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Vishnusahasranaamam
Vishnusahasranaamam
Sunder Kidāmbi
अ वकाराय शु ाय न ाय परमा ने Á
सदैकरूपरूपाय व वे सवर् ज वे Á Á 5 ÁÁ
य रण मात्रेण ज संसारब नात् Á
वमु ते नम ै व वे प्रभ व वे Á Á 6 ÁÁ
ओं नमो व वे प्रभ व वे Á Á
यु ध र उवाच
कमेकं दैवतं लोके कं वाऽ ेकं परायणम् Á
ुव ः कं कमचर् ः प्रा ुयुम नवाः शुभम् Á Á 2 ÁÁ
को धमर्ः सवर्धम णां भवतः परमो मतः Á
कं जपन् मु ते ज ुजर् संसारब नात् Á Á 3 ÁÁ
श्रीभी उवाच
जग भुं देवदेवमन ं पुरुषो मम् Á
ुव ामसहस्रेण पुरुषः सततो तः Á Á 4 ÁÁ
तमेव चाचर्य ं भ ा पुरुषम यम् Á
ायन् ुव म ं यजमान मेव च Á Á 5 ÁÁ
अना द नधनं व ुं सवर्लोकमहे रम् Á
लोका क्षं ुव ं सवर्दुःखा तगो भवेत् Á Á 6 ÁÁ
ब्र ं सवर्धमर्ज्ञं लोकानां क तर्वधर्नम् Á
लोकनाथं मह त ू ं सवर्भूतभवो वम् Á Á 7 Á Á
त लोकप्रधान जग ाथ भूपते Á
व ोन मसहस्रं मे शृणु पापभयापहम् Á Á 12 ÁÁ
या न नामा न गौणा न व ाता न महा नः Á
ऋ ष भः पिरगीता न ता न व ा म भूतये Á Á 13 ÁÁ
ऋ षन मसहस्र वेद ासो महा मु नः Á
छ ोऽनु ु प् तथा देवो भगवान् देवक सुतः ÁÁ
अमृतांशू वो बीजं श दव कन नः Á
त्रसामा हृदयं त शा थ व नयु ते ÁÁ
व ुं ज ंु महा व ुं प्रभ व ंु महे रम् Á
अनेकरूपदै ा ं नमा म पुरुषो मम् Á Á
ध्यानम्
क्षीरोद देशे शु चम ण वलस ैकते मौ कानां
मालाकॢ ासन ः टकम ण नभैम कैमर् ता ः Á
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श्री व ुसहस्रनाम ोत्रम्
नामसहस्रप्रारम्भः
ओं व ं व व ु र्ष ारो भूतभ भव भुः Á
भूतकृद् भूतभृ ावो भूता ा भूतभावनः Á Á 1 ÁÁ
पूता ा परमा ा च मु ानां परमा ग तः Á
अ यः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च Á Á 2 ÁÁ
योगो योग वदां नेता प्रधानपुरुषे रः Á
नार संहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषो मः Á Á 3 ÁÁ
सवर्ः शवर्ः शवः ाणुभूर्ता द नर् धर यः Á
संभवो भावनो भत प्रभवः प्रभुर रः Á Á 4 Á Á
अज व रः स ः स ः सव दर ुतः Á
वृषाक परमेया ा सवर्योग व न ृतः Á Á 11 Á Á
वसुवर्सुमना मा ा स त मः Á
अमोघः पु र काक्षो वृषकम वृषाकृ तः Á Á 12 ÁÁ
रुद्रो बहु शरा बभ्रु वर् यो न ु चश्रवाः Á
अमृत ा तः ाणुवर्रारोहो महातपाः Á Á 13 ÁÁ
सवर्गः सवर् व ानुः व ेनो जनादर्नः Á
वेदो वेद वद ो वेदा ो वेद व वः Á Á 14 ÁÁ
लोका क्ष ुरा क्षो धम क्षः कृताकृतः Á
चतुरा ा चतु ूर्ह तुद ्र तुभुर्जः Á Á 15 Á Á
फलश्रुितश्लोकाः
इतीदं क तर्नीय केशव महा नः Á
ना ां सहस्रं द ानामशेषेण प्रक तर्तम् Á Á 1 ÁÁ
य इदं शृणुया ं य ा प पिरक तर्येत् Á
नाशुभं प्रा ुयात् क त् सोऽमुत्रेह च मानवः Á Á 2 ÁÁ
वेदा गो ब्रा णः ात् क्ष त्रयो वजयी भवेत् Á
वै ो धनसमृ ः ा ू द्रः सुखमवा ुयात् Á Á 3 Á Á
ु ात् Á
धम थ प्रा ुया मर्मथ थ चाथर्मा य
कामानवा ुयात् कामी प्रजाथ चा ुयात् प्रजाः Á Á 4 ÁÁ
भ मान् यः सदो ाय शु च तमानसः Á
सहस्रं वासुदव
े ना ामेतत् प्रक तर्येत् Á Á 5 Á Á
न वासुदव
े भ ानामशुभं व ते चत् Á
ज मृ ुजरा ा धभयं नैवोपजायते Á Á 11 ÁÁ
इमं वमधीयानः श्र ाभ सम तः Á
यु ेता सुखक्षा श्रीधृ त ृ तक तर् भः Á Á 12 ÁÁ
न क्रोधो न च मा य न लोभो नाशुभा म तः Á
भव कृतपु ानां भ ानां पुरुषो मे Á Á 13 Á Á
अजुर्न उवाच
प पत्र वशालाक्ष प नाभ सुरो म Á
भ ानामनुर ानां त्राता भव जनादर्न Á Á 1 ÁÁ
श्रीभगवानुवाच
यो मां नामसहस्रेण ोतु म त पा व Á
सोहऽमेकेन ोकेन ुत एव न संशयः Á Á 2 ÁÁ
ुत एव न संशय ओं नम इ त Á Á
ास उवाच
वासना ासुदव े वा सतं ते जग यम् Á
सवर्भूत नवासोऽ स वासुदवे नमोऽ ु ते Á Á 3 ÁÁ
े नमोऽ ु त ओं नम इ त Á Á
श्रीवासुदव
पावर् ुवाच
केनोपायेन लघुना व ोन मसहस्रकम् Á
प ते प तै नर् ं श्रोतु म ा हं प्रभो Á Á 4 ÁÁ
ई र उवाच
श्रीराम राम रामे त रमे रामे मनोरमे Á
सहस्रनामत ु ं रामनाम वरानने Á Á 5 ÁÁ
श्रीरामनाम वरानन ओं नम इ त Á Á
ब्र ोवाच
नमोऽ न ाय सहस्रमूतर्ये सहस्रपादा क्ष शरोरुबाहवे Á
स य उवाच
यत्र योगे रः कृ ो यत्र पाथ धनुधर्रः Á
तत्र श्री वर्जयो भू तध्रुर्वा नी तमर् तमर्म Á Á 7 ÁÁ
श्रीभगवानुवाच
अन ा य ो मां ये जनाः पयुर्पासते Á
तेषां न ा भयु ानां योगक्षेमं वहा हम् Á Á 8 ÁÁ
पिरत्राणाय साधूनां वनाशाय च दु ृ ताम् Á
धमर्सं ापनाथ य संभवा म युगे युगे Á Á 9 Á Á
आत वष ाः श थला भीताः
घोरे षु च ा धषु वतर्मानाः Á
स र् नारायणश मात्रं
वमु दुःखाः सु खनो भव Á Á 10 ÁÁ
कायेन वाचा मनसे यैव
बु ाऽऽ ना वा प्रकृतेः भावात् Á
करो म य त् सकलं पर ै
नारायणाये त समपर्या म Á Á 11 Á Á
ÁÁ इ त श्री व ुसहस्रनाम ोत्रं समा म् ÁÁ
रक्षोऽसुराणां क ठनोग्रक -
े दक्षर ो णत द धारम् Á
तं न कं नाम हरे ः प्रदी ं
ख ं सदाऽहं शरणं प्रप े Á Á 4 Á Á
सम दुःखा न भया न स ः
पापा न न सुखा न स ÁÁ 6 ÁÁ
वने रणे शत्रुजला म े
यदृ याप ु महाभयेषु Á
इदं पठन् ोत्रमनाकुला ा
सुखी भवेत् त ृ तसवर्रक्षः Á Á 7 ÁÁ
ÁÁ इ त श्री प ायुध ोत्रं समा म् ÁÁ