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जेरेमी बेंथम (Jeremy Bentham) बेंथम का उपयोगितावाद-

बेंथम को उपयोगितावाद का प्रवततक कहा जाता है. यद्यगप उपयोगितावादी दर्तन का क्रमबद्ध उपयोगितावाद, बेंथम के गचंतन तथा गवचारिारा की आिारगर्ला है. बेंथम ने तत्कालीन समय
रूप में प्रगतपादन सवतप्रथम डेगवड ह्यमू ने गकया था. प्रीस्टले हचसन, हाल्वेक आगद प्रमख
ु में प्रचगलत नैगतकता की िाराओ ं का खंडन गकया और उपयोगितावाद को नैगतकता तथा
उपयोगितावादी गवचारक थे लेगकन सभी गवचारको में उपयोगितावादी दर्तन का व्यापक रूप में मानवीय जीवन का आिार बनाया. लेगकन बेंथम ने ईश्वरीय सच्छा, प्राकृ गतक गवगि और
प्रगतपादन तथा राजनीगत के ्े्र में ससे लािू करने का ्ेय बेंथम को ही गदया जाता है. अतं ःकरण सन सबको व्यगिित या आत्मित कल्पनाएं माना और यह कहा गक मनष्ु य को जो
कभी-कभी उपयोगितावाद को बेंथमवाद भी कहा जाता है. कुछ अच्छा लिता है उसी को ईश्वरीय सच्छा, प्राकृ गतक गवगि और अतं रात्मा के अनक ु ू ल कह
देता है. ईश्वरीय सच्छा, प्राकृ गतक गवगि या अतं रात्मा के संबंि में प्रामागणक रूप से हमारे द्वारा
जन्म-1784 लंदन में. कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. ससगलए यह सभी िारणाएं गनरथतक है.
मृत्य-ु 1832 में. बेंथम सखु वद में गवश्वास करता है उसके उपयोगितावाद की िारणा सुख-दुख की मात्रा पर
15 वर्त की अवस्था में क्वीन्स कालेज से स्नातक. आिाररत है. गजस कायत से मानव सख ु में वृगद्ध होती है वह उपयोिी और उगचत है, और गजस
गलंकंस सन से बैररस्टरी. कायत से मानव को दख ु प्राप्त होता है वह अनपु योिी और अनगु चत है. मनष्ु य के सभी कायों की
कसौटी उपयोगिता है.
1772 से वकालत लेगकन जल्द ही वकालत छोड़कर गवगिर्ास्त्र तथा न्यायर्ास्त्र के ्े्र में
कायत. उपयोगितावादी गसद्धातं से आर्य उस गसद्धातं से है गजससे व्यगि की प्रसन्नता बढ़ती या घटती
है और गजसके आिार पर वह प्रत्येक कायत को उगचत या अनगु चत ठहराता है. ससी आिार पर
रचनाए-ं बेंथम का मानना है गक सखु तथा दख ु या प्रसन्नता और पीड़ा मनष्ु य के दो सावतभौम र्ासक हैं.
Fragments of Government 1776. बेंथम कहता है गक "प्रकृगत ने मानव को सुख दुख नामक दो प्रभुत्व पूर्ण स्वागमयों के
शासन में रखा है, हमें क्या करना चागहए या हम क्या करें यह के वल वे ही गनगित कर
Defence of Usury 1787.
सकते हैं. एक मनष्ु य अपने र्ब्दों द्वारा उसके र्ासन से बचने का गदखावा भले ही करें गकंतु
Introduction to the Principles of Morals and Legislation 1789. वास्तव में वह सदैव उसके अिीन ही रहता है."
Principles of International Law. बेंथम के अनसु ार गकसी वस्तु की उपयोगिता का एकमा्र मापदडं यह है गक वह कहां तक सख ु
Manual of Political Economy. में वृगद्ध करती है और दख
ु को कम करती है. बेंथम और उसके अनयु ागययों ने उपयोगितावाद के
सुखवादी (Hedonistic) व्याख्या की है.
Essays on Political Tactics 1791.
बेंथम कायों के उद्देश्य की अपेक्षा पररर्ाम को महत्वपूर्ण मानता है. कोई काम गकस उद्देश्य अनसु ार नाप-तोल करके सरकार यह ज्ञात कर सकती है गक उसके गकसी कायत की सामान्य
से गकया जाता है ससका कोई महत्व नहीं है, महत्व की चीज तो उसका पररणाम है और वह यही प्रवृगि सख
ु में वृगद्ध करता है अथवा नहीं.
मानता है गक जो वस्तु हमें सख ु की अनभु गू त देती है वह अच्छी, ठीक और उपयोिी है और बेंथम गजन सात आिारों की बात करता है उनमें से पहले 6 बातें व्यगिित सख
ु -दख
ु की मापक
गजस वस्तु से हमें दखु के अनभु गू त होती है वह बरु ी, िलत और अनपु योिी है. हैं लेगकन समहू अथवा बहुमत के व्यगियों के सखु का पररणाम गनकालने के गलए गवस्तार पर
बेंथम सन सुखों के स्रोत भी बताता है. प्राकृगतक, वह है जो प्राकृ गतक घटनाओ ं के कारण ध्यान गदया जाता है. ससीगलए बेंथम कहता है गक व्यगि के गलए कौन सा कायत उपयोिी होिा
होता है. राजनीगतक, राजनीगतक अवस्था अथवा काननू के कारण गमलता है. नैगतक, जब ससके गलए उसे सात आिारों को अक ं देकर अगिक अंक वाला कायत अपनाना होिा.
कोई सख ु या दख
ु नैगतक दृगि से अच्छा या बरु ा काम करने पर होता है. सामागजक जब गकसी सखु और दख ु ों की िणना करके गकसी गनगित पररणाम पर पहुचं ने के गलए बेंथम ने एक स्र ू
कायत को करने पर समाज हमें परु स्कार या दडं देता है. और धागमणक मान्यताओ ं के अनसु ार या गदया है जो सस प्रकार है- समस्त सुखों के समस्त मूल्यों को एक ओर तथा समस्त दुखों के
गवरुद्ध काम करने पर जो सख
ु या दख ु गमलता है ससका स्रोत िमत होता है. समस्त मूल्यों को दूसरी ओर एकत्र कर लेना चागहए. यगद एक को दूसरे में से घटाकर
ससके अलावा बेंथम के उपयोगितावादी गसद्धातं की एक महत्वपणू त गवर्ेर्ता यह है गक सुखों में सुख शेष रह जाता है तो वह कायण ठीक है लेगकन यगद दुख शेष रहे तो यह समझ लेना
के वल मात्रा का अंतर होता है,िुर् का नहीं. मनष्ु य के कायत करने का उद्देश्य सख
ु की प्रागप्त चागहए गक वह कायण ठीक नहीं है.
होता है और मनष्ु य सदैव सख
ु से प्रेररत होता है और दख ु से बचना चाहता है. ससके अनसु ार ससके अलावा बेंथम मानता है गक यगद गकसी कायत का प्रभाव दसू रों पर भी पड़ता है तो यह
गवगभन्न सख
ु एक दसू रे से कम या अगिक हो सकते हैं गकंतु िणु में गभन्न नहीं होते हैं. यगद उगचत होिा गक हम उस प्रगक्रया में को उनमें से प्रत्येक पर भी लािू करें और उनके गहतों को
उपयोगिता के गसद्धातं के अनसु ार सख
ु ों के बीच िणु ात्मक अतं र मान गलया जाए तो उपयोगिता ध्यान में रखें और ससी को सुख का गवस्तार कहा जाता है.
अच्छाई का मापदडं नहीं रहेिी और गिर हमें अच्छाई का कोई दसू रा मापदडं ढूंढना होिा.
काननू गनमातण या गविायन के ्े्र में वह कहता है गक काननू बनाते समय यह देखना चागहए गक
गवगभन्न सख ु में के वल मा्र ा का भेद होता है और सस संबंि में उसका महत्वपणू त कथन है- सख
ु और दख ु में गकसकी मा्र ा अगिक है. यगद वह सखु के प् में है तो यह मानना चागहए गक
"सुख की मात्रा समान होने पर पुगपपन (एक प्रकार का बच्चों का खेल) भी उतना ही
काननू प्रत्येक नािररक के गलए सख ु दायक है और यगद वह दख ु के प् में हो तो यह समझना
श्रेष्ठ है गजतना गक काव्य पाठ.”
चागहए गक काननू जनसािारण के गलए दख ु दायी या किकारक है.
अपनी गवचारिारा में बेंथम एक आनंद मापक पद्धगत(Felicific Calculus) की बात करता
बेंथम व्यगिित सख ु को महत्व देने के बाद सामागजक सख
ु को भी अगिक महत्व देता है. वह
है, गजसके अनसु ार सखु और दखु को मापा जा सकता है. सख
ु और दख ु को मापने के संबंि में कहता है गक सामागजक जीवन में राज्य का उद्देश्य "अगधकतम व्यगियों के अगधकतम
वह कहता है की सख ु और दख ु को मापने के गलए 7 बातों पर ध्यान गदया जाना चागहए- सुख" के गसद्धांत के आिार पर गकया जाना चागहए.
तीव्रता, अवगध, गनगितता, गनकटता, उत्पादकता, और गवशुद्धता और गवस्तार. उसके
उपयोगिता का गसद्धांत सब कायों के औगचत्य का मापदडं है और राज्य के वही कायत उपयोिी हैं
जो अगिकतम व्यगियों को अगिकतम सख ु पहुचं ाते हैं.
बेंथम के उपयोगितावाद की एक महत्वपणू त गवर्ेर्ता यह है गक वह सस सावतभौम गसद्धांत को
मानता गक मानवीय आचरण और व्यवहार की सभी व्याख्याएं सीिे तौर पर या परो् रूप से
उपयोगितावाद के गसद्धातं पर आिाररत है. उपयोगितावाद का गसद्धातं गनगित और वस्तपु रक है
और उसे प्रयोि द्वारा गसद्ध भी गकया जा सकता है. सस कारण यगद हम मानवीय संबंिों के
संचालन को एक सगु नगित गवज्ञान का रूप देना चाहते हैं तो हमें उपयोगिता के गसद्धांत को
अपनाना होिा और यही गहतकर और र्भु कारक भी होिा.
MARGDARSHAN For Civil Services
ANURAG CHAUDHARI

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