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हमारी संस्कृति को बचाओ

हाल के दिनों में दनि


ु या भर में लोग पश्चिमी संस्कृति और
मूल्यों को अपनाते हुए अपनी संस्कृति और परं पराओं को
भूलते जा रहे हैं । ऐसा भारत में भी दे खने को मिल रहा है , जहां
लोग अपनी प्राचीन प्रथाओं को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को
आंख मूंदकर अपना रहे हैं । यह खतरनाक है क्योंकि यह
उनकी पहचान और जीवन के तरीके को प्रभावित कर सकता
है । अब समय आ गया है कि भारतीय पाश्चात्य संस्कृति का
अंधानुकरण करने के बजाय अपनी संस्कृति को अपनाएं और
उसका सम्मान करें ।

वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण लोग पश्चिमी संस्कृति को


अपना रहे हैं । मीडिया और विभिन्न चैनलों के माध्यम से
व्यापक प्रचार के कारण पश्चिमी संस्कृति दनि
ु या भर में
अत्यधिक लोकप्रिय है । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म युवाओं को
पश्चिमी जीवन शैली और फैशन के रुझान का पालन करने के
लिए प्रभावित कर रहे हैं । साथ ही, वैश्वीकरण ने पश्चिमी
वस्तुओं और सेवाओं की आसान पहुं च और उपलब्धता को
बढ़ावा दिया है , जिससे यह भारतीय जनता के लिए अधिक
आकर्षक बन गया है ।

पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने का दस


ू रा कारण आधुनिक
होने की धारणा है । बहुत से लोग अपने पारं परिक तौर-तरीकों
को पुराने और अनकूल रूप में दे खते हैं , जिससे उन्हें शर्मिंदगी
महसूस होती है । आधुनिक होने का मतलब अपनी जड़ों और
संस्कृति को पूरी तरह से छोड़ दे ना नहीं है ।एक व्यक्ति दोनों
को गले लगा सकता है और अपने वैयक्तिकता और परं पराको
अक्षुण्ण रखते हुए आधुनिक हो सकता है ।

अंत में , यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि संस्कृति ही समाज


और उसके लोगों को परिभाषित करती है । भारतीय संस्कृति
की एक समद्ध
ृ विरासत और परं परा है जिसे आने वाली पीढ़ियों
के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए। विभिन्न अन्य
संस्कृतियों के लिए खुले रहते हुए, यह आवश्यक है कि
भारतीय अपनी संस्कृति को न भूलें । यह भारत के लिए अपनी
शर्तों पर आधुनिकीकरण करते हुए दे श की अनूठी संस्कृति
और परं पराओं को संरक्षित करने का समय है ।

-समीर अनवर अंसारी

१०-ए

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