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NCERT Solution
पाठ – 09
रवीं नाथठाक ु र
न अ यास:
न न ल खत न के उ"तर द$िजए -
1. क व कससे और या ाथना कर रहा है ?
2. ' वपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेर ाथना नह ं' - क व इस पंि त के $वारा या कहना चाहता
है ?

3. क व सहायक के न %मलने पर या ाथना करता है ?

4. अंत म( क व या अनुनय करता है ?

5. आ*म+ाण शीषक क0 साथकता क वता के संदभ म( 2प3ट क0िजए।

6. अपनी इ8छाओं क0 पू;त के %लए आप ाथना के अ;त<र त और या- या यास करते


ह=? %ल>खए।

7. या क व क0 यह ाथना आपको अAय ाथना गीतC से अलग लगती है ? यDद हाँ, तो कै से?

(ख) न न ल खत का भाव 4प5ट क7िजए -


1. नत %शर होकर सख
ु के Dदन म(
तव मख
ु पहचानँू ;छन-;छन म( ।

2. हा;न उठानी पड़े जगत ् म( लाभ अगर वंचना रह


तो भी मन म( ना मानँू Jय।

3. तरने क0 हो शि त अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सां*वना नह ं सह ।

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NCERT Solution
पाठ – 09
रवीं नाथठाक ु र
न अ यास:
न न ल खत न के उ"तर द$िजए -
उ"तर1: क व क णामय ई वर से ाथना कर रहा है क उसे जीवन क वपदाओं से दरू चाहे ना
रखे पर इतनी शि%त दे क इन मिु कल( पर वजय पा सके । दख
ु ( म* भी ई वर को न
भूले, उसका व वास अटल रहे ।

उ"तर2: क व का कहना है क हे ई वर म0 यह नह1ं कहता क मुझ पर कोई वपदा न आए, मेरे


जीवन म* कोई दख
ु न आए बि6क म0 यह चाहता हूँ क म0 म ुसीबत तथा दख
ु ( से घबराऊँ
नह1ं, बि6क आ:म- व वास के साथ <नभ=क होकर हर प>रि?थ<तय( का सामना करने का
साहस मझ
ु म* आ जाए।

उ"तर3: वपर1त प>रि?थ<तय( के समय सहायक के न @मलने पर क व ई वर से ाथना करता है


क उसका बल पौ ष न Cहले, वह सदा बना रहे और कोई भी कEट वह धैय से सह ले।

उ"तर4: इस पूर1 क वता म* क व ने ई वर से साहस और आ:मबल माँगा है अंत म* क व अनुनय


करता है क चाहे सब लोग उसे धोखा दे , सब दख
ु उसे घेर ले पर ई वर के <त उसक
आ?था कम न हो, उसका व वास बना रहे । उसका ई वर के <त व वास कभी न
डगमगाए। सुख( के आने पर भी ई वर को हर Iण याद करता रह* ।

उ"तर5: आ:मJाण का अथ है आ:मा का Jाण अथात आ:मा


् या मन के भय का <नवारण, उससे
मुि%त। Jाण शLद का योग इस क वता के संदभ म* बचाव, आMय और भय <नवारण के
अथ म* कया जा सकता है । क व चाहता है क जीवन म* आने वाले दख
ु ( को वह <नभय
होकर सहन करे । दख
ु न @मले ऐसी ाथना वह नह1ं करता बि6क @मले हुए दख
ु ( को
सहने, उसे झेलने क शाि%त के @लए ाथना करता है । क व ई वर से ाथना करता है क
उसका बल पौ ष न Cहले, वह सदा बना रहे और कोई भी कEट वह धैय से सह ले
इस@लए यह शीषक पूणतया साथक है ।

उ"तर6: अपनी इOछाओं क पू<त के @लए ाथना के अ<त>र%त हम <नQन@लRखत यास ह0करते -
1) कCठन प>रMम और संघष करते ह0।
2) सफलता ाXत होने तक धैय धारण करते ह0।

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उ"तर7: यह ाथना अYय ाथना गीत( से @भYन है %य( क अYय ाथना गीत( म* दा?य
भाव, आ:म समपण, सम?त दख
ु ( को दरू करके सुखशां<त क ाथना, क6याण, मानवता
का वकास,ई वर सभी काय पूरे कर* ऐसी ाथनाएँ होती ह0 परYतु इस क वता म* कEट( से
छुटकारा नह1ं कEट( को सहने क शि%त के @लए ाथना क गई है । क व ई वर से ाथना
करता है क उसका बल पौ ष न Cहले, वह सदा बना रहे और कोई भी कEट वह धैय से
सह ले। यहाँ ई वर म* आ?था बनी रहे , कमशील बने रहने क ाथना क गई है । यह
ाथना कसी सांसा>रक या भौ<तक सख
ु क कामना के @लए नह1ं है ।

(ख) न न ल खत का भाव 3प4ट क6िजए -


उ"तर1: इन पंि%तय( म* क व कहना चाहता है क वह सुख के Cदन( म* भी परमा:मा को हर पल
MZा भाव से याद रखना चाहता है , वह एक पल भी ई वर को भल
ु ाना नह1ं चाहता। क व
दख
ु -सुख दोन( म* ह1 भु को सम भाव से याद करना चाहते ह0।

उ"तर2: क व ई वर से ाथना करता है क जीवन म* उसे लाभ @मले या हा<न ह1 उठानी पड़े तब
भी वह अपना मनोबल न खोए। हर प>रि?थ<त का सहष सामना करसके ।

उ"तर3: क व इस संसार \पी भवसागर को ?वयं पार करना चाहते ह0। वह


ह य नह1ं चाहता क
ई वर उसे इस दख
ु के भार को कम कर दे या सां:वना दे । वह अपने
जीवन क िज़Qमेदा>रय( को कम करने के @लए नह1ं कहता बि6क उससे संघष करने, उसे
सहने क शि%त के @लए ाथना करता है ।

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