आओ बिद'अत को पहचानें

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आओ बद'अत

को पहचान

अज़हर जमाल

पीस काशन
आओ बद'अत
को
पहचान
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Peace Publications

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बद'अत या है?

आइए आसान तरीके से जानने क को शश करते ह


बद'अत का अथ: ऐसी चीज़ को वजूद म लाना जो पहले से वजूद म
नह ह। (1)
ٌ ّ ‫ﻣ َ ﻦ ْ ا َ ﺣ ْﺪ َث َ ﻓ ِ ﻲ ْ ا َ ﻣ ْ ﺮ ِ ﻧ َ ﺎ ﻫ ٰ ﺬ َ ا ﻣ َ ﺎ ﻟ َ ﻴ ْ ﺲ َ ﻣ ِ ﻨ ْ ﻪ ُ ﻓ َ ﻬ ُ ﻮ َ ر َ د‬
जस कसी ने हमारे द न म कोई ऐसा तरीका ईजाद
कया जसका ता लुक दन से नह है तो वह हम म से
नह है।
Saheeh Bukhari Vol 2, Page:211, HN:
2697
श रया म बद'अत का अथ: इ लाम धम म कु छ ऐसा डालना या करना जो
कु रान और हद स से स न हो। यानी वह काम कताब और सु त से
सा बत नह होता है और ऐसा करने पर सज़ा का वादा कया गया है.
Saheeh Muslim 2/592 (2)
इस लए अहकाम ए इलाही व नबी SAW ने इबादत व रयाजत का जो
तरीका बताया है अगर उसके व हम अमल करगे तो वह बदअत
होगा।
ीकरण: कु छ लोग मानते ह क जो शरीयत नह है उस म भी नई चीज
का जोड़ना बदअत है।
उदाहरण के लए, "यह कहना क पैगबं र SAW और उनके साथी बाइक,
कार, हेलीकॉ टर, हवाई जहाज, े न, लाइंग शूट और कं यूटर, माट फोन,
इंटरनेट, सोशल मी डया या ला टक से बनी जैसी चीज का उपयोग नह
करते थे, और एलोपै थक उपचार, यह सब नाजायज और बद'अत है।"
जैसा क बद'अत क प रभाषा से यह होता है क शरीयत म कु छ
नया लाना बद'अत है न क गैर-श रयी चीज म। और यह खाना पीना
चलना फरना सवारी करना और इसी तरह से सरी चीज का इ तेमाल
करना यह सब गैर द नी चीज़ है ले कन जो दे नी चीज है वह यह है क इन
सभी चीज को कै से करना है कस तरीके से करना है यह शरीयत और
द न है।
श रयत क प रभाषा3:
श रया को इ लामी मा यता और ऐ तहा सक अवधारणा के अनुसार
अलग-अलग तरीक से प रभा षत कया जा सकता है।
1. शा दक का अथ:
शरीयत एक अरबी श द है जसका अथ है "रा ता"4 । इ लामी श ा
के संदभ म, यह अ लाह क इ ा है जो कु रान के मा यम से आती है और
इ लामी पैगबं र मुह मद ‫ ﷺ‬के प म पूरी मानवता के लए मॉडल के प
म सामने आती है। इसके ोत कु रान, पैगबं र क सु त ह।
2. इ लामी अथ:
इ लाम म शरीयत का अथ है द न और अकायद म अ लाह का अहकाम5
, इस का overall अथ है, जो अ लाह के त
आ ाका रता को पूरा करने पर आधा रत है। इसका आयोजन मनु य के
सभी जीवन अनु ान , नै तक स ांत , ावसा यक नयम और
सामा जक से ट स को संर त करने के लए कया जाता है।
फर (हे पैग बर ‫ )!ﷺ‬हमने आपको धम के मामले म
रा ते (शरीयत) पर ा पत कया है, इस लए उस
पर अमल कर और उन लोग क इ ा का पालन न
कर ज ह ान नह है। Al-Jathiyah: 186
3. ऐ तहा सक अथ:
इ लामी इ तहास म श रया कु रान और पैगबं र मुह मद क सु त पर
आधा रत है। इ लामी शरीयत को पूरा करने के लए, इ लामी इ तहास म
मु तर , याय वद और व ान ने व भ सम या का समाधान खोजा
और कानूनी नयम और कानून बनाए।
सं पे म, शरीयत इ लामी इबादत व रयाजत, सामा जक, नै तक और
राजनी तक स ांत को संर त करने और मानवता को व त और
सै ां तक तरीके से मागदशन करने के लए एक भावी णाली है।
इ लामी कानून का उ े य मानव क याण और याय के लए एक
संवैधा नक और नै तक मानक ा पत करना है।
तो ये कहना क इन सभी चीज़ का इ तेमाल ठ क नह है और ये सब
बदअत है। ये बात पूरी तरह से ग़लत और बे बु नयाद है।
इ लाम म ये कह नह लखा है क अगर इस-इस तरह क चीज को
दे खना तो उनसे र रहना, या कोई नशानी बताया क इस से सावधान
रहना।
इस लए, अगर कसी भाई के पास ऐसी कोई वैध हद स और कु रान का
सबूत हो, तो उसे बताएं और हम इसे वीकार करने के लए तैयार ह,
य क हमारा स ांत ही यह है क जो भी अमल कया जाए वह कताब
और सु त के अनुसार हो।
बद'अत क पहचान: यह ब त सरल है।
यहां कु छ संकेत दए गए ह जो बद'अत क पहचान करने म मदद कर
सकते ह:
कु रान और हद स का correspondence : बद'अत को पहचानने के
लए सबसे मह वपूण बात यह है क इसे कु रान और हद स के अनुसार
स या पत कया जाए। य द कोई अमल या अक़ दा इन दोन के अनु प
नह है तो वह बद'अत है।
अ लाह के त ‫ ﷺ‬के कथन और काय का एक अ धयन: इ लामी
इ तहास म, पैगबं र ‫ ﷺ‬ने अपने जीवन म कई अवसर पर अपने कथन
और काय के ोत के मा यम से बद'अत से रोका है। इस लए उनक
कथनी और करनी का अ धयन करना ब त ज़ री है.
व ान क राय ल: बद'अत क पहचान के लए समकालीन व ान क
राय लेना बेहतर है। उनसे परामश लेने से ान बढ़ता है और बद'अत को
पहचानने म मदद मलती है।
सु त का पालन कर: इ लामी श ा म सु त का ब त मह व है। सु त
का ता पय पैगबं र के कथन , काय और जीवन के अ धयन से है। इ लामी
सु त के अनुसार अपना जीवन तीत करना बद'अत से बचने का एक
साधन है।
बद'अत को पहचानने के लए वै ा नक, शोधपूण और सब से अहम
सै ां तक कोण अपनाना आव यक है। इ लामी श ा क समझ
और मू यांकन के लए व ान का मागदशन लेना ज़ री है
बद'अत के उदाहरण:
1. बद'अत: कु छ मुसलमान फज़ से अ धक रकअत पढ़ने के लए नमाज़
क सं या बढ़ा दे ते ह। उदाहरण के लए, 2 रकात क एक नमाज को 3
या 4 रकात म बदलना। यह कु रान और हद स पर आधा रत नह है, ब क
के वल उनक अपनी रचना पर आधा रत है।
2. प र कृ त बद'अत: कु छ लोग इ लामी श ा का नमाण अपने
बौ क और दाश नक कोण से करते ह, जो उनक अपनी रचना पर
आधा रत होती है और इसका इ लामी श ा से कोई लेना-दे ना नह
होता है।
3. अक़ दे म बद'अत: मज़ार पर होने वाले सारे काम।
4. धा मक अनु ान को जोड़ने का बद'अत: कु छ लोग इ लामी धा मक
अनु ान म अपने वयं के र म और रवाज जोड़ते ह जो कु रान और
हद स के अनु प नह ह।
जैसे मुद से आ मांगना क अ लाह उनके मा यम से हमारी ाथना
और इ ा को वीकार करेगा। और उनक ताजीम करना, जो इ लाम
म कसी के लए जायज़ नह है। क पर चादर बछाना और स दा करना
जो के वल अ लाह के लए जायज़ है और चादर जो के वल काबा के लए
जायज़ है, और ईद मलाद अल-नबी आ द।
‫اﻟ ْ ﻴ َ ﻮ ْ م َ أ َﻛ ْﻤ َﻠ ْ ﺖ ُ ﻟ َ ﻜ ُ ﻢ ْ د ِﻳ ﻨ َ ﻜ ُ ﻢ ْ و َ أ َ ﺗ ْ ﻤ َﻤ ْ ﺖ ُ ﻋ َﻠ َ ﻴ ْ ﻜ ُ ﻢ ْ ﻧ ِﻌ ْﻤ َ ﺘ ِ ﻲ‬

‫ و َر َ ﺿ ِ ﻴ ﺖ ُ ﻟ َ ﻜ ُ ﻢ ُ اﻟ ْﺈ ِ ﺳ ْﻠ َﺎ م َ د ِﻳ ﻨ ًﺎ ا ﻟﻤﺎ ﺋ ﺪة‬: ٣
आज मने तु हारे लए तु हारा धम
पूरा कर लया है और तु हारे लए
अपना आशीवाद पूरा कर लया है
और तु हारे लए तु हारा धम वीकार
कर लया है। Almaidah:03 7

जब अ लाह पाक ने नबी SAW क मौत से


पहले ही बता दया क द न मुक मल हो गया,
अब द न म कोई नई चीज शा मल नह कया
जा सकता है।
अंत म अ लाह ताला का यह फरमान पढ़:
हे ईमान वाले लोग ! अ लाह क इताअत करो और
रसूल और अपने सरदार क इताअत करो, फर अगर
तु हारे बीच कसी मामले म मतभेद हो तो उसे अ लाह
और रसूल क तरफ लौटा दो। AL-NISA:598
यहां बदअत क बहस समा त करते ह। अ लाह हम सब को बदअत से
बचाये!
संदभ
1: https://hadeethenc.com/ar/browse/hadith/4792 7: https://quran.com/5/3

2: https://hadeethenc.com/ar/browse/hadith/65760 8: https://quran.com/4/59

3: https://islamqa.info/ar/answers/210742

4: http://bit.ly/3rMzfpw

5: https://www.almaany.com/ar/dict/ar-ar/%D8%A7%D9%84%D8%B4%D8%B1%D8%B9/

6: https://quran.com/45/18

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