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"जौनपुरजले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए

गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन"

वृहद् शोध प रयोजना


शोध- बंध
वीर बहा र सह पूवा चल व व ालय, जौनपुर
के
नातको र एम०काम० थम वष (अ म् सेमे टर)
के पा म के अनु प तुत
समीर तवारी
छा
डॉ० वशाल सह
अ स टट ो० (वा ण य वभाग)
नदशक
स : 2022-23
महा व ालय : तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर

परी ा अनु मांक:23601048588 नामांकन सं या:PU19/104108


वषय-सूची

अ याय ववरण पृ०सं०

माण-प
घोषणा-प
आभार

थम अ याय शोध प रचय १-८


तीय अ याय स ब त सा ह य का पुनरावलोकन ९-१७
तृतीय अ याय कर नयोजन- अवधारणा एवं वेतनभोगी करदाता १८-२६
चतुथ अ याय भारत म य कर शासन - संगठन एवं न पादन २७-३८
पंचम अ याय भारत म आयकर सुधार ३९-४५
ष म् अ याय सव ण आंकड़ का व षे ण - प रक पना परी ण ४६-५१
स तम अ याय शोध के प रणाम, न कष एवं सुझाव ५२-६०
संदभ सूची ६१-६२
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
( वीर बहा र सह पूवा चल व व ालय, जौनपुर से स ब त )
___________________________________________________________________________

प ांक / दनांक : / / /

माण-प
मा णत कया जाता है क समीर तवारी पु ी रमेश चं तवारी ने
वतमान म वा ण य वभाग, तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
एम०काम० उपा ध हेतु (सन् 2022-23 ) का छा है, इ ह ने मेरे शोध नदशन म "
जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के
उपकरण का अ ययन " नामक लघु शोध ब का काय सफलतापूवक स
कया है। तुत लघु शोध- ब इनका मौ लक काय है। यह लघु शोध काय आने
वाले शोधा थय को उ चत मागदशन कर उ ह लाभा वत करेगा ।
म इनके उ वल भ व य क कामना के साथ लघु शोध- ब को
परा नातक उपा ध हेतु मू यांकनाथ तुत करने क अनुशंसा करता ँ।

वभागा य शोध- नदशक

ो० (डॉ०) अ मत कु मार रा ल अ स टट ो० (डॉ०) वशाल सह


(वा ण य वभाग) (वा
ण य वभाग)
तलकधारी नातको र महा व ालय, तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०) जौनपुर (उ० ०)

ाचाय

ो० (डॉ०) आलोक कु मार सह


तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०)
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
( वीर बहा र सह पूवा चल व व ालय, जौनपुर से स ब त )
___________________________________________________________________________

प ांक / दनांक : / / /

घोषणा-प
म समीर तवारी पु रमेश च तवारी यह घोषणा करता ँ क
यह लघु शोध- ब जसका शीषक "जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता
ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन" है। यह समयाव ध म
पूण न ा से कया गया मौ लक काय है।

यह मेरे अथक यास का तफल है। इसम द गई सूचनाएँ, त य


और आँकड़े मेरे ारा वयं संक लत कया गया है। मेरे ारा कसी भी कार
क ु ट पाये जाने पर मुझे झमा करे।

दनांक : / / / शोधाथ

समीर तवारी
एम०काम० अ म् सेमे टर
(वा ण य वभाग)
अनु मांक : 23601048588
तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०)
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०)
(वीर बहा र सह पूवा चल व व ालय, जौनपुर से स ब त)
________________________________________________________

आभार
तुत शोध अ ययन "जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता
ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन" इस लघु शोध को
पूण करने से पूव म समीर तवारी अपने आदरणीय, परमपू यनीय और अ यंत
शांत व ब मुखी तभा के धनी, व ान शोध नदशक अ स टट ोफे सर, डॉ०
वशाल सह को दल क गहराई से ध यवाद दे ना चा गँ ा ज ह ने मुझे पग पग
पर नद शत कया। साथ ही म अपने आदरणीय वभागा य डॉ अ मत कु मार
रा ल, अ स टट ोफे सर ी अवनीश कु मार, और वभाग के अ य नदशक
ीमती संयो गता सह, और कु मारी सोना गु ता एम०काम०, वा ण य वभाग,
तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर (उ० ०) का आभार कट करता
ँ जनके नदशन के बना मेरा लघु शोध ब पूण नह हो पाता।
इ ह ने हमारे लघु शोध को पूण कराने म मेरा अतुलनीय मागदशन कया,
इसके लए म आप सभी को को ट-को ट आभार कट करता ।ँ गु क
म हमा ाचीन काल से ही व णत ह। ाचीन काल से गु का ान सव
माना जाता है। कहा भी है-

" गु ा गु व णु गु दे वो महे रः।


गु सा ात् पर त मै ी गु वे नमः।। "

म परमपू य व ान अनुशासन य ाचाय ो० (डॉ०) आलोक कु मार


सह, तलकधारी नातको र महा व ालय, जौनपुर का दय से आभार कट
करता ँ जनके आशीवाद एवं ो साहन से यह लघु शोध काय स आ ।
म अपने वभाग के सम त कमठ कमचा रय का आभारी ँ ज ह ने
समय-समय पर मेरी सहायता क ।

मेरे ेरणा ोत परम पू यनीय मेरी माता ीमती सीमा तवारी व मेरी
यारी बहन ीमती सोनाली तवारी के त दय से आभार कट करता ँ
जनके ो साहन व आशीवाद से यह काय स आ।
म अपने य छोटे भाई शोधाथ संजीव तवारी का भी ब त आभारी
ँ ज ह ने अपना अमू य समय नकालकर समय-समय पर मेरी सहायता क ।

इस लघु शोध काय को पूण करने म मेरे य म तथा अ य मेरे


सभी सहपा ठय का दय से आभार ा पत करता ँ ज ह ने मुझे शोध के
दौरान मह वपूण जानकारी और सलाह दान क ।
अतः मेरे सम त सावधा नय के बावजूद इस लघु शोध- ब म जाने-
अनजाने म ई ु टय एवं क मय के लए उदारमान व जन से मा ाथ
।ँ

दनांक : / / / शोधाथ

समीर तवारी
एम०काम० अ म् सेमे टर
(वा ण य वभाग)
अनु मांक : 23601048588
तलकधारी नातको र महा व ालय,
जौनपुर (उ० ०)
अ याय थम

शोध प रचय

{१}
____________________________________________________________________________________________

शोध प रचय

1.1 भू मका
वतमान प र य म इ त ल य क ा त हेतु येक या सं ान के लये नयोजन
एक अ नवायता बन चुका है। जीवन के हर े म, चाहे वह आ थक, सामा जक, राजनै तक या अ य
कोई भी हो, योजना को एक ाथ मक य के प म वीकार कया जाता है। जसके मा यम से हम
वतमान त से इ त भ व य पथ क या ा क सफलता सु नश चत करते ह। इस कार नयोजन
के जीवन के सम त े म ल य ा त म सहायता करता है। जब कोई अपने आय,
य, बचत तथा व नयोग आ द को व त कर अपने व ीय ल य को ा त करने क योजना
बनाता ह तो इसे व ीय नयोजन कहते है कर नयोजन व ीय नयोजन का ही एक मह वपूण अंग
है। येक करदाता अपने कर दा य व को यूनतम करना चाहता है ता क आयकर चुकाने के प ात
उसक व ीय आव यकता क पू त हेतु अ धकतम रा श उसके हाथ म शेष रहे कर- नयोजन म
कर दा य व को वैधा नक व नै तक माग से यूनतम करने का यास कया जाता है। कर नयोजन के
अ तगत करदाता कर कानून म उपल अनुकूल ावधान का अ धकतम उपयोग करते ए नी त
नमाता ारा नद शत बचत- व नयोग ढांचे को अपनाता है। इस व नयोग ढांचे से अपने द घकालीन
व ीय ल य का साम ज य बठाते ए वतमान एवं भ व य के कर दा य व को यूनतम करके
अ धकतम स नमाण म सफल होता है कर नयोजन क सफलता के लये आव यक है क
करदाता को आयकर अ ध नयम के कर बचत के व भ ावधान के बारे म जानकारी हो।
कर- नयोजन के ारा करदाता जब अपना कर दा य व यूनतम करने म समथ होता है तो वह
कर चोरी के माग से र रहता है। जससे वह नै तक अपराध से तो बचता ही है साथ ही कर क
चोरी आ द से होने वाले भारी जुमाने एवं सजा क आशंका एवं मान सक अशा त को भी वयं से र
रखता है। जससे थ क मुकदमेबाजी म लगने वाले समय व धन क भी बचत होती है।
वैत नक करदाता को ा त होने वाले भ व वेतन के ान पर लाभ आ द क रा श
आयकर नयम म छू ट यो य होने के कारण, इन छू ट का पूणतः लाभ उठाने के लये इस ेणी के
करदाता हेतु कर- नयोजन व धवत करना आव यक हो जाता है। वैत नक करदाता कु ल
आयकर आगम म 12 तशत से अ धक का योगदान करते है। वैत नक करदाता ारा कर-कानून
का ईमानदारी एवं स ती से पालन कया जाता है। इस कारण से वैत नक करदाता हेतु व ीय
नयोजन के अंग के प म कर नयोजन का मह व अ य शीषक से आय वाले करदाता से
तुलना मक प से अ धक है।
1.2 वतमान अ ययन क ासं गकता
हमारे दे श म करदाता म कर चुकाने या आयकर अ ध नयम क व ा का पालन करने
के लये व ेरणा का अ य धक अभाव है कर दा य व को टालने के लये करदाता कानूनी व गैरकानूनी
दोन तरह के उपाय करते है जब करदाता कर दा य व को कम करने के लये अवैधा नक तरीके
अपनाता है तब इसे कर क चोरी कहा जाता है। जैसे त य को छु पाना या गलत बताना, आय कम
दशाना, खच क जाली व यां करना, गलत तरीके से कटौ तय के दावे तुत करना आ द। कर
अपवंचना के इन काय के कारण करदाता को भारी जुमाने तथा मुकदमेबाजी के साथ मान सक
अशा त व अपराधबोध का भी सामना करना पड़ता है। कर ा धकारी चाहते ह क करदाता अपनी
पूण आय को कट करे एवं आयकर अ ध नयम क व ा का पूणतः पालन करते ए कर क
पूरी रा श का भुगतान करे तथा सरी ओर करदाता बना कसी जुमान या मुकदमेबाजी क आशंका

{२}
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के यूनतम कर का भुगतान करना चाहता है। इस कार करदाता एवं सरकार दोन के हत क
एक साथ पू त करने के लय कर नयोजन का आ य लेना आव यक है। कर- नयोजन से एक ओर
तो करदाता आयकर अ ध नयम म द गई व ा का पूणतः पालन करते ए अपने आयकर
दा य व को यूनतम करने म स म होता है, सरी ओर कर कानून का पूणतः पालन होने के कारण
इससे सरकार व कर ा धका रय को भी कोई सम या नही होती। एक ओर तो करदाता को कम कर
चुकाना पड़ता है इससे उसक गत खच यो य आय म वृ होती है एवं सरी ओर जब वह
वीकृ त कटौ तय का लाभ उठाने के लये सरकार ारा चाहे गए े म व नयोग करता है तो इससे
दे श म आय व रोजगार के तर म वृ होती है। इस कार कर- नयोजन के ारा गत व
सावज नक ल य को एक साथ ा त कया जा सकता है।
इस शोध म जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण
के चयन को भा वत करने वाले घटक का अ ययन करने के उपरांत कर नयोजन के बार म उनक
जानकारी के तर का नधारण कया गया है। इसके साथ ही संभाग के वेतनभोगी करदाता क
जननां कक य त एवं उनके ारा कर नयोजन के लये अपनाएं गए साधन के चुनाव के नणय
के म य स ब का पता लगाने का यास कया गया है। करदाता क जाग कता के तर का
मू यांकन करने के प ात उसने सुधार हेतु आव यक सुझाव दए गए ह। यह सुझाव न के वल जौनपुर
जले के वेतनभोगी करदाता ब क पूरे दे श के वैत नक करदाता म कर नयोजन के त
जाग कता को बढ़ाने म सहायक ह गे। जससे अंततः कर नयम क अनुपालना म सकारा मक वृ
होगी। प रणाम व प कर राज व म वृ एवं दे श के बचत- व नयोग ढांचे का अ धकतम रा हत क
ओर व ापन होने से दे श के आ थक वकास को ग त मलेगी। इस कार दे श के नी त नमाता
को वा त वक त क जानकारी एवं सुधार हेतु आव यक ावहा रक सुझाव उपल करवाने के
लए इस कार के अ ययन का संचालन मह वपूण होता है।

1.3 सम या कथन
तुत शोधकाय वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गये कर नयोजन के उपकण के अ ययन
पर क त है। साथ ही इस अ ययन म वेतनभोगी करदाता क आयकर ावधान के त
जाग कता के तर का भी मू यांकन कया गया है। वतमान म भारत म कु ल आयकर सं ह म
वेतनभोगी करदाता का एक मह वपूण अंश है। ऐसे म कर नयोजन के ावधान के त उनक
जाग कता का तर नधा रत करके उसमे आव यक सुधार कये जाने वांछनीय है। ता क वेतनभोगी
करदाता समु चत कर नयोजन के मा यम से अपने कर दा य व को यूनतम करने के साथ-साथ नी त
नमाता ारा नधा रत सवा धक वांछनीय े म बचत- व नयोग का वाह बढ़ाने म योगदान कर
रा के आ थक वकास म सहभा गता कर सके । तुत शोध म इस वषय पर पया त व तार एवं
गहनता से अ ययन कया है। वैत नक करदाता के साथ-साथ रा ीय हत से संबं धत होने के कारण
ही शोधकता ने कर नयोजन के वषय पर शोध करने का नणय लया है।

शोध का शीषक:-
"जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर- नयोजन के उपकरण का अ ययन"
1.4 पा रभा षक श दावली
> आयकर -: यह करदाता ारा अ जत क गयी आय पर लगने वाला एक य कर है। करदाता वह
जसके ारा आयकर अ ध नयम के अंतगत कर या अ य कोई रा श दे य है।
>कर नधारण वष -: येक व वष क समा त के बाद शु होने वाला नया व वष उस पछले
व वष के लए कर नधारण वष होता है। सामा यतः नधारण वष म गत वष क आय पर कर
नधारण क या पूण क जाती है।

{३}
____________________________________________________________________________________________

> गत वष -: यह नधारण वष से ठ क पूव क 31 माच को समा त होने वाला व वष होता है।


सामा य प र तय गत वष क आय पर नधारण वष म कर लगता है।
> औसत बचत वृ -: यह औसत बचत का औसत आय से अनुपात है।
> व नयोग ढांचा -: करदाता ारा अपनी बचत को व वध मद म व नयो जत कया जाता है। इन
मद के समूह को व नयोग ढांचा कहते ह।
> कटौती -: ऐसा खच या आय जस पर कर लाभ दान करने हेतु करदाता क सकल कु ल आय म
से घटाने क वीकृ ती दान क जाती है।
> कर मु आय -: ऐसी आय जसे सकल कु ल आय म शा मल ही नह कया जाता।
> कर राहत व छू ट -: करदाता ारा दे य आयकर म से घटाए जाने वाली रा श जसे सरकार अपनी
कसी नी त या काय म के तहत सभी वग के लए समान प से या कसी वग वशेष के लए लागू
करती है छू ट वह रा श है जसे दे य आयकर म से घटाने क अनुम त होती है।
1.5 शोध के उ े य
* आयकर अ ध नयम के ावधान म सरकार ारा समय-समय पर कये गये सुधार क समी ा
करना एवं वेतनभोगी करदाता पर इनके भाव का पता लगाना।
* जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता के ारा कर नयोजन के उ े य से क जाने वाली
बचत क औसत वृ का अ ययन करना।
* इसका पता लगाना क जले के वेतनभोगी करदाता म आय- तर, संगठन के कार एवं
नवास त के आधार पर कर नयोजन के लए कए जाने वाले व नयोग के ढांचे के चयन को
लेकर कोई अ तर है या नही।
* आयकर अ ध नयम म उपल व भ कर नयोजन के उपकरण के बारे म जले के
वेतनभो गय क जानकारी के तर का पता लगाना।
* करदाता म कर कर-कानून के ावधान क जानकारी के तर को बढ़ाने, कर नयोजन के
त जाग क करने एवं कर चोरी को रोककर कर राज व म वृ करने हेतु सुझाव दे ना।
1.6 शोध का े
इस अ ययन का े वेतन से आय अ जत करने वाले करदाता तक सी मत है। इस शोध म
वैत नक करदाता ारा कर नयोजन हेतु अपनाए जाने वाले उपकरण का अ ययन उनक औसत
बचत वृ , व नयोग ढांचे एवं कर नयोजन ावधान के बारे म जाग कता के उनके तर के आधार
पर कया गया। य प आयकर एक क य कर है अतः सम त दे श म लागू होता है। ले कन संसाधन
क सी मतता के गत इस अ ययन हेतु ाथ मक आंकड़े उ र दे श रा य के जौनपुर जले से ही
संक लत कए गये ह। य कर शासन के मू यांकन हेतु व वष 2014-15 से 2023-24 के दौरान
के दस वष क अव ध को अ ययन अव ध के प म चय नत कया गया है। इस कार ाथ मक
आंकड़ के स ब म इस अ ययन का े उ र दे श रा य के जौनपुर जले तक सी मत रखा गया
है एवं तीयक आंकड़ के संबंध म इस शोध का े अ ययन अव ध तक सी मत है।
1.7 शोध प रक पनाएं
शोध के संचालन हेतु न न ल खत प रक पना का नमाण कया गया है:-

{४}
____________________________________________________________________________________________
1.) कर नयोजन के लए नजी एवं सावज नक े के कमचा रय क औसत बचत वृ म कोई
साथक अंतर नह है।
2.) आय तर के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह है।
3.) नवास त के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह है।
4.) नजी एवं सावज नक े के वेतनभो गय ारा कर नयोजन हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म
कोई साथक अंतर नह है।
5.)आय तर के आधार पर वेतनभो गय ारा कर नयोजन हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म
कोई साथक अंतर नह है।
6.) नवास ान के े ( ामीण / शहरी) के आधार पर वेतनभोगी करदाता ारा कर- नयोजन
हेतु अपनाए गए व नयोग ढांचे म कोई साथक अंतर नह है।
7.)नजी एवं सावज नक े के वेतनभोगी करदाता क कर कानून के ावधान क
जानकारी के तर म कोई साथक अंतर नह है।
8.)आय तर के आधार पर वेतनभोगी करदाता क कर कानून के ावधान क जानकारी के तर
म कोई साथक अंतर नह है।
9.) नवास ान के े ( ामीण/शहरी) के आधार पर वेतनभोगी करदाता क कर कानून
के ावधान क जानकारी के तर म कोई साथक अंतर नह है।
1.8 समंक का सं हण एवं शोध व ध
अ ययन के उ े य के गत न न ल खत काय व ध का उपयोग करते ए शोध काय को
स कया गया।
1.8.1 स ब त सा ह य का संकलन
भारतीय कर णाली पर पूव म कई कार के अ ययन कए गए ह। शोधा थय के अ त र
भारत सरकार ारा समय-समय पर ग ठत व भ स म तय एवं आयोग ने भी भारतीय कर णाली
पर व तृत अ ययन कर अपने सुझाव दए ह। शोधकता ारा शोध के वषय एवं उ े य को यान म
रखते ए स ब त सा ह य का व भ प म संकलन कर अ ययन कया गया है।
1.8.2 ाथ मक आंकड़ का संकलन
ाथ मक आंकड़ के संकलन हेतु एक ावली का नमाण कया गया जसे उ र दे श के
जौनपुर जले के चार मु य शहर के वेतनभोगी करदाता से भरवाया गया। इस ावली म व
वष 2023-24 के स ब म उनक आय, बचत, व नयोग ढांचे एवं कर- नयोजन के साधन क
जानकारी के तर से संबं धत को शा मल कया गया।
1.8.3 तीयक आंकड़ का संकलन
वतमान शोध म ाथ मक एवं तीयक दोन कार के आंकड़ का उपयोग कया गया है। तीयक
आंकड़े भारत के नयं क एवं महालेखा परी क के तवेदन (संघीय कर), आल इं डया इंकम टै स
टे टस ट स के वा षक तवेदन क य य कर बोड ारा समय-समय पर जारी कए गए व भ
प रप , व भ पु तक , जनर स एवं वेबसाइट पर उपल साम ी के मा यम से एक त कए गये
ह। य कर शासन का मू यांकन करने हेतु व वष 2014-15 से 2023-24 क अव ध का चयन
कर संबं धत समंक संक लत कए गये भारतीय कर णाली म सुधार हेतु व वष 1950-51 से ग ठत
{५}
____________________________________________________________________________________________

मुख स म तय एवं आयोग के तवेदन को अ ययन हेतु संक लत कया गया।


1.8.4 यायदश व व षे ण
>> यायदश
ता वत शोध काय म यायदश के प म जौनपुर जले के चार मु य शहर मछलीशहर,
म डया ं, सकरारा एवं जौनपुर बाजार से नजी एवं सावज नक े के कु ल 600 वेतनभो गय को
लया गया है जसम नजी े व सावज नक े के उ आय तर, म यम आय तर एवं न न
आय तर के तथा ामीण व शहरी े म नवास करने वाले वेतनभोगी करदाता को उ चत
त न ध व दे ने का यास कया गया है।
>> यायदश तकनीक
शोध के लये "गैर-या क सु वधानुसार तचयन व ध उपयोग म लाई गयी है। अ ययन
व त शनावली पर आधा रत है। अ ययन का े उ र दे श के जौनपुर जले के चार मु य
शहर तक सी मत है।
>> यायदश अ भक पना
शोध के लए ाथ मक एवं तीयक दोनो तरह के आंकड़े संक लत कये गये ह। ाथ मक
आंकड़े गत अनुसूची व ध से एक त कये गये ह। अ ययन के तीयक आंकड पु तक ,
सरकारी तवेदन एवं इ टरनेट के मा यम से एक त कये गये ह।
>> सा यक य उपकरण
तशत, औसत, अनुपात, रक-सारणी, र कग सह-स ब , ट -टे ट, एफ टै ट, काई वग टे ट
आ द उपयोग म लाए गये ह।
>> संक लत ाथ मक आंकड़ का वग करण एवं सारणीयन
तचयन म जौनपुर जले के 600 वेतनभोगी करदाता का गैर-या क सु वधानुसार व ध
से चुनाव कया गया है, जो न नां कत सार णय म दशाया गया है।

{६}
____________________________________________________________________________________________

{७}
_______________________________________________________________________________________
1.9 अ ययन के चर

वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर नयोजन के उपकरण के संदभ म वतमान अ ययन


म न न ल खत चर ह:-
* औसत बचत वृ
* व नयोग ढांचा
* कर नयोजन के ावधान क जानकारी का तर
1.10 अ ययन क सीमाएं
तुत अ ययन हेतु जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता से उनक आय, बचत, व नयोग
आ द के संबध ं म जानकारी एक त क गई है। चूं क यह सभी सूचनाएं गत व ीय त से
संबं धत होने के कारण अ धकतर लोग इ ह कसी सरे के साथ साझा करने म हच कचाहट
रखते ह सरी ओर जौनपुर जले के चार मु य शहर म से कु ल 600 तथा येक शहर से के वल
150 वेतनभोगी करदाता को अ ययन हेतु चुना गया है। जले के आकार एवं वषय क ापकता
के गत यायदश के इस आकार को यादा बड़ा करके अ धक व सनीय प रणाम ा त कये जा
सकते थे। तीयक आंकड़े मु य प से नयं क एवं महालेखा परी क के तवेदन एवं य कर
बोड के प रप से एक त कए गए थे। इन आंकड़ के व षे ण के दौरान पाया गया क इनक
पूणता म भी कु छ सीमा तक क मयां थी। उपरो सीमा के बावजूद शोधकता ने समंक के संकलन
एवं नवचन क शु ता सु न त करने हेतु अपने तर पर सभी संभव यास कए ह।
1.11 शोध का अ यायवार तु तकरण
वतमान अ ययन को न नानुसार सात अ याय म वभ कर तुत कया जा रहा है।
१. थम अ याय शोध के प रचय से संबं धत है। इस अ याय म तावना, वतमान शोध क
आव यकता, सम या कथन, शोध म यु पा रभा षक श दावली, शोध के उ े य, शोध का े , शोध
प रक पनाएं, समंक का सं हण, शोध व ध एवं शोध क सीमाएं आ द क ब वार सं त ा या
क गई है।
२. तीय अ याय सा ह यक पुनरावलोकन से संबं धत है। इसम वषय के ासं गक व उपल
सा ह य एवं पूव म कये गये शोध काय का व षे ण कया गया है।
३. तृतीय अ याय म वेतनभोगी करदाता के लए आयकर अ ध नयम के कर- नयोजन से
स ब त ावधान क चचा क गई है। साथ ही गत वष 2023-24 म करदाता को उपल कर
- नयोजन के अवसर एवं लागू आयकर दर का भी व षे ण कया गया है।
४. चतुथ अ याय म य कर शासन के व वष 2014-15 से व वष 2023-24 क
अव ध के काय के न पादन का मू यांकन कया गया है।
५. पंचम अ याय म भारत म वतं ता ा त के बाद से आयकर सुधार हेतु ग ठत कए गए
मु य आयोग एवं स म तय के ारा दये गये सुझाव तथा सरकार ारा कये गये वैत नक करदाता
से स ब त य कर सुधार क समी ा क गयी ह।
६. ष म अ याय म सव ण के दौरान एक त कए गए ाथ मक आंकड़ो का तुतीकरण,
व षे ण एवं नवचन तथा शोध हेतु न मत प रक पना का परी ण कया गया है।
७. स तम अ याय म शोध के प रणाम, न कष एवं स ब त प ो हेतु उपयोगी सुझाव दये
गये है।
{८}
अ याय तीय

सब त
सा ह य का
पुनरावलोकन

{९}
____________________________________________________________________________________________

स ब त सा ह य
का पुनरावलोकन

2.1 तावना
शोध हेतु चुने गए वषय के बारे म अंत वक सत करने हेतु पूव म कए गए काय से
संबं धत सा ह य का अ ययन अ यंत मह व रखता है। संबं धत सा ह य के पुनरावलोकन ारा शोध
सम या को गहराई से समझने म सहायता मलती है। सा ह यक समी ा से शोधकता को यह पता
चलता है क अब तक कौन-कौन से मह वपूण काय इस े म कए जा चुके ह। जससे वह अब
तक कए गए शोध काय म नवीन शोध काय हेतु शोध अ तराल का पता लगाने म स म होता है।
भारत म कराधान के े म शोध शु करने का ेय भारत सरकार को जाता है जब वकास के
बढ़ते ए य क पू त हेतु संसाधन को ग तशील बनाने के लए कराधान के उपयोग के अवसर
तलाशने हेतु व भ स म तय एवं काय दल का गठन कया गया तब से ही भारतीय अथशा य का
यान कराधान म नवाचार क ओर आक षत आ है। यहां पर शोध से स ब त वषय गत
आयकर - नयोजन, गत आयकर सुधार एवं य कर शासन के ासं गक एवं उपल सा ह य
क समी ा का यास कया गया है जससे वतमान शोधकता अपने अ ययन के लए आव यक
भू मका न मत करने म स म हो सके गा।
2.2 सा ह यक पुनरावलोकन के मु य ब
ीती कालगुतकर (2018) -: इ ह ने कर नयोजन के उपाय क जानकारी के तर का अ ययन
करने के दौरान पाया क करदाता कर नयोजन के कु छ व नयोग उपाय को छोड़कर अ य उपाय का
अ यंत ही यून मा ा म उपयोग करते ह। इ ह ने अपने अ ययन म जनां कक य वशेषता के आधार
पर कर नयोजन क जानकारी के तर का व षे ण करते ए पाया क करदाता क जनां कक य
त का उनके व नयोग ढांचे पर भाव पाया जाता है। भारत म वतमान म वेतनभोगी करदाता
को व नयोग श ा दान कया जाना अ य धक आव यक है। इस लए उ ह ने सुझाव दया क
नयो ा सगठन ारा करदाता के श ण हेतु पया त यास कये जाने चा हए।
रेनक
ु ानाथ ( 2018 ) -: इनका अ ययन वेतनभोगी करदाता ारा कर बचत के लए अपनाए जाने
वाले उपकरण के चयन पर आधा रत था। अपने अ ययन म इ ह ने पाया क वेतनभोगी करदाता का
व नयोग ढांचा मु यतः कु छ ही व नयोग अवसर तक व तृत होता है। इसम व व धकरण का अभाव
ही पाया जाता है। व नयोजक श ा के ारा व नयोग ढांचे को वक सत कए जाने क अपे ा रहती
है। अपने अ ययन म इ ह ने करदाता ारा अपनाए गए व नयोग अवसर को अ धमान म म
रखने का यास कया। करदाता ारा पसंद कए जाने वाले व नयोग म थम ान पर जीवन
बीमा पा लसी एवं इसके प ात सावज नक भ व य न ध म जमा एवं बक जमाएं रही ह।
भवानी व शे (2017) -: इ होने अपने अ ययन म बताया क व नयोग नणय जननां कक य
तय से भा वत होते ह। करदाता ारा व नयोग के लए नणय लेते समय अपने आसपास के
लोग से वचार- वमश कया जाता है। करदाता के व नयोग नणय उसके वयं के व षे ण पर
आधा रत न होकर सामा यतः उसे भा वत करने वाले लोग क राय पर नणय नभर होते ह। इ ह ने
बताया क म हलाएं पु ष क अपे ा कम जो खम वाले व नयोग को पसंद करती ह। उनके ारा
ाई न त आय वाली व नयोग योजना को ाथ मकता द जाती है। इसके अलावा व नयोगकता
क आयु भी उसके व नयोग नणय को भा वत करती है। कम आयु के व नयोगकता पूंजी बाजार
से जुड़ी व नयोग योजना म यादा च दखाते ह। जब क अ धक आयु के व नयोगकता ाई
आय वाली ऋण आधा रत व नयोग योजना म यादा च दशाते ह।
प लवी व अनुराधा (2017) -: इ होने अपने प म बताया क श ा वद म व भ कर योजना
क जानकारी का तर काफ कम है। अपने अ ययन म इ ह ने पाया क करदाता कर नयोजन क
तरफ पया त यान ना दे कर कर नयम क अवहेलना करते ह। करदाता म कर ावधान के त
{१०}
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जानकारी बढ़ाने क महती आव यकता है। व भ कर बचत योजना के त करदाता क
जानकारी का तर न न पाया गया। इस अ ययन म यह न कष दया गया क अगर करदाता क
कर ावधान क जानकारी के तर को बढ़ाने के लए व भ शै णक काय म चलाए जाए तो
करदाता म कर नयम क पालना के त सकारा मकता लाई जा सकती है। कर नयम क
जानकारी से करदाता कर चोरी से बचने म स म ह गे। इस कार इ ह ने अपने शोध के मा यम से
करदाता म कर ावधान के बारे म जानकारी बढ़ाने वाले काय म को लागू करने का सुझाव भी
दया।
म ा आशीष यादव बृजेश (2017) -: इ ह ने अपने अ ययन म पाया क येक नाग रक यह
जानता है क उसके ारा चुकाए जाने वाले कर का उपयोग दे श के लोग के क याण के लए कया
जाएगा। ले कन कर णाली म व भ आधार पर क गई असमानता करदाता को अपनी आय को
छु पाने एवं यूनतम कर चुकाने के लए े रत करती है। यह दे श के वकास म एक बड़ी बाधा है।
वतमान म कर नी तय म आव यक प रवतन कर कर ढांचे को करदाता के त म वत बनाने क
आव यकता है ता क लोग वे ा से अपनी आय उजागर करके कर का भुगतान करने म गव महसूस
कर। इसके लए आधारभूत कर मु आय क सीमा को म यम तर पर रखा जाना आव यक है
ता क सभी करदाता को कर के दायरे म लाया जा सके । साथ ही कसी एक वग के मन म हीन
भावना न पनपे। इनके अनुसार न न आय वाल को न न दर से अ नवाय प से कर चुकाना
चा हए।
मेहता, के . शमा, आर. गोयल, आर. सगल, (2017) -: इ ह ने व नयोग ढांचे पर करदाता क
ल गक त एवं अ य घटक के भाव का अ ययन कया। अपने अ ययन म इ होने यह पाया क
म हलाएं पु ष क अपे ा बचत एवं व नयोग म यादा च रखती है। अ ययन म यह दे खा गया क
सावज नक भ व य न ध एवं जीवन बीमा व नयोग के सबसे यादा पसंद कए जाने वाले अवसर थे।
जब क एन.पी.एस. एवं रा ीय बचत प सबसे कम पसंद कए गए थे।
व लयम, ए , सैम वक (2016) -: इ ह ने अपने अ ययन म आयकर से दे श आ थक वृ के
संबंध का मू यांकन कया। इनके वचार से आयकर दर म कमी करदाता को अ धक आय
कमाने, बचत करने एवं व नयोग करने के लए े रत करती ह। इ होने अपने अ ययन के मा यम से
यह भी बताया क य द कर क दर म कमी के भाव को सरकारी य म कटौती के ारा संतु लत
न कया जाए तो द घकाल म यह महंगाई को बढ़ाने वाला एवं याज दर म वृ करने वाला कदम
सा बत होता है। इ ह ने बताया क कर क दर म कमी से होने वाली राज व सं ह क कमी क कर
आधार म वृ के ारा तपू त होनी चा हए। इनके अनुसार कर णाली म कए गए सभी प रवतन
का आ थक वृ पर अलग-अलग भाव होता है। इनके अनुसार कर ेरणा का ववेक करण करने
तथा वकृ त कर सहायता को हटाने और बजट घाटे को कम करने वाले कर सुधार आ थक वृ
पर सकारा मक भाव डालते ह। ले कन इसके साथ-साथ कर णाली क कु शलता एवं समानता पर
भी यान दे ना आव यक होता है।
जेस व जोसेफ (2016) -: इ होन अपने अ ययन म पाया क के वल 25 तशत वेतनभोगी ही
अपना कर नयोजन व व नयोग नणय पहले से नधा रत करते ह। इ ह ने बताया क अ धकतर
करदाता कर नयोजन पूव नयो जत न करके व वष क समा त के नकट आनन-फानन म कर
बचाने हेतु व भ उपल कर बचत योजना म व नयोग करते ह। ऐसे व नयोग उनके ारा अपने
सहक मय व प रवार के सद य आ द के कहने से कए जाते ह इ ह ने अपने अ ययन म यह भी
पाया क जीवन बीमा संबंधी योजनाएं सबसे यादा पसंद दा व नयोग अवसर के प म पहचानी गई
ह। इसके बाद सावज नक भ व य न ध एवं बक जमा आ द का ान आता है। इस कार इ ह ने
अपने अ ययन म न कष दया क करदाता म कर नयोजन के त जाग कता को बढ़ाने क
आव यकता है जससे वे व वष के ारंभ म ही अपने ारा भुगतान कए जाने वाले अनुमा नत
आयकर के लए नयोजन करके अपने कर दा य व को यूनतम करने के साथ-साथ कर राज व म
वृ म योगदान कर सक।
कु मार, एम. ए. एवं प रमलकां त. के . (2015) -: इ ह ने करदाता के व नयोग अ धमान एवं
वहार पर अ ययन कया जसम यह पाया गया क करदाता के व नयोग वहार म व नयोजक
श ा क वतमान समय म अ य धक मह वपूण भू मका है। इस अ ययन म यह पाया गया क
नवेशक बचत खाता, वण, चांद को इस म अ धमान दे ते ह अपने अ ययन के मा यम से इ ह ने
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यह सुझाव दया क वतमान प रवेश म व नयोजक के लए वशेष शै क काय म चलाए जाने क


आव यकता है।
दे व (2015) -: इ ह ने वेतनभोगी वग के ारा अपनाए जाने वाले व नयोग ढांचे का अ ययन
कया अपने अ ययन म इ ह ने पाया क वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए जाने वाले कर बचत के
उपकरण सामा यतः एक प होते ह उनके ारा लगभग एक ही कार के कर- नयोजन उपकरण का
उपयोग कया जाता है। इ ह ने अपने अ ययन म करदाता ारा अपनाए जाने वाले कर नयोजन के
उपकरण म ल गक त के आधार पर भी व वधता का अ ययन कया। जसम इ ह ने पाया क
करदाता क ल गक त भी उनके ारा अपनाए जाने वाले व नयोग ढांचे को भा वत करती है।
वसंधी, आर. (2014) -: इ ह ने वेतनभोगी करदाता ारा व वष 2012-13 म द शत कए
गए व नयोग अ धमान पर अ ययन कया जसम यह पाया गया क वेतनभोगी करदाता जीवन बीमा
पॉ लसी से सबसे अ धक संतु होते ह। जीवन बीमा पॉ लसी के बाद सावज नक भ व य न ध म
संतु का तर सबसे अ धक था। इसके बाद बक जमा , रा ीय बचत योजना प आ द का ान
था। इसके साथ अपने अ ययन म उ ह ने यह भी पाया क वेतनभोगी करदाता र आय वाली
व नयोग योजना को यादा मह व दान करते ह।
पा टल (2014) -: इ ह ने अपने अ ययन म वेतनभोगी करदाता म कर नयोजन के ावधान
क जानकारी के तर का व षे ण कया अपने अ ययन म पाया क पु ष म म हला क अपे ा
आयकर नयोजन के ावधान क जानकारी का तर अ धक ऊंचा था। इ ह ने आय तर के आधार
पर भी व नयोजन साधन क जानकारी का व षे ण कया। जसम यह पाया गया क करदाता
का आय तर उनके नवेश अवसर क जानकारी के तर को सामा यतः भा वत नह करता है।
स वता एवं गौतम, एल. (2013) -: इ ह ने अपने अ ययन म कर बचत के उपकरण को अ धमान
म म रखने का यास कया। इनके अ ययन का े द ली एनसीआर एवं ह रयाणा था इ ह ने
अपने अ ययन म पाया क जीवन बीमा पॉ लसी सबसे यादा पसंद कए जाने वाला कर बचत का
उपकरण था। जीवन बीमा पॉ लसी के बाद सावज नक भ व य न ध, गृह ऋण का पुनभुगतान व ाई
जमाएं आ द व नयोग अवसर करदाता ारा पसंद कए जाते ह।
गु ता या व गु ता मुनीश (2013) -: इ ह ने अपने शोध प म भारत म आयकर दर क
वतमान संरचना का व षे ण कया तथा इसम पाया क यहां उ आय वाल पर न न कर और
न न आय वाल पर अ धक कर आनुपा तक प से वसूला जाता है। इ ह ने बताया क कर क चोरी,
बढ़ ई सं ह लागत आ द व भ तरह क सम याएं कमजोर कर संरचना णाली के कारण होती ह।
इ होने वतमान कर ढांचे को बदलने का सुझाव दया। आधारभूत कर मु आय क सीमा को म यम
तर पर रखने तथा कर संरचना को अ धक आय वाले करदाता के लए अ धक कर भार तथा न न
आय तर वाले करदाता के लए न न कर भार वाली बनाने का सुझाव भी इ ह ने दया।
चतुवेद व खेर (2010) -: इ होने अपने अ ययन म पाया क व नयोग ा प पर ल गक त
का भाव नह पड़ता ले कन करदाता के पेशे का भाव पड़ता है। इ ह ने अपने अ ययन म पाया क
करदाता अपना व नयोग ढांचे का चयन करते समय अपनी पेशेवर यो यता के अनुसार भ - भ
दशन करते ह। येक पेशवे र करदाता अपने पेशे के अनुसार व नयोग नणय लेता है। सामा यतः
पु ष एवं म हला करदाता व नयोग ढांचा चयन करते समय अलग-अलग वहार नह करते। इस
अ ययन म यह भी पाया गया क अ प बचत योजनाएं एवं बक जमा को करदाता व नयोग के
लए ाथ मकता दे ते ह।
मोद अर वद (2010) -: य कर सं हता पर पैनल ने आयकर कानून के पुनलखन के लए
अपनी रपोट तुत क है। इसम 60 साल पुराने जायकर अ ध नयम को दे श क वतमान
आव यकता को यान म रखते ए नए कानून ारा त ा पत करने क बात कही गई है। इस
पैनल क रपोट म आयकर लैब को प रव तत करने एवं नगम कर क दर को 25% तक करने क
बात कही गई है। गत आयकर क दर 5% से 20% तक रखने क बात भी कही गई है। इस
रपोट म बताया गया है क अगर कर क दर म कटौती क जाती है तो दे श क आ थक या मे
ग त आएगी। नया कानून मुकदमेबाजी के बंध को भी बेहतर करने म सहायक होगा।
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दातार (2010) -: इ ह ने अपने अ ययन म बताया क नई य कर सं हता को लागू करने से न
तो कर सं ह म वृ होगी, न ही कर णाली म भी कोई सुधार होगा। नयी य कर सं हता को
जारी करने पर आयकर वभाग को बड़ी सं या म प रप जारी करने ह गे एवं नए कर-कानून को
समझने म अ धका रय को भारी समय का नवेश करना होगा। इस कार से इस नई कर सं हता से
कर सं ह म वृ क कोई वृहद संभावना नह है। साथ ही इससे ाचार क जड़े और मजबूत ही
ह गी। इ ह ने अपने अ ययन म बताया क वतमान कर णाली म जो क मयां है वह कर कानून को
लेकर नह है ब क कर शासन को लेकर है इस लए नई कर सं हता को लागू करने का जौ च य
नह है। आव यक होने पर प र तय के अनुसार आयकर कानून म संशोधन कए जाने जारी रखने
चा हए।
वनीता रानी (2010) -: इ ह ने भारत म उदारीकरण क नी त लागू करने के बाद क कर णाली
का अ ययन कया जसम कर सं ह म वृ कर शासन का न पादन एवं आयकर से संबं धत
पेशवे र के वचार आ द ब पर कर णाली का मू यांकन करने का यास कया गया। इस
अ ययन म पाया गया क अ धकतर कर सलाहकार कर क दर से सहम त रखते थे साथ ही यह भी
न कष नकाला गया क यादातर करदाता ने कर सलाहकार क सहायता ली थी। अ ययन म
सुझाव दया गया क कर क दर को मू य तर म प रवतन के साथ सामायो जत कया जाना
चा हये। कर के आधार को बढ़ाने, कर क चोरी को रोकने, ोत पर कर क कटौती के ढांचे को और
मजबूत बनाने के सुझाव दए गए।
स हा रया (2010) -: इ होने अपने अ ययन म पाया क पूरे व म गत बीस वष म कर
णा लय म वचारधारा एवं आ थक वकास के कारण मह वण सुधार ये ह। इ होने भारतीय कर
णाली का व के कु छ वक सत एवं वकासशील दे श क कर णा लय से तुलना मक अ ययन का
कया। इ ह ने मले शया, मै सको, द णी को रया, जापान, चीन, संयु रा य अमे रका, टे न एवं
कनाडा को अपने अ ययन हेतु चुना। इ ह ने अपने अ ययन म पाया क भारतीय कर णाली म
ग तशीलता का तर व के अ य दे श क तुलना म अभी ब त न न है। भारत म अ य दे श क
तुलना म कर राज व का सं ह काफ कम पाया गया और भारत म कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात
क वृ हेतु मह वपूण यास कए जाने क आव यकता है। इ ह ने अपने अ ययन म न कष दया
क भारत म वतमान म कर क दर को और यादा कम कए जाने के लए कोई ववेकशील आधार
नह है।
गु ता अं कता (2009) -: इ होने उदारीकरण के दौर म भारत म गत आयकर क वृ य
का अ ययन कर न कष नकाला क कर क दर के सरलीकरण से कर आधार को बढ़ावा मला है।
अ ययन म यह पाया गया क कर सुधार का गत आयकर पर सकारा मक एवं वृ ज य भाव
पड़ा है। इ ह ने कर राज व वृ के मु य घटक म सीमांत दर का कम कया जाना, कर लै स का
कम कया जाना और सकल घरेलू उ पाद म उ वृ दर को बताया। इ ह ने अपने अ ययन म
बताया क कर दर का सरलीकरण एवं कर आधार का व तार कर सुधार के लए अ य धक
मह वपूण है जो भ व य म कर णाली को सकल घरेलू उ पाद के अनु प बनाएंग।े
जैन कु मार अ नल व जैन प ल (2007) -: इ होने अपने अ ययन म पाया क भारत म बचत के
त कर वहार को कर यो य नकासी से कर मु नकासी म बदला जाना वतमान आ थक प रवेश
के अनुसार ज री हो गया है। कर मु य , कटौ तय व कर छू ट क अ धकता ने कर आधार को
त त करने के साथ क कर कानून को ज टल बनाया है। भारत म कर ेरणा को अ ाई तौर
पर लागू कया गया। ज ह समय-समय पर प रव तत कया जाता रहा है। इस प रवतन के कारण
करदाता के मन म अ न तता बनी ई है। इ ह ने बताया क कर ेरणाएं न त ल य के लए
होनी चा हए एवं बचतकता और व नयोगकता को राहत दान करने वाली होनी चा हए। इ होने
न कष दया क कर णा लय म कर ेरणा का समावेश अचानक ना करके योजनाब तरीके से
कया जाना चा हए।
बेद रजनी (2007) -: इस अ ययन म भारतीय कर णाली एवं सुधार का मू यांकन कया गया।
अपने अ ययन म इ ह ने भारतीय कर णाली म द जाने वाली कटौ तय एवं छू ट के भाव का
मू यांकन कया। उ ह ने बताया क अ धकतर कटौ तयां छू टे एवं कर मु यां बना कसी पूव तैयारी
के एवं भाव का पूवमू यांकन कए बगैर लागू क गई। अ धकतर योजनाएं सै ां तक व ा के
अनुकूल नह बैठती है। अतः यह सुझाव दया गया इन कटौ तय को पुन वचा रत कए जाने क
{१३}
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आव यकता है और जहां तक संभव हो इ ह समा त कया जाना ही उ चत है। इ ह ने भारतीय कर


णाली क ज टलता को कर ावधान म संशोधन करके यूनतम करने क आव यकता बताई। उ ह ने
बताया क सरकार को येक बजट म कर रेणा और छू ट को शा मल कया जाना बंद करना
चा हए।
स .ु के . (2007) -: इ होने अपने अ ययन म टॉक माकट के वकास व खुदरा नवेशक के
वहार का व षे ण कया। इ ह ने बताया क यादातर युवा के ारा ारं भक व नयोग बक
जमा एवं बीमा ी मयम के प म कए जाते ह जो यादा ज टल नह होते एवं इसके लए कसी
वशेष ान क आव यकता नह होती। चूं क शेयर बाजार म व नयोग करने से पहले वशेष जानकारी
व समझ क आव यकता होती है। इस लए अ सर लोग इसम झझक रखते ह। इ ह ने
व नयोगकता के लए आव यक शै क काय म शु करने और ऐसे काय म को श ा के साथ
जोड़ने क आव यकता बताई।
रचडसन (2006) -: इ होने अपने अ ययन म पाया क कर कानून क जानकारी एवं कर क
चोरी म वपरीत स ब पाया जाता है अपने अंतररा ीय अ ययन म उ ह ने पाया क कर-कानून क
न न जानकारी कर चोरी एवं न न कर नै तकता का आधार है। रचडसन ने बताया क अगर सरकार
कर श ा क व ा करती ह तो इसका प रणाम कर नयम क बेहतर अनुपालना एवं यादा कर
राज व सं ह के प म ा त होगा। कर कानून क जानकारी करदाता को कर नयोजन के लए
े रत करती है एवं उ ह कर चोरी से र रखती है। कर के बारे म जाग कता बढ़ाने के लए इ ह ने
श ा के व तार पर बल दया।
पारोल स यावद (2006) -: इ होने अपने अ ययन म न कष नकाला क वेतनभोगी वग के लए
आयकर अ ध नयम म वशेष ावधान होने चा हए। इ ह ने ारं भक समय से ही कर नी त, शासन
एवं कर नयम क अनुपालना के संबध ं म वैत नक और अवैत नक करदाता म तुलना क और
वेतन से कर नधारण क तुलना अ य ोत से आय पर कर नधारण के साथ क । उ ह ने पाया क
कर व ा अता कक है एवं कर आधार संकु चत और अनु यु है अ ययन म यह पाया गया क
वैत नक वग कर नयम क अनुपालना शासन एवं सं ह म अ य वग से भ ता रखता है। इन सब
बात को यान म रखते ए अ ययन म न कष दया गया क वैत नक वग को आयकर नधारण म
वशेष व ा दए जाने क आव यकता है।
राव गो व दा (2005) -: इ होने अपने अ ययन म पाया क भारत म कर सुधार अ तरा ीय
समुदाय के साथ साम ज यपूण है। इ ह ने भारतीय कर णाली के साथ इसके संचालन का भी
व षे ण कया। यह पाया गया क भारतीय कर णाली म सुधार अ तीय ह। व क अ य
वकासशील अथ व ा के वपरीत भारतीय कर णाली म घरेलू ज रत के अनुसार ावधान
कए गए। यहाँ कर णाली म वै क एज सय के दबाव म ावधान न करके दे श क वकास
आव यकता को यान म रखा गया। हालां क भारत सरकार ने वै क व ीय सं ा से व ीय
सहायता ा त क परंतु इसके बावजूद इन सं ान के नदश ने भारतीय कर णाली को सीधे तौर
पर भा वत नह कया।
ध गड़ा नवजोत (2005) -: इ होने य कर संरचना क सम या एवं मु के अ ययन से
न कष नकाला क मानक कटौती एवं करमु क सीमा म मु ा ती के अनुसार अपया त
समायोजन कये गये है। अपने अ ययन म इ ह ने य कर संरचना, कटौ तय , कर ेरणा एवं
मु ा त के अनुसू चयन से संबं धत सम या पर यान दया। उ ह ने पाया क भारतीय कर
संरचना म अ य धक ती ता से प रवतन ए ह इससे कर संरचना के ाई ढांचे को हा न प ंची है
एवं कर शासन के लए क ठनाई उ प ई है। यह दे खा गया क अ सी के दशक के बाद कर
संरचना सापे क प से र रही। उ ह ने सुझाव दया क कर णाली को ता कक एवं ववेकपूण
बनाकर मु ा त के साथ सामंज य पूण कया जाना चा हये।
रैना एच.पी. (2005) -: इ होने अपने अ ययन म बताया क कर लगाते समय तीन उ े य सरलता,
न तता व ता क पू त होना आव यक है। सरकार को के वल रा हत म यूनतम कर ही लगाने
चा हए। साथ ही एक नई सरल य कर सं हता बनाई जानी चा हए। इ ह ने आयकर शासन को
{१४}
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चु त करने क आव यकता बताई एवं कर वभाग के अ धकतर काय को बाहरी एज सय से करवाने


का सुझाव दया। इ ह ने ववाद नपटारा या को भी भावशाली वह ग तशील बनाने का
आव यकता बताई।
च ा रंजन सरकार (2004) -: इ ह ने अपने अ ययन म पाया क भारत म कर ेरणा का
मूलभूत उ े य करदाता को बेहतर बचत एवं व नयोग हेतु े रत करना था ता क दे श के ामीण व
पछड़े े के करदाता इसका लाभ उठा सक। शोध म भारत क उदार कर नी त का मू यांकन
भारतीय अथ व ा क वृ के संदभ म कया गया। इस अ ययन म कर ेरणा से संबं धत
व वध सै ां तक मु पर काश डाला गया। इ ह ने यू.के . यू. एस. ए. ांस, जापान, सगापुर,
मले शया के साथ कर ेरणा के स ब म भारतीय कर व ा से तुलना मक अ ययन कया।
जैन (2004) -: इ होने अपने अ ययन म आयकर ावधान के स ब म छः दे श म तुलना मक
अ ययन कया तथा न कष नकाला क वकासशील दे श म त स. घे. उ. एवं त कर
भुगतान ब त कम था। इ ह ने आयकर ावधान म तीन वक सत दे श यूनाइटे ड कगडम, संयु रा य
अमे रका आ े लया तथा तीन वकासशील दे श मले शया, पा क तान और भारत म तुलना मक
अ ययन कया। अपने अ ययन म इ ह ने पाया क ग तशील कर संरचना को इन सभी दे श ने
अपनाया था ले कन कर क दर वक सत दे श म वकासशील दे श क अपे ा ऊंची पाई गई। कतु
वकासशील दे श म आय का वह तर जस पर सीमांत दर से आयकर लगता है। वह ब त नीचा
न त कया गया था। इस कारण से जस क आय ब त यादा नह है उसे भी अ धकतम दर
से कर चुकाना पड़ता था। सभी दे श म कर नधारण क मूल इकाई ही था के वल संयु रा य
अमे रका को छोड़कर, जहां ववा हत संयु प से रटन भरने का वक प रखते ह। अ ययन
अव ध के दौरान त सकल घरेलू उ पाद और त आयकर वकासशील दे श म ब त
कम पाया गया था।
नवजोत व ओम काश (2003) -: इ होने अपने अ ययन म बताया क आयकर दर क सरंचना
म अ ययन अव ध म तेजी से प रवतन ये ह। इससे कर णाली क रता को हा न प च
ं ी है तथा
कर शासन के लये सम याएं बढ़ है। अपने अ ययन म उ ह ने पाया क इस अव ध के दौरान बड़ी
सं या म कर ेरणा से संबं धत ावधान कटौ तय एवं छू ट के प म लागु कये गए ज ह ने
गत आयकर के भार को कम कया है। ले कन इन शोधकता ने अपने अ ययन म यह भी
पाया क इन कर ेरणा का लाभ एक सीमा तक उ आय वग के करदाता को भी मला है।
जससे करो म ग तशीलता कम ई है। उ ह ने यह सुझाव दया क कर णाली म सरलता एवं
समानता सु न त करने के लए कर लाभ को ववेकशीलता से पुन नधा रत करने क आव यकता है।
पांडे (2002) -: इ ह ने अपने अ ययन म सरकार ारा कर आधार को व तार दे ने के लए उठाए
गए कदम का व षे ण कया। इ ह ने बताया क छः सु वधा म से एक सु वधा का उपयोग करने
पर आयकर ववरणी दा खल करना अ नवाय होने के कारण आयकर ववरणी दा खल करने वाले
करदाता क सं या म भारी वृ ई। य प इनम से अ धकतर करदाता क कर यो य आय
शू य थी। इस कार यह ावधान आयकर वभाग एवं करदाता क कागजी कायवाही बढ़ाने वाला
ही स आ। इससे सरकारी राज व म कोई वृ नह ई। इस अ ययन म यह भी पाया गया क
व वष 1990-91 से 2,000-01 के दौरान कर उ लावकता 2.64 से घटकर 1.66 रह गई थी। इ ह ने
कर सं ह बढ़ाने हेतु कृ ष आय पर कर लगाने, आयकर वभाग का कं यूटरीकरण करने व शोध एवं
ज त या का सी मत मा ा म ही उपयोग करने का सुझाव दया। उ ह ने सुझाव दया क सरकार
को कर आधार बढ़ाने के लए के वल न न व म यम आय वग पर ही यान क त नह करना चा हए
ब क उ आय वग पर भी यान दया जाना चा हए जो क अपनी आय को आयकर अ ध नयम क
क मय का लाभ उठाते ए कर से बचा लेते ह।
के लकर (2002) -: व एवं कं पनी मामल के मं ालय ारा इस टा क फोस का गठन कया
गया। य कर का सरलीकरण व ववेक करण करने, करदाता को दत सेवा म सुधार करने
एवं वतन या को श शाली बनाने के लए उसका पुन नमाण करने हेतु सुझाव दे ना इस काय
दल के गठन का मु य उ े य था। इस काय दल ने सन् 2002 म अपनी रपोट तुत क जसम कर

{१५}
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मु जाय क सीमा ₹ 100,000 एवं आय पर कर क अ धकतम दर 30% करने का सुझाव दया।


साथ ही इ ह ने वेतन पर मलने वाली मानक कटौती एवं आयकर पर सरचाज को समा त करने का
सुझाव दया। य कर के आधार को व तृत करने के लए कु छ कर अनुलाभ क समा त एवं
कु छ अनुलाभ का ववेक करण करने का सुझाव भी इस दल ने दया। जो भारत क ता का लक
सामा जक-आ थक पृ भू म को दे खते ए आव यक हो गया था। काय दल का यह व ास था क
कर मु आय क सीमा बढ़ाने से जतनी राज व क कमी होगी उसक पू त कर अनुलाभ के
ववेक करण के ारा हो जाएगी। कायदल ने यह भी अनुभव कया क कर अनुलाभ एवं कर मु य
को वापस लेने से कर नी त, कर राज व एवं कर नयम क अनुपालना तथा कर शासन पर
यादातर मामल म सकारा मक भाव ही पड़ता है।
मुनीर (2002) -: इ होने गत वष 2001-02 के दौरान महा व ालय एवं व व ालय के
अ यापक के ारा आयकर अ ध नयम म उपल कर- नयोजन उपाय के अ ययन म पाया क.
उ रदाता का जानकारी का तर सामा य ही था। य प कु छ कर नयोजन के उपकरण के त
इन अ यापक के जानकारी के तर म अंतर भी पाया गया था।
शमा व गु ता (2002) -: इ ह ने न बे के दशक म भारत के राजकोषीय सुधार का अ ययन करते
ए अपने अ ययन म पाया क राजकोषीय सुधार के बढ़ने से भी न बे के दशक म कर/ स. घे. उ.
अनुपात म पया त सुधार नह आ है। नगम कर एवं गत कर एक मा एक ऐसा े था
जसने इस अव ध म अ ा न पादन कया था। इसे कर सं ह एवं कर उ लावकता म वृ के प
म दे खा जा सकता है। व वष 1991-92 से 2000-01 क अव ध के गत आयकर सं ह क
तुलना व वष 1981-82 से 1990-91 क अव ध से क गई जसम 13% वा षक वृ पाई गई। इस
अव ध म कर उ लावकता बढ़कर 1.6 हो गई थी।
राव (2000) -: इ ह ने व वष 1970-71 से 1997-98 क अव ध के दौरान भारतीय कर
णाली क वृ य का अ ययन कया। इ ह ने अपने अ ययन म पाया क इस अव ध के दौरान
गत आयकर का कु ल राज व म अंश 10 तशत से बढ़कर 12.6 तशत हो गया था। अपने
अ ययन म इ ह ने पाया क गत कर के संबध
ं म सबसे बड़ा प रवतन आयकर दर म कमी
कया जाना एवं कर मु आय क सीमा म वृ कया जाना रहा था और इनके भाव म मानक
कटौती के ारा और वृ ई थी।
झा शखा (1999) -: इ ह ने भारत म कर चोरी के कारण पर अ ययन कया। भारत सरकार
ारा वै क कटन आयकर योजना पर भी यान क त कया गया। अपने अ ययन से यह सुझाव
दया क संवेदनशील कर नी तय के लए य , फम एवं नगम क सीमांत आयकर दर म कमी
कए जाने क आव यकता है। इ होने अपने अ ययन म बताया क कर क चोरी के साथ अवैधा नक
काय के ारा भी काला धन उ प कया गया।
दासगु ता एवं मुखज (1998) -: इ ह ने भारतीय कर वतन व ा क ेन, मै सको,
इ डोने शया, सगापुर एवं फलीपाइ स से तुलना क । इ ह ने अपने अ ययन म पाया क गत
आयकर क अनुपालना सकल घरेलू उ पाद के अनुपात के प म नय मत तौर पर कमी ई है। जो
क कर राज व म कमी का एक मह वपूण कारण था इस कमी का मु य कारण उ सीमा त दर,
कर मु आय क सीमा वृ , मू य वृ एवं भावशाली लेखापरी ा व ा क कमी होना रहा है।
भारत म शोध, ज ती एवं अ भयोग कर चोरी को रोकने म असफल रहे ह। अ ययन म यह पाया गया
क आयकर शासन म मूलभूत सुधार क आव यकता है। जससे आयकर वभाग का न पादन तर
बढ़ाया जा सके । साथ ही आयकर सुधार हेतु उ तर पर स म राजनी तक सबल क भी
आव यकता बताई।
सचीकु टट थामस (1998) -: इ होने अपने अ ययन म न कष दया क कर- नयोजन क
जानकारी एवं कर नयोजन के अनुभव म सकारा मक स ब होता है। इनके अ ययन म पाया गया
क वैत नक करदाता के लए कर शासन एवं नयो ा के ारा भावी कर नयोजन हेतु कसी
कार के श ण क व ा को लागू नह कया गया है। अ ययन म यह पाया गया क व भ
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े म काय करने वाले करदाता ारा कर नयोजन के लए चुनी गई योजना म पया त अंतर
था साथ ही वेतनभोगी करदाता कर नयोजन के उपकरण के बारे म जानकारी रखते ए भी कु छ
अ ता के कारण इनका पूणतः उपयोग नही कर पा रहे थे।
भारतीय कर सं ान (1997) -: इस सं ान ने भारतीय कर णाली म मु ा त के कारण
आई वकृ त पर अ ययन कया। अपने अ ययन म इ ह ने भारतीय कर णाली म आई वकृ त को र
करने के लए सुधारा मक उपाय सुझाए। अ ययन म यह पाया गया क मु ा त के कारण कर क
ग तशीलता को ध का लगा था मु ा त के कारण वा त वक कर भार बढ़ गया था। य प कर
क दर पूव के समान थी। इसके साथ ही वा त वक कर दर म आए प रवतन ाई कृ त के थे।
इस अ ययन म मु ा त से संबं धत सू चयन योजना को लागू करने का सुझाव दया गया।
तवेदन म ाई मु ा त भाव से नपटने के लए सुधारा मक उपाय अपनाने हेतु अ धक बल
दया गया।
2.3 शोध अंतराल
स ब त सा ह य के अवलोकन म पाया गया क अब तक भारतीय कर शासन एवं कर
णाली, आयकर वभाग के न पादन करदाता के व नयोग नणय पर जनां कक य भाव , करदाता
के व नयोग ढांचे को भा वत करने वाले व भ त व , गत आयकर दाता क कर संरचना म
सरकार ारा समय-समय पर कए गए प रवतन , कर क उ लावकता, कर-सकल घरेलू उ पाद म
संबध ं आ द वषय पर कई कार के मह वपूण अ ययन पूव म शोधा थय तथा व भ काय दल
ारा कए गए ह। इन अ ययन के पुनरावलोकन के दौरान शोधकता ारा यह पाया गया क उ र
दे श रा य के वेतनभोगी करदाता के संबंध वशेष म कोई अ ययन वतमान प रवेश म नह आ
है। इस लए शोधकता ने उ र दे श रा य के जौनपुर जले क भ प र तय को दे खते ए यहां
के वेतनभोगी करदाता क कर नयोजन के उपकरण के त जाग ा एवं वहार पर अ ययन
करने का नणय लया है
2.4 उपसंहार
शोध के वषय से संबं धत एवं उपल व भ सा ह यक साम य का अ ययन वषय क
समझ को बेहतर बनाने एवं शोध अंतरात का पता लगाने के लए अ य धक मह वपूण होता है।
इस लए शोधकता ारा संबं धत सा ह य का अ ययन उपरो ानुसार पूण कर शोध अंतराल क पहचान
क गई। इस अ ययन क वतमान शोध काय म मह वपूण भू मका स होगी।

{१७}
अ याय तृतीय
कर नयोजन-
अवधारणा एवं
वेतनभोगी करदाता

{१८}
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कर नयोजन-
अवधारणा एवं
वेतनभोगी करदाता

3.1 तावना
वतमान युग म कर नयोजन वेतभोगी करदाता के व ीय नयोजन का एक अ नवाय अंग है।
कर नयोजन के मा यम से करदाता के कर भार म कमी से खच यो य आय म वृ , वैधा नक ढं ग से,
होती है। इसके साथ-साथ कर नयोजन के मा यम से करदाता भ व य म होने वाले स ा वत एवं
अ न त खच के लए भी व ीय व ा कर सकता है। सामा य श द म कर नयोजन से आशय
आयकर अ ध नयम म उपल वभ कार के कर बचत के अवसर के अ धकतम उपयोग के
मा यम से आय पर कर के भार को यूनतम करने का यास करना है कर दा य व म कमी कर
ावधान क पालना कानून नमाता क मंशा के अनु प करते ए क जा सके तभी कर- नयोजन
सफल होता है। इस अ याय म कर नयोजन क अवधारणा को करने का यास कया गया है।
साथ ही वेतनभोगी करदाता के लए आयकर अ ध नयम म द गई कर नयोजन से स ब त
व ा पर चचा क गई है। यहां अ ययन हेतु चुने गए कर नधारण वष 2018-19 के लए
वेतनभोगी करदाता को उपल कर- नयोजन के अवसर क भी ा या क गई है।
3.2 अवधारणा मक ा या
कर नयोजन को समझने के लए इससे जुड़ी अवधारणा का व भ कोणो से कया
जाना अ त आवशयक है। यहां हम कर नयोजन से संबं धत व भ श द क अवधारणा मक ा या
का यास करगे।
3.2.1 कर नयोजन
कर नयोजन कसी करदाता के व ीय नयोजन का वह भाग है जसने करदाता अपने
आयकर दा य व को वैधा नक तरीके से यूनतम करने का यास करता है। कर- नयोजन के अंतगत
करदाता आयकर अ ध नयम के ावधान क इस ढं ग से पालना करता है क उसका आयकर दा य व
यूनतम हो सके इस कार कर- नयोजन के अ तगत करदाता ारा जन ावधान का अपने प म
उपयोग कया जाता है वह ावधान कानून नमाता ारा कर नयोजन के उ े शय से ही अ ध नयम
म रखे जाते ह अथात करदाता कर नयोजन के दौरान कर कानून म कसी कार क क मयां नह
ढूं ढता ब क वह उ ही उपकरण का उपयोग करता है जो प से वधान नमाता ारा
करदाता को अपने कर के दा य व को कम करने का अवसर दान करने के लए दए गए ह। कर-
नयोजन के अंतगत करदाता का कर दा य व तो कम होता ही है साथ ही वह वह नी त नमाता
ारा नधा रत दशा म व नयोग करके रा के आ थक वकास म अपना मह वपूण योगदान भी दे ता
है। इस कार कर- नयोजन क या के ारा करदाता के गत हत के साथ रा हत को भी
साधा जाता है। अतः कर- नयोजन के ारा करदाता सरकार क भावना के अनु प काय करते ए
अपने कर दा य व को कम करता है।
3.2.2 अ पकालीन एवं द घकालीन कर नयोजन
सामा यतः कर- नयोजन को हम दो भाग म बांट सकते ह अ पकालीन कर नयोजन एवं
द घकालीन कर नयोजन अ पकालीन कर नयोजन म कसी वष वशेष के आयकर दा य व को कम
करने के लए व नयोग या खच को वशेष दशा म नद शत कया जाता है। यह जस वष अपनाया
जाता है इसका लाभ के वल उसी वष हेतु मलता है। आगामी वष के व नयोग एवं कर दा य व पर

{१९}
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इसका भाव नह पड़ता। इस कार अ पकालीन कर नयोजन के वल चालू वष के कर दा य व


को कम करने हेतु ता का लक कर लाभ के लए कया जाता है। जैसे कसी वेतनभोगी करदाता क
आय पछले वष क अपे ा बढ़ने से कर मु आय क सीमा से अ धक हो जाने पर उसके ारा
आ ध य रा श को नश चत सीमा तक सावज नक भ व य न ध म जमा करवाना अ पकालीन कर
नयोजन कहलायेगा।
द घकालीन कर नयोजन क त म येक करदाता अपने द घकालीन व ीय उ े य को
नधा रत करता है। द घकालीन कर नयोजन के अंतगत करदाता को कई बार वतमान व वष म
कसी कार का कर लाभ ा त नह होता ले कन इससे द घकाल म अ कर बचत होती है। जैसे
कोई करदाता धारा 80 C म ₹150,000 तक क सीमा के व नयोग के लए ही कसी एक व वष म
कर लाभ ले सकता है। ले कन अगर कोई करदाता सावज नक भ व य न ध व सुक या समृ योजना,
दोनो म कु ल ₹300,000 क रा श जमा करवाता है तो उसको वतमान व वष म ₹ 150,000 क
अ त र जमा रा श के लए कोई कर लाभ ा त नह होगा। ले कन सावज नक भ व य न ध एवं
सुक या समृ योजना खाते क प रप वता पर ा त होने वाली पूरी रा श पर मु होती है। ऐसी
त म प रप वता पर करदाता को पूरी रा श क कर मु का लाभ मलेगा। इसक प रप वता के
समय करदाता सामा यतः ऊंचे आयकर लैब म होगा। जससे इस करदाता को व नयोग क नकासी
पर तुलना मक से ऊंची दर के कारण अ धक कर लाभ मल सके गा। इस कार द घकालीन कर
नयोजन भ व य क आव यकता को यान म रखते ए कया जाता है। ता का लक प से इसका
कोई कर लाभ न भी हो ले कन द घकाल म इससे बेहतर कर लाभ ा त होता है।
3.2.3 कर अपवंचना व कर प रहार
येक करदाता का यह दा य व है क वह वतः ही अपनी आय पूणतः सही प से कट कर
उस पर च लत वधान के अनुसार कर का भुगतान करे। य द कोई ऐसा नह करता है। अथात
अपनी आय को छु पाता है या कम दशाता है या उस पर कर का भुगतान नह करता है तो इसे कर
क अपवंचना या कर क चोरी कहा जाता है। कर क चोरी म करदाता के ारा आयकर कानून का
उ लंघन कया जाता है। यह एक दं डनीय अपराध है अतः यह नै तक व वैधा नक दोन ही कोण
से ही गलत होता है। सरी ओर जब करदाता कर कानून क क मय को खोज कर उन क मय का
लाभ उठाकर अपने आयकर दा य व को कम करता है तो उसे कर का प रहार कहते ह। कर के
प रहार क दशा म करदाता ारा कानून को तोड़ा नह जाता ब क उसक क मयां खोज कर उनका
उपयोग कर दा य व को कम करने म कया जाता है। कर के प रहार के अंतगत चूं क करदाता ारा
कानून का उ लंघन नह कया जाता इस लए यह वैधा नक प से दं डनीय नह होता। चूं क कर के
प रहार के दौरान कर कानून क क मयां खोज कर अवां छत तरीके से कर दा य व को कम कया
जाता है इस लए इसे नै तक से उ चत नह कहा जा सकता।
इस कार कर क चोरी के अंतगत करदाता ारा कर कानून का उ लंघन कया जाता है ले कन
कर के प रहार म करदाता कानून का उ लंघन ना करके कर कानून क क मयां का लाभ उठाता है।
नै तक से कर क चोरी एवं कर का प रहार दोन ही अपराध है। ले कन वैधा नक से कर का
प रहार अपराध नह माना जाता य क इसम करदाता ारा दे श के कसी वतमान च लत कानून का
उ लंघन नह कया जाता। कर क चोरी और कर के प रहार के बीच रेखा ख चना क ठन होता
है।
कर क चोरी करने के लए कर कानून का पूरा ान होना आव यक नह है, कोई भी
अपनी आय को छु पाकर कर क चोरी का यास कर सकता है। ले कन कर का प रहार करने के लए
कर कानून क पूरी जानकारी होना आव यक है। तभी उसक क मय का पता लगाकर इनका उपयोग
कर के प रहार म कया जा सकता है। कर का प रहार होने पर आने वाले समय म जैसे ही यह

{२०}
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उजागर होती है तो वधा यका ारा इन कानून क क मय को र कर दया जाता है और आने


वाले वष म क मय के र हो जाने क वजह से दोबारा उसी ढं ग से कर का प रहार नह कया जा
सकता।
कर प रहार म करदाता कानून क क मय को खोज कर आयकर के दा य व को टालता है। यह
काय कानून नमाता ारा इ त नह होता इस लए इसे वां छत नह माना जाता। कर के नयोजन
और कर के प रहार दोन म ही कर-कानून का पालन कया जाता है कानूनी से दोन ही अपराध
नही ह।
ले कन कर का नयोजन ही वांछनीय है कर प रहार कानूनी से अपराध तो नह है ले कन
यह वांछनीय नह है और नै तक प से उ चत नह कहा जा सकता। सरी ओर कर क चोरी हर
से अनु चत है उसम करदाता कानून का उ लंघन करता है। वह नै तक एवं वैधा नक दोन ही
कोण से अपराध होता है तथा इसके लए दं ड का भी वधान है।
3.2.4 कर बंधन
कर नयोजन क सफलता हेतु कर बंध एक अ नवाय त व है। कर- नयोजन क वांछनीय
सफलता के लए करदाता को आयकर अ ध नयम के ावधान क पालना करते ए व भ कटौ तय
एवं कर ेरणा का लाभ लेते ए नधा रत समय सीमा म आयकर ववरणी दा खल करना एवं
आयकर का भुगतान करना आवशयक है। इसके लए व भ प को भी उ चत प से तैयार करना
होता है। कर नयोजन का यह कायकारी भाग ही कर बंध कहलाता है। कर नयोजन के नणय को
कर बंध के ारा ही मूत प दया जा सकता है। इस लए एक करदाता को समु चत प से कर
नयोजन करने हेतु कर बंध या क वहा रक जानकारी होना आव यक है। कर बंध के ारा
ही कर कानून क पूणतः पालना सु न त होती है। उ चत कर बंधन करदाता को याज, जुमाने एवं
अ भयोग आ द से सुर त रखता है। इस कार आयकर अ ध नयम के अंतगत करदाता के वैधा नक
उ रदा य व का पूणतः नवहन होने पर ही कर- नयोजन का उ े य स होता है।
3.3 वेतनभोगी करदाता एवं कर- नयोजन
आयकर अ ध नयम के अनुसार कसी क कर यो य आय क गणना करने के लए आय
को पाँच शीषक म बांटा जाता है। जनम वेतन से आय, ापार एवं पेशे से लाभ मकान स से
आय, पूंजी लाभ एवं अ य साधन से आय शा मल है। ापार एवं पेशे से लाभ के बाद वेतन से आय
शीषक म सवा धक कर राज व आयकर वभाग को ा त होता है। वेतन से कर यो य आय क गणना
के लए आयकर अ ध नयम म ावधान ह। जनके आधार पर कसी आय को वेतन से आय के
अंतगत शा मल कया जाता है। वेतन से आय म सामा यतः कमचारी को अपने नयो ा से ा त होने
वाला मूल वेतन, महंगाई भ ा व अ य भ ,े अनुलाभ एवं वेतन के ान पर लाभ आ द सभी को
शा मल कया जाता है। वेतन से आय क गणना का मूलभूत नयम यह है क कसी आय को वेतन
से आय शीषक म तभी शा मल कया जाता है जब वहां नयो ा एवं कमचारी का संबध ं पाया जाए।
अगर कसी भुगतान को वेतन का नाम दया जाता है। ले कन लेने वाले और दे ने वाले म नयो ा एवं
कमचारी का संबंध नह है तो ऐसे भुगतान को वेतन से आय शीषक म शा मल नह कया जाता। जैस
वधायक को मलने वाला वेतन आयकर वधान म वेतन से करयो य आय क गणना हेतु कु छ वशेष
ावधान दए गए ह। उन ावधान क व ा का लाभ वेतन शीषक क आय पर ही दया जाता
है। जैसे क वेतन शीषक म मानक कटौती, मनोरंजन भ े क आ द क कटौती दया जाना। पछले
वष से आयकर क दर के ढांचे म प रवतन महंगाई दर के अनु प न होने से ाई आय वाले
करदाता , जनम वेतन से आय वाले करदाता होते ह, का वा त वक कर भार तुलना मक प से
सवा धक बढ़ा है। य क कर मु आय क सीमा व कर क दर म प रवतन महंगाई दर के अनु प
न होने से इस ाई आय वग क वा त वक उपभो य आय कम ई है। ऐसी प र तय म एक
वेतनभोगी करदाता के लए यह आव यक हो जाता है क वह आयकर अ ध नयम के ावधान के
अनुसार पूरी कु शलता से कर नयोजन कर ता क अपनी वा त वक खच यो य आय को अ धकतम कर
सके ।
{२१}
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3.3.1 वेतनभो गय हेतु आयकर अ ध नयम क व ाएं


भारतीय आयकर वधान म वेतन शीषक से आय क गणना करते समय क तपय आय को
करदाता ारा नधा रत शत क पू त कये जाने पर उ ह कर यो य आय म शा मल नही कया
जाता। यह कर मु कु छ मद के संबंध म पूणतः होती है एवं अ य के संबध
ं म अंशतः होती है।
करदाता अ पकालीन एवं द घकालीन कर नयोजन को समु चत प से अपनाकर इन कर मु य का
पूरा लाभ उठा सकता है।
>> य द करदाता को कराया मु मकान क सु वधा एवं मकान कराया भ ा दोन म से एक
को चुनने का वक प हो तो उसे के मु त मकान क सु वधा को चुनना कर लाभ क से बेहतर
वक प होता है।
>> वैधा नक एवं मा णत भ व य न ध से नकासी क पूरी रा श कर कर मु होती है।
मा णत भ व य न ध क त म करदाता को कम से कम पाँच वष एक नयो ा के साथ सेवा
को जारी रखना कर लाभ क से एक बेहतर वक प होता है।
>> करदाता को य द पशन के बदले ा त होने वाली एकमु त रा श सरकारी कमचा रय के लए
पूणतः कर मु होती है। अ य कमचा रय के लए ऐसी रा श अगर े युट के साथ ा त हो तो
इसका एक तहाई भाग कर मु होता है अगर े युट क रा श साथ म ा त ना हो तो इसका आधा
भाग कर मु होता है।
>> करदाता को नयो ा ारा संचा लत अ ताल म उपल करवाई जाने वाली मु त
च क सक य सु वधा एवं च क सा भ े म से मु त च क सा सु वधा को चुना जाना बेहतर वक प
होता है। य क च क सा भ ा पूणत: कर यो य होता है एवं नयो ा ारा संचा लत अ ताल म द
गयी मु त च क सा क सु वधा पूणतः कर मु होती है।
>> वेतनभोगी करदाता को सेवा नवृ के समय अवकाश के नकद करण के लए ा त होने वाली
रा श नधा रत सीमा तक कर मु होती है। ले कन सेवा के दौरान छु य का वेतन पूणतः कर यो य
होता है। इस लए कमचारी ारा सेवा नवृ के समय तक अ धकतम सीमा तक छु य का
नकद करण टालना कर लाभ क से बेहतर वक प होता है।
>> अवकाश या ा सु वधा चार वष के एक समूह म दो बार तक कर मु होती है अतः कमचारी
को अपने एल ट सी का नयोजन इस कार से करना चा हए क येक चार वष के समूह म वह दो
बार तक इस सु वधा को उपयोग म ले एवं अ धकतम कर मु का लाभ उठाएं। अ धकतर भ एवं
अनुलाभ म से अनुलाभ को चुनना करदाता के लए कर लाभ क से बेहतर वक प होता है।

3.3.2 वेतनभोगी करदाता के लए कर नधारण वष 2022-23 म लागु ावधान


भारत म कर यो य आय के कार :-

{२२}
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आयकर व भ कार के करदाता जैसे य , ट , नगम आ द पर लागू होता है। इस लए,


आय के कई ोत ह जो भारत म आयकर के अधीन हो सकते ह। आयकर अ ध नयम, 1961 के
अनुसार भारत म कर यो य आय के कु छ व भ कार यहां दए गए ह:-
* वेतन या पशन से आय
इस ेणी के तहत, कर आमतौर पर मूल वेतन, भ े और वेतन से होने वाले लाभ पर लागू होते
ह। सेवा नवृ के बाद कसी क पशन पर भी आयकर लैब के आधार पर कर लगाया जाता
है। व ीय वष 2023-24 क आयकर लैब दर उस क उ के आधार पर भ होती ह जो
व ीय वष के दौरान वेतन या पशन ा त कर रहा है।
* वसाय से आय
वसाय से ा त मुनाफ़ा भी कर यो य आय के प म शा मल कया जाता है। इस वशेष
ेणी म कर उस अनुमा नत या वा त वक आय से ा त कया जाता है जो पेशे या वसाय से ा त
हो सकती है। हालाँ क, यह वीकाय कटौ तय म समायोजन कए जाने के बाद ही कया जाता है।
व वष 2023-24 म य और नगम क ावसा यक आय पर अलग-अलग दर लागू ह गी।
जब क नगम नगम कर के अधीन ह, ावसा यक आय वाले य पर नधारण वष 2023-24 के
लए आयकर लैब और दर के अनुसार कर लगाया जाएगा।
* गृह संप से आय
एक से अ धक गृह संप का मा लक होना और उ ह कराए पर दे ना अ त र आय कमाने का
एक आसान तरीका है। हालाँ क, ऐसे मामल म, गृह संप के कराये से ा त आय को करदाता क
आय का ह सा माना जाता है। इस लए यह आय व वष 2023-24 के लए आयकर लैब दर के
अनुसार कर यो य है।
* लॉटरी, घुड़दौड़ आ द जीतने से आय
लॉटरी जीतना, घुड़दौड़ आ द जैसे अ य ोत से होने वाली आय भारत म कर यो य है। हालाँ क,
च लत कर कानून के तहत, इन कमाई पर अलग से कर लगाया जाता है, न क व वष 2023-24
क आयकर लैब दर के अनुसार।
* पूंजीगत लाभ से उ प आय
पूंजीगत लाभ आय सोना, गृह संप , यूचुअल फं ड इकाइय , टॉक, डबचर इ या द जैसी
संप य क ब से ा त क जा सकती है। संप के कार और समय के साथ उस पर होने वाले
मुनाफे के आधार पर, इसे लंबी अव ध के प म वग कृ त कया जा सकता है। -टम या अ पका लक
पूंजीगत लाभ। भले ही ये आय आयकर व ा का ह सा ह, 2023-24 के पूंजीगत लाभ कर नयम
नधारण वष 2024-25 के लए आयकर लैब से वतं ह।
3.3.3 नधारण वष 2024-25 म आयकर पर अ धभार
मू यांकन वष 2023-24 यानी व ीय वष 2023-24 म 50 लाख से अ धक शु कर यो य आय
वाले उ आय समूह के करदाता को व वष 2023-24 के लए आयकर लैब दर के आधार पर
गणना क गई अपने आयकर पर अ धभार का भुगतान करना होगा। व ीय वष 2023-24 के लए
अ धभार क लागू दर इस कार है:

{२३}
____________________________________________________________________________________________

ोत: आयकर वभाग भारत

* नधारण वष 2021-22 के लए सामा य करदाता के लए मूल छू ट सीमा, जस आय तक


उसे कसी भी कर का भुगतान करने क आव यकता नह है, वतमान म 2.50 लाख पये तय क
गई है। तथा प, सेवा नवृ कमचा रय के लए जो 60 से 80 वष क आयु के बीच के व र नाग रक
भी ह, उनके लए बु नयाद छू ट सीमा 3 लाख पये के उ आंकड़े पर तय क गई है। अ त व र
नाग रक के लए जो 80 वष से अ धक आयु के ह, उनके लए यह छू ट सीमा 5 लाख पये
नधा रत क गई है। आपको ा त पशन छू ट सीमा से अ धक होने पर आय शीष 'वेतन' के तहत कर
यो य होती है।
* नधारण वष 2020-21 से आयकर अ ध नयम, 1961 क धारा 16 के अंतगत वष के दौरान अ जत
वेतन आय पर 50,000 पये क मानक कटौती क छू ट दान क गई है। 60 वष से अ धक आयु
के सेवा नवृ कमचारी जो अपने पूव नयो ा से पशन आय ा त करते ह, वे ऐसी पशन आय पर
50,000 पये क मानक कटौती का दावा कर सकते ह।

* येक जसक वष के लए अनुमा नत कर दे यता 10,000 पये या अ धक है, अ म कर


का भुगतान करने के लए उ रदायी है। तथा प, 60 वष से अ धक आयु के सेवा नवृ कमचारी को
कसी अ म कर का भुगतान करने क आव यकता नह है बशत उसको ापार या वसाय के लाभ
और अ भलाभ शीष के अंतगत कोई आय नह हो।
* न द रोग या बीमारी क च क सा उपचार के लए आपने व ीय वष 2018-19 के दौरान या उस
अव ध के बाद कसी भी रा श का भुगतान कया है ( नधारण वष 2019-20 ) या अगर आप एक
व र नगा रक है तो आप अपनी आय से 1,00,000 पये क कटौती का दावा कर सकते ह।
(आयकर अ ध नयम, 1961 क धारा 80डीडीबी)

* व र नाग रक के अलावा अ य करदाता को धारा 80 ट ट ए के अंतगत बचत बक खात


से याज आय के संबध
ं म 10,000 पये क अ धकतम कटौती क अनुम त द गई है।

{२४}
____________________________________________________________________________________________

3.4 कर क दर

ोत : आयकर वभाग भारत

{२५}
____________________________________________________________________________________________

3.4.1 उपसंहार
कर नयोजन के अंतगत करदाता आयकर अ ध नयम के ावधान का अपने प म अ धकतम
उपयोग करके अपने ारा दे य आयकर को यूनतम करने का यास करता है। इसके लए आव यक है
क करदाता कर नयोजन के बारे म अवधारणा मक जानकारी रखते ह । साथ ही करदाता को कर
नयोजन हेतु वेतन शीषक से संबं धत आयकर अ ध नयम के ावधान एवं कटौ तय आ द क
व ा क पूण जानकारी होना भी आव यक है। आयकर अ ध नयम म कर क दर नह द गई
ह। इस लए येक नधारण वष म वेतन से संबं धत कर यो य आय एवं दे य आयकर क रा श क
गणना हेतु वा षक व अ ध नयम म करदाता के संबंध म संशो धत कए गये आयकर ावधान
के बारे म जाग क रहना आव यक है।

{२६}
अ याय चतुथ
भारत म य कर
शासन - संगठन
एवं न पादन

{२७}
____________________________________________________________________________________________

भारत म य कर
शासन - संगठन एवं
न पादन

4.1 तावना
लोक क याणकारी सरकार को प रचालन एवं वकास काय के लए बड़ी मा ा म राज व क
आव यकता होती है। कर कसी भी सरकार के राज व ा त का सबसे मह वपूण साधन होता है।
वतमान सरकार ारा अनेक कार के कर लगाए जाते ह। इन अनेक कार के करो को लगाने का
उ े य कर के आधार को बढ़ाकर कर राज व म वृ करना एवं अ धकतम सामा जक क याण के
स ांत के आधार पर अ धकतम सामा जक लाभ को सु न त करना होता है। सरकार को कर चुकाने
एवं कर का अं तम भार वाहन करने के आधार पर इन कर को दो भाग म बांटा जाता है। थम वह
कर जसे सरकार को कर चुकाने वाला कसी अ य से कर क रा श को वा पस नह
वसूल सकता जैसे क आयकर, इस कार के कर य कर कहलाते ह। सरे वह कर जसे सरकार
को चुकाने वाला कसी अ य पर भा रत कर दे ता है जैसे क ब कर, इस कार के
कर अ य कर कहलाते ह। भारत म संसद ारा लगाए जाने वाले य कर म नगम कर व
आयकर मु य है। नगम कर भी कं प नय के लाभ पर ही लगने वाला कर है इस कार भारत क
कर णाली म आयकर का मुख ान है। वतं ता ा त के बाद से ही भारतीय आयकर वधान म
मह वपूण सुधार कए गए और इन सुधार को पूण भावी करने के लए आयकर वभाग क
शास नक संरचना म भी समय-समय पर मह वपूण प रवतन कए गए कसी भी वभाग का
शास नक ढांचा उसक काय कु शलता को नधा रत करता है। अगर नी त एवं वधान उ म ह ले कन
शास नक मता कमजोर हो तो कोई भी संगठन अपना े तम दशन नह कर सकता। इसी त य
को यान म रखते ए भारत म व भ स म तय और आयोग ने आयकर के शास नक ढांचे म
सुधार करने हेतु समय-समय पर मह वपूण सुझाव दए। ज ह सरकार ारा लागू भी कयागया। इन
स म तय एवं आयोग क चचा अगले अ याय म व तार पूवक क गई ह। इस अ याय म भारत म
य कर शासन के संगठन एवं य कर के शास नक वभाग आयकर वभाग के व वष
2014-15 से 2023-24 क अव ध के काय न पादन का मू यांकन व भ सूचक के आधार पर कया
गया है।
4.2 य कर वभाग का संगठना मक ढांचा
भारत म य करो से संबं धत सम त काया मक दा य व के नवहन के लए आयकर वभाग
काय करता है। आयकर वभाग के शासन के लए एक वैधा नक नकाय, क य य कर बोड क
ापना क गई है। क य य कर बोड भारतीय य कर णाली म शीष नकाय है। क य
य कर बोड, क य राज व बोड अ ध नयम 1963 के अंतगत ग ठत एक वैधा नक ा धकारी है।
{२८}
____________________________________________________________________________________________

वभाग क शीष नकाय के तौर पर क य राज व बोड पर कर बंधन का उ रदा य व क य


राज व बोड अ ध नयम, 1924 के प रणाम व प आया। ारं भक तौर पर बोड को दोन कार के
य तथा अ य कर का उ रदा य व स पा गया जब कर का बंधन एक ही बोड के लए
करना क ठन आ तब बोड को 1 जनवरी 1964 को दो भाग म वभ कर दया गया। जसे क य
य कर बोड तथा क य उ पाद एवं सीमा शु क बोड का नाम दया गया। यह वभाजन के य
राज व बोड अ ध नयम, 1963 के अनुसार कया गया। इसके साथ-साथ व भ े म 18 े य
मु यालय जमीनी तर पर काय करते ह। भारत म य करो से संबं धत नी त नमाण का काय
मु यतः क य य कर बोड ही करता है। इसके अ त र 10 वशेष नदे शालय भी ह। क य
य कर बोड व मं ालय के अधीन राज व वभाग का एक अंग है। क य य कर बोड म
एक अ य तथा न न ल खत छः सद य शा मल होते ह:-
1. अय
2. सद य (आयकर)
3. सद य ( व ध और क यूट करन )

4. सद य (कम और सतकता)
5. सद य (अ वेषण)
6. सद य (राज व)
7. सद य (लेखा एवं या यक)
क य य कर बोड आयकर वभाग के मा यम से य कर कानूनो के शासन के लए
उ रदायी है। आयकर वभाग कर दा य व के नधारण, य कर के सं ह, कर चोरी के मामल ,
राज व सतकता, कर के आधार का व तार, करदता को सेवाएं उपल करवाना एवं शकायत
समाधान ढांचा वक सत करना आ द काय के लए भी उ रदायी है। तीय तर पर 25 महा नदे शक
(आयकर) या मु य आयकर आयु ह जो आयकर अ धका रय को जांच करने, अनुसंधान करने एवं
ज ती के नदश दे ते ह। अगले तर पर नदे शक या आयु आयकर (अपील) होते ह। इनके पास भी
महा नदे शक के समान श यां होती है। इसके बाद अ त र आयकर आयु या अ त र आयु ,
आयकर (अपील) ह। जनके नयं ण म संयु नदे शक या संयु आयु आयकर, उप नदे शक,
सहायक नदे शक, सहायक आयु आयकर, आयकर अ धकारी, कर वसूली अ धकारी एवं आयकर
नरी क काय करते ह। इसके साथ-साथ आयकर वभाग म अपीलीय व ा के लए एक अलग
मशीनरी काय करती है। जसका मु खया आयकर आयु (अपील) होता है। इस नकाय का काय अथ
या यक कृ त का होता है आयकर आयु (अपील) आयकर नधारण अ धका रय के आदे श के
व अपील क सुनवाई करते ह। इसके अ त र एक नपटारा आयोग क ापना 1 अ ैल 1976
से क गई। यह आयकर दाता तथा आयकर वभाग के म य ववाद के नपटारे के लए काय
करता है। इस आयोग क दे श के चार महानगर म शाखाएं है। इस शास नक व ा को अपने
दा य व के नवहन हेतु शोध, ज ती, जुमाने आ द के व तृत अ धकार दए गए ह।
4.3 कर शासन का न पादन मू यांकन
भारत म य कर शासन क अ ययन अव ध के दस वष अथात व वष 2014-15 से
2023-24 क अव ध के काय न पादन का मू यांकन व श सूचक क सहायता से ब वार यहां
कया गया है। इन सूचक म कर आधार का व तार व गहराई, राज व वृ कर सकल घरेलू उ पाद
अनुपात, कर क उ लावकता, बकाया माँग, अपील मामले, कर वापसी मामले एवं लेखा परी ा
आ पे के न तारण क त, शा मल ह।

{२९}
_______________________________________________________________________________________

4.3.1 कर आधार का व तार


पछले दशक म आयकर वभाग ने सूचना ौ ो गक क सहायता से कर आधार के व तार
एवं गहराई को बढ़ाने के लए आधु नक उ त साधन तथा नवीण तकनीक को अपनाया है। जसके
प रणाम व प आलो य दशक के अ धकतर व वष म कर आधार के व तार तथा गहराई म
सकारा मक प रवतन दे खे गए ह। ता लका म अ ययन अव ध के व वष म गत आयकर
दाता , नगम करदाता एवं य कर के अंतगत कु ल करदाता क वषवार सं या तथा इसम
त वष ए प रवतन को दशाया गया है। अ ययन अव ध के दस वष म से सात वष ऐसे थे जनम
गत आयकर दाता क सं या म वृ दे खी गई है आलो य अव ध के थम व वष 2014-
15 म गत आयकर दाता क सं या 323 लाख थी जो क दस वष म बढ़कर 537 लाख से
अ धक हो गई थी। इस कार गत आयकर दाता क सं या म इन दस वष म 66 तशत से
भी अ धक वृ ई। इनम सवा धक वृ व वष 2022-23 म दे खी गई जो क 23 तशत से
अ धक थी। इसके अलावा इस अ ययन अव ध के तीन गत वष म गत आयकर दाता क
सं या म कु छ कमी भी दे खी गई। जसम सबसे अ धक कमी व वष 2018-19 म सबसे अ धक
कमी व वष 2017-18 म, गत वष क तुलना म 14% से अ धक थी। नगम करदाता क सं या
म भी अ ययन अव ध के दस वष म से नौ वष म तवष वृ दे खी गई।

नगम करदाता क सं या आलो य अव ध के थम वष 2014-15 म 3.28 लाख


थी, जो क व वष 2023-24 तक बढ़कर 7.19 लाख हो गई थी। इस कार अ ययन अव ध म
नगम करदाता क सं या म 120% से भी अ धक क वृ दे खी गई। के वल व वष 2014-15
एक मा ऐसा वष था जसम गत वष 2013-14 क तुलना म नगम करदाता क सं या म 32
तशत से अ धक क कमी दे खी गई थी।
{३०}
____________________________________________________________________________________________

रेखा च 4.3.1 करदाता मे वृ

2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24

2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24

करदाता क सं या म 32 तशत से अ धक क कमी दे खी गई थी। अ य सभी व


वष म गत वष क अपे ा नगम करदाता क सं या म वृ ही ई थी। इस कार गत
आयकर दाता के साथ नगम करदाता क सं या म भी वृ आलो य दशक म पया त मा ा म
ई है। जो क कर के बढ़ते ए आधार को दशाती है। अगर कु ल य करदाता क सं या क
बात कर तो यह व 2014-15 के 326 लाख से बढ़कर 2023-24 म 545 लाख हो गई थी और
अ ययन अव ध के दस वष म इन य करदाता क सं या म 67 तशत से भी अ धक क
वृ दे खी गई। उपरो व षे न से होता है क अ ययन अव ध के दस वष के दौरान भारत म
य कर के आधार म पया त वृ दे खी गई है जो क आयकर वभाग ारा कर आधार क वृ
के लए कए गए सूचना ौ ो गक एवं अ य नवाचार यास से ही संभव हो पाया है।

{३१}
____________________________________________________________________________________________

2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24

2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24

अगर कु ल य करदाता क सं या क बात कर तो यह व 2014-15 के 326 लाख


से बढ़कर 2023-24 म 545 लाख हो गई थी और अ ययन अव ध के दस वष म इन य
करदाता क सं या म 67 तशत से भी अ धक क वृ दे खी गई। उपरो व षे न से
होता है क अ ययन अव ध के दस वष के दौरान भारत म य कर के आधार म पया त वृ
दे खी गई है।

{३२}
____________________________________________________________________________________________

4.3.2 कर आधार क गहराई


वतं ता ा त के बाद से ही भारत म कर आधार के व तार के यास कए गए व भ
अथशा य का मत है क रा का कर आधार पूण व तृत होना चा हए और येक नाग रक को
अपनी कर दे य मता के अनुसार रा के वकास म कर ज र दे ना चा हए। भारत म आयकर सुधारो
के लए ग ठत व भ स म तय एवं आयोग ने भी कर आधार म व तार हेतु मह वपूण सुझाव दए
ह तथा क सरकार ने उन सुझाव को समय-समय पर लागू भी कया। ले कन कर राज व म वृ
हेतु के वल कर के आधार का व तृत होना ही पया त नह होता ब क उसके लए कर आधार क
गहराई का भी मह व होता है।
कर आधार के व तार म जहां करदाता क सं या को दे खा जाता है वह कर क गहराई म
उन करदाता के आय के तर को मह व दया जाता है ता क अ धक आय वाले करदाता पर उसक
आय के अनुपात म अ धक कर लगाया जा सके । ग तशील कर णाली को अपनाए जाने के कारण
भी कर आधार क गहराई के व षे न का मह व बढ़ जाता है। ले कन कर राज व म वृ हेतु के वल
कर के आधार का व तृत होना ही पया त नह होता ब क उसके लए कर आधार क गहराई का भी
मह व होता है। कर आधार के व तार म जहां करदाता क सं या को दे खा जाता है वह कर क
गहराई म उन करदाता के आय के तर को मह व दया जाता है। य क कर आधार क गहराई
और कर का आधार का व तार दोन मलकर ही कर राज व क मा ा को नधा रत करते ह।
अ ययन अव ध के दस वष क गत आयकर दाता एवं नगम करदाता क संरचना
ता लका म दशाई गई है।
इस परेखा के अनुसार गत व नगम करदाता को पाँच े णय म वभ कया गया
है। गत करदाता के मामले म ेणी 'अ' के अंतगत ऐसे करदाता को रखा गया है जनक
गत वष क आय या हा न ₹2 लाख से कम है। इसके बाद ेणी 'ब' 1 म ऐसे न न आय तर वाले
ऐसे करदाता को शा मल कया गया है जनक गत वष क आय या हा न ₹ 2 लाख से ₹5 लाख
क सीमा के भीतर है। उसके प ात ेणी 'ब'2 म उ आय वग वाले करदाता को लया गया है
जनक आय या हा न गत वष म ₹ 5 लाख से अ धक व ₹ 10 लाख से कम है और इसके प ात
ेणी 'स' म 10 लाख पए से अ धक वा षक आय या हा न वाले करदाता को रखा गया है। ेणी
'द' म शोध व ज त क कायवाही से संबं धत करदाता को ही रखा गया है।
ता लका म व वष 2014-15 एवं व वष 2023-24 के गत आयकर दाता के
ेणीवार तुलना मक आंकड़े तुत कए गए ह। जसके अंतगत दशाया गया है क ेणी 'अ' के
अंतगत व वष 2014-15 म कु ल गत करदाता के 86.11% करदाता थे जब क व वष
2023-24 म यह घटकर 11.37% ही रह गए थे इस कमी का कारण इस ेणी के अंतगत आने वाली
आय सीमा म आ प रवतन भी था। व वष 2014-15 म ेणी 'ब'1 म 9.63% गत आयकर
दाता थे जो क व वष 2023 म बढ़कर 67.04% हो गए थे। इस कार ेणी 'ब'2 म 2014-15 म
गत आयकर दाता का अंश 3.38% था। जो क व वष 2023-24 म बढ़कर 14.76 तशत
हो गया था। इसी कार ेणी 'स' म व वष 2014-15 म के वल 0.82% करदाता थे जो क व
वष 2023-24 म बढ़कर 6.88% हो गए थे। व वष 2014-15 एवं 2023-24 के गत करदाता
के ेणीवार आंकड़ का तुलना मक अ ययन कए जाने से होता है क इन पाँच वष म
गत आयकर दाता क संरचना म बड़ी मा ा म प रवतन ए ह। नीची आय ेणी म
गत आयकर दाता क संरचना म बड़ी मा ा म प रवतन ए ह। नीची आय ेणी वाले
करदाता ऊंची आय ेणी म ानांत रत हो गए। इस कार से कर आधार क गहराई म पया त वृ
इस अव ध म दे खी गई है।
सालाना एक करोड़ पये से अ धक आय वाले गत करदाता क सं या पछले दो साल
म माच, 2022 तक दोगुनी होकर 1.69 लाख हो गई है. आकलन वष 2022-23 के कर रटन के
आंकड़ ( व वष 2021-22 क अ जत आय से संबं धत) के अनुसार, कु ल 1,69,890 लोग ने
सालाना आय एक करोड़ पये से अ धक दखाई है.
{३३}
____________________________________________________________________________________________

इससे पूव आकलन वष 2021-22 म ऐसे लोग क सं या 1,14,446 थी. आकलन वष 2020-21
म 81,653 य ने अपनी आय एक करोड़ पये से अ धक दखायी थी.
आकलन वष 2022-23 म 2.69 लाख इकाइय ने अपनी आय एक करोड़ पये से अ धक
दखायी. इन इकाइय म गत करदाता, कं पनी, फम और यास शा मल ह. आकलन वष 2022-23
म भरे गये आईट आर क सं या 7.78 करोड़ रही जो आकलन वष 2021-22 और 2020-21 म मश:
7.14 करोड़ और 7.39 करोड़ थी.

रा यवार दे खा जाए तो आकलन वष 2022-23 के लये महारा शीष पर रहा जहां 1.98 करोड़
आयकर रटन दा खल कये गये. उसके बाद उ र दे श (75.72 लाख), गुजरात (75.62 लाख) और
राज ान (50.88 लाख) का ान रहा.

जून 2022 तक, "सामा य करदाता" ेणी के तहत भारत म व तु और सेवा कर का


भुगतान करने के लए उ रदायी सं ा क सं या म 11.9 म लयन से अ धक करदाता शा मल थे।
जीएसट को भारत सरकार ारा 1 जुलाई, 2017 को व तु और सेवा क आपू त पर एक
अ य कर के प म पेश कया गया था, जसने दे श म लगाए गए अ धकांश मौजूदा अ य कर
को बदल दया। जब क जीएसट का भुगतान उपभो ा ारा कया जाता है, इसे सामान और सेवाएं
दान करने वाले वसाय ारा सरकार तक प ंचाया जाता है। कु ल मलाकर, इस दौरान 13.8
म लयन से अ धक पंजीकृ त जीएसट करदाता थे।
50% बढ़े करोड़प त टै सपेयस!
2022-23के इनकम टै स रटन फाइ लग डेटा के मुता बक ITR फाइल करने वाल म 1 करोड़
पये से यादा इनकम वाले टै सपेयस क सं या 2.69 लाख रही है. ये आंकड़ा 2018-19 के 1.80
लाख के मुकाबले 49.4 फ सद यादा है. 2021-22 म 1 करोड़ पये से यादा कमाने वाल क
सं या 1.93 लाख थी. वह बीते 4 सालो म 1 करोड़ पये से यादा कमाने वाल क सं या म 50
फ सद का उछाल आया है. अगर बात कर 1 करोड़ पये से यादा इनकम टै स दे ने वाले टै सपेयस
{३४}
____________________________________________________________________________________________

क सं या क तो 2019-20 के मुकाबले इसम 41.5 फ सद का इजाफा दे खा गया जब क 5


लाख पये से यादा इनकम टै स दे ने वाल क सं या म महज 0.6 फ सद का इजाफा आ है.
2018-19 के मुकाबले 5 लाख से 10 लाख पये तक के टै स क
े े ट म 1.10 करोड़ टै सपेयस रहे ह.
इन आंकड़ से साफ हो जाता है क दे श म तेजी से अमीर क सं या बढ़ रही है और एक करोड़ से
यादा कमाने वाले बढ़ते जा रहे ह।
माच 2023 के महीने म एक त सकल जीएसट राज व ₹1,60,122 करोड़ है, जसम सीजीएसट
₹29,546करोड़ है, एसजीएसट ₹37,314 करोड़ है , आईजीएसट ₹82,907 करोड़ है (माल के आयात
पर एक ₹42,503 करोड़ स हत) और उपकर है। ₹10,355 करोड़ (माल के आयात पर एक ₹960
करोड़ स हत)। चालू व वष म यह चौथी बार है क सकल जीएसट सं ह 1.5 लाख करोड़ पये
को पार कर गया है, जो जीएसट लागू होने के बाद से सरा सबसे बड़ा सं ह है। इस महीने अब
तक का सबसे अ धक IGST सं ह दे खा गया।
सरकार ने नय मत नपटान के प म आईजीएसट से सीजीएसट को ₹33,408 करोड़ और
एसजीएसट को ₹28,187 करोड़ का नपटान कया है। आईजीएसट नपटान के बाद माच 2023 म
क और रा य का कु ल राज व सीजीएसट के लए ₹62,954 करोड़ और एसजीएसट के लए
₹65,501 करोड़ है।

माच 2023 महीने का राज व पछले साल के इसी महीने के जीएसट राज व से 13% अ धक है।
माह के दौरान, माल के आयात से राज व 8% अ धक था और घरेलू लेनदे न (सेवा के आयात
स हत) से राज व पछले वष के इसी महीने के दौरान इन ोत से ा त राज व से 14% अ धक है।
माच 2023 के दौरान रटन फाइ लग अब तक क सबसे यादा रही है। माच 2023 तक चालान के
93.2% ववरण (जीएसट आर-1 म) और फरवरी के 91.4% रटन (जीएसट आर-3बी म) दा खल कए
गए, जब क पछले साल इसी महीने म मशः 83.1% और 84.7% दा खल कए गए थे।
2022-23 के लए कु ल सकल सं ह ₹18.10 लाख करोड़ है और पूरे वष के लए औसत सकल
मा सक सं ह ₹1.51 लाख करोड़ है। 2022-23 म सकल राज व पछले वष क तुलना म 22%
अ धक था। व वष 2022-23 क अं तम तमाही के लए औसत मा सक सकल जीएसट सं ह
₹1.55 लाख करोड़ रहा है, जब क पहली, सरी और तीसरी तमाही म औसत मा सक सं ह ₹1.51
लाख करोड़, ₹1.46 लाख करोड़ और ₹1.49 लाख करोड़ रहा है। मश।
नीचे दया गया चाट चालू वष के दौरान मा सक सकल जीएसट राज व म झान दखाता है।
ता लका माच 2022 क तुलना म माच 2023 के महीने के दौरान येक रा य म एक जीएसट के
रा य-वार आंकड़े दखाती है।

{३५}
____________________________________________________________________________________________

गत करदाता क संरचना

4.3.3 कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात


सरकार का यह यास रहता है क कर के आधार म पया त व तार कया जावे। कर के
आधार म व तार का उ े य कर राज व म वृ करना होता है। कर शासन ारा सं हत कर
राज व दे श क आ थक ग त व धय के अनु प पया त है या नह इस के उ र के लए कर
सकल घरेलू उ पाद अनुपात का उपयोग कया जाता है। ऊंचा कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात यह
दशाता है क दे श म कर राज व क ा त आ थक ग त व धय के अनु प पया त मा ा म हो रही
है। न न कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात दे श कर णाली क कमी को दशाता है।
इसका आशय है क दे श क कर नी त या कर शासन म सुधार क आव यकता है। भारत म
कर सुधार को लागू कए जाने से कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात म लगातार पया त वृ दे खी गई
है । अ ययन अव ध के 10 वष के कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात के आंकड़ का व षे ण करने
पर
{३६}
____________________________________________________________________________________________

पाया गया क इस अव ध के दौरान कर सकल घरेलू उ पादन अनुपात लगभग र रहा।


इसका व तार 5.5 से लेकर 6.0 के म य रहा। अ ययन अव ध के दौरान के कर-सकल घरेलू उ पाद
अनुपात को ता लका 4.3.3 (अ) म दशाया गया है। इसी कार अगर गत आयकर दाता के
कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात क बात क जाए तो यह अ ययन अव ध के दौरान 1.88 से बढ़कर
2.43 हो गया था। इस कार व वष 2014-15 से 2023-24 क अ ययन अव ध के दस वष म
गत आयकर दाता के कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात म 33% वृ दे खी गई।

{३७}
____________________________________________________________________________________________

4.4 उपसंहार
य कर शासन ारा अ ययन अव ध 2014-15 से 2023-24 के दौरान कए गए काय
न पादन के व भ सूचक के आधार पर कये गये मू यांकन म पाया गया क आलो य दशक म
आयकर वभाग का दशन कु छ मापद ड पर तो संतोष द रहा ले कन कु छ मोच पर अभी काफ
सुधार अपे त है। चूं क आयकर वभाग का ारं भक उ े य कर राज व म वृ करना है जसके
लए सम त आयोजन कए जाते ह। कर शासन क सफलता मु यतः इसी बात पर नभर करती है
क कर आधार व तृत हो एवं कर सं ह म अपे ा के अनु प वृ हो तथा रा के सकल घरेलू
उ पाद एवं जनसं या से इसका तारत य दखाई दे । आयकर वभाग ारा कए गए काय न पादन क
ब वार चचा के दौरान पाया गया क यादातर सूचक पर आयकर वभाग ने अ ा न पादन कया
है। आलो य अव ध के दौरान कु ल य करदाता क सं या म लगभग 70 तशत से अ धक
वृ दे खी गई। अगर गत आयकर दाता क बात क जाए तो इनम भी लगभग 66 तशत
क वृ यी एवं नगम करदाता म तो 120 तशत क वृ इस अव ध के दौरान दे खी गई।
व वष 2014-15 म जहां कु ल य करदाता क सं या 326 लाख थी वह बढ़कर व वष
2023-24 म 545 लाख प च ं गई थी।
इस कार करदाता क सं या के मामले म अ वृ दे खी गई ले कन अभी भी भारत क
कु ल जनसं या को दे खते ए करदाता क सं या इसके 4% से भी कम है। इस कार कर आधार
के व तार म अभी सुधार क महती आव यकता है। अगर गत करदाता क संरचना को दे खा
जाए इस अव ध के दौरान कम आय वग से अ धक आय वग म करदाता का ानांतरण सराहनीय
रहा। जससे कु ल आयकर सं ह म अपे त वृ ई। इसी कार नगम करदाता क संरचना म
भी सकारा मक प रवतन अ ययन अव ध के दौरान दे खे गये।
अ ययन अव ध के दौरान गत आयकर दाता से य कर सं ह 106 हजार करोड से
408 हजार करोड़ हो गया था। अतः इसम इस अव ध के दौरान लगभग 300% क वृ दे खी गई।
इसी कार नगम करदाता से य कर सं ह म भी लगभग 150% क वृ इस अव ध म दे खी
गई और कु ल आयकर सं ह क बात कर तो यह अ ययन अव ध म बढ़कर 3 गुना हो गया था। इस
कार अ ययन अव ध म आयकर सं ह म अ ा झान दे खा गया है। ले कन दे श क कु ल जनसं या
को दे खते ए आज भी आयकर सं ह पया त नह कहा जा सकता। इस लए अभी कर का आधार
बढ़ाने एवं कर सं ह म ती ता लाने क आव यकता है।

{३८}
अ याय पंचम्

भारत म
आयकर सुधार

{३९}
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भारत म आयकर सुधार

5.1 तावना

कर एक अ नवाय शु क या व ीय शु क है जो कसी भी सरकार ारा कसी या


संगठन पर सावज नक काय जैसे; सव म सु वधाएं और बु नयाद ढांचा के नमाण हेतु आव यक
राज व क पू त हेतु लगाया जाता है। वतं भारत म य द व ीय व ा के अंतगत कर संरचना क
बात कर तो कर को दो कार से वग कृ त कया जाता है- य कर, अ य कर।
य कर एक ऐसा कर है जो एक या संगठन ारा य यानी सीधे तौर पर उस सं ा
को दया जाता है जसने इसे अ धरो पत कया है। उदाहरण के लये एक गत करदाता, आयकर,
वा त वक संप कर, गत संप कर स हत व भ उ े य के लये सरकार को य कर का
भुगतान करता है।
य द अ य कर क बात क जाए तो यह एक ऐसा कर है जसे व तु और सेवा पर उस
ाहक तक प च ँ ने से पहले अ धरो पत कया जाता है जो अंततः खरीदे गए सामान या सेवा के
बाज़ार मू य के ह से के प म अ य कर का भुगतान करता है। उदाहरण के लये व तु एवं सेवा
कर (जीएसट ), आयात शु क।
भारत म च लत वतमान कराधान णाली क आर क जड़ जे स व सन ारा वष 1860 म
तुत कये गए थम भारतीय बजट म खोजी जा सकती है। इस बजट म पहली बार व सन ने कर
कानून और कागज क मु ा के चलन क बात कही। व सन ारा तुत कये गए कर संबध ं ी
कानून का तीखा वरोध भी आ।
टश भारत के शास नक अफसर चा स े वे लयन ने द वीक नामक अखबार म अपनी बात
रखते ए कहा क रा य उन लोग पर कर कै से लगा सकता है जनका सरकार म कोई त न ध व
नही है। े वे लयन ारा सरकार म ह सेदारी के संबंध उठाया गया ये सवाल बाद म ग ठत ई
राजनी तक सं ा जैसे इं डयन एसो सएशन, भारतीय रा ीय कां स े के ारा जोरशोर से उठाया
गया। य द भारत क वतं ता से पहले मुख कर सुधार क बात कर तो वष 1935 के भारत शासन
अ ध नयम के अंतगत व तु क ब पर कर अ धरोपण को रा य सूची म शा मल कया गया था।
अ ध नयम के इसी ावधान के आधार पर सबसे पहले म ास म वष 1939 म ब कर संबंधी
कानून बने। इसके बाद 1941 म पंजाब व अ य रा य म भी ब कर स ब ी ावधान लाए गए।

{४०}
____________________________________________________________________________________________

भारतीय वतं ता के एक दशक बाद यानी वष 1957-1958 के व ीय वष हेतु तुत कए गए


बजट म त कालीन व मं ी ट .ट .कृ णामचारी ने स य आय और न य आय के म य अंतर
बताते ए स य आय के तहत नौक रय और ापार को रखा जब क न य आय के तहत कराये
पर द गई संप य और याज को रखा। इसके साथ ही कसी भी क म के आयात हेतु लाइसस को
ज री कर दया गया। संप कर भी लगाया गया व सीमा एवं उ पाद शु क को 400 फ सद तक
बढ़ा दया गया।
कर सुधार क या म वष 1974 म एल के झा स म त ग ठत क गई। इ ह ने उ पाद पर
मू यव धत कर अथात वैट लगाने क सं तु त द । वैट एक अवधारणा है और इसे ब कर के
समु य के अंतगत रखा जा सकता है। दरअसल एक व तु व भ चरण जैसे फै , वतरक, थोक
व े ता, खुदरा कानदार से होते ए अं तम खरीदार तक प च ँ ती है। ऐसे म ये सभी हतधारक अपना
-अपना मुनाफा भी लेते है। वैट इ ह मुनाफ पर लगने वाला एक कर है।

वष 1976 म त कालीन व मं ी ारा कर सुधार के अंतगत कर दर को कम कया गया। यहाँ


पर ोत आधा रत कर क अवधारणा को तुत कया गया। इन कर सुधार का भाव अगले 30
साल तक बना रहा। वोडाफोन और कर अ धका रय के म य कर संबध ं ी ववाद के लए ई लड़ाई
इसका एक उदाहरण है। दरअसल वोडाफोन ारा भारतीय टे लीकॉम कं प नय म कये गए अ य
अ ध हण को कर अ धका रय ारा कराधान क प र ध म लाया गया था। इस करारोपण के व
वोडाफोन सु ीम कोट गई। हालां क सु ीम कोट ने फै सला वोडाफोन के प म ही सुनाया।
आपातकाल के बाद 24 माच 1977 को मोरारजी दे साई दे श के धानमं ी बनते ह। इनक
सरकार म व मं ी ही भाई एम पटे ल ारा व वष 1978-1979 के लए बजट तुत कया जाता
है। इसके अंतगत वदे शी कं प नय के लए ये अ नवाय कया जाता है क वे कसी भारतीय कं पनी के
साथ मलकर ही यहां बजनेस कर। इसके बाद वदे शी कं पनी और भारतीय कं पनी के संयु नाम
वाली कं प नयां सामने आती ह। मा ती सुजुक , हीरो-ह डा इसी के उदाहरण ह। कोका कोला ारा इस
शत को नह माना गया था इसी कारण उस दौर म उनका अ त व समा त हो गया था।
इसके बाद अथ व ा म उन कर सुधार को तुत कया जाता है जनक बदौलत भारत आज व
क पाँच शीष अथ व ा म शा मल है। वष 1991 म त कालीन व मं ी मनमोहन सह ारा
तुत कये गए बजट म आ थक उदारीकरण क एक नई इबारत गढ़ जाती है। इसके अंतगत
भारतीय अथ व ा म उदारीकरण, नजीकरण और वै ीकरण के वचार को शा मल कया जाता है।
हालां क व संबध ं ी मामल के वशेष इन आ थक सुधार के पीछे व नाथ ताप सह क सरकार
ारा लाइसस राज को ख म करने को मानते ह। इसी सुधार के बर स भारत मे सोने क त करी म
गरावट आई य क अब सोने का दाम पहले क अपे ा काफ यादा गर चुका था।
5.2 य कर सुधार हेतु ग ठत व भ स म तयां
भारतीय कर णाली म आव यक सुधार हेतु सरकार ारा समय-समय पर व भ स म तय एवं
आयोग का गठन कया गया। इन स म तय ने दे श के ता का लक आ थक एवं सामा जक प रवेश को
यान म रखते ए भारतीय कर णाली म सुधार हेतु मह वपूण सुझाव दए। जनम से मुख क
चचा यहां ासं गक है।
5.2.1 मथाई आयोग (1953-54)

भारत म वतं ता ा त के प ात यह कराधान पर ग ठत थम आयोग था। इस आयोग का


काय े बड़ा व तृत था। इस आयोग ारा स ूण भारतीय कर णाली क सम प से समी ा क
गयी। य प इस आयोग का गठन ग तशील कर णाली पर सुझाव दे ने के लए कया गया था
तथा प दे श म बचत एवं व नयोग को बढ़ाने म कराधान क सकारा मक भू मका सु न त करने हेतु

{४१}
____________________________________________________________________________________________

सभी आव यक सुझाव इस आयोग ने तुत कए। इस आयोग ने धनकर, उपहार कर तथा पूंजी
लाभ पर लगने वाले कर पर असहम त जताई। साथ ही नमक पर कर पुनः लगाने को भी उ चत नह
ठहराया धनकर एवं उपहार कर का वरोध इनके शासन तथा सं हण लागत के कारण कया गया।
पूंजी लाभ पर कर दे श म व नयोग को नकारा मक प से भा वत ना कर पाएं, इस लए इ हे लागु
करने पर भी आयोग ने असहम त जताई थी। इसके साथ ही मथाई आयोग ने कर क ऊंची सीमांत
दर को भी अनु चत ठहराया।
5.2.2 नकोलस कालडोर (1956)

सरी पंचवष य योजना हेतु संसाधन क व ा के प रपे ः भारतीय कर णाली म वशेषतः


गत एवं वसा यक कर क समी ा करने के लए ो. नकोलस कालडोर को भारत सरकार
ारा 1955 म आमं त कया गया था। ो. कालडोर ने 1956 म अपनी रपोट 'इं डयन टै स रफॉ स:
रपोट ऑफ ए सव तुत क । इ होने गत य पर सापे क प से ग तशील कर लगाने क
सफा रश क तथा कर के आधार को व तृत करने के लए संपदा कर, पूंजी लाभ पर कर, उपहार
कर और गत य कर लगाने क वकालत क । इसके साथ ो. कालडोर ने कर क चोरी को
रोकने के लए भी मह वपूण सुझाव दए। जनके अंतगत य कर के लए एक ही व तृत कर
ववरणी भरवाये जाने का सुझाव दया। साथ ही स य के ानांतरण पर भी व तृत ववरणी
भरना अ नवाय करने का सुझाव दया गया। ोफे सर कालडोर ने आयकर क उ तम दर 45% तक
सी मत करने का ी स यान दया था।
5.2.3 य कर शासन जांच स म त (1959)

इस स म त का गठन सन् 1958 म ी महावीर यागी क अ य ता म कया गया था। स म त


ने 1959 म अपना तवेदन सतुत कया। इस स म त के गठन का उ े य कर क चोरी को समा त
करने एवं करदाता क क ठनाईय को कम करने के लए य कर पर सरकार को इनके शासन,
संगठन तथा य कर पर एक कृ त योजना को लागू करने हेतु सुझाव दे ना था। ोफे सर कालडोर के
वपरीत इस स म त ने सभी य कर के लए एक व तृत कर ववरणी तुत करने क व ा
का समथन नह कया। इसके साथ-साथ य कर के शासन म आयकर वभाग क मता को
बढ़ाने हेतु इसम अ धका रय क मा ा व गुणव ा बढ़ाने का सुझाव भी स म त ने दया। आयकर
अ धका रय क नय मत श ण व ा ा पत करने हेतु भी बल दया गया। इस स म त के
यादातर सुझाव को सरकार ारा मान लया गया।
5.2.4 भूत लगम स म त (1967)

इ ह भारत सरकार ारा य कर संरचना के ववेक करण एवं सरलीकरण पर सुझाव दे ने


हेतु आमं त कया गया था। इ ह ने गत आयकर के मामले म छू ट क सीमा को बढ़ाने का
सुझाव दया। साथ ही लाभांश पर कर को समा त करने का भी सुझाव ी भूत लगम ने दया।
5.2.5 य कर जांच स म त (1971)

काले धन तथा कर चोरी क सम या क जांच कर समाधान हेतु सुझाव दे ने के लए यायमू त के .


एन. वांचू क अ य ता म भारत सरकार ारा 1971 म इस स म त का गठन कया गया। इस स म त
ने सुझाव दया क गत आयकर क अ धकतम दर को 75% तक लाया जाए एवं कृ ष आय पर
आयकर लगाने एवं उसे नय मत करने क श क सरकार को द जानी चा हए। इसी कमेट ने
करदाता को ाई खाता सं या दे ने का सुझाव भी दया। यह स म त वमु करण के प म थी।
स म त ने कर शासन म सुधार हेतु भी मह वपूण सुझाव दए ।
5.2.6 य कर कानून स म त (1977)

भारतीय कर णाली को ववेकशील एवं सरल बनाने हेतु सुझाव दे ने के लए ी सी.सी. चौकसी क

{४२}
____________________________________________________________________________________________

अ य ता म इस स म त का गठन कया गया। स म त ने सन 1978 म अपनी रपोट तुत


करते ए व भ य कर के लए एक एक कृ त योजना तुत क । जसम आयकर, धनकर
उपहार कर आ द शा मल हो और स म त नेइन कर के लए शास नक एवं या मक ावधान के
लए अलग कानून बनाने का भी सुझाव दया। इस स म त ने यह भी सुझाव दया क कर क दर
आयकर अ ध नयम म ही द जानी चा हए।
5.2.7 झा स म त (1981)

सन् 1981 म आ थक शासन सुधार आयोग के नाम से ी झा क अ य ता म इस आयोग का


गठन भारत सरकार ारा कया गया। इस आयोग का काय आयकर वभाग के आयकर कानून, कर
नधारण या एवं संगठना मक त क समी ा करना था। आयोग ने अपना तवेदन 1983 म
तुत कया। आयोग ने अपने तवेदन म यह सुझाव दया क वेतनभोगी करदाता ारा अपने
नयो ा को आव यक ववरण उपल करवाते ए इस आशय का आवेदन दे ने पर उसक अ य
शीषक से आय पर दे य आयकर क रा श क भी उसे भुगतान कए जाने वाले शु वेतन म से
कटौती करवाने क अनुमती होनी चा हये। इसी आयोग ने ही आयकर वभाग म सव थम
कं यूटरीकरण क शु आत का सुझाव दया। उ ह ने सुझाया क शु आत म सी मत पैमाने पर ोत
पर कर क कटौती क ववर णय क जांच करने तथा सां यक आंकड़ के संधारण हेतु कं यूटर का
उपयोग कया जाना चा हए तथा उसके बाद कर नधारण एवं अनुसंधान तक इसके अनु योग को
बढाया जाना चा हए।
5.2.8 कर सुधार स म त (1991)

इस स म त का गठन ी राजा चेलैया क अ य ता म भारत सरकार ारा नई आ थक नी त


के संदभ म य व अ य कर का णाली का अ ययन करने के लए कया गया स म त ने कर
णाली क व भ कोण से समी ा करते ए अपनी रपोट दसंबर 1991 तथा अग त 1992 म
तुत क । स म त ने अपने अ ययन म यह अनुभव कया क आयकर अ ध नयम म ावधान क
ब लता एवं उनके पयोग से बचाव के सुर ा उपाय से शासन पर अनाव यक दबाव एवं कायभार
बढा है। आयोग ने अपनी रपोट म यह भी बताया क कटौ तयां अ सर यादा समृ करदाता को
अनाव यक कर लाभ दान करती ह। सामा य करदाता इनका उपयोग करने म समथ नह होते।
स म त ने कर क दर को कम करने तथा कर के आधार को बढ़ाने के लए यादातर कर ेरणा
को समा त करने का सुझाव दया। स म त ने कं यूटरीकरण के मा यम से कर णाली को सरल बनाने
एवं आयकर वभाग को आधु नक करने के साथ-साथ कर वतन को भी बेहतर करने का सुझाव
दया। ी राजा चेलैया स म त के लगभग सभी सुझाव को अपना लया गया एवं 1991 से शु ए
वाले दशक म इ ह लागू कया गया।
5.3 वेतनभोगी करदाता से संबं धत कर सुधार
व भ स म तय एवं आयोग ारा दए गए सुझाव के आधार पर य कर संरचना तथा कर
शासन म सुधार हेतु समय-समय पर सरकार ारा आव यक कदम उठाए गए।
5.3.1 अ धभार एवं श ा उपकर
सव थम सन 1931-32 म आयकर के आठव भाग के बराबर भारत म पहली बार अ धभार
लागू कया गया था। यह कं पनी करदाता के साथ अ य सभी करदाता पर भी समान प से
लागू था। 1951 म अ धभार को आयकर के साथ वलय कर दया गया ऐसा आयकर क दर को
सरलीकृ त करने के लए कया गया था। 1951 के बाद से ही अ धभार नय मत प से भारतीय कर
णाली का ह सा बना आ है। हालां क भारतीय सं वधान म यह व ा क गई है क भारत
सरकार के वल तभी अ धभार लगा सकती है जब कोई आपातकाल हो ले कन अब यह एक सामा य

{४३}
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परंपरा बन गई है क अ धभार नय मत प से लगाया जाता है। पछले 60 वष से जब से आयकर


अ ध नयम लागू है, यादातर वष म अ धभार अथवा श ा उपकर लागू रहे ह। हालां क सरकार ने
अ धभार के भार से न न व म यम आय वग को मु रखा है। अतः अ धभार ने यादातर उ आय
वग को ही भा वत कया है। व वष 1994-95 म 12 तशत अ धभार को थम बार त कालीन
व मं ी डॉ मनमोहन सह, जो क बाद म भारत के धानमं ी भी रहे, ने हटा लया था। उसके बाद
फर से 1999-2000 व वष म अ धभार को लागू कया गया।
5.3.2 मानक कटौती
आयकर अ ध नयम म वेतनभोगी करदाता को उनक वेतन से कर यो य आय म से एक
न त तशत रा श क कटौती एक अ धकतम सीमा के साथ वीकृ त क जाती थी। जसे व वष
2005-06 से बंद कर दया गया था। जसे अब पुनः लागु कया गया है। 10व योजना के लए कर
नी त व कर शासन से संबं धत बनाए गए सलाहकार समूह ने भी मानक कटौती को हटाने का
सुझाव दया था। इसके अलावा य कर पर ग ठत कए गए काय दल ने भी वेतन म से मानक
कटौती को, अ य शीषक से आय वाले करदाता के व भेदभाव माना था। इस कार भारत म
मानक कटौती ववाद का वषय रही है। मानक कटौती कए जाने के प म तक यह था क
वेतनभोगी करदाता को भी आय कमाने के लए कु छ खच करना पड़ता है जैसे क सवारी, कताब
या अ य कसी पेशवे र सामान क खरीद आ द पर इस कारण से वेतनभोगी करदाता को भी अ य
शीषक , जैसे वसाय से आय वाले करदाता के समान, अपने य को अपनी सकल आय मे से
कम करने का अ धकार दया जाना चा हए य क अ य शीषक से आने वाले सभी करदाता अपनी
सकल आय म से खच को घटाने का अ धकार रखते ह जैसे ापार एवं पेशे शीषक से सकल आय
म से वीकृ त य क कटौती द जाती है।
इसी कार मकान स शीषक म भी वीकृ त य क कटौती द जाती है। इसी कार से
अ य शीषक म भी यथा ान पर करदाता को अपनी सकल आय म से ऐसे खच क कटौती
करने का अ धकार दया गया है। इसी आधार पर एक वेतनभोगी करदाता को भी अपनी वेतन से
आय म से कत पूण करने के लए कए जाने वाले खच क कटौती के प म मानक कटौती
वीकृ त क गई थी। व वष 1974 तक वेतनभोगी करदाता को अपने ारा कए गए खच के
सा य तुत करने पर उ ह वीकृ त खच को कटौती के प म वीकार कया जाता था। जसे व
वष 2005-06 से बंद कर दया गया था। दसव योजना के लए कर नी त एवं कर शासन पर ग ठत
कए गए सलाहकार समूह ने भी मानक कटौती को हटाने का सुझाव दया था। इसके अलावा य
करो पर बनाए गए काय दल ने भी वेतन म से मानक कटौती को अ य शीषक से आय वाले
करदाता के व भेदभाव माना था।
5.4 उपसंहार
उदारीकरण, नजीकरण और वै ीकरण सुधार के दौरान ही कर सुधार के लए वष 1991-1992
म राजा चेलैया कर सुधार स म त ग ठत क गई। इसी स म त क सं तु तय के आधार पर वष 1994
म सेवा शु क अथात स वस टै स क अवधारणा लाई गई। इसके बाद व वष 1997-1998 म व
मं ी ारा बजट तुत कया जाता है और इसे ीम बजट क सं ा द जाती है। इसके अंतगत
आ थक सुधार का एक मुक मल खाका ख चा जाता है। आय कर को 40 फ सद से घटाकर 30
फ सद कर दया गया जब क कॉरपोरेट टै स से सरचाज अथात उपकर हटा लया गया। इसके साथ
ही आयकर के अंतगत लैब स टम को तुत कया गया। ये लैब स टम वष 2014-2015 तक
चलता रहा जब तक क त कालीन मोद सरकार ारा इसम बदलाव न कर दया गया। वष 1997-
1998 के बजट म ही आय क वै क कट करण योजना तुत क गई। इज़के तहत लोग से ये
कहा गया क वे अपनी अघो षत आय के बारे म जानकारी दे सकते है और सरकार को उस आय का
30 फ सद कर के प म भुगतान करके इसे वैध बना सकते है।
इस तरह घो षत क गई आय पर व भ कानून जैसे वदे शी व नमय व नयमन अ ध नयम, 1973,

{४४}
____________________________________________________________________________________________

आयकर अ ध नयम, 1961, संप कर, 1957 और कं पनी अ ध नयम, 1956 के तहत कोई
मुकदमा नही चलाया जा सकता था। यह योजना काफ हद तक सफल रही। इसके अंतगत 35 लाख
लोग ारा अपने काले धन का रह यो ाटन कया गया। इससे भारतीय राजकोष म 7.8 हजार करोड़
पया भी आया। हालां क व भ सरकारी सं ा और यायपा लका ारा इस योजना क आलोचना
भी क गई। कै ग यानी नयं क एवं महालेखा परी क क रपोट म इस योजना को ईमानदार
करदाता को हतो सा हत करने वाली कवायद बताया गया। उ तम यायालय ने भी सरकार को
हदायत द क भ व य म ऐसी कसी भी योजना क पेशकश से बचाइए।
कर सुधार क इस या म जुलाई 2017 म लागू कये गए व तु एवं सेवा कर को मील का
प र माना जाता है। इसे आजाद के बाद अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जाता है। इसके
अंतगत 17 पुराने कर और 23 उपकर को मलाकर एक नवीन अ य कर यानी 'व तु एवं सेवा
कर'(जीएसट ) का प दया गया। व तु एवं सेवा कर घरेलू उपभोग के लये बेचे जाने वाले अ धकांश
व तु और सेवा पर लगाया जाने वाला मू यव त कर है। हालां क पे ो लयम, मादक पेय और
टांप शु क आ द अपवाद भी है जो अभी भी व तु एवं सेवा कर के अंतगत नह आते है। व तु एवं
सेवा कर का भुगतान उपभो ा ारा कया जाता है, ले कन यह व तु और सेवा को बेचने
वाले वसाय ारा सरकार को े षत कया जाता है।
य द व तु एवं सेवा कर क उपल य क बात क जाए तो इसने एक वचा लत अ य कर
पा र तक तं का नमाण कया है। इसके तहत ई-वे बल क शु आत के साथ-साथ नकली
चालान पर कारवाई करने से जीएसट राज व म बढ़ोतरी करने म मदद मली है। इसके साथ ही कर
के अनुपालन का सरलीकरण आ है। हालां क इस कर सुधार के सम अनेक चुनौ तयाँ भी ह जैसे
राजकोषीय संघवाद के मु े पर अ सर क एवं रा य के बीच कर-बंटवारे को लेकर तनातनी रहती है।
इसके साथ ही 15व व आयोग ने भी इस संबध ं म कु छ मु े रेखां कत कये है- जीएसट शासन म
कर दर क ब लता, पूवानुमान के मुकाबले जीएसट सं ह म कमी, जीएसट सं ह म उ अ रता
आ द।

{४५}
अ याय ष म
सव ण आंकड़
का व षे ण -
प रक पना परी ण

{४६}
____________________________________________________________________________________________
सव ण आंकड़
का व षे ण -
प रक पना परी ण

6.1 तावना
6.1.1 ाथ मक आंकड़ का संकलन
तुत शोध म उ र दे श रा य के जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गये
कर- नयोजन के उपकण का अ ययन कया गया है इस हेतु जले के चार मु य शहर को यथा
मछलीशहर, म डया ं, सकरारा एवं जौनपुर बाजार येक से 150 वेतनभोगी करदाता को तदश
के प म चय नत कया गया है। ाथ मक आंकड़ का संकलन सु वधानुसार गैर-या क तचयन
व ध से कया गया है ता क ाथ मक आंकड़ म सभी आव यक वग यथा ामीण पृ भूमी के
कमचारी, शहरी पृ भूमी के कमचारी, नजी े के कमचारी, सावज नक े के कमचारी, म हला
कमचारी, पु ष कमचारी, उ , म यम तथा न न आय वग से स ब त कमचा रय के त न ध व को
सु न त कया जा सके ।
6.2 सव ण आंकड़ का सारणीयन एवं व षे ण
संक लत कए गए आंकड़ को बोधग य एवं तुलना मक बनाने के लए वग करण के प ात
सारणीकृ त कया जाना आव यक है। इस लए सव ण आंकड़ का सारणीयन अ ययन क आव यकता
के अनु प ब वार न नानुसार कया गया है।
6.2.1 करदाता का नवास े एवं नयो ा संगठन क कृ त
अ ययन म सभी वग का त न ध व सु न त करते ए तचयन म कु ल 600 इकाइय का
चयन कया गया। जनम से नजी े एवं सावज नक े दोन ही कार के उप म म कायरत
वेतनभोगी करदाता को समान भार दे ते ए तीन-तीन सौ इकाइय को इन े से चुना गया। इसके
साथ ामीण े म से कु ल 330 इकाइयां तचयन हेतु चुनी गई।
सारणी 6.2.1

जनम से 110 इकाइयां नजी े एवं 220 इकाइयां सावज नक े से संबं धत थी शहरी
े से कु ल 270 करदाता को अ ययन हेतु चुना गया। जनम से 190 करदाता नजी े एवं 80
करदाता सावज नक े से संबं धत थे। इस कार अ ययन हेतु लए गए तचयन म नजी े के
कमचा रय व सावज नक े के कमचा रय तथा गांव व शहर म नवास करने वाले करदाता को
उ चत त न ध व दान कया गया है।
{४७}
____________________________________________________________________________________________

6.2.2 करदाता का नवास े एवं आय का तर


सारणी 6.2.2 म तचयन म चुने गए करदाता को आय के तर के आधार पर तीन वग म
वभा जत कया गया है। जनम से 210 करदाता न न आय वग से 270 करदाता म यम आय वग से
एवं 120 करदाता उ आय वग से लए गए ह। इसी कार शहरी करदाता म 90 करदाता न न
आय वग से, 110 करदाता म यम आय वग से एवं 70 करदाता उ आय वग से संबं धत है।
सारणी 6.2.2

ामीण े के कु ल 330 करदाता म से 120 करदाता न न आय वग से, 160 करदाता म यम


आय वग से एवं 50 करदाता उ आय वग से संबं धत है। इस कार ामीण एवं शहरी े म
नवास करने वाले करदाता म आय के तीन वग का त न ध व इस तचयन म सु न त कया
गया है।
6.3 प रक पना परी ण
शोध हेतु न मत प रक पना का परी ण सव ण से ा त ाथ मक आंकड़ क सहायता से
न नानुसार ब वार कया गया है।
6.3.1 शू य प रक पना थम
H0 : कर- नयोजन के लए नजी एवं सावज नक े के कमचा रय क औसत बचत वृ म कोई
साथक अंतर नह है। इस शू य प रक पना के परी ण हेतु काड-वग परी ण का उपयोग कया गया

है।
{४८}
____________________________________________________________________________________________

उपरो आंकड़ से काड-वग का प रकलन कया गया। जसका व षे ण न नानुसार है।

नवाचन -: उपरो व षे ण से है क 5% साथकता तर पर शू य प रक पना अस य


स होती है ले कन अगर साथकता का तर 1% रखा जाए तो शू य प रक पना स य स होती है।
सामा यतः सा यक य परी ण म 5% साथक तर का उपयोग कया जाता है। इस लए शू य
प रक पना अस य है। इसका आशय है क करदाता के नयो ा संगठन के वा म व अथात नजी
अथवा सावज नक े का भाव करदाता क औसत बचत वृ पवर पाया जाता है। ले कन चूं क
यह शू य प रक पना साथकता के 1% तर पर स य भी स होती है इसका आशय है क H1 :
करदाता क औसत बचत वृ म तथा करदाता के नयो ा संगठन के वा म व के कार म
सी मत मा ा म ही संबंध पाया जाता है।
6.3.2 शू य प रक पना तीय
H0 : आय तर के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह है।
इस शू य प रक पना के परी ण हेतु काई-वग परी ण का उपयोग कया गया है।

{४९}
____________________________________________________________________________________________

उपरो आंकड़ से काई-वग का प रकलन कया गया। जसका व षे ण अ ानुसार है।

नवचन -: उपरो व षे ण से है क 5% साथकता तर पर शू य प रक पना अस य स


होती है साथ ही अगर साथकता का तर 1% रखा जाए तो भी शू य प रक पना अस य ही स
होती है। इस लए शू य प रक पना अस य है। इसका आशय है क H1 : करदाता के आय तर व
करदाता क औसत बचत वृ म संबध ं पाया जाता है।
6.3.3 शू य प रक पना तृतीय
H0 : नवास त के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत वृ म कोई साथक अंतर नह
ह। इस शू य प रक पना के परी ण हेतु काई-वग परी ण का उपयोग कया गया है।

उपरो आंकड़ से काई-वग का प रकलन कया गया। जसका व षे ण न नानुसार है।

{५०}
____________________________________________________________________________________________

नवचन -: उपरो व षे ण से है क 1% एवं 5% साथकता तर पर शू य प रक पना स य


स होती है। इसका आशय है क H1 : करदाता के नवास ान व करदाता क औसत बचत
वृ म कोई संबंध नही पाया जाता है।
इसी कार सभी शोध के संचालन हेतु न न ल खत प रक पना का नमाण जो क थम
अ याय ' शोध प रचय ' मे दशाया गया है, सबका प रक पना परी ण इसी मा यम से होता है।
6.4 उपसंहार
जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता ारा कर नयोजन के लए अपनाए गये उपकरण के
अ ययन हेतु संक लत कए गए आंकड़ के व षे ण एवं प रक पना परी ण म यह पाया गया क
करदाता ारा कर नयोजन हेतु क जाने वाली बचत करदाता के आय तर एवं उसके नयो ा संगठन
के वा म व के कार से तो पया त प से भा वत होती है ले कन करदाता ामीण े या शहरी
े म से कससे संबधं रखता है, इस त य का करदाता क बचत क मा ा पर कोई भाव नह
पड़ता।
करदाता का आय तर तो उसके ारा चुने जाने वाले व नयोग ढांचे को पया त प से भा वत
करता है ले कन करदाता नजी संगठन म काय करता है या सावज नक े म सेवाएं दे ता है, इसका
भाव करदाता ारा कए जाने वाले व नयोग ढांचे के चयन पर नह पड़ता। साथ ही करदाता ामीण
या शहरी म से कस े म नवास करता है, इस घटक का भाव भी करदाता के ारा अपनाए जाने
वाले व नयोग ढांचे पर नह पाया गया है।
करदाता के कर ावधान क जानकारी के तर पर करदाता के आय तर का पया त भाव पड़ता
है ले कन जानकारी का यह तर करदाता के नयो ा संगठन के वा म व के कार एवं उसके नवास
के े से भा वत नह होता। इस कार वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गये कर नयोजन से
संबं धत व भ चर को करदाता क आय का त व सवा धक भा वत करता है जब क उसके नवास
े का इससे कोई मह वपूण संबंध इस अ ययन म नही पाया गया है।

{५१}
अ याय स तम

शोध के
प रणाम, न कष
एवं सुझाव

{५२}
____________________________________________________________________________________________

शोध के प रणाम,
न कष एवं सुझाव

7.1 तावना
वतमान युग म कर नयोजन सभी करदाता के लए अ य धक मह व का वषय है। लगभग
सभी करदाता जाने-अनजाने म कर नयोजन को अपनाकर अपनी खच यो य आय को अ धकतम करने
का यास करते ह। वेतनभोगी करदाता के मामले म, जो क एक र आय वाला वग है,
मु ा त के कारण और अ य धक शु ता से कर नयम क पालना क बा यता आ द के चलते कर
- नयोजन उनके लए अ य शीषक से आय वाले करदाता क अपे ा यादा मह व रखता है। जतनी
ती ग त से हाल के वष म पए के आंत रक मू य म नरंतर कमी आयी है उस अनुपात म
वेतनभोगी वग क आय म वृ नह हो पाई है। इसके प रणाम व प वेतनभोगी वग क वा त वक
आय कम होती जा रही है। इन कारण से वेतनभोगी करदाता आयकर के भार को यूनतम रखने के
लए कर नयोजन के त वतमान समय म और अ धक गंभीर होते जा रह है। अपने वतमान जीवन
तर को बनाए रखने के लए अपने खच और य म संतुलन बनाना अ याव यक है चूं क वेतनभोगी
करदाता क वा त वक आय मु ा त के चलते कम हो रही है। इस कारण से करदाता ारा
वतमान उपभोग को गत करके बचत को बढ़ाना एवं कर- नयोजन हेतु नद शत े म व नयोग
करना और अ धक चुनौ तपूण काय हो गया है।
कर नयोजन के लए यह ज री है क करदाता को आयकर कानून के ावधान क जानकारी
पूण प से हो। जससे वह आयकर ावधान म कर नयोजन के अवसर को पहचान कर उनका
उपयोग अपने आयकर भार को कम करने के लए कर सके । य द करदाता आयकर नयम म द गई
कर मु य , कटौ तय व राहत आ द को बेहतर तरीके से समझने म स म होगा सके गा तभी वह
इनका वहा रक उपयोग अपने कर दा य व को यूनतम करने म कर पाएगा। करदाता का आयकर
अ ध नयम क जानकारी का तर जतना ऊंचा होगा उतना ही बेहतर वह अपने लए कर- नयोजन
कर सके गा। वतमान अ ययन म वेतनभोगी करदाता के बचत एवं व नयोग ढांचे तथा आयकर
ावधान के त उनक जाग कता के तर का व षे ण कया गया है। इसका उ े य उनके
जाग कता के तर का पता लगाकर उसे वां छत तर तक बढ़ाने हेतु सुझाव दे ना था ता क यह
म यम वग य वेतनभोगी करदाता अपने आयकर भार को यूनतम करके अपने जीवन तर को उ त
कर सके । इस स ब म शोध के न न उ े य न त कये गये थे।
(: आयकर अ ध नयम के ावधान म सरकार ारा समय-समय पर कये गये सुधार क समी ा
करना एवं वेतनभोगी करदाता पर इनके भाव का पता लगाना।

{५३}
____________________________________________________________________________________________

(: जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता के ारा कर नयोजन के उ े य से क जाने वाली बचत


क औसत वृ का अ ययन करना।
(: इसका पता लगाना क जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता म आय- तर, संगठन के कार एवं
नवास त के आधार पर कर नयोजन के लए कए जाने वाले व नयोग के ढांचे के चयन को
लेकर कोई अ तर है या नही ।
(: आयकर अ ध नयम म उपल व भ कर नयोजन के उपकरण के बारे म जले के
वेतनभो गय क जानकारी के तर का पता लगाना।
(: इसका पता लगाना क जौनपुर जले के वेतनभोगी करदाता म आय- तर, संगठन के कार एवं
नवास त के आधार पर आयकर अ ध नयम के ावधान क जानकारी के तर को लेकर कोई
अंतर है या नह ।
(: करदाता के कर-कानून के ावधान क जानकारी के तर को बढ़ाने, कर नयोजन के त
जाग क करने एवं कर चोरी को रोककर कर राज व म वृ करने हेतु सुझाव दे ना।
(: वेतनभोगी करदाता ारा अपनाए गए कर नयोजन के उपकरण के संदभ म वतमान अ ययन
के न न ल खत मु य चर ह:
* औसत बचत वृ
* व नयोग ढांचा
* कर नयोजन के ावधान क जानकारी का तर
7.2 शोध के प रणाम
उ उ े य एवं अ ययन चर को यान म रखते ए इस अ ययन को दो भाग म बांटा गया है।
तीयक आंकड़ से संबं धत अ ययन म भारत म वतं ता ा त के बाद से लागू कए गए आयकर
सुधार एवं य कर शासन के व वष 2014-15 से 2023-24 के काय न पादन का मू यांकन
कया गया है। आयकर सुधार को वतं ता ा त के बाद से ग ठत ए स म तय व आयोग के ारा
दये गये सुझाव के स दभ म व े षत कया गया है। जसम वतमान तक ग ठत कए गए सभी
मु य आयोग एवं स म तय के तवेदन को शा मल कया गया है। इसके प ात भारतीय य कर
शासन के न पादन मू यांकन हेतु व वष 2014-15 से 2023-24 क अव ध को अ ययन हेतु चुना
गया। इस अव ध के न पादन मू यांकन हेतु नयं क एवं महालेखा परी क के तवेदन का उपयोग
मु यतः कया गया है।
सरी ओर ाथ मक आंकड़ के संदभ म जौनपुर जले के 600 वेतनभोगी करदाता को चुना
गया। जनसे सूचनाएं एक त कर उ े यानुसार न मत क गई प रक पना का परी ण कर प रणाम
नकाले गए। इन सभी के आधार पर शोध के प रणाम को न नानुसार तुत कया जा रहा
7.2.1 सव ण आंकड़ के व षे ण एवं नवाचन पर आधा रत शोध प रणाम
उ र दे श के जौनपुर जले के 600 वेतनभोगी करदाता का यायदश के प म चयन कर
संक लत कए गए सव ण आंकड़ के व षे ण एवं प रक पना परी ण के आधार पर न न ल खत
प रणाम क ु प ई :-
(: कर नयोजन के लए नजी एवं सावज नक े के कमचा रय ारा क जाने वाली बचत क
दर का तुलना मक अ ययन करने पर पाया गया क नजी े के कमचारी म यम बचत दर पर
यादा सक त ह जब क सावज नक े के कमचारी न न एवं उ बचत दर पर यादा सक त है।
{५४}
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(: आय तर के आधार पर वेतनभो गय क औसत बचत का तुलना मक अ ययन करने पर पाया


गया क जैसे-जैसे आय तर म वृ होती है वैसे वैसे औसत बचत क दर भी बढ़ती जाती है।
(: ामीण तथा शहरी े म नवास करने वाले वेतनभो गय क बचत क तुलना मक समी ा करने
पर पाया गया क करदाता के नवास ान का उनक औसत बचत वृ क दर से कोई संबध ं
नह है।
(: नजी तथा सावज नक े के वेतनभोगी करदाता ारा कए गए व नयोग का तुलना मक
अ ययन करने पर पाया गया क इनके ारा अपनाए गए व नयोग ढांचे पर नयो ा संगठन के
वा म व ( नजी या सावज नक े ) का कोई भाव नह है।
(: उ , म यम तथा न न आय तर वाले वेतनभोगी करदाता ारा कए गए व नयोग का
अ ययन करने पर पाया गया क करदाता के आय तर का उसके ारा अपनाए गए व नयोग ढांचे पर
पया त भाव पड़ता है।
(: ामीण तथा शहरी े म नवास करने वाले वेतनभोगी करदाता ारा कए जाने वाले
व नयोग का तुलना मक अ ययन करने पर पाया गया क करदाता के नवास ान का उसके ारा
अपनाए गए व नयोग ढांचे पर कोई भाव नह पड़ता है।
(: नजी तथा सावज नक े वाले वेतनभोगी करदाता क आयकर ावधान क जानकारी के
तर का तुलना मक अ ययन करने पर पाया गया क नजी तथा सावज नक े के कमचा रय क
आयकर अ ध नयम के ावधान क जानकारी के तर पर उनके नयो ा संगठन के वा म व ( नजी
या सावज नक ) का कोई भाव नही है।
(: व भ आय तर वाले वेतनभोगी करदाता क आयकर अ ध नयम के ावधान क जानकारी
के तर का तुलना मक अ ययन करने पर पाया गया क आय का तर करदाता क कर कानून क
जानकारी के तर से को सकारा मक प से भा वत करता है। उ आय तर वाले करदाता म
न न आय तर वाले करदाता क अपे ा जानकारी का तर ऊंचा पाया गया।
(: ामीण तथा शहरी े म नवास करने वाले वेतनभोगी करदाता क कर ावधान के बारे म
जानकारी के तर क तुलना मक समी ा करने पर पाया गया क करदाता के जानकारी के तर पर
उसके नवास ान ( ामीण अथवा शहरी) का कोई भाव नह पड़ता है।
7.2.2 तीयक आंकड़ के अ ययन पर आधा रत शोध प रणाम
तीयक आंकड़ म भारतीय आयकर शासन का मू यांकन एवं वेतनभोगी करदाता के संबध

म आयकर अ ध नयम म कए गए सुधार क समी ा क गई। जसके प रणाम को न नानुसार
तुत कया जा सकता है।
7.2.2 (अ) य कर शासन शासन का न पादन मू यांकन
अ ययन के दौरान भारतीय कर शासन का व वष 2014-15 से 2023-24 तक क अव ध
के काय न पादन का मू यांकन कया गया। जससे ा त मु य प रणाम को न न ल खत ब म
तुत कया जा सकता है:-
(: आलो य अव ध के दौरान कु ल य करदाता क सं या म लगभग 70 तशत से अ धक
वृ दे खी गई। अगर गत आय करदाता क बात क जाए तो इनम भी लगभग 66 तशत
क वृ ई थी एवं नगम करदाता म तो 120 तशत क वृ इस अव ध के दौरान दे खी गई।
व वष 2014-15 म जहां कु ल य करदाता क सं या 326 लाख थी वह बढ़कर व वष

{५५}
____________________________________________________________________________________________

2023-24 म 545 लाख प च


ं गई थी।
(:करदाता क सं या के मामले म अ वृ दे खी गई ले कन अभी भी भारत क कु ल
जनसं या को दे खते ए करदाता क सं या इसके 4% से भी कम है। इस कार कर आधार के
व तार म अभी सुधार क महती आव यकता है।
(: गत करदाता क संरचना को दे खने से होता है क इस अव ध के दौरान कम आय
वग से अ धक आय वग म करदाता का ानांतरण सराहनीय रहा। जससे कु ल आयकर सं ह म
अपे त वृ ई। इसी कार नगम करदाता क संरचना म भी सकारा मक प रवतन अ ययन
अव ध के दौरान दे खे गये।
(:अ ययन अव ध के दौरान गत आयकर दाता से य कर सं ह 106 हजार करोड से
408 हजार करोड़ हो गया था। अतः इसम इस अव ध के दौरान लगभग 300% क वृ दे खी गई।
इसी कार नगम करदाता से य कर सं ह म भी लगभग 150% क वृ इस अव ध म दे खी
गई और कु ल आयकर सं ह क बात कर तो यह अ ययन अव ध म बढ़कर 3 गुना हो गया था। इस
कार अ ययन अव ध म आयकर सं ह म वृ का अ ा झान दे खा गया है।
(: आलो य अव ध का कर सकल घरेलू उ पाद अनुपात भी 6% के लगभग रहा। यह सकल घरेलू
उ पाद से कर सं ह क औसत दर को भी दशाता है। 6% क यह दर पया त एवं उ चत नह कही
जा सकती।
(: आलो य अव ध म कर उ लावकता म पया त सुधार दे खा गया। आलो य अव ध के थम वष म
यह 0.53 थी जो क आलो य अव ध के अं तम वष म बढ़कर 1.59 हो गई थी। इस कार कर
उ लावकता म पया त वृ इस अव ध म दे खी गई। भारत म कर उ लावकता को 1 से ऊपर बनाए
रखना न त प से कर शासन क उपल का संकेतक है।
(: अ ययन अव ध म य कर वभाग क बकाया कर माँगे लगातार बढ़ रही थी। यह ब त ही
चता का वषय है य क बकाया माँगे एक सीमा के बाद ऐसी त म प चं जाती है। क उ ह
वसूल करना लगभग असंभव हो जाता है।
(: व वष 2014-15 म लगभग दो लाख आयकर माँगे बकाया पड़ी थी जो क वष 2023-24 म
बढ़कर 1,114 लाख हो गई थी। इस कार से बकाया माँग क सं या म लगभग 5 गुना वृ
अ ययन अव ध म दे खी गई।
(: बकाया माँग के साथ-साथ बकाया अपील मामले भी आयकर शासन क ढलाई को बताते ह।
बकाया अपील मामल म यादा मामले छोटे करदाता से संबं धत है। व वष से 2014-15 म
70% से अ धक मामले न ता रत होने शेष थे।

(: य कर शासन का अ ययन अव ध के दौरान का काय न पादन मू यांकन य प कु छ


संकेतक के कोण से तो संतोष द है तथा प कु छ संकेतक क से इसम सुधार क
आव यकता है।
7.2.2 (ब) करदाता के संदभ म कए गए य कर सुधार क समी ा
भारत म य कर णाली म सुधार क ंखला का अ ययन एवं
(: करदाता पर उनके
पड़ने वाले भाव का मू यांकन करने के प ात पाया गया क भारत म मथाई कमीशन क नयु के
साथ ही भारतीय कर णाली म सुधार का काय म शु हो गया। जसके प ात लगातार लगभग
सभी व वष म करदाता पर लगने वाले आयकर के ढांचे म ता का लक प र तय के
अनुसार आव यक सुधार के कदम सरकार ारा उठाए गए।

{५६}
____________________________________________________________________________________________

(: नई आ थक नी त के लागू होने के ारं भक वष क अपे ा हाल के वष म कर क दर के


साथ कर के लैबस म भी काफ मा ा म ववेक करण कया गया है।
(: शु के वष म आयकर क दर अ य धक थी। ज ह धीरे-धीरे करके 10% के यूनतम तर पर
व भ आयोग व स म तय क सलाह पर लाया गया। शु आत म लगभग 11 कर लैबस् थे ज ह
समय-समय पर कम करके अंततः 4 पर लाया गया।
भारत म महंगाई दर को नापने के लए सामा यतः थोक मू य सूचकांक का उपयोग कया जाता
(:
है। इस कार से वष 1990-91 से कर मु आय क सीमा म थोक मू य सूचकांक के अनुसार वृ
करने का यास कया गया।
(: वेतनभोगी करदाता क सम या को समझते ए मानक कटौती जैसे ावधान भी कए गए।
(: मानक कटौती एवं कर मु आय क सीमा म सामंज य कु छ अपवाद को छोड़कर कम ही रहा
है।
(:एक समय, व वष 2005 म मानक कटौती को समा त कए जाने पर उसक तपू त धारा 80
C के ारा करने का यास कया गया। वतमान म मानक कटौती को पुनः शु कर दया गया है।
भारत म यह सामा य परंपरा बन गई है क आयकर पर अ धभार लगाये जाते रहते ह। पछले
(:
60 वष से जब से आयकर अ ध नयम लागू है, यादातर वष म अ धभार अथवा श ा उपकर लागू
रहे ह। हालां क सरकार ने अ धभार के भार से न न व म यम आय वग को मु रखा है।
(: यह अनुभव कया गया क आयकर के ावधान बचत व व नयोग ढांचे को सकारा मक प
दे ने म स म नह रहे ह।
(: सुधार के बावजूद आज भी भारतीय कर णाली म अनेक क मयां दे खी जाती ह।
(: जस कार से पछले वष म थोक मू य सूचकांक म भारी वृ ई है। उस अनुपात म कर
लैब म समायोजन नह कए गए ह।
(: व अ ध नयम 2005 के ारा धारा 80 L क याज क छू ट को वापस ले लया गया। यह
धारा छोटे बचत कता को बचत करने एवं नी त नमाता के अनु प इन बचत को सरकारी े
म व नयो जत करने हेतु ेरणा दे ती थी। इस धारा के हटाए जाने के बाद वेतनभोगी करदाता को
वै क व नयोग करने के लए कोई अ य कर ेरणा नह द गई है।
(: धारा 80 C , 80 L, 80 E एवं धारा 87 A के ावधान के ारा करदाता क सम या
को कम करने के मह वपूण यास भी भारत सरकार ारा कए गये ह।
7.3 शोध का न कष
शोध के प रणाम से यह होता है क कर नयोजन हेतु क जाने वाली बचत करदाता के
आय तर एवं नयो ा संगठन के वा म व के कार से भा वत होती है जब क व नयोग ढांचा एवं
कर ावधान क जानकारी का तर के वल वैत नक करदाता के आय तर से ही भा वत होते ह न
क उसके नयो ा संगठन के कार या करदाता के नवास े से। इस कार वेतनभोगी करदाता
के कर- नयोजन से संबं धत व भ चर को करदाता क आय सवा धक भा वत करती है जब क
उसके नवास े का इन पर कोई मह वपूण भाव इस अ ययन म नही पाया गया है।
य कर शासन का न पादन कु छ सूचक , जैसे करदाता क सं या, कु ल य कर सं ह
म वृ कर उ लावकता के कोण से संतोष द रहा ले कन कु छ मोच पर जैसे बकाया माँग क

{५७}
____________________________________________________________________________________________

त, बकाया लेखापरी ा आ पे , बकाया कर वापसी आ द म अभी पया त सुधार अपे त है।


अ ययन अव ध म य कर सं ह का दे श के सकल घरेलू उ पाद एवं जनसं या वृ से वां छत
तारत य दखाई नही दया।
सुधार के बावजूद आज भी भारतीय कर णाली म अनेक क मयां दे खी जाती ह। जस कार से
पछले वष म थोक मू य सूचकांक म भारी वृ ई है। उस अनुपात म कर लैबस् म समायोजन
नह कए गए ह। य प धारा 80 C, 80 L, 80 E एवं धारा 87 A के ावधान के ारा करदाता
क सम या को कम करने के मह वपूण यास भी भारत सरकार ारा कए गये है।
7.4 शोध से सुझाव
तुत शोध म वेतनभोगी करदाता के आयकर संबंधी लगभग सभी प का गहनता से
अ ययन कया गया है। इस अ ययन के ाथ मक एवं तीयक दोन कार के आंकड़ पर आधा रत
होने के कारण इसके आधार पर एवं सम दोन तर पर उपयोगी मह वपूण सुझाव दए जा
सकते ह। तर के सुझाव वेतनभोगी करदाता के गत कर नयोजन को भावी बनाने म
सहयोगी स ह गे एवं सम तरीय सुधार भारतीय कर णाली क काय कु शलता एवं न पादन को
बढ़ाने म योगदान कर सकते ह। इसके साथ समय व संसाधन क सी मतता के कारण शोधकता ारा
अपने अ ययन का े सी मत रखा गया। इस अ ययन के दौरान तथा इसक पूणता पर शोधकता
ारा इस वषय से संबं धत और अ धक अ ययन हेतु कु छ मह वपूण ब क पहचान क गई है।
जो भावी शोधकता के लए उपयोगी रहगे। इन सभी सुझाव को न नानुसार ब वार तुत कया
जा सकता है।
7.4.1 वेतनभोगी करदाता के लए सुझाव
(: वेतनभोगी करदाता को अपना व नयोग ढांचा नधा रत करते समय ता कक कोण को
अपनाना चा हये। व नयोग का चयन के वल ता का लक कोण से न करके द घकालीन लाभदायकता
का व षे ण कए जाने के प ात ही कया जाना चा हए। इसके अंतगत करदाता ारा
उपल व नयोग के वक प क लाभदायकता क तुलना करते समय आयकर के साथ समय त व
को भी यान म रखा जाना चा हए।
(: वतमान म कर नयोजन के तकनीक पहलु क जानकारी होना वेतनभो गय के लए
अ य धक आव यक है अतः इस हेतु उ ह गत तर पर व ीय सा रता के लए उपल व भ
वेबीनार, कायशाला एवं पु तक के मा यम से अपने ान के तर को बढ़ाते रहना चा हए।
(: कर नयोजन के लाभ अ े कर बंध के बना ा त नह हो सकते। वतमान म वेतनभोगी
करदाता को अपने ट डीएस, फॉम 16 एवं आयकर ववरणी आ द से संबं धत पूरी या क
जानकारी कसी पेशेवर सलाहकार या व सनीय यू बू चैनल आ द के मा यम से ा त कर अपने
कर संबधं ी मामल का बेहतर बंध करना चा हए।
म यम एवं न न आय तर वाले वेतनभोगी करदाता जो क पेशेवर क सेवा का खच नह
(:
उठा सकते ह उ ह अपने कर नयोजन हेतु अपने सा थय के साथ समूह बनाकर संयु प से
कायशाला आ द आयो जत कर उसम पेशेवर को आम त कर कराधान स ब ी अपने ान के तर
को बढ़ाना एवं अ तन रखना चा हए।
(: नयो ा संगठन को अपने कमचा रय को कर बंध म सहायता दान करनी चा हए। बड़े
संगठन इस उ े य से अपने संगठन म वशेष को ग ठत कर सकते ह।
7.4.2 नी त नमाता हेतु सुझाव
(: न न आय तर वाले करदाता को राहत दान करने हेतु कर मु आय क सीमा को
मु ा त क दर के साथ वतः सामायो जत करने क व ा क जानी चा हए।
{५८}
____________________________________________________________________________________________

(: आयकर लै स का पुन नर ण न त समय के प ात अ नवाय प से कये जाने क


व ा क जानी चा हए।
(: सरकारी े एवं नजी े के बड़े संगठन म वेतनभो गय के सहायताथ कर नयोजन
सहायता को ा पत कया जाना अ नवाय होना चा हए ता क न न आय वाले वेतनभोगी कर
नयोजन का बेहतर लाभ उठा सक।
(: बकाया माँग क सम या से नपटने हेतु भावी व ा बनानी चा हए। इस कारण सरकार
को भारी राज व हा न होती है।
(: बकाया कर वापसी मामल का न त समय सीमा के भीतर नपटारा सु न त कया जाना
चा हए। इसके लए और उ त एवं वचा लत णाली को अपनाया जाना चा हए।
(: लेखापरी ा ारा लगाए गए आ पे का नपटारा न होने पर उ रदा य व सु न त कया जाना
चा हए।
(:कर आधार म व तार के साथ-साथ न न आय तर वाल पर भी नीची दर से अ नवाय प
से कर लगना चा हये। जससे सभी करदाता म कर नयम क बेहतर अनुपालना क भावना का
वकास हो सके ।
(: य कर शासन वभाग म छोटे करदाता हेतु ववाद के नपटारे के लए अलग से
व ा क जानी चा हये।
(: वेतनभोगी करदाता एवं अ य छोटे करदाता के लाभाथ धारा 80 L क कटौती को पुनः शु
कया जाना चा हए।
(: धारा 80 C म द जाने वाली कटौती क सीमा का पुन नधारण समय-समय पर कया जाना
आव यक है।
(: वेतन म से द जाने वाली मानक कटौती को और यादा ता कक बनाया जाना चा हए।
(: वेतन भो गय क सहायताथ उनक आयकर ववरणी नयो ा के मा यम से दा खल करने क
सु वधा होनी चा हये। इससे कर शासन पर भी काय भार कम होगा साथ ही कर सं ह म भी सु वधा
होगी।
(: न न आय तर वाले करदाता के लए व ीय सा रता के काय म चलाए जाने चा हए।
(: जनम उ ह कर नयोजन एवं कर बंध क पया त जानकारी द जानी चा हए।
(: कर सं ह को बढ़ाने तथा कर भुगतान को टालने क वृ को रोकने हेतु ोत पर कर क
कटौती के ढांचे को और मजबूत कया जाना चा हए।
(:वेतनभोगी करदाता के खच क तुलना अ य शीषक से से आय वाले करदाता से खच से
क जा सकती है। इन दोनो वग ारा चुकाये गये आयकर का इनके वा षक खच से अनुपात क
तुलना कर नयम क पालना के तर को उदघा टत करेगी। जससे कर अपवंचना का पता लगाकर
कर राज व म वृ क संभावना क तालाश क जा सकती है। य द पूण य का पता लगाना संभव
न हो तो य के कसी एक या अ धक ब लए जा सकते ह। जैसे :- चुकाये गये आयकर का
व ुत पर य से अनुपात।

{५९}
____________________________________________________________________________________________

7.4.3 आगामी शोधकता हेतु सुझाव


वतमान शोध म शोधकता ारा के वल वेतनभोगी करदाता को ही अपने अ ययन म शा मल
(:
कया गया है। ापारी एवं अ य वतं पेशेवर आयकर दाता के लए भी ऐसे ही अ ययन क
आव यकता है।
(: चूं क आयकर एक क य कर है ले कन शोधकता ारा के वल राज ान ांत के जौनपुर जले
तक ही अपना अ ययन सी मत रखा गया है। इस संबंध म ापक नी तगत नणय पर प च ं ने के लए
पूरे दे श म इस कार के अ ययन कए जा सकते ह।
7.5 उपसंहार
सरकार को दे श क वकास योजना म व नयोग करने हेतु अ धकतम कर राज व क
आव यकता होती है एवं करदाता यूनतम कर चुका कर अपनी वतमान एवं भ व य क खच यो य
आय को अ धकतम करना चाहता है। कर नयोजन इन दोन वपरीत उ े य क ा त को एक साथ
संभव बनाता है कर नयोजन के मा यम से जब करदाता सरकार ारा न द े म व नयोग करता
है तो वह एक कार से अ य प से सरकार क वां छत वकास योजना म ही व नयोग कर
रहा होता है। इस कार एक ओर तो कर नयोजन के ारा सरकार का कर लगाने का उ े य पूरा हो
जाता है एवं सरी ओर कर नयोजन से करदाता के वतमान एवं भावी कर भार म कमी आती है।
तथा वह वयं के लए बेहतर स नमाण कर पाता है। अतः कर- नयोजन अ य धक मह व का
वषय है। ले कन कर नयोजन के उ े य क ा त तभी क जा सकती है जब दे श के करदाता कर
नयम के बारे म पूण प से जानकारी एवं इनका ईमानदारी से पालन करने क इ ा श रखते
हो।

{६०}
____________________________________________________________________________________________

स दभ सूची

* पु तक एवं व भ राजक य काशन


1.) गोयल एवं म हो ा (2017) य कर व ध व वहार, सा ह यभवन प लके शन।
2.) पटे ल चौधरी (2018) कर नयोजन, चौधरी प लके शन जयपुर।
3.) गोयल, गु ता, गोयल (2018) आयकर वधान एवं लेखे आर. बी. डी. प लके शन जयपुर।
4.) नय क एवं महालेखापरी क के तवेदन (2008-2017)।

5.) वभ व अ ध नयम, भारत सरकार


6.) आ थक समी ा, भारत सरकार (2008-09 से 2018-19)।

7.) भारतीय लोक व सां यक काशन, भारत सरकार


8.) आयकर गाइडलाईन व मनी रेडीरेकनर नभी प लके शन, द ली।
9.) सघा नया (2018) डायरे ट टै स रेडीरेकनर, टै समैन प लके शन।
10.) डॉ. एच. सी. म हो ा, (2018) आयकर, सा ह यभवन प लके शन।

* व भ जाँच स म तय के तवेदन
1.) रपोट ऑफ द टै सेशन इं वारी क मशन (1953) चेयरमैन जॉन म न ऑफ फाइनस,
गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
2.) इं डयन टै स रफॉ स रपोट ऑ फस सव (1956) चेयरमैन- नकोलस कालडोर, म न ऑफ
फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
3.) रपोट ऑफ डायरे ट टै स एड म न े शन इ वायरी कमेट (1959) चेयरमैन- महावीर यागी,
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
4.) रपोट ऑन रेशयोनलाईजेशन एंड सपली फके शन ऑफ चर (1967) चेयरमैन-भूत लगम एस.,
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
5.) फाइनल रपोट ऑफ डायरे ट टै स इ वारी क मट (1971) चेयरमैन- ज टस के . एन. वाचू
मन ऑफ फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
6.) रपोट ऑफ द डायरे ट टै सेस ला कमेट (1977) चेयरमैन. सी. सी. चोकसी, म न ऑफ
फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
{६१}
____________________________________________________________________________________________

7.) रपोट ऑफ इकोनॉ मक एड म न े टव रफॉ स क मशन (1983) चेयरमैन-झा, म न ऑफ


फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
8.) फाइनल रपोट ऑफ टै स रफॉ स कमेट (1991) चेयरमैन- राज जे चलैया, म न ऑफ
फाइनस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
9.) रपोट ऑफ द एडवाइजरी प ु पॉ लसी एंड एड म न ेशन (1998) चेयरमैन- पाथसारथी शोम,
लै नग क मशन, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
10.) रपोट ऑफ डायरे ट टै सेस, चेयरमैन- वजय के लकर (2001), मन ऑफ फाइनस एंड
कं पनी अफे यस, गवनमट ऑफ इं डया, यू द ली।
11.) रपोट ऑफ द टा क फोस आन डायरे ट टै सेस (2002) वजय के लकर
12.) ऑल इं डया रफॉ स (2003) एके ड मक फाउं डेशन, यू द ली।

* शोध प एवं शोध व प काय


1.) Kalgutkar, P. (2018) Tax awareness and tax planning on wealth creation of Individual
Assessees, Sahyadri journal of management

2.) Renukanath, V. (2018) Tax Saving portfolio selected by the Salaried class, Navalerurn
Publication, LURPET.

3.) Mehta, K., Sharma, R, Goel, R, & Singhal, C. (2017) Investors' perception towards tax
saving mutual funds International Journal of Engineering Technology, Management and
Applied Sciences.

4.) Pallavi, V. and PS. Anuradha (2017) Tax Planning and Investment Patterns of
Academicians: A Study of Educational Institutions in, journal press of india

5.) Bhawani, G and Shetty, K. (2017) Impact of Demographics and Perceptions of Investors
on Investment Avenues, Sciedu Press.

6.) Mishra, A and Yadav, B (2017) Tax avoidance in India Scms journal of Indian
management.

7.) Dey, S.K., Varma, K.K. (2016). Awareness of tax saving schemes among individual
Assessees: Empirical evidence from twin city of Odisha, Journal of.

8.) Jose, A.T. & Joseph, D. (2016) A critical study on tax lanning techniques Commerce and
Management Thought. adopted by Assessees axale under the head income from salaries.
International Journal of Management and Social Science Research Review.

9.) William, A & Samwick C. (2016) Growth and Taxation: A cross-country incertigation,
Journal of International Accounting, Auditing and Taxation.

10.) Sathiyamoorthy, C and Krishnamurthy, K (2015) investment Pattern and Awareness of


Salaried class Investors in Tiruvannamalai District of TamilNadu Asia Pacific journal of
Research.

{६२}
" जौनपुर जिले के वेतनभोगी करदाताओं द्वारा अपनाए
गए कर-नियोजन के उपकरणों का अध्ययन "
मैं समीर तिवारी तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर से एम कॉम द्वितीय सेमेस्टर (वाणिज्य विभाग) में अध्ययन
कर रहा हूंँ। मैं यह आंकड़े शोध प्रबंध कार्य के लिए असिस्टेंट प्रोफे सर डॉ॰ विशाल कु मार सिंह (वाणिज्य विभाग)
तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर की देखरेख में एकत्र कर रहा हूंँ। आपकी यह जानकारी शोध के लिए एकत्र
की जा रही है और पूर्णतया गोपनीय रखी जाएगी।
इससे संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए आप मुझसे दिए गए ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
tiwarisameer052001@gmail.com

* Indicates required question

1. नाम *

2. लिंग *
Mark only one oval.

पुरुष
महिला
कोई और

3. आयु *

4. निवासिय स्तिथि *
Mark only one oval.

ग्रामीण
शहरी
दोनों
5. वैवाहिक स्थिति *
Mark only one oval.

अविवाहित
विवाहित

6. प्र. 1 क्या आप नियमित करदाता हैं? *


Mark only one oval.

हाँ
नहीं

7. प्र. 2 आपकी आय सीमा क्या है? *


Mark only one oval.

2 लाख से 5 लाख

2 लाख तक

5 लाख से 10 लाख

10 लाख से अधिक

8. प्र. 3. क्या आप अनैतिक कर नीतियों के कारण किसी कं पनी के उत्पादों या सेवाओं को प्रयोग करने से बचते *
हैं?
Mark only one oval.

हाँ
नहीं
9. प्र. 4 आप किस प्रकार का निवेश पसंद करते हैं? *
Mark only one oval.

लंबा अवधि
मध्यम अवधि
छोटा अवधि
कोई नहीं

10. प्र. 5 क्या आपने निवेश के लिए बैंक आदि से पैसा उधार लिया है? *
Mark only one oval.

हाँ
नहीं

11. प्र. 6 क्या टैक्स हमारे देश के लिए लाभकारी है? *


Mark only one oval.

हाँ
नहीं

12. प्र. 7 आप अपने मासिक वेतन का कितना प्रतिशत बचाते है? *


Mark only one oval.

20% तक

30% तक

50% तक

कोई नहीं
13. प्र. 8 आपसे लिये गये कर के बारे में आपका क्या राय है? *
Mark only one oval.

उच्च
उचित
निम्नतम
कोई और

14. प्र. 9 आय के किस मद के तहत आपकी आय करयोग्य होती है? *


Mark only one oval.

वेतन से आय
गृह संपत्ति से आय
व्यवसाय/पेशे से आय
पूंजी लाभ
अन्य स्रोतों से आय

15. प्र. 10 क्या आप अन्य लोगों को आय नियोजन के बारे मे जानकारी देंगे? *


Mark only one oval.

हाँ
नहीं

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" जौनपुर जिले के वेतनभोगी करदाताओं द्वारा अपनाए गए
कर-नियोजन के उपकरणों का अध्ययन "
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Om dubey

Ruchi

अभिजीत सेठ

Ayush raj

Harsh Modanwal

Jaydeep Kumar Dubey

लिंग Copy
73 responses

पुरुष
46.6% महिला
कोई और

53.4%

आयु Copy
73 responses

15
15 (20.5%)

10 (13.7%)
10 (13.7%)
10
7 (9.6%)

5
3 (4.1%)
3 (4.1%) 3 (4.1%
2 (2.7%) 2 (2.7%) 2 (2.7%)
2 (2.7%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%) 1 (1.4%) 1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%)
1 (1.4%) 1 (1.4%)

0
15 / 1 / 2001 20 23 30 38 45 २१
18 22 25 33 42 56
निवासिय स्तिथि Copy
73 responses

ग्रामीण
शहरी
27.4% दोनों
21.9%

50.7%

वैवाहिक स्थिति Copy


73 responses

अविवाहित
विवाहित
23.3%

76.7%

प्र. 1 क्या आप नियमित करदाता हैं? Copy


73 responses

हाँ
56.2% नहीं

43.8%
प्र. 2 आपकी आय सीमा क्या है? Copy
73 responses

2 लाख तक
2 लाख से 5 लाख
11% 5 लाख से 10 लाख
10 लाख से अधिक

82.2%

प्र. 3. क्या आप अनैतिक कर नीतियों के कारण किसी कं पनी के उत्पादों या सेवाओं को प्रयोग Copy
करने से बचते हैं?
73 responses

हाँ
नहीं
30.1%

69.9%

प्र. 4 आप किस प्रकार का निवेश पसंद करते हैं? Copy


73 responses

लंबा अवधि
मध्यम अवधि
20.5% छोटा अवधि
24.7%
कोई नहीं

32.9% 21.9%
प्र. 5 क्या आपने निवेश के लिए बैंक आदि से पैसा उधार लिया है? Copy
73 responses

हाँ
नहीं

93.2%

6.8%

प्र. 6 क्या टैक्स हमारे देश के लिए लाभकारी है? Copy


73 responses

हाँ
नहीं

100%

प्र. 7 आप अपने मासिक वेतन का कितना प्रतिशत बचाते है? Copy


73 responses

20% तक
45.2% 30% तक
50% तक
कोई नहीं

16.4%

34.2%
प्र. 8 आपसे लिये गये कर के बारे में आपका क्या राय है? Copy
73 responses

उच्च
8.2% उचित
27.4% निम्नतम
कोई और

41.1%
23.3%

प्र. 9 आय के किस मद के तहत आपकी आय करयोग्य होती है? Copy


73 responses

वेतन से आय
गृह संपत्ति से आय
व्यवसाय/पेशे से आय
32.9% 19.2%
पूंजी लाभ
अन्य स्रोतों से आय

37%

प्र. 10 क्या आप अन्य लोगों को आय नियोजन के बारे मे जानकारी देंगे? Copy


73 responses

हाँ
नहीं

19.2%

80.8%

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