A Brief History of Modern India - Rajiv Ahir - 1

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आधु नक भारत का
सं त इ तहास

राजीव अहीर
आईपीएस ारा

आर. व ा सबीना मदन श श कु मार


स सेना
क पना राजाराम के
योगदान के साथ

संपादक
क पना राजाराम

संशो धत एवं व तृत सं करण


े म बु स पी ल मटे ड
ए थम तल जनकपुरी नई द ली
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© े म बु स ाइवेट ारा आर त। ल मटे ड


काशक क पूव अनुम त के बना इस काशन का कोई भी भाग कसी भी प म या कसी भी
मा यम से पुन तुत नह कया जा सकता है।

आईएसबीएन

े म इं डया ारा पहली बार म वां सं करण म का शत


कया गया

े म इं डया और े म बु स पी ल मटे ड ने
मू य ` इस पु तक म शा मल जानकारी व सनीय माने
जाने वाले ोत से ा त क है। हालाँ क े म
इं डया े म बु स पी ल मटे ड या लेख क
जानकारी क सट कता या पूण ता क गारंट दे ने का
ोड न कोऑ डनेटर के के प नाभन
काय नह करते ह और इस कार जानकारी के
उपयोग से उ प होने वाली कसी भी ु ट चूक या
त के लए ज मेदार नह ह। . लेख क और
उ पादन म सहायता वीआर कृ णदास काशक जानकारी तो दे रहे ह ले कन पेशेवर
सेवाएँ नह दे रहे ह।

लेज रटाइपसे टग ाफ स
शव शंक र गु ता

कवर डज़ाइन
ान गीता

े म बु स पी ल मटे ड ारा का शत
और वत रत ।
ए थम तल जनकपुरी नई द ली फोन
टे लीफै स
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सभी ववाद द ली े ा धकार के अधीन होगा।

यहां मु त
अजंता टस
नई द ली
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संपादक का नोट
भारत के वतं ता सं ाम के उ चत स लेख क और इ तहासकार ारा कई कताब लखी गई ह
जो आधु नक भारत के इ तहास के कसी भी वचार म मुख कड़ी ह।

ले कन ये खंड ापक और गहन अ ययन ह और अ सर एक पहलू क क मत पर सरे पहलू पर


अ य धक जोर दया जाता है। हालाँ क वतमान छोटा सा यास अशांत काल के व भ पहलु
भारतीय धरती पर यूरोपीय लोग के आगमन और भारत म टश शासन क ापना से लेक र
भारत क आजाद के दन और आजाद के शु आती वष तक को एक व त और एक साथ
लाता है। सं त तरीके से मुख और मह वपूण ववरण और मील के प र पर भावी ढं ग से
चचा क जाती है जब क कई ासं गक ले कन कम ात ववरण भी होते ह

काश डाला गया।


इसम के वल मु यधारा के वतं ता सं ाम पर ही वचार नह कया गया है कई समूह के
असमान यास छोटे ले कन मह वपूण पर भी चचा क गई है। आधु नक भारत के वकास को
भा वत करने वाले राजनी तक और सामा जक आ थक वकास पर वतं अ याय म चचा क गई
है।

यास ज टल और वा तव म वशाल साम ी को सं त और समझने म आसान तरीके से


तुत करने का रहा है और हम आशा करते ह क हमारे पाठक को उपयोगी और च क पु तक
मलेगी।
वतमान संशो धत सं करण म न न ल खत अ याय शा मल ह

iii
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संपादक का नोट

भारत म यूरोपीय लोग के आगमन और भारत म टश श के सु ढ़ करण के अलावा कई


अ याय के तहत अ त र जानकारी शा मल क गई है। इसम उन चुनौ तय पर भी अ याय ह
जनका सामना एक नव वतं रा को ू र वभाजन के बाद करना पड़ा। नेह वाद युग क भी
सं ेप म चचा क गई है। व रत संदभ के लए व भ आंदोलन कसान और आ दवासी
आंदोलन से जुड़े व का सव ण ता लकाएं और चाट भी दए गए ह।

सुधार हेतु सुझ ाव का वागत है।

क पना राजाराम

iv
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अंतव तु

यू नट I

ोत और कोण

अ याय

आधु नक भारत के इ तहास के ोत


पुरालेख साम ी
क सरकार अ भलेख ागार
रा य सरकार के पुरालेख
तीन ेसीडसी के अ भलेख ागार
अ य यूरोपीय श य के पुरालेख
या यक अ भलेख
का शत पुरालेख
नजी पुरालेख

वदे शी भंडार
जीव नयाँ सं मरण और या ा वृ ांत
समाचार प और प काएँ
मौ खक सा य
रचना मक सा ह य
च कारी
सारांश

अ याय दो

आधु नक भारत के इ तहास के मुख कोण


औप नवे शक कोण इ तहासलेख न
रा वाद इ तहासलेख न कोण

v
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अंतव तु

मा सवाद इ तहासलेख न कोण


सबा टन कोण इ तहासलेख न
सा दा यक कोण
कै ज कू ल
उदारवाद और नव उदारवाद ा याएँ
नारीवाद इ तहासलेख न
सारांश

यू नट II

यूरोपीय लोग का आगमन और


अं ेज का एक करण
भारत म श

अ याय
भारत म यूरोपीय लोग का आगमन
भारत म पुतगाली
ए क खोज और खोज
भारत के लए समु माग

े डग से लेक र लग तक
पुतगाली रा य
पुतगा लय का मुगल से मोहभंग हो गया
पुतगा लय का पतन
पुतगा लय का मह व
डच नवासी
डच ब तयाँ
एं लो डच त ं ता
भारत म डच का पतन
अं ेज ी
महारानी ए लज़ाबेथ थम का चाटर
अं ेज ी कं पनी क गत
ांसीसी
भारत म ांसीसी के क ापना
वच व के लए आं ल ांसीसी संघष
कनाटक यु

अं ेज ी सफलता के कारण और
च वफलता

vi
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अंतव तु

डेन
अं ेज कसके व सफल ए
अ य यूरोपीय श याँ
े डग कं प नय क संरचना और कृ त
नौसेना े ता
औ ो गक ां त
सै य कौशल एवं अनुशासन
र सरकार
धम के त कम उ साह
ऋण बाजार का उपयोग
सारांश
ब से
पुतगाली उ ान और पतन
ई ट इं डया कं पनी के ारं भक वष
भारत म डु ले स का उ ान और पतन
ारंभ म ापार म सामान के बारे म

अ याय
टश वजय क पूव सं या पर भारत
मुगल के सामने चुनौ तयां
बाहरी चुनौ तयाँ
औरंगजेब के बाद के कमजोर शासक एक
आंत रक चुनौती
मुगल सा ा य के पतन के कारण
जम दार क बदलती न ा
जागीरदारी संक ट
े ीय आकां ा का उदय
आ थक एवं शास नक सम याएँ

े ीय रा य का उदय
े ीय रा य का सव ण
े ीय रा य क कृ त एवं सीमाएँ
सामा जक आ थक तयाँ
कृ ष
ापार और उ ोग
श ाक त
सामा जक व ा

vii
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अंतव तु

कला वा तुक ला और सं कृ त सारांश ब से म वकास

पानीपत म सा ा य हला दे ने वाली कई लड़ाइयाँ य


मुगल के पतन के कारण सं ेप म

अ याय
भारत म टश श का व तार और सु ढ़ करण

टश शाही इ तहास
या टश वजय आक मक थी या जानबूझ कर
भारत म टश काल क शु आत कब ई
भारत म टश सफलता के कारण
े ह थयार सै य और रणनी त
बेहतर सै य अनुशासन और नय मत वेतन
नाग रक अनुशासन एवं न प चयन णाली
शानदार नेतृ व और सरे का समथन
पं के नेता
मजबूत व ीय बैक अप
रा वाद गौरव

बंगाल पर टश वजय
टश वजय क पूव सं या पर बंगाल
अलीवद खान और अं ेज
सराज उद दौला के सामने चुनौ तयाँ
लासी का यु
मीर का सम और क सं ध
ब सर का यु
इलाहबाद क सं ध
बंगाल म दोहरी सरकार
कं पनी के त मैसूर का तरोध
वोडेयार मैसूर राजवंश
हैदर अली का उदय
थम आं ल मैसूर यु
तीय आं ल मैसूर यु
तृतीय आं ल मैसूर यु

viii
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अंतव तु

चतुथ आं ल मैसूर यु
ट पू के बाद मैसूर
आं ल मराठा वच व के लए संघष
मराठ का उदय
मराठा राजनी त म अं ेज का वेश
थम आं ल मराठा यु
तीय आं ल मराठा यु
तीसरा आं ल मराठा यु
मराठा य हारे
सध क वजय
तालपुरस अमीर का उदय
सध पर मक भु व
सध क वजय क आलोचनाएँ
पंज ाब क वजय
पंज ाब का स ख के अधीन एक करण
रणजीत सह और अं ेज
रणजीत सह के बाद पंज ाब
थम आं ल सख यु
सरा आं ल सख यु
आं ल सख यु का मह व
के मा यम से टश सव प रता का व तार
शास नक नी त
रग बाड़ क नी त
सहायक गठबंधन
चूक का स ांत
पड़ोसी दे श के साथ टश भारत के संबंध
दे श
एं लो भूटानी संबंध
आं ल नेपाली संबंध
आं ल बम संबंध
आं ल त बती संबंध
आं ल अफगान संबंध
जॉन लॉरस और क नी त
उ कृ न यता
लटन और ाउड रजव क नी त
टश भारत और उ र प म सीमा
सारांश

ix
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अंतव तु

ब से
रॉबट लाइव
ट पू सु तान का अनुमान
अवध का वलय

यू नट III

के खलाफ बढ़ती नाराजगी


कं पनी नयम

अ याय
से पहले अं ेज के व जनता का तरोध
जन तरोध ता पय
जन तरोध क उ प
जन व ोह के कारक कारक
नाग रक व ोह
नाग रक व ोह के मुख कारण
नाग रक व ोह क सामा य वशेषताएँ
मह वपूण नाग रक व ोह
धा मक वर वाले कसान आंदोलन
आ दवासी व ोह
मु यभू म और के लए व भ कारण
उ र पूव जनजातीय व ोह
आ दवासी व ोह क वशेषताएँ
मु य भू म के मह वपूण जनजातीय आंदोलन
उ र पूव के जनजातीय आंदोलन

सपाही व ोह
कारण
मह वपूण व ोह
जन व ोह क कमजो रयाँ
सारांश
ब से
जनजातीय आंदोलन काल े कारण एक नजर म
उ र पूव सीमांत जनजातीय आंदोलन वष
े मुख कारण

अ याय
का व ोह
उबल रहा असंतोष

ए स
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अंतव तु

का व ोह मुख कारण
आ थक कारण
राजनी तक कारण
शास नक कारण
सामा जक धा मक कारण
बाहरी घटना का भाव
सपा हय म असंतोष
व ोह क शु आत और सार
चगारी
मेरठ से शु होता है

तीका मक मुख के प म बहा र शाह का चयन


नाग रक जुड़
तूफ ान क और व ोह के नेता

व ोह का दमन
व ोह वफल य आ
अ खल भारतीय भागीदारी अनुप त थी
सभी वग शा मल नह ए
ख़राब ह थयार और उपकरण
असंग ठत और ख़राब ढं ग से संग ठत
कोई एक कृ त वचारधारा नह
ह मु लम एकता कारक
व ोह क कृ त

नतीजे
व ोह का मह व
सारांश
ड बा

ेत व ोह
यू नट IV

सुधार आंदोलन

अ याय
सामा जक धा मक सुधार आंदोलन
सामा य सु वधाएँ

सुधार क इ ा को ज म दे ने वाले कारक


टश शासन का भाव
सामा जक प र तयाँ सुधार के लए तैयार ह

xi
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अंतव तु

प मी सं कृ त का वरोध
बु भारतीय म नई जाग कता
सुधार के सामा जक और वैचा रक आधार
म डल लास बेस
बौ क मानदं ड
दो धाराएँ
समाज सुधार क दशा

म हला क त क बेहतरी के लए संघष


जा त आधा रत शोषण के व संघष
सारांश

अ याय

सामा जक सां कृ तक का एक सामा य सव ण


सुधार आंदोलन
सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन और उनके नेता

राजा राममोहन राय और समाज


ाथना समाज
यंग बंगाल आंदोलन और हेनरी
व वयन डेरो जयो
ई र च व ासागर
बालशा ी जा ेक र
परमहंस मंडली
स यशोधक समाज और यो तबा या यो तराव फु ले
गोपालह र दे शमुख लोक हतवाद
गोपाल गणेश अगरकर
सवट् स ऑफ इं डया सोसाइट
सोशल स वस लीग
रामकृ ण आंदोलन और
वामी ववेक ानंद
दयानंद सर वती और आय समाज
सेवा सदन
दे व समाज
धम सभा
भारत धम महामंडल
राधा वामी आ दोलन
ी नारायण गु धम प रपालन एसएनडीपी
आंदोलन

बारह
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अंतव तु

वो का लगा संघ
याय आ दोलन
वा भमान आ दोलन
मं दर वेश आ दोलन
इं डयन सोशल कॉ स
वहाबी वलीउ लाह आंदोलन
ट टू मीर का आंदोलन
फ़राज़ी आंदोलन
अहम दया आंदोलन
सर सैयद अहमद खान और अलीगढ आंदोलन
दे वबंद कू ल दा ल उलूम
पारसी सुधार आ दोलन
सख सुधार आंदोलन

थयोसो फकल आंदोलन


सुधार आ दोलन का मह व
सकारा मक पहलू
नकारा मक पहलू

यू नट वी

संघष शु होता है

अ याय

भारत म आधु नक रा वाद क शु आत


आधु नक रा वाद के वकास म कारक

भारतीय और औप नवे शक हत म वरोधाभास क समझ

का राजनी तक शास नक एवं आ थक एक करण


दे श
पा ा य वचार एवं श ा
ेस एवं सा ह य क भू मका

भारत के अतीत क पुनः खोज


सामा जक धा मक का ग तशील च र
सुधार आंदोलन

म यवग य बु जी वय का उदय
व म समसाम यक आंदोलन का भाव
त यावाद नी तयाँ और न लीय
शासक का अहंक ार

xiii
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अंतव तु

भारतीय से पहले राजनी तक संघ


नेशनल कां ेस
बंगाल म राजनी तक संघ
ब बई म राजनी तक संघ
म ास म राजनी तक संघ
कां ेस पूव अ भयान
सारांश

अ याय
भारतीय रा ीय कां ेस फाउं डेशन और
म यम चरण
भारतीय रा ीय कां ेस क ापना या यह एक सुर ा वा व था

आधु नकता के कां ेस युग के ल य और उ े य

मह वपूण नेता संय मत


कोण रखते ह
उदारवाद रा वा दय का योगदान

टश सा ा यवाद क आ थक आलोचना
संवैधा नक सुधार और चार
वधान मंडल
सामा य शास नक सुधार के लए अ भयान
नाग रक अ धकार का संर ण
ारं भक रा वा दय का एक मू यांक न
जनता क भू मका
सरकार का रवैया
सारांश
ड बा

भारतीय प रषद् अ ध नयम

इकाई VI

रा ीय आंदोलन

अ याय
उ वाद रा वाद का युग
उ वाद रा वाद का वकास

xiv
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अंतव तु

उ वाद रा वाद य बढ़ा


वदे शी और ब ह कार आंदोलन
लोग को बांटने के लए बंगाल का वभाजन
वभाजन वरोधी अ भयान के तहत
नरमपंथी
कां ेस क त
चरमपंथी नेतृ व के तहत आंदोलन
चरमपंथी काय म
संघष के नये प
सामू हक भागीदारी क सीमा
अ खल भारतीय पहलू
वभाजन क समा त
वदे शी आंदोलन का मू यांक न
आंदोलन वफल हो गया
आंदोलन एक नणायक मोड़
सूरत वभाजन
सूरत तक भागो
बंटवारा होता है
सरकारी दमन
सरकार क रणनी त
मॉल मटो सुधार
सुधार
मू यांक न

सारांश
ड बा

नरमपं थय और उ वा दय के बीच अंतर

अ याय
ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

ां तकारी ग त व धय म उछाल य
ां तकारी काय म
ां तकारी ग त व धय का एक सव ण
बंगाल
महारा
पंज ाब

xv
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अंतव तु

वदे श म ां तकारी ग त व धयाँ


गरावट
सारांश

अ याय
थम व यु और रा वाद त या
होम ल लीग आंदोलन
आंदोलन के लए अ णी कारक
लीग
होम ल लीग काय म
सरकारी रवैया
तक आंदोलन य फ का पड़ गया
सकारा मक लाभ
भारतीय रा ीय का लखनऊ अ धवेशन

कां ेस
गरमपं थय का कां ेस म पुनः वेश
कां ेस और के बीच लखनऊ समझौता
मु लम लीग
म टागु का अग त का व
भारतीय आप याँ
सारांश
यू नट VII

सामू हक रा वाद का युग ारंभ

अ याय
गांधी का उ व
अब रा वाद पुन ान य
यु ो र आ थक क ठनाइयाँ
सहयोग से राजनी तक लाभ क आशा
यु म

सा ा यवाद से रा वा दय का मोहभंग
नया भर

सी ां त का भाव नवंबर
म टागु चे सफोड सुधार और सरकार

xvi
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अंतव तु

भारत अ ध नयम
मु य वशेषताएं
क मयां
कां ेस क त या
गांधी का नमाण
ारं भक कै रयर और योग
द णअ का म स ाई
द णअ का म गांधीजी का अनुभव
गांधीजी क स या ह क तकनीक
भारत म गांधी
चंपारण स या ह थम नाग रक
आ ा का उ लंघन
अहमदाबाद मल हड़ताल पहली भूख हड़ताल
खेड़ा स या ह थम असहयोग
चंपारण अहमदाबाद और खेड़ा से लाभ
रौलट ए ट स या ह ज लयांवाला बाग नरसंहार
रौलेट ए ट

रौलट ए ट के व स या ह
पहली सामू हक हड़ताल

ज लयांवाला बाग नरसंहार अ ैल


जांच क हंटर स म त
कां ेस का नज रया
सारांश
ड बा

टॉ टॉय फाम

अ याय
असहयोग आंदोलन और
खलाफत आंदोलन
पृ भू म
खलाफत अंक
ख़लीफ़ात असहयोग का वकास
program
खलाफत पर कां ेस का ख
मु लम लीग का कां ेस को समथन
असहयोग खलाफत आंदोलन

xvii
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अंतव तु

आंदोलन का सार
लोग क त या
सरकारी त या
आंदोलन का अं तम चरण
गांधी जी ने आंदोलन य वापस लया
खलाफत असहयोग आंदोलन का मू यांक न
सारांश

अ याय
वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार
ां तकारी ग त व धयाँ और अ य नई ताकत
वराजवाद और प रवतक नह
कां ेस खलाफत वरा य पाट क उ प
वराजवा दय के तक
नो चजस के तक
सहमत से असहमत
चुनाव के लए वराजवाद घोषणाप
गांधी का रवैया
प रषद म वराजवाद ग त व ध
नो चजस ारा रचना मक काय
नई ताकत का उदय समाजवाद वचार
युवा श े ड यू नयनवाद
मा सवाद एवं समाजवाद वचार का सार
भारतीय युवा क स यता

कसान का आंदोलन
े ड यू नयनवाद का वकास
जा त आंदोलन
ां तकारी ग त व ध क ओर एक मोड़ के साथ
समाजवाद
के दशक के दौरान ां तकारी ग त व ध
असहयोग आंदोलन के बाद ां तकारी ग त व धय के त आकषण

मुख भाव
पंज ाब संयु ांत बहार म
बंगाल म

xviii
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अंतव तु

आ धका रक त या

वैचा रक पुन वचार


सारांश

अ याय

साइमन कमीशन और नेह रपोट


भारतीय वैधा नक आयोग क नयु
भारतीय त या
पु लस दमन
साइमन कमीशन क नयु का भाव
रा ीय आंदोलन पर
साइमन कमीशन क सफ़ा रश
नेह रपोट
मु य सफ़ा रश

मु लम और ह सां दा यक त याएँ
ज ा ारा ता वत संशोधन
नेह रपोट असंतोषजनक पाई गई
सारांश
ड बा

डॉ अ बेडकर और साइमन कमीशन

अ याय
स वनय अव ा आंदोलन और दौर
टे बल स मेलन
स वनय अव ा आंदोलन का संचालन
कां ेस का कलक ा अ धवेशन
के दौरान राजनी तक ग त व ध
इर वन क घोषणा अ टू बर
द ली घोषणाप
लाहौर कां ेस और पूण वराज
जनवरी वतं ता त ा
स वनय अव ा आंदोलन नमक स या ह
और अ य उभार
गांधी जी क यारह मांग
नमक को मह वपूण वषय के प म य चुना गया
दांडी माच माच अ ैल

xix
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अंतव तु

नमक अव ा का सार
आंदोलन का भाव
सामू हक भागीदारी क सीमा
सरकारी त या संघष वराम के यास
गांधी इर वन समझौता
स वनय अव ा आंदोलन का मू यांक न

कराची कां ेस अ धवेशन


कराची म कां ेस के ताव
गोलमेज़ स मेलन
थम गोलमेज़ स मेलन
सरा गोलमेज़ स मेलन
तृतीय गोलमेज स मेलन
स वनय अव ा फर से शु

यु वराम अव ध के दौरान माच दसंबर


सरे आरट सी के बाद बदला सरकारी रवैया
सरकारी कारवाई
लोक य त या
सां दा यक पुर कार और पूना समझौता
सा दा यक अ ध नणय के मु य ावधान

कां ेस टड
गांधी क त या
पूना पै ट

पूना पै ट का द लत पर भाव
गांधीजी का ह रजन अ भयान और जा त पर वचार
के बीच वैचा रक मतभेद एवं समानताएँ
गांधी और अ बेडकर
सारांश

अ याय

स वल के बाद भ व य क रणनी त पर बहस


अव ा आंदोलन
थम चरण क बहस
नेह का कोण

नेह का संघष का वरोध


संघष वराम रणनी त
अंत म प रषद वेश के लए हाँ

xx
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अंतव तु

भारत सरकार अ ध नयम


मु य वशेषताएं
अ ध नयम का मू यांक न

रा वा दय क त या
सरे चरण क बहस
वभा जत राय
गांधी क त
चुनाव के लए कां ेस का घोषणाप
कां ेस का दशन
सारांश

अ याय
ा त म कां ेस का शासन
गांधी जी क सलाह
कां ेस मं ालय के अधीन काय कर
नाग रक सु वधा

कृ ष सुधार
म के त कोण
समाज क याण सुधार
मू यांक न

सारांश
इकाई आठव

वतं ता क ओर और
वभाजन

अ याय

के म े नजर रा वाद त या
तीय व यु

संघष के तरीके पर कां ेस का संक ट


ह रपुरा और पुरी स सुभाष
बोस के वचार
गांधी और बोस वैचा रक मतभेद
अ हसा बनाम उ वाद कोण
साधन और सा य
सरकार के पम

xxi
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अंतव तु

सै नक शासन
अथ व ा पर वचार
धम
जा त और अ ृ यता
औरत
श ा
तीय व यु और रा वाद त या
कां ेस का वायसराय को ताव
वधा म सीड यूसी क बैठक
सरकार का रवैया और कां ेस
मं ालय का इ तीफा
सरकार का छपा आ एजडा
अग त ऑफर
जवाब
मू यांक न

गत स या ह
गांधी ने नेह को अपना उ रा धकारी नयु कया
स मशन
स मशन य भेज ा गया
मु य ताव
अतीत से ान और न हताथ
स मशन वफल य आ
सारांश

अ याय

भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग और आईएनए

भारत छोड़ो आंदोलन


अभी संघष य शु कर
भारत छोड़ो संक प
गांधीजी के सामा य नदश
व भ अनुभाग

आंदोलन का सार
सामू हक भागीदारी क सीमा
सरकारी दमन
अनुमान लगाना

xxii
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अंतव तु

गांधीजी उपवास करते ह


का अकाल
राजगोपालाचारी फॉमूला
फॉमूला

आप यां
दे साई लयाकत समझौता
वेवेल योजना
सरकार अब समाधान के लए उ सुक य थी
योजना
मु लम लीग का ख
कां ेस का टड
वेवेल क गलती
आज़ाद हद फौज और सुभाष बोस
आजाद हद फौज क उ प एवं थम चरण
सारांश

अ याय
यु ो र रा ीय प र य

रा ीय उ ान क दो धाराएँ
सरकार के रवैये म बदलाव य
कां ेस चुनाव अ भयान और आईएनए परी ण
रा वाद ल य के लए चुनाव अ भयान
आईएनए कै दय के लए कां ेस का समथन
आईएनए आंदोलन कई मायन म एक मील का प र
तीन उभार क शीत ऋतु
तीन चरण पैटन
क मता एवं भाव का मू यांक न
तीन उभार
कां ेस क रणनी त
चुनाव प रणाम

कां ेस का दशन
मु लम लीग का दशन
चुनाव क मह वपूण वशेषताएं
कै बनेट मशन
टश वापसी अब आस य लग रही है
कै बनेट मशन योजना क पूव सं या पर

xxiii
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अंतव तु

कै बनेट मशन आता है


कै बनेट मशन योजना मु य ब

ु पग लॉज क वभ ा याएँ
मु य आप याँ
वीकृ त एवं अ वीकृ त
सां दा यक नरसंहार और अंत रम सरकार
सरकार क ाथ मकताएँ बदल
अंत रम सरकार
अवरोधक कोण और परो
लीग के उ े य
भारत म सा दा यकता का ज म और सार
भारतीय सा दा यकता क चा र क वशेषताएँ
सा दा यकता के बढ़ने के कारण
रा स ांत का वकास
सारांश
ड बा

वेवेल क ेक डाउन योजना

अ याय

वभाजन के साथ आज़ाद


एटली का फ़रवरी का व
एटली के कथन के मु य ब

नकासी के लए सरकार ारा त थ य नधा रत क गयी


कां ेस टड
वतं ता और वभाजन
माउं टबेटन को वायसराय नयु कया गया
माउं टबेटन योजना जून
भारतीय वतं ता अ ध नयम
ज द नकासी क सम या
रा य का एक करण
वभाजन क अ नवायता
कां ेस ने वभाजन य वीकार कया
गांधी क बेबसी
सारांश
ड बा

बा कन क योजना बनाएं

xxiv
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अंतव तु

इकाई IX

टश शासन के अधीन भारत


शासन और अ य पहलू

अ याय
संवैधा नक शास नक और या यक
घटना म
और के बीच संवैधा नक वकास
का रेगुले टग ए ट
का पट् स इं डया ए ट
का अ ध नयम
का चाटर अ ध नयम
का चाटर अ ध नयम
का चाटर अ ध नयम
का चाटर अ ध नयम
भारत क बेहतर सरकार के लए अ ध नयम
के बाद से आज़ाद तक का वकास
भारतीय प रषद् अ ध नयम
भारतीय प रषद् अ ध नयम
भारतीय प रषद् अ ध नयम
भारत सरकार अ ध नयम
साइमन कमीशन
भारत सरकार अ ध नयम
भारत म स वल सेवा का वकास
कॉनवा लस क भू मका

वेले ली क भू मका
का चाटर ए ट
भारतीय स वल सेवा अ ध नयम
वैधा नक स वल सेवा
कां ेस मांग और ए चसन स म त
म टफोड सुधार
ली कमीशन
टश नयम के तहत स वल सेवा का मू यांक न

आधु नक भारत म पु लस व ा का वकास


अं ेज के अधीन सेना

xxv
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अंतव तु

टश भारत म यायपा लका का वकास


वॉरेन हे ट स के तहत सुधार
कॉनवा लस के तहत सुधार
अ धकार का वभाजन
व लयम ब टक के तहत सुधार
बाद के वकास
मू यांक न

के बाद शास नक ढांचे म मुख प रवतन


शास नक प रवतन क उ प
उप नवेशवाद का नया चरण
शासन क य ांतीय ानीय
क सरकार
ांतीय सरकार
ानीय नकाय

अ याय

भारत म टश नी तय का सव ण
शास नक नी तयाँ
फू ट डालो और शासन करो

श त भारतीय के त श ुता
जम दार के त रवैया
सामा जक सुधार के त कोण

अ वक सत सामा जक सेवाएँ
म वधान
ेस क वतं ता पर तबंध
ेत न लवाद
भारत म टश सामा जक और सां कृ तक नी त
नये वचार के ल ण
सोच के व ालय
भारतीय पुनजागरण
सरकार के सामने वधा
ईसाई मशन रय क भू मका
टश र ट

रयासत के त टश नी त
भारत म टश वदे श नी त

xxvi
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अंतव तु

अ याय

भारत म टश शासन का आ थक भाव


वऔ ोगीकरण कारीगर क बबाद और
ह त श पी
एक तरफ़ा मु ापार
आधु नक औ ोगीकरण क दशा म कोई कदम नह
ामीणीकरण
कसान वग क द र ता
बचौ लय का उ व अनुप त जम दारवाद
पुराने जम दार का खंडहर

कृ ष का ठहराव और गरावट
अकाल और गरीबी
भारतीय कृ ष का ावसायीकरण
उ ोग का वनाश एवं आधु नक उ ोग का दे र से वकास

औप नवे शक अथ व ा क रा वाद आलोचना


भारत को गरीब बनाने वाली टश नी तयां
ापार और रेलवे के वकास से टे न को मदद मलेगी
एकतरफ़ा मु ापार और टै रफ नी त
आ थक न कासन का भाव
आ थक मु ा रा ीय अशां त को बढ़ावा दे ने वाला

भारत म उप नवेशवाद के चरण


थम चरण
सरा चरण
तीसरा चरण
सारांश
ड बा

आ थक नकास

अ याय
भारतीय ेस का वकास
ारं भक व नयम
ारं भक रा वा दय ारा सुर ा के लए संघष
ेस क वतं ता
वना यूलर ेस अ ध नयम

xxvii
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अंतव तु

थम व यु के दौरान और उसके बाद


सरे व यु के दौरान

अ याय

श ा का वकास
कं पनी नयम के तहत
के चाटर अ ध नयम ारा एक वन शु आत
ा यवाद आं लवाद ववाद
लॉड मैक ाले का मनट
थॉमसन के यास
वुड्स ड ैच
ताज के स ा म आने के बाद
हंटर श ा आयोग
भारतीय व व ालय अ ध नयम
श ा पर सरकारी संक प
नी त
सैडलर व व ालय आयोग
ै ध शासन के तहत श ा
हाट ग स म त
श ा क साजट योजना
ानीय भाषा श ा का वकास
तकनीक श ा का वकास
श ा पर टश नी त का मू यांक न
ड बा

बु नयाद श ा क वधा योजना

अ याय
कसान आंदोलन
उप नवेशवाद के तहत कसान
ारं भक कसान आंदोलन का सव ण
इं डगो व ोह
पबना ए े रयन ली स
डे कन दं गे
के बाद कसान आंदोलन का बदला आ व प
कमज़ो रयाँ
बाद के आंदोलन

xxviii
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अंतव तु

कसान सभा आंदोलन


एका आंदोलन

म पला व ोह
बारडोली स या ह
अ खल भारतीय कसान कां ेस सभा
कां ेस मं ालय के अधीन
ांत म कसान ग त व ध
यु के दौरान
यु ो र चरण
कसान आंदोलन क बैलस शीट

अ याय
मज र वग का आंदोलन
ारं भक यास
वदे शी व ोह के दौरान
थम व यु के दौरान और उसके बाद
एटक
े ड यू नयन अ ध नयम
के दशक के अंत म

मेरठ षडयं के स
कां ेस मं ालय के अधीन
तीय व यु के दौरान और उसके बाद
आज़ाद के बाद

यू नट ए स

वतं ता और उसके बाद

अ याय

नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ


आज़ाद भारत का पहला दन
आज़ाद के बाद पहली कै बनेट
रैड लफ का सीमा पुर कार और सां दा यक दं गे
सीमा आयोग के सम चुनौ तयाँ
दं ग से सवा धक भा वत े
संसाधन के वभाजन से जुड़ी चुनौ तयाँ
नाग रक सरकार का भाग

xxix
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अंतव तु

व वभाग
र ा का मक और उपकरण भाग
गांधी क ह या
शरणा थय का पुनवास और पुन ापन
पूव पंज ाब
बंगाल
अ पसं यक पर द ली समझौता
भारत म शरणाथ ब तय के क
क यु न ट और वतं ता क यु न ट वतं ता को
लेक र संशय म य थे

वरोधी रणनी त से संवैधा नक लोकतं क ओर बदलाव

अ याय
भारतीय रा य
I. समानता के लए कं पनी का संघष
अधीनता क त
तीय. रग फस क नी त
तृतीय. अधीन अलगाव क नी त
चतुथ. अधीन संघ क नी त
कज़न का कोण
के बाद वी.
समान संघ क नी त एक गैर टाटर

VI. एक करण और वलय


जनमत सं ह और सेना क कारवाई
मक एक करण

अ याय
भारत के लए सं वधान का नमाण
पृ भू म
सं वधान सभा
गठन
दो सं वधान सभाएँ भारत और पा क तान

भारत के लए सभा का मू यांक न

xxx
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अंतव तु

आज़ाद के बाद
काय स म तयाँ एवं सवस म त
ड बा

ा पसमत

अ याय

रा वाद वदे श नी त का वकास से थम व यु तक सा ा यवाद


वरोध और
पैन ए शयाई भावना
थम व यु
और समाजवा दय के साथ पहचान
के बाद फासीवाद वरोधी
आज़ाद के बाद
पंचशील और गुट नरपे ता
ब से
पंचशील पर ऐ तहा सक प र े य
गुट नरपे ता के पांच मानदं ड

अ याय
पहला आम चुनाव
चुनाव के लए जमीनी काय
चुनाव आयोग

मतदान के लए वधान
वतं भारत के लए मतदान हो रहा है
पहली बार
चुनौ तयां
लोकसभा चुनाव के लए मैदान म पा टयां
चुनाव का संचालन
प रणाम
ड बा

थम आम चुनाव वजेता

अ याय
नेह के नेतृ व म वकास
राजनी तक वकास
रा भाषा पर वाद ववाद

xxxi
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अंतव तु

रा य का भाषाई पुनगठन
अ य राजनी तक दल का वकास
एक अलोकतां क कृ य

आ थक वकास के लए योजना क अवधारणा


व ान एवं ौ ो गक क गत
सामा जक वकास
श ा म वकास
नेह के अधीन सामा जक प रवतन
वदे श नी त
पड़ो सय के साथ संबंध
भारत और पा क तान
भारत और चीन
भारत और नेपाल
भारत और भूटान
भारत और ीलंक ा

परश
. व श आंदोलन से जुड़े व
वदे शी आ दोलन
असहयोग आंदोलन
स वनय अव ा आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन

. भारत के गवनर जनरल और वायसराय उनके शासन म मह वपूण


घटनाएँ
. भारतीय रा ीय कां ेस के वा षक स . सामा जक धा मक सुधार
आंदोलन व सद के अंत से व सद के म य तक

. रा वाद काल के स परी ण . जा त आंदोलन . कसान


आंदोलन . समाचार प और
प काएँ

xxxii
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इकाई I

सू का कहना है

और

कोण
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के इ तहास के लए ोत
आधु नक भारत

व सद के म य से व सद के म य तक भारत के अ ययन के लए चुर मा ा म


ऐ तहा सक साम ी उपल है। आधु नक भारत के इ तहास के नमाण म पुरालेख को
ाथ मकता दये जाने क आव यकता है। पुरालेख ऐ तहा सक अ भलेख और द तावेज के
सं ह को संद भत करता है आमतौर पर ाथ मक ोत द तावेज़ यानी वे द तावेज़ जो कसी
गतवध शास नक कानूनी सामा जक या वा ण यक के एक आव यक ह से के प
म बनाए गए ह। वे अ तीय मौ लक द तावेज़ ह जो भावी पीढ़ को जानकारी दे ने के लए
जानबूझ कर लखे या बनाए नह गए ह। आधु नक भारत से संबं धत अ भलेख का एक
मह वपूण ह सा आ धका रक अ भलेख ह यानी व भ तर पर सरकारी एज सय के
कागजात।

ई ट इं डया कं पनी के रकॉड क अव ध के दौरान ापा रक तय


का व तृत ववरण दान करते ह। जब टश ताज ने शासन अपने हाथ म लया तो उसने
बड़ी सं या म व भ कार के आ धका रक रकॉड भी रखे। ये रकॉड इ तहासकार को चरण
दर चरण हर मह वपूण वकास का पता लगाने और नणय लेने क या और नी त
नमाता के मनो व ान का पालन करने म मदद करते ह। अ य यूरोपीय ई ट इं डया कं प नय
पुतगाली डच और च के रकॉड भी व और व शता द के इ तहास के नमाण के
लए उपयोगी ह। वे मु य प से आ थक इ तहास के कोण से मह वपूण ह ले कन उनसे
राजनी तक व ा के बारे म भी ब त कु छ पता लगाया जा सकता है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सं मरण जीव नयाँ और या ा वृ ांत जैसे कई समकालीन और अध समसाम यक


काय भी ह जो हम व और व शता द क शु आत के इ तहास क दलच और
उपयोगी झल कयाँ दे ते ह।

समाचार प और प काएँ व सद के उ राध म सामने आए और वे व और व सद


म भारतीय समाज के लगभग सभी पहलु पर ब त मू यवान जानकारी दान करते ह।
आधु नक भारतीय इ तहास के अ य ोत म मौ खक सा य रचना मक सा ह य और प टग
शा मल ह।

पुरालेख साम ी

आ धका रक रकॉड क चार े णयां ह i क सरकार के अ भलेख ागार ii रा य सरकार


के अ भलेख ागार iii म यवत और अधीन अ धका रय के रकॉड और iv या यक
रकॉड। इनके अलावा वदे श म नजी अ भलेख ागार और अ भलेख ीय ोत उपल ह।

क सरकार अ भलेख ागार


नई द ली म त भारत के रा ीय अ भलेख ागार म भारत सरकार के अ धकांश अ भलेख
शा मल ह।
ये आधु नक भारतीय इ तहास के व भ पहलु पर ामा णक और व सनीय ोत साम ी
दान करते ह। रा ीय अ भलेख ागार के रकॉड व भ समूह के अंतगत आते ह जो इसके
वकास के व भ चरण म स चवालय क व भ शाखा का त न ध व करते ह। ऐसा
इस लए आ य क ई ट इं डया कं पनी का काम व भ शाखा सावज नक या सामा य
राज व राजनी तक सै य गु त वा ण यक या यक श ा आ द के बीच वत रत कया
गया था और इनम से येक शाखा के लए रकॉड का एक अलग सेट रखा गया था। या वभाग.
म बंगाल के पहले सवयर जनरल के प म जे स रेनेल क नयु के साथ भारतीय
सव ण वभाग ने दे श के अ ात े और इसक सीमावत भू म का वै ा नक प से
मान च ण करना शु कया। भारतीय सव ण वभाग के अ भलेख के साथ साथ
सव णकता क प काएँ और सं मरण न के वल भौगो लक मामल पर ब क अ य वषय
पर भी ब मू य जानकारी दान करते ह।
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आधु नक भारत के इ तहास के ोत

समसाम यक सामा जक आ थक तयाँ और अ य मह वपूण ऐ तहा सक पहलू।

सावज नक या यक और वधायी वभाग क कायवाही औप नवे शक सरकार क


सामा जक और धा मक नी तय के अ ययन के लए पया त डेटा दान करती है। औप नवे शक
शासन के दौरान श ा पर सरकार क नी तय और श ा णाली के वकास का उ लेख क य
अ भलेख ागार के शै क रकॉड म कया गया है। रा वाद आंदोलन के उ व पर आधा रत
कागजात गृह वभाग के रकॉड क सावज नक ृंख ला का ह सा थे ले कन म वशेष
प से राजनी तक और सां दा यक मु से नपटने के लए रकॉड क एक नई ृंख ला होम
पॉ ल टकल शु क गई थी। से तक संवैधा नक वकास के व ेषणा मक
अ ययन के लए सुधार कायालय के रकॉड ब त उपयोगी ह।

रा य सरकार के पुरालेख
रा य अ भलेख ागार म ोत साम ी म i पूव टश भारतीय ांत ii पूववत रयासत के
रकॉड शा मल ह ज ह के बाद भारतीय संघ म शा मल कया गया था और iii टश
के अलावा अ य वदे शी शासन . इनके अलावा उन भारतीय श य के रकॉड जन पर
अं ेज ने क ज़ा कर लया था उदाहरण के लए लाहौर सा ा य के अ भलेख ागार लोक य
प से से तक खालसा दरबार के रकॉड के प म जाना जाता है मह वपूण
ोत साम ी ह। भारत म टश पूव सावज नक अ भलेख ागार का एक अ य मह वपूण सं ह
पुण े के ए लयनेशन कायालय म त पेशवा द तर है। यह पेशवा के पतन से पहले लगभग
एक शता द क अव ध के लए मराठा इ तहास के अ ययन के लए सबसे मू यवान एकल
ोत है।

राज ान क रयासत जैसे जयपुर बीकानेर जोधपुर उदयपुर आ द के इ तहास का


अ ययन करने के लए इन रा य के अ भलेख ागार जो अब बीकानेर म राज ान रा य
अ भलेख ागार म रखे गए ह मू यवान ह। इसी कार ज मू और क मीर म से डोगरा
शासन के इ तहास का अ ययन ज मू म रखे रा य के कागजात के मू यवान सं ह म कया जा
सकता है।

रयासत के अ य मह वपूण अ भलेख ह


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म य दे श म वा लयर इंदौर भोपाल और रीवा के रल म ावणकोर और कोचीन कनाटक म


मैसूर और महारा म को हापुर।

तीन ेसीडसी के पुरालेख फोट व लय स बंगाल ेसीडसी के


शु आती रकॉड म कलक ा क लूट के दौरान खो गए थे ले कन लासी म टश जीत
के बाद बंगाल ेसीडसी के पुरालेख कमोबेश एक पूरी ृंख ला म बच गए ह जो आं शक प
से ह भारत के रा ीय अ भलेख ागार और आं शक प से प म बंगाल के रा य अ भलेख ागार
म उपल है। म ास ेसीडसी के रकॉड ई. से शु होते ह और इसम फोट सट जॉज
के गवनर और काउं सल के रकॉड शा मल ह। इन अ भलेख म द ण और द कन म एक
राजनी तक श के प म अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी के उदय से संबं धत ब त सारी जानकारी
है जसम एं लो ांसीसी संघष और अ य भारतीय श य के साथ अं ेज ी संघष भी शा मल
है।

महारा स चवालय रकॉड कायालय मुंबई म रखे गए बॉ बे ेसीडसी के अ भलेख ागार प मी


भारत महारा गुज रात सध और त कालीन बॉ बे ेसीडसी के क ड़ भाषी जल के इ तहास
का अ ययन करने म बेहद उपयोगी ह ज ह म मैसूर म शा मल कया गया था। .

अ य यूरोपीय श य के पुरालेख गोवा म संर त पुतगा लय से संबं धत


पुरालेख मु य प से से क अव ध के भारत म पुतगाली आ धप य के इ तहास
के लए मू यवान ह।

ल बन से गोवा म ा त आदे श और ेषण और भारत से पुतगाल को भेज ी गई त याएँ


और रपोट पुतगाली अ भलेख ागार म सबसे मह वपूण ऐ तहा सक साम ी ह। कोचीन और
मालाबार के डच रकॉड म ास रकॉड कायालय म ह और चनसुरा के रकॉड प म बंगाल के
रा य अ भलेख ागार म ह। इन ब तय को छोड़ने से पहले चं नगर और पां डचेरी अब पुडुचेरी
के ांसीसी अ भलेख ागार को ांसीसी अ धका रय ारा पे रस ले जाया गया था। डे नश के
पुरालेख
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आधु नक भारत के इ तहास के ोत

म जब डच ने यूबार और सेरामपुर को इं लश ई ट इं डया कं पनी को बेच दया तो


संप भी कोपेनहेगन को ह तांत रत कर द गई। शेष डे नश रकॉड मु य प से यूबार
से संबं धत अब म ास रकॉड कायालय म रखे गए ह।

म ास रकॉड कायालय म रखे


गए या यक रकॉड फोट सट जॉज म मेयर कोट के पुरालेख ई. से शु ए सबसे
पहले उपल या यक पुरालेख ह। फोट व लय स के मेयर कोट के लासी पूव के रकॉड खो
गए ह ले कन के वष के रकॉड बंगाल के सु ीम कोट के
अ भलेख ागार के साथ कलक ा उ यायालय के रकॉड म म रखे गए ह। . इसी कार
म ा पत बॉ बे म मेयर कोट के रकॉड महारा स चवालय रकॉड कायालय म उपल
ह जसके पास बॉ बे रकॉडर कोट और सु ीम कोट के अ भलेख ागार क सुर ा भी है।
कायवा हय और मनट को शा मल करने के अलावा रकॉड क इस ेण ी म वसीयत ोबेट
और शासन के प क तयां शा मल ह जो वंशावली अ ययन और संबं धत े म समाज
क त और आ थक तय से संबं धत जांच के लए उपयोगी ह।

का शत अ भलेख ागार सबसे


मह वपूण अ भलेख ीय काशन संसद य कागजात ह जनम ई ट इं डया कं पनी और ाउन के
तहत भारत सरकार के रकॉड के कई अंश शा मल ह। संसद य चयन स म तय क रपोट
श ा नाग रक सुधार और अकाल जैसे व श वषय पर ग ठत व भ शाही आयोग और
भारतीय सा ा य पर संसद य बहस अप रहाय ह। भारतीय और ांतीय वधानमंडल क
कायवाही क और ांतीय सरकार ारा का शत सा ता हक राजप और समय समय पर
जारी कए गए कानून और व नयम के सं ह भी ऐ तहा सक शोध के लए उपयोगी ोत
साम ी के प म काम करते ह।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नजी पुरालेख नजी पुरालेख


म स य और प रवार के कागजात और द तावेज शा मल ह ज ह ने आधु नक
भारत के वकास म मह वपूण भू मका नभाई। रा वाद आंदोलन के त त नेता के
कागजात और भारतीय रा ीय कां ेस जैसे संगठन के रकॉड नई द ली म नेह मेमो रयल
सं हालय और पु तकालय म रखे गए ह। बक ापा रक घरान और वा ण य मंडल के
अ भलेख आ थक प रवतन के अ ययन म अ यंत सहायक होते ह।

वदे शी भंडार आधु नक भारत के


इ तहास से संबं धत ऐ तहा सक साम ी का एक वशाल भंडार त कालीन
सा ा यवाद श य के भंडार म उपल है ज ह ने भारतीय उपमहा प के
व भ ह स के साथ साथ कु छ अ य दे श म भी शासन कया था। इं लै ड म
इ डया ऑ फस रकाड् स ल दन तथा टश सं हालय म रखे गये रकाड ब त
मू यवान ह। इं डया ऑ फस रकॉड् स के पास व भ मह वपूण द तावेज़ ह ई ट
इं डया कं पनी के नदे शक यायालय और जनरल कोट और समय समय पर ग ठत
व भ स म तय के कायवृ भारतीय मामल के नयं ण बोड या आयु बोड के
कायवृ और प ाचार और रा य स चव और भारत प रषद के रकॉड। टश
सं हालय म टश वायसराय रा य के स चव और अ य उ रक वाले नाग रक
और सै य अ धका रय के कागजात का सं ह है जो भारत म तैनात थे। उदाहरण के
लए मशनरी समाज के अ भलेख लंदन क चच मशनरी सोसायट वतं ता
पूव भारत म शै क और सामा जक वकास क जानकारी दान करते ह।

आकाइ स नेशनेल पे रस और ांसीसी वदे श मामल उप नवेश और यु


मं ालय के अ भलेख ागार म ऐसे रकॉड ह जो ांसीसी संप के इ तहास के साथ
साथ अ य सामा जक राजनी तक तय पर काश डालते ह। डच ई ट इं डया
कं पनी के अ भलेख उपल ह
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आधु नक भारत के इ तहास के ोत

रज साच फ़ द हेग और डे नश और पुतगाली को मशः कोपेनहेगन और ल बन म


रखा गया है।

यूरोपीय दे श के पुरालेख के अलावा पा क तान म संर त पुरालेख अ यंत


मह वपूण ह।
प मी पा क तान रकॉड कायालय लाहौर रकॉड कायालय पेशावर सध आ द म
उपल रकॉड औप नवे शक युग म अफगा न तान ईरान और अ य पड़ोसी दे श के
साथ भारत के संबंध पर काश डालने के अलावा भारतीय उपमहा प के े ीय
इ तहास के बारे म जानकारी दे ते ह।

जीव नयाँ सं मरण और या ा


हसाब कताब

भारत आने वाले कई या य ापा रय मशन रय और स वल सेवक ने भारत के


व भ ह स के अपने अनुभव और अपनी छाप का ववरण छोड़ा है। इन लेख क म एक
मह वपूण समूह मशन रय का था ज ह ने अपने संबं धत समाज को अपने नवा सय को
धम चार के उ े य से भारत म और अ धक मशन रय को भेज ने के लए ो सा हत करने
के लए लखा था। इस शैली म बशप हेबर का जनल और अ बे डु बोइस का ह श ाचार
और री त रवाज भारतीय श य के पतन और टश के उदय के दौरान भारत के
सामा जक आ थक जीवन पर उपयोगी जानकारी दान करते ह।

या ा वृ ांत लखने वाले कु छ स टश या ी थे जॉज फो टर बजा मन हेने


जे स ब स सडी के दरबार क या ा का वणन अले जडर ब स बोखारा क या ाएँ
सीजेसी डे वडसन े व स एंड एडवचस क डायरी अपर इं डया और जॉन बटलर असम
ांत म या ाएँ और रोमांच । भारत के बारे म लखने वाले स गैर टश या य म
व टर जै म ट भारत के प जो के दौरान भारत त बत लाहौर
और क मीरी के टश भु व म एक या ा का वणन करते ह बैरन चा स क मीर और
पंज ाब म या ाएं शा मल ह। और व लयम
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मूर ॉ ट. ये या ा वृ ांत आधु नक भारत के इ तहास के नमाण के लए अप रहाय और


आम तौर पर व सनीय ोत ह खासकर जब वे आ धका रक तौर पर पूरक होते ह

कागजात.

समाचार प और प काएँ
उ ीसव और बीसव शता द के समाचार प और प काएँ अं ेज ी के साथ साथ व भ
ानीय भाषा म का शत आधु नक भारत के इ तहास के नमाण के लए जानकारी का
एक मह वपूण और ामा णक ोत ह। भारत म समाचार प का शत करने का पहला
यास अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी के असंतु कमचा रय ारा कया गया था ज ह ने नजी
ापार क गड़ब ड़य को उजागर करने क को शश क थी। उदाहरण के लए म
नजी ापार के लए नदे शक मंडल ारा नदा कए जाने पर व लयम बो ट् स ने कं पनी से
इ तीफा दे दया और एक समाचार प का शत करने के अपने इरादे क घोषणा क । बो ट
क योजना पर आ धका रक त या मजबूत थी और उनक योजना साकार होने से पहले
ही समा त हो गई। म जे स ऑग टस ह क ने भारत म पहला समाचार प द
बंगाल गजट या कलक ा जनरल एडवरटाइज़र का शत कया।

सरकारी अ धका रय क मुख र आलोचना के कारण ह क क ेस को दो साल के भीतर


ज त कर लया गया। बाद म द कलक ा गजट द म ास कू रयर और द
बॉ बे हेरा जैसे कई काशन सामने आए । ारं भक काल के समाचार प और
प काएँ मु य प से यूरोपीय और एं लो इं डयन के बौ क मनोरंज न को पूरा करने के
उ े य से थ ।

व शता द के उ राध से कई श शाली समाचार प सामने आए जनका


संपादन काशन त त और नडर प कार ारा कया गया। दलच बात यह है क
म भारतीय रा ीय कां ेस के सं ापक म से लगभग एक तहाई प कार थे। उनके
कु छ काशन थे जी. सु म यम अ यर के संपादन म द ह और वदे श म न बाल गंगाधर
तलक के तहत के सरी और मराठा सुर नाथ बनज के तहत बंगाली
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आधु नक भारत के इ तहास के ोत

स सर कु मार घोष और मोतीलाल घोष के अधीन अमृता बाजार प का गोपाल कृ ण


गोखले के अधीन सुधारक एनएन सेन के अधीन इं डयन मरर दादाभाई नौरोजी के अधीन
वॉयस ऑफ इं डया जीपी वमा के अधीन ह तान और एडवोके ट । पंज ाब म द यून
और अख़बार ए आम बॉ बे म इं काश ान काश कल और गुज राती और बंगाल म
सोम काश बंग नवासी और साधारणी उस समय के अ य स समाचार प थे। वदे श
म रहने वाले भारतीय रा वा दय और ां तका रय ने भारतीय समाजशा ी लंदन
यामजी कृ णवमा बंदे मातरम पे रस मैडम कामा तलवार ब लन वीर नाथ
च ोपा याय और ग़दर सैन ां स को लाला हरदयाल जैसे समाचार प और प काएँ
का शत क । वदे श म रहने वाले भारतीय म रा वाद क भावना।

समाचार प के दशक के बाद से औप नवे शक भारत म जीवन के लगभग


सभी पहलु को दशाते ह। के दशक के बाद से समाचार प ने वतं ता सं ाम के
दौरान मुख घटना पर नज़र रखी। हालाँ क अखबार के लेख को पूवा ह र हत या पूरी
तरह व तु न नह दे ख ा जा सकता। टश राज समथक लोग ारा लंदन के एक अखबार
म जो ववरण का शत कया गया था वह एक भारतीय रा वाद अखबार क रपोट से
अलग होना ही था।

मौ खक सा य

मौ खक इ तहास का ता पय गैर ल खत ोत क सहायता से इ तहास के नमाण से है


उदाहरण के लए गत मरण। मौ खक ोत इ तहासकार को अपने अनुशासन क
सीमा का व तार करने और इ तहास के अ य ोत से अपने न कष क पु करने क
अनुम त दे ते ह। हालाँ क कई इ तहासकार मौ खक इ तहास पर संदेह करते ह।

रचना मक सा ह य

भारत यूरोपीय संपक का सबसे मह वपूण प रणाम उप यास था जो व शता द के


उ राध म सामने आया। उस काल के थम मह वपूण लेख क थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

स बां ला उप यासकार बं कम चं चटज । उनके उप यास यादातर


ऐ तहा सक ह उनम से सबसे स आनंद मठ है वशेष प से अपने श शाली
गीत वंदेमातरम और सं यासी व ोह के दशक के च ण के लए। उनके अं तम
उप यास राज स हा को उनके उ लेख नीय क रयर का ड फ़ाइनल कहा जा सकता है। इ ाराम
सूयराम दे साई म यकालीन गुज राती सा ह यक इ तहास के अ े व ान थे।
उनका पहला उप यास हद अने टा नका राजनी तक पृ भू म वाले शु आती भारतीय
उप यास म से एक था। ग रजा दे वी और रामतीथ थ मल जैसे त मल लेख क ज ह ने मशः
मोहनरा रजनी और दा सका लन मोसा वलाई लखी ने भी उप यास को
सामा जक अनुभव का एक भावी मा यम बनाया।

तेलुगु म जीवी कृ णा राव क कलुबो मालु द पपेट्स ामीण लोग के नै तक पहलु


और वहार से संबं धत थी। वैक ोम मुह मद बशीर मलयालम के त त
लेख क म से एक थे जनका स उप यास बा यकला सखी द चाइ ड ड् स
ेम क एक खद कहानी थी। इसी तरह थकाज़ी शव शंक र प लई मलयालम म अपनी दो
बेहद अ तरह से लखी गई कृ तय टो युड माकन सन ऑफ ए कै वजर और
चे मन स के लए मुख हो गए। अलग अलग शै क पृ भू म और सामा जक
कोण होने के बावजूद इन सभी लेख क म यथाथवाद क बल भावना और समाज के
हा शये पर पड़े और उ पी ड़त वग के जीवन म गहरी च थी। ये उप यास उन दन के
सामा जक प रवेश क त वीर दे ते ह जनसे वे जुड़े ए ह।

च कारी
औप नवे शक काल के दौरान सामा जक आ थक राजनी तक और सां कृ तक जीवन क कु छ
जानकारी उस काल के च से ा त क जा सकती है। कं पनी प ट स जसे पटना कलाम
भी कहा जाता है ई ट इं डया कं पनी के संर ण म उभरी। वे लोग और य को वैसे ही च त
करते ह जैसे वे उस समय मौजूद थे। इन काय म ापार यौहार नृ य और लोग क पोशाक
दखाई दे ती थ । कं पनी
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आधु नक भारत के इ तहास के ोत

के दशक म भारत म फोटो ाफ क शु आत होने तक प ट स व सद म लोक य


रह ।
टश और भारतीय ारा न मत च ा मक छ वयां प टग प सल च न क़ाशी
पो टर काटू न और बाज़ार ट के महान व ोह के वशेष प से मह वपूण रकॉड
ह। टश च ऐसी छ वयां पेश करते ह जो व भ भावना को भड़काने के लए थ और
त याएँ. उनम से कु छ उन टश नायक क याद दलाते ह ज ह ने अं ेज को बचाया
और व ो हय का दमन कया। म थॉमस जो स बाकर ारा च त रलीफ ऑफ
लखनऊ इसका एक उदाहरण है। इस अव ध क एक और प टग जोसेफ नोएल पैटन ारा
ल खत इन मेमो रयम प टग म के व ोह के दो वष को दज कया गया है। कोई अं ेज ी
म हला और ब को एक घेरे म घरे ए दे ख सकता है जो असहाय और नद ष दख रहे
ह और अप रहाय अपमान हसा क ती ा कर रहे ह । और मृ यु.

व ोह काल क ये प टग इ तहासकार के लए इस मुख घटना के संबंध म टश और


भारतीय के व कोण क ा या और समझने के लए मह वपूण ह।

उ ीसव शता द म कलक ा म सामने आई कालीघाट प टग म न के वल पौरा णक


पा को ब क रोजमरा क जदगी म लगे आम लोग को भी दशाया गया था। इन बाद क
त वीर म उस समय के कलक ा म हो रहे सामा जक प रवतन को दशाया गया था। इन च
म उस समय क सामा जक बुराइय पर ट पणी क गई थी इनम से कु छ प ट स म उस समय
के लोग ारा अपनाई गई कु छ वधा पर ं य कया गया था।

उ ीसव सद के अं तम दशक म एक नया कला आंदोलन उभरा जसे भारत म बढ़ते


रा वाद से ाथ मक ेरणा मली। नंदलाल बोस और राजा र व वमा जैसे कलाकार इस नई
वृ के त न ध थे।

अवन नाथ टै गोर रव नाथ टै गोर के भतीजे ईबी हेवेल जो कलक ा म कला व ालय म
सपल के प म शा मल ए और आनंद क टश कु मार वामी ीलंक ा म एक मह वपूण
त मल राजनी तक नेता के बेटे के नेतृ व म बंगाल कू ल के उदय म मह वपूण भू मका नभाई।
भू मका। हालाँ क इस नई वृ क कई प टग मु य प से भारतीय वषय पर क त थ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पौरा णक कथाएँ और सां कृ तक वरासत वे भारत म आधु नक कला आंदोलन का अ ययन


करने और कला इ तहासकार के लए मह वपूण ोत ह।

सारांश
आधु नक भारतीय इ तहास के ोत

अ भलेख ीय साम य म सावज नक नजी और वदे शी भंडार शा मल ह जनम भारत सरकार के अ भलेख ागार
सावज नक पुरालेख रा य सरकार के अ भलेख ागार बंगाल म ास और बॉ बे के तीन ेसीडसी के
अ भलेख ागार और या यक रकॉड शा मल ह।

नजी पुरालेख स य और प रवार के कागजात और द तावेज़ ज ह ने आधु नक


वकास म मह वपूण भू मका नभाई
भारत।
वदे शी भंडार लंदन म भारतीय कायालय रकॉड् स रकॉड
कायालय लाहौर आ द।

व और व शता द के दौरान या य ापा रय मशन रय और स वल सेवक क जीव नयां और


सं मरण साथ ही वतं ता आंदोलन के दौरान भारतीय नेता ारा लखे गए सं मरण।

भारत के साथ साथ वदे श म भी समाचार प और प काएँ का शत।

अ य मौ खक परंपरा रचना मक सा ह य च कला।


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के लए मुख कोण
आधु नक भारत का इ तहास

यह दे ख ना क इ तहास कै से लखा जाता है चचा के तहत अव ध के बौ क इ तहास के


अ ययन का ह सा है और व भ कार के वचार और ीकरण दान कर सकता है।
इस लए कसी समाज के इ तहास म शु आती ब उसके इ तहासलेख न से प र चत होना
चा हए ऐ तहा सक ा या का अ ययन। यह इ तहास को के वल घटना के वणन के
प म दे ख ने के बजाय इ तहास के बौ क संदभ क मा यता दान करता है। समझने क
सु वधा के लए भारत के आधु नक इ तहास को मोटे तौर पर चार कोण के तहत पढ़ा
जा सकता है औप नवे शक या सा ा यवाद रा वाद मा सवाद और सबा टन
येक क अपनी व श वशेषता और ा या के तरीके ह। हालाँ क अ य कोण
भी ह सां दा यक कै ज उदारवाद और नव उदारवाद और नारीवाद ा याएँ
ज ह ने आधु नक भारत पर ऐ तहा सक लेख न को भी भा वत कया है।

दे ख हाल
के वष म भारत के इ तहास का उ पादन ब त अ धक हो गया है और इसके लए कु छ ीकरण क
आव यकता हो सकती है... कारण दोतरफा है भारतीय प र य म बदलाव के लए त य क पुन ा या
क आव यकता है और इ तहासकार के कोण म बदलाव भारतीय इ तहास के आव यक त व.

प सवल ीयर
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

औप नवे शक कोण इ तहासलेख न


व शता द के अ धकांश भाग म औप नवे शक कू ल ने भारत म एक उ ान ा त
कया। औप नवे शक कोण श द का योग दो अथ म कया गया है। एक औप नवे शक
दे श के इ तहास से संबं धत है जब क सरा उन काय को संद भत करता है जो वच व क
औप नवे शक वचारधारा से भा वत थे।

यह सरे अथ म है क आज अ धकांश इ तहासकार औप नवे शक इ तहासलेख न के बारे म


लखते ह। वा तव म औप नवे शक अ धका रय ारा औप नवे शक दे श के बारे म लखने
क था औप नवे शक शासन के भु व और औ च य क इ ा से संबं धत थी। अतः ऐसे
अ धकांश ऐ तहा सक काय म मूल नवासी समाज एवं सं कृ त क आलोचना थी।

इसके साथ ही प मी सं कृ त और मू य क शंसा और औप नवे शक सा ा य क


ापना करने वाले य का म हमामंडन भी कया गया। जे स मल माउं ट टु अ ट
एल फ टन वसट मथ और कई अ य लोग ारा ल खत भारत का इ तहास औप नवे शक
ऐ तहा सक वृ के ासं गक उदाहरण ह। इन इ तहासकार के अ धकांश काय म कु छ
सामा य वशेषताएं न न ल खत ह

i भारत का ा यवाद त न ध व ii यह राय क


अं ेज़ भारत म एकता लाए iii सामा जक डा वनवाद क धारणाएँ अं ेज खुद
को मूल नवा सय से े और शासन करने के लए सबसे यो य मानते थे iv
भारत को एक र समाज के प म दे ख ा गया जसे टश ेत का
बोझ से मागदशन क
आव यकता थी और v कानून और व ा लाने के लए पै स टा नका क
ापना

और कलहपूण समाज म शां त।

रा वाद इ तहासलेख न कोण


भारतीय इ तहास के त रा वाद कोण को एक ऐसे कोण के प म व णत कया
जा सकता है जो रा वाद भावना के वकास म योगदान दे ता है और लोग को धा मक
जा त आ द के वरोध म एकजुट करता है।
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आधु नक भारत के इ तहास के मुख कोण

या भाषाई भेद या वग भेद। यह कोण रा ीय आंदोलन को भारतीय लोग के आंदोलन के


प म दे ख ता है जो औप नवे शक शासन क शोषणकारी कृ त के बारे म सभी लोग के बीच
बढ़ती जाग कता से वक सत आ है। यह कोण औप नवे शक कोण क त या
और उसके साथ टकराव के प म वक सत आ। यह यान दया जाना चा हए क आधु नक
भारत के रा वाद इ तहासकार से पहले अ त व म नह थे। से पहले रा वाद
इ तहासलेख न मु य प से भारतीय इ तहास के ाचीन और म ययुगीन काल से संबं धत था।
हालाँ क व सद क अं तम तमाही म दादाभाई नौरोजी एमजी जैसे रा वा दय ारा
वदे शी शासन के तकू ल आ थक पहलु के लए उप नवेशवाद क एक व तृत और
वै ा नक आलोचना वक सत क गई थी।

रानाडे जीवी जोशी आरसी द के ट तेलंग जीके गोखले और डीई वाचा। रा ीय आंदोलन
का एकमा लेख ा जोखा आरजी जैसे रा वाद नेता इ तहासकार नह ारा कया गया था

धान एसी मजूमदार जेएल नेह और प ा भ सीतारमैया।


आरसी मजूमदार और तारा चंद आधु नक भारत के स रा वाद इ तहासकार ह।

मा सवाद इ तहासलेख न कोण


भारत म मा सवाद कोण क शु आत दो ला सक कताब रजनी पा मे द क इं डया
टु डे और एआर दे साई क सोशल बैक ाउं ड ऑफ इं डयन नेशन ल म से ई।

मूल प से इं लड म स ले ट बुक लब के लए लखा गया इं डया टु डे पहली बार


म इं लड म का शत आ बाद म म भारत म का शत आ। एआर दे साई क भारतीय
रा वाद क सामा जक पृ भू म पहली बार म का शत ई थी।

सा ा यवाद औप नवे शक कोण के वपरीत मा सवाद इ तहासकार


औप नवे शक वा मय और अधीन लोग के हत के साथ साथ रा नमाण क या के
बीच ाथ मक वरोधाभास को प से दे ख ते ह। रा वा दय के वपरीत वे भारतीय
समाज के लोग के व भ वग के बीच आंत रक वरोधाभास पर भी पूरा यान दे ते ह।
हालाँ क उनम से कु छ वशेष प से रजनी पा मे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

द ाथ मक सा ा यवाद वरोधी वरोधाभास और तीयक आंत रक वरोधाभास के अपने


उपचार को पूरी तरह से एक कृ त करने म असमथ थे और वग या सामा जक संघष के साथ
सा ा यवाद वरोधी संघष को संतु लत करने म लगे थे। वे रा ीय आंदोलन को य द पूंज ीप त
वग का आंदोलन नह तो एक संर चत बुज ुआ आंदोलन के प म दे ख ते ह और इसके खुले
अंत और सव वग य च र को भूल जाते ह। एक अ य स मा सवाद इ तहासकार ज ह ने
आरपी द के तमान क आलोचना क वह ह सु मत सरकार वह द के तमान को
मा सवाद वग कोण का सरलीकृ त सं करण मानते ह। वह रा वाद नेता को
बु जी वय के नज रए से दे ख ते ह जो अभी तक न य सामा जक ताकत के लए एक
कार के छ के प म काय करता है जनके साथ इसका ब त कम जै वक संबंध था ।

एआर दे साई ने रा ीय आंदोलन के वकास को पांच चरण म दे ख ा येक चरण


वशेष सामा जक वग पर आधा रत था ज ह ने इसका समथन कया और इसे कायम रखा।

सबा टन कोण इ तहासलेख न


इस वचारधारा क शु आत के दशक क शु आत म रणजीत गुहा के संपादन म मौजूदा
इ तहासलेख न क आलोचना के प म ई थी जसम लोग क आवाज को नजरअंदाज करने
का दोष लगाया गया था। शु आत से ही सबा टन इ तहासलेख न ने यह ख अपनाया क
भारतीय इ तहासलेख न क पूरी परंपरा म अ भजा यवाद पूवा ह था। सबा टन इ तहासकार
के लए औप नवे शक युग म भारतीय समाज म बु नयाद वरोधाभास एक ओर भारतीय और
वदे शी अ भजा य वग और सरी ओर सबा टन समूह के बीच था न क उप नवेशवाद और
भारतीय लोग के बीच। हालाँ क वे रा वाद आंदोलन ारा शोषण क कृ त के मा सवाद
स ांत क सद यता नह लेते ह वे बताते ह क उस समय के भारतीय समाज को के वल वग
के संदभ म नह दे ख ा जा सकता था य क दे श म पूंज ीवाद अभी शु आती दौर म था। समय।
यह कू ल रा वाद को जा त लग धा मक और पंथ वभाजन के संदभ म शोषणकारी मानता
है।
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आधु नक भारत के इ तहास के मुख कोण

दे ख कु छ
इ तहासकार ने हाल ही म एक नई वृ शु क है जसे इसके समथक ने सबा टन के पम
व णत कया है जो पछले सभी ऐ तहा सक लेख न को जसम मा सवाद प र े य पर आधा रत
लेख न भी शा मल है को कु लीन इ तहासलेख न के प म खा रज कर दे ता है और इस पुराने
धुंधले इ तहासलेख न को त ा पत करने का दावा करता है। यह जो दावा करता है वह एक नए
लोग या न नवग य कोण है।

बपन चं ा

सबा टन का कहना है क रा वाद ने समाज के भीतर के आंत रक वरोधाभास के साथ साथ


हा शए पर मौजूद लोग का त न ध व कया या जो कहना था उसे भी नजरअंदाज कर दया।
उनका मानना है क भारतीय लोग कभी भी एक साझा सा ा यवाद वरोधी संघष म एकजुट
नह थे भारतीय रा ीय आंदोलन जैसी कोई इकाई नह थी। इसके बजाय वे दावा करते ह दो
अलग अलग आंदोलन या धाराएं थ अधीन क वा त वक सा ा यवाद वरोधी धारा और
अ भजात वग का फज रा ीय आंदोलन। भारतीय रा ीय कां ेस के आ धका रक नेतृ व के
नेतृ व म अ भजात वग क धाराएँ अ भजात वग के बीच स ा के लए संघष के लए एक
आवरण से अ धक कु छ नह थ ।

सा दा यक कोण
इस कू ल के इ तहासकार पूरी तरह से म ययुगीन भारत के औप नवे शक इ तहासलेख न और
औप नवे शक युग क पा पु तक पर भरोसा करते ए ह और मुसलमान को ायी
श ुतापूण समूह के प म दे ख ते थे जनके हत पर र भ और एक सरे के वरोधी थे।
यह कोण न के वल इ तहासकार के लेख न म प रल त आ ब क सां दा यक राजनी तक
नेता के हाथ म भी इसका उ प दे ख ने को मला।

उनके वचार म भारत का म यकालीन इ तहास ह मु लम संघष क एक लंबी कहानी है।


इस कोण के प रणाम के प म तब यह तक दया गया क व और व सद के
मुसलमान के पास शासक वग होने क खुश और गव वाली मृ त थी जब क ह के
पास खद और अपमानजनक मृ त थी। वषय जा त होने का. यह अंततः
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इन समूह के बीच आपसी नफरत वक सत ई जसके प रणाम व प अ सर सां दा यक दं गे


ए और अंततः भारत का वभाजन आ।

कै ज कू ल
इस वचारधारा के अनुसार औप नवे शक शासन के तहत मौ लक वरोधाभास सा ा यवाद
और भारतीय लोग के बीच नह था ब क वयं भारतीय के बीच था।

इसके अलावा भारतीय रा वाद औप नवे शक शोषण के खलाफ भारतीय लोग के संघष का
प रणाम नह था ब क टश शासक ारा उ ह दए गए लाभ ा त करने के लए भारतीय
के बीच संघष से उ प आ था। इस वचारधारा के अनुसार रा ीय आंदोलन के नेता स ा
और भौ तक लाभ क खोज से े रत थे। इस कोण क कई व ान ारा इस आधार पर
आलोचना क गई है क यह मानव वहार से दमाग या आदश को हटा दे ता है और रा वाद
को पशु राजनी त तक सी मत कर दे ता है।

उदारवाद और नव उदारवाद ा याएँ


इस ा या के अनुसार उप नवेश का आ थक शोषण सम प से टश लोग के लए
लाभदायक नह था। औप नवे शक नया म टश औ ो गक व तु के लए बाजार क
उपल ता और वदे शी बाजार म पूंज ी नवेश जैसे भारत म रेलवे बछाना ने वा तव म घरेलू
नवेश को हतो सा हत कया होगा और टे न म नए उ ोग के वकास म दे री क होगी। इस
वचारधारा के तावक पै क ओ ायन हॉप कस और कै न ह।

नारीवाद इ तहासलेख न
म हला के इ तहास लेख न के संदभ म बदलाव के दशक के म हला आंदोलन के साथ
शु आ जसने भारत म म हला अ ययन के उ व के लए संदभ और ो साहन दान कया।
ब त ज द म हला का इ तहास ापक हो गया और ल गक इ तहास के अ धक ज टल
आकार को हण कर लया। म
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आधु नक भारत के इ तहास के मुख कोण

ारं भक वष म मु यधारा के इ तहास के लेख न को पूरक करने के लए म हला का


इ तहास लखने का यास कया गया था। साथ ही म हला के लेख न के सं ह पर शोध
और संक लन करने का यास कया गया। शोध का एक मह वपूण े इस बात का व ेषण
है क कस तरह औप नवे शक संरचना जैसे क कानूनी संरचना ने म हला के जीवन
को भा वत कया। ग तशील कानून ने लग संबंध को कै से आकार दया इसके व ेषण
म उ पादक संसाधन के वा म व से इनकार के कारण म हला क असुर ा पर यान
क त कया गया है। औप नवे शक काल म भारत म म हला के सवाल पर आधा रत दो
रचनाएँ पं डता रमाबाई क द हाई का ट ह वुमन और कै थरीन मेयो क मदर
इं डया ने अंतररा ीय यान आक षत कया।

सारांश

वभ कोण औप नवे शक

कोण वच व क औप नवे शक वचारधारा से भा वत है। यह वदे शी समाज और सं कृ त क आलोचना


पर क त है और प मी सं कृ त और मू य क शंसा करता है। जे स मल वसट मथ आ द ने
इस कोण का अनुसरण कया।

रा वाद कोण औप नवे शक कोण क त या और उसके टकराव के प म वक सत आ।


आज़ाद से पहले यह कू ल भारतीय इ तहास के ाचीन और म यकाल का अ ययन करता था न क
आधु नक काल का। आज़ाद के बाद इस कू ल ने आधु नक भारत पर यान क त कया। आरसी
मजूमदार और तारा चंद इसी कू ल से थे।

मा सवाद कोण औप नवे शक वामी और मूल वषय के हत के बीच ाथ मक वरोधाभास पर क त


है। यह भारतीय समाज के व भ वग के बीच आंत रक वरोधाभास पर भी यान दे ता है। आरपी
द और एआर दे साई भारत के स मा सवाद इ तहासकार थे।

सबा टन कोण यह मानता है क भारतीय इ तहासलेख न क पूरी परंपरा म अ भजा यवाद पूवा ह है और
आम जनता क भू मका क उपे ा क गई है। रणजीत गुहा इसी कू ल से थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सां दा यक कोण ह और मुसलमान को ायी प से श ुतापूण समूह के प म दे ख ता है जनके


हत पर र भ और एक सरे के वरोधी ह।

कै ज कू ल भारतीय रा वाद क प रक पना टश शासक से लाभ ा त करने के लए भारतीय के बीच


संघष के एक उ पाद के प म करता है। उनके लए भारतीय रा वाद नेता स ा और भौ तक लाभ के
लालच से े रत थे।

उदारवाद और नव उदारवाद ा या का अथ है क उप नवेश का आ थक शोषण टे न के लोग के लए


फायदे मंद नह था य क इससे नए उ ोग के वकास म दे री ई।

टे न म।

नारीवाद इ तहासलेख न अनुसंधान के उन े पर यान क त करता है जो औप नवे शक संरचना का


व ेषण करते ह जैसे क कानूनी संरचना जसने म हला के जीवन को भा वत कया। यह
उ पादक संसाधन के वा म व से इनकार के कारण म हला क असुर ा पर भी यान क त करता
है।
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यू नट II

का उ ान
गोर
और

अं ेज का
एक करण
व ुत आगम
भारत
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

का आगमन
भारत म यूरोपीय
य प हम इ तहास म ाचीन म यकालीन और आधु नक काल क बात करते ह इ तहास एक
नरंतरता है। जब एक अव ध समा त होती है और सरी शु होती है तो प से अंतर
करना हमेशा आसान नह होता है।
इस लए य द हम आधु नक भारत के इ तहास को यूरोपीय लोग के आगमन के साथ शु होने
के बारे म सोचते ह तो हम उस समय तक वापस जाना होगा जसे आम तौर पर म ययुगीन
काल माना जाता है अथात पं हव शता द । वा तव म मुगल के आने और अपना सा ा य
ा पत करने से भी पहले का समय है।

भारत म पुतगाली
ए क खोज और खोज
भारत के लए समु माग

सातव शता द म रोमन सा ा य के पतन के बाद अरब ने म और फारस म अपना भु व


ा पत कर लया था। यूरोपीय लोग और भारत के बीच सीधा संपक कम हो गया और इसके
साथ ही मसाल के लको रेशम और व भ क मती प र जैसी भारतीय व तु तक
आसान प ंच भा वत ई जनक काफ मांग थी। म कॉ ट टनोपल ओटोमन तुक
के अधीन हो गया जो भु व म थे। भारत से माल अरब मु लम बचौ लय के मा यम से
यूरोपीय बाजार म जाता था। लाल सागर ापार माग पर रा य का एका धकार था जससे
इ लामी शासक को जबरद त राज व ा त होता था। भारत के भू म माग पर भी अरब का
नयं ण था। इन प र तय म यूरोपीय लोग भारत के लए सीधा समु माग खोजने के
इ ु क थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पं हव सद का यूरोप अ वेषण के आ ान के साथ पुनजागरण क भावना से जकड़ा


आ था। इसी समय यूरोप ने जहाज नमाण और ने वगेशन क कला म काफ ग त क ।
अत पूरे यूरोप म पूव के अ ात कोन तक प ँचने के लए साह सक समु या ा क
उ सुक ता थी।

यूरोप के कई े का आ थक वकास भी तेज ी से आगे बढ़ रहा था खेती यो य भू म


के व तार उ त हल क शु आत फसल च जैसे वै ा नक फसल बंधन और मांस क
आपू त म वृ जसम खाना पकाने के साथ साथ संर ण के लए मसाल क आव यकता
होती थी . समृ भी बढ़ और इसके साथ ही ा य वला सता के सामान क मांग भी बढ़ ।

वे नस और जेनोआ जो पहले ा य व तु के ापार के मा यम से समृ थे


श शाली ओटोमन तुक से मुक ाबला करने या अपने दम पर बड़ी खोज करने के लए ब त
छोटे थे।
उ री यूरोपीय लोग धन और लोग के साथ पुतगाल और ेन क सहायता करने के लए तैयार
थे यहाँ तक क जेनोइस जहाज और तकनीक ान दान करने के लए भी तैयार थे। यह भी
यान दया जाना चा हए क पुतगाल ने इ लाम के त ईसाईजगत के तरोध म नेतृ व हण
कया था भले ही उसने अ वेषण क भावना को अपने ऊपर ले लया था जो क जेनोइस क
वशेषता थी।

इ तहासकार ने दे ख ा है क भारत के लए समु माग खोजने का वचार पुतगाल के


राजकु मार हेनरी के लए एक जुनून बन गया था ज ह ने वगेटर का उपनाम दया गया था
इसके अलावा वह पूव भूम य सागर और भारत को यूरोप से जोड़ने वाले सभी माग पर
मु लम भु व को रोकने का रा ता खोजने के लए उ सुक थे। पोप नकोलस वी ने म
स हेनरी को इ लामी भाव से लड़ने और ईसाई धम का सार करने के यास म पूव के
सु र तट तक वशेष प से भारत तक समु म ने वगेट करने का अ धकार दे ते ए एक
बैल दया। . हालाँ क अपने सपने के सच होने से पहले ही स हेनरी क मृ यु हो गई।

म टॉड सलस क सं ध के तहत पुतगाल और ेन के शासक ने


के प वड प समूह से लगभग मील प म म अटलां टक म एक का प नक रेख ा ारा
गैर ईसाई नया को उनके बीच वभा जत कर दया। सं ध के तहत पुतगाल पूव क हर चीज़
पर दावा कर सकता था और उस पर क ज़ा कर सकता था
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

रेख ा जब क ेन प म क हर चीज़ पर दावा कर सकता था। इस कार भारत के आसपास


के जल े म पुतगा लय क घुसपैठ के लए त तैयार हो गई थी।

यह म था क पुतगाली ना वक बाथ लो यू डायस ने अ का म के प ऑफ गुड


होप का च कर लगाया और पूव तट तक प ंचे उ ह पूरा व ास था क भारत के लए लंबे
समय से वां छत समु माग मल गया है। ले कन के वल दस साल बाद पुतगाली जहाज का
एक अ भयान भारत क ओर चला म और यारह महीने से थोड़ा कम समय म मई
म भारत प ंचा।

ापार से लेक र शासक वा को डी गामा तक


मई म कालीकट म
अ ल मा जद नामक एक गुज राती पायलट के नेतृ व म वा को डी गामा के तहत तीन जहाज
के आगमन ने भारतीय इ तहास के पा म को गहराई से भा वत कया। हालाँ क कालीकट
के ह शासक ज़मो रन समु थरी को यूरोपीय के इराद के बारे म कोई आशंक ा नह थी।
चूँ क उनके रा य क समृ कालीकट क एक एं े पोट के प म त के कारण थी उ ह ने
वा को डी गामा का मै ीपूण वागत कया। अरब ापारी जनका मालाबार तट पर अ ा
ापार था आशं कत थे और पुतगा लय को वहाँ पकड़ बनाने के लए उ सुक नह थे।

स दय से हद महासागर म ापार णाली म कई भागीदार थे भारतीय अरब पूव


तट के अ क चीनी जावानीस अ य ले कन इन तभा गय ने आचरण के कु छ मौन
नयम के अनुसार काम कया था और कसी ने भी भारी भु व क मांग नह क थी। हालाँ क
सभी इसम लाभ के लए थे। पुतगा लय ने इसे बदल दया वे त धय वशेषकर अरब
को छोड़कर अ य धक लाभदायक पूव ापार पर एका धकार करना चाहते थे।

वा को डी गामा तीन महीने तक भारत म रहे। जब वह पुतगाल लौटा तो वह अपने


साथ एक समृ माल ले गया और यूरोपीय बाजार म भारी मुनाफे पर माल बेचा। काली मच
के ापार तक सीधी प ंच का मह व इस त य से हो गया था क अ य यूरोपीय लोग
को ज ह मु लम बचौ लय के मा यम से खरीदना पड़ता था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे ख
म वा को डी गामा का कालीकट म उतरना... आम तौर पर व इ तहास म एक नए युग क
शु आत माना जाता है खासकर ए शया और यूरोप के बीच संबंध म। हालाँ क ए शया और यूरोप
ाचीन काल से ही एक सरे के साथ ापा रक संबंध म थे दोन के बीच सीधे समु संबंध का
खुलना न के वल एक पुराने सपने क पू त थी ीक इ तहासकार हेरोडोटस के अनुसार फोनी शयन
ने अ का का च कर लगाया था छठ शता द ईसा पूव इसने दोन के बीच ापार म बड़ी वृ
क भ व यवाणी क । हालाँ क यह पुतगा लय के उ े य म से के वल एक था। पुतगा लय के लए
भारत के लए एक नया समु माग खोलने से मुसलमान अरब और तुक को बड़ा झटका लगेगा
जो ईसाई धम के पारंप रक मन थे और बढ़ती सेना के आधार पर यूरोप के लए एक नया खतरा
पैदा कर रहे थे। और तुक क नौसै नक श । भारत के साथ सीधा समु संपक पूव व तु
वशेषकर मसाल के ापार पर अरब और तुक के आभासी एका धकार को व ा पत कर दे गा।
उ ह यह भी अ आशा थी क अ का क अपनी खोज से वे स ायर जॉन के रा य के
साथ जुड़ने म स म ह गे और मुसलमान पर दो तरफ से हमला करने क त म ह गे। इस
कार वा ण यक और धा मक उ े य एक सरे का समथन और औ च य करते थे।

सतीश चं

काली मच क समान मा ा के लए दस गुना अ धक खच कर।


आ य क बात नह क यूरोपीय दे श के अ य लाभ चाहने वाले ापारी भारत आकर सीधे
ापार करने के लए लो भत ए।
मसाल का ापार करने बातचीत करने और कालीकट म एक फै ा पत करने
के लए पे ो अ वारेज़ कै ाल ारा एक या ा क गई जहां वह सतंबर म प ंचे।
कालीकट म पुतगाली फै पर ानीय लोग ारा हमला कए जाने पर संघष क एक घटना
ई जसके प रणाम व प मौत हो गई । कई पुतगा लय के . जवाबी कारवाई म कै ल ने
बंदरगाह म लंगर डाले ए कई अरब ापारी जहाज को ज त कर लया और उनके माल को
ज त करने और जहाज को जलाने के अलावा उनके चालक दल के सैक ड़ लोग को मार
डाला। कै ाल ारा कालीकट पर बमबारी क गई। बाद म कै ल कोचीन और क ानोर के
ानीय शासक के साथ लाभ द सं धयाँ करने म सफल रहा।

म वा को डी गामा एक बार फर भारत आया। ज़मो रन ने अरब ापा रय को


अपने प म करने से इनकार कर दया।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

पुतगा लय क जब वा को डी गामा ने ावसा यक लालच को ू र श ुता के साथ जोड़


दया और जहां भी वह कर सकता था अरब श पग पर तशोध लया। इस कार ज़मो रन
के साथ उसका संबंध व े द संपूण हो गया। वा को डी गामा ने क ानोर म एक ापा रक
कारखाना ा पत कया। धीरे धीरे कालीकट क ानोर और कोचीन पुतगा लय के मह वपूण
ापार क बन गए।

धीरे धीरे कारखान और उनक ापा रक ग त व धय क सुर ा के बहाने


पुतगा लय को इन क को मजबूत करने क अनुम त मल गई।

ां स को डी अ मेडा म
पुतगाल के राजा ने तीन साल के कायकाल के लए भारत म एक गवनर नयु कया और
पुतगाली हत क र ा के लए पदधारी को पया त बल से सुस त कया। नव नयु
गवनर ां स को डी अ मेडा को भारत म पुतगा लय क त मजबूत करने और अदन
ओरमुज़ और मल का पर क ज़ा करके मु लम ापार को न करने के लए कहा गया।

उ ह अंज ा दवा कोचीन क ानोर और कलवा म कले बनाने क भी सलाह द गई थी।


हालाँ क ज़मो रन के वरोध के साथ अ मेडा को म के मामेलुके सु तान से खतरा था।
वे नस के ापा रय से ो सा हत होकर जनका आकषक वा ण य अब पुतगाली ह त ेप
के कारण खतरे म था म वा सय ने पुतगा लय क ग त को रोकने के लए लाल सागर
म एक बेड़ा खड़ा कया। म म और गुज रात क संयु नौसेना ारा द व के पास
एक नौसै नक यु म पुतगाली वा न को हराया गया था और अ मेडा का बेटा मारा गया
था। अगले वष अ मेडा ने दोन नौसेना को पूरी तरह से कु चलकर अपनी हार का बदला
लया। अ मेडा का सपना पुतगा लय को हद महासागर का वामी बनाना था।

उनक नी त को लू वाटर पॉ लसी काटज़ स टम के नाम से जाना जाता था।

दे ख जब
तक आप समु म श शाली ह तब तक आप भारत को अपना मानगे और य द आपके पास यह
श नह है तो कनारे पर त कला आपके कु छ काम नह आएगा।

ां स को डी अ मेडा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अ फ सो डी अ बुक क अ बुक क जो
भारत म पुतगाली गवनर के प म अ मेडा के उ रा धकारी बने पूव म पुतगाली श के
वा त वक सं ापक थे यह काय उ ह ने अपनी मृ यु से पहले पूरा कया था। उसने समु के
सभी वेश ार पर अ े ा पत करके पुतगाल के लए हद महासागर का रणनी तक
नयं ण सुर त कर लया।

पूव अ का म लाल सागर के पास ओरमुज़ म पुतगाली गढ़ थे मालाबार म और मल का


म. अ बुक क के अधीन पुतगा लय ने अ य जहाज के लए पर मट णाली शु करके और
े के मुख जहाज नमाण क पर नयं ण ा पत करके अपनी पकड़ मजबूत क ।
जहाज नमाण के लए खाड़ी और लाल सागर े म लकड़ी क अनुपल ता से भी
पुतगा लय को अपने उ े य म मदद मली।

अ बुक क ने म बीजापुर के सु तान से आसानी से गोवा हा सल कर लया बीजापुर


के सु तान का मुख बंदरगाह सकं दर महान के समय से यूरोपीय लोग के अधीन होने
वाला भारतीय े का पहला ह सा बन गया। उनके शासन क एक दलच वशेषता
सती था का उ मूलन था ।

अ बुक क के समय से ही जो पुतगाली पु ष समु या ा पर आए थे और भारत


म ही क गए थे उ ह ानीय प नयाँ लेने के लए ो सा हत कया जाता था। गोवा और
उ र के ांत म उ ह ने खुद को गाँव के जम दार के प म ा पत कया अ सर नई
सड़क और सचाई काय का नमाण कया त बाकू और काजू जैसी नई फसल शु क
या ना रयल क बेहतर वृ ारोपण क म के अलावा ना रयल के ना रयल क आव यकता
को पूरा करने के लए ना रयल के बड़े बगीचे लगाए। हेराफे री और घेरा. गोवा और कोचीन
जैसे शहर म वे ापारी होने के अलावा कारीगर और मा टर कारीगर के प म बस गए।
ऐसे अ धकांश पुतगाली पुतगाल के बजाय अपनी नई ब तय को घर के प म दे ख ने आए।

दे ख
मुसलमान का घोर उ पीड़न अ बुक क क नी त का एक गंभीर दोष था। यह पूव म मु लम
वा ण यक हत को पूरी तरह से समा त करके अपने दे शवा सय के हत को आगे बढ़ाने के उनके
संक प के कारण हो सकता है। अपने शासन के दौरान अ बुक क ने गोवा क कलेबंद को मजबूत
करने और इसके ावसा यक मह व को बढ़ाने के लए अपना सव े यास कया। भारत म
ायी पुतगाली आबाद को सुर त करने के लए उसने अपने लोग को भारतीय प नयाँ लेने के
लए ो सा हत कया।

का गजे टयर भारत वॉ यूम. तीय


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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

नीनो दा कु हा नीनो दा कु हा
ने नवंबर म भारत म पुतगाली हत के गवनर का पद संभाला और लगभग एक साल
बाद भारत म पुतगाली सरकार का मु यालय कोचीन से गोवा ानांत रत कर दया। गुज रात
के बहा र शाह ने मुगल स ाट मायूँ के साथ अपने संघष के दौरान म अपनी नभरता
और राज व के साथ बे सन प पुतगा लय को स पकर उनक मदद हा सल क । उ ह ने उ ह
द व म एक बेस बनाने का भी वादा कया। हालाँ क जब म मायूँ गुज रात से वापस
चला गया तो बहा र शाह के पुतगा लय के साथ संबंध ख़राब हो गए। चूँ क शहर के नवा सय
ने पुतगा लय के साथ लड़ाई शु कर द थी इस लए बहा र शाह वभाजन क द वार खड़ी
करना चाहते थे। इसका वरोध करते ए पुतगा लय ने बातचीत शु क जसके दौरान
गुज रात के शासक को एक पुतगाली जहाज पर आमं त कया गया और म उनक ह या
कर द गई। दा कु हा ने गली को अपना मु यालय बनाकर कई पुतगाली नाग रक को वहां
बसाकर बंगाल म पुतगाली भाव बढ़ाने का भी यास कया।

पुतगा लय के लए अनुकू ल प र तयाँ भारत म श शाली महमूद


बेगड़ा ारा शा सत गुज रात को छोड़कर उ री भाग कई छोट श य के
बीच वभा जत था। द कन म बहमनी सा ा य छोटे छोटे रा य म टू ट रहा था। कसी भी श
के पास अपने नाम के लायक नौसेना नह थी न ही उ ह ने अपनी नौसै नक श वक सत
करने के बारे म सोचा। सु र पूव म चीनी स ाट के शाही फरमान ने चीनी जहाज क नौवहन
प ंच को सी मत कर दया। जहां तक अरब ापा रय और जहाज मा लक का संबंध है जो
उस समय तक हद महासागर के ापार पर हावी थे उनके पास पुतगा लय के संगठन और
एकता से मेल खाने के लए कु छ भी नह था। इसके अलावा पुतगा लय ने अपने जहाज पर
तोप रखवाई थ ।

पुतगाली रा य सामा य वृ
भारत म पुतगा लय क पकड़ को कम आंक ने क है। हालाँ क ए टाडो पोटु गुएस दा इं डया
पुतगाली भारत का रा य वा तव म भारतीय इ तहास म एक बड़ा त व था जतना इसके लए
ेय दया जाता है। कई तट य भाग
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वा को डी गामा के आगमन के पचास वष के भीतर भारत पुतगाली स ा के अधीन आ गया


था। पुतगा लय ने गोवा के आसपास लगभग साठ मील तट पर क ज़ा कर लया था। प मी
तट पर मुंबई से लेक र दमन और द व से लेक र गुज रात तक उ ह ने चार मह वपूण बंदरगाह
और सैक ड़ क ब और गांव वाले एक संक ण माग को नयं त कया। द ण म उनके
अधीन मगलोर क ानोर कोचीन और कालीकट जैसे बंदरगाह कल और ापा रक चौ कय
क एक ृंख ला थी। और य प मालाबार म उनक श समे कत नह थी ले कन यह उन
ानीय शासक पर भाव या नयं ण सु न त करने के लए पया त थी जनके पास मसाला
उगाने वाली भू म थी। पुतगा लय ने पूव तट पर सैन थॉम चे ई म और नागप नम आं म
म अ त र सै य चौ कयाँ और ब तयाँ ा पत क । सोलहव शता द के अंत म प म
बंगाल के गली म एक समृ ब ती वक सत ई थी।

गोवा और उस समय के भारत के कई मुख रा य के बीच त और राज त का


आदान दान होता था। म गोवा और द कन के सु तान के बीच सं धय पर ह ता र
कए गए थे ज ह नय मत प से तब तक नवीनीकृ त कया जाता था जब तक उनका सा ा य
कायम था। वजयनगर और द कन के सु तान के बीच द क नय और मुगल के बीच और
मुगल और मराठ के बीच श संतुलन के लए लगातार ई लड़ाइय म पुतगा लय क हमेशा
भू मका रही।

दलच बात यह है क पुतगाली भारत आने वाले पहले यूरोपीय इस भू म को


छोड़ने वाले आ खरी भी थे। यह था जब भारत सरकार ने गोवा दमन और द व
को उनसे वापस ले लया।

भारत म पुतगाली शासन शासन का मुख वाइसराय होता था


जो तीन वष तक अपने स चव और बाद के वष म एक प रषद के साथ काय करता था। इसके
बाद मह व म वेदोर दा फ़ज़डा का ान आया जो राज व और काग तथा बेड़े के ेषण के
लए ज मेदार था। अ का से लेक र चीन तक के कले क तान के अधीन थे ज ह कारक
से सहायता मलती थी जनक श संचार क क ठनाइय के कारण बढ़ जाती थी और अ सर
गत उ े य के लए उपयोग क जाती थी।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

पुतगा लय क धा मक नी त मूर उ री अ का म पुतगा लय


के क र श ु थे। अरब भी ऐसे ही थे। पूव म प ँचकर पुतगाली ईसाई धम को बढ़ावा दे ने के
लए समान उ साह और सभी मुसलमान पर अ याचार करने क इ ा लेक र आए। मुसलमान
के त अस ह णु पुतगाली शु म ह के त काफ स ह णु थे। हालाँ क समय के साथ
गोवा म इन व जशन क शु आत के बाद प रवतन आ और ह पर भी अ याचार कया
गया।

ले कन इस अस ह णु वहार के बावजूद जेसुइट् स ने अकबर के दरबार म अ


छाप छोड़ी जसका मु य कारण मुगल स ाट क धमशा के म च थी।

सतंबर म अकबर ने गोवा के अ धका रय को एक प भेज कर दो व ान


पुज ा रय को भेज ने का अनुरोध कया। गोवा म चच के अ धका रय ने इस नमं ण को
उ सुक ता से वीकार कर लया य क इसम स ाट और उसके साथ उसके दरबार और लोग
को ईसाई धम म प रव तत करने का एक मौका था। जेसुइट पता रोडो फो ए वा ववा और
एंटो नयो मोनसेरेट को इस उ े य के लए चुना गया था। फरवरी को जब वे फ़तेहपुर
सीकरी प ँचे तो उनका स मानपूवक वागत कया गया।

ए वा ववा और मोनसेरेट म पुतगा लय क अकबर के ईसाई धम म पांतरण क


आशा को झुठलाते ए वापस चले गए। म अकबर ारा बुलाया गया सरा मशन भी
इसी तरह म समा त आ। तीसरा मशन अकबर ारा फर से आमं त कया गया
म लाहौर जहां दरबार तब रहता था प ंचा और एक कार क ायी सं ा के प
म जारी रहा जससे व तार आ। धम नरपे राजनी त पर इसका भाव

फादर जेरोम जे वयर और इमानुएल पनहेइरो मशन के नेता थे और दरबार से उनके प


अकबर के शासनकाल के उ राध म दान क गई जानकारी के लए ब त ापक प से जाने
गए।

जहाँगीर के प म सहासन पर चढ़ने पर राजकु मार सलीम ने जेसुइट पता क


उपे ा करके मुसलमान को संतु कया।
हालाँ क धीरे धीरे जेसुइट् स से उनका अ ायी अलगाव समा त हो गया और म उ ह ने
फर से उनके त अपना एहसान दोहराया। लाहौर म भ और वशाल चच को कॉले जयम
या के साथ उनके ारा बनाए रखने क अनुम त द गई थी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पुज ा रय का नवास. म आगरा म बीस बप त मा कए गए पुज ा रय ने सावज नक प से


उतनी ही वतं ता के साथ काम कया जतना पुतगाल म कया जाता था।

जहाँगीर का आचरण ऐसा था क जेसुइट पादरी उसे ईसाई धम म लाने के त


आशा वत हो गये।
हालाँ क ये उ मीद झूठ सा बत । इसके अलावा पुतगाली वाइसराय के अहंक ारी काय ने
मुगल स ाट के साथ दरार पैदा कर द ।

पुतगा लय ने मुगल के त अपनी कृ पा खो द म


कै टन व लयम हॉ क स
अपने जहाज हे टर के साथ सूरत प ँचे। वह अपने साथ जहाँगीर के मुगल दरबार म इं लड के
राजा जे स थम का एक प लेक र आये जसम भारत म ापार करने क अनुम त का
अनुरोध कया गया था। फादर पनहेरो और पुतगाली अ धका रय ने हॉ क स को मुगल दरबार
तक प ंचने से रोकने क पूरी को शश क ले कन सफल नह ए। जहांगीर ने हॉ क स ारा
उसके लए लाए गए उपहार को वीकार कर लया और म हॉ क स का ब त ही अनुकू ल
वागत कया। चूं क हॉ क स तुक भाषा अ तरह से जानता था इस लए उसने भा षया
क सहायता के बना स ाट के साथ उसी भाषा म बातचीत क । हॉ क स से स होकर
जहाँगीर ने उसे पये के वेतन पर का मनसबदार नयु कया जा हर है उसे
यह कभी नह मला ।

हॉ क स का ववाह मुबारक शाह मुबा रके शा नामक एक अम नयाई ईसाई क बेट से भी


आ था।
अं ेज को ापा रक सु वधाएं दए जाने से पुतगाली नाराज हो गए। हालाँ क
बातचीत के बाद पुतगा लय और मुग़ल स ाट के बीच एक यु वराम ा पत हो गया।

पुतगा लय ने अं ेज ी जहाज को सूरत के बंदरगाह म वेश करने से रोक दया। पुतगाली


सा ज़श का मुक ाबला करने या ढु लमुल मुगल नी तय को रोकने म असमथ होने के कारण
च कत हॉ क स ने म मुगल दरबार छोड़ दया। हालाँ क नवंबर म कै टन बे ट
के नेतृ व म अं ेज ी जहाज ैगन ने एक छोटे जहाज ओ सयंडर के साथ पुतगाली बेड़े से
सफलतापूवक मुक ाबला कया। जहाँगीर जसके पास अपने नाम के लायक कोई नौसेना नह
थी को अं ेज ी सफलता के बारे म पता चला और वह ब त भा वत आ।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

पुतगाली समु डकै ती के कृ य के प रणाम व प शाही मुगल सरकार के साथ संघष


भी आ। म पुतगा लय ने मुगल जहाज पर क जा करके कई मुसलमान को कै द
करके और माल लूटकर जहांगीर को नाराज कर दया। ो धत जहाँगीर ने मुक रब खान जो
सूरत के त कालीन भारी थे को मुआ वजा ा त करने का आदे श दया। हालाँ क शाहजहाँ के
शासनकाल के दौरान मुगल दरबार म पुतगा लय को जो लाभ ा त थे वे हमेशा के लए खो
गए। शाही प रवार और मुगल भारत को ईसाई धम म प रव तत करने क उ मीद भी खो ग
एक ऐसी उ मीद जो पुतगा लय को अकबर और जहांगीर ारा उ ह और उनके धम को दए
गए वागत के कारण बची ई थी।

गली पर क जा लगभग के
एक शाही फरमान के आधार पर पुतगाली अपनी ापा रक ग त व धय को जारी रखने के
लए बंगाल के सतगांव से थोड़ी री पर एक नद तट पर बस गए थे।

इन वष म उ ह ने बड़ी इमारत का नमाण करके अपनी त मजबूत क जसके कारण


सतगाँव से ापार का ानांतरण गली नामक नए बंदरगाह क ओर आ। उ ह ने नमक के
नमाण पर एका धकार कर लया अपना खुद का एक क टम हाउस बनाया और त बाकू पर
शु क लगाने को स ती से लागू करना शु कर दया जो व शता द क शु आत म अपनी
शु आत के बाद से ापार का एक मह वपूण लेख बन गया था।

पुतगा लय ने न के वल ापा रय के प म पैसा कमाया ब क ह और मु लम


ब को खरीदकर या ज त करके ू र दास ापार भी शु कया ज ह उ ह ने ईसाई के प
म पाला।
अपनी नापाक ग त व धय के दौरान उ ह ने मुमताज महल क दो दा सय को पकड़ लया।
जून को गली क घेराबंद शु ई जो तीन महीने बाद उसके क जे म समा त
ई।
शाहजहाँ ने बंगाल के गवनर का सम खान को पुतगा लय के व कारवाई करने का आदे श
दया। गली क घेराबंद के कारण अंततः पुतगाली भाग गए। मुगल को लोग क
हा न ई ले कन वे कै दय को भी आगरा ले गए। कै दय को इ लाम अपनाने या गुलाम
बनने का वक प दया गया। ईसाइय का उ पीड़न कु छ समय तक जारी रहा जसके बाद धीरे
धीरे यह ख़ म हो गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पुतगा लय का पतन व शता द तक भारत म


पुतगा लय ने अपना ावसा यक भाव खो दया हालाँ क उनम से कु छ अभी भी अपनी
गत मता से ापार कर रहे थे और कई ने समु डकै ती और डकै ती करना शु कर
दया। वा तव म गली का उपयोग कु छ पुतगा लय ारा बंगाल क खाड़ी म समु डकै ती के
अ े के प म कया जाता था। पुतगा लय का पतन कई कारक के कारण आ। भारत म
पुतगा लय ारा ा त ानीय लाभ म फारस और उ र भारत म श शाली राजवंश के
उ व और उनके नकटतम पड़ो सय के प म अशांत मराठ के उदय के साथ कम हो गए थे।
मराठ ने म पुतगा लय से सा सेट और बे सन पर क ज़ा कर लया।

पुतगा लय क धा मक नी तय जैसे जेसुइट् स क ग त व धय ने राजनी तक भय को


ज म दया। मुसलमान के त उनक श ुता के अलावा ईसाई धम म पांतरण क पुतगाली
नी त ने ह को भी नाराज कर दया।

उनक बेईमान ापार था पर भी कड़ी त या ई। पुतगा लय ने समु डाकू


के प म कु या त अ जत क ।
उनके अहंक ार और हसा के कारण उ ह छोटे रा य के शासक और शाही मुगल से भी मनी
का सामना करना पड़ा।
ाज़ील क खोज ने पुतगाल क उप नवेशवाद ग त व धय को प म क ओर मोड़
दया।
म ेन और पुतगाल के दो रा य के एक करण ने छोटे सा ा य को इं लड
और हॉलड के साथ ेन के यु म ख च लया जससे भारत म ापार पर पुतगाली
एका धकार बुरी तरह भा वत आ।

पहले समु माग के ान पर एका धकार था

दे ख
पुतगाली एक हाथ म तलवार और सरे हाथ म ू स लेक र भारत म दा खल ए ब त सारा सोना पाकर
उ ह ने अपनी जेब भरने के लए ू स को एक तरफ रख दया और उ ह एक हाथ से पकड़ने म स म
नह होने के कारण वे इतने भारी हो गए क उ ह ने तलवार भी गरा द बाद म आने वाले लोग ारा
इस मु ा म पाए जाने पर उन पर आसानी से काबू पा लया गया।

अ फांसो डी सूज ा पुतगाली


भारत म रा यपाल
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

पुतगाली उ ान और पतन
कालीकट म वा को डी गामा का आगमन और ानीय राजा ज़मो रन ारा उनका भ वागत।

कोचीन म पहले पुतगाली कले क ापना।


क ानोर म सरे पुतगाली कले क ापना।
पुतगाली गवनर ां स को अ मेडा ारा गुज रात म और ज़मो रन के संयु बेड़े क हार।

पुतगाली गवनर अ फ सो अ बुक क ने बीजापुर से गोवा पर क ज़ा कया।

गोवा को पुतगाली राजधानी घो षत कया गया।


द व पर क ज़ा।
पुतगा लय ने दमन पर क ज़ा कया।
डच ारा द ण पूव से पुतगा लय को बेदखल करना
ए शया.

अं ेज के हाथ सूरत क हार।


पुतगा लय को भारत से बाहर नकालने के लए डच ने मालाबार तट पर सभी पुतगाली कले
जीत लए।

पुतगा लय ारा क ज़ा कया गया भारत हमेशा के लए एक रह य नह रह सका ज द ही


डच और अं ेज जो समु ने वगेशन के कौशल सीख रहे थे ने भी इसे सीख लया। जैसे ही
यूरोप से नये ापा रक समुदाय भारत आये उनके बीच भयंक र त ं ता शु हो गई।
इस संघष म पुतगा लय को अपने से अ धक श शाली एवं उ मशील त धय को
पीछे छोड़ना पड़ा। डच और अं ेज़ के पास वदे श म व तार करने के लए अ धक संसाधन
और अ धक मजबू रयाँ थ और उ ह ने पुतगाली तरोध पर काबू पा लया। एक एक
करके पुतगा लय क संप उसके वरो धय के हाथ लग गई। गोवा जो पुतगा लय के
पास रहा वजयनगर सा ा य के पतन के बाद एक बंदरगाह के प म अपना मह व खो
चुक ा था और ज द ही इससे कोई फक नह पड़ता था क यह कसके क जे म है। मसाला
ापार डच के नयं ण म आ गया और पुतगाल के वदे शी सा ा य के आ थक क के प
म गोवा को ाज़ील से हटा दया गया। म दो नौसै नक हमल के बाद मराठ ने गोवा
पर आ मण कया।

पुतगा लय का मह व
अ धकांश इ तहासकार ने दे ख ा है क का आगमन
पुतगा लय ने न के वल वह आरंभ कया जसे कहा जा सकता है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

यूरोपीय युग म नौसै नक श का उदय आ। चोल सर के बीच एक नौसै नक श थे


ले कन अब यह पहली बार था क कोई वदे शी श समु के रा ते भारत म आई थी। पुतगाली
जहाज़ तोप ले जाते थे और यह ापार पर एका धकार हा सल करने का पहला कदम था
धमक या बल के वा त वक उपयोग के साथ। पुतगा लय ने अपने वयं के नयम के अलावा
कसी भी नयम का पालन करने का इरादा कया और वे भारतीय और हद महासागर
ापार णाली पर नणायक लाभ ा त करने का इरादा रखते थे।

सोलहव शता द के मालाबार म पुतगा लय ने शारी रक कवच मा चस क तीली


और जहाज से उतारी जाने वाली बं क के उपयोग म सै य नवाचार दखाया। उदाहरण के तौर
पर पुतगा लय ने मुगल ारा मैदानी बं क और रकाब के तोपखाने के उपयोग म योगदान
दया होगा। हालाँ क पुतगाली तटवत ारा कया गया एक मह वपूण सै य योगदान े नश
मॉडल पर पैदल सेना के लग समूह क णाली थी जसे के दशक म डच दबाव के
जवाब म पेश कया गया था। इस था को पहले ांसीसी और अं ेज ी ारा अपनाया गया था
और बाद म मराठ और सख ारा अपनाया गया और सपा हय क ऐसी सेनाएँ भारत म
सा ा य के नए उपकरण बन ग ।

पुतगाली समु म उ त तकनीक के वामी थे। उनके ब डेक वाले जहाज का भारी
नमाण कया गया था उ ह नय मत मानसून से पहले चलने के बजाय अटलां टक तूफ ान से
बचने के लए डज़ाइन कया गया था इससे उ ह भारी ह थयार ले जाने क अनुम त मल गई।
बो डग पा टय को पीछे हटाने या लॉ च करने के लए उनके ारा कै स ो और टन का
उपयोग एक उ लेख नीय तरीका था। भारतीय ब र ने दोन को अपने उपयोग के लए
अनुकू लत कया।

हालाँ क संगठन म पुतगाली कौशल जैसे शाही श ागार और गोद के नमाण और पायलट
क एक नय मत णाली के रखरखाव और नजी ापारी श पग के खलाफ रा य बल क
मै पग और खड़ा करना और भी अ धक उ लेख नीय था। मुगल और मराठ ने न त प से
सीखा होगा पुतगाली से ले कन इस ान के अ धक न त उ रा धकारी ए शया म अ य
यूरोपीय वशेषकर डच और अं ेज थे।

भारत म धा मक उ पीड़न क मृ त और
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

ू रता सां कृ तक े म पुतगा लय ारा कए गए अ य योगदान को बा धत करती है।


हालाँ क यह नह भुलाया जा सकता क मशनरी और चच भारत म च कार न काशीकता
और मू तकार क कला के श क और संर क भी थे। संगीत क तरह वे न के वल पुतगाली
ब क भारत म यूरोपीय कला के ा याकार भी थे।

चांद और सुनार क कला गोवा म फली फू ली और यह ान व तृत चांद के महीन


काम घसे प े के काम और आभूषण को जड़ने वाले धातु के काम का क बन गया।

हालाँ क हालाँ क पुतगा लय के अधीन न मत चच के आंत रक भाग म लकड़ी और मू तकला


क चुरता है और कभी कभी च त छत ह ले कन वे आम तौर पर अपनी वा तु श प योजना
म सरल ह।

डच नवासी
वा ण यक उ म ने डच को पूव क ओर या ाएँ करने के लए े रत कया। कॉन लस डी
हाउटमैन म सुमा ा और बटम तक प ंचने वाले पहले डचमैन थे। म नीदरलड के
टे ट्स जनरल ने कई ापा रक कं प नय को नीदरलड क ई ट इं डया कं पनी म मला दया।

इस कं पनी को यु करने सं धयाँ करने े पर क ज़ा करने और कले बनाने का भी अ धकार


दया गया था।

डच ब तयाँ भारत म अपने आगमन


के बाद डच ने म मसूलीप नम आं म म अपनी पहली फै ा पत क । वे भारत
के व भ ह स म ापा रक क ा पत करने के लए आगे बढ़े और इस तरह पुतगा लय
के लए खतरा बन गए। उ ह ने म ास चे ई के पास नागप म को पुतगा लय से छ न लया
और इसे द ण भारत म अपना मु य गढ़ बना लया।

डच ने गुज रात उ र दे श बंगाल और बहार म कोरोमंडल तट पर कारखाने ा पत


कए। म उ ह ने म ास के उ र म पु लकट म एक फै खोली। भारत म उनके अ य
मुख कारखाने सूरत बमलीपटम कराईकल चनसुरा
बारानगर म थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

का समबाजार मु शदाबाद के पास बालासोर पटना नागप म और कोचीन


। पुन वतरण या ापार म भाग लेते ए वे भारत से व भ व तुए ं और माल सु र
पूव के प म लाए। वे यमुना घाट और म य भारत म न मत नील बंगाल गुज रात और
कोरोमंडल से कपड़ा और रेशम बहार से शोरा और गंगा घाट से अफ़ म और चावल ले जाते
थे।

एं लो डच त ं ता इस समय अं ेज
भी पूव ापार म मुख ता क ओर बढ़ रहे थे और इसने डच के ावसा यक हत के लए
एक गंभीर चुनौती खड़ी कर द थी। ावसा यक त ं ता ज द ही खूनी यु म बदल गई।

पूव म डच और अं ेज के बीच श ुता क चरम सीमा अंबोयना वतमान इंडोने शया


म एक जगह जसे डच ने म पुतगा लय से क जा कर लया था म प ँची थी जहाँ
उ ह ने म दस अं ेज और नौ जापा नय का नरसंहार कया था।

इस घटना ने दोन यूरोपीय कं प नय के बीच त ं ता को और अ धक बढ़ा दया।


लंबे यु के बाद म दोन प म एक समझौता आ जसके ारा अं ेज इंडोने शया
पर अपने सभी दावे वापस लेने पर सहमत हो गए और डच अपने अ धक यान क त करने
के लए भारत से सेवा नवृ हो गए।

दे ख
स हव शता द के दौरान अं ेज के साथ डच क त ं ता पुतगा लय से भी अ धक कड़वी
थी। पूव म डच क नी त दो उ े य से भा वत थी एक कै थो लक ेन उनक वतं ता के मन
और उसके सहयोगी पुतगाल से बदला लेना था और सरा था।

एक कोण से ई ट इंडीज म उप नवेश बनाना और ब तयाँ ा पत करना

उस े म वा ण य पर एका धकार ा पत करना। पुतगाली भाव के मक ास से उ ह अपना


पहला उ े य ा त आ। अपने सरे उ े य क ा त ने उ ह अं ेज के साथ कड़ी त धा म ला
दया।

आरसी मजूमदार एचसी रायचौधरी और के .द ा


एक का उ त इ तहास भारत
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

इंडोने शया म लाभदायक ापार। उ ह ने काली मच और मसाल के ापार पर एका धकार


जमा लया। डच ारा ापार क जाने वाली सबसे मह वपूण भारतीय व तुए ँ रेशम कपास
नील चावल और अफ़ म थ ।

भारत म डच का पतन
डच मलय पसमूह के ापार म शा मल हो गए।
इसके अलावा तीसरे एं लो डच यु म सूरत और बंबई क नई अं ेज ी ब ती के
बीच संचार टू ट गया जसके कारण तीन घरेलू अं ेज ी जहाज को डच सेना ने बंगाल क खाड़ी
म पकड़ लया।

अं ेज क जवाबी कारवाई के प रणाम व प गली क लड़ाई नवंबर म डच क हार


ई जससे भारत म डच मह वाकां ा को करारा झटका लगा।

डच को भारत म सा ा य नमाण म अ धक च नह थी उनक चताएँ ापार थ ।


कसी भी त म उनका मु य ावसा यक हत इंडोने शया के ाइस प समूह म था जहाँ
से उ ह ने ापार के मा यम से भारी लाभ कमाया।

अं ेज ी
महारानी ए लज़ाबेथ थम का चाटर
म ां सस ेक क नया भर क या ा और म े नश आमडा पर अं ेज क
जीत ने अं ेज म उ म क एक नई भावना पैदा क जससे ना वक को पूव क ओर उ म
करने के लए ो सा हत कया गया। जैसे जैसे पूव ापार म पुतगा लय ारा अ जत उ
मुनाफ़े के बारे म जानकारी बढ़ अं ेज़ ापारी भी इसम ह सा चाहते थे। इस लए म
खुद को मचट एडवचरस कहने वाले अं ेज ी ापा रय के एक समूह ने एक कं पनी बनाई।
दसंबर को महारानी ए लजाबेथ थम ने गवनर एंड कं पनी ऑफ मचट् स ऑफ
लंदन े डग इनटू द ई ट इंडीज नाम क कं पनी को वशेष ापार के अ धकार वाला एक चाटर
जारी कया।

ारंभ म पं ह वष का एका धकार दान कया गया था जसे मई म एक नए चाटर


ारा अ न त काल तक बढ़ा दया गया था। चूं क डच पहले से ही पूव पर अ धक यान क त
कर रहे थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इंडीज़ अं ेज़ ने कपड़ा और ापार क अ य व तु क तलाश म भारत का ख कया।

प म और द ण म अं ेज ी कं पनी के पैर जमाने क ग त कै टन


हॉ क स अ ैल म ही जहांगीर के दरबार म
प ंचे। ले कन सूरत म फै ा पत करने का मशन पुतगा लय के वरोध के कारण सफल
नह आ और नवंबर म हॉ क स ने आगरा छोड़ दया। म अं ेज ने भारत के
द ण पूव तट पर मसूलीप नम म ापार शु कया और बाद म एक फै क ापना
क। म वहां कारखाना।

म कै टन थॉमस बे ट ने सूरत के पास समु म पुतगा लय को हराया था भा वत होकर


जहांगीर ने क शु आत म थॉमस ए वथ के तहत सूरत म एक कारखाना ा पत करने
के लए अं ेज ी को अनुम त द । म सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार म जे स थम के
एक मा यता ा त राज त के प म आए और फरवरी तक वहां रहे। हालां क वह
मुगल स ाट के साथ एक वा ण यक सं ध करने म असफल रहे ले कन वह कई वशेषा धकार
सुर त करने म स म थे। जसम आगरा अहमदाबाद और ोच म कारखाने ा पत करने
क अनुम त भी शा मल है।

अं ेज ी कं पनी क ग त सुचा नह रही।


ारंभ म इसे पुतगा लय और डच से संघष करना पड़ा। ले कन बदलती त ने उनक मदद
क और चीज उनके प म कर द । म जब चा स ने पुतगाली राजकु मारी कै थरीन से
शाद क तो पुतगाल के राजा ने बॉ बे को दहेज के प म राजा चा स तीय को उपहार म दे
दया था। म बॉ बे को के वल दस पाउं ड के वा षक भुगतान पर ई ट इं डया कं पनी को
स प दया गया था। बाद म बॉ बे को बनाया गया था मप मी ेसीडसी क सीट को
सूरत से बंबई म ानांत रत करके मु यालय बनाया गया। इस लए अब अं ेज ी और पुतगा लय
के बीच मौन शां त थी। जैसा क पहले उ लेख कया गया है एक एं लो डच समझौता भी था
जसके ारा डच भारत म अं ेज ी कं पनी के ापार म ह त ेप नह करने पर सहमत ए। इस
कार अं ेज को भारत म दो क र त ं य से छु टकारा मल गया।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

म गोलकुं डा के सु तान ारा जारी कए गए गो न फ़रमान से अं ेज ी कं पनी


क त म सुधार आ। त वष पैगोडा के भुगतान पर उ ह ने गोलकुं डा के बंदरगाह
म वतं प से ापार करने का वशेषा धकार अ जत कया। मसूलीप नम प रषद के एक
सद य टश ापारी ां सस डे ने म चं ग र के शासक से म ास म एक गढ़वाली
फै बनाने क अनुम त ा त क जो बाद म फोट सट जॉज बन गई और मसूलीप नम को
द ण भारत म अं ेज ी ब तय के मु यालय के प म बदल दया गया। .

इसके बाद अं ेज ने अपनी ापा रक ग त व धय को पूव क ओर बढ़ाया और म


महानद डे टा म ह रहरपुर और बालासोर ओ डशा म म कारखाने शु कए।

बंगाल म पैर जमाना उस समय


बंगाल भारत का एक बड़ा और समृ ांत था जो ापार और वा ण य म उ त था। बंगाल
पर वा ण यक और राजनी तक नयं ण वाभा वक प से लाभ चाहने वाले अं ेज ी ापा रय
के लए एक आकषक ताव तीत आ। बंगाल भी मुग़ल सा ा य का एक मह वपूण ांत
था।

म बंगाल के सूबेदार शाह शुज ा ने सभी कत के बदले पये के


वा षक भुगतान के बदले म अं ेज को बंगाल म ापार करने क अनुम त द । बंगाल म
कारखाने गली और का समबाजार पटना और राजमहल जैसे अ य ान पर शु
कए गए थे। फर भी फ़रमान के वशेषा धकार के बावजूद कं पनी के वसाय को कभी
कभी ानीय चेक पो ट पर सीमा शु क अ धका रय ारा बा धत कया जाता था जो टोल का
भुगतान करने के लए कहते थे। अपनी बदली ई नी त के अनुसरण म कं पनी गली म एक
गढ़वाली ब ती बनाना चाहती थी ता क आव यकता पड़ने पर बल योग कया जा सके । बंगाल
म कं पनी के पहले एजट और गवनर व लयम हेज ेज ने शकायत के नवारण के लए अग त
म बंगाल के मुगल गवनर शाइ ता खान से अपील क । चूँ क अपील से कु छ भी नतीजा
नह नकला अं ेज़ और मुग़ल के बीच श ुता शु हो गई। चार साल बाद अ टू बर म
गली को शाही मुगल ारा बखा त कर दया गया। अं ेज ने थाना आधु नक म शाही कल
पर क जा करके जवाबी कारवाई क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गाडन रीच पूव मदनापुर म हजली पर छापा मारा और बालासोर म मुगल कलेबंद पर
हमला कया। हालाँ क अं ेज को गली छोड़ने के लए मजबूर कया गया और उ ह गंगा नद
के मुहाने पर एक अ वा यकर ान पर भेज दया गया।

गली पर मुगल के हमले के बाद एक कं पनी एजट जॉब चान क ने सुतानुती नामक
ान पर लौटने के लए मुगल के साथ बातचीत शु क । चान क ने फरवरी म मुगल
के साथ एक सं ध पर ह ता र कए और अग त म सुतानु त लौट आए। इस कार
फरवरी को एक अं ेज ी फै क ापना क गई जस दन एक शाही फरमान
जारी कया गया था जसम अं ेज को बंगाल म अपना ापार संतोषपूवक जारी रखने क
अनुम त द गई थी। सभी बकाया रा श के बदले त वष पये के भुगतान पर।

बधमान जले के एक जम दार सोभा सह ने व ोह कर दया और बाद म अं ेज को


म सुतानुट म अपनी ब ती को मजबूत करने का बहाना दे दया। म अं ेज तीन
गांव क जम दारी खरीदने क अनुम त ा त करने म सफल रहे। सुतानु त गो बदपुर और
का लकाता कालीघाट को उनके मा लक से पये के भुगतान पर। वष म इस
कलेबंद ब ती का नाम फोट व लयम रखा गया जब यह पूव रा प त पद कलक ा क सीट
भी बनी और सर चा स आयर इसके पहले अ य बने।

फ ख सयर के फरमान म मुगल


स ाट फ ख सयर के दरबार म जॉन सुरमन के नेतृ व म एक अं ेज ी मशन ने तीन स
फरमान हा सल कए जससे कं पनी को बंगाल गुज रात और हैदराबाद म कई मू यवान
वशेषा धकार ा त ए। इस कार ा त फ़रमान को कं पनी का मै ना काटा माना जाता था।
उनक मह वपूण शत थ • बंगाल म कं पनी के आयात और नयात को पहले तय कए गए
पये के वा षक भुगतान को छोड़कर अ त र सीमा शु क से छू ट द गई थी।

• कं पनी को ऐसे सामान के प रवहन के लए द तक पास जारी करने क अनुम त


द गई थी।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

ई ट इं डया कं पनी के ारं भक वष

ई ट इं डया कं पनी क ापना ई।


व लयम हॉ क स जहांगीर के दरबार म प ंचे।
कै टन मडलटन ने सूरत के मुगल गवनर से वहां ापार करने क अनुम त ा त क ।

सूरत म ई ट इं डया कं पनी का ायी कारखाना ा पत कया गया।

राजा जे स थम के राज त सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार म प ंचे। तक राज त अंतदशीय


टोल से छू ट के साथ मु ापार क पु करने वाले दो स ाट और राजकु मार खुरम से एक
एक फरमान
ा त करने म सफल रहे ।

कं पनी ने द ण म अपना पहला कारखाना ा पत कया


मसूलीप नम.
कं पनी को गोलकुं डा के सु तान से वण ा त आ जससेफरमान
उनके ापार क सुर ा और समृ
सु न त ई।
कं पनी ने पूव भारत म अपना पहला कारखाना ह रहरपुर बालासोर ओ डशा म ा पत कया।

कं पनी को एक ानीय राजा से म ास का प ा मला।


कं पनी को गली बंगाल म ापार करने क अनुम त द गयी।

टश राजा चा स तीय को पुतगाली राजकु मारी कै थरीन ऑफ ैगज़ा से शाद करने के लए


दहेज के प म बॉ बे दया गया था।
औरंगजेब ने अं ेज को बंगाल म ापार क अनुम त दे फरमान
द।
कं पनी को त वष पये के भुगतान के बदले बंगाल म अपना ापार जारी रखने का शाही
आदे श मला।
मुगल बादशाह फ ख सयर ने कं पनी का मै ना काटा जारी कया जससे कं पनीफरमान
को बड़ी सं या म
ापार रयायत मल ।

• कं पनी को अ धक भू म कराये पर लेने क अनुम त द गई


कलक ा के आसपास.
• हैदराबाद म कं पनी ने ापार म कत से मु के अपने मौजूदा वशेषा धकार
को बरकरार रखा और के वल म ास के लए च लत लगान का भुगतान करना
पड़ा। • सूरत म पये के वा षक भुगतान पर ई ट इं डया
कं पनी को सभी शु क से छू ट द गई थी। • यह आदे श दया गया क बंबई म ढाले
गए कं पनी के स के पूरे मुगल सा ा य म चलन म ह गे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जा हर तौर पर अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी चापलूसी और कू टनी त के मा यम से मुगल


स ा से बंगाल म कई ापा रक रयायत हा सल करने म कामयाब रही।

ले कन त धय से छु टकारा पाने और भारत पर अपना पूण भु व ा पत करने


से पहले अं ेज को ांसी सय को हराना था।

दो अं ेज ी कं प नय का वलय क अं ेज ी ां त के बाद
ह स ने अपने बढ़े ए भाव से ई ट इं डया कं पनी के एका धकार का वरोध कया। इस कार
एक त ं कं पनी का गठन आ जसने अपने लए ापा रक वशेषा धकार हा सल करने
के लए औरंगजेब जनवरी अ ैल के दरबार म सर व लयम नॉ रस को अपना
राज त नयु कया। हालाँ क नई कं पनी वफल सा बत ई। ाउन और संसद के दबाव म
दोन कं प नय को म यूनाइटे ड कं पनी ऑफ मचट् स ऑफ इं लड े डग टू द ई ट इंडीज
के शीषक के तहत मला दया गया। यह ई ट इं डया कं पनी थी से तक जसे
भारत म टश राजनी तक स ा ा पत करनी थी।

ांसीसी

भारत म ांसीसी क क ापना हालाँ क ांसी सय के मन म सोलहव


शता द के शु आती वष से ही पूव के वा ण य म शा मल होने क इ ा थी ले कन भारतीय
तट पर उनक उप त दे र से ई। दरअसल ांसीसी ापार के उ े य से भारत आने वाले
अं तम यूरोपीय थे। लुई XIV के शासनकाल के दौरान राजा के स मं ी कोलबट ने
म कॉ े नी डेस इंडेस ओ रएंटे स च ई ट इं डया कं पनी क न व रखी जसम राजा ने भी
गहरी च ली। कॉ ैनी डेस इंडेस ओ रएंटे स को भारतीय और शांत महासागर म ांसीसी
ापार पर साल का एका धकार दान कया गया था। ांसीसी राजा ने कं पनी को
मेडागा कर प के साथ साथ कसी भी प के लए हमेशा के लए रयायत भी द
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

अय े जन पर वह वजय ा त कर सकता था। कं पनी ने मेडागा कर क कॉलो नय को


पुनज वत करने क को शश म अपना ब त सारा पैसा और संसाधन खच कए ले कन कोई
सफलता नह मली। फर म कोइस कै रन ने सूरत म एक कारखाना ा पत करते
ए भारत म एक अ भयान का नेतृ व कया। कै रन के साथ आए फ़ारसी मरकारा ने गोलकुं डा
के सु तान से पेटट ा त करने के बाद म मसूलीप नम म एक और ांसीसी फै क
ापना क । म ांसी सय ने बंगाल के मुगल सूबेदार शाइ ता खान से कलक ा के
पास चं नगर म एक टाउन शप ा पत करने क अनुम त ा त क ।

पां डचेरी भारत म ांसीसी श का तं का क म


वलीक डापुरम बीजापुर
सु तान के अधीन के गवनर शेर खान लोद ने मसूलीप नम कारखाने के नदे शक कोइस
मा टन को बसने के लए एक जगह द ।

पां डचेरी क ापना म ई थी। उसी वष कोइस मा टन ने ांसीसी गवनर के पम


कै रन का ान लया।
ांसीसी कं पनी ने भारत के अ य भाग म भी वशेषकर तट य े म अपने कारखाने
ा पत कये। माहे कराईकल बालासोर और का सम बाजार ांसीसी ई ट इं डया कं पनी के
कु छ मह वपूण ापा रक क थे।

म पां डचेरी का कायभार संभालने के बाद कोइस मा टन ने इसे एक मह वपूण


ान के प म वक सत कया। यह वा तव म भारत म ांसी सय का गढ़ था।

ांसीसी ई ट इं डया कं पनी को शु आती झटके डच और ांसीसी के बीच


यु छड़ने से
भारत म ांसीसी त बुरी तरह भा वत ई। क ां त के बाद से अं ेज के साथ
अपने गठबंधन से उ सा हत होकर डच ने म पां डचेरी पर क ज़ा कर लया। हालाँ क
सतंबर म संप राइस वक क सं ध ने पां डचेरी को ांसी सय को बहाल कर दया
ले कन डच सेना ने दो और वष तक इस पर क ज़ा रखा। एक बार फर कोइस मा टन के
कु शल मागदशन म पां डचेरी फला फू ला और भारत म ांसी सय क सबसे मह वपूण ब ती
बन गया। फर वह
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जब यूरोप म े नश उ रा धकार का यु छड़ गया तो भारत म ांसीसी कं पनी क क मत म


एक बुरा मोड़ आ गया।
इसके प रणाम व प उ ह व शता द क शु आत म सूरत मसूलीप नम और बटम म अपने
कारखाने छोड़ने पड़े।
भारत म ांसी सय को एक और झटका तब लगा जब दसंबर को कोइस मा टन
क मृ यु हो गई।

ांसीसी कं पनी का पुनगठन म ांसीसी कं पनी को परपेचुअ ल


कं पनी ऑफ द इंडीज के प म पुनग ठत कया गया जसने इसक ताकत को पुनज वत
कया। और के बीच दो स य और बु मान रा यपाल लेनोर और डु मास के
नेतृ व म इसे और बढ़ाया गया।

इसके अलावा ांसीसी भारत को द णी हद महासागर म मॉरीशस और रीयू नयन के ांसीसी


क जे का समथन ा त था।

वच व के लए आं ल ांसीसी संघष कनाटक यु

त ं ता क पृ भू म य प टश और
ांसीसी ापा रक उ े य के लए भारत आए थे ले कन अंततः वे भारत क राजनी त म शा मल
हो गए। दोन का इस े पर राजनी तक स ा ा पत करने का सपना था। भारत म एं लो
ांसीसी त ं ता उनके पूरे इ तहास म इं लड और ांस क पारंप रक त ं ता को दशाती
है इसक शु आत ऑ याई उ रा धकार यु के फै लने के साथ ई और सात साल के यु के
समापन के साथ समा त ई। वशेष प से भारत म तीन कनाटक यु के पम त ं ता ने
एक बार के लए यह तय कर दया क ांसीसी नह ब क अं ेज़ भारत के वामी बनगे।

म द ण भारत म राजनी तक तअन त और मत थी। हैदराबाद के


नज़ाम आसफ जाह बूढ़े थे और पूरी तरह से प मी द कन म मराठ से लड़ने म लगे ए थे
जब क उनके अधीन उनक मृ यु के प रणाम के बारे म अनुमान लगा रहे थे। उसके रा य के
द ण म कोरोमंडल तट था जहां श संतुलन बनाए रखने के लए कोई मजबूत शासक नह
था। इसके बजाय आंत रक मैसूर कोचीन और म पुराने वजयनगर सा ा य के अवशेष थे
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

मालाबार तट पर ावणकोर और पूव म म रा म रै तंज ौर तंज ावुर और चनोपोली


थ चराप ली के छोटे रा य। हैदराबाद का पतन मु लम व तारवाद के अंत का संके त था
और अं ेज ी साहसी लोग ने अपनी योजनाएँ तैयार कर ल । इसके अलावा तंज ौर का मराठा
सा ा य भी था जो पुण े के पेशवा को जब चाहे ह त ेप का बहाना दान करता था।

थम कनाटक यु
पृ भू म कनाटक यूरोपीय लोग ारा कोरोमंडल तट और उसके भीतरी इलाक को
दया गया नाम था। थम कनाटक यु यूरोप म आं ल ांसीसी यु का व तार था जो
ऑ याई उ रा धकार यु के कारण आ था।

ता का लक कारण य प ांस भारत म अपनी अपे ाकृ त कमजोर त के त


सचेत था भारत के साथ श ुता के व तार का प नह लेता था बानट के नेतृ व म अं ेज ी
नौसेना ने ांस को उकसाने के लए कु छ ांसीसी जहाज को ज त कर लया। ांस ने
म मॉरीशस के ांसीसी गवनर एड मरल ला बॉड नस के नेतृ व म ांस के प मॉरीशस के
बेड़े क मदद से म ास पर क ज़ा करके जवाबी कारवाई क । इस कार थम कनाटक यु
ार आ।

प रणाम पहला कनाटक यु म समा त आ जब ऑ याई उ रा धकार यु


को न कष पर लाने के लए ऐ स ला चैपल क सं ध पर ह ता र कए गए। इस सं ध क शत
के तहत म ास को अं ेज को वापस स प दया गया और बदले म ांसी सय को उ री
अमे रका म उनके े मल गए।

मह व थम कनाटक यु को सट थॉम म ास म क लड़ाई के लए याद कया जाता


है जो ांसीसी सेना और कनाटक के नवाब अनवर उद द न क सेना के बीच लड़ी गई थी
जनसे अं ेज ने मदद क अपील क थी। कै टन पैराडाइज़ के नेतृ व म एक छोट ांसीसी
सेना ने अ ार नद के तट पर सट थॉम म महफू ज खान के नेतृ व म मजबूत भारतीय सेना को
हराया। यह भारत म यूरोपीय लोग के लए आंख खोलने वाला था इससे पता चला क एक
छोट अनुशा सत सेना भी ब त बड़ी भारतीय सेना को आसानी से हरा सकती थी। इसके
अलावा यह यु
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

द कन म एं लो ांसीसी संघष म नौसै नक बल के मह व को पया त प से सामने लाया गया।

तीय कनाटक यु
पृ भू म तीय कनाटक यु क पृ भू म भारत म त ं ता ारा दान क गई
थी। थम कनाटक यु म ांसीसी सेना का सफलतापूवक नेतृ व करने वाले ांसीसी गवनर
डु ले स ने अं ेज को हराने के लए ानीय राजवंशीय ववाद म ह त ेप करके द णी
भारत म अपनी श और ांसीसी राजनी तक भाव बढ़ाने क को शश क ।

ता का लक कारण यह अवसर म हैदराबाद के वतं रा य के सं ापक


नज़ाम उल मु क क मृ यु और कनाटक के नवाब दो त अली के दामाद चंदा साहब क रहाई
से दान कया गया था। उसी वष मराठ ारा। नज़ाम के बेटे ना सर जंग के हैदराबाद क ग
पर बैठने का नवाब के पोते मुज फर जंग ने वरोध कया जसने यह कहते ए सहासन पर
दावा कया क मुगल स ाट ने उसे कनाटक का रा यपाल नयु कया था। कनाटक म अनवर
उद द न खान क नवाब के प म नयु चंदा साहब को नागवार गुज री।

ांसी सय ने मशः द कन और कनाटक म मुज फर जंग और चंदा सा हब के दाव


का समथन कया जब क अं ेज ना सर जंग और अनवर उद द न के प म थे।

यु का म मुज फर क संयु सेनाएँ

जंग चंदा सा हब और ांसी सय ने म अंबूर वे लोर के पास क लड़ाई म अनवर


उद द न को हराया और मार डाला।
मुज फर जंग द कन का सूबेदार बन गया और डु ले स को कृ णा नद के द ण म सभी
मुगल े का गवनर नयु कया गया। ांसीसी हत क सुर ा के लए बुसी के नेतृ व म
एक ांसीसी सेना हैदराबाद म तैनात थी।

पां डचेरी के पास के े और उड़ीसा तट के कु छ े मसूलीप नम स हत ांसी सय को


स प दए गए।

को भावी सहायता दान करने म वफल रहा


चनोपोली म मुह मद अली रॉबट लाइव जो उस समय एक एजट थे
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

भारत म डु ले स का उ ान और पतन

जोसेफ ां सस डु ले स जनका ज म म आ था एक धनी कसान जनरल ऑफ टै स के


बेटे और इंडीज कं पनी के महा नदे शक थे। क थत तौर पर अपने पता के भाव के आधार पर उ ह
म पां डचेरी म एक उ पद मला। पां डचेरी म उ ह ने नजी ापार से ब त पैसा कमाया जसक अनुम त
बाद म ांसीसी कं पनी के नौकर को दे द गई। दसंबर म ांसीसी कं पनी के सं वधान म भारी
बदलाव और उससे उ प कु छ म के कारण उ ह नलं बत कर दया गया था। म डु ले स ने अपना
के स जीत लया और मुआ वजे के प म उसे चं नगर का गवनर नयु कया गया। म उ ह भारत
म ांसीसी उप नवेश के महा नदे शक के प म नयु कया गया था। बाद म उ ह मुगल स ाट और
द कन के सूबेदार मुज फर जंग ारा नवाब क उपा ध से स मा नत कया गया।

इ तहासकार के अनुसार डु ले म एक शासक एक राजन यक और एक नेता के अलावा ापक


कोण वाली राजनी तक अंत के गुण भी थे।

शासक क भू मका म डु ले स म डु ले स पां डचेरी का


गवनर जनरल बन गया।
उ ह ने पां डचेरी को कई सम या का सामना करते ए पाया मराठा आ मण अकाल बंज र भू म और
कनाटक म अराजक तयाँ।
इनके अलावा कं पनी के नदे शक ने उ री अमे रका म ांसीसी उप नवेश को ाथ मकता दे ने के कारण
ांसीसी ई ट इं डया कं पनी के खच म भारी कटौती क मांग क । इस लए डु ले स ने अपनी प रषद के
वरोध के बावजूद सावज नक य को कम कर दया और अ धका रय के वेतन म कटौती के साथ साथ
आय और य को संतु लत कया। हालाँ क उ ह ने ब तय क कलेबंद के मामले पर नदे शक क अव ा
करने का नणय लया। उ ह ने पां डचेरी क सुर ा को बढ़ाया यहाँ तक क अपनी गत संप से बड़ी
रा श भी खच क । उ ह ने उप नवेश के ापार को वक सत करने के लए ावहा रक कदम उठाकर
पां डचेरी को द ण भारत म वा ण य का क बना दया। बाद म कं पनी के नदे शक ने नदे शक के
वरोधाभास के बावजूद भी सही नणय लेने के लए डु ले स क शंसा क ।

कू टनी त के मा टर के प म डु ले स
पहले दो कनाटक यु का व ेषण डु ले क कू टनी त को एक ऐसे नेता के पम स करता है
जसने भारत क यूरोपीय वजय के माग क क पना क थी।

डु ले ने अं ेज को रोकने के लए कनाटक के नवाब का इ तेमाल कया


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अपने े म यु छे ड़ना ता क पां डचेरी म ांसीसी ब तय को तब तक सुर त रखा जा सके जब तक क


ांसीसी सेना पया त ताकत हा सल नह कर लेती। बदले म अं ेज़ क हार के बाद नवाब को म ास दे ने का
वादा कया गया। ले कन डु ले ने अपनी कू टनी त का उपयोग करते ए म ास को नवाब को नह दया और
सट थॉम म उसे हरा भी दया।

डु ले स ने इ तहास के उदाहरण का हवाला दे ते ए एड मरल ला बॉड नस को अं ेज से कए गए


वादे तोड़ने के लए मना लया क कु छ प र तय म कए गए वादे कभी बा यकारी नह होते। इसके अलावा
उ ह ने कहा क चूं क गवनर जनरल का पद नौसेना के कमांडर से े था इस लए गवनर और अं ेज के
बीच एक समझौता आ इस कार वह अपने अधीन को वह काम करने के लए मनाने म स म थे जो
अनै तक माना जाता था। सामा य श द ले कन कसी के रा के लए सबसे उपयु ।
अ धकारातीत।

डु ले भारतीय शासक क आंत रक राजनी त म ह त ेप करने वाला पहला यूरोपीय था। उ ह ने


हैदराबाद के लए मुज फर जंग और कनाटक के लए चंदा साहब का समथन कया और उनके उ मीदवार
सफल ए और बदले म डु ले स को बड़ी रयायत द ।

व तुतः डु ले भारत म सहायक सं ध क था का वतक था। उसने सूबेदार क क मत पर हैदराबाद


म एक ांसीसी सेना तैनात क ।

डु ले स भारत म असफल य आ
तीय कनाटक यु म ांसीसी सेना क शु आती हार और डु ले स के राजनी तक नणय के कारण
कं पनी को ई भारी लागत के कारण म डु ले स को वापस बुला लया गया। कई इ तहासकार ने
नदशक ारा डु ले स को वापस बुलाने को एक भूल बताया है जो अमे रका म मु पर ांस और इं लड
के बीच समझौते का प रणाम था हालाँ क डु ले स म कु छ कमज़ो रयाँ भी थ ज ह सं ेप म इस कार
रखा जा सकता है

i डु ले स अ त उ वभाव से पी ड़त था। वह अ सर ब त लंबे समय तक आशा करता था इस


कार गंभीर प र तय म लाभ खो दे ता था। ii डु ले स के सा थय को उसका नरंकु श वहार पसंद
नह आया

और इस बात को लेक र कई बार उनसे झगड़ा भी आ।


iii डु ले स कारवाई का आदमी नह था उसने एक अ भयान क योजना बनाई अपने ले टनट
को नद शत कया ले कन लॉरस या लाइव क तरह यु के मैदान म कभी सेना का नेतृ व नह कया।
ांसीसी चनोपोली पर क जा करने म असफल रहे य क डु ले स ारा सोची गई योजना
को उसके कमांडर ारा कारवाई म नह बदला जा सका।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

अं ज
े ी कं पनी के फै टर ने म ास के गवनर सॉ स पर यान भटकाने वाले हमले का
ताव रखा।
उ ह ने चनोपोली पर दबाव कम करने के लए कनाटक क राजधानी अक ट पर अचानक
छापा मारने का सुझ ाव दया। उ ह ने तक दया क ऐसी त म चंदा साहब अपनी
राजधानी बचाने के लए दौड़ पड़गे। इस कार अग त म के वल लोग क
सेना के साथ रॉबट लाइव ने आक ट पर हमला कया और क जा कर लया। जैसा क
अपे त था चंदा सा हब चनोपोली से लोग क सेना लेक र अपनी राजधानी क
ओर बढ़े ले कन सतंबर से नवंबर तक दन क घेराबंद के बाद भी कले को
वापस पाने म असफल रहे। अब मैसूर तंज ौर और मराठा मुख मोरारी राव चनोपोली
और लाइव और गर लॉरस क सहायता के लए आए। सबसे पहले चनोपोली को
उसक घेराबंद से मु कर दया गया जब क ांस के जनरल लॉ चंदा साहब के साथ
ीरंगम प म कै द रहे। जून म उ ह आ मसमपण करने के लए मजबूर होना पड़ा
जब मुह मद अली ने चंदा सा हब को मार डाला अं ेज़ ह त ेप करने म वफल रहे।

भारत म डु ले और लाइव के बीच संघष अक ट क र ा और वे काय जनके कारण हमारे भारतीय


सा ा य क ापना ई... ये सभी घटनाएँ इं लड और ांस के बीच वच व के लए एक हताश संघष
का ह सा थ ।

जेआ र सीली

हम डु ले को ांसमरीन भु व के लए उस लंबी और क ठन तयो गता के सं त भारतीय करण म


सबसे भावशाली के प म मान सकते ह जो अठारहव शता द म ांस और इं लड के बीच
लड़ा गया था हालां क दोन म से कसी एक क अं तम नय त को भा वत करना उसक श से
ब त परे था। भारत म रा और य प उनक योजना का प रणाम यह था क हमने ांसी सय के
व अपने लए वही सब कु छ पूरा कया जो ांसीसी हमारे व अपने लए पूरा करना चाहते
थे लाइव । इसके अलावा यह न त है क भारतीय सा ा य क अवधारणा डु ले स के अलावा
अ य लोग ारा पहले ही बनाई जा चुक थी और एक से अ धक पयवे क ने यह महसूस कया
था क पूरे दे श को एक यूरोपीय श ारा कतनी आसानी से अधीन कया जा सकता है।

अ े ड लायल
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

प रणाम डु ले स क नी त से होने वाले भारी व ीय नुक सान से नाराज ांसीसी अ धका रय


ने म उसे वापस बुलाने का फै सला कया। डु ले स के बाद गोडे भारत म ांसीसी गवनर
जनरल बन गया। गोडे ने अं ेज के साथ बातचीत क नी त अपनाई और उनके साथ एक सं ध क ।
अं ेज और ांसीसी दे शी राजा के झगड़ म ह त ेप न करने पर सहमत ए। साथ ही येक प
को सं ध के समय वा तव म उनके क जे वाले े पर छोड़ दया गया था। इ तहासकार के अनुसार
अमे रका म गंभीर प रणाम के डर से ांसी सय को भारत म श ुता गत करने के लए े रत
कया गया।

न हताथ यह हो गया क यूरोपीय सफलता के लए भारतीय स ा का चेहरा अब


आव यक नह रह गया था ब क भारतीय स ा वयं यूरोपीय समथन पर नभर होती जा रही थी।
कनाटक म मुह मद अली और हैदराबाद म सलाबत जंग संर क के बजाय ाहक बन गए।

तृतीय कनाटक यु
पृ भू म यूरोप म जब ऑ या ने म सले सया को पुनः ा त करना चाहा
तो सात वष य यु शु हो गया।
टे न और ांस एक बार फर वपरीत दशा म थे।
भारत म यु का म म काउं ट डी लैली के नेतृ व म ांसीसी सेना ने म सट
डे वड और वजयनगरम के अं ेज ी कल पर क जा कर लया। अब अं ेज आ ामक हो गए और
मसूलीप नम म एड मरल डी एचे के नेतृ व म ांसीसी बेड़े को भारी नुक सान प ंचाया।

वांडीवाश क लड़ाई तीसरे कनाटक यु क नणायक लड़ाई जनवरी को


त मलनाडु के वांडीवाश या वंदावसी म अं ेज ने जीती थी। अं ेज़ के जनरल आयर कू ट ने काउं ट
थॉमस आथर डी लैली के अधीन ांसीसी सेना को पूरी तरह से परा त कर दया और बुसी को बंद
बना लया।

जनवरी को आ मसमपण करने से पहले लेली ने आठ महीने तक पां डचेरी क


वीरतापूवक र ा क थी। जजी और माहे क हार के साथ भारत म ांसीसी श सबसे कम हो गई
थी। लंदन म यु बंद बनाए जाने के बाद लैली ांस लौट आए जहां उ ह कै द कर लया गया और
म उ ह फांसी दे द गई।

तृतीय कनाटक यु के प रणाम एवं मह व


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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

दे ख
जब क अं ेज को बंगाल से भोजन और धन क आपू त यूरोप से लोग क भत और उनक उ री
ब तय से अनाज मलता था ांसी सय को भू म के मा यम से कड़ी मेहनत से ा त होने वाली
चीज़ के अलावा कु छ भी नह मलता था। पहले को लगातार मजबूत कया गया सरे को लगातार
कमजोर कया गया। और इसने कू टे को े म लैली पर अपनी सै य े ता ा पत करने और उसे
पां डचेरी क द वार के भीतर घेरने म स म बनाया।

एचएच डोडवेल

द कै ज का इ तहास भारत वॉ यूम वी

नणायक सा बत आ. हालाँ क पे रस क शां त सं ध ने ांसी सय को भारत म


उनके कारखाने बहाल कर दए ले कन यु के बाद ांसीसी राजनी तक भाव गायब हो
गया। इसके बाद भारत म अपने पुतगाली और डच समक क तरह ांसीसी ने खुद को
अपने छोटे प र े और वा ण य तक ही सी मत कर लया। अं ेज़ भारतीय उपमहा प म
सव यूरोपीय श बन गए य क म बदारा क लड़ाई म डच पहले ही हार चुके थे।

म लासी क लड़ाई को आमतौर पर इ तहासकार नणायक घटना मानते ह


जसने भारत पर अं तम टश शासन ा पत कया। हालाँ क कोई भी इस कोण को
नजरअंदाज नह कर सकता है क उपमहा प के नयं ण के लए वा त वक नणायक मोड़
म वांडीवाश म ांसीसी सेना पर टश सेना क जीत थी। वांडीवाश क जीत ने अं ेज ी
ई ट इं डया कं पनी को भारत म कोई यूरोपीय त ं नह छोड़ा।

इस कार वे पूरे दे श का शासन संभालने के लए तैयार थे।

गौरतलब है क वांडीवाश क लड़ाई म मूल नवा सय ने दोन सेना म सपाही के


प म काम कया था। यह सोचने पर मजबूर करता है भले ही कोई भी प जीता हो यूरोपीय
आ मणका रय के हाथ भारत का पतन अव यंभावी था। उस समय क भू राजनी त के त
संवेदनशीलता क कमी के साथ साथ दे शी शासक म रद शता क भी कमी थी।

अं ेज ी सफलता के कारण और
च वफलता
अं ेज ी कं पनी एक नजी उ म थी इससे लोग म उ साह और आ म व ास क भावना पैदा
ई।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ारंभ म ापार म सामान के बारे म

सूरत जैसे बंदरगाह शहर म ग त व धय के बारे म व भ यूरोपीय या य और ापा रय के लेख


ह जो सामू हक प से भारतीय कहे जाने वाले कपड़ के नमाण म उठाए गए ज टल कदम का ववरण
दे ते ह।

सूती लॉ ग लॉथ आमतौर पर से मीटर लंबाई सेलमपोस टे पल सूती कपड़ा और


मोरेस बेहतर गुण व ा वाले सूती कपड़े क ब त मांग थी। अ य सवा धक वां छत कपड़े च त कपड़े और
ट रेशम और रंग थे। इन कपड़ क मांग न के वल यूरोप म ब क ए शया के अ य ह स म भी थी।
यूरोपीय लोग के आने से पहले स दय से भारतीय ने व का ापार कया था।

चीन जापान और इंडोने शयाई पसमूह म भारतीय कपास अपने ह के फर भी मजबूत गुण के लए
लोक य थी। जब डच अं ेज ी और ांसीसी ने भारत से साम ी हा सल क तो यह न के वल उनके घरेलू
दे श के लए थी ब क मल का या जावा तक प रवहन के लए भी थी जहां उनका मसाल के लए ापार
कया जाता था। व शता द तक ांसी सय के पास वशेष प बाजार के लए वशेष प से बुने गए
रंगीन पैटन वाले माल थे जो एक सफल उ मशीलता यास सा बत आ।

कपड़ा और मसाल के ापार का प रणाम दास का ापार था। आम तौर पर यह माना जाता है
क दास ापार का संबंध यूरोप अ का और अमे रका नई नया से है ले कन यह इस त य को
नजरअंदाज करता है क यूरोप और ए शया के बीच ापार ने भी गुलामी को बनाए रखने म मदद क ।
ांसीसी जहाज़ यूरोपीय सामान ए शया ले गए जहाँ उ ह कौ ड़याँ और भारतीय व ा त ए जनक
प मी अ का म अ य धक क मत थी। ापारी अ का म इन व तु का आदान दान दास से करते
थे ज ह अमे रका म ांस के उप नवेश म भेज ा जाता था। येल सटर फॉर द टडी ऑफ लोबलाइजेशन
का कहना है च पूरा हो गया था जब अमे रका से चीनी और अ य सामान जहाज पर लादकर वापस
ांस भेज दया गया।

जब ांसीसी ई ट इं डया कं पनी ने भारत म ापार करना शु कया तो उ ह ने पहले से ही अ


तरह से ा पत ज टल आ थक णाली उ पादन बातचीत वतरण और वतरण के एक ज टल नेटवक म
वेश कया।
बड़े वा ण यक बेड़े और साथ ही समृ तट आधा रत वसाय भारतीय ापा रय ारा चलाए जाते थे।
बुनकर और ापा रय ने ओवरलड माल ढु लाई ऑपरेटर और दलाल के साथ काम कया जो नयातक
और जहाज मा लक के साथ काम करते थे। इन एजट को ावसा यक वशेषा धकार के लए ानीय
रा य अ धका रय के साथ भी बातचीत करनी पड़ती थी। यूरोपीय ापा रय को अ तरह से ा पत
नयम और था को सीखना था और वदे शी त के साथ सफलतापूवक सहयोग करना था।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

सभी यूरोपीय ापा रक समूह क फ़ै ट रयाँ ावहा रक प से एक ही ान पर पाई जाती थ ।


भारतीय ापार के चरम पर भारतीय व तु क मांग बुनकर और अ य कारीगर क आपू त से अ धक
थी फर भी शु म कोई गंभीर त ं ता नह थी।

ले कन जैसे जैसे तीन कं प नयाँ डच अं ेज़ और ांसीसी अ धक त ध हो ग अं ज़


े बेहतर व
पो षत और ानीय ापार था और री त रवाज म बेहतर जानकार अपने अ धकार े के तहत बड़े
औ ो गक शहर म अपने कारखाने क चौ कय का व तार करने म स म ए। धीरे धीरे ये ावसा यक
गढ़ राजनी तक प र े म बदल गए जससे अंततः अं ेज़ को पूरे भारत म अपनी श और नयं ण का
व तार और सु ढ़ करण करने म मदद मली।

इस पर सरकारी नयं ण कम होने से यह कं पनी ज रत पड़ने पर सरकार क मंज ूरी का इंतजार


कए बना तुरंत फै सले ले सकती थी। सरी ओर ांसीसी कं पनी एक रा य चता का वषय
थी। इसे ांसीसी सरकार ारा नयं त और व नय मत कया गया था और यह सरकारी
नी तय और नणय लेने म दे री से घरा आ था।

अं ेज ी नौसेना ांसीसी नौसेना से े थी इससे भारत और ांस म ांसीसी


संप य के बीच मह वपूण समु संपक को काटने म मदद मली।

अं ेज के पास तीन मह वपूण ान थे अथात् कलक ा बॉ बे और म ास जब क


ांसी सय के पास के वल पां डचेरी था।

ांसी सय ने अपने ावसा यक हत को े ीय मह वाकां ा के अधीन कर दया


जससे ांसीसी कं पनी को धन क कमी हो गई।

अपने सा ा यवाद उ े य के बावजूद अं ेज ने कभी भी अपने ावसा यक हत


क उपे ा नह क । इस लए उनके पास हमेशा अपने त ं य के खलाफ यु म मह वपूण
मदद करने के लए धन और प रणामी मजबूत व ीय त थी।

भारत म अं ेज क सफलता का एक मुख कारक टश श वर म कमांडर क


े ता थी।
अं ेज ी प के नेता क लंबी सूची क तुलना म सर आयर कू टे मेज र गर लॉरस रॉबट
लाइव और कई अ य ांसीसी प म के वल डु ले स थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

डेन
डे नश ई ट इं डया कं पनी क ापना म ई थी और म उ ह ने भारत के पूव
तट पर तंज ौर के पास यूबार म एक कारखाना ा पत कया। उनक मु य ब ती कलक ा
के पास सेरामपुर म थी। डे नश फ़ै ट रयाँ जो कसी भी समय मह वपूण नह थ म
टश सरकार को बेच द ग । डे नश लोग वा ण य क तुलना म अपनी मशनरी ग त व धय
के लए अ धक जाने जाते ह।

अं ज
े कसके व सफल ए
अ य यूरोपीय श याँ
नये समु माग क खोज के बाद जतने भी यूरोपीय दे श ापारी बनकर भारत आये उनम से
इं लड अठारहव सद के अंत तक सबसे श शाली और सफल दे श बनकर उभरा। अ य
यूरोपीय श य पुतगाल नीदरलड ांस और डेनमाक के व सामा य प से नया म
और वशेष प से भारत म अं ेज ी क सफलता के लए जन मुख कारक को ज मेदार
ठहराया जा सकता है वे इस कार थे ापा रक कं प नय क संरचना और कृ त अं ेज ी
घरेलू तर पर कई त ं कं प नय को मलाकर बनाई गई ई ट इं डया कं पनी का नयं ण
एक नदे शक मंडल ारा कया जाता था जसके सद य हर साल चुने जाते थे। कं पनी

के शेयरधारक ने काफ भाव डाला य क शेयर क खरीद के मा यम


से वोट खरीदे और
बेचे जा सकते थे। ांस और पुतगाल क ापा रक कं प नयाँ बड़े पैमाने पर रा य के वा म व
म थ और उनक कृ त कई मायन म सामंतवाद थी।

ांसीसी कं पनी म स ाट के पास तशत से अ धक ह सेदारी थी और इसके


नदे शक को स ाट ारा शेयरधारक म से ना मत कया गया था ज ह नयु दो उ ायु
के नणय को आगे बढ़ाना था।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

सरकार। शेयरधारक ने कं पनी क समृ को बढ़ावा दे ने म ब त कम च ली य क रा य


शेयरधारक को लाभांश क गारंट दे ता था। सावज नक हत क कमी का अनुमान इस त य से
लगाया जा सकता है क और के बीच शेयरधारक क कोई बैठक नह ई थी
और कं पनी को के वल रा य के एक वभाग के प म बं धत कया गया था।

नौसेना े ता टे न क शाही
नौसेना न के वल सबसे बड़ी थी यह अपने समय का सबसे उ त था। ै नश आमडा के
खलाफ और ाफलगर म ांसी सय के खलाफ जीत ने रॉयल नेवी को यूरोपीय नौसै नक
बल के शखर पर प ंचा दया था। भारत म भी नौसै नक जहाज क मजबूत और तेज ग त के
कारण अं ेज पुतगा लय और ांसी सय को हराने म सफल रहे। अं ेज ने पुतगा लय से एक
कु शल नौसेना का मह व सीखा और तकनीक प से अपने बेड़े म सुधार कया।

औ ो गक ां त व सद क शु आत
म इं लड म नग जेनी ट म इंज न पावरलूम और कई अ य नई मशीन के आ व कार के
साथ औ ो गक ां त शु ई।

इन मशीन ने कपड़ा धातुक म भाप ऊजा और कृ ष के े म उ पादन म काफ सुधार कया।


औ ो गक ां त अ य यूरोपीय दे श म दे र से प ंची और इससे इं लड को अपना आ धप य
बनाए रखने म मदद मली।

सै य कौशल और अनुशासन टश सै नक अनुशा सत


और अ तरह से श त थे।
टश कमांडर रणनी तकार थे ज ह ने यु म नई रणनी तयाँ आजमा । तकनीक वकास ने
सेना को अ तरह से सुस त कया। यह सब मलकर अं ेज ी सेना नय के छोटे समूह को
बड़ी सेना को हराने म स म बनाता है।

र सरकार क गौरवशाली
ां त के अपवाद के साथ टे न ने कु शल राजा के साथ र सरकार दे ख ी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ांस जैसे अ य यूरोपीय दे श म म हसक ां त और उसके बाद नेपो लयन यु ए।

म नेपो लयन क हार ने ांस क त को काफ कमजोर कर दया और तब से उसे


टे न के साथ जाने के लए मजबूर होना पड़ा।
के अंत म इटा लयंस एक रा के प म एकजुट ए थे। व शता द म डच और ेन
भी साल के यु म शा मल थे जसने पुतगाली सा ा यवाद को कमजोर कर दया था।
म दवा लयापन और क ां त से भा वत होकर डच ई ट इं डया कं पनी को
टे न को अपनी संप बेचने और ए शया छोड़ने के लए मजबूर होना पड़ा।

धम के त कम उ साह
ेन पुतगाल या डच क तुलना म टे न धम के त कम उ साही था और ईसाई धम के सार
म कम च रखता था। इस कार इसका शासन अ य औप नवे शक श य क तुलना म
जा के लए कह अ धक वीकाय था।

ऋण बाजार का उपयोग अठारहव


शता द के म य और उ ीसव शता द के म य के बीच टे न के सफल होने का एक मुख
और अ भनव कारण यह था क अ य यूरोपीय दे श का पतन आ य क उसने अपने यु के
व पोषण के लए ऋण बाजार का उपयोग कया था। नया का पहला क य बक बक
ऑफ इं लड टे न ारा ांस और ेन जैसे त ं दे श को हराने पर अ े रटन के वादे
पर सरकारी ऋण को मु ा बाजार म बेचने के लए ा पत कया गया था। इस कार टे न
अपने त ं य क तुलना म अपनी सेना पर कह अ धक खच करने म स म हो गया। टे न
का त ं ांस अं ेज के खच क बराबरी नह कर सका और के बीच पहले
राजा के अधीन फर ां तकारी सरकार के अधीन और अंततः नेपो लयन बोनापाट के
अधीन ांस धन जुटाने के अपने पुराने तरीक से दवा लया हो गया।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

सारांश
भारत के लए समु माग य i व सद
के यूरोप म पुनजागरण क भावना। ii यूरोपीय अथ व ा तेज ी से बढ़ रही है
जससे समृ और वला सता क व तु क मांग बढ़ रही है संर ण के लए मसाल क आव यकता
वाले मांस क आपू त म वृ ।

iii म कॉ ट टनोपल पर क जा और बाद म ओटोमन तुक ारा सी रया और म पर क जा


अरब और तुक से नपटे बना भारत तक प ंचने के लए एक नए माग का आ ान।

iv वे नस और जेनोआ तुक का सामना करने के लए ब त छोटे थे। v ेन और पुतगाल को


उ री यूरोपीय लोग ने धन और लोग से तथा जेनोइस ने जहाज और तकनीक ान से सहायता दान क ।

vi भारत प ंचने के लए अ णी पुतगाली उसके बाद मशः डच अं ेज डेन और ांसीसी थे।

पुतगाली वा को डी गामा
ने म भारत के लए समु माग क खोज क ।
म वा को क सरी या ा के प रणाम व प कालीकट कोचीन और कै नानोर म ापा रक टे शन क
ापना ई।
ां स को डी अ मेडा थम गवनर ने नीले रंग क पहल क
जल नी त काटज़ णाली ।
अ फांसो डी अ बुक क को भारत म पुतगाली श का सं ापक माना जाता है बीजापुर से
गोवा पर क जा कया सताए ए मुसलमान वजयनगर के ी कृ णदे व राय से भटकल को
पकड़ लया और भारत के मूल नवा सय के साथ ववाह करने क नी त शु क और अपने भाव
े म इस था पर तबंध लगा दया।
सती

नीनो डी कु हा ने म राजधानी कोचीन से गोवा ानांत रत कर द । उनके शासनकाल म


द व और बे सन गुज रात के राजा बहा र शाह से पुतगाली क जे म आ गए। बहा र शाह म
पुतगा लय के साथ बातचीत करते समय द व म मारा गया।

भारत म पुतगा लय के पतन के कारक ए म फारस और उ र भारत म श शाली राजवंश का उदय


और पड़ो सय के प म मराठ का उदय बी जेसुइट मशन रय क ग त व धय से उ प राजनी तक
भय और उ पीड़न से घृण ा जैसे क पूछताछ जसके कारण पुतगाली आ या मक दबाव के खलाफ
त या ई सी पुतगाली वच व को चुनौती दे ने वाली अं ेज ी और डच वा ण यक मह वाकां ा
का उदय डी भारत म पुतगाली शासन क चोरी और गु त ापार था के साथ साथ बड़े पैमाने
पर ाचार लालच और वाथ ई ाजील क खोज के कारण पुतगाली उप नवेशीकरण क
मह वाकां ा को प म क ओर मोड़ना।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

डच i नीदरलड
क यूनाइटे ड ई ट इं डया कं पनी वेरेह गज
ऊ ट इं ड चे कॉ ैनी माच म डच संसद के चाटर ारा ग ठत
संसद को यु छे ड़ने सं ध करने और कले बनाने क श याँ ा त थ ।

ii भारत म डच फै याँ मसुलीप नम पु लकट सूरत बमलीप म


क रकाल चनसुराह का समबाजार का समबाजार बारानागोर पटना बालासोर
नागप म और कोचीन । iii भारत म गरावट एं लो डच त ं ता म डच क
हार और डच का यान मलय पसमूह क ओर ानांत रत
होना। iv बदारा क लड़ाई अं ेज ने डच को हराया।

फाउं डेशन के लए
अं ेज ी कारक ेक क नया भर क या ा और श शाली े नश आमडा पर अं ेज ी क जीत ने
महान मह वाकां ा को ज म दया।

गठन इं लश ई ट इं डया कं पनी का गठन दसंबर को महारानी ए लजाबेथ थम ारा


जारी चाटर ारा कया गया था जसने कं पनी को वष के लए ई ट इंडीज म ापार करने का
एका धकार दया था।

भारत म ब तयाँ i पुतगा लय पर कै टन थॉमस बे ट क जीत के साथ अं ेज ने सूरत


म अपना पहला कारखाना ा पत कया। इसके बाद सर थॉमस रो ने जहांगीर से आगरा अहमदाबाद
और ोच म कारखाने ा पत करने क अनुम त ा त क ।

ii चा स तीय ज ह ने इसे पुतगाली दहेज के ह से के प म ा त कया था के साथ बॉ बे कं पनी


के नयं ण म आ गया इसे पाउं ड के वा षक कराए पर अं ेज ी कं पनी को प े पर दे दया। iii
फोट सट जॉज के साथ म ास ने मसूलीप नम को पूव तट पर अं ेज ी मु यालय के प म बदल
दया जब मसूलीप नम को म चं ग र मुख ने अं ेज को दे दया था। iv कलक ा शहर तीन
गांव के वकास से वक सत आ सुतानु त गो बदपुर और का लकाता को बंगाल के मुगल गवनर से
सुर त कर लया गया। कलेबंद ब ती का नाम फोट व लयम रखा गया और यह
तक भारत म टश स ा का क बना रहा।

फ ख सयर के फरमान म मुगल स ाट फ ख सयर के फरमान जसे ई ट इं डया कं पनी का मै ना


काटा कहा जाता था ने कं पनी को बंगाल गुज रात और हैदराबाद म मह वपूण वशेषा धकार दए।
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भारत म यूरोपीय लोग का आगमन

घरेलू तर पर कं पनी क सम याएँ म सर व लयम कोट न ारा ग ठत कोट न एसो सएशन नाम
क एक त ं कं पनी जसे बाद म असदा कं पनी कहा गया को चा स थम ारा ापार करने
का लाइसस दया गया। म दोन कं प नय का वलय हो गया।

म एक और त ं कं पनी उभरी। म पुरानी और नई कं पनी के बीच त ं ता समा त हो गई


ले कन उनका अं तम समामेलन म द यूनाइटे ड कं पनी ऑफ मचट् स ऑफ इं लड े डग टू द ई ट इंडीज
शीषक के तहत अल ऑफ गोडो फन क म य ता के बाद आ। . इस कं पनी ने तक भारत म शासन
कया।

ांसीसी
म लुई XIV के मं ी कोलबट ने इसक न व रखी
क नव कॉ ैनी इंडेस ओ रएंटे स। दे स
भारत म ब तयाँ मु यालय के प म वक सत पां डचेरी को म वा लक डापुरम के गवनर शेर खान लोद ारा
मसूलीप नम कारखाने के नदे शक कोइस मा टन को दान कया गया था। अंततः म भारतीय संघ म
शा मल कया गया।

भारत म आं ल ांसीसी त ं ता भारत म आं ल ांसीसी त ं ता यूरोप म अं ेज और ांसी सय के बीच यु के


साथ मेल खाती थी। • ापा रक हत क सुर ा एवं व तार हेतु। • द ण भारत और यूरोप म राजनी तक
घटना म
कारण ने उनके दाव का वरोध करने का बहाना दान कया जसक प रण त तीन कनाटक यु म ई।

थम कनाटक यु यह यूरोप म आं ल ांसीसी त ं ता का व तार था और मऐ स


ला चैपल क सं ध के साथ समा त आ।

सरा कनाटक यु हालां क अ नणायक रहा ले कन इसने द ण भारत म अं ेज क


तुलना म ांसीसी श को कमजोर कर दया।
तीसरा कनाटक यु • एक नणायक यु जसे वांडीवाश क लड़ाई के लए
जाना जाता है • यूरोप म आं ल
ांसीसी संघष क गूंज । • पे रस क सं ध ारा ांसी सय को भारतीय
ब तय का उपयोग के वल ावसा यक उ े य के लए करने क अनुम त द गई और ब तय क
कलेबंद पर तबंध लगा दया गया।

ांसीसी वफलता के कारण • अपया त सै य और व ीय


समथन •
यूरोप म ांस क भागीदारी • इंपी रयल ांस क खराब बंधन
वाली नी त • ांसीसी कं पनी को वा ण यक ो साहन का अभाव •
अं ेज ी कं पनी का मजबूत वा ण यक आधार
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क पूव सं या पर भारत

टश वजय

अठारहव शता द के पूवा मश शाली मुगल का पतन आ जो लगभग दो शता दय


तक अपने समकालीन से ई या करते रहे। औरंगजेब का शासनकाल भारत म
मुगल शासन के अंत क शु आत का तीक सा बत आ। यह तक दया जाता है क औरंगजेब
क गुमराह नी तय ने रा य क रता को कमजोर कर दया और उसक मृ यु के बाद
उ रा धकार के यु और कमजोर शासक के कारण गरावट म तेज ी आई। हालाँ क मुह मद
शाह ने वष क लंबी अव ध तक शासन कया ले कन शाही भा य का
पुन ार नह आ य क वह एक अ म शासक था। मुह मद शाह के शासनकाल म
हैदराबाद बंगाल अवध और पंज ाब के वतं रा य क ापना ई। कई ानीय सरदार ने
अपनी वतं ता का दावा करना शु कर दया और मराठ ने शाही वरासत हा सल करने के
लए यास करना शु कर दया।

मुगल के सामने चुनौ तयां


बाहरी चुनौ तयाँ आंत रक श के
अभाव म मुगल बाहरी चुनौ तय का सामना नह कर सके जो उ र प म से कई आ मण
के प म सामने आ । बाद के मुगल ारा उ र प मी सीमा क उपे ा क गई और सीमा
क सुर ा के लए अ धक यास नह कए गए।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

दे ख
ना दर शाह म के वल स ावन दन के लए मुगल स ाट थे ले कन उन दन ने ऐसे झटके
पैदा कए ज ह ने भारत क राजनी त को बदल दया। उ ह ने स ा के मौजूदा क को तोड़ दया
जससे मुगल स ा का दायरा बड़े पैमाने पर कम हो गया। उ ह ने घुड़सवार यो ा क टोली तैयार
क जो गांव और क ब से धन क तलाश म ामीण इलाक म तोड़फोड़ करते थे। जस भी श
के पास सबसे मजबूत कले थे उ ह ने ापा रय को द वार के पीछे धके ल दया। थोड़े समय के
लए बातचीत के बजाय लूट धन के नए क बनाने का सबसे भावी उपकरण बन गया। उन
स ावन दन ने वह ज़मीन तैयार क जसने ई ट इं डया कं पनी को पहली बार भारत म े जीतने
क अनुम त द ।

जॉन व सन भारत वजय ा त क

फ़ारसी स ाट ना दर शाह ने म भारत पर हमला कया लाहौर पर क ज़ा


कया और फरवरी को करनाल म मुग़ल सेना को हराया। बाद म मुह मद शाह
को पकड़ लया गया और द ली को लूटा गया और तबाह कर दया गया । एक अनुमान के
अनुसार मयूर सहासन और को हनूर हीरे के अलावा सरकारी खजाने और अमीर अमीर
क तजो रय से स र करोड़ पये एक कये गये थे। ना दर शाह ने काबुल स हत सधु के
प म म रणनी तक प से मह वपूण मुगल े हा सल कर लया। इस कार भारत एक
बार फर उ र प म से होने वाले हमल के त असुर त हो गया।

अहमद शाह अ दाली या अहमद शाह रानी जसे म ना दर शाह क मृ यु


के बाद उसका उ रा धकारी चुना गया ने और के बीच कई बार भारत पर
आ मण कया। उसने मुगल को लगातार परेशान कया ज ह ने म मुगल को
स पकर शां त खरीदने क को शश क थी। उ ह पंज ाब. म अ दाली ने द ली पर
क जा कर लया और मुगल स ाट क दे ख भाल के लए एक अफगान कायवाहक को छोड़
दया। अपनी वापसी से पहले अ दाली ने आलमगीर तीय को मुगल स ाट और रो ह ला
मुख नजीब उद दौला को सा ा य के मीर ब ी के प म मा यता द थी जसे अ दाली
के गत सव एजट के प म काय करना था। म नजीब उद दौला को
मराठा मुख रघुनाथ राव ने द ली से न का सत कर दया ज ह ने पंज ाब पर भी क जा
कर लया। म अहमद शाह अ दाली मराठ से बदला लेने के लए भारत लौट आया।
म अ दाली ने मराठ को हराया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पानीपत म सा ा य हला दे ने वाली कई लड़ाइयाँ य

वतमान ह रयाणा म यमुना के तट पर और गंगा तथा सधु न दय के उपजाऊ मैदान के बीच त


पानीपत और उसके नकटवत े म कई यु ए ह। इन लड़ाइय ने अलग अलग समय पर भारतीय
इ तहास क दशा बदल द । • म पानीपत क पहली लड़ाई बाबर और इ ा हम लोद के बीच ई थी।
यु के प रणाम ने द ली स तनत के शासन को समा त करके मुगल सा ा य क न व रखी।

• म पानीपत क सरी लड़ाई अकबर और हेमू के बीच ई थी इसने मुग़ल शासन को जारी
रखने के प म नणय लया। • म मराठ और अहमद शाह अ दाली के बीच ई पानीपत क तीसरी
लड़ाई
ने भारत पर शासन करने क मराठा मह वाकां ा को समा त कर दया।

य पानीपत एक पसंद दा यु े था
• पानीपत क रणनी तक त थी। यु का एक प आम तौर पर उ री भारत क राजनी तक
राजधानी द ली पर क ज़ा करने के लए खैबर दर के मा यम से उ र उ र प म से आया था।

उबड़ खाबड़ इलाक राज ान के रे ग तान या घने जंगल से घरे अ य उ री े के मा यम से सेना


को ले जाना ब त जो खम भरा और क ठन था। सरी ओर द ली के शासक ने पानीपत को एक संघष
यो य रणनी तक मैदान माना और इस लए उ ह ने वहां लड़ाई करना पसंद कया।

• द ली से इसक नकटता ने भारतीय शासक के लए ह थयार सै य और खा आपू त आ द को


यु के मैदान तक प ंचाना आसान बना दया और फर भी राजधानी को संघष से अछू ता रखा। • पानीपत
के आसपास के े म एक समतल मैदान है जो घुड़सवार सेना क आवाजाही के लए उपयु था जो उस
समय यु
का मु य साधन था। • शेरशाह सूरी ारा ांड ं क रोड के नमाण के बाद पानीपत इसी
माग पर था। वजेता के लए वहां अपना रा ता ढूं ढना आसान हो गया। • े म मानसूनी वषा क अव ध
कम
होती है

अय े क तुलना म लड़ना आसान हो जाता है।


• इन े के कारीगर लुहार यु संबंधी साम ी बनाने म वशेष थे और इस लए दोन प क
सेना के लए अपनी यु साम ी को फर से भरना आसान हो गया।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

पानीपत क तीसरी लड़ाई . अ दाली का आ खरी आ मण म आ।

औरंगजेब के बाद के कमजोर शासक एक


आंत रक चुनौती
बहा र शाह थम माच उ रा धकार के लगभग दो साल के लंबे यु
के बाद औरंगजेब का सबसे बड़ा बेटा वष य राजकु मार मुअ म बहा र शाह क उपा ध
लेक र स ाट बना। बाद म उ ह बहा र शाह थम कहा गया । उसने उ रा धकार के यु म
अपने भाइय मुह मद आज़म और काम ब क ह या कर द थी। ख़फ़ खान ने बहा र शाह
को शाह ए बेख़ बर क उपा ध द ।

उ ह ने मराठ राजपूत और जाट के साथ शां त नी त अपनाई। मराठा राजकु मार


शा को मुगल कै द से रहा कर दया गया और राजपूत मुख को उनके संबं धत रा य म
ा पत कर दया गया। हालाँ क सख नेता बंदा बहा र ने पंज ाब म मुसलमान पर हमला
कया और इस लए स ाट ने उनके खलाफ कारवाई क । फरवरी म बहा र शाह थम
क मृ यु हो गई।

जहांदार शाह माच फरवरी जु फकार खान क मदद से जहांदार शाह


स ाट बने।
जु फकार खान को धान मं ी नयु कया गया उ ह ने सा ा य क व ीय त म सुधार
के लए इज़ारा णाली क शु आत क । जहाँदार शाह ने ज जया कर समा त कर दया।

फ ख सयर सै यद भाइय अ ला खान और सैन अली कग


मेक र के प म जाने जाते ह क मदद से जहांदार शाह क ह या करने के बाद फ ख सयर
नया स ाट बना। उ ह ने ज ज़या और तीथया ा कर को समा त करके धा मक स ह णुता क
नी त अपनाई। म उ ह ने दया

दे ख वह
बहा र शाह थम अं तम स ाट था जसके बारे म कु छ भी अनुकू ल कहा जा सकता है। इसके
बाद सा ा य का ती और पूण पतन और ावहा रक वघटन इसके सं भु क अ मता और
राजनी तक मह वहीनता म दशाया गया है।

सडनी ओवेन
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अं ेज को फरमान । म सै यद बंधु ने पेशवा बालाजी व नाथ क मदद से


फ ख सयर को ग से उतार दया।
बाद म उसे अंधा कर दया गया और मार डाला गया। मुगल इ तहास म यह पहली बार था क
कसी स ाट को उसके सरदार ने मार डाला।
रफ उद दराजत फरवरी से जून वह
मुगल म सबसे कम समय तक शासन कया।
रफ़ उद दौला जून से सतंबर सै यद बंधु ने रफ़ उद दौला को
शाहजहाँ तीय क उपा ध के साथ सहासन पर बठाया। नया स ाट अफ़ म का आद था।

मुह मद शाह रफ़ उद दौला क मृ यु के बाद रौशन अ तर सै यद


दस क पसंद बन गए। मुह मद शाह जैसा क उ ह इ तहास म जाना जाता है को उनक
वला सतापूण जीवन शैली के कारण रंगीला क उपा ध द गई थी।

मुह मद शाह ने नज़ाम उल मु क क मदद से सै यद बंधु को मार डाला।


म नज़ाम उल मु क वज़ीर बन गया और हैदराबाद के वतं रा य क ापना क ।

म मराठा पेशवा बाजीराव थम ने घुड़सवार क एक छोट सेना के साथ द ली


पर आ मण कया। म ना दर शाह ने करनाल क लड़ाई म मुगल को हराया और बाद
म मुह मद शाह को कै द कर लया और सधु के प म के े को फारसी सा ा य म मला
लया।

अहमद शाह अहमद शाह एक अ म शासक था जसने रा य मामल


को रानी माँ उधम बाई के हाथ म छोड़ दया था। उधम बाई ज ह कबला ए आलम क
उपा ध द गई थी एक कमजोर बु क म हला थ ज ह ने अपने ेमी जा वद खान एक
कु यात क र क मदद से शासन कया था।

आलमगीर तीय आलमगीर तीय जहांदार शाह का पोता था।


ईरानी आ मणकारी अहमद शाह अ दाली जनवरी म द ली प ंचा। उसके शासनकाल
के दौरान जून म लासी क लड़ाई लड़ी गई।

शाहजहाँ तृतीय
शाह आलम तीय उनके शासनकाल म दो नणायक लड़ाइयाँ
पानीपत क तीसरी लड़ाई और ब सर क लड़ाई । सं ध क शत के अनुसार
ई. म
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

इलाहाबाद अग त म उ ह ई ट इं डया कं पनी के संर ण म ले लया गया और वे


इलाहाबाद म रहने लगे। उ ह ने कं पनी को बंगाल बहार और उड़ीसा क द वानी राज व एक
करने का अ धकार हमेशा के लए दे ने का एक फरमान भी जारी कया । म मराठा उ ह
द ली ले गये जहां वे तक रहे। म अं ेज ारा दौलत राव स धया क हार के
बाद उ ह ने फर से अं ेज का संर ण वीकार कर लया। बाद म मुगल बादशाह अं ेज के
पशनभोगी बन गये।

अकबर तीय उसने राममोहन राय को राजा क उपा ध द । म


मुगल बादशाह के नाम वाले स के बंद कर दये गये।

बहा र शाह तीय बहा र शाह तीय या बहा र शाह ज़फ़र ज़फ़र
उनका उपनाम था अं तम मुग़ल स ाट थे। के व ोह ने उ ह भारत का स ाट घो षत
करने का नरथक यास कया था। उ ह अं ेज ने पकड़ लया और रंगून भेज दया जहां
म उनक मृ यु हो गई।

कानूनी से दे ख तो नवंबर को महारानी व टो रया क घोषणा के साथ ही मुगल


सा ा य का अंत हो गया।

मुगल सा ा य के पतन के कारण


मुगल सा ा य का पतन य आ यह इ तहासकार के बीच बहस का वषय रहा है। व ान
क राय को दो ापक आधार पर वभा जत कया जा सकता है वे जो मामले को आम तौर
पर सा ा य से संबं धत मानते ह और वे जो वकास को े से संबं धत मानते ह। सा ा य
संबंधी या मुगल क त कोण पतन के कारण को सा ा य क संरचना और काय णाली म
ही दे ख ता है। े संबंधी कोण से मुगल के पतन का कारण सा ा य के व भ ह स म
उथल पुथल और अ रता का पता चलता है। गरावट दोन पहलु के कारण थी।

मुगल सा ा य के वघटन क या औरंगजेब के शासनकाल के दौरान शु ई


ले कन म उसक मृ यु के बाद ही इसम तेज ी आई। उसक मृ यु के समय तयाँ ऐसी
नह थ क पतन क या शु हो सके
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जाँच न क जाये. हालाँ क मुगल स ा को कई सरदार और शासक ने चुनौती द ले कन शाही


ताकत के सामने कोई भी वतं ता का दावा नह कर सका। स ख मराठ और राजपूत म
सा ा य को उखाड़ फकने क मता नह थी उ ह ने के वल अपने अपने े म अपनी
वतं ता हा सल करने और बनाए रखने के लए मुगल स ा का वरोध कया। इस कार य द
औरंगजेब के उ रा धकारी यो य शासक होते तो सा ा य का पतन नह होता। औरंगजेब के
बाद आए अ धकांश स ाट अयो य कमजोर और लंपट स ाट सा बत ए ज ह ने सा ा य
के वघटन क या को तेज कर दया और अंततः उसका पतन हो गया।

मुगल सा ा य के पतन म योगदान दे ने वाले मुख कारक क चचा नीचे क गई है।

जम दार क बदलती न ा म ययुगीन काल के दौरान दो वग ने


स ाट के साथ रा य क श साझा क जम दार और कु लीन।

जम दार अपनी भू म के वंशानुगत मा लक थे ज ह वंशानुगत आधार पर कु छ वशेषा धकार


ा त थे और उ ह राय राजा ठाकु र खुत या दे शमुख के नाम से जाना जाता था।

उ ह ने सा ा य म एक मह वपूण ान पर क जा कर लया य क उ ह ने राज व के सं ह


और ानीय शासन म मदद क जसके लए उ ह ने सै नक को बनाए रखा। य प मुगल
ने जम दार क श पर अंकु श लगाने और कसान के साथ सीधा संपक बनाए रखने क
को शश क थी ले कन वे पूरी तरह सफल नह ए थे।

औरंगजेब के शासनकाल म ही जम दार क श और भाव म उ लेख नीय वृ ई। इसका


सबसे बड़ा नतीजा यह आ क े ीय वफादा रय को बढ़ावा मला। कई ानीय जम दार ने
सा ा य क कमजोरी का फायदा उठाने और अपने लए वतं रा य बनाने के लए कु लीन
वग सा ा य के भीतर के अ य श शाली वग क मदद क ।

जागीरदारी संक ट कु लीन वग


म वे लोग शा मल थे ज ह या तो बड़ी जागीर और मनसब स पे गए थे या मुगल सूब के सूबेदार
नयु कए गए थे और इ ह बनाए रखने क ज मेदारी द गई थी। को
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

मुग़ल सा ा य के वघटन क जड़ हो सकती ह


म यकालीन भारतीय अथ व ा म पाया गया ापार का ठहराव
उसी क सीमा के भीतर उ ोग और वै ा नक वकास
अथ व ा जसने बढ़ते ए व ीय संक ट का प ले लया
व ा का संक ट और इसक हर शाखा भा वत ई
जागीरदारी
रा य ग त व ध म एहसास करने के लए बड़ पन क असमथता
रा य क सेवा म उनक मह वाकां ाएँ प र तयाँ और

प रणाम व प गुट का संघष और मह वाकां ी क बोली


वतं भु व के लए कु लीन मुगल क असमथता
मराठ को समायो जत करने और उ ह समायो जत करने के लए स ाट
मुग़ल सा ा य के ढांचे के भीतर दावे और
प रणाम व प एक सम बनाने का यास वफल हो गया
भारत म शासक वग और इन सभी घटना म का भाव
अदालत और दे श म राजनी त पर और सुर ा पर
उ रप मी दर का. गत असफलताएँ और दोष
च र ने भी अपनी उ चत भू मका नभाई ले कन उ ह ने आव यक प से नभाई है
इ ह और अ धक गहराई से पृ भू म म दे ख ा जाना चा हए
अवैय क कारक .
सतीश चं ा पा टयाँ और राजनी त
मुगल दरबार

जो व ोह ए उनके लए व भ ा याएँ सामने रखी जाती ह


मुगल सा ा य के पतन के बारे म... यह हमारी मु य चता है
हमारे व और व सद के आरं भक ा धका रय के पास यही है
कहने के लए। और यह दे ख ा जाएगा क वे कसी भी क मत पर सबसे बड़ा डालते ह
उथल पुथल के आ थक और शास नक कारण से भंडा रत कर
और धा मक त या या रा ीय चेतना के बारे म ब त कम जानते ह...
इस कार मुगल सा ा य न हो गया। कोई नया आदे श नह था या
हो सकता है इसके व खड़ी ताकत ारा बनाया गया हो।
इरफान हबीब क कृ ष णाली
मुग़ल भारत

जतना अ धक म इस अव ध का अ ययन करता ं उतना ही अ धक मुझ े यह व ास होता है


य द एकमा नह तो सै य अ मता इसका मुख कारण थी
उस सा ा य का अं तम पतन। अ य सभी दोष एवं कमजो रयाँ
इसक तुलना म कु छ भी नह थे...इससे ब त पहले
गायब हो गया इसने क म सारी सै य ऊजा खो द थी और
थम श म टु क ड़े टु क ड़े होने को तैयार था। अस य
कसी फ़ारसी या अफ़गान वजेता का हाथ नह कसी ना दर का कसी अहमद का नह
अ दाली कसी यूरोपीय साह सक काय क तभा डु ले स या ए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इसे रसातल म प ंचाने के लए लाइव क ज रत थी। स ाट


इनम से कसी का भी वनाश होने से पहले ही मुगल का वनाश हो चुक ा था
घटना ल पर दखाई दया और या उनके बारे म वहां कभी नह सुना गया था
इसम कोई संदेह नह है क यह कोई मराठा डाकू या सख लुटेरा है
समय आने पर वह वयं अकबर क ग पर बैठा होगा

और शाहजहाँ.
व लयम इर वन क सेना भारतीय मुगल

एक आम धारणा यह है क... मुगल का पतन पतन


सा ा य अपने सं भु क पतनशीलता के कारण थे। ले कन यह
औरंगजेब नामक राजा के शासनकाल म यह अपूरणीय प से बबाद हो गया था
महान मता ऊजा और ढ़ संक प के ले कन राजनी तक प से कमी है
अंत और एक क र मुसलमान। उसने थम न र पर हार कया
अकबर क बु मान और उदार उपे ा क नी त को उलट कर झटका द
जा त और धम के भेद और मतदान को फर से लागू करना Jizya
कर उसक ह जा पर जससे उसने उ ह अलग कर दया और
उनम से सबसे कु लीन और सबसे यु य राजपूत बन गए
अब तक सहासन के क र समथक घातक और म
लगातार मन. और के वल शवाजी और उनके अनुयायी ही नह
अपनी वतं ता क पु क ले कन सरा घातक झटका दया
सा ा य क अखंडता पर. उ ह ने इसक सेना को न कर दया
त ा। उ ह ने उसका सं चत खजाना ख़ म कर दया। वे
द कन और उसके बाहर अ व ा और तबाही फै लाई
यह...उ ह ने इस कार एक सा ा य क ापनाम क
इ ी रयो इ ी रयम।
य प वघ टत नह आ नराशाजनक प से बल हो गया। भावी
तब से क सरकार का अ धकार था
गन... ना दर शाह अपमान क पराका ा करने के बाद
स ाट और उसक राजधानी पर शाही े पर क ज़ा कर लया
सधु के प म. सा ा य का वघटन पूण हो गया।
सडनी ओवेन का पतन मुग़ल सा ा य

मुग़ल सा ा य और उसके साथ मराठा आ धप य


ह तान का पतन भारतीयता के मूल म सड़न के कारण आ

समाज। सड़ांध सै य और के प म कट ई
राजनी तक लाचारी. दे श अपनी र ा नह कर सका रॉय ट
नराशाजनक प से या मूख था कु लीन लोग वाथ थे
और अ रदश ाचार अकु शलता और व ासघात बदनाम
सावज नक सेवा क सभी शाखाएँ। इस य के बीच म
और म हमारे सा ह य कला और यहां तक क स े धम म भी था
ख़ म हो गया.
जेएन सरकार का पतन मुगल सा ा य वॉ यूम. चतुथ
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

इस वग म कई राजपूत शासक सूबेदार और मनसबदार शा मल थे। मुग़ल शासन को अ सर


कु लीन के शासन के प म प रभा षत कया गया है य क ये अमीर सा ा य के शासन
म क य भू मका नभाते थे। हालाँ क अकबर ने उनके लए एक सुग ठत संगठन दान कया
था ले कन धम मातृभू म और जनजा त के आधार पर कु लीन के बीच वभाजन था और
येक ेण ी ने अपना एक समूह बना लया। बाद के मुगल के शासन के दौरान मजबूत क य
नेतृ व के अभाव म व भ समूह के बीच आपसी त ं ता ई या और स ा के लए
त धा ने न के वल स ाट क त ा को कम कया ब क सा ा य के पतन म भी योगदान
दया।

े ीय आकां ा का उदय औरंगज़ेब के शासनकाल म


ही जाट सख और मराठ जैसे श शाली े ीय समूह ने अपने वयं के रा य बनाने क
को शश म मुगल रा य के अ धकार को चुनौती द थी।

वे अपने यास म सफल नह ए ले कन उ ह ने अपने संबं धत े म राजनी तक घटना


के भ व य के पा म को भा वत कया। राजनी तक भु व के लए सा ा य के व
उनके नरंतर संघष ने सा ा य को काफ कमजोर कर दया।

औरंगजेब और उसके बाद बहा र शाह थम ने राजपूत को दबाने का यास करके उ ह मुगल
के खलाफ लड़ने के लए े रत कया। बाद के मुगल ने राजपूत के साथ मेल मलाप क नी त
अपनाने का यास कया ले कन तब तक ब त दे र हो चुक थी राजपूत को मुगल पर इतना
भरोसा नह रहा क वे सा ा य के क याण के लए उनके साथ सहयोग कर सक।

मराठा भी एक बल श ु बनते जा रहे थे।


उनका उ े य पहले तो के वल महारा के े पर नयं ण पाने तक ही सी मत था ले कन ज द
ही इसम पूरे भारत म सरदे शमुख ी और चौथ वसूलने के लए मुगल स ाट से कानूनी मंज ूरी लेना
शा मल हो गया । वे उ र क ओर बढ़े और तक गुज रात मालवा और बु दे लख ड ांत
पर अपना भाव फै लाने म सफल रहे। सा ा य के खलाफ राजपूत संघष और मराठ क
बढ़ती मह वाकां ा और श ने मुगल ताकत पर तकू ल भाव डाला।
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मुगल के पतन के कारण सं ेप म

सं ेप म कह तो मुगल के पतन के कु छ मु य कारण इस कार थे

i मुगल क सरकार गत नरंकु शता थी और इस लए इसक सफलता शासक शासक के च र


पर नभर करती थी। बाद के मुगल नक मे थे और उ ह ने रा य के शासन क उपे ा क । ii
उ रा धकार के न त कानून के अभाव म उ रा धकार का यु हमेशा होता रहता था इससे
सरकार क रता कमजोर ई और
दे शभ क क मत पर प पात को बढ़ावा मला।

iii शासक के पतन के कारण कु लीन वग का पतन आ त या मक झगड़ और षडयं से सा ा य को


भारी क मत चुक ानी पड़ी।

iv सेना क गरावट भी उसके लए वनाशकारी सा बत ई


सा ा य।
v सा ा य इतना वशाल और बो झल हो गया था क कमजोर शासक के अधीन वशेष प से
प रवहन और संचार क मौजूदा प र तय म इसे एक क य ा धकरण ारा कु शलतापूवक
शा सत नह कया जा सकता था। vi औरंगजेब क धा मक नी त काफ हद तक ज मेदार थी
जसके कारण राजपूत सख जाट और मराठ ने व ोह कया। vii औरंगजेब क द कन नी त पूरी
तरह वफल रही और मुगल सा ा य के पतन का एक मह वपूण कारण थी। viii
ईरानी और रानी सा ा य के आ मण ने मुगल सा ा य को करारा झटका दया।

आ थक और शास नक सम याएँ समय के साथ अमीर और उनके रक या


मनसब क सं या म तेज ी से वृ ई थी उनके बीच जागीर के प म बाँटने के लए ब त
कम ज़मीन बची थी। औरंगजेब ने रकॉड पर जागीर से बढ़ ई आय दखाकर जागीर या
बेज ा गरी क भारी कमी क सम या को हल करने का यास कया। ले कन यह एक अ रदश
उपाय था य क अमीर ने कसान पर दबाव डालकर अपनी जागीर से दज आय को वापस
पाने क को शश क । इस लए अमीर और कसान दोन ही वरोधी थे। फर यु ए स ाट
और अमीर क वला सतापूण जीवनशैली खलीसा भू म म कमी इन सभी ने रा य पर बोझ
डाला। प रणाम यह आ क रा य का य उसक आय से कह अ धक हो गया।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

इसके अलावा कोई मह वपूण वै ा नक और तकनीक ग त नह थी जो र


अथ व ा म सुधार कर सके । एक समय फलता फू लता ापार सा ा य के खजाने को
समृ नह कर सका भले ही तट य भारत म यूरोपीय ापा रय क पैठ बढ़ती गई।

औरंगजेब क मृ यु के बाद ये आ थक और शास नक सम याएँ और भी बढ़ ग ।


जब शासक कमज़ोर और अ म थे तो सा ा य इतना वशाल हो गया था क उसे एक क कृ त
णाली ारा कु शलतापूवक शा सत नह कया जा सकता था।

े ीय रा य का उदय
के पतन के प रणाम व प जन रा य का उदय आ
मुगल सा ा य को न न ल खत तीन ापक े णय म वग कृ त कया जा सकता है

i उ रा धकारी रा य ये मुगल ांत थे जो सा ा य से अलग होने के बाद रा य म


बदल गए।
हालाँ क उ ह ने मुग़ल शासक क सं भुता को चुनौती नह द ले कन उनके रा यपाल ारा
व तुतः वतं और वंशानुगत ा धकार क ापना ने इन े म वाय रा य व ा के
उ व को दशाया। कु छ उदाहरण अवध बंगाल और हैदराबाद ह।

ii वतं रा य ये रा य मु य प से ांत पर मुगल नयं ण क अ रता के


कारण अ त व म आए उदाहरण के लए मैसूर के रल और राजपूत रा य। iii नए रा य ये
मुगल सा ा य के खलाफ व ो हय ारा ा पत रा य थे उदाहरण मराठा सख और जाट
रा य थे।

े ीय रा य का सव ण
हैदराबाद हैदराबाद
के आसफ जाह घराने का सं ापक क लच खान था जो नज़ाम उल मु क के नाम से मश र
था। यह जु फकार खान ही थे ज ह ने सबसे पहले द कन म एक वतं रा य क क पना क
थी। ले कन म उनक मृ यु के साथ सपना अधूरा रह गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अधूरा. क लच खान मुगल स ाट जसने मुबा रज खान को द कन का पूण वाइसराय नयु


कया था से नराश होकर मुबा रज खान से लड़ने का फै सला कया। उसने शकर खेड़ा क
लड़ाई म मुबा रज़ खान को हराया और बाद म मार डाला। अब उसने द कन पर
अ धकार कर लया। म वह वायसराय बन गया और उसने खुद को आसफ़ जाह क
उपा ध दान क ।

अवध अवध
क वतं रयासत का सं ापक सआदत खान था जसे बुरहान उल मु क के नाम से जाना
जाता था। सआदत खान शया थे. वह सै यद बंधु के व षडयं म शा मल हो गया था
जसके प रणाम व प उसे बढ़ा आ मनसब दया गया था। बाद म अदालत से बाहर नकाल
दए जाने पर उ ह एक नया वतं रा य ा पत करने के लए े रत कया गया। सआदत
खान ने ना दर शाह के दबाव के कारण आ मह या कर ली जो उससे भारी लूट क मांग कर
रहा था। उनके बाद सफदर जंग अवध के नवाब बने।

बंगाल
मु शद कु ली खान बंगाल के वतं रा य के सं ापक थे। वह एक यो य शासक थे और उ ह ने
बंगाल को एक समृ रा य बनाया। म उनके बेटे शुज ा उद द न ने उनका उ रा धकारी
बना लया। उनके उ रा धकारी सरफराज खान क म घे रया म बहार के ड ट गवनर
अलीवद खान ने ह या कर द ज ह ने स ा संभाली और वा षक ांज ल दे क र खुद को
मुगल स ाट से वतं कर लया।

राजपूत राजपूत ने
व शता द म अपनी वतं ता पुनः ा पत करने का यास कया। इसने मुगल शासक
बहा र शाह थम को अजीत सह के खलाफ माच करने के लए मजबूर कया
ज ह ने जय सह तीय और गादास राठौड़ के साथ गठबंधन बनाया था। ले कन गठबंधन
टू ट गया और त मुगल के लए बच गई। एक समय म राजपूत का द ली के द ण से
लेक र प मी तट तक फै ले पूरे े पर नयं ण था।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

मैसूर
अठारहव शता द म अपनी उप त दज कराने वाला एक और मह वपूण रा य मैसूर था।
पूव और प मी घाट के जं न पर त इस े पर वोडेयार का शासन था। इस े म च
रखने वाली व भ श य ने इस े को नरंतर यु े म बदल दया। अंत म मैसूर रा य
को हैदर अली के शासन के अधीन लाया गया जसने रा य पर शासन कया ले कन बना कसी
परेशानी के । वह अं ेज के साथ लगातार यु म शा मल थे और उनका बेटा ट पू सु तान भी
ऐसा ही था।

के रल मातड
वमा ने ावणकोर को अपनी राजधानी बनाकर के रल का एक वतं रा य ा पत कया।
उसने अपने रा य क सीमाएँ क याकु मारी से लेक र कोचीन तक बढ़ाय । उ ह ने अपनी सेना
को प मी मॉडल पर संग ठत करने का यास कया और अपने रा य के वकास के लए
व भ उपाय अपनाये।

जाट द ली
मथुरा और आगरा के आसपास रहने वाले कृ षक जाट ने औरंगजेब क दमनकारी नी तय के
खलाफ व ोह कया।
कु छ ारं भक असफलता के बाद चूड़ामन और बदन सह भरतपुर म जाट रा य ा पत
करने म सफल रहे। ले कन यह सूरजमल के अधीन था क जाट श अपने चरम पर प ंच
गई। उ ह ने न के वल शासन क एक कु शल णाली दान क ब क रा य के े का भी
काफ व तार कया। उनके रा य म पूव म गंगा से लेक र द ण म चंबल तक के े और
आगरा मथुरा मेरठ और अलीगढ़ के सूबे शा मल थे। हालाँ क म सूरज मल क मृ यु
के बाद जाट रा य को गरावट का सामना करना पड़ा। इसके बाद रा य छोटे छोटे जम दार
ारा नयं त छोटे े म वभा जत हो गया जो मु य प से लूट से अपना जीवन यापन
करते थे।

सख के गु
गो बद सह ने अपने धम और वतं ता क र ा के लए सख को एक उ वाद सं दाय म
बदल दया। बंदा बहा र ज ह ने बाद म म सख का नेतृ व संभाला था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

हराया और मार डाला. ना दर शाह और अहमद शाह अ दाली के आ मण के फल व प


स ख ने एक बार फर अपना अ धकार जमा लया। इस तर पर उ ह ने खुद को मसल
या संघ म संग ठत कया जो रा य के व भ ह स पर नयं ण रखते थे। पंज ाब का एक
मजबूत रा य ा पत करने का ेय रणजीत सह को जाता है। वह सुक रच कया मसल के
नेता महान सह के पु थे ।

रणजीत सह ने सतलुज से झेलम तक फै ले े पर नयं ण कर लया। उ ह ने म लाहौर


और म अमृतसर पर वजय ा त क । अं ेज के साथ अमृतसर क सं ध के ारा
रणजीत सह ने सीआईएस सतलज े पर टश अ धकार को वीकार कया। रणजीत सह
एक कु शल शासक सा बत ए। उ ह ने यूरोपीय लोग क मदद से अपनी सेना का ब त
आधु नक करण कया। ले कन उनके शासनकाल के अंत म अं ेज ने उ ह म शाह शुज ा
और अं ेज ी कं पनी के साथ प ीय सं ध पर ह ता र करने के लए मजबूर कया जसके
तहत वह शाह शुज ा को काबुल के सहासन पर बठाने के उ े य से पंज ाब के मा यम से टश
सै नक को माग दान करने के लए सहमत ए। . म रणजीत सह क मृ यु हो गई।
उनके उ रा धकारी रा य को अ ु ण नह रख सके और ज द ही अं ेज ने इस पर नयं ण
कर लया।

मराठा संभवतः उभरने


वाला सबसे जय ांत मराठ का था। पेशवा के स म नेतृ व म मराठ ने मालवा और
गुज रात से मुगल स ा को उखाड़ फका और अपना शासन ा पत कया। एक समय म उ ह ने
मुगल भु व के मु य उ रा धकारी होने के अ धकार का दावा कया था ले कन उनके अ धकार
को अहमद शाह अ दाली ने पानीपत क तीसरी लड़ाई म चुनौती द थी। मराठा ज द
ही हार से उबर गए और भारत म राजनी तक वच व के संघष म अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी को
सबसे कड़ी चुनौती पेश क ।

रो हलखंड और फ खाबाद रो हलखंड के रा य और


बंगश पठान का रा य भारत म अफगान वास का नतीजा था।

भारत म अफ़गान का बड़े पैमाने पर आ वासन आ


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टश वजय क पूव सं या पर भारत

व शता द के म य म अफगा न तान म राजनी तक और आ थक उथल पुथल के कारण।


अली मुह मद खान ने ना दर शाह के आ मण के बाद उ र भारत म स ा के पतन का फायदा
उठाते ए एक छोटा रा य रो हलखंड ा पत कया। यह उ र म कु माऊँ और द ण म गंगा
के बीच हमालय क तलहट का े था। रो ह ला जैसा क रो हलखंड के नवा सय को
जाना जाता है को े क अयश य जाट और अवध शासक और बाद म मराठ और
अं ेज के हाथ भारी नुक सान उठाना पड़ा।

फ ख सयर और मुह मद शाह के शासनकाल के दौरान एक अफगान मोह मद खान बंगश ने


फ खाबाद के आसपास के े म द ली के पूव म एक वतं रा य क ापना क ।

े ीय रा य क कृ त और सीमाएँ ांत म उभरी वतं राजनी तक व ा ने


मुगल शाही स ा के साथ संबंध बनाए रखना जारी रखा और एक छ के प म स ाट के
मह व को वीकार कया। यहां तक क मराठ और सख के व ोही सरदार ने भी मुगल स ाट
को सव ा धकारी के प म मा यता द ।

इन रा य म जो राज व ा उभरी उसका च र े ीय था और वह जम दार


ापा रय ानीय रईस और सरदार जैसे व भ ानीय समूह के सहयोगा मक समथन से
काया मक थी। ांतीय शासक को वयं को बनाए रखने के लए इन व भ ानीय हत का
यान रखना पड़ता था।

नःसंदेह कु छ अपवाद भी थे उदाहरण के लए मैसूर म शासक ानीय सरदार को मा यता


नह दे ते थे।
े ीय रा य क कु छ सीमाएँ थ । ांतीय शासक सु ढ़ व ीय शास नक और सै य
संगठन पर आधा रत णाली वक सत करने म वफल रहे। हालाँ क उनम से कु छ ने
आधु नक करण करने क को शश क वशेष प से मैसूर ने कु ल मलाकर वे व ान और
ौ ो गक म पछड़े थे। एक और कमी यह थी क इन रा य का पड़ोसी े ीय श य के
साथ नरंतर यु होता था ऐसे यु जनम कोई भी अंततः हावी नह हो सकता था। वा तव
म ये रा य मुगल स ा को चुनौती दे ने के लए काफ मजबूत थे ले कन अ खल भारतीय तर
पर र रा य व ा ा पत करने म कोई भी स म नह था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कृ ष से आय घटने के कारण जागीरदारी संक ट गहरा गया और अ धशेष म ह सेदारी


के दावेदार क सं या कई गुना बढ़ गई। हालाँ क ापार आंत रक और वदे शी बना कसी
वधान के जारी रहा और यहाँ तक क समृ भी आ बाक अथ व ा र हो गई।

सामा जक आ थक तयाँ
अठारहव सद का भारत आ थक सामा जक या सां कृ तक प से पया त ग त से ग त
करने म वफल रहा। भारत वरोधाभास का दे श बन गया य क अ य धक गरीबी और
अ य धक वला सता साथ साथ मौजूद थी। आम जनता द र पछड़ी और उ पी ड़त रही और
यूनतम नवाह तर पर जीवनयापन करती रही अमीर और श शाली लोग वला सता और
वला सतापूण जीवन का आनंद लेते थे। ले कन यह यान दे ने यो य बात है क व शता द
म भारतीय जनता का जीवन टश शासन के वष के बाद क तुलना म काफ हद तक
बेहतर था।

कृ ष हालाँ क कृ ष
तकनीक प से पछड़ी ई थी फर भी इसम कसान क कड़ी मेहनत लगती थी। ले कन
इस मेहनतकश वग को अपने प र म का फल कम ही मलता था। य प कृ ष उपज शेष
समाज का भरण पोषण करती थी परंतु कसान का अपना तफल अ यंत अपया त था। उ ह
रा य जम दार जागीरदार और राज व कसान को अ य धक रकम दे ने के लए मजबूर
कया गया। ले कन टश शासन के तहत यह बदतर हो गया।

ापार और उ ोग ह त श प और
कृ ष उ पाद म आ म नभर होने के कारण भारत बड़े पैमाने पर वदे शी व तु का आयात नह
करता था। सरी ओर इसके औ ो गक और कृ ष उ पाद क वदे शी बाज़ार म अ माँग
थी। इस लए इसका नयात इसके आयात से अ धक था चाँद और सोने के आयात से ापार
संतु लत आ। भारत को ब मू य धातु के भंडार के प म जाना जाता था।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

वचार
यान रख क भारत का वा ण य व का वा ण य है और... जो इस पर वशेष प से नयं ण कर
सकता है वह यूरोप का तानाशाह है।

महान पीटर

भारत यूरोप या ए शया के कसी भी अ य दे श क तुलना म कह अ धक बड़ा औ ो गक और


व नमाण रा था। उसके कपड़ा सामान उसके करघे के कपास ऊन लनन और रेशम के ब ढ़या
उ पाद स य नया म स थे उसके उ म आभूषण और उसके क मती प र हर सुंदर प म
काटे गए थे उसके म के बतन चीनी म के बतन चीनी म क चीज़ हर कार गुण व ा रंग
और सुंदर आकार क थ इसी कार धातु लोहा इ ात चाँद और सोने म भी उसक उ कृ
कृ तयाँ थ ।

उसक वा तुक ला महान थी सुंदरता म नया क कसी भी वा तुक ला के बराबर। उसके पास
महान इंज ी नय रग काय थे। उसके पास महान ापारी महान वसायी महान बकर और फाइनसर
थे। वह न के वल सबसे महान जहाज नमाण करने वाली रा थी ब क उसके पास भू म और समु के
मा यम से महान वा ण य और ापार था जो सभी ात स य दे श तक फै ला आ था। ऐसा ही वह
भारत था जसे अं ेज ने तब पाया था

आया।
जेट सुंदरलड

स दय से बंगाल के हथकरघा बुनकर ने नया के सबसे वांछनीय कपड़ म से कु छ का उ पादन कया था वशेष प से
ब ढ़या मलमल बुनी ई हवा के प म ह के जो यूरोपीय पोशाक नमाता ारा पसंद कए गए थे। अठारहव शता द
के म य तक बंगाल के व अभी भी प मम म तुक और फारस और पूव म जावा चीन और जापान अ तरह से
ा पत ापार माग के साथ साथ यूरोप तक नयात कए जा रहे थे।

शशथ र एक का युग अंधेरा

फारस क खाड़ी े से आयात क व तुए ँ मोती क ा रेशम ऊन खजूर सूख े मेवे


और गुलाब जल अरब से कॉफ़ सोना औष धयाँ और शहद चीन से चाय चीनी चीनी
म के बरतन और रेशम त बत से सोना क तूरी और ऊनी कपड़ा अ का से
हाथीदांत और औष धयाँ यूरोप से ऊनी कपड़ा तांबा लोहा सीसा और कागज।

नयात क व तुए ँ सूती व क े रेशम और रेशमी कपड़े हाडवेयर नील शोरा


अफ़ म चावल गे ँ चीनी काली मच और अ य मसाले क मती प र और औष धयाँ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कपड़ा उ ोग के मह वपूण क ढाका मु शदाबाद पटना सूरत अहमदाबाद ोच


चंदेरी बुरहानपुर जौनपुर वाराणसी लखनऊ आगरा मु तान लाहौर मसूलीप नम
औरंगाबाद चकाकोले वशाखाप नम बगलोर कोयंबटू र म रै आ द क मीर ऊनी
व नमाण का क था।

जहाज नमाण उ ोग महारा आं े और बंगाल जहाज नमाण म अ णी थे।


भारतीय नौवहन के रल तट पर कालीकट और वलोन म भी फला फू ला।

कालीकट के ज़मो रन ने अपनी नौसेना के लए मु लम कुं ज ल मराइ कर जो अपनी समु


या ा मता के लए जाने जाते थे का इ तेमाल कया।
शवाजी भ सले क नौसेना ने पुतगा लय के खलाफ प मी तट पर अ र ा क । बपन
चं ा के अनुसार यूरोपीय कं प नय ने अपने उपयोग के लए कई भारतीय न मत जहाज खरीदे ।

श ाक त व सद के भारत म
द जाने वाली श ा अभी भी पारंप रक थी जो प म म तेज ी से हो रहे वकास के साथ मेल
नह खा सकती थी। ान सा ह य कानून धम दशन और तक तक ही सी मत था और इसम
भौ तक और ाकृ तक व ान ौ ो गक और भूगोल का अ ययन शा मल नह था। व तुतः
ाचीन व ा पर अ य धक नभरता के कारण कोई भी मौ लक वचार हतो सा हत हो गया।
ह और मुसलमान के बीच ारं भक श ा काफ ापक थी। ह और मु लम ाथ मक
व ालय को मशः पाठशाला और मकतब कहा जाता था। श ा पढ़ने लखने और
अंक ग णत तक ही सी मत थी। नचली जा त के ब े कभी कभी कू ल म जाते थे ले कन
म हला क उप त होती थी

लभ।

चतु थ या टोल जैसा क उ ह बहार और बंगाल म कहा जाता था उ श ा के


क थे। सं कृ त श ा के कु छ स क काशी वाराणसी तर त म थला ना दया और
उ कल थे। मदरसे फ़ारसी और अरबी फ़ारसी के लए उ श ा के सं ान थे
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

यह अदालत क भाषा है और मुसलमान के साथ साथ ह ारा भी सीखी जाती है।


अजीमाबाद पटना फारसी श ा का स के था। कु रान और मु लम धमशा के
अ ययन म च रखने वाले लोग को अरबी म द ता हा सल करनी होती थी।

सामा जक संरचना अनेक

जा तयाँ अनेक सं दाय व सद के भारत के


समाज क वशेषता पारंप रक कोण और ठहराव था। हालाँ क वहाँ कु छ हद तक ापक
सां कृ तक एकता मौजूद थी फर भी लोग जा त धम े जनजा त और भाषा के आधार
पर वभा जत थे। प रवार व ा मु य प से पतृस ा मक थी और जा त ह के
सामा जक जीवन क क य वशेषता थी। चार वण के अलावा ह कई उप जा तय म
वभा जत थे ज ह ने सामा जक पैमाने पर ायी प से अपना ान तय कया। हालाँ क
पेशे का चुनाव मु य प से जा त के आधार पर तय होता था ले कन बड़े पैमाने पर अपवाद
भी ए जससे दे श के कु छ ह स म जा त क त काफ अ र हो गई। जा त प रषद
और पंचायत ने जा त मानदं ड और व नयम को लागू कया।

हालाँ क इ लाम ने मुसलमान को सामा जक समानता का आदे श दया था फर भी वे भी


जा त न ल जनजा त और त के आधार पर वभा जत थे। धा मक वचार ने न के वल
सु ी और शया सरदार को ब क ईरानी अफगान तुरानी और ह तानी मु लम सरदार
और अ धका रय को भी एक सरे से अलग रखा। रईस व ान पुज ा रय और सै य मामल
से जुड़े शरीफ़ मुसलमान अ सर अजलाफ़ मुसलमान या न न वग के मुसलमान को उसी
तरह से हेय से दे ख ते थे जस तरह से उ जा त के ह नचली जा त के ह के साथ
वहार करते थे। धा मक प रवतन ए और व सद के भारत म जा त एक मुख
वभाजनकारी श और वघटन का त व सा बत ई।

समाज म म हला क त भारत म पतृस ा मक


प रवार व ा म के रल म कु छ सामा जक समूह को छोड़कर म हला म ब त कम
व होता है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे ख एक
ह म हला कह भी अके ले जा सकती है यहां तक क सबसे भीड़ भाड़ वाली जगह पर भी और
उसे कभी भी बेक ार आरामकु सय क धृ नगाह और मजाक से डरने क ज रत नह है।

अ बे डु बोइस ने उ ीसव सद क शु आत म ट पणी क थी

अपने वयं के हालाँ क कु छ अपवाद भी थे। जब क उ वग क म हलाएँ घर पर ही रहती थ


न न वग क म हलाएँ खेत म और अपने घर के बाहर काम करके प रवार क आय म मदद
करती थ । पदा सती बाल ववाह ब ववाह जैसी कु छ पुरानी और शोषणकारी सामा जक
थाएँ और परंपराएँ मौजूद थ जो म हला क ग त म बाधक थ । ह वधवा क दशा
आमतौर पर दयनीय होती थी।

दहेज क बुराई वशेष प से बंगाल और राजपूताना म ापक थी। संवेदनशील भारतीय


अ सर वधवा के क ठन और कठोर जीवन से भा वत होते थे। आमेर के राजा सवाई जय
सह और मराठा सेनाप त शुराम भाऊ ने वधवा पुन ववाह को बढ़ावा दे ने क को शश क
ले कन असफल रहे।

गुलामी का खतरा व शता द


म आए यूरोपीय या य और शासक ने भारत म गुलाम के ापक सार क सूचना द ।
ऐसा माना जाता है क कु छ लोग आ थक संक ट अकाल ाकृ तक आपदा और अ य धक
गरीबी के कारण अपनी संतान को बेचने के लए मजबूर थे। आम तौर पर राजपूत ख य
और काय के उ वग म हला को घरेलू काम के लए गुलाम रखते थे। हालाँ क भारत
म दास क त यूरोप क तुलना म बेहतर थी। दास को आमतौर पर नौकर के बजाय
वंशानुगत नौकर के प म माना जाता था। दास के बीच ववाह होते थे और ऐसे ववाह से
उ प संतान को वतं नाग रक माना जाता था।

यूरोपीय लोग के आगमन से भारत म दास था और दास ापार म वृ ई। यूरोपीय


ापा रक क नयाँ बंगाल असम और बहार के बाज़ार से दास खरीदकर ले जाती थ
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

उ ह यूरोपीय और अमे रक बाज़ार म। ए ब स नयन दास सूरत म ास और कलक ा म बेचे


जाते थे।

कला वा तुक ला और सं कृ त म वकास शाही मुगल के पतन ने


तभाशाली लोग को
हैदराबाद लखनऊ जयपुर मु शदाबाद पटना क मीर आ द जैसी नव ा पत रा य अदालत
का संर ण लेने के लए मजबूर कया।

लखनऊ म आसफ़ उद दौला ने म बड़ा इमामबाड़ा बनवाया। व शता द


के पूवाध म सवाई जय सह ने गुलाबी शहर जयपुर और द ली जयपुर बनारस मथुरा और
उ ैन म पाँच खगोलीय वेधशालाएँ बनवा । उ ह ने लोग को खगोल व ान के अ ययन म
मदद करने के लए जीज मुह मद शाही नामक समय सारणी का एक सेट भी तैयार कया ।
द ण म के रल म प नाभपुरम पैलेस जो अपनी वा तुक ला और भ च के लए स
है का नमाण कया गया था।

च कला के नये व ालय का ज म आ और उ ह ने व श ता हा सल क ।


राजपूताना और कांगड़ा कू ल क प टग मुख हो ग और नई जीवन श और वाद का
पता चला।
व सद के सा ह यक जीवन क एक व श वशेषता उ भाषा और क वता का
वकास था। यह मीर सौदा नज़ीर और मज़ा ग़ा लब व शता द जैसे उ क वय का
काल था। द ण भारत म मलयालम सा ह य ावणकोर शासक के संर ण म फला फू ला।
कं चन नां बयार एक स मलयालम क व थे। सतार का से त मल भाषा समृ ई।
सतार क वता के सव े तपादक म से एक तायुमानवर ने मं दर शासन और
जा त व ा के पयोग का वरोध कया। पंज ाबी सा ह य म रोमां टक महाका हीर रांझ ा
क रचना वा रस शाह ने क थी। सधी सा ह य म शाह अ ल लतीफ ने क वता का सं ह
रसालो क रचना क । ये े ीय भाषा म सा ह यक कृ तय के कु छ उदाहरण मा ह।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सारांश
मुगल सा ा य का पतन य आ

• कमजोर उ रा धकारी मुग़ल सा ा य गत नरंकु शता था


और इसक सफलता एक मजबूत और स म राजा पर नभर थी।

• का अभाव न त का कानून उ रा धकार के लगातार यु

उ रा धकार ज मजात अ धकार के कानून का अभाव ने प पात को बढ़ावा दया


दे शभ क क मत पर.

• औरंगजेब का धा मक और डे कन नी तयाँ धा मक
नी त ने राजपूत सख जाट और मराठ को नाराज कर दया
द कन क नी त ने स ाट को काफ समय तक राजधानी से र रखा
अव ध।

• का पतन शासक और रईस

• का ख़राब होना सेना

• ब त वशाल ए सा ा य वशाल सा ा य एक क ठन काय बन गया


कमजोर शासक को कु शलतापूवक शासन चलाने के लए।
• बाहरी आ मण ईरानी और रानी रा य पर आ मण
ना दर शाह अहमद शाह अ दाली ने मौत का झटका दया।

• आ थक गरावट अंतहीन यु कृ ष म ठहराव और


ापार और उ ोग म गरावट ने शाही खजाना खाली कर दया।

• का उ ान गोर यूरोपीय क नय ने दे शी म ह त ेप कया


राजनी त सा ा य के वघटन को तेज कर रही है।

• बदलती न ा जागीरदारी संक ट। जम दार का.


• े ीय आकां ा का उदय अवध का उदय और ापना
बंगाल हैदराबाद मैसूर के रल राजपूत रा य और जाट रा य
वघटन क या को तेज़ कर दया।

े ीय रा य का उदय
• तीन े णयां

• उ रा धकारी रा य हैदराबाद नज़ाम उल मु क बंगाल


मु शद कु ली खान और अवध सआदत खान ।
बुरहान उल मु क ।
• वतं रा य मैसूर हैदर अली के अधीन के रल राजा
मात ड वमा और राजपूत रा य राजा सवाई सह ।
अंबर ।

• नया रा य अमे रका मराठा सख जाट और अफगान।

सामा जक आ थक तयाँ
कृ ष • र एवं तकनीक प से पछड़ी कृ ष
कसान के ब त क ठन प र म से मुआ वजा दया गया।
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टश वजय क पूव सं या पर भारत

• कसान रा य जम दार जागीरदार आ द को राज व दे ते थे


राज व कसान।
• मुख उपज फसल चावल गे ं चीनी काली मच मसाले कपास
वगैरह।
ापार और उ ोग ापार फला फू ला। सूती व क ा रेशम रेशम
कपड़ा हाडवेयर नील शोरा अफ़ म चावल गे ँ चीनी
काली मच मसाले क मती प र और औष धयाँ नयात क ग ।
सोना क तूरी ऊनी कपड़ा तांबा लोहा सीसा कागज चीनी म
मोती खजूर सूख े मेवे कॉफ चाय हाथीदांत गुलाब जल आ द।
आयात कये गये थे.
कपड़ा उ ोग अपनी उपज के लए स था। जहाज नमाण उ ोग फला फू ला। धातु उ ोग भी
अ ा था
वक सत।
श ा मकतब • ारं भक श ा कसके मा यम से दान क गई पाठशालाएँ
और .
• चतु थस या टोल ह और मुसलमान के बीच मदरस के बीच
उ श ा के सं ान थे।
• व ान एवं ौ ो गक तथा भूगोल के अ ययन का अभाव
एक सामा य वशेषता थी.
समाज • चार के अलावा कई जगह. वण ह को वभा जत कर दया गया

उपजा तय जो ान ान पर अपने वभाव म भ भ थे

• मुसलमान भी जा त न ल के आधार पर बंटे ए थे।


जनजा त और त भले ही उनका धम समानता का चार करता हो।
कला वा तुक ला और सं कृ त • आसफ उद दौला ने म बनवाया बड़ा
इमामबाड़ा लखनऊ म.
• सवाई जय सह ने गुलाबी शहर जयपुर और पांच खगोलीय शहर बसाए
वेधशालाएँ द ली जयपुर मथुरा बनारस उ ैन ।
• कांगड़ा और राजपूताना के च कला व ालय मुख ता म आये।
• उ री भारत म उ भाषा एवं शायरी का वकास आ
जगह। मुख उ क व मीर सौदा नज़ीर और मज़ा थे
ग़ा लब.
• े ीय भाषा का वकास आ। त मल भाषा समृ ई
ारा सतार क वता।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत म टश श का व तार और
सु ढ़ करण

टश शाही इ तहास
टे न के संपूण शाही इ तहास को दो चरण म वभा जत कया जा सकता है पहला सा ा य
जो अटलां टक के पार अमे रका और वे ट इंडीज क ओर फै ला था और सरा सा ा य
पे रस क शां त के आसपास शु आ और पूव ए शया क ओर बढ़ रहा था। और
अ का. टे न का शाही इ तहास सोलहव शता द म आयरलड क वजय के साथ शु
आ। अं ेज़ तब नए रोमन के प म उभरे जन पर नया भर म तथाक थत पछड़ी जा तय
को स य बनाने का आरोप लगाया गया। इसके लए वशेष प से टे न और सामा य प से
यूरोप के ानोदय के बाद के बु जी वय ने खुद को ओ रएंट लोग और अ य लोग क तुलना
म स य मा णत करना शु कर दया। व भ ा नक और प र तज य श य के कारण
समय के साथ टे न क सा ा यवाद वचारधारा क कृ त बदल गई ले कन इसके मूल
स ांत वही रहे।

या टश वजय आक मक थी या
जानबूझ कर
इ तहासकार ने इस मूलभूत पर बहस क है क या भारत पर टश वजय आक मक
थी या जानबूझ कर।
जॉन सीली उस समूह का नेतृ व करते ह जो कहता है क भारत पर टश वजय आँख बंद
करके अनजाने म क गई थी
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

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भारत का हमारा अ ध हण आँख मूँद कर कया गया था। अं ेज़ ारा अब तक कोई भी महान
काय इतना अनजाने म और इतने आक मक प से नह कया गया जतना क भारत क वजय।

जॉन सीली

कं पनी के वशाल े के अ ध हण के इरादे और मकसद के गहरे कारण अ धक अ ह... य क


व तार भारत के व भ ह स म अलग अलग समय पर आ। येक वशेष त म दांव पर लगे
सट क टश हत भ भ होते थे और उनके लए अनुमा नत ख़तरा भी भ भ होता था जैसा
क भारतीय मामल म संबं धत व भ टश समूह के नणय लेने म सापे मह व था।

जू डथ ाउन

आक मक प से और अनुप त मान सकता के दौर म । इस वचारधारा का तक है क


अं ेज भारत म ापार करने आए थे और उनक े ीय व तार के लए छे ड़े गए यु पर े
हा सल करने या अपने मुनाफे को बबाद करने क कोई इ ा नह थी। यह तक दया जाता है
क अं ेज़ अ न ा से वयं भारतीय ारा पैदा क गई राजनी तक उथल पुथल म शा मल हो
गए थे और लगभग े पर क ज़ा करने के लए मजबूर हो गए थे।

सरे समूह का कहना है क अं ेज भारत म एक बड़ा और श शाली सा ा य


ा पत करने के इरादे से आए थे एक योजना जसे उ ह ने वष तक थोड़ा थोड़ा करके
पूरा कया। वे अं ेज ी ई ट इं डया कं पनी के शु आती दन के शां तपूण इरादे और राजनी तक
तट ता के दावे को चार के प म खा रज करते ह।

ऐसा तीत होता है क दोन वचारधाराएँ अपने कोण को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर
रही ह। ारंभ म शायद कं पनी के अ धका रय ने के वल अपने ापा रक हत को बढ़ावा दे ने
और उनक र ा करने के लए े का अ ध हण करना शु कर दया था खासकर जब
उ ह ने दे ख ा क राजनी तक त कतनी गुटबाजी थी। उ ह एहसास आ क वे कतनी
आसानी से एक ानीय शासक को सरे के खलाफ खड़ा कर सकते ह और ानीय राजनी त
म ह त ेप करना शु कर दया और इस या म े पर क ज़ा कर लया। ले कन बाद म
टे न म टश राजनेता और उनके ारा भारत भेज े गए शासक ने े को हा सल करने
और एक सा ा य ा पत करने क इ ा और योजना पर काम कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पूव म वशेष प से भारत म ापार से होने वाले भारी मुनाफ़े ने अ य यूरोपीय


लोग क तरह अं ेज़ ापा रय कं पनी को आक षत कया। व रत लाभ क इ ा य
क गत मह वाकां ाएं सादा लालच और यूरोप म राजनी तक वकास के भाव कु छ ऐसे
कारक थे ज ह ने अं ेज को भारत म अपना राजनी तक दबदबा बढ़ाने के लए मजबूर कया।
कभी कभी उ ह ने अपने ावसा यक हत क र ा के लए यु छे ड़े और कभी कभी उ ह ने
अपने भारतीय सहयो गय को संभा वत त ं य के हमल से बचाने के लए ऐसा कया।
बीएल ोवर लखते ह लॉड वेले ली ने ांस और स के सा ा यवाद मंसूब के खलाफ
र ा मक जवाबी उपाय के प म भारत म टश भु व का व तार करने के लए सहायक
गठबंधन णाली के आ ामक अनु योग का सहारा लया। से तक टश इरादे
जानबूझ कर सा ा यवाद थे। लॉड हे ट स ने वेले ली क नी त को आगे बढ़ाया और भारत को
अ ध हीत के बजाय व जत दे श के प म माना। इसके बाद अं ेज़ पूरे भारत और यहां तक
क कु छ पड़ोसी रा य को जीतने के लए एक नधा रत योजना पर काम करते दखे।

भारत म टश काल क
शु आत कब ई
व सद के म य म भारत म व भ ऐ तहा सक ताकत काम कर रही थ जसके
प रणाम व प दे श एक नई दशा क ओर बढ़ गया। कु छ इ तहासकार वष को टश
काल क शु आत मानते ह जब यूरोप म ऑ याई उ रा धकार के यु के म े नजर भारत म
वच व के लए एं लो ांसीसी संघष शु आ था। कु छ लोग वष को न द त थ के
प म दे ख ते ह जब अं ेज ने लासी म बंगाल के नवाब को हराया था। फर भी अ य लोग
को जो क पानीपत क तीसरी लड़ाई का वष है जब मराठा अहमद शाह अ दाली से
परा जत ए थे भारतीय इ तहास के इस चरण क शु आत मानते ह। हालाँ क ऐसे सभी
कालानु मक मील के प र कु छ हद तक मनमाने ह य क उस समय के आसपास शु ए
राजनी तक प रवतन को पूरा होने म लगभग अ सी साल लग गए।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

उदाहरण के लए जब हम के बारे म सोचते ह तो न त प से अं ेज का


याल दमाग म आएगा लासी म बंगाल के नवाब और ांसी सय पर उनक जीत के कारण
ले कन हम मराठ को पूरी तरह से खा रज नह करगे और संभवत उनक संभावना पर भी
वचार करगे। हैदर अली. वा तव म यह भारतीय इ तहास का एक कालखंड था जसे वतमान
म हम जो जानते ह उसके संदभ म ा या करना शायद एक गलती होगी।

बहरहाल जन प र तय म अं ेज सफल ए वे नह ह और जन कु छ बाधा का


उ ह सामना करना पड़ा वे गंभीर कृ त क नह थ । यही वरोधाभास है जो भारत म सा ा य
ा पत करने म टश सफलता के कारण को काफ दलच ी का वषय बनाता है।

भारत म टश सफलता के कारण


भारत म टश स ा के व तार और सु ढ़ करण क पूरी या म लगभग एक शता द लग
गई। इन सौ वष म अं ेज ने अंततः भारत के शासक के प म उभरने के लए अ य तं के
अलावा कई कू टनी तक और सै य रणनी त का इ तेमाल कया। यु और शास नक दोन
नी तय का इ तेमाल अं ेज ने व भ रा य पर अपनी श थोपने और अंततः पूरे भारत पर
अपना शासन मजबूत करने के लए कया। अं ेज़ कसी त या कसी े ीय शासक का
अपनी बात मनवाने के लए बेईमान रणनी त अपनाने से गुरेज नह करते थे। अं ेज क
सफलता क कारणा मक श याँ एवं कारक इस कार ह।

बेहतर ह थयार सै य और रणनी त अं ेज ारा इ तेमाल क जाने वाली


आ नेया जनम बं क और तोप शा मल थ फाय रग क ग त और रज दोन म भारतीय
ह थयार से बेहतर थ । इसका एहसास होने पर कई भारतीय शासक ने यूरोपीय ह थयार का
आयात कया और अपने सै नक को श त करने के लए यूरोपीय अ धका रय को नयु
कया ले कन भा य से भारतीय सै य अ धकारी और रक कभी भी अं ेज ी अ धका रय और
अं ेज ी सेना से मेल नह खा सके मौ लकता के अभाव म भारतीय शासक के सै य
अ धकारी एवं सेनाएँ मा नकलची बनकर रह गये।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बेहतर सै य अनुशासन और
नय मत वेतन
वेतन भुगतान क एक नय मत णाली और अनुशासन क स त व ा ऐसे साधन थे
जनके ारा अं ेज ी कं पनी ने यह सु न त कया क अ धकारी और सै नक वफादार थे।
उनक ओर से अ धकांश भारतीय शासक के पास नय मत प से वेतन दे ने के लए
पया त धन नह था। मराठ ने कभी कभी अपने सै य अ भयान को राज व इक ा करने के
लए मोड़ दया ता क अपने सै नक को भुगतान कया जा सके । इसके अलावा भारतीय
शासक गत अनुचर या भाड़े के त व के झुंड पर नभर थे जो अनुशासन के लए
उ रदायी नह थे और जब हालात अ े नह थे तो व ोही हो सकते थे या वरो धय म
शा मल हो सकते थे।

नाग रक अनुशासन और न प चयन णाली कं पनी के अ धका रय और सै नक


को उनक व सनीयता और कौशल के आधार पर भार दया जाता था न क वंशानुगत
या जा त और कबीले संबंध के आधार पर। वे वयं स त अनुशासन के अधीन थे और अपने
अ भयान के उ े य से अवगत थे।

इसके वपरीत भारतीय शासक और सै य अ धका रय क नयु जा त और गत


संबंध के आधार पर क जाती थी अ सर यो यता और मता क उपे ा क जाती थी।
प रणाम व प उनक मता सं द ध थी और वे अपने हत को आगे बढ़ाने के लए अ सर
व ोही और व ासघाती हो जाते थे।

सरी पं के नेता लाइव वॉरेन हे ट स एल फ टन मुनरो


डलहौजी के मा वस आ द के शानदार
नेतृ व और समथन ने नेतृ व के लभ गुण का दशन कया। अं ेज को सर आयर कू टे
लॉड लेक और आथर वेले ले जैसे मा य मक नेता क एक लंबी सूची का भी लाभ मला
ज ह ने नेता के लए नह ब क अपने दे श के हत और गौरव के लए लड़ाई लड़ी। भारतीय
प म भी हैदर अली ट पू सु तान चन कु लीच खान मधु राव स धया और जसव त राव
हो कर जैसे तभाशाली नेता थे ले कन उनके पास अ सर सरी पं के श त क मय
क ट म का अभाव था। इसके अलावा भारतीय नेता एक सरे के खलाफ़ भी उतने ही लड़
रहे थे
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

टश। एकजुट होकर लड़ने क भावना उनक ेरणा नह थी। इस कार वे अ सर पड़ोसी
शासक के व अं ेज का समथन करते थे। भारत क चेतना का अभाव था।

मजबूत व ीय बैक अप
कं पनी क आय अपने शेयरधारक को अ ा लाभांश दे ने के साथ साथ भारत म अं ेज ी यु
को व पो षत करने के लए पया त थी। इसके अलावा इं लड शेष व के साथ अपने ापार
से शानदार मुनाफ़ा कमा रहा था।

समु श म उनक े ता के कारण ज रत के समय धन साम ी और लोग के पम


संसाधन क यह वशाल मा ा टश के लए उपल थी।

रा वाद गौरव भौ तक उ त म
व ास करने वाले और अपने रा ीय गौरव पर गव करने वाले आ थक प से संप टश
लोग को एक कृ त राजनी तक रा वाद क भावना से वं चत कमजोर आपस म बंटे ए
भारतीय का सामना करना पड़ा। भारतीय म भौ तकवाद का अभाव भी अं ेज ी कं पनी
क सफलता का एक कारण था।

बंगाल पर टश वजय
टश वजय क पूव सं या पर बंगाल मुगल सा ा य के सबसे अमीर ांत
बंगाल म वतमान बां लादे श शा मल था और इसके नवाब का उस े पर अ धकार था जो
वतमान बहार और ओ डशा रा य का नमाण करता था।

बंगाल से यूरोप को नयात म नमक चावल नील काली मच चीनी रेशम सूती व
ह त श प आ द जैसे क े उ पाद शा मल थे। इं लश ई ट इं डया कं पनी के बंगाल म ापार
म मह वपूण ावसा यक हत थे य क लगभग तशत ए शया से टश आयात म
बंगाल से माल शा मल था। के दशक के दौरान अं ेज का बंगाल के साथ नय मत
संपक जारी रहा जब उ ह ने बालासोर गली का समबाजार पटना और ढाका म कारखाने
ा पत कए। के दशक तक अं ेज ी कं पनी ारा कलक ा क ापना ने अं ेज ी
वा ण यक नपटान क या पूरी कर ली
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बंगाल. कं पनी ने मुगल स ाट को त वष पये £ का भुगतान कया जसने


उ ह बंगाल म वतं प से ापार करने क अनुम त द । इसके वपरीत बंगाल से कं पनी
का नयात त वष £ से अ धक था।

म मु शद कु ली खान बंगाल के द वान बने और म अपनी मृ यु तक


शासन कया। उनके दामाद शुज ाउ न ने उनका उ रा धकारी बनाया ज ह ने तक
शासन कया। उसके बाद एक वष तक सरफराज खान ने शासन कया। मु शद
कु ली खान का एक अयो य पु शासक बन गया उसक ह या अलीवद खान ने कर द थी।
अलीवद खान ने तक शासन कया और मुगल स ाट को कर दे ना भी बंद कर दया।
इन शासक के शासन म बंगाल ने अभूतपूव ग त क । अ य कारक भी थे ज ह ने बंगाल
को समृ बनाया उदाहरण के लए शेष भारत अंतर सीमा ववाद मराठा आ मण जाट
व ोह और ना दर शाह और अहमद शाह अ दाली के बाहरी आ मण से परेशान था।
बंगाल का े भा यशाली था क वह इन चुनौ तय से बच सका।

कलक ा क जनसं या म से बढ़कर म हो गई और


ढाका और मु शदाबाद जैसे अ य शहर अ य धक आबाद वाले हो गए।

बंगाल के लगभग सभी गवनर ने अं ेज ी कं पनी ारा ा त वशेष वशेषा धकार


का कड़ा वरोध कया य क इससे ांतीय राजकोष को भारी नुक सान होता था। इस लए
अं ेज ी वा ण यक हत और बंगाल सरकार के बीच घषण दोन के बीच संघष का मु य
कारण बन गया। और के बीच एक छोट सी अव ध के दौरान स ा धीरे धीरे
बंगाल के नवाब से अं ेज के हाथ म ानांत रत हो गई और बाद म अं ेज ने नवाब को
हरा दया।

अलीवद खान और अं ेज म बहार के उप रा यपाल


अलीवद खान ने एक यु म बंगाल के नवाब सरफराज खान को मार डाला और मुगल
स ाट को बड़ी रकम दे क र बंगाल के नए सूबेदार के प म अपनी त मा णत क ।
मुह मद शाह. अलीवद खान ने वष तक शासन कया इस दौरान उसने मराठ से यु
कया। अं ेज़ ने भी फ़ायदा उठाया
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

बंगाल म मराठा आ मण के लए उ ह ने नवाब से फोट व लयम क अपनी ब ती के चार


ओर एक खाई खोदने और एक घेरा बनाने क अनुम त ा त क । बाद म अलीवद खान क
आशंक ाएं कनाटक े क ओर आक षत जहां यूरोपीय कं प नय ने सारी श हड़प ली
थी इस बात का एहसास होने पर उनसे यूरो पय को बंगाल से बाहर नकालने का आ ह
कया गया। ले कन अ ैल म उनक मृ यु हो गई और उनके पोते सराजु ौला जो
अलीवद क सबसे छोट बेट का बेटा था उनका उ रा धकारी बना।

सराज उद दौला के सामने चुनौ तयाँ अपने बीसव वष म युवा


सराज को अपने दादा से कई परेशा नयाँ वरासत म मल । उनके चचेरे भाई पू णया के नवाब
शौकत जंग म उनका एक त ं था एक श ुतापूण चाची घसीट बेगम एक नःसंतान
वधवा सेना का एक व ोही कमांडर मीर जाफ़र अलीवद खान क बहन का प त और एक
च तत ह वषय आबाद । उनके दरबार म एक मुख समूह था जसम जगत सेठ ओमीचंद
राय ब लभ राय लभ और अ य शा मल थे जो उनके वरोधी थे।

इन आंत रक त ं य के साथ अं ेज ी कं पनी क लगातार बढ़ती ावसा यक ग त व ध से


सराज क त के लए खतरा भी जुड़ गया। वभाव से आवेगी और अनुभव क कमी के
कारण सराज असुर त महसूस करता था और इसने उसे ऐसे तरीके से काय करने के लए
े रत कया जो तकू ल सा बत आ। उसने शौकत जंग को यु म हरा दया और मार डाला
घसीट बेगम से उसका खजाना छ न लया और उसे सुर त कर लया तथा मीर जाफर को
बखा त कर दया और उसके ान पर मीर मदन को नयु कर दया। एक क मीरी अ धकारी
मोहन लाल को सम शासक के प म नयु कया गया था और उ ह ने लगभग एक धान
मं ी क तरह काम कया।

लासी का यु
लड़ाई क तावना कं पनी के
अ धका रय ने अपने ापार वशेषा धकार का बड़े पैमाने पर पयोग कया जससे नवाब
के व पर तकू ल भाव पड़ा।
अं ेज ने नवाब क अनुम त के बना कलक ा क कलेबंद कर द ।
कं पनी ने आगे भी उसे गुमराह करने क को शश क और समझौता कर लया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

एक राजनी तक भगोड़े राज ब लभ के पु कृ ण दास जो नवाब क इ ा के व अपार


खजाना लेक र भाग गया था को शरण दे ना उनका पाप था। कं पनी को अपनी ओर से संदेह था
क सराज बंगाल म ांसी सय के साथ मलकर उसके ापार वशेषा धकार म भारी कमी
कर दे गा। इस कार जब सराज ने कलक ा म अं ेज ी कले पर हमला कया और क जा कर
लया तो इससे उनक श ुता खुलकर सामने आ गई।

यहां ब चा रत लैक होल ासद का ज कया जा सकता है। ऐसा माना जाता
है क सराज उद दौला ने अं ेज य को कै द कर लया था ज ह एक ब त छोटे से
कमरे म बंद कर दया गया था जसके कारण उनम से क दम घुटने से मौत हो गई।

हालाँ क इ तहासकार या तो इस कहानी पर व ास नह करते ह या कहते ह क पी ड़त क


सं या ब त कम रही होगी।

लड़ाई म ास से
कलक ा म रॉबट लाइव क कमान के तहत एक मजबूत सेना के आगमन ने बंगाल म अं ेज ी
त को मजबूत कया। लाइव ने नवाब के ग ार मीर जाफ़र राय लभ जगत सेठ बंगाल
का एक भावशाली बकर और ओमीचंद के साथ एक गु त गठबंधन बनाया। सौदे के तहत
मीर जाफ़र को नवाब बनाया जाना था जो बदले म कं पनी को उसक सेवा के लए पुर कृ त
करेगा। षडयं का रय के साथ कं पनी के गु त गठबंधन ने अं ेज ी त को और मजबूत कर
दया। इस लए लासी क लड़ाई जून म अं ेज क जीत लड़ाई लड़ने से पहले ही
तय हो गई थी। नवाब के अ धका रय क सा जश के कारण सराज क मजबूत सेना
लाइव क मु भर सेना से हार गई। मीर जाफ़र के बेटे मीरान के आदे श से सराजु ौला को
पकड़ लया गया और उसक ह या कर द गई। लासी क लड़ाई ने बंगाल के वशाल संसाधन
को अं ेज के हाथ म स प दया।

लासी के बाद अं ेज ने बंगाल के ापार और वा ण य पर व तुतः एका धकार कर लया।

लासी के यु का मह व इस वजय के प रणाम व प मीर


जाफ़र बंगाल का नवाब बन गया। उ ह ने अं ेज को बड़ी धनरा श और परगने क जम दारी
भी द ।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

लासी क लड़ाई का राजनी तक मह व था य क इसने भारत म टश सा ा य क


न व रखी थी इसे भारत म टश शासन का ारं भक ब माना गया है।

इस लड़ाई ने बंगाल म अं ेज क सै य सव ता ा पत कर द । उनके मु य त ं


ांसीसी बाहर कर दए गए। उ ह उ चत प से सुस त सै य बल के रखरखाव के लए
े का अनुदान ा त आ और उनक त ा कई गुना बढ़ गई। ले कन सरकार के व प म
कोई प रवतन नह आ हालाँ क मामल का सव नयं ण लाइव को दे दया गया
जसके समथन पर नया नवाब मीर जाफ़र अपनी नई अ जत त को बनाए रखने के लए
पूरी तरह से नभर था।

कलक ा पर अं ेज क सं भुता को मा यता द गई और अं ेज ने नवाब के दरबार म एक


रे जडट को तैनात कर दया।

मीर का सम और क सं ध लाइव के ह त ेप से मीर जाफ़र


ब त चढ़ने लगा। उसने चनसुरा म डच के साथ एक षडयं रचा। ले कन नवंबर म
बेदारा म अं ेज ी सेना ारा डच को परा जत कर दया गया। मीर जाफर के व ासघात और
कं पनी को भुगतान करने म उनक वफलता ने अं ेज को नाराज कर दया। इसी बीच जाफ़र
के बेटे मीरान क मृ यु हो गई और मीर जाफ़र के दामाद मीर का सम और मीरान के बेटे के बीच
बंगाल क नवाब शप के लए लड़ाई शु हो गई। म मीर का सम और कं पनी के बीच
एक सं ध पर ह ता र होने के बाद कलक ा के नए गवनर वैन सटाट मीर का सम के दावे का
समथन करने के लए सहमत ए। सं ध क मह वपूण वशेषताएं इस कार थ

i मीर का सम कं पनी को बदवान मदनापुर और चटगांव जले स पने पर सहमत हो


गया। ii कं पनी को चुनाम म आधा ह सा मलेगा

सलहट का ापार.
iii मीर का सम कं पनी को बकाया रा श का भुगतान करने के लए सहमत हो गया। iv
मीर का सम ने द णी
भारत म कं पनी के यु यास के व पोषण के लए पाँच लाख पये क रा श दे ने का
वादा कया। v इस बात पर सहम त थी क मीर का सम के मन थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कं पनी के मन और उसके दो त कं पनी के दो त।

vi इस बात पर सहम त ई क नवाब के े के करायेदार को कं पनी क भू म पर


बसने क अनुम त नह द जाएगी और इसके वपरीत भी।

कं पनी के दबाव म मीर जाफर ने मीर का सम के प म इ तीफा दे ने का फै सला कया।


मीर जाफ़र के लए पये त वष क पशन तय क गई।

मीर का सम ारा उठाए गए कदम अलीवद खान


के उ रा धका रय म मीर का सम सबसे यो य नवाब था। स ा संभालने के बाद मीर का सम ने
राजधानी को मु शदाबाद से बहार के मुंगेर ानांत रत कर दया। यह कदम कलक ा म कं पनी
से सुर त री सु न त करने के लए उठाया गया था।

उनके अ य मह वपूण कदम नौकरशाही को अपनी पसंद के लोग के साथ पुनग ठत करना और
सेना को उसके कौशल और द ता को बढ़ाने के लए फर से तैयार करना था।

ब सर का यु
यु क तावना कं पनी ने
सोचा था क मीर का सम उनके लए एक आदश कठपुतली सा बत होगा। हालाँ क मीर
का सम ने कं पनी क उ मीद पर पानी फे र दया। बहार के उप रा यपाल राम नारायण नवाब
ारा बहार के राज व का लेख ा जोखा तुत करने के बार बार अनुरोध का जवाब नह दे रहे
थे।

मीर का सम अपने अ धकार क इस खुली अवहेलना को बदा त नह कर सका। ले कन राम


नारायण को पटना के अं ेज अ धका रय का समथन ा त था। कं पनी के अ धका रय ारा
कं पनी के द तक या ापार पर मट एक पर मट जो न द व तु को शु क के भुगतान से
छू ट दे ता था के पयोग के कारण भी नवाब और अं ेज के बीच तनाव पैदा आ।

द तक के पयोग का मतलब था नवाब को कर राज व क हा न। इससे ानीय


ापा रय को कं पनी के ापा रय के साथ असमान त धा का सामना करना पड़ा। एक
शाही फरमान ारा अं ेज ी कं पनी ने पारगमन बकाया या टोल का भुगतान कए बना बंगाल
म ापार करने का अ धकार ा त कर लया था। हालां क
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

कं पनी के नौकर ने भी अपने नजी ापार के लए समान वशेषा धकार का दावा कया।
कं पनी के नौकर कमीशन के बदले भारतीय ापा रय को द तक भी बेचते थे। इसके अलावा
उ ह ने स ती दर पर सामान ा त करने के लए जबरद ती के तरीक का इ तेमाल कया जो
शु क मु ापार क भावना के खलाफ था। शु क मु ापार का सीधा सा अथ है अ यथा
त ध बाजार म स ती खरीदारी करना। मीर का सम ने कत को पूरी तरह समा त करने
का फै सला कया ले कन अं ेज ने इसका वरोध कया और अ य ापा रय क तरह तरजीही
वहार करने पर जोर दया।

पारगमन शु क को लेक र नवाब कं पनी के झगड़े के कारण म अं ेज और मीर


का सम के बीच यु छड़ गया।
अं ेज ने कटवाह मु शदाबाद ग रया सूट और मुंगेर म लगातार जीत हा सल क । मीर
का सम अवध या अवध भाग गया और बंगाल को अं ेज से पुनः ा त करने के उ े य से
अवध के नवाब शुज ा उद दौला और मुगल स ाट शाह आलम तीय के साथ एक संघ बनाया।

लड़ाई मीर का सम
अवध के नवाब और शाह आलम तीय क संयु सेना को मेज र हे टर मुनरो के नेतृ व म
अं ेज ी सेना ने अ टू बर को एक करीबी मुक ाबले म ब सर म हरा दया था। मीर
का सम के खलाफ अं ेज ी अ भयान छोटा ले कन नणायक था।

इस यु का मह व इस त य म न हत था क न के वल बंगाल के नवाब ब क भारत के


मुगल स ाट भी अं ेज से हार गये थे। इस जीत ने अं ेज को उ री भारत म एक महान श
और पूरे दे श पर भु व का दावेदार बना दया।

रॉबट लाइव

टश शासन के इस काल का सव ण रॉबट लाइव के संदभ के बना पूरा नह हो सकता जो लक


के पद से इ तीफा दे ने के बाद सेना म शा मल हो गए थे। उ ह ने भारत म टश स ा क न व रखने म
मह वपूण भू मका नभाई। उ ह से तक और फर से तक दो बार बंगाल का
रा यपाल बनाया गया। उ ह ने इं लड लौटने तक दोहरी सरकार णाली के तहत बंगाल का शासन
कया जहां उ ह ने म क थत तौर पर आ मह या कर ली।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

लड़ाई के बाद मीर जाफर जसे म नवाब बनाया गया था जब मीर का सम


और कं पनी के बीच संबंध तनावपूण हो गए थे अपनी सेना के रखरखाव के लए मदनापुर
बदवान और चटगांव जल को अं ेज ी को स पने पर सहमत ए। नमक पर दो तशत शु क
को छोड़कर अं ेज को बंगाल म शु क मु ापार क भी अनुम त थी। मीर जाफ़र क मृ यु
के बाद उनके नाबा लग बेटे नजीम उद दौला को नवाब नयु कया गया था ले कन शासन
क वा त वक श नायब सूबेदार के हाथ म थी जसे अं ेज ी ारा नयु या बखा त कया
जा सकता था।

इलाहबाद क सं ध
रॉबट लाइव ने अग त म इलाहाबाद म दो मह वपूण सं धयाँ क एक अवध के नवाब
के साथ और सरी मुगल स ाट शाह आलम तीय के साथ।

नवाब शुज ा उद दौला इस बात पर सहमत ए i


इलाहाबाद और कारा को स ाट शाह को स प दया जाए
आलम II
ii कं पनी को यु तपू त के पम लाख पये का भुगतान कर
और
iii बनारस के जम दार बलवंत सह को पूरा दे दो
उसक संप पर क ज़ा.
शाह आलम तीय इस पर सहमत ए
i कं पनी के संर ण म अवध के नवाब ारा उ ह स पे जाने के लए इलाहाबाद
म रहते ह ii लाख पये के वा षक भुगतान के बदले म ई ट इं डया
कं पनी को बंगाल बहार और उड़ीसा क द वानी दे ने का फरमान जारी कर और
iii उ ांत के नज़ामत काय सै य र ा पु लस और याय शासन के
बदले म कं पनी को लाख पये का ावधान ।

लाइव अवध पर क ज़ा नह करना चाहता था य क इससे कं पनी पर अफगान और


मराठा आ मण से एक व तृत भू म सीमा क र ा करने का दा य व आता। सं ध ने नवाब को
कं पनी का प का म बना दया और अवध को एक बफर रा य म बदल दया। इसी कार
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

शाह आलम तीय के साथ लाइव क व ा ावहा रक वचार से े रत थी। इसने स ाट


को कं पनी का उपयोगी रबर टै बना दया। इसके अलावा स ाट के फरमान ने बंगाल म
कं पनी के राजनी तक लाभ को वैध बना दया।

बंगाल के अपद नवाब मीर का सम ने अपना शेष जीवन एक बेघर प थक के प


म अ यंत क म बताया और जून म उसक मृ यु हो गई।

बंगाल म दोहरी सरकार


ब सर क लड़ाई के बाद ई ट इं डया कं पनी बंगाल क वा त वक वामी बन गई। रॉबट लाइव
ने बंगाल म सरकार क दोहरी णाली शु क यानी दोन का शासन कं पनी और नवाब
जसम द वानी यानी राज व एक करना और नज़ामत यानी पु लस और या यक काय
दोन नयं ण म आ गए। कं पनी का। कं पनी ने ड ट सूबेदार को ना मत करने के अपने
अ धकार के मा यम से द वान के प म द वानी अ धकार और नज़ामत अ धकार का योग
कया। कं पनी ने स ाट से द वानी काय और बंगाल के सूबेदार से नज़ामत काय ा त कर लए।

इस णाली से कं पनी को ब त लाभ आ।


इसने स ा का आभास कठपुतली भारतीय शासक के हाथ म छोड़ दया

चाहे इसे वदे शी और मूल नवा सय के बीच ं के प म माना जाए या ापक ायी प रणाम
वाली एक घटना के प म ब सर अब तक लड़ी गई सबसे नणायक लड़ाइय म से एक है।

अं ेज़ क जीत ने न के वल बंगाल को बचाया न के वल टश सीमा को इलाहाबाद तक आगे


बढ़ाया ब क इसने अवध के शासक को शंसा कृ त ता पूण नभरता और व ास के बंधन से
वजेता के साथ बांध दया जो उ ह बनाते थे। चौरानवे वष तक उसके म के म और उसके
श ु के श ु बने रहे।

जीबी मैलेसन

लाइव सं ापक नह ब क भ व य का अ त था। वह सा ा य का योजनाकार नह ब क एक


योगकता था जसने कु छ संभावना का खुलासा कया। लाइव टश सा ा य का अ त था।

प सवल ीयर
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सं भु स ा को कं पनी के हाथ म रखते ए। शां त और व ा बनाए रखने क ज़ मेदारी


नवाब क थी ले कन वह धन और सेना दोन के लए कं पनी पर नभर था य क सेना और सेना
दोन पर उसका ही नयं ण था।

राज व.
द वानी काय के अ यास के लए कं पनी ने दो ड ट द वान नयु कए बंगाल के
लए मोह मद रज़ा खान और बहार के लए राजा सताब रॉय। मोह मद रज़ा खान ने ड ट
ना जम या ड ट सूबेदार के प म भी काम कया।

दोहरी व ा के कारण शास नक व ा ख़राब हो गई और यह बंगाल के लोग के


लए वनाशकारी सा बत ई। न तो कं पनी और न ही नवाब को शासन और सावज नक क याण
क परवाह थी। म वारेन हे ट स ने दोहरी व ा को ख़ म कर दया।

कं पनी के त मैसूर का तरोध

वोडेयार मैसूर राजवंश ने तालीकोटा क लड़ाई के बाद


वजयनगर के महान सा ा य को एक घातक झटका दया इसके अवशेष से कई छोटे रा य
उभरे। म मैसूर े म वोडेयार के अधीन एक ह सा ा य का उदय आ। च का
कृ णराज वोडेयार तीय ने से तक शासन कया। व शता द के उ राध के
दौरान मैसूर हैदर अली और ट पू सु तान के नेतृ व म एक जय श के प म उभरा। अं ेज
को लगा क मैसूर क ांसी सय से नकटता और मालाबार तट के समृ ापार पर हैदर अली
और ट पू के नयं ण के कारण द ण भारत म उनके राजनी तक और वा ण यक हत को
खतरा है। मैसूर क श को म ास पर अं ेज़ के नयं ण के लए ख़तरे के प म भी दे ख ा
गया।

हैदर अली का उदय व सद क


शु आत म दो भाइय नंज राज सवा धकारी और दे वराज लवई ने च का कृ णराज
वोडेयार को महज एक कठपुतली बना दया था। म एक अ ात प रवार म ज मे हैदर अली
ने अपने क रयर क शु आत एक घुड़सवार के प म क थी
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

मैसूर सेना म मं ी नंज राज और दे वराज के अधीन थे।


अश त होते ए भी उनके पास ती बु थी और वे महान ऊजा और ढ़ संक प के
थे।
मैसूर के े म मराठ और नज़ाम क सेना के बार बार आ मण के प रणाम व प
मैसूर के आ मणका रय ारा भारी व ीय माँग क ग ।

मैसूर आ थक और राजनी तक प से कमजोर हो गया। समय क मांग उ तर क सै य


श य और कू टनी तक कौशल वाले नेता क थी। हैदर अली ने उस आव यकता को पूरा कया
और म मैसूर का वा त वक शासक बनकर शाही अ धकार पर क ज़ा कर लया। उ ह ने
महसूस कया क अ य धक ग तशील मराठ को के वल एक तेज घुड़सवार सेना ारा ही नयं त
कया जा सकता है क ांसीसी श त नज़ामी सेना क तोप को शांत कया जा सकता है
। के वल एक भावी तोपखाने ारा और प म से बेहतर ह थयार का मुक ाबला के वल एक ही
ान से लाए गए या उसी तकनीक से न मत ह थयार से ही कया जा सकता है।

हैदर अली ने डडीगुल अब त मलनाडु म म एक ह थयार फै ा पत करने के


लए ांसी सय क मदद ली और अपनी सेना के लए श ण के प मी तरीक को भी पेश
कया। उ ह ने अपने वरो धय को मात दे ने के लए अपने कू टनी तक कौशल का भी उपयोग
करना शु कर दया। अपने बेहतर सै य कौशल के साथ उ ह ने म डोड ब लापुर
सेरा बेदनूर और होसकोटे पर क जा कर लया और द ण भारत जो अब त मलनाडु है के
उप वी पो लगर को अपने अधीन कर लया। पानीपत म अपनी हार से उबरते ए माधवराव
के नेतृ व म मराठ ने मैसूर पर हमला कया और और म हैदर अली को
हराया।

शां त खरीदने के लए हैदर अली को उ ह बड़ी रकम दे नी पड़ी ले कन म माधवराव क


मृ यु के बाद हैदर अली ने के दौरान मराठ पर कई बार छापे मारे और नए े
पर क जा करने के अलावा अपने पहले खोए ए सभी े को पुनः ा त कर लया। .

थम आं ल मैसूर यु
पृ भू म बंगाल म
अपनी आसान सफलता के बाद अं ेज अपनी सै य ताकत के तआ त थे। के साथ उ ह ने
एक सं ध क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

हैदराबाद के नज़ाम ने उ ह उ री सरकार े दे ने के लए राजी कया जसके


बदले म उ ह ने कहा क वे हैदर अली से नज़ाम क र ा करगे। हैदर का पहले से ही अक ट के
नवाब के साथ े ीय ववाद और मराठ के साथ मतभेद था।

बदलते गठबंधन नज़ाम मराठ


और अं ेज ने हैदर अली के खलाफ एक साथ गठबंधन कया। हैदर ने काफ चतुराई और
कू टनी तक कौशल से काम लया। उसने मराठ को तट बनाने के लए उ ह भुगतान कया
और व जत दे श को नज़ाम के साथ साझा करने का वादा करते ए नज़ाम को अपना
सहयोगी बना लया। फर वह अक ट के नवाब पर हमला करने के लए नज़ाम से जुड़ गया।

यु का म यु बना
कसी न कष के डेढ़ वष तक चलता रहा।
हैदर ने अपनी रणनी त बदल द और अचानक म ास के ार के सामने आ गया। म ास म पूरी
तरह से अराजकता और दहशत थी जससे अं ेज को अ ैल को हैदर के साथ एक
ब त ही अपमानजनक सं ध करने के लए मजबूर होना पड़ा म ास क सं ध। सं ध म कै दय
क अदला बदली और वजय क पार रक बहाली का ावधान था। हैदर अली को कसी
अयश ारा हमला कए जाने क त म अं ेज क मदद का वादा कया गया था।

तीय आं ल मैसूर यु
पृ भू म हैदर अली
ने अं ेज पर व ास तोड़ने और म ास क सं ध का पालन न करने का आरोप लगाया जब
म उन पर मराठ ारा हमला कया गया और अं ेज उनक सहायता म आने म वफल
रहे। साथ ही उ ह ने पाया क उनक सेना क बं क शोरा और सीसे क आव यकता को पूरा
करने म अं ेज़ क तुलना म ांसीसी अ धक मददगार थे। प रणाम व प मालाबार तट पर
ांसीसी क जे वाले माहे के मा यम से कु छ ांसीसी यु साम ी मैसूर म लाई गई। इस बीच
अमे रक वतं ता सं ाम छड़ गया था जसम ांसीसी अं ेज के खलाफ व ो हय के प
म थे। ऐसी प र तय म हैदर अली क ांसी सय से म ता ई
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

अं ेज़ के लए और भी अ धक चता का वषय है। इस लए उ ह ने माहे पर क ज़ा करने क


को शश क जसे हैदर अपने संर ण म मानता था। हैदर ने माहे पर क ज़ा करने क अं ेज़
क को शश को अपनी स ा के लए सीधी चुनौती माना।

यु के दौरान हैदर ने मराठ


और नज़ाम के साथ अं ेज ी वरोधी गठबंधन बनाया। इसके बाद उ ह ने कनाटक म हमला
कया अक ट पर क जा कर लया और म कनल बैली के नेतृ व म अं ेज ी सेना को हरा
दया। इस बीच अं ेज ी सर आयर कू ट के तहत ने मराठ और नज़ाम दोन को हैदर क ओर
से अलग कर दया ले कन नवंबर म पोट नोवो म हार का सामना करने के लए नडर
हैदर ने साहसपूवक अं ेज का सामना कया। हालां क उसने अपनी सेना को फर से संग ठत
कया और अं ेज को हरा दया और उनके कमांडर ेथवेट को पकड़ लया।

मगलोर क सं ध दसंबर को हैदर अली क कसर से मृ यु हो गई। अब उनके


बेटे ट पू सु तान ने बना कसी सकारा मक प रणाम के एक साल तक यु जारी रखा।
अ नणायक यु से तंग आकर दोन प ने मगलोर क सं ध माच पर बातचीत करते
ए शां त का वक प चुना जसके तहत येक प ने सरे से लए गए े को वापस दे
दया।

तृतीय आं ल मैसूर यु पृ भू म ट पू और

ावणकोर रा य के
बीच ववाद उ प हो गया।
ावणकोर ने कोचीन रा य म जलको ल और क ानोर को डच से खरीदा था। चूं क कोचीन
ट पू का सामंत था इस लए उसने ावणकोर के कृ य को अपने सं भु अ धकार का उ लंघन
माना। इस लए अ ैल म ट पू ने अपने अ धकार क बहाली के लए ावणकोर के
खलाफ यु क घोषणा क ।

यु का म अं ेज ने
ावणकोर का प लेते ए ट पू पर हमला कर दया। म ट पू ने जनरल मीडोज के नेतृ व
म अं ेज को हराया। म कॉनवा लस ने नेतृ व संभाला और एक बड़ी सेना के मु खया
के प म अंबूर और वे लोर से होते ए बगलु तक माच कया क जा कर लया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास


हमने अपने म को अ य धक जय बनाए बना ही अपने श ु को भावी ढं ग से पंगु बना दया है।

लॉड कॉनवा लस

माच म और वहां से से रगप नम तक। कोयंबटू र उनके हाथ म आ गया ले कन


उ ह ने इसे फर से खो दया और अंततः मराठ और नज़ाम के समथन से अं ेज ने सरी
बार से रगप म पर हमला कया। ट पू ने गंभीर वरोध कया ले कन हालात उसके ख़लाफ़
थे। प रणाम व प उसे से रगप म क सं ध के तहत भारी भुगतान करना पड़ा।

से रगप म क सं ध क इस सं ध के तहत मैसूर के लगभग आधे े पर


वजेता ने क ज़ा कर लया। बारामहल डडीगुल और मालाबार अं ेज़ के पास चले गए
जब क मराठ को तुंगभ ा और उसक सहायक न दय के आसपास के े मले और
नज़ाम ने कृ णा से लेक र पे ार के पार तक के े हा सल कर लए। इसके अलावा ट पू से
तीन करोड़ पये क यु त भी ली गयी। यु तपू त का आधा ह सा तुरंत दया जाना
था जब क शेष क त म दया जाना था जसके लए ट पू के दो बेट को अं ेज ने बंधक
बना लया था।

चतुथ आं ल मैसूर यु पृ भू म अं ेज और ट पू
सु तान ने अपने
नुक सान क भरपाई के लए से क अव ध का उपयोग कया। ट पू ने
से रगप म क सं ध क सभी शत को पूरा कया और अपने पु को रहा करवा लया।
म जब वोडेयार वंश के ह शासक क मृ यु हो गई तो ट पू ने वोडेयार के नाबा लग
बेटे को सहासन पर बठाने से इनकार कर दया और खुद को सु तान घो षत कर दया।
उसने अपनी अपमानजनक हार और से रगप म क सं ध क शत का बदला लेने का भी
फै सला कया।

म सर जॉन शोर के बाद लॉड वेले ली नये गवनर जनरल बने। मूल प से
एक सा ा यवाद वेले ली ट पू क ांसी सय के साथ बढ़ती दो ती से च तत था और
उसका उ े य ट पू के वतं अ त व को न करना या सहायक गठबंधन क णाली के
मा यम से उसे अधीन होने के लए मजबूर करना था। तो ट पू के खलाफ आरोप प म
उ लेख कया गया है
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

ट पू सु तान का अनुमान
ट पू सु तान का ज म नवंबर म हैदर अली और फा तमा के घर आ था। एक सु श त
वह अरबी फ़ारसी कना रस और उ म वतं प से बातचीत कर सकता था।

ट पू एक महान यो ा था उसे मैसूर के बाघ के नाम से जाना जाता था और उसने एक कु शल सै य


बल के गठन और रखरखाव पर अ धकतम यान दया। उ ह ने अपनी सेना को फ़ारसी श द के आदे श के
साथ यूरोपीय मॉडल पर संग ठत कया। हालाँ क उ ह ने अपने सै नक को श त करने के लए ांसीसी
अ धका रय क मदद ली ले कन उ ह ने उ ह ांसीसी कभी भी एक दबाव समूह के प म वक सत नह
होने दया। अपने पता क तरह ट पू को भी नौसेना बल के मह व का एहसास आ। म उ ह ने
एड मर ट बोड क ापना क और यु पोत और बड़े यु पोत के बेड़े क योजना बनाई। मगलोर
वाजेदाबाद और मो लदाबाद म तीन गोद क ापना क गई। हालाँ क उनक योजनाएँ फलीभूत नह ।

ट पू व ान और ौ ो गक का संर क था। उ ह भारत म रॉके ट ौ ो गक के अ त के पम


ेय दया जाता है। उ ह ने रॉके ट के संचालन क ा या करते ए एक सै य मैनुअ ल लखा। वह मैसूर रा य
म रेशम उ पादन शु करने म भी अ णी थे।

ट पू एक महान लोकतं ेमी और महान कू टनी त था।


उ ह ने म जैक ो बन लब क ापना म से रगप म म ांसीसी सै नक को अपना समथन दया।
उ ह ने इस अवसर का ज मनाने के लए तोप और रॉके ट क सलामी का आदे श दया। ट पू
वयं जैक ो बन लब का सद य बन गया और उसने वयं को नाग रक ट पू कहलाने क अनुम त द । उ ह ने
से रगप म म वतं ता का वृ लगाया।

कु छ इ तहासकार ने ट पू को एक क र राजा के प म च त कया है।


यह औप नवे शक इ तहासकार का मु य कोण था। सु तान का यह अनुमान पूण तः सही नह है। यह सच
है क उसने ह कू ग और नायर को कु चल दया। ले कन साथ ही उसने मु लम मोपला को भी दं डत
कया जब उ ह ने उसके अ धकार क अवहेलना क । हालाँ क ऐसा कहा जाता है क जब उसने के रल म
वजय ा त क तो उसने वहाँ के मं दर को व त कर दया था ट पू को अपने रा य के भीतर ह मं दर क
र ा करने के लए भी जाना जाता है। उ ह ने ृंगेरी मं दर क मर मत और दे वी सारदा क मू त क ापना
के लए धन वीकृ त कया मू त म मराठा छापे के दौरान त त हो गई थी । यह आव यक है क
अतीत के च र को धम नरपे ता और लोकतं के आधु नक मानदं ड से न आंक ा जाए।

ट पू ने पालक के उपयोग को तु समझा और इसे के वल म हला और वकलांग के उपयोग के


लए उपयु बताया। उ ह उस समय पूंज ीवाद वकास क शु आत करने का ेय भी दया जाता है जब
सामंतवाद च लत था।

ट पू अनेक परंपरा का त न ध व करने वाले थे।


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

क वह नज़ाम और मराठ के साथ अं ेज के खलाफ सा जश रच रहा था और उसने दे श ोही


इरादे से अरब अफगा न तान काबुल और ज़मान शाह के साथ साथ ांस के आइल मॉरीशस
और वसाय म भी त भेज े थे। ट पू के ीकरण से वेले ली संतु नह आ।

यु का म यु
अ ैल को शु आ और मई को से रगप नम के पतन के साथ समा त
आ। ट पू को पहले अं ेज जनरल टु अ ट और फर जनरल है रस ने हराया। लॉड वेले ली के
भाई आथर वेले ली ने भी यु म भाग लया। मराठ और नज़ाम ारा फर से अं ेज क मदद
क गई। मराठ को ट पू के े का आधा ह सा दे ने का वादा कया गया था और नज़ाम ने
पहले ही सहायक गठबंधन पर ह ता र कर दए थे। ट पू ने बहा री से लड़ते ए अपनी जान
दे द उनके प रवार के सद य को वे लोर म नजरबंद कर दया गया और उनके खजाने को
अं ेज ने ज त कर लया। अं ेज ने मैसूर के पहले ह शाही प रवार के एक लड़के को
महाराजा के प म चुना और उस पर सहायक गठबंधन णाली भी लागू क ।

कु छ लेख क ारा ट पू को पहला भारतीय रा वाद और भारत क वतं ता के लए शहीद माना गया है।
ले कन यह वतमान को अतीत म े पत करके नकाला गया एक गलत कोण है। जस युग म ट पू रहते
थे और शासन करते थे उस समय भारतीय म रा वाद क कोई भावना या यह जाग कता नह थी क वे
एक पराधीन लोग ह। इस लए यह कहना अ तशयो होगी क ट पू ने भारत क आजाद क खा तर अं ेज
के खलाफ यु छे ड़ा था।

दरअसल उ ह ने अपनी स ा और वतं ता को बचाए रखने के लए लड़ाई लड़ी...

मो ह बुल हसन इ तहास का ट पू सुलतान

जब कोई कसी अजनबी दे श म या ा करता है तो उसे अ तरह से खेती यो य मेहनती नवा सय


से भरा आ नए ा पत शहर वा ण य का व तार शहर बढ़ते ए और खुशी का संके त दे ने वाली हर चीज
को फलते फू लते ए पाता है तो वह वाभा वक प से यह न कष नकालेगा क यह एक ऐसी सरकार के
अधीन है जो दे श के लए अनुकू ल है। लोग के मन. ये ट पू के दे श क त वीर है.

ले टनट मूर
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

ट पू के बाद मैसूर • वेले ले ने मराठ


को मैसूर सा ा य के सूंडा और हारपोनेली जल क पेशकश क जसे मराठ ने
अ वीकार कर दया। • नज़ाम को गूट और गुरमक डा जले दये गये।

• अं ेज ने कनारा वायनाड कोयंबटू र ारपोरम और से रगप म पर क ज़ा कर


लया। • मैसूर का नया रा य एक छोटे शासक कृ णराज तृतीय के
अधीन पुराने ह राजवंश वोडेयस को स प दया गया ज ह ने सहायक गठबंधन
वीकार कर लया। • म व लयम ब टक ने मैसूर पर अ धकार कर लया

कु शासन के आधार पर.


• म लॉड रपन ने रा य को उसके शासक को पुनः स प दया।

आं ल मराठा वच व के लए संघष
मराठ का उदय जैसे जैसे मुगल सा ा य
का पतन आ सा ा य के सबसे क र और क र वरो धय म से एक मराठा को स ा म आने
का मौका मला। उ ह ने दे श के एक बड़े ह से पर नयं ण कर लया इसके अलावा उ ह उन
े से भी ांज ल ा त ई जो सीधे उनके नयं ण म नह थे। अठारहव शता द के म य
तक वे लाहौर म उ र भारतीय सा ा य के शासक बनने और मुगल के दरबार म कगमेक र
क भू मका नभाने के बारे म सोच रहे थे।

हालाँ क पानीपत क तीसरी लड़ाई जसम वे अहमद शाह अ दाली से हार


गए थे ने त बदल द वे फर से संग ठत ए अपनी ताकत हा सल क और एक दशक के
भीतर भारत म स ा क त हा सल कर ली।

सभी पेशवा म सबसे महान माने जाने वाले बाजीराव थम ने तेज ी से


बढ़ती मराठा श का बंधन करने और कु छ हद तक मराठ पेशवा ा ण थे के नेतृ व
वाले य वग को खुश करने के लए मुख मराठा मुख का एक संघ शु कया था।
सेनाप त दाबोद . मराठा संघ क व ा के तहत येक मुख प रवार को एक मु खया के
अधीन भाव े स पा गया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उसे जीतना और शासन करना था ले कन त कालीन मराठा राजा शा के नाम पर। मराठा
प रवार जो मुख प से उभरे वे थे i बड़ौदा के गायकवाड़ ii नागपुर के भ सले iii
इंदौर के होलकर iv वा लयर के स धया और v पूना के पेशवा।

बाजीराव थम से लेक र माधवराव थम तक के नेतृ व म संघ ने सौहादपूण ढं ग से काम कया


ले कन पानीपत क तीसरी लड़ाई ने सब कु छ बदल दया। पानीपत म हार और बाद
म म युवा पेशवा माधवराव थम क मृ यु ने संघ पर पेशवा का नयं ण कमजोर
कर दया। हालाँ क संघ के मुख अवसर पर एकजुट ए अं ेज के व
ले कन अ सर वे आपस म झगड़ते रहे।

मराठा राजनी त म अं ज
े का वेश व सद क अं तम तमाही और व सद
क पहली तमाही के बीच के वष म मराठ और अं ेज के बीच राजनी तक वच व के लए
तीन बार संघष आ जसम अंत म अं ेज वजयी ए। इन संघष का कारण अं ेज क
अ य धक मह वाकां ा और मराठ का वभा जत घराना था जसने अं ेज को अपने उ म म
सफलता क आशा करने के लए ो सा हत कया। बंबई म अं ेज़ बंगाल बहार और उड़ीसा
म लाइव ारा क गई व ा के अनु प सरकार ा पत करना चाहते थे।

इस लए यह अं ेज़ के लए एक चर ती त अवसर था जब उ रा धकार को लेक र मतभेद


ने मराठ को वभा जत कर दया।

थम आं ल मराठा यु
पृ भू म म
माधवराव क मृ यु के बाद उनके भाई नारायणराव पांचव पेशवा के प म उनके उ रा धकारी
बने। हालाँ क नारायणराव के चाचा रघुनाथराव ने अपने भतीजे क ह या कर द और खुद को
अगला पेशवा घो षत कर दया हालाँ क वह कानूनी उ रा धकारी नह थे।

नारायणराव क वधवा गंगाबाई ने अपने प त क मृ यु के बाद एक बेटे को ज म दया। नवजात


शशु का नाम सवाई एक और एक चौथाई माधवराव रखा गया और वह कानूनी तौर पर
अगला पेशवा था।
नाना फड़नवीस के नेतृ व म बारह मराठा मुख बाराभाई
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

शशु को नए पेशवा के प म ना मत करने और उसके लए शासक के प म शासन करने का


यास कया।
सूरत क सं ध और पुरंधर रघुनाथराव स ा म अपनी त छोड़ने के लए तैयार
नह थे उ ह ने बॉ बे म अं ेज से मदद मांगी और म सूरत क सं ध पर ह ता र कए ।
सं ध के तहत रघुनाथराव ने सा सेट और बे सन के े को अं ेज को स प दया। सूरत और
भ च जल से राज व का ह सा। बदले म अं ेज को रघुनाथराव को सै नक दान
करने थे।

भारत के सरी ओर टश कलक ा काउं सल ने सूरत क सं ध क नदा क और


कनल अ टन को इसे र करने और रीजसी के साथ एक नई सं ध पुरंधर क सं ध
करने के लए पुण े भेज ा जसम रघुनाथ को याग दया गया और उनसे वादा कया गया क
पशन. ब बई सरकार ने इसे अ वीकार कर दया और रघुनाथ को शरण दे द । म नाना
फड़नवीस ने ांसी सय को प मी तट पर एक बंदरगाह दे क र कलक ा काउं सल के साथ
अपनी सं ध का उ लंघन कया। अं ेज ने पुण े क ओर एक सेना भेज कर जवाबी कारवाई क ।

यु का म अं ेज ी और
मराठा सेनाएँ पुण े के बाहरी इलाके म मल । हालाँ क मराठा सेना म अं ेज क तुलना म
सै नक क सं या अ धक थी ले कन बाद वाले के पास अ य धक बेहतर गोला बा द और
तोप थ । हालाँ क मराठा सेना क कमान महादजी स धया ज ह महादजी शदे के नाम से
भी जाना जाता है नामक एक तभाशाली सेनाप त ने संभाली थी। महादजी ने अं ेज ी सेना
को तालेगांव के पास घाट पहाड़ी दर म फं साया और सभी तरफ से अं ेज को फँ सा दया
और खोपाली म अं ेज ी आपू त अ े पर हमला कर दया। मराठ ने झुलसी ई पृ वी नी त का
भी उपयोग कया कृ ष भू म को जला दया और कु म जहर डाल दया। जैसे ही अं ेज
तालेगांव क ओर हटने लगे मराठ ने हमला कर दया जससे उ ह वडगांव गांव म पीछे हटने
के लए मजबूर होना पड़ा। इधर अं ेज ी सेना को मराठ ने चार तरफ से घेर लया और भोजन
और पानी क आपू त बंद कर द । जनवरी के म य तक अं ेज ने आ मसमपण कर
दया और वाडगांव क सं ध पर ह ता र कए जसने बंबई सरकार को पद छोड़ने के लए
मजबूर कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

से अं ेज़ ारा अ ध हीत सभी े ।


सालबाई क सं ध संघष के पहले चरण का अंत बंगाल के गवनर जनरल
वॉरेन हे ट स ने वाडगांव क सं ध को अ वीकार कर दया और कनल गोडाड के अधीन
सै नक क एक बड़ी सेना भेज ी ज ह ने फरवरी म अहमदाबाद और बे सन पर
क जा कर लया। दसंबर . कै टन पोपम के नेतृ व म बंगाल क एक और टु क ड़ी ने
अग त म वा लयर पर क ज़ा कर लया। फरवरी म जनरल कै मक के नेतृ व
म अं ेज ने अंततः सपरी म स धया को हरा दया।

स धया ने पेशवा और अं ेज के बीच एक नई सं ध का ताव रखा और मई


म सालबाई क सं ध पर ह ता र कये गये जून म हे ट स ारा और फरवरी
म फड़नवीस ारा इसक पु क गई। सं ध ने दोन प के बीच बीस वष तक
शां त क गारंट द । सालबाई क सं ध के मु य ावधान थे

i सा सेट पर अं ेज़ का क ज़ा बना रहना चा हए। ii बे सन स हत पुरंधर क


सं ध
के बाद से जीते गए पूरे े को मराठ को वापस कर दया जाना चा हए।
iii गुज रात म फ़तेह सह गायकवाड़ को उस े पर क ज़ा रहना चा हए जो यु से पहले
उनके पास था और उ ह पहले क तरह
पेशवा क सेवा करनी चा हए।

iv अं ेज को रघुनाथराव को कोई और सहायता नह दे नी चा हए और पेशवा को


उ ह भरण पोषण भ ा दे ना चा हए। v हैदर अली को अं ेज और अक ट के नवाब से
लया गया सारा े वापस कर दे ना
चा हए। vi अं ेज को ापार म पहले क तरह वशेषा धकार ा त होने चा हए।

vii पेशवा को कसी अ य यूरोपीय रा का समथन नह करना चा हए। viii


पेशवा
और अं ेज को यह वचन दे ना चा हए क उनके कई सहयोगी एक सरे के साथ शां त
से रह। ix महादजी स धया को पार रक गारंटर होना चा हए

सं ध क शत का उ चत पालन।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

तीय आं ल मराठा यु
पृ भू म सरा आं ल
मराठा यु पहले जैसी ही प र तय म शु आ। म पेशवा माधवराव नारायण क
आ मह या के बाद रघुनाथराव का अयो य पु बाजीराव तीय पेशवा बन गया। बाजीराव
तीय के क र श ु नाना फड़नवीस मु यमं ी बने। मराठ के बीच मतभेद ने अं ेज़ को मराठा
मामल म ह त ेप करने का अवसर दान कया। म नाना फड़नवीस क मृ यु से अं ेज
को अ त र लाभ मला।

यु का म अ ैल
को पेशवा ने जसव तराव हो कर के भाई वठू ज ी क बेरहमी से ह या कर द । ो धत
जसव त ने स या और बाजीराव तीय क संयु सेना के व अपनी सेनाएँ खड़ी
कर द । उथल पुथल जारी रही और अ टू बर को जसव त ने पूना के पास हड र
म पेशवा और स धया क सेना को नणायक प से हरा दया और अमृतराव के पु
वनायकराव को पेशवा क ग पर बठाया। भयभीत बाजीराव तीय बे सन भाग गया जहां
दसंबर को उसने अं ेज के साथ एक सं ध पर ह ता र कए।

बे सन क सं ध सं ध के तहत पेशवा इस बात पर सहमत ए i कं पनी से


एक दे शी
पैदल सेना जसम कम से कम सै नक शा मल ह गे ा त करने के लए
जसम सामा य अनुपात म फ तोपखाने और यूरोपीय तोपखाने के लोग शा मल ह गे। अपने
े म ायी प से तैनात

ii लाख पये क आय अ जत करने वाले े को कं पनी को स पना iii सूरत


शहर को आ मसमपण करना iv
नज़ाम के भु व पर चौथ के सभी दावे छोड़ दे ना v
उसके और नज़ाम या गायकवाड़ के बीच सभी मतभेद म कं पनी क म य ता को
वीकार करना
vi अं ेज के साथ यु रत कसी भी रा के यूरोपीय लोग को अपने रोजगार म नह
रखना और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

vii अ य रा य के साथ अपने संबंध को अं ेज ी के नयं ण म रखना।

पेशवा ारा सहायक गठबंधन वीकार करने के बाद स धया और भ सले ने मराठा
वतं ता को बचाने का यास कया। ले कन आथर वेले ली के नेतृ व म अं ेज क अ तरह
से तैयार और संग ठत सेना ने स धया और भ सले क संयु सेना को हरा दया और उ ह
अं ेज के साथ अलग सहायक सं ध करने के लए मजबूर कर दया।

म यशवंतराव हो कर ने अं ेज ी के खलाफ लड़ने के लए भारतीय शासक


का एक गठबंधन बनाने का यास कया। ले कन उनक ये को शश नाकाम सा बत ई. मराठा
परा जत हो गए टश दासता म समट गए और एक सरे से अलग थलग हो गए। i
भ सले क हार दसंबर दे वगांव क सं ध ii स या क पराजय दस बर
सुर जयानजंगाव क सं ध और iii हो कर क हार राजपुरघाट क सं ध ।

बे सन क सं ध का मह व माना जाता है क इस सं ध पर एक पेशवा ारा ह ता र


कए गए थे जनके पास राजनी तक अ धकार का अभाव था ले कन अं ेज को इससे ब त
अ धक लाभ आ। मराठा े म अं ेज ी सै नक को ायी प से रखने का ावधान बड़ा
रणनी तक लाभ था। कं पनी के पास मैसूर हैदराबाद और लखनऊ म पहले से ही सै नक थे।
सूची म पूना को शा मल करने का मतलब था क कं पनी क सेनाएं अब अ धक समान प से
फै ली ई थ और ज रत के समय बना कसी दे री के कसी भी ान पर प ंचाई जा सकती
थ । हालाँ क बे सन क सं ध ने भारत को थाली म रखकर कं पनी को नह स पा था यह उस
दशा म एक बड़ा वकास था कं पनी अब अपने भाव े का व तार करने के लए अ
त म थी। इन प र तय म यह ट पणी क सं ध ने अं ेज को भारत क कुं जी द
अ तरं जत हो सकती है ले कन समझने यो य तीत होती है।

तीसरा आं ल मराठा यु
पृ भू म लॉड हे ट स
क टश सव प रता थोपने क सा ा यवाद योजना थी। के चाटर ए ट ारा पूव
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भारत कं पनी का चीन म ापार चाय को छोड़कर का एका धकार समा त हो गया और
इस लए कं पनी को अ धक बाजार क आव यकता थी।
कई जा तय और वग से बने पडारी भाड़े के सै नक के प म मराठा सेना से
जुड़े ए थे। जब मराठा कमजोर हो गये तो पडा रय को नय मत रोजगार नह मल सका।

प रणाम व प उ ह ने कं पनी स हत पड़ोसी े को लूटना शु कर दया। अं ेज ने मराठ


पर पडा रय को आ य दे ने का आरोप लगाया।

अमीर खान और करीम खान जैसे पडारी नेता ने आ मसमपण कर दया जब क चटू खान
जंगल म भाग गए।
बे सन क सं ध जसे सफ़र पेशवा के साथ एक सं ध के प म व णत कया
गया है ने अ य मराठा नेता क भावना को आहत कया। उ ह ने इस सं ध को वतं ता
के पूण समपण के प म दे ख ा।

पडा रय के व क गई लॉड हे ट स क कारवाइय को मराठ क सं भुता के


उ लंघन के प म दे ख ा गया उ ह ने एक बार फर मराठा संघ को एकजुट करने का काम
कया। प ाताप करने वाले बाजीराव तीय ने म तीसरे आं ल मराठा यु के दौरान
अं ेज के खलाफ मराठा मुख को एकजुट करके आ खरी यास कया।

यु का म पेशवा ने पूना
म टश रेज ीडसी पर हमला कया। नागपुर के अ पा साहब ने नागपुर के रेज ीडसी पर हमला
कया और हो कर ने यु क तैयारी क । ले कन तब तक मराठा लगभग वे सभी त व खो चुके
थे जो एक श के वकास के लए आव यक होते ह। सभी मराठा रा य क राजनी तक एवं
शास नक तयाँ अ त त एवं अकु शल थ । जसव तराव हो कर क मृ यु के बाद
हो कर क पसंद दा माल कन तुलसी बाई पूना म मामल के शीष पर आ ग ।

हालाँ क वह एक चतुर और बु मान म हला थी ले कन वह रा य का बंधन ठ क से नह कर


सक य क वह बलराम सेठ और अमीर खान जैसे कु छ अयो य पु ष से भा वत थी।

नागपुर म भ सले और वा लयर म स धया भी कमजोर हो गये थे। अत अं ेज जोरदार


पलटवार करते ए पेशवा को मराठा संघ पर दोबारा अपना अ धकार नह जमाने दे ने म सफल
रहे।
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प रणाम खरक भ सले म पेशवा क हार ई


सीताबड और म हदपुर म हो कर।
कु छ मह वपूण सं धय पर ह ता र कये गये। ये थे • जून पेशवा के साथ पूना
क सं ध । • नवंबर स धया के साथ वा लयर क सं ध । • जनवरी
होलकर के साथ मंदसौर क सं ध ।

जून म पेशवा ने अंततः आ मसमपण कर दया और मराठा संघ भंग हो गया।


पेशवाशाही समा त कर द गई। पेशवा बाजीराव कानपुर के पास बठू र म टश अनुचर बन गये।
शवाजी के वंशज ताप सह को पेशवा के भु व से बनी एक छोट रयासत सतारा का शासक
बनाया गया था।

मराठा य हारे
अं ेज से मराठ क हार के कई कारण थे। मु य कारण इस कार थे. i अयो य नेतृ व मराठा
रा य च र म नरंकु श था। रा य के मु खया के व और च र का
रा य के मामल पर ब त भाव पड़ता था। ले कन भा य से बाद के मराठा नेता बाजीराव
तीय दौलतराव स धया और जसव तराव होलकर बेक ार और वाथ नेता थे। ए फ टन जॉन
मै कम और आथर वेले ले ज ह ने बाद म नेपो लयन को जीतने के लए अं ेज का नेतृ व कया
जैसे अं ेज ी अ धका रय के लए उनका कोई मुक ाबला नह था। ii मराठा रा य क दोषपूण कृ त
मराठा रा य के लोग का सामंज य जै वक नह ब क कृ म और आक मक था और इस लए
अन त था। शवाजी के समय से ही सु वचा रत संग ठत सां दा यक सुधार श ा के सार या
लोग के एक करण के लए कोई यास नह कया गया। मराठा रा य का उदय धा मक रा ीय
आंदोलन पर आधा रत था। मराठा रा य का यह दोष तब हो गया जब
उहप म क सव मप त पर संग ठत एक यूरोपीय श से संघष करना पड़ा। iii
ढ ली राजनी तक व ा मराठा सा ा य छ प त और बाद म पेशवा के नेतृ व म एक ढ ला संघ
था। गायकवाड़ जैसे श शाली मुख
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हो कर स धया और भ सले ने अपने लए अध वतं रा य बनाए और पेशवा के अ धकार


के त दखावा कया। इसके अलावा संघ क व भ इकाइय के बीच अपूरणीय श ुता
मौजूद थी। मराठा सरदार अ सर कसी न कसी का प लेते थे। मराठा सरदार के बीच
सहयोगा मक भावना क कमी मराठा रा य के लए हा नकारक सा बत ई।

iv न नतर सै य व ाय प गत कौशल और वीरता से भरपूर होने के


बावजूद मराठा सेना के संगठन यु ह थयार अनुशा सत कारवाई और भावी नेतृ व म
अं ेज से कमतर थे। वभा जत कमान क के ापसारक वृ याँ मराठा क अ धकांश
वफलता के लए ज मेदार थ । मराठा सेना को कमजोर करने म रक म व ासघात ने
मह वपूण भू मका नभाई। मराठ ारा यु क आधु नक तकनीक को अपनाना अपया त था।
मराठ ने तोपखाने के सव प र मह व क उपे ा क । हालाँ क पूना सरकार ने एक तोपखाने
वभाग क ापना क ले कन यह शायद ही भावी ढं ग से काम कर सका। v अ र
आ थक नी त मराठा नेतृ व समय क बदलती ज रत के अनु प एक र आ थक नी त
वक सत करने म वफल रहा। वहां कोई उ ोग या वदे शी ापार के अवसर नह थे। इस लए
मराठा क अथ व ा एक र राजनी तक व ा के लए अनुकू ल नह थी। vi बेहतर
अं ेज ी कू टनी त और जासूसी
अं ेज के पास सहयो गय को जीतने और मन को अलग थलग करने के लए
बेहतर कू टनी तक कौशल था। मराठा सरदार के बीच फू ट ने अं ेज का काम आसान कर
दया। कू टनी तक े ता ने अं ेज को ल य के व व रत आ मण करने म स म बनाया।

मराठ क अ ानता और अपने मन के बारे म जानकारी क कमी के वपरीत


अं ेज ने अपने मन क मता श य कमजो रय और सै य तरीक का ान इक ा
करने के लए एक सु व त जासूसी णाली बनाए रखी।

vii ग तशील अं ेज ी कोण पुनजागरण क ताकत ारा अं ेज का कायाक प


कया गया और उ ह चच के बंधन से मु कराया गया। वे अपनी ऊजा वै ा नक आ व कार
ापक समु या ा आ द म लगा रहे थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कालो नय का अ ध हण. सरी ओर भारतीय अभी भी पुराने हठध मता और धारणा ारा
च त म ययुगीनता म डू बे ए थे।
मराठा नेता ने रा य के सांसा रक मामल पर ब त कम यान दया। पुरो हत वग के भु व
पर आधा रत पारंप रक सामा जक पदानु म को बनाए रखने के आ ह ने सा ा य के संघ को
क ठन बना दया।

अंत म यह न कष नकाला जा सकता है क अं ेज ने एक वभा जत घर पर


हमला कया जो कु छ ध का के बाद ढहने लगा।

सध क वजय
व शता द क शु आत म अं ेज ने सध म च दखानी शु कर द जहां उ ह ने
म मुगल स ाट के एक फरमान ारा अ धकृ त कु छ ापार सु वधा का आनंद लया। इस
फरमान ने अं ेज को सध के बंदरगाह म ऐसे वशेषा धकार दान कए जो उ ह अ य ात
थे।

तालपुरस अमीर का उदय


अठारहव शता द म तालपुरस अमीर के शासन से पहले सध पर क लोरा मुख का शासन
था। म क लोरा राजकु मार गुलाम शाह ारा दए गए परवाना के कारण थ ा म एक
अं ेज ी फै का नमाण कया गया था । म गुलाम शाह ने अपने दरबार म एक अं ेज
रे जडट के आगमन पर न के वल पहले क सं ध क पु क ब क अ य यूरोपीय लोग को
वहां ापार करने से भी बाहर कर दया। तक अं ेज़ को यह लाभ मलता रहा जब
एक गैर म वत शासक सरफराज खान ने अं ेज़ को अपनी फ़ै टरी बंद करने पर मजबूर कर
दया।

के दशक म तालपुरास नामक एक बलूच जनजा त पहा ड़य से नकलकर


सध के मैदानी इलाक म बस गई। वे उ कृ सै नक होने के साथ साथ क ठन जीवन को
अपनाने वाले भी थे। उ ह ने ब त भाव जमा लया और ज द ही नए े म स ा ह थया ली।
म मीर फतह फतह अली खान के नेतृ व म तालपुरा ने सध पर पूण नयं ण ा पत
कया और क लोरा राजकु मार को नवासन म भेज दया। त कालीन रानी स ाट ने मीर फतह
खान के दाव क पु क और उसे अपने भाइय मीर के भाई ज ह चार यार के नाम से
जाना जाता है के साथ दे श साझा करने का आदे श दया। जब मीर फतह
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

म उनक मृ यु हो गई चार यार ने रा य को आपस म बांट लया और खुद को सध का


अमीर या लॉड् स कहा।
इन अमीर ने अपना भु व हर तरफ फै लाया। उ ह ने जोधपुर के राजा से अमरकोट लूज के
सरदार से कराची अफगान से शेख रपुर और बु कर को जीत लया।

सध पर धीरे धीरे भु व व सद के अंत म एक आम धारणा


यह थी क नेपो लयन ट पू सु तान के साथ मलकर भारत पर आ मण करने क सा जश रच
रहा था। म सध के साथ वा ण यक संबंध को पुनज वत करने के लॉड वेले ली के
यास के पीछे ांसीसी ट पू सु तान और काबुल स ाट शाह ज़मान के गठबंधन का तकार
करना छपा आ उ े य था।

फतह अली खान के साथ बातचीत शु क गई। ले कन ट पू सु तान के भाव और हैदराबाद


सध म टश वरोधी पाट क सहायता से ानीय ापा रय क ई या के कारण अ टू बर
म अमीर ने टश एजट को दस दन के भीतर सध छोड़ने का आदे श दया। टश
एजट ो ने सध छोड़ दया और कं पनी चुपचाप अपमान सहती रही।

शा त मै ी क सं ध जून म स के
अले जडर थम के साथ टल सट के गठबंधन म नेपो लयन बोनापाट भी शा मल हो गए।
गठबंधन क एक शत भू म माग से भारत पर संयु आ मण था। अब अं ेज़ स और टश
भारत के बीच बाधा उ प करना चाहते थे। इसे ा त करने के लए लॉड मटो ने गठबंधन
बनाने के लए व भ मुख य के नेतृ व म तीन त न धमंडल भेज े। तदनुसार मेटकाफ
को लाहौर एल फ टन को काबुल और मै कम को तेहरान भेज ा गया।

नकोलस मथ ने सध का दौरा कया और एक र ा मक व ा को समा त करने के लए


अमीर से मुलाकात क । बातचीत के बाद अमीर एक सं ध के लए सहमत ए अं ेज के
साथ उनक पहली सं ध। शा त म ता का दावा करने के बाद दोन प सध से ांसी सय
को बाहर करने और एक सरे के दरबार म एजट का आदान दान करने पर सहमत ए। इस
सं ध को म अमे र कय को छोड़कर एक अनु े द जोड़कर नवीनीकृ त कया गया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म मराठा संघ क अं तम हार के बाद क क ओर से कु छ सीमा ववाद को सुलझाना।

क सं ध म
व लयम ब टक ने अमीर के साथ सं ध पर ह ता र करने के लए कनल पो टगर को सध
भेज ा। सं ध के ावधान इस कार थे

i अं ेज ी ापा रय और या य को सध से मु माग क अनुम त द जाएगी और


ापा रक उ े य के लए सधु का उपयोग कया जाएगा हालाँ क कोई भी यु पोत नह
चलेगा न ही यु के लए कोई साम ी ले जाया जाएगा। ii कोई भी अं ेज ापारी सध म
नह बसेगा और या य के लए पासपोट
क आव यकता होगी। iii य द पाया गया तो अमीर ारा टै रफ दर म बदलाव
कया जा सकता है

उ और कोई सै य बकाया या टोल क मांग नह क जाएगी।


iv अमीर क के लुटेर को कु चलने के लए जोधपुर के राजा के साथ मलकर
काम करगे। v पुरानी सं धय क पु हो गई और प
एक सरे से ई या नह करगे।

लॉड ऑकलड और सध लॉड ऑकलड जो


म गवनर जनरल बने ने सध को संभा वत सी आ मण से भारत को बचाने के
नज रए से दे ख ा और अफगान पर एक तकू ल भाव ा त करने क कामना क । पंज ाब म
रणजीत सह इस संबंध म जबरद ती का वरोध करने के लए काफ मजबूत थे ले कन अमीर
नह थे। इस कार अं ेज ी कोण यह था क उ ह अफगा न तान पर अपनी योजना के
लए आव यक पहले कदम के प म सध म अपनी त मजबूत करनी होगी। उ ह मौका
तब मला जब रणजीत सह ने सध के एक सीमांत शहर रोझान पर क ज़ा कर लया और
पो टगर को अमीर के साथ एक नई सं ध पर ह ता र करने के लए हैदराबाद भेज ा गया। सं ध
ने अमीर को इस शत पर सुर ा दान क क कं पनी के सै नक को अमीर के खच पर राजधानी
म रखा जाएगा या वैक पक प से अं ेज को बदले म उ चत रयायत द जाएंगी। अमीर ने
शु म इनकार कर दया ले कन बाद म मअन ा से सं ध पर ह ता र करने के लए
सहमत ए जब रणजीत सह को सर से मदद मलने क संभावना थी।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

दे ख ना
ऑकलड और उनके स चव के मं मंडल के तहत भारत म टश नी त पहले से कह अ धक बेईमानी के नचले तर पर गर गई
थी और त य यह है क इस समय के बाद से सध के साथ वहार राजनी तक प से कतना भी समीचीन हो नै तक प
से अ य था।

पीई रॉबट् स

उ ह इशारा कया. सं ध ने अं ेज को अमीर और सख के बीच ववाद म ह त ेप करने क


अनुम त द और साथ ही एक टश नवासी क उप त ा पत करने क भी अनुम त द
जो अं ेज ी सै नक के साथ अपनी पसंद के अनुसार कह भी जा सकता था। इस कार
म सध को टश संर त े म बदल दया गया।

क प ीय सं ध अफगान सम या के समाधान के लए जैसा क अं ेज ने


क पना क थी कं पनी ने और अ धक दोहरेपन का सहारा लया। सबसे पहले उ ह ने जून
म रणजीत सह को अमीर के साथ अपने ववाद म टश म य ता पर सहम त
करते ए एक प ीय सं ध पर ह ता र करने के लए राजी कया और फर स ाट
शाह शुज ा को सध पर अपने सं भु अ धकार छोड़ने के लए मजबूर कया बशत क बकाया
ांज ल का भुगतान कया गया हो। ांज ल क सट क रा श अं ेज ारा नधा रत क
जानी थी जसका मु य उ े य अफगान साह सक काय के लए व ा त करना और अमीर
के े का इतना ह सा ा त करना था जससे सध के मा यम से अफगा न तान के खलाफ
ऑपरेशन क एक लाइन सुर त हो सके ।

सध ने सहायक गठबंधन वीकार कया कं पनी का इरादा अमीर को पैसे


दे ने के लए राजी करना या मजबूर करना था और साथ ही क सं ध म उस अनु े द को
नर त करने के लए सहम त दे ना था जसने सध म जमीन या नद के रा ते अं ेज ी सै नक
क आवाजाही पर रोक लगा द थी। बीएल ोवर लखते ह बेहतर ताकत के खतरे के तहत
अमीर ने फरवरी म एक सं ध वीकार कर ली जसके ारा एक टश सहायक सेना
को शकारपुर और बु कर म तैनात कया जाना था और सध के अमीर को रखरखाव के लए
सालाना लाख पये का भुगतान करना था। कं पनी के सै नक इसके बाद अमीर को कं पनी
क जानकारी के बना वदे शी रा य के साथ कोई भी बातचीत करने से रोक दया गया। इसके
अलावा वे थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कं पनी क सै य आपू त के लए कराची म भंडार क उपल कराने के अलावा सधु पर


सभी टोल को समा त करना और य द ऐसा करने के लए कहा गया तो अफगान यु के
लए एक सहायक बल तैयार करना।

सध का समपण सध क धरती पर लड़ा गया पहला आं ल अफगान यु


सध के अमीर को कभी पसंद नह आया न ही उ ह अपने े म टश
सै नक क उप त पसंद थी। हालाँ क सं ध के तहत उनसे इस सबके लए भुगतान करने
को कहा गया जो उ ह ने कया। उनक सेवा के लए उ ह पुर कृ त या ध यवाद नह दया
गया ब क उन पर टश सरकार के त श ुता और असंतोष का आरोप लगाया गया।

अमीर पर अं ेज के खलाफ दे श ोही ग त व धय का आरोप लगाया गया था और


अफगान यु म पराजय के कारण अ न त त म पड़े एलेनबरो ने एक नई सं ध पर
बातचीत करने के लए आउ ाम को सध भेज ा। इस सं ध के तहत अमीर को अपने पछले
अपराध क क मत पर मह वपूण ांत को स पने सधु नद पर चलने वाले कं पनी के
ट मर को धन क आपू त करने और स क का खनन बंद करने क आव यकता थी।
इसके अलावा उ रा धकार ववाद म अं ेज ने ने पयर के मा यम से ह त ेप कया और
जब अमीर व ोह म उठे तो यु शु कर दया। थोड़े ही समय म पूरे सध ने आ मसमपण
कर दया और अमीर को बंद बना लया गया और सध से नकाल दया गया। म
गवनर जनरल एलेनबरो के अधीन सध को टश सा ा य म मला लया गया और चा स
ने पयर को इसका पहला नयु कया गया।

रा यपाल.

सध वजय क आलोचना इ तहासकार आमतौर पर अं ज े ारा सध


के अ ध हण क कड़े श द म नदा करते ह। वलय के कारण जानबूझ कर गढ़े गए थे।
भारत पर टश वजय के कई करण क तरह अफगान यु भी बदमाशी क रणनी त
और धोखे क कहानी है। हालाँ क थम अफगान यु के उदाहरण म अं ेज को अफगान
के हाथ ब त बुरी तरह से नुक सान उठाना पड़ा और साथ ही त ा क भी हा न ई।
इसक भरपाई करने के लए उ ह ने सध पर क ज़ा कर लया जसके बाद एल फ टन को
यह ट पणी करनी पड़ी अफगा न तान से आते ए इसने एक के दमाग म डाल दया
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

एक बदमाश जसे सड़क पर पीटा गया और बदला लेने के लए वह अपनी प नी को पीटने के


लए घर गया।

हम सध पर क ज़ा करने का कोई अ धकार नह है फर भी हम ऐसा करगे और यह धूतता का एक


ब त ही लाभ द उपयोगी मानवीय नमूना होगा।
चा स ने पयर

...ऐसे ू र अ याचा रय अमीर को हटाना इं लड क महानता के यो य था। इस लए सध क वजय


कोई अधम नह है...

चा स ने पयर

म आपक नी त से तंग आ चुक ा ं म यह नह क ंगा क आपक तलवार सबसे अ है ले कन


न संदेह यह सबसे छोट तलवार है...
जे स आउ म सध पर क जे के समय ने पयर के ड ट ।

पंज ाब क वजय
सख के अधीन पंज ाब का एक करण अं तम सख गु गु गो वद सह क ह या
के बाद बंदा बहा र के नेतृ व म सख के एक वग ने बहा र शाह के शासन के दौरान मुगल
के खलाफ व ोह कया।

म बंदा बहा र को फ ख सयर ने हरा दया और म उसे मौत क सजा दे द गई।


इस कार शेख राजनी त एक बार फर नेतृ वहीन हो गई और बाद म दो समूह म वभा जत
हो गई बंदाई उदारवाद और तात खालसा ढ़वाद । अनुया यय के बीच यह दरार
म भाई म ण सह के भाव म समा त ई। बाद म म कपूर सह फै जु लापु रया ने सख
धम के अनुया यय को राजनी तक सां कृ तक और आ थक प से एकजुट करने के उ े य से
दल खालसा के तहत सख को संग ठत कया ।

खालसा का पूरा संगठन दो भाग म बंटा आ था बु ा दल द गज क सेना और त णा


दल युवा क सेना।

मुगल क कमजोरी और अहमद शाह अ दाली के आ मण ने पंज ाब म सामा य म


और अराजकता पैदा कर द । इन राजनी तक प र तय ने संग ठत दल खालसा को और
अ धक मजबूत होने म मदद क । सख का एक करण आ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म ल लोकतां क व ा के साथ सै य भाईचारे थे। म ल एक अरबी श द है जसका


मतलब बराबर या एक जैसा होता है।
म ल का सरा अथ रा य है। से क अव ध के दौरान कई मसल ने सख
सरदार के अधीन पंज ाब े पर शासन करना शु कर दया पूव म सहारनपुर से लेक र
प म म अटक तक उ र के पहाड़ी े से लेक र द ण म मु तान तक।

सुक रच कया मसल और रणजीत सह रणजीत सह के ज म


नवंबर के समय मह वपूण मसल थ अहलूवा लया भंगी द लेवा लया
फै जु लापु रया क हैया करोड़ा स घया न कई नशा नया फु ल कया रामग ढ़या
सुख रच कया और शहीद . म ल का क य शासन गु म ा संघ पर आधा रत था जो
मूलतः एक राजनी तक सामा जक और आ थक व ा थी। रणजीत सह सुक रच कया
मसल के नेता महान सह के पु थे । जब रणजीत सह के वल वष के थे तब महान सह
क मृ यु हो गई। ले कन रणजीत सह ने राजनी तक मामल म ारं भक कौशल दखाया।
व शता द के अंत म सभी मह वपूण म ल सुक रच कया को छोड़कर वघटन क
त म थ । अगले तीन दशक तक चले स ा संघष के कारण अफगा न तान भी गृहयु
म घरा रहा। पड़ोसी े म इन घटना का रणजीत सह ने पूरी तरह से फायदा उठाया
ज ह ने खून और लोहे क ू र नी त का पालन कया और म य पंज ाब म अपने लए एक
रा य बनाया। म रणजीत सह को अफगा न तान के शासक ज़मान शाह ारा लाहौर
का गवनर नयु कया गया था। म रणजीत सह ने ज मू और अमृतसर पर क ज़ा
कर लया और इस तरह पंज ाब क राजनी तक राजधानी लाहौर और धा मक राजधानी
अमृतसर रणजीत सह के शासन म आ गयी। उ ह ने डोगरा और नेपा लय के साथ भी
अ े संबंध बनाए रखे और उ ह अपनी सेना म भत कया।

रणजीत सह और अं ेज भू म माग से भारत पर संयु


को सी आ मण क संभावना ने अं ेज को च तत कर दया था। म भगवान
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

मटो ने चा स मेटकाफ को लाहौर भेज ा। रणजीत सह ने मेटकाफ के आ ामक और र ा मक


गठबंधन के ताव को इस शत पर वीकार करने क पेशकश क क सख अफगान यु क
त म अं ेज तट रहगे और रणजीत सह को मालवा सीआईएस सतलज े स हत
पूरे पंज ाब का सं भु मानगे। . हालाँ क वाता वफल रही। बदले ए राजनी तक प र य म
जसम नेपो लयन का खतरा कम हो गया था और अं ेज अ धक मुख र हो गए थे रणजीत सह
कं पनी के साथ अमृतसर क सं ध अ ैल पर ह ता र करने के लए सहमत ए।

अमृतसर क सं ध अमृतसर क
सं ध अपने ता का लक और संभा वत भाव के लए मह वपूण थी। इसने सतलज नद को
अपने भु व और कं पनी क सीमा रेख ा के प म वीकार करके पूरे सख रा पर अपना
शासन बढ़ाने क रणजीत सह क सबसे पो षत मह वाकां ा म से एक को रोक दया। अब
उसने अपनी ऊजा प म क ओर लगा द और मु तान क मीर और पेशावर
पर क ज़ा कर लया।

जून म रणजीत सह को राजनी तक मजबू रय के कारण अं ेज के साथ


प ीय सं ध पर ह ता र करने के लए मजबूर होना पड़ा हालाँ क उ ह ने अफगान अमीर
दो त मोह मद पर हमला करने के लए टश सेना को अपने े से गुज रने क अनुम त दे ने
से इनकार कर दया।

से तक राजा रणजीत सह के कं पनी के साथ संबंध प से उनक


कमजोर त का संके त दे ते ह। हालाँ क वह अपनी कमज़ोर त के त सचेत थे फर भी
उ ह ने अ य भारतीय राजकु मार के गठबंधन को संग ठत करने या श संतुलन बनाए रखने
के लए कोई कदम नह उठाया। जून म रणजीत सह क मृ यु हो गई और उनक मृ यु
के साथ ही उनके सा ा य के पतन क या शु हो गई।

रणजीत सह के बाद पंज ाब


यायालय गुट क शु आत
रणजीत सह का एकमा वैध पु और उ रा धकारी खरक
सह कु शल नह थे और अपने सं त कायकाल के दौरान
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शासनकाल दरबारी गुट स य हो गये। म खड़क सह क अचानक मृ यु और उनके


बेटे राजकु मार नव नहाल सह क आक मक मृ यु जब वह अपने पता के अं तम सं कार
से लौट रहे थे के कारण पंज ाब म अराजक त पैदा हो गई। लाहौर के सहासन पर क जा
करने के लए व भ समूह क योजना और जवाबी योजना ने अं ेज को नणायक
कारवाई का अवसर दान कया। सेना सख रा य का तंभ जतनी दखाई दे ती थी उससे कह
कम मजबूत थी। रणजीत सह के स म सेनाप त मोहकम चंद द वान चंद ह र सह नलवा
और राम दयाल पहले ही मर चुके थे। भुगतान म अ नय मतता के कारण सै नक म पहले से
ही असंतोष बढ़ रहा था। अयो य अ धका रय क नयु से अनुशासनहीनता ई। लाहौर
सरकार ने अं ेज ी कं पनी के साथ दो ती क नी त जारी रखते ए टश सै नक को अपने
े से गुज रने क अनुम त द एक बार जब वे अफगा न तान से भाग रहे थे और सरी बार
जब वे अपनी हार का बदला लेने के लए अफगा न तान वापस जा रहे थे। इन माच के
प रणाम व प पंज ाब म हंगामा और आ थक अ व ा ई।

रानी जदल और दलीप सह नव नहाल सह क मृ यु


के बाद रणजीत सह के सरे बेटे शेर सह उ रा धकारी बने ले कन के अंत म उनक
ह या कर द गई।
इसके तुरंत बाद रणजीत सह के नाबा लग बेटे दलीप सह को महाराजा घो षत कया गया
और रानी जदान को संर का और हीरा सह डोगरा को वज़ीर नयु कया गया। हीरा सह
वयं अदालती षडयं का शकार हो गए और म उनक ह या कर द गई। नए वजीर
जवाहर सह रानी जदान के भाई को ज द ही सेना क नाराजगी का सामना करना पड़ा और
म उ ह अपद कर मौत क सजा दे द गई। लाल सह एक रानी जदन के ेमी ने
सेना को अपने प म कर लया और उसी वष वज़ीर बन गया और तेज ा सह को सेना के
कमांडर के प म नयु कया गया।

थम आं ल सख यु
कारण
थम एं लो सख यु क शु आत का ेय नद पार करने वाली सख सेना क कारवाई को
दया गया है
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

दसंबर को सतलुज । इसे एक आ ामक यु ा यास के प म दे ख ा गया जसने


अं ेज को यु घो षत करने का औ च य दान कया। हालाँ क कारण ब त अ धक ज टल
थे और उ ह इस कार सूचीब कया जा सकता है i महाराजा रणजीत सह क मृ यु के
बाद लाहौर सा ा य म अराजकता फै ल गई
जसके प रणाम व प लाहौर म अदालत और हमेशा श शाली और तेज ी से बढ़ते
वच व के लए स ा संघष आ। ानीय सेना ii म वा लयर और
सध पर क ज़ा करने के लए अं ेज ी सै य अ भयान और म
अफगा न तान म अ भयान से सख सेना के बीच संदेह पैदा आ और

iii लाहौर सा ा य क सीमा के पास तैनात अं ेज ी सै नक क सं या म वृ ।

यु का म यु दसंबर
म टश प म से सै नक के साथ शु आ जब क सख के
पास लाल सह क सम कमान के तहत लगभग लोग थे। ले कन लाल सह और
तेज ा सह के व ासघात के कारण सख को मुदक दसंबर फरोजशाह
दसंबर बु े लवाल अलीवाल जनवरी और सोबराओन
फरवरी म लगातार पांच हार का सामना करना पड़ा। ।

फरवरी को लाहौर बना कसी लड़ाई के टश सेना के अधीन हो गया।

लाहौर क सं ध माच थम आं ल सख यु क समा त ने सख को


माच को एक अपमानजनक सं ध पर ह ता र करने के लए मजबूर कया। लाहौर क
सं ध क मु य वशेषताएं इस कार थ

• अं ेज को करोड़ पये से अ धक क यु तपू त द जानी थी। • जालंधर


दोआब यास और सतलज के बीच को
कं पनी के भु व म मला लया गया। • हेनरी लॉरस के अधीन लाहौर म एक टश
रे जडट क ापना क जानी थी। • स ख सेना क श कम हो
गयी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• दलीप सह को रानी के अधीन शासक के प म मा यता द गई


जदान को रीजट और लाल सह को वजीर नयु कया गया। •
चूं क सख संपूण यु तपू त का भुगतान करने म स म नह थे इस लए ज मू
स हत क मीर को गुलाब सह को बेच दया गया और उ ह क मत के प म कं पनी को
लाख पये का भुगतान करना पड़ा। माच को एक अलग सं ध ारा गुलाब सह को
क मीर का ह तांतरण औपचा रक प दया गया।

भैरोवाल क सं ध क मीर के मु े पर सख लाहौर क सं ध से संतु नह थे इस लए


उ ह ने व ोह कर दया। दसंबर म भैरोवाल क सं ध पर ह ता र कये गये। इस सं ध
के ावधान के अनुसार रानी जदान को रीजट के पद से हटा दया गया और पंज ाब के लए
रीजसी काउं सल क ापना क गई। प रषद म सख सरदार शा मल थे जसक अ य ता
अं ेज रे जडट हेनरी लॉरस करते थे।

सरा आं ल सख यु
कारण
थम आं ल सख यु म हार तथा लाहौर और भैरोवाल क सं धय के ावधान सख के लए
अ य धक अपमानजनक थे। रानी जदान ज ह पशनभोगी के प म बनारस भेज ा गया था
के साथ कए गए अमानवीय वहार ने सख क नाराजगी को और बढ़ा दया।

वा षक राज व म वृ के मु े पर मु तान के गवनर मूलराज को हटाकर एक नए सख


गवनर को नयु कया गया।
मूलराज ने व ोह कर दया और नये गवनर के साथ आये दो अं ेज अ धका रय क ह या कर
द । शेर सह को व ोह को दबाने के लए भेज ा गया था ले कन वह वयं मूलराज से जुड़ गया
जससे मु तान म बड़े पैमाने पर व ोह आ। इसे यु का ता का लक कारण माना जा सकता
है। भारत के त कालीन गवनर जनरल लॉड डलहौजी जो एक क र व तारवाद थे को पंज ाब
को पूरी तरह से हड़पने का बहाना मल गया।

यु के म म लॉड
डलहौजी वयं पंज ाब क ओर बढ़े । पंज ाब पर अं तम क ज़ा होने से पहले तीन मह वपूण
लड़ाइयाँ लड़ी ग ।
ये तीन यु थे
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

i कं पनी के कमांडर इन चीफ सर गफ के नेतृ व म रामनगर क लड़ाई। ii


च लानवाला क लड़ाई जनवरी । iii गुज रात क
लड़ाई फरवरी रावल पडी म सख सेना ने आ मसमपण कर
दया और उनके अफगान सहयो गय को भारत से बाहर खदे ड़ दया गया। गुज रात झेलम
नद के तट पर एक छोटा सा शहर है।

प रणाम यु के अंत म आया • म सख सेना और शेर


सह का आ मसमपण • पंज ाब का वलय और उनक सेवा के लए अल ऑफ डलहौजी
को टश संसद का ध यवाद दया गया और पीयरेज म मा वस के प म पदो त द गई
• पंज ाब पर शासन करने के लए तीन सद यीय बोड क ापना जसम लॉरस बंधु
हेनरी और जॉन और चा स मैनसेल शा मल ह गे।

म बोड को र कर दया गया और पंज ाब को एक मु य आयु के अधीन कर दया


गया। जॉन लॉरस पहले मु य आयु बने।

एं लो सख यु का मह व एं लो सख यु ने दोन प को एक सरे क
लड़ने क मता के लए पार रक स मान दया। सख को के व ोह और म भारतीय
वतं ता तक कई अ य अ भयान और यु म टश प से वफादारी से लड़ना था।

टश सव प रता का व तार
शास नक नी त के मा यम से
क अव ध के दौरान कं पनी ारा शाही व तार और टश सव ता को मजबूत करने
क या दो तरफा प त के मा यम से क गई थी ए वजय या यु ारा क जे क नी त और
बी कू टनी त और शास नक तं ारा वलय क नी त। हम पहले ही चचा कर चुके ह क कै से
कं पनी ने एक एक करके बंगाल मैसूर मराठ और सख जैसी मुख भारतीय श य को हराया
और अपने अधीन कया मु य प से उनके खलाफ यु छे ड़कर।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उ ह और काफ धोखे के मा यम से. ले कन कई अ य श य के मामले म अं ेज ने राजन यक


और शास नक नी तयां लागू क । इस संदभ म हम यह दे ख ने के लए वॉरेन हे ट स क रग
फस नी त वेले ले क सहायक गठबंधन क णाली और डलहौजी के पगत के स ांत
का उदाहरण दे सकते ह क भारत म टश भु व का व तार कै से आ।

रग फस क नी त वॉरेन हे ट स ने टश शासन
के एक मह वपूण समय म गवनर जनरल के प म कायभार संभाला जब अं ेज को मराठ
मैसूर और हैदराबाद के श शाली संयोजन का सामना करना पड़ा। उ ह ने रग फस क नी त
का पालन कया जसका उ े य कं पनी क सीमा क र ा के लए बफर जोन बनाना था।
मोटे तौर पर यह अपने वयं के े क सुर ा के लए अपने पड़ो सय क सीमा क र ा
क नी त थी। वारेन हे ट स क यह नी त मराठ और मैसूर के व उसके यु म प रल त
ई। कं पनी के े को मु य खतरा अफगान आ मणका रय और मराठ से था। इन खतर से
सुर ा के लए कं पनी ने अवध क सीमा क र ा को इस शत पर संग ठत करने का बीड़ा
उठाया क नवाब र ा सेना का खच वहन करगे। उस समय अवध क र ा ने बंगाल क र ा
का गठन कया था। इस कार रग फस णाली के तहत लाए गए रा य को बाहरी आ मण
के खलाफ सै य सहायता का आ ासन दया गया था ले कन अपने वयं के खच पर। सरे
श द म इन सहयो गय को सहायक सेनाएँ बनाए रखने क आव यकता थी ज ह कं पनी के
अ धका रय ारा संग ठत सुस त और कमांड कया जाना था ज ह बदले म इन रा य के
शासक ारा भुगतान कया जाना था।

वेले ली क सहायक गठबंधन क नी त वा तव म रग फस णाली का एक व तार


थी जसने भारतीय रा य को टश सरकार पर नभरता क त म लाने क को शश क
थी।

सहायक गठबंधन
सहायक गठबंधन णाली का उपयोग लॉड वेले ली ारा कया गया था जो तक
गवनर जनरल थे एक गठबंधन बनाने के लए
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

भारत म सा ा य. इस णाली के तहत सहयोगी भारतीय रा य के शासक को अपने े के


भीतर टश सेना क ायी तैनाती वीकार करने और उसके रखरखाव के लए स सडी का
भुगतान करने के लए मजबूर कया गया था। साथ ही भारतीय शासक को अपने दरबार म
एक टश रे जडट क नयु के लए भी सहमत होना पड़ा। इस व ा के तहत भारतीय
शासक अं ेज क पूवानुम त के बना कसी भी यूरोपीय को अपनी सेवा म नयु नह कर
सकता था। न ही वह गवनर जनरल क सलाह के बना कसी अ य भारतीय शासक से बातचीत
कर सकता था। इन सबके बदले म अं ेज शासक को उसके श ु से बचाते थे और म रा य
के आंत रक मामल म ह त ेप न करने क नी त अपनाते थे।

सहायक गठबंधन ने टश नयं ण के तहत े का व तार करके और स सडी


और या े म सापे शां त लाकर ई ट इं डया कं पनी को भारी लाभ प ंचाया।

अके ले वेलेज ली के सात वष के शासन काल म भारत के से अ धक छोटे बड़े रा य ने


सहायक सं ध पर ह ता र कये।
वकास और पूण ता संभवतः डु ले स ही था
जसने सबसे पहले कराये पर दया था ऐसा कहा जा सकता है
यूरोपीय सै नक भारतीय शासक को अपने यु लड़ने के लए भेज ते थे। तब से लाइव के
बाद से लगभग सभी गवनर जनरल ने इस णाली को व भ भारतीय रा य म लागू कया
और इसे लगभग पूण ता तक प ंचाया।

इस सुर ा जाल म फं सने वाला पहला भारतीय रा य जसने सहायक गठबंधन


णाली क आशंक ा जताई थी अवध था जसने म एक सं ध पर ह ता र कए जसके
तहत कं पनी ने इस शत पर अवध क सीमा क र ा करने का वचन दया क नवाब इस तरह
क र ा का खच वहन करेगा। संभवतः नवाब को बोनस के प म एक टश रे जडट को
वहां क ग त व धय पर नज़र रखने के लए लखनऊ म तैनात कया गया था।

म कं पनी ने इस बात पर जोर दया क सहायक रा य के वदे शी संबंध नह होने चा हए।


इसे कनाटक के नवाब के साथ सं ध म शा मल कया गया था जस पर कॉनवा लस ने फरवरी
म ह ता र कए थे। यह वाभा वक था क सुर ा धन या स सडी के बदले म े के
अ ध हण क मांग क जाएगी। यह अ य धक ऊँ चे तर पर तय कया गया था जसका भुगतान
गरीब शासक नह कर सकते थे और वे आमतौर पर करते थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बकाया हो गया. सहायक सेना के रखरखाव के लए पूण सं भुता म े के आ मसमपण


के लए बातचीत करने को एक सामा य नयम बनाना वेले ले क तभा थी।

सहायक गठबंधन के योग के चरण असं द ध भारतीय रा य पर सहायक


गठबंधन के योग के चार चरण थे और इ ह कपटपूण तरीके से लागू कया गया था। पहले
चरण म कं पनी ने एक म वत भारतीय रा य को अपने सै नक के साथ कसी भी यु म
लड़ने म मदद करने क पेशकश क जसम रा य शा मल हो सकता है। सरे चरण म
भारतीय रा य के साथ एक सामा य कारण बनाना और अब उसके साथ मैदान म उतरना
शा मल था। अपने सै नक और रा य के । अब तीसरा चरण आया जब भारतीय सहयोगी से
आदमी नह ब क पैसा मांगा गया। कं पनी ने वादा कया क वह टश अ धका रय के
अधीन सै नक क एक न त सं या म भत श ण और रखरखाव करेगी और यह
टु क ड़ी शासक को उसक गत और पा रवा रक सुर ा के साथ साथ हमलावर को
बाहर रखने के लए एक न त रा श के लए उपल होगी। धन। चौथे या अं तम चरण म
धन या सुर ा शु क आमतौर पर उ तर पर तय कया जाता था जब रा य समय पर धन
का भुगतान करने म वफल रहा तो उसे भुगतान के बदले म अपने े के कु छ ह स को
कं पनी को स पने के लए कहा गया।

रा य के मामल म कं पनी का वेश शु हो गया था अब यह टश रे जडट सं ध


के तहत रा य क राजधानी म ा पत पर नभर करेगा क वह अं तम वलय क या
को शु करे बनाए रखे और उसम तेज ी लाए।

दे ख
वेले ली ने टश सा ा य भारत को टश सा ा य भारत म बदल म दया। भारत म राजनी तक
श य म सेका एक से कं पनी भारत म सव श बन गई और पूरे दे श पर अपना एकमा संर क
होने का दावा कया। वेले ली के समय से ही भारत क र ा कं पनी क ज मेदारी थी।

सडनी जे. ओवेन वेले ले के ड ैच से चयन


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टश श का व तार और सु ढ़ करण

जन रा य ने गठबंधन वीकार कया


सहायक व ा वीकार करने वाले भारतीय राजा थे
हैदराबाद के नज़ाम सतंबर और
मैसूर के शासक तंज ौर के शासक अ टू बर
अवध के नवाब नवंबर पेशवा दसंबर
बरार के भ सले राजा दसंबर द
स या फरवरी जोधपुर जयपुर के राजपूत रा य
माचेरी बूंद तथा भरतपुर का शासक ।
हो कर इसे वीकार करने वाले अं तम मराठा संघ थे
म सहायक सं ध।

के औप नवे शक कायालय के एक पेपर म नह े ढं ग से कहा गया है क टे न जैसा।
एक समु या ा और ापा रक रा ... लंबे समय से कले टर था
प और ाय प । एक ब उ त ट पणी म सर जॉन
सीली कै ज म आधु नक इ तहास के रे गयस ोफे सर
म कु छ ऐसा ही कहा था हम ऐसा लगता है जैसे यह था
बना सोचे समझे आधी नया पर क ज़ा कर लया और उस पर क ज़ा कर लया।
इसका वह मतलब ब कु ल नह था जो यह कहा जा रहा था सीली का या मतलब था
यह था क टे न क इसके पीछे कोई नी त नह थी सुसंगत
शाही व तार. नी तय का एक असंगत सेट था।
के पेपर म बताया गया क प का सं ह और
ापार और समु माग क सुर ा के लए ाय प को इक ा कया गया था।
सा ा य का उ े य वाथ था... ेरणा म शा मल था
इ ा क जो आपस म जुड़ी ई ह धन क इ ाएं रणनी तक क इ ाएं
संप जससे धन क र ा क जा सके और त ा के लए
धन का अप रहाय सहवत । इस या म सं याहीन
सैक ड़ हजार मूल नवासी आबाद का क लेआ म कया गया
...लगभग हमेशा वषय दौड़ता है यहां तक क सबसे प र कृ त भी
और उनके बीच श त माना और बनाया गया था
शासक जा त से हीन महसूस करना।
वा टर रीड रखते ए गहना म ताज

लासी के सौ वष के बाद ई ट इं डया कं पनी


उ ीसव सद क शु आत म पु ष क सेना के साथ
सद और टश सरकार और संसद का समथन
जनके कई सद य उ म म शेयरधारक थे
भारत के अ धकांश भाग पर अपना नयं ण बढ़ाया। कं पनी जीत गयी
और कई अब तक वतं या वाय को समा हत कर लया
रा य ने लंदन से नयु उ ज मे गवनर जनरल क एक ृंख ला के मा यम से कायकारी ा धकार लगाया
व नय मत कया
दे श का ापार करती थी कर वसूल करती थी और सब पर अपनी आ ा लागू करती थी
भारतीय जीवन के पहलू.
शशथ र एक युग का अंधेरा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

चूक का स ांत सरल श द म


स ांत म कहा गया है क द क पु अपने पालक पता क नजी संप का उ रा धकारी हो
सकता है ले कन रा य का नह यह नणय करना सव प र श अं ेज का काम था क
रा य को द क पु को स प दया जाए या उस पर क जा कर लया जाए। इस स ांत को ह
कानून और भारतीय री त रवाज पर आधा रत बताया गया था ले कन ह कानून इस ब
पर कु छ हद तक अ नणायक तीत होता था और एक भारतीय सं भु ारा अपने जागीरदार
के रा य को चूक के कारण अपने अ धकार म लेने के उदाहरण अथात् कु छ भी नह छोड़ने
पर वा रस के प म मु ा ब क लभ थे।

महाराजा रणजीत सह ने चूक के कारण अपनी कु छ सामंती रयासत पर क ज़ा कर लया


था। इसी तरह कं पनी ने म उ रा धका रय के अभाव म कु छ छोटे सस सतलज रा य
का अ ध हण कर लया। बहरहाल कसी द क पु को पूरे रा य से वं चत करने या ऐसे रा य
को चूक मानने का कोई उदाहरण नह था।

हालाँ क इस नी त का ेय लॉड डलहौजी को दया जाता है ले कन वह


इसके वतक नह थे। यह संयोग ही था क उनके गवनर जनरल रहने के दौरान कई मह वपूण
मामले सामने आये जनम स ांत को लागू कया जा सका। डलहौजी ने इस नी त को लागू
करने म ब त अ धक उ साह दखाया जसे पछले कु छ अवसर पर सै ां तक प से
तपा दत कया गया था। उनके पूवव तय ने वलय से बचने के सामा य स ांत पर काम
कया था य द इसे टाला जा सकता था बदले म डलहौजी ने वलय के सामा य स ांत पर
काम कया य द वह वैध तरीके से ऐसा कर सकता था।

पगत रा य पर क ज़ा यह संयोग क
बात थी क लॉड डलहौजी के कायकाल के दौरान रा य के कई शासक बना कसी पु ष के
मर गए और सात रा य को हड़प स ांत के तहत हड़प लया गया। इनम से सबसे मह वपूण
सतारा झाँसी और नागपुर थे। अ य छोटे रा य म जैतपुर बुंदेलखंड
संभलपुर उड़ीसा और बघाट म य दे श शा मल थे।

लॉड डलहौजी ने म पद युत होने के बाद अवध पर क ज़ा कर लया


कु शासन के आधार पर नवाब वा जद अली शाह।
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टश श का व तार और सु ढ़ करण

अवध का वलय
सहायक गठबंधन के तहत लाए गए जी वत रा य म अवध सबसे पुराना था और इस णाली के
ू र भाव के प रणाम व प वष क लंबी अव ध तक फजूलखच और फजूलखच वाले नवाब के
अधीन इसका नरंतर कु शासन रहा।

लोग को नवाब ारा लगाए गए भारी कर के साथ साथ उसके अ धका रय और तालुक दार ारा
क जाने वाली अवैध वसूली से भी परेशानी उठानी पड़ी। राजकोष का द घका लक दवा लयापन आं शक
प से सहायक सै नक के रखरखाव के लए टश सरकार ारा वसूले गए भारी शु क के कारण था।
इसके अलावा अवध के मामल से पूरी तरह असंब उ े य के लए लॉड हे ट स लॉड एमह ट और लॉड
व लयम ब टक ारा बड़े योगदान दए गए। म नवाब को राजा क उपा ध और दजा दया गया।

लॉड डलहौजी ने अवध के रे जडट लीमन को पूरे रा य का दौरा करने और गत नरी ण


करके वा त वक त का पता लगाने का नदश दया। रे जडट ने रा य क अराजक त का वणन
करते ए एक रपोट तुत क । म आउ म ारा उ ह नवासी के प म उ रा धकारी बनाया गया
ज ह ने अपने पूववत के समथन म एक रपोट तुत क । डलहौजी ने अ तवाद कदम अथात् वलय करने
म झझक महसूस क उ ह ने ायी टश शासन को ाथ मकता द जसम नवाब ने अपनी उपा धयाँ
और पद बरकरार रखा। ले कन डायरे टस कोट ने सहासन के वलय और उ मूलन का आदे श दया
। वा जद अली शाह ने अपने अ धकार दे ने वाली सं ध पर ह ता र करने से इनकार कर दया और
उ ह कलक ा म नवा सत कर दया गया। यह एक राजनी तक भूल थी जसके लए अं ेज को के
व ोह के दौरान भारी क मत चुक ानी पड़ी।

इस कार डलहौजी ने गवनर जनरल के प म अपने आठ साल के कायकाल


के दौरान आठ रा य पर क ज़ा कर लया। इन आठ वष म उसने भारत के
लगभग सवा लाख वग मील भूभाग पर क ज़ा कर लया। उनके शासनकाल म भारत म टश
स ा के व तार क या लगभग पूरी हो गई जो म लासी म सराजु ौला पर जीत
के साथ शु ई।

टश भारत के साथ संबंध


पड़ोसी दे श
े म अपनी शास नक और राजनी तक श को मजबूत करने क टश सा ा यवा दय
क इ ा ने उ ह भारत के पड़ोसी दे श के साथ संघष म धके ल दया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

एं लो भूटानी संबंध म असम पर क जे के कारण


टश का भूटान के पवतीय रा य से नकट संपक हो गया। असम और बंगाल के आसपास के
े म भूटा नय ारा लगातार छापे और म ए गन के त के साथ कया गया बुरा
वहार और उस पर थोपी गई सं ध जसके ारा अं ेज को असम क ओर जाने वाले माग को
स पने के लए मजबूर होना पड़ा जसके कारण टश ने असम पर क ज़ा कर लया। ये पास
और भूटा नय को दया जाने वाला भ ा बंद कर दया गया। म भूटा नय को वा षक
स सडी के बदले म पास सरडर करने के लए मजबूर कया गया था।

यह आ मसम पत जला था जो चाय बागान वाला एक उ पादक े बन गया।

आं ल नेपाली संबंध
म गोरखा ने भटगांव के रणजीत म ल के उ रा धका रय से नेपाल का नयं ण छ न
लया। उ ह ने पहाड़ से परे अपने भु व का व तार करना शु कर दया। उ ह द णी दशा म
व तार करना आसान लगा य क उ र ची नय ारा अ तरह से सुर त था। म
अं ेज ने गोरखपुर पर क ज़ा कर लया जससे गोरखा क सीमा और कं पनी क सीमा एक
हो गई। यह संघष लॉड हे ट स के काल म गोरखा ारा बुटवल और योराज पर
क ज़ा करने के कारण शु आ। यु क सगौली क सं ध के साथ समा त आ जो
अं ेज के प म थी।

सं ध के अनुसार • नेपाल ने
एक टश नवासी को वीकार कया। • नेपाल ने गढ़वाल
और कु माऊं के जल को स प दया और तराई पर अपना दावा छोड़ दया। • नेपाल भी
स कम से हट गया।

इस समझौते से अं ेज को कई फायदे ए • टश सा ा य अब हमालय तक प ंच


गया • इसे म य ए शया के साथ ापार क बेहतर सु वधाएँ ा त • इसने
शमला जैसे हल टे शन के लए ल का अ ध हण कया।

मसूरी और नैनीताल और
• गोरखा बड़े पैमाने पर टश भारतीय सेना म शा मल हो गये
नंबर.
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

आं ल बम संबंध
व सद क शु आत म बमा एक वतं दे श था और प म क ओर व तार करना चाहता
था। बमा के वन संसाधन के लालच बमा म टश व नमाण के लए बाजार और बमा और
शेष द ण पूव ए शया म ांसीसी मह वाकां ा क जांच करने क आव यकता से े रत
अं ेज के व तारवाद आ ह के प रणाम व प तीन एं लो बम यु ए और अंत म
म बमा का टश भारत म वलय।

थम बमा यु
बमा के साथ पहला यु तब लड़ा गया जब बमा का प म क ओर व तार और अराकान और
म णपुर पर क ज़ा और असम और पु घाट के लए खतरा उ ीसव सद के शु आती
दशक म बंगाल और बमा के बीच अ सीमा पर लगातार घषण का कारण बना। शतक। मई
म टश अ भयान दल ने रंगून पर क ज़ा कर लया और राजधानी अवा के कमी
के भीतर प ँच गये।

म यंदाबो क सं ध के साथ शां त ा पत ई जसके तहत बमा क सरकार को शां त


दान क गई
• यु मुआ वजे के प म एक करोड़ पये का भुगतान कर • अराकान
और तेनासे रम के अपने तट य ांत को स प दया • असम कछार और ज तया पर
दावा छोड़ • म णपुर को एक वतं रा य के प म मा यता दे ना • टे न के
साथ एक वा ण यक सं ध पर बातचीत और • पो ट करते समय एवा म
एक टश नवासी को वीकार कर

कलक ा म बम त।

सरा बमा यु
तीय यु अं ेज क ापा रक आव यकता तथा लाड डलहौजी क सा ा यवाद नी त का
प रणाम था। टश ापारी ऊपरी बमा के लकड़ी संसाधन पर क ज़ा करने के इ ु क थे
और बम बाज़ार म और अ धक पैठ बनाने क भी को शश कर रहे थे। इस बार अं ेज ने बमा
के एकमा बचे ए तट य ांत पेगु पर क ज़ा कर लया। नचले बमा पर पूण टश नयं ण
ा पत करने से पहले एक ती गु र ला तरोध पर काबू पाना पड़ा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

तीसरा बमा यु
बम राजा भडन क मृ यु के बाद उसका पु थबॉ ग पर बैठा। थबॉ शु से ही अं ेज के
त श ुतापूण था। रंगून और नचले बमा के टश ापारी थबॉ के सौतेले वहार के बारे
म शकायत कर रहे थे जो ांस जमनी और इटली क त ं श य के साथ वा ण यक
सं धय पर भी बातचीत कर रहे थे। ांसी सय ने उस समय मांडले से ांसीसी े तक रेल
संपक बछाने क भी योजना बनाई थी जब अं ेज नाइजर म और मेडागा कर म ांसी सय
के साथ संघष म थे। थबॉ ारा एक टश लकड़ी कं पनी पर अपमानजनक जुमाना लगाया
गया था। डफ़ रन ने म ऊपरी बमा पर आ मण और अं तम क ज़े का आदे श दया।

इसके तुरंत बाद अं ेज को पूरे बमा म एक मजबूत गु र ला व ोह और थम व


यु के बाद एक रा वाद आंदोलन का सामना करना पड़ा। बम रा वा दय ने भारतीय रा ीय
कां ेस से हाथ मलाया। इस कड़ी को कमजोर करने के लए म बमा को भारत से अलग
कर दया गया। तीय व यु के दौरान यू आंग सान के तहत बमा का रा वाद आंदोलन
और तेज हो गया जसके प रणाम व प अंततः जनवरी को बमा को आजाद
मली।

आं ल त बती संबंध
त बत पर चीन क नाममा आ धप य के तहत बौ भ ु लामा के धमत का शासन
था। त बत के साथ मै ीपूण और वा ण यक संबंध ा पत करने के टश यास का अतीत
म कोई प रणाम नह नकला था और कजन के भारत आगमन के समय तक ग तरोध आ गया
था। त बत पर चीनी आ धप य अ भावी था और हासा पर सी भाव बढ़ रहा था। त बत
म सी ह थयार और गोला बा द आने क खबर थ । कज़न को चता ई और उसने त ब तय
को एक समझौते पर आने के लए बा य करने के लए कनल यंगहसबड के नेतृ व म एक छोट
गोरखा टु क ड़ी को एक वशेष मशन पर त बत भेज ा। त ब तय ने बातचीत करने से इनकार
कर दया और अ हसक तरोध क पेशकश क । यंगहसबड ने हासा म अपना रा ता बना
लया अग त जब क दलाई लामा भाग गए।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

हासा क सं ध
यंगहसबड ने त बती अ धका रय को शत तय क जसम यह ावधान था

• त बत त वष एक लाख पये क दर से लाख पये क तपू त का भुगतान


करेगा • भुगतान क सुर ा के प म भारत सरकार
वष के लए चु बी घाट भूटान और स कम के बीच का े पर क ज़ा करेगी •
त बत स कम क सीमा का स मान करेगा • यातुंग या से गारटोक म े ड माट खोले
जायगे और • त बत कसी भी वदे शी
रा य को रेलवे सड़क टे ली ाफ आ द के लए कोई रयायत नह दे गा
ले कन ेट टे न को त बत के वदे शी मामल पर कु छ नयं ण दे गा।

बाद म रा य स चव के आ ह पर और स को द गई त ा के अनु प सं ध को
संशो धत कया गया और तपू त को लाख पये से घटाकर लाख पये कर दया गया
और तीन साल के बाद चु बी घाट को खाली करने का ावधान कया गया घाट वा तव म
खाली हो गई थी के वल जनवरी म।

पूरे मामले से अंत म के वल चीन को ही मह व ा त आ य क के एं लो सी


स मेलन म ावधान था क दोन महान श यां चीनी सरकार क म य ता के अलावा त बत
के साथ बातचीत नह करगी ।

हालाँ क कजन क नी त ने त बत म सभी सी योजना का तकार कया।

आं ल अफगान संबंध
उ ीसव सद क शु आत म फारस म सी भाव म वृ ने टश भाव को बदल दया
और यू े ट् स नद के मा यम से भारत के लए एक नया माग ा पत करने क अं ेज ी योजना
को वफल कर दया। वशेषकर तुक मानचाई क सं ध के बाद अं ेज भारत के संबंध
म संभा वत सी योजना के बारे म च तत हो गए। ज द ही भारतीय प क ओर से एक
वै ा नक सीमा क खोज क जाने लगी। उ र प म के दर भारत म वेश क कुं जी तीत
होते थे। अफ़ग़ा न तान पर अं ेज़ के म कसी शासक का नयं ण होना आव यक महसूस
कया गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ऑकलड क फॉरवड पॉ लसी म गवनर


जनरल बनकर भारत आए ऑकलड ने फॉरवड पॉ लसी क वकालत क । इसका ता पय यह
था क भारत म कं पनी सरकार को संभा वत सी हमले से टश भारत क सीमा क र ा के
लए वयं पहल करनी होगी।

इस उ े य को या तो पड़ोसी दे श के साथ सं धय के मा यम से या उ ह पूरी तरह से अपने म


मला कर हा सल कया जाना था।
अफगा न तान के अमीर दो त मोह मद टश म ता चाहते थे ले कन पेशावर को सख से
वापस पाने म अं ेज क मदद क शत रखी एक ऐसी शत जसे भारत म टश सरकार ने
अ वीकार कर दया। दो त मोह मद ने अब मदद के लए स और फारस का ख कया। इसने
टश सरकार को अ गामी नी त के साथ आगे बढ़ने के लए े रत कया और टश सख
और शाह शुज ा ज ह म अफगान सहासन से हटा दया गया था और तब से वे वहां रह
रहे थे ारा एक प ीय सं ध क गई। लु धयाना म टश पशनभोगी । सं ध म यह
ावधान कया गया क

• क सश सहायता से शाह शुज ा को राजग पर बैठाया गया


सख कं पनी पृ भू म म बनी ई है पैसे क थैली झनझना रही है

• शाह शुज ा वदे शी मामल को सलाह से संचा लत करते थे


सख और अं ेज का
• शाह शुज ा ने बड़ी धनरा श के बदले म सध के अमीर पर अपना सं भु अ धकार
छोड़ दया • शाह शुज ा ने सधु नद के दा हने कनारे पर अफगान े पर
सख शासक महाराजा रणजीत सह के दाव को मा यता द ।

थम आं ल अफगान यु
क प ीय सं ध के तुरंत बाद मूल परेशा नय को र करने के कारण े क
राजनी तक त म भारी बदलाव आया फारस ने हेरात क घेराबंद हटा ली और स ने
काबुल से अपने त को वापस बुला लया।

फर भी अं ेज ने अपनी अ गामी नी त पर आगे बढ़ने का नणय लया। इसके प रणाम व प


थम अफगान यु आ।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

. टश का इरादा उ र प म से आ ामक योजना के खलाफ एक ायी अवरोध


ा पत करना था।
एक सफल हमले के बाद अं ेज ी सेना ने वजयी होकर काबुल म वेश कया अग त
। अ धकांश जनजा तय को पहले ही र त से जीत लया गया था। दो त मोह मद ने
आ मसमपण कर दया और शाह शुज ा को अफगा न तान का अमीर बनाया गया।
ले कन शाह शुज ा अफगान को अ वीकाय था।

जैसे ही अं ेज वापस चले गए अफगान व ोह पर उतर आए और काबुल म गैरीसन कमांडर


क ह या कर द । अं ेज को अफगान मुख के साथ एक सं ध पर ह ता र करने के
लए मजबूर कया गया जसके ारा वे अफगा न तान को खाली करने और दो त मोह मद को
बहाल करने के लए सहमत ए। पर तु अं ेज़ क योजना वफल रही।

एक नए अ भयान के तहत अं ेज ने सतंबर म काबुल पर फर से क जा कर लया


ले कन अपना सबक अ तरह से सीखने के बाद वे दो त मोह मद के साथ एक समझौते पर
प ंचे जसके ारा अं ेज ने काबुल को खाली कर दया और उ ह अफगा न तान के वतं
शासक के प म मा यता द ।

थम अफगान यु म भारत को डेढ़ करोड़ पये और लगभग सै नक खच


करने पड़े।

जॉन लॉरस और मा टरली न यता क नी त जॉन लॉरस


ने मा टरली
न यता क नी त शु क जो थम अफगान यु क आपदा क त या थी और
ावहा रक सामा य ान और सीमांत सम या के गहन ान का प रणाम थी। आजाद के लए
अफगान जुनून. म जब दो त मोह मद क मृ यु ई तब भी उ रा धकार के यु म कोई
ह त ेप नह आ।

लॉरस क नी त दो शत क पू त पर टक थी i क सीमा पर शां त न हो

दे ख सर
जॉन लॉरस क वदे श नी त आ म नभरता और आ म संयम क नी त थी अव ा क नह ब क
र ाक ती ा करने और दे ख ने क नी त थी क अगर आ ामक कारवाई का समय कभी आया
तो वह और अ धक मजबूत और सही दशा म हमला करने म स म हो सकते ह। .

आरबी मथ के जीवनी लेख क जॉन लॉरस


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

परेशान और ii गृहयु म कसी भी उ मीदवार ने वदे शी मदद नह मांगी। और जैसे ही शेर


अली ने खुद को सहासन पर ा पत कया लॉरस ने उसके साथ दो ती बढ़ाने क को शश
क।

लटन और ाउड रजव क नी त बजा मन डसरायली के तहत


कं जव टव सरकार के एक ना मत लटन म भारत के वायसराय बने। उ ह ने
ाउड रजव क एक नई वदे श नी त शु क जसका उ े य वै ा नक होना था। सीमा
और भाव े क सुर ा करना। लटन के अनुसार अफगा न तान के साथ संबंध को अब
अ नह छोड़ा जा सकता।

सरा आं ल अफगान यु
लटन ने शेर अली को एक अनुकू ल सं ध क पेशकश क ले कन अमीर अपने दोन श शाली
पड़ो सय स और टश भारत के साथ दो ती चाहता था जब क दोन को एक हाथ क
री पर रखा गया था। बाद म शेर अली ने काबुल म टश त रखने से इनकार कर दया
जब क पहले उसने सय को इसी तरह क रयायत द थी। लटन अ स था और जब
सय ने काबुल से अपना त वापस ले लया तो लटन ने अफगा न तान पर आ मण करने
का नणय लया। टश आ मण का सामना करते ए शेर अली भाग गया और शेर अली के
सबसे बड़े बेटे याकू ब खान के साथ गंडामक क सं ध मई पर ह ता र कए गए।

गंडामक क सं ध मई सं ध पर ह ता र कये गये


तीय एं लो अफगान यु के बाद यह ावधान कया गया
• अमीर अपनी वदे श नी त भारत सरकार क सलाह से संचा लत करता है • काबुल
म एक ायी टश नवासी तैनात
कया जाए
और
• भारत सरकार आ मर को वदे शी आ मण के व पूरा समथन और वा षक
स सडी दे ती है।
ले कन ज द ही जनता के दबाव म याकू ब को ग छोड़नी पड़ी और अं ेज को काबुल
और कं धार पर दोबारा क ज़ा करना पड़ा। अ र रहमान नये अमीर बने। लटन ने अफ़ग़ा न तान
के वखंडन क योजना बनाई परंतु वह उसे या वत नह कर सका।

रपन ने इस योजना को याग दया और अफगा न तान को एक बफर रा य के प म रखने


क नी त पर नणय लया।
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टश श का व तार एवं सु ढ़ करण

थम व यु और सी ां त के बाद अफगान ने पूण वतं ता क


मांग क । हबीबु लाह जो म अ र रहमान के उ रा धकारी बने म मारे गए
और नए शासक अमामु ला ने अं ेज के खलाफ खुले यु क घोषणा क । शां त म
आई जब अफगा न तान ने वदे शी मामल म वतं ता हा सल क ।

टश भारत और
उ रप म सीमा

एक के बाद एक भारतीय शासक ने वै ा नक सीमा क तलाश म सधु और अफगा न तान के


बीच त इस े तक प ंचने क को शश क । सध क वजय और पंज ाब पर
क ज़ा ने टश सीमा को सधु से आगे बढ़ाया और उ ह बलूच और पठान
जनजा तय के संपक म लाया जो यादातर वतं थे ले कन अफगा न तान के अमीर ने उन
पर नाममा आ धप य का दावा कया।

के दौरान गल गत घाट म ंज ा नगर पर टश क जे ने जो च ाल के


साथ संचार के लए माग थे अ र रहमान अफगा न तान के अमीर को च तत कर दया।
अंततः अफगान और टश े के बीच एक सीमा रेख ा ख चकर समझौता कया गया जसे
डू रंड रेख ा के नाम से जाना जाता है। अमीर को कु छ जले मले और उसक स सडी बढ़ा द
गई। ले कन डू रंड समझौता शां त बनाए रखने म वफल रहा और ज द ही आ दवासी
व ोह ए। इ ह रोकने के लए च ाल म एक ायी टश गैरीसन क ापना क गई और
मलकं द दर क सुर ा के लए सै नक को तैनात कया गया ले कन आ दवासी व ोह
तक जारी रहा।

और के बीच वायसराय रहे कज़न ने वापसी और एका ता क नी त का


पालन कया। टश सै नक उ त चौ कय से हट गए जनक जगह आ दवासी लेवी ने ले ली
श त और कमान टश अ धका रय ने संभाली। उ ह ने आ दवा सय को शां त बनाए
रखने के लए भी ो सा हत कया. उ ह ने सीधे भारत सरकार के अधीन उ र प म सीमांत
ांत एनड यूएफपी बनाया पहले यह पंज ाब के ले टनट गवनर के नयं ण म था । कु ल
मलाकर कज़न क नी तयाँ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

प रणाम व प एक शां तपूण उ र प मी सीमा तैयार ई। उसके बाद कभी कभार जनजातीय
व ोह के साथ शां तपूण तयाँ जारी रह । जनवरी म यह घोषणा क गई क
एनड यूएफपी को गवनर ांत के प म ग ठत कया जाएगा। से यह ांत पा क तान
का है।

सारांश
वे कारक ज ह ने भारत म अं ेज को सफलता दलाई

सुपी रयर आ स
सै य अनुशासन
नाग रक अनुशासन
शानदार नेतृ व जसने बेईमान था को अपनाने क परवाह नह क

व ीय श
रा वाद गौरव

अं ेज़ और बंगाल के नवाब के बीच संघष


• लासी क लड़ाई जून सराज उद दौला पर रॉबट लाइव क जीत ने भारत म टश शासन
क े ीय न व रखी।

• ब सर क लड़ाई बंगाल के नवाब अवध के नवाब और मुगल स ाट क संयु सेना पर लाइव


क ब सर क जीत ने अं ेज ी श क वा त वक न व रखी •इलाहाबाद क सं ध बंगाल के
अ धकार दान कये गये अं ेज को बहार और उड़ीसा। i अवध के नवाब के साथ सं ध ii मुगल
स ाट शाह आलम तीय के साथ सं ध • दोहरी सरकार द वानी

मैसूर पर टश वजय
• थम आं ल मैसूर यु म ास क सं ध • तीय आं ल मैसूर यु
मगलोर क सं ध • तृतीय आं ल मैसूर यु से रगप म क सं ध • चतुथ आं ल मैसूर यु
मैसूर पर क ज़ा कर लया गया है

टश सेना

वच व के लए आं ल मराठा संघष • थम आं ल मराठा यु


सूरत क सं ध
पुरंधर क सं ध और सालबाई क सं ध • तीय आं ल मराठा यु
बे सन क सं ध • तीसरा आं ल मराठा यु
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टश श का व तार और सु ढ़ करण

• मराठ क हार के कारण i अयो य नेतृ व ii रा य क दोषपूण


कृ त iii ढ ली राजनी तक
व ा iv न न सै य व ा v अ र
आ थक नी त vi े अं ेज ी कू टनी त
और जासूसी vii ग तशील अं ेज ी
कोण

सध क वजय
• लॉड एलेनबरो भारत के गवनर जनरल थे

पंज ाब क वजय • अमृतसर क


सं ध रणजीत सह और अं ेज़ • थम आं ल सख यु • तीय आं ल सख
यु

कारवाई म टश सव ता • वॉरेन हे ट स क रग
बाड़ नी त

वेले ले क सहायक गठबंधन


• स सडी वाले रा य
हैदराबाद
मैसूर
तंज ौर अ टू बर
अवध नवंबर
पेशवा दसंबर
बरार का भ सले दसंबर
स या फरवरी
जोधपुर
जयपुर
मचेरी
बूंद
भरतपुर

पगत का स ांत • लॉड


डलहौजी के अधीन पगत रा य
सतारा
संभलपुर
भगत
उदयपुर
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नागपुर
झाँशी
अवध कु शासन के आरोप म

टश भारत के पड़ोसी दे श के साथ संबंध • एं लो नेपाल संबंध सगौली क सं ध •


एं लो बमा संबंध

थम आं ल बमा यु
तीय आं ल बमा यु
तीसरा आं ल बमा यु

• आं ल त बती संबंध
हासा क सं ध

• आं ल अफगान संबंध
ऑकलड क फॉरवड नी त
थम आं ल अफगान यु
जॉन लॉरस क उ कृ न यता क नी त
लटन और ाउड रजव क नी त
सरा आं ल अफगान यु
गंडामक क सं ध मई

•उ रप म सीमा

डू रंड समझौता
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यू नट III

उभरता आ
के खलाफ
नाराजगी
कं पनी
नयम
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से पहले अं ेज के व जनता का तरोध

जनता का वरोध
से पहले अं ेज

हमम से अ धकांश लोग के व ोह को टश के खलाफ आ ोश का पहला बड़ा


दशन मानते ह जनका त न ध व ई ट इं डया कं पनी के शासन ारा कया गया था।
हालाँ क के व ोह से पहले ऐसी कई घटनाएँ जनसे संके त मलता था क सब कु छ
ठ क नह था और वदे शी शासन के खलाफ आ ोश बढ़ रहा था। यह आ ोश भारत के
वभ े म लोग के व भ समूह ारा तरोध के कई मुक ाबल म कट आ।

जन तरोध मतलब
टश शासन के खलाफ लोग के तरोध के संदभ म लोग श द म भारतीय समाज के कई
वग शा मल ह जो वदे शी शासन से भा वत थे। कसान कारीगर आ दवा सय शासक वग
स य या बेदखल सै य क मय कं पनी के अधीन और साथ ही पूव शासक के वघ टत
सै नक धा मक नेता ह और मु लम आ द ने सुर ा के लए लड़ाई लड़ी। उनके हत
कभी कभी अलग अलग और कभी कभी एक साथ। औप नवे शक सरकार ारा लगाए गए
हाउस टै स के खलाफ म बनारस म आंदोलन नमक शु क के खलाफ म सूरत
दं गे पु लस टै स और नगरपा लका कर के खलाफ म बरेली म व ोह शहरी आंदोलन
के कु छ उदाहरण ह जनम नचले तबके के लोग शा मल थे। कारीगर छोटे कानदार और जैसे
वग
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शहरी गरीब ने समृ शहरी कु लीन वग के साथ मलकर लड़ाई लड़ी। इन तरोध के हत इस
अथ म भ थे क येक वग क अलग अलग शकायत थ ले कन वे एक ही उ े य पर
सहमत थे टश शासन को समा त करना।

बपन चं ा के अनुसार लोग के तरोध ने तीन ापक प लए नाग रक व ोह


आ दवासी व ोह और कसान आंदोलन। हमने लोग के तरोध के अ ययन को और अ धक
ापक बनाने के लए सै य व ोह को भी लोग के तरोध का एक प माना है जसम कं पनी
क सेना म कायरत भारतीय शा मल थे।

जन तरोध क उ प
पूव औप नवे शक भारत म शासक और उनके अ धका रय के खलाफ लोग का वरोध
असामा य नह था रा य ारा उ भू म राज व क मांग आचरण और अ धका रय का
स त रवैया कु छ भड़काने वाले कारक थे। हालाँ क औप नवे शक शासन क ापना और
उसक नी तय का सम प से भारतीय पर कह अ धक वनाशकारी भाव पड़ा। उनक
शकायत सुनने वाला या उनक सम या पर यान दे ने वाला कोई नह था। कं पनी को के वल
नकालने म च थी

आय।
औप नवे शक कानून और यायपा लका ने सरकार और उसके सहयो गय जम दार
ापा रय और सा कार के हत क र ा क । इस कार लोग के पास कोई वक प नह
बचा और उ ह ने ह थयार उठाकर अपनी र ा करने का फै सला कया। जनजातीय लोग क
पर तयाँ मु य भू म म रहने वाले लोग से भ नह थ ले कन उनक वतं जनजातीय
राजनी त म बाहरी लोग के अ त मण ने उ ह और अ धक पी ड़त और हसक बना दया।

जन व ोह के कारक कं पनी शासन के व लोग के आ ोश एवं व ोह के लए


उ रदायी मुख कारक इस कार ह।

• औप नवे शक भू राज व ब तयाँ नए कर का भारी बोझ कसान को उनक ज़मीन


से बेदखल करना और आ दवा सय क ज़मीन पर अ त मण।
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से पहले अं ेज के व जनता का तरोध

• ामीण समाज म म य राज व सं ाहक करायेदार और सा कार क वृ के


साथ शोषण। • जनजातीय भू म पर राज व शासन के व तार के कारण कृ ष और वन भू म
पर
जनजातीय लोग का क ज़ा ख़ म हो गया।

• टश न मत व तु को बढ़ावा भारतीय उ ोग पर भारी शु क वशेषकर नयात


शु क जससे भारतीय हथकरघा और ह त श प उ ोग तबाह हो गए। • वदे शी उ ोग के
वनाश से मक का उ ोग से कृ ष क ओर पलायन आ जससे भू म कृ ष पर दबाव बढ़ा।

नाग रक व ोह
स वल श द म वह सब कु छ शा मल है जो र ा सै य से संबं धत नह है ले कन यहां हमने
उन व ोह को शा मल कया है जनका नेतृ व आम तौर पर अपद दे शी शासक या उनके
वंशज पूव जम दार जम दार पो लगस द ण भारत म े के धारक ने कया था या
पलायम जसम शासक मु य प से नायक सै य सेवा और ांज ल के बदले म व जत
रा य के पूव अनुचर और अ धका रय या कभी कभी धा मक नेता ारा उ ह दए गए कु छ
गांव शा मल थे। आम तौर पर बड़े पैमाने पर समथन कराए पर लेने वाले कसान बेरोजगार
कारीगर और वघ टत सै नक से मला हालां क इन व ोह के क म त कालीन स ा संप
वग थे।

नाग रक व ोह के मुख कारण • कं पनी शासन के तहत


अथ व ा शासन और भू म राज व णाली म तेज ी से बदलाव ए जो लोग के
खलाफ थे। • कई जम दार और पो लगार जो औप नवे शक शासन के कारण अपनी भू म और
उसके राज व पर नयं ण खो चुके थे
उ ह नए शासक के साथ गत हसाब कताब करना पड़ा। • पारंप रक जम दार
और पो लगार का अहंक ार था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सरकारी अ धका रय और ापा रय तथा सा कार से यु एक नए वग ारा पद से हटा दए


जाने के कारण आहत। • औप नवे शक नी तय के कारण भारतीय ह त श प उ ोग क
बबाद ने लाख कारीगर को गरीब बना दया जनका ख उनके पारंप रक संर क
और खरीदार राजकु मार सरदार और जम दार के गायब होने से और भी बढ़ गया था। •
पुरो हत वग ने वदे शी शासन के व घृण ा और व ोह को उकसाया य क धा मक
उपदे शक पुज ारी पं डत मौलवी आ द पारंप रक जम दार और नौकरशाही अ भजात वग पर
नभर थे।
जम दार और सामंत के पतन का सीधा भाव पुरो हत वग पर पड़ा। • टश
शासक का वदे शी च र जो इस भू म से सदै व पराए रहे तथा दे शी लोग के त उनका
तर कारपूण वहार टश शासक के गौरव को ठे स प ँचाता था।

नाग रक व ोह क सामा य वशेषताएँ अ धकांश मामल म ये व ोह सामा य


पर तय का त न ध व करते थे हालाँ क समय और ान म अलग अलग थे।

नाग रक व ोह के अध सामंती नेता पछड़ी सोच वाले और पारंप रक कोण वाले


थे। उनका मूल उ े य शासन के पुराने व प और सामा जक संबंध को बहाल करना था।

ये व ोह ानीय कारण और शकायत का प रणाम थे और उनके प रणाम भी


ानीय थे।

मह वपूण नाग रक व ोह

स यासी व ोह
के वनाशकारी अकाल और अं ेज क कठोर आ थक व ा ने पूव भारत म
स या सय के एक समूह को टश कू मत से लड़ने के लए मजबूर कर दया। मूल प से
कसान यहाँ तक क कु छ ज़मीन से बेदखल कए गए इन सं या सय के साथ बड़ी सं या म
बेदखल छोटे जम दार वघ टत सै नक और ामीण गरीब भी शा मल हो गए। उ ह ने कं पनी के
कारखान और कोषागार पर छापे मारे और कं पनी क सेना से लड़ाई क । लंबी कारवाई के
बाद ही वॉरेन हे ट स सं या सय को अपने वश म कर सका। ह मुसलमान क समान
भागीदारी
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से पहले अं ेज के व जनता का तरोध

व ोह क वशेषता जसे कभी कभी फक र व ोह भी कहा जाता है। मजनूम शाह या


मजनू शाह चराग अली मूसा शाह भवानी पाठक और दे बी चौधुरानी मह वपूण नेता थे।
दे बी चौधुरानी क भागीदारी अं ेज के खलाफ शु आती तरोध म म हला क भू मका
को पहचानती है।

बं कम चं च ोपा याय का अध ऐ तहा सक उप यास आनंदमठ सं यासी व ोह पर आधा रत


है। बं कम चं ने एक उप यास दे वी चौधुरानी भी लखा य क उ ह ने पारंप रक भारतीय
मू य के लए खतरा पैदा करने वाले वदे शी शासन के खलाफ संघष म म हला के मह व
को दे ख ा।

मदनापुर और धालभूम म व ोह
म अं ेज ने मदनापुर पर क ज़ा कर लया और उस समय वहाँ लगभग
जम दार और तालुक दार थे जनके अपने रैयत के साथ सौहादपूण संबंध थे। ले कन
म अं ेज ारा नई भू म राज व णाली क शु आत के बाद यह सामंज यपूण प र य
बदल गया। टश गवनर वैन सटाट के अनुसार रैयत और अं ेज ी राज व सं ह करने वाले
अ धका रय के बीच संघष क त म मदनापुर के जम दार रैयत के प म थे। प म
और उ र प म मदनापुर के जंगल महल के वशाल भूभाग म रहने वाले धालभूम
मानभूम रायपुर पंचेत झट बुनी कणगढ़ और बागरी के जम दार को अंततः के
दशक तक उनक जम दा रय से बेदखल कर दया गया था। व ोह के मह वपूण नेता
दामोदर सह और जग ाथ ढल थे।

मोआम रया का व ोह
म मोआम रया का व ोह असम के अहोम राजा के अ धकार के लए एक सश
चुनौती थी। मोमा रया न न जा त के कसान थे जो अ न दे व क
श ा का पालन करते थे और उनका उ ान उ र भारत म अ य न न जा त समूह के
समान था। उनके व ोह ने अहोम को कमजोर कर दया और सर के लए इस े पर
हमला करने के लए दरवाजे खोल दए उदाहरण के लए म दराग के राजा
कृ णनारायण ने अपने बुक डाज़ बड मु लम सेना और जम दार के हतो सा हत
सै नक क सहायता से व ोह कर दया । इन व ोह को कु चलने के लए अहोम शासक
को बा य होना पड़ा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

टश सहायता के लए अनुरोध. मोआम रया ने भ टयापार को अपना मु यालय बनाया। रंगपुर


अब बां लादे श म और जोरहाट सबसे अ धक भा वत े थे। हालाँ क अहोम सा ा य
व ोह से बच गया कमजोर रा य बम आ मण का शकार हो गया और अंततः टश शासन
के अधीन आ गया।

गोरखपुर ब ती और बहराईच म नाग रक व ोह

वारेन हे ट स ने मराठ और मैसूर के खलाफ यु के खच को पूरा करने के लए अवध म


अं ेज ी अ धका रय को इज़ारादार राज व कसान के प म शा मल करके पैसा कमाने क
योजना बनाई। उ ह ने म मेज र अले जडर ह ाय को इज़ारादार के प म शा मल कया
जो इस े से अ तरह प र चत थे। ह ाय ने एक वष के लए लाख पये क रा श पर
गोरखपुर और बहराईच का इज़ारा सुर त कर लया। वा तव म यह कं पनी ारा वयं यह
दे ख ने के लए एक गु त योग था क वहार म कतना अ धशेष धन उपल है।

हालाँ क ह ा के उ पीड़न और राज व क अ य धक मांग ने इस े को जो क


नवाब के अधीन एक समृ रा य था आतं कत कर दया। म ज़म दार और कसान
असहनीय मांग के ख़लाफ़ उठ खड़े ए और शु आती व ोह के कु छ ही ह त के भीतर ह े
के सभी अधीन या तो मारे गए या जम दारी गु र ला बल ारा घेर लए गए। हालाँ क व ोह
को दबा दया गया ह ा को बखा त कर दया गया और उसका इज़ारा जबरन हटा दया गया।

वजयनगरम के राजा का व ोह
म अं ेज और वजयनगरम के शासक आनंद गजप तराजू के बीच संयु प से उ री
सरकार से ांसी सय को बाहर करने के लए एक सं ध ई। इस मशन म वे सफल रहे ले कन
अं ेज़ जैसा क भारत म उनके मामले म हमेशा होता था सं ध क शत का स मान करने के
अपने वादे से मुक र गए।

इससे पहले क वह अं ेज से गंभीरता से नपट पाते आनंद राजू क मृ यु हो गई।


ई ट इं डया कं पनी ने वजयनगरम के राजा वजयरामाराजू से तीन लाख पये क ांज ल
मांगी और उनसे अपने सै नक को भंग करने के लए कहा। इससे राजा ो धत हो गये य क
कं पनी को कोई बकाया नह दे ना था। राजा
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

अपनी जा के समथन से व ोह कर दया। म अं ेज ने राजा को पकड़ लया और उ ह


पशन के साथ नवासन म जाने का आदे श दया। राजा ने मना कर दया. म प नाभम
आं दे श के आधु नक वशाखाप नम जले म म एक यु म राजा क मृ यु हो गई।
वजयनगरम कं पनी के शासन के अधीन आ गया। बाद म कं पनी ने मृतक राजा के बेटे को
संप क पेशकश क और उपहार क मांग कम कर द ।

बेदनूर म धुं डया का व ोह


म मैसूर क वजय के बाद अं ेज को कई दे शी नेता का सामना करना पड़ा। ढुं डया
वाघ एक ानीय मराठा नेता जसे ट पू सु तान ने इ लाम म प रव तत कर दया था और
उसके गलत कारनाम के कारण जेल म डाल दया था से रगप म के पतन के साथ रहा हो
गया। ब त ज द धुं डया ने एक सेना का आयोजन कया जसम टश वरोधी त व शा मल
थे और अपने लए एक छोटा सा े बनाया। अग त म अं ेज से हार के बाद उ ह
मराठा े म शरण लेने के लए मजबूर होना पड़ा जहां से उ ह ने नराश राजकु मार को
अं ेज के खलाफ लड़ने के लए उकसाया और खुद नेतृ व संभाला। सतंबर म वेले ले
के नेतृ व म टश सेना के खलाफ लड़ते ए वह मारा गया। हालाँ क ढुं डया असफल रहे
फर भी वे जनता के े य नेता बन गये।

के रल वमा पजह सी राजा का तरोध

के रल वमा पजह सी राजा ज ह के रल सहम के रल का शेर या पाइचे राजा के नाम से


जाना जाता है मालाबार े म को ायम को टओट के वा त वक मुख थे। हैदर अली और
ट पू सु तान का वरोध करने के अलावा के रल वमा ने और के बीच अं ेज के
खलाफ लड़ाई लड़ी।

तीसरे आं ल मैसूर यु ने के पहले के समझौते का उ लंघन करते


ए को ायम पर अं ेज ी सव ता बढ़ा द जसने को ायम क वतं ता को मा यता द थी।
अं ेज ने पजह सी राजा के चाचा वीरा वमा को को ायम का राजा नयु कया। नए राजा ने
कं पनी ारा नधा रत राज व ल य को पूरा करने के लए कसान पर अ य धक कर लगाया।
इससे जनसैलाब उमड़ पड़ा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म पजह सी राजा के नेतृ व म कसान ारा तरोध। पजह सी राजा ने गु र ला यु


का उपयोग करके बहा री से लड़ाई लड़ी और म एक शां त सं ध क गई। ले कन
म वायनाड पर एक ववाद को लेक र ए संघष ने व ोही यु शु कर दया। पजह सी राजा
ने नायर क एक बड़ी सेना संग ठत क जसम म पलास और पठान ने भी मदद क जो बाद
म ट पू के वघ टत सै नक थे जो ट पू क मृ यु के बाद बेरोजगार हो गए थे। नवंबर म
वतमान के रल कनाटक सीमा के पास मा वला टोडू म बं क क लड़ाई म के रल सहम क मृ यु
हो गई।

अवध म नाग रक व ोह
अवध के चौथे नवाब वजीर अली खान अं ेज क मदद से सतंबर मग पर बैठे थे।

ले कन ज द ही अं ेज के साथ उनके र ते ख़राब हो गए और उनक जगह उनके चाचा


सआदत अली खान तीय को दे द गई। वज़ीर अली खान को बनारस म पशन द गई।
हालाँ क जनवरी म उसने एक टश नवासी जयो े े ड रक चेरी क ह या कर द
जसने उसे दोपहर के भोजन के लए आमं त कया था। वज़ीर अली के र क ने दो अ य
यूरोपीय लोग क ह या कर द और यहां तक क बनारस के म ज े ट पर भी हमला कया।

यह पूरी घटना बनारस के नरसंहार के नाम से स ई । वज़ीर अली कई हज़ार लोग क


एक सेना इक ा करने म स म था जसे जनरल ए कन ने हरा दया था। वज़ीर अली बुटवल
भाग गया और जयपुर के शासक ने उसे शरण द । आथर वेले ली ने जयपुर के राजा से वज़ीर
अली के यपण का अनुरोध कया। वज़ीर अली को इस शत पर य पत कया गया क उसे
न तो फाँसी द जायेगी और न ही बे ड़याँ पहनायी जायगी। दसंबर म आ मसमपण के
बाद उ ह फोट व लयम कलक ा म कारावास म रखा गया था।

गंज म और गुमसूर म व ोह
उ री सरकार म गंज म और उसके आसपास के े ने टश शासन के खलाफ व ोह कर
दया। गंज म जले के गुमसूर के जम दार ाइकरा भंज ने म राज व दे ने से इनकार कर
दया। म उ ह ने खुले तौर पर व ोह कया और सावज नक अ धका रय क अवहेलना
क । व ोह को दबाने के लए एक दमनकारी और कले टर नोड ास को बदल दया गया।
ाइकरा
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से पहले अं ेज के व जनता का तरोध

वजयनगर पो ा कमेडी के जलानी दे व और ताप ग र चना कमेडी के जग ाथ दे व भी


इसम शा मल ए। म जग ाथ दे व को पकड़ लया गया और मसूलीप नम भेज दया
गया। ले कन अं ेज को ाइकरा भंज को कु छ जले स पने पड़े। म ाइकरा के
पु धनंज य भंज ने अपने पता को संप छोड़ने के लए मजबूर कया। धनंज य ने अं ेज के
खलाफ व ोह कया ले कन जून म उ ह आ मसमपण करने के लए मजबूर होना पड़ा।

ाइकरा जो गंज म लौट आए थे को सरकार के साथ समझौते म जम दार के पम


फर से नयु कया गया था। उ ह ने और के बीच संप का बंधन कया
ले कन बकाया चुक ाने म असफल रहने पर अपने बेटे धनंज य के प म सेवा नवृ हो गए।

हालाँ क भारी बकाया का भुगतान करने म असमथ धनंज य भंज ने सरी बार व ोह कया
जब टश सेना ने नवंबर म गुमसूर और कोलैडा पर क जा कर लया। व ोह ने सरकार
के अ धकार को ब त कम कर दया ले कन दसंबर म धनंज य क मृ यु हो गई और
उनके अनुया यय ने तरोध जारी रखा। सरकार ने त से नपटने के लए रसेल को पूण
ववेक ाधीन श य के साथ नयु कया। यह संघष फरवरी तक चला जब एक जय
नेता रा बसायी को गर तार कर लया गया। गुमसूर क जम दारी ज त कर ली गई।

पलामू म व ोह
पलामू क राजनी तक त कृ ष जम दारी और सामंती व ा के संक ट से ज टल थी।
म चेरो मुख भुख न सह ने व ोह कर दया। व ोह को दबाने के लए कनल जो स ने
पलामू और सरगुज ा म दो साल तक डेरा डाला। म भुख न सह क मृ यु हो गई और बाद
म व ोह शांत हो गया।

पो लगस का व ोह
द ण भारत के पो लगस या पलाय करगल ने और के बीच अं ेज का कड़ा
तरोध कया। इन मजबूत व ोह के मु य क त ेवेली या थ नेलवेली रामनाथपुरम
शवगंगा शव ग र म रै और उ री अक ट थे। सम या म शु ई जब आक ट के
नवाब ने तनेवेली और कनाटक ांत का बंधन और नयं ण ई ट इं डया कं पनी को दे दया।
यह
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इस व ा से उन पो लगर म नाराजगी पैदा हो गई जो लंबे समय से खुद को अपने संबं धत


े म वतं सं भु ा धकारी मानते थे। कं पनी के खलाफ पो लगर का पहला व ोह मूल
प से कराधान को लेक र था ले कन इसका एक बड़ा राजनी तक आयाम यह था क अं ेज
पो लगर को मन मानते थे और उनके साथ वहार करते थे।

पंज ालंकु रची के पो लगर क ाबो मन नायकन ने और के बीच व ोह का नेतृ व


कया। एक भयंक र यु के बाद जसम कं पनी क सेना वीरपां डया क ाबो मन से हार गई थी
इसक क मत उसके सर पर रखी गई थी। इससे पो लगर ारा अ धक व ोह आ। सु ढ करण
के साथ कं पनी सेना अंततः क ाबो मन को हराने म स म हो गई।

क ाबो मन पु को ई के जंगल म भाग गया। एक बार फर व ासघात इस बार पु को ई के


राजा ए पन ारा जसने अं ेज के साथ एक समझौता कया क ाबो मन को पकड़ने का
कारण बना। क ाबो मन को एक व श ान पर फाँसी दे द गई। एक करीबी सहयोगी
सु म यम प लई को भी फाँसी दे द गई और एक अ य व ोही स दारा पां डयन को बेरहमी
से मार दया गया। पंज ालंकु रची के पलायम और व ोह म शा मल ए पांच अ य पो लगर क
संप ज त कर ली गई और मुख पो लगर को मार डाला गया या जेल भेज दया गया ।

सरा चरण जो पछले चरण क तुलना म अ धक हसक था फरवरी म शु


आ जब पालमकोटा के कले म कै द पो लगस भागने म सफल रहे।

व ो हय ने कई कल पर क ज़ा कर लया और यहां तक क तूतीको रन पर भी क ज़ा कर


लया। ज द ही मालाबार से टश सेना मजबूत हो गई। क ाबो मन के भाई ओमथुराई के
नेतृ व म भगोड़े जो रामनाद म शवगंगा क ओर भाग गए थे मराथु पां डयन के नेतृ व म
मा डस के व ोह म शा मल हो गए जसे अ टू बर म दबा दया गया था। पंज ालंकु रची
का कला जमीन पर गरा दया गया था और जगह का नाम जले के सभी द तावेज से हटा
दया गया। इस बीच नवाब ने कनाटक के सभी े और आ त का नाग रक और सै य
शासन हमेशा के लए कं पनी को स प दया।

और के बीच उ री अरकोट के पो लगार


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से पहले अं ेज के व जनता का तरोध

जब उनसे कवल शु क वसूलने का अ धकार छ न लया गया तो वे व ोह पर उतर आये।


कवल या वॉच त मलनाडु क एक ाचीन सं ा थी। यह न द अ धकार और ज मेदा रय
के साथ एक वंशानुगत ाम पु लस कायालय था। यह े वशेष प से च ूर और चं ग र
के पलायम म अराजक त म था। येदरागुंटा के पो लगार जो व ोही मुख के बीच सबसे
साहसी और हताश सा बत ए चरग लु के बेदखल पो लगार म शा मल हो गए। फरवरी
तक व ो हय का दमन कर दया गया। कई मुख को म ास म रहने का आदे श दया गया
जब क कु छ अ य को उनक संप के राज व पर तशत का भ ा दया गया।

पो लगार व ोह द ण भारत के वशाल े म फै ल गया। ए. शुनमुगैया कहते ह


व ो हय क घोषणा से संके त मलता है क वे वदे शी शासन के खलाफ एक जन आंदोलन
म व ास करते थे जो उनक वतं ता क मांग कर रहा था।

भवानी म व ोह
म ह रयाणा के जाट ने व ोह कर दया। जाट ने भवानी म अपनी कलेबंद कर ली
और कड़ा तरोध कया।
व ोह को दबाने के लए एक श शाली हमलावर मेढ़े के साथ सभी ह थयार क एक गेड
क आव यकता थी।

द वान वेलु थ ी का व ोह
म वेले ली के तहत एक सहायक गठबंधन व ा पर सहमत होने के बाद ई ट इं डया
कं पनी ारा ावणकोर रा य पर लगाई गई कठोर शत ने े म गहरी नाराजगी पैदा कर द ।
शासक स सडी का भुगतान करने म स म नह था और बकाया हो गया। ावणकोर का टश
रे जडट रा य के आंत रक मामल म ह त ेप कर रहा था। कं पनी के अ ड़यल रवैये ने धान
मं ी या दलावा वेलु थ ी को नायर सै नक क सहायता से कं पनी के खलाफ उठने के लए
मजबूर कया। वेलु थ ी ने कुं डारा म एक सभा को संबो धत कया और खुले तौर पर अं ेज
को अपनी मूल भू म से बाहर नकालने के लए उनके खलाफ ह थयार उठाने का आ ान
कया। इसे बाद म कुं डरा उ ोषणा के नाम से जाना गया। प रणाम व प अं ेज के व
बड़े पैमाने पर व ोह आ। एक बड़ा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शां त बहाल करने के लए सै य अ भयान चलाना पड़ा। ावणकोर के महाराजा ने व ोह का


पूण समथन नह कया था और कं पनी के प म चले गये थे। पकड़े जाने से बचने के लए वेलु
थ ी ने खुद को मार डाला। व ोह शांत हो गया।

बु दे लख ड म अशां त
तीय आं ल मराठा यु के दौरान अं ेज ारा जीते गए वशाल बुंदेलखंड ांत
को बंगाल ेसीडसी के अंतगत रखा गया था। बुंदेला सरदार ने नई सरकार का तब तक वरोध
कया जब तक वे लगभग एक सौ पचास क सं या म अपने कल से लड़ सकते थे। पहला
बड़ा तरोध अजयगढ़ कले के कलादार कला कमांडर ल मण दावा क ओर से आ।
ल मण को म समा त होने वाले दो वष के लए अ ायी व ा के प म कले को
अपने पास रखने क अनुम त द गई थी ले कन वह कायकाल क समा त के बाद भी अपना
क ज़ा जारी रखना चाहते थे। फरवरी म उ ह ने आ मसमपण कर दया और उ ह
कलक ा ले जाया गया। अगला तरोध कालंज र के ह यारे द रया सह से आ जसे जनवरी
म दबा दया गया। ले कन सबसे गंभीर खतरा गोपाल सह नामक एक स सै य
साहसी से था जसका अपने चाचा के साथ ववाद था जसे अं ेज का समथन ा त था। चार
वष तक गोपाल सह टश सेना क सभी सतकता और सै य रणनी त से बचते रहे। इन
गड़ब ड़य को रोकने के लए अं ेज को बु दे लख ड के वंशानुगत सरदार को सं वदा मक
दा य व क एक ृंख ला इकरनामः ारा बा य करने क नी त अपनानी पड़ी।

पाला कमेडी का कोप


गंज म जले अब ओ डशा म क प मी सीमा पर त पाला कमेडी म जम दार और
राजा का तरोध दे ख ा गया। जब कं पनी ने गंज म का अ ध हण कया तब नारायण दे व
पाला कमेडी के राजा थे जनके तरोध ने अं ेज को कनल पीच के नेतृ व म एक सेना भेज ने
के लए मजबूर कया। पीच ने म नारायण दे व को हराया और गजप त दे व नारायण के
पु को जम दार घो षत कर दया। ले कन अपने बेटे और भाइय के समथन से नारायण दे व ने
फर से व ोह कर दया। जैसे ही तरोध शांत होने म वफल रहा म ास के ेसीडसी ने नयु
कया
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

म जॉज रसेल इस े के आयु बने।


रसेल को व ोह को दबाने के लए पूण श याँ दान क ग और उ ह ने तक इस
े को शांत कर दया।

क या क व ोह
म अं ेज और क के महाराजा भारमल तीय के बीच एक सं ध ई जसके ारा
स ा सहासन म न हत हो गई।
हालाँ क महाराजा और सरदार के एक समूह के बीच स ा संघष था।

अं ेज ने क के आंत रक झगड़ म ह त ेप कया और म राजा भारमल


तीय ने अपने े से अं ेज को हटाने के ढ़ इरादे से अरब और अ क सै नक को खड़ा
कया। सरदार उसके प म हो गये। अं ेज ने क के शासक राव भारमल को उनके नवजात
पु के प म हरा दया और पद युत कर दया। एक टश नवासी ने रीजसी काउं सल क
मदद से वा त वक शासक के पम े पर शासन कया । अ य धक भू म मू यांक न के साथ
रीजसी काउं सल ारा कए गए शास नक नवाचार ने गहरी नाराजगी पैदा क । इस बीच
कु छ सरदार ने वदे शी शासन के खलाफ अपना व ोह जारी रखा। बमा यु म अं ेज क
पराजय क खबर ने मुख को व ोह करने और भारमल तीय क बहाली क मांग करने के
लए ो सा हत कया। त को नयं त करने म ापक सै य अ भयान वफल होने के बाद
कं पनी के अ धका रय को एक सुलह नी त का पालन करने के लए मजबूर होना पड़ा।

बरेली म उ ान
व ोह का ता का लक कारण पु लस कर लगाना था जससे नाग रक म ती आ ोश भड़क
उठा। मामला तब धा मक हो गया जब एक स मा नत बुज ुग मु ती मुह मद ऐवाज़ ने माच
म शहर के म ज े ट को एक या चका द ।

त तब और बगड़ गई जब टै स वसूली के दौरान पु लस ने एक म हला को घायल


कर दया. इस घटना के बाद मु ती के समथक और पु लस के बीच खूनी झड़प हो गई.

घटना के दो दन के भीतर पीलीभीत शाहजहाँपुर और रामपुर के कई ह थयारबंद मुसलमान


व ोह पर उतर आये
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

आ ा और मु ती क र ा। अ ैल म व ो हय ने लेसे टर के बेटे बरेली क ांतीय


अदालत के यायाधीश क ह या कर द । व ोह को के वल सै य बल क भारी तैनाती से ही
दबाया जा सका जसम से अ धक व ोही मारे गए और इससे भी अ धक घायल ए और
जेल म डाल दए गए।

ऐसा तीत होता है क यह उभार वा त वक शकायत से अ धक असंतोष का प रणाम है


वदे शी शासन क कृ त म ही असंतोष के त व न हत ह।

हाथरस म व ोह
दयाराम जो क अलीगढ़ जले के कई गाँव का तालुक दार था का हाथरस के कले म एक
मजबूत आधार था। यह कला जसे भारत के सबसे मजबूत कले म से एक माना जाता है
एक सरा भरतपुर क द वार काफ ऊं चाई और मोटाई क थ जनक र ा एक गहरी
खाई और शीष पर तोपखाने से क गई थी। अं ेज़ ने दयाराम को कसान बनाकर हाथरस
जागीर का बंदोब त कर लया था। ले कन उ रो र बढ़ते उ राज व के कारण दयाराम
बकाया का भुगतान करने म लगातार वफल रहे और यहां तक क सरकारी भगोड़ को शरण
दे क र श ुता के कई काय भी कए। इस लए कं पनी ने एक बड़ी सेना के साथ फरवरी म
हाथरस पर हमला कया। दयाराम दन से अ धक समय तक बहा री से लड़े और सुर त
बच नकले। ले कन अंततः उ ह समपण क शत पर वापस आना पड़ा और पशन के साथ
समझौता करना पड़ा। मुरसान के राजा एक अ य स व ोही भगवंत सह ने अपने कले
को न करने से भयभीत होकर सरकार के सामने समपण कर दया।

पाइका व ोह
ओ डशा के पाइ स पारंप रक ज़मीनदार म ल शया शा दक प से पैदल सै नक थे और
उ ह वंशानुगत आधार पर अपनी सै य सेवा और पु ल सग काय के लए कराया मु भू म
वा म व का आनंद मलता था।
म अं ेज ी कं पनी क ओ डशा पर वजय और खुदा के राजा क ग से उतारे जाने से
पाइ स क श और त ा ब त कम हो गई थी। इसके अलावा कं पनी क जबरन वसूली
वाली भू राज व नी त ने जम दार और कसान म समान प से नाराजगी पैदा क । आम
जनता भा वत ई
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

नमक पर लगाए गए कर के कारण नमक क क मत म वृ कौड़ी मु ा क समा त और


चांद म कर के भुगतान क आव यकता आ द।

ब ी जगबंधु ब ाधर खुदा के राजा क सेना के सै य मुख थे। म जगबंधु


क कला रोरांग क पैतृक संप पर कं पनी ने क ज़ा कर लया जससे वह द र हो गए।
माच म गुमसूर से ख ड के एक दल के खुदा े म आगमन से चगारी भड़क उठ ।
खुदा के अं तम राजा मुकुं द दे व और े के अ य जम दार के स य समथन से ब ी जगबंधु
ब ाधर ने एक व वध सेना का नेतृ व कया। पाइका ने ई ट इं डया कं पनी क सेना को कु छ
समय के लए पीछे हटने के लए मजबूर कर दया। इस व ोह को पाइका ब ोह व ोह के
नाम से जाना गया। व ो हय क शु आती सफलता ने ओ डशा को कवर करने वाले पूरे ांत
को कु छ समय के लए टश सरकार के खलाफ खड़ा कर दया। जगबंधु को अ य व ो हय
के साथ एक डाकू घो षत कया गया था जसे नयागढ़ के राजा ने आ य दया था। हालाँ क
द नबंधु संतरा और उनके समूह ने नवंबर म आ मसमपण कर दया ले कन जगबंधु
टश नगरानी से बच गए। पुर कार क पेशकश के बावजूद ांत के कसी भी ने
अपने नेता के साथ व ासघात नह कया। हालाँ क के म य तक खुदा फर से कं पनी
के नयं ण म आ गया ले कन पाइका व ो हय ने गु र ला रणनी त का सहारा लया।
तक व ोह को बेरहमी से दबा दया गया था। पुरी मं दर के पुज ारी ज ह ने जगबंधु को आ य
दया था उ ह पकड़ लया गया और फांसी दे द गई। कु ल मलाकर पाइ स को ब त क
सहना पड़ा। म जगबंधु ने बातचीत क शत के तहत आ मसमपण कर दया। कु छ सू
का कहना है क उ ह पकड़ लया गया और म कै द म ही उनक मृ यु हो गई ।

पाइक व ोह बकाया क बड़ी छू ट मू यांक न म कटौती ववेक पर डफॉ टर क


संप क ब को नलं बत करने न त कायकाल पर एक नया समझौता और उदार शासन
के अ य सहायक ा त करने म सफल रहा।

वाघेरा राइ जग
टश सरकार ारा सम थत बड़ौदा के गायकवाड़ क मांग के साथ वदे शी शासन के खलाफ
नाराजगी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ओखा मंडल के वाघेरा मुख को ह थयार उठाने के लए मजबूर कया। के दौरान


वाघेरा ने टश े म घुसपैठ क । नवंबर म एक शां त सं ध पर ह ता र कये गये।

अहोम व ोह
थम बमा यु के बाद अं ेज ने असम से हटने क त ा क थी। ले कन यु
के बाद पीछे हटने के बजाय अं ेज ने अहोम के े को कं पनी के भु व म शा मल करने
का यास कया। इसने म अहोम राजकु मार गोमधर क वर के नेतृ व म धनजॉय ब गोहेन
और जयराम खारघ रया फु कन जैसे हमवतन लोग के साथ व ोह को ज म दया। जोरहाट के
नकट एक त होकर व ो हय ने औपचा रक प से गोमधर क वर को राजा बना दया।

अंततः कं पनी ने एक सुलह नी त का पालन करने का नणय लया और ऊपरी असम को


महाराजा पुरंदर सह नर को स प दया और रा य का कु छ ह सा अस मया राजा को बहाल
कर दया गया।

सूरत नमक आंदोलन


नमक शु क पैसे से बढ़ाकर एक पये करने के सरकार के कदम के मु े पर म एक
मजबूत टश वरोधी भावना के प रणाम व प सूरत क ानीय आबाद ने यूरोपीय लोग
पर हमला कर दया। एक लोक य आंदोलन का सामना करते ए सरकार ने अ त र नमक
लगान वापस ले लया। म फर से सरकार को लोग के ब ह कार और न य तरोध
का सहारा लेने के ढ़ यास के सामने बंगाल मानक वजन और माप को लागू करने के अपने
उपाय को वापस लेने के लए मजबूर होना पड़ा।

को हापुर और सावंतवाडी व ोह गड़करी एक वंशानुगत सै य


वग था जो मराठा कल म कै द था। के बाद को हापुर रा य म शास नक पुनगठन के
दौरान इन चौ कय को भंग कर दया गया था। बेरोजगारी क आशंक ा का सामना करते ए
गड़क रय ने व ोह कर दया और समनगढ़ और भूदरगढ़ कल पर क जा कर लया।

इसी कार सुलगते असंतोष ने व ोह का कारण बना दया


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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

सावंतवाडी े . यहां के लोग पहले ही और म अं ेज के खलाफ व ोह


कर चुके थे आ खरी व ोह इस लए आ था य क अं ेज ने उनके शासक को पद युत कर
दया था। टश अ धका रय ने इस े को नयं ण म लाने के लए कई कानून पेश कए।

वहाबी आंदोलन वहाबी आंदोलन


मूलतः एक इ लामी पुन ानवाद आंदोलन था जसक ापना राय बरेली के सैयद अहमद
ने क थी जो सऊद अरब के अ ल वहाब और द ली के शाह वलीउ लाह क
श ा से े रत थे। सैयद अहमद ने इ लाम पर प मी भाव क नदा क और शु इ लाम
और समाज क वापसी क वकालत क जैसा क पैगंबर के समय के अरब म था।

सैयद अहमद वां छत नेता इमाम के प म शं सत थे। आ या मक उप शासक


खलीफा के तहत काम करने के लए एक व तृत गु त कोड वाला एक दे श ापी संगठन
ा पत कया गया था और उ र प मी आ दवासी बे ट म सथाना को संचालन के लए
आधार के प म चुना गया था। भारत म इसका मह वपूण क पटना म था हालां क इसके
मशन हैदराबाद म ास बंगाल संयु ांत और बॉ बे म थे। चूँ क दार उल हरब का फर
क भू म को दार उल इ लाम इ लाम क भू म म प रव तत कया जाना था पंज ाब के सख
सा ा य के खलाफ जहाद क घोषणा क गई थी। म सख शासक क हार और पंज ाब
को ई ट इं डया कं पनी के भु व म शा मल करने के बाद भारत म अं ेज ी भु व वहा बय के
हमल का एकमा ल य बन गया।

वहा बय ने टश वरोधी भावना को फै लाने म मह वपूण भू मका नभाई।


के दशक म सथाना म वहाबी अ े पर अं ेज ारा क गई सै य कारवाइय क एक ृंख ला
और वहा बय पर राज ोह के व भ अदालती मामल ने वहाबी तरोध को कमजोर कर
दया हालां क अ धका रय के साथ छटपुट मुठभेड़ और के दशक म जारी रह ।

कू का आंदोलन कू का आंदोलन
क ापना मप मी पंज ाब म भगत जवाहर मल ज ह सयान साहब भी कहा जाता
है ने क थी। उनके बाद आंदोलन के एक मुख नेता बाबा राम सह थे। वह
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नामधारी सख सं दाय क ापना क । अं ेज ारा पंज ाब पर क ज़ा करने के बाद आंदोलन


एक धा मक शु करण अ भयान से एक राजनी तक अ भयान म बदल गया। इसके मूल
स ांत थे सख के बीच जा त और इसी तरह के भेदभाव का उ मूलन मांस और शराब और
नशीली दवा क खपत को हतो सा हत करना अंत ववाह वधवा पुन ववाह क अनुम त
दे ना और म हला को एकांत से बाहर नकलने के लए ो सा हत करना। राजनी तक प
पर कू का टश को हटाकर पंज ाब पर सख शासन बहाल करना चाहते थे उ ह ने हाथ से
बुने ए कपड़े पहनने और अं ेज ी कानून और श ा और उ पाद के ब ह कार क वकालत
क । इस लए वदे शी और असहयोग क अवधारणा को कू का ारा चा रत कया गया
था बीसव सद क शु आत म भारतीय रा ीय आंदोलन का ह सा बनने से ब त पहले। जैसे
ही आंदोलन को लोक यता मली अं ेज ने और के बीच क अव ध म इसे
कु चलने के लए कई कदम उठाए।

म राम सह को रंगून नवा सत कर दया गया।

धा मक के साथ कसान आंदोलन


मकसद
कसान व ोह बेदखली भू म के लगान म वृ और सा कार के लालची तरीक के खलाफ
वरोध दशन थे और उनका उ े य अ य बात के अलावा कसान के लए अ धभोग अ धकार
था।
वे वयं कसान के व ोह और व ोह थे हालां क कई मामल म ानीय नेता ने उनका
नेतृ व कया। के व ोह के फै लने तक और उसके त काल बाद भारत म कसान
आंदोलन का ववरण नीचे दया गया है।

नारके लबे रया व ोह मीर नथार


अली या ट टू मीर ने प म बंगाल म मु लम करायेदार को जम दार मु य
प से ह ज ह ने फ़रा ज़य और टश नील बागान मा लक पर दाढ़ कर लगाया था के
खलाफ उठने के लए े रत कया। अ सर इसे अं ेज के खलाफ पहला सश कसान
व ोह माना जाता है इस व ोह ने ज द ही धा मक रंग ले लया। यह व ोह बाद म वहाबी
आंदोलन म वलीन हो गया।
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

पागल पंथी पागल पंथी एक अध


धा मक समूह जो मु य प से मैमन सह जले पहले बंगाल म के हाज ग और गारो
जनजा तय का गठन करता था क ापना करम शाह ने क थी। ले कन आ दवासी कसान
ने जम दार के उ पीड़न से लड़ने के लए खुद को करम शाह के बेटे ट पू के अधीन संग ठत
कया। से तक पागल पं थय ने एक न त सीमा से अ धक लगान दे ने से इंक ार
कर दया और जम दार के घर पर हमले कये। सरकार ने इन कसान क सुर ा के लए एक
यायसंगत व ा पेश क ले कन आंदोलन को हसक प से दबा दया गया।

फ़राज़ी व ोह फ़राज़ी
पूव बंगाल म फरीदपुर के हाजी शरीयत अ लाह ारा ा पत एक मु लम सं दाय के
अनुयायी थे। उ ह ने आमूल चूल धा मक सामा जक और राजनी तक प रवतन क वकालत
क।
दा मयां के पु शरीयत अ लाह ने अं ेज ी घुसपै ठय को बंगाल से बाहर
नकालने के उ े य से अपने अनुया यय को संग ठत कया। सं दाय ने जम दार के खलाफ
का तकार के आंदोलन का भी समथन कया। फ़राज़ी अशां त से तक जारी
रही। अ धकांश फ़राज़ी वहाबी रक म शा मल हो गए।

मोपला व ोह राज व क मांग


म वृ और खेत के आकार म कमी के साथ साथ अ धका रय के उ पीड़न के कारण मालाबार
के मोपला लोग म ापक कसान अशां त फै ल गई। और के बीच बाईस व ोह
ए। हालाँ क कोई भी सफल सा बत नह आ।

सरा मोपला व ोह असहयोग आंदोलन के दौरान कां ेस और खलाफत समथक


ारा मोपला को संग ठत करने के बाद आ। ले कन ह मु लम मतभेद ने कां ेस और मोपला
को एक सरे से र कर दया। तक मोपला को वश म कर लया गया था।

के व ोह म कसान क भू मका कसान क भागीदारी


के वल के व ोह से भा वत कु छ े मस य थी मु यतः प मी उ र दे श म।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इसके अलावा वदे शी शासन के खलाफ लड़ने के लए कसान कई ान पर ानीय सामंती


नेता के साथ एकजुट ए। व ोह के बाद कसान क अनदे ख ी करते ए जम दार वग का
समथन हा सल करने के टश सरकार के फै सले से कसान क दशा और खराब हो गई।
अ धभोग से कसान के हत को नुक सान आ। उदाहरण के लए अवध म तालुक दार को
ज़मीन वापस कर द गई और उ ह राज व और अ य श याँ भी द ग और कसान
के बंगाल कराया अ ध नयम के ावधान का लाभ नह उठा सकते थे। के व ोह म
भाग लेने के दं ड के प म कसान को कु छ े मअतर कर दे ना पड़ा।

आ दवासी व ोह

टश शासन के तहत जनजातीय आंदोलन सभी आंदोलन म सबसे अ धक उ उ और


हसक थे।

मु य भू म और उ र पूव जनजातीय व ोह के व भ कारण


जनजातीय आंदोलन का व ेषण बेहतर ढं ग से कया
जा सकता है य द उ ह मु य भू म जनजातीय व ोह और मु य प से भारत के उ र पूव
ह से म क त सीमांत जनजातीय व ोह म वग कृ त कया जाए।

मु य भू म के जनजातीय व ोह कई कारक के कारण भड़के थे जनम से एक


मह वपूण कारक जनजातीय भू म या जंगल से संबं धत था।

अं ेज क भू म बंदोब त ने आ दवा सय के बीच संयु वा म व परंपरा को भा वत


कया और उनके सामा जक ताने बाने को छ भ कर दया।

जैसे जैसे कं पनी सरकार ारा कृ ष को व त प म व ता रत कया गया


आ दवा सय ने अपनी जमीन खो द और इन े म गैर आ दवा सय का आगमन आ।

जंगल म ानांत रत खेती पर अंकु श लगा दया गया और इससे आ दवा सय क


सम याएँ बढ़ ग । सरकार ने आर त वन क ापना करके और लकड़ी के उपयोग और
चराई को तबं धत करके वन े पर अपना नयं ण बढ़ाया। यह कं पनी क ओर से श पग
और रेलवे के लए लकड़ी क बढ़ती मांग का प रणाम था।
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

पु लस ापा रय और सा कार जनम से अ धकांश बाहरी थे ारा शोषण ने


आ दवा सय क पीड़ा को बढ़ा दया।
कु छ सामा य कानून भी उनक दखलंदाज़ी कृ त के कारण घृण ा द थे य क
आ दवा सय के अपने री त रवाज और परंपराएँ थ ।
उप नवेशवाद के व तार के साथ ईसाई मशन रयाँ इन े म आ और उनके यास
से आ दवा सय के पारंप रक री त रवाज म ह त प
े आ। वदे शी शासन के त न धय के
प म समझे जाने वाले मशन रय से आ दवा सय म नाराजगी थी।

उ र पूव सीमांत क जनजा तय के आंदोलन कु छ पहलु म गैर सीमांत आ दवासी


व ोह से भ थे।

एक बात के लए जो जनजा तयाँ सीमा पार के दे श के साथ जनजातीय और


सां कृ तक संबंध साझा करती थ उनका रा वाद संघष से कोई सरोकार नह था। उनके
व ोह अ सर भारतीय संघ के भीतर राजनी तक वाय ता या पूण वतं ता के प म थे।

सरे ये आंदोलन वन आधा रत या कृ ष व ोह नह थे य क ये आ दवासी आम


तौर पर भू म और वन े पर नयं ण रखते थे। गैर सीमांत जनजातीय े क तुलना म
अं ेज ने उ र पूव े म ब त दे र से वेश कया।

तीसरा अं ेज के अधीन सीमांत जनजातीय व ोह गैर सीमांत जनजातीय आंदोलन


क तुलना म लंबे समय तक जारी रहे। सीमांत आ दवा सय के बीच भी गैर सं कृ तीकरण
आंदोलन फै ल गया। नव वै णव ा ण के कदाचार क नदा करने के लए चच और महाराजा
के शासन के दौरान और के बीच मैतेई लोग ने एक आंदोलन का आयोजन
कया।

औप नवे शक काल म उ र पूव सीमा े म सं कृ तकरण आंदोलन लगभग पूरी तरह से


अनुप त थे।

जनजातीय व ोह क वशेषताएँ जनजातीय व ोह क कु छ


सामा य वशेषताएँ थ भले ही वे समय और ान म एक सरे से अलग थे। • इन समूह ारा
दखाई गई एकजुटता के पीछे जनजातीय पहचान या जातीय संबंध ह। हालाँ क सभी बाहरी
लोग नह थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

श ु के प म दे ख ा जाता है जो गरीब अपने शारी रक म या पेशे से जीवन यापन करते थे


और जनक गाँव म सामा जक आ थक प से सहायक भू मका थी उ ह अके ला छोड़ दया
गया था हसा सा कार और ापा रय क ओर नद शत थी ज ह औप नवे शक सरकार के
व तार के प म दे ख ा जाता था। • एक सामा य कारण वदे शी सरकार ारा कानून थोपने
के खलाफ नाराजगी थी जसे आ दवा सय के पारंप रक
सामा जक आ थक ढांचे को न करने के यास के प म दे ख ा गया था। • कई
व ोह का नेतृ व मसीहा जैसी श सयत ने कया ज ह ने अपने लोग को व ोह करने के
लए ो सा हत कया और ज ह ने यह वादा कया क वे बाहरी लोग ारा लाए गए अपने
क को समा त कर सकते ह।

• आ दवासी व ोह शु से ही बबाद हो गए थे य क वे अपने वरो धय ारा


इ तेमाल कए गए आधु नक ह थयार और तकनीक के मुक ाबले पुराने ह थयार से लड़ते थे।

मु य भू म के मह वपूण जनजातीय आंदोलन कु छ मह वपूण जनजातीय आंदोलन


क चचा नीचे क गई है। यह यान दया जा सकता है क य द हम सीमांत आ दवासी े को
छोड़ द तो अ धकांश आ दवासी आंदोलन म य भारत प मम य े और द णमक त
थे।

पहा ड़या का व ोह उनके े म


टश व तार के कारण म राज महल पहा ड़य के माशल पहा ड़या ने व ोह कर
दया। अं ेज को अपने े को दमनी कोल े घो षत करके शां त ा पत करने के लए
मजबूर होना पड़ा।

चुआ र व ोह अकाल
बढ़ ई भू राज व मांग और आ थक संक ट ने मदनापुर जले के जंगल महल और बंगाल म
बांकु रा जले के चुआ र आ दवासी आ दवा सय को ह थयार उठाने के लए े रत कया।

ये जनजा त के लोग मूलतः कसान और शकारी थे।


व ोह से तक चला और फर और के बीच फर से सामने आया।
चुआ र मुख थे
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

मानभूम और बाराभूम म वशेषकर बाराभूम और घाट शला के बीच क पहा ड़य म। वे अपनी


भू म को एक कार के सामंती कायकाल के तहत रखते थे ले कन म से ढ़ता से जुड़े नह
थे वे अपने जंगल मुख या जम दार के आदे श पर खेती से शकार करने के लए हमेशा
तैयार रहते थे। म घाट शला के जम दार जग ाथ सह ने हजार चुआ र के साथ ह थयार
उठाये। कं पनी सरकार ने घुटने टे क दये।

म चुआ र सरदार धडका के याम गंज न का लयापाल के सुबला सह और बराज


व ोह म उठे । हालाँ क इस बार उ ह दबा दया गया।

सबसे मह वपूण व ोह म जन या ज ल सह के अधीन था। जन सह


रायपुर के जम दार थे जहां से उ ह बंगाल व नयम के संचालन के कारण बेदखल कर दया
गया था। मई म उनके अनुया यय चुआ र के एक समूह ने रायपुर क संप
क नीलामी को रोकने के लए रायपुर म हसक ग त व धय म शा मल हो गए। इस व ोह को
अं ेज ने बेरहमी से दबा दया। चुआ र के अ य नेता बाराभूम के राजा के भाई माधब सह
जु रया के जम दार राजा मोहन सह और लमा के लछमन सह थे।

चुअ र श द को कु छ इ तहासकार अपमानजनक मानते ह जो इसके बजाय इसे


जंगल महल का व ोह कहते ह।

कोल व ोह
कोल अ य जनजा तय के साथ छोटानागपुर के नवासी ह। इसम रांची सहभूम हज़ारीबाग़
पलामू और मानभूम के प मी ह से शा मल थे। म सम या कोल मु खया से ह
सख और मु लम कसान और सा कार जैसे बाहरी लोग को भू म के बड़े पैमाने पर
ह तांतरण के साथ शु ई जो दमनकारी थे और भारी कर क मांग करते थे। इसके अलावा
टश या यक और राज व नी तय ने कोल क पारंप रक सामा जक तय को बुरी तरह
भा वत कया। कोल लोग को यह नागवार गुज रा और म बु ो भगत के नेतृ व म कोल
व ो हय ने लगभग एक हजार बाहरी लोग को मार डाला या जला दया। बड़े पैमाने पर सै य
अ भयान के बाद ही व ा बहाल हो सक ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

हो और मुंडा व ोह
पाराहाट के राजा ने सहभूम अब झारखंड म के क जे के खलाफ व ोह करने के लए अपने
हो आ दवा सय को संग ठत कया। व ोह तक जारी रहा जब हो आ दवा सय को
समपण के लए मजबूर होना पड़ा। हालाँ क बाद म म उ ह ने नई शु क गई कृ ष
राज व नी त और अपने े म बंगा लय के वेश के वरोध म छोटानागपुर के मुंडा के साथ
मलकर फर से एक व ोह का आयोजन कया। हालाँ क म व ोह समा त हो गया
ले कन हो ऑपरेशन तक जारी रहा।

न ही मुंडा अ धक समय तक चुप रहने वाले थे।


म रांची के द ण े म मुंडा का उदय बरसा मुंडा के अधीन
आ। उलगुलान क अव ध म सबसे मह वपूण आ दवासी व ोह म से एक था।

एक धा मक आंदोलन के प म शु ए व ोह ने सामंती जम दारी कायकाल क शु आत


और सा कार और वन ठे के दार ारा शोषण के खलाफ लड़ने के लए राजनी तक ताकत
जुटाई। मुंडा ने म छोटानागपुर को अपना े होने का दावा कया। तब टश सश
बल तैनात कए गए थे। बरसा को पकड़कर जेल म डाल दया गया।

संथाल व ोह
संथाल जो एक कृ षक लोग थे जो राजमहल पहा ड़य बहार के मैदानी इलाक म बसने के
लए भाग गए थे के नरंतर उ पीड़न के कारण जम दार के खलाफ संथाल व ोह आ।
सा कार ज ह अ य लोग के अलावा पु लस का भी समथन ा त था कसान से दमनकारी
वसूली करने और भू म से बेदखल करने के लए जम दार के साथ शा मल हो गए थे। यह व ोह
टश वरोधी आंदोलन म बदल गया। सधू और का दो भाइय के तहत संथाल ने कं पनी
शासन को समा त करने क घोषणा क और भागलपुर और राजमहल के बीच के े को
वाय घो षत कया। तक व ोह दबा दया गया।

ख ड व ोह
से तक ओ डशा से लेक र आं दे श के ीकाकु लम और वशाखाप नम जल
तक फै ले पहाड़ी इलाक के ख ड ने कं पनी शासन के खलाफ व ोह कया। च ब नोई एक
युवा राजा ने ख ड का नेतृ व कया जो इसम शा मल हो गए
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

घुमसर कालाहांडी और अ य जनजा तय ने मानव ब ल के दमन नए कर और जम दार के


अपने े म वेश का वरोध कया। च ब नोई के गायब होने के साथ ही व ोह समा त हो
गया।

बाद म म उड़ीसा े म ख ड व ोह इस उ मीद से शु आ था क वदे शी


शासन समा त हो जाएगा और वे एक वाय सरकार हा सल कर सकगे।

कोया व ोह पूव
गोदावरी ै क आधु नक आं के कोया ने ख डा सारा मुख से मलकर
और म व ोह कया। वे म टॉमा सोरा के तहत एक
बार फर से उठे । उनक शकायत पु लस और सा कार ारा उ पीड़न नए नयम और वन
े पर उनके पारंप रक अ धकार से इनकार थ । टॉमा सोरा क मृ यु के बाद म राजा
अनंत यार ारा एक और व ोह का आयोजन कया गया था।

भील व ोह प मी
घाट म रहने वाले भील ने उ र और द कन के बीच के पहाड़ी दर को नयं त कया। उ ह ने
म कं पनी शासन के खलाफ व ोह कया य क उ ह अकाल आ थक संक ट और
कु शासन का सामना करना पड़ा। व ोह को नयं त करने के लए अं ेज ने बल और सुलह
दोन यास का इ तेमाल कया। हालाँ क भील ने और म फर से
व ोह कया। बाद म एक सुधारक गो वद गु ने तक द ण राज ान बांसवाड़ा
सुंथ रा य के भील को भील राज के लए लड़ने के लए खुद को संग ठत करने म मदद क ।

कोली व ोह भील के
पड़ोस म रहने वाले कोली और फर के दौरान कं पनी के शासन के
खलाफ व ोह म उठे । उ ह ने कं पनी के शासन को लागू करने का वरोध कया जो उनके लए
बड़े पैमाने पर बेरोजगारी लेक र आया और उनके कल को न कर दया गया।

रामोसी व ोह रामो सस
प मी घाट क पहाड़ी जनजा तयाँ टश शासन और टश पैटन के साथ सामंज य नह
बठा पाई थ ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जनजातीय आंदोलन काल े


कारण एक नज़र म

. माशल पहा ड़या ारा पहा ड़या व ोह राजमहल पहा ड़याँ अपनी भू म पर टश व तार के
व ।
. चुआ र आ दवासी आ दवा सय ारा चुआ र व ोह अं ेज ारा मांग म वृ और आ थक
नजीकरण के खलाफ।
. बु ो भगत के नेतृ व म छोटानागपुर के कोल लोग ारा कोल व ोह उनक भू म पर टश शासन
के व तार और उनक भू म को बाहरी लोग को ह तांत रत करने के खलाफ व ोह दबा दया गया।

. हो और मुंडा व ोह
ए राजा पाराहत के नेतृ व म हो आ दवा सय ारा सहभूम और छोटानागपुर अं ेज ारा
सहभूम पर क जे के खलाफ। बी हो आ दवा सय और मुंडा ारा नई शु क गई
कृ ष राज व नी त के खलाफ। सी बरसा मुंडा रांची के द ण के नेतृ व म मुंडा
ारा बरसा को पकड़कर जेल म डाल दया गया। डी
व ोह बरसा मुंडा ारा सम थत सामंती जम दारी कायकाल क शु आत और सा कार
और वन ठे के दार ारा शोषण के खलाफ।
उलगुलान

. सदो और का के नेतृ व म संथाल ारा संथाल व ोह बहार जम दार और सा कार क


था के खलाफ बाद म व ोह टश वरोधी हो गया और दबा दया गया।

.च ब नोई के नेतृ व म क ध व ोह और बाद म म त मलनाडु से बंगाल तक फै ला


पहाड़ी े म उड़ीसा म आ दवासी री त रवाज म ह त ेप और थोपने के खलाफ

नये कर.
. नायकदा आंदोलन का दशक म य दे श और गुज रात
अं ेज़ और सवण ह के ख़लाफ़।
. खरवार ारा खरवार व ोह बहार राज व बंदोब त ग त व धय के व ।

. कोरा म लया के नेतृ व म ख डा डोरा ारा ख डा डोरा अ भयान वशाखाप नम म डाबर े ।

. भील व ोह और प मी घाट का े कं पनी शासन के व म और


भील राज का गठन।
. भुइयां जुआ ंग और क स ारा भुइयां और जुआ ंग व ोह पहले व ोह का नेतृ व र ना नायक ने कया था
सरे व ोह का नेतृ व धरनी धर नायक खेओ झार उड़ीसा ने कया था
म उनक मृ यु के बाद एक टश आ त को राजग पर बठाने के ख़लाफ़।

राजा
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

. कोया और ख डा सारा मुख ारा कोया व ोह


म टोमा सोरा के नेतृ व म म राजा
अनंत यार के नेतृ व म पूव गोदावरी े आं दे श पु लस सा कार के उ पीड़न के व नये
नयम और वन े पर उनके अ धकार का हनन।

. ब तर व ोह जगदलपुर नये सामंत और जंगल के व


लेवी.
. जा ा भगत बलराम भगत के नेतृ व म मुंडा और ओरांव जनजा तय के बीच ताना भगत आंदोलन
ज ह ने चार कया क भगवान के दयालु त न ध आ दवा सय को मु करने के लए आएंगे
छोटानागपुर बाहरी लोग के ह त ेप के व सं कृ तकरण आंदोलन के पम
शु आ।

. कोया के अ लूरी सीताराम राजू के नेतृ व म र ा व ोह आं दे श म र ा


े टश ह त ेप के व म राजू को पकड़ना और फाँसी दे ना।

. छोटानागपुर े के आ दवा सय ारा झारखंड व ोह के बाद बहार उड़ीसा और प म


बंगाल के कु छ ह से आ दवासी महासभा का गठन म आ था जसे म े ीय झारखंड
पाट ारा त ा पत कया गया था।

. वन स या ह ए चचू आ दवा सय ारा के दशक म आं म गुंटूर जला बी पलामू के


कारवार ारा के दशक म बहार वन पर बढ़ते टश नयं ण के व ।

. ग ड के व ा सय को एक साथ लाने के लए ग ड व ोह ।
धम.

शासन। उ ह ने वलय क नी त का वरोध कया। अं ेज ारा मराठा े पर क ज़ा करने


के बाद रामो सस ज ह मराठा शासन ारा नयो जत कया गया था ने अपनी आजी वका
के साधन खो दए। वे म च ूर सह के अधीन उठे और सतारा के आसपास के दे श को
लूट लया। पुन म पूना के उमाजी नाइक और उनके समथक बापू यंबकजी सावंत
के नेतृ व म दं गे ए और ये उप व तक जारी रहे। म सतारा के राजा ताप सह
क ग और नवासन को लेक र उप व फर आ और म उप व भड़क उठे । भी.

अंततः एक बेहतर टश सेना ने े म व ा बहाल क ।


आमतौर पर अं ेज ने रामो सस के त शां तवाद नी त अपनाई और उनम से कु छ को पहाड़ी
पु लस म भी भत कया।
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उ र पूव के जनजातीय आंदोलन उ र पूव सीमांत े के कु छ स


जनजातीय आंदोलन नीचे दए गए ह।

खासी व ोह गारो और
ज तया पहा ड़य के बीच के पहाड़ी े पर क ज़ा करने के बाद ई ट इं डया कं पनी एक
सड़क बनाना चाहती थी

उ र पूव सीमांत जनजातीय आंदोलन

वष े मुख कारण
से पहले के आंदोलन
. अहोम व ोह असम बम यु के बाद कं पनी क त ा को पूरा न करने के व कं पनी ारा
रा य को वभा जत करके व ोह को दबा दया गया।

. खासी का व ोह का दशक ज तया और गारो ह स के बीच का पहाड़ी े नंक लो शासक तीरथ सह


के नेतृ व म पहाड़ी े पर क जे के खलाफ.

. सगफोस का व ोह का दशक असम म सगफोस ारा असम के टश राजनी तक एजट क


ह या का कारण बना अंततः दबा दया गया।

के बाद के आंदोलन . कु कय का
व ोह म णपुर थम व यु के दौरान मक क भत क टश नी तय के व ।

. पुरा म व ोह गृह कर क दर म बढ़ोतरी और े म बाहरी लोग को बसाने के खलाफ ए परी त जमा तया
के नेतृ व म बी र नम ण के नेतृ व म रयांग
व ोह सी भारती सह के नेतृ व म के दशक

. ज़े लयांगसॉ ग आंदोलन का दशक म णपुर ज़ेमी लयांगमेई और र गमेई जनजा तय के नेतृ व म


म कु क हसा के दौरान उनक र ा करने म अं ेज क वफलता के खलाफ।

. नागा आंदोलन म णपुर जादोनांग के नेतृ व म ख़लाफ़


टश शासन और नागा क ापना के लए राज.
. हेराका पंथ म णपुर गाइ द यू के नेतृ व म आंदोलन को दबा दया गया ले कन म काबुई नागा
एसो सएशन का गठन कया गया।

. अ य छोटे आंदोलन थे म जै तया ह स के सटग का व ोह म फु लागुड़ी कसान का व ोह


म सफ़लास का व ोह म कछार के कछा नागा का व ोह और म म णपुर म
म हला का यु ।
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

पु घाट को सलहट से जोड़ना। इसके लए बड़ी सं या म बाहरी लोग जनम अं ेज़


बंगाली और मैदानी इलाक के मज र शा मल थे इन े म लाए गए। मैदानी इलाक से
अजन बय को र भगाने के लए खासी गारो ख टस और सगफोस ने तीरथ सह के
अधीन खुद को संग ठत कया। यह व ोह े म टश शासन के व एक लोक य व ोह
के प म वक सत आ। तक बेहतर अं ेज ी सै य बल ने व ोह को दबा दया था।

सगफोस व ोह क
शु आत म असम म सगफोस के व ोह को तुरंत दबा दया गया ले कन उ ह ने व ोह
आयो जत करना जारी रखा।
म एक व ोह म टश राजनी तक एजट क मृ यु ई। मुख नरंग फ ने म
एक व ोह का नेतृ व कया जसम टश गैरीसन पर हमला और कई सै नक क मौत
शा मल थी।

कु छ छोटे आंदोलन मश मय के थे म और के बीच असम म


खा ती व ोह और म लुशाइय का व ोह जब उ ह ने म णपुर के गांव पर
हमला कया।

सपाही व ोह
के महान व ोह से पहले दे श के व भ ह स म कई छटपुट सै य व ोह ए।

कारण
न न ल खत कारण से टश शासन के व सपा हय का असंतोष बढ़ रहा था i
भुगतान और पदो त म भेदभाव ii टश
अ धका रय ारा सपा हय के साथ वहार iii सु र े म लड़ाई
के दौरान सरकार ारा वदे शी सेवा भ ा दे ने से इंक ार करना iv लॉड कै नग के
जनरल स वस एन ल टमट ए ट पर उ जा त के ह सपा हय क
धा मक आप यां जसम सभी रंग ट को भारत के भीतर और बाहर
सेवा के लए तैयार रहने का आदे श दया गया था।
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इसके अलावा सपा हय ने नाग रक आबाद को भा वत करने वाले सभी असंतोष


और शकायत सामा जक धा मक और आ थक को साझा कया।

वष से उ जा त के सपा हय ने अपनी धा मक मा यता को अपनी सेवा शत के


साथ संघष म पाया था। उदाहरण के लए म पगड़ी के ान पर चमड़े क पगड़ी पहनने
से वे लोर म व ोह आ। इसी तरह म बंगाल सेना के सपा हय को र सध म भेज े
जाने पर व ोह आ और म बैरकपुर के सपा हय ने व ोह कर दया जब उ ह बमा
जाने के लए कहा गया य क समु पार करने का मतलब जा त क हा न होगी।

मह वपूण व ोह से पहले के
समय म ए सबसे मह वपूण व ोह न न ल खत ह i म बंगाल म सपा हय का
व ोह। ii का वे लोर व ोह जब
सपा हय ने अपने सामा जक और धा मक े म ह त ेप का वरोध कया
अ यास कया और मैसूर के शासक का झंडा फहराते ए व ोह का झंडा उठाया।

iii म व ने टव इ फ यू नट के सपा हय का व ोह। iv असम म ेने डयर


कं पनी का व ोह

v म शोलापुर म एक भारतीय रे जमट का व ोह। vi मशः


और म व ने टव इ फ एनआई व एनआई व एनआई और
व एनआई का व ोह।

हालाँ क ये सभी व ोह उनके इलाके से बाहर नह फै ले और टश भारतीय सरकार


ारा बेरहमी से कु चल दए गए अ सर भयानक हसा ई नेता को मार डाला गया और
रे जमट को भंग कर दया गया। ले कन इन व ोह क वरासत बाद म ब त मह वपूण सा बत
ई।
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

जन व ोह क कमजो रयाँ
• इन व ोह म बड़ी सं या म तभागी शा मल ए ले कन वा तव म ये ानीय थे
और अलग अलग े म अलग अलग समय पर ए। • वे अ धकतर ानीय शकायत से
उप ए। • नेतृ व च र म
अध सामंती पछड़े दखने वाला कोण म पारंप रक था और उनका
तरोध मौजूदा सामा जक व ा के लए वक प दान नह करता था।

• य द इनम से कई व ोह वदे शी शासन को हटाने क चाहत म एक सरे के समान


लगते थे तो यह कसी रा ीय आवेग या सामा य यास के कारण नह था ब क इस लए
था य क वे उन तय का वरोध कर रहे थे जो उनके लए सामा य थ । • इन व ोह का
व प एवं स दय पुराना था

वैचा रक सां कृ तक साम ी. • जो इतने


असहयोगी या हठ नह थे
अ धका रय ारा रयायत के मा यम से शांत कया गया।
• इन व ोह म सेना नय ारा इ तेमाल कए गए तरीके और ह थयार उनके वरो धय
ारा अपनाए गए ह थयार और रणनी त के साथ साथ धोखे और चालाक क तुलना म
ावहा रक प से अ च लत थे।

सारांश

• लोग के तरोध के लए ज मेदार कारक औप नवे शक भू म राज व नपटान


नए कर का भारी बोझ और कसान को उनक भू म से बेदखल करना।

म य राज व सं ाहक करायेदार और धन क वृ


ऋणदाता.
जनजातीय भू म पर राज व शासन का व तार।
वदे शी उ ोग का वनाश और टश न मत व तु को बढ़ावा दे ना।

पुरो हत और व ान वग को संर ण का अंत।


टश शासन का वदे शी च र .
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• जन व ोह के व प
नाग रक व ोह
कसान आंदोलन
आ दवासी व ोह

सै य व ोह

• से पहले नाग रक व ोह
स यासी व ोह बहार और बंगाल मंज ू शाह
मूसा शाह भवानी पाठक और दे बी चौधुरानी थे
कु छ मह वपूण नेता.
म व ोह मदनापुर और धालभूम बंगाल दामोदर
सह जगननाथ ढल आ द।
का व ोह मोअम रयास असम और वतमान के कु छ ह से
बां लादे श कृ णनारायण मह वपूण नेता थे.
नाग रक म व ोह गोरखपुर ब ती और बहराईच उ र
दे श.
का व ोह के राजा वजयनगरम उ री सकार वजीराम
रौज़े च ा वजयरामराजू को उसक जा का समथन ा त था।
म व ोह बेदनूर कनाटक धुं डया वाघ.
का व ोह के रल वमा पजह सी राजा के रल
के रल वमा.
नाग रक का व ोह अवध पूव उ र दे श वज़ीर
अली खान वज़ीर अली ।
व ोह म गंज म और गुमसूर पूव
ओ डशा ाइकर भंज धनंज य भंज और रा बसायी।
म व ोह पलामू झारखंड का छोटानागपुर
व ोह के नेता भुख न सह थे।
पो लगस का व ोह त वे ली रामनाथपुरम
त मलनाडु के शव ग र म रै और उ री अरकोट क ाबो मन
नायकन एक मह वपूण नेता थे।
का व ोह द वान वेलू थ ी ावणकोर द वान के नेतृ व म
रा य के वेलु थ ी।
म गड़बड़ी बुंदेलखंड बुंदेलखंड के े
वतमान म य दे श और उ र दे श म ल मण
दावा अजयगढ़ कले का कलादार द रया सह कलादार
कलंज र के और गोपाल सह एक सै य साहसी थे
मह वपूण व ोही.
पाला कमेडी का कोप उड़ीसा नारायण दे व और
गजप त दे व.
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से पहले अं ेज के खलाफ लोग का तरोध

क व ोह गुज रात राव भारमल.


पर बढ़ रहा है बरेली उ र दे श मु ती मुह मद ऐवाज़
एक धा मक नेता नगरपा लका कर के ख़लाफ़ तरोध शु हो गया
एक धा मक म जेहाद.
हाथरस म उबाल उ र दे श म अलीगढ़ और आगरा
दयाराम और भगवंत सह मह वपूण व ोही थे।
पाइका व ोह उड़ीसा ब ी जगबंधु ब ाधर
मुकुं द दे व और द नबंधु संतरा मह वपूण नेता थे।
वाघेरा उभरता आ गुज रात का बड़ौदा े वाघेरा के नेतृ व म
ओखा मंडल के मुख .

अहोम व ोह असम गोमधर क वर और महाराजा के नेतृ व म


पुरंधर सह. नरे गदाधर सह और कु मार पचंद
अ य नेता थे.
सूरत नमक आंदोलन गुज रात यूरो पयन पर आ मण
सूरत के ानीय लोग ारा नमक शु क म वृ के मु े पर.
गड़करी व ोह महारा का को हापुर गडका रस ए
बेरोजगारी के कारण वंशानुगत सै नक वग ने व ोह कर दया
और कसान क शकायत।
व ोह का सावंतवाडी उ री क कण तट फो
सावंत सुबाना नकम दाजी ल मण और हर सावंत
डगनेक र मह वपूण व ोहवाद थे।
वहाबी आंदोलन बहार बंगाल उ र प म सीमा
पंज ाब आ द ा त म इ लामवाद पुन ानवाद आ दोलन ार आ
राय बरेली के सैयद अहमद ारा।
कू का आंदोलन पंज ाब एक धा मक आ दोलन ार आ
भगत जवाहर मल ारा इसे राजनी तक प दया गया। ट कर मारना
सह एक स नेता को रंगून नवा सत कर दया गया।

• कसान आंदोलन

नारके लबे रया व ोह परगना बंगाल ट टू मीर ने े रत कया


प म बंगाल म मु लम करायेदार ह जम दार के खलाफ थे।
पागल पंथी मैमन सह जला बंगाल करम
शाह और उनके बेटे ट पू के व उठे पूव बंगाल म जम दार.
फ़राज़ी व ोह फरीदपुर शरीयत अ लाह
दा मयां के पु धा मक सं दाय के सं ापक थे
फ़राज़ी ।
मोपला व ोह के रल का मालाबार े ख़लाफ़
राज व मांग म वृ और े के आकार म कमी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• आ दवासी व ोह

पहा ड़या का व ोह राज महल पहा ड़याँ


चुआ र व ोह से मदनापुर जला
बंगाल का मह वपूण नेता शाम गंज न जन सह
और माधब सह.
कोल गदर रांची सहभूम हज़ारीबाग़ पलामू और
मानभूम बु ो भगत एक मह वपूण नेता थे।
हो और मुड
ं ा व ोह
छोटानागपुर े म बरसा मुंडा ने नेतृ व कया
व ोह।
संथाल व ोह राज महल पहाड़ी बहार स और
का मह वपूण नेता थे.
ख ड व ोह त मल से लेक र पहाड़ी े तक फै ला आ
नाडु से बंगाल च बसोई एक मह वपूण नेता।
कोया व ोह पूव गोदावरी
आं दे श का े टो मा सोरा और राजा अनंत यार
मह वपूण नेता थे.
बजाज हो ग व ोह खानदे श धार मालवा प मी
घाट और द णी राज ान।
कोली उ ान और प मी घाट।
रामोसी राइ ज स प मी घाट च ूर
सह एक मह वपूण व ोही नेता थे।
खासी व ोह गारो और जय तया के बीच का पहाड़ी े
पहा ड़याँ सलहट खासी गारो ख टस और सघफोस
तीरथ सह के अधीन वयं को संग ठत कया।
सहफोस का व ोह असम बमा सीमा
म नरंग फ़ ने व ोह का नेतृ व कया।

• सपाही व ोह
वे लोर व ोह
व ने टव इ फ यू नट का व ोह
ेने डयर कं पनी का व ोह असम
शोलापुर म व ोह
व ने टव इ फ का व ोह
व ने टव इ फ का व ोह
व ने टव इ फ का व ोह
व ने टव इ फ का व ोह
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का व ोह

का व ोह

उबल रहा असंतोष


म लासी के यु के बाद अं ेज ने उ री भारत म स ा हा सल करने क दशा म पहला
कदम रखा। और म मुख व ोह आ जो के बाद के औप नवे शक शासन के
च र और नी तय का प रणाम था और जसके बाद भारत पर शासन करने क टश नी त म
उ लेख नीय प रवतन ए। वष से टश व तारवाद नी तय आ थक शोषण और शास नक
नवाचार के संचयी भाव ने भारतीय रा य के शासक सपा हय जम दार कसान
ापा रय कारीगर पं डत मौल वय आ द सभी क त पर तकू ल भाव डाला था।

सुलगता आ असंतोष म एक हसक तूफ़ ान के प म फू ट पड़ा जसने भारत म टश


सा ा य क न व हला द ।

हालाँ क और के बीच क अव ध पूरी तरह शां तपूण और परेशानी मु


नह थी इसम धा मक राजनी तक हसा आ दवासी आंदोलन कसान व ोह और कृ ष दं ग
और नाग रक व ोह के प म छटपुट लोक य व ोट क एक ृंख ला दे ख ी गई। बढ़ ई
राज व माँग यहाँ तक क अकाल के वष म भी ोध का कारण बन । कई बार ानीय
सा कार के खलाफ आंदोलन कं पनी शासन के खलाफ व ोह म बदल गए य क सा कार
को पु लस का समथन ा त था। दे शी धा मक पारंप रक री त रवाज म टश ह त ेप से भी
आ ोश पैदा आ और प रणाम व प व ोह आ। लगभग ई ट इं डया कं पनी के शासन के
शु आती दन से ही व ोह और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वभ े म व भ कारण से व ोह ए।
कु छ आंदोलन के व ोह के बाद भी जारी रहे। द ण पूव प म और उ र पूव े
म बड़े व ोह ए ज ह कं पनी ने ू रता से दबा दया।

पछले अ याय म इनम से कु छ व ोह पर चचा क गई थी।

का व ोह मुख कारण
के व ोह के कारण पहले के व ोह क तरह सभी वग और वग को पार करते ए
भारतीय आबाद के दै नक अ त व के सभी पहलु सामा जक सां कृ तक आ थक और
राजनी तक से उभरे। इन कारण पर नीचे चचा क गई है।

आ थक कारण ई ट इं डया कं पनी


क औप नवे शक नी तय ने भारतीय समाज के पारंप रक आ थक ताने बाने को न कर दया।
कसान वा तव म नए और अ य धक अलोक य राज व समझौते ारा लगाई गई वकलांगता
से कभी उबर नह पाए।

भारी कराधान से गरीब होकर कसान ने सूदखोर ापा रय से अ य धक दर पर ऋण


लया जो अ सर बकाया ऋण का भुगतान न करने पर सा कार ापा रय को उनक भू म
से बेदखल कर दे ते थे। ये सा कार और ापारी नए जम दार के प म उभरे जब क भू महीन
कसान और ामीण ऋण तता का संक ट आज भी भारतीय समाज को परेशान कर रहा है।
जम दारी क पुरानी व ा को वघ टत होने के लए मजबूर होना पड़ा।

टश शासन का मतलब कारीगर और ह त श पय के लए भी ख था। कं पनी


ारा भारतीय रा य पर क ज़ा करने से उनके संर ण के मुख ोत दे शी शासक और रईस
जो अब श प मक के संर क बनने का जो खम नह उठा सकते थे बंद हो गए। इसके
साथ ही टश नी त ने भारतीय ह त श प को हतो सा हत कया और टश व तु को
बढ़ावा दया। अ य धक कु शल भारतीय कारीगर को रोजगार के वैक पक ोत क तलाश
करने के लए मजबूर होना पड़ा जो शायद ही अ त व म थे वनाश के पम
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का व ोह

दे ख यह
टश घुसपै ठया ही था जसने भारतीय हथकरघा को न कर दया और चरखे को न कर दया।
इं लड ने भारतीय कपास को यूरोपीय बाज़ार से वं चत करना शु कया इसके बाद इसने ह तान
म बदलाव ला दया और अंत म कपास क मातृभू म को कपास से भर दया।

काल मा स म

भारतीय ह त श प के साथ साथ आधु नक उ ोग का वकास नह आ।

भारतीय ापार और ापा रक वग को अं ेज ारा जानबूझ कर पंगु बना दया गया


था ज ह ने भारतीय न मत व तु पर उ टै रफ शु क लगाया था। साथ ही भारत म
टश व तु के आयात पर कम शु क लगता था जससे भारत म उनके वेश को ो साहन
मलता था। उ ीसव सद के म य तक भारत से सूती और रेशमी व का नयात ावहा रक
प से समा त हो गया। मु ापार एक रा ता वह है और टे न से मशीन न मत व तु
के खलाफ सुर ा मक शु क लगाने से इंक ार करने से भारतीय व नमाण समा त हो गया।

जम दार पारंप रक जम दार अ भजात वग अ सर शासन ारा यथा वारंटो के


लगातार उपयोग के कारण अपने भू म अ धकार को ज त कर लेते थे। इससे गांव म उनक
त ा घट गई। व ोह के तूफ ान क अवध म तालुक दार क संप ज त कर ली
गई और अचानक उ ह ने खुद को आय के ोत के बना पाया काम करने म असमथ भीख
मांगने म शम आती थी द र ता क नदा क जाती थी ।

इन बेदखल तालुक दार ने सपाही व ोह से मले मौके का फायदा उठाकर अं ेज का वरोध


कया और जो कु छ उ ह ने खोया था उसे वापस पाने क को शश क ।

भारतीय उ ोग के बबाद होने से कृ ष और भू म पर दबाव बढ़ गया जससे सभी


लोग का भरण पोषण नह हो सका असंतु लत वकास के प रणाम व प दे श आम तौर पर
कं गाल हो गया।

राजनी तक कारण
ई ट इं डया कं पनी क लालची नी त के साथ साथ टू ट त ा और वाद का प रणाम आ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भावी नयं ण सहायक गठबंधन और पगत के स ांत जैसी नी तय के मा यम से


भारत म लगभग सभी शासक राजकु मार के मन म संदेह पैदा करने के अलावा कं पनी के त
अवमानना और राजनी तक त ा क हा न ई। ह राजकु मार को उ रा धकार के अ धकार
से वं चत कर दया गया। मुगल तब न हो गए जब म स फक न क मृ यु पर
जनके उ रा धकार को लॉड डलहौजी ने सशत मा यता द थी लॉड कै नग ने घोषणा क क
उ रा धकार पर अगले राजकु मार को याग के अलावा शाही उपा ध और पैतृक मुगल महल
को भी यागना होगा। स फक न ारा सहम त क गई।

शासक त कालीन अ भजात वग के पतन ने भारतीय समाज के उन वग पर भी


तकू ल भाव डाला जो सां कृ तक और धा मक ग त व धय से अपना भरण पोषण ा त
करते थे।

शास नक कारण
कं पनी के शासन म वशेषकर पु लस छोटे अ धका रय और नचली अदालत म ात
ाचार असंतोष का एक मुख कारण था। दरअसल कई इ तहासकार का मानना है क
भारत म अब जो ापक ाचार हम दे ख ते ह वह कं पनी शासन क वरासत है। इसके
अलावा टश शासन के च र ने भारतीय क नज़र म इसे एक वदे शी और वदे शी प
दान कया एक कार क अनुप त सं भुता।

सामा जक धा मक कारण
न लीय भाव और े ता क भावना ने मूल भारतीय आबाद के त टश शास नक रवैये
क वशेषता बताई। भारत म टश वज का पालन करने वाले ईसाई मशन रय क
ग त व धय को भारतीय ारा संदेह क से दे ख ा जाता था। सती था क समा त वधवा
ववाह को समथन और म हला क श ा जैसे सामा जक धा मक सुधार के यास को
आबाद के एक बड़े वग ने बाहरी लोग ारा भारतीय समाज के सामा जक और धा मक े
म ह त ेप के प म दे ख ा। म जद और मं दर क ज़मीन पर कर लगाने और धा मक
वकलांगता अ ध नयम जैसे कानून बनाने के सरकार के फै सले ने इन आशंक ा को
और बढ़ा दया जसने उदाहरण के लए ह री त रवाज को संशो धत कया।
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का व ोह

धम प रवतन से कसी बेटे को अपने वधम पता क संप पाने से वं चत नह कया जा


सकता।

बाहरी घटना का भाव का व ोह कु छ बाहरी


घटना के साथ मेल खाता था जसम अं ेज को गंभीर नुक सान आ पहला अफगान यु
पंज ाब यु और मया यु । इनका
मनोवै ा नक भाव पड़ा। ऐसा दे ख ा गया क अं ेज़ इतने ताकतवर नह थे और ऐसा महसूस
कया जा रहा था क उ ह हराया जा सकता है।

सपा हय म असंतोष कं पनी क सेना और छाव नय


म सेवा क शत सपा हय क धा मक मा यता और पूवा ह के साथ तेज ी से टकराव म आ
ग । जा त और सं दाय के नशान पहनने पर तबंध और पादरी क धमातरण ग त व धय
क गु त अफवाह अ सर कं पनी के खच पर रखी जाती थ जसका मतलब भारतीय खच
पर होता था क ा या भारतीय सपा हय ारा क जाती थी जो आम तौर पर वभाव से
ढ़वाद थे उनके धा मक मामल म ह त ेप के प म।

उस समय के धा मक ह के लए समु पार करने का मतलब जा त क हा न था।


म लॉड कै नग क सरकार ने जनरल स वस एन ल टमट ए ट पा रत कया जसम यह
आदे श दया गया क बंगाल सेना म भ व य म भत होने वाले सभी लोग को सरकार ारा कह
भी उनक सेवा क आव यकता होने पर सेवा करने का वचन दे ना होगा। इससे आ ोश फै ल
गया।

भारतीय सपाही अपने टश समक क तुलना म अपनी प रल य से समान


प से नाखुश थे। सपा हय के असंतोष का एक और ता का लक कारण यह आदे श था क
सध या पंज ाब म सेवा करते समय उ ह वदे शी सेवा भ ा भ ा नह दया जाएगा। कई
सपा हय के नवास ान अवध पर क जे ने उनक भावना को और भड़का दया।

भारतीय सपाही को हर कदम पर अधीन महसूस कराया जाता था और उसके साथ


न लीय और पदो त तथा वशेषा धकार के मामल म भेदभाव कया जाता था। सपा हय
का असंतोष सै य मामल तक ही सी मत नह था यह टश के त आम जनता के मोहभंग
और उनके वरोध को दशाता है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नयम। सपाही वा तव म एक वद धारी कसान था जसक चेतना ामीण आबाद से अलग


नह थी। सेना ने अपनी शकायत के अलावा अ य शकायत भी क और आंदोलन
सेना से परे फै ल गया एस कहते ह।

गोपाल.
अंततः टश भारतीय सेना म व ोह का एक लंबा इ तहास रहा है बंगाल
वे लोर बैरकपुर और अफगान यु के दौरान जनम से कु छ
का उ लेख कया जाए तो।

व ोह क शु आत और सार
चगारी आटे म ह ी
का बुरादा मलाने और एनफ राइफल क शु आत के बारे म रपोट ने सरकार के त
सपा हय के बढ़ते असंतोष को बढ़ा दया। नई राइफल के कारतूस के ीस लगे रै पग पेपर
को लोड करने से पहले काटना पड़ता था और क थत तौर पर ीस गोमांस और सुअ र क चब
से बना होता था। गाय ह के लए प व थी जब क सुअ र मुसलमान के लए व जत था।
सेना शासन ने इन आशंक ा को र करने के लए कु छ नह कया और सपा हय को लगा
क उनका धम गंभीर खतरे म है।

चब वाले कारतूस ने सेना म असंतोष का कोई नया कारण पैदा नह कया ब क


सुलग रहे असंतोष को खुलकर सामने आने का अवसर दान कया।

मेरठ म शु आ व ोह
मई को द ली से कमी र मेरठ म शु आ और फर तेज ी से ताकत इक ा
करते ए ज द ही उ र म पंज ाब और द ण म नमदा से लेक र पूव म बहार और राजपूताना
तक एक वशाल े को अपनी चपेट म ले लया। प म म।

मेरठ क घटना से पहले भी व भ छाव नय म आ ोश क सुगबुगाहट थी। बेरहामपुर


म व ने टव इ फ जसने नई शु क गई एनफ राइफल का उपयोग करने से इनकार
कर दया और फरवरी म व ोह कर दया माच म भंग कर द गई।
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का व ोह

व ने टव इ फ मंगल पांडे ने एक कदम आगे बढ़कर बैरकपुर म अपनी यू नट के साजट


मेज र पर गोली चला द । उ ह अ ैल को पकड़ लया गया और मार डाला गया जब क मई म
उनक रे जमट को भंग कर दया गया। मई को अपने अ धका रय को ललकारने वाली व
अवध रे जमट को भी इसी तरह के भा य का सामना करना पड़ा।

और फर आ मेरठ म व ोट. अ ैल को तीसरी ने टव कै वेलरी के न बे जवान


ने चब वाले कारतूस लेने से इनकार कर दया। मई को उनम से को बखा त कर दया
गया साल क कै द क सजा सुनाई गई और बे ड़य म डाल दया गया। इससे मेरठ म तैनात
भारतीय सै नक के बीच सामा य व ोह भड़क गया। अगले ही दन मई को उ ह ने कै द
कये गये अपने सा थय को रहा कर दया अपने अ धका रय को मार डाला और व ोह का
झंडा फहरा दया। सूया त के बाद वे द ली के लए रवाना ए।

बहा र शाह को चुना गया


तीका मक सर
द ली म ानीय पैदल सेना उनके साथ शा मल हो गई उ ह ने राजनी तक एजट साइमन
े जर स हत अपने ही यूरोपीय अ धका रय को मार डाला और शहर पर क ज़ा कर लया।
द ली म प का के भारी अ धकारी ले टनट वलॉबी ने कु छ तरोध कया ले कन पर
काबू पा लया गया। वृ और श हीन बहा र शाह जफर को भारत का स ाट घो षत कया
गया।

द ली ज द ही महान व ोह का क और बहा र शाह उसका तीक बनने वाली थी।


अं तम मुग़ल राजा का दे श के नेतृ व म वत उदय इस त य क मा यता थी क मुग़ल वंश का
लंबा शासनकाल भारत क राजनी तक एकता का पारंप रक तीक बन गया था। इस अके ले
कृ य से सपा हय ने सै नक के व ोह को एक ां तकारी यु म बदल दया था जब क
व ोह म भाग लेने वाले सभी भारतीय मुख ने मुगल स ाट के त अपनी वफादारी क
घोषणा करने म ज दबाजी क । इससे यह भी पता चला क व ोही राजनी त से े रत थे।
हालाँ क धम एक कारक था व ो हय का ापक कोण धा मक पहचान से नह ब क
आम मन के प म अं ेज क धारणा से भा वत था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शु आती हच कचाहट के बाद बहा र शाह ने भारत के सभी मुख और शासक को


प लखकर टश शासन से लड़ने और उसे बदलने के लए भारतीय रा य का एक संघ
संग ठत करने का आ ह कया। ज द ही पूरी बंगाल सेना व ोह म शा मल हो गई जो तेज ी से
फै ल गई। अवध रो हलखंड दोआब बु दे लख ड म य भारत बहार और पूव पंज ाब के बड़े
ह से ने टश स ा को हलाकर रख दया।

नाग रक जुड़

सपा हय के व ोह के साथ साथ नाग रक आबाद का व ोह भी आ वशेषकर उ र प मी


ांत और अवध म। उनक सं चत शकायत को त काल अ भ मली और वे टश
शासन के त अपने वरोध को कट करने के लए सामू हक प से उठ खड़े ए। यह
कसान कारीगर कानदार दहाड़ी मज र जम दार धा मक भ ुक पुज ा रय और
स वल सेवक ारा व ोह म ापक भागीदारी थी जसने इसे वा त वक ताकत के साथ साथ
एक लोक य व ोह का च र भी दया। यहां कसान और छोटे जम दार ने उन सा कार
और जम दार पर हमला करके अपनी शकायत को वतं प से कया ज ह ने उ ह
जमीन से बेदखल कर दया था। उ ह ने व ोह का फायदा उठाकर सा कार के खाते बही और
ऋण रकॉड को न कर दया। उ ह ने टश ा पत कानून अदालत राज व कायालय
तहसील राज व रकॉड और पु लस टे शन पर भी हमला कया।

एक अनुमान के अनुसार अवध म अं ेज से लड़ते ए मारे गए लगभग


लोग क कु ल सं या म से से अ धक नाग रक थे।

व ो हय ारा द ली पर क ज़ा करने के एक महीने के भीतर


व ोह दे श के व भ भाग म फै ल गया।
तूफ ान क और व ोह के नेता

द ली म नाममा और तीका मक नेतृ व मुगल स ाट बहा र शाह का था ले कन वा त वक


कमान जनरल ब त खान क अ य ता वाले सै नक के दरबार के पास थी ज ह ने बरेली के
सै नक के व ोह का नेतृ व कया था और उ ह लाया था।
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का व ोह

द ली के लए. अदालत म दस सद य शा मल थे छह सेना से और चार नाग रक वभाग से। दरबार


रा य के कामकाज का संचालन स ाट के नाम पर करता था।

स ाट बहा र शाह संभवतः व ोह के नेतृ व क ृंख ला क सबसे कमजोर कड़ी थे। उनके कमजोर
व बुढ़ापे और नेतृ व गुण क कमी ने व ोह के मु य क म राजनी तक कमजोरी पैदा कर द
और उसे अपूरणीय त प ंचाई।

कानपुर म वाभा वक पसंद नाना साहब थे जो अं तम पेशवा बाजीराव तीय के द क


पु थे। उ ह पा रवा रक उपा ध दे ने से इनकार कर दया गया और पूना से नवा सत कर दया गया
और वह कानपुर के पास रह रहे थे। नाना साहेब ने अं ेज को कानपुर से खदे ड़ दया खुद को पेशवा
घो षत कया बहा र शाह को भारत का स ाट माना और खुद को उनका गवनर घो षत कया। टे शन
क कमान संभालने वाले सर हीलर ने जून को आ मसमपण कर दया और उसी दन
उनक ह या कर द गई।

बेगम हजरत महल ने लखनऊ म शासन संभाला जहां जून को व ोह आ और


लोक य सहानुभू त अपद नवाब के प म थी। उनके बेटे बर जस का दर को नवाब घो षत कया
गया और मुसलमान और ह ारा समान प से साझा कए गए मह वपूण कायालय के साथ
एक नय मत शासन का आयोजन कया गया। हेनरी लॉरस टश नवासी यूरोपीय नवा सय
और कु छ सौ वफादार सपा हय ने रेज ीडसी म शरण ली। रेज ीडसी को भारतीय व ो हय ने घेर लया
था और घेराबंद के दौरान सर हेनरी क मौत हो गई थी। घरे ए गैरीसन क कमान गे डयर इंग लस
को स पी गई जो भारी बाधा के बावजूद डटे रहे। सर हेनरी हैवलॉक और सर जे स आउ म के
लखनऊ को पुनः ा त करने के शु आती यास को कोई सफलता नह मली। अंत म नए कमांडर
इन चीफ सर कॉ लन कपबेल ने गोरखा रे जमट क मदद से यूरोपीय लोग को नकाला। माच
म अंततः शहर पर अं ेज का क ज़ा हो गया ले कन गु र ला ग त व ध उसी वष सतंबर तक जारी
रही।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बरेली म रो हलखंड के पूव शासक के वंशज खान बहा र को कमान स पी गई।


अं ेज ारा द जा रही पशन से उ सा हत न होकर उ ह ने सै नक क एक सेना
संग ठत क और अं ेज का कड़ा तरोध कया।

बहार म व ोह का नेतृ व जगद शपुर के जम दार कुँ वर सह ने कया था। स र के


दशक का एक बूढ़ा उसके मन म अं ेज के त े ष था ज ह ने उसे उसक संप से
वं चत कर दया था। जब सपाही द नापुर दानापुर से आरा प ंचे तो वह बना कसी
हच कचाहट के उनके साथ शा मल हो गए।

फै जाबाद के मौलवी अहम ला व ोह के एक अ य उ कृ नेता थे। वह म ास के मूल


नवासी थे और उ र म फै जाबाद चले गए थे जहां उ ह ने टश सै नक के खलाफ कड़ी
लड़ाई लड़ी थी। मई म अवध म व ोह भड़कने के बाद वह उसके सवमा य नेता म से
एक के प म उभरे।

व ोह क सबसे उ कृ नेता रानी ल मीबाई थ ज ह ने झाँसी म सपा हय का


नेतृ व संभाला। गवनर जनरल लॉड डलहौजी ने अपने प त राजा गंगाधर राव क मृ यु के बाद
उनके द क पु को सहासन पर बैठने क अनुम त दे ने से इनकार कर दया था और कु यात
पगत के स ांत को लागू करके रा य पर क ज़ा कर लया था।

टश सेना ारा झाँसी से बाहर नकाले जाने पर उ ह ने यु का नारा दया म अपनी झाँसी
नह ँ गी म अपनी झाँसी नह ँ गी । कानपुर क हार के बाद नाना साहेब के करीबी सहयोगी
तां तया टोपे भी उनके साथ शा मल हो गए । झाँसी क रानी और तां तया टोपे ने वा लयर क
ओर माच कया जहाँ भारतीय सै नक ने उनका वागत कया। स या ानीय

दे ख यहां
वह म हला लेट ई थी जो व ो हय के बीच एकमा पु ष थी।
रोज झांसी क
रानी को उस क ओर से ांज ल जसने उसे हराया
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का व ोह

हालाँ क शासक ने अं ेज का प लेने का फै सला कया और आगरा म शरण ली। नाना साहब
को पेशवा घो षत कया गया और द ण म माच क योजना बनाई गई। जून म अं ेज
ने वा लयर पर पुनः क ज़ा कर लया।

आम जनता ारा कए गए ब लदान ब त बड़े और असं य थे। परगना बड़ौत बागपत


उ र दे श के ानीय ामीण शाह मल का नाम सबसे उ लेख नीय है। उ ह ने गांव जह
चौरासी दे श कहा जाता है के मु खया और कसान को संग ठत कया और रात म गांव
गांव माच कया और लोग से टश आ धप य के खलाफ व ोह करने का आ ह कया।
लोग ने सरकारी इमारत पर हमला कया न दय पर बने पुल को न कर दया और प क
सड़क खोद द आं शक प से सरकारी बल को े म आने से रोकने के लए और आं शक
प से य क पुल और सड़क को टश शासन के तीक के प म दे ख ा जाता था। शाह
मल ने द ली म व ो हय को आपू त भेज ी और टश मु यालय और मेरठ के बीच सभी
आ धका रक संचार को रोक दया। उ ह ने अपना मु यालय यमुना के कनारे एक सचाई
वभाग के बंगले म बनाया और वह से उसके काय क दे ख रेख और नयं ण कया। वा तव
म बंगले को ववाद को सुलझाने और नणय दे ने वाले याय क म बदल दया गया था।

उ ह ने थोड़े समय के लए खु फया जानकारी का एक भावी नेटवक भी संग ठत कया े


के लोग को लगा क टश शासन ख म हो गया है और उनका अपना शासन आ गया है।
भा य से जुलाई म शाहमल क एक अं ेज अ धकारी डनलप ने ह या कर द । ऐसा
आरोप है क जनता को भयभीत करने के लए जुलाई को शाह मल के शरीर को
टु क ड़ म काट दया गया और उसका सर द शत कया गया।

हालाँ क एक वष से अ धक समय तक व ो हय ने भारी बाधा के बावजूद अपना संघष


जारी रखा।

व ोह का दमन
अंततः व ोह दबा दया गया। लंबी और तीखी लड़ाई के बाद सतंबर को अं ेज ने
द ली पर क जा कर लया।
घेराबंद के नेता जॉन नकोलसन बुरी तरह घायल हो गए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और बाद म उनक चोट के कारण मौत हो गई। बहा र शाह को बंद बना लया गया। शाही राजकु मार
को पकड़ लया गया और मौके पर ही क ल कर दया गया ले टनट हडसन ने सावज नक प से
ब त करीब से गोली मार द । स ाट को रंगून म नवा सत कर दया गया जहां म उनक मृ यु
हो गई। इस कार मुगल का महान घर अंततः और पूरी तरह से समा त हो गया। द ली के नवा सय
पर भयानक तशोध बरपाया गया। द ली के पतन के साथ ही व ोह का क ब लु त हो गया।

एक एक करके व ोह के सभी महान नेता गर गये।


कानपुर पर पुनः क ज़ा करने के लए सै य अ भयान लखनऊ क पुनः ा त के साथ नकटता से जुड़े
ए थे। सर कॉ लन कपबेल ने दसंबर को कानपुर पर क ज़ा कर लया। नाना साहेब
कानपुर म हार गए क शु आत म नेपाल भाग गए फर कभी उनके बारे म नह सुना गया।
उनके करीबी सहयोगी तां तया टोपे म य भारत के जंगल म भाग गए ले कन अ ैल म सोते
समय पकड़ लए गए और उ ह मौत क सजा दे द गई। जून क शु आत म झाँसी क रानी
क यु के मैदान म मृ यु हो गई थी। सर रोज़ ारा झाँसी पर पुनः क ज़ा कर लया गया था।
तक कुँ वर सह ब त खान बरेली के खान बहा र खान राव साहब नाना साहब के भाई और
मौलवी अहम ला सभी मर चुके थे जब क अवध क बेगम को नेपाल म छपने के लए मजबूर होना
पड़ा। बनारस म एक व ोह का आयोजन कया गया था जसे कनल नील ने नदयता से दबा दया था
जसने सभी सं द ध व ो हय और यहां तक क अ व त सपा हय को भी मौत के घाट उतार
दया था।

के अंत तक भारत पर टश अ धकार पूण तः पुनः ा पत हो गया। टश सरकार


को दे श म पु ष धन और ह थयार क भारी आपू त करनी पड़ी हालां क बाद म भारतीय को अपने
वयं के दमन के मा यम से पूरी लागत चुक ानी पड़ी।

व ोह वफल य आ
अ खल भारतीय भागीदारी अनुप त थी सी मत े ीय सार एक
कारक था व ोह के बारे म कोई अ खल भारतीय लबास नह था। पूव द णी और
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का व ोह

भारत के प मी ह से कमोबेश अ भा वत रहे। ऐसा संभवतः इस लए था य क उन े म


पहले के व ोह को कं पनी ारा बेरहमी से दबा दया गया था।

सभी वग शा मल नह ए
कु छ वग और समूह इसम शा मल नह ए और वा तव म व ोह के खलाफ काम कया।

बड़े ज़म दार ने तूफ़ ान के लए पानी तोड़ने वाले के प म काम कया भू म वापसी


के वादे सामने आने के बाद अवध के तालुक दार भी पीछे हट गए। सा कार और ापा रय को
व ो हय के ोध का बुरी तरह सामना करना पड़ा और वैसे भी उ ह ने टश संर ण के तहत
अपने वग हत को बेहतर ढं ग से संर त दे ख ा।

श त भारतीय ने इस व ोह को पीछे क ओर दे ख ने वाला सामंती व ा का


समथक और आधु नकता के त पारंप रक ढ़वाद ताकत क त या के प म दे ख ा
इन लोग को ब त उ मीद थ क अं ेज़ आधु नक करण के युग क शु आत करगे।

अ धकांश भारतीय शासक ने इसम शा मल होने से इनकार कर दया और अ सर


अं ेज को स य सहायता द । जन शासक ने भाग नह लया उनम वा लयर के स धया
इंदौर के हो कर प टयाला के शासक सध और अ य सख सरदार और क मीर के महाराजा
शा मल थे। वा तव म एक अनुमान के अनुसार कु ल े फल का एक चौथाई से अ धक और
कु ल जनसं या का एक दसवां ह सा से अ धक भा वत नह आ था।

ख़राब ह थयार और उपकरण भारतीय सै नक भौ तक


प से कमज़ोर थे वे आम तौर पर तलवार और भाल और ब त कम बं क और बं क से
लड़ते थे। सरी ओर यूरोपीय सै नक एनफ राइफल जैसे यु के नवीनतम ह थयार से
सुस त थे।

व ुत टे ली ाफ कमांडर इन चीफ को व ो हय क ग त व धय और रणनी त के बारे म सू चत


करता रहा।

असंग ठत और ख़राब ढं ग से संग ठत व ोह बना कसी सम वय या क य


नेतृ व के ख़राब ढं ग से संग ठत था। मुख व ोही नेता नाना साहेब तां तया टोपे कुँ वर सह
ल मीबाई जनरल शप म अपने टश वरो धय से कोई मुक ाबला नह कर रहे थे। सरी ओर
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ई ट इं डया कं पनी लॉरस बंधु जॉन नकोलसन जे स आउ ाम हेनरी हैवलॉक आ द जैसे


असाधारण मता वाले लोग क सेवाएं पाने म भा यशाली थी।

कोई एक कृ त वचारधारा नह व ो हय
के पास औप नवे शक शासन क समझ का अभाव था न ही उनके पास कोई रदश
काय म कोई सुसंगत वचारधारा कोई राजनी तक प र े य या कोई सामा जक वक प था।
व ो हय ने वतमान राजनी त क अलग अलग शकायत और अवधारणा के साथ व वध
त व का त न ध व कया।

भारतीय इ तहास के इस चरण म भारतीय के बीच एकता क कमी शायद अप रहाय


थी। भारत म आधु नक रा वाद अभी तक अ ात था। वा तव म के व ोह ने भारतीय
लोग को एक साथ लाने और उनम एक दे श से जुड़े होने क चेतना दान करने म मह वपूण
भू मका नभाई।

ह मु लम एकता कारक
पूरे व ोह के दौरान जनता सै नक नेता सभी तर पर ह और मुसलमान के बीच पूण
सहयोग था। सभी व ो हय ने एक मु लम बहा र शाह जफर को स ाट के प म वीकार
कया और मेरठ म ह सपा हय का पहला आवेग मुगल सा ा य क राजधानी द ली क
ओर माच करना था। मौलाना आज़ाद के अनुसार के व ोह क उलझी ई कहानी के
बीच दो त य प से सामने आते ह। पहला है इस काल म भारत के ह और मुसलमान
के बीच एकता क उ लेख नीय भावना। सरी वह गहरी न ा है जो लोग ने मुगल ताज के त
महसूस क । व ोही और सपाही ह और मु लम दोन एक सरे क भावना का स मान
करते थे। कसी वशेष े म व ोह सफल होते ही गोह या पर त काल तबंध लगाने का
आदे श दया गया। नेतृ व म ह और मु लम दोन का अ ा त न ध व था उदाहरण के
लए नाना साहेब के सहयोगी के प म अजीमु ला एक मु लम और राजनी तक चार म
वशेष थे जब क ल मीबाई को अफगान सै नक का ठोस समथन ा त था।
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का व ोह

इस कार क घटना ने द शत कया क से पहले भारत के लोग


और राजनी त मूल प से सां दा यक या सां दा यक नह थे।

व ोह क कृ त

के व ोह क कृ त पर वचार भ भ ह। सर जॉन सीली ने कहा कु छ टश


इ तहासकार के लए यह महज एक सपाही व ोह था पूरी तरह से गैर दे शभ और
वाथ सपाही व ोह जसम कोई दे शी नेतृ व और कोई लोक य समथन नह था। हालाँ क
यह घटना क पूरी त वीर नह है य क इसम के वल सपाही ही नह ब क नाग रक आबाद
के कई वग शा मल थे।

सपा हय का असंतोष अशां त का एक कारण मा था।

डॉ. के .द ा का मानना है क का व ोह मु य प से एक सै य कोप था


जसका फायदा कु छ असंतु राजकु मार और जम दार ने उठाया जनके हत नई राजनी तक
व ा से भा वत ए थे । अं तम उ ल खत कारक ने इसे कु छ े म लोक य व ोह
क आभा द । इसका च र कभी भी अ खल भारतीय नह था ब क ानीयकृ त तबं धत
और ख़राब ढं ग से संग ठत था । इसके अलावा द ा कहते ह आंदोलन को व ो हय के
व भ वग के बीच एकजुटता और उ े य क एकता क अनुप त से च त कया गया
था।

बीसव सद क शु आत म वीडी सावरकर ने अपनी पु तक द इं डयन वॉर ऑफ


इं डपडस म के व ोह क ा या रा ीय वतं ता के लए नयो जत यु
के प म क थी। सावरकर ने इस व ोह को पहला यु कहा था । भारतीय वतं ता. उ ह ने
कहा क यह रा वाद व ोह के मा यम से भारतीय ारा वशासन के ऊं चे आदश से े रत
था। डॉ. एसएन सेन अपने अठारह पचास सात म व ोह को धम के लए लड़ाई के प म शु
आ ले कन वतं ता के यु के प म समा त मानते ह।

हालाँ क डॉ. आरसी मजूमदार इसे न तो पहला न ही रा ीय न ही वतं ता का यु


मानते ह य क दे श के बड़े ह से अ भा वत रहे और लोग के कई वग ने व ोह म कोई
ह सा नह लया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास


ऐ तहा सक सात य म मजबूती से खड़ा है। नःसंदेह यह राजनी तक उथल पुथल मचाने वाली
सामा जक ताकत का य प रणाम नह था ब क आक मक संयोग था जसने इन ताकत पर
तबंध लगा दया।
यूरोप म क तरह असमानता के बावजूद यह बना कसी मु े के व ोह था जो एक समाज को
आधु नक करण के ारं भक चरण म ले जा सकता था।

ए रक टो स

यह न त प से थम वतं ता सं ाम था य क भारत के दज इ तहास के पूरे कै नवास म सभी वग के लोग


और भारत के कई ांत के इस वशाल वदे शी वरोधी गठबंधन के समानांतर खोजना मु कल होगा। भारत म कभी
भी एक वष से अ धक और एक साथ सभी े म लगातार यु नह आ जसका उ े य वदे शी शासक श को
अपमा नत करना और बेदखल करना था।

एसबी चौधरी

इस न कष से बचना क ठन है क का तथाक थत थम रा ीय वतं ता सं ाम न तो थम है न रा ीय न


ही वतं ता सं ाम है।

आरसी मजूमदार

यह वीकार करना होगा क अं ेज के खलाफ यु कसी भी रा वाद क भावना से े रत नह था य क


म भारत अभी तक राजनी तक प से एक रा नह था। यह एक त य है क ह और मुसलमान ने सहयोग
कया ले कन दोन समुदाय के नेता और अनुयायी एक समान मातृभू म के त वफादारी के बजाय गत
वफादारी से े रत थे।

तारा चंद

कु छ मा सवाद इ तहासकार के अनुसार का व ोह वदे शी और सामंती


बंधन के खलाफ सै नक कसान लोकतां क गठबंधन का संघष था । हालाँ क इस त य
के आलोक म इस कोण पर सवाल उठाया जा सकता है क व ोह के नेता वयं सामंती
पृ भू म से आए थे।

जवाहरलाल नेह के व ोह को मूलतः एक सामंती व ोह मानते थे


हालाँ क इसम कु छ रा वाद त व भी थे भारत क खोज । एमएन रॉय ने महसूस कया क
व ोह वा ण यक पूंज ीवाद के खलाफ सामंतवाद का आ खरी कदम था। आरपी द को
भी मम नजर आया
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का व ोह

वदे शी भु व के व कसान के व ोह को उ ह ने पुरानी सामंती व ा क र ा के


प म वीकार कया।

के व ोह को वग कृ त करना आसान नह है। जब क कोई भी एलईआर जैसे


कु छ वचार को आसानी से खा रज कर सकता है
रीस जो इसे ईसाइय के खलाफ क र धमवा दय का यु मानते थे या ट आर हो स जो
इसम स यता और बबरता के बीच संघष दे ख ते थे कोई भी इसे वतं ता के लए यु के
प म वीकार करने क हद तक नह जा सकता। इसम रा वाद और सा ा यवाद वरोध
के बीज थे ले कन सामा य रा ीयता और रा ीयता क अवधारणा के व ोह म
अंत न हत नह थी।

यह सं द ध है क व ोह म भाग लेने वाले अलग अलग समुदाय ने ऐसा इस लए


कया य क वे एक समान रा ीयता महसूस करते थे। इसके अलावा द णी भाग का या

व ो हय का जुनून उनक शकायत पर क त था न क बड़े आदश पर।

प र ध भाला

व ोह एक व ोह बन गया और एक राजनी तक व प धारण कर लया जब मेरठ के व ो हय ने खुद को द ली


के राजा के अधीन कर लया और जम दार अ भजात वग और नाग रक आबाद के एक वग ने उनके प म फै सला
कया। जो धम के लए लड़ाई के प म शु आ वह वतं ता सं ाम के प म समा त आ।

एसएन सेन

...य द उनके व ो हय बीच एक भी यो य नेता पैदा आ होता तो हम मु से परे खो गए होते।

जॉन लॉरस

का व ोह वदे शी सा ा यवाद के साथ साथ वदे शी जम दारीवाद के खलाफ सै नक कसान लोकतां क


गठबंधन का संघष था।

मा सवाद ा या

यह एक व ोह से कह अ धक था ... फर भी वतं ता के पहले यु से भी ब त कम था।

टे नली वो पट
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

व ोह का ह सा नह था येक नेता के पास व ोह करने का एक गत कारण था


येक क र ा करने म गत च थी। हालाँ क जैसा क डॉ. सेन बताते ह रा ीय ां तयाँ
यादातर अ पसं यक का काम है जनता के स य समथन के साथ या उसके बना। उस
कोण से का व ोह एक रा ीय च र का दावा कर सकता है।

कोई कह सकता है क का व ोह टश शासन को उखाड़ फकने के लए


भारतीय का पहला महान संघष था। यहां तक क इस कोण पर कु छ इ तहासकार ारा
सवाल उठाया गया है जो महसूस करते ह क पहले के कु छ व ोह वदे शी जुए को उखाड़
फकने के लए समान प से गंभीर यास थे ले कन उ ह उस तरह का यान नह दया गया।
हालाँ क एसबी चौधरी का मानना है क व ोह कसी वदे शी श को चुनौती दे ने के लए
कई वग के लोग का पहला संयु यास था। यह बाद के युग के भारत के वतं ता आंदोलन
के लए एक वा त वक भले ही र कोण है।

नतीजे
का व ोह भारत के इ तहास म एक मह वपूण मोड़ था। इससे शासन णाली और
टश सरकार क नी तय म रगामी प रवतन आये।

इससे पहले क व ोह को पूरी तरह से दबाया जा सके टश संसद ने अग त


को भारत क बेहतर सरकार के लए एक अ ध नयम पा रत कया। अ ध नयम ने रानी
व टो रया को टश भारत क सं भु घो षत कया और भारत के लए एक स चव टश
कै बनेट का सद य क नयु का ावधान कया। दे श के शासन क सीधी ज मेदारी
टश ाउन ारा ली गई और कं पनी शासन को समा त कर दया गया।

नवंबर को जारी व स उ ोषणा म लॉड कै नग ारा इलाहाबाद के एक


दरबार म ेट टे न के सं भु ारा भारत सरकार क धारणा क घोषणा क गई थी। इस
उ ोषणा के ारा गवनर जनरल ने अ त र अ धकार ा त कर लया था वायसराय क
उपा ध।

उस उ ोषणा म कए गए कई वादे भारतीय के लए सकारा मक कृ त के तीत ए।


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का व ोह

रानी क घोषणा के अनुसार वलय और व तार का युग समा त हो गया था और


अं ेज ने दे शी राजकु मार क ग रमा और अ धकार का स मान करने का वादा कया था।

अब से भारतीय रा य को टश ाउन क सव प रता को मा यता दे नी थी और उ ह


एक ही आरोप के ह से के प म माना जाना था।

भारत के लोग को टश अ धका रय के ह त ेप के बना धा मक वतं ता का वादा


कया गया था।
उ ोषणा म जा त या पंथ क परवाह कए बना सरकारी सेवा म समान अवसर
के अलावा सभी भारतीय को कानून के तहत समान और न प सुर ा का भी वादा कया
गया था। यह भी वादा कया गया था क कानून बनाते और शा सत करते समय पुराने भारतीय
अ धकार री त रवाज और था को उ चत स मान दया जाएगा।

सेना जो कोप म सबसे आगे थी को पूरी तरह से पुनग ठत कया गया और टश


सै य नी त पर वभाजन और तसं ा का वचार हावी हो गया।

अं ेज अब भारतीय क वफादारी पर नभर नह रह सकते थे इस लए यूरोपीय सै नक क


सं या बढ़ने के बावजूद भारतीय सै नक क सं या म भारी कमी कर द गई। जा त समुदाय
े के आधार पर अलग अलग इकाइयाँ बनाकर फू ट डालो और राज करो क अवधारणा को
अपनाया गया। रंग ट को पंज ाब नेपाल और उ र प मी सीमा क माशल जा तय से
लया जाना था जो व ोह के दौरान अं ेज के त वफादार सा बत ए थे। सेना को नाग रक
आबाद से र रखने का यास कया गया।

सेना समामेलन योजना ने कं पनी के यूरोपीय सै नक को ाउन क सेवा म


ानांत रत कर दया।
इसके अलावा भारत म यूरोपीय सै नक को इं लड क समय समय पर या ा ारा लगातार
नया व प दया गया जसे कभी कभी ल ड बटा लयन योजना भी कहा जाता है। कु छ
पवतीय बैट रय को छोड़कर सभी भारतीय तोपखाने इकाइयाँ न य कर द ग । सेना और
तोपखाने वभाग म सभी उ पद यूरोपीय लोग के लए आर त थे। बीसव सद के पहले
दशक तक
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ेत व ोह
टश ई ट इं डया कं पनी से टश ाउन को स ा ह तांतरण के म े नजर कं पनी के तहत कायरत
यूरोपीय सेना के एक वग ने इस कदम का वरोध कया जसके तहत तीन ेसीडसी सेना को अपनी
न ा न य कं पनी से रानी के त ानांत रत करने क आव यकता थी जैसा क टश सेना म. इस
आ ोश के प रणाम व प कु छ अशां त उ प ई जसे ेत व ोह कहा गया।

से पहले भारत म टश शासन के तहत दो अलग अलग सै य बल कायरत थे। एक रानी


क सेना थी और सरी म ई ट इं डया कं पनी क इकाइयाँ शा मल थ । कं पनी के सै नक को गृह े के
अलावा अ य े म संचालन से संबं धत व भ खच को कवर करने के लए वेतन के अ त र भ े
मलते थे। स ा ह तांतरण के साथ ही इस परबरोक
ा लगा द गई.

ब ा
ानांतरण से संबं धत कानून क लॉड कै नग क कानूनी ा या ने भी भा वत ेत सै नक को ो धत
कर दया।
ेत व ोह को भारत म पहले से ही अ न त टश त के लए एक संभा वत खतरे के पम
दे ख ा गया था जसम भारत म अभी भी उ सा हत आबाद के बीच नए सरे से व ोह भड़काने क
संभावना थी। यूरोपीय सेना क मांग म भत बोनस या उनके दा य व से मु का वक प शा मल था।
अंततः घर तक नःशु क और रहाई क मांग वीकार कर ली गई और पु ष ने घर लौटने का वक प
चुना। यह भी माना जाता है क यूरोपीय सेना क ओर से खुला व ोह और शारी रक हसा ऐसी थी क
रानी क सेना म वीकार कए जाने क संभावना ब त कम थी।

कसी भी भारतीय को राजा के कमीशन के लायक नह समझा जाता था और एक नए अं ेज़


भत को वायसराय का कमीशन रखने वाले भारतीय अ धकारी से बेहतर माना जाता था।

आ म व ासी व टो रयन उदारवाद का पहले का सुधारवाद उ साह लु त हो गया


य क टे न म कई उदारवाद यह मानने लगे क भारतीय सुधार से परे ह। इस नए कोण
उदारवाद का ढ़वाद ांड जैसा क इसे थॉमस मेटकाफ ने कहा था को इं लड के
ढ़वाद और कु लीन वग का ठोस समथन ा त था ज ह ने भारतीय समाज क पारंप रक
संरचना म पूण गैर ह त ेप का समथन कया था।

इस कार सुधार का युग समा त हो गया।

इं लै ड म ढ़वाद त या ने अं ेज को बनाया
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का व ोह

दे ख ना

वैचा रक से जन अं ेज ने अपना शासन बाहरी के प म शु कया था वे अपने राजा को भारत


क सं भुता स पकर अंद नी बन गए।

बनाड कोहन म से रानी क उ ोषणा संग

भारत म सा ा य अ धक नरंकु श इसने श त भारतीय क स ा म भागीदारी क आकां ा


को नकारना शु कर दया। द घाव ध म यह नया टश रवैया सा ा य के लए त उ पादक
सा बत आ य क इससे श त भारतीय म यम वग म नराशा पैदा ई और ज द ही
आधु नक रा वाद को ज म मला।

के व ोह के बाद फू ट डालो और राज करो क नी त गंभीरता से शु ई।


अं ेज ने एक वग समुदाय को सरे के खलाफ बेईमानी से इ तेमाल कया। इस कार
सामा जक प से अपूरणीय गरावट आई। जब क टश े ीय वजय समा त पर थी
अं ेज ारा व त आ थक लूट का दौर शु आ। भारतीय अथ व ा का बना कसी
भय के भरपूर दोहन कया गया।

क रानी क उ ोषणा के अनुसार का भारतीय स वल सेवा अ ध नयम


पा रत कया गया था जसका उ े य यह आभास दे ना था क रानी के अधीन न ल या पंथ क
परवाह कए बना सभी समान थे। वा तव म स वल सेवा परी ा के संचालन के लए बनाए
गए व तृत नयम का भाव उ सेवा को उप नवेशवा दय के नयं ण म रखने का था।

भारतीय और अं ेज के बीच न लीय नफरत और संदेह शायद व ोह क सबसे


खराब वरासत थी। टे न के अखबार और प का म भारतीय को अमानवीय ा णय के
प म च त कया गया ज ह के वल बेहतर ताकत से ही नयं त रखा जा सकता था। भारत
म सा ा यवाद के समथक ने संपूण भारतीय आबाद को व ास के अयो य करार दया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उ ह अपमान और तर कार का शकार बनाया। भारत सरकार क पूरी संरचना को नए सरे से


तैयार कया गया था और यह एक मा टर रेस क धारणा पर आधा रत थी जो हाइटमैन के
बोझ के दशन को उ चत ठहराती थी। इससे शासक और शा सत के बीच क खाई और चौड़ी
हो गई साथ ही आने वाले समय म राजनी तक ववाद दशन और हसा क घटनाएं भी भड़क
उठ ।

व ोह का मह व
अं ेज के लए का व ोह उपयोगी सा बत आ य क इसने कं पनी के शासन और
उसक सेना म गंभीर क मय को उजागर कया जसे उ ह ने तुरंत ठ क कर लया।

य द व ोह न आ होता तो ये दोष नया के सामने कभी कट न होते।

भारतीय के लए के व ोह का वतं ता सं ाम के दौरान एक बड़ा भाव था।


इससे लोग और सपा हय क शकायत खुलकर सामने आ ग ज ह वा त वक माना गया।
हालाँ क यह भी था क भारतीय के पास जो आ दम ह थयार थे उनका अं ेज के उ त
ह थयार से कोई मुक ाबला नह था। इसके अलावा दोन प ारा कए गए संवेदनहीन
अ याचार ने भारतीय बु जी वय को झकझोर दया जो तेज ी से आ त थे क वतं ता के
लए कसी भी संघष म हसा से बचना चा हए।

श त म यम वग जो एक बढ़ता आ वग था हसा म व ास नह करता था और एक


व त कोण को ाथ मकता दे ता था।
ले कन के व ोह ने टश शासन के तरोध क ानीय परंपराएँ ा पत क जो
वतं ता के लए रा ीय संघष के दौरान मददगार थ ।
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का व ोह

सारांश
व ोह औप नवे शक शासन के च र और नी तय का एक उ पाद।
आ थक कारण नए राज व समझौते के तहत भारी कराधान
सारांश बेदखली भारतीय के खलाफ भेदभावपूण टै रफ नी त
उ पाद पारंप रक ह त श प उ ोग का वनाश और
आधु नक तज पर सहवत औ ोगीकरण का अभाव जो भा वत आ

कसान कारीगर और छोटे जम दार।


राजनी तक कारण पदो त क लालची नी त अनुप त
टश शासन का सं भुता च र टश ह त ेप
भारतीय जनता के सामा जक धा मक मामले।
सै य कारण आ थक त को लेक र सपा हय म असंतोष
मनोवै ा नक और धा मक कारण एक लंबे इ तहास के साथ
व ोह का.

• व ोह के क और नेता
द ली जनरल ब त खान

कानपुर नाना साहब


लखनऊ बेगम हजरत महल
बरेली खान बहा र
बहार कुं वर सह
फै जाबाद मौलवी अहम ला

झांसी रानी ल मीबाई

बागपत शाह मल

• टश तरोध
द ली ले टनट वलॉबी जॉन नकोलसन
ले टनट हडसन

कानपुर सर हीलर सर कॉ लन कपबेल


लखनऊ हेनरी लॉरस गे डयर इंग लस
हेनरी हैवलॉक जे स आउ ाम
सर कॉ लन कै बेल
झांसी सर रोज़
बनारस कनल जे स नील

• असफलता के कारण
सी मत े ीय एवं सामा जक आधार।

भारतीय जनता के कु छ वग का टश को मह वपूण समथन


अ धकारी।

अं ेज क तुलना म संसाधन क कमी।


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सम वय और क य नेतृ व का अभाव.
सुसंगत वचारधारा एवं राजनी तक कोण का अभाव।

• कृ त

आरसी मजूमदार और एसएन सेन कोई संग ठत रा ीय व ोह नह


आरसी मजूमदार न थम न रा ीय वतं ता सं ाम
वीडी सावरकर वतं ता सं ाम
ए रक टो स च र म अ भजा यवाद

लॉरस और सीली महज सपाही व ोह


ट आर हो स स यता और बबरता के बीच संघष

जे स आउ म एक मु लम सा जश जो राजधानी बना रही है।


ह शकायत
प सवल ीयर व ोह के तीन चरण न कष यह वतं ता का पहला यु नह
था ले कन इसने रा वाद और वदे शी शासन से मु क खोज के बीज बोए।

• भाव

ताज ने क ज़ा कर लया कं पनी शासन समा त कर दया गया। रानी क उ ोषणा ने शासन को बदल दया। सेना
का पुनगठन आ. जातीय व े ष गहरा गया।
ेत व ोह.
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यू नट IV

सुधार
आंदोलन
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

सामा जक धा मक सुधार
आंदोलन सामा य वशेषताएं

को ज म दे ने वाले कारक
सुधार क इ ा

उ ीसव सद क शु आत म भारतीय समाज के कु छ बु वग के बीच एक नई एक


आधु नक का ज म आ। यह बु कोण आने वाले दशक और उससे भी आगे के
लए घटना के पा म को आकार दे ने के लए था। पुनजागरण क यह या कभी
कभी ले कन पूण औ च य के साथ नह जसे पुनजागरण के प म प रभा षत कया गया
है हमेशा इ त रेख ा का पालन नह करती है और कु छ अवांछनीय उप उ पाद को भी ज म
दे ती है जो दै नक अ त व का एक ह सा बन गए ह। इन सुधार आंदोलन का फल पूरे भारतीय
उपमहा प को मला है।

टश शासन का भाव
भारतीय धरती पर औप नवे शक सरकार क उप त ने आधु नक भारतीय इ तहास के इस
मह वपूण चरण म एक ज टल फर भी नणायक भू मका नभाई। भारतीय समाज और
सं कृ त पर टश शासन का भाव भारत ारा पहले से ात भाव से ापक प से भ
था। पहले के अ धकांश आ मणकारी जो भारत आए थे और इसक सीमा के भीतर बस
गए थे या तो इसक े सं कृ त से भा वत हो गए थे या इसके साथ सकारा मक बातचीत
क थी और इस भू म और इसके लोग का ह सा बन गए थे। हालाँ क टश वजय अलग
थी। यह ऐसे समय म आया जब भारत
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अठारहव शता द के बु यूरोप के वपरीत जो हर पहलू म व ान और वै ा नक कोण


से भा वत था एक र स यता और एक र और पतनशील समाज क त वीर तुत
करता था।

सुधार के लए उपयु सामा जक प र तयाँ धा मक और सामा जक

बीमा रयाँ उ ीसव सद म भारतीय समाज


धा मक अंध व ास और सामा जक ढ़वा दता ारा न मत एक च म फं स गया था। ह
धम जा और अंध व ास म डू ब गया था। पुज ा रय ने लोग के दमाग पर अ य धक और
वा तव म अ वा यकर भाव डाला।

मू तपूज ा और ब दे ववाद ने उनक त को मजबूत करने म मदद क और शा ीय ान पर


उनके एका धकार ने सभी धा मक णा लय को एक ामक च र दान कया। ऐसा कु छ भी
नह था जसे करने के लए धा मक वचारधारा लोग को े रत न कर सके ।

म हला क नराशाजनक त सामा जक प र तयाँ


भी उतनी ही नराशाजनक थ । सबसे चताजनक त म हला क थी। ज म के समय
क या शशु को मारने के यास असामा य नह थे। बाल ववाह समाज का एक और
अ भशाप था। ब ववाह क था च लत थी और बंगाल म कु लीनवाद के तहत बूढ़े लोग भी
ब त छोट लड़ कय को प नी के प म रखते थे। कई म हला का ववा हत जीवन शायद
ही नाम के लायक रहा हो फर भी कम से कम उ जा तय म जब उनके प त मर जाते थे
तो उनसे सती होने क अपे ा क जाती थी जसे राजा राममोहन राय ने हर शा के अनुसार
ह या बताया था। य द वे इस सामा जक दबाव से बच गए तो उ ह ख और अपमान के जीवन
क नदा क गई।

जा त सम या एक अ य बल
कारक जा त थी। इसम पृथ करण क एक णाली शा मल थी जो अनु ान क त के
आधार पर पदानु मत प से नधा रत क गई थी। सीढ़ के नचले भाग म अछू त या
अनुसू चत जा तयाँ आ जैसा क बाद म उ ह कहा जाने लगा। अछू त को असं य और गंभीर
वकलांगता का सामना करना पड़ा
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

और तबंध. इस व ा ने लोग को अनेक समूह म बाँट दया। आधु नक समय म यह


एकजुट रा ीय भावना के वकास और लोकतं के सार म एक बड़ी बाधा बन गया। यह भी
यान दया जा सकता है क जा तगत चेतना वशेष प से ववाह के संबंध म मुसलमान
ईसाइय और सख के बीच भी च लत थी जो अ ृ यता का भी अ यास करते थे हालां क
कम उ प म। कठोर जा त व ा के तहत सामा जक ग तशीलता पर रोक लगा द गई
सामा जक वभाजन बढ़ गया और गत पहल को वफल कर दया गया। सबसे बढ़कर
अ ृ यता का अपमान जो क जा त व ा का एक ह सा है मानवीय ग रमा के व
है।

प मी सं कृ त का वरोध भारत म औप नवे शक शासन क


ापना के बाद औप नवे शक सं कृ त और वचारधारा को मुख सां कृ तक धारा के पम
सा रत करने का एक व त यास कया गया। औप नवे शक सं कृ त और वचारधारा
क घुसपैठ क चुनौती का सामना करते ए पारंप रक सं ान को फर से मजबूत करने और
उ ीसव शता द के दौरान वक सत पारंप रक सं कृ त क मता का एहसास करने का यास
कया गया।

बु जन म नई जाग कता
भारतीय
आधु नक प मी सं कृ त के भाव और वदे शी श से पराजय क चेतना ने एक नई जागृ त
को ज म दया।
यह जाग कता थी क भारतीय सामा जक संरचना और सं कृ त क कमजो रय के कारण
भारत जैसे वशाल दे श को मु भर वदे शय ने अपना उप नवेश बना लया था। कु छ समय
तक ऐसा लगा क भारत स यता क दौड़ म पछड़ गया है। इससे व वध त याएँ उ प
। कु छ अं ेज ी श त बंगाली युवा म ह धम और सं कृ त के त घृण ा पैदा हो गई
उ ह ने पुराने धा मक वचार और परंपरा को याग दया और जानबूझ कर ह भावना
के लए सबसे अ धक आ ामक था को अपनाया जैसे शराब पीना और गोमांस खाना।
त या वा तव म व वध थी ले कन सामा जक और धा मक जीवन म सुधार क आव यकता
एक आम तौर पर साझा धारणा थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उ ीसव सद के अं तम दशक के दौरान रा वाद और लोकतं के बढ़ते वार को


भारतीय लोग के सामा जक सं ान और धा मक कोण म सुधार और लोकतं ीकरण के
आंदोलन म भी अ भ मली।

रा वाद भावना का वकास नई आ थक ताकत का उदय श ा का सार आधु नक


प मी वचार और सं कृ त का भाव और नया के बारे म बढ़ती जाग कता जैसे कारक
ने सुधार के संक प को मजबूत कया।

उ ीसव सद के भारत का सामा जक सां कृ तक पुन ान औप नवे शक उप त


के कारण आ ले कन इसके ारा न मत नह आ।

सुधार के सामा जक और वैचा रक आधार

म डल लास बेस
उ ीसव सद म दे ख े गए उ ान का सामा जक आधार नव उभरता आ म यम वग और
श त पारंप रक प से श त और प मी श त दोन बु जीवी थे ले कन
समकालीनता क बढ़ती जाग कता से ा त ापक प से म यम वग के आदश के बीच
एक मह वपूण अंतर था। प म म वकास और मु य प से गैर म यम वग का सामा जक
आधार।

उ ीसव सद के बु जी वय ने यूरोपीय म यम वग म अपना मॉडल खोजा जैसा


क उ ह ने प मी श ा के मा यम से सीखा पुनजागरण सुधार ानोदय जैसे आंदोलन के
मा यम से प म म म ययुगीन से आधु नक काल तक महान प रवतन लाया था। और
लोकतां क ां त या सुधार।

हालाँ क उ ीसव सद के भारत का बु जीवी वग ापार या उ ोग जो ढ़ता से टश


एज सय के नयं ण म था से वक सत नह आ था उनक जड़ सरकारी सेवा या कानून
श ा प का रता या च क सा के वसाय म न हत ह जनके साथ अ सर म यवत
कायकाल के प म भू म के साथ कु छ संबंध जोड़ा जाता था।
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

बौ क मानदं ड
जन चीज़ ने इन सुधार आंदोलन को वैचा रक एकता दान क वे थे तकवाद धा मक
सावभौ मकता और मानवतावाद। सामा जक ासं गकता को आंक ने के लए बु वाद लाया
गया। राजा राममोहन राय पूरे अभूतपूव ांड को जोड़ने वाले काय कारण के स ांत और
स य क एकमा कसौट के प म दशन म ढ़ता से व ास करते थे। अ य कु मार द ने
यह घोषणा करते ए क तकवाद ही हमारा एकमा उपदे शक है माना क सभी ाकृ तक
और सामा जक घटना का व ेषण और समझ वशु प से यां क या ारा क
जा सकती है। इस कार उ ह ने परंपरा का अ ययन करने के लए एक तकसंगत कोण का
इ तेमाल कया उ ह ने सामा जक उपयो गता के कोण से और व ास को तकसंगतता से
बदलने के लए समकालीन सामा जक धा मक था का मू यांक न कया। प रणाम व प
समाज म वेद क अचूक ता को अ वीकार कर दया गया जब क अलीगढ़ आंदोलन ने
आधु नक युग क ज रत के साथ इ लामी श ा के सामंज य पर जोर दया। सैयद अहमद
खान ने इस हद तक जोर दया क धा मक स ांत अप रवतनीय नह ह।

ब त से बु जी वय ने धम क स ा को कनारे रखकर कसी भी धम म स य का


मू यांक न तक बु या व ान क कसौट पर कया। वामी ववेक ान द के अनुसार जांच क
वही प त जो व ान पर लागू होती है वह आधार होनी चा हए जस पर धम को वयं को
उ चत ठहराना चा हए।

हालाँ क कु छ सुधारक ने अपनी अपील का समथन करने के लए आ ा और ाचीन


ा धका रय से अपील क कु ल मलाकर च लत सामा जक था के वक प को सामने
रखने म एक तकसंगत और धम नरपे कोण ब त था। उदाहरण के लए अ य
कु मार द बाल ववाह के खलाफ अपने वचार का समथन करने के लए च क सा राय लेक र
आए। अतीत का संदभ के वल एक सहायता और साधन के प म उपयोग कया जाना था। न
तो अतीत के पुन ार और न ही परंपरा से पूण वराम क प रक पना क गई थी।

हालाँ क सुधारक ने अपने धम म सुधार करने क को शश क ले कन उनके धा मक


कोण म एक सावभौ मक पहलू था।
राजा राममोहन राय व भ धम को सावभौ मक आ तकता का रा ीय अवतार मानते थे।
उ ह ने एके रवाद जैसे सभी धम के बु नयाद और सावभौ मक स ांत का बचाव कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वेद और ईसाई धम के एक ववाद पर ह धम के ब दे ववाद और ईसाई धम के ने वाद पर


हमला करते ए।
सैयद अहमद खान ने कहा क सभी पैगंबर का द न व ास एक ही था और हर दे श और
रा के अलग अलग पैगंबर थे।
समाज सुधारक ने लोग के सामा जक और राजनी तक कोण पर धा मक पहचान
के भाव से नपटने के लए सावभौ मकतावाद कोण का उपयोग कया जो वा तव म
मजबूत था।

सामा जक सुधार आंदोलन म एक नई मानवीय नै तकता को मूत प दया गया


जसम यह धारणा शा मल थी क मानवता ग त कर सकती है और ग त क है और नै तक
मू य अंततः वे मू य ह जो मानव ग त का प लेते ह। धा मक सुधार आंदोलन के मानवतावाद
पहलू को मानवीय तक और मानव क याण के आलोक म धा मक ंथ क ा या करने के
के अ धकार पर जोर दे ने और धा मक था के पुरो हत वच व पर एक सामा य हमले
म दे ख ा जाना था।

धा मक सुधार इन आंदोलन क एक मह वपूण परंतु एकमा चता नह थी। यान


सांसा रक अ त व पर क त था न क मो या अ य सांसा रकता के मु पर। सामा जक
था म मजबूत धा मक त व और इस त य के कारण क धम उस समय क मुख वचारधारा
थी इसके साथ आए बना कोई भी सामा जक कारवाई करना संभव नह था।

इन आंदोलन ने संपूण सां कृ तक अ त व जीवन प त को अपने दायरे म ले लया।


एक वैक पक सां कृ तक वैचा रक णाली का वकास और पारंप रक सं ान का पुन ान
इन आंदोलन क दो चताएँ थ । ये चताएँ पारंप रक ान के पुन नमाण के यास ानीय
भाषा के उपयोग और वकास श ा क एक वैक पक णाली के नमाण धम क र ा
भारतीय कला और सा ह य को पुनज वत करने के यास भारतीय पोशाक और भोजन पर
जोर यास म कट । भारतीय च क सा णा लय को पुनज वत करना और इसक
मता के लए पूव औप नवे शक ौ ो गक पर शोध करना।
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

दो धाराएँ
सुधार आंदोलन को मोटे तौर पर दो े णय म वग कृ त कया जा सकता है समाज
ाथना समाज अलीगढ़ आंदोलन जैसे सुधारवाद आंदोलन और आय समाज और दे वबंद
आंदोलन जैसे पुन ानवाद आंदोलन। सुधारवाद और साथ ही पुन ानवाद आंदोलन
अलग अलग ड ी तक उस धम क खोई ई प व ता क अपील पर नभर थे जसम वे सुधार
करना चाहते थे। एक सुधार आंदोलन और सरे सुधार आंदोलन के बीच एकमा अंतर यह था
क वह कस हद तक परंपरा या तक और ववेक पर नभर था।

समाज सुधार क दशा

सामा जक समानता और सभी य के समान मू य के मानवतावाद आदश ने नव श त


म यम वग को े रत कया और सामा जक सुधार के े को बड़े पैमाने पर भा वत कया।

सामा जक सुधार आंदोलन मु य प से धा मक सुधार से जुड़े थे य क अ ृ यता और लग


आधा रत असमानता जैसी लगभग सभी सामा जक बुराइयाँ कसी न कसी तरह से धम से
वैधता ा त करती थ । हालाँ क बाद के वष म सामा जक सुधार आंदोलन ने धीरे धीरे खुद
को धम से अलग कर लया और धम नरपे कोण अपनाया। इसके अलावा पहले सुधार
आंदोलन का एक संक ण सामा जक आधार था जो उ और म यम वग और उ जा तय
तक ही सी मत था जो अपने आधु नक वचार और मौजूदा सामा जक प र तय को
संतु लत करने क को शश करते थे। ले कन बाद म सामा जक सुधार आंदोलन ने सामा जक
े म ां त लाने और पुन नमाण करने के लए समाज के नचले तबके म वेश कया।

शु आत म यो तबा फु ले गोपालह र दे शमुख के ट तेलंग बीएम मालाबारी डीके


कव ी नारायण गु ईवी जैसे कई बु य के साथ साथ सोशल कॉ स सवट् स
ऑफ इं डया सोसाइट और ईसाई मशन रय जैसे संगठन ने सामा जक सुधार म मह वपूण
भू मका नभाई थी। रामा वामी नायकर और बीआर अंबेडकर.

बाद के वष म वशेषकर बीसव सद क शु आत के साथ रा ीय आंदोलन ने सामा जक


सुधार के लए नेतृ व और संगठन दान कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जनता तक प ँचने के लए सुधारक ने अपने वचार का चार करने के लए भारतीय


भाषा का उपयोग कया। उ ह ने अपनी राय फै लाने के लए व भ कार के मी डया
उप यास नाटक क वता लघु कथाएँ ेस और के दशक म और बाद म सनेमा का
उपयोग कया।

मोटे तौर पर सामा जक सुधार आंदोलन का दो सू ी एजडा था समाज म म हला


क त क बेहतरी के लए लड़ाई और अ ृ यता से उ प वकलांगता को र करने के
लए लड़ाई।

क त क बेहतरी के लए लड़
औरत
सुधारक को बड़ी वपरीत प र तय म भी काम करना पड़ा। म हला को आम तौर पर
न न दजा दया जाता था और उ ह पु ष से कमतर सहायक माना जाता था जनक अपनी
कोई पहचान नह होती थी। उ ह अपनी तभा को अ भ दे ने का कोई मौका नह मला
य क वे पदा कम उ म ववाह वधवा ववाह पर तबंध सती आ द जैसी था से दबी
ई थ । ह और मु लम दोन म हलाएं आ थक और सामा जक प से पु ष र तेदार पर
नभर थ जब क श ा आम तौर पर उ ह मना कर दया जाता है। ह म हला को संप
वरासत म लेने या अवां छत ववाह को समा त करने का अ धकार नह था। मु लम म हला
को संप वरासत म मल सकती थी ले कन पु ष क तुलना म के वल आधी जब क तलाक
के मामल म पु ष और म हला के बीच कोई समानता नह थी। ब ववाह ह के साथ
साथ मुसलमान म भी च लत था।

प नय और माता के प म उनका म हमामंडन ही एकमा तरीका था जससे


समाज ने समाज के सद य के प म म हला के योगदान को मा यता द । समाज म
म हला क त म सुधार को मह वपूण माना जाता था और समाज सुधारक ने घरेलू े
म आमूल चूल प रवतन के बाद से इस दशा म काम कया जहां का ारं भक
समाजीकरण होता है और जहां म हला ारा एक मह वपूण भू मका नभाई जाती है थी।
समय क मांग. यह प से समझा गया था क यह प रवतन सुधा रत घर और सुधा रत
पु ष म प रव तत होगा और ऐसा कोई भी दे श नह होगा जसक म हलाएँ डू बी ह
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

अ ानता कभी भी स यता म मह वपूण ग त कर सकती है।


सामा जक सुधार आंदोलन वतं ता सं ाम वयं बु म हला के नेतृ व वाले
आंदोलन और बाद म वतं भारत के सं वधान ने म हला क मु के लए ब त कु छ
कया है।

सुधारक ने मूल प से वाद और समानता के स ांत क अपील क और


अपनी अपील को मजबूत करने के लए तक दया क स ा धम म हला को न न दज क
मंज ूरी नह दे ता है।
उ ह ने ब ववाह परदा बाल ववाह वधवा ववाह पर तबंध जैसी अपमानजनक था
के खलाफ आवाज उठाई और म हला के लए शै क सु वधाएं ा पत करने सरकार को
म हला के लए अनुकू ल कानून बनाने के लए मनाने और आम तौर पर म ययुगीन क
बेक ारता का चार करने के लए लगातार काम कया। सामंती मनोवृ याँ ज ह यागना
आव यक था।

म हला क त म सुधार के लए उठाए गए कदम सुधारक के अथक यास


के कारण सरकार ारा म हला क त म सुधार के लए कई शास नक उपाय अपनाए
गए।

सती था का उ मूलन राजा राममोहन राय के नेतृ व म बु भारतीय सुधारक ारा


शु कए गए हमले से भा वत होकर सरकार ने सती था को अवैध घो षत कर दया और
इसे आपरा धक ह या के प म आपरा धक अदालत ारा दं डनीय घो षत कर दया।

का व नयमन बंगाल सं हता का व नयमन XVII ई. पहले के वल बंगाल


ेसीडसी पर लागू था ले कन म थोड़े संशो धत प म इसे म ास और बॉ बे ेसीडसी
तक बढ़ा दया गया था।

क या ूण ह या को रोकना उ वग के बंगा लय और राजपूत के बीच ज म के तुरंत


बाद क या शशु क ह या करने क था एक आम बात थी जो म हला को आ थक बोझ
मानते थे। और के बंगाल नयम ने शशुह या को अवैध और ह या के बराबर
घो षत कया। म पा रत एक अ ध नयम ने माता पता के लए सभी शशु के ज म
का पंज ीकरण कराना अ नवाय कर दया और कु छ के लए क या ब के स यापन का
ावधान कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ज म के वष बाद वशेष प से उन े म जहां इस था का अ य धक गोपनीयता से सहारा


लया जाता था।
वधवा पुन ववाह समाज के एजडे म वधवा पुन ववाह का मु ा मुख था और
उसने इसे लोक य बनाने के लए ब त कु छ कया। ले कन यह मु य प से सै स ट
कॉलेज कलक ा के सपल पं डत ई र चं व ासागर के यास के कारण
था क ह वधवा पुन ववाह अ ध नयम पा रत कया गया था इसने वधवा के
ववाह को वैध बना दया और ऐसे ववाह से होने वाले मु को वैध घो षत कर दया।
व ासागर ने यह सा बत करने के लए वै दक ंथ का हवाला दया क ह धम वधवा
पुन ववाह को मंज ूरी दे ता है।

जग ाथ शंक र सेठ और भाऊ दाजी महारा म लड़ कय के कू ल के स य वतक


म से थे। व णु शा ी पं डत ने के दशक म वधवा पुन ववाह संघ क ापना क । इस
े के एक अ य मुख कायकता करसोनदास मुलजी थे ज ह ने वधवा पुन ववाह क वकालत
करने के लए म गुज राती म स य काश क शु आत क थी। इसी तरह के यास
प मी भारत म ोफे सर डीके कव और म ास म वीरास लगम पंतुलु ारा कए गए थे। कव ने
वयं म एक वधवा से ववाह कया। उ ह ने अपना जीवन ह वधवा के उ ान के
लए सम पत कर दया और वधवा पुन ववाह संघ के स चव बने। उ ह ने उ जा त क
वधवा को ावसा यक श ण क सु वधाएं दान करके उ ह जीवन म च दे ने के लए
पूना म एक वधवा आ म खोला। वधवा के पुन ववाह के अ धकार क भी बीएम ारा
वकालत क गई थी

मालाबारी नमद नमदाशंक र लाभशंक र दवे यायमू त गो वद महादे व रानाडे और के .


नटराजन स हत अ य।
बाल ववाह पर नयं ण मूल ववाह अ ध नयम या नाग रक ववाह अ ध नयम
ने बाल ववाह को तबं धत करने म वधायी कारवाई का संके त दया। इसका भाव
सी मत था य क यह अ ध नयम ह मुसलमान और अ य मा यता ा त धम पर लागू
नह था। पारसी सुधारक बीएम मालाबारी के अथक यास को सहम त आयु अ ध नयम
के अ ध नयमन ारा पुर कृ त कया गया जसने वष से कम उ क लड़ कय
क शाद पर रोक लगा द । सारदा अ ध नयम ने शाद क उ को और बढ़ा दया।
लड़क और लड़ कय के लए और
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

मश। वतं भारत म बाल ववाह नरोधक संशोधन अ ध नयम ने लड़ कय के


लए ववाह क आयु से बढ़ाकर वष और लड़क के लए से वष कर द ।

म हला क श ा ईसाई मशन रय ने सबसे पहले म कलक ा म हला


कशोर सोसायट क ापना क थी। म कलक ा म श ा प रषद के अ य जेड
बे यून ारा ा पत बे यून कू ल म हला क श ा के लए श शाली आंदोलन का पहला
फल था। जो और के दशक म उ प आ। पं डत ई र चं व ासागर बंगाल म
कम से कम लड़ कय के कू ल से जुड़े थे और उ ह म हला श ा के अ त म से एक
माना जाता है।

चा स वुड के ड ैच ऑन एजुके शन म म हला श ा क आव यकता पर


ब त जोर दया गया। म म हला च क सा सेवा ने नस और दाइय को श त करने
म ब त काम कया। म ोफे सर डीके कव ारा ा पत भारतीय म हला व व ालय
म हला को श ा दान करने वाले उ कृ सं ान म से एक था। इसी वष द ली म लेडी
हा डग मे डकल कॉलेज खोला गया।

म हला को वा य सु वधाएं दान क जाने लग


के दशक म डफ़ रन अ ताल का उ ाटन।
बीसव शता द के शु आती दशक के दौरान वदे शी और वभाजन वरोधी और होम
ल आंदोलन म भागीदारी घरेलू क त भारतीय म हला के लए एक बड़ा मु दायक
अनुभव था। के बाद उ ह राजनी तक जुलूस धरना आ द के दौरान ला ठय और
गो लय का सामना करना पड़ा और जेल जाना पड़ा। उ ह ने े ड यू नयन और कसान आंदोलन
या ां तकारी आंदोलन म स य प से भाग लया।

उ ह ने व भ वधानसभा और ानीय नकाय म मतदान कया खड़े ए और नवा चत


ए। सरो जनी नायडू भारतीय रा ीय कां ेस क अ य और बाद म संयु ांत क
रा यपाल बन ।

के बाद जाग क एवं आ म व ासी म हला ने म हला आ दोलन का नेतृ व


कया। कई संगठन और सं ाएँ जैसे अ खल भारतीय म हला स मेलन म ा पत

आ गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म हला संगठन म सरला दे वी चौधुरानी ने इलाहाबाद म भारत ी महामंडल


क पहली बैठक बुलाई । इसे कसी म हला ारा ा पत पहला मुख भारतीय म हला संगठन
माना जाता है इसके उ े य म म हला के लए श ा को बढ़ावा दे ना पदा था का उ मूलन
और पूरे भारत म म हला क सामा जक आ थक और राजनी तक त म सुधार शा मल
है। सरला दे वी का मानना था क म हला के उ ान के लए काम करने वाला मनु क
छाया म रहता है।

रमाबाई रानाडे ने म बॉ बे म मूल संगठन नेशनल सोशल कॉ स के तहत


लेडीज़ सोशल कॉ स भारत म हला प रषद क ापना क ।

पं डता रमाबाई सर वती ने म हला क सेवा के लए आय म हला समाज क


ापना क । उ ह ने अं ेज ी श ा आयोग के सम भारतीय म हला के शै क पा म
म सुधार क गुहार लगाई जसे महारानी व टो रया के पास भेज ा गया था। इसके प रणाम व प
म हला के लए च क सा श ा लेडी डफ़ रन कॉलेज म शु ई। बाद म रमाबाई रानाडे ने
ब बई म आय म हला समाज क एक शाखा ा पत क ।

म भारत म रा ीय म हला प रषद अंतरा ीय म हला प रषद क एक रा ीय


शाखा का गठन कया गया था। मेहरीबाई टाटा ने इसके नमाण और उ त म मह वपूण भू मका
नभाई। उनका मानना था क पदा था जा तगत मतभेद और श ा क कमी म हला को
सामा जक सम या को हल करने के लए काम करने से रोकती है। प रषद क कायकारी
स म त म मह वपूण पद पर रहने वाली अ य म हला म भारत क पहली म हला बै र टर
कॉन लया सरबजी शा मल थ ताराबाई ेमचंद एक धनी बकर क प नी शफ़ तैयबजी मुंबई
के मुख मु लम प रवार म से एक के सद य और महारानी सुचा दे वी के शव चं सेन क
बेट ।

हालाँ क आलोचक के अनुसार इन म हला ारा अपनाई जा रही परोपकारी शैली उ वग


क अं ेज ी म हला क थी।

म मागरेट क ज स ारा ा पत अ खल भारतीय म हला स मेलन


एआईड यूसी शायद पहली म हला स मेलन था
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

समतावाद कोण वाला संगठन। इसका पहला स मेलन पुण े के फ यूसन कॉलेज म
आयो जत कया गया था। मह वपूण सं ापक सद य म महारानी च नाबाई गायकवाड़
सांगली क रानी सा हबा सरो जनी नायडू कमला दे वी च ोपा याय और लेडी दोराब टाटा
शा मल थ । इसका उ े य सामा जक याय अखंडता समान अ धकार और अवसर के
स ांत पर आधा रत समाज के लए काम करना था और येक मनु य के लए जीवन क
अ नवायता को सुर त करना ज म या लग क घटना से नह ब क नयो जत
सामा जक वतरण ारा नधा रत कया जाता है। इस उ े य के लए AIWC ने भारत क
आजाद से पहले और बाद म व भ वधायी सुधार क दशा म काम कया कु छ उदाहरण
ह सारदा अ ध नयम ह म हला संप का अ धकार अ ध नयम फै टरी
अ ध नयम ह ववाह और तलाक अ ध नयम वशेष ववाह अ ध नयम
ह अ पसं यक और संर कता अ ध नयम ह द क हण और
भरण पोषण अ ध नयम म हला के अनै तक ापार का दमन अ ध नयम
मातृ व लाभ अ ध नयम दहेज नषेध अ ध नयम और समान
पा र मक अ ध नयम ।

जा त आधा रत शोषण के खलाफ संघष ह समाज के चार गुना वभाजन क


उ र वै दक अवधारणा न लीय म ण भौगो लक व तार और श प के व वधीकरण के
कारण कई उप जा तय म वभा जत हो गई जसने नए वसाय को ज म दया।

ह चतुवणा म क अवधारणा ने तय कया क कसी क जा त जनसं या


के व भ वग क त और सापे शु ता नधा रत करती है। यह जा त ही नधा रत
करती थी क कौन श ा ा त कर सकता है या ज़मीन जायदाद का वा म व ा त कर
सकता है कसी को कस कार का पेशा अपनाना चा हए कोई कसके साथ भोजन कर
सकता है या कसके साथ ववाह कर सकता है आ द। सामा य तौर पर जा त ज म से
पहले ही कसी क सामा जक वफादारी तय करती थी। पोशाक भोजन नवास
ान पीने और सचाई के लए पानी के ोत मं दर म वेश ये सभी जा त कारक ारा
नयं त थे।

जा त क भेदभावपूण सं ा से सबसे अ धक भा वत अछू त या अनुसू चत


जा त द लत थे जैसा क बाद म उ ह कहा जाने लगा। उन पर लगाई गई वकलांगताएं
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अपमानजनक अमानवीय और ज म से असमानता के स ांत पर आधा रत थे।

जा त आधा रत भेदभाव को कम करने म मदद करने वाले


कारक
• टश शासन ने शायद बना कसी इरादे के कु छ ऐसी तयाँ पैदा क ज ह ने
जा तगत चेतना को कमजोर कर दया
एक हद तक। भारत म टश शासन ने कु छ ताकत को तैनात कया कभी य शास नक
उपाय के मा यम से और कभी अ य प से उपयु पर तयाँ बनाकर। हालाँ क इन
उपाय का एक तरह से नकारा मक भाव पड़ा ले कन इनका सकारा मक भाव भी पड़ा।
उदाहरण के लए भू म म नजी संप का नमाण और भू म क मु त ब ने जा तगत
समीकरण को बगाड़ दया।

जा त और वसाय के बीच घ न संबंध जी वत नह रह सका य क गाँव क नरंकु शता


व त हो गई। इसके अलावा आधु नक वा ण य और उ ोग ने कई आ थक माग को ज म
दया जब क बढ़ते शहरीकरण और प रवहन के आधु नक साधन ने आबाद क ग तशीलता
को बढ़ाया। टश शासन ने समान प से लागू कानून णाली म कानून के सम समानता
क अवधारणा पेश क जसने सामा जक और कानूनी असमानता पर गहरा हार कया
जब क जा त पंचायत के या यक काय को छ न लया गया। शास नक सेवाएँ सभी जा तय
के लए खोल द ग और नई श ा णाली पूरी तरह से धम नरपे आधार पर थी।

• सामा जक सुधार आंदोलन ने भी जा त आधा रत शोषण को कम करने का यास


कया। व सद के म य से समाज ाथना समाज आय समाज रामकृ ण मशन
थयोसो फ ट सोशल कॉ स और य जैसे कई संगठन और समूह ने अछू त के बीच
श ा का सार करने और उनके वेश पर लगाए गए तबंध को हटाने के लए काम कया।
मं दर या तालाब टक आ द का उपयोग करना। हालाँ क उनम से कई ने चतुवण णाली का
बचाव कया ले कन उ ह ने अ ृ यता क आलोचना क । समाज सुधारक ने जा त भेद के
कठोर वंशानुगत आधार और कम के नयम पर हमला कया जो धा मक दाश नक र ा का
आधार बना।
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

अलोकतां क अ धनायकवाद जा त सं ा का. उ ह ने लोग से मृ यु के बाद मो के लए


यास करने के बजाय वा त वक नया म बेहतरी के लए काम करने का आ ान कया
जसम वे रहते थे।
उदाहरण के लए आय समाज ने ह समाज के असं य उप जा तय म वघटन के खलाफ
अ भयान चलाते ए इसे मूल चार गुना वभाजन पर पुन नमाण करने और यहां तक क सबसे
नचली जा तय के धम ंथ का अ ययन करने के अ धकार को बरकरार रखने का ल य रखा।
• रा ीय आंदोलन ने समाज को वभा जत करने वाली ताकत के खलाफ वतं ता और
समानता के
स ांत से ेरणा ली। रा ीय नेता और संगठन ने जा तगत वशेषा धकार का
वरोध कया समान नाग रक अ धकार और के मु वकास के लए संघष कया।
दशन बैठक और स या ह संघष म बड़े पैमाने पर भागीदारी के कारण जा त वभाजन कम
हो गया हालां क सी मत तरीके से। के बाद व भ ा त म कां ेस सरकार ने द लत
वग के उ ान के लए कु छ उपयोगी काय कये उदाहरण के लए कु छ ांत म ह रजन
अछू त के लए मु त श ा शु क गई थी।

ावणकोर इंदौर और दे वास जैसे रा य के शासक ने उ ोषणा ारा सभी रा य मं दर को


खोलने क पहल क ।
गांधीजी के मन म हमेशा अ ृ यता को जड़ मूल से समा त करने का ल य था। उनके
वचार मानवतावाद और तक के आधार पर आधा रत थे। उ ह ने तक दया क शा अ ृ यता
को मंज ूरी नह दे ते ह और य द दे ते भी ह तो उ ह नजरअंदाज कया जाना चा हए य क स य
को कसी पु तक के आवरण के भीतर सी मत नह कया जा सकता है। म उ ह ने
अ खल भारतीय ह रजन संघ क ापना क । • श ा के बढ़ते अवसर और सामा य जागृ त
के साथ नचली जा तय म भी हलचल होने लगी। यह जागृ त धीरे धीरे अपने अ धकार क
र ा और ऊं ची जा त के उ पीड़न
के खलाफ एक श शाली आंदोलन के प म वक सत ई। महारा म न न जा त
के माली प रवार म ज मे यो तबा फु ले ने ह समाज म ा णवाद वच व के खलाफ
आंदोलन का नेतृ व कया। उ ह ने अनुम त दे द
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नचली जा तय वशेषकर लड़ कय क श ा को सव ाथ मकता द गई जनके लए


उ ह ने कई कू ल खोले।
बाबासाहेब अ बेडकर ज ह ने अपने बचपन के दौरान जा तवाद भेदभाव के सबसे
बुरे प का अनुभव कया था ने जीवन भर उ जा त के अ याचार के खलाफ लड़ाई लड़ी।
उ ह ने अ खल भारतीय अनुसू चत जा त महासंघ का आयोजन कया जब क द लत वग के
कई अ य नेता ने अ खल भारतीय द लत वग संघ क ापना क । अ बेडकर ने सम प
से पदानु मत और पीय जा त व ा क नदा क और रा क वा त वक ग त के लए
जा त सं ा के उ मूलन क वकालत क । द लत वग के संघष के फल व प भारत सरकार
अ ध नयम म इन वग के लए वशेष त न ध व का ावधान कया गया।

के दशक म को हापुर के महाराजा जैसे अ य लोग ने गैर ा ण आंदोलन को


ो सा हत कया जो बीसव शता द के पहले दशक म द णी रा य म फै ल गया और इसम
क मा रे ी वे लाला श शाली म यवत जा तयां और शा मल हो गए। मुसलमान.

के दशक के दौरान द ण भारत म गैर ा ण ने ईवी रामा वामी नायकर के


नेतृ व म आ म स मान आंदोलन का आयोजन कया। मं दर म नचली जा तय के वेश पर
तबंध हटाने क मांग को लेक र कई अ य आंदोलन भी ए। के रल म ी नारायण गु ने ऊं ची
जा त के वच व के खलाफ आजीवन संघष कया। उ ह ने मानव जा त के लए एक धम एक
जा त एक भगवान का नारा दया जसे उनके श य सहदारन अ यपन ने मानव जा त के
लए कोई धम कोई जा त कोई भगवान नह म बदल दया।

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने उ जा त के ह क तगामी री त रवाज को चुनौती


दे ने के लए माच म महाड़ स या ह का नेतृ व कया। उ ह ने ऊँ च और नीच के
वचार को र करने और आ म सहायता आ म स मान और आ म ान के मा यम से आ म
उ ान को वक सत करने क आव यकता पर बल दया। उ ह ने महाड शहर के मा यम से
लगभग अछू त के जुलूस का नेतृ व चावदार टक तक कया जो पानी का एक
सावज नक ोत था जहाँ से अछू त को पानी भरने क अनुम त नह थी। डॉ. अ बेडकर ने
टं क से पानी नकाला और पया। ब त बड़े थे
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

जा तगत ह ारा वरोध दशन. बाद म दसंबर म अंबेडकर और उनके सहयो गय


ने असमानता से छु टकारा पाने के संके त के प म उसी ान पर मनु मृ त को जलाया।

डॉ. अ बेडकर ने सरकार के सम द लत क क ठनाइय और शकायत को उजागर


करने के लए म ब ह कृ त हतका रणी सभा क ापना क । इसका आदश वा य था
श त कर आंदोलन कर और संग ठत ह । • वतं भारत के सं वधान ने समानता और
जा त के आधार पर भेदभाव को
अ नवाय बनाया है। टश शासन के दौरान जा तगत भेदभाव के व संघष सफल
नह हो सका। वदे शी सरकार क अपनी सीमाएँ थ वह कोई भी क रपंथी कदम उठाकर
ढ़वाद वग से श ुतापूण त या आमं त करने का जो खम नह उठा सकती थी।

साथ ही आ थक और राजनी तक उ ान के बना कोई भी सामा जक उ ान संभव नह था।


यह सब आज़ाद भारत क सरकार के तहत ही साकार हो सका। वतं भारत का सं वधान
अ ृ यता को समा त करता है और अ ृ यता से उ प कसी भी वकलांगता के समथन को
गैरकानूनी घो षत करता है। यह कु तालाब नान घाट होटल सनेमाघर लब आ द
तक प ंच पर कसी भी तबंध को रोकता है। नदशक स ांत म से एक म सं वधान ने कहा
है क रा य लोग के क याण को बढ़ावा दे ने का यास करेगा। और यथासंभव भावी ढं ग
से एक सामा जक व ा क र ा करना जसम याय सामा जक आ थक और राजनी तक
रा ीय जीवन क सभी सं ा को सू चत करेगा ।

यद येक कृ षक पढ़ सके तो असंतोष भड़काने क रा वाद श अ य धक बढ़ जाएगी।

बॉ बे गवनर वायसराय को एक नजी


प म

उभरता आ म य वग राजनी तक प से झुक ा आ था और कसी धम क तलाश म नह था ले कन वे चाहते थे क


कु छ सां कृ तक जड़ जुड़ी रह... जससे वदे शी वजय और शासन ारा उ प हताशा और अपमान क भावना कम
हो जाएगी।

जवाहर लाल नेह


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मृत और दफ़नाए गए लोग हमेशा के लए मर जाते ह दफ़नाए जाते ह और जला दए जाते ह और मृत अतीत को
इस लए पुनज वत नह कया जा सकता जब तक क पुरानी साम य को नए संग ठत प म सुधार न कया जाए।

महादे व गो वद रानाडे

भा यवश अब तक कोई भी ा ण व ान वो टे यर क भू मका नभाने के लए आगे नह आया है जसम


कै थो लक चच के स ांत के खलाफ खड़े होने क बौ क ईमानदारी थी जसम वह बड़ा आ था... ा ण के
बीच एक वो टे यर एक सकारा मक खतरा होगा एक ऐसी स यता के रखरखाव के लए जो ा णवाद वच व को
बनाए रखने के लए बनाई गई है।

बीआर अंबेडकर

अ ृ यता का ह धम के लए जीवन और मृ यु का है।


य द अ ृ यता जी वत रहती है तो ह धम न हो जाता है और यहां तक क भारत भी न हो
जाता है ले कन य द ह दय जड़ और शाखा से अ ृ यता मट जाए तो ह धम के पास नया
के लए एक न त संदेश है।

एमके गांधी

म चाहता ं क सभी दे श क सं कृ त मेरे घर म यथासंभव वतं प से सा रत हो। ले कन म इस बात से इनकार


करता ं क कोई भी मेरे पैर से टकराएगा। म सरे लोग के घर म रहने से इनकार करता ं

ह त ेप करने वाला भखारी या गुलाम।


एमके गांधी

सारांश
• सुधार आंदोलन को ज म दे ने वाले कारक भारतीय धरती पर औप नवे शक सरकार क उप त।

भारतीय समाज को परेशान करने वाली व भ बुराइयाँ ढ़वाद अंध व ास ब दे ववाद मू तपूज ा म हला क
अपमा नत त शोषणकारी जा त पदानु म।

श ा का सार और नया के बारे म जाग कता बढ़ ।


आधु नक प मी सं कृ त का भाव एवं वदे शी श ारा पराजय क चेतना।

व सद के अंत म रा वाद और लोकतं का बढ़ता वार।

• सामा जक आधार उभरता


आ म यम वग और प मी श ा ा त बु जीवी।

• वैचा रक आधार बु वाद धा मक


सावभौ मकता मानवतावाद धम नरपे ता।
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सामा जक धा मक सुधार आंदोलन

• सामा जक सुधार घटक


म हला क त म सुधार व ा के कारण ख़राब त शी ववाह श ा का अभाव ववाह
पदा तलाक
वरासत म असमान
अ धकार ब ववाह क या
ूण ह या वधवा पुन ववाह पर तबंध सती सुधार म मुख योगदानकता
सामा जक
सुधार आंदोलन वतं ता
सं ाम बु म हला के नेतृ व म आंदोलन वतं
भारत
सं वधान।

म हला के लए वधायी उपाय


बंगाल रेगुलेशन सती था पर तबंध बंगाल
रेगुलेशन शशु ह या को अवैध घो षत करना।
ह वधवा पुन ववाह अ ध नयम ।
सहम त क आयु अ ध नयम सारदा
अ ध नयम वशेष
ववाह अ ध नयम ह ववाह
अ ध नयम ह उ रा धकार
अ ध नयम ह द क हण और भरण
पोषण अ ध नयम मातृ व लाभ अ ध नयम समान
पा र मक अ ध नयम बाल ववाह
तबंध संशोधन अ ध नयम दमन
म हला और लड़ कय म अनै तक ापार अ ध नयम म
संशो धत

दहेज नषेध अ ध नयम म संशो धत


• जा त आधा रत शोषण के व संघष

जा तगत कठोरता को कम करने वाले कारक


औप नवे शक शासन ारा फै लाई गई ताकत
सामा जक सुधार आंदोलन
रा ीय आंदोलन

अ ृ यता के व गांधीजी का अ भयान


बेहतर श ा और रोजगार को लेक र नचली जा तय म हलचल

आज़ाद भारत का सं वधान


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सामा जक का एक सामा य सव ण
सां कृ तक सुधार आंदोलन

सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन और उनके नेता

राजा राममोहन राय और समाज राजा राममोहन राय ज ह अ सर


भारतीय पुनजागरण का जनक और आधु नक भारत का नमाता कहा जाता है ब मुख ी तभा के
थे।

राममोहन राय आधु नक वै ा नक कोण और मानवीय ग रमा और सामा जक समानता


के स ांत म व ास करते थे।
उ ह ने अपना व ास एके रवाद म रखा। उ ह ने एके रवा दय को उपहार लखा और
अपने ढ़ व ास को सा बत करने के लए वेद और पांच उप नषद का बंगाली म अनुवाद कया
क ाचीन ह ंथ एके रवाद का समथन करते ह।

म उ ह ने वेदांत के एके रवाद आदश का चार करने और मू तपूज ा जा तगत


कठोरता नरथक अनु ान और अ य सामा जक बुराइय के खलाफ अ भयान चलाने के लए
कलक ा म आ मीय सभा या सोसाइट ऑफ ड् स क ापना क । तकवाद वचार से
अ य धक भा वत होकर उ ह ने घोषणा क क वेदांत तक पर आधा रत है और य द तक इसक
मांग करता है तो धम ंथ से वचलन भी उ चत है।

उ ह ने कहा क तकवाद के स ांत अ य सं दाय पर भी लागू होते ह वशेषकर उनम


अंध व ास के त व पर।
अपने ीसे ट् स ऑफ जीसस म उ ह ने अलग करने क को शश क
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

नए नयम का नै तक और दाश नक संदेश जसक उ ह ने चम का रक कहा नय से शंसा


क । ईसा मसीह के संदेश को ह धम म शा मल करने क वकालत के कारण उ ह मशन रय
का ोध झेलना पड़ा।

वह व भ सं कृ तय से सव े का चयन करने क रचना मक और बौ क या


के प धर थे जस पर फर से उ ह ढ़वाद त या का सामना करना पड़ा।

राजा राममोहन राय ने अग त म सभा क ापना क बाद म इसका नाम


बदलकर समाज कर दया गया। सभा के मा यम से वे अपने वचार और मशन को
सं ागत बनाना चाहते थे।
समाज शा त अ ा य अप रवतनीय ाणी क पूज ा और आराधना के लए तब था जो
ांड का लेख क और संर क है । ाथना यान और उप नषद का पाठ पूज ा का प होना
चा हए और समाज भवन म कसी भी उ क ण छ व मू त या मू तकला न काशी प टग च
च इ या द क अनुम त नह द जानी चा हए इस कार समाज के वरोध को रेख ां कत कया
गया मू तपूज ा और नरथक अनु ान। समाज का द घका लक एजडा ह धम को शु
करना और एके रवाद का चार करना तक और वेद और उप नषद के जुड़वां तंभ पर
आधा रत था। समाज ने अ य धम क श ा को भी शा मल करने का यास कया और
मानवीय ग रमा मू तपूज ा के वरोध और सती जैसी सामा जक बुराइय क आलोचना पर
अपना जोर दया।

राममोहन राय कोई नया धम ा पत नह करना चाहते थे।


वह के वल ह धम म घुसी ई कु री तय को शु करना चाहते थे। रॉय के ग तशील वचार
को राजा राधाकांत दे ब जैसे ढ़वाद त व के कड़े वरोध का सामना करना पड़ा ज ह ने
समाज के चार का मुक ाबला करने के लए धम सभा का आयोजन कया। म रॉय क
मृ यु समाज के मशन के लए एक झटका थी।

राजा
राममोहन राय और उनका समाज सभी व भ सुधार आंदोलन के लए शु आती ब है
चाहे वह ह धम समाज या राजनी त म हो जसने आधु नक भारत को आंदो लत कया है।

एचसीई जका रयास


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

समाज क वशेषता को इस कार सं े पत कया जा सकता है • इसने


ब दे ववाद और मू त पूज ा क नदा क • इसने ई रीय अवतार म
व ास को याग दया • इसने इस बात से इनकार कया क कोई भी धम ंथ
मानवीय तक और ववेक से परे अं तम ा धकार क त का आनंद ले सकता है •
इसने कम और आ मा के ानांतरण के स ांत पर कोई न त ख नह
अपनाया और
कसी भी तरह से व ास करने के लए इसे गत ोस पर छोड़ दया • इसने
जा त व ा क आलोचना क ।

उनके वचार और ग त व धय का उ े य सामा जक सुधार के मा यम से जनता का


राजनी तक उ ान करना था और इस हद तक कहा जा सकता है क उनम रा वाद न हताथ
थे।

समाज सुधार म राजा राममोहन राय के यास राममोहन सती था क अमानवीय था के


खलाफ एक ढ़ यो ा थे। उ ह ने म अपना सती वरोधी संघष शु कया और मानवता
तक और क णा क अपील करने के अलावा उ ह ने अपने इस तक को सा बत करने के लए
पव ंथ का हवाला दया क कोई भी धम वधवा को जदा जलाने क इजाजत नह दे ता
है। उ ह ने सती था के खलाफ अपने संघष के दौरान मशान घाट का भी दौरा कया
सतकता समूह का आयोजन कया और सरकार के सम जवाबी या चकाएं दायर क । उनके
यास को म सरकारी व नयमन ारा पुर कृ त कया गया जसने सती था को अपराध
घो षत कर दया।

म हला के अ धकार के लए एक चारक के प म रॉय ने म हला क सामा य


अधीनता क नदा क और च लत गलत धारणा का वरोध कया जो म हला क नन
सामा जक त का आधार बन । रॉय ने ब ववाह और वधवा क अपमा नत त पर
हमला कया और म हला के लए वरासत और संप के अ धकार क मांग क ।

राममोहन राय ने अपने दे शवा सय तक आधु नक श ा का लाभ प ँचाने के लए


ब त कु छ कया। उ ह ने म ह कॉलेज क ापना के लए डे वड हेयर के यास का
समथन कया जब क रॉय के अं ेज ी कू ल म यां क और वो टे यर के दशन पढ़ाए जाते थे।
म उ ह ने वहां एक वेदांत कॉलेज क ापना क
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

मुझ े यह कहते ए खेद है क ह ारा पालन क जाने वाली वतमान धम णाली उनके राजनी तक
हत को बढ़ावा दे ने के लए अ तरह से तैयार नह है... मुझ े लगता है क यह आव यक है क कम से
कम उनके धम म कु छ बदलाव कया जाए। उनका राजनी तक लाभ और सामा जक आराम।

राजा राममोहन राय

भारतीय श ा और प मी सामा जक और भौ तक व ान दोन म पा म पेश कए


गए। उ ह ने बंगाली ाकरण क पु तक संक लत करके और एक आधु नक सु चपूण ग
शैली वक सत करके बंगाली भाषा को समृ करने म भी मदद क ।

राममोहन एक तभाशाली भाषा वद् थे। वह सं कृ त फ़ारसी अरबी अं ेज ी


च लै टन ीक और ह ू स हत एक दजन से अ धक भाषाएँ जानते थे। व भ भाषा
के ान ने उ ह अपने अ ययन के दायरे को ापक बनाने म मदद क ।

ेस क वतं ता के एक साहसी समथक और भारतीय प का रता म अ णी के


प म रॉय ने जनता को श त करने और सू चत करने और सरकार के सम उनक
शकायत को तुत करने के लए बंगाली हद अं ेज ी फ़ारसी म प काएँ नकाल ।

एक राजनी तक कायकता के प म रॉय ने बंगाली जम दार क दमनकारी था


क नदा क और अ धकतम लगान तय करने क मांग क । उ ह ने कर मु भू म पर कर
समा त करने क भी मांग क । उ ह ने वदे श म भारतीय व तु पर नयात शु क म कमी
करने और ई ट इं डया कं पनी के ापा रक अ धकार को समा त करने का आ ान कया।
उ ह ने बेहतर सेवा के भारतीयकरण और कायपा लका को यायपा लका से अलग करने
क मांग क ।

उ ह ने भारतीय और यूरोपीय लोग के बीच या यक समानता और मुक दमा जूरी ारा


आयो जत करने क मांग क ।
राममोहन अपने समय से परे रखने वाले एक अंतरा ीयवाद थे। वह रा के
बीच वचार और ग त व ध और भाईचारे के सहयोग के लए खड़े थे। वतं ता समानता
और याय के स ांत के सावभौ मक च र क उनक समझ से संके त मलता है क वे
आधु नक युग के मह व को अ तरह से समझते थे। उ ह ने नेप स क ां तय का समथन
कया और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

े नश अमे रका और अनुप त अं ेज ी जम दारी ारा आयरलड के उ पीड़न क नदा क


और सुधार वधेयक पा रत नह होने पर सा ा य से पलायन क धमक द ।

रॉय के सहयोगी के प म डे वड हेयर अले जडर डफ दे वे नाथ टै गोर पीके टै गोर


च शेख र दे ब और ताराचंद च वत थे।

दे ब नाथ टै गोर और समाज मह ष दे ब नाथ टै गोर


रव नाथ टै गोर के पता और पारंप रक भारतीय श ा और प मी वचार म सव े के
उ पाद ने समाज को एक नया जीवन दया और आ तक आंदोलन को एक न त प
और आकार दया जब वह म समाज म शा मल ए। इससे पहले टै गोर ने त वबो धनी
सभा म ा पत का नेतृ व कया था जो बंगाली म अपने अंग त वबो धनी प का के
साथ तकसंगत कोण के साथ भारत के अतीत के व त अ ययन और राममोहन के
चार के लए सम पत थी। वचार. दोन सभा के अनौपचा रक जुड़ाव के कारण समाज
के साथ सद यता क एक नई श और ताकत जुड़ी। धीरे धीरे समाज म राममोहन के
मुख अनुयायी डेरो ज़यन और ई र चं व ासागर और अ नी कु मार द जैसे वतं
वचारक शा मल हो गए। टै गोर ने दो मोच पर काम कया ह धम के भीतर समाज एक
सुधारवाद आंदोलन था बाहर इसने ह धम क आलोचना और धमातरण के यास के लए
ईसाई मशन रय का डटकर वरोध कया।

पुनज वत समाज ने वधवा पुन ववाह म हला क श ा ब ववाह क समा त रैयत क


त म सुधार और संयम का समथन कया।

के शव चं सेन और समाज समाज ने ऊजा के एक और चरण का अनुभव


कया जब के शव चं सेन को म समाज म शा मल होने के तुरंत बाद
दे ब नाथ टै गोर ने आचाय बनाया था। के शब जसे के शुब भी कहा जाता है ने मह वपूण
भू मका नभाई थी आंदोलन को लोक य बनाने के लए और समाज क शाखाएँ बंगाल के
बाहर संयु रा य म खोली ग
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

जो कोई त दन स े ई र क पूज ा करता है उसे अपने सभी साथी दे शवा सय को भाइय के प


म पहचानना सीखना चा हए।
के शब चं सेन

ांत पंज ाब बंबई म ास और अ य शहर।


भा य से दे ब नाथ को सेन के कु छ वचार पसंद नह आए जो उ ह ब त क रपंथी लगे जैसे
क सभी धम क श ा को शा मल करके समाज क बैठक का सवदे शीयकरण और जा त
व ा के खलाफ उनके मजबूत वचार यहां तक क अंतर जातीय ववाह को खुला समथन
भी। म के शव च सेन को आचाय पद से बखा त कर दया गया।

के शव और उनके अनुया यय ने म भारत के समाज क ापना क


जब क दे ब नाथ टै गोर के समाज को आ द समाज के प म जाना जाने लगा।

म के शब ारा अपनी तेरह वष य बेट क शाद कू च बहार के नाबा लग ह


महाराजा से सभी ढ़वाद ह री त रवाज के साथ करने के अकथनीय कृ य के कारण
के शब के भारत के समाज म एक और वभाजन आ।

इससे पहले के शव को उनके कु छ अनुयायी अवतार मानने लगे थे जो उनके ग तशील


अनुया यय को ब त नापसंद था। इसके अलावा के शव पर स ावाद का आरोप लगाया जाने
लगा था।

के बाद के शव के नराश अनुया यय ने एक नया संगठन साधारण समाज


क ापना क । साधरण समाज क शु आत आनंद मोहन बोस शबचं दे ब और उमेश
चं द ा ने क थी। इसने सव स ा एक ई र म व ास के ा ो स ांत को दोहराया
यह व ास क कोई भी धम ंथ या मनु य अचूक नह है तक स य और नै तकता के नदश
म व ास।

म ास ा त म अनेक ो के खोले गये। पंज ाब म दयाल सह ट ने म


लाहौर म दयाल सह कॉलेज खोलकर ो वचार को लागू करने क को शश क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

समाज का मह व सामा जक सुधार के मामल म समाज ने


कई ढ़य और अंध व ास पर हार कया। इसने वदे श जाने के त च लत ह पूवा ह
क नदा क । इसने समाज म म हला के लए स मानजनक त के लए काम कया सती
क नदा क पदा था के उ मूलन के लए काम कया बाल ववाह और ब ववाह को
हतो सा हत कया वधवा पुन ववाह के लए अ भयान चलाया और शै क सु वधा के
ावधान के लए काम कया। इसने जा तवाद और अ ृ यता पर भी हार कया हालाँ क इन
मामल म इसे सी मत सफलता ही मली

सफलता।
हालाँ क समाज का भाव कलक ा और अ धक से अ धक बंगाल से आगे नह
बढ़ पाया। इसका कोई ायी भाव नह पड़ा.

ाथना समाज म के शव
चं सेन ने आ माराम पांडुरंग को बॉ बे म ाथना समाज ा पत करने म मदद क । सबसे पहले
वचार का सार महारा म आ। ाथना समाज का पूववत परमहंस सभा था जो उदार
वचार को फै लाने और जा त और सां दा यक बाधा को तोड़ने के लए ो सा हत करने के
लए एक गु त समाज क तरह था। महादे व गो वद रानाडे म समाज म
शा मल ए और समाज ारा कया गया अ धकांश काम और लोक यता उनके यास के
कारण थी। उनके यास से समाज को अ खल भारतीय व प ा त आ।

समाज के अ य नेता आरजी भंडारकर और एनजी चंदावरकर


थे। जोर एके रवाद पर था ले कन कु ल मलाकर समाज धम क तुलना म सामा जक सुधार
से अ धक च तत था। ाथना सभा महारा के भ पंथ से ब त जुड़ी ई थी। समाज श ा
और अनुनय पर नभर था न क ह ढ़वा दता के साथ टकराव पर। एक चार सू ीय
सामा जक एजडा भी था i जा त व ा क अ वीकृ त ii म हला क श ा iii
वधवा पुन ववाह और iv पु ष और म हला दोन के लए ववाह क आयु बढ़ाना।

ध डो के शव कव और व णु शा ी रानाडे के साथ सामा जक सुधार के समथक थे। कव रानाडे


के साथ
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

वधवा को श ा और श ण दान करने के उ े य से वधवा पुन ववाह आंदोलन के


साथ साथ वधवा गृह संघ क ापना क ता क वे अपना भरण पोषण कर सक।

युवा बंगाल आंदोलन और हेनरी व वयन डेरो जयो


के दशक के अंत और के दशक
क शु आत म बंगाल म युवा के बीच एक क रपंथी बौ क वृ उभरी जसे यंग
बंगाल आंदोलन के प म जाना जाता है। एक युवा एं लो इं डयन हेनरी व वयन डेरो जयो
ज ह ने से तक ह कॉलेज म पढ़ाया इस ग तशील वृ
के नेता और ेरक थे। महान ांसीसी ां त से ेरणा लेते ए डेरो ज़यो ने अपने व ा थय
को वतं और तकसंगत प से सोचने सभी ा धकरण पर सवाल उठाने वतं ता
समानता और वतं ता से यार करने और पतनशील री त रवाज और परंपरा का वरोध
करने के लए े रत कया। डेरो ज़य ने म हला के अ धकार और श ा का भी समथन
कया। इसके अलावा डेरो ज़यो शायद आधु नक भारत के पहले रा वाद क व थे।

हालाँ क डेरो ज़यन द घका लक भाव डालने म वफल रहे। डेरो जयो को उनके
क रपंथ के कारण म ह कॉलेज से नकाल दया गया था। उनक सी मत सफलता
का मु य कारण उस समय क च लत सामा जक प र तयाँ थ जो क रपंथी वचार
को अपनाने के लए उपयु नह थ ।

इसके अलावा कसी अ य सामा जक समूह या वग से कोई समथन नह मला। डेरो ज़य


के पास जनता के साथ कोई वा त वक संबंध नह था उदाहरण के लए वे कसान का
मु ा उठाने म वफल रहे। व तुतः उनका क रवाद कताबी था। ले कन अपनी सीमा के
बावजूद डरो जय ने सामा जक आ थक और राजनी तक सवाल पर सावज नक श ा
क राममोहन राय क परंपरा को आगे बढ़ाया। उदाहरण के लए उ ह ने भारतीय को उ
ेण ी क सेवा म शा मल करने दमनकारी जम दार से रैयत क सुर ा टश उप नवेश
म भारतीय मक के साथ बेहतर वहार कं पनी के चाटर म संशोधन ेस क वतं ता
और जूरी ारा परी ण क मांग क ।

बाद म सुर नाथ बनज ने डेरो ज़य को आधु नक स यता के अ त के प


म व णत कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बंगाल हमारी जा त के सपाही पता जनके गुण से ा उ प होगी और जनक


असफलता पर सौ यता से वचार कया जाएगा।

ई र चं व ासागर महान व ान और सुधारक


व ासागर के वचार भारतीय और प मी वचार का एक सुख द म ण थे। वह उ नै तक
मू य म व ास करते थे गहरे मानवतावाद थे और गरीब के त उदार थे। म वे सं कृ त
महा व ालय के ाचाय बने। वह शा ान पर पुरो हत के एका धकार को तोड़ने के लए
कृ तसंक प थे और इसके लए उ ह ने गैर ा ण के लए सं कृ त महा व ालय खोल दया।
उ ह ने सं कृ त श ा के व लगाए गए अलगाव को तोड़ने के लए सं कृ त कॉलेज म प मी
वचार पेश कया। एक श ा वद् के प म उ ह ने सं कृ त पढ़ाने के लए एक नई प त
वक सत क । उ ह ने एक नया बंगाली ाइमर भी तैयार कया और एक नई ग शैली वक सत
क।

व ासागर ने वधवा पुन ववाह के समथन म एक आंदोलन शु कया जसके


प रणाम व प वधवा पुन ववाह को वैध बनाया गया।
वह बाल ववाह और ब ववाह के खलाफ भी एक यो ा थे।
उ ह ने म हला क श ा के लए ब त कु छ कया। कू ल के सरकारी नरी क के पम
उ ह ने पतीस लड़ कय के कू ल को व त करने म मदद क जनम से कई को उ ह ने
अपने खच पर चलाया।
बे यून कू ल म ा पत के स चव के प म वह भारत म म हला के लए उ
श ा के अ त म से एक थे।

कलक ा म ा पत बे यून कू ल और के दशक म म हला क श ा


के लए उठे श शाली आंदोलन का प रणाम था। आ दोलन को बड़ी क ठनाइय का सामना
करना पड़ा। युवा छा पर च लाया गया वहार कया गया और कभी कभी उनके माता
पता का भी सामा जक ब ह कार कया गया। कई लोग का मानना था क प मी श ा ा त
करने वाली लड़ कयाँ अपने प तय क दासी बनगी।

बालशा ी ज ेक र
बालशा ी ज ेक र बंबई म प का रता के मा यम से सामा जक सुधार के
अ त थे उ ह ने ा णवाद ढ़वा दता पर हमला कया और लोक य ह धम म सुधार
करने का यास कया। उसने ार कया
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

म अखबार दपण। मराठ प का रता के जनक के प म जाने जाने वाले जांभेक र ने


लोग को वधवा पुन ववाह जैसे सामा जक सुधार के बारे म जाग कता जगाने और लोग म
जीवन के त वै ा नक कोण पैदा करने के लए दपण का इ तेमाल कया। म
उ ह ने द दशन क शु आत क जसम वै ा नक वषय के साथ साथ इ तहास पर भी लेख
का शत होते थे।

ज ेक र ने बॉ बे ने टव जनरल लाइ ेरी क ापना क और ने टव इ ूवमट सोसाइट


क शु आत क जसक एक शाखा टू डट् स लटरेरी एंड साइं ट फक लाइ ेरी थी। वह
कोलाबा वेधशाला के नदे शक होने के अलावा ए फ टन कॉलेज म हद के पहले ोफे सर थे।

परमहंस मंडली
म महारा म ा पत परमहंस मंडली के सं ापक दादोबा पांडुरंग मेहताजी गाराम
और अ य एक गु त समाज के प म शु ए जसने सामा य प से ह धम और समाज
म सुधार के लए काम कया। समाज क वचारधारा मानव धम सभा से गहराई से जुड़ी ई थी।
यह मानने के अलावा क एक ई र क पूज ा क जानी चा हए समाज ने यह भी कहा क
वा त वक धम ेम और नै तक आचरण पर आधा रत है। तकसंगतता के साथ साथ वचार क
वतं ता को भी ो सा हत कया गया। मंडली के सं ापक मु य प से जा त नयम को
तोड़ने म च रखते थे। उनक बैठक म नचली जा त के लोग ारा पकाया गया भोजन
सद य ारा लया जाता था।

इन मंड लय ने वधवा पुन ववाह और म हला श ा क भी वकालत क । परमहंस मंडली क


शाखाएँ पूना सतारा और महारा के अ य शहर म मौजूद थ ।

स यशोधक समाज और यो तबा या


यो तराव फु ले
महारा के सतारा म ज मे यो तबा फु ले माली माली समुदाय से थे और
उ ह ने ऊं ची जा त के वच व और ा णवाद वच व के खलाफ एक श शाली आंदोलन
चलाया था। फु ले ने म स यशोधक समाज स य शोधक समाज क ापना क इस
समाज का नेतृ व पछड़े वग माली तेली से आता था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कु नबी साड़ी और धनगर। आंदोलन का मु य उ े य था i समाज सेवा और ii म हला


और नचली जा त के लोग के बीच श ा का सार।

फु ले क रचनाएँ सावज नक स यधम और गुलाम गरी आम जनता के लए ेरणा


का ोत बन ग । फु ले ने ा ण के राम के तीक के वपरीत राजा ब ल के तीक का
इ तेमाल कया। फु ले का ल य जा त व ा और सामा जक आ थक असमानता का
पूण उ मूलन था वह सां कृ तक ह धम के ख़लाफ़ थे। इस आंदोलन ने द लत समुदाय
को उन ा ण के खलाफ एक वग के प म पहचान क भावना द जो गत मौ क
लाभ के लए जनता का शोषण करने के लए धम और जनता के अंध व ास का इ तेमाल
करते थे।

ल गक समानता म ढ़ व ास रखने वाले फु ले म हला क श ा म अ णी थे


उ ह ने अपनी प नी सा व ीबाई क मदद से पूना म लड़ कय का एक कू ल खोला वह
महारा म वधवा पुन ववाह आंदोलन के अ णी थे और उ ह ने म वधवा के लए
एक घर भी खोला। फु ले को उनके सामा जक सुधार काय के लए महा मा क उपा ध से
स मा नत कया गया था।

गोपालह र दे शमुख लोक हतवाद गोपालह र दे शमुख


महारा के एक समाज सुधारक और तकवाद थे। टश राज म वे यायाधीश के पद पर
थे ले कन सामा जक सुधार के मु पर लोक हतवाद के उपनाम से सा ता हक भाकर के
लए लखते थे।

उ ह ने तकसंगत स ांत और आधु नक मानवतावाद धम नरपे मू य पर भारतीय


समाज के पुनगठन क वकालत क । उ ह ने ह ढ़वाद पर हमला कया और सामा जक
और धा मक समानता का समथन कया।
उ ह ने जा त व ा क बुराइय के खलाफ लखा। उ ह ने कहा अगर धम सामा जक
सुधार को मंज ूरी नह दे ता है तो धम बदल ल।
उ ह ने एक सा ता हक हतेचू शु कया और ान काश इं काश और लोक हतवाद
नामक प का क ापना म भी अ णी भू मका नभाई ।

गोपाल गणेश अगरकर


गोपाल गणेश अगरकर महारा के एक श ा वद् और समाज सुधारक थे।
मानवीय तक क श के बल समथक उ ह ने अंध नभरता क आलोचना क
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

परंपरा और अतीत के झूठे म हमामंडन पर। वह यू इं लश कू ल डे कन एजुके शन सोसाइट


और फ यूसन कॉलेज के सह सं ापक थे। वह फ यूसन कॉलेज के सपल थे। वह लोकमा य
तलक ारा शु क गई प का के सरी के पहले संपादक भी थे । बाद म उ ह ने अपना खुद
का प का सुधारक शु कया जो अ ृ यता और जा त व ा के खलाफ बोलता था।

सवट् स ऑफ इं डया सोसाइट भारतीय रा ीय कां ेस के


उदारवाद नेता गोपाल कृ ण गोखले ने एमजी रानाडे क मदद से म
सवट् स ऑफ इं डया सोसाइट क ापना क । सोसायट का उ े य भारत क सेवा के लए
रा ीय मशन रय को श त करना था सभी संवैधा नक तरीक से भारतीय लोग के स े
हत को बढ़ावा दे ना और न वाथ कायकता का एक कै डर तैयार करना जो धा मक भावना
से दे श के लए अपना जीवन सम पत कर। म समाज के वचार को तुत करने के लए
हतवाद का काशन शु आ।

समाज ने राजनी तक ग त व धय और भारतीय रा ीय कां ेस जैसे संगठन से अलग रहना


चुना।
गोखले क मृ यु के बाद ी नवास शा ी ने अ य पद संभाला। भारत म
कई ान पर समाज अभी भी सकु ड़े ए आधार के साथ काम कर रहा है। यह श ा के े
म काम करता है और कई ान पर आ दवासी लड़ कय और बालवा ड़य के लए आ म
कार के कू ल उपल कराता है।

सोशल स वस लीग
गोखले के अनुयायी नारायण म हार जोशी ने जनता के लए जीवन और काय क बेहतर और
उ चत तयाँ सु न त करने के उ े य से बॉ बे म सोशल स वस लीग क ापना क ।

उ ह ने कई कू ल पु तकालय वाचनालय डे नसरीज़ और सहकारी स म तय का आयोजन


कया। उनक ग त व धय म पु लस कोट एजट का काम गरीब और अ श त को कानूनी
सहायता और सलाह झु गी झोप ड़य म रहने वाल के लए मण ायामशाला और नाटक य
दशन क सु वधाएं व ता काय च क सा राहत और लड़क के लब और काउट कोर
भी शा मल थे। जोशी ने अ खल भारतीय े ड यू नयन कां ेस क भी ापना क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

रामकृ ण आंदोलन और
वामी ववेक ानंद

समाज के उपदे शा मक रा वाद ने बंगाल के बौ क अ भजात वग को अ धक आक षत


कया जब क औसत बंगाली को भ और योग के पंथ म अ धक भावना मक संतु मली।
कलक ा के बाहरी इलाके द णे र म काली मं दर के एक गरीब पुज ारी ज ह बचपन म
गदाधर च ोपा याय के नाम से जाना जाता था रामकृ ण परमहंस क श ा
के कई अनुयायी मले।

रामकृ ण ने ब त कम उ से ही आ या मक समा ध परमानंद का अनुभव कया। ऐसा माना


जाता है क उ ह ने ह के लए उपल उ तम आ या मक अनुभव ा त कया था।
उ ह ने कताब नह लख ले कन लोग के साथ उनक बातचीत ने उनक श ा को आधार
बनाया। उ ह ने सामा य जीवन और कृ त के अवलोकन से ांत और पक के पम
सरलता से बात क । ले कन उ ह ने जो कहा वह सावभौ मक ासं गकता वाला था। रामकृ ण
आंदोलन के दो उ े य थे i याग और ावहा रक आ या मकता के जीवन के लए सम पत
भ ु के एक समूह को अ त व म लाना जनके बीच से श क और कायकता को
वेदांत के सावभौ मक संदेश को फै लाने के लए भेज ा जाएगा जैसा क स च है। रामकृ ण का
जीवन और ii आम श य के साथ मलकर चार परोपकारी और धमाथ काय को आगे
बढ़ाना सभी पु ष म हला और ब को जा त पंथ या रंग क परवाह कए बना ई र
क वा त वक अ भ के प म दे ख ना।

पहले उ े य को पूरा करने के लए परमहंस ने वयं अपने युवा मठवासी श य के साथ


रामकृ ण मठ क न व रखी। सरा उ े य वामी ववेक ान द ने रामकृ ण क मृ यु के बाद
उठाया जब उ ह ने म रामकृ ण मशन क ापना क । रामकृ ण मठ और मशन का
मु यालय कलक ा के पास बेलूर म है।

दोन जुड़वां संगठन ह हालां क कानूनी और आ थक प से अलग अलग परमहंस ने बढ़ती


चता के
बीच याग यान और भ के पारंप रक तरीक के मा यम से मो क मांग क ।
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

प मीकरण और आधु नक करण. उ ह ने सभी धम क मौ लक एकता को पहचाना और इस


बात पर जोर दया क कृ ण ह र राम ाइ ट अ लाह एक ही ई र के अलग अलग नाम ह
और ई र और मो के कई रा ते ह जतने व ास उतने रा ते। परमहंस क आ या मकता
और पी ड़त मानवता के त क णा ने उ ह सुनने वाल को े रत कया। वे कहते थे मानव
सेवा ही ई र क सेवा है।

संयोग से रामकृ ण का ववाह सारदाम ण मुख ज से आ था ज ह बाद म सारदा


दे वी के नाम से जाना गया। रामकृ ण सारदा को द माँ का अवतार मानते थे।

श य भी उ ह प व माँ के प म जानते थे।


उ ह ने ग णत के काय और युवा श य को उनके मशन म ो सा हत करने म मह वपूण
भू मका नभाई।
वामी ववेक ान द नरे नाथ द
जो बाद म वामी ववेक ान द के नाम से जाने गये ने रामकृ ण के स दे श को
फै लाया और उसे समकालीन भारतीय समाज क आव यकता के अनु प ढालने का यास
कया। वह नव ह धम के चारक के प म उभरे।

रामकृ ण के कु छ आ या मक अनुभव उप नषद और गीता क श ाएँ और बु और यीशु के


उदाहरण मानवीय मू य के बारे म नया को दए गए ववेक ान द के संदेश का आधार ह।
उ ह ने वेदांत क सद यता ली जसे वे एक े कोण के साथ पूरी तरह तकसंगत णाली
मानते थे। उनका मशन परमाथ सेवा और वहार वहार और आ या मकता और दै नक
जीवन के बीच क खाई को पाटना था ।

ववेक ान द ई र क मौ लक एकता म व ास करते थे और कहते थे हमारी अपनी


मातृभू म के लए दो महान णा लय ह धम और इ लाम का मलन ही एकमा आशा है।

सामा जक या पर बल दे ते ए उ ह ने घोषणा क क या के बना ान थ है।


उ ह ने धा मक मामल म ह क अलगाववाद वृ य और छू मंतर क वृ पर
अफसोस जताया। उ ह ने अमीर ारा गरीब पर अ याचार को धम क मौन वीकृ त पर
नाराजगी क । उनका मानना था क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास


कोई भी अ य धम ह धम के प म इतने ऊं चे तर पर मानवता क ग रमा का उपदे श नह दे ता है
और पृ वी पर कोई भी अ य धम ह धम क तरह गरीब और न न लोग पर अ याचार नह करता है।

वामी ववेक ानंद

जस दे श म लाख लोग के पास खाने के लए कु छ नह है और जहां कु छ हजार साधु और ा ण गरीब


का खून चूसते ह और उनके लए कु छ भी नह करते ह वह दे श नह ब क जी वत नक है। ये धम है या
मौत का नाच

वामी ववेक ानंद

यह मत भूलो क न न वग अ ानी गरीब अनपढ़ मोची सफाई करने वाले तु हारे हाड़ मांस तु हारे
भाई ह।
वामी ववेक ानंद

एक भूख े आदमी को धम क श ा दे ना ई र और मानवता का अपमान था। उ ह ने बताया क


जनता को दो कार के ान क आव यकता है अपने आ थक उ ान के लए काम करने के
बारे म धम नरपे ान और खुद पर व ास रखने और अपनी नै तक भावना को मजबूत करने
के लए आ या मक ान। उ ह ने दे शवा सय से वतं ता समानता और वतं सोच क
भावना अपनाने का आ ान कया।

म शकागो म आयो जत धम संसद म वामी ववेक ान द ने अपनी व तापूण


ा या से लोग पर गहरी छाप छोड़ी। उनके उ ाटन भाषण का मु य भाषण अ या मवाद
और भौ तकवाद के बीच एक व संतुलन क आव यकता थी। पूरी नया के लए एक नई
सं कृ त क प रक पना करते ए उ ह ने मानव जा त के लए खुशी पैदा करने के लए प म
के भौ तकवाद और पूव के आ या मकता के म ण से एक नए सामंज य का आ ान कया।
म भारत लौटने से पहले ववेक ान द ने अमे रका और लंदन म वेदांत पर कई ा यान
दये।

भारत म उ ह ने ा यान क एक ृंख ला द जसका फोकस नई पीढ़ म भारत के


अतीत पर गव क भावना भारत क सं कृ त म एक नया व ास और भारत के भ व य म
आ म व ास क एक लभ भावना पैदा करना था एक करण लाने के लए
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

ह धम के सं दाय क सामा य न व क ओर इशारा करते ए श त लोग को द लत के ख दे ख ने और


ावहा रक वेदांत स ांत के अनु योग ारा उनके उ ान के लए काम करने के लए। उनका जोर न के वल
गत मु पर था ब क सामा जक भलाई और सुधार पर भी था।

म उ ह ने रामकृ ण मशन क ापना क ।

ववेक ान द एक महान मानवतावाद थे और उ ह ने मानवीय राहत और सामा जक काय के लए रामकृ ण


मशन का उपयोग कया। मशन धा मक और सामा जक सुधार के लए खड़ा है। ववेक ान द ने सेवा के

स ांत सभी ा णय क सेवा क वकालत क । जीव जी वत व तु क सेवा ही शव क पूज ा है ।


जीवन ही धम है. सेवा से मनु य के भीतर परमा मा का वास होता है।

ववेक ान द मानव जा त क सेवा म ौ ो गक और आधु नक व ान का उपयोग करने के प धर थे।

अपनी ापना के बाद से मशन कई कू ल अ ताल औषधालय चला रहा है। यह भूकं प
अकाल बाढ़ और महामारी जैसी ाकृ तक आपदा के समय पी ड़त को सहायता दान करता है। मशन
एक व ापी संगठन के प म वक सत हो गया है। यह एक गहन धा मक सं ा है ले कन यह धमातरण
कराने वाली सं ा नह है। यह वयं को ह धम का एक सं दाय नह मानता है। दरअसल मशन क
सफलता का यह एक मजबूत कारण है। आय समाज के वपरीत मशन आ या मक उ साह वक सत करने
और शा त सवश मान भगवान क पूज ा म छ व पूज ा क उपयो गता और मू य को पहचानता है हालां क
यह आव यक भावना पर जोर दे ता है न क तीक या अनु ान पर। इसका मानना है क वेदांत का दशन
एक ईसाई को बेहतर ईसाई और एक ह को बेहतर ह बना दे गा।

म वामी ववेक ान द ने बेलूर म भू म का एक बड़ा टु क ड़ा अ ध हत कया जहाँ रामकृ ण


मठ को अंततः ानांत रत कर दया गया और इस प म पंज ीकृ त कया गया। मठवासी व ा है

दे ख जहां
तक बंगाल का सवाल है ववेक ान द को आधु नक रा वाद आंदोलन का आ या मक पता माना
जा सकता है।
सुबाष चं बोस
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जा त या पंथ के आधार पर भेदभाव कए बना सभी पु ष के लए खुला है।

दयानंद सर वती और आय समाज आय समाज आंदोलन व प म पुन ानवाद


हालां क साम ी म नह प मी भाव क त या का प रणाम था।

इसके सं ापक दयानंद सर वती या मूलशंक र का ज म गुज रात के पुराने मोरवी


रा य म एक ा ण प रवार म आ था।
वह स य क खोज म पं ह वष तक एक तप वी के प म घूमते रहे। पहली आय समाज
इकाई औपचा रक प से उनके ारा म बॉ बे म ा पत क गई थी और बाद म समाज का
मु यालय लाहौर म ा पत कया गया था।

दयानंद के वचार उनके स काय स याथ काश द ट ए सपो ज़शन म का शत ए


थे। भारत के बारे म उनके कोण म एक वगहीन और जा त वहीन समाज एक एकजुट भारत
धा मक सामा जक और रा ीय प से और वदे शी शासन से मु भारत शा मल था जसम आय
धम सभी का सामा य धम था। उ ह ने वेद से ेरणा ली और उ ह भारत क युग शला ह धम का
अचूक और स ा मूल बीज माना। उ ह ने वेद क ओर लौटो का नारा दया ।

दयानंद ने मथुरा म वामी वरजानंद नामक एक अंधे श क से वेदांत क श ा ा त क


थी। वै दक ा धकार पर जोर दे ने के साथ साथ उ ह ने धम ंथ क गत ा या के मह व पर
जोर दया और कहा क येक को ई र तक प ंच का अ धकार है। उ ह ने ह धम को वकृ त
करने के लए बाद के ह धम ंथ जैसे पुराण और अ ानी पुज ा रय क आलोचना क ।

दयानंद ने ह ढ़वा दता जा तगत कठोरता अ ृ यता मू तपूज ा ब दे ववाद जा


आकषण और पशु ब ल म व ास समु या ा पर तबंध ा के मा यम से मृतक को खाना
खलाना आ द पर सीधा हमला कया।

दयानंद ने चतुवण णाली क वै दक धारणा क सद यता ली जसम एक कसी भी


जा त म पैदा नह आ था ब क उस के वसाय के अनुसार उसे ा ण य वै य या
शू के प म पहचाना जाता था।

आय समाज ने ववाह क यूनतम आयु नधा रत क


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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

लड़क के लए प ीस वष और लड़ कय के लए सोलह वष।


वामी दयानंद ने एक बार ह जा त को ब के ब े कहा था। अंतजातीय ववाह और
वधवा पुन ववाह को भी ो सा हत कया गया। म हला के लए समान दजा समाज क
मांग थी अ रशः और भावा मक प से।

समाज ने बाढ़ अकाल और भूकं प जैसे संक ट म भी लोग क मदद क । इसने


श ा को एक नई दशा दे ने का यास कया। इस आंदोलन के लए क दयानंद एं लो
वै दक डीएवी कू ल ारा दान कया गया था जो पहली बार म लाहौर म ा पत
कया गया था जसने प मी श ा के मह व पर जोर दे ने क मांग क थी। वामी ानंद
ने पारंप रक ढांचे म श ा दान करने के लए म ह र ार म गु कु ल शु कया।

दयानंद ने सभी भौ तक अ त व के चल रहे वषय के प म माया म म


पलायनवाद ह व ास क कड़ी आलोचना क और भगवान के साथ मलन क तलाश के
लए इस बुरी नया से बचकर मो ा त करने के संघष के प म मानव जीवन का ल य
बताया। इसके बजाय उ ह ने इस बात क वकालत क क ई र आ मा और पदाथ कृ त
अलग अलग और शा त सं ाएँ ह और येक को मानव आचरण को नयं त
करने वाले शा त स ांत के काश म अपने वयं के उ ार के लए काम करना होगा। इस
कार उ ह ने च लत लोक य धारणा पर हमला कया क येक ने नय त भा य
और कम कम के स ांत के अनुसार योगदान दया और समाज से वापस पाया। उनका
मानना था क नया एक यु े है जहां येक को अपने उ ार के लए सही कम
का सहारा लेना होगा और मनु य भा य ारा नयं त कठपुतली नह ह।

यह प से समझा जाना चा हए क दयानंद का वेद क ओर वापस का


नारा वै दक श ा और धम क वै दक शु ता के पुन ार का आ ान था न क वै दक
काल के पुन ार का। उ ह ने आधु नकता को वीकार कया और रा ीय सम या के त
दे शभ पूण रवैया द शत कया।

आय समाज के दस मागदशक स ांत ह i ई र सभी स े ान का ाथ मक


ोत है ii ई र सव स य सव ान सवश मान अमर नमाता के प म

ा ड ही पूज ा के यो य है iii वेद ह


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

स े ान क पु तक iv आय को सदै व स य के हण और अस य के याग म त पर रहना


चा हए v धम अथात सही और गलत का उ चत वचार सभी काय का मागदशक स ांत
होना चा हए vi समाज का मु य उ े य भौ तक आ या मक और सामा जक अथ म व
क भलाई को बढ़ावा दे ना है vii सभी के साथ ेम और याय का वहार कया जाना
चा हए viii अ ान को र करना है और ान को बढ़ाना है ix कसी क अपनी ग त
अ य सभी के उ ान पर नभर होनी चा हए x मानव जा त क सामा जक भलाई को
क भलाई से ऊपर रखा जाना चा हए।

आय समाज के सामा जक आदश म अ य बात के अलावा ई र का पतृ व और


मनु य का भाईचारा लग क समानता मनु य और मनु य तथा रा और रा के बीच पूण
याय और न प खेल शा मल ह। दयानंद ने उस समय के अ य सुधारक के शब चं सेन ई र
चं व ासागर रानाडे दे शमुख आ द से भी मुलाकात क । उनक मृ यु के बाद वामी के काम
को लाला हंसराज पं डत गु द लाला लाजपत राय और वामी ानंद स हत अ य लोग
ने आगे बढ़ाया। .

आय समाज ह को आ म स मान और आ म व ास दे ने म स म था जसने


गोर क े ता और प मी सं कृ त के मथक को कमजोर करने म मदद क ।

ह समाज को ईसाई धम और इ लाम के हमले से बचाने के अपने उ साह म समाज


ने ईसाई और इ लाम म धमात रत लोग को फर से ह बनाने के लए शु शु करण
आंदोलन शु कया। इसके कारण के दशक के दौरान सामा जक जीवन का
सां दा यकरण बढ़ गया और बाद म यह सां दा यक राजनी तक चेतना म बदल गया।

सेवा सदन एक पारसी

समाज सुधारक बेहरामजी एम. मालाबारी ने म एक म द वान


दयाराम ग मल के साथ सेवा सदन क ापना क । मालाबारी ने ह म बाल ववाह और
वधवा पुन ववाह के खलाफ जोरदार ढं ग से बात क । यह उनका ही यास था जसके
फल व प म हला के लए सहम त क उ को व नय मत करने वाला एज ऑफ कं सट
ए ट लागू आ सेवा सदन उन म हला क दे ख भाल करने म मा हर था जनका शोषण कया
गया था और फर
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

समाज ारा याग दया गया. इसने सभी जा तय क सेवा क और नरा त म हला को
श ा च क सा और क याण सेवाएं दान क ।

बेहरामजी मालाबारी ने इं डयन े टे टर का अ ध हण और संपादन कया ।

दे व समाज क
ापना म लाहौर म शव नारायण अ नहो ी ारा क गई थी जो
पहले एक अनुयायी थे दे व सदन एक धा मक और सामा जक सुधार समाज है। समाज
ने आ मा क शा तता गु क सव ता और अ े कम क आव यकता पर जोर दया।
इसम र त न लेने नशीले पदाथ और मांसाहारी भोजन से परहेज करने और हसक काय
से र रहने जैसे आदश सामा जक वहार का आ ान कया गया। इसक श ा को दे व
शा नामक पु तक म संक लत कया गया था । अ नहो ी ने बाल ववाह का वरोध कया.

धम सभा
राधाकांत दे ब ने म इस सभा क ापना क थी। एक ढ़वाद समाज यह
सामा जक धा मक मामल म यथा त के संर ण के लए खड़ा था यहां तक क सती
था के उ मूलन का भी वरोध करता था।
हालाँ क इसने लड़ कय के लए भी प मी श ा को बढ़ावा दे ने का समथन कया।

भारत धम महामंडल
ढ़वाद श त ह का एक अ खल भारतीय संगठन यह आय समा जय
थयोसो फ ट और रामकृ ण मशन क श ा के खलाफ ढ़वाद ह धम क र ा
के लए खड़ा था। ढ़वाद ह धम क र ा के लए बनाए गए अ य संगठन सनातन धम
सभा द ण भारत म धम महा प रषद और बंगाल म धम महामंडली थे। इन
संगठन ने म मलकर भारत धम महामंडल का एकल संगठन बनाया जसका
मु यालय वाराणसी म था। इस संगठन ने ह धा मक सं ान का उ चत बंधन शु करने
ह शै णक सं ान खोलने आ द क मांग क । पं डत मदन मोहन मालवीय इस आंदोलन
म एक मुख थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

राधा वामी आंदोलन


आगरा के एक बकर तुलसी राम ज ह शव दयाल साहब के नाम से भी जाना जाता है ने
म इस आंदोलन क ापना क थी। राधा वामी एक सव अ त व गु क
सव ता प व लोग क संग त स संग और एक सरल सामा जक जीवन म व ास
करते ह।
उनका मानना है क आ या मक उपल के लए सांसा रक जीवन का याग आव यक
नह है। वे सभी धम को स ा मानते ह।
जब क सं दाय का मं दर तीथ ल और प व ान म कोई व ास नह है यह
आव यक कत आ ा और दान के काय सेवा और ाथना को मानता है।

ी नारायण गु धम प रपालन एसएनडीपी आंदोलन एसएनडीपी आंदोलन


द लत वग और उ जा तय के
बीच संघष से पैदा ए े ीय आंदोलन का एक उदाहरण था। इसक शु आत ी नारायण
गु वामी ने के रल के एझावा के बीच क थी जो ताड़ी नकालने वाल
क पछड़ी जा त थे और अछू त माने जाते थे श ा और मं दर म वेश से वं चत थे।
एझावा के रल म सबसे बड़ा जा त समूह था जो कु ल आबाद का तशत था। नारायण
गु जो वयं एझावा जा त से थे ने ने यर नद से एक प र लया और इसे म
शवरा पर अ व पुरम म शव लग के प म ा पत कया।

इसका उ े य यह दखाना था क कसी मू त क त ा करना उ जा तय का एका धकार


नह था। इसके साथ ही उ ह ने एक ऐसी ां त क शु आत क जससे ज द ही के रल के
समाज म कई भेदभाव र हो गए। इस आंदोलन अ व पुरम आंदोलन ने स क व
कु मारन आसन को नारायण गु के श य के प म आक षत कया। म अ व पुरम
े योगम का गठन कया गया था जसे एझावा को भौ तक और आ या मक प से
ग त करने म मदद करने के लए एक बड़े संगठन म व ता रत करने का नणय लया गया
था।

इस कार अ व पुरम ी नारायण गु धम प रपालन योगम सं ेप म एसएनडीपी


को म भारतीय कं पनी अ ध नयम के तहत पंज ीकृ त कया गया था जसम नारायण
गु इसके ायी अ य थे और कु मारन आसन जनरल थे।
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

स चव। एसएनडीपी के गठन म डॉ. पालपु के यास को अव य वीकार कया जाना चा हए।
उ ह ने एझावा मेमो रयल मलयाली मेमो रयल आ द आंदोलन के मा यम से सामा जक याय
क लड़ाई शु क थी।

ी नारायण गु ने सभी धम को एक समान माना और जा त न ल या पंथ के आधार


पर वभाजन के खलाफ बोलने के अलावा पशु ब ल क नदा क । अ व पुरम मं दर क द वार
पर उ ह ने ये श द लखवाए जा त या न ल क वभाजनकारी द वार या त ं आ ा से
नफरत के बना हम सभी यहां भाईचारे के साथ रहते ह। उ ह ने एझावा से ताड़ी नकालने
का पेशा छोड़ने और यहां तक क शराब पीना भी बंद करने का आ ह कया।

एसएनडीपी योगम ने एझावा के लए कई मु े उठाए जैसे i सावज नक कू ल म


वेश का अ धकार ii सरकारी सेवा म भत iii सड़क तक प ंच और मं दर म वेश
और iv राजनी तक त न ध व। सम प से आंदोलन ने प रवतनकारी संरचना मक
प रवतन लाए जैसे क ऊपर क ओर सामा जक ग तशीलता स ा के पारंप रक वतरण म
बदलाव और पछड़ी जा तय का एक बड़े समूह म संघ बनाना।

वो का लगा संघ मैसूर म वो का लगा


संघ ने म ा ण वरोधी आंदोलन शु कया।

याय आंदोलन म ास ेसीडसी म


यह आंदोलन सीएन ारा शु कया गया था
मुद लयार ट एम नायर और पी. यागराज ने वधा यका म गैर ा ण के लए नौक रय और
त न ध व को सुर त करने क मांग क । म म ास ेसीडसी एसो सएशन का गठन
कया गया जसने वधा यका म नचली जा तय के लए अलग त न ध व क मांग क ।

वा भमान आंदोलन
इस आंदोलन क शु आत के दशक के म य म ब लजा नायडू ईवी रामा वामी नायकर
ने क थी। इस आंदोलन का उ े य ा णवाद धम और सं कृ त को अ वीकार करने से कम
कु छ नह था जसका नायकर को लगता था क यह मु य साधन है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नचली जा तय का शोषण. उ ह ने ा ण पुज ा रय के बना शा दय को औपचा रक प दे क र


ा ण पुज ा रय क त को कमजोर करने क को शश क ।

मं दर वेश आंदोलन
इस दशा म ी नारायण गु और एन. कु मारन आसन जैसे सुधारक और बु जी वय ारा पहले
ही मह वपूण काय कया जा चुक ा था। मुख समाज सुधारक और दे शा भमानी के संपादक ट के
माधवन ने ावणकोर शासन के साथ मं दर म वेश का मु ा उठाया। कु छ भी घ टत नह आ.

इस बीच ावणकोर के उ री भाग म वाइकोम मं दर म वेश के लए आंदोलन का क बन


गया। म के पी के शव के नेतृ व म के रल म अछू त के लए ह मं दर और सड़क को
खोलने क मांग को लेक र वाइकोम स या ह शु कया गया था। पंज ाब और म रै के ज ारा
स या ह को बल मला । गांधीजी ने आंदोलन के समथन म के रल का दौरा कया।

पुनः म जब स वनय अव ा आंदोलन गत कर दया गया तो के रल म मं दर


वेश आंदोलन आयो जत कया गया। के . के ल पन से े रत होकर क व सु म यम त म बु
के रल क गायन तलवार ने सोलह वयंसेवक के एक समूह को गु वयूर तक प ंचाया।
स या हय म पी. कृ णा प लई और एके गोपालन जैसे नेता भी शा मल थे. अंततः नवंबर
को ावणकोर के महाराजा ने एक घोषणा जारी कर सभी सरकारी नयं ण वाले मं दर को
सभी ह के लए खोल दया।

ऐसा ही एक कदम सी. राजगोपालाचारी ने भी उठाया था


म म ास म शासन।

भारतीय सामा जक स मेलन


एमजी रानाडे और रघुनाथ राव ारा ा पत भारतीय सामा जक स मेलन म म ास म
अपने पहले स से हर साल उसी समय और ान पर मलता था जहां भारतीय रा ीय कां ेस
होती थी। इसने मह व के सामा जक मु पर यान क त कया वा तव म इसे भारतीय रा ीय
कां ेस का सामा जक सुधार को कहा जा सकता है। स मेलन ने अंतरजातीय ववाह क
वकालत क ब ववाह और कु लीनवाद का वरोध कया। यह
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

लोग को बाल ववाह के खलाफ त ा लेने के लए े रत करने के लए त ा आंदोलन


शु कया।

वहाबी वलीउ लाह आंदोलन अरब के अ ल वहाब


क श ा और शाह वलीउ लाह के उपदे श ने प मी भाव और
भारतीय मुसलमान के बीच ा पत पतन के त इस अ नवाय प से पुन ानवाद
त या को े रत कया और स ी भावना क ओर लौटने का आ ान कया। इ लाम. वह
व शता द के पहले भारतीय मु लम नेता थे ज ह ने इस आंदोलन के दोहरे आदश के
आसपास मुसलमान को संग ठत कया i मु लम यायशा के चार कू ल के बीच
स ाव क वांछनीयता जसने भारतीय मुसलमान को वभा जत कया था उ ह ने सव े
को एक कृ त करने क मांग क थी चार कू ल के त व ii धम म गत ववेक क
भू मका क मा यता जहां कु रान और हद स से पर र वरोधी ा याएं ली गई थ ।

वलीउ लाह क श ा को शाह अ ल अजीज और सैयद अहमद बरेलवी ने


और अ धक लोक य बनाया ज ह ने उ ह एक राजनी तक प र े य भी दया। मु लम
समाज म घुस आई गैर इ ला मक था को ख़ म करने क मांग क गई। सैयद अहमद ने
शु इ लाम और उस तरह के समाज क ओर लौटने का आ ान कया जो पैगंबर के समय
अरब म मौजूद था। भारत को दार उल हरब का फर क भू म माना जाता था और इसे
दार उल इ लाम इ लाम क भू म म प रव तत करने क आव यकता थी। ारंभ म
आंदोलन पंज ाब म सख पर नद शत था ले कन पंज ाब पर टश क जे के बाद
आंदोलन अं ेज के खलाफ नद शत हो गया। के व ोह के दौरान वहाबी ने टश
वरोधी भावना को फै लाने म मह वपूण भू मका नभाई। के दशक म टश सै य
ताकत के सामने वहाबी आंदोलन वफल हो गया।

ट टू मीर का आंदोलन मीर नथार अली


ज ह ट टू मीर के नाम से जाना जाता है वहाबी आंदोलन के सं ापक सै यद अहमद
बरेलवी के श य थे। ट टू मीर ने वहाबीवाद को अपनाया और श रया क वकालत क ।
उ ह ने बंगाल के मु लम कसान को जम दार जो अ धकतर ह थे और नील टश के
खलाफ संग ठत कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बागान मा लक। यह आंदोलन उतना उ वाद नह था जतना क टश रकॉड बताते ह ट टू


के जीवन के अं तम वष म ही उनके और टश पु लस के बीच टकराव आ था। वह म
कारवाई म मारा गया।

फ़राज़ी आंदोलन इस आंदोलन को


आ ा के इ लामी तंभ पर जोर दे ने के कारण फ़राएद आंदोलन भी कहा जाता है इसक
ापना म हाजी शरीयतु ला ने क थी। इसका काय ल पूव बंगाल था और इसका
उ े य सामा जक नवाचार या संयु रा का उ मूलन करना था। े के मुसलमान के बीच
मौजूदा इ लामी थाएं और मुसलमान के प म उनके कत क ओर उनका यान आक षत
करती ह।

हाजी के बेटे मयां के नेतृ व म से यह आंदोलन ां तकारी हो गया। उ ह ने आंदोलन


को गाँव से लेक र ांतीय तर तक हर तर पर एक खलीफा या अ धकृ त ड ट के साथ एक
संगठना मक णाली द । फराइय ने जम दार से लड़ने के लए लब से लैस एक अधसै नक
बल का आयोजन कया जो यादातर ह थे हालां क नील क खेती करने वाल के अलावा
कु छ मु लम जम दार भी थे। मयां ने अपने अनुया यय से कराया न दे ने को कहा। संगठन
ने अपनी वयं क कानून अदालत भी ा पत क ।

मयां को कई बार गर तार कया गया और म उनक गर तारी ने अंततः


आंदोलन को कमजोर कर दया। म मयां क मृ यु के बाद यह आंदोलन बना कसी
राजनी तक भाव के के वल एक धा मक आंदोलन के प म जी वत रहा।

अहम दया आंदोलन अहम दया इ लाम का


एक सं दाय है जसक उ प भारत से ई है। इसक ापना मज़ा गुलाम अहमद ने
म क थी। यह उदार स ांत पर आधा रत था। इसने खुद को मोह मडन पुनजागरण के मानक
वाहक के प म व णत कया और जहाद गैर मुसलमान के खलाफ प व यु का वरोध
करते ए खुद को समाज क तरह सभी मानवता के सावभौ मक धम के स ांत पर
आधा रत कया। इस आंदोलन ने भारतीय मुसलमान के बीच प मी उदार श ा का सार
कया। अहम दया समुदाय एकमा इ लामी सं दाय है जो मानता है क धा मक यु को
समा त करने के लए मजा गुलाम अहमद के प म मसीहा आए थे।
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

और र पात और नै तकता शां त और याय को बहाल करना।


वे म जद को रा य से अलग करने के साथ साथ मानवा धकार और स ह णुता म भी व ास
करते थे। हालाँ क अहम दया आंदोलन बहाईवाद क तरह जो प म ए शयाई दे श म फला
फू ला रह यवाद से त था।

सर सैयद अहमद खान और अलीगढ


आंदोलन
के व ोह पर टश कोण मुसलमान को मु य षडयं कारी मानता था। वहा बय
क ग त व धय से इस कोण को और भी बल मला। ले कन बाद म शासक के बीच एक
राय च लत हो गई क मुसलमान को भारतीय रा ीय कां ेस क न व ारा तनधवक
जाने वाली रा वाद राजनी तक ग त व ध के बढ़ते वार के खलाफ सहयोगी के पम
इ तेमाल कया जा सकता है। यह मुसलमान को वचारशील रयायत क पेशकश के मा यम
से हा सल कया जाना था। सैयद अहमद खान के नेतृ व म मुसलमान का एक
वग बेहतर श ा और रोजगार के अवसर के मा यम से भारतीय मुसलमान के बीच वकास
क या को ो सा हत करने के लए आ धका रक संर ण क अनुम त दे ने के लए तैयार
था।

एक स मा नत मु लम प रवार म ज मे सैयद अहमद खान टश सरकार क या यक


सेवा के एक वफादार सद य थे। म सेवा नवृ के बाद वह म इंपी रयल
ले ज ले टव काउं सल के सद य बने। उनक वफादारी के कारण उ ह म नाइट ड क
उपा ध मली। वह प मी वै ा नक श ा को कु रान क श ा के साथ जोड़ना चाहते थे
जनक ा या समकालीन तकवाद के काश म क जानी थी । और व ान हालां क उ ह ने
कु रान को भी अं तम माण माना। उ ह ने कहा क धम को समय के साथ अनुकू ल होना चा हए
अ यथा यह जीवा म बन जाएगा और धा मक स ांत अप रवतनीय नह ह। उ ह ने
आलोचना मक कोण और वचार क वतं ता क वकालत क न क परंपरा या री त
रवाज पर पूण नभरता क ।

वह एक उ साही श ा वद् भी थे एक अ धकारी के प म उ ह ने क ब म कू ल खोले


पु तक का उ म अनुवाद कराया और मोह मडन एं लो ओ रएंटल कॉलेज बाद म अलीगढ़
शु कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म अलीगढ़ म मु लम व व ालय । उ ह ने बेहतर श ा के मा यम से और पदा और


ब ववाह का वरोध करके आसान तलाक क वकालत करके और पीरी और मुरीद क
व ा क नदा करके म हला क त म सुधार लाने के लए भी संघष कया। वह धम
क मूलभूत अंत न हत एकता या ावहा रक नै तकता म व ास करते थे। उ ह ने ह और
मु लम हत क बु नयाद समानता का भी चार कया।

सैयद अहमद खान ने तक दया क मुसलमान को पहले श ा और नौक रय पर


यान क त करना चा हए और अपने ह समक के बराबर प ंचने क को शश करनी चा हए
ज ह ने शु आती शु आत का फायदा उठाया था। उ ह ने महसूस कया क उस समय राजनी त
मस य भागीदारी मु लम जनता के त सरकार क श ुता को आमं त करेगी। इस लए
उ ह ने मुसलमान क राजनी तक ग त व धय का वरोध कया। भा य से मुसलमान के
शै क और रोजगार हत को बढ़ावा दे ने के अपने उ साह म उ ह ने खुद को औप नवे शक
सरकार ारा फू ट डालो और राज करो क अपनी घृ णत नी त म इ तेमाल होने दया और बाद
के वष म ह और मुसलमान के हत के वचलन का चार करना शु कर दया।

सैयद के ग तशील सामा जक वचार को उनक प का तहद ब उल अखलाक


श ाचार और नै तकता म सुधार के मा यम से चा रत कया गया।

अलीगढ़ आंदोलन मोह मडन एं लो ओ रएंटल कॉलेज अलीगढ़ म त मु लम


बु जी वय के बीच एक उदार आधु नक वृ के प म उभरा। इसका उ े य i भारतीय
मुसलमान क इ लाम के त न ा को कमजोर कए बना उनम आधु नक श ा का सार
करना था ii पदा ब ववाह वधवा पुन ववाह म हला क श ा गुलामी तलाक आ द
से संबं धत मुसलमान के बीच सामा जक सुधार। आंदोलन के अनुया यय क वचारधारा
कु रान क उदार ा या पर आधा रत थी और उ ह ने इ लाम को आधु नक के साथ सामंज य
बनाने क मांग क । उदार सं कृ त. वे मुसलमान को आधु नक तज पर एक व श सामा जक
सां कृ तक पहचान दान करना चाहते थे। ज द ही अलीगढ़ मु लम समुदाय के धा मक और
सां कृ तक पुन ान का क बन गया।
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

दे वबंद कू ल दा ल उलूम
दे वबंद आंदोलन मु लम उलेमा के बीच ढ़वाद वग ारा एक पुन ानवाद आंदोलन
के प म आयो जत कया गया था जसका उ े य मुसलमान के बीच कु रान और हद स
क शु श ा का चार करना और वदे शी शासक के खलाफ जहाद क भावना को
जी वत रखना था।

दे वबंद आंदोलन क शु आत म मोह मद का सम नानोतवी


और रशीद अहमद गंगोही ारा धा मक नेता को श त करने के लए
सहारनपुर जले संयु ांत म दा ल उलूम या इ लामी अकाद मक क दे वबंद म क
गई थी। मु लम समुदाय. अलीगढ़ आंदोलन के वपरीत जसका उ े य प मी श ा और
टश सरकार के समथन के मा यम से मुसलमान का क याण करना था दे वबंद आंदोलन
का उ े य मु लम समुदाय का नै तक और धा मक उ ान था।

दे वबंद म द गई श ा मूल इ लामी धम म थी।

राजनी तक मोच पर दे वबंद कू ल ने भारतीय रा ीय कां ेस के गठन का वागत


कया और म सैयद अहमद खान के संगठन यूनाइटे ड पै य टक एसो सएशन और
मोह मदन एं लो ओ रएंटल एसो सएशन के खलाफ एक फतवा धा मक फरमान जारी
कया। कु छ आलोचक रा वा दय को दे वबंद के समथन का ेय कसी भी सकारा मक
राजनी तक दशन क तुलना म सैयद अहमद खान के ढ़ वरोध को दे ते ह।

दे वबंद के नए नेता महमूद उल हसन ने कू ल के धा मक वचार को एक राजनी तक


और बौ क साम ी द । उ ह ने इ लामी स ांत और रा वाद आकां ा का एक
सं ेषण तैयार कया। जमीयत उल उलेमा ने भारतीय एकता और रा ीय उ े य के सम
संदभ म मुसलमान के धा मक और राजनी तक अ धकार क सुर ा के हसन के वचार
को ठोस आकार दया।

दे वबंद कू ल के समथक शबली नुमानी ने श ा णाली म अं ेज ी भाषा और


यूरोपीय व ान को शा मल करने का समथन कया। उ ह ने म लखनऊ म
नदवतल उलमा और दा ल उलूम क ापना क । उनका मानना था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस के आदशवाद और भारत के मुसलमान और ह के बीच सहयोग से एक ऐसा


रा य बनाना जसम दोन सौहादपूण ढं ग से रह सक।

पारसी सुधार आंदोलन


रहनुमाई मजदाय नान सभा धा मक सुधार संघ क ापना म अं ेज ी श त
पार सय के एक समूह ारा पार सय क सामा जक तय के उ ान और पारसी धम
क ाचीन शु ता क बहाली के लए क गई थी। इस आंदोलन के नेता नौरोजी फु रदोनजी
दादाभाई नौरोजी के आर कामा और एसएस बंगाली थे।

सुधार का संदेश रा ट गो तार स ाई बताने वाला अखबार ारा फै लाया गया था । पारसी
धा मक अनु ान और था म सुधार कया गया और पारसी पंथ को फर से प रभा षत
कया गया। सामा जक े म पदा था को हटाकर ववाह और श ा क उ बढ़ाकर
पारसी म हला क त को ऊपर उठाने का यास कया गया। धीरे धीरे पारसी
भारतीय समाज के सबसे प मी वग के प म उभरे।

सख सुधार आंदोलन
उ ीसव सद के तकवाद और ग तशील वचार के बढ़ते वार से सख समुदाय अछू ता
नह रह सका।

सह सभा आंदोलन क ापना म अमृतसर म दो उ े य के साथ क गई


थी i सख को आधु नक प मी श ा उपल कराना और ii ईसाई मशन रय के
साथ साथ समा जय आय क धमातरण ग त व धय का मुक ाबला करना। समाजवाद
और मु लम मौलवी.

पहले उ े य के लए सभा ारा पूरे पंज ाब म खालसा कू ल का एक नेटवक ा पत कया


गया था। सरी दशा म गु क श ा के व जाने वाली हर चीज़ को अ वीकार
कर दया गया और सख स ांत के अनु प माने जाने वाले सं कार और री त रवाज
को ा पत करने क मांग क गई।

अकाली आंदोलन जसे गु ारा सुधार आंदोलन के प म भी जाना जाता है


सह सभा आंदोलन क एक शाखा थी।
इसका उ े य सख गु ार को नयं ण से मु कराना था
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

उदासी महंत का पद वंशानुगत हो गया है ।


ये महंत न ावान और त यावाद थे ज ह सरकारी संर ण ा त था। सरकार ने
म अका लय ारा शु कए गए अ हसक असहयोग स या ह के खलाफ अपनी दमनकारी
नी तय क को शश क ले कन उसे लोक य मांग के सामने झुक ना पड़ा इसने म
सख गु ारा अ ध नयम पा रत कया म संशो धत जसने सख जनता को गु ार
का नयं ण शीष नकाय के प म शरोम ण गु ारा बंधक स म त एसजीपीसी के
मा यम से शा सत करने का अ धकार दया।

अकाली आंदोलन एक े ीय आंदोलन था ले कन सां दा यक नह । अकाली


नेता ने रा ीय मु सं ाम म उ लेख नीय भू मका नभाई हालां क कभी कभार कु छ
असहम त क आवाज भी सुनी ग ।

थयोसो फकल आंदोलन मैडम एचपी लावा क


और कनल एमएस ओ कोट के नेतृ व म प मी लोग के एक समूह ने जो
भारतीय वचार और सं कृ त से े रत थे म संयु रा य अमे रका के यूयॉक शहर
म थयोसो फकल सोसाइट क ापना क । म वे ानांत रत हो गए। उनका
मु यालय भारत म उस समय म ास के बाहरी इलाके अडयार म था। समाज का मानना
था क चतन ाथना रह यो ाटन आ द के मा यम से कसी क आ मा और ई र
के बीच एक वशेष संबंध ा पत कया जा सकता है। इसने पुनज म और कम म ह
मा यता को वीकार कया और उप नषद और सां य योग और वेदांत के दशन से ेरणा
ली। सोच के व ालय। इसका उ े य न ल पंथ लग जा त या रंग के भेदभाव के बना
मानवता के सावभौ मक भाईचारे के लए काम करना था। समाज ने कृ त के अ नयम
और मनु य म छपी श य क जांच करने क भी मांग क । थयोसो फकल आंदोलन ह
पुनजागरण के साथ संब हो गया। इसने बाल ववाह का वरोध कया और जा तगत
भेदभाव के उ मूलन ब ह कृ त जा तय के उ ान वधवा क त म सुधार क वकालत
क।

भारत म म ओ कोट क मृ यु के बाद एनी बेसट के अ य


चुने जाने से यह आंदोलन कु छ हद तक लोक य हो गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म भारत आ । उ ह ने म बनारस म स ल ह कॉलेज क न व रखी जहां ह


धम और प मी वै ा नक वषय दोन पढ़ाए जाते थे। यह कॉलेज म बनारस ह
व व ालय के गठन का क बन गया। एनी बेसट ने म हला क श ा के लए भी ब त
कु छ कया।

थयोसो फकल सोसायट ने व भ सं दाय के लए एक समान सं दाय दान


कया और श त ह के आ ह को पूरा कया। हालाँ क एक औसत भारतीय को
थयोसो फ ट दशन अ और सकारा मक काय म का अभाव तीत होता था उस हद तक
इसका भाव प मी वग के एक छोटे से ह से तक ही सी मत था। धा मक पुन ानवा दय
के प म थयोसो फ ट को अ धक सफलता नह मली ले कन भारतीय धा मक और
दाश नक परंपरा का म हमामंडन करने वाले प मी लोग के एक आंदोलन के प म इसने
टश औप नवे शक शासन से लड़ने वाले भारतीय को ब त ज री आ म स मान दया। सरे
कोण से दे ख ने पर थयोसो फ ट ने भारतीय को उनक पुरानी और कभी कभी पछड़ी
दखने वाली परंपरा और दशन पर गव क झूठ भावना दे ने का भी भाव डाला।

सुधार आंदोलन का मह व

सकारा मक पहलू समाज का


ढ़वाद वग सामा जक धा मक व ो हय के वै ा नक वैचा रक हमले को वीकार नह कर
सका।
इसके प रणाम व प सुधारक को त यावा दय ारा वहार उ पीड़न फतवे जारी
करने और यहां तक क ह या के यास का भी सामना करना पड़ा।

हालाँ क वरोध के बावजूद ये आंदोलन भय से पैदा ई अनु पता और पुज ा रय


और अ य वग ारा शोषण के त बना आलोचना के समपण से क मु म योगदान
दे ने म कामयाब रहे।

धा मक ंथ का ानीय भाषा म अनुवाद धम ंथ क ा या करने के के अ धकार


पर जोर
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

और अनु ान के सरलीकरण ने पूज ा को और अ धक गत अनुभव बना दया।

आंदोलन ने मानव बु पर जोर दया


सोचने और तक करने क मता.
त व धा मक व ास और था को ख़ म करके सुधारक ने अपने अनुया यय
को आ धका रक ताने का सामना करने म स म बनाया क उनके धम और समाज पतनशील
और हीन थे।

सुधार आंदोलन ने उभरते ए म य वग को सां कृ तक जड़ दान क जनक उ ह


ब त आव यकता थी और वदे शी श ारा वजय के कारण पैदा ई अपमान क भावना
को कम करने का उ े य भी पूरा कया।

आधु नक समय क वशेष आव यकता का एहसास वशेष प से वै ा नक ान


के संदभ म और इस कार एक आधु नक सांसा रक धम नरपे और तकसंगत कोण को
बढ़ावा दे ना इन सुधार आंदोलन का एक मुख योगदान था। सामा जक प से यह रवैया
षण और शु ता क धारणा म बु नयाद बदलाव के प म प रल त आ। हालाँ क
पारंप रक मू य और री त रवाज सुधारक के हमले का एक मुख ल य थे फर भी सुधारक
का ल य वदे शी प मी सां कृ तक मू य क अंधी नकल के आधार पर पूण प मीकरण के
बजाय आधु नक करण करना था। वा तव म सुधार आंदोलन ने आधु नक करण के लए
अनुकू ल सामा जक माहौल बनाने क को शश क । उस हद तक इन आंदोलन ने शेष व से
भारत के सां कृ तक और बौ क अलगाव को समा त कर दया। सुधारक ने तक दया क
आधु नक वचार और सं कृ त को भारतीय सां कृ तक धारा म एक कृ त करके सव म
प से आ मसात कया जा सकता है।

इन सुधारवाद यास क अंत न हत चता मूल सां कृ तक व का पुन ार था


जो वष से व भ कारक से वकृ त हो गया था। यह सां कृ तक वैचा रक संघष रा ीय चेतना
के वकास म एक मह वपूण उपकरण और औप नवे शक सां कृ तक और वैचा रक आ धप य
का वरोध करने के भारतीय रा ीय संक प का एक ह सा सा बत होना था। हालाँ क ये सभी
ग तशील रा वाद वृ याँ सां दा यक और ढ़वा दता से आगे नकलने म स म नह थ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कोण. यह संभवतः सां कृ तक और राजनी तक संघष के भ भ ं के कारण था


जसके प रणाम व प राजनी तक उ त के बावजूद सां कृ तक पछड़ापन पैदा आ।

नकारा मक पहलू धा मक सुधार


आंदोलन क मुख सीमा म से एक यह थी क उनके पास एक संक ण सामा जक आधार
था अथात् श त और शहरी म यम वग जब क कसान और शहरी गरीब क वशाल जनता
क ज रत को नजरअंदाज कर दया गया था।

सुधारक क अतीत क महानता क अपील करने और शा ीय ा धकार पर भरोसा


करने क वृ ने नए वेश म रह यवाद को ो सा हत कया और आधु नक वै ा नक कोण
क आव यकता क पूण वीकृ त पर नयं ण रखते ए छ वै ा नक सोच को बढ़ावा दया।
ले कन सबसे बढ़कर इन वृ य ने कम से कम कु छ हद तक ह मुसलमान सख
और पार सय को वभा जत करने म योगदान दया साथ ही उ जा त के ह को न न
जा त के ह से अलग करने म भी योगदान दया।

सां कृ तक वरासत के धा मक और दाश नक पहलु पर जोर सं कृ त के अ य


पहलु कला वा तुक ला सा ह य संगीत व ान और ौ ो गक पर अपया त जोर दे ने
से कु छ हद तक बढ़ गया। मामले को बदतर बनाने के लए ह सुधारक ने भारतीय अतीत
क अपनी शंसा को उसके ाचीन काल तक ही सी मत रखा और भारतीय इ तहास के
म यकाल को अ नवाय प से पतन के युग के प म दे ख ा।

इससे एक ओर दो अलग अलग लोग क धारणा पैदा ई सरी ओर ाचीन काल के दौरान
धा मक प से वीकृ त शोषण का सामना करने वाले समाज के न न जा त वग के लए अतीत
क बना सोचे समझे क गई शंसा वीकाय नह थी। इसके अलावा अतीत को भी प पातपूण
आधार पर खंड म रखा जाने लगा। मु लम म य वग के कई लोग अपनी परंपरा और गौरव
के ण के लए प म ए शया के इ तहास क ओर ख करने लगे।

सम सं कृ त के वकास क या जो पूरे भारतीय इ तहास म थी चेतना के


एक अ य प के उदय के साथ बा धत होने के संके त दे रही थी
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सामा जक सां कृ तक सुधार आंदोलन का सव ण

म य वग के बीच रा ीय चेतना के साथ साथ सां दा यक चेतना भी।

आधु नक समय म सां दा यकता के ज म के लए न त प से कई अ य कारक


ज मेदार थे ले कन न संदेह धा मक सुधार आंदोलन क कृ त ने भी इसम योगदान दया।

हालाँ क कु ल मलाकर इन सुधार आंदोलन का शु प रणाम जो भी हो इस संघष


से ही भारत म एक नया समाज वक सत आ।

सारांश

• सुधार आंदोलन ह के बीच


बंगाल
राजा राममोहन राय और समाज
दे वे नाथ टै गोर और त वबो धनी सभा
के शुब चं सेन और भारत का समाज
ाथना समाज
डेरो जयो और यंग बंगाल आंदोलन
ई र चं व ासागर
प मी भारत
बाल शा ी जा बेक र
छा क सा ह यक और वै ा नक सोसायट
परमहंस मंडली

यो तबा फु ले और स यशोधक समाज


गोपालह र दे शमुख लोक हतवाद
गोपाल गणेश अगरकर
भारत सेवक समाज
द णी भारत
ी नारायण धम प रपालन आंदोलन
वो का लगा संघ
याय आंदोलन
वा भमान आंदोलन
मं दर वेश आंदोलन
अ खल भारतीय
रामकृ ण आंदोलन और ववेक ान द

दयानंद सर वती और आय समाज


थयोसो फकल आंदोलन
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• मुसलमान म
वहाबी वलीउ लाह आंदोलन

अहम दया आंदोलन


सैयद अहमद खान और अलीगढ़ आंदोलन
दे वबंद आंदोलन

• पार सय म
रहनुमाई मजदाय नान सभा

• स ख म
सह सभा आंदोलन
अकाली आंदोलन

• सकारा मक पहलू को भय
मनो वकृ त से अनु पता से मु ।
पूज ा ने म य वग के लए सां कृ तक जड़ को और अ धक
गत मामला बना दया इस कार अपमान क भावना को कम कया अ यंत आव यक आ म
स मान ा त आ धम नरपे कोण को बढ़ावा मला आधु नक करण के
लए सामा जक माहौल को बढ़ावा
मला शेष व से भारत का सां कृ तक बौ क अलगाव समा त आ
रा ीय चेतना का वकास आ।

• नकारा मक पहलू
संक ण सामा जक आधार
अ य प से रह यवाद को बढ़ावा दया
सं कृ त के धा मक दाश नक पहलु पर अ य धक जोर दया गया जब क धम नरपे और
नै तक पहलु पर कम जोर दया गया
ह ने अपनी शंसा ाचीन भारतीय इ तहास और तक ही सी मत रखी
म ययुगीन इ तहास म मुसलमान ने दो अलग अलग लोग क धारणा बनाई और सां दा यक चेतना बढ़ाई

सामा सक सं कृ त के वकास क ऐ तहा सक या कु छ हद तक क


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यू नट वी

संघष
शु करना
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भारत म आधु नक रा वाद क शु आत

आधु नकता क शु आत
भारत म रा वाद

के वकास म कारक
आधु नक रा वाद

भारतीय रा वाद के उदय और वकास को पारंप रक प से नए सं ान नए अवसर


संसाधन आ द के नमाण के मा यम से टश राज ारा उ प उ ेज ना के त भारतीय
त या के संदभ म समझाया गया है। सरे श द म भारतीय रा वाद आं शक प से
औप नवे शक शासन के प रणाम व प वक सत आ। नी तय और आं शक प से
औप नवे शक नी तय क त या के प म। वा तव म भारतीय रा वाद को व भ कारक
के म ण के उ पाद के प म दे ख ना अ धक सही होगा i ांसीसी ां त ारा शु क गई
रा वाद और आ म नणय के अ धकार क अवधारणा का व ापी उभार। ii भारतीय
पुनजागरण। iii अं ेज ारा शु कए गए आधु नक करण
क शाखा

भारत।
iv टश सा ा यवाद नी तय पर कड़ी त या
भारत।

भारतीय और औप नवे शक हत म वरोधाभास क समझ

लोग को यह एहसास आ क औप नवे शक शासन भारत के आ थक पछड़ेपन का मुख


कारण था और इससे उनके हत भी जुड़े
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय म सभी वग और े णय कसान कारीगर ह त श पय मक बु जी वय


श त और पूंज ीप तय के हत शा मल थे। औप नवे शक शासन के च र और नी तय म
न हत इन वरोधाभास क चुनौती लेने के लए रा वाद आंदोलन का उदय आ।

दे श का राजनी तक शास नक और आ थक एक करण भारतीय उपमहा प


म टश शासन उ र म हमालय से लेक र द ण म
के प कोमो रन तक और पूव म असम से लेक र प म म खैबर दर तक फै ला आ था। जब क
अतीत म भारत के बड़े े को एक ही शासन के अधीन लाया गया था मौय के अधीन या
बाद म मुगल के अधीन अं ेज ने मौय या महान मुगल क तुलना म एक बड़ा रा य बनाया।
जब क भारतीय ांत य टश शासन के अधीन थे रयासत अ य टश शासन
के अधीन थ । टश तलवार ने भारत म राजनी तक एकता लागू क । एक पेशेवर स वल
सेवा एक एक कृ त यायपा लका और पूरे दे श म सं हताब नाग रक और आपरा धक कानून
ने स दय से भारत म मौजूद अब तक क सां कृ तक एकता को राजनी तक एकता का एक
नया आयाम दान कया। शास नक सु वधा क आव यकताएं सै य र ा के वचार और
आ थक पैठ और वा ण यक शोषण क चाहत सभी टश हत म रेलवे सड़क बजली
और टे ली ाफ जैसे प रवहन और संचार के आधु नक साधन के नयो जत वकास के पीछे
ेरक श यां थ ।

रा वा दय के कोण से एक करण क इस या का दोहरा भाव पड़ा

i वभ े के लोग का आ थक भा य एक साथ जुड़ गया उदाहरण के लए


एक े म फसल खराब होने से सरे े म क मत और आपू त भा वत होती है।

ii प रवहन और संचार के आधु नक साधन ने व भ े के लोग वशेषकर


नेता को एक साथ ला दया। यह राजनी तक वचार के आदान दान और राजनी तक और
आ थक मु पर जनमत को संग ठत करने और संग ठत करने के लए मह वपूण था।
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भारत म आधु नक रा वाद क शु आत

प मी वचार और श ा श ा क आधु नक णाली क


शु आत ने आधु नक प मी वचार को आ मसात करने के अवसर दान कए। इसने बदले
म भारतीय राजनी तक सोच को एक नई दशा द हालाँ क शासक ारा कु शल शासन के
वाथ म अं ेज ी श ा णाली क क पना क गई थी।

म टन शेली जॉन टु अ ट मल सो पेन सर और वो टे यर जैसे यूरोपीय लेख क के उदार


और क रपंथी वचार ने कई भारतीय को आधु नक तकसंगत धम नरपे लोकतां क और
रा वाद वचार को आ मसात करने म मदद क ।

अं ेज ी भाषा ने व भ भाषाई े के रा वाद नेता को एक सरे के साथ संवाद


करने म मदद क ।
श त लोग म से जो लोग उदार पेशे वक ल डॉ टर आ द अपनाते थे वे उ श ा के
लए अ सर इं लड जाते थे। वहां उ ह ने वतं दे श म आधु नक राजनी तक सं ा क
काय णाली दे ख ी और उस व ा क तुलना भारतीय त से क जहां नाग रक को
बु नयाद अ धकार से भी वं चत रखा गया था। इस लगातार बढ़ते ए अं ेज ी श त वग ने
म यम वग के बु जी वय का गठन कया ज ह ने नई उभरती राजनी तक अशां त के क
का गठन कया। यह वह वग था जसने भारतीय राजनी तक संघ को नेतृ व दान कया।

ेस और सा ह य क भू मका
उ ीसव सद के उ राध म औप नवे शक शासक ारा समय समय पर ेस पर लगाए गए कई
तबंध के बावजूद भारतीय वा म व वाले अं ेज ी और ानीय समाचार प क अभूतपूव
वृ दे ख ी गई। म ानीय भाषा म लगभग समाचार प का शत ए और
उनका सार के आसपास प ंच गया।

ेस ने एक ओर तो सरकारी नी तय क आलोचना करते ए सरी ओर लोग से


एकजुट होने का आ ह कया। इसने व शासन लोकतं नाग रक अ धकार और औ ोगीकरण
के आधु नक वचार को फै लाने म भी मदद क । समाचार प प का पु तका और
रा वाद सा ह य ने व भ े के रा वाद नेता के बीच राजनी तक वचार के आदान
दान म मदद क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत के अतीत क पुनः खोज मै स मुलर मो नयर


व लय स रोथ और ससून जैसे यूरोपीय व ान और आरजी भंडारकर आरएल म ा और
बाद म वामी ववेक ानंद जैसे भारतीय व ान ारा कए गए ऐ तहा सक शोध ने भारत के
अतीत क एक पूरी तरह से नई त वीर बनाई।

इस त वीर क वशेषता अ तरह से वक सत राजनी तक आ थक और सामा जक सं ान


बाहरी नया के साथ समृ ापार कला और सं कृ त क समृ वरासत और कई शहर थे।
यूरोपीय व ान ारा तुत स ांत क इंडो आयन उसी जातीय समूह के थे जससे यूरोप
के अ य रा वक सत ए थे ने श त भारतीय को मनोवै ा नक बढ़ावा दया। इस कार
ा त आ म स मान और आ म व ास ने रा वा दय को औप नवे शक मथक को व त करने
म मदद क क भारत म वदे शी शासक क दासता का एक लंबा इ तहास था।

सामा जक धा मक का ग तशील च र
सुधार आंदोलन

इन सुधार आंदोलन ने भारतीय समाज को वभा जत करने वाली सामा जक बुराइय को र


करने का यास कया इसका व भ वग को एक साथ लाने म भाव पड़ा और यह भारतीय
रा वाद के वकास म एक मह वपूण कारक सा बत आ।

म यम वग के बु जी वय का उदय टश शास नक और आ थक
नवाचार ने क ब म एक नए शहरी म यम वग को ज म दया। प सवल ीयर के अनुसार
नया म यम वग व वध पृ भू म वाला एक अ तरह से एक कृ त अ खल भारतीय वग था
ले कन ान वचार और मू य क एक समान अ भू म थी... यह भारतीय समाज का
अ पसं यक था ले कन एक ग तशील अ पसं यक था। .. इसम उ े य और आशा क एकता
क भावना थी।

अपनी श ा नई त और शासक वग के साथ घ न संबंध के कारण मुख यह


वग सबसे आगे आया। भारतीय रा ीय कां ेस को उसके वकास के सभी चरण म नेतृ व इसी
वग ारा दान कया गया था।
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भारत म आधु नक रा वाद क शु आत

व म समकालीन आंदोलन का भाव द ण अमे रका म े नश


और पुतगाली सा ा य
के खंडहर पर कई दे श के उदय और सामा य प से ीस और इटली और वशेष प से
आयरलड के रा ीय मु आंदोलन ने रा वाद रक को गहराई से भा वत कया।

शासक क त यावाद नी तयां और न लीय अहंक ार


भेदभाव और अलगाव क एक
जानबूझ कर नी त के मा यम से अं ेज ारा ेत े ता के न लीय मथक को कायम रखने
क को शश क गई थी। इससे भारतीय को ब त ख आ। लटन क त यावाद
नी तयां जैसे आईसीएस परी ा के लए अ धकतम आयु सीमा को वष से घटाकर
वष का भ द ली दरबार जब दे श अकाल क गंभीर चपेट म था
वना युलर ेस अ ध नयम और श अ ध नयम ने दे श म वरोध का
तूफ ान खड़ा कर दया। फर इ बट बल ववाद आया। रपन क सरकार ने जा त भेद के
आधार पर या यक अयो यता को समा त करने और अनुबं धत स वल सेवा के भारतीय
सद य को वही श याँ और अ धकार दे ने क मांग क थी जो उनके यूरोपीय सहयो गय
को ा त थे। यूरोपीय समुदाय के कड़े वरोध के कारण रपन को वधेयक म संशोधन करना
पड़ा और इस कार मूल उ े य लगभग वफल हो गया।

रा वा दय को यह हो गया क जहां यूरोपीय समुदाय के हत शा मल ह वहां


याय और न प खेल क उ मीद नह क जा सकती। हालाँ क इ बट बल को र करने
के लए यूरोपीय लोग ारा संग ठत आंदोलन ने रा वा दय को यह भी सखाया क कु छ
अ धकार और मांग के लए कै से आंदोलन कया जाए।

राजनी तक संघ से पहले


भारतीय रा ीय कां ेस
भारतीय रा ीय कां ेस भारत का पहला राजनी तक संगठन नह था। हालाँ क उ ीसव
सद के पूवाध म अ धकांश राजनी तक संघ थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

धनी और कु लीन त व का वच व था। वे च र म ानीय या े ीय थे। टश संसद म


लंबी या चका के मा यम से उनम से अ धकांश ने मांग क • शास नक सुधार • शासन
के साथ भारतीय को जोड़ना और • श ा का सार।

उ ीसव सद के उ राध के राजनी तक संघ पर श त म यम वग वक ल


प कार डॉ टर श क आ द का भु व बढ़ता गया और उनके पास एक ापक
प र े य और एक बड़ा एजडा था।

बंगाल म राजनी तक संघ


बंगभाषा काशक सभा का गठन म राजा राममोहन राय के सहयो गय ारा
कया गया था।
जम दारी एसो सएशन जसे आम तौर पर लडहो स सोसाइट के नाम से जाना
जाता है क ापना जम दार के हत क र ा के लए क गई थी। हालां क अपने उ े य
म सी मत लडहो स सोसाइट ने एक संग ठत राजनी तक ग त व ध क शु आत क और
शकायत के नवारण के लए संवैधा नक आंदोलन के तरीक का उपयोग कया।

बंगाल टश इं डया सोसाइट क ापना म टश भारत के लोग क


वा त वक त से संबं धत जानकारी के सं ह और सार ... और शां तपूण और वैध च र
के ऐसे अ य साधन को नयो जत करने के उ े य से क गई थी जो क अपे त तीत
ह । क याण को सुर त कर उ चत अ धकार का व तार कर और हमारे साथी वषय
के सभी वग के हत को आगे बढ़ाएं ।

म लडहो स सोसाइट और बंगाल टश इं डया सोसाइट दोन का


टश इं डयन एसो सएशन म वलय हो गया। इसने टश संसद को एक या चका भेज कर
कं पनी के नवीनीकृ त चाटर म अपने कु छ सुझ ाव को शा मल करने क मांग क जैसे i
एक लोक य च र क एक अलग वधा यका क ापना ii कायपा लका को या यक
काय से अलग करना
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भारत म आधु नक रा वाद क शु आत

iii उ अ धका रय के वेतन म कटौती और iv नमक शु क अबकारी


और टांप शु क का उ मूलन।
इ ह आं शक प से तब वीकार कया गया जब के चाटर अ ध नयम म
वधायी उ े य के लए गवनर जनरल क प रषद म छह सद य को शा मल करने का
ावधान कया गया।
भारतीय पर चचा करने और भारतीय क याण को बढ़ावा दे ने के लए इं लड
म सावज नक लोग को भा वत करने के लए म दादाभाई नौरोजी ारा लंदन म ई ट
इं डया एसो सएशन का आयोजन कया गया था। बाद म संघ क शाखाएँ मुख भारतीय
शहर म शु क ग ।

इं डयन लीग क शु आत म स सर कु मार घोष ारा लोग म रा वाद क


भावना को बढ़ावा दे ने और राजनी तक श ा को ो सा हत करने के उ े य से क गई थी।

इं डयन एसो सएशन ऑफ कलक ा जसे इं डयन नेशनल एसो सएशन के नाम से
भी जाना जाता है ने इं डयन लीग का ान ले लया और इसक ापना म सुर नाथ
बनज और आनंद मोहन बोस के नेतृ व म बंगाल के युवा रा वा दय ने क थी जो ढ़वाद
और जम दार समथक नी तय से असंतु हो रहे थे। टश इं डयन एसो सएशन.

इं डयन एसो सएशन कां ेस पूव संघ म सबसे मह वपूण था और इसका उ े य हर वैध
तरीके से लोग क राजनी तक बौ क और भौ तक उ त को बढ़ावा दे ना था। इसका
ल य था i राजनी तक पर एक मजबूत जनमत तैयार करना

और
ii भारतीय लोग को एक सामा य राजनी तक काय म म एकजुट करना।

इसम म भारतीय स वल सेवा परी ा के अ य थय के लए आयु सीमा म


कटौती का वरोध कया गया। एसो सएशन ने इं लड और भारत म एक साथ स वल सेवा
परी ा आयो जत करने और उ शास नक पद का भारतीयकरण करने क मांग क ।
इसने दमनकारी ह थयार अ ध नयम और ानीय ेस अ ध नयम के खलाफ अ भयान
चलाया।

एसो सएशन क शाखाएँ बंगाल के अ य क ब और शहर म और यहाँ तक क


बंगाल के बाहर भी खोली ग । सद यता
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गरीब वग को संघ क ओर आक षत करने के लए शु क कम रखा गया।

एसो सएशन ने एक अ खल भारतीय स मेलन ायो जत कया जो पहली बार से


दसंबर को कलक ा म आ। इसम दे श के व भ ह स से सौ से अ धक
त न धय ने भाग लया। तो एक तरह से यह संघ एक अ खल भारतीय रा वाद संगठन के
प म भारतीय रा ीय कां ेस का अ त था। बाद म म इसका भारतीय रा ीय कां ेस
म वलय हो गया।

बंबई म राजनी तक संघ पूना सावज नक सभा क ापना


म महादे व गो वद रानाडे और अ य लोग ारा सरकार और लोग के बीच एक पुल के
प म सेवा करने के उ े य से क गई थी।

बॉ बे से ीडसी एसो सएशन क शु आत म बद न तैयबजी फ़रोज़शाह


मेहता और के ट तेलंग ने क थी।

म ास म राजनी तक संघ म ास महाजन सभा क ापना


म एम. वीराराघवचारी बी. सु म यम अ यर और पी. आनंद चालू ने क थी।

कां ेस पूव अ भयान


भारतीय रा ीय कां ेस के प र य म आने से पहले संघ ने व भ अ भयान आयो जत कए।
ये अ भयान थे i कपास पर आयात शु क लगाने के लए ii सरकारी सेवा के
भारतीयकरण के लए
iii लटन के अफगान साह सक काय के व iv श अ ध नयम
के व v व वना युलर ेस ए ट vi वयंसेवी कोर म
शा मल होने के अ धकार के लए vii वृ ारोपण म के
खलाफ और अंतदशीय उ वास के खलाफ

राजनी तक आंदोलन के लए अ खल भारतीय


कोष के लए इ बट बल ix के समथन म अ ध नयम viii ।
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भारत म आधु नक रा वाद क शु आत

x टे न म भारत समथक पाट को वोट दे ने के लए अ भयान xi भारतीय


स वल सेवा म शा मल होने के लए अ धकतम आयु म कटौती के खलाफ अ भयान
इं डयन एसो सएशन ने इस सवाल को उठाया और इसके खलाफ एक अ खल
भारतीय आंदोलन का आयोजन कया जसे लोक य प से भारतीय स वल
सेवा आंदोलन के प म जाना जाता है।

सारांश
• आधु नक रा वाद के वकास के कारक

भारतीय और औप नवे शक हत म वरोधाभास क समझ


दे श का राजनी तक शास नक एवं आ थक एक करण
प मी वचार और श ा
ेस और सा ह य क भू मका
भारत के अतीत क पुनः खोज ऐ तहा सक शोध
म यम वग के बु जी वय का उदय
नया भर म समसाम यक आंदोलन का भाव
शासक क त यावाद नी तयां और जातीय अहंक ार • भारतीय रा ीय कां ेस से पहले

राजनी तक संघ
बंगभाषा का शका सभा
जम दारी एसो सएशन या लडहो स सोसायट
बंगाल टश इं डया सोसायट
टश इं डयन एसो सएशन
ई ट इं डया एसो सएशन

इं डयन लीग
इं डयन एसो सएशन ऑफ़ कलक ा या इं डयन नेशनल एसो सएशन

पूना सावज नक सभा


बॉ बे ेसीडसी एसो सएशन
म ास महाजन सभा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय रा ीय कां ेस
फाउं डेशन और
म यम चरण

इं डयन नेशनल फाउं डेशन


कां ेस
के दशक के उ राध और के दशक क शु आत म एक अ खल भारतीय संगठन क
ापना के लए एक ठोस जमीन तैयार क गई थी।
इस वचार को अं तम प एक सेवा नवृ अं ेज ी स वल सेवक एओ म ारा दया गया था
ज ह ने उस समय के मुख बु जी वय को एकजुट कया और उनके सहयोग से दसंबर म
बॉ बे के गोकु लदास तेज पाल सं कृ त कॉलेज म भारतीय रा ीय कां ेस का पहला स आयो जत
कया। इसक तावना के पम और म भारतीय रा ीय स मेलन के दो स
आयो जत कए गए थे जसम भारत के सभी मुख शहर से त न ध शा मल ए थे। सुर नाथ
बनज और आनंद मोहन बोस भारतीय रा ीय स मेलन के मु य वा तुक ार थे।

भारतीय रा ीय कां ेस के पहले स म त न धय ने भाग लया और अ य ता वोमेश


चं बनज ने क । इसके बाद कां ेस क बैठक हर साल दसंबर म दे श के अलग अलग ह से म होती
थी।

इस ारं भक चरण के दौरान कां ेस के कु छ महान अ य थे दादाभाई नौरोजी तीन बार अ य


बद न तैयबजी फ़रोज़शाह मेहता पी. आनंदचालु
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भारतीय रा ीय कां ेस

सुर नाथ बनज रोमेश चं द आनंद मोहन बोस और गोपाल कृ ण गोखले। अ य मुख नेता म
महादे व गो वद रानाडे बाल गंगाधर तलक स सर कु मार घोष मोतीलाल घोष मदन मोहन मालवीय
जी. सु म यम अ यर सी. वजयराघवाचाय दनशॉ ई. शा मल थे।

वाचा.
म कलक ा व व ालय क पहली म हला नातक काद बनी गांगुली ने कां ेस
स को संबो धत कया जो भारत क म हला को रा ीय जीवन म उनका उ चत दजा दलाने के
लए वतं ता सं ाम क तब ता का तीक था।

भारतीय रा ीय कां ेस के अलावा ांतीय स मेलन और संघ समाचार प और सा ह य


के मा यम से रा वाद ग त व ध क जाती थी।

या यह एक सुर ा वा व था
एक स ांत यह भी है क म ने कां ेस का गठन इस वचार से कया था क यह भारतीय के बढ़ते
असंतोष को र करने के लए एक से ट वा व सा बत होगी। इस उ े य से उ ह ने लॉड डफ़ रन
को कां ेस के गठन म बाधा न डालने के लए मना लया। लाला लाजपत राय जैसे उ वाद नेता
सुर ा वा व स ांत म व ास करते थे। यहां तक क मा सवाद इ तहासकार का ष ं स ांत
भी सुर ा वा व धारणा क संतान था। उदाहरण के लए आरपी द का मानना था क भारतीय
रा ीय कां ेस का ज म भारत म एक लोक य व ोह को रोकने क सा जश से आ था और बुज ुआ
नेता इसम एक पाट थे।

हालाँ क आधु नक भारतीय इ तहासकार सुर ा वा व के वचार पर ववाद करते ह। उनक


राय म भारतीय रा ीय कां ेस ने भारतीय क राजनी तक और आ थक मांग को करने के लए
एक रा ीय नकाय ा पत करने के राजनी तक प से जाग क भारतीय के आ ह का तनधव
कया। य द भारतीय ने वयं ऐसी कोई सं ा बुलाई होती तो अ धका रय क ओर से असहनीय
वरोध होता ऐसे संगठन को बनने क अनुम त नह द जाएगी। इन प र तय म जैसा क बपन
चं ा का मानना है शु आती कां ेस नेता ने म को लाइट नग कं ड टर यानी एक साथ लाने के
लए उ ेरक के प म इ तेमाल कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

रा वाद ताकत भले ही से ट वॉ व क आड़ म ह ।

कां ेस के ल य और उ े य ारं भक चरण म भारतीय रा ीय कां ेस के


मु य उ े य थे i एक लोकतां क रा वाद आंदोलन ा पत करना ii लोग का
राजनी तकरण करना
और उ ह राजनी तक प से श त करना iii कसी आंदोलन के
लए मु यालय ा पत करना iv दे श के व भ ह स के रा वाद
राजनी तक कायकता के बीच मै ीपूण संबंध को बढ़ावा दे ना v
उप नवेशवाद वरोधी रा वाद वचारधारा का वकास और चार सार करना
vi एक सामा य आ थक और राजनी तक काय म पर लोग को एकजुट
करने क
से सरकार के सम लोक य मांग तैयार करना और तुत करना vii
धम जा त
या ांत के भेदभाव के बना लोग के बीच रा ीय एकता क भावना को वक सत
और समे कत करना। viii भारतीय रा ीयता का सावधानीपूवक चार
और पोषण करना।

आधु नक युग

मह वपूण नेता दादाभाई नौरोजी


फरोजशाह मेहता डीई वाचा ड यूसी बोन जया एसएन बनज जैसे रा ीय नेता जो
ारं भक काल के दौरान कां ेस क नी तय पर हावी थे उदारवाद और
उदारवाद राजनी त म क र व ास रखते थे और बने। उ ह बीसव सद क शु आत के
नव रा वा दय से अलग करने के लए नरमपंथी के प म लेबल कया गया ज ह चरमपंथी
कहा जाता था।

म यम कोण
म यम राजनी तक ग त व ध म कानून के दायरे म संवैधा नक आंदोलन शा मल था और यह
धीमा ले कन व त दखा
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भारतीय रा ीय कां ेस

राजनी तक ग त. नरमपं थय का मानना था क अं ेज मूलतः भारतीय के त ही रहना


चाहते थे ले कन उ ह वा त वक प र तय क जानकारी नह थी। इस लए य द दे श म
जनमत तैयार कया जा सके और सावज नक मांग को ताव या चका बैठक आ द
के मा यम से सरकार के सामने तुत कया जा सके तो अ धकारी धीरे धीरे इन मांग को
मान लगे।

इन उ े य को ा त करने के लए उ ह ने दो आयामी प त पर काम कया


एक चेतना और रा ीय भावना जगाने के लए एक मजबूत जनमत तैयार करना और फर
आम राजनी तक सवाल पर लोग को श त और एकजुट करना और दो टश सरकार
और टश जनमत को रा वा दय ारा नधा रत तज पर भारत म सुधार लाने के लए
राजी करना। उ ह ने ाथना और या चका क प त का उपयोग कया और य द वह
वफल रही तो उ ह ने संवैधा नक आंदोलन का सहारा लया।

म लंदन म भारतीय रा ीय कां ेस क एक टश स म त क ापना क


गई जसका अंग भारत था। दादाभाई नौरोजी ने अपने जीवन और आय का एक बड़ा ह सा
वदे श म भारत के मामले के चार म बताया। म म लंदन म भारतीय रा ीय
कां ेस का एक स आयो जत करने का नणय लया गया ले कन के टश चुनाव
के कारण ताव गत कर दया गया और बाद म इसे पुनज वत नह कया गया।

उदारवाद नेता का मानना था क इ तहास के उस चरण म टे न के साथ


राजनी तक संबंध भारत के हत म थे और टश शासन को सीधी चुनौती दे ने का समय
अभी उपयु नह था। इस लए औप नवे शक शासन को यथासंभव रा ीय शासन के करीब
लाने का यास करना उ चत समझा गया।

उदारवाद रा वा दय का योगदान

टश सा ा यवाद क आ थक आलोचना दादाभाई नौरोजी आरसी द


दनशॉ वाचा और अ य के नेतृ व म शु आती रा वा दय ने भारत म टश शासन क
राजनी तक अथ व ा का सावधानीपूवक व ेषण कया और भारत के टश शोषण
को समझाने के लए ेन स ांत को सामने रखा। उ ह ने वरोध कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मूल प से आ म नभर भारतीय अथ व ा का औप नवे शक अथ व ा म प रवतन


यानी क े माल और खा साम ी का आपू तकता तैयार माल का आयातक और टश
पूंज ी के लए नवेश का े । इस कार नरमपंथी एक अ खल भारतीय जनमत बनाने म
स म थे क भारत म टश शासन भारत क गरीबी और आ थक पछड़ेपन का मुख
कारण था।

भारतीय जीवन क वशेषता अभाव को कम करने के लए ारं भक रा वा दय ने


टे न के त भारत क आ थक अधीनता को समा त करने और भारतीय पूंज ी और उ म
क भागीदारी के मा यम से एक वतं अथ व ा के वकास क मांग क ।

ारं भक रा वा दय ने भू म राज व म कमी नमक कर को समा त करने बागान मक


क काय तय म सुधार सै य य म कमी और टै रफ संर ण और य सरकारी
सहायता के मा यम से आधु नक उ ोग को ो साहन क मांग क । भारत म टश शासन
के आ थक भाव पर अ याय भी दे ख ।

संवैधा नक सुधार और वधानमंडल म चार सार भारत म वधान प रषद के पास


तक कोई
वा त वक आ धका रक श नह थी। फर भी रा वा दय ारा उनम कए गए काय ने
रा ीय आंदोलन के वकास म मदद क । भारतीय प रषद अ ध नयम ारा ग ठत
इंपी रयल वधान प रषद एक नपुंसक नकाय थी जसे आ धका रक उपाय को एक
त न ध नकाय ारा पा रत कए जाने के प म छपाने के लए डज़ाइन कया गया था।
भारतीय सद य सं या म कम थे से तक तीस वष म के वल पतालीस
भारतीय को इसम नामां कत कया गया था उनम से अ धकांश अमीर ज़मीनदार और
वफादार हत वाले थे। के वल मु भर राजनी तक ह तयाँ और वतं बु जीवी जैसे सैयद
अहमद खान टोदास पाल वीएन मांड लक के एल

नामां कत लोग म नुलकर और रास बहारी घोष भी शा मल थे।


से तक संवैधा नक सुधार क रा वाद मांग इस पर क त थ .
प रषद का व तार यानी प रषद म भारतीय क अ धक भागीदारी
और
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भारतीय रा ीय कां ेस

भारतीय प रषद् अ ध नयम

मु य ावधान • शाही वधान

प रषद और ांतीय वधान प रषद म अ त र सद य क सं या बढ़ा द गई। इंपी रयल वधान प रषद म अब गवनर
जनरल म दस से सोलह गैर अ धकारी हो सकते ह पहले छह से दस के बजाय । • भारतीय वधान प रषद के गैर
आ धका रक सद य को बंगाल चबर ऑफ कॉमस और ांतीय वधान प रषद ारा ना मत कया जाना था। सद य
क सफा रश व व ालय नगर पा लका जम दार और वा ण य मंडल ारा क जा सकती है। इस लए
त न ध व का स ांत पेश कया गया। • बजट पर हो सकती है चचा. • पूछे जा सकते ह।

सीमाएँ

• इस कार अ धका रय ने प रषद म अपना ब मत बरकरार रखा


गैर आ धका रक आवाज को अ भावी बनाना।
• सुधा रत शाही वधान प रषद क बैठक तक अपने कायकाल के दौरान औसतन एक वष म के वल तेरह दन
होती थी और उप त अनौपचा रक भारतीय सद य क सं या चौबीस म से के वल पांच थी। • बजट पर मतदान
नह हो सका और न ही इसम कोई संशोधन कया जा सका।

• पूरक नह पूछे जा सके न ही कसी का उ र दया जा सका


पर चचा क जाए.

. प रषद म सुधार अथात प रषद को अ धक श याँ वशेषकर व पर अ धक नयं ण।

ारं भक रा वा दय ने लोकतां क वशासन के द घका लक उ े य के साथ काम कया। संवैधा नक


सुधार क उनक मांग को म भारतीय प रषद अ ध नयम के प म मान लया गया था।

कां ेस स म इन सुधार क कड़ी आलोचना क गई जहाँ रा वा दय ने इनके त अपने असंतोष


को छपाया नह । अब उ ह ने i नवा चत भारतीय के ब मत और ii बजट पर नयं ण यानी बजट पर
मतदान करने और संशोधन करने क श क मांग क । उ ह ने नारा दया त न ध व के बना कराधान
नह । धीरे धीरे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

संवैधा नक मांग का दायरा बढ़ाया गया। दादाभाई नौरोजी गोपाल कृ ण गोखले


और लोकमा य तलक ने कनाडा और ऑ े लया के वशा सत उप नवेश
क तज पर वशासन क मांग क । इसके अलावा फ़रोज़शाह मेहता और गोखले जैसे नेता
ने सरकार क नी तय और ताव क कड़ी आलोचना क ।

टश का इरादा भारतीय नेता के बीच अ धक मुख र लोग को शा मल करने के


लए प रषद का उपयोग करने का था ता क उ ह अपनी राजनी तक भाप छोड़ने क
अनुम त मल सके जब क नपुंसक प रषद अपनी आलोचना के त बहरे बने रहने का जो खम
उठा सक। ले कन रा वाद इन प रषद को लोक य शकायत को र करने उदासीन
नौकरशाही के दोष को उजागर करने सरकारी नी तय ताव क आलोचना करने बु नयाद
आ थक मु को उठाने वशेष प से सावज नक व के संबंध म मंच म बदलने म स म थे।

इस कार रा वाद सा ा यवाद शासन के राजनी तक और नै तक भाव को कम


करते ए अपना राजनी तक कद बढ़ाने और एक रा ीय आंदोलन खड़ा करने म स म थे।
इससे जनता म सा ा यवाद वरोधी भावनाएँ उ प करने म मदद मली। ले कन साथ ही
रा वाद जनता वशेषकर म हला को शा मल न करके और सभी के लए वोट दे ने के
अ धकार क मांग न करके आंदोलन के लोकतां क आधार को ापक बनाने म वफल रहे।

सामा य शास नक के लए अ भयान


सुधार
नरमपं थय ने न न ल खत आधार पर अ भयान चलाया
i सरकारी सेवा का भारतीयकरण आ थक आधार पर टश स वल सेवक को
ब त अ धक वेतन मलता था जब क भारतीय को शा मल करना अ धक कफायती होता
राजनी तक आधार पर चूँ क टश नौकरशाह का वेतन घर भेज दया जाता था और पशन
का भुगतान इं लड म कया जाता था सभी भारतीय राज व से लया जाता था यह रा ीय
संसाधन क आ थक नकासी के समान था और नै तक आधार पर क भारतीय को व ास
और ज मेदारी के पद से र रखकर उनके साथ भेदभाव कया जा रहा था।
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भारतीय रा ीय कां ेस

ii या यक काय को कायकारी काय से अलग करने का आ ान।

iii दमनकारी और अ याचारी नौकरशाही और महंगी और समय लेने वाली या यक


णाली क आलोचना। iv आ ामक वदे श नी त क आलोचना जसके प रणाम व प बमा
पर क जा
आ अफगा न तान पर हमला आ और उ र प म म आ दवा सय का दमन आ
इन सभी क क मत भारतीय खजाने को भारी पड़ी। v क याण यानी वा य व ता
श ा वशेष प से ाथ मक और तकनीक सचाई काय और कृ ष म सुधार कृ षक के
लए कृ ष बक आ द पर य म वृ
का आ ान। vi वदे श म भारतीय मक के लए बेहतर उपचार क मांग अ य
टश उप नवेश म जहाँ उ ह उ पीड़न और न लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा।

नाग रक अ धकार क सुर ा नाग रक अ धकार म


भाषण वचार संघ और वतं ेस का अ धकार शा मल था। नरंतर अ भयान के मा यम से
रा वाद आधु नक लोकतां क वचार को फै लाने म स म ए और ज द ही नाग रक
अ धकार क र ा वतं ता सं ाम का एक अ भ अंग बन गई। यह बढ़ ई चेतना का ही
प रणाम था क म तलक और कई अ य नेता और प कार क गर तारी और नाटू
भाइय क बना कसी मुक दमे के गर तारी और नवासन पर भारी सावज नक आ ोश था।
भारत म ेस के वकास पर अ याय भी दे ख ।

आपको हमारे दे श के इ तहास म हमारी जगह का एहसास नह है। ये मारक नाममा प से


सरकार को संबो धत ह। वा तव म वे लोग को संबो धत ह ता क वे सीख सक क इन मामल म
कै से सोचना है। यह काम कई वष तक कया जाना चा हए बना कसी अ य प रणाम क उ मीद
कए य क इस तरह क राजनी त इस भू म म ब कु ल नई है।

ज टस महादे व गो वद रानाडे से गोखले तक


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

का एक मू यांक न

ारं भक रा वाद
ारं भक रा वा दय ने रा ीय भावना को जागृत करने के लए ब त यास कया भले ही वे जनता को अपनी
ओर आक षत नह कर सके । i वे उस समय क सबसे ग तशील ताकत का त न ध व करते थे। ii वे
समान

हत वाले सभी भारतीय और एक आम मन के खलाफ एक आम काय म के आसपास एकजुट


होने क

आव यकता और सबसे ऊपर एक रा से संबं धत होने क भावना के लए एक ापक रा ीय


जागृ त पैदा करने म स म थे।

iii उ ह ने लोग को राजनी तक काय म श त कया और आधु नक वचार को लोक य बनाया।

iv उ ह ने औप नवे शक शासन के मूल प से शोषणकारी च र को उजागर कया इस कार


इसक नै तक न व को कमजोर कर दया। v उनका राजनी तक काय क ठन वा त वकता पर आधा रत
था न क उथली भावना धम आ द पर।

vi वे बु नयाद राजनी तक स य ा पत करने म स म थे


क भारत पर भारतीय के हत म शासन कया जाना चा हए।

vii उ ह ने बाद के वष म अ धक सश उ वाद जन आधा रत रा ीय आंदोलन के लए एक


ठोस आधार तैयार कया।

viii हालाँ क वे अपने लोकतां क आधार और अपनी मांग के दायरे को ापक बनाने म वफल
रहे।

जनता क भू मका रा ीय आंदोलन


के उदारवाद चरण का सामा जक आधार संक ण था और जनता ने न य भू मका नभाई। इसका कारण
यह था क आरं भक रा वा दय के पास जनता म राजनी तक व ास का अभाव था उ ह ने महसूस कया
क भारतीय समाज म कई वभाजन और उप वभाजन थे और जनता आम तौर पर अ ानी थी और ढ़वाद
वचार और वचार वाली थी। नरमपं थय ने महसूस कया क राजनी तक े म वेश करने से पहले इन
वषम त व को एक रा म मलाना होगा। ले कन वे यह महसूस करने म असफल रहे क यह के वल एक के
दौरान था
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भारतीय रा ीय कां ेस


हम उ ह भारतीय राजनी तक सुधार के अ त के प म अपनाए गए रवैये के लए उतना दोष नह दे
सकते जतना क हम उस ट और गारे को दोष दे सकते ह जो एक आधु नक इमारत क न व और कु स
म छह फ ट गहराई तक दबी ई है। उ ह ने औप नवे शक वशासन सा ा य के भीतर गृह शासन
वराज और सबसे ऊपर पूण वतं ता ारा मं जल दर मं जल अ धरचना को संभव बनाया है।

प ा भ सीतारमैया से
तक का काल भारतीय रा वाद का बीज काल था और आरं भक रा वा दय ने बीज अ तरह और
गहराई से बोये थे।

बपन चं ा यह एक
अवसरवाद आंदोलन था। इसने व ासघात और पाखंड के लए अवसर खोल दए। इसने कु छ लोग
को दे शभ के नाम पर ापार करने म स म बनाया।

लाला लाजपत राय

वतं ता सं ाम और राजनी तक भागीदारी से ये व वध त व एक साथ आ सके ।

जनभागीदारी क कमी के कारण नरमपंथी अ धका रय के व उ राजनी तक


ख नह अपना सके । बाद के रा वाद ठ क इसी मु े पर नरमपं थय से भ थे। फर भी
ारं भक रा वा दय ने औप नवे शक हत के व उभरते भारतीय रा का त न ध व
कया।

सरकार का रवैया टश भारतीय सरकार कां ेस के


उदारवाद तरीक और टश ताज के त वफादारी पर जोर दे ने के बावजूद शु से ही
कां ेस के त श ुतापूण थी। के बाद आ धका रक रवैया और भी स त हो गया जब
सरकार कां ेस को खुद को सामा जक मु तक ही सी मत रखने के लए मनाने म वफल
रही जब कां ेस औप नवे शक शासन क आलोचना मक होती जा रही थी। अब सरकार ने
कां ेस क खुली नदा क और रा वा दय को दे श ोही ा ण वफादार बाबू आ द
कहा। डफ रन ने कां ेस को दे श ोह क फै कहा। बाद म सरकार ने कां ेस के त
फू ट डालो और राज करो क नी त अपनायी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस अपने पतन क ओर लड़खड़ा रही है और भारत म रहते ए मेरी एक बड़ी मह वाकां ा इसे शां तपूण
अंत म मदद करना है।
लॉड कजन

अ धका रय ने सर सैयद अहमद खान और बनारस के राजा शव साद सह जैसे


त यावाद त व को कां ेस के चार का मुक ाबला करने के लए यूनाइटे ड इं डयन
पै य टक एसो सएशन का आयोजन करने के लए ो सा हत कया। सरकार ने रा वा दय
को धम के आधार पर वभा जत करने का भी यास कया और गाजर और छड़ी क
नी त के मा यम से नरमपं थय को चरमपं थय के खलाफ खड़ा कया। ले कन सरकार
रा वाद के बढ़ते वार को रोकने म वफल रही।

सारांश
• भारतीय रा ीय कां ेस क ापना थम अ धवेशन ब बई म आ।

एओ म ारा ग ठत भारतीय रा ीय संघ भारतीय रा ीय कां ेस बन गया।

कां ेस के मूलभूत स ांत और मुख व ासी सुर ा वा व स ांत लाला लाजपत राय
ष ं स ांत आरपी द लाइट नग कं ड टर स ांत जीके
गोखले म यम चरण के मह वपूण नेता दादाभाई
नौरोजी बद न तैयबजी फ़रोज़शाह मेहता पी. आनंद चालू सुर नाथ
बनज रोमेश चं द आनंद मोहन बोस जी.के

गोखले आ द।

• ारं भक रा वाद प त
क़ानून क चारद वारी के भीतर संवैधा नक आंदोलन
भारत म जनमत तैयार करना और इं लड म भारतीय मांग के समथन के लए अ भयान चलाना

लोग क राजनी तक श ा
उस तर पर टे न के साथ राजनी तक संबंध भारत के हत म थे
औप नवे शक शासन को सीधी चुनौती दे ने का समय अभी उपयु नह है
• उदारवाद रा वा दय का योगदान
टश सा ा यवाद क आ थक आलोचना
वधानमंडल म संवैधा नक सुधार एवं चार सार
सामा य शास नक सुधार के लए अ भयान
नाग रक अ धकार क र ा
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इकाई VI

रा ीय
आंदोलन
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उ वाद रा वाद का युग

उ वाद रा वाद का युग

उ वाद रा वाद का वकास

के दशक म राजनी तक ग त व ध के त उ वाद रा वाद कोण क एक


ां तकारी वृ उभरने लगी और तक इसने एक ठोस आकार ले लया। इस वृ
के सहायक के प म एक ां तकारी वग ने भी आकार लया।

उ वाद रा वाद य बढ़ा उ वाद रा वाद के उदय म कई


कारक ने योगदान दया।

टश शासन क वा त वक कृ त क पहचान यह दे ख ने के बाद क टश सरकार


उनक कोई भी मह वपूण मांग नह मान रही है राजनी तक प से जाग क लोग म से
अ धक उ वाद नराश हो गए और राजनी तक कारवाई के अ धक भावी तरीके क तलाश
करने लगे। साथ ही यह भावना क के वल भारतीय सरकार ही भारत को ग त के पथ पर
ले जा सकती है अ धक से अ धक लोग को आक षत करने लगी। के दशक क
आ थक बदहाली ने औप नवे शक शासन के शोषणकारी च र को और उजागर कर दया।
से के बीच भीषण अकाल म लाख लोग मारे गए। यूबो नक लेग ने
द कन के बड़े े को भा वत कया। द कन म बड़े पैमाने पर दं गे ए।

रा वाद इस त य से पूरी तरह प र चत थे क सरकार भारतीय को अ धक


अ धकार दे ने के बजाय मौजूदा अ धकार भी छ न रही है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय प रषद अ ध नयम क रा वा दय ारा आलोचना क गई य क यह


उ ह संतु करने म वफल रहा।
नाटू बंधु को बना मुक दमा चलाए नवा सत कर दया गया और तलक तथा
अ य को राज ोह के आरोप म जेल म डाल दया गया।

आईपीसी धारा ए के तहत दमनकारी कानून को आईपीसी धारा ए


के तहत नए ावधान के साथ और बढ़ाया गया

कलक ा म भारतीय सद य क सं या
नगम कम हो गए.
आ धका रक गोपनीयता अ ध नयम ने ेस क वतं ता पर तबंध लगा दया।
भारतीय व व ालय अ ध नयम ने व व ालय पर अ धक सरकारी
नयं ण सु न त कया जसे इसने राजनी तक ां तका रय को पैदा
करने वाली फ़ै ट रय के प म व णत कया।

साथ ही टश शासन अब सामा जक और सां कृ तक प से ग तशील नह रह गया


था। यह श ा वशेषकर जन एवं तकनीक श ा के सार को दबा रहा था।

आ म व ास और वा भमान का वकास आ म यास म व ास बढ़ रहा


था। तलक अर बदो और ब पन चं पाल ने बार बार रा वा दय से भारतीय लोग के च र
और मता पर भरोसा करने का आ ह कया। यह भावना जोर पकड़ने लगी क जनता को
औप नवे शक सरकार के खलाफ लड़ाई म शा मल होना होगा य क वे आजाद हा सल करने
के लए आव यक अपार ब लदान दे ने म स म ह।

श ा का वकास जहां एक ओर श ा
के सार से जनता म जाग कता बढ़ वह सरी ओर श त के बीच बेरोजगारी और
अ परोजगार म वृ ने गरीबी और दे श क अथ व ा क अ वक सत त क ओर यान
आक षत कया। वासीय शासन व ध। इससे अ धक उ रा वा दय के बीच पहले से ही उबल
रहे असंतोष म और इजाफा आ।

अंतरा ीय भाव

के बाद जापान ारा क गई उ लेख नीय ग त और एक औ ो गक श के प म उसके


उ व ने भारतीय क आँख खोल द
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उ वाद रा वाद का युग


संसार म य द कोई पाप है तो वह है बलता सभी कमज़ो रय से बच कमज़ोरी पाप है कमज़ोरी मृ यु है।

वामी ववेक ानंद

आज के उ वाद कल के उदारवाद ह गे जैसे आज के उदारवाद कल के उ वाद थे।

बीजी तलक

एक ए शयाई ने जो कया है वह सरे भी कर सकते ह... य द जापान स को हरा सकता है तो भारत भी


उतनी ही आसानी से इं लड को हरा सकता है... आइए हम अं ेज को समु म खदे ड़ द और जापान के साथ
कं धे से कं धा मलाकर व क महान श य म अपना ान ल। नया।

कराची ॉ नकल जून

इस त य से क कसी ए शयाई दे श म बना कसी बाहरी मदद के भी आ थक ग त संभव थी।


इ थयो पयाई लोग ारा इतालवी सेना क हार बोअर यु जहां
अं ेज को पराजय का सामना करना पड़ा और स पर जापान क जीत ने यूरोपीय
अजेयता के मथक को व त कर दया। इसके अलावा रा वाद नया भर म आयरलड
स म तुक फारस और चीन म रा वाद आंदोलन से े रत थे। भारतीय को एहसास
आ क ब लदान दे ने के इ ु क एकजुट लोग सबसे श शाली सा ा य से मुक ाबला कर
सकते ह।

बढ़ते प मीकरण पर त या नए नेतृ व ने अ य धक प मीकरण


क पकड़ को महसूस कया और भारतीय रा ीय पहचान को टश सा ा य म डु बाने के
औप नवे शक मंसूब को महसूस कया। नये नेतृ व क बौ क एवं नै तक ेरणा भारतीय थी।

वामी ववेक ान द बं कम च चटज और वामी दयानंद सर वती जैसे बु जी वय ने अपने


सश और तक से कई युवा रा वा दय को े रत कया और भारत के अतीत को टश
वचारक क तुलना म अ धक चमक ले रंग म च त कया। इन वचारक ने अतीत म
भारतीय स यता क समृ का हवाला दे क र प मी े ता के मथक को तोड़ दया। दयानंद
का राजनी तक संदेश भारत भारतीय के लए था।
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नरमपं थय क उपल य से असंतोष कां ेस के भीतर युवा त व पहले वष


के दौरान नरमपं थय क उपल य से असंतु थे। वे शां तपूण और संवैधा नक आंदोलन
के तरीक के कड़े आलोचक थे ज ह लोक य प से तीन पी ाथना या चका और
वरोध के प म जाना जाता है और इन तरीक को राजनी तक भ ावृ के प म
व णत कया।

कज़न क त यावाद नी तयाँ भारत म कज़न के


सात साल के शासन जो मशन कमीशन और चूक से भरा आ था ने भारतीय मानस म
एक ती त या पैदा क । उ ह ने भारत को एक रा के प म मा यता दे ने से इंक ार कर
दया और उनक ग त व धय को गैस छोड़ना बताकर भारतीय रा वा दय और
बु जी वय का अपमान कया। उ ह ने आम तौर पर भारतीय च र के बारे म अपमानजनक
बात क । उनके शासन के दौरान अपनाए गए शास नक उपाय आ धका रक गोपनीयता
अ ध नयम भारतीय व व ालय अ ध नयम कलक ा नगम अ ध नयम और सबसे
बढ़कर बंगाल का वभाजन ने भारत म टश शासन क मूल प से त यावाद
कृ त के बारे म भारतीय के मन म कोई संदेह नह छोड़ा।

म लटट कू ल ऑफ़ थॉट का अ त व बीसव शता द क शु आत तक


रा वाद वचारक का एक समूह उभरा था ज ह ने राजनी तक काय के लए अ धक
उ वाद कोण क वकालत क थी। इनम बंगाल म राज नारायण बोस अ नी कु मार
द अर बदो घोष और ब पन चं पाल शा मल थे महारा म व णु शा ी चपलूनकर
और बाल गंगाधर तलक और पंज ाब म लाला लाजपत राय। तलक इस वचारधारा के
सबसे उ कृ त न ध के प म उभरे।

इस वचारधारा के मूल स ांत थे • वदे शी शासन के त घृण ा चूँ क इससे


कोई आशा नह ा त क जा सकती इस लए भारतीय को अपना उ ार वयं ही
करना चा हए • वराज रा ीय आंदोलन का ल य हो • य राजनी तक
कारवाई क
आव यकता
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उ वाद रा वाद का युग

• स ा को चुनौती दे ने क जनता क मता म व ास • गत ब लदान क


आव यकता
है और एक स े रा वाद को इसके लए सदै व तैयार रहना होगा।

एक श त नेतृ व का उदय नया नेतृ व राजनी तक संघष के


लए उस अपार मता का उ चत दशा नदशन दान कर सकता है जो जनता के पास है और
जैसा क उ रा वाद सोचते थे अ भ दे ने के लए तैयार थे। जनता क इस ऊजा को
बंगाल वभाजन के व आंदोलन के दौरान मु मली जसने वदे शी आंदोलन का प ले
लया।

वदे शी और ब ह कार आंदोलन


वदे शी आंदोलन क उ प वभाजन वरोधी आंदोलन म ई थी जो बंगाल के वभाजन के
टश फै सले का वरोध करने के लए शु कया गया था।

लोग को वभा जत करने के लए बंगाल का वभाजन टश सरकार के


बंगाल के वभाजन के फै सले को दसंबर म सावज नक कर दया गया था। वचार यह
था क इसम दो ांत ह गे बंगाल म प मी बंगाल के साथ साथ बहार और उड़ीसा के ांत
और पूव बंगाल और असम शा मल ह गे। बंगाल ने कलक ा को अपनी राजधानी बनाए रखा
जब क ढाका पूव बंगाल क राजधानी बन गया। नणय के लए आ धका रक कारण यह बताया
गया क म लयन टश भारत क आबाद का लगभग एक चौथाई क आबाद वाला
बंगाल शासन के लए ब त बड़ा हो गया था। यह भी कहा गया क वभाजन से असम के
वकास म मदद मलेगी य द यह सरकार के सीधे अ धकार े म आता है। यह कु छ हद तक
सच था ले कन वभाजन योजना के पीछे असली मकसद भारतीय रा वाद के क बंगाल को
कमजोर करने क टश इ ा थी। इसे उसने बंगा लय को वभा जत करके दो शासन के
अधीन रखकर हा सल करना चाहा

i भाषा के आधार पर इस कार बंगाली कम हो गए


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे ख ना
एकजुट बंगाल एक ताकत है. वभा जत बंगाल कई अलग अलग तरीक से ख चेगा... हमारा एक
मु य उ े य वभा जत करना है और इस तरह हमारे शासन के वरो धय के एक ठोस समूह को
कमजोर करना है।
र ली भारत सरकार के गृह स चव

बंगाल म ही अ पसं यक को जैसा क नए ताव म बंगाल को म लयन


का अ धकार दया गया था ।
बंगाली और म लयन हद और उ ड़या बोलने वाले और

ii धम के आधार पर य क प मी आधा भाग ह ब सं यक े होना था कु ल


म लयन म से म लयन और पूव आधा मु लम ब सं यक े होना
था कु ल म लयन म से म लयन दस लाख ।

मुसलमान को लुभाने क को शश करते ए उस समय के वायसराय कजन ने तक


दया क ढाका नए मु लम ब मत वाले ांत क राजधानी बन सकता है जो उ ह पुराने मु लम
वायसराय और राजा के दन से अनुभव नह क गई एकता दान करेगा। इस कार यह
था क सरकार कां ेस और रा ीय आंदोलन का मुक ाबला करने के लए मु लम
सां दा यक को बढ़ावा दे ने क अपनी पुरानी नी त पर कायम थी।

नरमपं थय के तहत वभाजन वरोधी अ भयान

क अव ध म नेतृ व सुर नाथ बनज के के म ा और पृ वीचं रे जैसे लोग ने


दान कया था। अपनाए गए तरीके सरकार के लए या चकाएं सावज नक बैठक ापन और
हताबाद संज ीबानी और बंगाली जैसे पै लेट और समाचार प के मा यम से चार थे।
उनका उ े य बंगाल के अ यायपूण वभाजन को लागू होने से रोकने के लए भारत और इं लड
म श त जनमत के मा यम से सरकार पर पया त दबाव डालना था।

वभाजन ताव के खलाफ जोरदार जनमत को नजरअंदाज करते ए सरकार ने


बंगाल के वभाजन क घोषणा कर द
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उ वाद रा वाद का युग

जुलाई . कु छ ही दन म पूरे बंगाल के छोटे शहर म वरोध सभाएँ आयो जत क ग ।


इ ह बैठक म सबसे पहले वदे शी व तु के ब ह कार का संक प लया गया। अग त
को कलक ा टाउनहॉल म आयो जत एक वशाल बैठक म ब ह कार ताव पा रत होने
के साथ ही वदे शी आंदोलन क औपचा रक घोषणा क गई। इसके बाद नेता मैनचे टर कपड़े
और लवरपूल नमक के ब ह कार के संदेश का चार करने के लए बंगाल के अ य ह स म
फै ल गए।

अ टू बर जस दन वभाजन औपचा रक प से लागू आ पूरे बंगाल म


शोक दवस के प म मनाया गया। लोग ने उपवास कया गंगा म नान कया और बंदे मातरम
गाते ए जुलूस म नंगे पैर चले जो लगभग अनायास ही आंदोलन का थीम गीत बन गया ।
आमार सोनार बां ला वतमान बां लादे श का रा गान रवी नाथ टै गोर ारा र चत था और
इसे सड़क पर माच करने वाली वशाल भीड़ ारा गाया जाता था।

लोग ने बंगाल के दोन ह स क एकता के तीक के प म एक सरे के हाथ पर राखी


बांधी। बाद म दन म सुर नाथ बनज और आनंद मोहन बोस ने वशाल सभा को संबो धत
कया शायद रा वाद बैनर के तहत तब तक क सबसे बड़ी सभा ।

बैठक के कु छ ही घंट के भीतर आंदोलन के लए पये जुटा लए गए.

ज द ही आंदोलन दे श के अ य ह स म फै ल गया तलक के अधीन पूना और बंबई


म लाला लाजपत राय और अजीत सह के अधीन पंज ाब म सैयद हैदर रज़ा के अधीन द ली
म और चदं बरम प लई के अधीन म ास म।

कां ेस क त
म गोखले क अ य ता म भारतीय रा ीय कां ेस क बैठक म i बंगाल के वभाजन
और कजन क त यावाद नी तय क नदा करने और ii बंगाल के वभाजन वरोधी और
वदे शी आंदोलन का समथन करने का संक प लया गया।

तलक लाजपत राय ब पन चं पाल और अर बदो घोष के नेतृ व म उ वाद


रा वाद आंदोलन चाहते थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बंगाल के बाहर दे श के अ य ह स म ले जाया जाएगा और वदे शी व तु के ब ह कार से


आगे बढ़कर वराज ा त करने के ल य के साथ एक पूण राजनी तक जन संघष बन जाएगा।
ले कन उस समय कां ेस पर हावी नरम दल इतनी र तक जाने को तैयार नह थे। हालाँ क
दादाभाई नौरोजी क अ य ता म कलक ा म आयो जत कां ेस अ धवेशन म एक
बड़ा कदम उठाया गया जहाँ यह घोषणा क गई क भारतीय रा ीय कां ेस का ल य यूनाइटे ड
कगडम या यूनाइटे ड कगडम क तरह वशासन या वराज था। ऑ े लया या कनाडा के
उप नवेश । आंदोलन क ग त और संघष क तकनीक पर उदारवाद चरमपंथी ववाद भारतीय
रा ीय कां ेस के सूरत स म ग तरोध पर प ंच गया जहां पाट वभा जत हो गई
जसके वदे शी आंदोलन पर गंभीर प रणाम ए।

के तहत आंदोलन

अ तवाद नेतृ व
के बाद बंगाल म वदे शी आंदोलन पर उ वा दय का भाव बढ़ गया। इसके तीन कारण
थे

i नरमपंथी नेतृ व वाला आंदोलन प रणाम दे ने म वफल रहा। ii दोन बंगाल क


सरकार
क वभाजनकारी रणनी त ने रा वा दय को श मदा कर दया था। iii सरकार ने
दमनकारी उपाय का सहारा लया था जसम छा पर अ याचार
शा मल थे जनम से कई को शारी रक दं ड दया गया था वंदे मातरम के सावज नक
गायन पर तबंध सावज नक बैठक पर तबंध वदे शी कायकता पर मुक दमा चलाना
और लंबी कारावास कई क ब म पु लस और लोग के बीच झड़प नेता क गर तारी और
नवासन और ेस क वतं ता का दमन।

कलक ा अ धवेशन म दादाभाई नौरोजी


क घोषणा से चरमपंथी काय म को ो साहन मला क वशासन या वराज ही होगा।
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उ वाद रा वाद का युग

कां ेस का ल य उ वा दय ने वदे शी और ब ह कार के अलावा न य तरोध का


आ ान कया जसम सरकारी कू ल और कॉलेज सरकारी सेवा अदालत वधान
प रषद नगर पा लका सरकारी उपा धय आ द का ब ह कार शा मल था। उ े य
अर बदो के प म इसे कह तो वतमान प र तय म शासन को ऐसा कु छ भी करने से
एक संग ठत इनकार ारा असंभव बनाना था जो या तो दे श के शोषण म टश वा ण य
या इसके शासन म टश आ धका रकता म मदद करेगा ।

उ रा वा दय ने वरोधी को बदलने का यास कया

वभाजन और वदे शी आंदोलन को एक जन संघष म बदल दया और वदे शी शासन से


भारत क आजाद का नारा दया।
अर बदो ने घोषणा क राजनी तक वतं ता एक रा क जीवनदा यनी है। इस कार
उ वा दय ने भारत क वतं ता के वचार को भारत क राजनी त म के य ान दया।
वतं ता का ल य आ म ब लदान के मा यम से ा त कया जाना था।

संघष के नये प
उ रा वा दय ने सै ां तक चार और काय म तर पर कई नए वचार सामने रखे।
आंदोलन ारा तुत कए गए संघष के कई प न न ल खत थे।

वदे शी व तु का ब ह कार ब ह कार म


वदे शी कपड़ का ब ह कार और सावज नक प से जलाना वदे शी न मत नमक या चीनी
का ब ह कार पुज ा रय ारा वदे शी व तु के आदान दान से जुड़े ववाह अनु ान से
इनकार करना धो बय ारा वदे शी कपड़े धोने से इनकार करना शा मल था। वरोध के इस
प को ावहा रक और लोक य तर पर बड़ी सफलता मली।

सावज नक बैठक और जुलूस सावज नक बैठक और


जुलूस जन लामबंद के मुख तरीक के प म उभरे। साथ ही वे लोक य अ भ के
प भी थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वयंसेवक क टोली या स म त स म तयाँ जैसे क अ नी


कु मार द क वदे श बंधब स म त बा रसल म जनसमूह को संग ठत करने के एक ब त
लोक य और श शाली साधन के प म उभरी। त मलनाडु के त नेलवेली म वीओ
चद बरम प लई सु म यम शव और कु छ वक ल ने वदे शी संगम का गठन कया जसने
ानीय जनता को े रत कया। इन स म तय ने जा ई लालटे न ा यान वदे शी गीत
अपने सद य को शारी रक और नै तक श ण दान करने अकाल और महामारी के दौरान
सामा जक काय कू ल के संगठन वदे शी श प और म य ता अदालत म श ण के
मा यम से जनता के बीच राजनी तक चेतना पैदा क ।

पारंप रक लोक य योहार और मेल का क पनाशील


उपयोग
वचार यह था क पारंप रक योहार और अवसर को जनता तक प ंचने और राजनी तक
संदेश फै लाने के साधन के प म उपयोग कया जाए। उदाहरण के लए तलक के गणप त
और शवाजी उ सव न के वल प मी भारत म ब क बंगाल म भी वदे शी चार का मा यम
बन गए। बंगाल म भी पारंप रक लोक थएटर प का उपयोग इस उ े य के लए कया गया
था।

आ म नभरता पर दया गया जोर आ म नभरता या


आ मश को ो सा हत कया गया। इसका ता पय रा ीय ग रमा स मान और आ म व ास
क पुन पु और गांव के सामा जक और आ थक उ ान से था। ावहा रक प से इसम
सामा जक सुधार और जा त उ पीड़न कम उ म ववाह दहेज था शराब का सेवन आ द के
खलाफ अ भयान शा मल थे।

वदे शी या रा ीय श ा का काय म टै गोर के शां त नके तन से े रत बंगाल नेशनल


कॉलेज क ापना अर बदो घोष के सपल के प म क गई थी। ज द ही दे श के व भ
ह स म रा ीय कू ल और कॉलेज खुल गए। अग त को रा ीय तर पर और रा ीय
नयं ण के तहत सा ह यक वै ा नक और तकनीक श ा णाली को व त करने के
लए रा ीय श ा प रषद क ापना क गई थी। के मा यम से श ा दान क जानी थी
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उ वाद रा वाद का युग

वचार
वधम के अ यास के लए वराज या वशासन आव यक है। वराज के बना कोई सामा जक
सुधार नह हो सकता कोई औ ो गक ग त नह हो सकती कोई उपयोगी श ा नह हो सकती
कोई रा ीय जीवन क पू त नह हो सकती। हम यही चाहते ह इसी लए भगवान ने हम उसे पूरा
करने के लए नया म भेज ा है।

बीजी तलक

वदे शीवाद ने अपनी श के दन म संपूण ता को रंग दया


हमारे सामा जक और घरेलू जीवन क बनावट।

सुर नाथ बनज

वराज आधु नक प र तय म भारत के ाचीन जीवन क पूण ता रा ीय महानता क वापसी


श क और मागदशक क अपनी महान भू मका
सतयुक
ग बहाली राजनी त म वेदां तक वचार क अं तम
पू त के लए लोग क आ म मु है। यही भारत के लए स ा वराज है।

अर वद घोष

ानीय मा यम. तकनीक श ा के लए एक बंगाल इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी क ापना


क गई और छा को उ त श ा के लए जापान भेज ने के लए धन जुटाया गया।

वदे शी या वदे शी उ म वदे शी भावना को वदे शी कपड़ा


मल साबुन और मा चस कारखान चमशोधन कारखान बक बीमा कं प नय कान
आदक ापना म भी अ भ मली। ये उ म ावसा यक कौशल क तुलना म
दे शभ के उ साह पर अ धक आधा रत थे।

हालाँ क तूतीको रन म एक रा ीय जहाज नमाण उ म वदे शी ट म ने वगेशन कं पनी म


वीओ चदं बरम प लई के उ म ने टश इं डयन ट म ने वगेशन कं पनी को चुनौती द ।

सां कृ तक े म भाव सभी कार के रा वा दय ने


रव नाथ टै गोर रजनीकांत सेन ज लाल रे मुकुं द दास सैयद अबू मोह मद और अ य
के लखे गीत से ेरणा ली। इस अवसर पर लखे गए टै गोर के आमार सोनार बां ला ने बाद
म बां लादे श के मु सं ाम को े रत कया और इसे अपने रा गान के प म अपनाया
गया। त मलनाडु म सु म यम भारती ने सुदेश गीतम लखा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

च कला म अवन नाथ टै गोर ने भारतीय कला प र य पर व टो रयन कृ तवाद


के वच व को तोड़ा और अजंता मुगल और राजपूत च कला से ेरणा ली। नंदलाल बोस
ज ह ने भारतीय कला पर एक मुख छाप छोड़ी म ा पत इं डयन सोसाइट ऑफ
ओ रएंटल आट ारा द जाने वाली छा वृ के पहले ा तकता थे।

व ान के े म जगद श चं बोस फु लचं रॉय और अ य ने मौ लक शोध का


नेतृ व कया जसक नया भर म शंसा ई।

बड़े पैमाने पर भागीदारी छा वदे शी का चार और


अ यास करने और वदे शी सामान बेचने वाली कान पर धरना दे ने का नेतृ व करने
के लए बड़ी सं या म सामने आए। बंगाल महारा वशेषकर पूना और द ण के कई ह स
गुंटूर म ास सेलम म छा क भागीदारी दखाई द । पु लस ने छा के त दमनकारी रवैया
अपनाया. जन कू ल और कॉलेज के छा ने आंदोलन म भाग लया था उ ह उनक मा यता
र करके या उनके अनुदान और वशेषा धकार को रोककर दं डत कया जाना था। जो छा
भागीदारी के दोषी पाए गए उ ह सरकारी नौक रय या सरकारी छा वृ के लए अयो य
ठहराया जाना था और उनके खलाफ अनुशासना मक कारवाई जुमाना न कासन
गर तारी पटाई आ द क जानी थी।

म हलाएँ जो परंपरागत प से घर क त थ वशेषकर शहरी म यम वग क ने


जुलूस और धरना दशन म स य भाग लया। अब से उ ह रा ीय आंदोलन म मह वपूण
भू मका नभानी थी।

मुसलमान का ख कु छ मुसलमान ने भाग लया बै र टर अ ल रसूल लयाकत


सैन गुज़ नवी मौलाना आज़ाद जो ां तकारी आतंक वाद समूह म से एक म शा मल हो
गए ले कन अ धकांश उ और म यम वग के मुसलमान र रहे या ढाका के नवाब
सलीमु लाह के नेतृ व म इस दलील पर वभाजन का समथन कया क इससे उ ह मु लम
ब ल पूव बंगाल मल जाएगा। सरकारी हत को आगे बढ़ाने के लए दसंबर को
एक वरोधी के प म अ खल भारतीय मु लम लीग का गठन कया गया।
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उ वाद रा वाद का युग

कां ेस के मोच और ढाका के नवाब सलीमु लाह जैसे त यावाद त व को ो सा हत कया


गया। इसके अलावा वदे शी आंदोलन क कृ त जसम नेता ेरणा के लए ह योहार और
दे वी दे वता का हवाला दे ते थे मुसलमान को बाहर करने क वृ रखते थे।

मक अशां त और े ड यू नयन शु आत म बढ़ती क मत और न लीय अपमान के


मु े पर कु छ हड़ताल आयो जत क ग मु य प से वदे शी वा म व वाली कं प नय म।

सतंबर म बन कं पनी हावड़ा के से अ धक बंगाली लक अपमानजनक काय


व नयमन के वरोध म बाहर चले गए। जुलाई म ई ट इं डयन रेलवे म मक क
हड़ताल के प रणाम व प रेलवेमैन यू नयन का गठन आ। और के बीच जूट
मल म हड़ताल ब त बार होती थ कभी कभी म से मल भा वत होती थ ।

सु म यम शवा और चद बरम प लई ने वदे शी वा म व वाली कपास मल म तूतीको रन


और त नेलवेली म हड़ताल का नेतृ व कया। रावल पडी पंज ाब म श ागार और रेलवे
कमचारी लाला लाजपत राय और अजीत सह के नेतृ व म हड़ताल पर चले गये। हालाँ क
क ग मय तक कड़ी कारवाई के तहत मक अशां त कम हो गई।

इस कार आंदोलन का सामा जक आधार ज़म दारी के कु छ वग छा म हला


और शहर और क ब म न न म यम वग को शा मल करने के लए व ता रत आ।

हड़ताल आयो जत करके मज र वग क आ थक शकायत को राजनी तक अ भ दे ने का


भी यास कया गया। ले कन आंदोलन मुसलमान वशेषकर मु लम कसान का समथन
हा सल करने म स म नह हो सका य क जगह जगह वग और समुदाय के ओवरलैप के
कारण फू ट डालो और राज करो क सचेत सरकारी नी त को मदद मली।

बंगाल क एकता के समथन म


अ खल भारतीय पहलू आंदोलन और वदे शी तथा ब ह कार आंदोलन दे श के अनेक भाग म
आयो जत कये गये। तलक ज ह ने बंगाल के बाहर आंदोलन के सार म अ णी भू मका
नभाई ने इसे रा ीय आंदोलन के इ तहास म एक नए अ याय क शु आत के प म दे ख ा।
उ ह एहसास आ क यहां एक चुनौती और एक अवसर था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे श को समान सहानुभू त के बंधन म बांधने के लए टश शासन के खलाफ लोक य जन


संघष आयो जत कर।

वभाजन क समा त
म मु य प से ां तकारी आतंक वाद के खतरे को रोकने के लए बंगाल के वभाजन
को र करने का नणय लया गया। यह र करण मु लम राजनी तक अ भजा य वग के लए
एक करारा झटका था। मुसलमान को छू ट दे ने के लए राजधानी को द ली ानांत रत करने
का भी नणय लया गया य क यह मु लम गौरव से जुड़ा था ले कन मुसलमान इससे खुश
नह थे। बहार और उड़ीसा को बंगाल से अलग कर दया गया और असम को एक अलग ांत
बना दया गया।

का मू यांक न
वदे शी आंदोलन

आंदोलन ख़ म हो गया तक वदे शी और


ब ह कार आंदोलन का खुला चरण भू मगत ां तकारी चरण से अलग लगभग ख़ म हो चुक ा
था। इसके कई कारण थे • भीषण सरकारी दमन था। • आंदोलन एक भावी संगठन या पाट
संरचना बनाने म वफल रहा। इसने तकनीक क एक पूरी शृंख ला सामने ला द जो
बाद म गांधीवाद राजनी त से जुड़ी असहयोग न य तरोध
टश जेल को भरना सामा जक सुधार और रचना मक काय ले कन इन तकनीक
को अनुशा सत फोकस दे ने म वफल रही।

• तक अ धकांश नेता को या तो गर तार कर लया गया या नवा सत कर


दया गया और अर बदो घोष और ब पन चं पाल स य राजनी त से सेवा नवृ हो गए
जससे आंदोलन नेतृ वहीन हो गया। • नेता के बीच आंत रक कलह बढ़

सूरत वभाजन ने आंदोलन को ब त नुक सान प ंचाया।


• आंदोलन ने लोग को जगाया ले कन यह नह पता था क नई जारी ऊजा का दोहन
कै से कया जाए या लोक य आ ोश को अ भ दे ने के लए नए प कै से खोजे जाएं।
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उ वाद रा वाद का युग

• आंदोलन काफ हद तक उ और म यम वग और जम दार तक ही सी मत रहा और जनता


वशेषकर कसान तक प ंचने म वफल रहा। • असहयोग और न य तरोध के वल वचार बनकर रह
गये। • जन आधा रत आंदोलन को कायम रखना क ठन है

ब त लंबे समय तक ऊं ची पच.

आंदोलन एक नणायक मोड़ था धीरे धीरे न यता क ओर


गरने के बावजूद यह आंदोलन आधु नक भारतीय इ तहास म एक नणायक मोड़ था। • यह कई मायन म
आगे क छलांग सा बत ई। अब तक अछू ते वग छा म हला
मक शहरी और ामीण आबाद के कु छ वग ने भाग लया।

रा ीय आंदोलन क सभी मुख वृ याँ ढ़वाद संयम से लेक र राजनी तक उ वाद तक ां तकारी
ग त व धय से लेक र आरं भक समाजवाद तक या चका और ाथना से लेक र न य तरोध और
असहयोग तक वदे शी आंदोलन के दौरान उभर । • आंदोलन क समृ के वल राजनी तक े तक ही
सी मत नह थी ब क इसम कला सा ह य व ान और उ ोग भी शा मल थे। • लोग को न द से जगाया
गया और अब उ ह ने साह सक राजनी तक पद लेना और
राजनी तक काय के नए प म भाग लेना सीख लया। • वदे शी अ भयान ने के आ धप य को

कमजोर कर दया

औप नवे शक वचार और सं ाएँ।

• भ व य का संघष ा त अनुभव से ब त अ धक लाभ लेना था।

उदारवाद तरीक ने उ वाद तरीक को रा ता दया वदे शी और


ब ह कार आंदोलन के आने के

साथ यह हो गया क नरमपं थय क उपयो गता समा त हो गई थी और उनक या चका और भाषण


क राजनी त अ च लत हो गई थी।

वे समय के साथ तालमेल बठाने म सफल नह ए और यह


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नरमपं थय और उ वा दय के बीच अंतर

नरमपंथी चरमपं थय

. सामा जक आधार क ब म जम दार और उ . सामा जक आधार श त म यम और न न म यम


म यम वग। वग
क बे.
. वैचा रक ेरणा प मी उदारवाद वचार और . वैचा रक ेरणा भारतीय इ तहास सां कृ तक
यूरोपीय इ तहास। वरासत और ह पारंप रक तीक।

. भारत म इं लड के संभा वत मशन म व ास . ो वड सयल मशन योरी को म कहकर


कया। खा रज कर दया।
. टे न के साथ राजनी तक संबंध को भारत के . उनका मानना था क टे न के साथ राजनी तक
सामा जक राजनी तक और सां कृ तक हत म संबंध भारत के टश शोषण को कायम रखगे।
माना।

. टश ताज के त न ा क। . माना जाता था क टश ताज भारतीय वफादारी


का दावा करने के यो य नह था।

. माना गया क आंदोलन म यम वग के बु जी वय . जनता क भागीदारी और ब लदान दे ने क मता


तक ही सी मत होना चा हए जनता अभी पर उ ह ब त भरोसा था।
राजनी तक काय म भाग लेने के लए तैयार नह
है।

. संवैधा नक सुधार और सेवा म भारतीय के लए . भारतीय बुराइय के लए रामबाण औष ध के


ह सेदारी क मांग क । प म वराज क मांग क ।

. संवैधा नक तरीक के ही योग पर जोर दया. .अतर उपयोग करने म संक ोच नह कया
अपने उ े य को ा त करने के लए ब ह कार
और न य तरोध जैसे संवैधा नक तरीके ।

. वे दे शभ थे और उ ह ने कसी दलाल क भू मका . वे दे शभ थे ज ह ने दे श क खा तर ब लदान दया।


नह नभाई
क ा।

उनक राजनी त क शैली के लए युवा पीढ़ का समथन पाने म उनक वफलता उजागर ई।
जनता के बीच काम करने म उनक वफलता का मतलब यह था क उनके वचार जनता के
बीच जड़ नह जमा सके । यहां तक क नरमपं थय का चार भी जनता तक नह प ंच सका।
वदे शी और ब ह कार आंदोलन के पैमाने का कोई भी अ खल भारतीय अ भयान पहले
नरमपं थय ारा आयो जत नह कया गया था और इस अ भयान म उ ह ने
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उ वाद रा वाद का युग

पता चला क वे इसके नेता नह थे जो वाभा वक था।

उ वाद वचारधारा और उसक काय णाली म भी नरंतरता का अभाव था। इसके समथक म
खुले सद य और गु त सहानुभू त रखने वाल से लेक र कसी भी कार क राजनी तक हसा का वरोध करने
वाले लोग शा मल थे। इसके नेता अर बदो तलक बीसी पाल और लाला लाजपत राय क अपने ल य
के बारे म अलग अलग धारणाएँ थ । तलक के लए वराज का अथ एक कार क वशासन था जब क
अर बदो के लए इसका अथ वदे शी शासन से पूण वतं ता था। ले कन राजनी तक वैचा रक तर पर जन
भागीदारी और आंदोलन के सामा जक आधार को ापक बनाने क आव यकता पर उनका जोर उदारवाद
राजनी त पर एक ग तशील सुधार था। उ ह ने दे शभ को शै णक मनोरंज न के तर से बढ़ाकर दे श के
लए सेवा और ब लदान के तर तक प ँचाया। ले कन राजनी तक प से ग तशील चरमपंथी सामा जक
त यावाद सा बत ए। उनके वचार म पुन ानवाद और अ तावाद भाव जुड़े ए थे। सहम त क
आयु वधेयक पर तलक का वरोध जससे लड़ कय क ववाह यो य आयु वष से बढ़कर वष हो
जाती भले ही उनक आप मु य प से यह थी क ऐसे सुधार वयं पर शासन करने वाले लोग ारा कए
जाने चा हए न क कसी वदे शी शासन के तहत उनका आयोजन गणप त और शवाजी उ सव को रा ीय
उ सव के प म मा यता दे ना गाय ह या वरोधी अ भयान को उनका समथन दे ना आ द ने उ ह एक ह
रा वाद के प म च त कया। इसी तरह बीसी पाल और अर बदो ने ह रा और ह हत क बात क ।

इसने कई मुसलमान को आंदोलन से अलग कर दया।


य प चरमपं थय क तीत होने वाली पुन ानवाद और अ रणनी त वदे शी शासक के
खलाफ नद शत थी ले कन उनका राजनी त और धम के बीच एक ब त ही अ वा यकर र ते को बढ़ावा
दे ने का भाव था जसका कड़वा खा मयाजा भारतीय को बाद के वष म भुगतना पड़ा।

सूरत वभाजन
सूरत म कां ेस का वभाजन दसंबर म आ उस समय के आसपास जब ां तकारी ग त व ध ने ग त
पकड़ी थी।
दोन घटनाएँ असंब नह थ ।
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सूरत तक क दौड़ दसंबर


म गोखले क अ य ता म भारतीय रा ीय कां ेस के बनारस स म उदारवाद चरमपंथी
मतभेद सामने आए। चरमपंथी ब ह कार और वदे शी आंदोलन को बंगाल के बाहर के े
तक व ता रत करना चाहते थे और ब ह कार काय म के भीतर सभी कार के संघ जैसे
सरकारी सेवा कानून अदालत वधान प रषद आ द को भी शा मल करना चाहते थे और इस
तरह एक रा ापी जन आंदोलन शु करना चाहते थे। चरमपंथी बनारस अ धवेशन म अपने
काय म के समथन म एक मजबूत ताव चाहते थे। सरी ओर नरमपंथी आंदोलन को बंगाल
से आगे बढ़ाने के प म नह थे और प रषद और समान संघ के ब ह कार के पूरी तरह से
वरोधी थे।

उ ह ने बंगाल वभाजन के वरोध म संवैधा नक तरीक क वकालत क । एक समझौते के प


म बंगाल के वभाजन और कजन क त यावाद नी तय क नदा करने और बंगाल म
वदे शी और ब ह कार काय म का समथन करने वाला एक अपे ाकृ त ह का ताव पा रत
कया गया। इससे फलहाल वभाजन को टालने म सफलता मली।

दसंबर म कां ेस के कलक ा अ धवेशन म गरमपं थय और ां तका रय क


लोक यता और सां दा यक दं ग के कारण नरमपं थय का उ साह कु छ ठं डा हो गया था। यहां
गरम दल तलक या लाजपत राय म से कसी एक को रा प त बनाना चाहते थे जब क नरम
दल ने दादाभाई नौरोजी का नाम ता वत कया जनका सभी रा वाद ब त स मान करते
थे। अंततः दादाभाई नौरोजी को रा प त के प म चुना गया और उ वा दय को रयायत के
प म भारतीय रा ीय कां ेस के ल य को यूनाइटे ड कगडम या ऑ े लया और कनाडा के
उप नवेश क तरह वरा य या वशासन के प म प रभा षत कया गया। साथ ही वदे शी
ब ह कार और रा ीय श ा के काय म का समथन करने वाला ताव पा रत कया गया।
वराज श द का पहली बार उ लेख कया गया था ले कन इसका अथ नह कया गया
था जससे नरमपं थय और गरमपं थय ारा अलग अलग ा या के लए मैदान खुला रह
गया था।
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उ वाद रा वाद का युग

कलक ा अ धवेशन क कायवाही से ो सा हत होकर उ वा दय ने ापक न य


तरोध और कू ल कॉलेज वधान प रषद नगर पा लका कानून अदालत आ द के
ब ह कार का आ ान कया। नरमपं थय ने इस खबर से ो सा हत कया क प रषद म सुधार
होने वाले ह। ने कलक ा काय म को नरम करने का नणय लया। ऐसा लग रहा था क दोन
प टकराव क ओर बढ़ रहे ह।

चरमपं थय ने सोचा क लोग उ े जत हो गए ह और आज़ाद क लड़ाई शु हो गई


है। उ ह लगा क अं ेज को बाहर नकालने के लए बड़ा यास करने का समय आ गया है
और उ ह ने नरमपं थय को आंदोलन म बाधक माना।

उ ह ने नणय लया क नरमपं थय से अलग होना ज़ री है भले ही इसका मतलब कां ेस म


वभाजन हो।
नरमपं थय ने सोचा क उस तर पर उ वा दय के साथ जुड़ना खतरनाक होगा
जनके सा ा यवाद वरोधी आंदोलन को ऐसा महसूस आ श शाली औप नवे शक
ताकत ारा बेरहमी से दबा दया जाएगा। नरमपं थय ने प रषद के सुधार को शासन म
भारतीय भागीदारी के अपने सपने को साकार करने का एक अवसर दे ख ा। नरमपं थय का
मानना था क चरमपंथी दबाव के तहत कां ेस क कोई भी ज दबाजी क कारवाई उदारवा दय
को जो उस समय इं लड म स ा म थे नाराज करने वाली थी।

नरमपंथी भी गरमपं थय से अलग होने को तैयार थे।

नरमपंथी यह महसूस करने म वफल रहे क सरकार ारा प रषद सुधार का उ े य


नरमपं थय को पुर कृ त करने के बजाय चरमपं थय को अलग थलग करना था। चरमपं थय
को इस बात का एहसास नह था क नरमपंथी रा य के दमन के खलाफ उनक र ा क अ म
पं के प म काय कर सकते ह। और कसी भी प को यह एहसास नह आ क एक
मजबूत सा ा यवाद श ारा शा सत भारत जैसे वशाल दे श म के वल एक ापक आधार
वाला रा वाद आंदोलन ही सफल हो सकता है।

बंटवारा होता है
गरमपंथी चाहते थे क का अ धवेशन नागपुर म हो
म य ांत वदे शी ब ह कार और रा ीयता क पुनरावृ के साथ तलक या लाजपत राय के
अ य के पम
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

श ा संक प. नरमपंथी तलक को रा प त पद से बाहर करने के लए सूरत म अ धवेशन


चाहते थे य क मेज बान ांत का कोई नेता स का अ य नह हो सकता था सूरत
तलक के गृह ांत बंबई म है ।

इसके बजाय वे राश बहारी घोष को अ य बनाना चाहते थे और वदे शी ब ह कार और


रा ीय श ा पर ताव को गराने क मांग कर रहे थे। दोन प ने कठोर ख अपनाया
और समझौते क कोई गुंज ाइश नह छोड़ी। वभाजन अप रहाय हो गया और कां ेस पर
अब नरमपं थय का भु व हो गया ज ह ने टश सा ा य के भीतर व शासन के ल य
के त कां ेस क तब ता को दोहराने और के वल इस ल य को ा त करने के लए
संवैधा नक तरीक के उपयोग के लए कां ेस क तब ता को दोहराने म कोई समय नह
गंवाया।

सरकारी दमन
सरकार ने चरमपं थय पर बड़ा हमला बोला.
और के बीच सरकार वरोधी ग त व धय पर रोक लगाने के लए पाँच नये
कानून लागू कये गये। इन वधान म दे श ोही बैठक अ ध नयम शा मल है भारतीय
समाचार प अपराध को उकसाना अ ध नयम आपरा धक कानून संशोधन
अ ध नयम और भारतीय ेस अ ध नयम । मु य चरमपंथी नेता तलक पर
म राज ोह का मुक दमा चलाया गया य क उ ह ने म अपने के सरी म बंगाल
के ां तका रय ारा मुज फरपुर म फके गए बम के बारे म लखा था जसके
प रणाम व प दो नद ष यूरोपीय म हला क मौत हो गई थी। .

तलक ने लखा था इसम कोई संदेह नह है क यह कई लोग को व ो हय क


पाट के लोग के खलाफ नफरत से े रत करेगा। ऐसे रा सी कृ य से इस दे श से टश
शासन को समा त करना संभव नह है। ले कन अ तबं धत श का योग करने वाले
शासक को यह हमेशा याद रखना चा हए क मानवता के धैय क भी एक सीमा होती है...
कई समाचार प ने सरकार को चेतावनी द थी क य द उ ह ने सी तरीक का सहारा
लया तो भारतीय भी सी तरीक क नकल करने के लए मजबूर हो जाएंगे।

एक अ य लेख म तलक ने लखा क बम को रोकने का असली उपाय शु आत


करना है
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उ वाद रा वाद का युग

दे ख ना
... तलक के मुक दमे और नदा क शरारत उससे भी बड़ी होगी अगर आपने उ ह अके ला छोड़
दया।
जॉन मॉल भारत के रा य स चव ने बंबई के गवनर सडेनहैम को लखे एक
प म

लोग को वरा य के अ धकार दान करना। तलक को दोषी ठहराया गया और छह साल के
कारावास और पये के जुमाने क सजा सुनाई गई। उ ह छह साल के लए मांडले बमा
जेल भेज दया गया। अर बदो और बीसी पाल ने स य राजनी त से सं यास ले लया। लाजपत
राय वदे श चले गये। चरमपंथी आंदोलन को बनाए रखने के लए एक भावी वैक पक पाट
का आयोजन करने म स म नह थे। नरमपं थय के पास कोई लोक य आधार या समथन
नह बचा था खासकर जब युवा चरमपं थय के पीछे लामबंद हो गए थे।

के बाद कु छ समय के लए सम प से रा ीय आंदोलन म गरावट आई।


म तलक को रहा कर दया गया और उ ह ने आंदोलन क डोर पकड़ ली।

सरकार क रणनी त
भारत म टश सरकार शु से ही कां ेस क वरोधी रही थी। यहां तक क जब नरमपं थय
ने जो शु से ही कां ेस पर हावी थे खुद को उ रा वाद वृ से र करना शु कर दया
जो उ ीसव सद के आ खरी दशक के दौरान ही दखाई दे ने लगी थी तब भी सरकारी श त
ु ा
बंद नह ई। ऐसा इस लए था य क सरकार के वचार म नरमपंथी अभी भी एक सा ा यवाद
वरोधी ताकत का त न ध व करते थे जसम मूल प से दे शभ और उदार बु जीवी
शा मल थे।

वदे शी और ब ह कार आंदोलन के आने और उ रा वाद वृ के बड़े पैमाने पर


उभरने के साथ सरकार ने रा वा दय के त अपनी रणनी त म संशोधन कया।

अब नी त उ ह एकजुट करने जॉन मॉल रा य स चव या गाजर और छड़ी क नी त क


होनी थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इसे दमन सुलह दमन के तरीय कोण के प म व णत कया जा सकता है। पहले
चरण म गरमपं थय का ह का दमन कया जाना था मु यतः नरमपं थय को डराने के लए।

सरे चरण म नरमपं थय को कु छ रयायत के मा यम से संतु कया जाना था और संके त


दया जाना था क य द गरमपं थय से री बनाए रखी गई तो और अ धक सुधार ह गे। इसका
उ े य चरमपं थय को अलग थलग करना था नरमपं थय को अपने प म रखते ए सरकार
अपनी पूरी ताकत से चरमपं थय को दबा सकती थी तब नरमपं थय को नजरअंदाज कया
जा सकता था।

भा य से न तो नरमपं थय और न ही गरमपं थय ने रणनी त के पीछे के उ े य को


समझा। सूरत वभाजन ने सुझ ाव दया क गाजर और छड़ी क नी त ने टश भारत सरकार
को भरपूर लाभ प ँचाया था।

मॉल मटो सुधार


अ टू बर म आगा खान के नेतृ व म शमला डे युटेशन नामक मु लम अ भजात वग के
एक समूह ने लॉड मटो से मुलाकात क और मुसलमान के लए अलग नवाचन े और
योगदान के मू य को यान म रखते ए उनक सं या मक ताकत से अ धक तनधवक
मांग क । सा ा य क र ा के लए । उसी समूह ने ज द ही मु लम लीग पर क ज़ा कर
लया जसे शु म ढाका के नवाब सलीमु लाह ने दसंबर म नवाब मोह सन उल मु क
और वकार उल मु क के साथ मलकर बनाया था। मु लम लीग का उ े य सा ा य के त
वफादारी का चार करना और मु लम बु जी वय को बनाए रखना था। कां ेस से र.

गोपाल कृ ण गोखले अ य टश उप नवेश के समान वशासन णाली क कां ेस


क माँग को रखने के लए भारत के रा य स चव जॉन मॉल से मलने के लए इं लड भी गए।

सुधार
वायसराय लॉड मटो और भारत के रा य स चव
जॉन मॉल इस बात से सहमत थे क कु छ सुधार अपे तह
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उ वाद रा वाद का युग

नरमपं थय के साथ साथ मुसलमान को भी संतु कर। उ ह ने उपाय का एक सेट तैयार कया
जसे मॉल मटो या मटो मॉल सुधार के प म जाना जाता है जो के भारतीय प रषद
अ ध नयम म अनुवा दत आ।

• भारत म प रषद क गैर सरकारी सद यता के लए ऐ क स ांत को मा यता


द गई। भारतीय को वग और समुदाय के आधार पर व भ वधायी प रषद के चुनाव म भाग
लेने क अनुम त द गई थी।

• पहली बार क य प रषद के चुनाव के लए मुसलमान के लए अलग नवाचक


मंडल क ापना क गई जो भारत के लए सबसे हा नकारक कदम था। • इंपी रयल वधान
प रषद और ांतीय वधान प रषद म
नवा चत सद य क सं या म वृ क गई। ांतीय प रषद म गैर आ धका रक
ब मत पेश कया गया था ले कन चूं क इनम से कु छ गैर आ धका रक नामां कत थे और
नवा चत नह थे इस लए कु ल मलाकर गैर नवा चत ब मत बना रहा।

• सु मत सरकार के अनुसार इंपी रयल वधान प रषद म कु ल सद य म से


अ धकारी होने थे और गैर सरकारी सद य म से को नामां कत कया जाना था। चुने गए
गैर अ धका रय म से सीट अलग नवाचन े के तहत मुसलमान के लए आर तथ
के वल मु लम ही यहां मु लम उ मीदवार को वोट दे सकते थे जब क सीट टश
पूंज ीप तय के लए जम दार के लए आर त थ और सीट सामा य के अंतगत आती
थ । मतदाता. • नवा चत सद य का चुनाव अ य प से कया जाना था।

ानीय नकाय को एक नवाचक मंडल का चुनाव करना था जो बदले म ांतीय वधानसभा


के सद य का चुनाव करेगा जो बदले म क य वधा यका के सद य का चुनाव करगे।

• मुसलमान के लए अलग नवा चका के अ त र मुसलमान को उनक जनसं या


क ताकत से अ धक त न ध व दान कया गया। साथ ही मु लम मतदाता के लए आय
क यो यता ह से कम रखी गई।

• वधा यका क श याँ क और अंदर दोन म


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वचार
सुधार राज को नह बचा सकते ले कन य द वे नह बचाते तो और कु छ नह बचाएगा।
लॉड मॉल

के सुधार का कोई जवाब नह था और भारतीय सम या का कोई जवाब नह था।

म टफोड रपोट

उनके चार ओर राजनी तक अवरोध पैदा कर दया गया उ ह शेष भारत से अलग कर दया गया और स दय से
चली आ रही एक करण और एक करण क या को उलट दया गया... बाधा पहले छोट थी य क मतदाता
ब त सी मत थे ले कन हर एक के साथ मता धकार के व तार से यह बढ़ता गया और राजनी तक और सामा जक
जीवन क पूरी संरचना को कसी नासूर क तरह भा वत करने लगा जसने पूरी व ा को कर दया।

जवाहर लाल नेह

ांत का व तार कया गया और वधानमंडल अब ताव पा रत कर सकते थे जो वीकार


कए जा सकते ह या नह भी और पूरक पूछ सकते थे बजट म अलग अलग मद पर
मतदान कर सकते थे हालां क सम प से बजट पर मतदान नह कया जा सकता था। •
वायसराय क कायकारी प रषद म एक भारतीय को नयु कया जाना था स य स हा
म नयु होने वाले पहले भारतीय थे ।

मू यांक न
के सुधार से भारतीय राजनी तक सम या का कोई उ र नह मला। लॉड मॉल ने यह
कर दया क औप नवे शक वशासन जैसा क कां ेस ने मांग क थी भारत के लए
उपयु नह थी और वह भारत म संसद य या ज मेदार सरकार क शु आत के खलाफ
थे। उ ह ने कहा अगर यह कहा जा सकता है क सुधार के इस अ याय ने य या
अ य प से भारत म संसद य णाली क ापना का नेतृ व कया तो मेरा इससे कोई
लेना दे ना नह होगा।

वा तव म संवैधा नक सुधार का उ े य नरमपं थय को मत करके रा वाद


पं य को वभा जत करना और अलग नवाचन े के अ य उपकरण के मा यम से
भारतीय के बीच एकता क वृ को रोकना था। सरकार
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उ वाद रा वाद का युग

इसका उ े य रा वाद क बढ़ती लहर के खलाफ नरमपं थय और मुसलमान को एकजुट


करना था। अ धकारी और मु लम नेता जब अलग नवाचन े क बात करते थे तो अ सर
पूरे समुदाय क बात करते थे ले कन वा तव म इसका मतलब मु लम अ भजात वग के के वल
एक छोटे से ह से का तु करण होता था।

इसके अलावा चुनाव क णाली ब त अ य थी और यह कई छलनी के मा यम


से वधायक क घुसपैठ का आभास दे ती थी। और जब संसद य प पेश कए गए तो
कोई ज मेदारी नह ली गई जसके कारण कभी कभी सरकार क वचारहीन और गैर
ज मेदाराना आलोचना ई। के वल गोखले जैसे कु छ सद य ने सावभौ मक ाथ मक श ा
क मांग करके दमनकारी नी तय पर हमला करके और द णअ का म गर म टया मज र
और भारतीय मक क दशा पर यान आक षत करके प रषद म बहस करने के अवसर
का रचना मक उपयोग कया।

के सुधार ने दे श क जनता को जो कु छ दया वह सार के बजाय छाया था।


लोग ने वशासन क मांग क थी ले कन उ ह जो दया गया वह परोपकारी नरंकु शता था।

सारांश • उ वाद
रा वाद य बढ़ा . यह एहसास क टश शासन क
वा त वक कृ त शोषणकारी थी और टश भारत सरकार और अ धक वीकार करने के बजाय
जो अ त व म था उसे भी छ न रही थी।

. आ म व ास एवं वा भमान क वृ ।
. श ा के वकास का भाव जाग कता और बेरोजगारी म वृ ।

. अंतरा ीय भाव और घटनाएँ ज ह ने इसे व त कर दया

ेत यूरोपीय वच व का मथक। इनम जापान का एक ए शयाई दे श के पम


उभरना शा मल है

ए ब स नया इ थयो पया क इटली पर वजय।
बोअर यु जसम अं ेज को पराजय का सामना करना पड़ा।
स पर जापान क वजय । नया भर म
रा वाद आंदोलन।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

. बढ़ते प मीकरण पर त या।


. उपल य के साथ साथ तरीक से भी असंतोष
नरमपं थय का.
. कज़न क त यावाद नी तयाँ जैसे कलक ा नगम अ ध नयम आ धका रक
गोपनीयता अ ध नयम भारतीय व व ालय अ ध नयम और बंगाल का
वभाजन ।
. उ वाद वचारधारा का अ त व।
. एक श त नेतृ व का उदय.

• उ वाद वचारधारा i वदे शी शासन के


त घृण ा ii जनता क मता म व ास
iii ल य के प म वरा य iv य राजनी तक कारवाई और
आ म ब लदान क वकालत।

• वदे शी एवं ब ह कार आंदोलन


बंगाल के वभाजन क त या के प म शु आ जो म ात आ औपचा रक प से
जुलाई म घो षत कया गया और अ टू बर म लागू आ। वभाजन के पीछे का उ े य
बंगाल को कमजोर करना था जो भारतीय रा वाद ग त व ध का मु य क था वभाजन के लए दया
गया आ धका रक कारण यह था क बंगाल शासन के लए ब त बड़ा हो गया था जो कु छ हद तक
सच था।

उदारवाद नेतृ व वाला वभाजन वरोधी आंदोलन सुर नाथ बनज के के म ा पृ वीचं
रे के अधीन था।
तरीक म सावज नक बैठक या चकाएँ ापन समाचार प और पै लेट के मा यम से चार शा मल
था।
उ वा दय के तहत आंदोलन का नेतृ व तलक ने कया था
ब पन चं पाल लाजपत राय अर बदो घोष।
तरीक म वदे शी कपड़े और अ य व तु का ब ह कार सावज नक बैठक और जुलूस वयंसेवक या
स म तय का गठन पारंप रक लोक य योहार का उपयोग और चार आ म नभरता पर जोर दे ना
वदे शी या रा ीय श ा वदे शी या वदे शी उ म का काय म शु करना शा मल था। मेल
भारतीय
च कला गीत क वता म नई वृ य क शु आत करना व ान आ
म अमशणी अनुसंधान करना और
बाद म कू ल कॉलेज प रषद सरकारी सेवा आ द के ब ह कार का आ ान करना।

नरमपं थय ारा सकारा मक प रणाम ा त करने म वफलता दोन बंगाल क सरकार क


वभाजनकारी रणनी त गंभीर सरकारी दमन के कारण उ वा दय ने स ा संभाली।
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उ वाद रा वाद का युग

बड़े पैमाने पर भागीदारी छा म हला जम दारी के कु छ वग मक क ब और शहर म कु छ


न न म यम और म यम वग ने पहली बार भाग लया जब क मुसलमान आम तौर पर र रहे।

वभाजन को र करना मु य प से खतरे को रोकने के लए


ां तकारी आतंक वाद.
के भीषण सरकारी दमन के कारण वदे शी आंदोलन य वफल हो गया ।

भावी संगठन और अनुशा सत फोकस का अभाव।


सभी नेता क गर तारी नवासन के साथ आंदोलन नेतृ वहीन हो गया।
रा वाद खेम म बंटवारा.
संक ण सामा जक आधार.
उपल यां
आगे क छलांग य क अब तक अछू ते वग ने भाग लया बाद के आंदोलन क मुख वृ याँ
उभर सं कृ त व ान और सा ह य तक व ता रत आंदोलन क समृ राजनी त के साहसी व प
म श त लोग औप नवे शक आ धप य कमजोर हो गया।

• सूरत म उदारवाद चरमपंथी वभाजन का मुख कारण


नरमपंथी ब ह कार आंदोलन को बंगाल तक सी मत रखना चाहते थे और वदे शी कपड़े और शराब का
ब ह कार करना चाहते थे।
चरमपंथी आंदोलन को दे श के सभी ह स म ले जाना चाहते थे
और इसके दायरे म इसके साथ जुड़े सभी कार के संबंध शा मल ह

कू ल कॉलेज कानून अदालत वधान प रषद सरकारी सेवा नगर पा लका आ द के ब ह कार के
मा यम से सरकार।

• वदे शी आंदोलन के दमन के लए सरकारी अ ध नयम


दे श ोही बैठक अ ध नयम
आपरा धक कानून संशोधन अ ध नयम
भारतीय समाचार प अपराध को उकसाना अ ध नयम
व ोटक पदाथ अ ध नयम
भारतीय ेस अ ध नयम

• मॉल मटो सुधार शाही और ांतीय


वधान प रषद म नवा चत सद य क सं या म वृ ई नवा चत गैर अ धकारी अभी भी अ पमत म
ह।
गैर अ धका रय को अ य प से चुना जाएगा इस कार चुनाव पहली बार शु कए गए।

मुसलमान के लए पृथक नवा चका क शु आत क गई।


वधानमंडल ताव पा रत कर सकते ह और अनुपूरक पूछ सकते ह बजट क अलग अलग व तु
पर मतदान कर सकते ह।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वायसराय क कायकारी प रषद म एक भारतीय को शा मल कया जाएगा।


इसका उ े य रा वाद पं य को वभा जत करना और नरमपं थय को एकजुट करना था
और मुसलमान सरकार के प म।
वधायक को कोई ज मेदारी नह स पी गई इससे वचार आ
कभी कभी कम आलोचना.
चुनाव क णाली भी अ य थी।
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

ां तकारी का थम चरण
ग त व धयाँ

ां त का उभार य
ग त व धयाँ

ां तकारी वीरता क ग त व धयाँ उ रा वाद के वकास के उपो पाद के प म शु ।


पहले चरण ने वदे शी और ब ह कार आंदोलन के प रणाम व प अ धक स य प ा त कर
लया और तक जारी रहा। सरा चरण असहयोग आंदोलन के प रणाम व प शु आ।

खुले आंदोलन के पतन के बाद आंदोलन म भाग लेने वाले युवा रा वा दय के लए


इसे छोड़ना और पृ भू म म गायब होना असंभव हो गया।

वे अपनी दे शभ क ऊजा को अ भ दे ने के लए रा ते तलाश रहे थे ले कन नई उ वाद


वृ य को वहार म लाने के लए संघष के नए प खोजने म नेतृ व यहां तक क
चरमपं थय क भी वफलता से उनका मोहभंग हो गया। चरमपंथी नेता ने हालां क युवा
से ब लदान दे ने का आ ान कया ले कन इन ां तकारी ऊजा का दोहन करने के लए एक
भावी संगठन बनाने या राजनी तक काय के नए प खोजने म वफल रहे। सरकारी दमन के
तहत शां तपूण राजनी तक वरोध के सभी रा ते बंद पाकर युवा ने सोचा क य द वतं ता
के रा वाद ल य को पूरा करना है तो अं ेज को बलपूवक शारी रक प से न का सत
करना होगा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ां तकारी काय म
ां तका रय ने पूरे दे श म एक हसक जन ां त पैदा करने या सेना क वफादारी को न करने
क को शश करने के वक प पर वचार कया ले कन उस तर पर उ ह लागू करना ावहा रक
नह लगा। इसके बजाय उ ह ने सी शू यवा दय या आय रश रा वा दय के न ेक दम पर
चलने का वक प चुना।

इस प तम गत वीरतापूण काय शा मल थे जैसे अलोक य अ धका रय और वयं


ां तका रय के बीच ग ार और मुख बर क ह या का आयोजन करना ां तकारी
ग त व धय के लए धन जुटाने के लए वदे शी डकै तयाँ चलाना और थम व यु के
दौरान टे न के मन से मदद क उ मीद के साथ सै य सा जश का आयोजन करना।

वचार यह था क शासक के दल म दहशत पैदा क जाए लोग को जागृत कया


जाए और उनके मन से स ा का डर र कया जाए। ां तका रय का उ े य लोग म दे शभ
क अपील करके उ ह े रत करना था वशेषकर आदशवाद युवा को जो अंततः अं ेज
को बाहर नकाल दगे।

चरमपंथी नेता वैचा रक प से ां तका रय का मुक ाबला करने म वफल रहे य क


उ ह ने जनता क ग त व ध पर आधा रत ां त और गत हसक ग त व ध पर आधा रत
ां त के बीच अंतर को उजागर नह कया इस कार वाद हसक ग त व धय को जड़
जमाने का मौका मला।

ां तकारी ग त व धय का एक सव ण
थम व यु से पहले और उसके दौरान भारत और वदे श के व भ ह स म ां तकारी
ग त व धय का एक सं त सव ण न न ल खत है।

बंगाल
के दशक तक कलक ा का छा समुदाय गु त समाज म शा मल हो गया था ले कन ये
ब तस य नह थे। पहला ां तकारी समूह म मदनापुर ान नाथ बसु के अधीन
और कलक ा ोमोथा म र ारा ा पत अनुशीलन स म त और जत नाथ स हत म
संग ठत कया गया था।
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

बनज ब र कु मार घोष और अ य। ले कन उनक ग त व धयाँ सद य को शारी रक और


नै तक श ण दे ने तक ही सी मत थ और तक मह वहीन रह ।

अ ैल म अनुशीलन बारी कु मार घोष भूपे नाथ द ा के भीतर एक


आंत रक मंडल ने सा ता हक युगा तर शु कया और कु छ असफल कारवाई आयो जत क ।
तक कई समाचार प ने ां तकारी हसा क वकालत शु कर द थी। उदाहरण
के लए बा रसल स मेलन अ ैल के तभा गय पर गंभीर पु लस बबरता के बाद
युगांतर ने लखा उपाय लोग के पास है। भारत म रहने वाले करोड़ लोग को उ पीड़न के
इस अ भशाप को रोकने के लए अपने करोड़ हाथ उठाने ह गे। बलपूवक बलपूवक रोका
जाना चा हए।

रास बहारी बोस और स चन सा याल ने पंज ाब द ली और संयु ांत के र दराज


के इलाक को कवर करते ए एक गु त समाज का गठन कया था जब क हेमाचं कानूनगो
जैसे कु छ अ य लोग सै य और राजनी तक श ण के लए वदे श गए थे।

म युगांतर समूह ारा एक ब त ही अलोक य टश अ धकारी सर फु लर


पूव बंगाल और असम के नए ांत के पहले उपरा यपाल हालां क उ ह ने अग त को पद
से इ तीफा दे दया था के जीवन पर एक असफल यास कया गया था । .

दसंबर म उस े न को पटरी से उतारने क को शश क गई जस पर ले टनट


गवनर ी एं यू े जर या ा कर रहे थे म फु ल चाक और खुद राम बोस ने उस
गाड़ी पर बम फका
जस पर एक वशेष प से परपीड़क ेत यायाधीश क सफोड को ले जाया जा रहा
था। मुज फरपुर म. क सफोड गाड़ी म नह था। भा य से इसके बजाय दो टश म हलाएँ
मारी ग । फु ल चाक ने खुद को गोली मार ली जब क खुद राम बोस पर मुक दमा चलाया
गया और उ ह फाँसी पर लटका दया गया।

घोष बंधु अर बदो और बार स हत पूरे अनुशीलन समूह को गर तार कर लया


गया था जन पर अलीपुर सा जश मामले म मुक दमा चलाया गया था जसे व भ प से
म णकटोला बम सा जश या मुरारीपुकु र सा जश कहा जाता था। बार घोष का घर मा नकटोला
म मुरारीपुकु र रोड पर था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कलक ा के उपनगर। घोष बंधु पर सा जश रचने या राजा के खलाफ यु छे ड़ने का


आरोप लगाया गया जो उ राज ोह के बराबर था और फाँसी से मौत क सजा द गई थी।

च रंज न दास ने अर बदो का बचाव कया. यायाधीश ने अर बदो को सभी आरोप से बरी कर
दया और उनके खलाफ सबूत क कमजोर कृ त क नदा क । ां तका रय क गु त
सोसायट के मु खया के पमबर घोष और बम बनाने वाले के प म उ लासकर द को
मृ युदंड दया गया जसे बाद म आजीवन कारावास म बदल दया गया। मुक दमे के दौरान
नर गोसा या गो वामी जो सरकारी गवाह बन गए थे क जेल म दो सह आरो पय
स ये नाथ बोस और कनाईलाल द ा ने गोली मारकर ह या कर द थी।

फरवरी म कलक ा म सरकारी वक ल क गोली मारकर ह या कर द गई और


फरवरी म कलक ा उ यायालय छोड़ते समय एक पु लस उपाधी क क भी यही
हालत ई। म ां तकारी ग त व धय के लए धन जुटाने के लए पु लन दास के नेतृ व
म ढाका अनुशीलन ारा बरा डकै ती का आयोजन कया गया था। रास बहारी बोस और स चन
सा याल ने दसंबर म वाइसराय हा डग पर एक शानदार बम हमला कया जब वह
चांदनी चौक के मा यम से एक जुलूस म द ली क नई राजधानी म आ धका रक वेश कर रहे
थे।

हा डग घायल हो गया ले कन मारा नह गया।


ह या के यास के बाद क जांच से द ली षडयं का मुक दमा चला। मुक दमे के अंत
म बसंत कु मार व ास अमीर चंद और अवध बहारी को सा जश म उनक भू मका के लए
दोषी ठहराया गया और फांसी दे द गई। राश बहारी बोस को इस योजना के पीछे के के
प म जाना जाता था ले कन वह गर तारी से बच गए य क ऐसा कहा जाता है क वह भेष
बदलकर भाग नकले थे।

प मी अनुशीलन स म त को जत नाथ मुख ज या बाघा ज तन के प म एक अ ा


नेता मला और वह जुगांतर या युगांतर के प म उभरा। ज तन ने कलक ा और बंगाल
बहार और उड़ीसा के अ य ान म क य संगठन के बीच संबंध को पुनज वत कया।

थम व यु के दौरान जुगंतार पाट ने वदे श म सहानुभू त रखने वाल और


ां तका रय के मा यम से जमन ह थयार और गोला बा द आयात करने क व ाक।
ज तन ने रास बहारी बोस से पूछा
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

ऊपरी भारत का कायभार संभाल जसका ल य अ खल भारतीय व ोह लाना है जसे जमन


लॉट या ज़ मरमैन लान कहा जाता है। जुगांतर पाट ने डकै तय क एक ृंख ला के
मा यम से धन जुटाया ज ह टै सीकै ब डकै ती और नाव डकै ती के प म जाना जाता है ता क
भारत जमन सा जश को अंज ाम दया जा सके । यह योजना बनाई गई थी क फोट व लयम
पर क ज़ा करने और सश बल ारा व ोह के साथ दे श म व ोह शु करने के लए एक
गु र ला बल का आयोजन कया जाएगा।

भा य से ां तका रय के लए सा जश एक ग ार ारा लीक कर द गई थी। पु लस को पता


चला क बाघा ज तन बालासोर म जमन ह थयार क डलीवरी का इंतजार कर रहा था. पु लस
ने ज तन और उसके सा थय का पता लगा लया। वहाँ गोलीबारी ई जसके प रणाम व प
ां तकारी या तो मारे गए या गर तार कर लए गए। इस कार जमन सा जश वफल हो गई।
सतंबर म उड़ीसा तट पर बालासोर म ज तन मुख ज को गोली मार द गई और एक
नायक क तरह उनक मृ यु हो गई।

बाघा ज तन का आ ान था हम दे श को जगाने के लए मरगे।

ां तकारी ग त व ध क वकालत करने वाले समाचार प और प का म बंगाल म


सं या और युगांतर और महारा म कल शा मल थे।

अंत म ां तकारी ग त व ध वदे शी बंगाल क सबसे मह वपूण वरासत के पम


उभरी जसका भाव श त युवा पर एक पीढ़ या उससे अ धक समय तक पड़ा। ले कन
ह धम पर अ य धक जोर ने मुसलमान को अलग थलग कर दया।

इसके अलावा इसने वल ण वीरता को ो सा हत कया। जनता क कसी भी भागीदारी क


प रक पना नह क गई थी जसने बंगाल म आंदोलन के संक ण उ जा त के सामा जक
आधार के साथ मलकर ां तकारी ग त व ध के दायरे को गंभीर प से सी मत कर दया था।
अंत म यह रा य के दमन का भार झेलने म वफल रहा।

महारा
महारा म सबसे पहली ां तकारी ग त व ध वासुदेव ारा रामोसी कसान सेना का संगठन था

म बलवंत फड़के ने सश व ोह भड़काकर दे श को अं ेज से मु दलाने का ल य


रखा था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

संचार लाइन. उसे डकै तय के मा यम से अपनी ग त व धय के लए धन जुटाने क आशा


थी। इसे समय से पहले ही दबा दया गया.
के दशक के दौरान तलक ने गणप त और शवाजी उ सव और अपनी
प का के सरी और मराठा के मा यम से हसा के उपयोग स हत उ रा वाद क भावना
का चार कया। उनके दो श य चापेक र बंधु दामोदर और बालकृ ण ने म
पूना के लेग क म र रड और एक ले टनट आय ट क ह या कर द ।

सावरकर और उनके भाई ने म म मेला नाम क एक गु त सं ा का


आयोजन कया जसका म अ भनव भारत म वलय हो गया मै जनी के यंग इटली
के बाद । ज द ही ना सक पूना और बॉ बे बम नमाण के क के प म उभरे। म
ना सक के कले टर एएमट जै सन जो एक स भारत वद् भी थे क अ भनव भारत
के सद य अनंत ल मण का हेरे ने ह या कर द थी।

यह पाया गया क यह ह या सश ां त के मा यम से भारत म टश सरकार को


उखाड़ फकने क सा जश का ह सा थी। अड़तीस लोग को गर तार कया गया। इनम से
यह पाया गया क सावरकर अपने दो भाइय के साथ सा जश के दमाग नेता और चलती
आ मा थे। मुक दमे म सावरकर को कई वष तक चली सा जश क आ मा ेरणा और
चलती भावना के प म आजीवन कारावास और उनक सारी संप ज त करने क सजा
सुनाई गई।

पंज ाब
पंज ाब के उ वाद को भू म राज व और सचाई कर म वृ जम दार ारा बेगार क था
और बंगाल क घटना के साथ लगातार अकाल जैसे मु से बढ़ावा मला।

यहां स य लोग म लाला लाजपत राय थे ज ह ने पंज ाबी कसी भी क मत पर वयं


सहायता के अपने आदश वा य के साथ नकाली और अजीत सह भगत सह के चाचा
ज ह ने लाहौर म अपनी प का के साथ चरमपंथी अंज ुमन ए मो हसबान ए वतन को
संग ठत कया। भारत माता. अजीत सह का समूह उ वाद क ओर मुड़ने से पहले यह
चनाब उप नवेशवा दय और बारी दोआब कसान के बीच राज व और पानी क दर का
भुगतान न करने का आ ह करने म स य था। अ य
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

नेता म आगा हैदर सैयद हैदर रज़ा भाई परमानंद और क रपंथी उ क व लालचंद फलक
शा मल थे।
मई म सरकार ारा राजनी तक बैठक पर तबंध लगाने और लाजपत राय
और अजीत सह के नवासन के बाद पंज ाब म उ वाद तेज ी से ख म हो गया।

इसके बाद अजीत सह और कु छ अ य सहयोगी सूफ अंबा साद लालचंद भाई परमानंद
लाला हरदयाल पूण पैमाने पर ां तका रय के प म वक सत ए।

थम व यु के दौरान रास बहारी बोस ग़दर ां त के मुख य म से एक के


प म शा मल थे।
के अंत म बोस ने के कार के अ खल भारतीय सश व ोह क संभावना
पर चचा करने के लए ज तन से मुलाकात क । फर उ ह ने बाघा ज तन के साथ मलकर
बंगाल योजना को पंज ाब और ऊपरी ांत तक व ता रत करने का काम कया। चूँ क ां त
क योजना सफल नह ई रास बहारी बोस म जापान भाग गए। ब त बाद म उ ह
भारतीय रा ीय सेना क ापना म एक मह वपूण भू मका नभानी पड़ी।

वदे श म ां तकारी ग त व धयाँ आ य क आव यकता ेस


अ ध नयम से मु ां तकारी सा ह य लाने क संभावना और ह थयार क तलाश भारतीय
ां तका रय को वदे श ले गई।

यामजी कृ णवमा ने म लंदन म भारतीय छा के लए एक क के पम


एक इं डयन होम ल सोसाइट इं डया हाउस भारत से क रपंथी युवा को लाने के लए
एक छा वृ योजना और एक प का द इं डयन सो शयोलॉ ज ट शु क थी ।

सावरकर और हरदयाल जैसे ां तकारी इं डया हाउस के सद य बने।

इस मंडली के मदनलाल ढ गरा ने म भारत कायालय के नौकरशाह कजन


वायली क ह या कर द । ज द ही लंदन ां तका रय के लए ब त खतरनाक हो गया
खासकर म सावरकर को य पत कए जाने और ना सक सा जश मामले म आजीवन
कारावास के बाद।

महा प पर नए क उभरे पे रस और जनेवा जहां से मैडम भीकाजी कामा एक


पारसी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वचार
ां तका रय का अं तम उ े य आतंक वाद नह ब क ां त है और ां त का उ े य एक रा ीय
सरकार ा पत करना है।

सुभाष चं बोस

या आप वो लखावट नह दे ख गे जो ये आतंक वाद लख रहे ह


उनका खून
एमके गांधी न तो
अमीर और न ही स म मेरे जैसा गरीब बेटा मां क मु क वेद पर अपने खून के अलावा कु छ भी
नह चढ़ा सकता... या म उसी मां से पुनज म ले सकता ं और जब तक मेरा मशन पूरा नह हो
जाता तब तक म उसी प व उ े य के लए ाण याग सकता ं। और वह मानवता क भलाई और
ई र क म हमा के लए वतं है।

मदनलाल ढ गरा भगवान ने


वदे शय को ह तान के रा य क तांबे क लेट पर अं कत अनुदान नह दया है... अपनी को कु एं म
मढक क तरह सी मत मत करो द ड सं हता से बाहर नकल और अ यंत उ वातावरण म वेश कर और
महापु ष के काय पर वचार कर।

ीमत भागवत गीता


बीजी तलक जून के सरी

ां तकारी ज ह ने ांसीसी समाजवा दय के साथ संपक वक सत कया था और ज ह ने बंदे


मातरम नकाला था और अजीत सह ने संचालन कया था। और के बाद जब एं लो
जमन संबंध बगड़ गए तो वीर नाथ च ोपा याय ने ब लन को अपने आधार के प म चुना।

• ग़दर
ग़दर पाट एक ां तकारी समूह था जो सा ता हक समाचार प ग़दर के आसपास संग ठत
आ था जसका मु यालय सैन ां स को म था और इसक शाखाएँ अमे रक तट और सु र
पूव म थ ।

इन ां तका रय म मु य प से पूव सै नक और कसान शा मल थे जो बेहतर


रोजगार के अवसर क तलाश म पंज ाब से अमे रका और कनाडा चले गए थे। वे प मी
शांत तट के साथ अमे रका और कनाडाई शहर म त थे। ग़दर पूव ां तकारी ग त व ध
रामदास पुरी जीडी कु मार तारकनाथ दास सोहन सह भकना और लाला हरदयाल ारा क
गई थी जो वहां प ंचे थे।
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

. ां तकारी ग त व धय को अंज ाम दे ने के लए पहले के कायकता ने वकू वर म


वदे श सेवक होम और सएटल म यूनाइटे ड इं डया हाउस क ापना क थी। आ ख़रकार
म ग़दर क ापना ई।

ग़दर काय म का उ े य अ धका रय क ह याएं आयो जत करना ां तकारी और


सा ा यवाद वरोधी सा ह य का शत करना वदे श म तैनात भारतीय सै नक के बीच काम
करना ह थयार खरीदना और सभी टश उप नवेश म एक साथ व ोह करना था।

गदर पाट के पीछे क ेरक आ माएँ लाला हरदयाल रामच भगवान सह करतार
सह सराबा बरकतु लाह और भाई परमानंद थे। गद रय का इरादा भारत म व ोह लाने का
था। उनक योजना को म दो घटना कोमागाटा मा घटना और थम व यु
के फै लने से ो साहन मला।

कोमागाटा मा घटना और ग़दर इस घटना का मह व इस त य म न हत है क इसने


पंज ाब म व ोटक त पैदा कर द । कोमागाटा मा एक जहाज का नाम था जो
या य को जनम मु य प से सख और पंज ाबी मु लम वासी थे सगापुर से वकू वर ले
जा रहा था। दो महीने क तंगी और अ न तता के बाद कनाडाई अ धका रय ने उ ह वापस
लौटा दया। आम तौर पर यह माना जाता था क कनाडाई अ धकारी टश सरकार से भा वत
थे। सतंबर म जहाज ने अंततः कलक ा म लंगर डाला। कै दय ने पंज ाब जाने वाली
े न म चढ़ने से इनकार कर दया। कलक ा के नकट बज बज म पु लस के साथ ए संघष म
य क मृ यु हो गई।

इससे उ े जत होकर और थम व यु के फै लने के साथ ग़दर नेता ने भारत म


टश शासन को हटाने के लए एक हसक हमला शु करने का फै सला कया। उ ह ने
सेना नय से भारत जाने का आ ह कया। करतार सह सराबा और रघुबर दयाल गु ता भारत
के लए रवाना हो गए। बंगाल के ां तका रय से संपक कया गया रास बहारी बोस और
स चन सा याल को आंदोलन का नेतृ व करने के लए कहा गया। धन जुटाने के लए राजनी तक
डकै तयाँ डाली ग ।

जनवरी फरवरी क पंज ाब राजनी तक डकै तय म कु छ हद तक नई सामा जक साम ी


थी। म से कम से कम म
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मु य मामल म हमलावर ने नकद लेक र भागने से पहले सा कार और ऋण रकॉड को


नशाना बनाया। इस कार पंज ाब म व ोटक त पैदा हो गई।

ग़द रय ने फ़रोज़पुर लाहौर और रावल पडी चौ कय म सश व ोह के लए


फरवरी क तारीख तय क ।
अं तम ण म व ासघात के कारण योजना वफल हो गई। अ धका रय ने भारत र ा नयम
क सहायता से त काल कारवाई क । व ोही रे जमट को भंग कर दया गया नेता
को गर तार कया गया और नवा सत कया गया और उनम से को फांसी दे द गई।

रास बहारी बोस जापान भाग गए जहाँ से उ ह ने और अबानी मुख ज ने ह थयार भेज ने के कई
यास कए जब क स चन सा याल को जीवन भर के लए ले जाया गया।

टश ने यु कालीन खतरे का सामना दमनकारी उपाय क एक जबरद त ृंख ला


के साथ कया जो के बाद से सबसे ती था और सबसे बढ़कर माच म मु य
प से ग़दर आंदोलन को कु चलने के लए पा रत भारत र ा अ ध नयम ारा। बना मुक दमे
के बड़े पैमाने पर हरासत म लया गया वशेष अदालत बेहद कड़ी सज़ाएं दे रही थ सेना के
जवान का कई बार कोट माशल कया गया। बंगाल के ां तका रय और पंज ाब ग़द रय के
अलावा क रपंथी पैन इ लामवा दय अली बंधु मौलाना आज़ाद हसरत मोहानी को वष
तक नजरबंद रखा गया था।

ग़दर का मू यांक न ग़दर आंदोलन क उपल वचारधारा के दायरे म थी। इसने


पूण तः धम नरपे कोण के साथ उ रा वाद का चार कया। ले कन राजनी तक और
सै य प से यह ब त कु छ हा सल करने म वफल रहा य क इसम एक संग ठत और नरंतर
नेतृ व का अभाव था हर तर पर आव यक तैयारी क सीमा को कम करके आंक ा गया
संगठना मक वैचा रक व ीय और साम रक रणनी तक और शायद लाला हरदयाल एक
आयोजक के काम के लए अनुपयु थे। . • यूरोप म ां तकारी भारतीय वतं ता के लए
ब लन स म त क ापना म वीर नाथ च ोपा याय भूपे नाथ द ा लाला हरदयाल
और अ य लोग ने ज मरमैन योजना के तहत जमन वदे श कायालय क मदद से

क थी। इन ां तका रय का उ े य वदे श म बसे


भारतीय लोग को संग ठत करना था ता क वे भारत म वयंसेवक और ह थयार को भेज कर
उनम व ोह भड़का सक
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

भारतीय सै नक ने वहां जाकर दे श को आजाद कराने के लए टश भारत पर सश


आ मण का आयोजन भी कया।
यूरोप म भारतीय ां तका रय ने भारतीय सै नक और भारतीय यु बं दय
पीओड यू के बीच काम करने और इन दे श के लोग के बीच टश वरोधी भावना को
भड़काने के लए बगदाद फारस तुक और काबुल म मशन भेज े।

राजा मह ताप सह बरकतु ला और ओबै ला सधी के नेतृ व म एक मशन काबुल म


राजकु मार अमानु लाह क मदद से एक अनं तम भारतीय सरकार का आयोजन करने के
लए गया।

• सगापुर म व ोह इस अव ध के दौरान
बखरे ए व ोह म सबसे उ लेख नीय फरवरी को सगापुर म पंज ाबी मु लम
व लाइट इ फ और जमादार च ती खान जमादार अ ल गनी और सूबेदार दाउद खान के
नेतृ व म व सख बटा लयन ारा कया गया व ोह था। एक भीषण यु के बाद इसे कु चल
दया गया जसम कई लोग मारे गए। बाद म य को फाँसी दे द गई और को
जीवन भर के लए जेल भेज दया गया।

गरावट
थम व यु के बाद ां तकारी ग त व धय म अ ायी राहत मली य क भारत क र ा
नयम के तहत बंद कै दय क रहाई से भावनाएं थोड़ी शांत हो ग म टागु के अग त
के व और संवैधा नक सुधार क बात के बाद सुलह का माहौल था और अ हसक
असहयोग के काय म के साथ गांधीजी के प र य पर आने से नई आशा का वादा आ।

सारांश

• ां तकारी ग त व धयाँ
उ व के कारण
खुले चरण क गरावट के बाद युवा त व पीछे हटने को तैयार नह ह।

युवा क ां तकारी ऊजा का दोहन करने म नेतृ व क वफलता।


सरकारी दमन ने वरोध के लए कोई शां तपूण रा ता नह छोड़ा।
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वचारधारा
अलोक य अ धका रय क ह या कर इस कार शासक के दल म दहशत पैदा कर और लोग को
बलपूवक अं ेज को बाहर नकालने के लए े रत कर आय रश रा वा दय क तज पर गत
वीरतापूण काय पर आधा रत या
सी शू यवाद और जन आधा रत दे श ापी संघष नह ।

• ां तकारी ग त व धयाँ बंगाल


मदनापुर और
कलक ा म पहला ां तकारी समूह अनुशीलन स म त ां तकारी सा ता हक शु आ
तक कई समाचार
प ने ां तकारी आतंक वाद क वकालत करना शु
युगा तर कर दया।

पूव बंगाल और असम के पूव उपरा यपाल क ह या का यास।

फु ल चाक और खुद राम बोस ने मुज फरपुर म ज े ट क सफोड क ह या का यास कया।

अलीपुर सा जश मामले म अर बदो घोष बार कु मार घोष और अ य शा मल ह।

ढाका अनुशीलन ारा बुरा डकै ती।


राश बहारी बोस और स चन सा याल ारा वायसराय हा डग पर बम फका गया। ां तकारी क
वकालत करने वाले समाचार प
सं या युगांतर
ग त व ध।

ज तन दास और युगांतर थम व यु के दौरान जमन सा जश.


महारा
वासुदेव बलवंत फड़के ारा रामोसी कसान सेना। का दशक शवाजी और गणप त
उ सव और अपनी प का के मा यम से युवा के बीच उ वाद का चार करने के तलक के यास
और चापेक र बंधु ने पूना के लेग क म र रड और ले टनट आय ट क ह या कर के सरी
द। महर ा.

म मेला सावरकर और उनके भाई ारा आयो जत एक गु त समाज।

म मेला का अ भनव भारत म वलय।


ना सक के जला म ज े ट जै सन क ह या।
लाला लाजपत
राय अजीत सह आगा हैदर सैयद हैदर रजा भाई परमानंद लालचंद फलक सूफ अंबा साद ारा
पंज ाब ां तकारी ग त व ध।
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ां तकारी ग त व धय का पहला चरण

• वदे श म ां तकारी ग त व ध
यामजी कृ णवमा ने इं डयन होम ल सोसाइट क ापना क
और इं डया हाउस और लंदन प का नकाली। समाजशा ी म

मदन लाल ढ गरा ने कज़न वायली क ह या क मेडम


भीकाजी कामा ने पे रस और जनेवा से संचालन कया और बाहर नकाला
प का बंदे मातरम् .
अ जत सह भी स य.
भारतीय वतं ता के लए ब लन स म त क ापना क गई
वीर नाथ च ोपा याय और अ य।
बगदाद फारस तुक काबुल म मशन भेज े गए।
म उ री अमे रका ग़दर का आयोजन लाला हरदयाल ने कया था
रामच भवान सह करतार सह सराबा बरकतु लाह
भाई परमानंद.

ग़दर काय म
अ धका रय क ह या करो.

ां तकारी सा ह य का शत कर.
वदे श म भारतीय सै नक के बीच काम कर और धन जुटाएं।
टे न के सभी उप नवेश म एक साथ व ोह कर।
फरवरी को भारत म सश व ोह करने का यास
को कोप से बनी अनुकू ल प र तय के बीच
थम व यु और कोमागाटा मा घटना सत बर
. व ासघात के कारण योजना वफल हो गई।
भारत र ा अ ध नयम मु य प से नपटने के लए पा रत कया गया
गदराइट् स।
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थम व यु और

रा वाद त या

थम व यु म टे न ने जमनी ऑ या हंगरी और तुक के खलाफ


ांस स अमे रका इटली और जापान के साथ गठबंधन कया। इस अव ध म भारतीय
रा वाद का प रप व होना दे ख ा गया। थम व यु म टश भागीदारी पर रा वाद
त या तीन गुना थी

i नरमपं थय ने कत के नाते यु म सा ा य का समथन कया ii तलक


ज ह जून म रहा
कया गया स हत चरमपं थय ने इस गलत धारणा के साथ यु यास का समथन
कया क टे न भारत क वफादारी का बदला वशासन के प म कृ त ता
के साथ चुक ाएगा और iii ां तका रय ने टश शासन के खलाफ यु
छे ड़ने और दे श को आज़ाद कराने के अवसर का उपयोग करने का नणय
लया।

टश यु यास के भारतीय समथक यह दे ख ने म वफल रहे क सा ा यवाद


श याँ अपने उप नवेश और बाजार क सुर ा के लए लड़ रही थ ।

ां तकारी ग त व ध उ री अमे रका म ग़दर पाट यूरोप म ब लन स म त और


भारतीय सै नक ारा कु छ बखरे ए व ोह जैसे क सगापुर म के मा यम से क गई थी।
भारत म त काल पूण वतं ता के लए यास कर रहे ां तका रय के लए यु एक वग
भेज ा आ अवसर तीत आ जसने भारत से सै नक क सं या कम कर द ।
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थम व यु और रा वाद त या

एक समय ेत सै नक क सं या घटकर के वल रह गई और टे न के मन जमनी


और तुक से व ीय और सै य मदद क संभावना बढ़ गई। इस काल क ां तकारी ग त व धय
का ववरण पछले अ याय म दया गया है।

होम ल लीग आंदोलन


होम ल आंदोलन थम व यु के त भारतीय क कम आ ामक ले कन वदे श म रहने
वाले भारतीय क त या क तुलना म अ धक भावी त या थी जसने रोमां टक ग़दर
साह सक काय का प ले लया।

आय रश होम ल लीग क तज पर दो भारतीय होम ल लीग का आयोजन कया


गया और उ ह ने आ ामक राजनी त क एक नई वृ के उ व का त न ध व कया। एनी
बेसट और तलक इस नई वृ के णेता थे।

आंदोलन के लए अ णी कारक होम ल आंदोलन के गठन के लए


अ णी कु छ कारक इस कार थे।

i रा वा दय के एक वग को लगा क सरकार से रयायत ा त करने के लए


लोक य दबाव क आव यकता है। ii नरमपं थय का मॉल से मोहभंग हो गया था

मटो सुधार.

iii लोग उ कराधान और क मत म वृ के कारण यु कालीन ख का बोझ


महसूस कर रहे थे और वरोध के कसी भी आ ामक आंदोलन म भाग लेने के लए तैयार थे।

iv उस समय क मुख सा ा यवाद श य के बीच लड़े जा रहे और एक सरे के


खलाफ न न चार ारा सम थत इस यु ने ेत े ता के मथक को उजागर कर दया।

v जून म अपनी रहाई के बाद तलक नेतृ व संभालने के लए तैयार थे और


उ ह ने सरकार को अपनी वफादारी के तआ त करने के लए और नरमपं थय के लए
जो वह चाहते थे आय रश होम लस क तरह शासन म सुधार के लए सुलह के संके त दए
थे। सरकार का त तापलट नह . उ ह ने यह भी वीकार कया क हसा क घटनाएं ई थ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इसने के वल भारत म राजनी तक ग त क ग त को धीमा करने का काम कया।


उ ह ने सभी भारतीय से संक ट क घड़ी म टश सरकार क सहायता करने का आ ह कया।

vi से भारत म रहने वाली आय रश थयोसो फ ट एनी बेसट ने आय रश होम


ल लीग क तज पर होम ल के लए एक आंदोलन के नमाण को शा मल करने के लए
अपनी ग त व धय का दायरा बढ़ाने का फै सला कया था।

तलक और बेसट दोन


लीग ने महसूस कया क आंदोलन क सफलता के लए नरमपंथी भु व वाली कां ेस क
मंज ूरी के साथ साथ गरमपं थय का पूण सहयोग आव यक था।

कां ेस के के स म उदारवाद चरमपंथी तालमेल तक प ंचने म वफल रहने के बाद


तलक और बेसट ने अपने दम पर राजनी तक ग त व ध को पुनज वत करने का फै सला कया।

क शु आत म एनी बेसट ने ेत उप नवेश क तज पर यु के बाद भारत के


लए वशासन क मांग के लए एक अ भयान शु कया था। उ ह ने अपने समाचार प यू
इं डया और कॉमनवील और सावज नक बैठक और स मेलन के मा यम से चार कया।
म कां ेस के वा षक अ धवेशन म तलक और बेसट के यास को कु छ सफलता मली।

यह नणय लया गया क गरमपं थय को कां ेस म शा मल कया जाये। हालाँ क बेसट कां ेस
से होम ल लीग क अपनी योजना को मंज ूरी दलाने म वफल रह ले कन कां ेस ने श ा द
चार काय म और ानीय तर क कां ेस स म तय के पुन ार के लए खुद को तब
कया। ब त लंबे समय तक इंतजार करने को तैयार नह बेसट ने शत रखी क य द कां ेस
अपनी तब ता को लागू नह करती है तो वह अपनी खुद क लीग ा पत करने के लए
वतं ह गी जो अंततः उ ह करना पड़ा य क कां ेस क ओर से कोई त या नह आई।

कसी भी टकराव से बचने के लए तलक और बेसट ने अपनी अलग लीग क ापना


क।

तलक क लीग तलक ने


अ ैल म अपनी होम ल लीग क ापना क और इसे महारा बॉ बे शहर को
छोड़कर कनाटक म य ांत और बरार तक सी मत कर दया गया। इसक छह शाखाएँ थ
और
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थम व यु और रा वाद त या

मांग म वरा य भाषाई रा य का गठन और ानीय भाषा म श ा शा मल थी।

बेसट क लीग एनी बेसट ने


सतंबर म म ास म अपनी लीग ा पत क और शेष भारत बॉ बे शहर स हत को
कवर कया। इसक शाखाएँ थ यह तलक क लीग क तुलना म श थल प से संग ठत
थी और इसके आयोजन स चव जॉज अ ं डेल थे।

अ ं डेल के अलावा मु य काम बीड यू वा डया और सीपी रामा वामी अ यर ने कया.

होम ल लीग काय म लीग अ भयान का उ े य आम आदमी को


वशासन के प म होम ल का संदेश दे ना था। इसने पहले क लामबंद क तुलना म कह
अ धक ापक अपील क और गुज रात और सध के अब तक के राजनी तक प से पछड़े
े को भी आक षत कया। उ े य सावज नक बैठक के मा यम से राजनी तक श ा और
चचा को बढ़ावा दे ना रा ीय राजनी त पर पु तक वाले पु तकालय और वाचनालय का
आयोजन करना स मेलन आयो जत करना राजनी त पर छा के लए क ाएं आयो जत
करना समाचार प पै लेट पो टर स च पो ट के मा यम से चार करना था। काड
नाटक धा मक गीत आ द धन एक करना सामा जक काय का आयोजन करना और
ानीय सरकारी ग त व धय म भाग लेना। क सी ां त होम ल अ भयान के लए
एक अ त र लाभ सा बत ई।

होम ल आंदोलन म बाद म मोतीलाल नेह जवाहरलाल नेह भूलाभाई दे साई


चतरंज न दास मदन मोहन मालवीय मोह मद अली ज ा तेज बहा र स ू और लाला
लाजपत राय भी शा मल हो गए। इनम से कु छ नेता ानीय शाखा के मुख बन गए। कई
उदारवाद कां ेसी जो कां ेस क न यता से नराश थे और गोखले क सवट् स ऑफ इं डया
सोसाइट के कु छ सद य भी आंदोलन म शा मल हो गए। हालाँ क एं लो इं डयन द ण के
अ धकांश मु लम और गैर ा ण इसम शा मल नह ए य क उ ह लगा क होम ल का
मतलब ह ब मत का शासन होगा और वह भी मु य प से उ जा त ारा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सरकारी रवैया सरकार ने गंभीर दमन


कया वशेषकर म ास म जहां छा को राजनी तक बैठक म भाग लेने पर तबंध लगा दया
गया। तलक के खलाफ एक मामला शु कया गया था जसे हालां क उ यायालय ने र
कर दया था। तलक को पंज ाब और द ली म वेश करने से रोक दया गया। जून म
एनी बेसट और उनके सहयो गय बीपी वा डया और जॉज अ ं डेल को गर तार कर लया
गया। इसने दे श ापी वरोध को आमं त कया। एक नाटक य संके त म सर एस. सु म यम
अ यर ने अपनी नाइट ड क उपा ध याग द जब क तलक ने न य तरोध के काय म
क वकालत क । दमन ने के वल आंदोलनका रय के रवैये को स त करने और सरकार का
वरोध करने के उनके संक प को मजबूत करने का काम कया। भारत के से े टरी ऑफ टे ट
म टागु ने ट पणी क क शव ने...अपनी प नी को बावन टु क ड़ म काट दया के वल यह पता
लगाने के लए क उनक बावन प नयाँ थ । भारत सरकार के साथ यही होता है जब वह
ीमती बेसट को श ु बनाती है। एनी बेसट को सतंबर म रहा कर दया गया।

तक आंदोलन य फ का पड़ गया होम ल आंदोलन अ पका लक


सा बत आ। तक यह ख़ म हो गया था। गरावट के कारण इस कार थे. i भावी
संगठन का अभाव था। ii के दौरान सां दा यक दं गे दे ख े गए। iii एनी बेसट क
गर तारी
के बाद जो नरमपंथी कां ेस म शा मल ए थे उ ह सुधार अग त
के म टागू के बयान म शा मल था जसम व शासन को भारत म टश शासन का
द घका लक ल य माना गया था और बेसट क रहाई क बात करके शांत कया गया
था।

iv चरमपं थय ारा न य तरोध क बात ने सतंबर के बाद से


नरमपं थय को ग त व ध से र रखा। v म टागु चे सफोड सुधार जो जुलाई म ात
आ ने
रा वाद वग को और अ धक वभा जत कर दया। vi तलक को एक मामले के
सल सले म वदे श जाना पड़ा सतंबर जब क एनी बेसट सुधार और न यक
तकनीक के त अपनी त या को लेक र झझक रही थ ।
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थम व यु और रा वाद त या

तरोध। बेसट सकारा मक नेतृ व दे ने म असमथ रह और तलक के इं लड चले जाने से आंदोलन नेतृ वहीन
हो गया।

सकारा मक लाभ
होम ल लीग और संबं धत ग त व धय का कु छ सकारा मक भाव पड़ा और आने वाले वष म वतं ता
सं ाम को नई दशा दे ने म योगदान मला। i आंदोलन ने श त अ भजात वग से जनता पर जोर दया और
नरमपं थय ारा नधा रत पा म से आंदोलन को ायी प से हटा दया।

ii इसने शहर और दे श के बीच एक संगठना मक संबंध बनाया जो बाद के वष म मह वपूण


सा बत आ जब रा ीय आंदोलन ने अपने ापक चरण म वेश कया।

समझ।

iii इसने उ साही रा वा दय क एक पीढ़ तैयार क । iv इसने जनता को गांधीवाद शैली


क राजनी त के लए तैयार कया। v अग त म म टागु क घोषणा और मॉ टफोड सुधार
होम ल
आंदोलन से भा वत थे। vi लखनऊ म उदारवाद चरमपंथी पुन मलन क दशा म तलक
और एनी बेसट के यास ने कां ेस को भारतीय रा वाद के एक भावी साधन के प म पुनज वत कया।
vii होम ल
आंदोलन ने एक नया आयाम दया

और रा ीय आंदोलन के त ता का लकता क भावना।

भारतीय का लखनऊ अ धवेशन


रा ीय कां ेस
गरमपं थय को कां ेस म दोबारा शा मल करना भारतीय रा ीय कां ेस के लखनऊ स
जसक अ य ता नरमपंथी अं बका चरण मजूमदार ने क ने अंततः तलक के नेतृ व वाले गरमपं थय को
दोबारा कां ेस म शा मल कर लया। व भ कारक ने इस पुन मलन को सुगम बनाया i पुराने ववाद अब
अथहीन हो गए थे। ii नरमपं थय और गरमपं थय दोन ने महसूस कया क वभाजन के कारण राजनी तक
न यता आ गई है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

iii एनी बेसट और तलक ने पुन मलन के लए जोरदार यास कये थे। उदारवाद
संदेह को र करने के लए तलक ने घोषणा क थी क वह शासन म सुधार का समथन
करते ह न क सरकार को उखाड़ फकने का। उ ह ने हसा के कृ य क भी नदा क । iv
दो नरमपं थय गोखले और फ़रोज़शाह मेहता क मृ यु ज ह ने गरमपं थय के त
नरमपंथी वरोध
का नेतृ व कया था ने पुन मलन क सु वधा दान क ।

कां ेस और मु लम लीग के बीच लखनऊ समझौता लखनऊ म होने वाला


एक और मह वपूण वकास
मु लम लीग और कां ेस का एक साथ आना और उनके ारा सरकार के सामने आम मांग
को तुत करना था। यह उस समय आ जब मु लम लीग जो अब युवा उ वाद रा वा दय
के भु व म थी कां ेस के उ े य के करीब आ रही थी और तेज ी से सा ा यवाद वरोधी
हो रही थी।

लीग के ख म बदलाव य लीग क त म बदलाव के कई कारण थे i


बा कन म अपने यु म तुक खलीफा ारा शा सत जसने सभी मुसलमान के धा मक
राजनी तक
नेतृ व का दावा कया था क मदद करने से टे न का इनकार और
इटली के साथ के दौरान मुसलमान को नाराज कर दया था। ii म बंगाल
के वभाजन को र करने से मुसलमान के वे वग नाराज़ हो गए ज ह ने वभाजन का
समथन कया था। iii भारत म टश
सरकार ारा पूरे भारत म कॉलेज को संब करने क श य के साथ अलीगढ़ म
एक व व ालय ा पत करने से इनकार ने भी कु छ मुसलमान को अलग थलग कर
दया।

iv युवा लीग के सद य साहसी रा वाद राजनी त क ओर ख कर रहे थे और


अलीगढ़ कू ल के सी मत राजनी तक कोण से आगे बढ़ने क को शश कर रहे थे।
मु लम लीग के कलक ा अ धवेशन ने तब कया था
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थम व यु और रा वाद त या

लीग को भारत के लए उपयु वशासन क णाली के लए अ य समूह के साथ काम


करना चा हए बशत क यह भारतीय मुसलमान के हत क सुर ा के अपने मूल उ े य के
साथ टकराव म न आए । इस कार कां ेस के समान वशासन का ल य दोन प को करीब
लाया। v थम व यु के दौरान सरकारी दमन से युवा मुसलमान ो धत थे। मौलाना
आज़ाद के अल हलाल और मोह मद अली के कॉमरेड को दमन का सामना करना पड़ा जब क
अली बंधु मौलाना आज़ाद और हसरत मोहानी जैसे नेता को नज़रबंद का
सामना करना पड़ा। इससे यंग पाट म सा ा यवाद वरोधी भावनाएँ उ प ।

समझौते क कृ त कां ेस और मु लम
लीग के बीच लखनऊ समझौते को वतं ता के लए रा वाद संघष के म म एक मह वपूण
घटना माना जा सकता है।

जब क लीग कां ेस के साथ संयु संवैधा नक मांग को सरकार के सम तुत


करने के लए सहमत हो गई कां ेस ने अलग नवाचन े पर मु लम लीग क त को
वीकार कर लया जो तब तक जारी रहेगी जब तक क कोई एक समुदाय संयु नवाचन े
क मांग नह करता। मुसलमान को अ खल भारतीय और ांतीय तर पर वधा यका म
सीट का एक न त अनुपात भी दया गया था।

संयु मांग थ • सरकार को घोषणा


करनी चा हए क वह व
शी ही भारतीय पर सरकार। • क य और ांतीय तर पर
त न ध सभा को नवा चत ब मत के साथ और अ धक व ता रत कया जाना
चा हए और उ ह अ धक श यां द जानी चा हए।


लगभग दस वष के ददनाक अलगाव और गलतफहमी के जंगल और अ य ववाद के च ूह म
भटकने के बाद... भारतीय रा वाद पाट के दोन प को इस त य का एहसास आ है क एकजुट
होकर वे खड़े रहते ह ले कन वभा जत होने पर वे गर जाते ह।

ए.सी. मजूमदार कां ेस के लखनऊ अ धवेशन के अ य


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• वधान प रषद का कायकाल पांच होना चा हए


साल।
• भारत के रा य स चव के वेतन का भुगतान टश राजकोष से कया जाना चा हए
न क भारतीय कोष से। • वायसराय और ांतीय के आधे सद य

रा यपाल क कायकारी प रषद भारतीय होनी चा हए।


आलोचना मक ट प णयाँ हालाँ क
आधी कायपा लका का चुनाव वधा यका ारा कया जाना था ले कन सम प से
कायपा लका को वधा यका के त उ रदायी नह होना था। वधा यका कायपा लका के
नवा चत आधे ह से को नह हटा सकती थी ले कन चूं क बजट जैसे मह वपूण मामले
वधा यका क मंज ूरी पर नभर थे इस लए संवैधा नक ग तरोध क संभावना सबसे अ धक
थी। यह कायपा लका वधा यका संबंध क कृ त थी जसे कां ेस यु ो र संवैधा नक सुधार
क कसी भी योजना म मांगती तीत होती थी।

इस कार लखनऊ सं ध क मांग मॉल मटो सुधार का एक मह वपूण प से व ता रत


सं करण थ ।
जब क कां ेस और मु लम लीग का संयु मोचा बनाने का यास रदश था कां ेस
ारा पृथक नवाचन े के स ांत को वीकार करने का ता पय यह था क कां ेस और लीग
अलग अलग राजनी तक सं ा के प म एक साथ आए। मु लम लीग ारा रा
स ांत के वकास म यह एक मुख मील का प र था। सरे जब दोन समूह के नेता एक
साथ आए तो दोन समुदाय के लोग को एक साथ लाने के यास पर वचार नह कया गया।
हालाँ क पृथक नवा चका के स ांत को वीकार करने का ववादा द नणय ब सं यक
भु व के अ पसं यक भय को र करने क कां ेस क गंभीर इ ा का त न ध व करता है।

इसके अलावा इस पुन मलन से लोग म भारी उ साह पैदा आ। यहां तक क सरकार ने आने
वाले समय म भारतीय को वशासन दे ने के अपने इरादे क घोषणा करके रा वा दय को संतु
करने का नणय लया जैसा क म टागु क अग त क घोषणा म न हत था।
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थम व यु और रा वाद त या

म टागु का अग त का व
भारत के रा य स चव एड वन सैमुअ ल म टागु ने अग त को टश हाउस ऑफ
कॉम स म एक बयान दया जसे क अग त घोषणा के प म जाना जाता है। बयान
म कहा गया है सरकार क नी त एक शासन क हर शाखा म भारतीय क बढ़ती भागीदारी
और टश सा ा य के अ भ अंग के प म भारत म ज मेदार सरकार क ग तशील ा त
क से वशासी सं ान का मक वकास।

अब से रा वा दय ारा वशासन या गृह शासन क मांग को दे श ोही नह कहा जा


सकता य क भारतीय के लए वशासन क ा त अब एक सरकारी नी त बन गई है
म मॉल के बयान के वपरीत क सुधार का उ े य वशासन दे ना नह था। भारत को। इसके
अलावा ज मेदार सरकार श द के योग म यह शत न हत थी क शासक को नवा चत
त न धय के त जवाबदे ह होना होगा न क के वल लंदन म शाही सरकार के त। हालाँ क
यह भी उतना ही था क अं ेज का भारतीय ब मत के साथ मु य प से नवा चत
वधा यका को स ा स पने का कोई इरादा नह था।

इस लए कायपा लका को नवा चत सभा के त कु छ हद तक ज मेदार बनाने के लए


जसका आकार और नवा चत सद य का अनुपात कसी भी त म बढ़ाया जाना था ै ध
शासन क अवधारणा वक सत क जानी थी।

भारतीय आप याँ
म टागु के बयान पर भारतीय नेता क आप याँ दो कार क थ

i कोई व श समय सीमा नह द गई। ii अके ले सरकार


को एक ज मेदार सरकार क ओर बढ़ने क कृ त और समय का फै सला करना था
और भारतीय म नाराजगी थी क अं ेज यह तय करगे क भारतीय के लए या अ ा था
और या बुरा था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सारांश
• होम ल लीग आंदोलन रा ीय आंदोलन म आ ामक
राजनी त क वृ क अभ आयरलड म इसी तरह के आंदोलन क तज पर तलक और एनी बेसट
ारा इसका नेतृ व कया गया था।

आंदोलन के प म कारक . रयायत ा त करने के लए


लोक य दबाव क आव यकता महसूस क जा रही है।
. मॉल मटो सुधार से मोहभंग।
. यु कालीन ख जनता वरोध के लए तैयार।
. तलक बेसट नेतृ व संभालने को तैयार.
आंदोलन का उ े य आम आदमी तक बात प ंचाना
वशासन के प म होम ल क अवधारणा।
तलक क लीग अ ैल म शु ई और महारा कनाटक म य ांत और बरार म संचा लत ई
छह शाखाएँ थ ।

बेसट लीग सतंबर म शु ई और संचा लत ई


शेष भारत क शाखाएँ थ ।
बाद म उदारवाद कां े सय स हत अ य लोग भी लीग म शा मल हो गए।

उपयोग क जाने वाली व धयाँ चचाएँ आयो जत करना वाचनालय सावज नक बैठक
समाचार प पै लेट पो टर आ द के मा यम से चार करना।
सकारा मक लाभ का जोर जनता पर ायी प से ानांत रत हो गया शहर और दे श के बीच ा पत
संगठना मक संबंध उ साही रा वा दय क एक पीढ़ तैयार क लखनऊ म उदारवाद चरमपंथी
पुन मलन को भा वत कया

• कां ेस का लखनऊ अ धवेशन


उ वा दय को कां ेस म पुनः शा मल कया गया मु लम लीग और
कां ेस ने लखनऊ समझौते के तहत संयु मांग रख ।

कां ेस ने पृथक नवाचन े पर लीग क त को वीकार कर लया। • म टे यू के कथन का मह व

भारतीय के लए वशासन क ा त एक सरकारी नी त बन गई।


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इकाई सातव

मास का युग
रा वाद
ारंभ
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गांधी जी का ा भाव

गांधी जी का ा भाव

थम व यु के अंत म भारत और अंतरा ीय प र य पर व भ ताकत काम कर रही थ ।


यु क समा त के बाद भारत और ए शया और अ का के कई अ य उप नवेश म रा वाद
ग त व ध का पुन ान आ। भारतीय राजनी तक पटल पर मोहनदास करमचंद गांधी के
उ व के साथ सा ा यवाद के व भारतीय संघष ने ापक आधार वाले लोक य संघष
क ओर एक नणायक मोड़ ले लया।

य।

अब रा वाद पुन ान य
यु के बाद भारत क तय और वदे श से आए भाव ने ऐसी त पैदा कर द जो
वदे शी शासन के खलाफ रा ीय व ोह के लए तैयार थी।

यु ोपरांत आ थक क ठनाइयाँ भारत ने टश यु यास


म अपने जन और धन से योगदान दया। व भ मोच पर यु म हजार भारतीय मारे गए।
खा आपू त और गोला बा द और सेना का रखरखाव भारतीय पर कर लगाकर जुटाए गए
धन से आता था। जब यु समा त आ तो भारतीय आबाद के सभी वग व भ मोच पर
क ठनाइय का सामना कर रहे थे।

उ ोग पहले क मत म वृ फर मंद के साथ साथ वदे शी नवेश म वृ ने कई


उ ोग को बंद होने और नुक सान के कगार पर ला दया। उ ह ने अब सरकारी सहायता के
अलावा आयात के खलाफ सुर ा क मांग क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मक और कारीगर आबाद का यह वग
बेरोजगारी का सामना करना पड़ा और ऊं ची क मत का खा मयाजा भुगतना पड़ा।
कसान वग उ कराधान और गरीबी का सामना करते ए कसान वरोध के लए
नेतृ व क ती ा कर रहे थे।
सै नक वदे श से यु के मैदान से लौटे सै नक ने ामीण जनता को अपने अनुभव का
प रचय दया। वे ऐसे दे श म लौटकर भी आ यच कत थे जो द र था और जहां पहले क
तुलना म कम वतं ता थी।

श त शहरी वग यह वग बेरोजगारी का सामना करने के साथ साथ अं ेज के रवैये


म न लवाद के त ती जाग कता से भी पी ड़त था।

राजनी तक लाभ क उ मीद


यु म सहयोग
टश यु यास म भारतीय का योगदान ब त बड़ा था हालाँ क इसे अनदे ख ा कर दया
गया। गांधीजी और अ धकांश रा वा दय ने यु यास म सहयोग बढ़ाया और बड़ी सं या म
भारतीय सै नक ने यु के मोच पर अपने जीवन का ब लदान दया। इस लए यु के बाद
टश सरकार से राजनी तक लाभ क ब त उ मीद थ और इसने भी दे श म तनावपूण माहौल
म योगदान दया।

रा वाद से मोहभंग

नया भर म सा ा यवाद
यु के दौरान उप नवेश को अपने प म एकजुट करने के लए म श य ने उनसे यु के
बाद लोकतं और आ म नणय के युग का वादा कया था। यु के दौरान यु के दोन प ने
एक सरे को बदनाम करने और एक सरे के अस य औप नवे शक रकॉड को उजागर करने
के लए चार शु कया था। ले कन ज द ही पे रस शां त स मेलन और अ य शां त सं धय
से यह हो गया क सा ा यवाद श य का उप नवेश पर अपनी पकड़ ढ ली करने का
कोई इरादा नह था वा तव म वे परा जत श य के उप नवेश को आपस म बाँटने लगे। इस
सबने गोर क सां कृ तक और सै य े ता के मथक को और भी कमजोर करने का काम
कया। प रणाम व प यु के बाद क अव ध म उ रा वाद का पुन ान दे ख ा गया
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गांधी जी का ा भाव

पूरे ए शया और अ का म ग त व ध तुक म आयरलड ईरान अफगा न तान बमा


मलाया फलीप स इंडोने शया भारत चीन चीन और को रया म।

सी ां त का भाव नवंबर

मक क बो शे वक पाट ने जारशाही शासन को उखाड़ फका और ला दमीर इ लच


उ यानोव या ले नन के नेतृ व म पहले समाजवाद रा य सो वयत संघ क ापना क ।
सो वयत संघ ने चीन और शेष ए शया म जारशाही के सा ा यवाद अ धकार को एकतरफा
याग दया ए शया म पूव जारशाही उप नवेश को आ म नणय का अ धकार दया और
अपनी सीमा के भीतर ए शयाई रा ीयता को समान दजा दया।

अ टू बर ां त ने यह संदेश दया क लोग के पास अपार श है और जनता


सबसे श शाली अ याचा रय को चुनौती दे ने म स म है बशत वे संग ठत एकजुट और
ढ़ह।

म टागु चे सफोड सुधार और


भारत सरकार अ ध नयम
टश सरकार भारतीय से अलग होने या यहां तक क उनके साथ अपनी श साझा
करने के लए तैयार नह थी उसने एक बार फर गाजर और छड़ी क नी त का सहारा
लया। गाजर का त न ध व अपया त म टागु चे सफोड सुधार ारा कया गया था जब क
रोलेट अ ध नयम जैसे उपाय ने छड़ी का त न ध व कया था।

म टागु के अग त के व म न हत सरकारी नी त के अनु प सरकार ने


जुलाई म और संवैधा नक सुधार क घोषणा क ज ह म टागु चे सफोड या म टफोड
सुधार के प म जाना जाता है। इनके आधार पर भारत सरकार अ ध नयम बनाया
गया।

मु य वशेषताएं
म टफोड सुधार क मु य वशेषताएं इस कार थ ।

• ांतीय सरकार ै ध शासन क शु आत इस अ ध नयम ने ांतीय सरकार के तर पर


कायपा लका के लए ै ध शासन क शु आत क ।
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कायकारी i ै ध शासन यानी दो कायकारी पाषद और लोक य मं य का


शासन शु कया गया था। गवनर को ांत म कायकारी मुख होना था।

ii वषय को दो सू चय म वभा जत कया गया था आर त जसम कानून


और व ा व भू म राज व सचाई इ या द जैसे वषय शा मल थे और श ा
वा य ानीय सरकार उ ोग कृ ष जैसे ह तांत रत वषय शा मल थे। उ पाद शु क
आ द। आर त वषय को रा यपाल ारा नौकरशाह क अपनी कायकारी प रषद के
मा यम से शा सत कया जाना था और ह तांत रत वषय को वधान प रषद के नवा चत
सद य म से ना मत मं य ारा शा सत कया जाना था। iii मं य को वधा यका के
त उ रदायी होना था और य द वधा यका ारा उनके खलाफ अ व ास ताव पा रत
कया जाता था तो उ ह इ तीफा दे ना पड़ता था जब क कायकारी पाषद वधा यका के त
उ रदायी नह होते थे। iv
ांत म संवैधा नक तं क वफलता क त म रा यपाल ह तांत रत वषय का
शासन भी अपने हाथ म ले सकता है। v भारत के रा य स चव और गवनर जनरल
आर त वषय के संबंध म ह त ेप कर सकते थे जब क ह तांत रत वषय के संबंध म
उनके ह त ेप क गुंज ाइश तबं धत थी।

वधानमंडल i ांतीय वधान प रषद का और व तार कया गया और तशत


सद य का चुनाव कया जाना था। ii सां दा यक और वग नवाचक मंडल क व ा
को और अ धक
सु ढ़ कया गया।

iii म हला को भी वोट दे ने का अ धकार दया गया। iv वधान


प रषद कानून बनाने क पहल कर सकती थ ले कन रा यपाल क सहम त
आव यक थी। रा यपाल वधेयक को वीटो कर सकता था और अ यादे श जारी कर सकता
था। v वधान प रषद बजट को अ वीकार कर
सकती ह ले कन य द आव यक हो तो रा यपाल इसे बहाल कर सकते ह।

vi वधायक को अ भ क वतं ता ा त थी।


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गांधी जी का ा भाव

• क सरकार अभी भी बना


उ रदायी सरकार इस अ ध नयम म अ खल
भारतीय तर पर सरकार के लये कसी उ रदायी सरकार क प रक पना नह क गई।
मु य ब ये थे
कायकारी i गवनर जनरल को मु य कायकारी ा धकारी होना था। ii शासन
के लए दो सू चयाँ होनी थ
क य और ांतीय। iii वायसराय क आठ सद यीय कायकारी प रषद म तीन
भारतीय होने थे। iv गवनर
जनरल ने ांत म आर त वषय पर पूण नयं ण बनाए रखा। v गवनर जनरल
अनुदान म कटौती को बहाल
कर सकता था क य वधा यका ारा खा रज कए गए बल को मा णत कर
सकता था और अ यादे श जारी कर सकता था।

वधानमंडल i एक सदनीय व ा शु क गई थी।


नचले सदन या क य वधान सभा म सद य ह गे नामां कत और नवा चत
सामा य मु लम सख वशेष और ऊपरी सदन या रा य प रषद म
सद य ह गे जनम से ह गे। नामां कत और नवा चत सामा य मु लम
यूरोपीय और सख सुभाष क यप ारा दए गए आंक ड़ के अनुसार । ii रा य प रषद
का कायकाल वष का होता था और इसम के वल पु ष सद य होते थे जब क क य
वधान सभा का कायकाल वष का होता था। iii वधायक और अनुपूरक पूछ सकते
थे गन ताव पा रत कर
सकते थे और बजट के एक ह से पर मतदान कर सकते थे ले कन बजट का
तशत ह सा अभी भी मतदान यो य नह था।

कु छ भारतीय को व स हत मह वपूण स म तय म जगह मली। • घरेलू सरकार


टे न म के मोच पर
भारत सरकार अ ध नयम ने एक मह वपूण बदलाव कया अब से भारत
के रा य स चव को टश राजकोष से भुगतान कया जाना था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

क मयां
सुधार म कई क मयाँ थ i मता धकार ब त सी मत
था। एक अनुमान के अनुसार क य वधानमंडल के लए मतदाता क सं या
लगभग डेढ़ म लयन तक बढ़ा द गई थी जब क भारत क जनसं या लगभग म लयन
थी।

ii क म वधा यका का वायसराय और उसक कायकारी प रषद पर कोई नयं ण


नह था। iii वषय का वभाजन संतोषजनक नह था

क ।

iv ांत को क य वधा यका के लए सीट का आवंटन ांत के मह व पर


आधा रत था उदाहरण के लए पंज ाब का सै य मह व और बॉ बे का वा ण यक मह व। v
ांत के तर पर वषय का वभाजन और दो भाग का समानांतर शासन अता कक था और
इस लए अ वहा रक था। सचाई
व पु लस ेस और याय जैसे वषय आर त थे। vi ांतीय मं य का व
और नौकरशाह पर कोई नयं ण नह था इससे दोन के बीच लगातार मनमुटाव बना रहेगा।
मह वपूण मामल पर भी अ सर मं य से सलाह नह ली जाती थी वा तव म रा यपाल ारा
कसी भी ऐसे मामले पर उ ह खा रज कया
जा सकता था जसे रा यपाल वशेष मानते थे।

कां ेस क त या कां ेस ने अग त
म हसन इमाम क अ य ता म बंबई म एक वशेष स म बैठक क और सुधार को
नराशाजनक और असंतोषजनक घो षत कया और इसके बजाय भावी वशासन क
मांग क ।

म टफोड सुधार को तलक ने अयो य और नराशाजनक एक सूरजहीन सुबह


कहा था जब क एनी बेसट ने उ ह इं लड ारा पेश कए जाने और भारत ारा वीकार कए
जाने के अयो य पाया था।
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गांधी जी का ा भाव

वचार
जब मं मंडल ने परम वशासन अ भ का योग कया तो संभवतः उ ह ने
वष क म यवत अव ध पर वचार कया।
लॉड कजन

भारत सरकार अ ध नयम ने लोग के लए नई बे ड़याँ बना द ।


सुभाष चं बोस

म टफोड सुधार... भारत से उसक संप को और अ धक ख़ म करने और उसक दासता को लंबे


समय तक बढ़ाने का एक तरीका मा था।
एमके गांधी

दोहरी कायपा लका क ै ध शासन णाली लगभग हर सै ां तक आप के लए खुली थी जसे


राजनी तक दशन का श ागार आपू त कर सकता है।
पीई रॉबट् स

व के इ तहास म कभी कसी महान जनता के साथ ऐसा धोखा नह आ जैसा इं लै ड ने भारत के साथ कया जब यु के
दौरान भारत क अमू य सेवा के बदले म हमने भारतीय रा को इतना बदनाम अपमानजनक अलोकतां क अ याचारी
सं वधान दया।

डॉ। रदरफोड टश संसद सद य

ह तांतरण का उ े य समाज के एक बड़े ह से को यथा त से जोड़ना था। ले कन ानीय


समुदाय को श याँ दे ने का मतलब यह था क जो ऊजा शाही स ा के ख़लाफ़ इ तेमाल क जा
सकती थी उसे सां दा यक त ं ता म बबाद कर दया गया। वभाजन ने हमेशा टे न के लाभ
के लए काम कया... म टफोड म नरंकु शता ने अपनी उदारता क घोषणा क ।

वा टर रीड रखते ए गहना म ताज

गांधी का नमाण
ारं भक कै रयर और योग
द ण अ का म स ाई
मोहनदास करमचंद गांधी का ज म अ टू बर को गुज रात के का ठयावाड़ रयासत के
पोरबंदर म आ था।
उनके पता रा य के द वान मं ी थे। इं लड म कानून क पढ़ाई करने के बाद गांधी म
अपने मुव कल दादा अ ला से जुड़े एक मामले के सल सले म द ण अ का गए।

द ण अ का म उ ह ने ेत न लवाद का घनौना चेहरा और ए शयाई लोग के त होने वाले


अपमान और तर कार को दे ख ा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मज र के पमद णअ का गये पराधीन कये गये। उ ह ने द णअ का म रहकर


भारतीय मक को संग ठत करने का नणय लया ता क वे अपने अ धकार के लए लड़ने म
स म हो सक। वे तक वह रहे जसके बाद वे भारत लौट आये।

द णअ का म भारतीय क तीन े णयां थ एक गर म टया भारतीय मक


मु य प से द ण भारत से जो के बाद चीनी बागान म काम करने के लए द ण
अ का चले गए थे दो ापारी यादातर मेमन मुसलमान जो मज र का अनुसरण करते थे
और तीन पूव गर म टया मज र जो अपने अनुबंध क समा त के बाद अपने ब के साथ
द णअ का म बस गए थे।

ये भारतीय अ धकतर अ श त थे और उ ह अं ेज ी का ान ब त कम या ब कु ल नह था।


उ ह ने न लीय भेदभाव को अपने दै नक अ त व के एक ह से के प म वीकार कया। इन
भारतीय अ वा सय को अनेक अपंगता का सामना करना पड़ा। उ ह वोट दे ने के अ धकार
से वं चत कर दया गया। वे के वल नधा रत ान पर ही रह सकते थे जो अ व और
भीड़भाड़ वाले ह । कु छ उप नवेश म ए शयाई और अ क लोग रात बजे के बाद घर से
बाहर नह रह सकते थे और न ही सावज नक फु टपाथ का उपयोग कर सकते थे।

संघष का म यम चरण
इस चरण के दौरान गांधी ने द ण अ का और टे न म अ धका रय को या चकाएं और
मारक भेज ने पर भरोसा कया यह आशा करते ए क एक बार अ धका रय को भारतीय
क दशा के बारे म सू चत कया जाएगा तो वे उनक शकायत के नवारण के लए ईमानदारी
से कदम उठाएंगे जैसा क आ खरकार भारतीय थे। टश जा. भारतीय के व भ वग
को एकजुट करने के लए उ ह ने नेटाल इं डयन कां ेस क ापना क और इं डयन ओ प नयन
अखबार शु कया।

न य तरोध या स या ह का चरण

सरा चरण जो म शु आ उसम न य तरोध या स वनय अव ा क प त का


उपयोग कया गया जसे गांधीजी ने स या ह का नाम दया।

पंज ीकरण माणप के व स या ह


द णअ का म एक नए कानून ने इसे अ नवाय बना दया
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गांधी जी का ा भाव

वहां भारतीय को हर समय अपनी उं ग लय के नशान के साथ पंज ीकरण माणप रखना
होगा। गांधीजी के नेतृ व म भारतीय ने इस भेदभावपूण उपाय के त समपण न करने का
नणय लया। गांधीजी ने कानून क अवहेलना करने और इस तरह क अव ा के प रणाम व प
होने वाले सभी दं ड को भुगतने का अ भयान चलाने के लए न य तरोध संघ का गठन
कया। इस कार स या ह या स य के त समपण का ज म आ जो हसा के बना वरो धय
का वरोध करने क तकनीक थी। सरकार ने गांधीजी और अ य लोग को जेल म डाल दया
ज ह ने खुद को पंज ीकृ त करने से इनकार कर दया था। बाद म अ धका रय ने इन उ ं ड
भारतीय को अपना पंज ीकरण कराने के लए छल का इ तेमाल कया।

गांधी के नेतृ व म भारतीय ने सावज नक प से अपने पंज ीकरण माणप जलाकर जवाबी
कारवाई क । इस सबने द णअ क सरकार क छ व ख़राब क । अंत म समझौता समझौता
हो गया।

भारतीय वासन पर तबंध के खलाफ अ भयान पहले अ भयान को भारतीय


वासन पर तबंध लगाने वाले एक नए कानून के वरोध को शा मल करने के लए ापक
बनाया गया था।
भारतीय ने एक ांत से सरे ांत म जाकर और लाइसस बनाने से इनकार करके इस कानून
का उ लंघन कया।
इनम से कई भारतीय को जेल म डाल दया गया।
पोल टै स और भारतीय ववाह को अमा य करने के खलाफ अ भयान सभी पूव
गर म टया भारतीय पर तीन पाउं ड का पोल टै स लगाया गया था। मतदान कर को समा त
करने क मांग जो उन गरीब पूव गर म टया भारतीय के लए ब त अ धक थी जो त माह
दस श लग से कम कमाते थे ने अ भयान के आधार को चौड़ा कर दया। फर सु ीम कोट के
एक आदे श ने ईसाई री त रवाज के अनुसार नह क गई और ववाह र ज ार ारा पंज ीकृ त
सभी शा दय को अमा य कर दया जससे भारतीय और अ य लोग का गु सा भड़क उठा
जो ईसाई नह थे। न हताथ के अनुसार ह मु लम और पारसी ववाह अवैध थे और ऐसे
ववाह से पैदा ए ब े नाजायज थे। भारतीय ने इस फै सले को म हला के स मान का
अपमान माना और इस अपमान के कारण कई म हलाएं आंदोलन म शा मल हो ग ।

ांसवाल आ वासन अ ध नयम का वरोध भारतीय ने अवैध तरीके से ांसवाल


आ वासन अ ध नयम का वरोध कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

टॉ टॉय फाम

चूँ क संघष के तेज़ वर को बनाए रखना क ठन हो गया गांधी ने अपना सारा यान संघष पर लगाने का
नणय लया।
टॉ टॉय फाम क ापना म क गई थी और इसका नाम गांधी के सहयोगी हरमन कालेनबाख
ने सी लेख क और नै तकतावाद के नाम पर रखा था जनक गांधी शंसा करते थे और उनके साथ प
वहार करते थे। श ा के े म एक योग होने के अलावा यह लोग के प रवार को आ य दे ना और उ ह
अपना भरण पोषण करने का रा ता दे ना था।
स या ही
टॉ टॉय फाम गांधीजी ारा ा पत अपनी तरह का सरा फाम था। उ ह ने म नेटाल म फ न स
फाम क ापना क थी जो जॉन र कन क पूंज ीवाद क आलोचना को पढ़ने और एक ऐसे काम से े रत था
जसम म
े म और मानव क ग रमा के सरल जीवन के गुपयत
ण क शंयह
सा क गईअं थी।
तम फ न स ब ती क तरह

टॉ टॉय फाम म भी मैनुअ ल काम नदश के साथ साथ चलता था। लड़क और लड़ कय को सवागीण
वकास दे ने के लए ावसा यक श ण शु कया गया था। सह श ा क ाएं आयो जत क ग और
लड़क और लड़ कय को एक साथ काम करने के लए ो सा हत कया गया। ग त व धय म सामा य म खाना
बनाना सफाई करना च पल बनाना साधारण बढ़ईगीरी और संदेशवाहक काय शा मल थे। एक एक कृ त समुदाय
के मनोवै ा नक सामा जक और नै तक क याण के लए झा लगाना सफ़ाई करना और पानी लाना जैसे
मै युअ ल काम को अमू य माना जाता था। इस संदभ म गांधीजी का उ े य ारं भक ारं भक वष से ही शारी रक
म के त व स मान के अलावा समाज सेवा और नाग रकता के आदश को वक सत करना था।

इस फाम म तक काम होता रहा।

नेटाल से ांसवाल म वास। सरकार ने इन भारतीय को जेल म बंद कर दया। ख नक और


बागान मक पर बजली गर गई। भारत म गोखले ने द णअ का म भारतीय के समथन
म जनमत जुटाने के लए पूरे दे श का दौरा कया। यहां तक क वायसराय लॉड हा डग ने भी
दमन क नदा क और न प जांच क मांग क ।

समझौता समाधान आ खरकार गांधी लॉड हा डग सीएफ एं यूज और जनरल मट् स


क बातचीत क एक ृंख ला के मा यम से एक समझौता आ जसके ारा द णअ का
सरकार ने मतदान कर पंज ीकरण माण प और ववाह के संबंध म मुख भारतीय मांग को
वीकार कर लया। भारतीय सं कार के लए और
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गांधी जी का ा भाव

दे ख ना
... एक आदमी जो कामुक सुख के लए कु छ भी परवाह नह करता है धन के लए कु छ भी नह आराम या
शंसा या पदो त के लए कु छ भी नह ले कन बस वही करने के लए ढ़ है जो वह सही मानता है। वह एक
खतरनाक और असु वधाजनक मन है य क उसका शरीर जसे आप हमेशा जीत सकते ह आपको उसक
आ मा पर ब त कम खरीद दे ता है।

ग बट मरे गांधी पर हबट जनल

भारतीय आ वासन के मु े पर सहानुभू तपूवक वहार करने का वादा कया।

द णअ का म गांधीजी का अनुभव
i गांधीजी ने पाया क जनता के पास कसी ऐसे उ े य म भाग लेने और ब लदान
दे ने क अपार मता है जसने उ ह े रत कया। ii वह अपने नेतृ व म व भ धम और वग
के भारतीय और पु ष और म हला को समान प से एकजुट करने म स म थे।
iii उ ह यह भी एहसास आ क कभी कभी नेता को अपने उ साही समथक के साथ
अलोक य
नणय लेने पड़ते ह। iv वह त ध राजनी तक धारा के वरोध से भा वत ए
बना सी मत पैमाने पर नेतृ व और राजनी त क अपनी शैली और संघष क नई तकनीक को
वक सत करने
म स म थे।

गांधीजी क स या ह क तकनीक गांधीजी ने द णअ का म अपने


वास के दौरान स या ह क तकनीक वक सत क । यह स य और अ हसा पर आधा रत था।
उ ह ने भारतीय परंपरा के कु छ त व को सरा गाल आगे करने क ईसाई आव यकता और
टॉ टॉय के दशन के साथ जोड़ा ज ह ने कहा था क बुराई का सबसे अ ा मुक ाबला
अ हसक तरोध से कया जा सकता है। इसके मूल स ांत इस कार थे • एक स या ही को
जो गलत लगता है उसके सामने झुक ना नह था ब क हमेशा स ा अ हसक और नडर
रहना था। • एक स या ही सहयोग वापसी और ब ह कार के स ांत पर काम करता है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• स या ह के तरीक म कर का भुगतान न करना शा मल है।


और स मान और अ धकार के पद म गरावट।
• एक स या ही को गलत काम करने वाले के खलाफ अपने संघष म क वीकार
करने के लए तैयार रहना चा हए। यह पीड़ा स य के त उनके ेम का एक ह सा थी। • गलत
काम करने वाले के खलाफ अपना संघष
करते समय भी एक स े स या ही के मन म गलत काम करने वाले के लए कोई बुरी
भावना नह होगी नफरत उसके वभाव से अलग होगी।

• एक स ा स या ही कभी भी बुराई के सामने नह झुके गा चाहे प रणाम कु छ भी


हो। • के वल बहा र और ताकतवर ही
स या ह कर सकते थे यह कमज़ोर और कायर के लए नह था। यहाँ तक क
कायरता क अपे ा हसा को भी ाथ मकता द जाती थी। वचार कभी भी अ यास से अलग
नह होना था। सरे श द म ल य को उ चत नह ठहराया जा सकता

मतलब।

भारत म गांधी
जनवरी म गांधी भारत लौट आए। द णअ का म उनके यास न के वल श त के
बीच ब क जनता के बीच भी स थे। उ ह ने अगले एक वष म दे श का दौरा करने और
जनता क त को वयं दे ख ने का नणय लया।

उ ह ने कम से कम एक साल तक कसी भी राजनी तक मामले पर कोई पद नह लेने का भी


फै सला कया। जहाँ तक उस समय भारत म च लत राजनी तक धारा का सवाल है वह
उदारवाद राजनी त क सीमा के बारे म आ त थे और होम ल आंदोलन के भी प म
नह थे जो उस समय लोक य हो रहा था। उ ह ने सोचा क जब टे न यु के बीच म था तो
होम ल के लए आंदोलन करने का यह सबसे अ ा समय नह था। उनका मानना था क
रा वाद ल य को पूरा करने म स म एकमा तकनीक अ हसक स या ह है। उ ह ने यह भी
कहा क वह कसी भी राजनी तक संगठन म तब तक शा मल नह ह गे जब तक क वह भी
अ हसक स या ह के स ांत को वीकार न कर ले।

और के दौरान गांधीजी रौलट स या ह शु करने से पहले तीन संघष


म शा मल थे चंपारण अहमदाबाद और खेड़ा म।
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गांधी जी का ा भाव

चंपारण स या ह थम नाग रक
आ ा का उ लंघन
गांधी जी से एक ानीय राजकु मार शु ल ने बहार के चंपारण के नील बागान मा लक
के संदभ म कसान क सम या पर गौर करने का अनुरोध कया था। यूरोपीय बागान
मा लक कसान को कु ल भू म के भाग पर नील क खेती करने के लए मजबूर कर रहे
थे जसे तनक ठया णाली कहा जाता है । जब उ ीसव शता द के अंत म जमन सथे टक
रंग ने नील क जगह ले ली तो यूरोपीय बागान मा लक ने कसान से अ य फसल क ओर
ख करने से पहले अपने मुनाफे को अ धकतम करने के लए उ लगान और अवैध बकाया
क मांग क । इसके अलावा कसान को यूरोपीय लोग ारा नधा रत क मत पर उपज बेचने
के लए मजबूर कया गया।

जब गांधी अब राज साद मजहर उल हक महादे व दे साई नरह र पारेख और


जेबी कृ पलानी के साथ मामले क जांच के लए चंपारण प ंचे तो अ धका रय ने उ ह तुरंत
े छोड़ने का आदे श दया। गांधीजी ने आदे श क अवहेलना क और सजा भुगतना पसंद
कया। यह न य तरोध या कसी अ यायपूण आदे श का स वनय अव ा उस समय एक
नया तरीका था। अंततः अ धकारी पीछे हट गए और गांधीजी को पूछताछ करने क अनुम त
दे द । अब सरकार ने इस मामले क जांच के लए एक स म त नयु क और गांधी को सद य
के प म ना मत कया। गांधी अ धका रय को यह समझाने म स म थे क तनक ठया णाली
को समा त कर दया जाना चा हए और कसान से वसूले गए अवैध बकाये के लए उ ह
मुआ वजा दया जाना चा हए। बागवान के साथ समझौते के प म वह इस बात पर सहमत
ए क ली गई धनरा श का के वल तशत ही मुआ वजा दया जाना चा हए।

एक दशक के भीतर बागवान ने यह े छोड़ दया। गांधी जी ने भारत म स वनय


अव ा क पहली लड़ाई जीती थी। चंपारण स या ह से जुड़े अ य लोक य नेता थे ज कशोर
साद अनु ह नारायण स हा रामनवमी साद और शंभूशरण वमा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अहमदाबाद मल हड़ताल
पहली भूख हड़ताल
माच म गांधी ने लेग बोनस बंद करने के मु े पर अहमदाबाद के कपास मल
मा लक और मक के बीच ववाद म ह त ेप कया। मल मा लक बोनस वापस लेना
चाहते थे। मक अपने वेतन म तशत क वृ क मांग कर रहे थे ता क वे थम
व यु म टे न क भागीदारी के कारण यु कालीन मु ा त जसने खा ा कपड़े
और अ य आव यकता क क मत दोगुनी हो ग के समय बंधन कर सक। मल मा लक
के वल तशत वेतन वृ दे ने को तैयार थे। कमचारी हड़ताल पर चले गये.

मक और मल मा लक के बीच संबंध खराब हो गए य क हड़ताली मक


को मनमाने ढं ग से बखा त कर दया गया और मल मा लक ने बंबई से बुनकर को लाने
का फै सला कया। मल के मज र ने याय क लड़ाई म मदद के लए अनुसूया साराभाई
क ओर ख कया। अनुसूया साराभाई एक सामा जक कायकता थ जो याय क लड़ाई म
मदद के लए मल मा लक म से एक और अहमदाबाद मल ओनस एसो सएशन
अहमदाबाद म कपड़ा उ ोग को वक सत करने के लए म ा पत के अ य
अंबालाल साराभाई क बहन भी थ ।

अनुसूया बहन गांधी के पास ग जनका मल मा लक और मक ारा स मान कया


जाता था और उनसे ह त ेप करने और मक और नयो ा के बीच ग तरोध को हल
करने म मदद करने के लए कहा।
हालाँ क गांधी अ बालाल के म थे फर भी उ ह ने मज र का मु ा उठाया। अनुसूया भी
कायकता का समथन करती थ और गांधीजी क मुख सपहसालार म से एक थ । वह
अनुसूया बहन ही थ ज ह ने बाद म म अहमदाबाद टे सटाइल लेबर एसो सएशन
का गठन कया। गांधी ने मक से हड़ताल पर जाने और वेतन म तशत के बजाय
तशत क वृ क मांग करने को कहा।

गांधी जी ने मज र को हड़ताल के दौरान अ हसक रहने क सलाह द । जब मल


मा लक के साथ बातचीत आगे नह बढ़ तो उ ह ने मज र के संक प को मजबूत करने के
लए खुद आमरण अनशन कया उनका पहला अनशन । ले कन अनशन का असर अंततः
मल मा लक पर दबाव डालने पर भी पड़ा
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गांधी जी का ा भाव

इस मु े को याया धकरण के सम तुत करने पर सहम त क । हड़ताल वापस ले ली


गई. अंत म यूनल ने मक को तशत वेतन वृ का फै सला सुनाया।

खेड़ा स या ह पहला असहयोग म सूख े के कारण


गुज रात के खेड़ा जले
म फसल बबाद हो ग । राज व सं हता के अनुसार य द उपज सामा य उपज के एक चौथाई से
कम थी तो कसान छू ट के हकदार थे। गुज रात सभा ने जसम कसान भी शा मल थे ांत के
सव शासक य अ धका रय को या चकाएँ तुत क और अनुरोध कया क वष के
लए राज व मू यांक न को नलं बत कर दया जाए। हालाँ क सरकार अड़ी रही और कहा क
कर नह चुक ाने पर कसान क संप ज त कर ली जाएगी।

गांधी जी ने कसान से कर न दे ने को कहा। हालाँ क गांधी मु य प से संघष के


आ या मक मुख थे। यह सरदार व लभभाई पटे ल और अ य सम पत गांधीवा दय अथात्
नरह र पा रख मोहनलाल पं ा और र वशंक र ास का एक समूह था ज ह ने गांव का दौरा
कया ामीण को संग ठत कया और उ ह बताया क या करना है और आव यक राजनी तक
नेतृ व दया। पटे ल ने अपने सहयो गय के साथ मलकर कर व ोह का आयोजन कया जसका
खेड़ा के व भ जातीय और जातीय समुदाय ने समथन कया।

व ोह इस मायने म उ लेख नीय था क अनुशासन और एकता कायम रही। यहां तक


क जब कर का भुगतान न करने पर सरकार ने कसान क नजी संप भू म और आजी वका
ज त कर ली तब भी खेड़ा के अ धकांश कसान ने सरदार पटे ल का साथ नह छोड़ा। अ य
ह स म व ोह के त सहानुभू त रखने वाले गुज रा तय ने दशनकारी कसान के र तेदार
और संप को आ य दे क र मदद क । जन भारतीय ने ज त क गई भू म खरीदने क मांग
क उ ह सामा जक प से ब ह कृ त कर दया गया।

अंततः सरकार ने कसान के साथ समझौता करना चाहा। यह वचाराधीन वष और


अगले वष के लए कर को नलं बत करने पर सहमत आ दर म वृ कम कर और ज त क
गई सारी संप वापस करो।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

खेड़ा के संघष से कसान म नई जागृ त आई। वे इस बात से अवगत हो गए क वे


तब तक अ याय और शोषण से मु नह ह गे जब तक क उनका दे श पूण वतं ता ा त
नह कर लेता।

चंपारण अहमदाबाद और खेड़ा से लाभ • गांधीजी ने लोग को अपनी स या ह


क तकनीक
क भावशीलता का दशन कया। • उ ह ने जनता के बीच अपने पैर जमाए और
उ ह जनता क ताकत और कमजो रय क
प क समझ हो गई।

• उ ह ने कई लोग वशेषकर युवा का स मान और तब ता हा सल क ।

रौलट ए ट स या ह ज लयाँवाला
बाग नरसंहार
जहां एक ओर सरकार ने संवैधा नक सुधार य प एक असंतोषजनक आदे श के बावजूद
क योजना बनाई वह सरी ओर उसने सुधार के खलाफ कसी भी असंतोषजनक
आवाज को दबाने के लए खुद को असाधारण श य से लैस करने का फै सला कया।

रौलेट ए ट म टफोड सुधार लागू


होने से ठ क छह महीने पहले इंपी रयल ले ज ले टव काउं सल म दो बल पेश कए गए थे।
उनम से एक को हटा दया गया था ले कन सरा भारत र ा व नयमन अ ध नयम
का व तार माच म पा रत कया गया था। इसे आ धका रक तौर पर अराजक और
ां तकारी अपराध अ ध नयम कहा जाता था ले कन लोक य प से रोलेट ए ट के प
म जाना जाता था। यह भारतीय लोग क दे श ोही सा जश क जांच के लए टश
यायाधीश सर सडनी रोलेट क अ य ता वाले रोलेट आयोग ारा पछले वष इंपी रयल
वधान प रषद को क गई सफा रश पर आधा रत था। स म त ने सफा रश क थी क
कायकता को नवा सत कया जाना चा हए या
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गांधी जी का ा भाव

बना कसी मुक दमे के दो साल तक जेल म रखा गया और यहां तक क दे श ोही समाचार
प का क ज़ा भी अपराध का पया त सबूत होगा।
इंपी रयल वधान प रषद के सभी नवा चत भारतीय सद य ने वधेयक के खलाफ मतदान
कया ले कन वे अ पमत म थे और आ धका रक या शय ारा आसानी से खा रज कर
दया गया। सभी नवा चत भारतीय सद य जनम मोह मद अली ज ा मदन मोहन
मालवीय और मजहर उल हक शा मल थे ने वरोध म इ तीफा दे दया।

इस अ ध नयम ने राजनी तक कायकता पर बना जूरी के मुक़ दमा चलाने या यहां


तक क बना मुक़ दमे के जेल म डालने क अनुम त द । इसने के वल दे श ोह के संदेह पर
भारतीय को बना वारंट के गर तार करने क अनुम त द ।
ऐसे सं द ध पर कानूनी मदद का सहारा लए बना गोपनीयता से मुक दमा चलाया जा सकता
है। ऐसे सं द ध पर मुक दमा चलाने के लए उ यायालय के तीन यायाधीश वाला एक
वशेष क था और उस पैनल के ऊपर अपील क कोई अदालत नह थी। यह पैनल भारतीय
सा य अ ध नयम के तहत वीकाय न होने वाले सबूत को भी वीकार कर सकता है। नाग रक
वतं ता के आधार बंद य ीकरण कानून को नलं बत करने क मांग क गई।

सरकार का उ े य यु कालीन भारत र ा अ ध नयम के दमनकारी ावधान को


एक ायी कानून ारा त ा पत करना था। इस लए भारत म भाषण और सभा क
वतं ता पर यु कालीन तबंध फर से लगा दए गए। ेस पर स त नयं ण था और
सरकार कसी भी चीज़ से नपटने के लए व भ श य से लैस थी जसे अ धकारी
आतंक वाद या ां तकारी रणनी त मानते थे।

रौलट ए ट के खलाफ स या ह पहली सामू हक हड़ताल जब भारतीय


को यु म उनके योगदान के लए
पुर कार के प म वशासन क दशा म बड़ी ग त क उ मीद थी तो उ ह ब त ही सी मत
दायरे और च काने वाले दमनकारी रौलट ए ट के साथ म टफोड सुधार दया गया। आ य क
बात नह क भारतीय को ठगा आ महसूस आ। खासकर गांधीजी जो टश यु यास
म सहयोग क पेशकश करने म सबसे आगे थे और ज ह ने टश भारतीय सेना म भारतीय
क भत को ो सा हत करने क भी पेशकश क थी। उ ह ने रोलेट ए ट को काला
अ ध नयम कहा और तक दया क अलग अलग राजनी तक अपराध के जवाब म हर
कसी को सजा नह मलनी चा हए।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गांधीजी ने अ खल भारतीय तर पर बड़े पैमाने पर वरोध दशन का आ ान कया।


ले कन ज द ही संवैधा नक वरोध को ू र दमन का सामना करते दे ख गांधी ने एक स या ह
सभा का आयोजन कया और होम ल लीग और पैन इ लामवा दय के युवा सद य को इसम
शा मल कया। अंततः चुने गए वरोध के प म उपवास और ाथना के साथ रा ापी
हड़ताल हड़ताल का पालन और व श कानून के खलाफ स वनय अव ा और गर तारी
और कारावास शा मल थे ।

अब तक त म आमूल चूल प रवतन आ चुक ा था। i जनता को एक दशा मल


गई थी अब वे अपनी शकायत को के वल मौ खक अ भ दे ने के बजाय काय
कर सकते ह। ii अब से कसान कारीगर और शहरी गरीब को संघष म एक मह वपूण
भू मका नभानी थी। iii रा ीय आ दोलन का उ मुख ीकरण ायी प से जनता क
ओर हो गया। गांधी जी ने कहा क मु तब होगी जब जनता जागृत होगी और राजनी त म
स य होगी।

स या ह अ ैल को शु कया जाना था ले कन इसके शु होने से पहले


कलक ा बॉ बे द ली अहमदाबाद आ द म बड़े पैमाने पर हसक टश वरोधी दशन
ए। वशेषकर पंज ाब म त इतनी व ोटक हो गई क यु कालीन दमन जबरन भ तय
और बीमारी के कहर के कारण सेना बुलानी पड़ी। अ ैल म के बाद से सबसे बड़ा
और सबसे हसक टश वरोधी व ोह आ। कहा जाता है क पंज ाब के ले टनट गवनर सर
माइकल ओ डायर हसक दशनका रय के ख़लाफ़ वमान हमले का इ तेमाल कया।

ज लयांवाला बाग नरसंहार अ ैल


अमृतसर हसा से सबसे यादा भा वत आ. शु आत म दशनका रय ने कोई हसा नह
क . भारतीय ने अपनी कान और सामा य ापार बंद कर दया और खाली सड़क ने टश
व ासघात पर भारतीय क नाराजगी को दशाया। अ ैल को दो रा वाद नेता सैफु न
कचलू और डॉ. स यपाल को टश अ धका रय ने बना कसी उकसावे के गर तार कर
लया सवाय इसके क उ ह ने वरोध सभा को संबो धत कया था और कसी अ ात ान
पर ले गए। इससे लोग म आ ोश फै ल गया
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गांधी जी का ा भाव

भारतीय दशनकारी जो अपने नेता के त एकजुटता दखाने के लए अ ैल को हजार


क सं या म सामने आए। ज द ही वरोध दशन हसक हो गया य क पु लस ने गोलीबारी
क जसम कु छ दशनकारी मारे गए। तनाव ब त बढ़ गया.

इसके बाद ए दं गे म पांच अं ेज़ के मारे जाने क ख़बर है और साइ कल पर जा रही अं ेज़


म हला मशनरी मासला शेरवुड क पटाई क गई.

उप व को रोकने के लए तुरंत सै नक भेज े गए।


गे डयर जनरल रे जना डायर व र टश अ धकारी थे जन पर माशल लॉ लगाने और
व ा बहाल करने क ज मेदारी थी। तब तक शहर म शां त आ गई थी और जो वरोध
दशन हो रहे थे वे शां तपूण थे। हालाँ क डायर ने अ ैल जो बैसाखी भी थी को एक
उ ोषणा जारी क जसम लोग को बना पास के शहर छोड़ने और दशन या जुलूस आयो जत
करने या तीन से अ धक के समूह म इक ा होने से मना कया गया।

बैसाखी के दन शहर म नषेधा ा से अन भ लोग क एक बड़ी भीड़ यादातर


पड़ोसी गांव से बैसाखी योहार मनाने के लए सावज नक काय म के लए एक लोक य
ान ज लयांवाला बाग म एक ई। ानीय नेता ने काय म ल पर एक वरोध सभा
भी बुलाई थी.

यह नह है क वहां एक त लोग म से कतने राजनी तक दशनकारी थे


ले कन अ धकांश वे लोग थे जो उ सव के लए एक ए थे। इस बीच बैठक शां तपूण ढं ग से
चल रही थी और दो ताव पा रत कए गए एक रोलेट ए ट को नर त करने का आ ान और
सरा अ ैल को ई गोलीबारी क नदा। तभी गे डयर जनरल डायर अपने सा थय के
साथ घटना ल पर प ंचे।

जनरल डायर के आदे श के तहत सै नक ने सभा को घेर लया और एकमा नकास


ब को अव कर दया और नह े भीड़ पर गो लयां चला द । कोई चेतावनी जारी नह क
गई ततर बतर होने का कोई नदश नह दया गया. पु ष म हला और ब क एक
नह ी भीड़ पर गोलीबारी क गई जब उ ह ने भागने क को शश क ।

आ धका रक टश भारतीय ोत के अनुसार मृतक क पहचान क गई और


लगभग घायल ए।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास


पंज ाब म कु छ ानीय गड़ब ड़य को शांत करने के लए सरकार ारा उठाए गए कदम क वशालता ने
एक गहरे झटके के साथ हमारे मन म भारत म टश जा के प म हमारी त क असहायता को
उजागर कर दया है... ट वह कम से कम यह कर सकता है मेरे दे श के लए मेरा काम यह है क म
आतंक क मूक पीड़ा म डू बे अपने लाख दे शवा सय के वरोध को आवाज दे ने के लए सभी नतीजे अपने
ऊपर ले लूं। समय आ गया है जब स मान के तमगे अपमान के असंगत संदभ म हमारी शम को कर
द...

रवी नाथ टै गोर ने वायसराय को लखे एक प म

कोई भी सरकार स मान क हकदार नह है जो अपनी जा क वतं ता को स ते म रखती


है।
एमके गांधी इन युवा भारत के बाद
ज लयांवाला बाग ह याकांड

सरी ओर भारतीय रा ीय कां ेस का अनुमान है क से अ धक लोग घायल ए और


लगभग लोग मारे गए। ले कन यह सट क प से ात है क भीड़ पर गो लयाँ
चलाई ग । इस घटना के बाद अमृतसर के नवा सय पर अस य ू रताएँ क ग । पंज ाब म
माशल लॉ घो षत कर दया गया और सावज नक प से कोड़े मारे गए तथा अ य अपमान कए
गए। के वल एक उदाहरण के प म भारतीय को उस सड़क पर अपने पेट के बल रगने के
लए मजबूर कया गया था जस पर अं ेज ी मशनरी पर हमला कया गया था।

पूरा दे श त रह गया. रवी नाथ टै गोर ने वरोध व प अपनी नाइट ड क उपा ध


याग द । गांधीजी ने बोअर यु के दौरान अपने काम के लए अं ेज ारा द गई कै सर ए हद
क उपा ध छोड़ द । पूण हसा के माहौल से गांधीजी अ भभूत हो गये और अ ैल
को आंदोलन वापस ले लया।

व तु न से दे ख ा जाए तो डायर ने शु आत सु न तक
टश राज के अंत का.
अमृतसर म जो कु छ आ उससे गांधीजी को यह घोषणा करनी पड़ी क शैतानी
शासन के साथ सहयोग अब असंभव है।
उ ह ने महसूस कया क टश शासन से भारतीय वतं ता का उ े य नै तक प से उ चत
था। असहयोग आंदोलन का रा ता तैयार हो गया.
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गांधी जी का ा भाव

इ तहासकार एपीजे टे लर के अनुसार ज लयांवाला बाग नरसंहार नणायक ण था


जब भारतीय को टश शासन से अलग कर दया गया था ।

क घटना ने पंज ाब क तरोध क राजनी त को आकार दया। ज लयांवाला


बाग ह याकांड के समय भगत सह मा वष के थे। भगत सह क भारत नौजवान सभा के
लए नरसंहार एक तीक के प म काय करना था जो असहयोग आंदोलन के अंत के बाद
आई उदासीनता को र करने म मदद करेगा।

उधम सह जनका नाम राम मोह मद सह आज़ाद था ने बाद म ले टनट गवनर


माइकल ओ डायर क ह या कर द ज ह ने पंज ाब म के वरोध दशन के ूर टश
दमन क अ य ता क थी। उधम सह को उनके कृ य के लए म फाँसी दे द गई।
उनक अ याँ म भारत लौटा द ग ।

जांच क हंटर स म त
ज लयांवाला बाग म ए नरसंहार ने भारतीय के साथ साथ कई अं ेज को भी झकझोर कर
रख दया। भारत के रा य स चव एड वन म टागु ने आदे श दया क मामले क जांच के लए
एक जांच स म त बनाई जाए। इस लए अ टू बर को भारत सरकार ने वकार जांच
स म त के गठन क घोषणा क जसे अ य लॉड व लयम हंटर पूव सॉ ल सटर जनरल के
नाम पर अ धक ापक प से और व भ प से हंटर स म त आयोग के प म जाना जाने
लगा। कॉटलड के लए और कॉटलड म कॉलेज ऑफ ज टस के सीनेटर। आयोग का उ े य
बॉ बे द ली और पंज ाब म हाल क गड़बड़ी उनके कारण और उनसे नपटने के लए कए
गए उपाय क जांच करना था।

सद य म तीन भारतीय थे अथात् सर चमनलाल ह रलाल सीतलवाड बॉ बे


व व ालय के कु लप त और बॉ बे उ यायालय के वक ल पं डत जगत नारायण वक ल
और संयु ांत क वधान प रषद के सद य और वा लयर रा य के वक ल सरदार
सा हबजादा सु तान अहमद खान।
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अ टू बर को द ली म बैठक के बाद स म त ने द ली अहमदाबाद बॉ बे और


लाहौर से बुलाए गए गवाह के बयान लए। नवंबर म स म त लाहौर प ंची और अमृतसर क
घटना के मुख गवाह से पूछताछ क । डायर को स म त के सम बुलाया गया।

उसे व ास था क उसने जो कया है वह के वल उसका कत है।


डायर ने कहा क उसका इरादा पूरे पंज ाब म आतंक फै लाना था और ऐसा करके व ो हय के
नै तक कद को कम करना था। बताया जाता है क डायर ने अपने स मान क भावना को यह
कहते ए समझाया था मुझ े लगता है क यह ब त संभव है क म बना गोली चलाए भीड़
को ततर बतर कर सकता था ले कन वे फर से वापस आ जाते और हंसते और म जो म
समझता ं उसे मूख बना दे ता। मेरा। उ ह ने यह भी कहा क उ ह ने गोलीबारी के बाद
घायल क दे ख भाल के लए कोई यास नह कया य क वह इसे अपना काम नह मानते थे।

हालाँ क डायर के बयान से स म त के सद य के बीच न लीय तनाव पैदा हो गया


माच म जारी अं तम रपोट म सवस म त से डायर के काय क नदा क गई। रपोट म
कहा गया है क शु आत म बाग से हटने के लए नो टस क कमी एक ु ट थी फाय रग क
अव ध म गंभीर ु ट दखी पया त नै तक भाव उ प करने के डायर के उ े य क नदा क
जानी थी डायर ने अपने अ धकार क सीमा का उ लंघन कया था पंज ाब म टश शासन
को उखाड़ फकने क कोई सा जश नह क गई थी। भारतीय सद य क अ पसं यक रपोट
म आगे कहा गया क सावज नक बैठक पर तबंध लगाने वाली घोषणा को अपया त प
से चा रत कया गया था भीड़ म नद ष लोग थे और बाग म पहले से कोई हसा नह ई थी
डायर को या तो अपने सै नक को घायल क मदद करने का आदे श दे ना चा हए था या नाग रक
अ धका रय को ऐसा करने का नदश दे ना चा हए था डायर क हरकत अमानवीय और गैर
टश थ और उ ह ने भारत म टश शासन क छ व को ब त नुक सान प ंचाया था।

हंटर स म त ने कोई दं डा मक या अनुशासना मक कारवाई नह क य क डायर के


काय को व भ व र ारा माफ कर दया गया था बाद म सेना प रषद ारा इसे बरकरार
रखा गया था ।
इसके अलावा भूख स म त के शु होने से पहले
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गांधी जी का ा भाव

कायवाही सरकार ने अपने अ धका रय क सुर ा के लए एक तपू त अ ध नयम पा रत


कया था। हाइट वॉ शग बल जसे तपू त अ ध नयम कहा जाता था क मोतीलाल नेह
और अ य लोग ने कड़ी आलोचना क थी।

इं लड म आयोग क रपोट क समी ा करने का दा य व उस समय के यु रा य


स चव व टन च चल को दया गया। हाउस ऑफ कॉम स म च चल कोई भारतीय का ेमी
नह ने अमृतसर म जो कु छ आ उसक नदा क । उ ह ने इसे रा सी बताया. टे न के
पूव धान मं ी एचएच ए वथ ने इसे हमारे पूरे इ तहास म सबसे खराब आ ोश म से
एक कहा। कै बनेट च चल से सहमत थी क डायर एक खतरनाक आदमी था और उसे अपने
पद पर बने रहने क अनुम त नह द जा सकती। डायर को बखा त करने का नणय सेना
प रषद को सुनाया गया। अंत म डायर को कत क गलत धारणा का दोषी पाया गया और
माच म उसक कमान से मु कर दया गया। उसे इं लड वापस बुला लया गया। उनके
व कोई कानूनी कारवाई नह क गई उ ह ने आधा वेतन लया और अपनी सेना पशन
ातक।

हालाँ क डायर क सव नदा नह क गई। हाउस ऑफ लॉड् स म अ धकांश सा थय


ने डायर का समथन कया और सदन ने उसके समथन म एक ताव पा रत कया। और मॉ नग
पो ट के बारे म बताया गया है क उसने डायर के लए पाउं ड क रा श जुटाई थी इस
फं ड म एक स योगदानकता डयाड कप लग थे।

आ यजनक प से अ र सह के नेतृ व म वण मं दर के पादरी ने डायर को सख


घो षत करके स मा नत कया। ी दरबार सा हब अमृतसर के पुज ा रय ारा डायर का स मान
करना खालसा द वान माझा और स ल माझा खालसा द वान जैसे समाज ारा पहले से ही
उठाई जा रही सख मं दर के बंधन म सुधार क मांग के तेज होने के कारण म से एक था।
इसके प रणाम व प गु ारा सुधार के प म जाना जाने लगा

आंदोलन।

कां ेस का कोण भारतीय


रा ीय कां ेस ने अपनी वयं क गैर सरकारी स म त नयु क जसम मोतीलाल नेह
सीआर दास अ बास शा मल थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

तैयबजी एमआर जयकर और गांधी। कां ेस ने रखा अपना नज रया. इस कोण ने डायर के
कृ य को अमानवीय बताते ए इसक आलोचना क और यह भी कहा क पंज ाब म माशल लॉ
लागू करने का कोई औ च य नह है।

सारांश • थम
व यु के अंत म रा वाद व ोह य
यु ो र आ थक क ठनाई।
नया भर म सा ा यवाद से रा वा दय का मोहभंग।
सी ां त का भाव.

• म टागु चे सफोड ने ांत म ै ध शासन व ा म सुधार


कया।
शासन के लए दो सू चयाँ आर त और ह तांत रत । आर त वषय को कायकारी प रषद के मा यम से
रा यपाल ारा शा सत कया जाएगा और ानांत रत वषय को वधान प रषद से मं य ारा शा सत कया
जाएगा।

ह त ेप के लए गवनर गवनर जनरल और रा य स चव को ापक श याँ।

मता धकार का व तार आ श य का भी व तार आ।


गवनर जनरल को सद यीय कायकारी प रषद के साथ शासन करना था तीन भारतीय।

शासन के लए दो सू चयाँ क य और ांतीय।


सदनीय क य वधा यका क य वधान सभा नचले सदन के प म और रा य प रषद ऊपरी सदन के प म।

क मयां ै ध
शासन व ा इतनी ज टल और अता कक है क इसे याशील नह कया जा सकता।
के य कायपा लका वधा यका के त उ रदायी नह है।
सी मत चाइजी.

• वशेष प से रोलेट ए ट के बाद अं ेज ारा व ासघात क भावना यु के बाद इनाम दे ने के टश वादे पूरे नह
हो सके ।
रा वा दय को नराशा ई.

•द णअ का म गांधीजी क स यता
नेटाल इं डयन कां ेस क ापना क और पंज ीकरण माणप के व भारतीय राय.
स या ह शु कया।
भारतीय वासन पर तबंध के व अ भयान।
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गांधी जी का ा भाव

मतदान कर और भारतीय ववाह को अमा य करने के व अ भयान।


जनता क लड़ने क मता म गांधी का व ास ा पत आ वह नेतृ व क अपनी शैली राजनी त और
संघष क तकनीक वक सत करने म स म थे।

• भारत म गांधी जी क ारं भक स यता


चंपारण स या ह थम स वनय अव ा।
अहमदाबाद मल हड़ताल पहली भूख हड़ताल।
खेड़ा स या ह पहला असहयोग।
रौलट स या ह पहली सामू हक हड़ताल।
ज लयांवाला बाग ह याकांड और जांच स म त
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असहयोग आंदोलन और खलाफत


आंदोलन
के दौरान दो जन आंदोलन खलाफत और असहयोग के मा यम से अं ेज का
वरोध कया गया। हालाँ क दोन आंदोलन अलग अलग मु से उभरे ले कन उ ह ने कारवाई
का एक सामा य काय म अपनाया वह था अ हसक असहयोग। खलाफत का मु ा सीधे तौर
पर भारतीय राजनी त से नह जुड़ा था ले कन इसने आंदोलन को ता का लक पृ भू म दान
क और अं ेज के खलाफ ह मु लम एकता को मजबूत करने का अ त र लाभ दया।

पृ भू म
दोन आंदोलन क पृ भू म थम व यु के बाद क घटना क एक ृंख ला ारा दान क
गई थी जसने भारतीय वषय के त सरकार क उदारता क सभी आशा को वफल कर
दया था। वष म वशेष प से भारतीय के सभी वग म व भ चीज़ के त असंतोष
क ती भावना दे ख ी गई

कारण
• यु के बाद के वष म व तु क क मत म वृ भारतीय उ ोग के उ पादन म
कमी कर और लगान के बोझ म वृ आ द से दे श क आ थक त चताजनक हो गई थी।
समाज के लगभग सभी वग को आ थक क ठनाई का सामना करना पड़ा। यु और इससे
टश वरोधी रवैया मजबूत आ। • रोलेट ए ट पंज ाब म माशल लॉ लागू करना और
ज लयांवाला बाग ह याकांड ने वदे शी शासन के ू र और अस य चेहरे को उजागर कर दया।
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

• पंज ाब अ याचार पर हंटर कमेट दखावा सा बत ई। वा तव म हाउस ऑफ लॉड् स


टश संसद के ने जनरल डायर क कारवाई का समथन कया और टश जनता ने द
मॉ नग पो ट को उसके लए पाउं ड इक ा करने म मदद करके जनरल डायर के साथ
एकजुटता दखाई। • म टागु चे सफोड सुधार ै ध शासन क अपनी गलत क पना वाली
योजना के साथ व शासन के लए भारतीय क बढ़ती मांग को पूरा करने म वफल रहे।

थम व यु के बाद क अव ध म ह और मुसलमान ारा आम राजनी तक


कारवाई के लए जमीन तैयार क गई थी i लखनऊ सं ध ने कां ेस मु लम लीग
सहयोग को े रत कया था ii रोलेट ए ट आंदोलन ने ह और मुसलमान और समाज
के अ य वग को भी एक साथ ला दया और iii मोह मद अली अबुल कलाम आज़ाद
हक म अजमल खान और हसन इमाम जैसे क रपंथी रा वाद मुसलमान अब ढ़वाद
अलीगढ़ कू ल त व क तुलना म अ धक भावशाली हो गए थे जो पहले लीग पर हावी थे।
युवा त व ने उ रा वाद और रा वाद आंदोलन म स य भागीदारी क वकालत क । उनम
सा ा यवाद वरोधी भावनाएँ बल थ ।

इस माहौल म खलाफत का मु ा उभरा जसके इद गद ऐ तहा सक असहयोग


आंदोलन वक सत आ।

खलाफत मु ा

खलाफत मु े ने मुसलमान क युवा पीढ़ और पारंप रक मु लम व ान के वग के बीच एक


क रपंथी रा वाद वृ के उ व का माग श त कया जो टश शासन के तेज ी से
आलोचक बन रहे थे। इस बार वे थम व यु के बाद अं ेज ारा तुक के साथ कये गये
वहार से ो धत थे।

नया भर के मुसलमान क तरह भारत के मुसलमान भी तुक के सु तान को अपना


आ या मक नेता खलीफा मानते थे इस लए वाभा वक प से उनक सहानुभू त तुक के
साथ थी। यु के दौरान तुक ने अं ेज के खलाफ जमनी और ऑ या के साथ गठबंधन
कया था। जब यु समा त आ तो अं ेज ने स त रवैया अपनाया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

तुक क ओर तुक को खं डत कर दया गया और खलीफा को स ा से हटा दया गया।


इससे नया भर के मुसलमान नाराज हो गए।

भारत म भी मुसलमान ने अं ेज से मांग क i क मु लम प व ान पर


खलीफा का नयं ण बरकरार रखा जाए और ii े ीय व ा के बाद खलीफा के पास
पया त े छोड़ दए जाएं। क शु आत म टश सरकार को तुक के त अपना
रवैया बदलने के लए मजबूर करने के लए अली बंधु शौकत अली और मुह मद अली
मौलाना आज़ाद अजमल खान और हसरत मोहानी के नेतृ व म एक खलाफत स म त का
गठन कया गया था। इस कार दे श ापी आंदोलन क ज़मीन तैयार हो गई।

ख़लीफ़ात नॉन का वकास


सहयोग काय म
कु छ समय के लए खलाफत नेता ने अपने काय को खलाफत के प म बैठक
या चका त न धमंडल तक सी मत कर दया।
हालाँ क बाद म एक उ वाद वृ उभरी जसम अं ेज के साथ सभी सहयोग बंद करने
जैसे स य आंदोलन क मांग क गई।
इस कार नवंबर म द ली म आयो जत अ खल भारतीय खलाफत स मेलन म
टश व तु के ब ह कार का आ ान कया गया। खलाफत नेता ने यह भी प
से कहा क जब तक यु के बाद शां त क शत तुक के अनुकू ल नह ह गी वे सरकार के
साथ सभी सहयोग बंद कर दगे। गांधी जो अ खल भारतीय खलाफत स म त के अ य थे
ने इस मु े को एक ऐसा मंच दे ख ा जहां से सरकार के खलाफ बड़े पैमाने पर और एकजुट
असहयोग क घोषणा क जा सकती थी।

खलाफत पर कां ेस का ख
यह ब कु ल था क खलाफत आंदोलन क सफलता के लए कां ेस का समथन
आव यक था। हालाँ क हालाँ क गांधी खलाफत मु े पर सरकार के खलाफ स या ह और
असहयोग शु करने के प म थे ले कन कां ेस इस कार क राजनी तक कारवाई पर
एकजुट नह थी। तलक कसी धा मक मु े पर मु लम नेता के साथ गठबंधन करने के
वरोधी थे और उ ह इस पर संदेह भी था
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

राजनी त के एक साधन के प म स या ह। ोफे सर र वदर कु मार के अनुसार गांधी ने तलक


को स या ह के गुण और खलाफत मु े पर मु लम समुदाय के साथ गठबंधन क उपयु ता
के बारे म समझाने के लए एक ठोस यास कया। गांधीजी के असहयोग काय म के कु छ
अ य ावधान का भी वरोध आ जैसे प रषद का ब ह कार। हालाँ क बाद म गांधी अपने
राजनी तक काय के काय म के लए कां ेस क वीकृ त ा त करने म स म हो गए और
कां ेस ने खलाफत पर असहयोग काय म का समथन करने क इ ा महसूस क य क

• यह महसूस कया गया क यह ह मु लम एकता को मजबूत करने और मु लम


जनता को रा ीय आंदोलन म लाने का एक सुनहरा अवसर था अब समाज के
व भ वग ह मु लम सख ईसाई कसान कारीगर पूंज ीप त आ दवासी
म हलाएं छा अपने अ धकार के लए लड़कर और यह महसूस करके रा ीय
आंदोलन म आ सकते ह क औप नवे शक शासन उनका वरोध करता है •
कां ेस संवैधा नक संघष म व ास खो रही थी खासकर पंज ाब क घटना
और प से प पातपूण हंटर कमेट क रपोट के बाद • कां ेस को पता
था क जनता अपने असंतोष को अ भ दे ने के लए उ सुक थी।

मु लम लीग का कां ेस को समथन मु लम लीग ने भी राजनी तक


पर कां ेस और उसके आंदोलन को पूण समथन दे ने का नणय लया।

असहयोग ख़लाफ़त
आंदोलन

फरवरी क शु आत म खलाफत के मु े पर शकायत के नवारण के


लए एक संयु ह मु लम त न धमंडल वायसराय के पास भेज ा गया था ले कन मशन
असफल सा बत आ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

फरवरी म गांधीजी ने घोषणा क क पंज ाब क गल तय और संवैधा नक


ग त के मु को खलाफत ने ख म कर दया है और य द शां त सं ध क शत भारतीय
मुसलमान को संतु करने म वफल रह तो वह ज द ही असहयोग आंदोलन का नेतृ व करगे।

मई तुक के साथ से ेस क सं ध पर ह ता र कये गये


मई म तुक पूरी तरह से वखं डत हो गया।
जून इलाहाबाद म एक सवदलीय स मेलन म कू ल कॉलेज और कानून
अदालत के ब ह कार के एक काय म को मंज ूरी द गई और गांधी को इसका नेतृ व करने के
लए कहा गया।
अग त ख़लाफ़त स म त ने असहयोग अ भयान शु कया और आंदोलन
औपचा रक प से शु कया गया। संयोगवश तलक ने अग त को अं तम सांस
ली थी।

सतंबर कलक ा म एक वशेष स म कां ेस ने पंज ाब और खलाफत क


गल तयाँ र होने और वराज क ापना होने तक एक असहयोग काय म को मंज ूरी द ।
काय म म शा मल होना था

• सरकारी कू ल और कॉलेज का ब ह कार • कानूनी अदालत और याय


दे ने का ब ह कार
इसके बजाय पंचायत के मा यम से
• वधान प रषद का ब ह कार इस पर कु छ मतभेद थे य क सीआर दास जैसे
कु छ नेता प रषद के ब ह कार को शा मल करने के इ ु क नह थे ले कन
कां ेस के अनुशासन के आगे झुक गए इन नेता ने नवंबर म ए
चुनाव का ब ह कार कया और अ धकांश मतदाता भी र रहे • वदे शी कपड़
का ब ह कार और उसके ान पर खाद का योग हाथ से कताई का अ यास
भी करना होगा • सरकारी स मान एवं उपा धय का याग सरे
चरण म सरकारी सेवा से इ तीफा और कर का भुगतान न करने स हत बड़े पैमाने पर
स वनय अव ा शा मल हो सकती है।

आंदोलन के दौरान तभा गय को हर समय अ हसक रहकर ह मु लम एकता


और अ ृ यता को र करने के लए काम करना था।
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

दसंबर भारतीय रा ीय कां ेस के नागपुर अ धवेशन म i असहयोग के


काय म का समथन कया
गया। ii कां ेस के पंथ म एक मह वपूण प रवतन कया गया अब संवैधा नक
तरीक से वशासन क ा त को अपना ल य बनाने के बजाय कां ेस ने शां तपूण
और वैध तरीक के मा यम से वराज क ा त का नणय लया और इस कार खुद को
तब कया। एक सं वधानेतर जनसंघष. iii कु छ मह वपूण संगठना मक प रवतन कए
गए अब से कां ेस का नेतृ व करने के लए सद य क एक कां ेस काय स म त
सीड यूसी क ापना क गई भाषाई आधार पर ांतीय कां ेस स म तयाँ ग ठत क
ग वाड स म तय का आयोजन कया
गया और वेश शु क घटाकर चार आने कर दया गया।

iv गांधीजी ने घोषणा क क य द असहयोग काय म पूरी तरह से लागू कया


गया तो एक वष के भीतर वराज ला दया जाएगा।

ां तकारी आतंक वा दय के कई समूह वशेषकर बंगाल के समूह ने भी कां ेस


के काय म को समथन दे ने का वादा कया।

इस तर पर मोह मद अली ज ा एनी बेसट जीएस खारपड़े और बीसी पाल जैसे


कु छ नेता ने कां ेस छोड़ द य क वे संवैधा नक और वैध संघष म व ास करते थे
जब क सुर नाथ बनज जैसे कु छ अ य लोग ने भारतीय रा ीय लबरल फे डरेशन क
ापना क और रा ीय म एक छोट भू मका नभाई । आगे क राजनी त.

खलाफत स म त ारा पहले शु कए गए असहयोग आंदोलन को कां ेस ारा


अपनाने से इसे एक नई ऊजा मली और और के वष म एक अभूतपूव
लोक य व ोह दे ख ा गया।

आंदोलन का सार
गांधीजी ने अली बंधु के साथ दे श ापी दौरा कया। हजार छा ने सरकारी कू ल और
कॉलेज को छोड़ दया और लगभग रा ीय कू ल और कॉलेज म शा मल हो गए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जो इस दौरान सामने आया. ये शै णक सं ान आचाय नर दे व सीआर दास लाला लाजपत


राय जा कर सैन सुभाष बोस जो कलक ा म नेशनल कॉलेज के सपल बने के नेतृ व म
आयो जत कए गए थे और इनम अलीगढ़ म जा मया म लया काशी व ापीठ गुज रात
व ापीठ और बहार शा मल थे। व ापीठ.

कई वक ल ने अपनी ै टस छोड़ द जनम से कु छ थे मोतीलाल नेह जवाहरलाल


नेह सीआर दास सी. राजा गोपालाचारी सैफु न कचलू व लभभाई पटे ल आसफ अली
ट . काशम और राज साद।

वदे शी कपड़ के ढे र सावज नक प से जला दये गये और उनका आयात आधा हो


गया। कई ान पर वदे शी शराब बेचने वाली कान और ताड़ी क कान पर धरना दया
गया।
तलक वराज कोष को अ धक अ भदान मला और एक करोड़ पये एक त ए।

कां ेस क वयंसेवी वा हनी समानांतर पु लस के प म उभरी।

जुलाई म अली बंधु ने मुसलमान से सेना से इ तीफा दे ने का आ ान कया


य क यह गैर धा मक था। इसके लए अली बंधु को सतंबर म गर तार कया गया था.
गांधी ने उनके आ ान को दोहराया और ानीय कां ेस स म तय से इस आशय के समान
ताव पा रत करने को कहा।

अब कां ेस ने ानीय कां ेस नकाय को स वनय अव ा शु करने का आ ान


कया अगर यह सोचा जाए क लोग इसके लए तैयार ह। पहले से ही मदनापुर बंगाल और
गुंटूर आं म यू नयन बोड कर के खलाफ नो टै स आंदोलन चल रहा था।

असम म चाय बागान ट मर सेवा और असम बंगाल रेलवे म हड़ताल आयो जत


क ग । इन हड़ताल म जेएम सेनगु ता एक मुख नेता थे।

नवंबर म स ऑफ वे स क भारत या ा ने हड़ताल और दशन को


आमं त कया।
अव ा और अशां त क भावना ने कई ानीय संघष को ज म दया जैसे अवध
कसान आंदोलन यूपी एका आंदोलन यूपी म पला व ोह मालाबार और पंज ाब म
महंत को हटाने के लए सख आंदोलन।
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

लोग क त या आंदोलन म
भागीदारी समाज के ापक दायरे से थी ले कन अलग अलग सीमा तक।

म य वग म य वग के
लोग ने शु आत म आंदोलन का नेतृ व कया ले कन बाद म उ ह ने गांधी के काय म के बारे
म ब त आप यां दखा । कलक ा बंबई और म ास जैसे ान म जो कु लीन राजनेता
के क थे गांधी के आ ान पर त या ब त सी मत थी। सरकारी सेवा से यागप दे ने
उपा धयाँ यागने आ द के आ ान क त या को गंभीरता से नह लया गया। भारतीय
राजनी त म तुलना मक प से नवागंतुक को आंदोलन म अपने हत और आकां ा क
अभ मली। बहार म राज साद और गुज रात म व लभभाई पटे ल ने ठोस समथन
दान कया और वा तव म उनके जैसे नेता ने औप नवे शक सरकार के खलाफ लड़ने के
लए असहयोग को आतंक वाद का एक वहाय राजनी तक वक प माना।

ापा रक वग आ थक
ब ह कार को भारतीय ापार समूह से समथन मला य क उ ह रा वा दय के वदे शी के
उपयोग पर जोर दे ने से लाभ आ था। ले कन बड़े वसाय का एक वग आंदोलन के त
सशं कत रहा।

ऐसा तीत होता था क वे अपने कारखान म मक अशां त से भयभीत थे।


कसान
कसान क भागीदारी बड़े पैमाने पर थी। हालाँ क कां ेस वग यु के ख़लाफ़ थी ले कन
जनता ने इस संयम को तोड़ दया। बहार म जनेऊ धारण करने के मु े पर नचली और ऊं ची
जा तय के बीच टकराव असहयोग आंदोलन म वलीन हो गया। सामा य तौर पर कसान
जम दार और ापा रय के खलाफ हो गये। इस आंदोलन ने मेहनतकश जनता को अं ेज के
साथ साथ अपने भारतीय वा मय और उ पीड़क जम दार और ापा रय के खलाफ
अपनी वा त वक भावना को करने का अवसर दया।

छा छा
आंदोलन के स य वयंसेवक बन गए और उनम से हजार ने सरकारी कू ल और कॉलेज छोड़
दए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

रा ीय कू ल और कॉलेज म शा मल हो गए। काशी व ापीठ गुज रात व ापीठ और जमीला


म लया इ ला मया और अ य जैसे नए खुले रा ीय सं ान ने कई छा को समायो जत कया।

म हला ने
पदा याग दया और अपने आभूषण तलक न ध के लए अ पत कर दये। वे बड़ी सं या म
आंदोलन म शा मल ए और वदे शी कपड़ा और शराब बेचने वाली कान के सामने धरना दे ने
म स य भाग लया।

ह मु लम एकता मो पला व ोह
जैसी घटना के बावजूद मुसलमान क ापक भागीदारी और सां दा यक एकता बनाए
रखना बड़ी उपल यां थ । कई ान पर गर तार कए गए लोग म से दो तहाई मुसलमान
थे और इस कार क भागीदारी न तो पहले दे ख ी गई थी और न ही भ व य म दे ख ी जाएगी।

गांधी और अ य नेता ने म जद से मु लम जनता को संबो धत कया और गांधी को मु लम


म हला क सभा को संबो धत करने क अनुम त भी द गई जसम वह एकमा पु ष थे
जनक आंख पर प नह बंधी थी।

सरकार क त या
मई म गांधी और वाइसराय री डग के बीच बातचीत टू ट गई य क सरकार चाहती थी
क गांधी अली बंधु से भाषण से उन ह स को हटाने का आ ह कर जनम हसा का संके त
दया गया था। गांधी को एहसास आ क सरकार उनके और खलाफत नेता के बीच दरार
पैदा करने क को शश कर रही थी और उ ह ने जाल म फं सने से इनकार कर दया। दसंबर म
सरकार ने दशनका रय पर स ती बरती। वयंसेवी दल को अवैध घो षत कर दया गया
सावज नक बैठक पर तबंध लगा दया गया ेस पर ताला लगा दया गया और गांधी को
छोड़कर अ धकांश नेता को गर तार कर लया गया।

आंदोलन का अं तम चरण गांधीजी पर अब कां ेस कायकता क


ओर से स वनय अव ा काय म शु करने का दबाव बढ़ रहा था। म अहमदाबाद स
संयोगवश जेल म रहते ए भी सीआर दास ने अ य ता क हक म अजमल खान कायकारी
अ य थे ने गांधी को इस मु े पर एकमा ा धकारी नयु कया।
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

फरवरी को गांधीजी ने बारडोली गुज रात से स वनय अव ा शु करने क


धमक द य द i राजनी तक कै दय को रहा नह कया गया और ii ेस पर नयं ण नह
हटाया गया।
आंदोलन अभी शु ही आ था क अचानक ख़ म कर दया गया।

चौरी चौरा घटना चौरी चौरा संयु ांत म


गोरखपुर जला नामक एक छोटे से गांव को फरवरी को हसा क एक घटना के
कारण इ तहास क कताब म जगह मली है जसने गांधी को आंदोलन वापस लेने के लए
े रत कया था। यहां पु लस ने शराब क ब और खा पदाथ क ऊं ची क मत के खलाफ
अ भयान चला रहे वयंसेवक के एक समूह के नेता क पटाई क थी और फर पु लस टे शन
के सामने वरोध दशन करने आई भीड़ पर गो लयां चला द थ . उ े जत भीड़ ने थाने म आग
लगा द जसम पु लसकम भी शा मल थे ज ह ने वहां शरण ले रखी थी जन लोग ने भागने
क को शश क उ ह काट डाला गया और वापस आग म फक दया गया। इसम बाईस
पु लसकम मारे गये

Views
जब जनता का उ साह चरम सीमा पर प ँच रहा था तभी पीछे हटने का आदे श दे ना कसी रा ीय आपदा
से कम नह था।
महा मा के मुख ले टनट दे शबंधु दास पं डत मोतीलाल नेह और लाला लाजपत राय जो सभी
जेल म थे ने लोक य नाराजगी साझा क ।

सुभाष चं बोस

म भारत म ां तकारी अशां त क ापक लहर क मक अशां त और हड़ताल


क लहर और यूपी और बहार म कसान वरोध से ... ने एक कार क लोक य जमीन के
प म काम कया जो व तुतः नेतृ व को मजबूर कर रही थी। उ ख...गांधी और कां ेस के बड़े
नेता ने महसूस कया क एक ां तकारी जन आंदोलन उभर रहा है। उ ह ने आंदोलन को नयं त
और सुर त चैनल के भीतर बनाए रखने के लए नेतृ व संभालने का फै सला कया। जब जनता
पहल करने लगी तो आंदोलन बंद कर दया गया।

मा सवाद ा या

आंदोलन को हसक होने से रोकने के लए म हर अपमान हर यातना पूण ब ह कार और मृ यु तक


सह लूँगा।
एमके गांधी इन युवा भारत फ़रवरी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

हसा। आंदोलन क बढ़ती हसक वृ से गांधीजी खुश नह थे और उ ह ने तुरंत आंदोलन


वापस लेने क घोषणा कर द ।

फरवरी म बारडोली म कां ेस व कग कमेट क बैठक ई और कानून तोड़ने


वाली सभी ग त व धय को रोकने और इसके बजाय रचना मक काय करने का संक प लया
गया जसम खाद रा ीय व ालय को लोक य बनाना और संयम के लए अ भयान चलाना
शा मल था। ह मु लम एकता और छु आछू त के खलाफ.

हालाँ क सीआर दास मोतीलाल नेह सुभाष बोस जवाहरलाल नेह स हत


अ धकांश रा वाद नेता ने आंदोलन वापस लेने के गांधी के फै सले पर हैरानी क।

माच म गांधी को गर तार कर लया गया और छह साल जेल क सजा सुनाई


गई। उ ह ने एक शानदार अदालती भाषण ारा इस अवसर को यादगार बना दया इस लए
म यहां उस उ तम दं ड को आमं त करने और खुशी खुशी तुत करने के लए आया ं जो
कानून क से जानबूझ कर कया गया अपराध है और जो मुझ े सबसे बड़ा लगता है उसके
लए मुझ े दया जा सकता है। एक नाग रक का कत ।

गांधी जी ने आंदोलन य वापस ले लया


गांधीजी को लगा क लोग ने अ हसा का तरीका नह सीखा है या पूरी तरह समझा नह है।
चौरी चौरा जैसी घटना से उस तरह का उ साह और जोश पैदा हो सकता है जो आंदोलन को
आम तौर पर हसक बना दे गा। एक हसक आंदोलन को औप नवे शक शासन ारा आसानी से
दबाया जा सकता था जो हसा क घटना को दशनका रय के खलाफ रा य क सश
श का उपयोग करने का बहाना बना दे ता था।

आंदोलन म थकान के ल ण भी दख रहे थे। यह वाभा वक था य क उ पच


पर कसी भी हलचल को ब त लंबे समय तक बनाए रखना संभव नह है। ऐसा लग रहा था क
सरकार बातचीत के मूड म नह है.

आंदोलन का क य वषय खलाफत भी ज द ही समा त हो गया। नवंबर


म तुक के लोग मु तफा कमाल पाशा के नेतृ व म उठे और सु तान को राजनी तक श से
वं चत कर दया। टक बनाया गया
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असहयोग आंदोलन और खलाफत...

धम नरपे रा य। इस कार ख़लाफ़त ने अपनी ासं गकता खो द ।


तुक म यूरोपीय शैली क कानूनी व ा ा पत क गई और म हला को ापक अ धकार
दए गए। श ा का रा ीयकरण कया गया तथा आधु नक कृ ष एवं उ ोग का वकास आ।

म खलाफत को समा त कर दया गया।

खलाफत असहयोग का मू यांक न


आंदोलन

यह आंदोलन शहरी मुसलमान को रा ीय आंदोलन म ले आया ले कन साथ ही इसने रा ीय


राजनी त को एक हद तक सां दा यक बना दया। हालाँ क मु लम भावनाएँ ापक
सा ा यवाद वरोधी भावना के सार क अ भ थ रा ीय नेता मुसलमान क धा मक
राजनी तक चेतना को धम नरपे राजनी तक चेतना के तर तक बढ़ाने म वफल रहे।

असहयोग आंदोलन के साथ रा वाद भावनाएँ दे श के कोने कोने तक प ँच और


जनसं या के हर वग कारीगर कसान छा शहरी गरीब म हलाएँ ापारी आ द का
राजनी तकरण कया गया। यह लाख पु ष का राजनी तकरण और स यण था। और
म हलाएँ ज ह ने रा ीय आंदोलन को एक ां तकारी च र दान कया। औप नवे शक शासन
दो मथक पर आधा रत था एक क ऐसा शासन भारतीय के हत म था और सरा क यह
अजेय था। पहला मथक उदारवाद रा वा दय क आ थक आलोचना से टू ट गया था। सरे
मथक को जनसंघष के मा यम से स या ह ारा चुनौती द गई थी।

अब जनता ने औप नवे शक शासन और उसके श शाली दमनकारी अंग के त अब तक


ा त भय को खो दया है।

दे ख ना

यह खलाफत आंदोलन पूरी तरह से तगामी और त यावाद आंदोलन था और भारतीय रा वाद के लए अ धक


मह वपूण बात यह है क यह आंत रक प से एक रा वरोधी आंदोलन था जो वशेष प से इ लामी हत को
धम नरपे और गैर मु लम हत के खलाफ खड़ा करता था।

डॉ। कोएनराड ए ट
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सारांश
• खलाफत असहयोग आ दोलन
तीन मांग
. तुक के लए अनुकू ल सं ध . पंज ाब क
गल तय का नवारण . वराज क ापना
यु तकनीक

सरकार ारा संचा लत कू ल कॉलेज कानून अदालत नगर पा लका और सरकारी सेवा
वदे शी कपड़े शराब का ब ह कार रा ीय व ालय महा व ालय पंचायत क ापना और
खाद का उपयोग कर का भुगतान न करने पर स वनय अव ा को शा मल करने का सरा चरण।

नागपुर कां ेस अ धवेशन दसंबर कां ेस का ल य संवैधा नक के मा यम से वशासन क


ा त से शां तपूण और वैध तरीक के मा यम से वराज क ा त म बदल गया।

मतलब।
चौरी चौरा घटना फरवरी उ े जत भीड़ क हसा ने गांधीजी को आंदोलन वापस लेने के
लए े रत कया।
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

वराजवा दय का उदय
समाजवाद वचार ां तकारी
ग त व धयाँ और अ य
नई ताकत

वराजवाद और प रवतक नह
कां ेस खलाफत वरा य क उ प
दल
गांधी क गर तारी माच के बाद रा वाद रक म वघटन अ व ा और मनोबल
गर गया।
कां े सय के बीच इस बात पर बहस शु हो गई क सं मण काल यानी आंदोलन के
न य चरण के दौरान या कया जाए.
सीआर दास मोतीलाल नेह और अजमल खान के नेतृ व म एक वग वधान
प रषद के ब ह कार को समा त करना चाहता था ता क रा वाद इन वधानसभा क
बु नयाद कमजो रय को उजागर करने के लए उनम वेश कर सक और लोक य उ साह
जगाने के लए इन प रषद को राजनी तक संघष के े के प म उपयोग कर सक। .

सरे श द म वे इन प रषद को ख म या सुधारना चाहते थे यानी अगर सरकार ने


रा वा दय क मांग का जवाब नह दया तो वे इन प रषद के काम म बाधा डालगे।

वधान प रषद म वेश क वकालत करने वाल को वराजवा दय के पम


जाना जाने लगा जब क अ य वचारधारा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सी. राजगोपालाचारी व लभभाई पटे ल राज साद और एमए अंसारी के नेतृ व वाले वचार
को नो चजस के प म जाना जाने लगा। नो चजस ने प रषद म वेश का वरोध कया
रचना मक काय पर एका ता क वकालत क और ब ह कार और असहयोग जारी रखा और
नलं बत स वनय अव ा काय म को फर से शु करने के लए शांत तैयारी क ।

दोन वचारधारा के बीच प रषद म वेश के सवाल पर मतभेद के प रणाम व प


कां ेस के गया स दसंबर म प रषद को समा त करने या सुधारने के वराजवा दय
के ताव क हार ई। सीआर दास और मोतीलाल नेह ने मशः कां ेस के अ य और
स चव पद से इ तीफा दे दया और कां ेस खलाफत वरा य पाट या बस वराजवाद पाट
के गठन क घोषणा क जसम सीआर दास अ य और मोतीलाल नेह स चव म से एक
थे।

वराजवा दय के तक
प रषद म वेश क वकालत करने के लए वराजवा दय के पास अपने कारण थे।

• प रषद म वेश करने से असहयोग काय म अ वीकार नह होगा वा तव म यह


अ य तरीक से आंदोलन को आगे बढ़ाने जैसा होगा एक नया मोचा खोलना। • राजनी तक
शू यता के समय म प रषद का काय जनता को उ सा हत करने और उनका मनोबल बनाए
रखने का काम करेगा। रा वा दय का वेश सरकार को प रषद म अवां छत त व को
भरने से रोके गा जनका उपयोग सरकारी उपाय को वैधता दान करने के लए कया जा
सकता है। • प रषद का उपयोग राजनी तक संघष के े के प म कया जा सकता है
औप नवे शक शासन के मक प रवतन के लए प रषद को अंग के प म उपयोग करने का
कोई इरादा नह था।

नो चजस के तक
नो चजस ने तक दया क संसद य काय से रचना मक काय क उपे ा होगी ां तकारी
उ साह क हा न होगी और राजनी तक ाचार होगा। रचना मक काय सभी को स वनय
अव ा के अगले चरण के लए तैयार करेगा।
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

असहमत से सहमत हालाँ क


दोन प कार के वभाजन से बचना चाहते थे और गांधीजी के संपक म थे जो जेल
म थे। दोन प ने सरकार को सुधार लाने के लए मजबूर करने के लए एक जन आंदोलन
खड़ा करने के लए संयु मोचा बनाने के मह व को भी महसूस कया और दोन प ने
गांधी के संयु रा वाद मोच के नेतृ व क आव यकता को वीकार कया। इन कारक को
यान म रखते ए सतंबर म द ली म एक बैठक म एक समझौता कया गया।

वराजवा दय को कां ेस के भीतर एक समूह के प म चुनाव लड़ने क अनुम त


द गई। वराजवा दय ने कां ेस के काय म को के वल एक अंतर के साथ वीकार कया
क वे वधान प रषद म शा मल ह गे। नवग ठत क य वधान सभा और ांतीय
वधानसभा के चुनाव नवंबर म होने थे।

चुनाव के लए वराजवाद घोषणाप अ टू बर म जारी कया गया


वराजवाद घोषणाप ने एक मजबूत सा ा यवाद वरोधी ख अपनाया। सामने रखे गए
ब इस कार थे. • भारत पर शासन करने म अं ेज का मागदशक उ े य अपने दे श के
वाथ म
न हत था • तथाक थत सुधार के वल एक ज मेदार सरकार दे ने के बहाने उ
हत को आगे बढ़ाने क एक को शश थी जसका वा त वक उ े य
भारतीय को टे न के अधीन तम ायी प से रखकर दे श के असी मत
संसाधन का शोषण जारी रखना था

• वराजवाद प रषद म वशासन क रा वाद मांग तुत करगे • य द यह मांग


अ वीकार कर द गई तो वे प रषद के मा यम
से शासन को असंभव बनाने के लए प रषद के भीतर एक समान नरंतर और
लगातार कावट क नी त अपनाएंगे • इस कार हर उपाय पर ग तरोध पैदा करके प रषद
को भीतर से बबाद कर दया जाएगा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गांधीजी का रवैया गांधीजी शु म


प रषद म वेश के वराजवाद ताव के वरोध म थे। ले कन फरवरी म वा य कारण
से जेल से रहा होने के बाद वह धीरे धीरे वराजवा दय के साथ मेल मलाप क ओर बढ़े । •
उनका मानना था क प रषद म वेश के काय म का सावज नक वरोध अनु पादक होगा। •
नवंबर के चुनाव म वराजवाद नवा चत
सीट म से सीट जीतने और म य ांत क ांतीय वधानसभा म ब मत
हा सल करने म कामयाब रहे थे। वधा यका म उदारवा दय और
ज ा और मालवीय जैसे वतं लोग के सहयोग से उ ह ने ब मत हा सल कया।

वराजवा दय ने जस साहसी और समझौताहीन तरीके से काय कया उससे उ ह व ास हो


गया क वे औप नवे शक शासन का सफ एक और अंग नह बनगे।

• के अंत म ां तकारी आतंक वा दय और वराजवा दय पर सरकारी कारवाई


ई इससे गांधीजी ो धत हो गए और उ ह ने वराजवा दय क इ ा के आगे समपण
करके उनके त अपनी एकजुटता क।

म दोन प म एक समझौता आ दसंबर म कां ेस के बेलगाम स


म इसका समथन कया गया जस पर गांधी ने एकमा बार कां ेस स क अ य ता क
क वराजवाद कां ेस के अ भ अंग के प म प रषद म काम करगे।

प रषद म वराजवाद ग त व ध
धीरे धीरे ापक सां दा यक दं ग और वयं वराजवा दय के बीच सां दा यक और
उ रदा य ववाद गैर उ रदायी आधार पर वभाजन के कारण वराजवाद त कमजोर हो
गई थी। वराजवा दय को वभा जत करने क सरकार क रणनी त उदारवाद से अ धक
उ वाद मुसलमान से ह सफल रही। जब पाट ने बंगाल म जम दार के खलाफ
का तकार के मु े का समथन नह कया अ धकांश का तकार मु लम थे तो वराजवा दय
ने कई मुसलमान का समथन खो दया। पाट म सा दा यक हत भी वेश कर गये।

म सीआर दास क मृ यु ने इसे और कमजोर कर दया।


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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

वराजवा दय के बीच त यावा दय लाला लाजपत राय मदन मोहन मालवीय


और एनसी के लकर ने सरकार के साथ सहयोग करने और जहां भी संभव हो पद संभालने
क वकालत क । इसके अलावा वे तथाक थत ह हत क भी र ा करना चाहते थे।
सां दा यक त व ने मोतीलाल नेह जैसे नेता पर जो प रषद म शा मल होने के प म
नह थे ह वरोधी होने का आरोप लगाया जब क मु लम सां दा यक ने वराजवा दय
को मु लम वरोधी कहा।

इस कार वराजवाद पाट के मु य नेतृ व ने बड़े पैमाने पर नाग रक अव ा म


व ास दोहराया और माच म वधा यका से हट गए जब क वराजवा दय का
एक अ य वग के चुनाव म अ व त पाट के प म गया और कु ल मलाकर
अ ा दशन नह कया। उ ह ने क म सीट और म ास म कु छ सीट जीत ले कन
संयु ांत म य ांत और पंज ाब म उ ह हार का सामना करना पड़ा।

म पूण वराज पर लाहौर कां ेस के ताव और स वनय अव ा आंदोलन


क शु आत के प रणाम व प वराजवाद अंततः बाहर चले गए।

उपल य
i गठबंधन सहयो गय के साथ उ ह ने बजट य अनुदान से संबं धत मामल पर
भी कई बार सरकार को मात द और गन ताव पा रत कए। ii उ ह ने वयं पर
ओज वी भाषण के मा यम से आंदोलन कया

सरकार नाग रक वतं ता और औ ोगीकरण।


iii व लभाई पटे ल को स ल का ीकर चुना गया
म वधान सभा।
iv एक उ लेख नीय उपल म सावज नक सुर ा वधेयक क हार थी
जसका उ े य सरकार को अवां छत और व वंसक वदे शय को नवा सत करने के लए
सश बनाना था य क सरकार समाजवाद और सा यवाद वचार के सार से च तत
थी और मानती थी क इसम मह वपूण भू मका थी टश और अ य वदे शी कायकता
ारा खेला जा रहा है ज ह क मटन ारा भेज ा जा रहा है । v अपनी ग त व धय से
उ ह ने उस समय राजनी तक शू य को भरा जब रा ीय आंदोलन अपनी ताकत हा सल कर
रहा था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

vi उ ह ने म टफोड योजना के खोखलेपन को उजागर कया। vii उ ह ने द शत


कया क
प रषद का रचना मक उपयोग कया जा सकता है।

क मयाँ i
वराजवा दय के पास वधा यका के अंदर अपने उ वाद और बाहर के जन संघष के
बीच सम वय ा पत करने क नी त का अभाव था।
वे जनता से संवाद करने के लए पूरी तरह से अखबार क रपो टग पर नभर थे।

ii अवरोधवाद रणनी त क अपनी सीमाएँ थ । iii पर र वरोधी वचार के


कारण वे अपने गठबंधन सहयो गय के साथ ब त र तक आगे नह बढ़ सके जससे
उनक भावशीलता और सी मत हो गई।

iv वे स ा और कायालय के लाभ और वशेषा धकार का वरोध करने म वफल


रहे। v वे बंगाल म कसान
के हत का समथन करने म वफल रहे और उन मु लम सद य के बीच समथन खो
दया जो कसान समथक थे।

नो चजस ारा रचना मक काय नो चजस ने खुद को रचना मक काय


के लए सम पत कर दया जसने उ ह जनता के व भ वग से जोड़ा। i ऐसे आ म खुले
जहां युवा पु ष और म हला ने आ दवा सय और नचली जा तय वशेष प से गुज रात
के खेड़ा और बारडोली े म के बीच काम कया और चरखा और खाद के उपयोग
को लोक य बनाया। ii रा ीय कू ल और कॉलेज ा पत कए गए जहां छा को गैर
औप नवे शक वैचा रक ढांचे म श त कया गया। iii ह मु लम एकता छु आछू त र
करने वदे शी कपड़े और
शराब का ब ह कार और बाढ़ राहत के लए मह वपूण काय कए गए। iv रचना मक
कायकता ने स य आयोजक के प म स वनय अव ा क रीढ़ क ह ी के प म काय
कया।

रचना मक काय क समी ा रा ीय श ा से के वल शहरी न न


म यम वग और धनी कसान को लाभ आ। रा ीय श ा के त उ साह
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

आंदोलन के उ साह म ही सामने आये. न यता म ड ी और नौक रय का लालच छा को


आ धका रक कू ल और कॉलेज म ले गया।

खाद को लोक य बनाना एक क ठन काय था य क यह आया तत कपड़े क तुलना


म महंगा था।
अ ृ यता के सामा जक पहलू के बारे म अ भयान चलाते समय भू महीन और खे तहर
मज र क आ थक शकायत पर कोई जोर नह दया गया जनम यादातर अछू त थे।

हालाँ क वराजवा दय और नो चजस ने अपने अलग अलग तरीक से काम कया


फर भी उ ह ने एक सरे के साथ सबसे अ े संबंध बनाए रखे और जब भी नए राजनी तक
संघष का समय आया तो एकजुट होने म स म ए।

नई ताकत का उदय समाजवाद


वचार युवा श े ड यू नयनवाद
बीसव सद का तीसरा दशक आधु नक भारतीय इ तहास म कई मायन म एक मह वपूण मोड़
है। जहां एक ओर इस अव ध ने रा ीय आंदोलन म भारतीय जनता के वेश को च त कया
वह सरी ओर इस अव ध म रा ीय प र य पर मु य राजनी तक धारा का बु नयाद
टलीकरण दे ख ा गया। इन व वध राजनी तक धारा क उप आं शक प से स य और
अ हसा पर आधा रत स या ह के गांधीवाद दशन के प र य पर आने के कारण ई य क
उ ह ने इसके त सकारा मक या नकारा मक त या क । इस चरण के दौरान भारतीय
राजनी तक वचारक पर अंतरा ीय भाव भी पहले क तुलना म अ धक था।

के दशक के दौरान उभरने वाली नई ताकत म न न ल खत शा मल थे।

मा सवाद और समाजवाद वचार का सार मा स और समाजवाद


वचारक के वचार ने कई समूह को समाजवाद और क यु न ट के प म अ त व म आने
के लए े रत कया। इन वचार के प रणाम व प कां ेस के भीतर एक वामपंथी दल का
उदय आ जसका त न ध व जवाहरलाल नेह और सुभाष ने कया
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चं बोस. सो वयत ां त से े रत और गांधीवाद वचार और राजनी तक काय म से असंतु


इन युवा रा वा दय ने दे श क आ थक राजनी तक और सामा जक बुराइय के लए क रपंथी
समाधान क वकालत करना शु कर दया। ये युवा रा वाद • वराजवा दय और नो चजस
दोन के आलोचक थे • पूण वरा य पूण वतं ता के नारे के प म एक अ धक सुसंगत
सा ा यवाद वरोधी लाइन क
वकालत क • अंतररा ीय धारा के बारे म जाग कता हालां क अभी भी अ
से भा वत थे • रा वाद और सा ा यवाद वरोध को सामा जक याय के साथ जोड़ने
क आव यकता पर बल दया और साथ ही पूंज ीप तय और जम दार ारा
आंत रक वग उ पीड़न
का सवाल भी उठाया।

भारतीय क यु न ट पाट सीपीआई का गठन म एमएन ारा ताशकं द अब


उ बे क तान क राजधानी म कया गया था।
क मटन क सरी कां ेस के बाद रॉय अबानी मुख ज और अ य। एमएन रॉय क मटन के
नेतृ व के लए चुने जाने वाले पहले भी थे।

म कई क यु न ट एसए डांगे मुज फर अहमद शौकत उ मानी न लनी गु ता


को कानपुर बो शे वक षडयं के स म जेल म डाल दया गया।

म कानपुर म भारतीय क यु न ट स मेलन ने सीपीआई क न व को औपचा रक


प दया।
म क यु न ट पर सरकारी कारवाई के प रणाम व प मुख क यु न ट
े ड यू नयनवा दय और वामपंथी नेता क गर तारी और मुक दमा चला उन पर स
मेरठ ष ं मामले म मेरठ म मुक दमा चलाया गया।

पूरे दे श म मज र और कसान क पा टयाँ संग ठत और उ ह ने मा सवाद और


सा यवाद वचार का चार कया।

ये सभी क यु न ट समूह और मज र एवं कसान दल रा ीय आंदोलन का अ भ अंग


बने रहे और कां ेस के साथ मलकर काम करते रहे।
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

भारतीय युवा क स यता


हर जगह छा लीग क ापना क जा रही थी और छा स मेलन आयो जत कये जा रहे थे।
म जवाहरलाल नेह ने अ खल बंगाल छा स मेलन क अ य ता क ।

कसान के आंदोलन संयु ांत म


कसान आंदोलन करायेदारी कानून म संशोधन कम लगान बेदखली से सुर ा और
ऋण तता से राहत के लए थे। इसी तरह के कसान आंदोलन आं के र ा े राज ान
म बंबई और म ास के रैयतवारी े म ए। गुज रात म बारडोली स या ह का नेतृ व
व लभभाई पटे ल ने कया था।

े ड यू नयनवाद का वकास े ड यू नयन आंदोलन का


नेतृ व म ा पत ऑल इं डया े ड यू नयन कां ेस एआईट यूसी ने कया था। लाला
लाजपत राय इसके पहले अ य और द वान चमन लाल इसके महास चव थे।

तलक भी चलती फरती आ मा म से एक थे। के दशक के दौरान मुख हड़ताल म


खड़गपुर रेलवे वकशॉप टाटा आयरन एंड ट ल व स जमशेदपुर बॉ बे टे सटाइल म स
इसम कमचारी शा मल थे और महीने तक चले और ब कघम कनाटक म स
शा मल थे। म कई हड़ताल जनम लाख कमचारी शा मल थे। म भारत म
पहला मई दवस म ास म मनाया गया था।

जा त आंदोलन पहले के समय क


तरह भारतीय समाज के व वध अंत वरोध को जा त संघ और आंदोलन म अ भ मली।

ये आंदोलन वभाजनकारी ढ़वाद और कभी कभी संभा वत प से क रपंथी हो सकते ह


और इसम शा मल ह • ज टस पाट म ास •
पे रयार के तहत आ म स मान
आंदोलन ई.वी.
रामा वामी नायकर म ास • सतारा महारा
म स यशोधक कायकता • भा कर राव जाधव महारा • अंबेडकर महारा
के अधीन महार • के रल म के . अय पन और सी. के सवन
के अधीन क रपंथी एझावा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• सामा जक त म सुधार के लए बहार म यादव • फ़ज़ल ए सैन पंज ाब के


तहत यू नय न ट पाट ।

ां तकारी ग त व ध क ओर एक मोड़ के साथ


समाजवाद
अ हसा पर जोर दे ने वाली राजनी तक संघष क रा वाद रणनी त से असंतु लोग ने इस
लाइन को अपनाया। यहां भी दो धाराएं वक सत • ह तान रप लकन एसो सएशन
एचआरए म

पंज ाब यूपी बहार


• युगांतर अनुशीलन समूह और बाद म चटगांव
बंगाल म सूय सेन के अधीन व ोह समूह

के दौरान ां तकारी ग त व ध
के दशक

असहयोग आंदोलन के बाद ां तकारी ग त व धय के त आकषण य थम व


यु के दौरान ां तका रय को भयंक र दमन का सामना करना
पड़ा था। ले कन क शु आत म म टफोड सुधार के काम करने के लए एक
सामंज यपूण वातावरण बनाने के लए एक सामा य माफ के तहत सरकार ारा कई लोग को
रहा कर दया गया था। ज द ही गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शु कया। गांधी और सीआर
दास के अनुनय के तहत कई ां तकारी समूह या तो असहयोग काय म म शा मल होने के
लए सहमत ए या अ हसक असहयोग आंदोलन को मौका दे ने के लए अपनी ग त व धय को
नलं बत कर दया।

हालाँ क असहयोग आंदोलन क अचानक वापसी ने उनम से कई को नराश कर


दया उ ह ने रा वाद नेतृ व क मूल रणनी त और अ हसा पर उसके जोर पर सवाल उठाना
शु कर दया और वक प क तलाश शु कर द । ले कन चूँ क ये युवा रा वाद वराजवा दय
के संसद य काय या नो चजस के धैयपूण अ वाभा वक रचना मक काय के त आक षत
नह थे
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

वे इस वचार से आक षत थे क के वल हसक तरीके ही भारत को मु कराएंगे। इस कार


ां तकारी ग त व ध पुनज वत हो गई।
ां तकारी नी तय के लगभग सभी मुख नेता असहयोग आंदोलन म उ साही
भागीदार थे और उनम जोगेश चं चटज सूय सेन भगत सह सुख दे व चं शेख र आजाद
शव वमा भगवतीचरण वोहरा जयदे व कपूर और ज तन दास शा मल थे। इस अव ध के
दौरान ां तकारी समूह के दो अलग अलग समूह उभरे एक पंज ाब यूपी बहार म स य
और सरा बंगाल म।

मुख भाव i यु के बाद


मक वग े ड यू नयनवाद का उभार ां तकारी रा वाद ां त के लए नए
उभरते वग क ां तकारी मता का उपयोग करना चाहते थे। ii सी ां त और
युवा सो वयत रा य क खुद को मजबूत करने म सफलता। iii नए उभर रहे क यु न ट
समूह के साथ

मा सवाद समाजवाद और सवहारा वग पर जोर।


iv आ मश सारथी और बजोली जैसी ां तका रय के आ म ब लदान का
गुण गान करने वाली सं मरण और लेख का शत करने वाली प काएँ। v स चन सा याल
के बंद जीवन और शरतचं
चटज के पाथेर डाबी जैसे उप यास और कताब एक सरकारी तबंध ने के वल
इसक लोक यता को बढ़ाया ।

पंज ाब संयु ांत बहार म इस े म ां तकारी ग त व ध पर


ह तान रप लकन एसो सएशन आम या एचआरए बाद म इसका नाम बदलकर
ह तान सोश ल ट रप लकन एसो सएशन या एचएसआरए का भु व था। एचआरए
क ापना अ टू बर म राम साद ब मल जोगेश चं चटज और स चन सा याल
ारा कानपुर म क गई थी जसका उ े य औप नवे शक सरकार को उखाड़ फकने के लए
एक सश ां त का आयोजन करना और उसके ान पर संयु रा य अमे रका के संघीय
गणरा य क ापना करना था जसका मूल स ांत होगा वय क मता धकार हो.
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काकोरी डकै ती अग त
एचआरए क सबसे मह वपूण कारवाई काकोरी डकै ती थी। उन लोग ने लखनऊ के पास एक
अ ात गांव काकोरी म डाउन े न को रोक लया और उसक आ धका रक रेलवे नकद लूट
ली। काकोरी डकै ती के बाद सरकार क कारवाई के कारण कई लोग को गर तार कया गया
जनम से को जेल ई चार को आजीवन कारावास आ और चार ब मल अशफाकु लाह
रोशन सह और राज ला हड़ी को फांसी द गई। काकोरी एक झटका सा बत ई।

एचएसआरए ने
काकोरी झटके से उबरने के लए ढ़ संक प कया समाजवाद वचार से े रत युवा
ां तका रय ने द ली म फरोजशाह कोटला के खंडहर म एक ऐ तहा सक बैठक सतंबर
म ह तान रप लक एसो सएशन को पुनग ठत करने का नणय लया। च शेख र
आज़ाद के नेतृ व म HRA का नाम बदलकर ह तान सोश ल ट रप लकन एसो सएशन
HSRA कर दया गया। तभा गय म पंज ाब से भगत सह सुख दे व भगवतीचरण वोहरा
और संयु ांत से बजॉय कु मार स हा शव वमा और जयदे व कपूर शा मल थे। एचएसआरए
ने सामू हक नेतृ व के तहत काम करने का फै सला कया और समाजवाद को अपने आ धका रक
ल य के प म अपनाया।

सॉ स क ह या लाहौर दसंबर
ठ क उसी समय जब एचएसआरए के ां तका रय ने गत वीरतापूण कारवाई से र जाना
शु कर दया था एक बार साइमन कमीशन वरोधी जुलूस अ टू बर पर लाठ चाज
के दौरान शेर ए पंज ाब लाला लाजपत राय क मृ यु हो गई। फर से गत ह या करने के
लए। भगत सह आज़ाद और राजगु ने लाहौर म लाठ चाज के लए ज़ मेदार पु लस
अ धकारी सॉ स क गोली मारकर ह या कर द । ह या को इन श द के साथ उ चत ठहराया
गया था एक साधारण पु लस अ धकारी के अयो य हाथ से लाख लोग ारा स मा नत नेता
क ह या... रा का अपमान था। इसे मटाना भारत के नवयुवक का परम कत था... हम
एक क ह या करने का अफसोस है ले कन वह उस अमानवीय और अ यायपूण व ा
का अ भ अंग था जसे न कया जाना चा हए।
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

के य वधान सभा म बम अ ैल

एचएसआरए नेतृ व ने अब लोग को अपने बदले ए उ े य और जनता ारा ां त क


आव यकता के बारे म बताने का फै सला कया। भगत सह और बटु के र द को सावज नक
सुर ा वधेयक और ापार ववाद वधेयक के पा रत होने के वरोध म अ ैल को
क य वधान सभा म बम फकने के लए कहा गया था जसका उ े य सामा य प से
नाग रक और वशेष प से मक क नाग रक वतं ता को कम करना था। बम को
जानबूझ कर हा नर हत बनाया गया था और उनका उ े य बहर को सुनाना था। इसका उ े य
गर तार करना और ायल कोट को चार के मंच के प म इ तेमाल करना था ता क लोग
उनके आंदोलन और वचारधारा से प र चत हो सक।

ां तकारी भगत सह सुख दे व और राजगु के व लाहौर


षडयं के स म कायवाही क गई। कई अ य ां तका रय पर अ य मामल क ृंख ला म
मुक दमा चलाया गया। जेल म इन ां तका रय ने उपवास के मा यम से भयानक प र तय
का वरोध कया और राजनी तक कै दय के प म स मानजनक और स य वहार क मांग
क । अनशन के व दन ज तन दास पहले शहीद ए. इन युवा ां तका रय क र ा का
आयोजन कां ेस नेता ारा कया गया था। भगत सह एक घरेलू नाम बन गये।

आज़ाद दसंबर म द ली के पास वायसराय इर वन क े न को उड़ाने क


को शश म शा मल थे। के दौरान पंज ाब और संयु ांत के शहर म हसक कारवाइय
क एक ृंख ला ई अके ले पंज ाब म म घटनाएं ।

फरवरी म इलाहाबाद के एक पाक म पु लस मुठभेड़ म आज़ाद क मृ यु हो


गई। भगत सह सुख दे व और राजगु को माच को फाँसी दे द गई।

के दशक
के दौरान बंगाल म कई ां तकारी समूह ने अपनी भू मगत ग त व धय को पुनग ठत कया
जब क कई ने कां ेस के तहत काम करना जारी रखा इस कार जनता तक प ंच बनाई और
क ब और गांव म कां ेस को एक संगठना मक आधार दान कया। सीआर दास के
वराजवाद म कईय ने उनका सहयोग कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

काम। दास क मृ यु के बाद बंगाल कां ेस दो गुट म टू ट गई एक का नेतृ व


जेएम सेनगु ता अनुशीलन समूह उनके साथ हो गया और सरे का नेतृ व सुभाष बोस
युगांतर समूह ने उनका समथन कया ।

पुनग ठत समूह क कारवाइय म म गोपीनाथ साहा ारा कु यात कलक ा


पु लस आयु चा स टे गाट डे नाम का एक अ य मारा गया पर ह या का यास
शा मल था। सरकार एक नए अ यादे श से लैस होकर ां तका रय पर भारी पड़ गई।

सुभाष बोस स हत कई लोग को गर तार कर लया गया। गोपीनाथ साहा को फाँसी दे द


गई।
सरकारी दमन और ां तका रय के बीच गुटबाजी के कारण ां तकारी ग त व ध
को झटका लगा ले कन ज द ही कई ां तकारी फर से संग ठत होने लगे।

नए व ोह समूह म सबसे स य और स सूय सेन के अधीन चटगांव समूह था।

चटगांव श ागार पर छापा अ ैल


सूय सेन ने असहयोग आंदोलन म भाग लया था और चटगांव के रा ीय व ालय म श क
बन गये थे।
ां तकारी ग त व ध के लए उ ह से तक जेल म रखा गया और उसके बाद वे
कां ेस म काम करते रहे।
वह चटगांव जला कां ेस कमेट के स चव थे। वे कहते थे मानवता एक ां तकारी का
वशेष गुण है। वह क वता के ेमी और टै गोर और काजी नज ल इ लाम के शंसक थे।

सूय सेन ने अपने सहयो गय अनंत सह गणेश घोष और लोकनाथ बाउल के


साथ एक सश व ोह आयो जत करने का फै सला कया ता क यह दखाया जा सके क
श शाली टश सा ा य क सश ताकत को चुनौती दे ना संभव है। उ ह ने टे लीफोन
और टे ली ाफ लाइन को न करने और शेष बंगाल के साथ चटगांव के रेलवे लक को
व ा पत करने के लए ां तका रय को ह थयार ज त करने और आपू त करने के लए
चटगांव म दो मु य श ागार पर क जा करने क योजना बनाई थी। यह छापेमारी अ ैल
म क गई थी और इसम भारतीय रप लकन आम चटगांव शाखा के बैनर तले
कायकता शा मल थे । छापेमारी काफ सफल रही
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

सेन ने रा ीय वज फहराया सलामी ली और एक अ ायी ां तकारी सरकार क घोषणा क ।


बाद म वे पड़ोसी गांव म ततर बतर हो गए और सरकारी ठकान पर धावा बोल दया।

फरवरी म सूय सेन को गर तार कर लया गया और जनवरी म फाँसी


पर लटका दया गया ले कन चटगाँव छापे ने ां तकारी सोच वाले युवा क क पना श
को जगा दया और एक सतत वाह म ां तकारी समूह म भत होने लगे।

बंगाल म ां तकारी आंदोलन के नये चरण के पहलू कु छ उ लेख नीय पहलू इस


कार थे। • वशेष प से सूया सेन
के नेतृ व म युवा म हला क बड़े पैमाने पर भागीदारी थी। ये
म हलाएं आ य दान करती थ संदेश ले जाती थ और हाथ म बं क लेक र लड़ती
थ । इस चरण के दौरान बंगाल म मुख म हला ां तका रय म ी तलता वादे दार शा मल थ
जनक छापेमारी करते ए मृ यु हो गई क पना द ज ह सूय सेन के साथ गर तार कया
गया और मुक दमा चलाया गया और आजीवन कारावास क सजा द गई को मला क कू ली
लड़ कयाँ शां त घोष और सुनी त चंदेरी ज ह ने जला म ज े ट क गोली मारकर ह या कर
द।

दसंबर और बीना दास ज ह ने द ांत समारोह फरवरी म अपनी ड ी


ा त करते समय गवनर पर गोली चलाई थी।

• गत कारवाई के बजाय औप नवे शक रा य के अंग पर ल त समूह कारवाई


पर जोर दया गया। इसका उ े य युवा के सामने एक उदाहरण ा पत करना और
नौकरशाही का मनोबल गराना था। • ह धा मकता के त पहले क कु छ वृ समा त हो
गई थी और शपथ हण जैसे कोई अनु ान
नह थे और इससे मुसलमान क भागीदारी म सु वधा ई। सूय सेन के समूह म
सतार मीर अहमद फक र अहमद मयां और टु नु मयां जैसे मुसलमान थे।

कु छ क मयाँ भी थ • आंदोलन म कु छ ढ़वाद


त व बरकरार रहे। • यह ापक सामा जक आ थक ल य को वक सत करने म
वफल रहा। • वराजवा दय के साथ काम करने वाले लोग समथन दे ने म असफल
रहे
बंगाल म जम दार के व मु लम कसान का आंदोलन।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

आ धका रक त या पहले तो
घबराहट ई और फर भयंक र सरकारी दमन आ।
दमनकारी अ ध नयम से लैस सरकार ने ां तका रय पर पु लस ढ ली कर द । चटगांव
म कई गांव को जला दया गया और कई अ य पर दं डा मक जुमाना लगाया गया। म
जवाहरलाल नेह को राज ोह के आरोप म गर तार कया गया और दो साल क सजा द गई
य क उ ह ने सा ा यवाद क नदा क थी और ां तका रय क वीरता क शंसा क थी।

वैचा रक पुन वचार


ां तकारी वचारधारा ां तकारी संघष के प और ां त के ल य के संदभ म भगत सह
और उनके सा थय ारा एक वा त वक सफलता हा सल क गई थी। के दशक के म य
म पुन वचार शु हो गया था। एचआरए क सं ापक प रषद ने ां तकारी और सा यवाद
स ांत का चार करने का नणय लया था और एचआरए घोषणाप ने घोषणा क
क एचआरए उन सभी णा लय के उ मूलन के लए खड़ा है जो मनु य ारा मनु य के शोषण
को संभव बनाती ह । एचआरए के मु य अंग रवो यूशनरी ने रेलवे और प रवहन के अ य
साधन और जहाज नमाण और इ ात जैसे भारी उ ोग के रा ीयकरण का ताव रखा था।
एचआरए ने मक और कसान संगठन शु करने और संग ठत और सश ां त के लए
काम करने का भी नणय लया था। अपने अं तम दन के दशक के उ राध के दौरान
इन ां तका रय ने गत वीरतापूण कारवाई और हसा से र सामू हक राजनी त क ओर
बढ़ना शु कर दया था।

ब मल ने अपने अं तम दन म युवा से अपील क क वे प तौल और रवा वर


छोड़ द ां तकारी सा जश म काम न कर और इसके बजाय खुले आंदोलन म काम कर।
उ ह ने युवा से ह मु लम एकता को मजबूत करने कां ेस के नेतृ व म सभी राजनी तक
समूह को एकजुट करने का आ ह कया। ब मल ने सा यवाद और इस स ांत म व ास क
पु क क कृ त के उ पाद पर येक मनु य का समान अ धकार है ।

ां तकारी त का स कथन भगवतीचरण वोहरा ारा ल खत पु तक द


फलॉसफ ऑफ द बॉ ब म न हत है।

अपनी गर तारी से पहले ही भगत सह र चले गये थे


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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

हसक और गत वीरतापूण कारवाई म व ास से लेक र मा सवाद तक और यह व ास


क एक लोक य ापक आधा रत आंदोलन ही एक सफल ां त का कारण बन सकता है।
सरे श द म ां त के वल जनता ारा जनता के लए हो सकती है।

इसी लए भगत सह ने युवा कसान और मक के बीच राजनी तक काय करने के लए


ां तका रय क एक खुली शाखा के प म पंज ाब नौजवान भारत सभा क ापना
म मदद क और इसका उ े य गांव म शाखाएं खोलना था।

भगत और सुख दे व ने छा के बीच खुले कानूनी काय के लए लाहौर छा संघ का


भी आयोजन कया। भगत और उनके सा थय को यह भी एहसास आ क ां त का मतलब
ां तकारी बु जी वय ारा शो षत और दबे ए वग के एक जन आंदोलन का संगठन और
वकास है।

भगत कहते थे ...असली ां तकारी सेनाएँ गाँव और कारखान म ह।

फर गत वीरतापूण कारवाई क या आव यकता थी

सबसे पहले नई वचारधारा का भावी अ ध हण एक लंबी और ऐ तहा सक या है जब क


समय क मांग सोच के तरीके म व रत बदलाव थी। सरे इन युवा बु जी वय को इस
ला सक वधा का सामना करना पड़ा क लोग को कै से संग ठत कया जाए और उ ह कै से
भत कया जाए। यहां उ ह ने काय ारा चार का वक प चुनने का नणय लया अथात्
गत वीरतापूण कारवाई के मा यम से और ां तकारी चार के लए अदालत को एक मंच
के प म उपयोग करके ।

ां त को पुनः प रभा षत करना ां त


को अब उ वाद और हसा के बराबर नह माना जाता था।
इसका उ े य रा ीय मु था सा ा यवाद को उखाड़ फकना था ले कन उससे परे एक नई
समाजवाद व ा हा सल करना था जससे मनु य ारा मनु य का शोषण समा त हो।
जैसा क भगत सह ने अदालत म कहा ां त म आव यक प से उ संघष शा मल नह है
न ही इसम गत तशोध के लए कोई जगह है। यह बम और प तौल का पंथ नह है.

ां त से हमारा ता पय चीज क वतमान व ा से है जो कट अ याय पर आधा रत है उसे


बदलना होगा।
भगत ने मा सवाद और समाज के त वग कोण को पूरी तरह से वीकार कया
कसान को न के वल खुद को इससे मु करना होगा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वदे शी जुए से ले कन जम दार और पूंज ीप तय के जुए से भी। उ ह ने यह भी कहा भारत


म संघष तब तक जारी रहेगा जब तक मु भर शोषक अपने हत को आगे बढ़ाने के लए
आम लोग के म का शोषण करते रहगे। इससे कोई फक नह पड़ता क ये शोषक टश
पूंज ीप त ह टश और भारतीय गठबंधन वाले पूंज ीप त ह या वशु प से भारतीय ह।
उ ह ने समाजवाद को वै ा नक प से पूंज ीवाद और वग वच व के उ मूलन के पम
प रभा षत कया।

भगत पूरी तरह से और सचेत प से धम नरपे थे पंज ाब नौजवान भारत सभा के


लए भगत ारा तैयार कए गए छह नयम म से दो यह थे क इसके सद य का सां दा यक
नकाय से कोई लेना दे ना नह होगा और वे धम को यान म रखते ए लोग के बीच स ह णुता
क एक सामा य भावना का चार करगे। गत आ ा का मामला. भगत सह ने लोग को
धम और अंध व ास के मान सक बंधन से मु करने के मह व को भी दे ख ा एक ां तकारी
होने के लए कसी को अ य धक नै तक श क आव यकता होती है ले कन उसे आलोचना
और वतं सोच क भी आव यकता होती है ।

सारांश

• वराजवाद और प रवतनवाद
गैर क वापसी के बाद वराजवा दय ने प रषद म वेश क वकालत क
को ख़ म करने या सुधारने के उ े य से सहयोग आंदोलन
प रषद।
सं मण काल म नो चजस ने रचना मक काय क वकालत क ।

• के दशक के दौरान नई ताकत का उदय . मा सवाद और समाजवाद


वचार का सार . भारतीय युवा क स यता . कसान का
आंदोलन . े ड यू नयनवाद का वकास .
जा त आंदोलन . समाजवाद क ओर
झुक ाव वाला ां तकारी आतंक वाद

• एचआरए एचएसआरए क ग त व धयां


ापना
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वराजवा दय का उदय समाजवाद वचार ...

काकोरी डकै ती
पुनग ठत
सॉ स क ह या

के य वधान सभा म बम
वायसराय क े न को उड़ाने का यास
आज़ाद क पु लस मुठभेड़ म मृ यु
भगत सह राजगु सुख दे व को फाँसी

• एचएसआरए का व तृत य

बाद के वष म वचारधारा गत कारवाई से हटकर समाजवाद आदश क ओर चली गई।

• बंगाल म ां तकारी
कलक ा पु लस क म र क ह या का यास
सूय सेन का चटगांव व ोह समूह और चटगांव डकै ती
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

साइमन कमीशन और
नेह रपोट

भारतीय वैधा नकता क नयु


आयोग

भारत सरकार अ ध नयम म ावधान था क शासन योजना क ग त का अ ययन


करने और नए कदम सुझ ाने के लए दस साल बाद एक आयोग नयु कया जाएगा। नवंबर
को टे नली बा वन के धानमं व काल म टश सरकार ारा एक सव ेत सात
सद यीय भारतीय वैधा नक आयोग जसे साइमन कमीशन इसके अ य सर जॉन साइमन
के नाम पर के नाम से जाना जाता है क ापना क गई थी। आयोग को टश सरकार को
सफा रश करनी थी क या भारत आगे के संवैधा नक सुधार के लए तैयार है और कस
आधार पर।

हालाँ क संवैधा नक सुधार म ही होने वाले थे ले कन कं जव टव सरकार जो


तब टे न म स ा म थी को लेबर पाट से हार का डर था और इस तरह वह टे न क सबसे
क मती कॉलोनी के भ व य के सवाल को गैर ज मेदार लेबर हाथ म नह छोड़ना चाहती
थी। इसके अलावा के दशक के म य तक एक र शाही श बनाने म
अ ध नयम क वफलता के कारण कई संसद य रपोट और जाँच । ली आयोग ने पया त
टश अ धका रय क भत करने म राज क वफलता क जांच क मु दमन आयोग ने
ै तवाद व ा के भीतर ग तरोध पर गौर कया और लन लथगो आयोग ने भारतीय कृ ष
के संक ट क जाँच क । इस लए
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साइमन कमीशन और नेह रपोट

टश सरकार ने अ ध नयम के कामकाज म पूरी तरह से शा मल होना आव यक


समझा। भारत के कं जव टव से े टरी ऑफ टे ट लॉड बरके नहेड ज ह ने लगातार
संवैधा नक सुधार क एक ठोस योजना तैयार करने म भारतीय क असमथता क बात क
थी जसे भारतीय राजनी तक राय के ापक वग का समथन ा त था साइमन कमीशन
क नयु के लए ज मेदार थे।

भारतीय त या साइमन
कमीशन के त भारतीय त या त काल और लगभग सवस मत थी। भारतीय को सबसे
अ धक गु सा इस बात पर था क आयोग से भारतीय को बाहर रखा गया था और इस
ब ह कार के पीछे मूल धारणा यह थी क वदे शी वशासन के लए भारत क उपयु ता पर
चचा करगे और नणय लगे। इस धारणा को आ म नणय के स ांत के उ लंघन और
भारतीय के आ मस मान के जानबूझ कर अपमान के प म दे ख ा गया।

कां ेस क त या म ास म
कां ेस स दसंबर म एमए अंसारी क अ य ता म ई बैठक म हर तर पर और
हर प म आयोग का ब ह कार करने का नणय लया गया। इस बीच नेह अ धवेशन म
एक व रत ताव पा रत कराने म सफल रहे जसम पूण वतं ता को कां ेस का ल य
घो षत कया गया।

अ य समूह जन लोग
ने साइमन कमीशन के ब ह कार के कां ेस के आ ान का समथन करने का नणय लया
उनम ह महासभा के उदारवाद और ज ा के अधीन मु लम लीग का ब सं यक गुट
शा मल था। म मु लम लीग के दो स ए एक ज ा के नेतृ व म कलक ा म
जहाँ साइमन कमीशन का वरोध करने का नणय लया गया और सरा लाहौर म मुह मद
शफ के नेतृ व म ज ह ने सरकार का समथन कया। कु छ अ य लोग जैसे पंज ाब म
यू नय न ट और द ण म ज टस पाट ने आयोग का ब ह कार नह करने का फै सला
कया।

सावज नक त या
फरवरी को आयोग बंबई प ंचा। उस दन दे श ापी हड़ताल का आयोजन कया
गया और बड़े पैमाने पर रै लयाँ आयो जत क ग
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

डॉ अ बेडकर और साइमन कमीशन

डॉ. अ बेडकर को बॉ बे वधान प रषद ारा साइमन कमीशन के साथ काम करने के लए नयु
कया गया था। अ टू बर म अ बेडकर आयोग के सम गये।

उ ह ने पु ष और म हला दोन के लए समान प से सावभौ मक वय क मता धकार का तक


दया ांत म ांतीय वाय ता और क म ै ध शासन के लए। मह वपूण बात यह है क उस समय
अ धकांश यूरोपीय दे श म सावभौ मक वय क मता धकार क गारंट नह द गई थी।

उनक ओर से उ ह ने द लत वग
ब ह के
कृ त लए आव
हतका रणी यक
सभा अ धकार और सुर ा उपाय पर एक ापन

तुत कया।

अ बेडकर ने कहा क द लत वग और ह समुदाय के बीच कोई संबंध नह है और कहा क द लत


वग को एक व श और वतं अ पसं यक माना जाना चा हए।

उ ह ने जोर दे क र कहा क अ पसं यक के प म द लत वग को अपने शै क पछड़ेपन अपनी


आ थक प से खराब त अपनी सामा जक दासता और कु छ गंभीर राजनी तक अ मता से पी ड़त
होने के कारण टश भारत म कसी भी अ य अ पसं यक क तुलना म कह अ धक राजनी तक संर ण
क आव यकता है। जसे कसी अ य समुदाय को भुगतना नह पड़ा।

इन प र तय म डॉ. अंबेडकर ने द लत वग क राजनी तक सुर ा के लए मु लम अ पसं यक


के समान ही त न ध व क मांग क । वह चाहते थे क य द सावभौ मक वय क मता धकार दान कया
जाए तो द लत वग के लए सीट आर त क जाएं। य द सावभौ मक मता धकार नह दया गया तो
अंबेडकर ने कहा क वह द लत वग के लए एक अलग नवाचन े के लए अ भयान चलाएंगे।

उ ह ने या तो सं वधान म कु छ सुर ा उपाय क आव यकता क य द यह संभव हो या फर


दबे ए वग क श ा और सावज नक सेवा म उनके वेश के संबंध म रा यपाल को सलाह दे ने के
तरीके म ।

साइमन कमीशन क रपोट ने द लत वग को आर त सीट तो द ले कन शत यह थी क जो


उ मीदवार चुनाव म भाग लगे उ ह सबसे पहले ांत के गवनर से अपनी यो यता का समथन कराना होगा।

अ बेडकर इससे सबसे अ धक अ स थे ले कन कसी भी त म यह रपोट एक मृत प बनकर रह


गयी।

आयो जत। जहाँ भी आयोग गया वहाँ काले झंडे दशन हड़ताल और साइमन गो बैक के
नारे लगे।
इस उभार क एक मह वपूण वशेषता यह थी क युवा क एक नई पीढ़ को
राजनी तक कारवाई का पहला वाद मला।
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साइमन कमीशन और नेह रपोट

उ ह ने वरोध म सबसे स य भू मका नभाई और इसे उ वाद रंग दे दया। युवा लीग और
स मेलन को वा त वक ो साहन मला।

नेह और सुभाष बोस युवा और छा क इस नई लहर के नेता के प म उभरे।


दोन ने बड़े पैमाने पर या ाएं क स मेलन को संबो धत कया और उनक अ य ता क ।

युवा के बीच इस उभार ने समाजवाद के नए क रपंथी वचार के अंकु रण और


सार के लए उपजाऊ जमीन भी दान क जो पंज ाब नौजवान भारत सभा मक और
कसान पा टय और ह तानी सेवा दल कनाटक जैसे समूह के उ व म प रल त ई।

पु लस का दमन पु लस ने
दशनका रय पर भारी कारवाई क व र नेता तक को नह ब ते ए लाठ चाज कया
गया। लखनऊ म जवाहरलाल नेह और जीबी पंत क पटाई क गई। अ टू बर म
लाला लाजपत राय क छाती पर गंभीर हार ए जो घातक सा बत ए और नवंबर
को उनक मृ यु हो गई।

दे ख
आज मुझ पर जो हार ए वे टश सा ा यवाद के ताबूत म ठ क गई आ खरी क ल ह।

लाला लाजपत राय

साइमन क नयु का भाव


रा ीय आंदोलन पर आयोग
भारतीय राजनी त पर साइमन कमीशन क नयु का भाव दो गुना था i इसने न के वल
पूण वतं ता ब क समाजवाद तज पर मुख
सामा जक आ थक सुधार क मांग करने वाली क रपंथी ताकत को ो साहन दया।
जब साइमन कमीशन क घोषणा क गई तो कां ेस को जसके पास कोई स य काय म
नह था एक मु ा मल गया जस पर वह एक बार फर जन आंदोलन खड़ा कर सकती थी।
ii भारतीय राजनेता को एक सवस मत सं वधान तैयार करने क लॉड बरके नहेड क
चुनौती वीकार कर ली गई
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

व भ राजनी तक वग ारा और इस कार उस समय भारतीय एकता क संभावनाएँ


उ वल लग रही थ ।

साइमन आयोग क सफ़ा रश साइमन आयोग ने मई म दो खंड म एक रपोट


का शत क । इसम ै ध शासन को समा त करने और ांत म त न ध सरकार क ापना
का ताव रखा गया ज ह वाय ता द जानी चा हए। इसम कहा गया क रा यपाल के
पास आंत रक सुर ा के संबंध म ववेक ाधीन श और व भ समुदाय क सुर ा के लए
शास नक श यां होनी चा हए। ांतीय वधान प रषद के सद य क सं या बढ़ाई जानी
चा हए।

रपोट म क म संसद य ज मेदारी को खा रज कर दया गया। गवनर जनरल को


कै बनेट के सद य क नयु क पूण श ा त थी। और भारत सरकार का उ
यायालय पर पूण नयं ण होगा।

इसने यह भी सफा रश क क अलग सां दा यक नवाचन े को बरकरार रखा


जाए और ऐसे नवाचन े को अ य समुदाय तक बढ़ाया जाए ले कन के वल तब तक
जब तक क ह और मुसलमान के बीच तनाव कम नह हो जाता। कोई सावभौ मक
मता धकार नह होना था।

इसने संघवाद के वचार को वीकार कया ले कन नकट भ व य म नह इसने


सुझ ाव दया क ेटर इं डया क एक सलाहकार प रषद क ापना क जानी चा हए जसम
टश ांत के साथ साथ रयासत के त न ध भी शा मल होने चा हए।

इसम सुझ ाव दया गया क उ र प म सीमांत ांत और बलू च तान को ानीय


वधा यका मलनी चा हए और एनड यूएफपी और बलू च तान दोन को क म त न ध व
का अ धकार होना चा हए।

इसम सफ़ा रश क गई क सध को बंबई से अलग कर दया जाए और बमा को


भारत से अलग कर दया जाए य क यह भारतीय उपमहा प का वाभा वक ह सा नह
था।
इसने यह भी सुझ ाव दया क भारतीय सेना का भारतीयकरण कया जाना चा हए
हालाँ क टश सेना को बरकरार रखा जाना चा हए। भारत पूरी तरह सुस त हो गया.
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साइमन कमीशन और नेह रपोट

ले कन जब तक रपोट सामने आई यह ासं गक नह रह गई थी य क कई घटना


ने इसक सफा रश के मह व को ख म कर दया था।

नेह रपोट
लॉड बरके नहेड क चुनौती के उ र के प म फरवरी म एक सवदलीय स मेलन क
बैठक ई और सं वधान का मसौदा तैयार करने के लए मोतीलाल नेह क अ य ता म एक
उप स म त नयु क गई। यह भारतीय ारा दे श के लए संवैधा नक ढांचे का मसौदा तैयार
करने का पहला बड़ा यास था। स म त म तेज बहा र स ू सुभाष बोस एम.एस. शा मल थे

अनी मंगल सह अली इमाम शुआ ब क़रैशी और जीआर


धान इसके सद य ह। अग त तक रपोट को अं तम प दे दया गया। नेह स म त
क सफा रश एक मामले को छोड़कर सवस मत थ जब क ब मत ने सं वधान के आधार के
प म भु व क त का समथन कया इसका एक वग आधार के प म पूण वतं ता
चाहता था। ब मत वग ने बाद वाले वग को कारवाई क वतं ता द ।

मु य सफ़ा रश
नेह रपोट ने खुद को टश भारत तक ही सी मत रखा य क इसम संघीय आधार पर
रयासत के साथ टश भारत के भ व य के जुड़ाव क प रक पना क गई थी। डो म नयन के
लए इसने सफा रश क i वशा सत डो म नयन क तज पर डो म नयन का दजा भारतीय
ारा वां छत सरकार के प म युवा उ वाद वग के लए काफ नराशा क बात है
नेह उनम मुख थे । ii पृथक नवा चका क अ वीकृ त जो अब तक संवैधा नक सुधार
का आधार थी इसके बजाय क म और उन ांत म मुसलमान के लए सीट के आर ण के
साथ संयु नवाचन
मंडल क मांग क गई जहां वे अ पसं यक थे और वहां नह जहां मुसलमान
ब सं यक थे जैसे क पंज ाब और बंगाल वहां क मु लम आबाद के अनुपात म अ धकार
के साथ। अ त र सीट पर चुनाव लड़ने के लए. iii भाषाई ांत।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

iv म हला के लए समान अ धकार यू नयन बनाने का अ धकार और


सावभौ मक वय क मता धकार स हत उ ीस मौ लक अ धकार। v क और ांत म
ज मेदार सरकार

ए क म भारतीय संसद म वय क मता धकार के आधार पर नवा चत


सद यीय त न ध सभा ांतीय प रषद ारा चुनी जाने वाली सद यीय सीनेट शा मल
होगी त न ध सभा का कायकाल वष का होगा और सीनेट का वष म से एक का
क सरकार का नेतृ व एक गवनर जनरल करेगा जसे टश सरकार ारा नयु कया
जाएगा ले कन भुगतान भारतीय राज व से कया जाएगा जो संसद के लए ज मेदार
क य कायकारी प रषद क सलाह पर काय करेगा।

बी ांतीय प रषद का कायकाल साल का होगा जसक अ य ता ांतीय


कायकारी प रषद क सलाह पर काय करने वाला गवनर करेगा। vi मुसलमान के
सां कृ तक
और धा मक हत क पूण सुर ा। vii रा य का धम से पूण पृथ करण।

मु लम और ह सां दा यक त याएँ हालाँ क संवैधा नक ढांचे


का मसौदा तैयार
करने क या राजनी तक नेता ारा उ साहपूवक और एकजुट होकर शु क गई थी
ले कन सां दा यक मतभेद पैदा हो गए और नेह रपोट सां दा यक त न ध व के मु े पर
ववाद म घर गई।

मु लम लीग के द ली ताव इससे पहले दसंबर म


मु लम लीग स म बड़ी सं या म मु लम नेता ने द ली म मुलाकात क थी और
सं वधान के मसौदे म शा मल करने के लए अपनी मांग के लए चार ताव तैयार कए थे।
ये ताव ज ह कां ेस के म ास स दसंबर ारा वीकार कर लया गया को
द ली ताव के प म जाना जाने लगा। वे थे
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साइमन कमीशन और नेह रपोट

• पृथक नवाचन े के ान पर संयु नवाचन े के साथ


मुसलमान के लए आर त सीट
• क म मुसलमान को एक तहाई तनधव
वधान सभा • पंज ाब और बंगाल
म मुसलमान को उनक जनसं या के अनुपात म तनधव

• तीन नए मु लम ब ल ांत सध बलू च तान और उ र प म सीमांत ांत का


गठन।

ह महासभा क मांग ह महासभा नए मु लम


ब ल ांत बनाने और पंज ाब और बंगाल म मु लम ब सं यक मु लम के लए सीट आर त
करने के ताव का कड़ा वरोध कर रही थी जो दोन म वधानसभा पर मु लम नयं ण
सु न त करेगा । इसने कड़ाई से एका मक संरचना क भी मांग क । ह महासभा के इस रवैये
ने मामले को उलझा दया.

समझौते सवदलीय
स मेलन के वचार वमश के दौरान मु लम लीग ने खुद को अलग कर लया और मुसलमान के
लए सीट के आर ण क अपनी मांग पर अड़ी रही खासकर क य वधा यका और मु लम
ब ल ांत म।

इस कार मोतीलाल नेह और रपोट का मसौदा तैयार करने वाले अ य नेता ने खुद को
वधा म पाया य द मु लम सां दा यक राय क मांग को वीकार कर लया गया तो ह
सां दा यक अपना समथन वापस ले लगे य द बाद वाले संतु हो गए तो मु लम नेता अलग हो
जाएंगे।

नेह रपोट म ह सं दायवा दय को द गई रयायत म न न ल खत शा मल थे • हर


जगह संयु नवाचन का ताव रखा गया ले कन मुसलमान
के लए आर ण के वल वह दया गया जहां अ पसं यक ह • डो म नयन टे टस दए
जाने और सध म ह अ पसं यक को मह व दए जाने के
बाद ही सध को बंबई से अलग कया जाएगा • राजनी तक संरचना मोटे तौर पर
एका मक ता वत क गई य क अव श श यां क के पास थ ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ज ा ारा ता वत संशोधन
नेह रपोट पर वचार करने के लए दसंबर म कलक ा म आयो जत सवदलीय स मेलन म ज ा

क ओर से
मु लम लीग ने रपोट म तीन संशोधन ता वत कए i क य वधानमंडल म मुसलमान को एक
तहाई त न ध व ii वय क मता धकार ा पत होने तक बंगाल और पंज ाब
वधानमंडल म
मुसलमान को उनक जनसं या के अनुपात म आर ण और

iii ांत को अव श श याँ।


इन मांग को समायो जत नह कया गया.

ज ा के चौदह सू ज ा मु लम लीग के शफ़

गुट म वापस चले गए और माच म चौदह सू दए जो मु लम लीग के भ व य के सभी चार का


आधार बने। चौदह ब इस कार थे।

. ांत को अव श श य के साथ संघीय सं वधान।

. ांतीय वाय ता.


. भारतीय संघ का गठन करने वाले रा य क सहम त के बना क ारा कोई संवैधा नक
संशोधन नह कया जाएगा।
. सभी वधा यका और नवा चत नकाय म येक ांत म मुसलमान के ब मत को
अ पसं यक या समानता म कम कए बना मुसलमान का पया त त न ध व होना चा हए।

. सेवा म मुसलमान को पया त तनधव


और वशासी नकाय म।
. क य वधानमंडल म एक तहाई मु लम त न ध व।

. क या ांत म कसी भी मं मंडल म एक तहाई मुसलमान ह ।

. पृथक नवाचक मंडल.


. य द कसी अ पसं यक समुदाय के तीन चौथाई लोग ऐसे वधेयक या ताव को अपने
हत के व मानते ह तो कसी भी वधा यका म कोई वधेयक या ताव पा रत नह कया जाएगा।
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साइमन कमीशन और नेह रपोट

. कसी भी े ीय पुन वतरण का भाव नह पड़ेगा


पंज ाब बंगाल और NWFP म मु लम ब मत।
. सध को ब बई से अलग करना।
. एनड यूएफपी और बलू च तान म संवैधा नक सुधार।

. सभी समुदाय को पूण धा मक वतं ता।


. धम सं कृ त श ा और भाषा म मु लम अ धकार क सुर ा।

नेह रपोट असंतोषजनक पाई गई नेह रपोट से न के वल मु लम


लीग ह महासभा और सख सं दायवाद नाखुश थे ब क जवाहरलाल नेह और सुभाष
बोस के नेतृ व म कां ेस का युवा वग भी नाराज था। युवा वग ने रपोट म डो म नयन टे टस के
वचार को एक कदम पीछे क ओर माना और सवदलीय स मेलन के घटना म ने डो म नयन
टे टस वचार क उनक आलोचना को मजबूत कया।

नेह और सुभाष बोस ने कां ेस के संशो धत ल य को अ वीकार कर दया और संयु प


से इं डपडस फॉर इं डया लीग क ापना क ।

सारांश

• साइमन कमीशन
म आगे क संवैधा नक ग त क संभावना तलाशने आये।

भारतीय ारा ब ह कार कया गया य क आयोग म कसी भी भारतीय का त न ध व नह था।

व भ समूह क त याएँ अ बेडकर का ापन साइमन कमीशन का भाव

• नेह रपोट
संवैधा नक योजना का मसौदा तैयार करने का पहला भारतीय यास।
अनुशं सत भु व का दजा
अलग नवाचक मंडल नह ब क
अ पसं यक के लए आर त सीट के साथ संयु नवाचन े ।

भाषाई ांत
मौ लक अ धकार क और ांत
म उ रदायी सरकार।
व भ समूह क त याएँ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

स वनय अव ा आंदोलन और गोलमेज़ स मेलन

स वल के लए रन अप
अव ा आंदोलन

कां ेस का कलक ा अ धवेशन


दसंबर म कां ेस के कलक ा स म नेह रपोट को मंज ूरी दे द गई थी ले कन
जवाहरलाल नेह सुभाष बोस और स यमू त के नेतृ व म युवा त व ने कां ेस के ल य के
प म भु व क त पर अपना असंतोष कया। इसके बजाय उ ह ने मांग क क
कां ेस पूण वराज या पूण वतं ता को अपने ल य के प म अपनाए। गांधी और मोतीलाल
नेह जैसे पुराने नेता चाहते थे क डो म नयन टे टस क मांग को ज दबाजी म नह छोड़ा
जाए य क इस पर सहम त पछले कु छ वष म बड़ी मु कल से बनी थी। उ ह ने सुझ ाव
दया क डो म नयन टे टस क मांग को वीकार करने के लए सरकार को दो साल क छू ट
अव ध द जानी चा हए। बाद म युवा त व के दबाव म इस अव ध को घटाकर एक वष कर
दया गया। अब कां ेस ने नणय लया क य द सरकार वष के अंत तक डो म नयन टे टस
पर आधा रत सं वधान को वीकार नह करती है तो कां ेस न के वल पूण वतं ता क मांग
करेगी ब क अपने ल य को ा त करने के लए स वनय अव ा आंदोलन भी शु करेगी।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

के दौरान राजनी तक ग त व ध गांधी ने के


दौरान लगातार या ा क और लोग को य राजनी तक कारवाई के लए तैयार कया
युवा को अ नपरी ा के लए तैयार रहने के लए कहा गांव म रचना मक काय को
व त करने म मदद क और व श शकायत का नवारण कया के बारडोली
आंदोलन क तज पर ।

कां ेस व कग कमेट सीड यूसी ने वदे शी कपड़ के ब ह कार और वदे शी कपड़


को सावज नक प से जलाने के आ ामक काय म का चार करने के लए एक वदे शी
कपड़ा ब ह कार स म त का आयोजन कया। गांधीजी ने माच म कलक ा म अ भयान
शु कया और उ ह गर तार कर लया गया। इसके बाद पूरे दे श म वदे शी कपड़ क होली
जलाई गई।

के दौरान राजनी तक तापमान को ऊं चा रखने वाली अ य घटना म मेरठ


ष ं के स माच भगत सह और बीके द ारा क य वधान सभा म बम व ोट अ ैल
और इं लड म रामसे मैक डोना के नेतृ व वाली अ पमत लेबर सरकार का स ा म आना
शा मल था। मई म। और वेज वुड बेन भारत के रा य स चव बने।

इर वन क घोषणा अ टू बर
साइमन कमीशन क रपोट आने से पहले लॉड इर वन ारा घोषणा क गई थी। यह लेबर
सरकार कं जव टव क तुलना म भारतीय आकां ा के त हमेशा अ धक सहानुभू त रखने
वाली और एक कं जव टव वायसराय का संयु यास था। घोषणा के पीछे का उ े य टश
नी त के अं तम उ े य म व ास बहाल करना था। यह घोषणा अ टू बर को
भारतीय राजप म एक आ धका रक व त के प म क गई थी। इसम कहा गया था
इराद पर क जाने वाली ा या के संबंध म ेट टे न और भारत दोन म जो संदेह
कए गए ह उ ह यान म रखते ए क क़ानून को लागू करने म टश सरकार क ओर
से म महाम हम सरकार क ओर से यह प से कहने के
लए अ धकृ त ं क उनके नणय म क घोषणा म यह अंत न हत है क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जैसा क उ ह ने सोचा था क भारत क संवैधा नक ग त का वाभा वक मु ा डो म नयन


त क ा त है।
हालाँ क कोई समय पैमाना नह था। इर वन ारा वादा कया गया भु व का दजा
आने वाले लंबे समय तक उपल नह होगा। वा तव म घोषणा म कु छ भी नया या ां तकारी
नह था।

लॉड इर वन ने गोलमेज़ स मेलन का भी वादा कया


साइमन कमीशन ारा अपनी रपोट तुत करने के बाद।

द ली घोषणाप
नवंबर को मुख रा ीय नेता के एक स मेलन ने द ली घोषणाप जारी कया
जसम गोलमेज स मेलन म भाग लेने के लए कु छ शत रखी ग

. गोलमेज स मेलन का उ े य यह नधा रत करना नह होना चा हए क डो म नयन


त तक प ंचना है या नह ब क डो म नयन त के काया वयन इस
कार एक सं वधान सभा के प म काय करना और डो म नयन त के मूल
स ांत के काया वयन के लए एक सं वधान तैयार करना होना चा हए। तुरंत
वीकार कया जाना चा हए

. स मेलन म कां स
े का ब मत त न ध व होना चा हए और . राजनी तक कै दय
के लए सामा य माफ और सुलह
क नी त होनी चा हए दसंबर म मोतीलाल नेह और अ य राजनी तक
नेता के साथ गांधीजी ने लॉड इर वन से मुलाकात क जब
वायसराय एक बम व ोट के बाद बाल बाल बच गए थे जसका आशय उस े न से
टकराना था जसम वह या ा कर रहे थे । उ ह ने वायसराय से यह आ ासन मांगा क गोलमेज़
स मेलन का उ े य डो म नयन टे टस के लए एक संवैधा नक योजना का मसौदा तैयार करना
था। इर वन ने कहा यह स मेलन का उ े य नह था। वायसराय इर वन ने द ली घोषणाप म
रखी गई मांग को खा रज कर दया।

टकराव का दौर अब शु होना था.

लाहौर कां ेस और पूण वराज


जवाहरलाल नेह ज ह ने पूण वराज क अवधारणा को लोक य बनाने के लए कसी
अ य से अ धक काम कया था को नामां कत कया गया था
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

कां ेस के लाहौर अ धवेशन दसंबर के लए अ य बने इसका मु य कारण गांधीजी


का समथन था ांतीय कां ेस स म तय म से ने नेह का वरोध कया था । नेह
को चुना गया अवसर क उपयु ता के कारण कां ेस ारा पूण वतं ता को अपने ल य के
प म वीकार
करना और युवा के उभार को वीकार करने के लए जसने साइमन वरोधी
अ भयान को एक बड़ी सफलता बना द थी।

नेह ने अपने अ य ीय भाषण म घोषणा क अब हमारे पास इस दे श को वदे शी


शासन से मु करने का एक खुला ष ं है और आप सा थय और हमारे सभी दे शवा सय
और दे श क म हला को इसम शा मल होने के लए आमं त कया जाता है।

आगे यह समझाते ए क मु का मतलब के वल वदे शी जुए को उतार फकना नह


है उ ह ने कहा मुझ े प से वीकार करना चा हए क म एक समाजवाद और एक
गणतं वाद ं और राजा और राजकु मार या उस व ा म व ास नह करता ं जो
आधु नक राजा को ज म दे ती है। उ ोग जनके पास पुराने राजा क तुलना म मनु य
के जीवन और भा य क अ धक श है और जनके तरीके पुराने सामंती अ भजात वग के
समान ही शकारी ह।

संघष के तरीक के बारे म बताते ए उ ह ने कहा आज मु के लए कोई भी बड़ा


आंदोलन आव यक प से एक जन आंदोलन होना चा हए और संग ठत व ोह के समय को
छोड़कर जन आंदोलन अ नवाय प से शां तपूण होना चा हए...

लाहौर अ धवेशन म न न ल खत मुख नणय लये गये। • गोलमेज़ स मेलन का


ब ह कार
कया जाना था। • पूण वतं ता को कां ेस का ल य घो षत कया गया। • कां ेस
काय स म त को कर का भुगतान न करने स हत स वनय अव ा का एक काय म
शु करने के लए
अ धकृ त कया गया था और वधा यका के सभी सद य को अपनी सीट से इ तीफा
दे ने के लए कहा गया था। • जनवरी को थम वतं ता वरा य
दवस के प म तय कया गया जसे हर जगह मनाया जाएगा।
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दसंबर आधी रात को


रावी नद के तट पर जवाहरलाल नेह ारा इंक लाब जदाबाद के नार के बीच आजाद का
नया अपनाया गया तरंगा झंडा फहराया गया।

जनवरी वतं ता
त ा
पूरे दे श म गांव और क ब म सावज नक बैठक आयो जत क ग और ानीय भाषा म
वतं ता त ा पढ़ गई और रा ीय वज फहराया गया। यह त ा जसे गांधीजी ारा
तैयार कया गया माना जाता है म न न ल खत बात कही ग • वतं ता पाना भारतीय
का अ वभा य अ धकार है। • भारत म टश सरकार ने न के वल हम आजाद से वं चत
कया और हमारा शोषण कया ब क
हम आ थक राजनी तक सां कृ तक और आ या मक प से भी बबाद कर दया।
इस लए भारत को टश संबंध तोड़ दे ना चा हए और पूण वराज या पूण वतं ता
ा त करनी चा हए।

• उ राज व बना कसी त ापन के ामीण उ ोग के वनाश से हम आ थक


प से बबाद हो रहे ह जब क सीमा शु क मु ा और व नमय दर म हमारे नुक सान के लए
हेरफे र कया जा रहा है। • कोई वा त वक राजनी तक श याँ नह द जात हम वतं
संघ के अ धकार से वं चत
कर दया जाता है और हमारे अंदर क सारी शास नक तभा को मार दया जाता
है। • सां कृ तक प से श ा णाली ने हम अपने बंधन से तोड़ दया है। • आ या मक
से अ नवाय
नःश ीकरण ने हम पौ षहीन बना दया है। • हम अब टश शासन के अधीन
रहना मनु य और
ई र के व अपराध मानते ह। • जहां तक संभव हो हम टश सरकार से
सभी
वै क संघ वापस लेक र पूण वतं ता क तैयारी करगे और कर का भुगतान न
करके स वनय अव ा के लए तैयारी
करगे। इससे इस अमानवीय शासन का अंत सु न त हो जाता है।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

• हम पूण वराज क ापना के लए कां ेस के नदश का पालन करगे ।

स वनय अव ा आंदोलन नमक


स या ह और अ य व ोह
गांधी क यारह मांग लाहौर कां ेस ारा दए गए
जनादे श को आगे बढ़ाने के लए गांधी ने सरकार के सामने यारह मांग पेश क और इन
मांग को वीकार करने या अ वीकार करने के लए जनवरी तक का अ ट मेटम
दया। मांग इस कार थ .

सामा य हत के मु े . सेना और नाग रक


सेवा पर खच तशत कम कर।

. पूण शराबबंद लागू कर.


. आपरा धक जांच वभाग सीआईडी म सुधार लाना.

.श अ ध नयम म बदलाव से आ नेया लाइसस जारी करने पर लोक य नयं ण क


अनुम त मलेगी।

. राजनी तक बं दय को रहा करो.


. डाक आर ण बल वीकार कर.

व श बुज ुआ मांग . पया ट लग व नमय


अनुपात को s d तक कम कर . कपड़ा संर ण शु कर।

. भारतीय के लए तट य श पग आर त कर।

वश कसान मांग . भू राज व


तशत कम कर।
. नमक कर और सरकार के नमक एका धकार को समा त कर।
इन मांग पर सरकार क ओर से कोई सकारा मक त या नह मलने पर कां ेस
काय स म त ने गांधीजी को उनक पसंद के समय और ान पर स वनय अव ा आंदोलन
शु करने क पूरी श दे द । फरवरी के अंत तक गांधी ने नमक को आंदोलन का क य
सू बनाने का नणय लया था
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नमक को मह वपूण वषय के प म य चुना गया जैसा क


गांधी ने कहा था पानी के बाहर
नमक जैसी कोई अ य व तु नह है जस पर कर लगाकर सरकार भूख े लाख लोग
बीमार अपंग और पूरी तरह से असहाय लोग तक प ंच सके ... यह है सबसे अमानवीय
मतदान कर जसे मनु य क सरलता से ईजाद कया जा सकता है।

नमक ने एक झटके म वराज के आदश को ामीण गरीब क सबसे ठोस और


सावभौ मक शकायत के साथ जोड़ दया और नो रट अ भयान जैसा कोई सामा जक
वभाजनकारी भाव नह था ।
नमक क क मत ब त कम ले कन मनोवै ा नक प से मह वपूण है
वयं सहायता के मा यम से गरीब के लए खाद क तरह आय।
खाद क तरह इसने फर से शहरी आबाद को सामू हक पीड़ा के साथ तीका मक
पहचान का अवसर दान कया।

दांडी माच माच अ ैल


माच को गांधीजी ने वायसराय को अपनी काययोजना से अवगत कराया। इस योजना
के अनुसार जब इसक पहली बार घोषणा क गई थी तब कु छ लोग को इसके मह व का
एहसास आ था गांधी को साबरमती आ म के अठह र सद य के एक बड के साथ
अहमदाबाद म अपने मु यालय से गुज रात के गांव के मा यम से मील तक माच करना
था। दांडी तट पर प ँचने पर समु तट से नमक एक करके नमक कानून का उ लंघन करना
था।

ता वत माच शु होने से पहले ही हजार लोग आ म म जमा हो गए। गांधीजी ने


भावी कारवाई के लए न न ल खत नदश दये।

• जहां भी संभव हो नमक कानून क स वनय अव ा


शु कया जाना चा हए.

• वदे शी शराब और कपड़े क कान पर धरना दया जा सकता है। • य द हमारे


पास आव यक शत ह तो हम कर का भुगतान करने से इंक ार कर सकते ह
ताकत। •
वक ल ै टस छोड़ सकते ह। • जनता मुक दमेबाजी
से वरत रहकर कानून अदालत का ब ह कार कर सकती है। • सरकारी कमचारी अपने
पद से इ तीफा
दे सकते ह। • ये सभी एक शत के अधीन होने चा हए स य
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

और वराज ा त करने के साधन के प म अ हसा का ईमानदारी से पालन


कया जाना चा हए। • गांधीजी के बाद
ानीय नेता क बात माननी चा हए
गर तार करना।

स वनय अव ा आंदोलन क शु आत को च त करने वाला ऐ तहा सक माच


माच को शु आ और गांधीजी ने अ ैल को दांडी म नमक क एक गांठ उठाकर नमक
कानून तोड़ दया। कानून के उ लंघन को भारतीय के तीक के प म दे ख ा गया था लोग का
टश न मत कानून के तहत और इस लए टश शासन के तहत नह रहने का संक प।
गांधीजी ने खुले तौर पर लोग से अपने घर म समु के पानी से नमक बनाने और नमक कानून
का उ लंघन करने के लए कहा। माच इसक ग त और लोग पर इसके भाव को समाचार
प ने अ तरह से कवर कया। गुज रात म गांधी क अपील के जवाब म ामीण
अ धका रय ने इ तीफा दे दया।

कां ेस कायकता जमीनी तर के संगठना मक काय म लगे रहे।

नमक अव ा का सार एक बार जब दांडी म गांधी के


अनु ान से रा ता साफ हो गया तो पूरे दे श म नमक कानून क अवहेलना शु हो गई। नमक
कानून क अवहेलना के लए अ ैल म नेह क गर तारी के कारण म ास कलक ा
और कराची म बड़े पैमाने पर दशन ए। गांधी क गर तारी मई को ई जब उ ह ने
घोषणा क थी क वह प मी तट पर धरासना सा ट व स पर छापे का नेतृ व करगे। गांधी क
गर तारी के बाद बंबई द ली कलक ा और शोलापुर म बड़े पैमाने पर वरोध दशन ए
जहां त या सबसे उ थी। गांधी क गर तारी के बाद सीड यूसी ने मंज ूरी द • रैयतवाड़ी
े म राज व का भुगतान न करना • जम दारी े म चौक दारा टै स नह अ भयान और
• म य ांत म वन कानून का उ लंघन।

वभ ान पर स या ह उपमहा प के व भ
ह स म स वनय अव ा आंदोलन क कृ त का एक सं त सव ण नीचे दया गया है।

• त मलनाडु अ ैल म सी. राजगोपालाचारी ने त चराप ली चनापोली


से एक माच का आयोजन कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नमक कानून तोड़ने के लए उ ह अं ेज ारा तंज ौर या तंज ावुर तट पर वेदार यम म बुलाया


गया था। इस घटना के बाद वदे शी कपड़े क कान पर ापक धरना दया गया शराब वरोधी
अ भयान को कोयंबटू र म रा वरधानगर आ द के आंत रक े म जबरद त समथन मला।
हालाँ क राजाजी ने आंदोलन को अ हसक बनाए रखने क को शश क ले कन जनता का
हसक व ोट और पु लस का हसक दमन शु हो गया। चूलाई मल क हड़ताल को तोड़ने
के लए पु लस बल का योग कया गया। बेरोजगार बुनकर ने गु डया म म शराब क कान
और पु लस पके ट पर हमला कया जब क गरती क मत से पी ड़त कसान ने म रा के
बो दनायकनूर म दं गा कया।

• वैक ोम स या ह के लए स नायर कां ेस नेता मालाबार के . के ल पन ने नमक


माच का आयोजन कया। पी।
के रल क यु न ट आंदोलन के भावी सं ापक कृ णा प लई ने नवंबर म कालीकट समु
तट पर पु लस लाठ चाज के सामने वीरतापूवक रा ीय वज क र ा क । • आं े के जला
नमक माच पूव और प म गोदावरी कृ णा और गुंटूर म आयो जत कए गए थे। नमक
स या ह के मु यालय के प म काम करने के लए कई स बराम सै य शैली श वर
ा पत कए गए थे। ापा रय ने कां ेस के कोष म योगदान दया और मुख जा त क मा
और राजू के कृ षक ने दमनकारी उपाय का वरोध कया। ले कन इस े म असहयोग
आ दोलन जैसा जनसमथन नदारद था। • उड़ीसा म गांधीवाद नेता गोपालबंधु
चौधरी के नेतृ व म नमक स या ह बालासोर कटक और पुरी जल के तट य े म भावी
सा बत आ। • असम वभाजनकारी मु के कारण स वनय अव ा म ात
ऊं चाइय को हा सल करने म वफल रही अस मया और बंगा लय ह और मुसलमान के
बीच बढ़ते संघष और घनी आबाद
वाले पूव बंगाल से मु लम कसान क आमद से वक सत होने वाले तनाव।

हालाँ क क नघम सकु लर के खलाफ एक सफल छा हड़ताल जसने छा क राजनी त म


भागीदारी पर तबंध लगा दया था मई म दे ख ी गई। दसंबर म चं भा
सै कयानी ने आ दवासी कछारी गांव को जंगल तोड़ने के लए उकसाया।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

हालां क असम कां ेस नेतृ व ने इन कानून से इनकार कर दया था। • बंगाल बंगाल कां ेस
सुभाष बोस
और जेएम सेनगु ता के नेतृ व म दो गुट म वभा जत होकर कलक ा नगम चुनाव
म शा मल थी। इसके प रणाम व प कलक ा के अ धकांश भ लोक नेता ामीण जनता से
अलग थलग हो गए।

इसके अलावा ढाका अब ढाखा और कशोरगंज म सां दा यक दं गे दे ख े गए और आंदोलन


म मुसलमान क भागीदारी ब त कम थी। इसके बावजूद बंगाल म सबसे अ धक सं या म
गर ता रयाँ और साथ ही सबसे अ धक हसा भी ई।

मदनापुर आरामबाग और कई ामीण इलाक म नमक स या ह और चौक दारी कर को लेक र


श शाली आंदोलन वक सत ए। उसी अव ध के दौरान सूय सेन के चटगांव व ोह समूह ने
दो श ागार पर छापा मारा और एक अ ायी सरकार क ापना क घोषणा क ।

• बहार चंपारण और सारण नमक स या ह शु करने वाले पहले दो जले थे। भू म


से घरे बहार म बड़े पैमाने पर नमक का नमाण संभव नह था और अ धकांश ान पर यह
महज एक दखावा था। पटना म नखास तालाब को अं बका कांत स हा के तहत नमक बनाने
और नमक कानून तोड़ने के लए एक ल के प म चुना गया था। हालाँ क ब त ज द एक
ब त श शाली चौक दारी र हत कर आंदोलन ने नमक स या ह नमक बनाने म शारी रक
बाधा के कारण का ान ले लया। नवंबर तक वदे शी कपड़े और शराब क ब
म नाटक य प से गरावट आई और मुंगेर के बरही े जैसे कई ह स म शासन व त हो
गया।

छोटानागपुर अब झारखंड म के आ दवासी इलाके म नचले वग के उ वाद क


घटनाएं दे ख ी ग । गांधीवाद से भा वत ब गा माझी और सोमरा माझी ने हज़ारीबाग़ म एक
आंदोलन का नेतृ व कया जसम सामा जक धा मक सुधार को सं कृ तकरण क तज पर
जोड़ा गया जसम अनुया यय को मांस और शराब छोड़ने और खाद का उपयोग करने के लए
कहा गया। हालाँ क बताया गया क संथाल लोग गांधी के बैनर तले बड़े पैमाने पर शराब का
अवैध आसवन कर रहे थे यह दे ख ा गया क जहाँ अ धकांश बड़े जम दार सरकार के त
वफादार रहे वह छोटे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जम दार और संप करायेदार ने आंदोलन म भाग लया।


ले कन कई बार न न वग उ वाद म वृ ने छोटे जम दार और संप करायेदार के उ साह
को कम कर दया।
पेशावर यहां खान अ ल ग फार खान के शै णक और सामा जक सुधार काय ने
पठान का राजनी तकरण कर दया था। ग फार खान ज ह बादशाह खान और ं टयर गांधी
भी कहा जाता है ने पहला पु तो राजनी तक मा सक प तून शु कया था और एक वयंसेवी
गेड खुदाई खदमतगार का आयोजन कया था जसे रेड शट् स के नाम से जाना जाता
था जो वतं ता सं ाम के लए तब थे और गैर हसा।

अ ैल को एनड यूएफपी म कां ेस नेता क गर तारी के कारण


पेशावर म बड़े पैमाने पर दशन ए जो मई को व ा बहाल होने तक एक स ताह से
अ धक समय तक भीड़ के हाथ म था। इसके बाद आतंक का शासन आ। और माशल लॉ.
यह पर गढ़वाल राइफ स के सै नक के एक वग ने नह े भीड़ पर गोली चलाने से इनकार
कर दया था। तशत मु लम आबाद वाले ांत म इस व ोह से टश सरकार घबरा गई।

द णी महारा के इस औ ो गक शहर शोलापुर म गांधी क गर तारी पर सबसे उ


त या दे ख ी गई। कपड़ा मक मई से हड़ताल पर चले गए और अ य नवा सय के साथ
शराब क कान और सरकारी ा धकरण के अ य तीक जैसे रेलवे टे शन पु लस टे शन
नगरपा लका भवन कानून अदालत आ द को जला दया। कायकता ने एक आभासी
समानांतर सरकार क ापना क जो के वल हो सकती थी मई के बाद माशल लॉ के साथ
हटा दया गया।

धरसाना मई को सरो जनी नायडू इमाम साहब और म णलाल गांधी के


पु ने धरसाना सा ट व स पर छापे का नेतृ व करने का अधूरा काम संभाला। नह े और
शां तपूण भीड़ पर ू र लाठ चाज कया गया जसम लोग मारे गए और घायल हो गए।
नमक स या ह के इस नए प को वडाला बॉ बे कनाटक सै नक ा सा ट व स आं
मदनापुर बालासोर पुरी और कटक म लोग ने उ सुक ता से अपनाया।

गुज रात म इसका असर खेड़ा जले के आणंद बोरसाद और न डयाद इलाक सूरत
जले के बारडोली और म महसूस कया गया।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन


गांधीजी का शरीर जेल म है ले कन उनक आ मा आपके साथ है। भारत क त ा
अब आपके हाथ म है. आपको कसी भी कार क हसा का योग नह करना चा हए
कसी भी प र त म. तु ह पीटा जाएगा ले कन तु ह वरोध नह करना चा हए
तु ह वार से बचने के लए हाथ भी नह उठाना चा हए।
सरो जनी नायडू पर पूव सं याका धरसाना
नमक सहया ह

हालाँ क हर कोई जानता था क कु छ ही मनट म वह हो जाएगा


पीटा गया और शायद मार डाला गया मुझ े इसका कोई संके त नह मला
डगमगाना या डरना। वे सर ऊपर करके लगातार आगे बढ़े ...
वेब मलर एक अमे रक प कार रपो टग
पर धरसाना नमक स या ह

भ च जले म जंबूसर। एक ढ़ संक पत कर मु आंदोलन

यहाँ आयो जत कया गया था जसम भू म का भुगतान करने से इनकार करना शा मल था


आय। ामीण सीमा पार कर पड़ोस म चले गए
रयासत जैसे बड़ौदा अपने प रवार के साथ और
सामान चुराया और बचने के लए महीन तक खुले म डेरा डाला
पु लस दमन. पु लस ने जवाबी कारवाई करते ए उ ह न कर दया
संप और उनक ज़मीन ज़ त करना।
महारा कनाटक म य ांत ये
े म चराई और लकड़ी जैसे वन कानून क अवहेलना दे ख ी गई
अवैध प से अ जत वन पर तबंध और सावज नक ब
उ पादन करना।
संयु ांत म एक राज व र हत अ भयान चलाया गया
का गठन कर दया जम दार को भुगतान दे ने से इंक ार करने का आ ान कया गया
सरकार को राज व. नो रट अ भयान के तहत एक कॉल
जम दार के व का तकार को दया गया। चूं क अ धकांश
जम दार वफादार थे यह अ भयान व तुतः लगान मु अ भयान बन गया। अ टू बर म
ग त व ध म तेज ी आई
खासकर आगरा और राय बरेली म.
म णपुर और नागालड इन े ने बहा री से ह सा लया
आंदोलन म. तेरह साल क छोट सी उ म रानी
गाइ द यू एक नागा आ या मक नेता जो अपने चचेरे भाई का अनुसरण करती थी
हाईपो जादोनांग का ज म वतमान म णपुर रा य म आ था।
वदे शी शासन के व व ोह का झंडा उठाया। हम वतं ह
लोग गोरे लोग को हम पर शासन नह करना चा हए उसने घोषणा क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उ ह ने लोग से शेष भारत म वतं ता सं ाम ारा ा पत परंपरा के अनुसार कर न दे ने या


अं ेज के लए काम न करने का आ ह कया। जैसे जैसे सुधारवाद धा मक आंदोलन लगातार
राजनी तक होता गया टश अ धका रय ने हैपो जादोनांग को पकड़ लया और म
राज ोह के आरोप म उसे फांसी दे द । रानी गाइ द यू क तलाश शु कर द गई। अ टू बर
तक उ ह ने अं ेज को चकमा दया और आ खरकार उ ह पकड़ लया गया। बाद म उसे
आजीवन कारावास क सजा सुनाई गई। म ा पत भारत क अंत रम सरकार ने
अंततः उ ह तुरा जेल से रहा करने का आदे श दया।

लामबंद के कार भात फे री वानर


सेना मंज री सेना गु त प का और जा लालटे न शो के मा यम से भी जनता को लामबंद कया
गया ।

आंदोलन का भाव
. वदे शी कपड़ा और अ य व तु का आयात गर गया।
. सरकार को शराब उ पाद शु क और भू राज व से होने वाली आय क हा न ई।

. वधान सभा के चुनाव का बड़े पैमाने पर ब ह कार कया गया।

सामू हक भागीदारी क सीमा जनसं या के कई वग ने


स वनय अव ा आंदोलन म भाग लया।

म हला गांधी ने वशेष प से म हला से आंदोलन म अ णी भू मका नभाने को


कहा था। ज द ही वे एक प र चत य बन गए शराब क कान अफ़ म अ और वदे शी
कपड़ा बेचने वाली कान के बाहर धरना दे ना। भारतीय म हला के लए यह आंदोलन सबसे
मु दायक अनुभव था और वा तव म यह कहा जा सकता है क इसने सावज नक े म
उनके वेश को च त कया।

वदे शी कपड़े और शराब के ब ह कार म म हला के साथ साथ छा और युवा ने


सबसे मुख भू मका नभाई।

मु लम नेता ारा आंदोलन से र रहने क अपील और स य रहने के कारण


मु लम भागीदारी के तर के आसपास भी नह थी ।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

सा दा यक फू ट को सरकारी ो साहन। फर भी एनड यूएफपी जैसे कु छ े म भारी


भागीदारी दे ख ी गई। सेनह ा पुरा गैबांधा बगुरा और नोआखली म म यम वग क मु लम
भागीदारी काफ मह वपूण थी। ढाका म मु लम नेता कानदार न न वग के लोग और उ
वग क म हलाएँ स य थ । बहार द ली और लखनऊ म मु लम बुनकर समुदाय को भी
भावी ढं ग से संग ठत कया गया।

ापारी और छोटे ापारी ब त उ सा हत थे। ापारी संघ और वा ण यक नकाय


ब ह कार को लागू करने म स य थे खासकर त मलनाडु और पंज ाब म।

आ दवासी म य ांत महारा और कनाटक म आ दवासी स य भागीदार थे।

मक ने ब बई कलक ा म ास शोलापुर आ द म भाग लया।

संयु ांत बहार और गुज रात म कसान स य थे।

सरकार क त या संघष वराम के यास के दौरान सरकार का रवैया


वधापूण और मत था। इसे य द आप ऐसा करते ह तो शा पत य द आप नह करते ह तो
शा पत क ला सक वधा का सामना करना पड़ा य द बल योग कया गया तो कां ेस ने
दमन का रोना रोया और य द थोड़ी सी कारवाई क गई तो कां ेस ने जीत का रोना रोया।
कसी भी तरह सरकार को श का रण झेलना पड़ा। यहाँ तक क गाँधी जी क गर तारी
भी काफ उतार चढ़ाव के बाद ई। ले कन एक बार दमन शु होने के बाद नाग रक वतं ता
पर तबंध लगाने वाले अ यादे श का वतं प से उपयोग कया गया जसम ेस का मुंह
बंद करना भी शा मल था। ांतीय सरकार को स वनय अव ा संगठन पर तबंध लगाने क
छू ट द गई। हालाँ क कां ेस काय स म त को जून तक अवैध घो षत नह कया गया था।
नह े भीड़ पर लाठ चाज और गोलीबारी ई जसम कई लोग मारे गए और घायल हो गए
जब क गांधी और अ य कां ेस नेता के अलावा हजार स या हय को जेल म डाल दया
गया।

सरकारी दमन और साइमन कमीशन रपोट का काशन जसका कोई उ लेख नह


था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भु व क त और अ य तरीक से भी एक तगामी द तावेज़ था जसने उदारवाद


राजनी तक राय को भी परेशान कर दया।
जुलाई म वायसराय लॉड इर वन ने एक गोलमेज स मेलन का सुझ ाव दया और
डो म नयन टे टस के ल य को दोहराया।
उ ह ने इस सुझ ाव को भी वीकार कर लया क तेज बहा र स ू और एमआर जयकर को
कां ेस और सरकार के बीच शां त क संभावना तलाशने क अनुम त द जानी चा हए।

अग त म मोतीलाल और जवाहरलाल नेह को गांधीजी से मलने और


समझौते क संभावना पर चचा करने के लए यरवदा जेल ले जाया गया। नेह और गांधी ने
प से न न ल खत मांग को दोहराया . टे न से अलग होने का अ धकार . पूण
रा ीय सरकार पर नयं ण

र ा और व और
. टे न के व ीय नपटारे के लए एक वतं याया धकरण
दावा.
इस ब पर वाता टू ट गई।

गांधी इर वन समझौता जनवरी


को गांधी और कां ेस काय स म त सीड यूसी के अ य सभी सद य को बना शत
रहा कर दया गया। सीड यूसी ने गांधी को वायसराय के साथ चचा शु करने के लए
अ धकृ त कया। इन चचा के प रणाम व प फरवरी को द ली म टश भारत
सरकार का त न ध व करने वाले वायसराय और भारतीय लोग का त न ध व करने वाले
गांधी के बीच एक समझौते पर ह ता र कए गए। इस द ली समझौते को गांधी इर वन
समझौते के प म भी जाना जाता है । कां ेस को सरकार के साथ बराबरी पर खड़ा कया।

सरकार क ओर से इर वन इस पर सहमत ए . हसा के लए दोषी नह


ठहराए गए सभी राजनी तक कै दय क त काल रहाई

. अभी तक नह वसूले गए सभी जुमाने क छू ट . उन सभी जमीन


क वापसी जो अभी तक तीसरे प को नह बेची ग . उन सरकारी सेवक के
त उदार वहार ज ह ने इ तीफा दे दया था
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

. गत तौर पर तट य गाँव म नमक बनाने का अ धकार


उपभोग ब के लए नह
. शां तपूण और गैर आ ामक धरना दशन का अ धकार और . आपातकालीन
अ यादे श को वापस लेना।
हालाँ क वायसराय ने गांधी क दो माँग को ठु क रा दया

i पु लस याद तय क सावज नक जांच और ii भगत सह और


उनके सा थय क मौत क सजा को आजीवन कारावास म बदलना।

कां ेस क ओर से गांधीजी सहमत ए i स वनय अव ा आंदोलन


को नलं बत करने के लए और ii महासंघ भारतीय ज मेदारी और आर ण और
सुर ा उपाय के तीन लच पन के आसपास संवैधा नक पर अगले गोलमेज
स मेलन म भाग लेने के लए जो भारत के हत म आव यक हो सकता है र ा
वदे शी मामले अ पसं यक क त भारत के व ीय ऋण और अ य
दा य व के नवहन जैसे े को कवर करते ए ।

स वनय अव ा आंदोलन का मू यांक न

या गांधी इर वन समझौता एक वापसी थी


गांधी इर वन समझौते के तहत सहम त के अनुसार स वनय अव ा आंदोलन को नलं बत करने
का गांधी का नणय पीछे हटना नह था य क i जन आंदोलन आव यक प से
अ पका लक
होते ह ii कायकता क तुलना म जनता क ब लदान दे ने क मता
सी मत है और iii सतंबर के बाद थकावट के संके त थे खासकर कानदार
और ापा रय के बीच ज ह ने ब त उ साह से भाग
लया था।

न संदेह युवा नराश थे उ ह ने उ साहपूवक भाग लया था और चाहते थे क नया


का अंत एक धमाके के साथ हो न क एक झटके के साथ। गुज रात के कसान नराश थे
य क उनक ज़मीन तुरंत वापस नह क ग वा तव म उ ह कां ेस के शासनकाल के दौरान
ही बहाल कया गया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ांत म मं ालय । ले कन कई लोग इस बात से खुश थे क सरकार को उनके आंदोलन को


मह वपूण मानने और उनके नेता को बराबर मानने और उनके साथ एक समझौते पर ह ता र
करने के लए बनाया गया था। जेल से रहा होने पर राजनी तक कै दय का नायक क तरह
वागत कया जाता था।

असहयोग आंदोलन से तुलना ऐसे कु छ पहलू थे जनम स वनय अव ा आंदोलन


असहयोग आंदोलन से भ था।

. इस बार घो षत उ े य पूण वतं ता था न क के वल दो व श गल तय का


समाधान और अ श द वाला वराज।

. इन तरीक म शु से ही कानून का उ लंघन शा मल था न क के वल वदे शी शासन


के साथ असहयोग।
. बु जी वय से जुड़े वरोध दशन म गरावट आई जैसे वक ल का ै टस
छोड़ना छा का सरकारी कू ल को छोड़कर रा ीय कू ल और कॉलेज म शा मल होना।

. मु लम क भागीदारी कह भी नह थी
असहयोग आ दोलन तर.
. आंदोलन के साथ कोई बड़ा मक उभार नह आ।

. कसान और ापार जगत क ापक भागीदारी


समूह को अ य सु वधा क गरावट के लए मुआ वजा दया गया।
. इस बार कै द करने वाल क सं या लगभग तीन गुना अ धक थी.

. कां ेस संगठना मक प से मजबूत थी।


भारत एक वशाल जेलखाना है। म इस कानून का खंडन करता ं.
एमके गांधी से लेक र लॉड इर वन तक
गांधी भारत म अं ेज के सबसे अ े पु लसकम थे।
एलेन व कसन दांडी माच

ां त का कडरगाटन चरण है....... इस धारणा पर आधा रत है क के तली म समु का पानी उबालकर राजा स ाट
को पद से हटाया जा सकता है।

सफोड एक अं ेज ी प कार
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

कराची कां ेस अ धवेशन


माच म गांधी इर वन समझौते का समथन करने के लए कराची म कां ेस का एक
वशेष स आयो जत कया गया था। स से छह दन पहले जो माच को आयो जत
कया गया था भगत सह सुख दे व और राजगु को फाँसी दे द गई। गांधी जी के कराची
जाने के पूरे रा ते म भगत और उनके सा थय क मौत क सजा को कम करने म उनक
वफलता के वरोध म पंज ाब नौजवान भारत सभा ारा काले झंडे दखाकर उनका वागत
कया गया।

कराची म कां ेस के ताव • राजनी तक हसा को अ वीकार


करते ए और खुद को इससे अलग करते ए कां ेस ने तीन शहीद क बहा री
और ब लदान क शंसा क । • द ली सं ध या गांधी इर वन सं ध का समथन कया गया।
• पूण वराज का ल य दोहराया गया। • दो
ताव अपनाए गए एक मौ लक अ धकार पर और सरा रा ीय आ थक
काय म पर जसने स को वशेष प से यादगार बना दया।
मौ लक अ धकार पर संक प क गारंट वतं भाषण और वतं ेस संघ
बनाने का अ धकार इक ा होने का अ धकार सावभौ मक वय क मता धकार जा त
पंथ और लग के बावजूद समान कानूनी अ धकार धा मक मामल म रा य क तट ता
मु त और अ नवाय ाथ मक श ा अ पसं यक और भाषाई समूह क
सं कृ त भाषा ल प क सुर ा रा ीय
आ थक काय म पर संक प म शा मल है
मामले म कराए और राज व
म पया त कमी

भू मधारक और कसान को अलाभकारी


जोत के लए लगान से छू ट कृ ष ऋण तता से राहत
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सूदखोरी पर नयं ण
जी वत मज री स हत काम क बेहतर तयाँ काम के सी मत घंटे और औ ो गक
े म म हला मक क सुर ा

मज र और कसान को यू नयन बनाने का अ धकार मुख उ ोग


खदान और प रवहन के साधन पर रा य का वा म व और नयं ण। यह पहली बार
था जब कां ेस ने बताया क जनता
के लए वराज का या मतलब होगा जनता के शोषण को समा त करने के लए
राजनी तक वतं ता म लाख भूख े लोग क आ थक वतं ता भी शा मल होनी चा हए।

कराची ताव सं ेप म बाद के वष म कां ेस का बु नयाद राजनी तक और आ थक


काय म बना रहेगा।

गोलमेज़ स मेलन
भारत के वायसराय लॉड इर वन और टे न के धान मं ी रामसे मैक डोना इस बात पर
सहमत ए क एक गोलमेज स मेलन आयो जत कया जाना चा हए य क साइमन कमीशन
क रपोट क सफा रश प से अपया त थ ।

थम गोलमेज़ स मेलन
पहला गोलमेज स मेलन नवंबर और जनवरी के बीच लंदन म आयो जत कया
गया था। इसे आ धका रक तौर पर नवंबर को कग जॉज पंचम ारा खोला गया था
और इसक अ य ता रामसे मैक डोना ने क थी।

यह अं ेज और भारतीय के बीच समान प से आयो जत पहला स मेलन था।

कां ेस और कु छ मुख ापा रक नेता ने भाग लेने से इनकार कर दया ले कन


स मेलन म भारतीय के कई अ य समूह का त न ध व कया गया।

भारतीय रयासत का त न ध व कया गया


अलवर के महाराजा बड़ौदा के महाराजा भोपाल के नवाब
बीकानेर के महाराजा धौलपुर के राणा ज मू और क मीर के महाराजा नवानगर के महाराजा
प टयाला के महाराजा
चबर ऑफ सेस के चांसलर रीवा के महाराजा
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

सांगली के मुख साहब सर भाशंक र प ानी भावनगर मनुभाई मेहता बड़ौदा सरदार
सा हबजादा सु तान अहमद खान वा लयर अकबर हैदरी हैदराबाद मजा इ माइल मैसूर
कनल कै लास नारायण ह सर ज मू और क मीर ।

मु लम लीग ने आगा खान III टश भारतीय त न धमंडल के नेता मौलाना मोह मद अली
जौहर मुह मद शफ मुह मद अली ज ा मुह मद जफ ला खान एके फजलुल हक हा फज गुलाम
सैन हदायत उ लाह डॉ. शफाअत अहमद खान राजा को भेज ा। डोमेली के शेर मुह मद खान और
एएच ग़ज़नवी। ह महासभा और उसके समथक का त न ध व बीएस मुंज े एमआर जयकर और
द वान बहा र राजा नर नाथ ने कया। सख का त न ध व सरदार उ वल सह और सरदार
स ूण सह ने कया।

पार सय के लए फ़रोज़ सेठना कोवासजी जहांगीर और होमी मोद ने भाग लया। बेगम जहाँआ रा
शाहनवाज और राधाबाई सु बारायण ने म हला का त न ध व कया। उदारवा दय का तनधव
जेएन बसु तेज बहा र स ू सीवाई चताम ण वीएस ी नवास शा ी और चमनलाल ह रलाल
सीतलवाड ने कया। द लत वग का त न ध व बीआर अंबेडकर और रेटामलाई ी नवासन ने कया
था। ज टस पाट ने अक ट रामासामी मुद लयार भा करराव वठोजीराव जाधव और सर एपी पा ो
को भेज ा। लेबर का त न ध व एनएम जोशी और बी ने कया।

शव राव. के ट पॉल ने भारतीय ईसाइय का त न ध व कया जब क हेनरी गडनी ने एं लो इं डयन


का त न ध व कया और यूरोपीय लोग का त न ध व सर बट कै र सर ऑ कर डी लेन वले
बमा ट एफ गे वन जो स सीई वुड म ास ने कया।

वहाँ जम दार बहार संयु ांत और उड़ीसा से व व ालय बमा सध और कु छ अ य ांत


के त न ध भी थे ।

भारत सरकार का त न ध व नर नाथ लॉ भूपे नाथ म ा सीपी रामा वामी अ यर और


एम. रामच राव ने कया।

प रणाम स मेलन म कु छ खास हा सल नह आ.


आम तौर पर इस बात पर सहम त थी क भारत को एक महासंघ के प म वक सत करना था र ा
और व के संबंध म सुर ा उपाय करने थे जब क अ य वभाग को ानांत रत करना था। ले कन
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इन सफ़ा रश को लागू करने के लए ब त कम काम कया गया और भारत म स वनय अव ा


जारी रही।
टश सरकार को एहसास आ क भारत म संवैधा नक सरकार के भ व य पर कसी
भी चचा म भारतीय रा ीय कां ेस क भागीदारी आव यक थी।

सरे गोलमेज स मेलन म तेज बहा र स ू सीवाई चताम ण और


ी नवास शा ी जैसे भारतीय लबरल पाट के सद य ने गांधीजी से वायसराय से बात करने
क अपील क । गांधी और इर वन एक समझौते पर प ंचे जसे गांधी इर वन समझौता द ली
समझौता कहा गया।

सरा गोलमेज़ स मेलन कहाँ आयो जत कया गया था

सतंबर से दसंबर तक लंदन।


भारतीय रा ीय कां ेस ने गांधी को अपने एकमा त न ध के प म ना मत कया।
ए रंगा वामी अयंगर और मदन मोहन मालवीय भी वहां थे.

इसम कां ेस के अलावा बड़ी सं या म भारतीय तभागी शा मल थे।

रयासत का त न ध व अलवर के महाराजा बड़ौदा के महाराजा भोपाल के नवाब


बीकानेर के महाराजा क के महाराव धौलपुर के राणा इंदौर के महाराजा ज मू और क मीर
के महाराजा कपूरथला के महाराजा नवानगर के महाराजा के महाराजा ने कया। प टयाला
रीवा के महाराजा सांगली के मुख साहब सरीला के राजा सर भाशंक र प ानी भावनगर
मनुभाई मेहता बड़ौदा सरदार सा हबजादा सु तान अहमद खान वा लयर सर मुह मद
अकबर हैदरी हैदराबाद मजा इ माइल मैसूर कनल के .एन

ह सर ज मू क मीर ट . राघवैया ावणकोर लयाकत हयात खान प टयाला । मुसलमान


का त न ध व आगा खान तृतीय मौलाना शौकत अली मुह मद अली ज ा एके फजलुल
हक मुह मद इकबाल मुह मद शफ मुह मद जफ ला खान सैयद अली इमाम मौलवी
मुह मद शफ दाउद डोमेली के राजा शेर मुह मद खान एएच ग़ज़नवी ने कया। हा फज
हदायत सैन सैयद
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

मुह मद पादशाह साहेब बहा र डॉ. शफ़ाअत अहमद खान जमाल मुह मद और नवाब
सा हबजादा सैयद मुह मद मेहर शाह। ह समूह का त न ध व एमआर जयकर बीएस मुंज े
और द वान बहा र राजा नर नाथ ने कया। स मेलन म उदारवाद जेएन बसु सीवाई थे

चताम ण तेज बहा र स ू वीएस ी नवास शा ी और चमनलाल ह रलाल सीतलवाड।


ज टस पाट ने बो बली के राजा अक ट रामासामी मुद लयार सर एपी पा ो और भा करराव
वठोजीराव जाधव को भेज ा। द लत वग का त न ध व बीआर अंबेडकर और रेटामलाई
ी नवासन ने कया था।

सरदार उ वल सह और सरदार संपूण सह ने सख का त न ध व कया। पार सय का


त न ध व कोवासजी जहांगीर होमी मोद और फ़रोज़ सेठना ने कया । भारतीय ईसाइय
का त न ध व सुर कु मार द ा और एट प ीरसे वम ने कया।

उ ोग का त न ध व घन याम दास बड़ला सर पु षो मदास ठाकु रदास और मानेक जी


दादाभाई ने कया। लेबर का त न ध व एनएम जोशी बी. शवा राव और वीवी गरी ने कया।

भारतीय म हला के त न ध सरो जनी नायडू बेगम जहाँआ रा शाहनवाज और राधाबाई


सु बारायण थे। व व ालय का त न ध व सैयद सु तान अहमद और बशे र दयाल सेठ
ने कया। बमा और सध असम म य ांत और एनड यूएफपी ांत के त न धय ने भी
भाग लया।

भारत सरकार का त न ध व सीपी ने कया


रामा वामी अ यर नरे नाथ लॉ और एम. रामच राव। न न ल खत कारण से स मेलन से
ब त अ धक उ मीद नह थ । • इस समय तक भारत म लॉड इर वन के ान पर लॉड
व लगडन वायसराय बन चुके थे।
स मेलन शु होने से ठ क पहले इं लड म लेबर सरकार क जगह एक रा ीय सरकार
ने ले ली थी जो लेबर और कं जव टव के बीच एक असहज गठबंधन था। टश बढ़ती
ां तकारी ग त व धय से भी नाराज थे जसने भारत म कई यूरोपीय लोग क जान ले ली थी।
• टे न म च चल के नेतृ व वाले द णपंथी या परंपरावा दय ने टश सरकार का कड़ा वरोध
कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस के साथ बराबरी के आधार पर बातचीत. इसके बजाय उ ह ने भारत म एक मजबूत


सरकार क मांग क । धान मं ी रामसे मैक डोना ने भारत के कमजोर और त यावाद
रा य स चव सैमुअ ल होरे के साथ कं जव टव भु व वाले कै बनेट का नेतृ व कया।

• स मेलन म गांधी और इस लए कां ेस ने सा ा यवाद के खलाफ भारत के सभी


लोग का त न ध व करने का दावा कया।
हालाँ क अ य त न ध इस वचार से सहमत नह थे।
इ तहासकार बताते ह क कई तनध ढ़वाद सरकार के वफादार और सां दा यक थे और
इन समूह का इ तेमाल औप नवे शक सरकार ने गांधी के यास को बेअ सर करने के लए
कया था। बड़ी सं या म समूह क भागीदारी के कारण टश सरकार ने दावा कया क
कां ेस पूरे भारत के हत का त न ध व नह करती। • गांधी ने बताया क टे न और भारत
के बीच समानता के आधार पर साझेदारी क ज रत है।

उ ह ने क के साथ साथ ांत म भी एक ज मेदार सरकार क त काल ापना क मांग रखी।


उ ह ने यह भी दोहराया क कां ेस अके ले ही राजनी तक भारत का त न ध व करती है। यह
कहते ए क अछू त ह थे और इस लए उ ह अ पसं यक नह माना जाएगा उ ह ने उनके
लए एक अलग नवाचन े के वचार को याग दया। उ ह ने यह भी कहा क मुसलमान या
अ य अ पसं यक के लए अलग नवाचन े या वशेष सुर ा उपाय क कोई आव यकता
नह है। अ य कई त न ध गांधीजी से असहमत थे। • अ पसं यक के सवाल पर स म ज द
ही ग तरोध आ गया। मुसलमान द लत वग ईसाइय और एं लो इं डयन ारा अलग नवाचन
े क मांग क जा रही थी।

ये सभी एक अ पसं यक समझौते म एक साथ आए। गांधी ने इस मु े के समाधान पर सभी


संवैधा नक ग त को सशत बनाने के इस ठोस कदम के खलाफ स त लड़ाई लड़ी। •
राजकु मार भी कसी महासंघ को लेक र ब त उ सा हत नह थे वशेषकर गठन क संभावना
के बाद
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

स वनय अव ा आंदोलन के नलंबन के बाद क म कां ेस सरकार का पतन हो गया था।

प रणाम कई त न ध समूह के बीच सहम त क कमी का मतलब यह था क भारत के


संवैधा नक भ व य के संबंध म स मेलन से कोई ठोस प रणाम नह नकलेगा।

मैक डॉन ् स क घोषणा के साथ स समा त आ

i दो मु लम ब ल ांत उ र प म
सीमांत ांत एनड यूएफपी और सध ii एक भारतीय
सलाहकार स म त क ापना iii तीन वशेष स म तय क ापना व

मता धकार और रा य और
iv य द भारतीय सहमत नह ए तो एकतरफा टश सां दा यक पुर कार क संभावना।

सरकार ने वतं ता क मूल भारतीय मांग को मानने से इनकार कर दया। दसंबर


को गांधीजी भारत लौट आये।

तृतीय गोलमेज स मेलन


नवंबर और दसंबर के बीच आयो जत तीसरे गोलमेज स मेलन म भारतीय
रा ीय कां ेस और गांधीजी ने भाग नह लया। अ धकांश अ य भारतीय नेता ने इसक अनदे ख ी
क।

भारतीय रा य का त न ध व अकबर हैदरी हैदराबाद के द वान मजा इ माइल मैसूर


के द वान वीट कृ णमाचारी बड़ौदा के द वान वजाहत सैन ज मू और क मीर सर सुख दे व
साद उदयपुर जयपुर जोधपुर जेए ने कया था। सुव को हापुर राजा अवध नारायण बसा रया
भोपाल मनुभाई मेहता बीकानेर नवाब लयाकत हयात खान प टयाला फतेह नसीब खान
अलवर रा य एलएफ

रश ुक व लय स नवानगर और सरीला के राजा छोटे रा य । अ य भारतीय त न ध आगा खान


III बीआर थे
अंबेडकर बो बली के रामकृ ण रंगा राव सर बट कै र नानक चंद पं डत एएच घुज़ नवी हेनरी
गडनी हा फ़ज़ हदायत सैन मुह मद इक़बाल एमआर जयकर कावसजी जहांगीर एनएम जोशी
नर स हा चतामन के लकर अक ट रामासामी मुद लयार बेगम जहाँआ रा शाहनवाज
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

एपी पा ो तेज बहा र स ू डॉ. शफाअत अहमद खान सर शाद लाल तारा सह म हो ा सर
नृप नाथ सरकार सर पु षो मदास ठाकु रदास मुह मद जफ लाह खान।

फर पछले दो स मेलन क तरह ब त कम उपल हा सल ई। सफ़ा रश को


माच म एक ेत प म का शत कया गया और बाद म टश संसद म इस पर बहस
ई। सफा रश का व ेषण करने और भारत के लए एक नया अ ध नयम तैयार करने के
लए एक संयु चयन स म त का गठन कया गया था और उस स म त ने फरवरी म
एक मसौदा वधेयक तैयार कया था जसे जुलाई म भारत सरकार अ ध नयम के
प म लागू कया गया था।

स वनय अव ा फर से शु

सरे गोलमेज स मेलन क वफलता पर कां ेस काय स म त ने दसंबर को स वनय


अव ा आंदोलन फर से शु करने का नणय लया।

यु वराम अव ध के दौरान
माच दसंबर
माच से दसंबर क अव ध के दौरान कु छ ग त व धय ने अव ा क भावना को जी वत
रखा। संयु ांत म कां ेस लगान म कटौती और सं त बेदखली के खलाफ आंदोलन का
नेतृ व कर रही थी। एनड यूएफपी म खुदाई खदमतगार और उनके नेतृ व वाले कसान के
खलाफ गंभीर दमन कया गया था जो सरकार ारा कर सं ह के ू र तरीक के खलाफ
आंदोलन कर रहे थे। बंगाल म आतंक वाद से लड़ने के नाम पर कठोर अ यादे श और सामू हक
हरासत का इ तेमाल कया गया था। सत बर म हजली जेल म राजनी तक कै दय
पर गोलीबारी क घटना ई।

सरे आरट सी के बाद सरकार का रवैया बदल गया उ टश


अ धका रय ने द ली
सं ध से अपने सबक सीखे थे जसके बारे म उनका मानना था क इससे कां ेस क राजनी तक
त ा और लोग का राजनी तक मनोबल बढ़ गया था और टश त ा कम हो गई थी।
सरे के बाद
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

गोलमेज़ स मेलन म अं ेज़ इस वृ को उलटने के लए कृ तसंक प थे। टश नी त म तीन


मु य वचार थे . गांधी को फर से जन आंदोलन के लए ग त बनाने क अनुम त नह द
जाएगी।

. कां ेस क स ावना क आव यकता नह थी ले कन कां ेस के खलाफ टश


का समथन करने वाल सरकारी पदा धका रय वफादार आ द का व ास ब त आव यक
था।

. रा ीय आंदोलन को ामीण े म मजबूत नह होने दया जाएगा।

सीड यूसी ारा स वनय अव ा आंदोलन को फर से शु करने का नणय लेने के


बाद वायसराय व लगडन ने दसंबर को गांधी के साथ बैठक करने से इनकार कर दया।
जनवरी को गांधी को गर तार कर लया गया।

सरकारी कारवाई दमनकारी अ यादे श


क एक ृंख ला जारी क गई जससे एक आभासी माशल लॉ क शु आत ई हालां क यह
नाग रक नयं ण म था या एक स वल माशल लॉ था। सभी तर पर कां ेस संगठन पर
तबंध लगा दया गया कायकता नेता समथक क गर ता रयाँ क ग संप यां
ज त कर ली ग गांधी आ म पर क ज़ा कर लया गया.

म हला पर दमन वशेष प से कठोर था। ेस पर ताला लगा दया गया और रा वाद
सा ह य पर तबंध लगा दया गया।

लोक य त या लोग ने गु से
के साथ त या द । हालाँ क तैयारी नह थी फर भी त या ापक थी। अके ले पहले
चार महीन म लगभग स या हय को जेल म डाल दया गया जनम अ धकतर
शहरी और ामीण गरीब थे। वरोध के अ य प म शराब और वदे शी कपड़े बेचने वाली
कान पर धरना दे ना अवैध सभाएं अ हसक दशन रा ीय दवस मनाना रा ीय वज का
तीका मक फहराना चौक दारा कर का भुगतान न करना नमक स या ह वन कानून का
उ लंघन और एक क ापना शा मल है। ब बई के नकट गु त रे डयो ांसमीटर। स वनय
अव ा आंदोलन का यह चरण दो रयासत क मीर और अलवर म व ोह के साथ मेल
खाता था। पर तु आ दोलन का यह चरण अ धक समय तक कायम न रह सका य क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

i गांधी और अ य नेता के पास नमाण के लए समय नह था


ग त और ii जनता
तैयार नह थी।
अंततः अ ैल म गांधीजी ने स वनय अव ा आंदोलन वापस लेने का नणय
लया। हालाँ क लोग को बेहतर ताकत ने डरा दया था ले कन उ ह ने कां ेस म राजनी तक
व ास नह खोया था उ ह ने अपने दल म आज़ाद हा सल कर ली थी।

सा दा यक पुर कार एवं पूना समझौता

सां दा यक पुर कार क घोषणा अग त को टश धान मं ी रामसे


मैक डोना ारा क गई थी। सां दा यक पुर कार भारतीय चाइजी स म त जसे
लो थयन स म त भी कहा जाता है के न कष के आधार पर अ पसं यक के लए अलग
नवाचन े और आर त सीट ा पत क ग । द लत वग स हत ज ह अठह र
आर त सीट द ग । इस कार इस पुर कार ने मुसलमान यूरोपीय सख भारतीय
ईसाइय एं लो इं डयन द लत वग और यहां तक क बॉ बे म कु छ सीट के लए मराठ के
लए अलग नवाचन े दान कए। इस पुर कार को कां ेस के नेतृ व वाले रा ीय नेता
ने फू ट डालो और राज करो क टश नी त क एक और अ भ के प म माना।

यहां यह यान दया जाना चा हए क अतीत म डॉ. बीआर अंबेडकर ने साइमन


कमीशन के सामने अपनी गवाही म इस बात पर जोर दया था क द लत वग को जा त के
ह से अलग एक व श वतं अ पसं यक के प म माना जाना चा हए। यहां तक
क बंगाल द लत वग एसो सएशन ने कु ल जनसं या म द लत वग के सद य के अनुपात
के अनुसार सीट आर त करने के साथ साथ वय क मता धकार के लए अलग नवाचन
े क पैरवी क थी। ले कन साइमन कमीशन ने द लत वग के लए पृथक नवाचन मंडल
के ताव को अ वीकार कर दया हालाँ क इसने सीट आर त करने क अवधारणा को
बरकरार रखा।

लंदन म आयो जत सरे गोलमेज स मेलन म अ बेडकर ने फर से द लत वग के


लए पृथक नवाचन े का मु ा उठाया। इससे पहले स मेलन म अ बेडकर
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आम नवाचन े म आर त सीट पर गांधी के साथ समझौता करने का यास कया था


ले कन गांधी ज ह ने खुद को भारत क उ पी ड़त जनता का एकमा त न ध घो षत
कया था ने अंबेडकर के ताव को अ वीकार कर दया और अ य त न धय को गैर
त न ध के प म नदा क । इसके अलावा गांधी ने मुसलमान के साथ एक समझौता
करने का यास कया और वादा कया क जब तक मुसलमान द लत वग के लए अलग
नवाचन े के खलाफ मतदान करगे तब तक वे उनक मांग का समथन करगे। यह तक
दया जाता है क राजनी तक वचार ने गांधी को ऐसा ख अपनाने के लए े रत कया
होगा। ले कन ऐसे यास के बावजूद भारतीय त न धय के बीच अ पसं यक त न ध व
पर आम सहम त नह बन सक । ऐसी त के म े नजर रामसे मैक डोना ज ह ने
अ पसं यक पर स म त क अ य ता क थी ने इस शत पर म य ता क पेशकश क
क स म त के अ य सद य उनके फै सले का समथन करगे। और इस म य ता का प रणाम
सां दा यक पुर कार था।

सा दा यक पुर कार के मु य ावधान


• मु लम यूरोपीय सख भारतीय ईसाई एं लो इं डयन द लत वग म हलाएं
और यहां तक क मराठ को भी अलग नवाचन े मलना था। द लत वग के लए ऐसी
व ा वष क अव ध के लए क जानी थी। • ांतीय वधानमंडल म सीट होनी थ

सां दा यक आधार पर वत रत कया गया।


• ांतीय वधानमंडल क मौजूदा सीट थ
दोगुना कया जाना है.

• मुसलमान जहां कह भी अ पसं यक ह उ ह मह व दया जाना था। • उ र


प म सीमांत ांत को छोड़कर सभी
ांत म म हला के लए तशत सीट आर त क जानी थ । • द लत वग को
अ पसं यक घो षत दजा दया जायेगा। • द लत वग को दोहरा वोट मलना था एक का
उपयोग पृथक नवाचन े के मा यम से कया जाना था और सरे का उपयोग
सामा य नवाचन े म
कया जाना था।
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• मज र जम दार ापा रय और उ ोगप तय के लए सीट का आवंटन कया


जाना था। • ब बई ांत म मराठ के लए सीट आवं टत
क जानी थ ।

कां ेस का ख हालां क अलग


नवाचन े के वरोध म था ले कन कां ेस अ पसं यक क सहम त के बना सां दा यक
पुर कार को बदलने के प म नह थी। इस कार सां दा यक पुर कार से पूरी तरह असहमत
होते ए भी कां ेस ने न तो इसे वीकार करने और न ही इसे अ वीकार करने का नणय लया।

द लत वग को अलग राजनी तक इकाई मानकर उ ह शेष ह से अलग करने के


यास का सभी रा वा दय ने पुरजोर वरोध कया।

गांधीजी क त या गांधीजी ने
सां दा यक पुर कार को भारतीय एकता और रा वाद पर हमले के प म दे ख ा। उ ह ने सोचा
क यह ह धम और द लत वग दोन के लए हा नकारक है य क इससे द लत वग क
सामा जक प से अपमा नत त का कोई जवाब नह मलता है। उ ह ने तक दया क एक
बार जब द लत वग को एक अलग राजनी तक इकाई के प म माना गया तो अ ृ यता को
ख म करने का सवाल कमजोर हो जाएगा जब क अलग नवाचन े यह सु न त करगे क
अछू त हमेशा के लए अछू त बने रहगे। उ ह ने कहा क आव यकता द लत वग के तथाक थत
हत क र ा क नह ब क अ ृ यता का जड़मूल से उ मूलन करने क है।

गांधीजी ने मांग क क द लत वग को संयु और य द संभव हो तो सावभौ मक


मता धकार के मा यम से ापक नवाचन े के मा यम से चुना जाए जब क बड़ी सं या म
आर त सीट क मांग पर कोई आप नह क गई। और अपनी मांग को दबाने के
लए वह सतंबर को अ न तकालीन उपवास पर चले गए। अब बीआर अंबेडकर
एमसी राजा और मदन मोहन मालवीय स हत व भ वचारधारा के नेता पूना समझौते म
शा मल समझौते के लए एकजुट ए।
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सतंबर
को द लत वग क ओर से बीआर अंबेडकर ारा पूना सं ध पर ह ता र कए गए पूना सं ध
ने द लत वग के लए अलग नवाचन े के वचार को याग दया। ले कन द लत वग के
लए आर त सीट ांतीय वधानमंडल म से बढ़ाकर और क य वधानमंडल म
कु ल सीट का तशत कर द ग ।

पूना पै ट को सरकार ने सां दा यक अ ध नणय म संशोधन के प म वीकार कर


लया।

पूना पै ट का द लत पर भाव पूना पै ट द लत वग को कु छ


राजनी तक अ धकार दे ने के बावजूद द लत वग क मु का वां छत ल य हा सल नह कर
सका। इसने उसी पुरानी ह सामा जक व ा को जारी रखने म स म बनाया और कई
सम या को ज म दया। • सं ध ने द लत वग को राजनी तक उपकरण बना दया जसका
उपयोग ब सं यक जा त के ह संगठन ारा कया जा सकता था। • इसने द लत वग को
नेतृ वहीन बना
दया य क वग के स े त न ध उन कठपुतल के खलाफ जीतने म असमथ
थे ज ह जा त ह संगठन ारा चुना और सम थत कया गया था। • इसके कारण द लत
वग राजनी तक
वैचा रक और सां कृ तक े म यथा त के सामने झुक गए और ा णवाद
व ा से लड़ने के लए वतं और वा त वक नेतृ व वक सत करने म स म नह हो
सके । • इसने द लत वग को एक अलग और व श अ त व से वं चत करके उ ह ह
सामा जक व ा
का ह सा बना दया।

• पूना पै ट ने शायद समानता वतं ता बंधु व और याय पर आधा रत आदश


समाज के रा ते म बाधाएं खड़ी कर द । • रा ीय जीवन म द लत को एक अलग और व श
त व के
प म मा यता दे ने से इनकार करके इसने अ धकार का हनन कया।
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और वतं भारत के सं वधान म द लत के लए सुर ा उपाय।

संयु नवाचन मंडल और द लत वग पर इसका भाव अ खल


भारतीय अनुसू चत जा त
महासंघ क काय स म त ने आरोप लगाया क भारत सरकार अ ध नयम के तहत ए
पछले चुनाव म संयु नवाचन मंडल क णाली ने अनुसू चत जा तय को सही चुनाव लड़ने
के अ धकार से वं चत कर दया। वधानमंडल म भावी त न ध। स म त ने आगे कहा क
संयु नवाचन े के ावधान ने ह ब मत को अनुसू चत जा त के सद य को नामां कत
करने का आभासी अ धकार दया जो ह ब मत के उपकरण बनने के लए तैयार थे। इस
कार महासंघ क काय स म त ने अलग नवाचन े क णाली को बहाल करने और
संयु नवाचन े और आर त सीट क णाली को र करने क मांग क । पूना पै ट पर
ह ता र करने के बाद भी डॉ. बीआर अ बेडकर तक पूना पै ट क नदा करते रहे।

गांधीजी का ह रजन अ भयान और जा त


पर वचार
सरकार क फू ट डालो और राज करो क नी त के वभाजनकारी इराद को न करने के लए
ढ़ संक पत होकर गांधी ने अपनी सभी अ य तता को याग दया और अ ृ यता के
खलाफ एक तूफ ानी अ भयान शु कया पहले जेल से और फर अग त म अपनी
रहाई के बाद जेल के बाहर से।

जेल म रहते ए उ ह ने सतंबर म अ खल भारतीय अ ृ यता वरोधी लीग


क ापना क और जनवरी म सा ता हक ह रजन शु कया। अपनी रहाई के बाद
वह वधा म स या ह आ म म चले गए य क उ ह ने म साबरमती आ म म वापस न
लौटने क कसम खाई थी। जब तक क वरा य क जीत न हो जाये।

नवंबर से जुलाई क अव ध म उ ह ने वधा से शु आत करके दे श भर म


ह रजन या ा क ।
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कमी क री तय करते ए अपने नव ा पत ह रजन सेवक संघ के लए धन इक ा


कया और इसके सभी प मअ ृ यता को हटाने का चार कया। उ ह ने राजनी तक
कायकता से गांव म जाकर ह रजन के सामा जक आ थक राजनी तक और सां कृ तक
उ ान के लए काम करने का आ ह कया। अपने अनुया यय को अपने यास क गंभीरता
और मु े के मह व को समझाने के लए उ ह ने मई और अग त को दो उपवास
कए। इन उपवास ने रा वाद कतार म घबराहट पैदा कर द जससे कई लोग भावना मक
संक ट म पड़ गए।

अपने पूरे अ भयान के दौरान गांधीजी पर ढ़वाद और त यावाद त व ारा


हमला कया गया। इन त व ने उनक बैठक म बाधा डाली उनके खलाफ काले झंडे दखाकर
दशन कया और उन पर ह धम पर हमला करने का आरोप लगाया। उ ह ने कां ेस और
स वनय अव ा आंदोलन के खलाफ सरकार को समथन क पेशकश भी क । सरकार ने अग त
म मं दर वेश वधेयक को हराकर उ ह बा य कया। बंगाल म ढ़वाद ह राय पूना
सं ध ारा ायी जा त ह अ पसं यक त क वीकृ त के खलाफ थी।

अपने ह रजन दौरे सामा जक काय और उपवास के दौरान


गांधीजी ने कु छ वषय पर जोर दया

• उ ह ने ह रजन पर होने वाले अ याचार के लए ह समाज पर घोर आरोप लगाया।


• उ ह ने अ ृ यता के पूण उ मूलन का आ ान कया जो अछू त के लए मं दर को खोलने
क उनक दलील का तीक है। • उ ह ने ह रजन पर ए अनकहे क के लए सवण
ह को ाय त करने क आव यकता पर बल दया। इस कारण वे अ बेडकर जैसे अपने
आलोचक के त
श ुतापूण नह थे। उ ह ने कहा अगर अ ृ यता जी वत है तो ह धम मर जाएगा
अगर ह धम को जी वत रखना है तो अ ृ यता को मरना होगा।

• उनका पूरा अ भयान मानवतावाद और तक के स ांत पर आधा रत था। उ ह ने


कहा क शा छु आछू त को मंज ूरी नह दे ते ह और य द दे ते ह तो उ ह नजरअंदाज कया जाना
चा हए य क यह मानवीय ग रमा के खलाफ है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गांधी अ ृ यता नवारण के मु े को अंतरजातीय ववाह और अंतर भोजन के साथ


मलाने के प म नह थे य क उ ह लगता था क इस तरह के तबंध जातीय ह और
वयं ह रजन के बीच मौजूद थे और य क उस समय अ खल भारतीय अ भयान चल रहा
था। ह रजन क व श वकलांगता के व नद शत कया गया था।

इसी कार उ ह ने अ ृ यता के उ मूलन और जा त व ा के उ मूलन के बीच


अंतर कया। इस ब पर वह अ बेडकर से भ थे ज ह ने अ ृ यता को र करने के लए
जा त व ा के उ मूलन क वकालत क थी। गांधीजी का मानना था क वणा म व ा
क जो भी सीमाएँ और दोष ह इसम अ ृ यता क तरह कु छ भी पापपूण नह है। गांधीजी
का मानना था क अ ृ यता ऊं च नीच के भेदभाव का प रणाम है न क जा त व ा का।

य द इसे इस भेद से मु कया जा सके तो वणा म इस तरह से काय कर सकता है क


येक जा त उ या न न होने के बजाय सरे क पूरक होगी।

वैसे भी उ ह उ मीद थी क जा त व ा म व ास करने वाले और आलोचक अ ृ यता


के खलाफ लड़ाई म एक साथ आएंगे।
उनका मानना था क अ ृ यता को हटाने से सां दा यक और अ य पर
सकारा मक भाव पड़ेगा य क अ ृ यता के वरोध का मतलब उ ता और नीचता क
धारणा का वरोध करना है। वह ढ़वाद ह ज ह वे सनातन कहते थे के ख़लाफ़
ज़बरद ती का इ तेमाल करने के ख़लाफ़ थे। उ ह अनुनय वनय ारा उनके तक और
उनके दय क अपील करके जीता जाना था। उनके उपवास का उ े य म और
अनुया यय को अ ृ यता को ख म करने के लए अपने काम को दोगुना करने के लए
े रत करना था।

गांधी के ह रजन अ भयान म ह रजन ारा आंत रक सुधार का एक काय म


शा मल था जसम श ा व ता व ता गोमांस और मांस खाना और शराब का सेवन
छोड़ना और आपस म छु आछू त को र करना शा मल था।

अ भयान का भाव गांधीजी ने बार बार इस अ भयान को राजनी तक आंदोलन


नह ब क एक आंदोलन बताया
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मु य प से ह धम और ह समाज को शु करने के लए है।


धीरे धीरे अ भयान ने ह रजन तक रा वाद का संदेश प ँचाया जो दे श के अ धकांश ह स म
खे तहर मज र भी थे जससे रा ीय और कसान आंदोलन म उनक भागीदारी बढ़ गई।

गांधी और अंबेडकर के बीच वैचा रक मतभेद और


समानताएं
भारतीय वतं ता सं ाम के मुख वा तुक ार गांधी और वतं भारत के सं वधान के मुख
वा तुक ार बीआर अंबेडकर ने कई वचार साझा कए हालां क कई मायन म उनक अलग
अलग मा यताएं थ । दोन य के कु छ काय म शा मल तीका मकता म एक आ यजनक
समानता है। गांधी ारा वदे शी कपड़ा जलाने और अंबेडकर ारा मनु मृ त जलाने को महज
भावना के कृ य के प म नह दे ख ा जाना चा हए। ब क वदे शी कपड़ा और मनु मृ त
भारत के लए बंधन और गुलामी का त न ध व करते थे। इसी तरह समु से एक चुटक
नमक और महाड तालाब से पानी क एक बूंद राजनी तक रेचन और सामा जक दशन के काय
थे।

गांधी का मानना था क वतं ता कभी भी दान नह क जानी चा हए ब क इसे


चाहने वाले लोग ारा स ा से छ न ली जानी चा हए जब क अंबेडकर शाही शासक ारा
वतं ता दान करने क अपे ा करते थे।

सरकार क प त के प म लोकतं क कृ त और दायरे पर दोन नेता म मतभेद


था। अ बेडकर ने वतं भारत के लए संसद य शासन णाली क वकालत क ले कन गांधीजी
के मन म संसद य शासन णाली के त ब त कम स मान था। गांधी जी का मानना था क
नेता के भु व क वृ से लोकतं जन लोकतं म प रव तत हो जाता है। अ बेडकर का
झुक ाव सामू हक लोकतं क ओर था य क यह उ पी ड़त लोग क उ त के साथ सरकार
पर दबाव के प म काय कर सकता था।

एक राजनी तक और सामा जक कायकता के प म अ बेडकर न त थे


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स ांत जो ब त कठोर थे जब क गांधी के पास अ हसा क अ डग धारणा के अलावा


वचारधारा या स ांत क कोई कठोरता नह थी। गांधीजी ने बीसव सद क उदारवाद
सा यवाद और फासीवाद जैसी राजनी तक धारा के लए सरल ावहा रक वक प सामने
रखने क को शश क । सरी ओर अ बेडकर का उदारवाद वचारधारा के त वाभा वक
झुक ाव था और वे सं ागत ढाँचे और संरचना क इ ा रखते थे।

अ बेडकर क राजनी त भारतीय एकता के पहलू को उजागर करने क को शश करती थी


जब क गांधीवाद राजनी त भारतीय एकता के पहलू को दखाने क को शश करती थी। ह द
वराज म गांधी यह स करने का यास करते ह क भारत शाही शासन क शु आत से
पहले हमेशा एक रा रहा है और यह टश शासन ही था जसने इस सां कृ तक एकता को
तोड़ा था। सरी ओर अ बेडकर इस धारणा म व ास करते थे क भारतीय एकता शाही रा य
ारा शु क गई कानूनी णाली का उप उ पाद थी।

गांधीजी के लए ामराज ही रामराज था और भारतीय के लए असली आजाद ।


ले कन अंबेडकर के लए भारतीय गांव क यथा तवाद कृ त समानता भाईचारे और
वतं ता से भी इनकार करती थी। चूँ क भारत के ामीण े म जा तवाद और अ ृ यता का
संक ट सबसे अ धक था अ बेडकर का मानना था क ामराज भेदभाव और असमानता पर
आधा रत सामा जक पदानु म को जारी रखेगा। इस लए उ ह ने जोर शोर से यह चा रत कया
क भारतीय ाम व ा म गव करने क कोई बात नह है।

सामा जक एक करण के साथ साथ सामा जक सुधार के लए जबरद ती या बल के


योग के वचार को अ बेडकर ने नकार दया था।
ले कन प रवतन सुधार और एक करण के लए गत इ ा पैदा करने के लए उ चत श ा
का वचार वह ख था जहां दो नेता के वचार समान थे।

वं चत वग के वकास के संदभ म भी दोन नेता के वचार और कोण अलग


अलग थे। उदाहरण के लए जब गांधी ने द लत वग और अछू त को ह रजन नाम दया तो
अंबेडकर ने इसे एक चतुर योजना के प म नदा क । इस कार जब अवसाद त
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लासेस लीग का नाम बदलकर ह रजन सेवक संघ गांधी ारा कर दया गया अंबेडकर ने
यह दावा करके संगठन छोड़ दया क गांधी के लए अ ृ यता नवारण के वल एक मंच था
कोई ईमानदार काय म नह ।

अंबेडकर का मानना था क धम का क मनु य और मनु य के बीच होना चा हए न


क के वल मनु य और भगवान के बीच जैसा क गांधी ने चार कया था। शु आत म
अ बेडकर भी ह धम को पूरी तरह से न करने के बजाय सुधार और पुन नमाण के यास म
इसम च लत बुरी था को र करना चाहते थे। ले कन अपने जीवन के बाद के चरण म
उ ह ने ह धम को एक ऐसी इकाई के प म घो षत करते ए छोड़ दया जसम सुधार नह
कया जा सकता था।

अ बेडकर ने वेद और अ य ह धम ंथ क नदा क । उनका मानना था क ह


धम ंथ खुद को एक कृ त और सुसंगत समझ के लए उधार नह दे ते ह और सं दाय के भीतर
और भीतर मजबूत वरोधाभास को दशाते ह। और जा त व ा और अ ृ यता ह धा मक
ंथ क अ भ याँ थ । इसके वपरीत गांधी का मानना था क ह धम म जा त व ा
का धा मक उपदे श और आ या मकता से कोई लेना दे ना नह है। गांधीजी के लए जा त और
वण अलग अलग ह और जा त वकृ त पतन है।

राजनी तक धारणा म अ बेडकर धम क वतं ता वतं नाग रकता और रा य


और धम को अलग करने म व ास करते थे।
गांधीजी ने भी धम क वतं ता के वचार का समथन कया ले कन कभी भी राजनी त और
धम को अलग करने क मंज ूरी नह द । ले कन सामा जक प रवतन के एजट के प म धम को
दोन नेता ने अ तरह वीकार कया। दोन ने स ांत और सोच म ऐसी कसी भी चीज़
क नदा क जो कसी के जीवन म या समाज के जीवन म धम क भू मका क नदा
करती हो या उसे कम करती हो।

अ बेडकर ने रा य क सी मत सं भु श और उसके बाद सरकार के लए सी मत


अ धकार क प रक पना क । उनके अनुसार कानूनी सं भु श सी मत होनी चा हए और
लोग को अं तम सं भु होना चा हए। गांधीजी भी रा य क सी मत सं भु श म व ास करते
थे।

उनके अनुसार रा य क पूण सं भु श


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कसी क आ मा और व को न कर दे गा।
वा तव म गांधीजी कम से कम शासन म ही सव म शासन म व ास करते थे।

हसा और अ हसा क धारणा को गांधी और अ बेडकर से अलग अलग ा याएँ


मल । अ बेडकर ने पूण अ हसा को सा य और सापे हसा को सा य माना

मतलब जब क गांधीजी ने कभी भी ऐसा भेद नह कया और वे कसी भी कार क हसा के


घो षत वरोधी थे।
अ बेडकर सा य और यायसंगत साधन क शु ता म उसी तरह व ास करते थे जैसे
क सा य यायसंगत हो। जब क गांधीवाद धारणा म साधन क प व ता ही सा य को नधा रत
करती थी।
उ पादन के मशीनीकरण और भारी मशीनरी के उपयोग के संबंध म गांधी और
अ बेडकर के वचार म ब त मतभेद था। गांधी मशीनीकरण के अमानवीय भाव के बारे म
आशं कत थे और इसे नया म शोषणकारी सामा जक आ थक व ा के नमाण के साथ
साथ बनाए रखने के लए ज मेदार मानते थे। सरी ओर अंबेडकर ने मशीनरी के बुरे भाव
के लए गलत सामा जक संगठन को ज मेदार ठहराया ज ह ने नजी संप को प व ता
और गत लाभ क ा त द । अ बेडकर का ढ़ व ास था क मशीनरी और आधु नक
स यता सभी के लए लाभकारी है और उनका मानना था क एक लोकतां क समाज का नारा
मशीनरी और अ धक मशीनरी स यता और अ धक स यता होना चा हए।

लोकतां क और शां तपूण तरीक से सामा जक प रवतन के वचार को अंबेडकर के


साथ साथ गांधीजी का भी समथन मला। उ ह ने कभी भी कसी भी कार का हसक
त तापलट नह चाहा।
अ बेडकर ने सामा जक व ा को प से न करने क वकालत करने से परहेज कया
चाहे वह कतनी भी बुरी य न हो। और गांधीजी क तरह वे भी उ पी ड़त वग के शां तपूण
पुनवास के मा यम से सामा जक वैमन य और वघटन क सम या का समाधान करना चाहते
थे।
अंबेडकर और गांधी के ल य समूह अलग अलग थे भले ही वे कु छ ब पर सहमत
थे। संचार और ग तशीलता के तरीके और कौशल
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दे ख ना
इस कार ऐसा तीत होता है क अंबेडकर और गांधी को सामा जक बुराई और सा ा यवाद अ याय
से समान एलज थी। ले कन एक बु नयाद अंतर जो वा त वक से भी अ धक है ने दोन के
दमाग को अलग कर दया।
ज टस कृ णा अ यर

दोन अलग थे. गांधीजी ने ानीय ानीय भाषा म बात क जब क अंबेडकर ने अं ेज ी म


बात क ।
कानून को अ धक यायपूण बनाने के लए कानून क अव ा करना गांधीवाद स ांत
था इसक बाहरी अ भ याँ असहयोग हड़ताल स या ह और स वनय अव ा थ ।

अ बेडकर का झुक ाव राजनी तक या म कानून और संवैधा नकता के पालन क ओर


अ धक था।
गांधी अछू त को पूरे ह धम का अ भ अंग मानते थे जब क अंबेडकर का इस मु े
पर दोहरा ख था। अ बेडकर अछू त को धा मक अ पसं यक मानते थे न क ह समुदाय का
ह सा और उ ह राजनी तक अ पसं यक या बलपूवक अ पसं यक कहना पसंद करते
थे। गांधीजी के लए अ ृ यता भारतीय समाज के सामने आने वाली कई सम या म से एक
थी। अ बेडकर के लए अ ृ यता एक मुख सम या थी जसने उनका एकमा यान
आक षत कया। अ बेडकर ने ऐ तहा सक कोण से सम या का व तृत अ ययन कया
जब क गांधी सम या क समकालीन त को लेक र अ धक च तत थे। अ बेडकर अ ृ यता
क सम या को कानून और संवैधा नक तरीक के मा यम से हल करना चाहते थे जब क गांधी
अ ृ यता को एक नै तक कलंक मानते थे और चाहते थे क इसे ाय त के मा यम से मटा
दया जाए। गांधीजी के पास कानूनी संवैधा नक तरीक का ब त कम उपयोग था उ ह ने
नै तकता पर यान दया और इस कार बुराई को र करने के लए ववेक का समथन कया।
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सारांश
• कलक ा कां ेस अ धवेशन दस बर
सरकार को डो म नयन टे टस वीकार करने के लए एक वष का अ ट मेटम अ यथा पूण वतं ता के लए
स वनय अव ा शु क जाएगी।

• लाहौर कां ेस अ धवेशन दसंबर


कां ेस ने पूण वतं ता को अपने ल य के प म अपनाया।
कां ेस ने स वनय अव ा आंदोलन शु करने का नणय लया।
जनवरी को पूरे दे श म थम वतं ता दवस के प म मनाया गया।

• दांडी माच माच अ ैल


गांधी जी के नेतृ व म प रणाम व प नमक स या ह त मलनाडु मालाबार आं असम बंगाल तक फै ल
गया। • वरोध के अ त र रा त के साथ आंदोलन का सार

खुदाई खदमतगार एनड यूएफपी म स य ह।


शोलापुर म कपड़ा मज र स य।
धरासना म नमक स या ह.
बहार म नो चौक दारा टै स अ भयान.
बंगाल म चौक दार वरोधी और यू नयन बोड टै स वरोधी।
गुज रात म नो टै स आंदोलन।
महारा कनाटक और म य ांत म वन कानून क स वनय अव ा।

असम म क नघम सकु लर के ख़लाफ़ आंदोलन।


यूपी म नो रट अ भयान.
म हला छा मुसलमान के कु छ वग ापा रय और छोटे ापा रय आ दवा सय मक और
कसान क सामू हक भागीदारी।

• गांधी इर वन समझौता माच


कां ेस सरे आरट सी म भाग लेने और सीडीएम वापस लेने पर सहमत ई।

• कराची कां ेस अ धवेशन माच


गांधी और इर वन के बीच द ली समझौते का समथन कया।

आ थक काय म एवं मौ लक अ धकार पर ताव पा रत कये गये।

• गोलमेज़ स मेलन

टे न म सरा आरट सी द णपंथी रयायत के ख़लाफ़ है


भारतीय ।
अ पसं यक क सुर ा के सवाल पर स म ग तरोध बना रहा।
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सीडीएम और गोलमेज़ स मेलन

• दसंबर अ ैल स वनय अव ा का सरा चरण


आंदोलन

• क युनल अवाड एवं पूना पै ट


द लत वग को पृथक नवा चका दान क गई।
रा वा दय को यह रा ीय एकता के लए ख़तरा लगा।
गांधीजी के आमरण अनशन सतंबर के कारण पूना समझौता आ जसने द लत वग के लए
आर त सीट म वृ के प म अलग नवाचन े को छोड़ दया। • पूना पै ट का द लत वग पर भाव
• संयु नवाचन मंडल और द लत वग पर इसका भाव • गांधी जी के
वचार म अंतर एवं समानताएं

अ बेडकर
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स वनय अव ा के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

आंदोलन

स वनय अव ा आंदोलन क वापसी के बाद रा वा दय क भ व य क रणनी त पर दो चरण क बहस ई


पहला चरण यह था क रा ीय आंदोलन को त काल भ व य म यानी गैर जनता के चरण के दौरान या रा ता
अपनाना चा हए। संघष और सरे चरण म म भारत सरकार अ ध नयम के
वाय ावधान के तहत आयो जत ांतीय चुनाव के संदभ म कायालय वीकृ त के पर वचार कया
गया।

थम चरण क बहस
स वनय अव ा आंदोलन क समा त के तुरंत बाद रा वा दय को या काम करना चा हए इस पर तीन
कोण सामने रखे गए। पहले दो पारंप रक त याएँ थ जब क तीसरा कां ेस के भीतर एक मजबूत
वामपंथी वृ के उदय का त न ध व करता था। तीन कोण इस कार थे.

. गांधीवाद तज पर रचना मक काय होना चा हए।

. क य वधानमंडल के चुनाव म होने वाले म एक संवैधा नक संघष और भागीदारी


होनी चा हए जैसा क एमए अंसारी आसफ अली भूलाभाई दे साई एस. स यमू त और बीसी रॉय स हत
अ य लोग ने वकालत क थी। उ ह ने तक दया क
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सीडीएम के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

• राजनी तक उदासीनता के दौर म चुनाव और प रषद के काम का उपयोग लोग


के राजनी तक हत और मनोबल को बनाए रखने के लए कया जा सकता है

• चुनाव और प रषद के काय म भागीदारी का मतलब संवैधा नक राजनी त म


व ास नह था • एक और राजनी तक मोचा कां ेस को खड़ा
करने और जनता को अगले चरण के लए तैयार करने म मदद करेगा • यह
कोण कां ेस को एक न त मा ा म त ा और आ म व ास
दे गा और प रषद म एक मजबूत उप त आंदोलन के समक के प म काम
करेगी।

. कां ेस के भीतर एक मजबूत वामपंथी वृ जसका त न ध व नेह करते


थे रचना मक काय और नलं बत स वनय अव ा आंदोलन के ान पर प रषद म वेश
दोन क आलोचना करती थी य क इससे राजनी तक जन कारवाई भटक जाती और
उप नवेशवाद के खलाफ संघष के मु य मु े से यान भटक जाता। . इसके बजाय इस वग
ने गैर संवैधा नक जन संघष को फर से शु करने और जारी रखने का समथन कया य क
लगातार आ थक संक ट और जनता क लड़ने क तैयारी के कारण त अभी भी ां तकारी
थी।

नेह का कोण
नेह ने कहा नया के लोग क तरह भारतीय लोग के सामने भी मूल ल य पूंज ीवाद
का उ मूलन और समाजवाद क ापना है। उ ह ने स वनय अव ा आंदोलन क वापसी
और प रषद म वेश को एक आ या मक हार आदश का आ मसमपण और
ां तकारी से सुधारवाद मान सकता क ओर वापसी माना।

उ ह ने सुझ ाव दया क कसान और मक जम दार और पूंज ीप तय क


आ थक और वग मांग को उठाकर अपने वग संगठन कसान सभा और े ड यू नयन
म जनता को संग ठत करके न हत वाथ को जनता के प म संशो धत कया जाना
चा हए। उ ह ने तक दया क इन वग संगठन को कां ेस से संब होने क अनुम त द
जानी चा हए जससे इसक नी तय और ग त व धय पर भाव पड़ेगा। उ ह ने कहा जनता
के वग संघष को शा मल कए बना कोई वा त वक सा ा यवाद वरोधी संघष नह हो
सकता।
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नेह का संघष का वरोध


संघष वराम रणनी त
गांधी जी के नेतृ व म बड़ी सं या म कां े सय का मानना था क जन संघष के अगले चरण को
शु करने से पहले आंदोलन के एक बड़े चरण संघष चरण के बाद एक राहत चरण वराम
चरण क आव यकता होगी। यह तक दया गया क संघष वराम क अव ध जनता को लड़ने
के लए अपनी ताकत वापस पाने म स म बनाएगी और सरकार को रा वा दय क मांग का
जवाब दे ने का मौका भी दे गी। जनता अ न त काल तक ब लदान नह दे सकती थी। य द
सरकार ने सकारा मक त या नह द तो जनभागीदारी से आंदोलन दोबारा शु कया जा
सकता है। यह संघष वराम संघष या एसट एस रणनी त थी।

एसट एस रणनी त क आलोचना करते ए नेह ने तक दया क लाहौर कां ेस के


पूण वराज काय म के आ ान के बाद भारतीय रा ीय आंदोलन एक ऐसे चरण म प ंच गया
है जसम सा ा यवाद के साथ तब तक लगातार टकराव और संघष होना चा हए जब तक क
उसे उखाड़ न फका जाए। उ ह ने कां ेस ारा संवैधा नक चरण के ह त ेप के बना नरंतर
य कारवाई नी त के रखरखाव क वकालत क । उ ह ने कहा असली ताकत दो आने और
चार आने से नह हा सल क जा सकती।

एसट एस रणनी त के व उ ह ने संघष वजय एसवी रणनी त का सुझ ाव दया।

अंत म प रषद म वेश के लए हाँ आशं कत रा वा दय


और आशा से भरे टश अ धका रय को उ मीद थी क दे र सबेर सूरत क तज पर कां ेस म
वभाजन हो जाएगा ले कन गांधी ने वधानमंडल म वेश क अनुम त क उनक मूल मांग को
वीकार करके प रषद म वेश के समथक को मना लया। उ ह ने कहा संसद य राजनी त से
वतं ता नह मल सकती है ले कन जो कां ेसी कसी कारण से स या ह नह कर सकते या
रचना मक काय म खुद को सम पत नह कर सकते उ ह खाली नह रहना चा हए और प रषद
के काम के मा यम से अपनी दे शभ क ऊजा कर सकते ह बशत वे संवैधा नकता म
न फं स या व सेवा। गांधी ने वामपं थय को आ त करते ए कहा क स वल को वापस
लया जाए
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सीडीएम के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

अव ा आंदोलन का अथ अवसरवा दय के सामने झुक ना या सा ा यवाद से समझौता करना


नह था।
मई म अ खल भारतीय कां ेस कमेट एआईसीसी क बैठक पटना म ई
जसम कां ेस के त वावधान म चुनाव लड़ने के लए एक संसद य बोड का गठन कया गया।

गांधी को पता था क वह कां ेस के श शाली झान से मेल नह खा रहे ह।


बु जी वय का एक बड़ा वग संसद य राजनी त का प धर था जससे वह बु नयाद तौर पर
असहमत थे। गांधीजी ारा दे श का सरा फे फड़ा चरखे पर जोर दे ने के कारण एक अ य वग
कां ेस से अलग हो गया था। नेह के नेतृ व वाले समाजवा दय के भी गांधीजी से मतभेद थे।
अ टू बर म गांधी ने वचार वचन और कम से कां ेस क बेहतर सेवा करने के लए
कां ेस से अपने इ तीफे क घोषणा क । नेह और समाजवा दय ने सोचा क समाजवाद के
लए संघष शु करने से पहले अं ेज को न का सत कया जाना चा हए और सा ा यवाद
वरोधी संघष म कां ेस के चार ओर एकता अप रहाय थी जो अभी भी एकमा सा ा यवाद
वरोधी जन संगठन है। इस कार उनका मानना था क जनता से अलग थलग होने क बजाय
कां ेस को धीरे धीरे क रपंथी बनाना बेहतर होगा।

द णपंथी भी कम मददगार नह थे। नवंबर म ए क य वधान सभा के चुनाव म


कां ेस ने भारतीय के लए आर त सीट म से पर क जा कर लया।

भारत सरकार अ ध नयम


के संघष के बीच तीसरी आरट सी नवंबर म आयो जत क गई एक बार फर कां ेस
क भागीदारी के बना। वचार वमश के फल व प का अ ध नयम तैयार आ।

मु य वशेषताएं
अग त म टश संसद ारा भारत सरकार अ ध नयम पा रत कया गया। इसके मु य
ावधान इस कार थे।

. एक अ खल भारतीय संघ इसम सभी टश भारतीय ांत सभी मु य आयु के


ांत शा मल थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और भारतीय रा य रयासत । महासंघ का गठन न न ल खत शत को पूरा करने पर आधा रत


था i ता वत रा य प रषद म सीट के आवंटन वाले रा य को महासंघ म शा मल होने
के लए सहमत होना चा हए और ii उपरो ेण ी के रा य क कु ल जनसं या सभी
भारतीय रा य क कु ल जनसं या का तशत होनी चा हए।

चूँ क ये शत पूरी नह ता वत महासंघ कभी अ त व म नह आया। क सरकार


ने तक भारत सरकार अ ध नयम के ावधान के अनुसार काय कया।

. संघीय तर कायपा लका • गवनर जनरल संपूण सं वधान क धुरी था। • शा सत


कये जाने वाले वषय को आर त एवं ह तांत रत वषय म
वभा जत कया गया। आर त वषय वदे शी मामले र ा जनजातीय े और चच
संबंधी मामले कायकारी पाषद क सलाह पर वशेष प से गवनर जनरल ारा शा सत कए
जाने थे। कायकारी पाषद को क य वधा यका के त उ रदायी नह होना था। ह तांत रत
वषय म अ य सभी वषय शा मल थे और इ ह वधा यका ारा चुने गए मं य क सलाह पर
गवनर जनरल ारा शा सत कया जाना था। इन मं य को संघीय वधा यका के त
उ रदायी होना था और नकाय का व ास खोने पर इ तीफा दे ना था। • गवनर जनरल भारत
क सुर ा और शां त के लए अपनी वशेष ज मेदा रय के नवहन म अपने गत नणय
से काय कर सकते थे।

वधानमंडल • सदनीय वधानमंडल म एक उ सदन रा य प रषद और एक


नचला सदन संघीय वधानसभा होना था। काउं सल ऑफ टे ट्स सद यीय सदन होना
था जो आं शक प से टश भारतीय ांत से सीधे नवा चत होता था और आं शक प से
तशत राजकु मार ारा ना मत होता था। संघीय असबली सद यीय सदन होनी
थी जो आं शक प से अ य प से टश भारतीय ांत से चुनी जाती थी और आं शक
प से एक तहाई राजकु मार ारा ना मत होती थी। • अजीब बात है रा य क प रषद के
लए चुनाव आ था

य और वह संघीय सभा को अ य ।
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सीडीएम के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

• रा य क प रषद को एक ायी नकाय होना था जसके एक तहाई सद य हर


तीसरे वष सेवा नवृ होते थे। वधानसभा क अव ध वष होनी थी। • वधान योजन के
लए तीन सू चयाँ होनी थ

संघीय ांतीय और समवत ।


• संघीय असबली के सद य मं य के व अ व ास ताव ला सकते थे। रा य
प रषद अ व ास ताव नह ला सक ।

• धम आधा रत और वग आधा रत नवाचन े क व ा को और आगे बढ़ाया


गया।
• बजट का तशत ह सा गैर मतदान यो य था। • गवनर जनरल के
पास अव श श याँ थ । वह ए अनुदान म कटौती बहाल कर सकता है बी
वधा यका ारा खा रज कए गए बल को मा णत कर सकता है सी अ यादे श जारी कर
सकता है और डी अपने वीटो का योग कर सकता है।
. ांतीय वाय ता • ांतीय वाय ता ने ै ध शासन का ान ले लया। • ांत को
वाय ता और अलग
कानूनी पहचान दान क गई। • ांत को रा य स चव और गवनर जनरल के
अधी ण
नदशन से मु कर दया गया।

इसके बाद ांत को अपना कानूनी अ धकार सीधे टश ाउन से ा त आ। • ांत को


वतं व ीय श याँ एवं संसाधन
दये गये। ांतीय सरकार अपनी सुर ा पर धन उधार ले सकती थ ।

कायकारी • गवनर को एक ांत म राजा क ओर से अ धकार का योग करने के लए


ाउन का ना मत और त न ध होना था। • रा यपाल को अ पसं यक स वल सेवक के
अ धकार कानून और
व ा टश ापा रक हत आं शक प से ब ह कृ त े रयासत आ द के
संबंध म वशेष श यां ा त थ ।

• रा यपाल पदभार हण कर सकते ह और अ न त काल तक चल सकते ह


शासन।
वधा यका • सां दा यक पुर कार के आधार पर पृथक नवा चका को या वत कया
जाना था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• सभी सद य का चुनाव सीधे कया जाना था। मता धकार का व तार कया गया
म हला को पु ष के समान ही अ धकार मले। • मं य को सभी ांतीय वषय का शासन
करना होता था
एक धान मं ी क अ य ता वाली मं प रषद म।
• मं य को वधा यका के तकू ल वोट ारा जवाबदे ह और हटाने यो य बना दया
गया। • ांतीय वधा यका ांतीय और समवत सूची के वषय
पर कानून बना सकती थी। • बजट का तशत ह सा अभी भी मतदान यो य नह
था। • रा यपाल ए कसी वधेयक पर सहम त
दे ने से इनकार कर सकता है बी

अ यादे श या पत करना सी रा यपाल अ ध नयम बनाना।

अ ध नयम का मू यांक न • गवनर जनरल


के अनेक सुर ा उपाय और वशेष उ रदा य व ने अ ध नयम के समु चत काय
म ेक का काम कया। • ांत म गवनर के पास अभी भी ापक श याँ थ । • इस अ ध नयम
ने तशत टश भारतीय
आबाद को मता धकार दान कया। • सां दा यक नवाचन े क णाली के
व तार और व भ हत के त न ध व ने अलगाववाद वृ य को बढ़ावा दया
जसक प रण त
भारत के वभाजन म ई।

• अ ध नयम ने एक कठोर सं वधान दान कया जसम आंत रक वकास क कोई


संभावना नह थी। संशोधन का अ धकार टश संसद के पास सुर त था।

द घका लक टश रणनी त • दमन के वल एक अ पका लक रणनी त हो सकती है।


लंबे समय म रणनी त थी


हमने का अ ध नयम बनाया य क हमने सोचा क यह भारत म टश भाव को बनाए रखने का सबसे
अ ा तरीका था।
लॉड लन लथगो वायसराय

हम एक कार द गई है सभी ेक और कोई इंज न नह ।


जवाहर लाल नेह

भारत म संवैधा नक ग त क या भारतीय सहयो गय को राज क ओर आक षत करने क आव यकता से


नधा रत होती है।
बीआर टॉम लसन
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सीडीएम के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

रा ीय आंदोलन को कमजोर करना और आंदोलन के बड़े ह से को औप नवे शक संवैधा नक


और शास नक ढांचे म एक कृ त करना। • सुधार संवैधा नक उदारवा दय और नरमपं थय क
राजनी तक त को पुनज वत
करगे ज ह ने स वनय अव ा आंदोलन के दौरान जनता का समथन खो दया था।

• पहले दमन और अब सुधार कां े सय के एक बड़े वग को गैर कानूनी संघष क


अ भावीता के बारे म समझाएंगे। • एक बार कां े सय ने स ा का वाद चख लया तो वे
ब लदान क राजनी त म वापस
जाने के लए अ न ु क ह गे। • सुधार का उपयोग कां ेस के भीतर असंतोष पैदा
करने के लए कया जा सकता है द णपं थय को संवैधा नक रयायत
के मा यम से शांत कया जाएगा और क रपंथी वामपं थय को पु लस के मा यम से
कु चला जाएगा।

पैमाने।

• ांतीय वाय ता से श शाली ांतीय नेता तैयार ह गे जो धीरे धीरे राजनी तक


स ा के वाय क बन जायगे। इस कार कां ेस का ांतीयकरण हो जाएगा और क य
नेतृ व कमजोर हो जाएगा।

रा वा दय क त या
के अ ध नयम क लगभग सभी वग ने नदा क और कां ेस ने सवस म त से इसे
अ वीकार कर दया। हालाँ क ह महासभा और नेशनल लबरल फाउं डेशन ने खुद को क य
और ांतीय तर पर अ ध नयम के कामकाज के प म घो षत कया। इसके बजाय
कां ेस ने वतं भारत के लए सं वधान बनाने के लए वय क मता धकार के आधार पर
नवा चत सं वधान सभा बुलाने क मांग क ।

सरे चरण क बहस


क शु आत म ांतीय वधानसभा के चुनाव क घोषणा क गई और एक बार फर
रा वा दय ारा अपनाई जाने वाली भ व य क रणनी त पर बहस शु ई।

कां ेस म हर कोई इस बात पर सहमत था क के अ ध नयम का जड़ मूल से


वरोध कया जाना चा हए ले कन यह नह था क यह कै से होगा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

यह ऐसे समय म कया जाना था जब कोई जन आंदोलन अभी तक संभव नह था। इस बात
पर पूरी सहम त थी क कां ेस को ये चुनाव एक व तृत राजनी तक और आ थक काय म के
आधार पर लड़ना चा हए जससे लोग क सा ा यवाद वरोधी चेतना को गहरा कया जा
सके । ले कन चुनाव के बाद या करना है ये अभी तक नह था. य द कां ेस को कसी
ांत म ब मत मल गया तो या उसे सरकार बनाने के लए सहमत होना था

इन पर रा वा दय म ती मतभेद थे। बहस के दोन प ज द ही बाएँ और दाएँ


रेख ा के साथ उभरते वैचा रक वभाजन के साथ पहचाने जाने लगे।

वभा जत राय जवाहरलाल


नेह सुभाष बोस और कां ेस के समाजवाद और क यु न ट कायालय वीकृ त और
इस तरह अ ध नयम के कामकाज का वरोध कर रहे थे य क उनका तक था क यह
रा वा दय ारा अ ध नयम क अ वीकृ त को अ वीकार कर दे गा। यह बना श के
ज मेदारी संभालने जैसा होगा। साथ ही यह आंदोलन के ां तकारी च र को छ न लेगा
य क संवैधा नक काय वतं ता आ थक और सामा जक याय और गरीबी हटाने के मु य
मु को भटका दे गा।

एक त रणनी त के प म वामपं थय ने ग तरोध पैदा करने के उ े य से प रषद


म वेश का ताव रखा जससे अ ध नयम का काय असंभव हो गया पुरानी वराजवाद
रणनी त ।
और एक द घका लक रणनी त के प म उ ह ने मक और कसान पर बढ़ती नभरता
उनके वग संगठन को कां ेस म एक कृ त करने क वकालत क इस कार कां ेस को एक
समाजवाद दशा दान क और एक जन आंदोलन क बहाली क तैयारी क ।

कायालय वीकृ त के समथक ने तक दया क वे अ ध नयम का मुक ाबला


करने के लए समान प से तब थे ले कन वधा यका म काम करना के वल एक
अ पका लक रणनी त थी य क उस समय जन आंदोलन का वक प उपल नह था और
जन संघष अके ले ही स म था। वतं ता जीतना. पद पर क ज़ा करना या अ वीकार करना
समाजवाद का नह ब क समाजवाद का मामला था
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सीडीएम के बाद भ व य क रणनी त पर बहस

रणनी त। वे इस बात से सहमत थे क गलत वृ य ारा चूसे जाने का खतरा है ले कन


इसका उ र इन वृ य से लड़ना था न क पद छोड़ना। शास नक े को सरकार समथक
त यावाद ताकत के लए खुला नह छोड़ा जाना चा हए।

सी मत श य के बावजूद ांतीय मं ालय का उपयोग रचना मक काय को बढ़ावा दे ने के


लए कया जा सकता है।
गांधी क त गांधी ने सीड यूसी
क बैठक म कायालय वीकृ त का वरोध कया ले कन क शु आत तक वह कां ेस
मं ालय के गठन को चुनौती दे ने के इ ु क थे।

क शु आत म लखनऊ और के अंत म फै ज़पुर म अपने स म कां ेस


ने चुनाव लड़ने का फै सला कया और कायालय वीकृ त पर नणय को चुनाव के बाद के चरण
के लए गत कर दया। कां ेस का ताव था इस सं वधान के त सम पत होना या
इसके साथ सहयोग करना नह ब क वधा यका के अंदर और बाहर दोन जगह इसका
मुक ाबला करना ता क इसे समा त कया जा सके । फरवरी म ांतीय वधानसभा
के चुनाव ए। यारह ांत म ास म य ांत बहार उड़ीसा संयु ांत बॉ बे ेसीडसी
असम एनड यूएफपी बंगाल पंज ाब और सध म चुनाव ए।

ये पहले चुनाव थे जनम पहले से कह अ धक सं या म भारतीय भाग लेने के पा थे।


रपोट के अनुसार . म लयन म हला स हत अनुमा नत . म लयन य को
मता धकार दया गया था कु ल जनसं या का तशत और इनम से म हला
स हत . म लयन ने वा तव म अपने मता धकार का योग कया था।

चुनाव के लए कां ेस का घोषणाप कां ेस के घोषणाप म


के अ ध नयम क पूण अ वीकृ त क पु क गई और कै दय क रहाई लग और जा त के
आधार पर वकलांगता को र करने कृ ष णाली म आमूल चूल प रवतन लगान और
राज व म पया त कमी ामीण े म कमी का वादा कया गया। ऋण स ता ऋण और े ड
यू नयन बनाने और हड़ताल करने का अ धकार।

गांधी जी एक भी चुनावी सभा म शा मल नह ए।


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कां ेस का दशन
कां ेस ने सीट पर चुनाव लड़कर सीट जीत । यारह ांत क वधानसभा म
सीट थ । इसे बंगाल असम पंज ाब सध और एनड यूएफपी को छोड़कर सभी ांत
म ब मत मला और यह बंगाल असम और एनड यूएफपी म सबसे बड़ी पाट बनकर उभरी।
इस दशन के कारण कां ेस क त ा बढ़ और नेह को एसट एस क मुख रणनी त के
साथ जोड़ दया गया।

सारांश
• थम चरण क बहस i गांधीवाद तज पर
रचना मक काय। ii संवैधा नक संघष और चुनाव म भागीदारी। iii
रचना मक काय और संवैधा नक संघष क अ वीकृ त

सीडीएम क नरंतरता.

• भारत सरकार अ ध नयम


ता वत एक अ खल भारतीय महासंघ क म सदनीय वधा यका ांतीय वाय ता वधान के लए तीन
सू चयाँ संघीय ांतीय और समवत ।

क म शा सत कये जाने वाले वषय को आर त और ह तांत रत े णय म वभा जत कया गया है।

ांतीय वधायक का सीधे चुनाव होना।


क शु आत म ांतीय वधानसभा के चुनाव ए। बंबई म ास म य ांत संयु ांत बहार उड़ीसा
असम और एनड यूएफपी म कां ेस मं मंडल का गठन कया गया।

• सरे चरण क बहस म नेह सुभाष कां ेस


और समाजवा दय ने पद वीकृ त का वरोध कया।

वामपं थय ने ग तरोध कम करने के उ े य से प रषद म वेश का ताव रखा।

गांधीजी ने शु म पद वीकृ त का वरोध कया ले कन बाद म अपनी वीकृ त दे द ।

लखनऊ और फै ज़पुर म कां ेस अ धवेशन म चुनाव लड़ने का नणय लया गया।


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ा त म कां ेस का शासन

ा त म कां ेस का शासन

बंबई म ास म य ांत उड़ीसा संयु ांत बहार और बाद म एनड यूएफपी और असम म
भी कां ेस मं मंडल का गठन कया गया।

गांधी जी क सलाह

गांधी ने कां े सय को सलाह द क वे इन कायालय को ह के म रख मजबूती से नह ।


कायालय को कांट के मुकु ट के प म दे ख ा जाना था जसे यह दे ख ने के लए वीकार
कया गया था क या वे रा वाद ल य क ओर ग त बढ़ा रहे ह। गांधीजी ने सलाह द क इन
कायालय का उपयोग ऐसे तरीके से कया जाना चा हए जसक अं ेज़ को अपे ा या मंशा न
हो।

गांधी ने कां े सय से यह सा बत करने का आ ह कया क कां ेस पु लस और सेना


क कम से कम सहायता के साथ शासन कर सकती है।

कां ेस मं ालय के अधीन काय कर


लोग म बड़ा उ साह था दबी ई जन ऊजा मु हो गई थी। कां ेस क त ा म वृ ई
य क उसने दखाया था क वह न के वल लोग का नेतृ व कर सकती है ब क अपने लाभ के
लए रा य क श का उपयोग भी कर सकती है। ले कन कां ेस मं मंडल क कु छ बु नयाद
सीमाएँ थ वे अपने शासन के मा यम से व ा के बु नयाद सा ा यवाद च र को नह
बदल सकते थे और एक क रपंथी युग का प रचय नह दे सकते थे।
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ा त म कां ेस के महीन के शासन म


लोग के क याण के लए कु छ यास कये गये।

नाग रक सु वधा
कां ेस मं मंडल ने नाग रक वतं ता पर तबंध को कम करने के लए ब त कु छ कया

• आपातकालीन श याँ दे ने वाले कानून नर त कर दये गये। • ह तान सेवा दल


और यूथ लीग जैसे अवैध संगठन और कु छ पु तक और प का पर से तबंध हटा दया
गया। • ेस तबंध हटा दये गये। • समाचार प को काली सूची से बाहर नकाला गया। • ज त ह थयार
एवं श लाइसस बहाल कये
गये। • पु लस क श य पर अंकु श लगा दया गया और

सीआईडी ने राजनेता को परछाई दे ना बंद कर दया। • राजनी तक बं दय


एवं ां तका रय को रहा कर दया गया

और नवासन और नज़रबंद के आदे श र कर दए गए।


• ब बई म सरकार ारा जमीन ज त कर ली ग
स वनय अव ा आंदोलन के दौरान बहाल कये गये।
• स वल से जुड़े अ धका रय क पशन
अव ा आंदोलन बहाल कया गया।

ले कन नाग रक वतं ता के संबंध म कां ेस मं मंडल के दशन म कु छ खा मयाँ थ । युसुफ़


माहेराली एक समाजवाद को म ास सरकार ने भड़काऊ भाषण के लए गर तार कया और बाद म
रहा कर दया। एसएस बाटलीवाला एक समाजवाद को म ास सरकार ने दे श ोही भाषण के लए
गर तार कया और छह महीने क सजा द । तब बॉ बे के गृह मं ी के एम मुंशी ने क यु न ट और
वामपं थय के खलाफ सीआईडी का इ तेमाल कया।

कृ ष सुधार कु छ बु नयाद बाधाएँ थ


जनके कारण कां ेस मं मंडल जम दारी को पूरी तरह से समा त करके कृ ष संरचना म आमूल चूल

प रवतन नह कर सका।

ये बाधाएँ थ i मं ालय के पास पया त

श याँ नह थ ।
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ा त म कां ेस का शासन

ii अपया त व ीय संसाधन थे य क अ धकांश ह सा भारत सरकार ारा


व नयो जत कया गया था। iii वग समायोजन क रणनी त एक और बाधा थी य क
जम दार आ द को समझाना और बेअ सर करना था। iv समय क कमी थी य क
कां ेस क राजनी त का तक टकराव था न क उप नवेशवाद के साथ सहयोग। v के
आसपास यु के बादल मंडराने लगे थे। vi संयु ांत बहार बंबई म ास और
असम म जम दार सा कार और पूंज ीप तय के भु व वाले त यावाद सरे सदन वधान
प रषद को
समझाना पड़ा य क इसका समथन आव यक था। वधान. vii कृ ष संरचना
ब त ज टल थी।

इन बाधा के बावजूद कां ेस मं मंडल भू म सुधार ऋण राहत वन चराई शु क


बकाया कराया भू म कायकाल आ द से संबं धत कई कानून बनाने म कामयाब रहे।

ले कन इनम से अ धकांश लाभ वैधा नक और अ धभोगी करायेदार को मले जब क


उप करायेदार को यादा लाभ नह आ।
खे तहर मज र को लाभ नह आ य क वे संग ठत नह थे।

म के त कोण

मूल कोण औ ो गक शां त को बढ़ावा दे ते ए मक के हत को आगे बढ़ाना था। इसे


यथासंभव हड़ताल को कम करके और ा पत सुलह तं के सम हड़ताल करने से पहले
अ नवाय म य ता क वकालत करके हा सल करने क को शश क गई थी। मं ालय क
म य ता से म और पूंज ी के बीच स ावना पैदा करने क को शश क गई साथ ही मक
क त म सुधार करने और उनके लए वेतन वृ सु न त करने के यास कए गए।

मं ालय ने उ वाद े ड यू नयन वरोध को कानून और व ा क सम या के


प म माना और जहां तक संभव हो म य के प म काय कया। यह कोण काफ हद
तक सफल रहा ले कन बंबई म ऐसा नह आ। साथ ही वामपंथी आलोचक भी इस कोण
से संतु नह थे। आमतौर पर मं ालय ने धारा का सहारा लया और नेता को गर तार
कर लया.
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नेह इन दमनकारी कदम से नाखुश थे ले कन उ ह ने सावज नक प से मं ालय


को छोट और तु आलोचना से बचाने के लए उनका समथन कया। हालाँ क गांधी
उ वाद और हसक तरीक के खलाफ थे फर भी वे जनता क राजनी तक श ा के प
म थे। उ ह लगा क कां ेस का जनाधार ख म नह होना चा हए. उ ह ने कां े सय से
औप नवे शक कानून और मशीनरी का बार बार सहारा लेने के खलाफ अपील क ।

समाज क याण सुधार


इनम न न ल खत शा मल ह • कु छ े म
नषेधा ा लगाई गई। • ह रजन के क याण हेतु कये गये
उपाय मं दर वेश सावज नक सु वधा का उपयोग छा वृ याँ सरकारी सेवा
तथा पु लस म उनक सं या म वृ आ द।

• ाथ मक तकनीक एवं उ श ा तथा सावज नक वा य एवं व ता पर


यान दया गया। • स सडी के मा यम से खाद को दया गया ो साहन

अ य उपाय.
• जेल सुधार कये गये। • वदे शी उ म को
दया गया ो साहन। • म कां ेस अ य सुभाष बोस के नेतृ व म
ग ठत रा ीय योजना स म त के मा यम से योजना वक सत करने के यास कये
गये।

कां ेस क अ त र संसद य जन ग त व ध
ऐसी ग त व धय म शा मल ह • बड़े
पैमाने पर सा रता अ भयान शु करना • कां ेस पु लस टे शन
और पंचायत क ापना • कां ेस शकायत स म तयाँ सरकार को बड़े पैमाने पर
या चकाएँ तुत करना और

• जन आंदोलन को बताता है।

मू यांक न

हालाँ क तक कां े सय के बीच आंत रक कलह अवसरवा दता और स ा क भूख


सामने आने लगी थी फर भी वे काउं सल के काम को अपने लाभ के लए बड़े पैमाने पर
उपयोग करने म स म थे।
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ा त म कां ेस का शासन

े । महीने का कां ेस शासन न न ल खत कारण से भी मह वपूण था। • यह तक पु हो


गया क आमूल चूल सामा जक
प रवतन के लए भारतीय वशासन आव यक था। • कां े सय ने द शत कया क
एक आंदोलन बना सहयो जत ए अपने ल य को आगे बढ़ाने के लए रा य क श का
उपयोग कर सकता है। • मं ालय सां दा यक दं ग को नयं त करने म स म थे। •
नौकरशाही का मनोबल गरा। • प रषद के काय ने कई पूववत श ु त व जम दार आ द
को बेअ सर करने म मदद क । • आजाद मलने पर लोग आने वाली चीज के व प
को समझने म स म थे। • भारतीय के शास नक काय ने इस मथक
को और कमजोर कर दया क भारतीय शासन करने के यो य नह ह।

तीय व यु शु होने के बाद अ टू बर म कां ेस मं मंडल ने इ तीफा दे


दया।
चुनाव म कां ेस क भारी जीत ने औ ो गक मक वग क उ मीद जगा द थ उस
समय बंबई गुज रात संयु ांत और बंगाल म उ वाद और औ ो गक अशां त बढ़ गई थी
जब कां ेस भारतीय पूंज ीप तय के साथ घ न म ता क ओर आक षत हो गई थी। इसके
प रणाम व प कां ेस के रवैये म मज र वरोधी बदलाव दखाई दया जसके कारण
म बॉ बे े डस ड यूट्स ए ट लागू आ। कां ेस नेतृ व को एक और वधा का सामना करना
पड़ा रयासत क त पर कै से त या द जाए कां ेस को या करना चा हए ापक
लोकतं के लए जामंडल आंदोलन का समथन कर या नह ।

इस बीच कां ेस के साथ स ा साझा न करने से नाराज अ खल भारतीय मु लम लीग


ने म कां ेस मं मंडल ारा कए गए क थत अ याचार पर एक व तृत रपोट तैयार
करने के लए पीरपुर स म त क ापना क । स म त ने अपनी रपोट म कां ेस पर धा मक
सं कार म ह त ेप हद के प म उ का दमन उ चत त न ध व से वं चत करना और
आ थक े म मुसलमान के उ पीड़न का आरोप लगाया।

स ा म होने के कारण कां ेस को यह अहसास करने पर मजबूर होना पड़ा


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और वा तव म शासन चलाना आसान नह था और आबाद के सभी वग क इतनी


अ धक उ मीद थ क उ ह एक बार म पूरा नह कया जा सकता था।

सारांश
• पदा धका रय को गांधी जी क सलाह
कायालय का उपयोग ऐसे तरीके से कया जाना चा हए जो अं ेज ारा अपे त या इ त न हो।

कायालय को ह के ढं ग से पकड़ स ती से नह ।

• कां स
े मं ालय के अधीन काम करना नाग रक वतं ता
पर तबंध म ढ ल दे ना।
ेस पर से तबंध हटाया गया.
राजनी तक बं दय और ां तका रय को रहा कर दया गया।
कई अवैध संगठन पु तक और प का से तबंध हटाया।
सीडीएम से जुड़े अ धका रय क पशन क बहाली।
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इकाई आठव

क ओर
आज़ाद और

वभाजन
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

रा वाद त या म
तीय व यु क लहर

संघष के तरीके पर कां ेस का संक ट


स वनय अव ा आंदोलन के बाद कां ेस के भीतर कु छ अ व ा थी। गांधीजी क राय म
संगठन म ाचार और अनुशासनहीनता बढ़ रही थी।

वह कां ेस नेता के बीच त ं ता और छोटे मोटे झगड़ से भी नाखुश थे। कां ेस


स म तय म वेश करने और उ ह नयं त करने क को शश म फज सद यता और
अनै तक तरीक के मु े थे।

गांधीजी का ढ़ व ास था क आंदोलन दोबारा शु करने से पहले कां ेस को पहले अपना


घर त करना चा हए इसके अलावा उ ह ने यह भी महसूस कया क जनता संघष के
मूड म नह थी। कु छ अ य लोग भी थे जनका मानना था क संघष जारी रहना चा हए।

ह रपुरा और पुरी स सुभाष


बोस के वचार
सुभाष चं बोस बंगाल ांतीय कां ेस कमेट के अ य थे। उनके काय का मु य े
युवा को संग ठत करना और े ड यू नयन आंदोलन को बढ़ावा दे ना था। आजाद क
लड़ाई के कई पहलु पर सुभाष बोस गांधी और कां ेस के अ य नेता से सहमत नह
थे। उ ह ने जवाहरलाल नेह के साथ मोतीलाल नेह रपोट का वरोध कया जसम
डो म नयन टे टस क बात क गई थी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत। बोस पूण वतं ता के प धर थे उ ह ने इं डपडस लीग के गठन क भी घोषणा क ।


जब जवाहरलाल नेह क अ य ता म लाहौर कां ेस स म एक ताव अपनाया गया क
कां ेस का ल य पूण वराज होगा तो बोस ने इस नणय का पूरी तरह से समथन कया।
म वे नमक स या ह आंदोलन म फर से पूरी तरह स य हो गये जससे सरकार को
उ ह गर तार करने पर मजबूर होना पड़ा। वह स वनय अव ा आंदोलन के नलंबन और
म गांधी इर वन समझौते पर ह ता र करने के स त खलाफ थे खासकर जब
सरकार ने भगत सह और उनके सहयो गय के लए मौत क सजा पर बातचीत करने से
इनकार कर दया था। इन सब से हम यह पता चलता है क बोस एक कायशील और
क रपंथी वचार वाले थे।

ह रपुरा फरवरी
म गुज रात के ह रपुरा म कां ेस क बैठक म बोस को सवस म त से स का अ य
चुना गया।
वह अपने इस व ास पर ढ़ थे क ांत म कां ेस मं मंडल म अपार ां तकारी मता
थी जैसा क उ ह ने अपने अ य ीय भाषण म कहा था। बोस ने योजना के मा यम से दे श
के आ थक वकास क भी बात क और बाद म एक रा ीय योजना स म त क ापना म
मह वपूण भू मका नभाई।

अ धवेशन म एक ताव पा रत कया गया क कां ेस उन लोग को नै तक समथन


दे गी जो रयासत म शासन के खलाफ आंदोलन कर रहे थे।

अगले महीन म अंतरा ीय त अ य धक अशांत थी इस बात के संके त


थे क यूरोप यु म उलझने वाला है।

सुभाष क जीत ले कन कां ेस को आंत रक कलह


का सामना करना पड़ा जनवरी
म सुभाष बोस ने कां ेस म फर से अ य पद के लए खड़े होने का फै सला कया।
गांधी बोस क उ मीदवारी से खुश नह थे। बोस ने कहा क वह नए वचार वचारधारा
सम या और काय म का त न ध व करते ह जो भारत म सा ा यवाद वरोधी
संघष क ग तशील धार से नकले थे। हालाँ क सरदार पटे ल राज साद
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

जेबी कृ पलानी और कां ेस काय स म त के कु छ अ य सद य ने बताया क काय स म त जैसे


व भ कां ेस नकाय म ही वचारधाराएं और काय म वक सत कए गए थे इसके अलावा
कां ेस अ य का पद अ धक संवैधा नक त न ध और रा क एकता का तीक था।

उ ह ने गांधी ारा सम थत उ मीदवार प ा भ सीतारमैया का समथन कया। सुभाष बोस


के मुक ाबले वोट से चुनाव जीते उ ह कां ेस सोश ल ट पाट और क यु न ट का पूरा
समथन मला। गांधी ने बोस को उनक जीत पर बधाई द ले कन यह भी घोषणा क क
प ा भ क हार मेरी हार है। अब यह गांधी बनाम बोस का मु ा बन गया.

पुरी माच
म कां ेस का अ धवेशन म य ांत वतमान म य दे श म जबलपुर के नकट पुरी म
आ। यह था क कां ेस के भीतर सब कु छ ठ क नह था। काय स म त कां ेस क
स ा ढ़ सं ा नवा चत नह होती ब क रा प त ारा मनोनीत होती है इस कार रा प त
का चुनाव एक संवैधा नक अवसर है जसके मा यम से सद यता कां ेस के नेतृ व क कृ त
को करती है। बोस क जीत से वचारधारा और भ व य के संघष के तरीके के संदभ म
ुवीकरण हो गया। इस कार आ धका रक तं के वरोध के बावजूद बोस के चुनाव से
ती आंत रक संक ट पैदा हो गया।

सुभाष बोस ने कायका रणी स म त के नेता पर महासंघ के मामले पर सरकार के


साथ समझौता करने के लए तैयार होने का आरोप लगाया था। अब उन नेता को लगा क
वे ऐसे अ य के साथ काम नह कर सकते ज ह ने सावज नक प से उनके रा वाद
स ांत पर संदेह जताया था और काय स म त से इ तीफा दे दया था।

जब पुरी अ धवेशन आ तो बोस बीमार थे ले कन उ ह ने इसम भाग लया और


अपने अ य ीय भाषण म उ ह ने भ व यवाणी क क यूरोप म सा ा यवाद यु होने वाला है।

उ ह ने घोषणा क सबसे पहले हम दे ना चा हए


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पछले कु छ समय से म जो महसूस कर रहा था उसक अभ अथात् समय आ


गया है क हम वराज का मु ा उठाएं और अपनी रा ीय मांग को टश सरकार को एक
अ ट मेटम के पम तुत कर... वह इसम थे वतं ता क रा ीय मांग को पूरा करने के
लए टे न को छह महीने का अ ट मेटम दे ने का प य द अ ट मेटम अ वीकार कर दया
गया तो उ ह ने कहा एक बड़े पैमाने पर स वनय अव ा आंदोलन शु कया जाना चा हए।

उनक राय म जैसा क बोस ने बाद म लखा था कां ेस काफ मजबूत थी और


जनता ऐसे संघष के लए तैयार थी। उनका मानना था क वतं ता के लए यास करने के लए
अंतरा ीय संक ट का लाभ उठाया जाना चा हए।

सरी ओर गांधी इस व ास म ढ़ थे क यह ऐसे अ ट मेटम का समय नह है य क


न तो कां ेस और न ही जनता अभी तक संघष के लए तैयार थी। उ ह यह भी पता था क
सां दा यक कलह और वग संघष और एक कृ त कोण क कमी थी और यह कसी भी
आंदोलन को कमजोर कर दे गा।

गो वद ब लभ पंत ारा एक ताव पेश कया गया जसम गांधीवाद नी तय म


व ास क पु क गई और बोस को गांधीजी क इ ा के अनुसार काय स म त को ना मत
करने के लए कहा गया और इसे समाजवा दय या क यु न ट के वरोध के बना पा रत कर
दया गया। जा हर है वामपंथी गांधी के नेतृ व को यागने के इ ु क नह थे। हालाँ क गांधी ने
कहा क वह रा प त पर काय स म त थोपना नह चाहगे और चूं क बोस अ य थे इस लए
उ ह काय स म त के सद य का चयन करना चा हए और कां ेस का नेतृ व करना चा हए।

बोस ने गांधीजी का व ास जीतने का यास जारी रखा ले कन सफल नह ए। बोस


ने नई कायका रणी स म त को ना मत करने से इनकार कर दया। बोस गांधी के नेतृ व म
त काल संघष चाहते थे जब क गांधी अपने व ास पर ढ़ थे क संघष के लए समय उपयु
नह था। द कत ये थी क वैचा रक तौर पर गांधी और बोस अलग अलग मंच पर थे. गांधी
बोस ारा पसंद क गई क रपंथी लाइन के आधार पर कां ेस संघष का नेतृ व करने के इ ुक
नह थे जब क बोस भी इ ु क नह थे
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

अपने वचार से समझौता कर. गांधीजी का वचार था क या तो वह अपनी रणनी त और


राजनी त क शैली के आधार पर कां ेस का नेतृ व करगे या नेता का पद छोड़ दगे। बोस के एक
प के जवाब म गांधी ने लखा आपके ारा कए गए वचार सर और मेरे अपने
वचार से इतने वपरीत तीत होते ह क मुझ े उ ह पाटने क कोई संभावना नह दखती है।

बोस ने अपने चुनाव म मले समथन को गलत बताया था। यहां तक क अ धकांशतः
समाजवाद और क यु न ट भी कां ेस म वभाजन के इ ु क नह थे। उ ह ने महसूस कया क
वभाजन से वामपंथ जो उस समय ब त अ धक संग ठत नह था एक वभा जत समूह म
त द ल हो जाएगा। उ ह ने गांधी के नेतृ व म एकजुट कां ेस को ाथ मकता द य क रा ीय
संघष अ यंत मह वपूण था और उस समय कां ेस इस संघष का मु य अंग थी।

इन प र तय म बोस को इ तीफा दे ने के अलावा कोई वक प नह दखा।


उ ह ने अ ैल मअ य पद से इ तीफा दे दया। इसके प रणाम व प राज साद को
कां ेस का अ य चुना गया। कां ेस का संक ट फलहाल र हो गया है.

मई म बोस और उनके अनुया यय ने कां ेस के भीतर एक नई पाट के प म फॉरवड


लॉक मकू र उ ाव म का गठन कया।
ले कन जब उ ह ने एआईसीसी के एक ताव के खलाफ जुलाई को अ खल भारतीय वरोध
का आ ान कया तो कां ेस काय स म त ने बोस के खलाफ अनुशासना मक कारवाई क
अग त म उ ह बंगाल ांतीय के अ य पद से हटा दया गया।

पुरी के ताव म चीन से संबं धत एक दलच ताव था कां ेस चीन के लोग को शुभकामनाएं
दे ती है और ू र और अमानवीय सा ा यवाद के खलाफ उनके संघष म उनके परी ण और अभाव के
त अपनी गहरी सहानुभू त करती है। यह उनके वीरतापूण तरोध के लए उ ह बधाई दे ता है।

कां ेस चीन के लोग के लए अपनी ओर से एक मे डकल मशन भेज ने पर अपनी सहम त


करती है और व ास करती है क इस मशन को पूण समथन मलता रहेगा ता क यह सहायता
के अपने काम को भावी ढं ग से आगे बढ़ा सके और एक यो य तीक बन सके । चीन के साथ भारतीय
एकजुटता।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस कमेट को इसके अलावा तीन साल क अव ध के लए कां ेस म कसी भी वैक पक


पद पर रहने से रोक दया गया।

गांधी और बोस वैचा रक


मतभेद
अपनी बेहद भ वचारधारा के बावजूद गांधी और सुभाष बोस के मन म एक सरे के त
गहरा स मान था। येक ने वतं ता के लए रा ीय संघष म एक सरे ारा कए गए काय
क सराहना क ।

म गांधीजी ने बोस को दे शभ म राजकु मार कहा। जब बोस क मृ यु क


सूचना मली तो गांधी ने कहा क नेताजी क दे शभ अ तीय है... उनक बहा री उनके
सभी काय से झलकती है। उसने ऊँ चा ल य रखा और असफल रहा। ले कन कौन असफल
नह आ है। एक अ य अवसर पर गांधी ने कहा नेताजी भारत के त अपनी सेवा के लए
सदै व अमर रहगे।

बोस भारतीय रा वाद के तीक के प म गांधी के मह व से पूरी तरह प र चत थे और


उ ह ने म रंगून से एक रे डयो सारण म उ ह हमारे रा का पता कहा था हालां क
उसी भाषण म उ ह ने अपना ढ़ व ास कया था क बल ही जीतने का एकमा तरीका
था। अं ेज से आजाद .

जब पुरी अ धवेशन म इ तीफा दे ने के लए मजबूर कया गया तो बोस ने कहा क वह


उनके गांधी के व के त स मान म कोई कमी नह छोड़गे उ ह ने आगे कहा क
अगर म अ य लोग का व ास जीतने म सफल हो गया तो यह मेरे लए एक खद बात होगी
ले कन भारत के महानतम का व ास जीतने म असफल रहे। बाद म बोस ने कहा
क महा मा गांधी ने भारत और भारत क वतं ता के लए जो सेवा दान क है वह इतनी
अनूठ और अ तीय है क उनका नाम हमारे रा ीय इ तहास म हमेशा के लए वण अ र म
लखा जाएगा ।

संयोग से दोन य ने समाजवाद को भारत म आगे बढ़ने का रा ता माना


हालां क थोड़े अलग तरीक से। गांधीजी ने समाजवाद के प मी व प क सद यता नह ली
जसे उ ह ने औ ोगीकरण से जोड़ा था ले कन वे इस कार से सहमत थे
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

समाजवाद क वकालत जय काश नारायण ने क । गांधी और बोस दोन धा मक थे


और सा यवाद को नापसंद करते थे। दोन ने छु आछू त के खलाफ काम कया और म हला
क मु के लए बात क । ले कन वे अपने तौर तरीक और राजनी तक एवं आ थक
वचारधारा म ापक प से भ थे।

अ हसा बनाम उ वाद कोण गांधी अ हसा और स या ह म ढ़ व ास


रखते थे जो कसी भी ल य को ा त करने का अ हसक तरीका है। उनका मानना था क
यह वह तरीका है जससे जनता को शा मल कया जा सकता है। उ ह ने सबसे पहले हसा
पर आप जताई य क नह े लोग के पास सश व ोह म सफलता क ब त कम
संभावना थी और फर य क उ ह ने हसा को एक अनाड़ी ह थयार माना जो हल होने क
तुलना म अ धक सम याएं पैदा करता था और अपने पीछे नफरत और कड़वाहट छोड़
जाता था जसे सुलह के मा यम से र नह कया जा सकता था।

बोस का मानना था क अ हसा क वचारधारा पर आधा रत गांधी क रणनी त


भारत क वतं ता हा सल करने के लए अपया त होगी। उनके वचार म के वल हसक
तरोध ही वदे शी सा ा यवाद शासन को भारत से बाहर कर सकता है। उ ह ने गांधीवाद
स वनय अव ा अ भयान को शासन को पंगु बनाने का एक भावी साधन माना ले कन
यह नह सोचा क यह तब तक भावशाली नह होगा जब तक क संपूण ां त के उ े य
से एक आंदोलन न हो जो आव यक होने पर हसा का उपयोग करने के लए तैयार हो।

साधन और सा य बोस क नज़र


काय के प रणाम पर थी। जब यूरोप पर यु के बादल मंडराए तो उ ह ने त को टश
कमजोरी का फायदा उठाने के अवसर के प म दे ख ा। वह वतं ता के संघष को आगे
बढ़ाने के लए जो भी अवसर उपल था उसका लाभ उठाने म व ास करते थे। उ ह ने
नाज़ी नयं ण के तहत यूरोपीय दे श क वतं ता के लए लड़ने का दावा करने ले कन भारत
स हत अपने वयं के उप नवेश को वतं ता दे ने से इनकार करने के लए अं ेज क खुले
तौर पर आलोचना क । उ ह ना ज़य या फ़ा स ट और बाद म इंपी रयल जापान ए सस
पॉवस जैसा क यु शु होने पर उ ह बुलाया जाने लगा क मदद लेने म कोई परेशानी
नह थी भले ही वह वतं ता म व ास करते थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और समानता और अ य उदार आदश और ना ज़य के अहंक ारी न लवाद और नाज़ी जमनी म


लोकतां क सं ान के दमन को अ वीकार कर दया जैसा क उनके लेख न से पता चलता
है । हालाँ क उ ह ने ना जय और फा स ट क उनके अनुशासन के लए शंसा क । बोस के
समथक का कहना है क जमनी और जापान के साथ उनका जुड़ाव ां तकारी रणनी त से तय
आ था न क वैचा रक र तेदारी से। सरे श द म वह सफ एक ावहा रक था वह
न लीय े ता के फासीवाद स ांत और पूंज ीवाद क फासीवाद वीकृ त के खलाफ थे।

गांधीजी ने महसूस कया क वरोध का जो अ हसक तरीका उ ह ने चा रत कया


उसका अ यास तब तक नह कया जा सकता जब तक क साधन और सा य समान प से
अ े न ह । कोई भी कसी ल य को ा त करने के लए कसी भी साधन का उपयोग
नह कर सकता चाहे वह ल य कतना ही वांछनीय य न हो। यह उस स य के व होगा
जसे सभी काय म मागदशन करना चा हए।
इसके अलावा उ ह फा स ट और ना ज़य के वचार के त गहरी नापसंदगी थी और वे अं ेज
के खलाफ सहयोग के लए उनका इ तेमाल करने के बारे म नह सोचते थे खासकर जब वे
एक क ठन प र त म थे। उ ह ने नाजी जमनी और इंपी रयल जापान को सफ आ ामक
नह ब क खतरनाक श य के प म दे ख ा। गांधीजी ने वयं कहा था साधन के संबंध म
उनके बोस और मेरे बीच कोण का अंतर ट पणी के लए ब त स है।

बोस ने वीकार कया क गांधी के तरीक का अपना मह व है जब उ ह ने टो यो से


अपने भाषण म कहा हालां क गत प से मेरा मानना है क यह तरीका हम पूण वतं ता
दलाने म सफल नह होगा इसम कोई संदेह नह है क इसने भारतीय लोग को जगाने और
एकजुट करने म ब त मदद क है और वदे शी सरकार के ख़लाफ़ तरोध का आंदोलन भी
जारी रखना है।

सरकार का व प अपने शु आती लेख


म बोस ने राय क क लोकतं भारत के लए वीकाय राजनी तक व ा है। ले कन
बाद म वह इस वचार क ओर झुक गए क कम से कम शु आत म रा के पुन नमाण और
उ मूलन क या के लए एक लोकतां क णाली पया त नह होगी।
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

गरीबी और सामा जक असमानता. म टो यो व व ालय म छा को एक संबोधन म बोस


को यह कहते ए उ त कया गया था आपके पास एक तथाक थत लोकतां क णाली नह हो
सकती है य द उस णाली को समाजवाद आधार पर आ थक सुधार करना है।

इस लए हमारे पास स ावाद च र क एक राजनी तक व ा एक रा य होनी चा हए...

जब बोस ने अ टू बर को आज़ाद हद वतं भारत क अनं तम सरकार के


गठन क घोषणा क तो वे भारतीय रा ीय सेना के सव कमांडर के प म अपने पद पर बने रहे
और उ ह ने खुद को रा य का मुख धान मं ी भी ना मत कया। और यु और वदे शी मामल के
मं ी। उ ह ने वतं भारत म रा य के मुख का पद बरकरार रखने क आशा क । कु छ व ान का
कहना है क इससे बोस म आ धका रक वृ का संके त मलता है।

क शु आत म बोस ने राय क क भारत म आधु नक यूरोप जसे समाजवाद


और फासीवाद कहता है उसका एक सं ेषण होना चा हए। हमारे पास याय समानता ेम है जो
समाजवाद का आधार है और इसके साथ ही हमारे पास फासीवाद क द ता और अनुशासन है जैसा
क आज यूरोप म है। उ ह ने इसे सा यवाद कहा । बोस कसी भी चीज़ के त अनुशासन और
व त कोण क शंसा करते थे। उ ह ने इटली के फासीवा दय और जमनी के ना जय के इन
गुण क शंसा क । दरअसल उनके प से यह है क औप नवे शक स ा के त नापसंदगी
और वदे शी टश शासन को भारत से बाहर करने क उनक इ ा के बावजूद वह अं ेज के
व त और व त कोण और उनके अनुशा सत जीवन शैली से भा वत थे।

हालाँ क बोस नाजी या फासीवाद नह थे य क उ ह ने म हला के सश करण


धम नरपे ता और अ य उदार वचार का समथन कया था। न ही बोस क यु न ट थे वह खुद को
समाजवाद मानते थे ले कन यह क यु न ट होने से ब त अलग बात थी । वह सा यवा दय ारा
तपा दत अंतरा ीयतावाद के वचार पर हँसे उ ह ने कहा क अंतरा ीयवाद पर जाने से पहले
रा वाद मह वपूण था। उनका यह भी मानना था क मा स के लेख न म पाए गए सै ां तक आदश
को ब त अ धक संशोधन के बना भारत म लागू नह कया जा सकता। और न ही कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उसने उस धम को याग दया जो उसके लए मह वपूण था। बोस इस अथ म वामपंथी थे क वे


सा ा यवाद वरोधी थे और पूण वतं ता ा त करने म व ास रखते थे। वतं ता ा त के
बाद बोस ने माना क वामपंथ का अथ समाजवाद होगा रा ीय जीवन का पुन नमाण
समाजवाद आधार पर करना होगा। दरअसल उनके कई लेख से यह तीत होता है क
स ावाद शासन के ारं भक चरण के बाद वतं ता लोकतं और समाजवाद के शा त
स ांत के आधार पर एक नया भारत और एक खुशहाल भारत का नमाण कया जा सकता
है।

सरकार पर गांधी के वचार हद वराज म पाए जा सकते ह यह राजनी तक


स ांत के नरंतर काय के नमाण के सबसे करीब था। गांधी के आदश रा य उनके रामरा य
वा तव म एक व लोक को कसी त न ध सरकार सं वधान सेना या पु लस बल क
आव यकता नह थी।

पूंज ीवाद सा यवाद शोषण और धा मक हसा अनुप त होगी। इसके बजाय दे श को अतीत
के भारत के अनु प बनाया जाना था। कई मायन म गांधी का लेख न एक पूव आधु नक
नै तक प से बु और अराजनी तक भारतीय रा य का आ ान करता है। वराज य
और सामुदा यक नमाण के मा यम से वशासन पर जोर दे ती है। गत तर पर वराज
नप आ म मू यांक न नरंतर आ म शु और बढ़ती आ म नभरता क मता से मह वपूण
प से जुड़ा आ है।

गांधी ने कहा म रा य क श म वृ को सबसे बड़े भय के साथ दे ख ता ं य क


य प यह प से शोषण को कम करके अ ा कर रहा है ले कन यह ग त के मूल म
न हत व को न करके मानव जा त को सबसे बड़ा नुक सान प ंचाता है । उ ह पाट
णाली पर संदेह था और उ ह यक न था क त न ध लोकतं लोग को याय दान नह कर
सकता। उ ह ने एक रा य वहीन समाज क वकालत क जसम जीवन प रपूण हो जाए।

गांधीजी क करण के वरोधी थे। वह राजनी तक और आ थक श के वक करण


म व ास करते थे और यह के वल बु नयाद इकाई से शु आत करके ही आ सकता था।

उनके वराज के सपने म समाज का नमाण होगा


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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

असं य... नरंतर व तृत होने वाले कभी न चढ़ने वाले ाम गणरा य। मूल इकाई गाँव
होगी जसके लोग सदै व स य और अ हसा के आदश का पालन करगे।

येक गाँव एक आ म नभर गणरा य या पंचायत होगा।


आ म नभरता का मतलब यह नह है क ज रत के समय सरे गांव से मदद नह ली जा
सके गी। पंचायत ानीय वशासन क इकाई म सालाना चुने गए पांच पु ष और
म हला शा मल ह गे। यह ाम समुदाय का त न ध व करेगा और सभी ा धकार का
संर क होगा।

इसके अलावा यह ाम शासन के संदभ म एक वाय राजनी तक सं ा होगी।

गौरतलब है क गांधी ने कहा था आदश रा य म। . . वहां कोई राजनी तक श


नह है य क वहां कोई रा य नह है। ले कन आदश कभी भी जीवन म पूरी तरह साकार
नह होता। इस लए थोरो का शा ीय कथन क वह सरकार सव म है जो सबसे कम
शासन करती है वचारणीय है। जैसा क जू डथ ाउन लखते ह गांधी ने रा य के
आदश प के प म वतं ाम गणरा य क एक ढ ली कड़ी क क पना क है... इस लए
उ ह उ चत प से अराजकतावाद कहा जा सकता है। गांधी जी के वचार म उ नै तकता
के बना लोकतं संभव नह होगा।

यह नै तकता ही है जो मनु य म ज मेदारी क भावना वक सत करती है और ज मेदारी क


इस भावना क ताकत उ ह एक सरे के अ धकार का स मान करने और उनक र ा करने
म मदद करेगी।
गांधीजी ने अ धकार क अपे ा कत पर अ धक जोर दया।

सै यवाद सुभाष
बोस सै य अनुशासन के त गहराई से आक षत थे और भारत र ा बल क व व ालय
इकाई म ा त बु नयाद श ण के लए आभारी थे। म कां ेस के कलक ा
अ धवेशन म औपचा रक समारोह के दौरान उ ह ने वे ा से गाड ऑफ ऑनर का गठन
कया। और यह बड़े पैमाने पर और भ पैमाने पर कया गया था। बोस ने फु ल ेस वद म
अपनी सै नक क समी ा क । गांधी और उनके अ धकांश समथक इस दशन से असहज
थे।

गांधीजी पूरी तरह से सेना के ख़लाफ़ थे। उनका रामरा य स य और असत् क


अवधारणा पर न मत हो रहा है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

हसा और आ म नयमन एक आदश ान होगा और इसके लए पु लस या भ सेना क


आव यकता नह होगी। यु क बजाय शां त ा पत करने के लए सभी यास कए जाने
चा हए।
गांधीजी ने कहा यु उन लोग का मनोबल गराता है जो इसके लए श त ह।
यह वाभा वक प से सौ य वभाव के पु ष पर ू रता करता है। गांधीजी के अनुसार यु के
मु य कारण न लवाद सा ा यवाद और फासीवाद तीय व यु के संदभ म थे। उ ह ने
आ थक असमानता और शोषण को भी अंतरा ीय व ा म यु और अ रता के अ त र
कारण के प म सूचीब कया। य द इ ह मटा दया जाए तो यु क आव यकता ही नह
पड़ेगी। वह र ा मक यु के ख़लाफ़ नह थे य द नद ष पर हमला कया जाता था तो वयं का
बचाव करने के अलावा कोई वक प नह था। तो न संदेह आ मर ा के लए सेना क
आव यकता थी ले कन यह यूनतम पैमाने पर होनी थी।

अथ व ा पर वचार गांधी क
वराज क अवधारणा का अपना अलग आ थक कोण था। वह रा य नयं ण के बना
वके कृ त अथ व ा चाहते थे। गांधी ने पूंज ीवाद और प मी समाजवाद दोन को खा रज
कर दया पहला अपनी शोषणकारी याद तय के लए और सरा औ ो गक करण से संबंध के
लए। उनका मानना था क दोन ही मनु य को वला सता और आ म भोग क लालसा क ओर
ले जाते ह।

गांधीजी चाहते थे क लोग लालच से छु टकारा पाएं और जीवन क के वल मूलभूत आव यकता


से ही काम चलाएं। उ ह ने ाम सव दय का वचार वक सत कया । उ ह ने जड़ क ओर लौटने
क क वकालत क जब उ पादन उपभोग और वतरण के साथ साथ था और धन
अथ व ा का च अनुप त था। उ पादन त काल उपयोग के लए था न क र के बाजार
के लए। वह जो चाहते थे वह ाचीन ाम समुदाय का पुन ार था जसम कृ ष समृ हो
उ ोग वक कृ त हो वसाय छोटे पैमाने के सहकारी संगठन के मा यम से हो। वह हर तर
पर लोग क भागीदारी भी चाहते थे। म हेनरी पोलाक को लखे एक प म गांधी ने यह
वचार कया क भारत का उ ार जो सीखा गया था उसे अनसीखा करने म है वह चाहते
थे क रेलवे टे ली ाफ अ ताल वक ल डॉ टर और अ य आधु नक सु वधाएं ह
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

याग दया गया और तथाक थत उ वग ने कसान का सरल जीवन जीना सीख लया।

वह बड़े पैमाने पर औ ोगीकरण के ख़लाफ़ थे। उ ह म बचाने वाली मशीनरी पर


कड़ी आप थी। लोग म बचाते रहते ह जब तक क हजार लोग बना काम के नह हो
जाते और भूख से मरने के लए खुली सड़क पर फक नह दए जाते। वह गत म
बचाने वाले उपकरण और मशीनरी के ख़लाफ़ नह थे। उ ह ने लखा है क मशीनीकरण तब
अ ा होता है जब इ त काय को पूरा करने के लए हाथ ब त कम ह । यह एक बुराई है
जब काम के लए आव यकता से अ धक हाथ ह जैसा क भारत म होता है।

गांधी जी के अनुसार जस पूंज ीप त ने धन इक ा कया वह चोर था। उनक राय म


य द कसी को वरासत म धन मला है या उसने ापार और उ ोग के मा यम से ब त
पैसा कमाया है तो उस रा श को पूरे समाज के साथ साझा कया जाना चा हए और सभी के
क याण पर खच कया जाना चा हए। उ ह ने ट शप के अपने स ांत को सामने रखा
जसके तहत वे चाहते थे क पूंज ीप त ट बन और इस तरह वे न के वल अपना ब क सर
का भी याल रख। मज र पूंज ीप तय को अपना हतैषी मानगे और उन पर व ास रखगे।
इस लए आपसी व ास और आ ा बनी रहेगी और प रणाम व प आ थक समानता का
आदश हा सल कया जा सके गा।

बोस आ थक वतं ता को सामा जक और राजनी तक वतं ता का सार मानते थे। वे


आधु नक करण के प धर थे जो आव यक प से औ ोगीकरण ारा लाया जाना था। उनका
मानना था क राजनी तक और भौ तक े म भारत का पतन भा य और अलौ ककता म लोग
के अ य धक व ास के साथ साथ आधु नक वै ा नक वकास वशेषकर यु ह थयार के
े म उदासीनता के कारण आ है। उनका मानना था क पछड़ी कृ ष को आधु नक बनाना
होगा। इस तरह के आधु नक करण के प रणाम व प कृ ष े से बाहर कए गए म को
के वल उ ोग के वकास से ही मदद मल सकती है जो कृ ष से अ धशेष म को अवशो षत
कर सकता है।

ह रपुरा कां ेस अ धवेशन म अपने भाषण म बोस


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उ ह ने अपनी राय क क भारत क ग त के लए रा य के वा म व और रा य नयं ण


के तहत औ ो गक वकास क एक ापक योजना अप रहाय होगी। और उ ह ने रा ीय
सरकार को सलाह दे ने के लए एक योजना आयोग ा पत करने क आव यकता के बारे म
बात क । उ ह ने जम दारी उ मूलन और कृ ष ऋण तता के उ मूलन क भी बात कही।

वह सो वयत संघ ारा अ प समय म ती औ ो गक करण के मा यम से आ थक वकास म


ा त सफलता से ब त भा वत थे।

भारत के लए औ ोगीकरण क मांग करने के लए बोस के पास अपने कारण थे।


इससे बेरोजगारी क सम या र होगी.
उ ह ने कहा समाजवाद को रा ीय पुन नमाण का आधार होना चा हए और समाजवाद ने
औ ोगीकरण क क पना क ।
इसके अलावा य द भारत को वदे शी दे श से त धा करनी है तो औ ोगीकरण आव यक
था। बड़े पैमाने पर लोग के जीवन तर म सुधार के लए औ ोगीकरण भी आव यक था। बोस
ने उ ोग को तीन े णय म वग कृ त कया भारी म यम और कु ट र। उ ह ने कहा भारी उ ोग
रा ीय अथ व ा क रीढ़ ह। ले कन वे कु ट र उ ोग के महान मह व से भली भां त प र चत
थे। औ ोगीकरण का मतलब यह नह है क हम कु ट र उ ोग से मुंह मोड़ ल।

. . . इसका मतलब के वल यह है क हम यह तय करना होगा क कौन से उ ोग कु ट र आधार


पर वक सत कए जाने चा हए और कौन से बड़े पैमाने पर।

धम गांधी ने
कहा ई र स य और ेम है ई र नै तकता और सदाचार है ई र अभय है. ई र काश और
जीवन का ोत है और फर भी वह इन सभी से ऊपर और परे है ई र ववेक है। वह ना तक
क भी ना तकता है। य क अपने असीम ेम म ई र ना तक को जी वत रहने क अनुम त
दे ता है।

गांधी मु यतः धा मक थे। धम के त उनका कोण ढ़ था और उनका धम


ही उनके अ य सभी वचार का आधार था। स य और अ हसा दो स ांत थे ज ह ने गांधी को
धम के बारे म एक ापक कोण वक सत करने म मदद क जो संक ण सं दायवाद से परे
था। के लए
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

गांधीजी के अनुसार गरीब क सेवा करने और उनम ई र क पहचान करने से बढ़कर ई र क


पूज ा करने का कोई बेहतर तरीका नह है।
वह अलग अलग धम को एक ही मं जल क ओर जाने वाले अलग अलग रा ते मा
मानते थे। गांधीजी अपने अनुभव और अ ययन से इस न कष पर प ंचे क सभी धम एक ही
स ांत अथात् स य और ेम पर आधा रत ह। उ ह ने दावा कया क धम एक जोड़ने वाली
श है न क बांटने वाली श । उ ह ने कहा क येक को अपने अपने धम का
वतं तापूवक पालन करना चा हए। वह धम के बना कसी रा य क क पना नह कर सकते
थे य क रा य के बारे म उनके वचार के आधार पर भी उनके धम के मूल स ांत थे।

सुभाष बोस उप नषद श ा म व ास करते थे। वह भगवद गीता का स मान करते


थे और ववेक ान द से े रत थे।
वे वचारक ारा पुन ा या कये गये अतीत के भारत से भी े रत थे। कई व ान के अनुसार
ह आ या मकता उनके पूरे वय क जीवन म उनके राजनी तक और सामा जक वचार का
अ नवाय ह सा बनी रही। हालाँ क वह क रता या ढ़वा दता से मु थे। वह धम के आधार
पर पूण भेदभाव न करने के प म थे और इस संदभ म उ ह ने ह का मु ा उठाया जब
उ ह ने मांग क क ह कै दय को उसी तरह गा पूज ा करने का अ धकार दया जाए जैसे
मुसलमान और ईसाइय को अपने योहार मनाने क अनुम त द गई थी। बोस ने दशक के
लए उपयु ह तीक के मा यम से भारतीय को वतं ता सं ाम के लए े रत कया।
दसंबर को उ ह ने बुराई को ख म करने के लए तैयार श के एक प गा क
क पना का आ ान करते ए म हला से मु सं ाम म भाग लेने का आ ान कया।

हालाँ क वह सां दा यक नह थे। उ ह ने अपनी सेना का नाम आजाद हद फौज रखा और उस


सेना म कई गैर ह भी थे जो उनके करीबी थे। आईएनए को सभी सै नक क पूण सामा जक
समानता के साथ व भ धम न ल और जा तय का म ण होना था। उ ह स दय पुराने
जा त बंधन और था को तोड़ते ए आम रसोई म पकाया गया भोजन परोसा जाता था
और आम बैरक म साझा ान दया जाता था। सभी धा मक योहार का सामा य उ सव
आईएनए म होता था।

बोस सभी धम के त नप कोण रखने वाले धम नरपे तावाद थे। उ ह ने


कहा क आज़ाद भारत ब कु ल होना चा हए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सभी धम के त तट और न प रवैया अपनाएं और अपने व ास के कसी वशेष


धम को मानने या उसका पालन करने को क पसंद पर छोड़ द। धम एक नजी मामला
है रा य का इससे कोई लेना दे ना नह है. उ ह ने कहा क आ थक मु े सां दा यक वभाजन
और बाधा को र करते ह।

जा त और अ ृ यता समाज के लए गांधी के


ल य मु य प से तीन थे अ ृ यता को ख म करना जा त व ा के वण भेद को बनाए
रखना और भारत म स ह णुता वन ता और धा मकता को मजबूत करना।

गांधी का मानना था क भारत को पुनज वत करने का एक तरीका अ ृ यता को


मटाना था जसे वे लाख कसान को उनके सपन और आकां ा को साकार करने से
रोकने वाली एक हा नकारक था मानते थे। यह वराज के साथ असंगत था। उ ह ने कहा
क य द कोई शा अ ृ यता का तपादन करता है तो उस शा को याग दे ना चा हए।
हालाँ क उ ह ने वण व ा का समथन कया उनका मानना था क जा त के नयम
शा त थे और सामा जक स ाव का आधार थे। गांधी जी ने जस भारत क क पना क
थी उसम येक गांव चार भाग म संग ठत होगा और समाज का येक सद य अपना
अपना कत नभाएगा। चूं क गांधीजी के अनुसार पार रकता क पूरी व ा होगी
इस लए कसी को भी त म अंतर क भावना का सामना नह करना पड़ेगा।

बोस एक समाजवाद ां त ारा बदले गए भारत क आशा करते थे जो जा त


व ा के साथ पारंप रक सामा जक पदानु म को समा त कर दे गा इसके ान पर
समतामूलक जा त वहीन और वग वहीन समाज आएगा। सुभाष बोस ने सामा जक
असमानता और जा त व ा को पूरी तरह से खा रज कर दया।

उ ह ने अंतरजातीय ववाह के प म बात क . अपने सावज नक भाषण म बोस ने


अ ृ यता के ख़लाफ़ ज़ोर शोर से बात क । वे ववेक ान द से े रत थे और उनका मानना
था क भारत क ग त के वल द लत और तथाक थत अछू त के उ ान से ही संभव होगी।

औरत
गांधी के श द म म हला को कमजोर लग कहना अपमान है यह म हला के त
पु ष का अ याय है। गांधी जी ने मह वपूण भू मका नभाई
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भारत म म हला क त को ऊपर उठाने म भू मका।


गांधी जी ने म हला को आजाद क लड़ाई म भाग लेने के लए घर से बाहर लाने म
मह वपूण भू मका नभाई थी। जैसा क व ान बताते ह यह उनके वचार म सबसे उ था।
इसम म हला को पद से बाहर लाना शा मल था एक ऐसी व ा जो उस समय ह
के साथ साथ मुसलमान म भी च लत थी। इसम जेल जाने और इस तरह अपने प रवार से
अलग होने क संभावना शा मल थी। ये उस समय के लए ां तकारी कदम थे।

म हला को वराज के संघष म लाने के अलावा उ ह ने म हला को भा वत


करने वाली व भ सामा जक बुराइय जैसे बाल ववाह दहेज था और क या ूण ह या और
वधवा के साथ वहार का भी जोरदार वरोध कया।

उ ह ने पु ष और म हला को समान माना और घोषणा क क पु ष को म हला


के साथ स मान और वचारपूवक वहार करना चा हए।
हालाँ क पु ष और म हला क भू मका के मामले म गांधी को वतमान मानक के
अनुसार पतृस ा मक और पारंप रक माना जाएगा। उ ह ने म लखा था मुझ े व ास
है क म हला पु ष क नकल करके या उसके साथ दौड़ लगाकर नया म अपना योगदान नह
दे गी। वह दौड़ म भाग ले सकती है ले कन मनु य क नकल करके वह उन महान ऊं चाइय तक
नह प ंच पाएगी जो वह करने म स म है। उसे पु ष का पूरक बनना होगा।

पुनः म उ ह ने लखा हालाँ क दोन मूल प से एक ह यह भी उतना ही सच है क


प म दोन के बीच एक मह वपूण अंतर है। अत दोन का वसाय भी अलग अलग होना
चा हए। उसके मातृ व के कत के लए... उन गुण क आव यकता होती है जो मनु य के
पास होने क आव यकता नह है। वह न य है वह स य है। वह मूलतः घर क वा मनी
है। वह रोट वजेता है वह रोट क रखवाली करने वाली और बांटने वाली है। वह श द के हर
अथ म दे ख भाल करने वाली है। जा त के शशु को पालने क कला उसका वशेष और
एकमा वशेषा धकार है। उसक दे ख भाल के बना जा त वलु त हो जानी चा हए।

गांधीजी म हला को घर क अ ध ा ी दे वी मानते थे। घर क दे ख भाल करना उनका


धम था।
य द वे धम का पालन नह करते ह तो लोग पूरी तरह से न हो जायगे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

न कर दया गांधी ने कहा। हालाँ क गांधी ने यह भी कहा क धम का मतलब पु ष ारा


म हला को संप के प म वहार करना नह है। म हला को अपने प त का
वहार बदा त नह करना चा हए। ले कन उ ह ने म हला को अपने घर से बाहर
नकलने और अपनी दशा के खलाफ गत या सावज नक आंदोलन शु करने या
अपने शोषणकारी घरेलू माहौल म स या ह शु करने के लए नह कहा। उ ह ने म
कहा था क म हला क घरेलू गुलामी हमारी बबरता का तीक है और उ ह इस
इन यूबस से मु कया जाना चा हए। उ ह ने यह भी लखा म हलाएं पु ष से सुर ा
क उ मीद नह कर सकत । उ ह अपनी ताकत च र क प व ता और ई र पर भरोसा
करना चा हए जैसा क ाचीन ौपद ने कया था।

प से उनक आदश म हला जैसा क जू डथ ाउन का मानना है वह


आधु नक म हला नह थी जो म हला के प म पैदा होने के कारण उन पर शारी रक
सामा जक और आ थक प से लगाए गए तबंध से मु थी। उ ह ने अपनी आदश
म हला का तीक सीता क छ व से लया ज ह ने राम ारा अपने ऊपर कए गए सभी
अ याय को धैयपूवक और बहा री से सहन कया। गांधी ने म हला को बहा री और
वतं ता के गुण और पीड़ा सहने क मता का उपदे श दया जू डथ ाउन कहती ह
उ ह ने भारतीय म हला को जो मॉडल पेश कया वह एक गुण ी और वफादार प नी थी।

म हला के त सुभाष बोस का कोण अ धक मजबूत था।

जमन रा ीय समाजवा दय ना ज़य और इतालवी फासीवा दय से अलग ज ह ने


सामा जक और राजनी तक ग त व धय के लगभग सभी े म पु ष व पर जोर दया
बोस म हला को पु ष के बराबर मानते थे और इस कार उ ह इसके लए लड़ने और
ब लदान दे ने के लए तैयार रहना चा हए। भारत क आज़ाद . उ ह ने म हला को रा के
जीवन म पूरी तरह से शा मल करने के लए कड़ी मेहनत से अ भयान चलाया। मई म
महारा ांतीय स मेलन म अपने अ य ीय भाषण म उ ह ने घोषणा क म हला क
त को बढ़ाया जाना चा हए और म हला को सावज नक मामल म अ धक ापक
और अ धक बु मान च लेने के लए श त कया जाना चा हए... यह दे श के आधे
ह से के लए असंभव है सरे आधे क स य सहानुभू त और समथन के बना वतं ता
हा सल करना।

जब म कां ेस अ य के प म बोस ने योजना आयोग क ापना क तो


उ ह ने इस बात पर जोर दया क एक ऐसा होना चा हए
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म हला के लए अलग योजना आयोग। इस आयोग क अ य ता रानी ल मी भाई


राजवाड़े ने क थी और इसे भ व य के भारत म नयो जत अथ व ा म म हला क
भू मका से नपटना था।
बाद म म उ ह ने म हला से भारतीय रा ीय सेना म सै नक के प म
सेवा करने का आ ान कया। यह सबसे उ कोण था.
उ ह ने म आईएनए म एक म हला रे जमट का गठन कया जसका नाम झाँसी क
रानी रे जमट रखा गया। कई म हलाएं कै टन ल मी वामीनाथन शाद के बाद सहगल क
कमान वाली रे जमट म शा मल होने के लए उ सा हत थ । जब क यु कत के लए कम
उपयु लोग को नस और अ य सहायक भू मका म नयु कया गया था उनम से
अ धकांश को सै नक के प म श त कया गया था। उनके साथ पु ष जैसा ही वहार
कया जाता था और उ ह कोई वशेष वशेषा धकार नह मलते थे।

बोस के वचार म म हला को प रवार के साथ साथ समाज म भी उ ान


दया जाना चा हए। वह म हला मु म व ास करते थे म हला को स दय पुराने बंधन
से री त रवाज और मानव न मत सामा जक आ थक और राजनी तक वकलांगता से
मु कराने म व ास करते थे। वह चाहते थे क म हला को न के वल सा रता ब क
शारी रक और ावसा यक श ण स हत सवागीण श ा मले। वे पदा था के उ मूलन
के प म थे और वधवा पुन ववाह के भी समथक थे। उ ह ने कहा क म हला को उनके
सामा जक और कानूनी अ धकार के साथ साथ नाग रक के प म उनके कत के त
भी जाग क कया जाना चा हए।

श ा
गांधीजी अं ेज ी श ा णाली के वरोधी थे और साथ ही श ा के मा यम के प म अं ेज ी
के योग के भी खलाफ थे। वह चाहते थे क श ा ानीय भाषा म हो। उ ह ने से
वष के बीच के सभी लड़क और लड़ कय के लए मु त और अ नवाय श ा क वकालत
क।

गांधीजी के वचार म श ा को व के पूण वकास के लए एक एक कृ त


कोण होना चा हए इसम बौ क और सं ाना मक वकास के साथ साथ शारी रक
श ण और उ नै तक स ांत शा मल होने चा हए। उ ह ने सीखने और श ा ान
और बु सा रता और जीवन के सबक के बीच अंतर कया। उनके अनुसार सा रता
अपने आप म कोई श ा नह है ।
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गांधीजी के लए नै तकता श ा का एक ह सा होनी चा हए। लेटो से सीख लेते ए


गांधी ने कहा क श ा ान और बु ा त करने का एक साधन होनी चा हए जो अंततः
साधक को आ या मक पथ पर ले जाए। श ा का अंत के वल क रयर बनाने और सामा जक
त ा हा सल करने का साधन नह था। श ा आ म ान का साधन होनी चा हए। गांधीजी यह
भी चाहते थे क ह धम ंथ श ा का ह सा बन य क वे अनुशासन और आ म संयम का
तपादन करते ह।

उ ह ने म अपनी नई तालीम या सभी के लए बु नयाद श ा क क पना क ।


नई तालीम का उ े य ऐसी श ा दान करना था जो अ ानता नर रता अंध व ास दासता
क मान सकता और कई अ य वजना से मु दलाए जो वतं भारत क वतं सोच को
बा धत करती थी। श ा क यह योजना मन और शरीर के सम श ण पर जोर दे ने के लए
थी इस लए श ा के साथ साथ उ े यपूण शारी रक म भी होना था।

नई तालीम म ह त श प कला और ाइंग सबसे मौ लक श ण उपकरण थे। चूं क गांधी


भारतीय गांव को आ म नभर इकाई बनाना चाहते थे इस लए उ ह ने ावसा यक श ा पर
जोर दया जससे उन गांव म काय करने म छा क द ता बढ़े और गांव एक आ म नभर
इकाई बने।

सुभाष बोस उ श ा के प म थे वशेषकर तकनीक और वै ा नक े म


य क वे एक औ ो गक भारत चाहते थे। उ ह ने कहा रा ीय पुन नमाण के वल व ान और
हमारे वै ा नक क सहायता से ही संभव होगा। वह चाहते थे क भारतीय छा को एक
और न त योजना के अनुसार श ण के लए वदे श भेज ा जाए ता क जैसे ही वे घर
लौट वे सीधे नए उ ोग ा पत करने के लए आगे बढ़ सक ।

तीय व यु और

रा वाद त या
सतंबर को जमनी ने पोलड पर हमला कया वह कारवाई जसके कारण तीय
व यु आ। सतंबर को टे न ने जमनी और अं ेज के खलाफ यु क घोषणा

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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

भारत सरकार ने भारतीय राय से परामश कए बना यु के लए भारत के समथन क


घोषणा क ।

कां ेस का वायसराय को ताव हालाँ क कां ेस


को भारतीय से परामश कए बना भारत को यु म शा मल करने क अं ेज क एकतरफा
कारवाई पसंद नह आई ले कन उसने यु के यास को सशत समथन दे ने का फै सला
कया।
फासीवाद नाज़ीवाद सै यवाद और सा ा यवाद के त कां ेस क श ुता टश रकॉड
क तुलना म कह अ धक सुसंगत थी। यु यास म सहयोग करने क भारतीय पेशकश
क दो बु नयाद शत थ . यु के बाद वतं भारत क राजनी तक संरचना नधा रत
करने के लए एक सं वधान सभा बुलाई
जानी चा हए।

. तुरंत कसी वा त वक प से ज मेदार का प


क म सरकार ा पत होनी चा हए.
इस ताव को वायसराय लन लथगो ने अ वीकार कर दया। कां ेस ने तक दया
क यु के लए जनता क राय जीतने के लए ये तयाँ आव यक थ ।

वधा म सीड यूसी क बैठक


कां ेस क आ धका रक त कां ेस काय स म त के वधा स म अपनाई गई ले कन
उससे पहले टश यु यास को भारतीय समथन के सवाल पर अलग अलग राय
क ग ।

गांधी जो फासीवाद वचारधारा के त पूरी तरह नापसंद होने के कारण इस यु


म टे न के त पूरी सहानुभू त रखते थे ने म श य को बना शत समथन क वकालत
क । उ ह ने प मी यूरोप के लोकतां क रा और अ धनायकवाद ना ज़य और
फासीवा दय के बीच अंतर कया। उ ह ने कहा क वह यु के दौरान टश सरकार
को श मदा करने को तैयार नह थे।

सुभाष बोस और अ य समाजवा दय जैसे आचाय नर दे व और जय काश


नारायण ज ह कां ेस ने वधा बैठक म भाग लेने के लए आमं त कया था ता क व भ
वचार पर चचा क जा सके यु म कसी भी प के त कोई सहानुभू त नह थी। उनक
राय म यु दोन ओर से सा ा यवा दय ारा लड़ा जा रहा था येक प अपनी
औप नवे शक संप क र ा करना और अ धक े हा सल करना चाहता था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

उप नवेश ा पत कर इस लए कसी भी प को रा वा दय का समथन नह करना


चा हए। वा तव म उ ह ने सोचा क स वनय अव ा आंदोलन शु करने का यह आदश
समय है ता क त का फायदा उठाया जा सके और टे न से आजाद छ नी जा सके ।

जवाहरलाल नेह गांधी या समाजवा दय क राय मानने को तैयार नह थे। उनके


मन म लोकतां क मू य और फासीवाद के बीच अंतर था।

उनका मानना था क याय टे न ांस और पोलड के प म था ले कन उनका


यह भी मानना था क टे न और ांस सा ा यवाद श यां थे और यह क यु थम
व यु क समा त के बाद से प रप व हो रहे पूंज ीवाद के आंत रक वरोधाभास का
प रणाम था . इस लए उ ह ने भारत के वतं होने तक कसी भी भारतीय भागीदारी क
वकालत नह क । हालाँ क उसी समय त काल स वनय अव ा आंदोलन शु करके टे न
क क ठनाई का कोई फायदा नह उठाया जाना था।

गांधी अपने ख म कमोबेश अलग थलग थे। अंत म उ ह ने नेह के ख के साथ


जाने का फै सला कया जसे कां ेस काय स म त ने अपनाया।

सीड यूसी ताव ने फासीवाद आ ामकता क नदा क ।


इसम कहा गया क i भारत य तौर पर लोकतां क वतं ता के लए लड़े जा रहे यु
म प कार नह बन सकता जब क भारत को उस वतं ता से वं चत कया जा रहा है ii
य द टे न लोकतं और वतं ता के लए लड़ रहा था तो उसे अपने उप नवेश म
सा ा यवाद को समा त करके और भारत म पूण लोकतं ा पत करके सा बत करना
चा हए iii सरकार को ज द ही अपने यु के ल य घो षत करने चा हए और यह भी
बताना चा हए क यु के बाद लोकतं के स ांत को भारत म कै से लागू कया जाएगा।

कां ेस नेतृ व वायसराय और टश सरकार को हर मौका दे ना चाहता था।

सरकार का रवैया और कां ेस


मं ालय का इ तीफा
सरकार क त या पूरी तरह नकारा मक थी. वायसराय लन लथगो ने अ टू बर
को दये अपने व म यास कया
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

कां ेस के व मु लम लीग और राजा का उपयोग करना। सरकार • ने यह कहने से परे


टश यु के उ े य को प रभा षत करने
से इनकार कर दया क टे न आ ामकता का वरोध कर रहा था • कहा गया क
यह भ व य क व ा के ह से के पम भारत म कई
समुदाय पा टय और हत के त न धय और भारतीय राजकु मार से परामश
करेगा क के अ ध नयम को कै से संशो धत कया जा सकता है • ने कहा
क वह तुरंत एक परामशदा ी स म त ा पत करेगी जसक सलाह
आव यकता पड़ने पर मांगी जा सके गी।

सरकार का छपा आ एजडा


लन लथगो का बयान कोई वपथन नह था ब क सामा य टश नी त का एक ह सा था
कां ेस से अपनी खोई ई जमीन वापस पाने के लए यु का लाभ उठाना कां ेस को
सरकार के साथ टकराव के लए उकसाना और फर असाधारण त का उपयोग करके ूर
त हा सल करना श यां.

यु क घोषणा से पहले ही के अ ध नयम म संशोधन करके ांतीय वषय के संबंध म


क के लए आपातकालीन श यां ा त कर ली गई थ । यु क घोषणा के दन ही भारत क
र ा संबंधी अ यादे श लागू कर दया गया था जससे नाग रक वतं ताएं सी मत हो ग । मई
म एक शीष गु त मसौदा ां तकारी आंदोलन अ यादे श तैयार कया गया था जसका
उ े य कां ेस पर पूव नवारक हमले शु करना था।

तब सरकार भारत म तैनात म दे श क सेना को बुला सकती थी। यह एक आ ामक कां ेस


को जापान समथक और जमनी समथक के प म च त करके पूरी नया म उदारवाद और
वामपंथी सहानुभू त भी जीत सकती है।

टश भारतीय त यावाद नी तय को टे न के धान मं ी व टन च चल और


रा य स चव ज़ेटलड से पूण समथन मला ज ह ने कां ेस को पूरी तरह से ह संगठन के
प म ांड कया।

यह हो गया क टश सरकार का यु के दौरान या उसके बाद अपनी पकड़


ढ ली करने का कोई इरादा नह था और वह कां ेस के साथ मन जैसा वहार करने को
तैयार थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

गांधी ने भारतीय जनमत के त सरकार क असंवेदनशीलता पर तीखी त या


क ...अगर टे न इसे रोक सकता है तो भारत म कोई लोकतं नह होगा।
अ पसं यक और अ य वशेष हत का ज करते ए गांधी ने कहा कां ेस अ पसं यक
अ धकार क र ा करेगी बशत वे भारत क आजाद के साथ असंगत दाव को आगे न बढ़ाएं।

कां ेस मं मंडल ने इ तीफा दे ने का फै सला कया अ टू बर


को सीड यूसी क बैठक म • वाइसरेगल के बयान को
दोहराव के प म खा रज कर दया गया।
पुरानी सा ा यवाद नी त • यु का
समथन न करने का नणय लया और • ांत म कां ेस
मं मंडल से इ तीफा दे ने का आ ान कया।

त काल जनस या ह के पर बहस अ टू बर के लन लथगो के व


के बाद त काल
जनसंघष के पर एक बार फर बहस शु हो गयी।

गांधी और उनके समथक त काल संघष के प म नह थे य क उ ह लगता था क • संब


मामला उ चत था • सां दा यक संवेदनशीलता और
ह मु लम एकता क कमी के कारण
सां दा यक दं गे हो सकते ह • कां ेस का संगठन जजर था और माहौल जनसंघष के
लए अनुकू ल नह था और

• जनता संघष के लए तैयार नह थी।


इसके बजाय उ ह ने कां ेस संगठन को मजबूत करने जनता के बीच राजनी तक काय
करने और बातचीत के ज रए समाधान क सभी संभावनाएं समा त होने तक बातचीत करने क
वकालत क । तभी संघष शु कया जाएगा।

जनवरी म लन लथगो ने कहा यु के बाद वे ट म टर क म क डो म नयन


त भारत म टश नी त का ल य है।

नवंबर म इलाहाबाद म इसक बैठक म


कां ेस व कग कमेट ने अवलोकन करते ए एक ताव पा रत कया
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

क यु क दशा और टश और ांसीसी सरकार ारा अपनाई गई नी त और वशेष प


से भारत के संबंध म टश सरकार क ओर से क गई घोषणाएं यह द शत करती ह क
वतमान यु के व यु क तरह सा ा यवाद उ े य के लए चलाया जा रहा
है और टश सा ा यवाद को भारत म जमे रहना है। ऐसे यु और इस नी त के साथ कां ेस
वयं को संब नह कर सकती है और वह इस हद तक भारत के संसाधन के शोषण को
बदा त नह कर सकती है। यह दोहराया गया क भारत क वतं ता और सं वधान सभा के
मा यम से अपना सं वधान बनाने के भारतीय के अ धकार को मा यता द जानी चा हए और
के वल ऐसी सं वधान सभा के मा यम से ही सां दा यक और अ य सम या से नपटा जा
सकता है।

माच म कां ेस का रामगढ़ अ धवेशन मौलाना अबुल कलाम आज़ाद क


अ य ता म आ। सभी इस बात पर सहमत थे क लड़ाई छे ड़ी जानी चा हए ले कन इसके
व प पर असहम त थी। फॉम और समय गांधीजी पर छोड़ने का नणय लया गया। ले कन
गांधीजी अब भी ांतीय तर पर सहयोग जारी रखने के प म थे. उ ह ने कहा क वह यु के
दौरान टश को नै तक समथन दगे ले कन अ हसक आधार पर। हालाँ क जवाहरलाल नेह
ने दोहराया क टश यु यास म कां ेस के समथन के लए भारत क पूण वतं ता एक
पूव शत होनी चा हए। सुभाष बोस ने औप नवे शक सरकार के खलाफ सीधी कारवाई के अपने
मजबूत उ वाद ख को जारी रखा और उसे वतं ता दे ने के लए सहमत होने के लए मजबूर
कया। एक बार फर उ ह ने बताया क टे न क क ठनाई को भारत के अवसर के पमज त
कया जाना था।

कां ेस ने अंततः स म घोषणा क क भारत के लोग पूण वतं ता से कम कु छ भी


वीकार नह करगे। भारतीय वतं ता शाही ढांचे के भीतर भु व या कसी अ य त के प
म नह हो सकती थी।

कां ेस के ताव म कहा गया सं भुता लोग के पास होनी चा हए चाहे वे रा य रयासत
म ह या ांत म। यह भी नणय लया गया क कां ेस संगठन बनते ही कां ेस स वनय अव ा
का सहारा लेगी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पया त प से उपयु माना जाता है या य द प र तयाँ संक ट उ प करती ह।

पा क तान संक प लाहौर माच


मु लम लीग ने एक ताव पा रत कया जसम भौगो लक प से नकटवत े जहां
मु लम ब मत म ह उ र प म पूव को वतं रा य म समू हत करने का आ ान कया
गया जसम घटक इकाइयां वाय और सं भु ह गी और जहां वे अ पसं यक ह वहां
मुसलमान के लए पया त सुर ा उपाय ह गे ।

अग त ऑफर
हटलर क आ यजनक सफलता और बे जयम हॉलड और ांस के पतन ने इं लड को सुलह
के मूड म ला दया। चूँ क यूरोप म यु ने एक नया मोड़ ले लया था मुख कां ेस नेतृ व फर
से वधा म था। गांधी और नेह दोन ने टे न क त का लाभ उठाने के वचार का कड़ा
वरोध कया।

कां ेस समझौता करने के लए तैयार थी उसने टश सरकार से यु अव ध के


दौरान एक अंत रम सरकार बनाने क मांग क ले कन सरकार को इसम कोई दलच ी नह
थी।
सरकार यु यास म भारत का सहयोग ा त करने के लए अपनी वयं क पेशकश
लेक र आई। लन लथगो ने अग त ताव अग त क घोषणा क जसम ता वत
कया गया
• भारत के लए उ े य के प म भु व का दजा • वायसराय क
कायकारी प रषद का व तार जसम अ धकांश भारतीय ह गे जो मुख राजनी तक
दल से लये जायगे • यु के बाद एक सं वधान सभा क ापना जहां मु य
प से भारतीय अपनी सामा जक आ थक और
राजनी तक अवधारणा के अनुसार सं वधान का फै सला करगे जो र ा अ पसं यक
अ धकार रा य के साथ सं धय अ खल भारतीय सेवा के संबंध म सरकार
के दा य व को पूरा करने के अधीन होगा और • भ व य म कोई भी सं वधान
अ पसं यक क सहम त के बना नह अपनाया जाएगा।
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

त याएँ कां ेस ने
अग त ताव को अ वीकार कर दया। नेह ने कहा डो म नयन टे टस क अवधारणा एक
डोरनेल के प म मृत है। गांधीजी ने कहा क इस घोषणा ने रा वा दय और टश शासक
के बीच क खाई को चौड़ा कर दया है।

मु लम लीग ने लीग को दए गए वीटो आ ासन का वागत कया और अपनी त


दोहराई क वभाजन ही ग तरोध का एकमा समाधान था।

मू यांक न
पहली बार अपना सं वधान बनाने के भारतीय के अंत न हत अ धकार को मा यता द गई और
एक सं वधान सभा क कां ेस क मांग को वीकार कर लया गया। डो म नयन टे टस क
पेशकश क गई थी।

जुलाई म पहली बार भारतीय को म से का ब मत दे ने के लए वायसराय


क कायकारी प रषद का व तार कया गया ले कन टश र ा व और गृह के भारी बने
रहे। साथ ही वशु प से सलाहकारी काय के साथ एक रा ीय र ा प रषद क ापना
क गई।

गत स या ह
सरकार ने इस बात पर अ ड़यल ख अपना लया था क जब तक कां ेस मु लम नेता के
साथ समझौता नह कर लेती तब तक कोई संवैधा नक ग त नह हो सकती। इसने एक के
बाद एक अ यादे श जारी कर भाषण और ेस क वतं ता और संघ को संग ठत करने के
अ धकार को छ न लया।

के अंत म कां ेस ने एक बार फर गांधीजी से कमान संभालने को कहा। गांधी


ने अब ऐसे कदम उठाने शु कर दए जो उनके ापक रणनी तक प र े य म एक जन संघष
को ज म दगे। उ ह ने एक सी मत पहल करने का नणय लया

जून जमनी ने स पर हमला कया और स को इसम घसीटा गया


यु ।
दसंबर जापान ने पल हाबर पर हमला कया।
माच लगभग पूरे द ण पूव ए शया पर क ज़ा करने के बाद जापान ने रंगून पर क ज़ा कर
लया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

येक इलाके म कु छ चय नत य ारा गत आधार पर स या ह।

गत स या ह शु करने के उ े य थे i यह दखाना क रा वाद धैय कमजोरी


के कारण नह था ii लोग क इस भावना को करना क उ ह यु म कोई दलच ी
नह है और वे नाज़ीवाद और भारत पर शासन करने वाली दोहरी नरंकु शता के बीच कोई अंतर
नह करते ह और iii सरकार को शां तपूवक कां ेस क मांग को वीकार करने का एक और
अवसर दे ना।

स या ही क मांग यु वरोधी घोषणा के मा यम से यु के व अभ क


वतं ता होगी। य द सरकार ने स या हय को गर तार नह कया तो वे न के वल इसे
दोहराएंगे ब क गांव म चले जाएंगे और द ली क ओर माच शु करगे इस कार एक
आंदोलन शु होगा जसे द ली चलो आंदोलन के प म जाना जाता है।

वनोबा भावे स या ह क पेशकश करने वाले पहले थे और नेह सरे। मई


तक लोग को गत स वनय अव ा के लए दोषी ठहराया गया था।

गांधी ने नेह को अपना बताया


उ रा धकारी
दसंबर म जापान क आ ामक कारवाइय के बीच रहा कए गए कां ेस नेता भारतीय
े क र ा करने और म रा क सहायता के लए उ सुक थे। सीड यूसी ने गांधी और
नेह क आप य को खा रज कर दया और भारत क र ा म सरकार के साथ सहयोग करने
क पेशकश करते ए एक ताव पा रत कया य द i यु के बाद पूण वतं ता द गई थी
और ii स ा का सार तुरंत ह तांत रत कर दया गया था।

यही वह समय था जब गांधीजी ने नेह को अपने चुने ए उ रा धकारी के पम


ना मत कया।
नेह और गांधी आधु नकता धम ई र रा य और औ ोगीकरण के त वभाव
और कोण म भ थे।
नेह धम के त उदासीन थे गांधी ई र के अपने सं करण म गहराई से व ास करते थे
नेह का मानना था क औ ोगीकरण
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

भारत क ती और ापक गरीबी का एकमा समाधान था जब क गांधी ने ामीण


अथ व ा को पुनज वत करने का आ ान कया था। नेह समाज के उ ान और सुधार के
लए आधु नक रा य क श य म व ास करते थे जब क गांधी रा य क श पर संदेह
करते थे इसके बजाय वे य और समुदाय क अंतरा मा और इ ा पर भरोसा करते थे।
इतने सारे मतभेद होने के बावजूद नेह गांधी का आदर करते थे और बदले म गांधी अपने
बेट से भी अ धक नेह पर व ास करते थे। श क और श य दोन म मूलभूत समानताएँ
थ एक समावेशी अथ म दे शभ यानी वे कसी वशेष जा त भाषा े या धम के बजाय
सम प से भारत क पहचान करते थे। दोन अ हसा और सरकार के लोकतां क व प म
व ास करते थे।

राजमोहन गांधी ने अपनी पु तक द गुड बोटमैन म लखा है क गांधीजी ने वक प


क तुलना म नेह को ाथ मकता द य क उ ह ने भारत के ब लवाद समावेशी वचार को
सबसे व सनीय प से त ब बत कया जसके लए महा मा वयं खड़े थे। वक प पटे ल
राजाजी आज़ाद कृ पलानी राज साद के कु छ हद तक अनुभागीय हत और संब ताएँ
थ । ले कन नेह एक ह थे जन पर मुसलमान भरोसा कर सकते थे एक उ र भारतीय थे
जनका द ण भारत म स मान कया जाता था और एक ऐसे थे जनक म हलाएं शंसा
करती थ । गांधी क तरह नेह वा तव म एक अ खल भारतीय नेता थे ज ह ने भारतीय को
आशा द क वे एक अ धक समृ और शां तपूण समाज का नमाण कर सकते ह।

स मशन
माच म टै फ़ ोड स क अ य ता म एक मशन को यु के लए भारतीय समथन
ा त करने के लए संवैधा नक ताव के साथ भारत भेज ा गया था। टै फ़ ोड स एक
वामपंथी लेबराइट हाउस ऑफ़ कॉम स के नेता और टश यु मं मंडल के सद य थे
ज ह ने स य प से भारतीय रा ीय आंदोलन का समथन कया था।

स मशन य भेज ा गया • द ण पूव ए शया म टे न


ारा झेले गए पराजय के कारण भारत पर आ मण करने का जापानी खतरा अब
वा त वक लग रहा था और भारतीय समथन मह वपूण हो गया था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• टे न पर म रा यूएसए यूएसएसआर चीन क ओर से भारतीय सहयोग लेने


का दबाव था। • भारतीय रा वाद म दे श का समथन करने के
लए सहमत ए थे य द पया त श तुरंत ह तांत रत कर द जाए और यु के बाद
पूण वतं ता दे द जाए।

मु य ताव मशन के मु य
ताव इस कार थे।
. डो म नयन त वाला एक भारतीय संघ ा पत कया जाएगा यह रा मंडल के
साथ अपने संबंध पर नणय लेने के लए वतं होगा और संयु रा और अ य अंतररा ीय
नकाय म भाग लेने के लए वतं होगा।

. यु क समा त के बाद नया सं वधान बनाने के लए एक सं वधान सभा बुलाई


जाएगी। इस सभा के सद य को आं शक प से ांतीय वधानसभा ारा आनुपा तक
त न ध व के मा यम से चुना जाएगा और आं शक प से राजकु मार ारा ना मत कया
जाएगा।

. टश सरकार नए सं वधान को दो शत के अधीन वीकार करेगी i कोई भी


ांत जो संघ म शा मल होने का इ ु क नह है वह एक अलग सं वधान बना सकता है और
एक अलग संघ बना सकता है और ii नया सं वधान बनाने वाली सं ा और टश सरकार
स ा ह तांतरण को भा वत करने और न लीय और धा मक अ पसं यक क सुर ा के लए
एक सं ध पर बातचीत करेगा।

. इस बीच भारत क र ा टश हाथ म रहेगी और गवनर जनरल क श याँ


बरकरार रहगी।

अतीत से ान और न हताथ ये ताव कई मायन म अतीत म पेश कए गए ताव


से भ थे • सं वधान का नमाण अब पूरी तरह से भारतीय हाथ म होना था और मु य प
से भारतीय
हाथ म नह जैसा क अग त ताव म न हत है . • सं वधान सभा के लए एक
ठोस योजना दान क गई। • कसी भी ांत के लए वक प उपल था

अलग सं वधान भारत के वभाजन का खाका।


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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

• वतं भारत रा मंडल से हट सकता था। • अंत रम काल म भारतीय को शासन


म बड़ी ह सेदारी क अनुम त द गई।

स मशन य वफल रहा स मशन के ताव


भारतीय रा वा दय को संतु करने म वफल रहे और के वल अमे रका और ची नय के
उपभोग के लए एक चार उपकरण बनकर रह गए। व भ दल और समूह को व भ
ब पर ताव पर आप थी कां ेस ने न न ल खत पर आप जताई i एक
ावधान के बजाय डो म नयन टे टस क पेशकश

पूण वतं ता के लए
ii नवा चत त न धय ारा नह ब क नामां कत य ारा रयासत का
त न ध व iii ांत को अलग होने का अ धकार
य क यह रा ीय एकता के स ांत के व था और iv स ा के त काल
ह तांतरण के लए कसी योजना का अभाव और
र ा म कसी वा त वक ह सेदारी का अभाव गवनर जनरल क सव ता बरकरार
रखी गई थी और यह मांग वीकार नह क गई थी क गवनर जनरल के वल
संवैधा नक मुख होगा।

नेह और मौलाना आज़ाद कां ेस के आ धका रक वाताकार थे।

मु लम लीग i ने एकल
भारतीय संघ के वचार क आलोचना क ii उ ह सं वधान सभा के
नमाण क मशीनरी और ांत के संघ म वलय पर नणय लेने क या पसंद
नह थी और iii सोचा क ताव ने मुसलमान को आ म नणय और
पा क तान के नमाण के अ धकार से वं चत कर दया।

अ य समूह ने भी ांत के अलग होने के अ धकार पर आप जताई। उदारवा दय


ने अलगाव ताव को भारत क एकता और सुर ा के व माना। ह महासभा ने अलग
होने के अ धकार के आधार क आलोचना क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

द लत वग ने सोचा क वभाजन उ ह उ जा त के ह क दया पर छोड़ दे गा। सख ने


आप जताई क वभाजन से पंज ाब उनसे छ न जाएगा।

यह ीकरण क ताव का उ े य अग त ताव का ान लेना नह था ब क


सामा य ावधान को सट कता के साथ जोड़ना था टश इराद पर संदेह पैदा करता था।

स क मसौदा घोषणा से आगे जाने म असमथता और कठोर इसे ले लो या छोड़


दो रवैया अपनाने से ग तरोध और बढ़ गया। स ने पहले कै बनेट और रा ीय सरकार
क बात क थी ले कन बाद म उ ह ने कहा क उनका आशय के वल कायकारी प रषद के व तार
से था।

प र हण क या अ तरह से प रभा षत नह थी। अलगाव पर नणय वधा यका


म तशत ब मत से एक ताव ारा लया जाना था। य द तशत से कम सद य ने
इसका समथन कया तो नणय उस ांत के वय क पु ष के जनमत सं ह ारा साधारण
ब मत से लया जाना था। यह योजना पंज ाब और बंगाल के उन ह के ख़लाफ़ थी जो
भारतीय संघ म शा मल होना चाहते थे।

और कौन लागू करेगा यह नह था


स ा के ह तांतरण को भा वत करने वाली सं ध क ा या कर।
च चल टश धान मं ी अमेरी रा य स चव लन लथगो वायसराय और वाड
कमांडर इन चीफ ने लगातार स के यास को वफल कर दया।

वायसराय के वीटो के पर वाता टू ट गयी।


गांधी ने इस योजना को उ र दनां कत चेक के प म व णत कया नेह ने
बताया क मौजूदा संरचना और नरंकु श श यां बनी रहगी और हमम से कु छ लोग वायसराय
के अनुयायी बन जाएंगे और कट न वगैरह क दे ख भाल करगे ।

टै फ़ ोड स नराश और श मदा भारतीय लोग को छोड़कर घर लौट आए जो अभी


भी फासीवाद आ ामकता के पी ड़त के त सहानुभू त रखते थे उ ह लगा क दे श म मौजूदा
त असहनीय हो गई है और सा ा यवाद पर अं तम हमले का समय आ गया है।
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तीय व यु के म े नजर रा वाद त या

वचार म
टश सा ा य के प रसमापन क अ य ता करने वाला महाम हम का पहला मं ी नह बना ं।

व टन च चल

स क पेशकश ने वा तव म हम कु छ नह दया। य द हमने उसका ताव वीकार कर लया तो


भ व य म हमारे पास इस पर पछताने का कारण हो सकता है। य द अं ेज अपनी बात से मुक र गए तो
हमारे पास नया संघष शु करने का कोई औ च य नह रह जाएगा। यु ने भारत को अपनी वतं ता
ा त करने का अवसर दया था। हम महज वादे पर नभर होकर इसे नह खोना चा हए।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

सारांश • तीय
व यु पर कां ेस का ख
यह यु यास म सहयोग करेगा य द
i यु के बाद आज़ाद द गई। ii कसी कार क
वा त वक प से ज मेदार सरकार तुरंत ा पत क गई।

सतंबर तीय व यु छड़ गया और टे न

यु के लए भारत के समथन क घोषणा क ।


सतंबर वधा म सीड यूसी क बैठक म
गांधीजी टे न के यु को बना शत समथन के प म थे
यास।
सुभाष बोस और वामपंथी टे न क क ठनाइय का फायदा उठाने और उप नवेशवाद को उखाड़
फकने के लए एक जन आंदोलन शु करने के प म थे।

नेह यु क सा ा यवाद कृ त को पहचानते थे ले कन टे न क क ठनाइय का फायदा


उठाने के खलाफ थे यहाँ तक क वे यु म भारतीय भागीदारी के भी खलाफ थे।

सीड यूसी ने नणय लया जब तक वतं ता नह द जाती कोई भारतीय भागीदारी नह


करेगा सरकार को अपने यु ल य शी घो षत करने चा हए।

• लन लथगो का व अ टू बर
टे न का यु उ े य आ ामकता का वरोध करना है।
भ व य के लए अ ध नयम को संशो धत करने के लए सभी हत समूह से परामश कया जाना है।

सलाह दे ने वाले काय के लए तुरंत एक परामशदा ी स म त का गठन कया जाना है।


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• कां ेस क त या
यु म कोई भारतीय समथन नह
ांत म कां ेस मं मंडल को इ तीफा दे ना होगा
ले कन त काल कोई जनसंघष शु नह कया जाएगा

• माच
मु लम लीग के लाहौर अ धवेशन म पा क तान ताव पा रत आ

• अग त ताव अग त
डो म नयन टे टस द घका लक उ े य होगा यु के बाद सं वधान सभा का
गठन कया जाएगा जसम मु य प से भारतीय अ पसं यक क सहम त होगी जो भ व य म कसी
भी समझौते के लए
आव यक होगी।
कां ेस ने ताव खा रज कर दया

• अ टू बर
कां ेस ने शु कया गत स या ह स या हय ने गर तारी द

• माच
जापान लगभग पूरे द ण पूव ए शया पर क ज़ा करने के बाद रंगून प ँचता है।

• स मशन माच
यह ऑफर करता है
डो म नयन टे टस वाला एक भारतीय संघ जसके पास रा मंडल से हटने का अ धकार है। यु
के बाद सं वधान बनाने के लए
ांतीय वधानसभा ारा चुनी गई एक सं वधान सभा।

संघ म शा मल होने के इ ु क कसी भी ांत को टे न के साथ अलग समझौता करने क वतं ता।

इस बीच भारत क र ा टश हाथ म रहेगी।


कां ेस को गवनर जनरल क सव ता
को बनाए रखने के लए स ा के
त काल ह तांतरण को अलग करने के ांत के
भु व दज के अ धकार पर आप है।

मु लम लीग को आप है पा क तान को
प से सं वधान सभा के नमाण के लए मशीनरी क पेशकश नह
क जा रही है।
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग


और आईएनए

भारत छोड़ो आंदोलन


स के जाने के बाद गांधी ने टश वापसी और कसी भी जापानी आ मण के खलाफ अ हसक
असहयोग आंदोलन का आ ान करते ए एक ताव तैयार कया। वधा म सीड यूसी क बैठक
जुलाई ने संघष के वचार को वीकार कया।

अभी संघष य शु कर
कारण कई थे
. संवैधा नक ग तरोध को हल करने म स मशन क वफलता ने संवैधा नक ग त पर
टे न के अप रव तत रवैये को उजागर कया और यह कर दया क अब और चु पी भारतीय के
भा य का फै सला करने के टश अ धकार को उनसे परामश कए बना वीकार करने के समान होगी।

. बढ़ती क मत और चावल नमक आ द क कमी और बंगाल और उड़ीसा म नाव क


कमान जैसे कारक के कारण लोक य असंतोष था। इस बात क आशंक ा थी क टे न असम बंगाल
और उड़ीसा म जापान क संभा वत बढ़त के खलाफ झुलसी ई पृ वी नी त अपनाएगा।

.द ण पूव ए शया म अं ेज क पराजय और आस टश पतन क खबर ने असंतोष


को अ भ दे ने क लोक य इ ा को बढ़ाया। जापानी सै नक भारत क सीमा के नकट आ रहे
थे। टश शासन क रता म लोग का व ास इतना कम था क लोग बक और डाकघर से जमा
रा श नकाल रहे थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

. जस तरह से टश द ण पूव ए शया से अपनी जा को उनके भा य पर छोड़कर


चले गए दो सड़क दान क ग भारतीय शरणा थय के लए लैक रोड और वशेष प से
यूरोपीय शरणा थय के लए हाइट रोड और एक ए शयाई ारा यूरोपीय श का पराभव
स ा ने ेत त ा को न कर दया और द ण पूव ए शया म भारतीय जा के त टश
वहार ने शासक के न लवाद रवैये को उजागर कर दया।

. नेतृ व जनता को इसके लए तैयार करना चाहता था


संभा वत जापानी आ मण.

भारत छोड़ो ताव जुलाई म कां ेस काय


स म त क वधा म बैठक ई और नणय लया गया क वह गांधीजी को अ हसक जन आंदोलन
क कमान संभालने के लए अ धकृ त करेगी। इस ताव को आम तौर पर भारत छोड़ो
संक प के प म जाना जाता है। जवाहरलाल नेह ारा ता वत और सरदार पटे ल ारा
सम थत इसे अग त म बॉ बे म अ खल भारतीय कां ेस कमेट क बैठक म अनुमो दत कया
जाना था।

अग त को गोवा लया टक बॉ बे म कां ेस क बैठक म भारत छोड़ो ताव


को मंज ूरी द गई। बैठक म • भारत म टश शासन को त काल समा त करने क मांग करने
का भी संक प लया गया। • वतं
भारत क अपनी र ा हेतु तब ता क घोषणा कर

सभी कार के फासीवाद और सा ा यवाद के व ।• टश वापसी


के बाद भारत क एक अ ायी सरकार बनाई गई। • के व स वनय अव ा
आ दोलन को
मंज ूरी द
टश शासन।
गांधीजी को संघष का नेता ना मत कया गया।

व भ वग के लए गांधीजी के सामा य नदश गांधीजी के वशेष


नदश गोवा लया टक बैठक म
बताए गए थे ले कन वा तव म जारी नह कए गए थे। उ ह समाज के व भ वग पर नद शत
कया गया था।
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

• सरकारी कमचारी इ तीफा न द ब क कां ेस के त अपनी न ा घो षत कर। •


सै नक सेना मत छोड़ो ले कन हमवतन लोग पर
गोली मत चलाओ। • छा आ म व ास है तो पढ़ाई छोड़ दो। • कसान य द जम दार
सरकार वरोधी ह
तो आपसी सहम त से लगान द और य द जम दार सरकार
समथक ह तो लगान न द।

• राजकु मार जनता का समथन कर और सं भुता वीकार कर


आपके लोग का.
• रयासत के लोग शासक का तभी समथन कर जब वह सरकार वरोधी हो और वयं
को भारतीय रा का ह सा घो षत कर।

गांधी ने अब स उपदे श का पालन कया यहां एक मं है एक छोटा सा जो म


आपको दे ता ं। आप इसे अपने दल पर अं कत कर सकते ह और अपनी हर सांस को इसक
अभ दे सकते ह। मं है करो या मरो . हम या तो भारत को आज़ाद करायगे या इस
यास म मर जायगे हम अपनी गुलामी को कायम रहने को दे ख ने के लए जी वत नह रहगे।

आंदोलन का सार
गांधीजी ने गत स वनय अव ा आंदोलन या स या ह संगठना मक सुधार और लगातार
चार अ भयान के मा यम से सावधानीपूवक ग त का नमाण कया था। हालाँ क सरकार
कां ेस के साथ बातचीत करने या आंदोलन के औपचा रक प से शु होने क ती ा करने
के मूड म नह थी।

अग त के शु आती घंट म एक ही झटके म कां ेस के सभी शीष नेता


को गर तार कर लया गया और अ ात ान पर ले जाया गया। कां ेस काय स म त अ खल
भारतीय कां ेस स म त और ांतीय कां ेस स म तय को के आपरा धक कानून संशोधन
अ ध नयम के तहत गैरकानूनी संघ घो षत कया गया था। भारत क र ा नयम के नयम
के तहत सावज नक बैठक क सभा न ष थी। ा पत नेता को हटाने से युवा और
उ वाद त व को अपनी पहल पर छोड़ दया गया। मुख नेता के त वीर से बाहर होने के
साथ युवा अ णा आसफ अली
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

तब तक अपे ाकृ त अ ात ने अग त को कां ेस कमेट के स क अ य ता क और


झंडा फहराया।

जनता उ हो गई आम जनता ने
स ा के तीक पर हमला कया और सावज नक भवन पर जबरन रा ीय झंडे फहराए।
स या हय ने खुद को गर तार करने क पेशकश क पुल को उड़ा दया गया रेलवे ै क
हटा दए गए और टे ली ाफ लाइन काट द ग । इस कार क ग त व ध पूव संयु ांत
और बहार म सबसे ती थी। छा ने कू ल और कॉलेज म हड़ताल करके जुलूस म भाग
लेक र अवैध समाचार प प काएँ लखकर और वत रत करके और भू मगत नेटवक के
लए संदेशवाहक के प म काय करके त या क । अहमदाबाद ब बई जमशेदपुर
अहमदनगर और पूना म मज र हड़ताल पर चले गये।

भू मगत ग त व धयाँ कई रा वाद


भू मगत हो गए और व वंसक ग त व धयाँ अपना ल । इन ग त व धय म भाग लेने वाले
बंबई पूना सतारा बड़ौदा और गुज रात कनाटक के रल आं संयु ांत बहार और
द ली के अ य ह स म समाजवाद फॉरवड लॉक के सद य गांधी आ मवासी
ां तकारी रा वाद और ानीय संगठन थे। भू मगत ग त व ध अपनाने वाले मुख व
थे राममनोहर लो हया जय काश नारायण अ णा आसफ अली उषा मेहता बीजू
पटनायक छोटू भाई पुरा णक अ युत पटवधन सुचत
े ा कृ पलानी और आरपी गोयनका। उषा
मेहता ने ब बई म एक भू मगत रे डयो शु कया। भू मगत ग त व ध के इस चरण का उ े य
ह थयार और गोला बा द को वत रत करने के लए कमांड और मागदशन क एक पं
दान करके लोक य मनोबल बनाए रखना था।

दे ख ना
. . . हालाँ क अ हसा क आव यकता हमेशा दोहराई जाती थी गांधी का करो या मरो का मं गांधी के उ वाद मूड का

त न ध व करता है।

सु मत सरकार
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

समानांतर सरकार
कई ान पर समानांतर सरकार ा पत क ग
• ब लया अग त म एक स ताह के लए च ू के अधीन
पांडे। उ ह ने कई कां ेसी नेता को रहा करवाया।
• तमलुक मदनापुर दसंबर से सतंबर तक जातीय सरकार ने च वात
राहत काय कया कू ल को अनुदान वीकृ त कया अमीर से गरीब तक धान क आपू त क
व ुत वा हनी का आयोजन कया आ द ।

• सतारा म य से जसका नाम त सरकार था वाईबी च हाण


नाना पा टल आ द जैसे नेता के तहत आयो जत कया गया था।
ाम पु तकालय और यायदान मंडल का आयोजन कया गया नषेध अ भयान चलाए गए और
गांधी ववाह का आयोजन कया गया।

वसा यय दान आ य और साम ी सहायता के मा यम से छा कू रयर के प


म काय करके साधारण ामीण ा धकरण को जानकारी दे ने से इनकार करके पायलट और
े न ाइवर बम और अ य साम ी प ंचाकर और पु लस स हत सरकारी अ धका रय ारा
स य सहायता दान क गई थी। ज ह ने कायकता को गु त सूचनाएं द ।

सामू हक भागीदारी क सीमा


भागीदारी कई तर पर थी.
युवा खासकर कू ल कॉलेज के छा सबसे आगे रहे.

म हला वशेषकर कू ल और कॉलेज क लड़ कय ने स य प से भाग लया


जनम अ णा आसफ अली सुचेता कृ पलानी और उषा मेहता शा मल थ ।

मक ने हड़ताल क और दमन का सामना कया।


सभी वग के कसान आंदोलन के क म थे।
यहाँ तक क कु छ जम दार ने भी भाग लया। इन कसान ने अपना आ मण स ा के तीक पर
क त कर दया और जम दार वरोधी हसा का पूण अभाव था।

सरकारी अ धका रय वशेष प से पु लस और शासन म नचले तर से संबं धत


लोग ने भाग लया जसके प रणाम व प सरकार क वफादारी म कमी आई।

मुसलमान ने भू मगत आ य दे क र सहायता क


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कायकता. आंदोलन के दौरान कोई सां दा यक झड़प नह ई।

क यु न ट आंदोलन म शा मल नह ए स जहां क यु न ट स ा म थे पर नाजी


जमनी ारा हमला कए जाने के म े नजर क यु न ट ने जमनी के खलाफ टश यु का
समथन करना शु कर दया और सा ा यवाद यु पीपु स वॉर बन गया।

मु लम लीग ने इस आंदोलन का वरोध कया उसे डर था क अगर उस समय अं ेज


भारत छोड़ दगे तो अ पसं यक पर ह ारा अ याचार कया जाएगा।

ह महासभा ने आंदोलन का ब ह कार कया।


रयासत ने धीमी त या दखाई।

सरकारी दमन
हालाँ क माशल लॉ लागू नह कया गया था दमन गंभीर था। आंदोलनकारी भीड़ पर लाठ चाज
कया गया आंसू गैस छोड़ी गई और गोलीबारी क गई। मारे गए लोग क सं या आंक
गई है।
ेस का मुंह बंद कर दया गया. सेना ने कई शहर पर क ज़ा कर लया पु लस और गु त सेवा ने
सव शासन कया। व ोही गांव पर भारी जुमाना लगाया गया और कई गांव म सामू हक कोड़े
मारे गये।

अनुमान • नेता
के बना रहने पर कोई संयम नह रहा और हसा आम हो गई।

• आंदोलन के मु य तूफ ान क पूव संयु ांत बहार मदनापुर महारा कनाटक


म थे। • छा मक और कसान आंदोलन क रीढ़ थे जब क उ वग और नौकरशाही काफ
हद तक वफादार रहे। • सरकार के त वफादारी म काफ कमी आई।

इससे यह भी पता चला क रा वाद कतनी गहराई तक प ँच गया है।


• इस आंदोलन ने यह स य ा पत कर दया क भारतीय क इ ा के बना भारत पर
शासन करना अब संभव नह है। • सहजता का त व पहले क तुलना म अ धक था हालां क
नदश क सीमा के अधीन कु छ हद तक लोक य पहल को नेतृ व ारा ही मंज ूरी
द गई थी। इसके अलावा कां ेस वैचा रक प से
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

लंबे समय से राजनी तक और संगठना मक तौर पर संघष क तैयारी कर रहे ह। • बड़ा मह व


यह था क इस
आंदोलन ने वतं ता क मांग को रा ीय आंदोलन के ता का लक एजडे पर रखा।
भारत छोड़ो के बाद कोई पीछे नह हट सकता था।

• इस संघष म आम लोग ने अ तीय वीरता और जुझ ा पन का दशन कया। उ ह


जस दमन का सामना करना पड़ा वह सबसे ू र था और जन प र तय म तरोध क
पेशकश क गई थी वे सबसे तकू ल थ ।

गांधीजी उपवास करते ह


फरवरी म गांधी ने हसा क नदा करने के सरकार के आ ान के जवाब म उपवास शु
कया यह उपवास रा य क हसा के ख़लाफ़ था। उपवास क खबर पर लोक य त या
त काल और जबरद त थी। हड़ताल दशन और हड़ताल के मा यम से दे श और वदे श म
वरोध दशन आयो जत कये गये। वायसराय क कायकारी प रषद के तीन सद य ने इ तीफा
दे दया। उपवास से न न ल खत उपल हा सल ई • जनता का मनोबल बढ़ाया गया। •
टश वरोधी भावना ती हो गयी। • राजनी तक ग त व ध का अवसर दान कया गया। •
सरकार क मनमानी उजागर ई।

गांधीजी अपने वरो धय पर हावी हो गये और उ ह ने ऐसा करने से इनकार कर दया


मरकर उपकृ त करो.
माच को पा क तान दवस मनाया गया।

का अकाल
के अकाल से यु क भयावहता और असु वधाएँ बढ़ ग । सबसे अ धक भा वत े
द ण प म बंगाल थे जनम तमलुक क ताई डायमंड हाबर े ढाका फरीदपुर टपपेरा
और नोआखली शा मल थे। इस मूल प से मानव न मत अकाल महामारी मले रया हैज ा
चेचक कु पोषण और भुख मरी म लगभग . से म लयन लोग मारे गए। अकाल के मूल
कारण इस कार थे।
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. वशाल सेना को व वध कार के खा पदाथ खलाने क आव यकता।


. बमा और द ण पूव ए शया से चावल का आयात बंद कर दया गया।

. घोर कु बंधन और जानबूझ कर मुनाफ़ाखोरी के कारण अकाल क त और


गंभीर हो गई राश नग के तरीक म दे री ई और वे बड़े शहर तक ही सी मत थे।

राजगोपालाचारी फॉमूला
इस बीच चल रहे संवैधा नक संक ट को हल करने के यास चल रहे थे और कु छ य ने
संवैधा नक ताव लाने का भी यास कया।

कां ेस के व र नेता
फॉमूला सी. राजगोपालाचारी सीआर ने म कां ेस लीग सहयोग के लए एक
फॉमूला तैयार कया। यह लीग क पा क तान क मांग क मौन वीकृ त थी। गांधीजी ने इस
फामूले का समथन कया. सीआर योजना के मु य ब थे • मु लम लीग ारा कां ेस क
वतं ता क मांग का समथन करना। • लीग क म अ ायी सरकार बनाने म कां ेस का
सहयोग करेगी। • यु क
समा त के बाद उ र प म और उ र पूव भारत के मु लम ब ल े क पूरी
आबाद जनमत सं ह
ारा यह नणय लेगी क एक अलग सं भु रा य बनाया जाए या नह । • वभाजन क
वीकृ त के मामले म र ा वा ण य संचार आ द क
सुर ा के लए संयु प से समझौता कया जाना चा हए। • उपरो शत के वल तभी
भावी ह गी जब इं लड ने भारत को पूण श याँ ह तांत रत कर द ।

आप याँ ज ा
चाहते थे क कां ेस रा स ांत को वीकार कर ले।
वह चाहते थे क जनमत सं ह म के वल उ र प म और उ र पूव के मुसलमान ही वोट कर
पूरी आबाद नह । उ ह ने साझा क के वचार का भी वरोध कया।
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जब क कां ेस भारतीय संघ क वतं ता के लए लीग के साथ सहयोग करने के लए


तैयार थी लीग को संघ क वतं ता क परवाह नह थी। इसक च के वल एक अलग रा म
थी।

वीर सावरकर के नेतृ व म ह नेता ने सीआर योजना क नदा क ।

दे साई लयाकत समझौता


ग तरोध ख म करने क को शश जारी रह . क य वधान सभा म कां ेस पाट के नेता भूलाभाई
दे साई ने उस वधानसभा म मु लम लीग के उप नेता लयाकत अली खान से मुलाकात क और
वे दोन क म अंत रम सरकार के गठन के लए मसौदा ताव लेक र आए। को मलाकर

• के य वधा यका म कां ेस तथा लीग ारा समान सं या म मनोनीत कये


जाते थे। • अ पसं यक के लए सीट आर त।

इन पं य पर कां ेस और लीग के बीच कोई समझौता नह हो सका ले कन त य


यह है क कां ेस और लीग के बीच एक कार क समानता का नणय लया गया था इसके
रगामी प रणाम ए।

वेवेल योजना
हालाँ क मई म यूरोप म यु समा त हो गया ले कन जापानी खतरा अभी भी बना आ
था। टे न म च चल के नेतृ व वाली कं जव टव सरकार भारत म संवैधा नक पर समाधान
तक प ंचने क इ ु क थी। वायसराय लॉड वेवेल को भारतीय नेता के साथ बातचीत शु
करने क अनुम त द गई। जून म कां ेस नेता को जेल से रहा कर दया गया।

सरकार इसके लए उ सुक य थी


समाधान अभी
. इं लड म आम चुनाव के म य म नधा रत कये गये थे। ढ़वाद कसी
समाधान तक प ँचने के त ईमानदार दखना चाहते थे।
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. म रा क ओर से आगे बढ़ने का दबाव था


यु म भारत का सहयोग.
. सरकार भारतीय ऊजा को टश के लए अ धक लाभदायक चैनल म लगाना
चाहती थी।

योजना नए
सं वधान क तैयारी तक गवनर जनरल क कायकारी प रषद का पुन नमाण करने का वचार
था। इस उ े य से जून म वायसराय लाड वेवेल ारा शमला म एक स मेलन बुलाया
गया। वेवेल योजना के मु य ताव इस कार थे।

• गवनर जनरल और कमांडर इन चीफ को छोड़कर कायकारी प रषद के सभी सद य


भारतीय होने थे। • जा त के ह और मुसलमान को समान त न ध व मलना था।

• पुन न मत प रषद को अ ध नयम के ढांचे के भीतर एक अंत रम सरकार के


प म काय करना था अथात् क य वधानसभा के त उ रदायी नह ।

• गवनर जनरल को मं य क सलाह पर अपने वीटो का योग करना था। • कायकारी


प रषद म नामांक न हेतु व भ
दल के त न धय को एक संयु सूची वायसराय को तुत करनी थी। य द संयु
सूची संभव नह थी तो अलग अलग सू चयाँ तुत क जानी थ । • बातचीत के लए संभावनाएं
खुली रखनी थ

अंततः यु जीतने के बाद एक नए सं वधान पर।

मु लम लीग का ख
लीग चाहती थी क सभी मु लम सद य लीग के उ मीदवार बन य क उसे डर था क चूं क
अ य अ पसं यक द लत वग सख ईसाई आ द के उ े य कां ेस के समान थे इस लए
यह व ा लीग को एक कर दे गी। तीसरा अ पसं यक. वेवेल ख हयात खान को प मी
पंज ाब से मु लम त न ध के प म चाहते थे। लीग ने प रषद म मुसलमान के वरोध वाले
नणय के लए कसी कार के वीटो का दावा कया जसके अनुमोदन के लए दो तहाई
ब मत क आव यकता थी।
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कां ेस का ख कां ेस ने इस
योजना पर आप जताते ए इसे कां ेस को एक वशु जातीय ह पाट का दजा दे ने का
यास बताया और अपने उ मीदवार म सभी समुदाय के सद य को शा मल करने के अपने
अ धकार पर जोर दया ।

वेवेल क गलती वेवेल ने वाता


टू टने क घोषणा क और इस तरह लीग को एक आभासी वीटो का अ धकार मल गया। इससे
लीग क त मजबूत ई जैसा क के चुनाव से था और ज ा क त
को बढ़ावा मला और च चल क कं जव टव सरकार का असली च र उजागर कर दया।

भारतीय रा ीय सेना और सुभाष बोस

सुभाष चं बोस एक नडर थे। उ ह ने हमेशा उ वाद ख दखाया था और यूरोपीय


लोग ारा भारतीय के कसी भी अपमान पर हसक त या क थी। उ ह ने भारतीय
स वल सेवा परी ा म चौथा ान हा सल करते ए उ ीण क ले कन कां ेस के सद य
बनकर वतं ता सं ाम म शा मल होने के लए म सेवा से इ तीफा दे दया। उनके
राजनी तक गु चतरंज न दास थे। म वे कलक ा के मेयर बने।

अं ेज ने उ ह कई बार जेल भेज ा। एक बार जब सुभाष चं बोस को यह हो गया क वह


गांधी के रा ते पर नह चल सकते ले कन कां ेस गांधी का अनुसरण करने के लए ढ़ है तो
बोस ने वतं ता के लए लड़ने के लए अपने रा ते पर चलने का फै सला कया।

माच म बोस ने रामगढ़ म एक समझौता वरोधी स मेलन बुलाया यह फॉरवड


लॉक और कसान सभा का संयु यास था। स मेलन म यह नणय लया गया क रा ीय
स ताह के पहले दन अ ैल को एक व ापी संघष शु कया जाना चा हए जसम लोग
से आ ान कया जाए क वे कसी भी संसाधन आदमी धन या साम ी से सा ा यवाद यु
म मदद न कर। उ ह ने भारतीय संसाधन के सभी कार के शोषण का वरोध करने का आ ान
कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शाही कारण. अ ैल को शु कये गये संघष म लोग क उ साहपूण भागीदारी थी।

बोस को जुलाई म गर तार कर लया गया था जब उ ह ने वरोध कया और कलक ा


म होलवेल के लए ता वत मारक के खलाफ स या ह शु करने क को शश क । दसंबर
म भूख हड़ताल के बाद उ ह जेल से रहा कर दया गया और घर म नजरबंद कर दया
गया।
जनवरी म यह बताया गया क बोस भाग गए थे। जनवरी को वह भगत राम
क मदद से छ नाम जयाउ न के तहत पेशावर प ंचे।

बाद म सुनने म आया क उ ह ने घर पर चल रहे संघष को बाहर से समथन दे ने के


लए भारत छोड़ दया था। बताया गया क टे न से आज़ाद के लए भारतीय संघष म मदद
के लए उ ह ने स से संपक कया था। ले कन जून म स म रा के साथ यु म
शा मल हो गया जससे बोस नराश हो गये। इसके बाद वह जमनी चले गये.

बोस क मुलाकात हटलर से छ नाम ऑरलडो मैज़ ोटा के तहत ई थी। हटलर क
सहायता से वतं ता सेना मु सेना का गठन कया गया जसम जमनी और इटली ारा
पकड़े गए भारतीय मूल के सभी यु बं दय को शा मल कया गया।

जमनी के ेसडेन को वतं ता सेना का कायालय बनाया गया। जमनी के लोग बोस को नेताजी
कहने लगे। उ ह ने जमनी के इं डया सटर से स नारा जय हद दया।

उ ह ने जनवरी म ब लन रे डयो से नय मत सारण शु कया जससे


भारतीय उ सा हत ए। क शु आत म उ ह ने जमनी छोड़ दया और जमन और बाद
म जापानी पनडु बय से या ा करके उसी वष जुलाई म जापान और फर सगापुर प ँचे। उ ह
रास बहारी बोस से भारतीय वतं ता आंदोलन क कमान संभालनी थी ले कन वह आज़ाद
ह द सेना का सरा चरण था।

भारतीय क उ प एवं थम चरण


रा ीय सेना
भारतीय यु बं दय POWs से एक सेना बनाने का वचार मूल प से एक भारतीय सेना
अ धकारी मोहन सह का था ज ह ने पीछे हटने वाली सेना म शा मल न होने का फै सला कया
था।
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मलाया म टश सेना. उसने मदद के लए जापा नय क ओर ख करने का फै सला कया।


जापा नय ने तब तक भारतीय नाग रक को टश वरोधी संगठन बनाने के लए ो सा हत
कया था। मोहन सह ने भारतीय यु ब दय क माँग क ।

जापा नय ने भारतीय यु बं दय को मोहन सह को स प दया ज ह ने उ ह भारतीय


रा ीय सेना म भत करने का यास कया। सगापुर के पतन के बाद कई यु बंद मोहन सह
के साथ जुड़ने के लए तैयार थे। के अंत तक लोग INA म शा मल होने के
लए तैयार थे। इरादा यह था क आईएनए के वल भारतीय रा ीय कां ेस और भारत के लोग
के नमं ण पर कारवाई करेगी। इस सेना के गठन के कदम को कई लोग ने द ण पूव ए शया
म भारतीय के खलाफ जापा नय के वहार को रोकने और भ व य म भारत पर संभा वत
जापानी क जे के खलाफ एक सुर ा कवच के प म दे ख ा है।

भारत म भारत छोड़ो आंदोलन के फै लने से आईएनए को बढ़ावा मला। सतंबर


म पु ष के साथ INA का पहला डवीजन बनाया गया था। जापा नय ारा भारतीय
आ मण पर वचार करने के साथ आईएनए क एक सश शाखा का वचार उ ह अ धक
ासं गक लगा। ले कन ज द ही आईएनए ारा नभाई जाने वाली भू मका को लेक र मोहन
सह के नेतृ व म भारतीय सेना के अ धका रय और जापा नय के बीच गंभीर मतभेद उभर
आए। दरअसल जापानी के वल क सांके तक सेना चाहते थे जब क मोहन सह ब त
बड़ी सेना जुटाना चाहते थे। मोहन सह को जापा नय ने हरासत म ले लया।

सरा चरण सगापुर म सुभाष बोस के आगमन के साथ शु आ। ले कन उससे


पहले जून म सुभाष चं बोस छ नाम आ बद सैन के तहत टो यो प ंचे जापानी
धान मं ी तोजो से मुलाकात क ।

एक अ य महान वतं ता सेनानी रास बहारी बोस क भू मका को भी यहां वीकार


कया जाना चा हए। म असफल ां तकारी ग त व धय के बाद वह जापान भाग गये थे।

जापान म रास बहारी बोस अंततः एक ाकृ तक नाग रक बन गए। उ ह ने जापा नय को


भारतीय वतं ता आंदोलन म च दलाने के लए ब त यास कये। वह बन गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पैन ए शयाई हलक म स य इं डयन लब ऑफ़ टो यो क ापना क और प मी


सा ा यवाद क बुराइय पर ा यान दया।
ब त पहले ही वे सुभाष च बोस से भा वत हो गये थे। जब सगापुर म मोहन सह
ारा भारतीय रा ीय सेना का गठन कया गया तो राश बहारी बोस ब त उ सा हत ए और
टो यो छोड़कर द ण पूव ए शया के लए चले गये। बकॉक म उस समय जापानी क जे म भी
एक स मेलन म यह नणय लया गया क आईएनए को एक भारतीय वतं ता लीग के अधीन
रखा जाए जसके अ य वयं राश बहारी बोस ह गे।

उ ह ने म टो यो म लीग बनाई थी।


जब जापा नय ने सुभाष बोस से आईएनए का नेतृ व करने क मांग क तो वह इसके
लए तैयार थे। वह सगापुर गए और राश बहारी बोस से मले और बाद म जुलाई म उ ह ने
खुशी खुशी इं डयन इं डपडस लीग और आईएनए का नयं ण और नेतृ व सुभाष को स प दया।
यह यान दया जाना चा हए क यह राश बहारी बोस ारा कए गए संगठना मक यास के
कारण ही था क सुभाष बोस भारतीय रा ीय सेना का नमाण कर सके । अग त को सुभाष
बोस आईएनए के सु ीम कमांडर बने। फरवरी म फे फड़ क खराबी के बाद राश बहारी
का वा य लगातार बगड़ता गया और जनवरी को वष क आयु म उनक मृ यु
हो गई।

अ टू बर को सुभाष बोस ने एचसी के साथ सगापुर म वतं भारत के लए


अनं तम सरकार का गठन कया।
चटज व पोटफो लयो एमए अ यर सारण ल मी वामीनाथन म हला वभाग आ द।
स नारा तुम मुझ े खून दो म तु ह आजाद ं गा मलाया म दया गया था।

इस अनं तम सरकार ने टे न और संयु रा य अमे रका पर यु क घोषणा क और


धुरी श य ारा इसे मा यता द गई।
रंग ट को श त कया गया और आईएनए के लए धन एक कया गया। रानी झाँसी रे जमट
नामक एक म हला रे जमट का भी गठन कया गया।

जनवरी म आईएनए मु यालय को रंगून बमा म म ानांत रत कर दया गया


था और सेना के रंग ट को यु घोष चलो द ली के साथ वहां से माच करना था। उनके
होठ पर.
नवंबर को अंडमान और नकोबार प समूह
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

जापानी सेना ारा आईएनए को दया गया था प का नाम मशः शहीद प और वराज
प रखा गया।
जुलाई को सुभाष बोस ने आजाद हद रे डयो से महा मा गांधी को
रा पता कहकर संबो धत कया गांधी को रा पता कहने वाले पहले थे । उ ह ने
भारत क आ खरी आज़ाद क लड़ाई के लए गांधीजी का आशीवाद मांगा।

शाह नवाज़ क कमान वाली एक INA बटा लयन को जापानी सेना के साथ भारत
बमा मोच पर जाने और इंफ ाल अ भयान म भाग लेने क अनुम त द गई थी। हालाँ क भारतीय
को जापा नय से भेदभावपूण वहार मला जसम राशन और ह थयार से इनकार कया
जाना और जापानी इकाइय के लए छोटा काम करना शा मल था और इससे आईएनए
इकाइयाँ नराश और हतो सा हत हो ग ।

आजाद हद फौज ने बमा सीमा पार क और माच को भारतीय धरती पर


खड़ी ई। आईएनए इकाइयां बाद म को हमा और इंफ ाल तक आगे बढ़ । अ ैल को
बहा र समूह के कनल म लक ने जय हद और नेताजी जदाबाद के उ साही नार के साथ
म णपुर के मोइरांग जहां आज आईएनए मेमो रयल कॉ ले स खड़ा है म भारतीय मु य भू म
पर पहली बार आईएनए वज फहराया। तीन महीने तक आईएनए ने मोइरांग म सै य शासन
कत का पालन कया ले कन फर म दे श क सेना ने े पर पुनः क ज़ा कर लया।
आईएनए का भी वही ह आ जो जापा नय का आ और सभी गेड ने जुलाई
को अपनी वापसी शु कर द ।

इसके बाद लगातार जापानी वापसी ने आईएनए ारा दे श को आज़ाद कराने क कसी
भी उ मीद को ख़ म कर दया। वापसी के म य तक जारी रही।

अग त को तीय व यु म जापान का आ मसमपण आ और इसके


साथ ही आईएनए ने भी आ मसमपण कर दया।

क थत तौर पर अग त को सुभाष बोस क मृ यु हो गई


ताइपे ताइवान म रह यमय तरीके से एक हवाई घटना म।
ले कन जब यु के बाद आईएनए यु बं दय को कोट माशल करने के लए भारत
वापस लाया गया तो उनके बचाव म एक श शाली आंदोलन उभरा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सारांश
• भारत छोड़ो आंदोलन

लॉ च य ए अब आंदोलन
स क वफलता टश इ ाश क कमी का माण तुत करती है
भारतीय मांग को वीकार करना

यु कालीन क ठनाइय के व जनता म असंतोष


आस टश पतन क भावना
भारतीय नेतृ व क इ ा जनता को संभव के लए तैयार करने क है
जापानी आ मण
एआईसीसी बैठक बॉ बे अग त
बैठक भारत छोड़ो ताव क पु करती है
अग त सभी मुख नेता गर तार
मुख गतवध
जनता उ पात मचा रही है खासकर पूव उ र दे श बहार बंगाल
स ा के तीक पर हमला
कमांड क एक पं दान करने के लए भू मगत ग त व ध
ब लया यूपी तमलुक बंगाल और म समानांतर सरकार
सतारा महारा
भाग लेने वाले वग म युवा म हलाएं मक शा मल थे।
कसान सरकारी अ धकारी कु छ क यु न ट
फरवरी गांधीजी ने अनशन शु कर दया
माच पा क तान दवस मनाया गया

• सी. राजगोपालाचारी फॉमूला माच


लीग को तुरंत भारत क आजाद का समथन करना चा हए और
अंत रम सरकार म सहयोग कर
यु के बाद मु लम ब ल े म आ म नणय के अ धकार का योग कया जाएगा

वभाजन के मामले म र ा वा ण य के लए सामा य क


संचार आ द
ज ा ने इस ताव को अ वीकार कर दया य क वह चाहते थे क कां ेस इसे वीकार कर ले
रा स ांत

• दे साई लयाकत समझौता


कां ेस और लीग के या शय को समान त न ध व मलेगा
के य कायका रणी
सीट अ पसं यक के लए आर त

• वेवेल योजना शमला स मेलन जून


गवनर जनरल को छोड़कर एक अ खल भारतीय कायकारी प रषद
मुख कमांडर
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भारत छोड़ो आंदोलन पा क तान क मांग ...

जा त ह और मुसलमान के लए समान तनधव


मु लम लीग चाहती थी क सभी मुसलमान उसके उ मीदवार बन और कायकारी प रषद म सां दा यक वीटो का दावा कया

कां ेस ने इसे पूरी तरह से एक जातीय ह पाट के प म च त कए जाने पर आप जताई

• सुभाष बोस और आईएनए

आईएनए क उ प मोहन सह क भू मका।


आईएनए का पहला चरण.
आईएनए का सरा चरण।
सुभाष बोस ने रास बहारी बोस से पदभार हण कया।

आईएनए क उपल यां भारतीय धरती पर झंडा फहराया गया।


तीय व यु क समा त के साथ जापा नय के साथ आईएनए क वापसी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

यु ो र रा ीय प र य

रा ीय उ ान क दो धाराएँ
टश शासन के पछले दो वष के दौरान रा ीय व ोह के दो बु नयाद पहलु क पहचान
क जा सकती है i सरकार कां ेस और मु लम लीग से
जुड़ी ज टल बातचीत जो तेज ी से सां दा यक हसा के साथ ई और वतं ता और
वभाजन म प रणत ई। ii मक कसान और रा य के लोग ारा छटपुट ानीय
और अ सर बेहद उ वाद और एकजुट जन कारवाई जसने दे श ापी हड़ताल लहर का प
ले लया। इस
तरह क ग त व ध आईएनए रहाई आंदोलन रॉयल इं डयन नेवी आरआईएन
व ोह तेभागा आंदोलन वल व ोह पंज ाब कसान मोचा ावणकोर लोग के संघष वशेष
प से पु परा वायलार करण और तेलंगाना कसान व ोह के कारण ई थी।

जब जून म सरकार ने कां ेस पर से तबंध हटा लया और कां ेस नेता को


रहा कर दया तो उ ह उ मीद थी क उ ह हतो सा हत लोग मलगे। इसके बजाय उ ह ने उ
भीड़ को कु छ करने के लए अधीर पाया। तीन साल के दमन के बाद लोक य ऊजा फर से
उभरी। अपने नेता क रहाई से लोग क उ मीद बढ़ ग ।

टे न म कं जव टव सरकार ारा सम थत वेवेल योजना संवैधा नक ग तरोध को तोड़ने म वफल


रही।
जुलाई म लेबर पाट क सरकार बनी
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यु ो र रा ीय प र य

टे न. लेमट एटली ने नए धान मं ी और पे थक लॉरस ने भारत के नए रा य स चव के प


म पदभार संभाला।
अग त म क य और ांतीय वधानसभा के चुनाव क घोषणा क गई।

सतंबर म यह घोषणा क गई क चुनाव के बाद एक सं वधान सभा बुलाई


जाएगी और सरकार स ताव क भावना के अनुसार काम कर रही है।

सरकार के रवैये म बदलाव य


. यु क समा त के प रणाम व प वै क श संतुलन म बदलाव आया टे न
अब एक बड़ी श नह रहा जब क संयु रा य अमे रका और यूएसएसआर महाश य के
प म उभरे दोन ही भारत क वतं ता के प धर थे।

. नई लेबर सरकार भारतीय मांग के त अ धक सहानुभू त रखती थी।

. पूरे यूरोप म समाजवाद क रपंथी सरकार क लहर थी।

. टश सै नक थक गये थे और टश अथ व ा चरमरा गयी थी। तक


लंदन म टश सरकार पर भारत का . ब लयन पाउं ड बकाया था और अमे रक लड लीज
समझौते के कारण वह ख म हो रहा था जसका भुगतान अंततः म कया गया।

. द ण पूव ए शया म वयतनाम और इंडोने शया म सा ा यवाद वरोधी


लहर थी जो वहां ांसीसी और डच शासन को फर से ा पत करने के यास का वरोध
कर रही थी।
. अ धका रय को एक और कां ेस व ोह क आशंक ा थी क त का
पुन ार ले कन संचार पर हमल कृ ष व ोह मक परेशानी आईएनए पु ष क उप त
म सरकारी अ धका रय और पु लस के साथ सेना के असंतोष के संभा वत संयोजन के कारण
यह अ धक खतरनाक था। कु छ सै य अनुभव.

. यु समा त होने के बाद चुनाव अप रहाय थे य क आ खरी चुनाव मक


के लए और म ांत के लए ए थे।

अं ेज को पीछे हटना पड़ा होगा म


सरकार ने के वल इस या को कु छ हद तक तेज कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां स
े चुनाव अ भयान और आईएनए
परी ण

क स दय म चुनाव ए।

रा वाद उ े य के लए चुनाव अ भयान चुनाव अ भयान क सबसे मह वपूण


वशेषता यह थी क इसम अं ेज के खलाफ भारतीय को एकजुट करने क को शश क गई
थी इसने लोग से सफ वोट क अपील नह क ।

चुनाव अ भयान ने के भारत छोड़ो व ोह के रा य दमन के खलाफ रा वाद


भावना को कया। यह शहीद का म हमामंडन और अ धका रय क नदा करके कया
गया था। नेतृ वहीन लोग के बहा र तरोध क सराहना क गई शहीद के मारक ा पत
कये गये पी ड़त के लए राहत रा श एक क गई पीड़ा प ंचाने के लए ज मेदार
अ धका रय क नदा क गई और जाँच के वादे और दोषी अ धका रय को सज़ा दे ने क
धम कयाँ द ग ।

सरकार ऐसे भाषण पर लगाम लगाने म वफल रही. इसका सेवा के मनोबल पर
वनाशकारी भाव पड़ा। कां ेस मं ालय क वापसी क संभावना वशेषकर उन ांत म जहां
दमन सबसे ू र था ने सरकारी सेवा म शा मल लोग के डर को और बढ़ा दया।

सरकार को कां ेस के साथ स न समझौता आव यक लगा।

INA POWs जसे कभी कभी वालामुख ी का कनारा के प म व णत कया


जाता है के मुक दमे के खलाफ बड़े पैमाने पर दबाव ने सरकार क नी त म एक नणायक
बदलाव लाया। अं ेज ने शु म सैक ड़ आईएनए कै दय को सेवा से बखा त करने और उनम
से लगभग को बना मुक दमा चलाए हरासत म लेने के अलावा उन पर सावज नक
मुक दमा चलाने का फै सला कया था। उ ह ने नवंबर म द ली के लाल कले पर पहला
मुक दमा आयो जत करके और एक ह ेम कु मार सहगल एक मु लम शाह नवाज खान
और एक सख गुरब सह ढ ल को कटघरे म खड़ा करके इस मूख ता को और बढ़ा दया।

एक और मु ा भारतीय सेना के उपयोग ारा दान कया गया था


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यु ो र रा ीय प र य

वयतनाम और इंडोने शया म ांसीसी और डच औप नवे शक शासन को बहाल करने के यास


म इकाइयाँ इससे शहरी आबाद और सेना के एक वग के बीच सा ा यवाद वरोधी भावना
बढ़ ।

आईएनए कै दय को कां ेस का समथन


• सतंबर म बॉ बे म यु के बाद के पहले कां ेस स म आईएनए के लए
कां ेस के समथन क घोषणा करते ए एक मजबूत ताव अपनाया गया था। • अदालत म
आईएनए कै दय क र ा का आयोजन भूलाभाई दे साई
तेज बहा र स ू कै लाश नाथ काटजू जवाहरलाल नेह और आसफ अली ारा
कया गया था।

• आईएनए राहत और जांच स म त ने छोट रकम और भोजन वत रत कया और


भा वत के लए रोजगार क व ा करने म मदद क ।

• न ध सं ह का आयोजन कया गया।

आईएनए आंदोलन कई मायन म एक मील का प र आईएनए कै दय


क रहाई के लए जस
उ वर और ती ता से अ भयान चलाया गया वह अभूतपूव था।

दै नक संपादक य के साथ ापक ेस कवरेज अ सर बदला लेने क धम कय वाले पच के


वतरण समान संदेश दे ने वाले भ च आईएनए दवस नवंबर और आईएनए
स ताह नवंबर क सावज नक बैठक और समारोह के आयोजन के मा यम से
आंदोलन को ापक चार मला। .

यह अ भयान दे श के ापक े म फै ल गया और इसम व वध सामा जक समूह


और राजनी तक दल क भागीदारी दे ख ी गई। जब क आंदोलन के मु य क द ली बॉ बे
कलक ा म ास संयु ांत के शहर और पंज ाब थे यह अ भयान कू ग बलू च तान और
असम जैसे र दराज के ान तक फै ल गया। भागीदारी के प म कई लोग ारा कया गया
फं ड योगदान शा मल था फ मी सतार नगरपा लका स म तय वदे श म रहने वाले
भारतीय और गु ार से लेक र तांगावाल तक बैठक म भागीदारी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कानदार कान बंद कर रहे ह कै दय क रहाई क मांग करने वाले राजनी तक समूह
आईएनए फं ड म योगदान छा बैठक और क ा का ब ह कार कसान स मेलन का
आयोजन और अ खल भारतीय म हला स मेलन आईएनए कै दय क रहाई क मांग कर रहा
है।

जन लोग ने अलग अलग तर पर आईएनए के मु े का समथन कया उनम कां ेस


के अलावा मु लम लीग क यु न ट पाट यू नय न ट अकाली ज टस पाट रावल पडी म
अहरार रा ीय वयंसेवक संघ ह महासभा और सख लीग शा मल थे।

राज के पारंप रक गढ़ म आईएनए समथक भावनाएँ सामने आ । सरकारी कमचा रय


ने धन एक त कया। वफादार उपा धय वाले स न ने सरकार से अ े भारत टश
संबंध के लए परी ण को छोड़ने क अपील क । सश बल के लोग अ या शत प से
सहानुभू तपूण थे और बैठक म भाग लेते थे रहा कए गए लोग का वागत करते थे अ सर
वद म और धन का योगदान करते थे।

क य वषय भारतीय से संबं धत मामले पर नणय लेने के टे न के अ धकार पर


सवाल उठाना बन गया। टे न को आईएनए मु े के राजनी तक मह व का एहसास आ जो
हर दन अ धक से अ धक भारतीय बनाम टश रंग लेता जा रहा था।

तीन उभार क शीत ऋतु


रा वाद भावना जो आईएनए परी ण के आसपास चरम पर प ंच गई क स दय
म स ा के साथ हसक टकराव म बदल गई। आईएनए परी ण को लेक र कलक ा म तीन
मुख व ोह ए . नवंबर ।

. फरवरी आईएनए अ धकारी रा शद अली को सात साल क सजा के


खलाफ कलक ा म।
. फरवरी बंबई म रॉयल इं डयन नेवी रे ट स ारा हड़ताल।
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यु ो र रा ीय प र य

तीन चरणीय पैटन सभी तीन उभार ने


एक समान तीन चरणीय पैटन दखाया।

चरण I. जब एक समूह स ा क अवहेलना करता है और उसका दमन कया


जाता है इस चरण के पहले
उदाहरण म नवंबर एक छा जुलूस जसम कु छ फॉरवड लॉक समथक टू डट
फे डरेशन ऑफ इं डया एसएफआई के कायकता और इ ला मया कॉलेज के छा शा मल थे
जो इसम शा मल ए थे लीग और कां ेस के साथ मलकर सा ा यवाद वरोधी एकता के
तीक के प म झंडे बांधे कलक ा म सरकार क सीट डलहौजी वायर तक माच कया।
इन दशनका रय ने ततर बतर होने से इनकार कर दया और उन पर लाठ चाज कया गया।
उ ह ने जवाबी कारवाई म प र और ट प र फके ।

पु लस ने फाय रग क जसम दो लोग क मौत हो गई.


अगले चरण फरवरी म वरोध दशन का नेतृ व मु लम लीग के छा
ने कया जसम कु छ कां ेस और क यु न ट छा संगठन भी शा मल ए। कु छ गर ता रय ने
छा को धारा का उ लंघन करने के लए उकसाया। और भी गर ता रयाँ और
आंदोलनकारी छा पर लाठ चाज कया गया।

नेवल रे ट स ारा व ोह फरवरी को एचएमआईएस तलवार के लगभग


रॉयल इं डयन नेवी आरआईएन रे ट स न लीय भेदभाव भारतीय और ेत सै नक
के लए समान वेतन क मांग के वरोध म हड़ताल पर
चले गए।

बे वाद भोजन वर
अ धका रय ारा वहार एचएमआईएस
पर भारत छोड़ो लखने पर रे टग क गर तारी
तलवार
आईएनए ने
इंडोने शया म भारतीय सै नक का परी ण कया उनक वापसी क मांग क ।

व ोही रे ट स ने व ोही बेड़े के म तूल पर तरंगे अधचं और हथौड़ा और दरांती के


झंडे फहराए। ज द ही अ य रे ट स भी इसम शा मल हो ग और वे कां ेस के झंडे लए ए
लॉ रय म बंबई के चार ओर घूमने लगे और यूरोपीय लोग और पु लसक मय को धमकाने
लगे। भीड़ रे टग के लए भोजन लेक र आई और कानदार ने उ ह अपनी ज रत क हर चीज
लेने के लए आमं त कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

चरण II. जब शहर के लोग इसम शा मल ए तो इस चरण म एक ज़बरद त


टश वरोधी मनोदशा दे ख ी गई जसके प रणाम व प कलक ा और बंबई लगभग ठप हो
गए।
सभाएँ जुलूस हड़ताल हड़ताल और यूरोपीय लोग पु लस टे शन कान ाम डपो
रेलवे टे शन बक पर हमले ए इसके अलावा पट रय पर बैठकर और सड़क पर बै रके डग
करके रेल और सड़क यातायात को रोक दया गया।

चरण III. जब दे श के अ य ह स म लोग सहानुभू त और एकजुटता करते ह


जब क छा ने क ा का ब ह कार कया और अ य छा और रे ट स के
साथ सहानुभू त करने के लए हड़ताल और जुलूस आयो जत कए कराची म ास
वशाखाप नम कलक ा द ली म सै य त ान म सहानुभू तपूण हड़ताल । कोचीन
जामनगर अंडमान बहरीन और अदन। रॉयल इं डयन एयर फ़ोस ारा बॉ बे पूना कलक ा
जेसोर और अंबाला म हमले कए गए।

पटे ल और ज ा ने फरवरी को रे ट स को इस आ ासन के साथ आ मसमपण


करने के लए राजी कया क रा ीय पा टयाँ कसी भी उ पीड़न को रोकगी।

क मता एवं भाव का मू यांक न


तीन उभार
ये तीन व ोह कई मायन म मह वपूण थे
• जनता ारा नभ क कायवाही क अ भ थी
लोक य मन म उ वाद.
• सश बल म व ोह का लोग के मन पर बड़ा मु दायक भाव पड़ा। • RIN
व ोह को अंत क तीक घटना के प म दे ख ा
गया
टश शासन का.
• इन व ोह ने अं ेज को कु छ रयायत दे ने के लए े रत कया i दसंबर
को सरकार
ने घोषणा क क के वल उन INA सद य पर ह या या साथी कै दय के साथ ू र
वहार का आरोप लगाया जाएगा ज ह मुक दमे म लाया जाएगा।

ii पहले बैच के खलाफ पा रत कारावास क सजा जनवरी म माफ कर द


गई थी।
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यु ो र रा ीय प र य

iii फरवरी तक भारतीय सै नक को भारत चीन और इंडोने शया से हटा


लया गया। iv भारत म एक संसद य त न धमंडल
भेज ने का नणय लया गया नवंबर ।

v कै बनेट मशन भेज ने का नणय जनवरी म लया गया।

ले कन या इन घटना के दौरान दे ख ी गई सां दा यक एकता अगर कायम रहती


तो सां दा यक ग तरोध से बाहर नकलने का कोई रा ता सुझ ा पाती या सरे श द म इन
उभार क मता या थी

ये व ोह स ा के साथ सीधे और हसक संघष क कृ त म थे जनक सीमाएँ


थ । के वल अ धक उ वाद वग ही भाग ले सकते थे।

ये व ोह अ पका लक थे और कु छ शहरी क तक ही सी मत थे जब क सामा य


आईएनए आंदोलन सु र गांव तक प ंच गया था।

लोग के बीच एकता क तुलना म सा दा यक एकता अ धक संगठना मक थी।


मु लम रे टग सलाह लेने के लए लीग के पास गई और बाक कां ेस और समाजवा दय के
पास।

नौकरशाही के मनोबल म काफ गरावट के बावजूद दमन करने के लए टश


बु नयाद ढाँचा बरकरार था।
वे ज द ही त पर नयं ण पाने म सफल रहे. यह बंबई म एक मराठा बटा लयन थी जसने
रे ट स को राउं ड अप कया और उ ह उनक बैरक म बहाल कर दया।

कां ेस क रणनी त वामपं थय का


दावा है क ां तकारी त के त कां ेस क उदासीनता दो कारण से उ प ई त
उसके नयं ण से बाहर हो जाएगी और वतं भारत म अनुशा सत सश बल मह वपूण थे।
उनका यह भी दावा है क य द कां ेस नेता ने स ा के खेल के सामने आ मसमपण नह
कया होता तो वतं ता का एक अलग रा ता सामने आता। ले कन वा तव म ये व ोह कां ेस
ारा अपने चुनाव अ भयान आईएनए मु े क वकालत और क याद तय को उजागर
करने के मा यम से बढ़ावा द गई पहले क रा वाद ग त व ध का व तार था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ये उभार अपनी अ भ के व प के कारण पछली ग त व धय से अलग थे। ये


स ा के लए हसक चुनौ तयाँ थ जब क पहले क ग त व ध रा ीय एकजुटता का शां तपूण
दशन थी।

कां ेस ने अपनी रणनी त और समय के कारण आ धका रक तौर पर इन व ोह का


समथन नह कया।
बातचीत कां ेस क रणनी त का एक अ भ अंग थी जसे एक जन आंदोलन शु
करने से पहले तलाशा जाना था खासकर जब टश ज द ही छोड़ने क तैयारी कर रहे थे।

गांधी क राय म व ोह क बुरी सलाह द गई थी य द उ ह ने भारत क वतं ता के


लए व ोह कया तो वे दोगुने गलत थे अगर उ ह कोई शकायत थी तो उ ह नेता के
मागदशन का इंतजार करना चा हए था.

चुनाव प रणाम

कां ेस का दशन
• इसे तशत गैर मु लम वोट मले। • इसने स ल असबली क
सीट म से पर क जा कर लया। • ांतीय चुनाव म इसे बंगाल सध और
पंज ाब को
छोड़कर अ धकांश ांत म ब मत मला। कां ेस ब मत वाले ांत म एनड यूएफपी
और असम शा मल थे जन पर पा क तान होने का दावा कया जा रहा था।

मु लम लीग का दशन
• उसे . फ सद मु लम वोट मले. • इसने स ल असबली क
आर त सीट पर क ज़ा कर लया। • ांतीय चुनाव म उसे बंगाल और सध म
ब मत मला।

• के वपरीत अब लीग ने प से खुद को मुसलमान के बीच मुख पाट


के पम ा पत कर लया है।
पंज ाब म यू नय न ट कां ेस अकाली गठबंधन के तहत
ख हयात खान ने स ा संभाली।
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यु ो र रा ीय प र य

चुनाव क मह वपूण वशेषताएं


चुनाव म व भ व ोह के कारण दखाई गई मजबूत टश वरोधी एकता के वपरीत
सां दा यक मतदान दे ख ा गया
. पृथक नवाचन े और . सी मत
मता धकार ांत के लए तशत से कम आबाद मतदान कर सकती थी और
क य वधानसभा के लए तशत से कम आबाद मतदान करने के यो य थी।

कै बनेट मशन
एटली सरकार ने फरवरी म तीन टश कै बनेट सद य पे थक लॉरस भारत के रा य
स चव टै फ़ ोड स ापार मंडल के अ य और एवी अले जडर एड मर ट के थम
लॉड का एक उ श मशन भेज ने के नणय क घोषणा क । भारत को बातचीत के ज रए
शां तपूण तरीके से स ा ह तांत रत करने के तरीके और साधन तलाशने के लए। पे थक
लॉरस मशन के अ य थे।

टश वापसी य तीत ई
अब आस

. आ धप य के संघष म रा वाद ताकत क सफलता यु के अंत तक काफ


थी।
रा वाद अब तक अछू ते वग और े म वेश कर चुक ा था।

. नौकरशाही और वफादार वग के बीच रा वाद के प म दशन आ य क


यूरोपीय आईसीएस भ तय क कमी और भारतीयकरण क नी त ने थम व यु के आरंभ
म ही आईसीएस पर टश भु व को समा त कर दया था और तक टश भारतीय
समानता अ त व म थी। लंबे यु के कारण थकावट और आ थक चताएँ पैदा हो गई थ । अब
के वल क घटना से त एक ीण यु थक ई नौकरशाही ही बची थी।

. सुलह और दमन क टश रणनी त क अपनी सीमाएँ और वरोधाभास थे। •


स क पेशकश के बाद पूण वतं ता के अलावा सुलह क
पेशकश के लए कु छ भी नह बचा था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• जब अ हसक तरोध को बलपूवक दबाया गया तो सरकार के पीछे क न न श


उजागर हो गई जब क य द सरकार दे श ोह पर रोक नह लगाती थी या यु वराम क
पेशकश नह करती थी तो उसे अ धकार का इ तेमाल करने म असमथ दे ख ा जाता था और
इसके त ा को ठे स प ंची. • कां ेस को लुभाने क को शश ने वफादार को नराश कया.

अ म ण क इस नी त ने सेवा के लए एक वधा तुत क ज ह फर भी


इसे लागू करना पड़ा। ांत म कां ेस मं मंडल के स ा म आने क संभावना ने इस वधा
को और बढ़ा दया।

. सं वधानवाद या कां ेस राज एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला सा बत आ था और


जनता के बीच दे शभ क भावना को गहराई से पैठ बनाने म मदद मली थी।

. सेना के भीतर से आईएनए कै दय के लए नरमी क मांग और आरआईएन रे ट स


के व ोह ने यह आशंक ा पैदा कर द थी क अगर कां ेस ने जैसा जन आंदोलन शु
कया तो सश बल उतने व सनीय नह ह गे इस बार ांतीय मं ालय क सहायता से।

. कसी जन आंदोलन के पूण दमन का एकमा वक प पूरी तरह से आ धका रक


शासन था जो अब असंभव लग रहा था य क आव यक सं या और कु शल अ धकारी उपल
नह थे।

. सरकार को एहसास आ क जन आंदोलन के भूत को दफनाने और अ ेभव य


के भारत टश संबंध के लए एक समझौता आव यक था।

टश कै बनेट ने कां ेस और मु लम लीग के बीच बढ़ती दरार को अपने तु प के प े के पम


दे ख ा... लन लथगो और कै बनेट दोन ने कां ेस और लीग क त ं ता को उनक मांग के
खलाफ अपने सबसे उपयोगी ह थयार के प म दे ख ा।

बीआर टॉम लसन

भारत म हमारा समय सी मत है और घटना को नयं त करने क हमारी श लगभग ख़ म हो


गयी है। हमारे पास ापार करने के लए के वल त ा और पछली ग त है और ये लंबे समय तक
नह टके गी।
लॉड वेवेल अ टू बर
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यु ो र रा ीय प र य

अब टश नी त नमाता का सव ापी उ े य स ा के ह तांतरण के तौर तरीक


और सा ा यो र भारत टे न संबंध क कृ त पर एक समझौते के बाद एक स मानजनक
वापसी था।

कै बनेट मशन योजना क पूव सं या पर कां ेस ने मांग क क स ा एक


क को ह तांत रत क जाए और अ पसं यक क मांग को वाय ता से लेक र मु लम ब ल
ांत से लेक र आ म नणय या भारतीय संघ से अलग होने तक के ढांचे म काम कया जाए
ले कन के वल अं ेज के जाने के बाद.

टश एकजुट और मै ीपूण भारत और रा मंडल क र ा म एक स य भागीदार के


लए यास कर रहे थे य क वभा जत भारत म र ा क कमी होगी और यह टे न क
कू टनी त पर एक ध बा होगा।

म टश नी त म पहले क घोषणा के ब कु ल वपरीत एकजुट भारत क


ाथ मकता प से त ब बत ई।
माच को टे न के धान मं ी लेमट एटली ने कहा ...अ पसं यक के
अ धकार के त सचेत रहते ए...अ पसं यक को ब मत के आगे अपना वीटो लगाने क
अनुम त नह द जा सकती। यह शमला स मेलन से ब कु ल अलग था जहां वेवेल ने ज ा
को स मेलन को बबाद करने क अनुम त द थी।

कै बनेट मशन आता है


कै बनेट मशन माच को द ली प ंचा। इसने i अंत रम सरकार के मु पर सभी
दल और समूह के भारतीय नेता के साथ लंबी चचा क और ii भारत को वतं ता दे ने
वाले नए सं वधान के नमाण के लए स ांत
और याएं।

चूं क कां ेस और लीग भारत क एकता या वभाजन के मूल मु े पर कसी समझौते


पर नह प ंच सके इस लए मशन ने मई म संवैधा नक सम या के समाधान के लए
अपनी योजना सामने रखी।

कै बनेट मशन योजना मु य ब


• पूण पा क तान क मांग खा रज य क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

i इस कार बनने वाले पा क तान म एक बड़ा गैर शा मल होगा


मु लम जनसं या उ र प मम तशत और उ र पूव म तशत
ii सां दा यक आ म नणय का स ांत ह ब सं यक
प मी को अलग करने का दावा करेगा

बंगाल और सख और ह ब ल अंबाला और
पंज ाब के जालंधर संभाग पहले से ही कु छ सख नेता दे श का वभाजन होने पर
एक अलग रा य क मांग कर रहे थे

iii य द बंगाल और पंज ाब का वभाजन आ तो गहरे े ीय संबंध ख़राब हो जायगे


iv वभाजन से आ थक और शास नक सम याएँ उ प
ह गी उदाहरण के लए पा क तान के प मी और पूव ह स के बीच संचार क
सम या और v सश बल का वभाजन खतरनाक होगा। • मौजूदा ांतीय
वधानसभा को तीन खंड म समू हत करना

अनुभाग ए म ास बॉ बे म य ांत संयु


ांत बहार और उड़ीसा ह ब ल ांत
खंड बी पंज ाब उ र प म सीमांत ांत और
सध मु लम ब ल ांत
धारा सी बंगाल और असम मु लम ब ल ांत । • ा तीय अनुभाग एवं संघ तर
पर तरीय
कायपा लका एवं वधा यका। • एक सं वधान सभा का चुनाव ांतीय वधानसभा
ारा आनुपा तक त न ध व तीन
समूह सामा य मु लम सख म मतदान ारा कया जाना था। यह सं वधान सभा
सद यीय नकाय होगी जसम ांतीय वधानसभाएं मु य आयु ांत और
रयासत सद य भेज गी।

यह एक अ ा लोकतां क तरीका था जो वेटेज पर आधा रत नह था। • सं वधान


सभा म समूह ए
बी और सी के सद य को सं वधान का नणय लेने के लए अलग अलग बैठना था।
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यु ो र रा ीय प र य

ांत के लए और य द संभव हो तो समूह के लए भी। फर संपूण सं वधान सभा तीन खंड


ए बी और सी संयु संघ सं वधान बनाने के लए एक साथ बैठगी। • एक साझा क र ा
संचार और बाहरी मामल को नयं त करेगा। भारत के लए एक संघीय ढांचे क प रक पना
क गई थी। •
क य वधानमंडल म सां दा यक का नणय उप त और मतदान करने वाले
दोन समुदाय के साधारण ब मत ारा कया जाना था। • ांत को पूण वाय ता और
अव श श यां ा त थ । •
रयासत अब टश सरकार क सव प र स ा के अधीन नह रह । वे उ रा धकारी
सरकार या टश सरकार के साथ समझौता करने के लए वतं ह गे। • पहले आम चुनाव
के बाद एक ांत को एक
समूह से बाहर आने के लए वतं होना था और वष के बाद एक ांत को समूह
या संघ
सं वधान पर पुन वचार करने के लए वतं होना था। • इस बीच सं वधान सभा से
अंत रम सरकार का गठन कया जाना था।

समूहीकरण क व भ ा याएँ
धारा
येक पाट या समूह ने योजना को अपने कोण से दे ख ा।

कां ेस कां ेस के लए कै बनेट मशन योजना पा क तान के नमाण के खलाफ थी


य क समूह बनाना वैक पक था एक सं वधान सभा क प रक पना क गई थी और लीग
के पास अब वीटो नह था।

मु लम लीग मु लम लीग का मानना था क पा क तान अ नवाय समूहीकरण म


न हत है। मशन ने बाद म कया क समूहीकरण अ नवाय था।

मु य आप याँ व भ प ने
अलग अलग आधार पर योजना पर आप जताई।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस • ांत को एक समूह से बाहर आने के लए पहले आम चुनाव तक इंतजार


नह करना चा हए। उनके पास सबसे पहले कसी समूह म शा मल न होने का वक प होना
चा हए।
कां ेस के दमाग म एनड यूएफपी और असम के कां ेस शा सत ांत थे ज ह मशः समूह
बी और सी म शा मल कया गया था। • अ नवाय समूहीकरण ांतीय वाय ता पर बार बार
दोहराए गए आ ह
का खंडन करता है। • सं वधान सभा म रयासत से नवा चत सद य के लए ावधान
का अभाव उ ह के वल राजकु मार ारा ही नामां कत
कया जा सकता था वीकाय नह था।

लीग • पा क तान म भ व य म अलगाव क से खंड बी और सी को ठोस सं ा


के प म वक सत करने के साथ समूहीकरण अ नवाय होना चा हए।

लीग ने सोचा था क कां ेस इस योजना को अ वीकार कर दे गी इस कार सरकार


को लीग को अंत रम सरकार बनाने के लए आमं त करने के लए े रत करना पड़ा।

वीकृ त और अ वीकृ त जून को मु लम लीग


और जून को कां ेस ने कै बनेट मशन ारा तुत द घका लक योजना को वीकार
कर लया।

जुलाई ांतीय वधानसभा म चुनाव ए


सं वधान सभा के लए.

वेवेल क ेक डाउन योजना

वेवेल ने मई म कै बनेट मशन के सम अपनी योजना तुत क ।


इसने दमन और छ टाकशी के बीच एक म य माग क क पना क ।
इस योजना म उ र प म और उ र पूव के मु लम ांत म टश सेना और अ धका रय क
वापसी और शेष दे श को कां ेस को स पने क प रक पना क गई थी। य प कै बनेट मशन योजना
ारा त ा पत वेवेल क योजना • कसी को दबाने क असंभवता क टश मा यता का माण
थी

भ व य म कां ेस के नेतृ व म व ोह।


• कु छ उ आ धका रक हलक म पा क तान का उ री आयरलड बनाने क इ ा।
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यु ो र रा ीय प र य

जुलाई को नेह ने कहा हम कसी भी चीज़ से बंधे नह ह सवाय


इसके क हमने सं वधान सभा म जाने का फै सला कया है जसका अथ है क सं वधान सभा
सं भु थी और या के नयम का फै सला करेगी । बड़ी संभावना यह है क कोई समूह नह
होगा य क एनड यूएफपी और असम को अनुभाग बी और सी म शा मल होने पर आप
होगी।

जुलाई को लीग ने नेह के बयान के जवाब म द घका लक योजना क


वीकृ त वापस ले ली और पा क तान को हा सल करने के लए अग त से सीधी कारवाई
का आ ान कया।

सां दा यक नरसंहार और
अंत रम सरकार

अग त से भारतीय प र य म तेज ी से बदलाव आया। अभूतपूव पैमाने पर


सां दा यक दं गे ए जनम लगभग हजार लोग मारे गए।

सबसे अ धक भा वत े कलक ा बॉ बे नोआखाली बहार और गढ़मु े र


संयु ांत थे।

बदली ई सरकार क ाथ मकताएँ वेवेल अब कसी भी तरह


कां ेस को अंत रम सरकार म लाने के लए उ सुक थे भले ही लीग बाहर रहे शमला स मेलन
के दौरान वेवेल के ख से अलग ।

यह रवैया लीग क इस जद के खलाफ था क सभी समझौते उसे वीकाय ह और सां दा यक


ताकत को ो सा हत करने रा वाद क वैधता को नकारने और कां ेस क त न ध कृ त
को नकारने क पछली सरकार क मु ा के भी खलाफ था।

इस कार टश शासन क नरंतरता ने टे न से एक ख क मांग क थी और


वापसी और सा ा यवाद के बाद के संबंध ने एक वपरीत ख तय कया था।

अंत रम सरकार
कां ेस के दबदबे वाली कां ेस ारा ापक कारवाई के डर से
नेह के नेतृ व वाली अंत रम सरकार ने शपथ ली
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सतंबर को नेह ने अ नवाय समूहीकरण के लए अपनी पाट के वरोध पर जोर


दे ना जारी रखा।
उपा ध के बावजूद अंत रम सरकार वायसराय क पुरानी कायका रणी क नरंतरता
से कु छ अ धक थी माच म अपनी आ खरी कै बनेट बैठक म वेवेल ने आईएनए कै दय
क रहाई के मु े पर मं य को खा रज कर दया था ।

अ टू बर को वेवेल चुपचाप मु लम लीग को अंत रम सरकार म ले आए।


लीग को य कारवाई छोड़े बना • शा मल होने क अनुम त द गई • कै बनेट मशन क
द घका लक और
अ पका लक योजना को अ वीकार करने के बावजूद और •
सम प से एक वग ारा ब मत से लए जाने वाले नणय के साथ अ नवाय
समूहीकरण पर जोर दे ने के बावजूद जो असम
और एनड यूएफपी म पा क तान के वरो धय को असहाय अ पसं यक क त
म ला दे गा ।

अंत रम सरकार के मं ी सतंबर


अग त
. जवाहरलाल नेह कायकारी प रषद वदे श मामले और रा मंडल संबंध के उपा य
. व लभभाई पटे ल गृह सूचना और सारण . बलदे व सह र ा . डॉ. जॉन
मथाई उ ोग और आपू त . सी. राजगोपालाचारी श ा . सीएच भाभा काय खान
और बजली .
राज साद कृ ष और भोजन . जगजीवन
राम म . आसफ अली रेलवे . लयाकत अली खान मु लम लीग
व . इ ा हम इ माइल चुंदरीगर मु लम लीग
वा ण य

. अ र रब न तार मु लम लीग क यूनी


फै टायन
. ग़ज़नफ़र अली खान मु लम लीग वा य . जोग नाथ मंडल मु लम
लीग कानून
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यु ो र रा ीय प र य

लीग के अवरोधक कोण और गु त उ े य लीग ने सं वधान सभा म भाग


नह लया जसक पहली बैठक
दसंबर को ई थी। प रणाम व प सभा को जवाहरलाल नेह ारा तैयार कए गए
एक सामा य उ े य ताव को पा रत करने तक ही सी मत रहना पड़ा जसम सं वधान के
आदश को बताया गया था। वाय इकाइय पया त अ पसं यक सुर ा उपाय और
सामा जक राजनी तक और आ थक लोकतं के साथ एक वतं सं भु गणरा य।

लीग ने नणय लेने के लए कै बनेट क अनौपचा रक बैठक म भाग लेने से इनकार


कर दया।
लीग ने कां ेस सद य ारा लए गए नणय और नयु य पर सवाल उठाया।

व मं ी के प म लयाकत अली खान ने अ य मं ालय के कु शल कामकाज को


तबं धत और बा धत कर दया।
लीग ने के वल पा क तान के लए लड़ने के लए सरकार म पैर जमाने क मांग क थी।
उनके लए यह अ य तरीक से गृहयु क नरंतरता थी। कां ेस क मांग थी क टश लीग
को अंत रम सरकार म अपना रवैया बदलने या छोड़ने के लए कह जब से लीग अंत रम सरकार
म शा मल ई थी।

फरवरी म कै बनेट के नौ कां ेस सद य ने वायसराय को प लखकर लीग


के सद य के इ तीफे क मांग क और अपने वयं के ना मत को वापस लेने क धमक द ।
आ खरी तनका लीग ारा सं वधान सभा को भंग करने क मांग के साथ आया। एक संक ट
तेज ी से वक सत होता दख रहा था।

म सा दा यकता का ज म एवं सार


भारत
उ ीसव सद के अंत म रा वाद के उदय के साथ सा दा यकता का उदय आ। यह भारतीय
लोग क एकता और रा ीय आंदोलन के लए एक बड़ा खतरा सा बत आ।

भा य से वरासत जारी है।


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय क चा र क वशेषताएं
सां दा यकता
सां दा यकता अ धक सट क प से सां दा यकता मूल प से एक वचारधारा है जो
सम प से ापक समाज के बजाय कसी के अपने जातीय धा मक समूह को अ धक मह व
दे ती है जो भारत म तीन ापक चरण के मा यम से वक सत ई है।

i सां दा यक रा वाद यह धारणा क चूं क एक समूह या लोग का एक वग एक


वशेष धा मक समुदाय से संबं धत है उनके धम नरपे हत समान ह यानी यहां तक क वे
मामले भी जनका धम से कोई लेना दे ना नह है उन सभी को समान प से भा वत करते ह।
ii उदार सां दा यकता यह धारणा क चूं क दो धा मक समुदाय के अलग अलग धा मक
हत ह इस लए धम नरपे े म भी
यानी आ थक राजनी तक और सां कृ तक े म उनके अलग अलग हत ह।
iii चरम सां दा यकता यह धारणा क न के वल व भ धा मक समुदाय के अलग अलग
हत ह ब क यह भी है क ये हत असंगत ह अथात दो समुदाय एक साथ नह रह सकते
य क एक समुदाय के हत सरे समुदाय के हत के साथ टकराव
म आते ह।

भारतीय सा दा यकता म कु छ भी अनोखा नह है। यह उन तय का प रणाम


था ज ह ने अ य समाज म फासीवाद य द वरोधी न लवाद उ री आयरलड म कै थो लक
ोटे टट संघष और लेबनान म ईसाई मु लम संघष जैसी समान घटनाएं और वचारधाराएं पैदा
क।

बु नयाद आ थक हत को दर कनार करते ए सां दा यक लोग उन हत क र ा


करने का दावा करते ह जनका अ त व आव यक नह है।
सां दा यकता एक आधु नक घटना है जसक जड़ आधु नक सामा जक आ थक
और राजनी तक औप नवे शक संरचना म ह जो जन लामबंद और लोक य भागीदारी पर
आधा रत आधु नक राजनी त से उभरी है। आधु नक राजनी त ने लोग के लए ापक संबंध
और वफादारी रखना और पहचान ा पत करना आव यक बना दया है। इस या म रा
वग और सां कृ तक भाषाई के आधु नक वचार का सार शा मल था
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यु ो र रा ीय प र य

पहचान। भारत म दे श के कु छ ह स म और लोग के कु छ वग म धा मक चेतना सां दा यक


चेतना म बदल गई।

इसक सामा जक जड़ बढ़ते म य वग म न हत ह ज ह ने अपने वयं के आ थक


हत को आगे बढ़ाने के लए का प नक सां दा यक हत का चार कया वामपं थय के
अनुसार सां दा यकता एक उ कृ बुज ुआ था।

औप नवे शक शासन ारा सां दा यक अ भयान म सां दा यकतावा दय का समथन


कया गया था। यह वह मा यम था जसके मा यम से उप नवेशवा दय ने अपने सामा जक
आधार का व तार कया।
सां दा यकतावा दय और उप नवेशवा दय को उनके भयावह इराद म इस त य से
मदद मली क अ सर भारतीय समाज म सामा जक आ थक भेदभाव धा मक भेदभाव के
साथ मेल खाते थे। अंत न हत वग वरोधाभास को न हत वाथ ारा बाद म सां दा यक रंग
दया गया।

ढ़वाद सामा जक त यावाद त व ने सा दा यकता को भरपूर समथन दया।

धा मकता वयं सां दा यकता नह थी ले कन ऐसे दे श म जहां श ा क कमी और


बाहरी नया के बारे म कम जाग कता एक खद वा त वकता थी धम म सां दा यकता के
वाहन बनने क संभावना थी और इसका इ तेमाल कया गया था।

सा दा यकता के वकास के कारण सा दा यकता आधु नक आ थक


राजनी तक और सामा जक सं ान म बढ़ जहाँ नई पहचान बेतरतीब ढं ग से उभर रही थ
भले ही पुरानी पूव आधु नक पहचान कम नह ई थ । इस मौ लक ं के टकराव ने
सां दा यक वचारधारा को ज म दया।

सामा जक आ थक कारण धम वा तव म
ह और मुसलमान के आ थक और राजनी तक हत को नधा रत नह करता था। एक
समुदाय जसम ह और मु लम भी शा मल ह सरे समुदाय जसम ह और मु लम भी
शा मल ह से भाषा सं कृ त जा त सामा जक त भोजन और पोशाक क आदत
सामा जक था या री त रवाज आ द के आधार पर भ होते थे। सामा जक और
सां कृ तक प से भी ह और मु लम जनता म समानता वक सत हो गई थी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जीवन के तरीके एक बंगाली मुसलमान म एक पंज ाबी मुसलमान क तुलना म एक बंगाली ह


के साथ ब त अ धक समानता होती है। इसके अलावा टश सा ा यवाद ारा ह और
मु लम समान प से उ पीड़न और शोषण के शकार थे।

आधु नक प मी वचार और वै ा नक वचार को मु लम बु जी वय ने आ मसात


नह कया जो पारंप रक और पछड़े बने रहे। यहां तक क जब सुधारक के यास के
प रणाम व प मुसलमान के बीच आधु नक श ा का सार आ तब भी मुसलमान म
श त का अनुपात ह पार सय या ईसाइय क तुलना म ब त कम था। ापार और
उ ोग के वकास म भागीदार के प म भी मुसलमान पछड़ गये। चूं क मुसलमान के बीच
श त य और ापार और उ ोग के लोग क सं या कम थी इस लए त यावाद
बड़े जम दार और अमीर वग के लए मु लम जनता पर भाव बनाए रखना आसान था।
जम दार और जम दार चाहे वे ह ह या मु लम वाथवश टश शासन का समथन करते
थे। ले कन ह म आधु नक बु जी वय और उभरते ए वा ण यक और उ ोगप त वग
ने जम दार के पुराने आदे श से नेतृ व अपने हाथ म ले लया था।

श त मुसलमान को वसाय या वसाय म ब त कम अवसर मले वे अ नवाय


प से सरकारी रोजगार क तलाश म थे। टश अ धका रय और वफादार मु लम नेता ने
श त मुसलमान को श त ह के खलाफ भड़काया। सैयद अहमद खान और अ य
लोग ने एक ओर सरकारी सेवा के मामले म मुसलमान के लए वशेष उपचार क मांग क
और सरी ओर मुसलमान से कहा क य द श त मुसलमान अं ेज के त वफादार रहगे
तो अं ेज उ ह सरकारी नौक रय से पुर कृ त करगे और अ य वशेष उपकार. यही तक कु छ
वफादार ह और पार सय ारा अपने लोग के संबंध म इ तेमाल कए गए थे ले कन वे
अ पमत म थे।

औप नवे शक नी तय के कारण अ वक सतता के प रणाम व प औ ो गक वकास


म कमी थी इस लए भारत म बेरोजगारी एक गंभीर सम या थी वशेषकर श त लोग के
लए और इसके लए ती त धा थी
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यु ो र रा ीय प र य

ह और मु लम म यम वग के वकास म एक पीढ़ या उससे भी अ धक का अंतर रहा है और यह


अंतर राजनी तक आ थक और अ य कई दशा म दखाई दे ता रहता है। यही अंतराल मुसलमान
म भय का मनो व ान पैदा करता है।

जवाहरलाल नेह म क खोज भारत

जो कोई इस दे श के लोग के हत म काम करता है चाहे वह मुसलमान हो या अं ेज पराया नह है।


परायापन का संबंध चय से है। परायापन न त प से गोरी या काली वचा या धम से संबं धत
नह है।

बाल गंगाधर तलक

मौजूदा नौक रयाँ. इन प र तय म सां दा यक ांतीय या जातीय आधार पर नौक रय म


आर ण जैसे अ रदश और अ पका लक समाधान के समथक थे। इन य ने मौजूदा
सी मत रोजगार अवसर का बड़ा ह सा पाने के यास म सां दा यक और धा मक और बाद म
जा त और ांतीय भावना को जगाया। रोज़गार के लए बेताबी से नौक रयाँ खोज रहे लोग
के लए ऐसे वचार का शकार बनना आसान था।

भारत के आ थक पछड़ेपन और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के कारण औप नवे शक


सरकार के लए सां दा यक और अलगाववाद वृ य को बढ़ावा दे ने के लए रयायत
अनु ह और आर ण का उपयोग करने क पया त गुंज ाइश थी।

इसके अलावा मुसलमान के बीच आधु नक राजनी तक चेतना दे र से वक सत ई और मु लम


जनता पर पारंप रक त यावाद त व के भु व ने सां दा यक कोण को जड़ जमाने म
मदद क ।

ह रा वाद और मु लम रा वाद क बात ई. राजनी तक प से अप रप व कई


ह और मुसलमान को यह एहसास नह था क वे जन आ थक शै णक और सां कृ तक
क ठनाइय का सामना कर रहे थे वे वदे शी शासन के अधीन होने और आ थक अ वक सतता
के कारण पैदा ई थ ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

फू ट डालो और राज करो क टश नी त मुसलमान को


आम तौर पर शु म संदेह क नजर से दे ख ा जाता था खासकर वहाबी और के
व ोह के बाद और टश सरकार ारा दमन और भेदभाव का शकार होना पड़ा। इसके
अलावा अं ेज ी श ा क शु आत ने अरबी और फारसी श ा को कमजोर कर दया था
जससे मुसलमान का आ थक पछड़ापन और सेवा से ब ह कार बढ़ गया था।

के दशक के बाद भारतीय रा वाद के उ व और श त म यम वग के


बढ़ते राजनी तकरण के संके त के साथ सरकार ने मुसलमान के दमन क अपनी नी त को
उलट दया और इसके बजाय उ ह रयायत एहसान और आर ण के मा यम से सरकार के
पीछे एकजुट करने का फै सला कया और इसका इ तेमाल कया। उ ह रा वाद ताकत के
खलाफ. सरकार ने कां ेस के बढ़ते भाव का मुक ाबला करने के लए सर सैयद अहमद
खान जैसे य का इ तेमाल कया। सैयद अहमद खान का कोण शु म ापक
और सुधारवाद था ले कन बाद म उ ह ने औप नवे शक सरकार का समथन करना शु कर
दया और मु लम जनता को कां ेस से र रहने और राजनी तकरण न करने के लए
ो सा हत कया। वह ह और मुसलमान के अलग अलग हत क बात भी करने लगे.

इ तहास लेख न म सां दा यकता ारंभ म सा ा यवाद


इ तहासकार ारा सुझ ाई गई और बाद म कु छ अंधरा वाद भारतीय इ तहासकार ारा
अपनाई गई भारतीय इ तहास क सां दा यक ा या म ाचीन चरण को ह चरण और
म ययुगीन चरण जसम तुक अफगान और मुगल का शासन शा मल था के प म च त
कया गया मु लम चरण के प म। के दौरान शासक वग के संघष

दे ख ना

हमारे दे श म तब तक सा दा यक स ाव ायी प से ा पत नह हो सका जब तक हमारे


कू ल और कॉलेज म इ तहास क पा पु तक के मा यम से इ तहास के अ य धक वकृ त
सं करण पढ़ाए जाते रहे।
एमके गांधी
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यु ो र रा ीय प र य

म ययुगीन काल को ह मु लम संघष के प म वकृ त और बढ़ा चढ़ाकर पेश कया गया।

इ तहासकार ने इस त य को नजरअंदाज कर दया क राजनी त ाचीन और


म ययुगीन हर समय और हर जगह आ थक और राजनी तक हत पर आधा रत थी न क
धा मक वचार पर। भारत म म त सं कृ त क धारणा को वीकार करने से इंक ार करना
टश और सां दा यक इ तहासकार के हत म था। अपनी ओर से इ तहास के ह
सां दा यक कोण ने यह कोण पेश करना चुना क भारतीय समाज और सं कृ त ाचीन
काल म आदश ऊं चाइय पर प ंच गए थे जहां से मु लम शासन के कारण म यकाल म
उनका य होना शु हो गया। इसम यह मानने से इंक ार कर दया गया क म यकाल म
भारतीय अथ व ा और ौ ो गक धम और दशन कला और सा ह य सं कृ त और समाज
कस कार वक सत और समृ ए।

सामा जक धा मक सुधार आंदोलन के भाव मुसलमान के बीच वहाबी आंदोलन और


ह के बीच शु जैसे सुधार आंदोलन ने अपने उ वर के साथ धम क भू मका को
सां दा यकता के त अ धक संवेदनशील बना दया। कई बार सुधार को एक समुदाय को
सरे धा मक समुदाय के भाव से बचाने क या के प म दे ख ा जाता था।

उ वाद रा वाद के भाव ारं भक रा वा दय ने अ पसं यक


भय को र करने के लए सचेत यास कए। दादाभाई नौरोजी ने कां ेस के सरे स
क अ य ता करते ए कां ेस के अपने मंच पर सामा जक धा मक न उठाने के इरादे क
घोषणा क ।

म कां ेस ने मुसलमान के वरोध वाले कसी भी मु े को न उठाने का नणय लया।


ले कन बाद म उ रा वाद के आगमन के साथ रा वाद राजनी त म एक अलग ह रा वाद
झलक दखाई दे ने लगी। उदाहरण के लए तलक के गणप त और शवाजी उ सव और
गोह या वरोधी अ भयान ने ब त संदेह पैदा कया। अर बदो क आयकृ त नया क
प रक पना गंगा म डु बक जैसे त व के साथ वदे शी आंदोलन और शपथ हण से पहले
ां तकारी ग त व ध
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे वी दे वता ारा बड़े पैमाने पर इन अ भयान म मुसलमान को उ सा हत करने क संभावना


नह थी। लखनऊ सं ध और खलाफत आंदोलन म सां दा यक त व
इतना अ धक दखाई दे रहा था क उसका प रणाम नग य था।

जब खलाफत का सामने आया तो कु छ कां े सय म बेचैनी थी उ ह लगा क


यह मु ा वा तव म रा वाद नह है। इस मामले म सा ा यवाद टे न के खलाफ लड़ाई
सा ा यवाद के आ थक और राजनी तक प रणाम के बारे म नह थी ब क इस आधार पर
थी क खलीफा और इ लाम के कु छ प व ान को खतरा हो रहा था।

मुसलमान क तुक के त सहानुभू त धा मक आधार पर थी।


बाद म भी मुसलमान ने जन नायक मथक और सां कृ तक परंपरा क अपील क वे
भारत के इ तहास से नह ब क प म ए शया के इ तहास से संबं धत थे। हालाँ क इस वृ
का भारतीय रा वाद से तुरंत टकराव नह आ ले कन वा तव म इसने अपने समथक को
सा ा यवाद वरोधी बना दया ले कन द घाव ध म इसने राजनी तक को धा मक कोण
से दे ख ने क आदत को बढ़ावा दया।

ब सं यक समुदाय ारा सां दा यक त या अ पसं यक सां दा यकता को


ब सं यक समुदाय से त या मली। के दशक से ही कु छ ह जम दार सा कार
और म यम वग के पेशेवर ने मु लम वरोधी भावना को अ भ दे ना शु कर दया था।
वे यह घोषणा करने क हद तक चले गए क अं ेज ने भू म को मु लम अ याचार से मु कर
दया है और ह को मुसलमान के उ पीड़न से बचाया है। हद के मु े को यह कहकर
सां दा यक रंग दया गया क उ मुसलमान क भाषा थी जो ऐ तहा सक प से ब कु ल
सही नह थी ।

फर सां दा यक कोण को बढ़ावा दे ने वाले संगठन आये। पंज ाब ह सभा क


ापना म संयु रा ारा क गई थी
मुख ज और लाल चंद ने सभी रंग के भारतीय को एक रा म एकजुट करने क को शश के
लए कां ेस का वरोध कया। उ ह ने तक दया क मुसलमान के खलाफ लड़ाई म ह को
औप नवे शक सरकार का साथ दे ना चा हए। अ खल भारतीय ह महासभा ने अपना पहला
स अ ैल म महाराजा के साथ आयो जत कया
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यु ो र रा ीय प र य

का सम बाजार अ य बने। रा ीय वयंसेवक संघ आरएसएस क ापना म ई थी।


हालाँ क ह सां दा यकता लंबे समय तक एक मजबूत ताकत नह थी य क आधु नक
धम नरपे बु जी वय और ह के बीच म यम वग ने अ धक भाव डाला था। मुसलमान
के मामले म ऐसा नह था मु लम सां दा यक त व जम दार पारंप रक धा मक नेता
और नौकरशाह ने मुसलमान पर ब त भाव डाला।

सा दा यक वृ य के व भ सं करण क एक पर ती एक ऐसा कारक थी जसने


सा दा यकता के खलाफ कसी भी भावी जवाबी हमले को रोका।

दो रा स ांत का वकास पछले कु छ वष म दो रा स ांत का


वकास इस कार है डफ़ रन वाइसराय और को वन संयु ांत के उपरा यपाल
ारा कां ेस पर
सीधा हमला कया गया। सैयद अहमद खान और भनगा के राजा शव साद को
सरकार ने कां ेस वरोधी मोच के प म आगे बढ़ाया। सैयद अहमद खान ने श त मुसलमान
से कां ेस से र रहने क अपील क हालाँ क कु छ मुसलमान कां ेस म शा मल हो गये। इनम
बद न तैयबजी मीर मुशरफ सैन ए भीमजी और हा मद अली खान शा मल थे.

आगा खान ने सभी तर पर मुसलमान के लए अलग नवाचन े क मांग


करने के लए वायसराय लॉड मटो के पास एक मु लम त न धमंडल जसे शमला
त न धमंडल कहा जाता था का नेतृ व कया और कहा क मु लम त न ध व न के वल
उनक सं या मक ताकत के अनु प होना चा हए ब क उनक राजनी तक के अनु प भी
होना चा हए। टश सा ा य म उनका मह व और योगदान ।

मटो ने उ ह सा ा य के त उनक असाधारण सेवा के लए उनक आबाद से अ धक


वशेष सां दा यक त न ध व का आ ासन दया।

अ खल भारतीय मु लम लीग क ापना आगा खान ढाका के नवाब सलीमु लाह


नवाब मोह सन उल मु क और नवाब वकार उल मु क ने अं ेज के त वफादारी का उपदे श
दे ने के लए क थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सरकार और मु लम बु जी वय को कां ेस से र रखना।

मॉल के तहत अलग नवाचन े दान कए गए


मटो सुधार.

पंज ाब ह सभा क ापना यूएन मुख ज और लाल चंद ने क थी।

अ खल भारतीय ह महासभा का पहला अ धवेशन आ

का सम बाज़ार के महाराजा के त वावधान म आयो जत कया गया।


इस अव ध के दौरान मु लम लीग पर युवा मु लम रा वा दय का वच व
था ले कन उनका रा वाद राजनी तक सवाल के सां दा यक कोण से े रत था।

कां ेस ने मु लम लीग क पृथक नवा चका क मांग वीकार कर ली और


कां ेस तथा लीग ने सरकार के सम संयु मांग तुत क । ले कन कां ेस और लीग अलग
अलग राजनी तक सं ा के प म एक साथ आए और कां ेस ने मु लम लीग के अ त व को
राजनी तक वैधता द ।

मुसलमान ने रौलट और खलाफत असहयोग आंदोलन म भाग लया


ले कन मुसलमान के राजनी तक कोण म एक सां दा यक त व था।

का दशक दे श पर सा दा यक दं ग का साया मंडरा रहा था। आय समा जय ने


शु शु और संगठन संगठन आंदोलन शु कया। शु आंदोलन का उ े य उन लोग
को ह धम म वापस लाना था ज ह ने इ लाम अपना लया था। मुसलमान ने तशोध म
त लीग और तंज़ ीम आंदोलन शु कया।

कु छ रा वाद भी सां दा यक हो गये। वराजवाद सां दा यक आधार पर वभा जत थे


और उनम से कई त यावाद ह महासभा म शा मल हो गए। अली बंधु ने कां ेस के साथ
एक शानदार संयु मोचा बनाने के बाद कां ेस पर के वल ह हत क र ा करने का आरोप
लगाया।

कां ेस एक उपयु रणनी त वक सत करने म वफल रही


सा दा यकता के उदय का तकार कर।
संवैधा नक सुधार पर नेह रपोट
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यु ो र रा ीय प र य

कां ेस के सुझ ाव का मु लम क रपं थय और सख लीग ने वरोध कया। ज ा ने सरकारी


सेवा और वशासी नकाय म मुसलमान के लए अलग नवाचन े और आर ण क मांग
करते ए चौदह सू ी ताव रखे। मु लम लीग के साथ बातचीत करके कां ेस ने कई गल तयाँ

. इसने लीग क राजनी त को वैधता दान क इस कार समाज को अलग अलग


हत वाले अलग अलग समुदाय म वभा जत करने को मा यता द गई।

. इसने धम नरपे रा वाद मुसलमान क भू मका को कमज़ोर कर दया।


. एक समुदाय को रयायत अ य समुदाय को समान रयायत मांगने के लए े रत
करती ह।
. सा दा यकता पर चौतरफा हमला करना क ठन हो गया।

कु छ मु लम समूह जैसे जमात ए उलेमा ए हद क मीर रा य और


खुदाई खदमतगार ने स वनय अव ा आंदोलन म भाग लया ले कन कु ल मलाकर मुसलमान
क भागीदारी खलाफत आंदोलन के तर के आसपास भी नह थी। जब क कां ेस आगे के
संवैधा नक सुधार पर चचा के लए लंदन म आयो जत तीन गोलमेज़ स मेलन म से दो से र
रही सां दा यकतावा दय ने उन तीन म भाग लया।

सां दा यक पुर कार ने सभी मुसलमान को वीकार कर लया


ब म स म लत सा दा यक मांग।
के बाद के ांतीय चुनाव म मु लम लीग के खराब दशन के बाद
उसने चरम सां दा यकता का सहारा लेने का फै सला कया। मुसलमान को अ पसं यक के
प म नह ब क एक अलग रा के प म पेश करने क वृ शु ई के दशक
क शु आत म एक अलग मु लम रा का यह वचार एक युवा मु लम बु जीवी रहमत अली
ारा ता वत कया गया था और बाद म क व इकबाल ारा इसे और वक सत कया गया ।
अब से सां दा यकता को एक जन आंदोलन के प म संग ठत कया गया जसका आधार
म यम और उ वग के बीच था। एफएम जेडए सुलेरी ारा कां ेस के खलाफ चार कया
गया

रानी फजल उल हक आ द। चरम सां दा यकता श द और कम के भय घृण ा और हसा पर


आधा रत थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

तक उदारवाद सां दा यकता थी जो सुर ा उपाय और आर ण पर क त थी। यह कु छ उदार


लोकतां क मानवतावाद और रा वाद मू य को कायम रखते ए सां दा यक था और यह धारणा थी क इन
व वध समुदाय को एक रा ीय हत म एक रा म एक साथ जोड़ा जा सकता है।

मुसलमान क चरम सां दा यकता क त व न ह महासभा और आरएसएस जैसे संगठन ारा

तुत ह के उ सां दा यक रा वाद और गोलवलकर जैसे नेता के वचार म पाई गई। उ सा दा यकता
के आगमन के कई कारण थे।

. बढ़ती क रता के साथ त यावाद त व ने सां दा यकता के मा यम से एक सामा जक आधार


क तलाश क ।

. औप नवे शक शासन ने बाक सब ख़ म कर दया था


मतलब रा वा दय को बांटना.

. सां दा यक वृ य को चुनौती दे ने म पहले क वफलता ने सां दा यक ताकत को ो सा हत


कया है।
ज ा ने कां ेस क असंभव मांग को आगे बढ़ाकर सुलह के सभी रा ते बंद कर दये।

Views
ब सं यक और अ पसं यक समुदाय का टश सरकार क दे न है और उनके हटने के साथ ही
गायब हो जाएगा।

एमके गांधी

हम बांटते ह और वे शासन करते ह।


मौलाना मोह मद अली

के बाद मुसलमान के लए यह दन के उजाले क तरह था क उनक वा त वक नय त न तो एक रा ीय


ह रा य म दोयम दज क नाग रकता थी न ही एक ब रा ीय भारत म सं द ध साझेदारी... ब क एक अलग
मातृभू म के साथ एक अलग रा ीयता थी।

इ तहास का का वतं ता आंदोलन पा क तान

वतं सं भु रा पा क तान का ज म अलीगढ़ के मु लम व व ालय म आ था।

आग़ा खान
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यु ो र रा ीय प र य

को वयं को एक ह संगठन घो षत करना चा हए और मा यता दे नी चा हए


मु लम लीग भारत क एकमा त न ध थी
मुसलमान.

माच पा क तान ताव पा रत कया गया


मु लम लीग के लाहौर अ धवेशन का आ ान
भौगो लक प से स हत सभी मु लम ब सं यक का समूह
े मु य प से उ र प मी और पूव भारत को वतं कर दया गया
वे रा य जनम घटक इकाइयाँ वाय ह गी और

सं भु और अ य े म मुसलमान के लए पया त सुर ा


जहां वे अ पमत म ह ।
तीय व यु के दौरान टश भारत
सरकार ने राजनी तक तौर पर लीग को एक तरह से वीटो दे दया
समझौता। लीग ने इस वशेषा धकार का पूरा उपयोग कया और
पूरे समय अलग पा क तान क मांग पर अड़े रहे
अग त ताव स के ताव के तहत बातचीत
शमला स मेलन एवं कै बनेट मशन योजना। आ ख़रकार यह मल गया
इसक आकां ा या थी एक वतं पा क तान जसम शा मल हो
म पंज ाब सध बलू च तान उ र प म सीमांत ांत और बंगाल के मु लम ब ल े ।

सारांश

• टश शासन के अं तम दो वष
दो बु नयाद सू

. कपटपूण वाता के प रणाम व प वतं ता और वभाजन आ


सां दा यक हसा के साथ
. छटपुट ानीयकृ त सामू हक कारवाई
जुलाई टे न म लेबर सरकार स ा म आई
अग त क य और ांतीय वधानसभा के लए चुनाव
क घोषणा क
सतंबर सं वधान सभा क घोषणा
यु के बाद
म एक बदलाव सरकार के रवैये के कारण
वै क श समीकरण म प रवतन टे न अब श नह रहा
मक सरकार भारत के त सहानुभू त रखती है
टश सै नक थक गये और टश अथ व ा व त हो गयी
पूरे ए शया म सा ा यवाद वरोधी लहर
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अ धका रय को कां ेस के एक और व ोह क आशंक ा थी


दो मु य के लए चुनावी योजनाएँ कां ेस
. का दमन
. आईएनए यु बं दय पर मुक दमा चलाने के ख़लाफ़ जन दबाव
म एक आंदोलन मु य वशेषताएं
अभूतपूव उ पच और ती ता थी
ापक भौगो लक एवं सामा जक सार था
राज सरकारी कमचा रय क पारंप रक गढ़ म घुसपैठ
और वफादार
हर दन के साथ मामला पूरी तरह से भारत बनाम टे न का हो गया
तीन उभार
. नवंबर को कलक ा म आईएनए परी ण को लेक र
. फरवरी को कलक ा म सात वष क सजा
एक आईएनए अ धकारी को

. फरवरी को ब बई म रॉयल इं डयन क हड़ताल


नौसेना रे टग
कां ेस ने समय क वजह से इन व ोह का समथन नह कया
और रणनी त
चुनाव प रणाम

कां ेस ने स ल असबली क सीट म से सीट जीत


म ास बॉ बे यूपी बहार उड़ीसा और म ब मत मला
म य ांत और संघवा दय के साथ गठबंधन भागीदार और
पंज ाब म अकाली
मु लम लीग ने स ल असबली म आर त सीट जीत
बंगाल सध म ब मत मला
य तक टश वापसी आस लग रही थी
. आ धप य के संघष म रा वाद ताकत क सफलता
. नौकरशाही और वफादार का मनोबल गरना
धारा
. सुलह क टश रणनी त क सीमाएँ और
दमन
. सेना और आरआईएन ारा आईएनए के लए नरमी क मांग
रे ट स का व ोह
. पूण तः आ धका रक नयम असंभव था
मु य इसका उ े य सरकार नी त अब
के तौर तरीक पर समझौते के बाद एक शानदार वापसी
स ा का ह तांतरण और सा ा यवाद के बाद भारत टश संबंध

• कै बनेट मशन
ताव
पा क तान क अ वीकृ त
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यु ो र रा ीय प र य

मौजूदा वधानसभा को तीन खंड ए बी सी म समू हत करना


ांत रयासत म तरीय कायपा लका और वधा यका
रा य और संघ तर
ांतीय वधानसभाएं एक सं वधान सभा का चुनाव करगी
र ा संचार बा के लए सामा य क
काय
ांत को वाय ता और अव श श यां ा त ह गी
रयासत इसके साथ समझौता करने के लए वतं थ
उ रा धकारी सरकार या टश सरकार
भ व य म कोई ा त वतं प से अनुभाग से बाहर आ जायेगा
संगठन
इस बीच घटक दल क ओर से अंत रम सरकार का गठन कया जाना है
वधानसभा।
ा या कां ेस ने दावा कया क गुटबाजी थी
वैक पक जब क लीग ने सोचा क समूहीकरण था
अ नवाय। मशन ने लीग म मामले का फै सला कया
कृ पा

वीकार कां ेस के बाद लीग ने मं मंडल वीकार कर लया


जून म मशन के ताव
आगामी वकास जुलाई लीग से हट गए
नेह के ेस व के बाद योजना बनाई गई और आ ान कया गया
अग त से य कारवाई के लए
सतंबर नेह के नेतृ व म एक अंत रम सरकार
शपथ ली
अ टू बर लीग अंत रम सरकार म शा मल होती है और उसका अनुसरण करती है
एक अवरोधक कोण
फरवरी कां ेस सद य हटाने क मांग कर रहे ह
लीग के सद य लीग ने सं वधान भंग करने क मांग क
वधानसभा
• भारत म सा दा यकता का ज म एवं सार
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वभाजन के साथ आज़ाद

एटली का फ़रवरी का व
टश धान मं ी लेमट एटली ने चार ओर क परेशानी को महसूस करते ए फरवरी
को एक घोषणा क । टश हाउस ऑफ कॉम स ने भारतीय उपमहा प छोड़ने के
टश इरादे क घोषणा क ।

एटली के बयान के मु य ब

• स ा ह तांतरण के लए जून क समय सीमा तय क गई भले ही


भारतीय राजनेता उस समय तक सं वधान पर सहमत नह थे। • य द सं वधान सभा पूरी तरह
से त न ध नह होती यानी य द
मु लम ब ल ांत इसम शा मल नह होते तो टश या तो कसी कार क क य
सरकार या कु छ े म मौजूदा ांतीय सरकार को स ा छोड़ दे ते। • रयासत के संबंध म
टश श यां और दा य व स ा ह तांतरण के साथ समा त हो जाएंगे ले कन इ ह टश
भारत म कसी भी उ रा धकारी सरकार को ह तांत रत नह कया जाएगा।

• वायसराय के प म माउं टबेटन वेवेल का ान लगे।


बयान म वभाजन और यहां तक क दे श को कई रा य म वभा जत करने के
संके त थे और सं ेप म यह स ताव का उलटा था।
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वभाजन के साथ आज़ाद

सरकार ारा इसके लए तारीख य तय क गई


नकासी
• सरकार को उ मीद थी क तय तारीख से झटका लगेगा
दोन प मु य पर एक समझौते पर प ँचे।
• सरकार उभरते संवैधा नक संक ट को टालने क इ ु क थी।

• सरकार को भारतीय को समझाने क आशा थी


टश ईमानदारी.
• वेवेल के आकलन क स ाई को अब नकारा नह जा सकता क सरकार के
अ धकार म अप रवतनीय गरावट आई है।

कां ेस का ख एक से अ धक
क को स ा ह तांतरण का ावधान कां ेस को वीकाय था य क इसका मतलब था क
मौजूदा वधानसभा आगे बढ़ सकती थी और अपने त न ध व वाले े के लए एक सं वधान
बना सकती थी और इसने मौजूदा ग तरोध से बाहर नकलने का रा ता पेश कया।

ले कन समझौते क ामक उ मीद ज द ही टू ट ग य क बयान अं तम टकराव क


तावना सा बत आ। लीग ने पंज ाब म गठबंधन सरकार को उखाड़ फकने के लए स वनय
अव ा आंदोलन शु कया य क इस बयान से उसे साहस महसूस आ।

आज़ाद और बँटवारा
सां दा यक दं ग और कां ेस लीग गठबंधन क अ वहायता ने क शु आत म कई
लोग को वभाजन के अब तक अक पनीय वचार को वीकार करने के बारे म सोचने के लए
मजबूर कया।
सबसे बल मांग अब बंगाल और पंज ाब के ह और सख सां दा यक समूह से आई है जो
अ नवाय समूहीकरण क संभावना से च तत थे जो उ ह पा क तान म मल सकता है। बंगाल
म ह महासभा प म बंगाल म एक अलग ह ांत क वहायता का आकलन कर रही थी।

माच को नेह ने कहा क कै बनेट


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

य द काया वत कया गया तो मशन सव म समाधान था एकमा वा त वक वक प पंज ाब


और बंगाल का वभाजन था।
अ ैल म कां ेस अ य कृ पलानी ने वायसराय को प लखा ... लड़ाई के
बजाय हम उ ह उनका पा क तान दे दगे बशत आप न प तरीके से बंगाल और पंज ाब को
वभा जत करने क अनुम त द।

वायसराय के प म माउं टबेटन अपने पूवव तय क


तुलना म नणय लेने म अ धक ढ़ और व रत सा बत ए य क उ ह अनौपचा रक प से
मौके पर ही नणय लेने के लए अ धक अ धकार दए गए थे। उ ह टश सरकार के यथाशी
पद छोड़ने के ढ़ नणय का भी लाभ मला। उनका काय अ टू बर तक एकता और
वभाजन के वक प का पता लगाना और फर टश सरकार को स ा ह तांतरण के तरीके
पर सलाह दे ना था। ले कन उ ह ज द ही पता चला क उभरने वाले प र य क ापक
परेख ा उनके भारत आने से पहले ही समझ म आ गई थी।

कै बनेट मशन योजना बेक ार सा बत ई और ज ा एक सं भु रा य से कम कसी भी चीज़


पर समझौता न करने पर अड़े ए थे। ले कन एकता के गंभीर यास म उन ताकत का समथन
करना शा मल होगा जो एक कृ त भारत चाहते थे और उन लोग का मुक ाबला करना जो इसका
वरोध करते थे। माउं टबेटन ने दोन प को लुभाने को ाथ मकता द ।

माउं टबेटन योजना जून माउं टबेटन के भारत आने से


ब त पहले ही वभाजन के साथ आज़ाद का फॉमूला ापक प से वीकार कया जाने लगा
था। एक मुख नवाचार वा तव म वीपी मेनन ारा सुझ ाया गया डो म नयन टे टस अलगाव
के अ धकार के साथ के अनुदान के आधार पर स ा का त काल ह तांतरण था इस कार
एक नई राजनी तक संरचना पर सं वधान सभा म समझौते क ती ा करने क आव यकता
समा त हो गई। .

मु य ब योजना के
मह वपूण ब इस कार थे.
• पंज ाब और बंगाल वधान सभा म वोट दे ने के लए ह और मु लम दो समूह म
बैठक ह गी
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वभाजन के साथ आज़ाद

वभाजन. य द कसी भी समूह का साधारण ब मत वभाजन के प म मतदान करता तो इन ांत का


वभाजन हो जाता।
• वभाजन क त म दो अ धरा य और दो सं वधान सभाएं बनाई जाएंगी।

• सध अपना नणय वयं लेगा। • एनड यूएफपी और बंगाल के

सलहट जले म जनमत सं ह इन े के भा य का फै सला करेगा। • चूं क कां ेस ने एक कृ त


भारत को वीकार कर लया था इस लए उनके अ य सभी ब पूरे हो

जाएंगे अथात् i रयासत क वतं ता को खा रज कर दया जाएगा वे भारत या पा क तान म


शा मल हो जाएंगे ii बंगाल क वतं ता को खा रज कर दया गया iii
हैदराबाद के पा क तान म वलय को खा रज कर दया गया माउं टबेटन ने इस पर कां ेस का
समथन कया

iv अग त को आज़ाद मलना और v य द वभाजन आ तो एक सीमा


आयोग ा पत कया जाएगा
भावी होना.

इस कार लीग क मांग इस हद तक मान ली गई क पा क तान बनाया जाएगा और पा क तान


को यथासंभव छोटा बनाने के लए एकता पर कां ेस क त को यान म रखा गया। माउं टबेटन का फामूला
भारत को वभा जत करने ले कन अ धकतम एकता बनाए रखने का था।

कां ेस ने डो म नयन टे टस य वीकार कया लाहौर कां ेस क भावना के


खलाफ होने के बावजूद कां ेस डो म नयन टे टस वीकार करने को तैयार थी य क i इससे शां तपूण
और व रत ह तांतरण सु न त होगा


ii कां ेस के लए व ोटक त क जाँच करने का अ धकार अपने हाथ म लेना अ धक
मह वपूण था और iii यह नौकरशाही और सेना म कु छ आव यक नरंतरता क
अनुम त दे गा।

टे न के लए डो म नयन टे टस ने भारत को रा मंडल म बनाए रखने का मौका दया भले ही


अ ायी प से भारत क आ थक ताकत र ा मता और ापार और नवेश के अ धक मू य को दे ख ते
ए।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे ख ना
हालाँ क इस दावे का कोई आधार नह है क स वनय अव ा आंदोलन सीधे तौर पर वतं ता का
कारण बना। गांधीजी के अ भयान...भारत को आज़ाद मलने से लगभग चौदह साल पहले ही ख़ म
हो गए... थम व यु के दौरान भारतीय ां तका रय ने सश व ोह ारा दे श को आज़ाद कराने
के लए यु साम ी के प म जमन मदद का लाभ उठाने क को शश क । ले कन यास सफल नह
आ. तीय व यु के दौरान सुभाष बोस ने इसी प त का पालन कया और आईएनए का नमाण
कया। शानदार योजना और शु आती सफलता के बावजूद सुभाष बोस के हसक अ भयान वफल
रहे... भारत क आजाद क लड़ाई टे न के खलाफ भी लड़ी जा रही थी हालां क परो प से
यूरोप म हटलर और ए शया म जापान ारा। इनम से कसी को भी य सफलता नह मली ले कन
कु छ लोग इस बात से इनकार करगे क यह इन तीन का संचयी भाव था जसने भारत को वतं ता
दलाई।

वशेष प से आईएनए परी ण ारा कए गए रह यो ाटन और भारत म इसक त या ने यु


से पहले ही थक चुके अं ेज को यह ब कु ल कर दया क वे अब अपना अ धकार बनाए रखने
के लए सपा हय क वफादारी पर नभर नह रह सकते। भारत। भारत छोड़ने के उनके अं तम नणय
पर संभवतः इसका सबसे अ धक भाव पड़ा।

आरसी मजूमदार

ारं भक त थ का औ च य अग त
टे न डो म नयन टे टस के लए कां ेस क सहम त सु न त करना चाहता था। साथ ही
अं ेज सां दा यक त क ज मेदारी से बच सकते थे।

बना कसी दे री के योजना को लागू कर दया गया।


बंगाल और पंज ाब क वधान सभा ने इन दोन ांत के वभाजन के प म नणय लया।
इस कार पूव बंगाल और प मी पंज ाब पा क तान म शा मल हो गये प म बंगाल और
पूव पंज ाब भारतीय संघ के साथ रहे। सलहट म जनमत सं ह के प रणाम व प उस जले
को पूव बंगाल म शा मल कर लया गया। नए ांत क सीमा का सीमांक न करने के लए
येक ांत के संबंध म दो सीमा आयोग का गठन कया गया था। एनड यूएफपी म
जनमत सं ह म पा क तान के प म फै सला आया ांतीय कां ेस ने जनमत सं ह से
परहेज कया। बलू च तान और सध ने पा क तान को अपना ह सा दे दया।
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वभाजन के साथ आज़ाद

भारतीय वतं ता अ ध नयम


जुलाई को टश संसद ने भारतीय वतं ता अ ध नयम पा रत कया जो माउं टबेटन
योजना पर आधा रत था और इस अ ध नयम को जून को शाही वीकृ त मली।
यह अ ध नयम अग त को लागू कया गया था।

अ ध नयम म अग त से भारत और पा क तान के दो वतं भु व के


नमाण का ावधान था। येक भु व म एक गवनर जनरल होना था जो अ ध नयम के भावी
संचालन के लए ज मेदार था। येक नए भु व क सं वधान सभा को उस भु व क
वधा यका क श य का योग करना था और मौजूदा क य वधान सभा और रा य क
प रषद को वचा लत प से भंग कर दया जाना था। सं मणकालीन अव ध के लए यानी
जब तक येक डो म नयन ारा एक नया सं वधान नह अपनाया जाता तब तक दोन
डो म नयन क सरकार भारत सरकार अ ध नयम के अनुसार चलनी थ ।

भारतीय वतं ता अ ध नयम के ावधान के अनुसार पा क तान अग त


को वतं आ जब क भारत को अग त को वतं ता मली। एमए ज ा
पा क तान के पहले गवनर जनरल बने। हालाँ क भारत ने लॉड माउं टबेटन से भारत के गवनर
जनरल बने रहने का अनुरोध करने का नणय लया।

बा कन क योजना बनाएं

के माच और मई के बीच माउं टबेटन ने नणय लया क कै बनेट मशन योजना अ र हो


गई है और एक वैक पक योजना तैयार क । इस योजना म स ा को अलग अलग ांत म या
कसी प रसंघ को य द ह तांतरण से पहले बनाया गया हो ह तांत रत करने क प रक पना क गई
थी जसम पंज ाब और बंगाल को अपने ांत के वभाजन के लए मतदान करने का वक प दया
गया था। इस कार रयासत के साथ ग ठत व भ इकाइय सव धानता क समा त के कारण
वतं के पास भारत या पा क तान म शा मल होने या अलग रहने का वक प होगा। नेह ारा
इस पर हसक त या के बाद योजना को तुरंत छोड़ दया गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ज द नकासी क सम या
माउं टबेटन के अधीन घटना क ती ग त के कारण वभाजन के ववरण व त करने म वसंग तयाँ पैदा
और पंज ाब नरसंहार को रोकने म पूरी तरह से असफल रहे य क

• कोई सं मणकालीन सं ागत संरचनाएं नह थ

जसके भीतर वभाजन क सम या से नपटा जा सके


• माउं टबेटन ने भारत और पा क तान के आम गवनर जनरल बनने क आशा क थी इस कार
आव यक लक दान कया ले कन ज ा पा क तान म अपने लए पद चाहते थे • सीमा आयोग पुर कार
रेड लफ के तहत क घोषणा म दे री ई हालाँ क पुर कार अग त तक तैयार हो गया था ले कन
माउं टबेटन ने इसे अग त के बाद सावज नक करने का नणय लया ता क अं ेज़ गड़बड़ी क
सभी ज मेदारी से बच सक।

रा य का एक करण के दौरान
राजनी तक अ धकार और सं वधान सभा म वैक पक त न ध व क मांग को लेक र रा य जन आंदोलन का
एक नया उभार आ। नेह ने उदयपुर और वा लयर अ ैल म अ खल भारतीय रा य
पीपु स कॉ स स क अ य ता क । उ ह ने घोषणा क क सं वधान सभा म शा मल होने से इनकार करने
वाले रा य के साथ श ुतापूण वहार कया जाएगा। जुलाई म व लभभाई पटे ल ने नये रा य वभाग
का कायभार संभाला। पटे ल के अधीन भारतीय रा य का समावेश दो चरण म आ दोन म लोभन और
जन दबाव के कु शल संयोजन के साथ।

चरण I अग त तक क मीर हैदराबाद और जूनागढ़ को छोड़कर सभी रा य ने र ा


वदे शी मामल और संचार पर क य अ धकार को वीकार करते ए भारत सरकार के साथ वलय प पर
ह ता र कए थे। राजकु मार इस पर काफ आसानी से सहमत हो गए य क i वे के वल वही समपण कर
रहे थे जो उनके पास कभी नह था ये तीन काय टश सव प रता का ह सा थे और ii आंत रक
राजनी तक संरचना म कोई बदलाव नह आ था।

चरण II सरे चरण म ब त कु छ शा मल था


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वभाजन के साथ आज़ाद

पड़ोसी ांत के साथ या का ठयावाड़ संघ व य और म य दे श राज ान या हमाचल दे श


जैसी नई इकाइय म रा य के एक करण क क ठन या के साथ साथ उन रा य म
आंत रक संवैधा नक प रवतन भी शा मल ह ज ह ने कु छ वष तक अपनी पुरानी सीमा
हैदराबाद मैसूर ावणकोर कोचीन को बरकरार रखा है। . यह चरण एक वष के भीतर पूरा
कया गया। मु य लोभन एक उदार वी पस था जब क कु छ राजकु मार को वतं भारत
म रा यपाल और राज मुख बनाया गया था।

इसके बाद दे श का तेज ी से राजनी तक एक करण आ


वतं ता पटे ल क सबसे बड़ी उपल थी।

वभाजन क अ नवायता
कां ेस ने वभाजन को य वीकार कया • मु लम जनता को
रा ीय आंदोलन म आक षत करने म द घका लक वफलता के कारण कां ेस के वल
अप रहाय को वीकार कर रही थी। वभाजन कां ेस के नेतृ व वाले सा ा यवाद वरोधी
आंदोलन क सफलता असफलता के ं को दशाता है।

कां ेस के सामने दो काय थे i व भ वग समुदाय समूह और े को एक रा के प


म संर चत करना और ii इस रा के लए वतं ता सु न त करना। जब क कां ेस अं ेज
पर भारत छोड़ने के लए दबाव बनाने के लए पया त रा ीय चेतना का नमाण करने म सफल
रही ले कन वह रा को जोड़ने के काय को पूरा करने म वफल रही वशेषकर मुसलमान को
रा म एक कृ त करने म। • के वल स ा का त काल ह तांतरण ही य कारवाई और
सां दा यक हसा को फै लने से रोक सकता है। अंत रम सरकार के आभासी पतन ने पा क तान
क धारणा को भी अप रहाय बना दया। • वभाजन योजना ने
रयासत क वतं ता को खा रज कर दया जो भारतीय एकता के लए एक बड़ा
खतरा हो सकता था य क इसका मतलब दे श का वभाजन होता। • वभाजन को वीकार
करना लीग क एक अलग मु लम रा य क वकालत के लए चरण दर चरण रयायत क
या का अं तम काय मा था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अं ेज न तो ह के श ु थे और न ही मुसलमान के म । उ ह ने मुसलमान के त म ता दखाने के लए नह ब क अपनी

अंतररा ीय नी तय क मजबू रय के तहत पा क तान क ापना क ।

वली खान

ऐसा नह था क टे न ने फू ट डालो और राज करो क नी त अपनाई ब क राजनी तक और सामा जक प से हताश दे श म


चरण म स ा ह तांत रत करने क या वाभा वक प से वभाजनकारी थी।

आर जे मूर

सच तो यह है क हम थके ए आदमी थे और हम वष म भी आगे बढ़ रहे थे। हमम से कु छ लोग फर से जेल जाने क संभावना
को बदा त कर सकते ह और अगर हम अखंड भारत के लए खड़े होते जैसा क हम चाहते थे तो जा हर तौर पर जेल हमारा
इंतजार कर रही होती। हमने पंज ाब म आग जलती दे ख ी और हर दन ह या क खबर सुन । वभाजन क योजना ने एक रा ता
सुझ ाया और हमने उसे वीकार कर लया।

जवाहर लाल नेह

मुझ े लगा क अगर हमने वभाजन वीकार नह कया तो भारत कई टु क ड़ म बंट जायेगा और पूरी तरह बबाद हो जायेगा. एक
वष के कायालय के मेरे अनुभव ने मुझ े आ त कया क जस तरह से हम आगे बढ़ रहे ह वह हम वनाश क ओर ले जाएगा।
हमारे पास एक नह ब क कई पा क तान होते. हमारे हर द तर म पा क तान सेल होते.

सरदार पटे ल

कां ेस के साथ साथ मु लम लीग ने भी वभाजन वीकार कर लया था...हालाँ क वा त वक त ब कु ल अलग


थी... वीकृ त के वल कां ेस के एआईसीसी के ताव और मु लम लीग के र ज टर म थी। भारत के लोग ने वभाजन को वतं
एवं खुले मन से वीकार नह कया था। कु छ ने इसे बेहद गु से और नाराज़गी के कारण वीकार कया था और कु छ ने नराशा क
भावना से।

मौलाना आज़ाद

स मशन के दौरान मु लम ब ल ांत क वाय ता वीकार कर ली


गई।
गांधी ज ा वाता के दौरान गांधीजी ने मु लम ब ल ांत के आ म नणय
के अ धकार को वीकार कर लया।
कै बनेट मशन योजना के बाद कां ेस ने मु लम ब ल ांत क संभावना
वीकार कर ली
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वभाजन के साथ आज़ाद

एक अलग सं वधान सभा क ापना। बाद म कां ेस ने बना कसी आप के वीकार कर


लया क समूहीकरण अ नवाय था दसंबर ।

पा क तान का आ धका रक संदभ माच म आया जब सीड यूसी के ताव


म कहा गया क य द दे श का वभाजन आ तो पंज ाब और न हताथ से बंगाल का भी
वभाजन होना चा हए।
जून क योजना के साथ कां ेस ने वभाजन वीकार कर लया। • सं वधान सभा
क सं भुता पर जोर शोर से दावा करते ए कां ेस ने चुपचाप अ नवाय समूहीकरण
को वीकार कर लया और सबसे बढ़कर वभाजन को वीकार कर लया य क वह सां दा यक
दं ग को नह रोक सक ।

फर भी कां ेस म सां दा यक भावना क ग तशीलता क ब त अ धक इ ापूण सोच


और सराहना क कमी थी वशेषकर नेह म ज ह ने कई बार कहा था एक बार अं ेज़
चले गए तो ह मु लम मतभेद र हो जाएंगे और एक वतं एकजुट भारत बनेगा। न मत
कया जाए।

वभाजन के वल अ ायी है।


वभाजन शां तपूण होगा एक बार पा क तान मान लया गया तो लड़ने के लए
या बचा है
और के दशक क सां दा यकता के दशक से भ थी। अब यह
एक मुख र मु लम रा के लए एक संपूण यास था। कां ेस नेतृ व ने इस कार क
सां दा यकता क मता को कम करके आंक ा।

गांधी क बेबसी
गांधी असहाय महसूस कर रहे थे य क लोग का सां दा यकरण हो गया था। उनके पास
वभाजन वीकार करने के अलावा कोई वक प नह था य क लोग यही चाहते थे।
सां दा यकता से लड़ने के लए सां दा यक लोग को शा मल करके कोई आंदोलन कै से हो
सकता है हालाँ क उ ह ने कां े सय से कहा क वे इसे अपने दल से वीकार न कर।

दे ख ना

मने अके ले ही अपने से े टरी और टाइपराइटर क मदद से मुसलमान के लए पा क तान जीत लया।

एमए ज ा
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सारांश
• एटली का व फरवरी
जून स ा ह तांतरण क समय सीमा तय क गई
स ा एक क को या कु छ े म मौजूदा ांतीय सरकार को ह तांत रत क जा सकती है

• माउं टबेटन योजना जून


पंज ाब और बंगाल क सभाएँ वभाजन पर नणय लगी।
सध अपना नणय वयं लेगा एनड यूएफपी और
सलहट जले म जनमत सं ह होगा य द वभाजन आ तो दो भु व बनाए जाएंगे दो
सं वधान सभा के साथ अग त को वतं ता दान क जाएगी।

• जुलाई
भारतीय वतं ता अ ध नयम को शाही वीकृ त मली और इसे अग त को लागू
कया गया।

• वभाजन अप रहाय य तीत हो रहा था


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इकाई IX

भारत के अंतगत
टश शासन
शासन और अ य

पहलू
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संवैधा नक शास नक और...

संवैधा नक शास नक और
या यक वकास
म ई ट इं डया कं पनी क ापना और म एक ापा रक इकाई से एक शासक
सं ा म इसके प रवतन का भारतीय राजनी त और शासन पर कोई त काल भाव नह पड़ा।
ले कन कं पनी शासन के तहत और के बीच क अव ध और फर तक
टश ाउन के तहत संवैधा नक और शास नक प रवतन क अ धकता दे ख ी गई। इन
प रवतन क कृ त और उ े य टश सा ा यवाद वचारधारा क सेवा करना था ले कन
अनजाने म उ ह ने भारत क राजनी तक और शास नक व ा म आधु नक रा य के त व
को शा मल कर दया।

और के बीच संवैधा नक
वकास
ब सर क लड़ाई के बाद ई ट इं डया कं पनी को बंगाल बहार और उड़ीसा क द वानी
राज व एक करने का अ धकार मल गया। मुगल स ाट शाह आलम तीय को वा षक
स सडी और अवध के नवाब शुज ा उद दौला को वा षक पशन द जानी थी। कं पनी ने दो
भारतीय को ड ट द वान नयु कया बंगाल के लए मोह मद रज़ा खान और बहार के लए
राजा शताब राय।

टश सरकार ारा भारतीय मामल म पहला ह त ेप म आ। उसने


सालाना म लयन पाउं ड क लूट म तशत ह सेदारी क मांग क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सरकार क दोहरी णाली जहां कं पनी के पास अ धकार तो थे ले कन कोई


ज मेदारी नह थी और उसके भारतीय त न धय के पास सारी ज मेदारी थी ले कन कोई
अ धकार सात साल तक जारी नह रहा। इस अव ध क वशेषता थी • कं पनी के नौकर के
बीच बड़े पैमाने पर ाचार ज ह ने खुद को समृ करने के लए नजी ापार का पूरा
उपयोग कया • अ य धक राज व वसूली एवं उ पीड़न

कसान वग •
कं पनी का दवा लयापन जब क नौकर फल फू ल रहे थे।

अब तक टश सरकार ने अपने वसाय म कु छ व ा लाने के लए कं पनी को


व नय मत करने का नणय लया। अब धीरे धीरे कानून पर नयं ण म बढ़ोतरी होगी।

का रेगुले टग ए ट
• रेगुले टग ए ट ने ई ट इं डया कं पनी के कामकाज को नयं त और व नय मत
करने के यास म भारतीय मामल म टश सरकार क भागीदारी को ज म दया। इसने माना
क भारत म कं पनी क भू मका के वल ापार से परे शास नक और राजनी तक े तक
फै ली ई है और क कृ त शासन के त व को पेश कया।

• कं पनी के नदे शक को राज व मामल और नाग रक और सै य शासन से संबं धत


सभी प ाचार सरकार को तुत करना आव यक था। इस कार पहली बार टश कै बनेट
को भारतीय मामल पर नयं ण रखने का अ धकार दया गया। • बंगाल म शासन गवनर
जनरल और नाग रक और सै य सरकार का त न ध व करने वाले सद य वाली एक प रषद
ारा चलाया जाना था। . उ ह ब मत के
नयम के अनुसार काय करना आव यक था। वॉरेन हे ट स और चार अ य को
अ ध नयम म ना मत कया गया था बाद म कं पनी ारा नयु कया जाना था।

• मूल और अपीलीय े ा धकार के साथ बंगाल म यायपा लका का एक सव


यायालय ा पत कया जाना था जहां सभी वषय नवारण क मांग कर सकते थे। हालाँ क
वहार म
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संवैधा नक शास नक और...

सव यायालय के पास प रषद के संबंध म एक ववादा द े ा धकार था जसने


व भ सम याएं पैदा क । • गवनर जनरल बॉ बे और म ास
पर कु छ श य का योग कर सकता था फर से एक अ ावधान जसने
कई सम याएं पैदा क ।

पूरी योजना जाँच और संतुलन पर आधा रत थी।

संशोधन • उ तम यायालय के े ा धकार को प रभा षत कया गया


कलक ा के भीतर इसे तवाद के गत कानून का शासन करना था।

• य द सरकार के कमचारी अपने कत का नवहन करते समय कु छ भी करते ह


तो उ ह छू ट थी। • जा के सामा जक एवं धा मक उपयोग का
स मान कया जाना था।

का पट् स इं डया ए ट • पट् स इं डया


ए ट ने टश सरकार को कं पनी के मामल पर बड़े पैमाने पर नयं ण दान
कया। व तुतः कं पनी रा य का एक अधीन वभाग बन गयी।

भारत म कं पनी के े को टश आ धप य कहा जाता था। • कं पनी के मामल पर


सरकार का नयं ण
काफ बढ़ा दया गया था। एक नयं ण बोड जसम राजकोष के चांसलर एक
रा य स चव और वी काउं सल के चार सद य ाउन ारा नयु कए जाने वाले
शा मल थे को कं पनी के नाग रक सै य और राज व मामल पर नयं ण रखना था। सभी
ेषण को बोड ारा अनुमो दत कया जाना था। इस कार नयं ण क दोहरी णाली
ा पत क गई।

• भारत म गवनर जनरल के पास तीन कमांडर इन चीफ स हत क एक प रषद


होती थी और बॉ बे और म ास क ेसीडसी को गवनर जनरल के अधीन कर दया जाता
था। • आ ामक यु पर सामा य तबंध लगा दया गया

और सं धयाँ अ सर उ लंघन कया जाता है ।

का अ ध नयम •
कॉनवा लस गवनर जनरल और कमांडर इन चीफ दोन क श याँ ा त करना
चाहता था। नए अ ध नयम ने इस मांग को वीकार कर लया और उसे श भी दे द ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• य द कॉनवा लस के पास नणय क ज मेदारी होती तो उसे प रषद के नणय को


पलटने क अनुम त द जाती।
बाद म यह ावधान सभी गवनर जनरल तक बढ़ा दया गया।

का चाटर अ ध नयम • अ ध नयम ने


कं पनी के वा ण यक वशेषा धकार को अगले वष के लए नवीनीकृ त कया।
• कं पनी को भारतीय राज व
से आव यक य याज लाभांश वेतन आ द का भुगतान करने के बाद टश
सरकार को लाख पाउं ड सालाना का भुगतान करना था। • गवनर जनरल गवनर और
कमांडर इन चीफ क नयु के लए शाही मंज ूरी अ नवाय थी। • कं पनी के व र
अ धका रय को बना अनुम त के भारत छोड़ने से रोक दया गया ऐसा करना
इ तीफा माना गया। • कं पनी को भारत म ापार करने के लए य के साथ साथ
कं पनी के
कमचा रय को भी लाइसस दे ने का अ धकार दया गया। लाइसस ज ह
वशेषा धकार या दे श ापार के प म जाना जाता है ने चीन को अफ़ म क खेप
भेज ने का माग
श त कया।

• राज व शासन को यायपा लका के काय से अलग कर दया गया और इसके


कारण माल अदालत लु त हो ग । • गृह सरकार के सद य को भुगतान कया जाना था

भारतीय राज व का जो तक जारी रहा।

का चाटर अ ध नयम
इं लड म ापा रक हत भारत म ापार पर कं पनी के एका धकार को समा त करने के
लए दबाव डाल रहे थे य क नेपो लयन ारा अह त ेप क भावना और महा पीय
णाली के कारण यूरोपीय बंदरगाह टे न के लए बंद कर दए गए थे। के अ ध नयम
ने इन शकायत का नवारण करने क मांग क • भारत म ापार पर कं पनी का एका धकार
समा त हो गया ले कन कं पनी ने चीन के साथ ापार और चाय के ापार को बरकरार
रखा। • कं पनी के शेयरधारक को भारत के राज व पर . तशत का लाभांश
दया गया।
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संवैधा नक शास नक और...

• कं पनी को ाउन क सं भुता पर तकू ल भाव डाले बना वष तक े और


राज व पर क ज़ा बरकरार रखना था। इस कार भारत म टश े क संवैधा नक त
को पहली बार प से प रभा षत कया गया था। • नयं ण बोड क श याँ आगे थ

बढ़ा आ. •
भारत के मूल नवा सय के बीच सा ह य श ा और व ान के पुन ार चार और
ो साहन के लए हर साल एक लाख पये क रा श अलग रखी जानी थी।

श ा के त रा य के उ रदा य व क से यह एक मह वपूण कथन था। • म ास बंबई


और कलक ा क प रषद ारा बनाए गए
नयम को अब टश संसद के सम रखना आव यक था। इस कार भारत म
टश े क संवैधा नक त को पहली बार प से प रभा षत कया गया था। •
वा ण यक लेनदे न और े ीय राज व के संबंध म अलग अलग खाते रखे जाने थे। नयं ण
बोड क अधी ण और नदशन क श को न के वल प रभा षत कया गया ब क काफ
बढ़ाया भी गया।

• ईसाई मशन रय को भी आने क अनुम त द गई


भारत म और अपने धम का चार कर।

के चाटर ए ट • कं पनी को साल क


लीज को और बढ़ा दया गया। भारत के े को ाउन के नाम पर शा सत कया
जाना था।

• चीन के साथ ापार और चाय पर कं पनी का एका धकार भी समा त हो गया।

• यूरोपीय आ वासन और भारत म संप के अ ध हण पर लगे सभी तबंध हटा


दये गये। इस कार भारत म थोक यूरोपीय उप नवेशीकरण का माग श त हो गया। • भारत
म एक व ीय वधायी और शास नक

सरकार के क करण क प रक पना क गई


गवनर जनरल को यह श द गई
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कं पनी के सभी नाग रक और सै य मामल का अधी क नयं ण और नदशन करना।

बंगाल म ास बंबई और अ य सभी े को गवनर जनरल के पूण नयं ण म


रखा गया।
सभी राज व गवनर जनरल के अ धकार के तहत जुटाए जाने थे जनका य पर
भी पूरा नयं ण होगा।

म ास और बंबई क सरकार को उनक वधायी श य से काफ हद तक वं चत


कर दया गया और उनके पास गवनर जनरल को कानून क उन प रयोजना का ताव
दे ने का अ धकार रह गया ज ह वे समीचीन मानते थे। • गवनर जनरल म एक कानून सद य
जोड़ा गया

कानून बनाने पर पेशेवर सलाह के लए प रषद।


• भारतीय कानून को सं हताब और समे कत कया जाना था। • कसी भी
भारतीय नाग रक को धम रंग ज म वंश आ द के आधार पर कं पनी के तहत
रोजगार से वं चत नह कया जाना था। हालां क वा त वकता अलग थी इस घोषणा ने
भारत म राजनी तक आंदोलन का आधार बनाया।

• शासन से आ ह कया गया क वह दास क त को सुधारने और अंततः


दासता को समा त करने के लए कदम उठाए। म दास था समा त कर द गई।

का चाटर अ ध नयम • कं पनी को े


पर क ज़ा जारी रखना था जब तक क संसद अ यथा दान न करे। • नदे शक
मंडल क श घटाकर कर द गई। • सेवा पर कं पनी का
संर ण समा त कर दया गया सेवा को अब त ध परी ा के लए खोल
दया
गया। • कानून सद य गवनर जनरल क कायकारी प रषद का पूण सद य बन गया। •
टश भारत सरकार के कायकारी और वधायी काय का पृथ करण वधायी के लए छह
अ त र सद य
को शा मल करने के साथ आगे बढ़ा।

उ े य.
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संवैधा नक शास नक और...

• भारतीय वधा यका म ानीय त न ध व क शु आत क गई। वधायी शाखा को


भारतीय वधान प रषद के नाम से जाना जाने लगा। हालाँ क या पत कए जाने वाले कानून
के लए गवनर जनरल क सहम त क आव यकता होती है और गवनर जनरल वधान प रषद
के कसी भी वधेयक को वीटो कर सकता है।

भारत क बेहतर सरकार के लए अ ध नयम

के व ोह ने एक ज टल त म शासन करने म कं पनी क सीमा को उजागर कर


दया था। तब तक इतनी जवाबदे ही नह थी. के अ ध नयम ने इस वसंग त को सुधारने
क मांग क

• भारत को एक रा य स चव और सद यीय प रषद के मा यम से ाउन के नाम


पर शा सत कया जाना था। पहल और अं तम नणय रा य स चव के पास होना था और प रषद
के वल कृ त म सलाहकार थी।

इस कार पट् स इं डया ए ट ारा शु क गई दोहरी णाली समा त हो गई। • गवनर


जनरल वायसराय
बन गया य द अ धकार नह तो उसक त ा बढ़ गई ।

ाउन ारा स ा क धारणा सार के बजाय औपचा रकता म से एक थी। इसने पहले
से ही मरे ए घोड़े को स मानपूवक दफ़नाया कं पनी शासन ने।

के बाद से अब तक का वकास
आजाद
भारतीय प रषद अ ध नयम • के
अ ध नयम ने इस दशा म ग त क क वधायी नकाय म गैर सरकारी त न धय
के स ांत को वीकार कर लया गया कानून उ चत वचार वमश के बाद बनाए जाने थे और
कानून के टु क ड़ के प म उ ह के वल उसी वचार वमश या ारा बदला जा सकता था।
इस कार कानून नमाण को अब कायपा लका के वशेष वसाय के प म नह दे ख ा गया।

• लॉड कै नग ारा शु क गई पोटफो लयो णाली ने भारत म येक शाखा म


कै बनेट सरकार क न व रखी
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शासन का सरकार म अपना आ धका रक मुख और व ा होता है जो इसके शासन


के लए ज मेदार होता है। • इस अ ध नयम ने बंबई और म ास क सरकार म वधायी
श यां न हत करके और अ य ांत म समान वधान प रषद क सं ा के लए
ावधान करके वधायी ह तांतरण क न व रखी।

हालाँ क के अ ध नयम ारा ा पत वधान प रषद के पास कोई वा त वक


श याँ नह थ और उनम कई कमजो रयाँ थ ।
सरकार क पूव मंज ूरी के बना प रषद मह वपूण मामल और कसी भी व ीय मामले पर
चचा नह कर सकती थ । बजट पर उनका कोई नयं ण नह था. वे कायकारी कारवाई पर
चचा नह कर सके . वधेयक को अं तम प से पा रत करने के लए वायसराय क मंज ूरी
क आव यकता थी। भले ही वायसराय ारा अनुमो दत कया गया हो रा य स चव कसी
कानून को अ वीकार कर सकते ह। गैर अ धकारी के प म जुड़े भारतीय व श वग के
ही सद य थे।

भारतीय प रषद अ ध नयम • म


भारतीय रा ीय कां ेस क ापना ई।
कां ेस ने प रषद के सुधार को अ य सभी सुधार क जड़ के प म दे ख ा। वधान प रषद
के व तार क कां ेस क मांग के जवाब म भारतीय प रषद अ ध नयम ारा क य
शाही और ांतीय वधान प रषद दोन म गैर आ धका रक सद य क सं या म वृ क
गई। • रा यपाल क वधान प रषद जनरल या भारतीय वधान प रषद जैसा क इसे
जाना जाता था का व तार कया गया। • व व ालय जला बोड नगर पा लका
जम दार ापार नकाय और
वा ण य मंडल को ांतीय प रषद के सद य क सफा रश करने का अ धकार
दया गया था।

इस कार त न ध व का स ांत पेश कया गया।


• य प अ ध नयम म चुनाव श द को स ती से टाला गया था कु छ गैर
आ धका रक सद य के चयन म अ य चुनाव के त व को वीकार कया गया था।

• वधा यका के सद य अब व ीय ववरण पर अपने वचार करने के हकदार


थे ज ह अब से वधा यका के पटल पर तुत कया जाना था।
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संवैधा नक शास नक और...

• वे छह दन का नो टस दे क र जन हत के मामल पर कायपा लका से कु छ सीमा के


भीतर भी पूछ सकते थे।

भारतीय प रषद अ ध नयम • मॉल मटो


सुधार के प म लोक य इस अ ध नयम ने दे श के शासन म एक त न ध और
लोक य त व लाने का पहला यास कया।

• इंपी रयल ले ज ले टव काउं सल क ताकत बढ़ा द गई। • क सरकार के संबंध


म गवनर
जनरल क कायकारी प रषद म पहली बार एक भारतीय सद य को लया गया
सय साद स हा गवनर जनरल या वायसराय क कायकारी प रषद म कानून सद य के
प म शा मल होने वाले पहले भारतीय थे . • ांतीय कायकारी प रषद के सद य

बढ़ाए गए.
• क य और ांतीय दोन वधान प रषद क श यां बढ़ा द ग ।

इस अ ध नयम के तहत वा त वक श सरकार के पास ही रही और प रषद के


पास आलोचना के अलावा कोई काय नह रह गया।

मुसलमान के लए अलग नवाचन े क शु आत ने नई सम याएं पैदा क ।

मुसलमान के लए अलग नवा चका के अलावा मुसलमान को उनक जनसं या


से अ धक त न ध व दया गया। साथ ही मु लम मतदाता के लए आय क यो यता
ह से कम रखी गई।

चुनाव क णाली अ यंत अ य थी।


इस कार बड़े पैमाने पर लोग का त न ध व र और अवा त वक रहा।

भारत सरकार अ ध नयम यह अ ध नयम म टे ग


चे सफोड सुधार के नाम से स सुधार पर आधा रत था । अग त म टश
सरकार ने पहली बार घोषणा क क उसका उ े य भारत म धीरे धीरे ज मेदार सरकार लागू
करना है ले कन टश सा ा य के अ भ अंग के प म।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

के अ ध नयम ने कया क भारत म वशासी सं ा का के वल मक


वकास होगा और टश संसद न क भारत के लोग का आ म नणय पथ पर येक कदम
का समय और तरीका नधा रत करेगी। संवैधा नक ग त का.

• अ ध नयम के तहत क म भारतीय वधान प रषद को एक सदनीय


णाली ारा त ा पत कया गया जसम एक रा य प रषद उ सदन और एक वधान
सभा नचला सदन शा मल थी। येक सदन म सीधे नवा चत सद य का ब मत होना
चा हए। इस लए य चुनाव क शु आत क गई हालाँ क संप कर या श ा क यो यता
के आधार पर मता धकार ब त सी मत था। • सां दा यक त न ध व के स ांत को मुसलमान
के अलावा सख ईसाइय और एं लो इं डयन के लए अलग नवाचन े के साथ बढ़ाया
गया था। • इस अ ध नयम ने ांत म ै ध शासन क शु आत क जो वा तव म भारतीय लोग
को स ा ह तांत रत करने क दशा म एक मह वपूण कदम था। • ांतीय वधा यका
म के वल एक सदन वधान प रषद शा मल होना था। • अ ध नयम ने पहली बार ांतीय और
क य बजट को अलग कर दया ांतीय
वधा यका को अपना बजट बनाने के लए अ धकृ त कया गया। • भारत के लए
एक उ ायु नयु कया गया जसे छह साल तक लंदन म अपना पद संभालना था और
जसका कत यूरोप म
भारतीय ापार क दे ख भाल करना था। अब तक भारत के रा य स चव ारा कए
जाने वाले कु छ काय को उ ायु को
ानांत रत कर दया गया था।

• भारत के रा य स चव को जो अपना वेतन भारतीय राज व से ा त करते थे अब


टश राजकोष से भुगतान कया जाना था इस कार के चाटर अ ध नयम म एक
अ याय समा त हो गया। • हालां क भारतीय नेता को पहली बार कु छ शास नक अनुभव
ात
आ इस अ ध नयम के तहत संवैधा नक व ा म ज मेदार सरकार क मांग पूरी नह
ई। हालाँ क कु छ हद तक श ह तांत रत क गई
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संवैधा नक शास नक और...

क और ांत के बीच वषय के सीमांक न के साथ ांत क संरचना एका मक और क कृ त


बनी रही।
ांतीय े म ै ध शासन वफल हो गया।
क य वधानमंडल हालां क पछली वधान प रषद क तुलना म अ धक त न ध
था और पहली बार वोट दे ने क श से संप था उसके पास सरकार को बदलने क कोई
श नह थी और यहां तक क कानून और व ीय नयं ण के े म भी इसक श यां
सी मत थ और इसके अधीन थ । गवनर जनरल क सव ापी श याँ। वधा यका ारा
पा रत कसी भी वधेयक को वीटो करने या उसे टश स ाट क खुशी के लए आर त
करने क अपनी मौजूदा श के अलावा गवनर जनरल को उन कानून के अ ध नयमन
को सुर त करने क श द गई थी ज ह वह सुर ा शां त या सुर ा के लए आव यक
मानता था। टश भारत या टश भारत के कसी भी ह से के हत।

के अ ध नयम के तहत भारतीय वधा यका के वल एक गैर सं भु कानून


बनाने वाली सं ा थी और सरकारी ग त व ध के सभी े म कायपा लका के सामने
श हीन थी जैसा क सुभाष क यप कहते ह।

साइमन कमीशन
के अ ध नयम म ावधान कया गया था क अ ध नयम के दस साल बाद इसके
कामकाज पर रपोट दे ने के लए एक रॉयल कमीशन नयु
कया जाएगा।
नवंबर म नधा रत समय से दो साल पहले टश सरकार ने ऐसे आयोग भारतीय
वैधा नक आयोग क नयु क घोषणा क । आयोग ने म अपनी रपोट तुत क ।
इसने सफा रश क क ै ध शासन को समा त कया जाए ांत म ज मेदार सरकार का
व तार कया जाए टश भारत और रयासत का एक संघ ा पत कया जाए और
सां दा यक नवाचन मंडल जारी रखा जाए।

ताव पर वचार करने के लए टश सरकार ारा तीन गोलमेज स मेलन बुलाये


गये। इसके बाद माच म टश सरकार ारा संवैधा नक सुधार पर एक ेत प
का शत कया गया जसम संघीय व ा और ांतीय वाय ता के ावधान शा मल थे।
एक संयु स म त
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इस योजना पर आगे वचार करने के लए लॉड लन लथगो के अधीन टश संसद के सदन


क ापना क गई थी। म तुत इसक रपोट म कहा गया क एक महासंघ क
ापना क जाएगी य द कम से कम तशत रयासत इसम शा मल होने के लए तैयार
ह । इस रपोट के आधार पर तैयार कया गया वधेयक टश संसद ारा पा रत कर
का भारत सरकार अ ध नयम बन गया।

भारत सरकार अ ध नयम • इस अ ध नयम म


खंड और अनुसू चय के साथ एक अ खल भारतीय संघ क ापना पर वचार
कया गया जसम रा यपाल के ांत और मु य आयु के ांत और वे भारतीय रा य
शा मल होने थे जो एकजुट हो सकते थे। शा मल. शा मल होने के इ ु क येक रयासत
के शासक को एक वलय प पर ह ता र करना था जसम यह उ लेख कया गया था
क संघीय सरकार को कस हद तक अ धकार स पना है। • साइमन कमीशन ारा खा रज
कर द गई ै ध शासन व ा को संघीय म दान कया गया था । कायका रणी। • संघीय
वधानमंडल म दो सदन सदनीय होने थे रा य प रषद और संघीय वधान सभा। रा य
क प रषद उ सदन को एक ायी
नकाय होना था। • सदन के बीच ग तरोध क त म संयु बैठक का ावधान
था। तीन वषय सू चयाँ होनी थ संघीय वधान सूची ांतीय
वधान सूची और समवत वधान सूची। अव श वधायी श याँ गवनर जनरल
के ववेक के अधीन थ । यहां तक क अगर कोई वधेयक संघीय वधा यका ारा पा रत
कया गया था तो गवनर जनरल इसे वीटो कर सकता था जब क गवनर जनरल ारा
वीकृ त अ ध नयम को भी कग
इन काउं सल ारा अ वीकार कया जा सकता था। • ांत म ै ध शासन को
समा त कर दया गया और ांत को वाय ता दे द गई अथात आर त और ह तांत रत
वषय के बीच का अंतर समा त कर दया गया और कु छ सुर ा उपाय के अधीन पूण
ज मेदार सरकार क ापना क गई।
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• ांत को अपनी श और अ धकार सीधे टश ाउन से ा त होते थे। उ ह


वतं व ीय श याँ और संसाधन दए गए। ांतीय सरकार अपनी सुर ा पर धन उधार ले
सकती थ ।

• ांतीय वधानमंडल का और व तार कया गया।


म ास बॉ बे बंगाल संयु ांत बहार और असम के छह ांत म सदनीय वधा यकाएं
दान क ग जब क अ य पांच ांत म एकसदनीय वधा यका बरकरार रखी गई। •
सां दा यक नवाचन े और वेटेज के स ांत को आगे चलकर द लत वग म हला
और मक तक बढ़ाया गया। • मता धकार का व तार कया गया कु ल जनसं या
के लगभग तशत को वोट दे ने का अ धकार मला। • अ ध नयम म अ ध नयम क
ा या करने और अंतर रा य
ववाद को नपटाने के लए मूल और अपीलीय श य के साथ एक संघीय यायालय
जो म ा पत कया गया था का भी ावधान कया गया था
ले कन लंदन म वी काउं सल को इस अदालत पर हावी होना था।

• रा य स चव क भारत प रषद को समा त कर दया गया।

• अ ध नयम म क पना क गई अ खल भारतीय महासंघ भारत क व भ पा टय के


वरोध के कारण कभी अ त व म नह आई। टश सरकार ने अ ैल को ांतीय
वाय ता लागू करने का नणय लया ले कन क सरकार मामूली संशोधन के साथ
अ ध नयम के अनुसार शा सत होती रही। के अ ध नयम का ऑपरे टव भाग अग त
तक लागू रहा।

का अ ध नयम भारत को एक ल खत सं वधान दे ने का एक यास था भले ही


भारतीय इसके नमाण म शा मल नह थे और यह भारत म पूण ज मेदार सरकार क दशा म
एक कदम था। हालाँ क अ ध नयम ने एक कठोर सं वधान दान कया जसम आंत रक
वकास क कोई संभावना नह थी। संशोधन का अ धकार टश संसद के लए आर त था।
सां दा यक नवाचन े क णाली के व तार और व भ हत के त न ध व ने
अलगाववाद वृ य को बढ़ावा दया जसक प रण त भारत के वभाजन म ई। के
अ ध नयम क नदा क गई
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

लगभग सभी वग ारा और कां ेस ारा सवस म त से खा रज कर दया गया। इसके बजाय
कां ेस ने वतं भारत के लए सं वधान बनाने के लए वय क मता धकार के आधार पर
नवा चत सं वधान सभा बुलाने क मांग क ।

के अ ध नयम के बाद कई अ य वकास ए। का अग त ताव


का स ताव का सीआर फॉमूला जसम मु लम लीग का सहयोग लेने क को शश
क गई क वेवेल योजना और कै बनेट मशन शा मल थे। फर म माउं टबेटन
योजना और अंततः भारतीय वतं ता अ ध नयम आया।

इन घटना म पर पहले के अ याय म ापक चचा क गई है। वतं भारत के


सं वधान के नमाण क चचा बाद के अ याय म क गई है।

भारत म स वल सेवा का वकास


ई ट इं डया कं पनी ारा अपने वा ण यक मामल के लाभ के लए भारत म शु क गई
स वल सेवा णाली भारत म अ ध हत े के शास नक मामल क दे ख भाल के लए एक
अ तरह से संर चत मशीनरी म बदल गई।

दरअसल शु आत म स वल सेवा श द का इ तेमाल कं पनी के वा ण यक मामल म लगे


कमचा रय को सै य और नौसै नक सेवा म कायरत लोग से अलग करने के लए कया जाता
था। धीरे धीरे स वल सेवक को अ य ज मेदा रयाँ और अ धकार दान कए गए।

कॉनवा लस क भू मका
कॉनवा लस गवनर जनरल स वल सेवा को अ त व म लाने और व त
करने वाले पहले थे। उ ह ने ाचार को रोकने क को शश क • स वल सेवक का
वेतन बढ़ाना • नजी ापार के खलाफ
नयम को स ती से लागू करना • स वल सेवक को
उपहार र त लेने से रोकना

वगैरह।

• व र ता के मा यम से पदो त लागू करना।


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वेले ली क भू मका म
वेले ली गवनर जनरल ने नए रंग ट के श ण के लए फोट व लयम
कॉलेज क ापना क । म वेले ली के कॉलेज को कोट ऑफ डायरे टस ने अ वीकार
कर दया और इसके बजाय रंग ट को दो साल का श ण दे ने के लए इं लड के हैलेबरी
म ई ट इं डया कॉलेज क ापना क गई।

का चाटर अ ध नयम के
चाटर अ ध नयम ने कं पनी के संर ण को समा त कर दया और आगे से खुली तयो गता
के मा यम से भत करने का आदे श दया।

हालाँ क भारतीय को शु से ही उ पद पर जाने से रोक दया गया था।


कॉनवा लस ने सोचा ह तान का हर मूल नवासी है। के चाटर ए ट म
कं पनी के अनुबं धत सेवक के लए पाउं ड त वष के सभी पद आर त कर दये गये
थे। भारतीय के ब ह कार के कारण थे

• यह व ास क के वल अं ेज़ ही टश हत क पू त के लए शास नक सेवाएँ
ा पत कर सकते ह • यह व ास क भारतीय अयो य अ व सनीय
और टश हत के त असंवेदनशील थे • त य यह है क आकषक पद के
लए वयं यूरोपीय लोग के बीच अ य धक त धा थी तो उ ह
भारतीय को य दया जाए।

हालाँ क के चाटर अ ध नयम ने सै ां तक प से भारतीय के लए सेवा


को खोल दया था ले कन ासं गक ावधान को वा तव म कभी लागू नह कया गया था।
के बाद जब भारतीय ने उ सेवा म ह सेदारी का दावा कया तो क
उ ोषणा ने स वल सेवा के तहत कायालय म भारतीय को वतं और न प प से
शा मल करने के टश इरादे क घोषणा क ।

भारतीय स वल सेवा अ ध नयम


इस अ ध नयम ने कु छ कायालय को संवैधा नक स वल सेवक के लए आर त कर दया
ले कन परी ा इं लड म अं ेज ी भाषा म आयो जत क गई जो ीक और लै टन क शा ीय
श ा पर आधा रत थी। अ धकतम वीकाय आयु को धीरे धीरे म से घटाकर
म से म और कर दया गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

म स ये नाथ टै गोर भारतीय स वल सेवा के लए अहता ा त करने वाले


पहले भारतीय बने।

वैधा नक स वल सेवा म लटन


ने वैधा नक स वल सेवा क शु आत क जसम अनुबं धत पद का छठा ह सा
ानीय सरकार ारा नामांक न के मा यम से उ प रवार के भारतीय ारा भरा जाना था
जो रा य स चव और वायसराय के अनुमोदन के अधीन था। ले कन यह णाली वफल रही
और इसे समा त कर दया गया।

कां ेस क मांग और एचीसन


समत
भारतीय रा ीय कां ेस ने म अपनी ापना के बाद • भत के लए आयु सीमा
कम करने और • भारत म एक साथ परी ा आयो जत
करने क मांग उठाई थी।

टे न.
डफ़ रन ारा ा पत सावज नक सेवा पर ए चसन स म त ने सफा रश
क • सं वदाकृ त और असं वदाकृ त श द को हटा
दया जाए • स वल सेवा का वग करण इंपी रयल इं डयन स वल स वस इं लड म
परी ा ांतीय स वल
सेवा भारत म परी ा और अधीन स वल सेवा भारत म परी ा म और • आयु
सीमा बढ़ाकर वष करना।

म इं लड म हाउस ऑफ कॉम स ने भारत और इं लड म एक साथ परी ा


आयो जत करने का समथन करते ए एक ताव पा रत कया ले कन संक प कभी लागू नह
कया गया।
रा य स चव क बल ने कहा यह अप रहाय है क स वल सेवा के सद य म पया त सं या
म हमेशा यूरोपीय ह गे।

म टफोड सुधार
म टफोड सुधार • ने एक यथाथवाद
नी त बताई य द भारत म एक ज मेदार सरकार ा पत करनी है तो हम जतने
अ धक भारतीय को सावज नक सेवा म नयो जत कर सक उतना बेहतर होगा।
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संवैधा नक शास नक और...

• भारत और इं लड म एक साथ परी ा आयो जत करने क सफा रश क गई। •


सफ़ा रश क गई क एक तहाई
भ तयाँ भारत म ही क जाएँ सालाना . तशत क बढ़ोतरी क जाए।

ली कमीशन
ली आयोग ने सफा रश क क • रा य स चव को आईसीएस
इंज ी नयर क सेवा क सचाई शाखा भारतीय वन सेवा आ द क भत जारी
रखनी चा हए

• श ा और स वल च क सा सेवा जैसे ानांत रत े के लए भ तयाँ ांतीय


सरकार ारा क जानी चा हए • यूरोपीय और भारतीय के बीच क
समानता के आधार पर आईसीएस
म सीधी भत वष म क जाएगी • एक लोक सेवा आयोग क तुरंत ापना
क जाए जैसा क भारत सरकार अ ध नयम म नधा रत है ।

भारत सरकार अ ध नयम के अ ध नयम


ने अपने े के अंतगत एक संघीय लोक सेवा आयोग और ांतीय लोक सेवा आयोग क
ापना क सफा रश क ।

ले कन नयं ण और अ धकार क त टश हाथ म रही और स वल सेवा के


भारतीयकरण क या ने भारतीय हाथ म भावी राजनी तक श नह द य क
भारतीय नौकरशाह औप नवे शक शासन के एजट के प म काम करते थे।

टश शासन के तहत स वल सेवा का मू यांक न जस तरह


भारतीय को व त
प से कानून और नी त नधारण नकाय से बाहर रखा गया था उसी तरह उ ह यादातर
नी त काया वयन के लए ज मेदार सं ान से बाहर रखा गया था। शासन के अ य े क
तरह स वल सेवा म भी यूरोपीय वच व सु न त कया गया। यह मु यतः दो कार से कया
गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सबसे पहले हालाँ क भारतीय ने से ही भारतीय स वल सेवा ICS के


त त रक म वेश करना शु कर दया था फर भी भारतीय के लए स वल सेवा म
वेश करना बेहद क ठन था। आईसीएस के लए वेश परी ा के वल अं ेज ी मा यम म लंदन
म आयो जत क गई थी और वषय म शा ीय ीक और लै टन श ण शा मल था। इसके
अलावा लटन के तहत परी ा म बैठने क अ धकतम आयु म तेईस से घटाकर
म उ ीस कर द गई।

सरे स ा और स ा के सभी मुख पद और जन पद पर अ तन वाह मलती


थी उन पर यूरोपीय लोग का क ज़ा था।
हालाँ क के बाद रा वाद दबाव म भारतीयकरण क या धीमी रही ले कन
मह वपूण और व र पद पर यूरोपीय लोग का क ज़ा जारी रहा। ले कन धीरे धीरे भारतीय
को यह एहसास आ क स वल सेवा के भारतीयकरण ने कसी भी तरह से भावी श
भारतीय हाथ म ानांत रत नह क है।

स वल सेवा के भारतीय सद य अपने टश आका के सा ा यवाद हत क सेवा करते


रहे।

म पु लस व ा का वकास
आधु नक भारत

पूव औप नवे शक भारत म मुगल और अ य दे शी रा य के अधीन सरकार कृ त म नरंकु श


थ और एक अलग या औपचा रक पु लस णाली का अभाव था। हालाँ क रात म गाँव क
सुर ा के लए ाचीन काल से ही पहरेदार तैनात रहे ह। बाद म मुगल शासन के तहत फौजदार
थे जो कानून और व ा बनाए रखने म मदद करते थे और आ मल थे जो मूल प से राज व
सं हकता थे ले कन उ ह व ो हय य द कोई हो से संघष करना पड़ता था। शहर म कानून
एवं व ा बनाए रखने क ज मेदारी कोतवाल क होती थी। और के बीच
बंगाल बहार और उड़ीसा म दोहरे शासन के दौरान भी जम दार से कानून और व ा के
कत और शां त बनाए रखने के साथ साथ अपराध और अपरा धय से नपटने के लए
थानेदार स हत कमचा रय को बनाए रखने क अपे ा क गई थी। ले कन अ सर ज़मीदार
ने अपने कत क उपे ा क । यहां तक कहा जाता है क उ ह ने डकै त से सांठगांठ क थी
और उनक लूट म ह सा लया था। म सं ा
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संवैधा नक शास नक और...

फौजदार और आ मल को समा त कर दया गया। हालाँ क म वॉरेन हे ट स ने


फौजदार क सं ा को बहाल कया और जम दार से डकै त हसा और अ व ा के दमन
म उनक सहायता करने को कहा। म बड़े जल के मुख क ब म फौजदार थाने
ा पत कए गए और उ ह कई छोटे पु लस टे शन ारा सहायता दान क गई।

पु लस म लगातार हो रहे वकास का लेख ा जोखा


अं ेज के अधीन णाली नीचे द गई है।
कॉनवा लस ने कानून और व ा बनाए रखने के लए एक नय मत पु लस
बल का आयोजन कया और एक जले म पुराने भारतीय थाना णाली सकल का
आधु नक करण कया जसके अधीन एक दरोगा एक भारतीय और एक पु लस अधी क
एसपी होता था। ज़ला। उ ह ने जम दार को उनके पु लस कत से मु कर दया।

मेयो ने येक ड वजन के लए एक एसपी नयु कया जसम कई जासूस


गोये ा क मदद ली गई ले कन इन जासूस ने ानीय लोग पर लूटपाट क ।

कोट ऑफ डायरे टस के एक आदे श से बंगाल को छोड़कर कं पनी क सभी


संप य म दरोगा और उनके अधीन क नयु समा त कर द गई।

ब टक गवनर जनरल ने एसपी का कायालय समा त कर दया।


कले टर म ज े ट को अब अपने अ धकार े म पु लस बल का नेतृ व करना था और
येक डवीजन म आयु को एसपी के प म काय करना था। इस व ा के प रणाम व प
पु लस बल बुरी तरह संग ठत हो गया जससे कले टर म ज े ट पर भारी बोझ आ गया।
ेसीडसी शहर सबसे पहले कले टर म ज े ट के कत को अलग करने वाले शहर थे।

पु लस आयोग क सफ़ा रश के फल व प भारतीय पु लस अ ध नयम


बना। आयोग ने सफ़ा रश क

• स वल कां टे बुलरी क एक णाली गाँव क व ा को वतमान व प म


बनाए रखना एक गाँव का चौक दार जो गाँव ारा रखा जाता है ले कन बाक
कां टे बुलरी के साथ सीधे संबंध म। • कसी ांत म मुख के प म महा नरी क
डट
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

एक रज म मुख के प म महा नरी क और एक जले म मुख के पम


एसपी।
पु लस धीरे धीरे डकै ती ठगी आ द आपरा धक कृ य पर अंकु श लगाने म सफल रही
ले कन जनता के साथ वहार करते समय पु लस का रवैया असहानुभू तपूण रहा। रा ीय
आ दोलन को दबाने के लए भी पु लस का योग कया गया।

अं ेज ने अ खल भारतीय पु लस नह बनायी।

पु लस अ ध नयम ने ांत म पु लस व ा के लए दशा नदश तुत कये। रक


को पूरे दे श म समान प से पेश कया गया।

पु लस आयोग ने ांत म सीआईडी आपरा धक जांच वभाग और क म


एक क य खु फया यूरो क ापना क सफा रश क ।

अं ेज के अधीन सेना
सेना भारत म कं पनी के शासन क रीढ़ थी।
के व ोह से पहले टश नयं ण म सै य बल के दो अलग अलग समूह थे जो भारत
म संचा लत होते थे। इकाइय का पहला समूह जसे रानी क सेना के नाम से जाना जाता है
भारत म ूट पर तैनात सेवारत सै नक थे। सरी कं पनी क सेना थी ता नय क यूरोपीय
रेज ीमट और भारत से ानीय तर पर भत क गई मूल रेज ीमट का म ण ले कन टश
अ धका रय के साथ। रानी क सेना ाउन के सै य बल का ह सा थी।

के बाद सेना का एक व त पुनगठन आ जैसा क डफ़ रन ने दसंबर


म चेतावनी द थी अं ेज को उन सबक को हमेशा याद रखना चा हए जो साल
पहले ऐसे भयानक अनुभव से सीखे गए थे।

कसी अ य व ोह क पुनरावृ को रोकना इस पुनगठन के पीछे मु य कारण था।


इसके अलावा भारतीय सेना का उपयोग े क अ य सा ा यवाद श य स जमनी
ांस आ द से सा ा य के भारतीय े क र ा के लए कया जाना था। सेना क भारतीय
शाखा का उपयोग ए शया और अ का म व तार के लए कया जाना था। जब क टश
अनुभाग को क जे वाली सेना के प म इ तेमाल कया जाना था जो भारत पर टश पकड़
क अं तम गारंट थी।
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संवैधा नक शास नक और...

आरंभ म भारतीय शाखा पर यूरोपीय शाखा का भु व सु न त कया गया।


और के आयोग ने एक तहाई ेत सेना के स ांत पर जोर दया जब क
से पहले यह था । अंत म बंगाल सेना म यूरो पय और भारतीय का अनुपात
सावधानीपूवक एक से दो और म ास और बॉ बे सेना म दो से पांच तय कया गया। मुख
भौगो लक ान और वभाग जैसे तोपखाने टक और सश कोर पर स त यूरोपीय
एका धकार बनाए रखा गया था। यहां तक क तक भारतीय को द जाने वाली राइफल
भी न न गुण व ा क थ और तीय व यु तक इन उ तकनीक वभाग म भारतीय को
अनुम त नह थी।

कसी भी भारतीय को अ धकारी रक म अनुम त नह थी और तक एक भारतीय जस


सव रक तक प ँच सकता था वह सूबेदार का था के वल के बाद से भारतीय को
कमीशन रक म अनुम त द गई थी । के अंत म भारतीय सडह ट स म त के
लए भारतीय अ धकारी कै डर क क पना कर रही थी

भारतीय शाखा को संतुलन और तसंतुलन या फू ट डालो और राज करो क नी त के


आधार पर पुनग ठत कया गया था। के सेना आयोग ने इस बात पर जोर दया था
पया त यूरोपीय सेना क भ जवाबी कारवाई के बाद मूल नवा सय के खलाफ मूल
नवा सय क जवाबी कारवाई आती है। माशल जा तय और गैर माशल जा तय क एक
वचारधारा जसने माना क अ े सै नक के वल कु छ व श समुदाय से ही आ सकते ह
वशेष प से के दशक के अंत म से तक कमांडर इन चीफ लॉड रॉबट् स
के अधीन वक सत ई। इसका उपयोग सख गोरखा और पठान के त भेदभावपूण
भत नी त को उ चत ठहराने के लए कया गया था ज ह ने व ोह के दमन म सहायता क थी
और अपे ाकृ त सीमांत सामा जक समूह थे इस लए रा वाद से भा वत होने क संभावना
कम थी। व ोह म भाग लेने वाले अवध बहार म य भारत और द ण भारत के सै नक को
गैर लड़ाकू घो षत कर दया गया। इसके अलावा सभी रे जमट म जा त और सां दा यक
कं प नय क शु आत क गई और भारतीय रे जमट को व भ सामा जक जातीय लोग का
म ण बनाया गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

समूह ता क एक सरे को संतु लत कया जा सके । सै नक के बीच रा वाद भावना क


वृ को रोकने के लए सां दा यक जा त आ दवासी और े ीय चेतना को ो सा हत कया
गया। भारत के से े टरी ऑफ टे ट चा स वुड ने कहा म अलग अलग रे जमट म एक अलग
और त ं भावना रखना चाहता ं ता क ज रत पड़ने पर सख ह और गोरखा दोन म
से कसी एक पर बना कसी हच कचाहट के गोलीबारी कर सक। अंततः समाचार प
प का और रा वाद काशन को उन तक प ँचने से रोकने जैसे उपाय के मा यम से
सै नक को बाक आबाद के जीवन और वचार से अलग करने के सचेत यास कए गए।

कु ल मलाकर टश भारतीय सेना एक महँगी सै य मशीन बनी रही।

म यायपा लका का वकास


टश भारत
पूव औप नवे शक काल के भारत म मुगल काल म या उससे भी पहले ाचीन काल स हत
या यक णाली सम प से न तो उ चत या को अपनाती थी और न ही कानून
अदालत का उ चत संगठन था एक नय मत ममउ तम से न नतम तक न ही उनके
ारा सेवा दान कए जाने वाले े के अनुपात म अदालत का कोई उ चत वतरण था।
ह के बीच मुक दमेबाजी का बड़ा फै सला जा त के बुज ुग या ाम पंचायत या जम दार
ारा कया जाता था।

मुसलमान के लए या यक शासन क इकाई काजी थी धा मक य ारा आयो जत


एक कायालय जो ांतीय राजधा नय क ब और क ब बड़े गांव म त था। राजा
और बादशाह को याय का ोत माना जाता था और याय दे ने क या मनमानी हो सकती
थी।

दज या यक उदाहरण के आधार पर एक सामा य कानून णाली क शु आत ई ट


इं डया कं पनी ारा म म ास बॉ बे और कलक ा म मेयर कोट क ापना से मानी
जा सकती है। कं पनी के एक ापा रक कं पनी से एक स ा ढ़ श म प रवतन के साथ
या यक णाली के नए त व ने मौजूदा मुगल का ान ले लया
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संवैधा नक शास नक और...

कानूनी णाली। उन प रवतन के सं त सव ण पर नीचे चचा क गई है।

वॉरेन हे ट स के तहत सुधार

• नाग रक ववाद क सुनवाई के लए जल म जला द वानी अदालत ा पत क


ग । ये अदालत कले टर के अधीन रखी गई थ और इनम ह के लए ह कानून और
मुसलमान के लए मु लम कानून लागू था। जला द वानी अदालत से अपील सदर द वानी
अदालत म होती थी जो सव प रषद के एक अ य और दो सद य के अधीन काय
करती थी।

• जला फौजदारी अदालत क ापना आपरा धक ववाद क सुनवाई के लए


क गई थी और उ ह का जय और मु तय क सहायता के लए एक भारतीय अ धकारी के
अधीन रखा गया था। ये अदालत भी कले टर क सामा य नगरानी म थ । फौजदारी
अदालत म मु लम कानून का संचालन कया जाता था। मृ युदंड और संप के अ ध हण
क मंज ूरी मु शदाबाद म सदर नज़ामत अदालत को द जाती थी जसका नेतृ व एक ड ट
नज़ाम एक भारतीय मु लम करता था जसक सहायता मु य क़ाज़ी और मु य मु ती
करते थे।

• के रेगुले टग ए ट के तहत कलक ा म एक सव यायालय क ापना


क गई जो कलक ा के भीतर सभी टश वषय और भारतीय और यूरोपीय लोग स हत
अधीन कारखान क सुनवाई करने म स म था। इसके मूल और अपीलीय े ा धकार
थे। अ सर सव यायालय का े ा धकार अ य यायालय से टकराता था।

कॉनवा लस के तहत सुधार श य का पृथ करण • जला


फौजदारी अदालत को समा त कर दया
गया और इसके बजाय कलक ा ढाका मु शदाबाद और पटना म स कट अदालत
ा पत क ग । इन स कट अदालत म यूरोपीय यायाधीश थे और इ ह द वानी और
आपरा धक दोन मामल के लए अपील क अदालत के प म काय करना था।

• सदर नज़ामत अदालत को कलक ा म ानांत रत कर दया गया और इसे


गवनर जनरल और मु य क़ाज़ी और मु य मु ती क सहायता से सव प रषद के सद य
के अधीन कर दया गया।
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• जला द वानी अदालत को अब जला शहर या जला यायालय के प म ना मत कया गया


और जला यायाधीश के अधीन रखा गया। कले टर अब के वल राज व शासन के लए ज मेदार था
और उसका कोई म ज े ट संबंधी काय नह था।

• स वल अदालत का एक म ा पत कया गया दोन के लए ।


ह और मु लम कानून i भारतीय
अ धका रय के अधीन मुं सफ यायालय ii यूरोपीय यायाधीश
के अधीन र ज ार यायालय iii जला यायाधीश के अधीन जला
यायालय iv अपील क ांतीय अदालत के प म चार स कट
यायालय v कलक ा म सदर द वानी अदालत और vi पाउं ड क
अपील के लए कग इन काउं सल और

ऊपर। •
कॉनवा लस कोड बनाया गया राज व और याय को अलग कर

दया गया
शासन।

यूरोपीय वषय को भी अ धकार े म लाया गया।

सरकारी अ धकारी नाग रक के त जवाबदे ह थे

अपनी आ धका रक मता म कए गए काय के लए अदालत।


कानून क सं भुता का स ांत ा पत कया गया।

व लयम ब टक के तहत सुधार

• चार स कट यायालय को समा त कर दया गया और उनके काय को राज व और स कट

आयु क दे ख रेख म कले टर को ानांत रत कर दया गया।

• ऊपरी ांत के लोग क सु वधा के लए इलाहाबाद म सदर द वानी अदालत और एक सदर

नज़ामत अदालत क ापना क गई। • अब तक अदालत म फ़ारसी ही राजभाषा थी।

अब प कार के पास फ़ारसी या ानीय भाषा का उपयोग करने का वक प था जब क सव


यायालय म फ़ारसी क जगह अं ेज ी भाषा ने ले ली।

भारतीय कानून के सं हताकरण के लए मैक ाले के अधीन एक व ध


आयोग क ापना क गई। प रणाम व प एक स वल या
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संवैधा नक शास नक और...

सं हता एक भारतीय दं ड सं हता और एक दं ड या सं हता


तैयार क गई।

बाद के वकास
यह ावधान कया गया क यूरोपीय लोग आपरा धक मामल को छोड़कर
कसी वशेष वशेषा धकार का दावा नह कर सकते और भारतीय मूल का कोई यायाधीश
उन पर मुक दमा नह चला सकता।
सु ीम कोट और सदर अदालत को कलक ा बॉ बे और म ास म तीन
उ यायालय म मला दया गया।

भारत सरकार अ ध नयम म एक संघीय यायालय म ा पत का


ावधान कया गया जो सरकार के बीच ववाद को सुलझा सकता था और उ यायालय
से सी मत अपील सुन सकता था।

मू यांक न

अं ेज के अधीन यायपा लका के सकारा मक पहलू • कानून का शासन ा पत


आ। • सं हताब कानून ने शासक के धा मक और
गत कानून का ान ले लया। • यहाँ तक क यूरोपीय वषय को भी अ धकार
े के अंतगत लाया गया
हालाँ क आपरा धक मामल म उन पर के वल यूरोपीय यायाधीश ारा ही मुक दमा
चलाया जा सकता था। • सरकारी कमचा रय को स वल अदालत के त जवाबदे ह बनाया
गया।

नकारा मक पहलू • याय व ा


अ धका धक ज टल एवं महँगी होती गयी। अमीर स टम म हेरफे र कर सकते ह। •
झूठे सा य छल और कपट क पया त गुंज ाइश थी। • मुक़ दमे लंबे खचने का मतलब याय
म दे री
होना था। • मुक दमेबाजी बढ़ने से अदालत पर बोझ बढ़ गया। • ाय यूरोपीय
यायाधीश
भारतीय वहार एवं पर रा से प र चत नह होते थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शास नक े म बड़े बदलाव


के बाद क संरचना

शास नक प रवतन क उ प उप नवेशवाद का नया चरण अं ेज


को के अपने अनुभव से सीखने क ज द थी
एक संग ठत जन कारवाई भारत म टश शासन के अ त व के लए एक गंभीर चुनौती पैदा
कर सकती थी। शासक वषय के अंतर को कम करने क को शश क गई ता क शासन से
जनता के अलगाव को कम कया जा सके य द पूरी तरह से समा त नह कया जा सके । साथ
ही शासन म मूल नवा सय के सहयोग से शासक को उन लोग के री त रवाज परंपरा
और मू य के बारे म बेहतर जानकारी ा त करने का अवसर मल सकता है जन पर उ ह
शासन करना चा हए। इससे उ ह जैसी त से अ धक चतुराई से नपटने म मदद मल
सकती है।

उ ीसव सद के उ राध म औ ो गक ां त का और अ धक सार और ती ता दे ख ी


गई। नई औ ो गक श य संयु रा य अमे रका जापान और यूरोपीय दे श का उदय
और क े माल व न मत व तु के लए बाजार और पूंज ी नवेश के लए उप नवेश और
उप उप नवेश के लए कड़ी त धा इस नई घटना के मु य आकषण थे। व म व और
व न मत व तु के ापार म टश वच व समा त हो गया। इस ब पर रेलवे म बड़े पैमाने
पर टश पूंज ी नवेश और भारत सरकार को ऋण और कु छ हद तक चाय बागान कोयला
खनन जूट मल श पग ापार और ब कग म नवेश कया गया था।

इन सभी कारक ने मलकर भारत म उप नवेशवाद के एक नए चरण का उ ाटन


कया। भारत म औप नवे शक स ा क मु य चता राजनी तक खतर के खलाफ टश
आ थक और वा ण यक हत को सुर त करने के लए यहां अपनी त मजबूत करना
और जहां भी और जब भी संभव हो अपने े को नया के अ य ह स तक व ता रत करना
था। शाही नयं ण और सा ा यवाद वचारधारा का नए सरे से उभार आ
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संवैधा नक शास नक और...

जो लटन डफ़ रन लसडाउन ए गन और सबसे बढ़कर कज़न के उप रॉय ट के दौरान


त यावाद नी तय म प रल त आ। भारत म सरकारी ढांचे और नी तय म बदलाव कई
मायन म आधु नक भारत क नय त को आकार दे ने वाले थे।

शासन क य
ांतीय ानीय
क सरकार ने भारत क बेहतर सरकार
के लए अ ध नयम म शासन करने क श ई ट इं डया कं पनी से टश ाउन को
ह तांत रत कर द । ज टल प र तय म दे श का शासन चलाने म कं पनी क सीमाएँ
के व ोह से उजागर हो गई थ इसके अलावा यादा जवाबदे ही भी नह थी.

अब शासन करने क श का योग रा य स चव के मा यम से कया जाना था पहले इस


श का योग कं पनी के नदे शक और नयं ण बोड ारा कया जाता था । रा य स चव को
टश कै बनेट का सद य होना था और उसे सद यीय प रषद ारा सहायता दान क
जानी थी। वह टश संसद के त जवाबदे ह था। सभी पहल और अं तम नणय स चव और
प रषद के पास थे जो के वल सलाहकारी कृ त के थे। इस कार पट् स इं डया ए ट
ारा शु क गई दोहरी व ा समा त हो गई। साथ ही भारत पर अं तम श संसद के
पास ही रही।

भारत म सरकार को पहले क तरह गवनर जनरल ारा चलाया जाना था जसक
त ा य द अ धकार नह तो उसे द गई वायसराय क नई उपा ध के साथ बढ़ गई थी।
वाइसराय को एक कायकारी प रषद ारा सहायता दान क जानी थी जसके सद य को
व भ वभाग के मुख के साथ साथ वाइसराय के आ धका रक सलाहकार के प म काय
करना था।

एक ओर लंदन म त रा य स चव के हाथ म मु य ा धकार क एका ता ने धीरे


धीरे वायसराय को एक अधीन तर तक कम कर दया और भारतीय जनता क राय को
सरकार से अलग कर दया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नी त नमाण। सरी ओर इसका भाव यह आ क भारत म सरकारी नी त पर टश


उ ोगप तय ापा रय और बकर का भाव बढ़ गया। इसने भारतीय शासन को से
पहले क तुलना म और भी अ धक त यावाद बना दया।

भारतीय प रषद अ ध नयम के ारा एक पाँचवाँ सद य जो एक याय वद्


था को वायसराय क कायकारी प रषद म जोड़ा गया। वधायी उ े य के लए वायसराय छह
से बारह अ त र सद य को जोड़ सकता था जनम से कम से कम आधे गैर अ धकारी होने
चा हए जो भारतीय या अं ेज ी हो सकते थे। इस कार ग ठत वधान प रषद के पास कोई
वा त वक श याँ नह थ और वह के वल सलाहकारी कृ त क थी। इसक कमजो रयाँ इस
कार थ

• यह सरकार क पूव अनुम त के बना मह वपूण मामल और कसी भी व ीय मामले


पर चचा नह कर सकता था।

• बजट पर इसका कोई नयं ण नह था। • इसम कायकारी


कारवाई पर चचा नह हो सक । • वधेयक को अं तम प से
पा रत करने के लए वायसराय क मंज ूरी क आव यकता थी। • वायसराय ारा
अनुमो दत होने पर भी रा य स चव कसी कानून को अ वीकार कर सकता है।

• गैर अ धकारी के प म जुड़े भारतीय के वल व श वग राजकु मार जम दार


द वान आ द के सद य थे और भारतीय जनमत के त न ध नह थे। • आपातकाल क त
म वायसराय अ यादे श महीने क वैधता वाला जारी कर सकता था।

वधान प रषद का एकमा मह वपूण काय आ धका रक उपाय का समथन करना


और उ ह वधायी नकाय ारा पा रत होने का आभास दे ना था। भारत म टश सरकार पहले
क तरह एक वदे शी नरंकु श शासन व ा बनी रही।

ांतीय सरकार
भारतीय प रषद अ ध नयम ने म ास और बंबई ांत को वधायी श यां वापस कर
द जो म छ न ली गई थ । बाद म अ य ांत म वधायी प रषद ा पत क ग । ब बई
म ास क तीन ेसीडसी
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और कलक ा को अ य ांत क तुलना म अ धक अ धकार और श याँ ा त थ ।


रा प तय का शासन एक गवनर और उसक तीन सद यीय कायकारी प रषद ारा कया
जाता था ज ह ाउन ारा नयु कया जाता था जब क अ य ांत का शासन गवनर
जनरल ारा नयु ले टनट गवनर और मु य आयु ारा कया जाता था।

अगले दशक म व ीय वक करण क दशा म कु छ कदम उठाए गए ले कन ये


शास नक पुनगठन क कृ त म थे जसका उ े य राज व बढ़ाना और य कम करना
था और ये कसी भी तरह से ांतीय वाय ता क दशा म ग त का संके त नह दे ते थे।

लॉड मेयो ारा म ांतीय सरकार को पु लस जेल श ा च क सा सेवा


और सड़क जैसी कु छ सेवा के शासन के लए क य राज व से न त रा श दे ना
क य और ांतीय व को वभा जत करने क दशा म पहला कदम था। अब ांतीय
सरकार से कहा गया क वे इन सेवा को अपनी इ ानुसार संचा लत कर।

भू म राज व उ पाद शु क सामा य शासन और कानून और याय जैसे य के


कु छ अ य मद को म लॉड लटन ारा ांत म ानांत रत कर दया गया था। इसके
अलावा एक ांतीय सरकार को टांप उ पाद शु क और आयकर जैसे ोत से उस ांत
के भीतर होने वाली आय का एक न त ह सा ा त करना था।

म राज व के सभी ोत को तीन समूह म वभा जत कया गया था


सामा य पूरी तरह से क को जाने वाला ांतीय पूरी तरह से ांत को जाने वाला और
ज ह क और ांत के बीच वभा जत कया जाना था।

फर भी क सरकार सव रही और ांत पर व तृत नयं ण बरकरार रखा।


यह अप रहाय ता लका थी य क क य और ांतीय दोन सरकार पूरी तरह से रा य
स चव और टश सरकार के अधीन थ ।

ानीय नकाय
नगर पा लका और जला बोड के मा यम से ानीय सरकार को बढ़ावा दे क र शासन
का वक करण करने का नणय लया गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जो ानीय कर के मा यम से व पो षत श ा वा य व ता जल आपू त सड़क और


अ य बु नयाद सु वधा जैसी ानीय सेवा का बंधन करेगा। ऐसे कई कारक थे जनके
कारण भारत म टश सरकार के लए ानीय नकाय क ापना क दशा म काम करना
आव यक हो गया। i सरकार को व ीय क ठनाइय का सामना करना पड़ा

अ तक करण के लए वक करण को अ नवाय बना दया।


ii यह आव यक हो गया क यूरोप के साथ भारत के बढ़ते आ थक संपक को दे ख ते
ए यूरोप म नाग रक सु वधा म आधु नक ग त को भारत म यारो पत कया जाए।

iii रा वाद क बढ़ती लहर के एजडे म बु नयाद सु वधा म सुधार एक मु ा था।


iv टश नी त नमाता के एक वग ने भारत म टश वच व
को कम कए बना कसी न कसी प म शासन के साथ भारतीय के जुड़ाव को
भारतीय के बढ़ते राजनी तकरण को रोकने के एक साधन के प म दे ख ा। v ानीय
क याण के लए ानीय कर का उपयोग पहले से ही भारी खजाने पर कर लगाने या अमीर
उ वग पर कर लगाने के त टश अ न ा क कसी भी सावज नक आलोचना का
मुक ाबला करने के लए कया जा सकता है।

ानीय सरकार के वकास म मह वपूण चरण


न नानुसार पहचाना जा सकता है।

और के बीच इस अव ध म
पहली बार ानीय नकाय का गठन कया गया था ले कन यादातर मामल म इसम नामां कत
सद य होते थे और उनका नेतृ व जला म ज े ट करते थे। इस कार इ ह अ त र कर सं ह
के उपकरण के अलावा और कु छ नह दे ख ा गया।

मेयो का का संक प व ीय वक करण


के भारतीय प रषद अ ध नयम ारा शु कया गया एक वधायी ह तांतरण था। शाही
सरकार से वा षक अनुदान के अलावा ांतीय सरकार को अपने बजट को संतु लत करने के
लए ानीय कराधान का सहारा लेने के लए अ धकृ त कया गया था। यह शासन के कु छ
वभाग जैसे च क सा सेवा श ा और सड़क को ांतीय नयं ण म ानांत रत करने के
संदभ म कया गया था
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संवैधा नक शास नक और...

सरकार. यह ानीय व क शु आत थी। मेयो के ताव म जोर दया गया श ा


व ता च क सा राहत और ानीय सावज नक काय के लए सम पत धन के बंधन म
सफलता के लए ानीय हत पयवे ण और दे ख भाल आव यक है।

बंगाल म ास उ र प मी ांत पंज ाब जैसी व भ ांतीय सरकार ने उ ल खत


नी त को लागू करने के लए नगरपा लका अ ध नयम पा रत कए।

रपन का का संक प रपन सरकार चाहती


थी क ांतीय सरकार ानीय नकाय के मामले म व ीय वक करण के उसी स ांत
को लागू कर जो लॉड मेयो क सरकार ने उनके लए शु कया था। उनके योगदान के लए
लॉड रपन को भारत म ानीय वशासन का जनक कहा जाता है। ताव के मु य ब
इस कार थे. • शासन को बेहतर बनाने और राजनी तक एवं लोक य श ा के एक
साधन के प म ानीय नकाय के वकास क वकालत क गई • शहरी और ामीण
ानीय नकाय के मा यम से ानीय मामल का शासन करने
क नी त जन पर न त कत ह और उ ह राज व के उपयु ोत स पे गए ह
• इन नकाय म गैर सरकारी लोग का ब मत होना ज ह चुना जा सकता था य द
अ धका रय को लगे क
चुनाव कराना संभव है • गैर आ धका रक इन नकाय के अ य के प म काय
करगे • आ धका रक ह त ेप को यूनतम कया जाना चा हए और ानीय नकाय के
कृ य को संशो धत और जांचने के लए योग कया जाना चा हए
ले कन नी तय को नधा रत करने के लए नह • कु छ मामल म आ धका रक
कायकारी मंज ूरी क आव यकता होती है जैसे ऋण जुटाना नगरपा लका संप का
ह तांतरण नए कर लगाना
नधा रत रा श से अ धक लागत वाले काय करना नयम और उप नयम बनाना
आ द।

इस संक प के अनुसरण म और के बीच कई अ ध नयम पा रत कए


गए ज ह ने भारत म नगर नकाय के सं वधान श य और काय को काफ हद तक
बदल दया। ले कन एक
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भावी ानीय वशासी नकाय का युग अभी भी एक अधूरा सपना था। मौजूदा ानीय
नकाय म कई क मयां थ । • सभी जला बोड और कई नगर पा लका म नवा चत सद य
अ पमत म थे • मता धकार ब त सी मत था • जला बोड का नेतृ व जला अ धकारी
करते रहे हालां क धीरे धीरे गैर अ धकारी नगर पा लका के मुख
बन गये • सरकार ने स त नयं ण बनाए रखा और
वह अपनी इ ानुसार इन नकाय को नलं बत या ानांत रत कर सकती थी।

वा तव म नौकरशाही वायसराय के उदार वचार से सहमत नह थी और सोचती थी


क भारतीय वशासन के लए अयो य ह। व सद के अं तम दशक सा ा यवाद का काल
थे और उस पंथ के महायाजक लॉड कजन ने वा तव म ानीय नकाय पर आ धका रक
नयं ण बढ़ाने के लए कदम उठाए थे।

वक करण पर रॉयल कमीशन


ानीय नकाय के भावी कामकाज म व ीय संसाधन क कमी को बड़ी बाधा बताते ए
आयोग ने न न ल खत सफा रश क ।

i इसम इस बात पर जोर दया गया क ाम पंचायत को छोटे मोटे मामल म


या यक े ा धकार छोटे मोटे गाँव के काय पर य गाँव के कू ल छोटे धन और चारा
भंडार आ द जैसी अ धक श याँ स पी जानी चा हए। पंचायत को आय के पया त ोत दए
जाने चा हए। ii इसने येक तालुक ा या तहसील म उप जला बोड क ापना के मह व
पर जोर दया जसम उप जला बोड और जला बोड के लए कत
के अलग अलग े और राज व के अलग अलग ोत ह । iii इसने कराधान क
उनक श य पर मौजूदा तबंध को वापस लेने का आ ह कया और साथ ही बड़ी
प रयोजना को छोड़कर ांतीय सरकार से नय मत अनुदान सहायता को रोकने का भी
आ ह कया। iv नगर पा लकाएं ाथ मक श ा और य द
इ ु क ह तो मा य मक श ा क ज मेदारी ले सकती ह
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संवैधा नक शास नक और...

ानीय भाषा के कू ल अ यथा सरकार को उ ह मा य मक श ा अ ताल राहत पु लस


पशु च क सा काय आ द के संबंध म कसी भी शु क से मु करना चा हए।

का भारत सरकार का संक प इस ताव म वक करण आयोग क


सफा रश पर आ धका रक वचार शा मल थे ले कन अ धकांश सफा रश कागज पर ही
रह और ानीय नकाय क त वैसी ही बनी रही जैसी लॉड रपन ने छोड़ी थी।

मई का संक प इस ताव म अग त
क घोषणा के आलोक म ानीय वशासन के संपूण क समी ा क गई
जसम घोषणा क गई थी क संवैधा नक ग त क भ व य क दशा भारत के लोग को
ज मेदार सरकार दान करने क ओर है। उस आदश क ग तशील ा त क दशा म
पहला कदम ानीय वशासन के े म होना था।

ताव म सुझ ाव दया गया क ानीय नकाय को यथासंभव लोग का तनध


बनाया जाए और उनम नाममा के नह ब क वा त वक अ धकार न हत ह ।

ै ध शासन के तहत
ानीय वशासन को भारत सरकार अ ध नयम ारा लोक य मं तरीय नयं ण
के तहत एक ह तांत रत वषय बना दया गया था और येक ांत को ांतीय
आव यकता और आव यकता के अनुसार ानीय वसं ान वक सत करने क
अनुम त द गई थी।
ले कन चूं क व एक कायकारी पाषद के भार के तहत एक आर त वषय था
इस लए भारतीय मं ी धन क कमी के कारण ानीय वशासन के े म यादा काम नह
कर सके ।

साइमन कमीशन मई ने यूपी बंगाल और म ास को छोड़कर ाम पंचायत


क ग त म कमी क ओर इशारा कया। आयोग ने द ता के लए ानीय नकाय पर
ांतीय नयं ण बढ़ाने का तगामी कदम सुझ ाया। आयोग ने भी तकू ल ट पणी क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ानीय कर लगाने के त नवा चत सद य क अ न ा और दे ख ा गया क आम तौर पर


कह तो के सुधार क शु आत के बाद से ानीय नकाय के व बंधन म गरावट
आई है।

भारत सरकार अ ध नयम और उसके बाद भारत सरकार अ ध नयम


ारा शु क गई ांतीय वाय ता ने भारत म ानीय वशासी सं ान के वकास को और
ग त द । पोटफो लयो व लोक य मं ालय के नयं ण म होने के कारण अब ानीय
नकाय के वकास के लए धन उपल कराया जा सकता है।

इसके अलावा के सुधार के बाद से च लत ांतीय और ानीय व के बीच कराधान


का सीमांक न ख म कर दया गया। ांत म ानीय नकाय को अ धक अ धकार दे ते ए नये
अ ध नयम पा रत कये गये।

हालाँ क ानीय सं ान के व ीय संसाधन और कराधान क श कमोबेश उसी


तर पर रही जो रपन के दन म थी। ब क के बाद ापार आजी वका और
वसाय और नगरपा लका संप पर ट मनल कर लगाने या बढ़ाने के लए ानीय नकाय
क श य पर कु छ नए तबंध लगाए गए थे। ऐसा तीत होता है क ांतीय सरकार ने
वक करण आयोग ारा अनुशं सत ानीय सं ान को कराधान क ापक
श याँ दे ने क उदार नी त क अनदे ख ी क है।

वतं भारत का सं वधान रा य सरकार को ाम पंचायत को ानीय वशासन के


भावी अंग के प म संग ठत करने का नदश दे ता है अनु ेद । तह रव और चौह रव
संशोधन का उ े य ामीण और शहरी े म ानीय वशासी सं ान क संरचना म
खा मय को र करना है।
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भारत म टश नी तय का सव ण

भारत म टश नी तय का सव ण

शास नक नी तयाँ
ग तशील तज पर भारत को आधु नक बनाने क को शश करने के उनके से पहले के
इराद के वपरीत अब शासन ने इस बहाने से प से त यावाद नी तयां अपना
क भारतीय व शासन के लए उपयु नह थे और उ ह अपने जीवन म टश उप तक
आव यकता थी।

फू ट डालो और राज करो अपनी


स ा को चुनौती दे ने वाली एकजुट जन कारवाई से बचने के लए भारत म टश शासक ने
राजा को रा य के लोग के खलाफ े को े के खलाफ ांत को ांत के खलाफ
जा त को जा त के खलाफ खड़ा करके वभा जत और शासन क न न नी त अपनाने का
फै सला कया। ह बनाम मु लम.

के व ोह के बाद मुसलमान के खलाफ त काल दमन के बाद अ धका रय ने


के बाद श ा शास नक नौक रय और बाद म लभ संसाधन पर संघष का उपयोग
करते ए रा वाद क बढ़ती लहर के खलाफ मुसलमान के बीच म यम और उ श त
वग का उपयोग करने का नणय लया। श त भारतीय के बीच धा मक आधार पर वभाजन
पैदा करने के एक उपकरण के प म राजनी तक लूट जो औप नवे शक अ वक सतता के तक
म न हत थी ।

श त भारतीय के त श ुता
उभरता आ म यवग य रा वाद नेतृ व टश शासन के शोषणकारी औप नवे शक च र का
व ेषण कर रहा था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

Views
सभी अनुभव हम सखाते ह क जहां एक मुख जा त सरे पर शासन करती है वहां सरकार का
सबसे नरम प नरंकु शता है।
चा स वुड भारत के रा य स चव

नामांक न त न ध व और चुनाव क णा लयाँ भारतीय को शाही उ े य के लए काम करने के


लए भत करने के साधन थ ।
अ नल सील

शासन म भारतीय क भागीदारी क मांग ऐसे समय म जब रा वाद आंदोलन का ज म आ


था भारतीय रा ीय कां ेस क ापना म ई थी अं ेज ने इन कदम को अपने
अ धकार के लए एक चुनौती के प म समझा और ऐसे नेतृ व के त श ुतापूण रवैया
अपनाया। वा तव म तब से उ ह ने उन सभी का वरोध कया जो आधु नक श ा के प म
खड़े थे।

जम दार के त रवैया त यावाद नी तय क खोज म और


अपने सामा जक आधार का व तार करने क आशा म अं ेज ने सबसे त यावाद
सामा जक समूह राजकु मार जम दार आ द के साथ गठबंधन क तलाश क । अं ेज का
इरादा उ ह रा वा दय के खलाफ जवाबी कारवाई के प म इ तेमाल करने का था। दमागदार
बु जीवी वग. अब जम दार और जम दार को लोग का ाकृ तक और पारंप रक नेता
माना जाने लगा। से पहले ज त क गई अ धकांश अवध तालुक दार क जमीन उ ह
वापस कर द ग । कसान के हत के वपरीत जम दार और जम दार के हत और
वशेषा धकार क र ा क गई बदले म पूव लोग ने अं ेज को अपने अ त व क गारंट के
प म दे ख ा और उनके प के समथक बन गए।

सामा जक सुधार के त रवैया भारतीय समाज के त यावाद


त व के साथ जाने का नणय लेने के बाद अं ेज ने सामा जक सुधार से समथन वापस ले
लया जससे उ ह लगा क इससे उनके खलाफ ढ़वाद वग का गु सा भड़क गया है। साथ
ही जा त और सां दा यक चेतना को बढ़ावा दे क र अं ेज ने त यावाद ताकत क मदद
क।

अ वक सत सामा जक सेवाएँ
सेना और नाग रक शासन पर अनुपातहीन प से बड़ा य और यु क लागत पर खच
करने के लए ब त कम बचा
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भारत म टश नी तय का सव ण

श ा वा य व ता भौ तक बु नयाद ढाँचा इ या द जैसी सामा जक सेवाएँ एक वरासत


है जो अभी भी इस दे श को परेशान करती है।
और जो भी सु वधाएं ा पत क ग वे सं ांत वग और शहरी े के लए थ ।

म वधान यूरोप म औ ो गक ां त
के ारं भक चरण क तरह उ ीसव सद के भारत म कारखान और बागान म काम करने क
तयाँ दयनीय थ । म हला और ब के साथ साथ पु ष के लए भी काम के घंटे लंबे
थे और मज़ री कम थी। भीड़ भाड़ वाले कम हवादार और कम रोशनी वाले काय ल म
सुर ा उपाय ावहा रक प से अ त वहीन थे।

वडंबना यह है क भारत म कारखान म मक क त के नयमन क पहली मांग


लंक ाशायर कपड़ा पूंज ीवाद लॉबी से आई थी। स ते और अ नय मत म क त म भारतीय
कपड़ा उ ोग म एक त ध त ं के उभरने क आशंक ा जताते ए उ ह ने कारखाने
क तय क जांच के लए एक आयोग क नयु क मांग क । पहला आयोग म
नयु कया गया था हालाँ क पहला फ़ै टरी अ ध नयम से पहले पा रत नह कया
गया था।

भारतीय कारखाना अ ध नयम मु य प से बाल म से वष क आयु


के बीच क सम या से नपटता है।
इसके मह वपूण ावधान थे • वष से कम उ
के ब का रोजगार न ष • ब के लए काम के घंटे त दन घंटे तक
सी मत • ब को एक महीने म चार छु यां मलगी • खतरनाक मशीनरी को उ चत
प से बंद कया जाएगा।

भारतीय कारखाना अ ध नयम •ब के


लए यूनतम आयु से वष और अ धकतम से वष बढ़ा द गई • ब
के लए अ धकतम काम के घंटे घटाकर त दन घंटे कर दए गए • ब के
लए अ धकतम काम के घंटे तय कर दए गए म हला को डेढ़ घंटे के अंतराल के
साथ त दन
घंटे पु ष के लए काम के घंटे अ नय मत छोड़ दए गए • सभी के लए सा ता हक
अवकाश दान कया गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मुझ े उ र
प म और पंज ाब म ह और मुसलमान के बीच बढ़ती खटास के बारे म सुनकर ख आ। कोई
नह जानता क या चाहा जाए य क वचार और काय क एकता राजनी तक प से ब त
खतरनाक हो सकती है वचार का वचलन और टकराव शास नक से क कारी है। दोन म से
उ रा सबसे कम जो खम भरा है हालां क यह उन लोग पर चता और ज मेदारी डालता है जहां
घषण मौजूद है।

है म टन रा य स चव

हम बताया गया क अं ेज़ एक शाही जा त थे जनके पास हम पर शासन करने और हम अधीनता म रखने का


ई र द अ धकार था य द हमने वरोध कया तो हम शाही जा त के बाघ गुण क याद दलाई गई।

जवाहर लाल नेह

ले कन ये कानून टश वा म व वाले चाय और कॉफ बागान पर लागू नह होते


थे जहां मक का बेरहमी से शोषण कया जाता था और उनके साथ गुलाम जैसा वहार
कया जाता था। सरकार ने ऐसे कानून पा रत करके इन बागवान क मदद क जससे एक
बार अनुबंध होने के बाद कसी मज र के लए काम करने से इनकार करना लगभग असंभव
हो गया। अनुबंध का उ लंघन एक आपरा धक अपराध था जसम बागान मा लक को दोषी
मज र को गर तार करने का अ धकार था।

बीसव सद म रा वाद दबाव के तहत अ धक म कानून पा रत कए गए ले कन


सम कामकाजी तयां हमेशा क तरह दयनीय बनी रह ।

ेस क वतं ता पर तबंध
रा वा दय ने जनता क राय को श त करने और आलोचना और नदा के मा यम से
सरकारी नी तय को भा वत करने और बाद म रा ीय चेतना जगाने के लए ेस ौ ो गक
म नई ग त का उपयोग करने म तेज ी दखाई थी।

म मेटकाफ ने भारतीय ेस पर लगे तबंध हटा दये थे। ले कन जनता क


राय पर रा वाद ेस के बढ़ते भाव के डर से लटन ने कु यात वना युलर ेस अ ध नयम
के मा यम से भारतीय भाषाई ेस पर तबंध लगा दया। इस अ ध नयम को
म सावज नक वरोध के तहत नर त करना पड़ा। उसके बाद ेस को सापे वतं ता का
आनंद मला लगभग दो दशक तक ले कन दमन के अधीन था
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भारत म टश नी तय का सव ण

फर से वदे शी और वभाजन वरोधी आंदोलन के म े नजर और म तबंध


लगाए गए। भारत म ेस का वकास अ याय भी दे ख ।

ेत न लवाद
औप नवे शक शासक ारा भारतीय को रेलवे के ड ब पाक होटल लब आ द म उ
ेड क सेवा नाग रक और सै य दोन से व त प से बाहर करके और न लीय
अहंक ार के सावज नक दशन ारा ेत े ता क धारणा को ब त सावधानी से बनाए रखा
गया था। मारपीट मारपीट और यहां तक क ह याएं घटना के प म रपोट क ग ।
जैसा क ए गन ने एक बार लखा था हम के वल इस त य को बनाए रखते ए शासन कर
सकते ह क हम मुख न ल थे हालां क सेवा म भारतीय को ो सा हत कया जाना
चा हए एक ब है जहां हम नयं ण अपने पास रखना होगा अगर हम बने रहना है ।

टश सामा जक और सां कृ तक

भारत म नी त
तक अं ेज ने दे श के सामा जक धा मक और सां कृ तक जीवन म ह त ेप न करने
क नी त का पालन कया। के बाद व और व शता द के दौरान यूरोप म
मह वपूण प रवतन के म े नजर उ ीसव शता द के टे न म नए हत और वचार के उ व
के कारण भारतीय समाज और इसके सां कृ तक प रवेश को बदलने के लए उपाय कए गए।
इनम से कु छ प रवतन थे

i औ ो गक ां त जो व शता द म शु ई और जसके प रणाम व प


औ ो गक पूंज ीवाद का वकास आ।
बढ़ते औ ो गक हत भारत को अपने माल के लए एक बड़ा बाज़ार बनाना चाहते थे और
इस लए भारतीय समाज के आं शक आधु नक करण और प रवतन क आव यकता थी।

ii बौ क ां त जसने मन श ाचार और नै तकता के नए कोण को ज म


दया। iii ांसीसी ां त जसने वतं ता समानता और
भाईचारे के अपने संदेश के साथ लोकतं और रा वाद क ताकत को उजागर कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नई वृ का त न ध व वचार म बेक न लॉक वो टे यर सो कांट एडम


मथ और बथम ने कया और सा ह य म वड् सवथ बायरन शेली और चा स डकस ने
कया।

नये वचार के ल ण
नवीन वचार धारा क कु छ वशेषताएँ
थे

i बु वाद जसने तक म व ास और वै ा नक कोण क वकालत क । ii


मानवतावाद जसने मनु य के
ेम क वकालत क यह व ास क येक मनु य अपने आप म एक ल य है
और उसका स मान कया जाना चा हए और उसे मह व दया जाना चा हए। कसी भी
को यह अ धकार नह है क वह सरे को के वल अपनी खुशी के एजट के प म दे ख े।
इन आदश ने उदारवाद समाजवाद और वाद को ज म दया। iii ग त का स ांत
जसके अनुसार कु छ भी र नह है और सभी समाज को समय के साथ बदलना होगा।
मनु य म कृ त और समाज को उ चत और तकसंगत आधार पर नया व प दे ने
क मता है।

वचारधारा के कू ल वचार क इन नई
धारा ने शासक के बीच संघष पैदा कया और व भ वचारधारा को ज म दया
ढ़वा दय ने यथासंभव कम बदलाव लाने क वकालत क । उनका मानना था क भारतीय
स यता यूरोपीय स यता से भ है ले कन ज री नह क उससे कमतर हो।

इनम से कई वचारक भारतीय दशन और सं कृ त का स मान करते थे। य द हां तो प मी


वचार और था को धीरे धीरे और सावधानी से पेश कया जाना था। उ ह लगा क
सामा जक रता ब त ज़ री है। इस वचारधारा के ारं भक त न ध वॉरेन हे ट स और
एडमंड बक थे और बाद के त न धय म मुनरो मेटकाफ और एल फ टन शा मल थे। ढ़वाद
पूरे समय भावशाली रहे और भारत म अ धकांश टश अ धकारी आम तौर पर ढ़वाद
वचारधारा के थे।

पतृस ा मक सा ा यवाद वशेष प से के बाद भावशाली हो गए। वे


भारतीय के ती आलोचक थे
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भारत म टश नी तय का सव ण

समाज और सं कृ त और भारत क आ थक और राजनी तक गुलामी को उ चत ठहराते थे।

क रपं थय ने ढ़वा दय और सा ा यवा दय क संक ण आलोचना और


सा ा यवाद कोण से परे जाकर भारतीय त पर उ त मानवतावाद और तकसंगत
वचार लागू कया। उ ह ने सोचा क भारत म सुधार करने क मता है और उ ह ऐसा करने म
दे श क मदद करनी चा हए। वे भारत को व ान और मानवतावाद क आधु नक ग तशील
नया का ह सा बनाना चाहते थे और इस लए उ ह ने आधु नक प मी व ान दशन और
सा ह य क शु आत क वकालत क । के बाद भारत आये कु छ टश अ धकारी
क रपंथी थे। उ ह राजा राममोहन राय और अ य समान वचारधारा वाले सुधारक का पुरजोर
समथन ा त था।

ले कन मु य प से टश भारतीय शासन म शासक त व सा ा यवाद और


शोषणकारी बने रहे। उ ह ने सोचा क भारत का आधु नक करण इसके संसाधन के आसान
और अ धक गहन दोहन क आव यकता ारा लगाई गई ापक सीमा के भीतर होना
चा हए। इस संबंध म अ सर क रपं थय ने भी ढ़वाद ख अपनाया। वे सबसे अ धक
भारत म टश शासन क सुर ा और ा य व चाहते थे अ य सभी वचार गौण थे।

भारतीय पुनजागरण ऐसे कई भारतीय


थे ज ह ने सामा जक सुधार को बढ़ावा दया और कानून बनाए ता क तथाक थत परंपरा म
न हत सामा जक बुराइय को नयं त और समा त कया जा सके ।

राममोहन राय ई र चं व ासागर बीएम मालाबारी जैसे कु छ समाज सुधारक ने सामा जक


बुराइय को र करने के लए सरकार ारा कानून पा रत कराने के लए कड़ी मेहनत क । इन
पहलु पर धा मक और सामा जक सुधार अ याय म व तार से चचा क गई है।

सरकार के सामने वधा सरकार को डर था क ब त अ धक


आधु नक करण से उनके हत के त श ुतापूण ताकत पैदा हो सकती ह इस कार आं शक
आधु नक करण का वक प चुनना उ चत समझा गया कु छ मामल म इसे शु करना और
सर म इसे अव करना सरे श द म औप नवे शक आधु नक करण ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ईसाई मशन रय क भू मका मशनरी ईसाई धम को एक े


धम मानते थे और इसे प मीकरण के मा यम से भारत म फै लाना चाहते थे उनका मानना था
क इससे मूल नवा सय का अपने धम और सं कृ त म व ास न हो जाएगा। इस उ े य से
ईसाई मशन रय ने क रपं थय का समथन कया जनका वै ा नक कोण उनका मानना
था मूल सं कृ त और मा यता को कमजोर कर दे गा सा ा यवा दय का समथन कया
य क कानून और व ा और
टश वच व उनके चार के लए आव यक थे और वसाय और पूंज ीवाद
समथन क मांग क जससे उ ह यह आशा मली क ईसाई धमात रत लोग
उनके सामान के
बेहतर ाहक ह गे।

टश र ट
हालाँ क के बाद झझक भरी आधु नक करण क नी त को धीरे धीरे छोड़ दया गया।
हालाँ क भारतीय यो य श य सा बत ए और अपने समाज के आधु नक करण और अपनी
सं कृ त पर जोर दे ने क ओर तेज ी से आगे बढ़े और वतं ता समानता और याय के आधु नक
स ांत के अनुसार शासन क मांग क । अब अं ेज़ समाज के सामा जक प से ढ़वाद
और ढ़वाद त व के प म आ गये। उ ह ने जा तवाद और सा दा यकता को भी बढ़ावा
दया।

टश नी त के त
रयासत
रयासत के साथ संबंध को दो सू ीय नी त ारा नद शत कया जाना था उ ह सा ा य क
सुर ा के प म उपयोग करना और बनाए रखना और उ ह पूरी तरह से टश ा धकरण
अधीन संघ क नी त के अधीन करना।

इन रा य को भ व य क राजनी तक अशां त के खलाफ एक बफर के प म


वक सत करने और के व ोह के दौरान उनक वफादारी के लए उ ह पुर कृ त करने के
लए वलय क नी त को छोड़ दया गया था।
नई नी त पद युत करने या दं डत करने क थी ले कन वलय करने क नह । साथ ही रा य
क े ीय अखंडता क गारंट द गई थी और थी भी
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भारत म टश नी तय का सव ण

दे ख ना

अं ेज़ और राजकु मार को एक सरे क ज़ रत थी भारत क कसी भी चीज़ क आव यकता अ य धक सं द ध


थी।
एफजी ह च स

घोषणा क क उ रा धकारी को गोद लेने के उनके अ धकार का स मान कया जाएगा।

टश स ा के अधीन रयासत क अधीनता तब पूरी ई जब भारतीय रा य क


वतं सं भु रा य के प म ताज के साथ समानता क त म खड़े होने क क पना
म रानी ारा कै सर ए हद भारत क रानी महारानी क उपा ध अपनाने के साथ समा त ई।
संपूण भारत पर टश सं भुता पर जोर दे ना। बाद म लॉड कजन ने यह कर दया क
राजकु मार अपने रा य पर के वल टश ाउन के एजट के प म शासन करते थे। सव ता
के साथ टश सरकार ने अपने नवा सय के मा यम से या मं य और अ धका रय को
नयु और बखा त करके रा य के आंत रक मामल म ह त ेप करने के अ धकार का योग
कया।

संचार म आधु नक वकास रेलवे सड़क टे ली ाफ नहर डाकघर आ द से अं ेज


को अपने अ त मण म और मदद मली। ह त ेप का उ े य इन रा य म रा वाद लोकतां क
भावना के उदय से भी दान कया गया था जसका दमन अं ेज को एहसास आ क यह
उनके अ त व के लए आव यक है। इन आधु नक राजनी तक आंदोलन के सकारा मक प
के प म अं ेज ने इन रा य को आधु नक शास नक सं ान को अपनाने म मदद क ।
टश शासन के अधीन भारतीय रा य अ याय भी दे ख ।

भारत म टश वदे श नी त
टश सा ा यवाद के हत से नद शत वदे श नी त के अनुसरण के कारण अ सर भारत का
पड़ोसी दे श के साथ टकराव होता था। ये संघष व भ कारण से उ प ए। सबसे पहले दे श
के राजनी तक और शास नक सु ढ़ करण के साथ साथ संचार के आधु नक साधन क
शु आत ने भारत सरकार को आंत रक सामंज य के लए ाकृ तक भौगो लक सीमा तक
प ंचने के लए े रत कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और र ा जसके प रणाम व प कभी कभी सीमा पर झड़प होती थ ।


सरे टश सरकार का ए शया और अ का म मुख उ े य था i अमू य भारतीय
सा ा य क सुर ा ii
टश वा ण यक और आ थक हत का व तार iii अ य यूरोपीय
सा ा यवाद श य को जनके औप नवे शक हत टश हत के साथ टकराव म
थे ए शया
और अ का म एक हाथ क री पर रखना।

इन उ े य के कारण भारत क ाकृ तक सीमा के बाहर टश व तार और े ीय


वजय ई और स और ांस जैसी अ य सा ा यवाद यूरोपीय श य के साथ संघष आ।

जब क हत साधने वाले टश थे खच कया गया धन और बहाया गया र भारतीय


था।
भारत के व भ पड़ो सय के साथ टश संबंध का एक सव ण भारत म टश
व तार और सु ढ़ करण अ याय म कया गया है ।

सारांश

• शास नक नी तयाँ

फू ट डालो और शासन करो।

श त भारतीय से श ुता।
जम दार और जम दार को रा वा दय के तकार के प म आगे बढ़ाया गया।
सामा जक सुधार को समथन क नी त का उलटा होना।
सामा जक सेवा क अनदे ख ी क गई।
आधे अधूरे मन से और अपया त म कानून पेश कये गये।
जहां भी दे ख ा गया क ेस का दमन रा वाद उभार म मदद कर रहा है।
जातीय अहंक ार.

• टश सामा जक एवं सां कृ तक नी तयाँ

• वदे श नी त आंत रक सामंज य


और र ा के लए ाकृ तक भौगो लक सीमा तक प ँचना।

अ य यूरोपीय श य को एक हाथ क री पर रख।


टश आ थक और वा ण यक हत को बढ़ावा दे ना।
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

का आ थक भाव
भारत म टश शासन

भारत म टश उप नवेशवा दय और पहले के आ मणका रय के बीच मु य अंतर यह था


क पहले के आ मणका रय म से कसी ने भी भारतीय अथ व ा म कोई संरचना मक
प रवतन नह कया या भारत क संप को ांज ल के प म नह नकाला। भारत म
टश शासन ने भारत क अथ व ा को औप नवे शक अथ व ा म बदल दया अथात
भारतीय अथ व ा क संरचना और संचालन टश अथ व ा के हत ारा नधा रत
कया गया था।

इ तहासकार के अनुसार अठारहव शता द क शु आत म भारत के पास व


अथ व ा का लगभग तशत ह सा था। जब भारत आज़ाद आ तो यह ह सेदारी
घटकर लगभग तशत रह गई।

टश शासन के आ थक भाव का एक व तृत सव ण इस कार है।

वऔ ोगीकरण बबाद
कारीगर और ह त श पी

एकतरफ़ा मु ापार के चाटर


अ ध नयम ारा टश नाग रक के लए एकतरफ़ा मु ापार क अनुम त दे ने के बाद
भारतीय बाज़ार म स ते और मशीन न मत आयात क बाढ़ आ गई। सरी ओर भारतीय
उ पाद के लए यूरोपीय बाजार म वेश करना अ धक क ठन हो गया। भारतीय व पर
लगभग तशत का टै रफ लगाया गया ता क भारतीय कपड़ा अब स ता न हो सके । बाद
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वा ण य के इ तहास म इस दशा क शायद ही कोई मसाल मलती हो कपास बुनकर क ह याँ


उ र के मैदानी इलाक को लीच कर रही ह
भारत।
व लयम ब टक
अलग थलग आ म नभर गाँव के कवच को ट ल क रेल से छे द दया गया और उसका जीवन खून
बह गया।
डीएच बुक ानन

यूरोपीय बाज़ार भारतीय नयात के लए लगभग बंद कर दये गये। भारतीय बाज़ार म
टश न मत स ते कपड़ क बाढ़ आ गई।
नए शु कए गए रेल नेटवक ने यूरोपीय उ पाद को दे श के सु र कोन तक प ंचने म मदद
क । शु नयातक से भारत शु आयातक बन गया।

आधु नक औ ोगीकरण क दशा म कोई कदम नह भारत म औ ोगीकरण क या


के साथ पारंप रक आजी वका का नुक सान नह आ जैसा क उस समय के अ य तेज ी से
औ ोगीकरण वाले दे श म आ था। इसके प रणाम व प उस समय भारत का गैर
औ ो गक करण आ जब यूरोप एक पुन ती औ ो गक ां त का गवाह बन रहा था। यह
ऐसे समय म आ जब भारतीय कारीगर और ह त श पी पहले से ही राजकु मार और कु लीन
ारा संर ण खोने के कारण संक ट महसूस कर रहे थे जो अब नए प मी वाद और मू य के
भाव म थे।

ामीणीकरण
वऔ ोगीकरण क एक अ य वशेषता कई शहर का पतन और भारत के ामीणीकरण क
या थी। कई कारीगर को कम रटन और दमनकारी नी तय का सामना करना पड़ा बंगाल
म कं पनी के शासन के दौरान कारीगर को कम मज री द जाती थी और उ ह अपने उ पाद
कम क मत पर बेचने के लए मजबूर कया जाता था उ ह ने अपना पेशा छोड़ दया गांव म
चले गए और खेती करने लगे। इसके प रणाम व प भू म पर दबाव बढ़ गया। टश शासन
के दौरान अ य धक बोझ वाला कृ ष े गरीबी का एक मुख कारण था और इससे गाँव क
आ थक व ाअ त त हो गई।
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

कसान वग क द र ता
सरकार जो के वल लगान को अ धकतम करने और राज व म अपना ह सा सुर त करने म
च रखती थी ने बड़े ह से म ायी नपटान णाली लागू क थी। भू म क ह तांतरणीयता
नई ब ती क एक वशेषता थी जसके कारण करायेदार को भारी असुर ा का सामना करना
पड़ा ज ह ने भू म पर अपने सभी पारंप रक अ धकार खो दए। भू म उ पादकता म सुधार पर
सरकार ारा ब त कम खच कया गया। बढ़ ईश य के साथ जम दार ने सं त
न कासन का सहारा लया उपज म अपना ह सा अ धकतम करने के लए अवैध बकाया और
बेगार क मांग क और इस तरह कृ ष म सुधार के लए नवेश करने के लए उनके पास कोई
ो साहन नह था। अ य धक बोझ से दबे कसान को जम दार को अपना बकाया चुक ाने म
स म होने के लए सा कार के पास जाना पड़ता था। सा कार जो अ सर गाँव का अनाज
ापारी भी होता था कसान को अपना बकाया चुक ाने के लए कम क मत पर उपज बेचने के
लए मजबूर करता था। श शाली सा कार यायपा लका और कानून को अपने प म करने
म भी स म था।

कसान सरकार जम दार और सा कार के तहरे बोझ के तले सबसे अ धक पी ड़त


आ। अकाल और अभाव के समय उनक क ठनाई बढ़ गई। यह बात जम दारी े के साथ
साथ रैयतवाड़ी और महलवाड़ी व ा के तहत आने वाले े के लए भी उतनी ही सच थी।
कसान भू महीन हो गया।

दे ख ...
अ धकांश औप नवे शक युग के लए भारत के नमाण क कहानी बेदखली व ापन और हार क
थी। भारत के व के साथ जो आ वह सव दोहराया गया। सुंदरलड ारा व णत महान व नमाण
रा से भारत के वल क े माल और खा पदाथ क े कपास साथ ही जूट रेशम कोयला अफ म
चावल मसाल और चाय का नयातक बन गया।

इसके व नमाण के पतन और इसके नयात रो टर से न मत व तु के उ मूलन के साथ टश


शासन के तहत व व नमाण नयात म भारत क ह सेदारी तशत से गरकर तशत हो
गई।

शशथ र एक का युग अंधेरा


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बचौ लय का उ व अनुप त
जम दारी पुराने जम दार का खंडहर
तक बंगाल क कु ल भू म का आधा ह सा नए हाथ म चला गया था ापारी
सा कार और शहर म रहने वाले अ य धनवान वग। नए ज़म दार ने बढ़ ईश य के साथ
ले कन नए नवेश के लए ब त कम या कोई रा ता नह होने के कारण भू म क ज़ा और उप
संघष का सहारा लया। भुगतान कए जाने वाले बचौ लय क सं या म वृ ने अनुप त
जम दारीवाद को ज म दया और कसान पर बोझ बढ़ गया। चूँ क भू म क माँग अ धक थी
क मत बढ़ ग और कसान क दे नदा रयाँ भी बढ़ ग । का तकार के साथ कोई पारंप रक या
परोपकारी संबंध न होने के कारण जम दार के पास कृ ष के सुधार म नवेश करने के लए कोई
ो साहन नह था। जम दार का हत के वल टश शासन को कायम रखने और रा ीय
आंदोलन का वरोध करने म था।

ठहराव और गरावट
कृ ष
कृ षक के पास कृ ष म नवेश करने के लए न तो साधन थे और न ही कोई ो साहन। जम दार
क गाँव म कोई जड़ नह थ जब क सरकार कृ ष तकनीक या जन श ा पर ब त कम
खच करती थी। इन सबने उप सं मण के कारण भू म के वखंडन के साथ आधु नक
ौ ो गक को लागू करना क ठन बना दया जससे उ पादकता का तर लगातार न न तर पर
रहा।

अकाल और गरीबी
भारत म अकाल क नय मत पुनरावृ दै नक अ त व क एक सामा य वशेषता बन गई। ये
अकाल सफ खा ा क कमी के कारण नह थे ब क भारत म औप नवे शक ताकत ारा
फै लाई गई गरीबी का य प रणाम थे। से के बीच अकाल म करीब . करोड़
लोग क मौत ई.
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

भारतीय कृ ष का ावसायीकरण
उ ीसव सद के उ राध म एक और मह वपूण वृ कृ ष के ावसायीकरण का उदय थी।
अब तक कृ ष एक ावसा यक उ म के बजाय जीवन जीने का एक तरीका था। अब कृ ष
ावसा यक वचार से भा वत होने लगी। कु छ व श फ़सल गाँव म उपभोग के लए नह
ब क रा ीय और यहाँ तक क अंतरा ीय बाज़ार म ब के लए उगाई जाने लग ।

कपास जूट मूंगफली तलहन ग ा तंबाकू आ द जैसी वा ण यक फसल खा ा क तुलना


म अ धक लाभकारी थ । फर मसाल मसाल फल और स जय जैसी फसल क खेती
एक ापक बाजार क पू त कर सकती है।

शायद ावसायीकरण क वृ बागान े म वकास के उ तम तर तक प ंच गई यानी


चाय कॉफ रबड़ इं डगो इ या द म जो यादातर यूरोपीय लोग के वा म व म थी और उपज
ापक बाजार म ब के लए थी।

ावसायीकरण और वशेष ता क नई बाजार वृ को कई कारक ारा ो सा हत


कया गया मु ा अथ व ा का सार त धा और अनुबंध ारा था और परंपरा का
त ापन एक कृ त रा ीय बाजार का उ व आंत रक ापार क वृ रेल और सड़क के
मा यम से संचार म सुधार और बढ़ावा। टश व ीय पूंज ी आ द के वेश ारा अंतरा ीय
ापार को दया गया लाभ।

भारतीय कसान के लए ावसायीकरण एक मजबूर या लगती थी। नवाह तर


को दे ख ते ए वा ण यक फसल म नवेश करने के लए उनके पास शायद ही कोई अ धशेष
था

दे ख
कं पनी के नौकर ने मूल नवा सय को महँगा खरीदने और स ते म बेचने के लए मजबूर कया... इस
कार कलक ा म भारी संप तेज ी से जमा हो गई जब क तीस करोड़ मनु य गरीबी क चरम सीमा
तक प ँच गए। उ ह इस तरह अ याचार के अधीन कभी नह रहना पड़ा था...

मैक ाले
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

जसे उ ह ने जीया जब क ावसायीकरण ने भारतीय कृ ष को अंतररा ीय बाजार के झान


और उनके उतार चढ़ाव से जोड़ा। उदाहरण के लए के दशक म कपास क क मत बढ़
ले कन इससे यादातर बचौ लय को फायदा आ और जब म क मत म गरावट आई
तो इसका सबसे यादा असर कसान पर पड़ा जससे द कन म भारी कजदारी अकाल और
कृ ष दं गे सामने आए। का दशक. इस कार कृ षक नई ावसायीकरण वृ से
शायद ही बेहतर ढं ग से उभर सके ।

उ ोग का वनाश और व
आधु नक उ ोग का वकास
भारतीय उ ोग लगातार न हो गये। भारत क कपड़ा त धा का न होना भारत के
औ ोगीकरण का वलंत उदाहरण है। अं ेज ने भारतीय व के लए पाउं ड म भुगतान
करना बंद कर दया इसके बजाय उ ह ने बंगाल से ा त राज व से ब त कम दर पर भुगतान
करना चुना जससे कसान और अ धक गरीब हो गए।

एक फलता फू लता जहाज नमाण उ ोग कु चल दया गया। प मी तट पर सूरत और


मालाबार और पूव तट पर बंगाल और मसूलीप नम अपने जहाज नमाण उ ोग के लए जाने
जाते थे। कं पनी ारा अनुबं धत टश जहाज को ापार माग पर एका धकार दे दया गया
जब क तट के कनारे चलने वाले भारतीय ापारी जहाज को भी भारी शु क का सामना
करना पड़ा। म टश संसद के एक कानून ने टन से कम वजन वाले जहाज को
भारत से टे न के बीच जाने से रोक दया इसने भावी प से बंगाल न मत जहाज के एक
बड़े ह से को भारत टश ापार माग पर कमीशन से बाहर कर दया। म एक और
कानून पा रत कया गया जसके तहत भारत न मत जहाज को टश पंज ीकृ त जहाज
मानने से इनकार कर दया गया जो अमे रका और यूरोपीय महा प के साथ ापार कर सकते
थे। अतः भारतीय जहाजरानी उ ोग का पतन सु न त हो गया।

अं ेज ने भारतीय इ ात उ ोग को बढ़ने नह दया। टाटा जैसे उ ोग ने आव यक


अनुम त ा त करने म काफ परेशानी के बाद ट ल का उ पादन शु कया
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

टश उपयोग के लए उ मानक के ट ल का उ पादन करने के लए मजबूर होने से


तबं धत कया गया। कं प नयाँ एक ही समय म न न मानक के ट ल का उ पादन करने म
स म नह थ इस लए वे बड़े बाजार से बाहर रह ग जो कम गुण व ा वाले ट ल क मांग
करते थे। चूँ क टे न ारा भारतीय इ ात आयात पर तबंध लगा दया गया था इस इ ात
का उपयोग के वल भारत म ही कया जा सकता था। जा हर है उ ोग का वकास बा धत आ।

भारतीय ापा रय सा कार और बकर ने भारत म अं ेज ी ापारी पूंज ीप तय के


क न साझेदार के प म कु छ संप अ जत क थी। उनक भू मका औप नवे शक शोषण
क टश योजना म फट बैठती थी। भारतीय सा कार क ठन प र म करने वाले कृ षक को
ऋण दान करते थे और इस कार रा य को राज व सं हण म सु वधा दान करते थे। भारतीय
ापारी आया तत टश उ पाद को सु र कोन तक ले जाते थे और भारतीय कृ ष उ पाद
को नयात के लए ले जाने म मदद करते थे। वदे शी बकर ने वतरण और सं हण दोन
या म मदद क । ले कन औप नवे शक त ने एक व और वतं औ ो गक
पूंज ीप त वग के वकास को धीमा कर दया और इसका वकास जमनी और जापान जैसे अ य
वतं दे श से अलग था।

उ ीसव सद के उ राध म ही भारत म आधु नक मशीन आधा रत उ ोग आने शु


ए। पहली सूती कपड़ा मल म बंबई म कावसजी नानाभॉय ारा ा पत क गई थी
और पहली जूट मल म रशरा बंगाल म ा पत क गई थी। ले कन अ धकांश
आधु नक उ ोग वदे शी वा म व वाले थे और टश बंध एज सय ारा नयं त थे।

इस समय भारत म अ धक मुनाफे क संभावना स ते म क उपल ता स ते और


आसानी से उपल क े माल भारत और पड़ो सय म तैयार बाजार घरेलू नवेश के लए
कम होते रा ते शासन क इ ा के कारण भारत म वदे शी पूंज ी क भीड़ थी। चाय जूट और
मगनीज जैसे कु छ भारतीय नयात के लए वदे श म सभी सहायता और तैयार बाजार दान
करना।

उ ीसव शता द म सूती व और जूट म और चीनी सीमट आ द म भारतीय वा म व


वाले उ ोग सामने आए।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे ख ना
वऔ ोगीकरण एक सोची समझी टश नी त थी कोई घटना नह । टश उ ोग फला फू ला
और भारतीय उ ोग टै रफ और व नयामक उपाय ारा े रत व त वनाश के कारण नह
फला फू ला जसने टश उ ोग को भारतीय बाजार पर वजय ा त करने के प म खड़ा कर
दया न क इसके वपरीत।

शशथ र एक का युग अंधेरा

बीसवी सद । भारतीय वा म व वाले उ ोग को कई बाधा का सामना करना पड़ा े डट


सम याएं सरकार ारा कोई टै रफ संर ण नह वदे शी कं प नय से असमान त धा और
टश पूंज ीवाद हत का कड़ा वरोध ज ह घर पर मजबूत व ीय और तकनीक बु नयाद
ढांचे का समथन ा त था।

औप नवे शक कारक ने कु छ संरचना मक और सं ागत प रवतन भी कये। औ ो गक


वकास क वशेषता असंतु लत थी मु य और भारी उ ोग और बजली उ पादन क उपे ा
क गई और कु छ े को सर क तुलना म अ धक पसंद कया गया जससे े ीय
असमानताएँ पैदा ।

इन े ीय असमानता ने रा नमाण क या म बाधा उ प क । तकनीक श ा के


सावधानीपूवक पोषण के अभाव म उ ोग म पया त तकनीक जनश का अभाव था।

सामा जक प से औ ो गक पूँज ीप त वग और मक वग का उदय इस चरण क एक


मह वपूण वशेषता थी।

क रा वाद आलोचना
औप नवे शक अथ व ा
उ ीसव सद के पूवा के शु आती बु जी वय ने इस धारणा के साथ टश शासन का
समथन कया क वह नवीनतम तकनीक और पूंज ीवाद आ थक संगठन के आधार पर दे श का
आधु नक करण करेगा। के दशक के बाद राजनी तक प से जाग क लोग म मोहभंग
होने लगा और उ ह ने भारत म टश शासन क वा त वकता क जांच करना शु कर दया।

इन आ थक व ेषक म सबसे मुख थे


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भारत म टश शासन का आ थक भाव

आ थक नकास

आ थक नकास श द भारत के रा ीय उ पाद के एक ह से को संद भत करता है जो इसके लोग


के उपभोग के लए उपल नह था ले कन राजनी तक कारण से टे न म बह रहा था और भारत को
इसके लए पया त आ थक या भौ तक रटन नह मल रहा था। नाली स ांत को दादाभाई नौरोजी ने
अपनी पु तक म सामने रखा था। इस नाली के मुख घटक थे नाग रक और सै य अ धका रय के वेतन और
पशन भारत सरकार ारा वदे श से लए गए ऋण पर याज भारत म वदे शी नवेश पर लाभ गरीबी
और अ टश म शासन कर भारत। टे न म खरीदे गए टोर नाग रक और सै य वभाग के
लए श पग ब कग और बीमा सेवा के लए भुगतान कया जाना था जससे इन सेवा म भारतीय
उ म क वृ अव हो गई।

धन के नकास ने भारत म पूंज ी नमाण को रोका और धीमा कर दया जब क धन के उसी ह से ने


टश अथ व ा के वकास को ग त द । टश अथ व ा का अ धशेष व ीय पूंज ी के प म भारत
म पुनः वेश कर गया जससे भारत का धन और भी कम हो गया। इसका भारत के भीतर आय और
रोजगार क संभावना पर अ य धक भाव पड़ा।

दादाभाई नौरोजी भारत के ड ओ मैन ज ह ने औप नवे शक अथ व ा के शानदार


व ेषण के बाद भारत म गरीबी और गैर टश शासन म आ थक नकास के स ांत को
सामने रखा। अ य आ थक व ेषक म यायमू त महादे व गो वद रानाडे रोमेश चं द
भारत का आ थक इ तहास गोपाल कृ ण गोखले जी. सु म यम अ यर और पृ वीचं रे
शा मल थे। उ ह ने कहा उ ीसव सद के उप नवेशवाद का सार भारत को महानगर के
लए खा पदाथ और क े माल के आपू तकता महानगरीय नमाता के लए एक
बाजार और टश पूंज ी के नवेश के े म बदलने म न हत है। इन ारं भक रा वाद
व ेषक ने बौ क आंदोलन का आयोजन कया और टे न के त भारत क आ थक
अधीनता को पूरी तरह से समा त करने और आधु नक उ ोग पर आधा रत एक वतं
अथ व ा के वकास क वकालत क ।

टश नी तयां भारत को गरीब बना रही ह


इन ारं भक बु जी वय का मूल दावा यह था क टश सा ा यवाद के कारण भारत
गरीब था और गरीब होता जा रहा था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास


इं डया रफॉम ै ट II पृ. कहता है यह दे श के संसाधन पर एक थका दे ने वाली बबाद है
जसके मु े को कसी भी त या से त ा पत नह कया जाता है यह रा ीय उ ोग क नस
से जीवन र का न कषण है जसे बहाल करने के लए पोषण क कोई बाद क शु आत नह क
जाती है।

दादाभाई नौरोजी मल के भारत के इ तहास से उ त

हमारी णाली एक ंज क तरह काम करती है जो गंगा के तट से सभी अ चीज को ख चती है और उ ह


टे स के तट पर नचोड़ दे ती है।

जॉन सु लवन अ य राज व बोड म ास

जहां कसी दे श म वदे शी पूंज ी डू ब गई हो उस दे श का शासन तुरंत बांडधारक क चता का वषय बन जाता
है।
ह सत बर

यह आ थक कानून क नदयी कायवाही नह है ब क यह टश नी त क वचारहीन और नदयी


कायवाही है यह भारत क साम ी का भारत म नदयता पूवक उपभोग करना और आगे इं लड क
ओर नदयतापूवक पलायन करना है सं ेप म यह आ थक कानून क नमम वकृ त है जसके
कारण भारत को खदायी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है जो भारत को न कर रहा है।

दादाभाई नौरोजी

जस दे श म कर लगाए जाते ह वहां खच कए जाने वाले कर एक दे श म उगाए गए और सरे दे श म खच कए


जाने वाले कर से अपने भाव म ब कु ल अलग होते ह। पहले मामले म आबाद से वसूला गया कर... फर से
मेहनती वग को लौटा दया जाता है...

ले कन मामला पूरी तरह से अलग है जब कर को उस दे श म खच नह कया जाता है जहां से वे उठाए गए ह...


वे कर वाले दे श से नकाली गई पूरी रा श का पूण नुक सान और वलु त होने का कारण बनते ह... पैसा हो
सकता है अ ा है समु म फक दया जाए। यह उस ांज ल क कृ त है जसक हम लंबे समय से अपे ा
करते आ रहे ह

भारत से।
सर जॉज वगेट

दे शी नरंकु श शासन के तहत लोग जो कु छ पैदा करते ह उसे अपने पास रखते ह और उसका आनंद
लेते ह हालां क कभी कभी उ ह कु छ हसा का भी सामना करना पड़ता है। टश भारतीय तानाशाह
के तहत आदमी शां त म है कोई हसा नह है उसका पदाथ अ य शां तपूवक और सू मता से
समा त हो जाता है वह शां त से भूख ा मरता है और शां तपूवक कानून और व ा के साथ
शां त से न हो जाता है।

दादाभाई नौरोजी
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

चूँ क भारत के आ थक पछड़ेपन के कारण मानव न मत थे वे समझाने यो य और र करने


यो य थे। गरीबी क सम या को लोग क उ पादक मता और ऊजा बढ़ाने क सम या या
रा ीय वकास क सम या के प म दे ख ा गया इस कार गरीबी एक रा ीय मु ा बन गई।
इससे सामा य आ थक मु पर समाज के सभी वग को एकजुट करने म मदद मली। साथ ही
वकास को औ ोगीकरण के बराबर माना गया। यह औ ोगीकरण भारतीय पूंज ी पर आधा रत
होना था न क वदे शी पूंज ी पर य क ारं भक रा वा दय के अनुसार भारतीय पूंज ी को
बढ़ाने और ो सा हत करने के बजाय वदे शी पूंज ी को त ा पत और दबा दया गया था।
इस दमन के कारण आ थक पलायन आ जससे भारत पर टश पकड़ और मजबूत हो गई।
वदे शी पूंज ी नवेश के राजनी तक प रणाम भी उतने ही हा नकारक थे य क उ ह ने
राजनी तक अधीनता पैदा क और न हत वाथ पैदा कए जो नवेशक के लए सुर ा क मांग
करते थे इस कार वदे शी शासन कायम रहा।

ापार और रेलवे क वृ से टे न को मदद मलेगी इन व ेषक


ने टश तक क
ताकत को उजागर कया क वदे शी ापार और रेलवे क वृ का अथ भारत के लए वकास
है। उ ह ने बताया क वदे शी ापार का पैटन भारत के लए तकू ल था। इसने भारत को
तैयार माल के आयातक और क े माल और खा पदाथ के नयातक क त म धके ल
दया। उ ह ने तक दया क रेलवे का वकास भारत क औ ो गक ज रत के साथ सम वत
नह था और इसने औ ो गक ां त के बजाय वा ण यक ां त क शु आत क । रेलवे का
शु भाव वदे शी व तु को वदे शी उ पाद से अ धक बकने म स म बनाना था। इसके
अलावा ट ल मशीनरी और रेलवे म पूंज ी नवेश को ो साहन का लाभ अं ेज को मला।
जीवी जोशी ने ट पणी क रेलवे पर य को टश उ ोग को भारतीय स सडी के पम
दे ख ा जाना चा हए।

एकतरफ़ा मु ापार और टै रफ नी त
रा वा दय ने दावा कया क एकतरफा मु ापार बबाद हो रहा है
भारतीय ह त श प उ ोग को समय से पहले असमान और अनु चत त धा म उजागर
कया गया जब क टै रफ नी त ारा नद शत कया गया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

वचार इस
बात से इनकार नह कया जा सकता क एक बड़ा ब ह वाह था जो वष तक चला। य द इन
न धय को भारत म नवेश कया गया होता तो वे आय तर बढ़ाने म मह वपूण योगदान दे सकते थे।

एंगस मै डसन भारतीय क व का

कहना है क राजा ारा उठाया गया कराधान सूय ारा ख ची गई नमी क तरह है जसे उपजाऊ बा रश के प
म पृ वी पर लौटाया जाता है ले कन भारतीय म से उठ नमी अब भारत पर नह ब क अ य भू म पर उवरक
वषा के प म उतरती है।

आरसी द

कु शल शासन के बना ापार फल फू ल नह सकता जब क कु शल शासन के मुनाफ़े के अभाव म उ रा


पर यान दे ना उ चत नह है। इस लए हमेशा सहम त से और अ सर चबर ऑफ कॉमस के नदश के अनुसार
भारत सरकार चलती है और यह हाइट मैन का बोझ है।

स दानंद स हा

टश पूंज ीवाद हत. व के मोच पर टश पूंज ीप तय और नौकरशाह को ब ते ए


गरीब पर अ धक बोझ डालने के लए कर लगाए गए। उ ह ने भू म राज व म कमी नमक कर
को समा त करने अमीर म यम वग ारा उपभोग क जाने वाली उपभो ा व तु पर आयकर
और उ पाद शु क लगाने क मांग क । यह तक दया गया क सरकारी य के वल औप नवे शक
ज रत को पूरा करने के लए था जब क वकास और क याण को नजरअंदाज कर दया गया
था।

आ थक न कासन का भाव
नाली स ांत म रा वाद आलोचना के सभी सू शा मल थे क इसने भारत को उसक उ पादक
पूंज ी से वं चत कर दया।
रा वाद अनुमान के अनुसार उस समय आ थक नकास था • कु ल भू म राज व से अ धक
या • कु ल सरकारी
राज व का आधा या • कु ल बचत का एक तहाई आज के
संदभ म यह रा श का तशत था रा ीय उ पाद

नकास क अवधारणा एक दे श ारा सरे दे श से धन छ नना कसान के एक रा


ारा आसानी से समझ लया गया था जनके लए शोषण दै नक अनुभव का वषय था।
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

आ थक मु ा एक ेरक
रा ीय अशां त

आ थक मु पर रा वाद आंदोलन ने भारतीय दमाग पर वदे शी शासक के वैचा रक


आ धप य को कमजोर करने का काम कया क वदे शी शासन भारतीय के हत म था इस
कार इसक नै तक न व के मथक को उजागर कया गया। यह भी प से दखाया गया
क भारत गरीब था य क उस पर टश हत के लए शासन कया जा रहा था। यह आंदोलन
वतं ता सं ाम के म यम चरण रा ीय आंदोलन के बीज समय के दौरान
बौ क अशां त और रा ीय चेतना के सार के लए उ ेज क म से एक था।

व सद के अंत तक रा वाद राजनी तक स ा म कु छ ह सेदारी और पस पर


नयं ण क मांग करते रहे थे। व सद के पहले दशक के दौरान उ ह ने यूनाइटे ड कगडम
या उप नवेश क तरह व शासन क मांग करना शु कर दया और ऐसे रा वा दय म मुख
दादाभाई नौरोजी थे।

भारत म उप नवेशवाद के चरण


भारत म टश शासन का मूल च र लगभग दो शता दय के लंबे इ तहास म एक समान नह
रहा। व अथ व ा म टे न क त के बदलते पैटन के कारण टश उप नवेशवाद क
कृ त म बदलाव आया। मा सवाद इ तहासकार वशेषकर रजनी पा मे द ने भारत म
सा ा यवाद शासन के इ तहास म तीन अ त ापी चरण क पहचान क । वह बताते ह क
येक चरण पछले चरण क तय से वक सत आ और औप नवे शक शोषण के व भ
तरीके ओवरलैप हो गए औप नवे शक शोषण के पुराने प कभी भी पूरी तरह से बंद नह
ए ब क शोषण के नए पैटन म एक कृ त हो गए। हालाँ क इन चरण को व श मुख
वशेषता ारा च त कया जाता है अथात एक चरण से सरे चरण म गुण ा मक प रवतन।

थम चरण
ापा रक पूंज ी ापा रकता क अव ध जसे अ सर एका धकार ापार और य क
अव ध के प म व णत कया जाता है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

व नयोजन या ई ट इं डया कं पनी के भु व क अव ध दो बु नयाद उ े य


पर आधा रत था i भारत के साथ अ य अं ेज ी या यूरोपीय ापा रय या ापा रक कं प नय
के साथ साथ भारतीय के खलाफ ापार का एका धकार हा सल करना। ापारी ii रा य
क स ा पर नयं ण के मा यम से सरकारी राज व को सीधे ह थयाना या उस पर क ज़ा करना।

इस अव ध के दौरान शासन या यक णाली प रवहन और संचार कृ ष या


औ ो गक उ पादन के तरीक वसाय बंधन या आ थक संगठन के प म कोई बु नयाद
प रवतन नह कए गए। न ही श ा या बौ क े सं कृ त या सामा जक संगठन म कोई
बड़ा बदलाव कया गया। वा तव म पारंप रक भारतीय स यता धम कानून जा त व ा
पा रवा रक संरचना आ द को औप नवे शक शोषण म बाधा के प म नह दे ख ा गया था।

कए गए एकमा प रवतन थे i सै य संगठन


और ौ ो गक म जसे दे शी शासक भी अपने सश बल म पेश कर रहे थे और
ii राज व सं ह क संरचना के शीष पर शासन म ता क यह अ धक कु शल
और सुचा हो
सके ।

इस चरण म भारत से बड़े पैमाने पर धन का नकास आ जो उस समय टे न क


रा ीय आय का तशत था। यह वह संप थी जसने टे न क औ ो गक ां त के
व पोषण म मह वपूण भू मका नभाई।

इस चरण म भारत म टश न मत व तु का बड़े पैमाने पर आयात नह आ


ब क इसका उ टा आ भारतीय व आ द के नयात म वृ ई। हालाँ क इस चरण म
कं पनी के एका धकार और शोषण के कारण बुनकर बबाद हो गए। उ ह गैर आ थक मजबू रय
के तहत कं पनी के लए उ पादन करने के लए मजबूर कया गया था।

सरे चरण
शोषण का तरीका ापार होने के कारण इस चरण को मु ापार का उप नवेशवाद भी कहा
जाता है। इसक शु आत ई
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

का चाटर ए ट के दशक तक जारी रहा। ई ट इं डया कं पनी के भारत के अ धकांश


ह स पर शासक बनने के तुरंत बाद टे न म इस बात पर बहस छड़ गई क नई अ ध हीत
कॉलोनी कसके हत क पू त करेगी। नये उभरते औ ो गक पूंज ीप तय ने ई ट इं डया कं पनी
और उसके ारा भारत के शोषण क आलोचना करना शु कर दया। उ ह ने मांग क क
भारत म औप नवे शक शासन और नी त को अब टश पूंज ीवाद हत क पू त करनी
चा हए जो ई ट इं डया कं पनी से ब त अलग थे। अब भारत को टश न मत व तु
वशेषकर व के लगातार बढ़ते उ पादन के लए एक बाजार के प म काम करना था। इसी
समय इं लड म नए पूंज ीप तय को भारत से क े माल वशेषकर कपास और खा ा के
नयात क आव यकता थी। इसके अलावा भारत अ धक टश सामान तभी खरीद सकता
था जब वह अपने नयात को बढ़ाकर वदे शी मु ा अ जत करता।

कं पनी के लाभांश और टश ापा रय के मुनाफे को पूरा करने के लए क े माल


के नयात म तेज ी से वृ क गई। इसके अलावा उन टश अ धका रय क पशन के भुगतान
के लए धन क आव यकता थी जो सेवा नवृ के बाद टे न जाएंगे।

इस चरण म न न ल खत मुख वशेषताएँ गोचर

i भारत क औप नवे शक अथ व ा टश और व पूंज ीवाद अथ व ा के


साथ एक कृ त थी। यह मु ापार क शु आत से संभव आ। भारत म सभी आयात शु क
या तो पूरी तरह से हटा दए गए या नाममा दर तक कम कर दए गए।

ii भारत म चाय कॉफ और नील के बागान ापार प रवहन खनन और आधु नक


उ ोग को वक सत करने के लए टश पूंज ीप तय को भी मु त वेश दया गया। टश
भारतीय सरकार ने ऐसे पूंज ीप तय को स य रा य सहायता द ।

iii पारंप रक कृ ष संरचना को पूंज ीवाद संरचना म बदलने के लए कृ ष म ायी


बंदोब त और रैयतवारी णाली क शु आत क गई थी।

iv शासन को अ धक ापक बनाया गया और इसम गाँव और दे श के बाहरी े


को भी शा मल कया गया। इन
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

टश व तु क प ंच और कृ ष उ पाद को आंत रक गांव और रदराज के ह स तक


प ंचाने के लए बदलाव लाए गए। v पसनल लॉ को काफ हद तक अछू ता छोड़ दया गया
था
य क इससे अथ व ा के औप नवे शक प रवतन पर कोई भाव नह पड़ा। हालाँ क
पूंज ीवाद वा ण यक संबंध को बढ़ावा दे ने और कानून और व ा बनाए रखने के लए
आपरा धक कानून अनुबंध के कानून और कानूनी या से संबं धत प रवतन म बदलाव
कया गया। vi ापक प से व ता रत शासन को स ती जनश दान करने के लए
आधु नक श ा क शु आत क गई थी। हालाँ क इसका
उ े य दो कारण से भारत के समाज और सं कृ त को बदलना भी था ए प रवतन
और वकास का सम माहौल बनाना और बी शासक के त वफादारी क सं कृ त को ज म
दे ना।

vii आ थक प रवतन और महंगे शासन नाग रक और सै य के कारण कसान


पर कराधान और बोझ तेज ी से बढ़ गया। viii भारत ने टश नयात का से तशत
और टे न के कपड़ा नयात का लगभग
तशत अवशो षत कर लया।

के बाद भारत म बड़े पैमाने पर इंज न ड ब रेल लाइन और अ य रेलवे टोर का


आयात कया गया।
ix भारतीय सेना का उपयोग ए शया और अ का म टश उप नवेशवाद के व तार
के लए कया गया था।

तीसरा चरण तीसरे


चरण को अ सर वदे शी नवेश और उप नवेश के लए अंतरा ीय त धा के युग के पम
व णत कया जाता है। व अथ व ा म कई बदलाव के कारण भारत म इसक शु आत
के आसपास ई। ये बदलाव इस कार थे.

i टे न के औ ो गक वच व को यूरोप संयु रा य अमे रका और जापान के कई


दे श ने चुनौती द थी। ii उ ोग म वै ा नक ान के अनु योग के प रणाम व प
औ ोगीकरण क ग त म तेज ी से वृ ई आंत रक दहन इंज न के लए धन के प
म पे ो लयम का उपयोग और औ ो गक उ े य के लए बजली का उपयोग मह वपूण नवाचार
थे ।
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भारत म टश शासन का आ थक भाव

iii व बाजार कसके कारण अ धक एक कृ त हो गया


अंतरा ीय प रवहन के साधन म ां त।
इस चरण के दौरान टे न ने भारत पर अपना नयं ण मजबूत करने के लए कड़े यास
कये। उदार सा ा यवाद नी तय का ान त यावाद सा ा यवाद नी तय ने ले लया जो
लटन डफ रन लसडाउन और कजन के वायसराय काल म प रल त ई। भारत पर औप नवे शक
शासन को मजबूत करने का उ े य त ं य को बाहर रखना और साथ ही टश पूंज ी को भारत
म आक षत करना और उसे सुर ा दान करना था। प रणाम व प टश पूंज ी का एक ब त बड़ा
ह सा रेलवे ऋण भारत सरकार को ापार और कु छ हद तक भारत म वृ ारोपण कोयला खनन
जूट मल श पग और ब कग म नवेश कया गया।

भारतीय लोग को वशासन के लए श त करने क धारणा लु त हो गई भारतीय


रा ीय आंदोलन के दबाव के कारण के बाद ही पुनज वत ई । अब टश शासन का उ े य
भारतीय पर ायी ट शप घो षत कया गया। भारतीय को ायी प से अप रप व घो षत
कर दया गया एक ब े लोग जह टश नयं ण और ट शप क आव यकता है। भूगोल
जलवायु न ल इ तहास धम सं कृ त और सामा जक संगठन सभी को भारतीय को वशासन या
लोकतं के लए अयो य बनाने वाले कारक के प म उ त कया गया था। इस कार अं ेज ने
आने वाली स दय तक भारतीय पर अपने शासन को उ चत ठहराने क को शश क यह सब बबर
लोग को स य बनाने के नाम पर ेत का बोझ ।

सारांश

• टश शासन का आ थक भाव
वऔ ोगीकरण कारीगर और ह त श पय का वनाश।

कसान क द र ता भारत का ामीणीकरण।


नए भू म संबंध का उदय पुराने जम दार का वनाश।
कृ ष का ठहराव एवं गरावट।
भारतीय कृ ष का ावसायीकरण।
आधु नक उ ोग का वकास.
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय रा ीय पूंज ीप त वग का उदय।


आ थक पलायन.
अकाल और गरीबी. • रा वाद

आलोचना
औप नवे शक शोषण के कारण भारत गरीब होता जा रहा है।
गरीबी क सम या उ पादक मता और ऊजा बढ़ाने क एक रा ीय सम या।

वकास को औ ोगीकरण के समान माना जाता है जो वदे शी पूंज ी के बजाय भारतीय पूंज ी के मा यम
से होना चा हए।
ापार व बु नयाद ढांचे के वकास य पर टश नी तयां सा ा यवाद हत क पू त के लए
बनाई गई थ ।
भारत क टे न के त आ थक अधीनता को पूण तः समा त करने और एक वतं अथ व ा के
वकास क आव यकता।
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भारतीय ेस का वकास

भारतीय ेस का वकास
म जे स ऑग टस ह क ने द बंगाल गजट या कलक ा जनरल एडवरटाइजर शु
कया जो भारत का पहला अखबार था जसे सरकार क मुख र आलोचना के कारण
म ज त कर लया गया था। बाद म और भी समाचार प प काएँ सामने आ द बंगाल जनल
द कलक ा ॉ नकल द म ास कू रयर द बॉ बे हेरा । कं पनी के अ धका रय को चता थी
क कह ये समाचार प लंदन तक न प ंच जाएं और उनके कु कम का भंडाफोड़ न कर द। इस
कार उ ह ने ेस पर अंकु श लगाने क आव यकता समझी।

ारं भक व नयम

ेस ससर शप अ ध नयम लॉड वेले ली ने भारत


पर ांसीसी आ मण क आशंक ा से इसे लागू कया। इसने ी ससर शप स हत लगभग
यु कालीन ेस तबंध लगा दए। लॉड हे ट स जो ग तशील वचार रखते थे के अधीन
इन तबंध म ढ ल द गई और म पूव ससर शप समा त कर द गई।

लाइस सग व नयम कायवाहक गवनर


जनरल जॉन एड स जनके त यावाद वचार थे ने इ ह अ ध नय मत कया। इन व नयम
के अनुसार बना लाइसस के ेस शु करना या उसका उपयोग करना दं डनीय अपराध था।
बाद म इस अ ध नयम का व तार प का पु तका और पु तक तक भी कर दया
गया। ये तबंध मु य प से भारतीय भाषा के समाचार प या भारतीय ारा संपा दत
समाचार प के व थे। राममोहन राय क मरात उल अकबर का काशन बंद करना पड़ा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

का ेस अ ध नयम या मेटकाफ अ ध नयम मेटकाफ


गवनर जनरल ने के अ य अ यादे श को नर त कर दया और
भारतीय ेस के मु दाता क उपा ध अ जत क । नए ेस अ ध नयम के तहत
एक मु क काशक को कसी काशन के प रसर का सट क ववरण दे ना होगा और य द
समान घोषणा क आव यकता हो तो कामकाज बंद करना होगा।

उदार ेस नी त का प रणाम ती वकास था


अखबार का.

लाइस सग अ ध नयम
के व ोह के कारण उ प आपातकाल के कारण इस अ ध नयम ने मेटकाफ
अ ध नयम ारा नधा रत पहले से मौजूद पंज ीकरण या के अ त र लाइस सग तबंध
लगा दए और सरकार ने कसी भी पु तक समाचार प या मु त के काशन और सार
को रोकने का अ धकार सुर त रखा। मामला।

पंज ीकरण अ ध नयम इसने


मेटकाफ के के अ ध नयम का ान ले लया और इसक कृ त नयामक थी
तबंधा मक नह । अ ध नयम के अनुसार i येक पु तक समाचार प को टर और
काशक का नाम और काशन का ान मु त करना आव यक था और ii पु तक के
काशन के एक महीने के भीतर एक त ानीय सरकार को तुत क जानी थी।

ारं भक रा वा दय ारा संघष


सुर त ेस वतं ता

उ ीसव सद क शु आत से ही ेस क वतं ता स हत नाग रक वतं ता क र ा


रा वाद एजडे म शीष पर रही थी। क शु आत म राजा राममोहन राय ने ेस क
वतं ता को तबं धत करने वाले एक ताव का वरोध कया था।

लगभग से तक रा वाद आंदोलन का ारं भक चरण राजनी तक


चार और श ा रा वाद वचारधारा के नमाण और सार और जाग कता श ण
लामबंद और समेक न पर अ धक क त था।
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भारतीय ेस का वकास

जन आंदोलन या खुली बैठक के मा यम से जनता क स य लामबंद के बजाय जनता क


राय। इस उ े य के लए ेस रा वा दय के हाथ म एक मह वपूण उपकरण सा बत आ।
भारतीय रा ीय कां ेस अपने शु आती दन म अपने ताव और कायवा हय के चार सार
के लए पूरी तरह से ेस पर नभर थी।

इन वष के दौरान त त और नडर प कार के नेतृ व म कई समाचार प उभरे।


इनम जी. सु म यम अ यर के नेतृ व म द ह और वदे श म न सुर नाथ बनज के नेतृ व म
द बंगाली दादाभाई नौरोजी के तहत वॉयस ऑफ इं डया स सर कु मार घोष और मोतीलाल
घोष के तहत अमृता बाजार प का एनएन सेन के तहत इं डयन मरर के सरी मराठ म
और मराठा अं ेज ी म बालगंगाधर तलक के अधीन सुधारक गोपाल कृ ण गोखले के अधीन
और ह तान और एडवोके ट जीपी वमा के अधीन। अ य मु य समाचार प म शा मल ह
पंज ाब म यून और अकबर ए आम गुज राती बॉ बे म इं काश यान काश और कल
और बंगाल म सोम काश बंग नवासी और साधारण ।

इन समाचार प को लाभ कमाने वाले ावसा यक उप म के पम ा पत नह


कया गया था ब क इ ह रा ीय और सावज नक सेवा दान करने वाले के प म दे ख ा गया
था। वा तव म इन समाचार प क ापक प ंच थी और उ ह ने पु तकालय आंदोलन को
े रत कया। उनका भाव शहर और क ब तक ही सी मत नह था ये समाचार प र दराज
के गाँव तक प ँचे जहाँ येक समाचार और संपादक य को ानीय पु तकालय म पढ़ा
और गहन चचा क जाती थी जो एक ही समाचार प के आसपास एक त होते थे। इस कार
ये पु तकालय न के वल राजनी तक श ा ब क राजनी तक भागीदारी का भी उ े य पूरा करते
थे। इन समाचार प म सरकारी अ ध नयम और नी तय क आलोचना मक जांच क जाती
थी। उ ह ने सरकार के वरोध क एक सं ा के प म काय कया।

सरकार ने अपनी ओर से कई कठोर कानून बनाए थे जैसे क भारतीय दं ड सं हता क


धारा ए जसम यह ावधान था क भारत म टश सरकार के खलाफ असंतोष पैदा
करने क को शश करने वाले कसी भी को आजीवन या कसी भी अव ध के लए जेल
म डाल दया जाएगा या तीन तक क कै द होगी। साल। ले कन रा वाद वचारधारा वाले
प कार ने कई चतुर प कार वक सत कर लये थे
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

इन कानूनी बाधा को र करने क रणनी तयाँ। उदाहरण के लए सरकार के त श ुतापूण लेख न


क तावना सरकार के त वफादारी क भावना से े रत होती थी या इं लड के समाचार प से
समाजवा दय या आय रश रा वा दय के आलोचना मक लेख न को उ त कया जाता था। यह एक
क ठन काय था जसके लए सरलता के साथ सू मता के बु मान म ण क आव यकता थी।

रा ीय आंदोलन शु से ही ेस क वतं ता के लए खड़ा था। भारतीय समाचार प लॉड


लटन के शासन क अ य धक आलोचना करने लगे वशेषकर के अकाल के पी ड़त के
त अमानवीय वहार को लेक र। सरकार ने वना युलर ेस ए ट लागू कर पलटवार कया।

वना यूलर ेस अ ध नयम

के व ोह क एक कड़वी वरासत शासक और शा सत के बीच न लीय कड़वाहट थी।


के बाद यूरोपीय ेस हमेशा राजनी तक ववाद म सरकार के पीछे खड़ा रहा जब क ानीय ेस
सरकार क आलोचना करती रही। लटन क सा ा यवाद नी तय के खलाफ एक मजबूत जनमत
था जो एक तरफ भयानक अकाल और सरी तरफ शाही द ली दरबार पर भारी खच
से जुड़ा था।

वना यूलर ेस ए ट वीपीए को वना यूलर ेस पर बेहतर नयं ण करने और दे श ोही


लेख न को भावी ढं ग से दं डत करने और दबाने के लए डज़ाइन कया गया था। अ ध नयम के
ावधान म न न ल खत शा मल थे।

. जला म ज े ट को कसी भी ानीय समाचार प के मु क और काशक को सरकारी


उप म के साथ एक बांड म वेश करने के लए कहने का अ धकार दया गया था ता क का शत
साम ी के मा यम से सरकार के खलाफ असंतोष या व भ धम जा त न ल के य के बीच
नफरत पैदा न हो मु क और काशक को सुर ा जमा करने क भी आव यकता हो सकती है जसे
व नयमन का उ लंघन होने पर ज त कया जा सकता है और अपराध दोबारा होने पर ेस उपकरण
ज त कया जा सकता है।
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भारतीय ेस का वकास

. म ज े ट क कारवाई अं तम थी और अदालत म कोई अपील नह क जा सकती


थी।
. एक ानीय समाचार प सरकार को सबूत तुत करके अ ध नयम के संचालन
से छू ट ा त कर सकता है
ससर.

इस अ ध नयम को गै गग ए ट का उपनाम दया गया। इस अ ध नयम क सबसे


खराब वशेषताएं थ i अं ेज ी और ानीय ेस के बीच भेदभाव ii अपील का कोई
अ धकार नह ।
वीपीए के तहत सोम के खलाफ कायवाही शु क गई
काश भरत म हर ढाका काश और समाचार।
संयोग से अमृता बाजार प का रात रात पलट गई
वीपीए से बचने के लए एक अं ेज ी अखबार म जाएं।
बाद म ी ससर शप खंड को नर त कर दया गया और ेस को ामा णक और
सट क समाचार दान करने के लए एक ेस आयु नयु कया गया।

इस अ ध नयम का कड़ा वरोध आ और अंततः रपन ने म इसे नर त कर


दया।
म सुर नाथ बनज जेल जाने वाले पहले भारतीय प कार बने। द बंगाली के
गु से भरे संपादक य म बनज ने अपने एक फै सले म बंगा लय क धा मक भावना के त
असंवेदनशील होने के लए कलक ा उ यायालय के एक यायाधीश क आलोचना क थी।

बाल गंगाधर तलक अ सर ेस क वतं ता के लए रा वाद लड़ाई से जुड़े रहे ह।


तलक गणप त उ सव म शु शवाजी उ सव म शु और अपने समाचार
प के सरी और मराठा के मा यम से जनता के बीच सा ा यवाद वरोधी भावना का नमाण
कर रहे थे। वह न न म यम वग कसान कारीगर और मक को कां ेस म लाने क
वकालत करने वाले पहले लोग म से थे। म उ ह ने कपास पर उ पाद शु क लगाने के
वरोध म वदे शी कपड़े के ब ह कार के लए पूरे महारा म अ भयान चलाया। म
उ ह ने महारा म नो टै स अ भयान शु कया जसम कसान से आ ह कया गया क य द
उनक फसल खराब हो जाती है तो वे राज व का भुगतान रोक द। म पूना म लेग फै ल
गया। हालाँ क तलक ने लेग क रोकथाम के लए सरकारी उपाय का समथन कया ले कन
ऐसे दयहीन और कठोर तरीक के खलाफ बड़े पैमाने पर लोक य आ ोश था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अलगाव और घर क तलाशी के प म। लोक य अशां त के प रणाम व प चापेक र बंधु ारा पूना म


लेग स म त के अ य क ह या कर द गई। इस लोक यता के पीछे टै रफ मु ा और अकाल पर सरकारी
नी तयां भी थ

ोध।
सरकार ेस म इस उ वाद वृ और श ुता को रोकने के लए एक अवसर क तलाश म थी।
उ ह ने जनता के सामने एक उदाहरण ा पत करने के लए तलक को शकार बनाने का नणय लया। रड
क ह या के बाद के सरी म शवाजी के कथन नामक क वता के काशन और शवाजी उ सव म तलक
ारा दए गए एक भाषण के आधार पर तलक को गर तार कया गया था जसम शवाजी ारा अफजल
खान क ह या को उ चत ठहराया गया था। शवाजी ारा अफजल खान क ह या पर तलक के बचाव को
अ भयोजन प ने टश अ धका रय को मारने के लए उकसावे के प म च त कया। तलक को दोषी
ठहराया गया और अठारह महीने के कठोर कारावास क सजा द गई। इसके साथ ही बॉ बे ेसीडसी म कई
अ य संपादक पर मुक दमा चलाया गया और उ ह इसी तरह क कठोर सजाएँ द ग । इन उपाय के ख़लाफ़
ापक वरोध दशन ए। रात रात तलक एक रा ीय नायक बन गए और उ ह लोकमा य लोग ारा
स मा नत और स मा नत क उपा ध द गई एक नया नेता जो अपने काय से चार करता था।

म सरकार ने धारा ए म संशोधन कया और एक और धारा ए जोड़ी जससे


कसी के लए भी भारत सरकार क अवमानना करना या भारत म अं ेज के खलाफ व भ वग के बीच
नफरत पैदा करना एक आपरा धक अपराध बन गया। इसके चलते दे श ापी वरोध दशन भी आ।

वदे शी और ब ह कार आंदोलन के दौरान और उ रा वाद वृ य के उदय के कारण कई दमनकारी


कानून पा रत कए गए।

समाचार प अपराध को उकसाना अ ध नयम चरमपंथी रा वाद


ग त व ध के खलाफ इस अ ध नयम ने म ज े ट को ेस क संप को ज त करने का
अ धकार दया जसम आप जनक साम ी का शत क गई थी जससे ह या हसा के
कृ य के लए उकसाने क संभावना थी।

उ रा वा दय के नेता के प म तलक पर राज ोह का मुक दमा चलाया गया और छह साल के


लए मांडले बमा ले जाया गया। इसके चलते दे श भर म वरोध दशन ए। ब बई म कपड़ा
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भारतीय ेस का वकास

सरकार ने पूरे दे श को जेल म त द ल कर दया है और हम सब कै द ह. जेल जाने का मतलब ही


यह है क बड़ी कोठरी से छोट कोठरी म बंद कर दया जाता है।

बाल गंगाधर तलक

मज़ र और रेलवे वकशॉप के कमचा रय ने सड़क पर सेना का मुक ाबला कया और कई


दन तक हड़ताल पर रहे। ले नन ने इसे राजनी तक मंच पर भारतीय मक वग का वेश
ार बताया।
भारतीय ेस अ ध नयम इस अ ध नयम ने वीपीए क सबसे खराब
वशेषता को पुनज वत कया ानीय सरकार को टर काशक से पंज ीकरण पर
सुर ा क मांग करने और य द यह एक अपमानजनक समाचार प था तो फ़ोट फ़ट
डीर ज टर करने का अ धकार दया गया था और समाचार प के टर को यह करना
आव यक था। येक अंक क दो तयां ानीय सरकार को नःशु क जमा कर।

के दौरान और उसके बाद


थम व यु

थम व यु के दौरान राजनी तक आंदोलन और वतं सावज नक आलोचना के दमन


के लए भारत क र ा नयम लागू कए गए थे। म तेज बहा र स ू क अ य ता म
एक ेस स म त क सफा रश पर और के ेस अ ध नयम को नर त कर
दया गया।

भारतीय ेस आपातकालीन श याँ अ ध नयम इस अ ध नयम ने ांतीय


सरकार को स वनय अव ा आंदोलन के चार को दबाने के लए ापक श याँ दान
क। म इसे और अ धक बढ़ाया गया ता क सरकारी ा धकार को कमजोर करने
वाली सभी ग त व धय को इसम शा मल कया जा सके ।

सरे व यु के दौरान
भारत क र ा नयम के तहत पूव ससर शप लागू क गई और ेस आपातकालीन
अ ध नयम और आ धका रक गोपनीयता अ ध नयम म संशोधन कए गए। एक समय कां ेस
क ग त व धय से संबं धत सभी समाचार के काशन को अवैध घो षत कर दया गया था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

श ा का वकास

कं पनी नयम के तहत


भारत म अपने भु व के पहले वष तक ई ट इं डया कं पनी जो एक ापा रक और
लाभ कमाने वाली कं पनी थी ने श ा को बढ़ावा दे ने म कोई दलच ी नह ली। कु छ छोटे
अपवाद य ारा कए गए यास थे

• कलक ा मदरसा क ापना वॉरेन हे ट स ारा म मु लम कानून और


संबं धत वषय के अ ययन के लए क गई थी। • ह कानून और दशन के अ ययन के
लए
म बनारस के नवासी जोनाथन डंक न ारा सं कृ त कॉलेज क ापना क गई थी।
• फोट व लयम कॉलेज क ापना म वेले ली ारा कं पनी के स वल सेवक को
भारतीय क भाषा और
री त रवाज म श ण दे ने के लए क गई थी म बंद कर दया गया ।

कलक ा मदरसा और सं कृ त कॉलेज को कं पनी के यायालय म कानून के शासन


म सहायता के लए यो य भारतीय क नय मत आपू त दान करने के लए डज़ाइन कया
गया था और भारतीय रा य के साथ प ाचार म शा ीय भाषा और ानीय भाषा
का ान उपयोगी था।

बु भारतीय और मशन रय ने आधु नक धम नरपे प मी श ा को बढ़ावा


दे ने के लए सरकार पर दबाव डालना शु कर दया य क उनका मानना था क प मी
श ा ही दे श क सामा जक आ थक और राजनी तक बुराइय का इलाज है। मशन रय ने
सोचा क आधु नक श ा होगी
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श ा का वकास

भारतीय का अपने ही धम म व ास न कर द और वे ईसाई धम अपना ल। सेरामपुर


मशनरीज़ वशेष प से श ा के सार के बारे म ब त उ सा हत थे।

के चाटर अ ध नयम ारा एक वन


शु आत के चाटर अ ध नयम म
व ान भारतीय को ो सा हत करने और दे श म आधु नक व ान के ान को बढ़ावा दे ने के
स ांत को शा मल कया गया। अ ध नयम ने कं पनी को इस उ े य के लए सालाना एक लाख
पये वीकृ त करने का नदश दया। हालाँ क यह छोट रा श भी तक उपल नह
कराई गई थी जसका मु य कारण यह था क इस य को कस दशा म ले जाना चा हए
इस पर ववाद खड़ा हो गया था।

इस बीच राजा राममोहन राय जैसे बु भारतीय के यास रंग लाए और श त


बंगा लय ारा म ा पत कलक ा कॉलेज के लए अनुदान वीकृ त कया गया जो
प मी मान वक और व ान म अं ेज ी श ा दान करता था। सरकार ने कलक ा द ली
और आगरा म तीन सं कृ त कॉलेज भी ा पत कए।

ा यवाद आं लवाद ववाद सावज नक नदश पर सामा य


स म त के भीतर आं लवा दय ने तक दया क श ा पर सरकारी खच वशेष प से आधु नक
अ ययन के लए होना चा हए।

ा य वद ने कहा क जहां छा को नौकरी के लए तैयार करने के लए प मी


व ान और सा ह य पढ़ाया जाना चा हए वह पारंप रक भारतीय श ा के व तार पर जोर
दया जाना चा हए।

यहां तक क श ा के मा यम के सवाल पर आं लवाद भी वभा जत थे एक गुट


मा यम के प म अं ेज ी भाषा के प म था जब क सरा गुट इस उ े य के लए भारतीय
भाषा ानीय भाषा के प म था।

भा य से श ा के मा यम और अ ययन क व तु के प म अं ेज ी और ानीय
भाषा को लेक र ब त म था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

लॉड मैक ाले का मनट


स लॉड मैक ाले के मनट ने अं ेज ीवा दय के प म ववाद सुलझाया सी मत सरकारी
संसाधन को के वल अं ेज ी भाषा के मा यम से प मी व ान और सा ह य के श ण के लए
सम पत कया जाना था। लॉड मैक ाले का वचार था क भारतीय श ा यूरोपीय श ा से
कमतर थी जो क समकालीन चरण म भौ तक और सामा जक व ान के संबंध म सच था।

सरकार ने ज द ही अपने कू ल और कॉलेज म श ा का मा यम अं ेज ी बना दया


और बड़ी सं या म ाथ मक व ालय के बजाय कु छ अं ेज ी कू ल और कॉलेज खोले इस
कार सामू हक श ा क उपे ा क गई। अं ेज ने उ और म यम वग के एक छोटे से वग
को श त करने क योजना बनाई इस कार एक ऐसा वग तैयार कया गया जो र और
रंग म भारतीय ले कन वाद राय नै तकता और बु म अं ेज ी था जो सरकार और जनता
के बीच भा षय के प म काय करेगा। ानीय भाषा को समृ कर जससे प मी
व ान और सा ह य का ान जन जन तक प ंचे। इसे अधोमुख ी न ंदन स ांत कहा गया

आधु नक वचार य द श ा नह तो जनता तक प ँचे हालाँ क शासक ारा वां छत


प म नह ब क राजनी तक दल ेस पै लेट सावज नक मंच आ द के मा यम से।
आधु नक श ा ने के वल बु नयाद सा ह य उपल कराकर इस या म मदद क रा वा दय
के लए भौ तक और सामा जक व ान पर इस कार सामा जक व ेषण करने क उनक
मता को ो सा हत कया गया अ यथा आधु नक श ा क साम ी संरचना और पा म
औप नवे शक हत क पू त करते थे।

थॉमसन के यास
एनड यू ांत के ले टनट गवनर जे स थॉमसन ने ानीय भाषा के मा यम
से ामीण श ा क एक ापक योजना वक सत क । इन गाँव के कू ल म े म त और
कृ ष व ान जैसे उपयोगी वषय पढ़ाये जाते थे। इसका उ े य नव ा पत राज व और लोक
नमाण वभाग के लए क मय को श त करना था।
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श ा का वकास

वुड्स ड ैच
म चा स वुड ने भारत के लए एक शै क णाली पर एक ेषण तैयार कया। भारत म अं ेज ी
श ा का मै ना काटा माना जाने वाला यह द तावेज़ भारत म श ा के सार के लए पहली ापक योजना
थी।

. इसने भारत सरकार से जनता क श ा क ज मेदारी लेने के लए कहा इस कार डाउनवड


फ े शन स ांत को अ वीकार कर दया कम से कम कागज पर।

. इसने नीचे के गांव म ानीय भाषा के ाथ मक व ालय से पदानु म को व त कया


इसके बाद एं लो वना युलर हाई कू ल और जला तर पर एक संब कॉलेज और कलक ा बॉ बे और
म ास के ेसीडसी शहर म संब व व ालय को व त कया।

. इसने श ा के मा यम के प म अं ेज ी क सफा रश क
कू ल तर पर उ अ ययन और ानीय भाषा के लए।
. इसम म हला एवं ावसा यक श ा तथा श क के श ण पर जोर दया गया।

. इसम यह नधा रत कया गया क सरकार ारा द जाने वाली श ा


सं ाएं धम नरपे होनी चा हए.

. इसने नजी उ म को ो सा हत करने के लए सहायता अनुदान क एक णाली क सफा रश


क।

वकास म कलक ा
बॉ बे और म ास म व व ालय ा पत कए गए और बाद म सभी ांत म श ा वभाग ा पत कए
गए। जे.ई.डी. बे यून ारा कलक ा म ा पत बे यून कू ल म हला क श ा के लए एक
श शाली आंदोलन का पहला फल था जो और के दशक म उभरा था।

बे यून श ा प रषद के अ य थे।


यादातर बे यून के यास के कारण लड़ कय के कू ल को मजबूत तर पर ा पत कया गया और सरकार
क अनुदान सहायता और नरी ण णाली के तहत लाया गया।

पूसा बहार म एक कृ ष सं ान और ड़क म एक इंज ी नय रग सं ान शु कया गया।

वुड्स ड ैच के आदश और तरीके पांच दशक तक इस े पर हावी रहे जसके बाद तेज ी से
प मीकरण आ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत म श ा णाली यूरोपीय धाना यापक और ाचाय ारा संचा लत शै णक सं ान।


मशनरी उ म ने अपनी भू मका नभाई। धीरे धीरे नजी भारतीय यास इस े म सामने
आये।

ताज के स ा म आने के बाद

हंटर श ा आयोग
पहले क योजना म ाथ मक और मा य मक श ा क उपे ा क गई थी। जब म
श ा को ांत म ानांत रत कर दया गया तो ाथ मक और मा य मक श ा को और
अ धक नुक सान आ य क ांत के पास पहले से ही सी मत संसाधन थे। म सरकार
ने के ड ैच के बाद से दे श म श ा क ग त क समी ा करने के लए ड यूड यू
हंटर क अ य ता म एक आयोग नयु कया। हंटर आयोग ने अपनी सफा रश को यादातर
ाथ मक और मा य मक श ा तक सी मत रखा। आयोग

i इस बात पर जोर दया गया क ाथ मक श ा के व तार और सुधार के लए


रा य क वशेष दे ख भाल क आव यकता है और ाथ मक श ा ानीय
भाषा के मा यम से दान क जानी चा हए। ii ाथ मक श ा का नयं ण
नव ा पत जला और
नगरपा लका बोड को ह तांत रत करने क सफा रश क गई।

iii सफ़ा रश क गई क मा य मक हाई कू ल श ा के दो वभाग होने चा हए •


सा ह यक व व ालय तक। • ावसा यक ावसा यक
क रयर के लए। iv वशेषकर सरकारी शहर के बाहर
म हला श ा के लए अपया त सु वधा क ओर यान
आक षत कया और इसके सार के लए सफा रश क ।

अगले दो दशक म भारतीय क भागीदारी से मा य मक और कॉले जएट श ा का


तेज ी से वकास और व तार दे ख ा गया। इसके अलावा पंज ाब व व ालय और
इलाहाबाद व व ालय जैसे अ धक श ण सह परी ा व व ालय ा पत कए
गए।
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श ा का वकास

भारतीय व व ालय अ ध नयम


व सद क शु आत म राजनी तक अशां त दे ख ी गई। आ धका रक कोण यह था क
नजी बंधन के तहत श ा क गुण व ा खराब हो गई थी और शै णक सं ान राजनी तक
ां तका रय को पैदा करने वाले कारखान के प म काम कर रहे थे। रा वा दय ने
गुण व ा म गरावट को वीकार कया ले कन सरकार पर नर रता को ख म करने के लए
कु छ नह करने का आरोप लगाया।

म भारत म व व ालय क तय और संभावना पर वचार करने


और उनके सं वधान और काय णाली म सुधार के उपाय सुझ ाने के लए रैले आयोग क
ापना क गई थी। आयोग ने ाथ मक या मा य मक श ा पर रपो टग करने से रोक
दया। इसक सफा रश के आधार पर म भारतीय व व ालय अ ध नयम पा रत
कया गया था। अ ध नयम के अनुसार i व व ालय को अ ययन और अनुसंधान पर
अ धक यान दे ना था ii कसी व व ालय के अ येता क सं या और उनके
कायकाल क अव ध कम कर द
गई और अ धकांश अ येता को सरकार ारा नामां कत कया जाना था iii
सरकार के पास
व व ालय के सीनेट नयम को वीटो करने क श थी और वह इन नयम म
संशोधन कर सकती थी या वयं नयम पा रत कर सकती थी iv संब ता
के लए शत को स त बनाया जाना था

नजी महा व ालय का और v


उ श ा और व व ालय म सुधार के लए पाँच वष के लए त वष पाँच
लाख पये वीकृ त कये जाने थे।

कज़न ने गुण व ा और द ता के नाम पर व व ालय पर अ धक नयं ण को


उ चत ठहराया ले कन वा तव म श ा को तबं धत करने और श त को सरकार के
त वफादारी के लए अनुशा सत करने क मांग क ।

रा वा दय ने इसम सा ा यवाद को मजबूत करने और रा वाद भावना को


तोड़ने का यास दे ख ा। गोखले ने इसे तगामी कदम कहा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

श ा नी त पर सरकारी संक प म बड़ौदा के ग तशील


रा य ने अपने सभी
े म अ नवाय ाथ मक श ा क शु आत क ।

रा ीय नेता ने सरकार से टश भारत के लए ऐसा करने का आ ह कया गोखले ने


वधान सभा म इसके लए जोरदार वकालत क ।

श ा नी त पर अपने के ताव म सरकार ने अ नवाय श ा क ज मेदारी


लेने से इनकार कर दया ले कन नर रता को हटाने क नी त को वीकार कर लया और
ांतीय सरकार से गरीब और अ धक पछड़े वग को मु त ाथ मक श ा दान करने के
लए शी कदम उठाने का आ ह कया। इसके लए नजी यास को ो सा हत कया जाना
था और मा य मक व ालय क गुण व ा म सुधार करना था।

यह नणय लया गया क येक ांत म एक व व ालय ा पत कया जाएगा और


व व ालय क श ण ग त व धय को ो सा हत कया जाएगा।

सैडलर व व ालय आयोग


आयोग क ापना कलक ा व व ालय क सम या पर अ ययन और रपोट करने के
लए क गई थी ले कन इसक सफा रश कमोबेश अ य व व ालय पर भी लागू होती
थ । इसम कू ली श ा से लेक र व व ालयी श ा तक पूरे े क समी ा क गई।

इसका वचार था क व व ालय श ा म सुधार के लए मा य मक श ा म सुधार एक


आव यक पूव शत थी। इसक ट प णयाँ इस कार थ . कू ल पा म वष का
होना चा हए। छा को व व ालय म तीन साल के ड ी पा म के लए इंटरमी डएट
चरण मै क के बजाय के बाद व व ालय म वेश करना चा हए। ऐसा ए
छा को व व ालय चरण के लए तैयार करने के लए कया गया था बी व व ालय
को बड़ी सं या म व व ालय तर से नीचे के छा से मु करना और सी उन लोग
को कॉले जएट
श ा दान करना जो व व ालय तर पर जाने क योजना
नह बना रहे ह।

मा य मक और इंटरमी डएट श ा का एक अलग बोड


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श ा का वकास

मा य मक और इंटरमी डएट श ा के शासन और नयं ण के लए ा पत कया जाना


चा हए।
. व व ालय के नयम बनाने म कम कठोरता होनी चा हए।

. एक व व ालय को बखरे ए संब कॉलेज के बजाय क कृ त एका मक


आवासीय श ण वाय नकाय के प म काय करना चा हए।

. म हला श ा ावहा रक वै ा नक और तकनीक श ा पेशेवर और ावसा यक


कॉलेज स हत श क के श ण का व तार कया जाना चा हए।

से क अव ध म मैसूर पटना बनारस अलीगढ़ ढाका लखनऊ और


उ मा नया म सात नए व व ालय खुले।

म सरकार ने सैडलर रपोट क सफ़ा रश क


ांतीय सरकार को.

ै ध शासन के तहत श ा
म टागु चे सफोड सुधार के तहत श ा को ांतीय मं ालय म ानांत रत कर दया गया और
सरकार ने शै क मामल म य च लेना बंद कर दया जब क से उदारतापूवक
वीकृ त कए जाने वाले सरकारी अनुदान अब बंद कर दए गए।

व ीय क ठनाइय ने कसी भी मह वपूण व तार को रोका ले कन फर भी श ा म वृ ई


वशेषकर परोपकारी यास के तहत।

हाट ग स म त
कू ल और कॉलेज क सं या म वृ के कारण श ा मानक म गरावट आई है। श ा के
वकास पर रपोट दे ने के लए हाट ग स म त क ापना क गई थी। इसक मु य सफ़ा रश
इस कार थ .

. ाथ मक श ा पर जोर दया जाना चा हए ले कन श ा म ज दबाजी या


जबरद ती व तार क ज रत नह है।
. के वल यो य छा को ही हाई कू ल और इंटरमी डएट चरण म जाना चा हए जब क
औसत छा को आठव क ा के बाद ावसा यक पा म क ओर मोड़ दया जाना चा हए।

. व व ालय श ा के मानक म सुधार के लए वेश को तबं धत कया जाना


चा हए।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

श ा क साजट योजना साजट योजना साजट


सरकार का शै क सलाहकार था म क य श ा सलाहकार बोड ारा तैयार क
गई थी। इसने सफा रश क

. वष आयु वग के लए पूव ाथ मक श ा वष आयु वग के लए


नःशु क सावभौ मक और अ नवाय ारं भक श ा चय नत ब के लए
वष आयु वग के लए हाई कू ल श ा और उ तर मा य मक के बाद
साल का व व ालय पा म

बु नयाद श ा क वधा योजना

कां ेस ने अ टू बर म वधा म श ा पर एक रा ीय स मेलन का आयोजन कया था। वहां पा रत


ताव के आलोक म जा कर सैन स म त ने बु नयाद श ा के लए एक व तृत रा ीय योजना बनाई।
इस योजना के पीछे मु य स ांत ग त व ध के मा यम से सीखना था। यह सा ता हक म लेख क एक
ृंख ला म का शत गांधी के वचार पर आधा रत था। गांधीजी का मानना था क प मी श ा ने श त
कु छ लोग और जनता के बीच एक खाई पैदा कर द है और श त अ भजात वग को भी अ भावी बना
दया है। योजना म न न ल खत ावधान थे। ह रजन

i पा म म बु नयाद ह तकला को शा मल करना। ii कू ली श ा के पहले


सात साल मु त और अ नवाय रा ापी श ा णाली मातृभाषा के मा यम से का एक अ भ
अंग ह गे। iii क ा II से VII तक हद म और क ा VIII के बाद के वल अं ेज ी म पढ़ाना। iv सेवा के
मा यम से
कू ल के आसपास समुदाय के साथ संपक ा पत करने के तरीके तैयार कए जाएंगे। v
बु नयाद श ा के मु य वचार
को लागू करने क से एक उपयु तकनीक तैयार क जानी चा हए एक उपयु ह तश प
क उ पादक ग त व ध के मा यम से ब े को श त करना।

यह णाली श ा के लए एक प त होने के बजाय एक नए जीवन और एक नए समाज के


वचार क अ भ थी। मूल आधार यह था क के वल ऐसी योजना के मा यम से ही भारत एक वतं
और अ हसक समाज बन सकता है। यह योजना बाल के त एवं सहयोगा मक थी।

तीय व यु क शु आत और कां ेस मं मंडल के इ तीफे अ टू बर के कारण इस


वचार का अ धक वकास नह आ।
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श ा का वकास

हाई कू ल दो कार के ह गे i शै णक और ii तकनीक और ावसा यक।

. पया त तकनीक ावसा यक एवं कला श ा। . इंटरमी डएट कोस क समा त.


. वष म वय क नर रता का उ मूलन। . श क
के श ण शारी रक श ा शारी रक और मान सक प से वकलांग
के लए श ा पर जोर।

इसका उ े य वष के भीतर शै क उपल का वही तर तैयार करना था जो


इं लड म था।
हालाँ क यह एक साह सक और ापक योजना थी ले कन इसने काया वयन के लए कोई
प त ता वत नह क । साथ ही इं लड क उपल य का आदश भारतीय प र तय के
अनुकू ल नह रहा होगा।

ानीय भाषा श ा का वकास


व सद क शु आत म ानीय भाषा श ा क त ब त ख़राब थी। यह अ धकतर धनी
जम दार के योगदान पर नभर था।

बंगाल और बहार म ानीय भाषा श ा पर व लयम एडम


क रपोट ने ानीय श ा णाली म दोष क ओर इशारा कया।

उ रप म ांत यूपी म ले टनट गवनर के प म जे स जोनाथन


के योग म येक तहसीलदारी म मॉडल कू ल के प म एक सरकारी कू ल और ानीय
कू ल के लए श क के श ण के लए एक सामा य कू ल खोलना शा मल था।

एक स मनट म लॉड डलहौजी ने कया


ानीय भाषा म श ा के प म मजबूत राय.
वुड्स ड ैच ने ानीय भाषा श ा के लए न न ल खत ावधान कए .
मानक म सुधार . सरकारी एजसी
ारा पयवे ण . श क को श त करने
के लए सामा य कू ल इससे ानीय भाषा श ा को
ो साहन मला सरकार ने इस पर कु छ यान
दया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मा य मक और ानीय श ा. ानीय भाषा के कू ल क सं या पाँच गुना से भी अ धक


बढ़ गई।
हंटर आयोग ने माना क रा य को ानीय भाषा श ा के व तार और सुधार
के लए वशेष यास करने चा हए। जन श ा को ानीय भाषा के मा यम से जनता को
नदश दे ने के प म दे ख ा जाना था।

श ा नी त पर वशेष बल दया गया


ानीय भाषा क श ा और इसके लए अनुदान म वृ ।
हाट ग स म त ने ाथ मक श ा क नराशाजनक त वीर तुत क ।

इन कू ल को कां ेस मं ालय से ो साहन मला।

तकनीक श ा का वकास
ड़क म इंज ी नय रग कॉलेज क ापना म ई थी म कलक ा कॉलेज ऑफ़
इंज ी नय रग क ापना ई। म पूना म ओवर सयस कू ल को पूना कॉलेज ऑफ़
इंज ी नय रग का दजा दया गया और बॉ बे व व ालय से संब कर दया गया।

गडी कॉलेज ऑफ इंज ी नय रग म ास व व ालय से संब था।

मे डकल श ण क शु आत म कलक ा म एक मे डकल कॉलेज क


ापना के साथ ई। लॉड कजन ने ावसा यक पा म च क सा कृ ष इंज ी नय रग
पशु च क सा व ान आ द के पूरे आधार को ापक बनाने के लए ब त कु छ कया। उ ह ने
पूसा म एक कृ ष कॉलेज क ापना क जसने अ भभावक के प म काम कया। अ य
ा त म भी ऐसी ही सं ा क ापना।

श ा पर टश नी त का मू यांक न

. यहां तक क आधु नक श ा के व तार के लए सरकार ारा उठाए गए अपया त


कदम भी परोपकार के अलावा अ य चता से े रत थे। श ा को बढ़ावा दे ने के सरकारी
उपाय भा वत थे

• ारा आधु नक श ा के प म आ दोलन


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श ा का वकास

बु भारतीय ईसाई मशनरी और मानवतावाद अ धकारी • शासन और


टश ापा रक त ान म
अधीन पद क बढ़ती सं या के लए श त भारतीय क स ती आपू त
सु न त करने क आव यकता इस कार शासन और श ा क भाषा के
प म अं ेज ी मा यम पर जोर दया गया • आशा है क श त भारतीय
भारत म टश नमाता के लए बाजार का व तार करने म मदद करगे •
यह अपे ा क प मी श ा भारतीय को टश शासन के साथ मेल कराएगी
वशेषकर
इस लए य क यह टश वजेता और उनके शासन का म हमामंडन करती
है।

इस कार अं ेज भारत म अपने राजनी तक अ धकार क न व को मजबूत करने


के लए आधु नक श ा का उपयोग करना चाहते थे।
. भारतीय श ा क पारंप रक णाली समथन के अभाव म धीरे धीरे कम होती
गई और वशेष प से के बाद जब यह घो षत कया गया क सरकारी रोजगार के
लए आवेदक को अं ेज ी का ान होना चा हए।

. जन श ा क उपे ा क गई जससे बड़े पैमाने पर नर रता फै ल गई


तशत और तशत जसने श त कु छ लोग और जनता के
बीच एक ापक भाषाई और सां कृ तक खाई पैदा कर द ।

. चूँ क श ा के लए भुगतान कया जाना था यह बन गया


उ और अमीर वग और शहरवा सय का एका धकार।
. म हला क श ा क लगभग पूण उपे ा क गई य क i सरकार ढ़वाद
वग का ोध भड़काना नह चाहती थी और ii औप नवे शक शासन के लए इसक कोई
ता का लक उपयो गता नह थी।

. वै ा नक एवं तकनीक श ा मोटे तौर पर उपे त थी। तक कलक ा


बॉ बे और म ास म के वल तीन मे डकल कॉलेज थे और ड़क म के वल एक अ ा
इंज ी नय रग कॉलेज था जो के वल यूरोपीय और यूरे शयाई लोग के लए खुला था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कसान आंदोलन

उप नवेशवाद के तहत कसान


भारतीय कसान क द र ता न न ल खत कारण से कृ ष संरचना म प रवतन का य
प रणाम थी • औप नवे शक आ थक नी तयां • ह त श प क बबाद जसके कारण अ य धक
भीड़भाड़ ई

भू म
• नई भू राज व णाली • औप नवे शक शास नक
और या यक णाली।
जम दारी े म कसान को ऊं चे लगान अवैध उगाही मनमानी बेदखली और
अवैत नक म का सामना करना पड़ा। रैयतवाड़ी े म सरकार वयं भारी भू राज व लगाती
थी। अ य धक बोझ से दबे कसान अपनी आजी वका के एकमा ोत के खोने के डर से
अ सर ानीय सा कार के पास जाते थे जो उधार दए गए धन पर याज क ऊं ची दर वसूल
कर उनक क ठनाइय का पूरा फायदा उठाते थे। अ सर कसान को अपनी ज़मीन और मवेशी
गरवी रखने पड़ते थे। कभी कभी सा कार गरवी रखे सामान को ज त कर लेता था। धीरे धीरे
बड़े े म वा त वक कृ षक अपनी इ ानुसार करायेदार बटाईदार और भू महीन मज र
क त म आ गए।

कसान अ सर शोषण का वरोध करते थे और ज द ही उ ह एहसास आ क उनका


असली मन औप नवे शक रा य था।
कभी कभी हताश कसान असहनीय प र तय से बाहर आने के लए अपराध का रा ता
अपना लेते थे। इन अपराध म लूट डकै ती और जसे सामा जक द यु कहा गया है शा मल ह।
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कसान आंदोलन

ारं भक कसान आंदोलन का एक सव ण


इं डगो व ोह
बंगाल म नील क खेती करने वाले लगभग सभी यूरोपीय ानीय कसान को चावल जैसी अ धक
भुगतान वाली फसल के बजाय अपनी भू म पर नील उगाने के लए मजबूर करके उनका शोषण
करते थे। बागवान ने कसान को अ म रकम लेने और फज अनुबंध करने के लए मजबूर कया
जसका इ तेमाल बाद म कसान के खलाफ कया गया।

बागान मा लक ने अपहरण अवैध कारावास कोड़े मारने म हला और ब पर हमले मवे शय


को ज त करने घर को जलाने और व त करने और फसल को न करने के मा यम से कसान
को डराया।

म कसान का गु सा फू ट पड़ा जब ना दया जले के दगंबर ब वास और ब णु


ब वास के नेतृ व म उ ह ने दबाव म नील क खेती न करने का फै सला कया और पु लस और
अदालत ारा सम थत बागान मा लक और उनके ला ठयाल अनुचर के शारी रक दबाव का
वरोध कया। उ ह ने बागवान के हमल के व एक जवाबी सेना भी संग ठत क । बागान
मा लक ने बेदखली और लगान बढ़ाने जैसे तरीके भी आज़माए। रैयत ने बढ़े ए कराए का भुगतान
करने से इनकार करके और उ ह बेदखल करने के यास का शारी रक प से वरोध करके कराया
हड़ताल पर जाकर जवाब दया। धीरे धीरे उ ह ने कानूनी मशीनरी का उपयोग करना सीखा और
धन सं ह ारा सम थत कानूनी कारवाई शु क।

बंगाली बु जी वय ने समाचार प अ भयान सामू हक बैठक के आयोजन कसान


क शकायत पर ापन तैयार करने और कानूनी लड़ाई म उनका समथन करके कसान के हत
का समथन करके मह वपूण भू मका नभाई।

सरकार ने नील क खेती क सम या क जाँच के लए एक नील आयोग नयु कया।


अपनी सफ़ा रश के आधार पर सरकार ने नवंबर म एक अ धसूचना जारी क क रैयत को
नील क खेती करने के लए मजबूर नह कया जा सकता है और यह सु न त कया जाएगा क
सभी ववाद का नपटारा कानूनी तरीक से कया जाए। ले कन बागान मा लक पहले ही कारखाने
बंद कर रहे थे और के अंत तक नील क खेती बंगाल से लगभग समा त हो गई थी।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

पबना कृ ष लीग
और के दशक के दौरान पूव बंगाल के बड़े ह से म जम दार क दमनकारी
था के कारण कृ ष अशां त दे ख ी गई। जम दार ने कानूनी सीमा से परे लगान बढ़ाने का
सहारा लया और करायेदार को के अ ध नयम कसान ने वयं को घाटे म पाया।

दमनकारी शासन से काफ परेशान होने के बाद पटना जले के युसुफ शाही परगना के
कसान ने जम दार क मांग का वरोध करने के लए एक कृ ष लीग या संयोजन का गठन
कया। लीग ने लगान हड़ताल का आयोजन कया रैयत ने अदालत म जम दार को चुनौती
दे ते ए बढ़े ए लगान का भुगतान करने से इनकार कर दया। रैयत ारा अदालती मामले
लड़ने के लए धन जुटाया जाता था। संघष पूरे पटना और पूव बंगाल के अ य जल तक फै ल
गया। संघष का मु य प कानूनी तरोध था ब त कम हसा ई.

य प कसान असंतोष तक बना रहा अ धकांश मामले आं शक प से


आ धका रक अनुनय के मा यम से और आं शक प से जम दार के डर के कारण हल हो गए
थे।
कई कसान अ धभोग अ धकार ा त करने और बढ़े ए लगान का वरोध करने म स म थे।
सरकार ने करायेदार को जम दारी उ पीड़न के सबसे बुरे पहलु से बचाने के लए कानून
बनाने का भी वादा कया। म बंगाल करायेदारी अ ध नयम पा रत कया गया।

फर कई युवा भारतीय बु जी वय ने कसान के मु े का समथन कया। इनम


बं कम चं चटज आरसी द और सुर नाथ बनज के अधीन इं डयन एसो सएशन शा मल थे।

द कन दं गे
प मी भारत के द कन े के रैयत को रैयतवारी णाली के तहत भारी कर का सामना
करना पड़ा। यहां भी कसान ने खुद को एक ऐसे शा तर जाल म फं सा आ पाया जसम
सा कार ही शोषक और मु य लाभाथ था। इन
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कसान आंदोलन

सा कार अ धकतर बाहरी लोग थे मारवाड़ी या गुज राती।


म अमे रक गृह यु क समा त के बाद कपास क क मत म गरावट म भू राज व
म क वृ करने के सरकार के फै सले और लगातार खराब फसल के कारण तयाँ खराब
हो गई थ ।

म सा कार और कसान के बीच बढ़ते तनाव के प रणाम व प बाहरी


सा कार के खलाफ रैयत ारा एक सामा जक ब ह कार आंदोलन आयो जत कया गया।

रैयत ने उनक कान से खरीदारी करने से इनकार कर दया. कोई भी कसान अपने खेत म खेती
नह करेगा। नाई धोबी मोची उनक सेवा नह करगे। यह सामा जक ब ह कार तेज ी से पूना
अहमदनगर शोलापुर और सतारा के गांव तक फै ल गया। ज द ही सामा जक ब ह कार सा कार
के घर और कान पर व त हमल के साथ कृ ष दं ग म बदल गया।

ऋण बांड और वलेख ज त कर लए गए और सावज नक प से जला दए गए।


सरकार आंदोलन को दबाने म सफल रही।
एक सुलह उपाय के प म डे कन कृ षक राहत अ ध नयम म पा रत कया गया था।

इस बार भी महारा के आधु नक रा वाद बु जी वय ने कसान के मु े का समथन


कया।

कसान का बदला आ वभाव


के बाद के आंदोलन
• कसान कृ ष े म मु य श के प म उभरे
आंदोलन सीधे अपनी मांग के लए लड़ना।
• मांग लगभग पूरी तरह के तथ
आ थक मु ।

• ये आंदोलन कसान के ता का लक श ु वदे शी बागान मा लक और वदे शी


जम दार और सा कार के खलाफ नद शत थे। • संघष व श और क ओर नद शत थे

सी मत उ े य और वशेष शकायत का नवारण।


• इन आंदोलन का ल य उप नवेशवाद नह था। • इन आंदोलन का उ े य कसान क
अधीनता या शोषण क व ा को समा त करना नह था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• े ीय प ंच सी मत थी। • संघष या द घका लक


संगठन क कोई नरंतरता नह थी। • कसान म इसके त गहरी जाग कता
वक सत ई

कानूनी अ धकार और अदालत के अंदर और बाहर उनका दावा कया।

कमजो रय
• उप नवेशवाद क पया त समझ का अभाव था। • व सद के कसान के पास
कोई नई वचारधारा
और कोई नया सामा जक आ थक और राजनी तक काय म नह था। • ये संघष
हालां क उ वाद थे वैक पक समाज क सकारा मक अवधारणा के अभाव वाली पुरानी
सामा जक व ा के ढांचे के भीतर ए।

बाद के आंदोलन
व सद के कसान आंदोलन से रा ीय वतं ता सं ाम ब त भा वत आ और इसका उस
पर उ लेख नीय भाव पड़ा। चंपारण और खेड़ा स या ह के लए वतं ता आंदोलन पर
अ याय दे ख ।

कसान सभा आंदोलन के व ोह के बाद अवध के


तालुक दार को उनक ज़मीन वापस मल गय थ । इससे ांत के कृ षक समाज पर तालुक दार
या बड़े जम दार क पकड़ मजबूत हो गई। अ धकांश कृ षक को उ लगान सं त बेदखली
बेदाखाली अवैध उगाही नवीकरण शु क या नज़राना का सामना करना पड़ा। थम व
यु ने भोजन और अ य आव यकता क क मत म वृ कर द थी। इससे यूपी के कसान
क हालत खराब हो गई।

मु यतः होम ल कायकता के यास से ही उ र दे श म कसान सभा का


आयोजन आ। संयु ांत कसान सभा क ापना फरवरी म गौरी शंक र म और
इं नारायण वेद ारा क गई थी। मदन मोहन मालवीय ने उनके यास का समथन कया।
जून तक यूपी कसान सभा
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कसान आंदोलन

शाखाएँ थ । अ य मुख नेता म झगुरी सह गपाल सह और बाबा रामच शा मल थे।


जून म बाबा रामच ने नेह से इन गाँव का दौरा करने का आ ह कया। इन या ा के
दौरान नेह ने ामीण के साथ घ न संपक वक सत कया।

अ टू बर म रा वाद रक म मतभेद के कारण अवध कसान सभा अ त व म


आई। अवध कसान सभा ने कसान से कहा क वे बेदाखली भू म को जोतने से इनकार कर द ह र
और बेगार अवैत नक म के प क पेशकश न कर उन लोग का ब ह कार कर जो इन शत को
वीकार नह करते ह और अपने ववाद को पंचायत के मा यम से हल करने के लए कहते ह।

सामू हक बैठक और लामबंद के पहले के व प से ग त व ध का पैटन जनवरी


म तेज ी से बदल कर बाज़ार घर अ भंडार क लूटपाट और पु लस के साथ झड़प तक प ंच
गया। ग त व ध के क मु य प से राय बरेली फै जाबाद और सु तानपुर जले थे।

आंदोलन ज द ही कम हो गया आं शक प से सरकारी दमन के कारण और आं शक


प से अवध कराया संशोधन अ ध नयम के पा रत होने के कारण।

एका आंदोलन
के अंत म संयु ांत के कु छ उ री जल हरदोई बहराईच सीतापुर म कसान असंतोष
फर से उभर आया। इसम शा मल मु े थे i उ कराया दज क तुलना म तशत अ धक

दर
ii राज व के भारी ठकादार का उ पीड़न
सं ह और iii शेयर
कराये का अ यास।
एका या एकता आंदोलन क बैठक म एक तीका मक धा मक अनु ान शा मल था
जसम इक े ए कसान ने कसम खाई थी क वे • के वल रकॉड कए गए लगान का भुगतान करगे
ले कन समय पर भुगतान करगे • बेदखल होने पर न
छोड़ • बेगारी करने से इंक ार • अपरा धय को कोई मदद न द • पंचायत के नणय का
पालन कर।

एका आंदोलन का जमीनी नेतृ व आया


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मदारी पासी और अ य नचली जा त के नेता और कई छोटे जम दार से।

माच तक अ धका रय ारा गंभीर दमन के कारण आंदोलन समा त हो गया।

म पला व ोह
म पलास मालाबार े म रहने वाले मु लम करायेदार थे जहां अ धकांश जम दार ह थे।
म पलास ने उ ीसव शता द के दौरान भी जम दार के उ पीड़न के खलाफ अपना आ ोश
कया था। उनक शकायत कायकाल क सुर ा क कमी उ कराया नवीनीकरण
शु क और अ य दमनकारी वसू लय पर क त थ ।

म पला करायेदार को करायेदार मकान मा लक संबंध को व नय मत करने वाले


सरकारी कानून के लए ानीय कां ेस नकाय क मांग से वशेष प से ो सा हत कया गया
था। ज द ही म पला आंदोलन चल रहे खलाफत आंदोलन म वलीन हो गया।

गांधी शौकत अली और मौलाना आज़ाद जैसे खलाफत असहयोग आंदोलन के नेता ने
म पला बैठक को संबो धत कया। रा ीय नेता क गर तारी के बाद नेतृ व ानीय
म पला नेता के हाथ म चला गया।

अग त म हालात तब और ख़राब हो गए जब एक स मा नत पादरी नेता अली


मुस लयार क गर तारी के बाद बड़े पैमाने पर दं गे भड़क उठे । ारंभ म टश स ा के तीक
अदालत पु लस टे शन राजकोष और कायालय और अलोक य जम दार जम दार जो
यादातर ह थे नशाने पर थे। ले कन एक बार जब अं ेज ने माशल लॉ घो षत कर दया
और दमन शु हो गया तो व ोह के च र म एक न त बदलाव आया। कई ह को
म पलास ने अ धका रय क मदद करते ए दे ख ा। जो मामला सरकार वरोधी और जम दार
वरोधी मामले के प म शु आ उसने सां दा यक रंग ले लया। व ोह के सां दा यकरण ने
खलाफत असहयोग आंदोलन से म पला को अलग थलग कर दया। दसंबर तक
सारा तरोध बंद हो गया था।

बारडोली स या ह सूरत जले के


बारडोली तालुक ा म गांधीजी के रा ीय राजनी त म आने के बाद ती राजनी तकरण दे ख ा गया
था।
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कसान आंदोलन

राजनी तक प र य. जनवरी म आंदोलन तब भड़क उठा जब अ धका रय ने भू राज व म


तशत क वृ करने का नणय लया। कां ेस नेता ने तुरंत वरोध कया और मामले क
जांच के लए बारडोली जांच स म त का गठन कया गया।

स म त ने राज व वृ को अनु चत पाया। फरवरी म व लभभाई पटे ल को आंदोलन का


नेतृ व करने के लए बुलाया गया। बारडोली क म हला ने उ ह सरदार क उपा ध द । पटे ल के
अधीन बारडोली के कसान ने संशो धत मू यांक न के भुगतान से इनकार करने का संक प लया
जब तक क सरकार एक वतं याया धकरण नयु नह करती या वतमान रा श को पूण भुगतान
के प म वीकार नह करती। आंदोलन को संग ठत करने के लए पटे ल ने तालुक ा म छावनी
या मक के श वर ा पत कए । जनमत एक त करने के लए बारडोली स या ह प का
नकाली गई। यह सु न त करने के लए एक खु फया वग क ापना क गई क सभी करायेदार
आंदोलन के ताव का पालन कर। आंदोलन का वरोध करने वाल को सामा जक ब ह कार का
सामना करना पड़ा। म हला क लामबंद पर वशेष बल दया गया। कमी

मुंशी और लालजी नारनजी ने आंदोलन के समथन म बॉ बे वधान प रषद से इ तीफा दे दया।

अग त तक े म भारी तनाव पैदा हो गया था। ब बई म रेलवे हड़ताल क


स ावनाएँ थ ।
कसी भी आपातकालीन त म खड़े रहने के लए गांधी बारडोली प ंचे।
सरकार अब एक स मानजनक वापसी क तलाश म थी।
इसने शत रखी क पहले सभी रहने वाल को बढ़ा आ कराया चुक ाना होगा वा तव म नह कया
गया । फर एक स म त ने पूरे मामले क जांच क और राज व वृ को अनु चत पाया और के वल
. तशत क वृ क सफा रश क ।

के दशक के दौरान कसान जागृ त औ ो गक दे श म महामंद और स वनय अव ा


आंदोलन से भा वत थी जसने कई े म लगान नह राज व नह आंदोलन का प ले लया।
इसके अलावा स य चरण आंदोलन के पतन के बाद स य राजनी त म कई नए वेशक
ने अपनी ऊजा क रहाई के लए उपयु आउटलेट क तलाश शु कर द और कसान को
संग ठत करना शु कर दया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अ खल भारतीय कसान कां ेस सभा इस सभा क ापना अ ैल


म लखनऊ म ई थी जसके अ य वामी सहजानंद सर वती और महास चव
एनजी रंगा थे। एक कसान घोषणाप जारी कया गया और इं लाल या नक के नेतृ व म
एक प का शु ई। एआईके एस और कां ेस ने म फै जपुर म अपने स आयो जत
कए। के ांतीय चुनाव के लए कां ेस का घोषणाप वशेषकर कृ ष नी त
एआईके एस के एजडे से काफ भा वत था।

कां ेस मं ालय के तहत क अव ध


कां ेस ांतीय शासन के तहत कसान आंदोलन और ग त व धय का सबसे बड़ा उदाहरण
थी।
लामबंद का मु य प कसान स मेलन और बैठक आयो जत करना था जहां मांग को
सा रत कया जाता था और ताव पा रत कए जाते थे। गांव म लामबंद अ भयान
चलाया गया.

ांत म कसान ग त व ध
के रल
मालाबार े म कसान को मु य प से कां ेस सोश ल ट पाट के कायकता ारा
संग ठत कया गया था। अनेक कृ षक संघम कसान संगठन अ त व म आये। सबसे
लोक य तरीका जाठ या कसान समूह का जम दार के पास अपनी माँग मनवाने के लए
माच करना था। कसान का एक मह वपूण अ भयान म मालाबार का तकारी
अ ध नयम म संशोधन के लए था।

आं इस
े म पहले ही चुनाव म कां े सय से हार के बाद जम दार क त ा म गरावट दे ख ी गई
थी।
कु छ ान पर जम दार वरोधी आंदोलन चल रहे थे।
अनेक ा तीय रैयत संघ स य थे। एनजी रंगा ने म इं डया पीजट् स इं ट ूट क
ापना क थी। के बाद कां ेसी समाजवा दय ने कसान को संग ठत करना शु
कया। अनेक ान पर अथशा एवं राजनी त क ी मकालीन पाठशालाएँ
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कसान आंदोलन

पीसी जोशी अजॉय घोष और आरडी भार ाज जैसे नेता ने आयो जत और संबो धत कया।

बहार

यहां सहजानंद सर वती के साथ कायानंद शमा य नंदन शमा रा ल सांकृ यायन पंचानन शमा
जामुन करजी त आ द शा मल ए। म ांतीय कसान स मेलन ने जम दारी वरोधी नारा
अपनाया। ांतीय कसान सभा ने एक तकू ल सरकारी ताव के कारण बका त भू म मु े पर
कां ेस के साथ दरार पैदा कर ली जो सभा को वीकाय नह था। अग त तक आंदोलन
समा त हो गया।

पंज ाब यहां
पहले क कसान लामबंद पंज ाब नौजवान भारत सभा क त कसान पाट कां ेस और अका लय
ारा आयो जत क गई थी। आंदोलन को एक नई दशा म पंज ाब कसान स म त ारा द
गई थी। आंदोलन का मु य ल य प मी पंज ाब के जम दार थे जनका संघवाद मं ालय पर भु व
था। उठाए गए ता का लक मु म अमृतसर और लाहौर म भू राज व का पुनवास और मु तान और
म टगोमरी क नहर कॉलो नय म पानी क दर म वृ शा मल थी जहां नजी ठे के दार ारा सामंती
कर क मांग क जा रही थी। यहां कसान ने हड़ताल क और अंततः रयायत हा सल करने म
सफल रहे।

पंज ाब म कसान ग त व धयाँ मु य प से जालंधर अमृतसर हो शयारपुर लायलपुर


और शेख ुपुरा म क त थ ।
प मी पंज ाब के मु लम करायेदार और द ण पूव पंज ाब आज का ह रयाणा के ह कसान
काफ हद तक अ भा वत रहे।

बंगाल बदवान और परगना असम सूरमा घाट उड़ीसा म य ांत और


एनड यूएफपी म भी कसान ग त व धयाँ आयो जत क ग ।

यु के दौरान
क यु न ट ारा अपनाई गई यु समथक लाइन के कारण
एआईके एस क यु न ट और गैर क यु न ट आधार पर वभा जत हो गया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सहजानंद इं लाल या नक और एनजी जैसे कई द गज नेता


रंगा ने सभा छोड़ द . ले कन कसान सभा लोग के बीच काम करती रही। के अकाल के
दौरान इसने उ लेख नीय काय कया।

यु ो र चरण

तेभागा आंदोलन सतंबर म


बंगाल ांतीय कसान सभा ने बड़े पैमाने पर संघष के मा यम से बाढ़ आयोग क तेभागा क
सफ़ा रश को लागू करने का आ ान कया तेभागा दो तहाई ह सेदारी इसके बजाय
बटाईदार ज ह बागचासी या अ यार के नाम से भी जाना जाता है को दया जाना चा हए।
आधे ह से का. बरगारदार जोतदार से कराये पर ली गई जमीन पर काम करते थे। कई शहरी
छा म ल शया स हत क यु न ट कै डर बारगाडर को संग ठत करने के लए ामीण इलाक म
गए। क य नारा था नज खमारे धन टोलो यानी बटाईदार धान को पहले क तरह अपने
ख लहान म ले जाते थे न क जोतदार के घर म ता क तेभागा को लागू कया जा सके ।

आंदोलन का तूफ ान क उ री बंगाल था मु य प से राजबं शय के बीच


आ दवासी मूल क एक नचली जा त।
मुसलमान ने भी बड़ी सं या म भाग लया। बारगाडरी बल पर लीग मं ालय क रयायत ती
दमन अलग बंगाल के लए ह महासभा के आंदोलन के लोक य होने और कलक ा म नए
सरे से ए दं ग के कारण आंदोलन ज द ही समा त हो गया जससे शहरी वग से सहानुभू तपूण
समथन क संभावनाएं समा त हो ग ।

तेलंगाना आंदोलन यह आधु नक


भारतीय इ तहास का सबसे बड़ा कसान गु र ला यु था जसने गांव और लाख
आबाद को भा वत कया था। असजाही नज़ाम के अधीन हैदराबाद रयासत को धा मक
भाषाई वच व मु य प से ह तेलुगु मराठ क ड़ भाषी समूह पर शासन करने वाले एक
छोटे उ भाषी मु लम अ भजात वग ारा राजनी तक और नाग रक वतं ता क कु ल कमी
के संयोजन ारा च त कया गया था। अप र कृ त
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कसान आंदोलन

दे शमुख जागीरदार दोरा जम दार ारा जबरन म वेथी और अवैध वसूली के पम


जबरन शोषण के प।

यु के दौरान क यु न ट नेतृ व वाले गु र ला ने आं महासभा के मा यम से तेलंगाना


के गांव म एक मजबूत आधार बनाया था और यु कालीन वसूली राशन के पयोग अ य धक
लगान और वेथी जैसे मु पर ानीय संघष का नेतृ व कर रहे थे ।

व ोह जुलाई म शु आ जब एक दे शमुख के गुंडे ने नलग डा के जनगांव तालुक


म एक ामीण उ वाद क ह या कर द ।
ज द ही व ोह वारंगल और ख मम तक फै ल गया।
कसान ने खुद को गाँव संघ म संग ठत कया और ला ठय प र के गोले और मच
पाउडर का उपयोग करके हमला कया। उ ह ू र दमन का सामना करना पड़ा। अग त और
सतंबर के बीच यह आंदोलन अपनी सबसे ती ती ता पर था। कसान ने नज़ाम के तूफ ानी
सै नक रज़ाकार को परा त कर दया। एक बार जब भारतीय सुर ा बल ने हैदराबाद पर क ज़ा कर
लया तो आंदोलन ख़ म हो गया।

तेलंगाना आंदोलन के खाते म कई सकारा मक उपल याँ रह । • गु र ला ारा नयं त


गांव म वेथी और
बेगार गायब हो गये। • कृ ष मज री बढ़ाई गई। • अवैध प से ज त क गई जमीन बहाल
क ग । • सी लग ठ क करने और भू म के
पुन वतरण के लए कदम उठाए गए। • सचाई म सुधार
और हैज ा से लड़ने के उपाय कये गये। • म हला क तम
सुधार दे ख ा गया।

• भारत क सबसे बड़ी रयासत के नरंकु श सामंती शासन को हला दया गया जससे
भाषाई आधार पर आं दे श के गठन का रा ता साफ हो गया और इस े म रा ीय आंदोलन का
एक और उ े य साकार हो गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कसान आंदोलन क बैलस शीट


इन आंदोलन ने वतं ता के बाद कृ ष सुधार उदाहरण के लए जम दारी उ मूलन के लए माहौल तैयार कया।

इस कार उ ह ने जम दार वग क श को न कर दया


कृ ष संरचना के प रवतन के लए.
ये आंदोलन रा वाद क वचारधारा पर आधा रत थे।

इन आंदोलन क कृ त व वधता म समान थी


े .
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मज र वग का आंदोलन

का आंदोलन
मक वग
उ ीसव सद के उ राध क शु आत म भारत म आधु नक उ ोग के वेश क शु आत ई।
रेलवे के नमाण म लगे हजार हाथ आधु नक भारतीय मक वग के अ त थे। आगे
औ ोगीकरण रेलवे के साथ साथ सहायक उ ोग के वकास के साथ आया। कोयला उ ोग
तेज ी से वक सत आ और बड़ी सं या म कायबल को रोजगार मला। फर कपास और जूट
उ ोग आये।

भारतीय मक वग उसी कार के शोषण से पी ड़त था जो यूरोप और शेष प म के


औ ोगीकरण के दौरान दे ख ा गया था जैसे कम मज री लंबे काम के घंटे अ वा यकर और
खतरनाक कामकाजी प र तयां बाल म का रोजगार और बु नयाद सु वधा का अभाव।
भारत म उप नवेशवाद क उप त ने भारतीय मक वग आंदोलन को एक व श श
दया। भारतीय मज र वग को दो बु नयाद वरोधी ताकत का सामना करना पड़ा एक
सा ा यवाद राजनी तक शासन और वदे शी और दे शी दोन पूंज ीवाद वग के हाथ आ थक
शोषण।

इन प र तय म अ नवाय प से भारतीय मक वग आंदोलन रा ीय मु के लए


राजनी तक संघष के साथ जुड़ गया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ारं भक यास
ारं भक रा वाद वशेष प से नरमपंथी • मक हत के त उदासीन थे •
भारतीय वा म व वाले कारखान और टश वा म व वाले कारखान
म मक के बीच अंतर कया गया • माना जाता है क म कानून भारतीय वा म व वाले
उ ोग ारा ा त त धा मक बढ़त को भा वत करगे • वग के आधार पर
आ दोलन म
वभाजन नह चाहते थे • और के फ़ै टरी अ ध नयम का समथन नह कया

इन कारण से।
इस कार मक क आ थक त म सुधार के पहले यास परोपकारी यास क कृ त
म थे जो पृथक छटपुट और व श ानीय शकायत के उ े य से थे।

श शपदा बनज ने एक मक लब और समाचार प भारत मजीवी शु कया।

सोराबजी शापूरजी बंगाली ने मक को बेहतर काय प र तयाँ दान करने वाला


एक वधेयक बंबई वधान प रषद म पा रत कराने का यास कया।

नारायण मेघाजी लोखंडे ने द नबंधु समाचार प शु कया और बॉ बे मल एंड


मलहड् स एसो सएशन क ापना क ।

ेट इं डयन पे ननसुलर रेलवे क पहली हड़ताल ई और इसे ापक समथन मला।


तलक के के सरी और मराठा महीन से हड़ताल के लए अ भयान चला रहे थे।

ब पन चं पाल और जी. सु म यम अ यर जैसे कई मुख रा वाद नेता थे ज ह ने मक


के लए बेहतर त और अ य मक समथक सुधार क मांग क थी।

वदे शी व ोह के दौरान
कायकता ने ापक राजनी तक मु म भाग लया। हड़ताल का आयोजन अ नी कु मार बनज
भात कु मार रॉय ने कया था
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मज र वग का आंदोलन

चौधरी ेमतोष बोस और अपूव कु मार घोष। ये हड़ताल सरकारी ेस रेलवे और जूट उ ोग म
आयो जत क ग ।

े ड यू नयन बनाने के यास ए ले कन ये ब त सफल नह रहे।

सु म यम शवा और चद बरम प लई ने हड़ताल का नेतृ व कया


तूतीको रन और त नेलवेली म गर तार कर लया गया।

तलक क गर तारी और मुक़ दमे के बाद उस समय क सबसे बड़ी हड़ताल आयो जत
क गई।

थम व यु के दौरान और उसके बाद


यु और उसके प रणाम के कारण नयात म वृ ई क मत बढ़ उ ोगप तय के लए बड़े
पैमाने पर मुनाफाखोरी के अवसर आए ले कन मक के लए वेतन ब त कम हो गया। इससे
कायकता म असंतोष फै ल गया.

गांधी के उ व से एक ापक आधार वाला रा ीय आंदोलन शु आ और रा ीय


हत के लए मक और कसान को संग ठत करने पर जोर दया गया।

मक के संगठन क आव यकता महसूस क गई


े ड यू नयन म.
सो वयत संघ म समाजवाद गणतं क ापना कॉ म टन का गठन और अंतरा ीय
म संगठन ILO क ापना जैसी अंतरा ीय घटना ने भारत म मक वग के आंदोलन
को एक नया आयाम दया।

एटक
अ खल भारतीय े ड यू नयन कां ेस क ापना अ टू बर को ई थी। उस वष के
लए भारतीय रा ीय कां ेस के अ य लाला लाजपत राय को AITUC के पहले अ य और
द वान चमन लाल को पहले महास चव के प म चुना गया था।

लाजपत राय पूंज ीवाद को सा ा यवाद से जोड़ने वाले पहले थे सा ा यवाद और


सै यवाद पूंज ीवाद के जुड़वां ब ेह ।

मुख कां ेस और वराजवाद नेता सीआर दास ने AITUC के तीसरे और चौथे स


क अ य ता क ।
कां ेस के गया अ धवेशन ने वागत कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

AITUC का गठन और उसक सहायता के लए एक स म त का गठन कया गया। सीआर दास


ने वकालत क क कां ेस को मज र और कसान का मु ा उठाना चा हए और उ ह वराज के
संघष म शा मल करना चा हए अ यथा वे आंदोलन से अलग थलग हो जाएंगे। अ य नेता ज ह ने
एटक के साथ नकट संपक बनाए रखा उनम नेह सुभाष बोस सीएफ एं यूज जेएम शा मल
थे

सेनगु ता स यमू त वीवी गरी और सरो जनी नायडू । ारंभ म AITUC टश लेबर पाट के
सामा जक लोकतां क वचार से भा वत था। अ हसा ट शप और वग सहयोग के गांधीवाद
दशन का आंदोलन पर ब त भाव था। गांधीजी ने अहमदाबाद टे सटाइल लेबर एसो सएशन
को संग ठत करने म मदद क और एक वरोध दशन के मा यम से . तशत वेतन
वृ हा सल क । बाद म म य के फै सले ने तशत क वृ सु न तक।

े ड यू नयन अ ध नयम
े ड यू नयन अ ध नयम
• े ड यू नयन को कानूनी संघ के प म मा यता द गई • े ड यू नयन
ग त व धय के पंज ीकरण और व नयमन के लए नधा रत शत • वैध ग त व धय के
लए े ड यू नयन को अ भयोजन से
नाग रक और आपरा धक दोन तरह से छू ट दान क गई ले कन उनक राजनी तक
ग त व धय पर कु छ तबंध लगाए गए।

के दशक के
उ राध म आंदोलन पर एक मजबूत क यु न ट भाव ने इसे एक उ वाद और ां तकारी साम ी
दान क । म गरनी कामगार यू नयन के नेतृ व म बॉ बे टे सटाइल म स म छह महीने
लंबी हड़ताल ई थी। पूरे म अभूतपूव औ ो गक अशां त दे ख ी गई। इस अव ध म एसए
डांगे मुज फर अहमद पीसी जोशी सोहन सह जोशी आ द जैसे नेता के साथ व भ
क यु न ट समूह का टलीकरण भी दे ख ा गया।

चरमपंथी भाव के तहत े ड यू नयन आंदोलन क बढ़ती ताकत से च तत होकर


सरकार ने वधायी तबंध का सहारा लया। इसने सावज नक सुर ा अ यादे श और
ापार ववाद अ ध नयम ट डीए पा रत कया। ट डीए
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मज र वग का आंदोलन

• के यायालय क नयु अ नवाय कर द गयी


औ ो गक ववाद के नपटारे के लए पूछताछ और परामश बोड

• डाक रेलवे पानी और बजली जैसी सावज नक उपयो गता सेवा म हड़ताल को
अवैध बना दया गया जब तक क हड़ताल पर जाने क योजना बना रहे येक
कमचारी ने शासन को एक महीने क अ म सूचना नह द • जबरद ती या पूरी
तरह से राजनी तक कृ त क े ड यू नयन ग त व ध और यहां तक क
सहानुभू तपूण हड़ताल पर भी रोक लगा द गई।

मेरठ षडयं के स
माच म सरकार ने मक नेता को गर तार कर लया और साढ़े तीन साल क
सुनवाई के प रणाम व प मुज फर अहमद एसए डांगे जोगलेक र फ लप ैट बेन ैडली
शौकत उ मानी और अ य को दोषी ठहराया गया। इस मुक दमे को नया भर म चार मला
ले कन मज र वग का आंदोलन कमजोर हो गया।

मक ने के दौरान स वनय अव ा आंदोलन म भाग लया ले कन के


बाद मक वग के आंदोलन म गरावट आई य क म वभाजन आ जसम एनएम
जोशी के नेतृ व म कॉप रेटवाद वृ ने AITUC से अलग होकर अ खल भारतीय े ड यू नयन
क ापना क । फे डरेशन. म क यु न ट पुनः AITUC म शा मल हो गये।

अब वाम मोच म क यु न ट कां ेसी समाजवाद और नेह और सुभाष जैसे वामपंथी रा वाद
शा मल थे।

के चुनाव के दौरान कां ेस मं ालय के तहत


AITUC ने कां ेस उ मीदवार का समथन कया था। ांत म कां ेस सरकार ने े ड यू नयन
ग त व ध को बढ़ावा दया। कां ेस मं ालय आम तौर पर मक क मांग के त सहानुभू त
रखते थे। मक के हत म अनेक कानून पा रत कये गये।

के दौरान और उसके बाद


तीय व यु

ारंभ म मज र ने यु का वरोध कया ले कन के बाद जब


स म रा सा यवा दय क ओर से यु म शा मल आ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

यु को जनता का यु बताया और इसका समथन कया। क यु न ट ने भारत छोड़ो


आ दोलन से वयं को अलग कर लया। क यु न ट ारा औ ो गक शां त क नी त क
वकालत क गई थी।

से क अव ध म मक ने यु ो र रा ीय व ोह म स य प से
भाग लया। म बंबई और कलक ा के गोद मक ने इंडोने शया म यु रत सै नक
को आपू त ले जाने वाले जहाज को लोड करने से इनकार कर दया। के दौरान
कमचारी नेवल रे ट स के समथन म हड़ताल पर चले गये।

वदे शी शासन के अं तम वष के दौरान डाक रेलवे और कई अ य त ान के कमचा रय


ारा हड़ताल क ग ।

आज़ाद के बाद
मज र वग का आंदोलन राजनी तक वचारधारा के आधार पर ुवीकृ त हो गया।
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एनआईट ए स

वतं ता और

बाद
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

के सामने चुनौ तयाँ


नवजात रा

आज़ाद भारत का पहला दन


अग त को एक ऐसे युग क शु आत ई जसने भारत क औप नवे शक अधीनता
को समा त कर दया और एक नए भारत क आशा क एक वतं दे श के प म भारत।
अग त को रात बजे भारत क सं वधान सभा क बैठक ई। स क अ य ता
राज साद ने क । अग त क आधी रात को सं वधान सभा संसद भवन म
म आयो जत एक समारोह म जवाहरलाल नेह ने वतं भारत के पहले धान मं ी के पम
बोलते ए अपना ऐ तहा सक भाषण दया। नेह ने कहा ब त साल पहले हमने नय त के
साथ वादा खलाफ क थी और अब समय आ गया है जब हम अपनी त ा को पूरा करगे
पूरी तरह से नह ब क काफ हद तक। आधी रात के समय जब नया सो रही होगी भारत
जीवन और वतं ता के लए जागेगा...

अग त को भारत के धान मं ी के प म जवाहरलाल नेह ने द ली म


लाल कले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय रा ीय वज फहराया।

आजाद के बाद पहला मं मंडल गवनर जनरल और मं य को


शपथ दलाई गई।
जवाहरलाल नेह ने अग त को भारत के पहले धान मं ी के प म कायभार
संभाला और उ ह अ य सद य ारा सहायता दान क गई। सरदार पटे ल ने उप धान
मं ी के प म काय कया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दसंबर म उनक मृ यु तक। लॉड माउं टबेटन और बाद म सी. राजगोपालाचारी ने


जनवरी तक गवनर जनरल के प म काय कया जब भारत एक गणतं बन गया
और राज साद को अपना पहला रा प त चुना गया।

वतं भारत क थम मं प रषद इस कार थी।

. जवाहरलाल नेह धान मं ी वदे श एवं रा मंडल संबंध मं ी वै ा नक अनुसंधान


मं ी . सरदार व लभभाई पटे ल उप धान मं ी गृह एवं रा य मं ी सूचना एवं
सारण मं ी

. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद श ा मं ी . जॉन मथाई रेलवे और प रवहन मं ी


. सरदार बलदे व सह र ा मं ी . जयरामदास दौलतराम खा और कृ ष मं ी .
जगजीवन राम म मं ी . सीएच भाभा वा ण य मं ी . अमृत कौर
वा य मं ी . रफ अहमद कदवई संचार मं ी . नरहर व णु गाड गल काय
खान और
बजली मं ी

. आरके शनमुख म चे व मं ी . के सी नयोगी राहत और पुनवास मं ी


. बीआर अंबेडकर कानून मं ी अनुसू चत जा त महासंघ से संबं धत म
इ तीफा दे दया

. यामा साद मुख ज उ ोग और आपू त मं ी ह महासभा अ ैल म


कै बनेट से इ तीफा दे ने वाले पहले

. नर स हा गोपाल वामी अयंगर बना वभाग के मं ी क सरकार और पूव पंज ाब


सरकार के मं मंडल के बीच एक कड़ी के प म काय करने का काय स पा गया
. मोहनलाल स सेना बना वभाग के मं ी
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

हालाँ क वतं भारत को कई चुनौ तय का सामना करना पड़ा।

ता का लक चुनौ तयाँ रयासत का े ीय और शास नक एक करण सां दा यक


दं गे पा क तान से आए लगभग लाख शरणा थय का पुनवास भारत म रहने वाले
मुसलमान के साथ साथ पा क तान जाने वाले मुसलमान क सां दा यक गरोह से सुर ा
पा क तान के साथ यु से बचने क ज रत क यु न ट व ोह वगैरह।

म यम अव ध क चुनौ तयाँ भारत के लए सं वधान का नमाण एक त न ध


लोकतां क और नाग रक वतं तावाद राजनी तक व ा का नमाण चुनाव और कृ ष म
सामंती व ा का उ मूलन आ द।

द घका लक चुनौ तयाँ रा ीय एकता


आ थक वकास गरीबी उ मूलन आ द।
भारत के साथ साथ पा क तान को भी वभाजन के प रणाम का सामना करना पड़ा।
वतं ता अ ध नयम ने तीन मुख सम या के समाधान के लए या नधा रत क थी i
दोन दे श के बीच सीमा का नपटान ii भारतीय स वल सेवा और कु छ अ य सेवा के
तं और क मय का वभाजन और iii सै य संप य और संरचना का वभाजन।

रैड लफ का सीमा पुर कार और


सां दा यक दं गे
वभाजन योजना के अनुसार पंज ाब और बंगाल क संबं धत वधान सभा क दो खंड म
बैठक ई एक मु लम ब ल जल का और सरा ांत के बाक ह स का त न ध व करता
है और दोन ांत के वभाजन के प म साधारण ब मत से नणय लया गया। प मी पंज ाब
जो पा क तान म चला गया उसे वग मील े और . म लयन लोग जनगणना
ा त ए जनम से . म लयन मु लम थे। पूव पंज ाब भारत का ह सा को
वग मील भू म े ा त आ जसक जनसं या . म लयन थी जनम से
. म लयन मु लम थे। इसी तरह प म बंगाल वग मील के े और .
म लयन क आबाद के साथ भारत का ह सा बन गया जनम से . म लयन थे।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

मुसलमान. पूव बंगाल जो पूव पा क तान का गठन करता था को वग मील े


और . म लयन लोग . म लयन मु लम और बाक गैर मु लम मले। इस कार
रैड लफ रेख ा के दोन कनार पर आबाद का एक बड़ा ह सा अ पसं यक धम के आधार
पर बन गया पा क तान म म लयन गैर मु लम और म लयन बाद म घटकर
म लयन हो गए।

भारत म मुसलमान.

सीमा आयोग के सम चुनौ तयाँ टश सरकार ने बेतुक


ज दबाजी म सर स रल
रैड लफ क अ य ता म सीमा आयोग क नयु क।

सीमा आयोग म येक मामले म दो मु लम और दो गैर मु लम यायाधीश शा मल थे और


गंभीर बाधा के तहत काम कया। रैड लफ को भारत के बारे म ब त ही सी मत जानकारी
थी और पुराने न और जनगणना साम य का उपयोग करते ए छह स ताह क अव ध
के भीतर सीमाएँ ख चने और ववा दत ब पर नणय लेने क आव यकता थी।

य प धा मक जनसां यक नणायक कारक थी अ य कारक जैसे क ाकृ तक


सीमाएँ शास नक इकाइयाँ आ थक वहायता रेलवे और सड़क माग कने ट वट और
नहर णाली जैसी अ य बु नयाद सु वधाएँ को भी यान म रखा जाना था। तीसरे प के प
म सख ह और मु लम दो प थे जनसां यक प से पूरे पंज ाब म बखरे ए थे।

उनक मांग थी क सभी सख प व तीथ ल को पूव पंज ाब भारत का ह सा म शा मल


कया जाए जससे त और ज टल हो गई। ऐसी कानूनी पेचीद गय के सामने तकसंगत
कोण ने राजनी तक वचार का माग श त कया। नणय का आधार क जनगणना
भी दोषपूण थी। इस लए प रणामी सीमा रेख ाएँ न त प से कई सम याएँ पैदा करगी और
कई लोग को खी करगी।

सीमा आयोग क रपोट अग त तक तैयार हो गई थी ले कन लॉड माउं टबेटन ने


जानबूझ कर इसे अग त के बाद सावज नक कया ता क प रणाम सां दा यक दं ग और
उसके प रणाम क ज मेदारी अं ेज पर न पड़े।
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ


या पर वचार करने म टश सरकार क व त वफलता
भारत म स ा के कसी भी नयो जत ह तांतरण के लए तैयारी का तीक है
इस त य से क वह रैड लफ क पृ भू म और अभाव का था
अनुभव वह आने से पहले कभी ज ा टर के पूव म नह गया था
भारत को को इस तरह क शु आत करने के लए कहा जाना चा हए था
दन म ब त दे र से मौ लक काय।
वा टर रीड रखते ए गहना म ताज

समय ान और समझ क सीमा के साथ यह था


अ सर मह वपूण चीज से पया त प से नपटना लगभग असंभव है
सीमा रेख ा के सहायक उपकरण जैसे नहर का ान
वयं नहर के संबंध म हेड वॉटर संचार
सड़क और रेल ारा म त या पृथक आबाद का भा य और
चरागाह भू म के ान जैसी अ य सम याएं
ामीण क भेड़ बक रय और झु ड से संबंध।
प सवल ीयर

उ ह ने रेड लफ सचाई नहर और पानी का हसाब लेने क को शश क


आपू त ता क म य पंज ाब म पया त पानी हो
ले कन जस पैमाने पर वह काम कर रहा था वह इसके लए बा य था
ग तयां करते ह। य द गांव को सीमा से वभा जत नह कया जाता तो वे
ामीण के खेत रेलवे टे शन से अलग कर दए गए
जन क ब म उ ह ने सेवा क और जन समुदाय म उ ह ने संसाधन का उपयोग कया
जस पर उ ह भरोसा था.
वा टर रीड रखते ए गहना म ताज

उ ह ब कु ल कोई अवधारणा नह थी। उ ह ने मुझ से आने को कहा


म और उनके लए यह चप चपा काम कर और जब मने यह कया था तो उ ह ने
इस से नफरत क गई। ले कन इन प र तय म वे या उ मीद कर सकते थे
न त प से उ ह एक बार एहसास हो गया होगा क उनके साथ या होने वाला है
उ ह ने वभाजन का फै सला कर लया था. ले कन उ ह ने ब कु ल बनाया था
त से नपटने क कोई योजना नह .
रेड लफ लयोनाड मो ले ारा उ त
अं तम दन का ीटै न का राज

जस कार टश सरकार ने नणय लया


सीमा का सीमांक न कर और अशां त के बीच दे श छोड़ द
यह वहार करने का सबसे संवेदनहीन तरीका था।

दं ग से सवा धक भा वत े
ले कन सां दा यक दं गे अग त म ही शु हो गए थे
वभाजन और वतं ता क घोषणा के साथ
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

त और अ धक उ हो गई. जन े से होकर रैड लफ़ रेख ा ख ची गई थी वे े सबसे


अ धक हसक हो गए और सबसे अ धक सं या म ह याएँ बला कार और म हला और ब
का अपहरण आ। सख और ह और मुसलमान के सश गरोह पंज ाब के शहर और
ामीण इलाक म घूमते रहे और अ व सनीय अपराध करते रहे।

सीमा के दोन ओर वनाश का यु शु कया गया था जब शरणाथ गा ड़य के आने


क सूचना मली थी जनम कभी कभी के वल शव भी होते थे। एक अनुमान के अनुसार
लगभग लोग मारे गए प म से और पूव से ।

गांधीजी क उप त और उनके उपवास के यास के कारण बंगाल के े म


पंज ाब क तुलना म कम हसा का अनुभव आ।

पंज ाब का बदला लेने के लए मुसलमान के नरसंहार के साथ द ली म दं गे शु हो


गए गांधीवाद उपवास का अ ायी भाव पड़ा ।
बहार म वभाजन से पहले अ टू बर म कृ ष सम या से यान हटाने के
लए क थत तौर पर ह जम दार ारा उकसाए गए ह कसान ने मुसलमान क ह या कर
द थी। इसके बाद संयु ांत के गढ़मु े र म हसा ई जहां ह तीथया य ने हजार
मुसलमान को मार डाला। ले कन वभाजन के बाद गांधीजी क पहल के कारण इन े म
कोई नरसंहार नह आ।

इतने सारे लोग य हताहत ए गवनर जनरल ने दं ग के खतरे का अनुमान लगाया


और लोग क एक सीमा बल इक ा कया। ले कन इस मामले म टश सै नक को
अनुम त न दे ने का नेह का नणय वनाशकारी सा बत आ सीमा बल वयं सां दा यक
संब ता म वभा जत हो गया।

इसके अलावा यूरोपीय अ धकारी भारत छोड़ने क तैयारी म त थे। भारतीय सेना के
कमांडर इन चीफ लॉकहाट अग त दसंबर के अनुसार य द नाग रक और
सश सेवा के सभी क मय को उनके संबं धत नए दे श म रखा गया होता तो ापक
अ व ा नयं ण म होती।
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

संसाधन के वभाजन से जुड़ी चुनौ तयाँ

भारत के वभाजन के साथ साथ नाग रक सरकार के संसाधन के वभाजन के साथ साथ सै य
बल और उपकरण का भी वभाजन आ।

नाग रक सरकार का भाग


नाग रक सरकार के वभाजन को सौहादपूण ढं ग से हल करने के लए एक वभाजन प रषद
क ापना क गई जसक अ य ता गवनर जनरल ने क और इसम भारत और पा क तान
के दो दो त न ध शा मल थे। प रषद को संचालन तर पर एचएम पटे ल और मोह मद अली
क सद यता वाली एक संचालन स म त से मदद मली। सभी स वल सेवक को उस डो म नयन
के बारे म अपना वक प दे ने क पेशकश क गई जहां वे सेवा करना चाहते थे। लगभग
कमचा रय ने भारत से पा क तान या पा क तान से भारत म ानांतरण का
वक प चुना।

भारतीय स वल सेवा के क मय के लए यूरोपीय और भारतीय के बीच अंतर कया


गया था।
भारतीय सद य को सेवा के मौजूदा पैमाने पर अपनी पसंद के दे श भारत या पा क तान म
सेवा जारी रखनी थी। यूरोपीय अ धकारी अपने मौजूदा वेतन छु पशन अ धकार आ द पर
सेवा म बने रह सकते थे ले कन य द वे सेवा नवृ होना चाहते थे तो वे वशेष मुआ वजे और
शी सेवा नवृ के हकदार थे।

व का वभाजन नकद शेष के वभाजन


के साथ साथ सावज नक ऋण के आवंटन ने दोन दे श के बीच तनाव पैदा कर दया।
पा क तान कु ल नकद शेष का एक चौथाई ह सा चाहता था ले कन भारत को यह बताना
पड़ा क नकद शेष का के वल एक छोटा सा ह सा ही अ वभा जत भारत क वा त वक नकद
ज रत को दशाता है और बाक को के वल मु ा त वरोधी तं के प म बनाए रखा गया
था।

रामच गुहा ने इं डया आ टर गांधी म लखा है क भारत सरकार ने ट लग बैलस म


पा क तान का ह सा रोक लया था जो दोन टश को संयु प से दे ना था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

डो म नय स तीय व यु म भारतीय के योगदान के कारण लया गया ऋण। यह रकम


करीब करोड़ पये थी. भारत सरकार पा क तान को दे य धनरा श जारी करने क इ ु क
नह थी य क वह बलपूवक क मीर को ह थयाने के यास के कारण पा क तान से नाराज़
थी। गांधीजी ने इसे अनाव यक प से े षपूण होने के प म दे ख ा। वह अनशन पर बैठ गये
और अनशन के समापन म पा क तान को बकाया धन के ह तांतरण क शत लगा द । वह
पा क तान को अ धक नकद संसाधन दे ने के नणय के लए कां ेस नेतृ व पर दबाव डालने म
सफल रहे। कु छ व ान के अनुसार यह एक ह क रपंथी ारा गांधी क ह या का एक
कारण बना ।

र ा का मक और उपकरण का भाग सश बल और उनके संयं

मशीनरी उपकरण
और भंडार के सुचा वभाजन के लए एक संयु र ा प रषद क ापना क गई जसके
सव कमांडर औ चनलेक थे। प रषद ने नणय लया क मु लम ब ल इकाइय को
पा क तान और गैर मु लम इकाइय को भारत म ानांत रत कर दया जाना चा हए ले कन
दोन प के बीच गंभीर मतभेद के कारण सव कमांडर का पद समा त कर दया गया।
गंभीर अराजकता के बीच टश सै नक ने अग त से भारत छोड़ना शु कर
दया और यह या फरवरी तक पूरी हो गई।

गांधी जी क ह या

जनवरी क शाम को जब वह बड़ला हवेली नई द ली म अपनी सामा य ाथना


सभा कर रहे थे नाथूराम गोडसे ने महा मा गांधी क गोली मारकर ह या कर द थी। इस घटना
ने पूरे दे श म सदमे क लहर दौड़ा द । सा दा यकता और रा वाद क गलत ा या दो मूलभूत
कारक थे जनके भाव म आकर गोडसे ने गांधी क ह या क ।

ऑल इं डया रे डयो पर रा को संबो धत करते ए नेह ने उस समय क मनोदशा


और भावना को सं ेप म बताया हमारे जीवन से रोशनी चली गई है और हर जगह अंधेरा है...

सबसे अ ाथना जो हम उनसे और उनक मृ त म कर सकते ह वह यह है क हम वयं को स य


और उस उ े य के त सम पत कर द जसके लए हम सम पत ह
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

हमारे महान दे शवासी जी वत रहे और जसके लए उनक मृ यु ई।


सरदार पटे ल ने लोग से अपील क क वे बदला न ल ब क गांधीजी के ेम और
अ हसा के संदेश का पालन कर।
उ ह ने कहा यह हमारे लए शम क बात है क नया के सबसे महान को हमारे ारा
कए गए पाप क क मत अपनी जान दे क र चुक ानी पड़ी। जब वह जी वत थे तो हमने उनका
अनुसरण नह कया आइए कम से कम हम उनके न ेक दम पर चल अब वह मर चुके ह।

नाथूराम गोडसे पर मुक़ दमा चलाया गया और मौत क सज़ा सुनाई गई। अपने मुक़ दमे
म उ ह ने घोषणा क क गांधी ारा लगातार मुसलमान को बढ़ावा दे ने के कारण उ ह ने वैसा
ही कया जसका समापन उनके अं तम मु लम समथक उपवास म आ जसने आ ख़रकार
मुझ े इस न कष पर प ँचाया क गांधी के अ त व को ख़ म कया जाना चा हए तुरंत ख़ म
करो।

फरवरी को सरकार ारा रा ीय वयंसेवक संघ आरएसएस पर तबंध


लगा दया गया था। सरकार को यह महसूस आ क आरएसएस जस द णपंथी उ वाद का
त न ध व करता है वह दे श क एकता के लए ब त हा नकारक होगा। हालाँ क यह संगठन
सीधे तौर पर गांधी क ह या म शा मल नह था ले कन पंज ाब हसा म इस संगठन का हाथ
दे ख ा गया था। इसने कई शरणा थय का समथन भी आक षत कया। यह भी अफवाह थी क
आरएसएस के सद य ने गांधी क मृ यु का ज मनाया था। नेह का मानना था क
आरएसएस जैसे समूह के हाथ महा मा गांधी का खून ह भले ही उ ह ने उनक ह या से खुद
को अलग कर लया हो। जुलाई म तबंध हटा लया गया जब आरएसएस ने सरकार
ारा नधा रत शत को वीकार कर लया। ये शत थ क संघ खुद को सां कृ तक ग त व धय
तक ही सी मत रखेगा और राजनी त म ह त ेप नह करेगा हसा और गोपनीयता के अपने
एजडे को याग भारतीय सं वधान और वज तरंगा के त सावज नक प से न ा
करना और खुद को लोकतां क स ांत पर संग ठत कर।

का पुनवास एवं पुन ापन

शरणा थय
वभाजन से व ा पत लोग इस अथ म शरणाथ थे क उ ह ने वे ा से अपने घर नह छोड़े
थे। दो नये
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सरकार ने जनसं या के व त आदान दान का आयोजन नह कया। शरणा थय का


पुनवास दोन सरकार भारत और पा क तान के लए त काल चुनौती बन गया। भारत सरकार
ने द ली म संक ट से नपटने के लए कै बनेट क एक आपातकालीन स म त और शरणा थय
क दे ख भाल के लए राहत और पुनवास मं ालय क ापना क । व ा पत लोग क बड़े
पैमाने पर आमद को दे ख ते ए पा क तान के लए रवाना ए लोग क भ व य म वापसी के
लए सरकार ारा संर त क जाने वाली नकासी संप क धारणा एक खोखली बयानबाजी
बन गई य क शरणा थय को मजबूर करना लगभग असंभव था। मुसलमान के खाली घर म
बस गये।

इससे बाद म शरणा थय क वापसी असंभव हो गई ।

पूव पंज ाब म कु छ
शरणा थय को अ ायी प से शरणाथ श वर म ठहराया गया था जो तक चलाए
गए थे। शहरी शरणा थय के लए सरकार ने औ ो गक और ावसा यक श ण योजनाएं
शु क और यहां तक क छोटे वसाय या उ ोग शु करने के लए अनुदान भी दया गया।
ामीण शरणा थय को भू म कृ ष ऋण और आवास स सडी द गई। हालाँ क रा य सरकार
और क सरकार ने बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाए ले कन यह अभी भी पया त नह था और
इस तरह के लाभ के लए अलग अलग अ धकार क एक सामा य वृ दे ख ी गई थी।
उदाहरण के लए सामा जक और सां कृ तक पूंज ी वग और जा त क त और राजनी तक
संबंध वाले शरणा थय को अ सर बेहतर सौदा मलता था जब क दबे ए वग पर ब त कम
या कोई वचार नह कया जाता था।

बंगाल
बंगाल म सम या कह अ धक ल बी एवं ज टल थी। तक उ जा त जम दार या
म यम वग के ह का के वल एक छोटा समूह गत तर पर संप या नौक रय के
आदान दान क व ा करके प म बंगाल म ानांत रत आ। ले कन दसंबर और
जनवरी के दौरान खुलना म हसा के ताजा कोप के कारण बड़ी सं या म कसान ने
पूव पा क तान छोड़ना शु कर दया। तशोध म मु लम वरोधी दं गे शु हो गये
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

फरवरी और लगभग दस लाख मुसलमान को प म बंगाल छोड़ने के लए मजबूर


कया गया। इससे पूव पा क तान म ह वरोधी हसा और बढ़ गई और तक लगभग
लाख ह शरणाथ प म बंगाल आ गए। ले कन भारत सरकार ने इन वा सय को
शरणाथ के प म मा यता नह द और नेह ने उ ह वापस भेज ने क को शश क ।

अ पसं यक पर द ली समझौता
शरणा थय क सम या को हल करने और दोन दे श म वशेषकर बंगाल पूव पा क तान
के साथ साथ प म बंगाल म सां दा यक शां त बहाल करने के लए भारतीय धान मं ी
जवाहरलाल नेह और पा क तानी धान मं ी लयाकत अली खान ने अ ैल म एक समझौते
पर ह ता र कए। . यह समझौता जसे अ पसं यक पर द ली समझौता या
लयाकत नेह समझौता के नाम से जाना जाता है म पा क तान और भारत दोन म क य
और ांतीय दोन तर पर अ पसं यक समुदाय से मं य क नयु क प रक पना क
गई थी। समझौते के तहत सीमा के दोन ओर बंगाल म सां दा यक दं ग के पीछे संभा वत
कारण क जांच करने और ऐसी घटना क पुनरावृ को रोकने के लए कदम क सफा रश
करने के लए जांच आयोग के साथ अ पसं यक आयोग क ापना क जानी थी।

समझौते के तहत भारत और पा क तान पूव पा क तान और प म बंगाल के मं मंडल म


अ पसं यक समुदाय के त न धय को शा मल करने पर भी सहमत ए और येक सरकार
से एक दो क य मं य को भा वत े म यथासंभव अव ध तक रहने के लए नयु करने
का नणय लया। ज़ री।

समझौते म एक एजसी के नमाण का ावधान था जसे अप त म हला को


बरामद करने और पुनवास करने का काम स पा गया था इस वचार क कई व ान ने
आलोचना क थी ।
शरणा थय को अपने मूल घर म लौटने के लए ो सा हत करने का वचार वफल रहा य क
दोन सरकार शरणा थय के बीच व ास बहाल करने म वफल रह । इसके अलावा शरणा थय
क संप य को श ु संप घो षत कर दया गया भारत ने म श ु संप अ ध नयम
म भी संशोधन लाया ।

लयाकत नेह सं ध के ावधान क यामा साद मुख ज और के सी नयोगी जैसे


ह रा वा दय ने कड़ी आलोचना क थी। मुख ज ने इ तीफा दे दया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नेह कै बनेट ने इसका वरोध कया य क उनका मानना था क शरणाथ सम या का


समाधान के वल जनसं या के ानांतरण और पा क तान से भारत आए लोग के पुनवास के
लए कु छ े के अ ध हण के मा यम से कया जा सकता है।

भारत म शरणाथ ब तय के क द ली म लाजपत नगर रा जदर नगर पंज ाबी


बाग नज़ामु न पूव और क सवे कप कु छ ऐसे े थे ज ह शरणा थय को ायी प से
बसाने के लए आवास प रसर म वक सत कया गया था। प मी पा क तान से आए लोग
पंज ाब जसम उस समय वतमान ह रयाणा भी शा मल था और हमाचल दे श जैसे रा य म
बस गए। सधी ह गुज रात महारा राज ान और म य दे श म बस गए।

महारा म उ हासनगर खुशी का शहर वशेष प से सध े से आए शरणा थय को बसाने


के लए वक सत कया गया था।
प म बंगाल असम पुरा और अ य उ र पूव रा य ने पूव पा क तान वतमान
बां लादे श से आए शरणा थय को आ य दया। सरकार ने कु छ शरणा थय को अंडमान प
समूह म भी बसाया वतमान म अंडमान प समूह के कु छ ह स म बंगाली सबसे बड़ा भाषाई
समूह ह ।

क यु न ट और वतं ता
सतंबर को द ण भारत म कानून और व ाक त बनाए रखने के बहाने
भारतीय सेना ने ह त ेप कया और नज़ाम के ब त अ धक तरोध के बना हैदराबाद पर
नयं ण कर लया। ले कन क यु न ट के नेतृ व म ए तेलंगाना आंदोलन के कारण हैदराबाद
क आंत रक राजनी त ज टल हो गई। हैदराबाद के भारत म वलय से पहले ही कां ेस और
क यु न ट के बीच गठबंधन टू ट गया था।

दसंबर म भारतीय क यु न ट पाट सीपीआई ने ये आज़ाद झूठ है के


नारे के साथ भारतीय वतं ता को नकली करार दया था और नेह के नेतृ व वाली कां ेस
सरकार को एं लो अमे रक सा ा यवाद क कठपुतली करार दया था। दे श के अंदर जो सामंती
ताकत ह. फरवरी माच म कलक ा म अपनी सरी कां ेस म सीपीआई ने अपनी
राजनी तक थी सस को अपनाया जसे औपचा रक प से घो षत कया गया
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नवो दत रा के सम चुनौ तयाँ

अग त को ा पत रा ीय सरकार वा तव म भारतीय लोग क मुख मन थी


और इस लए इसे सामा य ां त के मा यम से बदलने क आव यकता थी। इस ल य को ा त
करने के लए क यु न ट नेता ने लोक य प से बीट रण दवे लाइन सीपीआई के
त कालीन महास चव के नाम पर का पालन करने का फै सला कया। उ ह ने घोषणा क
वतमान रा य को लोग के लोकतां क गणरा य ारा त ा पत कया जाएगा मक
कसान और उ पी ड़त म यम वग का एक गणरा य। क यु न ट व ोह भारत के अ य
ह स वशेषकर प म बंगाल म फै ल गया जसम तेभागा आंदोलन का पुन ार और
कलक ा म शहरी व ोह दे ख ा गया।

क यु न ट आज़ाद को लेक र सशं कत य थे

. उनका मानना था क वभाजन के बाद दे श म फै ली सां दा यक नफरत क


राजनी त से जनता का यान हटाने के लए कां ेस ारा संचा लत रा य के खलाफ वग संघष
और सश व ोह क नी त आव यक थी।

. के दशक के अंत और के दशक क शु आत म चीन मलाया


इंडोने शया फलीप स और बमा यांमार जैसे ए शयाई दे श म क यु न ट सफलताएँ दे ख ी
ग । सत बर म स ने अपने ए क घोषणा क । दानोव थी सस माशल योजना
के उ र के प म अंतरा ीय क यु न ट पा टय क ओर से अ धक स यता को ो सा हत
करती है। इस कार भारतीय क यु न ट ने सश व ोह के लए कमर कस ली।

. रामच गुहा के अनुसार तेलंगाना आंदोलन क शु आती सफलता से उ सा हत


सीपीआई नेतृ व ने कां ेस के त बखरे ए मोहभंग को ां तकारी मता के प म गलत
समझा और इसे लाल भारत क शु आत माना।

वरोधी रणनी त से ानांत रत कर


संवैधा नक लोकतं
क यु न ट आंदोलन हैदराबाद और प म बंगाल म ानीयकृ त रहा। जन समथन छटपुट था
और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सशत य क लोग आज़ाद के तुरंत बाद कां ेस को अ वीकार करने के लए तैयार नह थे।
सरकार ने भी कड़ी कारवाई करने का फै सला कया जब क हैदराबाद े म भारतीय
सश बल ने अपनी पु लस कारवाई जारी रखी प म बंगाल म माच म सीपीआई
पर तबंध लगा दया गया और जनवरी म क यु न ट नेता को बना मुक दमे के जेल म
डालने के लए एक सुर ा अ ध नयम पा रत कया गया। क यु न ट नेतृ व के भीतर चीनी
लाइन और सी लाइन पर वभाजन थे जो मई को ता वत रेलवे हड़ताल क
वफलता के बाद ापक हो गए।

सतंबर म अजय घोष एसए डांगे और एसवी घाटे जैसे मुख क यु न ट


नेता ने अपनी दोषपूण रणनी तय और वतं भारत क स ी त वीर पर यान दे ने म
वफलता के लए संगठन क आलोचना क । नतीजतन अ टू बर म कलक ा म
आयो जत सीपीआई क तीसरी पाट कां ेस म इसक नी त म एक मह वपूण बदलाव का
समथन कया गया।

इसने तेलंगाना आंदोलन को वापस लेने और कसान मक और म यम वग का एक


समावेशी मोचा बनाने का नणय लया। प रणाम व प सरकार ारा तबंध हटा दया
गया और भारतीय क यु न ट ने के आम चुनाव म भाग लया और इस कार
व ोहवाद माग से संवैधा नक लोकतं के माग पर आगे बढ़े ।
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भारतीय रा य

भारतीय रा य

रयासत ज ह भारतीय रा य भी कहा जाता है जनका कु ल े फल वग मील था


और उनक सं या से कम नह थी उनम के वल य क आबाद वाले बलबारी
जैसे छोटे रा य और हैदराबाद जैसे कु छ बड़े रा य शा मल थे। इटली के पम म लयन
क आबाद के साथ।

ई ट इं डया कं पनी ने वजय क या म मह वपूण तट य इलाक महान नौग य न दय क


घा टय और ऐसे इलाक का अ ध हण कया जो कृ ष उ पाद से समृ थे और समृ लोग
ारा घनी आबाद वाले थे जब क आम तौर पर भारतीय रा य गम थे। और भारतीय
ाय प के कम उपजाऊ े ।

भारतीय रा य का नमाण काफ हद तक उ ह प र तय से संचा लत आ जसके


कारण भारत म ई ट इं डया कं पनी क श म वृ ई। टश स ा और रा य के बीच
संबंध के वकास का पता न न ल खत ापक चरण के तहत लगाया जा सकता है।

I. अधीनता क त से समानता के
लए कं पनी का संघष

म डु ले स के आगमन के साथ एं लो ांसीसी त ं ता से शु होकर ई ट इं डया


कं पनी ने आक ट पर क जा करने के साथ राजनी तक पहचान पर जोर दया।
म लासी क लड़ाई के साथ ई ट इं डया कं पनी ने राजनी तक अ ध हण कर लया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

बंगाल के नवाब के बाद सरे ान पर स ा। म बंगाल बहार और उड़ीसा क द वानी


के अ ध हण के साथ ई ट इं डया कं पनी एक मह वपूण राजनी तक श बन गई।

तीय. रग फस क नी त
यह नी त मराठ और मैसूर के खलाफ वॉरेन हे ट स के यु म प रल त ई और इसका
उ े य कं पनी क सीमा क र ा के लए बफर जोन बनाना था। मु य खतरा मराठ और
अफगान आ मणका रय से था कं पनी ने बंगाल क सुर ा क र ा के लए अवध क र ा
को व त करने का बीड़ा उठाया ।

वेले ली क सहायक गठबंधन क नी त रग फस का व तार थी जसका उ े य भारत म


रा य को टश सरकार पर नभरता क त म कम करना था। हैदराबाद अवध और
मराठ जैसी मुख श य ने सहायक गठबंधन वीकार कर लया। इस कार टश वच व
ा पत हो गया।

तृतीय. अधीन अलगाव क नी त

अब शाही वचार बढ़ गया और सव प रता का स ांत वक सत होने लगा भारतीय रा य


को टश सरकार के साथ अधीन सहयोग म काय करना था और उसक सव ता को
वीकार करना था। रा य ने सभी कार क बाहरी सं भुता को याग दया ले कन आंत रक
शासन म सं भुता बरकरार रखी। टश रे जडट् स को एक वदे शी श के राजन यक एजट
से एक बेहतर सरकार के कायकारी और नयं क अ धका रय म बदल दया गया था।

म चाटर अ ध नयम ने कं पनी के वा ण यक काय को समा त कर दया भले


ही इसने राजनी तक काय को बरकरार रखा।
इसने उ रा धकार के सभी मामल के लए पूव अनुमोदन मंज ूरी पर जोर दे ने क था को
अपनाया। म नदे शक मंडल ने जहां भी और जब भी संभव हो रा य को जोड़ने के
लए दशा नदश जारी कए। वलय क इस नी त क प रण त डलहौजी ारा आठ रा य को
हड़पने के प म ई जनम सतारा और नागपुर जैसे कु छ बड़े रा य भी शा मल थे।
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भारतीय रा य

चतुथ. अधीन संघ क नी त

वष म ाउन ारा य ज मेदारी हण क गयी। के व ोह के दौरान रा य


क वफादारी और भ व य के राजनी तक तूफ ान म ेक वॉटर के प म उनके संभा वत
उपयोग के कारण वलय क नी त को छोड़ दया गया था।

नई नी त सज़ा दे ने या पद युत करने क थी ले कन वलय करने क नह ।


के बाद मुगल बादशाह क स ा क क पना समा त हो गई उ रा धकार के सभी
मामल के लए ाउन से मंज ूरी क आव यकता थी य क ाउन न ववाद शासक और
सव प र श के प म सामने आया था। अब शासक को ग अ धकार के प म नह
ब क सव प र स ा से उपहार के प म वरासत म मली य क वतं सं भु रा य के
प म ताज के साथ समानता क त म खड़े भारतीय रा य क क पना रानी ारा क
उपा ध अपनाने के साथ समा त हो गई । कै सर ए ह द भारत क महारानी । ाउन क
सव प र सव ता का ता पय रा य क अधीनता से था। टश सरकार ने रा य के
आंत रक े म ह त ेप करने के अ धकार का योग कया आं शक प से राजकु मार
के हत म आं शक प से लोग के क याण के हत म आं शक प से टश वषय और
वदे शय के लए उ चत त सु न त करने के लए और आं शक प से संपूण के हत
म। भारत।

संचार म आधु नक वकास रेलवे सड़क टे ली ाफ नहर डाकघर ेस और


जनता क राय से टश सरकार को इस अ त मण म और मदद मली। भारत सरकार
अंतररा ीय मामल म पूण और न ववाद नयं ण रखती थी यह रा य के लए यु शां त
या तट ता क घोषणा कर सकती थी। म बटलर आयोग के अनुसार अंतरा ीय
संबंध के योजन के लए रा य े टश े के समान त म है और रा य वषय
टश वषय के समान त म ह।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कज़न का कोण कज़न ने पुरानी


सं धय क ा या को इस अथ म बढ़ाया क राजकु मार को लोग के सेवक के प म भारत
सरकार क योजना म गवनर जनरल के साथ कं धे से कं धा मलाकर काम करना चा हए। उ ह ने
संर ण और घुसपै ठया नगरानी क नी त अपनाई। उनका मानना था क रा य और सरकार
के बीच संबंध न तो सामंती थे और न ही संघीय ब क एक कार के थे जो कसी सं ध पर
आधा रत नह थे ब क व भ ऐ तहा सक प र तय म वक सत ए र त क एक
ृंख ला से बने थे जो समय के साथ धीरे धीरे एक ही रेख ा के अनु प हो गए। .

नया चलन सभी रा य को एक ही कार का बना दे ता है समान प से टश


सरकार पर नभर और भारतीय राजनी तक व ा का अ भ अंग माना जाता है।

के बाद
बड़े पैमाने पर राजनी तक अशां त के सामने ग तशील और ां तकारी वकास का मुक ाबला
करने के लए सौहादपूण सहयोग क नी त शु ई।

म टफोड रफॉ स क सफा रश के अनुसार एक सलाहकार और सलाहकार


नकाय के प म एक चबर ऑफ सेस नर मंडल क ापना क गई थी जसका
गत रा य के आंत रक मामल म कोई दखल नह था और मौजूदा अ धकार से संबं धत
मामल पर चचा करने क कोई श नह थी। आज़ाद . चबर के योजन के लए भारतीय
रा य को तीन े णय म वभा जत कया गया था . य तनधव .
त न धय के मा यम से तनधव . सामंती जोत या जागीर के प म मा यता
ा त।

बटलर स म त क सं भुता और
सव प रता क सीमा का अभी भी अप रभा षत था। रयासत और सरकार के बीच संबंध
क कृ त क जांच करने के लए बटलर स म त क ापना क गई थी। इसने
न न ल खत सफ़ा रश द
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भारतीय रा य

. सव ता सव बनी रहनी चा हए और समय क बदलती आव यकता और


रा य के ग तशील वकास के अनुसार खुद को अपनाते और प रभा षत करते ए अपने
दा य व को पूरा करना चा हए।

. टश भारत म रा य क सहम त के बना रा य को भारतीय वधानमंडल के


त उ रदायी भारतीय सरकार को नह स पा जाना चा हए।

इस कार सव ता को अप रभा षत छोड़ दया गया और इस हाइ ा सर वाले


ाणी को उपयोग ाउन के वशेषा धकार और राजकु मार क न हत सहम त पर नभर रहने
के लए छोड़ दया गया।

वी. समान महासंघ क नी त


एक गैर टाटर
भारत सरकार अ ध नयम ने अ खल भारतीय महासंघ क अपनी योजना के तहत
राजकु मार के लए म से सीट के साथ एक संघीय वधानसभा और राजकु मार के
लए म से सीट के साथ रा य क प रषद का ताव रखा जो अनुसमथन के
अधीन था। आधे से अ धक आबाद का त न ध व करने वाले और रा य क प रषद म आधे
से अ धक सीट के हकदार रा य ारा।

यह योजना कभी अ त व म नह आई और तीय व यु सतंबर शु


होने के बाद इसे पूरी तरह से हटा दया गया।

VI. एक करण और वलय


तीय व यु शु होने और कां ेस ारा असहयोग क त अपनाए जाने के बाद टश
सरकार ने स मशन वेवेल योजना कै बनेट मशन और एटली
के बयान फरवरी के मा यम से ग तरोध को तोड़ने क को शश क । .

स का मानना था क टश सरकार ने भारत म कसी अ य पाट को ाउन क


सव ता ह तांत रत करने पर वचार नह कया। रा य ने वयं को सं भु मानते ए अपना
वयं का संघ बनाने के लए व भ योजना क को शश क
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारतीय राजनी तक प र य म त या तीसरी श के प म। जून क योजना और


एटली के बयान ने यह कर दया क रा य दोन उप नवेश म से कसी एक म शा मल होने
के लए वतं थे और माउं टबेटन ने रा य को सं भु दजा दे ने से इनकार कर दया।

सरदार पटे ल जो अंत रम कै बनेट म रा य के मं ालय के भारी थे ने मं ालय म


स चव वीपी मेनन क मदद से र ा संचार और वदे शी मामल के मामल म शासक क
दे शभ क भावना को भारतीय भु व म शा मल होने क अपील क वे तीन े जो ाउन
क सव प रता का ह सा थे और जन पर रा य का वैसे भी कोई नयं ण नह था। अग त
तक रा य भारतीय संघ म शा मल हो गए ले कन अ य अ न त प से बाहर ही
रहे।

जनमत सं ह और सेना क कारवाई


. जूनागढ़ मु लम नवाब पा क तान म शा मल होना चाहते थे ले कन ह ब सं यक
आबाद भारतीय संघ म शा मल होना चाहती थी। नवाब के दमनकारी रवैये के सामने जनमत
सं ह आ जसम भारत के प म फै सला आया।

. हैदराबाद हैदराबाद एक सं भु दजा चाहता था। इसने नवंबर म भारत के


साथ एक टड टल समझौते पर ह ता र कए।
भारतीय सेनाएँ पीछे हट ग और नज़ाम क पु लस और तूफ ानी सै नक रज़ाकार ने क ज़ा
कर लया। नज़ाम समु गोवा तक जाने का रा ता चाहता था। हसा और वदे शी ह थयार
क आपू त ने म भारतीय सै नक को फर से आगे बढ़ने के लए े रत कया जसे
कानून और व ा बहाल करने के लए एक पु लस कारवाई के प म व णत कया गया।

नवंबर म हैदराबाद का वलय आ।


. क मीर ज मू और क मीर रा य म एक ह राजकु मार और मु लम ब सं यक
आबाद थी। राजकु मार ने रा य के लए एक सं भु त क प रक पना क थी और वह
कसी भी भु व म शा मल होने के लए अ न ु क था। जैसे ही उ ह ने टालमटोल क
पा क तान के नव ा पत रा य ने अपनी सेनाएँ कबायली म ल शया के मोच के पीछे भेज द
और खतरनाक तरीके से ीनगर क ओर बढ़ गए। अब ऐसा आ क राजकु मार को लोक य
नेता शेख अ ला ारा सम थत भारतीय संघ के साथ वलय प अ टू बर पर
ह ता र करने के लए मजबूर होना पड़ा।

भारतीय सै नक को पा क तान के हमलावर से रा य क र ा के लए भेज ा गया था। संयु


रा सुर ा से भारत क शकायत
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भारतीय रा य

पा क तान के छापे के संबंध म प रषद और जनमत सं ह के मा यम से रा य क त तय


करने क भारतीय पेशकश के कारण यु वराम आ ले कन वग कमी े
पा क तानी क जे म छोड़ दया गया। ज मू और क मीर क वशेष त को भारतीय सं वधान
के अनु े द के तहत मा यता द गई थी जसम अ य रा य क तुलना म रा य पर
भारतीय संघ का सी मत े ा धकार न हत था।

मक एक करण अब सम या
दोतरफा थी i रा य को वहाय शास नक
इकाइय म बदलने क और ii उ ह संवैधा नक इकाइय म समा हत करने क ।

इसे हल करने क को शश क गई थी . छोटे रा य


ऐसे रा य को स हत ांत म शा मल करना और भाग ए म सूचीब करना
उदाहरण के लए उड़ीसा और छ ीसगढ़ के रा य को म य ांत उड़ीसा म शा मल कया
गया था। गुज रात रा य को बंबई म शा मल कया गया . भाग सी रा य म सूचीब
कु छ रा य को रणनी तक या वशेष कारण से क शा सत बनाना हमाचल दे श व य
दे श म णपुर
पुरा भोपाल आ द

. पांच संघ बनाना संयु रा य का ठयावाड़ संयु रा य म य प टयाला और


पूव पंज ाब रा य संघ राज ान और संयु रा य ावणकोर कोचीन बाद म के रल ।

ारंभ म ये रा य र ा संचार वदे शी मामल के संबंध म शा मल ए बाद म उ ह


लगा क घ न सहयोग आव यक है। पांच संघ और मैसूर ने संघ म भारतीय े ा धकार
कराधान को छोड़कर समवत वषय और अनु े द के तहत मतभेद के अधीन और दस
वष के लए संघ क पयवे ी श को वीकार कया।

सातव संशोधन ने भाग बी रा य को एक वग के प म समा त कर दया


और भाग ए और बी म से एक वग का गठन कया इस कार भाग बी रा य से संबं धत वशेष
ावधान हटा दए गए।
इस कार भारतीय रा य एक वद का ह सा बन गये
राजनी तक व ा.
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत के लए सं वधान का नमाण

भारतीय सं वधान जो जनवरी को लागू आ दे श के आकार और व वधता के


कारण अपनी लंबाई साम ी और ज टलता के मामले म नया म सबसे लंबा होने का गौरव
ा त है। सं वधान के नमाण के समय भारत वशाल और व वधतापूण होने के अलावा गहराई
से वभा जत था और इस लए इसे दे श को एक साथ रखने के लए डज़ाइन कया गया था।
य द एक तरह से इसने व भ वग जा तय और समुदाय के भारतीय को एक साझा
कोण के लए एक साथ लाने क को शश क तो सरे तरीके से इसने लंबे समय से
पदानु म और स मान क सं कृ त म लोकतां क सं ान का पोषण करने क मांग क ।

पृ भू म
हालाँ क भारत का सं वधान दसंबर और दसंबर के बीच तैयार कया गया था
ले कन इसक जड़ औप नवे शक शासन के खलाफ भारतीय रा ीय आंदोलन के साथ साथ
रयासत म ज मेदार और संवैधा नक सरकार के आंदोलन म गहराई से न हत ह।

मृ ला मुख ज अपने काम इं डया सस म


वतं ता ने इस वचार को खा रज कर दया है क अं ेज ने भारत म आधु नक ज मेदार और
संवैधा नक सरकार क शु आत क थी और का सं वधान टश ारा क गई
संवैधा नक पहल क ृंख ला क प रण त मा था।
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भारत के लए सं वधान का नमाण

और म। त य यह है क टश रयायत हर तर पर
रा वा दय क मांग से ब त कम थ ।

आधु नक अथ म म भारत का सं वधान वधेयक सामने आया जसे होम ल


बल के प म भी जाना जाता है जसम अ भ क वतं ता कानून के सम समानता
कसी के घर क हसा का अ धकार संप का अ धकार जैसे बु नयाद मानवा धकार क
प रक पना क गई थी। आ द भारत के सभी नाग रक के लए।

हालाँ क होम ल बल के रच यता को सा बत करने के लए कोई नणायक सबूत नह है एनी


बेसट का मानना था क यह बल तलक से े रत था।

म महा मा गांधी ने यंग इं डया म का शत वतं ता शीषक वाले एक लेख


म लखा था क वराज टश संसद का एक मु त उपहार नह होगा ब क भारत क पूण
आमअभ क घोषणा होगी भारत का सं वधान इसके अनुसार बनाया जाएगा।
भारतीय क इ ा.

भारतीय रा मंडल वधेयक जसका मसौदा भारत म तैयार कया गया था और जसम
एनी बेसट तेज बहा र स ू वी.एस.
ी नवास शा ी ने मह वपूण योगदान दया जसे संसद य लेबर पाट क कायकारी स म त ने
सवस म त से वीकार कया। इस वधेयक को पहली बार दसंबर म हाउस ऑफ
कॉम स म पढ़ा गया यह हार गया ले कन यह मह वपूण सा बत आ य क इसे भारतीय
जनमत के ब त ापक वग का समथन ा त था और श द म नद कया गया था
क भारत को व शा सत भु व के साथ समान तर पर रखा जाएगा ।

असहयोग आंदोलन के बाद फरवरी म मोतीलाल नेह ने क य वधान सभा


म एक ताव पेश कया जसम अ पसं यक अ धकार और हत को उ चत स मान दया
गया और इसे रा ीय मांग के प म जाना गया।

इसे वधानसभा म भारी ब मत से पा रत कया गया। पहली बार कसी सं वधान क मांग और
उसे अपनाने क या को श द म समझाया गया।

टे न ने रा ीय मांग के जवाब म आगे के संवैधा नक प रवतन क सफा रश करने


के लए नवंबर म सव ेत साइमन आयोग क नयु क ।

लॉड बरके नहेड क चुनौती के जवाब म नेह


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अग त को तुत रपोट भारत के लए एक मसौदा सं वधान क परेख ा थी।


इसक अ धकांश वशेषताएं बाद म वतं भारत के सं वधान म शा मल क ग ।

रपोट म न के वल समकालीन रा वाद राय का प र े य शा मल था ब क भारत


के लए एक मसौदा सं वधान क परेख ा भी शा मल थी। उ रा संसद य पैटन पर पूण
ज मेदार सरकार के साथ भु व क त के स ांत पर आधा रत था। इसने इस स ांत
पर जोर दया क सं भुता भारतीय लोग क है मौ लक अ धकार का एक सेट नधा रत
कया गया और एक संघीय णाली दान क गई जसम इकाइय को अ धकतम वाय ता
द गई ले कन अव श श यां क सरकार और संघीय नचले सदन के चुनाव के लए
संयु नवाचन े म न हत थ । और ांतीय वधा यका म कु छ मामल म सी मत
अव ध के लए अ पसं यक के लए सीट आर त क ग ।

नेह रपोट के बाद साइमन कमीशन का ब ह कार कया गया और दसंबर


म कां ेस ने पूण वतं ता को अपना अं तम ल य घो षत कया। इस वचार को समथन
मला क भारत का सं वधान इसी उ े य के लए चुनी गई सं वधान सभा के मा यम से और
ापक संभव मता धकार पर आधा रत होना चा हए। हालाँ क एमएन रॉय ने ऐसा सुझ ाव
पहले दया था जवाहरलाल नेह म इस वचार को सामने लाने वाले पहले रा ीय
नेता थे।

क साइमन कमीशन क सफ़ा रश को लोग क इ ा को न करने


वाली बताकर अ वीकार करने के बाद कां ेस ने म अपनी आ धका रक नी त के एक
भाग के प म एक सं वधान सभा क मांग उठाई। जवाहरलाल नेह ने घोषणा क क
कां ेस ने ताव दया था क भारत का सं वधान बाहरी ह त ेप के बना वय क
मता धकार के आधार पर नवा चत सं वधान सभा ारा बनाया जाना चा हए और कां ेस
क काय स म त ने इस ख को दोहराया। म कां ेस के लखनऊ अ धवेशन म यह
घोषणा क गई क बाहरी स ा ारा थोपा गया कोई भी सं वधान और लोग क सं भुता
को कम करने वाला कोई भी सं वधान कां ेस को वीकाय नह होगा।
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भारत के लए सं वधान का नमाण

जुलाई म कां ेस ारा अ धकांश ांत म स ा वीकार करने के बाद नेह


ने वधायक पर वतमान सं वधान को खा रज करने और सं वधान सभा क मांग करने वाले
वधानसभा म ताव पेश करने के लए दबाव डाला। अग त म सीड यूसी ने आचाय
कृ पलानी के तहत तैयार एक मसौदा ताव को वीकार कर लया। अग त और अ टू बर
के बीच सभी कां ेस शा सत ांत और सध ने यह ताव पा रत कया और भारत
सरकार अ ध नयम को नर त करने क मांग क ।

सतंबर म ही एस. स यमू त ारा क य वधान सभा म अ ध नयम के ान


पर सं वधान सभा ारा बनाए गए सं वधान ारा त ापन क सफा रश करने वाला एक
ताव पेश कया गया था। के ह रपुरा अ धवेशन म भी यही माँग दोहराई गई।

के स ताव को हालां क कां ेस ने अ वीकाय बताकर खा रज कर


दया था ले कन इसम एक राहत दे ने वाली बात यह थी क इसने एक सं वधान सभा के
मा यम से अपना सं वधान बनाने के भारतीय के अनुरोध को वीकार कर लया।

सतंबर म इं लड म नव नवा चत लेबर सरकार ने घोषणा क क वह भारत


म एक सं वधान सभा बनाने क योजना बना रही है। माच को कै बनेट मशन
भारत आया और अपने वास के दौरान उसने ए सं वधान सभा और बी एक अंत रम
सरकार के गठन क सफा रश क ।

सं वधान सभा
गठन
यह नणय लया गया क सं वधान सभा का चुनाव अ य प से ांतीय वधानसभा
ारा कया जाएगा। योजना के अनुसार टश भारत के ांत को तीन े णय ए बी और
सी म बांटा गया था। येक ांत को जनसं या के आधार पर दस लाख पर एक सद य के
अनुपात म सीट आवं टत क ग थ । एक ांत को द जाने वाली सीट का नणय तीन
समुदाय के बीच उनक सं या के आधार पर कया जाता था ये तीन समुदाय थे मु लम
सख और ह स हत सामा य और अ य सभी जो मु लम नह थे और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सख. उ ह येक समुदाय के त न धय ारा उनक संबं धत वधान सभा म एकल


सं मणीय वोट के साथ आनुपा तक त न ध व क व ध ारा चुना जाना था। भारतीय रा य
को आवं टत सद य क सं या भी टश भारत के लए अपनाई गई जनसं या के आधार पर
ही तय क जानी थी ले कन उनके चयन क व ध बाद म परामश ारा तय क जानी थी।
सं वधान बनाने वाली सं ा क सं या होनी थी। इनम से तनध टश भारत से
होने थे तनध टश भारत के यारह गवनर के ांत से और चार मु य आयु के
ांत से एक एक त न ध थे द ली अजमेर मेरवाड़ा कू ग और टश बलू च तान और
भारतीय रा य के त न ध। रा य के त न धय को संबं धत शासक ारा ना मत कया
जाना था।

टश भारतीय ांत को स पी गई सीट के लए चुनाव जुलाई अग त


तक पूरे हो गए। कां ेस ने नौ को छोड़कर सभी सामा य सीट स हत सीट जीत और
मु लम लीग ने सीट जीत यानी मुसलमान को आवं टत पांच सीट को छोड़कर सभी
सीट .

रा य के त न धय के लए नधा रत सीट खाली रह ग और रयासत ने


सं वधान सभा म भाग न लेने का फै सला कया। हालाँ क कु छ रा य बड़ौदा बीकानेर
जयपुर प टयाला रीवा और उदयपुर के त न धय ने अ ैल तक और अग त
तक वधानसभा म वेश कया और इसके तुरंत बाद सभी रा य ने अपने त न धय
को वधानसभा म भेज दया था।

हालाँ क असबली अपना काम तुरंत शु नह कर पाई य क ज ा ने अपनी


वीकृ त वापस ले ली और मु लम लीग ने इसका ब ह कार कर दया। कां ेस अपनी योजना
पर आगे बढ़ और मौ लक अ धकार का मसौदा तैयार करने और वधानसभा के शी स क
व ा करने के लए एक वशेष स म त नयु क । पाट ने जवाहरलाल नेह को धान
मं ी बनाते ए अंत रम सरकार बनाने के वायसराय के नमं ण को भी वीकार कर लया।
सं वधान सभा दसंबर को सं वधान हॉल जो अब क य है म खोली गई
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भारत के लए सं वधान का नमाण

नई द ली म संसद भवन का हॉल। कु छ दन तक स चलने के बाद जवाहरलाल नेह ने


दसंबर को ऐ तहा सक उ े य ताव पेश कया। संक प म एक संघीय राजनी त क
प रक पना क गई थी जसम अव श श यां वाय इकाइय म न हत थ और सं भुता
लोग क थी। संक प ने वधानसभा को इसके मागदशक स ांत और सं वधान नमाण का
दशन दया।

दो सं वधान सभाएँ भारत और पा क तान जनवरी के अंत तक यह


था क मु लम
लीग के वधानसभा म शा मल होने क कोई संभावना नह थी ज ा ारा पा क तान के लए
एक अलग सं वधान सभा का अ वभा य आ ान कया गया था। जून को गवनर
जनरल लॉड माउं टबेटन ने पा क तान के लए एक अलग सं वधान सभा क ापना क घोषणा
क । भारतीय वतं ता अ ध नयम आ यजनक ग त से पा रत होकर जुलाई
को लागू आ।

भारतीय वतं ता अ ध नयम ने भारत क सं वधान सभा को पूण सं भु


नकाय घो षत कया और अग त क म यरा को सभा ने दे श के शासन क
पूण श याँ हण कर ल ।

अ ध नयम क धारा ने सं वधान सभा को पूण वधायी श दान क ।

भारत के लए सभा का मू यांक न कै बनेट मशन योजना के तहत ा पत


सभा कां ेस ारा अपने वैचा रक और दाश नक े म कए गए समझौत का प रणाम थी।
कां ेस के यास के बावजूद सभा पूण सं भु नह थी जब क कां ेस क मांग पूण सं भु सभा
क थी।

न ही इसका चुनाव सावभौम वय क मता धकार के आधार पर कया गया जैसा क कां ेस ने
मांग क थी। कां ेस ने सां दा यक त न ध व और ांत के लए समूहीकरण योजना को भी
वीकार कर लया। यह लगाई गई सीमा के साथ भी चला गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

क सरकार क श य पर. इस लए सं वधान सभा क ापना वतं ता सं ाम के बाद के


वष म कां ेस क मांग से काफ र थी।

सं वधान सभा का चुनाव अ य प से ांतीय वधानसभा ारा कया गया था


जो वयं के भारत सरकार अ ध नयम ारा ा पत सी मत मता धकार के आधार पर
चुने गए थे। के अ ध नयम ने कर संप और श ा के आधार पर यो यताएं लागू क ।
इससे तशत से अ धक वय क आबाद मतदान से वं चत रह गई।

इस कार सं वधान सभा ने ांतीय वधानसभा क संरचना को त ब बत कया जसम


कां ेस के पास आरामदायक ब मत था जो वभाजन के बाद तशत से अ धक हो गया ।

सभा क संरचना उस समय दे श म मौजूद व भ वैचा रक वचार को दशाती थी।


वहां समाजवाद मा सवाद और लोकतां क क म के लोग भी थे। दोन समूह उ पादन के
मह वपूण साधन के नजी वा म व के वरोधी थे और एक समतावाद समाज चाहते थे जब क
मा सवाद क म एक ां तकारी पुन नमाण चाहती थी। यह अ धक उदारवाद समूह था
जसके नेह सद य थे जो शां तपूण संसद य तरीक को ाथ मकता दे ते थे उनका बोलबाला
था। सरदार पटे ल को नजी उ म का समथन करने वाले द णपंथी वचार का नेता माना जा
सकता है। द णपंथी कोण का त न ध व पु षो म दास टं डन और एसपी मुख ज ने भी
कया। वहाँ गांधीवाद भी थे जो पंचायत के मा यम से वके कृ त ाम सरकार का ताव
कर रहे थे। इन सभी कोण ने कु छ हद तक सं वधान को भा वत कया ले कन मुख
भाव उदारवा दय और लोकतां क समाजवा दय का था।

वतं ता के बाद अग त
को भारत क वतं ता के साथ सं वधान सभा सं वधान बनाने के साथ साथ सामा य कानून
बनाने के लए ज मेदार एक सं भु नकाय बन गई।

अब सं वधान सभा का काय पाँच चरण म व त कया गया पहला स म तय को तु त


दे नी पड़ी
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भारत के लए सं वधान का नमाण

ा पसमत

डॉ. बीआर अंबेडकर अ य जीबी पंत के एम मुंशी अ लाद कृ णा वामी अ यर


एन. गोपाल वामी अयंगर बीएल
म ा बाद म माधव राव ारा त ा पत सै यद मुह मद सा लाह डीपी खेतान क म
मृ यु हो गई और इस लए ट ट कृ णामाचारी को नयु कया गया।

बु नयाद मु पर रपोट सरा कलक ा उ यायालय के यायाधीश और सं वधान सभा के


संवैधा नक सलाहकार बेनेगल नर सग राऊ ने इन स म तय क रपोट और अ य दे श के
सं वधान पर अपने शोध के आधार पर एक ारं भक मसौदा तैयार कया तीसरा डॉ. बीआर
अंबेडकर क अ य ता म मसौदा स म त ने एक व तृत मसौदा सं वधान तुत कया जसे
सावज नक चचा और ट प णय के लए का शत कया गया था। ेस म आलोचना और
त आलोचना ने बदले म आम सहम त क कृ त को आकार दया जो अंततः व श मु
पर प ंची चौथा सं वधान के मसौदे पर बहस ई और संशोधन ता वत कए गए पाँचवाँ
भारत का सं वधान अपनाया गया।

काय स म तयाँ और सवस म त जब दसंबर को सं वधान


सभा क पहली बैठक ई तो त कालीन कां ेस अ य जेबी कृ पलानी ने अ ायी अ य पद
के लए सभा के सबसे बुज ुग सद य डॉ. स दानंद स हा का नाम ता वत कया। बाद म
दसंबर को डॉ. राज साद को सं वधान सभा का अ य चुना गया।

सं वधान सभा ने सं वधान नमाण के लए कई स म तयाँ नयु क।

इन स म तय ने अ ैल और अग त के बीच अपनी रपोट तुत क और इन


रपोट के आधार पर संवैधा नक सलाहकार डॉ. बीएन राऊ ने अ टू बर के अंत तक
सं वधान का एक मसौदा तुत कया। इस मसौदे म खंड और अनुसू चयाँ शा मल
थ । सं वधान के इस ा प पर वचार करने के लए इसक अ य ता म एक ा प स म त
का गठन कया गया
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

डॉ. बीआर अंबेडकर उस समय कानून मं ी क ापना क गई थी। अ य सद य थे


अ लाद कृ णा वामी अ यर एन. गोपाल वामी अयंगर के एम मुंशी सै यद मोह मद सा ला
सर बीएल म र और डीपी खेतान। पहली बैठक के बाद सर बीएल म र ने इ तीफा दे दया
और उनके ान पर एन. माधव राव को ना मत कया गया और ट ट म डीपी खेतान
क मृ यु के बाद कृ णमाचारी ने उनका ान लया।

ा प स म त ने सं वधान का पहला मसौदा तैयार कया। इसके बाद इसे याय वद


वक ल यायाधीश और अ य सावज नक य क ट प णय के लए सा रत कया गया।
उनक ट प णय और आलोचना के आलोक म मसौदा स म त ने सरा मसौदा तैयार कया
जसम अनु े द और अनुसू चयाँ शा मल थ । यह सरा मसौदा फरवरी को
सं वधान सभा के सम रखा गया था। तब सभा ारा इस मसौदे पर खंड दर खंड वचार कया
गया था। तीसरा वाचन नवंबर को शु आ और नवंबर को समा त आ।
तावना को अं तम बार अपनाया गया था। इस काय को पूरा करने म वष महीने और
दन लगे थे।

सं वधान के मसौदे को वीकार कए जाने से पहले लगभग संशोधन ता वत कए गए


थे और लगभग पर वा तव म चचा क गई थी।

इसके बाद डॉ. अंबेडकर ने एक ताव रखा क सं वधान सभा ारा तय कए गए


सं वधान को पा रत कया जाए। नवंबर को सं वधान सभा म भारत के लोग ने
भारत के सं भु लोकतां क गणरा य के सं वधान को अपनाया अ ध नय मत कया और खुद
को स प दया।

सभा के अ य के प म डॉ. राज साद ने द तावेज़ पर ह ता र कये।

सं वधान सभा के सद य ने जनवरी वधानसभा के अं तम दन इस पर


अपने ह ता र कये। कु ल मलाकर सद य ने वा तव म सं वधान पर ह ता र कए।

सं वधान सभा ने भारत के सं वधान का मसौदा तैयार करने के अलावा जुलाई


को रा ीय वज को अपनाया और जनवरी को अपने स के अं तम दन
रा ीय गान और रा ीय गीत को अपनाया।
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भारत के लए सं वधान का नमाण

दे ख
a अ पसं यक ारा स ा म ह सेदारी का दावा... है को सां दा यकता कहा जाता है जब क
ब सं यक ारा पूरी स ा पर एका धकार करने को... है रा वाद कहा जाता है।

बीआर अंबेडकर

सं वधान सभा ने डॉ. राज साद को चुना


जनवरी को भारत के थम रा प त के प म।
अग त क दे र शाम वधानसभा क बैठक कॉ ट ूशन हॉल म ई और
आधी रात को वतं भारत क वधान सभा के प म कायभार संभाला।

वधानसभा जनवरी से पहले आम चुनाव के बाद नई संसद ा पत होने


तक भारत क अ ायी संसद के प म जारी रही।

हालाँ क यह यान दया जाना चा हए क सं वधान का मसौदा तैयार करने के काम के


औपचा रक क इसम कोई संदेह नह सं वधान सभा और मसौदा स म त थे नणय लेने क
मह वपूण श याँ कां ेस नेता के पास थ । एक तरह से कां ेस काय स म त सं वधान क
वा त वक वा तुक ार थी जसम अ धकांश मह वपूण नणय कां ेस नेता के सुझ ाव के
आधार पर लए जाते थे। ैन वले ऑ टन बताते ह क चार लोग जवाहरलाल नेह सरदार
पटे ल राज साद और अबुल कलाम आज़ाद ने वधानसभा म एक आभासी कु लीनतं का
गठन कया और कां ेस और सरकार दोन म अपनी त ा और श के आधार पर कायवाही
पर हावी रहे।

सं वधान सभा जस तरीके से नणय पर प ंची वह सवस म त का तरीका था जसे


ान वले ऑ टन ने सवस म त से या लगभग सवस म त से नणय लेने के तरीके के पम
प रभा षत कया था। मतभेद को र करने और समझौते तथा समझौते पर प ंचने का यास
कया गया। इसका उ े य ब मत के नणय म न हत पूवा ह और असहम त को खा रज करने
के त व पर काबू पाना था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

रा वाद का वकास

वदे श नी त
वतं ता के तुरंत बाद बाहरी नया के साथ भारत क त पर बातचीत को सु वधाजनक बनाने
वाले कारक म से एक औप नवे शक शासन के तहत भी पहले से ही अ तरह से ा पत
राजन यक जुड़ाव था। वतं ता के समय भारत अंतरा ीय संगठन का सद य था और
सं धय पर ह ता रकता था। थम व यु के बाद भारत ने वसाय सं ध पर ह ता र
कए थे जसका मु य कारण उस यु म दस लाख से अ धक सै नक का योगदान था।
के दशक म यह रा संघ अंतरा ीय म संगठन और अंतरा ीय यायालय का सं ापक
सद य था।

इसने म नौसेना आयुध पर वा शगटन स मेलन म भाग लया। से लंदन म एक


भारतीय उ ायु थे। थम व यु से पहले भी भारतीय नाग रक कु छ राजन यक पद पर
कायरत थे। यह कोई संयोग नह था क आजाद के तुरंत बाद संयु रा और संब एज सय
म भारतीय ने सबसे बड़ा और सबसे भावशाली गैर प मी दल बनाया।

भारत क वदे श नी त का मूल ढाँचा था


से ब त पहले संर चत।

रा वाद बु जी वय पर प मी भाव का एक मह वपूण और अप रहाय प रणाम


मुख अंतरा ीय धारा और घटना म बढ़ती च और उनके साथ संपक था। धीरे धीरे
रा वाद वचारक को यह एहसास आ क उप नवेशवाद और सा ा यवाद का एक अंतररा ीय
च र और ब त ापक न हताथ ह। वकास के साथ
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रा वाद वदे श नी त का वकास

और सा ा यवाद वरोधी रा वाद वचारधारा के टलीकरण से एक रा वाद वदे श नी त


प र े य का उदय आ। इन ापक चरण के तहत इस नी त प र े य के वकास का पता
लगाया जा सकता है।

से थम व यु वरोधी

सा ा यवाद और अ खल ए शयाई भावना

के बाद अं ेज ने कई व तारवाद अ भयान चलाए जनका रा वा दय ने वरोध कया।


इन अ भयान म शा मल ह • सरा अफगान यु • म म कनल अरबी के
रा वाद व ोह को दबाने के लए
म इं लड ारा सेना भेज ना • म बमा पर क ज़ा
• म कज़न के अधीन त बत पर आ मण और • के दशक के दौरान
उ र प म म सी ग त को रोकने के लए कई क ज़े। रा वा दय ने अं ेज
के इन
कारनाम के त जनजातीय तरोध का समथन
कया।

आ ामक सा ा यवाद के ान पर रा वा दय ने शां त क नी त क वकालत क ।


म कां ेस अ य सी. शंक रन नायर ने कहा हमारी स ी नी त शां तपूण नी त है।

तो के दौरान उभरते वषय थे


. वतं ता के लए लड़ रहे अ य उप नवेश जैसे स आयरलड म तुक
इ थयो पया सूडान बमा और अफगा न तान के साथ एकजुटता . पैन ए शयाई भावना
प रल त होती है • म बमा
के क जे क नदा • औ ो गक वकास के उदाहरण के
प म जापान से ेरणा • आई हो तुआ न व ोह के अंतरा ीय दमन म
जापान क भागीदारी क नदा

• बाँटने क सा ा यवाद को शश क नदा


चीन
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

• जापान ारा जारशाही स क पराजय जसने यूरोपीय े ता के मथक को तोड़


दया • बमा क वतं ता के लए कां स
े का समथन।

थम व यु

रा वा दय ने इस व ास के साथ टश भारतीय सरकार का समथन कया क टे न


लोकतं के उ ह स ांत को लागू करेगा जनके लए उ ह लड़ना चा हए था। यु क
समा त के बाद कां ेस ने शां त स मेलन म त न ध व करने पर जोर दया। म
कां ेस ने लोग से आ ह कया क वे प म म लड़ने के लए सेना म शा मल न ह ।

म कां ेस ने सन यात सेन के नेतृ व म चीनी रा वाद सेना को दबाने के लए भारतीय


सेना को भेज े जाने क नदा क ।

और के दशक समाजवा दय के साथ


पहचान

और म नेह यूरोप म थे जहाँ वे समाजवा दय और अ य वामपंथी नेता


के संपक म आये। इससे पहले दादाभाई नौरोजी ने अंतरा ीय सोश ल ट कां ेस के हेग स
म भाग लया था। वह स समाजवाद एचएम हाइंडमैन के घ न म थे। लाजपत राय
ने से तक अपनी संयु रा य अमे रका या ा के दौरान अमे रक समाजवा दय
से भी संपक बनाया। गांधीजी के टॉ टॉय और रोलड रोमेन के साथ घ न संबंध थे।
म नेह ने भारतीय रा ीय कां ेस क ओर से ुसे स म उ पी ड़त रा वा दय क कां ेस म
भाग लया। इस स मेलन का आयोजन राजनी तक और आ थक सा ा यवाद से पी ड़त
ए शया अ का और लै टन अमे रका के राजनी तक नवा सत और ां तका रय ारा
कया गया था। आइं ट न मैडम सन येट सेन रोलड रोमेन और जॉज लसबरी के साथ नेह
मानद अ य म से एक थे। अपने यूरोपीय अनुभव के दौरान नेह को अमे रक सा ा यवाद
के अंतरा ीय च र क समझ आई।

नेह को लीग अग ट इ ी रय ल म क कायकारी प रषद म भी नामां कत कया गया था।


कां ेस ने सरे के संपक म रहने के लए एक वदे शी वभाग खोलने का भी नणय लया
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रा वाद वदे श नी त का वकास

जन आंदोलन. म नेह ने सो वयत संघ का भी दौरा कया और नवजात समाजवाद


रा य क उपल य से ब त भा वत ए। उ ह ने स को सा ा यवाद के व एक सुर ा
कवच के प म दे ख ा।

के बाद फासीवाद वरोधी


के दशक म यूरोप म फासीवाद का उदय और उसके व संघष दे ख ा गया। रा वा दय
ने सा ा यवाद और फासीवाद को पूंज ीवाद के अंग के प म दे ख ा। वे इ थयो पया ेन
चीन चेक ो लोवा कया जैसे नया के अ य ह स म फासीवाद के खलाफ संघष को समथन
दे ते ह। म पुरी अ धवेशन म कां ेस ने खुद को टश नी त से अलग कर लया जो
यूरोप म फासीवाद का समथन करती थी।

म चीन पर जापानी हमले क रा वा दय ने नदा क । कां ेस ने डॉ. अटल के


नेतृ व म एक मे डकल मशन भी चीन भेज ा।

फ़ल तीन मु े पर कां ेस ने फ़ ल ती नय को समथन दया। इसने य दय के त


सहानुभू त क ले कन आ ह कया क फ ल ती नय को व ा पत न कया जाए और
इस मु े को प मी ह त ेप के बना य दय और अरब के बीच सीधे समझौते से सुलझाया
जाए। इसने फ़ ल तीन के वभाजन का भी वरोध कया।

आज़ाद के बाद
नेह को अ सर वतं भारत क वदे श नी त का वा तुक ार कहा जाता है। उ ह ने अ य दे श
के साथ सीधे संपक रखने और व शां त और वतं ता को बढ़ाने म उनके साथ सहयोग करने
क आव यकता के मह व को महसूस कया उ ह ने एक वतं रा के प म पहचान बनाए
रखने और कसी अ य रा का उप ह न बनने के मह व को भी समझा चाहे वह कतना भी
श शाली य न हो। दसंबर को सं वधान सभा म अपने संबोधन म नेह ने भारत
क वदे श नी त क न व रखी ... कसी दे श के वदे शी मामल के संचालन क कला यह पता
लगाने म न हत है क दे श के लए सबसे अ धक फायदे मंद या है। हम शां त और वतं ता के
बारे म बात कर सकते ह और हम जो कहते ह उसका ईमानदारी से मतलब नकाल सकते ह।
ले कन अं तम व ेषण म एक सरकार उस दे श क भलाई के लए काय करती है जस पर
वह शासन करती है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

और कोई भी सरकार ऐसा कु छ भी करने क ह मत नह करती जससे अ प या द घाव ध म


प से दे श को नुक सान हो।
नेह के लए मु य चुनौती एक ऐसी नी त वक सत करना था जो भारत को आधु नक
रा य के साथ व मंच पर त धा करने म मदद कर सके और इसके लए उ ह ने महसूस
कया दे श के एक ापक सामा जक आ थक और तकनीक प रवतन क आव यकता थी।
उनका उ े य वचार या नी त क वतं ता खोने क हद तक कसी वशेष दे श या दे श के समूह
पर नभर ए बना भारत को बदलना था। भारत को सभी दे श के साथ शां तपूण संबंध क
आव यकता थी ता क वह अपने वकासा मक यास पर यान क त कर सके और संबंध
इतने अ े ह क उसे अपनी वतं ता से समझौता कए बना उस दशा म आव यक सहायता
मल सके । इन प र तय म गुट नरपे ता ही सही नी त तीत ई।

पंचशील और गुट नरपे ता पंचशील और गुट नरपे ता भारत


क वदे श नी त क न व ह।

पंचशील अ ैल
को पंचशील या शां तपूण सह अ त व के पांच स ांत को पहली बार चीन और
भारत के त बत े के बीच ापार और संपक पर समझौते म औपचा रक प से तपा दत
कया गया था। इस समझौते क तावना म कहा गया था क दोन सरकार ने पांच स ांत
के आधार पर समझौता करने का संक प लया है अथात् i एक सरे क े ीय अखंडता के
लए पार रक स मान

और सं भुता ii
पार रक गैर आ ामकता iii
पार रक गैर ह त ेप iv समानता और
पार रक लाभ v शां तपूण सह अ त व।

जून म जब चीनी धान मं ी झोउ एनलाई ने भारत का दौरा कया तो उ ह ने


और उनके भारतीय समक जवाहरलाल नेह ने एक संयु व म दोन दे श के बीच
संबंध क परेख ा के साथ साथ संबंध के आधार के प म पंचशील के बारे म अपने
कोण को व तार से बताया। अ य दे श
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रा वाद वदे श नी त का वकास

पंचशील पर ऐ तहा सक प र े य

शा ीय भाषा म शील श द का अथ स ांत नह ब क च र होता है। यह श द इंडोने शयाई


श द के उपयोग से लया गया है और इंडोने शयाई शील श द के बौ उपयोग से भा वत हो सकते ह।
अ धकांश भारतीय सोचते ह क पंचशील नया के लए जवाहरलाल नेह का ब मू य योगदान था
य क इस पर पहली बार नया का यान तब गया जब उ ह ने और झोउ एनलाई ने जून को
द ली म एक संयु बयान जारी कया। वा तव म इन स ांत को तैयार करने का ेय क ह को दया
जाना चा हए झोउ. दसंबर को त बती ापार वाता म भारतीय त न धमंडल का वागत
करते ए उ ह ने उ ह वदे शी दे श के साथ चीन के संबंध को नयं त करने वाले पांच स ांत के प
म तपा दत कया।

उस समय वदे श मं ालय म संयु स चव या द ली म ए शयाई मामल के महा नदे शक ट एन कौल


भा वत ए और उ ह ने नेह को अपनी सराहना और इन स ांत के मह व से अवगत कराया जनके
साथ उनके घ न संबंध थे।

नेह सहमत ए और कौल ने समझौते के अपने मसौदा पाठ क शु आत म ही उनका उ लेख करने क
पहल क । वह जनवरी क बात है। हालाँ क चीनी वदे श कायालय क त या नकारा मक थी। उस
समय झोउ चीन म नह था।

जब झोउ पे कग लौटा तो समझौता करने क अपनी मूल तभा के साथ उसे वाया मी डया मला।
उ ह ने सुझ ाव दया क पाँच स ांत को मु य पाठ म मुख ता से शा मल नह कया जा सकता है ले कन
तावना म द शत कया जा सकता है। भारत ने समझौता वीकार कर लया. ले कन दो महीने बाद जब
झोउ ने द ली का दौरा कया तो नेह और कौल ने जून को जारी संयु बयान म इन स ांत
पर जोर दया। चीन के झझकने वाले सू ीकरण ने भारतीय ायोजन के कारण नया भर का यान
आक षत कया। झोउ ने स ांत का तपादन कया ले कन कौल ने उ ह उठाया और नेह ने उनका चार
कया। नेह को एनएएम म उ स मान ा त था और ज द ही बमा और इंडोने शया जैसे अ य ए शयाई
दे श ने भी इसका अनुसरण कया।

नेह और झोउ ऐसे नेता थे ज ह ने भारत और चीन के बीच घ न संबंध बनाने और पंचशील के
मा यम से एक बेहतर व व ा क शु आत करने के लए कड़ी मेहनत क । हालाँ क उनके यास को
वाथ या तशोधी सहयो गय क सा जश ारा कमजोर और पूववत कर दया गया और वे नराश होकर
मर गए।

ोत जून के ह तान टाइ स म भारत सरकार के पूव चीनी भाषा वशेष वीवी
परांज पे का एक लेख ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कायम रखा जाना चा हए. दोन नेता ने आशा क क पंचशील शां त का एक े


बनाने म भी मदद करेगा जसे प र तय क अनुम त के अनुसार बढ़ाया जा सकता है
जससे यु क संभावना कम हो जाएगी और पूरी नया म शां त का कारण मजबूत होगा।

वदे श मं ालय के द तावेज के अनुसार पंचशील को अ ैल म अ क


ए शयाई दे श के बांडुंग स मेलन ारा जारी घोषणा म सामने रखे गए अंतरा ीय शां त और
सहयोग के दस स ांत म शा मल कया गया था। पंचशील क सावभौ मक ासं गकता पर
तब बल दया गया जब इसके स ांत को भारत यूगो ला वया और वीडन ारा तुत
शां तपूण सह अ त व पर एक ताव म शा मल कया गया और दसंबर को
संयु रा महासभा ारा सवस म त से अपनाया गया। और म बेल ेड म गुट नरपे
रा के स मेलन ने गुट नरपे आंदोलन के क म पंचशील को मूल स ांत के प म
वीकार कया।

गुट नरपे ता आज़ाद के


बाद भारत को जस वै क माहौल का सामना करना पड़ा वह तीय व यु से पहले
मौजूद माहौल से ब त अलग था। यु से पहले व मंच पर मुख खलाड़ी अथात्
यूनाइटे ड कगडम ांस जमनी और जापान दब गए थे उनके वशाल सा ा य सकु ड़ गए
थे या तेज ी से सकु ड़ रहे थे। संयु रा य अमे रका जसने स य अंतररा ीय भागीदारी से
अलग रहकर अलगाववाद नी त का पालन कया था नाटक य प से स य हो गया।
सो वयत संघ ने पूव मोच पर जमन ताकत को कु चलने के लए एक श शाली रा य के
प म मा यता ा त करने के अलावा पूव यूरोप म अभूतपूव भाव हा सल कर लया था
जहां अ धकांश जमन सै य हताहत ए थे। य द अमे रका ने म अपनी परमाणु
ह थयार मता का दशन कया तो यूएसएसआर ने म अपने वयं के परमाणु
परी ण के साथ इसका अनुसरण कया। तीय व यु के म े नजर शु ए शीत यु
क इ तहास म कोई मसाल नह थी। लगभग संपूण वक सत व दो वरोधी परमाणु
सश गुट म वभा जत हो गया था जनम अमे रका और यूएसएसआर महाश य के
प म अ णी थे। इस कार यु पूव वष क श संतुलन कू टनी त औ ो गक दे श से
गायब हो गई। तीसरी नया महाश तयो गता के लए एक सरोगेट े बन गई। इस
बीच वउप नवेशीकरण था
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रा वाद वदे श नी त का वकास

तेज ी से आगे बढ़ रहा था और अ धक से अ धक वतं दे श उभर रहे थे यादातर ए शया और


अ का म। पचास के दशक के म य तक चीन सो वयत संघ के साथ जुड़ा आ था। भारत ने
खुद को दोन गुट के बीच पतरेबाज़ी करने क मता वाला सबसे बड़ा दे श पाया।

इस समय सो वयत संघ के पास औप नवे शक जुए से उभर रहे दे श को भा वत


करने क आ थक या सै य सहायता मता नह थी। यह प म ही था जसने नये वतं दे श
को अपने रणनी तक समूह म शा मल करने का यास कया। प म के साथ गठबंधन आ थक
प से आकषक था ले कन इससे एक आ त संबंध बनता जसे अ धकांश नव वतं दे श
ने आ म नभर वकास म बाधक के प म दे ख ा। अपने समाजवाद झुक ाव के बावजूद भारत
के लए क यु न ट गुट के साथ जुड़ने का वचार संभव नह था यह समाज और अथ व ा
के चीनी कार के पुनगठन क क पना नह कर सका य क यह मूल प से एक उदार
लोकतां क राजनी तक से जुड़ा आ था। इस लए राजनी तक गुट नरपे ता ववेक पूण
होने के साथ साथ ावहा रक भी थी।

घरेलू काय म ह त ेप न करने के स ांत

गुट नरपे ता के पांच मानदं ड


पहले गुट नरपे स मेलन क तैयारी स म त ने गुट नरपे ता के न न ल खत पाँच मानदं ड नधा रत कए i
एक दे श को एक वतं नी त का पालन करना चा हए

शां तपूण सह अ त व और गुट नरपे ता।


ii इसे लगातार रा ीय वतं ता का समथन करना चा हए था
अ य दे श म आंदोलन.
iii इसे महाश संघष के संदभ म संप ब प ीय सै य गठबंधन का सद य नह होना चा हए। iv य द
उसने सै य अ े वीकार कर लए ह तो ये रयायत महाश संघष के संदभ म नह
द जानी चा हए थ । v य द यह प ीय या े ीय र ा व ा का सद य है तो यह महाश राजनी त
के संदभ म नह होना चा हए।

NAM के पांच अ णी नेता

i यूगो ला वया के रा प त ट टो मूल नाम जो सप ोज़ ii म के रा प त गमाल अ दे ल ना सर


iii घाना के रा प त वामे न ू मा iv इंडोने शया के रा प त सुक ण v
भारत के धान मं ी जवाहरलाल नेह
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अ य दे श के मामले और अपनी सं भुता को बनाए रखना जो भारत क वदे श नी त के मूल


स ांत ह गुट नरपे ता क अवधारणा के टलीकरण म वक सत ए। गुट नरपे ता
श द को बांडुंग स मेलन के बाद चलन मला। गुट नरपे ता का ता पय दो श गुट
के बीच ववाद म कसी भी प के साथ जुड़ने से रा य का स य इनकार है। गुट नरपे
श य के स मेलन म पहला गुट नरपे आंदोलन या एनएएम शखर स मेलन जो
म बेल ेड म आयो जत कया गया था और इसम भूम यसागरीय और अ क ए शयाई
श य ने भाग लया था जवाहरलाल नेह ने गुट नरपे ता का सार समझाया हम खुद को
गुट नरपे कहते ह गुट नरपे दे श का स मेलन. अब गुट नरपे श द क अलग अलग
ा या क जा सकती है ले कन मूल प से इसका उपयोग लगभग इसी अथ के साथ कया
गया और गढ़ा गया नया के अ धक श शाली गुट के साथ गुट नरपे । गुट नरपे ता का
एक नकारा मक अथ है ले कन य द आप इसे सकारा मक अथ दे ते ह तो इसका मतलब उन
रा से है जो यु के उ े य सै य गुट सै य गठबंधन और इसी तरह के अ य उ े य के
लए इस समूहीकरण पर आप करते ह। इस लए हम इससे र रहते ह और शां त के प म
अपना वजन डालना चाहते ह।

गुट नरपे ता भारत क वदे श नी त क मुख वशेषता है। भारत NAM के सं ापक
सद य म से एक था। शीत यु के युग म भारत ने कसी भी महाश का प लेने से इनकार
कर दया और गुट नरपे बना रहा। हालाँ क गुट नरपे ता को तट ता के साथ मत नह
कया जाना चा हए। दो गुट के बीच श ुता के दौरान एक तट रा य न य या न य
रहता है।

तट ता मूल प से यु के समय बनाए रखी जाती है जब क गुट नरपे ता क ासं गकता


यु और शां त दोन समय म होती है।
तट ता न यता के बराबर है एक तट दे श के पास मु पर कोई राय सकारा मक या
नकारा मक नह होती है। हालाँ क गुट नरपे ता का पालन अंतरा ीय मु पर सकारा मक
और रचना मक राय रखना है। भारत ने व भ मु पर अपने गुट नरपे नह ब क तट
ख पर ढ़तापूवक और ढ़ता से जोर दया है। भारत क वदे श नी त के स ांत म से एक
के प म गुट नरपे ता अंतररा ीय शां त नर ीकरण और े ीय वतं ता को बढ़ावा दे ने
का यास करती है। इसका उ े य सा ा यवाद और आ धप य को समा त करके और एक
यायपूण और समान व व ाक ापना करके अंतरा ीय संबंध का लोकतं ीकरण
करना है।
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पहला आम चुनाव

पहला आम चुनाव

म सं वधान लागू होने के साथ भारत के पास अब भु व का दजा नह रह गया और वह


टे न के साथ कसी भी शेष संबंध को तोड़ सकता था यह एक सं भु लोकतां क गणरा य
था।
नाग रकता और अनु ेद चुनाव आयोग से संबं धत सं वधान के ावधान नवंबर
को लागू कए गए जब क शेष सं वधान जनवरी को लागू ए। सरकार
अगले वष जाना चाहती थी लोक सभा लोकसभा के गठन के लए आम चुनाव के लए जैसा
क सं वधान म ावधान कया गया है।

भारतीय सं वधान के सं ापक ने चुनावी या के कु छ पहलु को सं वधान म ही


शा मल कया भाग XV अनु ेद से ।

चुनाव के लए जमीनी काय

चुनाव आयोग

चुनाव आयोग का कायालय जनवरी को एक छोटे पम ा पत कया गया था।


भारत के पहले मु य चुनाव आयु सुकु मार सेन एक आईसीएस अ धकारी थे ज ह ने
माच को पदभार हण कया था। हालां क सं वधान इसके लए ावधान करता है।
आव यकता पड़ने पर चुनाव आयोग के अ य सद य क नयु भारत के गणतं बनने के
बाद लंबे समय तक आयोग एकल सद यीय था

एक।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत का चुनाव आयोग एक ायी संवैधा नक नकाय है जो सं वधान के अनुसार


ा पत कया गया है। इसे त कालीन सरकार से वतं कर दया गया है। अनु े द के
तहत भारत के चुनाव आयोग को संसद और येक रा य क वधानमंडल और भारत के
रा प त और उपरा प त के कायालय के चुनाव के संचालन क पूरी या के अधी ण
नदशन और नयं ण क श दान क गई है। पहला चुनाव कराने से पहले चुनाव आयोग
को काफ जमीनी काम करना पड़ा।

चुनाव के लए कानून संसद ारा दो


मुख उपाय पा रत कए गए जसम व तृत कानून दान कया गया जसके तहत चुनाव
होने थे। इन उपाय म से पहला था लोक त न ध व अ ध नयम जो मतदाता
क यो यता और मतदाता सूची क तैयारी और काशन से जुड़े मामल का ावधान करता
था। इसने कई रा य को लोक सभा म सीट क सं या भी आवं टत क और येक रा य
वधानमंडल म सीट क सं या तय क । सरा कानून लोक त न ध व अ ध नयम
था जसम सद य क यो यता और अयो यता चुनाव का संचालन चुनाव खच मतदान
वोट क गनती आ द से संबं धत अ य ावधान नधा रत कए गए थे।

इन कानून के पा रत होने के बाद ही चुनावी मशीनरी ा पत क जा सक ।


इस लए हालाँ क सरकार म ही और फर के वसंत तक चुनाव कराने क
ज द म थी ले कन चुनाव का पहला चरण अ टू बर को ही हो सका।

चुनाव ारा भरी जाने वाली लोक सभा क सीट म से सीट अनुसू चत
जा त के उ मीदवार के लए और सीट अनुसू चत जनजा त के उ मीदवार के लए
आर त थ ।

रा य क वधान सभा म सीट क कु ल सं या थी। इनम से सीट


अनुसू चत जा त के लए और सीट अनुसू चत जनजा त के लए आर त थ ।
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पहला आम चुनाव

वतं भारत पहली बार मतदान म जा रहा है

चुनाव सावभौ मक वय क मता धकार के आधार पर ए जसम इ क स वष या उससे अ धक


उ के सभी लोग को वोट दे ने का अ धकार था। पूरे भारत म ज मू क मीर को छोड़कर
नामां कत मतदाता क कु ल सं या लगभग म लयन से अ धक
थी। इनम से लगभग तशत म हला मतदाता थ । क जनगणना के अनुसार भारत
क कु ल जनसं या ज मू और क मीर को छोड़कर थी। इस कार कु ल
जनसं या का लगभग तशत मतदाता के प म नामां कत था।

चुनौ तयाँ अ धकांश


मतदाता गरीब अ श त और ामीण े से आये थे और उ ह चुनाव का कोई अनुभव नह
था। ऐसे मतदाता के राजनी तक प से प रप व और ज मेदार तरीके से वोट दे ने के
अ धकार का योग करने म स म होने के बारे म ब त संदेह था। चुनावी या को कु छ लोग
ने अंधेरे म छलांग और अ य लोग ने शानदार और चुनाव होने से पहले व ास का काय
बताया।

चुनाव आयोग को कई चुनौ तय का सामना करना पड़ा. मतदाता को पंज ीकृ त


करने के लए घर घर जाकर सव ण कया गया। चुनाव आयोग क ओर से ब त यास के
बावजूद कई पा मतदाता को मतदाता सूची म शा मल नह कया जा सका य क i
आम मतदाता क अ ानता और उदासीनता ii राजनी तक दल क ओर से पया त संगठन
और अनुभव क कमी और iii कु छ रा य म सरकारी मशीनरी क अनुभवहीनता और
ख़राब संगठन।

चुनाव ख़ म होने के बाद सुकु मार सेन क रपोट के अनुसार कु छ रा य म बड़ी सं या


म म हला मतदाता को उनके नाम से नह ब क उनके पु ष संबंध के ववरण के आधार पर
नामां कत कया गया था उदाहरण के लए क माँ के प म। अमुक या अमुक क प नी
इसका कारण यह था क ानीय था ने म हला को यह आदे श दया था
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अजन बय को अपना उ चत नाम न बताएं। चुनाव आयोग को कड़े नदश जारी करने पड़े क
चूं क एक मतदाता का नाम उसक पहचान का एक अ नवाय ह सा है इस लए सही नाम
मतदाता सूची म शा मल कया जाना चा हए और कसी भी मतदाता को तब तक नामां कत
नह कया जाना चा हए जब तक क नाम स हत पया त ववरण न दया जाए। हम दया गया।
य द कोई म हला अपना उ चत नाम नह बताती तो उसे मतदाता के प म पंज ीकृ त नह कया
जाता था। प रणाम व प दे श म कु ल लगभग म लयन म हला मतदाता म से लगभग
दो से तीन म लयन के नाम पंज ीकृ त नह हो सके य क वे अपने उ चत नाम का खुलासा
करने म वफल रहे और ये म हलाएं अपने वोट का योग नह कर सक । रपोट म कहा गया है
क इनम से अ धकतर म हलाएं बहार उ र दे श म य भारत राज ान और व य दे श
रा य से थ ।

चुनाव आयोग को प म बंगाल पंज ाब द ली और कु छ हद तक असम म व ा पत


य जो वभाजन के बाद पा क तान से आए थे के संबंध म भी एक बड़ी सम या का
सामना करना पड़ा। इन वा सय क एक बड़ी सं या म अ ायी आबाद थी और उनम से
जो लोग कानून के तहत पंज ीकरण के लए पा थे उ ह पंज ीकृ त करना ब त मु कल था।

प रप व लोकतं म राजनी तक दल चुनाव या के सभी चरण म भाग लेते ह।


मतदाता सूची तैयार करने म पा टय को काफ मदद मल सकती है। हालाँ क भारत एक
नवो दत लोकतं था और राजनी तक दल के पास अनुभव क कमी थी उ ह ने अपना काम
करने म ब त कम च ली। वैसे भी लगभग म लयन मतदाता वाले दे श म मतदाता
सूची तैयार करने का बड़ा काम लगभग पूरी तरह से चुनाव आयोग के नदश के तहत काम
करने वाले रा य क सरकारी मशीनरी ारा वहन कया जाना था।

तशत से अ धक मतदाता के नर र होने के कारण उ मीदवार क पहचान


तीक ारा क जानी आव यक थी।
चुनाव आयोग को येक मुख पाट और वतं उ मीदवार को एक तीक आवं टत करना
था। चुनाव च आवंटन के समय राजनी तक दल अ धक स य हो गये ह. दरअसल सेन
रपोट के अनुसार बढ़ती ग त क एक उ लेख नीय वशेषता नए राजनी तक दल का गठन था
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पहला आम चुनाव

पूरे दे श म उनम से कु छ अंततः कु कु रमु े क तरह उगने वाले सा बत ए। कु ल पा टयाँ


थ ले कन इनम से अ धकांश पा टयाँ चुनाव के बाद लगभग गायब हो ग उनके कई उ मीदवार
क जमानत ज त हो गई।

तीक को मतपे टय पर च त कया गया था बाद म इसे मतप पर तीक म


बदल दया गया । पूव मु य चुनाव आयु एसवाई क़रैशी ने अपनी पु तक एन अनडॉ यूमटे ड
वंडर द मे कग ऑफ द ेट इं डयन म लखा है मतदाता को बस उसे दया गया मतप वो टग
ड बे म अपनी पसंद के उ मीदवार के मतपेट म डालना था। चुनाव। मतदान गु त था.

लोकसभा के लए मैदान म पा टयां हालां क यह आम तौर पर वीकार कया


गया था क कां ेस के पास सबसे बड़ा अनुयायी था भारत म व भ अ य राजनी तक क म
भी आकार लेने लगी थ । पहले चुनाव से ठ क पहले यामा साद मुख ज नेह के अधीन
उ ोग मं ी ने अ टू बर म भारतीय जनसंघ एक ोटो बीजेपी क ापना के लए
अलग हो गए। डॉ. बीआर अंबेडकर ने अनुसू चत जा त महासंघ जसे बाद म रप लकन नाम
दया गया को पुनज वत कया दल । एक अ य हाई ोफाइल कां ेस नेता जेबी आचाय

कृ पलानी ने कसान मज र जा पाट क ापना क । राम मनोहर लो हया और जया काश


नारायण सोश ल ट पाट के पीछे क ताकत थे। और क यु न ट तब एकजुट ने तेलंगाना म
सश संघष को छोड़कर भी चुनाव लड़ा।

लोकसभा सीट के लए पहले आम चुनाव म राजनी तक दल ने भाग लया था।


भारतीय चुनाव आयोग क रपोट के मुता बक इनम रा ीय पा टयां शा मल ह। इसके
अलावा नदलीय भी थे. नदलीय स हत कु ल उ मीदवार थे।

रा ीय पा टयाँ थ . अ खल भारतीय
भारतीय जनसंघ बीजेएस
. बो शे वक पाट ऑफ इं डया बीपीआई
. भारतीय क यु न ट पाट सीपीआई
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

. फॉरवड लॉक मा सवाद समूह एफबीएल एमजी


. फॉरवड लॉक इकर ुप एफबीएल आरजी
. अ खल भारतीय ह महासभा एचएमएस
. भारतीय रा ीय कां ेस आईएनसी
. कृ षक लोक पाट के एलपी
. कसान मज र जा पाट KMPP
. भारतीय ां तकारी क यु न ट पाट आरसीपीआई
. अ खल भारतीय राम रा य प रषद आरआरपी
. रवो यूशनरी सोश ल ट पाट आरएसपी
. अ खल भारतीय अनुसू चत जा त महासंघ एससीएफ
. सोश ल ट पाट सपा

चुनाव का संचालन दे श के पहले आम


चुनाव म तीन कार के नवाचन े थे एकल सीट वाले दो सीट वाले और तीन
सीट वाले एक। इस कार नवाचन े से कु ल सीट थ।

से अ धक मतदान क थे लगभग येक मतदाता के लए एक


और ये लाख से अ धक ट ल मतपे टय से सुस त थे येक उ मीदवार के लए एक
बॉ स।
लगभग दस लाख अ धका रय ने चुनाव के संचालन क नगरानी क ।
अ मट याही को एह तयाती कदम के प म पेश कया गया था जब मतदाता मतदान
करने जाता था तो उसक उं गली पर एक नशान लगाया जाता था ता क त पण को रोका
जा सके । यह था आज भी जारी है।

फ ट पा ट द पो ट णाली मोड थी इस लए कई उ मीदवार म से जसे भी ब लता


या सबसे बड़ी सं या म वोट मले उसे चुना जाएगा जीतने वाले उ मीदवार को ब मत क
आव यकता नह थी।

चुनाव म . तशत मतदान आ।


लोग ने ान के साथ मतदान करने क अपनी मता का दशन कया भले ही उनम से
अ धकांश नर र थे। अवैध मत क सं या से तशत तक ही कम थी। म हला क
भागीदारी मह वपूण थी और लगभग तशत पा म हला मतदाता ने अपने मत का
योग कया।
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पहला आम चुनाव

प रणाम
लोकसभा
भारतीय रा ीय कां ेस ने सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हा सल क
लोकसभा क सीट का चंड ब मत।
सीपीआई ने सीट जीत और सोश ल ट पाट ने सीट जीत एकमा
अ य दल को दो अंक क सीट मलगी। के एमपीपी
सीट जीत । BJS ने सीट जीत । नदलीय को मला
कां ेस के बाद सबसे यादा सीट.
कां ेस को कु ल मतदान का करीब तशत वोट मले
वोट कर. सीपीआई को करीब . फ सद वोट मले. समाजवाद
पाट को . फ सद वोट मले.
थम आम चुनाव वजेता

जीतने वाली पा टयाँ तशत सीट


वोट का

भारतीय रा ीय कां ेस आईएनसी . .

भारतीय क यु न ट पाट सीपीआई .

सोश ल ट पाट . .

कसान मज र जा पाट KMPP .

पीपु स डेमो े टक ं ट पीडीएफ .

गणतं प रषद .

अ खल भारतीय ह महासभा .

शरोम ण अकाली दल .

त मलनाडु मेहनतकश पाट .

अ खल भारतीय रामरा य प रषद .

भारतीय जनसंघ .

रवो यूशनरी सोश ल ट पाट .

रा मंडल पाट .

झारखंड पाट .

अनुसू चत जा त महासंघ .

लोक सेवक संघ .

भारत क कसान एवं मक पाट .

फॉरवड लॉक मा सवाद समूह .

कृ षक लोक पाट .

छोटानागपुर संथाल परगना जनता पाट .

म ास रा य मु लम लीग पाट .

ावणकोर त मलनाडु कां ेस पाट


नदलीय
एं लो इं डयन नामां कत
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कु छ मुख वजेता थे गुलजारी लाल नंदा और लाल बहा र शा ी जो भावी धान


मं ी बनने वाले थे द ली के पहले मु यमं ी चौधरी काश मायूं कबीर एके गोपालन
रफ अहमद कदवई के डी

मालवीय और सुभ ा जोशी.


डॉ. बीआर अंबेडकर को बॉ बे उ र म य म जो एक आर त नवाचन े था
अनुसू चत जा त महासंघ के उ मीदवार के प म उनके अ प ात पूव सहायक और कां ेस
उ मीदवार नारायण सदोबा काजरोलकर ने हरा दया था। डॉ. अ बेडकर बाद म रा यसभा
सद य के प म संसद म आये।

के एमपीपी उ मीदवार के प म आचाय कृ पलानी यूपी के फै जाबाद से हार गए ले कन


उनक प नी सुचेता कृ पलानी ने द ली म कां ेस उ मीदवार मनमो हनी सहगल को हरा दया।

वोट क गनती और प रणाम घो षत होने के बाद अ ैल को चुनाव आयोग


ारा पहली लोकसभा या लोक सभा का गठन कया गया। इस ब तक भारतीय सं वधान
सभा ने एक अंत रम वधा यका के प म काय कया था।

थम लोकसभा के अ य गणेश वासुदेव मावलंक र थे।

आम चुनाव के बाद जवाहरलाल नेह पहले धान मं ी बने।

रा य वधानमंडल रा य
वधानमंडल चुनाव म भी भारतीय रा ीय कां ेस ने जीत हा सल क । पाट ने कु ल मलाकर
सीट जीत । इसने सभी रा य म सरकार बनाई हालाँ क इसे चार रा य अथात् म ास
ावणकोर कोचीन उड़ीसा और PEPSU म अपने दम पर ब मत नह मला।
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नेह के नेतृ व म वकास

नेह के अधीन वकास


नेतृ व

वतं भारत के पहले धान मं ी के प म जवाहरलाल नेह ने अ य नेता के साथ


मलकर एक नये भारत क न व रखी। भारत क आजाद और मई म नेह क मृ यु
के बीच क अव ध को अ सर नेह वाद युग कहा जाता है य क उस दौरान भारत म
लए गए नणय के लगभग सभी पहलु पर नेह का भाव था।

नेह वचार क कई धारा से भा वत थे कु छ यूरोप के साथ उनके जुड़ाव से


भा वत थे और कु छ गांधी के साथ उनके करीबी जुड़ाव से भा वत थे इसके अलावा
उ ह ने दे श के व भ े म अपने दौर के दौरान जो महसूस कया था।

प रणाम व प उ ह ने न के वल बड़े ब क वशाल व वधता वाले दे श के व रत वकास के


लए एक सं ागत आधार के नमाण के अलावा धम नरपे ता समाजवाद कोण और
सामा जक याय के लए तब लोकतं क एक परेख ा तुत क । वह दे श को एकजुट
रखने के वचार को कभी नह भूले। उ ह ने अपने लोग म गरीब और हा शये पर पड़े लोग
के लए सामा जक चता क आव यकता के बारे म जाग कता और लोकतां क मू य के
त स मान जगाने क पूरी को शश क । नेह को आधु नक मू य और सोचने के तरीक
को दान करने क को शश के लए जाना जाता है जो भारतीय प र तय के अनुकू ल थे।
वह भारत को वै ा नक खोज और तकनीक वकास के युग म ले जाने के लए तब थे।

नेह काल क व भ घटना और पहलु का एक सं त सव ण इस कार


है।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

राजनी तक वकास
के पहले आम चुनाव म कां ेस ने भारी ब मत हा सल कया और जवाहरलाल नेह के
नेतृ व म क म सरकार बनाई। भारत क पहली संसद के नवाचक मंडल ारा राज साद
को रा प त चुना गया।

नेह ने और म कां ेस को बड़ी चुनावी जीत दलाई हालाँ क अंत म


वजयी ब मत कम हो गया।

इस अव ध म संसद ने व भ उ लेख नीय कानून बनाए जो सामा जक प रवतन और


समानता क ओर नद शत थे।
इन पहलु पर बाद म अलग अलग शीषक के तहत चचा क जाएगी।

रा ीय भाषा पर बहस वतं ता के समय भारत म यारह मुख


भाषाएँ थ जनम से येक को दस लाख से अ धक लोग बोलते थे। औप नवे शक भारत म
अं ेज ी को आ धका रक भाषा के प म इ तेमाल कया जाता था ले कन वतं ता ा त के
साथ अं ेज ी के ान पर एक रा ीय या आ धका रक भाषा रखने का सवाल उठा। गांधी
जी ने रा ीय एकता के लए ह तानी को दे श क रा भाषा के प म योग करने क अनुशंसा
क थी। नेह ने भी ह तानी क रा ीय भाषा बनने क मता को वीकार कया न यादा
सं कृ त न न यादा फारसीकृ त। कु ल मलाकर भारत के गैर हद भाषी द णी और पूव
े ारा रा ीय भाषा के प म हद के वचार क सराहना नह क गई। गंभीर तरोध के
म े नजर सं वधान सभा क भाषा स म त एक समझौता सू लेक र आई। स म त ने नणय
लया क दे वनागरी ल प वाली हद ही आ धका रक भाषा होगी ले कन हद म प रवतन
धीरे धीरे होगा।

पहले पं ह वष तक सभी आ धका रक उ े य के लए अं ेज ी का उपयोग जारी रहेगा और


येक ांत ांत के भीतर आ धका रक काय के लए े ीय भाषा म से एक को चुन सकता
था ज ह सं वधान क आठव अनुसूची म सूचीब कया जाना था। इस कार ह द को
राजभाषा बताकर
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नेह के नेतृ व म वकास

रा ीय के बजाय भाषा स म त को वप को शांत करने क उ मीद थी।

भाषा के मु े को म संसद ारा आ धका रक भाषा अ ध नयम के मा यम से


और कया गया था जसम कहा गया था क हद से भारत म आ धका रक भाषा
बन जाएगी। ले कन गैर हद भा षय को रयायत के प म अं ेज ी को सहयोगी अ त र
का दजा दया गया था। राजभाषा । इसके बावजूद गैर हद भा षय म वशेषकर द ण
भारत म हद के त आ ोश जारी रहा और के अंत म और क शु आत म
भाषा के मु े पर हसक दशन भड़क उठे । के आ धका रक भाषा संशोधन अ ध नयम
ने क और रा य के बीच कसी भी आ धका रक संचार के लए भाषी अं ेज ी हद
समाधान दान कया और ांतीय शासन और सावज नक सेवा परी ा म े ीय भाषा
को मा यता दे क र भाषा क व वध ब लता को रयायत द । .

रा य का भाषाई पुनगठन भाषा के आधार पर रा य के पुनगठन क मांग


भारत म भाषाई ब लवाद का प रणाम थी। यह मांग आजाद के तुरंत बाद सामने आई। वतं
पूव भारत म ांत क सीमाएँ भारत पर टश वजय का प रणाम थ । रा य क सीमाएँ या
तो शास नक सु वधा के लए ख ची गई थ या टश सरकार ारा क ज़ा कए गए े या
रयासत ारा शा सत े के साथ मेल खाती थ ।

कां ेस ने के नागपुर स म े ीय भाषाई पहचान को मा यता दे ने का यास


कया था और अपने संगठना मक ढांचे के लए भारत को भाषाई इकाइय म वभा जत
कया था।
कई ांतीय कां ेस स म तयाँ भाषाई े के आधार पर ा पत क ग जो अ सर टश
भारत के शास नक भाग से मेल नह खाती थ ।

हालाँ क जब म और वतं ता के बाद ांत के भाषाई पुनगठन क मांग


सं वधान सभा म उठ तो रा ीय नेतृ व ने
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

कां ेस ने रा ीय एकता के आधार पर इसका वरोध कया। नव वतं दे श म त क ठन थी।

भारत के वभाजन ने गंभीर शास नक आ थक और राजनी तक चुनौ तयाँ पैदा क । यु के


बाद क नया को गंभीर आ थक और कानून व ा क सम या का सामना करना पड़ा।
क मीर सम या और पा क तान के साथ यु जैसी त पर त काल यान दे ने क आव यकता
है।
हालाँ क लगातार माँग के कारण जून म सं वधान सभा ने भाषाई ांत क
आव यकता क जाँच के लए यायमू त एसके धर क अ य ता म भाषाई ांत आयोग क
नयु क । हालाँ क धार आयोग ने रा ीय एकता के हत म इस तरह के कदम का वरोध
कया। फल व प सं वधान सभा ने भाषाई स ांत को सं वधान म शा मल न करने का नणय
लया।

दसंबर म भाषाई रा य के मुख र समथक को शांत करने के लए कां ेस ने


एक स म त जेवीपी नयु क जसके सद य जवाहरलाल नेह व लभभाई पटे ल और
प ा भ सीतारमैया थे। इसक रपोट जसे जेवीपी रपोट के नाम से जाना जाता है भी रा ीय
एकता के हत म भाषाई रा य के नमाण के खलाफ थी। जेवीपी रपोट के म े नजर वशेषकर
द णी भारत म ापक आंदोलन आ।

भाषाई ांत क पहली मांग आं के तेलुगु भाषी े म दे ख ी गई थी। अग त


म कां ेसी और गांधीवाद नेता वामी सीताराम ने आमरण अनशन शु कर दया। जब क
उ ह ने पतीस दन के बाद अपना उपवास तोड़ दया दसंबर म एक अ य गांधीवाद
अनुयायी पो ीरामुलु ारा आंदोलन को नवीनीकृ त कया गया जनक छ पन दन के
उपवास के बाद मृ यु हो गई। ीरामुलु क मृ यु के बाद पूरे आं े म दं गे दशन हड़ताल
और हसा ई। सरकार ने अलग आं रा य क मांग मान ली जो अंततः अ टू बर
को त मल भाषी म ास रा य से अलग होने के साथ अ त व म आया।

आं के नमाण ने अ य भाषाई समूह को अपने रा य के लए या भाषाई आधार पर


अपनी सीमा के सुधार के लए अपने आंदोलन को तेज करने के लए ो सा हत कया।

जन दबाव म नेह सरकार ने नयु कया


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नेह के नेतृ व म वकास

अग त म रा य पुनगठन आयोग एसआरसी ।


आयोग जसम सद य के प म यायमू त फजल अली के एम प ण कर और दयनाथ कुं ज
शा मल थे ने अ टू बर म अपनी रपोट तुत क इसक सफ़ा रश को कु छ संशोधन
के साथ वीकार कर लया गया और शी ता से लागू कया गया।

नवंबर म रा य पुनगठन अ ध नयम पा रत कया गया था जसम चौदह रा य


और छह क शा सत े का ावधान था ले कन इनम से कई रा य म अभी भी बड़ी सं या
म भाषाई अ पसं यक और े ीय आ थक असमानताएं थ । हैदराबाद रा य के तेलंगाना े
को आं म मला दया गया पुराने म ास ेसीडसी के मालाबार जले को ावणकोर कोचीन
के साथ मलाकर के रल का गठन कया गया। क और सौरा रा य तथा हैदराबाद रा य के
मराठ भाषी े को मलाकर ब बई रा य का और व तार कया गया। आसपास के रा य
बॉ बे म ास हैदराबाद और कू ग के क ड़ भाषी े को जोड़कर मैसूर रा य का व तार
कया गया।

चूं क एसआरसी ने बंबई और पंज ाब के वभाजन का वरोध कया था जनवरी


म बंबई शहर म ापक दं गे भड़क उठे । मई म सरकार अंततः बंबई रा य को महारा
और गुज रात म वभा जत करने पर सहमत हो गई जसम बंबई शहर को महारा म शा मल
कया गया और अहमदाबाद को गुज रात क राजधानी बनाया गया।

जातीय पहचान का मु ा उठाने वाले पहले नागा ने म भारत सरकार को एक


अलग नागालड रा य क मांग मानने के लए मजबूर कया जसका उ ाटन म आ।

भाषाई स ांत के अपवाद के पम म PEPSU के रा य का पंज ाब म


वलय कर दया गया। पंज ाब एक भाषी रा य बना रहा जहां तीन भाषा भाषी थे पंज ाबी
हद और पहाड़ी। एक अलग पंज ाबी सूबा पंज ाबी भाषी रा य क मांग ने सख और ह
सां दा यक के कारण सां दा यक रंग ले लया। नेह के समय म यह सम या अनसुलझी रही।
इसे बाद म इं दरा गांधी ारा संबो धत कया जाना था। तब से पछले कु छ वष म कई नए
रा य का गठन आ है ज री नह क भाषाई आधार पर।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

अ य राजनी तक दल का वकास और के दशक


म कां ेस पाट ने क और अ धकांश रा य म शासन कया। लोग ने मु य प से कां ेस
को वोट दया य क वे इसे वतं ता सं ाम के उ रा धकारी के प म दे ख ते थे और य क
इसके नेता को च र वान और ईमानदार माना जाता था। शायद पहली बार लोग ने
कां ेस के अलावा कसी अ य पाट को चुनने के अपने अ धकार का योग तब कया जब
उ ह ने म के रल म क यु न ट को वोट दे क र स ा म भेज ा। फर म कां ेस
के तीन उ लेख नीय त ं लोकसभा के लए चुने गए अथात् समाजवाद राममनोहर
लो हया उदारवाद एम.आर

मसानी और गांधीवाद आचाय कृ पलानी। यह सब दशाता है क भारत के लोग लोकतं के


री त रवाज से अ तरह प र चत हो रहे ह।

इस अव ध म कां ेस और भारतीय क यु न ट पाट के अलावा अ य राजनी तक


दल क शु आत और वकास और क यु न ट समूह के भीतर उ लेख नीय प रवतन भी दे ख े
गए।
सोश ल ट पाट का गठन
म कां ेस सोश ल ट पाट एसपी के प म आ अपने वयं के सं वधान सद यता
अनुशासन और वचारधारा के साथ यह माच तक कां ेस पाट के भीतर रही। कां ेस
के द णपंथ क ओर बढ़ने और उसके बढ़ने के वरोध म उनका अलगाव हो गया। माच
को ना सक म एक बैठक म स ावाद वृ क घोषणा क गई।

सतंबर म सीएसपी का कसान मज र जा पाट के एमपीपी म वलय


हो गया और एक नई पाट जा सोश ल ट पाट पीएसपी बनी।

जा सोश ल ट पाट सतंबर


म सोश ल ट पाट और के एमपीपी का वलय होकर जेबी के साथ जा सोश ल ट पाट
पीएसपी का गठन आ।
कृ पलानी को अ य और अशोक मेहता को महास चव बनाया गया। वलय के साथ यह
अ खल भारतीय उप त के साथ कां ेस क सबसे बड़ी वप ी पाट बन गई। ले कन
पाट यादा दन तक अपनी एकजुटता कायम नह रख सक .

जून म पाट के बैतूल स मेलन म अशोक


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नेह के नेतृ व म वकास

मेहता ने स ा ढ़ दल को समथन दे ने का आ ान कया य क उनका मानना था क भारत


जैसे पछड़े दे श म मह वपूण काय आ थक वकास है जो सभी राजनी तक दल के लए एक
आम चुनौती है। मेहता क थी सस को पाट के बाक सद य ने खा रज कर दया ज ह ने
राममनोहर लो हया के कोण को वीकार कया।

लो हया कां ेस और क यु न ट दोन से समान री क त म व ास करते थे और


उ जन आंदोलन के संगठन का समथन करते थे।

के अंत म लो हया और उनके समूह ने पीएसपी छोड़ द ।


जब क म आचाय नर दे व क मृ यु हो गई म जय काश नारायण ने घोषणा क
क वह अपना जीवन भूदान और अ य रचना मक ग त व धय के लए सम पत करगे।
म आम चुनाव के बाद जय काश नारायण ने यह घोषणा करते ए स य राजनी त छोड़ द
क दलीय राजनी त भारत के लए उपयु नह है और पाट र हत लोकतं के लए अ भयान
चलाया। म कृ पलानी ने भी पाट छोड़ द और तीन साल बाद अशोक मेहता योजना
आयोग के उपा य बनने के लए तैयार हो गये।

अशोक मेहता लगभग एक तहाई पीएसपी कै डर के साथ कां ेस पाट म शा मल हो गए।

लो हया ने सोश ल ट पाट का गठन कया जसका म पीएसपी म वलय होकर


संयु या यूनाइटे ड का गठन आ।
सोश ल ट पाट एसएसपी । म पाट फर से वभा जत हो गई लो हया के समूह ने एसएसपी
लेबल बरकरार रखा जब क उनके आलोचक ने एक नई पीएसपी शु क।

क यु न ट पाट वतं ता के बाद क


अव ध म बदलती सामा जक राजनी तक ग तशीलता के त भारतीय क यु न ट पाट ारा
अपनाए गए आ धका रक ख म बदलाव आया। इसने सबसे पहले भारत क वतं वदे श
नी त को वीकार कया हालाँ क यह अभी भी सरकार को सा ा यवाद का एजट मानता था।
बाद म इसने यह वीकार कर लया क भारत एक सं भु गणरा य बन गया है ले कन यह भी
महसूस कया क इसक नी तयां पूंज ीवाद समथक और जन वरोधी थ । क यु न ट कां ेस
पाट के ान पर लोकतां क मोचा क पेशकश करगे। म अपनी अमृतसर बैठक म
पाट ने घोषणा क क इसके मा यम से समाजवाद क ओर आगे बढ़ना संभव है
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

शां तपूण और संसद य उपाय. और य द पाट स ा म आती है तो वह संवैधा नक तं के


मा यम से समाजवाद सरकार और समाजवाद व ा का वरोध करने के अ धकार स हत
पूण नाग रक वतं ता दान करेगी। फर म वजयवाड़ा म कां ेस के त संघष के
साथ साथ एकता क नी त का पालन करने का नणय लया गया ग तशील नी तय का
समथन कया जाना था जब क अ य नी तय के खलाफ संघष जारी रखना था।

सीपीआई म वभाजन पाट के भीतर टा लन क सो वयत आलोचना के त रवैया


स चीन वैचा रक मतभेद और के चीन भारत यु जैसे मु पर कई मतभेद थे। कु छ
क यु न ट ने चीनी आ मण के खलाफ सरकार का पूरा समथन कया जब क अ य ने
वरोध कया। भारत चीन सीमा के सवाल पर चीनी ख के अलावा उ ह ने नेह सरकार
को उसके वग च र के कारण अयो य समथन का भी वरोध कया।

चीन सो वयत वैचा रक वभाजन क भारतीय क यु न ट पर भी काफ त या


दे ख ी गई जनम से कई लोग चीनी त के त सहानुभू त रखते थे। वा तव म उस चीनी
आ ान ने जसने नया क क यु न ट पा टय म ां तकारी त व से खुद को संशोधनवाद
सो वयत लाइन का समथन करने वाल से र रहने के लए कहा था भारतीय क यु न ट पर
ब त भाव पड़ा। म पाट वभा जत हो गई सीपीआई पहले के द णपंथी और
म यमाग झान का त न ध व करती थी और सीपीएम या क यु न ट पाट मा सवाद
पहले के वामपंथी झान का त न ध व करती थी।

सीपीएम का मानना था क भारतीय रा य पर बड़े पूंज ीप तय का शासन था जो


वदे शी व ीय पूंज ी के साथ सहयोग करते थे और इस लए उ ह न करना होगा। उनके मन म
भारतीय सं वधान के त अवमानना थी य क वे इसे लोकतं वरोधी मानते थे और इस लए
शां तपूण और संसद य तरीक म व ास नह करते थे। उनके लए सामा जक संबंध म
बदलाव लाने के लए मक वग और सीपीएम के नेतृ व म सश संघष के साथ कृ ष ां त
आव यक थी।

भारतीय जनसंघ अ टू बर
को ा पत भारतीय जनसंघ द णपंथी वचारधारा पर आधा रत था। बपन चं ा के अनुसार
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नेह के नेतृ व म वकास

जनसंघ एक सां दा यक पाट थी और इसके मूल च र और राजनी त को समझने के लए


सबसे पहले रा ीय वयंसेवक संघ आरएसएस क उ प का व ेषण करना होगा। जनसंघ
आरएसएस क रचना थी और इसक संग ठत श क कृ त च र और वैचा रक एक पता
इसी से ा त ई।

शु आत म पाट घोर पा क तान वरोधी थी।


भारतीय सं कृ त का चार सार और भारतीय रा वाद क ापना इसका मूल एजडा था और
इसने एक दे श एक सं कृ त एक रा का नारा दया। इसी कार इसने भारत क आ धका रक
संपक भाषा के प म सं कृ त न हद के प म कड़ा ख अपनाया। म गैर हद
े म पाट के व तार को दे ख ते ए इसने यह मांग छोड़ द और जब तक गैर हद रा य ऐसा
चाहते थे तब तक हद के साथ अं ेज ी को भी जारी रखने का नणय वीकार कर लया।

डॉ. यामा साद मुख ज ज ह ने अ ैल म लयाकत नेह समझौते पर नेह


कै बनेट से इ तीफा दे दया था जनसंघ के गठन के पीछे मु य ताकत थे।

मुख ज ने दावा कया क यह एक गैर सां दा यक पाट है जसका ल य कां ेस के खलाफ


ापक आधार वाला लोकतां क वरोध तैयार करना है।
ले कन कसी भावी वैक पक वचारधारा या काय म और जन समथन के अभाव म पाट
आरएसएस क सहायक कं पनी बन गई। इसने . तशत वोट के साथ लोकसभा सीट
जीत । संयोगवश जनसंघ के सरे अ य मौली चं शमा ने पाट पर आरएसएस के भु व के
वरोध म इ तीफा दे दया।

बाद के वष म पाट को आपातकाल के खलाफ गठबंधन जनता पाट का ह सा


बनना था।

वतं पाट अग त म ा पत
वतं पाट एक गैर समाजवाद सं वधानवाद और धम नरपे ढ़वाद पाट थी जसम
सी. राजगोपालाचारी ज ह ने कां ेस से इ तीफा दे दया था मीनू मसानी एनजी रंगा और
के एम मुंशी जैसे त त नेता थे जनम से अ धकांश अनुभवी थे। कां ेस नेता.

पाट का सामा जक आधार संक ण था और इसम शा मल थे i उ ोगप तय और ापारी


वग का एक वग जो सरकारी नयं ण कोटा और लाइसस से असंतु था और डरता था।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

रा ीयकरण ii जम दार जागीरदार और राजकु मार जागीरदारी सामा जक श और त


के नुक सान और बगड़ती आ थक त से नाराज iii पूव जम दार से पूंज ीवाद कसान बने
और अमीर और म यम कसान ज ह ने जम दारी उ मूलन का वागत कया था ले कन अपनी
जमीन का कु छ ह सा खोने से डरते थे और iv कु छ सेवा नवृ स वल सेवक।

वतं पाट ने रा हरी या अह त ेप रा य क धारणा का समथन कया और


वतं नजी उ म के प म खड़ी थी। इसने आ थक वकास और नजी उ म के रा ीयकरण
और भू म सुधार के व तार म रा य क स य भू मका का वरोध कया।

अंतरा ीय संबंध म पाट ने गुट नरपे ता के साथ साथ भारत सो वयत सहयोग क
नदा क और अमे रका और प मी यूरोप के दे श के साथ घ न संबंध चाहती थी।

वा तव म इसने पूंज ीवाद महाश संयु रा य अमे रका के अधीन पा क तान स हत


ए शया के गैर सा यवाद दे श के साथ एक र ा गठबंधन क वकालत क ।

के चुनाव म इसने लोकसभा म सीट जीत और चार रा य बहार


राज ान गुज रात और उड़ीसा म मु य वप ी दल के प म उभरी।

गुटबाजी दल बदल और म सी. राजगोपालाचारी क मृ यु वतं पाट के लए


हा नकारक सा बत ई। म पाट के अ धकांश नेता भारतीय लोक दल म शा मल हो गए
जब क मसानी के नेतृ व म एक छोटे समूह ने पाट को जी वत रखने क को शश क ।

सां दा यक और े ीय दल • ह महासभा जसक


ापना म मदन मोहन मालवीय ारा ह र ार म क गई थी के बाद
धीरे धीरे राजनी तक प र य से गायब हो गई और भारतीय जनसंघ के कारण इसका समथन
आधार खो गया। • पा क तान क मांग से जुड़े होने के कारण मु लम लीग न य पड़ी रही
और इसके कई नेता कां ेस पाट और अ य
दल म शा मल हो गए। बाद म यह त मलनाडु और के रल के कु छ ह स म पुनज वत
आ और आने वाले समय म कां ेस सीपीआई और सीपीएम का गठबंधन भागीदार बन गया।

साल।
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नेह के नेतृ व म वकास

• अकाली दल ने शरोम ण अकाली दल को रा ता दे दया और पंज ाब तक ही सी मत


रह गया। • अ य े ीय दल जो मुख ता म
आए वे थे डीएमके त मलनाडु ज मू और क मीर नेशनल कॉ स जे एंड के
झारखंड पाट अ वभा जत बहार म गणतं प रषद उड़ीसा ऑल पाट ज हल लीडस
कॉ स असम शे ू का ट फे डरेशन महारा आ द फॉरवड लॉक प म बंगाल और
पीजट् स एंड वकस पाट महारा वामपंथी वचारधारा क ओर झुक ाव वाली पा टयाँ थ
ले कन के वल एक रा य तक ही सी मत थ ।

एक अलोकतां क कृ य
म कां ेस पाट को के रल रा य म अ या शत हार का सामना करना पड़ा जब सीपीआई
वधान सभा म सबसे बड़ी पाट के प म उभरी। ईएमएस नंबूदरीपाद ने कु छ नद लय के
समथन से सरकार बनाई।

यह संभवतः पहली बार था क लोकतां क चुनाव के आधार पर क यु न ट सरकार का गठन


कया गया था।
सम या श ा वधेयक क शु आत के साथ शु ई जो वा तव म एक ग तशील
उपाय था। रा य म कई शै णक सं ान चलाने वाले कै थो लक चच ने इसका कड़ा वरोध
कया और इस वधेयक को अपनी श पर अ त मण के प म दे ख ा। इस त म उपयु
अवसर दे ख कर ानीय कां ेस पाट के सद य जो चुनाव हार गए थे ने रा य ापी वरोध
दशन का आयोजन कया। हड़ताल भी . सरकार ने लाठ चाज और फाय रग क . अनेक
य को जेल भेज ा गया।

हालाँ क नेह को श ा वधेयक पर थोड़ी आप थी फर भी उ ह ने जनता के


सामने तट मोचा बनाए रखा। उ ह ने रा य सरकार को अ य धक बल योग के लए फटकार
लगाई जब क उ ह ने कां ेस कायकता पर लगाम लगाने क को शश क । ले कन वह
ज़मीनी तर पर कु छ भी बदलने म नाकाम रहे. अंत म उ ह ने अपनी पाट के भीतर और बाहर
के दबाव के आगे घुटने टे क दए और जुलाई म ईएमएस सरकार को बखा त करने और
के रल म रा प त शासन लगाने क सलाह द । इस कार वतं भारत म पहली बार एक
लोकतां क प से चुनी गई सरकार को बखा त कर दया गया। आपातकालीन श यां.
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

आ थक के लए योजना क अवधारणा
वकास
नेह ापक भू म सुधार औ ोगीकरण और बजली संयं प रवहन प रयोजना
सचाई बांध आ द जैसी व भ बु नयाद सु वधा के वकास के लए लोकतां क या
के मा यम से भावी योजना बनाने म व ास करते थे। आ थक वकास पर अपने वचार
म वह गांधी के वचार के प म नह थे। इस लए उ ह ने रा य को अथ व ा म ह त ेप
करने इसके वकास का मागदशन करने और जनसं या के क याण को बढ़ावा दे ने के लए
सीधे काय करने क प रक पना क । नेह कई रा ीय नेता के साथ और
के दशक म सो वयत संघ म आ थक योजना क सफलता से रोमां चत थे। योजना आयोग
क उ प का पता म कां ेस ारा ा पत रा ीय योजना स म त और क
बॉ बे योजना से लगाया जा सकता है।

योजना आयोग एक सं वधानेतर नकाय क ापना माच म भारत सरकार


के एक साधारण ताव ारा क गई थी। नकाय को पंचवष य योजना के प म आ थक
नयोजन का काय स पा गया था। धानमं ी वयं आयोग के पदे न अ य थे। रा ीय वकास
प रषद एनडीसी जसे योजना को अं तम मंज ूरी दे नी थी क ापना अग त
को क गई थी।

हैरोड डोमर मॉडल पर आधा रत पहली पंचवष य योजना म दे श


क अथ व ा को गरीबी के च से बाहर नकालने का यास कया गया। इसम मु य
प से बांध और सचाई म नवेश स हत कृ ष े को संबो धत कया गया। भाखड़ा नांगल
बांध जैसी बड़े पैमाने क प रयोजना के लए भारी आवंटन कया गया। इसम भू म सुधार
पर भी यान क त कया गया।

पीसी के नेतृ व म सरी योजना का मसौदा तैयार कया गया


महालनो बस ने भारी उ ोग पर जोर दया। योजना ने समाज के समाजवाद पैटन को
त ब बत कया य क सरकार ने घरेलू उ ोग क र ा के लए आयात पर पया त शु क
लगाया।

तीसरी योजना सरी से कु छ खास भ नह थी। हालाँ क आलोचक के अनुसार


योजना क रणनी तयाँ
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नेह के नेतृ व म वकास

इस समय से एक शहरी पूवा ह द शत आ और साथ ही उ ोग को गलत तरीके से


कृ ष पर ाथ मकता द गई।

लोकतां क समाजवाद म व ास रखने वाले नेह के मागदशन म भारत ने


म त अथ व ा का वक प चुना यानी पूंज ीवाद मॉडल और समाजवाद मॉडल के
त व को लेक र एक साथ मलाया गया। अ धकांश कृ ष ापार और उ ोग नजी हाथ म
छोड़ दये गये। रा य ने मुख भारी उ ोग को नयं त कया औ ो गक बु नयाद ढाँचा दान
कया ापार को व नय मत कया और कृ ष म कु छ मह वपूण ह त ेप कए। हालाँ क इस
तरह का म त मॉडल बाएँ और दाएँ दोन तरफ से आलोचना के लए खुला था।

आलोचक के अनुसार FYPs ने नजी े को बढ़ने के लए पया त ान और


ो साहन दान नह कया।
इसके अलावा नवेश के लए लाइसस और पर मट क णा लय ने नजी े को हतो सा हत
कया और ाचार और लालफ ताशाही को बढ़ावा दया। सरी ओर समाजवाद मॉडल के
समथक ने आरोप लगाया क रा य ने सावज नक श ा और वा य दे ख भाल पर मह वपूण
रा श खच नह क । आलोचक के अनुसार रा य के ह त ेप से एक नए म यम वग का
नमाण आ जो बना अ धक जवाबदे ही के उ वेतन के वशेषा धकार का आनंद उठा रहा
था।

योजना ल य म कमी क आलोचना के बावजूद कोई भी इस बात से इनकार नह


कर सकता क योजना के तहत एक ठोस औ ो गक आधार और बु नयाद ढांचा सु वधाएं
बनाई ग ।
सचाई और बजली उ पादन के लए भाखड़ा नांगल दामोदर घाट नगम और
हीराकुं ड मेगा बांध का नमाण कया गया था। सावज नक े म कु छ भारी उ ोग इ ात
संयं तेल रफाइन रयाँ व नमाण इकाइयाँ र ा उ पादन आ द शु कए गए। ह तान
मशीन टू स सदरी फ टलाइजर च रंज न रेल फै इंट ल कोच फै ह तान
एंट बायो ट स आ द नए रा के लए ब त मददगार सा बत ए।

व ान एवं ौ ो गक क गत
नेह का मानना था क व ान और ौ ो गक भारत क सम या के समाधान के लए
मह वपूण थे। वै ा नक नी त
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

दे श क आ थक सामा जक और सां कृ तक उ त म व ान और ौ ो गक क भू मका को


वीकार करने वाला ताव माच म लोकसभा ारा पा रत कया गया था। ले कन
म एसपीआर के पा रत होने से पहले कई वै ा नक और तकनीक सं ान ा पत कए गए
थे। दे श। व ान और वै ा नक अनुसंधान के मू य पर जोर दे ने के लए नेह ने वयं वै ा नक
और औ ो गक अनुसंधान प रषद सीएसआईआर क अ य ता संभाली। इस दशा म उठाए
गए कु छ कदम नीचे दए गए ह। • जनवरी म आ म नभर वै ा नक और तकनीक
वकास को बढ़ावा दे ने के लए रा ीय भौ तक योगशाला भारत क पहली रा ीय योगशाला
क ापना क गई थी जसके बाद अनुसंधान के व भ े पर यान क त करते ए
स ह रा ीय योगशाला का एक नेटवक ा पत
कया गया।

• म मैसाचुसेट्स इं ट ट
ू ऑफ टे नोलॉजी के अनु प पांच ौ ो गक
सं ान म से पहला सं ान खड़गपुर म ा पत कया गया था। • परमाणु ऊजा आयोग
जसके अ य होमी जे.

भाभा क ापना अग त म ई थी। नेह ने गत प से भाभा को अपना सव े


दशन करने के लए ो सा हत कया। म सरकार ने होमी भाभा को स चव बनाकर
एक अलग परमाणु ऊजा वभाग बनाया। अग त म ॉ बे म भारत का पहला परमाणु
रए टर ए शया का भी पहला संक ट त हो गया।

• म भारतीय रा ीय अंत र अनुसंधान स म त INCOSPAR क ापना


थु बा TERLS म एक रॉके ट लॉ चग सु वधा के साथ क गई थी। • र ा उपकरण के उ पादन
म भारत क मता बढ़ाने के लए कदम उठाए गए।

• अंतररा ीय मानक के अनु प दशमलव स के और वजन और माप क मी क


णाली म बदलाव और के बीच चरण म कया गया था।

सामा जक वकास
श ा म वकास म कु ल जनसं या का के वल
. तशत सा र था और ामीण े म यह तशत ब त कम था। बीच म
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नेह के नेतृ व म वकास

और म कू ल म नामांक न लड़क के लए दोगुना और लड़ कय के लए तीन गुना


हो गया। नेह क गत च और यास से शै क त म सुधार के लए कई नी तयां
लागू क ग । तक व व ालय क सं या म से बढ़कर हो गई।

म डॉ. एस. राधाकृ णन क अ य ता म भारतीय व व ालय श ा आयोग


क ापना क गई।
आयोग क सफा रश पर म व व ालय अनुदान आयोग यूज ीसी क ापना क
गई और म व व ालय अनुदान आयोग अ ध नयम पा रत कया गया।

मा य मक श ा म सुधार के लए सरकार ने म मुद लयार आयोग क नयु


क जसके अ य डॉ. ए. ल मण वामी मुद लयार थे। इसके अलावा कू ली श ा से संबं धत
शै णक मामल पर क और रा य सरकार को सहायता और सलाह दे ने के लए रा ीय
शै क अनुसंधान और श ण प रषद एनसीईआरट क ापना सतंबर म एक
सा ह यक वै ा नक और धमाथ समाज के प म क गई थी।

नेह के तहत सामा जक प रवतन भारत के सं वधान ने


यह सु न त कया क भारतीय सामा जक संगठन म बदलाव आए जससे समाज के अब
तक सामा जक प से पछड़े और दबे ए वग क सामा जक मु हो सके ।

म सरकार ने अ ृ यता वरोधी कानून पा रत कया जससे अ ृ यता क था


दं डनीय और सं ेय अपराध बन गई। समाज के कमजोर वग के प म शै णक सं ान और
सरकारी रोजगार म आर ण के संबंध म सं वधान म उ ल खत धारा को लागू कया गया।

समाज म म हला के समान अ धकार के लए ह कोड बल म संसद म


पेश कया गया था। समाज के ढ़वाद वग के ती वरोध का सामना करने के बावजूद बल
को चार अलग अलग अ ध नयम के प म पा रत कया गया था। इन अ ध नयम ने पु ष
और म हला दोन के लए एक ववाह और तलाक के अ धकार क शु आत क सहम त
और ववाह क उ बढ़ा द और म हला को भरण पोषण का अ धकार और पा रवा रक
संप वरासत म दे ने का अ धकार दया। ले कन भा य से समान नाग रक सं हता के अभाव
म ां तकारी कदम से के वल ह म हला को लाभ आ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ह म हला के लए भी ब त कु छ करने क ज रत थी।

वदे श नी त
एक उभरते रा के लए एक वतं वदे श नी त अपनाना वतं भारत के नेता के लए एक बड़ी चुनौती थी।

अंतरा ीय मामल पर कोई भी नणय लेते समय वतं ता सं ाम के दौरान वक सत ए ापक मापदं ड को मूल म
रखा जाना था। नेह ने इस आवाज़ को गुट नरपे आंदोलन NAM के मा यम से गुट नरपे ता के वचार और एक
संगठना मक ढांचे के प म आकार दया।

नेह वाद युग के दौरान भारत क वदे श नी त के बु नयाद स ांत मोटे तौर पर नीचे दए गए प रसर के
इद गद घूमते थे। i प ीय या ब प ीय प से कसी भी सै य गठबंधन म भागीदारी क अ वीकृ त। ii एक
वतं वदे श

नी त जो दो त ध श गुट म से कसी से बंधी नह थी हालाँ क यह तट वदे श नी त का पयाय


नह थी। iii हर दे श के साथ म ता क नी त चाहे वह अमे रक
गुट का हो या सो वयत गुट का। iv एक स य उप नवेशवाद वरोधी नी त जसने ए शयाई अ क
लै टन अमे रक दे श म उप नवेशवाद को ख़ म करने का समथन कया। v रंगभेद वरोधी नी त
का खुला समथन। vi व क कुं जी के प म नर ीकरण को बढ़ावा दे ना

शां त।
गुट नरपे ता और एनएएम के बु नयाद स ांत पर पहले ही रा वाद वदे श नी त का वकास अ याय
म व तार से चचा क जा चुक है।

अंतरा ीय तर पर नर ीकरण के त भारत क तब ता को संयु रा के चाटर के नमाण के समय

दे ख ा जा सकता है।
चाटर का अनु ेद अंतरा ीय नर ीकरण क वकालत करता है।

भारत ने म परमाणु ऊजा आयोग के गठन का समथन कया और म अठारह रा नर ीकरण स मेलन
को ायो जत कया।
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नेह के नेतृ व म वकास

पड़ो सय के साथ संबंध


भारत और पा क तान वभाजन क
अ वाभा वकता और कृ मता ने पा क तान को भारत से वतं अपनी पहचान ा पत करने
का यास करने के लए े रत कया जसका भूगोल इ तहास परंपरा और सं कृ त के आधार
पर वह तक एक ह सा था। पा क तान अपने ज म से ही हर े म भारत के साथ
बराबरी हा सल करने क चाहत रखता है। इस कार पा क तान ने सभी अंतररा ीय मंच पर
भारत के साथ त धा करना शु कर दया और मुख ता हा सल करने के लए सभी कार
के तरीक का इ तेमाल कया।

क मीर मु ा पा क तान
ने अ टू बर को क मीर के भारत म वलय को वीकार करने से इनकार कर दया।
पा क तान ायो जत आ दवासी हमले के जवाब म शेख अ ला के नेतृ व म ानीय आबाद
ारा सम थत भारत ने व रत सै य कारवाई क । ले कन भा य से े को बचाने का काय
पूरा होने से पहले ही जनवरी म नेह ारा सुर ा प रषद म एक शकायत दज क
गई। इसके प रणाम व प जनवरी को यु वराम आ। भारत भी अंतरा ीय के
तहत म जनमत सं ह कराने पर सहमत आ। पयवे ण ले कन बदली ई प र तय
के कारण अंततः म यह ताव वापस ले लया गया।

हालाँ क क मीर के लए संयु रा संघ और अ य अंतरा ीय मंच पर कू टनी तक लड़ाइयाँ


लड़ी ग ले कन तक दोन दे श के बीच कोई वा त वक यु नह आ।

सधु नद जल ववाद सधु णाली के जल का


यायसंगत बंटवारा वभाजन के बाद से ही ववाद का मु ा रहा है। वभाजन से भारत को सधु
ारा स चत म लयन एकड़ भू म म से म लयन भू म ा त ई। स ु तं के प मी
भाग का अ धकांश जल अरब सागर म चला जाता था। पा क तान म कु छ नहर आपू त के लए
पूव पंज ाब भारत से बहने वाली पूव न दय पर नभर थ । पा क तान म कु छ मह वपूण
नहर के हेडव स भारतीय े म आते ह। पा क तान म सूख े और बाढ़ जैसे ाकृ तक कारक
से उ प कसी भी आपदा के लए पा क तान क मक सरकार ने भारत को दोषी ठहराया।
तो व बक के मागदशन म ए
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

नहर के पानी पर अंत रम समझौते पर अ ैल को ह ता र कए गए थे। इसके बाद


दोन दे श के बीच एक ापक समझौते पर सतंबर को कराची म ह ता र कए
गए थे।
भा य से आज तक कई मौक पर सधु जल सं ध दो दे श के बीच कलह का कारण बनी है।

भारत और चीन उन पहले दे श


म से एक जनके साथ वतं भारत ने राजन यक संबंध ा पत कए चयांग काइशेक के
नेतृ व वाली चीन क रा वाद सरकार थी। म जब क यु न ट ारा रा वाद सरकार को
उखाड़ फका गया तो भारत एक बार फर माओ से तुंग के नेतृ व वाली नई सरकार को मा यता
दे ने वाले पहले दे श म से एक था। भारत ने संयु रा म शा मल होने के लए पीपु स रप लक
ऑफ चाइना के यास का लगातार समथन कया। ले कन इन सभी यास के नतीजे भारत
के लए नराशाजनक सा बत ए।

त बत और पंचशील म वकास चीनी सेना ने म त बत म वेश


कया और उस पर क ज़ा कर लया।
भारत को त बत े म लगभग मील क सीमा साझा करने के अलावा टश शासन
से त बत पर कई अ धकार और दा य व वरासत म मले थे। हालाँ क शां त बनाए रखने के
लए नेह ने म चीन के साथ एक समझौता कया जसने त बत पर चीनी क जे को
औपचा रक प दे दया। यह समझौता पंचशील के नाम से स है ।

म त बत म चीनी भु व के व एक जन व ोह आ। हालाँ क इस व ोह
को चीन ने दबा दया ले कन त बत के धा मक मुख दलाई लामा भाग गए और भारत म
शरण ले ली। इसी को बहाना बनाकर चीन ने म ल गजू और ल ाख के वग
मील भारतीय े पर क ज़ा कर लया। इसके बाद दोन दे श के बीच वरोध नोट ापन और
सहयोगी सं मरण का आदान दान आ। अगले कदम म चीन ने भारतीय े के बड़े ह से
पर दावा कया जसके बाद चीनी धान मं ी चाउ एन लाई अ ैल म सीमा ववाद पर
बातचीत करने के लए नई द ली आए। दोन दे श क आ धका रक ट म ने एक सरे का दौरा
भी कया ले कन कोई समझौता नह हो सका और सीमा ववाद जारी रहा।
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नेह के नेतृ व म वकास

भारत चीन यु अ टू बर
म चीन ने भारत पर नेफ ा अ णाचल दे श और ल ाख म हमला कर दया। इस कार दोन
दे श के बीच यु शु हो गया जो भारत के लए एक सै य पराजय म समा त आ। ची नय
के पास भौगो लक लाभ के साथ साथ बेहतर ह थयार भी थे। नेह ने मदद के लए अमे रका
और टे न का ख कया। प मी श य संयु रा य अमे रका और साथ ही टे न ने
भारत को समथन दे ने का वादा कया और पहले से ही भारत म ह थयार भेज रहे थे। नवंबर
म चीन ने अपनी वापसी क एकतरफा घोषणा कर द । ले कन चीन ने ल ाख के एक
बड़े ह से पर अपना क ज़ा जारी रखा सन कआंग और द णी चीन के बीच एक ब त
त त रणनी तक लक।

े को वापस करने के लए चीन पर दबाव बनाने के भारत के कू टनी तक यास का


कोई नतीजा नह नकला। यहां तक क दसंबर म कोलंबो म चीन भारत सीमा ववाद
का शां तपूण समाधान खोजने के लए इंडोने शया कं बो डया बमा यूएआर घाना और सीलोन
ारा अ क ए शयाई म य ता भी चीन से अनुकू ल त या पाने म वफल रही। म
चीन ने अपने पहले परमाणु व ोट का परी ण कया जससे भारत और भी च तत हो गया।

भारत चीन यु के प रणाम


i यु ने भारत के वा भमान को ब त बड़ा आघात प ँचाया। ii गुट नरपे ता क
नी त सवाल के घेरे म आ गई। iii कां ेस लगातार तीन संसद य उपचुनाव हार गई और
नेह को अपने जीवन के पहले अ व ास ताव का सामना करना पड़ा। iv तीसरी
पंचवष य योजना बुरी तरह भा वत ई य क संसाधन को र ा म लगा दया
गया।

v भारत क वदे श नी त म बदलाव आया य क अमे रका और टे न ने संक ट म


सकारा मक त या द थी भ व य म उन पर वचार कया जाना था। अमे रक
खु फया एज सय ने चीनी खतरे का मुक ाबला करने के नाम पर संबंध वक सत
कए और यहां तक क हमालय म एक परमाणु संचा लत उपकरण भी लगाया।
vi यु म भारतीय पराजय से ो सा हत होकर पा क तान को म भारत पर
हमला करना था जसम चीन ने गु त
प से मदद क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

भारत और नेपाल नेपाल क


भौगो लक त ने उसे भारत क बा सुर ा क से भारत से अ वभा य बना दया है।

इस कारक के त सचेत रहते ए भारत ने जुलाई म नेपाल के साथ एक सं ध पर


ह ता र कये जसके ारा उसने नेपाल क सं भुता े ीय अखंडता और वतं ता को
मा यता द । दोन दे श ने एक सरे से कसी भी सम या पर उ प होने वाले गंभीर मतभेद या
गलतफहमी के बारे म एक सरे को सू चत करने क तब ता जताई।

भारत और भूटान अग त
म दोन दे श ने सतत शां त और म ता के लए एक सं ध पर ह ता र कए। भारत ने भूटान
के आंत रक शासन म ह त ेप न करने का वचन दया जब क भूटान अपने बाहरी संबंध के
संबंध म भारत सरकार क सलाह से नद शत होने पर सहमत आ।

भारत और ीलंक ा के त मल
सहली दं ग और उसके बाद ीलंक ा क त मल आबाद के त कु छ भारतीय नेता क
सहानुभू त आक षत ई। भारतीय संसद के अंदर और बाहर यह खुली सहानुभू त ीलंक ाई
सरकार को नापसंद थी। परंतु भारत सरकार ीलंक ा म जातीय ववाद को उस दे श का
आंत रक मामला मानकर ीलंक ा के त म वत बनी रही। दोन दे श ने पार रक प से
लाभ द आ थक और ापा रक संबंध बनाए। वा तव म ीलंक ा ने NAM का समथन कया
और कसी भी सै य गठबंधन म शा मल नह आ।
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परश
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. व श आंदोलन से जुड़े व

वदे शी आंदोलन
लोकमा य तलक ने वदे शी का संदेश पूना और ब बई तक फै लाया और दे शभ क
भावनाएँ जगाने के लए गणप त और शवाजी उ सव का आयोजन कया। उ ह ने इस बात पर
जोर दया क वदे शी ब ह कार और रा ीय श ा का उ े य वराज क ा त है। उ ह ने
सहकारी टोर खोले और वदे शी वा तु चा रणी सभा का नेतृ व कया।

लाला लाजपत राय इस आंदोलन को पंज ाब और उ री भारत के कु छ ह स तक ले


गये। उनके उ म म उ ह अजीत सह ारा सहायता दान क गई। उनके लेख जो काय
समाचार म का शत होते थे तकनीक श ा और औ ो गक आ म नभरता का समथन करते
थे।

सैयद हैदर रज़ा ने द ली म वदे शी आंदोलन को लोक य बनाया।

चद बरम प लई ने आंदोलन को म ास तक फै लाया और तूतीको रन कोरल मल क


हड़ताल का आयोजन कया। उ ह ने म ास ांत के पूव तट पर तूतीको रन म वदे शी ट म
ने वगेशन कं पनी क ापना क ।

उ वाद कबीले के ब पन चं पाल ने आंदोलन को वशेषकर शहरी े म लोक य


बनाने म मुख भू मका नभाई। वे यू इं डया के संपादक थे ।

पटना के लायकत सैन ने ब ह कार का सुझ ाव दया और म ई ट इं डयन रेलवे


क हड़ताल का आयोजन कया। उ ह ने मुसलमान म रा वाद भावना को जगाने के लए
उ म उ लेख भी लखे। उ ह गजनवी रसूल द न मोह मद द दार ब स मो न मां
इ माइल सैन सराजी अ ल सैन और अ ल ग फार जैसे अ य मु लम वदे शी
आंदोलनका रय का समथन ा त था ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

एक वदे शी राजनी तक नेता यामसुंदर च वत ने हड़ताल आयो जत करने म


मदद क ।
राम सुंदर वेद ने वभाजन लागू होने के दन शोक और वरोध के तीक के प
म अरंधन चू हा जलाए रखना मनाने का आ ान कया ।

रवी नाथ टै गोर ने वतं ता सं ाम को े रत करने के लए कई गीत क रचना क


और रा ीय गौरव जगाने के लए बंगाली लोक संगीत को पुनज वत कया। उ ह ने कु छ
वदे शी टोर भी ा पत कए और र ा बंधन भाईचारे क नशानी के प म एक सरे
क कलाई पर धागे बांधना मनाने का आ ान कया।

अर बदो घोष आंदोलन को शेष भारत तक व ता रत करने के प म थे। उ ह


दे शभ क सोच और भारतीय प र तय और सं कृ त से संबं धत श ा णाली को
ो सा हत करने के लए म ा पत बंगाल नेशनल कॉलेज के सपल के प म
नयु कया गया था। वह बंदे मातरम के संपादक भी थे और अपने संपादक य के मा यम
से वदे शी आंदोलन क भावना म हड़ताल रा ीय श ा आ द को ो सा हत कया। उ ह
जती नाथ बनज और ब र कु मार घोष ज ह ने अनुशीलन स म त का बंधन कया था
ारा सहायता दान क गई थी।

उदारवाद रा वाद राय रखने वाले सुर नाथ बनज ने द बंगाली जैसे समाचार प
के मा यम से श शाली ेस अ भयान चलाया और सामू हक बैठक को संबो धत कया।

उनक सहायता कृ णकु मार म ा और नर कु मार सेन ने क ।

अ नी कु मार द एक कू ल श क ने वदे शी आंदोलन का चार करने के लए


वदे श बंधब स म त क ापना क और उनके वरोध दशन म बा रसल के मु लम
कसान का नेतृ व कया।
ोमोथा म र ब र कु मार घोष जती नाथ बनज ने कलक ा म अनुशीलन
समतक ापना क ।

भारतीय रा ीय कां स
े के के बनारस अ धवेशन के अ य जीके गोखले ने
वदे शी आंदोलन का समथन कया।

एक जम दार और वक ल अ ल हलीम गुज़ नवी ने वदे शी उ ोग ा पत कए


और अर बदो घोष को बंगाल के बाहर ां तकारी ग त व धय का व तार करने म मदद क ।
उनक सहायता अबुल कलाम आज़ाद ने क थी।
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परश

के कां ेस अ धवेशन म दादाभाई नौरोजी ने घोषणा क क कां ेस का ल य वराज


ा त करना है।
वदे शी को बढ़ावा दे ने के लए आचाय पी.सी.राय
बंगाल के मक स फै तक।
मुकुं द दास रजनीकांत सेन ज लाल रॉय गर मो हनी दोसी सैयद अबू मोह मद ने
वदे शी वषय पर दे शभ गीत क रचना क । गरीशचं घोष ीरोदे साद व ा वनोद और
अमृतलाल बोस नाटककार थे ज ह ने अपने रचना मक यास के मा यम से वदे शी भावना म
योगदान दया।

वदे शी कायकता अ नी कु मार बनज ने अग त म बज बज म इं डयन मलहड् स


यू नयन बनाने के लए जूट मल मक का नेतृ व कया।

सतीश चं मुख ज अपनी डॉन सोसायट के मा यम से


वदे शी नयं ण के तहत एक श ा णाली को बढ़ावा दया।
अमृत बाज़ार प का समूह के मोतीलाल घोष ने दे शभ क भावनाएँ जगाने के लए
अखबार म कई उ लेख लखे और वे उ वाद के प म थे।

बांधब उपा याय ने अपने सं या और युगांतर बार कु मार घोष से जुड़े एक समूह ारा
का शत के मा यम से वराज और वदे शी आंदोलन को लोक य बनाया।

जोग चं ने छा को तकनीक और औ ो गक श ण के लए वदे श जाने क


सु वधा दान करने के लए धन जुटाने के लए माच म एक संघ क ापना क ।

का समबाजार के एक जम दार मण नंद ने कई वदे शी उ ोग को संर ण दया।

कालीशंक र सुकु ल ने वदे शी आंदोलन पर कई पच नकाले और तक दया क रा ीय हत


को बढ़ावा दे ने के लए एक नए कार का ापा रक वग बनाया जाना चा हए।

यूपी का छा सुंदर लाल आतंक वाद क ओर आक षत आ।

शु आत कुँ वरजी मेहता और क याणजी मेहता ने क


पाट दार युवक मंडल के मा यम से संगठना मक काय ।
लाला हर कशन लाल ने वदे शी आंदोलन को बढ़ावा दया
ो झुक ाव वाले समूह के मा यम से पंज ाब क शु आत ई
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यून अखबार. उ ह ने पंज ाब नेशनल बक क भी ापना क ।

मुह मद शफ़ और फ़ज़ल ए सैन पंज ाब म एक मु लम समूह के नेता थे जो ब ह कार


के बजाय रचना मक वदे शी म शा मल थे।

वी. कृ णा वामी अ यर ने म ास ेसीडसी म मायलापुर समूह का नेतृ व कया।

जी. सु म यम अ यर ट . काशम और एम. कृ णा राव द ण म अ य नेता थे ले कन


वीके अ यर के वरोधी थे। काशम और कृ ण राव ने म मसुलीप नम म क तनाप का
शु क ।

त मल ां तकारी समूह के सद य और यात क व सु म यम भारती ने त मल े


म रा वाद जगाने म मह वपूण भू मका नभाई।

भातकु सुम रॉय चौधरी अथानासुइस अपूबा कु मार घोष वक ल थे ज ह ने मक


को संग ठत करने म मदद क ेमतोष बोस एक अ य अ णी मक नेता थे।

हेमचं कानूनगो पहले ां तकारी नेता म से एक थे और पे रस से लौटने के बाद वे


सै य श ण ा त करने के लए वहां गए थे कलक ा म एक संयु बम फै और धा मक
कू ल ा पत कया गया था।

खुद राम बोस और फु ल चाक दो


अ ैल को ां तका रय ने कै नेडी क ह या कर द ।
पु लन दास ने डे कन अनुशीलन का आयोजन कया जसका पहला मुख उ म बरा
डकै ती थी।
मदन मोहन मालवीय और मोतीलाल नेह ांतीय सरकार के साथ सहयोग और गैर
राजनी तक वदे शी आंदोलन के प म थे।

स च नाथ सा याल मोखोदाचरण समा याय बंधव क मृ यु के बाद सं या के


संपादक के संपक के मा यम से बनारस म एक ां तकारी नेता के प म उभरे ।

सावरकर बंधु ने म म मेला क ापना क और वे सीधे तौर पर महारा म


उ वाद म शा मल थे।
दनशॉ वाचा ने महारा म मल मा लक को मनाया
म यम क मत पर धोती बेचने के लए ।
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परश

असहयोग आंदोलन
एमके गांधी ने माच म एक घोषणाप जारी कया जसम उ ह ने अ हसक
असहयोग आंदोलन के स ांत क घोषणा क । वह आंदोलन के पीछे मु य श थे और
उ ह ने लोग से हाथ से कताई बुनाई स हत वदे शी स ांत और आदत को अपनाने और
अ ृ यता को र करने के लए काम करने का आ ह कया। म अपने रा ापी दौरे
के दौरान उ ह ने लाख लोग को संबो धत कया। फरवरी म यूपी के चौरी चौरा म
हसा भड़कने के बाद उ ह ने आंदोलन गत कर दया।

सीआर दास ने म नागपुर म कां ेस के वा षक स म असहयोग पर मु य


ताव पेश कया और आंदोलन को बढ़ावा दे ने म मुख भू मका नभाई। एक सफल
वक ल उ ह ने कानून अदालत का ब ह कार कया और एक आकषक ै टस छोड़ द ।
उनके तीन अधीन और समथक मदनापुर म बीर नाथ समसल चटगांव म जेएम
सेनगु ता और कलक ा म सुभाष बोस ने ह और मुसलमान को एकजुट करने म मुख
भू मका नभाई।

जवाहरलाल नेह ने असहयोग चार चलाया और सरकारी नी तय ारा शो षत


कसान के मु े को उठाने के लए कसान सभा के गठन को ो सा हत कया। वह गांधी
जी के आंदोलन वापस लेने के फै सले के खलाफ थे।

बंगाली रा वाद नेता जेएम सेनगु ता ने असम म चाय बागान के मज र के वरोध


और हड़ताल म उनका समथन कया।

सीआर दास क प नी बसंती दे बी म गर तारी दे ने वाली पहली म हला


वयंसेवक म से एक थ ।
बीर नाथ समसल ने मदनापुर के क टाई और तमलुक उप मंडल म यू नयन बोड
वरोधी आंदोलन का आयोजन कया।
नवंबर दसंबर म समसल ने मदनापुर के म ह य पया त करायेदार के बीच कर
मु आंदोलन शु कया।

जीते लाल बनज ने म बोगरा पबना और बीरभूम म बंदोब त काय


का वरोध करने के लए कसान को संग ठत कया।
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सुभाष चं बोस ने आंदोलन का समथन कया और स वल सेवा से इ तीफा दे


दया। उ ह कलक ा म नेशनल कॉलेज का सपल नयु कया गया।

अली बंधु शौकत अली और मुह मद अली जो सबसे मुख खलाफत नेता थे ने
आंदोलन को फै लाने के लए गांधी के रा ापी दौरे म उनका जोरदार समथन कया। अ खल
भारतीय खलाफत स मेलन म मुह मद अली ने घोषणा क क मुसलमान के लए टश
सेना म बने रहना धा मक प से गैरकानूनी था। बाद म अली बंधु को गर तार कर लया
गया।

गांधीजी के असहयोग आ ान के जवाब म मोतीलाल नेह ने अपनी कानूनी


ै टस छोड़ द । उ ह म गर तार कर लया गया था। अ य उ लेख नीय वक ल
ज ह ने अपनी ै टस छोड़ द उनम एमआर जयकर सैफु न कचलू व लभभाई पटे ल
सी. राजगोपालाचारी ट . काशम और आसफ अली शा मल थे। उनके ब लदान ने कई
अ य लोग को े रत कया ज ह ने सरकारी नौक रय का ब ह कार कया और वतं ता
सं ाम क मु यधारा म वेश कया।

लाला लाजपत राय ारंभ म असहयोग क नी त के प म नह थे वे कू ल के


ब ह कार के ख़लाफ़ थे ले कन बाद म उ ह ने आंदोलन का समथन कया। दरअसल उ ह ने
म इसे वापस लेने का वरोध कया था।

राज साद ने बहार म गांधीवाद आंदोलन का स य समथन कया।

सरदार व लभभाई पटे ल ने गुज रात म आंदोलन फै लाया और औप नवे शक सरकार


के खलाफ लड़ने के लए असहयोग को ां तकारी आतंक वाद का एक वहाय वक प
माना।

मोतीलाल तेज ावत ने भील और भील को संग ठत कया


आंदोलन ने असहयोग ग त व धय को मजबूत कया।
अ लूरी सीताराम राजू ने आं म आ दवा सय का नेतृ व कया और उनक मांग
को असहयोग आंदोलन के साथ जोड़ा।

खलाफत नेता हसरत मोहानी ने अली बंधु क गर तारी क नदा क और पूण


वतं ता क मांग क ।

पु षो मदास ठाकु रदास जमनादास ारकादास कावसजी जहांगीर ोज़ सेठना


और सीतलवाड सभी
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परश

जो उ ोगप त वग से थे उ ह ने म एक असहयोग वरोधी संघ क ापना क ।

कु ह मद हाजी कला थगल म माद अली मुस लयार सथी कोया थंगल और इ बेची कोया
थंगल ने कई ान पर ा पत खलाफत गणरा य के अ य के प म काय कया।

के . माधवन नायर यू. गोपाला मेनन याकू ब हसन और पी. मोइद न कोया खलाफत नेता और
असहयोग आंदोलन के समथक थे। उ ह फरवरी म गर तार कर लया गया।

एक अ य खलाफत आंदोलनकारी मुह मद उ मान ने कलक ा म वयंसेवी समूह और े ड


यू नयन का आयोजन कया।
वामी व ानंद एक मारवाड़ी खदान मा लक रामजस अ वाल ारा सम थत और वामी
दशनानंद ने असहयोग आंदोलन के लए रानीगंज झ रया बे ट के कोयला ख नक को संग ठत कया।

कशन सह और मोटा सह ने बना राज व आंदोलन का आ ान कया और ब बर अकाली


समूह का नेतृ व कया जो म जुलुं र और हो शयारपुर म शरोम ण गु ारा बंधक स म त के
असंतु के प म उभरा।

जयरामदास दौलतराम के घ न सहयोगी थे

गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को बढ़ावा दया।


गांधी जी के समथक वामी गो वदानंद को मई म राज ोह के आरोप म पांच साल क
जेल ई।
बाद म वे कां ेस के आलोचक बन गये।
एसए डांगे आरएस नबकर वीडी सथाये आरवी
नाडकण एसवी दे शपांडे और के एन जोगलेक र एक क रपंथी छा समूह के सद य थे और उ ह ने
आंदोलन को बढ़ावा दया हालां क वे गांधी के वचार के अनु प नह थे। वे समाजवाद झान वाले
करोड़प त आरबी लोटवाला से भा वत थे । डांगे ने अ ैल म गांधी बनाम ले नन लखी थी और
वह वराज के प म थे जो कारखान का रा ीयकरण करेगा और कसान के बीच जम दारी भू म वत रत
करेगा।

थ वीका ने जुलाई से अ टू बर तक ब कघम और कनाटक कपड़ा मल म मक


व ोह और हड़ताल का समथन कया।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

सगारवेलु चे यार म ास म एक वक ल और मक संगठनकता थे और उ ह ने


मक और वतं ता आंदोलन के वलय म मह वपूण भू मका नभाई थी। वह द ण भारत
के पहले क यु न ट थे और पूंज ीवाद नरंकु शता के व अ हसक असहयोग का योग
करने के प म थे।

क डा वकट पाया ए. कले र राव ट .


काशम और प ा भ सीतारमैया ने आं डे टा े म असहयोग आंदोलन का नेतृ व कया।

गराला गोपालकृ ण या ने गुंटूर जले के छोटे से शहर चराला पराला के


नवा सय को शहर को नगर पा लका बनाने क सरकार क योजना और ानीय कर म
बढ़ोतरी का वरोध करने के लए े रत कया।

असम कां ेस के नेता एनसी बारदालोई असहयोग के प धर थे ले कन बागान म


हड़ताल के खलाफ थे य क वह खुद एक बागान मा लक थे।

असम के सरी अं बका गरी रॉय चौधरी क क वता का अस मया लोग पर गहरा
भाव पड़ा और उनम रा वाद भावना जगाने म मदद मली।

मुज फर अहमद ने कलक ा म अ णी क यु न ट समूह का गठन कया। वह


एमएन रॉय और न लनी गु ता से भा वत थे ।

कलक ा म एक छा सोमे र साद चौधरी ने राजशा क ना दया और पबना


मु शदाबाद सीमा पर नील क खेती के खलाफ वरोध दशन कर रहे कसान को संग ठत
कया।
पु षो मदास टं डन गणेश शंक र व ाथ गो वद ब लभ पंत और लाल बहा र
शा ी ने अपने राजनी तक क रयर क शु आत म असहयोग आंदोलन क
शु आत के साथ क ।

स उप यासकार ेमचंद ने फरवरी म गोरखपुर के एक सरकारी कू ल म


अपने पद से इ तीफा दे दया और आज प का म योगदान दे ना शु कर दया। उनके
उप यास ेमशरम रंगभू म आ द गांधीवाद स ांत और मू य को दशाते ह और वतं ता
ा त करने के लए असहयोग को एक भावी ह थयार के प म समथन करते ह।

बाबा रामच ने द ण और द ण पूव अवध म कसान के व ोह को संग ठत


कया और कसान के व ोह को वलय करने म मदद क
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परश

असहयोग आंदोलन के साथ. फरवरी म उ ह गर तार कर लया गया।

ए. शाह नईम अता ने खुद को सैलून का राजा घो षत कया और कर मु


आंदोलन शु कया।
एमएन रॉय एक क यु न ट नेता क यु न ट प का वैनगाड के संपादक थे । उ ह ने
चौरी चौरा घटना म मारे गए पु लसक मय के मुक ाबले स यायालय ारा
आरो पय म से को मौत क सजा बाद म को फांसी द गई और बाक को ले
जाया गया क नदा क ।

गोरखपुर गांव म सेना के पशनभोगी भगवान अहीर को टश पु लस ने पीटा था।


इस घटना से गाँव म रा वाद भावनाएँ भड़क उठ जसके प रणाम व प कसान ने चौरी
चौरा म पु लसक मय क ह या कर द ।

स वनय अव ा आंदोलन एमके गांधी ने अ ैल


को साबरमती आ म से दांडी तक ऐ तहा सक दांडी माच के पूरा होने के बाद
एक मु नमक उठाकर औपचा रक प से स वनय अव ा आंदोलन शु कया इस कार
सरकार ारा लगाए गए नमक कानून को तोड़ दया। वह आंदोलन के पीछे मुख श थे
और उ ह ने वतं ता सं ाम म जमीनी तर पर भागीदारी के लए े रत कया।

सी. राजगोपालाचारी ने स वनय अव ा आंदोलन के समथन म त मलनाडु म तंज ौर


तट पर चनोपोली से वेदार यम तक नमक माच का नेतृ व कया। अ ैल को
उ ह गर तार कर लया गया।

नायर कां ेस नेता के . के ल पन ने वाइकोम स या ह शु कया और नमक कानून


क अवहेलना म कालीकट से पाय ीर तक माच कया।

जवाहरलाल नेह आंदोलन म स य प से शा मल थे और नमक कानून क


अवहेलना के कारण अ ैल को उ ह गर तार कर लया गया। उ ह ने एक
ां तकारी कृ ष काय म तैयार कया और मुख राजनी तक नारे के प म सं वधान सभा
के गठन का सुझ ाव दया।

पी. कृ णा प लई ने रा ीय वज का बचाव कया और नवंबर को


कालीकट समु तट पर लाठ चाज का वरोध कया। बाद म उ ह ने के रल क यु न ट आंदोलन
क ापना क ।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

खान अ ल ग फार खान ने अ हसक ां तका रय खुदाई खदमतगार रेड शट् स


के नाम से जाना जाता है का एक समूह बनाया ज ह ने आंदोलन म स य भू मका नभाई।

कां ेस क अ य बनने वाली पहली भारतीय म हला सरो जनी नायडू सरकारी
नमक डपो धरसाना सा ट व स क ओर एक माच म शा मल थ । इस पूण अ हसक मामले
म भाग लेने वाले अ य नेता इमाम साहब द ण अ क संघष के गांधीजी के साथी और
गांधीजी के पु म णलाल थे ।

सूय सेन के चटगांव व ोह समूह ने दो श ागार पर छापा मारा और एक अ ायी


सरकार क ापना क घोषणा क । उ ह ने इं डयन रप लकन आम के नाम से एक
घोषणाप जारी कया और भारतीय से टश शासन के खलाफ व ोह करने का आ ान
कया।

बंबई म रा वाद मुसलमान के नेता अ बास तैयबजी ने गांधी क गर तारी के बाद


आंदोलन म उनक जगह ली। हालाँ क उ ह भी सरकार ने गर तार कर लया था।

अ बालाल साराभाई और क तूरभाई लखाई ने कां ेस और बंबई मल मा लक


और उ ोगप तय के बीच क बाधा को र करने म मोतीलाल नेह को अपना सहयोग
दया।

जीडी बड़ला ज ह ने एक से पांच लाख पये तक का दान दया जमनालाल


बजाज ज ह ने कई वष तक एआईसीसी कोषा य के प म काय कया और बॉ बे म
गांधीवाद नेतृ व का त न ध व कया होमी मोद वालचंद हीराचंद लालजी नारनजी
पु षो मदास ठाकु रदास लाला ी जैसे उ ोगप त राम आ द ने थम चरण म आ दोलन
का समथन कया। माच म बॉ बे मल ओनस एसो सएशन म अपने अ य ीय भाषण
म होमी मोद ने कहा क य प वदे शी आंदोलन ने भारतीय उ ोग को मदद क थी ले कन
बार बार होने वाली हड़ताल ने ापार और उ ोग को अ त त कर दया था। नारानजी
और ठाकु रदास जो म रा वाद संघष के त उदासीन रहे थे ने व मु ा
राजकोषीय नी त और रेलवे पर भारतीय नयं ण क मांग क । हालाँ क सतंबर से
उ ोगप तय और ापा रय के समथन म भारी गरावट आई साथ
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परश

मुख उ ोगप तय का कां ेस से मतभेद

चं भा सै कयानी ने आ दवा सय को भड़काया


असम म कचारी के ामीण वन कानून तोड़गे।
सुभाष बोस और जेएम सेनगु ता ने बंगाल कां ेस म गुट समूह का नेतृ व कया और
स वनय अव ा का संचालन करने के लए त ं संगठन क ापना क । बोस ने गांधी
क आलोचना क जब गांधी ने मई म आंदोलन गत कर दया। उ ह व लभाई
पटे ल का समथन ा त था।

ब गा माझी और सोमरा माझी ने कां ेस के साथ मलकर हज़ारीबाग़ म सं कृ तकरण


आंदोलन का नेतृ व कया।
राय बरेली के एक ानीय नेता कालका साद ने नो रट अ भयान को बढ़ावा दया।

सट और सुनी त चौधरी ने टपेरा के जला म ज े ट ट वंस क ह या कर द । उनक


कारवाई ने ां तकारी आंदोलन म म हला के वेश को च त कया।

सेठ अचल सह एक रा वाद जम दार ने आगरा म ाम सेवा संघ को व पो षत


कया और अ हसा क नी त का स ती से पालन करते ए े म दं ग के त उदासीन रहे।

शेख अ ला एक मु लम नातक ने एक आंदोलन शु कया और जुलाई


को ीनगर जेल पर हमला कया जहां पु लस गोलीबारी म लोग मारे गए।
उ ह ने पीएन बजाज के नेतृ व वाले नरंकु श वरोधी ज मू ह के एक समूह के साथ भी
घ न संपक वक सत कया ।

पंज ाब म एक मु लम नेता मोह मद यासीन खान ने महाराजा जय सह सवाई ारा


राज व म बढ़ोतरी बेगार और शकार के लए जंगल के आर ण के वरोध म मेओ स इ लाम
क ओर झुक ाव वाला अध आ दवासी कसान समुदाय को संग ठत कया।

के एम अशरफ जो बने भारत के पहले मा सवाद इ तहासकार


आंदोलन से जुड़े थे.

पं डत मदन मोहन मालवीय जो के दशक से गांधीवाद नी तय के समथक थे


गांधी ारा ह रजन अ भयान शु करने के साथ ही र होने लगे। उ ह ने अलग होकर कां ेस
नेशन ल ट पाट शु क।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

स यमू त भूलाभाई दे साई एमए अंसारी और बीसी रॉय ने पुनज वत वरा य पाट के
मा यम से चुनावी राजनी त म वापसी क मांग क ।

जय काश नारायण अछू त पटवधन यूसुफ मेहराली अशोक मेहता और मीनू मसानी
चाहते थे क कां ेस का वामपंथ से जुड़ाव रहे।

संपूण ानंद ने भारत के लए एक अ ायी समाजवाद काय म तैयार कया और


म एक कां ेस सोश ल ट पाट शु क गई जसे नर दे व का समथन ा त था।

के एफ नरीमन और यूसुफ मेहर अली ने कां ेस का नेतृ व कया


युवा वग और बाद म समाजवाद नेता के प म उभरे।
वामी गो वदानंद ने कराची और सध म आंदोलन का नेतृ व कया।

एनवी गाड गल ने अपने समाजवाद झुक ाव के साथ म मं दर वेश आंदोलन को


समथन दया और गैर ा ण स यशोधक समाज पूना के के शवराव जेधे ारा त न ध व के
साथ मै ीपूण संबंध ा पत कए।

बीआर अंबेडकर जो अछू त महार के नेता थे ने म गोलमेज स मेलन म भाग


लया।
हालाँ क कां ेस महार के राजनी तक आंदोलन पर जीत हा सल करने म वफल रही।

गोपबंधु चौधरी ने उड़ीसा म आंदोलन को लोक य बनाया और बालासोर कटक और


पुरी जल के तट य े म नमक स या ह का नेतृ व कया।

कां ेस के दो मुख नेता त णराम फू कन और एनसी बारदोलोई असम म आंदोलन के


खलाफ थे। उ ह ने आ धका रक तौर पर वन स या ह करने से इनकार कर दया।

ज नंदन शमा ने बहार के गया जले म कसान सभा आंदोलन को स य कया।

कृ णा जले के गीराला बलरामकृ ण या ने म तट य आं म राज व र हत


अ भयान शु कया।
उ ह ने एक तेलुगु गाथा गांधी गीता भी लखी जसने दे शभ क भावनाएँ जगा ।

एनवी रामा नायडू और एनसी रंगा ने एक जंगल का आयोजन कया


म ने लोर म वकट गरी ए टे ट म स या ह।
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परश

एक कू ल श क एके गोपालन के रल के गु वयूर म एक लोक य कायकता थे और


बाद म के रल के सबसे लोक य क यु न ट कसान नेता बन गए।

म ू ग ड और चैतू कोइकु ने जंगल क पेशकश क

म य ांत के बैतूल म स या ह।
मौलाना भसानी ने सराजगंज म एक बड़े जा स मेलन का आयोजन कया और
जम दारी उ मूलन और ऋण म कमी क मांग क ।

बंबई म बीट रानादे व और एसवी दे शपांडे और कलक ा म अ ल हलीम सोमनाथ


ला हड़ी और रानेन सेन युवा क यु न ट उ वाद थे ज ह ने कई मक हड़ताल आयो जत क ।
वीबी का णक म णबेन कारा रजनी मुख ज और नहार द ा अ य नेता थे ज ह ने े ड
यू नयन ग त व धयाँ शु क।

एमएन रॉय और उनके अनुया यय ने गांव म समाजवाद वचार को लोक य बनाया


और अवध म कर मु अ भयान शु कया गया।

भारत छोड़ो आंदोलन


स मशन के कसी समझौते पर प ंचने म वफलता के बाद एमके गांधी ने टश
को भारत से वापस जाने के लए मजबूर करने के लए एक चौतरफा अ भयान क योजना
बनाई। बंबई के गोवा लया टक म अग त क ऐ तहा सक बैठक म गांधी ने अपना मं घो षत
कया करो या मरो । अग त को उ ह गर तार कर लया गया।

आंदोलन म शा मल भारतीय के खलाफ सरकारी कारवाई के वरोध म उ ह ने फरवरी


म दन का उपवास कया।

जय काश नारायण कां ेस सोश ल ट समूह के सद य थे और उ ह ने आंदोलन म


मुख भू मका नभाई थी।
राम मनोहर लो हया अ णा आसफ अली सुचेता कृ पलानी छोटू भाई पुरा णक बीजू
पटनायक आरपी गोयनका और अ युत पटवधन भारत छोड़ो आंदोलन के समथन म भू मगत
आंदोलन और ां तकारी ग त व धय से जुड़े नेता थे।

च ू पांडे जो खुद को गांधीवाद कहते थे ने एक समानांतर सरकार बनाई और


अग त म पूव यूपी के ब लया के सभी दस पु लस टे शन पर क जा कर लया।
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उषा मेहता ने स य प से आंदोलन का समथन कया और कां ेस रे डयो चलाने


वाले एक छोटे समूह क एक मह वपूण सद य थ ।

जवाहरलाल नेह ने शु म क र नरमपं थय का समथन कया जो गांधी क योजना


के वरोधी थे ले कन बाद म उ ह ने अग त को भारत छोड़ो ताव पेश कया।

सुम त मोरारजी ने अ युत पटवधन को उनक भू मगत ग त व धय म मदद क । बाद


म वह भारत क अ णी म हला उ ोगप त बन ग ।

ां तकारी कायकता रास बहारी बोस को जून म इं डयन इं डपडस लीग माच
म ग ठत का अ य चुना गया था। वह से एक भगोड़े के प म जापान म रह
रहे थे। उ ह ने टश औप नवे शक शासन के खलाफ सश व ोह के लए द ण पूव
ए शया म अं ेज क हार के बाद जापानी सेना ारा यु बंद बनाए गए भारतीय सै नक को
संग ठत कया।

अं ेज क ओर से लड़ने वाले भारतीय सै नक कै टन मोहन सह को जापा नय ने


यु बंद बना लया था। उ ह एक जापानी सेना अ धकारी ने भारत क आजाद के लए
जापा नय के साथ काम करने के लए राजी कया था। उ ह आज़ाद ह द फ़ौज का कमांडर
नयु कया गया।

सुभाष चं बोस म भारतीय रा ीय सेना म शा मल ए। उनक सबसे स


घोषणा म से एक थी तुम मुझ े खून दो म तु ह आज़ाद ं गा । आईएनए ने सुभाष बोस के
नेतृ व म वतं ता सं ाम म मह वपूण भू मका नभाई।

सी. राजगोपालाचारी और भूलाभाई दे साई क र उदारवाद थे जो वतं ता ा त होने


के बाद जनमत सं ह के मा यम से मु लम ब सं यक ांत के अलग होने के अ धकार को
मा यता दे ने के प म थे। उ ह ने जुलाई म एआईसीसी से इ तीफा दे दया।

के जी मश वाला ने लोग क भावना को जगाने के लए ह रजन महादे व दे साई क


गर तारी के बाद के दो उ वाद मु े नकाले ।
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परश

बगलु म कां स
े नेता के ट भा यम ने े ड यू नयन े मस य भू मका नभाई
और लगभग मक क हड़ताल आयो जत क ।

ानीय कां से नेता और तमलुक जातीय सरकार के पहले सब धनायक सतीश


सामंत ने मदनापुर के तमलुक उपमंडल म एक व ोही रा ीय सरकार क ापना म मदद
क।

तमलुक म वष य कसान वधवा मातं गनी हाजरा क सतंबर को


हसा म ह या कर द गई थी जब सुताहाटा पु लस टे शन पर क जा कर लया गया था।
गोली लगने के बाद भी मातं गनी ने रा ीय वज को ऊं चा रखा।

ल मण नाइक एक अनपढ़ ामीण ने जेपोर जम दारी के खलाफ वरोध दशन


करने और पु लस टे शन पर हमला करने के लए कोरापुट क एक बड़ी आ दवासी आबाद
का नेतृ व कया। ल मण नाइक को एक वन र क क ह या के आरोप म नवंबर
को फांसी दे द गई थी।

नाना पा टल ने सतारा म व ोह का नेतृ व कया।


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. भारत के गवनर जनरल और वायसराय उनके


शासन म मह वपूण घटनाएँ

गवनर जनरल

. वॉरेन हे ट स i का
रेगुले टग ए ट। ii का ए ट जसके
तहत गवनर जनरल इन काउं सल और कलक ा म सु ीम कोट के बीच े ा धकार क
श य को प से वभा जत कया गया था। iii का पट् स इं डया
ए ट। iv का रो ह ला यु । v म पहला मराठा यु और
म सालबाई क सं ध। vi म
सरा मैसूर यु । vii बनारस के महाराजा चैत
सह के साथ तनावपूण संबंध जसके कारण इं लड म हे ट स पर बाद म महा भयोग
चलाया गया।

viii ए शया टक सोसाइट ऑफ बंगाल क ापना ।


. लॉड कानवा लस
i तीसरा मैसूर यु और से रग पाटम क सं ध । ii कॉनवा लस
कोड जसम
कई या यक सुधार और राज व शासन और नाग रक े ा धकार को अलग करना
शा मल है। iii बंगाल का ायी बंदोब त । iv शास नक मशीनरी का
यूरोपीयकरण और नाग रक
सेवा क शु आत।

. सर जॉन शोर i का चाटर


अ ध नयम।
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परश

ii नज़ाम और मराठ के बीच खरदा क लड़ाई

. लॉड वेले ली i सहायक


गठबंधन णाली का प रचय हैदराबाद के नज़ाम के साथ पहला गठबंधन।
ii चतुथ मैसूर यु । iii तीय मराठा यु
। iv तंज ौर सूरत
और कनाटक का शासन अपने हाथ म ले लया।
v बे सन क सं ध ।

. सर जॉज बाल वे लोर व ोह ।

. लॉड मटो थम रणजीत सह


के साथ अमृतसर क सं ध ।
. लॉड हे ट स i एं लो नेपाल
यु और सगौली क सं ध
.

ii तीसरा मराठा यु और मराठा संघ का वघटन बॉ बे ेसीडसी का


नमाण । iii पडा रय के साथ संघष । iv स धया के
साथ सं ध
। v थॉमस मुनरो ारा रैयतवारी णाली क ापना

म ास के गवनर ।
. लॉड एमह ट i थम बम
यु । ii भरतपुर पर क ज़ा ।

. लॉड व लयम ब टक
i सती और अ य ू र सं कार का उ मूलन । ii ठगी का दमन
। iii का चाटर अ ध नयम। iv
का संक प और शै क सुधार
और आ धका रक भाषा के प म अं ेज ी क शु आत।
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v मैसूर कू ग और स ल कछार का वलय। vi रणजीत सह के साथ


सदा म ता क सं ध। vii कॉनवा लस
ारा ा पत अपील और स कट क ांतीय अदालत को समा त करना राज व और स कट के
आयु क नयु ।

. लॉड मेटकाफ भारत म ेस पर से

तबंध हटाने वाला नया ेस कानून।

. लॉड ऑकलड

i थम अफगान यु । ii रणजीत सह क
मृ यु ।

. लॉड एलेनबरो i सध पर क ज़ा ।
ii वा लयर के साथ यु ।

. लॉड हा डग थम i थम आं ल सख
यु और लाहौर क सं ध ।

ii क या ूण ह या और मानव ब ल का उ मूलन स हत सामा जक सुधार।

. लॉड डलहौजी

i सरा आं ल सख यु और पंज ाब पर क ज़ा । ii नचले बमा या पेगु का


वलय । iii चूक
के स ांत का प रचय और सतारा जैतपुर और संभलपुर उदयपुर
झाँसी नागपुर और अवध का वलय। iv का वुड्स
चा स वुड बोड ऑफ कं ोल के अ य शै क ेषण और एं लो वना युलर कू ल और
सरकारी कॉलेज खोलना। v का रेलवे मनट और म बंबई और ठाणे को
जोड़ने वाली पहली रेलवे
लाइन बछाई गई।
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vi टे ली ाफ कलक ा को बॉ बे म ास और पेशावर से जोड़ने के लए मील


क टे ली ाफ लाइन और डाक डाकघर अ ध नयम सुधार। vii गंगा
नहर खुली घो षत येक ा त म पृथक लोक नमाण
वभाग क ापना। viii वधवा पुन ववाह अ ध नयम ।

. लॉड कै नग i म
कलक ा म ास और बॉ बे म तीन व व ालय क ापना। ii का व ोह।

वायसराय

. लॉड कै नग
i ई ट इं डया कं पनी से ाउन को नयं ण का ह तांतरण भारत सरकार अ ध नयम
। ii म यूरोपीय सै नक ारा ेत व ोह । iii
का भारतीय प रषद अ ध नयम।

. लॉड ए गन थम वहाबी
आंदोलन
. लॉड जॉन लॉरस i भूटान यु
ii कलक ा बॉ बे और म ास म
उ यायालय क ापना ।

. लॉड मेयो
i भारतीय राजकु मार के राजनी तक श ण के लए का ठयावाड़ म राजकोट
कॉलेज और अजमेर म मेयो कॉलेज खोलना। ii भारतीय सां यक सव ण क
ापना। iii कृ ष
एवं वा ण य वभाग क ापना।

iv राजक य रेलवे का प रचय।


. लॉड नॉथ ुक i म स
ऑफ वे स क या ा।
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ii बड़ौदा के गायकवार का मुक दमा। iii पंज ाब म


कू का आंदोलन।

. लॉड लटन
i के अकाल ने म ास बॉ बे मैसूर हैदराबाद म य भारत के कु छ ह स और
पंज ाब को भा वत कया रचड े ची क अ य ता म अकाल आयोग क नयु
। ii रॉयल टाइटल ए ट महारानी व टो रया ने कै सर ए हद
या भारत क महारानी क उपा ध धारण क । iii वना युलर ेस
ए ट । iv श अ ध नयम । v सरा अफगान यु ।

. लॉड रपन i वना युलर


ेस ए ट का नरसन । ii म म सुधार के लए पहला कारखाना
अ ध नयम ।
तयाँ।
iii व ीय वक करण जारी रखना। iv ानीय वशासन पर सरकारी
संक प

v सर व लयम हंटर क अ य ता म श ा आयोग क नयु ।

vi इ बट बल ववाद । vii मैसूर का तपादन।

. लॉड डफ़ रन
i तीसरा बम यु । ii भारतीय रा ीय कां ेस क
ापना।
. लॉड लसडाउन
i फ़ै टरी अ ध नयम । ii
स वल सेवा का शाही सेवा म वग करण
अनं तम और अधीन . iii भारतीय प रषद
अ ध नयम । iv डू रंड आयोग क ापना
को प रभा षत करना
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भारत और अफगा न तान के बीच डू रंड रेख ा अब पा क तान और अफगा न तान के


बीच रेख ा का एक छोटा ह सा पा क तान के क जे वाले क मीर म भारत को छू ता है ।

. लॉड ए गन तीय चापेक र


बंधु ारा दो टश अ धका रय क ह या ।

. लॉड कजन
i पु लस शासन क समी ा के लए सर एं यू े ज़र के अधीन पु लस आयोग क नयु
। ii व व ालय आयोग क नयु और भारतीय
व व ालय अ ध नयम पा रत करना। iii वा ण य एवं उ ोग वभाग क ापना।
iv कलक ा नगम अ ध नयम । v ाचीन मारक संर ण
अ ध नयम । vi बंगाल वभाजन । vii कज़न कचनर ववाद। viii
यंगहसबड
का त बत मशन ।

. लॉड मटो तीय i वभाजन


वरोधी और वदे शी को लोक य बनाना
आंदोलन.
ii के वा षक अ धवेशन म कां ेस म वभाजन
सूरत.
iii आगा खान ारा मु लम लीग क ापना ।

. लॉड हा डग तीय i म बंगाल


ेसीडसी बॉ बे और म ास क तरह का नमाण। ii कलक ा से द ली म राजधानी का
ानांतरण । iii
मदन मोहन मालवीय ारा ह महासभा क ापना । iv कग जॉज पंचम का
रा या भषेक दरबार द ली म आयो जत आ

. लॉड चे सफोड i एनी बेसट और

तलक ारा होम ल लीग का गठन ।


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आधु नक भारत का सं त इ तहास

ii कां ेस का लखनऊ अ धवेशन । iii कां ेस और मु लम लीग के


बीच लखनऊ समझौता ।

iv गांधीजी क वापसी के बाद साबरमती आ म क ापना चंपारण स या ह


खेड़ा स या ह और अहमदाबाद म स या ह का शुभारंभ।
v म टागु क अग त घोषणा । vi भारत सरकार अ ध नयम । vii
रौलट ए ट
। viii ज लयाँवाला बाग ह याकांड । ix असहयोग
और खलाफत आंदोलन का शुभारंभ। x पूना म म हला
व व ालय क ापना और शै क
नी त म सुधार के लए सैडलर कमीशन क नयु । xi
तलक क मृ यु अग त । xii बहार के रा यपाल के प म एसपी स हा क
नयु रा यपाल बनने वाले पहले भारतीय ।

. लॉड री डग i चौरी चौरा घटना


फरवरी और उसके बाद असहयोग क वापसी

आंदोलन।
ii के रल म मोपला व ोह । iii के ेस अ ध नयम
और के रोलेट अ ध नयम का नरसन। iv आपरा धक कानून संशोधन अ ध नयम और
कपास का
उ मूलन
उ पाद शु क.

v मु तान अमृतसर द ली अलीगढ़ अरवी और कलक ा म सां दा यक दं गे।

vi काकोरी े न डकै ती । vii वामी ान द


क ह या । viii सीआर दास और मोतीलाल नेह ारा वराज पाट
क ापना । ix से द ली और लंदन दोन म आईसीएस के लए एक साथ
परी ा आयो जत करने का नणय।
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परश

. लॉड इर वन

i साइमन कमीशन का भारत दौरा और भारतीय ारा कमीशन का


ब ह कार। ii भारत के भ व य के सं वधान के लए सुझ ाव के
लए लखनऊ म एक सवदलीय स मेलन आयो जत कया गया जसक रपोट
को नेह रपोट या नेह सं वधान कहा गया। iii हरकोट बटलर भारतीय
रा य आयोग क नयु । iv लाहौर के सहायक पु लस अधी क
सॉ स क ह या द ली के असे बली
हॉल म बम व ोट लाहौर षड़यं के स और लंबी भूख हड़ताल के बाद ज तन
दास क मृ यु और
द ली म े न म बम घटना । v कां ेस का लाहौर अ धवेशन पूण
वराज

संक प।
vi स वनय अव ा आंदोलन शु करने के लए गांधी ारा दांडी माच माच

vii लॉड इर वन ारा द पावली घोषणा । viii थम गोलमेज
स मेलन गांधी इर वन समझौता का ब ह कार और स वनय अव ा
आंदोलन का नलंबन।

. लॉड व लगडन i सरा गोलमेज


स मेलन और स मेलन क वफलता स वनय अव ा आंदोलन क बहाली।

ii सां दा यक पुर कार क घोषणा जसके तहत अलग सां दा यक नवाचन


मंडल ा पत कए गए। iii यरवदा जेल म गांधी ारा आमरण अनशन
जसे पूना सं ध के बाद तोड़ दया गया। iv तीसरा गोलमेज़ स मेलन
। v गत स वनय अव ा का शुभारंभ
। vi भारत सरकार अ ध नयम । vii अ खल
भारतीय कसान सभा क ापना और
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आधु नक भारत का सं त इ तहास

आचाय नर दे व और जय काश नारायण ारा कां ेस सोश ल ट पाट ।


viii बमा भारत से अलग हो गया ।

. लॉड लन लथगो i थम आम
चुनाव कां ेस को पूण ब मत ा त आ। ii तीय व यु
शु होने के बाद कां ेस
मं मंडल का इ तीफा। iii कां ेस के इ यावनव स म सुभाष चं बोस को
कां ेस का अ य चुना गया।

iv म बोस का इ तीफा और फॉरवड लॉक का गठन । v मु लम लीग


ारा लाहौर ताव माच
मुसलमान के लए अलग रा य क मांग। vi वायसराय ारा अग त ताव
कां ेस ारा इसक आलोचना और मु लम लीग ारा समथन।

vii व टन च चल इं लड के धान मं ी चुने गए


.
viii सुभाष चं बोस का भारत से पलायन और भारतीय रा ीय सेना का संगठन।
ix स मशन क स योजना भारत को भु व का दजा दे ने और
एक सं वधान सभा क ापना करने क कां ेस ने इसे अ वीकार कर दया। x कां ेस
ारा भारत छोड़ो ताव पा रत करना अग त ां त का कोप या
रा ीय नेता क गर तारी के बाद का व ोह।

xi मु लम लीग के कराची अ धवेशन म फू ट डालो और छोड़ो का नारा।

. लॉड वेवेल
i सी. राजगोपालाचारी का सीआर फॉमूला क वफलता
गांधी ज ा वाता ।
ii वेवेल योजना और शमला स मेलन ।
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परश

iii तीय व यु क समा त । iv कै बनेट मशन


और उसके ताव
कां ेस ारा वीकृ त.
v मु लम लीग ारा सीधी कारवाई दवस अग त का पालन। vi
सं वधान सभा के चुनाव कां ेस ारा अंत रम
सरकार का गठन सतंबर ।

vii फरवरी को लेमट एटली इं लड के धान मं ी ारा भारत म टश


शासन क समा त क घोषणा।

. लॉड माउं टबेटन


i जून तीसरी योजना जून क घोषणा क गई। ii हाउस ऑफ
कॉम स म भारतीय वतं ता वधेयक पेश करना।

iii बंगाल और पंज ाब के वभाजन के लए सर स रल रैड लफ के अधीन दो सीमा


आयोग क नयु ।
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. भारतीय रा ीय कां ेस के वा षक स

फ ता अ य ववरण

ब बई ड यूसी बोनज थम स म त न धय ने भाग लया कां ेस


के उ े य
रेख ां कत.
कलक ा दादाभाई नौरोजी त न धय ने भाग लया दे ख ा
रा ीय कां ेस का वलय और
रा ीय स मेलन.

म ास सैयद बद न तैयबजी त न धय ने भाग लया नवेदन


मुसलमान से हाथ मलाने को कहा
अ य रा ीय नेता के साथ.

इलाहाबाद जॉज यूल त न धय ने भाग लया।


बॉ बे व लयम वेडरबन
कलक ा फ़रोज़ शाह मेहता
नागपुर पी. आनंद चालू
इलाहाबाद ड यूसी बनज
लाहौर दादाभाई नौरोजी
म ास अ े ड वेब
पूना सुर नाथ बनज
कलक ा रहीमतु ला सयानी
अमरावती सी. शंक रन नायर
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ec. म ास ई.सी. एएम बोस

लखनऊ रोमेश चं द जमीन का ाई नधारण करने क मांग


आय।
ec. लाहौर एनजी चंदावरकर
ec. कलक ा दनशॉ ई. वाचा
ec. अहमदाबाद सुर नाथ बनज
ec. म ास लाल मोहन घोष
ec.
ec.
बॉ बे हेनरी कॉटन
बनारस गोपाल कृ ण गोखले के खलाफ आ ोश
बंगाल का वभाजन.
परश कया

ec. कलक ा दादाभाई नौरोजी के लए वराज श द का उ लेख कया गया है


पहली बार।
ec. सूरत रास बहारी घोष कां ेस म वभाजन
नरमपंथी और गरमपंथी.
ec. म ास रास बहारी घोष कां ेस का सं वधान तैयार कया गया.
गठन पर असहम त क
ec. लाहौर मदन मोहन मालवीय पृथक नवाचन े के आधार पर
धम का भारतीय प रषद का ।
अ ध नयम ।

ec. इलाहाबाद ई.सी. व लयम वेडरबन


कलक ा ई.सी. बशन नारायण धर
बांक पुर ई.सी. आरएन मुधोलकर

कराची सैयद मोह मद


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फ ता अ य ववरण

म ास भूपे नाथ बसु कां ेस गुट का पुन मलन


बॉ बे एसपी स हा लखनऊ समझौते पर ह ता र कये गये।
लखनऊ एसी मजूमदार

कलक ा एनी बेसट ज लयांवाला क कड़ी नदा क


द ली मदन मोहन मालवीय नरसंहार और ख़लाफ़त को बढ़ावा दया
अमृतसर मोतीलाल नेह आंदोलन।
कां ेस के लए एक नया सं वधान
फं साया आ.

नागपुर सी. वजयराघवाचाय

अहमदाबाद सीआर दास जेल म


हक म अजमल खान वरा य पाट का गठन आ।
कायवाहक अ य
गया सीआर दास
काक नाडा मौलाना मोह मद अली
बेलगाम एमके गांधी
कानपुर सरो जनी नायडू वतं ता संक प अपनाया गया
गौहाट एस ी नवास अयंगर साइमन का ब ह कार करने का संक प लया
म ास एमए अंसारी आयोग।
थम अ खल भारतीय युवा कां ेस
म अंदर आना।
कलक ा मोतीलाल नेह पूण वराज ताव पा रत कया
काय स म त को अ धकृ त कया
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ec. लाहौर जवाहर लाल नेह स वनय अव ा काय म ारंभ कर।


गांधी इर वन समझौते का समथन
मौ लक अ धकार पर संक प और
रा ीय आ थक काय म
मेहराब कराची व लभभाई पटे ल उ ीण।

अ ैल द ली अमृत रणछोड़दास सेठ


अ ैल कलक ा नेली सेनगु ता
परश
रा प त ने कां ेस से आ ह कया
समाजवाद को अपने ल य के प म अपनाय।
सीट . ब बई राज साद के लए एक गाँव म अ धवेशन आयो जत कया गया
अ ैल लखनऊ जवाहरलाल नेह पहली बार।
रा ीय योजना स म त क ापना
ec. फै जपुर जवाहर लाल नेह जवाहरलाल क अ य ता म
नेह .
बी। ह रपुरा सुभाष चं बोस राज साद ने पदभार संभाला
सुभाष चं ा के बाद रा प त
इ तीफा दे दया.

मेहराब पुरी सुभाष चं बोस

आच रामगढ़ ओवर। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

मेरठ ई.सी. आचाय जेबी कृ पलानी


जयपुर प ा भ सीतारमैया
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फ ता अ य ववरण

बेर पु षो म दास टं डन के पद के लए तीन उ मीदवार


अ य पु षो म दास टं डन
सरदार पटे ल ारा सम थत जे.बी
कृ पलानी नेह ारा सम थत और
शंक र राव दे व. पु षो म दास

सतंबर म टं डन ने इ तीफा दे दया


जसके बाद जेएल नेह बने
अ य ।
बेर द ली ख़राब जवाहर लाल नेह
जवाहर लाल नेह
जवाहर लाल नेह
एस यूवी ढे बर

आर यूएन ढे बर
यूएन ढे बर
इं दरा गांधी
दोबारा
नीलम संज ीव रे ी
गर नीलम संज ीव रे ी
ई र दामोदरन संज ीव या थम द लत रा प त
दामोदरन संज ीव या
ई र के . कामराज
उर के . कामराज
वष और म आयो जत नह कया जा सका।
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. सामा जक धा मक सुधार आंदोलन व सद के अंत


से व सद के म य तक
ई मूवमट एन और ान इससे जुड़े लोग कृ त और उ े य और मी डया यास

एक स दायगा व सद वामी सहजानंद मूल नाम


ान यामा
परश
आ तक ई र म व ास वै णववाद क
महाका था का वरोध एक नै तक सं हता
नधा रत क .

एजे पहले कलक ा म राजा राममोहन राय सं ापक एके रवाद का चार कया अवतारवाद यान
आ मीय डेड व सद के दे वे नाथ टै गोर ने बाद म आ द का गठन कया ब ल पुज ा रय का अ त व मू तपूज ा
अंत म अंध व ास सती का वरोध कया ह समाज
म सुधार क मांग क ।
समाज के शुब चं ा
सेन बाद म ो से जुड़े
राममोहन राय ारा का शत प काएँ संबद
समाज ऑफ इं डया इस समूह के अलगाववा दय
कौमुद मरात उल अकबर दे वे नाथ
ने साधरण ो का गठन कया टै गोर ारा त व बो धनी प का के शुब चं सेन
समाज ने इं डयन मरर नकाला साधरण समाज
ने त व कौमुद द इं डयन मैसजर द संज ीबारी
न भारत और भासी को का शत कया ।
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ओवेमट डी इससे जुड़े लोग कृ त और उ े य और मी डया यास


ान

उ साह हेनरी लुईस व वयन डेरो जयो सं ापक समाज म फै ली कु री तय का वरोध कया स य
र सककृ ण मु लक वतं ता और तक म व ास करते थे ानवेसन
ताराचंद चकर वती प का नकाली और सामा य ान ा त के लए
कृ णमोहन बनज सोसायट क ापना क डेरो ज़यो ने हे ेरस द
कलक ा लाइ ेरी गजट का संपादन कया और वह
इं डया गजट से जुड़े थे ।

lcutta राधाकांत दे ब सं ापक समाज का तकार करने के लए उभरा


जसका उ े य ढ़वाद क र ा करना था
क रपंथी और उदारवाद सुधार क नदा क
प मी श ा के सार म मदद क ।

ट काबुल म शु आत राय बरेली के सैयद अहमद सं ापक वलायत वलीउ लाह क श ा को लोक य बनाया अं ेज
एनड यूएफपी म म य अली शाह का वरोध कया और सख के खलाफ लड़ाई लड़ी
ए से मुह मद सैन फ़रहत सैन सभी पटना से धम म गत ववेक क भू मका पर बल दया।
तक इनायत अली

तक टश
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आर कू का आंदोलन एस भाई बालक सह और बाबा राम सख के बीच राजनी तक और सामा जक सुधार के


एनड यूएफ ांत और इना सह सं ापक लए।
जला पंज ाब

ओवेमट ापना करा करामत अली जौनपुरी शाह वलीउ लाह क धा मक श ा ने आधार
बनाया फ़राज़ी आंदोलन का वरोध कया।

एरीरी और साइं ट फक

अंडाली
परश
लोक य व ान और सामा जक पर बहस ई।

दे व व क एकता पर जोर दया जा त नयम के व .

मजदायासन सभा ने संघ बनाया एसएस बंगाली नौरोजी फु रदोनजी दादाभाई पार सय क सामा जक त म सुधार करना और
नौरोजी और अ य पारसी धम क शु ता को बहाल करना। उनक
प का रा ट गो टर स ाई बताने वाला थी।

आंदोलन ापना करा तुलसी राम या शव दयाल साहब एक सव स ा म व ास गु क सव


वामीजी महाराज सं ापक त व ा सय के लए सरल सामा जक जीवन
स संग का उपदे श दया भौ तक जीवन को
यागे बना आ या मक पूण ता ा त करने पर जोर।

डी कू ल ऑफ इ ला मक पुन ानवाद आंदोलन जसक धा मक श ा


मुह मद क़ा सम नानायतावी और
दे वबंद सहारनपुर रशीद अहमद म इ लाम क उदार ा या शा मल थी नै तक
गंगोही सं ापक मौलाना अबुल धा मक उ ान के लए श ा म प मी भाव नह
कलाम आज़ाद महमूद उल हसन अपनाया
श ली नुमानी
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ओवेमट डी इससे जुड़े लोग कृ त और उ े य और मी डया यास


ान

कु छ हद तक सैयद अहमद खान के वचार का वरोध कया


भारतीय रा ीय कां ेस के गठन का वागत कया।

ब बई म अघो षत आ माराम पांडुरंग सं ापक गो वद रानाडे एके रवाद म हला के उ ान जा तगत भेदभाव और
मु य संर क आर.जी धा मक ढ़वा दता के उ मूलन पर जोर दे क र समाज का
भंडारकर सुधार और सुधार।

सहयोग कलक ा के शुब चं सेन बाल ववाह के व जनमत तैयार करना


म हला क सामा जक त के उ ान के
लए ो कार के ववाह को वैध बनाना।

ब बई म समा त आ दयानंद सर वती मूल प से मुला सर पर ह आ ा का दावा कया

शंक र सं ापक धम पुन ानवाद ढाँचे के भीतर सं कार


ा ण के वच व मू तपूज ा अंध व ास क नदा
क गई दयानंद एं लो वै दक डीएवी कू ल क
ापना क गई।
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त व अलीगढ़ से म सैयद अहमद खान अलीगढ़ कू ल धम म जांच के स ांत पर जोर दे क र धा मक


मुह मदन अल कॉलेज और के सं ापक सुधार वै ा नक और तकसंगत कोण का प
आरएच मु लम व व ालय लया प मी श ा को मा यता द जसका
से अलीगढ क ापना उ े य सामा जक सुधार था सर सैयद अहमद ने
एक वै ा नक सोसायट तहजीब अल
अखलाक उ प का क ापना क ।

आईसीएल सोसायट क
ापना आरके ले कन
मु यालय डायर म ास के पास
मैडम एचपी लावा क
और कनल एचएस ओ कोट
एक सी
एक
अमे रक सं ापक एनी बेसट इसके अ य म
धा मक पुन परश
ान और सामा जक सुधार के ल य
के लए उप नषद वेदांत के दशन आ द से ेरणा
ली ।
से एक

क टयन सोसायट पुण े एमजी रानाडे वीजी चबड कर जीजी अगरकर प मी भारत म श ा और सं कृ त म योगदान के
सं ापक लए फ यूसन कॉलेज पुण े क ापना
म क गई।
बंबई बेहरामजी एम. मालाबारी बाल ववाह जबरन वधवापन के खलाफ
सामा जक प से शो षत क मदद करना
औरत

अल सामा जक स मेलन एमजी रानाडे रघुनाथ राव सामा जक सुधार

लाहौर शव नारायण अ नहो ी धा मक वचार उन लोग के करीब ह


समाज एक सामा जक आचार सं हता का
समथन कया जो र त लेने जुआ खेलने शराब
के खलाफ थी
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ओवेमट डी इससे जुड़े लोग कृ त और उ े य और मी डया यास


ान

उपभोग और मांसाहारी भोजन करना।

ent का दयानी म मजा गुलाम अहमद सं ापक ईसाई मशन रय ह पुन ानवा दय के हमल से
इ लाम क र ा क एक सावभौ मक धम म व ास
गुलाम अहमद ने खुद को मसीहा और भगवान कृ ण
का अवतार घो षत कया।

सहयोग म ास वरे सया लगम पंतुलु सामा जक शु ता आंदोलन दे वदासी था और


वधवा पर अ याचार के खलाफ ।

सायन क ापना बेलूर ववेक ान द मूलतः नरे नाथ ाचीन भारत के धा मक ंथ और अवधारणा
और क ब पर ई द ा इसके सं ापक वेदांत आ द के आधार पर ह धम को
रामकृ ण परमहंस पुनज वत करने का यास कया गया ह
ववेक ान द के गु धम म जा त तबंध उ पीड़न अंध व ास के
खलाफ जसका उ े य म हला का उ ान
करना और श ा णाली म सुधार करना था।
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मा महान मंडल मदन मोहन मालवीय द न दयाल ढ़वाद ह सनातन धा रणी का संगठन
शमा गोपाल कृ ण गोखले सं ापक जसने आय समाज क श ा का वरोध कया।

भारत समाज के गोपाल कृ ण गोखले अकाल राहत और वशेषकर आ दवा सय क त


म सुधार।
सदन जीके दे वधर और रमाबाई रानाडे आ थक उ ान रोजगार के लए

आरएमए मठ मठ एड वक पुण े ध डो के शव कव
औरत।

म हला
सुधार.
परश
क शै क ग त वधवा

पुण े अब बंबई म एक म हला व


व ालय
तम

क ापना क ।
अंडाल कलक ा सरलबाला दे वी चौधरानी म हला श ा एवं मु .

ई लीग नारायण म हार जोशी आम जनता क त म सुधार कू ल पु तकालय


खोले।

इलाहाबाद दयनाथ कुं ज समाज सेवा श ा के मा यम से पी ड़त वग क


त म सुधार करना।

शगुन एसो सएशन एनी बेसट भारतीय म हला का उ ान वा षक स मेलन


अ खल भारतीय म हला स मेलन आयो जत कये
गये।
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. रा वाद काल के स परी ण

एल
भार नणय

जफर जनवरी के व ोह म राज ोह षड़यं व ोह और दोषी ठहराया गया और रंगून नवा सत कर दया गया।
माच ईली एच ह या
बनज
कलक ा म द बंगाली म उनक ट पणी पर अदालत क अवमानना दो साल के लए स वल जेल भेज दया गया।

अर तलक के सरी म उ ेज क लेख महीने क कै द दे श ोही लेख न के लए


मांडले म छह साल का नवासन और पये का
जुमाना कोई जेल क सजा नह द गई
। वचाराधीन कै द के प म एक वष जेल म
बताया।
होश और रे बॉ बे मुज फरपुर के जला जज क ह या का यास
के स एआर
और
अं ेज के खलाफ ोधपूण भाषण दे ना और लगातार दो जीवन प रवहन वष हेग त
ह थयार खरीदना और वत रत करना अंतरा ीय म य ता यायालय ने भी उ ह दोषी
ठहराया अंडमान जेल म साल बताए

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और यंग इं डया के शंक रलाल यंग इं डया म अं ेज के खलाफ चार भड़काऊ साल के लए जेल क सज़ा ले कन म आज़ाद
बकर लेख कर दया गया।

मेरठ साइबर के स म एकजुटता अं ेज के खलाफ सा जश साल से लेक र आजीवन कारावास तक क


माच आईएनजी जून सज़ाएं मल । जीवन भर के लए
स ल म बम फकना प रवहन ा त आ।
वधानसभा


म पु लस हेड कां टे बल क ह या
सॉ स
षड़यं और राज ोह
परश
सजा ए मौत क सुनवाई।

साल क कै द क सजा सुनाई गई बाद म


इसे घटाकर साल कर दया गया । आजीवन
कारावास
आईएनए परी ण म अवाज ह या करके या ह या के लए उकसाकर यु छे ड़ना क सजा माफ कर द गई ले कन कै शय रग
खान ेम एहगल और गुरब और वेतन और भ के बकाया को ज त करने
इलोन क पु क गई।
लाल कला द ली
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. जा त आ दोलन

ट वष े कारण और प रणाम

के आंदोलन यो तबा फु ले ारा सम पत स यशोधक ा णवाद वच व के खलाफ और नचली जा तय अछू त और


वधवा क मु के लए।

आंदोलन ी नारायण एराला के नेतृ व म द लत वग वशेषकर के रल के एझावा या इरावा के अ धकार के


लए ी नारायण धम प रपालन योगम क ापना म
क गई थी।

ए टे स क ओर से डॉ. ट एम नायर पी. ए और सरकारी सेवा श ा तथा राजनी तक े म ा ण के वच व के


सीएन मुदलैर के नेतृ व म आंदोलन म ास व साउथ इं डयन लबरेशन फे डरेशन SILF का गठन म
आ था समूह को आर ण दान करने वाले के सरकारी
आदे श को पा रत करने म यास सफल ए।

इसका नेतृ व सी.वी. रमन प लई के . रामा और एम. ा ण के वच व के व मलयाली मेमो रयल क ापना
प नाभ प लई ने कया म रमन प लई ारा क गई थी और नायर स वस सोसाइट क
ापना म प नाभ प लई ारा क गई थी।

ईवी रामा वामी रयार के नेतृ व म आंदोलन ा ण ारा जा तगत प पात के व कु डी अरासु प का क
त मलनाडु शु आत पे रयार ने म क थी।
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अ ृ य शानान ारा य का शोषण जो य री त सामा जक पूवा ह के ख़लाफ़ और नादर के बीच शै क और


रवाज के प म उभरे सामा जक क याण को बढ़ावा दे ना नादर महाजन संगम का गठन
त मलनाडु म आ था।

आर त वग महार आंदोलन का नेतृ व कया अछू त के उ ान के लए अपने वचार का चार करने के लए


अ बेडकर महारा म द लत वग सं ान म एक मराठ पा क ब ह कृ त भारत
म समाज समता संघ म अनुसू चत जा त महासंघ क
ापना क ।
परश
ह रजन आंदोलन से आगे न न और पछड़े वग क सामा जक त को ऊपर उठाने के लए
अ खल भारतीय अ ृ यता वरोधी लीग क ापना म ई
सा ता हक ह रजन क ापना म गांधीजी ने क थी।

कै वत का आंदोलन जो बाद म म ह य बने से जा त नधारानी सभा और म ह य स म त क


मदनापुर ापना क ।
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. कसान आंदोलन

ट वष े कारण और प रणाम

ओवेमट मीर या ट टू मीर प म के फ़रा ज़य पर दाढ़ टै स लगाने वाले ह जम दार के ख़लाफ़।


नेतृ व म

करम शाह और ट पू के नेतृ व म हाज ग और गारो कराये म बढ़ोतरी के ख़लाफ़ आंदोलन को हसक तरीके से दबा दया
का आंदोलन गया।
मैमन सह जला पहले

इं स मालाबार राज व मांग म वृ और े के आकार म कमी के खलाफ।

बंगाल के नील कसान के नेतृ व म यूरोपीय नील बागान मा लक ारा लगाई गई शत के ख़लाफ़ त
ब णु व ास ना दया को दे ख ने के लए म इं डगो आयोग क ापना क गई।

महारा म मराठा गांव और पूना म कसान का गुज राती और मारवाड़ी सा कार क था के खलाफ
व ोह का कृ षक राहत अ ध नयम पा रत कया गया।

ओसी व ोह का नेतृ व रामोसी कसान ने कया अकाल वरोधी कदम उठाने म टश वफलता के व
बलवंत फड़के पैमाने।
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शाह चं रॉय पाल खुद मो ला के नेतृ व म और अटे रजी क जाधा रय को क जा अ धकार ा त करने से रोकने क जम दार क
और आरसी द ारा सम थत रे रयन व ोह पबना नी तय के खलाफ का बंगाल करायेदारी अ ध नयम पा रत कया
ए ट बंगाल अब बां लादे श म गया।

ईसाइय का व ोह शता द के अं तम दशक के दौरान पंज ाब अपनी ज़मीन खोने क संभावना के ख़लाफ़ पंज ाब भू म ह तांतरण
अ ध नयम पा रत कया गया जसने भू म क ब और बंधक
और राज व मांग पर नयम लागू कए।
परश
चंपारण इहार के कसान ारा एक स या ह यूरोपीय नील बागान मा लक ारा थोपी गई तनक ठया व ा के
ख़लाफ़ चंपारण कृ ष अ ध नयम ने तनक ठया णाली को समा त कर
दया।

खेड़ा के कसान ारा कया गया स या ह के नेतृ व म फसल खराब होने क त म भू राज व क माफ के लए नजरअंदाज
गुज रात क गई अपील के खलाफ आ ख़रकार माँग पूरी ।

कु नबी पाट दार भू म कसान और अछू त ारा स या ह ऊं ची जा तय के उ पीड़न के ख़लाफ़ और बंबई सरकार ारा राज व म
अ य लोग ारा सम थत व लभभाई पटे ल सूरत तशत क बढ़ोतरी राज व को घटाकर . तशत कर दया गया।
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ट वष े कारण और प रणाम

पासी एवं अहीर के सद य ारा एन.ट कराये म बढ़ोतरी के ख़लाफ़.


हरदोई बाराबंक और सीतापुर

मट बहार अ धभोग अ धकार के संबंध म जम दार क नी तय के व ।

गरीब कसान और करायेदार या बटाईदार ारा जम दार और सा कार के व बरगाडरी वधेयक पा रत कया
भुगतान बंगाल गया।

उरे न हैदराबाद सा कार और हैदराबाद के नज़ाम के अ धका रय क था के


खलाफ।
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. समाचार प एवं प काएँ


ई वष और ान जहां से सं ापक का नाम
अल का शत कया गया संपादक

टटई कलक ा जे स ऑग टस ह क ारा शु कया गया

ते
सामा य व ापनदाता भी

कलक ा
आय रशमैन
परश
हेनरी लुई व वयन डेरो जयो
इसके साथ जुड़ा आ है.

रयर म ास
म ास से
ए ब बई
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डी अं ेज ी म म ास आर. व लय स अं ेज ी ारा ारंभ कया गया

और ह ज़ ारा का शत

कलक ा
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कलक ा ह र ं राय
म अखबार
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वष और ान जहां से सं ापक का नाम


का शत कया गया संपादक


राजा राममोहन राय
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कलक ा राजा राममोहन राय
इ शयन आह

कलक ा एक अं ेज ी फम
डु

सा ता हक कलक ा राममोहन राय ारकानाथ टै गोर और अ य


अं ेज ी इंडी

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ब बई
जराती
व सद रॉबट नाइट ारा ा पत हेनरी
रोम ब बई व वयन डेरो जयो फाउं डेशन थॉमस बेनेट ारा शु
भारत के कया गया।

दादाभाई नौरोजी
धीरे धीरे

कलक ा गरीशचं घोष बाद म


ह र ं मुख ज मा लक सह संपादक बने
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हा कलक ा ारकानाथ व ाभूषण


म राजनी तक पेपर ं
आर पा क एली क शु आत म कलक ा दे वे नाथ टै गोर
पेपर इन

है और अमृता ए कलक ा गरीशचं घोष ारा लया गया

पस
भारत
थम

कलक ा
एसएन बनज

दे वे नाथ टै गोर
परश

म ास
म त एल जी पेपर
आर प का ई जेसोर जला स सरकु मार घोष और मोतीलाल घोष

शु आत
दै नक
ना बंगाली म कलक ा बं कमचं चटज
sman कलक ा रॉबट नाइट ारा शु कया गया
टे ट्समैन
n अं ेज ी एकली म ास जीएस अ यर वीराराघवचारी और
सु बा राव पं डत इनम से
सं ापक
य लाहौर दयाल सह मजी तया
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वष और ान जहां से सं ापक का नाम


का शत कया गया संपादक

ऐली और श ब बई तलक चपलूनकर आगरकर पहले ।


सा ता हक तलक आगरकर और ोफे सर के लकर मशः संपादक थे

म ास जीएस अ यर

kly ब पन चं पाल काशक


बंगाल बर कु मार घोष और

भूपे नाथ द
बंगाल बांधव उपा याय
महारा
ट लंडन यामजी कृ णवमा
पे रस मैडम भीकाजी कामा
ब लन वीर नाथ च ोपा याय
वकू वर तारकनाथ दास
सैन ां स को ग़दर पाट
से पहले अ जत सह
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ओ नकल एक दै नक ब बई फ़रोज़शाह मेहता ारा शु कया गया


संपादक बीजी हॉ नमन अं ेज
एक टाइ स द ली के एम प ण कर ारा भाग के पम ा पत
अकाली दल आंदोलन के

आरडीयू डेली लाहौर एमके चंद ारा ा पत


लश मदन मोहन मालवीय

हरत

स ती से
पंज ाब संतोष सह
बीआर अंबेडकर
परश
त मल ईवी रामा वामी नायकर पे रयार
एसएस मराजकर के एन जोगलेक र एसवी
महारा घाटे
गोपू च वत और धरणी
गणबनी बंगाल गो वामी

बंगाल स च नाथ सा याल


ए दै नक जवाहरलाल नेह ारा शु कया गया
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t.me Ebooks Encyclopedia . t.me Magazines all

े म पु तक
नजी मया दत
यूपीएससी स वल सेवा ारं भक
. स वल सेवा ारं भक पेपर I के लए सामा य अ ययन क पु तका

. स वल सेवा ारं भक पेपर II के लए सामा य अ ययन क पु तका

रा य स वल सेवा ारं भक परी ा


. भारतीय इ तहास वैक पक
. राजनी त व ान वैक पक
. लोक शासन वैक पक
. समाजशा वैक पक

स वल सेवा मु य परी ा
. आधु नक भारत का सं त इ तहास . भारतीय सं कृ त
के पहलू . गांधी नेह टै गोर और आधु नक
भारत के अ य त त व

. भारतीय राजनी त .
अंतरा ीय संगठन स मेलन और सं धयाँ . भारत का भूगोल . व ान और ौ ो गक म वकास
. सां यक य व ेषण रेख ांक न
और आरेख . आधु नक भारत का ापक इ तहास वैक पक

. भारत का ऐ तहा सक एटलस वैक पक


. भूगोल वैक पक
. लोक शासन स ांत एवं स ा त

े म क अं ेज ी भाषा ृंख ला
. नबंध क एक पु तक . लघु
नबंध क एक पु तक . अं ेज ी ाकरण एक
उपयोगकता मैनुअ ल . समझ और सट क

ब कग के लए े म क कताब और
अय तयोगी परी ाएं
. व तु न अं ेज ी . मा ा मक
यो यता

े म का लट कै न
. ट एस ए लयट क क वता का आलोचना मक मू यांक न . ड यूबी
येट्स क क वता का आलोचना मक मू यांक न . हकलबेरी फन माक
ट् वेन . फ लप ला कन चय नत क वता का
आलोचना मक मू यांक न

अय
. मी डया भाव . सुक रात से
लेक र सा तक के दाश नक . पाइथागोरस से हबल तक के वै ा नक

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