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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

सभी जीवधारीयों (पादप व जंतुओं) का शरीर बहुत से छोटे-छोटे कोष्ठों का बना होता है।
अतिसूक्ष्म जीवों को छोड़कर
इस कोष्ठों को कोशिका कहते है।
जीवन-संबंधी सभी क्रियाएँ इन्हीं कोशिकाओं के अंदर होती है।
अतः कोशिका जीवों की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई कहलाती है।
कोशिका शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Cellula शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘एक कोष्ठ या छोटा कमरा’ है।
कोशिका के अध्ययन को सायटोलॉजी (Cytology) कहा जाता है, वर्तमान में इसे कोशिका विज्ञान भी कहा जाता है।
सभी जीव-जन्तु वनस्पतियों कोशिकाओं से बने है।
कोशिकाओं के विभिन्न आकार एवं आकृ तियाँ
सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा होती है।
यह आकार में लगभग 10 माइक्रोमीटर की होती है।
सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे की कोशिका होती है।
सबसे लम्बी कोशिका, तंत्रिका कोशिका होती है।
मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका मादा अंडाणु होती है।
कोशिका की खोज किसने की
मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका नर युग्मक अर्थात शुक्राणु
वर्ष 1665 में संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार राबर्ट हुक ने किया
होती है।
था, कोशिका खोज का इतिहास सूक्ष्मदर्शी खोज के साथ आरम्भ
बैक्टीरिया – बैक्टीरिया की लंबाई लगभग 3 से लेकर 5 माइक्रोमीटर
होता है।
तक होती है।
रॉर्बट हुक ने 1665 में बोतल की कार्क की एक पतली परत के
मानव आरबीसी – मानव आरबीसी की लंबाई 7 माइक्रोमीटर तक
अध्ययन के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हे
होती है।
कोशा नाम दिया।
Boemeria nivea – यह सबसे लंबी पादप कोशिका होती है।
यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफिया में छपा।
एसेटाबुलेरिया: – यह सबसे लंबा एक कोशिकीय पादप है
रार्बट हुक ने कोशा-भित्तियों के आधार पर कोशा शब्द प्रयोग
किया।
1674 एं टोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक ने जीवित कोशा का सर्वप्रथम
अध्ययन किये।
1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने कोशिका में कें द्रक व के द्रिका का पता
लगाया।
कोशिका सिद्धांत का विचार वनस्पतिविज्ञान शास्त्री श्लाइडेन व
जंतु-विज्ञान शास्त्री मैथियस जैकब थियोडोर श्वान को दिया जाता
है जिन्होने ठीक प्रकार से कोशिका सिद्धांत को 1839 में प्रस्तुत
किया व बतलाया कि कोशिकाएँ पौधों व जंतुओं की रचनात्मक
इकाई है।
1855 रुडॉल्फ विरचो ने विचार रखा कि कोशिकाएँ सदा
कोशिकाओं के विभाजन से ही पैदा होती है।
1953 वाट्सन और क्रिक ने डीएनए के डबल-हेलिक्स संरचना
की पहली बार घोषणा की गई।
1981 लिन मार्गुलिस ने कोशिका क्रम विकास में ‘सिबियोस’
पर शोधपत्र प्रस्तुत किया

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

जटिलता के आधार पर कोशिकाओं के प्रकार

प्रौकरियोटिक कोशिका यूकै रियोटिक कोशिका


ये कोशिकाएँ अर्धविकसित होती हैं। ये अधिक विकसित होती हैं।
इनमें वास्तविक के न्द्रक नहीं होता है। इनमें वास्तविक के न्द्रक होता है।
इनमें विकसित माइटोकॉण्ड्रिया, लवक विकसित तथा न्यूक्लियोल्स
इनमें माइटोकॉण्ड्रिया, लवक तथा न्यूक्लियोल्स होते हैं।
नहीं होते हैं।
राइबोसोम 70S अवसाद गुणांक के होते हैं। राइबोसोम 80S अवसाद गुणांक के होते हैं।
ये प्रायः जीवाणु और नील-हरित शैवालों में पाये जाते हैं। ये सभी जन्तुओं और पौधों में पाये जाते हैं।
इनमें कोशिका भित्ति प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है। इनमें कोशिकाभित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है।
इनमें इण्डोप्लाज्मिक रेटीकु लम् अनुपस्थित होता है। इनमें इण्डोप्लाज्मिक रेटीकु लम् उपस्थित होता है।
गॉल्जीकॉय, के न्द्रक झिल्ली, लाइसोसोम, के न्द्रिका तथा सेण्ट्रियोल गॉल्जीकॉय, के न्द्रक झिल्ली, लाइसोसोम के न्द्रिका तथा सेन्ट्रियोल
अनुपस्थित होते हैं। उपस्थित होते हैं।
कोशिका विभाजन अर्द्धसूत्री प्रकार का होता है। कोशिका विभाजन अर्द्धसूत्री या समसूत्री प्रकार का होता है।
प्रकाश संश्लेषण थायलेकाइड में होता है। प्रकाश संश्लेषण क्लोरोप्लास्ट में होता है।
लिंग प्रजनन नहीं पाया जाता है। लिंग प्रजनन पाया जाता है।
DNA एकल सूत्र के रूप में होते हैं। DNA पूर्ण विकसित एवं दोहरे सूत्र के रूप में होते हैं।

पादप और जंतु कोशिका में अंतर


अवयव पादप कोशिका जन्तु कोशिका
जीवकला के बाहर चारों ओर मुख्यत: सेलुलोज
कोशिकाभित्ति कोशिका भित्ति नही पायी जाती है।
[cellulose] की बनी निर्जीव कोशिका भित्ति होती है।
प्राय: बडे आकार की रिक्त्तिकाएँ पायी जाती है। विकसित
प्रायः रिक्त्तिकाएँ नही पायी जाती है यदि पायी जाती
रिक्तिकाएँ पाइप कोशिका में सामान्यतः एक बडी के न्द्रीय रिक्तिका
है तो बहुत छोटी आकार की होती है।
पायी जाती है।
तारककाय के वल शैवालों व कवकों में पाया जाता है। तारकाय व्यापक रूप से पाया जाता है।
पादप कोशिका में गॉल्जी पिण्ड बिखरे हुए होते है गॉल्जी पिण्ड पूर्णतः विकसित व के न्द्रक क निकट
गॉल्जीपिण्ड बॉड़ी
जो डिक्टिओसोम कहलाते है। स्थित होते है।

लवक प्रायः सभी पादप कोशिकाओ में लवक पाये जाते है। प्रायः लवक जन्तु कोशिकाओं में नही पाये जाते है।

कोशिका विभाजन के समय पादप कोशिका के मध्य में जन्तु कोशिका विभाजन मे कोशिका एक खाँच
कोशिका विभाजन एक पट्टिका (Plate) बनाती है जो अन्दर से बाहर की (Furrow) के द्वारा 02 भागों में बाटती है जो बाहर
ओर बढ़ती है। अन्दर की ओर बढ़ती है।
हीमोग्लोबिन इसमें नही पाया जाता है। इसमें पाया जाता है।
अपेक्षाकृ त छोटी आकृ ति व आकार में अण्डाकार
आकृ ति व आकार आकृ ति में बड़ी व आकार में आयताकार होती है।
होती है।
कवक के अतिरिक्त पादप कोशिका में मण्ड, प्रोटीन व वसा ग्लाइकोजन व वाल्यूटिन के कणों के रूप में संचित
संचित भोज्य पदार्थ
के रूप में संचित भोज्य पदार्थ है। भोज्य पदार्थ है।

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

जन्तु कोशिका पादप कोशिका

जीवद्रव्य (Protoplasm) जीवद्रव्य के संघटन मे लगभग 80% तक जल होता है, तथा


कोशिका के अन्दर सम्पूर्ण जीवित पदार्थ को जीवद्रव्य कहते है। इसमें अनेक कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ घुले रहते है।
जुलियस हक्सले (Jullius Huxley) के अनुसार जीवद्रव्य जीवद्रव्य के संघटन में 15 % प्रोटीन, 3% वसा, 1%
जीवन का भौतिक आधार है। कार्बोहाइडेट और 1% अकार्बनिक लवण होता है।
जीवद्रव्य एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है।
द्रव्यकला (Plasma membrane) तथा के न्द्रक के मध्यवर्ती जीवद्रव्य 5 प्रकार होते है
स्थान मे पाए जाने वाली जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य 1. कोलाइड (colloid)
(Cytoplasm) और के न्द्रक झिल्ली (Nuclear 2. कणाभ (Granular)
membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को के न्द्रक 3. तन्तुमय (Fivrillar)
द्रव्य (Nucleoplam) कहते है। 4. जालीदार (Reticlar)
कोशिका का यह भाग कोशिका की समस्त जैवीय प्रक्रियाओं का 5. कू पिकाकार (Alvealar)
कें द्र होता है। इसे इसलिए ‘सजीव’ (Living) कहा जाता है।
जीव वैज्ञानिक इसे जीवन का भौतिक आधार (Physical basis जीवद्रव्य के जैविक लक्षणों के कारण ही जीवधारीयों में गति या
of life) नाम से संबोधित करते है। चलन, पोषण, उपाचयक (Metabolism), श्वसन, उत्सर्जन
जोहैन्स पुरकिन्जे ने सर्व प्रथम सन 1840 ई. मे इसे प्रोटोप्लाज्म (Excretion) उत्तेजना वृद्धी एवं
(Protoplasm) या जीवद्रव्य नाम दिया तथा हयूगो वान मोल ने प्रजनन(Reproducation) जैविक क्रियाएँ होती है।
सन् 1846 ई. में जीवद्रव्य के महत्व का वर्णन किया।
अधिकांश वैज्ञानिकों के अनुसार जीवद्रव्य की प्रकृ ति कोलाइडी
होती है। परिस्थिति के अनुसार यह अपना स्वरुप बदलता रहता है।
और सॉल (Sol) तथा जेली (Gel) दोनों अवस्थाओं में पाया जाता
है।
जब जीवद्रव्य अर्द्धतरल अवस्था मे होता है। तब इसे सॉल (sol)
एवं जब अर्द्धठोस अवस्था मे होता है। तब इसे जेली (gel) कहते
है।

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

कोशिकांग
एक कोशिका जिन जीवित घटकों से मिलकर बनी होती हैं, उन्हें
कोशिकांग कहा जाता है।
किसी कोशिका में उसके समस्त कोशिकांग कोशिकाद्रव्य तथा
के न्द्रकद्रव्य में उपस्थित होते हैं।
पादपों में जन्तुओं की तुलना में प्लास्टिड और बड़ी रिक्तिकाएँ
अतिरिक्त कोशिकांग होती हैं।
प्रत्येक माइटोकाण्ड्रिया के चारो तरफ जीवद्रव्य कला या प्लाज्मा
झिल्ली (Plasma membre) के सम्मान प्रोटीन व वसा की
दोहरी झिल्ली की दीवार होती है।
बाहरी दीवार चिकनी और लचीली होती है, और फू ल कर कई गुना
मोटी होकर बढ़ जाती है।
भीतरी सतह या दीवार अन्दर धसकर पटिका व अंगुली की तरह
अनेक उभार बनाती है, जिन्हें क्रिस्टी (Cristae) कहते है।
किस्टी की सतह पर अन्दर की तरफ असंख्य छोटी-छोटी घुण्डियों
होती है, जिन्हे आक्सीसोम या एलरमेन्ट्री पार्टिकल्म कहते है।
यह मुक्त ऊर्जा ATP (एडिनोसीन ट्राईफास्फे ट) नामक रासायनिक
यौगिक में संचित रहती है।
माइटोकाण्ड्रिया या काण्ड्यिासाम
इस ऊर्जा का उपयोग कोशिका विभिन्न क्रियाओं को सम्पन्न
यूकौरियोटिक कोशिकाओ के कोशिका द्रव्य में अनेक सूक्ष्म करने के लिये करती है, इसलिये माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का
गोलाकार सूत्री संरचनाएं पायी जाती है। जिन्हे माइटोकाण्डूका ऊर्जाघर कहते है।
(Mitopchondria) कहते है। इस शब्द को सर्वप्रथम 1957 में उपयोगकर्ता फिलिप सिवेविट्ज
इनकी औसत लम्बाई 5m (मिली माइक्रोन) (1M=1/1000m) थे।
होती है। जबकी औसत व्यास 0.2 से 2 m होती है।
माइटोकाण्ड्रिया, जीवाणु और नीले हरे शैवाल मे नही पाये जाते है।
जंतुओ व पौधों की सभी जीवीत कोशिकाएँ में माइटोकाण्ड्रिया
पाया जाता है।
1850 में माइटोकाण्ड्रिया का सर्वप्रथम उल्लेख कोलिकर ने कीटो
के रेखित पेशियों में देखा था।
गाल्जीकाय
माइटोकाण्ड्रिया की खोज सन् 1890 ई. मे वैज्ञानिक रिचर्ड
गॉल्जीकाय की खोज सर्वप्रथम सन् 1898 में कै मिलो गॉल्जी
अल्टमन ने किया था, व इसे बायोप्लास्ट नाम दिया।
गॉल्जीकाय को लाइपोकॉण्डिया (lipochondria) भी
सन् 1897 ई. मे वैज्ञानिक बेण्डा ने कोशिका द्रव्य के इन अनेक
कहते हैं।
सूक्ष्म संरचनाओं का नाम माइटोकाण्ड्रिया दिया।
ये नीले-हरे शैवालों, जीवाणुओं एवं माइकोप्लाज्मा को छोड़कर
माइटोकाण्ड्रिया की गुहा एक अर्द्ध-तरल पदार्थ से भरी रहती है। जो
अन्य सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में मिलते हैं।
मैट्रिक्स कहलाता है। इसमें मुख्य रूप से एन्जाइम न्यूक्लिक अम्ल
पौधों में गॉल्जीकाय को डिक्टियोसोम भी कहा जाता है।
व राइबोसोम होता है।
गॉल्जीकाय की गुहिकाओं में अनेक प्रकार के एन्जाइम्स तथा
पॉलिसैके राइड्स आदि पाए जाते हैं।
अतः गॉल्जीकाय स्रावी कोशिकाओं में अधिक पाए जाते हैं।

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

विभिन्न पदार्थों ( मुख्यतया एन्जाइम्स) का स्रावण करना अन्तःप्रदव्यी जालिका जीवद्रव्य तन्तुओं के द्वारा एक कोशिका
गॉल्जीकाय का एक महत्वपूर्ण कार्य है। को दूसरी से सम्बन्धित रखने में मदद करती है।
ये शुक्राणुओं के अग्रपिण्डों के निर्माण में सहायक होते हैं। यह कोशिका में कं काल की भाँति कार्य करती है तथा उसे
जन्तुओं में गॉल्जीकाय से विभिन्न प्रकार के हार्मोन्स स्रावित होते यान्त्रिक शक्ति प्रदान करती है।
हैं। यह कोशिका विभाजन के तल को निश्चित करती है।
ये कोशिका विभाजन समय कोशिका पट्टिका के निर्माण में यह आनुवंशिक पदार्थों के अभिगमन में सहायता करती है।
सहायक होते हैं। यह पदार्थों के अन्दर एवं बाहर आने-जाने पर नियन्त्रण रखती है।
यह कोशिका भित्ति एवं कोशिका विभाजन के बाद के न्द्रक
आवरण के निर्माण का कार्य करती है।
कणिकामय अन्तःप्रदव्यी जालिका के ऊपर राइबोसोम उपस्थित
होने के कारण यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करती है।
सपाट अन्तःप्रदव्यी जालिका लाइकोजन संग्रह में सहायता
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका लवक या प्लास्टिड
अन्तः प्रदव्यी जालिका की खोज के .आर. पोर्टर ने सन् 1945 में गॉल्जीकाय की खोज सर्वप्रथम सन् 1898 में कै मिलो गॉल्जी
की थी। ने की।
ये के न्द्रक कला से कोशिका कला तक फै ली रहती हैं। गॉल्जीकाय को लाइपोकॉण्डिया (lipochondria) भी
ये स्तनधारियों की लाल रुधिर कणिकाओं की कोशिकाओं को कहते हैं।
छोड़कर सामान्यतया सभी सुके न्द्रकीय कोशिकाओं में पाई जाती ये नीले-हरे शैवालों, जीवाणुओं एवं माइकोप्लाज्मा को
हैं। छोड़कर अन्य सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में मिलते हैं।
जीवाणु एवं नीले-हरे शैवालों में इनका अभाव होता है। पौधों में गॉल्जीकाय को डिक्टियोसोम भी कहा जाता है।
ये लाइपोप्रोटीन्स की दोहरी इकाई झिल्ली से बनी होती है। गॉल्जीकाय की गुहिकाओं में अनेक प्रकार के एन्जाइम्स तथा
आकृ ति के आधार पर ये तीन प्रकार की होती है। यथा- पॉलिसैके राइड्स आदि पाए जाते हैं।
1. सिस्टर्नी अतः गॉल्जीकाय स्रावी कोशिकाओं में अधिक पाए जाते हैं।
2. थैलियाँ कु छ प्रोटोजोवा प्राणियों की कोशिकाओं में भी लवक पाये जाते
3. नलिकायें है लवक रंगहीन तथा रंगीन भी होते है और प्रायः एक दूसरे में
नलिकायें छोटी, सपाट, शाखान्वित एवं विभिन्न प्रकार की होती है। परिवर्तित होते रहते है।
इनका कार्य कोशिका द्रव्य तथा के न्द्रक द्रव्य के बीच सम्बन्ध रंग के आधार पर इन्हे 3 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता
स्थापित करता है। है -
राइबोसोम्स की उपस्थिति के आधार पर अन्तः प्रदव्यी जालिका 1. अवर्णी लवक अथवा रंगहीन लवक (Leucoplast)
निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं- 2. वर्णी लवक रंगीन लवक (Chromoplast)
1.सपाट अन्तःप्रदव्यी जालिका 3. हरित लवक (Chloroplast)
इनकी बाहरी कला सपाट या चिकनी होती है अर्थात् इस पर
राइबोसोम्स नहीं पाए जाते हैं।
ये प्रोटीन संश्लेषण में भाग नहीं लेतीं।
2.कणिकामय अन्तःप्रदव्यी जालिका
इनकी बाहरी सतह खुरदरी होती है अर्थात् इनकी सतह पर
राइबोसोम्स पाए जाते हैं।
अतः ये प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेती हैं।

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

अवर्णी अथवा रंगहीन लवक वर्णी अथवा रंगीन लवक (Chromoplast)


अवर्णित लवक भूमिगत तनों तथा जड़ों में पाए जाते है जहाँ पे यह लवक पौधों को रंग प्रदान करता है ,हरे रंग को छोड़ कर।
सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है। इनमें स्ट्रोमा लैमिली नहीं होती है।
इनमें Starch , Oils, तथा प्रोटीन कणों का संग्रह रहता है। इनका आकार विभिन्न प्रकार का होता है जैसे कोणाकार, गोल,
इनका आकार छड़ के समान या गोल होता है। लंबवत आदि।
छोटे अवर्णी लवक सूर्या के प्रकाश में हरितलवक यह अधिकतर पुष्पों की पंखुड़ियों व फलों में पाए जाते है तथा उन्हें
(Chloroplast) में परिवर्तित हो जाते है। विशेष रंग प्रदान करते है।

फल, सब्जी   रंग व स्वाद


हरितलवक (Chloroplast)
आंवले का कसैलापन टैनिन
इनकी खोज शिम्पर नामक वैज्ञानिक ने की थी।
बादाम में कड़वाहट एमाइलेडिन
इनमें हरे रंग का वर्णक (Pigment) पर्णहरिम
(Chlorophyll) होता है इसी कारण पत्तियों व पौधों के कु छ टमाटर का लाल रंग   लाइकोपिन

भाग हरे दिखाई देते है। मिर्च का तीखापन के प्सेसिन


इसे पादप कोशिका का रसाई घर (Kitchen room) कहा पपीता का पीला रंग के रिक्जेन्थिन
जाता है। गाजर का नारंगी रंग कै रोटीन
पौधों का हरा रंग इसी के कारण होता है। आलू का हरा रंग सोलेनिन
हरित लवक का मुख्य अवयव क्लोरोफिल (Chlorophyll) है, मिर्च का लाल रंग कै प्सेनथिन
जिसमें मैग्नीशियम धातु पायी जाती है।
गाजर का लाल रंग एन्थोसायनिन
हरितलवक के कारण ही पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया होती
तिलहनों के तेल का पीला रंग   कै राटिनाइज्ड
है और विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट बनते है।
खीरे में कड़वाहट कु कु र बिटेसी
झिल्ली के अंदर प्रोटीन का बना एक तरल पदार्थ होता है जिसे
करेले में कड़वाहट   मेमोर्डिकोसाइट
स्ट्रोमा कहते है।
इसमें सिक्कों के ढेर के समान संरचनाएं पाई जाती है जिसे ग्रेनम प्याज का लाल रंग एन्थोसाइनिन

या ग्राना (Granum) कहते है इसकी संख्या 40-60 तक हो प्याज का पीला रंग क्वेरसेटिन
सकती है। हल्दी में पीला रंग कु रकु मिन
एक सिक्के को थायलाकोइड कहते है और एक ग्राना में 10-100 मूली में तीखापन आइसोसाइनेट
थायलाकोइड होते है।
ग्राना एक दुसरे से स्ट्रोमा लेमेली के द्वारा जुड़े रहते है। इनमे लाइसोसोम
क्लोरोफिल तथा कै रोटीनॉयड पाए जाते है। लाइसोसोम की खोजी डी डुवे ने की।
हरी शैवाल के हरितलवक में ग्राना नहीं पाये जाते है। सन् 1974 में डी डुवे को इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान
थायलाकोइड के भीतरी कला पर बहुत सी दानेदार संरचना पाई किया गया।
जाती है जिसे क्वाण्टासोम कहते है। पार्क एवं पौन तथा पार्क ये अधिकतर जन्तु कोशिकाओं में मुख्य रूप से एन्जाइम
एवं बिगिन्स ने इनकी खोज की। अभिक्रियाएँ करने वाली कोशिकाओं; जैसे-अग्न्याशय, यकृ त,
हरितलवक में राइबोसोम ,RNA तथा DNA भी पाए जाते है। मस्तिष्क, थायरॉइड तथा गुर्दे आदि में पाए जाते हैं।
हरितलवक में डबल स्ट्रैंडेड सर्कु लर डीएनए होता है तथा लाइसोसोम, अधिकतर गोलाकार अथवा अनियमित आकार के एक
राइबोसोम 70s प्रकार का होता है।(इनकी इस प्रकार की संरचना परत वाली थैलियाँ होती हैं।
इन्हे जीवणु के समक्ष ले जाती है)। इनका निर्माण गॉल्जीकाय अथवा अन्तः प्रदव्यी जालिका से होता
हरितलवक में राइबोसोम ,RNA तथा DNA की उपस्थिति है है।
अतः हरितलवक को कोशिका के अंदर कोशिका भी कहा जाता है।
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राइबोसोम
राइबोसोम की खोज सर्वप्रथम पैलाड़े नामक वैज्ञानिक ने सन्
1955 में की थी।
ये डमरू की एवं प्रोटीन की उपस्थिति के कारण इन्हें राइबोसोम्स
आकृ ति के या लगभग गोलाकार, 140-160A व्यास वाले सघन
सूक्ष्म गण होते हैं।
लाइसोसोम में अनेक एन्जाइम पाए जाते हैं; जैसे—प्रोटिएज, ये राइबोन्यूक्लिक अम्ल (R.N.A.) एवं प्रोटीन के बने होते हैं।
राइबोन्यूक्लिएज, डिऑक्सीराइ-बोन्यूक्लिएज, फॉस्फे टेज आदि। R.N.A. राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन कण भी कहते हैं।
ये सभी अम्लीय अपघट्य कहलाते हैं। राइबोसोम सभी जीवित कोशिकाओ में पाए जाते हैं या
जब किसी कारण से लाइसोसोम के एन्जाइम बाहर निकलते हैं तो अन्तःप्रदव्यी जालिका से जुड़े रहते हैं।
ये सक्रिय होकर कोशिका के विभिन्न पदार्थों का विघटन कर देते हैं ये माइटोकॉण्ड्रिया, हरित लवक एवं के न्द्रक में भी पाए जाते हैं।
और कोशिका भी विखण्डित हो जाती है। आकार एवं अवसादन गुणांक के आधार पर राइबोसोम
इसी कारण लाइसोसोम को आत्मघाती थैलियाँ (suicide निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
bag) कहा गया है। 70S राइबोसोम्स
लाइसोसोम् अनेक रूपों में पाए जाते हैं। इस लक्षण को लाइसोसोम
ये आकार में छोटे होते हैं एवं इनका अवसादन गुणांक 70S होता
की बहुरूपता कहते हैं।
है। ये माइटोकॉण्ड्यिा, क्लोरोप्लास्ट एवं बैक्टीरिया आदि में पाए
आधुनिक विचारधारा के अनुसार, लाइसोसोम निम्नलिखित चार
जाते हैं।
प्रकार के होते हैं-
70s राइबोसोम की बड़ी सबयूनिट 50S तथा छोटी सबयूनिट
1.प्राथमिक लाइसोसोम
30S होती है।
2.द्वितीयक लाइसोसोम
80S राइबोसोम्स
3.अवशिष्ट काय
ये आकार में कु छ बड़े होते हैं और इनका अवसादन गुणांक 80S
4.ऑटोफै गिक रिक्तिकाएँ
होता है।
लाइसोसोम का मुख्य कार्य कोशिका में विभिन्न पदार्थों का पाचन
ये उच्च विकसित पौधों एवं जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
करना है।
80S राइबोसोम की बड़ी सबयूनिट 60S एवं छोटी सबयूनिट
लाइसोसोम्स द्वारा सम्पन्न प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
40S होती है।
(1) बाह्यः कोशिकीय पदार्थों का पाचन
कोशिका में एण्डोसाइटोसिस द्वारा ग्रहण किए गए पदार्थों का पाचन
प्रत्येक राइबोसोम लगभग दो गोलाकार सबयूनिट्स का बना है।
प्राथमिक लाइसोसोम की सहायता से होता है।
इनमें एक छोटी एवं एक बड़ी सब-यूनिट होती है। दोनों एक-दूसरे से
(2) अन्तःकोशिकीय पाचन जुड़कर पूर्ण राइबोसोम का निर्माण करती है।
भोजन की कमी के समय लाइसोसोम कोशाद्रव्य में स्थित प्रोटीन, कभी-कभी अनेक राइबोसोम एक साथ मिलकर एक रचना बनाते
कार्बोहाइड्रेट, लिपिड्स आदि का पाचन करते हैं। हैं, जिसे पॉलिराइबोसोम या पॉलिसोम्स कहते हैं।
(3) आत्मलयन (Autolysis) राइबोसोम का मुख्य कार्य अमीनों अम्ल के द्वारा प्रोटीन संश्लेषण
आवश्यकतानुसार लाइसोसोम कभी-कभी स्वतः फटकर रोगग्रस्त में सहायता करना है
या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
(4) कोशिका विभाजन में सहायता करना
कु छ वैज्ञानिकों के अनुसार, लाइसोसोम के फटने से ही कोशिका में
विभाजन आरम्भ हो जाता है।

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

EXAM POINTS
1.एक कोशी जीव किसे कहते हैं? एक जीवो में के वल एक कोशिका होती है उन्हें एक कोशिश जीव कहते हैं
2.बहु कोशिका जीव किसे कहते हैं? जिन जीवा में अनेक कोशिकाएं समाहित होकर विभिन्न कार्यों को संपन्न करने हेतु विभिन्न अंगों का
निर्माण करती है उन्हें बहुकोशिकीय कहते हैं
3.कोशिकाग किसे कहते हैं? प्रत्येक कोशिका की विशेषताओं को कोशिकांग कहते हैं जो एक विशिष्ट काम करता हैं
4. कोशिका किसे कहते हैं? कोशिका अंगों के द्वारा मिलकर बनाए जाने वाली मूलभूत इकाइयों को कोशिका कहते हैं
5.परासरण किसे कहते हैं? उत्तर. जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं
6.एं डोसाइटोसिस किसे कहते हैं? कोशिका झिल्ली के लचीलेपन से एक कोशिका वाले जीवो के द्वारा बाहरी पर्यावरण से अपना भोजन तथा
अन्य पदार्थों को प्राप्त करना एं डोसाइटोसिस कहते हैं
7. जीवद्रव्य कुं चन किसे कहते हैं? जब पादप कोशिका में परासरण से पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ
संकु चित हो जाते हैं जिसे जीवद्रव्य कुं चन कहते हैं
8.कें द्रक झिल्ली किसे कहते हैं? कें द्र के चारों ओर दोहरी परत का एक स्तर होता है जिसे कें द्रक झिल्ली कहते हैं
9.यूकै रियोटिक किसे कहते हैं? जीन जीवो की कोशिकाओं में कें द्रक झिल्ली होती है उन्हें यूकै रियोटिक कहते हैं
10.प्रोकै रियोटिक किसे कहते हैं? जीवो की कोशिकाओं में कें द्रक झिल्ली नहीं होती उन्हें प्रोकै रियोटिक कहते हैं
11. झिल्ली जीवात जनन किसे कहते हैं? प्रोटीन तथा वसा कोशिका झिल्ली को बनाने में सहायता करते हैं जिन्हें झिल्ली जीवात जनन कहते हैं
12.कार्क क्या है? कार्क एक पदार्थ है जो वृक्ष की छाल से प्राप्त होता है
13.प्लाज्मा झिल्ली क्या है? कोशिका की सबसे बाहरी परत प्लाज्मा झिल्ली है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है
यही पदार्थों को अंदर या बाहर आने जाने वाली से रोकती है
14. पदार्थों की गति की क्या विशिष्टता है? पदार्थों की गति उच्च सुंदरता से निम्न सुंदरता की ओर होती है
15. अमीबा की कोशिका की क्या विशिष्टता है? वह अपना आकार बदलती रहती है
16.कोशिका सिद्धांत क्या है? सभी पौधे तथा जंतु कोशिकाओं से बने हैं और वह जीवन की मूलभूत इकाई है
17. कोशिका में कें द्रक किसने और कब खोजा था? रॉबर्ट ब्राउन ने सन 1831 में
18. कोशिका का सबसे पहले पता किसने और कब लगाया था? रॉबर्ट हुक ने सन 1665 में
19. प्रत्येक बहुकोशी जीव किस से बनाता है? एक कोशी जीव से
20.जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य नाम किसने और कब दिया था? जे.ई.पुराकं ज ने सन 1839 में
21.अंतद्रव्यी जालिका क्या है? .यह झिल्ली युक्त नलिकाओं का एक बहुत बड़ा तंत्र है यह लंबी नलिका का या गोल या आयताकार थैलों की
तरह दिखाई देती है इसकी रचना प्लैज्मा झील्ली जैसी ही होती है
22.राइबोसोम का क्या कार्य है? इन पर प्रोटीन संश्लेषित होती है
23. लाइसोसोम किससे बनाया जाता है ? उत्तर. गॉल्जी उपकरण से
24.लाइसोसोम का कोशिका में क्या कार्य है? कोशिका अंगको के टूटे-फू टे भागों को परिचित कर कोशिका को साफ करना
25.लाइसोसोम क्यों फटता है? कोशिकीय चयापचय में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है
26. कोशिका का बिजलीघर कौन है? माइट्रोकांड्रिया
27. प्लैस्टिड किन में होते हैं? के वल पादप कोशिकाओ में
28.प्लैस्टिड के दो प्रकार कौन से हैं? क्रोमोप्लास्टर तथा ल्यूकोप्लास्टर
29.जिस प्लास्टिड में क्लोरोफिल होता है उसे क्या कहते हैं ? क्लोरोप्लास्ट

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कोशिका (Cell) BIOLOGY BY HARISH TIWARI SIR

के न्द्रकीय झिल्ली (Nuclear Membrane)


के न्द्रक ( Nucleus )
के न्द्रक, कोशाद्रव्य से एक झिल्ली के द्वारा पृथक होता है जिसे
कोशिका के जीवद्रव्य का वह
कै रियोथीका या के न्द्रक झिल्ली कहते हैं।
मुख्य भाग जो आकार में गोल
यह पारगम्य तथा रक्षक झिल्ली है जिसके द्वारा के न्द्रक तथा
,अण्डाकार , घने गहरे रंग की
कोशाद्रव्य के बीच में पदार्थों का स्थानान्तरण होता है।
रचना हैं , जिसे के न्द्रक कहते हैं
प्रत्येक झिल्ली लाइपोप्रोटीन से बनी एक कला होती है।
के न्द्रक ( Nucleus ) की खोज 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने की | के न्द्रकीय झिल्ली खोज - रॉबर्ट ब्राउन
यह गोलाकार या अंडाकार होता है तथा सामान्यतः कोशिका के मध्य
भाग में एक रन्ध्रदार झिल्ली के भीतर बंद रहता है, जिसे के न्द्रक के न्द्रक द्रव्य (न्यूक्लियोप्लाज्म – Nucleoplasm)
झिल्ली (Nuclear Membrane) कहते हैं।
के न्द्रक के मैट्रिक्स को के न्द्रकद्रव्य या के न्द्रक रस या
के न्द्रक झिल्ली के अंदर के न्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) पाया
कै रियोलिम्फ कहते है।
जाता है जो कोशिका-द्रव्य से के न्द्रक झिल्ली द्वारा पृथक होता है।
के न्द्रक के अन्दर यह न्यूक्लियोप्रोटीन का बना पारदर्शी,
के न्द्रक कोशिका की समस्त जैविक क्रियाओं का नियमन करता है।
कोलायडी, तरल पदार्थ और कणिकामय प्रोटीन का बना होता है
सामान्यतः कोशिकाओं में एक ही के न्द्रक पाया जाता है किंतु कु छ
जो के न्द्रक-कला से घिरा रहता है ।
जीवाणुओं तथा कवक कु छ प्रजातियो में एक से अधिक के न्द्रक भी
इसमें के न्द्रिका और क्रोमैटिन धागे के अतिरिक्त, एं जाइम, खनिज
पाये जाते हैं, इस प्रकार की कोशिकाएँ बहुके न्द्रकी कोशिकाएँ
लवण, आर.एन.ए, राइबोसोम आदि पाए जाते हैं।
(Syncytial) कहते हैं।
यह प्रकृ ति में एसिडोफिलिक होती है।
के न्द्रक के निम्न चार भाग होते हैं
1. के न्द्रक कला के न्द्रकीय झिल्ली के न्द्रिका (Nucleolus )
2. के न्द्रक द्रव्य
के न्द्रक के अंदर एक या दो के न्द्रिकाएं होती हैं।
3. के न्द्रिका
यह गोल और नग्न संरचना है जो विशिष्ट बिंदु पर क्रोमेटिन से जुड़ा
4. क्रोमेटिन धागे
हुआ है जिसे न्यूक्लियोलर संगठित क्षेत्र या (Nucleolar
Organiser Region) NOR कहा जाता है।
के न्द्रिकाएं प्रोकै रियोटिक कोशिकाओं में नहीं पाई जाती हैं तथा
कोशिका विभाजन के समय गायब हो जाती है ।
के न्द्रिका को राइबोसोम का कारखाना (राइबोसोमल फै क्टरी)
के रूप में जाना जाता है।
के न्द्रिका की खोज सर्वप्रथम फोन्टाना ने 1781 में की
उसके बाद 1840 में बोमेन ने इसे न्यूक्लिओलस नाम दिया ।
के न्द्रिका में
प्रोटीन (85%)
RNA (राइबोस न्यूक्लिक अम्ल) आर.एन.ए (10%)
DNA (डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक एसिड) डी.एन.ए (5%)

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क्रोमैटिन (Chromatin)
क्रोमैटिन (Chromatin) के न्द्रकद्रव्य में धागेनुमा पदार्थ जाल के
समान होती है, जो क्रोमैटिन कहलाता है।
यह DNA, हिस्टोन प्रोटीन तथा नॉन-हिस्टोन प्रोटीन का बना है।
रासायनिक दृष्टि से एक न्यूक्लियोप्रोटीन धागों को ही क्रोमोसोम
कहा जाता है, जिसमें कोशिका विभाजन नहीं होता है उसमें यह
क्रोमैटिन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है।
ये दो प्रकार के होते हैं –
1.युक्रोमेटिन (Euchromatin)
यूक्रोमैटिन, शिथिल रूप से पैक किया हुआ, अनुलेखनीय (या
आनुवांशिक रूप से) अधिक सक्रिय है, और क्रोमेटिन का हल्का दाग
वाला हिस्सा है।
2.हेटोरोक्रोमेटिन (Heterochromatin)
हेटेरोक्रोमैटिन क्रोमेटिन का गहरा सना हुआ गाढ़ा हिस्सा है जो
अनुलेखनीय रूप से कम सक्रिय होता है, इसमें हिस्टोन प्रोटीन
अधिक होता है और यह बाद के चरण में प्रतिकृ ति बनाता है।

क्रोमेटिन पदार्थ से बने धागेनुमा संरचना को गुणसूत्र कहते है।


1875 में स्ट्रोंगन्सबर्गर ने गुणसूत्र की खोज की ।
1888 में वाल्डेयर ने क्रोमोसोम नाम दिया।
गुणसूत्र की संख्या अलग अलग जीवों में अलग अलग होती है जैसे
– मनुष्य में 46 ।
प्रत्येक गुणसूत्र में जेली के समान एक गाढ़ा द्रव होता है, जिसे
मैट्रिक्स कहा जाता है।
इसी मैट्रिक्स में दो परस्पर लिपटे महीन एवं कु ण्डलित सूत्र, जिसे
क्रोमैनिमेटा कहा जाता है।
प्रत्येक क्रोमैनिमेटा एक अर्द्ध-गुणसूत्र कहलाता है।
ये दोनों क्रोमैटिड गुणसूत्रबिंदु (सेन्ट्रोमीयर) नामक स्थान पर एक-
दूसरे से जुड़े होते हैं ।
गुणसूत्र में डीएनए (DNA) और प्रोटीन पाए जाते हैं।
यह प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं-
1.हिस्टोन प्रोटीन (Histon Protein)
2.नॉन हिस्टोन प्रोटीन (Non Histon Protein)

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DNA क्या है? DNA bases एक यूनिट बनाने के लिए एक दूसरे के साथ एक
DNA (डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक एसिड) एक अनुवांशिक पदार्थ pair (जोड़ा) तैयार करते हैं जिन्हें base pairs कहा जाता है.
है जो इंसानों और लगभग अन्य सभी जीवों में पाया जाता है. A, T के साथ जोड़ा बनाता है
अधिकतर एक व्यक्ति की प्रत्येक कोशिका (cell) में एक तरह का और C, G के साथ जोड़ा बनाता है.
ही DNA होता है. जब एक base, sugar और phosphate मिलते हैं तो इसे
अधिकतर DNA कोशिका के न्द्रक में ही स्थित रहते हैं (इसे एक nucleotide न्यूक्लियोटाइड कहा जाता है
नाभिकीय DNA कहा जाता है)
लेकिन DNA की कु छ मात्रा माइटोकांड्रिया में भी पाई जाती है
जिसे mitochondrial DNA कहा जाता है.
फ्रे डरिक मिशर ने बर्ष 1869 में डीएनए की खोज की थी और
उन्होंने इसका नाम “न्यूक्लिन” रखा
इसके बाद 1881 में अल्ब्रेक्ट कोसेल ने न्यूक्लिन को न्यूक्लिक
एसिड की तरह पाया, तब इसे डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड
नाम दिया गया था और इसे ही डीएनए( DNA ) का फु ल फॉर्म
कहा जाता है।
वैज्ञानिक जेम्स Watson और फ्रांसिस क्रिक ने वर्ष 1953 में
डीएनए की डबल-हेलिक्स संरचना खोज थी ,और इसी लिए उन्हें
वर्ष 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डीएनए के डबल-हेलिक्स संरचना की पहली बार घोषणा की गई। RNA क्या है?
सर एलेक जेफरीस ने अपनी लैब में डीएनए फिंगरप्रिटिंग की खोज राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (ribose nucleic acid)
की आरएनए अणुओं में राइबोस शर्क रा होती है।
DNA के अंदर जानकारियां एक कोड के रूप में सुरक्षित रहती हैं जो जबकि डीएनए अणुओं में डीऑक्सी राइबोस शर्क रा होती है।
चार chemical bases पर बना होता है कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण RNA अणुओं द्वारा ही होता
1. एडेनिन (A) 1. एडीनीन (A)
प्यूरीन
2. गुआनिन (G) 2. ग्वानीन (G)
3. साइटोसिन (C) 3. साइटोसीन (C)
पाइरेडेमिन
4. थाइमिन (T) 4. यूरेसिल ( U)
प्रत्येक कोशिका (cell) में प्रोटीन संश्लेषण के संचालन हेतु
RNA के तीन प्रकार के अणु होते हैं
1. राइबोसोमी (ribosomal RNA- rRNA)
2. संदेशवाहक ( messenger RNA-mRNA)
3. हस्ता न्तरण (transfer RNA – tRNA)

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कोशिका विभाजन (Cell Division) क्या है ?


पैतृक कोशिका (Parent cell) से नई संतति कोशिकाओं (Daughter cell) के बनने की क्रिया कोशिका विभाजन कहलाती है।
कोशिका विभाजन प्रमुख रुप से तीन प्रकार का होता है
1. असूत्री विभाजन (Amitosis)– प्रोकै रियोटिक जीवों में
2. सूत्री विभाजन या समसूत्री विभाजन (Mitosis )– कायिक कोशिकाओं वनस्पति कोशिकाओं
3.अर्द्धसूत्री विभाजन ( Meiosis ) – जननिक कोशिकाओं में

असूत्री विभाजन ( Amitosis / Amitotic )


असूत्री विभाजन की खोज रेमक ने की ।
असूत्री विभाजन द्वारा जनक कोशिका का के न्द्रक दो भागों में बँट जाता हैं ।
इसके बाद कोशिका द्रव्य में संकु चन के दौरान कोशिका द्रव्य दो भागो में बँट जाता हैं।
इस प्रकार दो संतति कोशिकाओं का निर्माण हो जाता हैं ।
यह विभाजन प्रोकै रियोटिक कोशिकाओं जैसे
जीवाणु , नीली हरी शैवालों , यीस्ट , अमीबा , प्रोटोजोआ में होता हैं ।
के न्द्रक का विभाजन - कै रियोकाइनेसिस
कोशिका द्रव्य का विभाजन - साइटोकाइनेसिस

2. सूत्री या समसूत्री विभाजन ( Mitosis )


सूत्री विभाजन की खोज डब्ल्यू फ्लेमिंग ने की ।
स्टार्सबर्गर ने सूत्री विभाजन का सर्वप्रथम पादप कोशिकाओं में अध्ययन किया ।
कोशिका विभाजन की वह प्रक्रिया जिसमे एक बार विभाजन से।
एक समान प्रकार की दो नयी कोशिकाओं का निर्माण होता हैं।
लेकिन क्रोमोसोम की संख्या व उनका प्रकार अपनी जनक कोशिकाओं के समान होता हैं ।
सूत्री विभाजन कायिक या दैहिक कोशिकाओं में पाया जाता हैं ।

1. अंतरावस्था (Interphase ) : क्रोमोसोम,DNA का विभाजन (कोशिका विभाजन का सबसे बड़ा चरण )


2. प्रोफे ज (Prophase) : के न्द्रक का विभाजन , स्पिंडल फाइबर विकसित होता है
3. मेटाफे ज (Metaphase) : कोशिका विभाजन का मुख्य भाग ( कोशिकांग का विभाजन शुरू )
4. एनाफे ज(Anaphase) : स्पिंडल फाइबर लगातार छोटा होता जाता है, कोशिकांग को विपरीत ध्रुवों पर खींचता जाता है।
5. टीलोफे ज (Telophase) : कोशिका विभाजन पूर्ण

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अर्द्धसूत्री विभाजन ( Meiosis )


अर्द्धसूत्री विभाजन सदैव द्विगुणित कोशिका में ही होता है।
‘फार्मर’ एवं ‘मूरे’ ने सर्वप्रथम 1905 ई. में मिओसिस की खोज की।
इसमें के न्द्रक व कोशिकाद्रव्य के दो बार विभाजन सम्मिलित है।
इन दो बार के विभाजनों में से पहला विभाजन-मिओसिस प्रथम या ह्वास विभाजन कहलाता है, जिसमें गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित से
अगुणित हो जाती है।
दूसरा विभाजन – मिओसिस द्वितीय , साधारण समसुत्री विभाजन की भाँति ही होता है। इसमें गुणसूत्र के अर्द्धगुणसूत्रों का बँटवारा होता
है। अतः इसे समविभाजन भी कहते है।
यह विभाजन के वल लिंगी जनन करने वाले जीवों में होता है।
मिओसिस प्रथम में गुणसूत्रों का ह्यस होता है। इस विभाजन की प्रमुख निम्नलिखित प्रावस्थाएँ होती है –

1. प्राफे ज अत्यन्त जटिल, लम्बी तथा महत्वपूर्ण प्रावस्था है। अतः इसे अधोलिखित अवस्थाओं में विभक्त किया गया है।
(क) लेप्टोटीन: विभाजन की तैयारी।
(ख) जाइगोटीन: समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते है; जिसे सूत्र युग्मन कहते है।
(ग) पैचीटीन: अर्द्धगुणसूत्रों में विनिमय अर्थात् क्राॅसिंग ओवर होना।
(स) डिप्लोटीन: टेट्रावैलेण्ट स्थिति में क्याजमेटा पर अर्द्धगुणसूत्र टुकड़ों का आदान-प्रदान।
(द) डायकाइनेसिस : क्रोमोसोम का अलगाव, के न्द्रक कला एवं के न्द्रिक का लुप्त होना।

2.मेटाफे ज प्रथम : टेट्राबैलेण्ट अवस्था में गुणसूत्र के सेन्ट्रोमीयर का मेटाफे ज प्लेट से जुड़ना।
3.एनाफे ज प्रथम : गुणसूत्रों का विपरीत ध्रवों की ओर खिसकना।
3.टीलाफे ज प्रथम : गुणसूत्रों का ध्रुवों पर एकत्र होना, के न्द्रक कला एवं के न्द्रिक का स्पष्ट होना।

समसूत्री विभाजन अर्द्धसूत्री विभाजन


यह शरीर के कायिक कोशिकाओं एवं लैंगिक कोशिकाओं में होता है। यह के वल लैंगिक कोशिकाओं में होता है।
कोशिका के गुणसूत्रों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसमें सन्तति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
यह दो उपविभाजनों में पूरा होता है जिसमें पहला न्यूनकारी
यह प्रक्रिया चार अवस्थाओं में सम्पन्न होती है।
(reductional) तथा प्रत्येक विभाजन में 4-5 अवस्थाएँ होती हैं।
गुणसूत्रों के बीच आनुवंशिक पदार्थ का आदान-प्रदान होता है इसलिए
गुणसूत्रों के आनुवंशिक पदार्थ में आदान-प्रदान नहीं होता है
सन्तति कोशिकाओं के गुणसूत्र में कु छ भाग पितृ कोशिका से तथा कु छ
इसलिए सन्तति कोशिकाओं में भी उसी प्रकार के गुणसूत्र होते हैं,
भाग मातृ कोशिका से आ जाता है अतःसन्तति कोशिका के गुणसूत्र,
जैसे जनक कोशिका में।
जनकों के गुणसूत्र से भिन्न होते हैं।
सन्तति कोशिका में जनक जैसे ही गुणसूत्र होने के कारण आनुवंशिक सन्तति कोशिकाओं में जनकों से भिन्न गुणसूत्र होने के कारण
विविधता नहीं होती है l आनुवंशिक विविधता होती है।
एक जनक (parents) से दो सन्तति कोशिकाएँ (daughter)
एक जनक से चार सन्तति कोशिकाएँ बनती हैं।
बनती हैं।

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EXAM POINTS
01. ‘कवक की कोशिका भित्ति’ किसकी बनी होती है? उत्तर- काईटिन

02. ‘जीन’ बने होते हैं? उत्तर- पालीन्यूक्लियोटाइड से

03. ‘जीवाणुओं की कोशिका भित्ति’ किसकी बनी होती है? उत्तर- पेप्टिडोग्लाइकन

04. ‘पादप की कोशिका भित्ति’ किसकी बनी होती है? उत्तर- सेलुलोस और पेक्टिन
05. ‘शैवालों की कोशिका भित्ति’ किसकी बनी होती है? उत्तर- सेलुलोस और गैलेक्टन

06. DNA का पूर्ण रूप ----------- है? उत्तर- डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड
07. DNA किस पर हाइपरक्रोमोसिटी दर्शाता है? उत्तर- हीटिंग

08. DNA की द्विसूत्री/द्विकु ण्डलिनी संरचना का पता लगाया था? उत्तर- वॉटसन और क्रिक ने
09. DNA परीक्षण विकसित किया गया था? उत्तर- डॉ. ऐलेक जेफ्री द्वारा

10. DNA में थायामिडाइन द्विभाजी संरचना किसके कारण होती है? उत्तर- UV किरणों
11. DNA में पाई जाने वाली शर्क रा कोनसी है? उत्तर- पेन्टोस

12. RNA एक बहुलक अणु है इसका पूर्ण रूप क्या है? उत्तर- राइबो न्यूक्लिक एसिड
13. RNA का प्राथमिक कार्य क्या होता है? उत्तर- प्रोटीन संश्लेषण
14. RNA में कौनसा नाइट्रोजनयुक्त क्षार उपस्थित नहीं होता है? उत्तर- थाइमीन

15. RNA में थायमीन के स्थान पर कौनसा बेस होता है? उत्तर- यूरेसिल
16. अन्त: प्रद्रव्यी (Endoplasmic) की सतह पर ------------- की उपस्थिति के कारण वह खुरदरी होती है? उत्तर- राइबोसोम
17. आज तक का ज्ञात सबसे छोटा प्रोकै रियोटिक जीव है? उत्तर- माइक्रोप्लाज्मा
18. आमाशय ग्रंथियों की पेप्सिन स्रावी कोशिकाएं हैं? उत्तर- मुख्य कोशिकाएं

19. किन मूल इकाइयों से मानव के अतिरिक्त भाग तैयार किए जा सकते हैं? उत्तर- स्टेम कोशिकाएँ
20. अमीबा में कितने कोशिका होते हैं? उत्तर- अमीबा एक कोशीजीव है।

21. एक DNA में 20,000 बेस जोड़े हैं, इसमें कितने न्यूक्लियोटाइड उपस्थित होंगे? उत्तर- 40,000

22. एक कोशिका के कें द्रक में कौनसा द्रव्य होता है? उत्तर- न्यूक्लियोप्लाज्म/के न्द्रकद्रव्य
23.किसी जीवित शरीर के भीतर कोशिका या ऊतक की मृत्यु को कहते हैं? उत्तर- नेक्रॉसिस

24. एक पेड़ की छाल के अंदर जीवित कोशिकाओं की पतली परत को कहा जाता है? उत्तर- कें बियम

25. एक मृदूतक कोशिका जो कि कोशिकीय अजैव पदार्थ संग्रह करती है वह क्या कहलाती है? उत्तर- आइडियोब्लास्ट (विचित्र कोशिका)

26. एक विशेष कार्य करने वाले समान कोशिकाओं के समूह को क्या कहते हैं? उत्तर- ऊतक

27. एक सामान्य कोशिका या प्रारूपिक कोशिका के मुख्य भाग हैं? तीन (i) कोशिका झिल्ली ,(ii) कोशिका द्रव्य और (iii) के न्द्रक
28. एक सामान्य मानव शरीर कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होती है? उत्तर- 46 (23 जोड़ी)

29. एककोशिकीय जीव कै से प्रजनन करता है? उत्तर- कोशिका विभाजन

30. कोशिका की ऊर्जा के रूप में किसे जाना जाता है? उत्तर- ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फे ट

31. जीवित कोशिका में रेडियोधर्मी तत्वों का पता किस तकनीक से लगाया जा सकता है? उत्तर- ऑटो रेडियोग्राफी

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EXAM POINTS
कोशिकांग खोजकर्ता कार्य
हरितलवक शिम्पर प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण।
माइटोकॉण्ड्रिया कॉलिकर कोशिकीय श्वसन द्वारा ATP का निर्माण।
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका पोर्टर प्रोटीन संश्लेषण (RER में) एवं लिपिड, ग्लाइकोजन तथा स्टीरॉइड संश्लेषण
गॉल्जीकाय कै मिलो गॉल्जी शुक्राणु के एक्रोसोम का निर्माण, हॉर्मोन स्रावण, पदार्थों का संचय एवं स्थानान्तरण।
मुख्यतया सेलुलोज की बनी, कै ल्शियम व मैग्नीशियम पेक्टेट की बनी मध्य पटलिका
कोशिका भित्ति रॉबर्ट हुक
कोशिकाओं के बीच सीमेन्ट का कार्य करती है।
जीवद्रव्य पुरकिन्जे जीवन की भौतिक आधारशिला।
कोशिका झिल्ली का तरल
सिंगर एवं निकोलसन आकृ ति प्रदान करना व पदार्थों का आदान-प्रदान
मोजैक मॉडल
क्वान्टासोम पार्क एवं पोन प्रकाश-संश्लेषण की इकाई।
राइबोसोम पैलेड प्रोटीन का संश्लेषण
तारककाय टी. बोवेरी कोशिका विभाजन के समय एस्टर किरणों का विकास।
लाइसोसोम डी. डुवे बाह्य कोशिका पदार्थों तथा आन्तर कोशिका पदार्थों का पाचन, आत्महत्या की थैली।
परॉक्सीसोम टॉल्बर्ट प्रकाश श्वसन
सूक्ष्मनलिकाएँ डी रॉर्बटिस सीलिया, कशाभिका, तारककाय एवं कोशिका कं काल का निर्माण।
के न्द्रक रॉबर्ट ब्राउन कोशिका का नियन्त्रक
के न्द्रिका फोन्टाना rRNA तथा राइबोसोम का संश्लेषण
गुणसूत्र वाल्डेयर जननिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण

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