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Sameer Tiwari Dissertation File
Sameer Tiwari Dissertation File
माण-प
घोषणा-प
आभार
प ांक / दनांक : / / /
माण-प
मा णत कया जाता है क समीर तवारी पु ी रमेश चं तवारी ने
वतमान म वा ण य वभाग, तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
एम०काम० उपा ध हेतु (सन् 2022-23 ) का छा है, इ ह ने मेरे शोध नदशन म "
जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के
उपकरण का अ ययन " नामक लघु शोध ब का काय सफलतापूवक स
कया है। तुत लघु शोध- ब इनका मौ लक काय है। यह लघु शोध काय आने
वाले शोधा थय को उ चत मागदशन कर उ ह लाभा वत करेगा ।
म इनके उ वल भ व य क कामना के साथ लघु शोध- ब को
परा नातक उपा ध हेतु मू यांकनाथ तुत करने क अनुशंसा करता ँ।
ाचाय
प ांक / दनांक : / / /
घोषणा-प
म समीर तवारी पु रमेश च तवारी यह घोषणा करता ँ क
यह लघु शोध- ब जसका शीषक "जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता
ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन" है। यह समयाव ध म
पूण न ा से कया गया मौ लक काय है।
दनांक : / / / शोधाथ
समीर तवारी
एम०काम० अ म् सेमे टर
(वा ण य वभाग)
अनु मांक : 23601048588
तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०)
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
(वीर बहा र सह पूवा चल व व ालय, जौनपुर से स ब त)
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आभार
तुत शोध अ ययन "जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता
ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन" इस लघु शोध को
पूण करने से पूव म समीर तवारी अपने आदरणीय, परमपू यनीय और अ यंत
शांत व ब मुखी तभा के धनी, व ान शोध नदशक अ स टट ोफे सर, डॉ०
वशाल सह को दल क गहराई से ध यवाद दे ना चा गँ ा ज ह ने मुझे पग पग
पर नद शत कया। साथ ही म अपने आदरणीय वभागा य डॉ अ मत कु मार
रा ल, अ स टट ोफे सर ी अवनीश कु मार, और वभाग के अ य नदशक
ीमती संयो गता सह, और कु मारी सोना गु ता एम०काम०, वा ण य वभाग,
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०) का आभार कट करता
ँ जनके नदशन के बना मेरा लघु शोध ब पूण नह हो पाता।
इ ह ने हमारे लघु शोध को पूण कराने म मेरा अतुलनीय मागदशन कया,
इसके लए म आप सभी को को ट-को ट आभार कट करता ।ँ गु क
म हमा ाचीन काल से ही व णत ह। ाचीन काल से गु का ान सव
माना जाता है। कहा भी है-
मेरे ेरणा ोत परम पू यनीय मेरी माता ीमती सीमा तवारी व मेरी
यारी बहन ीमती सोनाली तवारी के त दय से आभार कट करता ँ
जनके ो साहन व आशीवाद से यह काय स आ।
म अपने य छोटे भाई शोधाथ संजीव तवारी का भी ब त आभारी
ँ ज ह ने अपना अमू य समय नकालकर समय-समय पर मेरी सहायता क ।
दनांक : / / / शोधाथ
समीर तवारी
एम०काम० अ म् सेमे टर
(वा ण य वभाग)
अनु मांक : 23601048588
तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०)
अ याय थम
शोध प रचय
{१}
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शोध प रचय
1.1 भू मका
वतमान प र य म इ त ल य क ा त हेतु येक या सं ान के लये नयोजन
एक अ नवायता बन चुका है। जीवन के हर े म, चाहे वह आ थक, सामा जक, राजनै तक या अ य
कोई भी हो, योजना को एक ाथ मक य के प म वीकार कया जाता है। जसके मा यम से हम
वतमान त से इ त भ व य पथ क या ा क सफलता सु नश चत करते ह। इस कार नयोजन
के जीवन के सम त े म ल य ा त म सहायता करता है। जब कोई अपने आय,
य, बचत तथा व नयोग आ द को व त कर अपने व ीय ल य को ा त करने क योजना
बनाता ह तो इसे व ीय नयोजन कहते है कर नयोजन व ीय नयोजन का ही एक मह वपूण अंग
है। येक करदाता अपने कर दा य व को यूनतम करना चाहता है ता क आयकर चुकाने के प ात
उसक व ीय आव यकता क पू त हेतु अ धकतम रा श उसके हाथ म शेष रहे कर- नयोजन म
कर दा य व को वैधा नक व नै तक माग से यूनतम करने का यास कया जाता है। कर नयोजन के
अ तगत करदाता कर कानून म उपल अनुकूल ावधान का अ धकतम उपयोग करते ए नी त
नमाता ारा नद शत बचत- व नयोग ढांचे को अपनाता है। इस व नयोग ढांचे से अपने द घकालीन
व ीय ल य का साम ज य बठाते ए वतमान एवं भ व य के कर दा य व को यूनतम करके
अ धकतम स नमाण म सफल होता है कर नयोजन क सफलता के लये आव यक है क
करदाता को आयकर अ ध नयम के कर बचत के व भ ावधान के बारे म जानकारी हो।
कर- नयोजन के ारा करदाता जब अपना कर दा य व यूनतम करने म समथ होता है तो वह
कर चोरी के माग से र रहता है। जससे वह नै तक अपराध से तो बचता ही है साथ ही कर क
चोरी आ द से होने वाले भारी जुमाने एवं सजा क आशंका एवं मान सक अशा त को भी वयं से र
रखता है। जससे थ क मुकदमेबाजी म लगने वाले समय व धन क भी बचत होती है।
वैत नक करदाता को ा त होने वाले भ व वेतन के ान पर लाभ आ द क रा श
आयकर नयम म छू ट यो य होने के कारण, इन छू ट का पूणतः लाभ उठाने के लये इस ेणी के
करदाता हेतु कर- नयोजन व धवत करना आव यक हो जाता है। वैत नक करदाता कु ल
आयकर आगम म 12 तशत से अ धक का योगदान करते है। वैत नक करदाता ारा कर-कानून
का ईमानदारी एवं स ती से पालन कया जाता है। इस कारण से वैत नक करदाता हेतु व ीय
नयोजन के अंग के प म कर नयोजन का मह व अ य शीषक से आय वाले करदाता से
तुलना मक प से अ धक है।
1.2 वतमान अ ययन क ासं गकता
हमारे दे श म करदाता म कर चुकाने या आयकर अ ध नयम क व ा का पालन करने
के लये व ेरणा का अ य धक अभाव है कर दा य व को टालने के लये करदाता कानूनी व गैरकानूनी
दोन तरह के उपाय करते है जब करदाता कर दा य व को कम करने के लये अवैधा नक तरीके
अपनाता है तब इसे कर क चोरी कहा जाता है। जैसे त य को छु पाना या गलत बताना, आय कम
दशाना, खच क जाली व यां करना, गलत तरीके से कटौ तय के दावे तुत करना आ द। कर
अपवंचना के इन काय के कारण करदाता को भारी जुमाने तथा मुकदमेबाजी के साथ मान सक
अशा त व अपराधबोध का भी सामना करना पड़ता है। कर ा धकारी चाहते ह क करदाता अपनी
पूण आय को कट करे एवं आयकर अ ध नयम क व ा का पूणतः पालन करते ए कर क
पूरी रा श का भुगतान करे तथा सरी ओर करदाता बना कसी जुमान या मुकदमेबाजी क आशंका
{२}
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के यूनतम कर का भुगतान करना चाहता है। इस कार करदाता एवं सरकार दोन के हत क
एक साथ पू त करने के लय कर नयोजन का आ य लेना आव यक है। कर- नयोजन से एक ओर
तो करदाता आयकर अ ध नयम म द गई व ा का पूणतः पालन करते ए अपने आयकर
दा य व को यूनतम करने म स म होता है, सरी ओर कर कानून का पूणतः पालन होने के कारण
इससे सरकार व कर ा धका रय को भी कोई सम या नही होती। एक ओर तो करदाता को कम कर
चुकाना पड़ता है इससे उसक गत खच यो य आय म वृ होती है एवं सरी ओर जब वह
वीकृ त कटौ तय का लाभ उठाने के लये सरकार ारा चाहे गए े म व नयोग करता है तो इससे
दे श म आय व रोजगार के तर म वृ होती है। इस कार कर- नयोजन के ारा गत व
सावज नक ल य को एक साथ ा त कया जा सकता है।
इस शोध म जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण
के चयन को भा वत करने वाले घटक का अ ययन करने के उपरांत कर नयोजन के बार म उनक
जानकारी के तर का नधारण कया गया है। इसके साथ ही संभाग के वेतनभोगी करदाता क
जननां कक य त एवं उनके ारा कर नयोजन के लये अपनाएं गए साधन के चुनाव के नणय
के म य स ब का पता लगाने का यास कया गया है। करदाता क जाग कता के तर का
मू यांकन करने के प ात उसने सुधार हेतु आव यक सुझाव दए गए ह। यह सुझाव न के वल जौनपुर
जले के वेतनभोगी करदाता ब क पूरे दे श के वैत नक करदाता म कर नयोजन के त
जाग कता को बढ़ाने म सहायक ह गे। जससे अंततः कर नयम क अनुपालना म सकारा मक वृ
होगी। प रणाम व प कर राज व म वृ एवं दे श के बचत- व नयोग ढांचे का अ धकतम रा हत क
ओर व ापन होने से दे श के आ थक वकास को ग त मलेगी। इस कार दे श के नी त नमाता
को वा त वक त क जानकारी एवं सुधार हेतु आव यक ावहा रक सुझाव उपल करवाने के
लए इस कार के अ ययन का संचालन मह वपूण होता है।
1.3 सम या कथन
तुत शोधकाय वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गये कर नयोजन के उपकण के अ ययन
पर क त है। साथ ही इस अ ययन म वेतनभोगी करदाता क आयकर ावधान के त
जाग कता के तर का भी मू यांकन कया गया है। वतमान म भारत म कु ल आयकर सं ह म
वेतनभोगी करदाता का एक मह वपूण अंश है। ऐसे म कर नयोजन के ावधान के त उनक
जाग कता का तर नधा रत करके उसमे आव यक सुधार कये जाने वांछनीय है। ता क वेतनभोगी
करदाता समु चत कर नयोजन के मा यम से अपने कर दा य व को यूनतम करने के साथ-साथ नी त
नमाता ारा नधा रत सवा धक वांछनीय े म बचत- व नयोग का वाह बढ़ाने म योगदान कर
रा के आ थक वकास म सहभा गता कर सके । तुत शोध म इस वषय पर पया त व तार एवं
गहनता से अ ययन कया है। वैत नक करदाता के साथ-साथ रा ीय हत से संबं धत होने के कारण
ही शोधकता ने कर नयोजन के वषय पर शोध करने का नणय लया है।
शोध का शीषक:-
"जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन"
1.4 पा रभा षक श दावली
> आयकर -: यह करदाता ारा अ जत क गयी आय पर लगने वाला एक य कर है। करदाता वह
जसके ारा आयकर अ ध नयम के अंतगत कर या अ य कोई रा श दे य है।
>कर नधारण वष -: येक व वष क समा त के बाद शु होने वाला नया व वष उस पछले
व वष के लए कर नधारण वष होता है। सामा यतः नधारण वष म गत वष क आय पर कर
नधारण क या पूण क जाती है।
{३}
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{४}
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1.) कर नयोजन के लए नजी एवं सावज नक े के कमचा रय क औसत बचत वृ म कोई
साथक अंतर नह है।
2.) आय तर के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह है।
3.) नवास त के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह है।
4.) नजी एवं सावज नक े के वेतनभो गय ारा कर नयोजन हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म
कोई साथक अंतर नह है।
5.)आय तर के आधार पर वेतनभो गय ारा कर नयोजन हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म
कोई साथक अंतर नह है।
6.) नवास ान के े ( ामीण / शहरी) के आधार पर वेतनभोगी करदाता ारा कर- नयोजन
हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म कोई साथक अंतर नह है।
7.)नजी एवं सावज नक े के वेतनभोगी करदाता क कर कानून के ावधान क
जानकारी के तर म कोई साथक अंतर नह है।
8.)आय तर के आधार पर वेतनभोगी करदाता क कर कानून के ावधान क जानकारी के तर
म कोई साथक अंतर नह है।
9.) नवास ान के े ( ामीण/शहरी) के आधार पर वेतनभोगी करदाता क कर कानून
के ावधान क जानकारी के तर म कोई साथक अंतर नह है।
1.8 समंक का सं हण एवं शोध व ध
अ ययन के उ े य के गत न न ल खत काय व ध का उपयोग करते ए शोध काय को
स कया गया।
1.8.1 स ब त सा ह य का संकलन
भारतीय कर णाली पर पूव म कई कार के अ ययन कए गए ह। शोधा थय के अ त र
भारत सरकार ारा समय-समय पर ग ठत व भ स म तय एवं आयोग ने भी भारतीय कर णाली
पर व तृत अ ययन कर अपने सुझाव दए ह। शोधकता ारा शोध के वषय एवं उ े य को यान म
रखते ए स ब त सा ह य का व भ प म संकलन कर अ ययन कया गया है।
1.8.2 ाथ मक आंकड़ का संकलन
ाथ मक आंकड़ के संकलन हेतु एक ावली का नमाण कया गया जसे उ र दे श के
जौनपुर जले के चार मु य शहर के वेतनभोगी करदाता से भरवाया गया। इस ावली म व
वष 2023-24 के स ब म उनक आय, बचत, व नयोग ढांचे एवं कर- नयोजन के साधन क
जानकारी के तर से संबं धत को शा मल कया गया।
1.8.3 तीयक आंकड़ का संकलन
वतमान शोध म ाथ मक एवं तीयक दोन कार के आंकड़ का उपयोग कया गया है। तीयक
आंकड़े भारत के नयं क एवं महालेखा परी क के तवेदन (संघीय कर), आल इं डया इंकम टै स
टे टस ट स के वा षक तवेदन क य य कर बोड ारा समय-समय पर जारी कए गए व भ
प रप , व भ पु तक , जनर स एवं वेबसाइट पर उपल साम ी के मा यम से एक त कए गये
ह। य कर शासन का मू यांकन करने हेतु व वष 2014-15 से 2023-24 क अव ध का चयन
कर संबं धत समंक संक लत कए गये भारतीय कर णाली म सुधार हेतु व वष 1950-51 से ग ठत
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{६}
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{७}
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1.9 अ ययन के चर
सब त
सा ह य का
पुनरावलोकन
{९}
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स ब त सा ह य
का पुनरावलोकन
2.1 तावना
शोध हेतु चुने गए वषय के बारे म अंत वक सत करने हेतु पूव म कए गए काय से
संबं धत सा ह य का अ ययन अ यंत मह व रखता है। संबं धत सा ह य के पुनरावलोकन ारा शोध
सम या को गहराई से समझने म सहायता मलती है। सा ह यक समी ा से शोधकता को यह पता
चलता है क अब तक कौन-कौन से मह वपूण काय इस े म कए जा चुके ह। जससे वह अब
तक कए गए शोध काय म नवीन शोध काय हेतु शोध अ तराल का पता लगाने म स म होता है।
भारत म कराधान के े म शोध शु करने का ेय भारत सरकार को जाता है जब वकास के
बढ़ते ए य क पू त हेतु संसाधन को ग तशील बनाने के लए कराधान के उपयोग के अवसर
तलाशने हेतु व भ स म तय एवं काय दल का गठन कया गया तब से ही भारतीय अथशा य का
यान कराधान म नवाचार क ओर आक षत आ है। यहां पर शोध से स ब त वषय गत
आयकर - नयोजन, गत आयकर सुधार एवं य कर शासन के ासं गक एवं उपल सा ह य
क समी ा का यास कया गया है जससे वतमान शोधकता अपने अ ययन के लए आव यक
भू मका न मत करने म स म हो सके गा।
2.2 सा ह यक पुनरावलोकन के मु य ब
ीती कालगुतकर (2018) -: इ ह ने कर नयोजन के उपाय क जानकारी के तर का अ ययन
करने के दौरान पाया क करदाता कर नयोजन के कु छ व नयोग उपाय को छोड़कर अ य उपाय का
अ यंत ही यून मा ा म उपयोग करते ह। इ ह ने अपने अ ययन म जनां कक य वशेषता के आधार
पर कर नयोजन क जानकारी के तर का व षे ण करते ए पाया क करदाता क जनां कक य
त का उनके व नयोग ढांचे पर भाव पाया जाता है। भारत म वतमान म वेतनभोगी करदाता
को व नयोग श ा दान कया जाना अ य धक आव यक है। इस लए उ ह ने सुझाव दया क
नयो ा सगठन ारा करदाता के श ण हेतु पया त यास कये जाने चा हए।
रेनक
ु ानाथ ( 2018 ) -: इनका अ ययन वेतनभोगी करदाता ारा कर बचत के लए अपनाए जाने
वाले उपकरण के चयन पर आधा रत था। अपने अ ययन म इ ह ने पाया क वेतनभोगी करदाता का
व नयोग ढांचा मु यतः कु छ ही व नयोग अवसर तक व तृत होता है। इसम व व धकरण का अभाव
ही पाया जाता है। व नयोजक श ा के ारा व नयोग ढांचे को वक सत कए जाने क अपे ा रहती
है। अपने अ ययन म इ ह ने करदाता ारा अपनाए गए व नयोग अवसर को अ धमान म म
रखने का यास कया। करदाता ारा पसंद कए जाने वाले व नयोग म थम ान पर जीवन
बीमा पा लसी एवं इसके प ात सावज नक भ व य न ध म जमा एवं बक जमाएं रही ह।
भवानी व शे (2017) -: इ होने अपने अ ययन म बताया क व नयोग नणय जननां कक य
तय से भा वत होते ह। करदाता ारा व नयोग के लए नणय लेते समय अपने आसपास के
लोग से वचार- वमश कया जाता है। करदाता के व नयोग नणय उसके वयं के व षे ण पर
आधा रत न होकर सामा यतः उसे भा वत करने वाले लोग क राय पर नणय नभर होते ह। इ ह ने
बताया क म हलाएं पु ष क अपे ा कम जो खम वाले व नयोग को पसंद करती ह। उनके ारा
ाई न त आय वाली व नयोग योजना को ाथ मकता द जाती है। इसके अलावा व नयोगकता
क आयु भी उसके व नयोग नणय को भा वत करती है। कम आयु के व नयोगकता पूंजी बाजार
से जुड़ी व नयोग योजना म यादा च दखाते ह। जब क अ धक आयु के व नयोगकता ाई
आय वाली ऋण आधा रत व नयोग योजना म यादा च दशाते ह।
प लवी व अनुराधा (2017) -: इ होने अपने प म बताया क श ा वद म व भ कर योजना
क जानकारी का तर काफ कम है। अपने अ ययन म इ ह ने पाया क करदाता कर नयोजन क
तरफ पया त यान ना दे कर कर नयम क अवहेलना करते ह। करदाता म कर ावधान के त
{१०}
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जानकारी बढ़ाने क महती आव यकता है। व भ कर बचत योजना के त करदाता क
जानकारी का तर न न पाया गया। इस अ ययन म यह न कष दया गया क अगर करदाता क
कर ावधान क जानकारी के तर को बढ़ाने के लए व भ शै णक काय म चलाए जाए तो
करदाता म कर नयम क पालना के त सकारा मकता लाई जा सकती है। कर नयम क
जानकारी से करदाता कर चोरी से बचने म स म ह गे। इस कार इ ह ने अपने शोध के मा यम से
करदाता म कर ावधान के बारे म जानकारी बढ़ाने वाले काय म को लागू करने का सुझाव भी
दया।
म ा आशीष यादव बृजेश (2017) -: इ ह ने अपने अ ययन म पाया क येक नाग रक यह
जानता है क उसके ारा चुकाए जाने वाले कर का उपयोग दे श के लोग के क याण के लए कया
जाएगा। ले कन कर णाली म व भ आधार पर क गई असमानता करदाता को अपनी आय को
छु पाने एवं यूनतम कर चुकाने के लए े रत करती है। यह दे श के वकास म एक बड़ी बाधा है।
वतमान म कर नी तय म आव यक प रवतन कर कर ढांचे को करदाता के त म वत बनाने क
आव यकता है ता क लोग वे ा से अपनी आय उजागर करके कर का भुगतान करने म गव महसूस
कर। इसके लए आधारभूत कर मु आय क सीमा को म यम तर पर रखा जाना आव यक है
ता क सभी करदाता को कर के दायरे म लाया जा सके । साथ ही कसी एक वग के मन म हीन
भावना न पनपे। इनके अनुसार न न आय वाल को न न दर से अ नवाय प से कर चुकाना
चा हए।
मेहता, के . शमा, आर. गोयल, आर. सगल, (2017) -: इ ह ने व नयोग ढांचे पर करदाता क
ल गक त एवं अ य घटक के भाव का अ ययन कया। अपने अ ययन म इ होने यह पाया क
म हलाएं पु ष क अपे ा बचत एवं व नयोग म यादा च रखती है। अ ययन म यह दे खा गया क
सावज नक भ व य न ध एवं जीवन बीमा व नयोग के सबसे यादा पसंद कए जाने वाले अवसर थे।
जब क एन.पी.एस. एवं रा ीय बचत प सबसे कम पसंद कए गए थे।
व लयम, ए , सैम वक (2016) -: इ ह ने अपने अ ययन म आयकर से दे श आ थक वृ के
संबंध का मू यांकन कया। इनके वचार से आयकर दर म कमी करदाता को अ धक आय
कमाने, बचत करने एवं व नयोग करने के लए े रत करती ह। इ होने अपने अ ययन के मा यम से
यह भी बताया क य द कर क दर म कमी के भाव को सरकारी य म कटौती के ारा संतु लत
न कया जाए तो द घकाल म यह महंगाई को बढ़ाने वाला एवं याज दर म वृ करने वाला कदम
सा बत होता है। इ ह ने बताया क कर क दर म कमी से होने वाली राज व सं ह क कमी क कर
आधार म वृ के ारा तपू त होनी चा हए। इनके अनुसार कर णाली म कए गए सभी प रवतन
का आ थक वृ पर अलग-अलग भाव होता है। इनके अनुसार कर ेरणा का ववेक करण करने
तथा वकृ त कर सहायता को हटाने और बजट घाटे को कम करने वाले कर सुधार आ थक वृ
पर सकारा मक भाव डालते ह। ले कन इसके साथ-साथ कर णाली क कु शलता एवं समानता पर
भी यान दे ना आव यक होता है।
जेस व जोसेफ (2016) -: इ होन अपने अ ययन म पाया क के वल 25 तशत वेतनभोगी ही
अपना कर नयोजन व व नयोग नणय पहले से नधा रत करते ह। इ ह ने बताया क अ धकतर
करदाता कर नयोजन पूव नयो जत न करके व वष क समा त के नकट आनन-फानन म कर
बचाने हेतु व भ उपल कर बचत योजना म व नयोग करते ह। ऐसे व नयोग उनके ारा अपने
सहक मय व प रवार के सद य आ द के कहने से कए जाते ह इ ह ने अपने अ ययन म यह भी
पाया क जीवन बीमा संबंधी योजनाएं सबसे यादा पसंद दा व नयोग अवसर के प म पहचानी गई
ह। इसके बाद सावज नक भ व य न ध एवं बक जमा आ द का ान आता है। इस कार इ ह ने
अपने अ ययन म न कष दया क करदाता म कर नयोजन के त जाग कता को बढ़ाने क
आव यकता है जससे वे व वष के ारंभ म ही अपने ारा भुगतान कए जाने वाले अनुमा नत
आयकर के लए नयोजन करके अपने कर दा य व को यूनतम करने के साथ-साथ कर राज व म
वृ म योगदान कर सक।
कु मार, एम. ए. एवं प रमलकां त. के . (2015) -: इ ह ने करदाता के व नयोग अ धमान एवं
वहार पर अ ययन कया जसम यह पाया गया क करदाता के व नयोग वहार म व नयोजक
श ा क वतमान समय म अ य धक मह वपूण भू मका है। इस अ ययन म यह पाया गया क
नवेशक बचत खाता, वण, चांद को इस म अ धमान दे ते ह अपने अ ययन के मा यम से इ ह ने
{११}
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{१५}
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े म काय करने वाले करदाता ारा कर नयोजन के लए चुनी गई योजना म पया त अंतर
था साथ ही वेतनभोगी करदाता कर नयोजन के उपकरण के बारे म जानकारी रखते ए भी कु छ
अ ता के कारण इनका पूणतः उपयोग नही कर पा रहे थे।
भारतीय कर सं ान (1997) -: इस सं ान ने भारतीय कर णाली म मु ा त के कारण
आई वकृ त पर अ ययन कया। अपने अ ययन म इ ह ने भारतीय कर णाली म आई वकृ त को र
करने के लए सुधारा मक उपाय सुझाए। अ ययन म यह पाया गया क मु ा त के कारण कर क
ग तशीलता को ध का लगा था मु ा त के कारण वा त वक कर भार बढ़ गया था। य प कर
क दर पूव के समान थी। इसके साथ ही वा त वक कर दर म आए प रवतन ाई कृ त के थे।
इस अ ययन म मु ा त से संबं धत सू चयन योजना को लागू करने का सुझाव दया गया।
तवेदन म ाई मु ा त भाव से नपटने के लए सुधारा मक उपाय अपनाने हेतु अ धक बल
दया गया।
2.3 शोध अंतराल
स ब त सा ह य के अवलोकन म पाया गया क अब तक भारतीय कर शासन एवं कर
णाली, आयकर वभाग के न पादन करदाता के व नयोग नणय पर जनां कक य भाव , करदाता
के व नयोग ढांचे को भा वत करने वाले व भ त व , गत आयकर दाता क कर संरचना म
सरकार ारा समय-समय पर कए गए प रवतन , कर क उ लावकता, कर-सकल घरेलू उ पाद म
संबध ं आ द वषय पर कई कार के मह वपूण अ ययन पूव म शोधा थय तथा व भ काय दल
ारा कए गए ह। इन अ ययन के पुनरावलोकन के दौरान शोधकता ारा यह पाया गया क उ र
दे श रा य के वेतनभोगी करदाता के संबंध वशेष म कोई अ ययन वतमान प रवेश म नह आ
है। इस लए शोधकता ने उ र दे श रा य के जौनपुर जले क भ प र तय को दे खते ए यहां
के वेतनभोगी करदाता क कर नयोजन के उपकरण के त जाग ा एवं वहार पर अ ययन
करने का नणय लया है
2.4 उपसंहार
शोध के वषय से संबं धत एवं उपल व भ सा ह यक साम य का अ ययन वषय क
समझ को बेहतर बनाने एवं शोध अंतरात का पता लगाने के लए अ य धक मह वपूण होता है।
इस लए शोधकता ारा संबं धत सा ह य का अ ययन उपरो ानुसार पूण कर शोध अंतराल क पहचान
क गई। इस अ ययन क वतमान शोध काय म मह वपूण भू मका स होगी।
{१७}
अ याय तृतीय
कर नयोजन-
अवधारणा एवं
वेतनभोगी करदाता
{१८}
____________________________________________________________________________________________
कर नयोजन-
अवधारणा एवं
वेतनभोगी करदाता
3.1 तावना
वतमान युग म कर नयोजन वेतभोगी करदाता के व ीय नयोजन का एक अ नवाय अंग है।
कर नयोजन के मा यम से करदाता के कर भार म कमी से खच यो य आय म वृ , वैधा नक ढं ग से,
होती है। इसके साथ-साथ कर नयोजन के मा यम से करदाता भ व य म होने वाले स ा वत एवं
अ न त खच के लए भी व ीय व ा कर सकता है। सामा य श द म कर नयोजन से आशय
आयकर अ ध नयम म उपल वभ कार के कर बचत के अवसर के अ धकतम उपयोग के
मा यम से आय पर कर के भार को यूनतम करने का यास करना है कर दा य व म कमी कर
ावधान क पालना कानून नमाता क मंशा के अनु प करते ए क जा सके तभी कर- नयोजन
सफल होता है। इस अ याय म कर नयोजन क अवधारणा को करने का यास कया गया है।
साथ ही वेतनभोगी करदाता के लए आयकर अ ध नयम म द गई कर नयोजन से स ब त
व ा पर चचा क गई है। यहां अ ययन हेतु चुने गए कर नधारण वष 2018-19 के लए
वेतनभोगी करदाता को उपल कर- नयोजन के अवसर क भी ा या क गई है।
3.2 अवधारणा मक ा या
कर नयोजन को समझने के लए इससे जुड़ी अवधारणा का व भ कोणो से कया
जाना अ त आवशयक है। यहां हम कर नयोजन से संबं धत व भ श द क अवधारणा मक ा या
का यास करगे।
3.2.1 कर नयोजन
कर नयोजन कसी करदाता के व ीय नयोजन का वह भाग है जसने करदाता अपने
आयकर दा य व को वैधा नक तरीके से यूनतम करने का यास करता है। कर- नयोजन के अंतगत
करदाता आयकर अ ध नयम के ावधान क इस ढं ग से पालना करता है क उसका आयकर दा य व
यूनतम हो सके इस कार कर- नयोजन के अ तगत करदाता ारा जन ावधान का अपने प म
उपयोग कया जाता है वह ावधान कानून नमाता ारा कर नयोजन के उ े शय से ही अ ध नयम
म रखे जाते ह अथात करदाता कर नयोजन के दौरान कर कानून म कसी कार क क मयां नह
ढूं ढता ब क वह उ ही उपकरण का उपयोग करता है जो प से वधान नमाता ारा
करदाता को अपने कर के दा य व को कम करने का अवसर दान करने के लए दए गए ह। कर-
नयोजन के अंतगत करदाता का कर दा य व तो कम होता ही है साथ ही वह वह नी त नमाता
ारा नधा रत दशा म व नयोग करके रा के आ थक वकास म अपना मह वपूण योगदान भी दे ता
है। इस कार कर- नयोजन क या के ारा करदाता के गत हत के साथ रा हत को भी
साधा जाता है। अतः कर- नयोजन के ारा करदाता सरकार क भावना के अनु प काय करते ए
अपने कर दा य व को कम करता है।
3.2.2 अ पकालीन एवं द घकालीन कर नयोजन
सामा यतः कर- नयोजन को हम दो भाग म बांट सकते ह अ पकालीन कर नयोजन एवं
द घकालीन कर नयोजन अ पकालीन कर नयोजन म कसी वष वशेष के आयकर दा य व को कम
करने के लए व नयोग या खच को वशेष दशा म नद शत कया जाता है। यह जस वष अपनाया
जाता है इसका लाभ के वल उसी वष हेतु मलता है। आगामी वष के व नयोग एवं कर दा य व पर
{१९}
____________________________________________________________________________________________
{२०}
____________________________________________________________________________________________
{२२}
____________________________________________________________________________________________
{२३}
____________________________________________________________________________________________
{२४}
____________________________________________________________________________________________
3.4 कर क दर
{२५}
____________________________________________________________________________________________
3.4.1 उपसंहार
कर नयोजन के अंतगत करदाता आयकर अ ध नयम के ावधान का अपने प म अ धकतम
उपयोग करके अपने ारा दे य आयकर को यूनतम करने का यास करता है। इसके लए आव यक है
क करदाता कर नयोजन के बारे म अवधारणा मक जानकारी रखते ह । साथ ही करदाता को कर
नयोजन हेतु वेतन शीषक से संबं धत आयकर अ ध नयम के ावधान एवं कटौ तय आ द क
व ा क पूण जानकारी होना भी आव यक है। आयकर अ ध नयम म कर क दर नह द गई
ह। इस लए येक नधारण वष म वेतन से संबं धत कर यो य आय एवं दे य आयकर क रा श क
गणना हेतु वा षक व अ ध नयम म करदाता के संबंध म संशो धत कए गये आयकर ावधान
के बारे म जाग क रहना आव यक है।
{२६}
अ याय चतुथ
भारत म य कर
शासन - संगठन
एवं न पादन
{२७}
____________________________________________________________________________________________
भारत म य कर
शासन - संगठन एवं
न पादन
4.1 तावना
लोक क याणकारी सरकार को प रचालन एवं वकास काय के लए बड़ी मा ा म राज व क
आव यकता होती है। कर कसी भी सरकार के राज व ा त का सबसे मह वपूण साधन होता है।
वतमान सरकार ारा अनेक कार के कर लगाए जाते ह। इन अनेक कार के करो को लगाने का
उ े य कर के आधार को बढ़ाकर कर राज व म वृ करना एवं अ धकतम सामा जक क याण के
स ांत के आधार पर अ धकतम सामा जक लाभ को सु न त करना होता है। सरकार को कर चुकाने
एवं कर का अं तम भार वाहन करने के आधार पर इन कर को दो भाग म बांटा जाता है। थम वह
कर जसे सरकार को कर चुकाने वाला कसी अ य से कर क रा श को वा पस नह
वसूल सकता जैसे क आयकर, इस कार के कर य कर कहलाते ह। सरे वह कर जसे सरकार
को चुकाने वाला कसी अ य पर भा रत कर दे ता है जैसे क ब कर, इस कार के
कर अ य कर कहलाते ह। भारत म संसद ारा लगाए जाने वाले य कर म नगम कर व
आयकर मु य है। नगम कर भी कं प नय के लाभ पर ही लगने वाला कर है इस कार भारत क
कर णाली म आयकर का मुख ान है। वतं ता ा त के बाद से ही भारतीय आयकर वधान म
मह वपूण सुधार कए गए और इन सुधार को पूण भावी करने के लए आयकर वभाग क
शास नक संरचना म भी समय-समय पर मह वपूण प रवतन कए गए कसी भी वभाग का
शास नक ढांचा उसक काय कु शलता को नधा रत करता है। अगर नी त एवं वधान उ म ह ले कन
शास नक मता कमजोर हो तो कोई भी संगठन अपना े तम दशन नह कर सकता। इसी त य
को यान म रखते ए भारत म व भ स म तय और आयोग ने आयकर के शास नक ढांचे म
सुधार करने हेतु समय-समय पर मह वपूण सुझाव दए। ज ह सरकार ारा लागू भी कयागया। इन
स म तय एवं आयोग क चचा अगले अ याय म व तार पूवक क गई ह। इस अ याय म भारत म
य कर शासन के संगठन एवं य कर के शास नक वभाग आयकर वभाग के व वष
2014-15 से 2023-24 क अव ध के काय न पादन का मू यांकन व भ सूचक के आधार पर कया
गया है।
4.2 य कर वभाग का संगठना मक ढांचा
भारत म य करो से संबं धत सम त काया मक दा य व के नवहन के लए आयकर वभाग
काय करता है। आयकर वभाग के शासन के लए एक वैधा नक नकाय, क य य कर बोड क
ापना क गई है। क य य कर बोड भारतीय य कर णाली म शीष नकाय है। क य
य कर बोड, क य राज व बोड अ ध नयम 1963 के अंतगत ग ठत एक वैधा नक ा धकारी है।
{२८}
____________________________________________________________________________________________
4. सद य (कम और सतकता)
5. सद य (अ वेषण)
6. सद य (राज व)
7. सद य (लेखा एवं या यक)
क य य कर बोड आयकर वभाग के मा यम से य कर कानूनो के शासन के लए
उ रदायी है। आयकर वभाग कर दा य व के नधारण, य कर के सं ह, कर चोरी के मामल ,
राज व सतकता, कर के आधार का व तार, करदता को सेवाएं उपल करवाना एवं शकायत
समाधान ढांचा वक सत करना आ द काय के लए भी उ रदायी है। तीय तर पर 25 महा नदे शक
(आयकर) या मु य आयकर आयु ह जो आयकर अ धका रय को जांच करने, अनुसंधान करने एवं
ज ती के नदश दे ते ह। अगले तर पर नदे शक या आयु आयकर (अपील) होते ह। इनके पास भी
महा नदे शक के समान श यां होती है। इसके बाद अ त र आयकर आयु या अ त र आयु ,
आयकर (अपील) ह। जनके नयं ण म संयु नदे शक या संयु आयु आयकर, उप नदे शक,
सहायक नदे शक, सहायक आयु आयकर, आयकर अ धकारी, कर वसूली अ धकारी एवं आयकर
नरी क काय करते ह। इसके साथ-साथ आयकर वभाग म अपीलीय व ा के लए एक अलग
मशीनरी काय करती है। जसका मु खया आयकर आयु (अपील) होता है। इस नकाय का काय अथ
या यक कृ त का होता है आयकर आयु (अपील) आयकर नधारण अ धका रय के आदे श के
व अपील क सुनवाई करते ह। इसके अ त र एक नपटारा आयोग क ापना 1 अ ैल 1976
से क गई। यह आयकर दाता तथा आयकर वभाग के म य ववाद के नपटारे के लए काय
करता है। इस आयोग क दे श के चार महानगर म शाखाएं है। इस शास नक व ा को अपने
दा य व के नवहन हेतु शोध, ज ती, जुमाने आ द के व तृत अ धकार दए गए ह।
4.3 कर शासन का न पादन मू यांकन
भारत म य कर शासन क अ ययन अव ध के दस वष अथात व वष 2014-15 से
2023-24 क अव ध के काय न पादन का मू यांकन व श सूचक क सहायता से ब वार यहां
कया गया है। इन सूचक म कर आधार का व तार व गहराई, राज व वृ कर सकल घरेलू उ पाद
अनुपात, कर क उ लावकता, बकाया माँग, अपील मामले, कर वापसी मामले एवं लेखा परी ा
आ पे के न तारण क त, शा मल ह।
{२९}
_______________________________________________________________________________________
2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
{३१}
____________________________________________________________________________________________
2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
{३२}
____________________________________________________________________________________________
इससे पूव आकलन वष 2021-22 म ऐसे लोग क सं या 1,14,446 थी. आकलन वष 2020-21
म 81,653 य ने अपनी आय एक करोड़ पये से अ धक दखायी थी.
आकलन वष 2022-23 म 2.69 लाख इकाइय ने अपनी आय एक करोड़ पये से अ धक
दखायी. इन इकाइय म गत करदाता, कं पनी, फम और यास शा मल ह. आकलन वष 2022-23
म भरे गये आईट आर क सं या 7.78 करोड़ रही जो आकलन वष 2021-22 और 2020-21 म मश:
7.14 करोड़ और 7.39 करोड़ थी.
रा यवार दे खा जाए तो आकलन वष 2022-23 के लये महारा शीष पर रहा जहां 1.98 करोड़
आयकर रटन दा खल कये गये. उसके बाद उ र दे श (75.72 लाख), गुजरात (75.62 लाख) और
राज ान (50.88 लाख) का ान रहा.
माच 2023 महीने का राज व पछले साल के इसी महीने के जीएसट राज व से 13% अ धक है।
माह के दौरान, माल के आयात से राज व 8% अ धक था और घरेलू लेनदे न (सेवा के आयात
स हत) से राज व पछले वष के इसी महीने के दौरान इन ोत से ा त राज व से 14% अ धक है।
माच 2023 के दौरान रटन फाइ लग अब तक क सबसे यादा रही है। माच 2023 तक चालान के
93.2% ववरण (जीएसट आर-1 म) और फरवरी के 91.4% रटन (जीएसट आर-3बी म) दा खल कए
गए, जब क पछले साल इसी महीने म मशः 83.1% और 84.7% दा खल कए गए थे।
2022-23 के लए कु ल सकल सं ह ₹18.10 लाख करोड़ है और पूरे वष के लए औसत सकल
मा सक सं ह ₹1.51 लाख करोड़ है। 2022-23 म सकल राज व पछले वष क तुलना म 22%
अ धक था। व वष 2022-23 क अं तम तमाही के लए औसत मा सक सकल जीएसट सं ह
₹1.55 लाख करोड़ रहा है, जब क पहली, सरी और तीसरी तमाही म औसत मा सक सं ह ₹1.51
लाख करोड़, ₹1.46 लाख करोड़ और ₹1.49 लाख करोड़ रहा है। मश।
नीचे दया गया चाट चालू वष के दौरान मा सक सकल जीएसट राज व म झान दखाता है।
ता लका माच 2022 क तुलना म माच 2023 के महीने के दौरान येक रा य म एक जीएसट के
रा य-वार आंकड़े दखाती है।
{३५}
____________________________________________________________________________________________
गत करदाता क संरचना
{३७}
____________________________________________________________________________________________
4.4 उपसंहार
य कर शासन ारा अ ययन अव ध 2014-15 से 2023-24 के दौरान कए गए काय
न पादन के व भ सूचक के आधार पर कये गये मू यांकन म पाया गया क आलो य दशक म
आयकर वभाग का दशन कु छ मापद ड पर तो संतोष द रहा ले कन कु छ मोच पर अभी काफ
सुधार अपे त है। चूं क आयकर वभाग का ारं भक उ े य कर राज व म वृ करना है जसके
लए सम त आयोजन कए जाते ह। कर शासन क सफलता मु यतः इसी बात पर नभर करती है
क कर आधार व तृत हो एवं कर सं ह म अपे ा के अनु प वृ हो तथा रा के सकल घरेलू
उ पाद एवं जनसं या से इसका तारत य दखाई दे । आयकर वभाग ारा कए गए काय न पादन क
ब वार चचा के दौरान पाया गया क यादातर सूचक पर आयकर वभाग ने अ ा न पादन कया
है। आलो य अव ध के दौरान कु ल य करदाता क सं या म लगभग 70 तशत से अ धक
वृ दे खी गई। अगर गत आयकर दाता क बात क जाए तो इनम भी लगभग 66 तशत
क वृ यी एवं नगम करदाता म तो 120 तशत क वृ इस अव ध के दौरान दे खी गई।
व वष 2014-15 म जहां कु ल य करदाता क सं या 326 लाख थी वह बढ़कर व वष
2023-24 म 545 लाख प च ं गई थी।
इस कार करदाता क सं या के मामले म अ वृ दे खी गई ले कन अभी भी भारत क
कु ल जनसं या को दे खते ए करदाता क सं या इसके 4% से भी कम है। इस कार कर आधार
के व तार म अभी सुधार क महती आव यकता है। अगर गत करदाता क संरचना को दे खा
जाए इस अव ध के दौरान कम आय वग से अ धक आय वग म करदाता का ानांतरण सराहनीय
रहा। जससे कु ल आयकर सं ह म अपे त वृ ई। इसी कार नगम करदाता क संरचना म
भी सकारा मक प रवतन अ ययन अव ध के दौरान दे खे गये।
अ ययन अव ध के दौरान गत आयकर दाता से य कर सं ह 106 हजार करोड से
408 हजार करोड़ हो गया था। अतः इसम इस अव ध के दौरान लगभग 300% क वृ दे खी गई।
इसी कार नगम करदाता से य कर सं ह म भी लगभग 150% क वृ इस अव ध म दे खी
गई और कु ल आयकर सं ह क बात कर तो यह अ ययन अव ध म बढ़कर 3 गुना हो गया था। इस
कार अ ययन अव ध म आयकर सं ह म अ ा झान दे खा गया है। ले कन दे श क कु ल जनसं या
को दे खते ए आज भी आयकर सं ह पया त नह कहा जा सकता। इस लए अभी कर का आधार
बढ़ाने एवं कर सं ह म ती ता लाने क आव यकता है।
{३८}
अ याय पंचम्
भारत म
आयकर सुधार
{३९}
____________________________________________________________________________________________
5.1 तावना
{४०}
____________________________________________________________________________________________
{४१}
____________________________________________________________________________________________
सभी आव यक सुझाव इस आयोग ने तुत कए। इस आयोग ने धनकर, उपहार कर तथा पूंजी
लाभ पर लगने वाले कर पर असहम त जताई। साथ ही नमक पर कर पुनः लगाने को भी उ चत नह
ठहराया धनकर एवं उपहार कर का वरोध इनके शासन तथा सं हण लागत के कारण कया गया।
पूंजी लाभ पर कर दे श म व नयोग को नकारा मक प से भा वत ना कर पाएं, इस लए इ हे लागु
करने पर भी आयोग ने असहम त जताई थी। इसके साथ ही मथाई आयोग ने कर क ऊंची सीमांत
दर को भी अनु चत ठहराया।
5.2.2 नकोलस कालडोर (1956)
भारतीय कर णाली को ववेकशील एवं सरल बनाने हेतु सुझाव दे ने के लए ी सी.सी. चौकसी क
{४२}
____________________________________________________________________________________________
{४३}
____________________________________________________________________________________________
{४४}
____________________________________________________________________________________________
आयकर अ ध नयम, 1961, संप कर, 1957 और कं पनी अ ध नयम, 1956 के तहत कोई
मुकदमा नही चलाया जा सकता था। यह योजना काफ हद तक सफल रही। इसके अंतगत 35 लाख
लोग ारा अपने काले धन का रह यो ाटन कया गया। इससे भारतीय राजकोष म 7.8 हजार करोड़
पया भी आया। हालां क व भ सरकारी सं ा और यायपा लका ारा इस योजना क आलोचना
भी क गई। कै ग यानी नयं क एवं महालेखा परी क क रपोट म इस योजना को ईमानदार
करदाता को हतो सा हत करने वाली कवायद बताया गया। उ तम यायालय ने भी सरकार को
हदायत द क भ व य म ऐसी कसी भी योजना क पेशकश से बचाइए।
कर सुधार क इस या म जुलाई 2017 म लागू कये गए व तु एवं सेवा कर को मील का
प र माना जाता है। इसे आजाद के बाद अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जाता है। इसके
अंतगत 17 पुराने कर और 23 उपकर को मलाकर एक नवीन अ य कर यानी 'व तु एवं सेवा
कर'(जीएसट ) का प दया गया। व तु एवं सेवा कर घरेलू उपभोग के लये बेचे जाने वाले अ धकांश
व तु और सेवा पर लगाया जाने वाला मू यव त कर है। हालां क पे ो लयम, मादक पेय और
टांप शु क आ द अपवाद भी है जो अभी भी व तु एवं सेवा कर के अंतगत नह आते है। व तु एवं
सेवा कर का भुगतान उपभो ा ारा कया जाता है, ले कन यह व तु और सेवा को बेचने
वाले वसाय ारा सरकार को े षत कया जाता है।
य द व तु एवं सेवा कर क उपल य क बात क जाए तो इसने एक वचा लत अ य कर
पा र तक तं का नमाण कया है। इसके तहत ई-वे बल क शु आत के साथ-साथ नकली
चालान पर कारवाई करने से जीएसट राज व म बढ़ोतरी करने म मदद मली है। इसके साथ ही कर
के अनुपालन का सरलीकरण आ है। हालां क इस कर सुधार के सम अनेक चुनौ तयाँ भी ह जैसे
राजकोषीय संघवाद के मु े पर अ सर क एवं रा य के बीच कर-बंटवारे को लेकर तनातनी रहती है।
इसके साथ ही 15व व आयोग ने भी इस संबध ं म कु छ मु े रेखां कत कये है- जीएसट शासन म
कर दर क ब लता, पूवानुमान के मुकाबले जीएसट सं ह म कमी, जीएसट सं ह म उ अ रता
आ द।
{४५}
अ याय ष म
सव ण आंकड़
का व षे ण -
प रक पना परी ण
{४६}
____________________________________________________________________________________________
सव ण आंकड़
का व षे ण -
प रक पना परी ण
6.1 तावना
6.1.1 ाथ मक आंकड़ का संकलन
तुत शोध म उ र दे श रा य के जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गये
कर- नयोजन के उपकण का अ ययन कया गया है इस हेतु जले के चार मु य शहर को यथा
मछलीशहर, म डया ं, सकरारा एवं जौनपुर बाजार येक से 150 वेतनभोगी करदाता को तदश
के प म चय नत कया गया है। ाथ मक आंकड़ का संकलन सु वधानुसार गैर-या क तचयन
व ध से कया गया है ता क ाथ मक आंकड़ म सभी आव यक वग यथा ामीण पृ भूमी के
कमचारी, शहरी पृ भूमी के कमचारी, नजी े के कमचारी, सावज नक े के कमचारी, म हला
कमचारी, पु ष कमचारी, उ , म यम तथा न न आय वग से स ब त कमचा रय के त न ध व को
सु न त कया जा सके ।
6.2 सव ण आंकड़ का सारणीयन एवं व षे ण
संक लत कए गए आंकड़ को बोधग य एवं तुलना मक बनाने के लए वग करण के प ात
सारणीकृ त कया जाना आव यक है। इस लए सव ण आंकड़ का सारणीयन अ ययन क आव यकता
के अनु प ब वार न नानुसार कया गया है।
6.2.1 करदाता का नवास े एवं नयो ा संगठन क कृ त
अ ययन म सभी वग का त न ध व सु न त करते ए तचयन म कु ल 600 इकाइय का
चयन कया गया। जनम से नजी े एवं सावज नक े दोन ही कार के उप म म कायरत
वेतनभोगी करदाता को समान भार दे ते ए तीन-तीन सौ इकाइय को इन े से चुना गया। इसके
साथ ामीण े म से कु ल 330 इकाइयां तचयन हेतु चुनी गई।
सारणी 6.2.1
जनम से 110 इकाइयां नजी े एवं 220 इकाइयां सावज नक े से संबं धत थी शहरी
े से कु ल 270 करदाता को अ ययन हेतु चुना गया। जनम से 190 करदाता नजी े एवं 80
करदाता सावज नक े से संबं धत थे। इस कार अ ययन हेतु लए गए तचयन म नजी े के
कमचा रय व सावज नक े के कमचा रय तथा गांव व शहर म नवास करने वाले करदाता को
उ चत त न ध व दान कया गया है।
{४७}
____________________________________________________________________________________________
है।
{४८}
____________________________________________________________________________________________
{४९}
____________________________________________________________________________________________
{५०}
____________________________________________________________________________________________
{५१}
अ याय स तम
शोध के
प रणाम, न कष
एवं सुझाव
{५२}
____________________________________________________________________________________________
शोध के प रणाम,
न कष एवं सुझाव
7.1 तावना
वतमान युग म कर नयोजन सभी करदाता के लए अ य धक मह व का वषय है। लगभग
सभी करदाता जाने-अनजाने म कर नयोजन को अपनाकर अपनी खच यो य आय को अ धकतम करने
का यास करते ह। वेतनभोगी करदाता के मामले म, जो क एक र आय वाला वग है,
मु ा त के कारण और अ य धक शु ता से कर नयम क पालना क बा यता आ द के चलते कर
- नयोजन उनके लए अ य शीषक से आय वाले करदाता क अपे ा यादा मह व रखता है। जतनी
ती ग त से हाल के वष म पए के आंत रक मू य म नरंतर कमी आयी है उस अनुपात म
वेतनभोगी वग क आय म वृ नह हो पाई है। इसके प रणाम व प वेतनभोगी वग क वा त वक
आय कम होती जा रही है। इन कारण से वेतनभोगी करदाता आयकर के भार को यूनतम रखने के
लए कर नयोजन के त वतमान समय म और अ धक गंभीर होते जा रह है। अपने वतमान जीवन
तर को बनाए रखने के लए अपने खच और य म संतुलन बनाना अ याव यक है चूं क वेतनभोगी
करदाता क वा त वक आय मु ा त के चलते कम हो रही है। इस कारण से करदाता ारा
वतमान उपभोग को गत करके बचत को बढ़ाना एवं कर- नयोजन हेतु नद शत े म व नयोग
करना और अ धक चुनौ तपूण काय हो गया है।
कर नयोजन के लए यह ज री है क करदाता को आयकर कानून के ावधान क जानकारी
पूण प से हो। जससे वह आयकर ावधान म कर नयोजन के अवसर को पहचान कर उनका
उपयोग अपने आयकर भार को कम करने के लए कर सके । य द करदाता आयकर नयम म द गई
कर मु य , कटौ तय व राहत आ द को बेहतर तरीके से समझने म स म होगा सके गा तभी वह
इनका वहा रक उपयोग अपने कर दा य व को यूनतम करने म कर पाएगा। करदाता का आयकर
अ ध नयम क जानकारी का तर जतना ऊंचा होगा उतना ही बेहतर वह अपने लए कर- नयोजन
कर सके गा। वतमान अ ययन म वेतनभोगी करदाता के बचत एवं व नयोग ढांचे तथा आयकर
ावधान के त उनक जाग कता के तर का व षे ण कया गया है। इसका उ े य उनके
जाग कता के तर का पता लगाकर उसे वां छत तर तक बढ़ाने हेतु सुझाव दे ना था ता क यह
म यम वग य वेतनभोगी करदाता अपने आयकर भार को यूनतम करके अपने जीवन तर को उ त
कर सके । इस स ब म शोध के न न उ े य न त कये गये थे।
(: आयकर अ ध नयम के ावधान म सरकार ारा समय-समय पर कये गये सुधार क समी ा
करना एवं वेतनभोगी करदाता पर इनके भाव का पता लगाना।
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स दभ सूची
* व भ जाँच स म तय के तवेदन
1.) रपोट ऑफ द टै सेशन इं वारी क मशन (1953) चेयरमैन जॉन म न ऑफ फाइनस,
गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
2.) इं डयन टै स रफॉ स रपोट ऑ फस सव (1956) चेयरमैन- नकोलस कालडोर, म न ऑफ
फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
3.) रपोट ऑफ डायरे ट टै स एड म न े शन इ वायरी कमेट (1959) चेयरमैन- महावीर यागी,
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
4.) रपोट ऑन रेशयोनलाईजेशन एंड सपली फके शन ऑफ चर (1967) चेयरमैन-भूत लगम एस.,
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
5.) फाइनल रपोट ऑफ डायरे ट टै स इ वारी क मट (1971) चेयरमैन- ज टस के . एन. वाचू
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
6.) रपोट ऑफ द डायरे ट टै सेस ला कमेट (1977) चेयरमैन. सी. सी. चोकसी, म न ऑफ
फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
{६१}
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2.) Renukanath, V. (2018) Tax Saving portfolio selected by the Salaried class, Navalerurn
Publication, LURPET.
3.) Mehta, K., Sharma, R, Goel, R, & Singhal, C. (2017) Investors' perception towards tax
saving mutual funds International Journal of Engineering Technology, Management and
Applied Sciences.
4.) Pallavi, V. and PS. Anuradha (2017) Tax Planning and Investment Patterns of
Academicians: A Study of Educational Institutions in, journal press of india
5.) Bhawani, G and Shetty, K. (2017) Impact of Demographics and Perceptions of Investors
on Investment Avenues, Sciedu Press.
6.) Mishra, A and Yadav, B (2017) Tax avoidance in India Scms journal of Indian
management.
7.) Dey, S.K., Varma, K.K. (2016). Awareness of tax saving schemes among individual
Assessees: Empirical evidence from twin city of Odisha, Journal of.
8.) Jose, A.T. & Joseph, D. (2016) A critical study on tax lanning techniques Commerce and
Management Thought. adopted by Assessees axale under the head income from salaries.
International Journal of Management and Social Science Research Review.
9.) William, A & Samwick C. (2016) Growth and Taxation: A cross-country incertigation,
Journal of International Accounting, Auditing and Taxation.
{६२}
" जौनपुर जिले के वेतनभोगी करदाताओं द्वारा अपनाए
गए कर-नियोजन के उपकरणों का अध्ययन "
मैं समीर तिवारी तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर से एम कॉम द्वितीय सेमेस्टर (वाणिज्य विभाग) में अध्ययन
कर रहा हूंँ। मैं यह आंकड़े शोध प्रबंध कार्य के लिए असिस्टेंट प्रोफे सर डॉ॰ विशाल कु मार सिंह (वाणिज्य विभाग)
तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर की देखरेख में एकत्र कर रहा हूंँ। आपकी यह जानकारी शोध के लिए एकत्र
की जा रही है और पूर्णतया गोपनीय रखी जाएगी।
इससे संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए आप मुझसे दिए गए ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
tiwarisameer052001@gmail.com
1. नाम *
2. लिंग *
Mark only one oval.
पुरुष
महिला
कोई और
3. आयु *
4. निवासिय स्तिथि *
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ग्रामीण
शहरी
दोनों
5. वैवाहिक स्थिति *
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अविवाहित
विवाहित
हाँ
नहीं
2 लाख से 5 लाख
2 लाख तक
5 लाख से 10 लाख
10 लाख से अधिक
8. प्र. 3. क्या आप अनैतिक कर नीतियों के कारण किसी कं पनी के उत्पादों या सेवाओं को प्रयोग करने से बचते *
हैं?
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हाँ
नहीं
9. प्र. 4 आप किस प्रकार का निवेश पसंद करते हैं? *
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लंबा अवधि
मध्यम अवधि
छोटा अवधि
कोई नहीं
10. प्र. 5 क्या आपने निवेश के लिए बैंक आदि से पैसा उधार लिया है? *
Mark only one oval.
हाँ
नहीं
हाँ
नहीं
20% तक
30% तक
50% तक
कोई नहीं
13. प्र. 8 आपसे लिये गये कर के बारे में आपका क्या राय है? *
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उच्च
उचित
निम्नतम
कोई और
वेतन से आय
गृह संपत्ति से आय
व्यवसाय/पेशे से आय
पूंजी लाभ
अन्य स्रोतों से आय
हाँ
नहीं
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" जौनपुर जिले के वेतनभोगी करदाताओं द्वारा अपनाए गए
कर-नियोजन के उपकरणों का अध्ययन "
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Ruchi
अभिजीत सेठ
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लिंग Copy
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पुरुष
46.6% महिला
कोई और
53.4%
आयु Copy
73 responses
15
15 (20.5%)
10 (13.7%)
10 (13.7%)
10
7 (9.6%)
5
3 (4.1%)
3 (4.1%) 3 (4.1%
2 (2.7%) 2 (2.7%) 2 (2.7%)
2 (2.7%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%) 1 (1.4%) 1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%) 1 (1.4%)
0
15 / 1 / 2001 20 23 30 38 45 २१
18 22 25 33 42 56
निवासिय स्तिथि Copy
73 responses
ग्रामीण
शहरी
27.4% दोनों
21.9%
50.7%
अविवाहित
विवाहित
23.3%
76.7%
हाँ
56.2% नहीं
43.8%
प्र. 2 आपकी आय सीमा क्या है? Copy
73 responses
2 लाख तक
2 लाख से 5 लाख
11% 5 लाख से 10 लाख
10 लाख से अधिक
82.2%
प्र. 3. क्या आप अनैतिक कर नीतियों के कारण किसी कं पनी के उत्पादों या सेवाओं को प्रयोग Copy
करने से बचते हैं?
73 responses
हाँ
नहीं
30.1%
69.9%
लंबा अवधि
मध्यम अवधि
20.5% छोटा अवधि
24.7%
कोई नहीं
32.9% 21.9%
प्र. 5 क्या आपने निवेश के लिए बैंक आदि से पैसा उधार लिया है? Copy
73 responses
हाँ
नहीं
93.2%
6.8%
हाँ
नहीं
100%
20% तक
45.2% 30% तक
50% तक
कोई नहीं
16.4%
34.2%
प्र. 8 आपसे लिये गये कर के बारे में आपका क्या राय है? Copy
73 responses
उच्च
8.2% उचित
27.4% निम्नतम
कोई और
41.1%
23.3%
वेतन से आय
गृह संपत्ति से आय
व्यवसाय/पेशे से आय
32.9% 19.2%
पूंजी लाभ
अन्य स्रोतों से आय
37%
हाँ
नहीं
19.2%
80.8%
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