Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 9

वािषक पाठ्य म: 2023-24

क ा–7
िवषय – िहंदी
. (वसतं भाग 2) िवधा/ िवषय- याकरण और रचना मक अिधगम उ े य अिधगम सं ाि सदं भ/सझ
ु ावा म
सं. पाठ सं या और व तु लेखन क ि याकलाप
नाम
1 पाठ. 1 किवता/ वतं ता पवू वत क ाओ ं से िलए गए  किवता िवधा से प रिचत ह गे,  अपने प रवेश म मौजदू लोककथाओ ं  कायप क स.ं
िवषय व तु
 भावानकु ू ल स वर वाचन क और लोकगीत के बारे म बताते/सनु ाते ह। 7-8
हम पं ी उ मु पि य के मा यम से क ा 5
कोिशश करगे, पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घटनाओ ं  पश/ु पि य को
गगन के मनु य क पराधीनता िवशेषण: पहचान का. सं. 39A
(िशवमगं ल िसहं क पीड़ा को क ा6  ाकृ ितक प रवेश, पश-ु पि य क क पना करते ह और उन पर अपने मन म िपंजरे म रखने
के ित िज ासु ह गे, बनने वाली छिवय और िवचार के बारे म के औिच य पर
समु न) समझाने का यास िवशेषण: योग का. सं. 9
मौिखक/सांकेितक भाषा म बताते ह। वाद-िववाद ।
 िचिड़या के खान-पान, रहन-
क ा7 सहन प रवेश आिद के बारे म  ब चे िविभ न िवषय पर आधा रत  वत ता के
िवशेषण: भेद का. सं. 13 जान सकगे, िविवध कार क रचनाओ ं को पढ़कर चचा मह व पर
करते ह, जैस-े पाठ्यपु तक म िकसी प ी के अनु छे द लेखन
पाठा तगत याकरिणक िबदं -ु  िविभ न िचिड़या के नाम और
ं समास बारे म पढ़कर पि य पर िलखी गई सािलम ।
व प को गौर करगे,
अली क िकताब पढ़कर चचा करते ह।
 पश-ु प ी के ित सवं दे नशील
पश/ु प ी/पयावरण पर आधा रत  पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के
ह गे,
पिठत/अपिठत ग ांश / प ांश िलए वयं बनाते ह और पछू ते ह । अपने
का अ यास  पि य के मा यम से मनु य क अनभु व को अपनी भाषा शैली म िलखते ह ।
पराधीनता क पीड़ा को समझने भाषा क बारीिकय / यव था का िलिखत
 िव ािथय क िच, अवसर, का य न करगे,
आव यकता एवं अिधगम के योग करते ह, जैसे किवता के श द को
आधार पर अनु छे द/ िनबधं /  परतं भारत के िनवािसय क बदलकर अथ और लय को समझना। अपने
िच वणन का अ यास पीड़ा और ि िटश गल ु ामी से अनभु व को अपनी भाषा शैली म िलखते ह।
वतं ता क उ कट अिभलाषा लेखन के िविवध तरीक और शैिलय का
1
को जान सकगे, योग करते ह, जैसे िविभ न तरीक से
 क पनाशीलता का िवकास (कहानी, किवता, िनबधं आिद) कोई अनभु व
होगा, िलखना ।
 पाठा तगत यु नए श द एवं
याकरिणक िब दओ ु ं से प रिचत
होते हए उनका भािषक योग
कर सकगे
2 पाठ. 4 किवता/ वतं ता पूववत क ाओ ं से िलए गए  किवता िवधा से प रिचत ह गे,  अपने प रवेश म मौजदू लोककथाओ ं  कायप क स.ं
िवषय व तु
 भावानक ु ू ल स वर वाचन क और लोकगीत के बारे म बताते/सनु ाते ह 14-15
कठपुतली कठपुतिलय के क ा5 ।
कोिशश करगे,  परु ाने कपड़े /
(भवानी साद मा यम से वतं ता सवनाम: पहचान का. सं. 10
 गल
ु ामी/ परतं ता क पीड़ा को  पढ़कर अप रिचत प रि थितय और अखबार/
िम ) क इ छा को दशाने क ा 6
समझ सकगे, घटनाओ ं क क पना करते ह और उन पर बेकार व तुओ ं
वाली किवता सवनाम: योग का. सं. 7
अपने मन म बनने वाली छिवय और से गिु ड़या
क ा7  वतं ता/ आज़ादी के मह व को
िवचार के बारे म मौिखक/सांकेितक बनाना ।
 सवनाम के भेद समझ पाएँग,े
भाषा म बताते ह ।  यावसाियक
ये, मेरे, इ ह,मझु ,े हमआिद का  े ीय और पारंप रक खेल ,
 िविभ न संवेदनशील मु /िवषय , जैसे- िश ण से
सवनाम के भेद के अनसु ार मनोरंजन के साधन और
जाित, धम, रंग, जडर, रीित- रवाज़ के जोड़ते हए
वग करण का. सं. 25, 27 गितिविधय के ित िज ासु
बारे म अपने िम , अ यापक या प रवार कठपुतली
 पाठा तागत याकरिणक िबदं -ु ह गे,
से करते ह जैसे अपने मोह ले के बनाना व लोक
दो श द के जड़ु ने से उनके  पाठा तगत यु याकरिणक लोग से योहार मनाने के तरीके और कलाओ ं का
मल
ू प म प रवतन जैसे- िब दओ ु ं के अवगत होते हए एकता/सामिू हकता पर बातचीत करना । प रचय ।
काठ और पतु ली िमलकर उनका भािषक योग करने म
 पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के िलए
कठपुतली बनते ह । इसी समथ ह गे,
वयं बनाते ह और पछू ते ह ।
कार दो श द को िमलाकर
नए श द का िनमाण  अपने अनभु व को अपनी भाषा शैली म
िलखते ह अ यास हल करने म
2
 भाषा म चिलत श द यु म स म ह गे
म प रवतन करना जैसे आगे-
पीछे का पीछे-आगे आिद ।
 वतं ता िदवस पर
अनु छे द/िनबधं लेखन/ िच
वणन का अ यास
3 पाठ. 5 कहानी/ एक  पाठा तागत याकरिणक िबदं -ु  कहानी िवधा से प रिचत ह गे,  िहदं ी भाषा म िविभ न कार क  कायप क स.ं
िमठाईवाला फे रीवाले क दो श द के जड़ु ने से उनके  भावानक ु ू ल आदश वाचन क साम ी (समाचार, प -पि का, कहानी, 14-15
(भगवती साद मलू प म प रवतन जैसे- जानकारीपरक साम ी, इटं रनेट, लॉग पर
कोिशश करगे,  फे रीवाल के
वाजपेयी) िमठाई और वाला िमलकर छपने वाली साम ी आिद) को समझकर पढ़ते
 फे रीवाले क िदनचया, उनक ित िज ासु
िमठाईवाला बनते ह । इसी ह और उसम अपनी पसदं नापसदं , िट पणी, होते हए उनके
सम याएँ आिद को समझ
कार दो श द को िमलाकर राय, िन कष आिद को मौिखक/सांकेितक बारे म जानने
सकगे,
नए श द का िनमाण भाषा म अिभ य करते ह। पढ़ी गई साम ी क कोिशश
 फे रीवाले के मह व को समझ
 भाषा म चिलत श द यु म पर िचंतन करते हए समझ के िलए पछू ते
 यार बाँटने से
पाएँग,े ह।
म प रवतन करना जैसे आगे- बढ़ता है इस
पीछे का पीछे-आगे आिद ।  पाठा तगत यु याकरिणक  पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के िलए िवषय पर तक
िब दओ ु ं के अवगत होते हए
 फे रीवाले पर अनु छे द/िनबंध वयं बनाते ह और पछू ते ह । अपने कर सकते ह ।
उनका भािषक योग करने म अनभु व को अपनी भाषा शैली म िलखते
लेखन/ िच वणन का  ‘मानवीयता का
समथ ह गे, ह।
अ यास गणु ’ िवषय पर
 िलंग, वचन- पहचान और चाचा व
योग अनु छे द लेखन ।
4 पाठ. 7 नाटक/ बाल- पूववत क ाओ ं से िलए गए  ‘नाटक’ श द से प रिचत होते  िहदं ी भाषा म िविभ न कार क साम ी  कायप क स.ं
पापा खो गए मनोिव ान िवषय व तु हए इस िवधा से प रिचत ह गे, (समाचार, प -पि का, कहानी, 16-21
(िवजय तदल
ु कर) क ा5
 एकांक / लघनु ािटका श द से जानकारीपरक साम ी, इटं रनेट, लॉग पर  संवाद लेखन :
िनज व व तुओ ं और िवराम िच :पहचान का. सं. छपने वाली साम ी आिद) को समझकर
प रिचत ह गे, दो या दो से
3
सजीव जीव के 112 A,  भावानकु ू ल एवं आदश वाचन म पढ़ते ह और उसम अपनी पसंदनापसंद, अिधक िनज व
च र के मा यम से िवलोम श द:पहचान का. सं. स म ह गे, िट पणी, राय, िन कष आिद को व तओ ु ं के
बाल-मनोिव ान को 135A मौिखक/सांकेितक भाषा म अिभ य बीच क पना
 नाटक के िविभ न त व यथा
दशाता मनोरंजक क ा6 करते ह। पर आधा रत
पा , संवाद, घटना म आिद से
नाटक िवलोम श द : योग  पढ़ी गई साम ी पर िचतं न करते हए समझ सवं ाद लेखन
प रिचत ह गे,
क ा7 के िलए पछू ते ह।
पाठा तागत याकरिणक िबदं -ु  संवाद के मा यम से वाचन
कौशल को समृ कर सकगे,
 िवराम िच का वा य म
 अपनी क पनाशि का िव तार
योग
कर सकगे,
 िवलोम श द का वा य म  पाठा तगत यु याकरिणक
योग िब दओ
ु ं के अवगत होते हए
 अपनी िकसी व तु के खोने
उनका भािषक योग करने म
समथ ह गे
क सचू ना देते हए थाना य
को प
 उपयु पाठ्य म 15 िसत बर 2023 तक पूरा कर िलया जाए ।
 म याविध परी ा हेतु पाठ्य म क पुनरावृित करवाई जाए।
 िदया गया पाठ्य म मू याक ं न हेतु है , शेष पाठ्य-व तु अिधगम सवं ृि के उ े य मा है।
 यात य है िक पूरक पाठ्य-पु तक “बाल महाभारत” क ा-7 अिधगम संवृि (Learning Enrichment) के उ े य मा से ह । गत परी ाओ ं म इन परू क पु तक से
नह पछू े गए ह । अिधगम संवृि (Learning Enrichment) के उ े य क पिू त हेतु इनका उपयोग िकया जा सकता है।
म याविध परी ा

4
पाठ सं या और िवधा/ िवषय- याकरण और रचना मक अिधगम उ े य अिधगम सं ाि सदं भ/सझ
ु ावा
नाम व तु लेखन मक
ि याकलाप
5 पाठ.10 सं मरण पवू वत क ाओ ं से िलए गए  सं मरण’ श द से प रिचत होते  िविभ न पठन सामि य म यु अनभु व को
(जापानी)/ संवेदना िवषय व तु हए इस िवधा के बारे म जान श द , महु ावर , लोकोि य को समझते हए साझा करवाना
अपूव अनभ ु व क ा5 सकगे, उनक सराहना करते ह। ।
(ते सक
ु ो िद यांग ब चे के पेड़ नए श द जोड़कर श द िनमाण
 भावानक ु ू ल एवं आदश वाचन म िविभ न पठन सामि य को पढ़ते हए उनके
कु रयानागी) पर चढ़ने के सपन क ा 6
स म ह गे, िश प क सराहना करते ह और अपने
को परू ा करने क उपसग और यय :पहचान
सं मरणा मक क ा7  िद यांगजन के ित संवदे नशील तरानकु ू ल मौिखक, िलिखत, ेल/ सांकेितक
ह गे, प म उसके बारे म अपने िवचार य करते
कहानी उपसग और यय ारा नए
ह।
श द का िनमाण, पाठा तागत  िद यागं जन के आ मिव ास
याकरिणक िबदं -ु और आ मिनभरता क भावना  िकसी पाठ्यव तु को पढ़ने के दौरान
का स मान कर सकगे, समझने के िलए ज़ रत पड़ने पर अपने िकसी
 सं यावाची श द जैसे-
सहपाठी या िश क क मदद लेकर उपयु
ि शाखा , ि कोण आिद क  िद यागं िम के साथ िबना
संदभ साम ी, जैस-े श दकोश, िव कोश,
जानकारी िकसी भेदभाव के समान प से
मानिच ,इटं रनेट या अ य पु तक क मदद
यवहार करग,
 आना यय से श द िनमाण लेते ह।
 अ य देश और भाषाओ ं के भाषा क बारीिकय / यव था का िलिखत
 िद यागं जन के ित हमारा सािह य से प रिचत ह गे, योग करते ह, जैसेकिवता के श द को
नज रया िवषय पर  पाठा तगत यु याकरिणक बदलकर अथ और लय को समझना।
अनु छे द/िनबंध लेखन/ िच िब दओ ु ं के अवगत होते हए
वणन का अ यास उनका भािषक योग करने म
समथ ह गे,
6 पाठ.11 दोहे/भाषा और पूववत क ाओ ं से िलए गए  दोहा िवधा से प रिचत ह गे,  अपने प रवेश म मौजदू लोककथाओ ं  कायप क स.ं
सं कृित िवषय व तु
 भावानक ु ू ल स वर वाचन क और लोकगीत के बारे म बताते/सनु ाते ह 30,32
रहीम के दोहे क ा6 । िव ालय और
5
(रहीम) जीवन जीने क कला त सम और त व श द: पहचान कोिशश करगे,  पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घर के िम के
को समझाते हए क ा7  पाठ म िदए गए रहीम के दोह घटनाओ ं क क पना करते ह और उन पर बारे म
रहीम के िस दोह त सम और त व श द: पहचान का अथ समझ सकगे, अपने मन म बनने वाली छिवय और जानकारी एक
का संकलन और उनका वा य योग करते हए एक
 येक दोहे म सि निहत भाव िवचार के बारे म मौिखक/सांकेितक
पाठा तागत याकरिणक िबदं -ु भाषा म बताते ह । सदंु र ै प-बुक
एवं सीख से प रिचत ह गे,
 जभाषा या आँचिलक भाषा  िविभ न संवेदनशील मु /िवषय , जैसे-
का िनमाण
 स ची िम ता क कसौटी को
के श द के चिलत िहदं ी
जान सकगे, जाित, धम, रंग, जडर, रीित- रवाज़ के  सह-अि त व
प बारे म अपने िम , अ यापक या प रवार के मू य पर
 वा तिवक लगाव को समझ
 वण क आवृि वाले वा य से करते ह जैसे अपने मोह ले के आधा रत
पाएँग,े पिठत/अपिठत
 रहीम के दोह का स वर पाठ लोग से योहार मनाने के तरीके और
 परोपकार क भावना को एकता/सामिू हकता पर बातचीत करना । प ांश का
कराया जाय ।
सोदाहरण समझ पाएँग,े अ यास
 जीवन मू य पर आधा रत  पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के िलए
 सहनशि और उदारता क वयं बनाते ह और पछू ते ह ।  आपसी स ाव
पिठत/अपिठत ग ाश ं / भावना को सोदाहरण समझ एवं भाईचारा
प ांश का अ यास  अपने अनभु व को अपनी भाषा शैली
पाएगं ,े क वृित का
म िलखते ह अ यास हल करने म स म
 पाठा तगत यु याकरिणक ह गे
िवकास आपसी
िब दओ ु ं के अवगत होते हए स ाव एवं
उनका भािषक योग करने म भाईचारा से
समथ ह गे, संबंिधत िवषय
पर प , िनबंध
या अनु छे द
लेखन।
 रहीम के दोह
का े प बुक
म संकलन ।

6
7 पाठ.13 किवता / सबका  म से िनकलकर हम क  किवता िवधा से प रिचत ह गे,  अपने प रवेश म मौजदू लोककथाओ ं  किवता म या
एक ितनका - अि त व होता है व भावना का िवकास  भावानकु ू ल स वर वाचन क और लोकगीत के बारे म बताते/सनु ाते ह। िश ा िमलती
अयो या िसंह कोई वा तु छोटी व
 सह-अि त व के मू य पर कोिशश करगे, पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घटनाओ ं है चचा क िजये
उपा याय हीन नह है । और ऐसा
आधा रत पिठत/अपिठत  सह अि त व क भावना से क क पना करते ह और उन पर अपने मन म
‘ह रऔध’ स देश देने
ग ाशं / प ाशं का अ यास प रिचत ह गे बनने वाली छिवय और िवचार के बारे म
वाले दोहे एक
 िव ािथय क िच, अवसर,  “म” के घमंड क पहचान करते मौिखक/सांकेितक भाषा म बताते ह।
क रए
आव यकता एवं अिधगम के हए हम क भावना को समझ  पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के
आधार पर अनु छे द/ िनबधं / सकगे, िलए वयं बनाते ह और पछू ते ह । अपने
िच वणन का अ यास अनभु व को अपनी भाषा शैली म िलखते ह ।
 आपसी स ाव एवं भाईचारा
 छोटे से ितनके के मह व को क वृित का िवकास  भाषा क बारीिकय / यव था का
भी समझना िलिखत योग करते ह, जैसे किवता के श द
को बदलकर अथ और लय को समझना
8 पाठ.14 िनबंध / खानपान पूववत क ाओ ं से िलए गए ● िनबधं ’ श द से प रिचत होते  पढ़ी गई साम ी पर बेहतर समझ के िलए  खानपान पर
खानपान क एवं रहन-सहन म िवषय व तु हए इस िवधा के बारे म जान वयं बनाते ह और पछू ते ह । अपने अनु छे द/िनबधं
बदलती त वीर हो रहे प रवतन क ा5 सकगे, अनभु व को अपनी भाषा शैली म िलखते लेखन/ िच
याग शु ल खानपान क पूववत क ाओ ं से िलए गए
● भावानक ु ू ल एवं आदश वाचन म ह। वणन का
बदलती सं कृित िवषय व तु स म ह गे,  भाषा क बारीिकय / यव था का िलिखत अ यास।
पर िवमश क ा6
● इस यवहार िवषयक पाठ के योग करते ह, जैसे किवता के श द को  कै न ेक
देशज अथवा आचं िलक श द िवषय पर
मा यम से खानपान एवं रहन- बदलकर अथ और लय को समझना।
से प रिचत चचा ‘जैसा
क ा7 सहन म हो रहे िनत नए  अिभ यि क िविवध शैिलय / प
प रवतन के बारे म जान सकगे, को पहचानते ह, वयं िलखते ह, जैस-े किवता, अ न वैसा मन’
त सम और त व श द: पहचान
● खानपान क उपयोिगता और कहानी, िनबधं आिद। िवषय पर
और उनका वा य योग
हमारे जीवन के िलए उसके अनु छे द लेखन
पाठा तागत याकरिणक िबदं -ु  खानपान का संसकृ ित के चार- सार
मह व को जान सकगे, ।
 आँचिलक भाषा के श द के व सौहाद बढ़ाने म योगदान ।
● खानपान क े ीय सं कृ ित
7
चिलत िहदं ी प आज वैि क हो गई है, इस
 वण क आवृि वाले वा य िवषय के बारे म जानगे,
का योग ● भोजन क कमी से होनेवाली
 पाठा तागत याकरिणक िबंद-ु परे शािनय एवं उसके भाव से
दो श द के जड़ु ने से उनके अवगत ह गे,
मलू प म प रवतन जैसे- ● समय के साथ-साथ खानपान मे
खान और पान िमलकर आने वाली प रवतन के बारे म
खानपान बनते ह । इसी जान सकगे,
कार दो श द को िमलाकर  पाठा तगत यु याकरिणक
नए श द का िनमाण िब दओु ं के अवगत होते हए
 भाषा म चिलत श द यु म उनका भािषक योग करने म
म प रवतन करना जैसे आगे- समथ ह गे,
पीछे का पीछे-आगे आिद ।
9 पाठ.15 रेखािच /संवेदना  एक श द से अ य श द का  ‘रे खािच ’ श द से प रिचत  िविभ न कार क साम ी, जैसे समहू चचा:
िनमाण जैसे- ‘ प’ श द से होते हए इस िवधा के बारे म कहानी, किवता, लेख, रपोताज, सं मरण, पश/ु पि य को
नीलकंठ नीलकंठ और राधा कु प , व प, बह प आिद जान सकगे, िनबधं , यं य आिद को पढ़ते हए अथवा घर म पालना
(महादेवी वमा) नामक मोर और श द। सही या गलत?
 स वर आदश वाचन म स म पाठ्यव तु क बारीक से जाँच करते हए
मोरनी का रे खािच महादेवी वमा
 पाठ म दी गई संिध का ह गे, उसका अनमु ान लगाते ह, िव ेषण करते ह,
िजसम दोन के िवशेष िबदं ु को खोजते ह। के अय
अ यास  ाकृ ितक प रवेश, पश-ु पि य
जीवन के सं मरण पढ़ने

बहआयामी रंग को  महु ावर के अथ , उनका के ित िज ासु ह गे, िविभ न पठन सामि य म यु
हेतु िदए जा
वा य योग श द , महु ावर , लोकोि य को समझते हए
दशाया गया है ।  िचिड़य के खान-पान, रहन- सकते ह ।
उनक सराहना करते ह।
पि य के भाव  मोह ले म घमू रहे आवारा सहन प रवेश आिद के बारे म
ससं ार ेम व अ य पशओु ं के उिचत रख-रखाव जान सकगे, िविभ न पठन सामि य को पढ़ते हए उनके
क यव था हेतु नगर िनगम िश प क सराहना करते ह और अपने
चे ाओ ं से प रचय,  िविभ न िचिड़य के नाम और
पि य व पशओ ु ं से के अिधकारी को प तरानकु ू ल मौिखक, िलिखत, ेल/ सांकेितक
व प को गौर करगे,
8
संवदे ना  पश-ु पि य के ित संवदे नशील प म उसके बारे म अपने िवचार य करते
ह गे, ह।
 रा ीय प ी मोर के बारे म  िकसी पाठ्यव तु को पढ़ने के दौरान
अिधक िज ासु होकर उनसे समझने के िलए ज़ रत पड़ने पर अपने िकसी
स बिं धत जानका रयाँ एकि त सहपाठी या िश क क मदद लेकर उपयु
कर सकते ह, संदभ साम ी, जैस-े श दकोश, िव कोश,
मानिच ,इटं रनेट या अ य पु तक क मदद
 मनु य और पि य के बीच के
लेते ह।
अतं रस ब ध को जान सकगे,
भाषा क बारीिकय / यव था का िलिखत
 क पनाशीलता िवकिसत होगी, योग करते ह, जैसेकिवता के श द को
 पाठा तगत यु याकरिणक बदलकर अथ और लय को समझना ।
िब दओु ं से अवगत होते हए उनका
भािषक योग करने म समथ ह गे
 उपयु पाठ्य म 31 जनवरी 2024 तक पूरा कर िलया जाए।
 वािषक परी ा हेतु पाठ्य म क पुनरावृित करवाई जाए।
 िदया गया पाठ्य म मू याक ं न हेतु है , शेष पाठ्य-व तु अिधगम सवं ृि के उ े य मा है।
 यात य है िक पूरक पाठ्य-पु तक “बाल महाभारत” क ा-7 अिधगम संवृि (Learning Enrichment) के उ े य मा से है। गत परी ाओ ं म इन परू क पु तक से
नह पछू े गए ह । अिधगम सवं ृि (Learning Enrichment) के उ े य क पिू त हेतु इनका उपयोग िकया जा सकता है।

वािषक परी ा

You might also like