गए । ले कन मुझे नह मालूम था क तु हारी अब या हैिसयत है ! जहाँ सवाल कौम
का आ जाता है, वहाँ कसी को भी कु बानी देने म िहचक नह होनी चािहए । तुम भी मेरे
िलए एक कौम हो । तुमने मुझे पा िलया और मने तु ह, बस हमारी कहानी ख म ई । म
इतनी बड़ी िज मेदारी अपने कं ध पर नह ले सकती क बाजीगर मेरे सामने बेनकाब हो
जाये । तुमने मुझे फर बचाकर यहाँ प चँ ा दया और तु हारे लोग ने मुझे फर से जंदा
कर दया । काश क म लैरी ांट के हाथ ही मारी गई होती । म अब जा रही ँ और
शायद तुम मुझे फर कसी मोड़ पर न पा सको । तु ह कौम के िलए जंदा रहना है । तुम
देश क ब त बड़ी अमानत हो ।
अ छा, अलिवदा ।
प िवनाश क मु ी म भ चता चला गया ।
उसक आँख शायद पहली बार नम ई थ ।
बाजीगर का फौलादी सीना मोम क तरह िपघलकर आँख के रा ते दो बूँद म बह गया
और फर उसी िब तर पर ढेर हो गया ।
समा
परशुराम शमा
के सूरज पॉके ट बु स से कािशत अ य उप यास
जब मानव स यता तीसरे िव यु के दहाने पर खड़ी थी
साइबर हमला, कै िमकल श ,जैिवक श से महामारी फै ली थी तब खलीफा िज दान ने
एक ेत श तैयार कया िजसका नाम था
कं काल टाइगर
अब कं काल टाइगर दुिनया को तबाही से बचाने िनकल पड़ा ेत, िजन और कं काल आम
के साथ

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