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2008 3 1501 42431 Judgement 01-Mar-2023 HIN
2008 3 1501 42431 Judgement 01-Mar-2023 HIN
2008 3 1501 42431 Judgement 01-Mar-2023 HIN
बनाम
के साथ
(@ #वशेष अनम
ु ,त याचका (आपराधक सं"या 2012 क सं"या 5296)
,नणय
नागार3ना, यायाधीश
तहत क गई है ।
आपराधक अपील /एसएलपी आरोपय$ के नाम छूट के साथ गुजर :हरासत
संया क अवध
आपराधक अपील संया 2009 लEमी नारायण (आरोपी अ-भर;ा AमाणपB A+तुत
क 986 और 2009 क 988 संया 5) नहं Fकया गया
आपराधक अपील संया 989- बलजीत पाहवा (आरोपी 7 वष<, 8 माह और 2 :दन
990/2009 संया 2) (31.01.2023 के जेल
अ-भर;ा Aमाण पB के
अनस
ु ार 13.05.2009 से
जमानत पर)
रमन गो+वामी /वारा दायर 2009 क आपराधक अपील संया 987 को उनक मHृ यु
रव ढंगरा के संबंध म आपराधक अपील संया 987/2009 पर वचार Fकया जाता है । इन
Fकया जा रहा है ।
3. सं;ेप म , -शकायतकता< डॉ. एच. के. सोबती (पीडKLय-ू 20) के अनरु ोध पर थानेसर
आरोपी रव ढंगरा ने अपने +कूटर पर पीछे बैठने के -लए धमकाया और मना करने पर उसे
जबरन कार म डाल :दया गया। सरु ;ा के -लए चLलाने पर उसे धमक द गई Fक अगर वह
रोएगा तो उसे चाकू और प+तौल से मार :दया जाएगा। उ ह$ने उसे यह भी बताया Fक
जांच म पता चला Fक पीडKLय-ू 21 को मकान संया 772, से.टर-13, कुT;ेB म रखा
गया था। Oीमती कांता गोयल (पीडKLय-ू 2) जो मकान नंबर 1653/13 क नवासी थीं, जो
बताया Fक सब
ु ह 8:15 बजे दो लड़क$, िजनके चेहरे ढं के हुए थे, ने हष< को Vबना नंबर Cलेट
वाल और रं गीन शीशे वाल माT त कार म Vबठा :दया था। बाद म , उसी :दन, Fफरौती क
मांग करने वाले कॉल AाCत हुए, िजस पर कार< वाई करते हुए, पीडKल-ू 20 मांगी गयी Fफरौती
के साथ संबंधत +थान पर पहुंच गया। जब वह अपीलाथ<य$ /वारा Fफरौती AाCत करने और
उसके ब9चे को छोड़ने का इंतजार कर रहा था, पी डKLय-ू 21 हष< सोबती को 16.2.2000 को
सब
ु ह 04:00 बजे से 04:30 बजे के बीच 7रहा Fकया गया और पी डKLय-ू 11 सरू ज भान राठW के
अपने घर ले गY।
4. यह Fक Fफरौती क मांग और पछ
ू ताछ पीडKल-ू 20 को 09.03.2000, 12.03.2000,
कर सका, उसने 12 लाख Tपये क [यव+था क थी। इन संदेश$ म AाCत नद\ श$ पर कार< वाई
करते हुए पीडKल-ू 20 प-ु लस को सू चत करने के बाद, पैस$ क थैल के साथ, रात 8:15 बजे
]े न म सवार हुआ। जब ]े न अंबाला म Tक तो वह उतर गया। वह कुT;ेB वापस चला गया
जहाँ से उसे पैसे क थैल के साथ अपना घर छोड़ने और करनाल आने के -लए कहा गया।
एक बैग म नकद क `डलवर पर, यह पता चला Fक एक इंजी नय7रंग छाB रव दहू न
(पीडKल-ू 19) के नाम से पंजीकृत एक मोबाइल फोन से कॉल Fकए गए थे। उसने खल
ु ासा
Fकया Fक उसके दो+त$, अपीलकता<ओं ने उसका फोन उधार -लया था। 17.03.2000 को,
रव ढंगरा, बलजीत पाहवा, परवेज खान और रमन गो+वामी नाम के चार आरोपी
िज ह 03 अAैल, 2000 को गरaतार Fकया गया था, प-ु लस /वारा गरaतार Fकया गया था।
म
ु य या यक मिज+]े ट, कुT;ेB ने 06.06.2000 को इस मामले को सन
ु वाई के -लए सB
5. अ त7र.त सB यायाधीश, फा+ट ]ै क कोट< , कुT;ेB, (']ायल कोट< ', सु वधा के -लए)
ने भारतीय दं ड सं:हताक धारा 364, 364ए, 342, 506 सहप:ठत धारा 148 के तहत अपराध
दज< Fकए।
6. अपीलकता<ओं ने कहा Fक उ ह झठ
ू ा फंसाया गया था और पकड़े जाने के बाद उ ह
अवैध कारावास म रखा गया था। उ ह$ने यह भी तक< :दया Fक उनक त+वीर$ को +थानीय
मी`डया के माZयम से [यापक eप से Aचा7रत Fकए जाने और अ-भयोजन प; के गवाह$ के
साथ सामना करने के बाद उ ह अदालत म पेश Fकया गया था। इसके अलावा, यह A+तत
ु
Fकया गया था Fक 18.03.2000 को अदालत के सम; पेश Fकए जाने से पहले उ ह Aता`ड़त
Fकया गया था। उ ह$ने यह भी कहा Fक उ ह 20.03.2000 को जांच अधकार /वारा तैयार
7. वचारण यायालय ने पव
ू f.त कथन$ और अ-भलेख पर अ य साEय पर वचार
रा-श का भग
ु तान करने के -लए मजबरू करने के -लए पी डKल-ू 21 का अपहरण Fकया।
कारावास और Fफरौती का भग
ु तान करने के -लए पीडKLय-ू 20 को मजबरू करने के -लए उसे
148 और 364ए के तहत दं डनीय अपराध$ के -लए दोषी ठहराया गया था। अपीलकता<ओं ने
को भारतीय दं ड सं:हता क धारा 148 के तहत तीन साल के सOम कारावास और आईपीसी
क धारा 149 के साथ प:ठत धारा 364ए के तहत आजीवन कठोर कारावास और AHयेक को
दं डादे श के आदे श के jखलाफ अपील क। उ9च यायालय ने इस Ahन पर वचार Fकया Fक
.या भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364ए के तहत Fफरौती के -लए अपहरण के अपराध म
करते हुए कहा Fक भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364ए के सभी अवयव$ को संतु3ट Fकया
गया था।
संदेह करने का कोई कारण नहं था। पीडKल-ू 21 के संबंध म , उ9च यायालय ने :टCपणी क
Fक वह एक बाल गवाह था, लेFकन उसने लंबी और खोजी A तपर;ा का सामना Fकया और
दं ड सं:हता क धारा 506 के अधीन Fकसी अपराध के -लए, िजसम सात वष< से अधक के लंबे
अनम
ु त याचकाएं दायर करके इस यायालय का दरवाजा खटखटाया है , िजसम अनम
ु त
अपहरण Fकया था, लेFकन नीचे के यायालय$ ने पी डKल-ू 21 के साEय पर वhवास करने के
कारण पाए ह0। इस Aकार, जांच के बारे म सवाल उठाते हुए बर करने के -लए :दए गए तकk
को +वीकार Fकए Vबना, अपीलकता<ओं ने आlह Fकया है Fक उनक क़ैद क लंबी अवध का
या यक नो:टस -लया जाए और भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364ए के तहत उनक कैद
जाए।
उपि+थत व/वान अधव.ता Oी गौरव अlवाल ने एस. के. अहमद बनाम तेलंगाना रा*य,
(2021) 9 एस. सी. सी. 59 (एस. के. अहमद) पर भरोसा Fकया, यह तक< दे ने के -लए Fक इस
मामले म भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364ए के आवhयक तHव साVबत नहं हुए ह0। उनके
प-ु लस को :दए गए बयान से काफ बेहतर था। इस-लए, उ ह$ने कहा Fक मौत या चोट
पहुंचाने का कोई खतरा साVबत नहं हुआ है । उ ह$ने यह भी A+तुत Fकया Fक मHृ यु या चोट
के कारण के आधार पर Fफरौती क कोई मांग साVबत नहं क जा सक .य$Fक यह प-ु लस से
नकल थी। उ ह$ने A+तुत Fकया Fक पीडKल-ू 12 पलट गया और पीडKल-ू 13 केवल एक
दस
ू र ओर, Oी राकेश म/
ु गल, A तवाद राnय के -लए व/वान एएजी ने उ9च
यायालय के फैसले का समथ<न Fकया और तक< :दया Fक इन अपील$ म कोई योoयता नहं
तकk और यहां अपीलकता<ओं /वारा दायर अपील$ को खा7रज करने म यायसंगत था।
अपील म वचार Fकए जाने वाले Vबंद ु को इस बात तक सी-मत करना उचत समझते ह0 Fक
.या इस मामले म तQय, भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364ए के तहत अपराध को आकष<त
करते ह0 और य:द उHतर नकाराHमक म है, तो .या भारतीय दं ड सं:हता क धारा 363 के
इस मामले को प7रAेEय म रखने के -लए धारा 361के साथ प:ठत धारा 363, 364,
364 ए के उपबंध$ क तल
ु ना क जानी चा:हए। उ.त Aावधान इस Aकार ह0 :
x xx
दं `डत करती है और इसक धारा 364 Fकसी [यि.त क हHया के -लए उसके [यपहरण या
अपहरण के अपराध को दं `डत करती है । धारा 364ए मिु .त धन (Fफरौती) क मांग करने के
-लए जबरद+ती :हंसा या उसके पया<Cत खतरे को शा-मल करके अपराध क गंभीरता को
और बढ़ाती है । तदनस
ु ार, तीन$ अपराध$ के -लए अधकतम दं ड cमशः सात वष< और दस
xि3टकोण क सावधानीपव
ू क
< [याया क जानी चा:हए।
13. इस यायालय ने, वशेष eप से अ,नल बनाम दमन और दव +शासन, (2006) 13
एस. सी. सी. 36 (अ,नल), #वCवनाथ गुDता बनाम उ3तरांचल रा*य (2007) 11 एस. सी. सी.
633 (#वCवनाथ गुDता) और #वEम 8संह बनाम भारत संघ, (2015) 9 एस. सी. सी. 502
(#वEम 8संह) म भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364 ए के अधीन अपराध के Fकए जाने के -लए
को उस अपराध के -लए दोषी ठहराया गया है िजसके संबंध म कोई आरोप तय नहं Fकया
क धारा 364 के साथ प:ठत धारा 34 के तहत था। सवf9च यायालय के उ.त नण<य से
चन
ु े जा सकने वाले Aासंगक अंश नsनानस
ु ार ह0: "
54. उपय.
ु< त नण<य$ म से वध के कथन/तक<वा.य, िज ह उपरो.त नण<य$
से नकाला जा सकता है , इस Aकार ह0 :
है , बिLक इसके बाद आरोपी ने ऐसे [यि.त को मार दे ने या चोट पहुंचाने क धमक द या
करने या करने से वरत रहने या मिु .तधन (Fफरौती) दे ने के -लए मजबरू करने के -लए मारा
ii. मHृ यु या उपह त का7रत करने का खतरा, और मिु .तधन (Fफरौती) क मांग के साथ
[यपहरण, अपहरण या क़ैद का उपयोग, और
xxx
33. उपय.
ु< त मामल$ म धारा 364-ए के सांवधक Aावधान और इस
यायालय /वारा अधकथत वध पर Zयान दे ने के पhचात ् हम इस
न3कष< पर पहुंचे ह0 Fक धारा 364-ए के अधीन Fकसी अ-भय.
ु त को
-स2दोष ठहराने के -लए आवhयक तHव िज ह अ-भयोजन /वारा साVबत
Fकया जाना अपे;त है , नsनानस
ु ार ह0:
"42. दस
ू र शत< साVबत नहं होने के बाद, हम अपीलाथy के व/वान
अधव.ता के A+तत
ु ीकरण म सार पाते ह0 Fक अपीलाथy क दोष-स2
भारतीय दं ड सं:हता क धारा 364-ए के तहत :टकाऊ नहं है।हम, इस
Aकार, धारा 364-ए के तहत अपीलाथy क दोष-स2 को खा7रज़ करते ह0।
हालांFक, अपहरण के बारे म 7रकॉड< म मौजद
ू सबत
ू $ से, यह साVबत हो
जाता है Fक आरोपी ने पी`ड़ता का अपहरण Fफरौती के -लए Fकया था,
Fफरौती क मांग भी साVबत हो गई थी।भले ह धारा 364-ए के तहत
अपराध उचत संदेह से परे साVबत नहं हुआ है, लेFकन अपहरण का
अपराध परू तरह से +थापत हो गया है, िजसके Aभाव म व/वान सB
यायाधीश ने पैरा 19 और 20 म एक +प3ट न3कष< दज< Fकया है।
अपहरण का अपराध साVबत हो जाने पर, अपीलकता< को धारा 363 के
तहत दोषी ठहराया जाना चा:हए। धारा 363 दं ड का Aावधान करती है जो
Fकसी भी Aकार का कारावास है िजसे सात वष< तक बढ़ाया जा सकता है
और जुमा<ना भी लगाया जा सकता है।"
सामा य है, 'मHृ यु या आघात पहुंचाने के खतरे ' के तHव को साVबत करने के -लए
बयान म एक महHवपण
ू < ववरण शा-मल है िजसे पछले बयान म छोड़ :दया गया
डाल :दया गया था और बंद कर :दया गया था, बयान म कहा गया है, “हमलावर$
ने मझ
ु े चाकू और प+तौल से धमक द और मझ
ु े मारने क धमक द।" इस
प7रवत<न-दस
ू रा, खतरे क सप
ु द
ु < गी क व-श3टता-एंजे-लना को मारने का खतरा और
-लए।
महHवपण
ू < ह0 और इस धारा के तहत अपराध को साVबत करने के -लए आवhयक
आजीवन दं डादे श वाले दं डादे श क साEय संबंधी सीमा इतनी कम है तो 363, 364
जाएगा।
के इद<-गद< घम
ू ते थे िजससे धारा 364-ए के तहत अपराध को घर लाने के -लए
Fफरौती क मांग क जानी चा:हए। एस. के. अहमद म यह पाया गया Fक मLलेशी
गया Fक मल
ू eप से अपहरण Fकए गए [यि.त से मांग क गई थी और केवल
Aभाव को दरू नहं करता था। जैसा Fक एस. के. अहमद म इस यायालय /वारा
+प3ट Fकया गया है, मLलेशी केवल Fफरौती से संबंधत था और इसका अनप
ु ात
उन मामल$ म कोई सहायता नहं करे गा जहां धारा 364ए के तहत अपराध के
जैसा Fक जसवंदर सैनी बनाम राnय (रा3]य राजधानी ;ेB :दLल सरकार)
(2013) 7 एससीसी 256, पैरा 11; कPय अ वेषण Kयरू ो बनाम करमL
ु ला ओसन
नMलारे Nडी Oीधर रे Nडी बनाम आंP +दे श रा*य (2020) 12 एससीसी 467, पैरा
363 के तहत अपराध के -लए दोषी ठहराया गया है यानी, अपहरण और सात साल
काट गे।
.......................................... जे.
(संजय =कशन कौल)
…...................................... जे.
(बी. वी. नागार3ना)
नई AदMल
1 माच, 2023.