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अशोक का ध म

य प अशोक का य गत धम बौ धम था , पर तु उसने अपनी जा क नै तक तथा आ या मक


उ त के लए कुछ नै तक स ा त का सार कया , ज ह सामूिहक प से ' अशोक का ध म ' कहा
जाता है । अपनी जा के नै तक उ थान के लए अशोक ने जन आचार क सं िहता तुत क , उसे ही
उसके अ भलेख म ' ध म ' कहा गया है । अशोक अपनी जा के लौ कक जीवन को ही नही , अ पतु
पारलौ कक जीवन को भी सुधारना चाहता था । अतः इस उ े य क पू त के लए उसने ' ध म ' क
ापना क ।

✺ अशोक के ध म क वशेषताय

अशोक के ध म का उ े य बाहरी प से मनु य के आचरण को प व बनाना और आ त रक प से


उसक आ मा को शु करना था । अशोक के धा मक स ा त का व लेषण करने पर हम उसके
अं तगत न न ल खत वशेषताय दृ गत होती है -

1 . सावभौ मकता - उसका ध म सावभौम था । उसम सा दा यकता या अ य कसी कार के


सं क ण वचार को जरा भी ान ा त नही था । उसके ये नयम सभी धम को समान प से मा य थे ।
वह सम त व को एक कुटु ब मानता था और स पूण मानव जा त क भलाई के लए य नशील रहता
था ।

2 . सभी धम का सार - उसके ध म म केवल सभी धम के सार पर जोर दया गया था । उसे बाहरी
आड बर , थोथे ि या कलाप तथा दाश नक स ा तो के जाल से र रखने का यास कया था ।

3 . नै तकता पर बल - अशोक का ध म पूणतया शु नै तक धम था । इसम य के शु आचरण


पर वशेष जोर दया गया था । इसका एकमा सं बं ध मनु य के आचरण से था ।
4 . धा मक सिह णुता - यह ध म पुणतया उदार था । अशोक के ध म म इस बात पर बल दया गया
है क सभी धम का आदर करना । चािहए तथा अ य धम क न दा नही करनी चािहए ।

5 . अ हसा - अशोक ने अ हसा के स ा त के पालन पर अ य धक बल दया । उसने पशु - प य


के वध पर तब ध लगा दया और हसा मक य ब द करवा दया ।

6 . धा मक पाख ड़ और आड बर का अभाव - अशोक के ध म म कमका ड , धा मक पाख ड


तथा आड बर का अभाव था । उसने ज , मृ यु , ववाह आ द के अवसर पर धा मक अनु ान कये
जाने क न दा क तथा धम - मं गल अथात् स चे । री त रवाज पर बल दया । यावहा रकता -
अशोक का ध म एक सै ा तक क पना या आदश मा नही था , वह एक यावहा रक स य था जसे
अशोक ने वयं अपने जीवन म ि या वत कया था ।

़ वभ
नोट : यह पीडीऍफ ोत से त य एक त कर बनायी गयी है | य द इसम कोई ट
ु ी पायी जाती है तो नॉलेज हब सं चालक क
ज मेदारी नही होगी |

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