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रात के 3 बजे थे. इमरजैंसी में एक नया के स आया था.

इमरजैंसी में तैनात डाक्टरों और नर्सों ने मुस्तैदी से


बच्चे की जांच की. बिना देरी किए उसे पीडियाट्रिक आई.सी.यू. में ऐडमिट कराने के लिए स्ट्रेचर पर लिटा
कर नर्स व वार्ड- बौय तेजी से चल पड़े.

पीछे पीछे बच्चे के मातापिता बदहवास से चल रहे थे.पीडियाट्रिक आई.सी.यू. में भी अफरातफरी मच गई.
बच्चे को बैड पर लिटा कर 4-5 डाक्टरों की टीम उस की चिकित्सा में लग गई.‘‘टैल मी द हिस्ट्री,’’ डा.
सिद्धार्थ ने कहा.‘‘बच्चा 3 साल का है. यूरिनरी इन्फै क्शन हुआ था. डायग्नोसिस में बहुत देर हो गई. बच्चे
को बहुत तेज बुखार की शिकायत है. इन्फै क्शन पूरे शरीर में फै ल गया है पर इस से महत्त्वपूर्ण यह है कि 8
दिन पहले गिरने के कारण बच्चे को सिर में गहरी चोट लगी थी. ब्लड सर्कु लेशन के साथ इन्फै क्शन
दिमाग में चला गया है. कल सुबह इन्फै क्शन के कारण ब्रेन हैमरेज भी हो गया,’’ पीडियाट्रिक्स इमरजैंसी
के डा. शांतनु ने संक्षेप में बताया.‘‘माई गुडनैस,’’

डा. सिद्धार्थ ने कहा, ‘‘मु?ो सीटी स्कै न दिखाओ.’’एक नर्स बच्चे के मातापिता के पास सीटी स्कै न लेने
दौड़ी. बच्चे के पिता ने तुरंत सीटी स्कै न और रिपोर्ट नर्स को दे दी और पूछा, ‘‘बच्चा कै सा है सिस्टर. क्या
कर रहे हैं अंदर. हम उसे देख सकते हैं क्या?’’‘‘डाक्टर जांच कर रहे हैं. इलाज चल रहा है. एक बार बच्चे की
हालत स्थिर हो जाए फिर आप को बुला लेंगे,’’ कह कर नर्स अंदर चली गई.बच्चे के मातापिता बेबस से
बाहर खड़े रह गए. बच्चे की मां मीनल के तो आंसू नहीं थम रहे थे. बच्चे की चोट वाली जगह से खून की
एक लकीर पीछे तक गई थी.

‘‘सर, बच्चे के हाथ में लगा कै नूला ब्लौक हो गया है,’’ नर्स बोली, ‘‘चेंज करना पड़ेगा.’’‘‘चेंज करो और
फौरन आई.वी. ऐंटीबायोटिक और सलाइन शुरू करो. बच्चे का टैंपरेचर अभी कितना है?’’ डा. सिद्धार्थ ने
पूछा.नर्स ने तुरंत थर्मामीटर लगा कर बच्चे का बुखार देखा और कांपते स्वर में बोली, ‘‘सर, 106 से ऊपर
है.’’‘‘दिमाग के इन्फै क्शन में तो यह होना ही था. बच्चे को तुरंत कोल्ड वाटर स्पंज दो. हथेलियों, बगल में,
पैर के तलवों और घुटनों के नीचे कोल्ड गौज या कौटन रखो और लगातार उन्हें बदलती रहना. ए.सी. के
अलावा एक और पंखा ला कर बच्चे की ओर लगाओ ताकि बुखार आगे न जाने पाए,’’ डा. सिद्धार्थ ने
हिदायत दी. डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद कहीं बच्चे का बुखार 103 डिगरी तक आया, तब डा. सिद्धार्थ ने
चैन की सांस ली.

2 नर्सों को बच्चों के पास छोड़ कर और इलाज के बारे में सम?ा कर डा. सिद्धार्थ ने बच्चे के मातापिता को
बुला लाने को कहा. पीडियाट्रिक आई.सी.यू. के डाक्टर और नर्सें वापस अपनीअपनी ड्यूटी पर चले
गए.प्रशांत और मीनल दौड़ेदौड़े अंदर आए तो डा. सिद्धार्थ ने कहा, ‘‘हम ने बच्चे का इलाज शुरू कर दिया है.
बुखार भी अब कम हो गया है. लेकिन बच्चे के दिमाग में जो इन्फै क्शन हो गया है उस के लिए
न्यूरोलौजिस्ट को बुला कर चैकअप करवाना पड़ेगा.’’‘‘हमारा बच्चा ठीक तो हो जाएगा न?’’ मीनल ने
कांपते स्वर में पूछा.‘‘हम अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे. कल सुबह डा. बनर्जी दिमाग का उपचार शुरू
कर देंगे तो उम्मीद है बुखार कं ट्रोल में आ जाएगा.

और हां, आप दोनों में से कोई एक ही आई.सी.यू. में बच्चे के पास बैठ सकता है.’’ मीनल ने बच्चे की ओर
देख कर उसे पुकारा. थोड़ी देर बाद सोनू ने कमजोर स्वर में ‘हूं’ कहा. बुखार से सोनू बेदम हो रहा था.
बीचबीच में अचानक कांप उठता और अजीब से स्वर में कराहने लगता. मीनल बच्चे की यह दशा देख कर
रोने लगी.प्रशांत ने पत्नी के कं धे पर हाथ रख कर उसे तसल्ली दी और अपने आंसू पोंछ कर बोला,
‘‘अपनेआप को संभालो मीनल. हमें उस का पूरा ध्यान रखना है.

उसे ठीक करना है. अगर तुम ही टू ट जाओगी तो सोनू की देखभाल कौन करेगा?’’मीनल ने हामी भरते हुए
अपने आंसू पोंछे और सोनू का हाथ थाम लिया. सोनू की कमजोर उं गलियों ने मीनल की उं गलियां थाम लीं
तो मीनल का दिल भर आया. मस्तिष्क में संक्रमण से सोनू खुल कर रो नहीं पा रहा था और बोल भी नहीं
पा रहा था. बस, रहरह कर उस का शरीर कांपता और वह घुटेघुटे स्वर में कराहने लगता.सोनू का हाथ
सहलाते हुए मीनल के सामने बेटे के जन्म से ले कर अब तक की घटनाएं चलचित्र की भांति घूमने लगीं.
कितनी खुश थी वह मां बन कर.

सोनू के जन्म के बाद उस के पालनपोषण में कब दिन गुजर जाता पता ही नहीं चलता. प्रकृ ति ने सारे जहां
की खुशियां मीनल की ?ोली में डाल दी थीं. जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं. सोनू था भी बहुत प्यारा
बच्चा. सारा दिन ‘मांमां’ कहता मीनल का आंचल थामे उस के आगेपीछे घूमता रहता. पर अचानक उन के
सुखी संसार में न जाने कहां से दुख के बादल घिर आए.6 महीने पहले सोनू को बुखार आना शुरू हुआ.
प्रशांत उसे डाक्टर के पास ले गया.

दवाइयों से 5 दिनों में सोनू ठीक हो गया. मीनल और प्रशांत निश्चिंत हो गए. पर 15 दिन बाद ही सोनू को
फिर बुखार आया तो उन्हें चिंता हुई और डाक्टर ने दवा दे कर कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, सभी
बच्चों को बदलते मौसम से यह परेशानी हो रही है.इसी तरह 5 महीने गुजर गए. सोनू को महीने भर तक
जब लगातार बुखार के साथ पेट में दर्द, पेशाब में जलन की शिकायत होने लगी तब कसबे के डाक्टर ने उसे
बड़े शहर में जा कर चाइल्ड स्पैशलिस्ट को दिखाने को कहा.

मीनल और प्रशांत तुरंत सोनू को शहर ले आए. वहां चाइल्ड स्पैशलिस्ट ने सोनू की खून और यूरिन की
सभी जरूरी जांच करवाईं और कल्चर करवाया. कल्चर ड्रग सैंसेटिविटी जांच से पता चला कि अब तक जो
ऐंटीबायोटिक सोनू को दी जा रही थीं उन दवाइयों ने सोनू पर कु छ असर ही नहीं किया था और संक्रमण
बढ़तेबढ़ते गुर्दों तक फै ल गया.

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