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लता मंगेशकर जीवनी - Lata Mangeshkar Biography in Hindi
लता मंगेशकर जीवनी - Lata Mangeshkar Biography in Hindi
विश्व में अपनी सुरीली आवाज के लिए मशहूर तथा पद्म विभूषण, भारत रत्न से सम्मानित गायिका लता मंगेशकर
जी का 93 वर्ष की उम्र में लम्बी बीमारी की वजह से निधन हो गया। वह कोरोना पॉजिटिव हो चुकी थी जिसके
बाद उन्हें मुंबई में स्थित ब्रीच कै डी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था।
किन्तु यहाँ भी उनकी हालत में सुधार नहीं आया और भारत ने अपना यह अनमोल रत्न 6 फरवरी 2022 की सुबह
को खो दिया। भारत ही नहीं विश्व में हर संगीत प्रेमी को इस खबर ने झकझोर कर रख दिया।
लता मंगेशकर जीवनी
आज का लेख लता जी को समर्पित कर रहे हैं आज के इस लेख में हम आपको लता मंगेशकर जी की जीवनी के
बारे में बताने जा रहे हैं। लता मंगेशकर जी के बारे में जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
Contents [ show ]
भारत की सबसे लोकप्रिय सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर जी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्य प्रदेश के
इंदौर शहर एक साधारण परिवार में हुआ था। लता जी का मूल नाम हेमा था तथा इनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई।
इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी संगीतकार थे साथ ही साथ वे थियेटर भी किया करते थे। लता जी
की माता (जो की मूल रूप से गुजराती थी ) का नाम शेवन्ती देवी था। शेवन्ती देवी दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी
पत्नी थी। दीनानाथ जी की पहली पत्नी नर्मदा देवी थी जो की शेवन्ती देवी की बड़ी बहिन थी।
नर्मदा देवी के देहांत के बाद दीनानाथ जी ने लता जी की माता शेवन्ती देवी से विवाह किया था। लता जी 4 बहनों
तथा 1 भाई में से सबसे बड़ी संतान थी। इनकी 3 बहनों का नाम मीना खडीकर, आशा भोसले और उषा
मंगेशकर है तथा लता जी के एक भाई जिनका नाम हृदय नाथ मंगेशकर है। बॉलीवुड सिंगर के .के के जीवन
परिचय के बारे में भी जानिए।
लता जी का मूल नाम हेमा था ,उनके पिताजी ने भावबंधन नामक नाटक में एक महिला किरदार लतिका से
प्रभावित होकर हेमा का नाम लता रख दिया था। तभी से हेमा जी को लता नाम से जाना जाने लगा।
प्रारम्भिक जीवन
लता जी के पिता दीनानाथ जी का वर्ष 1942 में निधन हो गया था जिस समय लता जी मात्र 13 वर्ष की थी। 5
भाई- बहनों में से सबसे बड़ी संतान लता जी थी। पिता के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारियां लता जी के
कं धे पर आ गयी।
विनायक दामोदर कर्नाटकी जो की लता जी के पिता के अच्छे दोस्त थे उन्होंने ऐसी स्थिति में दीनानाथ जी के
परिवार की सहायता की इनकी सहायता से लता जी के संगीत का सफर शुरू हुआ। लता जी द्वारा उनका पहला
गाना एक मराठी फिल्म कीर्ती हसाल‘ के लिए वर्ष 1942 में गाया था।
लता जी की शिक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है। लता जी ने स्कू ली शिक्षा प्राप्त नहीं की। उनकी रूचि
बचपन से ही संगीत के क्षेत्र में थी वह गायन का शौक रखती थी। लता मंगेशकर जी को 6 विश्वविद्यालयों
द्वारा डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका है हालाँकि लताजी की स्कू ली शिक्षा ज्यादा नहीं हुई है।
पुरस्कार
लता जी को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। लता जी को दिए जाने वाले पुरस्कार के नाम तथा
पुरस्कार दिए जाने का वर्ष को नीचे सूचि में दिया गया है-
वर्ष पुरस्कार
1974 दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
1989 दादा साहब फाल्के पुरस्कार
पद्म विभूषण ,
1999 एन.टी.आर. पुरस्कार
ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
भारत रत्न,
स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001
नूरजहाँ पुरस्कार,
महाराष्ट्र भूषण
लता मंगेशकर जी पिता दीनानाथ जी एक संगीतकार थे। पिता द्वारा लता जी को गायन के क्षेत्र में 5 साल की आयु
से ही शिक्षा दी गयी थी साथ ही गुलाम हैदर, उस्ताद अमानत अली खान, पंडित तुलसीदास शर्मा जैसे संगीतकारों
ने लता जी को संगीत की शिक्षा दी।
किन्तु पिता की वर्ष 1942 में निधन हो जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। अपने 5 भाई
- बहनों में से सबसे बड़ी लता जी थी। पिता के निधन के समय लता जी मात्र 13 वर्ष की थी। परिवार की सारी
जिम्मेदारियां लता जी के कं धे पर आ गयी। पिता का साया सर से उठ जाने के कारण लता जी ने परिवार के भरण-
पोषण के लिए हिंदी तथा मराठी फिल्मो में काम किया। किन्तु अभिनय के क्षेत्र में उनका कु छ खास मन नहीं लगा।
अभिनेत्री के रूप में लता जी की पहली फिल्म “ पाहिली मंगलागौर” थी। उन्होंने अपना पहला गाना मराठी
पिक्चर के लिए रिकॉर्ड किया था किन्तु समय के अनुरूप वह संगीत रिलीज नहीं हो सका। लता मंगेशकर अब
तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।
लता जी द्वारा अब तक कई सारी (लगभग 20 से अधिक ) भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने की रिकॉर्डिंग की
जा चुकी हैं। 18 वर्ष की आयु में उनके द्वारा गाये गए गाने को मशहूर संगीतकार उस्ताद गुलाम हैदर ने सुना,
जिससे प्रभावित होकर उन्होंने लता जी की मुलाकात शशिधर मुखर्जी से कराई।
किन्तु शशधर मुखर्जी ने उनकी आवाज को खास तवज्जो नहीं दी । मशहूर संगीतकार गुलाम हैदर ने लता जी को
पहला ब्रेक दिया गया था। गुलाम हैदर के सहयोग से लता जी को संगीत के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया। सन
1948 में लता जी ने एक फिल्म “ मजबूर ” में गाना गाया था।
गाने के बोल कु छ इस प्रकार से थे -“ दिल मेरा तोडा ” यह गाना लता जी का पहला सुपर हिट गाना था। वर्ष 1949
में “महल” नाम की फिल्म में लता जी द्वारा गया गया गाना “आयेगा आने वाला “ भी सुपर हिट हुआ था। लगातार
सुपरहिट गानों के बाद से लता जी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। लता जी ने आने वाली अधिकतर फिल्मो में गाने
गाये थे। इनकी गायिकी फिल्मो की जान बन गयी थी।
लता जी द्वारा हर प्रकार के गाने जैसे रोमेंटिक गाने ,देशभक्ति से लेकर भजन सभी प्रकार के संगीत को लता जी
द्वारा भली भांति गाया गया है। लता जी के देशभक्ति गीत ” ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भरलो पानी ” ने
उस समय के प्रधानमंत्री रहे जवाहर नेहरू जी की आँखों को नम कर दिया था।
लता जी के गीतों को आज के युवाओं द्वारा भी उतना ही पसंद किया जाता है जितना की 80 -90 के दशक में
किया जाता था। लता जी द्वारा गए गानों को आज भी हर वर्ग के लोगों द्वारा सुना जाता है। उनके संगीत में वह
मिठास है जो जिसे सुनकर आज भी लोग मन्त्र मुग्ध हो जाते है।
लता जी के गले में साक्षात माँ सरस्वती का वास है, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा। फिल्मो में बैकग्राउंड सिंगर के
रूप में लता जी के योगदान को भुला पाना मुश्किल है। लगभग हर भाषा में गायन के लिए अपनी मधुर आवाज दी
है।
लता जी ने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित किया है। उनके द्वारा लगभग 30 हजार से भी अधिक गाने गये
गए हैं। आज भी उनके गीतों में वह परिपक़्वता है जो 80 -90 दशक के शुरुआती सालों में हुआ करती थी। लता
जी द्वारा कई महान संगीतकारों के साथ काम किया गया जैसे एस डी बर्मन, मदनमोहन ,जय किशन ,नौशाद अली
आदि।
लता जी द्वारा कोहिनूर, बैजू बावरा, श्री 420, मुगल- ए- आजम, चोरी- चोरी ,देवदास , हाउस न0 420 ,जैसी अनेक
मशहूर फिल्मो में गाने दिए गए।
लता जी ने अपने जीवन के 80 साल संगीत को दिए। पहली बार स्टेज पर गाने के लिए लता जी को 25 रुपए दिए
गए थे। यह उनकी जीवन की पहली कमाई थी। लता जी के जीवन में वर्ष 1948 और 1949 काफी अच्छा रहा इन
2 सालों में लता जी ने फिल्मो के लिए सुपरहिट गीत गाये।
इस वर्ष दिल मेरा तोडा , आयेगा आने वाला सुपर डुपर हिट हुए थे। जिसके बाद से लता जी ने पीछे मुड़ कर नहीं
देखा। लता जी ने अपने जीवन काल में कई सारे गीत गाए। उन्होंने कई भाषाओं में भी गीतों को गाया है।
लता मगेशकर को प्यार से “लता दीदी ‘कहकर पुकारा जाता था। अपने गायकी से भारत ही नहीं विश्व में अपनी
गायकी का डंका बजाने वाली लता जी ने हर उम्र के व्यक्ति को अपनी आवाज से मोहित किया है। उनकी आवाज
इतनी मधुर है की कोई भी व्यक्ति उनके गए हुए गीतों को सुने बिना नहीं रह सकता। लता जी के कु छ प्रसिद्ध गीत
इस प्रकार से है –
न जाने तुम कहाँ थे
हमने देखी है इन आँखों की
आज फिर जीने की तमन्ना है
जाते हो जाने जाना
वो शाम कु छ अजीब थी
आया सावन झूमके
सुनो सजना पपीहे ने
महबूब मेरे महबूब मेरे
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
होठों पे ऐसी बात
वादा करो नहीं छोड़ोगे तुम मेरा साथ
गुम है किसी के प्यार में
नहीं नही अभी नहीं
गाता रहे मेरा दिल
मै जट यमला पगला दीवाना ,
आज फिर तुम पे प्यार आया
तुमसे मिलकर ना जाने क्यों आदि इसके अलावा अनारकली’ ,जिद्दी’ जैसी फिल्मों में लता जी ने कई
सुपरहिट गाने गए
लता जी को फिल्मो में पार्श्व गायिका के रूप में गीत के लिए समय - समय पर सम्मानित किया गया –
वर्ष 1972 में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड फ़िल्म “परिचय “के गाने के लिए
वर्ष 1974 में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड फ़िल्म “कोरा कागाज़” में गीत के लिए
वर्ष 1990 में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका अवार्ड फ़िल्म” लेकिन” में गाने के लिए दिया गया
मृत्यु
लता जी का शरीर पूरा हो गया। 5 फरवरी को जब सरस्वती पूजा थी उसके ही अगले दिन 6 फरवरी 2022 को
लता जी मुंबई में स्थित ब्रीच कै डी हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली मानो माँ सरस्वती इस बार स्वयं अपनी सबसे प्रिय
पुत्री को ले जाने आयी थी। 93 वर्ष का इतना सुन्दर और धार्मिक जीवन विरलों को ही मिलता है। हर पीढ़ी को
अपने संगीतों से मंत्रमुग्ध कर देने वाला वह कं ठ सदैव ही हमारे बीच अपने गीतों के साथ जीवन पर्यन्त रहेगा।
36 भाषाओं में 50 हजार से भी अधिक गीत गाने वाली लता जी ने अपने जीवन के सफर में पहले और अंतिम
हिंदी फ़िल्मी गीतों में भजन गया है। लता जी की इस महान यात्रा के पूरा होने पर हर देशवासी आपको नमन
करता है।
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Dhruv Gotra
ध्रुव HINDI.NVSHQ.org में संपादक हैं। ध्रुव स्नातक हैं और वर्तमान में इतिहास विषय से स्नातकोत्तर कर रहें हैं। ध्रुव
पिछले एक साल से HINDI.NVSHQ.org में संपादक के रूप में काम कर रहे हैं। और HINDI.NVSHQ.org अंतर्गत
कार्य करने वाले लेखकों का नेतृत्त्व करते हैं। ध्रुव को लेखन के क्षेत्र में 5 वर्षों से अधिक का अनुभव है। आप सभी को
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पढ़ना, नई जगह एक्स्प्लोर करना, गैजेट्स का कलैक्शन का शौक है।
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