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मोटरगाड़ी चालन - विकिपीडिया
मोटरगाड़ी चालन - विकिपीडिया
मोटरगाड़ी चालन - विकिपीडिया
चलती कार
सं
चालन व ध
सफल मोटर ाइवर बनने
केलये
उसकेनयंक
,
उपकरण का उपयोग और बाजार क भीड़ भाड़ म से
बना टकराए गाड़ी चलाना ही काफ नह होता। थम
यो यता तो एक आध घं
टे
म ही ा त क जा सकती है
।
एक द ाइवर क यही पहचान हैक वह सब कार के
, अपनी और जनता
माग पर औसत उ चतम र तार से
क सु
र ा का पू
णतया यान रखतेए गाड़ी को चलाते
ए उसे
इस कार से
सँ
भालेक उसम घसाई, टू
ट फू
ट
और पेोल आ द का खचा यू
नतम हो। यह गु
ण नरं
तर
अ यास से
ही ा त होता है
।
ाइवर केलये
राजमाग य नयम का जानना भी
आव यक है
। याद रखना चा हए क सड़क क बाई
तरफ का भाग अपनी गाड़ी और दाहनी तरफ का भाग
सामने
सेआने
को वाहन म लए न त है
। अपनी ही
दशा म आगे
चलने
वाले
वाहन का अ भलं
घन करने
के
लये
उ ह अपनी बा तरफ छोड़कर उनक दाहनी तरफ
सेनकल जाना चा हए। कसी घोड़ा, या बै
लगाड़ी के
चालक, अथवा पु
लस केसपाही के
कहने
पर ाइवर
को मोटर एकदम रोकनी चा हए, सँ
भव हैक घोड़ा, या
बै
ल चालक के
वश म न हो; या चलने
म असमथ हो।
चौराह पर खड़ेसपा हय के
संके
त का त ण पालन
करना चा हए। साथ ही ाइवर को चा हए क वेवयं
कधर को जाना चाहते
ह, यह बात इशारे
सेपु
लसवाल
को भी बता द। अपने
आस पास चलने
वाले
अय
ाइवर को भी बता द क वे कना चाहते
ह अथवा
कधर को मु
ड़ना चाहते
ह। आधु
नक राजमाग के
चौराह आ द पर यातायात केनयंण केलयेसपाही
तै
नात न कर बजली केवचा लत सं
के
त भी लगा दए
जाते
ह, अत: उ ह भी समझकर तनु
दसार काय करना
चा हए।
गाड़ी के
इं
जन को चालू
करना
भ कारखान क बनी गा ड़य क रचना म भ ता
रहने
केकारण उनको चालू
करने
क व ध म भी कु
छ
भ ता होती है
। वशे
ष कर शरद्
ऋतु
म कई गा ड़याँ
चालू
होते
समय क ठनाई उ प कर दे
ती ह, अत: पहले
से
ही उनकेनयंक उपकरण का समं
जन उ चत कार
से
कर ले
ना चा हए। उदाहरणत:, गाड़ी म व वतक यं
लगा हो अथवा न लगा हो, ये
क गाड़ी के
उपरोधी
(thhrottle) और वालक लीवर को पहले
सेही सही
समं
जत कर रखना चा हए। य द गाड़ी म प रवतनशील
वालक यु लगी हो, जससेबजली क चनगारी
पहले
सेअथवा वलं
बत कर छोड़ी जा सकती हो, तो
गाड़ी को चालू
करते
समय उसे
कुछ लं
बत कर दे
ना
चा हए। य द चनगारी पहले
सेछोड़ द जायगी, तो
सं
पी डत गै
स समय से
पहले
ही जल उठे
गी जससे
इं न- पन आ द पर ब त जोर पड़े
जन क गजे गा। चालू
करते
ही गअर बॉ स के
लीवर को तट थ थ त म
रखना चा हए और बगली के
हाथ े
क को बँ
धा आ।
फर पेोल को खोलकर वालक वच लगा दे
नी चाहए,
जससेक उसका भी प रपथ पू
रा हो जाए। य द
आव यक हो तो काबू
रे
टर को हलके
सेठकठका दे
ना
चा हए, जससे
उसके को म पेोल भर जाए। अब
य द व वतक (self-starter) यंलगा हो, तो उसे
चालू
कर दे
ना चा हए, अ यथा के
वल हाथ से
घु
माने
का
ही बं
ध हो, तो पहले
उसके
ह डल को पू
रे
दो च कर
घु
माना चा हए, जससे
एक स लडर म ते
पेोल क गै
स
सं
पी डत होकर भर जाए, जो वालन केलये
तै
यारी
होगी और सरेस लडर म चू
षण या होगी। फर जब
ह डल नीचे
क तरफ हो, तब उसे
एकदम झटके
केसाथ
ऊपर क तरफ घु
माना चा हए, इस कर वालन होकर
इं
जन चल पड़े
गा। खाली इं
जन के
कुछ मनट तक चलने
के
बद, जब उसके ये
क भाग म गम आ जाए तभी
उसपर गाड़ी के े
षण यंका बोझा डालना चा हए।
य द रे
डएटर के
साथ जल प रवाहक शटर भी लगा हो,
तो स दय म उसे
भी एक दो मनट तक बं
द रखना
चा हए, जससे
जै
के
ट के
पानी म हलक सी उ णता आ
जाए।
खड़ी गाड़ी को चालू
करना
उपयु या ारा जब इं
जन भली भाँ
त चलने
लगे
तब लच के
फलक को दो चार से
कं
ड तक दबाकर गाड़
के े
षण यंको न न गअर म लगाना चा हए। इस
समय बगली का े
क लगा रहना चा हए और एक पै
र
को व र फलक पर रखकर लच को धीरे
सेलगा दे
ना
चा हए। फर इं
जन केवरा पकड़ते
ही े
क को छु
डा
दे
ना चा हए। इस कार गाड़ी धीमी र तार से
आगे
बढ़ने
लगे
गी। कई आधु
नक गा ड़य म उसके
चालू
होने
के
तु
रं
त बाद ही सरा गअर लगा दया जाता है
।
गअर बदलना
न न गअर सेसरेगअर पर बदली करने
केलये
लच फलक को थोड़ा ही दबाना चा हए, पू
रा नह । इस
समय व र फलक को आजाद छोड़ दे
ना चा हए,
गअर लीवर को एक ण केलये
तट थ थ त म
रखकर उसे
ऊँची थ त म सरकार दे
ना चा हए। इसके
बाद लच को धीरे
सेलगा दे
ना चा हए। फर व र
फलक को दबा दे
ना चा हए, जससे
इं
जन पहलेजतने
ही च कर लगाने
लगे
। गाड़ी को और अ धक ऊँ
चे
गअर पर लगाने
केलये
उसे
उ चत र तार पर चलने
दे
तेए उपयु सभी याएँ
दोहरानी चा हए। इसम
अं
तर के
वल यही होगा क गअर लीवर को तट थ
थ त म कु
छ अ धक ण तक रखना होता है
। गअर
को ऊँ
ची अथवा नीची थ त म बदलते
समय उ
तट थता क अव ध ये
क गाड़ी केलयेभ आ
करती है
। एक बार जब गाड़ी ऊँ
चेगअर पर लग द
जाए तब उसक र तार म कमीबे
शी उपरोधी ारा क
जाती है
। गाड़ी केगयर को हमे
शा पू
रा लच दबाकर
ही बदलना चा हए| अगर पू
रा लच बना दबाये
आप
गयर बदलते
ह तो गयर बॉ स ज द ख़राब होने
क
आशं | [1]
का बनी रहती है
गाड़ी को धीमे
करना और रोकना
जै
सा पहले
बाताया गया हैक य द ाइवर, अपनी
नगाह माग पर गाड़ी से
लगभग १०० मीटर आगे
तक
फै , तो सामने
लाए रखे सेआने
वाल से , भोपू
बचने
, मोड़ पर घू
बजाने , या चढ़ाई पर चढ़ने
मने केलयेगअर
बदलने
अथवा चाल को धीमी करने
आ द केलये
काफ
समय मल जाता है
और गाड़ी को दोन क लगाकर
े
झटके
सेरोकने
क आव यकता नह पड़ती।
गाड़ी को ठहराने
केसं
बं
ध म दो बात याद रखनी चा हए:
चढ़ाई के
माग पर चलना
ाइवर लोग ाय: यह गलती कया करते
ह क चढ़ाई
पर चढ़ते
समय जब गाड़ी मं
द पड़ने , तब ब त
लगती है
दे
र बाद गअर बदलने
का य न करते
ह। वै
से
तो
आधु
नक गा ड़य क या मकता म काफ लचीलापन
होता है
और छोट तथा हलक चढ़ाइयाँ
तो वे
वै
से
ही
, ले
उ च गअर पर अनायास पार कर सकती है कन
उ च गअर पर अ धक ऊँ
ची चढ़ाई चढ़ने
सेइं
जन और
श षण यं पर अनु
े चत जोर पड़ता है
। यही
तरीका तो हैक य ही चढ़ाई आरं
भ होने
वाली हो,
आव यक न न गअर पर े
षण यंको डाल दया
जाए, जससे
गाड़ी अपने
म कु
छ अ धक श सं
चत
कर ले
और यह चढ़ाई पर काम आए।
मोड़ पर घू
मना
सड़क क मोड़ पर आगे
का रा ता नह दखाई दे
ने
के
करण वहाँ
खतरे
क सं
भावना रहती है
। अत: अ छा
तरीका यही हैक कसी भी ते
ज मोड़ अथवा साधारण
घु
माव के
आने
के१०० या १५० मी पहले
सेही गाड़ी
क र तार मश: कु
छ मं
द कर द जानी चा हए, जससे
आव यकता पड़ने
पर गाड़ी को सरलता से
ज द ही
रोका जा सके
और घु
माते
समय टय रग पर अ धक
जोर न पड़े
। यहाँ
पर गाड़ी को सड़क के
म य से
जरा सा
बाएँ , रा ते
कर लया जाए, य क म य केनकट से के
कोने
सेआगे
का भाग कु
छ अ धक री तक दे
खा जा
सकता है
। इस कार टय रग च धीरे
धीरे
घु
माने
से
मोड़ आने
पर वत: ही गाड़ी बा तरफ सही चली जाती
है
।
(2) ये
क गाड़ी के
आगे , आयताकार
और पीछे
आकृ
त का नं
बर ले
ट लगा रहना चा हए, जसक
जमीन काली या सफे
द और अ र नधा रत नाप के
तथा सफे
द या काले
रं
ग म लखे
होने
चा हए।
(3) ये
क गाड़ी पर दो सफे
द लप आगे
क तरफ इस
कार लगे
होने
चा हए क आने
वाली गाड़ी क चौड़ाई
का अनु
मान र से
ही हो जाए। एक छोटा सफे
द लप
पीछे
क तरफ नं
बर ले
ट को का शत करतेए लगा
रहना चा हए और साथ ही एक लाल ब ी भी होनी
चा हए। पछला लप सू
या त के
आधे
घं
टे
बाद अव य
जला दे
ना चा हए तथा सू
य दय के
आधे
घं
टे
पहले
तक
जलता रहना चा हए। आगे
केअ द प सू
या त के
एक
घं
टे
बाद जला दे
ने
चा हए और सू
य दय के
एक घं
टे
पहले
बु
झा दे
ने
चा हए।
बाहरी क ड़याँ
1. Á
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