Professional Documents
Culture Documents
अभिव्यक्ति एवं माध्यम
अभिव्यक्ति एवं माध्यम
अभिव्यक्ति एवं माध्यम
C. फ चर से A. वहट ववकेट
D. साक्षात्कार से B. क्तिन
ANSWER= D. साक्षात्कार से C. रन
D. तेजवड़ए
5. भविेष लेखन-स्वरूप और प्रकार MCQ ANSWER= D. तेजवड़ए
1. ववशेष िेखन कहिाता है ? 8. इनमें से कौन-सा शब्द आवथाक क्षेत्र से सम्बक्तन्धत नह ं
A. सामान्य िेखन से हटकर वकस ववशेष ववषय पर है ?
वकया गया िेखन A. तेजवड़ए
B. वकस ववषय पर विखा गया रचनात्मक िेखन B. वबकवाि
C. वकस ववषय पर वकया गया वियात्मक िेखन C. मंदवड़ए
D. वकस ि ववषय पर वकया गया गवतश ि िेखन D. रन आउट
ANSWER= A. सामान्य िेखन से हटकर वकस ववशेष ANSWER= D. रन आउट
ववषय पर वकया गया िेखन 9. िारत में कौन-सा खेि अवधक ि कवप्रय है ?
2. संवाददाताओं क रुवच और ज्ञान क ध्यान में रखकर A. फुटबाि
उनके काम के वविाजन क क्या कहते हैं ? B. विकेट
A. स ट C. वॉि बाि
B. न ट D. टे वनस
C. ब ट ANSWER= B. विकेट
D. रप ट
ANSWER= C. ब ट इकाई 2 सृजनात्मक लेखन
3. ववशेष िेखन के वकतने क्षेत्र हैं ? 6. कैसे बनती हैं कभवता MCQ
A. एक 1. कववता का जन्म वकस परं परा के रूप में हुआ था?
B. द A. वावचक रूप में
C. चार B. विक्तखत रूप में
D. अनेक C. यां वत्रक रूप में
ANSWER= D. अनेक D. उपयुाि त न ं रूप ं में
4. ववशेष िेखन के विए वकस प्रकार क िाषा शैि ANSWER= A. वावचक रूप में
अपेवक्षत है ? 2. 'प्ले ववद का वड्ा स' वकसने कहा था?
A. सावहक्तत्यक िाषा A. थ ट् स
B. सहज, सरि तथा ब धगम्य िाषा B. शेक्सप यर
C. बाजारू िाषा C. वमल्टन
D. वहन्द उदू ा वमवश्रत िाषा D. डब्ल्यू ० एच० ऑडे न
ANSWER= B. सहज, सरि तथा ब धगम्य िाषा ANSWER= D. डब्ल्यू० एच० ऑडे न
5. इनमें से ववशेष िेखन का कौन-सा क्षेत्र नह ं है ? 3. इनमें से कौन-सा कववता का घटक नह ं है ?
A. वसनेमा A. िाषा
B. मन रं जन B. शब्द
C. स्वास्थ्य C. छं द
D. समाचार D. वाद्य यंत्र
ANSWER= D. समाचार ANSWER= D. वाद्य यंत्र
6. कार बार और व्यापार से संबंवधत खबर का सम्बन्ध 4. शब्द कववता का कौन-सा उपकरण है ?
वकससे है ? A. प्रथम
A. खेि क्षेत्र से B. वद्वत य
B. कृवष क्षेत्र से C. तृत य
C. आवथाक क्षेत्र D. चतुथा
D. राजन वतक क्षेत्र ANSWER= A. प्रथम
ANSWER= C. आवथाक क्षेत्र 5. कववता का अवनवाया तत्त्व है -
7. इनमें से कौन-सा शब्द विकेट जगत का नह ं है ? A. छं द
pg. 6
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
11. कहान के त सरे िाग का नाम क्या है ? ANSWER= A. डायर िेखक के रूप में
A. आरं ि 5. डायर िेखन अब वकस रूप में ि कवप्रय ह गया है ?
B. मध्य A. ववधा
C. द्वं द्व B. शौक
D. अंत C. ववचार
ANSWER= D. अंत D. पद्यवत
12. कहान -िेखन स खने का सबसे कारगर तर का ANSWER= A. ववधा
कौन-सा है ? Hide Answer
A. नान से कहान सुनना 6. हम डायर क शब्दबद्ध करते हैं -
B. दाद से कहान सुनना A. अपने विए
C. कहान विखने का अभ्यास B. पराय ं के विए
D. अच्छ कहावनयााँ पढना C. सावहत्य के विए
ANSWER= D. अच्छ कहावनयााँ पढना D. छपवाने के विए
13. कहान का केंद्र य वबंदु क्या है ? ANSWER= A. अपने विए
A. कथानक 7. ऐन फ्ैंक कौन थ ?ं
B. दे शकाि A. जमान में पैदा हुई एक यहूद िड़क
C. पात्र ं का चररत्र-वचत्रण B. इं ग्लैंड में पैदा हुई एक इसाई िड़क
D. संवाद C. र म में पैदा हुई एक यहूद िड़क
ANSWER= A. कथानक D. जापान में पैदा हुई एक बौद्ध िड़क
ANSWER= A. जमान में पैदा हुई एक यहूद िड़क
9. डायरी भलखने की कला MCQ Question 8. ऐन फ्ैंक का ज वन काि था
1. म टे गत्ते क वजल्द वाि न ट बुक, वजसके पन्न ं पर A. 1919-1945
साि के 365 वदन ं क िमवार वतवथयााँ आवद सज ह त B. 1925-1945
हैं , उसे कहते हैं - C. 1929-1945
D. 1939-1945
A. कॉप
ANSWER= C. 1929-1945
B. डायर
9. नावजय ं ने अत्याचार वकए थे-
C. बह खाता
A. वहं दुओं पर
D. रवजस्टर
B. इसाइय ं पर
ANSWER= B. डायर
C. बौद्ध ं पर
2. 'ऐन फ्ैंक क डायर ' छप डायर वकन वषों के मध्य
D. यहूवदय ं पर
विख गई थ -
ANSWER= D. यहूवदय ं पर
A. 1940-42
B. 1941-43 10. ऐन फ्ैंक के पररवार में से ज ववत कौन बचा था?
C. 1942-44 A. वपता
D. 1944-46. B. माता
ANSWER= C. 1942-44 C. बहन
3. ऐन फ्ैंक ने डायर वजस नगर में विख थ , वह है D. िाई
A. पेररस ANSWER= A. वपता
B. िंदन 11. ऐन फ्ैंक क डायर वकस िाषा में विख हुई थ -
C. र म A. अंग्रेज
D. एस्टडा म B. जमान
ANSWER= D. एस्टडा म C. डच
4. म हन राकेश, रमेश चंद्र शाह आवद प्रवसद्ध हुए- D. रूस
A. डायर िेखक के रूप में ANSWER= C. डच
B. कवव के रूप में 12. ऐन फ्ैंक क डायर का श षाक था-
C. िाषणकताा के रूप में A. अ यंग गिा इन टर बि
D. वनबंधकार के रूप में B. अ यंग गिा इन पेन
pg. 8
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
D. प्रेमचंद 14. ईदगाह' कहान में अम्मा वािे अंश के विए नाट्य
ANSWER= D. प्रेमचंद रूपां तरण करते समय वकस शैि का उपय ग वकया जा
7. इनमें से कौन-स कहान प्रेमचंद क नह ं है ? सकता है ?
A. कफन A. वणानात्मक शैि का
B. दु ववधा B. फ्लैश बैक शैि का
C. बड़े िाई साहब C. िावात्मक शैि का
D. म टे राम शास्त्र D. संब धनात्मक शैि का
ANSWER= B. दु ववधा ANSWER= B. फ्लैश बैक शैि का
8. स्थान और समय के आधार पर कहान क वकन रूप ं 15. कहान का नाट्य रूपां तरण करते समय पहिा पाठ
में विखा जाता है ? क्या ह सकता है ?
A. संवाद ं के रूप में A. कथानक का आरं ि
B. दे शकाि के रूप में B. वकस नाटक क पढना
C. िाषा-शैि के रूप में C. रूपां तरण के वनयम ं क जानना
D. दृश्य ं के रूप में D. अच्छ नाट्य प्रस्तुवतयााँ दे खना
ANSWER= D. दृश्य ं के रूप में ANSWER= D. अच्छ नाट्य प्रस्तुवतयााँ दे खना
9. नाटक का प्रत्येक दृश्य कैसा िगना चावहए? 16. 'ईदगाह' कहान में ईदगाह में जाने से पहिे बच्चे क्या
A. कथानक का आरं ि वगन रहे हैं ?
B. कथानक का वहस्सा A. अपने पैसे
C. कथानक का मध्य B. अपने कपड़े
D. कथानक का अंत C. अपने साथ
ANSWER= B. कथानक का वहस्सा D. अपने क्तखिौने
10. नाटक के संवाद कैसे ह ने चावहएाँ ? ANSWER= A. अपने पैसे
A. ववस्तृत
B. िंबे 12. कैसे बनता है रे भडय नाटक
C. कवठन िाषा में MCQ Question Answer
D. छ टे और प्रिावशाि 1. प्राच नकाि में आम आदम घर बैठे मन रं जन के विए
ANSWER= D. छ टे और प्रिावशाि वकसका सहारा िेता था?
11. 'ईदगाह' कहान में हावमद नामक पात्र क वकस वस्तु A. कहावनय ं का
का वजि नह ं वकया गया? B. रे वडय का
A. खान-पान का C. टे ि ववजन का
B. कपड़ ं का D. आपस गप-शप का
C. वातावरण का ANSWER= B. रे वडय का
D. ब ि-चाि का 2. 'अंधा युग' के रचवयता का नाम क्या है ?
ANSWER= B. कपड़ ं का A. म हन राकेश
12. नाटक में अविनय वकसका काम है ? B. नरे श मेहता
A. पात्र का C. धमाव र िारत
B. िेखक का D. प्रिाकर माचवे
C. वनदे शक का ANSWER= C. धमाव र िारत
D. दशाक का 3. रे वडय नाटक का दू सरा प्रमुख नाम क्या है ?
ANSWER= C. वनदे शक का A. अविनेय नाटक
13. स्वगत कथन के स्थान पर आजकि वकसका प्रय ग B. ध्ववन नाटक
वकया जाता है ? C. नाटक
A. वायस ओवर का D. स ररयि नाटक
B. वायस का ANSWER= B. ध्ववन नाटक
C. वायस व क का 4. रे वडय नाटक में वकतने अंक ह ते हैं ?
D. चैज वायस का A. क ई अंक नह ं ह ते
ANSWER= A. वायस ओवर का B. द अंक ह ते है
pg. 10
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
ANSWER= A. रट्टा िगाकर याद करना में िगा दे ते हैं । कई बार हम अकेिे में खुद से बातें करने
िगते हैं । यवद समाज में रहना है और उसके ववविन्न
जनसींचार माध्यम और लेखन – जनसींचार माध्यम वियाकिाप ं में वहस्सा िेना है त यह वबना बातच त या
सींचार, पररिाषा और महत्व, संचार क्या है ? संचार के संिव नह ं है । संचार यान संदेश ं का आदान-
सींचार के तत्त्व, स्र त, एनक वडं ग, संदेश, प्रदान।
माध्यम, प्राप्तकताा , फ डबैक और श र सींचार और हमारा जीवन
सींचार के प्रकार हम अपने दै वनक ज वन में संचार वकए वबना नह ं रह
सां केवतक संचार सकते। वास्तव में संचार ज वन क वनशान है । मनुष्य
मौक्तखक और अमौक्तखक संचार जब तक ज ववत है , वह संचार करता रहता है । यहााँ तक
अंतःवै यक्ति संचार वक एक बच्चा ि संचार के वबना नह ं रह सकता। वह
अंतरवैयक्ति संचार र कर या वचल्लाकर अपन मााँ का ध्यान अपन ओर
समूह संचार खच ं ता है । एक तरह से संचार ख़त्म ह ने का अथा है -
जनसंचार मृत्यु। वैसे त प्रकृवत में सि ज व संचार करते हैं िेवकन
जनसींचार की भविेषताएँ मनुष्य क संचार करने क क्षमता और कौशि सबसे
सींचार के कायय बेहतर है ।अकसर यह कहा जाता है वकमनुष्य एक
जनसींचार के कायय – समावजक प्राण है और उसे सामावजक प्राण के रूप में
सूचना दे ना, वशवक्षत करना, मन रं जन करना ववकवसत करने में उसक संचार क्षमता क सबसे बड़
एजेंडा तय करना िूवमका रह है ।
वनगरान करना पररवार और समाज में एक व्यक्ति के रूप में हम अन्य
ववचार-ववमशा के मंच ि ग ं सं संचार के जररये ह संबंध स्थावपत करते हैं और
िारत के जनसींचार माध्यम ीं का भवकास र जमराा क जरूरतें पूर करते हैं । संचार ह हमें एक-
समाचार-पत्र-पवत्रकाएाँ दू सरे से ज ड़ता है ।
रे वडय सभ्यता के ववकास क कहान संचार और उसके साधन ं
टे विववजन के ववकास क कहान है । मनुष्य ने चाहे िाषा का ववकास
वसनेमा वकया ह या विवप का या वफर छपाई का, इसके प छे मूि
इं टरनेट इच्छा संदेश ं के आदान-प्रदान क ह थ । दरअसि,
जनसींचार माध्यम ीं का प्रिाव संदेश ं के आदान-प्रदान में िगने वािे समय और दू र क
सींचार एक पररचय पाटने के विए ह मनुष्य ने संचार के माध्यम ं क ख ज
संचार के वबना ज वन संिव नह ं है । मानव सभ्यता के क।
ववकास में संचार क सबसे महत्वपूणा िूवमका रह है । संचार और जनसंचार के ववविन्न माध्यम -ं टे ि फ न,
संचार द या द से अवधक व्यक्तिय ं के ब च सूचनाओं, इं टरनेट, फैक्स, समाचारपत्र, रे वडय , टे ि ववजन और
ववचार ं और िावनाओं का आदान-प्रदान है । इस तरह वसनेमा आवद के जररये मनुष्य संदेश ं के आदान-प्रदान में
संचार एक प्रविया है वजसमें कई तत्व शावमि हैं । संचार एक-दू सरे के ब च क दू र और समय क िगातार कम
के कई प्रकार हैं वजनमें मौक्तखक और अमौक्तखक संचार के से कम करने क क वशश कर रहा है । यह कारण है वक
अिावा अंत:वैयक्तिक, अंतरवैयक्तिक, समूह संचार और आज संचार माध्यम ं के ववकास के साथ न वसफा
जनसंचार प्रमुख हैं । िौग विक दू ररयााँ कम ह रह हैं बक्ति सां स्कृवतक और
जनसंचार कई मामि ं में संचार के अन्य रूप ं से अिग मानवसक रूप से ि हम एक-दू सरे के कर ब आ रहे हैं।
है । जनसंचार सूचना, वशक्षा और मन रं जन के अिावा शायद यह कारण है वक कुछ ि ग मानते हैं वक आज
एजेंडा तय करने का काम ि करता है । िारत में दु वनया एक गााँ व में बदि गई है ।
जनसंचार के ववविन्न माध्यम ं का प्रिाव बढता जा रहा है। जनसींचार माध्यम भकतने उपय गी
जनसंचार माध्यम ं का ि ग ं पर सकारात्मक के साथ- दु वनया के वकस ि क ने में क ई घटना ह , जनसंचार
साथ नकारात्मक प्रिाव ि पड़ता है । इन नकारात्मक माध्यम ं के जररये कुछ ह वमनट ं में हमें खबर वमि जात
प्रिाव ं के प्रवत ि ग ं का सचेत ह ना बहुत जरूर है । है । अगर वहााँ वकस टे ि ववजन समाचार चैनि का
सींचार-पररिाषा और महत्व संवाददाता मौजू द ह त हमें वहााँ क तसव रें ि तुरंत
हम अवधकां श समय अपन छ ट -छ ट जरूरत ं क पूरा दे खने क वमि जात हैं । इस तरह आज टे ि ववजन के
करने या अपन िावनाओं और ववचारप ं क ं प्रकट करने परदे पर हम दु वनयािर के अिग-अिग क्षेत्र ं में घट रह
के विए एक-दू सरे से या समूह में बातच त या संचार करने घटनाओं क स धे प्रसारण के जररये ठ क उस समय
pg. 12
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
दे ख सकते हैं । हम विकेट मैच दे खने स्टे वडयम ििे न सुहाग ने स्वयं मवणपुर पहुाँ चकर क्तस्थवत का जायजा विया
जाएाँ िेवकन घर बैठे उस मैच का स धा प्रसारण (िाइव) है । चंदेि के एक वररष्ठ पुविस अवधकार ने बताया वक
दे ख सकते हैं । पुविस घटनास्थि से शह द ं के शव ं क िा चुक है ।
आज संचार और जनसंचार के माध्यम हमार अवनवाया इनमें 17 शव छठ ड गरा रे ज मेंट के जवान ं के हैं ,
आवश्यकता बन गए हैं । हमारे र जमराा के ज वन में जबवक एक शव उग्रवाद का है । हािााँ वक, यह िष्ट नह ं
उनक बहुत अहम िूवमका ह गई है । उनके वबना हम वक उग्रवाद वकस सगठन से संबंवधत है । पुविस ने बताया
आज आधुवनक ज वन क कल्पना ि नह ं कर सकते। वे वक तिाश अवियान सेना और असम राइफल्स वमिकर
हमारे विए न वसफा सूचना के माध्यम हैं बक्ति वे हमें चिा रहे हैं । िेवकन अब तक वकस क वगरफ्तार नह ं
जागरूक बनाने और हमारा मन रं जन करने में ि अग्रण क गई है । उन् न ं े बताया वक घटनास्थि जंगि के काफ
िूवमका वनिा रहे हैं । अंदर एवं दु गाम है ।
मैगी की भबिी पर र क महज 20 वकि म टर क दू र पर म्यां मार स मा है ।
नई दे ल्ल , ववशेष संवाददाता इसविए हमिा कर उग्रवाद िागने में कामयाब रहे । सूत्र ं
सरकार ने शुिवार क नेस्ले कंपन के ब्ां ड मैग क ने बताया वक उग्रवावदय ं क धरपकड़ के विए पराि ग ं ,
सि नौ वकस् ं क वबि पर पूरे दे श में पाबंद िगा द । चर ग ं , म ल्तुह और कुछ अन्य इिाक ं में ख ज अवियान
िारत य खाद्य संरक्षा एवं मानक प्रावधकरण चिाया जा रहा है । इस ब च, सुरक्षा का जायजा िेने पहुाँचे
(एफएसएसएआई) ने कहा, ‘मैग के नौ नूडि खाने के सुहाग ने शुिवार क त सर क र के कमां डर और श षा
विहाज से असुरवक्षत और खतरनाक हैं । इसविए कंपन पुविस अवधकाररय ं के साथ बैठक क । उन् न ं े घटना
तुरंत इनक वबि और उत्पादन पर र क िगाए।’ और मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था क जानकार ि । सुहाग ने
कींपनी ने मैगी पर सफाई िी : नेस्ले के ग्ल बि स ईओ कहा वक उग्रवावदय ं के क्तखिाफ द घाकाविक और िवक्षत
पॉि बुिे ने वदल्ल में प्रेस कां फ्ेंस कर मैग पर सफाई अवियान ं के विए एक ववस्तृत अवियान य जना पर काम
द । उन् न ं े कहा, ‘मैग पूर तरह सुरवक्षत है वफर ि वकया जा रहा है ।
हमने इसे िारत य बाजार से हटाने का फैसिा विया है सींचार क्या है?
क्य वं क बेवजह भ्रम फैिने से ग्राहक ं का िर सा प्रिाववत संचार शब्द क उत्पवत्त ‘चर’ धातु से हुई है , वजसका अथा
ह रहा है ।’ पॉि क्तस्वट् जरिैंड से आए थे। है -चिना या एक स्थान से दू सरे स्थान तक पहुाँ चना।
15 भिन में जवाब िें : खाद्य वनयामक एफएसएसएआई संचार स हमारा तात्पया द या द से अवधक व्यक्तिय ं के
ने नेस्ले क कारण बताओ न वटस जार करके पंद्रह वदन ब च सूचनाओं, ववचार ं और िावनाओं का आदान-प्रदान
के अंदर जवाब मां गा है । वनयामक का कहना है वक नेस्ले है । मशहूर संचारशास्त्र ववल्बर श्रैम के अनुसार “संचार
ने उत्पाद मंजूर विए बगैर और वबना ज क्तखम एवं सुरक्षा अनुिव ं क साझेदार है ।’ इस प्रकार सुचनाओं, ववचार ं
आकिन के मैग ओट् स मसािा नूडल्स पेश वकया है । और िावनाओं क विक्तखत, मौक्तखक या दृश्य-श्रव्य
इसविए मैग क सि नौ वकस्ें तुरंत बाजार से वापस माध्यम ं के जर ये सफितापूवाक एक जगह से दू सर
िेने का आदे श वदया हैं । एफएसएसएआई के मुख्य जगह पहुाँ चाना ह संचार है और इस प्रविया क अंजाम
कायाकार वाईएम मविक ने बताया, कंपन क त न वदन दे ने में मदद करने वािे तर के संचार माध्यम कहिाते हैं ।
में बाजार से मैग हटाने के आदे श पर ररप टा दे ने क कहा सींचार के तत्व
गया है । साथ ह यह प्रविया पूर ह ने तक र ज प्रगवत संचार एक प्रविया है । इस प्रविया में कई तत्व शावमि
ररप टा सौंपने का ि वनदे श वदया गया है । िारत क जां च हैं । इनमें से प्रमुख तत्व वनम्नविक्तखत है -
पर सवाि! : नेस्ले के ग्ल बि स ईओ पॉि से जब यह 1. स्त्र त या सींचारक - संचार-प्रविया क शुरुआत
पूछा गया वक क्या वह िारत य िैब में हुई जां च पर सवाि ‘स्र त” या ‘संचारक’ से ह त है । जब स्र त या
उठा रहें हैं त उन् न ं े इस बात स इनकार वकया। पॉि ने संचारक एक उद्दे श्य के साथ अपने वकस ववचार,
कहा, ‘सबक जां च का तर का अिग-अिग ह सकता संदेश या िावना क वकस और तक पहुाँ चाना
है । हम िारत का तर का समझेंगे।’ चाहता है , त संचार-प्रविया क शुरुआत ह त है ।
उग्रवाभिय ीं की तलािी का अभियान तेज जैसे हमें वकताब क जरूरत ह ने पर जैसे ह हम
इं फाि एजेंवसय ं वकताब मााँ गने क स चते हैं , संचार क प्रविया
सुरक्षाबि ं ने गुरुवार क सेना के कावफिे पर घात शुरू ह जात है । वकताब मााँ गने के विए हम अपने
िगाकर हमिा करने में शावमि उग्रवावदय ं क पकड़ने वमत्र से बातच त करें गे या उसे विखकर संदेश
के विए मवणपुर के चंदेि वजिे में तिाश अवियान तेज िेजेंगे। बातच त या संदेश िेजने के विए हम िाषा
कर वदया है । इस हमिे में ड गरा रे ज मेंट के 18 सैवनक का सहारा िेते हैं ।
शह द ह गए थे। इस ब च, सेना प्रमुख दिब र वसंह
pg. 13
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
2. कूटीकृत या एनक भडीं ग - यह संचार क प्रविया में सुधार करता है और इस तरह संचार क प्रविया
का दू सरा चरण है । सफि संचार के विए जरूर है आगे बढत है ।
वक आपका वमत्र ि उस िाषा यान क ड से 7. ि र - संचार प्रविया में कई बाधाएाँ ि आत हैं ।
पररवचत ह वजसमें आप अपना संदेश िेज रहे हैं । इन बाधाओं क श र (नॉयज) कहते हैं । संचार क
इसके साथ ह संचारक का एनक वडं ग क प्रविया प्रविया क श र से बाधा पहुाँ चत है । यह श र
पर ि पूरा अवधकार ह ना चावहए। इसका अथा वकस ि वकस् का ह सकता है । यह मानवसक से
यह हुआ वक सफि संचार के संचारक का िाषा िेकर तकन क और िौवतक श र तक ह सकता
पर पूरा अवधकार ह ना चावहए। साथ ह उसे अपने है । श र के कारण संदेश अपने मूि रूप में
संदेश के मुतावबक ब िना या विखना ि आना प्राप्तकताा तक नह ं पहुाँ च पाता। सफि संचार के
चावहए। विए संचार प्रविया से श र क हटाना या कम
3. सींिेि - संचार-प्रविया में संदेश का बहुत अवधक करना बहुत जरूर है ।
महत्व है । वकस ि संचारक का सबसे प्रमुख सींचार के प्रकार
उद्दे श्य अपने संदेश क उस अथा के साथ संचार ववविन्न प्रकार के ह ते हैं , पर वे परिर काफ
प्राप्तकताा तक पहुाँ चाना है । इसविए सफि संचार वमिे-जुिे ह ते हैं । इन्ें अिग करके दे खना कवठन ह ता
के विए जरूर है वक संचारक अपने संदेश क है । संचार के वनम्नविक्तखत रूप हैं -
िेकर खुद पूर तरह से िष्ट ह । संदेश वजतना ह 1. साींकेभतक सींचार-जब हम वकस व्यक्ति क
िष्ट और स धा ह गा, संदेश के प्राप्तकताा क उसे संकेत या इशारे से बुिाते हैं त इसे सां केवतक
समझना उतना ह आसान ह गा। संचार कहते हैं । अपने से बड़ ं क प्रणाम करते
4. माध्यम (चैनल) - संदेश क वकस माध्यम हुए हाथ ज ड़कर प्रणाम करना मौक्तखक संचार का
(चैनि) के जररये प्राप्तकताा तक पहुाँ चाना ह ता है । उदाहरण है । मौक्तखक संचार के समय चेहरे और
जैसे हमारे ब िे हुए शब्द ध्ववन तरं ग ं के जररये शर र के ववविन्न अंग ं क मुद्राओं क मदद ि
प्राप्तकताा तक पहुाँ चते हैं , जबवक दृश्य संदेश जात है । खुश , प्रेम, डर आवद अमौक्तखक संचार
प्रकाश तरं ग ं के जररये। इस तरह वायु तरं ग ं के द्वारा व्यि वकया जाता है ।
जररये ि संदेश पहुाँ चते हैं । जैसे खाने क खुशबू 2. अींत:वैयक्तिक (इीं टरपसयनल) सींचार-जब हम
हम तक वायु तरं ग ं के जररये पहुाँ चत है । िशा या कुछ स च रहे ह ते हैं , कुछ य जना बना रहे ह ते हैं
छूना ि एक तरह का माध्यम है । इस तरह या वकस क याद कर रहे ह ते हैं त यह ि एक
टे ि फ न, समाचारपत्र, रे वडय , टे ि ववजन, संचार है । इस संचार-प्रविया में संचारक और
इं टरनेट और वफल्म आवद ववविन्न माध्यम ं के प्राप्तकताा एक ह व्यक्ति ह ता है । यह संचार का
जररये ि संदेश प्राप्तकताा तक पहुाँ चाया जाता है । सबसे बुवनयाद रूप है । इसे अंत:वैयक्तिक
5. प्राप्तकताय या ररसीवर - यह प्राप्त संदेश का (इं टरपसानि) संचार कहते हैं । हम जब पूजा,
कूटवाचन यान उसक ड क वडं ग करता है । इबादत या प्राथाना करते वि ध्यान में ह ते हैं त
ड क वडं ग का अथा है प्राप्त संदेश में वनवहत अथा वह ि अंत:वैयक्तिक संचार का उदाहरण है ।
क समझने क क वशश। यह एक तरह से वकस ि संचार क शुरुआत यह ं से ह त है ।
एनक वडं ग क उिट प्रविया है । इसमें संदेश का 3. समूह सींचार-इस संचार में हम ज कुछ ि
प्राप्तकताा उन वचहन ं और संकेत ं के अथा कहते हैं , वह वकस एक या द व्यक्ति के विए न
वनकािता है । जावहर है वक संचारक और ह कर पूरे समूह के विए ह ता है । समूह संचार का
प्राप्तकताा द न ं का उस क ड से पररवचत ह ना उपय ग समाज और दे श के सामने उपक्तस्थत
जरूर है । समस्याओं क बातच त और बहस-मुबावहसे के
6. फीडबैक - संचार-प्रविया में प्राप्तकताा क इस जररये हि करने के विए ह ता है । संसद में जब
प्रवतविया क फ डबैक कहते हैं । संचार-प्रविया ववविन्न मुद्द ं पर चचाा ह त है त यह ि समूह
क सफिता में फ डबैक क अहम िूवमका ह त संचार का ह एक उदाहरण है ।
है । फ डबैक से ह पता चिता है वक संचार- 4. जनसींचार-जब हम व्यक्तिय ं के समूह के साथ
प्रविया में कह ं क ई बाधा त नह ं आ रह है । प्रत्यक्ष संवाद क बजाय वकस तकन क या
इसके अिावा फ डबैक से यह ि पता चिता है यां वत्रक माध्यम के जररये समाज के एक ववशाि
वक संचारक ने वजस अथा के साथ संदेश िेजा था वगा से संवाद कायम करने क क वशश करते हैं त
वह उस अथा में प्राप्तकताा क वमिा है या नह ?ं इसे जनसंचार कहते हैं । इसमें एक संदेश क
इस फ डबैक के अनुसार ह संचारक अपने संदेश यां वत्रक माध्यम के जररये बहुगुवणत वकया जाता है
pg. 14
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
तावक उसे अवधक से अवधक ि ग ं तक पहुाँ चाया 2. भिभक्षत करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं के
जा सके। इसके विए हमें वकस उपकरण या जररये हमें जागरूक बनाते हैं । ि कतंत्र में
माध्यम क मदद िेन पड़त है -मसिन अखबार, जनसंचार माध्यम ं क एक महत्वपूणा िूवमका
रे वडय , ट ०व ०, वसनेमा या इं टरनेट। अखबार में जनता क वशवक्षत करने क है । यहााँ वशवक्षत करने
प्रकावशत ह ने वािे समाचार वह ह ते हैं िेवकन से आशय है -उन्ें दे श-दु वनया के हाि से पररवचत
प्रेस के जररये उनक हजार -ं िाख ं प्रवतयााँ कराना और उसके प्रवत सजग बनाना।
प्रकावशत करके ववशाि पाठक वगा तक पहुाँ चाई 3. मन रीं जन करना-जनसंचार माध्यम मन रं जन
जात हैं । के ि प्रमुख साधन हैं । वसनेमा, ट ०व ०, रे वडय ,
जनसींचार की भविेषताएँ संग त के टे प, व वडय और वकताबें आवद
जनसंचार क ववशेषताएाँ वनम्नविक्तखत हैं - मन रं जन के प्रमुख माध्यम हैं ।
4. एजेंडा तय करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं
1. जनसंचार माध्यम ं के जररये प्रकावशत या और ववचार ं के जररये वकस दे श और समाज का
प्रसाररत संदेश ं क प्रकृवत सावाजवनक ह त है । एजेंडा ि तय करते हैं । जब समाचार-पत्र और
इसका अथा यह हुआ वक अंतरवैयक्तिक या समूह समाचार चैनि वकस खास घटना या मुद्दे क
संचार क तुिना में जनसंचार के संदेश सबके प्रमुखता से उठाते हैं या उन्ें व्यापक कवरे ज दे ते
विए ह ते हैं । हैं , त वे घटनाएाँ या मुद्दे आम ि ग ं में चचाा के
2. जनसंचार का संचार के अन्य रूप ं से एक फका ववषय बन जाते हैं । वकस घटना या मुद्दे क चचाा
यह ि है वक इसमें संचारक और प्राप्तकताा के का ववषय बनाकर जनसंचार माध्यम सरकार और
ब च क ई स धा संबंध नह ं ह ता है । समाज क उस पर अनुकूि प्रवतविया करने के
3. जनसंचार के विए एक औपचाररक संगठन क विए बाध्य कर दे ते हैं ।
ि जरूरत पड़त है । औपचाररक संगठन के वबना 5. भनगरानी करना-वकस ि कतां वत्रक समाज में
जनसंचार माध्यम ं क चिाना मुक्तिि है । जैसे जनसंचार माध्यम ं का एक और प्रमुख काया
समाचारपत्र वकस न वकस संगठन से प्रकावशत सरकार और संस्थाओं के कामकाज पर वनगरान
ह ता है या रे वडय का प्रसारण वकस रे वडय रखना ि है । अगर सरकार क ई गित कदम
संगठन क ओर से वकया जाता है । उठात है या वकस संगठन/संस्था में क ई
4. जनसंचार माध्यम ं ढे र सारे द्वारपाि (गेटक पर) अवनयवमतता बरत जा रह है , त उसे ि ग ं के
काम करते हैं । द्वारपाि वह व्यक्ति या व्यक्तिय ं सामने िाने क वजम्मेदार जनसंचार माध्यम ं पर
का समूह है ज जनसंचार माध्यम ं से प्रकावशत या है ।
प्रसाररत ह ने वाि सामग्र क वनयंवत्रत और 6. भवचार-भवमिय के मींच-जनसंचार माध्यम ं का
वनधाा ररत करता है । एक काया यह ि है वक वे ि कतंत्र में ववविन्न
जनसंचार माध्यम ं में द्वारपाि क िूवमका बहुत ववचार ं क अविव्यक्ति का मंच उपिब्ध कराते हैं ।
महत्वपूणा मान जात है । यह उनक ह वजम्मेदार है वक इसके जररये ववविन्न ववचार ि ग ं के सामने पहुाँ चते
वे सावाजावनक वहत, पत्रकाररता के वसद्धां त ,ं मूल् ं और हैं । जैसे वकस समाचार-पत्र के ‘संपादक य’ पृष्ठ
आचार संवहता के अनुसार सामग्र क संपावदत करें और पर वकस घटना या मुद्दे पर ववविन्न ववचार रखने
उसके बाद ह उनके प्रसारण या प्रकाशन क इजाजत वािे िेखक अपन राय व्यि करते हैं । इस तरह
दें । ‘संपादक के नाम वचट्ठ ’ स्तंि में आम ि ग ं क
जनसींचार के कायय अपन राय व्यि करने का मौका वमिता है । इस
वजस प्रकार संचार के कई काया हैं , उस तरह जनसंचार तरह जनसंचार माध्यम ववचार-ववमशा के मंच के
माध्यम ं के ि कई काया हैं । उनमें से कुछ प्रमुख काया रूप में ि काम करते हैं ।
इस प्रकार हैं : िारत में जनसींचार माध्यम ीं का भवकास
िारत में जनसंचार माध्यम ं का इवतहास बहुत पुराना है ।
1. सूचना िे ना-जनसंचार माध्यम ं का प्रमुख काया इसके ब ज पौरावणक काि के वमथक य पात्र ं में वमि
सूचना दे ना है । हमें उनके जररये ह दु वनयािर से जाते हैं । दे ववषा नारद क िारत का पहिा समाचार
सूचनाएाँ प्राप्त ह त हैं । हमार जरूरत ं का बड़ा वाचक माना जाता है ज व णा क मधुर झंकार के साथ
वहस्सा जनसंचार माध्यम ं के जररये ह पूरा ह ता धरत और दे वि क के ब च संवाद-सेतु थे। उन् ं क तरह
है । महािारत काि में महाराज धृतराष्टर और रान गां धार क
युद्ध क झिक वदखाने और उसका वववरण सुनाने के
pg. 15
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
विए वजस तरह संजय क पररकल्पना क गई है , वह एक 2. उन्ें संपावदत कर छापने िायक बनाना!
अत्यंत समृद्ध संचार व्यवस्था क ओर इशारा करत है । 3. पत्र या पवत्रका के रूप में छापकर पाठक ं तक
चंद्रगुप्त मौया, अश क जैसे सम्राट ं के शासन-काि में पहुाँ चाना।
स्थाय महत्व के संदेश ं के विए वशिािेख ं और सामवयक यद्यवप ये त न ं काम परिर जुड़े हुए हैं पर पत्रकाररता के
या तात्काविक संदेश ं के विए कच्च स्याह या रं ग ं से अंतगात पहिे द काम ं क शावमि वकया जाता है । जहााँ
संदेश विखकर प्रदवशात करने क व्यवस्था और मजबूत बाहर से खबरें िाने का काम संवाददाताओं का ह ता है ,
हुई। तब बाकायदा र जनामचा विखने के विए कमाचार वह ं तमाम खबर ,ं िेख ,ं फ चर ं क व्यवक्तस्थत तर के से
वनयुि वकए जाने िगे और जनता के ब च संदेश िेजने संपावदत करने और सुरुवचपूणा ढं ग से छापने का काम
के विए ि सह व्यवस्था क गई। संपादक य वविाग में काम करने वािे संपादक ं का ह ता
ि मबेटका के गुफावचत्र इसके प्रमाण हैं । यह समानां तर है । आज पत्रकाररता का क्षेत्र ि बहुत व्यापक ह चिा है ।
व्यवस्था बाद में कठपुति और ि कनाटक ं क ववववध खबर का संबंध वकस एक या द ववषय ं से नह ं ह ता।
शैविय ं के रूप में वदखाई पड़त है । दे श के ववविन्न दु वनया के वकस ि क ने क घटना समाचार बन सकत
वहस्स ं में प्रचवित ववववध नाट्यरूप -ं कथावाचन, बाउि, है बशता वक उसमें पाठक ं क वदिचि ह या उसमें
सां ग, रागन , तमाशा, िावन , नौटं क , जात्रा, गंगा-गौर , सावाजावनक वहत वनवहत ह ।
यक्षगान आवद का ववशेष महत्व है । इन ववधाओं के िारत में अखबारी पत्रकाररता का आरीं ि
किाकार मन रं जन त करते ह थे , एक क्षेत्र से दू सरे क्षेत्र िारत में अखबार पवत्रका क शुरुआत सन् 1780 में
तक संदेश पहुाँ चाने और जनमत वनमाा ण करने का काम जेम्स ऑगस्ट वहक के ‘बंगाि गजट’ से हुई ज किकत्ता
ि करते थे। (क िकाता) से वनकिा था जबवक वहं द का पहिा
िेवकन जनसंचार के आधुवनक माध्यम ं के ज रूप आज साप्तावहक पत्र ‘उदत माताड’ ि किकत्ता से ह सन्
हमारे यहााँ हैं , वे वनिय ह हमें अंग्रेज ं से वमिे हैं । चाहे 1826 में पंवडत जुगि वकश र शुक्ल के संपादन में
समाचारपत्र ह ं या रे वडय , टे ि ववजन या इं टरनेट, सि वनकिा था। वहं द िाषा के ववकास में शुरुआत अखबार ं
माध्यम पविम से ह आए। हमने शुरुआत में उन्ें उस और पवत्रकाओं ने बहुत महत्वपूणा िूवमका वनिाई। इस
रूप में अपनाया िेवकन ध रे -ध रे वे हमार सां स्कृवतक विहाज से िारतेंदु हररिंद्र का नाम हमेशा सम्मान के
ववरासत के अंग बनते चिे गए। चाहे वफल्में ह ं या ट ०व ० साथ विया जाएगा वजन् न ं े कई पवत्रकाएाँ वनकाि ं।
स ररयि, एक समय के बाद वे िारत य नाट्य परं परा से आजाद के आं द िन में िारत य पत्र ं ने अहम िूवमका
पररचावित ह ने िगते हैं । इसविए आज के जनसंचार वनिाई। महात्मा गां ध , ि किान्य वतिक और
माध्यम ं का खाका ििे ह पविम ह . िेवकन उनक मदनम हन मािव य जैसे नेताओं ने ि ग ं क जागरूक
ववषयवस्तु और रं गरूप िारत य ह हैं । बनाने के विए पत्रकार क ि िूवमका वनिाई।
जनसंचार माध्यम ं के वतामान प्रचवित रूप ं में प्रमुख हैं - गां ध ज क हम समकाि न िारत का सबसे बड़ा
समाचारपत्र-पवत्रकाएाँ , रे वडय , टे ि ववजन, वसनेमा और पत्रकार कह सकते हैं , क्य वं क आजाद वदिाने में उनके
इं टरनेट। इन माध्यम ं के जररये ज ि सामग्र आज पत्र ं न महत्वपूणा िूवमका वनिाई। आजाद के पहि के
जनता तक पहुाँ च रह है , राष्टर के मानस का वनमाा ण करने प्रमुख पत्रकार ं में गणेश शं कर ववद्याथी, माखनिाि
में उसक महत्वपूणा िूवमका है । चतुवेद , महाव र प्रसाद दवववेद , बाबुराव वबष्णुराव
समाचारपत्र-पभत्रकाएँ पराड़कर, प्रताप नारायण वमश्र, वशवपूजन सहाय.
जनसंचार क सबसे मजबूत कड़ पत्र-पवत्रकाएाँ या वप्रंट रामवृक्ष बेन पुर और बािमुकुंद गुप्त हैं । उस समय के
म वडया ह है । हािााँ वक अपने ववशाि दशाक वगा और महत्वपूणा अखबार ं और पवत्रकाओं में ‘केसर ’,
त व्रता के कारण रे वडय और टे ि ववजन क ताकत वहं दुस्तान’ ‘सरस्वत ’ ‘हं स’ ‘कमाव र’, ‘ आज’,’ प्रताप
ज्यादा मान जा सकत है िेवकन वाण क शब्द ं के रूप ‘,’प्रद प’ और ‘ववशाि िारत’ आवद प्रमुख हैं ।
में ररकॉडा करने वािा आरं विक माध्यम ह ने क वजह से स्वतींत्र िारत के प्रमुख समाचार पत्र
वप्रंट म वडया का महत्व हमेशा बना रहे गा। आज ििे ह आजाद के बाद के प्रमुख वहं द अखबार ं में ‘नविारत
वप्रंट, रे वडय , टे ि ववजन या इं टरनेट, वकस ि माध्यम से टाइम्स’, ‘जनसत्ता’, ‘नई दु वनया’, ‘राजस्थान पवत्रका’,
खबर ं के संचार क पत्रकाररता कहा जाता ह , िेवकन ‘अमर उजािा’ , ‘दै वनक िास्कर’, “दै वनक जागरण और
आरं ि में केवि वप्रंट माध्यम ं के जररये खबर ं के आदान- पवत्रकाओं में ‘धमायुग’, ‘साप्तावहक वहं दुस्तान’, ‘ वदनमान’
प्रदान क ह पत्रकाररता कहा जाता था। , ‘रवववार’ , ‘इं वडया टु डे’ और ‘आउटिुक’ का नाम विया
पत्रकाररता के स पान जा सकता है । इनमें से कई पवत्रकाएाँ बंद ह चुक हैं ।
इसके वनम्नविक्तखत त न स पान हैं - आजाद के बाद के वहं द के प्रमुख पत्रकार ं में
1. समाचार ं क संकवित करना। सक्तच्चदानंद ह रानंद वात्स्यानन ‘अज्ञेय’, रघुव र सहाय,
pg. 16
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
धमाव र िारत , मन हर श्याम ज श , राजेि माथुर, जाते हैं , त सूचना क ववश्वसन यता कई गुना बढ जात
प्रिाष ज श , सवेश्वर दयाि सक्सेना, सुरेि प्रताप वसंह है ।
का नाम विया जात सकता है । िारत में टे ि ववजन क शुरुआत यूनेस्क क एक शैवक्षक
रे भडय पररय जना के अंतगात 15 वसतंबर, 1959 क हुई थ ।
पत्र-पवत्रकाओं के बाद वजस माध्यम ने दु वनया क सबसे इसका मकसद टे ि ववजन के जररये वशक्षा और
ज्यादा प्रिाववत वकया, वह रे वडय है । सन् 1895 में जब सामुदावयक ववकास क प्र त्सावहत करना था। इसके
इटि के इिेक्तररकि इं ज वनयर ज ० माकन ने वायरिेस तहत वदल्ल के आसपास के गााँ व ं में 2 ट ०व ० सेट िगाए
के जररये ध्ववनय ं और संकेत ं क एक जगह से दू सर गए वजन्ें 200 ि ग ं ने दे खा। यह हफ्ते में द बार एक-
जगह िेजने में कामयाब हावसि क , तब रे वडय जैसा एक घंटे के विए वदखाया जाता था। िेवकन 1965 में
माध्यम अक्तस्तत्व में आया। पहिे ववश्वयुद्ध तक यह स्वतंत्रता वदवस से िारत में वववधवत ट ०व ० सेवा का
सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक महत्वपूणा औजार बन आरं ि हुआ। तब र ज एक घंटे के विए ट ०व ० कायािम
चुका था। िारत में 1892 में रे वडय क शुरुआत हुई। वदखाया जाने िगा। 1975 तक वदल्ल , मुंबई, श्र नगर,
1921 में मुंबई में ‘टाइम्स ऑफ इं वडया’ ने डाक-तार अमृतसर, क िकाता, मद्रास और िखनऊ में ट ०व ०
वविाग के सहय ग से संग त कायािम प्रसाररत वकया। सेंटर खुि गए। िेवकन 1976 तक ट ०व ० सेवा
1936 में वववधवत् ऑि इवडया रे वडय क स्थापना हुई आकाशवाण का वहस्सा थ । 1 अप्रैि, 1976 से इसे अिग
और आजाद के समय तक दे श में कुि में रे वडय स्टे शन कर वदया गया। इसे दू रदशान नाम वदया गया। 1984 में
खुि चुके थे-िखनऊ, वदल्ल , बंबई (मुंबई), किकत्ता इसक रजत जयंत मनाई गई।
(क िकाता), मद्रास (चेन्नई) वतरुवचरापल्ल , ढाका, स्वगीय प्रधानमंत्र इं वदरा गां ध क दू रदशान क ताकत
िाहौर और पेशावर। इनमें से त न रे वडय स्टे शन का एकसास था। वे दे शिर में टे ि ववजन केंद्र ं का जाि
वविाजन के साथ पावकस्तान के वहस्से में चिे गए। वबछाना चाहत थ ।ं 1980 में इं वदरा गां ध ने प्र फेसर
आजाद के बाद िारत में रे वडय एक बेहद ताकतवर प ०स ० ज श क अध्यक्षता में दू रदशान के कायािम ं क
माध्यम के रूप में ववकवसत हुआ। आज आकाशवाण गुणवत्ता में सुधार के विए एक सवमवत गवठत क । ज श
दे श क 24 िाषाओं और 146 ब विय ं में कायािम प्रस्तु त ने अपन ररप टा में विखा, हमारे जैसे समाज में जहााँ पुराने
करत है । दे श क 96 प्रवतशत आबाद तक इसक पहुाँ च मूल् टू ट रहे ह ं और नए न बन रहे ह ,ं वहााँ दू रदशान बड़
है । 1993 में एकएम (वफ्क्वेंस मॉडयूिेशन) क शुरुआत िूवमका वनिाते हुए जनतंत्र क मजबूत बना सकता है ।
के बाद रे वडय के क्षेत्र में कई वनज कंपवनयााँ ि आगे दू रदशान कायािम ं क गुणवत्ता के सुधार में प्र ० प ०स ०
आई ह। िेवकन अि उन्ें समाचार और सम-सामवयक ज श क अध्यक्षता में एक सवमवत गवठत क गई, वजसने
कायािम ं के प्रसारण क अनुमवत नह ं है । अपन ररप टा में विखा-‘हमारे जैसे समाज में जहााँ पुराने
रे वडय एक ध्ववन पाध्यम है । इसक तात्काविकता, मूल् टू ट रहे ह ं और नए न बन रहे ह ,ं वहााँ दू रदशान बड़
घवनष्ठता और प्रिाव के कारण गां ध ज ने रे वडय क एक िूवमका वनिाते हुए जनतंत्र क मजबूत बना सकता है ।’
अद् िुत श न कहा था। ध्ववन-तरं ग ं के जररये यह दे श के टे लीभवजन के उद्दे श्य
क ने -क ने तक पहुाँ चता है । दू र-दराज के गााँ व ं में, जहााँ टे ि ववजन के वनम्नविक्तखत उद्दे श्य हैं -
संचार और मन रं जन के अन्य साधन नह ं ह ते, वहााँ सामावजक पररवतान
रे वडय ह एकमात्र साधन है . बाहर दु वनया से जुड़ने का। राष्टर य एकता
वफर अखबार और टे ि ववजन क तुिना में यह बहु ‘ वैज्ञावनक चेतना का ववकास
सस्: ि है । पररवार-कल्ाण क प्र त्साहन
इसविए िारत के दू रदराज के हिाक ं में ि ग ं ने रे वडय कृवष-ववकास
क्लब बना विए हैं । आकाशवाण के अिावा सैकड़ ं वनज पयाा वरण-संरक्षण
एफएम स्टे शन ं और ब ब स , वायस आाँ फ अमेररका, सामावजक ववकास
ड यचे वेिे (रे वडय ं जमान ), मास्क रे वडय , रे वडय ं खेि–संस्कृवत का ववकास
पेइवचंग, रे वडय आस्टर े विया जैसे कई ववदे श प्रसारण और सां स्कृवतक धर हर क प्र त्साहन
है म अमेच्य र रे वडय क्लब ं (स्वतंत्र समूह द्वारा संचावित दू रदशान ने दे श क सूचना, वशक्षा और मन रं जन क
पंज कृत रे वडय स्टे शन) का जाि वबछा हुआ है । जरूरत ं क पूरा करने क वदशा में उल्लेखन य सेवा क
टे लीभवजन है , िेवकन िंबे समय तक सरकार वनयंत्रण में रहने के
आज टे ि ववजन जनसंचार का सबसे ि कवप्रय और कारण इसमें ताजग का अिाव खटकने िगा और
ताकतवर माध्यम बन गया है । वप्रंट म वडया के शब्द और पत्रकाररता के वनष्पक्ष माध्यम के तौर पर यह अपन
रे वडय क ध्ववनय ं के साथ जब टे ि ववजन के दृश्य वमि जगह नह ं बना पाया। अिबत्ता मन रं जन के एक
pg. 17
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
ि कवप्रय माध्यम के तौर पर इसने अपन एक खास जगह करने का और अत्याधुवनक तकन क के इस्तेमाि से
बना ि है । ि ग ं क सपन ं क दु वनया में िे जाने का माध्यम ि है ।
टे ि ववजन का असि ववस्तार तब हुआ, जब िारत में मौजूदा समय में िारत हर साि िगिग 800 वफल्म ं का
दे श वनज चैनि ं क बाढ आने िग । अरू बर, 1993 में वनमाा ण करता है और दु वनया का सबसे बड़ा वफल्म-
ज ट ०व ० और स्टार ट ०व ० के ब च अनुबंध हुआ। वनमाा ता दे श बन गया है । यहााँ वहं द के अिावा अन्य
इसके बाद समाचार के क्षेत्र में ि ज न्यूज और स्टार क्षेत्र य िाषाओं और बाविय ं में ि वफल्में बनत हैं और
न्यूज नामक चैनि आए और सन् 2002 में आजतक के खूब चित हैं ।
स्वतंत्र चैनरि के रूप में आने के बाद त जैसे समाचार इीं टरनेट
चैनि ं क बाढ ह आ गई। जहााँ पहिे हमारे सावाजवनक इं टरनेट जनसंचार का सबसे नया, िेवकन तेज से
प्रसारक दू रदशाक का उद्दे श्य राष्टर-वनमाा ण और ि कवप्रय ह रहा माध्यम है । एक ऐसा माध्यम, वजसमें
सामावजक उन्नयन था, वह ं इन वनज चैनि ं का मकसद वप्रंट म वडया, रे वडय , टे ि ववजन, वकताब, वसनेमा यहााँ
व्यावसावयक िाि कमाना रह गया। इससे जहााँ तक वक पुस्तकािय के सारे गुण मौजूद हैं । उसक पहुाँ च
टे ि ववजन समाचार क वनष्पक्षता क पहचान वमि , दु वनया के क ने -क ने तक है और उसक रफ़्तार का क ई
उसमें ताजग आई और वह पेशेवर हुआ, वह ं एक अंध जवाब नह ं है । उसमें सारे माध्यम ं का समागम है ।
ह ड़ के कारण अनेक बार पत्रकाररता के मूल् ं और इं टरनेट पर आप दु वनया के वकस ि क ने से छपनेवािे
उसक नैवतकता का ि हनन हुआ। इसके बावजूद आज अखबार या पवत्रका में छप सामग्र पढ सकते हैं । रे वडय
पूरे िारत में 200 से अवधक चैनि प्रसाररत ह रहे हैं और सुन सकते हैं । वसनेमा दे ख सकते हैं । वकताब पढ सकते
र ज नए-नए चैनि ं क बाढ आ रह है । हैं और ववश्वव्याप जाि के ि तर जमा कर ड़ ं पन्न ं में से
भसनेमा पििर में अपने मतिब क सामग्र ख ज सकते हैं ।
जनसंचार का सबसे ि कवप्रय और प्रिावशाि माध्यम यह एक अंतरवियात्मक माध्यम है यान आप इसमें मूक
है -वसनेमा। हािााँ वक यह जनसंचार के अन्य माध्यम ं क दशाक नह ं है । आप सवाि-जवाब, बहस-मुबावहस ं में
तरह स धे तौर पर सूचना दे ने के अन्य िाग िेते हैं , आप चैट कर सकते हैं और मन ह त अपना
नह ं करता, िेवकन पर क्ष रूप में सूचना, ज्ञान और संदेश ब्लाग बनाकर पत्रकाररता क वकस बहस के सूत्रधार बन
दे ने का काम करता है । वसनेमा क मन रं जन के एक सकते हैं । इं टरनेट ने हमें म वडया समागम यान कंवजेस
सशि माध्यम के तौर पर दे खा जाता रहा है । वसनेमा के के युग में पहुाँ चा वदया है और संचार क नई संिावनाएाँ
आववष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एवडसन क जाता है जगा द हैं ।
और यह 1883 में वमनेवटस्क प क ख ज के साथ जुड़ा हर माध्यम में कुछ गुण और कुछ अवगुण ह ते हैं ।
हुआ है । 1894 में फ्ां स में पहि वफल्म बन ‘द अराइवि इं टरनेट ने जहााँ पढने -विखने वाि ं के विए, श धकताा ओं
ऑफ टर े न’। वसनेमा क तकन क में नेज से ववकास हुआ के विए संिावनाओं के नए कपाट ख िे हैं , हमें ववश्वग्राम
और जल्द ह यूर प और अमेररका में कई अच्छ वफल्में का सदस्य बना वदया है , वह ं इसमें कुछ खावमयााँ ि हैं ।
बनने िग ं। पहि खाम त यह है वक इसमें िाख ं अश्ल ि पन्ने िर
िारत में पहि मूक वफल्म बनाने का श्रेय दादा साहे ब वदए गए हैं , वजसका बच्च ं के क मि मन पर बुरा असर
फािे क जाता है । यह वफल्म थ 1913 में बन -‘राजा पड़ सकता है । दू सर खाम यह है वक इसका दु रुपय ग
हररिंद्र’। इसके बाद के द दशक ं में कई और मूक वकया जा सकता है । हाि के वषों में इं टरनेट के दु रुपय ग
वफल्में बन ं। इनके कथानक धमा, इवतहास और ि क- क कई घटनाएाँ सामने आई हैं ।
गाथाओं के इदा -वगदा बुने जाते रहे । 1931 में पहि ब ित जनसींचार माध्यम ीं का प्रिाव
वफल्म बन -‘ आिम आरा’। इसके बाद वक ब ित आज के संचार प्रधान समाज में जनसंचार माध्यम ं के
वफल्म ं का दौर शुरू हुआ। आजाद वमिने के बाद जहााँ वबना ज वन क कल्पना नह ं क जा सकत । हमार
एक तरफ िारत य वसनेमा ने दे श के सामावजक यथाथा ज वन-शैि पर संचार माध्यम ं का जबरदस्त असर है ।
क गहराई से पकड़कर आवाज दे ने क क वशश क , अखबार पढे वबना हमार सुबह नह ं ह त । ज अखबार
वह ं ि कवप्रय वसनेमा ने व्यावसावयकता का रास्ता नह ं पढते , वे र जमराा क खबर ं के विए रे वडय या
अपनाया। एक तरफ पृथ्व राज कपूर, महबूब खान, ट ०व ० पर वनिार रहते हैं । हमार महानगर य युवा प ढ
स हराब म द , गुरुदत्त जैसे वफल्मकार थे, त दू सर तरफ समाचार ं और सूचनाओं के आदान-प्रदान के विए
सत्यवजत राय जैसे वफल्मकार। वसनेमा जनसंचार के एक इं टरनेट का उपय ग करने िग है । खर द-फराख्त के
बेहतर न और सबसे ताकतवर माध्यम ं में से एक है । हमारे फैसि ं तक पर ववज्ञापन ं का असर साफ दे खा जा
इसके कई और आयाम ि हैं । यह मन रं जन के साथ- सकता है । यहााँ तक वक शाद -ब्याह के विए ि ि ग ं क
साथ समाज क बदिने का, ि ग ं में नई स च ववकवसत अखबार या इं टरनेट के मैवटर म वनयि पर वनिारता बढने
pg. 18
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
िग है । वटकट बुक कराने और टे ि फ न का वबि जमा 5. आतं कवाद का मुकाबिा करने क चुनौत ।
कराने से िेकर सूचनाओं के आदान-प्रदान के विए 6. सां प्रदावयकता से वनपटने क चुनौत ।
इं टरनेट का इस्तेमाि बढा है । इस तरह फुरसत के क्षण ं हम समाचार-पत्र ं क इन चुनौवतय ं के प्रवत काफ हद
में ट ०व ०-वसनेमा पर वदखाए जाने वािे धारावावहक ं तक संवेदनश ि पाते हैं । वे अपने दावयत्व का वनवाहन,
और वफल्म ं के जररये हम अपना मन रं जन करते हैं । इनसे प वडत ि ग ं क आवाज सरकार तक पहुं चाकर
कुि वमिाकर यह कहा जा सकता है वक जनसंचार कर रहे हैं , वजससे सरकार और अन्य स्वयंसेव संस्थाएाँ
माध्यम ं ने जहााँ एक ओर ि ग ं क सचेत और जागरूक इनक हि करने के विए आगे आत हैं । हााँ , छ टे
बनाने में अहम िूवमका वनिाई है , वह ं उसके समाचार-पत्र अपन स मा वनवित ह ने के कारण कई बार
नकारात्मक प्रिाव ं से ि इनकार नह ं वकया जा सकता। दबाव में आकर उतने संवेदनश ि नह ं ह पाते हैं ।
यह ि िष्ट है वक जनसंचार माध्यम ं के वबना आज प्रश्न 3 : ट ०व ० के वनज चैनि अपन व्यावसावयक
सामावजक ज वन क कल्पना नह ं क जा सकत । ऐसे में सफिता के विए कौन-कौन से तर के अपनाते हैं ?
यह जरूर है वक हम जनसंचार माध्यम ं से प्रसाररत और ट ०व ० के कायािम ं से उदाहरण दे कर समझाइए।
प्रकावशत सामग्र क वनक्तिय तर के से ग्रहण करने के उत्तर – ट ०व ० के वनज चैनि अपन व्यावसावयक
बजाय उसे सविय तर के से स च-ववचार करके और सफिता के विए ि ग ं का ध्यान अपन ओर आकवषात
आि चनात्मक ववश्लेषण के बाद ह स्व कार करें । एक करने वािे कायािम वदखाते हैं । ि ग ऐसे कायािम ं क
जागरूक पाठक, दशाक और श्र ता के बतौर हमें अपन ओर आकवषात ह ते हैं । ये चैनि कई बार ि ग ं क आस्था
आाँ खें, कान और वदमाग हमेशा खुिे रखने चावहए। V क ि वनशाना बनाने से नह ं चूकते। इन कायािम ं क
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न टु कड़ ं में वदखाते हुए ऐसे म ड़ पर समाप्त करते हैं ,
प्रश्न 1 : इस पाठ में ववविन्न ि क-माध्यम ं क चचाा हुई है । वजससे ि ग ं क उत्सुकता अगिे कायािम के विए बन
आप पता िगाइए वक वे कौन-कौन से क्षेत्र का प्रवतवनवधत्व रहे । गत वदन ं जम्मू -कश्म र में आई बाढ क खबर ं तथा
करते हैं । अपने क्षेत्र में प्रचवित वकस ि कनाट्य या उनमें फैंसे नागररक ं क बचाने संबंध खबर ं क कई
ि कमाध्यम के वकस प्रसंग के बारे में जानकार हावसि वदन ं तक ट ०व ० पर वदखाया जाता रहा। इस प्रकार
करके उसक प्रस्तुवत के खास अंदाज के बारे में ि अमेठ (उत्तर प्रदे श) के िूपवत िवन पर अवधकार क
विक्तखए। िेकर संजय वसंह (राज्य सिा सां सद) और उनक पहि
उत्तर – इस पाठ में वजन ि कमाध्यम ं क चचाा हुई है , वे पत्न गररमा वसंह, पुत्र अनंत वविम वसंह के मध्य हुए
हैं -ि क-नृत्य, ि क-संग त और ि क-नाट्य। ये दे श के झगड़े एवं वववाद क कई बार वदखाया गया।
ववविन्न िाग ं में ववववध नाट्य रूप -ं कथावाचन, बाउि, प्रश्न 4 : इं टरनेट पत्रकाररता ने दु वनया क वकस प्रकार
सां ग, रावगन तमाशा, िावन , नौटं क , जात्रा, गंगा-गौर , समेट विया है ? उदाहरण सवहत िष्ट क वजए।
यक्ष-गान, कठपुति ि क-नाटक आवद में प्रचवित हैं । उत्तर – इं टरनेट पत्रकाररता के कारण अब दू ररयााँ
इनमें स्वााँ ग उत्तर िारत, नौटं क उत्तर प्रदे श, वबहार, वसमटकर रह गई हैं ; इं टरनेट क पहुाँ च दु वनया के क ने -
रावगन हररयाणा तथा यक्ष-गान कनाा टक क्षेत्र ं से संबंवधत क ने तक ह गई है । इसक रफ्तार बहुत तेज है । इसका
हैं । हमारे क्षेत्र में नौटं क का प्रय ग खूब ह ता है । यह असर पत्रकाररता पर ि हुआ है । इसक मदद से स्टू वडय
ग्राम ण नाट्य-शैि का एक रूप है । इसमें प्राय: रावत्र के में बैठा संचािक वकस ि मुद्दे पर दे श-ववदे श में बैठे
समय मंच पर वकस ि क-कथा या कहान क नाट्य- व्यक्ति से बातें कर िेता है और करा दे ता है । इसक
शैि में प्रस्तुत वकया जाता है । इसमें स्त्र -पात्र ं क मदद से ग वष्ठयााँ , वाताा एाँ आय वजत क जात हैं । इससे
िूवमका ि प्राय: पुरुष-पात्र करते हैं । हारम वनयम, ववश्व क वकस ि घटना क जानकार अब आसान ह
नगाड़ा, ढ िक आवद वाद्य-यंत्र ं के साथ यह संग तमय गई है ।
प्रस्तुवत ि क-िुिावन ह त है । प्रश्न 5 : वकन् ं द वहं द पवत्रकाओं के समान अंक ं क
प्रश्न 2: आजाद के बाद ि हमारे दे श के सामने बहुत (समान अववध के) पवढए और उनमें वनम्न वबंदुओं के
सार चुनौवतयााँ हैं । आप समाचार-पत्र ं क उनके प्रवत आधार पर तुिना क वजए :
वकस हद तक संवेदनश ि पाते हैं ? आवरण पृष्ठ
उत्तर – आजाद के बाद ि हमारे दे श में बहुत-स अंदर के पृष्ठ ं क साज-सज्जा
चुनौवतयााँ हैं । ये चुनौवतयााँ हैं : सूचनाओं का िम
1. वनधानता से वनपटने क चुनौत । िाषा–शैि
2. बेर जगार से वनपटने क चुनौत । उत्तर – हम ‘सररता’ और ‘हंवडया टु डे’ पवत्रकाओं के
3. भ्रष्टाचार क चुनौत । समान अंक ं क िेते हैं और तुिना करते हैं :
4. दे श क एकता बनाए रखने क चुनौत । आवरण पृष्ठ-‘सररता’ पवत्रका का आवरण पृष्ठ अवधक
pg. 19
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
प्रवतविया क फ डबैक कहते हैं । यह सकारात्मक या वहत, पत्रकाररता के वसद्धां त ,ं मूल् ं और आचार संवहता
नकारात्मक द न ं ह ह सकत है । के अनुसार सामग्र क संपावदत करें तथा उसके बाद ह
प्रश्न 9:श र क्या है ? उनके प्रसारण या प्रकाशन क इजाजत दें ।
उत्तर –संचार प्रविया में आने वाि बाधाओं क श र प्रश्न 17:संचार के काया बताइए।
कहते हैं । यह श र मानवसक से िेकर तकन क और उत्तर –संचार के वनम्नविक्तखत काया हैं -
िौवतक ह सकता है । इसके कारण संदेश अपने मूि 1. संचार से कुछ हावसि वकया जाता है ।
रूप में प्राप्तकताा तक नह ं पहुाँ च पाता। 2. यह वकस के व्यवहार क वनयंवत्रत करता है ।
प्रश्न 10:संचार के प्रकार बताइए। 3. यह सूचना दे ने या िेने का काया करता है ।
उत्तर –संचार के अनेक प्रकार हैं -सां केवतक संचार, 4. यह मानव य िावनाओं क अविव्यक्ति एक
मौक्तखक संचार. अमौक्तखक संचार, अंत: वैयक्तिक संचार, खास तरह से प्रस्तुत करता है ।
अंतर वैयक्तिक संचार, समूह संचार व जनसंचारा। 5. यह प्रवतविया क व्यि करता है ।
प्रश्न 11:अंत: वैयक्तिक संचार वकसे कहते हैं ? प्रश्न 18:जनसंचार के कौन-कौन से काया हैं ? िष्ट करें ।
उत्तर –वह संचार वजसमें संचारक और प्राप्तकताा एक वह उत्तर –जनसंचार के वनम्नविक्तखत काया हैं -
व्यक्ति ह ता है , वह अंत: वै यक्तिक संचार कहिाता है । 1. सूचना िे ना-जनसंचार माध्यम ं का प्रमुख काया
पूजा करना, ध्यान िगाना आवद इसके रूप है । सूचना दे ना है । ये दु वनया िर में सूचनाएाँ प्रसाररत
प्रश्न 12:अंतर वैयक्तिक संचार का क्या महत्त्व है ? करते हैं ।
उत्तर –जब द व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार 2. मन रीं जन-जनसंचार माध्यम-वसनेमा, रे वडय ,
करते हैं त इसे अंतर वैयक्तिक संचार कहते हैं । इसमें ट .व . आवद मन रं जन के ि प्रमुख साधन हैं ।
फ डबैक तत्काि वमिता है । इस तर के से संबंध 3. जागरूकता-जनसंचार माध्यम ि ग ं क
ववकवसत ह ते हैं । यह रूप पाररवाररक तथा सामावजक जागरूक बनाते हैं । वे जनता क वशवक्षत करते
ररश् ं क बुवनयाद है । व्यक्तिगत ज वन में सफिता के हैं ।”
विए हमारा अंतर वैयक्तिक संचार का कौशि उन्नत और 4. भनगरानी-जनसंचार माध्यम सरकार और
प्रिाव ह ना चावहए। संस्थाओं के कामकाज पर वनगरान रखते हैं ।
प्रश्न 13:समूह संचार का उपय ग कहााँ ह ता है ? 5. भवचार-ववमशा के मंच-ये माध्यम ि कतंत्र में
उत्तर –समूह संचार का उपय ग समाज और दे श के ववविन्न ववचार ं क अविव्यक्ति का मंच उपिब्ध
सामने उपक्तस्थत समस्याओं क बातच त और बहस के कराते हैं ।
जररए हि करने के विए ह ता है । इनके जररए ववविन्न ववचार ि ग ं के सामने पहुाँ चते
प्रश्न 14:जनसंचार वकसे कहते हैं ? हैं ।
उत्तर –जब संचार वकस तकन क या यां वत्रक माध्यम के प्रश्न 19:िारत का पहिा समाचारवाचक वकसे माना जाता
जररए समाज के ववशाि वगा से संवाद करने क क वशश है ?
क जात है त उसे जनसंचार कहते हैं । इसमें एक संदेश उत्तर –दे ववषा नारद।
क यां वत्रक माध्यम के जररए बहुगुवणत वकया जाता है प्रश्न 20:िारत में जनसंचार का इवतहास वकस काि में
तावक उसे अवधक-से-अवधक ि ग ं तक पहुाँ चाया जा वमि सकता है ?
सके। उत्तर –पौरावणक काि में।
प्रश्न 15:जनंसचार क प्रमुख ववशेषताएाँ बताइए। प्रश्न 21:प्राच न काि में संदेश वकस तरह वदए जाते थे ?
उत्तर –जनसंचार क वनम्नविक्तखत ववशेषताएाँ ह त हैं - उत्तर –वशिािेख ं पर िेख अंवकत करके।
1. जनसंचार माध्यम ं के जररए प्रकावशत या प्रश्न 22:िारत य संचार के ि क माध्यम बताइए।
प्रसाररत संदेश ं क प्रकृवत सावाजवनक ह त है । उत्तर –ि मवेटका के गुफावचत्र, कठपुति , ि कनाटक
2. इसमें संचारक और प्राप्तकताा के ब च प्रत्यक्ष आवद।
संबंध नह ं ह ता। प्रश्न 23:ि कनाटक ं के प्रकार बताइए।
3. इस माध्यम में अनेक द्वारपाि ह ते हैं ज इन उत्तर –कथावाचन, बाउि, सां ग, रागन , तमाशा, िावन ,
माध्यम ं से प्रकावशत/प्रसाररत ह ने वाि सामग्र नौटं क , जात्रा, गंगा-गौर , यक्षगान।
क वनयंवत्रत तथा वनधाररत करते हैं । प्रश्न 24:जनसंचार के आधुवनक माध्यम कौन-कौन से हैं ?
प्रश्न 16:जनसंचार माध्यम ं में दवारपाि ं क िूवमका क्या उत्तर –रे वडय , ट .व . समाचार-पत्र, वसनेमा इं टरनेट
है ? आवद।
उत्तर –जनसंचार माध्यम ं में द्वारपाि ं क िूवमका
महत्वपूणा है । यह उनक वजम्मेदार है वक सावाजवनक
pg. 21
के न्द्रीय विद्यालय संगठन, विभागीय परीक्षा (LDCE)-पीजीटी-विन्द्दी
प्रश्न 50:ववश्व क सबसे पहि वफल्म कौन-स थ ? जरूरतें आवद पूर ह ने िग हैं । ये हमार ज वन शैि क
उत्तर –द अराइवि ऑफ टर े न (1894, फ्ां स)। प्रिाववत कर रहे हैं ।
प्रश्न 51:िारत में पहि मूक वफल्म वकसने बनाई? प्रश्न 61: ि कतंत्र में जनसंचार माध्यम ं का प्रिाव
उत्तर –िारत में पहि मूक वफल्म ‘राजा हररिंद्र’ (1913) बताइए।
दादा साहब फािे ने बनाई। उत्तर – ि कतंत्र में जनसंचार माध्यम ं ने ज वन क
प्रश्न 52:िारत क पहि ब ित वफल्म कौन-स थ ? गवतश ि व पारदशी बनाया है । इनके माध्यम से
उत्तर –आिम आरा (1931)। सूचनाओं व जानकाररय ं का आदान-प्रदान वकया जाता
प्रश्न 53: वहं द के प्रवसदध वफल्मकार बताइए। है । इसके माध्यम से ववविन्न मुद्द ं पर बहस या ववचार-
उत्तर – पृथ्व राज कपूर, महबूब खान, गुरुदत्त, सत्यज त ववमशा ह त है , ज सरकार क काया शैि पर कुछ हद
राय आवद। तक अंकुश िगाने का काम करता है ।
प्रश्न 54: सत्तर के दशक तक िारत य वसनेमा क प्रश्न 62: जनसंचार के दु ष्प्रिाव बताइए।
ववचारधारा। कैस थ ? उत्तर –
उत्तर – प्रेम, फंतास व कि न हारने वािे सुपर नैचुरि 1. जनसंचार के माध्यम खासतौर पर ट .व . व
ह र क पररकल्पना। वसनेमा ने ि ग ं क काल्पवनक दु वनया’ क सैर
प्रश्न 55: समानां तर वसनेमा क्या था? कराई है । फिस्वरूप ि ग आम ज वन से दू र ह
उत्तर – आठवें दशक में ि ग ं में जागरूकता फैिाने व जाते हैं तथा व्यसन ह जाते हैं । अत: हम कह
यथाथापरक ज वन क व्यि करने वािे वसनेमा क सकते हैं वक जनसंचार के माध्यम पिायनवाद
समानां तर वसनेमा कहा जाता था। प्रवृवत्त क बढावा दे ते हैं ।
प्रश्न 56: समानां तर वसनेमा के प्रमुख वफल्मकार कौन-से 2. ये समाज में अश्ल िता व असामावजक व्यवहार
थे? क बढावा दे ते हैं ।
उत्तर –सत्यवजत राय, श्याम बेनेगि, मृणाि सेन, एम. 3. समाज के कमज र वगों क कम महत्त्व वदया
एस. संधू आवद। जाता है ।
प्रश्न 57:नवें दशक से वहं द वफल्म ं में कैसा स्वरूप ग्रहण 4. अनावश्यक मुद्द ं क उछािा जाता है ।
वकया?
उत्तर –नवें दशक से वहं द वफल्म ं का केंद्र र मां स, वहं सा,
सेक्स व एक्शन ह गया। मुनाफा कमाना वफल्मकार का
मुख्य उद्दे श्य बन गया है ।
प्रश्न 58:इं टरनेट क्या है ?
उत्तर –यह एक ऐसा माध्यम है वजसमें वप्रंट म वडया,
रे वडय , ट .व ., वसनेमा आवद सि के गुण ववद्यमान हैं ।
प्रश्न 59: इं टरनेट से िाि व हावनयााँ बताइए।
उत्तर –इीं टरनेट से लाि-
1. इससे ववश्वग्राम क अवधारणा मजबूत हुई है ।
2. इं टरनेट से संचार क नई संिावनाएाँ जग हैं ।
3. इससे श धकताा ओं व पढने वाि ं के विए अपार
संसाधन उपिब्ध हुए हैं ।
इीं टरनेट से हाभनयाँ -
1. इससे अश्ल िता क बढावा वमिा है ।
2. इसका दु रुपय ग वकया जा रहा है ।
3. बच्च ं व युवाओं में अकेिापन बढता जा रहा है ।
pg. 23